oct2015 hindi (1)
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अक्टूबर २०१५ 15 जाफ़री अॉबज़रवर<br />
ताकीबात<br />
सूरों की विशेषताएं<br />
सूरह अल-क़ारेअह<br />
(१) किताब खवास्ुल क़ु आ्रन में है की रसटूले अकरम<br />
(स.अ.व.व.) ने इरशाद फ़रमायातः<br />
जो व्यक्ति सटूरह अल-क़ारेअह की तिलावत पाबन्ी<br />
से करता है तो क़यामत के दिन उसकी नेकीयों का<br />
पल्ा मीज़ान पर अल्ाह तआला के हुक्म से भारी<br />
हो जाएगा। और अगर कोई इस सटूरह को लिख कर<br />
अपने क़बज़े की चीज़ों पर लटका दे तो अल्ाह<br />
तआला उसकी और उसके परिवार वालों की ग़ुरबत<br />
और परेशानीयों को दूर कर देता है और उसकी रोज़ी<br />
में बरकत अता करता है।<br />
(२) इब्े बाब्वयह ने इमाम मोहम्मद बाक़र (अ.स.) से<br />
रिवायत की है कि आप (अ.स.) ने इरशाद फ़रमायातः<br />
जो व्यक्ति सटूरह अल-क़ारेअह की तिलावत कसरत<br />
से करता है तो अल्ाह तआला उसे दज्जाल की<br />
शरारत से बचाएगा और क़यामत के दिन उसे जहन्म<br />
के अज़ाब से सुरक्क्षत रखेगा।<br />
(३) इमाम जाफ़र सादिक (अ.स.) ने इरशाद फ़रमायातः<br />
अगर किसी व्यक्यि के व्यापार में घाटा हुआ हो और<br />
उसका सामान न बिक पा रहा हो तो वह सटूरह अल-<br />
क़ारेअह को लिख कर अपने गले में पहन ले तो<br />
अल्ाह तआला के हुक्म से उसका व्यापार ख़ूब बढ़ेगा<br />
और उसका सामान भी ख़ूब बिकने लगेगा। और<br />
अगर कोई इस सटूरह की तिलावत पाबन्ी से करे तो<br />
अल्ाह ताला उसकी रोज़ी में बरकत अता करेगा<br />
और उस कमाई के साधन निकाल देगा।<br />
सूरह तकासुर<br />
(१) किताब खवास्ुल क़ु आ्रन में है की रसटूले अकरम<br />
(स.अ.व.व.) ने इरशाद फ़रमायातः<br />
जो व्यक्ति सटूरह तकासुर की तिलावत खुलटूस से करेगा<br />
तो अल्ाह तआला उस से नेअमतों के बारे में सवाल<br />
नहीं करेगा जो इस दुनिया में उसके पास थीं। अगर<br />
कोई सटूरह तकासुर की तिलावत उस समय करे जब<br />
वर्षा हो रही हो तो उस की तिलावत खत् होने से<br />
पहले अल्ाह तआला उसके गुनाहों को माफ़ कर<br />
देगा। और जब कोई सटूरह तकासुर की तिलावत<br />
करता है तो आसमान में एक आवाज़ गटू ंजती है जो<br />
कहती हैतः<br />
कौन है जो इस व्यक्ति के समान अल्ाह तआला का<br />
शुक्र अदा करे।<br />
(२) इब्े बाब्वयह ने इमाम जाफ़रे साकदक़ (अ.स.) से<br />
रिवायत की है कि आप (अ.स.) ने इरशाद फ़रमायातः<br />
जो व्यक्ति सटूरह तकासुर की तिलावत अपनी वाजिब<br />
नमाज़ों में करता है तो अल्ाह तआला उसे एक सौ<br />
शहीदों का सवाब अता फ़रमाएगा और अगर अपनी<br />
मुस्हब नमाज़ों में करे तो उसे पचास शहीदों का<br />
सवाब मिलता है और वाजिब नमाज़ में पढ़ने पर<br />
मलाएका की चालीस क़तारे उसके साथ नमाज़ पढ़ती<br />
है।<br />
(३) आप (अ.स.) ने यह भी इरशाद फ़रमायातः<br />
जो व्यक्ति सोने से पहले सटूरह तकासुर की तिलावत<br />
करे तो वह सारी रात सुरक्क्षत रहेगा और जो व्यक्ति<br />
बाकी सफह न. १८ पर