16.09.2015 Views

inquest

5 Adios - Jokatimes

5 Adios - Jokatimes

SHOW MORE
SHOW LESS
  • No tags were found...

Create successful ePaper yourself

Turn your PDF publications into a flip-book with our unique Google optimized e-Paper software.

एक भेंट<br />

एक भेंट<br />

आशीष कुमार<br />

आशीष कु मार<br />

जून मं जब जोका आया, आॉखों मं थे सपने।<br />

खोुद से पूछा, “क्या ममऱंगे यहाॉ भेी अपने?”<br />

पर अगऱे ही हफ्ते „डडस्को‟ ने कहर बरपाया था।<br />

पूरे दस डदनं तक सोने को बहुत तरसाया था॥<br />

आपने मसखोाया था एमबीए करने का ममम।<br />

खोुद को कोसा, “कौन-सा डकया था कमम?”<br />

डिर आया इन्टर्वयूम, पीपीटी, सीवी का दौर।<br />

रात को तीन बजे भेी आप हमसे हुए ना बोर॥<br />

हम क्क्वज़ और सबममशन को परेशान थे।<br />

पर उससे ज्यादा आपके पोकर देखो हैरान थे॥<br />

समसम मं जब डदऱ घबराया, आॉखों मं आॉसू आये।<br />

तब आपने हौसऱा बढ़ाया और डकतनी ही दुआएॉ ऱाये॥<br />

स्टेप पर आप गए और िोटो का अम्बार ऱगाया।<br />

मेरे इस छोटे-से डदऱ मं सपनं का सॊसार सजाया॥<br />

जोका कल्चर मं मं खोोया था डक इतने मं रेममनी आई।<br />

सीमनयसम आए, बहार आई और यादं की सौगातं ऱाई॥<br />

डिर आयी ऱैटरल्स और िाइनल्स की दौड़।<br />

खोुद को साबबत करने की वो पुरानी होड़॥<br />

पीपीटी और प्रेप का ये अनूठा जोड़।<br />

सामने ऱाया आपके एक सुहाना मोड़॥<br />

हजारं नएचेहरं और कई साऱं के बाद।<br />

यहाॉ बनाये ये दोस्त आपको रहंगे याद॥<br />

दो साऱ यहाॉ बबताए, इसकी देते दाद।<br />

आप जहाॉ भेी रहे, रहं खोुश-आबाद॥<br />

15

Hooray! Your file is uploaded and ready to be published.

Saved successfully!

Ooh no, something went wrong!