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FINAL

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तुम ये कहते हो कक ग़ैर हूँ मैं,<br />

किर भी शायद<br />

किकल आये कोई पहचाि, ज़रा देख तो लो<br />

इक नए सफ़र पे ननकलने की शुरुआत की थी<br />

जाने नकस और मुड़ गए ये रास्ते<br />

एक छोटे से मील केपत्थर ने<br />

बढ़ा निए घर से फ़ा़ांसले<br />

नाजाने कौन नकस मक़सि से चला था<br />

सबके ख़्यालो़ां में अपना ही ज़लज़ला था<br />

हमराही थे सब RM की नैय्या के<br />

कु छ हमसफ़र तो कु छ हमकिम बन चले<br />

निल केआईने में तस्वीरें बिलती गयी़ां<br />

िेखते िेखते रूहो़ां में जगह बनती गयी<br />

अल्फ़ाज़ो़ां की जगह इशारो़ां ने लेली<br />

और ह़ांसी…..खुनशयो़ां में बिल गयी<br />

ये िो साल िो पल से लगते हैं<br />

पल पल बढ़ता हो प्यार तो बाग़ खखलते हैं<br />

हमारा आनशयाना आपसे है<br />

बाग़बन केजैसे इसका पूरा ख़्याल रखना ।।

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