ivAwiKAw-Swsqr dI prMprw Aqy gurbwxI - Panjabi Alochana
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भाय, मो क ाित हेतु अवया (ignorance) का नाश करने के साधन के प म जाने जाते<br />
ह। पाणन के अटायायी पर पतंजल का याकरणमहाभाय और मसू पर शांकरभाय आद<br />
कु छ<br />
स भाय ह।<br />
पराशरपुराण म भायकार के पाँच काय गनाये गये ह-<br />
पदछेदः पदाथितर् वहो वाययोजना |<br />
आेपेषु समाधानं यायानं पंचलणम ् ||<br />
भाय कई कार के होते ह - ाथमक, वतयक या तृतयक। जो भाय मूल थ क टका करते ह उह<br />
ाथमक भाय कहते ह। कसी थ का भाय लखना एक अयत ववतापूण काय माना जाता<br />
है।<br />
अपेाकृ त छोट टकाओं को वाय या वृित कहते ह। जो रचनाय भाय का अथ पट करने के लये रची गयीं ह<br />
उह वातक कहते ह।<br />
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वेद के भाय : सायण, मैसमूलर, वामी दयानद सरवती, महष अरबदो<br />
नघटु के भाय : याक वारा<br />
पाणन के अटायायी का भाय : पतंजल का याकरणमहाभाय<br />
मसू के भाय : आद शंकराचाय का भाय; रामानुज का मसू भाय; उयोतकर क यायभाय पर टका<br />
- यायवातक; यायवातक पर वाचपत म क टका - यायवातकतापयटका<br />
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उपनषद के भाय : शंकराचाय ने ईश, के न, कठ, न, मुडक, माडूय, तैितरय, ऐतरेय, छादोय, बृह<br />
आरयक और वेतावतर- इन यारह उपनषद का भाय कया है<br />
वाचपत म ने वैशेषकदशन को छोड़कर बाक पाँचो दशन पर भाय लखा है।<br />
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योगसू के भाय : यास भाय, वाचपत म कृ त तववैशारद, योगवातक, भोजवृित<br />
यायदशन के भाय : वायायनकृ त यायभाय; वाचपत म का यायसूी<br />
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