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सािनया बेगम<br />

थम वष, बी.ए. [इ.पी.सी.ए.]<br />

पेड़ लगाओ, पेड़ लगाओ !<br />

हरा भरा जीवन बनाओ !!<br />

छाया ये हमको देते है !<br />

फल ये हमको देते है !!<br />

बाढ़ से हमक बचाते है !<br />

दूषण दूर हटाते है !<br />

हम भी पेड़ लगाएंगे !!<br />

माँ पापा िबन दुिनया सूनी<br />

जैसे तपती आग क धूनी<br />

माँ ममता क धारा है<br />

िपता जीने का सहारा है !!<br />

किवता<br />

बारी-बारी ऋतुएँ आती<br />

अपनी छटा यहाँ दखलाती<br />

फल-फू ल से भरे बगीचे<br />

िचिड़याँ मीठे गीत सुनाती,<br />

देश मेरा यह सबसे यारा<br />

कतना सुँदर, कतना यारा !!<br />

लड़कयाँ िचिड़याँ होती है<br />

पर पंख नह होते लड़कय के<br />

मायके भी होते<br />

ससुराल भी होते<br />

पर घर नह होते लड़कय के<br />

माँ-बाप कहते है बेटयां तो पराई है<br />

ससुराल वाले कहते ये पराये घर से आई है<br />

भगवान अब तुम ही बता<br />

ये बेटयां कस घर के िलए बनाई है !<br />

मेरा साहस, मेरी इत, मेरी समान है िपता,<br />

मेरी ताकत, मेरी पूँजी, मेरा अहसास है िपता !<br />

घर के एक-एक ट म शािमल उनका खून-पसीना !<br />

सारे घर क रौनक, सारे घर क शान है िपता !!<br />

मेरी इत, मेरी शोहरत, मेरा तबा, मेरा मान है िपता !<br />

मुझको िहमत देने वाले मेरे अिभमान है िपता !!<br />

सारे रते उनके दम से सारे नाते उनके दम से है !<br />

सारे घर के दल क धड़कन, सारे घर क जान िपता !<br />

शायद रब ने देकर भेजा फल ये अछे कम का,<br />

उसक रहमत, उसक नेअमत, उसका वरदान है िपता !!

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