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Divya Prakash First Edition.pdf

Divya Shakdwipiya Brahman Samiti Presents Its First Edition of "Divya Prakash"

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इस भॊत्र का उच्चायण कयते हुए बगवान सूमणदेव को दुग्ध से स्नान कयाना चाहहए-<br />

काम धेनु समूद भूतं सर्वेषां जीर्वन ऩरम ्A ऩार्वनं यऻ हेतुश्च ऩयः स्नानाथथ समर्ऩथतम ्AA<br />

बगवान सूमणदेव की ऩूजा के दौयान इस भॊत्र को ऩढ़ते हुए उन्हें द ऩ दशणन कयाना चाहहए-<br />

साज्यं च र्वर्तथ सं बह्ननणां योह्जतं मयाA दीऩ गृहाण देर्वेश त्रैऱोक्य र्तममरा ऩहम ्AA<br />

इस भॊत्र का उच्चायण कयते हुए बगवान सूमणदेव को चन्दन सभऩण कयना चाहहए-<br />

ददव्यं गन्धाढ़्य सुमनोहरम ्A र्वबबऱेऩनं रह्श्म दाता चन्दनं प्रर्त गृह यन्तामAA<br />

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इस भॊत्र को ऩढ़ते हुए बगवान सूमणदेव को वस्त्राहद अऩण कयना चाहहए-<br />

शीत र्वातोष्ण संत्राणं ऱज्जाया रऺणं ऩरम ्A देहा ऱंकारणं र्वस्त्र मतः शांर्त प्रयच्छ में AA<br />

बगवान सूमणदेव की ऩूजा के दौयान इस भॊत्र का उच्चायण कयते हुए उन्हें मऻोऩवीत सभऩण कयना चाहहए-<br />

नर्वमभ स्तन्तु ममयथक्तं बत्रगुनं देर्वता मयम ्A उऩर्वीतं मया दत्तं गृहाणां ऩरमेश्र्वरःAA<br />

इस भॊत्र को ऩढ़ते हुए बगवान सूमणदेव को घृत स्नान कयाना चाहहए-<br />

नर्वनीत समुत ऩन्नं सर्वथ संतोष कारकम ्A घृत तुभ्यं प्रदा स्यामम स्नानाथथ प्रर्त गृह यन्ताम ्AA<br />

बगवान सूमणदेव की ऩूजा के दौयान इस भॊत्र को ऩढ़ते हुए उन्हें अर्घमण सभऩण कयना चाहहए-<br />

ॐ सूयथ देर्वं नमस्ते स्तु गृहाणं करूणा करंA अर्घ्यं च फ़ऱं संयुक्त गन्ध माल्याऺतै युतम ्AA<br />

इस भॊत्र का उच्चायण कयते हुए प्रचॊड ज्मोनत के भासरक बगवान हदवाकय को गॊगाजर सभऩण कयना चाहहए-<br />

ॐ सर्वथ तीथं समूद भूतं ऩाद्य गन्धदद मभयुथतम ्A प्रचंण्ड ज्योर्त गृहाणेदं ददर्वाकर भक्त र्वत्सऱांAA<br />

इस भॊत्र को ऩढ़ते हुए बगवान सूमणदेव को आसन सभऩण कयना चाहहए-<br />

र्र्वचचत्र रत्न खह्न्चत ददव्या स्तरण सन्युक्तम ्A स्र्वणथ मसंहासन चारू गृहीश्र्व रर्र्व ऩूह्जताAA<br />

सूमण ऩूजा के दौयान बगवान सूमणदेव का आवाहन इस भॊत्र के द्वाया कयना चाहहए-<br />

ॐ सहस्त्र शीषाथः ऩुरूषः सहस्त्राऺः सहस्त्र ऩाऺA स भूमम ग्र्वं सब्येत स्तऩुत्र्वा अयर्तष्ठ दशां गुऱम ्AA<br />

D i v y a S h a k d w i p i y a B r a h m a n S a m i t i ‘ s “ D i v y a P r a k a s h ” Page 20

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