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बूमभका<br />

जफ से होश सॊबारा है तफ से ही कविता भन<br />

भें यची फसी है । इसभरमे, कविता ककमे फगैय यहा<br />

नहीॊ जाता । मदद कु छ भरखे बफना कु छ सभम<br />

ननकर जाता है तो भन भें एक अजीफ सी फैचेनी का<br />

अनुबि होने रगता है औय भन स्ित: ही कु छ कहने<br />

को उद्गविन हो उठता है । भेयी यचनाओॊ भें हो<br />

सकता है तकनीकी खाभभमाॉ हों, ऩय मे भेयी सोच,<br />

भेयी बािनाओॊ का प्रनतबफम्फ हैं । भैंने जैसा बी<br />

अनुबि ककमा है, उसे ज्मों का त्मों सयर शब्दों भें<br />

ऩेश ककमा है । मे बािनाएॉ, मे सोच भैंने अऩने<br />

आसऩास के ऩरयिेश से, रोगों के आचयण से ग्रहण<br />

की हैं औय इन्हे शब्दों भें वऩयोने का प्रमास ककमा है<br />

।<br />

भैंने अऩनी यचनाओॊ का शीर्षक ‘कु छ ऻात<br />

कु छ अऻात’ इसभरमे यखा है कक इन यचनाओॊ भें जो<br />

कु छ बी ऩरयभरक्षऺत है उनभें कु छ को तो भैंने ऩयोऺ<br />

रूऩ से देखा है, अनुबि ककमा है ऩयन्तु कु छ<br />

बािनाएॉ ऐसी हैं जो भैंने अॊदय से भहसूस की हैं, भेये<br />

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