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उम्भीद<br />
सहेज़ दाभन भें यखें गुरों को जो,<br />
फुया तमों कय कहें ऐसे ख़ायों को ?<br />
जर जामे क्जससे आभशमाॉ कोई,<br />
न फुराओ कोई ऐसी फहायों को ।<br />
कोई हभ ऩय बी पू र चढ़ामे गा,<br />
उम्भीद है बफसये भज़ायों को ।<br />
हभ बी चगय - चगय के सॊबरे कई भाननॊद,<br />
न हो नाउम्भीद, कहो फेसहायों को ।<br />
कबी जानी न हो कीभत इन्साॉ की,<br />
तमा भभरेगा ख़ुदा ऐसे फेचायों को ?<br />
कबी ख़ुद को भभिा कय तो देखो तो,<br />
ख़ुद आमेगी शभष भसतभगायों को ।<br />
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