Nakhun se Janiye kisi ka Bhi Nature
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<strong>Nakhun</strong> <strong>se</strong> <strong>Janiye</strong> <strong>kisi</strong> <strong>ka</strong> <strong>Bhi</strong><br />
<strong>Nature</strong><br />
नाख़ून से जाननए किसी िा भी नेचर<br />
भनुष्म का प्रत्मेक अंग का अऩना अऩना भहत्व है ।<br />
हयेक अंग भनुष्म के लरए जरूयी है । भनुष्म के<br />
प्रत्मेक अंग से उसके व्मक्त्त्िव के फाये भें ऩिा कय<br />
सकिे है । आज हभ फाि कयेगे नाखुनो की । नाख़ून<br />
हभाये शयीय का वो बाग जो कबी बी भय नही सकिा<br />
औय न ही गार सकिा है ्मोंकक मे भयी हुई<br />
कोलशकाओं मानन के डेड सेल्स से फना होिा है ।<br />
साभुद्रिक शास्त्र के अनुसाय नाख़ून को देख कय<br />
ककसी बी व्मक्त्ि के स्त्वबाव के फाये भें जाना जा
सकिा है औय नाख़ून ऩय फनने वारे ननशान बी<br />
बववष्म के फाये भें फहुि कु छ फिािे है ।<br />
छोटे नाख़ून व गांठदाय उंगलरमा हो िो ऐसे रोग<br />
अऩने राइप ऩा टनय को इशायो ऩय नचािे है ।<br />
हारांकक मे चरयर के अच्छे होिे है, रेककन इन<br />
ऩय ऩूयी ियह से ववश्वास नहीं ककमा जा<br />
सकिा । Vashi<strong>ka</strong>ran – Astrologer Vinod<br />
Kumar - +91-98724-33121<br />
छोटे औय ऩीरे नाख़ून व्मक्त्ि के भ्काय स्त्वबाव<br />
को प्रदलशटि कयिे है जफकक गोराकाय नाख़ून<br />
व्मक्त्ि के सश्ि ववचायो व िुयंि ननर्टम रेने की<br />
ऺभिा को फिािे है ।
क्तजन रोगो के नाख़ून छोटे है, वे स्त्वबाव के नहीं<br />
होिे है । ऐसे व्मक्त्ि असभ्म व स्त्वार्थी होिे है । मे<br />
अऩना द्रहि साधने के लरए ककसी बी हद िक जा<br />
सकिे है ।<br />
अगय आऩके हार्थ की उंगरी के नाख़ून की जड़ भें<br />
चंिभा जैसा आकाय फने िो आऩको अचानक धन<br />
राब होने के बी मोग फनेगे सार्थ ही आऩको<br />
भशीनयी से राब होिा है ।<br />
टेढ़े नाख़ून वारे रोगो की भानलसक क्तस्त्र्थनि<br />
अचानक द्रहंसक हो जािी है । ऐसे रोगो से फच कय<br />
यहना चाद्रहए । धब्फेदाय नाख़ून वारे रोगो भें कही<br />
न कही आऩयाधधक आदिे छु ऩी होिी है ।
ऩिरे व रंफे नाख़ून वारे रोग जल्दी ननर्टम नहीं रे<br />
ऩिे है औय कई फाय नुकसान उठाना ऩड़िा है । ऐसे<br />
रोग नशे के आद्रद होिे है औय इनके ऩरयवाय वारे<br />
बी इनसे ऩयेशान यहिे है । Vashi<strong>ka</strong>ran<br />
Mantra – Astrologer Vinod Kumar -<br />
+91-98724-33121<br />
क्तजनके नाख़ून की चौड़ाई रंफाई से अधधक होिी है,<br />
वे रोग क्रोधी व क्तजद्दी के सार्थ ही स्त्विंरिा ऩसंद<br />
कयने वारे होिे है । इन्हें ऩयपे ्शन ऩसंद होिा है ।<br />
मे सभम के ऩाफंद होिे है ।<br />
कठोय नाख़ून वारे व्मक्त्ि झगड़ारू के सार्थ ही<br />
अऩनी क्तजद के ऩ्के होिे है । मे जो र्थान रेिे है, वो
कय के दभ रेिे है । चाहे वे सही हो मा गरि, उन्हें<br />
ककसी फाि की ऩयवाह नहीं होिी ।<br />
क्तजनके नाख़ून चौड़ाई से अधधक रंफाई लरए हो िो<br />
ऐसे रोग ननयंिय आगे फढ़ने वारे होिे है । मे फहुि<br />
उन्ननि कयिे है । किटव्मों को अच्छी ियह सभझिे<br />
व उसे ऩूया बी कयिे है ।<br />
आऩकी छोटी उंगरी के नाख़ून ऩय छोटा दाग जफ<br />
होने रगे िो सभझना चाद्रहए कक आऩको धन राब<br />
औय सपरिा लभरने वारी है औय आऩके सोचे हुए<br />
काभ ऩूये होने वारे है ।<br />
ऩहरी उंगरी के नाख़ून ऩय सफ़े द दाग अच्छा भन<br />
जािा है । मह प्माय भें लभरने वारी सपरिा की
औय इशाया कयिा है । इन रोगो को ऩैसा व सम्भान<br />
दोनों ही लभरिे है ।<br />
अंगूठे के नाख़ून ऩय अस्त्र्थामी सफ़े द दाग है िो<br />
आऩको फदनाभी का साभना कयना ऩड़ सकिा है ।<br />
इससे कायर् सभाज व ऩरयवाय भें आऩके भान-<br />
सम्भान भें कभी आ सकिी है ।<br />
Source: Dainik Bhas<strong>ka</strong>r