Navankur
Primary Hindi Newsletter - July 2018 Bal Bharati Public School, Noida Publication
Primary Hindi Newsletter - July 2018
Bal Bharati Public School, Noida Publication
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नोएडा<br />
जुराई 2018<br />
भूल्म-िुबकाभनाएॉ<br />
अॊक-2,र्षफ-1<br />
ऩृष्ट्ठ -13<br />
फार बायती ऩब्लरक स्कू र,नोएडा से प्रकाशित<br />
सॊऩादकीम<br />
िलद,िलद,िलद...हभाये चायों तयफ़,हय जगह शसपफ िलद ही िलद हैं| कबी फोरे हु ए िलद,कबी सुने गए िलद,कबी<br />
शरखे गए िलद तो कबी ऩढ़े गए िलद| मह दुननमा शसफ़फ िलदों से ही चरती है| मे िलद ही तो हैं जो हभें कबी<br />
शभत्र फना देते हैं तो कबी ित्रु| इसीशरए हभें अऩने िलदों का चमन फहु त ही ध्मानऩूर्फक कयना चाहहए|सॊचाय<br />
क्ाॊनत के इस मुग भें हभें िलदों के प्रनत औय बी अधधक सचेत हो जाने की आर्श्मकता है|बाषा ऩय ऩकड़ औय<br />
जकड़ भजफूत होनी चाहहए तबी तो हभ आगे फढ़ ऩाएॊगे| ऐसे भें हभ अऩने भातृबाषा को कै से बुरा सकते हैं|<br />
जफ भन की फात दोस्तों के साथ हो तो क्मा कहना..तबी तो सबी फच्चे नए उत्साह औय एक नई उभॊग के<br />
साथ,वर्शबन्न प्रकाय के अनुबर्ों र् वर्चायों को भन भें बये हु ए वर्द्मारम आने की प्रतीऺा कयते हैं| ऐसे भें मह<br />
शिऺकों,छात्र-छात्राओॊ तथा अशबबार्कों आहद सफ का साझा उत्तयदानमत्र् है कक हभ फोरते र् शरखते सभम सही<br />
िलदार्री के साथ-साथ सही हहॊदी बाषा का प्रमोग कयें ब्जससे र्तफभान तथा बार्ी ऩीढ़ी के फीच भें साभॊजस्म<br />
स्थावऩत हो सके | नर्ाॊकु य हभें ऐसा ही भॊच प्रदान कयता है जहाॉ आऩ अऩने भन की फात अऩनी बाषा भें कह<br />
सकते हैं| इस अॊक के प्रकािन भें ब्जन नन्हें शिल्ऩकायों ने अऩनी रेखनी द्र्ाया मोगदान हदमा, उनका भैं<br />
हाहदफक अशबनॊदन कयती हूॉ| ब्जन छात्र-छात्राओॊ की यचनाओॊ को स्थानाबार् के कायण इस अॊक भें सब्मभशरत<br />
नहीॊ ककमा गमा उनकी यचनाओॊ को अगरे अॊक भें अर्श्म ही स्थान हदमा जाएगा|आिा है कक मे अॊक बी<br />
आऩको ऩसॊद आएगा|आऩकी प्रनतकक्मा की प्रतीऺा भें-<br />
आऩकी यचना शिल्ऩकाय शभत्र<br />
इराश्री जामसर्ार<br />
(हहॊदी अध्मावऩका)<br />
__________________________________________________________________________________<br />
विद्मारम की हरचर<br />
वर्द्मारम का गौयर्:तनम कय<br />
कऺा-ऩाॉचर्ी ‘द’ के तनम कय ने र्षफ 2017 भें याष्ट्रीम वर्ऻान ओरब्मऩमाड भें प्रादेशिक स्तय ऩय द्वर्तीम<br />
स्थान प्राप्त कय वर्द्मारम का गौयर् फढ़ामा| भेधार्ी छात्र तनम कय को इस ऩुयस्काय के अॊतगफत एक भैडर एर्ॊ<br />
5000 रूऩमे की नकद धनयाशि नकद प्रदान की गई |
विद्मारम भें विभबन्न ग्रीष्भकारीन गततविधधमों का आमोजन<br />
वर्द्मारम भें छात्र-छात्राओॊ की प्रनतबा को उबायने एर्ॊ तयािने हेतु ग्रीष्ट्भकारीन शिवर्य का आमोजन ककमा<br />
गमा| इस शिवर्य भें छात्र-छात्राओॊ के सर्ाांगीण वर्कास ऩय वर्िेष फर हदमा गमा| इसभें कई प्रकाय की<br />
गनतवर्धधमों को सब्मभशरत ककमा गमा जैसे–करा, नृत्म ,नाटक, गामन, वर्शबन्न खेर-कू द आहद|<br />
इसके साथ ही ग्रीष्ट्भकारीन गृहकामफ के अॊतगफत बी छात्र-छात्राओॊ की अशबरुधचमों को ध्मान भें यखते हु ए<br />
रुधचकय, कक्मात्भक, अन्र्ेषणात्भक कामफ-कराऩों को सब्मभशरत ककमा गमा|<br />
हभाया वर्द्मारम फच्चों के नहीॊ र्यन अध्माऩक-अध्मावऩकाओॊ के उन्नमन ऩय बी फर देता है| इसी सॊदबफ भें<br />
अध्माऩक-अध्मावऩकाओॊ के शरए बी कामफिारा का आमोजन फार बायती प्रशिऺण कें द्र,ऩीतभऩुया भें ककमा<br />
गमा|ब्जसभें वर्शबन्न वर्षम-वर्िेषऻों को आभॊत्रत्रत ककमा गमा ब्जन्होंने सॊफॊधधत वर्षमों तथा अध्माऩन वर्धधमों<br />
भें होने र्ारे ऩरयर्तफन तथा नर्ीनीकयण ऩय प्रकाि डारा|<br />
ग्रीष्भकारीन भिविय : नृत्म, अभबनम, करा त्रििेणी का सॊगभ<br />
नृत्म शिवर्य<br />
अशबनम कौिर<br />
करा शिवर्य<br />
छात्रों द्र्ाया फनाई गई भनभोहक कराकृ नतमाॉ
ग्रीष्भकारीन गृहकामय<br />
“उच्च विचाय से कदभ फढ़ाओ, अऩनी सोच को ऩॊख रगाओ|”<br />
मातामात के साधन<br />
भेये प्माये ऩाऩा<br />
सेहत के भभि<br />
अनभोर िब्द-िृऺ<br />
जरीम जीिन<br />
जर ही जीिन है<br />
भिऺण उन्नमन कामयिारा,फार बायती प्रभिऺण कें द्र,ऩीतभऩुया ,नई ददल्री
खगोर विऻान कामयिारा<br />
आसभान भें चभकते सूयज ,चाॉद ,भसताये,ग्रह ,उऩग्रह ,आकािगॊगाएॉ आदद हभेिा से ही<br />
कौतूहर का विषम यहें हैं | फच्चों को तो मे औय बी अधधक रुबािने रगते हैं | िे इन सफ के<br />
विषम भें सफ कु छ जानना चाहते हैं | आसभान तो अनॊत है औय असीभभत है फपय बी हभाये<br />
िैऻातनकों ने अॊतरयऺ भें जाने का यास्ता बी ढूॊढ भरमा औय साधन बी फना भरए | खगोर<br />
विऻान हभाये इन्हीॊ जजऻासाओॊ का उत्तय देता है | इसके भरए विद्मारम भें एक खगोर<br />
कामयिारा का आमोजन फकमा गमा जजसभें विद्माधथयमों ने फढ़-चढ़ कय दहस्सा भरमा | इसभें<br />
उन्हें अॊतरयऺ, अॊतरयऺ मान ,ऩुच्छर ताये आदद के फाये भें जानकायी दी गई |<br />
खगोर विऻान ऩरयचम<br />
खगोरीम प्रश्नोत्तयी<br />
+<br />
उत्सुक छाि-छािाएॊ<br />
यॉके ट खेर-ऩरयऺण
फार सबा वििेष<br />
फार सबा के अॊतगयत छाि-छािाओॊ से ऐसी गततविधधमाॉ कयिाई जातीॊ हैं जजससे उनका सिाांगीण विकास हो|<br />
जुराई भास की गततविधधमाॉ इस प्रकाय हैं-<br />
कऺा ऩहरी से दूसयी तक- दोहार्ाचन प्रनतमोधगता<br />
कऺा-ऩहरी (ऩरयणाभ )<br />
प्रथभ स्थान-ईिानी ठाकु य(ऩहरी‘अ’),द्वर्तीम स्थान-रुद्राऺ चटजी(ऩहरी‘द’),तृतीम स्थान-हदवर्िा फजेठा(ऩहरी’अ’)<br />
कऺा-दूसयी (ऩरयणाभ )<br />
प्रथभ स्थान-सान्र्ी त्रत्रऩाठी एर्ॊ शिर्ाॊि गुमफेय(दूसयी ‘अ’) द्वर्तीम स्थान-साब्त्र्क साहू (दूसयी ‘स’)<br />
कऺा तीसयी से ऩाॉचिीॊ तक – अॊतसयदनीम आिु विऻाऩन फनाओ प्रततमोधगता<br />
ऩरयणाभ- प्रथभ स्थान-अिोका सदन द्वितीम स्थान-शिर्ाजी सदन तृतीम स्थान-टैगोय सदन<br />
कऺा चौथी से ऩाॉचिीॊ तक- आहदर्ासी भुखौटा ननभाफण गनतवर्धध
दहॊदी ऩयीऺा चक्र-1 वििेष<br />
कऺा 4 तथा 5 की दहॊदी चक्र-1 की ऩयीऺा भें सिोच्च अॊक प्राप्त कयने िारे छाि-छािाओॊ को<br />
हाददयक िुबकाभनाएॉ -<br />
अमाना भसन्हा काव्मा अधधकायी चेयी रयवि चौहान<br />
कऺा - चौथी ‘स’ कऺा – चौथी ’फ’ कऺा-ऩाॊचिीॊ ‘अ’ कऺा-ऩाॉचिी ‘अ’<br />
अॊक -24.5/25 अॊक- 24/25 अॊक- 24/25 अॊक- 24/25<br />
अॊभिका दटकू रािण्मा चतुिेदी तनम कय<br />
कऺा-ऩाॉचिीॊ ‘द’ कऺा-ऩाॉचिी ‘द’ कऺा ऩाॉचिीॊ -‘द’<br />
अॊक- 24/25 अॊक- 24/25 अॊक- 5.32/25<br />
दिय िाह अद्मािा प्रधान कु हू ऩाॊडेम<br />
कऺा ऩाॉचिीॊ -‘अ’ कऺा ऩाॉचिीॊ -‘फ’ कऺा ऩाॉचिीॊ -‘अ’<br />
अॊक- 5.32/25 अॊक- 5.32/25 अॊक- 23. 2 ./25
दहॊदी तरु (व्माकयण)<br />
इस खॊड भें छािों को व्माकयण का सयर<br />
एिॊ सुगभ ऻान ददमा जाएगा|इसभें हय<br />
अॊक भें अरग-अरग विषमों ऩय जानकायी<br />
दी जाएगी| इस अॊक का विषम है-भुहािये
कहानी भसपय भनोयॊजन का साधन ही नहीॊ है फजल्क इनसे हभ भागयदियन के साथ-साथ अॊतदयियन बी<br />
कय सकते हैं|प्रस्तुत कहानी ऐसी ही कहानी है जजससे फच्चों को नैततक भूल्मों के ऻान के साथ-साथ<br />
अऩने उत्तयदातमत्िों का बी ऻान होगा |<br />
कहानी- िारू फकयी<br />
िारू फकयी की भाॉ योज सुफह जॊगर भें घास चयने जामा कयती थी| घय ऩय यह जाती अके री िारू|<br />
उसका फहु त भन कयता था कक र्ह बी घूभे,अऩने शभत्र फनाए|ऩय उसकी भाॉ की आऻा थी कक र्ह कहीॊ न जाए औय ककसी से<br />
शभत्रता बी न कये |उसकी भाॉ कहती थी कक र्ह अबी छोटी है औय घय के फाहय कोई सुयऺा नहीॊ है |उसे कारू बेड़ड़मा खा<br />
जाएगा मा भक्कू िेय खा जाएगा,ऐसे ही ऩता नहीॊ ककस ककस का नाभ रेके डयाती थी |इन सफसे िारू इतना डय गई थी कक<br />
र्ह कहीॊ फाहय ननकरने की हहमभत ही नहीॊ कयती थी |<br />
एक हदन भाॉ ने िारू को डाॊट हदमा |िारू भन ही भन खूफ गुस्सा हु ई-आज भैं सचभुच ही कहीॊ फाहय चरी जाऊॉ गी|भाॉ का<br />
कहना नहीॊ भानूॊगी |उस हदन भाॉ के गुफ़ा से जाते ही र्ह बी फाहय ननकर गई |घूभकय जैसे र्ह भाॉ से उनकी डाॊट का फदरा<br />
रेना चाहती थी |<br />
िारू फकयी को गुफ़ा से फाहय ननकरकय फहु त अच्छा रग यहा था |ठॊडी-ठॊडी हर्ा चर यही थी | भीठी-भीठी खुिफू आ यही<br />
थी|उसने जी बयकय खूफ हयी-हयी ताज़ी-ताज़ी ऩब्त्तमाॊ खाईं|कपय ठॊडा ऩानी ऩीने र्ह एक झयने ऩय चरी गई |<br />
झयने ऩय बेड़ का एक फच्चा बी फैठा था | उसने बेड़ के फच्चे से नभस्ते की औय कफ़य ऩानी ऩीने रगी | बेड़<br />
के फच्चे ने ऩूछा,”क्मा तुभ महाॉ योज़ आती हो ?”<br />
िारू फोरी,”नहीॊ,भैं तो आज ऩहरी फाय आई हूॉ \ भेयी भाॉ तो भुझे फाहय ननकरने से भना कयती है |<br />
“भेयी भाॉ बी | ऩय भैं तो योज़ घूभने आता हूॉ औय उन्हें ऩता बी नहीॊ रगता | खुरी हर्ा भें घूभने से भेयी सेहत<br />
देखो ककतनी अच्छी हो गई है |”, बेड़ का फच्चा िान से अऩने ियीय ऩय नज़य डारते हु ए फोरा |<br />
िारू ने बी अऩने ियीय ऩय नज़य डारी |र्ह फहु त ही दुफरी-ऩतरी थी |<br />
“तुभ बी योज़ घूभने आमा कयो , कपय तुभ बी भेयी तयह खूफ भोटी हो जाओगी |”बेड़ के फच्चे ने सभझामा<br />
“ऩय भेयी भाॉ तो भना कयती है |”,िारू फोरी |<br />
भैं तो भाॉ के ऩीछे-ऩीछे चरा आता हूॉ | तुभ बी ऐसा ही ककमा कयो |“,बेड़ के फच्चे ने सभझामा |<br />
अफ तो िारू हय योज़ भाॉ के जाने का इॊतजाय कयती कक कफ भाॉ घय से जाए औय र्ह घूभने ननकरे | उसने भाॉ<br />
को इस वर्षम भें कु छ बी नहीॊ फतामा था |<br />
तीन-चाय हदन तक दोनों सुयक्षऺत घूभते यहे | अफ दोनों का साहस फहु त फढ़ गमा था औय र्े सोचते थे कक र्े<br />
कहीॊ बी जा सकते थे | र्े अफ दूय-दूय तक घूभने जाने रगे थे | एक हदन दोनों घूभते-घूभते िेय की गुफ़ा तक<br />
जा ऩहुॉचे |<br />
र्हाॉ िेयनी अऩने चाय छोटे फच्चों को शिकाय कयना शसखा यही थी | उसका सफसे छोटा फच्चा िारू को देखकय<br />
फोरा- “भाॉ,इस ऩय र्ाय कयके फताओ ना |” तफ तक िेय के दूसये फच्चे ने उस ऩय प्रहाय कय हदमा |
मह देखकय बेड़ का फच्चा चुऩचाऩ र्हाॉ से बाग शरमा | आऩब्त्त भें ऩड़े अऩने शभत्र को देखकय बी उसने भुॉह<br />
कपया शरमा |<br />
उस हदन िेय का फच्चा िारू को पाड़ ही डारता तबी र्हाॉ ऩय िेय आ गमा | ऩय उसके सौबाग्म से तबी र्हाॉ<br />
िेय आ गमा | र्ह एक फड़ा-सा बेड़ड़मा घामर कयके रामा था | िेयनी औय उसके फच्चों का ध्मान उधय से फॊट<br />
गमा | िारू फकयी सफकी नज़य फचा कय चुऩचाऩ र्हाॉ से खखसक आई |<br />
ऩेड़ों की आड़ भें नछऩते हुए शसय ऩय ऩैय यखकय र्ह तेज़ी से बागी जा यही थी | उसका नन्हा-सा हदर बम के<br />
कायण तेज़ी से धड़क यहा था |उसकी ऩीठ से खून ननकर यहा था | जैसे-तैसे र्ह झयने के ककनाये ऩहुॉची | र्हाॉ<br />
बेड़ का फच्चा ऩहरे से ही फैठा हुआ था | उसे देखकय िारू ने भु ॉह कपया शरमा | बेड़ का फच्चा फोरा-‘भैं तो<br />
तुमहें उससे फचा नहीॊ सकता था | इसशरए भैं हाथी दादा को फुराने आमा था |’<br />
िारू फोरी-‘यहने दो बाई ! अफ झूठ फोरने की जरुयत नहीॊ | सच्चा शभत्र र्ही है जो भुसीफत भें काभ आए |<br />
जो अऩने साथी को दु्ख-भुसीफत भें छोड़कय चरा जाता है , र्ह नीच है , दुष्ट्ट है , कामय है | ऐसे शभत्र से तो<br />
शभत्र का न होना ही अच्छा है | आज से तुमहायी-भेयी दोस्ती ख़त्भ हुई |’<br />
इतनी ही देय भें झाड़ड़मों के ऩीछे से श्माभा त्रफल्री ननकर आई | र्ह बेड़ के फच्चे की ओय इिाया कयते हुए<br />
फोरी<br />
-“तुभ ठीक ही कह यही हो|मह दोस्ती के रामक ही नहीॊ है | इसने भेये साथ बी ऐसे ही ककमा था |”<br />
श्माभा ने िारू की ऩीठ का खून झयने से ऩानी रा-राकय धोमा | कपय ऩेड़ों की ऩब्त्तमाॊ यखकय ऩट्टी फाॊधी | तफ<br />
कहीॊ जाकय खून फॊद हुआ | श्माभा िारू को घय तक बी छोड़ कय आई | िारू भन ही भन सोच यही थी-<br />
‘श्माभा भुझसे अऩरयधचत है कपय बी भेयी ककतनी सहामता कय यही है | र्ह तो इसकी भहान सज्जनता<br />
है|सज्जनता औय भधुयता का व्मर्हाय ही दूसये को अऩना शभत्र फनाते हैं |” िारू को छोड़कय श्माभा रौट गई |<br />
िारू की भाॉ आई तो कहने रगी-‘भुझे यास्ते भें ही ऩता रग गमा था कक आज हभायी त्रफहटमा यानी घूभने<br />
ननकरी थीॊ औय फच के आ गईं हैं|’<br />
‘भाॉ,भुझे भाफ़ कय दो | अफ भैं तुमहायी आऻा के त्रफना कहीॊ नहीॊ जाऊॉ गी|’ िारू भाॉ के ऩैय ऩकड़के फोरी |<br />
‘िारू,जो फच्चे अऩने भाता-वऩता का कहना नहीॊ भानते हैं,र्े हभेिा ही दु्ख ऩाते हैं | भाता-वऩता फच्चों की<br />
बराई के शरए ही डाॉटते हैं|’िारू की भाॉ ने कहा<br />
‘भाॉ,अफ भैं हभेिा तुमहाया कहना भानूॊगी औय अच्छी फनूॊगी|’कहते हु ए िारू भाॉ से शरऩट गई|<br />
कहातनमों का भुख्म उद्देश्म हभाये कल्ऩना सॊसाय को भूतय रूऩ देना होता हैं | हभ कहातनमों भें जो ऩढ़ते हैं ,<br />
सुनते हैं , उन सफ से हभायी धचॊतन कौिर का विकास होता है | सबी अभबबािकों से अनुयोध है फक अऩने<br />
खारी सभम भें फच्चों को विभबन्न सादहत्मकायों की कहातनमाॉ अिश्म सुनाएॉ |<br />
-इराश्री जामसिार (दहॊदी अध्मावऩका)
हभाये हाथ तुम्हाये कदभ<br />
इस खॊड भें छाि-छािाओॊ की भौभरक यचनाओॊ को<br />
स्थान ददमा जाएगा|िे सादहत्म की विभबन्न विधाओॊ<br />
जैसे-कहानी, कविता, रेख, तनफॊध आदद भें अऩनी<br />
विचायाभबव्मजतत कय सकते हैं|<br />
ऩमायियण<br />
ऩेड़-ऩौधे भत कयो नष्ट्ट,<br />
साॉस रेने भें होगा कष्ट्ट|<br />
नहीॊ शभरेगा जीर्न दुफाया,<br />
प्रदूषण भुक्त हो ऩमाफर्यण हभाया|<br />
साॉस हो यही है कभ,<br />
आओ ऩेड़ रगाए हभ|<br />
हभ सफका एक ही नाया,<br />
साफ़-सुथया हो देि हभाया|<br />
ऩमाफर्यण है हभ सफकी जान,<br />
इसशरए कयो इसका समभान|<br />
ख्मानत<br />
कऺा-चौथी’द’<br />
देि<br />
देि हभाया प्माया है,,<br />
साये जग से न्माया है|<br />
हभ इसके हैं सुॊदय पू र,<br />
मे फगीचा हभाया है|<br />
कर-कर नहदमाॉ फहती हैं,<br />
सफके भन को हयती हैं|<br />
ऩर्फत ऊॉ चा फड़ा ननयारा,<br />
सीख अडग यहने की देता|<br />
र्ीय शसऩाही प्रेयणा हैं,<br />
सच्चे भन से नभन उन्हें|<br />
धन्म देि हभाया है,<br />
साये जग से न्माया है|<br />
ननरेि श्रीर्ास्तर्<br />
कऺा- चौथी-‘अ’<br />
फस्ते का बाय<br />
भुझे नहीॊ स्र्ीकाय ,<br />
फस्ते का मह बाय|<br />
यीढ़ धनुष जैसी है झुकती,<br />
ऩीठ र्ज़न से अक्सय दुखती,<br />
रादे जाओ,रादे जाओ<br />
होता हूॉ राचाय|<br />
ककतना कोभर भन भेया है,<br />
ककतना कोभर तन भेया है,<br />
छोटी-फड़ी ककताफों का है,<br />
फस इसभें अॊफाय|<br />
इसका र्ज़न घटामा जाए ,<br />
छोटा इसे फनामा जाए|<br />
आऩ सफ रोगों से भेयी<br />
वर्नती है फाय-फाय|<br />
आयर् िौमफ<br />
कऺा-चौथी-‘फ’<br />
हभाया देि<br />
फायी-फायी ऋतुएॊ आतीॊ, अऩनी<br />
छटा महाॉ हदखराती<br />
पर-पू रों से बये फगीचे<br />
धचड़ड़माॉ भीठे गीत गाती<br />
सुनाती,देि भेया सफसे न्माया<br />
ककतना सुॊदय,ककतना प्माया|<br />
अरयहॊत िभाफ<br />
कऺा-चौथी ‘फ ’<br />
भेयी प्मायी भाॉ<br />
भेयी प्मायी भाॉ तू ककतनी<br />
प्मायी है,<br />
जग भें है अॉधधमाया,तू<br />
उब्जमाया है|<br />
िहद से भीठी है तेयी फातें,<br />
तेयी गोद भें गुज़यी भेयी कई<br />
यातें|<br />
रगती चोट तो सहराती भुझे,<br />
कोई तायीफ़ कये तो देती<br />
िाफािी भुझे|<br />
तेये आॉचर की छाॉर् बाती<br />
भुझे,<br />
हय तकरीफ़ से तू फचाती भुझे|<br />
डाॊट तेयी है शभची से तीखी,<br />
तुझ त्रफन ब्ज़न्दगी है कु छ<br />
फ़ीकी|<br />
प्माय से जफ तू गरे रगाती,<br />
आॉख से भेये छरकते हैं आॉसू|<br />
भेयी प्मायी भाॉ तू ककतनी<br />
प्मायी है|<br />
अॊककता भॊचन<br />
कऺा-चौथी-’द’<br />
र्षाफ<br />
र्षाफ आई सुहानी,<br />
रयभखझभ पु हायें भन को बातीॊ,<br />
ताराफों भें बय गमा ऩानी|<br />
गभी से मे याहत हदरातीॊ|<br />
चायों ओय छा गई हरयमारी,<br />
फच्चे कागज की नार् चराते,<br />
ऩऺी चहके डारी-डारी| यॊग- त्रफयॊगे छाते राते |<br />
कारे फादर छा जाते, गयभ ऩकौड़े शभर के खाते, अॊि बायद्र्ाज<br />
ठॊडी हर्ा के झोंके राते | घूभे नाचे आनॊद भनाते| कऺा-ऩाॉचर्ीॊ ‘द’
भन की फात<br />
भैंने ग्रीष्भािकाि कै से त्रफतामा?<br />
भई भास की दस तायीख से ही वर्द्मारम ग्रीष्ट्भार्काि के शरए फॊद होने र्ारे थे| भेये कु छ सहऩाठी अर्काि के<br />
भौके ऩय हदल्री से फाहय ककसी ऩर्फतीम स्थान ऩय जाने की मोजना फना यहे थे| काफ़ी छात्र भेयी तयह घय भें ही<br />
यह कय अर्काि त्रफताने की फात कय यहे थे| भै बी सोचने रगा कक अर्काि के हदनों का सदुऩमोग ककस प्रकाय<br />
ककमा जाए| अन्तत् छु ट्टी का सुनहया सभम आ ही गमा|<br />
भैंने वर्चाय ककमा कक घय की आधथफक ब्स्थनत अच्छी न होने के कायण भैं फाहय तो नहीॊ जा सकता तो कपय क्मों<br />
न ऐसा कामफक्भ फनामा जाए कक गृहकामफ बी अच्छे से ऩूणफ हो जाए औय छु हट्टमों का बयऩूय आनॊद बी घय ऩय ही<br />
प्राप्त कय शरमा जाए| परत: भैंने एक सभम-ताशरका फना री औय उसके अनुसाय उसे कक्माब्न्र्त कयना िुरू कय<br />
हदमा| भैं ननत्म प्रात् जल्दी उठकय ऩास के फगीचे भें जाने रगा|फाग भें दौड़ रगाई औय थोड़ा-थोड़ा व्मामाभ बी<br />
कयने रगा| फगीचे भें भेये कु छ नए शभत्र बी फन गए| प्रात् की िीतर,भॊद सुगॊधधत र्ामु से औय ऩक्षऺमों के<br />
करयर् से रृदम आनॊद ऩरयऩूणफ हो जाता| भैंने एक कामफक्भ बी फनामा कक भैं ग्रीष्ट्भार्काि भें हदल्री बी घूभकय<br />
आऊॊ ,उसी के अनुसाय भैंने धचड़ड़माघय,याष्ट्रऩनत बर्न,जॊतय-भॊतय,कु तुफभीनाय बरी प्रकाय से देखे,इससे भुझे गृहकामफ<br />
भें बी फहु त भदद शभरी| इस प्रकाय घय ऩय यहकय ही भैंने ग्रीष्ट्भार्काि का सदुऩमोग ककमा|<br />
नभन त्रफस्र्ास<br />
कऺा-ऩाॊचर्ीॊ ‘स’<br />
विऻाऩन–विऻाऩन-विऻाऩन<br />
वर्ऻाऩन ही वर्ऻाऩन| जहाॉ नज़य घुभाओ र्हीॊ वर्ऻाऩन| टी.र्ी., अख़फाय, येड़डमो आहद सफ जगह वर्ऻाऩन|<br />
फाज़ाय भें जाओ मा गरी भें ननकरो,दीर्ायों ऩय वर्ऻाऩन धचऩके हु ए शभरते हैं| वर्ऻाऩन आज के औद्मोधगक<br />
मुग भें फहु त भहत्र् यखते हैं| वर्ऻाऩन व्माऩायी के हाथ भें एक ऩुजे के सभान है ब्जसे र्ह अऩनी चीजें फेचने<br />
के शरए प्रमोग कयता है| र्ह रोगों को आकवषफत कयने के शरए टी.र्ी.,येड़डमो ,अख़फाय ,ऩत्र-ऩत्रत्रकाओॊ का सहाया<br />
रेता है| इनसे रोग आकवषफत होते हैं औय व्माऩारयमों को आधथफक राब होता है|<br />
वर्ऻाऩन से रोगों को अरग-अरग कॊ ऩननमों के फाये भें ऩता चरता है ब्जससे तुरना कयके उधचत र्स्तु खयीदने<br />
का ननणफम रेने भें सुवर्धा हो जाती है|<br />
ऩयॊतु रोगों को मे नहीॊ ऩता कक वर्ऻाऩनों का खचाफ ऩयोऺ रूऩ से उनके के ऊऩय ही ऩड़ता है| इसशरए<br />
सभझदायी के साथ अऩनी आर्श्मकतानुसाय ही खयीदायी कयनी चाहहए|<br />
अिफ िभाफ<br />
कऺा-ऩाॉचर्ीॊ ‘फ’
मोजना का भहत्त्ि<br />
योहहत नाभ का एक रड़का था| र्ह फहुत आरसी था| र्ह कबी बी ऩयीऺा की तैमायी कबी बी<br />
मोजना फनाकय नहीॊ कयता था|र्ह ऩयीऺा से दो-तीन हदन ऩहरे तैमायी कयता औय कभ अॊक आने<br />
ऩय योता| र्ह कबी बी अऩनी कशभमों की तयफ़ ध्मान न देता,फस ऩयीऺा के नतीजों को हभेिा<br />
गरत फताता था | उसकी भाॉ उसे हभेिा मही फात सभझाती थीॊ कक ऩयीऺा की तैमायी ऩहरे से ही<br />
मोजना फनाकय कयनी चाहहए| ऩयॊतु र्ह कबी बी इस ओय ध्मान नहीॊ देता था | एक हदन उसकी<br />
भाॉ ने उसकी अध्मावऩका को मह फात फताई | तफ उसकी अध्मावऩका ने उसे मोजना का भहत्त्र्<br />
मोजना का भहत्त्ि<br />
फताने के शरए एक तयकीफ ननकारी | उन्होंने योहहत से कहा कक दो हदन के फाद तुमहायी ऩयीऺा<br />
है|योहहत घय आकय तैमायी भें जुट गमा| जफ र्ह वर्द्मारम गमा तफ उसे ऩता रगा कक ऩयीऺा तो<br />
चाय हदनों के फाद है| घय आकय उसने र्ही ऩाठ एक फाय दोफाया से ऩढ़ शरए| इस फाय उसे ऩहरे से<br />
ज्मादा सभझ आमा| इस फाय ककसी कायणर्ि उसकी ऩयीऺा एक सप्ताह औय आगे कय दी गई| इस<br />
प्रकाय अनतरयक्त सभम ऩाकय योहहत ने अऩनी तैमायी ऩूयी कय री| जफ उसकी ऩयीऺा हुई तो उसने<br />
फहुत अच्छे तयह से ऩयीऺा दी| जफ ऩरयणाभ आमा तो र्ह फहुत खुि हुआ क्मोंकक र्ह फहुत अच्छे<br />
अॊकों से ऩास हुआ था| अफ उसे सभझ आ गमा था कक महद र्ह इसी प्रकाय सबी वर्षमों की तैमायी<br />
मोजना फना कय ऩूयी कय रे तो हभेिा ही उसके अच्छे अॊक आएॉगे| इस प्रकाय योहहत को मोजना<br />
का भहत्त्र् ऩता चर गमा था|आखख़यकाय उसकी भाॉ औय उसकी अध्मावऩका की तयकीफ काभ आई |<br />
तोिन िभाफ<br />
कऺा-ऩाॉचर्ीॊ ‘फ’<br />
िृऺ हभाये सच्चे भभि<br />
र्ृऺ धयती ऩय हभाये सच्चे शभत्र हैं|त्रफना र्ृऺों के हभ जी नहीॊ सकते|हभ र्ृऺों को थोड़ी सी जगह औय थोड़ा<br />
सा ऩानी देते हैं औय र्े हभें जीर्न के साथ-साथ फहुत कु छ देते हैं|<br />
र्ृऺों से हभें फहुत राब होते हैं| हभें ताज़ी औय स्र्च्छ हर्ा शभरती है| र्ृऺ हभें धूऩ भें छामा देते हैं | उनके<br />
साथ यहने से,देखने से हभें फहुत आनॊद बी शभरता है|<br />
ऩेड़ों की जड़ें शभट्टी भें जाकय उसको जकड़े यहतीॊ हैं ब्जससे बू स्खरन नहीॊ होता | ऩेड़ हभाये र्ातार्यण भें<br />
ठॊडक ऩहुॊचाते हैं | ऩेड़ों से हभें अनाज, पर, सब्लजमाॊ औय कऩास बी शभरती है | ऩेड़ फादरों को फुराते हैं<br />
ब्जससे र्षाफ होती है | अगय हभ ऩेड़ों को काटते जाएॊगे तो र्षाफ बी नहीॊ होगी ब्जससे र्ातार्यण अिुद्ध होता<br />
जाएगा औय हभें साॉस रेने के शरए िुद्ध हर्ा बी नहीॊ शभरेगी |<br />
हभें ऩेड़ों का ध्मान यखना चाहहए\अऩने आस-ऩास का र्ातार्यण हया-बया औय स्र्च्छ यखना चाहहए तबी हभ<br />
स्र्स्थ जीर्न जी ऩाएॊगे औय स्र्स्थ यह ऩाएॊगे |<br />
श्रद्धा भौमाफ<br />
कऺा-ऩाॉचर्ीॊ –‘स’
फार धचिकाय<br />
अध्ममन ढ़ोंडडमार कऺा- चौथी ‘फ’<br />
अद्मािा प्रधान कऺा- ऩाॉचिीॊ ‘फ’<br />
भििवप्रमा कऺा-ऩाॉचिीॊ ‘अ’<br />
हवषयत कु भाय कऺा-ऩाॉचिीॊ ‘अ’<br />
अविका गौड़ कऺा-ऩाॉचिीॊ ‘द’<br />
सभी अहभद कऺा-चौथी ‘द’