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ال"‏<br />

بسم اهلل الرمحن الرحيم<br />

َ<br />

َ<br />

َ<br />

َ<br />

دَعَوَ‏ ىَآرامية ‏َالقَ‏ رآن ‏َ..َيفَمَ‏ حكمة ‏َالَلَسن<br />

‏)معاين احلروف املقطعة(‏<br />

مناد يوما وهو قائم عىل ظهر سفينته أن هلموا أركم اليوم عجبا!‏<br />

ٍ<br />

حدثني صاحبي قال:‏ نادى<br />

تبذون به من سلفكم،‏ وتفهمون به ما خفي من كالم ربكم.‏ فأقبل الناس إليه عجىل ال يلوون عىل<br />

أحد.‏ حتى إذا استووا عىل ظهر السفينة،‏ وخمرت هبم عباب اليم،‏ قال هلم:‏ إن مراد ربكم ال يفهم عىل<br />

وجهه إال بفهم لسان بني إرم!‏ فلام سمعوا مقالته نظر بعضهم إىل بعض،‏ وحاصوا يبتغون العودة.‏<br />

فلام مهوا بالكالم قال مشرتطا:‏<br />

حيدثني اليوم إال عارف<br />

باآلرامية حتى<br />

ال يضيع وقتي،‏ وال أضيع<br />

وقته"،‏ فصار يعرف ب»مش رتط اآلرامية«.‏ وكان الناس منه عىل أصناف:‏ صنف ريض بام قال لعدم<br />

اآللة،‏ وآثر البقاء عىل متن السفينة،‏ بعد أن توسطت هبم من احلرية ‏ُل جا.‏ وصنف أدرك اخلطر وأيقن<br />

وبرهان وإنصاف.‏ لكنه مل يؤبه له،‏ إذ مل يكن عاملا<br />

ٍ<br />

باهلل كة،‏ فرد ما قال صاحب الف لك بعل ‏ٍم وعد ‏ٍل،‏<br />

بتلك<br />

اللغة امليتة التي قلبتها رصوف الدهر ظهرا لبطن،‏ لكنها رشط البقاء الوحيد.‏ لذا آثر هؤالء حل<br />

أقر ب النجاة وعادوا برغم اغتالم البحر إىل ديار آبائهم ساملني.‏ وبقي صنف ثالث<br />

مستو <strong>فٍ‏</strong> لرشط<br />

البقاء الذي اشرتطه صاحب<br />

الف لك،‏ لكنه مل ينبس<br />

ببنت شفه،‏ حتى اختلج يف نفوس من معهم:‏<br />

أهؤالء أحياء فريجون أم أموات فينعون؟ وبات الناس يدوكون ليلتهم.‏<br />

فلام نظرت إىل حايل أدركت أال نجاة من اهلالك إال باحلراك.‏ فتعلقت بحبل السفينة أهوي إىل<br />

قارب النجاة أبتغي<br />

السالمة.‏ فكنت إذا نظرت إىل املوج اهلادر ترددت،‏ فكنت إذا نظرت إىل أعىل<br />

1


أشفقت عىل من ريض بالبقاء ألنه مل يعلم،‏ وعجبت ملن علم فلم يتكلم،‏ وخيل يل أن السفينة تتجه<br />

إىل احلتف.‏ فظللت معلقا عىل جانب السفينة بحبل األمل،‏ أنظر مرة إىل أعىل ومرة إىل أسفل.‏<br />

ثم إين استعنت باهلل<br />

وعزمت<br />

عىل<br />

أن أصعد<br />

عىل<br />

ظهر الفلك ثانية<br />

لام<br />

سمعت<br />

‏»مشرتط<br />

اآلرامية«‏<br />

يقول:‏<br />

رضيت بنقاش ‏"علمي لغوي"‏ جمرد،‏ ‏"وكونوا عىل يقني<br />

أنني لن أستحيي من<br />

أن<br />

أقول للجميع:‏ ‏»أنا أخطأت يف هذه أو تلك«‏ إذا تبني اخلطأ،‏ وال أعتربها معيبة أو منقصة."‏ فأكربت<br />

ذلك منه رغم تعجله يف أصل األمر،‏ وعلمت أن املسألة مل حتسم بعد،‏ وأن توجيه املركب إىل بر األمان<br />

غري بعيد.‏ أ.‏ ه.‏<br />

ثم إن صاحبي أرص عىل أن أعلق عىل ما ادعى ‏»املشرتط«،‏ فكان هذا الذي بني يديك.‏<br />

2


ر ر<br />

ٍ<br />

‏»معاين احلروف املقطعة يف القرآن الكريم باآلرامية«‏<br />

الم:‏<br />

حتدث<br />

‏»م شرتط<br />

اآلرامية«‏<br />

عن احلروف املقطعة يف رسائل صوتية قصرية مجعها حتت عنوان<br />

"<br />

‏»معاين احلروف املتقطعة ‏]هكذا[‏ يف القرآن الكريم باآلرامية«.‏ وكان مما قال:‏ إن احلروف املقطعة<br />

حتمل معان آرامية واضحة جدا"‏ ، 1 وأن هذه املعاين الواضحة جدا رسعان ما لفتت ناظريه دون<br />

تكلف ملا رشع يف دراسة اآلرامية.‏<br />

لكن<br />

‏»مشرتط اآلرامية«‏ يف<br />

مقطعه هذا<br />

آثر<br />

االكتفاء بمثال واحد عىل مقولته حتى ال يصدم<br />

املشاهد ب"صواعق"‏ متتالية.‏ هذا املثال هو قوله جل وعال يف مطلع سورة البقرة ويف مواضع أخر:‏<br />

‏)الم(.‏<br />

قال ‏»املشتط«:‏ إن ‏)الم(‏ باآلرامية هي ‏)ألف – المد – ميم(.‏<br />

وكنت أظنه سيلفظها عىل الطريقة اآلرامية أو ابنتها الّسيانية هكذا ‏)آلَف – المَ‏ ذ –<br />

لسنا يف معرض احلديث عن العربانية هنا.‏ لكنها مسألة يسرية سأجتاوزها عىل كل حال.‏<br />

ميم ) إذ<br />

قال<br />

‏»املشتط«:‏ لو نطقت<br />

ككلمة واحدة تصبح ‏)اَل ر م(،‏ وهذه كلمة<br />

ٍ<br />

هذه األحرف اآلرامية<br />

ذات معني يف اآلرامية.‏ وقد وردت يف سفر ‏]أي كتاب[‏ املزامري<br />

David( )The Psalms of عىل لسان<br />

(<br />

ملخ داڤيد(‏ – الصواب ‏)هَ‏ مِّ‏ ل ر خ داڤيد(‏ – أو امللك داود عليه السالم.‏<br />

قلت:‏ أي عالقة لسفر املزامري املسطور بالعربانية<br />

بام تريد أن تثبته من أن ‏)الم(‏ آرامية األصل؟<br />

1<br />

أعدت صياغة كالم املشرتط بالعربية الفصيحة لعدم قبول العامية يف حمكمة األلسن.‏<br />

3


ر<br />

نول<br />

قال املشتط غري مكتث:‏ وهنا الذي لفتني أن ثمة آية من آيات الزبور ‏]أو املزامري[‏ قال فيها<br />

امللك داود عليه السالم:‏ ( ‏َالرم!‏ ش<br />

‏َمعو ‏َمه<br />

أين أومري لكم(.‏<br />

و"حتى يصل املعنى بشكل دقيق<br />

ويستيقن كل واحد يسمع هذا الكالم صحته لغويا"‏ كتب املشرتط عىل السبورة ‏)אלם(‏ ثم ضبطها<br />

بالشكل هكذا ‏)אָ‏ לַ‏ ם ֵ( ‏]مع التباس احلركة األخرية عندي[.‏ ثم كتب كالم امللك داود عليه السالم<br />

يف املزامري عىل هذا النحو ‏)שמעוֵמהֵאניֵאומרֵלכם(‏ وقرأه بالعربانية:‏ ‏)ش مَ‏ ع و مَ‏ ه أين أومري<br />

ل ك م(.‏ ثم قال:‏ ‏)اَلم(‏ معناها:‏ ص ه!‏ أو صمتا ! أو إنصات!‏ وهذا الذي صنعه امللك داود عليه السالم؛<br />

إذ لام وردت كلمة ‏)اَلرم(‏ يف املزامري كان القصد منها:‏ ‏"صَ‏<br />

متاً!‏ اسمعوا ما أقول لكم."‏<br />

ويل مع ما قال وقفات:‏<br />

أوالً:‏ كلمة ‏)אָ‏ לַ‏ ם ֵ( كام ضبطها ال<br />

الصحيحة لقراءهتا يف أول سورة البقرة؟<br />

ٍ<br />

بسكون<br />

ت قرأ ‏)اَلرم(‏ وإنام ر ‏)آلَمي ) بياءٍ‏ مم الة.‏ فهل هذه هي الطريقة<br />

ثانياً:‏ بدا االقتباس العرباين قريبا جدا من اُلر س العريب،‏ ومرد ذلك إىل أنه قرأ كلمة ‏)שמעו(‏<br />

ع و(؛ والصواب أن تقرأ ر ‏)شم ع و(‏ بالكّس،‏ ألهنا فعل ثالثي بسيط جاء<br />

ٍ<br />

ثم فتحة هكذا ‏)ش مَ‏<br />

بصيغة األمر،‏ فتكّس فاؤه بحركة ‏»حرييق«‏ ‏)ש ֵ( وتلفظ (<br />

رش(.‏ وأما ‏)לכם(‏ فقرأها بنح ‏ٍو من العربية<br />

هكذا ‏)لك م(،‏ والصواب أن تلفظ ‏)لَخ ر م(‏ باخلاء ال بالكاف،‏ ألهنا جاءت يف وسط الكلمة ومل<br />

يسبقها سكون تام.‏ لكن هذا كله ال يعنيني كثريا،‏<br />

العرباين تتطلب مراسا .<br />

أثرب فيه عىل املشرتط،‏ فضبط قواعد النطق<br />

ثالثاً:‏ ما يعنيني هنا هو قول ‏»مشرتط اآلرامية«‏ إن الذي لفت ناظريه هو الفقرة التي نقلها لنا<br />

من سفر مزامري داود،‏ وهي قوله عليه السالم:‏ ‏)אלםֵשמעוֵמהֵאניֵאומרֵלכם(‏ وتعني – كام<br />

4


أ)‏<br />

ترمجها –<br />

‏)صمتاً!‏ اسمعوا ما أقول لكم(.‏ وأقول له:‏ إن هذا النص برمته ليس له آثر يف سفر املزامري؛<br />

‏»الكتاب املقدس«‏ Bible( )The Holy<br />

بل ليس يف سف ‏ٍر<br />

من أسفار ما يسمى<br />

البتة.‏<br />

وليس يف<br />

بنائه<br />

اللغوي ما يوحي<br />

بأنه نص<br />

يف العهد القديم،‏ فقل يل بربك من أين جاء؟<br />

وردت لقد<br />

الكلمة<br />

العربانية<br />

‏)אלם(‏<br />

‏)الم(‏ يف<br />

‏»الكتاب املقدس«‏ جمردة<br />

‏)دون<br />

لواحق(‏ يف<br />

عرشة مواضع:‏<br />

ٍ<br />

ستة منها هبذه الصورة ‏)אֻ‏ לָ‏ ם(‏<br />

والم(،‏ وتعنى ‏"الر واق"‏ أو ‏"السقيفة".‏<br />

-<br />

ومرتني<br />

هبذه الصورة ‏)א ל ‏ֵם(‏<br />

‏)إرلّيم(‏ بياء ممالة،‏ وتعني<br />

‏"األخرس"‏<br />

أو<br />

‏"العاجز عن<br />

-<br />

الكالم"‏ وسيأيت احلديث عنها لتعلقها بمسألتنا.‏<br />

- ومرتني هبذه الصورة ‏)א לֶ‏ ם(‏ ‏)إيل ر م(‏ بياء ممالة أيضا؛ واختلف يف معناها بني ما سبق من<br />

معنى اخلرس وبني أن تكون علام عىل شخص بعينه.‏<br />

فأين منشأ اخللط عند املشتط؟<br />

إن املشرتط – كام يقر<br />

بنفسه –<br />

ليس أول من ذهب إىل أن اآلرامية يمكن –<br />

بزعمه –<br />

أن تفّس<br />

كتاب اهلل<br />

العريب املبني<br />

بشكل<br />

‏"أفضل".‏<br />

فقد سبقه إىل ذلك مسترشقون غربيون من أمثال<br />

نولدكه<br />

وكريستوف لوكسمبورج ومنغانا وغريهم.‏ أما من العرب فقط أطل برأسه مؤخرا بروفيسور لبناين<br />

أمريكي<br />

نرصاين<br />

يدعى<br />

‏»غَ‏ ربيال صوما«،‏ صنف<br />

كتابا يف<br />

آرامية القرآن الكريم لو قرأه سيبويه<br />

النفطر ت خارصته ضحكا.‏ وقد أجرت معه إحدى القنوات حوارا حول موضوع الكتاب،‏ فكان<br />

5


ر<br />

مما سئل عنه الدقيقة 57:35(<br />

‏)عند<br />

تفسري<br />

‏)الم(‏ يف أول سورة البقرة،‏ فقال<br />

مشريا إىل كتابه:‏<br />

‏"أنا<br />

أرشت هنا إىل موضع ‏»الم«‏ يف الكتاب املقدس"‏ 2 وهذه إشارته:‏<br />

ثم أضاف:‏ ‏"وقد قرأت للعلامء الباحثني يف هذا املوضوع،‏ فوجدت منهم من يقول:‏ إن معنى<br />

كباحث يف اللغات السامية ال أشجع طاليب إن<br />

ٍ<br />

‏»الم«‏ هو ‏)إر ‏َمر يل م ريو(‏ أي ‏)قال يل الرب(.‏ ولكن<br />

وجدوا خمطوطة أن يضيفوا عليها حرفا أو ينزعوا منها حرفا...‏ ‏»الم«‏ هي كلمة كتابية )Biblical(<br />

معناها<br />

‏"صمت".‏<br />

... إذا نظرت يف كتابي<br />

املزامري وإشعياء<br />

وقرأهتام بالعربية الكتابية ( Biblia<br />

وجدت كلمة<br />

‏»اَلَم«.‏<br />

و»اَلَم«‏<br />

معناها<br />

‏»صمت«.‏<br />

عندما<br />

يرشع يف القداس يصعد<br />

...<br />

)Hebraica<br />

الكاهن فيقول:‏ Stop!( )Please! بمعنى:‏ هل يمكن أن تنصتوا؟ ألننا سنرشع يف القداس.‏ ويف هذه<br />

اآلية القرآنية عندما يصعد اإلمام ويقول بأننا سنرشع يف قراءة القرآن الكريم،‏ يقول:‏ ا ل م!‏ أي:‏<br />

صمت!‏ Silence!( ".)Please!<br />

قارن ‏)باأللوان(‏ بني ما قال صوما وبني قول املشرتط:‏<br />

‏"بعض املسترشقني أضافوا إىل ‏»الم«‏ بعض احلروف حتى يصل إىل معنى يقال يف القداس يف<br />

كثري من الكنائس وهو ‏)آمر يل إمرر ي و(.‏ و)آمر يل إمريو(‏ هي اختصار يقال يف بعض القداسات يف<br />

كنائس النصارى ومعناه:‏ ‏)قال الرب يل(.‏ لكني ملا سألت الربوفيسور النرصاين الذي كان يدرسنا:‏<br />

2<br />

الربوفيسور ‏»غربيال صوما«‏ ال يكاد يفصح عن مراده بالعربية،‏ فوجدتني مضطرا إىل ‏"تعريب"‏ كالمه.‏<br />

6


مَ‏<br />

مَ‏<br />

ر<br />

‏َا<br />

ٍ<br />

‏)امر يل امريو(‏ هل هي جذور ‏»الم«؟ قال:‏ ال،‏ فيها إضافات.‏<br />

إنصات!"‏<br />

...<br />

‏)اَل ر م(‏ معناها:‏ ص ه!‏ أو صمتا ! أو<br />

فاملشرتط هنا يشري رصاحة إىل تعلمه اآلرامية عىل يد أستاذ ‏"نرصاين".‏ وهذا األستاذ النرصاين<br />

يقول لتالميذه إن ‏)إرمَ‏ ر يل م ري و(‏ فيها إضافة عىل أصل كلمة ‏»الم«‏ وأنه ال حيبذ ذلك،‏ وهو الكالم<br />

عينه الذي قاله ‏»غربيال صوما«‏ يف حواره.‏<br />

–<br />

ورأيي –<br />

واهلل أعلم<br />

أن<br />

‏"الربوفسور<br />

النرصاين"‏<br />

ليس إال<br />

‏»غربيال صوما«،‏ وأنه<br />

مصدر<br />

املشرتط يف بعض تفسرياته عىل األقل.‏ لكن املشرتط مل يكن دقيقا يف نقله فاختلطت عليه أمور منها:‏<br />

أوالً:‏ سمع املشرت ط عبارة ‏)إرمَ‏ ر يل م ري و(‏ اآلرامية فنقلها دون تثبتٍ‏ هكذا:‏ ر ‏)آمر يل إم رر يو(‏ وهو<br />

خطأ.‏<br />

ثانياً:‏ اضطر إىل تفسري ) –<br />

‏)الَ‏<br />

التي قرأها (<br />

لم(‏ –<br />

بعربانية ‏»الكتاب املقدس«‏ ال اآلرامية<br />

التي اشرتطها عىل نفسه،‏ ألن هذا ما صنعه ‏»صوما«.‏<br />

ثالثاً:‏ اختلط عىل املشرتط حديث الربوفيسور عن عبارة ‏)إرمَ‏ ر يل م ري و(‏ مع حديثه عن ابتداء<br />

القداس بطلب الصمت،‏ فظن أن عبارة ‏)إرمَ‏ ر يل م ري و(‏ تقال يف قداسات بعض الكنائس.‏<br />

أخرياً:‏ اختلط عىل املشرتط حديث الربوفيسور النرصاين عن صعود الكاهن عىل املنصة وكذا<br />

صعود اإلمام – كام زعم – عىل املنرب وطلبه الصمت قبل قراءة القرآن،‏ اختلط هذا بحديثه عن سفر<br />

مزامري داود عليه السالم وأهنا حتوي كلمة ( ‏َال<br />

(، فظن<br />

أن الذي يصعد وخياطب املأل بقوله ‏)صمتا )<br />

هو داود عليه السالم.‏<br />

واحلقيقة أن هذا النص ال وجود له يف سفر املزامري،‏ بل ليس يف ‏»الكتاب<br />

7


املقدس«‏ أصال ، كام سبق بيانه.‏ لكنني مل أجد بعد تفسريا إلضافته عبارة ‏)ش مَ‏ ع و مَ‏ ه أين أومري ل ك م(‏<br />

حمفوظ لديه.‏<br />

ٍ<br />

إال اختالطها بنص<br />

ثم إن املشرتط أهنى حديثه يف مقطوعته بقوله:‏ ما زلت أبحث يف ‏)الر(‏ و)كهيعص(،‏ عندي<br />

فيها استنتاجات لكنها ليست كاملة.‏ سأسأل عنها املختصني يف اآلرامية حتى يساعدونني فيها.‏ فهل<br />

كان ‏»غربيال صوما«‏ واحدا من هؤالء؟<br />

8


‏»املعنى الرسياين ل ‏)الم(،‏ ‏)الر(،‏ ‏)طه(،‏ ‏)كهيعص(«‏<br />

حتت هذا العنوان ويف عرضٍ‏<br />

أكثر حيوية رد<br />

‏»مشرتط<br />

اآلرامية«‏<br />

عىل<br />

من شكك يف<br />

ه وي ته<br />

الدينية،‏ ووعد بأنه إن مكن اهلل له وأتقن اآلرامية بلهجتيها الرشقية والغربية،‏ سينرصف إىل ‏"احلمري ي<br />

وباقي اللغات"،‏ ويعني هبا اللغات العربية اُلنوبية القديمة التي تعرف بالصيهدية كالسبئية واملعينية.‏<br />

قال ثم<br />

املشتط:‏ إذا تدبرنا كتاب اهلل عز وجل سنجد أنه<br />

‏"مت ‏َخم<br />

بالكلامت واجلمل العربية<br />

ذات األصول اآلرامية."‏ ووعد بأنه سيبني ذلك ‏"بشكل لغوي وعلمي".‏ ثم أثنى عىل أولئك الذين<br />

نقلوا ما قال إىل أساتذة جييدون اآلرامية فقالوا هلم:‏ ‏"كالمك صح!"‏ وحض عىل أن يصنع هذا هبذا<br />

املقطع أيضا .<br />

قلت:‏ عبارة ‏"متخم"‏ ال ينبغي أن تقال عن كتاب اهلل عز وجل،‏ وهي مع ذلك أبعد ما تكون<br />

عن وصف احلقيقة كام سأبني إن شاء اهلل.‏ وسأحاول بيان ذلك ‏"بشكل لغوي وعلمي"‏ كام اشرتط<br />

هو عىل نفسه.‏ ولعله يعرض الكالم عىل أساتذة اآلرامية ليخربونا أينا أسعد بالصواب.‏<br />

الم ‏)تتمة(:‏<br />

يعود املشرتط يف هذا العرض إىل تفسري ‏)الم(‏ التي مل<br />

يتم<br />

احلديث عنها.‏ هذه املرة سيذكر لنا<br />

معنى<br />

ثم الكلمة،‏<br />

يرينا طريقة كتابتها،‏ ثم<br />

يوثق<br />

ذلك بالبحث عن<br />

الكلمة يف<br />

معجم إلكرتوين عىل<br />

شبكة اإلنرتنت لريى املشاهد بأم عينيه صدق ما يقول.‏<br />

أ"‏ عرف أهنا صدمة!‏ بس حتملوا!"‏ عىل حد<br />

قوله.‏<br />

9


يكتب املشرتط الكلمة ‏)אלם(‏ ‏)الم(‏ عىل السبورة.‏ ثم ينتقل إىل املعجم اإللكرتوين فيكتب<br />

الكلمة يف حمرك البحث لتظهر لنا املعاين التالية:‏<br />

يقرأ املشرتط معاين املفردة األوىل ‏)א לֶ‏ ם(:‏ speechlessness( )silence, دون أن يرتمجها.‏ ثم<br />

يعود ليحدثنا عن ذكرها – املوهوم كام سبق – عىل لسان امللك داود عليه السالم يف سفر املزامري.‏<br />

10


؛ و(‏<br />

ويل مع ما قال وقفات:‏<br />

أوالً:‏ حتدث املشرتط عن آرامية احلروف املقطعة؛ لكنه ملا أراد إثبات مقولته استعمل قاموس<br />

مورفيكس Dictionary( )Morfix<br />

العرباين.‏ وهو كمن يستدل لصحة<br />

بمعجم خمتص باللهجة العراقية.‏ فأين العلمية يف هذا؟<br />

مفردة يف اللهجة املرصية مثال<br />

ٍ<br />

ثانياً:‏<br />

لنفرتض جدال أن<br />

قاموس<br />

مورفيكس<br />

آرامي<br />

وليس عربانيا،‏ فأين معنى<br />

‏"صمتا"‏<br />

فيام<br />

وجد املشرتط فيه من<br />

املعاين ؟<br />

إن معنى<br />

املفردة األوىل ‏)א לֶ‏ ם(‏ عىل القائمة هو:‏ speechlessness( silence,<br />

املشرتط مل يبني<br />

لنا املقصود من الكلمتني اإلنجليزيتني speechlessness( ،)silence, إذ ليس املراد من كلمة )silence(<br />

يف هذا السياق الصمت<br />

الطوعي<br />

أو اإلنصات،‏<br />

وإنام<br />

‏»الوجوم«‏<br />

أو<br />

‏»عدم القدرة عىل الكالم«،‏ كام<br />

توضحه كلمة .)speechlessness(<br />

وهذا املعنى تؤكده<br />

كلمة<br />

‏)א ל ‏ֵם(‏ التي عرضها<br />

القاموس<br />

يف<br />

السطرين الثاين والثالث،‏ حيث تعني ‏"األخرس"‏ أو ‏"األبكم"‏<br />

.)mute(<br />

ثالثاً:‏ أصل كلمة ‏)الم(‏ يف<br />

العربانية واآلرامية<br />

ال ‏َشد<br />

3<br />

والعقد والضم.‏<br />

ولذا اشتق منها يف<br />

العربانية ‏)אֵַל ֵ םיֵ‏<br />

)<br />

‏)ألِّيم(،‏ ويف اآلرامية ‏)אַ‏ לָ‏ ם(‏ ‏)أالّ‏ م(،‏ بمعنى ‏"الشديد"‏ أو ‏"القوي".‏ ويقابلها يف<br />

‏َلم(‏ ؛ إذ يشتق منه ‏)ال ‏َول م(‏ أي القيد،‏ واحلبل الذي ي ش د.‏ ومنه ‏)الوليمة(‏ ملا فيها من<br />

العربية اُلذر ‏)وَ‏ 4<br />

االجتامع؛<br />

وكذا<br />

‏)الوَ‏ لمة(‏<br />

التي هي<br />

5<br />

متام اليشء واجتامعه.‏<br />

ويف السبئية ‏)الم(‏ ‏)الم(‏ بمعنى<br />

3<br />

Koehler & Baumgartner. The Hebrew and Aramaic Lexicon of the Old Testament (Leiden: Brill, 2001),<br />

4<br />

قد تقابل الواو يف العربية األلف يف العربانية كام يف ‏)אגד ‏"أجد"(‏ و)وَ‏ جَ‏ د(‏ بمعنى الشد والضم واإلحكام.‏<br />

5<br />

ابن منظور،‏ ‏»لسان العرب«،‏ مادة ‏)ولم(.‏<br />

vol. I, p. 57.<br />

11


ح ث‎7‎<br />

معان تدور – كام ترى –<br />

ٍ<br />

‏"الوليمة"،‏ و)المت(‏ ‏)ألمة أو أملت(‏ بمعنى ‏"القرناء والرشكاء"‏ ، 6 وكلها<br />

حول الشد والعقد والضم كام بين ا.‏<br />

ولكن ما عالقة هذه املعاين املشرتكة بني اللغات السامية ‏)أو باألحرى العربية القديمة(‏ وبني<br />

معنى اخلرس<br />

أو البكم؟ يبني هذا احلاخام<br />

‏»ماتيتياهو كالرك«‏ يف كتابه<br />

‏»املعجم التأثييل للعربية<br />

الكتابية«‏<br />

ي<br />

يرشح معنى اخلرس حتت مادة ‏)אלם(‏ بقوله dumb( )being tongue-tied; وتعني<br />

.)to bind(<br />

‏"معقود اللسان؛ أخرس"،‏ فهو<br />

معنى<br />

مرتبط<br />

بالعقد<br />

أيضا<br />

وجاء يف<br />

‏»معجم<br />

حرفيا :<br />

جيزنيوس العرباين-الكلداين«،‏<br />

الذي هو عمدة<br />

عند علامء الساميات،‏<br />

تفسري<br />

‏)אלם(‏ بكون املرء<br />

‏"صامتا أو أبكم كام لو كان معقود اللسان":‏<br />

6<br />

بيستون وآخرون ‏»املعجم السبئي«،‏ مادة ،)ʾLM( ص 5.<br />

7<br />

Matityahu Clark. Etymological Dictionary of Biblical Hebrew (Jerusalem: Feldheim Publishers, 1999), p.<br />

10.<br />

12


و،‏<br />

فكل<br />

وقد أكد جيزنيوس هذا املعنى بمقارنته بالكلمة العربية ‏)بكم(،‏ كام استدل هلذا املعنى بسفر<br />

إشعياء )53: 7(. ويف هذا رد عىل ‏"الربوفيسور"‏ ‏»غربيال صوما«‏ الذي حاول أن جيد يف نص إشعياء<br />

)7 :53(<br />

القائل ‏»كنعجة ‏)נֵֶאֱ‏ לָ‏ מֵָה(‏ أمام جا ‏ِّزهيا ...« معنى اإلنصات والصمت والسكون؛ مع أن<br />

املقصود ‏"عجامء"‏<br />

ب"‏ كامء"‏ كام هو ظاهر السياق.‏<br />

فعلم أن معنى ‏»اخلرس«‏ إنام استعري من أصل العقد والربط؛ ولذا وصفت كلمة ‏)א לֶ‏ ם(‏ يف<br />

قاموس مورفيكس الذي استعان به املشرتط ب"املنمقة"‏ ،)flowery( ألن هلا معنى غري املعنى األصي<br />

مستعارا<br />

من العقد bind( )to أن معنى اإلنصات ليس هو املقصود يف معاجم العربانية واآلرامية،‏<br />

وإنام اخلرس والعي<br />

الذي هو انعقاد اللسان عن الكالم أو البيان.‏<br />

أرسد وهنا<br />

نصوص<br />

‏»الكتاب<br />

املقدس«‏ التي وردت فيها كلمة ‏)אלם(‏ جمردة من اللواحق،‏ وفقا لرتمجة ‏»ڤان دايك«‏ العربية الشهرية:‏<br />

‏»فَقَالَ‏ لَه الرَّ‏ ب : مَ‏ ن صَ‏ نَعَ‏ ل ر إلرن سَ‏ ر ان فَامً‏ ؟ أَو مَ‏ ن يَص نَع أَخ رَ‏<br />

‏َس أَو أَصَ‏ مَّ‏ أَو ر بَص ريً‏ ا أَو أَع مَ‏ ى؟<br />

.1<br />

أَمَ‏ ا ه وَ‏ أَنَا الرَّ‏ ب ؟«‏ ‏]تكوين 11[ 4:<br />

...« .2<br />

ل ر قَائ ر ر د املن ر ش ر د ينَ‏ عَ‏ ‏َلَ‏ َ احل امَ‏ مَ‏ ةر<br />

ر<br />

ال بَك امَ‏ ء«.‏ ‏]مزامري 56[ ‏]من ترمجة ‏»كتاب احلياة«‏ لغياب النص يف ترمجة ‏»ڤان دايك«[‏<br />

‏»أَحَ‏ قا براحل<br />

‏ِّق األَخ رَ‏<br />

رس تَتَكَ‏ لَّم و ‏َن ‏...؟«‏<br />

‏]مزامري ]2 :58<br />

.3<br />

‏»ح ر ينَئ ر ذ يَق ف ر ز األَع رَ‏ ج كَاإلريَّلر وَ‏ يَتَ‏ ‏َنَّم ل ر سَ‏ ان<br />

األَخ رَ‏ رس«.‏ ‏]إشعياء 6[ 35:<br />

.4<br />

أما بقية املواضع فجاءت بمعنى ‏"الرواق".‏<br />

)56<br />

وقد استشهد<br />

‏»غربيال صوما«‏<br />

بالنص الثاين<br />

‏)املزمور<br />

ليتوصل إىل معنى الصمت<br />

.<br />

واإلنصات<br />

مع بعده،‏<br />

كام استشهد قبل بسفر إشعياء<br />

،)7 :53(<br />

لكنهام مل حيققا له ما ت<br />

بل إن<br />

بعض معاجم اآلرامية املعتربة ال تذكر معنى الصمت أصال،‏ كمعجم اآلرامية البابلية لسوكولوف<br />

13


ىعن<br />

Aramaic( A(، Dictionary of Jewish Babylonian والقاموس الّسياين الذي كتبه ابن هبلول<br />

‏)ܠܗܟܣܝܩܘܢ ܣܘܪܝܝܐ ܕܒܪ ܒܗܠܘܠ(‏ وصار مرجعا للمسترشقني.‏<br />

فأين معنى ‏)صمتا!(‏ أو )Please!( يف هذا كله؟ وأي<br />

هذه املعاين<br />

أليق<br />

باحلروف املقطعة يف<br />

مطلع سورة البقرة؟ أيقال ملستمع القرآن:‏ ‏)اخرَ‏ س!‏ ذلك الكتاب ال ريب فيه(؟ نعوذ باهلل من عل ‏ٍم<br />

ال ينفع.‏<br />

هذا كله إنام أوردته تن ز ال،‏<br />

لئال يقال حاد عن جواب الدعوى.‏ وإال فمجرد اعتامد املشرتط<br />

مرجعا غري آرامي سواء كان هذا املرجع<br />

‏»قاموس مورفيكس«‏<br />

أم ‏»سفر املزامري«‏<br />

ي سقط دعواه من<br />

أوهلا.‏ وإنام أطلت يف جواب ‏)الم(‏ ليعلم أن هذه املباحث اللغوية ال حيكم فيها بالظنون واألوهام،‏<br />

بل تتطلب حتريا ودقة،‏ فكيف إذا تعلقت بتفسري كتاب اهلل عز وجل.‏<br />

كهيعص:‏<br />

حتدث ‏»مشرتط اآلرامية«‏ بعد ‏)الم(‏ عن تفسري ‏)الر(‏ و)طه(.‏ لكنني سأرجئ احلديث عنهام<br />

وأقدم احلديث عن ‏)كهيعص(‏ الرتباط األخرية ب ‏)الم(‏ يف أمر سأفصح عنه فيام بعد.‏<br />

استهل املشرتط حديثه بقوله:‏ ‏"هذي أكثر يشء مطلوب معناها."‏ ثم أضاف بأن ‏)كهيعص(‏<br />

يف أصلها اآلرامي تتألف من كلمتني ‏)كه(‏ و ‏)يعص(،‏ وكتبهام عىل السبورة هكذا:‏ ‏)כהֵיעץ(.‏ فلام<br />

أراد إثبات قوله عاد إىل قاموسه العرباين يبحث فيه عن كلمة آرامية!!!‏ وبالفعل،‏ كان م<br />

‏)כה(‏<br />

جليا يف العربانية:‏ so( )Biblical: thus,<br />

أي<br />

‏"هكذا".‏ ثم أضاف<br />

بأن كلمة<br />

)Biblical( تعني أهنا<br />

مستعملة يف ‏»الكتاب املقدس«،‏ وص دق.‏ ثم صنع مع ‏)יעץ(‏ ‏)يعص(‏ مثلام صنع مع ‏)כה(،‏ فكان<br />

املعنى جليا أيضا : advise( )to وتعني ‏"وعظ"‏ أو ‏"أشار ب".‏ فام اإلشكال يف هذا،‏ إذن؟<br />

14


صيع<br />

وعظ"(،"‏<br />

لن أحتدث هنا عن اُلانب الرشعي بسبب ما اشرتطت عىل نفيس منذ البدء،‏ لكنني سأناقش<br />

ما قال املشرتط من منظور لغوي رصف.‏<br />

أوالً:‏ إن اللجوء إىل قاموس عرباين إلثبات آرامية القرآن خمالف ألبسط قواعد البحث العلمي<br />

املحايد،‏ مع إقراري<br />

بأن بعض أسفار ‏»الكتاب املقدس«‏ ‏)دانيال وعزرا ومواطن أخرى قليلة(‏ دونت<br />

باآلرامية.‏ وعليه فإين سأقبل – تنز ال – استشهاد ‏»مشرتط اآلرامية«‏<br />

بقاموسه لئال يتشعب النقاش<br />

دون طائل،‏ مع التنبيه عىل أن كلمة ‏)כה(‏ ‏)كه(‏ عندما وردت يف آرامية العهد القديم – كام يف قول<br />

دانيال )7: 28( ‏)עַ‏ ד־כָ‏ הֵסֹופָ‏ אֵד י־מ לְּ‏ תָ‏ א(‏ ‏)عذ-َ‏<br />

كَه سوفا<br />

‏"هكذا".‏ لكنني سأغض الطرف عن هذا كله حتى ال أ ع د مماحكا .<br />

ر<br />

ذي م ر لثا(‏ – كان معناها ‏"هنا"‏ وليس<br />

.)<br />

|<br />

ثانياً:‏<br />

يقول مشرتط اآلرامية إن ‏)كهيعص(‏<br />

مؤلفة من<br />

كلمتني آراميتني مها<br />

‏)كه<br />

لكن الناظر يف املعاجم املختصة بدراسة ‏»الكتاب املقدس«‏ سيفاجأ بأمر غريب.‏ ف»معجم جيزنيوس<br />

العربي-الكلداين«‏ )= اآلرامي(،‏ عىل سبيل املثال،‏ ينص بالفعل عىل أن ‏)יעץ(‏ تعني advise( = to<br />

لكن الغرابة تكمن يف ترصحيه بأن الكلمة ليست آرامية وإنام عربانية؛ وأن صورة املقابل<br />

اآلرامي ‏)الكلداين(‏ هي ‏)ي ‏َعط(‏ بالطاء ‏)יְֵּעט(،ֵַ‏<br />

ال بالصاد كام قيل لنا!‏<br />

15


ٍ<br />

أخذت مرجعا معتربا آخر هو املعجم احلجة ( and The Brown-Driver-Briggs Hebrew<br />

)English Lexicon<br />

لعي أجد ما أسوغ به دعوى آرامية فواتح سورة مريم.‏ فوجدت ما يي:‏<br />

وجدت ما ي عزز أن الكلمة اآلرامية تكتب بالطاء ‏)יְּעַ‏ ט(‏ ال بالصاد ‏)יעץ(!‏<br />

قلت لعل هذا خاص<br />

باستعامل<br />

‏»الكتاب املقدس«،‏<br />

ومددت يدي<br />

إىل معجم شهري جدا ال<br />

جيهله من درس العربانية،‏ فهو ال يدع شاذة وال فاذة إال أتى عليها،‏ كام أنه يعتني بذكر املشرتك بني<br />

اللغات السامية؛ هذا املعجم هو ‏)מ לֹוןֵאֶ‏ בֶ‏ ןֵׁשֹוׁשָ‏ ן(‏ ‏»معجم إڤ ر ن شوشان«‏ ‏)عربي-عربي(.‏ قلبت<br />

صفحات هذا السفر الضخم فوجدت ما يي:‏<br />

‏َعظ ...[.<br />

ومعناها:‏ يعص<br />

‏]ذات صلة<br />

ب عوص؛ اآلرامية:‏ يعط؛ العربية:‏<br />

‏َو<br />

16


ر<br />

عجبا!‏ إن ‏»مشرتط اآلرامية«‏ مل ي عل منا – أو لعله مل ي علم – أن اآلرامية تستلزم أن تكون فواتح<br />

سورة مريم ‏)كهيعط(‏ بدال من ‏)كهيعص(.‏<br />

لن أعتمر هنا عاممة الواعظ فأحتدث عام ينبغي أو ال ينبغي يف تفسري كتاب اهلل عز وجل،‏ فقد<br />

اشرتطت عىل نفيس أال أجتاوز مهمتي اللغوية كام أنني لست من علامء الرشيعة.‏ لذا سأغمض عيني<br />

وأقول:‏ لعل اآلرامية استعارت ‏)יעץ(‏ ‏)يعص(‏ فيام بعد،‏ ولن أدقق كثريا.‏<br />

ثالثاً:‏ لو سلمنا جدال بأن ‏)كهيعص(‏<br />

ذات أصلٍ‏<br />

عرباين وأن<br />

‏»مشرتط اآلرامية«‏<br />

إنام أراد<br />

العربانية فأخطأ التعبري،‏ مل يكن يف ذلك حجة.‏ ألن صيغة ‏)يَعَص(‏ ‏)יעץ(‏ هي صيغة املايض يف<br />

العربانية،‏<br />

فالياء أو ال)يود(‏<br />

ليست ياء<br />

مضارعة وإنام هي من أصل الكلمة،‏ حاهلا حال الواو يف<br />

‏)وعظ(.‏ فيكون معنى العبارة ‏)هكذا ‏َو ‏َعظ(‏ ال كام ظن املشرتط ‏)هكذا يَعظ(.‏<br />

رمحة ربك عبده زكريا(؟ وهل<br />

ر<br />

ذكر<br />

رابعاً:‏ ما املعنى الذي يستفاد من قولنا:‏ ‏)هكذا وعظ ر<br />

‏)ذ ر كر(‏<br />

هنا فاعل للفعل ‏)وعظ(،‏ أم خرب ملبتدأ حمذوف تقديره ‏)هكذا وعظ <br />

‏]هذا[‏<br />

ذ ر كر رمحة<br />

ربك(؟ أليس قيل لنا:‏ إن احلروف املقطعة ‏"حتمل معان آراميةً‏ واضحة جداً"؟ فال هي آرامية وال<br />

هي واضحة!‏<br />

أخرياً:‏<br />

أقول ملشرتط اآلرامية:‏ حدثتنا عن<br />

‏"صواعق"،‏ وآن لك أن تتعرف عىل الصاعقة<br />

احلقيقية التي ال أظنك تقبلها بحال؛ ‏"صدمة!‏ بس حتمل!"‏<br />

17


ت يف ‏»شف<br />

دراسة يف جملة Review( )The Jewish Quarterly<br />

كتب احلاخام اليهودي<br />

‏»جوزيف<br />

مان«‏<br />

8<br />

بعنوان ‏"مصنف حج اجي ضد القرائني وطوائف أخرى".‏ نرش احلاخام يف هذه الدراسة نصا عربانيا<br />

كان من بني النصوص التي اكت<br />

جنيزة القاهرة«‏ يعود إىل كاتب هيودي جمهو ‏ٍل عاش يف القرن<br />

احلادي عرش أو الثاين عرش امليالدي.‏ ينعي فيه الكاتب ختاذل اليهود عن أداء رسالتهم،‏ وتأثرهم بمن<br />

حوهلم من النصارى واملسلمني،‏ وأهنم مل يقتدوا ب"األحبار اليهود العرشة"‏ الذين كانوا من أصحاب<br />

لكنهم نرصوا ملة هيود؛<br />

ولذا<br />

ي عرف النص باسم<br />

‏»قصة أصحاب حممد«‏ .<br />

وهاك ما<br />

حممد )(<br />

يعنينا من النص بالعربانية ثم ترمجته بالعربية.‏<br />

8<br />

Joseph Mann, “A Polemical Work against Karaite and Other Sectaries”, The Jewish Quarterly Review,<br />

New Series, Vol. 12, No. 2 (University of Pennsylvania Press, Oct., 1921), pp. 123-150.<br />

18


"... وكام صنع الذين جاءوا من بعدهم مع راعي الغنم 9 يف املوضع املعروف باُلبل احلديث.‏ 10<br />

وكان شأنه مع الراهب الذي كان يف املوضع الذي يقال له ‏»بلقني«‏ 11 عىل العمود الذي يعرف بعالمة<br />

الشمس؛<br />

‏]و[مع األحبار العرشة:‏<br />

أبراهام<br />

الذي يقال له<br />

‏»كعب األحبار«؛<br />

وأبشالوم<br />

الذي يقال له<br />

‏»عبد اهلل بن سالم«؛<br />

ويعقوب<br />

الذي يقال له<br />

‏»ع مر الشهيد«؛<br />

ويو ‏َحنَّان<br />

الذي يقال له<br />

‏»املنهزم إىل<br />

اُلنة«؛ وأصحاهبم كل باسمه وك نيته،‏ ‏]أولئك[‏ الذين جاءوا إليه وعملوا له آية ‏»القالون«‏ ( הֵקלון(،‏<br />

12<br />

وكتبوا وركبوا أسامءهم واحدا واحدا،‏ وهكذا مكتوب ب חףֵגץ البقرة ‏)ככהֵיעצוֵחכמיֵישֵ‏<br />

לאלםֵהרשע(.‏ وكان كل هذا حتى يكون سببا خلالص شعب الرب،‏ كيال يؤذهيم ببهتانه."‏<br />

حاشاه -<br />

بأيب هو وأمي – وكذبت هيود.‏<br />

هذه هي القصة التي افرتاها هؤالء الب هت عىل النبي وصاحبه عبد اهلل بن سالم . وقد<br />

جاء يف كتاب ‏»إفحام اليهود«‏ للحكيم السموأل املغريب – وكان من كبار أحبار اليهود قبل إسالمه –<br />

ما يشري إىل مثل ما ورد يف هذه القصة املفرتاة.‏ فقد ذكر املغريب حتت<br />

اإلسالم«‏ ما يي:‏<br />

‏»فصل فيام<br />

يعتقدونه يف دين<br />

‏»هم يزع مون أن املصطفى صىل اهلل عليه وسلم ورش ف وعظم وكرم كان قد<br />

رأى أحالما تدل عىل كونه صاحب دولة،‏ وأنه سافر إىل الشام يف جتارة خلدجية<br />

رضوان اهلل عليها،‏<br />

واجتمع بأحبار اليهود وقص عليهم أحالمه فعلموا أنه<br />

9 راعي الغنم:‏ يعني به صفوة اخللق حممد .<br />

10<br />

اجلبل احلديث:‏ لعل املقصود منه ‏»جبل النور«.‏<br />

11<br />

بلقني:‏ هي البلقاء بأرض الشام.‏<br />

12 مل أفهم ما ترمز إليه هاتان الكلمتان.‏ وركاكة األسلوب عائدة إىل ركاكة األصل.‏<br />

19


صاحب دولة،‏ فأ صحب وه 13 ‏»عبد اهلل بن سالم«،‏ فقرأ عليه علوم التوراة وفقه ها<br />

م دة . زعموا وأفرطوا يف دعواهم إىل أن نسبوا الفصاحة املعجزة التي يف القرآن<br />

14<br />

إىل تأليف عبد اهلل بن سالم.«‏<br />

ثم فّس السموأل كلمة خطرية وردت يف النص العرباين أعاله هي<br />

كلمة<br />

‏»القالون«‏<br />

( הֵקלון("،‏ فقال:‏ ‏"وأما القرآن العظيم فإهنم يسمونه فيام بينهم ‏»قالون«،‏ وهو اسم للس وءة بلساهنم،‏<br />

يعنون بذلك أنه عورة املسلمني."‏<br />

لكننا مل نفّس بعد ما أخفاه الكاتب يف الكلامت التي آثرت أن أبقيها بحروفها العربانية.‏ يقول<br />

الكاتب<br />

اليهودي<br />

اليهود إن<br />

بعد أن لفقوا<br />

القالون ‏)يعني<br />

به<br />

‏»القرآن العظيم«(‏<br />

دسوا أسامءهم<br />

فيه،‏<br />

وجعلوا شاهد ذلك يف العبارة التالية:‏ ‏)ככהֵיעצוֵחכמיֵישֵלאלםֵהרשע(،‏ وإليك تفصيلها:‏<br />

ֵ<br />

ֵ<br />

ֵ<br />

ֵ<br />

ֵ<br />

النص<br />

כֵכהֵֵ‏<br />

יעצוֵ‏<br />

חכֵמֵיֵ‏<br />

‏ֵישֵ‏<br />

לאלםֵ‏<br />

הרשע<br />

القراءة<br />

ككه<br />

يعصو<br />

حخمي<br />

يس<br />

لالم<br />

هرشع<br />

املعنى<br />

هكذا<br />

وع ‏َظ<br />

حاخامات<br />

إرسائي ‏َل<br />

األبك ‏َم<br />

األثي ‏َم<br />

-<br />

الرمز<br />

كه<br />

يعص<br />

حم<br />

يس<br />

الم<br />

ذ ‏َّكر ‏َك فهل<br />

هذا بيشء؟<br />

أشري هنا إىل أن حريف ‏)יש(‏ مها اختصار لكلمة ‏)י שְֵּרָ‏ א ל(‏ أي<br />

‏"إرسائيل"‏ كام رصحت به بعض النسخ.‏ وأما ‏)הרשע(‏ ‏)هَ‏ ‏َر ‏َشع(‏ فال أدري إن كانت ترمز إىل فواتح<br />

سورة ما،‏ أم أهنا عىل ظاهرها.‏ كام أن يف النص بيانا ألمرين مهمني.‏<br />

ٍ<br />

أوهلام:‏ أن الفعل ‏)יעץ(‏ ‏)يَ‏ ‏َعص(‏<br />

13<br />

أي جعلوه صاحبا له.‏<br />

14<br />

السموأل املغريب،‏ إفحام اليهود ‏)بريوت:‏ دار اُليل،‏ 1410 ه(‏ ت.‏ د.‏ الرشقاوي،‏ ص 157. 146،<br />

20


ا)‏<br />

جاء هنا بصيغة املايض وهو ما يؤيد ما أسلفنا من أن معناه ‏)وعظ(‏ وليس ‏)يعظ(.‏ واآلخر:‏ أن كلمة<br />

‏)אלם(‏ ‏)الم(‏ إنام يراد منها األبكم العيي عىل ما سبق بيانه،‏ وليس فيها معنى السكوت واإلنصات.‏<br />

هنا يستبني لطالب احلق أصل ما شاع بني الناس من تفسري<br />

‏)الم(‏ و ‏)كهيعص(‏ ونحومها<br />

اعتامدا<br />

عىل اللغة اآلرامية ‏)أو<br />

العربانية يف احلقيقة(،‏ وأن ذلك<br />

من أكاذيب اليهود<br />

وافرتاءاهتم<br />

منذ<br />

القرن اخلامس أو السادس اهلجري؛ فال ثمة ‏"اكتشاف"‏ وال ‏"ف تح"‏ وال علم مل يعلمه سلف األمة،‏<br />

وإنام قول عىل اهلل وعىل كتابه بغري علم.‏<br />

الر:‏<br />

بقي من مجلة احلروف املقطعة التي فّسها مشرتط اآلرامية ‏)الر(‏ و ‏)طه(.‏<br />

( אֵלר(.‏<br />

|<br />

قال املشتط:‏ إن<br />

‏)الر(‏<br />

أو ‏)אלר(‏<br />

تتألف من<br />

مقطعني:‏<br />

لر(‏<br />

األلف فأما<br />

‏)א(‏<br />

لوحدها فتعني powerful( )strong, mighty,<br />

أو ‏"قوي"‏ أي<br />

‏"عزيز".‏ وأما ‏)לר(‏ –<br />

التي ذكر بأن<br />

نطقها احلقيقي هو ‏)لري(‏ – فتعني ‏"تأمل!"‏<br />

أو ‏"تب رص !".<br />

قلت:‏ قوله إن األلف ‏)א(‏ لوحدها تعني powerful( )strong, mighty, أي ‏"قوي"‏ أو ‏"عزيز"‏<br />

مل أجد له أثرا يف املعاجم املعتربة،‏ وال أدري من أي املصادر اقتبس هذا املعنى،‏ إال إذا كان املراد معنى<br />

كلمة ‏)أ لف(‏ يف الكنعانية القديمة،‏ وهو ‏»الثور«،‏ وأنه كني هبا عن القوة.‏ لكن هذا بعيد،‏ وهو جمرد<br />

ختريج مني لقول املشرتط.‏<br />

21


ط)‏<br />

ٍ<br />

ر<br />

وأما قوله:‏ إن ‏)לר(‏ تلفظ ‏)لري(‏ وأهنا تعني ‏"تأمل!"‏<br />

أو ‏"تب رص !"، فأدع للمشرتط إثباته،‏ ألين<br />

قلبت حروف<br />

‏)אלר(‏ ظهرا لبطنٍ‏<br />

عىل اختالف ما أمكنني من ترصيفها<br />

‏)لر،‏ الر،‏ الر،‏ لور،‏ لري،‏<br />

...<br />

إلخ(‏ فلم أهتد إليها قط فيام بني يدي من معاجم اآلرامية والعربانية.‏<br />

لرؤية(؛ وهي مصدر الفعل ‏)ראה(‏<br />

ر<br />

وكنت أظن أن املشرتط إنام أراد ‏)לראות(‏ ‏)ل ر رأوت(‏ )=<br />

‏)رأه(‏ مسبوقا بالالم،‏ ويقابله يف العربية الفعل ‏)رأى(،‏ وقد يؤدي معنى النظر والتأمل وفقا لقاموس<br />

مورفيكس الذي يرجع إليه.‏ وال دليل فيه البتة،‏ فإن الالم ليست من أصل الكلمة.‏<br />

لكنني قرأت له مؤخرا كالما يشري فيه إىل مصدر<br />

( ريل ) وأهنا ‏"دارجة بني رس يان ريف دمشق<br />

–<br />

أهنا ‏)تأمل("،‏ وبام أهنا دارجة<br />

فلن جتدها<br />

يعتذر كام<br />

– يف معاجم الّسيانية<br />

ألهنا<br />

أشبه بعبارة<br />

)wanna(<br />

معجم<br />

العامية اإلنجليزية.‏ لكن هذا غري صحيح،‏ فكلمة<br />

إنجليزي معترب .<br />

)wanna(<br />

اإلنجليزية ال يكاد خيلو منها<br />

أرأيت كيف<br />

عد ل<br />

املشرتط إىل<br />

تفسري القرآن بعامية<br />

ٍ<br />

مبتذلة<br />

بعد أن زعم<br />

اعتامد<br />

عىل القرآن<br />

اآلرامية القديمة؟ فهل عجز اهلل – تبارك وتعاىل عن ذلك علوا كبريا – أن يبني مراده إال بالدارجة<br />

الّسيانية؟ وهل هذا هو القرآن الذي قال اهلل<br />

عنه (<br />

لَو أَن زَ‏ ل نَا هََٰ‏ ذَ‏ ا ال ق ر آنَ‏ عَ‏ ‏َلَ‏ َٰ جَ‏ بَل لَرَ‏ أَي تَه خَ‏ اش ‏ًعا<br />

م تَصَ‏ دِّ‏ عً‏ ا ر من خَ‏ ش ر يَة اهللَّر(؟ وهل<br />

يقبل أحدنا أن يقال له إن الكلمة العامية<br />

‏)شوف!(‏ مثال<br />

وردت يف<br />

سورة كذا وكذا؟ نعوذ باهلل من ذلك.‏<br />

طه:‏<br />

بقي أن أختم ببيان ما قيل يف تفسري ‏)طه(.‏ فهذا املشرتط يكتبها باحلرف املربع هكذا<br />

‏)טה(،‏<br />

ثم يقول بأهنا كلمتان.‏ أما ‏)ט(‏ )<br />

فتعني الطني،‏ وهو –<br />

كام يقول – استعامل قديم يف الثقافات<br />

22


ط)‏<br />

الّسيانية واآلرامية والعربية.‏<br />

وأما ‏)ה(‏ ‏)ه ) فهي ذات صلةٍ‏ بالكلمة اإلنجليزية ،)Hey!( أي أهنا<br />

حرف نداء.‏<br />

قلت:‏ يل مع هذا وقفات.‏<br />

أوال:‏<br />

) ال تعني<br />

‏)الطني(‏ يف اآلرامية بحال من األحوال،‏ ومل يرد هذا املعنى يف املعاجم<br />

املختصة باالستعامالت القديمة أو احلديثة،‏ وإثبات ذلك دونه خرط القتاد،‏ وهو ما سأبينه بعد قليل.‏<br />

ثانياً:‏ ال يليق أن يقال إن ‏)ه(‏ يف ‏)طه(‏ ذات صلةٍ‏ بالكلمة اإلنجليزية )Hey!( فهذه األخرية<br />

عامية مبتذلة ال يستعملها للنداء إال رعاع األعاجم.‏<br />

ثالثاً:‏ ‏)הֵָ(‏ التي أصل ها ‏)הָ‏ א(‏ ‏)ها(‏ ال تستعمل يف اآلرامية للنداء وإنام للتنبيه،‏ وتكون يف أول<br />

اُلملة ال آخرها.‏ ويقابلها يف اإلنجليزية )Lo!( أو )Behold!( ال .)Hey!( أما يف العربية فيقابلها ‏)ها(‏<br />

كام يف قول اهلل تبارك وتعاىل:‏ ‏)هَ‏ ا<br />

األول:‏<br />

ر<br />

أَن ت م أ والَ‏ ء ر حت ر ب وَنَ‏ م وَ‏ الَ‏ ‏ُي ر ب ونَك م وَ‏ ت ؤ م ر ن ونَ‏ برال ك ر تَابر ك لِّه(؛ وقول<br />

فَها أَنا تائ ر ب ر من ح بِّ‏ لَي ‏َل<br />

فَام لَكَ‏ ك لَّام ذ ك ر رَ‏ ت تَذوب<br />

رابعاً:‏<br />

إنام انتقل معنى ‏)الطني(‏ إىل حرف ‏)ט(‏ ‏)ط(‏ يف العربانية نتيجة تالعب الباطنيني اليهود<br />

باسم هذا احلرف يف األبجدية العربانية.‏ فاسمه الصحيح يف العربانية ‏)טית(‏ أي ‏)طيث(‏ بالثاء،‏ لكن<br />

الباطنيني القباليني الذين حياولون إجياد أرسار موهومة يف أحرف العربانية يعدلون عن ذلك إىل قراءته<br />

بالطاء هكذا ‏)טיט(‏ ‏)طيط(‏ وتعني الطني أو احلمأ.‏ لكن أحدا ممن جييد العربانية أو اآلرامية ال خيالف<br />

23


ٍ<br />

טטי<br />

ر<br />

يف أن بني الكلمتني بعد املرشقني يف املعنى،‏ فاألوىل تعني ‏)طني(‏ والثانية جمرد حرف،‏ أو أهنا ‏)دوالب(‏<br />

يف الكنعانية القديمة.‏<br />

وعليه فإن كان قصد املشرتط أن صوت احلرف ‏)טֵָ(‏ ‏)طا(َ‏<br />

العرباين أو اآلرامي يعني ‏)طني(‏<br />

فقد أبعد النجعة وأغرق يف النزع،‏ فهذا غلط حمض؛ فكلمة ‏)طني(‏ تقرأ ‏)ط ر يط(‏ ال ‏)طا(َ‏<br />

كام بينت.‏<br />

وإن قصد أن احلرف ‏)ط(‏ جمرد رمز لكلمة ‏)طني(‏ فقد خالف مبدأه الذي هو عدم زيادة أحرف عىل<br />

الذي بني يديه،‏ كام قال عن ‏)إمر لي مريو(.‏ وإن قال إن ‏)ط(‏ هو حرف ‏)טית(‏ ‏)طيث(‏ يف العربانية<br />

واآلرامية سواء بسواء،‏ لزمه أن يقرأ اآلية هكذا ‏)طيث - ها(‏ بدال من ‏)طا - ها(‏<br />

حرف ‏)טית(‏ ‏)طيث(‏ يساوي كلمة<br />

( )<br />

(<br />

طيط(،‏ فهو حتريف وختريف.‏<br />

وأما.‏ القول بأن<br />

أما ما نسب إىل ابن عباس فقد ضعفه مجع من أهل العلم وليس هذا موضعه.‏<br />

ختاماً‏ أقول،‏ كنت قد عقدت العزم عىل مناقشة كل ما ذكر املشرتط من أمثلة ‏)أحد،‏ صمد،‏<br />

جهنم،‏ إلخ(،‏ لكنني رأيت أن أقترص عىل احلروف املقطعة،‏ طمعا يف أن يكون يف ذلك غنية عن ذكر<br />

الباقي.‏ فإن دعا األمر يف قابل األيام إىل إمتام ما بدأت أمتمته يف حينه إن شاء اهلل.‏<br />

اهلل أسأل<br />

أن يغفر يل وألخي،‏ وأن جيعل ما قلته زادا إىل حسن املصري إليه،‏<br />

وعتادا إىل<br />

يمن<br />

القدوم عليه،‏<br />

إنه بكل مجيل كفيل،‏ وهو حسبنا ونعم الوكيل.‏<br />

كتبه<br />

فيصل بن عيل الكاميل<br />

‏»مركز الفكر الغريب«‏<br />

1437/1/14 ه<br />

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