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<strong>अनुम</strong>संपादकीय 1संदेश 13अंकुर काशीनाथ झा 35अजय सरवैया 26अजीत कुमार झा 26अनलकांत 30अबू सुथार 24अमरे यादव 29अिमत कुमार झा 27अयोयानाथ चौधरी 78अशोक द 36आाचरण झा 25आभाष लाभ 21आशीष अनिचहार 36उदय नारायण िसंह ‘निचकेता’ 224उमेश कुमार महतो 223एन. अरुणा 134ओमकाश झा 146कमलानद झा 69काशीकात िम "मधुप" 113कुमार मनोज कयप 76कुमार शुशा त 111कुमुद िसंह 92कृपानद झा 74कृणमोहन झा 75केदारनाथ चौधरी 71कैलाश कुमार िम 61गंगेश गुंजन 37गजे ठाकुर 103छिव झा 92िजतमोहन झा 51िजते झा 45योित 53योित काश लाल 60तूिलका 222िदगबर झा 'िदनमिण' 102देवशंकर नवीन 95देवांशु वस 238धम िवल 98धीरे ेमिषर् 99नरेश मोहन झा 137नवीन नाथ झा (नवनीत) 240नवेदु कुमार झा 138नागे झा 135िनिमष झा 141नीिलमा 140नूतन झा 144पंकज पराशर 152पा िवेदी 153परमेर कापिड़ 154पालन झा 148पीयूष ठर 155काश झा 156फुल कुमार िसंह ‘मौन’ 129ीित 159ीित ठाकुर 160ेमचद िम 161ेमशंकर िसंह 167बलभ िम 80िबनीत ठाकुर 88बी.के कणर् 89बैकुठ झा 229भरत माँझी 82भवनाथ दीपक 83भालच झा 81मनोज मुिक् त 128महाकाश 113महे मलंिगया 116महे कुमार िम 114महेश िम “िवभूित” 121मायान द िम 131िमनाथ झा 132मुखीलाल चौधरी 133मैिथलीपु दीप 124रेर िम 181रमानद झा ‘रमण‘ 173राजमोहन झा 17राजे पटेल 169राजे िवमल 170राम दयाल राकेश 22राम नारायण देव 180राम भरोस कापिड़ 'मर' 84रामलोचन ठाकुर 179रामजी चौधरी 240रामाय झा "रामरंग" िसअिभनव भातखडे 14,177रूपा धीरू 185रूपेश कुमार झा "योँथ" 186रेवती रमण लाल 184रोशन जनकपुरी 184लमी ठाकुर 112वासुदेव सुनानी 231िवानद झा 235िवनीत उपल 236िवभा रानी 232वृषेश च लाल 91शंभु कुमार िसंह 193शिक्त शेखर 191िशवसाद यादव 23शीतल झा 199शीला सुभा देवी 198शेख मोहमद शरीफ 206शैले मोहन झा 189याम सुदर "शिश" 214यामल सुमन 213ीधरम 216सिच्चदानद यादव 186सतीश च झा 188सतोष िम 187सुभाष च यादव 220सुभाष साह 219सुशांत झा 210सूयर्नाथ गोप 221िहमांशु चौधरी 41हृदय नारायण झा 42मैिथलीक मानक लेखन-शैली 241


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्संपादकीय01.01.2009मायवर,िवदेहक नव अंक (वषर् २ मास १३अंक २५) ई पिलश भऽ गेल अिछ। एिहहेतु लॉग ऑन करूhttp://www.videha.co.in ई अंकिंट फॉमर्मे सेहो अहाँक समक्ष अिछ।इंटरनेटपर मैिथलीक ारभ हम कएने रही2000 ई. मे अपन भेल एक्सीडेंट केरबाद, याहू िजयोिसटीजपर2000-2001 मे ढेर रास साइटमैिथलीमे बनेलहुँ मुदा ओ सभ ी साइटछल से िकछु िदनमे अपने िडलीट भऽजाइत छल। 5 जुलाई 2004 केँबनाओल “भालसिरक गाछ” जेwww.videha.com पर एखनो उपलधअिछ, मैिथलीक इंटरनेटपर थमउपिथितक रूपमे िवमान अिछ। फेरआएल “िवदेह” थम मैिथली पािक्षक ई-पिका www.videha.co.in पर।“िवदेह” देश-िवदेशमे रहिनहार मैिथलीभाषीक बीच िविभ कारणसँ लोकियभेल। “िवदेह” मैिथलक लेल मैिथलीसािहयक नवीन आदोलनक ारभ कएनेअिछ। िंट फॉमर्मे, ऑिडयो-िवजुअल आसूचनाक सभटा नवीनतम तकनीक ारासािहयक आदान-दानक लेखकसँ पाठकधिर करबामे हमरा सभ जुटल छी। नीकसािहयकेँ सेहो सभ फॉरमपर चार चाही,लोकसँ आ मािटसँ नेह चाही। “िवदेह”एिह कुचारकेँ तोिड़ देलक, जे मैिथलीमेलेखक आ पाठक एके छिथ।कथा,महाकाय,नाटक, एकाी आ उपयासकसंग, कला-िचकला, संगीत, पाबिन-ितहार,िमिथलाक-तीथर्,िमिथला-र, िमिथलाक-खोज आ सामािजक-आिथर्क-राजनैितकसमयापर सारगिभर्त मनन। “िवदेह” मेसंकृत आ इंिग्लश कॉलम सेहो देल गेल,कारण ई ई-पिका मैिथलक लेल अिछ,मैिथली िशक्षाक ारभ कएल गेल संकृतिशक्षाक संग। रचना लेखन आ शोध-बंधक संग पी आ मैिथली-इंिग्लशकोषक डेटाबेस देिखते-देिखते ठाढ़ भएगेल। इंटरनेट पर ई-कािशत करबाकउेय छल एकटा एहन फॉरम केरथापना जािहमे लेखक आ पाठकक बीचएकटा एहन मायम होअए जे कतहुसँचौबीसो घंटा आ सातो िदन उपलध होए।जािहमे काशनक िनयिमतता होए आजािहसँ िवतरण केर समया आ भौगोिलकदूरीक अंत भऽ जाय। फेर सूचना-ौोिगकीक क्षेमे ांितक फलवरूपएकटा नव पाठक आ लेखक वगर्क हेतु,पुरान पाठक आ लेखकक संग, फॉरमदान कएनाइ सेहो एकर उेय छ्ल।एिह हेतु दू टा काज भेल। नव अंककसंग पुरान अंक सेहो देल जा रहलअिछ। पुरान अंक pdf वरूपमेदेवनागरी, ितरहुता वा ेलमे डाउनलोडकएल जा सकैत अिछ आ जतएइंटरनेटक पीड कम छैक वा इंटरनेटमहग छैक ओतहु ाहक बड कमसमयमे ‘िवदेह’ केर पुरान अंकक फाइलडाउनलोड कए अपन कंयुटरमे सुरिक्षतरािख सकैत छिथ आ अपना सुिवधानुसारेएकरा पिढ़ सकैत छिथ। िवदेह भाषापाकरचनालेखन तंभ मे MS-SQL सवर्रआधािरत मैिथली-अंेजी आ अंेेजी-मैिथलीसचबल ऑनलाइन िडक् शनरी सेहो अिछ।एिह अ ंकसँ डॉ शभु कुमार िसंहकआलेख ितयोगी परेक्षाथक लेल शुरुकएल गेल अिछ।रंगकम मीला झा नायवृि: एिहमहवपूणर् नायवृिक संचालनक भारमैलोरंग केँ देल गेल। मीला झामेमोिरयल ट,घॲघौर आ ओकर बंधयासी ी ीनारायण झा ारा।रंगकम मीला झा नायवृिकथापना थम मिहला बाल नाय िनदशकमीला झाक मृितमे भेल अिछ। मीलाजी जीवन पयर्ंत भंिगमा, पटना संग जूिड़बाल रंगकमर् के बढ़ावा दैत रहलीह।मीलाजीक मृित मे थािपत मीला झामेमोिरयल ट, घॲघौर हुनकर बालरंगमंच मे अिवमरणीय योगदानक लेलएिह नायवृिक थापना केलक अिछ।एकर मूल मे मैिथली रंगमंच पर मिहलारंगकमक ोसाहन संग हुनकर सामािजकसमान अिछ। एिह नायवृिक संचालनकभार ट ारा लोक कलाक लेल समिपर्तसंथा मैलोरंग के दान कयल गेलअिछ। वषर् 2006 सँ िनयिमत रूप सँ ईनायवृि योित वस (िदली), रंजू झा(जनकपुर), वाित िसंह (पटना), ियंकाझा (पटना), वंदना डे (सहरसा) के दानकयल गेल छिन।वषर् 2008क लेल समूचा िमिथला(भारत+नेपाल) मे चालीस गणमायरंगकम/संकृितकम केँ नामक अनुशंसाकलेल प पठाओल गेल छलिन। ओहीअनुशंसाक आधार पर थम: मधुिमताीवातव (मधुबनी), ितीय: वंदना ठाकुर(कोलकाता), तृतीय: नेहा वम (िदली),आ चतूथर् : िवजया लमी िशवानी (पटना)अयलीह। िकछु पािरवािरक कारण सँवंदना जी एिह बेर िवतरण समारोह मेअयबा सँ असमथर् भ’ गेलीह तेँ ई मबदिल गेल आ वंदना जीक थान अिगलाबेरक लेल सुरिक्षत राखल गेल अिछ।तृतीय: िवजया लमी िशवानी : पटनािशवानीक जम दरभंगाक रिसयाड़ीगाम मे भेलिन। ई पिछला तीन साल सँलगातार मैिथली रंगमंच सँ जुड़ल छिथ।िशवानी अिरपन, भंिगमा सन िचर-पिरिचतरंग संथा सँ जुड़ल छिथ। एिह बीचअहाँ नदी गॲिगयायल जाय, िमनाक्षी, घुघ्घू,आिग धधिक रहल अिछ, से कोना हेतै ?,अलख िनरंजन आिद महवपूणर् नाटक मेअिभनय करैत अपन नीक छिव बनओलिहअिछ। मनोज मनुज, कौशल िकशोर दासआ अरिवद अू जीक िनदशन मे काजकरैत िशवानीक इच्छा छिन जे विर रंगिनदशक कुणाल जीक िनदशन मे सेहो‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्1


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्नाटक करी। विर रंगकम ेमलता िमजी सन रंगकम बनबाक िहनक मोनछिन। िवजया लमी िशवानीजीक कहबछिन जे-समकालीन समया मैिथली नाटकमे अएबाक चाही जकर एखन तक कमीअिछ। पािरजात हरण िहनकर िय नाटकछिन आ िशवानी नब तुिरया केँ कहएचाहैत छिथ जे इमानदारी सँ रंगकमर्करबाक चाही।ितीय: नेहा वम:नई िदलीनेहाक जम बेगूसरायक यू चाणक्यनगर मे भेलिन। ई बच्चे सँ रंगमंच सँजूड़ल रहलीह अिछ। नवतरंग, इटा,याीक संग कायर् करैत एखन मैलोरंगिदली सँ रंगकमर् कए रहल छिथ। नेहाअिनल पतंग, परवेज़ यूशुफ, संतोष राणा,िवजय िसंह पाल, अिभषेक, मनोज मधुकरआ काश झाक िनदशन मे नाटक केलीहअिछ। िहनका ारा कएल गेल मुखनाटक अिछ सामा-चकेवा, जट-जिटन,डोम कछ, गोरखधंधा, काठक लोक,कमल मुखी किनया, एक छल राजाआिद। आगू लगातार मैिथली रंगमंच सँजुड़ल रहबाक िहनकर इच्छा छिन।िहनकर िय नाटककार आ िनदशक महेमलंिगया छिथन आ रंजू झा (जनकपुर) कअिभनय िहनका भािवत करैत छिन।काठक लोक िय नाटक आ गितशीलसोचक संग बेसी युवा केँ होएबाक कारणमैलोरंग नेहाक मनपसंद रंग संथा छिन।अपन आमसमपर्ण आ संकारक संगरंगकमर् सँ जुड़बाक िहनकर आह छिननबका कलाकारक लेल। नेहा सी. सी.आर. टी. ारा जूिनयर कॉलिशर्प ातकएने छिथ। एखन राीय कथक केसँ कथक मे पोट िडलोमाक संगखैरागढ़ िविवालय सँ एम. ए. क’ रहलछिथ।थम:मधुिमता ीवातव: मधुबनीमधुिमताक जम मधुबनीक सूरत गंजमुहलामे भेलिन। बचपने सँ िहनका नृयआकिषर्त करैत छलिन। िवगत दस सालसँ ई मैिथली रंगमंच पर सिय छिथ।मधुबनीक इटा संग रंगकमर् करैत अहाँइटाक राय आ राीय तरक महोसवमे सेहो िशरकत कएने छी संगिह अहाँसॉंग आ ामा िडभीजन संग सेहो संबछी। मुकािभनयक लेल अहाँ इंटर कॉलेजयूथ फेटीवल-03 मे तेसर आ वषर् 06मे लोक नृयक लेल पहील थान ातकएने छी। अहाँ ओकरा आङनकबारहमासा, ओिरजनल काम, टूटल तागकएकटा ओर, छुतहा घैल, गोनूक गबाह,दुलहा पागल भ’ गेलै, िबजिलया भौजी,िबरजू-िबलटू संग कतेको िहदीक नाटककएने छी। मंचीय नाटक संग नुड़नाटक मे सेहो मधुिमता बिढ़ चिढ़ क’भाग लैत रहलीह अिछ। िझिझया, झड़नी,जट जिटन डोम कछ एहन कतेको लोकनृय, एकल अिभनय, िफम िसिरयलआिद मे अिभनय क’चुकल मधुिमता नेहरूयुवा के, एस.एस.बी संग कतेको संथासँ समािनत कयल गेल छिथ।(आकइव- पिछला अंक सभकसंपादकीय केर संिक्षत अंश)01.01.2008एिह थमांक केँ तुत करैत हमहिषर्त छी। एिह मे िमिथला पेंिटंग आसंकृत िशक्षासँ संबंिधत समीसमयाभावक कारणे निह देल जा सकल।पाठक एिह संबंिधत लेखggajendra@yahoo.co.in केँअटैचमेटक रूपमे पठा सकैत छिथ।15.01.2008एिह दोसर अंकमे 1. िमिथला पेंिटंग,2. रचना िलखबासँ पिहने छद,संकृत-मैिथलीक ज्ञान आ’ अयाय िशक्षा3. संकृत िशक्षाक आ’ 4. ‘बालानाम्कृते’ नामसँ छोट बच्चा संबंिधत सामीसिमिलत कएल जा’ रहल अिछ। जे मेलसभ ात भेल तािह मेoldmani@umainc.com,iipkarna@yahoo.com,jyotiprakash.lal@gmail.comआ’bibhutithakur2000@yahoo.com केर मेल उसाहवर्क छल आएिहमे िकछु महवपूणर् सुझाव सेहो ातभेल। ओिह आधार पर उपरोक्त िलिखतचािर तंभक अितिरक्त 5. पंजी-बंध 6.संकृत आ’ िमिथला संकृतिविवालयक ासंिगकता आ’ 7.Computers,softwares,interfacing of the old & new(restoring old photographs,songs on disks, tapes, etc) परसामीक ारभ कए देल गेलअिछ।अगला अंकसँ संगीत-िशक्षाक आरंभकएल जायत।पाठक एिह सभसँ संबंिधतआ अयाय रचना सभggajendra@yahoo.co.in केँअटैचमेटक रूपमे .doc, .txt िकंवा.pdf फॉमटमे पठाए सकैत छिथ। पिछलासाल तीन मिहना मीरािबका आ मदरइंटरनेशनलक िशक्षक-िशिक्षकाकेँ संकृतसंभाषणक िशक्षा देबाक हेतु ी अरिवदआम,नव देहली मे हमरा बजाओल गेलछल। ओिह ममे जे नोट बनओलहुँतकरे संकृत िशक्षाक अंतगर्त हम दएरहल छी।01.02.2008िवदेहक एिह अंककेँ तुत करैत हमहिषर्त छी।।एिह अंकसँ संगीत-िशक्षाकआरंभ कएल जा रहल अिछ।िवकीपीिडया पर मैिथली पर लेख तँछल मुदा मैिथलीमे लेख निह छल,कारणमैिथलीक िवकीपीिडयाक वीकृित निहभेटल छल। हम बहुत िदनसँ एिहमे लागलरही,आ’ सूिचत करैत हिषर्त छी जे27.01.2008 केँ भाषाकेँ िवकी शुरूकरबाक हेतु वीकृित भेटल छैक, मुदाएिह हेतु कमसँ कम पाँच गोटे,िविभजगहसँ एकर एिडटरक रूपमे िनयिमतरूपेँ कायर् करिथ तखने योजनाकेँ पूणर्वीकृित भेटतैक। नीचाँ िलखल िलंक परजाय एिडट कए एिह ोजेक्टमे अहाँ सभसहयोग करब, से आशा अिछ। पिछलाअंकमे देवनागरी कोना िलखू, एिह पर हमलेख िलखने रही। इंगिलश कीबोडर् परओिह तरहेँ िलखने िवकीमे सेहो मैिथलीिलिख सकैत छी। एम. गेराडर्क मायमसँी अंशुमन पाडेयक, िजनकर मैिथलीकयुनीकोडमे थानक आवेदन लंिबत अिछ,अनुरोध भेटल छल, ओ’ सूचना मँगलिह‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्2


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्जािह सँ प रूपसँ बंगला िलिप आ’मैिथली िलिपक मय अंतर ज्ञात भएसकए। ई सूचना हम एम. गेराडर्कमायमसँ हुनका पठा देिलअिह। िवकीमेपूणर् वीकृितक हेतु एिह िलंक सभ परराखल ोजेक्टकेँ आगॉं बढ़ाऊ।http://meta.wikimedia.org/wiki/Requests_for_new_languages/Wikipedia_Maithilihttp://incubator.wikimedia.org/wiki/Wp/maihttp://translatewiki.net/wiki/MediaWiki:Mainpage/maihttp://translatewiki.net/wiki/Special:Translate?task=untranslated&group=coremostused&limit=2000&language=maiअपनेक ितिया आ’ रचनाक तीक्षाअिछ।15.02.2008िवक कोन-कोनसँ ई-मेल ात भेल,आ’ हम आािदत भए गेल छी। ई पिकािबना कोनो िवलंबक सालक- साल चलैतरहत, से हम अपने लोकिनकेँ िवास दैतछी, आ’ ओ’ आबए बला काल िसकरत।िचक पौतीकेँ दू भाग कए देल गेलअिछ, िमिथलाक खोजमे िचकलाक संगपुरातवक वतु सभक आ’ दशर्नीयथान सभक संकलन अिछ। िमिथलारमे ऐितहािसक आ’ वर्मान महापुरुषकिचक दशर्नी अिछ। एिह संकलनकेँएिहना सहयोग दए बढ़ाऊ। मैिथलीमेएनीमेशनक घोर अभाव अिछ, आ’ जौँकही जे अिछये निह, तँ झूठ निह होएत।संगीत आ’ संकृत िशक्षा सेहो वयामकसामीक िबना अपूणर् लगैत अिछ। अहूदुनू िदश हमर यास शीे जायत। हमरइच्छा अिछ, जे बालानां कृतेमे देल गेलिखसाकेँ एनीमेट करी।ी गंगेश गुंजनक ईमेल आ’ मागर्िनदशन ात भेल, ओ’ अपन रचनापठएबाक आासन सेहो देलिह अिछ।िवानंद जी पीकार जी अपन िनबंधपठओने छिथ, से आब बुझना जाइत अिछजे रचनाक भरमार लागए बला अिछ।सभटा रचना उच्चतरीय रहत आ’ पिकापािक्षक आधार पर िनयिमत चलैथ रहत सेआशा करैत छी।साइटक खोज सचर् इंजन परआसानीसँ होअए तािह हेतु िकछु िवशेषयास कएल गेल अिछ। एिह संबंधमेकोनो तकनीकी सुझाव जौँ अपनेक समक्षहोअए, तँ से आमंित अिछ।अपनेक रचनाक आ’ ितियाकतीक्षामे।01.03.08पिछला पक्षमे हम दरभंगा गेल छलहुँ,अपन भतीजीक िववाहमे। ओतए िमिथलािरसचर् इंटीयुट आ’ संकृतिविवालयक मण कएलहुँ। सवर्ीभीमनाथ झा, मैिथलीपु दीप, रघुवीरमोची (अयक्ष, मैिथली अकादमी), िवनाथझा(ितकुलपित का. िस. दरभंगा संकृतिविवालय), देवनारायण यादव (अयक्ष,िमिथला िरसचर् इंटीयुट) लोकिनकदशर्नक सुअवसर ात भेल। फेरिबदेरथानसँ आँगा गौरीशंकर थान(हैंठी बाली) गेलहुँ, आ’ ओतय पालवंशकमूिर् आ’ ओिह पर िमिथलाक्षरमे िलखलअिभलेखक िच िखंचलहुँ (फोटोिमिथलाक खोज तंभमे देखू)। ई मूितर्भय अिछ, आ’ 1500 वषर् पूवर्िमिथलाक्षरक भुता देखबैत अिछ। एिहपर शोध लेख आँगाक कोनो अंकमे देलजायत। िमिथलाक इितहासमे एिह थलकेँआइसँ पिहने थान निह देल जा’ सकलछल, आ’ ईहो तय अिछ जे इितहासकिवान ी डी.एन. झा एही गामक छिथ,ओना हैठी बाली हमर मामा गाम सेहोछी।15.03.2008िवदेह ारा िकछु पुरान अलयिकताबक िडिजटलाइजेशनक कॉपरा सेहोशुरू कएल गेल अिछ। पीक कैिनंगआ’ सचर् करबा योग्य िडक् शनरी जािहमेपाठक नव-नव शद जोिड़ सकताह केरआधार िकछु मनोयोगी िवदेह कायर्कसभक ार शुरू भेल अिछ। ई सभटासभ केओ िन:शुक कए रहल छिथ आ’अपन मातृभाषाक आ’ मातृभूिमक अनुरागीहोयबाक माण दए रहल छिथ।01.04.08रचना िलखबासँ पिहने. तंभमेमैिथली अकादमी ारा िनधिरत भाषाकअंकन कएल गेल अिछ,एिहमे िवशेष वृिकएल गेल अिछ। ी उदय नारायण िसंहनिचकेता, िनदेशक, केीय भाषा संथान,मैसूर केर मेल ात भेल आ' ओ'िलखलिह जे ओ' एकरा डॉ. ी बीमिलकाजुर्नकेँ असािरत कए देलिह, जेकेीय भाषा संथान, मैसूरमे भाषाौोिगकी िवभागक अयक्ष छिथ। ीमिलकाजुर्नजीक ई-मेल सेहो ात भेलआ' ओ' िलखलिह अिछ, जे एकराकमेटीक समक्ष राखल जायत। बी.मिलकाजुर्न मैिथली टाइल मनुअलबनएबाक कायर्केँ आगाँ बढ़ा रहल छिथ।ीित ारा कला आ' िचकला तंभिचित कएल गेल अिछ।िमिथलाक रमे सािहयकारकअितिरक्त खेलकूद आ’ अयाय िवधासँसंबंिधत (संगीत, िफम, पकािरता,इितहास, संकृत आ’ अंेजी, अथर्शाी,िडलोमेट, राजनीितज्ञ आिद) िमिथलाकिवभूितक िच दिशर्त अिछ। वेबसाइटखोलला अनतर िवापितक ‘बड़ सुखसारपाओल तुअ तीरे’क वाराणसीक गंगातटपर शहनाइ पर भारत र िबिमलाहखान ारा बजाओल, आ’ तबला परिकसन महाराज आ’ वायिलन पर ीमितएन. राजम ारा बजाओल संगीत बािजउठैत अिछ। संपकर्_खोज तंभ परिमिथला आ’ मैिथलीक साइट सभकसंकलन/िलंक देल गेल अिछ।िवदेहकअपन सचर् इंिजनसँ िवदेहक नव-पुरानअंककेँ ताकल जा’ सकैत अिछ। दोसरसचर् इंिजनसँ मैिथलीक िवशेष संदभर्मेवेबकेँ तािक सकैत छी। पुरान िकताबसभक िडिजटल इमेिजंग िवदेह कॉपराकअंतगर्त करबाओल जा’ रहल अिछ। वेबसचबल िडक्शनरी जािहमे पाठक नव-नव‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्3


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्शद जोिड सकताह केर कायर् सेहो आरंभकएल गेल अिछ। मैिथलीमे बालानांकृतेकएनीमेशन सेहो शुरू कए देल गेल अिछ।पजीक िमिथलाक्षरक पक सेहो कैिनगशुरू भ’ गेल अिछ। ई सभ शीआकइवक अंतगर्त देल जायत। िवदेहकपुरान अंक सामाय pdf फॉमटमेआकइवक अंतगर्त राखल गेल अिछ।पाठक पािक्षक पिकाक pdf संकरणडाउनलोड सेहो कए सकैत छिथ। थमपृ पर देवनागरी टाइप करबाक हेतुिकछु सहयोगी िलंक देल गेल अिछ। एिहतरहक िलंक पर ऑनलाइन टाइप क’कॉपी क’ ई-मेल िकंवा वडर् डॉक्युमेंटमेपेट क’ सकैत छी।15.04.2008एिह अंकमे निचकेता अपन 25सालक चुपी तोिड़ नो एंी: मा िवशनाटक मैिथलीक पाठकक समक्ष िवदेह ई-पिकाक मायमसँ पहुँचा रहल छिथ।धारावािहक रूँपे ई नाटक िवदेहमे ई-कािशत भ’ रहल अिछ।ी गंगेश गुंजन जीक वैचािरक मंथनएिह बेर पाठकक समक्ष अिछ। अिगलाअंकसँ पाठक हुनकर किवताक वैचािरकरस ल’ सकताह। बालानां कृतेमे योितपँिजयारक लोकगाथा तुत कएल गेलअिछ।01.05.200813 मई केँ एिह बेर जानकी नवमीअिछ। एिह अवसर पर एिहसँ संबंिधतिनबंध देल जा' रहल अिछ। एिह िनबंधकलेिखका छिथ ीमित नूतन झा।बालानां कृतेमे दानवीर दधीचीकवैिदक वरूप तुत कएल गेल अिछ,अंतमे सूधारसँ ईहो कहबएलहुँ जे कोनाबादमे तथाकिथत पंिडत लोकिन ओिहकथाक बंटाधार कए देलिह।िमिथला रमे बैकाउड संगीत सेहोअिछ, आ' ई अिछ िवश् वक थमराभिक् गीत (शुक्ल यजुवद अयाय22, मं 22) जकरा िमिथलामे दूवक्षतआशीश मं सेहो कहल जाइत अिछ।'िवदेह' ई पिकाक चार सचर् इंिजनारा, गूगल आ' याहू ुप ारा, वडर्ेसआ' लॉगपॉटमे देलगेल लॉग ारा,फेसबुक, आउटलूक, माय पेस, ओरकुटआ' िचाजगतक मायमसँ कएल गेल।मुदा जखन डाटा देखलहुँ तँ आधसँ बेशीपाठक सोझे http://www.videha.co.inपता टाइप कए एिह ई-पिकाकेँ पढ़लिह।15.05.2008३ जूनकेँ एिह बेर वट सािवीअिछ। एिह अवसर पर एिहसँ संबंिधतिनबंध देल जा' रहल अिछ। एिह िनबंधकलेिखका छिथ ीमित नूतन झा।बालानां कृतेमे बिगयाक गाछ शीषर्कलोककथाकेँ योितजीक िचसँ सुसिजतकएल गेल अिछ।ी गंगेश गुंजन जीक किवतापाठकक समक्ष अिछ।िवश् वक थम राभिक् गीत (शुक्लयजुवद अयाय २२, मं २२) जकरािमिथलामे दूवक्षत आशीश मं सेहो कहलजाइत अिछ, एकर अथर् िवदेह आकइवतंभमे अिभनव रूपमे देल गेल अिछ, आ'ििफथक देल अथर्सँ एकर िभतादेखाओल गेल अिछ। बैकाउड संगीतिवापितक बड़ सुख सार तँ अिछयेपिहनेसँ।निचकेताजीक नाटक नो एंी: मािवश दोसर कलोलक दोसर खेप ई-कािशत भ’ रहल अिछ। गंगेश गुंजनजीक किवता आ िवमृत किव रामजीचौधरीक अकािशत प सेहो ई-कािशतभए रहल अिछ।एिहमे कोनो संदेह निह जे २०मशतादीमे जतेक िमिथला िवभूित भेलाहओिहमे ी रामाय झा ’रामरंग’ सवपिरछिथ। िवदेह हेतु हुनकर पठाओल संदेशकआधार पर हुनक जीवनी आ कृितकेँिवदेहक संगीत िशक्षा तंभमे पाठककसमक्ष अनबामे हमरा सभ गवर् अनुभव कएरहल छी।01.06.2008गं गेश गुंजन जीक कथा आ िवमृतकिव रामजी चौधरीक अकािशत प सेहोई-कािशत भए रहल अिछ।रवीनाथ ठाकुर सेहो हैकूिलखलिह, मुदा मैिथलीमे जापानी पिवधाक आधार पर "िवदेह" तुत कएरहल अिछ ई िवधा।15.06.2008२७ जून २००८ केँ सािहयअकादमी, नई िदलीक सभागारमे मैिथलीकिव समेलनमे अएबाक नोत िविदतजीारा भेटल, से ओतए साँझ छह बजेपहुँचलहुँ। हॉलक सभटा कुस भरल छल,हम आ कैमरामेन दू गोटे छलहुँ।नजिर घुमेलहुँ तँ एकटा कुस खालीछल, से कैमरामेनकेँ िवदा कए वयंकैमरा लए ओतए बैिस गेलहुँ।अमरनाथ माइक पकिड़ घोषणाउोषणा कए रहल छलाह, लागल जेनाअशोक चधर िहदी छोिड़ मैिथली बािजरहल छिथ। सभसँ पिहने संजीव तमाजीकेँ काय-पाठक लेल बजाओल गेल।ओ “पीयर पोटकार्” शीषर्क किवताकपाठ कएलिह। तािह पर उोषक टीपदेलिखह जे एिह मोबाइलक युगमेपोटकाडर्क एतेक चरचा पर डाक िवभागहुनका धयवाद देतिह। फेर उोषणा‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्4


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्भेल जे पंकज पराशरजी अपन किवताकपाठ करताह, मुदा ओ तावत धिर पहुँचलनिह छलाह, मुदा वीिडयोमे बादमे देखलहुँजे ओ आयल रहिथ, मुदा ायः कतहुएहर-ओहर चिल गेल रहिथ।कािमनी कामायनीकेँ गाम मोनपड़लिह आ िवथािपत लोक सेहो।कहलिखह जे ओ किवता निह िलखैतछिथ, िहदी ग िलखैत छिथ। हुनकाएतए अएबाक छलिह दू टा िकताबकलोकापर्ण करबाक हेतु, मैिथलीमे“इितहास” दशर्न- लेिखका वीणा ठाकुरआ िहदीमे के.बी. सादक “दुयधन केरहते कहॴ महाभारत रुका है” पसंहक।से रमण कुमार िसंहजी केँ बजाओल गेल।ओड होममे वृ आ एना िकएक होइतछैक लोक शीषर्क प सुनओलिह रमणजी।फेर ीमित सुनीता झाकेँ जेिपाठी जीक िवशेष अनुरोध पर बजाओलगेल।ओ अपन किवता िनवेदन िमिथला आभारत देश महान पर सुनओलिह। संगेईहो कहलीह जे ई थम अवसर छिहहुनका लेल मंच पर प पाठ करबाक।फेर मंजर सुलेमान पढ़लिह, मोनपड़ैत अिछ गाम, आ अिवनाशजी पढ़लिहिवापित मृितसमारोहक उपलक्षमे दू टा किवता- ईहुनकर लॉग पर सेहो बहुत िदनसँ अिछ।िबलट पासवान ’िवहंगम’ जी जौँ पुछूतँ सभसँ बेशी भावी रहिथ, कारण ओदेिख कए निह पढ़लिह।तावत प कज पराशर जी आिब गेलछलाह, आ ओ “समयकेँ अकानैत” जेहुनकर पिहल प संह छिह, सँ ”हमपिरनाम िनरासा’ शीषर्क प पढ़लिह।हुनका एक बेर फेर आबय पड़लिहिवहंगमजीक िवशेष अनुरोध पर “महापा”शीषर्क रचना पढ़बाक लेल। ’िवदेह’ केरएिह अंकसँ ’समय केँ अकानैत’ पोथीकसमीक्षा/ पिरचय देल जा रहल अिछ।धीरे कुमार िम महोदय एकटाप पढ़लिह, दोसर पक सवर पाठकरबाक <strong>अनुम</strong>ित माँिग रहल छलाह, मुदाउोषक जी समयाभावक कारणेँ से<strong>अनुम</strong>ित निह देलिखह आ भात झा,मय देशसँ रायसभा सांसद, मुख्यअितिथकेँ प पाठक लेल आमंणदेलिह। मुदा ओ तावत धिर पहुँचल निहछलाह, बादमे जखन पहुँचलाह तँफेर देवशंकर नवीन जी अएलाह। ओिहदी, मैिथली आ अय भाषाक किवसमेलनक चचर् कएलिह आ कहलिह जेएतेक बेशी माामे ोता-दशर्कक उपिथितिवलक्षण अिछ, कारण पिहने जे ओ िविभदेशमे एिह तरहक आयोजन कएने रहिथओतए संथा अपन दस टा लोककेँ बैसाकए कुरसी भड़ैत छल। भात झा जाधिरपहुँिचतिथ तावत रमण कुमार िसंह आअिवनाश जीकेँ दोसर राउडक लेलबजाओल गेल।फेर िविदत जी प पाठक लेलपहुँचलाह, मुदा यावत शुरू किरतिथ तावतभात झाजी आिब गेलाह से ओ उतिरकए हुनकर वागत कएलिह। िविदत जीमैिथलीमे दैिनक ’मैिथली समाद’ केरकोलकातासँताराकात झा ारा अगतसँ शुरूकएल जएबाक शुभ सूचना सेहो देलिहआ प पाठ सेहो कएलिह।‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्5


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्फेर भात जी अपन संमरणसुनओलिह आ दुनू पुतकक लोपापर्णभेल।िचकार सिचनाथ झा ारा ीभात झा आ ी िविदत जीकेँ िवापितकिच दान कएल गेल, एिह िचमेबैकाउडमे िमिथला िचकलाक योग सेहोदेल गेल छल। िविदत जी स छलाहएिह सफल आयोजनसँ, जखन हम बधाइदेिलयिह तँ कहलिह जे मैिथली आबरोड पर आयत, कोठलीमे निह रहत।01.07.2008ी मौन जी, मैिथलीपु दीप, ीसुभाषच यादव, ी पालन झा आ ीआाचरण झा जीक रचना सेहो ई-कािशत कएल गेल अिछ।ी मायानद जीक इटरयू लेलिही डॉ. िशवसाद यादव। तकर पिहलभाग सेहो तुत अिछ।शेष थायी तंभ यथावत अिछ।15.07.2008एिह अंकमे निचकेताजीक नाटक नोएंी: मा िवश अितम खेप ई-कािशतभ’ रहल अिछ। गं गेश गुंजन जीक पआ िवमृत किव रामजी चौधरीकअकािशत प सेहो ई-कािशत भए रहलअिछ। ी मौन जी, मैिथलीपु दीप, ीपालन झा ी पंकज पराशर आ परमेय ी ेमशंकर िसंहजीक रचना सेहोई-कािशत कएल गेल अिछ।ी मायानद जीक इटरयू लेलिही डॉ. िशवसाद यादव। तकर दोसरभाग सेहो तुत अिछ।नेपाल १ टी.वीक मैिथली कायर्मकिवषयमे िववरण दए रहल छिथ िजतेजीआ भिक्त-गीत तुत कएने छिथिजतमोहनजी।योितजी प, बालानांकृते केरदेवीजी शृंखला, बालानांकृते लेल िचकलाआ सहबाढ़िनक अंेजी अनुवाद तुतकएने छिथ।01.08.2008एिह अंकसँ ी ग गेश गुंजन जीकग-प िमित "राधा" जे िक मैिथलीसािहयक एकटा नव कीितर्मान िस होएतशुरू भए रहल अिछ, "िवदेह" मे पिहलखेप पढ़ू। िवमृत किव रामजी चौधरीकअकािशत प सेहो ई-कािशत भए रहलअिछ। ी मौन जी, ी पंकज पराशर,ी सुशात, काश, योितकाश लाल,िजतमोहन, िवनीत उपल शैले मोहन झाआ परम ेय ी ेमशंकर िसंहजीकरचना सेहो ई-कािशत कएल गेलअिछ।एिह अंकमे निचकेताजीक टटकािलखल किवता सेहो ई-कािशत भए रहलअिछ।मैिथली िरपोतजक नव िवधाक ारभकए रहल छिथ पुयधाम जनकपुरधामकयुवा पकार ी िजते झा।ी हिरमोहन झाजीक सपूणर् रचनासंसारक अवलोकन सेहो शुरू भए रहलअिछ।योितजी प, बालानांकृते केरदेवीजी शृंखला, बालानांकृते लेल िचकलाआ सहबाढ़िनक अंेजी अनुवाद तुतकएने छिथ।15.08.2008िमिथलाक धरती बािढ़क िवभीिषकासँआइ काि जूिझ रहल अिछ।कुशेरथान िदसुका क्षे तँ िबन बािढ़कबरखाक समयमये डूमल रहैत अिछ। मुदाई िथित १९७८-७९ केर बादक छी।पिहने ओ क्षे पूणर् रूपसँ उपजाऊ छल,मुदा भारतमे तटबधक अिनयितिनमणक संग पािनक जमाव ओतए शुरूभए गेल। मुदा ओिह क्षेक बािढ़क कोनोसमाचार किहयो निह अबैत अिछ, किहयोअिबतो रहए तँ मा ई दुचार जे ईसभटा पािन नेपालसँ छोड़ल गेल पािनकजमाव अिछ। ओतुा लोक एिह नवसंकटसँ लड़बाक कला सीिख गेलाह।हमरा मोन अिछ ओ दृय जखनकुशेरथानसँ मिहषी उताराथानजएबाक लेल हमरा बािढ़क समयमेअएबाक लेल कहल गेल छल कारण ओिहसमयमे नाओसँ गेनाइ सरल अिछ, ईकहल गेल। रुख समयमे खा, चभच्चामेनाओ निह चिल पबैत अिछ आ सड़ककहाल तँ पुछू जुिन। फिसलक वरूपमेपिरवतर्न भेल, मय-पालन जेना तेना कएई क्षे जबरदतीक एकटा जीवन-कलािसखलक। कौिशकी महारानीक एिह बेरककोप ओिह दुचारकेँ खतम कए पाओतआिक निह से निह जािन!पिहने हमरा सभ ई देखी जे कोशीआ गंडकपर जे दू टा बैराज नेपालमेअिछ ओकर िनयण ककरा लग अिछ।ई िनयण अिछ िबहार सरकारक जलसंसाधन िवभागक लग आ एतए िबहारसरकारक अिभयतागणक िनयण छिह।पािन छोड़बाक िनणर्य िबहार सरकारकजल संसाधन िवभागक हाथमे अिछ।नेपालक हाथमे पािन छोड़बाक अिधकारतखन आएत जखन ओतुा आन धार परबाह/ छहर बनत, मुदा से ५० सालसँऊपर भेलाक बादो दुनू देशक बीचमे कोनोसहमितक अछैत सभव निह भए सकल।िकएक?‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्6


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्सामियक घटनाम- कोशीपरभीमनगर बैरेज, कुशहा, नेपालमे अिछ।१९५८ मे बनल एिह छहरक जीवन ३०बरख िनधिरत छल, जे १९८८ मे बीितगेल। दुनू देशक बीचमे कोनो सहमितिकएक निह बिन पाओल? छहरक बीचमेजे रेत जमा भए जाइत अिछ, तकरा सभसाल हटाओल जाइत अिछ। कारण ईनिह कएलासँ ओकर बीचमे ऊंचाई बढ़ैतजाएत, तखन सभ साल बाधक ऊँचाईबढ़ाबए पड़त। एिह साल ई कायर् समयसँिकएक निह शुरू भेल? फेर शुरू भेलबरखा, १८ अगतकेँ कोशी बाधमे २मीटर दरािर आिब गेल। १९८७ ई.कबािढ़ हम आँिखसँ देखने छी। झंझारपुरबाध लग पािन झझा देलक, ओवरलोभए गेल एक ठामसँ, आ आँिखक सोझाँहम देखलहुँ जे कोना तकर बाद १मीटरक कटाव िकलोमीटरमे बदिल जाइतअिछ। २७-२८ अगत २००८ धिरभीमनगर बैरेजक ई कटाव २ िकलोमीटरभए चुकल अिछ। आ ई करण भेलकोशीक अपन मुख्य धारसँ हिट कएएकटा नव धार पकड़बाक आ नेपालकिमिथलांचलक संग िबहारक िमिथलांचलकेँतहस नहस करबाक। नासाक ८ अगत२००८ आ २४ अगत २००८ केर िचकौिशकीक नव आ पुरान धारक बीच२०० िकलोमीटरक दूरी देखा रहलअिछ। भीमनगर बैरेज आब एकटाकोशीक सहायक धारक ऊपर बनल बैरेजबिन गेल।राीय आपदा: जािह रायमे आपदाअबैत अिछ, से केसँ सहायताक आहकरैत अिछ। केीय मंीक टीम ओिहरायक दौरा करैत अिछ आ अपन िरपोटर्दैत अिछ जािहपर केीय मंीक एकटादोसर टीम िनणर्य करैत अिछ, आ ओटीम िनणर्य करैत अिछ जे ई आपदाराीय आपदा अिछ वा निह। िबहारकराजनीितज्ञ अपन पचास सालक िवफलतािबसिर जखन एक दोसराक ऊपर आक्षेपमेलागल छलाह, मनमोहन िसंह मंीकधानक रूपमे दौरा कए एकरा राीयआपदा घोिषत कएलिह। कारण ई लेवल-३ केर आपदा अिछ आ ई सबिधतरायक लेल असगरे, निह तँ िवकिलहाजसँ आ निहए राहतक यवथाकसक्षमताक िहसाबसँ, एिहसँ पार पाएबसंभव अिछ। आब राीय आकिमकआपदा कोषसँ सहायता देल जाऽ रहलअिछ, िकसानक ऋण-माफी सेहो सभवअिछ।उपाय की हो? कुशेर्र थानकआपदा सभ-साल अबैछ, से सभ ओकरािबसिरए जेकाँ गेलाह। मुदा आब की हो?दामोदर घाटीक आ मयूराक्षी पिरयोजनाजेकाँ कायर् कोशी, कमला, भुतही बलान,गंडक, बूढ़ी गंडक आ बागमतीपर िकएकसभव निह भेल? िवेरैयाक वृदावनडैम िकएक सफल अिछ। नेपालसरकारपर दोषारोपण कए हमरा सभकिहया धिर जनताकेँ ठकैत रहब। एकरएकमा उपाए अिछ बड़का यंसँ कमला-बलान आिदक ऊपर जे मािटक बाधबाहल गेल अिछ तकरा तोिड़ कए हटाएबआ कच्चा नहिरक बदला पा नहिरकिनमण। नेपाल सरकारसँ वात आ विरतसमाधान। आ जा धिर ई निह होइत अिछतावत जे अपकािलक उपाय अिछ, जेनाबरखा आबएसँ पिहने बाहक बीचक रेतकेँहटाएब, बरखाक अएबाक बाट तकबाकबदला िकछु पिहनिह बाहक मरमितककायर् करब। आ एिह सभमे राजनीितकमहवाकांक्षाकेँ दूर राखब। कोशीकेँ पुरानपथपर अनबाक हेतु कैकटा बाह बनाबएपड़त आ ओ सभ एकर समाधान किहओनिह बिन सकत।कमला धारनहिरसँ लाभ हािन- एक तँ कच्चीनहिर आ ताहूपर मूलभूत िडजाइनकसमया, एकटा उदाहरण पयत होएतजेना-तेना बनाओल पिरयोजना सभक।कमलाक धारसँ िनकालल पछबारी कातकमुख्य नहिर जयनगरसँ उमराँव- पूवर्सँपछबारी िदशामे अिछ। मुदा ओतए धरतीकढ़लान उरसँ दिक्षण िदशामे अिछ।बरखाक समयमे एकर पिरणाम की होएतआिक की होइत अिछ? ई बाह बिनजाइत अिछ आ एकर उरमे पािनथकमका जाइत अिछ। सभ साल एिहनहर रूपी बाहसँ पटौनी होए वा निहएकर उतरबिरया कातक फिसल िनितरूपेण डुमबे टा करैत अिछ। फलनाबाबूक जमीन नहिरमे निञ चिल जाए सेनहिरक िदशा बदिल देल जाइत अिछ!कमला नदीपर १९६० ई. मेजयनगरसँ झंझारपुर धिर छहरक िनमणभेल आ एिहसँ सपूणर् क्षेक िवनाशलीलाकारभ सेहो भए गेल। झंझारपुरसँ आगाँकक्षेक की हाल भेल से तँ हम कुशेरकवणर्न कए दए चुकल छी। मधेपुर,घनयामपुर, िसंिघया एिह सभक िखसाकुशेरसँ िभ निह अिछ। कमला-बलानक दुनू छहरक बीच जेना-जेना रेतभरैत गेल तािह कारणेँ एिह तटबधकिनमणक बीस सालक भीतर सभ िकछुतहस-नहस भए गेल। कमला धार जेबलानमे िपपराघाटमे १९५४ मे िमिलगेलीह, िहमालयसँ बिह कए कोनो पैघलड़क अवरोधक कारण। आब हाल ईअिछ जे दस घटामे पािनक जलतर एिहधारमे २ मीटरसँ बेशी तक बिढ़ जाइतअिछ। १९६५ ई.सँ बाह/ छहरक बीचमेरेत एतेक भिर गेल जे एकर ऊँचाइबढ़ेबाक आवयकता भए गेल आ ई माँगशुरू भए गेल जे बाह/ छहरकेँ तोिड़ देलजाए!कूल कॊलेजमे छुी गम ताितलकबदलामे बािढ़क समय देबामे कोन हजर्अिछ, ई िनणर्य कोन तरहेँ किठन अिछ?विर सािहयकार वैकुठ झाजीकप सेहो अिछ। किव रामजी चौधरीकअकािशत प सेहो ई-कािशत भए रहलअिछ। ी कैलाश कुमार िम जीक"यायावरी", िमनाथ झा जीक प, नूतनजीक चौठच पूजापर लेख, याम सुदरशिश आ कुमार मनोज कयपक लघु-कथाआ ी शभू कुमार िस हक आ अनलकातजीक कथा सेहो अिछ। ी शभू कुमारिस ह जीक प सेहो ई-कािशत भऽ रहलअिछ। बी.के कणर्क िमिथलाक िवकासपरलेख, ी ओमकाश जीक लेख., ी मौनजी, ी पंकज पराशर, ी सुशात,काश, िजतमोहन, िवनीत उपल शैलेमोहन झा आ परम ेय ी ेमशंकर‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्7


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्िसंहजीक रचना सेहो ई-कािशत कएलगेल अिछ।मैिथली िरपोतज िलखने छिथपुयधाम जनकपुरधामक युवा पकार ीिजते झा संगमे योितजी सेहो लंदनसँिरपोतज पठेने छिथ।ी हिरमोहन झाजीक सपूणर् रचनासंसारक अवलोकन सेहो आगाँ बढ़लअिछ।योितजी प, बालानांकृते केरदेवीजी शृंखला, बालानांकृते लेल िचकलाआ सहबाढ़िनक अंेजी अनुवाद तुतकएने छिथ।पोथी समीक्षा:बाँकी अिछ हमर दूधक कजर्- एिहनामसँ १० टा गीतक संह लए ीिबनीत ठाकुर- िशक्षक, गित आदशर् ई.कूल, लगनखेल, लिलतपुर तुत भेलछिथ। ई एिह शतादीक पिहल पोथी छीजे देवनागरीक संग िमिथलाक्षरमे सेहोआयल अिछ, आ एकरा हम अंशुमनपाडेयकेँ पठा देिलयिह, यूनीकोडकमैिपंगक लेल, कारण िवनीतजी हमरा एिहपोथीकेँ ई-मेलसँ पठेबाक <strong>अनुम</strong>ित देनेछिथ, तािह लेल हुनका धयवाद।“भरल नोरमे” शीषर्क पमे कीसुतलासँ भेटलै अिछ ककरो अिधकार आ“गाम नगरमे”- लोकतंमे अपन अिधकारलऽ कऽ रहत मधेसी, ई घोषणा छिहकिवक तँ “कोरो आ पािढ़’मे गरीबछोिड़कऽ के बुझतै गरीबीके मािर- ई किहकिव अपन आिथर्क िचतन सेहो सोझाँरखैत छिथ। चहुँिदश अमलमे जलकिवनाशपर–मुिकलेसँ सुनी िचिड़याके िचहुं-िचहुं- किह किव अपन पयवरण िचतनसोझाँ रखैत छिथ। “जे करिथ घोटाला”मे ाचारपर आ “जाइतक टुकड़ी”मेजाित थापर किव िनमर्मतासँ चोट करैतछिथ तँ “बेटीक भाग्यिवधान”मे किवकभावना उफानपर अिछ। “कयुटरकदुिनया” आ “अरेिजया” मे किवसामियकताकेँ निह िबसरल छिथ तँअितम प “ताल िमसरी” मे वरकसासुर ेम कनेक यंग्यामक सुरमे किवकिह अपन एिह क्षेमे सेहो दक्ष होएबाकमाण दैत छिथ। ओना तँ किवक ईथम कािशत कृित छिह, मुदा किवजािह लय सँ किवता कएने छिथ ओअभूतपूवर् रूपेँ शंसनीय अिछ।01.09.2008कोशी:कोशीक पािन माउट एवेरेट,कंचनजंघा आ गौरी-शंकर िशखर आमकालू पवर्तृंखलासँ अबैत अिछ।नेपालमे सतकोशी, जािहमे इावती,सुनकोसी (भोट कोसी), तांबा कोसी, िलक्षुकोसी, दूध कोसी, अरुण कोसी आ तामरकोसी सिमिलत अिछ।एिहमे इावती, सुनकोसी, तांबाकोसी, िलक्षु कोसी आ दूध कोसी िमिलकए सुनकोसीक िनमण करैत अिछ आ ईमोटा-मोटी पिच्छमसँ पूवर् िदशामे बहैतअिछ, एकर शाखा सभ मोटा-मोटी उरसँदिक्षण िदशामे बहैत अिछ। ई पाँचू धारगौरी शंकर िशखर आ मकालूपवर्तृंखलाक पािन अनैत अिछ।अरुणकोसी माउट एवेरेट(सगरमाथा) क्षेसँ पािन हण करैतअिछ। ई धार मोटा-मोटी उर-दिक्षणिदशामे बहैत अिछ।तामर कोसी मोटा-मोटी पूबसँ पिच्छमिदशामे बहैत अिछ आ अपन पािनकंचनजंघा पवर्त ृंखलासँ पबैत अिछ।आब ई तीनू शाखा सुनकोसी,अरुणकोसी आ तामरकोसी धनकुािजलाक िवेणी थानपर िमिल सतकोसीबिन जाइत छिथ। एतएसँ १० िकलोमीटरबाद चतरा थान अबैत अिछ जतएमहाकोसी, सतकोसी वा कोसी मैदानीधरातलपर अबैत छिथ। आब उरदिक्षणमे चलैत ायः ५० िकलोमीटरनेपालमे रहला उर कोसी हनुमाननगर-भीमनगर लग भारतमे वेश करैत छिथआ कनेक दिक्षण-पिच्छम रुिख केलाकबाद दिक्षण-पूवर् आ पिच्छम-पूवर् िदशा लैतअिछ आ भारतमे लगभग १३० िकमी.चललाक बाद कुरसेला लग गंगामे िमिलजाइत छिथ। कोसीमे बागमती आकमलाक धार सेहो सहरसा- दरभंगा-पूिणर्या िजलाक संगमपर िमिल जाइतअिछ।कोसीपर पिहल बाह १२म शतादीमेलमण ितीय ारा बनाओल वीर-बाँध छलजकर अवशेष भीमनगरक दिक्षणमे एखनोअिछ।भीमनगर लग बैराजक िनमणक संगेपूव कोसी तटबध सेहो बिन गेल आ पूवकोसी नहिर सेहो।कुँअर सेन आयोग १९६६ ई. मेकोसी िनयणक लेल भीमनगरसँ २३िकमी. नीचाँ डगमारा बैराजक योजनाकताव देलक जे वाद-िववाद आराजनीितमे ओझरा गेल। एिह बैराजसँ दूफायदा छल। एक तँ भीमनगर बैरेजकजीवन-कालाविध समात भेलापर ई बैरेजकाज अिबतए, दोसर एिहसँ उर-देशसँअसम धिर जल पिरवहन िवकिसत भऽजाइत जािहसँ उर िबहारकेँ बड़ फायदाहोइतए। मुदा एिह बैरेज िनमण लेल पाइआवंटन केीय िसंचाई मंी डॉके.एल.राव निह देलिखह। पिमी कोसीनहिर एकर िवकप रूपमे जेना तेनामथर गित सँ शुरू भेल मुदा एखनो धिरओिहमे काज भइये रहल अिछ।मुदा कोसी लेल ई निह भऽ सकल।िवचार आएल तँ योजना अवीकृत भएगेल। जतेक िदनमे कायर् पूरा हेबाक छलततेक िदन िववाद होइत रहल, डगमाराबैराजक योजनाक बदलामे सता योजनाकेँवीकृित भेटल मुदा सेहो पूणर् हेबाक बाटेतािक रहल अिछ!िवेरैया पड़ैत छिथ मोन:हैदराबादसँ ८२ माइल दूर मूसी आ ईसीधारपर बाह बनाओल गेल आ नगरसँ६.५ माइलक दूरीपर मूसी धारक उपधाराबनाओल गेल। संगिह धारक दुनू िदसनगरमे तटबध बनाओल गेल। कृणराजसागर बाहक हुनकर तािवत १३० फुटऊँच बनेबाक योजना मैसूर राय ाराअंेजकेँ पठाओल गेल तँ वायसरायहािडर्ंज ओकरा घटा कए ८० फीट कएदेलिह। िवेशरैया िनचुलका भागकचौड़ाई बढ़ा कए ई कमी पूरा कएलेलिह। बीचेमे बािढ़ आिब गेल तँ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्8


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्अितिरक्त मजदूर लगा कए आमलेिरयात आ आन रोगत मजदूरकइलाज लए डॉक्टर बहाली कए, राितमेवािशंगटन लैप लगा कए आ यिक्तगतिनगरानी ारा केलिह। देशभक्त तेहनछलाह जे सीमेट आयात निह कएलिहवरन् वालु, कैिसयम पाथर आ पाकलईटाक बुकनी िमला कए िनिमर्त सुरखीसँएिह बाहक िनमण कएलिह। बाहिनमणसँ पिहनिह ितरीय नहिरक िनमणकए लेल गेल।िदली अिछ दूर एखनो! धानमंीआपदा कोष आ मुख्यमंी आपदा कोषकअितिरक्त वयंसेवी संगठन सभक कोषमेसेहो िदलीवासी अपन अनुदान दए सकैतछिथ। मुदा दीघर् सूी काज होएत िनिबदुपर िदलीमे के सरकारपर दवाबबनाएब।१. कूल कॊलेजमे गम ताितलकबदलामे बािढ़क समय छुी देबामे कोनहजर् अिछ, ई िनणर्य कोन तरहेँ किठनअिछ? सी.बी एस.ई आ आइ.सी.एस.ई. तँछोड़ू िबहार बोडर् धिर ई निह कएसकल। िदलीवासी सी.बी एस.ई आआइ.सी.एस.ई.सँ एिह तरहक कायवयनकराबी तँ लाजे िबहार बोडर् ओकरा लागूकए देत।२. भारतमे डगमारा बैराजकयोजनाक ारभ कएल जाए कारणभीमनगर बैरेज अपन जीवन-कालाविध पूणर्कए लेने अिछ। एिहमे फड रेलवे आसड़क दुनू मंालयसँ लेल जाए कारणएिहपर रेल आ सड़क सेहो बिन सकैछ/आ बनबाक चाही।३. बैरेज बनबाक कालविधयेमे पीनहिर धरातलक लोपक अनुसारे बनाओलजाए।४. कच्ची बाह सभकेँ तोिड़ कएहटा देल जाए आ पी बाहकेँ मोटोरेबलबनाओल जाए, बाहक दुनू कात पयतगाछ-वृक्ष लगाओल जाए।५. िबहारमे सड़क पिरयोजना जेनावक सय होए जेना देिख पिर रहलअिछ, तिहना सभ िव-बाधा हटा कएयु-तरपर काज एिह सभपर कायर् शुरूकएल जाए।उपरोक्त िबदु सभपर िदलीमे लॉबीबना कए के सरकारपर/ मंालयपरदवाब बनाएब तखने िबहार अपन नव छिवबना सकत। १२म शतादीमे शुरू कएलबाह तखने पूणर् होएत आ धारसभमनुक्खक सेिवका बिन सकत।ी रामभरोस कापिड़ मरजीक कोसीबािढ़पर िनबध आ कोसीक बािढ़पर व.राजकमल ारा िलिखत कथा अपरािजतादेल गेल अिच्ह।ी गं गेश गुंजन जीक ग-पिमित "राधा" जे िक मैिथली सािहयकएकटा नव कीितर्मान िस होएत, केरदोसर खेप पढ़ू संगमे हुनकर िवचार-िटपणी सेहो। किव रामजी चौधरीकअकािशत प सेहो ई-कािशत भए रहलअिछ। ी कैलाश कुमार िम जीक"यायावरी", अंकुर झा जीक प, यामसुदर शिशक िरपोतज आ कुमार मनोजकयपक लघु-कथा आ ी शभू कुमारिस हक कथा-िनबध सेहो अिछ। बी.केकणर्क िमिथलाक िवकासपर लेख, ीपंकज पराशर, िजतमोहन, िवनीत उपल,नवेदु कुमार झा आ परम ेय ीेमशंकर िसंहजीक रचना सेहो ई-कािशतकएल गेल अिछ। गुँजन जीक गजल आ'िवचार िटपणी सेहो अिछ।ी राजकमल चौधरीक रचनाकिववेचन कए रहल छिथ ी देवशंकरनवीन जी। उदाहरण आ नो एी: मािवश पर समीक्षा देल गेल अिछ।योितजी प, बालानांकृते केरदेवीजी शृंखला, बालानांकृते लेल िचकलाआ सहबाढ़िनक अंेजी अनुवाद तुतकएने छिथ।गोपेशजी वगय भए गेलाह हुनकरसंमरण हम िलखने छी प तंभमे,संगमे देने छी हुनकर एकटा प सेहो।15.09.2008ी गं गेश गुंजन जीक ग-पिमित "राधा" जे िक मैिथली सािहयकएकटा नव कीितर्मान िस होएत, केरदोसर खेप पढ़ू संगमे हुनकर िवचार-िटपणी सेहो। सुभाष च यादव जीककथा, कुमार मनोज कयपक लघु-कथा,महेश िम "िवभूित"-ी पंकज पराशर-िवनीत उपल- यामल जीक प आेमशंकर िसंह, मौनजी, िजतमोहन,ओमकाश, शिक्त-शेखर, नूतन झा जीकरचना सेहो ई-कािशत कएल गेलअिछ।ी राजकमल चौधरीक रचनाकिववेचन कए रहल छिथ ी देवशंकरनवीन जी।योितजी प, बालानांकृते केरदेवीजी शृंखला, बालानांकृते लेल िचकलाआ सहबाढ़िनक अंेजी अनुवाद तुतकएने छिथ।01.10.2008जीन मेरी गुताव ली क्लािजयो(1940-)केँ एिह सालक सािहयक ८लाख १५ हजार पॱडक सािहयक नोबलपुरकारसँ समािनत कएल जएबाक घोषणाभेल अिछ। मानवतापर राज कए रहलसयतासँ नीचाँ आ आगू जाऽ कएदेखबाक वृि छिह क्लािजयोक। यू-िडपाचर्सर्, पोएिटक एडवेंचर आ सेंसुअलएक्सटेसीक लेखक छिथ क्लािजयो।ली क्लािजयो मूलतः ांसीसी भाषाकउपयासकार छिथ, ओना िहनकर िपताअंेज आ माता ांसीसी छिथह, दुनू गोटेमारीशससँ सबिधत। आ क्लािजयोनाइजीिरयाक समुी याासँ नेनपनिहमेसािहियक जीवनक ारभ कएलिह।१९६३ ई. मे िहनकर पिहल उपयासकािशत भेल जे आधुिनक समाजक ितएक तरहक िवोह छल। ेंच लेखकसभमे क्लािजयो वीकृत निह भऽ सकलाहआ एखन ओ यू मेिक्सकोमे रहैत छिथ।थडर् वडर्क नजिरसँ देखब िहनकररचनाक एकटा िविशता छिह।मारीशसक उपयासकार अिभमयु उनुथकआ तािह ममे रामायणक चरचा सेहोक्लािजयो करैत छिथ।िहनकर पिहल उपयास ले-ोसेस-वबर्ल- द इनटेरोगेशन (जांचक पूछताछ)‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्9


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्१९६३ ई. मे आयल जे अितववादकबादक समयक उपयास छल। िदन-ितिदनक भाषणबाजीक बदला सयताकेँदेखबय बला शिक्त ओ शद सभकेँदेलिह। फेर आयल हुनकर दू टा कथासंह ला-फीवर आ ला-देयूज, एिह दुनूसंहमे पााय नगरक समया आओतुा डरक यथाथर् िचण भेल अिछ।टेरा-अमाटामे हुनकर पारिथितकी-तंसँजुड़ाव प अिछ तँ डेजटर्सँ ओउपयासकारक रूपमे थािपत होइत छिथ,एिहमे ओ उर अीकाक लुत होइतसंकृितक िचण करैत छिथ। क्लािजयोदाशर्िनक लेख सेहो िलखने छिथ आ बच्चालोकिनक लेल लुलाबी सेहो। अमेिरकीसािहय जािह कारेँ अनुवादसँ दूर आअपनामे मग्न भऽ गेल अिछ सएह कारणअिछ िफिलप रॉथक एिह रेसमे हाइपकरूपमे शािमल होएबाक बावजूद पाछू छूिटजएबाक। अथर्शामे अमेिरकाकमोनोपोलीक िवपरीतक ई सािहयक क्षेकघटनाम अिछ।एिह अंकमे:ी ग ंगेश गुंजन जीक ग-पिमित "राधा" जे िक मैिथली सािहयकएकटा नव कीितर्मान िस होएत, केरपाँचम खेप पढ़ू संगमे हुनकर िवचार-िटपणी सेहो। सुभाष च यादव आ िवभारानी जीक कथा, महेश िम "िवभूित"-ीपंकज पराशर- िवनीत उपल- यामलजीक प आ ेमशंकर िसंह, मौनजी,िजतमोहन, काश झा, ओमकाश जीकरचना सेहो ई-कािशत कएल गेलअिछ।ी राजकमल चौधरीक रचनाकिववेचन कए रहल छिथ ी देवशंकरनवीन जी। सुभाषच यादव जी पर ीमहाकाश िलिख रहल छिथ। िजते झा,नवेदु आ ीितक िरपोतज छिह तँ युवाितभा अंशुमालाक िवषयमे िलखने छिथिजते।योितजी प, बालानांकृते केरदेवीजी शृंखला, बालानांकृते लेल िचकलाआ सहबाढ़िनक अंेजी अनुवाद तुतकएने छिथ।मधुप जीक "घसल अठी" आतारानद िवयोगी जीक "मूलभूत" केरअ ेजी अनुवाद सेहो तुत कएल गेलअिछ।15.10.2008पिहल कीितर्नारायण िम समान किवहरेकृण झाकेँ ११.११.२००८ केँ िवापितपवर्क अवसरपर देल जएतिह। एिह बेरकयाी चेतना पुरकार ी मेर झाकेँभेटलिह।कीितर्नारायण िमक जम १७ जुलाई१९३७ ई. केँ ाम शोकहारा (बरौनी),िजला बेगूसरायमे भेलिह। हुनकरकािशत कृित अिछ सीमात, हम तवननिह िलखब (किवता संह)। आखरपिकाक लधित सपादक।मंेर झा-जम ६ जनवरी १९४४ई.ाम-लालगंज, िजला-मधुबनीमे। कािशतकृित: खािध, अिचनहार गाम, बहसलराितक इजोत (किवता संह); एक बटे दू(कथा संह), ओझा लेखे गाम बताह(लिलत िनबध)। मैिथली कथा संहकिहदी अनुवाद “कुंडली” नामसँ कािशत।िद फूस पैराडाइज (अंेजीमे लिलतिनबध), कतेक डािर पर।हरेकृण झा, जम १० जुलाई१९५० ई. गाम- कोइलखमे। अिभयंणकअययण छोिड़ माक्सर्वादी राजनीितमेसिय। अनेक किवता आ आलोचनामकिनबध कािशत। अनुवाद एवं िवकासिवषयक शोध कायर्मे रुिच। वतंलेखन। कृित एवं जीवनक तादायबोधक अणी किव। एना कतेक िदन(किवता संह)।बुकर पुरकार: आेिलयन िपता आभारतीय माताक सतान ३३ वषय बैचेलरी अरिवद अिडग ऑक्सफोडर्सँ िशक्षाात कएने छिथ आ सित मुबईमे रहैतछिथ। िहनकर पिहल अंेजी उपयासछिह द ाइट टाइगर जािह पर िटेन,आयरलैड आ कॉमनवेथ देशक वासी केँदेल जा रहल अंेजी भाषाक उपयासक५०,००० पौडक “मैन बुकर” पुरकारभेटलिह अिछ आ बेन ओकेरीक बाद ईपुरकार ात केिनहार ई सभसँ कम उकेर लेखक छिथ।द ाइट टाइगर- ई उपयास हापर्रकॉिलस-रैडम हाउस ारा कािशत भेलआ काश आ अहारक दू तरहक भारतकई वणर्न करैत अिछ। एकटा फमर्कमािलक बलराम जे शुरूमे गयासँ आयलबलराम हलवाई छलाह चीनी धानमंी वेनिजआबाओक भारत आगमनपर अपनअनुिरत सात प (हिरमोहन झाक पाँचप आ यासजीक दू प जकाँ) केरमायमसँ अपन िखसा कहैत छिथ। ओएकटा िरक्शा चालकक बेटा छिथ जेचाहक दोकानपर िकछु िदन काज केलाकबाद िदलीमे एकटा धिनकक ाइवर बनैतछिथ। फेर ओकरा मािर कए उोगपितबिन जाइत छिथ।ाइवर सभ गप मािलकक सुनैतरहैत अिछ, कलकाक िरक्शाबला सभकिखसा सेहो अिडग सुनलिह आ िदलीकाइवर लोकिनक सेहो आ िखसाक लॊटबना लेलिह।समालोचनाक िथित: िहदीकअखबार सभ ई पुरकार ात भेलाकबादो एिह पुतकक समीक्षा एकटा चीपटी.वी. सीिरयलक पटकथाक रूपमेकएलिह। मैिथलीक समालोचनाक तँ गपेछोड़ू, अंेजीक अखबार सभ मुदा नीकसमीक्षा कएलक।िदलीक िचिड़याघरमे एकटा ाइटटाइगर छैक गेनेिटक युटेशनक पिरणामजे एक पीढ़ीमे एक बेर अबैत छैक निहयोअबैत छैक। बलराम हलवाईक िखसासेहो ाइट टाइगर जकाँ िवरल भेटत बेशीतँ कमाइ-खाइमे िजनगी िबता दैत छिथ।एकर हाडर्बाउड िकताब २०,००० कॉपीिबका चुकल अिछ। पेगुइन इिडया जे ईिकताब छपबासँ इकार कएने छलकहलक जे ॉसवडर् पुरकारसँ िकताबकिबीमे १००० कॉपीक वृि होइत छैक,बुकर भेटलापर १०,००० कॉपी बेशीिबकाइत छैक आ सािहय अकादमी‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्10


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्भेटलापर अंेजी िकताब १० कॉपी बेशीिबकाइत अिछ!ी गं गेश गुंजन जीक ग-पिमित "राधा" जे िक मैिथली सािहयकएकटा नव कीितर्मान िस होएत, केरछठम खेप पढ़ू। सुभाष च यादव आमर जीक कथा, महेश िम "िवभूित"-ीपंकज पराशर- िवनीत उपल- यामलजीक प आ ेमशंकर िसंह जीक शोधलेख अिछ।, िजतमोहन, रामलोचन ठाकुर,िनिमष झा, राजे िवमल, रेवतीरमणलाल, िदगबर झा "िदनमिण", रूपा धीरू,योित, िवानद झा, नवीननाथ झा,िवनीत उपल, वृषेश च लाल, धीरेेमिषर्, िवभूित, महे मलंिगया, कुमारमनोज कयप, कृपानद झा. रामभरोसकापिड़ रोशन जनकपुरी, पंकज पराशर,वैकुठ झा, काश झा आ िहमांशु चौधरीजीक रचनासँ सुशोिभत ई अंक अिछ।ी राजकमल चौधरीक रचनाकिववेचन कए रहल छिथ ी देवशंकरनवीन जी।योितजी प, बालानांकृते केरदेवीजी शृंखला, बालानांकृते लेल िचकलाआ सहबाढ़िनक अंेजी अनुवाद तुतकएने छिथ।िशवशंकर ीिनवास केर मैिथलीकथाक अ ेजी अनुवाद सेहो तुत कएलगेल अिछ।भारतक िवनाथन आनद वडर् चेसितयोिगता िजतलिह तँ भारत अपनचयान-१ याा सेहो शुरु कएलक। मुदासंगमे असमक बम िवफोट, उड़ीसाक ननबलाकार आ मालेगाँव िवफोट मोरकपएर िस भेल।01.11.2008४०म ज्ञानपीठ पुरकार समारोह ६नवबर २००८: संसदक लाइेरीकबालयोगी ऑिडटोिरयममे कमीरी किव ीरहमान राहीकेँ धानमंी ी मनमोहन िसंहारा दान कएल जाएबला ४०म ज्ञानपीठपुरकार समारोहक आमंण पािब ओतएिनयत समयसँ सायं छह बजे हमपहुँचलहुँ। अपन िताक अनुरूपधानमंी िनधिरत समय ६.३० सायंपदापर्ण कएलिह। टेजपर ी रवीकािलया, िनदेशक भारतीय ज्ञानपीठ,रहमान राही, डॉ. मनमोहन िसंह,सीताकात महापा, पुरकार चयनसिमितक अयक्ष आ अिखलेश जैन, बधटी रहिथ। दशर्कमे ी टी.एन.चतुवदी,अशोक वाजपेयी, आलोक पी. जैन आजे िपाठी रहिथ। जेजी हमरा संगबैसल रहिथ। व. साहू शाित साद जैनआ व. ीमित रमाजैन, एिह पुरकारकारभ कएने रहिथ आ हुनकर दुनू गोटेकफोटो पाछाँमे लागल रहिह। आइ काि४०म सालक महव एिह कारणसँ बिढ़गेल अिछ कारण ५०म वषर्गाँठकइतजारमे बहुत गोटे आयु बेशी भेनेजीिवत निह रहैत छिथ। सरला माहेरीमाइक पकिड़ कायर्मक शुरुआतसँ पिहनेअिनता जैनकेँ िनराला रिचत सरवतीवदना गएबाक लेल अनुरोध कएलिह आओ मंचक दोसर भागमे महिषर् अगयकया कुदेदुसँ शुरु कए िनरालाक रचनाशाीय पितमे गओलिह। फेर फूलसँधान मंीक वागत बध यासीअिखलेश जैन ारा भेल, फेर रवीकािलया फूलसँ रहमान राहीक वागतकएलिह। फेर ी सीताकात महापाअंेजीमे उगार यक्त करैत कहलिह जेराहीकेँ समािनत कए भारतीय ज्ञानपीठअपनाकेँ समािनत कएलक अिछ। फेरधानमंी ारा राहीकेँ शॉल ओढ़ा कए आ१०३५ ई.क राजा भोजक सरवतीकितमाक कांय अनुकृित जािहमे ज्ञानपीठारा भामडल जोड़ल गेल (मूल ितमालंदनक ििटश यूिजयममे अिछ) आशित प आ ५ लाख टाकाक ाटदए समािनत कएल गेल। राही उगारयक्य कएलिह आ महान जवाहरलालनेहरूक जािह पदपर छलाह ओिह पदपरआसीन मनमोहन िसंहसँ पुरकार ातकए िवशेष सता कट कएलिह। फेररवी कािलया धयवाद ज्ञापन कएलिह।राहीक ितिनिध किवताक ज्ञानपीठ ाराकएल िहदी अनुवाद राही ारा धानमंीकेँ देल गेल।अदुल रहमान राहीक जम ६ मई१९२५ ई.केँ भेल। हुनकर पिहल किवतासंहकेँ सािहय अकादमी पुरकार देलगेल। भारत सरकारक प ी आ मानवसंसाधन िवकास मंालयक एिमरेसफेलोिशप िहनका भेटल छिह। िहनकरकिवता संहमे सनवुय साज, सुबहुकसोदा, कलाम-ए-राही मुख अिछ। िहनकरआलोचना आ िनबधक पोथी अिछ, कहवटआिद।तुत अिछ िहनकर किवता“परछाइयाँ” (कमीरीसँ अंेजी एस.एल.सधु, अंेजीसँ मैिथली गजे ठाकुर)छाह सभअपन िनयितसँ वाद आ अमरताकआशा आब छोिड़ िदअ,यिद जुटा ली िकछु क्षण, तँ भेर भऽजाऊ तािहमे।बतीक जािह पथमे चलैत रहलहुँ,ओ धँिस गेल घनगर बोनमे,जेना हमर आथाक कवच भेल भेकेलक शंकासभ।आँिख खुिजते हमर वकेँ लागलआँिखसभटा बासती युवा छाती झरिक कएभऽ गेल सुनसान।देखू तँ देखायत आस-पड़ोसमेलावयमयी मेला,हाथमे आएत मा एकाध िवचार, आऽअसगर एकटा कौआ उजाड़मे।कखनो हमर इच्छा रहए चान-तरेगनगढ़बाक,आब माथ भुका रहल छी अपन कोनोनामकरण तँ करी।सभटा िवास घाटीक मौलायलहिरयरी सन,सभटा चैतय िखिसयायल साँप सन।सभटा देवता हमर अपन छाह छिथ,सभटा दानव हमर अहं केर किनया-पुतड़ा सन।सभा भवन भरल बुझू बानरक खोँ-खोँसँ,‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्11


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्सतक पिहरनक लेल ताकू बोने-बोन।केहन अिछ नाओक खेबनाई, कतएतँ अिछ िकनार!देशांस भोथलेलक नाओकेँ अहारमे।हे रौ नटुआ, नाच िनवर् चारू कातओकर,राही तँ आिग-खाएबला बताह अिछ।समारोह एक घटामे खतम भेल आघुरैत रही तँ एफ.एम.पर समाचार भेटलजे सिचन तेदुलकर अपन टेट जीवनक४०म शतक िदनमे पूणर् कएलिह।भीमसेन जोशीकेँ भारत र पुरकारदेल गेल। आ चायण-१ चमाक १००िकलोमीटरक वृाकार कक्षामे थािपत भऽगेल जतए ओ २ वषर् धिर रहत।15.11.2008ई अ ंकक समपर्ण गवर्क-संग ओिह16 बिलदानीक नाम जे मुबईमे देशकसमानक रक्षाथर् अपन ाणक बिलदानदेलिह।१. एन.एस.जी. मेजर सदीप उीकृणन्२. ए.टी.एस.चीफ हेमंत कड़कड़े३. अशोक कामटे४. इंपेक्टर िवजय सालकर५. एन.एस.जी हवलदार गजे िसंह"िब"६. इंपेक्टर शशांक िशदे७. इंपेक्टर ए.आर. िचटले८. सब इंपेक्टर काश मोरे९. कांटेबल िवजय खांडेकर१०. ए.एस.आइ.वी. अबाले११. बाउ साब दुगुर्रे१२. नानासाहब भोसले१३. कांसटेबल जयवंत पािटल१४. कांसटेबल शेघोष पािटल१५. अबादास रामच पवार१६. एस.सी.चौधरी01.12.2008िवदेहक नव अंक (अंक २४, िदनांक१५ िदसबर २००८) ई पिलश भऽ गेलअिछ। एिह हेतु लॉग ऑन करूhttp://www.videha.co.in |४१म आ ४२म ज्ञानपीठ पुरकारकघोषणा- िहदीक नवीन किवता आदोलनकसशक्त किव ी कुँवर नारायणकेँ ४१मज्ञानपीठ पुरकार (२००५) आ कॲकणीकी रवी केलेकर आ संकृतक ीसयवर्त शाीकेँ संयुक्त रूपसँ ४२मज्ञापीठ पुरकार (२००६) देबाक घोषणाभेल अिछ।ी कुँवर नारायणक जम १९२७ ई.मे भेलिह। अज्ञेय ारा सपािदत "तीसरासतक"क सशक्त किव कुँवर नारायणकेँएिहसँ पिहने सािहय अकादमी पुरकारभेिट चुकल छिह।ी रवी केलेकरक जम १९२५ई. मे भेलिह, िहनकर कॲकणी भाषामडलक िनमणमे मुख भूिमका रहलछिह।ी सयवर्त शाी संकृतमे तीनगोट महाकायक रचना कएने छिथ।रवी केलेकर आ सयवर्त शाीकेँ सेहोसािहय अकादमी पुरकार भेिट चुकलछिह।संगिह "िवदेह" केँ एखन धिर (१जनवरी २००८ सँ ३० िदसबर २००८)७० देशक ६७३ ठामसँ १,३६,८७४ बेरदेखल गेल अिछ (गूगल एनेलेिटक्सडाटा)- धयवाद पाठकगण।15.12.2008अपनेक रचना आ ितियाकतीक्षामे। विर रचनाकार अपन रचनाहतिलिखत रूपमे सेहो नीचाँ िलखल पतापर पठा सकैत छिथ।गजे ठाकुर389, पॉकेट सी, सेक्टर-ए,वसंतकुंज, नई िदली- 110070फोन- 9811382078http://www.videha.co.inggajendra@videha.comggajendra@yahoo.co.inगजे ठाकुरFORTH COMING BOOKSMAITHILI-ENGLISH DICTIONARYENGLISH-MAITHILI DICTIONARYBYGAJENDRA THAKUR • NAGENDRA KUMAR JHA • PANJIKAR VIDYANAND JHA‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्12


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्संदेश१. ी ो. उदय नारायण िसंह"निचकेता"- जे काज अहाँ कए रहलछी तकर चरचा एक िदन मैिथलीभाषाक इितहासमे होएत। आनद भएरहल अिछ, ई जािन कए जे एतेक गोटमैिथल "िवदेह" ई जनर्लकेँ पिढ़ रहलछिथ।२. ी डॉ. गंगेश गुंजन- एिह िवदेह-कमर्मे लािग रहल अहाँक सवेदनशीलमन, मैिथलीक ित समिपर्त मेहनितकअमृत रंग, इितहास मे एक टा िविशफराक अयाय आरंभ करत, हमरािवास अिछ। अशेष शुभकामना आबधाइक स, सनेह|३. ी रामाय झा "रामरंग"(आबवगय)- "अपना" िमिथलासँसंबंिधत...िवषय वतुसँ अवगतभेलहुँ।...शेष सभ कुशल अिछ।४. ी जे िपाठी, सािहयअकादमी- इंटरनेट पर थम मैिथलीपािक्षक पिका "िवदेह" केर लेल बधाईआ शुभकामना वीकार करू।५. ी फुलकुमार िसंह "मौन"- थममैिथली पािक्षक पिका "िवदेह" ककाशनक समाचार जािन कनेक चिकतमुदा बेसी आािदत भेलहुँ। कालचकेँपकिड़ जािह दूरदृिक पिरचय देलहुँ,ओिह लेल हमर मंगलकामना।६. ी डॉ. िशवसाद यादव- ई जािनअपार हषर् भए रहल अिछ, जे नवसूचना-ाितक क्षेमे मैिथलीपकािरताकेँ वेश िदअएबाक साहिसककदम उठाओल अिछ। पकािरतामे एिहकारक नव योगक हम वागत करैतछी, संगिह "िवदेह"क सफलताकशुभकामना।७. ी आाचरण झा- कोनो प-पिकाक काशन- ताहूमे मैिथलीपिकाक काशनमे के कतेक सहयोगकरताह- ई तऽ भिवय कहत। ई हमर८८ वषर्मे ७५ वषर्क अनुभव रहल।एतेक पैघ महान यज्ञमे हमर ापूणर्आहूित ात होयत- यावत ठीक-ठाकछी/ रहब।८. ी िवजय ठाकुर, िमिशगनिविवालय- "िवदेह" पिकाक अंकदेखलहुँ, सपूणर् टीम बधाईक पाअिछ। पिकाक मंगल भिवय हेतु हमरशुभकामना वीकार कएल जाओ।९. ी सुभाषच यादव- ई-पिका’िवदेह’ क िवषयमे जािन सता भेल।’िवदेह’ िनरतर पलिवत-पुिपत हो आचतुिदर्क अपन सुगंध पसारए से कामनाअिछ।१०. ी मैिथलीपु दीप- ई-पिका’िवदेह’ केर सफलताक भगवतीसँकामना। हमर पूणर् सहयोग रहत।११. डॉ. ी भीमनाथ झा- ’िवदेह’इटरनेट पर अिछ तेँ ’िवदेह’ नामउिचत आर कतेक रूपेँ एकर िववरणभए सकैत अिछ। आइ-काि मोनमेउेग रहैत अिछ, मुदा शी पूणर् सहयोगदेब।१२. ी रामभरोस कापिड़ मर,जनकपुरधाम- "िवदेह" ऑनलाइन देिखरहल छी। मैिथलीकेँ अतरीय जगतमेपहुँचेलहुँ तकरा लेल हािदर्क बधाई।िमिथला र सभक संकलन अपूवर्।नेपालोक सहयोग भेटत से िवासकरी।१३. ी राजनदन लालदास- ’िवदेह’ ई-पिकाक मायमसँ बड़ नीक काज कएरहल छी, नाितक एिहठाम देखलहुँ।एकर वािषर्क अ ंक जखन ि ट िनकालबतँ हमरा पठाएब। कलकामे बहुतगोटेकेँ हम साइटक पता िलखाए देनेिछयिह। मोन तँ होइत अिछ जे िदलीआिब कए आशीवद िदतहुँ, मुदा उमरआब बेशी भए गेल। शुभकामना देश-िवदेशक मैिथलकेँ जोड़बाक लेल।१४. डॉ. ी ेमशंकर िसंह- अहाँमैिथलीमे इंटरनेटपर पिहल पिका"िवदेह" कािशत कए अपन अुतमातृभाषानुरागक पिरचय देल अिछ,अहाँक िनःवाथर् मातृभाषानुरागसँ ेिरतछी, एकर िनिम जे हमर सेवाकयोजन हो, तँ सूिचत करी। इंटरनेटपरआोपांत पिका देखल, मन फुिलतभ' गेल।(c)२००८-२००९. सविधकारलेखकाधीन आ जतय लेखकक नामनिह अिछ ततय संपादकाधीन।िवदेह (पािक्षक) संपादक- गजे ठाकुर।एतय कािशत रचना सभक कॉपीराइटलेखक लोकिनक लगमे रहतिह, माएकर थम काशनक/ आकइवक/अंेजी-संकृत अनुवादक ई-काशन/आकइवक अिधकार एिह ई पिकाकेँछैक। रचनाकार अपन मौिलक आअकािशत रचना (जकर मौिलकताकसंपूणर् उरदाियव लेखक गणक मयछिह) ggajendra@yahoo.co.inआिक ggajendra@videha.com केँमेल अटैचमेटक रूपमेँ .doc, .docx,.rtf वा .txt फॉमटमे पठा सकैत छिथ।रचनाक संग रचनाकार अपन संिक्षतपिरचय आ अपन कैन कएल गेलफोटो पठेताह, से आशा करैत छी।रचनाक अंतमे टाइप रहय, जे ई रचनामौिलक अिछ, आ पिहल काशनक हेतुिवदेह (पािक्षक) ई पिकाकेँ देल जारहल अिछ। मेल ात होयबाक बादयथासंभव शी (सात िदनक भीतर)एकर काशनक अंकक सूचना देलजायत। एिह ई पिकाकेँ ीमित लमीठाकुर ारा मासक 1 आ’ 15 ितिथकेँई- कािशत कएल जाइत अिछ।साइटक िडजाइन ीित ठाकुर रिमिया आ मधूिलका चौधरी ारा।(c) िवदेह:संदेह:1 ,सदेह-सं करण-ुि तकाशन'िवदेह' ारा धारावािहक रूपे ई-कािशतकएल जा रहल गजे ठाकुरक‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्13


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्उपयास, गप-कथा संह,प संह,बालानां कृते, एकाी-नाटक, महाकाय,शोध लेख आ याा वृांत िवदेहमेसंपूणर् ई-काशनक बाद िंट फॉमर्मे“कुरुक्षेम्: अतमर्नक” नामसँ ुितकाशन, ारा छापल जा रहल अिछ।िवदेह डाटाबेसक आधारपर निचकेताजीकनाटक, पंकज पराशर आ िवनीतउपलक प संह, मौन आ ेमशंकरिसंह जीक िनबध संह आ 'िवदेह' ाराकएल गेल शोधक आधार पर १.मैिथली-अंेजी शद कोश २. अंेजी-मैिथली शद कोश आ ३. िमिथलाक्षरसँदेवनागरी पाडुिलिप िलयातरण-पी-बध डाटाबेश ुित पिलकेशन ारािट फॉमर्मे छापल जा रहल अिछ-शोध, संकलन, िडिजटल इमेिजंग आिलयांतरण- िवानद झा “पीकार”,नागे कुमार झा आ गजे ठाकुर ाराभेल।ुित काशनक e-mail:shruti.publication@shrutipublication.comआ website:http://www.shrutipublication.comअिछ। रमानद झा“रमणक” जीक “सगर राित दीपजरए” केर इितहास जािहमे एक-एकटाकथाक पाठक वणर्न अिछ सेहो िवदेहमेई-कािशत भेल। संगिह 20,000िविभ आइ.एस.पी. सँ पाठक ारा डेढ़लाखसँ बेशीबेर “िवदेहकेँ अंतजलपरपढ़ल गेल आ आब एकर सदेह अंकितरहुता आ देवनागरीमे संगिह आिब रहलअिछ। एकर ेल वसर्न सेहो डाउनलोडआ िंट लेल उपलध अिछ। कवर-पृक िडजाइन लेल ीमित योित झाचौधरी आ ूफ देखबाक लेल डॉ. पालनझाक िवशेष रूपमे आभारी छी। 25अंकक 2500 पृक दस ितशत एिहसदेह संकरणमे आिब रहल अिछ शेषअंतजलपर डाउनलोड आ िंट लेलउपलध अिछ। --सपादक।एिह पोथीक सविधकार सुरिक्षत अिछ।िबना िलिखत <strong>अनुम</strong>ितक पोथीक कोनो अंशकछाया ित एवं िरकाॅिडर्ंग सिहत इलेक्ॉिनकअ थवा यांिक, कोनो मा यम सँ, अथवाज्ञानक संहण आ पुनर्योगक णाली ाराकोनो रूप मे पुनरू पािदत अथवा संचािरत-सािरत निह कयल जा सकैत अिछ।Published byShruti Publication, 8/21, GroundFloor, New Rajendra Nagar, NewDelhi-110008Tel.: 25889656, 25889658Fax: 011-25889657SOLE DISTRIBUTORS: AjayArts, 4393/4A, Ist Floor, DaryaGanj, New Delhi-110002COMBINED ISBN of VIDEHA-SADEHA SERIES : 978-81-907729-5-2 (Price:DevnagariVersion INR 100/- TirhutaVersion INR Rs.200/-)Printed by Ajay Arts, 4393/4A,Ist Floor, Darya Ganj, NewDelhi-110002साक्षात् काररामाय झा "रामरंग" िस अिभनवभातखडे जीक १ जनवरी २००९ केँिनधन भऽ गेलिह। डॊ. ग गेश गु जनमृयु पूवर् हुनकासं साक्षाकार लेनेछलाह। तुत अिछ ओ अमूयसाक्षाकार- पिहल बेर िवदेहमे।पं0 रामाय झाक इटरयू।नः 1. अपनेक दृि सं िवापितगीत-संगीत परंपरा कें कोन रूप मेदेखल-बूझल जयवाक चाही? िवापित-संगीत पिरभािषत कोना कएल जयवाकचाही? एतसंबंधी कोनो वर-िलिपउपलध अिछ?उरः हमरा िवचार सँ िवापितकअिधकांश गीत पद; भजनबगायन शैलीएवं िकछु गीत ामीण गीत शैलीकअंतगर्त् बूझल जयवाक चाही। उदाहरणवरूप पद-गायन शैली मे-1. नदक नदन कदबक तरुतरिधरे िधरे मुरली बजाव।2. जय जय भैरिव असुर भयाउिन।एवं अय ृंगार रस सँ सबिधत पद।जेना-क. कािमनी करय असनानेख. सुतिल छलॱ हम घरवा रेग. अबर बदन झपाबह गोरीघ. ससन परस खसु अबर रे,इयािद।टइ तरहक पद व गीत िमिथला देश मेलगभग 60 व 70 वषर् सं जे गाओलजाइत अिछ एकर धुन अधशीयसंगीतक अंतगर्त् एवाक चाही। परतुअइ पदक जे िमिथला मे गायन शैलीछैक ओकर एक अलग वरूप छैक।जेकरा ादेिशक संगीत कहवाक चाही।जहांतक लोक संगीत तथा ामीणसंगीत सं संबंिधत िवापितक गीतअिछ, जेना-क. आगे माइ हम निह आजु रहब एिहआंगन जो। बुढ़ होयता जमाय,ख. हे भोलानाथ कखन हरब दुख मोर,ग. उगना रे मोर कतय गेलाह,घ. आज नाथ एक वर्त मोिह सुखलागत हे, इयािद।ई गीत सब लोक संगीतक धुनकअंतगर्त गाओल जाइत अिछ। यिपअहू लोकधुन मे रागक दशर्न छैक मगरराग शा केर अभाव छैक। तें हेतु ईसब गीत लोक संगीत शैली मे अयवाकचाही।उर-1-ए. िवापित संगीतक कोनो िभवरूप निह अिछ, केवल िवापित गीतिमिथला ादेिशक संगीत शैलीक अंतगर्तगाओल जाइत अिछ। राग आओर ई‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्14


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्अधशीय एवं धुन धान लोक संगीतराग गारा,राग पीलू, राग काफी, रागदेस, राग ितलक कामोद इयािद राग संसबिधत अिछ। अिभाय ई जे जेनासूर, तुलसी, कबीर इयािद संत किवकपद िभ-िभ तरह सं गाओल जाइतअिछ अइसंत किव सबहक कोनो खासअपन संगीत निह छैिह जे कहल जायजे ई सूर व तुलसी तथा कबीरकसंगीत थीक, एही रूप सं िवापितसंगीतक रूप मे बुझवाक चाही।न-2. िवापित संगीत-परंपराक िवषयमे आइिक िथित पर अपनेक कीिवचार-िवलेषण अिछ ?उर-2. िवापित पदक सबध मे हमरई िवचार अिछ जे िवापितक पदमैिथली भाषा मे अिछ तें हेतु केवलिमिथला देश मे अइ पदक गायनादेिशक संगीतक मायम सं होइतअिछ। हॕ, यदा कदा बंगाल देश मेबंगला कीतर्न मे अवय योग हाइतअिछ। कहवाक अिभाय ई जे कोनोादेिशक भाषा मे िलखल काय केरगुणवाक आकलन ओइ कायक ृंद वसािहय तथा भाव पर िनभर्र करैतछैक। संगीत आकइ काय के रसमयएवं सॱदयर्वधर्न करइक हेतु परमआवयक तव अवय िथक परतुाथिमकता पदक िथकइ। मैिथली भाषाअयत सुकोमल भाषा अिछ एवं अइ मेलािलय अिछ।आर संगीत सुकोमलभाषा मे अिधक आनद दायक होइतछैक।अही हेतु िवापित पद संगीतकमायम सं िमिथलाक संकृित मे िवानजन सं ल’ क’ जनसाधारण तककमानस के भािवत क’ क’ अपन एकसुदृढ़ परपरा बनौने अिछ एवंिमिथलावासीक हेतु पिरचय प समानअिछ। तें हेतु समत मैिथल समाजकई परम कतर्य थीक जे अइ अमूयधन कें धरोहर जकां जोगा क’ राखी।-3. िवापित-संगीत आओर िवापित-गीत कें एकिह संग बूझल जयवाकचाही बा फराक क’? यिद हं तं िकएकआ कोना ?उर : एिह क उर उपरोक्त पिहलतथा दोसर मांक मे िलखल गेलअिछ। कृपया देखल जाय।न-4. िवापित-संगीतक ितिनिधगायक रूप मे अपने कें कोन-कोनकलाकार मरण छिथ आ िकएक ?उर : िवापित पदक गायक आइ संिकछु वषर् पूवर् बहुत नीक नीक छलाह,जेना पंचोभक पं0 रामचझा,पंचगिछयाक ी मांगन, तीरथनाथझा, बिलयाक पं0 गणेश झा, लगमाकपं0 अवध पाठक, ी दरबारी ; नटुआ ी अनुिठया; नटुआ पं0 गंगा झाबलवा, ी बटुक जी, आर पं0चशेखर खांॅ, अमताक पं0 रामचतुरमिलक, पं0 िवदुर मिलक, लहटाक पं0रामवरूप झा, खजुराक पं0 मधुसूदनझा एवं नागेर चैधरी, बड़ा गांवक पं0बालगोिवद झा, लखनौरक पं0बैनाथझा इयािद। वतर्मान मे जे गायक छिथहुनका सबहक नाम अइ कार छिन-पं0िदनेश झा पंचोभ, ी उपे यादव,अमताक पं0 अभयनारायण मिलक, पं0ेमकुमार मिलक इयािद। उपरोक्तजतेक गायकक हम नाम िलखल अिछई सब गायक अिधकारपूवर्क िवापितकपद कें गबै वला छलाह एवं वतर्मान मेछिथ। िकयेक तं ई सब िमिथलावासीछिथ। िवापित पदक अथर् भाव पूणर्रूप सं बूिझ क’ तहन करैत छलाहव वतर्मान मे करैत छिथ। तें हेतु ईसब गायक मरण करवा योग छिथ।न-5. पं0 रामचतुर मिलक, ो0आनद िम भृि तं इितहासउलेखनीय छिथहे। िकछु अयोगायकक नाम अपने कह’ चाहब ?ओनामिलकजी तथा आनद बाबूक िवापित-गीत गायकी मे की िकछु िवशेष लगैतअिछ जे अय गायक मे निह ?उर ः हम जतेक गायक क नामिलखल अिछ सब अपना-अपना तर संनीक छलाह एवं नीक छिथ। िवापितकपद गायन मे राग गायकीक जेना बड़काबड़का आलाप व तान तें गाओल निहजाइत छैक। िवापित पद गायन मेपदक अथर् भाव यान मे रािखसरसतापूवर्क गाओल जाइत छैक। अइसम्इध मे एक सं दोसर गायककतुलना करइक आवयकता निह। तथािपपं0 रामच झा व ी मांगनजी तथापं0 रामचतुर मिलकजी,ी बटुक जी,पं0रामवरूप् झा,ी दरबारी इयािद गायकबहुत िस छलाह।चूंिक ोफेसर आनद िमजीकें हमकिहयो गायन निह सुनल तथा िमिथलाकगायक पंिक्त मे हुनक नाम हम निहसुनल तें हेतु हुनका संबंध मे िकछुिलखइ सं असमथर् छी।-6. िवापित-गीत मैिथली लोकगीति कोना पहुंचल हेतैक ?एिह िवषय मेअपनेक िवलेषण की अिछ?उर ः िवापित गीत मैिथलीक दूतरहक भाषा मे रचल गेल अिछ।एकटा मैिथलीक पिरकृत भाषा मे रचलगेल अिछ जेना-1. नदक नदन कदबक तरुतर2. अबर बदन झंपावह गोरी3. उधसल केस कुसुम िछिड़आयलखिडत अधरे। इयािद। अइ तरहकमैिथलीक पिरकृत भाषा मे जे गीत छैकसे लोकगीत; ामीण अंचलधिर बहुतकम पहुँचलै।जे गीत ामीण भाषाक मायम सं रचलगेल छैक।जेना-1. आ गे माइ हम निह आजु रहब एिहआंगन जं बुढ़ होयता जमाय....2. हे भोलानाथ कखन हरब दुख मोर3. जोिगया भंिगया खाइत भेल रंिगयाहो भोला बउड़हवा.4. उगना रे मोर मोरा कतय गेलाह.इयािद।अइ तरहक जे गीत छैक से लोकगीत;ामीण अंचलधिर अिधक सं अिधकपहुँचलए। एक बात आर ई जेलोकभषाक अिधक समकक्ष छैक तकराजनाना सब अिधक गबैत छिथ। हमराबुझने िवापित गीत कें लोकगीत;ामीण अंचलधिर पहुँचइके यैह कारणथीक। दोसर बात ई जे अपन मातृभाषा‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्15


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्वभावतः बहुत िय होइत छैक आरअपना मातृभाषाक मायम सं जे कायरचल जाइत छैक आर ओइ मे लािलयआ आकषर्ण छैक तं ओ अपनिह आपिवान जन सं ल’ क’जनसाधारण तकचािरत भ’ जाइत छैक। आर िवापितपद तं लौिकक व पारलौिकक दुनूदृिसं अयत उच्च कोिटक रचल गेलअिछ, तथा सब तरहक गीत रचल गेलअिछ जेना-भिक्त, भिक्त ृंगार, लौिककृंगार, ी राधाकृणकें िवलासक अयतमधुर गीत, भगवान ृंकरक िववाह संसबंिधत जनसाधारण भाषाकके गीत एवंनचारी, समदाउिन, बटगवनी, ितरहुतइयािद तरहक गीतक रचना केने छिथजे लोकरंजनके हेतु उच्चकोिटक एवंगायन के वाते बनल छैक। ई तंे िबनायासिहं लोक मानस एवं लोकगीत धिरपहुँिच गेल गेल हेतैक।-7. िवापित पदक मैिथली यवहार-गीत मे िवलय होयवाक िया अपनेकदृियें कोना आ की रहल हेतैक ?उर ः हमरा बुझने इहो 6ठमे सं संबंिधत अिछ। तें ओही पर िवचारकएल जाय।-8. िवापितक पद यिद िमिथलाकसवर्जातीय माने-सभ वगर् आ समाजकलोक मे वीकृत छैक ? तं तकरकारण िवापित-पदक सािहियक गुण बाओकर सांगीितकता छैक आिक एकरा मेिनिहत कोनो आन तव आ िवशेषताछैक ?उर ः िवापित पद जे िमिथलासमाजक सब वगर् मे वीकृत छैक तकरमुख्य कारण िवापित पदक सािहियकगुण एवं सांगीितक गुण दुनू छैक।िमिथला मे किव िवापितक पिहनहुं तथाबादहु मे बहुत किव भेलाह मगरजनसाधारण मे तं हुनकर क्यो नाम तकनिह जनैत अिछ। परंतु िवापित एवंिवापित गीत के तं एहेन क्यो अभागलिमिथलावासी हेताह जे निह जनइतहेताह। िवापित पदक चार-सार मेसािहियक व संगीतक गुण के अितिरक्तआन कोनो तव व कारणक जे अपनेचच कएल अिछ, अइ सबध मे हम ईकहब जे किव िवापित भगवान के परमभक्त छलाहं हुनका भिक्त सं भािवतभ’ क’ भगवान शंकर िजनका घर मेनौकर के काज करैत रहिथन एहेनभक्त किवक कावय मे तं चार-सारहेबाक सब सं महवपुणर् तव एवं कारणहुनका आरायदेवक कृपा बुझवाकचाही। भगवानक भिक्त सं हुनकर हृदयओतोत छलिह तें ओ अपन काय मेिलखैत छिथ-क. बड़ सुख सार पाओल तुअ तीरे,ख. हे भोलानाथ; बाबाकखन हरब दुखमोर, इयािद।ग. खास क’ भगवान राधाकृणक भिक्तव भिक्त-श्ाृंगार रस जे ओ अपना कायमे दरसओ-लिह अिछ ओ अयतहृदयपशर्ाी तथा संगीतमय अिछ।-9. लोकगीत एवं यवहार-गीत मेतवतः की-की भेद मानल जयवाकचाही?उरः लोकभाषा एवं लोकधुन मे जेगीत गाओल जाइत छैक तकरा लोकगीतकहल जाइत छैक। आर यवहार गीतक जे अपने चच कएल अिछ इउसबध मे हमर कहब ई जे एकराअंतगर्त संगीतक सब शैली आिब जाइतछैक। परंतु हमरा बुझना जाइत अिछजे यवहा गीत सं अपनेक अिभायसंकार गीत सं अिछ। हमरा िवचार संलोकगीत एवं यवहार गीत दुनूके लोकसंगीत कहल जाइत छैक, अइमे कोनो िवशेष अंतर नइ छैक।- 10. िवापित-संगीतक वतर्मान जेिनिते िनराश कयिनहार अतः खेदजनकअिछ। अपने कें तकर कारण की सबलगैत अिछ ?जखन िक बंगालक रवी-संगीत-कलामे िवापित संगीत जकां कोनो कारकपतनोमु-खता आइ पयर्त देखवा मे निहअबैत अिछ। तकरो कारण की आजुकउपभोक्तावाद, जारवाद भू-मडलीकरणमाकें मानल जयवाक चाही बा आनोआन ऐितहािसक, समाजा-आिथर्क पिरिथित आ सामािजक कारण आ पिरवतर्नकें?उर ः अइ सबध मे हम ई कहब जेसंपूणर् भारत मे अपना संकृित के छोड़ैमे जतेक मैिथल अगुआयल छिथ तेनाअय कोनो देश निह। जे मैिथलिमिथला सं बाहर अय देश मे आिबगेलाहय सब सं पिहने ओ अपनमातृभाषाक ित उदासीन भ’ जाइत छिथआ अयंत हषर्पूवर्क ई कहैत छिथ जेहमरा बच्चा के तं मैिथली बाजिह निहअबैत छैक। अपना घर मे मैिथली निहबजैत छिथ। जखन अपना मातृभाषाकित एहेन उदासीन छिथ तहन अपनासंकृित सं अपनिह आप दूर भ’जेताह। अपना मॉं-बा पके डैडी वममी अय के अटी व अंकल कहैकरेवाज भ’ गेलै अिछ तं िहनका सब संकी आश कयल जाय जे ई अपनासंकृितक रक्षा करताह। बंगाली,मासी, पंजाबी, मराठी इयािद देशकलोक सब अपना संकृित के एखनहुंधिर संजोय क’ रखने अिछ। मगरपिमी सयताक भाव सब सं अिधकमैिथल पर छिह ते हेतु िमिथलासंकृित मे एहेन हािनकारक पिरवतर्नदेखाय पड़ैत अिछ।-11. अपनेक मृित मे कोनोगायकक गायन बा अय कोनो संदभर् होजेकर वणर्न अपने कर’ चाही? हुनकिवषय मे िकछु सुनयवाक इच्छाहो।वतर्मान समेत आगां पीढ़ीक लाभहेतैक। संगिह अपनेक िकछु िवशेषअिभमत जे देब’-कह’ चाही।उर ः हम शाीय संगीतक उपासकछी आर अयंत उदासीन भ‘ किह रहलछी जे अपन िमिथला वतर्मान समय मेशाीय संगीत सं शूय भ’ रहलअिछ। वतर्मान समय सं पिहने पं0रामचतुर मिलक, पं0 िबदुर मिलक, पं0िसयाराम ितवारी, चूंिक पं0 िसयारामितवारीक िशक्षा अमता गाम मे भेलिह तेंहेतु हुनका मैिथल मानइ िछयिन। पं0‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्16


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्च शेखर खां,पं0 रघू झा, ई सबबहुत उच्च तरक गायक छलाह। खासक’क’ पं0 रामचतुर मिलक, व पं0िसयाराम ितवारी तं इितहािसक गायकछलाह ुवपद शैलीक गायन मे।भावी पीढ़ीक िशक्षाथ एवं िजज्ञासु केअइ गायक सबके जानइ के यास विहनका गायन व कायर्क सबंघ मे ृंोधकरवाक चाही तािक भावी पीढ़ीलाभािवत एव धु्रुवपद शैली गायनकिवशेषता सं पिरिचत होिथ।जय िमिथला जय मैिथली, जय जयजानकी अब।जेिह रज मे मडन भेला, हरलिह िशवके दभ।राजमोहन झा (बोध समान२००९) सँ िवनीत उपलकसाक्षाकारखुलल दृिसँ निह भऽ रहल अिछसमीक्षा : राजमोहन झासािहयकार भाइ-साहेब राजमोहन झाककैक टा कथा संह आ चािर टासमालोचनामक पोथी िलखल छिह।मैिथली भाषामे हुनकर एिह योगदानकेँदेखैत २००९ सालक बोध समानहुनका देल जाऽ रहल छिह। हुनकासँमैिथलीक भूत, वतर्मान, भिवय आसमीक्षाक गप, संग-संग पािरवािरक आसामािजक िजनगीक ताना-बानाक गपविर पकार िवनीत उपल बातचीत मेबुनलिह।िवनीत उपल : अहांक जम कतयभेल, िदन-वषर् की छल?राजमोहन झा : हमर जम गाम मे भेल,कुमार बािजतपुर (वैशाली)। साल छल१९३४, अगत माहक २७ तारीख।िवनीत उपल : आ ारंिभक लालन-पोषण ?राजमोहन झा : ारंिभक लालन-पोषणगाम मे भेल। िकछु िदनक बाद पटनाआिब गेलहुं, आगू पटनेमे भेल।िवनीत उपल : िशक्षा-दीक्षा कतय भेल?राजमोहन झा : ारंिभक िशक्षा तँ गाममेभेल। पटना अएलाक बाद टी.के. घोषएकेडमी मे आठवां मे नाम िलखेने रिह,जतय सs मैिक पास केलहुं। एकरबादक पढाई पटना कालेज, पटनासँभेल। हमर िवषय मनोिवज्ञानक संग-संगलािजक, िहदी आ अथर्शा छल।िवनीत उपल : िपतामह कतेक मोनछिथ ?राजमोहन झा : हमर िपतामह जनादर्नझा संकृतक िवान छलाह। हुनकरमृयु १९५१ मे भेलिन। गाम मे हमरपढाई हुनकर संरक्षण मे भेल छल।िमिडल कूल तकक पढाई तँ हम गाममे केने रिह। ओ मैिथली मे सेहोिलखैत रहिथ। तािह लेल हमहूँमैिथलीमे िलखबाक लेल ेिरत भेलहुँ।मैिथली सािहय मे रूिच जागल। ओकतेक ठाम घुिम-घुिम कs रचनाकेलिथ। महावीर साद िवेदीकसरवतीक संपादन करैक संग ओिमिथला िमिहरक संपादक सेहो रहिथ।करीब एक सौ टा बंगला उपयासकिहदी मे अनुवाद केलिथ, जािह मेिवषवृक्ष, देवी चौधराइन उपयास मुखअिछ।िवनीत उपल : सािहयक ारंिभकेरणा केकरा सँ भेटल ?राजमोहन झा : ारंिभक ेरणा तँिपतामह सँ भेटल। िपतामहे िशक्षाकआरभ करोलिथ। गाममे िमिडल तकपढाई काल तक िपतामहे गािजर्यनरहिथ। पटना एलहुं तs बाबूजीक(हरमोहन झा) संग रहलहुं।िवनीत उपल : घर मे िकनका सँ अहांबेसी नजदीक रही ?राजमोहन झा : िपतामह संग िपतामहीकसबसँ नजदीक रिह।िवनीत उपल : संकृत परंपरा सँअंगरेजी परंपरा िदस कोना वृत भेलहुँ?राजमोहन झा : समय बदलैत गेल,पिहने लोक संकृत पढैत रहिथ।संकृत धीरे-धीरे लुत होइत गेल।अंगरेजी िशक्षा थान लेलक आओरभाव बढ़ैत गेल। तखन अंगरेजी आिहदी िदस लोक झुकए लागल। हमहुंओही िदस वृत भेलहुँ।िवनीत उपल : सािहय कएअितिरक्तेक की पेशा छल ?राजमोहन झा : इलायमेंट आिफसररही। आब िरटायडर् छी।िवनीत उपल : कोन-कोन शहर मेरहल छी ?राजमोहन झा : जमशेदपुर, मुजफरपुर,रांची, बोकारो, पटना, िदली मे नौकरीकाल रहलहुं। पॉँच साल िदली मेजनशिक्त भवन मे िडयुटेशन पर रही।िवनीत उपल : किन भाई-बिहनक संबंधमे बताऊ ?राजमोहन झा : चार भाई आ एक बिहनछलहुं। दू भाईक मृयु भए गेल आ दूभाई छी एखन। सबसे पैघ हम छी।हमारा सs छोट कृण मोहन झा रांचीिविवालय मे मनोिवज्ञानक िशक्षकरहिथ। तेसर भाई िवमोहन झा गाम मेरहिथ। सबसे छोट मनमोहन झासी.एम. कालेज, दरभंगा मे मनोिवज्ञानकिशक्षक छिथ। सबसँ जेठ बिहन ऊषाझा छलीह, जे दरभंगा मे छिथ। बहनोईशैले मोहन झा १९९४ मे िदवंगत भएगेलाह। ओ लिलत नारायण िमिथलािविवालयक मैिथली िवभागक अयक्षछलाह।िवनीत उपल : बाल-बच्चा कए टा आकी करैत अिछ ?राजमोहन झा : तीन टा बेटी अिछ।याह केकरो निह भेल अिछ। सबसे‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्17


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्छोट िमनी झा टीचर छिथ। जेठ बेटीेजुएशन क संग यूटी-आटर् एंडाटक- ेिनंग लेने छिथ।िवनीत उपल : अहांक मनपसंदरचनाकार के छिथ ?राजमोहन झा : एकर िनणर्य करबमुिकल अिछ। लिलत, मायानंद,राजकमल चौधरीक िलखब लोक पिसनकए रहल अिछ। आधुिनक मैिथली कएारभ ओतिहसँ मानल जाइत छैक ।िवनीत उपल : अहांक अपन नीकरचना कोन ?राजमोहन झा : सेँ तँ आने लोककहत। एकर िनणर्य करब मुिकलअिछ। रचनाकार कोनो रचना करैये तँअपन तरहे बेट करैत अिछ। जेकरािदलसँ करब कहबै, ओ करैत छैक।सबसँ नीक देबाक कोिशश करैत छैक।कोनो रचना सुपरसीड करैत छैक, कोनोनिह करैत छैक। ई सब बहुत रासफेक्टर पर िनभर्र करैत छैक।िवनीत उपल : अहांक पिहल रचनाकोन छल ?राजमोहन झा : रचनाक शुरुआत हमकिवता सँ कएने रही। तखन हम बी.ए.मे रही, १९५४ क ई गप छी। ओकरबाद किवता िलखब एक तरहेँ बंद भएगेल। किवता िलखब छुिट गेल। हमरलेखकीय जीवनक दोसर फेज १९६५सँशुरू भेल। एखन कथा हमर मुख्य िवधाभए गेल अिछ।िवनीत उपल : कोनो किवता सुनेबई ?राजमोहन झा : किवता कए मन पारबनिह चाहब। ओिह ेिडशन मे हमिलखैत रही जे ओिह समय मे िलखलजाइत रहय। हमर लेखनक शुरुआतीदौर छल, ओिह समयक जे सािहयभाव सँ िलखल गेल, से रहए। अपनेहमरा बुझाएल जे ई कोनो कमर्क निहछैक, तकरा बाद हम ई िलखब बंद कएदेलहुं।िवनीत उपल : किवता कोनो पिका मेछपल ?राजमोहन झा : किवता 'वैदेही' मेछपल। 'िमिथला िमिहर' आ 'िमिथलादशर्न' मे सेहो छपल.िवनीत उपल : आ कहानी ?राजमोहन झा : िमिथला िमिहर मेमुख्यतः कहानी छपल। िमिथला दशर्नमे सेहो।िवनीत उपल : अपनेक रचना िलखबआ छपल मे बाबूजी (हिरमोहन झा) कएकतेक सहयोग रहल?राजमोहन झा : बाबूजीक सहयोग िकछुनिह रहल, भाव रहल। बाबूजीक संगरचनाक गप करबाक निह उठैतछल। हमर लेखन हुनकर भावकअंतगर्त निह छिन। हुनकर लेखन सँइतर हमर िलखब शुरू भेल। एकरा मेदूनू गप अिछ। हुनकर भाव रहल आनिहयो रहल। हुनकर क्षे सँ हमअपना कए अलग कए लेलहुं। ओनाभाव सँ अलग कोना कए सकैत छी।िवनीत उपल : 'आई-काि-परसू' परअकादमीक पुरकार ठीक समय परभेटल वा निह?राजमोहन झा : ठीके समय पर भेटल।ई महवपूणर् निह छल की पिहने भेटबाकचाही छल या बाद मे भेटबाक चाहीछल। मन मे एहन कोनो गप निहछल।िवनीत उपल : सािहयक अिभयान मेपीक कतेक सहयोग रहल ?राजमोहन झा : सािहय सँ ओतेकसंिक्त निह छिह। सहयोग-असहयोगकए तािह ारे निह छैक।िवनीत उपल : हुनकर निहयर कतएभेलिह ?राजमोहन झा : हमर सासुर तँ िदलीभेल। ससुरक िपता अलवर महाराजकचीफ जिटस रहिथ। िववाह हमरिदली मे भेल।िवनीत उपल : अहां कोन-कोन भाषा मेरचना केलहुं आ कतेक पोथी िलखलहुं?राजमोहन झा : िहदी आ मैिथली मेहमर लेखन भेल। दस टा पोथी कथासंह आ चािर टा समालोचनामक पोथीछैक.िवनीत उपल : भिवयक की योजनाअिछ ?राजमोहन झा : संमरण िलखबाकअिछ। सुमनजी आ िकरणजी परिलखबाक बाकी अिछ।िवनीत उपल : सािहयक दावं-पेंच कएकतय तक बुझिलयइ ?राजमोहन झा : दांव-पेंच मैिथली मे निहसभ भाषा मे चलैत रहैत छैक। ईकोनो नब गप निह छी। एिह अथर् मेभािवत भेलहुँ। ई तँ वाभािवकियाक रूप अिछ। ओिहनो ई गपबेसी मेटर निह करैत छैक।िवनीत उपल : कोन रचना एहन अिछजेकरा मे अहां केँ अपन आमकयहुअए ?राजमोहन झा : सभ रचना मे जीवनकअंश आिबए जाइत छैक। िकया िकअनुभवक आधार पर लोक िलखय यै।अनुभवक अंश तँ रहबे करत।आमकथामकता तँ आिबये जाइतछैक।िवनीत उपल : 'िनकासन' कथा तँनिह छी आमकथामक ?राजमोहन झा : पेिशिफक निह करएचाहब। सभटा कथा मे कोनो-ने-कोनोरूपेण आमकथा भेटत।िवनीत उपल : समीक्षा लेल की कहबअिछ ?राजमोहन झा : समीक्षा खुलल दृि सँनिह भऽ रहल अिछ। लोक अपन ईय-ेष सँ रचना कए समीक्षा कए रहलअिछ। िनपक्ष व िनभर्य भए कए समीक्षानिह भए रहल अिछ। आई-काि जेसमीक्षा भए रहल अिछ ओिह मे धैयर्कअभाव अिछ। ऑजेिक्टव निह रहैतछैक लोक। जकरासँ रू रहए छिथतकर ठीक सँ समीक्षा निह करैत छिथआ जकरा सँ नीक संबंध छैक ओकर‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्18


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्संग खूब उठाबैत छिथ। समीक्षा लेलदृि काज करैत छैक।िवनीत उपल : की समीक्षा करबा मेयिक्तगत आक्षेप आवयक अिछ ?राजमोहन झा : समीक्षक बुझैत छिथ,जे हम समीक्षा कए रहल छी, तँ लेखकपर उपकार कए रहल छी, हुनका हमउपकृत कए रहल छी। एकांगीदृिकोण बड़का फेक्टर अिछ। समीक्षामे रचनाक समीक्षा होएबाक चाही निहिक यिक्तगत आक्षेप।िवनीत उपल : ई गप किहया सँ छैक?राजमोहन झा : पिहनो रहए, आबोछैक। संकीणर्ता बेसी भए गेल अिछ।हमर िवचारे पिहने एतेक निह छल जेएखन भए रहल छैक। अपन लोक कएघुसाबैक लेल मारामारी भए रहल छैक।हालत जेहन भए रहल छैक तकरिवरोध होएबाक चािह।िवनीत उपल : नवतुरुआक लेखनकेँकोन दृि सँ देखैत छी ?राजमोहन झा : नबका लोक भाषाकिदस उदासीन छिथ। बेसी लोककेँभाषाक ित मोह निह छिन, अपनवनिह छिन। जिहना-जिहना जेनरेशन आगूभेल, भाषाक उदासीनता बढ़ल गेल।बेसी लोक मैिथली बाजब छोिड देनेछिथ।िवनीत उपल : मैिथली मे दिलतसािहय लेल अहांक मंतय की ािछ ?राजमोहन झा : सािहय मे वगकरणवृित जे भए रहल अिछ, ओ िवखिडतकए रहल अिछ। सािहय सृजनामकतासँ यान हटा कए िवशेष वगर् पर यानदेबासँ सािहय िवखिडत होएत। दिलतकए लेखन मे अएबाक चाही।िवनीत उपल : ी लेखक लेल कीकहब अिछ ?राजमोहन झा : ीगण कए सािहयलेखन मे जरूर अएबाक चाही। कोनोवगर्क लेल सम सािहय कए िवखिडतनिह करबाक चािह। खंिडत दृि निहहेबाक चािह। एकरा लेल चाही समदृि।िवनीत उपल : मैिथली भाषा मे ीलेखकक संख्या िकएक कम अिछ ?राजमोहन झा : सबहक मूल मे िशक्षाअिछ। िमिथला मे ी िशक्षाक चार-सार निह भेल। सहभािगता आसहृदयताक कमी रहल।िवनीत उपल : मैिथली केँ संिवधानकआठम अनुसूचीमे शािमल हेबासँिवकासक लेल की कहब अिछ ?राजमोहन झा : जतय तक भाषाक छैक, संिवधान संगे यूपीएससी परीक्षा मेशािमल होयबाक गप छैक, एकरा सँिकछु खास बल भेटिह बला निह छैक।भाषाक समृिक लेल समपर्ण चाही।तकर ास भए रहल अिछ।िवनीत उपल : तखन की कएल जाए?राजमोहन झा : मूल गप भाषामे वृतबच्चा सभ हुअए। कूल सँ पिहनेपिरवार छैक। पिरवार मे भाषाकसमुिचत थान देल जाए, तखने बच्चासबहक िवकासक संग भाषाक िवकासहोएत। ई गप धीरे-धीरे कम भए रहलअिछ।िवनीत उपल : नवलोकक लेल िककहब अिछ ?राजमोहन झा : हुनका सभ कए सािहयसँ ओ लगाव निह छिन जे पिहलुकालोक कए छल। जखन धिर नवलोककए सािहय सँ लगाव निह होएत तखनधिर िकछु निह होइत। एकर बादेमैिथली कए उवल भिवय छैक।िवनीत उपल : एखुनका समीक्षा लेलकी कहब अिछ ?राजमोहन झा : मूल वतु लोक छैक।समीक्षाक लेल यैह छैक। जाऽ तकलोक निह बदलत, दृिकोण निहबदलत, ऑजेिक्टव निह होएत, तखनधिर िकछु निह होएत। समीक्षाक लेलतटथता चाही, िनरपेक्षता चाही।िवनीत उपल : मैिथली भाषाक चार-सार लेल की करबाक चाही ?राजमोहन झा : ई िनभर्र करत सरकारपर, ई काज बेसी नीक जकाँ कएसकैत अिछ। सामूिहक यास लोककहोएत, संथा आगू आएत, तखन होएत।मैिथलीक नाम पर जे तमाशा होइतअिछ, ओकरा बंद कई पड़त। लोकरुिच जगाबक लेल काज करए पड़त।िवनीत उपल : चार-सार लेलनवलोककेँ कोन दृि सँ देखैत छी ?राजमोहन झा : समय-समय पर सभिकछु बदलल। नव जनरेशन आयल।समय मे पिरवतर्न भेल। अपन संकृितलेल, भाषाक लेल पिहलुक लोक मेसमपर्ण बेसी छल। जेना-जेना जनरेशनबदलल, समपर्ण कम भए गेल। एकतरहे किह सकैत छी जे वैिकसपूणर्ता िदस बेसी बढ़ल गेल अिछ,थानीयक िविशता पाछु छुिट रहलअिछ। ग्लोबल बेसी हुअए लागल लोक,लोकल गौण भए गेल। एकरा मेसामंजय रखबाक चाही। एकरा बूझएपड़त। िविशता आ सारभौमताथानीयता मे छैक। सभ संग हेबाकचाही। अपन जे िविशता छैक तकरािबसिर जाइ सेहो उिचत निह छैक।सबहक संग-संग चलैत अपन िविशतानिह छोड़बाक चाही।िवनीत उपल : लेखन में जीवनानुभवककी थान छैक ?राजमोहन झा : जीवनानुभव लेखनकसमत आधार छैक। अनुभव पक्ष शूयरहत तँ अहां की िलखब। अहांकिलखब सािहय निह रहत।िवनीत उपल : आजुक युगकबाजारवादी दुिनया आ सािहयक लेलकी कहब अिछ ?राजमोहन झा : जावत अहां बेिसकनीस मे अपना कए सीिमत राखबतखन की होएत। सािहय आगूक चीजछैक। भौितक साधना मे अपनाकेँसीिमत राखब तँ सािहय िदस िवमुखताउप हेबे करत। ई मूल जरूरत छैक,‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्19


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्ई आवयक छैक, तकरा संग-संगनैितक मूय सािहयक लेल आवयकछैक। नैितक मूयॲ उपेिक्षत निह रहए,ई पक्ष सबल हुअए। मूल जरूरत िदसलोकक बेसी यान छैक, ई ेंड चिलरहल छैक आ आगुओ ई रहत। जिहना-जिहना भौितक सुख-सुिवधा बढ़ल उच्चमूय मे ास होइत गेल। ओिह िदस सँदेखब तँ राजनीित मुख होइत गेल।दोसर पक्ष ई जे अयाम पक्षक ासहोइत गेल, जखन िवकास बढ़ल। भाषामे तकनीकक िवकास तँ भेल, मुदा जेमूय बेसी रहिन ओिह्मे ास भए रहलअिछ। बाहरी िवकास बढ़ला सँ जेिविशता, जे िमता छैक ओ कमभेल। बहुत लोक किह रहल छिथ जेभाषा मिर रहल अिछ, से ठीक कहैतछिथ। घर सँ िनकािसत भए रहलछैक ई भाषा। पािरवािरक भाषा निहरहल ई, मरबाक लक्षण छैक।िवनीत उपल : एकर उपाय की ?राजमोहन झा : समयक धार कए कोनोयास सँ बंद निह कए सकैत छी।िशक्षाक िवकास भेल अिछ। पढ़एबलाक संख्या बढ़ल। कूलक संख्याबढ़ल। जािह अनुपात मे ई बढ़ल ओिहअनुपात मे आंतिरक मूय घटल।जानकारी तँ बेसी बिढ़ गेल अिछ,सूचनामक ज्ञान बच्चामे जतेक बेसीछैक, ओिह उ मे ओिह जमाना मे निहरहै। मुदा, ज्ञान धरले रिह गेल। िशक्षामे जे िवकास भेल अिछ, ई वृिसंख्यामक अिछ, गुणामक िवकास निहभेल अिछ। ई बात सही छैक, जतेककूलक संख्या बढ़ल, ज्ञान ओतबेककम भए गेल।िवनीत उपल : तखन िवकास ख़राबगप अिछ ?राजमोहन झा : ी िशक्षा पिहने निहरहए, काफी वृि भेलए। मुदा, बहुतरास साइड इफेक्ट भेल। दवाई बढ़ल,साइड इफेक्ट मे वृि भेल। ओकरारोकबाक कोनो उपाय निह भेल अिछ।िवनीत उपल : अहां े रचनाककरा कहब ?राजमोहन झा : सवर्े रचना ओहोयत अिछ, जे ओिह युग बीत गेलाकबादो े रहत अिछ। कालजयी छैक।कायम रहैक छैक पोथी आ रचनाकार।सुमनजी, िकरणजी, आरसी बाबू ेरचनाकार रहिथ। हुनकर रचना एखनोे मानल जाइत अिछ।िवनीत उपल : एहन कोन रचना छैकजकरा फुसर्त भेटला पर अहां बारंबारपढैत छी ? जखन मानिसक परेशानीरहैत अिछ तखनो ?राजमोहन झा : एहन कोनो पोथी निहअिछ। जखन जे भेट जाइत छैक,तकरे पढैत छी। मानिसक सुधाक शांितलेल जे पोथी उपलध रहैत अिछ सैहभऽ जाइत अिछ।िवनीत उपल : मानिसक शांित लेल कीकरैत छी ?राजमोहन झा : एहन कोनो काज निहछैक। उपलधता पर हम कोनो काजकरैत छी। िलखबाक मन होइत अिछतँ िलिखयो लैत छी। मनक अनुरूपकाज तािक लैत छी।िवनीत उपल : सािहयक रचनाक लेलकी योजना अिछ ?राजमोहन झा : बाबूजीक रचनावलीिनकालबाक लेल सोचने छी। तीन खंडिनकािल चुकल छी आ तीन खंड बाकीअिछ। अपन तीन टा पोथी िदमाग मेअिछ। पिहल-संमरण संह आ दोसरआलोचनामक/समीक्षामक लेख संिहतकरबाक अिछ। तेसर ई जे कथा सभछूटल छैक, लेख सभ सेहो छूटल छैक,ओकरा िनकलबाक अिछ।िवनीत उपल : जीवनक लेल कीयोजना अिछ ?राजमोहन झा : लािनंग क िहसाब सँजीवन निह चलैत छैक। पािन जिहनाबाट तािक लैत छैक, तिहना जीवनचलैत छैक। लािनंग सँ बहुत काजोनिह होइत अिछ। एकर आवयकतासेहो निह होइत अिछ। लािनंगकअनुसार सभ काज भए जाइत, एहनोनिह होइत अिछ। Men proposesGod disposes. हम तँ सोचैत छीजे propose निह कएल जाएत।एिहना जीवन छैक।िवनीत उपल : जीवन आ सिहयकदृि सँ अपनेक कोन समय सभसँ बेसीनीक छल?राजमोहन झा : 1965 सँ 1975 धिरसमय सबसँ नीक रहल, सािहय दृिसँ सेहो आ सामाय दृि सँ सेहो।ओकरा बाद खराबे किह सकैत छी.किहया धिर चलत निह जनैत छी।िवनीत उपल : रचना करैत काल कीयान रखबाक चाही ?राजमोहन झा : कालजयी रचना लेलकोनो िसांत वा िशक्षण निह होइतअिछ। सािहय रचनाक लेल कोनो पाठनिह होइत अिछ। एकर कोनोउपयोिगता निह होइत अिछ। आनकलाक लेल कूल छैक। सािहय लेलनिह छैक। कोनो एहन ेिनंग कूलनिह छैक जे सािहयकार बनायत।कोनो िवज्ञापन निह छैक जे छह मास मेई चीज िसखा देत।िवनीत उपल : मैिथली सिहय मे नवलेखक केँ की सुझाव देब ?राजमोहन झा : मागर्दशर्न आ सुझावकपक्ष मे हम निह छी। िजनका मे ओितभा/योग्यता होएत, ओ अपन बाटतािक लेताह। िसखओने सँ िकयोसीखबो निह करत। मूल वतु अनुभवछैक. अनुभव संप छी, अनुभवकसंवेदनाक पकड़बाक हुनर अिछ। सेलेखक मे अंतिनर्िहत रहैत छैक ।रचनाक लेल अनुभव करबाक तागितजरूरी छैक। तकरा िबना लेखन निहहोएत। अिभयिक्तक देबाक लेल कौशलआ भाषा हेबाक चाही। जतय ई िवकासहोएत, सफ़ल होएत। िशक्षण वामागर्दशर्नक जरूरत निह छैक।*िवनीत उपल : बोध समान 2009ात करबाक लेल बधाई।‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्20


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्आभाष लाभअ तवता(२०२८ सालमें डा.राजे िवमल आ ीमित िवणा िवमलक स तानक रुपमें जनकपुरक देवीचौकक िनवासमें ज म लऽ २२वषर् पिहने सँ िनर तर मैिथली गीत सँिगतक आकाशमें ुवतारा जकाँ चमकैत रहऽबला एकटा िमिथलाक बेटा छिथ, गायकआभाष लाभ। बा येव था सँ िविभ न मँच सबपर अपन आवाज सँ दशर्क ोता सबके हृदयमें वास कयिनहार आभाष लाभ,मैिथली आ िमिथला सँ स ब ध रखिनहारकलेल चीरपिरचीत नाम अिछ। तुत अिछ, गायक आभाष लाभ सँगक भेलबातचीतक मुख आश)१. आभाष जी गीत सँगीतमें किहया सँलगलहुँ?किहया सँ लगलहुँ से त नईं बुझल अिछ,मूदा बच् चे सँ जनकपुर आ लऽग परोसकगाँव सबहक एकौटा म च हमरासँ नई छुटैतछल।२. पिहलबेर आहाँक रेकडड गीत कोन अिछपिहलबेर हम नेपाल सँ बहराएल अशोकचौधरीक मैिथली कैसेट पानस में गीत गएनेछलहुँ।३. मैिथली गीत सँगीतक अव था केहनबुझा रहल अिछ?जतेक होयबाक चाही ओतेक सँतोष जनकनिह अिछ। नव नव ितभा जािह तरहेँएबाक चाही, नई आिब रहल छैक। दोसरबात अखन िविध एतेक परफेक् ट भऽगेलछैक जे पाइ सेहो वड खचर् होइत छैक ।४. की बुझाइया, मैिथली गीत सँगीतमेंलािगकऽ अखनुक युगमें बाँचल जा सकैतअिछएकदम नीक जकाँ बाँचल जा सकैया एहीक्षेमें लािगकऽ। मैिथलीक क्षे बहुत पैघिछयै। जॱ मेहनितसँ नीक काज कएल जाएत मैिथलीयो सँगीतक क्षेमें बहुत पाई छै।उदाहरण लऽ सकैत छी, हमरे सबहककैसेट “रे छॱडा तोरा ब जर खसतौ”के जे१५ लाख ित िबकाएल छल। तिहना“गीत घरघर के” जे जिहया सँ बहरायलतिहया सँ आइयोधिर िबकाइते अिछ। हँ,काज नीक होयबाक चाही।५. यारोडीके भाव केहन पिड रहल छैकमैिथली गीत सँगीत पर? यारोडी मौिलकके साफ साफ खतम कऽदैत छैक। गीत सँगीतक क्षेमें लागल टासबके मनोवलके तोिडकऽ रािखदेने छैक यारोडी गीतसब।६. यारोडी गीत सँगीत सँ िप ड छुटबाकउपाय कीदेिखयौ, जखन अपन सँगीत या गीत नई हुएतखन यारोडीके िकछु हद धिर पचाओलजाऽ सकैया, मूदा मैिथलीमे अपन मौिलकसँगीतक आभाव त किहयो नई रहलै।जहाँतक यारोडी गीत सँगीत सँ िप डछुटेवाक बात छई त अइमे आम जे ोतासब छिथ, जे वा तिवक रुपमें चाहैत छिथकी अ पन मौिलक सँगीतक िवकास होइ,हूनका सबके यारोडी गीतके िनरु सािहतकरबाकलेल तािह कारक क् यासेट िकनऽसँपरहेज करऽ पडति ह आ सँचार मा यमसबके सेहो ओहन गीत बजेवा सँ बचऽपडति ह, तखने ई सँभव अिछ।७. नेपालीय आ भारतीय िमिथला चलमेंमैिथलीक बहुत रास काज भऽ रहल छैक,की अ तर बुझाऽ रहल अिछ दूनु देशकमैिथलीक काजमेहम त मा एतबा बुझैत िछयै जे एकटाहमर सहोदरा िवदेशमे कमाऽरहल अिछ आहम नेपालमे। दूनु ठाम अपना अपना तरहेंकाज भऽरहल अिछ एतबे बुझु।८. अखन सऽभ भाषाक गीतमे िरिमक् सकेबािढ आएल बुझाित छई, एकरा कोन रुप सँआहाँ देखैत िछयै?बहुत नीकबात छई िरिमक् स गीत औनाई।समय अनुसार आधुिनकीकरण होयबाकेचाही। समाजकलेल आ बजारकलेल गीतगौनाई दूनु दूटा बात िछयै, तािहमें गीतसँगीतक यावसायीकरणमे िरिमक् स बहुत नीकसँकेत छई। िरिमक् स गीत बहरेवाक चाहीबशत अपन सँ कार नई लु त भऽ जाईताइके यानमें रखैत।९. अखनधिर कतेक गीत गएलहुँ जे रेकडडअिछ?अखनधिर लगभग साढे तीनसय गीत हमगािब चुकल छी जे रेकडड अिछ।१०. क् यासेटके अलावा कोन िफ ममें अपन वर देने छी आहाँ ?मैिथलीमे दहेज,ममता,ितम,आिशवदिफ ममे, तिहना भोजपुरी िफ मसब सजनाके आगना, ममता, तहार गिलया आिदमे ।११. टेज शो के सीलसीलामे कतऽ कतऽगेलहुँ?अपन देश नेपालक लगभग सबठामकेअलावा, कतार (४बेर), दूवई (२बेर),मलेिशया, पािक तान, बंगलादेश, भारतकिविभ न शहरमें अखन धिर जाऽचुकल छी।१२. नव की आिब रहल अिछ मैिथल ोतासबहक लेल?बहुत जि दए िनिखल राजे क सँगीतमेभेनस क् यासेट सँ िरिलज भऽ रहल अिछ....(सौजय: मनोज मुिक्त)‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्21


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्अतवतसरकारके यान छिठ पाविनपरदेवाक चाही.....डा. राम दयाल राकेश(सँ कृित िवद)छिठ पाविन मधेसक सं कृितिकएक मानल जाईत अिछ ?–छिठ पाविनक अपने मौिलकिवशेषता छइ,, ई पाविन शुरु होबऽ सँएकमिहना पिहने सँ पाविन कयिनहार सबतैयारी मे लाईग जाईत छिथ । एकरतैयारी आ पूजाके जॱ देखल जाय तअईमे िवशु मधेसी सं कृित पाओलजाईत अिछ। पाविन केिनहार सँ लएकएओिह तैयारीमे लागल हरेक यिक्त ओसं कृितमे भीजल रहल पाओल जाइतअिछ। ओकर साद सँ लऽक हरेकसामगी्रमे मधेसक सं कृित देखल जाईतछक, ओ पाविनके अवसरमे गावै वालािविभ न धुन तथा गीत सब मैिथलसं कृितमे गाओल जाईत अिछ।ई पाविन िकयाक मनाओल जाईतअिछ ?–एकर अपने पिहचान आ िवशेषताछैक। सब पाविन सँ अई पाविनकेअपने इितहास छैक िकया त कोनोपाविन एसगरे अपना घर पिरवार मेरिहकऽ मनाओल जाइत अिछ मुदा ईएकटा एहन पाविन अिछ जे खुलाजगहमे सामूिहक रुप सँ मनाओल जाइतअिछ। अई पावन के माे लोकता ीकपाविन कहल जा सकैय िकयाक त अईपाविन मे कोनो भेदभाव उच् च नीच, जातभात नई देखल जाइत अिछ। अईपाविनमे सूयर्के पुजा भेलाके कारणआओर एकर गरीमा के उच् च देखल जासकैय। सूयर् जिहना ककरो पर भेदभावनई क कऽ स पूणर् जगतके रोशनीदान करैत अिछ, तिहना छिठ पाविनसब के एक समान रुप सँ देखैत आईवरहल छैक।डा. राम दयाल राकेशई पाविन अपना परीवार के सुखसमृिके लेल तथा कोनेा रोग व् यधानई लागै से मनोकामना सँ मनाओलजाइत अिछ। भोर आ साँझक सूयर्केिकरणमे एक कारके गरीमा होईत अिछजकरा रोशनी सँ शरीरमे रहल िविभ निवमारी फैलाब वाला िकटाणु सबके न टसेहो करैत चमर्रोग सँ बचाबैत अिछ।चमर् रोगके अचुक दवाई मानल जाईतअिछ छिठ पाविन।छिठ पवर् मे मिहला सब अपनाआचरा पर नटुवा िकयाक नचवैत छैथ?–एकरा एकटा ाके रुपमे लेलजा सकैय, छिठ माताके यानमे रािखक कोनो िकसीमके मनोकमना केला सँजॱ ओ पुरा भ जाईछै त ओई देवता परआरो ा बैढ जाईछै आ ओिहिकसीमके कौबुला क क अपना आँचरपर नटुवा नचवैत छैथ।छिठक घाट पर चमार जाईत सबढोल( डुगडुगीया) बजावैत छिथ, ओकरिक िवशेषता अिछ ?–ओकरो जाितय तथा सं कृितपिरचयके रुपमे लेल जा सकैय, ओजाईत सब अपन सं कृित आ सं कारकेबचएबाक लेल ओ काज क रहलअिछ। ओ ढोल बजला सँ घाट परकतेक मधुरता आ रौनक महशुस होईतरहैत अिछ, ओना त कते लोक सबअेजी वाजा बाजा क पावैन मानावैतछैथ मुदा जतेक ढोल पीपही केआवाजमे सं कृित के झलक भेटैत अिछओते कोनो बाजामे नई।अई पाविन मे सूयर्के पुजा होईतोपर छिठ माता या छईठ परमे वरीके नामसँ िकयाक जानल जाईत अिछ ?–सूयर्के अथर् उषा होईत अिछ, उषाभगवितके रुपमे पुजलाके कारण एकराछठी माताके रुपमे स बोधन कायलजाइत छैक। ओना त प ट रुपमे कतौने अई िवषयमे चच भेल अिछ लेकीनिकछ शा मे महाभारत के कुि त शुरुमेछिठ पाविन केनेे रहैथ ओही िदन सँछिठ पाविन शुरु भेल अिछ से कतौकतौ उ लेख पाएल जाईत अिछ।िदनकर के आ जलके िक स ब धअिछ ? जल के आ िदनानाथके बहुतगिहर स ब ध अिछ, िबना जलकेिदनकरके पुजे नई भऽ सकैय हुनकाखुश करबाक लेल जल चाहबेटा करी।छिठएके उदाहरणके रुपमे लऽ िलय, ओपाविन िबना जल के नई भऽ सकैयकोनो जलासय नई भेला पर अपनाघरमे खिधया खिन क ओइमे जलराईख क पाविन स प न करैत अिछ,िकयाक त िदनानाथे सूयर् छिथ। एकटाएहो किह सकै िछ िक सूयर् मे बहूतगम भेला के कारण जल के अघर् देलासँ ओ िकछ ठ ढा होइत छैथ।लोकताि क गणत मे छिठपाविनके सं कृितके बारे मे अपने िककहब अिछ ?–हम गणत नई किहकलोकत के चच करैत ई कहव िकछिठ एकटा िवशु लोकताि क पावनअिछ, समानुपाितक ढगं सँ एकरामनाओल जाइत अिछ। सामूिहक रुपमेमनबाक सँगिह अई मे कोनो भेद भावनई होइत अिछ। गरीब सँ लक धनीकतक सब एकरा समान ढगं मनावैतअिछ।जनता गणत के र ता चलनाईशूरु कदेलक मुदा सरकार अखुनोे पाछापरल अिछ। अखनोे मधेसी पहाडी बीचदिलत गैर दिलत बीच, गरीब धनीककेबीच भेदभाव अिछ, िक एकरे गणत कहबै ? नवका नेपाल बनाबऽ लागलनेेतागण सबके छिठ पाविन सँ िकछिसखवाक चािह।(सौजय: मनोज मुिक्त)‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्22


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्सािहय मनीषी मायानद िमसँसाक्षाकारिशव साद यादव ारा। डॉ. ीिशवसाद यादव, मारवाड़ी महािवालयभागलपुरमे मैिथली िवभागायक्ष छिथ।भागलपुरक नामी-गामी िवशाल सरोवर’भैरवा तालाब’। जे परोपामे रोहु माछकलेल िस अिछ। कारण एिह पोखिरकमाँछ बड़ वािद। िकएक ने! चौगामाकगाय-महॴसक एक मा चारागाह आरनानागार भैरबा पोखिड़क महाड़।दिक्षणबिड़या महाड़ पर मारवाड़ी महािवालयछाावास। छाावासक ांगणमे हमर(अधीक्षक) िनवास। आवासक वेश ार परलुक-खुक करैत साँझमे बुलारोक धाप।हॉनर्क विन सुिन दौिड़ कए घरसँ बहारभेलहुँ। दशर्न देलिन िमिथलाक िपूितर्, महानिवभूित- िदय रूप। सौय ललाट। तािह परचाननक ठोप, भय पिरधान। तािह परिमिथलाक पाग देिखतिह मोन भेल बाग-बाग।नहुँ-नहुँ उतरलिन- सािहय मनीषी मायानद,महे ओऽ धीरे। गुरुवर लोकिनकशुभागमनसँ घर-आँगन सोहावन भए गेल।हृदय उमंग आ उलाससँ भिर गेल। मोनस ओऽ मुिदत भए उठल। गुरुवरआसन हण कएलिन, यथा साय वागतभेलिन। तदुपरात भेंटवातक म आरभभए गेल। तुत अिछ हुनक समतसािहय-संसारमे समािहत भेंटवातक ई अंश:-. ’िमिथ-मािलनी’ केँ अपने आोपातपढ़ल। एकर समृिक लेल िकछु सुझाव?उ. ’िमिथ मािलनी’ वयं सुिवचािरतरूपें चिल रहल अिछ। थानीय पिका-िशव साद यादवसंग हमर सभ िदनसँ िवचार रहल अिछ जेएिहमे थािपत लेखकक संगिह थानीयलेखक-मंडलकेँ सेहो अिधकािधक ोसाहनभेटक चाही। एिहमे थानीय उपभाषाकरचनाक सेहो काशन होमक चाही। एिहसँपारपिरक संगठनामक भावनाक िवकासहोयत।. ’िमिथला पिरषद’ ारा आयोिजतिवापित मृित पवर् समारोहमे अपनेकेँसमािनत कएल गेल। ितिया?उ. हम तँ सभ िदनसँ मैिथलीकिसपाही रहलहुँ अिछ। समान तँ सेनापितकहोइत छैक, तथािप हमरा सन सामायकित अपने लोकिनक नेह-भाव हमरा लेलगौरवक वतु भेल आ िमिथला पिरषदकमहानताक सूचक। हमरा सता अिछ।. अपने सािहय सृजन िदिश किहयासँउमुख भेलहुँ?उ. तकालीन भागलपुर िजलाकसुपौलमे सन् ४४-४५ मे अक्षर पुरुष पंरामकृण झा ’िकसुन’ ारा िमिथलापुतकालयक थापना भेल छल तकर हमसातम-आठम वगर्सँ मैिक धिर अथत् ४६-४७ ई सँ ४९-५० ई.धिर िनयिमत पाठकरही। एिह अययनसँ लेखनक ेरणा भेटलतथा सन् ४९ ई. सँ मैिथलीमे लेख िलखऽलगलहुँ जे कालातरमे भाङक लोटाक नामेकािशतो भेल सन् ५१ ई. मे। हम तकरबादे मंच सभपर किवता पढ़ऽ लगलहुँ।. अपने िहदी एवं मैिथली दुनूिवषयसँ एम.ए. कएल। पिहल एम.ए. कोनिवषयमे भेल?उ. मैिकमे मैिथली छल िकतु सन्५० ई. मे सी.एम. कॉलेज दरभंगामे नामिलखेबा काल कहल गेल जे मैिथलीकावधान निह अिछ। तैँ िहदी रखलहुँ। तैँरेिडयो, पटनामे काज करैत, सन् ६० ई. मेपिहने िहदीमे, तखन सन् ६१ ई. मेमैिथलीमे एम. ए. कएलहुँ।. िहदी सािहयमे थम रचना कीथीक आ किहया कािशत भेल।उ. िहदीक हमर पिहल रचना िथक,’माटी के लोक: सोने की नया’ जे कोसीकिवभीिषका पर आधािरत उपयास िथक आजे सन् ६७ ई. मे राजकमल काशन,िदलीसँ कािशत भेल।.अपनेक िहदी सािहयमे १. थमशैल पुी च २. मंपु ३. पुरोिहत ४.ीधन ५. माटी के लोक सोने की नैया,पाँच गोट उपयास कािशत अिछ। एिहमेसविधक महवपूणर् उपयास कोन अिछआओर िकएक?उ. अपन रचनाक संग वयं लेखककी मंतय दऽ सकैत अिछ? ई काज तँिथक पाठक आ समीक्षक लोकिनक। एना,िहदी जगतमे हमर सभ ऐितहािसक उपयासचिचर्त रहल अिछ। अिधक िहदी समीक्षकशंसे कएने छिथ। गत वषर्सँ िहदीकसाट ो. नामवर िसंह जी िहदीक ेउपयास पर एकटा िविश कायर् कऽ रहलछिथ, जािहमे हमर थम शैल-पुी नामकगैितहािसक कालीन उपयास सेहो संकिलतभऽ रहल अिछ। एिह उपयास पर िवतृतसमीक्षा िलखने छिथ जयपुर युिनविसर्टीक डॉशंभु गुत तथा हम वयं िलखने छी एिहउपयासक संग अपन मंतय। ई पुतकराजकमल काशनसँ छिप रहल अिछ।असलमे थम शैलपुी’ मे अिछ भारतीयआिदम मानव सयताक िवकासक कथाम-जे कालातरमे हड़पा अथवा सैंधवसयताक िनमण करैत अिछ जकर मशःअंत होइत अिछ। हम वयं एकरा अपनसफल रचना मानैत छी, समीक्षको मािनरहलाह अिछ। एना, पुरोिहत अपना नीकलगैत अिछ। ’ीधन’ िमिथलाक इितहासपर अिछ।‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्23


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्अबू सुथारगुजराती किवगुजरातीसँ अंेजी अनुवाद हेमांगदेसाई ारा। अंेजीसँ मैिथली अनुवादगजे ठाकुर ारा।गृहमोहगंध पिहल बुीकआ हमबैिस आपसारी एक-दोसराक िदसभेिदत पड़पड़ाइत बुीक बुदबलुआही मािट भेलयथाथर् छननीआएल खर रौदक फोकापाथरक चामपरअिवलबझझायतछातक खपराक भूरधारक संग उगडुम करतनवतुिरआ बरद कछेरपर नाचत।सभटा गलीमेबरद सभ आनत पािनसोलह टा पालो बािह गरदिनमेसभ घरमेधरिन सभ नहाएत जी भिरदेबालपरगाछक छातीपरमृितक िशलालेखपरहदसैत पािनखोलतहताक्षर भगवानक पूवर्जक।बरखाक संगेचमकैत आकाशमाएक कोमल तरहथी।सूयर् करत आच्छािदतवृक्षकशाखाकपातकपँखुिडक।टाँगल पिक्षक आवाससभ गृहक बाहरमयूर सभ करत नृय।जेना िय नव वधुमयूरीक माथपरक जलक घटगामक दोगहीसँ िनकलतअनबा लए पािनिछटैत नहक आकारक झीलवैतरणी डुमाएतरीढ़युक्त नागफनीक पात।संगजीव आ िशवकरत अमी आ एकादशीचमा उगतचुीक कटगर पीठपरआचाली सभ बहराएतआडबरसँ राजसी मुकुट धेनेसयेिकछु अकठ अिछ हमरा सभकभाग्यमेआइआइगंध पिहल अछारकआ हमबैिस आपसरैत एक दोसरामे।‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्24


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्ी आाचरण झा (१९२०- )।मंगरौनी। संकृतक महान िवान। मैिथलीमे िमिहर, बटुक, वैदेहीमे रचना कािशत।दरभंगा संकृत िव.िव. केर ितकुलपित। रापितसँ समान ात।भगवयाः सीतायाःसंरक्षकोजनकः- “िवदेह”-एकं महनीयं िववरणम्१. िमिथला राजधायां जनकपुरेएकदा महिषर्ः अावः समायातः।तेषां वकू शरीरं दृवा तसमुपिथताः जनाः हिसतवतः। तंदृवा महिषर्ः उक्तवान्- अयाःजनाः केवलं व्आ रूपं शरीरंपयित।आमानं न जानित।एतेषां नागािरकाणां भवान् कथं“िवदेहः” इित ज्ञातुं न शोित।२. महाराजः जनकः उक्तवान्-यथाथर्ता इयं नाित। केवलं वशरीरम् अवलोक्य िवांसःहिसतवतः, िकतु सव महातःज्ञािननः सित।३. ”िवदेह” उक्तवान्- भवतांमतके जटायां एकिमन् पाे जलंपूयर् थापयािम। भवता सह एकःमनीषी गच्छित। भवतः सपूणर्ंराजभवनं मतु (पयतु)। िकतुपाथं जलं यिद एकं िवदुं यपितयित ततः एव परावतर्िययित सिवान्।४. महिषर्ः अावः समंराजासादं पयन्-मन् परावितर्तः।महाराजेन जनकेन पृम्। िकंराजभवनं दृवतः भवतः?महिषर्णा किथतम्- ’राजभवनं निमतं, िकतु मम यानं जलिवदुपतने आसीत्, न िकमिप दृम्।५. िवदेहः जनकः किथतवान्-’भवतः िजज्ञासायाः समाधानं तुजातम्। भवतः समं राजभवनंमतः न िकमिप दृवतः।तथवाहं सविण कायिण कुवर्न् नत मनसा- आमना च संलग्नःअिम।महिषर्ः समायाचनां कृवापरावितर्तवान्। उपयुर्क्त घटनाचंमाणयित यत् मनः एव सवर्ंकरोिम। ’मन एव मनुयाणां कारणंबध मोक्षयोः”- ीमदभगवगीता..”‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्25


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्अजय सरवैयागुजराती किवगुजरातीसँ अंेजी अनुवाद हेमांग देसाई ारा। अंेजीसँ मैिथली अनुवाद गजे ठाकुर ारा।अहाँक तामस हमर वागतपथ“अहाँ आवेित छी ितविन आ मोहकवरसँ”. पालो नेरुदाचधर आ पीयुषक लेल“कहाँ धिर हम िखचैत रहब एना”? ओपूछतआ मुखसँहेराएल आँिखसँहम राखब सोझाँ शदकेँ, ओ रखतीहिनयमावलीहम करब सोझाँ अपन इच्छा,ओ मकेँहम देबिह मेघ, ओ चहम आनब , ओ पलायनहम ितभाक ेमी, ओ बधनकहम वक आकांक्षी, ओिनजर्नताककिहया धिर? हम बुझलहुँ नीक जकाँहमर भाग्य रहए फराकहमरा सभक िदन राित सेहोऋतु आ पाबिन ितहार जकाँसमय काल हमरा सभक अतरहमरा सभक िविभता रहएिविभहमरा सभ ेम करैत रहीकतेक िदन धिर?अजीत कुमार झागोवराही, दुहबी-6, धनुषा, कनकपुर नेपाल। सित, हानवेल, यूके.मे अययनकाका काकी दहेज लेलिथका भोरे िबदा भेलाहजीट-जाट आ कािह छटापुछलहुँ का एना कतएकहल जे जाइ काल टोक निञ नेअबए छी कने बजार भेनेमीठ पकवान आ िमठाई नेनेएहर काकी घरकेँ नीपलसर सफाई कका चमका रहलकोन अवसर जे एना भ’ की रहलपुछलहुँ जे काकीसँ कहलिनबौआ आइ घटक आिब रहलअच्छा तँ दोकानक सजावट छी ईाहकक वागतक तैयारी छी ईसभ िकछु आइ नव तेँ लािग रहलभाइजीयोक मुँह चमिक रहलकािह छटाक’ केश रँगा क’पान चबाबैत कुतमे बाहलजतेक बिढ़या समान ततबे बिढ़यादामबनीमाक राज काक’ खूब नीकसँबुझलघटक जी अएला िनहािर क’देखलाठोिक बजा क’ सभ िकछु परखलाभाइजीपर ओ’ फेर बोली लगेलिथमोल तोल केँ ल’ क’ खूब भेलघमथर्नसवा चािर लाखमे भेल बात पादेखू आजु हमर भै या िबकेलिथलागिनक सूद-मूर सभ उपरभेलिहजमा-पूँजीकेँ खूब नीकसँ भजओलिथका काकी आइ हमर दहेजलेलिथिनमुख बरद जेकाँ भैया िबकेलिथका काकी आइ हमर दहेजलेलिथ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्26


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्अिमत कुमार झा,चैनपुर, सहरसाबुढ़ी माताअपन पिरवार- माँ, बाबूजी, भाइ, बिहन)संग पटनाक शेखपुरामे रहैत रही, बाबूजीपी.डलू. डी. मे एस.डी.ओ. एकटा िसईमानदार अिधकारी रहिथ, सभसँ पैघ भैयापी.एच.ई.डी.दुमकामे पोटेड रहिथ। हमसेंट जेिवयसर् कूल, गाँधी मैदानसँ बारहमाकरैत रही, पढ़ाइ-िलखाइमे बहुत नीकरही, पढ़ाइ-िलखाइक अलावा कोनो काजनिह रहए, ओइ पढ़ाइ-िलखाइक कारण हमबहुत कम उमे नीक पद- मैनेजर िबरलाुप- पर छी, हमर िकछु दोत रहए जेओिह समयक पैघ राजनीितक पिरवारसँसंबंिधत छलाह- एिह िवषयमे बादमे कहब-आइक ितिथमे सेहो बहुत पैध थानपरछिथ। बारहमाक संगिह राम मनोहर राय,एस.पी.वम रोड, पटनासँ मेिडकलएेंसक तैयारी सेहो करैत रही।मुख्य घटना मोन पड़ैत अिछ जनवरी१९९५ क – कोिचंग क्लास ५.३० बजेभोरे सँ होइत रहए, हम घरसँ अहारे-४.३०-४.४५ िनकलैत रही। पटनामेजनवरी मासमे बहुत ठडी पड़ैत छैक,ओिह समयमे आर बेशी ठंडी पड़ैत रहए।ठंडा, ऊपरसँ अहार सुनसान रता, बहुतडर सेहो लगैत रहए, लेिकन एक नयाजोशमे सभ िकछु िबसिर जाइत रही। ११जनवरी १९९५ केँ कोिचंगमे ’मोयुलटेट’ रहए, ई कारण हम ४ बजे घरसँकोिचंग िनकिल पड़लहुँ- कारण ठंढाककारण लेट निह होए। हम जिहनापुनाइचक-हड़ताली मोड़क बीच मेन रेलवेलाइन लग पहुँचलहुँ, अचानक एक टाघोघ तनने, किरया कबल ओढ़ने बुढ़ीमाता सामना आिब गेिल, हम तँ डरसँसाइिकलसँ खिस पड़लहुँ, देखलहुँ तँ ओबहुत बुढ़ आरो डॉंर लगसँ झुकललागल। हम उिठ कऽ ठाढ़ भेलहुँ, गरदासभ झािड़ कऽ जिहना चलय लऽ चाहलहुँतँ ओऽ आवाज देलक,..सुन..अ..बौवा...डरसँ हालत खराब भऽ गेल..चारू िदससँसनसन जेकाँ आवाज महसूस हुअलागल। डरल-डरल ओकरा लग गेलहुँ..।पुछलक...कतए जा रहल छी!!! ताऽ तकओ अपन घोघ निह हटेने रहए।डरसँ अबाज तँ जदी निहिनकलल...;लेिकन िहमत कऽ कए जवाबदेलहुँ, कोिचंग जाइ छी।फेर पुछलक..कथी के पढ़ाइ करैत छी..!!बातसँ अपनापन लागल।हम कहलहुँ-डॉक्टरीक तैयारी करैत छी..अच्छा बैस..दोसर पढ़ाइमे मोन निह लगैतछौ- िनदश दैत-..कनी देर रुिक जो तखनजिहऍंताऽ तक समय लगभग ४.४५ भऽ गेलरहए..एक दू टा आदमी सभ सड़कपरसेहो नजिर आबए लागल। लेट होइतरहए एिह कारण िहमत कए कऽकहलहुँ...हमरा लेट भऽ रहल य..हमरआइ परीक्षा अिध अिछ।कोनो बात निह..जवाब भेटलबड़ असमंजसमे पिड़ गेलहुँ..की करी..निञ.करी..एक मोन होइत रहए, चलैत लोककेँअवाज दी, मुदा सड़क फेर सुनसान भगेल।तखने ओऽ अपन घोघहटेलक..हुनकर...चेहराकेँ देिखते लगभगआवाज बेहोश भऽ गेलहुँ..बुढ़—झुरदारचेहरा...ओिहपर मदर् जेकाँ...दाढ़ी...मोँछ...हेभगवान आइ-धिर एहन निञ देखनेरही...हमर हाव-भावकेँ देिख ओऽबजली...हमरा देिख कए डर लागएछौ..निञ डर। हम दोसर िकओ निञिछयौ...पता निञ िकए ओऽ िकछु अपनजेकाँ लागए लागल...ताऽ तक लगभग ५से ऊपर टाइम भऽ गेल...रोडपर दूध/यूजपेपर बला हॉकर सभ नजिर आबएलागल...िकछु कालक बाद अवाज भेटल- आब तूजो..घुरैत काल अिबहेँ...हम हवाक भाँित/तीर सँ बेशी तेजीसँ िनकललहुँ...बहुत लेटभऽ गेल रही...साइिकलकेँ अपन क्षमतासँबेशी तेजीसँ चलबए शुरू कए देलहुँ,जिहना गाँधी मैदान/ सजी बागक मुँहपरपहुँचलहुँ...देखलहुँ जे जबरदत एक्सीडेटभेल रहए, पूरा रता पुिलस लॉक क देनेरहए- एक्सीडेंट लगभग २० िमनट पिहनेभेल रहए, जािहमे चािर टा लोक आ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्27


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्एकटा चाहक दोकानदार मारल गेल...ओऽचारू टा हमरे इंटीयूटक छा रहए जेनीक चाह पीबए खाितर रुकल रहएलेिकन...!!हमहुँ ओिह चाहबलाक दोकानपर रोजरुकैत रही- अगर बूढ़ीमाता निञ भेिटतएतँ हमहुँ ओिह समयमे चाहक दोकानेपररिहतहुँ ...फेर पता निञ...)- चाह िपबैकतँ आदित निह रहए मुदा ठंढ़ाक चलतेपीिब लैत रही।कहुना इंटीयूट पहुँचलहुँ..ओिहठामघटनाक सूचना पहुँिच गेलरहए...इंटीयूट दू िदनुका लेल बद कऽदेल गेल। छाक घरबलाकँ सेहो सूिचतकए देल गेल, हमहुँ बुझल मोनसँ घरघुरए लगलहुँ, घर घुरैत काल ओएहबुिढ़या ओहीठाम भेटल...ओिहना घोघतनने...लग जाऽ कए सभ घटना सुनेलाकबादो ओ कोनो जवाब निह देलक...िकछुकालक बाद कहलक...बौआ हमरा भूख लागल यऽ!!की खाएब !!! हम पूछिलयिनचूरा आ शर..जवाब भेटल।संयोग एहन रहए जे ताऽ तक हम सभतरहक समान िकनबाक वाते कोनोदोकानपर निह गेल रही, कारण घरमेकाज करए लेल बहुत आदमी रहए दोसरघरक सभसँ छोट रही। तैयो दोकानपरगेलहुँ आरो बुढ़ी-माता लऽ चूरा-गुड़ कीिनकए अनलहुँ।िकछु देरक बाद हम पुछलहुँ..कतए जेबही,हम पहुँचा देबौ।“कतहु निञ”, जवाब भेटल।“रहबीहॴ कतए”, हम पुछलहुँ।इएह जगह” सीधा जवाब भेटल।“खाना कतए खेबहॴ”...पुछलापर जवाबभेटल- “ तूँ खुआ, बेशी बक-बक निञकर, खाइ लेल दे फेर तू पुिछहँ जे पूछएके छौ”- िबकुल रुखल जवाब सेहोभेटल। संगिह नेहसँ कहलक- “तूँहोखो”।हम तँ अजीब मुिकलमे पिड़गेलहुँ..ओकरा अकेले छोिड़ कए जाइ केमोन सेहो निञ करैत रहए...आिखर कीकरी...बहुत सोचलाक बाद िनणर्यलेलहुँ..जे हुअए एकरा अपना संग लऽजाइ...िरक्शापर बुिढ़या आरो साइिकलपरहम, घर पहुँिच ओकरा गेटपर ठाढ़ कऽबाहर ठाढ़ कऽ हम घर गेलहुँ, सभकहानी अपन माताजीकेँ बतेलहुँ, बुिढ़याबाहरमे ठाढ़ छै, सेहो किह देलहुँ। सभसँपैघ समया जे बुिढ़याकेँ आिखर कतएराखी...माताजी कहलिखन- नीचाँमे एकटारूम खाली छै- ओिहमे जगह देल जाए,सभ बेबथा-िबछोना, कबल, साफ साड़ी-कऽ कए ओकरा घरमे बैसेलहुँ। साँझमेबाबूजी ऑिफससँ अएलाह तँ हुनका सभकहानी बतेलहुँ।बाबूजी कहलिह-“बुिढ़या किहया तकरहतहु”।“निञ पता”- हम कहलहुँ।फेर माताजी सभ सहािर लेलिह ..आरोबाबूजीकेँ समझा देलिखन। बुढ़ी-माताकसेवा करब हमर रोजक यूटी भऽ गेल।कोिचंग जाइसँ पिहने आधा घटा, आबएके बाद १ सँ डेढ़ घटा हमर समय बुढ़ीमाता लग बीतए लागल। भोजनक अलग-अलग फरमाइश होइत, सभ िकछु पूराकरैत एक सताह बीतल, एक िदन अपनालग बैसा हमर बारेमे पूछए लागल- जेनाअपन दादी-दादा-अज- बुढ़ी माता िदससँकहल गेल- तूँ दोसर पढ़ाइ- मेिडकलछोिड़ कऽ– कर। बहुत नाम हेतौ, खूबपैसा कमेबे, माँ-बाप तोरापर नाज करतौ,दसम िदन राितमे िबना िकछु बतेने पतानिञ कतए चिल गेलय- आइ तक निहभेटलीह...एखन तक हम इतजार करएछी जे बुढ़ी माता एकिदन जरूर भेटतीह।बुढ़ी माताक बात िबकुल सही भेल जखन१४-१५ घटा पढ़ाइ करबाक बावजूदसी.बी.एस.ई. मेिडकलमे वेिटंग आिब गेल।बी.सी.ई.ई.मे डेयरी ाच भेटल,एम.डी.ए.टी.मे १००% चास रहए- ९०%एक्यूरेट सही कएने रही- मुदा परीक्षा-के िमलत कॉलेज, दरभंगा केिसल भऽगेल..एिह कारणसँ हम ेशनमे रहएलगलहुँ। पढाइ-िलखाइ बद कएदेलहुँ...जे एतेक पढ़ाइ करए के बादजखन सफलता निह भेटल तँ आबकिहयो निह हएत।फेर हमरा बुढ़ी-माताक बात याद भेल,संगिह बाबूजी सेहो कहलिह- अपन ैकचेज करू, लगभग ओही समययू.जी.सी.सँ ३ टा नया कोसर् पटना आमगध िविवालयकँ भेटल- बायो-टेोलोजी, जल आ पयवरण बंधन आबी.सी.ए.। एेस परीक्षापर नामांकनिया शुरू भ गेल। बी.सी.ए. हमरािकछु ढंगक कोसर् बुझाएल, एेस देलहुँआ पास क गेलहुँ। यू.जी.सी. बी.सी.ए.कथम बैचक पिहल छा हम रही जेअितम परीक्षा ८९% सँ पास केलहुँ।बाबूजी कहलिह- आब यू.पी.एस.सी.कतैयारी करू, ढंगक सरकारी नोकरी िलअ,लेिकन हमर सोच िकछु आरे रहए।“अगर अपन ितभा/ क्षमताक उपयोगकरबाक अिछतें सरकारी नोकरी निञकरू”। फेर एम.सी.ए. केलहुँ, मोन भेलजे एम.बी.ए. कएल जाय- बहुत किठनरहए आइ.टी.सँ एम.बी.ए. करब। मुदा बुढ़ीमाताक कृपासँ एम.बी.ए. सेहो कऽ लेलहुँ।के पस सेलेक्शनमे िरलायसक ऑफरभेटल। जोइन केलहुँ, फेर एच.डी.एफ.सी.बैंकसँ ऑफर भेटल तँ बैंक जोइन कऽलेलहुँ। हृदयमे इच्छा रहए जे टाटा-िबड़लामे नोकरी करबाक चाही। बुढ़ीमाताक कृपासँ इच्छा पूरा भऽ गेल आिबड़ला ुपसँ नीक थानक ऑफर आिबगेल। जोइन सेहो कऽ लेलहुँ आ एखनतक एतिह छी..आब इच्छा अिध िदली/मुबइक बहुत सेवा केलहुँ...आब अपनिबहार/ िमिथलाक सेवा कएल जाय..बुढ़ीमाताक कृपासँ ओहो भऽ जदूतए मुदासभसँ पैघ इच्छा अिछ बुढ़ी-माताकदशर्नक..पता निञ होएत िक निञ...‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्28


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्अमरे यादव(िदधवा, स तरी)हमर मैिथलीडाक् टर च दे वरजी,अहाँक बाबूजी िपयौने हेिथ हउठौना दूधअहाँकेँ पोसने हेिथ ह भाड़ापरक माएलेिकन हमरा नओ मिहनाधिर गभर्मेमैिथलीए केलिख ह स हारसोइरी घरमे सेहो मैिथलीए केलिख ह दुलारहम किनयाँक पशर् िवना जीिब सकैत छीह थमैथुनक उ कषर् िवना जीिब सकैत छीलेिकन मैिथलीक आकाश िवना निहमैिथलीक वास वास िवना निहडाक् टर च दे वरजी,हमर खाँडो, खुी आ बलानमे बहैत अिछ मैिथली ।हमर िदनाभदरी आ सलहेशक दलानमे रहैत अिछ मैिथली।क पना आ यथाथर्िजनगीक हड़हड़ खटखटसँ दूरमृ युक तगेदासँ अ जान बनलिजनगीक अित य त समयसँिकछ पलखित चोराकऽअहाँक यादक उडनखटोलामेउिड जाइ छी हमेमक अ तिरक्षमे।नदीक ओिह पारदू गिछया तऽरहमर कोरामे औठलहमरासँग हँसैत बजैतखाइत छी अहाँ स पतखाइत छी हमहूँ स पतअहाँक तरह थीकेँ चुिमकऽखोिस दैत छी हमएकटा गेनाक फूलअहाँक खोपामे।तखने हमर नाकमे अचानकढकैत अिछ जरल तरकारीक ग धआ अकचकाइत उठैत छी हमिमझबय लेल टोभतखने हमर नजिर पडैत अिछटेबुलपर राखल िचीपरजे काि हए एलै हमर गामसँआ हमर आगा नाचय लगैत अिछभरना लागल खेतबाबूक फाटल बेमायबिहनक कुमािर सॴथभायक पढाइ खचर्आ मायक द मा बेमारी।‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्29


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्अनलकांतमैिथली ैमािसक पिका अंितकाक सपादक। िहदीमे गौरीनाथ नामसँ लेखन दू टा िहदी कथा-संह कािशत।तपर्णगामक िछच्छा आब एकोरी नीकनइँ लािग रहल छै डॉक्टर कामना यादवकेँ।लोके अधी होइ छै, वंशउजाड़ौनहोइ छै! अपने हाथ-पयर भकोिस कृतमुखबिन जाइ छै!...मुदा एना तँ नइँ जे गामककोनो चीहे-पिहचान नइँ रहय? कत' गेलओ गाम जे उजि़ड-उपिट गेल अपनभूतपूवर् गौआँ लोकिनक वे टा मे अबैअिछ?...तखन ओ अपना आँगनक क'ल लगबाथकीट आ कपड़ा रािख पछुआिड़ धिरआयल छिल। ई पछुआि़ड ओकरापोखिरक पूबािर महार पर छलै। जत' एकटा कागजी नेबोक गाछ छलै आ ओिह मेमारतेरास नेबो लुधकल छलै। िकछुपीयर-पीयर नेबो खिस क' सिड़ गेलछलै। कने हिट पितयानी सँ पाँच टाअड़रनेबा गाछ रहै। ओहू मे कैक टाअड़रनेबा तेहन पीयर सँ ललौन जकाँ भ'रहल छलै जे खसेला पर भाक-भा भ'जयतै। िकछु मे तँ िचड़ै-चुनमुनी भूर सेहोतेना पैघ-पैघ क' देने छलै जे िभतरकालाली लखा दै छलै। ओ भूर सब केँयान सँ देिख रहिल छिल। िक एक टाअड़रनेबाक भूर देिख ओ िचड़ैककलाकारी पर मुग्ध भ' गेिल। ओिहअड़रनेबा मे ऊपर-नीचाँ पातर आ बीच मेकने चाकर भूर तेहन ढंग सँ बनायल छलैजेना अंेजीक एक टा 'वी' अक्षर परदोसर 'वी' उनिट क' राखल हो!...ओिहपर एक गो बिगया रािख देने पूरा भूरमुना जयतै!ओिह भूर देिख बिगया मोन पड़ला सँओकर अरुआयल-अरुआयल सन मोनओस नहायिल दूिब जकाँ लहलहा गेलै।एिह बेर गाम अयलाक बाद पिछला तीनिदन मे ई एहन पिहल क्षण छलै जखनओकर ठोर पर मुकीक पातर-सन रेहजगिजयार भ' अयलै।पिछला तीन िदन सँ ओ एक टाढंगक रखबार आिक चौकीदार लेलपरेशान छिल। कैक टा एजेंसीक दलालसँ गप क' चुकिल छिल। सब कैक टाने रखबार ल' क' आयलो छलै, मुदाकामना यादव केँ जेहन ामीण टाइपककाजुल आ अनुभवी रखबार चाही छल, सेनइँ भेिट पािब रहल छलै।ओकर दादा कारी यादवक अमल सँरिह रहल बुढ़बा रामजी मंडल आब अपनबेटा-पोता लग रहय चाहै छल। ओकरपैरुख सेहो थािक गेल छलै। जेना-तेनाकारी यादव सँ मंगनी यादव धिरक जीवनतँ पार लगा देलकै, मुदा तकरा बादकामना लग हाथ जोि़ड देलकै, ''नइँबुच्ची, आब पैरुख नइँ छौ। िकछु िदनहमरो बेटा-पोता संग रहैक सख पुरब'दे।''एिह पर की कहैत कामना?...तेँ ओससमान बुढ़वाक िवदाइ कर' चाहै छिल,मुदा कोनो दोसर रखबार भेटतै तखनेने?...पिछला दू मास मे ई ओकर तेसरयाा छलै। लगले लागल ई याा ओकरापरेशान कयने छलै, मुदा ओकर समयाकिनदान नइँ भ' रहल छलै। ओहर पूना मेओकर क्लीिनक एक-एक िदन ब भेलासँ जे परेशानी आिब रहल छलै, सेअलगे।बापक जीबैत कामना गामक बाटिबसिरए जकाँ गेिल छिल। कैक बेर तीनवा चािर साल सँ बेसी पर आयिल छिल।तिहना दू मास पिहने मंगनीलाल यादवकमुइलाक बाद जे ओ गाम आयिल छिलसेहो ायः दू साल सँ बेसीए पर। ईरच्छ रहलै जे ओकर बाप ओकराक्लीिनकमे मुइलै आ तकाल गाम अयबाकझंझिट सँ बिच गेिल। नइँ तँ एसगिरजान की-की किरतय? एहने ठाम भाय-भातीज, का-पीसा, बिहन-गोतनी आिकजाउत-जयधी बला पुरना पिरवार मोन पि़डजाइ छै लोक केँ। जे-से, ओ एसगरुआछिल तेँ किहयो ओकरा पर कोनो दबावोनइँ देलकै ओकर बाप। तीन सँ चािरमास नइँ बीतै िक बुढ़वा अपने पहुँिच जाइपूना। फोन पर तँ गप होइते रहैछलै।...बापक मादे सोचैत-सोचैत कामनाकठोर ओकर नजिर चारूभर सँ भटिक क'पोखिरक अँगनी िदस झुकल लताम गाछपर चिल गेल छलै। एिह गाछक रतबालताम तेहन ने लाली लेने रहैत रहै जेनासुग्गाक लोल िक ओकर अपने तिहयाकठोर बुझाइत रहै।लताम गाछक पात कोकिड़या गेलछलै। फूल-फर एखन नइँ छलै। मुदा‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्30


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्िकछुए मास मे, कने गरमी धिबते, एकरपात फेर नव तरहेँ लहलहा जयतै आफूल-फर सँ लिद जयतै एकर डािर।फेर-फेर एिह पर लुधिक जयतै डहा आपाकल लताम। तखन फेर बहरेतै एिहरतबा लतामक भीतर सँ वैह लाली। मुदाओकर ठोर? नइँ, आब तँ बाजारक महँग-सँ-महँग िलिपिटको नइँ सोहाइ छैओकरा। गाछक आमा िडबा मे के भिरसकैए?पछुआिड़क मारतेरास अड़हर-बड़हर,अा-शरीफा, अनार-बेल, केरा-मुिनगा सनगाछ पर सँ नजिर हटा कामना यादवपोखिरक पािन मे खेलाइत माछ िदसताक' लागिल। चािर-पाँच टा रोहुक एकटा झुंड पैघ-पैघ सुंग डोलबैत िझहिरखेला रहल छलै। पािनक सतह पर दूरधिर खूब-खूब हलचल पसिर रहल छलै।एिह हलचल मे हेरायिल कामना दू डेगआगू बि़ढ दूिबक िनमर्ल ओछाओन पर टाँगपसािर बैिस गेिल। ओिह दूिब परकचनारक िकछु फूल खसल छलै। एकफूल उठा हाथ मे तँ ल' लेलक, मुदाओकर नजिर पािनक हलचले पर रहलै।ई हलचल ओकरा भीतर एक टा नवहलचल अनलकै। ओिह हलचल संगबहैत-भिसआइत कामनाक भीतर कतेक नेअतीतक पा फडफ़ड़ाब' लगलै।......ई पोखिर ओकर दादाक खुनायलछलै। अपन पूरा जीवन गाय-महीसक बीचगुजार' बला ओकर दादा एिह परोपाकअंितम अँगुठाछाप छलै। ओना रोज-रोजगाय-महीस दूहैत ओकर अँगुठाक िनशानमेटा जकाँ गेल छलै। तािह पर, गोबर-गॲत िगजलाक बाद, सिदखन ओ तीनिकलोक हरौती आिक गेहवाँ लाठी जेपकड़ने रहैत छल, से ओकर हाथक रेखाखाय गेलै। मुदा ओकर कपारक रेखाजगिजयारे होइत गेलै। खदबद करैतपंिडत-पिजयार आिक बाबू-बबुआन सभ सँभरल गामक एक मा 'अहूठ गुआर'कहाब'बला कारी यादव ओिहना 'मड़र' नइँकहाब' लागल छल! दूध-घीक पैसा आिकगाछ-बाँस आ उपजा-बारी सँ कै गोटेसुयत भेल अिछ? ओिह सँ पैत-पानहबिच जाय, तँ बड़का बात!...से जेना-तेनापैत-पानह बचबैत कारी यादव वयंअँगुठाछाप होइतो अपन एकमा मँगिनयाबेटा मंगनी यादव केँ शहर-नगरक कॉलेज-यूिनविसर्टी धिर पढै़ मे कोनो कमी नइँहोअय देलक।कारी यादव सुधंग लोक छल।ओकरा नजिर मे दरोगा आ बीडीओ सँबि़ढ दुिनया मे कोनो हाकीम नइँ छलै आसैह ओ अपन बेटो केँ बनब' चाहै छल।मुदा मंगनी यादव से नइँ बिन सकल। ओकाशीक नामी िविवालय मे ोफेसरबनल तँ की? बापक लेल माटरेछल!...ओ रंगमंचक मशहूर कलाकार भेलतँ की? बापक लेल नचिनञेछल!...िबयाहो ओहरे कयलक। मुदा कारीयादव लेल धनसन।मायक चेहरा मोन नइँ छलै मंगनीकेँ। बापेक राहल खाइत अपना हाथेंबनायब सीखलक। तेँ बापक दुःख ओकराबेसी छटपटाबै, मुदा बाप लेल ओ िकछुक' नइँ पाबय। ई फराक जे हरसाइतमंगनी बाप केँ खुश करैक खूब यास क'रहल छल। ओ जखन-जखन गाम आबय,बाप लेल मारतेरास कपड़ा-ला आ अनेकसामान आनय। मुदा ओकर बाप केँ तकरदरकारे ने रहै छलै! खरपा पिहरय बलाकारी यादव केँ चपल-जूता सँ गोड़ मेगुदगुदी लागै। गोलगला छोि़ड कुतपिहरब ओकरा कोनादन ने बुझाइ।मंगनीक आह पर बाबा िवनाथक दशर्नकरबाक लोभ ओकरा बनारस जयबा लेलउसकाबै तँ जरूर, मुदा माल-जाल आगाछ-िबिरछक िचता पयर रोकै। तेँ ओबेटा लग बनारस किहयो ने जा सकल।गाछ-िबिरछ सँ बुढ़वाक बेसी लगावकएक टा खास कारण ईहो छलै जे बेसीगाछ बुि़ढयाक लगायल छलै। फेरबुि़ढयाक सारा सेहो सरौली आम आ बुढ़वाधाी गाछक बीच मे छलै जे गोहाल सँओकरा सुत' बला मचानक ठीक सोझाँपड़ैत छलै तिहया। ओइ सारा पर एक टाने एक टा तुलसी गाछ सब िदन रहैछलै। गाय-महीस दुहलाक बाद बुढवाओही तुलसी गाछ िदस घुिरक' धार दैतछल। फेर नहेलाक बाद ओिह तुलसी आधाीक जि़ड मे पािन ढारब सेहो नइँिबसरै छल।मंगनी जिहया ठेकनगर भेल छलतिहया सँ बाप केँ अपने हाथेँ भानसकरैत देखने छल। ओकर किनयाँकगौनाक बाद ई सब िकछु िदन लेल छुटबोकयलै, मुदा कामनाक जमक िकछुए मासबाद ओ अपन पिरवार बनारस आिनलेलक। फेर बुढ़वाक वैह हाल भ' गेलरहै। मंगनी एक टा चाकर रखबाब'चाहलक, तँ बुढ़वा डाँिट-धोिप थथमािरदेलकै, ''धुर बुि़ड! हमरा देह मे कोन घुनलागल जे हम दोसरा सँ चाकरीखटायब?... एहने ठाम कहै छै, माय करयकुटौन-िपसौन बेटाक नाम दुगद!...''िकछु िदनुका बाद मंगनी ताितल मेगाम आयल तँ बुढ़वा केँ कने बीमारदेखलक। बुढ़वा डाँड़ कने टेढ़ क'क'चलै छल आ सूतल मे कुहरैत रहै छल।िदन मे कैक ने बेर लोटा ल' बहराइतछल आ ढंग सँ िकछु खाइतो ने छल।मंगनी कतबो पूछै, ''हौ, की होइ छअ?'',मुदा बुढ़वा सही-सही िकछु बतबैते नेछलै। बुढ़वा केँ शहरक डॉक्टर लग चलैलेल मंगनी कतबो िज करै, बुढ़वा तैयारेने होइ। अंत मे मंगनी खायब-पीिब छोि़डरुिस रहल।तखन बुढ़वा मंगनी केँ मनबैतकहलकै, ''रौ मंगनी, चल खाय ले। तॲिकऐ जान दै छही! हम मिरये जेबै तँ कीिबगड़तै? आब जीिवक' कोनो बाह-पोखिरदेबाक छै हमरा?''''िकऐ हौ बाबू, मिरक' तॲ हमराकपूत कहबेबहक? कह' तँ जीिवक' बाह-पोखिर िकऐ ने दए सकै छहक तॲ?''मंगनीक वर भखिर गेलै।''रौ मंगनी, ओइ लेल एक बोरा टाकाचाही। से ने हमरा दूध-घी सँ हैत, आ नेगाछ-बाँस आिक उपजा-बारी सँ। तोहरमाटिरयो सँ निहऐं हेतौ। कोनो दरोगा-बीडीओ भेल रिहतय तखन ने!...'' कारीयादव गंभीर वर मे बाजल।''हौ बाबू, तॲ नइँ बुझै छहक! हम‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्31


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्दरोगा-बीडीओ सँ पैघे िछऐ हौ। तॲ बाज'ने जे कोन बाह देबहक आिक पोखिरखुनेबहक!...''''ठीके कहै छही रे?''''हँ हौ!...हम तोरा फूिस कहबह?''''बाहक तँ एिह जमाना मे कोनोखगते नइँ छै। एक टा पोखिरए खुना तँबड़की टा, अपना घरक पिम दू िबगहामे। मिरयो जायब तँ, जुग-जुग धिर नामतँ रहतै जे कारी जादब पोखिरखुनेलक।...'' बुढ़वा भावना मे बह' लागलछल।''चलह, पिहने तोहर दवाइ करा दैिछयह। ठीक होइते तॲ मिटका मजूरसब सँ बात करह। जिहयाक िदन तॲठीकबहक तिहए सँ काज शुरू भ' जेतै।''आ से ठीके भ' गेलै। आ ओही संगएक टा चौकीदार, टेहलुक, भनिसया आिकमैनेजर जे बूझी, तािह रूप मे रामजीमंडल केँ ओ रखबौने छल। ई फराक जेतकरा बादो बूढ़वा जावत जीयलै माल-जाल रोमब, दुहब-गारब आिक गोबर-करसी; िकछु ने छोड़लक। रामजी मंडलओकरा घर-पिरवारक अपन समाँग जकाँभ' गेल छलै।...आ कारी यादवक मान-मयदा ततेक बि़ढ गेलै जे ओ पूरा परोपामे 'मड़र' कहाबय लागल छल।कामना केँ ई सब बेसी सुनले छै।ओिह पोखिरक जाग जे भेल छलै तकरभोज कने-मने मोन छै ओकरा। मुदादादाक हाथक तीन िकलोक लाठीक ओलाली एखनो खूब मोन छै ओकरा। ओिहलाठी मे चुरु भिर तेल पचाबैत कालकदादाक मािलश सेहो ओकरा मोन छै। ओलाठी एखनो ओकरा घरक कोनो कोन मेराखल छै ठीक सँ, जुगताक'।ओकर दादा कारी यादवक मुइलाकबादे एत' फूिसघरक जगह पा मकानबनल छलै। मुदा ओिह मे रह'बला रामजीमंडल टा छलै। ओकरा सँ मारतेबबुआनक बीच एक गुआरक घरक ठीकसँ देखभाल नइँ भ' पबै। तािह पर िकछुमालोजाल छलै। सभ छुी मे मंगनी अबैतँ िकछु ने िकछु नव िबदैत भ' गेल रहै।हािरक' ओ आँगन-दलान संगे पोखिर-गाछ-माने पूरा सात िबगहाक रकबाक चारूकात खूब ऊँच देबाल द'क' तकरा ऊपरखूब ऊँच धिर काँटबला तारक बेढ़ सँबेढ़बा देलक। एक जोड़ा किरया गायछोि़ड बाकी मालजाल हटा देलक। तकरासंग रामजी मंडल केँ सख्त आदेश भेटलैजे गाछक कोनो फल आिक तीमनतरकारी ओ जते चाहय खाय सकैतअिछ, मुदा एोपाइक िकछु बेिच नइँ सकैअिछ। तकर पालन करैत रामजी मंडलओकर बाग-बगीचा, बाड़ी-झाड़ी सँ पोखिरधिर केँ सब िदन िखलिखल हँसैत जेनाबनौने रहल। अपने मंगनी दू-तीन मासपर आिब तकतान क' जाय। ओनाओकरा सभक सब छुी गामे मे बीतै छलैआ ओिह छुी मे माय-बापक संग कामनासेहो अबै छिल।जे-से, समय-साल बीतैत गेलै। आएक िदन मंगनी यादव िविवालय सँसेवामुक्त भ' सपीक गाम आिब गेल।तखन कामना अिखल भारतीय आयुिवर्ज्ञानसंथान नई िदली मे एमबीबीएस फाइनलक' रहिल छिल आ दुिनयाँ साधारण सँसाधारण आदमीक मुी मे अँट' लागलछलै।ओिह समय धिर दुिनयाँक सब शहरमे एक तरहक बसात बह' लागल छलै आअपना ठाँक गाम-घर खाली भ' रहलछलै। ककरो बेटा शहर बसलै, तँ बापकमिरते डीह पर निढ़या भुक' लगलै। िकओचारो िदसक कजर् आ उकबा मे घेरायआिक दबंगक ताड़ना सँ डराय राता-रातीगाम छोि़ड देलक, तँ िकओ भूखक आवेगमे जत'-तत' पड़ा गेल। बाबू-भैया लोकिनकोनो ने कोनो कंपनीक थानीय मैनेजरभ' अपना केँ शहरी बनाब' लगलाह, तँिकछु गोटे वातानुकूिलत लाक्षागृह मे सेहलगेबाक यास मे धोती-कुत उजरकर' लगलाह। गाम-गामक खेत-पथारबड़का-बडक़ा कंपनीक फॉमर् हाउस मेबदल' लागल छल। सता कार सनककारखाना आ केिमकस हौज लेल पैघ-पैघरकबा हिथयाओल जा लागल छल।िकसान नामक ाणी मे सँ िकछु अपनेअपन लीला खम क' लेलक, िकछु शहर-नगरक मशीन चलब' चिल गेल आ जेबचल छल तकरा मे सँ िकछु मारल गेल,िकछु केर जीन बदिल एहन मजूर बनादेल गेल जे ने शहरी रहल आ ने देहातीआ जकर ने कोनो भाषा रहल आ नेकोनो आने चीह-पिहचान। सगरे नव-नवकवेंट, नव-नव ढाबा, नव-नव चकलाघरिमक-बुथ आ टेलीफोन-बुथ जकाँ खुज'लागल छलै। आ साधारण लोक 'मैन-पावर' कहाब' लागल छलै। एहने सनआफत-बसात मंगनी यादवक गाम मे सेहोआयल छलै। एही आफत मे रामजीमंडलक बेटा-पोता ओकर काजुल घरवालीधिर केँ ल'क' िदलीक झुग्गीवास कर'चिल गेल।मंगनी यादव जिहया सेवामुक्त भ'बनारस सँ गाम घूरल छल, ओकरा अपनटेशन कातक दोकान मे बेसी अपिरिचतेलोक भेटल छलै। साँझक झलअहारी मेघर पहुँच' धिर कतौ िकओ एहन नइँभेटलै जकरा सँ दूटिपयो कुशल-क्षेम भ'सकैत। रामजी मंडल केँ छोि़ड ओकरआगमन ककरो लेल कोनो खबिर नइँछलै।अिगला भोर गामक सड़क धयनेटोलक एिह कात सँ ओिह कात गुजिरगेल मंगनी, केओ हाल-चाल नइँ पुछलकै।ओत' कतहु ओकरा अपन ओ गाम नइँभेटलै जकरा ओ िचहै छल। जत' पिहनेपंिडत दीनबंधु झाक घर छलै, ओिह ठामशूय-सपाट एक टा मैदान बिन गेल छलैआ तकरा चारूकात खूब ऊँच देबाल रहैजकरा गेट पर एक टा पैघ सन बोडर्टाँगल छलै, 'भिटंडा फामर् हाउस'।पंिडतजीक बेटा आब जामनगर मे बैिसगेल छिन। बेटी अमेिरकी नागिरकता ल'लेने छिन।मंगनी कने आरो आगू बढ़ल, तँदेखलक जेहर पिहने धनुकटोली छलै,ओत' पैघ सन कोनो फैक्टरी खुिज गेलछलै जकरा छतक ऊपर तीन टा मोट-मोट चीमनीनुमा पाइप मारतेरास धुआँछोड़ैत आसमान कारी करबाक अिभयान मेलागल छलै। आ टोलाक कात सँ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्32


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्कलकल हँसैत बह'बला वच्छ-िनमर्लजलधारा बला िमरचैया मे जमुना सनगहाइत कारी पािन तेना जमकल छलैजेना कोनो नाला।मंगनी केँ थकान भेलै आ घर घुरयलागल। घर घुरैत ओ जगह यान मेअयलै जत' पिहने िवशाल-िवशाल बर आपाकि़डक गाछ छलै। ओिह ठाँ लगे-लगकोनो दू गोट मोबाइल कंपनीक िवशाल-िवशाल टावर ठाढ़ छलै। ओ रुिकक'चारूभर ताक' लागल। दूर-दूर धिरदेखलाक बादो ओकरा नजिर पर अपनाघर लगक गाछ छोि़ड कतहु एोटा तेहेनपैघ गाछ नइँ अयलै। जेहरे देखलक सबिकछु एकदम उजड़ल-उजड़ल सन बुझेलै।बीच टोल मे आिब एक ठाम ठमकल।बगलक दासजीक डीह पर कोनो टैंटहाउसक बोडर् लागल छलै। कने हिट एकटा ैवेल एजेंटक साइन बोडर् टँगल छलैजकरा नीचाँ शीशाक गेटक भीतर एक टापगड़ीवला सरदार जी कुस पर बैसलछलै। तकरा दस डेग आगुक ाम देवताथान पर बजरंगबलीक एक टा पैघ सनमंिदर ठाढ़ छलै जकर दिछनबिरया देबालपर कामोेजना जगब'बला कोनो िटिकयाकिवज्ञापन छलै। तकरा बाद मंगनी िकछु नेदेखलक आ सोझे अपना घर आिब गेल।घर मे ओकर पी मुिनगाक तरकारी रािहरहल छिल। ओ ओकरा लग जायअकबका गेल।रसे-रस मंगनी अपन घर आ सातिबगहाक रकबा मे घेरायल पोखिर-गाछ,पछुआि़ड-महार धिर अपना केँ समेिटलेलक। बेटी कामना आ बाकी िहत-िमतसँ संपकर् लेल ओकरा घर मे फोन आमोबाइल छलै, रंगीन ीनबला कंयुटरछलै जकर तार संपूणर् दुिनयाँ सँ जुड़लछलै। घरक पाछाँ पैघ सन आयताकारआँगन छलै। आँगनक पिम-उर कोनमे चापाकल छलै। तकर पछुआि़ड मेपोखिरक महार पर मारते गाछ-िबिरछछलै। ओिह पर सँ कखनो कोयली, तँकखनो पड़ौकी केर सुपिरिचत वरआबै।...माने ओकर गाम ओकरा सातिबगहाक रकबा मे बहायल छलै।जेना-तेना समय किट रहल छलै।कामना िदली छोि़ड पूना मे ैिक्टस शुरूक' देने छिल। मुदा मंगनीक घर पर एकटा एहन कार कौआ बैिस गेल छलै जेजखने ओ दुनू ाणी शांित सँ आराम कर'चाहय िक ओ जोर-जोर सँ टाँिह मार'लागै। भोर होइ िक साँझ, िदन होइ िकराित-कार कौआक टाँिह मारब ब नइँभेलै। आ एक राित कामनाक मायकछाती मे तेहेन ने ददर् उठलै जे डॉक्टरकअबैत-अबैत बेचारी चिल गेिल। आ तकराबाद एसगर मंगनी कारी यादव जकाँ बाड़ी-झाड़ी मे लागल रहय आ बीच-बीच मेकामना लग पूना चिल जाय।...मुदा रामजीमंडल तँ एहन शािपत यक्ष छल जकरालग ने िकओ अबै छलै आ ने ओ कतौजाय छल।...अनचोके कामनाक भक टूटलै।पोखिरक उतरबिरया महार परक कोनोगाछ पर नुकायल कोयली बािज रहलछलै। कामनाक भीतर िकछु उमिड़अयलै। मुदा ओ तकाल उिठ गेिल।नान केँ अबेर भ' रहल छलै।भोजनक बाद ओ आराम क' रहिलछिल िक ओकर मोबाइल बजलै। एक टानव एजेंटक कॉल छलै, ''मैडम, ऐसाकीिजए िक चौकीदार और माली के रूपमें दो अलग-अलग आदमी को रखलीिजए। यहाँ ऐसा कोई चौकीदार नहॴिमल रहा जो आपकी ॉपट के साथपेड़-पौधॲ की भी देखरेख कर सके। यूँपोखर की मछली की देखरेख के िलएमछुआरे की जरूरत िफर भी रहजाएगी।''''नहॴ, तीन-तीन आदमी रखनामुिकल है हमारे िलए।'', कामनाबाजिल।''चौकीदार तो नेपाली ही है मगरमाली जो िमल रहा है, वह एक उि़डयाभाई है। ये दोनॲ हमारे पटना सेंटर केमाफर्त आ रहे हैं और उनकी शतर् है िकवेतन के अलावा हाउिसंग फैिसिलटी भीचािहए।''िबना कोनो जवाब देने कामना कॉलिडकनेक्ट क' देलक। मुदा भीतर सँ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्33ओकर परेशानी आरो बि़ढ गेल छलै। आबएिह गाम मे गाम भने निह रिह गेल होमुदा ओकर बाप-दादा, माय-दादी सभकमृितक गाम सात िबगहाक एिह रकबा मेबेड़हल घर-आँगन, गाछ-िबिरछ, पोखिर-कल सभक बीच छै। कारी यादव सँमंगनी यादव धिरक नाल एतिह गड़ल छै।कारी यादवक माल-जालक गोबर-गॲतएत'क मािटक कोनो ने कोनो कण मेएखनो खादक रूप मे बचल हेतै। ोफेसरमंगनी यादवक कलाकार मोन एिह रकबामे जािह गामक लघु संकरण केँ समेटनेछल, से जरूर एही ठाम कतहु ने कतहुनुकायल हेतै।... की एकरा सब केँ ओलुटा देत?...की ओ अपन िजनगी भिरककमाइ सँ एकर रक्षा नइँ क' पाओत?कामना केँ मोन पडै़ छै जे एक बेरओकर िपता मंगनी यादव बड़ यिथत मोनसँ कहने छलै, ''गाम मे जेहो गाम देखाइछलै, से तोरा मायक मुइलाक बाद नइँबुझाइ छै। कखनो-कखनो तँ मोन करैएजे हमहूँ सब िकछु बेिच-िबकीिन ली। माघर-आँगन आ गाछ-पोखिर सँ गाम नइँहोइ छै, बौआ। जखन पिहने जकाँ केओगौएँ नइँ रहल तँ कोन गाम आ कीगाम?...''कामना िकछु जवाब नइँ द' सकिलछिल तखन। मुदा एखनो मोन छै ओकराजे ओ अपन बापक ओिह हेरायल-बेचैनआकृित केँ बड़ी काल धिर देखैत परेशानभ' रहिल छिल। एो शद एहन नइँभेटल छलै तखन ओकरा जािह सँ अपनकलाकारमना बापक मोन केँ राहत द'सकैत छिल। तखन ओकरा अपनडॉक्टरीक ज्ञान अकाजक बुझायल छलै।सहसा एक कोन मे राखल अपनदादा कारी यादवक कारी खटखट लाठीदेखा पड़लै ओकरा। ओ उठिल ओिहलाठी केँ छुिबक' देखबाक लेल, मुदातखने कॉलबेल जोर सँ बजलै। ओ गेटिदस पलटिल। गेट पर सी सी िमानामक एक टा मैिथली भाषी सेक्युिरटीएजेंटक दलाल छलै जे पिछला दू िदन सँनव-नव रखबार ओकरा लेल तािक रहलछलै।


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्ओिह दलाल केँ ाइंग रूम मे बैसाओ दू िमनट बाद दू िगलास पािन ल'घुरिल। िक िवन सन बनैत ओ दलालबाजल, ''डॉक्टर यादव, सुिनयौ! अहाँ बड़सौभाग्यशािलनी छी जे एखनो अपन बाप-दादाक डीह पर अबै छी। हम तँनोकरीयेक म मे एहर आिब गेलहुँ।कोशीक पूबे सही, मुदा ईहो कहाइ तँ छैआइयो िमिथले ने। हम डीही छी कमलाकातक। हमर जनम भेल िहमाचल मेयास नदी कातक एक टा अपताल मे।बचपन बीतल िदलीक यमुनापार मे आनोकरी भेल कोलकाता मे। मैिथली तँ हमकोलकाता आिब िसखलहुँ सेहो एिह लेलजे हमर दादा मैिथलीक िस लेखकछलाह आ हुनकर िकताब सभक अंेजीअनुवाद एखनो खूब लाभ दै अिछ।...एखनकोलकतेक एजेंसीक काजें तीन मास लेलएिह क्षे मे अयबाक अवसर भेटल। एिहक्षे मे कैक टा कंपनी अपन कल-कारखाना शुरू क' रहल छै, से बहुतजदी एत'क ॉपटक कीमत उछल'बलाछै।...''कामनाक धैयर् चुिक रहल छलै। ओबाजिल, ''अहाँ कह' की चाहै छी?...साफ-साफ बाजू!''''अहाँ अयथा तँ नइँ लेबै?''''बाजू ने!...''''अहाँ यैह ने चाहै छी जे अहाँक ईगाछ-पोखिर बचल रहय, सुरिक्षत रहय आअहाँक बाप-दादाक नाम...''''तँ?...'', कामनाक माथ पर बलपड़लै।''देखू, ओहेन रखबार बड़ महँग पड़तजे अहाँक इच्छा अनुकूल हो। एिह लेलरखबार, माली, मलाह आ मारतेरासमजदूर पर खचर् कयलाक बादो भेटत तँिकछु ने, उनटे िचता आ परेशानी बेचैनकयने रहत।''''तँ की करी?... हम बड़ परेशानछी। ओझराउ जुिन।''''सैह ने कहै छी!...आ लाभक बातकहै छी।...'' क्षण भिर िबलिम ओ बाजल,''एिह ठाम एक टा भय िरजाटर् खोलै केर<strong>अनुम</strong>ित जँ दी तँ अहाँ केँ एक खोखापूरा भेिट जायत। संगे पोखिर-गाछकसुरक्षाक गारंटी सेहो। मा एिह घर-आँगनकेँ तोिड़ नव बहुमंिजला बनब'क <strong>अनुम</strong>ितदेब' पड़त। गाछ सब लग मुक्ताकाश मेटेबुल-कुस लगा देल जयतै आ डािर सबपर जगमग लाइट टँगा जयतै। पोखिर मेदू-चािर टा छोटका नाह खसा देल जयतैजािह पर लोक सब अहिरयो मे इजोिरयाराितक मजा लैत नौका-िवहार करत।पोखिरक बीच मे जािठक जगह एक टाछोट सनक सुइट बिन जायत, जकरिडमांड पयर्टन थल सभ पर सब सँबेसी होइत छै। से एतहु हेबे टा करतै।िकएक तँ एतहु रसे-रस बड़का-बड़काकंपनीक डायरेक्टर, सीईओ, एनआरआईआ िवदेशी मेहमानक आगमन शुरू होबएबला छै।...''''हम अहाँक गप खूब नीक जकाँबुिझ गेलहुँ।... अहाँ तँ बड़ बुिधयार लोकछी यौ!...तकाल अहाँ जा सकै छी, दान-प हम शीे पठा देब!...'' कामना अपनआवाज सयास संयत रखलक।कनेक सकपका जकाँ गेल मृदुभाषीमैिथल दलाल सी सी िमा चालीस सँबेसीक नइँ छल। गेट पार क' ओ एकबेरठमकल, ''कने इमीनान सँ िवचार करबैमैडम। डॉक्टर छी अहाँ, ओड िथंक आभावुकता सँ िकछुओ फायदा नइँ हैत।हािनए-हािन!...''आ हॴ-हॴ क' िठिठआब'लागल।चालीस पार क' चुकिल डॉक्टरकामना यादव मे ौढ़ता आ धैयर् आिब गेलछलै, मुदा तैयो ओ अपना जगह परबैसिल नइँ रिह सकिल। ओ उिठक'दुआिर िदस आयिल। तेज-तरर दलाल सीसी िमा लपिकक' अपन िवदेशी मॉडलकगाड़ी मे बैिस गेल छल। कदमक गाछतर थोड़ेक गरदा उि़डयाबैत ओकर गाड़ीतुरंते फुरर् भ' गेलै।कामना बाहरक ओसारा पर नहुँ-नहुँबुल' लागिल छिल। कदम गाछक बाददेबालक काते-कात लागल िजहड़, अमड़ाआ अशोक पर बेिरयाक रौद खिस रहलछलै। ओिह रौद मे गाछ सभक पात-पातपर जमल गरदाक मोटका परत नीक आरकी हेतह?''रामजी मंडलक बूढ़ चेहरा पर लाजकसंग हँसीक फाहा िछि़डया गेलै। ओिखलिखलाइत उिठक' आँगन चिल गेल।तखने घर मे राखल कामनाकमोबाइल बजलै। पूना सँ ओकरक्लीिनकक फोन छलै। ओ उठबैतेबाजिल, ''डॲट वर! सुबह की लाइट सेआ रही हूँ। एक-डेढ़ बजे तक क्लीिनकमें रहूँगी।'' आ एतबा कहैत ओकर नजिरएकबेर फेर अपन दादा कारी यादवक तीनिकलोक हरौती लाठी पर चिल गेलै। ओलपिकक' लाठी उठौलक।लाठी मे पिहनेक लाली आ चमिकनइँ छलै। कारी खटखट ओिह लाठी परझोल-गरदा जिम गेल छलै। भावावेश मेकामना ओिह लाठी केँ चूम' चाहलक।मुदा रुिक गेिल।...कामनाक हाथ चीह' जोग नइँ छलै।पूरा हाथ कारी भ' गेल छलै। तखनेयान अयलै जे ओकर ओजनो आब तीनिकलो तँ निहये टा हेतै। िक एक ठामलाठी पर कनेक दबाव पि़डते ओकर आँगूरधँिस जेना गेलै! िक ओकरा बुझेलै जे ईलाठी कोकिन क' फॲक भ' गेल छलै आजोर सँ पटिक देने टुकड़ी-टुकड़ी भ'जयतै!... अचांचके डरा गेिल ओ।डराइते-डराइत ओ ओिह लाठी केँ पूवर्वतघरक कोन मे रािख हाथ धोअ' कल परचिल गेिल।बड़ी काल धिर बेर-बेर हाथधोयलाक बादो ठीक सँ हाथ साफ नइँभेलै। सािबकक तेल पीयल लाठी सँआओल एक टा अजीब तरहक गंध हाथमे समा गेल छलै। हािरक' तोिलया सँहाथ पोछैत क्षण भिरक लेल पछुआि़ड िदसगेिल कामना। ओत' ओकरा लगलै, सबगाछ पर जोर-जोर सँ केओ कुड़हिर चलारहल छलै। पोखिर िदस तकबाक साहसनइँ भेलै ओकरा। ओ सोझे पड़ायिल घरआ जदी-जदी अपन ीफकेस सैंत'लागिल।‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्34


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्अंकुर काशी नाथ झागाम-कोइलख, िजला-मधुबनी,िमिथलांचलसरकारी योजनामाथ पर लेने जारैनक पिथया,घुिम रहल छै, कलमें गाछीयेएकटा बुिढ़या ।सब कहै छै ओ हरिजन छै,सरकार ओकरा देने संरक्षणछै,मिहला वला सेहो ओकराआरक्षण छै,तइयो अभगली के गंजन छै।सरकार के ओकर जाित परबहुत छै यान,ओकरा लेल घर बनेबाक सेहोछै ावधान,अ आ कपड़ा में वैह सब छैधान,तइयो ओ खाइ लेल छैपेरशान।इंिदरा आवास आ अपूण केयोजना एलै,बुिढ़या के ई सब भेटब सपनाभेलै,नेता सब के अ भेटलै, घरबनलै,सरकार बुझलकै गरीबककयाण भेलै।एक बेर फेर ओ योजना सऽवंिचत रिह गेलै,पूछलीयै जे ओकरा िकयैकनिह भेटलै,मुिखया जी कहलैन,जगह कम आ बेसी भीड़ छै,मुदा स बात तऽ काकाकहला,बेचारी बुिढ़या शिरफ छै॥‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्35


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्आशीष अनिचहारमनुखमनुख काज करैत जान अरोिप कएआिफसमे, रोडपरवा कतौभिर लैए टका जेबीमेिनकिल जाइए माकिटंग करबाक लेलकीिन लबैएरेडीमेड खुशी वतु-जातक रूपमेकी मनुखरेडीमेड भेल जा रहल अिछ?गजलजीवनमे ददर्क सनेश शेष कुशल अिछनिह कहब िवशेष शेष कुशल अिछअहरा सरकार चला रहल राजकाजछैक बौकक ई देश शेष कुशल अिछदेह बदलैए आमा निह सूिन िलअएहने छैक सरकारक भेष शेष कुशलअिछमुा आ थापड़क उपयोग के करतखाली आँिखए लाल टरेस शेष कुशलअिछगजल कहब असान निह एतेक आशीषआब चलैत छी बेश शेष कुशल अिछअशोक दजनकपुर, नेपालदू टपीपतुिरयासन मुकी मगरसन नोरनेनेभोरसं सांझधिर फ़ुिसएटा परसैएिगरिगट त दुिनयांमे यथ बदनामअिछिगरिगटसं बेशी मनुक्ख रंगबदलैएलुीकरेजपर चोट लगै छै त लुी जनमैछैकेओ जं घात करै छै त लुी जनमैछैफ़ाटल चाहे जे हो देहके व मुदाचीर पर हाथ बढै छै त लुी जमैछैरहओ केहनो अपन मडैया बडा नीकलगैछबास उपट' लगै छै त लुी जनमै छैल कमर्क रङकुच्ची बनबैया अपनफ़ोटोओ फ़ोटो डहै छै त' लुी जनमै छैसोिनत या पािन धरती होइछै समानसभकेभेदके रङ चढ़ैछै त लुी जनमै छैबुिझ छाउर सदर् चाहे जे खेल करएबात जं हकके अबैछै त लुी जनमछै‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्36


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्डॉ. गंगेश गुंजन ( १९४२- )।जम थान- िपलखबाड़, मधुबनी। एम.ए. (िहदी), रेिडयो नाटक पर पी.एच.डी.। किव, कथाकार, नाटककार आ'उपयासकार।१९६४-६५ मे पाँच गोटे किव-लेखक “काल पुरुष”(कालपुरुष अथत् भास कुमार चौधरी, ी गंगेश गुजन, ीसाकेतानद, ी बालेर तथा गौरीकात चौधरीकात) नामसँ सपािदत करैत मैिथलीक थम नवलेखनक अिनयिमतकालीन पिका“अनामा”-जकर ई नाम साकेतानदजी ारा देल गेल छल आ बाकी चारू गोटे ारा अिभिहत भेल छल- छपल छल। ओिह समयमेई यास तािह समयक यथािथितवादी मैिथलीमे पैघ दुसाहस मानल गेलैक। फणीरनाथ “रेणु” जी अनामाक लोकापर्ण करैतकाल कहलिह, “ िकछु िछनार छौरा सभक ई सािहियक यास अनामा भावी मैिथली लेखनमे युगचेतनाक जरूरी अनुभवक बाटखोलत आ आधुिनक बनाओत”। “िकछु िछनार छौरा सभक” रेणुजीक अपन अदाज छलिह बजबाक, जे हुनकर ससगर्मे रहलअिछ आ सुनने अिछ, तकरा एकर यना आ रस बूझल हेतैक। ओना “अनामा”क कालपुरुष लोकिन कोनो रूपमे सािहियकमाय मयदाक ित अवहेलना वा ितरकार निह कएने रहिथ। एकाध िटपणीमे मैिथलीक पुरानपंथी कायरुिचक ित कितपय मुखरआिवकारक वर अवय रहैक, जे सभ युगमे नव-पीढ़ीक वाभािवक यवहार होइछ, आओर जे पुरान पीढ़ीक लेखककेँ िय निहलगैत छिन आ सेहो वभािवके। मुदा अनामा केर तीन अंक मा िनकिल सकलैक। सैह अनामा बादमे “कथािदशा”क नामसँव.ी भास कुमार चौधरी आ ी गंगेश गुंजन दू गोटेक सपादनमे -तकनीकी-यवहािरक कारणसँ-छपैत रहल। कथा-िदशाकऐितहािसक कथा िवशेषांक लोकक मानसमे एखनो ओिहना छिह। ी गंगेश गुंजन मैिथलीक थम चौबिटया नाटक बुिधबिधयाकलेखक छिथ आ िहनका उिचतवक्ता (कथा संह) क लेल सािहय अकादमी पुरकार भेटल छिह। एकर अितिरक् मैिथलीमे हमएकटा िमया पिरचय, लोक सुनू (किवता संह), अहार- इजोत (कथा संह), पिहल लोक (उपयास), आइ भोर(नाटक)कािशत। िहदीमे िमिथलांचल की लोक कथाएँ, मिणपक नैका- बिनजाराक मैिथलीसँ िहदी अनुवाद आ शद तैयार है(किवता संह)।तुत अिछ गुनजीक मैगनम ओपस "राधा" जे मैिथली सािहयकेँ आबए बला िदनमे ेरणा तँ देबे करत सँगिह ई ग-प-जबुली िमित सभ दुःख सहए बाली- राधा शंकरदेवक परपरामे एकटा नव-परपराक ारभ करत, से आशा अिछ। पढ़ू पिहलबेर "िवदेह"मे —स पादकगुंजनजीक राधािवचार आ संवेदनाक एिह िवदाइयुग भू- मंडलीकरणक िबहािड़मे राधा-भावपर िकछु-िकछु मनोेग, बड़ बेचैनकएने रहल।अनवरत िकछु कहबा लेल बायकरैत रहल। करिह पड़ल। आब तँतकरो कतेक िदन भऽ गेलैक। बंदअिछ। माने से मन एखन छोिड़ देनेअिछ। जे ओकर मज। मुदा वतंनिह कए देने अिछ। मनुखदेवा सवारेअिछ। करीब सए-सवा सए पात किहचुकल िछयैक। माने िलखाएल छैक।आइ-काि मैिथलीक महांगन(महा+आंगन) घटना-दुघर्टना सभसँडगमगाएल-जगमगाएल अिछ। सुवागतम!लोक मानसकें अिभजन-बुि फेरबेदखल कऽ रहल अिछ। मजा केरबात ई जे से सब भऽ रहल अिछ-मैिथलीयेक नाम पर शहीद बनवाकउपम दशर्न-िवयाससँ। िमिथलारायक मायताक आंदोलनसँ लऽकतोक अयाय लयाभासकएन.जी.ओ.यी उोग माग सेहो। एखनहमरा एतवे कहवाक छल। से एहनकालमे हम ई िवहास िलखवा लेलिववश छी आ अहाँकेँ लोक धिर पठयवालेल राधा किह रहल छी। िवचारी।राधा‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्37


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्ऑगी हेराएब कोनो तेहन दुघर्ट बातनिह। राधा तें उदासो निह भेलीह।उदास तें ओ आनो आन कए कारणेंछलीह। जेना,शरीरे दुिखत पड़िलछलीह। कोनो टा सिख, क्यो बिहनाकए िदन सं देख' पयर्ंत निह अयलिन।हुलिकयो देब' निह। दुिखत कें होइतछैक आशा आह। बिक पृहा। पृहाई जे क्यो आबए, आिब क' दू क्षण लगमे बैसय, दु:ख पूछय। गप करय।िकछु कहय, िकछु सुनय। मन केंबहटारय।सैह तकरे अभाव आ संबधकजोर।जे अपन निह तकरा पर अिधकारेकोन? जे अपनो अिछ आ अिधकारोबुझाइत अिछ, वातव मे से कतेकअपन?ई अिधकार आ योजनकाथिमकताक अपन-अपन वृ होइतछैक। मनुक्ख-मनक ई लाचारी छैक।ओकरा अपन एिह सीमाक यान राख'पड़ैत छैक आ तिहना संपिकर्त-संबंिधतसमत समाजक यान राख' पड़ैतछैक। से जकरा बुतें एकर, एिह बुिकसंतुलन निह रहल,तकर जीवन कनीकआर मोशिकल।अथत् जीवनकमोशिकली धिर अपिरहायर्।राधाक ई सोचब आ दुखी हएबवाभािवके जे जीवन मोशिकलीक सवारीिथक। िचन चुनमुन बाट पर पिहयासब गुड़कैत आगां बढ़ैत रहल तं बड़िदब। सबटा मन िवरुो अनुभव पाछांछुटैत गेल आ मनलग्गू अनुभव अपनासंग आगां बढ़ैत रहल। कतहु कोनोठाम पहुंिच गेलाक बाद कए तरहें संतुकयलक आ कए तरहें अतृत रािखदेलक।आब फेर एत' सं अनुभवक अतृतसंग जे एकिह क्षण पिहने मा नगयबुझाइत छल, से भ' जाइत अिछखॲचाड़ल मधुमाछी... खॲचाड़लमधुमाछीमक खॲता। िबना िबहनहुं अनेरेठेहुन सं मूड़ी धिर घनघनौने रहत बड़ी-बड़ी काल। हरदम डेरायल मन-काटत,आब काटत...। कोनो क्षणलुधकत आ कािट लेत। यिप िककािटयो लेत तं कोन ओ अहांक गदर्िनछोिप लेत? दंश देत। से मुदा भने मधुजकां निह, िवष िवशाइत दंश। कोनोगदर्िनक निह होइत अिछ- मधुमाछी !-बरु गदर्िनयें काटब सुभीतगर, ओसोचलिन। भने मनुक्ख कें छुटकारा तंभेिट जाइ छैक। आ िदन िदनक िवसिवसाइत भोग-अनुभूितक अनवरत मजे संपूणर् अितवे के बेचैन कयनेरहत। देह-ाणक िकछु टा आनवातावरण निह बनब' देत। िघिसयौरकटबैत रहत। ओही अपन वभावकपिरिध आ तकर योजन मे बहनेरहत। मा बहनहुं टा रिह जाय, तैयोसुकुर, मुदा ओ तं अहांक बुि सं आरसब िकछु कें कािट-बािर क' फराक क'देत। अहॴ कें अपन तेहला बना क'छोड़त। लैत रहू।आब एिह मन मे िकछुओ क्षण रिहगेलॱ िक ओ अहां सं अहॴक पिरचयतलब करत। यावत-यावत तैयार भ' क'अहां उपयुक्त सोचब आ बाजब, तावत-तावत ई बात, अहांक मनक ई मामूलीघटना एकटा समाचार बिन जायत। ईसमाचार िबना कोनो मायम कें रौद आबसात पर सवार भ' क' पहुंिच जायतओत' धिर जत' अहां सोिचयो ने सकैतछी। आब बैिस क' कपार पीटैत रहू।ककरा-ककरा आ की-की बुझयबैक? आसे जकरा बुझयबैक से कतेक दूरधिर,की मानत? जतवा मािनयो लेततकरा सं अहांक जीवन कें की सुभीताआ कोन सुख?हॕ, सुख? की िथक? केहन होइतछैक? कोना होइत छैक? कतवा होइतछैक? ककरा होइत छैक?मुदा... मुदा, िकछु छैक तं अवयेई सुख! सुखक अनुभव अवये छैकएिह पृवी पर-मनुक्ख सं ल' क' सबजीवधारी मे।तें रहैए एकरा पाछांयाकुल-बेहाल! परंतु से केहन छैक-लाल,पीयर, हिरयर,उजर, कारी -केहन? अथत् सुखक कोनो रंगो होइतछैक? कोनो खास रंग?-की वाद छैक? केहन वाद?कोनो फलक वाद? चाउर-दािल-गहूमकवाद? तीमन-तरकारीक?इनारक टटकाजलक वाद? एक संगे दू गोटेकइजोिरयाक चमा बा एकात अहिरयामे तारा गनवाक वाद? कोनोअनिचहार िचड़ैक अपिरिचत बोलअकािन चीहवाक कोिससक वाद? बाभोरे भोरे जमौटी बच्चाक िमलिमलाइतआंिख जकां बाड़ीक कोनो नािह टागाछ मे नव पनगल िदय ललाओनदुपी कें देिख अह् लाद होयवाकवाद?....घन अहार मे ककरो कंठ संअपन नामक सबोधन सुनवाक?कोनो गंध होइत छैक? अर-गुलाब सन, बेली-चमेली सन, तेजपात संछॱकल दािल, कढ़ी पातक बा औंटवाकाल लोिहया लािग गेल दूध सन,सोहायल डाबा सन,-कथी सन?जमौटी बच्चा सन, तुरंत िबयाहिल ीसन आ िक बाध सं घुरल हरवाह-गृहथसन, यमुना जल मे खीचल नूआ-वसन बा पाकल कदंब सन बा ीकृणकसांस सन?सांस मे केहन िनसां छैक !कृणक सांस मे केहन िनसां छिन?कृण मे अपने केहन िनसां छिन ! कृणिनसें छिथ। कृण माने िनसां...।बेचैनी राधाक,बेबस मनक वाह मे,बहैत रहल, यमुना धार सन,राित, रातुक अहार काल मे। सबसूतल अपन-अपन ठाम।धेने सब रातुक िवामक थान।िचड़ै चुनमुी अपन-अपन खॲता।माल जान अपन थैर-बथान।आ मनुक्ख अपन-अपन चौकी-खाट-मचान !िनसभेर िन मे डूमल जीयैत।मा ई एकटा एकसर मनक िवकलिनयित, चुपचापसूतल राितक अहार मे अपनिनब चलैत रहल-बहैत गेल!राधाक मनक वाह यमुना भ'गेल।एतवो पर रच्छ छल, मुदाकहां बांचल समयक इहो एहनोसुभीता,सेहो तं आंजुरक जल भेल।‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्38


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्कतबो ये बचा क' रखवा मे कहांभेलहुं सकारथ?सबटा बिह गेल। कनीक कालरहल भनेभीजल तरहथी-माने िनग्ध,सेहो अिगले पल ऋतुक उणभावक वेग मे िनाहे सुखा गेल।जािन निह ओ आंजुर आ आंजुरकजल कोन क्षण अलोप भेलकोना िबला गेल,कत' गेल?सूयर् लग गेल? चमा लग गेलिक तारा लग? वा मािट मे,पोखिर-इनार-धार, कोनो मे फेर संघुिर गेल, जा क' मीिल गेल जल-अपन उगम सं, उस सं वा भाफबिन क' बन' गेल मेघ? कर' गेलबरखा,?जल कत'गेल? आंजुर भिर जलकत' गेल?ई िकछु िवलाप जकांराधाक मनक पिरताप अपनिहअयंतर मेमुखर चिल रहल-अपनिह कहैत-अपने कें सुनैत।अपने सं सभटा पूछैत।ई केहन िविच आम सबोधन?अपनिह मन सोर पाड़य अपने मन!सॱसे गाम-टोल अछैत,टोलक लोक, संबंधी, सिख-बिहनपाक एिहपसरल समाज आ संसार मे कोनोएकटा मन,एहन असकरएतेक एकातकािट रहल याकुल पल-पलजीवन।अपनिह िवडंबना कें वयं करैतआम सबोधन....-"राधा'' ....!!एं ई की भेल कत' सं कोनआकाशवाणी-"आब केहन मन अिछ अहांकराधा !''के पूछल? बाजल के? के आयलपूछ'-कुशलक्षेम,ककर िथक ई ाणबेधी वाणी?दुलर्भ विगर्क संगीत वर िथकककर?राितक एिह िनब एकात अहारमे के बाजल,ककरा भेलैक हमर िचता?के आयल पूछय-हालचाल,...अच्छा, तं... ई िथकहुनके ताल?राधा कें कानमे पे क्योपुछलकिनहें। िकछुओ संदेह निह,सय छैकः'केहन मन अिछ अहांक राधा...'ई िथक स : अनुभव, कोनो टाम निह।मुदा तखन राधा कें िकयेकलगलिनहें ई िजज्ञासा,पुरुष-कंठक नारी-वर मे ितविन?यिद पुछलिनहें कृण तं पछाितसैह करैत ी के छल ईजकर वर छल?ई अिछ कोना संभव?मुदा िथक तं ई सय,संदेहकथमिप निह।सय तं होइत अिछ सये।वरे परजिरत एिह देहक ताप परजमुना जल भीजल पीतांबरी जकांकेएना पसिर रहल-ए,आलसे िनिनयाइल बसात...जमुना मे िझलहिर खेलाइत,िनब राित।गंगेश गुंजन/राधा- सातम खेप/ेिषत २३ अक्तूबर-२००८.बािढ़क ासदी-पर डॉ. गंगेश गुंजनजीक मैिथली गजलदु:खे टा चारू कात छै आ जीरहल-ए लोकताकैत आसरा कोनो दुःख पीरहल-ए लोक !घर-ािर दिह गेलैक सब बच्चा टाछै बांचलरेलवेक कात, बाट-घाट जी रहल-एलोक !सांझो भिरक खोराक ने छैकअिगला फिसल धिरजीबा लए ई लाचार कोना जीरहल-ए लोक !सबटा गमा क' जान बचा आिब त'गेलयआब फेकल छुतहर जकां हद जीरहल-ए लोक !जले पिहरना, िबछाओन जले छैकओढनाजबकल गहाइत पािन-ए खा पीरहल-ए लोक !सब वषर् जकां एहू बािढ़ मेकारदारिरलीफ नामें अपन झोरी सी रहलिकछु लोक !चिल तं पड़ल-ए जीप-र् क-नावकसे तामझामआब ताही आसरा मे बस जीरहल-ए लोक !किह तं गेलाह-ए परसू-ए दस टनबंटत अएखबार-रेिडयो भरोसे जी रहल-एलोक !घोखै तं छिथ जे देच्च मे पयतअिछ अनाजसड़ओ गोदाम मे, उपास जी रहल-ए लोक !उमेद मे जे आब आओत एन जीओ कतोकद' जायत बािस रोटी, व, जीरहल-ए लोक !अिछ किठन केहन समय ई राक्षसजकां अहारिकछु भ' रहल अिछ तय, तें तंजी रहल-ए लोक !॥ िकछु एहनो बात िवषय॥‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्39


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्यिप एिह बात –‘सगर राित दीपजरय’ पर हम िसांततः भासजीसँसहमत निह रहलौँ, परतु एहर पिछलादशकमे ई ितमाही-कथा गोी- ‘सगरराित दीप जरय’- आजुक मैिथली कथा-िवधामे की योगदान कएलक अिछ, सेतय आब इितहासमे दजर् अिछ। ई बातसही छैक जे एहन कोनो कायर् कोनोएक गोटेक निह होइछ। मुदा सभवर्मानकेँ ओिह एक संथापना-कपकयिक्-लेखककेँ अवसरोिचत रूपेँकृतज्ञतासँ मरण अवय कयलजयबाक चाही। से लेखकीय नैितकतािथक। आ’ हमरा जनतबे, से रहिथ-व. भास कुमार चौधरी।हमरा तखन दुखद िनराशा भेलजखन एिह बेरक मैिथली सािहयअकादेमी पुरकार पओिनहार दीपिबहारीजी सािहय अकादेमी-सभागारमेलेखक-सिमलन-अवसर पर अपनावक्तयमे सगर राित दीप जरयकउपलिधक चच तँ कएलिह, मुदा व.भास जीक नामोलेखो निहकयलिखन। एकरा हम साधारण घटनानिह मािन सकैत छी। गंभीर बात बुझैतछी। कारण हमरा लोकिन रचनाकारछी। औसत कोिटक कोनो राजनीितकनिह। संभव हो नाम अनावधानतामे छूिटगेल होिन। मुदा हमरा सभ लेखक छीतेँ एहन असावधानी करबा लेल वाधीननिह छी। यिप अपन खेद हम हुनकाकट कयिलयिन।हमरा लगैये जे अपन-अपनसकारामक इितहासक ित सभ पीढ़ीकमनमे कृतज्ञताक भाव अंततः लेखककऊज आ’ ेरणे बनैत रहैत छैक। बतौरकिव हम मैिथलीमे जािह काल-िबदु परठाढ छी, तकर जिड़ िवापितसँ ल’सुमन-िकरण-मधुप- आ याीएमे। ईसोिच क’ मन कृतज्ञ होइत अिछ! बिकगौरांिवत। ओना, एकटा लेखक रूपमेहम एिहमे सँ क्यो निह छी। जेना सभ,सभक कारियी थान छिथ, तिहनाहमहुँ नागाजुर्न-याीक कारयाी थानछी। आ’ ई भाव हमरा रचनाकमर्मेअसर करबाक उरदाियव द’गेलय।तपर्ण ितल-कुश –अंजिल बलाकमर्काडकेँ तँ हम निह मानैत छी, मुदापुरखाक तपर्ण हमरा िय अिछ। अपनाशैलीमे। अपन जीवन-मूयक एकटाअिभ तव बुझाइत अिछ।तकर बाट की हो? अवसर परकृतज्ञ मृित! अवसर पर- ितिथ परनिह।भोज परक आँटी- सिरक नव-खािढ़कयुवा नवतुिरआसँ“भोज परक आँटी” अवय सुनलहएत बधु! हमरा लोकिन ते आब आयु-अवरोहणक ियामे छी। मुदा पराभवअिछ अपन एिह मैिथल मानक ओ वजे िमिथलांचलक सम सामािजकपिरवतर्नक अथत्- जनपथक िनमण(राजपथ निह) आकांक्षामे सौँसे बातपरउकट डेगे चिलते रहबा लेल िववशछी। हमर गाम िपलखबारो तािह सेजुटल अिछ, जािहसँ िहतेजी अहाँकगाम केओटी।हमरा पीढ़ीकेँ तँ इितहास “भोजपरक आँटी” बना लेबाक बेर-बेर उपायकएलक, जेना-तेना बँचबामे सफलरहिलयैक, मुदा भऽ कहाँ कोनो खाससकलैक। तेकरे टा अफसोच। एकबोझक रूपमे फिसलकेँ खिरहानधिर कहाँपहुँचा सकिलयैक। तेकरे टा दुःख! मुदािटकल रहिलयैक अपन जीवन-मूय आसमाज दशर्नक भूिमपर। एक टा किव-लेखक जे संघषर् असकरो कऽ सकैतछी। से रता चलबाक य। जे से।पूरा िबहार- आदोलनक पिरणितएहन आ एतए धिर भऽ जेतैक से क्योसोिचयोसकैत छलैक? अवये बुझलहएत जे तािह आदोलनक उपज- आमदभिर देश कैक टा महापद आसीनसी.एम. समेत कतोक एम.पी., एम.एल.ए.महोदय छिथ। अहाँक पीढ़ीमे यिदसयेक (सदेह निह सिरक कारवाँकभव से किह रहल छी जे) सयेिमिथलाक ददर् अिछ तँ राजनीितकेँिचहैत जाइ जाऊ। पोलीिटक्स कऽएिह नव अवतारकेँ। से भाषाक। ताहूमेमैिथलीक नव-नव ांडक नेता आ एहनराजनीितकेँ चीिह जाऊ। कारण जेराजनीितक ई एकदम नव अवतार ठीकिव-बाजारी अवतार! कोनो औसत सुखलेल ककरो “भोज परक आँटी” निहबनब। एिह वापीकरणक वाहमे एहनलोक नीक समय अथत् कोनो ितगामीयवथा रोिक निह सकैत अिछ। वयंराजनीितक िवचारधारा-अवधारणामे सेहोयुगक अनुसार सकारामक पुनिवर्चारचिल रहल छैक। जाित, धमर्, सदय,क्षेीयता सभसँ ऊपर सोचैत। समतासँएक होऊ। अपन िमिथलाँचलो तँ देशेमेने अिछ।अपम माँ मैिथली तँ अवये महान।मुदा अय लोकक मातृभाषा सेहो तुच्छनिह। अपना देशक सभ भाषा ेअिछ। मुदा दुभग्यसँ िकछु मूढ़ मैिथलमानिसकताक लोक आर तँ आर िहदीतककेँ अपमान जेकाँ कऽ देबाकेँ अपनमैिथल ेम बुिझ लैत छिथ, ईनकारामक वृि उिचत निह। हम तँतेहन समयकेँ सहन कएने छी, जे िकछुपरम् िवान् अयत आदरणीय लोकिलखैत तँ मैिथली निह तँ इंिग्लश।िहदी निह। ई बहुत िविच लागए।आिखर िहदी अपन बहुत गौरवशालीलोकत रा-भाषा िथक। बधु! सेमानिसकता बदिल जरूर रहल अिछमुदा अहाँ खािढ़क (पीढ़ीक) युवानवतुिरआमे आओर तेजीसँ पिरवतर्नचाही। बात निह रुचए तँ िबसिर जाएब,आह!‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्40


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्िहमांशु चौधरीिपता : वगय कामेर्वर चौधरी,माताः ीमती चावती चौधरी,जमः िव स २०२०/६/५ लहान, िसरहा,िशक्षाः नातकोर(नेपाली),पेशाः पकािरता(सित : रािय समाचार सिमित ),कृित : की भार सांठू ? (मैिथली किवता संह), िवगत दू दशकसं नेपाली आ मैिथली लेखन तथा अिभयानमेिनरतर ियाशील आ िविभ संघ संथासं आब।—स पादककी भार सॉंठू ?.........लाते लातसँ घायललाशे लाशसँ गहाएलसङाितक पीडामेकी भार सांठू ?.........थुराएल चानीफ़ुफ़िडआएल अिहबक फ़डशोकाएल चाउर, पीपाएल आँजुरदयकथाक पा जकाँकचोट द' रहल अिछग गमे बेधल भाला-गडाँसटीसे-टीसे द' रहल अिछफ़ाटल िचटल कपडा-लामूँह कतहु, हाथ कतहु ेमे राखलिसगरेटक ठुीसनलावािरस भ' गेल इितहासमे बहल नोरफ़ेर एिहबेर सेहो बिह गेलगहाएल लाशक भार कोनाक' साठू?.........अिनकारी अमरौती पीने अिछओकरा लेल सयम,िशवम आ सुदरमकसजर्क बाधकतवबाधकतव मिर जाए/माहुरे माहुर भ' जाएअयायक अमरली/ोपदीक िचरसननमरैत चिल जाएएहन सनकमे सनकैत ओकर अमरौतीकखनो बारुद फ़ेकैए/कखनो धराप रखैएबारुद आ धरापमे पोतादाना कत' ताकूजे अनरसा बनाएब आ भार सांठबक्यानभासमे फ़ाटल गाछ देिखअहिड-िबहािड अएबे करतिवर्वासक जयती अङकुिरत भेल अिछपरच बहुतो धोएल सॴथक सेनुरककारुिणकताक भार कोनाक' साठू ?.........िनयितिबछानरुपी मशानमे अथर्हीन भ'अपन लाशक किठयारी वयमसन भ'गेल छीइच्छासभमे पूणर्िवराम लािग गेल अिछतेंएकटा िनयित भ' गेल छीहॅसलासँ मा नंिहकनएटा पडैत अिछकनैत कनैत थािक जाइत छीतखनोशाित निहिकछु मनोिवनोद करएटा पडैत अिछबनाबटी मुकी छोडएटा पडैत अिछधय कथा !धय यथाथर् !!तेंजीवन मृयुमे लीन होइत जा रहल अिछजीवन आ मॄयु मिजल होइत जारहलअिछ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्41


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्हृदय नारायण झाआकाशवाणीक बी हाइेड कलाकार। परपरागत योगक िशक्षा ात।लुताय मैिथली लोकगीताती, गोसाउिनक गीत भगवतीगीतझूमरा, सोहर, खेलउना, कुमार, पिरछन,चुमान, डहकन, िबषहारा गीत, झूमिर,बटगमनी, मलार चैमासा, लगनी,समदाउन आ एकर अितिरक्त नदीसंकृित मे कोशी गीत आिद कतेकोमैिथली लोकगीत लुताय अिछ। जतएकतहु एखनहु लोककठ मे ई गीत सभबाचल अिछ तकरा संिहत कऽ ओिहगीतक काशन आ ओिह धुन केंसुरिक्षत रखबाक लेल ओकर आॅिडयोवीिडयो रूप मे दतावेजीकरण करबाकआवयकता िवचारणीय अिछ।संवैधािनक मायता ात भारतीय भाषाबनलाक बाद मैिथलीक संकार, रीितिरवाज, पवर् योहार ओ) तु पर आधािरतगीतक समृ (परंपरा वतर्मान आ भिवयकपीढ़ी लेल कोना सुरिक्षत कएल जाय ईसंपूणर् मैिथली जगतक लेल िचताकिवषय बनल अिछ। िमिथला महान रहलअिछ अपन िवशेषताक कारणें।िमिथलाक शंसा में वृहिणुपुराणकउिक्त अिछधयाते ये येन िनवसित महामुने।िवचरेिमिथला मये ामे ामेिवचक्षणः।।सदावन सपा नदीतीरेषु संिथता।तीरेषुभुिक्तयोगेन तैरभुिक्त िरितमृता।।अथत् हे मुनीर! ओ धय छिथ जेिमिथला में यपूवर्क िनवास करइ छिथआ िमिथलाक गामे गामघूमइ छिथ। ई िमिथला सदैव आमकवन सॅ सप नदीक तट पर िथतअिछ आ तीर में भोगक लेल िसअिछ। तेँ तीरभुिक्त अथत् ितरहुत नामसॅ सेहो जानल जाइत अिछिमिथलांचल।पुराणोक्त किपलेर, हिरलाखी,िपपलीवन, फुलहर, िगिरजाथान,िवलावती, हिरवेकी, कूपेर;कुशेरथान , िसंहेर, जनकपुर,वनाम, िसदूरेर, पनायनवन, िवषहर,मंगला, मंगलवती िवरजा, पापहािरणी,सुखेलीवन आिद तीथर् सॅ पावनिमिथलाक मिहमा वृहिणुपुराणक िमिथलामाहाय में वणर्न कएल गेल अिछ।िमिथलाक लोकगीत में धमर् आ लोकबेवहारक धानता अिछ। ावेलाक,पराती, मगीत; लगनी, गोदना,भगवतीक आवाहन गीत; गहबर मेचिलत गीत झूमरा, कोशी संकृित मेंिवकिसत गीत सिहत परंपरागत संकारगीतक कतेको कार िमिथलाक नवपीढ़ीक बीच लुताय अिछ।ओिह लुताय गीत सभक शद रचना,धुन, वर, लय आ भाव एखनहुॅ सबकेंआकिषर्त करइत अिछ। सब तरहेँ ज्ञानकेँ बऱाब बला, संकारक संग रीितनीितक बोध कराब बला आ सुनबा मे‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्42मनोरंजक अिछ ओ गीत सभ। एखनहुॅजतए कतहु परातीक वर कान मेंपड़ैछ मन भाव िवभोर भ जाइत अिछ।तुत अिछ साहेबदासक िलखल परातीमौिलक पारंपिरक भास में -अजहुॅ भजन िचत चेत मुगुध मन अजहुभजन िचत चेत।।बालापन तरूणापन बीतल, केस भये सभसेत मुगुध मन। अजहुॅ।।जा मुख राम नाम ने आबत, मानहु सोजन ेत मुगुध मन। अजहुॅ।।हिर िवमुखी सुख लहत न कबहुॅ, परएनरक के रेत मुगुध मन। अजहुॅ।।साहेबदास तोिह क्या लागत, राम नाममुख लेत मुगुध मन अजहुॅ भजन िचतचेत।।परातीक संबंध में े जन कहइ छिथ- जखन पराती गाओल जाइ छल तएक कोस धिर ओर विन पहुॅचइतछल। परातीक भास आ भाव लोकसभके जगा क मंगल िवहानक आनद दैतछल। ओिह भासक पराती केहन होइतअिछ, देखल जाय -ाण रहत निह मोर याम िबनु ाणरहत निह मोर।।कािह पुछओ कोई मोिह ने बताबए, कहाॅगेल नद िकशोर। याम िबनु।।छल कए गेल छिलक नदनदन , नैनझझाइछ नोर। याम िबनु।।


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्सायौ मौन कानन पशु पंछी, कतहु नेकुहुकए मोर। याम िबनु।।हमहुॅ मरब हुिन बहुिर न आएब, साहेबजीवन िद न थोर। याम िबनु ाणरहत निह मोर।।मधुबनी में ी दुगथान,कोइलख मेंभकाली, ी दुगशिक्तपीठ, मंगरौनी मेंबूढ़ी माई, डोकहर मेराजराजेरी, िजतवारपुर मे िस(कालीपीठ, ठाढ़ी मे परमेरी थान, खोजपुरमें तारामंिदर, सहरसा के वनगाॅव मेउतारा, िवराटपुर मे चिडका,बदलाघाट मे कायायनी, पचगिछया मेी कंकाली, पटोरी आ गढ़बरूआरी मेदशमहािवा, देवनाडीह मे वनदुग,दरभंगा मे यामामंिदर, लेच्छमिदर्नी,गलमा मे ताराथान, पचही मे चामुडा,अहयाथान, ककरौल मे शीतलाथान, पूिणर्यां मे पूरनदेवी, अरिरया मेदिक्षण कािलका मंिदर, मुजफरपुर मेिपुरसुदरी, सखरा मे सखलेरी,उच्चैठ मे िछमितका, चपारन मेवैराटी देवी, चडी थान, सहोदराथान सन कतेको देवी तीथर् सॅ सपिमिथलाक जन जन मे देवी शिक्तकउपासनाक परंपरा समृ( अिछ।िमिथलाक घर घर मे कुलदेवी रूप मेपूिजत हेबाक कारणेॅ िविवध भावकदेवीगीतक परंपरा िवकिसत भेल। संपूणर्भारत वषर् मे िमिथला एकमा क्षे अिछजतए भगवती गीतक सविधक धुनपाओल जाइछ। कोनो मंगल कायर्कआरंभ में गोसाउिनक गीत गेबाक जेपरंपरा अिछ ओिह मे चिलत अिधकांशगीत आ धुन लुताय अिछ। लोककंठमें एखनहुॅ कतहुॅ कतहुॅ सूनल जा सकैछएहन िकछु गीत। यथा1. पारंपिरकजय वर जय वर िदअ हे गोसाउिन हेमा तािरणी िभुवन देवी।िसंह चढल मैया िफरिथ गोसाउिन हे माअितबल भगवती चडी।।कट कट कट मैया दत शबद कएिलहे मा गट गट िगरलिन काॅचे।घट घट घट मैया शोिणत िपबलिन हेमा मातिल योिगन संगे।।2. म0म0मदन उपायायजय जय तािरणी भव भय हािरणी दुिरतिनवािरणी वर माले।परम वरूिपणी उ िवभूिषणी दनुजिवदूिषणी अिहमाले।।िपतृवन वािसिन खल खल हािसिन भूतिनवािसिन सुिवशाले।िभुवन तािरिण िपुर िवदािरिण वदनकरािलिन अिहमाले।।शतभख फल दे िदिवशत शुभ देअिरकुल भय दे धनिनले।अित धन धन दे हिर हर जय देअनुपम वर दे वर िशले।।मदन िवलािसनी िविदत िवकािसिन करकृतपािशिन जगदीशे।हिरकर चििण हिरकर वििण हिरकरशूिलिन पिरिमशे।।रिव शिश लोिचिन कलुष िवलोिचिन वरसुख कािरिण िशव संगे।ुित पथ चािरिण मिहष िवदािरिन िक्षितजिवपोिथिन रण संगे।।अितशय हािसिन कमल िवलािसिन ितिमरिवनािसिन वर सारे।हर हृिद हिषर्िण िरपुकुल घिषर्िण धन रववरिसिन हे तारे।।जय जय तािरिण भव भव हािरिण दुिरतिनवािरिन वर माले।।3. पारंपिरककरू भव सागर पार हे जननी करूभवसागर पार।के मोरा नैया के मोर खेबैया के मोराउतारत पार हे जननी।।अहॴ मोर नैया अहॴ मोर खेबइया अहॴउतारब पार हे जननी।।के मोरा माता के मोर िपला छिथ केमोर सहोदर भाई हे जननी।।अहॴ मोर माता अहॴ मोर िपता छी अहॴसहोदर भाई हे जननी।।4. कािलकातअिखल िव के नैन तारा अहॴ छी हेजगदब हमर सहारा अहॴ छी।।अनल वायु शिश सूयर् सभ मे अहॴ मा,नदी के िवमल मंजुधारा अहॴ छी।।रज सव तम केर उदभव अहॴ मा,गट मे तदिप शंभुधारा अहॴ छी।।िवपत धार मे सुत जॱ डुिब रहल होतकर हेतु िनकटक िकनारा अहॴ छी।।िवनय कािलकातक सुनत आन के मादया के सकल सृि सारा अहॴ छी।।5. पारंपिरकसुर नर मुिन जन जगतक जननी हमरोपर होइयौ ने सहाय हे मा।।जनम जनम सॅओ मुरूख बनल छी,आबहु देहु िकछु ज्ञान हे मा।।केओ ने जगत बीच अपन लिखत भेल,हमहुॅ अहॴक सतान हे मा।।दुिखया के िजनगी माता देखलो नेजाइए, सुखमय जग करू दान हे मा।।काम ोध लोभ मोह माया जालबाझलहुॅ, मुिक्तक देहु वरदान हे मा।।6. पारंपिरकहे जगदब जगत माता काली थमणाम करै छी हे।।थम णाम करै छी हे जननी हम तिकछु ने जनै छी हे।।निह जानी हम पूजा जप तप अटपटगीत गबइ छी हे।‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्43


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्अटपट गीत गबई छी हे जननी हम तिकछु ने जनै छी हे।।िवपितक हाल कहू की अहाॅ के सबटाअहाॅ जनै छी हे।सबटा अहाॅ जनै छी हे माता,हम तिकछु ने जनै छी हे।।मात िपता िहत िमत कुल पिरजन मायाजाल बझल छी हे।जगतािरणी जगदब अहीें केॅ गिह गिहचरन कहै छी हे।।7. पारंपिरकहे अबे माता हमरो पर होइयौसहाय।। हमार जगजननी हमरो परहोइयौ सहाय।।युग युग सॅ भटकल छी जीवन भॅवर मेआबहुॅ उबारू हे माय।।दुःखिह जनम बाल यौवन मे पाओलसुख के ने भेटल उपाय।।अज्ञानी शिक्तहीन लोभी बनल छी,एहनने िजनगी सोहाय।।8. महाकिव िवापितआिद भवानी िवनय तुअ पाय,तुअसुिमरइत दुरत दूर जाय।।िसंह चढ़ल देिव देल परवेश बघछालपिहरन जोिगन भेष।।बाम लेल खपर दिहन लेल काित, असुरके बधए चलिल िनिश राित।।आिद भवानी िवनय तुअ पाय,तुअसुिमरइत दुरत दूर जाय।।तुअ भल छाज देिव मुडहार, नूपूरशबद करए छनकार।।भनई िवापित कालीकेिल सदा ए रहूमैया दिहन भेिल।। आिद भवानी9. कवीर चदा झातुअ िबनु आज भवन भेल रे घन िविपनसमान।।जनु िरिध िसिधक गरूअ गेल रे मनहोइछ भान।।परमेरी मिहमा तुअ रे जग के निहजान। मोर अपराध छेमब सब रे निहयाचब आन।।जगत जननी काॅ जग कह रे जनजानिक नाम। नहर नेह िनयत िनत रेरह िमिथला धाम।।शुभमयी शुभ शुभ सब िदन रे िथर पितअनुराग। तुअ सेिव पूरल मनोरथ रे हमसुिलत सभाग।।इ नवो गीत नौ धुन मे अिछ। एकरअितिरक्त कतोक गीत अिछ मुदा आबकनब पीढ़ीक बीच एकर परंपरागत िशक्षाक यवहार निह देखल जाइछ। पिरणामतःिफमी गीतक धुन मे भगवती गीतसभक चलनमैिथली परंपरागत गोसाउिनक गीतभगवती गीतक परंपराक समक्षअितवक संकट अिछ।एकर अितिरक्त गाम गाम मे गहबर बीचभगतक मंडली मे झूमरा गाबक समृपरंपरा रहल अिछ। मुदा कालमे इहोपरंपरा अितवक संकट झेिल रहलअिछ। नौ सदयक समवेत वर मेझािल आ माॅडर के संगित मे तुतझूमरा गायन सॅ भगवतीक आवाहन होइतअिछ आ भगतक शरीर मे देवीगट होइत छिथ। बीज रूप में एखनहुॅबचल अिछ ई परंपरा मुदा लुतायअिछ। बतहू यादव सन भगत िचिततछिथ जे हुनक बाद इ परंपरा कोनाबाँचत ? हुनकिह सॅ सूनल अिछ इझूमरा गीतअरही जे वन से मइया खरहीकटओिलयइ हे मइया खरही कटओिलयइहे।मइया जी हे िबजुबन कटओिलयइ िबटबाँस जगदबा रिच रिच महलबनओिलयई हे।।गोड़लागूॅ पैयाॅ पड़ूॅ मइया जगदबा आइमइया गहबर अिबयउ हे।मइया जी हे रािख िलअउ भगत केरलाज जगदबा कलजोिर पैयाँ पड़इ छीहे।।जिहना बलकबा खेलइ माता के गोिदयाहे, भवानी माता के गोिदया हे।मइया जी हे तिहना खेलाबहु जग बीचजगदबा आब मइया गहबर अिबयउहे।।नामो ने जनइ छी मइया पदो ने बूझै छीहे मइया पदो ने बूझै छी हे।मइया जी हे सेवक बीच कठ िलयउबास जगदबा आब मइया लाज रिखयौहे।।गोड़ लागूॅ पइयाॅ परूॅ आा जलामुखी हेमइया अा जलामुखी हे।मइयाजी हे रािख िलअउ अरज केरलाज जगदबा सेवक कलजोड़इएहे।।‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्44


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्िजते झापताः जनकपुरधाम, नेपाल एखन; नई िदलीवरक माला गँथती अंशु-हम सभ अपने भाषाकेँ हेय दॄिसँदेखैत छी तें हमर भाषासािहय,गीतसंगीत आ संकृित पछुआ रहलअिछ। ई कहब छिह अंशुमालाक।अंशु िदली िवर्विवालयमे संगीतमे एमिफ़ल कऽ रहल छिथ। मैिथली गीतसंगीतकेँ गुणतरीय बनएबाक लयरखिनहािर अंशु मैिथलकेँ अपन भाषा-संगीत ितक दृिकोण बदलबापर जोडदैत छिथ।अंशुमाला संगीतक िवाथ छिथ।िदली िवर्विवालयमे एम. िफ़ल.मेअययनरत अंशुक माय िहनक पिहलगुरु छिथह। ई माय शिश िकरण झासँमैिथली लोक संगीतक िशक्षा लेने छिथ।तिहना एखन िकछु बषर्सं ई रेिडयोकलाकार हॄदय नारायण झासँ संगीतिशक्षा ल' रहल छिथ। बाल कलाकारकरुपमे सीतायण एलबममे गािब चुकलअंशु िबिभ रेिडयो कायर्म आ टेजोाममे सहभागी भ' क' मैिथली गीतगािब अपन वरसं शंसा बटोरने छिथ।एखन िदलीमे रिहकऽ संगीतसाधनामे जुटल अंशु िदलीमे आयोिजतिविभ कायर्ममे मैिथली गीत संगीतपरसल करैत छिथ।मैिथली भाषीमे अय भाषाक गीतसंगीतक ित बढैत रुिच मैिथलीगीतसंगीत लेल िहतकर निञ रहलिहनक कहब छिह। िदलीमे आयोिजतएकटा कायर्मकेँ याद करैत ई कहैतछिथ जे जािह कायर्ममे लगभग ८हजार मैिथल रहिथ तािह कायर्ममेचािहयोकऽ मैिथली गीत निह गािबसकलहुं। ओिह कायर्ममे भोजपुरीकिडमाड पुरा करैत अंशुके मैिथलीडहकन गेबाक लेल मोन मसोिसक' रह'पडलिन। मुदा अंशु वीकारैत छिथ जेगायक ोताक रुिचक आगु िववश होइतअिछ, 'जनता जे सुनऽ' चाहत हमरासएह गाबऽ पडत अंशु कहलिन।पटनामे मैिथली गीत गािबक ोताकतािलक गडगडािटसं खुश हएबाक आदितपिड चुकल अंशुकेँ िदलीमे आिबकऽमैिथल भाषीक बदलल सांगीितक वादसंअकच्छ लािग गेल रहिन।मैिथलीमे लोकिय धुनक अभावरहबाक बात अंशु िकहु मान' लेलतैयार निह छिथ। धुन वा लयकअभाव निह, ोता एिहसं अनिभज्ञरहल िहनक दाबी छिह। मैिथलीसंगीतकम एखनो आिथर्क समयासँलिड रहल छिथ, अंशु कहैत छिथ।एिहक अभावक कारण यारोडी गीतकसहारा लेबालेल संगीतकम बाय बनलअिछ। मौिलक गीत,संगीतमेलगानीकतक अभाव रहलासँ सेहोयारोडी संगीत लोकिय भऽ रहल अिछ,िहनक कहब छिन। 'सभसँ पैघकमजोरी ोत छै कलाकार तँ सभ ठामहारल रहैया' यारोडी ेमीपर रोष कटकरैत अंशु कहैत छिथ। मुदा मैिथलीमेतरीय गीत संगीत ोताकेँ भेटक चाहीसे अंशुक िवचार छिह। मैिथलीलोकरंग मचारा िदलीमे आयोिजतकायर्ममे ोता भेटल वाहवाहीकउदाहरण दैत अंशु कहैत छिथ जेोताक मनोरजनक लेल तरीयकायर्म सेहो हएबाक चाही।मैिथली रंगकमर्मे लगिनहारकेँ उिचतसमान तक निञ भेिट सकल,अंशुमालाक अनुभव छिह। मैिथलीकलाकारकेँ आब' बला िदनमे बहुत मानसमान भेटक चािह, हम इएह चाहैत छीअंशु कहैत छिथ। मैिथली संगीतकेँएकटा ऊँचाई पर पंहुचएबाक लयरखिनहािर अंशु मैिथली रंगकमर्मे एखनोलडकी लेल बहुतो किठनाई रहल बतबैतछिथ।अंशु आगु कहलिन-मैिथल समाजसँजाधिर कलाकारकेँ समान निञ भेटतैताऽ धिर एिह क्षेमे लडकी अपनितभा देखाब' लेल आगु निञ आओत।नेपाल वन आ मधेशपेशलटेिलिभजनमे जँ मैिथलीक मादे बातकरी त नेपाल वन टेिलिभजनके एकटा‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्45


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्अलग थान बिन चुकल अिछ। नेपालवन टेिलिभजन राित पौने ८ बजेसािरत होब' बला मधेश पेशलकमायमसं मैिथली बहुतो मैिथल धिर पंहुचरहल अिछ। नेपालमे सभसं बेशी बाजलजाए बला दोसर भाषा मैिथली रिहतंहुओ तािह अनुपातमे संचारमायममेमैिथलीके थान नई भेट सकल छइ।एहन अवथामे पडोसी देश भारतसंसचािलत नेपाल वन टेिलिभजनमैिथलीमे कायर्म सारण कमैिथलीभाषा भाषी मय अपन अलगथान बनालेने अिछ। नेपालमे सरकारीतरपर संचािलत नेपाल टेिलिभजनसिहत िनजी टेिलिभजन च्यानलमेमैिथली एखनो उपेिक्षते अिछ। यिप बेरबेरके मधेश आदोलन आसंचारमायमपर लाग बलासादाियकताक आरोपक कारणेकाठमाडुकेित टेिलिभजनसबमे आबमैिथलीके थान भेट लागल छइ।काठमाडुसं सािरत सगरमाथाटेिलिभजन सेहो सभिदन मैिथलीमेसमाचार देल करैत अिछ।नेपाल वन टेिलिभजनक मधेशपेशल नामक 1 घटाक कायर्ममेसमाचार, नेपालक समसामियक राजनीित,नेपालक मुख मुापर बातिचत आ गीतसंगीत समेटल गेल अिछ। समसामियकवतुिथित पर लोक अपन धारणा दक पिरचचके महवपूणर् बना देल करैतअिछ। ई कायर्म राित पौने आठबजेसं पौने नओ बजेधिर सािरत होइतअिछ। नेपाल केित समाचार रिहतोनेपाल सं बाहर इ कायर्म देिखिनहारमैिथल कमी नई अिछ। नेपालकसीमावत मधुवनी, दरभंगा, सीतामढी,सुपौल, सहरसासिहतके िजलासभमे सेहोएकर दशर्कके कमी निह अिछ।नेपालक मैिथल ज मैिथलीमे समाचार,गीत, आ पिरचच सुिन क सुसूिचतहोइत छैथ ततई भारत आ आन ठामकदशर्क मैिथली गीत आ संचारमायममेमैिथलीक बोली सुिन हिषर्त भेल करैतअिछ।मधेश पेशल नेपालक मधेशीकेएकटा अतरिय संचारमायममे मुंहखोिल क बजबाक अवसर देलकै, सेहोअपने भाषामे। नेपालक संचारमायमसंसेहो कटल कल रहबला मधेशके छोटिछन घटना सेहो मुख समाचार बनलागल। मधेशीक मुापर खुिलक बहसशुरु भ गेल। मधेशक नेता सेहो धोतीकुत पिहिरक काठमाडुएमे बैिस ककोनो टेिलिभजन पर यक्ष रुपेँजनतासँ बातिचत कर लगला।टेिलिभजनमे ज मैिथली शुयाय छलतािह अबथामे एिहबेर एक घटामैिथलीक कायर्मके लोकिय होब मेबेशी समय नइ लगलै। एखन इकायर्म दू बषर् पुरा कर लागल अइ।नेपाल 1 टेिलिभजन िडस िटभी आटाटा काइपर उपलध हएबाक कारणेइ देश िवदेशमे रह बला मैिथललगसहजिहं पंहुच बनालेने अिछ। एिहारेलगभग ७० टा देशमे रहबला मैिथलभाषी मधेश पेशलके मायमसं मैिथलीमेसुचना आ मनोरजन ल रहल छैथ।मधेश पेशल मैिथली आ भोजपुरीकिमित कायर्म अिछ। एिहमे मैिथलीभाषाक गीत नादक अितिरक्त भोजपुरीकचौकी तोड आ आधुिनक गीत सेहोसारण होइ छै। ई कायर्म तीनभागमे बाटल अिछ। पिहलमे नेपाल आअतरिय समाचार रहैछै त दोसरमेसमसामियक चच(टक शो) आ तेसरमेमैिथली/भोजपुरी गीत।दृय संचारमे मधेश पेशलमैिथलीके जगिजयार करमे बड पैघभूिमका िनवह क रहल अिछ आ कसकैत अिछ से कहनाई अितशयोिक्तनई हएत। डोम कछ आ जट जिटनकनाचसं जं मािटक सुगध लेब चाहैतहुवए त हुनका सभहक लेल मधेशपेशल सहायक भ सकैत छै।मेधेश केित कायर्म होइतो इिमिथलाचलके सविङण िवकासमे केकसहायक हएत से त आव बला िदनेबताओत मुदा एतवा िनित जेटेिलिभजनमे मैिथलीक िनयिमत सारणसंमैिथलके अपन बोली अपन भाषा यादिदयबैत रहैतै।नेपालक (िकछु भारतक) िमिथलामैिथल मैिथलीक सामािजक-आिथर्क-राजनीितक-सांकृितकसमाचारभाषा िहत िक भोक लोभनयी िदलीक मैिथली भोजपुरीएकेडमीक अयक्ष एवं िदलीकमुख्यमी शीला दीिक्षत मैिथली भोजपुरीएकेडमीकेँ आन एकेडमीसँ आगू बढलदेखऽ चाहैत छी, से कहलिन अिछ।मैिथली भोजपुरी एकेडमी ारा आयोिजतिभखारी ठाकुरक िवदेिशया नाटक मचनकायर्ममे दीिक्षत ई बात कहलिन।मैिथलीक लेल अलग एकेडमीक माँगकित दीिक्षत कहलिन जे हमरा सभकेँजोड़क बात करक चाही तोडक निञ।एकताक दोहाइ दैत मुख्यमी भनेअलग एकेडमीक् बातसँ की कटनेहोिथ मुदा मैिथली भाषा सािहयमे लागलबुबगर् मानैत छिथ जे अलगएकेडमीसँ मा मैिथलीक वातिवकिवकास भऽ सकत। ओना एकेडमी भोटबटोरबाक साधन मा निञ बनए तािहिदश सेहो यान देब जरुरी अिछ।एकेडमीक आयोजनमे ६ अगत मंगलकराित िवदेिशया आऽ ७ अगत बुधकराित महे मलंिगयाक काठक लोकमिचत कएल गेल छल। मैिथलीभोजपुरी एकेडमी आन एकेडमीसँ आगूबढय से दीिक्षतके कहब रहिन।सरकारी िढलासुतीकेँ वीकारैत ओऽएक िदन सबहक आवाज सुनल जायत,कहलिन। नव िदलीमे एकेडमी ाराआयोिजत कायर्ममे भोजपुरी नाटकिवदेिशया देखलाक बाद दीिक्षत नाटकखेलिनहार रंगकमकेँ शंसा केने रहिथ।नाटयशालामे भोजपुरी आऽ मैिथलीभाषीक भीड़ लागल छल। तिहनामैिथली भोजपुरी एकेडमीक उपायक्षअिनल िम, एकेडमी, िवहारक समॄ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्46


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्संकॄितकेँ बखानैत एहन तुित िनरतरहोइत रहत, से जनतब देलिन।"हमर िसंहासन अटल अिछ" मलंिगया'जाधिर हमर कलम चलैत रहत ताधिरमैिथली नाटककारक रुपमे हमर ऊँचाइधिर िकयो निञ पहुँिच सकैत अिछए।ई िसंहनाद छिन मैिथलीक ख्यातनाटककार महे मलंिगयाक।समकालीन मैिथली सािहयकारकेँ चुनौतीदैत, ओ नाटककार अपन िसंहासनिकनको बुते डोलाएल पार निञ लगतएसे दाबी करैत छिथ। मैिथलीनाटककार महे मलंिगया एखनमैिथलीक सभसँ लोकिय आऽख्याितात नाटककारमे िचहल जाइतछिथ। चुनौतीपुणर् शैलीमे मलंिगया कहैतछिथ, हमर हाथमे जाधिर कलम अिछ,हम अपन थानपर िटकले रहब, हमरिसंहासन अटल अिछ। मैिथली नाटककभीमिपतामह कहल जाए तँ केहन लगैए,तािह िजज्ञासामे मलंिगया मुिकयाइतकहलिन जे हमर नाटक लोककेँ पिसनछिञ हमरा तािह पर गवर् अिछ, हमजािह तरक नाटक िलखैत छी, तेहनरचना एखन निञ भऽ रहल छिञ।ओऽ जनकपुरक रंगकमक खुिलकऽशंसा करैत छिथ। मैिथली रंगकमर्मेलागल जनकपुरक कलाकारक मलंिगयासंशा करैत कहलिन, जनकपुरककलाकारसँ बहुत आशा कएल जाऽसकैत अिछ। मैिथली नाटकमेशेक्सिपयर कहल जाएबला मलंिगया ४दशकसँ बेशी समय नेपालमे िबता देनेछिथ। ओऽ नेपालमे मैिथली सािहयकसंरक्षण लेल सतोषद काज निञ भऽसकल, बतौलिन। नेपालमे दोसरसभसँ बेशी बाजल जाएबला भाषामैिथलीमे रंगकमर्क समयसापेक्ष िबकासनिञ भऽ सकल मलंिगयाक कहब छिन।लोकत बहालीक बाद सेहो नेपालसरकार मैिथलीक लेल िकछु निञ कऽसकल हुनक आरोप छिह। नेपाल ज्ञाितान ारा मैिथली भाषा, सािहयकलेल भेल काजके ओऽ कौराके संज्ञादेलिन। ितानारा मैिथलीलेल भऽरहल काज ित मलंिगया असतुियक्त कएलिन। मैिथली रंगकमर्मेिनरतर कायर्रत संथाकेँ सरकारिदशसँ कोनो तरहक सहयोग निञ भेटरहल बतबैत, तािह ित खेद यक्तकएलिन। सरकारी उपेक्षाक कारण सेहोमैिथली रंगकमर् ओझराहिटमे पडल,मलंिगया मानैत छैथ।मैिथली सािहयमे नाटककार आऽिनदशकक रुपमे ख्याितात मलंिगयारंगकमर्केँ रोजीरोटीसेँ जोडल जाए, सेकहैत छिथ। जाऽ धिर रोजीरोटीसँरंगकमर् निञ जुटत ताऽ धिर िबकाससभव निञ, मलंिगया प कहैतछिथ। जनकपुरमे िमिथला नाटय कलापिरषदसँ आब भऽ मैिथली नाटककेँजन-जन धिर पंहुचएबाक अिभयानमेलागल मलंिगया राजतमे मैिथली भाषासंकृितक संरक्षणक लेल कोनो काजनिञ भेलाक कारणे सेहो मैिथलीपछुआएल अिछ, से कहलिन।मैिथली भाषामे आम दशर्कक मोनमेगिड जाएबला नाटक िलिखकऽ मैिथलीसािहयक ी बृिमे योगदान देिनहारमलंिगया नाटककार नाटक िलखैत कालदशर्कक मानिसकता, उमेर , िशक्षा आऽपेशाकेँ यानमे राखए से सलाह दैतछिथ। 'हम दशर्ककेँ लिक्षत कऽ नाटकिलखैत छी, तेँ हमर िलखल नाटकलोककेँ नीक लगैत छिञ, मलंिगयाअपन सफ़लताक रहय बतबैतकहलिन।िबदेिशया नाटक:िबदेिशया घुिर जोिवदेश जएवाक बायता समाजकएकटा कटु सय अिछ। अपन गामघरछोिडकऽ िकयो िवदेश जाय निञ चाहै-ए,मुदा पिरिथितक आगू ककरो िकछुनिञ चलए छिञ। िकछु एहने पिरवेशकेँपदपर देखेबाक यास कएल गेलिवदेिशया नाटकमे। मैिथली भोजपुरीएकेडमीारा िदलीमे आयोिजत िवदेिशयानाटकमे िकछु एहने देखल गेल। िवयाहभेलाक िकछुए िदनक बाद िवदेिशया गामछोिड दैत छिञ, िवदेश जाऽ कऽ पैसाकमाय लेल। गाम संगिह िवदेिशयाकेँछुिट जाइत छिञ, अपन नवकी किनयाँ,गामक संगी-साथी आऽ याद सेहो। ओपाईक लोभसँ घर छोडने रहैया, मुदाओऽ पाई तँ नईहे कमासकल शहरमेअपन जीवनके एकटा आओर साथीबनालैयऽ। एहर ओकर पिहल किनयांिवदेिशयाके बाट जोहैत रहैयऽ।िवदेिशयाक यादमे ओऽ कखनो बटुवाकेपुछैयऽ तँ कखनो बारहमासा गबैयऽ।नाटकक िनदशक संजय उपायाय िवदेशजएबाक ामीण बॄितकेँ सुखात बनेलहुँसे कहलिन। गामक सोझ आऽ सुशीलकिनयाकेँ छोिड िवदेिशया िवदेशमे रइमजाइयऽ। ओकरा आब शहिरया संगीिनक लगै छइ, जे दुगोट बच्चाक मायसेहो अइ। िवदेिशया अपना आपकेिबसिर जाइयऽ। गामक किनया नइशहरक छमकछलो आब ओकर ाणभऽ गेल छिञ। एिहबीच िभखारी‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्47


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्िवदेिशयाकेँ िनसँ जगबैत अिछ।नाटकमे िभखारी बनल रंगकम अिभषेकशम नाटकक मायमसँ लोक अपन गामघरके याद करलेल िववश भऽ जाइयऽ,से कहलिन। िवहारक सुपौल िजलाकरंगकम शारदा िसंह नाटकमे देखाएलगेल िवषय बतु समाजक सय रुपरहल बतौलिन। िवदेिशया गाम तँ घुरैयऽमुदा असगरे नई चािर गोटेक संगे ,दूटा बालगोपाल आऽ तकर माय। िकछुझॲटाझॲटी आऽ कलहक बाद दु्नू सौितनआऽ िवदेिशया गामेमे रहऽ लगैयऽ।नाटक अततः सुखात भऽ कऽ समातहोइत अिछ। ई कथा गामसँ बाहररहिनहार एकटा िन मयमबगययुवककेँ िजनगीक माे निञ अिछ।बहुतो युवक गाम देहात छोिडते अपनमािट पािनकेँ िबसिर जाइत अिछ।शरीरसँ मा निञ मोनसँ सेहोिवदेिशया भेिनहारकेँ ई नाटक अपन गामअपन वातिवक पिहचानक याद िदयबैतरहत।आब चलू नेपाल िदससशक सनसनीमधेश एखन दू दजर्नसँ बेशीक संख्यामेरहल सश समूहसँ आात अिछ।किहयो सशक िवरोधमे जनकपुरकजानकी मिदरमे पकार रैली िनकालैतअिछ तँ किहयो िसरहाक कमर्चारीकायलयमे ताला लगाकऽ सशकिवरोध दशर्न करैत अिछ। तिहनासलहीमे बस चालकक हया भेलासँशुरु भेल यातायात बदसँ जनजीवनककर भऽ रहल अिछ। मधेशकमाँगकेँ अपन नारा बनाकऽ खुलल दूदजर्नसँ बेशी संगठनकेँ एखन मधेशमेती िबरोधक सामना करऽ पिड़ रहलछिह।चालकक हयासलही। राजमागर्मे एखनो शाितसुरक्षाक अबथा बेहाळे अिछ। सलहीिजलामे हिथयारधारी लुटेरा समुह ७तािरखक राितमे एकटा बस चालककगोली मािर हया कऽ देलक। राजधानीकाठमाडू जाऽ रहल बसक चालककॄण खवासक गोली लािग मॄयु भेलछल। पूवर् पिम राजमागर् अतगर्तसलहीक जंगलमे राित ९ बजे ओऽसमूह बसमे लूटपाटक यास कएनेरहए। बस निञ रोिक भागऽ लगलाकबाद लुटेरा समूह गोली चलौने छल।गोली लािग घायल भेिनहार चालकखवासकेँ उपचारक बाते लालबदीअपताल लऽ जाइत अबथामे बाटेमेमृयु भेल, से थानीय हरी जनौलकअिछ। चालकक गोली लगलाक बादखलासी बसकेँ िनयणमे लऽ कएदुघर्टना होबऽ सँ बचौने छल। हरीघटनामे संलग्न होएबाक आशंकामे सातगोटेकेँ पकडलक अिछ। दोसर यातायातयवसायी आऽ मजदुर चालक हयाकिबरोधमे चाजाम जारी रखने अिछ।सरकार समया समाधान लेल आगू निञआएल, कहैत यातायात मजदूर देशयािपआदोलनक चेतावनी देलक अिछ।मजदूर आऽ यवसायी पुवचलक तीनअचल आऽ जनकपुर अचलमेचाजाम कएलाक बाद जनजीवनभािवत भेल अिछ। बदक कारणउपभोग्य वतुक अभाव होबऽ लागलअिछ।नेपालक (िकछु भारतक) िमिथलामैिथल मैिथलीक सामािजक-आिथर्क-राजनीितक-सांकृितक समाचार"रे नोर एना तोँ निञ टपक"कोशी नेपाल आऽ भारतक जनता लेलएकटा अिभशापसँ कम निञ। १८अगतक कोशी नदी पुव तटबधकेँपिम कुशहा लग तीन सय मीटरभथन करैत बाट बदलने छल। तिञ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्48


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्के बाद नेपालक लगभग १ लाख जनतािवथािपत भेल। वएह पािन जहनिबहारमे आएल तँ आओर िवकराल रुपल लेलक। िबहारमे पािनसं ३० लाखसंबेशी जनता भािवत अिछ, जािहमे २०लाख कोशी इलाकाके अिछ। मृतककसंख्या हजारोमे हेबाक आशंका कएलजाऽ रहल अिछ। िबहार सरकारकतयक अनुसार कोशी बािढसँ ७ सय७५ गामक २२ लाख ७५ हजार जनताभािवत अिछ।कोशीक कोपचीनक ितबत उदगमथल रहल कोशीनेपाल होइत िबहार कुसला धिर सातसय २० िकलमीटर दुरी पार करैतगंगानदीमे िमलैत अिछ। कोशी नदीवािषर्क ५० अरब घन िलटर पािनगंगानदीमे पंहुचाबै-ए। कोशी नदीकवतर्मान जलाधर क्षे ९२ हजार ५ सय३८ वगर् िफ़ट िमटर अिछ, जािहमेसँ ४१हजार ३ सय ३३ वगर् िकलोमीटरनेपालक भीतर पड़ैत अिछ। कोशीयोजना संचालनक ४५ वषर् होइतो कोशीपीिडतक समया जिहनाक तिहनाअिछ।नेपाल आऽ भारत दुनु देशकेँ एिहक उर देव आवयक अिछ- िकएटुटल बाह ? बािढसँ गरीब िकसानभूिमहीन भऽ गेल अिछ, ने ला कपडाने पेटमे अ आऽ ने पीबालेल पािन।िकसान टकटी लगौने अिछ कोशीकपािन पर, जे कखन घटत? जिमनदारपािनदार भऽ गेल, गाय मिहष सबटादहाऽ गेल छैक, आव बाँकी छिञ माजीवाक आश,,,,,। दोष ककरनेपाल आऽ भारत दुनु पक्ष एकदोसराके दोषारोपण कऽ रहल अिछ।'भारतीय ािविधक तटबध मरमितकलेल गेल छल मुदा, ओ काज करबाकवातावरण निञ बनलाक बाद तटबधिनमण निञ भऽ सकल, भारतीय पक्षकहैत अिछ। कोशी नदीक समझौताअनुसार नेपाल िकछु निञ कऽ सकैतअिछ, तेँ हमसभ मुक दशर्क छी, दोषभारतक अिछ नेपाली पक्षके दाबी।भारतीय धानमी डा मनमोहन िसंहबािढ़क िबभीिषका देिखते राीयिवपिक घोषणा कऽ देलिन। बहुत रासपाई आऽ खाा सहयोग करबाकआर्वासन सेहो। मुदा कोशी तटबधटुटल िकए, एकर सरकारी तरपरकोनो तरहक जाँच-बुझक आदेश निञदेल गेल अिछ। हँ नेपालसँ एिह िबषयमेबातचीत करबालेल एकटा उच्चतरीयकिमटीक गठन कएल गेल अिछ। ओऽसिमित की बातचीत करत आऽ कीिनकषर् िनकालत भिवयक गभर्मेअिछ।क्षितपुितर्कोशी समझौताक अनुसार कोशीतटबधक सभ तरहक काज भारतकिजमामे अिछ। तटबधक मरमित माेनिञ तटबध टूटलासँ होबऽ बलाक्षितपुितर् सेहो भारते देत, से सिधमेउलेख अिछ। नेपालक पररामीउपे यादव कोशी समझौता अनुसारभारत सरकारकेँ सभ तरहक क्षितपुितर्देबऽ पडतै, से कहैत छिथ। सिधकअनुसार इलाज, पुनवस आऽ खााजेहन सहयोग भारत सरकारकेँ करकचाही। भारतीय धानमी आऽिवदेशमीसँ सहयोगक आह कएल गेलआऽ ओऽ सभ एिह ित सकारामकरहल, मी यादव कहलिन। आब देखऽके बाँकी अिछ, कोशी पीिडत धिरकिहआ पडोसी देशसँ सहयोग पहुँचैतछिञ।निञ रुकल कटानकोशी कटान िनयणलेल एखनधिर कएल गेल सभ यास असफ़लभेल अिछ। कोशीक सभसँ महवपुणर्मानल जाएबला पर बहऽ लागल अिछ।नेपाल आऽ भारतीय ािविधक टोलीाराकटान िनयणलेल कएल गेल यासिनरथर्क भऽ गेल अिछ। संयुक्तािविधक टोलीक िनगरानीमे बीस हजारबोरा बालु, िगटी रािख कऽ निदकेँपिम िदश घुमएबाक यास िनरथर्क भऽगेल अिछ। बषक कारण सेहो बािढिनयण दुरुह बनल अिछ। नेपालसरकार कोशी कटानसँ िबथािपतभेिनहारक ित पिरवार १५ हजार टकासहयोग देत। ई १५ हजार यिथतकोशीपीिडतके केक सहयोग भऽ सकतओऽ सहजिह <strong>अनुम</strong>ान लगाओल जासकै-ए।िकछु मरल बहुतो िनपासतकोशी नदी गामेक बाटसँ बहलगलाक बाद िवथािपत भेिनहारसभएखनो अपन पिरजनक खोिजमे अिछ।हिरपुर, ीपुर आऽ पिम कुशाहासँिवथािपत सभ अपन घर पिरवारकसदयके ढुंिढ रहल अिछ। सुनसरीशासन एखनधिर ५ गोटेक मृयुकपुि कएलक अिछ। मुदा एखनो चािरसय गोट सपकर्िवहीन अिछ।दोसर िदश कोशी बािढ़सँ िवथािपतआब पेटझरीक चपेटमे आिब गेल अिछ।पािन गदा भऽ गेलाक बाद िवथािपतिशिवरमे पेटझरी आऽ मुँहपेट जाएविवकराल रुप लऽ लेने अिछ। िवथािपतएक बालक सिहत दु गोटक पेटझरीसँमृयु भेल अिछ। मृयु भेिनहारमेीपुर-३ के ५६ वषयय तेजन सदाआऽ ६ विषर्य रबा सदा अिछ।सुनसरीक िविभ २९ िशिवरमे एकहजार ५ सय गोट एखन िबमारअिछ। अिधकांशमे पेटझरी, िनमोिनया,बोखार आऽ छातीमे इफ़ेक्सन देखलगेल अिछ। रोगीमेसँ १२ गोटकअवथा िचताजनक रहल, उपचारमेसंलग्न िचिकसक जनौलक अिछ।केक िबपि !बािढ़संगिह सतरी िजलामे सपर्दंशबिढ गेल अिछ। सपर्दंशसँ शुक राित‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्49


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्आओर एक गोटेक मृयु भेल अिछ।भादव मिहनामे सांप कटलासँ मरिनहारकसंख्या ६ भऽ गेल थानीय जनवायकायलय जनौलक। खेतमे काज कऽरहल थानीय रामकृण यादवकेँ सांपकटने रहिह। इलाजक लेल सगरमाथाअंचल अपताल लऽ जाइत काल हुनकमृयु भेल। एिहसँ पिहने फ़िकरा ३ क४५ बषय रामअिशष यादव, पथरगाडा७ क १४ बिषर्य बमभोला यादव आऽमहादेव ८क १२ बषय घनयाम इसरकमृयु भऽ चुकल अिछ।िबहारक बायताकोशीक जलतर बढ़लाक बादिबहारक िथित आओर असहज भऽ गेलअिछ। िबहार सरकार वायु सेनाक ४हेिलकटर, ८ सय ४० नाव आऽसेनाक मदितसँ यु तरमे राहत कायर्भऽ रहल बतौलक अिछ। मुदाबािढपीिडत लाखो जनता एखनो बािढमेफ़ंसल अिछ। सरकारी सहयोग समेतअपयत रहल, बािढपीिडतक कहबछिञ। िबहार सरकार एखन धिर कोशीक्षेमे २८ आऽ समुचा रायमे ७६गोटेक मृयु भेल जनौलक अिछ। मुदाभािवत इलाकामे थानीयवासी बहुतोशव दहाइत देखल गेल कहैत अिछ।िबहार सरकारक तयांकमे कोशी बािढ़सँ७ सय ७५ गामक २३ लाख जनताभािवत भेल कहल गेलअिछ।िबिछयाक आतर्नादपेटमे अ नईं, राहतलेल आकाशमेटकटकी लगौने आंिख, आङमेलाकपडाक अभाव आ भोासी ...।सभ अपन अपन पीडा सुना रहलअिछ। पेटके राक्षस शात नई भेलाकबाद ओ त सॱसे आदमीएके खा लेलक।नवजात िशशु केक काल भुक्खेरहैत, ओकरा कोशीक कोरमे छोिडदेलगेल।कोशी सन बेदद जगमे कोइ नइलघुनाटकमे िकछु एहने देखल गेल।मैलोरंगक आयोजनमे िदलीमे सेटेबर१२ क' मिचत लघुनाटकमे कोशीकिबभीिषका देखएबाक यास कएल गेल।नाटकमे राहतलेल मारामारी कएिनहारजनता भुखसं मृयुवरण करबाकबायताके जीवत रुपमे तुत कएलगेल। पीिडतके रोदनसं दशर्क भाविवलबनल छल। मैलोरंग सेटेबर १२ सं१४ तािरखधिर मैिथली लोकरंग महोसवथिगत कएलक अिछ। कोशी क्षेमेघुरैत मुकानकसंग महोसव आयोजनहएत मैलोरंग जनौलक अिछ।संघषर्ककिठन बाटमैिथली सािहयकार वर्जिकशोर बममिणपक मृितमे नयां िदलीमेसांकृितक कायर्म आयोजन कएलगेल। एिह कायर्ममे मैिथली नाटकमचन हएबाक संगिह िमिथलांगनसंथाक मािरका सेहो िवमोचन कएलगेल। िमिथलांगन सािहयकार मिणपकमृितमे 'उगना हट' नामक मैिथलीनाक मचन कएने छल।ज िकशोर बम मिणप मैिथलीसािहयक चिचर्त नाम अिछ। लोकसािहयक संरक्षणमे हुनक योगदानउलेखनीय मानल जाईत अिछ। इएहयोगदानक समान करैत हुनका मैिथलीकवाटर काट सेहो कहल जाईत छिह।लोिरक, राजा सेश, नैका बजाराजेहन लोकगाथाक संरक्षण करबामेहुनक योगदान सराहनीय रहल कायर्ममेकहल गेल। िमिथलांगन एिहसँ पिहनेसेहो मिणपक मृितमे िविभ कायर्मआयोजन करैत आएल अिछ। तिहनाैमािसक िमिथलांगन पिका सेहोकाशनके िनरतरता देल गेल संथाजनौलक अिछ। उगना हॉ/टक लेखककुमार शैले आ िनदशक संजय चौधरीछैथ। नाटकमे िदलीमे संघषर्रत मैिथलीरंगकमक जीवनक कटु सय देखएबाकयास कएल गेल अिछ। उगना हटिबहारक मधुवनी िजलाक एक रेवेटेशनक नाम अिछ , यिप नाटककेपिरवेश नयां िदलीक रंगकमक अडडामडी हाउसपर केित अिछ। थानीयपडौल आ सकरी बीचक टंशन अिछउगना हॉट। नाटकमे मैिथली भाषासंकृितक संरक्षणलेल अपयांतनवतुिरयाक कथा यथा समेटल गेलअिछ। ओएह युवाक संघषर्क इितबृत मेनाटक घुमैत अिछ।। िकयो संगीतकारबन' चाहैत अिछ त िकयो गीतकार,ककरो िफ़ममे िहरो बनबाक धुन सबारछइ त ककरो िहरोइन। अततः किठनसंघषर्क बाद सभ अपन लय ातकरबामे सफ़ल होइत अिछ। नाटकमेसंगठने शिक्त अिछ आ एिहँस सफ़लतापािब सकैत छी से पाठ िसखएबाकयास कएने छैथ नाटककार।िछिरआएल आ िदग्िमत जँका बुझाईतपाक अिभयान अतमे सफ़ल होइतअिछ। अततः नाटक सुखात अिछ।‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्50


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्िजतमोहन झा घरक नाम "िजतू"जमितिथ ०२/०३/१९८५ , ी बैनाथ झा आ ीमित शांित देवीक सभ सँ छोट (ितीय) सुपू। व.रामेर झािपतामह आ व.शोभाकांत झा मातृमह। गाम-बनगाँव, सहरसा िजला। एखन मुबईमे एक िलिमटेड कंपनी मेपथािपत। रुिच : अययन आ लेखन खास कs मैिथली ।—स पादकक या भूण ह या कृितकसंग िखलवारिपछला छुीमे एक सालपर हमगाम गेल छलहुँ। जिहया गामपहुँचलहुँ ओकर दोसरे िदन पताचलल की हमर बचपनक दोतकबहुत जोर मोन ख़राब छिन! आर ओअपतालमे भरती छिथ! खबरजिहना हम सुनलहुँ अपतालक लेलचिल देलहुँ! हमरा संग हमर पीसेहो चिल देलीह, अपताल पहुंचलापर पता चलल जे कुनू िचंताक बातनै सब ठीक ठाक अिछ! एक घंटाकबाद हुनका (हमर दोतकेँ) छुीिमल जेतिन, बहुत िदनक बादअपताल आयल छलहुँ, इच्छा भेलकनी चारू िदस घुिम - िफिर ली।मनमे अपतालक लेल बहुत िजज्ञासाछलए! हम आर हमर पी जिहनादोतक वाडर्सँ बाहर िनकललहुँ,हमर नज़िर अपन चचेरा भैया -भाभी पर पड़ल, अचानक हुनकासभकेँ अपतालमे देिखकेँ हम चौकगेलहुँ! हमर नज़र एकाएक भाभीकउदास, कनमुँह चेहरा पर परल.....पुछिलयिन की बात ... मुदा ओिकछु जबाब निञ देलीह। हमर पीकातमे बजा कए हुनकर पीड़ासुनलिह! दुबारा पुछलासँ भाभी अपनपीड़ा निञ रोिक सकलीह, हुनकरपीड़ा हुनकर आँिखसँ छलिकउठलिन, पता चलल जे दू गोटकयाक जमक बाद आब तेसर बेरफेरसँ कयाकेँ निञ बदत करैकचेतावनी भैया हुनका पिहने दएचुकलिखन-ए ....पता चलल गभर्परीक्षण लेल भैया भाभीकेँ अपतालअनने छिथ! गभर्मे पोसा रहलबच्चाक ित िपताक खौफनाकइरादासँ उपजल भयक भाव भाभीकचेहरा पर साफ - साफ देख्अलहुँ!बादमे हमरा आर हमर पी केँकतेक बुझेलापर भैया भाभीकेँ वापसघर लए गेलिखन! संयोगवश अगलासंतानक रूपमे हुनका बालककाित भेलिन ....ओना ूण परीक्षण ितबंिधतअिछ आर सरकार एकरा लेलबाकायदा कानूनो बनेने छिथ! मुदा ईकी ? लागैत अिछ पिछलादरवाजाक संकृित अपतालॲ केनिञ छोड़ने अिछ, तखने तँ भैयाबहुत आसानीसँ भाभीकेँ गभर् परीक्षणकरबाबए लेल चिल देने छलिथ।हम तँ कहए छी चाहे सरकार लाखोकानून बनबिथ, लाखो कड़ासँ कड़ासजा तय करिथ लेिकन जा तकहम सब वयं अपना तरफसँ कोनोकदम निञ उठायब ई कानूनक हेबनाहे हाएबाक समान अिछ! आइ तकाचार, बालम, शोषणक िवरुधोसरकार बहुत कानून लागू केलिथमुदा िक समाजमे एकर रोकथाम भsसकल ? निञ! आर यिद अपने ईनिञ हेबाक कारणक पता करब तँपायब िक शायद हम खुद कतहु नेकतहु कोनो ने बगंनो कारे एकरदोषी छी! हम सब पिरिथितक संगकोनो तरहक समझौता करबाक‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्51


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्वजाय ओकरा सिदखन बदलबाकेफेरमे निह रहैत छलहुँ चाहे ओकरालेल हमरा सभ के कोनो तरहकहथकंडा िकयेक निञ अपनाबए परए.... हम सब चुकय निञ छी! हम तँपूछैत छी जे की कारण अिछ जेलड़कीक जम भेला पर आइयो मूहिसकोरल जाइत अिछ ? शायदहुनकर परविरश, िशक्षा, िववाहआिदमे आबै वाला तमाम मुिकलककारण एिह तरहक यवहार कएलजाइत अिछ! मुदा िक लड़काकजम भेनेसँ ई तमाम समया समातभs जाइत अिछ ? लड़कोकेँ तँपरविरश करैये पड़ैत अिछ।?हुनकरो िशक्षा,नौकरीक लेल दर-दरभटकए पड़ैत अिछ! आर िववाह........!यिद एिह गितसँ कया ूणहया होइत रहत तँ बूिझ िलअ जेसब लड़काकेँ कुंआरे रहए पड़त!उदाहरण वरूप अपने हिरयाणामेलड़कीक संख्यामे लगातार दजर्कएल गेल कमी देख सकैत छी,हिरयाणामे िववाह लेल लड़की निञभेटैन छिन। ओिह ठामक लोिक नकेँदोसर रायमे लड़कीक तलाश करएपड़ैत छिन .....कनी सोचू अगर पूरा देशमेईएह िथित भs जाएत तँ कीहोएत ?हम नीक जेकाँ जनैत छी जेअपने एिह बातकेँ यानमे निञ राखबआर यिद राखबो करब तँ दोसर केँउदाहरण देबाक लेल! लेिकन िकअपने वयं कया ूण हया रोकएमेदोसरकेँ जागरूक करब ? अपनेकेँनिञ लागैत अिछ जे कृित ारािनधिरत जीवनकेँ सुचारू रूपसँचलबै लेल एिह गाड़ीक दुनु पिहयाकसमान रूपसँ आवयक अिछ! आरकया ूण हया यानी िक कृितकसंग िखलवाड़ अिछ! एिह िखलवाड़केँरोकए लेल हमरा सभकेँ एकजुटहोबए पहत आर एतबे निञ एिहमानिसकतोकेँ बदलए पड़त िकवंशबेल खाली आर खाली लड़केचलेता, तखने हम सही खपमेआधुिनक कहाएब ....भिक्तगीतमात िपता गुरु भु चरणमे णवतबारबारहमरा पर कएलहुँ बड़ उपकार,हमरा पर कएलहुँ बड़ उपकार।माताजी जे क उठेलिखह ओऽऋण किहयो निञ चुकलऒ,आंगुर पकिड़ कs चलब िसखेिखहममताक देलिखन शीतल छाया,िजनकर कोरामे पिलकए हम कहेलहुँहोिशया॥हमरा पर कएलहुँ बड़ उपकार,हमरा पर कएलहुँ बड़ उपकार।िपताजी हमरा योग्य बनेलिथ कमा-कमा कऽ अ खुएलिथ,पढा िलखा गुणवान बनेलिथ, जीवनपथ पर चलब िसखेलिथ,जोिड़-जोिड़ अपन सपित केँ बनाऽदेलिथ हक़दार।हमरा पर कएलहुँ बड़ उपकार,हमरा पर कएलहुँ बड़ उपकार।सय ज्ञान गुरूजी बतेलिथ, अंधकारसभ दूर हटेलिथ,दयमे भिक्तक दीप जरेलिथ,हरीदशर्नक मागर् बतेलिथ,िबना वाकर् कृपा केला ओऽ कतेकपैघ उदार।हमरा पर कएलहुँ बड़ उपकार,हमरा पर कएलहुँ बड़ उपकार।भु कृपासँ नर तन पेलहुँ संतिमलनक साज सजेलहुँ,बल बुि आर िवा दऽ कs सभजीवमे े बनेलहुँ,जे िकयो िहनकर शरणमेएिलखन,भेलिह हुनकर उार।हमरा पर कएलहुँ बड़ उपकार,हमरा पर कएलहुँ बड़ उपकार।‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्52


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्योितwww.poetry.comसँ संपादकक चॉयस अवाडर् (अंेजी पक हेतु) योितकेँ भेटल छिह। हुनकर अंेजी प िकछु िदनधिर www.poetrysoup.com केर मुख्य पृ पर सेहो रहल अिछ। योित िमिथला िचकलामे सेहो पारंगत छिथ आऽ िहनकरिमिथला िचकलाक दशर्नी ईिलंग आटर् ुप केर अंतगर्त ईिलंग ॊडवे, लंडनमे दिशर्त कएल गेल अिछ।िमिथला पेंिटंगक िशक्षा सुी ेता झासँ बसेरा इंटीयूट, जमशेदपुर आऽ लिलतकला तूिलका, साकची, जमशेदपुरसँ। नेशनलएशोिसएशन फॉर लाइड, जमशेदपुरमे अवैतिनक रूपेँ पूवर्मे अयापन।योित झा चौधरी, जम ितिथ -३० िदसबर १९७८; जम थान -बेवार, मधुबनी ; िशक्षा- वामी िववेकानद िम िडल कूल़िटकोसाकची गसर् हाई कूल़, िमसेज के एम पी एम इटर कालेज़, इिदरा गाधी ओपन यूिनविसर्टी, आइ सी डबयू ए आइ (कॉटएकाउटेसी); िनवास थान- लदन, यू.के.; िपता- ी शुभंकर झा, ज़मशेदपुर; माता- ीमती सुधा झा, िशवीपी।--स पादकबफर् ओढ़ने वातावरण !मानू आकाश टूिट क िबखिर गेल ,अपने आप के िछिरयाकऽसबके एक रंग में रंिग गेल ॥थरथराबैत सरदी स भयभीतसब जीव अपन जगह धेलक;कृित के इहो अवरोध मुदा,मनुय के निह बॉंिध सकल ॥भॉंित कारक साधन जोगारलकिवकट पिरिथित पर िवजय लेल;अपन सवर्े बुिबल समनुय अंतत: सफल भेल॥गामक सूयतगामक सूयतएक अुत दृय यािद पािड़ चिकतभेलहुँ,पोखिरक भीड़ पर हम ठाढ़ छलहुँआसमानक नीलवणर् भेल रंगमयिदया बातीक मुहुतर्मे सूयर् सबसॕ िवदालयिक्षितजमे िवलीन हुअ लागलसंग ओकर काशपुंज सेहो भागलसबहक खिरहानमे लालटेन िटमिटमायछलपक्षी सब समदाओन गािब रहल छलसेहो विन मद पिड़ गेलसॉंझ राितमे बदिल गेलफेिर स अिगला भोर मे पिक्षगणगायत ाती सब िमिल एक संग।िवशाल समुसमुक लहिरक तरंगअनिगनत बेर दोहरा रहल अिछ ।उेयहीन अपने मुदा ओकर गानकिहया कत’ सँ चिल रहल अिछ ।बेर बेर रेत पर बनल पदिचह् नमेटा क’ तटसॕ घुिर जाइत अिछ ।जलक सभसॕ शिक्तशाली संगठनसागरक रूपमे उपिथत अिछ ।राितक अहारोमे ओकर गजर्नओकर िवशालताक आभास कराबैतअिछ ।आधुिनक जीवनदशर्नअितशयोिक्त सँ िवरिक्त अिछजाबे ओ' दोसरक शंसा में होयपरच िनंदामे िकएक कंजूसीजखन अनकर करबाक होय ।असय तऽ ओकरा बुझबजे हमर शंसकके रोकयए,ने हमर िकयो शंसक अिछने समाजमे िकयो असय बुझाइए ।परोपकार करिनहारके आिशषजे हमर काज बना गेलअयथा ओ सब बेरोजगारजे आनक काजमे लािग गेल ।.मनुय आ' ओकर भावनाकठोर हृदयमे भावुकता नुकायल भेटल,पुछिलयै, “ तोहर आब कोन थान ?”बड़ िनमर्लतासॕ उर देलक,''हमरा सॕ निहं तोरा सबके ाण।ोध, ेम, दु:ख, दया आिद जीवनकअंशअिहसॕ पूणर्त: िवमुक्त भेनाई किठन;परतु गलतकेँ िबसरा कऽ नीक िवचारकेँआय देनाय अिछ अपन आधीन ।दया परोपकारक अिधाी अिछ ,दु:ख खुशीक महव बुझाबए छै।ोध सॕ हठ, ेमसँ याग जनमैत अिछ,‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्53


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्बस उिचत िदशा िनदशन आवयक छै।मानवक बुि भावनासॕ भािवत होइतअि़छ;भने ओ वयम् केँ िवधाता बनओनेिफरैए।आधुिनकताक होड़मे िनुरता ओढ़नेअिछ,भावनाहीन भऽ कऽ जीिवत निह रिहसकैए।हमर गामगरमी में सूयदय के समय कतेक शातआ' शीतल,लू आ उमस सॕ ओत ोत दुपहिरयातेहने िबगड़ल;सॉंझ हुअ सऽ पिहने धूल धड़ आ'िबहािर,राित होइत होित देरी अहार, तािह परमच्छड़क मािर।अिह सबहक बीच बसल बस एक मािमठासअपन भाषाक ज देने अिछ गाम जायकयासजतऽ सयता के लाज में अपनापन निहंनुकाइत छललोक हाक दऽ कऽ हाल पूछऽ में निहंसकुचाइत छलअनार, शरीफा, खजूर, लताम, पपीता,जलेबी, केरा सिहत लीचीक बगानकेसौर, कटहर, बेल, धाी, जामुन,बेरक संग अपन पोखिरक मखानफेर आमक गाछी सेहो अिछ जतऽ गमिबतौनाई निहं अखड़लहवा िबहािर में खसल आम बीछऽ लेलभगनाई निहं िबसरलिवकासिवकासशीलताक उच्चतम् िशखरकतऽ आऽ कतेक दूर पर भेटत।ई एकमा मृगमरीिचका तऽ निहजे लग गेला पर िबला जायत ।यासलकेँ लोभ दऽ बजाबए लेलफेर किनक दूर पर देखायत।मनुष िवज्ञान आर तकनीकक नशामेआर कते िदन ओकरा िखहारइत रहत।याा मासॕ कृित दूिषत भेलभेटऽ मे की जािन कतेक हािन हएत।परतु अपन ज्ञानक सीमा संकुिचत कऽबुिकेँ थूल तऽ निह कएल जायत।गित िनधरण आ' सामनजय चाहीजतऽ िवकासक मागर् निह रोकलजायत।संगिह गित आऽ कृित दुनुक भैयारीिवज्ञानक नाम पर निह तोड़ल जायत।बालमबालपनक िकलकारी भूखक ताप सऽभेल मूक,पोथी बािर कोदािर पाडैत हाथक मािरअचूक।कादो रौद बसातमे म केनाइ भेलमजबूरी;गरीबीक पराकाा ! पेट आ पीठकघटैत दूरी,िकछु धनहीनता आ’ िकछु माता िपताकमूखर्ता,मुदा, सभसँ बेसी वाथ समाजकसंवेदनहीनता,जे बालक केँ माताक आय सॕ विचतकेलक,लेखिन के छीन कोमल हाथमे करचीधरेलक,माल जालक सेवा करैत बाय जीवनकुदरूप,अपने भिवयकेँ दिर करैत अज्ञान आ'अबूझ,िवोपाजर्नक ककरा फुसर्ित ? िथिततऽ तेहन भेल,चोर बनक आतुर अिछ बालपन दू दानाअ लेल।(१)तारा दूरसँबुझाइत कतेक शीतलवातवमे जड़ैत(२)शाखासँ लागलपुप आऽ पसॕ आच्छािदतअिछ झूलैत लता(३)पक्षी िवाम कएलबड़का यााक उपरातएखनो जे अपूणर्‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्54(४)अभुत अपवाद छैकनागफनीक कॉँटक बीचकुसुम िखलायल(५)नीलांबरमे मेघिवचरैत अिछ कोना जेनासागरमे होए शाकर्(६)भावी संकट केरपशु पक्षीमे पूवभासभुक िदय आिशष(७)कोमल पंखुड़ीसुगधक संग सजाओलएक पुपक रूपमे(८)नदीक तरंगओिहना लागैत अिछ जेनाओकर घुरमल केश(९)दू टा पसरल पाँिखबाज उड़ऽ लेल तैयार अिछपूणर् रूपसॕ जागरूक(१०)पहाड़ीक ढलानतािह पर एकमा गाछक छाहभेल याीक िवाम(११)संयाक बेलासुनसान आऽ शात पोखिरक कातएक एकात थान(१२)मेघ रूपी बफर्मेअिछ हवाई जहाज िपछड़ैतआकाशमे िवचरैत(१३)कठोरतम भूिमसमुक छोर पर बसलअिछ पाथरक िकनार(१४)िवलक्षण अपवाद


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्आकाश जरैत संयाकालसमुक उपिर(१५)पहाड़सॕ उिदतसूयर्सॕ आकाश भेल जागृतवालामुखी सन(१६)उगैत सूयर् संगेआयल अंधकारक उपरातअंतहीन िदनक आस(१७)िदवस आब थकलराितक वागतमे लीन साँझिमझाइत सूयर् दीप(१८)गाछ भने हिरयरीमोमे देखु पतझड़भोरक आकाशमे(१९)पक्षीक चहकआऽ आकाशक लाली संगकृित जागल(२०)अितसुदर जाड़मेघक िघस िघस िछड़यौलकिहमपातक रूपमे(२१)तैयार उड़ऽलेलपक्षी िवामसॕ जागलवा अिछ शुरूआत(२२)पक्षीक िनरीक्षणछूटल अक फेरमेकटनी भेलाक बाद(२३)फूलक हुँजक बोझशाखा केँ झुका रहलबसंत आयल अिछ(२४)िततलीक पंखअंिकत रंग िबरंग आकारभुक िचकला(२५)मनुष लेल किठनिकतु जीवन ओतहु अिछशीतलतम थान(२६)उच्चतम िशखरसॕधुध भरल हिरयर घाटीिनहारक इच्छा(२७)िविभ कारकघास पात जमीन पर उगलआइरसँ दूर बॕचल।(२८)ओसक बूँद पािब अिछघासक फुनगी आह् लािदतहीरा सन चमकैत(२९)बाहर घूमऽ िनकललबतख अपन बच्चा संगगमक िदनमे(३०)बतख हेल रहल अिछपािनक ऊपरी सतह परलयक िदस िनरंतर(३१)ेसोआते िपब लेलगमर् देल गेल(३२)ईर केँ तकनाइनिह किठन पाबू ओकरापिव हृदयमे(३३)दृि मणमेघाटी पर दूर दूर धिरभटिक सकैत अिछ(३४)घोड़ा भटिक रहलउेयहीन िबन घुड़सवारभेल अनुशासनहीन(३५)िथर पािनमेकृितक ितिबबसाफ लेिकन उलटा(३६)ाकृितक दृयपािनक ितरूप िबनाअपूणर् बुझाइत अिछ।(३७)पतझड़क पातपसारलक अपन सतरंजीहिरयर घास बदला।(३८)समुक तहमेिविभ आकार कारकरंग िबरंग जीवन।(३९)नटखट समुतटक आरामसँ वंिचतकएने बेर बेर तंग।(४०)पहाड़क चोटीआर बेसी ऊँच लागैत अिछगहीँर घाटीक बीच(४१)पोखिरमे देखुकृितक ितिबबउलटल बुझाइत अिछ(४२)िततलीगण उतरलपंखरूपी पैराशूट लऽफुलक झुड पर।(४३)उच्चतम िशखर परगुफासँ दृिगोचरहोइत रमणीय दृय(४४)बच्चाक संग खेलमेएकेटा खुशीक आभासओकर िकलकारी(४५)टेढ़ मेढ़ रेखा अिछबरसातक बहैत पािनसँिखड़कीक काँच पर बनल(४६)बादलसँ छनलसमुक लहिरक तरंगउपर चमकैत िकरण(४७)पािनक तरंग केँपक्षी बदिल रहल अिछकलरवक लयमे‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्55


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्(४८)मरुथलमे रेतअिछ हवासँ बहारलसतह भेल समतल(४९)कतेक बेसी यानपातक ारूप देबऽमेईर देने छिथ(५०)बरसात खतम भेलपािन तइयो झिर रहल अिछगाछक पात सब सऽ(५१)समुक लहिरलगातार टकरा रहलपाथर तइयो िथर(५२)मनोरम दृयजेना िचीक चाशनीमे िलतअिछ गाछ जाड़मे(५३)अपने रंगहीन अिछगाछ केँ रंगीन बनौलकनीचा गड़ल जिड़(५४)शीतल काश युक्तसुयदयक पिहनेक समयसवम काल(५५)पाँिखक शाल ओढ़नेकृितक मण हेतुपक्षी िनकलल जाड़मे(५६)िचडैय़ाक बच्चामाए बाप संगे अिछ ताबञजाबञ पंख निहक छैक।(५७)वासी पक्षीमीलक मील उिड़क आयलगमक आनद लय।(५८)उछलैत पािननदीसँ भेँट लेलखसल झरनाक रूपमे ।(५९)नागफणीक गाछ सभमरुथमे सेहो अिछमजबूतीसँ ठाढ़।(६०)कठोर पातसँ िलतनागफनीक चोटी पर अिछकोमल फूलक ताज(६१)आर सजायल गेलकैक रंगक फूल आऽ लाइटसॕिसमसक साँझमे(६२)एक नािरकेरक फलकठोर केशयुक्त कवचमेमीठ उजर फल अिछ(६३)भुखाएल बगुलानदीक कातमे ठाढ़ अिछमाछक तािकमे(६४)अितिथक आगमनकौआक ककर्श काँव काँवसँपूवर्सूिचत भेल अिछ(६५)सागरमे डॉलिफनखतरनाक जीवक बीचमेमनुषक साथी(६६)िजग ज़ैग विन केँगाड़ी दोहरा रहल अिछभीजल सड़क पर(६७)भूकपक ाप अिछअज्ञात अपराधक सजामनुषकेँ भेटल(६८)छोट िकतु तेज अिछअपन लय िचनहऽमेभड़ल भीड़क बीच(६९)समुक नीचाँकतओ जायकाल रहैअछोट माछ सब झुडमे(७०)अंगूरक फल अिछमीठ जेल जमाकऽ रखनेछोट छोट आकारमे‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्56(७१)वगर् सदृश दृयहिरयर ाकृितक संगिचड़ैआक कलरव(७२)राित हुअक पिहनेआकाश दहिक रहलसूयतक पिहने(७३)िखलिखलाइत झरनामधुर विन घोिर रहलचारू िदशामे(७४)सूयर्क अएलापरराितक अहार भािग गेल आऽभोर शुरु भऽ गेल(७५)छाया उपयुर्क्त अिछगोबरछा केँ उगऽआऽ पसरऽ लेल(७६)एकटा पओलाक बादखरहा फेर भािग रहल अिछआर भोजन लेल(७७)गाछक विणर्म रंगपतझड़क आगमनकघोषणा अिछ करैत ।(७८)गरमीक ऋतुकहॉँ ओतेक दुखद अिछशुरुक िदनमे(७९)वयम् िस मकराअपन सुरक्षा हेतुजाल अिछ बुनैत(८०)कोनो आकारमेढिल जाएत पािन मुदा गहराईएकर अपन गुण(८१)आकाश अखनो ऊँचबादल पहुँचमे बुझाएलई धुधक रूपमे(८२)


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्राितमे इजोत दैतबफर्सँ परावितर्त होइतकाशपुँज जाड़मे(८३)लुक्खी सब िनकललअपन घड़सँ आलस यािगवसत ऋतुमे(८४)सोन सन सूरज भेलउजर चमकैत हीरा सनिदनकेँ अएला पर(८५)गाछ सब अिछ होड़मेसबसँ पिहने पाबऽ लेलसूरजक रोशनी(८६)एकटा मिदर अिछखजूरक गाछ भीड़मेएक पोखिर कातमे(८७)सुखाएल छोट पातसभगाछसँ नीचाँ खसैत अिछनबकेँ अवसर दैत(८८)गाछक शाखासभअतेक ऊँचाई पर पसरलजिड़ ततबे गिहँर(८९)भोरक अयला परगाछ पर लादल ओस भेल अिछचमकैत हॅँसी सन(९०)सोन सन कबल अिछओढ़ने गहुमक खेत सभकटाइक पिहने(९१)चवातीय पवनजीवनसंहारक बिन गेलजीवनरक्षक छल।(९२)दान करैत अिछपक्षी आऽ िहरण सभकेँगाछ आऽ वृक्ष आय(९३)फूलसँ भरल अिछएकटा घाटी एहन अिछजेना खुशी मुकाइत।(९४)पािन बिढ़ रहलरताक गाछ आऽ पाथर सभिवदा करैत ठाढ़(९५)जाड़क गाछ अिछ ठाढ़वसतक तीक्षामेपात सभसँ िभ भऽ(९६)Illusion of eyeColourful appearance ofRainbow in the skyआँिखक म,आभास वणर्मयपिनसोखा ौ(९७)Rainbow declaresBeginning of bright days andEnd of rainy onesपिनसोखाक,शु िदन आबहिखचाहिन जाऽ(९८)Filled with smoky fogThe wood seems to beburningThou' it is winterधुँआ कुहेसजेना जड़ैत काठ,अिछ ई जाड़(९९)The words sound so sweetimitated by parrotsLike baby babblesगु मधुरसुग्गाक अिभनय,तोतराइत वर(१००)The sky is brightThe wind has cleared thecloudsSome still needs forceअकाश ेतवायु टारैत मेघ,कनेक बल(९६ सँ १०० धिर इंिग्लशसँ मैिथलीअनुवाद संपादक ारा कएल गेल)मेघक उपातकिनक काल दऽ पािनक फुहारफेर लेलक अपन ऑँजुर सहािरदेखू मेघक उपातलोकक आशाक उपहास करैतकखनो दशर्न दऽ बेर-बेर नुकाइतमौलाऽगेल गाछ आऽ पातकखनो गरिज भिर कऽ रिह गेलकखनो बरिस-बरिस कऽ भिर गेलडूबल पोखिरक कातकोसीक वाह सब बॉँह तोड़लकगामक गाम जलमग्न कएलकततेक भेल बरसातिकसानक भिवय मेघपर आितमेघक इच्छा पूणर्तः अयािशतसभसालक अिनित अनुपातबरखा तू आब किहया जेबैं1बरखा तू आब किहया जेबैअकच्छ भेलौ सब तोरा सॕबुझिलयौ तू छै बड जरूरीलेिकन अतीव सवर् विजर्त छैआर कतेक तंग तू करबैंबरखा तू आब किहया जेबैं२बेंग सब फुदिक फुदिक कऽघुिस रहल घर - ऑंगन मेंओकरा िखहारैत सॉंपो आयततरह - तरह के िबमारीक जिड़मच्छड़ सभके खुशहाल केलैंबरखा तू आब किहया जेबैं३कतौ बािढ़ सॕ घर दहाइत अिछकतौ गाछ उखिड़ खिस पड़ल‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्57


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्कतेक खतरा तोरा संग आयलआन-जान दुलर्भ तोरा कारणआिढ़ सभ कादो सऽ भरलैंबरखा तू आब किहया जेबैं४टूटल फूटल खपरी सऽ छाड़लगरीबक कुिटया कोनाक सहततोहर िनरतर प््रावाहक मािरपशु-पक्षी सेहो आयहीन भेलनञहर के तू सासुर बुझलैंबरखा तू आब किहया जेबैं५तोहर जाइत देरी शीतलहरीअपन कोप देखाबऽचाहतमुदा पिहने आयत शरद ऋतुकिनके िदनक आनदी लऽ कऽपिनसोखा देखेनाई नञ िबसिरहैंबरखा तू आब किहया जेबैं।िमिथलाक िवतारहम सब ओिह समूहक लोकइितहास छानब जकर भागसंकृित बड़ धनीमुदा संरक्षणक अभावजिहया सभक नॴद खुजततिहया करब पातापओिह सयताकेँ ताकबजे अखन लगैअ ापउितक पथ पर चलऽ लेलपिहरलहुँ आधुिनकताक पागिजनकासॕ ई सुरिक्षत अिछसे गाबैत बेरोजगारीक रागजे गरीबीक सीमा पार कएलाहसे यत ितयोिगतामे िदन राितएक संजीवनी बुटीक अिभलाषाजे सयताकेँ िदअए सुरिक्षत आधारिवतरीय संथाक िनमण होएएकर िवशेषताक जे करए िवतारईशक अराधना1हे ईश एहन हाथ िदअजे कमर्ठ आ कुशल होईअहॉं लग मा जोिड़ककमर् के ितलांजली निह दईपूजाक संग काजक संगमजकरा लेल ा होई२हे ईश एहन पैर िदयजे अपन भार सिह सकयआनक जहन योजन होईतऽ सभसॕ आगॉं बिढ़ सकैऔिचय सॕ िवचिलत जकराकोनो बाधा नञ कऽ सकै३हे ईश एहेन वािण िदअजािह में िनवास करैथ शारदािमठास होए आ' शीतल होयनिहं होए भय आ' लोलुपताअहॉंक अराधना भिक्तभावसऽदेववािणमे करक िदअ क्षमता४हे ईश एहेन दृि िदअअहॉंक रूपके कराबै िचन् हारअहॉंक बास जखन घट-घट मेफेर िकयै जाउ िहमालय पहाड़सकमर्के हम पूजा मानीनिहं रहै अज्ञानताक अहार५हे ईश एहन बुि िदअअहॉं पर सदैव रहै िवाससंतोष आ' शाित पािबबेसी के निहं हुए आसप््राािणमाक कयाण लेलकऽ सकी आमरण यासखरहाक भोजखरहा सब भािम-भािमबाड़ीमे अिछ भोज करैतजतेक छल रोपल साग-पातकुचिर-कुचिर कऽ चरैतएहन असहित दृय देखगृहथक तामसे मोन जरैतितिदनक िनरंतर यास‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्58बाड़ी छल फूलैत-फलैतअतेक िदनका कएल धैलपर ई सभ पािन फेरैतभीड़ल सब ओकरापरचारू िदससॕ िखहारैतिकयै ओ ककरो हाथ आयतनिह देरी भेल ओकरा पड़ाइत।िबन मेहनित आ' िबन धैयर्मनुषकेँ अिछ िकछु निह भेटैतपशु - पक्षी सब लुिझकऽअपन जीवन अिहना िबता लेत।कपनालोककपनालोकमें िवचरण करै छलहुँउमुक्तसबतरहक िवषाद जतऽ भऽ गेल छललुतआािदत हृदय सेहो रहय िवमयसॕयुक्तशंसा में वगर् शद लागल सबसऽउपयुक् तकोनो भूिम निह भेटल जे छल कलह सॅिलतथहलहुँ जत कतौ छल नेहक जलसॕऽिसक्तआरोग्यक कचोर रंग सवर् छलपलिवततािह पर खुशी कोमलतापूवर्क रहयपुिपतशाित तेहेन जे देलक अपूवर् आमसंतोषदूर-दूर तक निहं कतौ देखायल आोशएहनो दुिनया हैत कतौ से निहं छलभरोसजािह सॕ दुखी छलहुँ से मेटायल सबरोषवातिवकता अिछ अलग से तऽवयंिससमया सॕ जूझैत सब, की बच्चा कीवृकपनाक साकार भेनाई अिछ अिहमेंिनिम


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्घर-घर जहन लोक हैत िशिक्षत आसमृ।कोसीक कोपाकृितक कोप िमिथलामेदेिख के निह हैत अधीरदेहाइत डूबैत जन जीवनसरकार बनल अिछ बिहरकिहया सऽ अिछ बनलकोसी नदी िबहारक शोकपयवरणके सतत हननिकयेक निह लागल रोकघमैत िहमनद बढ़ैत जलतरसृिके िदनोिदन बढ़ैत तापमानपयवरण पर गभीर िचतन आवयकपिहने वर्मान संकट स पािब िनदानअतेक सालक समय देलाक बादफेर रता बदिल लेलक कोसी नदीअिह महालय सऽ बचनाइ छल संभवसमय पर सरकारी कोष खुिजतै यिदमज़बूत बाह आ वाहक मागर्दशर्न लेलभूगोलवेा आ अिभयंता आगू आबैथजलसंचयसऽ िसंचाइक समया भगाजलशिक्त सऽ िवुत िनमण करैथ।असल राजलदन शहरमे भोरक भीड़सऽभागैत िदनचयके आिढ़सऽठाढ़ भेलहुं कात भऽ॥१॥लागल सबके ेत रेवारने छलआिक कोनो लॉटरी फुजलसबके तेना पड़ािह लागल छल॥२॥समय सॅ छलै सब पैबधिवदा काज िदस एक बैगक संगओवरकोटमे बद॥३॥िमया अिभमान भेल िवलीनसब काजक सुरमे तलीनवावलबी आऽ आमाधीन ॥४॥कानूनन ठीक अिछ जे कोनो काजतकरा करैमे जे निह केलक लाजसैह कऽ रहल अिछ असल राज॥ ५॥पतझड़क आगमनपतझड़क आगमनदहैक रहल वातावरणसंतरा, पीयर, लाल, भूरारंग सऽ भरल पूराकृित जेना भेल जीणर्मौलाएत झड़ैत तृण-तृणिविवध रंगके यािगकऽगेरूवा व धािरकऽिवदा भेल लेबऽ सयासतािह पर सुयदयक आकाशधरतीपर जे आिग छलतािहमे ओहो िलपटलआिक अिछ दपर्ण जकॉंपृवीक रूप देखाबैत जेनाअकरा शीतल करैलेलसाधु तपयामे लीन भेलजिहया िहमक बरखा हैतअवच्छता जखन दूर हैततिहया सऽनवजीवनक यासलायत सुखद वसंतक अिभलाष।वृक अिभलाषाएक वृ रोिप रहल छल गाछ आमकेिकयो पुछलकै जे की लाभ हैत अहॉंकेअपने छी जीवनक अंितम छोर परफरनाइ तऽ हैत अहॉंक मरलापरओ वृ जवाब देलैथ िवनता सऽअपन काज सऽ िबना अिडग भऽबाप दादाक रोपल कलम जे भोग केलहुंबस सैह ऋणके लौटाबक यास केलहुंआगामी पीढ़ीके अपन हाथे खुआयब कीनिहंकम सऽ कम ई गाछ फरैत रहत जाधिरअपन बाल बच्चामे िमठास घोरैत रहबभने ताबे अपने जीवैत रहब निहं रहबटेस नदीमे नौकािवहारटेस नदीमे कर चललॱ नौकािवहारटीमरमे उपिरक मंिजल पर सवारमद - मद चलैत शीतल बयार॥वतुकलाक कते उकृ उदाहरणतकनीकी िवकासक यक्ष दशर्नतटमे ठाढ़ ऊंच - ऊंच भय भवन॥कलकलाइत जल स डोलैत नावमानव याससऽ अनुशािसत बहावजगा देलक अपन िबसरल घाव॥कतेक पॉंछा अिछ अपन ातनैसिगर्क आपदा स आातकिहया हैत बािढ़क समया शात॥राितक बात तऽ आरो अुतबस मंक उोष छल िवलुतथानो निहं छल ओहेन भिक्तयुक्त॥अयथा किहतॱ अकरा हिरारबीक ितिबब स चमकैत धारजेना होय छिठक अघ्यर्दीपक भरमार॥‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्59


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्ज्योित काश लालाम-जगतपुर, सुपौल, (भारत)।योितकाश लाल िवो टेोलोजी, हैदराबादमे सॉटवेअर अिभयता छिथ, पेन आ यू.एस.ए.मे पिहने काजकए चुकल छिथ। एिलकेशन आ वेब आधािरत सॉटवेअरक िनमणमे संलग्न। माइोसॉट कॉरपोरेशन, वािशंगटनमे िवडोज ऑपेरेिटंग िसटमपरशोध आ िवकासमे योगदान। कूल, कय़ुटर इंटीयूट आ सरकारी पोलीटेकिनकमे िशक्षणक पूवर् अनुभव। वतर्मानमे साक्षातकार आ यिक्तविवकासपर पोथी िलखबामे यत।ी लालमे संगठनामक शिक्त छिह आ ओऽ िविभ ुप आ फोरमसँ जुड़ल छिथ। िकछु आर अनुभवी सहयोगीक संग ओऽwww.jyoticonsultant.com ारा मुत कैिरअर सुझाव दए रहल छिथ।–स पादकआजुक समय मे कयुटरिशक्षाक महवकयुटर: िक आ िकएक?आजुक िदन मेड कयुटर शदिकनको सँ बाँचल निह अिछ। ओना तँिहदी वा मैिथली मे कयुटरक नाम अिछ“संगणक” मुदा ऍिह नाम सँ बहुतो लोकिनअनिभञ होयब आओर ई शद िकछुअनगराईल बुझायल जायित। खैर…. अपनमातृभाषा मैिथली मे एहेन ढेर अंेजी शदकयोग करैत छी जे िवशु मैिथली मे िविचबुझाएल जायित छैक। आइ केँ िदन मे सभकेँ ‘कयुटर साक्षर‘ (ComputerLiterate) होवाक चाही। ‘कयुटरसाक्षरता‘ (Computer Literacy) सँमतलब जेँ कोनो भी आदमी ‘कयुटरअनुयोग‘ (Computer Applications)केँ योग मे लािब सकैिथ। दोसर तरहेँ यिदएिह बात केँ कही तेँ एकटा ऐहेन आदमी जेँकयुटर कँ योग कड केँ कोनो काम कडसकैिथ।कयुटर सँ लगभग सभ काम भडसकैित अिछ। जािह कारणे वतर्मान समय मेकयुटर एकटा महवपुणर् अंग बैिन गेइलछैक। आजुक छोट – मोट यापारीयो एकटाकयुटर खरीदबाक आ कयुटर ऑपरेटररखवाक िहमत करैत छैिथ। एकरलोकियता आ माँगक पाँछा ढेर कारणअिछ। उदाहरणक तौर पर देिख तड: जेनाकोनो दरख्वात वा िची कोनो ओिफस मेदेबाक जरुरत होयत अिछ तड दरख्वातकँ टाइपराइटर (Typewriter) पर टाइपकरा कँ देित छी, मुदा इ टाइप करायलदरख्वात मे बहुतो कमी आ अपुणर्ताकसंभावना रहैित छैक, जेना SpellingMistakes के संभावना, पारााफकAlignment मे समया, पृक Marginsमे समया, इयािद।इ सभटा समयाक समाधान अपनेकयुटर सँ िबना बहुत किठनाई सँ कँसकैत छी। कयुटर मे SpellingChecking केँ सुिबधा अिछ जेँ अपने –आप बता दैत जे कोन – कोन शकिहजै (Spelling) गलत अिछ। एकरअलावा कयुटर Grammatical Errorsसेहो पकैर सकैित अिछ। इ सब सुिवधाप किर (Facilities) सँ िलखल दरख्वातवा िची मे कोनो Spelling Mistakesआ Grammatical Errors केँ संवाभनाकम अिछ। पारााफक Alignment आMargins केँ तरीका बहुत सुिवधाजनकअिछ। एकर अलावे एकटा दरख्वात वािची िलखवाक आ ओकर छायाित(Printouts) िनकलवाक तक जे–जे सुिवधा(Facilities) होएबाक चाही वो सभटाकयुटरक सोफ़्वेयर पैकेज (SoftwarePackage) मे छैक।वतर्मान समय मे कयुटर बहुत आगाँबिढ गेल अिछ। Banking Sector मेजिहना धुम – धडाका सँ योग मे अिछतिहना Medical क्षै मे। जिहना रेलकसवारी आरक्षण मे कयुटरक Whistleबािज रहल अिछ तिहना हवाई जहाज केँसेहो उड़ा रहल अिछ। मोटा – मोटी यिदएक लाईन मे कही तँ नवयुग मे कयुटरओिहना सब क्षैमें मे जरुरी अिछ जिहनातरकारी मे नोन।वतर्मान समय मे कयुटरकआवयकता केँ आधार पर इ कहल जासकैित अिछ जे यिद अहाँ कयुटर निहजानैत छी तँ अहाँ िनरभर छी। अंेजी मेसेहो मुहावरा (Proverb) बिन गेल अिछ –‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्60“If you are not a computerliterate it means you areilliterate.”आइ केर समय मे िजनका संगमे Internetके सुिवधा उपलध अिछ तँ हुनका लेलबहुतो चीज बदैिल गेल छैिक। यिद आइ केँसमय सँ दस – बारह साल पाँछा केँ समयमे जाई आ पाचारक मायम केँ बारे मेसोची तँ पिहले मृित-पल पर थोक मेपोटकाडर्, अतरदेशी आ िलफाफाकखरीदवाक बात आिब जायित। एकर पाँछाएकटा कारण अिछ जे ओिह समय मेपाचारक मायम लेल जे पोट– केँऒिफश छलेक खर भुिमका छलैक। आओरसबहक लेल डाकक मायमे सुगम आ सरलछिल। प कें अलावे गाम – गाम मेमनीओडर पहुँचेबाक मे सेहो डाक अणीछल। एवम कारे डाक पाचारक आमनीओडर वाते एक मा साधन बुझलाजायित छिल। मुदा नहुँए – नहुँए समय आदुिनया मे पिरवतर्नक लीला जारी रहैतअिछ। ई पाचारक पिरवतर्नक लीला मेकुिरयर (Courier) आ ई-मेल (E-mail /Electronic - Mail) आयिल आ धुम –धड़ाका सँ पाचारक मायम पर कजा कँलेलक। आजुक िदन मे िजनका कुिरयर वाई – मेलक सुिवधा अिछ वो सब पोट –ऒिफश केर राता – पेरा िबसिर गेलछैिथ। सब लोकिन जेँ येक िदन डािकयाकेर इंतजार मे दरवाजा पर एकटक लगा केँबैठल रहैित छलाह वो सब आई डािकया केँिचहेतो निह छैिथ। कारण बहुतो पाचार ई– मेल सँ ही सभव भड जायित अिछ,खास कड केँ शहरी पिरवेश मे। मश:


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्डॉ कै लाश कु मार िम(८ फरबरी १९६७-) िदली िविवालयसँ एम.एस.सी., एम.िफल., “मैिथली फॉकलोर क्चर एड कॊिग्नशन ऑफ द फॉकसांग्सऑफ िमिथला: एन एनेिलिटकल टडी ऑफ एोपोलोजी ऑफ युिजक” पर पी.एच.डी.। मानव अिधकार मे नातकोर, ४०० सँ बेशीबध -अंेजी-िहदी आ मैिथली भाषामे- फॉकलोर, एोपोलोजी, कला-इितहास, याावृांत आ सािहय िवषयपर जनर्ल, पिका,समाचारप आ सपािदत-थ सभमे कािशत। भारतक लगभग सभ सांकृितक क्षेमे मण, एखन उर-पूवर्मे मौिखक आ लोकसंकृितक सवगीन पक्षपर गहन रूपसँ कायर्रत। यूिनविसर्टी ऑफ नेाका, यू.एस.ए. केर “फॉकलोर ऑफ इिडया” िवषयक रेफ़ेरी।केीय िहदी िनदेशालयक पुरकारक रेफरी सेहो। सय सँ ऊपर सेमीनार आ वकर्शॉपक संचालन, बहु-िवषयक राीय आ अतरीयसंगोीमे सहभािगता। एम.िफल. आ पी. एच.डी. छाकेँ िदशा-िनदशक संग कैलाशजी िविजिटंग फैकटीक रूपमे िविवालय आ उच्च-शित ात संथानमे अयापन सेहो करैत छिथ। मैिथलीक लोक गीत, मैिथलीक डहकन, िवापित-गीत, मधुपजीक गीत सभकअंेजीमे अनुवाद।“रचना” मैिथली सािहियक पिकामे “यायावरी” तंभक शत तंभकार ी कैलास जीक “िवदेह” लेल ारभ कएल गेल ईयायावरी तंभ दीघर् काल तक थायी रहत तािह कामनाक संग तुत अिछ । स पादकयायावरीनॉथर् कछार िहस: धरतीकनुकाएल वगर् –डॉ कैलाश कुमार िम-हमर अंेजीमे िलखल लेख पिढ़लोक सभ हमरासँ मैिथलीमे िलखबाकहेतु अनुरोध करैत छिथ। प कए दीजे अंेजी हमर यवसाय केर भाषािथक। किहयो िमिथलामे निह रहलहुँ,संकृत आ सोितयामी मैिथली निह तँपढ़लहुँ आ ने िलखलहुँ। तिञ मैिथलीमेिलखक कपना जखने करैत छी तँहाथ काँपय लगैत अिछ। तीन वषर् पूवर्डॉ िवनाथ झा अपन ैमािसक पिकारचना हेतु िलखबाक लेल भावनामकरूपेँ हमरा बाय कऽ देलिह। डराइत-डराइत हम रचनामे “यायावरी” नामसँअपन याा-वृात िलखनाइ ारभकेलहुँ। पाँच अंकमे लगातार िलखलाकबाद कायर्क अयिधक यतताक कारणेँयायावरी िलखनाइ बद कऽ देलहुँ।घुमब आ अंेजीमे िलखबसँ समय कहाँबचैत अिछ।एहर नौ-दस माससँ गजे बाबूअपन पिकाक हेतु पुनः मैिथलीमेिलखबाक हेतु किह रहलाह अिछ।अतेक चेिरयेलिह जे अततः याा-वृातक “यायावरी” ारभ कऽ रहलछी। पाठक लोकिनसँ न िनवेदन जेहमर लेखक िवषय आ वणर्नकेँ पढ़िथआ भाषा-िवयासक गलतीपर बेशी याननिह देिथ।यायावरीक ारभ हम असम केरएक छोट भय, रय, आकषर्क, किठनपरतु अनेक रंग आ उलाससँ भरलभूखड, नाथर् कछार िहससँ कऽ रहलछी।अपन संथा –इिदरा गाधी राीयकला केक सदय सिचव डॉ कयाणकुमार चवत महोदय केर िनदश एवंकायर्शैलीसँ भािवत भऽ हम समतउर-पूवर् भारत एवं िसिममे िविभियाकलाप ारभ केलहुँ, जािहसँथानीय संकृित आ िवरासत केर रक्षाकएल जा सकय। असममे कायर्कीगणेश हमरा लोकिन “ीमंत शंकरदेवकला क्षे” गुआहाटी केर सिचव ीगौतम शमक संग कएल।‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्61


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्लगभग ६४ बीघा पहाड़ी धरतीमेबनल ीमंत शंकरदेव कलाक्षे बडरमनगर जगह बुझना गेल। जे िकयोगुआहाटी घुमए जािथ आ हुनका कलासँथोरेकबो ेम होइन तँ ीमंत शंकरदेवकलाक्षे अवय जािथ, ई हमरिनवेदन। कलाक्षेमे पािनक फबारा,फुलबारी, िवशाल आ कलामक अनेकोभवन, दू टा अितिथ गृह, आिटर्टिवलेज; कलाकार सभकेँ रहबाक हेतुडॉरमेटरी; संहालय, कला दीघ, बच्चासभक लेल टॉय रेल एवं अय यवथा;असम केर इितहासक सबधमे “लाइटएड साउंड” कायर्म; पुतकालय,िशवसागर िजलाक ऐितहािसक रंगघरकेर िरोडक्शन इयािद बरवश कुनोघुमए बलाकेँ मोन मोिह लैत छैक।असम केर अिधकांश ऑिफस आघरसभमे लोक अपन जुा-चपल आिदघरक बाहरे खोिल वेश करैत छिथ।हमहूँ एिह परपराक पालन जखन-जखनअसम जाइत छे, तखन-तखन करैतछी।प कऽ दी जे ीमंत शंकरदेवकलाक्षे सोलहम शतादीक महान वैणवसत शंकरदेव केर नामपर असम रायसरकार, भारत सरकारक आिथर्कसहायतासँ समत उर-पूवर् भारत,िवशेषरूपेण असम केर संकृित,िवरासत तथा गौरवक संरक्षण एवंसवधर्न करबाक दृिसँ बनल छैक।शंकरदेव जाितसँ कायथ छलाह।ी बामीिक साद िसंह जे असमकाडर केर आइ.ए.एस.पदािधकारी छलाह;बादमे भारत सरकारक गृह सिचव भेलाहआ अततः िवबैंक केर कायर्कारीिनदेशक पदसँ अवकाश ात कएलिह,हमरा कहलाह जे शंकरदेव मैिथलछलाह। हुनकर िपतामह िमिथलासँअसम वास कऽ गेलिथह। पीसँ ईहोपता चलैत छैक, जे शंकरदेव तँ निहपरतु हुनकर िपता तीन-चािर बेरिमिथला आयल छलाह। एिह बातकएतय उलेख करब केर पयय ई जेएिह िवषयपर गहन शोध करबाकआवयकता िथक। यिद ई बात मािणतभऽ गेल जे शंकरदेव मैिथल छलाह तँआइ हमरा लोकिन िवापितक मैिथलहोएबापर गवर् करैत छी, तिहनाशंकरदेवोपर गवर् करब। हमरा िहसाबे तँबु मैिथल सभ िबहार सरकारसँशंकरदेवपर एक गहन शोध करबाकपिरयोजना ारभ करबाक हेतु िनवेदनकरिथ। गजेजी एिह िदशामे आगाँबढ़िथ तँ नीक बात। संयोगसँ वामीिकबाबू आइ-काि िसिम देशकरायपाल िथकाह। हुनकर मदितसँपिरयोजनाक ारभ कएल जा सकैतअिछ। ओऽ हमरा कतेको बेर एिहपरकायर् करक हेतु किह चुकल छिथ।एक समय एहनो छलैक जखन बंगालीसभ िवापितकेँ बंगाली बुझैत छलाह।परतु आब मािणत भऽ गेल जेिवापित मैिथल छलाह। यिद एहनेिकछु सबरा परपरा केर जनक ीमंतशंकरदेवक उतेढ़पोथीसँ चिल जाय तँबुझू जे हमरा लोकिन धय भऽ जाएब।ीमंत शंकरदेव कलाक्षेक सिचवगौतम शम आ सुलझल यिक्त छिथ।लगभग पचास वषर्क गौर वणर् आ मयमकद-काठीक आकषर्क यिक्तव। िथरिच। थम दृिमे लागत जे ओिहनािकयो छिथ। परतु मुदा डायनेिमकलोक। कलाक्षेक १२५ आदमी हुनकरइशारापर नचैत रहैत अिछ। सिदखानओऽ अपन सहयोगी सभकेँ पिरवारकसदय जेकाँ नेह करैत छिथ।गौतम शमक सहयोगक कारणेँहमरा लोकिन गुआहाटी आ तेजपुरमेबहुत सफलतापूवर्क अनेक कायर्म कऽचुकल रही। हमरा लोकिन असम केरिकछु एहन क्षेमे ओिह क्षेक संकृितआ िवरासतपर कायर् करए चाहैत रही,जािहपर िवशेष कायर् निह भेल हो।‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्62


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्शमजीसँ पता चलल जे सांकृितकदृिएँ असम देशकेँ मोटा-मोटी चािरक्षेमे बाँटल जा सकैत अिछ:१.अपर असम२.लोअर असम३.बराक घाटी४.नॉथर् कछार घाटीशमजीसँ इहो पता चलल जे नॉथर्कछार िहस सांकृितक वैिवयतासँभरल अनुपम थान िथक, जािहपरकोनो िवशेष कायर् निह भेलैक अिछ।परतु ई घाटी उपव, िविभ घटना,बद आिदक कारणेँ बेशी जानल जाइतअिछ। लोक सभ सामायतया एतयजाएसँ बचए चाहैत छिथ। मुदा सौदयर्आ सांकृितक िविभताक कारणे ईिथक असम केर शृंगार-नकमुी।गौतम शम हमर मनोदशाकेँ बुझैतकहलाह: “कैलाशजी, अगर अहाँ एतएकायर् करए चाहैत छी तँ हम यवथाकए देब। एतए केर िजला अिधकारी आनॉथर् कछार घाटी ऑटोनोमस काउिसलकेर िंिसपल सिचव अिनल कुमारबरुआ हमर िम छिथ। एस.पी.केँ हमसेहो जनैत िछयिह। ऑटोनोमसकाउिसल केर संकृित िवभागकअिधकारीगण हमरा लग बराबर अबैतरहैत छिथ। सभ िकयो मदित करताह।हाफलॱगमे करबाक लान बना लेलहुँ।ई कायर्म गौतम शमक सहयोगसँकरक छल। तदनुसार पूवर् िनधिरत्योजनाक अनुसार हम २१ नवबरकेंसाँझे िदलीसँ सँझुका हवाई-जहाजसँगोवाहाटी पहुँिच गेलहुँ। गुआहाटीसँहाफलॲग केर दूरी सड़कमागर्सँ २६१िकलोमीटर छैक। हमरा लोकिन (हमआ शमजीक ३ सहयोगी) टाटा सूमो(जीपसँ) २२ नवबरक साढ़े चािर बजेातः गुआहाटीसँ हाफलॱगक लेलथान कऽ देलहुँ। शमजी बडपािरवािरक यिक्त छिथ। ओऽ पूराटीमक लोक सभक लेल भोजन, टेट,जलखै, जेनरेटर आिदक यवथागुआहाटीसँ कए कमे लािद हॉफलॲगलऽ गेलाह।शमजीक बात सुिन हमरा मोनमे ईभावना बल भऽ गेल जे नॉथर् कछारघाटीमे अवय कायर् करब।गौतम शमक बातसँ हमर मोनस भऽ गेल। तुरतिह डॉ कयाणकुमार चवतसँ <strong>अनुम</strong>ित लए २३नवबर २००७ ई. सँ ८ िदनक संकृितएवं िवरासत केर लेखन केर कायर्मनॉथर् कछार धारी केर मुख्यालय‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्63समय दुगपूजाक छलैक। रातामेअनेक ठाम थानीय युवक सभ हमरालोकिनकेँ चदा लेल रोकैत रहल। एकठाम हमरा लोकिन केर राशन-पािन आकरीब २५ आदमीसँ भरल बड़का बसकचा सड़कक कात माँिटमे धिस गेल।


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्चािर घटाक इतजारक बाद सेनाकसहायता लए चाकेँ दलदलसँ बाहरिनकालल गेल। अततः साढ़े एगारहबजे राितमे हाफलॱग पहुँचलहुँ। मोनमेडर छल। हेबो िकएक निह करैत!हमरा सभकेँ अएबासँ दू िदन पिहने पाँचआदमीक बीच हाफलॱग शहरमे गोलीसँमािर देल गेल रहैक।तथा समत हाफलॱग शहर एवं अगल-बगलक इलाकाकेँ देखल जा सकैतअिछ।थीक जे अहाँ लोकिन िदलीसँ आिबएिह इलाकामे जतए िकयोक निह आबएचहैत अिछ, अयलहुँ अिछ आ हमरालोकिनक संकृित एवं धरोहरक रक्षाकित कृतसंकिपत छी। एतए तँ ओनाअसम राइफस, सैिनक, पुिलस आिदकजमघट लागल रहैत अिछ, परतुसंकृित आ िवरासतक िचता ककराछैक? अहाँ सभकेँ केना धयवाद दी”।खैर! शमजीक यास आ डॉके.के.चवत जीक असम केर मुख्यसिचव केर नाम िलखल िचीक कारणहमरा हाफलॱग सिकर्ट हाउसमे रहबाकयवथा भऽ गेल। सिकर्ट हाउसशहरक सभसँ ऊँच थानपर बनलअंेजी हुकुमतक समयक भय मकानछैक। एतएसँ कृित केर अवलोकनहमर कोठरी काफी पैघ आ साफसुथरा छल। हँ, पािनक किनक िदतअवय छलैक। कपड़ा बदिलते सुितरहलहुँ। भेल जे राितमे भोजन निहकरब। परतु गौतम शम कतऽ मानऽबला छलाह! किनकबे कालक बाद एकथानीय कलाकारकेँ लए आिब गेलाह।हम िशतावश निहओ चाहैत बैिसरहलहुँ। शमजी कहलिह, “जदीचलू। भोजन तैयार अिछ”। नॉथर्कछार िहस ऑटोनोमस काउिसल केरकला एवं संकृित िवभागक िनदेशक ीलंगथासा सेहो शमजीक संग छलिथह।हुनके याससँ संकृित भवन केरांगणमे हमरा लोकिनकेँ कायर्मकरबाक <strong>अनुम</strong>ित भेटल छल। लंगथासाउदार आ संकृित ेमी छिथ। वयंिदमासा जनजाितक छिथ। कहलिह“हमरा सभ लेल ई गौरव केर बातहम लंगथासा महोदय िदस तकैतबजलहुँ: “अहाँ सभ यिद चाही तँ हमरालोकिन एिह क्षेक सांकृितक धरोहरकेँसंरक्षण एवं संवधर्नक हेतु बेर-बेरआएब”।हमरा बातपर उसािहत भऽलंगथासाजी बजलाह: हमरा लोकिन सभतरहक सहयोग करबाक हेतु तैयार छी।एतय केर तमाम अलगाववादी, सरकारिवरोधी जथा समूह संकृित रक्षणकिवरोधी निह िथक। तमाम लोसभअहाँक िनणर्यसँ स अिछ। जावतधिर अहाँ सभ एतए रहब तावत धिरअतए कुनो मार-काट निह हैत। अहाँजे जािह तरहक थानीय सहयोग चाही,हमरा लोकिन करबाक हेतु तपर छी”।‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्64


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्टेशनक रूपमे कएल गेलैक। ारभमे चीर,देवदारक पाँितसँ लागल गाछ, नौ छेदकगोफ कोसर्, छोट परतु आकषर्क आकलामक बंगला, हाफलॱग लेक, रेलवेककमर्चारी सभ लेल टाफ क्वाटर्र, छोटबजार, रेलवे टेशन आिद सुिवधाक संग एिहशहरक िवकास ारभ कएल गेलैक।एकर बाद हमरा लोकिन रािकभोजन हेतु िवदा भेलहुँ। चटगर भोजन-भात, माछ, दािल, सजमिन केरतरकारी, सलाद, िमठाई, चटनी- केलाकबाद पुनः सिकर्ट हाउस आिब सुतबाकतैयारीमे लािग गेलहुँ। सुतएसँ पिहनेअपन पीकेँ दूरभाषसँ आत कएदेिलयिह। जे िचताक कोनो बातनिञ। हम एतए ठीक छी”। एकरतुरत बाद सुित रहलहुँ।अिगला िदन ातः पाँच बजे उिठबाहर अएलहुँ तँ मनोरम दृय देिख मोनमत भऽ गेल। सिकर्ट हाऊससँ एनाबुझना गेल जेना सुरुज अपन लािलमालए लाल गेन जकाँ उगैत छिथ।हिरयर जंगल, कलकल करैत छोटपरतु घुमावदार नदीक भाव, दूरमेबनल जंगलक मय आिदवासी सबहकछोट-छोट घर, सभ िकछु मनमोहकलगैत छल।िकछु कालक बाद गौतम शमसवाद पठओलिह जे हमरा लोकिनककायर्म साँझ ६ बजे ारभ हैत।िकछु कालक बाद सयकाम आ कुशामहत िकछु थानीय लोक संग हमरालग आिब कहलिह जे खाली समयमेहॉफलॱग आ अगल-बगलक क्षेकेँदेखबाक चाही। हमरा ई िवचार नीकलागल। तुरत तैयार भऽ गेलहुँ।थानीय लोकसभसँ पता चलल जेहाफलॲग मूलतः “हंगक्लॱग” सँ बनलछैक जकर अथर् थीक सप आरगभ धरती। बादमे िकछु दोसरिवान लोकिन कहलिह जे “हॉफलॱग”शद िदमासा जनजाितक शद“हाफलाऊ” (HAFLAU)क िवकृत रूपथीक। “हाफलाऊ” शदक अथर् भेलवामीक पहाड़ी (Ante hill)। हाफलौँगशहरक िनमण अँेज शासन ारा १८९५ई. मे बोराइल रेंजपर एकटा छोट िछन िहलअंेज सबहक िहमितक शंसाकरए पड़त। ३६ खोह (tunnels) कऽबना रेल लाइन लऽ गेनाइ ओिह जमानामेअथत् १८९५-९८ मे की छोट बातछैक? रेलवेक िनमण कायर्क हेतुठीकेदार, मजदूर, कमर्चारी, यापारीआिद सभ उर-देश, िबहार, बंगाल आअसम केर अय थानसँ आनल गेल।पुनः आपसमे वातलापक हेतु एक नवतरहक बजारु िहदी िवकिसत कएलगेलैक। एिह िहदीकेँ हॉफलॱग-िहदीकहल जाइत छैक। ई िहदी याकरणकिनअमक पालन वतं भऽ करकअिधकार दैत छैक। हाफलॱग िहदीरोमन िलिपमे िलखल जाइत छैक।थानीय बुिजीवी लोकिनक किठनसंघषर्क फलवरूप आइ-काि हॉफलॱगिहदीक मायता सािहय अकादमीसँ भऽगेल छैक।नाथर् कछार िहस असम केरबहुरंगी चुनरी थीक। एतए िनिलिखतएगारह जनजाितक लोक रहैत छिथ:‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्65


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्१. दीमासा (Dimasa orCachari)२. ार (Hmar)३. जेिम नागा (Zeme Naga)४. कुकी (Kuki)५. बंइते (Baite)६. काब (Karbi)७. खासी अथवा ार (Khasi orPnar)८. ांगखल (Hrangkhals)९. वइफी (Vaiphies)१०. खेलमा (Khelma)११. रॲगमई (Rongmei)एकर अितिरक्त अय समुदाय जेनािक बंगाली, असमी, नेपाली, मिणपुरी,मुसलमान, देसवाली आिद सेहो एतएरहैत छिथ। सभ समुदायक बीच हमराभावनामक एकताक कड़ी बुझना गेल।भारतक अनेकतामे एकताक वरूपबुझाएल जेना अपन मिनएचर धारण कएएिह छोट धरामे मोडेल बिन “संगे-संगेचली”, “संगे-संगे खाई”, “संगे-संगेरही” केँ चिरताथर् करैत छल।वतता ाितक बाद भारतकअय शहर जकाँ हॉफलॱग सेहो शनैः-शनैः िवकिसत भऽ रहल अिछ। १९७०ई. मे एकरा िजलाक मुख्यालय बना देलगेलैक। आब नॉथर् कछार िहसऑटोनोमस काउिसल केर मुख्यालय,िविभ सरकारी िवभागक दतर आमकान, आवासीय पिरसर, पाकर्, जेहल,खेल पिरसर आ मैदान, दू टा रेलवेटेशन, िसिवल अपताल, ाइमरीसँहाइयर सेकेडरी तर केर िविभिवालय, सभ सुिवधासँ पिरपूणर् सरकारीमहािवालय जािहमे कला, िवज्ञान एवंवािणय संकाय केर अिधकांश िवषयकपढ़ाई केर सुिवधा सहजतासँ उपलधछैक; पािनक सुिवधा, डाक, टेलीाम,टेलीफोन आिदक सुिवधा, बैंक, चचर्,मिदर, मिजद, पुतकालय अनेकतरहक सामािजक-सांकृितक िया-कलापमे संलग्न संथा; िसनेमा हॉल,बस टेड आिद सुिवधासँ भरल अिछ।अगर रेलसँ हाफलॱग आबय चाहीतँ गुआहाटीसँ नॉथर् टीयर िहल सेक्शनकेर मीटरगेज ारा लडॴगक रतेलोअर हाफलॱग टेशन आिब सकैतछी। एकर दूरी गुआहाटीसँ २८५िकलोमीटर छैक। िसलचरसँ बदरपुरहोइत िहल हाफलॱग टेशन केर दूरी९२ िकलोमीटर छैक।रेलक िडबामे बैिस नॉथर् कछारिहस केर नील पहाड़ीक अवलोकनकेनाई वगर् केर अवलोकनसँ कम निञछैक। जीग-जैग (टेढ़-मेढ़) रतानगाँवसँ ारभ भय समत नॉथर् कछारिहसक उरसँ दिक्षण िदशामे िजलाकतीन मुख नदी- माहुर, दीयूंग आजिटंगा- कऽ संग-संग चलैत रहैतछैक। बुझाएत जेना पािन, रेलक पटरीआ मनुक्खक मोन तीनू आपसमे तालसँताल िमला गितमान भेल होए।उपरोक्त तीन नदीक अितिरक्त एिहधरामे चािर छोट-मोट नदी आरो थीक।एिह नदी सबहक नाम छैक: जीनाम,लंगटॴग, कोिपली, िडलेयमा। सभसँ पैघनदी दीयूंग छैक जकर लबाई २४०िकलोमीटर छैक।१८६६ मीटर केर ऊँचाई परअविथत थुंगजांग पहाड़ी सभसँ ऊँचथान छैक।नॉथर् कछार िहस पूबसँ असमकेर पड़ोसी देश नागालैड आ मिणपुर;पिममे मेघालय आर काब अंगलॱगिजला; उरमे नगांव आ काब अंगलॱगिजला तथा दिक्षणमे बराक घाटीककछार िजलासँ घेरल अिछ। ४८९० वगर्िकलोमीटर क्षेमे पसरल नॉथर् कछारिहस केर सामाय ऊँचाई समु तलसँ३११७ फीट छैक।नॉथर् कछार िहस िजलामे ६१९गाम; पाँच खड, दू सब िडवीजन(हाफलॱग आ मइबांग)मे िवभक्त अिछ।अतए केर आिदवासी मूल रूपसँझूम खेती करैत छिथ। झूममे एकभागक जंगल-झाड़केँ कािट ओिहमे आिगलगा पुनः खेती कएल जाइत छैक।तीन-चािर वषर्क बादओिह भूिममे पुनःजंगल झाड़केँ बढ़ए देल जाइत छैक आजंगल-झाड़सँ भरल जमीनकेँ आिग लगासाफ कय ओिहमे खेती कएल जाइतछैक। एतए १७,२९३ हेक्टेअर जमीनझूम खेतीक रूपमे, टोटल फसल हेतुउपयुक्त जमीन ३६७५८ हेक्टेअर आर‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्66


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्बीया रोपए बला समत जमीन २९२०५हेक्टेअर छैक। एिह जनपद केर करीब४५२९वगर् िकलोमीटर धरती जंगलसँभरल छैक। ६१०.५१ वगर् िकलोमीटरसुरिक्षत आ बाकी िहसा राय सरकाराराघोिषत। तीन सुरिक्षत जंगल क्षेकनाम मशः(क) लांगटॴग-मूपा सुरिक्षत जंगल(४९७.५५ वगर् िक.मी.)(ख) कूरुंग सुरिक्षत जंगल(१२४.४२ वगर् िकलोमीटर)(ग) बोराइल सुरिक्षत जंगल(८९.८३ वगर् िकलोमीटर)ओिह िदन लगभग साढ़े बारह बजेभोजन कयल। तपात् नॉथर् कछारिहस ऑटोनोमस िहस काउिसलककला एवं संकृित िवभागक िनदेशकलंगथासा महोदय, उप-िनदेशक ी संजयजी दूंग एवं िकछु अय लोकिन हमरालग अयलाह आ कहलिह जे “चलूअहाँकेँ पहाद्ई िदस लऽ चलैत छी।यिद समय बचत तँ जटॴगा पहाड़ी आगाम सेहो चलब”।गुआहाटीमे िकछु लोक सभजानकारी देने छलाह जे जटॴगापहाड़ीपर िचड़ै सभ राितमे रोशनीदेखलापर झुडक-झुडाअिब रोशनीपरहार करैत छिञ तथा सामूिहक रूपेणआमहया कऽ लैत छैक। इहो पताचलल छल जे पक्षीशाी लोकिनएिहपर गहन शोधमे बहुत िदनसँ लागलछिथ परतु एखन धिर कोनो ठोसिनकषर्पर निह आिब सकल छिथ जेआिखर एकर रहय की छिक? आएकर सयता की िथकैक? गुआहाटीमेमोन बना लेने रही जे जटॴगा पहाड़ीअवय जायब। आइ ई अवसर हमरालंगथासाजी देलिह तँ मोन गद् गद् भऽगेल। हम तुरत हुनका लोकिनक संगजटॴगा गाम जयबाक लेल तैयार भऽगेलहुँ।जटॴगा पहाड़ी आ गामक रतामेिविभ कारक बेंतक झाड़ी आ बांसभेटल। नॉथर् कछार िहसक टोटलधरती (४८९००० हेक्टेअर)मे लगभग३०७९०० हेक्टेअरमे बांस लागल छैक।बांस अनेक कारक अनेक जाितक,असम देशमे ३३ नल केर बांस होइतछैक, जािहमे लगभग २० नल वाजाित एिह क्षेमे उपलध छैक। मुखजाितमे काको/ पीछा वा पीछा, जाित,डालू, मूली, िहलजाित, कता, मकालू,काली-सूडी, टेराई आिदक नाम सामायोमनुक्खक जीभमे रचल-बसल छैक।बांस एिह क्षेक लोकक जीवनक मुखआधार छैक। एकर योग झोपड़ी,जाफरी, जारिन, पूल आिद बनेबाक लेलकएल जाइत छैक। बांसक कोपड़सँतरकारी, अचार आिद सेहो बनायलजाइत छैक। बांसकेँ थानीय चाऊर,मकई आिदसँ बनल दारु पीबाक हेतुबतर्न (ग्लास-कप)क रूपमे कएल जाइतछैक। जमीनक कटाव रोकबाक हेतुबांसक आधार देल जाइत छैक। एकरअलावे बांसक योग बतर्न, फनचर,कृिषय एवं उपकरण, धनुष-वाण,सजेबाक कलामक वतु, हतकला,बी, सीढ़ी इयािदमे उपयोग होइतछैक। बादमे हम अनेको वा यालोकव यं देखलहुँ जािहमे बांसकयोग कएल गेल रहैक।अततः हमरा लोकिन जटॴगा गामपहुँचलहुँ। ई गाम बोराइल रेंज केरपादिगिर (foothills) पर बसल छैक।ई पहाड़ी तरह-तरहक वासी एवं देशीिचड़ै सबहक िवाम-थली िथकैक।एिह थानमे अंेजी मास िसतबर-अक्टूबरमे िचड़ै सभ अहिरया पक्षकराितमे रोशनीक कोनो ोत जेना िकटॉचर्, मशाल आिद देिख झुडक-झुडमेआिब खिस पड़ैत छैक आ आमहयाकऽ लैत छैक। जटॴगा गाम हॉफलॱगशहरसँ आठ िकलोमीटर केर दूरीपरबसल छैक। लोक सभसँ ज्ञात भेल जेिचड़ै सभ अहिरया राितमे रोशनी देिखझलफलाक खसय लगैत छैक; जकरफायदा उठा कऽ िचड़ैमार सभ बांसक‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्67लग्गी अथवा बीसँ चोहरायल िचड़ैसभपर हार करय लगैत छैक एवंपकिड़ लैत छैक।अहिरया राितक संग-संग एकिनित वातावरणक भेनाई िचड़ै सबहकसामूिहक आमहयाक लेल सेहो कारणबनैत छैक। ई वातावरण छैक हवाकबहबाक िदशा। हवाक िदशा दिक्षण-पिमसँ उर-पूबमे हेबाक चाही।बोराइल पहाड़ीक अगल-बगलमे धूंध आशीत लागल रहनाई सेहो जरूरी। धूंधमेकनीक झलफलाईत रोशनी हेबाकचाही। एहन िथितमे जखन दिक्षणिदशासँ धूँध चलैत छैक तखने िचद्ऐसभ जिटंगा िदस आगाँ बढ़ैत अिछ।सामूिहक आमहया करय बला िचड़ैसभमे लाली िचड़ै (Indian ruddy),कौिड़ला (King fisher), भारतीयनौरंग (Indian pitta), हािरल, लैकॲगो, उजरा बगुला, िचतकबरी पौरकी,बटेर आिद मुख छैक।आयर्क बात ई जे अिधकांश िचड़ैजे कृिम रोशनीक चकाचॱधसँ सामूिहकरूपसँ झुडक-झुडमे झलफला याचॱिधया कऽ खसैत छैक ओ सभ देशीिचड़ै छैक। वासी िचड़ै सभ संगे ईघटना घिटत निह होइत छैक। थानीयलोकसभसँ ईहो पता चलल जे ई वृिसमत जटॴगा पहाड़ीमे निह भऽ कऽिकछु खास क्षे जे िक मा डेढ़िकलोमीटर केर लबाई आ २०० मीटरकेर चौड़ाईक सीमामे बहल छैक।जटॴगा गामक एक पच्चासी बषर्कवृ जे ार (खासी) जनजाितक छिथसँ पता चलल जे िचड़ै सबहक जटॴगामेकृिम रोशनीसँ सामूिहक आमहयाकवृि केर जानकारी सवर्थम १९१४ई.क आसपास चललैक। भेलैक ई जेएक राित ककरो चािर-पांच बरद जंगलिदस भािग गेलैक। बरदक मािलककेँभेलैक जे अगर बरदकेँ राितयेमे निहपकड़ल गेलैक तँ बाघ-शेर सभ खाऽजेतैक। तिञ पाँच आदमी एकटा टोली


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्बना बांसक फीमे कपड़ा बािह ओिहमेमिटया तेल डािल ओकर मशाल बनाकऽ तथा हाथमे लालटेन लय बरदसभकेँ ताकक लेल जंगल िदस िबदाभेल। कनीक कालक बाद आयर्जनकढ़ंगसँ िचड़ै सभ झुडमे आिब मशाललग आिब खसय लगलैक। परतु ईलोकिन ओिह िचड़ै सभकेँ निहपकड़लकैक। यिप ओऽ सभ िचड़ैमांसक योगमे लाबए जोग रहैक। एकरकारण ई छलैक जे थानीय जेिम नागासमुदाय (जनजाित) क लोकक बीच ईाित रहैक जे जटॴगा क्षेमे राितकभूत-ेत िवचरण िचड़ै बिन करैत रहैतछैक। हुनका लोकिनकेँ तिञ डरभेलिह जे िचड़ै केँ पकड़लासँ कतहुकोनो अिन ने भऽ जाए।१९१७ ई.क आसपास लाखन-सारानामक एक यिक्त कृिम रोशनीसँझलफलाएल िचड़ै सभकेँ सवर्थमपकिड़ घर अनलाह एवं ओकर मांसकेँभुिज पका कऽ खयलिह। आ ओकरकोनो दुभाव हुनका सभकेँ निञभेलिह। एकर बाद िचड़ै सभपर आफतशुरू भऽ गेलैक। लोकसभ अहिरयाराितमे कृिम रोशनीक मदितसँ िचड़ैसभक संहार ारभ कऽ देलक।हालाँिक जखन अंेज शासनकेँ एिहबातक जानकारी भेटलैक तँ एिहपरपरापर रोक लगा देल गेलैक।वतता ाितक बाद लोक पुनःनुका-चोरा कऽ िशकार करए लगलाह।आब पयवरणिवद्, पक्षीशाी, पकारएवं अय लोकिनक अथक यासक बादशासन पुनः कृिम रोशनीसँ िचड़ैमारबाक थापर ितबध लगा देलकैकअिछ। हम ओिह थानपर गेलहुँ।ओतए रंग-िबरंगक िचड़ै सबहक आकषर्कफोटो टांगल रहैक। एक मूल वाक्यनीक लागल। वाक्य ई रहैक: “shootthese birds with your camera,not with bullets:.घड़ी देखलहुँ तँ साँझ भऽ गेलछल। आब हमरा लोकिन जटॴगासँसोझे सिकर्ट हाउस आिब गेलहुँ। मुँहहाथ धोलाक बाद कायर्म थलीपरपहुँचलहुँ। ओतए पाँच हजार लोक सभआयल छलाह। सभ जनजाित केर ी-पुरुष, बच्चा सीयान सभ िकयो अपनसमुदायक परपरागत रंग-िबरंगक वपिहरने सुसिजत भेल पहुँचल छलाह।शासन केर सहयोग तँ छले। िडयुटीकिमर, नॉथर् कछार िहस ऑटोनोमसकाउिसल केर चेअरमेन, सदय, मुखसिचव, एस.पी., थानीय कॉलेजकिशक्षक एवं छा सभ िकयो पहुँचलछलाह। थानीय पकार सभ सेहोउसािहत छलाह।सभ िकयो हमरा मायमसँ आगौतम शमक मायमसँ इिदरा गाँधीराीय कला के केर ित धयवाददैत छलाह। हम सोचलहुँ जे केहेनिवडबना छैक। जे क्षे सांकृितकसपताक खान िथक ओकर एहेनअपमान! मुख्यधारासँ एिह क्षेकेँ वंिचतिकएक कएल गेल छैक! हमरा भेल जेसमत िवमे नॉथर् कछार िहससँ शातआर सांकृितक वैिवयसँ भरल आरकोनो जगह निञ भऽ सकैत अिछ। हमअपन भाषणमे बजलहुँ: “हमरा लोकिनअहाँ सभकेँ िसखाबए निह अएलहुँअिछ। हमरा लोकिन अएलहुँ अिछ अहाँलोकिनकेँ जात करक हेतु जे अहाँसभ अपन सांकृितक वैिवयता तथागिरमाकेँ बुझू आ एकरा सावत राखू।हमरा लोकिन एतए केर सांकृितकिवरासतकेँ जानए आ ओकरडॉक्युमेटेशन करए आएल छी। अगरअहाँ सबहक सहयोग रहल तँ बेर-बेरआएब। हमर कायर्ममे आ एक्शनमेकौमा (,) वा अधर्िवराम भऽ सकैतअिछ, पूणर् िवराम कखनहुँ निह हैत”।लोक सभ हमर बातकेँ सही अथर्मेलेलिह। पिहल िदनक कायर्म लगभगसाढ़े-नौ बजे राित धिर चललैक।जखन राितमे भोजनक उपरातिवाम करए गेलहुँ तँ एक आदमीक देलएक पुतक पढ़य लगलहुँ। पुतक नॉथर्कछार िहसपर छलैक। ओिह पोथीमेरातु हकमओसा नामक थानीय किवकेँनॉथर् कछार िहसपर िलखल िकछुपंिक्त बड उपयुक्त बुझना गेल: पंिक्तयथावत अंेजीमे पाठक लेल िलिखरहल छी:A harmonious game of hide andseekBehind the bushes, marshymeadowUnder shadow with clouds view,Ever ready for worthwhile,cherish at dawn,The blues make enchantingheart of loversMidst of covers whiteChanging scene that lively forromanceBeauty and bounty of brooksthat flow.Moments of joy, love to cherishInsight the harmony game ofhide and seekBehind thick trespasses of whiteand blueWith narrow path of zig-zag.The beauty of hills under coverOrchids, white fall, violet at hillsEvery moment thrilled with behalfNature disposal at North CacharHills‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्68


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्कमलानद झा,िहदी िवभाग, सी.एम. कॉलेज,दरभंगामैिथली समयाक टोह लैत कथा-संकलन : उदाहरणपिछला चािर बखर्मे कोनो पैघ आमहवपूणर् काशनसँ मैिथलीक तीन गोटकथा-संकलनक काशन मैिथली भाषा लेलएकटा शुभ-संकेत मानल जा सकै'छ।नेशनल बुक टसँ कािशत िशवशंकरीिनवास ारा सपािदत मैिथली कथासंचयन(सन् २००५) आ सन् २००७मेतारानद िवयोगी ारा सपािदत देिसलबयना(सन् २००७) पाठकक बीच लोकियभ'ए रहल छल िक काशन िवभागसँदेवशंकर नवीन ारा सपािदत टटकामैिथली कथा-संह उदाहरण छिप क'आिब गेल। सताक बात िथक जेउदाहरणक काशनसँ काशन िवभागमेसािहियक रचनाक काशनक बाट फूजल,जे वागत योग्य अिछ।उदाहरणमे लिलतसँ िसयाराम सरसधिरकक कुल छीस गोट कथा संकिलतअिछ। एिह संकलनसँ मैिथली कथा-संसारक पिरदृय प होइत अिछ।संकलनक कतोक कथा समत भारतीयभाषासँ काही िमलान लेल तपर अिछ, जेसंकलनकक चयनकौशलक सूचकिथक। े कथाकार राजकमल चौधरीककथा Öएकटा चपाकली एकटा िवषधर'घाघ मैिथल समाजक टोप-टहंकारकें अुतरूपें अनावृ करैत अिछ। सवणर् मैिथलकगरीबी, ओिह गरीबीसँ उप दयनीयता, आतकर खोलमे दुबकल बेटीक शाितर माइ-बापक िघनौन आचरण घनघोर तनावकसंग पाठककें झकझोरैत अिछ। दशरथझा आ हुनकर घरबाली अपन तेरह बखर्कबेटी चपाक िववाह बासैठ बखर्क वृशिश बाबू संग करेबाक षयंापूणर् योजनाबनबैत अिछ। दुनू ाणीक िग दृिशिश बाबूक सपित पर िटकल छिन,जकर मिलकाइन िववाहोपरात हुनक तेरहवषया चपा बनैबाली छिन। अितशयोिक्तसन लगैबला एिह घटनाक ममर्कें ओएहबूिझ सकत जे िमिथलांचलक बहुिववाहथासँ नीक जकाँ पिरिचत छिथ। बीसम-एकैसम िववाहक बाद पित अपन पूवर् पीसभक मुँहो िबसिर जाइ छलाह।पाकािरता दुिनयाक महवपूणर् आसवेदनशील पक्षसँ मायानद िमक कथाÖभए कट कृपाला' साक्षाकार करबैतअिछ। मीिडया-त पर बनल साथर्किहदी िसनेमा Öपेज ी' जे िकओ देखनेछिथ, से एिह कथाक ममर्केँ बेसी नीकजकाँ बुिझ सकै छिथ। शीतासँ नामीपाकार बिन जाएबाक हड़बड़ीके कथामेकलामक ढंगसँ उकेरल गेल अिछ।कॉरपोरेट दुिनयाँक बादशाह याम बोगलाकमृयुक खबिर सबसँ पिहने देबाक होड़लागल अिछ। पकार लोकिनक नजिरमेओएह सभसँ पैघ खबर अिछ, दुिनयामेिकछु भ' जाउ।िललीरे मैिथलीक सशक्तकथालेिखक। छिथ। हुनकर कथाÖिविधक िवधान'मे कामकाजी ीकसंघषर्कें यथाथर्तः देखबाक, आ यथाथर्कममर्कें कलामक कॱध संग उभारबाकसफल चेा अिछ। उषािकरण खान अपनकथा Öयागपा'मे ामीण युवतीक अदयिजजीिवषाकेँ यक्त करबामे पूणर् सफलनिह भ' सकलीह। घोर आदशर्वादी आकठोर अनुशािसत पिरवारमे पािलत-पोिषतचपा कॉलेजमे पढ़' चाहैत अिछ, अपनमजसँ िववाह कर' चाहैत अिछ। मुदाआजीवन िववाह निह करबाक घोषणा करैतचपा वयंकेँ ओही परंपराक केंचुलमेसमेिट लैत अिछ। चपा िववाहक लमणरेखा पार करैत Öऔर भी ग़म हैं' केंआधार मािन अपन यिक्तवकेँ िवतृतआयाम निह द' पबैत अिछ। मनमोहनझाक कया फायदाÖफयदा'मे ी जाितकमोलभाव बला वृिक रेखांकन खूब जमलअिछ, मुदा वो एिह वृिक वणर्न क' ीजाित कोन पक्षक उाटन करै छिथ, सेबूझब किठन। कोनो यिक्तक वभावमेनीक आ खराब दूनू भाव रहैत अिछ।कथाक हेतु कोन तरहक भावक चुनावकयल जाए, ई महवपूणर् अिछ। इएहचुनाव मैिथली कथामे ी चेतनाक दशर्नकरा सकैत अिछ।ी चेतनाक दृिएँ दीप िबहारीककथा Öमकड़ी' अपेक्षाकृत मेच्योडर् आबोड कथा कहल जा सकैछ। बेराबेरीकथानाियका सुनीता दू बेर िववाह करैतअिछ, दुनू बेर ओकर पित मिर जाइछ,मुदा ओ िजनगीसँ हािर निह मानैत अिछ।िसलाई मशीन चला क' ओ गुजर-बसरकरैत अिछ। एतबे निह, ओ एकटा अनाथआ बौक बच्चाक लालन-पालनक दाियवल' क' अपन यिक्तवकेँ िवतार दैतअिछ। कथामे मोड़ तखन अबैत अिछजखन ओ बौका समथर् भेला पर सुनीताकवीकृितयेसँ सही, ओकरा गभधान क' क'भािग जाइत अिछ। सुनीताकें एिह बातकअपराधबोध निह छै, जे ओ बौका संगिकऐ ई कृयकेलक, ओ देहक िववशतासँ पिरिचतअिछ, मुदा बौकाक भािग जेबाक दंशओकरा यिथत करै छै। देवशंकर नवीनककथा Öपेंपी' पित-पीक सबध िवच्छेदकपिरणामवरूप बेटीक मनोमितक आयिक्तव पर पड़ैबला कुभाव आ बेिहसाबउपेक्षाभावकेँ करुणापूणर् ढंगसँ यक्त करैतअिछ। मुदा एिहमे सभटा दोष ी परफेिक देब पूवह मानल जा सकैछ। ईसामािजक सय निह भ' सकैत अिछ।विर कथाकार राजमोहन झा अयंत‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्69


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्कुशलतापूवर्क Öभोजन' कथाक बहेीक बाहर काज करबाक िवरोध क'जाइत छिथ। राजमोहनजीक दक्षता इएहछिह जे ई सभ बात किहओ क' ओगितशील बनल रहै छिथ।राजकमल चौधरीक Öएकटाचपाकली एकटा िवषधर', धूमकेतुकÖभरदुितया', गंगेश गुंजनक Öअपनसमांग'(ई कथा देिसल बयनामे सेहोसंकिलत अिछ), तारानद िवयोगीकÖपह अगत सतानबे' आ अशोककÖतानपूरा' एिह संहक े कथा मानलजा सकैछ। धूमकेतुक कथा Öभरदुितया'यिक्त वाथर् हेतु भाई-बिहनक पावनपाबिनकँ दुरुपयोग करबैत देखबैत अिछ।आजुक मनुख अहू पाबिनकें निहछोड़लक। Öपह अगत सतानबे'िवयोगीक सफल राजनीितक कथा कहलजा सकैछ। कथाक ई िनपित एकदमठीक लगैत अिछ जे सवणर्क पाट एिहदुआरे जीतैत रहल जे िनजाितक आिथर्किथित बहुत खराब छल। वामीक पाटदासोक पाट होइछ। दोसर पाटक मादेसोचब मृयुकें आमण देब छल। आओरनिह िकछु तँ' आवास आ रोजगार छीिनबेलला बना देब उच्चवगर्क हेतु बामहाथक काज छल। िदली-पंजाब वाससँिनवगर्क आिथर्क, सामािजक िथितमेसुधार भेल। पिरणामवरूप ओिह वगर्मेआमसमान आ राजनीितक चेतनाकअंकुरण भेल। भिक्तकायक उमेष आओिहमे िनजाितक किवक बाहूयकपृभूिममे सुिस इितहाकार इरफमानहबीब मुगलकालीन िवकास कायर्केँ लिक्षतकेलिन अिछ। Öपह अगत सतानबे'कथाक िवलक्षणता िबहारमे बनलिनजाितक पाटक आमालोचन िथक।कहबा लेल त' ई पाट िनजाितक-िनवगर्क छल, मुदा अइ पाटमे छल,पंच, ाचार, अपराध आओर पाखडपिहनहुँसँ तेजगर और धारदार भ' गेलछल। कथाकारक इएह कथाकेंगिरमा दान करैछ। चाहक दोकानचलबैबला मुदा बहुत ारभिहसँ सियमूयपरक राजनीित करैबला हीरा महतोकधैयर् जखन संग छोिड़ दै छिन त' ओपाट मुख बासुदेव महतो पर िबफरैत कहैछिथ-- रे िनलर्जा, एतबो सरम कर! जेकुकमर् करै छैं से अपन करैत रह, लेिकनएना समाजमे निह किहहें जे कुकम करबठीक िछऐ। एतबो रहम कर बिहं...।''अशोकक कथा Öतानपूरा' मयवगयिहपोेसीक घटाटोपकेँ तार-तार क' देबामेपूणर् सफल भेल अिछ। िबना कोनो उपदेशआ नैितक आहक कथा मयवगयकुिसत मानिसकताक दुगर् भेदन करैतअिछ। कथानायक िवनोद बाबूक संगीत-ेमकेँ हुनक िपता घोर अभाव आ िरयकबीच जेना-तेना पूरा करैत छिथ, मुदाजखन िवनोद बाबूक पुा संगीत िसखबाकइच्छा कट करै छिन त' दुनू ाणीकेंसाँप सूँिघ जाइत छिन। एिह दुआरे निह,जे हुनका कोनो तरहक अभाव छिन।बिक एिह दुआरे जे संगीतक स'ख हुनकबेटाकेँ रुपैया कमबैबला मशीन निह बनासकत। जे दपित कोनो िवषय पर किहयोएकमत निह भेल, एिह िवषय पर एकमतभ' पुाक एिह अयावहािरक स'ख'क कठमॲकबाक सािजशपूणर् योजना बनबए लगैछिथ।संहक िकछु कथा जेना अवकाश,अयना, खान साहेब, जंगलक हरीन आिदयथाथर्क मोहमे शुक ग बिन क' रिहगेल अिछ। एिहमे िकछु कथा ततेकसरलीकृत भ' गेल अिछ जे ओ नवसाक्षरहेतु िलखल कथा बुिझ पडैछ। एहन कथासभक मूल संरचना इितवृामक अिछ।यिप इितवृ कोनो कथाक सीमा निहहोइछ, मुदा जखन कोनो कथा घटनाकथूल आ तयामक िववरण टा दैछ,कथामे समय वा क्षणक ममर् निह आिबपबैछ, त' एहन इितवृ िनपट ग बिनक' रिह जाइछ। यथाथर् कोनो कथाकेंिवसनीयता देबाक बदलामे ओकराभीतरसँ संवेदना िनचोिड़ अनैत अिछ,कथाकें मािणक बनेबाक फेरमेँ पड़ल निहरहैत अिछ। कथाकार रमेश अपन कथाÖनागदेसमे अयनाक यवसाय'मे अितयथाथर्आ इितवृक ेमकें तोिड़ तीक वाफैंटेसीक योगसँ कथा बुनबाक यास त'केलिन, मुदा कथाक िवयासमे एकरसताआिब गेल। एिह ेम हेतु हमरा लोकिनकेँराजथानी कथाकार िवजयदान देथा(दुिवधा) आ िहदी कथाकार उदय काश(वारेन हेिटंग्स का सांढ़) आिदकेँ पढ़बाकचाही। िहनका लोकिनक कथा यथाथर्केमकेँ तोिड़यो क' यथाथर् बनल रहलअिछ।मैिथलीमे कािशत उक्त तीनूँ कथासंकलनसँ मैिथली कथाक सार राीयतर पर भ' रहल अिछ, एिहमे दू मतनिह। मुदा उक्त संकलनकेँ पिढ़आम पाठकक राय इएह बनत जेमैिथलीमे कुल इएह तीस-चालीस गोटकथाकार आइ तक भेलाहे। कारण तीनूँसंहमे कथाकारक सूचीमे अुत सायअिछ। कथा पिढ़ बुझना जाइछ जे कथाचयनमे कथाक अपेक्षा कथाकारकेँ महवदेल गेल अिद। ई कहब सवर्था अनुिचतजे संकलनक कथाकार महवपूणर् निहछिथ, मुदा अय े कथाकेँ सेहोकाशमे अएबाक यास हेबाक चाही।हमरा लोकिन ई नीक जकाँ जनै छी जेमैिथलीमे े कथाक अभाव निह अिछ।िकतु काशनक अभावमे प-पिकाकेंछािन मारब किठनाहे निह समय-सायकायर् िथक। वैनाथ िम याीकपिहचान भने े किवक रूपमे छिन, मुदाहुनकर मैिथली कथा Öिचतकबड़ीइजोिरया' आ Öरूपांतर' कतोक दृिएंमहवपूणर् अिछ। रेणुजी सेहो मैिथली कथािलखलिन अिछ। ई दीगर बात िथक जेबादमे ओ िहिदए टामे िलखए लगलाह।Öनेपय अिभनेता' आ Öजहां पमन कोगमन नहॴ' आिद लीकसँ हिट क' िलखलगेल कथा िथक। Öउदाहरण'मे कथाककाशन वषर् आ सदभर्क अनुपिथितखटकैत अिछ। समय-सीमा जनने िबनाकोनो कथाक सयक मूयांकन सभवनिह। नवीनजी सदृश दक्ष आ अनुभवीसपादकसँ ई आशा निह कएल जा सकैछल। एिह कमीकेँ पूरा करैत अिछ हुनकरचौदह पृीय भूिमका। सपादक मैिथलीकथाक सीमा आ सभावनाक िवतृतपड़तालअपन एिह भूिमकामे केलिन अिछ।मैिथली कथाक इितहासकें बुझबा लेल ईभूिमका िनित रूपें रेखांकन योग्य अिछ।उदाहरणपुतकक नाम - उदाहरणसपादक - देवशंकर नवीनकाशक - काशन िवभाग, सूचना औरसारण माालय, भारत सरकारपृ - २७४ मूय - २०० टाका माा‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्70


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्केदारनाथ चौधरीजम 3 जनवरी 1936 ई नेहरा, िजला दरभंगामे। 1958 ई.मे अथर्शामे नातकोर, 1959 ई.मे लॉ। 1969 ई.मेकैिलफोिनर्या िव.िव.सँ अथर्था मे नातकोर, 1971 ई.मे सानांिसको िव.िव.सँ एम.बी.ए., 1978मे भारत आगमन। 1981-86क बीच तेहरान आ ैंकफुतर्मे। फेर बबई पुने होइत 2000सँ लहेिरयासरायमे िनवास। मैिथली िफम ममता गाबय गीतकमदनमोहन दास आ उदयभानु िसंहक संग सह िनमता।तीन टा उपयास 2004मे चमेली रानी, 2006मे करार, 2008 मे माहुर।सपादक।माहुर..1..दृ”आह! भैया आिब गेला। हाथमे पोटरी छिन। अबसे ओिह मे‘मीट’, अरे! निह माता दुगक परसादहेतिन!“रंजना बाजिल छलीह। ओ दौड़ैतआंगन सँ बाहर एलीह। हुनकाभाइजीक हाथ मे ठीके पोटरी छलिनजािह मे ‘मीट’ रहैक। भाइजी अपनहाथक पोटरी रंजनाक हाथ मे देब’चाहलिन। फेर, ने जािन हुनका कीमोन पड़लिन जे अपन पोटरी बलाहाथ क¢ँ पाछाँ घीिच लेलिन। ओ बूतबिन ठार भ’ गेला। भाइजीक ठोर मेकंपन होब’ लगलिन, आँिख सँ ढबढबनोर बह’ लगलिन आ हुनक समशरीर थर-थर काँपए लगलिन।भाइजी अथत आकाश सँ हुनकएकमाा छोट बिहन रंजना हुनका सँबारह बखर्क छोट छलिथन जे आबपहम मे पयर रखने छलीह। ओसलवार-कुत पिहरने छलीह। हाथ मेचूड़ीक थान पर घड़ी बाहलछलिन। पुछू िकएक? रंजना िवधवाछलीह।पिछला आषाढ़ मे रंजनाक िववाहकमीशन ात सेकेड लेिटनेटभाकर चौधरी सँ भेल रहिन। एकमिहनाक अवकाश समात भेला परभाकर चैधरी अपन यूटी परकमीर पहुँचल छला। ओतिहआतंकवादीक संग मुठभेर मे शहीद भ’गेलाह। रंजना िवधवा भ’ गेलीह।आकाश लगक शहर दिरभंगाकएक बैंक मे कायर्रत रहिथ। ओगामिह सँ कूटर पर बैंक जािथ आआबिथ। अमी रहैक आ बैंकदशहराक छुी मे बद छलै। गामेकदुग थान मे बिलदान कएलछागरक भड़ाक माँउस पुजेगरीकआदेश सँ िबकाइत छलै। ओही ठामसँ आकाश एक िकलो ‘मीट’ आ कीपरसाद जे किहयौ कीिन क’ अननेरहिथ।सित जे दृय उपिथत भेलछलै ओिह मे आकाश हाथ मे मीटकपोटरी टंगने थरथराइत ठार रहिथ।हुनका आँिख सँ दहो-बहो नोर बिहरहल छलिन। हुनक पी, पांच बखर्कबेटी सुजाता, माता-िपता सभ िकयोढलानक एक कातठार डबडबाएल आँिखए देखैतचुपचाप आकाश िदस तािक रहलछलिथन। रंजना ठीक आकाशकसामने छलीह। हुनक बाल सुलभसदृश मुख-मंडल पर बड़ी टा िचह बिन गेल छल। काजर पोतलआँिख मे रंजनाक सम भिवय धह-धह धधिक रहल छल। त¢ँ नोरकएकोटा बू देखाइ निह पिड़ रहलछल। पिरवारक ंदन बीच रंजनाएक अजीबे दृि सँ अपन ाता,आकाश केँ िनहािर रहल छलीह।बड़ी काल सँ अंटकल आकाशककंठ सँ कुहरैत शद बाहर भेलदृ”हेभगवान! हम ई की कएल? िकयकहम ‘मीट’ कीनल?“ एतबा बािजआकाश मीट’क पोटरी क¢ँ नाला मेफेिक, दुनू हाथे माथ पकिड़, नीचाजमीन पर बैिस हबोढेकार कान’लगलाह।आब रंजना केँ छोिड़ पिरवारकसामूिहक ंदन सँ थान पीड़ादायकबिन गेल। माता रंजना अिवचल ठाररहलीह आ शूय नजिर सँ सभ िकछुदेखैत रहलीह।‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्71


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्हम कोन तरहक िखसा सुनाबलगलहुँ। इहो कोनो िखसा भेलै?रंजनाक िववाह लड़ाइक िसपाही संगभेल छलिन। ताहू मे एहन िसपाही सँजिनक िनयुिक्त कमीर मे आतंकवादीसँ िभड़त मे भेल होअय। तखन त’ाण जायब करीब-करीब िनिते छलै।तेँ रंजना िवधवा बनलीह। अिह मेअजगुत बला कोनो बात निह भेलै।दुखक बात जँ रहै त’ एतबेटा जेजािह जाित मे रंजनाक जम भेलरहिन ओिह जाित मे पुनिवर्वाहक िनयमनिह रहैक। ओिह जाितमे आ सनातनसँ आयल परपरा मे िवधवाक िनदानहेतु कोनो टा यवथा निह रहैक।रंजना िवधवा भेलीह त’ भेलीह।पूवर्जमक पाप ओ निह भोगती त’ केभोगत? तेँ ई माा ओहने आ ओतबेटाबात भेल जेना मनता मानल कोनोपाठीक बिल पड़ल होअय। आब अहाँकहबै जे ई कोन तरहक िमलान भैलै?निह अरघै अिछ, त’ सुनू।मनता मानल पाठी-छागरक बिलपड़ै काल बिल देिनहार, कबुलाकेिनहार एवं बाँकी सभटा तमाशादेखिनहार एतबे ने सोचैत छिथ यौ जेहरिद, िमरचाइ आ मसला मे भूजलएकर माँउस मे कतेक सुआद हेतै?तिहना िवधवा भेिल रंजना द’ सभसोच’ लागल छिथ जे ई आब सासुरत’ जेतीह निह, गामिह मे रहतीह।गाम मे सभहक टहल-िटकोरा करतीह,अदौरी-कुहरौरी खॲटतीह, अँगने मेभानस-भात करतीह, एकरा-ओकरा संगतीथटन जेबा काल भनिसया बिन क’जेतीह आ छॱड़ा सँ लगाित बूढ़बातकक करेजक तपन मेटौती। त¢ँबरसामबाली काकी कहने रहिथन यौ,भगवान सभहक सभटा इतजामबैसले-बैसल ‘क’ दैत छिथन। दूर जो,मनसा सभहक लप-लप करैत िजाआ आँिखक खोराकक पूितर् सिदकालसँ बाल-िवधवे सँ पूितर् होइत रहलैअिछ। ई कोनो नुकायल गप छैक?आब अहॴ कहू जे मनता मानलपाठी आ िवधवा भेिल रंजना मे कीफकर्? कोनो तरहक िशकायत करबसेहो युिक्त संगत निह होयत। तेँआब नीक होयत जे अिह िखसा केँअही ठाम िवराम द’ क’ ओही गाम मेओही िदन घटल दोसर घटनाकजानकारी ात करी।गामक नाम भेल पानापुर। पानापुरमे सभ जाित, समुदाय एवं सदायकलोकक िनवास। गाम आिथर्क रूपेसप। ओिह गाम मे छल एकटा दुगमंिदर, जे दस-बीस कोस दूर तकिस छल। पैघ पोखिरक पूबिरयाभीड़ पर तीन-चािर बीघा मे पसरलमंिदर आ मंिदरक पिरसर। मंिदर मेदुगक भय ितमा। तकरबाद मंडप,पुजारीजीक आवास आ सिदकाल खल-खल हँसैत, वच्छ, िवशाल समतलभूिम। दशहराक समय मे अही थानपर मेला, नौटंकी, नाच-गान आिदआयोिजत होइत छल।दुग मंिदरक पुजारी छलाह कालीकात ओझा। दुबर-पातर, साँचीधोती, खॲसल ढेका, छाती पर उगलपंिक्तब हडीक उपर दू भाफहराइत जनउ, गौ-खूँर बरोबिर टीक,पयर मे खराम आ ललाट पर सेनुरकठोप। पुजारीजी सजन आ मृदुभाषीछलाह। वैणव त’ओ छलाहे आसताह मे अिधक िदन उपासे मे रहैतछलाह। मुदा हुनक पी अढ़ाइ मोनकपा छलिथन। थुलथुल देह, खुजलकारी केश, नाक सँ मांग तकपितवर्ताक िनशानी वरूप सेनुरकडरीर, पान-जद दुआरे कारी भेल दाँतआ बीड़ी त’ ओ नैहरे सँ िपबैत आयलरहिथ। जँ जुमिन त’ िनय माँउस-माँछ चाहबे करी। दू अगहनी जोड़ दूरबी गुण दू बरोबिर मंिदरक बखर्‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्72भिरक अ-टाकाक आमदनी पर हुनकपूणर् एकािधकार छलिन।पुजारीजी पीक सोझा मे आब’ मेकँपैत छलाह। शारीिरक दुबर्लताअथवा धािमर्क अजीणर्ता, कारण जेहौउ, पुजारी जी सिदकाल पी सँडेरायल रहैत छलाह। तखन पुजारीजीके संतान वरूप पुक ाित भेलिनकोना? ई रहयक िवषय अवसेछल। मुदा अिह रहयक छेदन नीितशाा ज्ञाता कइएक बेर क’ चुकलछिथ। हुनका लोकिनक अनुसारे पित-पीक ह-नक्षा कतबो उटा-पुटािकएक ने हौउक, चुरता एवंपिरपता बेला मे कखनहुँ काल अर्-िवराम पूणर् िवराम भैए जाइत छैक।पुजारीजीक पुक नाम रहिन यदुनाथओझा। पैघ भेला पर यदुनाथकउपनयन भेलिन आ बखर् भिरक भीतरेिववाह सेहो भ’गेलिन।यदुनाथक पी अथत पुजारीजीकपुतहु जखन दुरागमन भेला पर सासुरअयलीह त’ हुनक अनुपम सौदयर्कदुआरे सपूणर् पानापुर गाम महमही सँगमिक उठल। यदुनाथ त’ अपनबापक काबर्न काॅपी छलाह। मुदाहुनक पी जिनक नाम छल कािमनी,तिनका जे देखलक सैह िवभोर होइतबाजल छलदृ” माइ गे माइ! एतेक रूपपुजारी जीक सदुक-पेटार मे झाँपलकोना रहतैक? कोनो अनहोनी ने भ’जाइक?“अमीक िनतध राित। पानापुरगामक सभटा मनुक्ख भिर िदन नाचतमासा देखलक, इच्छा भिर नशाकेलक आ भिर पेट माँउस-भात खाएथािक क’ झुरझमान भ’ सुित रहल।मुदा चोर-उचा, अयाचारी एवंयिभचारी िकमक लोक केँ राित मेिन होइते ने छैक। ओहन लोकराितए मे अपन इच्छा-पूितर्क जोगारकरैत अिछ। ओहने राक्षस वृितक


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्ेणी मे छल िबदेसरा कुएक। गाम मेएकटा अपताल अवसे छलै। मुदाडाक्टर मिहना, दू मिहना मे किहओकाल अबैत छलाह। गामक वायिवभाग कुएकक िजमा छल। ओनासड़क-छाप बहुतो कुएक छल। मुदािबदेसरा कुएक सभ सँ तेज-तररमानल जाइत छल। वर-धाह राित-िवराित कखनो-ककरो भ’ सकैतछलै। तािह कालक भगवान छलिबदेसरा कुएक। ककरा मे एतेकसाहस रहै जे िबदेसरा कुएक सँतकरार किरतय। नाड़ी देखै लेलअथवा सूइया भॲकै लेल िबदेसराकुएक ककरहु आंगन मे कखनहुँ वेशक’ जाइत छल। ओकरा कोनो रोक-टोक निह रहैक।जिहया सँ यदुनाथ दुरागमन कराक’ अयलाह आ सुदर किनआँककारणें गाम भिरक छॱड़ा सभहक बीचइखक मूितर् बनलाह तिहया सँिबदेसरा कुएक हुनका मे अिधक कालसटले रहैत छल। चाह-नाताक संगचोटगर-िमठगर गप-सप किह िबदेसराकुएक यदुनाथक मोन केँ मोहैत रहलआ अततः हुनकर अिभ िमा बिनगेल। एहना मे िजगरी यार िबदेसराकुएकक फमइस यदुनाथ पूितर् कोनानिह किरतिथ? ओही अमीक राितबुझू िनशा पूजा िनिमे, दुनू यारबैसल रहिथ। थान छल यदुनाथकशयन-कक्ष। पुजारीजीक आवास मेपिहने छल कनेटा खुजल दरबजा।तकरबादक कोठली मे पुजारीजी पीकसंग राि िवाम करैत छलाह। तकरसटले भंडार आ भनसाघर। सभ सँअत मे जे कोठली छल सैह भेलयदुनाथक शयन-कक्ष। दुरगमिनआँपलंगक एक कात टेबुल आ कुस।देवाल पर िसनेमाक अिभनेाीकनयनािभराम फोटोक बीच भगवतीकफोटो। िखड़की-केबाड़ पद सँझाँपल।दू गोट कुस पर यदुनाथ आिबदेसरा कुएक आमने-सामने बैसलछल। बीचक टेबुल पर एकटाफूलदार िवदेशी शराबक खुजल बोतल,पािन सँ भरल जग आ दू गोटशीशाक िगलास राखल रहैक। ताहीकाल यदुनाथक किनआँ कािमनीिछपली मे भुजल माँउस टेबुल पररखलिन आ पितक अिगला आदेशकतीक्षा मे एक कात ठार भ’ गेलीह।हुनक गोरकी बाँिह मे सटल किरकालाॅउज ककरो एक बेर आरो देिखकएलोभ मे पटिक सकैत छल। िबदेसराकुएक अपन नजिरक नोक केँकािमनीक उठल लाॅउज मे भॲकैतबाजलदृ”यार, एतय सभ ठर िपबैतअिछ। मुदा अहाँ लेल हम दिरभंगा सँसय टाका मे असली असी ितशतूफ अकोहलबला ‘जीन’ मंगौलहुँअिछ। आब िबलब निह क’ एकराटेट किरयौ।“दू टा िगलास मे शराब ढारलगेल, पािन िमलाओल गेल, िगलासटकराओल गेल आ तखन दुनू यारिपअब शुरू केलिन। माँउस िनघंिटगेल। कोनो बात ने, कािमनी िछपलीभरी भूजल माँउस फेर सँ अनलिन।यदुनाथ पिहले पैग मे डोिल गेलछलाह। शराब पचेबाक ने हुनकाकाया रहिन आ ने ाइिटस। दोसरपैग समात करैत-करैत यदुनाथकआँिखक िडहा सँ टचर्क फोिक्संगबाहर होब’ लगलिन। तेसर पेगकआरभे मे कािमनी फेर सँ भूजलमाँउस आन’ चिल गेल रहिथ। जाबेओ घूिम क’ एलीह ताबे हुनक नाथपलंग पर िचत बेहोश पड़ल रहिथनआ हुनकर थुथून सँ साँ-सॱक अबाजसािरत भ’ रहल छल।कािमनीक हाथ मे तेसर खेपबलाभूजल माँउसक िछपली छलिन। ओथकमकाइत ठार भ’ गेलीह आ पलंगपर पड़ल अपन वामी केँ टकटकदेख’ लगलीह। िकछु समय लेलकािमनीक मितकक सोचक यंा मेेक लािग गेलिन।बेगूसराय सँ खगिड़या जेबाक‘हाइ वे’क दिक्षण गंगाक तटपर बसलछल िपहुआ नामक गाँव। ओही गामकमंिदरक पुजारीक कया छलीहकािमनी। गंगाजल सँ घोअल मंिदरकपिव पिरसर मे कािमनीक जम आपालन-पोषण भेल रहिन। सासु-ससुरकसेवा एवं पितक आदेशक पालनकरबाक बीज मंा ल’क’ कािमनीसासुर आयल रहिथ। मुदा सासुरकवातावरण िकछु अलगे तरहक रहैक।सासुक बीड़ी िपअल मुँहक गंध सँकािमनी केँ िमतली होब’ लागिन,असरधा होिन। मुदा ओ अपना केँरोकिथ आ बुझबिथईकोनो बात निह।नव थान मे एना ायः होइते छै।सभटा अपने आप ठीक भ’ जेतै!केवल धैयर्क िनवह चाही। यिप ईबात हुनका िकयो िसखौने निहछलिन। मुदा आन-आन नव िवआहिलकया जकाँ एकर िवास हुनकरसंकार मे पिहने सँ छलिन जे पितहुनकर रक्षक छिथ, परमेर छिथ।तखन िचंता किथक? मुदा एखन त’हुनकर रक्षक, परमेर बेसुध भेलपड़ल छिथ। एखुनका बयस तककािमनी केँ नीक-बेजायक कोनो टाज्ञान निह भेल छलिन। तेँ कािमनीकलेल एखुनका पिरिथित अयािशतआ ओझरायल सन छल। ओ काठबनिल ठार रिह गेलीह।‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्73


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्कृपानद झा (1970- ),जम- समौल, मधुबनी, िमिथला। गिणतमे नातकोर (एल.एन.एम.यू, दरभंगा), बी.िलब. (जािमया िमिलया इलािमया) आसोचाना िवज्ञानमे एसोिसएटिशप, आइ.एन.एस.डी.ओ.सी., नई िदली। कृपानद जी मीरा बाइ पोलीटेकिनक, महारानी बाग, नईिदलीमे याखाता छिथ। कृपानदजी यूथ ऑफ िमिथलाक अयक्ष छलाह आ एखन अतरीय मैिथली पिरषदक जेनरल सेेटरीछिथ। िहनकर ६ टा शोध पेपर सूचना बधनक क्षेमे कािशत छिह, संगिह िहदी आ अेजीमे एक-एकटा किवता सेहोकािशत छिह।—स पादकचौकपर आणिवक समझौता:साँझ काल गामक चौकपर गहमा-गहमी छलैक। टोनुआँक दोकानपरचाहक िगलास खनखना रहल छलैकमंडलजी पान लगेवमे यत छलाह।कनीक दूरपर दुग मिदरक पुविरयाकात बनल चबुतरापर दस-बारह युवा आवृ सम सामियक चचमे मग्न छलाह।बीचमे मू भाइक आवाज जोड़सँआयल। “हौ! एहन कोन आफद आिबगेलैक अपन देशपर जे धानमंी डा.मनमोहन िसंहजी अपन देशक वैज्ञािनककलगभग पिछला पचास वषर्क तपया आअनुसंधान तथा भिवयक आणिवकसामिरक अनुसंधानकेँ अमेिरकाक हाथबंधकी रखबापर उतारु भय गेल छिथ।गगनजी चबुतरापर सँ उचिकपानक पीक कातमे फेकैत किह उठलाह,“का! एहन बात निह छैक। ईसमझौता मा अपन देशक महज ऊजआवयकताकेँ यानमे रािख कएल गेल-हँ!..मू भाई तबाकू ठोढ़मे दैतकहलिखन, “है। ई ऊज आवयकतामहज बहाना छैक। अमेिरका एिह बहानेअपन देशक वत आणिवक कायर्ममेटाँग अड़ेबाक िफराकमे बहुत िदनसँछल। आब ओ अपन मनशामे १२३समझौता आ ओिहमे हाइड एक्टकावधान सौँ सफल भय रहल अिछ”।गगन जी थोड़ेक िचितत मुामेकहलिखन- “देिखयौ का, जहाँ तक१२३ समझौता आ भारतक आणिवकसामिरक कायर्मक छैक तँ माओ सब िरयेक्टर अंतरीय एजेसीकदेखरेखमे आनल जेतैक, जे सबिरयैक्टर, भारत सरकार चाहतैक। तेँबाकी कायर्मपर एकर असर निहपरतैक”।“हाँ हौ! लेिकन ई अनबाक कोनजरूरी छैक?” मू भाई आवेशमेबजलाह। ताधिर बैंकर सैहैब सेहोसहिट कय चबुतरा िदश आिब गेलछलाह। गभीर आवाजमे मू भाईकेँसबोिधत कय कहलिथन- “भाई, िकछुएहन ावधान सभ जरूरी छैक एिहसमझौतामे, परतु ई सभ िनभर्र करैतछैक जे भिवयमे भारतक िथितअंतरीय तरपर कतेक मजबूत रहैतछैक आ हमर राजनीितज्ञ सबपिरिथितसँ कतेक फायदा उठबैतछिथ। कारण जे ाट एखन तुतकएल गेल छैक तािहमे कोनोकिलक्टक िथितमे की कदम उठायलजायत आ ओ भारतक फायदामे होयतवा नुकसानमे से ओिह समयक देशककूटनीितज्ञ एवं अंतरीय पिरिथितपरिनभर्र करत। परंच, वतर्मानपिरिथितकेँ अगर देखल जाय तँ हमरदेशक आणिवक िवुत उपादनकवतर्मान क्षमता मा ४०-५०% उपादनभय रहल अिछ बाँकी आगू जे योजनाछैक ओकरो अगर यानमे राखल जायतँ कहल जा सकैत अिछ जे आणिवकइधन एवं शाितपूवर् आणिवकौपयोगसँजुड़ल िकछु तकनीककेँ यथाशीआवयकता छैक।“हौ बैंकर! ई पक्ष तँ छैक परंचएखनहु अगर सरकार आंतिरकसंसाधनकेँ सही ढंगसँ दोहन करय तँ ईआणिवक इंधनक समया अपकािलकसािबत होयत”। मू भाई िकछु शातमुामे बजलाह। अपन बातकेँ आगूबढ़बैत कहलिखन जे – “हौ, एखनहु जेयोजना सब झाड़खडक (जादूगुड़ा,बदूहुरंग, तुरमडीह) आ देशक(तुमालापली) कणटक, मेघालय आराजथान आिद रायमे चिल रहल छैकओ अगर सही ढंगसँ कायिवत कयलजाय तँ आणिवक इधनक ई वतर्मानसमयाक समाधान आसानीसँ कयल जासकैछ”।चबुतराक उतरविरया-पछविरयाकोनापर बैसल टुा बािज उठल, “यौका, मंडलजी पानक दोकान आब बदकरताह! ८ बािज रहल छैक”।‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्74


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्बैंकर सैहैब जोड़सँ कहलिखन-“यौ मंडलजी! आठटा पान लगाकऽएमहर पठाऊ”।चबुतराक पछविरया कातमे मजहरसोचपूणर् मुामे साँझेसँ बैसल सबहकगप सुिन रहल छलाह। बैंकर सैहैबमजहरकेँ कहलिखन- “हौ मजहर! तूँ तँएखन कपीिटशन सबहक तैयारी कएरहल छह। तूँ एिह सपूणर् करण परबहुत मंथन कयने हेब। आिखर तोहरसोच की छह”?खखिस गरदिन साफ कय खखाड़कातमे फेकैत बजलाह- “भाईजी!अंतरीय आ आिथर्क नीित काफीसंकीणर् िवषय छैक। पिहल बात अिछजे हमरा लोकिन एन.पी.टी.पर हताक्षरकेने िबना अंतरीय आणिवक बाजारमेसे ह (से ध) मारवाक कोिशश कय रहलछी। एिह हालतमे िकछु ने िकछुअंतरीय बंधन तँ वीकार करिहयेपरत। परतु हम एकरा एकटाअवसरक रूपमे देख रहल िछयैक।आणिवक क्षेक िकछु एहन पक्ष छैकजािहमे हमर देशक अनुसंधान शायदअमेिरकोसँ ऊपर अिछ। हालमे एकटािरपोटर् पढ़ने रही, जािहमे कहल गेलछैक जे भारतक वैज्ञािनक २००५ आ२००६ मे कािशत अनुसंधान िरपोटर्कआधारपर तकनीकी रूपसँ समृ देशसबकेँ सेहो पाछू छोिड़ आगू बिढ़ गेलअिछ। एिह िथितमे आणिवक इधन आिकछु तकनीकक आयात तँ महजअपकािलक छैक। दीघर्कािलक असरहमरा जनैत ई हेतैक जे भारत िकछुिदनका बाद आणिवक क्षेमे एकटा पैघिनयतक भऽ कऽ उभरत। एकरामेतकनीकी क्षमता छैक आ अातिरकआणिवक साधन, जे िकछु काल पिहनेचच भेल जेना, झारखड, आदेश,मेघालय आिदमे उपलध छैक तथाअंतरीय आणिवक सहयोगक मायमसँएकटा पैघ िनयतक भेनाइ सभव छैक।तेँ हेतु हमर तँ एतबय कहब अिछजे जौँ एिह समझौताकेँ सही ढंगसँउपयोग कयल जाय तँ ई अपन देशकलेल वरदान सािबत होयत”।कृणमोहन झा (1968- )जम मधेपुरा िजलाक जीतपुर गाममे। “िवजयदेव नारायण साही की कायानुभूित की बनावट” िवषयपर जे.एन.यू. सँ एम.िफलआ ओतिहसँ “िनमर्ल वम के कथा सािहय में ेम की पिरकपना” िवषयपर पी.एच.डी.। िहदीमे एकटा किवता सँह “समय कोचीरकर” आ मैिथलीमे “एकटा हेरायल दुिनया” कािशत। िहदी किवता लेल “कहैया मृित समान”(1998) आ “हेमंत मृितकिवता पुरकार” (2003)। असम िविवालय, िसचरक िहदी िवभागमे अयापन।—स पादकदुनूकेँमाछकेँ देखैत अिछ ीी केँ देखैत अिछ माछअहाँ दुनू केँ देिख रहल छी‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्75


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्कुमार मनोज कयपजन् म : १९६९ ई़ मे मधुबनी िजलांतगर्त सलेमपुर गाम मे। कूली िशक्षा गाममे आ उच्च िशक्षा मधुबनी मे। बाय काले सँलेखनमे आभरुिच। कैक गोट रचना आकाशवाणी सँ सािरत आ िविभ प-पिका मे कािशत। सित केंिय सिचवालयमेअनुभाग अिधकारी पद पर पदथािपत।—स पादकहारल मनुक्खबरी काल सँ तीक्षा कऽ रहलछलहु बसए के। गामक कोनो बसआिबये निहं रहल छलै। एक तऽ तीक्षाओिहना कद, तहु मे जेठक दुपहिरयामे। रौद आ पिलक ांसपोटर्क िथित---- िख भऽ गेल मोन। समयिबतेबाक आर कोनो साधन निहं देिख,मोन निहंयो रहैत ठंढा िपबाक लेल बिढगेलहु सामने के रेटोरेंट िदस -- छाँहतऽ भेटबे करत, सँगिह तीक्षा के घड़ीसेहो िबतत। बस एबा मे एखन आधाघंटा सँ कम समय निहंये लगतैक।रेटोरेंट के तजबीज करैत आगूबढल जाईत छलहुँ िक केयो रतारोकलक - िजणर्, मिलन, बृ निहंयोरहैत बृ सन - लाठी लेने '' भैया! दूरुपैया हुअय तऽ दऽ िदयऽ, ेकरपकिड़ गाम चल जायब। पायरे निहंगेल भऽ रहल आछ ।'' आबाज मेएकटा संकोचक सँग दयिनयता साफझलकैत छलैक । तखने हमरा आगू मेनािच गेल भीख माँगबाक नव-नव ढ़ब़मोन परऽ लागल पढ़ल आ सुनलिखसा सभ जे कोना लोक ठका गेलई सभ ढ़ब पऱ। ओकर याचना केअनसुना करैत हम बिढ़ गेलहुँ रेटोरेंटिदस ।बस अयला पर िख़डकी कात सीटपर बैिस सुयत भेलहुँ। कने काल मेबस चिल पड़ल। रता कात मे सहसाककरो पर नजिर पिड़ गेल़ चॱकलहुँ -'ई वैह आदमी तऽ निहं जे हमरा सँ दूरुपैया मँगैत छल?' िदमाग पर जोरदेलहुँ हँ ई तऽ वैह आदमी आछ़़क़हुना-कहुना कऽ डेग बढबैत लगभग िघिसयैतजँका --चलल जा रहल आछ गंतयिदस। ई दृय हमरा िवचिलत करऽलागल़ हमर अंतरामा कचोिट उठल -'दू रुपैया! मा दू रुपैयाक लेल बीमार- अस के पायरे जाय पिड़ रहल छैकआ तॲ मोन निहयो रहैत दस रुपैया ठंढापी कऽ बबद कऽ देलह! िधार एहनमनुयता के!' अपराध बोध सँ हमआकाश िदस देखैत ओकर शूयता मेिविलन भेल जा रहल छी।थाकल बाट''सर, हमर मीटरक फाईल कहाँतक पहुचलई?''''उपर सँ निह लौटलै''-िबजलीऑिफसक कमर्चरीक ई िचरपिरिचतउर फेर हमर कानमे गेल। उरजेना टीिरयोटाईप, ी-िरकोडड, िबनाकोनो जाच-पड़ताल, नाम-पता पुछने,पेᆬकल सन। १५ िदन भऽ गेल िबजलीऑिफसक चर लगबैत आ यैह उरसुनैत ।''अरे ई सभ बड घाघ होईत छई।िबना 'सेवा' के िकछु निह हेतौक।परेशानी सँ बँचैक छहु तऽ सेवा करिहपरतौ'' - अपन िम भासक ई सलाहकचोटैतो मोन सँ मानिहं परल -िववसतामे। आिखर नोकरी छोिड़ कतेक‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्76िदन दौरैत रहब - अनायास, अनथर्क,आत़।िबजली िवभागक कमर्चारी 'सेवा'पिबते झट् दऽ हमरा आदेश-प थहादेलक। जेना ओकरा सँपौती अबैतहोईक- हमर मोनक आशय ओ पिहनेबुिझ गेल हो आ आदेश पिहने सँ तैयाररखने हो- हमरा देबाक हेतु। कायलभेलहुँ हम 'सेवा' मिहमा सँ। िवजयीभाव सँ आदेश-प केँ देखैत हम बाहरिनकिल रहल छलहु िक नजिर परलकातमे लटकल बोडर् पर जािह पर मॲटआखरमे िलखल छलै -''िरत लेना एवंदेना जुमर् है।'' भने लोक पानक पीकफेिक िवकृत कऽ देने छलै ओकरा।उपयुक्त िचज उपयु जगह रहकचाही। रतामे फेकना भेटल बड़कालग्गा सँ िबजलीक तारमे टोकाफंसबैत। हमरा देख कऽ मुिकयायलओऽ। लागल जेना हमर मुँह दुिस रहलहो।भावनाजेठ मिहना मे तऽ सूरज जेना भोरेसँ आिग उगलऽ लगैत छैक। दुपहिरयातक तऽ वातावरण ओिहना जेना लोहागलाबऽ बला भी। छुी के िदन रेभोर मे देिरये सँ उठलंहु; साईत तहुारे किनया भानस करबा मे अलसारहल छलीह। अंततोगवा िनणर्य भेल -भोजन बाहरे कएल जाय।घर सँ बाहर िनकललहुँ। बाहरएकदम सुनसान - एा दुा लोक


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्चलैत - सेहो साईत मजबूरीये मे।िकयैक िनकलत केयो घर सँ एहनसमय मे? एहन रौद मे िनकलनाई कोनोसजा सँ कम थोड़बे छैक। बड़मसकि के बाद एक टा िरक्सावलातैयार भेल लऽ जेबाक हेतु। िरक्सावलािक - अधबेसु, कृशकाय, हँपैत़।रेटोरेंट पँहुिच भाड़ा पुछिलयै। कहलकदस रुपैया। किनया लिड़ पड़ली ओकरासँ -''पांच रुपैया के दस रुपैया मंगैतछैंह! हमरा सभ कें बाहरी बुझैत छैंिक? ठ निहंतन! एना जबदर्ती सँबिढया होयतौक जे पौकेट सँ पाईिनकािल ले। बजिबयौ पुिलस के?''बेचारा िरक्सावला घबड़ा गेल। पसेना सँमैल-िचट भेल गमछा सँ अपन मुंहपोछैत, िबना िकछु बजने पांचक िसालऽ कऽ चिल गेल िबना िकछु बजने़िनरीह।रेटोरेंट मे भोजनोपरांत हमरा दसरुपैया टीप के रुप मे छोड़ैत देिखकिनया बजिलह - '' अपना टेटस केतऽ कम-सँ-कम यान राखू। की दसेरुपैया दैत िछयई - पाछाँ सँ गिरयाओत''एतबा किह झट सँ पचासक नोट िबल-फोडर मे छोड़ैत हमरा चलबाक ईसाराकेलिन। आकमात हमरा आंिखक आगाँिरक्सावलाक चेहरा मूितर्मान भऽ उठल।तुलना करऽ लगलँह - रेटोरेंटक वेटरआ िरक्सावला मे - एकटा वातनुवूिलतकक्ष मे भोजन परसैत आ दोसर रौद मेकॲढँ तोरैत। भवनाक अंतर सँ िसहिरउठलँहु हम।बी०डी०ओ०ओकर असली नाम की छलैक सेतऽ निहं किह; मुदा हम सभ ओकरा'माने' किह कऽ बजबैत छिलयैक।कारण, ओ बात-बात पर 'माने' शदकयोग करैत छलीह। से 'माने' ओकरनामे पिड़ गेलई भिर गामक लोक लै।बाल-िवधवा, संतानहीन 'माने' हमर घरकसदया जकाँ छलीह। हमरा बाद मेबुझवा मे आयल जे 'माने' हमराओिहठाम काज करैत छलीह। बृावथाके कारणे आब काज तऽ निहंये कऽसकैत छलीह; हँ दोसर नोकर-चाकर परमुतैद भऽ काज धिर अवय करबैतछलीह।धान मंीक मधुबनी आगमन केलऽ कऽ लोक मे बेसी उलास आउसाह छलैक, सभ साक्षात दशर्नकपूय उठाबऽ चािह रहल छल। लोककएिह ईच्छा के पुरा करबा मे सहयोग दऽरहल छलाह पाट कायर्कत लोकिन जेबेसी-सँ-बेसी लोक के जुटा अपन शिक्तदशर्न करबा लेल मुप सवारी केयवथा केने छलाह। हम मजाक मे'माने' सँ पुछिलयै- '' धान मंी मधुबनीमे आिब रहल छिथन। अपन गामकसभ केयो जा रहल अिछ देखऽ। अहाँनिह जायब?''''के अबैत छिथन?''-माने पुछलिन।''धान मंी।''-हम उर देिलयै।''धुर! ओ कोनो बी०डी०ओ० छिथनजे 'िबरधा-पेलसुम' (वृावथा पेंसन)देताह। हम अनेरे की देखऽ जाऊहुनका ?''हम अवाक रिह गेलंहु माने केउर सँ।नव-वषर्शहरी संकृित मे नव-वषर्क बड़महव भऽ गेलैक आछ। चारु कातउलास, आनंद़ कोनो पाबिन-योहार सँबेिसये। लोक पुरनका िबतल साल सँिपड छोड़ा नवका साल केँ वागतकरय मे बेहाल़ एिह मे केयो ककरो सँपाछाँ निहं रहऽ चाहैछ । धूम-धड़् ा,नाच-गाऩ आई जकरा जे मोन मे आबयकऽ रहल अिछ नया सालक वागतमोन सँ कऽ रहल आछ । मुदा सबकेयो थोड़बे?शहरक एिह उलास के निह बुिझपािब; सुकना के सात सालक बेटापुिछये देलकै ओकरा सँ -'' बाबू, आईिक िछयै जे लोक एना कऽ रहलआछ?''''बाऊ, पैघ लोक सभक नया सालआई सँ शुरु भऽ रहल छै; तैं सभपाबिन मना रहल आछ।''- बाल-मन केंबुझेबाक यास केलक सुकना।चोिह र्नक झड़ी लगा देने छलईछॱड़ा - ''हम सभ नया साल िकयैकनिहं मनबैत छी ? हमरा सभक नयासाल किहया एतैक? हम सभ किहयामनेबई नया साल?''सुकना एिह अबोध कें कोनाबुझबौक जे गरीबक कोनो साल नयानिहं होईत छैक। बोिनहारक सभ सांझनया साल आ सभ िभनसर पुरान सालजकाँ होईत छैक। बोिनहारी भेटलई तऽनूने-रोटी सही, पिरवारक सभ यिकपेट भरलैक ; निह तऽ भुखले रिह गेलसभ गोटे। एना मे कोन सीमा-रेखामजूरक लेल नया आ पुरानक भऽसकैछ़ ज़ँ भऽ सकैछ तऽ एक मामजूरी भेटब़ भेट गेल तऽ नया सालकखुशी; निह भेटल तऽ पुरान साल सनदुख़ तै सभ सांझ नया साल आ सभिभनसर पुरान साल।बाप-बेटा दुनू चुप एक दोसराक मुँहदेिख रहल छल़ साईत आँिख आँिखकभाषा बूिझ गेल छलैक।गजलधजी रातुक याह आँचर मे,अहल भोर के तािक रहल िछ।अपन आंगन मे ठाढ़ हम, आईअपने घर के तािक रहल िछ ।आहत मोनक घायल तड़पन, पेᆬरोआई कनाबऽ आयल।जतऽ जलन के पीड़ा कम हो,ओहन छाँह के तािक रहल छी।दोसरा कें िक दोष देबई हम,अपनो सभ तऽ अंिठये बनला ।याद ने कोनो बाँचल रिह जाय,ओहन ठौर के तािक रहल छी।बगबाहो अपनिहं हाथें, आई कलम-बाग सभ जारऽ आयल।तड़पन जतऽ तड़िप रिह जायत,ओहने कहर के तािक रहल िछ।िबसिर गेल जे याद छलै, से सपनािकयैक याद िदयौलक?नोर ने ढ़रकय जािह पलक सँ,एहन आँिख के तािक रहल िछ।िनकिल गेलहुँ अिछ सु राह पर,अहारेक टा सबल केवल।अपन-आन केयो कतहु निह, आईओहन दर के तािक रहल िछ।‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्77


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्अयोयानाथ चौधरीधनुषा, नेपाल 1947-मूलत: किवक रूपमे पिरिचत छिथ। नेपालक आधुिनक किवताक क्षेमे िहनक नाम उलेखनीय अिछ। ी चौधरीक लेखनमेमानवीय संवेदनाक ितिबब पाओल जाइत अिछ। किवताक संग कथा आ िनबधमे सेहो ई कलम चलबैत छिथ। फिड़छाएल लेखनिहनक िवशेषता िथकिन।धनुषा िजलाक दुहबी गामक रहिनहार ी चौधरीक जम ६अक्टुबर १९४७कऽ भेल छिन। िहनक िक्षितजकओिहपार नामसँ एक किवता-संह कािशत छिन।–सपादकदू प_________अयोयानाथ चौधरीअतत; आइ हम िदनेशकेँ प िलखवाकलेल उत भेलहुँ अिछ। कागत-कलमसब दुरुत १९६९, माने ठीक ३६ वषर्कबाद। एतेक नहर अतराल ! की बूझतओ ? खीझ होइत अिछ हमरा जे जीवनमेएंकटा उसाही प लेखक िकएक निहविन सकलहुँ हम ? एकटा सफल दाियविकएक निह िनभा सकलहुँ हम ? जकराहम प िलखाक हेतु उत भेलहुँ ओ होत किहयो िलखवाक वात सोिच सकैतछल। खैर शरुआत हमरेसँ रहओ।ओकरा हेतु हमर प एकटा अयािशतघटना सािवत हेतैक – ’अ सराइज’ आ,जॱ ओ जीिवत निह हो ............ ? बहुतनहर अराल भेलैक ने ! प िफतआिब सकैत अिछ .............ओिह पर“डेड’ जा मृत कोनो संकेत रिह सकैतछैक। एतेक िनराशाजनक वात निहसोचवाक चाही। ओहना िथितमे पोटमैनप फािर-फेिककऽ अपन मथ-दुक्खी सँमृक्त भऽगेल रहत।ई समय प िलखवाक अनुकूल -बहुत अनुकूल वुझा रहल अिछ। दशमीमेसब गाम अबैए- ओकरो जरुर गाम आवकचाही। तावत ओकर पी, बेटा वा वेटीकेओ ने के ओ प सहेिजकऽरािख देनेरहतैक। जाइ जमानामे हम सव –’ैजुएशन’ केने रही, ओइ िहसाव सँ ओजरुर कोनो नोकरी मे हैत िकएक त’नीक िवाथ रहय। पता निह – पटनावोकारो, टाटा, िदली कतऽ अइ.....आिक सुदुर दिक्षण केरला, मास-निहजािन कतऽ ?/चािर वषर् संगे अिभ रहवाक कारणेओकरा प िलखवामे एकटा ’पेन ेड’क मजा आओत। सबसँ पिहने तँ’ ओकरापिरवाक हुिलया लेवऽ पडत। ओकरापिरवारमे के सब छैक ? के कतऽ कीकरैत छैक ? पक िसलिसला जौ चालुभऽ जायत त कालातरमे इ हो बूझऽ मेआिव जायत जे ओकरा एकटा मनोनुकूलपी भेटलैक की निह..... आकी कोनो नाशेष जीवन िवतावऽक ममे अइ।याददात वा फेहिरत रहत। तिहयासी. एम. कलेजक आलीशान आसर् लकनव हेवाक कारणे िवकुल कोनो सुदरकागज पर पारल रंगीन नक्शा वुझाइक –पाकर् जकाँ। जतऽ जाउ जेना पक्षीकझुड आ कलरव पसरल। िवशालपुतकालय। वागमतीक मनोरम आखतरनाक िकछेर। रहयमयं गसर्-कामन-रुम। िविभ िवषयक अलग ’िडपाटर्मेट’आ ओ रहयमय कोठली, उपर हेवाककारणे, छासब कौखन कायर्वश, कौखनअनेरो, कोनो ’सरसँ भेटवाक वहानामे उपरभीड कऽदैक। परतु’ जखन ’हुसैन’साहव माने वाइस िसपल अपन ’चैबरसँ ’ बहार भऽ केवल तजर्नी उठवैतछलाह तखन सब िसड़हीसँ नीचा भगैतछल – कान – कपार फुटवाक – टांगटुटवाक कोनोटा डर निह। हमरा सभकूपमे एकटा रीिनता नामक लड़की छिल’जकरा माे’ कार ितिदन कालेज पहुँचाजाइक। लमी आ सरवतीक अपूवर्संयोग ! मांजल अंेजी वजैत आ िलख्यैतछिल। फट इयरमे ’िवदेह’मे जे ओकरलेख छपैलक से लाजबाव रहैक – शीषर्कछल “Exclusively ours “| लेखमाफर्त ओ ओकरा सभक कोठलीक पदहटा भीतरक बहुत रास रहयोदघाटनकएने छिल। मुदा ओ एक बषर्क बाद निहजािन कतऽ चल गेिल ? धनीक बापकवेटी रहए। ाय: ओ कलेज झुझाअनलागल हेतैक।“ Exclusively ours”एखनो किहयो काल पिढ लैतछी मुदा‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्78


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्शीषर्कक तापयर् वुझवामे एखनो माथमे बलदेवऽ पडैत अिछ।एकटा और घटना जकर हम सबकिहयो निह िवसिर सकब। हम सविवत छी जे जओं प लेखनकशुरुआत िम िदनेश राय िदससँ होइत तओहो ओइ घटनाक चचर् जरुर करैत। हमसव भाग्यवान रही जे ओहो कोनो ’नदी’टाइटलवाली हमरे सभक ुपक छिल आवंगािलने छिल। ओकरा आँिखमे वातवमेएहन एकटा चमक छलैक जे आई ३६वषर्सँ कतौ अतऽ निहं अभरल, पता निहओ आँिख कतऽ अिध ? ओइ बड़का –बड़का आँिखमे ओ चमक िवमाने छैक वामलीन भेलैक अिछ ? जे िकछु। मुदासारा कॉंलेज ओ जादुई आँिख देखने छल– देखैत छल। अनहोनी भए गेलै। एकटाहमरे सवहक सहपाठी लड़का ओकरा नामपर – ओकर नाम लैत जहर खा लेलकमुदा समये पर अपताल पहुचाओल गेलआ जान विच गेलैक। जंगली आिग जकाँवात सौसे पसिर गेल। मुदा ओकरा लेलधन-सन। कोनो ितिया ने कोनोहलचल ने – सव िकछु िवकुल सामाय।असलमे एक तरफा ेम छलैक। वातओकरो तक जरुर गेल हेतै –लेिकन ओवेहद गभीर जे छिल। Eng. Hons.Group मे टॉप कैलक। मुदा ओ जमानावड़ वेजाए छलैक। लड़का – लड़कीमेबातक संचार निह होइत छलैक। लाखकोिशशक वाद हमरा आ िदनेशक मुँहसँकंाच्युलेसन शद निह फुटल – निहएफुटल।कालेज आ संवेदनशील घटना –संवेदनशील घटना आ कालेज – जेना एकदोसरक पयय रहैक। कतेक वात भेल।कतेक घटना घटल। मुदा पिहनेपाचारक म त शुरु होवऽ। िदनेशवहुत वातक जानकारी करा सकैए – ओिहपािन क’ जे अइ। जमभूिम आ कमर्भूिमनेपाल भेलाक कारने बहुत रास अपनलोक छुिट गेल। ओना सीमा निह बुझाइतछैक मुदा सपकर् जे टुिटगेल अिछ। मुदाएकटा वात। एिह सिध-थल पर जीवाकअपन मजा छैक। कौखन उरािभमुख,कौखन दिक्षणािभमुख। दूटा संकृितिमित जीवनक उफुलता – जुिन पुछू।पहाड़क गीत खोलामे झहिरकऽ समुकलहिरमे िवलन भऽ जाइत अिछ। भास दू-मुदा भाव एके –ऐन-मेन। “जहाँ जहाँवाछौ ितमी, म पाइला विन पच्छयाईरहछु “ तु जहाँ-जहाँ चलेगा, मेरा सायासाथ होगा”।पहाड़क गीतक सदभर्मे १९७१ ई.क एकटा सांझ मोन पडैत अिछ।काठमाडौ सँ दूर उर वालाजुउानसँउपर पहाडीपर English LanguageTrainning Institute ारा आयोिजतवनभोज समारोह। नाच करैए ओ सव।कोन लड़का-कोन लड़की-नाचमे फकर् निहवुझायत। िनिवर्कार। िनिवर्कार भऽ नाचतआ गाओत। मुदा एहर, अपना समाजमेलज कलाके फुिटता निह होवऽ दैतछैक। गीत गओलक राममिण। सपूणर्मडली अिभभूत आ मंमुग्ध भऽ गेल।पहाडमे केवल िनजव पाथरे निह होइतछैक। एकटा िशक्षाथ – एकटािशिक्षकाक आँिखसँ नोर झहड़ए लागल आसमत वातावरण जेना जड़ भऽ गेल।,ओ गीत एखनो किहयो काल हंमरा मन-ाणके जेना आदोिलत कऽ जाइत अिछ –“कोई जव तुहारा हृदय तोड़ दे ..........“ दुगर्म पहाडी गाममे एहनो गीत गाओलजाइत अिछ- आ ओतुो लोक ओकरतापयर् बूिझ िवभोर भऽ जाइत अिछ –हमरा आयर् लािग गेल।ओइ िदन हम पहाडक आँिख नोरायलदेखने रही। पट। िनसदेह। हमराजनैत सैकड़ौ-हजारो वषर् पिहने, कोनोयुगमे ओइ गीत सँ बहुत बेसी, कैएक गुनावेसी ददर्-भरल गीत सुिन पहाड जे करुणदन केने हैत तकरे फलवरुप एतेकंनदी नालाक जम भेल हैत। बहुत सभवगायक वंय Adam छल होयत आसुनिनहार ओकर ेयसी Eve।राममिण शम ओिह िदन सँ हमरअिभ भऽ गेल। ओकर आओर कतेकसाथी सभक पता हमरा डायरीमे ओिहनापड़ल अिछ। आव त डायरीक प जीणर्-शीणर् भऽ पीयर भऽगेल अिछ। आइए ३४वषर्क वाद एकटा प हम और िलखव,एखने िलखव .........।१ जनवरी ,’०५जनकपुरधामिदनेश भाइ,नव वषर्क हािदर्क मंगलमय शुभकामना।आशा अिछ िलफाफ पर हमरनाम पढलाकबाद हमरा िचहऽ मे एको क्षण देरी निहलागल हैत। ओना िकछु चॱकल जरुरहोएब। से त वभािवके ..........। कोनोअपराध वोध निह भऽ रहल अिछ। एकटा पुछै िछय। जीवन एना जिटल िकएकभेल जा रहल छैक ? कतेक वेर िवचारकरैत छलहुँ ............ आई िलखैछी,काि पे िलखव .......... मुदा आई....... जावत दुनूप हम िलिख निहलेव,तावत हमराअ चैन निह ........... चैननिह .............।शाित सदन, ढुहवी-१(धनुषा)‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्79


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्डॉ. बलभ िम,सेवा िनवृ आयुविदक िचिकसा पदािधकारी, पूिणर्याँलध धौत ित पंजीकार- व. पंमोदानद झाजी- एक संमरणव. पंजीकार जी िवलक्षणितभा संप यिक्त छलाह। िहनकसंपकर् भेलासँ पूवर्िह सुनैत आएलछलहुँ िक िशवनगर (पूिणर्याँ, संितअरिरया िजला) िनवासी पं. मोदानदझा जी पुबािरपारक एकमा सवर्ेपंजीकार तऽ छिथए, संगिह संपूणर्िमिथलाक मूधर्य पंजीकारक ेणीमेिहनकहु नाम लेल जाइत छलिह।पंजीकारजी ितवषर् सौराठसभा गाछी जाइत पुबािर-पछबािर पारकभेल िववाहक िसातक िलिपबआदान-दान करैत छलाह, जािहसँिहनक पंजी-पुितका वृहदाकार होइतवंश पिरचयक िवशाल भंडारसँसुशोिभत अिछ।पंजीकारजी महाराजदिरभंगाक अयक्षतामे आयोिजत“पंजीकार धौत परीक्षा” मे सवर्थमथान ात कऽ “लध धौत ित”भेल छलाह, जकर िनणयक मडलमेमहामहोपायाय सर गंगानाथ झाजी समभृित िवान लोकिन छलाह।पंजीकारजी कतेको ठामसमािनत भेलाह, जािहमे “अिखलभारतीय मैिथल महासभा”क िवत्मंडलीसँ आदृत होइत िविश थानपौने छलाह। िहनक कृित एवं िवलक्षणितभाक आलोकमे िहनक जीवनिहकालमे “चेतना सिमित” वयम्आमंित कऽ पंजीकारजीकेँ सादरसमािनत करैत भेल।जखन हमर िववाह १९५५ई.मे पोिणर्याँ भेल तिहयासँपंजीकारजीक मृयुसँ तीनमास पूवर् तकसंपकर् बनल रहल। एिह तरहेँपंजीकारजीक ित जे सुनैत आयलछलहुँ तकर यथाथर् अनुभूित हमरापंजीकारजीक संगितमे भेटल।कतेको िववाह िसातिलखबाक अवसर हमरा बुझना गेलिक- भलमानुष (जाित-पाँिज) यिक्तकवंश पिरचय पंजीकारजी केँ िजाछिह।यिप वर कयाक अिधकारदेखबाक ममे पंजीकारजी केँ “पंजीपोथा” उलटबाक आवयकता निहछलिह, तथािप कतहु गलती निह भऽजाय ई बुिझ पोथा उलटबाक उपरातेअपन िलिखत िनणर्य दैत छलाह।पंजीकारजी सदाचार सपहोइत सभ िदन अहं भावसँ िनमुर्क्तरहलाह। िहनक रहन-सहन वेश-भूषाएवं टपकैत ओजिवताकेँ देिख केओअपिरिचत यिक्त िहनक गुणसँ पिरिचतभऽ जाइत छल।हम वयं पंजीकार जीकसिचार, सयवहार, सदाशियतासँिवशेष भािवत भेलहुँ। पंजीशाकगहन अययन रहले सताँ पूबािर-पछबािरक समवय करबाक तुययास जीवन भिर करैत रहलाह।खुशीक गप जे पंजीकारजीकबालक ी िवानद झा (मोहनजी)पंजीकािरताकक्षेमे िनापूवर्क अपनमनोयोग रखने छिथ, जािहसँ व.पं.मोदानद झा जीक आमामे अवयेशाित भेटैत होयतिह।अततः हम यैह कहब जेव. पंजीकारजीक युप मितवकआगाँ हम जे िकछु किह गेलहुँ सेसूयर्केँ दीप देखेबाक समान बुझलजाय।एहन वनामधय पंजीकारव. पं. मोदानद झा जीकेँमरणोपरात एक संमरणक रूपमेअपन ा-सुमन अिपर्त करैत हमरशतशः णामा‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्80


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्ी भालच झाए.टी.डी., बी.ए., (अथर्शा), मुबईसँ िथएटर कलामे िडलोमा। मैिथलीक अितिरक्त िहदी, मराठी, अेजी आ गुजरातीमेिनणात। १९७४ ई.सँ मराठी आ िहदी िथएटरमे िनदेशक। महारा राय उपािध १९८६ आ १९९९ मे। िथएटर वकर्शॉप परअितथीय भाषण आ नामी संथानक नाटक ितयोिगताक हेतु यायाधीश। आइ.एन.टी. केर लेल नाटक “सीता” केर िनदशन।“वासुदेव संगित” आइ.एन.टी.क लोक कलाक शोध आ दशर्नसँ जुड़ल छिथ आ नायशालासँ जुड़ल छिथ िवकलांग बाल लेलिथएटरसँ। िन टी.वी. मीिडयामे रचनामक िनदेशक रूपेँ कायर्- आभलमया (मराठी दैिनक धारावािहक ६० एपीसोड), आकाश(िहदी, जी.टी.वी.), जीवन संया (मराठी), सफलता (रजथानी), पोिलसनामा (महारा शासनक लेल), मुगी उदाली आकाशी(मराठी), जय गणेश (मराठी), कच्ची-सौधी (िहदी डी.डी.), याा (मराठी), धनाजी नाना चौधरी (महारा शासनक लेल), ीपी.के अना पािटल (मराठी), वयबर (मराठी), िफर नहॴ कभी नहॴ( नशा-सुधारपर), आहट (एसपर), बैंगन राजा (बच्चाक लेलकठपुतली शो), मेरा देश महान (बच्चाक लेल कठपुतली शो), झूठा पालतू(बच्चाक लेल कठपुतली शो),टी.वी. नाटक- बदी (लेखक- राजीव जोशी), शतकवली (लेखक- व. उपल द), िचकाठी (लेखक- व. मनोहरवाकोडे), हृदयची गोता (लेखक- राजीव जोशी), हापार (लेखक- एह.एम.मराठे), वालन (लेखक- अज्ञात)।लेखनबीछल बेरायल मराठी एकांकी, िसंहावलोकन (मराठी सािहयक १५० वषर्), आकाश (जी.टी.वी.क धारावािहकक ३० एपीसोड),जीवन सया( मराठी सातािहक, डी.डी, मुबई), धनाजी नाना चौधरी (मराठी), वयबर (मराठी), िफर नहॴ कभी नहॴ( िहदी),आहट (िहदी), याा ( मराठी सीरयल), मयूरपख ( मराठी बाल-धारावािहक), हेथकेअर इन २०० ए.डी.) (डी.डी.)।िथएटर वकर्शॉप- कला िवभाग, महारा सरकार, अिखल भारतीय मराठी नाय पिरषद, दिक्षण-मय क्षे कला के,नागपुर, व. गजानन जहागीरदारक ायापकवमे चाक िफमक लेल अिभनय कूल, उताद अमजद अली खानक दू टासंगीत दशर्न।ी भालच झा एखन ी-लास लेखक-िनदेशकक रूपमे कायर्रत छिथ।—स पादकदू गो किवता१. अपन अतीवक असली मोलबुझबाक हुअएयिद अपन अतीवक असली मोलत पुिछयौक सुकरातकेंदेखिबयौक ओकरािवक नक्शा परपिहने अपन “देसक” अतीवओिह देस मे अपन “रायक” अतीवराय मे अपन “िजलाक” अतीविजला मे अपन “गामक” अतीवगाम मे अपन “घरक” अतीवआ तहन घर महुक “अपन” अतीवआ ई सभ“िवक नक्शा” परसे बूिझ िलयौक...२. हमर मायगभर्गृहक सुखासन सँ बहरेलहुँत हमर जमदाी अपिसयाँत रहयभनिसया घर मेतीतल जारैन केँ धूआँ मेकरैत रहय धधराक आवाहनदेहक धॱकनी कऽकऽआ तिहया सँ लऽ कऽ आइ धिरओकरा आन कोनो ठाम निहं देखिलयैकदेखिलयैकत बस कोनटा घरक ऐँठार परसभक ऐँठ पखारैतकखनो अँगना बहारैतत कखनो जारैन बीछैतकखनो कपड़ा पसारैतत कखनो नेासभक पिरचय करैतिखन मे जाँत पर, त िखन मे ढेकी पर,चार पर, िचनमार पर‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्81


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्अँगनाक मरबा पर, घरक असोरा परिदन-दुपहर, तीनू पहर जोतलकखनो दाईक चाइन पर तेल रगड़ैतत कखनो छॱरी सभक जुी गूहैतराित मे पिहने दाईकँआ तहन बाबूकें पएर दबबैतएिह तरहें ओकर जीवनक आयामभनिसया घर सँ शुरू भऽ कऽभनिसये घर मे समात भऽ गेलैकझुलसैत देखिलयैक चूिक आिग मेनारीक वतंता, ओकर अिमताओकर मान आ वािभमानकेँकहाँ भेटलैक पलखितयो ओकराएिह सभ िदिस ताकहो केँआइ सोचै छी सेहो नीके भे्अिगलुका पीढ़ी सचेत भऽ गेलैकभलमनिसयत सँ जँ निहं भेटलैकत िछनबाक ताकित भेिट गेलैकमुदा ताँिहं की हमर मायक याग आबिलदानईसेन कें नोरा सँ अथवा गोकक मायसँरियो भिर कम कहाओत?हमरा जिनतबे री भिर बेिसये बूझूभरत माँझीओिड़या किवओिड़यासँ अंेजी अनुवाद शैलेन राउॉय आ अंेजीसँ मैिथली गजे ठाकुर ाराहमर घुरलाक बादहमर घुरलाक बादो ओिह थानकेनिह छोडू िरक्तपकड़ने रहू ओकरा।फूल सभकेँ निह फेकूकी कोनो महव अिछ एकर जेओ टटका फुलाएल अिछ आिकअिछ मौलाएल?खोलू हमर सभटा नुकाएलभोिथयाएल व,ओकरा अलंकृत कए।आ रोिक िदअ अहारक ितघृणािबना घबरेने देखू समुआ तखनो निह करू घृणाअकाससँ।नेहोरा अिछ!!!पृवीकेँ बुझू एकटा समिमितथानकृपया बाट ताकू अपनआ से करए काल, रहू जागल!मोन राखू, हम घुरब एिह पृवीपरजे एहन एकेटा अिछराखू मोन िक हम घुरबहम बाउग केने छी पथकेँसिरसवक बीआसँ,मोन राखू ओ पथउनिट िदअ सभ ठामक लैपकेँ,यास करू आ ठाढ़ रहू ओतए।‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्82


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्भवनाथ ‘दीपक’अिभयान गीतउठह, उठह, उठहचलह, चलह, चलहबढह, बढह, बढहघरक भेदभाव बूिझ शु आिबगेलबुझा िदयौक आन सँग एक बुिभेलिव व मंच म य हम उिचत जगहलेलिवशद िविवध भेषहिरत भिरत देशजाित–पाँित वणर् धमर् भेद–भाव हीनराज–पाट कमर् काज सब अपनअधीनिमक कृषक बुिजीव, उमीउदारिथत एक सू म य यिक्त शतकारभुिक्त मुिक्त हेतुवृ आइ एकताक सेतुजनैत िहत िमलैत माँिटके सकत अनेर डाँिट !सब बु, सब सचेतपैर पाछु क् यो न देतदेखाय देत शुकेँ भैरवक वरुपके अलच् छ िन दमे रहत भसैतचूप ?ितहुर्ितक मािटपर रहिनहार भाइ !ज म भूिम ाण हेतु ठाढ हुअहआइलाख–लाख कोिट–कोिट केरयाणके कहैछ, मैंिथलीक पुअ पाण ?ल य चीि ह–लेल आब िनिधचीि ह लेलशु–िम केर भेद–िविध चीि हलेलउठह, उठह, उठहचलह, चलह, चलहबढह, बढह, बढह.....।‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्83


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्ी रामभरोस कापिड़ “मर” (१९५१- )जम-बघचौरा, िजला धनुषा (नेपाल)। सित-जनकपुरधाम, नेपाल। िभुवन िविवालयसँ एम.ए., पी.एच.डी. (मानद)। हाल: धानसपादक: गामघर सातािहक, जनकपुर एक्सेस दैिनक, आंजुर मािसक, आंगन अर्वािषर्क (काशक नेपाल ज्ञा ितान,कमलादी)।मौिलक कृित: बकोठरी: औनाइत धुँआ (किवता संह), निह, आब निह (दीघर् किवता), तोरा संगे निह जएबौ रे कुजबा (कथा संह,मैिथली अकादमी पटना, १९८४), मोमक पघलैत अधर (गीत, गजल संह, १९८३), अपन अनिचहार (किवता संह, १९९० ई.),रानी चावती (नाटक), एकटा आओर बसत (नाटक), मिहषासुर मुदबाद एवं अय नाटक (नाटक संह), अततः (कथा-संह),मैिथली संकृित बीच रमाउंदा (सांकृितक िनबध सभक संह), िबसरल-िबसरल सन (किवता-संह), जनकपुर लोक िच (िमिथलापेंिटस), लोक नाय: जट-जिटन (अनुसधान)।नेपाली कृित: आजको धनुषा, जनकपुरधाम र यस क्षेका सांकृितक सपदाहरु (आलेख-संह), मरका उकृ नाटकहरु(अनुवाद)।सपादन: मैिथली प संह (नेपाल राजकीय ज्ञा ितान), लाबाक धान (किवता संह), माथुरजीक “िशुली” खडकाय (किवव. मथुरानद चौधरी “माथुर”), नेपालमे मैिथली पकािरता, मैिथली लोक नृय: भाव, भंिगमा एवं वरूप (आलेख संह)। गामघरसातािहकक २६ वषर्सँ सपादन-काशन, “अचर्ना” सािहियक संहक १५ वषर् धिर सपादन-काशन। “आँजुर” मैिथली मािसककसपादन काशन, “अंजुली” नेपाली मािसक/ पािक्षकक सपादन काशन।अनुवाद: भयो, अब भयो (“निह आब निह”क मनु ाजाकीारा कयल नेपाली अनुवाद)समान: नेपाल ज्ञा ितान ारा पिहल बेर १९९५ ई.मे घोिषत ५० हजार टाकाक मायादेवी ज्ञा पुरकारक पिहल ातकत।धानमंीारा शितप एवं पुरकार दान। िवापित सेवा संथान दिरभाारा समािनत, मैिथली सािहय पिरषद, वीरगंजारासमािनत, “आकृित” जनकपुर ारा समािनत, दीघर् पकािरता सेवाक लेल नेपाल पकार महासंघ धनुषाारा समािनत, िजलािवकास सिमित धनुषा ारा दीघर् पकािरता सेवाक लेल पुरकृत एवं समािनत, नेपाली मैिथली सािहय पिरषद ारा २०५९ सालकअतरिय मैिथली समेलन मुवई ारा “िमिथला र” ारा समािनत, शेखर काशन “पटना” ारा “शेखर समान”, मधुिरमानेपाल (काठमाडौ) ारा २०६३ सालक मधुिरमा समान ात। काठमाडूमे आयोिजत साकर्तरीय किव गोीमे मैिथली भाषाकितिनिधव।सामािजक सेवा : अयक्ष-तराई जनजाित अययन ितान, जनकपुर, अयक्ष- जनकपुर लिलत कला ितान, जनकपुर, उपायक्ष-मैिथली ज्ञा ितान, जनकपुर, उपकुलपित- मैिथली अकादमी, नेपाल, उपायक्ष- नेपाल मैिथली थाई सांकृितक पिरषद, सिचव-दीनानाथ भगवती समाज कयाण गुठी, जनकपुर, सदय- िजला वाल कयाण सिमित, धनुषा, सदय- मैिथली िवकास कोष, धनुषा,राीय पाषर्द- नेपाल पकार महासंघ, धनुषा।नेपालक साझा काशनक पिहल मैिथल/ मधेसी चेयरमैन —स पादक‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्84


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्अ तरिय मैिथली समेलन आ नेपालरामभरोस कापिड ‘मर’चािरम वषर् हम पटना गेल रही। चेतनासिमितमे बैजू बाबू भेटलिथ। िवापितमृित पवर् भ’ गेल रहै। कोनो आनेसदभर्मे रही। ओ आवेशपूवर्क िदलीमेआयोजन होब बला अ तरि मैिथलीसमेलनमे अएबाक हेतु आमंण देलिन।हमरा सभ लेखें पिहल आयोजन रहैक–हम आ डा. िवमलकें जएबाक रहैक,मुदा जँ िक ओ बड हडबडीमे आअप रुपँ अएबाक बात बाजल रहिथ,हम सभ जा निह सकल रही। बरुकाठमाडूसँ धीरे आ कमलेश झा गेलरहिथ। ‘िमिथलार’ सँ समािनत होइतगेलाह आ ओिह घोषणा कएलिन–अिगला साल ई समारोह काठमाडूमेहोयत। तालीक गडगडाहिट भेल।जे से हम सभा जा निह सकलहुँ।बादमे बैजू बाबूकेँ भेलिन जे नेपाल सँिकछु आरलोकिन छुिट गेलाह, अएबाकचािहयिन। ओ जनकपुर अएलाह आधीरे आिदसँ सपकर् कएलिखह जेएिह वषर् काठमाडूमे आयोजनक कीतैयारी अिछ। जे हुनका संग रहिनहुनक कथन अनुसार धीरे आिद जेकेओ गछने रहिन साफ पाछाँ हिटगेलिन। ओ ममहत भ’ जनकपुरसँ घूिरगेलाह। तखन ओहर जा मुवईमेआयोजन करबाक यॲत धरौलिन।आब मुवईमे अएबालेल पुनः बैजूबाबूक आमंण, आह आ नेहपूणर् दवावआएल। रेवती जीकें सेहो आह भ’ गेलरिहन–िवापित मृितपवर्क अवसर परदिरभंगेमे। ई तेसर सालक गप िथक।अतर ीय मैिथली समेलन नेपाल–भारतक िवान, मैिथली सेवी सभकसिझआ मंच होएबाक हमर िवास मुवईचलबाले’ ेिरत कएलक आ तखनदिरभंगासँ िटकट िरजबर्क यवथाचेशजी िजमा देल गेल। जेना बैजुबाबूक मुँहकहबी कायर्म तिहना अपचेशजीक ओिरआओन। हम सभदिरभंगा पहुंिच दोसर िदन भेने मुवईकहेतु थान कएने रही। मुवईक सपूणर्कायर्मक सदभर्मे पुतकमे आनठामहमर िवचार आिब चुकल अिछ।तिहना गत वषर् कलकाक तैयारीरहैक। एिह बेर हमरा पर थप भार द’देलिन बैजू बाबू–‘िमिथला र’क हेतुयिक्तव चयनक। रेवती जीसँ सलाहकएल–ओ वदरी नारायणवमक नामबतौलिन। हम डा. रामदयाल राकेशकेँएकरा लेल उपयुक्त वूिझ दुनूक नामबैजूबाबू लग पठा देिलयिन। डा. राकेशकेँ काठमाडूसँ बजाओल गेलिन। हमसभ िनधिरत ितिथकेँ ‘गंगासागर’ सँकलकाक हेतु िवदा भ’ गेल रही।ओ पहुंचलाक बाद टेशन पर ठाढबैजू बाबू मोनकेँ गदगद क’ देने रहिथ।तकरा बाद अ तर ीय मैिथलीसमेलनमे नेपालक हमरा चािर गोटकैंफूटे कोठरीमे आवास देल गेल आसमान सेहो। मैिथली समेलनकअ तरिय वरुप दान करबा लेलहमरा सभक उपिथित जिहना अिनवायर्देखल गेल तिहना डा. वैनाथ चौधरीबैजूक यवहार ततबे सहज आ अपनवभरल।आब चािरम चेईमे अिछ। तैयारीचिल रहल छैक। ओहु नेपाल एकटामहवपूणर् सहभागी रुपमे उपिथत होयततकर आशा करैत छी।अनुभूित आ औिचयहमरा बूझल निह अिछ बैजू बाबूकोन उेय रािख ई अ तरियवरुपमे एकरा शुरु कएलिन। ओ एकरशुभारंभ मैिथलीकेँ अम अनुसूचीमेथान भेटलाक बाद ताही ितिथ २२िदसवरकेँ कएलिह। जकरा अिधकारिदवसके रुपमे मनाओल जाइछ – २२ता.क’ अिधकार िदवस आ २३ ता.क’अतरिय मैिथली समेलन।पिहल बेर िदलीक हेतु आमंणभेटला पर हमरा सभक िहचिकचाहट,आयोजनमादे शंका ढेर सन छल। बैजूबाबूक संघषर्शील यिक्तव भािवत तकरैत छल, मुदा हरफन मौला कामकाजसँ आशंका उठैत छल, पता निह जेकहैत छिथ, करबो करैत छिथ वा निहतए“ िदलीक ओ समेलन छुटल तकरहमरा काफी अफशोच अिछ।बादमे मुवई आ कलकाक अनुभबकाफी सकारामक, शंसनीय आअनुकरणीय रहल। अ तरिय मैिथलीसमेलनक समत गिरमाकेँ िनवहकरबाक यास ओ करैत छिथ। कतौथानीय आयोजक अपनासँ उैसवुझाइत छिन तँ कतौ वीस। तए“परेशानी त हुनके उठब’ पडैत छिन।मुदा हम सभ जे अनुभव कएलहुँ ओअयत काजक छल। मैिथली संसारकबहुतो सािहयकार, सेवी, भाषाशाी,संगीत एवं नृयकलाकार सभसँ भेंटघांटहोइत अिछ। सभक िवचारक आदान–दान होइत छैक। नव संसारक िनमणहोइत छैक।भाषा, सािहय, संकृितक हेतु सेहोएिह समेलनक उपादेयता प अिछ।मैिथली भाषाक उथानक हेतु नव–नवयोजना बनैत छैक। नव–नव पोथीकािशत एवं िवमोिचत होइछ। िवानएवं ेमी लोकिन समािनत होइत छिथ।सांकृितक कायर्ममे नव–नव ितभाआगां अबैत छिथ। सपूणर् मैिथलसमाजसँ ओ ितभा जुडैत अिछ, जािहसँबादमे ओकर िवकासक अवसर दानहोइछ। ‘राखी’ एकटा अपािहज लडकीएहने ितभा अिछ जे सभकेँ भािवतकएने रहए। अमता धरानाक कलाकारलोकिन मुग्ध करैत छिथ।नेपाल आ भारतक िबचक सवधकनीक सूपात ई समेलन करैत अिछ।नेपालक ितिनिधके मंचपर उपिथितसँदुनू देशक ाचीन सवधमे ताजापनअबैछ। मुवई आ कलकामे पंिक्तलेखकक भाषणसँ हजारॲक दशर्क दीधमेभेल तालीक गडगडाहिट तकर माणछैक। नेपालमे होइत मैिथली गितिविधसँ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्85


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्सपूणर् िमिथलाचलकेँ, खास क’ वासीमैिथलकेँ जानकारी करएबाक ई सुदरअवसर होइत अिछ, जकर उपयोगमुवई आ कलका दुनूठाम कएल गेल।कलकामे नेपालमे मैिथली, नामकवूकलेट छपा वांटल गेल रहय तं रामभरोस कापिड ‘मर’क सः कािशतपुतक” राजकमलक कथा सािहयमेनारी’ िवमोिचत भेल। ओ गामघरसातािहक िवशेष अंक, नेिमकानन’कअंक सभ वांटल व िवय लेल उपलधकराओल गेल। बहुतो सािहयकाररुिचसं नेपालक भाषा, सािहयक वारेमेजानकारी लेलिन। जानकारीक आदानदान भेल। ज्ञान समृ भेल।तखन एखन धिर सहभागी भ’ जेिकछु अनुभव कएल अिछ ओ एकरऔिचयकेँ वतः मािणत करैत अिछ।ई समेलन िनरतर जारी रहबाक चाही।वैजू बाबू जुझारु लोक छिथ, आयोजनकेंसफल बनएबा लेल अहिनर्श खटैतछिथ। हाथ, पएर, मुंह सभ धरबामेसंकोच निह करैत छिथ मां मैिथलीकिताक हेतु। एहन िवराट हृदयी,समिपर्त आ लगनशील यिक्तव भेनेमैिथली समादृत भेलीह अिछ।अतरिय मैिथली समेलनकअनुभूित िकछु िकछु सुझाव देबाक लेलहमरा उेिरत करैत अिछ। जँ ई भ’जाइत त सोनमे सुगध भ’ जइतैक –ई हमरा लगैत अिछ।सूझाओ१. अतरिय मैिथली समेलनहयबाक कारणेँ एकर वैनर जे बनैकतािहमे नेपालक िकछुओ तीक िचहअवय रहैक।२. कायर्म सभ यविथत आ पूवर्िनधिरत होएबाक चाही। कायर्म चलैतबेरमे यवथापन करब अतयततालबैत अिछ।३. सभ कायर्म, सहभागी वीचएकिदन पूव िवतरीत भ’ जाए तँ उम४. अिधकार िदवस िदन माभाषण निह, कायर्प तुित आिटपणीक कायर्म राखल जाए।नेपालक ितिनिधकेँ कायर्प आ बजबाकअवसर अवय देल जाइछ।५. मूल समारोहमे नेपालकितिनिधव मंच पर अवय होयबाकचाही। ओ उपिथित आ वक्ता दुनूरुपमे होए।६. आवासक यवथा ित सतकर्रहल जाए।७ मािरकाक तरीय काशन हो,जािहमे िवगतक समेलन सभक सदभर्मेआलेख आ िचवाली अवय देल जाए।८. कलका समेलनमे एकरिनवह भेल अिछ, एकरा आगूओ एहीरुपमे बढाओल जाए।९. अतरिय मैिथली समेलनकसहभािग सभक सूची १५ िदन पूवर्अितम रुप द’ सावर्जिनक क’ देलजाइक आ संगिह ‘िमिथला र’पौिनहारक जीवनी फूटसँ कािशत क’औिचय मािणत कएल जाए।नेपालक सािहयकार, मैिथली ेमीसभकेँ अतरिय मैिथली समेलनसँबहुत िकछु आशा छैक। दुनू देशमेमैिथली अपन अितव लेल लिड रहलअिछ। एहनमे ई भेँटघांट, अपन–अपनौती, दुख–दुखक वंटवारा आपसीसवधकेँ सुदृढ त करबे करैत अिछ,लय ाितक हेतु मोनकेँ मजवूत सेहोबनबैत अिछ।अतरिय मैिथली समेलनकमहासिचव डा. वैनाथ चौधरी बैजू एिहसवधक सूकेँ गिसआ क’ पकडनेछिथ। हुनक इएह नेह, साव आअपनैती नेपालीय राजनीितक इितहासमेिमिथलाराय’क थापनाथर् शिक्त आवातावरण िनमणमे सहायक भ’ रहलअिछ। हुनक जुझारु यिक्तव एेरणाक ोत रहलए। हमसभ एिहसवधक िनरतरताक अपेक्षा करैतछी। आ नेपाल–भारत िबचक आपसी आेमक तीक रुपमे चलैत आिब रहलएिह समेलनक सफलताक कामना करैतछी।लैश बैक-रामभरोस कपिड मरनरेश पाछाँ चिल गेल अिछ, बहुतपाछां। ायः पचास वषर् पाछां। गामक‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्86सहपाठी सभक संगे खेलए ओ। बहादुरनोकर रहैक – वावूजी जंगलकातसँलओने छलाह। एक बोिलआ, आदेशचाही, काम फह कइएक दम लैतछल। से बाबूजीकें आदेश रहैक –गुरुजीलग पढ ल जएबाक छै से बहादुरलाख िचिचऔलो पर नरेशकेँ का हपरबोिक क हाइ साहुक दलान पर गुरुजीलग दइए अबैक। ओ गेला परगुरुजीक कांच करची अथवा खजूरकछडी ओकर सभ जीद हेरा दैक। ओचुपचाप हाथमहक पाटीपर कािरख पोितकचरासँ साफ क चमकाब लागए आतखन भठासँ िलखबाक यास करए –क ख ग घ...।“इ स....” गुरुजीक छडी जखनबाँिह पर पडैक तँ ओ लोहिछ जाए।मन होइ भािग जाइ मुदा... वहादुरकडीलडौल आ िपताक आदेश मन पिडतोमनमािर क पाटी पर आँिख गडा कखरािलखबाक यास कर लगए।गुरुजीक ओिहठाम बटखरा कंठ थरहैक। ई कंठ थ करब ओकर मजवूरीरहैक, ओना िहसावमे ओ ओहुनाकमजोरी महशूस करए। चौठच दमेगुरुजीक संग घंटी बजबैत, काठकडंटाकेँ बजबैत घरे–घरे घुमनाई आगुरुजीक डेरापर जा गुडचाउरक सादखएनाईक अपन आन द रहैक।आन द तँ पािन निह पडने हर हरमहादेव बना गाम घुमबै काल सेहोअबैक। कोनो सहपाठीकेँ सॱसे देहमेछाउर रगिड देल जाइत छलैक।माथपर आ बांिहमे सेहो अशोक पातसभ लपेिट देल जाइत छलैक। माथपर जूट आ सनसँ जटा तािहपर टीनकेँकैंचीसँ कािट चान लटका देल जाइक।हाथमे वावाजीके िशूल आिन क ध देलजाइक। वस–विन जाइक महादेब।छौडा सभक हेंज पाछां–पाछां हाक परैतजाइक – हर, हर महादेव पानी देऊअिलकती पुगेन, बढी देउ ! भाव रहैकमहादेव पानी दीअ, कम सँ निह भेल,बेसी दीअ....। जकरा दरब जा परजाइक पािन उझिल दैक। मा यता रहैकपािन देलापर वषक संभावना बिढ जाइत


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्छैक। वेचारे महादेव बनल बौआ बादमेथर–थर कांपए, वच् चा सभ ताली िपटैतहंसैक। वाल सुलभ ताडना ओिहसमयमे खूब चिलत रहैक। नरेश ओिहहेंजमे अगुवा रहय....।नरेशक ठोढ पर अपने आप मु कीदौिड जाइत छैक। िवतलाहा क्षणक मरण कतौसँ गुदगुदा दैत छैकओकरा। वालशोषणक िवरु ओहोकतेक आलेख िलिख चुकल अिछ,कतेको सेिमनार मे भाग ल भाषण छॲिटचुकल अिछ। मुदा नेनामे नेनेारा कएलई अपराध शोषण निह रहैक ! नरेशवाल सुलभताक ओ क्षण फेरसँ मरणकरैत िसहिर उठैत अिछ आ कतौभोितआ जाइछ पुन.......।मुि कलसँ ७–८ वषर्क छल हयत।गामेक कूलमे पढए, मुदा संगित रहैकअपने टोल मह लाक धीआपूतासँ। ताहीमंडलीमे एकटा छौरी रहैक इजोितया।ओकरे लगुआक वेटी। नीक रहैक िकअधलाह ओकरा तिहया ज्ञान निह रहैकमुदा ओकरा संगे इजोिरया राितमेअ हिरया–इजोिरया खेलैत ओ खूब श नरहल करए। आंगनेमे दुनूपयर आगाँपसािर वैिस , वाँिहके केहुनी लगसँ मोिडआगाँ पाछाँ करैत आ ताही लयमे दुनूपयरके सेहो आगाँ पाछाँ करैत पाछा मुँहेघुसकैत इजोितया खेलल करए आगाओल करए–“आगेमाई ककरी केबितआ...” त ओकरा नीक लगैक।इजोिरया राितमे चानक चारुकातबनल गोल घेराकेँ कौतुहल सँ देखैतकाल माय रह यमय बोलीमेसमझबैक – ई हमरा सभक पुरखासभक वैसार छै इ दर भगवान लग।कहै है िनचाँ पािन िवना अकाल पडलछै, पािन िदऔ। आब पािन हयबेकरत....। नेनामे ई बात स य लगैकआ आश ब हाई जरुर वष हयत।तेहने समयमे जट–जिटन गीतहोइक। टोलक मिहला सभ जटा आजिटन कनए आ गीत गािब–गािब झूमए।ओिहमे पुरुष निह, नेनाकेँ छुट रहैक।नरेश िनयिमत ओकर दशर्क रहए,ओकर संगी इजोितया ओिह मंडली मेसािमक रहैक, ओ एकटक ओकरासभकेँ झूिक क आगाँ बढैत आ तिहनामाथ उठा क पाछाँ अबैत देखैतरहय.....।नरेशकेँ फेर िकछु मोन पडैछै, ठोढपर हँसी अबैत–अबैत रुिक जाइछै।भतखोखिर बुिढआक अंगनामे वेंग कुिटमैलाक संग पतली फेिक देल जाइ छलआ ओ वुिढआ भिर राित फेकिनहािरकेँपुरा खनदानकेँ उरािह दैत छलैक।वेटी–रोटी करैत रहैत छली। वा तवमेवेंट कुिट क तए ओकरे आंगनमे फेकलजाइत छलै जे ओ बेसी गािड पिढसकैत छलीह। राित भिर जुआन छौडीसभक धुमग जिरक संग वालसुलभउ सुकतासं पाछां – पाछां दौगब महजखुशी दैत छलै। लगै िदनमे बहादुरकघीिसआ क गुरुजी के चिटसारमे लजएबाक डरसँ मुक्त रातुक ई माहौल वच् छ द छैक। ने वावूजीक डर, नेवहादुरके उठा ल जएबाक िच ता।वात वुझौक िक निह, नरेश रमल रहैतछल ओिह खेलमे।ओकरा तँ तखनो ने िकछु बुझायलरहै जखन इजोितया ओकर घरकपछुआर बला गाछी आ भुसा घरलगएकटा ताव कएने रहैक –नरेश,खेलबे अथर् त ओकरा ओतेक नैवुझल भेलै मुदा ओकर इशारासँ आशयवुझने रहय आ डेरा गेल रहैक – निह,हम निह खेलबौ। ठाढे ओ नासकारचिल गेल रहय। जँ िक इजोितयाओकरा उमेर सँ बेसीक वुझाइक, ओवातकेँ वुझैक, मुदा नरेश....।पता निह नरेशकेँ िकए आइ पुरनाबात मोन पड लागल छै। ओ भोरेसंअपन पोताक उद डपनीसं िफिरशान भेलअिछ। एक तं भोरमे देरीसं उठत, उिठक पडायत ठेकान निह। कूलजएबाक कोनो जरुरी जेना निह होइक।कु डिलया छौडा सभक संगत आ पतानिह गुटका, भांग, िसगरेट िकंवा आनोकोनो नशा खाइत हो ,त मनमे आशंकाउठल छै। खॱझायल मोने वर डाकखुरसीपर बैिस गेल। तखने ओकरावुझएलै – एक ई िदन अिछ आ एक ओिदन रहय।फेर भिसया गेल रहय।एखनो मोन थीर कहाँ भेलैए...।माय जखन ओकरा दुनू मोडलहबाटांगपर लािद दुनू हाथ पकिड घुघुमनाखेलबै तँ िह ला झुलबाक मजा ओ लेलकरए। गीतकलय संगे झुलैत नरेशकवालपन महज देहमे गुदगुदी आ आन दमा उठा सकैत रहय वुझए िकछुनिह।मुदा जखन ओ टे हगर भेल तमायक नक् कल करबाक मोन होइक।अपन भाितजकेँ ओिहना टाँगपर ध झुलबलागय आ पढ लागय–घुघुमना घुघुमना,बौआकेँ गढा देब दुनू कान सोना।ओकरो झुलबैत आन द लगैक आ बौआसेहो हँिस, हँिस क अपन आन दकअनुभूित करबैत छल। ओना ओकरछोट–छोट पयर–हाथ बौआके बेसी कालस भारबाक अव थामे निह रहैक, ओउतािर दैक तुरते।अपन नेनपनक उछल–कुदक दूटाघटना मन पिडते सॱसे देह सीहिरजाइत छैक। बड मुि कलसँ बचलरहैक आँिख ओकर..। आँगन मे दुनूभाइ खेलैत रहय। भैया तीर धनुष बनाचलौल करए। एक बेर भेलै ई जे तीरसोझे नरेशकेँ आिखएमे लगलै–वामआंिखमे। सॱसे हाहाकार मिच गेलै, मायत बताह भ गेल छलीह। ओकराकनैत–कनैत बेहाल रहैक। गामेकटोटकासँ आँिख ठीक भेल रहैक। पतानिह माय कोन–कोन दैब पीतरकेँ एिहलेल मािन देने छलीह। तिहना एकबेरगछुलीमे आम लुटए बेरमे अ धाधु धदौगल रहय नरेश, त गाछीमे गाडलएकटा खुाक नोक सोझे कपारमे गिरगेल रहैक। माथ सु न भ गेल रहैक।मायके जखन पता लगलै त ओहकासल–िपआसल दौगिल रहय घराडीपर आ ओकरा समेिट क गामक बैलग लए जाएकेँ उपचार करौने रहैक।वाल सुलभ जीवन शैली, गामर्सँजनकपुर धिरक याा, पढाइ आ िडीसभक अपन–अपन कथा रहैक। धन–खेती जे होइक, िशक्षामे पछुआएलपिरवारक येक ओ संघषर् ओकरा भोगपडलै जे एकटा स य समाजक अंगबनबा ले जरुरी होइत छैक। आइजखन उमेरक चािरम हरमे जएबा लेतैयार अिछ ओकरा लगैछै ओ फेरसं‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्87


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्बचपन िदश लौट चाहैए। िदन राितकषडय , राजनीितक िवुपतता, च दा,अपहरण, ह या िकंवा िदन िदन बढैतअसुरक्षाक भय आ आतंकसँ िसतसमाजमे तनावक िजनगी जीबाकअथकी?मुदा फेरसँ ओ वयं न करैतअिछ की ओ नेनपनक वच् छ द, सहज नेहसं भरल िकछु साल घूिर सकत !चलु ओ िवतलहा वषर् निह घूरत ई स यिथक, अपने तँ ओिह युगमे जा सकैछीने ! हँ, ई संभव छैक। भ सकैछ एनाभेने तनावमे किम अबैक, मुंहपरचापलुसीक वोल झाडैत, परोक्षमे चिरह याले उताहुल सरसमाजक यिक्त वकदोगला मुँह देखबाक दुभग् यसँ बंिच तँसकै छी। हमहॴ िकएने अपनाकेँ नेनाबनाली !नरेशकेँ अपने सोचपर हँसी लगैछी। की ई संभव छैक। ओहुना सािठकबाद लोक नेनपनमे पुनः वेश क जाइएकहाँदन। ओकरो अव था तँ आिबएरहल छैक। चलल जाए एक बेर सएहसही....।नरेशकेँ जेना सॱसे देह ह लुकलगैत छैक। वर डासं उठैत अिछ।आंगन मे अबैत अिछ। पोता आिब गेलछै। ओकरा डँटबाक इच् छा रिहतो ओचुप रहैत अिछ। ारंभ एिहसँ हुअए तँहज की?िबनीत ठाकुरबाँिहके गोदना किवतारैहगेल िनशानी आब बाँहीकेगोदनाअनाहकमे मारल गेलै बुधनीकेबुधनाउमेरोनै बेसी भेलरहै मा िबसमरैतकाल ए राम बजलैनै ईशफटलैजे बम त शरीर भेलै िचथरादैवोनै गवाही त कहबै की ककरालागल छै गाराभुकुर बुधिनकेिच ताके करतै आब पुरा ओकरबच् चाके िसह ताऐ देशेके लागलछै सतीक ाणएत िसधा सोझा जनताके केउ नैमाई बापभरल नोर मेकेहन सपना हम मीता देखलौँभोर मेमाय िमिथला जगाबिथ भरलनोर मेकहिथ रने वने घुमी अपनअिधकार लेलछैं तूँ सुतल छुध छी तोहरिबचार लेलकिनको बातपर हमरा तूं करैिवचारकी सुतलासँ ककरो भेटलै अिछअिधकारजोिर एक एक हाथ बनवै जोलाखॲ हाथकर िहमत तूं पु िछयौ हमतोहर साथअिछ तोरापर बाँकी हमर दूधककजर्करै एिहबेर तूं पुरा सबटा अपनफजर्लौटादे हमर आब अपनवािभमानपु तूं छै महान तोहर कमर् छौमहान‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्88


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्बी.के कणर् (1963-)िपता ी िनभर्य नारायण दास गाम- बलौर, भाया- मनीगाछी, िजला-दरभंगा। पैकेिजंग टेोलोजीमे नातकोर आयू.एन.डी.पी. जमर्नी आ इग्लैडक कायर्मक फेलोिशप, २२ वषर्क पेशेवर अनुभव आ २७ टा प कािशत।डायगनोिटक िमिथला पेंिटंग आ िमिथलाक सामािजक-आिथर्क समयापर िचतन। सित इिडयन इटीयूट ऑफपैकेिजंग, हैदराबादमे उपिनदेशक (क्षेीय मुख)।—स पादकस ंकट गुणक (िरक फैक्टर) आ मैिथलिमिथलाक िवकास क़ेना आ कखनिवकासक िबना िजनगी बड किठन।िवकासक रता बड उबड ख़ाबड।संघषर् सिदखन। डेग डेगपर। िबनासंघषर्क िवकासो संभव निह।सवगीन िवकासक हेतु़ यिक्तगतिवकासे आधार होइछ।बहुत िकछु गमेलहुँ मुदा आब निह।मैिथल युवा मोच तैयार भए रहलअिछ। िवकिसत वा अिवकिसतक िबच-िबचवामे छी।एतवा तॅ तए अिछ जेआिथर्क िवकासक लेल सुर सार भएरहल अिछ। आिथर्क िवकास एकटागित होइछ जे कखनो कम वा बेशी।आिथर्क उपाजर्नक लेल़ हम सबसकारामक यासमे सुतल छी। जिहयाउठब़ तिहया िसंह जकाँ दहारब वा साँपजकाँ फूफकारब।जय ी हनुमानजी एक समयमेअपन शिक्त िबसिर गेल छलाह, तिहनाहम सब मैिथल अपन शिक्त िबसरौनेछी।बहुतो मैिथल वाशी जीवनमे़ अपनआिथर्क सक्षमता मे वृि केलाह, परचहुनक िधया पूता िमिथला मैिथल सॕकोसो दुर !!! पैघ संकट। ेट िरक!!!मैिथलक समान मैिथली थीकआओर एकर अपमान मैिथले कऽ रहलछिथ। अपने पिरवारमे मैिथलीपरमतांतर। मैिथली घरेमे टूअर।मैिथल पलायनसॕ मैिथलीकआकिमक अत। केऽ िवलाप कडत।पलायन दुइ िथितमे-१. जीवन भरण पोषणक लेल२. यिक्तगत उेयक पूितर्क लेलिमिथलामे की कमीडेग डेग पर पोखिरघर घरमे पतरा-पोथी।गाम गाममे जाित पॉितछोटका पॉित लैऽ कऽ एकेपिरवारमे शानक घमासान।मैिथली संकटमे, आवयकता अिछकोमल पशर्क।कतेको बेर िबहार सरकार ारामैिथली भाषापर सीधा हार भेल। परमदुखक बात ई अिछ जे िकछु मैिथलमैिथलीकेँ तोड़यमे लागल रहल छिथ।परच िचंताक कोनो बात नि़ह। मैिथलीअिछ अटल़-अिवचल। मैिथलीक जड़बड़ मजगूत।हम मैिथलसब अपन मौिलक कतर्यबूिझ आ अपन भाषा सॕ अथाह लगनलगावी।‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्89बंगाली-पंजाबी-मराठी केँ देखु जेअपन मातृभाषाक ाणॲसॕ ऊपर थानदेने छिथ। एतबाऽ निह हर मंचपरअपन भाषाक ित नेह तथा समानकिको कौती निह करैत छिथ।परच़ हम मैिथल कतेक िना रखैतछी। एहन िकछुए मैिथलके देखल जासकैछ।बंगालमे बंगाली, पंजाबमे पंजाबी।एिहना बहुतो ादेिशक रायमे़ अपन-अपन भाषाकेँ अपन जीऽ जान सॕ पैधलगाव रखने छिथ।बंगालीक भाषा बंगालीपंजाबीक भाषा पंजाबीमराठीक भाषा मराठीिबहारीक भाषा की?िहदी़-भोजपुरी आ मैिथलीिहदी़ तॕ राभाषाक अितवमेअिछ। भोजपुरी काफी लोकियताहािसल कय रहल अिछ। भोजपुरीिसनेमा उोगकेँ काफी सफलता भेटल।मुदा मैिथलीक िथित िबहारमे केहनअिछ से की कहल जा् इछ। मैिथलीकिथित िमिथलामे बड़ कमजोर।गैरमैिथल िबहारी कतेक ितशतमैिथलीक इजत करैत छी।<strong>अनुम</strong>ािनतितशत बड़ कम होयत।मैिथल अपनाकेँ गोद लेल मैिथलजेकाँ आचिरत किहआ धिर करताह?


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्मैिथली सशक्त भाषा अिछ। एकरअपन इितहास अिछ। परच हम सबमैिथली बाजय वालाकेँ आ िलखयवालाकेँ िपछड़ल बुझैत छी।अनेक भाषासीखू़ बाजू़ मुदा मैिथलीकेँ छोिड़ कऽनिह। मैिथलीकेँ बोझ निह बुिझयौक।मैिथल जे किहयो मैिथली छोड़लि़ह ओ मानिसक रूपसँ गरीब भएगेलाह। आिथर्क िवकास भेलाकतदुपरातॲ अपन मनसॕ बहुत गरीब।अमेिरकामे जे भारतीय मूलक िथित परजे एकटा अमेिरकन पकार अययनकेलाह जरूर देखल जाए।Family Ties and theEntanglements of Castehttp://www.nytimes.com/2004/10/24/nyregion/24caste.htmlअमेिरकन क़ी िमिथलामे रिह सकैतअिछनि़ह कथमिप नि़ह।की अमेिरकन आ कोनो िवकिसतदेश व राय के एकोटा लोक अपनमैिथली भाषा अपनायत़नि़ह कथमिप नि़ह।बेसी मैिथले भेटताह जे़ िमिथला आमैिथली छोिड़ तािहमे सबसॕ आगू ।मैिथल िमिथलाक सीमाक बाहर बडमेहनती परच िमिथलाक सीमाक अदरबड आलसी। मेहनती मैिथल कतौऽरहिथ धाक जमौने छिथ परच मैिथलीपर जेना मतसुन। एको रित रू िच निहरखैत छिथ, हुनकर िधया पुताक बातेछोड़ु।िगयर्सन जकॉं खोजी़ एिह परअलग िवचार रखैत छिथ।मैिथलीके बोझ बुझय वाला मैिथलसोिच िवचारमे बड़ गरीब।गरीबी झेलबाक मानिसकता मैिथलमे िकयाक बेसी।िमिथलामे मौिलक सुख सुिवधाककमी कोन कारणे। बहूतो कारण भएसकैछ। गरीबीमे ककरा नेऽ इ कझेल् ऽ पऽडै़त।मैिथल मेहनती तॕ िमिथलामे गरीबीिकएकगरीबी झेलबाक मानिसकता िकएक!!!ेट िरक !!!कतेक मैिथल कहताह जे भाग्यकिलखल क अिछ। एिह क जबाबखोिज रहल छी जे पॉंच करोड़कमैिथलक एके रंग भाग्य िकयाक।गरीबीक झेलबाक मानिसकता कतेकिदन तक।हम मैिथल सब वाक िववादमे बडखंड छी। हरएक बातपर अपनाकअनुभवी माण दैत छी।मनसॕ वाक पटूतामे धनी। जीवनकमौिलक आवयकताक पूितर्कक लेल हमसब मैिथल बड़ गरीब।गरीब मानिसकता गरीबी झेलबाकलेल सिदखन तैयार।वथ नेतािवहीन मैिथल समाजअपन मौिलक हक सॕ दूर कोसो दूरअिछ।जड़ जड़ हालतमे मैिथल समाजअपन देशक आजादीक बाद िमिथलामेआधारभूत ढॉंचाक शूरूआतोऽ तॕ निहभेल।ककरा कहबै के सूनत के सुिधलेत।िरक आ मैिथलमुा यवसायिवकिसत देश वा िवकिसत रायकपाछु यिद सुम रूपसॕ देखू तॕ भेटत जेओिह क्षेक यवसाय िवकासक मुलकारण अिछ। िमिथलामे िवान वा ज्ञानीमैिथलक कमी निह। यापारी वगर् नोइसोबराबिर निह।मैिथल यापारो करताह ?िसधी़ माड़वारी आ पंजाबी समाजिमिथलामे अपन यवसायमे मैिथल जकॉंसंकार अपनओने के साथ केवल ५०सालमे बिढ़या धाक जमा लेलाह, परतुहम मैिथल जे छी जे डॴग हकैसॕफुसर्तेऽ निह भेिट रहल अिछ।मैिथल िमिथलामे की करताह ?िमिथलामे िकछु मैिथलके देखबाऽ मेआयत जे़ िमिथलाक िसधी़ माड़वारी आपंजाबी के यवसायमे नौकरी करताह।िहदी अखबार मॉंिग कए पढ़ताह़परच िमिथलाक िवान वा ज्ञानीअखबार िट आ बाजार मे आनबाकजोिखम निह ऊठैऽताह।िमिथलामे चाहक दुकान परितिदनक िदनचयमे लालु के लालूवाणीपर अखड बहस करताह।िमिथलामे सुइदसॕ िकछु मैिथलसुइदखोर यवसायमे वृि केलाह हऽ।कोनो िनयमके पालन नि़ह कए रहलछिथ। अपन िनयम बना कऽ अपराध मेरमल छिथ। िमिथला बैंकक शुरआतहोए अपराधी सुइदखोर मैिथल केझेलनाइ एकटा बढ़ पैघ अपराध अिछ।!!!!Great Risk !!!!मुदा बहुतो अि़छ पर िरक्सो सॕयादा भयावह।सन २००१क जनगणणा केअनुसाऱ िमिथलाक आबादी करीब ६करोड़ छल। जािहमे़ यवसाियक वगर् २ितशतो कम।बहुतोसॕ पुछलहु़ जे एतबा ितशतिकएक कम अि़छ परच एकर कारणकी से निह जािन सकलहुँ।िमिथलासॕ आयात आ िनयतकबातेऽ छोड़ू, यापार तॕ बद सँ बदतरिमिथलाक पाँच िजलाक केसटडी:DistrictsBegusaraiMadhepuraSamastipurMadhubaniDarbhangaPopulation of 5 Districts in Mithila(based on 2001 Census)15.2523.4227.228.3232.960 10 20 30 40Population in lakhsपांचो िजलाक कुल आबादी सन २००१जनगणनामे करीब एक करोड़ अठाइसलाख छल। जनसंख्या <strong>अनुम</strong>ािनत ५ वा७ ितशतसॕ ितसाले वृि भ रहलअिछ। एकटा बात महसूस भऽ रहलअिछ जे िमिथलामे गरीबी कम भेलअिछ। यि़द सन १९८० सॕ पिहने हरेकगॉवमे हरेक िदन ४ या ५ घरमे उपवासरहैत छलैक़ परच से उपवास आब‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्90


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्गरीबीक उपवास पूजा पाठक उपवासहोइत अिछ।मुदा भौितक सुिवधाक िपछड़ापन तॅपराका ठा पर अिछ। िजनगी भगवानकभरोसे।पांचो िजलाक मैिथल पर यिद यान देलजाए तॕ एकटाक सदय पिरवारमे नौकरीकरयबाला बॉकी आित सदय िकछुनिह करयबाला बिक गप छटय बालाआ शान बघारय वाला।पर आित भेनाए अपनेमे एकटा िरक्सएहन जे भावुक जरूरतसॕ यादा आकमर्ठहीन यादा बनाबैत अिछ। !!!!ेटिरक !!!!Dependent Class61%Profession of MaithilService Class27%Daily wagesClass10%Trader ClassEntrepreneurs Class 1.8%0.2%Service Class Daily wages Class Trader ClassEntrepreneurs Class Dependent Classजनसंख्याक वृि मानु जे ककपहाड़। हर क्षण हरेक िदस िथितदयनीय हेबे कड़त।िमिथलामे मैिथल िरक्स लेताह ?िमिथलामे मैिथल तॕ अपन िजनगीकिरक्स लेबाऽमे सवपिर छिथ। जेना की़सोचु नदीक के ऊपर जड़ जड़ हालमेपूल ओिह पर खचाखच बस़ आ रेलगाड़ी जािहमे छत सेहो भड़ल। फोटोदेखल जाए।सोचु किनऽ जे िजनगी आओर मौतके बीच केवल एकटा िरक्स फैक्टरअिछ।मैिथल िजनगीक िरक्स हर क्षण।िमिथलामे िजनगीक िरक्स बड़आसान पऱ यापारक िरक्स बड़ किठनअिछ।वृषेश च लालजम 29 माचर् 1955 ई. केँ भेलिह। िपताः व. उिदतनारायण लाल,माताः ीमती भुवनेरी देव। िहनकर छिठहारक नाम िवेरछिह। मूलतः राजनीितककम । नेपालमे लोकतलेल िनरतर संघषर्क ममे १७ बेर िगरतार। लगभग ८ वषर् जेल । सिततराई–मधेश लोकतािक पाटक रा ीय उपायक्ष। मैिथलीमे िकछु कथा िविभ पपिकामे कािशत। आदोलन किवता संह आबी.पॴ कोइरालाक िस लघु उपयास मोिदआइनक मैिथली रुपातरण तथा नेपालीमे संघीय शासनितर नामक पुतक कािशत। ओिवेर साद कोइरालाक ितब राजनीित अनुयायी आ नेपालक जातांिक आदोलनक सिय योा छिथ। नेपाली राजनीितपर बरोबिरिलखैत रहैत छिथ।—सपादकफेकनाक िदआबातीिदआबातीमेफुलझडी, अनार भुइँपटकाआ कनफर फटासभसँ कातआँिख बचा—बचाकयफेकना तािक रहल अिछ तेलबुताएल िदआसभमेएक मुिठ भातपरसुअदगर ितलकोरक तरुआ लोभेँ!क्षणक छनाक...!१चाही सभकेशासन चलबएलाअनुशासन !२लाल पहाडमहाभारतबला ?खूनक ढेरी !३मीत अपनेहएबिह, ओ िकछुअओर छिथ !४‘एकता’ मानेसभलेल नै खाली‘एकटा’लेल !५गढैअिछ शदकािबलसभ, बातिचबबैलेल !६सफल भेलअपनेस ? जरुर‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्91


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्फेरल हैत !७सनकी अिछदोष देखोिनहारधरतीपर !८बिरआतमेिछटल गेल इगहाइ छलै !९पुरान मनरचतै युग नव ?नइ हेतै !१०गैंडाक खाकओकर िशकारककारण िथक !छिव झा/ कुमुद िसंहलेिखका छिव झा िपछला तीस वषर् स िमिथला िचकला कए अथर् पर काज कए रहल छिथ। संित ओ 'नेह छिव िमिथला कूलऑफ आटर्, दरभंगा क िनदेशक छिथ आ एकरा पिरभािषत करबा मे लागल छिथ।लेिखका कुमुद िसंह मैिथलीक पिहल ई-पेपर समादक संपादक छिथ।—स पादकिमिथला िचकला : अथर्क अिधकताआ साथर्कता1960 क दशक मे िमिथलािचकला कए दीवार स कागज परउतारबाक यास शुरू भेल छल आतिहए स शुरू भ गेल एिह िच मे नव-नव योग। तिहये स शुरू भेल एकरअथर्क नव संसार जे िमिथलाक सोचआ संकृित स पूरा िभ अिछ। नवयोग आ पुरान अथर्क एहन िमण भेलजे कलाक पूरा वरूप आ अथर्कऔिचय पर सवाल उठा देलक।सब कलाकृितक एकटा अथर् होइतछैक। जेकर कलाकृित स घिनïसंबंध होइत अिछ। कलाकृित आ ओकरअथर् ओ कृितक साथर्कता कए िसकरैत अिछ। िमिथला िचकलाक संबंधमे जखन िवचार करैत छी त कएकटागप सामने अबैत अिछ, मुदा एकटा गपपट होइत अिछ जे िमिथला आभारतक िवान् एिह कलाक ित आइधिर अपन नजिरया निह बना सकलिथअिछ। िपछला पांच दशक मे िवदेशीिवान जे एिह कलाक ित नजिरयाथािपत केलिथ अिछ, देशक िवानओकरे आधार मािन कए आगू बढैतरहलिथ अिछ। च पूछु त देशी िवानकिहयो अपन नजिरया तुत करबाकयास तक निह केलिथ। िमिथलािचकलाक एिह गुत आ जिटलवातिवकता कए धुंध स िनकालबाकपिहल यास सेहो अमरीका मे कैलगेल। 1984 मे अमरीका स कािशतमानव शा पर आधािरत पिका मेपिहल बेर एिह गप कए रोचक आगंभीरतापूवर्क उठाउल गेल जे अथर्कअिधकता स केना एिह कलाकसाथर्कता खम भ रहल अिछ।उर िबहार आ नेपालक तराई मेपसरल िमिथला क मिहला ारा अपनघरक दीवार आ आंगना मे बनाउलजाइवाला एिह िचक संबंध मे एखनधिर कसक बेर िलखन जा चुकल अिछआ कसक ठाम कहल जा चुकलअिछ। एतबे निह कई टा अ तर ीयमंच पर एकर तुित सेहो भ चुकलअिछ। मुदा एकर संबंध मे िलखलसाय बेसी पुरान निह अिछ। 1949 मेपिहल बेर एिह पुरातन कलाक संबंध मेकागज पर िकछु िलखल गेल। डयूजी आरचर अपन िकताब मे एिहिचकला कए अुत आ आर्चयर्जनककहने छिथ। मुदा 1962 मे कािशतलमीनाथ झाक पुतक िमिथला कीसांकृितक लोकिचकला सही मायने मेएिह िचकला पर पिहल आिधकािरकदतावेज अिछ। देसी नजिरयाक संग-संग एकर भाषा मे सेहो िहंदी आमैिथलीक िमण अिछ, जािह स अथर्कभाव अंगरेजी स बेसी साफ बुझबा मेअबैत अिछ। देशी नजिरयावाला एहनपुतक कए पाठक तक निह पहुँचब एिहकलाक अथर्क अिधकताक मूल कारणकहल जा सकैत अिछ।िमिथला िचकलाक अथर्क संबंधमे समय-समय पुतक काशन होइतरहल अिछ। 1952 मे ाउन आ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्36लेयूइस, 1966 मे माथुर, 1977 मेइस िवको (वैक्यूवाद) आ 1990 मेजयकर एिह कलाक अथर्क संबंध मेबहुत िकछु िलखलिथ। अिवसनीय मुदासय अिछ जे एिह िकताब सब मे जेिकछु िलखल गेल अिछ ओ िमिथला मेचिलत अथर्क सँ सवर्था िभ अिछ।एिह संबंध मे अमरीकाक चीकोिविवालयक कैरोिलन ाउन िलखैतछिथ जे िमिथला िचकलाक अथर् कएहरदम गलत आ मक तरीका सिवक समक्ष राखल गेल अिछ। एकरमुख्य कारण इ रहल जे एिह पर देशीखास कए िमिथलाक िवान गंभीर काजनिह केलिथ, जे काज भेल ओ िवदेशीिवानक शोध स भेल। िमिथलाकअंगना मे बनाउल गेल एिह िचक संबंधमे पुख्ता जानकारी लेब कोनो िवदेशीलेल हरदम एकटा चुनौती रहल अिछ।लोककला कए बुझलाक बाद ओकरसही अथर् बुझब आ फेर ओकरा सहीरूप मे पिरभािषत किर अिभयक्त करबकोनो िवदेशी शोधकत लेल राई कपहाड़ सन काज अिछ। 1986 मेएसैड, वैल, मारकस आ िफसर, 1988मे िक्लवाड आ 1992 मे वूफ कआलेख स बुझबा मे अबैत अिछ जे ओिकछु एहने सच्चाई स सामना केनेहेताह। कैरोिलन ाउन एिह संबंध मेसाफ तौर पर िलखैत छिथ- हम पिमकए लोक एिह िचकला कए पिरभािषतनिह कए सकैत छी, तािह कारण हमसब एिह अुत िवषय कए तोि़ड-मरोड़ीकए पेश करैत रहलहुं अिछ। हालांिक


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्एिह मे कोनो संदेह निह अिछ जे एकटासमाज मे िभ-िभ लोकक अगल-अलगनजिरया भ सकैत अिछ, ओ एकटािचक िभ-िभ अथर् किह सकैतछिथ, मुदा िविभ अथर्क बीच मे एकटासमानता होइत अिछ, जे अथर् कएकतहु ने कतहु जोड़ैत अिछ। उदहारणलेल िमिथला मे पुरुख कमर्कांड,यायशा सन शाीय िवधा मे नीकपकड़ रहैत छिथ आ ओिह स जुड़लपावैन-ितहार क याख्या नीक जेकाँ कएलैत छिथ, ओतिह मौगी घरेलू पावैन-ितहार पर नीक पकड़ रखैत छिथ आओकर अपन अनुसारे याख्या सेहोकरैत छिथ। एिह लेल कुलदेवीक पूजाया गौरी पूजा मे पुरुखक योगदान कमदेखबा मे अबैत अिछ।एकर पाछु कारण इ अिछ जेअयंत गूढ़ संसार आ अयिधकिवकिसत समाजक सबटा गपक ज्ञानराखब असंभव अिछ। ओना िमिथलासमाजकेँ अयंत िवकिसत समाज बहुतकम िवान मानने छिथ। जेना िक1991 मे दिरदा आ 1994 मे वालसाफ तौर पर िलखने छिथ जे एिहिचकलाक सही अथर् िमिथला मे आबिगनल-चुनल लोक बता सकैत अिछ।वेल क कहब अिछ जे िमिथला मे जेिचक अथर् किह सकैत छिथ ओ चुपरहय चाहैत छिथ, जखन िक अथर् निहजनिनहार लोक कए चुप राखब एकटाकिठन काज अिछ। ओना एिह संबंध मेाउनक मत िकछु अलग अिछ। ाउनकहैत छिथ, 'इ सच अिछ जे आममैिथल एिह कलाक संबंध में कमजानकारी रखैत छिथ, मुदा बहुत िवानलेल इ कोनो महव निह रखैत अिछ जेमैिथल एिह संबंध में कतेक बुझैत अिछआ की कहैत अिछ। अिधकतर िवानमैिथलक भावना कए अपन शोध मेतोि़ड-मरोि़ड कए तुत करबा स पाछुनिह हटला अिछ। दुभग्य अिछ जेएखन तक कोनो देशी िवान एिह तयकए रेखांिकत निह केलाह अिछ, मुदााउन अपन िमिथला वासक दौरानिकछु एहने महसूस केलीह।असल मे सबस पैघ गप इ अिछजे पााय संकृित, यवहार आ िशक्षाहमरा लोकिन क सोच केँ दबा देलकअिछ या इ कहू जे सीिमत कए देलकअिछ। एकर अलावा हमरा लोकिन मेअनुवाद करबाक क्षमता सेहो कम भचुकल अिछ। आब सवाल उठैत अिछजे एतेक जिटल आ गुत तयक कोनोएक यिक्त ारा कसल अनुवादकेँसवच्च मानल जा सकैत अिछ? एिहठाम इ कहब जरूरी अिछ जे एकटािचक कई टा अथर् भ सकैत अिछ,मुदा ओकर सू दूटा निह भ सकैतअिछ। वैह एकटा सू ओकरा आन सिभ करैत अिछ। एिह सूक चारूकातओकर अथर् घुमैत रहैत छैक। एहनसू िमिथला मे एखनो िकछु मिहलाकेँबुझल छैन, मुदा ओ िनित रूप सयावसाियक निह छिथ। तािह लेलहुनका स ओ सू बुझब कोनो देशीिवान लेल किठन काज अिछ, एहन मेिवदेशी िवानक गप करब बेकार अिछ।दरअसल िमिथलाक मौगी एिह सूकेँअपन शरीरआ आमा मे बसा रखनेछिथ आ नव पीढ़ीकेँ थोड़े-थोड़े कएकेँकए बुझाउल जाइत रहल अिछ। एहनमे अप ज्ञानी स जानकारी लेलाक बादिवदेशी िवान िमिथलाक सू जिनिनहारमिहलाक नजरअंदाज कए दैत छिथ।िमिथला िचकला क सबसचिलत िच कोहबरक पुरैन कए लकए सबस बेसी मक िथित अिछ।अिधकतर िवान एकरा कोहबर नाम सपिरभािषत केलिह अिछ, जखन िकपुरैन कोहबरक अनेक िचगुच्छक एकटासदय मा अिछ। आइ जे पुरैनकवरूप देखबा मे आिब रहल अिछ, ओजानकार मिहला मे म पैदा कए रहलअिछ। हालांिक एतबा अवय अिछ जेएकटा गोलाकार आकृितक चारुकात छहटा मौिगक मुँह बनाउल गेल अिछ,जेकर बीच मे सातम मुँह सेहो अिछ जेछह टा मुँह स किन पैघ आकारकअिछ। एिह िचकेँ रेखािचक रूप मेबनाउल गेल अिछ। पुरैनक सू परबनाउल गेल एिह रेखािच स णहेबाक कईटा कारण अिछ। िमिथला मेपुरैन रेखािच निह, बिक िभििचअिछ आ पाँचटा रंग सँ बनाउल जाइतअिछ। हाँलािक आइ अिधकतर कागजपर एहन िच बनाउल जा रहल अिछ,लेिकन एिह िचक िवशेष मे साफ तौरपर कहल गेल अिछ जे एकरा दीवारपर बनाउल जाइत अिछ। िमिथला मेरेखािचकेँ अिरपन कहल जाइत छैकआ ओ जमीन पर बनाओल जाइतअिछ। ओनाओ िमिथला मे पुरैनक दू टासू अिछ। एकटा ाï ण आ दोसरकणर्कायत लोकिनक पुरैन। दूनू मेसूक अंतर अिछ। मुदा एिह िच मेएकर ारूपक कोनो चचर् निह अिछ।सातटा मौिगक मुँहक संग साँप, कछुआ,माछ आिदक िचक औिचय जखनिमिथलाक लोक लेल बुझब किठन अिछतखन िवदेशी की बुझत? िवदेशी िवानलेल इ मा एकटा भीड़वाला िचअिछ, जािह मे संदेशक कोनो थाननिह अिछ। बहुत रास िवदेशी िवान तएकरा जादू-टोना आ भूत-ेत लेलबनाउल गेल िच कहलिथ अिछ। मुदााउनक कहब अिछ जे इ पुरैनक नवरूप अिछ आ कायत ारूप स िमलैत-जुलैत अिछ।िमिथला मे पुरैन कमलक लीकेँकहल जाइत अिछ। ाण ारूप मेनौ आ कायथ ारूप मे सातटाकमलक पात दशउल जाइत अिछ।चूंिक कमलक ली पािन मे होइतअिछ, तािह लेल एकर संग-संग पािन मेरहैवाला वतु आ जीवक िच बनाओलजाइत अिछ। लमीनाथ झा एिह संबंधमे िलखैत छिथ जे पुरैन मुख्य रूप सवंश वृिक लेल नव दंपित स सांकेितकअनुरोध अिछ। जेना कमलक एकटाली पोखिर कए किहयो कमल िवहीननिह होअए दैत अिछ, तिहना नव दंपितकए घर कए किहयो वंश िवहीन निहहुए देबाक कतर्य िनभेबाक चाही। एतबात जरूर अिछ जे 20वॴ शतादी मेपिम मे पलल-बढ़ल कोनो यिक्त एिहीव कए(ी कए हृदय मे वासकरैयवाला भावना) घेरा निह बुिझपाउत। आइ जखन िबयाह एकटा अलगअथर् ल चुकल अिछ, एहन मे पुरैनकऔिचय जरूर ासंिगक भगेल अिछ।1960 क दशक मे एिह िच कएकागज पर उतारबाक यास शुरू भेलछल आ तिहए स शुरू भेल एिह िचमे नव-नव योग। तिहये स शुरू भेलएकर अथर्क नव संसार जे िमिथलाकसोच आ संकृित स पूरा िभ अिछ।‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्93


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्नव योग आ पुरान अथर्क एहन िमणभेल जे कलाक पूरा वरूप आ अथर् कऔिचय पर सवाल उठा देलक। सचकहल जाए त िमिथलाक मिहलाक एिहिवलक्षण ितभा कए पिरभािषत करबा मेएखन धिर कोनो िवान सफलता निहपािब सकलिथ अिछ। समत िमिथलामे बनाउल जाइवाला एिह िच कएिकछु चािर-पांच टा गाम मे समेट देबाकअलावा इ िवान लोकिन एिह िच कएकएटा अनपढ़-गँवार मौगी ारा बनाउलगेल िच सँ बेसी िकछु निह सािबतकए सकलिथ अिछ। िमिथला मे एखनोकई टा मिहला अपन फाटल पुरानकॉपी िनकािल देखबैत छिथ, जािह मेकईटा िवदेशी िवानक िलखल वाक्यअिछ। दुख आ तामस तखन होइतअिछ जखन कॉपी पर िलखल वाक्यपढ़ैत छी, जािह मे िलखल रहैत छैकजे इ िच एकटा िपछड़ल समाजकगवांर, अनपढ़ आ मूखर् मिहला ाराबनाउल गेल अिछ। िवदेशी िवान मे इसोच अचानक निह आिब गेल अिछ।हुनका कई कार स इ बतेबाक बेर-बेरयास भेल अिछ। दुिनया मे इ धारणकए थािपत करबाक ेय इस िवकोकए अिछ। िवको स बेसी शायद कोनोिवान एिह िचकला पर काज निहकेलिथ अिछ, मुदा ओ जतेक एिहिचक करीब अबैक कोिशश केलाह,एकर अथर् स ओ ओतेक दूर होइतगेलाह। िवको राय औवेस क संगएकटा िफम सेहो बनौलिथ, जेकर नाम'मुी अिछ। ओ एकटा ेंच िफम सेहोबनउलिथ, मुदा िचक अथर् बुझबा आबुझेबा मे सब बेर असफल भेलिथ।िवको तखनो हार निह मानलिथ, ओ1994 मे एकटा िविडयो िफम 'िमिथलापेंटरस... बनौलिथ, मुदा नव िकछु निहकिह पाओलिथ। आइ िथित एहन भचुकल अिछ जे समाजक सब लोक इबुझबा मे लागल अिछ जे आिखर इपरंपराक कोन वतुक बारे मे िथक।एिह िचकलाक संबंध मे सबसँलोकिय ोत िवकोक 1977 मे छपलिकताब' द वीमेंस पेंटर ऑफ िमिथला...अिछ। जखन िकयो एिह पुतकक एक-एक टा िच कए गौर स देखैत अिछआ ओकर रूपरेखा कए पढ़ैत अिछ तओकर सामना एकटा आशचयर्जनक,अुत आओर लगभग असंभव सन तीतहोइवाला संसार स होइत अिछ।िवको िलखैत छिथ जे िमिथलासमाज मे मुख्यपा मिहला छिथ आ एिहठाम पुरुषक भरमार अिछ। एिह ठामयुवती हमउ युवक स िववाह करबालेल तरह-तरह स यास करैतछिथ।(1977, पृ- 17)।िवको एिह गप कए बाजारू आओररोचक बनबैत आगू िलखने अिछ जेिमिथला मे एकटा युवती अपना लेलसुयोग्य युवक कए चुनैत अिछ आिववाहक ताव वरूप ओकर सामनेकोहबर रखैत अिछ ।(1977, पृ-17)। ओ लोक जे िमिथला कए नीकजेकाँ निह िच हला अिछ, हुनको इवाक्य पढ़लाक बाद आर्चयर् हेित न जेिवको केना िमिथला समाज केँ अतेकचिरहीन बना देलिथ। इ अुत मुदासय सन आलेख कए पढ़लाक बादएहन तीत होइत अिछ जे िवकोकेँ कएएहन अनुवादक भेटलिह जेकरा िमिथलासमाज, संकृित आ सयता स कोनोवाता निह रहैन, संगिह हुनकािमिथलाक िरित-िरवाज आ लोकाचार तककेर ज्ञान निह रहैन। सच पूछु तअनुवादकलेल िवको मा टका देिनहारिवदेशी छलाह। ओना देखल जाए तिवको क इ िकताब एिह िवषय परिलखल गेल पिहल अथवा आिखरीिकताब निह िथक। इ पुतक एिह लेलमहवपूणर् भ गेल अिछ, िकराक िकिमिथला िचकला पर शोध केिनहारअिधकतर िवान एिह पुतक सभािवत छिथ। एतबा धिर िक भारतीयिवान उपें ठाकुर तक अपन िकताब मेिवको क नजिरया कए नजरअंदाज निहकेलिथ अिछ। िवको क एिह िकताब कमहव पर ाउनक कहब अिछ जेपिमक िवान जखन कोनो िवषय परकाज शुरू करैत छिथ तखन ओिहिवषय पर िलखल गेल पूवर्क िकताब सकाफी भािवत होइत छिथ। िमिथलािचकलाक संग सेहो िकछु एहने भेल।अिधकतर िवान िवकोक रूप-रेखा सेरणा लेलिथ, िकछु त हुनकर नकलतक कैलिथ। तािह लेल इ अयपुतक बेसी महवपूणर् भ जाइत अिछ।दोसर इ जे िवको बहुत िदन धिर एिहिवषय पर काज केलिथ अिछ आ कईकार स एकरा दुिनयाक समक्ष अनलिथअिछ, एहन मे िवदेशी िवान लेल हुनकानजरअंदाज करब किठन रहल अिछ।एिह कारे िवको मक आओर सवर्थागलत तरीका स अनुवाद कए झूठ केँएकटा सय सँ बेसी सय रूप मेथािपत केलिथ अिछ। ओना अिधकतरिवदेशी िवानक कहब अिछ जे िमिथलासमाज िवक सबस चिरवान समाज मेस एक अिछ। एकर संकृितक संबंधमे ाख्यात िचिकसक डॉ कैमेल ककहब अिछ जे आइ 'जीन (अणु) कसंबंध मे दुिनया भिर मे शोध भ रहलअिछ, जखनिक िमिथला मे पंजीयवथा ओकरे एकटा रूप अिछ।िमिथलाक ाण आ कणर्कायथ लगएखनो बीस-बीस पीिढक़ जानकारीउपलध अिछ।िवको कए शायद इ निह बताउलगेल िक िमिथला मे युवितक िववाहपंजीकारक राय स तय कैल जाइतअिछ। युवितक इच्छा एिह ठाम कोनोमायने निह रखैत अिछ। एिह तय कएाउन बहुत साफ तौर पर रखने छिथ।ाउन कहैत छिथ जे ओ िमिथलावासक दौरान पंजीक िविधवत िशक्षा लचुकल छिथ। ओ एिह गप कए सेहोसाफ करबाक यास केलिथ अिछ जेिमिथला मे किहयो युवित केँ पितचुनबाक अिधकार निह रहल अिछ।सीताक संबंध मे सेहो ाउनक मतप अिछ। ओ कहैत छिथ जेसीताक वयंवर निह छल ओ एकटासशतर् िववाह छल। इ सच अिछ जेओिह िववाह मे पंजीक कोनो यवथानिह छल, मुदा धणुष रामक बदला मेरावण उठा लैत त िक सीताक इच्छारिहतो राम सँ िववाह संभव छल?सीताक इच्छा हुनक िववाह मे कोनोमायने निह रखैत छल। ाउल इ तकर्देलाक बाद आिखरी फैसला िमिथलाकलोक पर छोड़ैत कहैत छिथ जे हमरएिह मत स शायद िमिथलाक लोकसहमत निह हेताह। वैकसेनेलक शद मेकहल जा सकैत अिछ जे िमिथलािचकला एकटा आँिखक भाँित अिछ जेसमयक संग-संग अपना कए बदलैत‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्94


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्रहल अिछ, मुदा अपन मूल िसांत सकखनो समझौता निह केलक अिछ। इकला जगतक एकटा अुत औजारअिछ जेकरा स कलाकार अपनसमाजक संग-संग पूरा िवक गुढ़ गपआ रीित-िरवाज कए िचक मायम सतुत करैत आइल अिछ।(1972,पृ-38) जे िकछु होअए एतबात अवय भेल अिछ जे िमिथलाकसंकृित केँए दुिनयाक सामने सवर्थागलत तरीका स पिरभािषत कएल गेलअिछ। आइ िमिथला िचकलाअिधकतर एहन िच बनाओल जा रहलअिछ, जेकर एतुका संकृित स कोनोलेनादेना निह अिछ। आवयकता अिछएिह िच क गंभीरता स शोध करबाकआ एकर अथर्क अिधकता कए समातकरबाक, निह त इ िच हरदम लेलहमरा लोकिनक अज्ञानताक ोतक बनलरहत।डॉ. देवशंकर नवीन (१९६२- )ओ ना मा सी (ग-प िमित िहदी-मैिथलीक ारिभक सजर्ना), चानन-काजर (मैिथली किवता संह), आधुिनक (मैिथली)सािहयक पिरदृय, गीितकाय के रूप में िवापित पदावली, राजकमल चौधरी का रचनाकमर् (आलोचना), जमाना बदल गया, सोनाबाबू का यार, पहचान (िहदी कहानी), अिभधा (िहदी किवता-संह), हाथी चलए बजार (कथा-संह)।सपादन: ितिनिध कहािनयाँ: राजकमल चौधरी, अिग्ननान एवं अय उपयास (राजकमल चौधरी), पथर के नीचे दबे हुएहाथ (राजकमल की कहािनयाँ), िविचा (राजकमल चौधरीक की अकािशत किवताएँ), साँझक गाछ (राजकमल चौधरी मैिथलीकहानीयाँ), राजकमल चौधरी की चुनी हुई कहािनयाँ, बद कमरे में कगाह (राजकमल की कहािनयाँ), शवयााक बाद देहशुि,ऑिडट िरपोटर् (राजकमल चौधरी की किवताएँ), बफर् और सफेद क पर एक फूल, उर आधुिनकता कुछ िवचार, साव िमशन(पिका)क िकछु अंकक सपादन, उदाहरण (मैिथली कथा संह संपादन)।—स पादकअदी पेनकँ मजगुतकरबाक आव यकतािमिथलाक सांकृितक िवरासततकैत दूर धिर नजिर जाइत अिछ,सबसँ पिहने देखाइत अिछ जे उच्चिशक्षा ात करबाक, गभीर िचतन-मननकरबाक, छोट-सँ-छोट बात पर पयतिवचार-िवमशर् करैत िनणर्य लेबाक थािमिथलामे पुरातन कालसँ अबैत रहैतरहल अिछ। मुदा तकर अितिरक्तÖपरसुख देबामे परमसुख'क आनदलेबाक आ जीवनक हरेक आचार एवंआचरणमे लयाित रहबाक अयासमैिथल जनकेँ िनकेनाँ रहलिन अिछ।वयं क सिहओ क', अपन सब िकछुगमाइओ क', दोसरकेँ अिधकसँ अिधकसता देबाक आदित िमिथलामे बड़पुरान अिछ। ायः इएह कारण िथक जेअितिथ सकारमे िमिथलाक लोक अपनाघरक थाड़ी-लोटा धिर बहकी रािखदेलिन। दोसरकेँ समान देबामे मैिथलनागिरक बिढ़-चिढ़ कए आगू रहलअिछ। भनिसयाक काज कर'बलायिक्तकेँ महराज अथवा महरािजन,केस-नह-दाढ़ी-मॲछ साफ कर'बलायिक्तकेँ ठाकुर-ठकुराइन, घर-आँगनमेनौरी-बिहिकरनी आ सोइरी घ'रमेपरसौतीक काज करबाब'वाली ाकेँदाय किहक' सबोिधत करबाक थािमिथलामे एहने धारणासँ रहल होएत।यान देबाक िथक जे िमिथलामे दादीकेँ,जेठ बिहनकेँ आ घ'रक अयिधक दुलािरबेटीकेँ दाय कहबाक परपरा अिछ।अययन, िचतन, मननक थािमिथलामे बड़ पुरान अिछ। मुदा ईसय िथक जे अिशक्षेक कारणेँ िमिथलाएतेक पछुआएलो रहल। गनल गूथल जेयिक्त अययनशील भेलाह, सेअयिधक पढ़लिन, जे निह पिढ़ सकल,से अपन रोजी-रोटीमे लागल रहल।रोजी-रोटीक एक माा आधार कृिषछल। िवान लोकिनक गभीर बहसमेबैसबाक अथवा ओिहमे िहसा लेबाकतकर्शिक्त, बोध-सामयर्, आ पलखित रहैनिह छलिन, तेँ जे उपदेश देल जाइन,तकरा आषर् वाक्य मािन अपन जीवन-यापनमे मैिथल लोकिन तलीन रहैछलाह। ईश भिक्तक था अहू कारणेंिमिथलामे दृढ़ भेल। मानव सयताकइितहास कहै'ए जे कृित-पूजन, नदी-पहाड़-भूिम-वृक्ष-पशु आिदक पूजन एिहकरणेँ शुरुह भेल जे ारिभक कालमेजीवन-रक्षाक आधार इएह होइत छल।लोक <strong>अनुम</strong>ान लगौलक जे सृिककारण, ी-पुरुषक जननांग िथक, तेँ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्95


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्ओ िलंग पूजा आ योिन-पूजा शुरुहकेलक, जे बादमे िशविलंग आ कामयोिनपूजाक रूपमे चिलत भेल। बादमेऔजार पूजन होअए लागल।... तें पूजापाठमे लीन हेबाक था पुरान अिछ।िमिथलामे ओिह समत पूजन-पितकअनुपालन तँ होइते रहल; िपतर पूजा,ामदेव पूजा, ऋतु पूजा, फसल पूजा,कुलदेव-देवी पूजा आिदक था बढ़ल।हमरा जनैत िवान लोकिन ारा ईशभिक्तक उपदेश एिह लेल देल जाइतरहल हएत जे ईश भिक्तमे लागल लोकधमर्-भयसँ सदाचार अनुपालनमे लागलरहत, सृिमे लीन रहत, सामािजकमयदाक यान राखत, भुजबल-धनबलकमदमे िनबर्ल-िनधर्न पर अयाचार निहकरत।...लयपूितर् त' निहएँ भेल, उनटेलोक धमर्भीरु, पाखडी अधिवासी आिनरतर लोभी, वाथ, अयाचारी होइतगेल, पिरणामवरूप आजुक मैिथल-वृिहमरा सभक सोझाँ अिछ।कृिष जीवनसँ समाजक कौटुिबकबहन एते मजगुत छल, जे भूिमहीनोयिक्त सपूणर् िकसानक दज पबै छल।हरेक गाममे सब वृिक लोक रहैछल। डोम, चमार, नौआ, कुमार,गुआर, धोिब, कुहार, कोइरी, बाण,क्षाी... आिद समत जाितकउपिथितसँ गाम पूरा होइ छल।जमीदार लोकिन समत भूिमहीनकेंजागीर दै छलाह, बाण पुरिहताइ करैछलाह, नौआ केश कटै छलाह; कुमारह'र-फार, चौकी केबाड़ बनबै छलाह;धोिब कपड़ा-बतर धोइ छलाह...।सपूणर् समाज एक पिरवार जकाँ चलैछल। सब एक दोसरा लेल जीबैछलाह, सब गोटए िकसान छलाह, कृिष-सयतामे मत छलाह।िसरपंचमी िदनक ह'र-पूजा हो;दसमी, दीया-बाती, सामा-चकेबाक उसवहो; मूड़न-उपनयन-िववाह-ा हो; छिठअथवा फगुआ हो... िबना सवर्जातीय,सवर्वृीय लोकक सहभाग नेने कोनोकाज पूर निह होइ छल। एिहमेसँ बहुतबात तँ एखनहुँ बाँचल अिछ, होइत अिछओिहना, ओकर येय कतहु लुत भ'गेल अिछ।िमिथलाक िववाहमे एखनहुँ जा धिरनौआ ब'रक कानमे हुनकर खानदान लेलगािर निह देताह (पिरहास लेल); धोिबनअपना केस संगें किनयाँक केस धो क'सोहाग निह देतीह, िववाह पूणर् निहमानल जाइत अिछ। यान देबाक िथकजे एिह तरहेँ ओिह नौआकेँ कयाकिपता आ धोिबनकेँ कयाक माइक ओहदादेल जाइत अिछ। िमिथलाक छिठपाबिन तँ अुत रूपेँ सपूणर् िवरासतकरक्षा क' रहल अिछ। नदीमे ठाढ़ भ'कए सूयर्केँ अघर् देबाक ई था जाित-धमर् समभावक सुरक्षा एना केने अिछ जेसमाजक कोनहुँ वगर्क सहभागक िबना ईपाबिन पूणर् निह होएत। नेत अइ स'बटामे एकता आ समानताक सू थािपतरखबाक रहैत छल। ई कलंकवातयोरकालीन िमिथलाक वाधीनमानवक नाम अथवा वैज्ञािनक िवकास,बौिक उित, औोिगक गितक माथजाइत अिछ, जे समत िवकासक अछैतमानव-मनमे लोभ-ोह, अहंकार एिह तरहेंभरलक छूआछूत, जाित-ेष, शोषण-उपीड़न बढ़ैत गेल; आ आइ िमिथला-समाज, जे याग, बिलदान, ेम, सौहादर्लेल ख्यात छल, सामािजक रूपें खड-खड भेल अिछ। पैघसँ पैघ आपदा,िवभीिषका ओकरा एक ठाँ आिन कए,एकमत निह क' पबै'ए। िमथलाकउदारता आ सामािजकता ई छल जेककरो बाड़ी-झारीमे अथवा ली-फीमेअथवा कलम-गाछीमे नव साग-पात, तर-तरकारी, फूल-फल होइ छल तँ सभसँपिहने ामदेवक थान पर आ पड़ोिसयाकआँगनमे पहुँचाओल जाइ छल; कोनोफिसल तैयार भेलाक बाद आगॲ-रािशकोनो परगोी देल जाइ छल; खेतमेफिसल कटबा काल खेतक हरेकटुकड़ीमे एक अंश रखबारकेँ देल जाइछल...ई समत बात सामािजक सबध-बधक मजगूतीक उदाहरण छल।कोनो स'र-कुटुमक ओतएसँ कोनोवतु सनेसमे आबए, तँ ओ सॱसे टोलमेलोक िबलहै छल।...कहबा लेल किहसकै छी जे ई मैिथलजनक जीवनकनाटकीयता आ शंसा हेतु लोलुपतारहल होएत... मुदा तकर अछैत एिहपित आ परपराक ेता आसामािजक मूय हेतु एकर आवयकतासँमुँह निह मोड़लजा सकैत अिछ। गाममे कोनोबेटीक दुरागसनक िदन तय होइ छल,तँ बेटीक सासुरसँ आएल िमठाइ भिरगाममे िबलहल जाइ छल। तापयर् ईहोइ छल जे भिर गामक लोक बूिझजाए, जे ई बेटी आब अइ गामसँ चलजाएत। ओिह बेटीकेँ भिर गामक लोकधन-िव-जाितसँ परे, ओिह बेटीकेँ अपनाघ'रमे एक साँझ भोजन करबै छल।सब िकछुक लयाथर् गुत रहै छल।एकर अथर् ई छल, जे सपूणर् गामअपन-अपन थाड़ी-पीढ़ी देखा कए ओिहबेटीकँ िववेककेँ उु करै छल जे बेटी!आब तॲ ई गाम, ई कुल-वंश छोिड़ आनठाम जा रहल छह, हमरा लोकिन अपनशील-संकृितक ज्ञान तोरा देिलयहु,सासुर जा कए, ओतुा शील-संकारदेिख कए अपन िववेकसँ चिलह', आअपन गाम, अपन कुल-शीलक िताबढ़िबह'। इएह कारण िथक जे पिहनेकोनो बेटीक दुरागमनक िदन पैघअतराल द' कए तय होइ छल। मुदाआब ई िरवाज एकटा औपचािरकता बिनकए रिह गेल अिछ; गामक बेटीकें अपनबेटी मािनते के अिछ?िमिथलामे कोनो ी संगें भैंसुर आमिमया ससुरक वातलाप, भेंट-घाँटविजर्त रहल अिछ, एते धिर जे दुनूमेछूआछूतक था अिछ। आधुिनकसयताक लोक एकरा पाखड घोिषतकेलिन। पिरिथित बदलै छै, त'मायताक सदभर् बदिल जाइ छै, सेिभ बात; मुदा एिह थाकेँ पाखडकहिनहार लोककेँ ई बुझबाक िथक जेई था एिह लेल छल, जे एिह दुनूसबधमे समवयकी हेबाक सभावनाबेसी काल रहै छल। संयुक्त पिरवारकथा छल, कखनहुँ कोनो अघट घिटसकै छल। ई वजर्ना एकटा िशाचारिनवर्हरण हेतु पैघ आधार छल। ायःइएह कारण िथक जे िववाह कालमेघोघट देबा लेल ाथिमक अिधकार अहीदुनू सबधीय यिक्तकेँ देल जाइ छिन।जािह ीकेँ केओ भैंसुर अथवा मिमया‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्96


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्ससुर निह छिन, हुनकिह टा ससुरथानीय कोनो आन यिक्त घोघट दैछिन। घोघट देबाक ियामे कतेकनैितक बहन रहैत अिछ, से देखू, जेसकल समाजक समक्ष भैंसुर, नविववािहत भावहुक उघार माथकेँ नवनूआसँ झाँपै छिथ आ बगलमे ठाढ़ ब'रओिह नूआकेँ घीिचकए माथ उघािर दैतअिछ, ई िया तीन बेर होइत अिछ,अितम बेर माथ झाँपले राखल जाइतअिछ। अथत् , सकल समाजक समुखओ यिक्त ितज्ञा करैत अिछ--हे शुभे!हम, तोहर भैंसुर (ससुर) ण लैत छी,जे जीवन पयर्त तोहर लाजक रक्षाकरब! एते धिर जे अिग्न, आकाश,धरती, पवनकेँ साक्षी रािख जे यिक्ततोरा संग िववाह केलकहु अिछ, सेहोजखन तोहर लाज पर आमण करतहु,हम तोहर रक्षा लेल तैयार रहब!अही तरहेँ उपनयनमे आचायर्, बा,केस नेिनहािर, भीख देिनहािर, डोम,चमार, नौआ, धोिब, कमार, कुहारआिदक भागीदारी; आ एहने कोनो आनउसव, संकारमे सामूिहक भागीदारीसामािजक अनुबधक तािकर्क आधारदेखबैत अिछ।कहबी अिछ जे मैिथल भोजन भहोइ छिथ। अइ कहबीक त'हमे जाइ तँओतहु एकर सांकृितक, पारपरिक सूाभेटल। िमिथलाक ाी, खाहे ओकोनहु जाित-वगर्क होिथ, तीण ितभाकवािमनी होइत रहल छिथ। मुदा परदाथाक कारणें हुनकर पैर भनसा घरसँल' क' अँगनाक डेरही धिर बाहल रहैछलिन। अिधकांश समय भनसे घरमेिबतब' पड़िन। सृजनशील ितभािनित बैस' निह दैन। की किरतिथ!भोजनक िवयासमे अपन समय आितभा लगब' लगलिथ। आइयो भोजनकजतेक िवयास, तीमन-तरकारीक जतेककोिट, चटनी आ अचारक जेतक िवधानिमिथलामे अिछ, हमरा जनैत देशककोनहुँ आन भागमे निह होएत।वनपितजय औषिधकेँ सुवादु भोजनबनएबाक था सेहो िमिथलामे सविधकअिछ।... आब जखन एते कारकभोजन ओ बनौलिन, तँ उपयोग कतएहैत?... घरक पुरुष वगर्केँ खोआओलजाएत। सवर्दा एिहना होइत रहल अिछ,जे कोनो ियाक िवकृित चािरत भ'जाइत अिछ, मूल तव गौण रिह जाइतअिछ। मैिथल पेटू होइत अिछ, से सबजनै'ए, मुदा िमिथलाक ीमे िवलक्षणसृजनशीलता रहलैक अिछ, से बात कमचािरत अिछ। जे ी कामकाजी होइछलीह, खेत-पथार जा कए शरीर मकरै छलीह, गामक बाबू बबुआनक घर-आँगन नीपै, लेबै छलीह, ितनकहुकलामक कौशल हुनका लोकिनककाजमे देखाइ छल।ी जाितक कला-कौशलकमनोिवज्ञानक उकषर् तँ एना देखाइ अिछजे हुनका लोकिनक उछाह-उलासधिरमे जीवन-यापनक आधार आ घर-पिरवारक मंगलकामना गुिफत रहै छल।जट-जिटन लोक नािटका िवशु रूपसँकृिष कमर्क आयोजन िथक, जेअनावृिक आशंकामे मेघक आवाहनलेल होइ छल, होइत अिछ; सामा भसेबाकाल गाओल जाइबला गीतमे सब ीअपन पािरवािरक पुरुष पााकवायक कामना करै छिथ; िववाहउपनयनमे अपिरहायर् रूपें वृक्ष पूजा(आम, महु), नदी पूजा, कृित पूजाआिद करै छिथ। िविभ वृिक लोककअिधकार क्षे पर नजिर दी, तँ नौआ,कमार, कुहार, डोम, धोिब... सबहकवािमव िनधिरत रहैत आएल अिछ।जािह गाम अथवा टोल पर िजनकरवािमव छिन, हुनकर <strong>अनुम</strong>ितक िबनाकेओ दोसर वेश निह क' सकैछलाह। ई लोकिन आपसी समझौतासँअथवा िनलामीसँ गामक खरीद-िबी करैछलाह। एिह यवहारमेजजमानक कोनो भूिमका अथवादखल निह होइ छल।हतकलाक कुटीर उोग एतेकसप छल, जे सामािजक यवथामेसब एक दोसरा पर आित छल। सूप,कोिनयाँ, पिथया, बखाड़ी, घैल, छाँछी,सरबा, पुरहर, मौनी, पौती, जनौ, चरखा,लदहा, बरहा, गरदामी, मुखारी, उघैन,कराम, खाट, सीक, अिरपन... सबिकछु लुताय भ' गेल। एते धिर जे ईशद आ िया अपिरिचत भेल जा रहलअिछ। ढोिन केनाइ, भौरी केनाइ, केनकेनाइ, पस'र चरेनाइ, िझैर खेलेनाइसन िया, आ सुठौरा, हरीस, लागन,बरेन, जोती, कनेल, पालो, चास, समार,फेरा, पचोटा, ढोिस, करीन सन शदआब आधुिनक सािहयोमे कमे कालअबै'ए।िमिथलाक एहेन िवलक्षण िवरासत--कला, संकृित आ जीवन-यापन पितकउकृ उदाहरण सभावनािवहीनभिवयक कारणेँ आ सामािजक कटुताककारणेँ हेराएल जा रहल अिछ। नवीनिशक्षा पितसँ सामािजक जागृित बढ़ल,मुदा ओिह जागृितक समक्ष ठाढ़ भेलवैज्ञािनक िवकास आ आिथर्कउदारीकरणक भावमे अहंकारत समृलोककँ लोलुपता आ क्षु वृि। संघषर्जायज छल। अपन पारपिरक वृि आहतकलामे, पुतैनी पेशामे लोककें अपनभिवय सुरिक्षत निह देखेलै। Öरंगउड़ल मुरूत' कथामे मायानद िम आÖरमजानी' कथामे लिलत िमिथलाकपरपरा पर आघात देखा चुकलछिथ।...ख'ढ़क घर आब होइत निह अिछ,घरामीक वृि एिहना चल गेल। सीक'कयोजन, खाटक योजन समात भ'गेल, बचल-खुचल माल-जाल लेल नाथ-गरदामी आब लािटकक बनल-बनाएलडोिरसँ होअए लागल, बच्चाक खेलौनालािटकक होअए लागल। नौआ,कमार, धोिब, डोमक जागीर आपस लेलजा लागल। ओ लोकिन अपन पुतैनीपेशा छोिड़ आन-आन नोकरी चाकरीमेजाए लगलाह। ी जाित आब भानसकरबा लेल िकताब पढ़ए लगलीह, फाटफूड खएबाक था िवकिसत भेल।िमिथला पेंिटंगकें आफसेट मशीन परछपबा कए पूँजीपित लोकिन री-ोडक्शनबेच' लगलाह। जट-जिटन आ सामा-चकेबाक खेलक िविडयोाफी देखाओलजाए लागल। गोनू झा, राजा सलहेस,नैका बिनजारा, कारू िखरहिर,लोिरकाइिन आिदक कथा छपा कए िबीहोअए लागल, टेप पर रेकॉडर् क' कए,अथवा सी.डी.मे तैयार क' कए, री-‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्97


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्िमक्ससँ ओकर मौिलकतामे फेंट-फाँटक' कए लाक सुन' लागल, आ एकराअपन बड़का उपलिध घोिषत कर'लागल। ... अथत् जे लोककलालोकजीवनक संग िवकिसत आ पिरविर्तहोइ छल, तकर अिभलेखनसँ(डकुमेटेशन) ओकरा िथर कएल जालागल। लोकजीवनक संग अिवरलवािहत रहैबाली सांकृितक-धारा आबअिभलेखागारमे बद रहत, ओकरिवकासक सभावना थिगत रहत।अइ समत वृिमे जुड़ल लोककेंसमािनत जीवन जीबै जोगर वृि द'कए एकर िवकासमान ियाकें आओरतीवर् करबाक आवयकता छलै, मुदाजखन िमिथलाक लोके ओ Öलोक' निहरिह गेल अिछ, तखन लोक-संकृित आलोक-परपराक रक्षा के करत?धम िवलजम िवम सवत २०२३-१२-०४, बतीपुर िसरहा,िशक्षा: एम ए(मैिथली/राजनीितशा), िडलोमा ईन डेभलपमेट जनिलम, कािशत कृित : एक समयक बात (िव स २०६१ मैिथली हाईकुसंह ), रता तकैत िजनगी (िव स २०५०/ किवता संह ),एक सृि एक किवता (२०५७/दीघर् किवता ),हमर मैिथली पोथी(कक्षा 1 सं ५ धिरक पाठय पुतक),सित: सभापित, नेपाल पकार महासंघ—स पादकिकछु छॱक१) बदनामी–ेम आ िसनेहकेँसरेबजारिनलाम निह करूगौरवमय इितहासकेँएना बदनाम निह करू ।२) िवज्ञापनजािन निहआदमीक जंगलमेहम कतयहेरा रहल छीअखवारक ढ़ेरमेहम िजनगीक िवज्ञापनतािक रहल छी ।३) इजतखुलेआम इजतिबका रहल अिछदाम दऽझट कीिन िदअजिद करूटोक सीिमत अिछ ।‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्98


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्धीरे ेमिषर् (१९६७- )मैिथली भाषा, सािहय, कला, संकृित आिद िविभ क्षेक काजमे समान रूपेँ िनरतर सिय यिक्तक रूपमे िचहल जाइत छिथधीरे ेमिषर्। िव.सं.२०२४ साल भादब १८ गते िसरहा िजलाक गोिवदपुर-१, बतीपुर गाममे जम लेिनहार ेमिषर्क पूणर् नामधीरे झा िछयिन। सरल आ सुप भाषा-शैलीमे िलखिनहार ेमिषर् कथा, किवताक अितिरक्त लेख, िनबध, अनुवाद आपकािरताक मायमसँ मैिथली आ नेपाली दुनू भाषाक क्षेमे सुपिरिचत छिथ। नेपालक कूली कक्षा १,२,३,४,९ आ १०क ऐिच्छकमैिथली तथा १० कक्षाक ऐिच्छक िहदी िवषयक पायपुतकक लेखन सेहो कएने छिथ। सािहियक थमे िहनक एक सपािदतआ एक अनूिदत कृित कािशत छिन। ेमिषर् लेखनक अितिरक्त सीत, अिभनय आ समाचार-वाचन क्षेसँ सेहो सब छिथ।नेपालक पिहल मैिथली टेिलिफम िमिथलाक यथा आ ऐितहािसक मैिथली टेिलृला महाकिव िवापित सिहत अनेक नाटकमेअिभनय आ िनदशन कऽ चुकल ेमिषर्केँ नेपालसँ पिहलबेर मैिथली गीतक कैसेट किलयुगी दुिनया िनकालबाक ेय सेहो जाइतछिन। िहनक वर सीतमे आधा दजर्नसँ अिधक कैसेट एलबम बाहर भऽ चुकल अिछ। काितपुरसँ हेलो िमिथला कायर्मतुत कत जोड़ी रूपा-धीरेक धीरेक अबाज गामक बच्चा-बच्चा िचहैत अिछ। “पलव” मैिथली सािहियक पिका आ“समाज” मैिथली सामािजक पिकाक—स पादकमैिथलीमे गजल आ एकरसंरचनारूप-र एवं चािल-कृित देखलापरगीत आ गजल दुनू सहोदरे बुझाइतछैक। मुदा मैिथलीमे गीत अित ाचीनकायशैलीक रूपमे चलैत आएल अिछ,जखन िक गजल अपेक्षाकृत अयतनवीन रूपमे। एखन दुनूकेँ एकठामदेखलापर एना लगैत छैक जेना गीत-गजल कोनो कुभक मेलामे एक-दोसरासँिबछुिड़ गेल छल। मेलामे भोितआइत-भासैत गजल अरबिदस पहुँिच गेल।गजल ओहरे पलल-बढ़ल आ जखन बेसजुआन भऽ गेल तँ अपन िबछुड़लसहोदरकेँ तकैत गीतक गामिमिथलाधिर सेहो पहुँिच गेल। जखनदुनूक भेट भेलैक तँ िकछु समय दुनूमेअपिरचयक अवथा बनल रहलैक।िमिथलाक मािटमे पोसाएल गीत एकराअपन जगह कजा करऽ आएलितदीक रूपमे सेहो देखलक। मुदाजखन दुनू एक-दोसराकेँ लगसँ िहयाकऽदेखलक तखन बुझबामे अएलैक-आिह रेबा, हमरासभमे एना बैर िकएक, हम दुनूतँ सहोदरे छी! तकरा बाद िमिथलाकधरतीपर डेगसँ डेग िमला दुनू पूणर्ातृव भावेँ िनरतर आगाँ बढ़ैत रहलअिछ।गीत आ गजलक वरूप देखलापरदुनूक वभावमे अपन पोसुआ जगहकथानीयताक असिर पूरापूरा देखबामेअबैत अिछ। गीत एना लगैत छैक जेनारिबरी फूलकेँ सैँितकऽ सजाओलसेजौट हो। िमिथलाक गीतमे काँटोसनबात जँ कहल जाइछ तँ फूलेसनमोलायम भावमे। एकरा हम एहू तरहेँकिह सकैत छी जे गीत फूलकलतमारापर चलबैत लोककेँ भावकऊँचाइधिर पहुँचबैत अिछ। एिहमेिमिथलाक लोकयवहार एवं मानवीय भावमुख भूिमका िनवह करैत आएलअिछ। जािह भाषाक गािरयोमे िरदम आमधुरता होइत छैक, ओिह भूिमपरपोसाएल गीतक वरूप कटाह-धराहभइए निह सकैत अिछ। कही जे गीतमेतँ लालीगुराँसक फूलजकाँ ओ ताकतिवमान छैक जे माछ खाइत काल जँगऽरमे काँट अटिक गेल तँ तकरोगलाकऽ समात कऽ दैत छैक।गजलक बगय-बािन देखबामे भलिहगीतेजकाँ सुरेबगर लगैक, एिहमे गीतसननरमाहिट निह होइत छैक। उसराहमरुभूिममे पोसाएल भेलाक कारणेगजलक वभाव िकछु उसठ होइतछैक। ई कर इलामीसभक सितमेबेसी रहल अिछ, तेँ एकर वभावमे“जब कुछ न चलेगी तो ये तलवारचलेगा” सन तेज तेवरबेसी देखबामेअबैत छैक। यिप गजलकेँ ेमकअिभयिक्तक सशक्त मायम मानलजाइत छैक। गजल किहतिहँदेरी लोककमन-मितकमे ेममय माहौल नािच उठैतछैक, एिह बातसँ हम कतहु असहमतनिह छी। मुदा गजलमे ेमक बात सेहोबेस धरगर अदाजमे कहल जाइतछैक। कहबाक तापयर् जे गजलतरुआिरजकाँ सीधे बेध दैत छैकलयकेँ। लाइलपटमे बेसी निह रहैत‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्99


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्छैक गजल। िमिथलाक सदभर्मे गीतआ गजलक एिह तरहेँ जँ अतरदेखबऽ चाही तँ ई कहल जा सकैतअिछ जे गजल फूलक क्षेपणपयर्ततरुआिरजकाँ करैत अिछ, जखन िकगीत तरुआिर सेहो फूलजकाँ भँजैतअिछ।मैिथलीमे संख्यामक रूपेँ गजलआनिह िवधाजकाँ भलिह कम िलखलजाइत रहल हो, मुदा गुणवाक दृिएँई िहदी वा नेपाली गजलसँ कतहुकनेको झूस निह देखबामे अबैत अिछ।एकर कारण इहो भऽ सकैत छैक जेिहदी, नेपाली आ मैिथली तीनू भाषामेगजलक वेश एिह मुहूर्मे भेल छैक।गजलक ीगणेश करौिनहार िहदीकभारतेदु, नेपालीक मोतीराम भ आमैिथलीक पं. जीवन झा एिहकालखडक ासभ छिथ।मैिथलीयोमे गजल आब एतबािलखल जा चुकल अिछ जे एकरसंरचनाक मादे िकछु कहनाइ िदनिहमेिडिबया बारबजकाँ लगैत अिछ। एहनोमेयदाकदा गजलक नामपर िकछु एहनोपाँितसभ पपिकामे अभिर जाइतअिछ, जकरा देखलापर मोन िकछुझुझुआन भइए जाइत छैक।कतेकोगोटेक रचना देखलापर एहनोबुझाइत अिछ, जेना ओलोकिन दू-दूपाँितवला तुकबदीक एकटा समूहकेँगजल बूझैत छिथ। हमरा जनैतओलोकिन गजलकेँ दूरेसँ देिखकऽ ओिहमेअपन पािडय छाँटब शुरू कऽ दैतछिथ। जँ मैिथली सािहयक गुणधमर्केँआमसात कऽ चलैत कोनो यिक्तएकबेर दू-चािरटा गजल ढसँ देिखिलअए, तँ हमरा जनैत ओकरामे गजलकसंरचनाित कोनो तरहक ििवधा निहरिह जएतैक।तेँ सामायतः गजलक सबधमे नविजज्ञासुक लेल जँ िकछु कहल जाए तँिवना कोनो पािरभािषक शदक योगकएने हम एिह तरहेँ अपन िवचार राखऽचाहैत छी- गजलक पिहल दू पाँितकअयानुास िमलल रहैत छैक। अितमएक, दू वा अिधक शद सभ पाँितमेसिझया रहलहुपर साझी शदसँ पिहनुकशदमेअनुास वा कही तुकबदी िमललरहबाक चाही। अय दू-दू पाँितमे पिहलपाँित अनुासक दृिएँ वच्छद रहैतअिछ। मुदा दोसर पाँित वा कही जेपिछला पाँित थायीवला अनुासकेँपछुअबैत चलैत छैक।ई तँ भेल गजलक मुह-कानकसंरचनासबधी बात। मुदा खािल मुहेँ-कानपर यान देल जाए आ ओकर कयजँ गोिङआइत वा बौआइत रिह जाए तँदेखबामे गजल लिगतो यथाथर्मे ओगीजल भऽ जाइत अिछ। तेँतुितकरणमे िकछु रहय, िकछुरोमाचक स समधानल चोटजकाँगजलक शदसभ ताल-मााक वाहमयसाँचमे खचाखच बैसैत चिल जएबाकचाही। गजलक पाँितकेँ अथर्वाकिहसाबेँ जँ देखल जाए तँ किह सकैतछी जे हऽरक िसराउरजकाँ ई चलैतचिल जाइत छैक। हऽरक पिहलिसराउर जािह तरहेँ धरतीक छातीचीिरकऽ ओिहमे कोनो चीज जनमाओलजा सकबाक आधार दान करैत छैक,तिहना गजलक पिहल पाँित कपना वािवषयवतुक उठान करैत अिछ, दोसरपाँित हऽरक दोसर िसराउरककायर्शैलीक अनुकरण करैत पिहलमेखसाओल बीजकेँ आवयक मामे तोपनदऽकऽ पुनः आगू बढ़बाक मागर् शकरैत अिछ। गजलक येक दू-पाँितअपनहुमे वत रहैत अिछ आ एक-दोसराक स तादाय थािपत करैतसममे सेहो एकटा िविश अथर् दैतअिछ। एकरा दोसर तरहेँ एहुना कहलजा सकैत अिछ जे गजलक पिहल पाँितकनसारसँ िनकालल लालोलाल लोहरहैत अिछ, दोसर पाँित ओकरा िनिदर्आकारिदस बढ़एबाक लेल पड़ऽ वलाघनक समधानल चोट भेल करैत अिछ।‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्100गीतक सृजनमे िसहत मैिथलसभथोड़े बगय-बािन बुिझतिहँ आसानीसँगजलक सृजन करऽ लगैत छिथ।सभवतः तेँ आरसीसाद िसंह,रवीनाथ ठाकुर, डॉ महे, माकर्डेयवासी, डॉ. गेश गुन, डॉ. बुिनाथिम आिद मूलतः गीत क्षेक यिक्तवरिहतहु गजलमे सेहो कलम चलौलिन।ओहन िसहत यिक्तसभक लेल हमरई गजल िलखबाक तौर-तिरकाक मादेिकछु कहब हायापद भऽ सकैत अिछ,मुदा नविसखुआसभकेँ भिरसक ई िकछुसहज बुझाइक।मैिथलीमेकलम चलौिनहारसभमयायः सभ एक-आध हाथ गजलोमेअजमबैत पाओल गेलाह अिछ। जनकिववैनाथ िम “याी” सेहो “भगवानहमर ई िमिथला” शीषर्क किवता पूणर्तःगजलक संरचनामे िलखने छिथ। मुदािसयाराम झा “सरस”, व. कलानदभ, डॉ.राजे िवमल सन िकछुसािहयकार खाँटी गजलकारक रूपमेिचहल जाइत छिथ। ओना सोमदेव,डॉ.केदारनाथ लाभ, डॉ.तारानद िवयोगी,डॉ.रामचैतय धीरज, बाबा वैनाथ, डॉ.िवभूित आनद, डा.धीरे धीर,फजलुरर्हमान हाशमी, रमेश, बैकुठिवदेह, डा.रामदेव झा, रोशन जनकपुरी,पं. िनयानद िम, देवशर नवीन,यामसुदर शिश, जनादर्न ललन,िजयाउरर्रहमान जाफरी, अिजतकुमारआजाद, अशोक द आिदसमेत कतेकोाक गजल मैिथली गजल-संसारकेँिवतृित दैत आएल अिछ।गजलमे मिहला हताक्षर बहुत कमदेखल जाइत अिछ। मैिथली िवकासमचारा बहराइत पलवक पूण १५,२०५१ चैतक अ गजल अक रूपमेबहराएल अिछ। सभवतः ३४ गोटअलग-अलग गजलकारक एकठाम भेलसमायोजनक ई पिहल वानगी हएत। एिहअमे डा. शेफािलका वम एक मामिहला हताक्षरक रूपमे गजलक स


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्तुत भेलीह अिछ। एही अकआधारपर नेपालीमे मैिथली गजलसबधी दूगोट समालोचनामक आलेखसेहो िलखाएल अिछ। पिहल मनुाजाकीारा काितपुर २०५२ जेठ २७गतेक अमे आ दोसर डा. रामदयालराकेशारा गोरखाप २०५२ फागुन २६गतेक अमे। िछटफुट आनहु गजलसलन बहराएल होएत, मुदा तकरजानकारी एिह लेखककेँ निह छैक। हँ,िसयाराम झा “सरस”क सपादनमेबहराएल “लोकवेद आ लालिकला”मैिथली गजलक गतय आ वरूप दऽबहुत िकछु फिरछाकऽ कहैत पाओल गेलअिछ। एिहमे सरससिहत तारानदिवयोगी आ देवशर नवीनारा तुतगजलसबधी आलेख सेहो मैिथलीगजलक तकालीन अवथाधिरकसाोपा िच तुत करबामे सफलभेल अिछ।सममे मैिथली गजलक िवषयमे ई किहसकैत छी जे मैिथली गीतक खेतसँात हलगर मािटमे गुणवाक दृिएँमैिथली गजल िनरतर बिढ़रहल अिछ,बिढ़एरहल अिछ।गजल १झुो जे निह डाइन नचौलक ओ भगताओ धामी कीएको गाम जँ डािह ने सकलहुँ तँ ओढ़नेरमनामी कीअक्षत-चानन धूप-दीपसँ जतऽ यज्ञसपूणर् हुअए-ततऽ जँ क्यो हडी रगड़ैए, ओ कामीओ कलामी कीबाप-माएपयर्त परोसै नेह जखनबटखारासँ-नकली सभक दुलार लगैए, से काकी,से मामी कीसोिनत सेहो शराब बनै छै शासनकेरसनकी भीिदयौ घटाघिट जे भेटए से, फुिसयाहीकी दामी कीपोखिरक रखबारी पएबालए कठी खािलबािह िलअफेर गटागिट घोँटने चिलयौ, से पोिठयासे बामी कीपाग उतािरकऽ कूिद गेल “ेमिषर्” सेहोअखाड़ामेढािह सकल ने जुम-इमारत करतैओहन सुनामी की(िव.२०६२/०५/३०)गजल २मोन जँ कारी अिछ तँ चमड़ी गोरे कीकरतै?ममते जँ अरुआएल तँ माएक कोरे कीकरतै?गगनसँ उतरै मेघ नयनमे जखनसाँिचकऽ शाकेहनो अहार चीिरकऽ जनमल भोरे कीकरतै?नीम पीिबकऽ माहुर सेहो पचाबैत आएलछी तँकाँटकेँ धाङैत डेगकेँ थोड़े अङोरे कीकरतै?घामक िसँचल धरती छोिड़ ने जकराकतौ भरोसातकरा लेल बनसीक सुअदगर बोरे कीकरतै?आिग पीिबकऽ ब बनौने छै जे अपनछातीतकरा आगाँ गोिहया आँिखक नोरे कीकरतै?तैयो लागल “ेमिषर्” अिछ बस ेमकखेतीमेेमक धन भेल घरमे जािबड़ चोरे कीकरतै?(िव.२०६२/०५/२०)शुभकामना िदआबातीकचमकैत दीपकेँ देिखकऽजेना झुड कीड़ा-मकोड़ाकऽ दैछ यौछावर अपन अितवदुगुर्ण वा खलतवरूपी कीड़ा-मकोड़ाकेँन करबाक लेल चाही ने आओर िकछुअपना भीतरक मानवीय इजोतकटेमीकने आओर उसका लीअपनाकेँ सभक मन-मनमे मुसका लीइएह अिछ शुभकामना िदआबातीक-देहिर दीप जरए ने जरएमनधिर सदित रहए िझलिमलिकएक तँ अपना मा इजोतमे रहनेमेटा निह सकैछ संसारसँ अहार‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्101


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्िदगबर झा ‘िदनमिण’१चल रौ बौआ चलै देखऽले घुसहा सबपकड़ेलैएघुसुर घुसुर जे घुस लैत छल,से सब आइ धरैलैएमालपोत, भसार, पुिलस िक, करअदालत जेतॱघूसखोरक संजाल पसारल छै बाँच नैपिबतॱअनुसधानक कारवाइमेसवहक होस हेरेंलैएिवना घूसके किहयो ककरो, जे नै कानोकाज करैबैमानी सैतानी करबा, मे नै किनकोलाज करैक्यो कानूनके चंगुलमे फँसनेपरदेस पड़ेलैए२हम सुना रहल छी तीन धारभारी सहैत अिछ भार कहिथ सभ खेतीसिहते अिछ उजाड़।िगड़ सन सुटकओने नाङिर आगू पाछूजे छल करैत।जे भोर साँझ, दश लोक माझ, हमरेिदश छल रिह-रिह बढ़ैत।हम आङुर पकिड़ जकरा पथपर अितशी चलाऽ देलॱहमरे गितक पथकेँ आगाँ, से ठाढ़ भेलबिनकऽ पहाड़॥हम सुनाककरा कहबै के सुनत आब, पओ कतौछैक छै कतौ घाव,हम भेलॱ आब हडी समान, किहयोहमहॴ रुिचगर कवाव।हम घास खाअकऽ पािल-पोिस, जकराकएलॱ दुधगिर लगहिर,तकरा लगमे जँ जाइत िछयै, तऽ हमरेमारैए लथार॥ हम सुना,हम तोिड़ देबै िझक-झोिड़ देबै शाखाफल-फूल मचोिड़ देबै,वाथर्क छै जे जिड़आएल बृक्ष तकराजिड़स हम कोिड़ देबै।मनमे जे िचनगी सुनिग रहल, सेकिहयाधिर हम झाँिप सकब,तें ई मन जिहया लहिर जेतै, तिहयाखएतै धोिवया पछाड़॥ हम सुना३चलैमन जगदबाक ािर चलैमनजगदबाक ािर।सब दुःख हरती झोड़ी भरती, िबगड़लदेती सहािर॥चलै मन...मधु कैटभक डरे पड़एला जिटया वयंिवधाता।पूजन यान बदना कएलिन कहरु हेमाता॥बोधल हिर मारल मधु कैटभ िबिधकेँकएल गोहािर।चलै मन..मिहषासुरक ाससँ धरती थर-थर काँपएलागलछोिड़ अपन घर ािर देवता ऋिष मुिनजंगल भागल।हुनका सबहक क हिर लेलिनमिहषासुरकेँ मािर। चलै मन..हुँ कारक उच्चिरत शदसँ धु गेलसुरधाम।चड-मुड आ रक्तवीजकेँ िमटा देलिनमाँ नाम।शुभ-िनशुभ मािर धरतीसँ दैय कएलिनकटािर॥ चलै मन...शिश कुज बुध गुरु शु शिनवर कीिदनमिणक तारा।सर, नर मुिन, गधवर् असरा सबहकअहीँ सहारा।हमरो नैया पार करु माँ, भबसँ िदयउबािर। चलै मन...‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्102


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्गजे ठाकुर(जम 30 माचर् 1971) कुरुक्षेम्–अतमर्नक, खड-1 सँ 7 –(लेखकक िछिड़आयल प, उपयास, गप-कथा, नाटक-एकाी,बालानां कृते, महाकाय, शोध-िनबध आिदक सम संकलन) ेसमे अिछ। ई-मेल- ggajendra@airtelmail.inकेदारनाथ चौधरीक उपयास“चमेली रानी” आ माहुरकेदारनाथ चौधरी जीक पिहलउपयास चमेली रानी २००४ ई. मेआएल । एिह उपयासक अत एिहतरहेँ खतम भेल जे एकर दोसर भागकबल माँग भेल आ लेखककेँ एकरदोसर भाग माहुर िलखए पड़लिह।धीरेनाथ िम चमेली रानीक समीक्षाकरैत िवापित टाइसमे िलखने रहिथ-“...जेना हाय-साट हिरमोहन बाबूकेँ“कयादान”क पात् “िरागमन”िलखए पड़लिन तिहना “चमेलीरानी”कदोसर भाग उपयासकारकेँ िलखएपड़तिह”।ई दुनू खड कैक तरहेँ मैिथलीउपयास लेखनमे मोन राखल जाएत।एक तँ जेना रामलोचन ठाकुर जी कहैतछिथ- “..पारस-ितभाक एिह लेखककपदापर्ण एते िवलिबत िकएक?” ई सये अनुिरत अिछ। लेखक अपनऊजक संग अमेिरका, ईरान आ आनठाम पढ़ाइ-िलखाइमे लागल रहिथरोजगारमे रहिथ मुदा ममता गाबए गीतकिनमता घुिम कऽ दरभंगा अएलाह तँअपन समत जीवनानुभव एिह दुनूउपयासमे उतािर देलिह। राजमोहनझासँ एकटा साक्षाकारमे हम एिहसबधमे पुछने रिहयिह तँ ओ कहनेरहिथ जे िबना जीवनानुभवक रचनासंभव निह,िजनकर जीवनानुभव जतेकिवतृत रहतिह से ओतेक बेशीिविभता आ नूतनता आिन सकताह।केदारनाथ चौधरीक “चमेली रानी” आ“माहुर” ई िस करैत अिछ। चमेलीरानी िबीक एकटा नव कीितर्मानबनेलक। मा जनकपुरमे एकर ५००ित िबका गेल। लेखक “चमेलीरानी”क समपर्ण “ओिह सम मैिथलीेमीकेँ जे अपन सपूणर् िजनगीमे अपनकैंचा खचर् कऽ मैिथली-भाषाक कोनोपोथी-पिका िकनने होिथ” केँ करैतछिथ, मुदा जखन अपार िबीक बादएिह पोथीक दोसर संकरण २००७ मेएकर दोसर खड “माहुर”क २००८ मेआबए सँ पूवर्िह िनकालए पड़लिह तखनदोसर भागमे समपर्ण तंभ छोड़नाइयेलेखककेँ ेयकर बुझेलिह। एकरएकटा िविशता हमरा बुझबामे आएल२००८ केर अितम कालमे जखनहिरयाणाक उपमुख्यमंी एक मास धिरिनपा रहलाह, मुदा राजनियकिववशताक अतगर्त जाधिर ओ घुिर कऽनिह अएलाह तावत हुनकापर कोनोकायर्वाही निह कएल जा सकल। अपनगुलाब िमजी तँ सेहो अही राजनीितकिववशताक कारण िनपा रहलोपर गीपरबैसले रहलाह्,क्यो हुनका हँटा निहसकल। चाहे रायक संचालनमे कतेकझंझिट िकएक निह आएल होए।उपयास-लेखकक जीवनानुभव एकरसभावना चािर साल पिहनिहए िलिखकऽ रािख देलक। भिवयवक्ता कोनोटोना-टापरसँ भेनाइ संभव निह होइतअिछ वरन् जीवनानुभव एकरा सभवबनबैत अिछ। एिह दुनू उपयासक पाचमकारी छिथ, आ सफल सेहो कारणउपयासकार एकरा एिह ढंगसँ सृिजतकरैत छिथ जेना सभ वतुक हुनकायिक्तगत अनुभव होइह।उपयासक बुजुर्आ ारभक अछैतएिहमे एतेक जिटलता होइत अिछ जेएिहमे ितभाक नीक जकाँ परीक्षण होइतअिछ। “चमेली रानी” उपयासक ारभकरैत लेखक एकर पिहल परीक्षामेउीणर् होइत छिथ जखन एकरलयामक ारभ पाठकमे रुिच उपकरैत अिछ। कीितर्मुखक पाँच टाबीटाक नामकरणक लेल ओकर िजगरीदोस कटीरक िवचार जे – “पाँचोपाडव बला नाम बेटा सबहक रािखदहक। सुिभता हेतौ”। फेर एक ठामलेखक कहैत छिथ जे जतेक गितसँबच्चा होइत रहैक से कौरवक नामराखए पिड़तैक। नाियका चमेली रानीकआगमन धिर कीितर्मुखक बेटा सभकवणर्न फेर एिह ममे अंेज डेसफोडर्आ रूपकुमिरक सतान सुनयनाकिववरण अबैत अिछ। फेर रूपकुमिरकबेटी सुनयनाक बेटी शिनचरी आ नेताजीरामठेंगा िसंह “िचनगारी”क िववाह आनेताजी ारा शिनचरीकेँ कनही मोिदयािनलग लोक-लाजक ारे रािख पटनाजाएब, नेताजीक मृयु आ शिनचरी आकीितर्मुखक िववाहक वणर्न फेरसँिखसाकेँ समेिट लैत अिछ। तकर बादचमेली रािनक वणर्न अबैत छिथ जेबरौनी िरफाइनरीक कूलमे बोिडर्ंगमेपढ़ैत छिथ आ एिह कनही मोिदयािनकबेटी छिथ। कनही मोिदयािनक मृयुकसमय चमेली रानी दसमाक परीक्षा पासकऽ लेने छिथ। भूखन िसंह चमेलीरानीक धमर् िपता छिथ। डकैतीकिववरणक संग उपयासक पिहल भागखतम भऽ जाइत अिछ।‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्103


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्दोसर भागमे िवधायकजीक पाइआिक खजाना लुटबाक िववरण, जे िकपूवर् िनयोिजत छल, एिह तरहेँ देखाओलगेल अिछ जेना ई िवधायक नांगटनाथारा एकटा आधुिनक बालापर कएलबलाकारक पिरणामक फल रहए। आबई नांगटनाथ रहिथ मुख्यमंी गुलाबिमिसरक खबास जे राजनीितक दाँवपेंचमेिवधायक बिन गेलाह। २००८ ई.कअरिवद अिडगक बुकर पुरकारसँसमािनत अंेजी उपयास “द ाइटटाइगर”क बलराम हलवाइक चिर जेचाहक दोकानपर काज करैत िदलीमेएकटा धिनकक ाइवर बिन फेर ओकरामािर वयं धिनक बिन जाइत अिछ, सँबेश िमलैत अिछ आ चािर बरख पूवर्लेख एिह चिरक िनमण कऽ चुकलछिथ। फेर के.जी.बी. एजेट भाटाजीकआगमन होइत अिछ जे उपयासकदोसर खड “माहुर” धिर अपनउपिथित बेश भावी रूपेँ रखबामेसफल होइत छिथ।उपयासक तेसर भागमे अहमदुलाखाँक अिभयान सेहो बेश रमनगर अिछआ वतर्मान राजनीितक सभ कुरूपताकेँसमेटने अिछ।उपयासक चािरम भाग गुलाबिमिसरक खेरहा कहैत अिछ आ फेरसँअरिवद अिडगक बलराम हलवाइकेँ मोनपाड़ैत अिछ। भुखन िसंहक संगी पाकेँगुलाब िमिसर बजबैत अिछ आ ओकराभुखन िसंहक नांगटनाथ आ अहमदुलाअिभयानक िवषयमे कहैत अिछ। संगिहओकरा मारबाक लेल कहैत अिछ से ओमना कऽ दैत छैक। मुदा गुलाब िमिसरभुखन िसंहकेँ छलसँ मरबा दैत अिछ।पाँचम भागमे भुखन िसंहक टकचरचा अिछ, चमेली रानी अपन अडाछोिड़ बैनाथ धाम चिल जाइत छिथ।आब चमेली रानीक राजनीितकमहवाकांक्षा सोझाँ अबैत अिछ। िटंगऑपरेशन होइत छिथ आ गुलाब िमिसरघेरा जाइत छिथ।उपयासक छठम भाग मुख्यमंीकिनपा रहलाक उपरातो मा फैक्टफाइंिडंग कमेटी बनाओल जएबाक चरचाहोएबाक अिछ जे कोिलशन पोिलिटक्सकिववशतापर िटपणी अिछ।उपयासक दोसर खड “माहुर”कपिहल भाग सेहो घुिरयाइत-घुिरयाइतचमेली रानीक पाटक संगठनक चारूकात आिब जाइत अिछ। ीपरअयाचार, बाल-िवधवा आ वैयावृिमेठेलबाक संगठन सभकेँ लेखक अपनिटपणी लेल चुनैत छिथ।माहुरक दोसर भागमे गुलाबिमिसरक राजधानी पदापर्णक चरचाअिछ। चमेली रानी ारा अपनअिभयानक समथर्नमे नक्सली नेताकअडापर जएबाक आ एिह बहे समतआदोलनपर लेखकीय दृिकोण, संगिहबोनक आ आिदवासी लोकिनक सिच-जीवत िववरण लेखकीय कौशलकतीक अिछ। चमेली रानी लग फेररहयोाटन भेल जे हुनकर माए कनहीमोिदयाइन बड पैघ घरक छिथ आहुनकर संग पटेल ारा अयाचार कएलगेल, चमेली रानीक िपताक हया कऽदेल गेल आ बेचारी माए अपन िजनगीकनही मोिदयाइन बिन िनवह कएलिह।ई सभ गप उपयासमे रोचकता आिनदैत अिछ।माहुरक तेसर भाग फेरसँ पचकौड़ीिमयाँ, गुलाब िमिसर, आइ.एस.आइ. आके.जी.बी.क षडयक बीच रहय आरोमांच उप करैत अिछ।माहुरक चािरम भाग चमेली रानीारा अपन माए-बापक संग कएल गेलअयाचारक बदला लेबाक वणर्न दैतअिछ, कैक हजार करोड़क सपिअएलासँ चमेली रानी सप भऽ गेलीह।माहुरक पाँचम भाग राजनैितकदाँव-पेंच आ चमेली रानीक दलकिवजयसँ खतम होइत अिछ।िववेचन: उपयास िवधाक बुजुर्आआरभक कारण सवतीजक “डॉनिक्वक्जोट”, जे सहम शतादीकारभमे आिब गेल रहए, केर अछैतउपयास िवधा उैसम शतादीकआगमनसँ िकछु समय पूवर् गभीर वरूपात कऽ सकल। उपयासमे वाद-िववाद-सवादसँ उप होइत अिछिनबध, युवक-युवती चिर अनैत अिछेमाख्यान, लोक आ भूगोल दैत अिछवणर्न इितहासक, नीक- खराप चिरककथा सोझाँ अबैत अिछ। कखनोपाठककेँ ई हँसबैत अिछ, कखनोओकरा उपदेश दैत अिछ। माक्सर्वादउपयासक सामािजक यथाथर्कओकालित करैत अिछ। ायड सभमनुक्खकेँ रहयमयी मानैत छिथ। ओसािहियक कृितकेँ सािहयकारकिवलेषण लेल चुनैत छिथ तँ नवायडवाद जैिवकक बदला सांकृितकतवक धानतापर जोर दैत देखबामेअबैत छिथ। नव-समीक्षावाद कृितकिवतृत िववरणपर आधािरत अिछ।जीवनानुभव सेहो एक पक्षक होइतअिछ आ दबाएल इच्छाक तृितक लेललेखक एकटा संसारक रचना कएलिहजािहमे पाठक यथाथर् आ कापिनकताकबीचक आिड़-धूरपर चलैत अिछ।निचकेता:नो एी :मा िवशिववेचन: भारत आऽ पााय नायिसांतक तुलनामक अययनसँ ई ज्ञातहोइत अिछ मानवक िचतन भौगोिलकदूरीकक अछैत कतेक समानता लेनेरहैत अिछ। भारतीय नायशामुख्यतः भरतक “नायशा” आऽधनंजयक दशरूपकपर आधािरत अिछ।पााय नायशाक ामािणक ंथअिछ अरतूक “कायशा”।भरत नायकेँ “कृतानुसार”“भावानुकार” कहैत छिथ, धनंजयअवथाक अनुकृितकेँ नाय कहैतछिथ। भारतीय सािहयशामे अनुकरणनट कमर् अिछ, किव कमर् निह।पिममे अनुकरण कमर् िथक किव कमर्,नटक कतहु चरचा निह अिछ।अरतू नाटकमे कथानकपर िवशेषबल दैत छिथ। ेजेडीमे कथानक केरसंग चिर-िचण, पद-रचना, िवचारतव, दृय िवधान आऽ गीत रहैतअिछ। भरत कहैत छिथ जे नायकसँसंबंिधत कथावतु आिधकािरक आऽआिधकािरक कथावतुकेँ सहायतापहुँचाबएबला कथा ासंिगक कहल‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्104


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्जाएत। मुदा सभ नाटकमे ासंिगककथावतु होए से आवयक निह, नोएी: मा िवश मे निह तँ कोनो तेहनआिधकािरक कथावतु अिछ आऽ निहएकोनो ासांिगक, कारण एिहमे नायककोनो सवर्माय नायक निह अिछ। जेबजारी उच्ाकेँ कॉलर पकड़ैत छिथ सेकनेक कालक बाद गौण पिड़ जाइतछिथ। जािह उच्ाक सोझाँ चोरसकदम रहैत अिछ से िकछु कालकबाद, िकछु नव निह होइछ केर दशर्नपरगप करैत सोझाँ अबैत छिथ। जेयमराज सभकेँ थरने छिथ से वयंिनभाक सोझाँमे अपन तेज, मयम होइतदेखैत छिथ। िभखमंगनी हुनका दैवीवरूप उतारने देखैत हँसैत छिथ तँरमणी मोहन आऽ िनभा सेहो हुनका आऽिचगुतकेँ अतमे अपशद कहैत छिथ।वामपंथीक आऽ अिभनेताक सएह हालछिह। कोनो पा कमजोर निह छिथआऽ िरबाउड करैत छिथ।कथा इितवृिक दृिसँ ख्यात,उपा आऽ िम तीन कारक होइतअिछ। ख्यात कथा इितहास पुराणसँलेल जाइत अिछ आऽ उपा किपतहोइत अिछ। िममे दुनूक मेल होइतछिथ। नो एी: मा िवश मे िमइितवृिक होएबाक कोनो टा गुंजाइशतखने खतम भए जाइत अिछ जखनिचगुत आऽ यमराज अपन नकली भेषउतारैत छिथ आऽ िभखमंगनीक हँसलापरभृंगी कहैत छिथ जे ई िभखमंगनी सेहोहमरे सभ जेकाँ कलाकार छिथ! मायमराज आऽ िचगुत नामसँ कथाइितहास-पुराण सब निह अिछ आऽइितवृि पूणर्तः उपा अिछ। अरतूकथानककेँ सरल आऽ जिटल दूकारक मानैत छिथ। तािह िहसाबसँ नोएी: मा िवश मे आकिमक घटनाआिद जािह सरलताक संग लोमे अबैतअिछ, से ई नाटक सरल कथानकआधािरत कहल जाएत। फेर अरतूइितवृकेँ दतकथा, कपना आऽइितहास एिह तीन कारसँ सबिधतमनैत छिथ। नो एी: मा िवश केँकापिनकमूलक ेणीमे एिह िहसाबसँराखल जाएत। अरतूक ेजेडीकचिर, य़शवी आऽ कुलीन छिथ- सत्असत् केर िमण। नो एी: मा िवशमे जे चिर सभ छिथ तािहमे सभचिरमे सत् असत् केर िमण अिछ।िनभा उच्चवंशीय छिथ मुदा रमणी मोहनजे बलाकारक बादक िपटाई केर बादमृत भेल छिथ हुनकासँ िहिल-िमिलजाइत छिथ। िभखमंगनी िमिथलािचकार अनसूया छिथ। दुनू भपुरुषबजारी आऽ चारू सैिनक एिह कारेँिबन कलुषताक सोझाँ अबैत छिथ।भरत नृय संगीतक ेमीकेँ धीरलिलत,शात कृितकेँ धीरशात, क्षियवृिकेँ धीरोद आऽ ईयलूकेँ धीरोकहैत छिथ। बजारी आऽ दुनू भपुरुषसंगीतक बेश ेमी छिथ तँ रमणी मोहनेमी-ेिमकाकेँ देिख कए ईयलू, सैिनकसभ शात छिथ क्षियोचत गुण सेहोछिह से धीरोद आऽ धीरशात दुनूछिथ। मुदा नो एी: मा िवश मे एिहकारक िवभाजन सभव निह अिछ।भारतीय िसांत कायर्क आरभ,य, ायाशा, िनयताित आऽ फलागमधिरक पाँच टा अवथाक वणर्न करैतछिथ। ायाशामे फल ाितक ितिनराशा अबैत अिछ तँ िनयताितमे फलाितक आशा घुिर अबैत अिछ।पााय िसांत आरभ, कायर्-िवकास,चरम घटना, िनगित आऽ अितम फल।थम तीन अवथामे उलझन अबैतअिछ, अितम दू मे सुलझन।कायवथाक पंच िवभाजन- बीया,िबदु, पताका, करी आऽ कायर् अिछ।नो एी: मा िवश मे बीया अिछ एकटाद मृयुक बादक लोकक, बीमा एजेटएतए िबनु मृयुक पहुँिच जाइत छिथ।यमराज आऽ िचगुत मेकप आिटर्टिनकलैत छिथ। िविभ िबदु ाराएकटा चिर ऊपर नीचाँ होइत रहैतअिछ। पताका आऽ करी अवातरकथामे होइत अिछ से नो एी: मािवश मे निह अिछ। बीआक िवकिसतरूप कायर् अिछ मुदा नो एी: मा िवशमे ओऽ धरणापर खतम भए जाइतअिछ! अरतू एकरा बीआ, मय आऽअवसान कहैत छिथ। आब आऊसिधपर, मुख-सिध भेल बीज आऽआरभकेँ जोड़एबला, ितमुख-सिध भेलिबदु आऽ यकेँ जोड़एबला, गभर्सिधभेल पताका आऽ ायाशाकेँ जोड़एबला,िवमशर् सिध भेल करी आऽिनयताितकेँ जोड़एबला आऽ िनवर्हणसिध भेल फलागम आऽ कायर्केँजोड़एबला। नो एी: मा िवश मे मुख/ितमुख आऽ िनवर्हण सिध मा अिछ,शेष दू टा सिध निह अिछ।पााय िसांत थान, समय आऽकायर्क के तकैत अिछ। नो एी:मा िवश मे थान एकिह अिछ, समयलगातार आऽ कायर् अिछ ारक भीतरपैसबाक आकांक्षा। दू घटाक नाटकमेदुइये घटाक घटनाम विणर्त अिछ नोएी: मा िवश मे कायर् सेहो एकेटाअिछ। अिभनवगुत सेहो कहैत छिथ जेएक अंकमे एक िदनक कायर्सँ बेशीकसमावेश निह होए आऽ दू अंकमे एकवषर्सँ बेशीक घटनाक समावेश निहहोय। नो एी: मा िवश मे कलोलकिवभाजन घटनाक िनिदर् समयमे भेलकायर्क आऽ नव कायरभमे भेलिवलबक कारण आनल गेल अिछ। मुदाएिह िकक िवरोध ाइडन कएने छलाहआऽ शेक्सिपअरक नाटकक वच्छदताकओऽ समथर्न कएलिह। मुदा नो एी:मा िवश मे एिह तरहक कोनो समयानिह अबैत अिछ। नो एी: मा िवशमे आपसी गपशपमे- जकरा लैशबैकसेहो किह सकैत छी- ककर मृयु कोनाभेल से नीक जेकाँ दिशर्त कएल गेलअिछ।भारतमे नाटकक दृयवक समथर्नकएल गेल मुदा अरतू आऽ लेटो एकरिवरोध कएलिह। मुदा १६म शतादीमेलोडोिवको कैटेलवेो दृयवक समथर्नकएलिह। िडटेटाटर् सेहो दृयवकसमथर्न कएलिह तँ ाइडज नाटककपठनीयताक समथर्न कएलिह। देिसयरपठनीयता आऽ दृयव दुनूक समथर्नकएलिह। अिभनवगुत सेहो कहनेछलाह जे पूणर् रसावाद अिभनीत भेलाउर भेटैत अिछ मुदा पठनसँ सेहो‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्105


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्रसावाद भेटैत अिछ। नो एी: मािवश मे पिहल कलोलक ारभमे ईप भऽ जाइत अिछ जे एतएदृयवकेँ धानता देल गेल अिछ।पिमी रंगमंच नायिवधान वातिवकअिछ मुदा भारतीय रंगमंचपर सांकेितक।जेना अिभज्ञानशाकुंतलम् मे कािलदासकहैत छिथ- इित शरसंधानं नाटयित।नो एी: मा िवश मे भारतीय िवधानकेँअंगीकृत कएल गेल- जेना मृयु ातसभ गोटे ारा वगर् वेश ारक अदृयदेबाड़क गपशप आऽ अिभनय कौशलारा पता। अंिकया नाटमे सेहोदशर्न तवक धानता छल। कीतर्िनयाँएक तरहेँ संगीतक छल आऽ एतहुअिभनय तवक धानता छल। अंकीयानाटक ारभ मृदंग वादनसँ होइत छल।नो एी: मा िवश मैिथलीक परपरासँअपनाकेँ जोड़ने अिछ मुदा संगिहइितहास, पुराण आऽ समकालीनजीवनचकेँ देखबाक एकटा नवदृिकोण लए आएल अिछ, सोचबाऽ लएएकटा नव अंतदृर्ि दैत अिछ।योितरीरक धूतर्समागम,िवापितक गोरक्षिवजय, कीतर्िनञानाटक, अंकीयानाट, मुंशी रघुनदनदासक िमिथला नाटक, जीवन झाकसुदर संयोग, ईशनाथ झाक चीनीकलडू, गोिवद झाक बसात, मिणपकतेसर किनयाँ, निचकेताजीक “नायककनाम जीवन, एक छल राजा”, ीशजीकपुरुषाथर्, सुधांशु शेखर चौधरीक भफाइतचाहक िजनगी, महे मलंिगयाक काठकलोक, राम भरोस कापिड़ मरकमिहषासुर मुदबाद, गंगेश गुंजनकबुिधबिधया केर परपराकेँ आगाँ बढ़बैतनिचकेताजीक नो एी: मा िवशतािकर्कता आऽ आधुिनकताकवतुिनताकेँ ठाम-ठाम नकारैत अिछ।वामपंथीकेँ यमराज ईहो कहैत छिथह,जे वामपंथी देिख रहल छिथ से सयनिह सपनो भए सकैत अिछ। िवज्ञानकज्ञानक सपूणर्तापर टीका अिछ ईनाटक। सय-असय, सभ अपन-अपनदृिकोणसँ तकर वणर्न करैत छिथ।चोरक अपन तकर् छिह आऽ वामपंथीसेहो कहैत छिथ िक चोर नेता निह बिनसकैत छिथ मुदा नेताक चोिरपर उतिरअएलासँ चोरक वृित मारल जाए बलाछिह। नाटकमे आम-केित हायपूणर्आऽ नीक-खराबक भावना रिह-रिह खतमहोइत रहैत अिछ। यमराज आऽिचगुत तक मुखौटामे रिह जीिब रहलछिथ। उर आधुिनकताक ई सभलक्षणक संग नो एी: मा िवश मे एकेगोटेक कैक तरहक चिर िनकिल बाहरअबैत अिछ, जेना उच्चवंशीय मिहलाक।कोनो घटनाक सपूणर् अथर् निह लािगपबैत अिछ, सय कखन असय भएजएत तकर कोनो ठेकान निह। उरआधुिनकताक सतही िचतन आऽ चिरसभक नो एी: मा िवश मे भरमारलागल अिछ, आशावािदता तँ निहए अिछमुदा िनराशावािदता सेहो निह अिछ।यिद अिछ तँ से अिछ बतहपनी, कोनोचीज एक तरहेँ निह कैक तरहेँ सोचएबला- िवमान छिथ। कारण, िनयणआऽ योजनाक उर पिरणामपर िवासनिह वरन संयोगक उर पिरणामपरबेशी िवास दशओल गेल अिछ।गणतांिक आऽ नारीवादी दृिकोण आऽलाल झंडा आिदक िवचारधाराक संगेतीकक रूपमे हास-पिरहास सोझाँ अबैतअिछ। एिह तरहेँ नो एी: मा िवश मेउर आधुिनक दृिकोण दिशर्त होइतअिछ, एतए पाठक कथानकक मयउठाओल िविभ समयासँ अपनाकेँपिरिचत पबैत छिथ। जे द नाटककअंतमे दिशर्त भेल से उर-आधुिनकयुगक पाठककेँ आियर्त निह करैतछिह, िकएक तँ ओऽ दैिनक जीवनमेएिह तरहक दक िनय सामना करैतछिथ।ई नाटक मैिथली नाटक लेखनकेँएकटा नव िदशामे लए जाएत आऽ आनिवधामे सेहो नूतनता आनत से आशाकए सकैत छी।कथा: पहरराित“सुनू। योगशालाक िवच ऑफकए िदयौक”।चािर डाइमेशनक वातावरणमे अपनसभटा ि आ ि डाइमेशनक वतुकयोग करबाक लेल धौय योगशालामेयोग शुरू करए बला छिथ। हुनकरसंगी-साथी सभ उसुकतासँ सभटा देिखरहल छिथ।“दू डाइमेशनमे जीबए बला जीवतीन डाइमेशनमे जीबए बला मनुक्खकसभ कायर्केँ देिख तऽ निह सकैत छिथमुदा ओकर सभटा पिरणामक अनुभवकरैत छिथ। अपन एकटा जीवन-शैलीकओ िनमण कएने छिथ। ओिह पिरणामसँलड़बाक यवथा कएने छिथ। तिहनाहमरा लोकिन सेहो चािर डाइमेशनमेरहए बला कोनो सभािवत जीवक वा ईकहू जे तीनसँ बेशी डाइमेशनमे िजनहारजीवक हतक्षेपकेँ िचहबाक यासकरब”। धौय कहैत रहलाह।एक आ दू डाइमेशनमे रहिनहारकदू गोट योगशालाक सफलताक बादधौयक ई तेसर योग छल।“एक िवमीय जीव जेना एकटािबदु। बच्चामे ओ पढ़ैत छलाह जे रेखादू टा िबदुकेँ जोड़ैत छैक। निञ तऽिबदुमे कोनो चौड़ाइ देखना जाइत अिछआ निहये रेखामे। रेखा नमगर रहैतअिछ मुदा िबदुमे तँ चौड़ाइक संगलबाइ सेहो निह रहैत छैक। एकिवमीय िवमे मा आगाँ आ पाछाँ रहैतअिछ। निञ अिछ वाम दिहनक बोधनिहये ऊपर नीचाँक। मा सरल रेखा,वता किनयो निह। आब ई निह बुिझिलअ जे अहाँ जतए बैसल छी, ओतएएकटा रेखा िवचरण करए लागत। वरणई बुझू जे ओ रेखा मा अिछ, निहकोनो आन बिहः।“ि बीमीय ाड भेल जतए आगूपाछूक िवहाय वाम दिहन सेहो अिछ मुदाऊपर आ नीछाँ एतए निह अिछ। ई बुझूजे अहाँक सोझाँ राखल िसतलपाटीकसदृश ई होएत, जािहमे चौड़ाइ िवमाननिह अिछ।” “मुदा ीमान् ई चलैतअिछ कोना। गप कोना करत, एकदोसरकेँ संदेश कोना देत”।“आऊ। पिहने एक िवमीयाडक अवलोकन करैत छी”।धौय एक िवमीय योगशालाक लगजाइत छिथ। ओतए िबदु आ िबदुक‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्106


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्सिमलन वरूप बनल रेखा सभदेखबामे अबैत अिछ। ई जीव सभअिछ। एक िवमीय ाडक जीव जेएिह तयसँ अिनिभज्ञ अिछ जे तीनिवमीय कोनो जीव ओकरा सभकेँ देिखरहल छैक।“देखू। ई सभ जीव एक दोसराकेँपार निह कए सकैत अिछ। आगू बढ़ततँ तावत धिर जा धिर कोनो िबदु वारेखासँ टर निह भए जएतैक। आपाछाँ हटत तावत धिर यावत फेर कोनोजीवसँ भेँट निह होएतैक। एक दोसराकेँसंदेश सेहो मा एकिह पँिक्मे दएसकत कारण पंिक्क बाहर िकछु निहछैक। ओकर ाड एकिह पंिक्मेसमात भए जाइत अिछ।“आब चलू ि बीमीययोगशालामे”।सभ क्यो पाछाँ-पाछाँ जाइत छिथ।“एतय िकछु रमण चमन अिछ।पिहल योगशाला तँ दू तहसँ जाँतलछल, दुनू िदिशसँ आ ऊपरसँ सेहो।मा लबाइ अनत धिर जाइत छल।मुदा एतय ऊपर आ नीचाँक सतहजाँतल अिछ। ई आगाँ पाछाँ आ वामदिहन दुनू िदिश अनत धिर जा रहलअिछ। तािह हेतु हम दुनू योशालाकेँपृवीक ऊपर वतं नभमे बनओने छी।एतुा जीवकेँ देखू। सीतलपाटी परिकछुओ बना िदयौक। जेना छोट बच्चाजे आधुिनक िचकार बनबैत छिथ।एतय ओ सभ कार भेिट जाएत। मुदाऊँचाइक ज्ञान एतए निह अिछ। एकदोसरकेँ एक बेरमे मा रेखाक रूपमेदेखैत अिछ ई सभ। दोसर कोणसँदोसर रेखा आ तखन वरूपक ज्ञानकरैत जाइत अिछ। लबाइ आ चौड़ाइसभ कोणसँ बदलत। मुदा वृाकारजीव सेहो होइत अिछ। जेना देखू ओजीव वाम कातमे। एक दोसराकेँ संदेशओकरा लग जा कए देल जाइत अिछ।पैघ समूहमे संदेश सािरत होयबामे ढ़ेरसमय लािग जाइत अिछ”।“ीमान, की ई संभव अिछ, जेनाहमरा सभक सोझाँ रहलो उर ओ सभहमरा लोकिनक अितवसँ अनिभज्ञअिछ तिहना हमरा सभ सेहो कोनो चािरआ बेशी िवमीय जीवक अितवसँअनिभज्ञ होइ”।“हँ तकरे चच आ योग करबाकहेतु हमरा सभ एतए एक भेल छी।अहाँमे सँ चािर गोटे हमरा संग एिह नवकायर्क हेतु आिब सकैत छी। ई योजनाकनेक किठनाह अिछ। कतेक सालधिर ई योजना चलत आ पिरणामकिहया जा कए भेटत, तकर कोनोसीमा िनधरण निह अिछ”।पाँच टा िवाथ ेतकेतु, अपाला,सयकाम, रैक्व आ घोषा एिह कायर्कहेतु सहषर् तैयार भेलाह। धौय पाँचूगोटेकेँ अपन योजनामे सिमिलत कएलेलिह।“चािर बीमीय िवमे तीन बीमीयिवसँ िकछु अतर अिछ। तीन बीमीयिव भेल तीन टा लबाइ, चौड़ाइ आगहराइ मुदा एिहमे समयक एकटा बीमसेहो सिमिलत अिछ। तँ चािर बीमीयिवमे आिक पाँच बीमीय िवमे समयकएकसँ बेशी बीमक सभावना पर सेहोिवचार कएल जाएत। मुदा पिहने चािरबीमीय िव पर हमरा सभ शोध आगाँबढ़ाएब। एिहमे मूलतः समयक एकटाबीम सेहो रहत आ तािहसँ बीमक संख्यापाँच भए जायत। समयकेँ िमलाकएचािर बीमक िवमे हमरा सभ जीिबरहल छी। जेना वणर् अधतासँ िसतलोककेँ लाल आ हिरअरक अतर निहबुिझ पड़ैत छैक तािह कारसँ हमरासभ एकटा बेशी बीमक िवक कपनाकए सकैत छी, अयक्ष अनुभव सेहोकए सकैत छी”। धौय बजलाह।सभा समात भेल आ सभ क्योअपन-अपन कोमे चिल गेलाह।सैांितक शोध आ तकर बाद ओकरायोिगक योगमे सभ गोटे लािगगेलाह। िभुज धरातल पर खेंिच कएएक सय असी अंशक कोण जोिड़ कएबनएबाक अितिरक् पृवीकार आकृितमेखेंचल गेल िभुज जािह मे येक रेखाएक दोसरासँ नबे अंशक कोण पररहैत अिछ । मुदा रेखा सोझ निह टेढ़रहैत अिछ। ओिहना समय आ थानकेँटेढ भेला पर एहन संभव भए सकैतअिछ जे हमरा सभ काशक गितसँओिह माग जाइ आ पुनः घुिर आबी।काश सूयर्क लगसँ जाइत अिछ तँओकर रता कनेक बदिल जाइत छैक।ेतकेतु आ रैक्व एकटा िसातदेलिह- जेना कठफोरबा काठमे, वृक्षमेखोह बनबैत अिछ, तिहना एकटा समयआ थानकेँ जोड़एबला खोहक िनमणशुरू भए गेल। अपाला एकटा ाडकडोरीक िनमण कएलिह, जकरा बािहकए काश वा ओहूसँ बेशी गितसँउड़बाक सभावना छल। सयकामएकटा एहन िसातक सभावना परकायर् शुरू कएने छलाह, जकर मायमसँतीन टा थािनक आ एकटा समयकबीमक अितिरक् कताक आर बीम छलजे बड़ लघु छल, टेढ छल आ एिहतरहेँ वर्मान िव लगभग दस बीमीयछल। घोषा थान समयक मायमसँभूतकालमे पहुँचबासँ पूवर् देशक िविधमे ईपिरवर्न करबाक हेतु कहलिह जािहसँकोनो वैज्ञािनक भूतकालमे पहुँिच कएअपन वा अपन शुकेँ जमसँ पूवर् निहमािर दए। घोषा िवक िनमणमेभगवानक योगदानक चरचा करैत रहैतछलीह। जौँ िवक िनमण भगवानकएलिह, एकटा िवफोट ारा आएकरा सापेक्षता आ अिनितताकिसांतक अतगर्त छोिड़ देलिह बढ़बाकलेल तँ फेर समयक चाभी तँ हुनकेहाथमे छिह। जखन ओ चाहताह फेरसँसभटा शुरू भए जायत। जौँ से निहअिछ, तखन समय थानक कोनो सीमा,कोनो तट निह अिछ, तखन तँ ईाड अपने सभ िकछु अिछ, िवदेव,तखन भगवानक कोन थान? घोषासोचैत रहलीह।आब धौयक लेल समय आिब गेलछल। अपन पाँचू िवाथक सभिसांतकेँ ओ योगमे बदिल देलिह। आआब समय आिब गेल। पहरराित।पुपक िवमान तैयार भेल थान-समयक खोहसँ चलबाक लेल।ाडीय डोरी बािह देल गेल पुपक‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्107


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्पर। धौय सभसँ िवदा लेलिह।काशक गितसँ चलल िवमान आ खोहमेथान आ समयकेँ टेढ़ करैत आगाँ बिढ़गेल। ादक केमे पहुँिच गेलाहधौय। पहरराित बीतल छल। आगाँकारी गर सभ एिह समय आ थानकेँटेढ़ कएल खोहमे चलए बला पुपककसोझाँ अपन सभटा भेद रािख देलक।भोरुका पहरक पिहने धौयकिवमान पुनः पृवी पर आिब गेल। मुदाएतए आिब हुनका ई िव िकछु बदललसन लगलिह। ेतकेतु, अपाला,सयकाम, रैक्व आ घोषा क्यो निहछलाह ओतए। िवमानपी सेहो बदललसन। िवमे समय-थानक पी सभभरल पड़ल छल।“यौ। समय बताऊ कतेक भेलअिछ”।“कोन समय। सोझ बला वाथान-समय िवथापन बला। सोझ बलासमय अिछ, सन् ३१०० मास...”।ओ बिजते रिह गेल छल मुदा धौयसोिच रहल छलाह जे थान-समयिवथापनक पहरराितमे हजार सालयतीत भए गेल। ककरा बतओताह ओअपन ताकल रहय। आिक एतुालोक ओ रहय तािक कए िनित तँनिह भए गेल अिछ?कथा - आयिववाहक उपरात ढ़ेरी-ढ़ाकी लोकहमरासँ भेँट करबाक हेतु सासुरमे आिबरहल छलाह। तािहमे छिल एकटा नवम्कक्षाक छाा आय आ ओकर िपतामहीआ माए।ओ माएक संग निह आिब असगरेआएल छलीह। खूब कारी, दुबर-पातर,आवयकतासँ बेशी अनुशािसत आ िशआ नािप-जोिख कए बजिनहािर। हमरासँसभ गपमे उलटा। हमर किनयाँहुनकासँ हमर पिरचय करओलिह आओकर शंसा सेहो कएलिह। िकछुकालक बाद ओकर िपतामही आ माएहमरासँ भेँट करबाक हेतु अएलीह।हमरा अनुभव भेल जे हुनकरिपतामहीक तँ लेहाज राखल गेल छलमुदा हुनकर माएक अवहेलना सन हमरकिनयाँ आ सासु केने छलिखह। गपकरबामे ओ नीक छलीह आ जाइत-जाइत किह गेलीह जे हमरा सभ अहाँकससुरक िकरायादार छी आ उपरकामहला पर रहैत छी। से भीड़-भाड़ कमभेला पर अवय आऊ।ई गप जाइत-जाइत हमर सासुायः सुिन लेलिह से हमर पीकेँिथरेसँ मुदा आज्ञाथर्क रूपेँ कहलिह जेऊपर जएबाक कोनो जरूरी निह छैक।हम पीसँ पुछिलयिह जे बेचारी एतेकआहसँ बजओलिह अिछ। पीकहलिथ जे सुनिलयैक निह, माँ मनाकएलिह अिछ। कारण पुछला पर गपअठा देलिह।िकछु िदनुका बादक घटना छी,अहरोखेमे गेटक झमािड़ कए खुजबाकअबाज भेल। लागल जे क्यो पीिब कएबड़बड़ा रहल अिछ। हमर अितिरक्तक्यो ओिह अबाज पर यान निह देलिहआ अठयबाक वांग कएलिह। हमबाहर अएलहुँ तँ एकटा अधवयसु झुमैतअबैत दृिगोचर भेलाह। हमरा देिखडोलैत हाथसँ जमायबाबू किह नमकारकएलिह। ओ अखन धिर हमरासँ भेँटनिह होएबाक कारण हमर पीकेँफिड़छओलिह आ डोलैत ऊपर सीढ़ीकिदशसँ चिल गेलाह। हमर पी हाथपकिड़ कए हमरा भीतर आिन लेलिहआ ईहो सूचना देलिह जे ईएह आयकिपता थीक। अनायासिह हमरा माथमेआएल जे रंग जे आयक छैक से बापेपर गेल छैक। बादमे हमर सासु ऊपरजा कए भाषण दए अयलीह आ एकमिहनाक भीतर घर छोड़बाक अटीमेटमसेहो आयक पिरवारकेँ दए देलिह।हमर सार कहलिथ जे ई दसमअटीमेटम छैक मुदा हमर सासु अिडगछलीह जे िकछु भए जाय एिह बेर ओनिह मानतीह। जमाय की बुझताह जेकेहन भाड़ादार रखने छी हम सभ।पिहने ठिकया-फुिसया कय बहटािर लैतछल।पुछला पर पता चलल जे आयकिपता डॉक्टर छैक आ सेहोहोिमयोपैिथक, आयुविदक िकंवा भेटनरीनिह वरन् एम.बी.बी.एस.। मुदा लक्षणदेिखयौक। ओना सासु ईहो गपकहलिह जे ई पीने रहबाक उपरातोगप एकोटा अभ निह बजैत अिछ,जेना आन पीनहार सभक संग होइतछैक। मनुक्खो ठीके अिछ मुदा यैह जेएकटा गड़बड़ी छैक से बड भारी।अगला िदन नशा उतरलाक बादपित-पी दुनू गोटे नीचाँ अएलीह आसासुकेँ कहलिह जे आयक बोडर्क बादओ सभ पटना चिल जयतीह से हुनकासभक खाितर निह मुदा आयक खाितरतावत धिर रहए िदअ। घोँघाउजक बादसे मोहलित भेिट जाए गेलिह। तकराबाद हुनकर पीक नजिर हमरासँ िमललतँ ओ कहलिह जे अहाँ तँ ऊपर निहयेआएब। आ एिह बेर ऊपर अयबाकआहो निह कएलिथ।िकछु िदन बीतल आ फेर सासुरजयबाक अवसर भेटल। िकछु िदनमेपता चलल जे िकरायादार बदिल गेलछिथ। घरक लोक मा एतबे कहलिथजे आयक िपताक मृयु भऽ गेलिह आअनुकपाक आधार पर ओकर माएकेँनौकरी भेिट गेलैक। आब ओ सभ क्योपटनामे रहैत छिथ।घरक लोक आगाँ िकछु निहकहलिह मुदा किनयाँक एकटा िपतयौतभाए आयल रहिथ, से कहलिथ जेडॉक्टरी िरपोटर्मे िवष खा कएआमहयाक वणर्न रहए। फेर आगाँपित-पीक मय मचल तुमुलक चचर्भेल। किनयाँ कहइत रहिथह जे ईडॉक्टर बड िपबैत छिथ तािह लेलझगड़ा होइत अिछ तँ डॉक्टर साहबकहिथ जे झगड़ाक ारे िपबैत छी।अतु मृयुक बाद हुनकर किनयाँक भावएहन सन छल जेना मुिक्त भेिट गेलहोअए आ एिह बातमे सभ क्यो एक मतरहिथ।फेर िदन िबतैत रहल आ बादमेफोन पर समाचार भेटल जे आय सेहोआम हया कए लेलक। फेर बहुत रासबात मोनमे घूिम गेल। आय भावुक‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्108


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्छिल, िकछु बेशी तनावमे रिहते छिल।गपकेँ गंभीरतासँ लैत छिल।एकटा सािर रहिथ, हुनकर गपसेहो मोन पड़ल। एक गोट युवककिवषयमे आय कहैत छिल । ओकरासंगीकेँ होइत छैक जे ओ युवकओकरासँ ेम करैत अिछ। मुदा आयकमत छल जे ओ युवक ओकर संगीसँनिह वरन् आयसँ ेम करैत छल। हमसािरकेँ कहने रिहयिह जे आय बच्चाअिछ, ओिहना हँसी कएने होएत। मुदाओ कहलिह, जे निह यौ। बड भावुकअिछ आय। कहैत अिछ जे ओिहयुवकके ात करबाक हेतु िकछुओकरत।एिह बात पर हम तखन कोनो बेशीयान निह देने रिहयैक। मुदा एिहबातक आब महव बिढ़ गेल छल। हमफोन दोबारा लगेलहुँ। पता चलल जेओ युवक कोनो पुरान महारानीक बेटीकबेटा छी। ओकर माता िशिक्षका अिछआ बाप मेरीनमे काज करैत अिछ।साल-छह मास पर अबैत अिछ। आजखन अबैत छल तँ जे मास-पंह िदनरहैत छल से मािर-पीटमे िबता दैतछल। पूरा मोहलामे बदनामी छैक।माएक शील-वभाव बड नीक, बोलीसँफूल-झड़ैत छैक। बापकेँ तँ लोकिचिहतो निह छैक। खाली झगड़ाकअबाजे सुनैत अिछ लोक।एक बेर आयक संगीकेँ कूलबससँ उतरबा काल क्यो तंग कएने छलतँ ओ युवक सभकेँ मािर-पीिट कए भगादेने छल आ तकर िकछु िदनुका बादआय एिह शहरसँ दूर भऽ गेल। ओमाएकेँ कहैत रहिल जे परीक्षा धिर रहएिदअ मुदा माए िवमुक्त भेलाक बाद एकोपल पुरान कटु-मृितकेँ देखए निहचाहैत छलीह।हम फोन पर पुछए गेिलयिह जेओिह युवकक िववाह आयक मृयुसँपिहने भऽ गेल छल से कतए भेलछल। तँ सासुरक लोक अचंिभत भऽपुछलिह, जे ओकर िववाह तँ भेल मुदाअहाँ कोना बुझलहुँ।पता चलल जे िसलीगुड़ी-िदशककोनो कयागत रहिथ आ ओ युवकअपन बाप जेकाँ घर-जमाए बिन रहबाकिनयार कएने अिछ। एिह शहरक लोककेँतँ िववाहक हकारो निह भेटल।हम आयकेँ एकटा दृढ़ बािलकाबुझैत रही। मुदा ओकर ‘िकछुओ कड़यपड़त से करब’ केर अथर् आब जा कएबुझलहुँ। ओिह युवकक िबयाह भऽ गेलहोएतैक से हमर अदाज मा रहए आसे आयक आमहयाक घटनाकजानकारी भेलाक बाद ।आ ओकर आमहयाक दोष ककरापर अिछ। ओ जे दारू िपबैत रहए सेबाप। आिक ओ मी जे बापक संग तंगआिब गेल रहए। ओ ेमी।हमरा जनैत एकर सभक कारणअिछ आयक पिरवारक सबधी आपिरवािरक दोस-महीम सभ जे एक तरहेँआय सभकेँ बािर देने रहए। ओ समाजजे ओकर पिरवारक घटनाक चटखारालऽ कए चचर् करैत छल ।ओ घटना सभ जे ओकर िपताकमृयुक रहए । ओकर िपता ारा गेटिपटबाक घटनाक चरचा आिक आरकोनो गप।बािलका भावुक रहए कोनासिह सकैत छलीह। आमहयाक नामदए ओकरा मृयुदड देलक समाज।किवता१.देखैत दुदभीक तानिबच शािमल बाजाकसुनैत शूयक दृयकृितक कैनवासकहहाइत समुक िचअहार खोहक िचकलाक पाक शदक्यो देखत निह हमर िच एिह अहारमेतँ सुनबो तँ करत पाक आकांक्षाकवरसागरक िहलकोरमे जाइत नाहक खेबाहिहलकोर सुनबाक निह अवकाशदेखैत अिछ वरक आरोह अवरोहहहाइत लहिरक निह ओर-छोरआकाशक असीमताक मुदा निह कोनोअतसागर तँ एक दोसरासँ िमिल करैत अिछअसीमताक मा छ, घुमैत गोलपृवीपर,चपर घुमैत अनतक छ।मुदा मनुक्ख तािक अिछ लेनेएिह अनतक पिरिधपिरिधकेँ नािप अिछ लेने मनुक्ख।ई आकाश छक तँ निह अिछ िवतार,एिह अनतक सेहो तँ निह अिछ कोनोअत?तावत एकर असीमतापर तँ करिह पड़तिवास!वरकेँ देखबाकिचकेँ सुनबाकसागरकेँ नाँघबाक।समय-काल-देशक गणनाक।सोहमे छोिड़ देल देखबअहार खोहक िच,सोहमे छोड़ल सुनबहहाइत सागरक विन।देखैत छी वर, सुनैत छी िचकेहन ई साधकबिन गेल छी शािमल बाजाकदुदभी वादक।*राजथानमे गाजा-बाजावलाक संग िकछुतँ एहेन रहैत छिथ जे लए-तालमेबजबैत छिथ मुदा बेशी एहन रहैत छिथजे बाजा मुँह लग आिन मा बजेबाकअिभनय करैत छिथ। हुनका ई िनदशरहैत छिह जे गलतीयोसँ बाजामे फूकनिह मारिथ। यैह छिथ शािमल बाजा।‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्109


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्पाक जािठतबैत पोखिरक महार दुपहिरयाक भीत,पत गाछ-बृच्छ-केचली सुषुम पािनिशक्त।जािठ लकड़ीक तँ सभ दैछ पाकजािठ ई पिहल,कजरी जे लागल से पुरातनताकतीक।2दोसर टोलक पोखिर निह, अिछ डबरावैह,िबन जािठक ओकर यज्ञोपवीत निह भेलकारण सएह ।सुनैत िछऐक मािलक ओकर अिजछल,पोखिरक यज्ञोपवीतसँ पूवर्िह याणकएल।पाइ-भेने सख भेलिह पोखिर खुनाबी,डबरा चभच्चा खुनेने कतए यश पाबी।देखू अपन टोलक पाक जािठ ई,कंीट तँ सुनैत छी, पािनयेमे रहनेहोइछ कठोर,लकड़ीक जािठ निह जकर जीवन होइछथोड़।िपताक व3िपताक विपताक छल आशझूठ बजनाइ पाप,गलत काजक सवर्दा याग ।सभ होए समृ,साधारण जीवन उम िवचारक बीच।करैत पालन देखल जे,बुरबक बुझैत अिछ लोकतँ की बदली? अपन िशक्षाक अथर् !यािग रता मुदा वैह लयआ रता िजिदयाहवला !मुदा बजने की ? बस करैत रहूसोझाँवलाकेँ बुझए िदयौक,जे छी हम बुरबक।जावत बुझत तावत भऽ जएतैक हािर,िपताक सयकेँ झुकैत देखने रहीिथतज्ञतामेतिहये बुझने रही जेयाग निह कएल होएतरता ई अिछ जे िजिदयाहवला।4यौ शतानद पुरिहतयौ शतानद पुरिहतअगहन शुक्ल िववाह पंचमी,िववाहक सभसँ नीक िदन,पुरिहत शतानद,राम सीताक िववाह कएल सप ।खररख वाली काकीक िववाह,सेहो िववाह पंचमीएकेँ भेल,पुरिहत सेहो कोनो पैघे पिडत रहिथ,सीता दाइ कतेक क कटलिह,मड़बापर िचकला िलखल रहएिमिथलाक,पिरछन, नैना-जोिगन सभटा भेल,ओिहना जेना भेल रहए सीता दाइकिववाहमे ।बाल-िववाह तँ भेले रहिह खररख वालीकाकीक,िववाहोक िदन सभसँ नीक,नैना जोिगन, जोगक गीत,िकछुओ कहाँ बचा सकल,भऽ गेलीह िवधवा।कहैत छिथ हमर संगी,जिहया लऽ जाइत छिथ ओ भौजीकेँ,पेंशनक लेल दानापुर कैट,िवधवा भौजीकेँ देिख,भीतरे-भीतरे कनैत रहैत छिथ ।बाबूकेँ कहलिह जे िवधवा िववाह हेबाकचाही,तँ मािर-मािरकेँ ओ उठलिथ,नेऊराक राजपूत बाबूसाहेबक ईखानदान,बड़ कािबल भेलाह ई,मुदा अिछ बुझल हमरो,कुहरैत रहैत छिथ बापो ।मुदा बोझ उठेने छिथ समाजककुरीितक,उपाय कतए छिन कोन दोसरो।5िनगदित कुसुमपुरेऽयिचर्तं ज्ञानम्िनगदित कुसुमपुरेऽयिचर्तं ज्ञानम्चयाणक पूवपर,आयर्भटक उोष पड़ैत अिछ मोन ।एिह कुसुमपुरमे करैत छी ज्ञानक वणर्न,नापल पृवी,सूयर् आ चक यास,पृवी अचला निहअिछ गितमान ई भू ।भं अिछ तरेगण जे अिछ अचल,हण निह राहुक ास, वरण अिछमा छाह।चलू चयाणक लेल बधाई,इसरोक वैज्ञािनक लोकिनकेँ आ माधवननायरकेँ,आएल अयर्भक पंह सए साल बादो तँकी !ओिह देशवासी लए निह िवलिबत,लीलावती पिढ़यो कए जे निह गािनसकलाह तरेगण,कुसुमपुर निह तँ ीहिरकोटामे सैह ईिदन।कुसुमपुरमे ज्ञानक वणर्न निह तँ,कमसँ कम कसुमपुरसँ दए तँ िदयौकबधाइ,चमाकेँ छूबाक लेल थारीमे पािन निहराखब आब,आयर्भटिवह िनगदित कुसुमपुरेऽयिचर्तंज्ञानम्कमसँ कम कसुमपुरसँ दए तँ िदयौकबधाइ।‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्110


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्कुमार शुशा तडिटकए जलपानएकटा किवताक भाव िनि चतरुपसँ मरण होयत,“सात समुक जलकेँ याहीबनादेलजाए,वनक जँगलके लेखनी,सम त धतकेँ कागज बनादेलजाए,तखनो भगवानक मिहमा पूणर्रुपसँनिह िलखल जाऽसकैया”भगवानक मिहमा त छोिड िदयएतबा में त डटकेजलपानेक मिहमा नईअटत। डटकेजलपान हूनक वा तिवकनाम छि ह िदबसलाल। जे हुनकर कमनभेटल छि ह हुनक िकछु मिहमा तुतअइछ,कीऋ पिरक्षाक सें टर गामसँ ७०िक.िम. दूर एकटा कूल में रहें, आवत–जावत नई संभव हाएत ई िवचार कऽकगामक १० टा जे पिरक्षाथ छल सबगोटेएके ठाम डेरा लेनहुँ। पिहलबेरअिभभावकके नजरसँ दूर वच् छंदलंगोिटया यार–दो त संग रहबाक मौकाभेटल। उमंग–उ साह त एते िक बणर्नेउिचत नई। ओ हर अिभभावकके िकफुरौलिन से भगवान जानिथ। देख–रेखलेल संग लगौलिन डटकेजलपानके।एक त राकश मंडिल उपर स योत सेभेट गेल, डेरामें समानसब राइखकऽेश होयबाकलेल कोका–कोला िपबाकिनणर्य भेल मंइिलके। दोकानपर पहुँिचतेहुकुम भेल दोकनदारके,“दसटा खूब ठंढा कोका–कोलादऽ”डटकेजलपान लगा कुल संख् याछल एग् यारह, मुदा जािन–बूझकऽ मंगनऊदशेटा।आवशुरु भेल िववेचनएकटा िम “जा हुनका नइभेटलिन ”दोसर “नई–नई हुनका देबो नइकरबिन ”तेसर “से िकया ?”चौथा “बड़ कडा िनशा होइत छैकअइ में”सब गोटे जािह मंशासँ ग प नारनेछलहुँ से पुरा भेल, डटकेजलपानबजलिथ।डटके “उबारु सब, माँए बापपिरक्षा देबला पढएने छि ह आ ईसबएतऽ दारु िपबइ छिथ ”एक िम “तोहरा अपन ँबतजभचके शपथ छह, कतौ बिजहऽ नई ”अंगूठा ाप, ँबतजभच के मतलबनई बूझलिथ ताएँ झगड़ा नई कएलिथ,एतबे बजलिन“िठकछई–२ नइ कहब ”।िकछुदेर सऽबके िपबैत देख नइरहलगलि ह, पूिछ बैसलिथ,“कते कड़ाहोइछै एकर िनशा ?”िम “नइ पूछह, झूमा देतौ ”डटके “(मूंह िबचकबइत) हूँह,केहन–२ भाँग–धतूर के त िसधें घॲिटजाइ िछयिन त ई िक झूमाओत ?”िम “कहैत िछओ ने , भूिलयोकऽनई िपिवहऽ ”डटके “एहन बात छइ तहन लबहीतरे ”लेलिथ कोका–कोला; मुि कलसँआधा बोतल िपने रहिथ िक लड़बड़ाईतआवाजमें कहैछिथ “हमराकान में फहऽहऽहऽ करईया ”एक िम “हौ, ई कोन िबमारी भेल”दोसर िम “िबमारी नई, िहनकािनशा लािग गेल छि ह ”हौजी एतवा सुिनते आधा बोतलकोका–कोला हाथमें नेने ओराएलगलिथ रोडपर। आबत भेल भीड़, जेतुरे आएल रहिथ हूनक एकैटा नरहि ह– “िक भ गेल छि ह ”“िनशा लागल छि ह ”“िक लऽ लेलिथ ”“कोका–कोला ”“बड़ नौटंिकयाह लोक छिथ,ओइसँ कोनो िनशा लगइ छइ ”जइन एतबे जवाब िधरे–िधरे ज माभेल पचासटा लोकसँ सुनलिथ तइनठाढ भऽ क देहपर लागल मािट झाड़ैतबजलिथ,“उबारु सब, झूठे िकयाबजैजाइत गेले हऽ जे िनशा बला िचजछइ से, करा देले ने बेइ जित”।एकटा िम “तॲ िकया िचंता करैतछऽ बेइ जितके?, ओकरा करऽ दहक नेजकरा ठाम इ जत छई ”।“बोिन िनक भेटल” चच करैतसब गोटे पहुँचनऊ डेरामें।आब िनणर्य भेल भोजन लेलजएबाक।बेरा–बेरी भोजन कऽक आएलजाए।२ रुपैयामे भिरपेट भोजन पिहनिहंएकटा होटलमे तय कऽ क एडभा स१० रुपैया जमा सेहो करा चुकलछलहुँ। होटलके नाम किहकऽ सबसँपिहने भोजन करबाकलेल पठाओलगेलडटके जलपानकेँ। घ टा दू घ टा, चािरघ टा भऽगेल मूदा डटके जलपानअएलिथ निह। िच ता सँ बेसीकौतुहुलतावश हुनक तलाशमे सबगोटेिनकललहुँ। होटल आगा पहुँचलहुँ तफेर सँ नजर पडल िकछु लोककभीडपर। पहुिचते देखैत छी जेडटकेजलपान आओइ होटल मािलक बीचगमगरम बहश भऽरहल अिछ।होटल मािलक “हम कोनहुँिकमतपर नईं खुवा सकैत छी”डटके– “अपने मने नई खुएबे, पाईदेने िछयौ, फोकटमे नईं”बीच बचाव करैत होटल मािलकसँ न पुिछ बिसलहुँ–“की बात ”‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्111


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्जबावमे खाना बनाबऽवला महराजबडका ह डाके करछुसँ िपटैत पहुँचलओतऽ जतऽ हमसब ठाढ छलहुँ।दोकानदार–(खाली ह डा िदस ईशाराकरैत)“आब बुमाएल बात”िकछुदेरक चु पीक बाद, फेरसँ हाथजोिडकऽ बजलिथ–“सरकार हममनुख् खक भोजनके बात कएने छलहुँ”हमसब कहिलयैि ह–“ई त ऊचीतनई भेल ! हमसब त एडभा स देने छी”दोकानदार ग लामेसँ १२ टकािनकािलकऽ, लगमे आिब हाथमे पकडादेलक आ कानमें िधरेसँ कहैया–“बारहटका देलहुँ, १० टका जे अपनेएडभा स देने छलहुँ से आ सुनु–ऊ जेसामनेके होटल अिछ(सामनेके होटलिदस ईशारा करैत) ओकरा मािलकसँबड किसकऽ दू िदन पिहने हमरा मगडाभेल छल, उपरका जे फािजल दू टकाअिछ ओ हमरा तरफसँ घूसभेल, अईआदिमके काि हसँ ओही होटलमें पठाऊ”दोकानदार सँगे सब िमके हँसैत–हँसैत पेट दुखाए लागल।डटकेजलपानअथतिदवसलालजीक एक एकटा काजक वणर्निलखऽमे जॱ समुक पािनके मसीबनादेल जाए त भलेही समु सुखा जाएमूदा िदवसलालजीक कारनामा नई िलखासकत। ध यछिथ....िदवसलालजी!ीमित लमी ठाकुरउ 60 वषर्, ाम- हैँठी-बाली, िजला मधुबनी।षडदल अिरपनिमिथलामे भगवती पूजाक अवसर पर ई अिरपन पाड़ल जाइत अिछ।एतय देवी भागवत पुरानक षटकोण यं पारल गेल अिछ।छः टा कमल दल एिहमे अिछ। आिदशिक् भुवनेरीक पद िचह आ पचोपचार पूजाक सामीसँ युक् ई अिरपन अिछ।‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्112


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्काशीकात िम "मधुप" (1906-1987)’राधािवरह’ (महाकाय) पर सािहयअकादेमी पुरकार ात मैिथलीकशत किव आ मैिथलीक चार-सारकसमिपर्त कायर्कत ’झंकार’ किवतासँाित गीतक आान कएलिन । कृितेमक िवलक्षण किव । ’घसल अठीकिवताक लेल कय आ िशप-संवेदना—दुहू तर पर चरम लोकियताभेटलिन।मधुप जीक किवतामय िची(अकािशत प-डॉ.पालन झाकसौजयसँ)िच. ी चकात िम शुभाशीवदपािबअहाँकेँ कुशल िथकहुँ सादगामहुमे पिरवार अपन आनदअहॴक हेतु छल िचितत िचअनत।घेंट-पेट ओ तैठ पेटसँ हीनउदय रहए अिछ मनिह मन िकछुिख।मंगलमय ी मंगल झा सूरधामकाशीवासी ’तिज वनता’ आराम।अहूँ हुनक सेवामे मेवा छी चखैतछी तिहठाम जतए केओ निह अिछझखैत।(चकात िम-मधुप जीक छोटभाइउदय- चकात िमक बालकचकात िमक िववाह मंगलदझा, गाम हरौलीक कयासँ।मंगल झाक काशी वासमे िलखलप, सूयर्क उरायणमे गेलापर मृयुकवरण, संगमे उदय आ मंगल झाक पौी ु (कुमार झा सेहो संगमेरहिथ।)महाकाश (१९४६- )जम वनगाँव, सहरसा। १९७२ ई. मे पिहल किवता संकलन "किवता संभवा"।सुभाषच यादवआधुिनक मैिथली कथा-सािहयमेएकटा नाम जे सविधक वीकृत आिसि पौलक अिछ, ओ िथक-सुभाष च यादव। सुभाषक कथा-याा पर दृिपात करैत ई लगैतअिछ जे ओ कथाक अवेषणकयलिन अिछ। ायः लेखनकआरभ किरते ओ अनेक थान आअनेक भाषाक याा शुरू कयलिन।ई याा वा भटकाव, जे हुनकिनयित सेहो रहल अिछ, हुनकाअनुभव सँ लैस कयलक, तीणदृि देलक आ अपन समकालीन सँअलग िविश सांचामे ढािल देलक।‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्113


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्आतंकवाद महवाकांक्षाकखेतमे आकुरण होइतअिछआतँक ाणी जगतमे आिदम युषा सँ चलैत आिव रहलअिछ। ाणीके अपन अपार,शिक्त आ कायर्क्षमताक कारणेआतँकक पिरणाम आ कार सभमेिविवधता देखल जा सकैत अिछ।पुराणािदमे विणर्त देवासुरसंामसभ आतँकवादीक ृंखलाकमहागाथा अिछ। मिहषासुरकिया कलाप सँ आतँककीतदेवतागण शिक्तक आराधनामेलािग नारी ारा छल प चरचना कऽ ओकरा समा तकयलगेल सँग दुग स तशितमेविणर्त अिछ। रावणक आतँकसमा त करवालेल राम अनेकजाितक सहयोग ल समाजकेमुिक्त िदलौलिन। तिहना कंशकउ माद अती भेलाक प चातएकटा सामा य गोपाल कृ णकरुपमे अवतरीत भेलाह।कहवी छैक, बीनु बीज वृक्षकआकुरण निह होइत छैक।महे कुमार िम (पूवर् सांसद, नेपाल)अमेिरकाक ज माओल साम आओसामावीन लादेन अमेिरका िवरुिकयाक आततायी भ गट भेल ?इि दरा गाँधीारा पालीत स तजनल िसंह िभ डेरबाला इि दराकाणे ल लेलक। ओसामावीन आओमार आजुक युगक िव वकेसविधक शिक्त स प नअमैिरकाक िन न आ भूख उडादेनेअिछ। आतँकवाद किहयोमह वाकाँक्षाक खेतमे अंकुरणहोइत अिछ आ अ याय अ याचार,शोषण आ दमनक वषमै वढैत यात ताही ृंखला तोडैत अिछ िकत अपने समा त भ जाइत अिछ।संसारक आतंकके इितहास ओएहपिरणाम देखवैत अिछ। िहंसामेितिहंसा जकां आतंकवादी सभमा अपने ह या िहंसा, लुटपाटआ अिगलग् गी निह करैत छैकदोसर पक्षके सेहो ओहने काजकरवालेल वा य करवैत अिछ।संसारक रत पक्षके गहॴर संअ ययन, मनन कयला उपरा तएकरा सभहक िया कलापकपिरणित, इएह मािणत होइतअिछ।आतंक श द सँ कोनो हैजाककोप आ कठोर अ याचार‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्114आिदसँ उ प न होवए बला भयकेवोध करवैत अिछ। आतंकमे वादजोिडदेलाक बाद एकर अथर्मनु यकै डेरा क धमका क याास सृजन क क िहंसा मकिवोहक रुपमे अपन भु व थािपत क काज िस करवाकिवचार आ िसा त बुझना जाइतअिछ। दोसरके स पित लुटव,घरमे आिग लगाएव, पर ीसंगबला कार करब, समाजमे उ पादमचाएव एहन दु कमकै दुराचारीकहल जाइत अिछ।तानाशाही चाहे जेकर होउक,जॉजर्बुशक हौउक वा मुसरर्फकैएकरा कौनो दृि टए नीक निहमानल जायत। कानो रा टकतानाशाही आ दादािगरीके एक नएक िदन िवनाश होयबेटा करैतअिछ। आव ओ युग निह रिहगेलजे लोक बुझौक परमे वरकअनुक पासँ गभर् धारण भेल, ईलोक मानए लेल तैयार निहरिहगेल। ककरोलेल तोपकसलामी आ केओ लाठी,बुट आगरमे गोली खाई, आजुक मानवसमाजक चेतना एकरा सह लेलतैयार निह अिछ। िव वक कोनोठाम जे िवोह भेलैक तकर


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्समाधान करवाक काजक दािय ववाहक अपना आपके िविश ट निहसामा य तरक ख डमे राखयतखने ई सम याक समाधान भसकैत अिछ। २००७ साल सँपालीत, पोिषत आ वढैत आएलसामािजक िवोहक तरकेमाओवादी लगायत तथाकिथतजात वादी दलसब तराईसम याकेँ जाइन बुिझ क अखनोकाय वयन पक्षकेँ कमजोरबनािवक रखने अिछ। िपडीत पक्षअखनो िव व त भ निह पािवरहलअिछ। नेपालक स दभर्मेमाओवादी १० वषर्धिर हिथयारउठा जनिवोह कएलो उपरा तसबपक्षके समेट निह सकल।संगिह आन पाट सैहोिपडीत,उ पीडीत,रा यक संरचनासँ दूर रहए बला वगर्क ितइमा दार निह रहल त दौसरिवोहक स भावना अव स भावीअिछ।िवोहक अनेक शैलीआ पितम ये कम सँ कम जनआतंक आजनधनक क्षित होइक एहने शैलीएवं आचरण मा िवशवमेअनािदकालसँ सामािजक मा यतापबैत अिछ। सामािजक रूपारणहिथयार निह िवचार सँ कएलजाइक तखने िटकाउ भ सकैतअिछ। आसुरी ताल या वृितएकटा वाभािवक कमजोरीअिछ। सिह णुता सं कारकउदाीकरण अिछ। मनोिवज्ञानओ ही त यकेँ मा यता दैत छैकजकर श त माणसब छैक।३० वष प चायती शासन वेच् छाचारी, हुकुमी, िनरंकुशसाम ती वृितक छलेैक त२०४६ सालक जनआ दोलन यव थामे पिरवतर्न लौलक तथािपवृितमे कोनो पिरवतर्न निहदैखलगेल। पूवर् राजा ज्ञाने ाराफेर सँ अएह शासन णालीकेँपुनरावृित कर चाहलक मुदासफल निह भ सकल। ज्ञाने कमह वाकांक्षा बढैतगेल जकरफल वरुप देशक जनतागणत ो मुख होइत आई दैशमेगणत थापना भ गेल अिछ।आव जौ कोनो कारक वाधा यवधान उ प न करबाक कोिशशकायलगेल त िवोह बढवेटाकरत। संिवधानसभा मूा निहसमाधाने मूा अिछ। संिवधानसभाक िववचन प चात मधेशकसाथ कोनो दल धोखा देवाकधृ टता करत त पिरणामअिन टकारी होयत। रा ट दोसरदुगर्ितकेँ आम ण करत। मधेशकजनता अखनधिर उपेिक्षत,उ पीिडत रहल, समान अिधकारआ समान पिहचानकलेल लालाइतरहल मधेशक मूापर यिदराजनीित करबाक धृ टता करतत वािभमानी मधेशी जनता फेरिवोहमे उतरत, मधेशी जनतामधेशवादी अिछ, मा मधेशवादीगणत वादी निह। गणत वादीकिह जनता भॲट निह देलक आइिकछु नेता कहैत छिथ, “हामीगणत वादी हॱ” हुनका “हामीमधेशवादी” कह मे लाज िकएक? आबक संिवधान जनआ दोलन२०६२।०६३ तथा मधेशआ दोलनारा ा त जनािधकारकस दभर्मे एकटा एहन संिवधानकआव यकता छैक जािह संिवधानकमा यम सँ नेपालक जनता सहीअथर्मे समावेशी लोकत ,ित पध मक बहुदलीय,बहुभािषक, बहुसां कृितक वरुपकसंगिह स बि धत अिधकार सबहकउपभोग क सकय। एकरा संगिह,एिह देशमे सैकड़ो वषर् सँ शोिषतरहल मधेशी समुदाय, दिलत,अ पसंख् यक, आिदवासी एवंजनजाती आव िनमण होवए बलानया संिवधानारा एकटाकु ठारिहत समु नत, समावेशी आिवकाशशील समाजक िनमण भसकै आ तकर यथाथर् अनुभूितअनुभव जनता कए सकय।‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्115


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्महे मलंिगयाकाश च झा : मैिथली रंगकमर्मेी-इन-वन-मैिथलीक सुपिरिचत नाटककार, रंग िनदशक एवं मैलोरंगक संथापक अयक्ष । लोक सािहय पर गंभीर शोध आलेख ।मैिथलीमे 13टा नाटक, 19टा एकांकी, 14टा नुड़ आ 10टा रेिडयो नाटक कािशत आ आकाशवाणी सँ सािरत । सीिनयर फेलोिशप(भारत सरकार), इंटरनेशनल िथएटर इंिटच्यूट (नेपाल), बोध सािहय समान आिद सँ समािनत । संित योितरीर िलिखतमैिथलीक थम पुतक वणर्राकर पर शोध कायर् । ी महे मलिगयाक जम २० जनबरी १९४६ मे मधुबनी िजलाक मलंिगया गाममेभेलिह। मलंिगयाजी मैिथली िहदी, अंेजी आ नेपाली भाषाक जानकार आ िथयेटर िशक्षण, पटकथा लेखन आ तसबधी शोधकीलास िशक्षक छिथ। समान, उपािध आ पुरकार: २००६(सीिनयर फ़ेलो, मानव ससाधन िवकास िवभाग, भारत सरकार), २००५ ई.मे मैिथली भाषाक सविधक ितित बोध समान, उनाप समान, परवाहा (उवा नाय पिरषद, परवाहा), भानु कला पुरकार (कलाजानकी संथान, जनकपुर), २००४- पाटिलपु पुरकार ( ांगन िथएटर, पटना), इटा पुरकार (किटहार इटा, किटहार), २००३-गोपीनाथ आयर्ल पुरकार (इटरनेशनल िथएटर इटीयूट, नेपाल), याी चेतना पुरकार (चेतना सिमित, पटना), बैनाथ िसयादेवीपुरकार (बी.एस.डी.पी. काठमाडू), २०००- चेतना सिमित समान (चेतना सिमित, पटना), िजला िवकास धनुषा सािहय पुरकार (िजलािवकास सिमित, जनकपुर), १९९९- िवापित सेवा संथान समान (िवापित सेवा संथान समान, दरभंगा), १९९८- रंग र उपािध(अतरीय मैिथली सािहय पिरषद, राँची), १९९७- सवम िनदशक पुरकार (सांकृितक संथान, काठमाडू), १९९१- भानु कलापुरकार, िवराटनगर (भानु कला पिरषद, िबराटनगर), १९९०- सवर्नाम पुरकार (सवर्नाम सिमित, काठमाडू), १९८५- आरोहण समान,काठमाडू, १९८३- वैदेही पुरकार (िवापित मारक सिमित, राँची),शोध कायर्: सलहेस: एकटा ऐितहािसक अययन, िवरहा: िमिथलाक एकटा लोकरूप, सामा चकेबा: लोकनायक एक अवलोकन,सलहेसक काल िनधरण, िवापितक उगना, िशवक गण, मधुबनी एकटा नगर अिछ, हम जनकपुर छी, ई जनकपुर अिछ।िहनकर दू टा पोथी “ओकरा आँगनक बारहमासा” आ “काठक लोक” लिलत नारायण िमिथला िविवालय, दरभंगाक मैिथलीपायममे अिछ। िहनकर दू टा पोथी िभुवन िविवालय, काठमाडू केर एम.ए. पायममे अिछ। िहनकर कैकटा आलेख आिकताब सेकेडरी आ हायर सेकेडरी पायममे अिछ।कािशत पोथी: नाटक: ओकरा आँगनक बारहमासा, जुआयल कंकनी, गाम निञ सुतय, काठक लोक, ओिरजनल काम, राजासलहेस, कमला कातक राम, लमण आ सीता, लमण रेखा खिडत, एक कमल नोरमे, पूष जाड़ िक माघ जाड़, िखच्चिड़, छुतहा घैल,ओ खाली मुँह देखै छै। ई सभटा कैक बेर आ कैक ठाम खेलाएल गेल अिछ। एकाी: टूटल तागक एकटा ओर, लेवराह आहरमेएकटा इजोत, गोनूक गबाह, हमरो जे साब भैया, “िबरजू, िबलटू आओर बाबू”, मामा सावधान, देहपर कोठी खसा िदअ, नसबदी,आलूक बोरी, भूतहा घर, ेत चाहे असौच, फोनक करामात, एकटा बतािह आयल छलय, मािलक सभ चल गेलाह, भाषणक दोकान,फगुआ आयोजन आ भाषण, भूत, एक टुकड़ा पाप, मुहक कात, ाण बचाबह सीता राम, ओ खाली घैल फोड़य छै। ई सभटा मंिचत भऽचुकल अिछ। २५ टा चौबिटया नाटक: चयुह, लटर पटर अहाँ बद करू, बािढ़ फेर औतय, एक घर कानन एक घर गीत, सेर परसवा सेर, ई गुर खेने कान छेदेने, आब कहू मन केहेन लगैए, नव घर, हमर बौआ कूल जेतए, बेचना गेलए बीतमोहना गबए गीत, मोड़पर, ककर लाल आिद। ई सभटा चौबिटया वीथीपर खेलायल गेल अिछ। ११ टा रेिडयो नाटक: आलूक बोरी, ई जनम हम यथर्गमाओल, नाकक पूरा, फटफिटया काका आिद। ई सभटा टा पटना, दरभंगा आ नेपालक रेिडयो टेशनसँ सािरत भेल अिछ। सपादन:मैिथली एकाी (सािहय अकादमी, नई िदली), िवदेहक नगरीसँ (किवता संह), मैिथली भाषा पुतक (सेकेडरी कूल पोथी), लोकवेद(मैिथली पिका)। कथा: ाद जिड़ गेल, धार, एक िदनक िजनगी, बनैया सुगा, बालूक भीत, बुलबुला आिद। लघुकथा: डपोरशंख,मुहिचड़ा आिद। सदयता: अयक्ष, मैिथली लोक रंग, सदय कायर्कारी बोडर्, िमनाप, जनकपुर, याी मधुबनी, िमिथला सांकृितक मंच,मधुबनी। राीय आ अतरीय सेिमनार सभमे सहभािगता।—स पादक‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्116


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्१९७५ ई. मे हम जुआयलकनकनी नामक एकटा नाटक िलखनेरही, जे ओही साल कािशत भेलरहय। एिह नाटकक संगमे मैिथलीकसुिस सािहयकार जीवकांतजी अपनितिया यक्त करैत िलखने रहिथ –मलंिगयाजी, िमिथलांचलमे एखन ओहनअिभनेता निह जम लेलक अिछ, जेएकर तेजकेँ सहािर सकत। ई बातहम अपनहुँ महसूस कएने रही आ तिहएसँ हमर आँिख एिह बातक खोज करैतरहल, जे ओिह नाटकक अनुरूप कोनोअिभनेता भेिटतए।ओना िमिथलांचलमे अिभनेताककमी निह रहलैक अिछ, मुदा सभकिजनगी अपकालीन। िकएक तँ एिहठामएकरा टाइमपासक रूपमे देखैत अिछ।तेँ जहाँ कतहु नोकरी भेिट गेलैक िकओ रंगकमर् केँ ितलांजली द’ दैत अिछ।दोसर कोनो गािजर्यन ई निह चाहैतछैक, जे हमर बेटा रंगमंचसँ जुड़लरहय। िकएक तँ मैिथली रंगमंच केँ ओसामयर् निह छैक जे ओकरा रोजी –रोटी द’ सकतै। तेँ रंगमंच के छोड़’बाला नाम अनिगनत अिछ आ जुटलरह’ बाला नाम आँगुरे पर गनल। एहनआँगुरेपर गन’ बाला नाम अिछ –अिभषेक, चशेखर, मुकुल, संतोष(मधुबनीसँ), रवी, ओमकाश, रंजू,ियंका (जनकपुरसँ), संजीव, िकशोरकेशव, गुिड़या, वाित, िजतेनाथ,ियंका (पटनासँ), मुकेश, उपल,काश, योित, जीतू, कमल, दुगश,भाकरानंद (िदलीसँ) आिद।एिह सभमे काश किहया हमराभेटल - मरण निह अिछ, मुदा एतेकधिर अवय मरण अिछ, जे ओ कहनेरहय-“सर, हमर घर घॲघौर अिछ आहम आर. के. कॉलेज मधुबनी में पढैतछी”।“कोन कक्षामे ?”“बी.एस सी.क फटर् पाटर्मे ”।हमरा िदससँ कोनो ितिया निहअएबाक कारणें िकछु कालक बाद पुन:बाजल –“हम नाटकसँ सेहो जुड़ल छी ”।“कोन संथासँ ?”“मधुबनी इटासँ ”“बहुत खुशीक बात ”काश कोन अपेक्षा ल’ क’ हमरालग आएल रहय से ओ ने किहपओलक आ ने हम बूिझ सकिलऎ।मुदा, एतेक अवय जानकारी भेटैतरहल जे नुड़ नाटककेँ मधुबनी िजलामेबहुत लोकिय बना देलक अिछ। एेटािबजुिलया भौजीक पचासटा शो कएलकअिछ आ सभमे एकर अिनवायर्सहभािगता छैक। मुदा, ई हमर दुभग्यरहल जे एकर एकोटा शो हम नइ देखसकिलऎ। तथािप एतेक िवास भैए गेलजे नाटकक ित एकर लगन बेजोड़छैक।हमहूँ रहबे कएलहुँ आ इहो नाटककिरते रहल आ तखन जँ मंच पर भेटनइ होइतए तँ इहो असंभवे बाला बातभ’ जइतै। से भेलैक निह, एकरासँमंचपर भेट भैए गेल, मुदा किहया सेमरण निह अिछ। हँ, एतेक अवयमरण अिछ जे ाय: 1995 ई. मेिमिथला सांकृितक पवर् समारोहकअवसर पर हमरे नाटक ओिरजनलकामक मंचन नगर भवन, मधुबनीमेहोइत रहय। हमहूँ आमंित रही। जािहमे दरोगाक भूिमका काशे केने छल।ओिह नाटकमे ई शंसाक पा बनलरहय जकर उलेख दैिनक जागरण आदैिनक िहदुतान सेहो कएने रहैक।िकछु िदनक बाद गाम नइ सुतैए’कमंचन देखिलयैक ओहो मे गामक तीनटािबगड़ल युवकमे सँ एकटा िबगड़लयुवकक भूिमका यैह कएने छल। ओहीदुनू मे कयलगेल अिभनयक बदैलत ईहमरो मोन मे बैिस गेल। बादमे िबहारसरकार युवा मंालय, पटना िदस सँआयोिजत कायर्म मे एक बेर फेर हमरेिलखल नाटक हमरो जे साम भैयाकमंचन नगर भवन, मधुबनीमे होइत रहय।हमहूँ आमंित रही। जािह मे चारुवक्यके भूिमका मे काश रहै। मंचपर एकरादेखलाक बाद हमरा बड़ अपसोच भेलरहय जे जीवकांतजी एिहठाम नइ छिथ।ओ जँ आइ एिहठाम रिहतिथ तँ एकरअिभनय देिखक’ िनित अपन बात घुरािलतिथ जे ‘िमिथलांचलमे एखन ओहनअिभनेता निह जम लेलक अिछ’। बहुतिवलक्षण आ मुग्ध कर’ बाला अिभनयकएने रहएअ। तेँ हमरा कह’ पड़ल जेचारुवक्य के भूिमका एहन दोसर नइक’ सकैए।एकर बाद करिगल समयापरआधािरत नाटक दुलहा पागल भ’ गैलै मेसेहो अिभनय कएलक जे हम नइ देखसकिलऎक। हँ, मधुबनीक िडटीकलक्टर ी दीपनारायण िसंह जी सँजखन बात भेल तँ कहलिन जे खासक’काशच बड नीक अिभनय कएनेछल।ओना एिह बातक घमथर्न कखनो-कखनो उिठए जाइत अिछ जे अिभनेतातँ िनदशकक हाथक कठपुतली होइतअिछ। ओकरा जेना-जेना िनदशक कहैतछैक तेना-तेना ओ मंचपर करैत अिछ।जँ इएह बात सय छैक तँ एेटाभूिमका जखन दू आदमी करैत अिछतखन िकएक ककरो नीक आ ककरोबेजाए भ’ जाइत छैक ? एिह आधार परतँ सृजनामक ितभा अपन होइत छैकसे मानिहटा पड़त। आ तेँ ओ ओहनचारुवक्य क सृजन कएने रहय।फेर 2005 ई. मे रामाननद युवाक्लब, जनकपुर धाम (नेपाल) ाराआयोिजत नाय समारोह मे नेपालकअितिरक्त कोलकाता, िदली, दरभंगा आमधुबनीक टीमसभ भाग लेने छल।मधुबनीक याी संथा, िदलीक याीसंथाक रूप मे वेश पओने छल।कारण , ओिह समयमे अिधकांश याीक‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्117


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्अिभनेतासभ िदलीए मे रहैत छल तेँिकछुए नवकेँ समावेश कर’ पड़लै आकायप कमलक नाटक गोरखधंधा तैयारभ’ गेलै। एिह नाटक मे ओ सूधारकभूिमका कएने रहय जे काफी चिचर्तरहलै।मैिथली रंग जगतमे नव पीढीककतेको लोक छिथ, जे लगातार काजक’ रहल छिथ मुदा, ओिह जमातमेकाश कतेको कारणे सभहक यानअपना िदस खॴचैत अिछ। एक त’अपन रंग कालमे , काशक रंग वाहबड महवपूणर् छैक। दोसर ई जे –काशक ारा जराओल गेल सवर्रंगअिभयानक दीपक जे भाव मैिथली रंगजगत पर पड़ल अिछ ओ आरो बेसीशंसाक पा छैक। काशक रंगवाहक शुरुआत िमिथलाक एकटा छोटछीन गाम घॲघौर स’ शुरु होइत छैक।अपन नेनपने सँ गामक रंगमंच सँजुड़ैत, अपन िजला मधुबनीक नगरइटाक कायलय सिचव बनल आ इटामे एकर पाँच सालक कायर्काल अखनतक के ओकर वणर्काल कहल जासकैत छैक। ओत’ सँ िनकिलक’िविवालय तर पर अिभनय मे थमसमान सँ समािनत होइत राीय नायिवालय, िदली मे वेशक चयनियाक अंितम िया तक शािमलभेल। ओहो कोनो नामी-िगरामीिनदशकक संग कायर् करबाक अनुभवकिबना। फेर संगीत नाटक अकादेमी, नईिदली ारा िशक्षण ल’क’ ओकरे बाकीकायर्शाला मे कायर्शाला सहायकक रूपमे कतेको राय मे अपन िज़मेदारी केँसफलतापूवर्क िनभाबैत, सािहय कलापिरषद, िदलीक रंगमडल सँ गुजरैत,सॉग एड ामा िडिवजन, नई िदली मेकैजुअल आिटर्टक रूप मे चुनबैत आईराीय नाय िवालय, नाई िदली ाराअिखल भारतीय तरक ेतम रंगशोधपिका रंग संगक संपादन सहयोगीकरूपमे अपन महवपूणर् िज़मेदारी िनभारहल अिछ। ई त’ छल काशक अपनरंगपक्ष , जे िक हमरा सभ केँ सीधे-सीधे देखाइत अिछ। जे दोसर रूप छैओ ई जे मधुबनी सन छोट जगह मेकाश जे रंगदीप जरौलक अिछओकरपिरणाम ई छैक जे आई एिह छोट शहरमे सात-सात टा रंगकम रंगकमर् मेिशक्षणक लेल राीय ितभा छावृिल’ चुकल अिछ। कतेको रंगकमराीय तरक रंगिशक्षण संथान सँिशक्षण ात केलिह अिछ।2006 ई. मे मैिथली लोक रंग,िदली ( मैलोरंग ) ििदवसीय नायसहोसवक आयोजन कएने रहय जािहमेसहरसा, पटना आ िदलीक टीम (मैिथली लोक रंग ) भाग लेने रहैक। ईतीनू टीम मश: किनयाँ-पुतरा, पािरजातहरण आ काठक लोक मश: उपलझा, कुणाल तथा काश झा किनदशनमे तुत कएने रहय। उपलझा राीय नाय िवालय, नई िदलीसँ उीणर् छा, कुणाल केँ दस-पहनाटकक िनदशनक अनुभव आ काशझा केँ अिभनय छोिड़ िनदशनक कोनोअनुभव निह। तेँ लागल जे एिह दुनूिनदशकक बीचमे काश ओिहना दरड़ाजाएत जिहना जाँतक दुनू पाक बीचमेदािल। मुदा से भेलैक निह, काश झाआँकड़ जकाँ अड़ले रिह गेल। ेक्षकगुमी लािधक’ नाटक देखैत रहलाह।मुदा, जत’ हँस’क अवसर छलैक ओत’हँसबो कएलाह।नाटक समात भेलाक बाद काशदू शद कहबाक हेतु हमरा मंच परबजा लेलक। ओ िकएक हमरा बजौलकतकर <strong>अनुम</strong>ान एिह रूपमे लगौिलऎक –ाय: नाटक मे कएल गेल िकछु फेर-बदलक मादे िकछु कहताह। मुदा तािहसंगमे हम िकछु किह नइ सकिलऎक।कारण, ेक्षक हमर मुँह बद क’ देनेछल। तेँ हम ई बात कहबाक लेलबाय भ’ गेल छलहुँ जे दुलहन वही जोिपया मन भाए अथत नाटक वएह नीकवा िनदशक वएह नीक जकरा ेक्षकगभीरता सँ देखलक आ बुझलक।एतेक कहलाक बाद ओ राम गोपालबजाज जी केँ बजा लेलकिन। हुनकामंचपर बजएबाक दूटा कारण भ’ सकैतअिछ – पिहल, ओ भारतीय रंगमंचकएकटा िदग्गज रंगकम छिथ जेिमिथलांचलक सपूत छिथ आ दोसर,पिहल बेर िनदशनक क्षेमे आयल छलतेँ हुनक आशीवद काशक लेलआवयक छलैक। तेँ बजाजजी मंचपरअएलाह आ हमर बातक समथर्न करैतकहलिथन – मलंिगयाजी जे बातकहलिन अिछ तािहसँ हम सहमत छी।काश केँ जखन दशर्के सिटर्िफकेटदान क’ देलकै तखन हम ओिहपरहताक्षर नइ किरऎ से उिचत नइहोएत।एिह तुित के देखलाक बादिहदीक युवा आ संवेदनशील रंगदृिरखिनहार रंग समीक्षक संगम पाडेजनसा में िलखने रहिथ —... मंच पर ये सभी पा चिर केकई बारीक िवयासॲ के साथ िदखाईदेते हैं। उनके भदेस में कहॴ भी कुछबनाबटी नहॴ लगता। और यही वजह हैिक कथावतु में िथितयाँ कई बारदोहराई जाकर भी अपनी रोचकता नहॴखोतॴ। मंच पर पीछे की ओर दाएँमंिदर का चबूतरा है। बाईं ओर एकपूरा का पूरा वृक्ष, और चबूतरा एक पूरापिरवेश बनाते हैं। इस पिरवेश में साधुकी पीतांबरी वेशभूषा एक िदलचपकंाट बनाती है”।संगम पाडेक उपयुर्क्त कथनिनित रूपे काशक नाय िनदशकसंग ओकर मंच पिरकपना आ विवयासक दृिक सेहो मजबूती दानकरैत छैक।2005 ई. मे वाित फाउडेशन,िदली हमरा बोध सािहय समान देनेछल, जे कलकामे दान कएल गेल।उक्त समानक अवसर पर डॉ. उदय‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्118


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्नारायण िसंह ‘निचकेता’ ारा रिचत एकछ्ल राजा नामक नाटकक मंचनकोिकल मंच, कोलकाता ारा कएल गेलछल। हमरा बगलमे बैसिल हमर पीिजनका साक्षर मा कहल जा सकैएपूिछ बैसलीह“कखन नाटक समात होएतैक” ?एिहपर हम कहिलएिन जे एकचौथाई बाँकी अिछ। अवलोकनजयथकान सँ ओ अपने-अपने बािज उठलीह“एह, तखन तँ आधा घंटा सँबेिसए बैस’ पड़त”।आब कोनो ेक्षकक मुँहसँ िनकलल“बैस’ पड़त” शद नाटक दशर्नपरएकटा पैघ िचह लगबैत अिछ।इएह समान 2007 मे मयानदिम केँ भेटलिन। ओिह समानकअवसरपर डॉ. निचकेता ारा रिचतनायकक नाम जीवन, एक छल राजा ,रामलीला, यावतर्न आिदमे सँ कोनोएकटा नाटकक मंचन होएबाक चाही सेिवचार कएल गेल छल। संगिह थानबदिलक’ िदली पर मोहर लािग गेलछल। उक्त आयोजनक सपूणर् अिभभाराकाश च झा केँ भेटल छलैक। तेँओ निचकेताक सभ नाटक मंगौलक।गभीरता सँ पढलक आ अंतमे एक छलराजापर आिबक’ केित भ’ गेल।निचकेताक जतेक नाटक छैकओिहमे सँ सभसँ नीक नाटक एक छलराजा अिछ जे ाय: 1970 क दसकमेकािशत भेल रहैक। एकरा जँ एनाबूझी तँ किह सकैत छी जे जिहयाकाश जमॲ निह लेने होयत तिहए ईनाटक कािशत भेल रहैक। तेँ जतेकजे एिह नाटकक मादे कािशत भेलछल होएतैक तािहसँ ओ पिरिचत निहछल। तथािप ओिहमे सँ एक छल राजाकेँ चूिन लेलक से ओकर िनदशकीयदृिक माण दैत छैक। कारण,िनदशक वाते नाटक चयन एकटाअहम मुा रखैत छैक।जँ सय पुछल जाए तँ ओ नाटककाश च झाक हेतु एकटा चुनौतीभरल काज छलैक। एखन धिर जतेकिनदशक ओकरा तुत कएने छलओकरा कओमा आ पूणर्िवराम सिहतमंचपर उतािर दैत छल तेँ ेक्षककेँ पुछ’पड़ैत छलैक जे आब कतेक नाटकबाँकी अिछ। एहन िथित उपहोएबाक कारणपर िवचार करबासँ पिहनेहमरा नाटक कथानकपर िवचार सेहोकर’ पड़त।एिह नाटकमे राजा साहेब नामकएकटा जमीदार अिछ जकर जमीदारीपुखक समयसँ धीरे-धीरे कमल जाइतछै। राजा साहेब लग आिबक’ िवपतापराकाापर पहुँच जाइत छै। कजर्कबोझ ततेक ने बिढ जाइत छै जकरासधाएब मिकल भ’ जाइत छैक।फजूल खच आ िवलािसताक कारणेँ एिहिथितमे पहुँचब एकटा िनयित छैक।फेर ओही जमीदारीमे पलल राजासाहेबक िपताक अवैध संतान धिनकलालशहर जाइत अिछ। ओिहठाम अपनलगन आ पिरमसँ काफी धनोपाजर्नकरैत अिछ आ राजा साहेबक हवेलीकीनैत अिछ। फेर ओहो वएह काजसभकर’ लगैत अिछ जे राजा साहेब करैतछलाह।आब ई उठैत अिछ जे एकटाजमीदारकेँ तोिड़क’ दोसर जमीदारकेँठाढ करबाक की औिचय छैक ? जँठाढ भइए जाइत छैक तँ दरबारमे राजासाहेब जकाँ हवेलीमे मोजराक आयोजनकरबाक की योजन छैक ? जखन ईबात प भ’ जाइत छैक जे राजासाहेब अपन बेटी मोिहनीक िववाहआिथर्क तंगीक कारणेँ नइ करा रहलछिथ तखन ओकर ेम संगक एतेकदृयसभ रखबाक कोन योजन छैक आअंतमे ओकरा ेमीकेँ खलपा बनएबाककोन औिचय छैक ? कोनो िनयितकिवरु बेर-बेर धिनक लालक मुँह सँितशोध लेब कहयबाक कोन जरूरीछैक ? राजा साहेब तँ अपन करनीकफल पािबए गेल छलाह जे हवेलीबेिचक’ सड़कपर आिब गेल छलाह।उपयुर्क्त सभ पर काश नीकजकाँ िवचार कएने छल। ओकर दशर्निट देिखक’ हमरा लागल जेओकरामे नाटक दशर्नक समझदारीछैक।नाटकसँ एक िदन पिहने हमराडेरापर एकटा काडर् आएल रहय।ओिहपर सपिरवार िलखल रहैक। तेँ हमपीसँ पुछिलयिन -“नाटक देख’ जएबैक” ?“कोन नाटक छै” ? पर ओ रखलिन।“एक छल राजा”“नइ जाएब”।“िकएक”?“कलका मे देखने छी। हमरानइ नीक लागल रहय”।“चलू ने, िनदशक बदलल छै,अिभनेता बदलल छै”।“मुदा नाटक तँ वएह रहतै ने”।“तैयो देिख िलयौ ने”।नाटक भेलैक। नाटक समातभेलाक बाद निचकेताजी केँ काफी खुशदेखिलयिन। एकर मतलब छलैक जेनाटक अपन ऊँचाई पािब गेल छल।वतुत: हमरो बड नीक लागल रहय ईतुित। हमर मोन मािन गेल छल जेएकरा नीक िनदशकक पाँतीमे राखल जासकैए। जँसे बात नइ रिहतै तँ नाटकएिह रूपमे नइ चमिकतै। रातामे हमपीसँ पुछ्िलयिन —“केहन लागल नाटक”?“बहुत बिढयाँ”“तखन कहै छिलऎ जे नइजाएब”।“हमरा थोड़बे बुझल छल जे एहननाटक हेतै”।ई छलैक एकटा साक्षर मालोकक मूयांकन। ी मायानंद िम,डॉ. गंगेश गुंजन, डॉ. देवशंकर नवीन,‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्119


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्डॉ. ओमकाश भारती आिद िदग्गजिवान लोकिन एिह तुितक शंसाकएलिथन। ओना दशरथ जखन भारजनकपुर पठौलिथन तँ जनकपुरबासीमेसँ क्यो बािज ऊठल—भार तँ बहुतबिढयाँ छिन, मुदा अंकुरीक अखुआ टेढछिन। एहन अखुआ टेढबाला लोकेक्षकक ितिया देिखक’ अपनाकेँ चुपेराखब उिचत बुझलक।एिह ठाम एकटा बात कह’ चाहब—आदमीक क्षमताक थानांतरण दोसरक्षेमे सेहो होइत छैक। यिद हम दिहनाहाथसँ ‘अ’ िलखैत छी तँ बामा हाथसँ‘अ’ सेहो िलिख सकैत छी। कारण,दिहना हाथक क्षमता बामा हाथमेथानांतिरत भ’ जाइत छैक। एहीअवधारणापर लोक कहैत छैक जे बी.ए.भ’ क’ घास िछलतै तँ मूखर्सँ बिढएजकाँ िछलतै िकएक तँ ओ अपन पढ’–िलख’ बाला क्षमता घास छील’ मे लगादेतैक। एिह मनोवैज्ञािनक तयकसयापन काश च झाकअिभनयामक एवं िनदशकीय क्षमतासँजोिड़क’ संगठनामक क्षमताकेँ सेहोदेखल जा सकैए। ओ जतबए नीकअिभनेता तथा िनदशक अिछ ओतबएएकटा सफल संगठनकत सेहो। आ हमसभ िकयो जनैत छी जे रंगकमर् मेसंगठनामक क्षमताक िवशेष महवछैक।एिहठाम संगठनामक क्षमताकेँरंगकमर्सँ जोिड़एक’ देखल जा सकैतअिछ कारण, भरतक नायशाकपैंितसम अयायमे नायदलक चचआएल अिछ जािहमे सूधार, अिभनेता,काकार, माली (मायकार), वणर्कार(मुकुट एवं गहना बनब’बाला), सूिचकार(दज), िचकार आिदक चच अिछ।हमरा जनैत एिह सभ केँ िमलाक’राख’बाला सूधार छल होएतैक। ईसभअपन-अपन योगदान नाय दशर्नमे दैतछलैक। जँ एकरा सभकेँ िमलाक’ निहराखल जैतैक तँ नायदशर्न असंभवभ’ जइतैक। अत: एकटा सपूणर्रंगकमक हेतु संगठनामक क्षमताआवयक भ’ जाइछ।2005 ई. मे जनकपुर नायमहोसवक आयोजन कएल गेल रहैक।एिह आयोजन मे याी टीम भाग िलअयसे हमर हािदर्क इच्छा रहय। मुदाकलाकारसभ िबखरल रहैक। सभएकठाम जमा होएत आ नाटक करत सेसंभव निह बुझाय। तथािप एकबेरजानकारी देब आवयक छल। एतदथर्बीस-बाइसटा मेबरमे सँ काश केँटेलीफोन कएिलऎक। कारण, ओकरसंगठनामक क्षमतासँ हम पिरिचतछलहुँ। दोसर जँ गिछयो िलतएअ तँसंगठनामक क्षमताक अभावमे जएबोकिरतएअ िक निह तािहपर हमर िवासनिह छल। खैर, ओ हमर इच्छाकेँ सहषर्वीकार क’ लेलक आ पह-सहआदमीक टीम ल’ क’( िदली सँ )जनकपुरधाम (नेपाल) पहुँच गेल।सित काश िदलीमे मैिथलीलोक रंग (मैलोरंग) नामक संथा चलारहल अिछ। एिह संथाक एकटासदय िदली रहैत अिछ तँ दोसरदेविगरी मे, माने एकटा उरी िदली तँदोसर दिक्षणी िदली। एहना िथित मेमैिथली रंगकमर् केँ िजयाक’ राखबएकटा किठन काज भ’ जाइत छैक।तथािप ओ एकरा िजआए क’ निह,बिक जगिजयार क’ क’ रखने अिछ।इहर, जिहया सँ काश रंग संगसँ जुड़ल अिछ आ डॉ. ओमकाशभारती, व. जे.एन. कौशल, महेशआनंद, देवे राज अंकुर, ितभाअवाल आिद सन शोधकतक सािनपौलक अिछ ओकर रंग-दृि आरोखुजलैक अिछ। मैिथली लोकनाय आरंगमंच पर ओकर शोध आलेखउलेखनीय होइत छैक। बाल रंगमंचपर भारत सरकार ारा राीय फैलोिशपात करिनहार काश किहयो किहयोकथा सेहो िलखैत अिछ। एकरा ारािलखल कथा पाथर बेस चच मे छल।ई कथा बुच्चीक मनोरथ नाम सँअंितका मे आ पाथर नाम सँ िहदी मेसमकालीन भारतीय सािहय मे कािशतभेल रहै।हमरा जनैत कमर्ठ आ सफलयिक्त ओ निह होइत अिछ जे समयकपाछाँ-पाछाँ चलैत अिछ, सफल यिक्ततँ ओ होइत अिछ जे अपन कमर्ठतासँसमय केँ अपना लग खॴच लैत अिछ।इएह गुण हम मृदुभाषी आ िमलनसारकाश मे पबैत छी। िकएक तँ एकरासँपिहने िमिथलांचल सँ कतेको मैिथलीकिवानलोकिन िदली अएलाह, मुदामैिथली रंगकमर्क जिड़ एना भ’ क’रोपल निह भेलिन। काशक लेलिदली मे िहदी रंगमंच मे काज करनाइबहुत आसान छल मुदा ओ मैिथलीरंगकमर् के अपनैलक ई बेसी महवपूणर्अिछ। हमरा तँ ओहो िदन देखल अिछजिहया मैिथली रंगकमर् कलकामे बहुतजगिजयार छलैक, एकरा बाद ईजगिजयारी ऊिठक’ पटना आ जनकपुरअएलैक सेहो देखलहुँ आ आइ लगैतअिछ जे एिह जगिजयारीक एकटा बलदावेदारक रूपमे िदली सेहो ठाढ़ भ’गेल अिछ जकर ेय िनित रूपेकाश च झा केँ जाइत छैक। आइपटना हो, चाहे जनकपुर, चाहे सहरसा,सभकेँ अपन-अपन क्षमता देखएबाक हेतुिदलीमे लेटफामर् मैिथली लोक रंग(मैलोरंग) दान कएअलक अिछ जकरसंचालन काश च झा क’ रहलअिछ। हम मैिथली रंगकमर्क हेतु ओकरदीघयु आ सफलताक कामना करैतछी।‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्120


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्महेश िम “िवभूित” (१९४३- )पटेगना, अरिरया, िबहार। िपता व. जलधर िम, िशक्षा-नातक, अवकाश ात िशक्षक।पथीसँतिनक िवलिमके सुिनली पथी,अिवलम पहुँचब गेहे।तरुणाईमे किथक अपेक्षा,जतबा कहब, बुझब सब नेहे॥अहाँ पथी! पिथक बिनकेँ,जा रहल छी बाटमे।दृय अगिणत देखब पथी,मब निह जग-हाटमे॥आओत बािढ़ जे नेह-सिललकेँ,शपथ, सबल पग राखब।दुबर्लता जँ यापत िकिचत,कहू! कोना जल थाहब॥िबनु जल भवसागर की निदया,दहब-भसब निहं बाबू।दृढ़-सप पतवार पकिड़केँ,राखब मन पर काबू॥होयत हँसारित भिर जगमे,जँ, बुिड़ जाओत नौका।अतु, सोचब गृ दृि लऽ,निहं आओत फेर मौका॥पुनः कतबा कहब बाबू?शुभकामना अिछ संगमे।सफल होऊ , सुफल पाऊ,शुभ रंग आनू रमे॥अहाँ पायब सुयश जगमे,पुलिक पुलकत गात मम्।पूणर् पूनम सम जँ देखब,परम आनिदत होयब हम॥अिछ िनवेदन ईशसँ,सुि दैिथ सुजान केँ।बड़ आश अिछ पंथी अहाँसँ,करहु मुकिलत ाणकेँ॥सतोष (०६.०२.६५)सतोष सिरतमे िनत नहाय,बकल पिहरी तँ लाज न हो।बेदाग होय कतर्य करी,हाथी नवीश सँ काज न हो॥कहू! यथर् झगिड़के धन अरजी,सत् कमर् िबना सब काज हो।एक िदन िबन कैंचाके जगसँ,थान करू, तँ लाज न हो॥भऽ जाय फकीरी ओिहसँ की?मतक ऊँचा सिदकाल रहे।कहू? भला वो अमीरी की,लानत जेिह पर काल कहे॥भऽ जाय अमीरी वोिहसँ की?सत् कीितर् समुवल कमर् करू,िनिश िदन साव िनबाहू जँ।भगवान् भला करता िनय,किहयौन हुनकिह, निहं काहूसँ॥हुनकर लीला अनदेखल अिछ,फल ात करै छिथ िवासी।सुिनतहुँ छिथ सबहक परमभु,कारण; वो छिथ घट-घट वासी॥उद् बोधन : ढाढ़स (३१.०७.६३)मत होउ िनराश एक झटका पर,िनत कमर्क यान धरू मनमे।दुिनयाँमे एिहना होइतैं छै,ई सोिच पुनः उतरू रनमे॥बहुतॲके एिहना मेल एतऽ,िकतु; की साहस छोिड़ देलक।?।साहस थीक सबल आशाके,जगमे हारल पुिन लाहु लेलक॥नभमे देखू वो चदाके,जे पूणर् िवकासक मपर अिछ।एक िदन पूनम पिरपूिरत भऽ,पुिन ास ास भऽ जाइत अिछ॥नयन िनहािर िनरखू जगके,के रहल समान िनिश िदन जगमे।?।उथान-पतन म कमर्क अिछ,‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्121


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्िनभक बनूँ, िबचरू महमे॥जी तोिड़ पिरम करिथ कोय,फल नीक नािहं, तँ दोष कोन।िवधना के एिहना लीला छिह,तँ, एकरामे िकनको दोष कोन॥?॥बड़ आश केलहुँ शुभ आशाके,सभव केलहुँ निहं काज कोन।फलदाता दरजल नािहं यिद,तँ, एकरामे िकनको लाज कोन॥?॥भेटत ओतविह, जे िलखल अिछ,पाथर परके रेखा बुिझयौ।कतर्य करू िनत िनकक िहत,भेटत िनय, भागक लेखा बुिझयौ॥म-साय मजूरी भेटतैं छै,ई शा-पुराण, सुिध जन किह गेल।औकतेलासँ भा पाकयऽ?ई कय युगादक रिह गेल॥वोपदेव इितहास-पुरुष,अमर लेख्य पािणनी ितनकर।धीर धैयर् धारण किरयौ,यथा भाग भावी िजनकर॥पाडव के राज भेटल छीनल,नल दमयतीके याद करू।िसंहासनारुढ़ िसयावर भेला,वसुदेव कोना आजाद करू॥मधुर व (०७.११.६२, रिव ीिवजयादशमी)मधुर व की देख रहल छी,दयतासँ सँदूर भऽ के।िचरिनशा के गभर्मे,तलीनतासँ िनकट भऽ के॥दुक्खसँ जँ दूर छी तँ,कहू कोन उपचार हो।मूक मुा एना कऽ के,अित दुःखक नेँ िवतार हो॥या कहू अतिनर्िहत,दुःखसँ दुःखी छी मनिह-मन,से कहू सोच तिज के,की व देखब छनिह-छन॥मौन रहला पर कोना के,बुिझ सकत पर वेदना।वेदना के यक्त कऽ के,छािड़ दी िनज कपना॥मधुर वक की महा,किह िदयऽ दू शदमे।हम िमत छी दशा लिखके,िकछु कहू, िकछु शदमे॥?॥या कहू िकछु िवसिर गेने छी,अहाँ िनज ख्यालसँ।मधुर वक विलत वाला,यािग दी अतरालसँ॥सजिन! पता दी अपन क्लेशक,िवषम वेदना मानस के।वा बहु भाँित यिथत छी अपने,हृदयातगर्त तामस से॥कोना वेदना उमड़ल अिछ जे,अगम-अथाह, पता निहं आय।अितशय क्लेशक दुःसह भारसँ,दबियत छी दयनीय भऽ हाय॥कहू-कहू! मानस के ओझरी,मधुर व के यागू आय।मधुर यिद दुःखदाई हो,तुरत यागी, कथमिप निहं खाय॥अहाँ बेसुिध, हम ससुिध भऽकोना जीवन-रथ चलत।सामंजयानदक योजन,जीवनक रथ अथ चलत॥िसदूर-दानक गीत: “अनुरोध”(१४.०५.६३, सोम)“िय पाहुन िसदूर-दान करू”सुदर सरस समय शुभ सरसल, िसदूरहाथ धरू।उषा िनहारिथ कमल हतके, अिवलमकमर् करू॥...॥नव िनिमर्त नगरीमे िसिचत िकिचतख्याल करू।िवलम छािड़, िसदुर लऽ करमे, िहयभुनाम धरू॥...॥दशर्क सब याकुल होय िनरखय,वातीक जल बरसू।नवजीवनके सृजन करिथ भु कमर्कयान धरू॥...॥कबलॱ भु अनुरोध करायब शुभ-शुभकमर् करू।मनःपूत मनसाके कऽ के, भवनदमेिवहरू॥...॥शुभ शर-गौरी मैयाके शुभाशीष िहयमय धरू।िवनय “िवभूित”क एतविह भुसँ, युगलजगत् िवचरू॥...॥बादरीक आगमन (२६.०५.६३)“नभमडलमे पवनक रथपर, कारी-कारीबादिर आयल”।िबजुिर छटकै, ठनका ठनकै, देिख-सुिनजनमन खूब डेरायल॥चहु िदिश उमड़ल कारी बादरी, बादिरआिबके जल बरसायल।‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्122


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्लयनाद मेघक सुिन-सुिन, वृ जनीसब नेनिहं नुकायल॥हकरै बालक वृ जनी सब, लोक कहैसब माल हेरायल।बाँस-आम गीरल अनिगनती, क्यो कहैहमरो मिहंस हेरायल॥लोक कहै बहु भाँित मनोदुःख, ियाकहै मोर िय निहं आयल।कािमनी कलपिथ, िय निहं गृह छिथ,िवजुिरक धुिन-सुिन िजयरा डेरायल॥रोर मचल अिछ चहु िदिश जन-जन,एतबिहमे अित जल झहरायल।ििषत भूिम “िवभूित”मय भेली, तरु-तृणवो जन-मन हरसायल॥जगक मान (०९.०६.६३)डोली उठल िबन खोलीके दुवारसँ,घुिर निहं आओत, मान हे।काँच कचबा कािट कुढ़ावोल,उघल सबटा सामान हे॥ेत वसँ मृतक सजाओल,िनत ित होत जहान हे।कहिथ “िवभूित” बनब िवभूित,एिह िथक जगक मान हे॥“अपटुडेट बिल युवकसँ”(१५.१२.१९६२)करू िकछु काज बाबू औ,रतन धन आय पौने छी।धरा पर अवतिरत भऽ के,एना की मन गमौने छी॥?॥करू उसाह िकछु मनमे,चलू समागर्पर िनिश-िदन।चुकाऊ कजर् माताके-जे भेटल अिछ अहाँके िरन॥बढ़ाऊ डेगके आगू,समय तँ किट रहल अिछ औ।पुनः ऋण बिढ़ रहल अिछ जे,सधाउ आय, नेँ राखू शेष तिनको औ॥पड़ल माता कराहित छिथ,दया के बेच देने छी।तिनक तँ लाज राखू जे,एना की मन गमौने छी॥?॥की कहू? कहलो नेँ जाय अिछ॥दशा पातर, हाल दयनीय,आननक सुकुमारताके।मौन शदातीत मुा;-से हृदयमे चुिभ रहल अिछ।की कहू? कहलो नेँ जाय अिछ॥ाण आकुल, िवकल की छी,यथा-वालमे जिर रहल छी,शूल बक पितत नगसँबमिर-झहिरके खिस रहल अिछ!की कहू कहलो नेँ जाय अिछ॥हृदय दारुण दुःख सिहके,मा ाणे शेष बाँचल।एना िवल हाल कऽ के,यथा िगुिणत दऽ रहल छी॥की कहू? कहलो नेँ जाय अिछ॥चमुख-मडल सुलोचन,कच-िवकच बेहाल की अिछ।वेदनासँ यिथत भऽ के,यिथत अनका कऽ रहल छी।।की कहू? कहलो नेँ जाय अिछ॥अचरज के नेँ बात बुिझ ई,ई िथक ुवक समान हे॥चािर जने िमिल काह लगाओलगमन करत शमशान हे।पु-णय के पिरचय देता,करता अिग्नक दान हे॥सच् होय अिछ “पुाथ भाय”होय छिथ पु महान् हे।सुयश पायब समाजीसँ,धवल यश देश यापी औ।िपता-माता सुकीरित लिह,अभय वरदान देता औ॥“अनुरोध” (२८.०९.१९६२)की कहू? कहलो नेँ जाय अिछ,िहय यिथत, वाणी सबल निहं,बुि याकुल, याल चहु िदशवाल ऊरमे बिढ़ रहल अिछ।बस आश एक, अनुरोध केवल,मधु-मधुर मुकान के।हेिर चानक वच्छ आभा,करु मुकुल, िवकिसत ाण के॥पुनः मुल मृदुलाअ के,हेतु अनुरोधी बनल छी।मािननी भऽ मान राखू,दशा लिख के अित िवकल छी॥‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्123


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्मैिथलीपु दीप१. ी मैिथली पु दीप (१९३६- )। ाम- कथवार, दरभंगा। िशिक्षत एम.ए., सािहय र, नवीन शाी, पंचािग्न साधक।िहनकर रिचत "जगदब अहॴ अवलब हमर’ आ ’सभक सुिध अहाँ लए छी हे अबे हमरा िकए िबसरै छी यै" िमिथलामे लेजेंड भएगेलअिछ।-सपादकआयािमक िनबधॐ (मा)एकटा उिठ सकैछ, जे मोक्ष कामीकलेल वैिदक कमर्क योजन? एकर उरई भऽ सकैछ जे यज्ञ यागािद कमर्कफलुितमे वगर् ात करबाक बातकहल गेल अिछ। मुदा जे यिक्त वगर्निह चाहैत होिथ, मोक्षेटा चाहैत होिथ,हुनका लेल वैिदक कमर्क आवयकता,ई वृहदारयकोपिनषद केर वचनसँ पुहोइत अिछ। यथा- “ तमेतं वेदानुवचनेनं ाणाः िविविदषित यज्ञेन, दानेनतपसा नाशकेन”।अथत्- ाणगण वेदाययनसँकामनारिहत यज्ञ, दान एवं तपसँ ओिहकेँ िचहबाक इच्छा करैत छिथ।एिह वचनमे अनाशकेन अथत्कामनारिहत “यज्ञ, दान, तप” िवशेषमहव रखैत अिछ।तापयर् जे वेदोक्त यज्ञािद कमर्जखन आशिक्तक संग कएल जाइतअिछ, तखन ओिहसँ मा वगर्क भोगात होइत अिछ। परतु जखन िबनाआशिक्त रखने िनःवाथर् भावसँ कयलजाइत अिछ, तखन काम-ोधसँ मुक्तभऽ कऽ कायर् केिनहारक िच शु भऽजाइत अिछ। ओऽ मोक्षक अिधकारी भऽजाइत छिथ।ीमगवदगीतामे भगवान् ीकृणकउिक्त अिछ- अयाय १८ (५-६)यज्ञदान तपः कमर् न सायंकायर्मेव तत।यज्ञो दानं तपैव पावनािनमनीिषणाम्॥एतायािपत कमिण संगं यक्वाफलािन च।कायनीित मे पाथर्ं िनितंमतमुमम॥अथत्- यज्ञ, दान, तप आिदकमर्क याग निह करबाक चाही। मुदाई समत कमर् िनकाम भावसँ करबाकचाही। अतएव उपिनषदक ’अनाशकेन’एिह पदकेँ एिहठाम गीताक संगं यक्वाफलािन च पु करैत अिछ।अतएव जे मनुय अपन आतिरककयाण चाहैत छिथ अथत् जम-मृयुकबधनसँ मुक्त हेबाक इच्छा करैत छिथ,हुनका वैिदक कमर्काडक फलवरूपवगर्क भोग केर इच्छा निह रािख कऽिनकाम भावसँ भगवानक सताक लेलमा कायर् करबाक चाही। ई बातमुडकोपिनषदमे सेहो आयल अिछ।१,२,७.मनुयक िच अनेक कारककुकमर्सँ मिलन भऽ गेल रहैत अिछ।एिह सभ मैलकँ हटेबाक लेल सत् कमर्करब आवयक अिछ। एिह सकमर्केँकरबाक उेय होइत अिछ वैिदक कमर्काड। वेदोक्त कमर् कएलासँ िच शुहोइत अिछ। जकर बाद िवाअथवा ज्ञानक बात सुनलासँ सुफलभेटैत छैक।उपनयन संकारक बाद वेदोक्तकमर् करबाक लोक अिधकारी होइतछिथ। वेदक अितम लय मोक्षे ातकरब थीक। ईरक उपासना योगकअयास, धमर्क अनुान, िवा ाित,चयर् वर्तक पालन तथा ससंग आिदमुिक्तक साधन गानल गेल अिछ।कमर्फलक ाितक हेतु पुनजर्मकितपादन आमोिक लेल संकारकिनरूपण, समुिचत जीवन-यापन हेतुवणमक यवथा एवं जीवनक पिवताहेतु भया-भयक िनणर्य करब वेदकमुख्य िवशेषता थीक। कमर्काड,उपासना-काड तथा ज्ञान-काड एिहतीनूक वणर्न मुख्यतया वेदमे भेटैतअिछ। यज्ञातगर्त देवताक पूजा, ऋिष-महिषर्क ससंग तथा दान ई तीनू ियाएक संग होइत अिछ। तिहना चयर्पालनसँ ऋिष-ऋण, यज्ञ ारा देव-ऋणतथा संतानोपिसँ िपतृऋण मुक्तहेबाक आदशर् वाक्य वेदेमे ात होइतअिछ।‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्124


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्पु-िवयोगक कारणेँ ई पा बैरागीभए गेलाह। गामसँ बाहर भए जंगले-जंगल एकातमे वास कए भजन-कीतर्नकरए लगलाह। गामक लोकसभ बहुतिदन धिर पाछाँ कएलकिन जे अपने घुिरजाऊ, हमहु सभ अपनेक पुक समानछी, अपनेकेँ कोनो क नै होएत। मुदासाहेब रामदास पर तकर कोनो भावनिह पड़लिन, उनटे जतए लोककआवागमन देखिथह, थानकेँ बदिल पुनःिनजर्नथानमे चिल जाइत छलाह।लोकसभ िकछु िदन धिर पाछाँ तँकेलकिन, मुदा अतमे हिर-थािक कए जेई आब पा बैरागी भए गेल छिथ, तेँिहनका आब तंग निह कएल जाए,िवचािर कए पाछाँ करब छोिड़देलकिन।बैरागी भेलाक बाद ई देशक बहुतोभागमे मण कएलिन। भजन-कीतर्नकसंग योग-साधनामे सेहो लीन भएगेलाह। योग-साधनामे िसि ातकएलाक पात् केओटीक िनवासीबिलरामदासजीसँ दीक्षा हण कएलिन।दीक्षा हण कएलाक पातो ई अनेकधमर् थानक मण करैत रहलाह।कहल जाइत अिछ जे साहेबरामदासदड-णाम करैत-करैत जगाथपुरी तकगेलाह। बाटमे बड़ क सहए पड़लिन,घाओ भए गेलिन, घाओमे पीब आिबगेलिन, मुदा दड-णाम ओऽ निहछोड़लिन। दड-णाम करैत-करैतजगाथपुरी तक गेलाह। जकर माणहुनकिह एक किवतासँ भेटैत अिछ-साधुके संगत धिर गुरुक चरणधिर,आहे सजनी हमहु जाएबजगरनाथिह रेकी।निह केओ अदाता संग निहसहोदर ाता,आहे सजनी माँिग भीिख िदवसगमाएब रे की।सभ जग भेल भाला गुरुआ अठारहनाला,आहे सजनी ओिहठाम केओ निहछोड़ाओल रे की।िसंह दरबाजा देिख मन मोरलुबधल,आहे सजनी ओिहठाम पंडा पंडा बेंतबजारल रे की।साहेब जे गुिन धुिन बैसलहुँ िसरधुिन,आहे सजनी जगत जीवन िनअराएलरे की।गुरु बिलरामदास मुिरया रामपुरकएक महामा िशय छलाह तथा अपनगाम केओटा (केओटी)क घनघोर जंगलमेयोग साधना करैत छलाह। ई योगसाधनामे िनणात् छलाह। कहल जाइतअिछ जे गुरुक िबना वातिवक ज्ञानअसभव अिछ आ तेँ साहेबरामदास एकयोग्य गुरुसँ दीक्षा लए, योग-साधनामेिसि ात कए लेलिन। योग िया परिसि ात कए लेलाक बाद जम-मरणसँ छुटकारा पािब जेबाक पूणर्िवास भए गेलिन, से गुरुकसादिहसँ। मोक्ष ाितमे आब कोनोसदेह निह रिह गेलिन, जे जीवनकचरम लय िथक। बिलरामदास िहनकदीक्षा गुरु छलिथन, तकर माणिहनकिह एक किवतासँ भेटैछ-“गुरु बिलराम चरण धिर माथे,साहेब हिर अपनाया है।अब तौ जरा-मरण छुिट जैहे,संशय सकल मेटाया है”।कृणक ई अनय भक्त छलाह।जगाथपुरीक यााक ममे बाटिहमेिहनका वयं भगवान ी कृण दशर्न देनेछलिथन। आब तँ ई कृणक यानमेिदन-राित लागल रहैत छलाह।समािधथ कालमे तँ दुिनयाँक कोनोवतुक यान निह रहैत छलिन, यानरहैत छलिन तँ एक मा भगवान ीकृण। जन-ुित तँ ईहो अिछ जेभगवानक भजनक कालमे जखन ई नाचकरैत छलाह तँ वयं भगवान ी कृणसेहो उपिथत भए संग दैत छलिथन।साहेब रामदास अनेक तीथर्-थलकदशर्न कएलिन। सांसािरक मोह-मायाकेँयािग वैरागी भए गेलाह, मुदा िमिथलाभूिमकेँ निह यािग सकलाह। एक पदमेओऽ िलखैत छिथ, “िमिथला नगरी तोरदान िबनु साहेब होइछ बेहाल” तथादोसर पदमे “साहेब करुणा करए शीशधुिन िमिथला होइछ अधेिर”। एिह पदसभसँ िमिथलाक ित हुनक ेमक सहज<strong>अनुम</strong>ान लगाओल जाए सकैत अिछ।धय ई िमिथला भूिम ओऽ धय महामासाहेब रामदास।पिहने किह चुकल छी जे ईजंगलमे एकात वास कए भजन-कीतर्नकएल करिथ। जतए-जतए ई जािथतािह-तािह ठाम ई अपन खती गािरकुिटयाक िनमण कए एक पाकिड़कगाछ अवय रोिप दैत छलाह। िहनकअनेक जगह पर योगमढ़ी छल आ सबिहठाम ई पाकिड़क गाछ अवय रोिप दैतछलाह। िहनक अितम योगमढ़ी दरभंगािजलाक ’पचाढ़ी’ गाममे अिछ, जे पूवर्मेबूढ़वनक नामे िवख्यात छल। एहू ठामपाकिड़क गाछ रोपने छलाह, जेअाविध वतर्मान अिछ। पलिवत एिहगाछक शोध मानवशाी लोकिन एखनहुकए रहल छिथ।कमलाक तट पर िथत पचाढ़ीगामक वन आ वृदावनक तुलना करबकिठन भए जाइत छल। वृदावनसँ एकोरी कम शोभा पचाढ़ी (बूढ़वनक) निहछल। मोरक नाच, सुगाक गान, नानाकारक वयजीव ाणीक िनभर्य िवचरणकरब, िभ-िभ लता-पुपसँ शोिभतवनक दृय लोककेँ सहजिह आकृ कएलैत छल। एिह थानक शंसामेकवीर चदा झा िलखैत छिथ—‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्125


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्“पाकिड़ वृक्ष सएह कमला तटजएह भजन कुटी िवाम।च सुकिव मन धरम परमधनधय पचाढ़ी ाम”॥पचाढ़ी थानक शोभा आब निहरिह सकल, जे पिहने एक िनजर्न थानछल, तािह ठाम आब ाम अिछ, खेती-पथारी कएल जाइत अिछ। वनक तँआब िनशानो निह रिह गेल अिछ, तथािपसाहेब रामदासजीक समािध-थलकचारूकात मिदर सेहो एक-दू निह छओ-सातटा अिछ। सभमे भोग-रागकयवथा, पुजेगरीक संग-संग सहायककयवथा सभ मिदरमे फराक-फराकअिछ। लगभग पाँच का जमीनमेफुलबारी अिछ। आगत-अितिथक वागतयथासाय एखनहु कएल जाइत अिछ।साहेब रामदासक नाम पर एकटा संकृतमहािवालय अिछ, जािहमे िनधर्न छाकेँथान िदससँ रहबाक यवथा ओ मुतभोजनक यवथा कएल जाइत अिछ।पचाढ़ीथान िमिथलाक वैभवशालीथानमेसँ सवर्मुख अिछ। एकरवैभवशालीक पाछाँ राजदरभंगाकमहवपूणर् योगदान अिछ। तकालीनदरभंगा िमिथलेश नरेिसंह िनःसतानछलाह। हुनक पी रानी पावतीअितिथ-सकार, पूजा-पाठक िनिम३०० (तीन सए) बीघा जमीन पचाढ़ीथानकेँ दानवरूप देने छलिथन। मुदाकहल जाइत अिछ जे साहेब रामदासओिह जमीनक दान-पकेँ विलतअिग्नमे फेिक देलिखन। िशय लोकिनकेँिभक्षाटन वृिसँ आगत-अितिथक सेवासकार करए पड़ैत छलिन, जािहसँ ओलोकिन तंग आिब गेलाह आ फलवरूपओऽ दान-प पुनः महारानीसँ ात कएचुप-चाप रािख लेलिन, जे एखनहु धिरसपिक रूपमे िवमान अिछ। िकछुजमीन भक्त लोकिन वेितयामे सेहो देनेछिथ। योग्य िशय सभ एिह सपिकेँबढ़ाए लगभग हजार बीघा बनाए देलिन।सरकार िकछु जमीनपर िसिलंग लगाएदेलक, मुदा यवथापक लोकिनअिधकांश जमीनकेँ वन-िवभागकेँ दएगाछ-वृक्ष लगवाए देलिन। अपेक्षाकृतएखनहु ई थान समृ अिछ।साहेबरामदास एक िस पुरुषछलाह आ तेँ िहनकामे चमकािरक गुणवाभािवक अिछ। चमकारसँ सबिधतअनेक कथा िहनकासँ जुड़ल अिछ,जािहमे एक चमकारक उलेख करबहम उिचत बुझैत छी, जे िहनक अतःसायसँ जुड़ल अिछ।राजा नरे िसंहक समयमे पटनाककोनो मुसलमान नवाब िमिथलापरआमण कए देलक। राजा नरेिसंहक सेना ओ नवाबक सेनाक बीचघोर संाम भेल, जािहमे अपार धन-जनक क्षित भेल छल, मुदा राजा नरेिसंह ओिहमे वयं वीरतापूवर्क युकएलिन आ शु सेनाकेँ परािजतकएल। ओिह समयमे महामा साहेबरामदास नरे िसंहक िवजयी होएबाककामना वरूप ीकृणसँ ाथर्नाकएलिन-“साहेब िगरधर हरहु नरे दुःख,करहु सुिखत िमिथलेशिह रे की”।एिहपर ु भए नवाब िहनका बदीबनाए पटनाक कारागारमे बद कएदेलिन। साहेब रामदास योगबलेँ सभिदन गंगा-नान, संया-तपर्ण, पूजा-पाठआिद गंगिह तटपर कएल करिथ।कारागारमे रिहतहुँ ई म िहनक िनरतरचलैत रहलिन। लोक सभ िहनका गंगातटपर सभ िदन देखैत छलिन। नवाबकेँकोना ने कोना एिह बातक जानकारीभेट गेलिन। नवाबकेँ तँ िवास निहभेलिन तथािप हुनका अपन कमर्चारीसभपर संदेह भेलिन आ ओऽ अपनेसँकारागारमे ताला लगाए देलिन। तथािपसाहेब रामदासक गंगा-नानक म निहटुटलिन। अतमे नवाब साहेबरामदासकपएरमे बेड़ी बािह कारागारमे ताला लगाएदेलिन। साहेबरामदास तक्षणिह करुणाभए अपन आराय देव ी कृणकेँपुकारलिन-“अब न चािहए अित देर भुजी,अब न चािहए अित देर।िव-धेनु-मिह िवकल सत जन,िलयो है असुरगण घेिर”।गिवते छलाह की पएरक बेड़ी ओफाटकक ताला आिद सभ टूिटकए खिसपड़ल। नवाब आयर् चिकत भए गेल।ओ महामाजीक पएरपर खिस पड़ल।साहेबरामदाससँ क्षमा माँगलक आ बादमेससमान वागत कए िमिथला पहुँचाएदेल।एिह तरहक कएक गोट चमकारअिछ, जेना राजा राघव िसंहक समयमेराजदरभंगामे ेत-बाधाकेँ शात करब,मािटक भीतकेँ हाँकब। कृणामी,जमामी आिद उसवक अवसरपरअिधक साधु-सतक भीड़ जुटलाक बादोथोड़बहु सामीमे भोजनक अवसरपरभडारामे कोनो कमी निह होएब आिदकतोक चमकािरक घटना सभ अिछ,जे िहनकासँ जुड़ल अिछ। एिह िसपुरुषक चमकािरक घटनासभसँ लोककिहनका ित कतेक ा छल सेसहजिह <strong>अनुम</strong>ान कएल जाए सकैतअिछ।साहेबरामदास वैरागी वैणव-भक्त-किव छलाह। पदक रचना करब िहनकसाधन छल मुदा साय तँ एकमा छल‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्126


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्भगवान िवणुक भजन-कीतर्न करब।कहल जाइत अिछ जे ओऽ अपनिहपदक रचना कए सभ िदन भगवानकभजन-कीतर्न कएल करिथ। ओऽभिक्तमाग छलाह आ तेँ भिक्त-मागर्किसांतक अनुरूप पदक रचना कएलकरिथ। भिक्त मागर्क सभ रसकपदरूपमे रचना कएलिन, मुदा धान रस“मधुरं” रस सएह अिछ। भगवानककोनो एक रूपक ओऽ आही निह,सगुण-िनगुर्ण दुनू रूपमे मानैत छलाह, जेअपन मनोगत भाव किवतामय यक्तकएने छिथ।“िनगुर्ण सगुण पुरुष भगवान, बुिझकहु साहेब धरइछ यान”।“धैरज धिरअ िमलत तोर कत,साहेब ओ भु पुरुष अनत”।साहेब रामदासक यिप एकमापदावली उपलध अिछ, जािहमे ४७८ टापद संकिलत अिछ। मुदा ईएह पदावलीहुनक यशकेँ अक्षुण बनाए रखबामे सभतरहेँ समथर् अिछ। भिक्तक ायः सभिवषयपर पदक रचना कएने छिथ, यथा-कृण-जम, वासय, वंशीवादन, संयोग-ृंगार, रास-लीला, झुलोसव आिद।रासलीला परक जेहन पद सभक ईरचना कएने छिथ से ायः मैिथलीमेआन केओ किव निह कएने छिथ।िहनक रास-लीला परक पदक िववेचनवतं रूपेँ कएल जाए सकैत अिछ।कृण-ेमक अनयता, भिक्त वणता ओसाद गुण िहनक कायक मुख्य गुणकहल जाए सकैत अिछ। ऋतुगीत,िदन-राितक िभ-िभ समयोपयोगी पदकरचना, जेना-ाती, सारंग, लिलत, िवहागआिदक रचना कएल करिथ।िमिथला पचदेवोपासक सभ िदनसँरहल अिछ। साहेब रामदासक रचनामेसेहो भिक्तक िविवध-रूपक दशर्न होइतअिछ। कृणक तँ ई अनय भक्तछलाह मुदा आनो-आन देवी-देवता परकपदक रचना कएने छिथ। िहनकहनुमानक फागु परक किवता देखल जाएसकैत अिछ। एकरा सत लोकिनकफागु सेहो कहल जाए सकैछ-“वल अिनल किप कौतुक साजललंका कएल याण।कनक अटारी कए असवारी छाड़िथअगिनक वाण॥जरए लंक किप खेलए फगुआ,उड़ए गगन अंगार।धुँआ वािढ़ अकासिह लागलिदवसिह भेल अधार”।िहनक रिचत एकटा महादेवक गीतसेहो अिछ, जकर उलेख डॉ. रामदेवझा अपन “शैव सािहयक भूिमका”नामक थमे कएने छिथ-“ पुछइत िफरइत गौरा विटया हेराम।कहु हे माइ, जाइत देखल मोरभंिगया हे राम॥हाथ भसम केर गोला हे राम।वरद रे चिढ़ कोन नगर गेल भोलाहे राम”॥िवरिहणी वर्जानाक मनोदशाक एकिवलक्षण रूप एिह ठाम सेहो देखल जाएसकैत अिछ:“कमल नयन मनमोहन रे किह गेलअनेक।कतेक िदवस भए राखब रे हुिनवचनक टेक॥के पितआ लए जाएत रे जहँ वसुनदलाल।लोचन हमर सतओलिन रे छितआदए शाल॥जहँ-जहँ हिरक िसंहासन आसनजेिहठाम।हमहु मरब हिर-हिर कै मेिट जाएतपीर॥आिद”िमिथलाक सगीत परपरा अिताचीन ओ समृ अिछ। संगीतक रचनातँ िवापित ओ हुनकहुँसँ पूवर् होइतआएल अिछ, मुदा रहयवादी संगीत-काय-रचना नवीन रूपमे आएल अिछ,जकर वतर्क साधु-सत लोकिनभेलाह। जािहमे सत साहेब रामदासकथान अगय अिछ। िहनका लोकिनकरचनाक भाव ायः सभ वगर्पर पड़ल।िहनक ायः सभ किवतामे रागकउलेख अिछ। अतः एिहपर संगीत-शाक अनुकूल शोध-कायर् कएलजएबाक आवयकता अिछ।साहेब रामदास परम वैरागी सुच्चासाधु छलाह, भक्त छलाह आ तेँ िहनकभाषापर सधुरी ओ तकाल चिलतवर्जभाषाक िकछु भाव सेहो पड़ल अिछ,तथािप हुनक जे पदावली उपलध अिछसे मैिथली सािहयकेँ समृ बनएबामेअपन महवपूणर् थान ात कएनेअिछ। भिक्त-भावनाक सरलता ओसहजताक दृिएँ िहनक भाषा सरल ओसहज अिछ। भिक्त-भावना परक एहनकिवता मैिथली-सािहयमे ायः दुलर्भअिछ। िहनक भिक्त परक गीत एखनहुिमिथलाक गाम-घरमे बुढ़-बुढ़ानुसकठोरपर अनुवतर्मान अिछ, जकर संकलनकरब परम आवयक अिछ।‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्127


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्मनोज मुिक् ति मताक लडाईपशुपितनाथक देशमे होइछ यिभचार सब भेषमेआन ठाम त बाते छोडू अबुहसगैत अिछ अपनो देशमे।कृितक देल ई आँिख, कान ओबडका नाक आब दु मन तीतहोइयासँसारमे अपन अलग छाप छोडनेिमिथलावासी,डरपोकक हूलमेसिरक होइया।अपना सम त अिधकार सऽभसँबि चत होइतो,बँचल छी काइल् हुकआशामे ट शासन ओ नेताक लोभ सँ,जकडा रहल अिछ देश, िवदेशीकपाशामे।एतेक कठीन आ दूलर्भ मनु यकजीवन पाओल वगर् समान एहीिमिथलामेमूदा लगैछ जे ज मजाते अभागलिथकहुँ जे दूदर्शा होइत देखैछी,िमिथलाके अपन आगामे।स पूणर् ृंगार सँ सुशोिभतजगतक माय ओ िवलक्षणा सीताआई घरसँ िनकालल जाऽरहलिमिथलावासी ए हर ओ हरक वातसुनैत, घरक एकटा कोनामेबहादुरी देखािब रहल अिछ।भऽरहल अिछ स ता रँग सँशोणीत जािहसँ सब छिथ नहाएलकतेक िदन सऽब चु पे रहतै,बैसतइ एना नुकाएल?तािह सँ,एिह ि मताक लडाईमे बचने मासँ काज नई चलतस पूणर् मैिथलमे नव चेतनाभरैत, सबके लडिहटा पडत।अिछ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्128


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्डॉ फुल कुमार िसंह ‘मौन’ (1938- )डॉ फुल कुमार िसंह ‘मौन’ (१९३८- )- ाम+पोट- हसनपुर, िजला-समतीपुर। िपता व. वीरे नारायण िसँह, माता व.रामकली देवी। जमितिथ- २० जनवरी १९३८. एम.ए., िडप.एड., िवा-वािरिध(िड.िलट)। सेवाम: नेपाल आऽ भारतमे ायापन।१.म.मो.कॉलेज, िवराटनगर, नेपाल, १९६३-७३ ई.। २. धानाचायर्, रा.. िसंह कॉलेज, महनार (वैशाली), १९७३-९१ ई.। ३.महािवालय िनरीक्षक, बी.आर. अबेडकर िबहार िविवालय, मुजफरपुर, १९९१-९८.मैिथलीक अितिरक्त नेपाली अंेजी आऽिहदीक ज्ञाता। मैिथलीमे १.नेपालक मैिथली सािहयक इितहास(िवराटनगर,१९७२ई.), २.ाम(िरपोतज दरभंगा १९७२ ई.),३.’मैिथली’ ैमािसकक सपादन (िवराटनगर,नेपाल १९७०-७३ई.), ४.मैिथलीक नेनागीत (पटना, १९८८ ई.), ५.नेपालक आधुिनकमैिथली सािहय (पटना, १९९८ ई.), ६. ेमचद चयिनत कथा, भाग- १ आऽ २ (अनुवाद), ७. वामीिकक देशमे (महनार, २००५ई.)।काशनाधीन: “िवदापत” (लोकधम नाय) एवं “िमिथलाक लोकसंकृित”।भूिमका लेखन: १. नेपालक िशलोकीणर् मैिथलीगीत (डॉ रामदेव झा), २.धमर्राज युिधिर (महाकाय ो. लमण शाी), ३.अनंग कुसुमा (महाकाय डॉ मिणप), ४.जट-जिटन/सामा-चकेबा/ अिनल पतंग), ५.जट-जिटन (रामभरोस कापिड़ मर)।अकादिमक अवदान: परामश, सािहय अकादमी, िदली।कायर्कािरणी सदय, भारतीय नृय कला मिदर, पटना। सदय, भारतीय भाषा संथान, मैसूर। भारतीय ज्ञानपीठ, िदली।कायर्कािरणी सदय, जनकपुर लिलत कला ितान, जनकपुरधाम, नेपाल।समान: मौन जीकेँ सािहय अकादमी अनुवाद पुरकार,२००४ ई., िमिथला िवभूित समान, दरभंगा, रेणु समान, िवराटनगर, नेपाल, मैिथली इितहास समान, वीरगंज, नेपाल, लोक-संकृित समान, जनकपुरधाम,नेपाल, सलहेस िशखर समान, िसरहा नेपाल, पूवर मैिथल समान, गौहाटी, सरहपाद िशखरसमान, रानी, बेगूसराय आऽ चेतना सिमित, पटनाक समान भेटल छिह।राीय-अंतरीय संगोीमे सहभािगता- इफाल (मिणपुर),गोहाटी (असम), कोलकाता (प. बंगाल), भोपाल (मयदेश), आगरा (उ..), भागलपुर, हजारीबाग, (झारखड), सहरसा, मधुबनी,दरभंगा, मुजफरपुर, वैशाली, पटना, काठमाडू (नेपाल), जनकपुर (नेपाल)।मीिडया: भारत एवं नेपालक ितित प-पिका सभमेसहािधक रचना कािशत। आकाशवाणी एवं दूरदशर्नसँ ायः साठ-सर वातिद सािरत।अकािशत कृित सभ: १. िमिथलाकलोकसंकृित, २. िबहरैत बनजारा मन (िरपोतज), ३.मैिथलीक गाथा-नायक, ४.कथा-लघु-कथा, ५.शोध-बोध (अनुसधान परकआलेख)।यिक्तव-कृितव मूयांकन: ो. फुल कुमार िसंह मौन: साधना और सािहय, सपादक डॉ.रामवेश िसंह, डॉ. शेखरशंकर (मुजफरपुर, १९९८ई.)।चिचर्त िहदी पुतक सभ: थारू लोकगीत (१९६८ ई.), सुनसरी (िरपोतज, १९७७), िबहार केबौ संदभर् (१९९२), हमारे लोक देवी-देवता (१९९९ ई.), िबहार की जैन संकृित (२००४ ई.), मेरे रेिडयो नाटक (१९९१ ई.),सपािदत- बु, िवदेह और िमिथला (१९८५), बु और िवहार (१९८४ ई.), बु और अबपाली (१९८७ ई.), राजा सलहेस:सािहय और संकृित (२००२ ई.), िमिथला की लोक संकृित (२००६ ई.)।वतर्मानमे मौनजी अपन गाममे सािहय शोध आरचनामेलीनछिथ।-सपादक।पंचदेवोपासक भूिम िमिथलािहमालयक पाददेशमे गंगासँ उर,कोशीसँ पिम एवं गडकसँ पूवर्कभूभाग सांकृितक िमिथलांचलक नामेख्यात अिछ। िमिथलांचलक ई सीमालोकमाय, शासत ओऽ परपिरतअिछ। सपथाणक अंतःसायकअनुसारे आयर्लोकिनक एक पूविभमुखीशाखा िवदेह माथवक नेतृवमे सदानीरा(गडक) पार कऽ एिह भूिमक अिग्नसंकार कऽ बिसवास कएलिन, जेिवदेहक नामे ितित भेल। कालातरमेएकर िवतार सुिवदेह, पूवर् िवदेह, ओऽअपर िवदेहक रूपँ अिभज्ञात अिछ।िवदेहक ओ ाथिमक थलक रूपमेपिम चपारणक लौिरयानदनगढ़कपिहचान सुिनित भेल अिछ। आजुकलौिरयानदनगढ़ ाचीन आयर् राजालोकिन एवं बौलोकिनक तूपाकारसमािधथल सभक संगम बनल अिछ।कालमे अिह इक्षवाकु आयर्वंशक िनिम‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्129


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्पु िमिथ िमिथलापुक थापनाकयलिन। ाचीन बौसािहयमे िवदेहकँरा (देश) ओऽ िमिथलाकँ राजधानीनगरकहल गेल अिछ। अथत् िमिथलािवदेहक राजधानी छल। मुदा ओिह भयिमिथलापुरीक अिभज्ञान एखन धिरसुिनित निह भेल अिछ। तथािप ाचीनिवदेहक सपूणर् जनपदकँ आइिमिथलांचल कहल जाइछ।ओऽ िमिथलांचलक भूिम महानअिछ, जकर माथेपर तपवी िहमालयकसतत वरदहत हो, पाददेशमे पुयतोयागंगा, पार्वािहनी अमृत कलश धािरणीगंडक ओऽ कलकल िननािदनीकौिशकीक धारसँ क्षािलत हो। एिहनदी मातृक जनपदकेँ पूवर् मयकालीनऐितहािसक पिरवेशमे तीरभुिक्त अथत्ितरहुत कहल गेल, जकर सांिकितकमूलमे धमर् ओऽ दशर्नक गांभीयर्,कलासभक रागामक उकषर्, ज्ञान-िवज्ञानक गिरमा ओऽ भाषा-सािहयकसमृ परपराक अंतः सिललाअंतर्वािहत अिछ। एिह सभक साक्षात्िमिथलाक शैव-शाक्त, वैणव, गाणपय,सौर (सूयर्) ओऽ बौ-जैनक आथाके एवं ऋिष-मुिनक साधना परपरामेउपलय अिछ। कारातरसँ ओिहथल सभकँ सांकृितक चेतनाकऐितहािसक थलक संज्ञा देल जाऽसकैछ, जकर आइ-काि पयर्टनकदृिसँ महव बिढ़ गेल अिछ।िमिथलाक िसि ओकर पािडयपरपरा, दाशर्िनक-नैयाियक िचतन,सािहय-संगीतक रागामक पिरवेश,लोकिचक बहुआयामी िवतार, धािमर्कआथाक थल, ऐितहािसक धरोहरआिदक कारणे िवशेष अनुशीलनीयअिछ। जनक-याज्ञवक्य, किपल, गौतम,कणाद, मंडन, उदयन, वाचपित,कुमािरल आिद सदृष िवभूित, गाग,मैेयी, भारती, लिखमा आिद सन आदशर्नारी चिरत, योितरीर, िवापित,िवनयी, चदा झा, लाल दास आिदसन आलोकवाही साधक लोकिनक सादेएिह ठामक जीवन-जगतमे आयािमकसुखानुभूित ओऽ सारवत चेतनािदकमिणकांचन संयोग देखना जाइछ।िमिथला आयाम िवाक के मानलजाइछ।आजुक िमिथलांचलक संकृितउर िबहारमे अविथत वामीिकनगर(भैँसालोटन, पिम चपारण) सँ मंदार(बाँका, भागलपुर) धिर, चतरा-वाराह क्षे(कोशी-अंचल, नेपाल) सँ जनकपुर-धनुषा(नेपाल) धिर ओ कटरा (चामुडा,मुजफरपुर), वनगाँव-मिहषी, जयमंगला(बेगूसराय), वारी-बसुदेवा (समतीपुर),किपलेर-कुशेर-ितलकेर (दरभंगा),अिहयारी-अकौर-कोथुर्(मधुबनी),आमी(अिबकाथान, सारण), हिरहरक्षे(सोनपुर, सारण) वैशाली आिद धिरसूब अिछ। एिह सभ धािमर्कतीथर्थल सभक पिरवेक्षणसँ मािणतहोइछ जे िमिथलांचल पंचदेवोपासक क्षेअिछ। कालातरमे एिहसँ बौ ओऽ जैनथल सभ सेहो अंतमुर्क्त भऽ आलोच्यभूभागकेँ गौविवत कयलिन।पंचदेवोपासक क्षेक अथर् भेल-गणेश, िवणु, सूयर्, िशव ओऽ भगवतीकक्षे। एिहमे सूयर् सवर्ाचीन देव छिथएवं िशव सवर्ाचीन ऐितहािसक देवताछिथ। िवांतक गणेशक पूजन ाथिमकरूपेँ कयल जाइछ एवं मातृपूजनकसंदभर्मे भगवती अपन तीनू रूपमेलोकपूिजत छिथ अथत् दुग, काली,महालमी एवं सरवती। भगवतीशिक्तक आिद ोत छिथ, जिनकामेसृि, पोषण ओ संहार (लय) तीनूशिक्त िनिहत अिछ। मुदा लोकक लेलओऽ कयाणकािरणी छिथ। धनदेवीलमीक पिरकपना वैणव धमर्क उकषर्कालमे भेल छल एवं ओ िवणुक सेिवका(अनंतशायी िवणु), िवणुक शिक्त(लमी नारायण) एवं देवािभिषक्त(गजलमी) भगवतीक रूपमे अपनवरूपक िवतार कयलिन। ओना तँलमी ओऽ सरवतीकँ िवणुक पर्देवीकरूपमे पिरकपना सवर्यापक अिछ।लमी ओऽ गणेशक पूजन सुख-समृिकलेल कयल जाइछ। ाचीन राजकीयथापयक सोहावटीमे ायः गणेश अथवालमीक मूितर् उकीणर् अिछ।पंचदेवोपासना वतुतः धािमर्कसावक तीक अिछ। िमिथलांचलमेएिह पाँचो देवी-देवताक वतं िवहसेहो ात होइछ। भारतीय देवभावनाकिवतारक मूलमे भगवती छिथ, जे कतहुसतमातृकाक रूपमे पूिजत छिथ तँकतहु दशमहािवाक रूपमे। सतमातृकावतुतः सात देवता सभक शिक्त छिथ-ाणी (ा), वैणवी (िवणु), माहेरी(महेश), इाणी (इ), कौमारी (कुमारकाितर्केय), वाराही (िवणु-वाराह) ओऽचामुडा (िशव)। एिह सतमातृकाकअवधारणा दानव-संहारक लेल संयुक्तशिक्तक रूपमे कयल गेल छल, जे आइधिर िपड रूपेँ लोकपूिजत छिथ। मुदाएक फलक पर सतमातृकाकिशपांकनक आरभ कुषाणकालमे भऽगेल छल। चामुडाकेँ छोिड़ सभटा देवीिभुजी छिथ। सभक एक हाथमेअतकलश एवं दोसर अभयमुामेउकीणर् अिछ। िमिथलांचलकलोकजीवनमे जनपदीय अवधारणाकअनुसार सत मातृकाक नामावली िभअिछ। मुदा िबिक्षया माइ (येा,आिदमाता, मातृ) सभमे समान रूपेँितित छिथ। य सतमातृकाकऐितहािसक तर िशपांकन एिहभूभागसँ अाय अिछ, मुदादशमहािवाक ऐितहािसक मूितर् सभभीठभगवानपुर (मधुबनी) एवं गढ़-बरुआरी(सहरसा)मे उपलय अिछ।‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्130


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्मायान द िमअहाँ की छीछीअहाँ लोभनक नाक काट’बला मयदा निञनग् नताकेँ आवरण दैबला निञ छीसँतुलन राख’बलाैिफक गाइड जकाँ चौबिटयापर ठाढदुनू हाथ उठौने अिहँसा निञ छी।अहाँ छीचुपचाप कान’बला िस धु।व तुतः अहाँ छी एकटा िब दुजािहठामसँ अनेक रेखा तँ खीचल जासकैछिक तु ओ सबटा दुजय चानककोनो िवराट अ हार गुफाक अंतहीन घाटीमेजा क’ समा त भ’ जाइत अिछकोडोपैरीन खा–खा कऽ त काल अपनमथदुखी केँ दबबऽ बला क्षु ध िहमालय।छी?सिरपहुँ ई न अिछ जे अहाँ कीअहाँ छी अपन खि डत रसनाकेँ दािब‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्131


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्डॉ िमनाथ झा (१९५६-)िपता वनामधय िमिथला िचकार व. लमीनाथ झा िस खोखा बाबू, ाम-सिरसब, पोट सिरसब-पाही, भाया- मनीगाछी,िजला-मधुबनी (भारत), सित िमिथला शोध संथान, दिरभामे पाडुिलिप िवभागायक्ष ओ एम.ए. (संकृत) कक्षाक िशक्षाथकेँएम.ए. पायमक सभ पक अयापन। लेखन, उच्चतरीय शोध ओ समाज-सेवामे रुिच। संकृत, मैिथली, िहदी, अंेजी,भोजपुरी ओ उदूर् भाषामे ग-प लेखन। राीय ओ अतरीय तरपर सुितित अनेकानेक प-पिका, अिभनदन-थ ओमृित-थािदमे अनेक रचना कािशत। राीय ओ अतरीय तरपर आयोिजत अनेक सेिमनार, कॉनफेरेस, वकर्शॉप आिदमेसिय सहभािगता।—स पादकिवदेह-वैभविवा-वैभव केर गिरमासँ सवर्थापुक्त जे िस भूिम।अतर कदािप निह जे कएलकअपन वा आनक थातीमे॥देलक सिदखन जे पूणर् ज्ञानिनछलता ओ कमर्ठतासँ।मिम कखनहुँ निह पड़य देल, दयतेल ज्ञान केर बातीमे॥हिव ज्ञानक अपन सतत बाँिट, होबुिक कोनो अनुान।िशक्षाक भनिह हो कोनो िवधा,विजर्त निह िहनकर पातीमे।अक्षुण रािख िनज-मयदा, अयहुक्षेक कएलक िवकास।िमिथला केर तापस ज्ञान-भानुसँ,के-के निह लेलक काश॥मतवैिभयक अपन मिहमा, के निहजनैछ ई िदयभूिम।तमसँ आच्छािदत मागर् कोनो, विरतेपाओल ज्ञानक काश॥रिह मय मागर् केर अनुगामी, कामीनिह कोनहु तुच्छ फलक।कएलक यास िववंसक बड़, परकए न सकल िकिचत् िवनाश॥होता कोनहु हो, यजमानक ज्ञानकमानक हो यान सदा।िमिथला केर पावन धरतीपर, गुितहो ज्ञानक गान सदा॥भग्न िचतनिचताक तत दावानलमे हम कीरचनामक कायर् करू।िहयमे तँ अबैछ लहिर भावक, परधार कोना ई पार करू॥िभुवन केर ायः कोनो वतु,मानव-िचतनसँ दूर निञ।की भावनाक ई िदय महल, होएतहमरासँ पूर निञ॥लेखनी हमर ई बािज रहल, कीहमरा अपनिह भिर रखबेँ।मानस पट से िधािर रहल, कीसमय एतबिह भिर रखबँ॥खाली हाथँ जाएत सभ क्यो, ईनीक जेकाँ हम जनैत छी।लेखनीक आइ दुदर्शा देिख, एकातमौन भए कनैत छी॥कारण जनैत छी निह जाएतभूतलसँ संग एोटा कण।पर िम भाग्यसारणी हमर निहदेलक एहन कोनो यक्षण॥जेिह अनुपमेय क्षणमे अपन भावनाअतीतकेँ दोहराबी।भग्ना वीणा केर रुग्ण तारपर दूआखर हमहूँ गाबी।‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्132


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्हाल ः बुटवल बहुमुखी क् यापसबुटवलिदनाढ २०६५ जेठ १४ गतेमंगलिदन जनकपुरधाममें लोकापर्ण भेल“समझौता नेपाल”क दोसर तुित गीितए वम “भोर” क गीतके संगही समझौतानेपालक िनदशक नरे कुमार िमजीकसाक्षा कार िदनाढ २०६५ जेठ १८गते शिनिदन काि तपुर एफ़एम़केसविधक लोकिय कायर्म “हेलौिमिथलामें” सुनबाक मौका भेटल।संघीय गणताि क नेपालक भोरमेसमझौता नेपालारा तुत कएल गेलगीित ए बम भोरके लेल समझौतानेपालक िनदशन नरे कुमार िमजीकेहािदर्क बधाई एवं शुभकामना। आगामीिदनमें समझौता नेपाल माफर्त गीितयााकेँ िनर तरततासँ गीत या संगीतकमा यमसँ िमिथलावासी आ मधेशी संगिहस पूणर् आिदबासी थारु में जागरण लावयमें सफल होवय आओर िमिथलावासी,मधेशी, आिदवासी थारु सगिह स पूणर्देशवासीमें सदाशयता, सदभावना,सिह णुता आ नेहमें गाढता बढावमेंसफलता ा त होअए, एकरा लेलसाधुवाद।गीतकार सभहक गीतउ कृ ट अिछ, कोनो गीत वीस निहसभटा एैस। एकसँ बढी कय एक।गीतकार सभहक गीतके स व धमें छोटमेंअलग अलग िकछु कहय चाहैत अिछरुपा झाजीक गीत िशक्षा ितजागरुकता आ चेतबाक स देश दरहलअिछ। ज्ञान काश अिछ आओर अज्ञानअ धकार। अ धकारसँ वचवाक लेलज्ञान ा त केनाइ आव यक अिछ।“केहनो भारी आफत आवौ, ज्ञानेसँखदेड” पाती कोनो सम या िकएक निहिवकराल होअए ज्ञान आ वुि सँसमाधान करल जा सकैत अिछ।मुखीलाल चौधरीसुखीपुर – १, िसरहापूनम ठाकुरजीक गीत सब स तानसमान होइछ, बेटा—बेटीमे भेदभाव निहहोयबाक आ करबाह चाही स देश दरहलअिछ। “मुदा हो केहनो अब ड बेटा,कहता कुलक लाल छी ” िसफर् एकपाितस आजुक समाजमें बेटा—बेटी ितकेहन अवधारणा अिछ, बतारहल छिथ।िमिथलाके मािट बड पावन छै।सं कार आ अचार–िवचार महान छै।आओर ओएह मािटक सपूत सािहलअनवरजी छिथ। जिह मािटमें सािहलअनवरजी जकाँ मनुक् ख छिथ ओहीमािटमे स दाियकताक काँट उिगए निहसकैछ। उगत त मा सदभावना,सदाशयता, माया—ममता, नेहक गाछ।जेकर गमकसँ सभकेओ आनि दत रहतआ होएत।“जतय िह नुओ रािख तािजया,मान िदअए इसलामकेछिठ परमेसरीक कवुलाकयमु लोजी मानिथ रामके”सँ इ निह लािग रहल अिछ ? िकिमिथलाके पावन मािटमें सिह णुताकसिरता आ बस तक शीतल बसातबिहरहल अिछ। ध य छी हम जे हमरजनम िमिथलाक मािटमें भेल अिछ।धीरे ेमिषर्जीक गीतसकारा मकतासँ भरल अिछ। सम यािकएक निह बडका होबय आ कोनोतरहके होय िनरास निह होयवाक चाहीआओर सिदखन धैयर्—धारणकयसकारा मक सोच रािखकय आगाँबढवाक चाही। संगिह जािह तरहसँ माँ–बाप अपन स तानक लेल सिदखनसकारा मक दृि टकोण राखैत छिथ, वएहतरहसँ संतानक कतर् य होइछ जे ओसभ अपन वुढ माँ–बाप ित विहनाइतेदृि टकोण अपनावैत। गीतके शुरुके जेचार पाँित“सँझुका सुरूजक लाल िकिरिनया,निह राितक इ िनशानी छै‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्133िछटने छल जे भोर िपिरितया,तकरे मधुर कहानी छै”।सकारा मकताक ोतक अिछ।एकर संगिह“सोना गढीके इएह फल पौलक,अपने बिन गेल तामसनवाह बुढवा तैओ वाजैए, हमर बेटारामसन” इ पाितसँ मा–बापके अपनस तानक ित गाढ माया ममताक बोधकरारहल अिछ।नरे कुमार िमाजीक गीत इबतारहल अिछ िक संसारमे ेम, नेह,माया–ममता अिछ तेँ संसार एतेक सु दरअिछ। यिद ेम, नेह, माया–ममता हटादेल जाय त संसार िनरस भजाएत आिनरस लाग लागत। तेँ हेतु एकदोसरक ित ेम, नेहक आदन–ादानहोनाइ आव यक अिछ।आदान-दान भनाए“आँिख देखय त सिदखन सु दरसृजनठोर अलगय त िनकलय मधुरगरबचन”पाती सँ ेम आ नेह वष भरहलअिछ, लािग रहल अिछ।विर ट सािह यकार, किव, गीतकारय डा़ राजे िवमल जी आ च शेखरशेखर जीके गीत अपने अपनमे उ कृ टआ िविश ट अिछ। िहनका सभक गीतस ब धमे िवशेष िकछु निह किहकेिहनका सभक गीतक िकछु पाती उधृतकयरहल छी, सबटा बखान कए देत।डा़ राजे ी िवमल जीक पॉंितक“जगमग ई सृि ट करए, तखनेिदवाली िछेम चेतना जािग पडए, तखनेिदवाली िछरामशिक्त आगुमे, रावण ने टीिकसकतरावण जखने डरए, तखने िदवालीिछ”


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्अपने अपनमे िविश टता समािहतकेने अिछ।ओही तरहे च शेखर ॅशेखर जीकगीतक िन न पांती अपने अपनमे िविश टअिछ“साँस हरेक आश भर, फतहकिव वासकरिबहुँसाले रे अधर, मुक्त होनैरा य–डररोक सब िवनाशके, ठोकइितहासकेँदग् धल िनशाँसकेँ, लागल देसाँसकेँ”हमर यानी मुखीलाल चौधरीकगीतके स ब धमे चच निह करब तकृतघ् नता होएत। हमरारा रिचत गीतभोरक संगीतकार धीरे ेमिषर्ारापिरमािजर्त आ स पािदत कएल गेलअिछ। तें एतेक िनक रुपमे अपनेसभहक आगाँ तुत भेल अिछ। हमरगीतके इएह रुपमे लाबएमे धीरे ेमिषर्जीक उदार या गहन भुिमकाछै ह। एकर लेल ेमिषर्जीके हममुखीलाल चौधरी हािदर्क ध यवाद ज्ञापनकरए चाहैत छी।सभटा गीतके संगीत कणर्िय लगैतअिछ। सुनैत छी त मोन होइत अिछफेर–फेर सुनी। कतबो सुनलाक वादोमोन निह अगहाइत अिछ। एतेक िनकसंगीतक लेल धीरे ेमिषर्जीके हािदर्कबधाई आओर आगामी िदन सभमे एहोसँिनक संगीत दय सकैत, एकर लेलशुभकामना आ साधुबाद।सभ गीतकार, संगीतकार, गायक–गाियका इ यािदक संयोजन कय बडसु दर आ हृदय पश गीित ए बम “भोर”जािह तरहसँ हमरा सभहक आगाँपरोसने छिथ, एकर लेल भोरकसंयोजक रुपा झा जीके हािदर्क बधाई।अ तमे सभ गीतकार, संगीतकार,गायक–गाियका, संयोजक आ समझौतानेपालक िनदशकके हािदक वधाई।एन. अरुणाजम िनजामाबाद लग एकटा गाममे १९४९ ई.मे। तेलुगुमे पाँचटा किवता संह कािशत।जयलमी पोपुरी, िनजाम कॉलेज, ओमािनया िविवालयमे अयापन।जयलमी पोपुरी -तेलुगुसँ अंेजीअनुवादगजे ठाकुर-अंेजीसँ मैिथलीअनुवाद।ई सेहो अिछ वासअहाँ निह छी मानैतमोटा-मोटी ईहो छी वासएकर गुणषडय जेकाँमूल जमकालेसँ“तैयो अिछ तँ बेटीये” अिछने ई?कोनो पुरुषक हाथमे तँजएबाके छैक ने एक िदनवासमा अमेिरके टा वासकनिहक निहनारी सेहो अिछ एकटा ई।अहाँ एकर अवहेलना कएसकैत छी सुिवधासँ।तैयो कतेक किठनछोड़ब िजनगी भिरक लेलअपन जमथानपाएब एकटा अनिचहारकआँगुर?अहाँ घुिर सकैत छी कखनोकालमुदा बिन मा पाहुन।जखने हम पएर राखबकतेक काल धिर अहाँ रहबपुछब हमर लोककेँ।“जाऽ धिर हम चाही”इच्छा अिछ कहबाकमुदा ृंखला ससरल हमरइच्छापर बहुत पिहनिह।वास निह अिछ हखर्कवतु।छोिड़ ई मा जे समय िबतनेबढ़ैत अिछ ई बनैत अिछअयास।‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्134


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्नागे झानवर हाता, पूिणर्याँव. पीकार मोदानद झासँ सुनल परुए महेो मूलक पूिणर्याँ िजलाक िशवनगर ामवासी छलाह। ई पी बधक नीकज्ञाता छलाह। महाराज दरभाक चलाओल धौत परीक्षोीणर् छलाह।ई लेख पीकारक िवषयकिथक। अतः पी शदक अथर् की सेबूझब आवयक। प शद आएलअिछ संकृतमे तथा भाषोमे पचशदक योग ५ संख्याक अथर्मेभेटैछ। तैं प शद ५ संख्यासँसब अिछ। भाषामे हाथक पाँचोआुर तथा ताशक ५ कैं पा कहलजाइछ।पीमे ५ संख्याक िक योजन?उर- हमरा लोकिन अथत् मैिथलाण “पचदेवोपासक” छी। कोनोतरहक शुभ कायर्मे पूजा पचदेवतैकपूजासँ आरभ होइछ। तिहनाधमर्शाक अनुसारे कहल गेल अिछजे “मातृतः पचमॴ यक्वा िपतृतःसतमॴ भजेत्”। अथत् कृित(माय)सँ पाँचम थान िथित कयाकस िववाह निह करी। ई िनषेधकयल गेल।िववाह सृि योजनाथ होइछ आसृिमे कृितक योजन तैं मायसँपाँचम थान िथत कयासँ िववाहिनिष भेल तथा एिह िनषेधककारणसँ सभव िथक जे एकर नाम“पी” राखल गेल हो अथवाकयादानमे वरक दू पक्ष, कयाक दूपक्षक अथत् दुनू िमलाकेँ चािर पक्षकिनःशेष याख्या जािह पुतकमेिलखल जाय आओर पीकार ओकरावीकार करिथ अथत् हताक्षरकरिथ ओऽ भेल पी।संकृतमे पी (पिका) शदकअथर् िथक जे पूणर्तः पदक याख्याजािहमे िलखल गेल हो। अथत् ओऽरिजटरो भऽ सकैछ, पुतकोक रूपमेभऽ सकैछ, हैडनोटोक रूपमे भऽसकैछ। सरकारी रिजी ऑिफसमेरिजटर रहैछ। हाटपर मवेशीक िबीभेलापर िवीनामा िलखल जाइछ।एकर िनदान “याज्ञवक्य” सायकरणमे प कयने छिथ जेबेचिनहार, खरीददार आ साक्षी सभकपूणर् पता रहै जैसँ भिवयमे कोनोतरहक िववाद निह उठै।ई अिभलेख (रेकडर्) वतुिवयोमे तथा दानमे सेहो राखलजाय। ई तँ कयादान करणमे वर-कया दुनूक वंशक पूणर् सिपडकअिभलेख जािहमे िलखल जाय से भेलपी आ ओिह पीमे जे वर-कयासिपडक अयनाट निह छिथ सेिलखिनहार पीकार कहवैत छिथ।एिह िथितमे ईहो ज्ञात होबकचाही जे पी था किहयासँ चलल,िकयैक चलल?ई था हिरिसंह देवक समयसँचिलत भेल अिछ। िकयैक आरभभेल से कथा व. पीकारे मुहसँसुनल अिछ, जे िन िथक।पी बधक आरभक बीज- एकाणी रहिथ। ओऽ जािह गाममेरहिथ ओऽ ाण बहुल गाम छल।लोक िक पुरुष वा िक ी िबनुपूजा-पाठ केने भोजन निह करिथ।ओिह गामक एक पोखिरपर एकिशवमिदर छल। उक्त ाणीकिनयम छल जे जाऽ धिर उक्त िशव-मिदरक महादेवक पूजा निह करी ताऽधिर जलहण निह करी। ई िशवपूजाथर् मिदर गेली ओिह समय एकचाडाल सेहो पूजाथर् गेल रहए।िहनका देिख िहनकासँ दुराचरणकआह कएलक। ई परम पितवर्ताछलीह। ओकरा दुकारैत कहलिन जेई मिदर िथकैक तू केहेन पापी छैं,जो भाग निह तँ तोहर भला निहहेतौ। ई किहते छलीह की िशविलसँएक सपर् फुफकार करैत अवैत ईचाडाल भागल।संयोगवश बाहरसँ एक ाणी,ओिह दुनूक वातलाप सुिनते छलीह।गामपर आिव िमया चार ओिहचाडालक संग कऽ देलिन। गामकलोक िहनका बजाय कहलिन जेअहाँकँ ायित करए पड़त। एिहलेल िक अहाँ चडालक समकएल। ई किह उठलीह जे के ईकहलक, हमरा तँ ओकरासँ पशनिह भेल अिछ। मुदा लोककेँ िवासनिह भेल। ायित िलखल गेल(यदीयं चाडालगािमनी तदा अिग्नतापंकरोतु) ई िलिख हुनक दिहन हाथपरएक िपपरक पात रािख आ तैपर लह-लहािन आिग राखल गेल। ई पािकगेलीह। तखन िहनका ाम‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्135


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्िनकासनक दड देल गेल। कनैत-िखजैत लिखमा ठकुराइन नामकपिडताकेँ सब बात कहलिन। ीमतीठकुराइन ायि िलखिनहारपिडतकेँ बजाय कहल जे ायिगलत िलखल गेल। हम ायििलखब। तखन ठकुराइन िलखल जे“यदीयं पितिभ चाडाल गािमनी तदाअिग्नतापं करोतु”। ई वाक्य पूवर्वत्दिहन हाथक िपपरक पातपर राखलगेल तँ ई निह पकलीह। तखन ईवात महाराज हिरिसंहदेवक ओतयगेल।तखन उक्त महाराज पिडतमडलीकँ आमित कऽ पुछलिन जेउक्त ीक पित चडाल कोना?तखन िवतमडली उक्त ीकपितक िववाहक शाानुकूल िवचािरदेखलिन तँ हुनक िववाह अनिधकृतकयासँ भेल तैँ िहनकर पित चडालभेलाह। एकर बाद महाराजक आदेशसँमैिथल ाण लोकिनक िववाह पीबनल।मैिथल ाणमे १६ गोकाण छिथ। एकर बाद गाँव-गाँवमेउक्त गोातगर्त जे जे लोक छलाहतिनका-तिनका गामक नाम देल गेलएवं मूल कहौलक। पी मूलकअनुसार बनल, गोक अनुसार निह।एक गोमे अनेक मूल अिछ। गोकनामपर पी बनैत तँ गामक पता निहलगैत।हमर मतसँ पी-बंध धमर्शाकअंग िथक। तैं एकर िलखिनहार,अिभलेख (रेकडर्) रखिनहार एवं एकपढ़िनहार यिक्त पीकार (रिजारवा धमर्शाी) िथकाह।किलयुगानुकूल पूवर् समय जेकाँपीकारक परामशर् िबनु लेनहुँ िववाहकिनणर्य कऽ कयादान कऽ लैत छिथजे परम अनुिचत िथक।जे पीकार हमरा लोकिनकलोकातर ात पूवर् पुरुषक अिभलेख(रेकडर्) रािख आ वैह िवा पिढ़ अपनजीवनयापन करैत छिथ हुनक आिथर्कोत एक मा ईएह जे हमरालोकिनक सतान (वर वा कयाक)जखन समय आओत तखन हुनकपरामशर् शुक दऽ हण करी। सेवषर्मे कतेक होइछ। यिद ईएह रातारहत तँ ई िवा लुत भऽ जायत।एिह पीक मूय सरकारोकयायालयमे कम निह छैक जेकरिनांिकत एक उदाहरण देखू-उदाहरण- एक राजपिरवारवंशिवहीन भऽ लुत भऽ गेल। हुनकसब सपिमे सँ िकछु सपिमहाराज दरभंगाकेँ भेल आ िकछुसपि बनैलीक राजामृत राजपिरवारकउरािधकारीसँ कीिन लेल।एकर बाद महाराज दरभंगायायालय जाय बनैली रायपर ई किहजे ओऽ (वनैली राय) अनिधकृतिकनने छिथ। मोकदमा बहुतो िदनचलल। दुनू पक्षसँ िदग्गज वकीललोकिन छलाह। उरािधकारक हेतुदुनू पक्षकँ ई पी-बध माय भेल।जािहमे बनैली रायक पीकारकरूपमे उक्त पीकार जिनक िवषयमे ईलेख िलखल जाऽ रहल अिछ, िहनकपूय व.िपता तथा ई, दुनू गोटेंमोकदमाक बहसक लेल िनयुक्त भऽपी-बध पुतकक अिभलेखयायालयक जजकेँ देखओलिन। एकरबाद बनैली राय “िडी” पओलकथा ई दुनू िपता-पुक माय समानकयलक।एिहसँ िस भेल जे उक्तपीकारक पी सुरिक्षत रिहपीकारक योग्यतोकेँ िस कएलक।िहनक िनलभताक वणर्न सेहोदेखू:-एक राजदरबारमे कयादानउपिथत छल। तािहमे परामशर्(िसात)क हेतु अनेक पीकारबजाओल गेल रहिथ तािहमे ईहोरहिथ। राजदरबारक बात रहैक।राजाकँ अपन कयाक हेतु ई वरपिसद रहिथन। ई पीकार अयपीकारसँ वातलापमे कहलिथन जेऔ पीकारजी! ऐ वरक अिधकार तँनिह होइत छैक। ओऽ उर देलिथनजे अहाँ बताह भेलहुँ हेँ। राजाक बातिथकैक। राजाकेँ काज पिसद छिन।एिहमे अरा निह लगिबयौक। नीकपारिमक भेटत। ई मोने-मोनिवचारलिह जे ऐ पापक भागी(रुपैयाक लोभमे पिड़) हम िकयैकहोउ। िकछु कालक बाद बाभूिम(पैखाना) जेबाक बहाना बनाय ओतयसँभािग अयलाह।िहनक नैिकता सेहो तेहनेछल। सब िदन नानोर सया,तपर्ण, गायी जप, शािलामक पूजािबनु कएने िवणु भगवानक चरणोदकतथा तुलसीपात िबनु खएने! अ-जलनिह करैत छलाह।एकर अितिरक्त काितर्क मासजखन अबैक तखन भिर मासधाीयैक गाछतर हिवया भोजनकरिथ। ऐ सँ हुनक पूणर् नैिकताकपता चलैत अिछ।‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्136


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्नरेश मोहन झातुलिसया, िकशनगंजिवरेय पीकारमोदानद झावषर् १९५४-५५क वात थीक।गृमावकाश छल। गामिहं छलहुँ। एकिदन वेरू हर मे दरवजिहपर छलहुँ।एक यिक्त, अयत गौरवणर्, मयमऊँचाई, देदीयमान ललाट, शत काया,चलबाक कारणँ ललॱछ मुखमडल, पैघ-पैघ आँिख, उपिथत भेलाह। देिखतिहंबुझबामे आएल जे कोनो महापुरुषअएलाह अिछ। हमर िपता पं. लीलमोहनझा सेहो दलानेपर छलाह। ओऽ परमआािदत भए उिठ कऽ ठाढ़ भेलाह।झटिक कऽ अिरयाित अनलिखह।हमरा सभ जतेक नवयुवक रही- सभकँकहलिह- णाम करहुह। हमरो लोकिनउलिसत एवं अनुशािसत भए णामकएिलयिह। बाटीमे जल, जलचौकीओऽ अिढ़या आनल गेल। हुनकासँ पएधोएबाक आह कएल गेलिह। हमरिपता जे परोपाक े समादृत यिक्तछलाह- वयं लोटामे जल लए हुनकरपएर धोअय लगलिखह। पुनःअंगपोछासँ पएर पोिछ पलंगपर िबछाओलसाफ सुदर िवछाओनपर बैसेलिखह।आ हुनक पएर धोयल जलसँ समतघर-आङनमे िछड़काव भेल। एिह बीचसरवत आएल- पान आएल। घरक सभसदयमे एक अुत उलास-जेना कोनोइदेव आिब गेल होिथ। ओिह बैसारमेतँ बहुत काल धिर कुशलािदक वातहोइत रहल। संयाकाल धिर तँ हमरदरवजापर गाम भिरक ाणक समूहकसमूह उपिथत होमऽ लागल। ओिहमय हमर िपता पिरचय करौलिह।कहलिह- ई िथकाह पंजीकार वर ीमोदानद झा जी लध धौत, िशवनगर,पूिणर्याँ िनवासी। हमरा लोकिनक वंशरक्षक। िहनकिहं तापे हमरा लोकिनअपन कुल ओऽ जाितक रक्षा कऽ पबैतछी। िहनक िपता पीशा मूधर्यपीकार िभिखया झा बड़ पैघ िवान्ओऽ सदाचार पालक। ओिह योग्यिपताक यशवी पु छिथ पीकार वरमोदानद बाबू। नाम सुिनतिहंअकचकयलहुँ। हम पूिणर्याँ कॉलेजकजखन छा रही तँ समत कुटुब वगर्िबणुपुर गामक िमवगर् जे नवरतनपूिणर्याँमे रहैत छलाह तिनकासँ िहनकनाम बड़ ापूवर्क उच्चिरत होएतसुनने छलहुँ। अिह साक्षाकार भेलसता बुिझ पड़ल जे जे िकछु िहनकरमादे सुनने छलहुँ से बड़ कम छल।िनय ई यिक्त परम आदरणीय छिथ।सांयकालीन बैसारमे गामक सभ ेयिक्त अपन-अपन वंशकनवजमोपिक िववरण िलखबैतगेलिखह। पीकारजी तपरतापूवर्कसभक पिरचय बड़ मनोयोगसँ िलखैतरहलाह। तखन हमरा बुझाएल जे कोनाकऽ हमरा लोकिनक वंश पिरचय पिछलाहजार वषर्सँ साो-पा उपलध रहलअिछ। हमर गाम पीकार गामसँ १००िक.मी.सँ अिधके पूवर्मे अविथत अिछ।यातायातक कोनो सयक यवथा पूवर्मेनिह रहल होएतैक। नाना कारकअसुिवधाक सामना करैत एतैक भू-भागमेपसरल मैिथल ाणक यावतो पिरचयसंिहत करब, सुरिक्षत राखब आ बेरपड़लापर उपिथत करब अयतदुःसाय कायर्। याा ओ पिरिथितजय कक थोड़ेको अनुभव निहं कऽकेँ अपन कतर्येक धानता दैतिनःवाथर् भावसँ धमर्शाक रक्षामे तपरएिह इितहासक संरक्षण सन पुनीत कायर्करैत रहब िहनकिह सन यिक्तसँसंभव। ातः काल पूय िपतासँएकातमे पुछिलयिह जे एतेक क उठाकऽ पिरचय संह करबाक योजनकी? बुझौलिह जे अपना लोकिन जेसनातन धमवलबी से सभटा कायर् मनु,याज्ञवक्य, शतपथ, शंख इयािद महान्ऋिष लोकिनक देल यवथापर चलैतछी। मनु िववाहक सदभर्मे कहने छिथजे कोनो कया ओ वरक िववाह वजन,सगो, सिपड ओ समान वरमे निहहो। एिह हेतु आवयक अिछ जेसिपय िनवृिक ज्ञान हो। तािह हेतुपुरुषाक िववाहािदक िववरण सपूणर्तःउपलध हो। एिह धमर्क रक्षा तँ िवनपीकारिहं सभव निह। अयथावणर्संकरक धानता होएत ओ जातीयरक्षा निहं होएत। पीकारक निहं रहनेवंशक इितहासक ज्ञान न भए जाएत।िवास जिम गेल। हुनका ितमनमे जे आथा छल से चतुगुर्ण भऽगेल। तकर बाद जखन कखनो ओऽअएलाह हम ओिह देवव भावँ हुनकसमान कएल। ओहो िपतृवत नेहदेलिह। ओऽ अपन यिक्तवक धनीछलाह। सदाचार पालनमे तपर। जखनकखनो हुनकर गामपर जएबाक अवसरभेटल- गमौलहुँ निह। कतेको बेरहुनकर गाम िशवनगर गेल छी। हुनकओऽ साफ पिरिछ दलान। रमनगरफुलवाड़ी। पीकारजीक दैिनक चयकलम ओऽ खुरपीक संग सप होइतछलिह। किमर् पुरुषः।‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्137


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्नवेदु कुमार झासमाचार वाचक सह अनुवादक (मैिथली), ादेिशक समाचार एकांश, आकाशवाणी, पटनाकोसी क्षेमे आएल भीषण बािढ़सँई क्षे तबाह भऽ गेल अिछ। वतर्मानपिरदृय महान कथाकार फणीर नाथरेणुक “परती पिरकथा” िदस लोकयान खॴिच रहल अिछ। कोसीक मािरसहैत कतेको लाखक आबादीकेँ ओिहिदन राहत भेटल छल जखन िकिबहारक शोक कहल जाएवाला नदीकोसीपर तटबंधक िनमण भेल छल।आशा जागल जे ई क्षे आब सोनाउगलत। ई भेबो कएल। मुदा १८अगत २००८ केँ पूरा पिरदृय बदिलगेल। सरकारक लापरवाही चाहे ओके सरकारक हो िक राय सरकारकई क्षे एक बेर फेरसँ बालूक ढेर बिनगेल। जे नदी एिह क्षेकेँ बसौलक ओिहनदीक कारण एक बेर फेर क्षे िवरानभऽ गेल। िवकास दौरसँ ई क्षे चिलगेल पचास वषर् पाछाँ।एिशया क्षेमे सभसँ उपजाऊ मानलजाएबला एिह क्षेमे एखन बाँचल अिछतँ ओऽ छिथ अपन घर-घरारी छोिड़शरणाथ बनल बािढ़ पीिड़त आ पसिररहल िबमारी आ बाँचल अिछ िजनगीकटबाक आशा। मलेिरया सन महामारीकलेल बदनाम एिह क्षेमे िकछु वषर्सँ जेहिरयरी देखाइत छल तािहपर पािन पसिरगेल। गहूम, मकई आ धानक लहराइतखेत देखबाक िचतामे लागल अिछलोक। खेतीपर िनभर्र एिह क्षेकअथर्यवथापर जे घाव भेल अिछ सेकतेक िदनमे भरत से िनित निह बुिझपड़ैत अिछ।ओना तँ एिह क्षेक एकटा पैघआबादी एखनो वासी छल मुदा जे एखनछलाह ितनको ई बािढ़ वासी बनबापरिववश कएलक अिछ। खेतीक बादजािहसँ एिह ठामक अथर्यवथा चलैतछल ओ अिछ मनीआडर्र। मनीआडर्रकभरोसे लोक कहुना िजनगी कटैत छल।आब ओकरो अपन िजनगी पहाड़ लािगरहल अिछ। राहत िशिवर आ सुरिक्षतथानपर शरण लेने एकटा पैघ आबादीकेँअपन भिवय वसी बनबामे बुिझ पड़ैतअिछ। ओऽ आब िबचािर लेने अिछ जेघर गृहथीकेँ पटरीपर आनब िबनुवासी बनने संभव निह अिछ। कोसीक्षेक कतेको रेलवे-टेशनपर लगातारबिढ़ रहल भीड़ एकर माण अिछ।कतेको माय-बाप-भाइ-बिहन अपन-अपनपिरजनकेँ घर-घरारीक िचता निहकरबाक आशा देआ देशक लेल िबदाकऽ रहल छिथ। िकएक तँ िजनगीकटबाक एकमा राता ओकरामनीआडर्र बुिझ पड़ैत अिछ। एिह ठामतँ सभ िकछु उजिड़ गेल अिछ। आबएकमा आशा वासी बिन रहलपिरजनक मनीआडर्र मा अिछ जािहसँफेरसँ घर गृहथीकेँ पटरीपर आनलजाऽ सकैत अिछ। ओकरा एिह बातककोनो िचता निह अिछ जे देशककतेको भागमे िबहारी सभक िवरुगितिविध चलाओल जा रहल अिछ।ओऽ तँ आब ई मािन लेलक अिछ जेएिह ठाम एखन कोन िजदा छी जेदेशमे कोनो अनहोनी घटनाक िशकारभऽ जाएब। ई एिह बातक माण अिछजे पेट आिगक सोझाँ देशमे होमएवाला कोनो तरहक अनहोनीक कोनोमोल निह अिछ। अपन आँिखसँ कोसीकधारमे बहैत अपन लोक, आर-परोस आपिरिचतक लहाससँ एिह क्षेक लोकहृदय पाथर भऽ गेल अिछ। बाँचलिजनगी कटबाक लेल मृयुक सामनाकरएसँ आब कोनो घबराहिट ओकरा निहछै।कोसीक तटबध टुटलाक बाद आबसरकारी तरपर जाँच, कावई आआयोगक गठन आिद खानापूितर् भऽ रहलअिछ आ होएत एिहसँ ओकरा कोनो मानेमतलब निह रिह गेल छै। आब िचताछै तँ बस अपन घर-घरारी बसेबाक आअपन पिरवारक भिवय रक्षा करबाक।बािढ़ पीिड़तक लहासपर राजनीित, राहतआ बचाव काजक नामपर सरकारीखजाना लुटाएत, वोटक लेल गोलबदीहोएत मुदा अिगला साल फेर कोसीकतांडव निह होएत आ राजनेता, अिधकारीआ सरकार अपन िजमेदारी िनवहकरताह एकर कोनो गारंटी निह अिछ।अितवक लेल संघषर् करैत पटनाकिवापित मृित पवर्िमिथलांचलक सांकृितक धरोहरमहाकिव िवापितक जयतीक तीक्षािमिथलावासी वषर् भिर करैत छिथ।काितर्क धवल योदशीकेँ ित वषर्मनाओल जाएवला एिह वािषर्क उसवमे‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्138


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्पूरा मनोयोगक संग िमिथलावासी शािमलहोइत छिथ। एिह ममे राजधानीपटनामे आयोिजत होमएवाला िवापितमृित पवर्क तीक्षा सेहो राजधानीकिमिथलावासीकेँ रहैत अिछ। मुदा एिहवषर् एिह आयोजनपर जेना हण लािगगेल अिछ। बढ़ैत संसाधनक बावजूदआयोजक एिह सांकृितक उसवकवरूप वषर्-दर-वषर् छोट कएने जा रहलछिथ। ई आयोजन आब इितहासबनबाक ारपर ठाढ़ अिछ। पिछलाचौबन वषर्सँ ित वषर् आयोिजतहोमएवाला ििदवसीय कायर्म एिह वषर्एक िदवसीय होएबाक संवाद अिछ।पटनाक हािडर्ंग पाकर्सँ सिचवालय मैदानआ िमलर हाई कूल मैदान होइत ईआयोजन जखन भारत काउट मैदानधिर आएल ता धिर ई उमीद छल जेई समारोह अपन पुरान गौरवकेँ फेरसँात करत मुदा जखन एिह समारोहकथान पिरवितर्त कऽ कापरेिटव फेडरेशनपिरसर आिब गेल तऽ प भऽ गेल जेआब आयोजक मा खानापूितर् करबाकलेल एकर आयोजन करैत छिथ। आएिह बेरक सूचनापर गौर करी तऽ पहोइत अिछ जे आब एिह समारोहकआयोजन मा औपचािरकता रिह गेलअिछ। कोसी क्षेमे आएल बािढ़आयोजक सभकेँ एकटा बहाना बिन गेलअिछ आ एिह बहाने एिह समारोहकगौरवपूणर् इितहासकेँ समात करबापरलागल छिथ।बािढ़ िमिथलांचलक िनयित अिछ।शायदे कोनो वषर् होएत जखन िक एिहाकृितक आपदाक सामना निह होइतअिछ मुदा एिह बेर कोसीमे आएलबािढ़सँ आयोजक संथा चेतना सिमितककत धतकेँ अपन गाम-घर दहाएल तँहुनक ददर् जािग उठल आ कायर्मकसमय-सीमा घटा देलिन। दरभंगा,मधुबनी, मुजफरपुर, सीतामढ़ी आिदिमिथलांचलक कतेको क्षे सभ सालबािढ़क मािर झेलैत अिछ मुदा िबनारुकावट सभ साल तीन िदवसीयिवापित मृित पवर्क आयोजन होइतरहल अिछ। ओिह क्षे सभक िचतासिमितकेँ शायद निह रहैत छल। योबािढ़क समयाक ित एतेक गंभीरछलाह तँ पूवर्मे कतेको बेर आएलबािढ़क बाद एिह आयोजनकेँ छोट कएलजा सकैत छल से आइ धिर निह भेल।यो अहू बेर आयोजक एिह समयाकित गंभीर रिहतिथ तँ एिह समारोहकमायमसँ राजधानीक िमिथलावासीकसहयोग बािढ़ पीिड़तक मदित लेल लऽसकैत छलाह। एहन रचनामक डेगसंथा उठाएत से संथाक कत-धतकआदित निह रहलिन अिछ। एिहसँसिमितकेँ सामूिहक ेय भेटैत से तऽसंथाक महानुभाव लोकिनकेँ कतहुमंजूर निह छलिन। ओ तँ यिक्तगतेय लेबापर िवास करैत छिथ।दरअसल चेतना सिमितक जुझारूपदािधकारी सभमे आब काज करबाकचेतना निह बचल अिछ। निह तँ ओएिहपर जरूर िचतन किरतिथ जे एिहसमारोहमे ितवषर् दशर्कक संख्या िकएकम भऽ रहल अिछ। जखन संथाकतरसँ दशर्ककेँ जोड़बाक कोनो यासनिह भऽ रहल अिछ तँ एिहमे दशर्किदससँ यास होएबाक बात सोचबिनरथर्क अिछ। ओना आयोजक कतेकोवषर्सँ एिह समारोहकेँ िवराम देबाकयासमे छिथ। कखनो चुनावक बहानाबना तँ कखनो कानून यवथाक बहानेएिह कायर्मक वरूपकेँ छोट कदेलिन। एिह वषर् तँ कोसीक िवभीिषकातँ मानू हुनक सभक मनोनुकूलवातावरण दऽ देलक। ारभमेििदवसीय आयोजनक तैयारीक बादएकाएक एकरा एक िदवसीय करब माऔपचािरकता लािग रहल अिछ जािहसँिक जे िकछु मैिथली ेमी छिथ अिगलावशर्सँ अपनिह एिह कायर्मसँ किटजािथ आ दशर्कक अनुपिथितक बहानाबना कायर्मकेँ बंद कऽ देल जाए। ईिवडबना कहल जा सकैत अिछ जेपटनामे शुरू भेल िवापित मृित पवर्कदेखा-देखी देश आ देशक आन क्षेमेवषर् दर वषर् पूरा उसाहक संगआयोिजत भऽ रहल अिछ आ एिह ठामकआयोजनक अितवपर संकट आिब गेलअिछ। वातवमे चेतना सिमित आबिकछु फोटोजेिनक चेहरा सभक अखाड़ाबिन गेल अिछ जे एकर कायलयिवापित भवनकेँ अपन दलान बुिझअपनिहमे कुती करैत रहैत छिथ।कोसीक िवभीिषकाक ददर् मठाधीशलोकिनक संग-संग सभ िमिथलावासीकेँअिछ। कोसीक बािढ़ पीिड़तक ददर् एिहआयोजन मायमसँ सभ िमिथलावासीकेँजोिड़ सामूिहक रूपेँ बाटल जा सकैतछल। यो से निह तऽ बािढ़ पीिड़तकमदित लेल देश आ देशक कतेकोक्षेमे सामािजक-सांकृितक कायर्मककएल गेल आयोजन यथर् छल।िमिथलाक कतेको महान िवभूितसभक यासँ शुरू भेल राजधानीक ईसांकृितक उसव पूरा देशमे एकटामहवपूणर् थान रखैत अिछ। एिहआयोजनकेँ इितहास बनेबाक यास करबिचताक िवषय अिछ। पिहने कायर्मकथान छोट करब आ आब एकर समयसीमा घटएलासँ राजधानीक िमिथलावासीममहत छिथ। एकरे पिरणाम अिछ जेछोटे तरपर सही राजधानीसँ सटलदानापुर आ राजीवनगरमे िकछु वषर्सँआयोिजत भऽ रहल िवापित पवर् आबलोकिय भऽ रहल अिछ। आबराजधानीक िमिथलावासी चेतना सिमितकबदला एिह दुनू थानपर होमएवालाआयोजनक तीक्षा करैत छिथ। शायदअहूसँ चेतना सिमित सचेत होएत आिवापित मृित पवर्क अपन पुरानगौरवकेँ पुनथिपत करबाक यासकरत।‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्139


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्भानस भातमखानक खीरसामी- दूध-१ १/२ िकलो, िची-१०० ाम, मखान कुटल- १०० ाम,इलाइची पाउडर- वाद अनुसार, काजू-१० टा, िकशिमश-२०टािविध-मखानक पाउडर (कनीदरदरा)क पिहने १/२ िकलो ठंढ़ा दूधमेघोिर िलअ, शेष दूध केँ खौला िलअ।आब गमर् दूधमे ई घोड़ल मखानकिमण िमला िदयौक आर करौछसँलगातार चलबैत रिहयौक जािहसँ िमणपेनीमे बैसय निह। जखन खौलय लागयतँ ओिहमे िची, काजू, िकशिमश सभदऽ कय अितममे इलाइची पाउडरखसाऽ कऽ िमलाऽ कऽ उतािड़ िलअ।मखानक खीर तैयार अिछ।नोट:- मखानकेँ सुखलो भुिज कऽकुिट सकैत छी वा घीमे सेहो भूिज कएकूिट कऽ पाउडर बना सकैत छी।मेथीक परोठासामी:-आटा-२५० ाम, बेसन-१०० ाम, िरफाइन-२५० ाम, मेंथीसाग-५०० ाम, हिरअर मेरचाइ-४टा,आदी- १ इचक टुकड़ा, धनी-पात आनोन-अंदाजसँ।िविध- मेंथीकेँ साफ कऽ कए धोऽिलअ। मेंहीसँ कािट कए लोिहयामे कनीतेल दऽ कय मेंथी पात खसा िदयौक।कनी भाप लािग जाय तँ ओिहमे काटलहिरयर मेरचाइ, आदी घसल, धनी-पातकािट कय आ नून िमला कय एिहिमणकेँ बेसन फेँटल आँटामे िमलािदयौक। आँटाकेँ कनेक कड़ा कऽ सािनिलअ। पराठा बेल कए तवापर कमआँचपर िरफाइन लगा कए सेिक िलअ।खाता मेथीक पराठा तैयार भऽ गेल।नोट:- अहाँ काँच मेंथी पात कऽमेंही कािट कऽ, िपयाजु सभ िमला कऽसेहो आँटा सािन सकैत छी।नीिलमामुगलई कोबीसामी:-कोबीक टुकड़ा-१/२ िकलो,िपयाजु महीन काटल-१कप टमाटर,कूकस कएल-१ कप, हिरयर मेरचाइ-आदीक पेट-१ चमच, नून वादानुसार,लाल िमरचाइक पाउडर-१/२ चमच,धिनयाँ पाउडर-१ चमच, हरिद- १चमच, गमर् मसला-१/२ चमच,अमचूर-१/२ चमच, जीर-१/२ चमच,मलाई-१/२ चमच, टोमेटो सॉस- १चमच, िरफाइन तेल-२ चमच।िविध:- कोबीक टुकड़ा धोऽ कऽचालिनमे आधा घंटाक लेल रािखिदयौक, जािहसँ एकर पािन िनकिलजाय। फेर लोिहयामे तेल गमर् कऽकोबीकेँ हका गुलाबी ाइ कऽ िलअआर एकटा पेपरपर िनकािल िलअ,जािहसँ तेल िनकिल जाय। एक पैनमेतेल ढारू। ओिहमे जीर दऽ कए िपयाजआ आदीक पेट दऽ कय भुिजिदयौक। आब सभ टा मसला दऽ कयकनी देरमे आर भुिजयौक। मलाएकेँ मैशकऽ दऽ िदयौक, सॉसकेँ सेहो दऽिदयौक आर नीकसँ िमला िदयौक। आबएिहमे कोबीक टुकड़ा दऽ कय चमचसँिमला िदयौक। फेर एक बाउलमे ओकरािनकािल कऽ ऊपरसँ गरम मसला आरधिनयाँ (धनी) पात सजा िदयौक आरपड़िस िलअ।केसर पुलावसामी:- २ कप बासमती चावल,१ कप मटरक दाना, १ टुकड़ादालचीनी, १ बड़ी इलायची, ४ टा लॱग,४ कप पािन, २ टेबुल पून घी, १/२केसर, २ टीपून गरम पािन, एकटािपयाजु लबा-लबा काटल, १ टी पूनजीर, २ टी पून नून।िविध:-केसरक गरम पािनमे फुलइलेल दऽ िदयौक। चाउरकेँ नीकसँ धोऽकए फुलइ लेल दऽ िदयौक। कुकरमेघी गरम कऽ कए ओिहमे याज दऽ कएाउन होय धिर ाइ कऽ कए लेटमेिनकािल िलअ। आब एिह गरम घीमेदालचीनी, जीर, इलाइची, लॱग आर नूनदऽ िदयौक। मटरकेँ दऽ कए कनीचलाऊ आर चाउरकेँ पािनसँ िनकािलअहीमे दऽ िदयौक। ऊपरसँ िपयाजु आकेसर सेहो दऽ िदयौक। ४ कप पािनदऽ कय एक सीटी आबए तक पकाऊ।गरम-गरम केसर पुलाव, रायता वा कोनोरसगर तरकारी संग खाऊ।मूरक परोठासामी:-आँटा-२५० ाम, बेसन-१००ाम, मूर-२५० ाम, िरफाइन तेल-१००ाम, जमाइन-मंगरैल-अंदाजसँ। आदी-१इच टुकड़ा, धनी-पात-दू डाँट, हिरयरमेरचाइ ४ टा, नून- अंदाजसँ।िविध:- मूरकेँ धोऽ कऽ कूकसकऽ िलअ। लोिहयामे कनी तेल दऽिदयौक। गमर् भेलापर ओिहमे मूर आसभ मसला खसा िदयौक आ ढ़नसँझाँिप िदयौक। कनी भाप आिब जाएत,ओकरा िनकािल कऽ ठंढ़ा हेबय िदयौक।आब एिह िमणमे नून िमला कय बेसनिमलल आँटामे िमला कऽ सािन िलअ।गोल-गोल पातर-पातर बेल कऽ ताबापरदुनू िदस िरफाइन लगा कए सेिकिलअ। मूरक परोठा तैयार भऽ गेल।मूरक परोठा बनेबाक एकटा आरिविध अिछ, अहाँ मूलीक कूकस कऽकए ओिहमे सभ मसला िमला िलअ।आब ओकड़ा गािड़ कए एक िदस रािखिलअ। आब आँटाक गोलीमे थोड़े मूलीकिमण लऽ कऽ नून िमला कऽ भिरिलअ आ बेल कऽ ताबापर िरफाइन दऽकऽ सेिक िलअ।नोट:-एिह तरहेँ काँच अनरनेबा आबधा कोबीक परोठा सेहो बना सकैतछी।‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्140


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्िनिमष झासमाचार मुख, हेडलाइंस एड यूिजक एफ.एम., 97.2, लिलतपुर, नेपालिवापितकोनो सािहयमे िकछसािहयकारसभ एहन होइत छिथिजनकर जम कोनो घटनाक रूपमेहोइत अिछ आ ओिह घटनासँ सबिधतसपूणर् सािहय भािवत भऽ जाइतअिछ। ओहन सािहयकारक सािहियकयिक्तव ओिह सािहयक सवीणिवकासमे वरदानिस होइत अिछ।ओहन सािहियक महापुरुष पूवर्वतसािहियक परपरा आिदक सयकअनुशीलन पात अपन मायता एवमसािहियक योजना िनिदर् करैत छिथ।अपन कायर्सभक मायमसँ युगातकारीआ भावशाली रेखा िनमण कऽ अमरवात करैत छिथ।मैिथली सािहयक इितहासमेिवापित एकटा एहने अतुलनीय ितभाकनाम अिछ। सपूणर् मैिथली सािहयहुनकासँ भािवत अिछ। हुनकर भावरेखाकेँ क्षीण करबाक सािहियक क्षमताभेल यिक्त मैिथली सािहयक इितहासमेअखन धिर िकओ निह अिछ। िवापितमैिथली सािहयक सवर्े किव छिथ।हुनकेमे मैिथली सािहयक सपूणर् गौरवआधािरत अिछ ।इितहासकार दुगनाथ झा ‘ीश’कशदमे िवापित आधुिनक भारतीयभाषाक थम किव छिथ। ओ संकृतसािहयक अभे िकलाकेँ दृढ़तापूवर्कतोिड़ भाषामे काय रचना करबाकसाहस कयलिन। हुनकरे आदशर्सँअनुेिरत भऽ शरदेव, चडीदास,रामानद राय, कवीर, तुलसीदास,मीरावाई, सुरदास सनक महान ासभअपन भिक्त भावनाक मायमसँ अपनमातृ भाषाकेँ समृ कयलिन।मैिथली सािहयमे िवापित युगओतबे महवपूणर् अिछ जतबे अर्ेजीसािहयमे शेक्सिपयर युग, नेपालीसािहयमे भानुभक्त युग, बालीमे रवीयुग तथा िहदीमे भारतेदु युग।िवापितक रचनासभमे िमिथला पिहलबेर अपन वैिशय भिक्तभावना,शृगािरक सरसता एवम् मौिलकसाीितक लय फुिटत भेल आभाषकयलक अिछ। ओकर बाद िवापितकपदावलीसभ जनजनक वर बिन सकलतऽ िमिथलामे युगोसँ यात असमानताकअत करैत िवापितक रचनासभ समानरूपसँ लोकवरक रूप हण कऽसकल।वातवमे िवापित युगा रहिथ।ओ मैिथली सािहयक ीवृिक लेलअथक यास मा निह कयलिन,तकालीन समयमे पतनोमुख मैिथलसमाजक पुनसर्ंरचनाक लेल सेहो मतपहुँचौलिन। िवापितक ादुभवकसमयमे भारतीय उपमहाीपका ायःहरेक भागक सयता आ संकृितसङकटपूणर् अवथामे छल। मुसलमानीशासकसभक आतङक चरमोकषर्मे रहलओिह समयमे मैिथल संकृितक रक्षाआवयक भऽ गेल छल।ओहन अवथामे िवापितक आगमनमैिथली सािहय आ संकृितक िवकासकलेल महवपूणर् वरदान िस भेल। एकिदस मुसलमानी शासकसभक आमणआ दोसर िदस बौ धमर्क बढ़ैतभावक कारण समाजमे िसिजर्त वैराग्यकमनिथितसँ आात मैिथल सयता आसंकृित अपन उयनक रूपमे सेहोिवापितकेँ ात कऽ अपन मौिलकताबचाबयमे सक्षम भेल।िवापित अपन िविवध रचनासभकमायमसँ सामािजक पुनसर्ंगठनकियाकेँ बल देलिन। ओ समाजसँपलायन भऽ रहल मैिथल युवासभकेँसमाज िनमणक मूल धारामे भािवतकरएबाक लेल अथक यास सेहोकयलिन। हुनकर एहने यासक उपजअिछ शृगािरक रचनासभ ।मुसलमानसभक आमणसँ पीिडत आपलायन भऽ रहल तकालीन िमिथलाकयुवासभकेँ मुसलमान िवरु योग कऽिमिथलाक अितव रक्षा करबाक लेलिवापितक ई रचनासभ सहयोगीमािणत भेल ।‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्141


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्तकालीन समयक लेल िवापितकअिह कारक चातुयर्केँ कुटनीितकसफलताक रूपमे देखल जा सकैया ।समाजमे यात असमानाता, कुरीित,अधिवास सिहत िविभ िवसङगितसकेँमानव ेम एवम भाषा उथानक भरमेिवापित अत करबाक काजमे सफलछिथ ।िवापितक सपूणर् रचनासभशृगार आ भिक्त रससँ ओतोतअिछ। कतेको िवानसभ िव सािहयमेिवापितसँ दोसर पैघ ृंगािरक किवआन िकओ निह रहल कहैत छिथ।महाकिव िवापित तकालीनसमाजमे चिलत संकृत, अवह आमैिथली भाषाक ज्ञाता छलिथ। ई तीनुभाषामे ात रचनासभ अिह बातकेँमािणत करैत अिछ।यपी िवापितक जम तथामृयुक सबधमे िविभ िवानसभकिविभ मत अिछ। तथािप िमिथलामहाराज िशव िसंहसँ ओ दू वषर्क जेरहिथ। अिह तयक आधार परिवानसभ हुनकर जम ितिथकेँआिधकािरक मानैत छिथ। किव चदाझा िवापितारा रिचत पुरुष परीक्षाकआधार पर िवापित राजा िशव िसंहसँदू वषर् पैघ रहिथ उलेख कयने छिथ।जँ ई तयकेँ मानल जायतऽ सन्१४०२ मे रायारोहणक समयमे राजािशव िसंहक उमेर ५० वषर् छल आिवापित ५२ वषर्क रहिथ। अिह आधारपर िवापितक जम सन् १३५० मेभेल िनित अिछ ।डा.सुभ झा, ो. रमानाथ झा, पं.शिशनाथ झा आिद िवानसभ ई मतकेँवीकार करैत छिथ मुदा डा.उमेश िम,डा.जयमत िम सिहतक िवानसभिवापितक जम सन् १३६० मे भेलकहैत छिथ ।अिहना िवापितक मृयु समेसेहो एक मत निह अिछ। अपन मृयुकसबधमे मृयु पूवर् िवापित वयंारारिचत पद िवापितक आयु अवसानकािक धवल योदशी जानेकेँतुलनामक रूपमे अय मत सभसँअपेक्षाकृत युिक्त संगत मानल गेलअिछ। मुदा अिहसँ वषर्क िनरुपण निहभेल अिछ ।िवापितक जम भारतक िबहाररायक मधुवनी िजला अतगर्त िबसफीगाममे भेल छल। ई मधुवनी दरभारेलवे लाइनक कमतौल टेसन लगअविथत अिछ। िहनक िपताक नामगणपित ठाकुर आ माताक नाम गंगादेवीरहिन। हाल िवापितक वंशजसभसौराठमे रहैत छिथ ।िवापित वा यकारिहए कुशावुिक अलौिकक ितभाक रहिथ।अपन िवान िपताक सपकर्मे ओारिभक िशक्षा हण कयलिन। मुदाऔपचािरक रूपमे काड िवान हिरिमसँ िशक्षा हण कयलिन। तिहनाकाड िवान पक्षधर िम िवापितकसहपाठी रहिन।िवापित मैिथली सािहयक धरोहरमा निह भऽ संकृतक सेहो काडिवान रहिथ। ओ मैिथली आ अवहकअितिरक्त संकृतमे सेहो अनेको रचनाकयने रहिथ।हुनकर रचनासभकेँ तीन भागमेवगकरण कयल जाइत अिछ।क) संकृत थ ः भू–पिरमा,पुरुष परीक्षा, शैवसवर्वसार,शैवसवर्वसार माणभूत, िलखनावली,गा वाक्यावली, िवभाग्सार, दानवाक्यावली, गया पलक, दुगभिक्ततरिणी, मिणमरी, वषर्कृ य यािदभिक्ततरिणी ।ख) अवह थ ः कृितलता,कृितपताकाग) मैिथली थ ः गोरक्ष िवजयमहाकिव िवापित तीन भाषाक ज्ञातारहिथ। ओ दू दजर्नसँ बेसी थसभकरचना कयने छिथ। हुनकर बहुतो कृितसभ अखन बजारमे उपलध अिछ।तुत अिछ िवापितक थसभकसंिक्षत िववरण१) गंगावाक्यावली ः अिह थमेगंगा नदी आ एकर तट पर होबय बलाधािमर्क कायर् अथत कमर् काडकिवषयमे िवतृत जानकारी अिछ। गंगावाक्यावलीक रचना िवापित रानी िवासदेवीक आज्ञासँ कयने रहिथ। कृितमेगंगा नदीक मरण, कीतर्न, गंगा तट पराण िवसजर्नक महाय वणर्न अिछ।२) दानवाक्यावली ः राजा नरिसंहदपंनारायणक पी रानी धीरमतीकआज्ञासँ ई थक रचना भेल अिछ।अिहमे सभ कारक दान िविध िवधानिवतार पूवर्क कयल गेल अिछ।३) वषर्कृय ः अिह थमे वषर्भिर होबयबला येक पाविन तथा शुभकायर्क िवतृत िवधान तुत अिछ।तिहना पूजा, अचर्ना, वर्त, दान आिदिनयमक सबधमे सेहो चच कयल गेलअिछ।४) दुगभिक्ततरंिगणी ःदुगभिक्ततरंिगणीकेँ दुगसव पितकनामसँ सेहो जानल जाइत अिछ।िवापित एकर रचना राजा भैरव िसंहकआज्ञासँ कयने रहिथ। अिह थमेकािलका पुराण, देवी पुराण, भिवयपुराण पुराण, माकर्डेय तथा दुगपूजाक पित संिहत अिछ।५) शैवसवर्वसार ः राजा पमिसंहक पी िवास देवीक आज्ञासँ रिचतअिह थमे महाकिव िवापित भगवानिशवक पूजासँ सबिधत सभ िविधिवधानक वणर्न कयने छिथ। अिहथकेँ शभुवाक्यावली सेहो कहल जाइतअिछ ।६) गयापलक ः गयापलकथक रचना कोनो राजा या रानीकआदेशसँ निह भेल अिछ। अिह थकसबध सामाय जनतासँ अिछ। गयामे‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्142


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्ा एवम िपड दान तथा गया जा कऽिपतृ ऋणसँ मुक्त होबाक महाय थमेअिछ।७) िवभागसार ः िवापितिवभागसारक रचना राजा नरिसंह देवदपंनारायणक आदेशसँ कयलिन। अिहमेदानभागक संिक्षत मुदा सुदर आआकषर्क िववेचन अिछ। िमिथलामेताकालीन दायभाग आ उरािधकारसबधी िवधानक लेल ई मािणक थमानल जाइत अिछ।८) िलखनावली ः राजा िशविसंहितरोधान भेलाक बाद िवापितरजाबनौलीमे राजा पुरािदयक आममेअिह थक रचना कयलिन। ई थमेपाचार करबाक िविधकेँ प याख्याकयल गेल अिछ। अपनासँ पैघ, छोट,समान तथा िनयम यावहारपयोगी सिहतचािर कारक पक उलेख अिछ।थसँ िमिथलाक ताकालीन सामािजकआ सांकृितक अवथाक पिरचय भेटैतअिछ ।९) शैवसवर्वसार माणभूत संह ःशैवसवर्वसारक रचनाक बाद िवापितअिह थक रचना कयने रहिथ। अिहमेशैवसवर्वसारक माणभूत पौरािणकवचनक संह अिछ ।१०) यािडभिक्ततरंिगणी ः ई लघुथमे सिपर्णीक पूजाक वणर्न अिछ।िविभ पौरािणक कथा सभ उलेखअिछ।११) ैिनणर्य ः ई एक तशाीय लघु थ अिछ । जािहमेत शाक गुत चच कयल गेलअिछ । अिह थसँ िवापितकेँ तकसेहो िवशद ज्ञान रहल मािणत होइतअिछ।१२) पुरुषपरीक्षा ः राजा िशविसंहक िनदशन पर रिचत ई थकेँिवापितक उम कोिटक थ मानलजाइत अिछ। पुरुषपरीक्षामे वीर कथा,सुवुि कथा, सुिव कथा आ पुरषाथर्कथा नामक चािर वगर्क पचतकिशक्षाद कथा सभ समािव अिछ।समाजशाी, इितहासकार, मानवशाी,राजनीित शाी सिहत दशर्न एवमसािहय िवधाक यिक्तक लेल ई अपूवर्कृित अिछ।१३) भूपिरमा ः ई िवापितकअयत भावकारी थ अिछ। राजादेव िसंहक आज्ञासँ भूपिरमाक रचनाकयल गेल अिछ । थमेवलदेवजीारा कयल गेल भूपिरमाकवणर्न अिछ। तिहना नैिमषारयसँिमिथला धिरक सभ तीथर् थलक वणर्नसेहो अिछ।१४) कीितर्लता ः कीितर्लताकरचना िवापित अवहमे कयलिन अिछआ अिह थमे राजा कीितर् िसंहककीितर् कीतर्न अिछ। िमिथलाकताकालीन राजनीितक, सामािजक आसांकृितक िथितक अययनक लेल ईथ महवपूणर् मानल जाइत अिछ।थसँ िवापितक ौढ़ काय कलाकमाण भेटैत अिछ। तिहना िवकिसतकाय ितमाक दशर्न सेहो होइतअिछ।१५) कीितर्पताका ः अिह थमेराजा िशविसंहक बहुत चतुरतापूवर्कयशोवणर्न अिछ। थक रचना दोहा आछदमे अिछ। थक आरभमेअधनारी वर, चचूड िशव आ गणेशकबदना अिछ। कीितर्पताका खिडतरूपमे मा उपलध अिछ। एकर ९ सँ२० धिरक जमा २१ टा पृ अातअिछ। तीसम पृमे राजा िशव िसंहकयु परामक वणर्न अिछ।१६) गोरक्षिवजय ः ई एक एकांकीनाटक अिछ। अिहमे िवापितक नूतनयोग सेहो अिछ। गोरक्षनाथ आमयेनाथक कथा पर नाटक आधािरतअिछ। थक रचना राजा िशव िसंहकआदेशसँ कयल गेल छल।१७) मिणमंजरी नािटका ः ई एकलघु नािटका अिछ। नािटकामे राजाचसेन आ मिणमंजरीक ेमक वणर्नअिछ।१८) मैिथली पदावली ः िवापितकमैिथलीमे रिचत पदावलीक संिहत थअिछ मैिथली पदावली। िलिखतसंकलनक अभावमे िवापितक गीतअपन माधुयर्क कारण लोक कठमेजीिवत छल आ बहुत बाद एकर समरूपमे संकिलत करबाक यास कयलगेल। यपी अनेक संहसभमेिवापितक गीतक संकिलत भेल अिछ।पदावलीमे राधा एवम कृणक ेम संगगेय पदमे कािशत अिछ।हाइकूचाँदनी राितनीमक गाछ तरजरैछ आिग।गरम साँसिछला गेलैक ठोरथम पशर्।पिरिचत छीजीवनक अतसँमुदा जीयब।बहैछ पछबिरयाजरै उिमदक दीयाउदास मोन।पीयाक पिकलिकचत् भेलउीत मोनम ठाढ़ छैिमक पड़ल छैमिसिन युग।मृयुक नोतजीबाक लेल िसखुदेब बधाइ।‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्143


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्नूतन झागाम: बेवार, मधुबनी, िबहार; जम ितिथ : ५ िदसबर १९७६; िशक्षा - बी एस सी, कयाण कॉलेज, िभलाई; एमएस सी, कॉपरेिटव कॉलेज, जमशेदपुर; फैशन िडजाइिनंग, िनट, जमशेदपुर।बारातीसकारआजुक आधुिनक पिरवेशमेिववाहक पुरान मायता आर िविधिवधान अपन तीकामक वरूपमेशेष बचल अिछ। िदन पर िदनओकर थान अपयय सँ पिरपूणर्पिरपाटी लऽ रहल अिछ। हम सबपौरािणक आ’ तकर्संगत िवचारकअवशेष मा देिख रहल छी। आबिनरंतर जीवनशैलीमे आधुिनकताकसमावेष भऽ रहल अिछ। एकर िकछुयक्ष लाभो अिछ, जेनािक बिढ़याँिशक्षा आ' वाय यवथा। िकतुआधुिनकताक दुपिरणामक सूिचबनाबी तऽ ओ’ अनत रहत।िववाहािदमे जे आडंबर आ'िवलािसतापूणर् दशर्न होइत अिछओकर िनवह सवर् साधारणक लेलकाफी किठन अिछ।पालन-पोषण,िशक्षा-दीक्षा कएलाक बाद एकसाधारण कयापक्ष िववाह समारोहकउच्चवगय दशर्नक आिथर्क आघातकेँ कोना सहत? िविभ कारकताम-झाम युक्त महग यवथाकिनवह बहुत ककारी होइत छैक।िकछु घंटाक शोभा बढ़ाब’ लेल वािववाह समारोह केँ किथत रूप सॕअिवसनीय बनाबए केर दवाब सॕलोक हजारॲ लाखॲ टाका पािनमे बहादैत अिछ। नब पीढ़ीक सुिशिक्षतलोक कँ बुझबाक चाही जे िववाहकॕअिवमरणीय बनाबैत छैक दूपिरवारक आपसी नेह आ' सबध।िववाहकँ अिवमरणीय बनाबैत छैकओकर सफलता जािह लेल मािना आ' िवासक चुरता चाही,टेंट हाउस भोज यवथा वा महगकपड़ा ला आर गहना जेवर निञ।ई सभ कृिम साधनक मॉँग मयमवगय पिरवारक लेल सीिमत रहयतखने कयाण अिछ।अपयय सॕ बिच कऽ यिदनवयुगक वर कया अपन सूझ बूझसॕ गिरमामय सबधक शुरूआतकरिथ तऽ ई सभक िहतमेहोयत।कयापक्ष पर वरपक्ष ाराबारातीक भय वागतक दबाब देिखबड़ा दुख होइत अिछ। वागत तऽहृदय सॕ हुअक चाही रूपैया पैसा सॕनिहं। एकटा गरीब पिरवारक यथासंवेदनशील यिक्तकँ आडंबरक ितआर कठोर बनाबए लेल पयतअिछ।एक किवक किवताक िकछुपंिक्त उलेिखत अिछ :''कोना करू बिरयाती जीअहॉंक सकार यौ ।धानो निह भेल हमरा रिबयो केनिञ आस यौ ॥किठन समय छैक सुिनयउ भारीपिरवार यौ।‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्144


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्रूख सुख जे भेटए कए िलअवीकार यौ॥सबध बनाबऽ एलहुँ अहॉं राखूहमरो लाज यौ।घर ारो टूटल फाटल दलानपर निह खाट यौ॥िदन राित पेट भरय लय किरकऽ रोजगार यौ।खानिपयिन द निह सकलहुँ छीबहुत लाचार यौ॥”आउ हम सब अिह आडंबरकसमूल नाश कऽ िमिथलाक गिरमाबढ़ाबी।जानकी-नवमीवैशाख मासक शुक्ल पक्षकनवमी ितिथ कँ जानकी-नवमीमनाओल जाइत अिछ। लोक ओिहिदन वर्त राखैत छिथ आ' सीताजीकपूजा अचर्ना करैत छिथ। सीतामाता लमीजीक अवतार मानल गेलछिथ, तैँ ई मायता अिछ जे ई वर्तकएलासॕ सुख एवम् सपिक ाितहोइत अिछ। एिह वषर् ई पाबिनअंेजी तािरख १३ मई, २००८मंगल िदन कँ अिछ।कथा अिछ जे राजिषर् जनकजीकँ सीताजी शैशवावथामे अही िदनात भेल रहिथह।राजा जनकजनकपुरक राजा छलाह आ'संतानहीन जािहसँ एिह दु:ख सॕपीिड़त छलाह।एक िदन कोनो शुभकायर्क योजन सॕ ओ’ खेतमे हरजोतए गेलाह। ओही बीच हुनकरहरसॕ लािग एक वणर्क कलशमे सॕएक िदय बािलका कट भेलीह,िजनका राजा जनक आ' हुनकर पीसुनयना गोद लऽ लेलिखन।बािलकाक नाम सीता राखल गेलजकर अथर् होइत अिछ हर। देवीसीताक जानकी नाम सेहो पड़लअिछ।िकवदित अिछ जे सीताजीलमी माताक अवतार देवी वेदवतीकपुनजर्म रूप छलीह। ऋिषकुषवजक पुी वेदवती परम सुदरीछलीह आ वयम् कँ िवणु देव केँित अिपर्त कएने छलीह। अनेकराजासॕ आयल िववाहक तावअवीकृत क दैत छलीह। अिहकारणसँ ओ अहंकारी रावण के सेहोमना कऽ देलिह जािह ारे हुनकारावणक अयाचार सहएपड़लिह।दुःखी भय वेदवती ितज्ञालेलिह जे ओ अपन पुनजर्ममेरावणक िवनाशक कारण बनतीह आवयम् के अिग्नमे भम कँ’लेलिह।एिह बीच मदोदिर गभर्वतीभेलीह। अपन पितक कुकृय दसुनलाक बाद ओ’ अपन भावीसंतानकेँ ल क आशंिकत भगेलीह।ओ’ अपन नइहर गेलीह आ’अपन माता िपताक संग तीथर् करयलगलीह। जमक समय नजदीकअएला पर ओ’ अपन संतानक लेलआय ताकए लगलीह। तखनेसंजोगसॕ संतानहीन राज जनककिखसा सुनलिह आ' समय पािबअपन पुीकँ राजाक पथमे नुकाबएमेसक्षम भऽ गेलीह।िकछु लोक इहोकहैत छिथ, जे संभवत: सीताजीकजमक बाद हुनका पािनमे बहा’ देलगेल छल आ’ संयोगसँ ओ’जनकजीक खेत लग कातलगलीह।कथा इहो चिलत अिछ जेराक्षसक अयाचारसॕ हताहत ऋिषमुिनक शोिणत एक कलशमे एकितकऽ भूिममे गािड़ देल गेल छल।बादमे ओिह कलशसॕ सीताजीक जमभेल। जमक पाछाँ िखसा चाहे जेहोअए उेय त रावणक नाशे रहए।एकर सांकेितक अथर् इएह अिछ जे‘य नायतु पूयते रमते तदेवता। अथत् जतए ीक आदरहोइत अिछ ततए देवताक िनवासहोइत अिछ आ' ओकर िवपरीतीक अपमान करिनहार दुखद अंतपाबैत छिथ।िकछु लोक मानैत छिथ जेसीताक जम फागुन मासक कृणपक्षक अमी ितिथकेँ भेलछिह।‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्145


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्ओमकाश झागाम, िवजइ, िजला-मधुबनी।िमिथले तक निह छिथ मैिथल-ओमकाश झागप अिछ नवंबर 2007 केर, एिहसमयमे हम गोवा यूज (जे िक गोवाअविथत अंेजी क्षेीय यूज चैनलछ्ल) मे काज करैत रही। गोवामेसोलहम अंतराीय मैिथली पिरषदकसमेलन भेल छ्ल, जकर अयक्षता ीिवनय कुमार झा ,चीफ़ िविजलेंस,गोवाटेट केलिथ। एिह कांफ़रेंसक एकटाछोट सनक अंश यू-टयूब साइट परसेहो उपलध अिछ। एिह कायर्मकेँकवर करबाक भार अपन संथासँ हमरेभेटल छ्ल। एिह कायर्मक दौरानबहुत रास िच जे प भऽ कऽसोझाँ आयल ओऽ ई सभ छल.......1. बहुत रास मैिथल छतीसगढ आमय देशमे बसल छिथ। हालांिक आबहुनका सबहक मातृभाषा मैिथली निहरिह गेल अिछ। यिद आओर तहमे जाईतँ ओऽ लोकिन मैिथली भाषा िबसिरचुकल छिथ, तथािप िमिथलासँ ओतबेकनेह आ लगाव छिह, जतबाक हमरासबकेँ अिछ। हुनकर सबहक पुतबहुत पिहने ओतए चिल गेल रहिथह।गप करीब 4-5 पुत पिहनेक अिछ।2. िदलीक नांगलोई इलाकामे सेहोिकछु रास मैिथल छिथ, जे िक अपनजीवन-यापनक ममे कतेक रास आनआन यवसाय सब अपना लेने छिथ।संगिह देशक िभ- िभ भागमे कतेकोठाम मैिथल लोकिन वृहद समुदायक संगरिह रहल छिथ। ओना भाषा एिहमे सँबहुतो गोटेक हरा गेल अिछ।3. एकटा आरो गप जे िक सामनेआयल ओऽ छल, जे िक गोवाकेँ मैिथलेाहण सब बसेने छिथ आ एकर माणकद पुराणमे भेटैत अिछ। हम अहाँकेँ ई बात किह दी, जे िक गोवन(गोवाक वासी) सबहक मातृभाषा कॲकणीअिछ मुदा एिह भाषाक बहुतो रास शदमैिथली भाषाक अिछ। िकछु शदकबारेमे हम अहाँ सबकेँ किह रहल छी,जेना िक अदहन (भातक लेल गरमकएल गेल पािन), पाहुन (गेट), मधुरआिद। ओहो सब कोजगरा िदन लमीपूजा करैत छिथ। रहन-सहनक तरअपना सबसँ बहुत हद तक िमलैतअिछ। आओर तहमे गेनाय अखन उिचतनिह अिछ।कायर्ममे कतेको िमिथला-िवभूितसब उपिथत छलाह। वतर्मानमे िदलीपुिलसमे विर अिधकारी ी उजवलिम ओिह ठाम तकालीन डी.आइ.जी.छलाह। भारतक िविभ भागक संगेनेपालक िकछु रास ितिनिध सब सेहोपहुंचल छलाह। एिह कायर्मक कवरकरबाक लेल गोवा यूज आ नेपाल टीवी(नेपालक) चैनल पहुंचल छल, जखनिक बड़का-बड़का मैिथल पुरोधा सबगोवामे िविभ मीिडया लेल काज करैतछिथ। बादमे जहन हुनका सबसँिजज्ञासा बस पुछिलयिह तँ कुनू ने कुनू‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्146ओहने बहाना बना लेलाह, जेना िकजखन धानमंी व० राजीव गांधीकसमयमे मधुबनी के एम०पी० हनानअंसारी लोक सभामे मैिथली केँ अमसूचीमे जोरबाक लेल आवाज बुलंदकेलिथ तँ ी भोगे झा जी जे कुनूबहाा बनेने रहिथ। हम एकर तहमेनिह जाय चाहब, सब गोटे बुिझ रहलछी। अपज्ञ कहु वा िकशोर हमरामोनमे कतेको उठए लागल जे एनामेमैिथली कोना बचल रहत।हयऔ, हमर भाषा कुनू अय भाषासँ किनको कमजोर निह अिछ। हमरालोकिन अंेजी बाजैत छी, आधुिनकपिरधान पिहरैत छी, सबटा बड नीकबात अिछ। मुदा एिह तमाम चीजकमूयक रुपमे अपन भाषा आ संकृितकेँ उसगर् केनाय हमरा निह पिच रहलअिछ। ई तँ ओहने गप भेल जेना िकछुरास लोककेँ आिथर्क तंगी निह रहलाकबादो दोसरसँ कजर् लेबाक वृित होयछिह।पिरवतर्नक फ़ेज सँ गुजिर रहलअपन समाज कहॴ िशंकु तँ निह बिनरहल अिछ।एखन बस एतबे।मीिडया कतअ ल जा रहल अिछ?गप आरुिष कांड के करी वािमिथलांचल मे आयल कोसी के कहरकया हाल मे िदली मे भेल िसरीयल बमलाक। यिद अहां सब पिछला िकछुिदनका मीिडया के इितहास पर नजिर


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्डािल तअ देखु जे ओ िक परोिस रहलअिछ आ िवडंबना देखु,दशर्क/पाठक केजे ओ ओकरा यथावत हण करबाकलेल बाय छिथ। मीिडया के भूिमकाके लेल अपना अिह ठाम एकटा कहावत'खशी के जान जाय,आ खाय वला केवादे निह' वला सहत ितशत ठीकबैस रहल अिछ। हमरा बुझा रहल अिछजे अहां सब सनक पाठक लेलमीिडयाक छिव के आओर उजागरकेनाय उिचत निह हैत।अिह स छोिड़ यिद मीिडया केआंतिरक संरचना पर यान दी त जतेकिन कािट वा अहु स खराब जैं कुनुशद होय त संबोधनक वरुप ल सकैतछी। यिद टीवी पर देखाय वला सुदरचेहरा वा अखबार/मैगिजन मे िलखै वलापुरोधा सब के िनजी जीवन मे झांिक कदेखब त ओिह मे स अिधकतर यक्तीके यिक्तवक समीक्षा केलाक बाद मोनघृिणत भ जायत। मुदा िवडंबना देखु जेसब गोटे सब बात बुझैत बेबस छी। जेमीिडया दोसरक िटंग आपरेशन करैयािक ओकरा लेल सेहो िटंग आपरेशननिह होयबाक चािह? मुदा इ के करत?हम सब त बगनखा पिहरने छी।बहुतो मैिथल पुरोधा सब मीिडयाके िशषर् पद सब के सुशोिभत क रहलछिथ,मुदा िक मजाल जे ओ कखनोसय बािज दैथ। हमहु ओिह भीड़ मेकतौह के कतौ शािमल छी,इ कहैतकोनो लाज निह भ रहल अिछ। किहयोितलक जेकां पकार होयत छलाह।मुदा आजुक पकार सब समाज केधनाढय वगर् मे स आबैत छिथ।पाठकगण अहां सब मे स जे िकयोमीिडयाकम होयब त हमरा माफ़ कदेब,मुदा िक हम सब इ दोहरा चिरजीवन िजबअ स मुक्त निह भ सकैछी? अपन पूवर्ज के रुप मेमंडण,अयाची,जनक आ िवापित केसंतान हम सब कतह जा रहल छी?अहां सब मे स जे िकयो मीिडया केनजिदक स निह देखने होय त कोनोिनकट पिरचत जे अिह क्षे मे काज करहल हेताह,हुनका स पुिछ लेबिह। जैंसय बाजअ चाहताह त सच्चाई सअवगत भ जायब।कोना बचत िमिथलाक िमता ?आई जहन अपना सबहकचहुतरफ़ा िवकास भ रहल अिछ त हमसब अपन महवांक्षा के पािब केअयिधक स भ रहल छी,हेबाकोचाही। मुदा िक महवाकांक्षा के रथ परसवार भ कअ हम सब कतेक मगरुरनिह भ गेल छी जे अपन िमता अपनास कोसो दूर पाछु छुिट रहल अिछ।मुदा तकरा समेतिनहार िकयो निहअिछ। आय अपना अिहठामक युवा वगर्अयिधक िदग िमत भ रहलअिछ,ओकरा िकयो सिह मागर् दशर्क निहभेट पािब रहल अिछ। अखुनका समयकतेको पाबिन ितहार क मिहना आिबगेल अिछ आ कतेको गाम मे दुग पूजाके अवसर पर साकृितक कायर्मआयोिजत कैल जायत अिछ मुदा िकछुवषर् पूवर् मे चलु-आइ सअ आलो पिहलेहर गाम मे युवक सब नाटक खेलायछलाह,मिहनोतक रामिलला ले आयोहनहोयत छल,ओ सब आय कतह चिलगेल छिथ। िक आका आ परोसी(तवायफ़) के नाच मे ओ सब हरा गेलछिथ। परोसजी के कायर्म इ असरपड़ैत अिछ जे मंिदरक कायर्कत सबसेहो एकर मजा उठाबअ लागैत अिछ।इमहर मौका पािब कुकुर,िबलािड़ मैया केितमा के सेवा मे लािग जाइया। देखनेहैब जे कुकुर मुत के चािट रहलअिछ। उमहर हम सब अपन तीनपुतक (पुरुखा) संग माने बाप- बेटा आपोता समेत बाईजी पर पाई लुटाबय केअवसर के निह गवांबैत छी। अिधकतरगोटे अिह स अवगत होयब।दोसर कतअ जा रहल अिछ अपनसंकार? हयउ,आब शायद कतौ मिहनोतक चलैबला रामिललाक तबु गाम मेदेखायत होयत? हम अपन छोट सनकअनुभव अपने संग बांटअ चाहब। पिहलेरामलीला के टोली के िकयो माला (मनेएक िदनक भोजन) उठेिनहार निहहोइ,माने इ जे मा पेटे पर जे टीमसबहक मनोरंजनक वाते तैयार रहैतछल,ओकरा अपन समाज नकािर देलकमुदा आखन ायःहर छोट पैघ शहरअतह तक िक देशक राजधानी मे दुगपूजा के अवसर पर लाखो आदमीरामलीलाक खुब लुफ़्त उठबैत छैथ।कतो कतो तअ रामलीला देखै के लेलिटकट सेहो लागैत अिछ,िक हम झूठबािज रहल छी। एना मे दु टा गप जेहमरा प भेल-पिहल जे लोक केओिह ित ओ रुझान निह रहलिह जेिक बाईजी के नाच मे वा कौआल-कौआली मे जे िक राित भिर सबकेगिरया क चिल जाइया आ हजारोआदमी मंिदरक आस पास ततबाक गोतगोबर कअ दैत छिथ जे अिगला िकछुमिहना तक उमहर निहये जाय मे कुशलबुझैत छी। अिह स गामक कलाक ासखूब पैघ तर पर भेल अिछ,सब गोटेबुिझित अंजान छी।तेसर आ गंभीर गप इ जे समाजमे जे भाई चारा मे छल िक ओ खमभ गेल अिछ। िक अपन समाज ततेकगरीब तअ निह भ गेल अिछ जेआिहठम दस गोटे के भोजन करेनायआय किठन भ गेल अिछ। एकर एकटाछोट सनक उदाहरण हम देबए चाहैतछी जे जॱ अहाँ सब मे स िकछु आदमीिदली-बंबई स कमा क मास िदनकलेल गाम जायत होय तअ अनुभव करैतहोयब जे गाम मे बीतल समय के संगेसंग अपनेक मेंिटनेस पर होय वलाखचर् मे कटौित सेहो सबगोटे यक्तीगतअनुभव के गहराई स देखु। अखन बसअतेबैक।इित‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्147


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्डॉ पालन झााम-हरौली, कुशेरथान।एम. ए. ( मैिथली ), सत साहेब रामदास पर डॉ दुगनाथ झा ’ीश’ केर िनदशनमे पी.एच.डी.। संित बी. डी. जे. कॉलेज,गढ़बनैलीमे मैिथली िवभागायक्ष।–सपादक।सत साहेब रामदाससादाियक अथं मैिथली सािहयमेसत किवक रूपमे साहेब रामदासकमुख थान अिछ। पचाढ़ी थानकमहंथ बंशीदासजीक सािनयमे कवीरचदा झा िहनक पदावलीक संकलन कए१९०१ ई. मे कािशत कएने छिथ।एिह पदावलीमे पिरचयक ममे कवीरचदा झा िलखैत छिथ:“िशवलोचन मुख िशव सन जखन,साहेब रामदास ितिथ तखन।बल नरे िसंह िमिथलेश, शािसत छलभल ितहुर्त देश॥“अथत् ११५३ साल (१७४६ ई.)मय महाराज नरे िसंहक रायकालमेई रहिथ।छादनसँ याय-तव-िचतामिण कतगंगेश उपायाय वंश कुलोव साहेबरामदास “कुसुमौल” ामक (जरैलपरगना, िजला- मधुबनी) एक मैिथलाण छलाह।िहनक छोट भाइक नामकुनाराम ओऽ एकमा ाणसमिय पु’ीतम’ छलिन। िहनक पूरानाम साहेबराम झा छलिन, मुदा अय सत किवजकाँ ईहो अपन नामक आगाँ भिक्त-भावनासँ ’दास’ शद जोिड़ लेलिन।साहेब रामदासक पदावलीमे लगभग ४७८टा पद संकिलत अिछ। एिह किवतामय ई अपन नाम साहेबराम, साहेबदास,साहेब, साहेबजन सेहो रखने छिथ।साहेबरामदास आरभिहसँ भिक्त-वण िवचारक लोक छलाह। ई सिदखनईरिहक यान-िचतनमे लीन रहैतछलाह। सयास ई बादमे हणकएलिन। एिह पाछाँ एकटा दुखद घटनाघिटत भेल- िहनका एकमा पु ’ीतम’छलिन। ओ अिधक समय दुिखत रहएलगलाह। युवाव था छलिन। एकबेरीतम अिधक दुिखत भए गेल छलाह।िहनक जीवनक अितम कालक भान भएजएबाक कारणेँ साहेबरामदासिवकल भएकानए लगलाह। मरण शया पर रिहतहुँीतमकेँ एहन दुःखद दृय देिख निहरहल गेलिन आ ओऽ अपन िपतासँ पुछैतछिथन, “बाबूजी! अपने एतेक िवकलिकएक भए रहल छी? िपता उर दैतछिथन “पुक आवयकता एिह चतुथर्अवथामे होइत छैक, से तँ अपने हमरापिहने छोिड़ कए जाए रहल छी, तैँ ईसोिच-सोिच िख िच भए याकुल भएरहल छी”। पु ीतम युर दैतकहैत छिथन, “ई संसार असार िथक,क्षणभंगुर िथक, एिहमे ी-पु-पुी केओअपन निह िथक, ई सभटा अिनयिथक, माया-मोह िथक। सभटावाथर्मूलक िथक तेँ एिह सभसँ माया-मोह रखनाइ अनुिचत िथक। हम तँअपनेक भगवन्-भजनमे िव मा छलहुँ,आब अपने िनिवर्पूवर्क भगवन्-भजनमेलािग जाऊ”। एतेक बात कहैत देरीीतमक ाण-पखेरू उिड़ गेलिन। साहेबरामदास िवकल भए कािन-कािन कएगाबए लगलाह-“ीतम ीित तेिज भेल परदेिसआ हो”साहेब रामदासकेँ ीतमकदेहावसानसँ बड़ आघात लगलिन,ीतमक उपदेशकेँ धारण कए पिरवार-समाजकेँ ितलािल दए सयास हणकए लेलिन।पु-िवयोगक कारणेँ ई पा बैरागीभए गेलाह। गामसँ बाहर भए जंगले-‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्148


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्जंगल एकातमे वास कए भजन-कीतर्नकरए लगलाह। गामक लोकसभ बहुतिदन धिर पाछाँ कएलकिन जे अपने घुिरजाऊ, हमहु सभ अपनेक पुक समानछी, अपनेकेँ कोनो क नै होएत। मुदासाहेब रामदास पर तकर कोनो भावनिह पड़लिन, उनटे जतए लोककआवागमन देखिथह, थानकेँ बदिल पुनःिनजर्नथानमे चिल जाइत छलाह।लोकसभ िकछु िदन धिर पाछाँ तँकेलकिन, मुदा अतमे हािर-थािक कएजे ई आब पा बैरागी भए गेल छिथ,तेँ िहनका आब तंग निह कएल जाए,िवचािर कए पाछाँ करब छोिड़ देलकिन।बैरागी भेलाक बाद ई देशक बहुतोभागमे मण कएलिन। भजन-कीतर्नकसंग योग-साधनामे सेहो लीन भएगेलाह। योग-साधनामे िसि ातकएलाक पात् केओटीक िनवासीबिलरामदासजीसँ दीक्षा हण कएलिन।दीक्षा हण कएलाक पातो ई अनेकधमर् थानक मण करैत रहलाह।कहल जाइत अिछ जे साहेबरामदासदड-णाम करैत-करैत जगाथपुरी तकगेलाह। बाटमे बड़ क सहए पड़लिन,घाओ भए गेलिन, घाओमे पीब आिबगेलिन, मुदा दड-णाम ओऽ निहछोड़लिन। दड-णाम करैत-करैतजगाथपुरी तक गेलाह। जकर माणहुनकिह एक किवतासँ भेटैत अिछ-साधुके संगत धिर गुरुक चरण धिर,आहे सजनी हमहु जाएब जगरनाथिहरेकी।निह केओ अदाता संग निह सहोदराता,आहे सजनी माँिग भीिख िदवस गमाएब रेकी।सभ जग भेल भाला गुरुआ अठारहनाला,आहे सजनी ओिहठाम केओ निहछोड़ाओल रे की।िसंह दरबाजा देिख मन मोर लुबधल,आहे सजनी ओिहठाम पंडा पंडा बेंतबजारल रे की।साहेब जे गुिन धुिन बैसलहुँ िसर धुिन,आहे सजनी जगत जीवन िनअराएल रेकी।गुरु बिलरामदास मुिरया रामपुरकएक महामा िशय छलाह तथा अपनगाम केओटा (केओटी)क घनघोर जंगलमेयोग साधना करैत छलाह। ई योगसाधनामे िनणात् छलाह। कहल जाइतअिछ जे गुरुक िबना वातिवक ज्ञानअसभव अिछ आ तेँ साहेबरामदास एकयोग्य गुरुसँ दीक्षा लए, योग-साधनामेिसि ात कए लेलिन। योग िया परिसि ात कए लेलाक बाद जम-मरणसँ छुटकारा पािब जेबाक पूणर्िवास भए गेलिन, से गुरुकसादिहसँ। मोक्ष ाितमे आब कोनोसदेह निह रिह गेलिन, जे जीवनकचरम लय िथक। बिलरामदास िहनकदीक्षा गुरु छलिथन, तकर माणिहनकिह एक किवतासँ भेटैछ-“गुरु बिलराम चरण धिर माथे, साहेबहिर अपनाया है।अब तौ जरा-मरण छुिट जैहे, संशयसकल मेटाया है”।कृणक ई अनय भक्त छलाह।जगाथपुरीक यााक ममे बाटिहमेिहनका वयं भगवान ी कृण दशर्न देनेछलिथन। आब तँ ई कृणक यानमेिदन-राित लागल रहैत छलाह।समािधथ कालमे तँ दुिनयाँक कोनोवतुक यान निह रहैत छलिन, यानरहैत छलिन तँ एक मा भगवान ीकृण। जन-ुित तँ ईहो अिछ जेभगवानक भजनक कालमे जखन ई नाचकरैत छलाह तँ वयं भगवान ी कृणसेहो उपिथत भए संग दैत छलिथन।साहेबरामदास अनेक तीथर्-थलकदशर्न कएलिन। सांसािरक मोह-मायाकेँयािग वैरागी भए गेलाह, मुदा िमिथलाभूिमकेँ निह यािग सकलाह। एक पदमेओऽ िलखैत छिथ, “िमिथला नगरी तोरदान िबनु साहेब होइछ बेहाल” तथादोसर पदमे “साहेब करुणा करए शीशधुिन िमिथला होइछ अधेिर”। एिह पदसभसँ िमिथलाक ित हुनक ेमक सहज<strong>अनुम</strong>ान लगाओल जाए सकैत अिछ।धय ई िमिथला भूिम ओऽ धय महामासाहेब रामदास।पिहने किह चुकल छी जे ईजंगलमे एकात वास कए भजन-कीतर्नकएल करिथ। जतए-जतए ई जािथतािह-तािह ठाम ई अपन खती गािरकुिटयाक िनमण कए एक पाकिड़कगाछ अवय रोिप दैत छलाह। िहनकअनेक जगह पर योगमढ़ी छल आ सबिहठाम ई पाकिड़क गाछ अवय रोिप दैतछलाह। िहनक अितम योगमढ़ी दरभंगािजलाक ’पचाढ़ी’ गाममे अिछ, जे पूवर्मेबूढ़वनक नामे िवख्यात छल। एहू ठामपाकिड़क गाछ रोपने छलाह, जेअाविध वतर्मान अिछ। पलिवत एिहगाछक शोध मानवशाी लोकिन एखनहुकए रहल छिथ।कमलाक तट पर िथत पचाढ़ीगामक वन आ वृदावनक तुलना करबकिठन भए जाइत छल। वृदावनसँ एकोरी कम शोभा पचाढ़ी (बूढ़वनक) निहछल। मोरक नाच, सुगाक गान, नानाकारक वयजीव ाणीक िनभर्य िवचरणकरब, िभ-िभ लता-पुपसँ शोिभत‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्149


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्वनक दृय लोककेँ सहजिह आकृ कएलैत छल। एिह थानक शंसामेकवीर चदा झा िलखैत छिथ—“पाकिड़ वृक्ष सएह कमला तट जएहभजन कुटी िवाम।च सुकिव मन धरम परमधन धयपचाढ़ी ाम”॥पचाढ़ी थानक शोभा आब निहरिह सकल, जे पिहने एक िनजर्न थानछल, तािह ठाम आब ाम अिछ, खेती-पथारी कएल जाइत अिछ। वनक तँआब िनशानो निह रिह गेल अिछ, तथािपसाहेब रामदासजीक समािध-थलकचारूकात मिदर सेहो एक-दू निह छओ-सातटा अिछ। सभमे भोग-रागकयवथा, पुजेगरीक संग-संग सहायककयवथा सभ मिदरमे फराक-फराकअिछ। लगभग पाँच का जमीनमेफुलबारी अिछ। आगत-अितिथक वागतयथासाय एखनहु कएल जाइत अिछ।साहेब रामदासक नाम पर एकटा संकृतमहािवालय अिछ, जािहमे िनधर्न छाकेँथान िदससँ रहबाक यवथा ओ मुतभोजनक यवथा कएल जाइत अिछ।पचाढ़ीथान िमिथलाक वैभवशालीथानमेसँ सवर्मुख अिछ। एकरवैभवशालीक पाछाँ राजदरभंगाकमहवपूणर् योगदान अिछ। तकालीनदरभंगा िमिथलेश नरेिसंह िनःसतानछलाह। हुनक पी रानी पावतीअितिथ-सकार, पूजा-पाठक िनिम३०० (तीन सए) बीघा जमीन पचाढ़ीथानकेँ दानवरूप देने छलिथन। मुदाकहल जाइत अिछ जे साहेब रामदासओिह जमीनक दान-पकेँ विलतअिग्नमे फेिक देलिखन। िशय लोकिनकेँिभक्षाटन वृिसँ आगत-अितिथक सेवासकार करए पड़ैत छलिन, जािहसँ ओलोकिन तंग आिब गेलाह आ फलवरूपओऽ दान-प पुनः महारानीसँ ात कएचुप-चाप रािख लेलिन, जे एखनहु धिरसपिक रूपमे िवमान अिछ। िकछुजमीन भक्त लोकिन वेितयामे सेहो देनेछिथ। योग्य िशय सभ एिह सपिकेँबढ़ाए लगभग हजार बीघा बनाए देलिन।सरकार िकछु जमीनपर िसिलंग लगाएदेलक, मुदा यवथापक लोकिनअिधकांश जमीनकेँ वन-िवभागकेँ दएगाछ-वृक्ष लगवाए देलिन। अपेक्षाकृतएखनहु ई थान समृ अिछ।साहेबरामदास एक िस पुरुषछलाह आ तेँ िहनकामे चमकािरक गुणवाभािवक अिछ। चमकारसँ सबिधतअनेक कथा िहनकासँ जुड़ल अिछ,जािहमे एक चमकारक उलेख करबहम उिचत बुझैत छी, जे िहनक अतःसायसँ जुड़ल अिछ।राजा नरे िसंहक समयमे पटनाककोनो मुसलमान नवाब िमिथलापरआमण कए देलक। राजा नरेिसंहक सेना ओ नवाबक सेनाक बीचघोर संाम भेल, जािहमे अपार धन-जनक क्षित भेल छल, मुदा राजा नरेिसंह ओिहमे वयं वीरतापूवर्क युकएलिन आ शु सेनाकेँ परािजतकएल। ओिह समयमे महामा साहेबरामदास नरे िसंहक िवजयी होएबाककामना वरूप ीकृणसँ ाथर्नाकएलिन-“साहेब िगरधर हरहु नरे दुःख,करहु सुिखत िमिथलेशिह रे की”।एिहपर ु भए नवाब िहनका बदीबनाए पटनाक कारागारमे बद कएदेलिन। साहेब रामदास योगबलेँ सभिदन गंगा-नान, संया-तपर्ण, पूजा-पाठआिद गंगिह तटपर कएल करिथ।कारागारमे रिहतहुँ ई म िहनक िनरतरचलैत रहलिन। लोक सभ िहनका गंगातटपर सभ िदन देखैत छलिन। नवाबकेँकोना ने कोना एिह बातक जानकारीभेट गेलिन। नवाबकेँ तँ िवास निहभेलिन तथािप हुनका अपन कमर्चारीसभपर संदेह भेलिन आ ओऽ अपनेसँकारागारमे ताला लगाए देलिन। तथािपसाहेब रामदासक गंगा-नानक म निहटुटलिन। अतमे नवाब साहेबरामदासकपएरमे बेड़ी बािह कारागारमे ताला लगाएदेलिन। साहेबरामदास तक्षणिह करुणाभए अपन आराय देव ी कृणकेँपुकारलिन-“अब न चािहए अित देर भुजी,अब न चािहए अित देर।िव-धेनु-मिह िवकल सत जन,िलयो है असुरगण घेिर”।गिवते छलाह की पएरक बेड़ी ओफाटकक ताला आिद सभ टूिटकए खिसपड़ल। नवाब आयर् चिकत भए गेल।ओ महामाजीक पएरपर खिस पड़ल।साहेबरामदाससँ क्षमा माँगलक आ बादमेससमान वागत कए िमिथला पहुँचाएदेल।एिह तरहक कएक गोट चमकारअिछ, जेना राजा राघव िसंहक समयमेराजदरभंगामे ेत-बाधाकेँ शात करब,मािटक भीतकेँ हाँकब। कृणामी,जमामी आिद उसवक अवसरपरअिधक साधु-सतक भीड़ जुटलाक बादोथोड़बहु सामीमे भोजनक अवसरपरभडारामे कोनो कमी निह होएब आिदकतोक चमकािरक घटना सभ अिछ,जे िहनकासँ जुड़ल अिछ। एिह िसपुरुषक चमकािरक घटनासभसँ लोककिहनका ित कतेक ा छल सेसहजिह <strong>अनुम</strong>ान कएल जाए सकैतअिछ।‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्150


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्साहेबरामदास वैरागी वैणव-भक्त-किव छलाह। पदक रचना करब िहनकसाधन छल मुदा साय तँ एकमा छलभगवान िवणुक भजन-कीतर्न करब।कहल जाइत अिछ जे ओऽ अपनिहपदक रचना कए सभ िदन भगवानकभजन-कीतर्न कएल करिथ। ओऽभिक्तमाग छलाह आ तेँ भिक्त-मागर्किसांतक अनुरूप पदक रचना कएलकरिथ। भिक्त मागर्क सभ रसकपदरूपमे रचना कएलिन, मुदा धान रस“मधुरं” रस सएह अिछ। भगवानककोनो एक रूपक ओऽ आही निह,सगुण-िनगुर्ण दुनू रूपमे मानैत छलाह, जेअपन मनोगत भाव किवतामय यक्तकएने छिथ।“िनगुर्ण सगुण पुरुष भगवान, बुिझकहु साहेब धरइछ यान”।“धैरज धिरअ िमलत तोर कत,साहेब ओ भु पुरुष अनत”।साहेब रामदासक यिप एकमापदावली उपलध अिछ, जािहमे ४७८ टापद संकिलत अिछ। मुदा ईएह पदावलीहुनक यशकेँ अक्षुण बनाए रखबामे सभतरहेँ समथर् अिछ। भिक्तक ायः सभिवषयपर पदक रचना कएने छिथ, यथा-कृण-जम, वासय, वंशीवादन, संयोग-ृंगार, रास-लीला, झुलोसव आिद।रासलीला परक जेहन पद सभक ईरचना कएने छिथ से ायः मैिथलीमेआन केओ किव निह कएने छिथ।िहनक रास-लीला परक पदक िववेचनवतं रूपेँ कएल जाए सकैत अिछ।कृण-ेमक अनयता, भिक्त वणता ओसाद गुण िहनक कायक मुख्य गुणकहल जाए सकैत अिछ। ऋतुगीत,िदन-राितक िभ-िभ समयोपयोगी पदकरचना, जेना-ाती, सारंग, लिलत, िवहागआिदक रचना कएल करिथ।िमिथला पचदेवोपासक सभ िदनसँरहल अिछ। साहेब रामदासक रचनामेसेहो भिक्तक िविवध-रूपक दशर्न होइतअिछ। कृणक तँ ई अनय भक्तछलाह मुदा आनो-आन देवी-देवता परकपदक रचना कएने छिथ। िहनकहनुमानक फागु परक किवता देखल जाएसकैत अिछ। एकरा सत लोकिनकफागु सेहो कहल जाए सकैछ-“वल अिनल किप कौतुक साजललंका कएल याण।कनक अटारी कए असवारी छाड़िथअगिनक वाण॥जरए लंक किप खेलए फगुआ, उड़एगगन अंगार।धुँआ वािढ़ अकासिह लागल िदवसिहभेल अधार”।िहनक रिचत एकटा महादेवक गीतसेहो अिछ, जकर उलेख डॉ. रामदेवझा अपन “शैव सािहयक भूिमका”नामक थमे कएने छिथ-“पुछइत िफरइत गौरा विटया हे राम।कहु हे माइ, जाइत देखल मोर भंिगयाहे राम॥हाथ भसम केर गोला हे राम।वरद रे चिढ़ कोन नगर गेल भोला हेराम”॥िवरिहणी वर्जानाक मनोदशाक एकिवलक्षण रूप एिह ठाम सेहो देखल जाएसकैत अिछ:“कमल नयन मनमोहन रे किह गेलअनेक।कतेक िदवस भए राखब रे हुिन वचनकटेक॥के पितआ लए जाएत रे जहँ वसुनदलाल।लोचन हमर सतओलिन रे छितआ दएशाल॥जहँ-जहँ हिरक िसंहासन आसनजेिहठाम।हमहु मरब हिर-हिर कै मेिट जाएतपीर॥आिद”िमिथलाक सगीत परपरा अिताचीन ओ समृ अिछ। संगीतक रचनातँ िवापित ओ हुनकहुँसँ पूवर् होइतआएल अिछ, मुदा रहयवादी संगीत-काय-रचना नवीन रूपमे आएल अिछ,जकर वतर्क साधु-सत लोकिनभेलाह। जािहमे सत साहेब रामदासकथान अगय अिछ। िहनका लोकिनकरचनाक भाव ायः सभ वगर्पर पड़ल।िहनक ायः सभ किवतामे रागकउलेख अिछ। अतः एिहपर संगीत-शाक अनुकूल शोध-कायर् कएलजएबाक आवयकता अिछ।साहेब रामदास परम वैरागी सुच्चासाधु छलाह, भक्त छलाह आ तेँ िहनकभाषापर सधुरी ओ तकाल चिलतवर्जभाषाक िकछु भाव सेहो पड़ल अिछ,तथािप हुनक जे पदावली उपलध अिछसे मैिथली सािहयकेँ समृ बनएबामेअपन महवपूणर् थान ात कएनेअिछ। भिक्त-भावनाक सरलता ओसहजताक दृिएँ िहनक भाषा सरल ओसहज अिछ। भिक्त-भावना परक एहनकिवता मैिथली-सािहयमे ायः दुलर्भअिछ। िहनक भिक्त परक गीत एखनहुिमिथलाक गाम-घरमे बुढ़-बुढ़ानुसकठोरपर अनुवतर्मान अिछ, जकर संकलनकरब परम आवयक अिछ।‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्151


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्ी डॉ. पंकज पराशर (१९७६-)मोहनपुर, बलवाहाट चपराँव कोठी, सहरसा। ारिभक िशक्षासँ नातक धिर गाम आ सहरसामे। फेर पटनािविवालयसँ एम.ए. िहदीमे थम ेणीमे थम थान। जे.एन.यू.,िदलीसँ एम.िफल.। जािमया िमिलया इलािमयासँटी.वी. कािरतामे नातकोर िडलोमा। मैिथली आ िहदीक ितित पिका सभमे किवता, समीक्षा आ आलोचनामकिनबंध कािशत। अंेजीसँ िहदीमे क्लॉद लेवी ॉस, एबहाडर् िफशर, हकु शाह आ ूस चैटिवन आिदक शोध िनबधकअनुवाद। ’गोवध और अंेज’ नामसँ एकटा वतं पोथीक अंेजीसँ अनुवाद। जनसामे ’दुिनया मेरे आगे’ तंभमेलेखन। रघुवीर सहायक सािहयपर जे.एन.यू.सँ पी.एच.डी.।–सपादकरावलिपंडी1.रावलिपंडी सँ आइयो बहुत दूरलगैत छैक लाहौरबहुत दूर...जतय वतंता केर समवेतवरचंड नरमेधक इितहास मेबदिल गेल छलदूर-दूर होइत समय मे अनघोलकरैतअनंत वर-ृंखला...जेहो सब छल िनकटसेहो दूर भेल जा रहल अिछदूर-दूर होइत बहुत िकछुआब िवलीन भेल जा रहलअिछचारू िदशा मे टहलैत इंसाफीमरड़ आ छड़ीदार लोकिनइंसाफ करबाक लेल अपयांतवतर्मान सँ भिवय धिरअगुताएल छिथ इितहासो मे घुिरकएइंसाफ करबाक लेल2.जखन हम फोन पर होइत छीखांटी मातृभाषीबजैत मायक लेल िचंताहरणबोलआ िक टैक् सी रोकैत हमराइवर करीम खानअिवास आ आयर् भरल वरमे पुछैत अिछ--भाय तॲय िहंदुतानी छहो?हमरा अ बा सँ तनी िमलभो-हुिन बोलइ छिथन इएह बोलीजे तॲय अखनी बोलइ रहोआ शनैः शनैः पसिर जाइतअिछ हमरा टैक् सी मे आकुल-याकुलअिवभािजत देशक भागलपुरलाहौरक बाट मे3.हमरा डाकघरक मोहर मेआइयो कायम अिछ मुंगेरआ एतय कतरनी धानक चूड़ामोन पाड़ैत करीम खानक वृ िपताजाइ चाहैत छिथ अपनदेसकोसएकटा देश भेटबाक बादो ओतकैत छिथअ पन देसकोस!अपन देस सँ नगर-नगरबौआइतपहुँचल छी रावलिपंडीजतय आइयो पछोड़ धयनेँ अिछहमरअ पन देसकोस!कोस-कोस पर पिरवितर्त होइतपािनएतेक दूर ओिहना लगैत अिछजेहन अपन गाम केर इनारकआ दस कोस पर पिरवितर्तहोइत बोलीसािठ-एकसठ बरखक बादो ओहनेलगैत अिछजेहन आजुक भागलपुरकबेरदुिनया सँ जयबा सँ पूवर् एक‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्152


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्पा िवेदीगुजराती किवगुजरातीसँ अंेजी अनुवाद हेमांग देसाई ारा। अंेजीसँ मैिथली अनुवाद गजे ठाकुर ारा।आमदहे िवदेशी!देखाऊ हमरा एहन दृययिद अिछ कोनो एहनिबनु काशिबनु गाक ओछाओनिबनु छाहजतएनिहए अिछचुपीक अंशयिथत हृदयक विननिहए विनक आँगुरक नोकक पशर्देखाऊ हमरा ओ दृययिद अिछ कोनो एहनहौ िवदेशी!जतएकेओ निह करैछ एकितवासक (मालगुजािर)।‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्153


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्परमे वर कापिड़अपन अपन मायसबके नव नेपाल, समृ आसंघा मक नेपालक सु दर िचबनएबाक बेगरता रहिन। उमटुमाएलत’ बहुतो गोटे रहिथ धिर चुनुआिबछुआ, नामी—गरामी सातटाकलाकारके अपन बुिम ई भार देलगेलिन। भार अबधािर सब एिहिनहुछल काजमे लािग जाइतगेला।केओ धर— मुडी, केओ हाथ त’केओ टा, केओ पयर त केओबािहँहाथ बनाबऽमे त मय भगेलाह।देिखते देिर समकेँ सभ अिगबना बनाक अनलिन।आिहरेबा। जखिन जे सबकेारा बनाएल नेपाल मायक आिगएकठाम जोिडक देखलिन त ओआकृित कुरुपे निह िवुप आ राक्षसीलगैत छल। ई िच देिखतेिनमणक आही संरचनावादी लोकभडिकक आ दोलन पर उतारुभगेल।असलमें ई नारी िच भेलै िकनिह सेहे िववादक िवषय बिनगेल।भेल िक रहै त जे पयर बनएनेरहिथ से रहिथ मािटक मूितर्कार आपएर एहन सुकोमल माने परी रानीकसु नर पयरसन रहै। माय मायेहोइछै। मायक पयर धरती परकलोकक रेहल खेहल आ कमर्ठ पयरहोएबाक चाही ने से रहबे निहकरए। मुँह जे बनएने रहिथ सेअमूतर् पेि टक रहैक। आँिख िकदनत नाक िनप ता। केश दोसरे रके,पि चमी किटके। फडफरायलठाढ, िकछु लट ओम राएल बेहाल।हाथ धातु मूितर्कारारा बनाएल रहैकत धर काठ मुितर्कारारा बनाएलकोकनल, िनरस। लगै जेना मेहनजोदड स यताक वा पाषणकालकउ खनन कएल गेल हो। तिहनाकिट आ ओभाग िह दी िफ मकआइटम गलर्क कपिच छपिटक लआएल सनके। बेनन िनलर्ज।बात िनिवर्वाद छलै जेसमरसताके अभावमे ई मूितर्पूण निहभेलै। गढिनसब बेमेल बािन उबािन।बेलुरा रहैक।असफलता पर पछताबा कोनोकलाकारके निह रहैक। अहँकारीहेठी सबके मनमे। आब ऐ बात परघॲघाउज कटाउँज होइत होइतअरािर आ मािर पीट धिरक नौबतआिब गेलै। से केना त जेना एखिननेपालक क्षेीय मुाक बिलिधरोकिववाद।का ठकलाबाला कहिथ हपरा केअदुस अधलाह कहत, तेकरा हमबिसलेस पाि देबै। पे टररकमके अपन हठ हमर सृजनाकेिच ह बुमके एकरा सबके दृि टए दमनै छि ह। िचकारके अपने राग।पाषाणमुितर्कारक अपने ठक ठक।सब अपन बातके इर बाि ह, िगठरपािर अडल जे मायक िच हमरेक पना भावना अनुसार बनए।सह लहके बाते कोन अपनाआगूमे सबके सब अदने, िनक मेबुमिथ। घोल घमथर्न, गे छेंटकेवैचािरक दशर्न कहैत सब हुडफेरफेरने घुमए।अपना अपनीके सब तानिहबला,सुनबाला िनठाहे नइ।लोकमे सब रके, सब तॱतकेलोक रहैछ ने। ओइमेस एगोटे आगूअएलाह आ थोडथ ह लगबैतकालाकार सिहत सबके ब बोिधतकरैत कहलि ह हमर बात पिहने यानस सुनैत जाऊ। बात हमपयरस सुरु करैत छी, मूहँस निह।पिहने पयरेस एिह दुआरे जेहमरासबके सँ कृितमे सबसँ पिहनेपयरे पूजल जाइत अिछ। पयरेचिलक केओ अबैत अिछ। पयरेपरकेओ ठाढ होइत अिछ। पयरै ल मीहोइत अिछ। आगत अितिथके पयरेपिव मानल जाइत अिछ। वेशकेपयर देव कहल जाइत अिछ। मानेपयरे थम अिछ। कमर्शील भेनेब दनीय आ ई ल मीपा अिछ।तािह दुआरे पयरेस िचक िनमणशुरु हुअओ।‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्154


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्पीयूष ठरगुजराती किवगुजरातीसँ अंेजी अनुवाद हेमांग देसाई ारा। अंेजीसँ मैिथली अनुवाद गजे ठाकुर ारा।सांय बेलासाँझ होइतेिशिशर आह पवर्तकआच्छािदत कएल आकाशअिवलब पड़त सपूणर् आकाश फाँसमेएिह पवर्तक छाहकपवर्तकेँ भेटत अकाशकाशकेँ छाहशरीर सुततहृदय दुिखतओिहना जेनाईरकेँ भेटल मनुक्ख‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्155


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्काश झासुपिरिचत रंगकम। राीय तरक सांकृितक संथा सभक संग कायर्क अनुभव। शोध आलेख (लोकनाय एवं रंगमंच) आकथा लेखन। राीय जूिनयर फेलोिशप, भारत सरकार ात। राजधानी िदलीमे मैिथली लोक रंग महोसवक शुरुआत। मैिथलीलोककला आ संकृितक लेखन आ िव फलकपर िवतारक लेल ितब। अपन कमर्ठ संगीक संग मैलोरंगक संथापक, िनदेशक।मैलोरंग पिकाक सपादन। संित राीय नाय िवालय, नई िदलीक रंगमंचीय शोध पिका रंग-संगक सहयोगी संपादकक रूपमेकायर्रत।—स पादकबाल-बुदरुकक लेल किवता(िमिथलामे सभसँ उपेिक्षत अिछ िमिथलाक भिवय; यानीिमिथलाक बच्चा। मैिथली भाषामे बाल-बुदरुक लेल िकछुगीतमय रचना अखन तक निह भेल अिछ जकरा बच्चा रिटक’हरदम गाबए-गुनगुणावए होअए जािहसँ बच्चा मतीमे रहै आओकर मानिसक िवकास दृढ़ होअए। एिह ठाम तुत अिछबौआ-बच्चाक लेल िकछु बाल किवता।) िच: ीित ठाकुरिबलािड़बाघक मौसी तूँ िबलािड़याऊँ याऊँ बजै िबचािर,मुसबा के हपिस क’ खाईकुतबा देख भािग जाई।बाघमौसी तूँ िबलािड़ केबाघ छौ तोहर नाम,जंगल के तूँ राजा छेँबा’’’ बा’’’ केनाइ तोहर काम।गैयाबाबा यौ! अबै यै गैयाहिरयर घास चड़ै यै गैया,िमठगर दूध दै यै गैयाहमर सभहक मैया गैया।कुतबािदन मे सुतै, राित मे जगै,चोर भगाबै कुतबा।रोटी देिखक’ दौड़ल अबै,नाड़िड डोलाबै कुतबा।अनिठया के देिखते देरी,भॱ’’’ भॱ’’’ भुकै कुतबा।हाथीझूमै-झामैत अबै हाथी,लबा सूढ़ िहलाबै हाथी,सूप सनक कान, हाथी,कारी खटखट पैघ हाथी।िचड़ै/जानवरसुग्गा, मेना, कौआ, बगरा,िचड़ै-चुनमुन के नाम छै।गैया, बरद, िबलािड़, कुतबासभके दादी पोसै छै‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्156


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्कौवालक-लक लौका लौकै छै,झमझम-झमझम बरसै छै।फह-फह फूँही पड़ै छै,टपटप-टपटप टपकै छै।दीयाबातीचार पर बैसलौ कार कौआ,कारी खटखट देह कौआ।कॉव-कॉव कुचरौ कौआ,रोटी ल’ क’ उड़तौ बौआ॥सुग्गासुक-सुकराती दीयाबाती, दादी सूप िपटतै।छुड़छुड़ी, अनार, िमरचैया, खूब फटा फोड़बै।जगमग जगमग दीप जराक’ हुा लोली भँजबै।नानीहिरयर सुग्गा िपजड़ामेराम राम रटै छै।कुतिर-कुतिर क’ ठोर स’िमरचाई लॲिगया खाई छै ॥मेघमाँ के माँ हमरे नानी,मामा के माँ हमरे नानी।मौसी के माँ हमरे नानी,िखसा सुनाबै हमरा नानी।छैठ परमेसरीकारी-कारी मेघ लगै छै,झर-झर िझसी झहरै छै।आइ छै खड़ना खीर राितमे, दादी सबके देतैढाकी, केरा,कूड़ा ल’ क’, घाट पर हमहू जेबैभोरे – भोर सूरज के ,अरघ हमहू देखेबैठकुआ, मधूर, केरा, भुसवा हाउप हाउप खेबै‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्157


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्काश झााम+पो.- कठरा, भाया-पुटाई, थाना- मनीगाछी, दरभंगा, िबहार (भारत)हमर िमिथलाक दशर्नमैिथल छी हम, मैिथली बजबामेअिछ कोन लाजदेश हो वा परदेश यो हम करैछी ओऽ तऽ काजिमिथला के याद करबैछसिदखन, िवापितजी माथपर शोभैतपाग।हमरा लोकिनक िपता जनक,बिहन सीता, बहनोइ छिथ रामकमला-कोशी अिछ चरण जकरपखारैत ओ अिछ हमर िमिथलाधाम।मैिथल किव लोकिनक पोथीमेपढ़ैत रहैत छी जे िखसामनमे उठैत रहैत अिछ िजज्ञासाजे आओर कतेक बाकी अिछशंसाकोइिलक कु-कू राग सुिन मोनम मारऽ...लगैत अिछ टीसतखने िकछु काल बाद नहृदय सऽ िनकलैत अिछ गोसाउिनकगीतिवापित, मडन, अयाची आमैिथलपु दीपिहनकर लोकिनक सुदर लेखनपिढ़ मोनमे जड़ैत अिछ शदक दीपएिह मातृभूिमपर पान, मखान,खराम कऽ अिछ एकटा इितहासबाढ़-बोन के आिड़-धुरपर बैस,नीक लगैछ मड़ुआ रोटी- सागकवाद।चहु ओर हिरयाली, घर फूसक,लच-लच करैत ओऽ खरहीकटाट।भोरे सुइत-उिठ कए बाधमेसुदर लगैत अिछ शीतल घास।घरक चारपर कुहर, कदीमाआओर सजमिनक अिछ लीपसरलनजिर निञ लागए कोनोडैिनयाहीके, तािह लऽ एकटाखापैड़मे कारी-चून लेपल राखल।पछबािड़ कातक बारीमे राखलएकटा कटही गाड़ी पुरानबाबू-का चौकपर बैसल, बाबाधेने छिथ दलान।आब कतेक हम िववरण करबए,शदसँ अिछ ठेक भरलिमिथलांचलमे मैिथली भाषाकलेल छी हम मैिथल िभड़लिमिथला िचकला एखनो धिरकेने अिछ राज देश-िवदेशसंगिह काशझाक ई तुितपिढ़ बुझबइ एकटा छोट सनेस।‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्158


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्ीित(ीित अिभयंणक छाा छिथ संगमे नेपाल १ टी.वी. मे दैिनक मैिथली कायर्मक होट छिथ।)१.िवयाह एकटा िरता के एहन अटूटबंधन अिछ जकरा सामािजक मायताात छैक आ एक खास अवथा मेंसब वेच्छा सअ अिह बंधन में बंधयचाहैत अिछ। ाचीनकाल में वयंबर केचलन छल। यािन मिहला के वयं वरचुनवाक सामािजक आजादी छलिह।कालांतर में सामािजक िथित में बदलावआयल। बहु िववाह या दोसर िवयाहपिहनुहुं यात छल मुदा मिहला के निहभेटल ई आजादी। आइयो कमोवेशदोसर िवयाह पर समाज मिहला के ितओतेक उदार शायद निह अिछ जतेकउदार ओ पुरूषक दोसर िवयाह परअिछ।दोसर िवयाह के बारे में जॱ सचपुछी त समाज पुरूख के संग दैतअिछ। पिहने त समाज में बहु िवयाहकथा छल मुदा आब यिप एकरामा यता निह छैक तथािप समाज सँ ईथा पूणर्त: खम निह भेल अिछ।दोसर िवयाह जॱ िवधुर ारा या कोनोखास िवशेष पिरिथित में कयल जायत एकर कारण बुझवा में अबैत अिछपर यिद मा शौक, दहेजक लोभ Sयाछ आधुिनकता के होड़ में कयल जायत ई अक्षय अपराध अिछ। अिह मादेसमाज आ वयं पुरूष के अपन सोचबदलबाक आवयकता अिछ।समय बदलल संगिह लोक के सोचसेहो बदलल अिछ। मुदा एखनो निहबदलल अिछ मिहला के मादे पुनिवर्वाहया दोसर िवयाह पर समाजक नजिरया।जॱ पुरूष क सकैत छिथ दोसर िवयाहत िकएक निह पिरयक्ता, िवधवा मिहलाके सेहो भेटबाक चाही ई अिधकार।कतेक नॴक मिहला होयत जॱ जवान केसंतानहीन िवधवा के पुनिवर्वाह केअिनवायर् बना देल जाय आ बािकयो केवेच्छा पर छोिड़ देल जाय। जॱ ई भसकय संभव त निह िसफर् समाज सअमिहला आ पुरूषक भेदभाव िकछु कमहोयत अिपतु बिक समाज ारा उपेिक्षतआ एक तरहे यागल मिहला पुन:समाज के मुख्यधारा में शािमल भयअपन जीवनक नैराय सअ मुिक्त पािबसकलीह।२.कोजागरा पाविन आिन शुक्लपूिणर्मा के मनाओल जाइत अिछ।नविववािहत लड़का लेल अिह पाविन केिवशेष महव अिछ या कहू त ई पाविनखासकय हुनके सभक लेल छिह।नवका बरक लेल ई पाविन तिहनेमहवपूणर् अिछ जेहन नविववािहता लेलमधुावनी। फकर् यैह अिछ जेमधुावनी कतेको िदन लबा चलैय बलापाविन अिछ आ अिह में नव कया लेलबहुत रास िविध-िवधान अिछ जखनिककोजागरा मुख्यतःमा एक िदन होइतअिछ।जिहना मधुावनी में किनयासासुरक अ-वक योग करैत छिथतिहना कोजागरा में बर सासुर सं आयलनव व धारण करैत छिथ। कोजागराके अवसर पर बर के सासुर सँकपड़ा-ला, भार-दोर अबैत छिह।अिह भार में मखानक िवशेष महव रहैतअिछ। यैह मखान गाम-समाज मे सेहोबरक सासुरक सनेस के रूप मे देलजाइत अिछ। सासुर सँ आयल कपड़ापिहरा बरक चुमाओन कयल जाइतअिछ। बरक चुमाओन पर होइत अिछबहुत रास गीत-नाद।कोजागरा में नॴक जकाँ घर-आंगननीपी-पोिछ दोआरी सँ भगवतीक िचनवािरधिर अिरपन देल जाइत अिछ। भगवतीके लोटाक जल सँ घर कयल जाइतअिछ। िचनबार पर कमलक अिरपन दयएकटा िवटा में जल भिर रािख ओिह परआमक पलव रािख तामक सराई मेंएकटा चांदी के रूपैया रािख लमी केपूजा कयल जाइत अिछ। राित मेंअधपहरा दिखक बरक चुमाओन कयलजाइत अिछ। आंगन में अदल अिरपनद ओिह पर डाला रािख कलशकअिरपन द तािह में धान द कलश मेंआमक पलव राखल जाइत अिछ।एकटा पीढ़ी पर अिरपन देल जाइतअिछ जे अदलक पिम राखल जाइतअिछ। चुमाओनक डाला पर मखान,पांच टा नािरयल, पांच हथा केरा, दहीके छांछ, पानक ढोली, गोटा सुपारी,मखानक माला आिद रािख पान, धान आदूिब सँ वर के अंगोछल जाइत अिछतहन दही सँ चुमाओन कयल जाइतअिछ। चुमाओन काल में बर सासुर सँआयल कपड़ा पिहिर पीढ़ी पर पूब मुँहेबैसैत छिथ।पुरहरक पाितल के दीप सँ वर केचुमाओन सँ पिहने सेकल जाइत छिथ।फेर कजरौटा के काजर सॕ आँिखकजराओल जाइत छिह। तकर बादपाँच बेर अंगोछल जाइत छिह। तखनेहोइत छिह चुमाओन। चुमाओनक बादवरकेँ दुवक्षत मं पिढ़ कम सँ कमपाँच टा ाण दूवक्षत दैत छिह। फेरपान आ मखान बांटल जाइत अिछ। आअिगला िदन धिर मखान गाम घर मेंबाँटल जाइत अिछ।‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्159


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्ीित ठाकुरगाम जगेली पूिणर्यां‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्160


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्ेमचद िमगाम बरहारा, िजला-मधुबनीअनाम कथापी. सी. िम गामक एकटा कमढ़ल-िलखल युवक छिथ, उ करीब२४ वषर्। ६ साल पिहने गामसँ िदलीआयल छलाह। संघषर्रत जीवनसँ सफरकरैत आब ठीक-ठाक अवथामे छलाहयािन तािह समयमे एकटा मयम् वगर्कयुवककेँ तनख्वाह जे हैत से तनख्वाहपावैत छलाह आ संगे गामसँ अयलाकबाद िदलीमे िकछु नीक लोकक संपकर्मेरहलासँ अंेजी फरटेसँ बजैत छिथयािन िक अंेजी बजैत काल िकयो निहकिह सकैत छिन जे ओ पढ़ल-िलखलकम छिथ। तािह कारण लोककेँ कहैतछिथन सयता- जे हम पढ़ल-िलखलकम छी- तँ लोक मजाक बुझैत अिछ।एकटा ाइवेट कपनी, जे ैवेलएजेटक काज करैत अिछ, मेपी.सी.िम रंजीतक, जे हुनकर िरतामेभािगन छिथन मुदा कपनीमे उच्च पदपरछिथह, केर संग कज करैत छिथ।पी.सी.िम िववाह योग्य भऽ गेल छिथन,िपताजी बुढ़ापामे वेश कऽ लेने छिथन।ओऽ चाहैत छिथ जे जिहना पैघ भाईसभक िववाह भऽ गेल छिन, हुनकोिववाह कऽ देल जाय। कारण एकटाछोट भाई सेहो छिन, रुपैया पाइ कमालैत छिथ आ अपन आब कोन भरोस।कखन छी कखन निह छी। चुंिकजमाना बदिल गेल छैक, तािह हेतुपी.सी.िमासँ संपकर् केलिह जे लोकसभ बहुत परेशान करैत छिथ अहाँकिववाह लेल, से की कहैत छी। हुनकरजवाब छलिन, जे िपताजी हमर िकछुशतर् अिछ िववाहमे। तँ िपताजीकहलिखन- ठीक छै, राितमे भौजीसँ गपकरायब, ठीक छै। राितमे भोजनक बादपी.सी.िमा जी भौजीक ारा अपन शतर्पठेलिह- एक िववाहमे रुपैया पैसाकआदान-दान निह, यािन िबना पैसाकिववाह-आदशर् िववाह। दोसर लड़कीपढ़ल-िलखल आ अंेजी बजनायअिनवायर् तािक बच्चाक िशक्षा उच्चहोय। तेसर िरागमन जदी होय तािकसाल भिर जे अपन संकार यानी िवध-िवधानमे कम खचर् होयत। चािरमिजनका ओिहठाम िववाह होय ओ हमरतुलनामे गरीब होय तािक हुनकाओिहठाम समान बेसी भेटत।ई सभ शतर् सुिन हुनकर िपताजीकहलिन- हम शतर्सँ बहुत स छी,लेिकन सभ शतर् हमरासँ भऽ सकत मुदादोसर शतर् हमरा िवास निह अिछ कीगामक लोक पूरा करए देत वा निह।तािह हेतु कहबिन जे एहन कुनू भेटजािन तँ ओऽ हमरा किह देत। ई बातरंजीतकेँ पता लगलिन, तँ ओहोसोचलिह जे कोनो सपकर्क आदमीसँपी.सी.िमाक िववाह करल जाय तँउम। ई दू-चािर ठाम बजलाह जािहमे“ीमित महारानी िमा” जे रंजीतकभाभी आ पी.सी. िमाक िरतामे भौजीछलिथन केँ सेहो पता लगलिह। अपनछोट बिहन अनीता झाक ननिद छलिथनसोनी आ हुनकर उ १९ साल रहिन।ओऽ अपन बाबूजी ी भरत झाकेँकहलिथन जे ई कथा मुतमे भऽजाएत। ओऽ अपन जमाय िदलीप झाकेँफोनसँ संपकर् केलिह। िदलीप झाकबाबूजी १० साल पिहने वगर्वासी भऽगेल छिथन, तािह हेतु बिहन सोनीकिववाह िदलीप झा आ िवनय झाकेँकरबाक छिन। ई सभ बात सुिन िदलीपझा अपन पी अनीताकेँ कहलिथन जेई काज बुझू मँगनीमे भऽ जाएत। ईबात सुिनते अनीता कहलिथन जे अहाँदेरी निह करू आ जयपुर जाऊ। बुझूलमी चिल कऽ आिब गेल छिथ। ईबात ओऽ िवनय झाकेँ सेहो कहलिह आसोनीक दूटा नीक फोटो लऽ जयपुरआिब गेलाह। आब महारानी रंजीतकारा पी.सी.िमाकेँ जयपुर बजेलिह।होलीक बहा बना कय अपन दतरसँरंजीत आ पी.सी.िमा जयपुर गेलाह।साँझक हवाई जहाजसँ जयपुरपहुँचलाह। पहुँचलाक उपरात चाय-पािनक बाद महारानी पी.सी.िमासँबजलीह- बौआ िववाह किहया करब,आब तँ लगन आबय बला छैक आिववाह योग्य भय गेल छी। हम काकासँबात करू? पी.सी.िम हँसैत कहलिह-जे भौजी हमर िकछु शतर् अिछ, से जँपूरा भय जायत तँ हम िववाह एखन‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्161


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्कय लेब। ई गप सुिन महारानीकहलिथन बुझू बौआ जे अहाँक िववाहभऽ गेल आ अपन बातसँ पलटब निह।पी.सी. एकरा एकटा मजाक बुिझ ठहालगा कऽ हँसऽ लगलाह। तावत लगभगराितक ११ बािज गेलैक। महारानीकहलिथन- चलू खाना खाऽ िलअ, रुकूहम खाना लगावैत छी। रातुक भोजनमेदू तोर भेल, एक बेर भोजनक लेलबैसलाह पी.सी.िमा, रंजीत ठाकुर आरामानद िमा। भोजनक उपरात ओऽतीनू गोटे पिहल तलपर गेलाह सुतकलेल। दोसर बेर फेर भोजन लागलजािहमे भरत झा, िदलीप झा, राजू झाव नूनू झा – राजू आ नूनू झामहारानीक छोट भाई छिथन-, फेर सभअपन-अपन िबतरपर सुतक लेलगेलाह। भोर भेल चायक आयोजनभेल। सातो गोटे भरत झा, िदलीप झा,रामानद िमा, राजू झा, नूनू झा,रंजीत ठाकुर, पी.सी.िमा व महारानीचायक पात् गप करए लगलाह।महारानी बजलीह-बौआ िववाह किहयातक करब। मजाकक वरमे पी.सी.िमाबजलाह- देिखयौक आब जदी करब,कारण जे बाबूजीक फोन आयल छल जेलोक सभ परेशान करैत अिछ िववाहकलेल, तँ आब जदी भऽ जाएत। ईसुिनते भरत झा बजलाह जे कतेक पैसालेताह। पी.सी.िमा कहलिथन जे एहनकोनो बात निह छैक। ई शद पूराहोइसँ पिहने बीचेमे रंजीत बजलाह-लड़की जँ नीक भेटत तँ कोनो पाई-रुपैया निह। ई शद सुिनते पाछूसँमहारानीक माय बजलीह- जे कही तँअनीताक ननिदसँ करा िदयौन, लड़कीतँ बड़ भय छिथन, सजन-भय वधािमर्क कृितक घरक, सभटा काज आलूिर-यवहार जनैत छिथह। ई बात पूराभेलाक बाद महारानी बजलीह जे ओझाओतेक पाई कतएसँ देिथह। तािहपररंजीत बजलाह- पाइक कोनो निहछैक, हुनकर िकछु शतर् छिह ओऽचारूटा शतर् दोहरेलिह। तािहपर िदलीपझा बजलाह- हम चारू शतर्सँ पिरपूणर्छी। ई बात सुिन रामानद िमबजलाह जे जदीमे काज निह होयबाकचाही। पिहने ई शतर्पर िचतन कैलजाऊ। कारण जे सवाल दू टािजनगीक अिछ आ शतर्क कोनो जवाबनिह अिछ। एहन सोच तँ बहुत कमलोकक होइत छिन, तािह हेतु पुनिवर्चारकरू।ई बात पूरा भेलाक बाद िदलीप झाबजलाह जे लड़कीक फोटो देख लेलजाओ आ हमहु पढ़ल-िलखल छी आपेशासँ एकटा ाइवेट िशक्षक छी तािहहेतु िशक्षाक महव बुझैत छी। ई बातसुिनते भरत झा बजलाह- रंजीत ई(फोटो दैत) िलअ आ अहाँ सभ देखिलअ। हम भीम बाबू (समिध) सँ बातकऽ लैत छी। िबच्चेमे रंजीत फोटो लैतआ पी.सी.िमाक हाथ पकड़ैत पिहलतलसँ ऊपर छतपर गेलाह आ मजाककतौरपर बजलाह जे देखू भाई जँ अहाँनिह करब तँ हमही दोसर िववाह कयलेब। हमरा तँ लड़की बहुत पसदअिछ। ई कहैत पी.सी.िमकेँ हाथफोटो पकड़ेलिह। फोटो बहुत आकषर्कछल। पी.सी.िम कहलिथन- फोटो तँबहुत आकषर्क अिछ, हमरा िकछु सदेहभऽ रहल अिछ। रंजीत उर देलिह-भाभी झूठ निह कहतीह। संदेहकमतलब अिछ भाभीपर शक करब।तािहपर पी.सी.िमा जवाब देलिह- हमशकक नजिरसँ निह देखैत छी, चलू जेछिथ, ई तँ हमर शतर्मे निह शािमलअिछ। लेिकन लड़की पढ़ल-िलखलअवय चाही। सुदर-खराब कोनो बातनिह अिछ ई बात करैत दुनू नीचाँअएलाह। एतबामे महारानी पुनः चाहअनलिह, फेर चाहक चुकी लैत रंजीतबजलाह- देखू सभ बात बुझू भऽ गेल।आगू बात जे बिरयाती ६५-७५ तकजाएब आ सकारमे कोनो तरहकिशकायत निह। ई बात सुनैत िदलीपझा बजलाह जे सरकार हम गरीब छी,हमरासँ संभव निह अिछ ७५ टाबिरयाती, हमरा िकछु छूट देल जाऊ!लेिकन सकारमे कोनो ुिट निह होएत।ई बातक िबच्चेमे महारानी बजलीह जेलड़काकेँ एकटा अंगूठी आ दू भरीकसोनाक चेन (सीकरी) आ लड़कीकनामसँ ५१,०००/-क िफक्स िडपोिजटककागज ओझाजी दऽ देिथन, बिरयाती५१ टाक बात फाइनल, बस आब नेबौआ। ने ई िकछु बजताह आ ने ओझािकछु बजताह! आर खान-पीन िदन घरकयेक सदयकेँ नीक आ ५ टूककपड़ा। बस रंजीत आब िकछु निहबाजू आ ओझाजी अहूँकेँ एतेक तँ करएपड़त। रंजीत िकछु बजैक उसुकतादेखबैत छलाह की िबचमे भरत झाबजलाह जे फेर िववाहसँ एक साल तकदुनू िदस लड़की वलाक काज छैक,रंजीत तािह हेतु आब बुझू जे ई बहुतमहग भऽ गेल।भरत झा बजलाह जे चलु कुलिमलाकय बात बिरयातीक ६५ टा आआब िदनक िनणर्य कएल जाएत।तखनिह ेमच बजलाह जे ई िनणर्यगामपर बाबूजी करताह कारण जे हमराबहुर सर-कुटुम छिथ आ सभकेँ सूचना(नोत-हकार) सेहो देनाय छैक। भरतझा बजलाह- ई सय अिछ, कोनो बातनिह, हम िदन ताकैत छी आ फोन कयदेबिन वा भेँट कऽ लेल जाएत। बसिकछु समय पात् पतराक अनुसार िदनभेल- २०, २१ अील आ २,३ मई। ईसूचना देल गेल, फेर बड़हरा (गाम)सँिकछु िदन बाद सूिचत भेल जे २१अील क ठीक रहत, तदुपरातेमचदकेँ िपताजी गामसँ कहलिथन जेकपड़ाक खरीदारी िदलीमे कऽ िलअ आजेवर सभ एिहठाम (गाममे) खरीदब।कपड़ा खरीदल गेल, िववाहक, किनयाकलेल, किनया बहीन लेल, भौजीक लेल,मायक लेल आ िवधकरीक लेल आघरक येक सदयक लेल।‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्162


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्२१ अील कय िदनक िववाहछल। कया पक्ष आ वर पक्षक बीचसहमित छलिन जे िदनक िववाह छैकतािह हेतु हाथ धरएके लेल समयसँपहुँचब आ बात भेल जे दू आदमी हाथधरैक लेल अएताह। एहर वर पक्षकओिहठाम सबेरेसँ चहल-पहल छल।गाम-गामक बच्चा वा ीगण दू िदनपिहनेसँ आयल छल। पुरुष लोकिन सेहोसबेरे पहुँचलाह कारण जे िदनक िववाहछै तािह हेतु बिरयाती सेहो जदीजयबाक िवचार छल आ दूरी वासड़कसँ सभ अवगत छलाह। गामकधाय-माय सेहो एक अँगनासँ दोसरअँगना कय रहल छली। ताबत धिरलगभग २ बािज गेल घड़ीक अनुसारलेिकन कया पक्षक कोनो पता निहदेिख बच्चा सभहक भीतरक उसाहकम भऽ रहल छल! करीब चािर बजेकलगभग एकटा आदमी राजू, िदलीप झाकजेठ सार, संवाद लऽ कय अयलाह जेिकछु िवलब भय गेल तािह लेल क्षमाकरब। लगभग ५ बजेक करीब एकटामाशर्ल (गाड़ी) दरबाजापर लागल। ओिहगाड़ीसँ चािर टा सजन उतरलाह आएकटा चािर सालक बच्चा सेहो, कुलिमला कय पाँच! ई देिखतिह दाइ-माइकनफुसकी करए लगलीह जे कहनेछलिथन दू आदमी आ पहुँचलाह पाँच!पुरुष वगर् आगतुकक सेवामे जुटलाह।िवनथवा सभकेँ पािनसँ पएर धोिब कयअपन काज सप कयलक। तावतिकयो ठंढ़ा पािन अनलक आ ई काजसभ पूरा भेलाक बाद पुरुष वगर् बजलाहजे अँगनामे दाय-माय सब कने अहाँ सभअपन काज जदी करू, कारण जेपिहलेसँ िवलब भऽ गेल अिछ। अँगनामेगोसाउिनक आ ाणक गीत शुरूभेल। सभ दाय-माय अँगनाक माँझमेमरबापर गीत गावैत छलीह तावत एकटाबच्चा एकटा लोकल िफकेश लऽ कयपहुँचल। ेमचद पिम िदशाक घरमेपलंगपर बैसल भौजी आ बिहनसँ वाचकय रहल छलाह। िफकेशकेँ देिखिवभा (बहीन) भौजीसँ कहलिथन अहाँसभ बात करू, हम कनी िफकेशकसमान देखैत छी आ ओऽ मरबा िदशिनकिल पड़लीह! तावत धिर एकटाबुजुगर् मिहला िफकेश खोललिह।ेमचक नजिर पिड़ गेल तौिलयापर जेपीयर रंगक दु-सूतीक छल। ई देखतेदाय-माय एक दोसरकेँ मुँह िदश देखऽलगलीह जे ई केहेन आदमी अिछ,आयल अिछ माशर्लसँ आ कपड़ादेिखयौ। तौिलयाकेँ देिखते ेमचदकोध आसमानकेँ छूिब लेलक। ओऽ दूडेगमे बरडा फािन कय मरबापरपहुँचलाह आ कपड़ा साड़ी आ िफकेशदेखैत बजलाह जे दाय-माय ई बदकरू आ गीत-नाद सेहो। हम िववाहनिह करब। ई सुिनते िबभा हुनकासहारैत बजलीह, बौआ की भेलअहाँकेँ? अपन ोधकेँ शात करू,दलानपर लोक सभ की कहताह। दूिमनटमे अँगनामे गीतक बदलामे साटाभय गेल। आब दाय-माय गीत कीकहती, सभ कहलिथन जे अहाँ चुपरहू, की हेतै। अहाँ एतेक खचर् कएलहुँ,ितलक निह लेलहुँ आ कपड़ा वासमानक लेल की हला करैत छी।ेमचदक जवाब छलिन, जे हम िववाहनिह करब। ई बात भए रहल छल कीगीतक अवाज बद सूिन ४-५ टा बुजुगर्पुरुष वगर् दरवाजासँ अँगना पहुँचलाहआ ई दृय देिख सभ हुनका बुझाबयलगलाह आ कहलिथन दाय-माय अहाँसभ आगू काज करू! आ ओ लोकिनेमचदकेँ पुनः पछबिरया घरमे लयगेलाह। िकछु पुरुष वगर् आगतुक देख-भाल कय रहल छलाह। पुरुष-वगर् मे सँएकटा काका पुछलिथन जे बौआ कीभेल, शाितसँ बाजू। िबभा एकटािगलासमे पािन दैत कहलिह जे कपड़ासभ नीक निह छैक काका। काकाबजलाह जे ई तँ छोट बात अिछ। ईतुक्षताक तीक छी! अहाँ शात रहू,अहाँकेँ केहेन चाही हम मँगवा दैत छी।एक घंटामे बजारसँ उपलध भय जायत!ेमचद जवाब देलिखन जे काका, बातकपड़ाक निह अिछ, कारण जे हमप कहने छिलयिन जे हमरा िकछुनिह चाही। लेिकन जँ अपने िकछुअनबए तँ समान नीक कपनीक चाही।ई तँ हमरा बेवकूफ बनओलिथ! हमराबातक दुःख अिछ! जँ अपनेकेँ हमराबातपर िवास निह अिछ तँ भौजी(महारानी) केँ पुछल जाय! आ अबाजदेलिखन यै भौजी, अहाँ एहर आऊ!भौजी शद सुिनते महारानी उपिथतभेलीह आ बजलीह जे बौआक बात१००% सही छिन। कयागत गलतकाज कयने छिथ, एिहमे कोनो सदेहनिह! ई बात पूरा होमयसँ पिहने िबच्चेमेेमचद बजलाह जे हम िववाह निहकरब कारण जे िक पता ? ओ हमरालड़कीमे सेहो ठकताह। लेिकन बातआब इजत आ मान-मयदाक अिछ, जँिववाह निह होएत तँ दुनू पक्षक इजतबबद भय जायत! एक-िदश इजत,मान-मयदा आ दोसर िदशसँ दू-टािजनगीक । समया जिटल अिछ,कोनो सदेह निह! लेिकन छी तँ मैिथलआ मान-मयदासँ पैघ िजनगी निहअिछ। जे मान-मयदा ककरो लेलअिभशाप बिन जाइत अिछ! हम सभमैिथल जे िकछु छी, बाप-दादाक पागछी, िजनगीक कोनो मोल निह! मोनमेएक हजार अबैत अिछ जे हममैिथलगण िवमे सभसँ बेशी चतुर छीआ तखनो सभसँ पाछू छी, तेकर कीकारण अिछ? हमरा नजिरमे जे हम सभभूतकेँ बेशी महव दैत छी आ भिवयकेँगला दबा दैत छी, सेहो बहुत आसानीसँहमरा लोकिनकेँ किनयो िहचिकचाहिटनिह होइत अिछ! ेमचदक एकेटा उरछलिन जे िकछु बीित जाएत, हम िववाहनिह करब। कारण जे हमरा आब हुनकासभ (कयापक्ष) पर िवास निह अिछ।दाय-माय गीत तँ गबैत छलीह लेिकन‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्163


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्रमे उदासी गीत छल। गोसाउिनक (हेजगदबा जगत माँ काली थम णामकरै छी हे), लेिकन र सुनयमे लागैतछल जेना उदासी गाबैत छिथ। अँगनाकमाहौल खराब भय गेल छल। लगभगएक घंटा बीित गेलाक उपरात जखनकोनो तरहसँ मानैत निह देिख भीम िम(ेमचदक िपताजी) बजलाह- आबहमरोसँ बदत निह भय रहल अिछ आहमरो िनणर्य अिछ से अहाँ सुनू- जँअहाँ िववाह निह करब तँ हम आमहया कय लेब। आब अहाँक हाथमे गेंदअिछ! िनणर्य अहाँकेँ लेबाक अिछ जेकी करब। पिहल िनणर्य िववाह ओिहलड़कीसँ करब आिक दोसर िनणर्य हमरदाह-संकार करब? कारण हम अपनिजबैत अपन पुरुखाक इजत निह गवाँसकैत छी। ई किह ओ ओिहठामसँ उिठचिल पड़लाह। हुनका उिठते सभपुरुषवगर् ठाढ़ भय गेलाह आ एकक बादएक दरबजा िदस िबदा भेलाह। हुनका(भीम िम) केँ बुझबैत जे अहूँ एना निहकरू, ओ बात मानताह अहाँक आअहाँसँ पैघ हुनकर अपन भिवय निहछिन। सभ मड़वापर ठाढ़ गप करैतछलाह। एतबेमे ेमचद घरसँिनकललाह आ आँिखमे दहो-बहो नोरकमुामे िपताक पएर पर खसैत बजलाहजे हमरा माफ करू आ करुण वरमेबजलाह, जखन वण कुमार मातृ-िपतृकलेल अपन ाण योछावर कय देलिहतँ हम अपन िपताक लेल अपनभिवयक बिलदान दैत छी। लेिकनिकछु शतर् अिछ, भीम िम बजलाह-मंजूर अिछ। पिहल शतर् हम कयागतकसमान निह लेब दोसर हुनकर गाड़ीपरनिह जाएब तेसर देल गोरलगाइक रुपैयानिह लेब। ई शद सुनैत सभ दाय-मायसमेत उपिथत पुरुषवगर् आ नेना-भुटकाक हृदय सेहो करुण भय गेल!ेमचदकेँ उठबैत भीम िम करुणवरमे बजलाह- हे दाय-माय। जदी-जदी अपन काज करू। हजामकेँअबाज दैत कहलिथन- अहाँ जदीसँनानी चौकी धो कऽ आनू। फेर अबाजदेलिखन- भोजी पाहुनकेँ जदीसँ खानाकयवथा करू! ई शद सुिनतिह सभिबहािर जेना काज करए लगलाह आलगभग २०-२५ िमनटमे सभटा काजभऽ गेल। एतबामे जयदेव िम बसकेँदरबजापर लगबैत सभ बिरयातीकेँबसमे बैसबैत बजलाह- भीम भैया हमबसमे सभकेँ बैसा लेलहुँ। अहाँ- माशर्लिदश इशारा करैत- बैसू। ेमचदकआँिखसँ गंगा-जमुनाक धार जकाँ नोरबद होइके नाम निह लैत छलिन।बड़की भौजी एक आँिखमे काजर कऽआबिथ जा दोसर आँिखमे करतीह ताधिरओ काजर नोरक रूपमे पिरवितर्त भयनीचाँ चिल आबिन। हुनकर बुझु अधाआँचर नोरमे भीिज कय गुलाबी साउथिशकक साड़ी काजरमय भय गेलिन आहुनका िकछु खबिर तक निह! एिह तरहेँओिहठाम हाथधरीक िवध पूरा भेल आबर आ बिरयाती थान कयलक!ाइवर गाड़ीकेँ तेज चलाबयकेयास करैत लेिकन गामसँ तीन िक.मी.क बाद रता सेहो नीक निह। गाड़ीआगू जायके नाम निह लैत छल जेनासभटा केँ मुहछी मािर देने हो। कोनोतरहेँ वर आ बिरयाती गतय तकपहुँचल। ओिहठामक दृय तँ बहुतरमणीय छल। नीक पंडाल जे बहुतनीक सुसिजत नीक-नीक मधुर वरमेमैिथली कैसेट सँ टीिरयोक अवाज मोनमोिहत कय रहल छल। ई दृय देिखबिरयाती लोकिनकेँ िवास निह भेलिनजे एिहठाम हमर बैसबाक यवथा अिछ!ओ सभ तुलना करए लगलाह िफकेशआ कपड़ाक जे वरक लेल गेल छल आओिह सजावटक। हुनका लोकिनकेँिवास निह होइत छलिन जे समानएिहठामसँ गेल अिछ। तावत अवाजआबए लागल जे अपने सभ बैसलजाऊ, सरकार ठाढ़ िकयैक छी? ओहरसँ िदलीप झाकेँ िकयो अवाज देलिखनजे हजमा कतऽ गेलाह। बिरयातीकेँ पएरधो कय शुिकरणक िवध पूरा करबाऊ!पंडालमे सभटा आधुिनक सुिवधा उपलधछल! िकछु नवतुिरआ लोकिन पेपसी आपेयजल तँ िकयो िबगजीक समान बदिडबामे ल कय उपिथत भेलाह!बिरयाती लोकिन शहरी मजा लऽ रहलछलाह। लेिकन ेमचदक आँिखसँ नोरबद हो से नामे निह लऽ रहल छल।ओ मोने-मोन अतेक दु:खी छलाह जेनाशमसान घाटमे कोनो मुदक अितमसंकार हो। करीब बीस िमनटक बादगामक नवतुिरआ लड़की आ नेना भुटकापंडालक पाछूसँ अबाज देलिथन जेवरकेँ किहयहु किन पागक लटकैतभागकेँ आगूसँ उठा देिथन तािक ओलोकिन वरकेँ देिख सकिथ। िकछुनवतुिरआ लड़का सभ मजाक करैतछल वरक ित- एतवामे आज्ञा-डालाआयल आ ई िवध सेहो पूरा भेल।ओहर पिरछनक लेल आय-माय अयलीहआ पिरछनक लेल ेमचद िबदा भेलाहमुदा हुनकर डेग आगू निह होइन।चलिथ जेना महुअकक चािल हो, िकछुजवान लड़की मजाकमे बाजिथ जे बड़शात आ सुशील छिथ वर, तँ िकयोिकछु जे खाना खाऽ कय निह आयलछिथ। ेमचद कोनो जवाब निह देिथजेना गामपर सभटा ोध छोिड़ आयलहोिथ। कारण छल िपताक देल वचनजे जाधिर अपने लोकिन रहबए हमिकछु निह बाजब आ तकर बाद जँ आगूओ गलती करताह तँ हम निह छोड़बिनहुनका सभकेँ। पिरछन भेल आ िववाहकशुरुआत भेल। ओहर बिरयातीलोकिनक वागतमे कोनो कमी निह।सभ समान पयत माामे उपलधछल। िववाहक अितम िवध छल सोहागदेब। सभ बिरयातीगण थान करत।एिह बीचमे दुनू पक्ष वात कयलिन जेिरागमन संगे होय कारण भीम िमकेँकनी डर भऽ रहल छलिन, लोककेँिचहबामे देरी निह लगलिन, जे एकरा‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्164


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्सभकेँ लड़काकेँ एकटा नीक कुरतादेबाक उपाय निह छैक आ पंडाल लगैतअिछ जेना पैघ घरक काज हो। िववाहतँ भेल मुदा दू सालक बाद अगरिरागमन हो तँ ई िकछु देत तँ अपमानवा कलहक कारण। िरागमनक िदनपा भऽ गेल एगारहम िदन। सोहागकउपरात ी भीम िम ेमचदकेँबजाकय एकातमे ५-७ टा गणमायकसंग बुझेलिखन जे संगे िरागमनक हमबात कय लेलहुँ आ अहाँकेँ इच्छा अिछजे िकछु निह लेबाक अिछ तँ आब ओलड़की हमर आदमी भेलीह, पुतोहुभेलीह। हम अपन आदमीकेँ एहनठामनिह छोड़ब कारण जे ओ िहनके रूपमेरंिग जेतीह। ई सभ बुझबैत ी भीमिम ेमचदकेँ भरोसा दैत कहलिथन जेहम अपन पुतोहुकेँ अपना रंगमे रंिगलेब। अहाँ िचता निह करब आ चतुथिदन गाम जरूर आयब तखन बातकरब। ई शद कहैत ओ िवदा भयगेलाह।ेमचद आब कोबरघरमे छिथ।िवधकरी आ िकछु घरक सदयगण सेहोछिथ। ओ उदासीक कारण पुछलिथन।ओ िकछु निह बजलाह। करीब ५-७ बेरअलग-अलग दाय-मायक शद सुिनकयउर देलिखन जे एखन नीद आिबरहल अिछ, भोर भेलापर बात करब। ईबात सुनैत सभ एका-एकी घरसँ बाहरभेलीह। कोबरमे नीचाँमे िबतर लगाओलगेल। ेमचद सुतबाक यास जरूरकेलिह, मुदा आँिखसँ नोर पुनः आबयलगलिन। करीब २०-२५ िमनटक बादएकटा जनानी कोबरमे वेश कएलकलेिकन हुनका ऊपर कोनो भाव निहपड़लिन, आँिखसँ अु पूवर्वत िनकलैतरहलिन। ओ जनानी िकछु काल धिरठाढ़ रहल आ तावत पाछूसँ अवाज भेलजे णाम करू, ठाढ़ भय की कय रहलछी। मुदा ेमचदक ऊपर कोनो असरनिह कारण ओ पिहने कहने छलाह जेहम भोर भेलापर िकनकोसँ बात करब।तखने हुनका बुझना गेलिन जे हमरपएरकेँ िकयो पशर् कय रहल अिछ आलहठीक खन-खनाहिट सेहो आयल। ईअवाज सुनैत आ पएरक पशर् अनुभवकरैत ओ पिहनेसँ बेशी अनिभज्ञताकपिरचय देलिखन आ जिहना छलाहओिहना रिह गेलाह जेना हुनका कोनोखबिर निह। बस पएर पशर्क दू-िमनटबाद ओ जनानी वापस भेल। ओ मोनमेसोचैत छल जे ई जरूर नव िववािहताछलीह। लेिकन ई बात गु राखएमेनीक जे हम सुतल छलहुँ, हमरा कोनोबातक खबिर निह। िकछु समय पात्भोर भेल। भोरमे िन आबए लगलिन।ओ घर ब कए सूतय लेल चिलगेलाह। कोबरमे दू पहर िबतलाक बादगामक दाय-मायक झुड तँ कखनो दू-चािर गोटेक आवाजाही छल। आबसभकेँ पएर छूिब णामक सेहो ावधानअिछ कारण जे हम मैिथल छी। साँझमेमौहकक िवध पूणर् भेल। पुनः रािमेिबतरपर िवामक लेल गेलाह। लगभगदस-पह िमनट बाद अनुभव भेलिन जेपुनः कोनो जनानी वेश कए रहलअिछ। ओ पुनः पएरक पशर् कय रहलअिछ आ ओ अिहठाम बैसल अिछ।ेमचदकेँ िन तँ निह लागल छलिहमुदा िनक बहा जरूर भेटलिहकारण िववाहक रािमे ओ निह सूतलछलाह। ओ िदनमे दुपहिरया बादसँजागल छलाह। करीब दू घटा बैिस ओजनानी पुनः वापस भेलीह। पुनः तेसरराित ओ जनानी पुनः अएलीह आ पूवर्वतअपन कमर्मे िलत भय गेलीह, यानीचरण-पशर् कए बैिस रहलीह। लगभगचािर-पाँच घंटा धिर ओ बैसिल रहलीहआ पएर धय िनकलबाक कोनो चेानिह कय रहिल छलीह, जेना हुनकरितज्ञा हो जे आशीवद कानमे जरूरसुनी। एतबेमे ेमचदकेँ एकटा शरारतसुझलिन आ ओ बहा केलिह जेना पूरािनमे होिथ। ओ करोट बदिल कयपएरकेँ थानातर कय देलिथन। एकराबाद ओ जनानी पुनः ओिहठामसँ िहलयके कोिशश निह केलक। ेमचद तँकरोट लेलिह मुदा ओ जनानी पूवर्वतछिल जेना मािटक मूितर् हो जेकरा िकयोओिहठाम बैसल अवथामे रािख िबसिरगेल हो। चािरम राित पुनः ओिहजनानीक वेश भेल आ ओ अपनकतर्यमे पूवर्वत छल। ेमचद बजलाह-हमरा कोन कारणसँ परेशान कय रहलछी? अहाँ के छी? हम की कपट देनेछी जे अहाँ ित रािमे आिब हमरपएरकेँ पशर् करैत छी? हमर िनकेँकोन कारणसँ खराब कय रहल छी? ईबात सुिनते ओ जनानी लाजसँ शरीरकेँसकुचा लेलक। जेना लजिबजीकपातमे िकछु पशर् भेलापर ओ िसकुिरजाइत अिछ ठीक ओिह कारसँ ओबाला िसकुिर गेलीह। कोनो उर निहभेटलापर ेमचद पुनः िनक बहाबना कए फॲफ काटए लगलाह। िकछुसमय उपरात ओ बाला कोबरसँ िनकिलगेलीह। करीब दू-तीन घंटा पात्िवधकरी कोबरमे वेश कय अवाजदेलिह जे िमसरजी उठथु, नहा लथु।िनयियासँ िनवृ भऽ नान भेल।हरक पालोपर बैसाकए नविववािहता संगपुनः िववाह शुरू भेल- चतुथक िवधसभ। आजुक िदन नुनगर-चहटगरभोजन भेटलिह आ ेमचद घरक लेलथान करबाक तैयारीमे छलाह तँिरतामे ये साढ़ू कहलिह जे साढ़ूभाइ, हमरो जेबाक अिछ। संगे चलब।हम हुनके दू-पिहयापर बैिस गामअयलहुँ। िकछु काल पात् पुनः गाममेभोजन कय ेमचद एहर-ओहरिनकलय के यास जरूर केलिह,लेिकन ओ ओिहठाम सँ िनकिल निहसकलाह। पुनः साँझमे िपताजी आये ातृगणक दवाबमे सासुर घुिर कएअएलाह। राि-भोजनक पात् िवामकलेल कोबर गेलाह। करीब मयरािमेपुनः ओिह बालाक वेश भेल। ओअपन काजमे यत छलीह। ेमचद‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्165


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्पुनः िनक बहा कयलिन। फेर मोनपड़लिन जे गामसँ जखन आबय लगलाहतँ बड़की भौजी िकछु वेलरी देनेछलिथन जे ई किनयाँकेँ मुँहबजना छी,दऽ देबय, तखन सुतब। जेबीसँिनकािल कय ओ बालाकेँ कहलिथन, ईअहाँक समान अिछ, लऽ लेब। हमरािन आिब रहल अिछ, सूित रहल छी।िन की होयतिन, शरीर तँ लगभगचािर-पाँच िदनमे आधा भय गेल रहिन।िदमागमे सोच जे पैिस गेलिन! ने खेनाइ-िपनाइ नीक जेकाँ ने िन। एकदमिचरिचरा वाभावक भय गेल छलाह।मयरािमे यास लगलिह तँ पािनकलोटा तािक रहल छलाह। ओ बालाहुनका एकटा िगलासमे लगभग ठंढा भऽगेल दूध बढ़ेलिखन। ेमचद कहलिथनजे ई दूध छी, हमरा यास लागल अिछ,ई रािख देल जाओ। मुदा ओ निहरखलिह। हुनका संग समया छल जेओ घोघमे छलीह, भिर राितक जागिलछलीह आ किहयो बाजल निह छलीह।ई सभ कारणेँ ओ हाथमे दूधक ग्लासलऽ तपयाक मुामे ठाढ़ रहलीह।ेमचदकेँ लगेमे लोटामे राखल पािनभेटलिह आ ओ पािन पीिब कए पुनःसुतबाक यासमे छलाह। हुनका कीिजज्ञासा भेलिन जे देिखयै ई बालाकतेक काल धिर ठाढ़ भय िगलाससँभरल दूध रखैत अिछ। लगभग एकघटा बीित गेल मुदा ओ तपयामे लीनछिथ ई देिख ेमचदकेँ दया आिबगेलिन आ दूधक िगलास हाथसँ लय दू-चािर घॲट पीिब िगलास रािख देलिह।पुनः पिरचय भेल। ेमचदक कउरक समय ओ बाला थर-थर काँिपरहल छलीह, जेना कसाइकेँ देिखछागरक आँिखमे डर।ेमचद- नाम?-सोनी।-कतेक पढ़ल छी?-दसम बोडर् फेल छी।-सय या झूठ?-ई ुव सय अिछ।ई बात सुिनते ेमचदक आँिखमेपुनः गंगा-यमुनाक धारा वािहत भयगेलिह तँ सोनी रुदन अवथामेबजलीह- हम अपनेसँ झूठ निह बािजसकैत छी। हमरा क्षमा करू। हमरा जेसजा देब से कम अिछ। आ हुनकोआँिखसँ दहो-बहो नोर खसए लगलिह।-अपने शरीरसँ िवकलांग तँ निहछी?-निह।-अपने कोनो बीमारीसँ िसत तँनिह छी?-निह।-अपने िजबैत िकनका लेल छी?-अहाँ हमर गरदिन दबा िदअ तँहमरासँ बेशी भाग्यशाली िकयो दोसरनिह होएत।-अपनेक सभसँ पैघ लय?-अहाँक खुशी।-अपने कािन रहल छी, कारण?-अहाँक क देिख बदत निहभऽ रहल अिछ।-अहाँ जुिन कानू सोनी। एिहमेअहाँक कोनो दोष निह अिछ।-आइ हम मिर गेल रिहतहुँ तँअहाँकेँ क निह भेल रहैत।ई तँईरक बनायल िविधक िवधान छी!एकरा कोनो शिक्त निह कािट सकैतछैक।-देखू, एिह दुिनयाँमे दू तरहक लोकहोइत अिछ- आशावादी आ पुरुषाथर्वादी।हम आशावादी पुरुष निह छी,पुरुषाथर्वादी छी आ आशावादीसँ घृणाकरैत छी। कारण आशावादी पुरुष याऔरत मेहनती निह होइत अिछ। अपनेकोन तरहक छी?-हम धािमर्क वृिक छी आरधमर्मे बहुत िवास अिछ, तािह हेतुआशावादी छी!ई सुिन ेमचदक मोनमे आर बेशीतकलीफ बिढ़ गेलिह। एिह तरहेँचतुथक राित दुनू नव-िववािहत जोड़ीकटलिह। ेमचद फेर अपन गाम घुिरगेलाह।साँझ भेल, भौजीसभकेँ भेलिह जेेमचद पुनः गाम जएताह। मुदा कोनोितिया निह देिख पुछल गेलिह तँउर आएल जे आब िरागमनक लेलहम उपिथत होएब सासुरमे, निह तँआब िदली घुिर जाएब। अयथा हमरपीड़ाकेँ बढ़ाओल निह गेल जाऊ। हमराआब जीिवत रहय के कोनो इच्छा निहअिछ। कोनो मनोरथ निह अिछ। हमरकोनो भिवय निह अिछ!िरागमन भेल, किनयाँ सासुरअयलीह। भड़फोरीक पात् ेमचदिदली उपिथत भेलाह। अपनकपनीक काम-काज सहारलिथ।काजपर तँ जािथ मुदा अतरामामेकतेक अबिह। कारण जे जीबाकआशाक िकरण लगभग अितम चरणमेपहुँिच गेल छलिह। आब कोनो मनोरथनिह, निहए िजनगीक कोनो लय बाँिचगेल छलिह। आ एकर कारण मैिथलसमाजक िकछु महानुभावक िवचार आकृय अिछ, संगिह मैिथल समाजकिकछु ावधान सेहो िजमेदार अिछ। एिहकारेँ निह जािन कतेक मैिथल नव-युवक-युवतीकेँ अपन करुण िजनगीजीबाक लेल मजबूर होमए पड़ैत अिछ।‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्166


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्डॉ. ेमशंकर िसंह (१९४२- )ाम+पोट- जोिगयारा, थाना- जाले, िजला- दरभंगा। 24 ऋचायन, राधारानी िसहा रोड, भागलपुर-812001(िबहार)।मैिथलीक विर सृजनशील, मननशील आ अययनशील ितभाक धनी सािहय-िचतक, िदशा-बोधक, समालोचक, नाटक ओरंगमंचक िनणात गवेषक, मैिथली गकेँ नव-वरूप देिनहार, कुशल अनुवादक, वीण सपादक, मैिथली, िहदी, संकृतसािहयक खर िवान् तथा बाङला एवं अंेजी सािहयक अययन-अवेषणमे िनरत ोफेसर डॉ. ेमशंकर िसंह ( २० जनवरी१९४२ )क िवलक्षण लेखनीसँ एकपर एक अक्षय कृित भेल अिछ िनःसृत। िहनक बहुमूय गवेषणामक, मौिलक, अनूिदत आसपािदत कृित रहल अिछ अिवरल चिचर्त-अिचर्त। ओऽ अदय उसाह, धैयर्, लगन आ संघषर् कऽ तमयताक संग मैिथलीकबहुमूय धरोरािदक अवेषण कऽ देलिन पुतकाकार रूप। िहनक अवेषण पूणर् थ आ बधकार आलेखािद यापक, िचतन,मनन, मैिथल संकृितक आ परपराक िथक धरोहर। िहनक सृजनशीलतासँ अनुािणत भऽ चेतना सिमित, पटना िमिथलािवभूित समान (ता-प) एवं िमिथला-दपर्ण, मुबई विर लेखक समानसँ कयलक अिछ अलंकृत। सित चािर दशक धिरभागलपुर िविवालयक ोफेसर एवं मैिथली िवभागायक्षक गिरमापूणर् पदसँ अवकाशोपरात अनवरत मैिथली िवभागायक्षकगिरमापूणर् पदसँ अवकाशोपरात अनवरत मैिथली सािहयक भडारकेँ अिभविर्त करबाक िदशामे संलग्न छिथ, वतसारवत-साधनामे।कृित-मौिलक मैिथली: १.मैिथली नाटक ओ रंगमंच,मैिथली अकादमी, पटना, १९७८ २.मैिथली नाटक पिरचय, मैिथलीअकादमी, पटना, १९८१ ३.पुरुषाथर् ओ िवापित, ऋचा काशन, भागलपुर, १९८६ ४.िमिथलाक िवभूित जीवन झा, मैिथलीअकादमी, पटना, १९८७५.नायावाचय, शेखर काशन, पटना २००२ ६.आधुिनक मैिथली सािहयमे हाय-यंग्य, मैिथलीअकादमी, पटना, २००४ ७.पािणका, कणर्गोी, कोलकाता २००५, ८.ईक्षण, ऋचा काशन भागलपुर २००८ ९.युगसंिधकितमान, ऋचा काशन, भागलपुर २००८ १०.चेतना सिमित ओ नायमंच, चेतना सिमित, पटना २००८मौिलक िहदी: १.िवापित अनुशीलन और मूयांकन, थमखड, िबहार िहदी थ अकादमी, पटना १९७१ २.िवापितअनुशीलन और मूयांकन, ितीय खड, िबहार िहदी थ अकादमी, पटना १९७२, ३.िहदी नाटक कोश, नेशनल पिलकेशनहाउस, िदली १९७६.अनुवाद: िहदी एवं मैिथली- १.ीपादकृण कोटकर, सािहय अकादमी, नई िदली १९८८, २.अरयफिसल, सािहय अकादेमी, नई िदली २००१ ३.पागल दुिनया, सािहय अकादेमी, नई िदली २००१, ४.गोिवददास, सािहयअकादेमी, नई िदली २००७ ५.रक्तानल, ऋचा काशन, भागलपुर २००८.िलयातरण-१. अीयानाट, मनोज काशन,भागलपुर, १९६७।सपादन- १. गवलरी, महेश काशन, भागलपुर, १९६६, २. नव एकांकी, महेश काशन, भागलपुर, १९६७, ३.प-पुप, महेश काशन, भागलपुर, १९७०, ४.पदलितका, महेश काशन, भागलपुर, १९८७, ५. अनिमल आखर, कणर्गोी,कोलकाता, २००० ६.मिणकण, कणर्गोी, कोलकाता २००३, ७.हुनकासँ भेट भेल छल, कणर्गोी, कोलकाता २००४, ८.मैिथली लोकगाथाक इितहास, कणर्गोी, कोलकाता २००३, ९. भारतीक िबलािड़, कणर्गोी, कोलकाता २००३, १०.िचा-िविचा, कणर्गोी, कोलकाता २००३, ११. सािहयकारक िदन, िमिथला सांकृितक पिरषद, कोलकाता, २००७. १२.वुआिड़भिक्ततरिणी, ऋचा काशन, भागलपुर २००८, १३.मैिथली लोकोिक्त कोश, भारतीय भाषा संथान, मैसूर, २००८,१४.रूपा सोना हीरा, कणर्गोी, कोलकाता, २००८।पिका सपादन- भूिमजा २००२—स पादक‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्167


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्बीसम शतादी मैिथली सािहयक विणर्मयुगअतीत आ भिवयक संग सबधथािपत कऽ कए सािहय अपनअितवक सयताक उोषणा करैछ।िव-मानव अयत उसुकतापूवर्कसािहयक गवाक्षसँ अतीतक िगिरगरकगुफामे वािहत जीवन-धाराक अवलोकनकरैछ आ अपन गभीरतम उेयकिविवध कारक साधन भूल आ संशोधनारा ात करैत अपन भावी जीवनकेँिसंिचत होइत देखबाक उकट अिभलाषारखैछ। अतीतक ेरणा आ भिवयकचेतना निह तँ सािहय निह। अतीत,वतर्मान आ भिवयक कड़ीक अनतशृंखलाक रूपमे भावक सृि होइत चलजाइछ आ मानव अपन गितकिनयमािद, िसातािदकेँ अपन वातिवकसाक िवकासक मंगल कंगन पिहिरकए अपन दुनू हाथसँ आवृ कयनेरहैछ। िवकिव रवीनाथ ठाकुर(१८६१-१९४१)क कथन छिन जे िव-मानवक िवराट जीवन सािहय ाराआमकाश करैछ। एहन सािहयकआकलनक तापयर् कायकार एवंगकारक जीवनी, भाषा तथा पाठसबधी अययन तथा सािहयक िविवधिवधािदक अययन करब मा निह,युत ओकर सबध संकृितकइितहाससँ अिछ, मानव-मनसँ, सयताकइितहासमे सािहय ारा सुरिक्षत मनसँअिछ।उैसम शतादीमे भारतवषर्मेनवजागरणक बल वार उठल। तकरकोनो भाव िमिथलांचलपर निह पड़ल,कारण िमिथलावासी ाचीन परपराकपृपोषक रहलाक कारणेँ संकृतिशक्षामे लागल रहलाह आ अंेजी िशक्षातथा पााय िवचारधाराक महवकेँ निहवीकारलिन। नवजागरणक फलवरूपष दशकमे भारतीय परतताक बेड़ीसँमुक्त होएबाक िनिम सन् १८३७ ई. मेिसपाही िवोह कएलक। िमिथलाक नवशासक मैिथलीकेँ कोनो थान निहदेलिन। एिह दशकक अितम बेलामेिमिथलाक शासन “कोटर् ऑफवासर्”क अधीन चल गेल जकरभाविमिथलापर पड़लैक। जे एिहठामकिनवासीकेँ थमे-थम पिमकपशनुभूित भेलिन। िकतु दुभग्यभेलैक जे “कोटर् ऑफ वासर्” ारािमिथलाक भाषा मैिथली आ ओकरिलिपकेँ बिहकृत कऽ कए ओकराथानाप कयलक उदुर् आ फारसी तथादेवनागरी। िमिथलेश महाराज लमीरिसंह (१८५८-१९९८)क गेनशीनभेलापर उैसम शतादीक अदशकोरकालमे िमिथलावासीक सामािजक,सांकृितक एवं सािहियक जीवनमे नवचेतनाक संचार भेलैक। हुनक चुबकीययिक्व, कृपापूणर् यवहार, िवा-यसनआ असीम देशभिक्त एवं दानशीलताकफलवरूप िवान सािहय सजर्ककेँआकृ कएलक। हुनक उरािधकारीिमिथलेश महाराज रमेर िसंह (१८९८-१९२९) सेहो उक्त परपराकेँ कायमरखलिन।उैसम शतादीक अदशकोरकालमे भारतीयमे अभूतपूवर् जनजागरणभेलैक, जकर फलवरूप वततासंामक नव फुिलंग जागृत भेल आओऽ सभ वतताक िनिम अयिधकसचेताक संग स भेलाह, जकरभाव सािहय सृजिनहारपर पड़लिन।यिप शतादीक अितम वषर् धिरधािमर्क आ सांकृितक िचतनपररुिढ़वािदताक पुनः कोपक िवतृतछायासँ बौिक आ सािहियक गितकसमक्ष अवसादपूणर् वातावरणक पिरयातभऽ गेलैक। तथािप मैिथली सािहयजगतमे उकषर् अनबाक िनिम अपनपरपरागत पिरधानक पिरयाग कऽ नववृिक रचनाकारक ादुभव भेलजािहमे मातृभाषानुरागी आ काशनकसौिवयसँ सािहय नव रूप धारण करयलागल जकर नेतृव कयलिन कवीरचदा झा (१८३०-१९०७), किववरजीवन झा (१८४८-१९१२), पिडतलालदास(१८५६-१९२१), परमेर झा(१८५६-१९२४), तुलापित िसंह(१८५९-१९१४), सािहय राकर मुशीरघुनदन दास (१८६८-१९४५), मुकुदजा बक्शी (१८६०-१९३८), जीवछ िम‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्168(१८६४-१९२३), चेतनाथ झा (१८६६-१९२१), खुी झा (१८६६-१९२७),मुरलीधर झा (१८६८-१९२९), जनादर्नझा “जनसीदन”, सर गंगानाथ झा(१८७२-१९४१), दीनबधु झा (१८७३-१९५५), रामच िम (१८७३-१९३८),बबुआजी िम (१८७८-१९५९),गुणवतलालदास (१८८०-१९४३),कुशेर कुमर (१८८१-१९४३),िवानद ठाकुर (१८९०-१९५०),किवशेखर बदरीना झा (१८९३-१७४),पुलिकतलालदास (१८९३-१९४३),गंगापित िसंह (१८९४-१९६९), उमेशिम (१८९६-१९६७), धनुषधारीलालदास(१८९६-१९६५), भोलालालदास(१८९७-१९७७), अमरनाथ झा(१८९७-१९५५), राजपिडत बलदेविम (१८९७-१९६५), कुमार गंगानदिसंह (१८९८-१९७०), जमोहन ठाकुर(१८९९-१९७०) एवं रासिबहारीलालदासआिद-आिद जे िविवध सािहियकिवधािदक जम देलिन आ एकरासविधर्त करबाक दृढ़ सकपकयलिन।वतुतः िवगत शतादी मैिथलीसािहयक हेतु एक ाितकारी युगकरूपमे तुत भेल। अंेजी रायकथापना देशक सािहियक, वैज्ञािनक,राजनैितक, आिथर्क आ सामािजक क्षेमेएक नव फूितर् दान कऽ कएिमिथलांचलक जीवन-शैली आ सोचकपुनसर्ंकार कयलक। एिह शतादीमेआधुिनक िशक्षा, छापाखाना आ सरलयातायातक सुिवधाक अभाव रिहतहुँमैिथलीमे सािहय सृजनक परपरावतर्मान रहल। बहुतो िदन धिर मैिथलीसािहय संकृत सािहयक ितछायासदृश रहल। एिहमे सािहियक एवं अयकारक लेखन िनरतर होइत रहल।दुइ िव युक बीचक कालमे मैिथलीसािहयक सवगीन समुारक चेतनाअनलक। एिह कालक लेखनमे ई नवमनोदशा ितफिलत भेल आ सािहयकिविभ िवधामे उलेख्य योग्य पिरवतर्नभेल।


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्राजे पटेलगुजराती किवगुजरातीसँ अंेजी अनुवाद हेमांग देसाई ारा।अंेजीसँ मैिथली अनुवाद गजे ठाकुर ारा।१हम िकएक कऽ रहल छी अनुभवधरा िबन शाखकिबना एिह हाथक?पसारैत दूर आ िवतृतजीिवत साँपक तािकमेई सभ हाथ एक दोसरमे ओझराएलआ समात होइत मा नहक वृिमे।बाबाक छड़ीक पकिड़सँबसक ठाढ़ होएबला लटकल चमुी अनैत अिछ वैह अिवचल शूयाकाश।ओकर कए अनुभूितई सभ खेंचल कार कौआक हाथघुिम जाएत आकाश िदससभटा खेत अंकुिरत फुिलतपाँजर खेतमे औंगठलबाँिह जकाँ।सभटा हरक फारक चेहभाग्य रेखा हाथक।पंिक्त जोिख सकैएमा हाथक लबाईनिह एकर जिड़पिहने हम कए सकी एकर िनदानहाथक आमण जिड़परेत धरापररोशनाईसँ पसरलअपन नव अंकुिरत आँिखएउिड़ गेल नव-जनमल पाँिखएओिह धूसिरत गगनक पारआबसभटा मितक कोिशकामेहाथ रहैछ अहिनर्शवेश कए रहल गँहीर आर गँहीर जिड़मेपृवीक ग-गक‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्169


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्राजे िवमल (1949- )।चामकािरक लेखन-ितभाक वामी राजे िवमल नेपालक मैिथली सािहयक एक तभ छिथ। मैिथली, नेपाली आ िहदी भाषाकाज्ञ िवमल िशक्षाक हकमे िवावािरिध (पी.एच.डी.)क उपािध ात कएने छिथ। सुलिलत शद चयन एवं भाषामे ालता डा.िवमलक लेखनक िवशेषता रहलिन अिछ। अपन िसहत लेखनसँ ई कोनहु पाठकक हृदयमे थान बना लैत छिथ। कथा आसमालोचनाक सिह ममर्भेदी गीत गजल िलखबामे वीण डा. िवमलक िनबध, अनुवाद आिद सेहो िवलक्षण होइत छिन। कमोिलिखकऽ यथे यश अरजिनहार डा. िवमलक लेखनीक शंसा मैिथलीक सस नेपाली आ िहदी सािहयमे सेहो होइत रहलिनअिछ। खास कऽ मानवीय संवेदनाक अिभयिक्तमे िहनक कलम बेजोड़ देखल जाइत अिछ। िभुवन िविवालयअतगर्तरा.रा.ब. कैपस, जनकपुरधाममे ायापन कएिनहार डा. िवमलक पूणर् नाम राजे लाभ िछयिन। िहनक जम २६ जुलाई १९४९ई. कऽ भेल अिछ। सािहयकारक नव पीढ़ीकेँ िनरतर उेिरत करबाक कारणे ई डा.धीरेक बाद जनकपुर-पिरसरकसािहियक गुरुक रूपमे थािपत भऽ गेल छिथ। जनकपुरधामक देवी चौक िथत िहनक घर सदित सािहयकिजज्ञासुसभकअखाड़ाजकाँबनलरहैतअिछ।—सपादकगजल१.नयनमे उगै छै जे सपनाकेर कोँढ़ीफुलएबासँ पिहने सभ झिर जाइ छैकलमक िसनूरदान पएबासँ पिहनेगीत काँचे कुमारेमे मिर जाइ छैचान भादवक अहिरयेकटैत अहुिरयानुका मेघक तुराइमे िहंचुकै छल जेिबछा चानीक इजोिरयाकोजगरामे आइखेलए िझलहिर लहिरपरओलिर जाइ छैहम िकछेरेपर िवमल ई बूिझ गेिलयैनदी उफनाएल उफनाएलकतबो रहौएक िदन बिन बालू पाथरक िबछानपािन बािढ़क हहाकऽ हहिर जाइ छैके जानए कखन ई बदलतै हवािसकही पुिरवाकेर नैया डूबा जाइ छैजे धधरा छल धधकैत धॲवा जाइ छैसदर् छाउरकेर लुी लहिर जाइ छैरिच-रिचकऽ रूपक करै छी िसंगारसेज चपा आ बेलीसँ सजबैत रहूमुदा सोचू कने होइ छै एिहना ियसॴथ रंगवासँ पिहने धोखिर जाइ छै२.जगमग ई सृि करए तखने िदवाली छीेम चेतना जािग पड़ए तखने िदवाली छीजीणर् आ पुरातनकेँ हुा-लोली बनाउपलपल नव दीप जरए तखने िदवाली छीनेहकेर धार बहत बनत जग योितमर्यहषर्क फुलझड़ी झरए तखने िदवाली छीअनधन लछमी आबए दिरदरा बहार होरोली र भरए तखने िदवाली छीरामशिक्त आगूमे रावण ने टीिक सकतरावण जखने डरए तखने िदवाली छीतृणाआइ फेर बहु-बदला भेलैए कहाँदन!...गे दाइ, गे दाए!‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्170रजदेबाके बहु िसिकिलया आदेबलरैनाके बहु सोनावती। िसिकिलयाओना छै मोसिकलसँ अढ़ाइ हाथक मौगीमुदा सउँसे गोर देहमे गजगज मासु करैछै। देिखते होएत जे काँचे िचबा जाइ।टोिङ देबै, ब दऽ सोिनत फेिक देतै।देहपर जेना इी कएल होइ; िछहलैतआ गतानल अंगअंग। देबलरैनके मुँहसँतँ किहया सऽ ने लेर चूबैत रहै-लसलस। देबलरैना-बहु सोनाबती,रोलल-छोलल, पोरगर करची सनलचलच करैत देह। रजदेबाके ततराटकलािग जाइक- देखैक तँ देिखते। एेटोलमे दसे घरक तऽ फरक हएतै दुनूकघरमे। िछनरझपबाली सोनावितयो केहनमन सरभसी जे जखने रजदेबासँ नयनिमलै िक छ दऽ िबहुँिस उठै अंग-अंग-जेना लौका लौिक गेल होइ भीतरेभीतर। उपर सऽ सतबरती जे बनैय।रजदेबा माने राजदेव मंडल, अंचलअपतालमे चपरासी अिछ। बाप ओकराजनमऽ सँ पिहनिह सरग िसधािर गेलरहिथह। पोसल केऽ तऽ माए। एकटाबहीन रहै चंचिलया। सभ कहैकुमरठेली। सउँसे गाम अनघोलकएने


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्रहै छॱड़ी। किहयो खेसारीक झारमेपकड़ल जाइक, किहयो राहिर खेतमेकेयो देिख लैक। किहने कते आिगभगवान देहमे देने रहिथह। चंचिलयाकमाय कहै जे ई देहक आिग थोड़बेरहैक, पेटक आिग रहै, पेटक। आब जेरहौक, मुदा ओ मारिल गेिल। ओकरालऽ कऽ दू टा मनसामे झगड़ा भऽगेलैक। जगिदसबा कहै जे हमर धरबीअिछ, मनमोहना िरक्साबला कहै जेहमर माल अिछ। चंचिलया दुूकेँ दूहैछिल। से बरदास निह भेलै मनमोहनािरक्साबलाकेँ। ताड़ीक झॲकमे िरक्साकपुरना चेनसँ तेना ने ततारऽ लगलै जेहोशे ने रहलै। सउँसे देहसँ सोिनत बिहरहल छलै आ ओ मुँह बािब देने छिल।पिरवारमे िवधवा माय छलै, वयं छल,िसिकिलया छलै आ पाँच बरखक बेटारहै। बेटा बड सुर आ बड़ ठोला!चंचिलया तऽ संसारसँ उिठए गेलै। आबपिरवारक सुखाएल आँतक घघरािमझएबाक लेल सोिनत सुखएबाकिजमेबारी रजबेक छलै। जूआमे चुपचापकाह लगा देलक आ बहए लागल। बहुरहै चमिचकनी, फरदेबाल आफसलीटीबाली। रोज गमकौआ तेलचाही, नो-पाउडर चाही। रङसँ ठोरनइँ रङब, िलपेसी चाही। िसनेमामेचसकिल। जी-मुँह चिलते रहइ।पनिपयाइमे घुघनी-मुरही, कचरी भिरपोख। दुसंझी। रोज-रोज माध-मासुगमकैत रहउ आङनभिर- ने िकछु तऽडोका-ककिर। आिक कछुएक झोर।कतेक िदनसँ एक जोर परबा पोसकलेल रगड़ा कए रहिल छिल साँयसँ।छमिक कए एमहर, छमिक कए ओमहर।राित-राित भिर झूलन देखए, सलहेसकनाचमे खतबैया टोलक झुलिफया यानटुआक नाच आ सतरोहनाक िबपटइदेिख-देिख कऽ लहालोट भऽ जाए।रजबाकेँ ई सभ सतखेली मौिगकलच्छन बुझाइक, तेँ रोज बतकुटौअिलहोइ। िरक्साबला देबलरैनासँ यारी रहैरजदेबाकेँ। देबलरैना िसकिलयाके बड़पिस। कारण रहै जे देबलरैना सेहोसलहेसक नाचमे ढोलिकया रहै। ईहढोलक बजबैकाल ओकर कनहा जेउपर-नीचाँ होइ छल- गुम-गुमुक-गुमुक...गुम गुमुक गुमुक! .. बेर-बेरझुलफी मुँहपर खिस पड़ै जकरा ओओिहना छोिड़ दैक। मुँहपर बुनिकआएलओसक बूँद सन पसेना! ओ मोनिह मोनअपन साँय रजदेबासँ देबलरैनाक िमलानकरै। ... कहाँ देबलरैना, कहाँरजदेबा। रजदेबाक मुँहपर चौबीस घंटाजेना िवपिके झपसी लधने रहै।घोघनमुँहा एक री ने सोहाइिसिकिलयाकेँ। मगर करओ तऽ कीकरओ? िसङार-पटार कए एकातमेएसगर िबछाओनपर पिड़ रहय आकपना करए-साँय जे बदलतै! देबलरैनाफुलपेट पेिह कऽ, चसमा पेिह कऽबाबू-भैया नािहत जे िरक्शापर बैिठकऽिरक्सा चलबइ हइ तऽ िसनेमाके गोिबनामाउत कऽर हइ। .. मानली जे ताड़ी-दारू पीबै हइ, त की भेलइ। सुनइिछऐ जे कहाँदुन ताड़ी-दारु पीलै हइमनसासुन तऽ ओकरा देहपर राछच्छीसबार भऽ जाइ छै, मौगीके छोड़ने नेछोड़ै छै।..धौर, केनाकऽ सकैत होतैदेबलरैना बहु।..रजदेबा ला ध-सन!िबछाओनोपर जाएत त खाली घरेकेसमेसा। ..रङ आ लस!! .. देहो हाथछूबैतऽ खॱझा कऽ छूटत!..देबलरैनाके बँसुरीके आवाजसुनएलै। ..दारू पीकऽ अबै छै तऽआङनमे बैिसकऽ बँसुरी टेरऽ लगैछै।..अहाहाहा..की राग, कीतान।..सोनाबतीके तऽ लीरीबीरी कऽ दैछै। फेर दुनू परानीमे मुँहाठुी होइत-होइत िपटािपटौअल शुरू भऽ जाइतछै।..सोनाबतीके कहब छै जे मरदाबा जेकमाइ हए से तऽ दारू पानीमे उड़ा दैहए, िसनेमामे गमा दै हए आ सूतऽ लागीहरान रहै हए।..पेटमे अ नैआ..“मनसा तऽ रजदेबो हइ”- सोचैएिसिकिलया- “ओकरा सूतऽ के मन नैहोइ हइ?..केरबा आमसन मुँह लटकओनेरहैए!” िसिकिलयाके अपने हँसी लािगजाइ छै।“दोसजी कहाँ गेलिखन”?- अरे, ईबारह बजे राितमे सोनाबती!!..“की हइ, हे”?- बाँसक फकखोिलकऽ िसिकिलया बाहर अबैतअिछ।..छॱड़ाक बाप तऽ नै एलैगऽअपताल सऽ।..लैटिडपटी (नाइटयूटी) हइ।..”“बहीन की किहयो दुखके बात।आइ फेनू मनसा मारलकगऽ।““कइला?”“धुर। की जान गेिलऐ कोनबढ़मिकटास हइ देहपर।..हमर तऽ जानलऽ लेलक।..अ-पानी जिर गेलै, जी-जाँघमे खॱत फुकने रहै छै चौबीसघंटा।– बलू, चल नऽ सूतऽ।..सुतनाबेमारी धऽ लेलकैगऽ।“..सोनाबतीघौलेघौले बजैत रहल। जोर-जोरसँघोल-चाउर भेलै तँ बुिढ़या रजदेबामाइटुघिर कऽ अङनामे आएल- गे, कीभेलउ गऽ? चुप, लबरी। साँइयो बहुकेबातके कहूँ एते घोलफचा भेलै गऽ?”सोनाबती घेओना पसारलिक। िरीिरी कऽ फाटल, सतरह ठामसँ िगरहबाहल अपन नूआ आ अिङयादेखओलिक। घरबाली अ बेेक मरैछै आ ओ दारु-ताड़ी पीिबकए बेम भेलरहै छै। घरमे लाल छुी नै दै छै।दारू पी कऽ सेजपर ओकर गगमेदाँत गड़ा दै छै!“इस!” रजदेबाबहुके मुँहसँअनायासे बहार भऽ गेलै। भीतर चीनीकगरम पाक जेना टघिर रहल छलै। ओगग देबलरैनाक हबकबाक कपनामेहेरा गेिल।“हे बहीन!..मनसा नै भोगतओ तँ ईदेह लऽ कऽ की करबा।..एक िदनअँिचयापर तऽ सबहक देह जरै छै!”-रजदेबा-बहु समझओलकै। रजदेबामाइदुरदुरओलकै। ताबत िडटीसऽ रजदेबोघूिर अएलै। आङनमे ठहाठिह इजोिरयामेचमकैत सोनाबतीक मुँह चमकैतदेखलक। नयन िमललै, सोनावती िवहुँिसदेलिक, जेना रजनीगंधा फूल झरझरागेलै। मोनाण गमैक उठलै। रजदेबाबाजल िकच्छु नैं। बस पुछलकै- “कीभेलौ गऽ भौजी?” सोनावती फेर सउँसेखेरहा दोहरओलिक।...‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्171


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्िसिकिलया चौल कएलकै- “साँयबदलबे?”“सहे तऽ ने उपाइ हइ।..तोहरडागदरसनके साँय हउ गजैछे।..अपतालमे काम करै हउ। नेदारू, ने पानी। घरिगरहथी डेबनेहउ। भिरमुँह कोनो छॱड़ी मौगी जरेबोलबो ने करइ हउ। अपन काम सेकाम। एहन महाभारथ पुरुख हमरभागमे कहाँ?..”िसिकिलयाकँ देह जिर गेलै- हइगोबरके चोत महाभारत कहाँदुन!मनसरभसी। अपना साँय महकै छिन आछॱड़ाक बाप जरे केना रिसया-रिसया,िसिलया बितआइ हए।“बहीन, तौँ घर जा।..तोहर साँयकेदोसरकेँ सहािर देत ओ? जे अपनसाइँयो के कसमे ने रखलक, से मौगीकिथके?” आ िसिकिलया रजदेबाक बाँिहपकिड़ घरिदिश घीचय लागिल।रजदेबामाइके िप लहिर गेलै।सोनाबी किनकाल थरभसाएिल, फेरबाजिल-“दोस जी!..हम आइ घरे नैंजबे..फेन “िनमन सऽ कूटत।..”ओकर आकृित कातर छलै।“अहाँ जाउ। लोक फरेबजोड़त”।रजदेबा समझओलकै। ओ घूिरगेिल। सभ अपन-अपन फक लगालेलक। मुदा, भोरे उठल रजदेबाजँगलझार लेऽ तँ देखलक जेदेबलरैनाके बहु दरबजापर एकटाफेकल तरकुीपर ओंघराएिल छै, घर नैंगेलउ।..किनकाल ओ टुकुर-टुकुरओकर मुँह तकैत रहल। केना िनभेरभऽकऽ सूतिल छै, दुधपीबा िपहुआजेकाँ।नूआँ-बतर अत-यत। िबनतेलकूँड़क जा पड़ल, भुल भऽ गेलपैघ पैघ केश, भुँइयापर एमहर-ओमहरजॱड़ जेकाँ लेटाएल।ओकरा देवलरैनापर बड तामसभेलै। सोन-सनक सोनावती अ-वबेेक झाम भऽ गेलै- बीझ लागल ताम-सन। एखनो जँ नहा धो देल जाइक आिसङार कऽ दै तऽ झकाझक भऽजएतै। मुदा दोस तऽ दारू पीकऽ मतरहै छै। सलहेसक नाचमे ओकरढोलकक गुमकीपर खतबैया टोलककतेको छॱड़ी-मौगी ओकरापर जान दैतछै। दोसजी, खा-पैन, चर-चाँचर,राहिर-कुिसयारक खेत, भुसुला घर,पोखिरक भीर जिह पओलक, तिहछॱड़ी-मौगी लऽकऽ...। राम-राम।..एहनगुनमतीके एना कािह कटबै हइ, दोसजीिनमन निह करै हइ!बड़ समझओलकै रजबासोनाबतीके। सोनाबती नैं गेलै।देबलरैनाके ध-सन। खोजैत-खोजैतएे बेर सुरुज जखन नीचाँ अएलै तऽबँसुरी टेरैत आएल। सोनाबतीके भिरपाँजपकिड़ कए चुमाचाटी लेबए लागल।–सबहक सामने! दरूिपबाके कोन लाजआ बीज। रजबामाइके हँसी लािगगेलै। सोनाबी मनसाकेँ धकेिल देलकै,मनसा धाँय दऽ चारूनाल िच खसल।िबच्चे आङनमे।..चटाक!...मनसा उिठकएएक चाट देलकै। मौगी घेओनापसारलिक। मनसाकेँ ध-सन।..दोसजीअपतालमे रहै।िसिकिलयाक बेटाके “मैंगोूटी”कखाली िडबा कतहु सड़कपर फेकलभेिट गेल रहै। ओ ओिहमे पािन धऽधऽपीबै छल। िसिकिलयाक नजिर पड़लै-“केहन लगइ हउ?” छॱड़ा हँिस देलकै-आमके रस निहंता!..पीबे?”िसिकिलयाक मोन भेलै- एक बेरओहो पीिब कए देखैत। ओ बड़का-बड़का बाबू-भैया सबके पीबैत देखनेरहै।..मुदा, ओइमे तऽ पतरसुी फॲफीलागल रहै, एइमे कहाँ हइ?.. ओ बड़ाललचाएल दृिसँ ूटीक िडबाकेँ देिखरहिल छिल।“दोितनी, पीयब?”-देवलरैना टुभदऽ पूिछ बैसल। दोितनीक आँिखमेूटीक लालच, पितसँ उलहन,अभावजय वेदना लाबाज देवलरैनाकेँझक् दऽ लौिक गेलै।“चलू दोितनी, ूिटयो पीयब,िसनेमो देखब आ होडरोमे खाएब।घूमैत-घूमैत राित तओले च्हिलआएब”।– देवलरैना बजलै आ फेर कोनजादूके बान लगलै किहने, िसिकिलयाचट दऽ ओकर िरक्सापर बैिस गेिल।सभ मुँहे तकैत रिह गेलै। ओ जे गेलैिसिकिलया से फेर ६ महीना नैं घुरलै।सोनाबती रजबाके घरसऽ टकसऽ केनाम नैं लै। पऽर भेल, पंचैती भेल।दुनू मौगीमे सँ कोनो अपन-अपन साँयलग घुरबाक लेल तैयार निह भेिल।छओ मासक बाद दुनू अपन-अपनमनसा लग कनैत-कनैत घूरिल-ढाकीकढाकी िसकाइत नेने। िसिकिलया आसोनाबती एक दोसरक गरदिन पकिड़झहरा देमए लागिल। िसिकिलयाकघेओनाक आशय छल- देबलरैनाके मुँहमहकै छै, ओ बदमास अिछ, गुडाअिछ, िनसेबाज अिछ, लापरवाह अिछ;वाथ अिछ आिद-आिद। सोनावती छातीपीिटपीिट बेयान करै छिल- रजबा गुमाअिछ, बहुसँ बेसी मायकें मानै अिछ,िदनराित पाइ लेऽ खटै अिछ आ सभपाइसँ घरे चलबै अिछ, बहु ले किहयोकचरी- मुरही नै अनने अिछ। किहयोिसनेमा नैं जाइ अिछ, बहुकें चुमा नैंलैत अिछ..आिद...आिद...दुनू अपन-अपन ओिरिजनल साँयलग घूिर गेिल।मनोिवज्ञानक ोफेसर सयनारायणयादव कहलैिह- यार, जे भेटैत छै,तकर मोल नै बुझाइ छै। जकर पितगंभीर छै ओकरा चंचल पितक लेल मोनपिनआइ छै, जकर चंचल छै से गंभीरपितक लेल िसहाइए..इएह म छै...नोवन इज परफेक्ट..एक िदन िसिकिलया आ सोनावतीसुनू एक-एकटा कोनो मनसा संगे उरहिरगेलै- ओहो एे िदन। रजदेबामाइ भोरेसँआसमान माथपर उठा लेलिक- “जुआनीकर ने उमताइ हइ..फेनू बाह हइिकनै।..समाज आ पिलवारके बहन टूिटजतइ तऽ मनसा-मौगी िजनगी भिरअिहना भँड़िछ-भँड़िछ कए मिर जतइ...ो. सयनारायणक याख्या छैिह-यान इज पोिलग्यामस बाइनेचर..इट इज सोसाइटी िचच्यानलाइजेज सेक्स एनज..सओ मुँह,सओ बात!..सबसँ बड़का सय जेसोनाबती, िसनिकिलया दुनू उरहिर गेल!‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्172


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्डा. रमानद झा ‘रमण’जम: 02 जनबरी,1949, िशक्षा-एम.ए., पीएच.डी., आजीिवका-भारतीय िरजवर् बैंक, पटना (सेवा िनवृ)।काशन: मौिलक- समीक्षा 1. नवीन मैिथली किवता,1982, 2. मैिथली नऽव किवता,1993, 3. मैिथली सािहय ओ राजनीित,1994, 4. अिखयासल, 1995, 5. बेसाहल,2003, 6. भजारल, 2005., 7. िनयत कैसे शुरू करें? िहदी- िरजवर् बैंक, पटनाककाशन सपािदत 8. मैिथलीक आरिभक कथा, 1978 समीक्षा, 9. यामानद रचनावली, 1981, 10. जनादर्नझा‘ जनसीदनकृतिनदर्यीसासु (1914) आ पुनिवर्वाह (1926), 1984, 11. चेतनाथझाकृत ीजगाथपुरी याा (1910), 1994, 12. तेजनाथझाकृत सुरराजिवजय नाटक (1919), 1994, 13. रासिबहारीलाल दासकृत सुमित (1918), 1996, 14. जीबछ िमकृत रामेर(1916), 1996, 15. भेटघॉंट (भेटवात), 1998, 16. रूचय तँ सय ने तँ फूिस, 1998, 17. पुयानद झाकृत िमिथला दपर्ण(1925), 2003, 18. यदुवर रचनावली (1888-1934) 2003, 19. ीवलभ झा (1905-1940) कृत िवापित िववरण,2005, 20. मैिथली उपयासमे िचित समाज, 2003, 21. पिडत गोिवद झाः अच ओ चच, 1997 बध सपादक, 22.कवीर चेतना, 2008, चेतना सिमित, पटना अनुवाद 23. मौिलयरक दू नाटक, 1991, सािहय अकादमी, 24. छओ िबगहा आठकटठा, 1999, सािहय अकादमी, 25. मानवािधकार घोषणा Universal Declaration of Human Rights २००७( यूनेसको),26. राजू आ’ टाकाक गाछ, 2008 िरजवर् बेंक -िवीय िशक्षा योजना के अतगर्त पिका सपादन-सह-सपादन 1. योजन, 1993(मािसक), 2. कोषाक्षर (िहदी) 1982, 3. घर बाहर, ैमािसक, चेतना सिमित, पटना कायर्शाला 1. National Workshop onLiterary Translation,- Dec 20.1991 to January 12,02,1992, Sahitya Akademi, New Delhi2.BondsBeyond the Borders (India-Nepal civil society interaction on Cross Border issues) -ConsulateGeneral of India, Birgunj, Nepal and B.P. Koirala India-Nepal Foundation-May 27-28,20062.Preparation of Intensive Course in Maithili- ERLC, Bhubneswar जूरी 6th Inter NationalMaithili Drama Festival,1992 -Biratnagar, Nepal पुरकार- समान1. जाजर् ियसर्न पुरकार, 1994-95, राजभाषा िवभाग,िबहार सरकार, मैिथली नऽव किवता पुतक पर, 2. भाषा भारती समान,2004-05 छओ िबगहा आठ कटठा, (अनुवाद) CIIL, मैसूर।—सपादक।बहुत िदनक बाद िमिथलाकामांचल मे सगर राितदीप जरयकआयोजन भेल अिछ। ओना एिहसँपूवर् हटनी (19.05.2001) आ ओहूसँपिहने घोघरडीआ (22.10.1994) आ’डयैाढ ़(29.04.1990)मे आयोिजत भेलछल। शहरे शहरे बौआए सगर राितगाम िदस एक बेर आएल अिछ। एिहलेल अषोक कुमार झा‘अिवचल’धयवादक पा तँ छिथहे।हुनक गॱआँ लोकिन सेहो ओिहनाधयवादक पा छिथ।मुजफरपुरसँ रहुआ-संाम धिरकसगर राितक याामे कतेको बेरिनराशाजनक िथित आएल। कतेकोगोटय एिह रितजग्गािपकनीकके बदकरबाक परामशर् देल, मुदा काठमाडूसँकोलकाता, िवराटनगरसँ वनारसजनकपुरसँ राँची, देवघरसँ पूिणर्याँ,सुपौलसँ जमशेदपुर धिर सगर राितकदीप जरैत रहल। नव नव कथाकारअपन नवनव कथाक संग अपनाकँजोडै़त गेलाह। िविभ थानक मातृभाषाअनुरागीक नेह आ सहयोग एकरा भेटैतगेलैक। सगर राितक दीप अवािधतरूपे जरैत रखबा लेल ओ ओलोकिनटेमी बातीक ओिरआओन सुरुिचपूवर्ककरैत रहलाह। जे सबएकरा अजगूतबुझैत छलाह, सहिट लग आिब अपनेआिखए देखल, िवास भेलिन। सगरराित दीप जरय कोन पृभूिममे आयोजनवश शुरू भेल छल, आयोजन हेतुकोन कोन शतर् आवयक छलैक, तकराप करबाक हेतु हम थम तीनसंयोजक ारा ेिषत आमंण पकसारांश तुत करब।सगर राित दीप‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्173


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्जरयक अवधारणाक जम िकरणजयतीक अवसर पर 01 िदसबर,1989 कँ लोहनामे सािहयकारलोकिनक बीच भेल। मुदा साकार भेलभास कुमार चैधरीक मायमसँ। ओिहअवधारणा केँ साकारकरबाक उेयसँभास कुमार चैधरी सािहयकारलोकिनकँ आमित करैत छओ जनवरी1990क प ारा अनुरोध कएनेछलाह-आदरणीय, अपने कँ िविदत होएतजे िकरण जयतीक अवसरपर लोहनामेएकित सािहयकार लोकिन िनणर्यलेलिन जे पंजाबी सािहयकार लोकिनारा आयोिजत ‘दीवा जले सारी रात‘जकाँ भिर राित कथा पाठक आयोजनघूिम-घूिम कए िविभ थान परसािहयकार लोकिनकआवास पर होअय।पिहल आयोजन 24 िदसवर,1989 के ँकिटहारमेअशोकक डेरा पर राखल गेलछल जेथिगत भए गेल एक दुखदघटनाक कारणेँ। आगू ओ िलखैत छिथ-हमरा प ारा ई समाचार भेटल आएिहआयोजनक ारभ मुजफरपुरमेकरबाक आह सेहो। हम एिहिनणर्यकवागत करैत िदन राित कथापाठ आ पिरचचक अयामक आयोजन21 जनवरी 1990, रिविदन राखलअिछ। सादर आमंित छी। अपनेकउपिथितये पर आयोजनक सफलतािनभर्र अिछ। अपने 21 तारीखकेँ भोरेदस बजे पहुँिच जाए हमर कायलयजकर पाछाँ हमर िनवास सेहो अिछ। ईथान मुजफरपुरक िस देवी थानकसामने अिछ। कोनो तरहकअसुिवधा निहहोएत। 21 तारीखके ँ िदनुकाभोजनोपरात कायर्म शुरु होएत, जेातधिर चलत। कथापाठ (नव िलखलकथा) ओ ओिहपर िवशेष चच होएत।अपन अएबाक सूचना प ारा पिहनिहदए दी तँ िवशेष सुिवधा रहत। अिगलाकायर्मक थान आ ितिथक िनणर्यएहीठाम कायर्ममे लेल जाएत। डेओढ,किटहार, दरभंगा,पटना आ जनकपुरमेकायर्म करबाक िवचार अिछ। अहाँकआगमानक तीक्षा मे‘‘- भास कमारचैधरी।एही कारँ सगर राितकअवधारणाकँ भास कुमार चैधरी साकारकएल। हुनक पी योसना चौधरीकरतेबताक आंगनक गृहपी जकाँआगतसािहयकारक वागत करैत भिर राितटेमी उसकबैत रहलीह। पित ाराआयोिजत सािहियक कायर्ममे पीारा भिर राित टेमी उसकाएब आअितिथक वागतमे तपर रहबाक दोसरआ सेहो दू बेर उदाहरण तुत कएलिनअिछ काठमाडूक दूनू आयोजनमे ीमतीरूपा धीरू। पिहल सगर राितकआयोजनमे रमेश (थाक), िशवशंकरीिनवास (बसात मे बहैत लोक), िवभूितआनद (अयपुरुष), अशोक (िपशाच),िसयाराम झा ‘सरस‘ (ओिहसाँझक नाम),भास कुमार चैधरी (खूनी) रवीचैधरी, आिद कथा पढल।डा.नदिकशोर िहदी कथाक पाठ कएनेछलाह। अयक्षता कएल रमानद रेणु।कथाकार लोकिनक अितिरक्तकथाचचमे भाग लेलिन जीवकात,भीमनाथ झा, मोहन भाराज, डा.रमानद झा ‘रमण‘। पिठत कथापरचचक उपरात डा.रमण अपन कथािवषयक आलेख शैले आनदक कथायााक पाठ कएल।सािहयकारकवािभमानक रक्षाक हेतुचचक ममे िनणर्य भेल जेसमाद परसगर राितक आयोजनक भार लेबाकअनुरोध वीकार निह कएलजाएत।आमंित कएिनहार लेल वयं उपिथतभए सहभागी बनब आवयककए देलगेल।एकर िनवह अाविध भए रहलअिछ। एक शदमे किह सकैत छी,इएह शतर् सगर राितक ाण िथकैक।जीवकातक अनुरोध परदोसर सगर राित डेओढमे तीनमासक बाद करबाक िनणर्य भेल।एिहठाम हम दोसर (डेओढ) आ तेसर(दरभंगा)क संयोजक ाराेिषत पकअंश तुत करब जािहसँ सगर राितकलय तँ प होएबे करत पिलखबाक म कोन िथितमे सितअिछ, सेहो बुझा जाएत। डेओढआयोजनक संयोजक जीवकात िलखैतछिथ-मैिथली भाषाककथाकार लोकिनएकठाम बैसिथ अपन नव रचना पढिथआ ओिह पर टीकािवलेषण करिथकथाक गित देबामे सामूिहक य नकरिथ। एिह उेयसँकथा रैलीकआयोजन डेओढमे कएल जाइछ-सृजनामक उपलिध लेल एकरामरणीय बनेबा मे अपन योगदानकरी।दोसर आयोजनमे ो.रमाकातिम, कीितर्नारायण िम, वातारानदिवयोगी, नवीन चैधरी आिद संग भएगेलाह। डा.भीमनाथ झा आ दीपमैिथलीपु दूनू गोटे संयुक्तरूपँआयोजनक भार लेल जे ी िवजयकातठाकुरक सौजयसँ िचनगी मंच ारादरभंगामे सप भए सकल। तेसरसगर राितक संयोजक डा.भीमनाथ झािलखैत छिथ-प पिकाक एिह संाितकालमे सािहयमे संवादहीनताक िथितआिब गेलअिछ, कथाक िथित तँ आरदयनीय। पतः कथा लेखनमेगितरोध देखलजा रहल अिछ। एकरेदूर करबाक इच्छुक िकछु युवासािहयकम कथा संवाद लेल गोीकआयोजनक िनणर्य लेलिन। दरभंगाकआयोजन एकटा नव अयाय िलखाएल।से िथक एिह अवसर पर पोथीकलोकापर्ण। सगर राितक अवसर परलोकािपर्त पोथीक नामावली िववरण मेदेल गेल अिछ। तथािप ई उलेखनीयअिछ जे एिहअवसर पर लोकािपर्त होअएबला पिहल पोथी िथक पिडत ीगोिवद झाक कथा संह सामाक पौतॴ।भास कुमार चैधरी, जीवकात आभीमनाथ झाक पसँ सगर राितकआयोजनक, लय आ कोन पिरिथितमेसगर राित दीप जरय सनकायर्म शुरू‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्174


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्भेल छल, प अिछ। सगर राितकिनयमक अनुसारदरभंगाक आयोजनमेचािरम सगर राित तीन मासक बादजनकपुरमे डा धीरेक अनुरोध परआयोिजत करबाक िनणर्य भेल। मुदाकोनो कारणवशआयोजनमे िवलब होइतदेिख पिडत दमनकात झाक पटनाआवास पर पिडत ीगोिवद झाकसंयोजकवमे चािरम आयोजन भेल।िस कथाकार उपेनाथ झा ‘यास‘अयक्षता कएल आ कथा पाठ कएल।िनशा भाग राितमे यासजी अयक्षताकभार राजमोहन झाकेँ सौिप देने छलाह।दीप िबहारी पिहल बेर एहीठामसिमिलत भए अिगला आयोजनबेगूसरायमे करबाक भार लए लेलिन।दमन बाबू आ यासजी निह छिथ। दूनूगोटे मोन पिड़ रहल छिथ। भासकुमार चैधरीक अितम सहभािगताबेगूसरायमे सप उनतीसम सगर राितमेछल। डा. धीरे अितम बेर िबो मेकथा पढ़ने छलाह। वनारसमे सगरराितक उदघाटन कएने छलाह िहदीकख्यात सािहयकार ठाकुर साद िसंह।एिहठाम हमर आँिखक समक्ष हुनकालोकिनक मृित साकार भए गेल अिछ।ओना मजफरपुरसँ भास कुमारचैधरीक संयोजक वमे सगर राितक यााआरभ भेल छल। मुदा के रहलपटने। पटनामे सात खेप सगर राितअयोिजत भेल अिछ। सगर राितकयााक िवतृत वणर्न आ खड खडमेिवलेषण तुत अिछ। ओकर संिक्षतउलेख तुत अिछ।किटहार सगर राितमे नवानीमेआयोजनक िनणर्य भेल छल।संयोजकमोहन भाराज ो. सुरेर झाकेँकथाकाररूपमे तुत कएल। ओतययामानदचैधरी आ झंझारपुरकताकालीन डी.एस.पी. सरदार मनमोहनिसंह सिमिलत भेलाह। ओ बरोबिरसिमिलत होइत रहलाह। पंजाबककलमकेँ िमिथलाक फूलबाड़ीमे चतरलदेिख मुिदत होइत छलाह। सुरेर झाडा. राम बाबूक सौजयसँ सकरीमेआयोजन कएल। सकरीमे ए.सी.दीपकअएलाह। नेहरामे आयोजन भेल। नेहरामेमेर झा सिमिलत भेलाह।िवराटनगरसँ जीते जीत अएलाह।नेहरामे सगर राितक अवसरपर पिठतकथाक एक ितिनिध संह कािशतकरबाक िनणर्य भेल। डा.तारानदिवयोगी एवं रमेश सहषर् दाियव हणकएल। कथा संह ेत प कािशतभेल। ेत पमे पैटघाट धिर पिठतकथासँ बीछल कथा संगृहीत अिछ।सगर राित दीप जरय कायर्मकेँजीतेजीत नेहरासँ िवराटनगर, नेपालपहुंचाओल। िवराटनगरसँ बनारस आबनारससँ पटना। पटनामे बुिनाथ झा,अधर्नारीर, रा.ना.सुधाकर केदारकानन, अरिवद ठाकुर संग भेलाह तॕसगर राित सुपौल पहुंिच गेल। सुपौलसँबोकारो, ओतयसँ पैटघाट आ पैटघाटसँरमेश रंजन जनकपुरधाम लए गेलाह।जनकपुरधामसँ इसहपुर। इसहपुरसँयामानद चैधरी झंझारपुर आनल।ओतयसँ घोघरडीहा, बहेरा सुपौल आफेर सुपौल सँ धीरे ेमिषर् काठमाडूलए गेलाह।काठमाडूसँ रामनारायण देवराजिवराज आ ओतयसँ कोलकातामेभास कुमार चैधरी सगर राितक रजतजयती आयोिजत कएल। कहबाकतापयर् जे नव-नव लोकक अबैतरहलासँ सगर राितक आयोजन बढैतगेल। िकतु जतय कतहु अिमतावक संकट होइत छलैक भास जीआ फेर कमलेश जी ठाढ़ छलाह। िकछुआयोजकक अनुरोध बरोबिर अशोकजीकपाकेटमे पेंिडंग रहैत छलिन। बेगूसरायसँयाम दिरहरे संग भेलाह अिछ।ओहोकौखन आ कतहु आयोजन लेल तपरछिथ।जेना जेना िकछु लोक संग होइतगेलाह अिछ, ओिहना िकछु गोटेअपनाकेँअसव सेहो करैत गेलाह अिछ। एकरमुख्यतः तीिन टा कारण अिछ-1. अवाय,2. पिठत कथाक ितिया परखौझा कए असंगत हार, आ‘3. ितिया सूिन हतोसािहतहोएब, एवं4. कायलयीन यतता।एिह बीच िनयिमत एवं सियरूपसँ सहभागी बनैत कतेको सािहयकारअवाय अथवा वाधर्क्यक कारणँ आबसिममिलत निह भए पािब रहल छिथ।जािह मे मुख छिथ पिडत ी गोिवदझा, रमानद रेणु, सोमदेव, जीवकात,मोहन भाराज आिद। पिठत कथा परअपन प मंतयसँ चचकँ जीवतबनौिनहार ो. रमाकात िम कथाकारिशवशंकर ीिनवासक ितियासँ आहतभेला पर सकरीक बाद अपनाकेँपूणर्तःसमेिट लेलिन। िविवधा पर सािहयअकादमीक पुरकारक िवरोधमे केदारकाननक नेतृवमे कलमल सुपौलकसािहयकारक ितियाक कारणँडा.भीमनाथ झा जाएब छोिड़ देलिन। जेभास जीक मनौअिल पर पिडतगोिवद झाक गाम इसहपुर जएबाक लेलतैआर भेल छलाह। तकर बाद कमेठाम गेलाह अिछ। ेतप मे अपनकपचल कथासँ आहत जीते जीतअपन बाट कािट लेलिन। िकछु गोटेएिह आशाक संग संव भेल छलाह जेलोक शंसाक महल ठाढ कए देत,तकर पूितर् निह भेला पर उसाह किमगेलिन। िकछु गोटेक माटरी नवआगतुक लेल आतंककारी एवंअनुपादक भए गेल अिछ। सगरराितक ाण िथक अकािशत आअपिठत कथाक पाठ। ओिह पर ोताअपन ितिया यक्त करैत छिथ। ईितिया ताकािलक होइछतेँ सभवरहैत छैक जे पुनः सुनला वा पढला परिभ ितिया हो। एिह सियताकतीन कारक सकारामक भाव अिछ-1. रचनामक सियतामे वृि,2. कथाक िशपमे सुधारक अवसरआ‘3. यिक्तवमे सहनशीलताक गुणबढेबाक अवसर।पिहल सगर राितमे ायः आठ टाकथाक पाठ भेल छल। कथाकसंख्या‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्175


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्मशः बढैत गेल। सबसँ बेसीकथाकारक सहभािगता मिहषीमे भेलछल। एिह बीच जतेक कथा संहछपल अिछ, अिधकांश कथा सगरराितक अवसर पर पिठत आ चिचर्तअिछ। वयोवृ सािहयकार यामानदठाकुर बहेरामे संग भेलाह।ओिहठामसँसंग छिथ। हुनक सियताक <strong>अनुम</strong>ानएहीसँकए सकैत छी जे ओ येकआयोजन लेल दू टा कथा िलखैतछिथ।एमहर आिब पिठत कथाक चचकवरूप बदिल गेल अिछ। पिहने पिठतकथाधिर अपन ितिया सीिमत राखलजाइत छल। मुदा आब यक्त िवचारकँकटबा पर िवशेष यान रहैत अिछ।एिहसँ पक्ष िवपक्षक िथित बिन जाइछ।कतेकोठाम अीितकर िथित उप भएगेल अिछ। चचबहकय निह एिह लेलभासजी पूणर् सतकर् रहैत छलाह।हुनक अभाव खूब खटकैत रहैतअिछ।किव समेलन मनोरंजनक हेतुआयोिजत होअय लागल अिछ।रचनामकपध अथवा सियताक महव गौणछैक। तँ किव लोकिन गओले गीतगबैत छिथ। मुदा सगर राितक अवसरपर अकािशत एवंअपिठत कथा पढबाकवायताक कारणेँ रचनामक सियताबढल अिछ।एक बेर यासजी गोिवद बाबूकँपरामशर् दैत कहने छलिथह जे धूिमघूिम भिर राित जागब अहाँक वायलेल ठीक निह अिछ। गोिवद बाबूकउर छल जे हमरा एिहसँ उज ातहोइत अिछ। आंकडा़ कहैत अिछ ओसबसँ बेसी भिर राित ओएह बैसलाहअिछ तथा सबसँ बेसी हुनकेयिक्तगतपोथीक लोकापर्ण एिह अविधमेभेल अिछ। ई िथक सगर राितकरचनामक भाव। रचनाकारकँ उजर्िवतरखबाक महान अवसर। किव समेलनमेआयोजककँ िवदाइक यवथा करयपडै़त छिन। सगर राित एिह यािधसँमुक्त अिछ। सहभागी सयनारायणकपूजाक हकारजकाँ अबैत छिथ आ भोरहोइते घूिम जाइत छिथ। एिहमेयावसाियकता निह अिछ, ई मातृभाषाेमक सदेश दैत अिछ।सगर राितकआयोजन िविभ थान पर भेलासँथानीय िवत समाज आकिषर्त होइतछिथ। एकर भाव ओिह थानकमैिथलीक सियता पर पड़ैत अनुभवकएल गेल अिछ। सगर राित दीप जरयसमानधमकँ भिर राित एकठाम रहबाकअवसर दैत अिछ। िवचारक आदानदानक के वतः मैिथली भाषा आसािहय भए जाइत अिछ। एिहसँपिरचय आ अनुभवक क्षेक िवतारहोइछ। मैिथलीक रचनाकारमे भावामकसंवता बढैत अिछ।सगर राित दीपजरयक िनरतर आयोजनसँ मैिथलीकथा लेखनक क्षेमे शाितपूणर् ाितआिब गेल अिछ। आन भाषाभाषी आसाियकारकबीच मैिथलीक कथाकारकिता बढ़ल अिछ। िवशेषतः एिह हेतुजे मैिथलीक कथाकार दूर-दूरसँ अपनपाइ खचर् कए पहुचैत छिथ। कथापढैत आ सुनैत छिथ। अपन कथा परलोकक ितिया धैयर्पूवर्क सुनैत छिथ।आ फेर अिम आयोजनमे सिमिलतहोएबाक संकपक संग घूिम जाइतछिथ। जे सगर राित कथाकार लेलकिपत भेल छल,समाजक सुधीसमाजक अतःकरण मे वेश कएमैिथली भाषा सािहयक पक्षमे अनुकूलवातावरणबनेबामे साथर्क भूिमकाक िनवहकए रहल अिछ। जिहआ सगर राितारभ भेल छल आ एखनुक जे िथितअिछ ओिह मे गुणामक आ पिरमाणामकदूनू कारक पिरवतर्न प अिछ।िवकासक ई िदशा आ गित िनितेशुभलक्षण िथक। एिह शुभ लक्षणकउदाहरण तँ इएह िथक जे दरभंगाकपिहल आयोजनमे पिहले पिहल दू टापोथीक लोकापर्ण भेल छल आ वणर्जयतीक अवसर पर 36 टा पोथीलोकािपर्त भेल। िवानलोकिन किहसकैत छिथ कोन भाषाक मंच परएकबेर 36 टा पोथीक लोकापर्ण भेलअिछ।दरभंगामे एकटा अमेिरकन नागिरकमैिथलीमे कथाक पाठ कएने छलाह।सगर राित दीप जरयक दृिसँ बोकारोउवर्र छल, एहर आिब राँची, जमदेशपुरदेवघर पूिणर्यां आिद थान मैिथली लेलजगरना कएलक अिछ,इहो शुभ लक्षणिथक।मुदा, सगर राितक लोकियता आिबना वर.िवदाइक सािहयकार एवंसािहयानुरागीक उपिथितक उपयोगकतहु कतहु कथा पाठ एवं ओिह परचचसँ िभ योजन िसि लेल सेहोभए गेल अिछ। जे सगर राितक मूलअवधारणाक अनुकूल निह अिछ।ओिहसँ बचबाक चाही। सहरसामे दोसरखेप सगर राितक आयेजन 21 जुलाई,2007 केँ भेल छल। सगर राितआयोजनक एक मुख आकषर्ण अिछभेटघाँट। ओिहसँ बाहरक सािहयकारवंिचत रहलाह। उपिथितक संग सूिनजीवकात जी 22 जुलाई, 2007कअपन पोट काडर्मे िलखलिन अिछ-‘सहरसा कथा गोीक खबिरभेल। कथा गोी भूतकालक वतुभेल। लेखन काज लेखक सभ छोड़नेजाइत छिथ। सेिमनार, तकरचलनबढ़ल अिछ। टी.ए./डी.ए./भेटघाँटई सभ भए गेँबुू जे लेखकीय लतझअिमताक अहंकार पु भेल आ‘एक दोसराकँ बल देल। सरकारीमायताक बाद भाषामे अनेक राजरोगउप होइत छैक। मैिथली िनरपवादरूपे पिहनेसँ बेसी रोगािह भेल छिथ।िजबैत रहओ।‘हमरा िवास अिछ सगरराितक िनयिमत आयोजन मैिथलीकेराजरोगसँ मुक्त रखबामे सफल होएत।सािहय अकादेमी सँ वषर् 2007 लेलपुरकृत हरी दीप िबहारीक कथासंह सरोकारक ायः समत कथासगर राित दीप जरयक अवसर परलोक सुनने अिछ। आ‘ ओिह पर अपन-अपन ितिया यक्त कएने अिछ।सगर राितक ई पिहल उपलिधिथकैक। एिह उपलिध पर मैिथली एिहशाित ाितक एक ितभागीक रूपमेगवर् अनुभव करैत छी आ‘कामना करैतछी इितहास दोहराइत रहय।‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्176


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्रामाय झा “रामरग” (1928- 2009)िवान, वागयकार, िशक्षक आ मंच सपादक छिथ।मैिथली भाषामे ी रामाय झा“रामरंग” केर रचना।१.राग िवापित कयाण- एकताल(िवलिबत)थाई- कतेक कहब गुण अहाँकेँसुवन गणेश िवापित िवा गुण िनधान।अतरा- िमिथला कोिकला िकितर्पताका “रामरंग” अहाँ िशव भगतसुजान॥थायी - - सा रेग॒म॑प ग॒रेसाऽ ऽक ते ऽऽऽ क,कऽरे सा (सा), िन॒ध िनसा –रे िन॒धप़ध़िन सा सारे ग॒रे रेग॒म॑प –(म॑)ह ब ऽ ऽऽ गु न ऽअ हां,ऽऽकेऽ ऽ सुव नऽ ऽऽऽऽ ऽ गप प धिन॒ धप धिनसां - -रे सांिन॒धप (प)ग॒ रे,सा रेग॒म॑प ग॒, रेसाने स िवऽ ाप ितऽऽ ऽ ऽिवा गुन िनधा न, क तेऽऽऽ क,कअतरा पप िन॒ध िनसां सांरेंिमिथ लाऽ ऽऽ कोिकसां – िनसांरेंगं॒ रें सां रें सां रें िनसांरे िन॒ धप प (प) ग॒ रेसाला ऽ की ऽऽऽ ितं प ताऽ ऽऽ का ऽऽ रा म रं ग अरे सासा ध़िन॒प़ध िनसा -सारेग॒म॑प - ग॒ सारे सा,सा रेग॒म॑पग॒, रेसाहां िशव भऽ,ग तऽ ऽसुजाऽऽऽ ऽ ऽ न ऽ, क ते ऽऽऽक,कऽ***गंधार कोमल, मयम तीवर्,िनषाद व अय वर शु।२.राग िवापित कयाण – िताल(मय लय)थाई- भगित वश भेला िशविजनका घर एला िशव, डमरु िशूलबसहा िबसिर उगना भेष करिथ चाकरी।अतरा- जननी जनक धन,“रामरंग” पावल पूत एहन, िमिथलाककेलिह ऊँच पागड़ी॥थाई-रेभसा गम॑ प म॑ प - - म॑ग॒ - रेसा सारे िन सा -, िनग ितऽऽ व श ऽ ऽ भे ऽ लाऽ िश ऽ व ऽ ऽ िजध़ िन सा रे सा िन॒ – प़ ध़ िन॒ ध़प़ – िन सा - - सान का ऽ घ र ऽ ऽ ए ऽला ऽ िश व ऽ ऽ डरे ग॒ म॑ प प – प िन॒ ध प म॑प धिन सां सां गं॒म रु ऽ ि शू ऽ ल ब स हाऽ िब सऽ ऽऽ िर उरें सां िन रें सां िन॒ ध प म॑ पपिन॒ ध प - -ग -- रेग ना ऽ ऽ भे ऽ ष क रिथ चाऽ ऽ कऽ ऽरी ऽऽ, भअतरा पजप िन सां सां सां - - ध िन -ध िन िन सां रें सां -, िनन नी ऽ ज न ऽ ऽ ऽ ऽ कध न ध न ऽ, रािन सां – गं॒ रें सां सां िन – धिन सां िन॒ ध प ग॒म॑ प िन सां सां िन॒ ध प म॑ पपिन॒ ध प- -ग – रेिथ ला ऽ क के ल िह ऊँ ऽच पाऽऽ गऽ ऽड़ी ऽऽ,भ***गंधार कोमल, मयम तीवर्,िनषाद दोनॲ व अय वर शु।३.ी गणेश जीक वदनाराग िबलावल िताल (मय लय)थाई: िवघन हरन गज बदन दयाकरु, हरु हमर दुःख-ताप-संताप।‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्177


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्अतरा: कतेक कहब हम अपनअवगुन, अधम आयल “रामरंग” अहाँशरण।आशुतोष सुत गण नायक बरदायक,सब िविध टारु पाप।थाईिनग प ध िन सा िन ध प ध िन॒ध प म ग म रेिव ध न ह र न ग ज बद न द या ऽ क रुग ग म िन॒ ध प म ग ग पम ग म रे स साग रु ऽ ह म र दु ख ताऽ प सं ता ऽ प ऽअतरािनरेंप प ध िन सां सां सां सांसां गं गं मं गं रें सां –क ते क क ह ब ह म अप न अ व गु न ऽरेसां सां सां सां ध िन॒ ध पध ग प म ग ग प पअ ध म आ य ल रा मरे ऽ ग अ हां श र णध प म ग म रे सा सा सासा ध - ध िन॒ ध पआ ऽ शु तो ऽ ष सु त गण ना ऽ य क व रधिन संरें िन सां ध िन॒ ध पपध िन॒ ध प म ग म रेदाऽ ऽऽ य क स ब िबध टाऽ ऽ रु ऽ पा ऽ ऽ प४. िमिथलाक वदनाराग तीरभुिक्त झपतालथाई: गंग बागमती कोशी के जहँधार, एहेन भूिम कय नमन करूँ बार-बार।अतरा: जनक यागव य जहँ सतिवान, “रामरंग” जय िमिथला नमनतोहे बार-बार॥थाईअतरारे – ग म प म ग रे – सागं ऽ ग ऽ बा ऽ ग म ऽ तीपसा िन ध़ – प़ िन िन सा रे साको ऽ शी ऽ के ज हं धा ऽ रसाम ग रेग रे प ध म पिन सां सांए हे नऽ ऽ भू ऽ िम कऽ ऽ यपसां िन प ध (ध) म ग रे सा सान म न क रुँ बा ऽ र बा रप पध म – प िन िन सां – सांज नऽ क ऽ ऽ या ग्य व ऽ करें रें गं – मं मं गं रें – सांज हं सं ऽ त िव ऽ ा ऽ नध पसां िन प ध म प िन सां सां सांरा म रं ऽ ग ज य िम िथ लापसां िन प ध (ध) म ग रे सा सान म न तो हे बा ऽ र बा र५. ी शंकर जीक वदनाराग भूपाली िताल (मय लय)थाई: कतेक कहब दुःख अहाँकय अपन िशव अहूँ रहब चुपसािध।अतरा: िचंता िवथा तरह तरह कअिछ, तन लागल अिछ यािध,“रामरंग” कोन कोन गनब सबएक सय एक असाय॥थाईप ग ध प ग रे स रे स धसा रे ग रे ग गक ते क क ह ब दुः ख अहाँ कय अ प न िश वग ग – रे ग प ध सां पधसां ध प ग रे सा –अ हूँ ऽ र ह ब चु प साऽऽ ऽ ऽ ऽ ऽ िध ऽअतराप ग प ध सां सां – सां सांध सां सां सां रें सां सांिचं ऽ ता ऽ िव था ऽ त रह त र ह क अ िछसां सां ध - सां सां रें रेंसं रे गं रें सां – ध पत न ला ऽ ग ल अ िछ याऽ ऽ ऽ ऽ ऽ िध ऽसां – ध प ग रे स रे साध स रे ग रे ग गरा ऽ म रं ऽ ग को न कोऽ न ग न ब स बग ग ग रे ग प ध सां पधसां ध प ग रे सा –ए क स य ए ऽ क अ साऽऽ ऽ ऽ ऽ ऽ य ऽ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्178


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्ी रामलोचन ठाकुरजम १८ माचर् १९४९ ई.पिलमोहन, मधुबनीमे। विर किव, रंगकम, सपादक, समीक्षक। भाषाई आदोलनमे सिय भागीदारी।कािशत कृित- इितहासहता, मािटपािनक गीत, देशक नाम छल सोन िचड़ैया, अपूव (किवता संह), बेताल कथा (यंग्य),मैिथली लोक कथा (लोककथा), ितविन (अनुिदत किवता), जा सकै छी, िकतु िकए जाउ(अनुिदत किवता), लाख अनुिरत (किवता), जादूगर (अनुवाद), मृितक धोखरल रंग (संमरणामक िनबध), आंिख मुनने: आंिख खोलने (िनबध)।–स पादकपास करबाक लेलउर पुितका आपस रिखतेपुिछ बैसैत छिथ मैमअधर्वसना बाब्ऽकेशीवय िवलिवत नवल वेशीसोनाक वगर् िशिक्षका-देखलहुँ, बड़ कमजोर अिछ नेना अहाँककने नीक जकाँ किरऔक गाइड...कमजोर त ई निह अिछ मैमआ जहाँधिर छैक बात करबाक गाइडसे कूल त ताही लेल पठाओल जाइतअिछअंेजीक एक प मे पचासीआ दोसर मे िकएक अबैत छैक पचीससोचबाक बात इहो की निह िथक?िवहुँसैत बजैत छिथ मैमपााय िशक्षा-संकृितक सेिवकावैीकरण मेनका-खाता त देखबे कएलिलखने अिछ मा दूटा पेजतें ने कहल हमकमजोर ओ निह अिछपढ़बैत िछऐक वयं हमिलखबे निह कएलकसे बात भेल अयपरंच एिहठाम नबर निह देल गेलैकसे भेल निह बोधगय...ओिहना िबहुँसैत पुछैत िछयिन हमदेखबैत पुितकाक पंिक्त िवशेषआयर् चिकत सन भेल कहै छिथ मैम-गलती िलखने अिछसंयुक्त पिरवार सुखी पिरवार!त एिह मे गलती की छैक?िरक्तथान मे ओ िलिख देलक संयुक्तमैम, संयुक्त पिरवार आबसुधैव कुटुवकम् केर संकारमे पािलतहमर पौ केना िलिख पाओतछोट पिरवार नीक...मुदापोथी मे सएह छैकइएह ने कहब अहाँआ पास करबाक लेलउएह िसखए पड़तैकआर की-की िसखए पड़तैक एकरािजनगी मे करबाक लेल पास?मैम चुपचाप िनहारैत रिह जाइत छिथहमर मुह िनिनर्मेषिवदा लैत छी हमकहैत- वेश!!(२६.१०.२००८)िकछु क्षिणका (हाइकू)१. भोजक पानसासुरक समानपुिनमाक चान२. हाथीक काननटुआक बतानएक समान३. दूरक चासगामक कात बासकोन िवास४. बाँझीक फूलमहकारीक फलके कहै भल५. दादुर-गानडोकाक अिभयानवेथे गुमान६. िहजरा-नाचओिकल केर साँचकी ६ की पाँच(२६.१०.२००८)‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्179


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्राम नारायण देवउठल मधेशी कयल हुँकारलऽके रहत, अ पन अिधकारजन जनकेँ, एके आवाजसबहक माँग, िमिथला रा यअ पन भाषा, अ पन सँ कृितअ पन अथर्नीित, अ पन राजनीितमधेशी आ दोलनक इएह स देशअ पन बात, अ पन पिरवेशिनरकुश राजत क भेल अवसानभेंटल लोकत क बरदानमेची—महाकाली उमिडगेल अिछरा यशिक् त मुिकगेल अिछउठू ब धू, उठाउ तखआिरभगाउ साम ती राजदरवारगठन करु गणत क सरकारकरु रा यक पुनर्सँरचनासमावेसी लोकत आसमानुपाितक क पनाअ पन िवकार, अ पन िवचारआव िकयो निह रहत, िशिक्षत वेरोजगारछोडू आपसी मेल, करु िवकासक मा खेलउखािड फेकू, राजाक ताजतखन भेटत अ पन वराजजन—जनके एके आवाजसबहक माँग, िमिथला रा य।‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्180


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्ोफेसर रेर िम (१९४५- )पूवर् अयक्ष, इितहास िवभाग, ल.ना.िमिथला िविवालय, दरभंगा। अनुवादक, िनबधकार। काशन: तिमल सािहयकइितहास, भवभूित (दुनू अनुवाद)।िमिथला िवभूित पं मोदानद झा-ोफेसररेर िमपूिणर्याँ िजलाक पंजीकार पिरवारमेउप पं. मोदानद झा आधुिनकताककसौटीपर अनुदार मुदा पारपिरकताककसौटीपर उदार, िवान आ िवाकससंगित लेल आतुर, िवलक्षण ितभासँसप युपमितव वाला िमिथलाकअयत समािनत पंजीकार छलाह।पंजीशा हुनका पूणर्तः अिधगत छलिनआ ओ पंजीसँ जुड़ल ककरहु कोनोिजज्ञासाक समाधान लेल सदैव तपररहैत छलाह। ओ वतुतः िमिथलाकिवभूित छलाह जिनकर मृितकसंरक्षणाथर् जे िकछु कयल जायत सेथोड़ होयत।पूिणर्याँ िजलाक रसाढ़ ामकरहिनहार पं मोदानद झा पड़वे महेपुरमूलक ाण छलाह आओर िवतृतकृिष-भूिमक कारणे बादमे िशवनगर ाममेरहय लगलाह। रसाढ़ आ िशवनगर दुनूधमर्पुर परगनातगर्त अविथत अिछ।१९१४ ई.मे उप ओ अपन माता-िपताक एक मा पु छलाह। परपरासँहुनकर पिरवार पंजीकारिहक छलिन आहुनक िपता िभिखया झा ई यवसायकिरतो रहिथन। ओ मुदा नीक कृषकरहिथ आ हुनकर बेसी समय ओिहमेलगिन। हुनका २०० एकड़सँ बेशीकजोत रहिन। ओ अपने ायः िशिक्षतोनिहयें जकाँ रहिथ, मुदा अपन पुकेँनीकसँ नीक िशक्षा िदआयब हुनकरअभी रहिन। मोदानद झा वयं बुझबाजोगरक भेलापर अपन कौिलक यवसायआ िताक पुनरुार करबा लेलकृतसंकप भेलाह।अपन बायावथाक संमरणबजबाक ममे ओ ायः बाजिथ जे ओबड़ए सता आ आादक समय छल।ओ माता-िपताक दुलरुआ त छलाहे,काका-काकी तथा आन सबधी आकुटुबी जनक नेह सेहो हुनका चूरात छलिन। ओ दैिनक कृय आिवालयसँ बाँचल समयमे माछ मारिथआ ई बहुत िदन धिर हुनकर ियमनोरंजन रहिन। ओ एक बेर बहुतगभीर रूपेँ बीमार पड़लाह। वतुतःतिहया पूिणर्याँ िजलामे मलेिरया आकालाजार महामारीक रूपमे पसरलछल। आ कहबी छलैक जे “जहर खाउने माहुर खाउ, मरैक होइ तऽ पूिणर्याँजाउ”। हुनकर माता एक सपकुलक मिहला रहिथन आ ओ अपनपुक रुग्णताक समाित लेल िकछुकरबा लेल तपर छलीह। हुनकिहिजदपर २०० रुपया फीस दऽकलकासँ डाक्टर मँगाओल गेल। चािरपंिडत अहिनर्श हुनकर रुग्णावथामे दुगसतशती आ गीताक पाठ करैतरहलाह। हुनकर माता वयं ताधिर अहण निह कयलिथन जा हुनकर पुपय हण करबा जोगरक निह भेलिन।कलकासँ आयल डॉक्टरक तऽ अयिवदाइ कैले गेलिन, पाठ केिनहार ाणोलोकिनक आ पुक आरोग्य-लाभकउपलयमे गाम-टोलक लोक सभकेँ भोजसेहो खोआओल गेल। मुदा िपताक‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्181आकांक्षा छलिन पुकेँ िवान् देखबाकआ िवाथक लेल गय करक-चेा,वक यान, ान-िना तथा अपाहारीआिद लक्षणसँ जमतः पिरपूणर् मोदानदझा लेल समय अयलिन गृह-यागीहोयबाक।दस वषर्क अपायुमे हुनका वतर्मानमधुबनी िजलातगर्त सौराठ गामिवाययन लेल पठाओल गेलिन। ओतयहुनक गुरु आ आयदाता रहिथनख्यातनाम पंजीकार पं.िवनाथ िसिनरसू झा, जिनकर िपता लूटन झामोदानद झाक मौसा रहिथन।पंजीशाक अययन लेल सामायतःपह वषर्क कालाविध समुिचत मानलगेल छैक मुदा मोदानद झा दसे-एगारहवषर्मे गुरु-कृपासँ िनणात भेलाह। ओनाओऽ पह-बीस वषर् धिर लगातार गुरुसाियमे सौराठ रहलाह आ बादोमेआजीवन, िवशेष रूपसँ वािषर्क वैवािहकसभाक अवसरपर सौराठ अबैत-जाइतरहलाह आ तािह ममे बाटमे दरभंगािथत हमर नरगौना िनवासपर ओऽकिनयो देर लेल अवय आबिथ। हमरिपता डॉ. मदनेर िम लेल हुनकािवशेष नेह आ समान रहिन आ हमरएक िपतृय पं. नागेर िमक ओऽसबधमे साढ़ू रहिथन। हमर एकटापीसा व. िदगबर झा हुनकर िपितयौतरहिथन। जे हो, िवा ययन समातभेलापर राज-दरभंगा ारा आयोिजत धौतपरीक्षामे १९४० मे ओऽ सवच्च थानात कयलिन। हुनका संग उीणर्ताात केिनहार अय दू महवपूणर्


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्पंजीकार छलाह ककरौरक हिरनदन झाआ सौराठक िशवद िम। एिहसफलता लेल महाराज सर कामेरिसंहक हाथे तीनू गोटाकँ धोती देलगेलिन, मुदा सवच्च घोिषत भेलाककारणँ मोदानद झाकेँ दोशाला सेहो देलगेलिन। पारपिरक िमिथलामे धौतपरीक्षामे उीणर् भेनाय बड़का समानहोइत छल मुदा ताहूमे सवच्चता पायबतँ अनुपमे छल। तिहयासँ अनवरत ओऽअपन जीवन-पयर्त िमिथलाक ायःसविधक समादृत पंजीकार रहलाह।मोदानद झाकँ पािब पंजीकारकयवसाय धय भेल। १९६२ मे िनरसूझाक िदवंगत भेलापर ओऽ सौराठितवषर् िनयमपूवर्क वैवािहक सभामे माअपन नाम बढ़यबा लेल निह बिकअपन गुरुक ऋण अदाय करबाकिवचारसँ सेहो जािथ। ताधिर िनरसूबाबूक दुनू बालक छोट रहिथन आपंजीकारी निह करिथ। हुनकर जेठबालक ोफेसर (डॉ.) कािलकाद झा,जे सित लिलत नारायण िमिथलािविवालयक संकृत िवभागक अयक्षरहिथ आ िवगत लगभग दस-पह वषर्सँदरभंगामे रिह रहल छिथ (पिहने मगधिविवालय, गयामे रहिथ) आब सियरूपेँ अिधकार जँचबा आ िसातिलखबाक काज करय लागल छिथ।तािहसँ पिहने मोदानदे बाबू अपन गुरुकओिहठाम अयिनहार लोकिन लेलिसातािद िलखिथन। ततबे निह ओऽिनरसू बाबूक पु लोकिनकँ पंजी-ज्ञानओएह देलिथन आ आइयो कािलकादबाबू गुरु रूपिह हुनका ित ा रखैतछिथ।मोदानद बाबू पंजीकारीकयवसायसँ जे धनाजर्न करिथ तािहसँसतु छलाह। िसात िलखबासँ तथािवदाइसँ हुनका पयत कमाइ होइनआओर खेत-पथारसँ सेहो नीक आयहोइत छलिन।कमाइसँ बेसी हुनकर अिभरुिचज्ञानक िवतारमे आ पंजीसँ सबिधतिवषयपर शोध करबामे छलिन। मैिथलीकमहान् िवान, आलोचक आ समीक्षक डॉ.रमानाथ झाक संग ओऽ पृथक-पृथकिविभ मूलक िवख्यात छिव, िवान् आराजा-जमीदार सबहक वंश-पिरचय तैयारकरबा िदस वृ भेलाह आ तकरिहपिरणाम छल पूिणर्याँक िस बनेलीराजवंशक पिरचयामक पुतकअलयीकुल काशक काशन। आनएहन कारक कृय निह तैयार कयलजा सकल तकर हुनका क्षोभ छलिन।हुनकर शोधपरक सोचक अंग छल एकअय पिरयोजना जािहक अतगर्तिविश गाममे बसिनहार मैिथल ाणसभक बीजी पुरुष धिरक पिरचयामकिववरण तैयार करब अभी छल। ओऽसवर्थम कोइलख गामक सबधमे एहनरचना िलखलिन। ओऽ हमरा तकरकितपय अंश सुनेबो कयलिन। हुनकरइच्छा रहिन जे उक्त रचनाक काशनहो मुदा से आइ धिर निह भऽ सकलअिछ। उपयुर्क्त दुनू कारक शोधपिरयोजनाक पंजीकार समाजमेसामायतः आलोचना भेलैक िकयैक तँओऽ अपन रचनामे एहनो िववरणकसिवेश करय चाहैत रहिथ जेपंजीकारीक यवसायमे कािशत करबविजर्त कहल जाइत छैक- वतुतः ओऽिववरण सभ दूषण पीक अंग होइतछैक जािहमे यिक्त आ पिरवार िवशेषकसबधमे ज्ञात अशोभनीय आ अकायबात उिलिखत रहैत छैक। एिह ममेएक तेसर पिरयोजना, जािहपर ओऽउैस सय पचासिहक दशकमे कायर्आरभ कयलिन छल, ओहन पीकारपिरवार लग उपलध पाडुिलिपक संहकरब जािह पिरवारमे आब क्योपंजीकारीक यवसायमे निह रिह गेलरहिथ आ हुनकर पंजी-पोथी सभ नभऽ रहल छलिन। िपताक मृयु भऽगेलासँ हुनकर दरभंगा सपकर् घिटगेलिन आ पूिणर्याँमे पािरवािरक सपिकबधनमे अपेक्षाकृत बेसी समय लगबयपड़िन। तथािप हुनकर शोध-दृि बनलरहलिन आ ओऽ अपेक्षा करिथ जेसामािजक िवज्ञानमे आधुिनक शोधतकनीकसँ पिरिचत क्यो यिक्त हुनकासंग रिह उपयुर्क्त पिरयोजना सभ तँपूणर् करबे करिथ पंजीसँ सबिधतआनोआन िवषयपर काज करिथ। हुनकरई अिभलाषा निह पूणर् भेलिन मुदा हुनकपु मोहनजी, जे पीकारीक पैिकयवसायमे लािग िमक रूपेँ कौिलकिताक िवतार कय रहल छिथ। आअनुकरणीय रूपसँ िपतृभक्त सेहो छिथ,एिह िदशामे भिवयमे ियाशील भऽसकैत छिथ।वयं शोधपरक दृि आ रुिचरखिनहार मोदानद बाबू िजज्ञासुलोकिनक मदित करबालेल सदित तपररहैत रहिथ। हमरा कमसँ कम दूअवसरपर एकर लाभ भेटल। हम१९८७-८८मे िबहार िहदी थअकादमी, पटनाक अनुरोधपर िबहारकएक पूवर् मुख्यमंी पं. िवनोदानद झाकजीवनी िलिख रहल छलहुँ मुदा हुनकरवंश-पिरचय कतहु ाय निह छल।आधा-िछधा भेटबो कयल तँ ामािणकनिह। हम कैकटा पंजीकारसँ एिहसबधमे िजज्ञासा कयलहुँ मुदा यथर्।मा मोदानद बाबू सूचना देलिन जेहुनकर एक पिरजन व. िगिरजानद झागंगाक दिक्षण बसल मैिथल ाण आपंडा सभक वंशावली तैयार करबाकतुय यास कयलिन आ अपना संगिशवनगर िथत हुनकर घरमे जाऽ ओिहसंहमे िवनोदानद झाक वंश पिरचयतकबाक चेो कयलिन, मुदा हुनकरपंजी-पोथी सभ यविथत आ संगिठतनिह भेलाक कारणेँ से संभव निह भेल।जे हो, हमरा ई अवय ज्ञात भऽ गेलजे यिद व. िगिरजानद झाक पोथी-पंजी यविथत निह कयल गेलिन तऽगंगाक दिक्षण बसल मैिथल ाणलोकिनक पूवर्जसँ सबिधत महवपूणर्सूचना सभ लुत भऽ जेतैक िकयैक तँिगिरजानद बाबूक पिरवारमे आनिकनकहु पंजीकारीक यवसायमे रुिचनिह छिन। दोसर अवसर छल जखनभारतीय इितहास शोध पिरषदकअनुरोधपर हमरा पूिणर्याँ िजलाक धमदाहााममे उप सुिवज्ञात इितहासकारोफेसर जगदीश च झाक अंेजीमेिलखल िवलक्षण पोथी “माइेशन ऐडएचीवमेस ऑफ मैिथल पंिडस: िदमाइैट कौलसर् ऑफ िमिथला (८००-१९४७)क १९९० मे समीक्षा िलखबाकछल। ओिह पोथीक पिरिशमे कम-सँ-कम तीन पंिडत (१) महामहोपायायनेनन िस दीनबधु झा, (२)‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्182


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्म.म.भवनाथ झा आ(३)म.म.गुणाकर झाकेर वंश पिरचय देल छल िकतुलेखककेँ हुनका लोकिनक मूल ज्ञातनिह भऽ सकलिन। मोदनद बाबू क्षणभिर यानथ भेलाह आ कहलिन जे ईलोकिन मशः खौवालय सुखेत, नरौनेपूरे आ खौवालय नाहस मूलक छलाह।एतय ई कहब आवयक जे मूल आएक-दू खािढ़क यिक्तक नाम देलरहलापर आन सबिधत सूचना देवसंभव छैक मुदा उपयुर्क्त उदाहरणमे तँउनटा बात छैक आ तैयो मोदानदे बाबूसन पंजीकार छलाह जे वांिछत सूचनातकाल देबामे समथर् भेलाह। ओ ओिहपुतकमे उिलिखत पह खनाम मूलकिस िवान् गोकुलनाथ, हुनक िपतापीताबर आ पु रघुनाथक िवषयमेबतौलिन जे ओ तीनू िमिथलाक बारहसडयी अथवा सवर्ज्ञाता िवान् मे सँछलाह। गोकुलनाथक िपतामहक नामरामभ छलिन, रामच निह। एतबिहनिह ओ इहो बतौलिन जे िमिथलाक एकघुमड़ िवान् ककरौर वासी पड़वेमहेपुर मूलक गुणाकर झाक एकवंशज धीरे झा सेहो छलाह जे आइसँलगभग चािर सय वषर् पूवर् बंगाल जायओतुा ाण सभक पंजी-सूचनाकसंशोधन-संवर्नक ममे अनेकाणेतर यिक्त सभकँ ाणक रूपमेपंजीमे पिरगिणत कय देलिथन। अपनपंजी-पोथीमे उक्त धीरे झा अपनाकँआ अपन िपताकँ पंजी पंचानन किहसबोिधत कयलिन अिछ। एहन कतेकोसूचना मोदानद बाबू िजज्ञासु यिक्तसभकँ दैत रहैत छलिथन।ओ अपन समाजमे अपन िवता,उदारता आ सहज सेषणीयताक कारणेँसवर् समादृत रहिथ। हम जखन छोटछलहुँ, आइसँ ायः पचास वषर् पूवर्, ओहमर गाम िवणुपुर अथवा पूिणर्याँ शहरिथत हमर डेरा आबिथ तऽ सपूणर्पिरवार हुनकर समानमे स रहैतछल। ओ सभक छुइल भोजन किहयोनिह कयलिन। बेसी काल सभ सामीदऽ देल जाइन तऽ ओ अपन पाकअपनिह करिथ। हमरा बूझल अिछ जेकैक बेर हमर सभसँ जेठ िपी,पूिणर्याँक अयत समादृत ओकील आभिर िबहारमे सभसँ बेसी अविध धिरसरकारी ओकील रहिनहार व.किपलेर िम अपन हाथें हुनका लेलपाक करिथन। हमरा पिरवारमे तऽहुनका सदैव समान भेटबे करैत रहिनमुदा अयो कम निह। एक बेरकघटना सुनबैत ओ कहने छलाह जे ओवतर्मान बांग्ला देशक एक मैिथल ाणबहुल गाम बोधगाम गेल छलाह जतयहुनका चुर िवदाइ तऽ भेटबे कयलिनओतुका लोक सभ हुनकर पएर पखािरचरणोदक सेहो लेने रहिन।मोदानद बाबू अपन िचतनमे एकतरहँ गितशील आ सुधारक सेहोरहिथ। हुनकर चेा रहिन जे पंजीकारलोकिन मा अिधक सँ अिधक धनाजर्नमे लािग अपन वृिक िताथर् सेहोसोचिथ। हुनका ई नीक निह लगिन जेपंजीकार सभ एक दोसराक ित ेषभावसँ कायर् करिथ। हुनकर इच्छारहिन जे सभ िमिल पंजी आओरपंजीकारक संथाकँ जीवत बनाबिथतथा समाजमे हुनका सभकँ जे आदरात रहिन तकर लाभ लए समाजकँिदशा िनदश देिथन। ओ राजदरभंगाकिनदशमे चिल रहल पंजी यवथाकजातंीकरणक पक्षमे रहिथ जािहसँाण समाजक सभ वगर्क ितिनिधिमिल ओिहना परमानगी दय जातीयतरीकरणमे समय-समयपर वांिछतपिरवतर्न करिथ जेना राज दरभंगाकतवावधानमे अतीतमे कैक बेर कयलगेल छलैक। जे कोनो ाण पिरवारपंजी-यवथा िविहत रीितसँ नीकवैवािहक सबध करिथ तिनकरतरोयन करबाक ओ पक्षमे रहिथ।१९६६ मे हमर िपी डॉ. रामेरिमक िववाह जखन सोनपुर (उजान)वासी िस ोिय ाण व. दुगरठाकुरक कयासँ िथर भेलिन तँमोदानद बाबू राजसँ परमानगी ातकरबामे तऽ सहयोगी भेबे केलिथन,सौराठमे अिधकांश पंजीकारक बैसकबजाय सभक सहमितसँ हमर िपतामहलाल िमक सभ सतित लेल कहौलीपाँिजक थापना सेहो करबौलिन। ओायः खभगड़ा (अरिरया िजला) वासीव. बालकृण झाक पिरवार आ कितपयआनो पिरवार लेल एहने तरोयनकपक्षमे रहिथ। हुनकर मतय रहिन जेजमीदारी थाक उमूलनसँ आन अनेकसंथाक संग पंजी यवथाक सेहो बड़क्षित भेलैक। जमीदार लोकिन परपराआ संकृितक सपोषक रहिथ मुदा आबहुनकर थान लेिनहार सरकार अथवाकोनो आन संथा से काज तािह रूपेँनिह कऽ पािब रहल अिछ। पंजीकारलोकिनक दुदर्शाक एक कारणजमीदारक समाित सेहो भेल। हुनकासतोष रहिन जे पटनाक मैिथलीअकादमी सन संथा हुनक जीवनपयर्तक सेवाक मायता दय हुनकासमािनत कयने छलिन, मुदा से संभवभेल छल अकादमीक तकालीन अयक्षडॉ. मदनेर िमक यिक्तगत याससँ,अयथा आन िकछु ोिय, योग्य आकुलीन पिरवारकेँ छोिड़ अनेकशः मैिथलाण पिरवारेकेँ जखन पंजीकार अथवाहुनका ारा कयल िसातक योजननिह रहलिन तऽ ाणेतर समाज आायशः तकरिह ितिनिध सरकारपंजीकारक िथितमे सुधारक कोनो यिकयैक करत।िमिथला िवभूित व. मोदानद झाकमृितक संरक्षणाथर् ई सवर्तोभावेनवांछनीय अिछ जे पूिणर्याँमे हुनका ारासुिवचािरत शोध पिरयोजना सभपर काजकरबाओल जाय, व. िगिरजानद झासन िमिथला भिरमे पसरल पीकारलोकिनक ओतय उपलध ओ पंजी-पांडुिलिप सभक संह कयल जाय जेआब कितपय कारणसँ उपयोगमे निहरिह गेल अिछ, मैिथल मूल ाम सभकअिभज्ञान ात कयल जाय तथा ज्ञातअथवा अज्ञात मैिथल ाण पिरवारकिविशताक चाराथर् पिरचयामकिववरिणका तैयार करबाओल जाय। पंजीयवथा िनयतः पतनोमुख अिछ मुदामोदानद बाबूक बताओल मागर्पर जॱशोध कायर् कयल गेल तऽ िमिथलाकसामािजक-सांकृितक इितहासकअभूतपूवर् सेवा होयत।‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्183


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्डा. रेवतीरमण लालमधुावनीमधुावनी आएलमन-मन हषर्एचहुँिदस साओनसुदर घन वषर्एकाँख फुलडािलमुकिथ कािमनीमलय पवनसुगिधत शीतलदमकए दािमनीनभ मंडलमे घनघोरमानू जल निह वषर्एई िवरही यक्षक नोरिझंगुर बें गुएजल थल अिछ चहुँओर।रोशन जनकपुरीडर लगैएनािच रहल िगरिगिटया कोना, डर लगैएसाँच झूठमे िझिझरकोना, डर लगैएकफन पिहरने लोक घुमए एहर ओमहरशहर बनल मरघटके िबछौना, डर लगैएहमरे बलपर पहुँचल अिछ जे संसदमेहमरे पढ़ाबे डोढ़ा-पौना, डर लगैएआङनमे अिछ गुहिर रहल कागजके बाघघर घरमे अिछ रोहिट-का, डर लगैएआँिख खोिल पिढ़सकी तऽ पिढ़यौ आजुक पोथीघेँटकीसँ भरल अिछ पा, डर लगैएचलू िमलाबी डेग बढ़ैत आगूक डेगसँआब ने किरयौ एहन बहा, डर लगैए‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्184


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्रूपा धीरूजमथान-मयनाकडेरी, सतरी, ीमती पूनम झा आ ी अरूणकुमार झाक पुी।थायी पता- अचल- सगरमाथा, िजला-िसरहा। थम कािशत रचना-कोइली कानए, मािटसँ िसनेह (किवता), भगता बेङक देश-मण (कनक दीिक्षतक पुतकक धीरेेमिषर्सँग मैिथलीमे सहअनुवाद, सीतसबधी कृित-राियगान, भोर, नेहक वएन, चेतना, ियतम हमर कमौआ (पिहल मैिथलीसीडी), ेम भेल तरघुकीमे, सुरिक्षत मातृव गीतमाला, सुखक सनेस। सपादन-पलव, मैिथली सािहियक मािसक पिका,सपादन-सहयोग, हमर मैिथली पोथी (कक्षा १, २, ३, ४ आ ५ आ कक्षा 9-10 क ऐिच्छक मैिथली िवषय पायपुतकक भाषासपादन), पलविमिथला, थम मैिथली इटरनेट पिका, िव.सं. २०५९ माघ (सािहियक), सपादन-सहयोग।—स पादकअेजल काँटनिह जािन बिहना िकएकआइ तोँ बड़ मोन पिड़ रहल छहआ ताहूसँ बेसी तोहर ओछहोिछ कऽ देबवलाममर्भेदी वाण।बिहना तोँ कहने रहऽ हमराऐँ हइ बिहना!एहन काँट भरल गुलाबकेँअपन आँचरमे एना जे सहेजने छहतोरा गड़ैत निह छह?तोँ उर पएबाक लेल उसुक छलहमुदा हम मौन भऽ गेल रहीआ तोँ मोनेमोन गिजरहल छलह।हँ बिहना, ठीकेहमरो तोरेजकाँअपन िजनगीमे फूलेफूल सहेजबाकसपना रहएआ अगरएबाक लालसा रहए तोरेजकाँअपन िजनगीपरमुदा की करबहक...!मोन पाड़ह नेछोटमे जखन अपनासभती-ती आ पँचगोिटया खेलाइबेसी काल हमहीँ जीतैत रहीमुदा िजनगी जीबाक खेलमेहम हािर गेल छी बिहना।काँट काँटे होइ छै बिहनागड़ै कतहु निहमुदा हम काँटेकेँ अङेिज लेने छीमािलन जँ काँटकेँनइ अङेजतै बिहना तँ फेर गुलाब महमहएतै कोना?‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्185


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्रूपेश कुमार झा 'यॲथ'ाम+पालय-यॲथा, भाया-िखरहर, थाना-बेनीपी, िजला-मधुबनी, सित कोलकाता मे नातक तर मे अयनरत,सािहियक गितिविध मे सेहो सिय, दजर्न भिर रचना प-पfकािद मे कािशत।–सपादकबूथ कैचिरगकोन पाप लागल से ने जािनघुिर अयलहुँ मोनक बात मािननोकरी सँ ने भेटैत अवकाशने किरतहुँ हम ई गाम वासअयलहुँ तऽ लागय सभटा नीकअिछ ने मुदा िकछुओ ठीकआब गामक हवा अिछ िबगड़लअिछ वातर् जल सँ सभ भीजलतथािप रहैत छलहुँ हिषर्तभेल समाजक हेतु समिपर्तमुदा आयल बइमनमा चुनावबढ़ल लोक सभक आब भावामीण सभ िमिल कयलक बैसारभेल ओ जे छल ने आसारसभ क्यो कयलक आह गाढ़जे होऊ अहाँ एिह बेर ठाढ़सोचल दी कोना लोकक बात कािटसेवाक अवसर देलक आइ मािटबिन एिह पंचायतक हम मुिखयारहय देबै ने ककरो दुिखयासोिच बनल मुिखयाक ितिनिधकल जोिड़ पोटर छपओलहुँ सिविधचार मे जुटलहुँ िदन-राितिवरु मे ठाढ़ भेल कतेको पछाितभेल शुरू मारामारी-गड़ागड़ौवलकएक ठाम भेल लठा-लठौवलभेटल सभ केँ दू-चािर गोट नोटसिच्चदानद यादवस तरीखसलिह दोसरेक हक मे वोटतइयो निह भेटलै संतोषछपलक बूथ िमिल सभ दोसपिरणाम सुिन भेलहुँ तधभऽ गेल छल हमर जमानत जतघर सँ िनकलैत आब होइछ लाजिकएक कयलहुँ हम एहन काजबैसब ने मुदा िनित आबहेबे करतै फेरो चुनावहोयब ठाढ़ हम फेर जापोसब गुंडा आब कएकटाउिग गेलैछ हमरो दू गोट िसंगकरब हमहुँ आब बूथ कैचिरगआई हम ठाढ़ भेल छी-आई हम ठाढ़ भेल छीचौबिटयापर नइँ,बाट तऽ एक् केटा छैमुदा ओकरा रुकय पडतैजे हमरा एतय अनलकैहम ठाढ़ भेल छी ठीक ओिहनाजेना कपड़ाक दोकानमे पुतरासभिदन नव नव पिहरनमेठाढ़ भेल रहै छैआ, िकनयबला देखै छैउ टापु टाकऽ ।‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्186


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्सतोष िमएना िकए ?एकटा ी,हमर घरकेँ सबहे काज कऽ दैअसमय–समय पर आिबकऽहमर जरुरत पुरा क दैअएिहके बाध ओपरतिर दैअमुदा एना िकए ?गलती जौ भऽगेल हमरासँत डटबो करैएमुदा एना िकए ?ओकर आँिखमे,एकटा भावना रहैछैकओकरा िव वास रहैछैक हमरे परतैयो ओ हमरा डटैत रहैएमुदा एना िकए ?जिहया हम असगरे रहैछीतिहया ओ हमरा संग राित िबतऽबैयकखनो ितर त कखनो तारकिहयो राईके बनादै पहाड़कखनो हमरा लेल आािखमे नोरआ कखनो हमरासँ दूरमुदा एना िकए ?िक ईहे त ेम निह ?िक ईहो ेम छै ?हमरा कोनो बेगरता होएओ सेहो पुरा कऽ दैअिकछु जॱ किह िदऐ तभऽजाइए टोका–चाली ब दओकर मूँह ब द भइयोकओकर आँिख,अपन ेमक गीत कहैएमुदा एना िकए ?िकछु समय बादजेना िकछु भेले निह हुएजेना ओ हमरासँ िच तीते निह हुएतिहना यवहार करैएमुदा एना िकए ?‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्187


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्सतीश च झाराम जानकी नगर,मधुबनी, एम. ए. दशर्न शासमित िमिथला जनता इटर कालेन मे याख्याता पद पर 10 वषर् सँ कायर्रत, संगे 15 साल सं अपन एकटाएन.जी.ओ. क सेहो संचालन।िचकिड़ रहल अिछ शद आिब क’िन पड़ल िनब राित मे।अिछ उदंड, उृखल सबटानिह बूझत िकछु बात राित मे।केना करु हम बंद कान केउतिर जाइत अिछ हृदय वेदना।बैिस जाइत छी तैं िकछु िलखयछीटल शद हमर अिछ सेना।कखनो कोरा मे घुिसया क’बना लैत अिछ किवता अपनेजुड़ल जाइत अिछ क्लांत हृदय मेशद शद के हाथ पकड़ने।किवता मे िकछु हमर शद केनिह याकरणक ज्ञान बोध छै।सबटा नग्न, उघार रौद मेनेा सन बैसल अबोध छै।कखनो शद आिब क’ अपनेजड़ा दैत अिछ खर अिग्न मे।कखनो नेह,सुरिभ, शीतलताजगा दैत अिछ य मोन मे।क्षमा करब जौ क हुए त’पिढ़ क’ किवता शदक वाणी।शद अिछ निह अिछ दोषीछी हमही िकछु किव अज्ञानी।‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्188


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्शैले मोहन झालेखक उिक्त हुनकर पिरचयमे।–सपादक। सौभाग्यसँ हम ओिह गोनू झाक गाम, भरवारासँ छी, िजनका सपूणर् भारत,हायिशरोमिणक नामसँ जनैत अिछ। वतर्मानमे हम टाटा मोटसर् फाइनेस िलिमटेड, सबलपुरमे बधकक रूपमे कायर्रत छी।चलला मुरारी छौरी फ़ँसबय !एक िदनक गप अिछ, हमरिमगण हमरा कहय लगला -शैले, अहॉं कँ कोनो गलर् ैडनिहं?हम कहिलयिन - दोस, ई भारतअिछ, इगलैड निहं!अखन गलर् ैडक जरूरत निहं,अखन त पढय - िलखय के िदनअिछ, ेम करय के मुहुतर् निहं!!छीसब िम कहय लगला, हम अनाडीजॱ कोनो छौरीहम िखलाडी छीगेलफ़ँसाबी, तखनेई सब हमरा सहल निहं गेल,िबना ई दुकमर् कयने रहल निहंफ़ेर की छ्ल? हम ताकय लगलहुँएकटा ैड,ैड निहं, गलर् ैड......मुदा एकटा मुिकल छ्ल -हमरा छौरी सब स लगैत छ्लबड डरजॱ हुनक सैडल गेल पिड, तइजत जायत उतिरतैयो हमरा मािणत करय के छ्ल,कहुना कय एकटा छौडी पटबय के छ्लत कुिद पडलॱ मैदान मे या ई कहुमशान मे,िकयािक, िपटला के बाद ओिहजायब, फ़ीिर क मुंह निहं देखायबबहलहुं माथ पर कफन, कय सबडर के करेज में दफनिनकिल पडलहुँ हम बाट मे, एकछौरी के ताक मेसब सॅ पिहने ाथर्ना कयलहुँ -हे िकशन कहैया! अहॉं त अिहकमर् में िखलाडी छीहमरो िखलाडी बना िदअ,हमरा सोलह हजार गोपी निहं,केवल एकटा छौडी फ़ँसवा िदअअडॉंक बड गुणगान करब,फ़ँिसते छौरी, सवा रुपैया के सादचढायबहम सोचलहुँ, शायद आंिख मारलासं छौरी पटै छैक!हमरा िक बुझल छल, आँिख मारलासं छौरी पीटै छैकभािग कय घर अयलहुँ, आर पिहलसपत खेलहुँफ़ेर किहयो आँिख निहं मारब.फ़ेर सोचलहुँ - पिहने बितयायब,फ़ेर घुमायब तहन फ़ँसायबहँ, ई ठीक रहत!देखलहुं एकटा छौरी, त आंिखहमर फ़रकल....फ़ेर की छ्ल? हम कहलॱ-पोखिर सन आँिख तोहर, केश जेनामेघ,फ़ूल सन ठोढ तोहर, किहयोअसगर में त भेट!कहलहुँ हम एतबे की भय गेली ओलाल,‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्189


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्ओ मारलीह एहन थपड, भेल गालहमर लालकनबोज सु भेल हमर, आंिखभेल अहारसूझय लागल तरेगन, भेल दुपहिरयामें अहारसरधुआ, करमघु, बपटुगरा आरअभागलदेखू कपार हमर, ई िवशेषण हाथलागलएतबे निहं........ओ करय लगलीह हला, जूटयलागल मोहलाहम कहलहँ - ई कोन काजकेलहुँ? िकयाक गाम के बजेलहुँनिहं पिटतॱ हमरा सं, ई आफ़तिकयक बजेलहुंफ़ेर की छल?िपटय लगलहुँ हम आर पीटयलगला गॱआँमुँह कान तोिड देलक, अधमरुकय क छोरलकई कोन काल घेरलक, मरय मेंनिहं छल भांगठ,हम भािग घर एलहुँ, दुबारा सपतखेलहुँ -फ़ेर आंिख निहं मारब, नै गीत हमगायब,फ़ेर छौरी निहं फ़ंसायब, नै जानहम गमायब,आर भूिल कय अंेजी, हम मैिथलबिन जायब!आर भूिल कय अंेजी, हम मैिथलबिन जायब!!सपनासुतल रही दुपहिरयामे तँ देखलौहम एक सपनाभेल िववाह हमर यै भौजी किनयाचाद के जेनाहमर, टुिट गेल सपना ये भौजी,भरल दुपहिरयामे...जहन भँट भेल हुनकर हमर,भेलहुँ हम सदेिख कऽ हुनकर रूप हे भौजी,भय गेलौँ हम दङनाम पुछिलयिन हुनकर हम तँकहलिन ओऽ जे रजनीव सुदरी ओऽ बिन गेिल हमरहृदयक रानीहमरा पुछली कहु हे साजन केहनहम लगै छी?हम कहिलयिन सुनु हे सजनी अहॉंचाद लगै छीछीचदामे तँ दागो छै, हाँ बेदाग लगैआँिख अहाँक ऐय जेहन नाकअिछ जूही चावलाकेश अहाँक अिछ नीलम जेहनगाल वैजितमालाएिह के बाद पुछिलयिन हमहू केहनहम लगै छी?कहय लगिल खराब छी, छी अहूँठीक-ठाकलेिकन एिह यौवनमे साजन भेलहुँकोन टाक*किनक लगै छी सी जेना, िकछु-िकछु राहुल रायिकछु-िकछु गुण गोिवदा बाला, यैहअिछ हमर रायतहन कहिलयिन चलु हे सजिनघूमए लेल दरभंगाअहॉं लेल हम सारी िकनब, अपनोलेल हम अंगादू टा िटकट अिछ उमा टाकीजक,अगले-बगले सीटदुनू गोटे बैस कऽ देखब “ममतागाबय गीत”**हुनक हाथ लेल अपन हाथमे उिठिवदाय हम भेलहुँतखने जगा देलक िपंटूआ, तखनेजगा देलक िपंटुआ***, नीदसँ हम उिठगेलहुँहमर टूिट गेल सपना ये भौजी,भरल दुपहिरयामे......*= हमर केश िकछु बेशी कमअिछ**= िस मैिथली िसनेमा***= हमर छोट भाई‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्190


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्शिक्त शेखरिपता-ी शुभनाथ झा, गाम- मोहनपुर, भाया-हरलाखी, िजला-मधुबनी।कखन बदलब हमबहुत तामस होइए भगवानक एिहकृयसँ जे ओऽ अपन उपिथितिमिथलांचलमे दजर् केनाय शायदे कोनोसाल िबसरै छिथ। मुदा हमरा सबकेँएिह भयावह िथितसँ लड़बाक अलावाआओर कोनो रतो तँ निह अिछ।जी, हम बात कऽ रहल छी, एखनिबहारमे आयल बािढक संदभर्मे।<strong>अनुम</strong>ान लगायल जाऽ रहल अिछ, जेअिह बािढक चपेटमे करीब 50 लाखलोक आयल छिथ। सभ साल जुलाई-अगतक मास अिबते िबहारक लोकआतंिकत भऽ जाइत छिथ।सबहकमोनमे ई डर रहै छिन, जे एिह बेरकेकर घर उजरतौ। लोकसब भिरसाल िदन राित मेहनत कऽ एकटा घरबनाबैत छिथ, िकछु पूंजी जमा करैतछिथ,मुदा की होइए एिह सभसँ? ईबािढ तँ कोनो आतंकवादीसँ बेसीभयावह होइत अिछ जे हर बेर कतेकोगामकेँ, कतेको िबगहा जमीनकेँ अपनअंदर समेट लैत अिछ। संबिधतिवभाग बािढकेँ लऽ कऽ सब जानकारीरािखतो कोनो तरहक कदम निहउठाबैत अिछ। शायद ई बािढ हुनकासभक लेल आमदनीक एकटा ोत जेहोइ-ए। पछुलका बािढ सभक राहत-अनुदानपर नजर दौड़ाबी तँ िनधोकएक बात कहनाइ अनुिचत निह होयत,जे बािढसँ कतेको लोक करोड़पितसेहो भऽ गेलाह। ईर्वरक लीलादेिखयौक, जे एक िदस एिह बािढसँसभ बेर कतेको लोक (शायद <strong>अनुम</strong>ानलगेनाय असंभव अिछ) केर सब चीजलुइटे जाय छिन, तँ दोसर िदस बािढघोटालाक अिभयुक्त आओर कतेकोलोक करोड़पितक िगनतीमे आिबगेलाह। ओिह दृयक बारेमे सोचलजाय, जे पूिणर्यामे बािढक डरे अपनछत पर बैसल चािर सालक बच्चाभूखसँ अपन दम तोिड़ देलक, ओिहलोकक बारेमे सोिच, िजनका खेनायतँ दूर िपबऽ के लेल पािन तक निहभेिट रहल छिन। लोकक चापाकलबािढक पािनमे डुिब गेल छिन। िहनकासभ लग िकएक निह पहुंिच पािबरहल छिन राहत सामाी। किहं एहनतँ निह जे फ़ेर सँ कतेको लोक एिहबािढमे करोड़पित बनए वला छिथ।धानमंी मनमोहन िसंह िबहारकबािढकेँ राीय आपदा घोिषत तँ कऽदेलिह मुदा पीिड़तक लेल ई सांवनामा अिछ। के सरकार िदससँिबहारक बािढ पीिड़तक लेल 1000करोड़ रुपया अनुदानक रािश देल गेलअिछ। मुदा एिह अनुदानक रािशकिवषयमे अखनो कतेको बािढ पीिड़त केँमालूम निह चिल सकल अिछ।िजनका अिह बारेमे जानकारी भेटबोकैल तँ िनित ओऽ सोचने हेताह िकशायदे एिह रािशमे सँ हुनका सभकेँिकछु भेटत। के सरकार ई रािशतँ दऽ कऽ अपन बािढ पीिड़तसँ तँअपन पला झािड़ लेलाह, मुदा बािढपीिड़त तक ई रािश कोना पहुंिचसकत, एिह बारेमे हुनकर यान निहगेल अिछ। एक बेर फ़ेरसँ कहब जेई अनुदानक रािश सब िवभाग तकबटैत बटैत दस ितशतो बािढ पीिड़ततक निह पहुंिच सकत। आओर हँ,बािढक दोगमे जे सभसँ पैघ चीजहोइत अिछ ओऽ अिछ राजनीित।कतेको नेता सभ एिह बािढ पीिड़तकलेल आिगमे घी देनाय जेहेन काजकरैत छिथ। राय सरकार केँ दोषीठहराबैत नेता सब ओिह जगह अपन‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्191


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्सीट सुिनित करबाक िफ़राकमे रहैतछिथ। हेलीकाटरसँ बािढ क्षेकसवक्षण करैत बहुतो नेतासभकेँ अतबोजानकारी निह रहैत छिन जे ओऽकोन क्षेक दौड़ा कऽ रहल छिथ।पता एिह बातसँ लगायल जाऽ सकैतअिछ जे नेतासभ ओिह क्षेक कतेकज्ञान रखने छिथ। इमहर रायसरकार सेहो कहां चुप रहए वला।ओऽ केपर िनशाना साधैत छिथ तँके राय सरकार पर। एिहराजनीितमे िपसाइत तँ बािढ पीिड़तछिथ। कोनो बात निह, समय आिबगेल अिछ एकजुटता देखाबएबाकआऽ मदित करबाक....बािढ पीिड़तकसंग, बािढ पीिड़तक लेल। तखने हमवतं भारतक कतर्यिन नागिरकभऽ सकैत छी।जोगार'हम आपको िदखा रहे हैं िककैसे फ़ला आदमी िकसी मामले कोदबाने के िलए दुसरे को पैसा दे रहेहै। यह हमारे चैनल के िटंगआपरेशन का नितजा है जो िसफ़र्िदखा रही है।' जी,इ पंक्ती अिछआजुक समय के सब घटना स अपनासब के देखा रहल इलेक्ोिनक चैनलके। अपना के सब स ऊपर पहुंचाबयके लेल ओ सब हथकंडा अपना लैतअिछ। िवडंबना इहो देखु जे सबचैनल वला अपना के राजा हिरं केसय नीित पर आधािरत बताबैतअिछ। बहुतो चैनल वला सब कोनोकाज के तह तक पहुचबाक लेलहमेशा एकटा हथकंडा अपनाबैत अिछजािह के सिह युग मे िटंग आपरेशनकहल जाइत अिछ। माने इ जे हम इहम देखा रहल छी जे बस अहाँकलेल अिछ आ सय अिछ। मुदाकहल जाय तँ एकटा सय मीिडयाखास क इलेक्ोिनक मीिडया मे एिहशदक बोलबाला अिछ। जी,हम बातक रहल छी 'जोगार' के। आजुक युगमे बहुतो युवा के रुझान पकािरतािदस झुिक रहल छैन। लाखो रुपयाओ सब अिह पकािरता के पढाई परखचर् क दैत अिछ। शायद िकछउमीद के संग जे ओहो सब एक िदनअिह क्षे मे अपन नाम रौशनकरताह। मुदा िक होइया अतेक पढाईिलखाई कएलासँ? पढाई के संग संगकतेको लोकिन के पकािरता मे काजकरबाक लेल जोगार सेहो लगाबअपड़ै छैन। एक तरह स कहू त डीीिडलोमा स पिहले कोनो चैनल मेपहुंचबाक लेल हुनका सब के सब सपिहले त जोगार लगाबहे पड़ै छैन।अनुिचत निह हैत जॱ किह त जेपकारीता क्षे मे घुसबाक लेल सबस जरुरी जोगार होयत अिछ। आबत कतेको चैनल सब आ अखबारएजेंसी सब अपन-अपन संथान सेहोखोिल लेने अिछ,इ किह क जे पढाईसमाती के बाद हुनका सब के ओिहचैनल आ अखबार एजेंसी मे काजदेल जायत। साधारण वगर् सबपकािरता के पढाई करलाक बादो ओसब अिह संथान मे नामांकन निह लसकैत छिथ। चैनल वला सब केअिह कदम स साधारण तबका वलायुबासब के अिह चैनल मे काजखोजनाय पहाड़ खोदनाय एहन भरहल अिछ। सोचल जाय जे ओचैनल वा अखबार एजेंसी वला सबअपन संथानक िवाथ केँ छोिड़ कदोसर गाटे के िकएक काज देत। बडपैघ पैघ गप करैत छिथ इ चैनल वाअखबार वला सब जे भारत मेबेरोजगारी अिह हद तक बिढ रहलअिछ आ दोसर िदस अपने जोगारकमं पर काज दैत अिछ। यान िदजे अखन समाचार चैनल वा अखबारएजेंसी मे काज क रहल छिथ,ओिह मेस एहन कतेक यक्ती छिथ िजनकरकोनो निह कोनो संबंध अिह क्षेकमािफ़या सब स निह छैन। ितशत मेदेखल जाय त जोगार वला सबहकितशत शायद 80 तक पहुंच जायत।एक तरह स किह त जे अिहपकारीता क्षे मे यादा स यादािदन तक िटकबाक लेल िजगाररहनाय आवयक अिछ। ओना त सबक्षे मे जोगार अपन एक अलग थानराखैत अिछ मुदा पकारीता क्षे केलेल एकर महव िवशेष मे भ जायतअिछ। पकारीता के देशक चािरमतंभ मानल जायत अिछ आ इ तंभजोगार पर िटकल अिछ। िक िजनकालक जोगार निह अिछ,ओ पकारीताक्षे मे काज निह क सकैत छिथ?फ़ैसला ओिह सब लोकिन के लेबअपड़तैन जे अिह मे संिलत रहैछिथ,िजनकर नाम ल क जोगारलगाबअ पड़ैत अिछ,ओिह सब युवासबके लेल के काि के भिवय छिथ।‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्192


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्डॉ शंभु कुमार िसंहजम: 18 अील 1965 सहरसा िजलाक मिहषी खंडक लहुआर गाममे। आरंिभक िशक्षा, गामिहसँ, आइ.ए., बी.ए. (मैिथलीसमान) एम.ए. मैिथली (वणर्पदक ात) ितलका माँझी भागलपुर िविवालय, भागलपुर, िबहार सँ। BET [िबहार पाता परीक्षा(NET क समतुय) याख्याता हेतु उीणर्, 1995] “मैिथली नाटकक सामािजक िववर्न” िवषय पर पी-एच.डी. वषर् 2008,ितलका माँ. भा.िविवालय, भागलपुर, िबहार सँ। मैिथलीक कतोक ितित प-पिका सभमे किवता, कथा, िनबंध आिदसमय-समय पर कािशत। वतर्मानमे शैिक्षक सलाहकार (मैिथली) राीय अनुवाद िमशन, केीय भारतीय भाषा संथान, मैसूर-6मे कायर्रत।—स पादकदूिभ09 मई 2008 क बात िथक।गाम गेल रही। साँझ चािर बजे तरकारीिकनबा आ घुमबाक लाथे ितरंगा चौकिदस चिल गेलहुँ, घुरैत काल कूल लगअबैत-अबैत दीया-बातीक बेर भ’गेलैक। गरमीक िदन छलैक मोन भेलकनी काल कूलक ओिह ांगणमे सुताली जतय किहयो बैिस हम अपन पाठयाद करैत रही। जिहना बैसबाकउपम कयलहुँ िक एकटा अयािशतवर सुनबामे आयल... हे बाउ! ओतयनिह एमहर आउ। हम चॱिक गेलहुँ,देखैत छी तँ सिरपहुँ एकटा ी हमरासोझामे ठाढ़ छलीह आ बैसबाक आहक’ रहल छलीह। हम बैिस गेलहुँ, हमरासमुख ओ ी सेहो बैिस गेलीह। हमसायर् ओिह ीकेँ देखय लागलहुँिजनक रूप-रंग िकछु एना रहिन---हिरतवणर्क शरीर तािहपर हिरयर रंगकमैल,पुरान-सन साड़ी जे कहुना हुनकरीयांगकेँ झाँपने रहिन, ताहूमे कतोकठाम िपयन लागल, शेष शरीर उघारेबुझू। सपूणर् शरीरमे छोट-पैघ घावजािहसँ पीज बहैत रहिन। एक-दू ठाममैला सेहो लागल, जे दुगर्ध करैतछल। बामा जाँघ पर ढ़ल-ढ़ल करैतफोका, दिहना जाँघ पर गोदना जकाँकोनो िविश आकृित, दुनू हाथ नोछड़लजकाँ, माथक केश गोबरछा जकाँजािहमे िशखर, पान-पराग, तुलसी,रजनीगंधा, मािणकचंद गुटखा, आिदकफाटल-िचटल पुिड़या, अखबार, कागदकटुकड़ी, जड़लका िसगरेटक पुी आटुकड़ी, सुखल गोबर, सूगरक मैलाआिद-आिद सभ ओझरायल। एिह नारीकिविच ओ दयनीय दशा देिख हमरउकंठा बिढ़ गेल।हम पुछिलयिन-- अहाँ के छी?ओ कहलिन-- हम दूिभ िथकहुँ।वैह दूिभ जािह पर अहाँ एखन बैसलछी। वैह दूिभ जतय बैिस अहाँ नेनपनमेनीरजक किवता पढ़ैत छलहुँ “यह जीवनक्या है िनझर्र है, मती ही इसका पानीहै, सुख-दुख के दोनो तीरॲ से चल रहाराह मनमानी है...।”हम फेर पुछिलयिन –अहाँक एहनदुदर्शा िकएक ?ओ बजलीह--- बाउ, हम देिखरहल छी जे अहाँ तखनसँ हमर अंग-यंगकेँ खूब नीक जकाँ िनहािर नेनेछी। पिहने अहाँ बताउ, हमरा सुनबामेआयल अिछ जे अहाँ सािहयमे उच्चिशक्षा ात केने छी, ओहुमे मैिथली सनसरस सािहयमे।हम कहिलयिन—से कहलहुँ।तखन संभव भ’ सकय त’ हमरएिह दयनीय दशाकेँ अहाँ कोनो प-पिकामे कािशत करबा िदऔक। आओ आत हैत बाजय लगलीह—बाउ,हमर शरीर कूलक एिह हातामे पसरलदूिभक तीक िथक तैँ हिरयर। हमरामाथ पर जे अहाँ गुटखा, िसगरेटकटुकड़ी, अखबार आ कागदक टुकड़ीदेखैत छी से एिह कूलक छॱड़ा-छॱड़ीसभक िकरदानी िथक, हम अहाँकेँ कहैतजाइत छी आ अहाँ एमहर-ओमहर नजिरदौड़ा-दौड़ा क’ देखने जाउ....। हमरदेह जे घावसँ दागल अिछ से िसगरेटकजड़लका पुीसँ, हाथ जे नोछड़लदेखैत छी से िथक मोद बाबू(मुिखयाजी) क नोकरक िकरदानी, ओसभ िदन एतय आिब िछला िछलैतअिछ, िदनमे कैक बेर सूगर, मिहस,गाय, बकरी आिद हमरा दूिषत करैतरहैत यै, बाम जाँघ पर ई ढ़ल-ढ़लफोका िथक वैह मंगरूआक लोककिकरदानी, ओ काि राित चूिकअँगोरा हमरा देह पर फेंिक देलक, आहमरा दिहना जाँघ परक ई चेह जकरा‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्193


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्अहाँ गोदना बुिझ रहल छी से वतुतःकोन चीजक आकृित िथक से हमराकिहतहुँ लाज लािग रहल ऐ, साँझिहकेँ,माने एखनसँ कनी कालक पातेदेखबैक जे एिह गामक गँजेरी छॱड़ा सभहेज बनाकेँ आओत, िसगरेटमे भिर कएगाँजा पीयत आ हमरा झरका-झरका कएएहन अलील आकृित बनबैत अिछ, हे!ओिहठाम देिखयौक..., ई जे मैला देिखरहल छी, से िथक एिह आस-पड़ोसकीगणक काज, कने रितगर भेलाकबादे एक िदस सँ पथार जकाँ बैिसजाइत छिथ। हे! ओमहर देिखयौकहाक कछेड़मे... की कहू बाउ, जीयबदूभर भ’ गेल अिछ।(एकटा दीघर्वास लैत) ओ फेरबाजय लगलीह--बाउ, अहाँकेँ अपननेनपनक बात मरण अिछ ने ? तािहिदन ातः 10 बजे (ायः) कूलपहुँचलाक पाते सभसँ पिहने सरवतीवदना होइत छलैक जािहमे िशक्षक-छासभ क्यो भाग लैत छलाह। तकरा बादीवातव माटर साहेब सभ नेनाकेँ एकपितयानीसँ बैसा दैत छलाह, आ ओसबनेना एकहक टा कागद आ आन-आनसभ कारक गंदगी सभ चुिन-बीिछ लैतछल। हमर काया एकदम साफ भ’जाइत छल। कक्षा सभमे जखन हाजरीहोइत छलैक तँ नाम पुकारल जाइतछलैक, हरेराम, युगलिकशोर, शंभु,कुमारसंभव, चकला, रहीम, कौशया,कतेक मधुर आ साथर्क नाम! सुिन कएमोन तृत भ’ जाइत छल। साँझ केनेना सब कबडी आ खो-खो खेलाइतजखन िगर जाइत छल तँ हम ओकराबेसी चोट निह लागय िदयैक, वासयकअनुभव करैत छलहुँ तिहया। शिन केँिवशेष आयोजन होइत छलैक।शिनचराक गुर-चाउर बाकुटक-बाकुटनेना सभ खाइत छल, की कहू बाऊ,अहाँ सभक हाथ सँ िगरलाहा गुर-चाउरखयबा लेल हमहुँ शिन िदनक तीक्षाकरैत छलहुँ। दोसर पहरमे सांकृितककायर्म होइत छलैक। “जगदब अहॴअवलब हमर, हे माय अहाँ िबनु आसककर...। कखन हरब दुःख मोर हेभोला बाबा...। दुिनयाँ मे तेरा है बड़ानाम, आज मुझे भी तुमसे पर गयाकाम....।” अहाँकेँ तेँ मरण हेबे करतबाउ रमाकात एकबेर गयने छलाह“चल चमेली बाग मे मेवािखलाऊँगा.....” तािहपर मोलवी माटरसाहेब हुनका चुर पर ततेक ने छॱकीमारने रहिन जे बेचारेक सभटा मेवाघोसिड़ गेल रहिन। आ अहाँकेँ ओअयाक्षरी वला बात याद अिछ कीनिह? तिहया अयाक्षरी मे किवताकप सभ पढ़ल जाइत छलैक, अहाँएकबेर ‘य’ पर अटिक गेल रही, गाब’लगलहुँ—“ये मेरा दीवानापन था....”अहाँकेँ मोलवी साहब बजा कए पुछनेछलाह “यह कदब का पेड़ अगरमाँ......अहाँ कािये ने याद केने छलहुँ,तँ िबसिर कोना गेलहुँ ? ” आ तकराबाद हुनक छड़ी आ अहाँक दुनू हाथ।एकिदन रिवशंकरक चुगली एकटा नेनाक’ देने रहैक जे “माटर साहेब ईअपन ककाक जड़लका बीड़ी पीबैतरहय” एिह लेल ीवातव माटर साहेबरिवशंकरकेँ रौद मे एक घंटा धिरअहीठाम मुरगा बना देने रहिथ।तािहिदन ककर मजाल रहैक जे एिहकूलक हाता मे क्यो गाय, महीस, आबकड़ी-छकड़ी ल’ कए घुिस जायत।यैह मोद बाबू (मुिखयाजी) क नोकरएतय एकबेर िछला िछलय बैसल रहय,मुिखयाजी हुनका ततेक ने गािर-बातदलकैक, तकर ठेकान ने।ओ बजने जाइत छलीह आ हमअपन अतीतलोकमे िवचरण क’ रहलछलहुँ। अचानक हम हुनका टोिकदेिलयिन-- अच्छा एकटा बात कहू, आइकाि की एहन यवथा निह छैकएतय? आब तँ देखै िछयै जे तािह िदनसँ बेसी सरकारक यान िशक्षा परछैक। लोक सेहो जागरूक भेल अिछिशक्षाक ित। हम त’ देिख रहल छीजे नीक भवन अिछ, पािन पीबा लेलकल अिछ, मूालय अिछ, शौचालयअिछ, उिचत संख्यामे िशक्षकगण छिथ,आब की चाही?ओ बजलीह-- औ बाउ! अहाँ जेिकछु बजलहुँ सेहो साँचे िथक मुदा अहाँआइ एलहुँ काि चिल जायब। हम तँकतोक बरखसँ एतिह छी आ यक्षदशछी, तैँ हमहुँ जे कहल आ जे कहब सेफूिस निह। एतय दूई भवन मे चािर टाकक्ष छैक आ िवाथ 400 सयककरीब, एक ितहाई बच्चा कक्षमे बैसैतछैक आ शेष एिह हातामे आ ओिहबड़क गाछतर घुड़दौड़ करैत रहैत छैक,क्यो गुटखा, क्यो....., क्यो चरैतमिहसक सॴग पर दय ओकरापर चढ़बाकअयास करैत अिछ तँ क्यो........।शौचालय, मूालयकेँ अहाँ एकबेर देिखअिबयौक एकोटामे पला निह लागलछैक, उपरसँ ततेक दुगर्ध जे राम कहू!अहाँ काि आिब कए देिख लेब। ई तँपरसू जलघर बाबूक बेटीक िबयाहछलिन तािहलेल ओ अपन कल एतएलगौने छलाह, आ शौचालयमे बोराकची। कािए कलो खुिल जेतैक ?एतय गड़लाहा पाइपे टा कूलक छैक।की कहू, कल जिहना लागै छैक पाँचे-दस िदनमे क्यो चोरा लैत छैक। हेिलयह! कुकुरक झौहिड़ सुिन रहल छीने अहाँ ? बराती सभ जे काि भोरमेचूरा-दही खा-खा क’ पात सभ कूलकपछुआिड़ मे फेकने छल ततिह कुकुरसभ लिड़ रहल अिछ।खैर! छोडू ई सब बात। आबपढ़ाईक यवथा सुनू--- अहाँ केँ तँबुझले हैत जे हमरा सभक दयािनधानमुखमंीजी कॉेक्ट पर कैक लाखलोककेँ िबना कोनो परीक्षे-तरीक्षे नेनेमाटर बना देलिथन, सेहो की जेगामक लोक गामिहमे िशक्षक हेताह। तैँढ़ोरहाय-मंगड़ू सब िशक्षक बिन-बिन एतयआिब गेल छिथ, िजनकामे सँ कतोक केँतेँ अपन नामो.....। ाथर्ना आब निहहोइत छैक। जँ किहयो काल होइतोछैक तँ चािर सय मे सँ चािरये टानेनाक मुँहसँ प शद बहराइत छैकबाँकी सब आऊँ-आऊँ, ऊँ-ऊँ करैत‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्194


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्रहैत छैक। हाजरी मे नाम पुकारलजाइत छैक-–डबलू, बबलू, डेजी, रोजी,वीटी.....। शिनचराक था उिठ गेलछैक। सांकृितक कायर्म एखन धिरहोइत छैक, एखनो गीत गाओल जाइतछैक—“एक आँख मारूँ तो पद हटजाये, दूजा आँख मारूँ कलेजा फटजाये.........। तनी सा जॴस ढीलाकर.... आिद।” एक िदनक बात कहैतछी, एकटा िवाथ गाना शुरू कएलक—“चोली के पीछे क्या है......” आिकसबटा माटर ठेिठया-ठेिठया क’ हँस’लागलाह। मंजय माटर साहेब केँ निहरहल गेलिन ओ नेनाकेँ डाँिट कय बैसादेलिथन। तािहपर, मंतोष माटर साहेबआ मंजय माटर साहेबमे नीक जकाँबािझ गेलिन।मंजय माटर साहेब कहलैथ—मेरामानना है िक इसमें बच्चे का कोई दोषनहॴ है, अगर यही गाना गाना उस बच्चेकी मजबूरी है, तो हम एक िशक्षक होनेके नाते इसी गाने के ित उसकेदृिकोण को बदल सकते हैं, बस एकवाक्य में समझाकर की, “चोली केपीछे, ‘माँ’ होती है, िजसका अमृतपानकरके हम, आप, सबके शरीर कोजीवन िमला है।”एिह घटनाक बाद सभ िशक्षकिमिल कए मंजय बाबूक नव नामकरणकय देलकिन ‘मायराम’। तिहया सँओिह कागमंडली मे हंस सदृय मंजयबाबूक बुिधये हेरा गेलिन। एकटा आरगप सुनू, यैह िपछले शिन िदनक बातछैक, अयाक्षरी चलैत रहैक, एक सँबिढ़कए एक कटगर िफमी गाना सबनेना लोकािन गबैत छल, अचानक ‘य’पर एकटा दल अटिक गेलैक….. एकटाबच्चा उठल आ कहलक, “यह लघुसिरता का बहता जल, िकतना शीतल,िकतना िनमर्ल.......।”एकटा माटर साहेब ओिह बच् चाकेँलगमे बजौलकिन आ कहलिथ-- “अहाँकािये ने अपन ममी-पपाक संगिसनेमा देख’ सहराता गेल रही, ओिहिसनेमाक गाना, ये गोरी गोरी बाँहे, येितरछी ितरछी.......,िबसिर गेलहुँ ? बड़भोदू छी अहाँ।”दुिभ रानीक कथा चिलतिह रहिनकी एिह बीचमे हमरा एकटा आर नारीकककर्श वर सुनाए पड़ल... “गै माय केिछयै ई मुनसा! ऐतेक कालसँ एतय कीक’ रहल छैक? बुझैत निह छैक जे ईलोक-बेदक, बाहर-भीतर करबाक बेरछैक?”हमर यान ओमहर गेल, अहारमेबुझा पड़ल जे तीन-चािरटा ीगणएहरे बढ़िल चिल आिब रहल छलीह।हम जा एमहर ताकी ताधिर दूिभरानीिनपा ! हमहुँ उिठ कए घर िदस चिलदेलहुँ।ओिह भिर राित हमरा िन निहभेल। कारण छल जे हम ई िनणर्य निहक’ सकलहुँ जे ओ सिरपहुँ दुिभए छलीहआ िक हमरा मोनक म ? जतेकसोचैत गेलहुँ ओतेक ओझराइते गेलहुँ,मुदा एकटा बात हमरा मोनमे घर क’लेलक जे ई घटना एकटा कथाक रूपअवय ल’ सकैत अिछ। कािए हमरामैसूर जेबाक रहय। सोचलहुँ एकरपांडुिलिप बना कए कोनो पिकाकसंपादक लग ेिषत क’ देबैक, जँ ईकथा छिप गेल तँ हमहुँ अपन सीनातािन कए कहब जे “हम मैिथलीककथाकार छी” सोझे-सोझ मैिथलीकएम.ए., पी-एच.डी. कहयलासँ कोनोिता निह। मैिथली पिढ़ जँ मैिथलीककथाकार, सािहयकार निह कहयलहुँ, तँमैिथली पढ़बे िकएक कएलहुँ ? हँएकटा समया तँ रिहये गेल, एिहकथाक शीषर्क की िदऐक ? चलू जेहनेकथा तेहने शीषर्क, ‘दूिभ’।जा ग’ जाग’ महादेव !िमिथला, अनािदकालसँ धमर्, िशक्षा,सािहय संकृित आिदक िविशताकलेल अितीय रहल अिछ। एतय एक-सँबिढ़ कए एक मुिन, मनीषी, तपवी भेलछिथ, िजनका सभक उपदेश आ आचरणआइयहुँ ओतबे ासंिगक अिछ। मुदाअनेकानेक कारणसँ आइ बड़ तीवर् गितएँसामािजक िववतर्न भ’ रहल छैक। एिहबदलैत सामािजक पिरिथितमे कोनवतु आ संकार ा छैक आ कोनअा तािह िवषयकेँ ल’ क’ लोकमेभयंकर आ संघषर्क िथित उपभ’ गेल छैक। मूल रूपसँ पाायवादीसयताक अधानुकरण ओ आन-आनकारणेँ, लोक अपन सयता, संकृित,सँ िवमुख भेल जा रहल अिछ,पिरणामवरूप, समाजमे भूख, भय,ाचार, राजनीितक अपराध, बेरोजगारीआिदक समया िदनानुिदन गंभीर भेलजा रहल छैक। लोक एिह सभसमयासँ मुिक्तक लेल अपयांत अिछ,बैचैन अिछ। ओकरा कोनो रता निहभेिट रहल छैक। मानिसक अशांितकशांितक लेल लोक भगवानक शरण मेआिब रहल अिछ (ओकरा लागै छैकआब यैह टा रता बिच गेल अिछ)।यैह कारण अिछ आइ जतय देखू ततिहथोकमे धमर्क दोकान खुिज गेल छैक।हमरो संग सैह भेल, िविभ कारकिवसंगित आ झंझावात तेना ने हमरानचार क’ देलक जे हमहुँ अंततःधमर्िहक शरण मे गेलहुँ।ई संयोगे छल जे तािहिदन हमरासभक िदस धमर्क एकटा टटका दोकानखुजल छलैक- जाग’ जाग’ महादेव!िमिथलाक लेल ई कोनो नव धमर् आ नवसंदाय निह छलैक, हँ, एकटा बात नवअवय किह सकैत छी जे एिहमे बसअहाँ देवािधदेव महादेवकेँ ‘गुरू’ बनािलअ, आ िक सभ समया छू मंतर।हम अपन अनुभव किह रहल छी,जिहया सँ हम महादेवकेँ गुरू बनैिलयिहहमर सभटा समया सिरपहुँ छू-मंतरभेल जा रहल अिछ। महादेवमे दमछिन, से हमर धारणा िदनानुिदन दृढ़भेल जा रहल अिछ। यैह कारण िथक‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्195


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्जे कतहुँ अबैत-जाइत, माने जतयकतहुँ महादेवक मंिदर, फोटो देखैत छी,मोने-मोन जाग’ जाग’ महादेव! कह’लागैत छी।यैह परसूका बात िथक हमरा एकआवयक काजे गामसँ सहरसा जयबाकरहय, ने जािन कोन कारणेँ ओिहिदनगाड़ी-घोड़ा ब छलैक, हम पयरे चिलदेलहुँ। हमरा गामसँ लगभग 10 िक.मी.क दूरी पर महादेवक एकटा मंिदर छैक,बड़ भय, ाचीन आ िस। गरमीकिदन रहैक, रौद कपारे पर लागैक।सोचलहुँ मंिदरमे जाग’ जाग’ महादेव !क’ लैत छी, आ कने काल ांगणकएिह िवशाल बरक गाछतर चबूतरा परसुता लेब। मंिदरमे माथ टेिक चबूतरालग आिब बैिस गेलहुँ। हमर मोन कनेअशांत रहय तैँ ओतय यानक मुामेबैिस महादेवक मरण कर’ लागलहुँ,आिक एहन आभास भेल जे सिरपहुँसाक्षात् महादेव हमरा समक्ष आिबगेलाह।आिबतिह पुछलैथ– की यौ िशय!की हाल-चाल ?हम कहिलयिन-- हे गुरू! से तँअहाँ जिनते छी ?ओ कहलिन-- िचता जुिन करूिशय! सभ समाधान भ’ जेतैक।हम कहिलयिन-- हे महादेव! जखनअहाँ लग सभ समयाक एतेक विरतउपचार अिछ तखन अपनेक एिहसंसारमे एतेक कारक रोग-शोक,यिभचार, अनाचार, अयाचार आिदिकएक ?ओ कहलिन-- िशय, “मोन चंगा तँकठौत मे गंगा” अहाँ पिहने हमरअितवकेँ वीकार करैत छलहुँ ? निहने? मुदा आइ जखन अहाँक मोनका जागृत भेल तँ देिखये रहल छी जेहम साक्षात् अहाँक समक्ष उपिथत छी।हम कहिलयिन-- एकर माने भेल जेअहाँ अपन िशये टा पर कृपा करैतछी, वैह टा अहाँक संतान िथक, आआर सभ ? की ई अहाँक‘जगतिपता’ उपािध पर िच निहअिछ?ओ कहिलन-- कथमिप निह िशयहमरा लेल सभक मान बरोबिर अिछ।जाधिर धमर् आ कमर्क गिणतकेँ लोकनिह बूझत ताधिर ई समया, ई भेदरहबे करतैक। एिहमे हमर कोन दोख।अहॴ जे अपन सभ काज-धधा छोिड़कय एतय िदन-राित जाग’जाग’ महादेव!करैत रहब तँ अहाँकेँ की बुझाइत अिछजे महादेव....।हे महादेव! हमरा सन मद-बुि,धमर् आ कमर्क तवकेँ कोना बुझत?हम तँ बस एिहटा चीज बुझैत छी,महादेव! आर िकछु निह।बस! बस! बस! अहाँक ा,िवास आ सकमर् सैह िथकाह महादेव,सयं िशवं सुदरम्।हे महादेव! ई बूझब तँ हमरालेलआर जिटल भ’ गेल, सय, सुंदर आिशव केँ बुझ’क सामायर् हमराकतय?अपन संकार, संकृित, लोकाचार,भाषा-सािहय, धािमर्क आचरण, आिदकेँबुझू, यैह सय िथक, यैह सुंदर िथक,यैह िशव िथक।बेस, आब कने-कने बुझलहुँ। हेमहादेव! आर सभ छोड़ू एकटा बातबताऊ,एिह गामक अिधकांश लोकिनपढ़ल-िलखल छिथ, ज्ञानी छिथ, अपनपरंपरा, अपन संकारािदक ितजागरूक छिथ तकर पातो हमरा बुझनेकतहुँ ने कतहुँ........।औ िशय! आइ-काि जे जतेकबेसी पढ़ल-िलखल लोक छिथ से ततबेबेसी मूखर्।ई अहाँ की किह रहल छी, एहनभ’ सकैत अिछ जे कखनहुँ-कखनहुँ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्196पढ़लो-िलखलो लोकसँ गलती भ’ जाइतछैक, मुदा तकर जतेक पिरमाण अहाँबता रहल छी से बात हमरा निह पिचरहल अिछ।औ िशय! कहब तँ छक द’लागत। ई कोनो गुटका (पान-मसाला)िछयैक जे पिच जायत। अहॴ कहू,अहाँ जे भिर िदनमे 10 पुिड़या गुटखाखा जाइत छी से कोना? ओिह पुिड़यापर निह िलखल छैक जे “तबाकूचबाना वाथ के िलए हािनकारक है”।हे ओिह महाशयकेँ देिखयौक, ओराजधानीक जानल-मानल डॉक्टर छिथ,घंटे-घंटे पर िसगरेट (ओहो िकंग साइज)पीबैत छैक, जखन की सभटा िसगरेटकपैकेट पर िलखल रहैत छैक, “धुपानवाय के िलए हािनकारक है” एतबेिकएक, हे ओमहर ओिह होिडर्ंग परपिढ़यौक- “िसगरेट पीने से कैंसर होताहै, जनिहत मे जारी, कैसटन िफटर,आिखरी कश तक मजेदार।”(हमर माथ शरम सँ झुिक गेल) सेजे हो मुदा एिहठामक लोक धमचारीआ........।महादेव—हँ, हँ, से त’ अवये,तिहया सँ ठीके आइ काि हमर पूजापाठ करयबलाक संख्या बिढ़ गेल अिछ।मुदा ........।मुदा की ?आब लोकमे ओ भाव निह रहलैक।आब लोक हमर पूजा कर’ निहअबैयै, हमरासँ ‘डील’ कर’ अबैये।बुझलहुँ निह, कने प करू।की-की सभ प करी िशय!सपूणर् सामािजक यवथामे घून लािगगेल छैक। एकहकटा जँ फिरछा-फिरछाअहाँकेँ कह’ लागी तँ कैक िदन धिरएिहना अहाँ केँ यानमग्न रह’ पड़त।िजज्ञासा कएलहुँ अिछ तँ िलअ हमिकछु ‘डील’ केर बानगी अहाँकेँ सुनादैत छी.....


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्एकटा (बालक)--- हे महादेव! बापकहैत छलाह पढ़’क लेल तँ हम गुली-डंडा खैलयबामे भिर साल मत रहलहुँ,एिहबेर कहुना पास करा िदय’ तँ ......एकटा नवयुवक –- हे महादेव!एिहबेर देवघर जयबाकाल हमरा जािह‘मालबम’ सँ पिरचय भेल छल तकरिहसँहमर िबयाह करा िदअ तँ.....एकटा नवयुवती— हे महादेव! अहाँहमरा कोनो नीक िनदशकक िसनेमामेमाधुरी दीिक्षतक ‘धक-धक’ वला रोलिदआ देब तँ......दोसर नवयुवती--- हे महादेव!अहाँक देल गेल रूप–गुण सँ संपरिहतहुँ हमर िबयाह निह भ’ रहल अिछ,हमर माय-बाप िविक्षत भ’ गेल छिथ।एिह दुिनयाँ सँ सबटा दहेजक दानव केँएिह िदन उठा िलअ तँ....एकटा ौढ़— हे महादेव! जानैत-बुझैत ‘मनीगाछी’क कोठा पर बेर-बेरजाइत रहलहुँ तैँ आइ ‘एडस’ सनलाईलाज बीमारीसँ त छी—जँ अहाँहमरा एिह सँ मुिक्त िदया दी तँ....एकटा बेरोजगार— हे महादेव! पिढ़-िलिख कए झाम गुड़ैत छी, जँ अहाँहमरा एकबेर लादेनसँ भेंट करा दीतँ........एकटा वृ दपित- हे महादेव!अपनेक दयासँ हमरा बेटा-पुतोहुकेँ कोनोकमी निह, मुदा हमरा दुनू परानीक पेटओकरा सभक लेल पहाड़ सदृश छैक।जँ अहाँ हमरा एिह जमसँ मुिक्त िदयादी तँ अिगला जनममे ............एकटा राजनेता— हे महादेव! हमरापाटक सरकार बन’मे एेटा सीट घटैतछैक। हम िनदर्लीय महालय िसंह केँतीन करोड़ टका देब’ लेल तैयार छीअहाँ ओकर मित फेिर िदऔक, जँ हमरसरकार बिन गेल तँ.............एकटा याख्याता— हे महादेव! भिरिजनगी चोिर आ जोगाड़क बलेँ नीकअंक सँ पास होइत रहलहुँ आबयाख्याता छी। छॱडा सभकेँ ततेक नेनेतािगरीक चका लगा िदऔक जे सालभिर महािवालय आ िविवालयमेताला लटकले रहय। जँ एहन संभव भ’जाय तँ.....एकटा अछूत-– हे महादेव! एेहार-मांस, एे खून, तकरा पातो लोकहमरा अछूत बुझैये। हमरा संग जे भेलसे भेल हमरा बेटाकेँ एहन दंश निहझेलय पड़य। जँ एहन भ’ गेल तँ....एकटा शराबी --- हे महादेव!पीबैत-पीबैत, सभटा धन-सपित वाहाभ’ गेल। तीन िदनसँ एो ठोप निहभेटल अिछ, हम अपन बेटी सुिगयाकेँओिह दारूवाला लग.....जँ एो बोतलिदआ दी तँ....मैिथली (भाषा) – हे महादेव! अहाँतँ जािनते छी जे हमर गौरव, मान,मयदा, किहयो िमथालाकेँ के कहएजगख्याित ात कएने छल, मुदा आइअपनिह घरमे हम उपेिक्षत छी। ओनाआइ काि मैिथलीक लेल तथाकिथतसंघषर्कत लोकािन एतयसँ िदली धिरधरना-दशर्न कर’ चिल जाइत छिथ,मुदा सबटा फुिस िथक, सबटािमयाडंबर, तैँ जाधिर हमरा अपन घरमेसमान निह भेटत ताधिर हम अपनगौरवकेँ पुनः ात निह क’ सकैत छी।जँ एहने िथित रहलैक तँ भ’ सकैछजे हम किहयो िनवर् भ’ जाएब। हेजगतपित! अहाँ मैिथल लोकिनमेमैिथलीक ित नवजागृित आिन िदऔक।एिहसँ अहाँकेँ सेहो लाभ हैत-- फेर किविवापितक ुितमाधुयर् नचारीसँ अहाँकमंिदरक वातावरण आलािवत भ’ जाएत।हम कंगािलन छी, हमरा अहाँकेँ देबाकलेल िकछु अिछए निह, तैं हम की‘डील’ करी ! हे महादेव सुतल िकएकछी, जागू ! एिह अबलाक यथा सूनू-जाग’ जाग’ महादेव.....मैिथली ततेक जोरसँ चीकरलीह जेहमर यान दुिट गेल। ने जािन आबकिहया महादेव दशर्न देताह।आानभारत भूिमक नवतुिरयाहमर किवताक आान सनूभ’ तमय अपन कान खोिलछिथ बािज रहल भारती से सुनूहे भारत ! ई भारती िथकअित िववश भाव भंिगमा नेनेिहल रहल ठोर िकछु कहबा लेलेिरत क’ रहल िकछु करबा लेलकखनहुँ अहाँक कखनहुँ हमरएिह लेल बाट िनहारैत छिथबस ािह-माम पुकारैत छिथछिथ कहिथ देखू हमर ई दशाशोिणत सँ रंिजत ेत वसननखसँ िशख धिर अिछ जख्म भरललूिट रहल हमर अिछ अमन-चैनपंजाब,असम,गुजरात,आँकमीर सिहत अयाय ातअिछ िससिक रहल भ’ भयाातछल किहयोउुंग गवर्सँ हमर िसरकृित द पावन कमीरकेसिरया सेब क’ रहल ृंगारलहलह-हिरयर बाग िनशातउजर बफर्िशला बाँिट रहल छलशांितकेर संदेश उधारछल बहैत जतय शीतल समीरचहुँिदस आब बरसैत अिछ गोलीनिह खेलू, निह खेलू रोकू ई खूनकहोलीजाित-धमर्क उमाद भड़काजे उमादी अहाँकेँ लड़ाबैत छिथहुनकर तँ कुरसीक छैकमुदा की यैह अहाँक मानवता िथक ?(18-08-2008,मैसूर)‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्197


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्शीला सुभा देवी (१९४९- )कैकटा तेलुगु प संह कािशत। १९९७ ई. मे तेलुगु िविवालयसँ उम लेखकक पुरकार ात।तेलुगुसँ अंेजी अनुवाद जयलमी पोपुरीारा जे िनजाम कॉलेज, ओमािनयािविवालयमे अयापन करैत छिथ।गजे ठाकुर (अंेजीसँ मैिथलीअनुवाद)।पसीझक काँटबाड़ीमे लगाओल पसीझक काँटगहना लेलकेना ओऽ सभ पसरैत अिछसोहड़ैत!चुपचाप बुनैत रता आच्छािदत करैतथान।भीड़-भाड़ सभठामसभ कोणमे काँटबला पसीझक झाड़सभ, सभ रोकैत नेहक अनवरुवाहिचतन िवखिडत पिड़ काँटक मयवाणी अवरु फँिस कोनो झाड़मितक उवर्पितत चुपचापहृदय बनैछ मा एकटा अंगआ मौन करैत राज यांिक रूपे॥मुनैत, बहत निह बसाल एकताकतेनाकेँ ठुसैतसभक आश कोनहुना िनकसीआकाश।मुदा की अिछ िवतृत खेत मय?कतए गेल फूलक क्यारी फुनगैतिमताकिहलबैत अपन माथ आमंणमे?कतए गेल ओ चाली सभ अपनततुसँ बढ़ैत?सभकेँ समेटैत ओ लता-कुक मंडपकतए गेलछोिड़ मा अशोक आ साखुक वृक्षजे पसािर रहल आकाश मय अपनहाथनीचाँ देखैत िवकेँघासक पात सन तुच्छ?यिद हम मोड़ी आ घुमी घोरैतअपनाकेँ नोरमेवेधए बला मोथा निह भोकैत अिछमा पएर वरन् आँिख सेहो।सभठाम लोक उमुक्त ठाममेमानवीय सपकर्सँ घृणा करैतपिरवितर्त कएलक नगरकेँ सेहोबोनमे।पसारैत काँट सभ ठामपिरवितर्त भेल पसीझक झाड़मेसाँसक फुलब पसरैत चारू िदशदोसराक संवेदना निह आबए दैछिवचारिजनगी भेल उसनाइत खेत सन।इच्छा भागबाक पएर केने आगाँ।आयर्, मिथ निह सकैत छी, औँठाधिर।देिख सकी जौँ अपनेकेँ माभीतरसँ बाहर पसीझक काँट मा।‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्198


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्शीतल झाजनकपुर, नेपालिवधानसभा, संघीय संरचना आ िमिथला रा यक औिच यिहमालय पवर्त ृडखला किरब मयभागमे चीनक ितबतसँ दिक्षण, भारतकिबहार आ उर देशसँ उर आ पूवर्तथा पिम बंगालसँ पिम एकटाआयताकार देश नेपाल अिछ। २४०वषर्पूवर् गोराखक एकटा लडाकू राजापृवीनारायण शाह िहंसक बलसँ दिक्षण–पूवर् आ पिमक देशसभपर आमणकरैत गेल आ सुदर उपयकाकाठमाडूसिहत एकटा नमहर देशबनौलक। एकर सीमा दिक्षणमे कतऽधिर रहैक, तकर आिधकािरक रुपसँकतहु उल्ेख निह अिछ। खसशासकारा शािसत गोरखा रायकदमनपूणर् िवताकरक वाद एकर नामकिहया नेपाल रहल से िनणयक माणनिह भेटैछ। दिक्षणमे िमिथला आअवधसन ऐितहािसक गणरायपर सेहो ईिहंसापूणर् ढंगसँ षडयपूवर्क आमणकएलक। एिह ममे िवर्िटशकालीनभारतकारा ितरोध आ यु कएलगेलाक वाद १८१६ क सुगौली सिधसँई वतर्मान सीमाित देश, बनल जािहमे१८६० क सिधसँ दानवरुप ातपिमक ४ िजलासँ एकर वतर्मान वरुपिनधिरत भेल।ड देशक राजनीितक शासनयवथा राजतामक छैक आ एकरराय–संरचना एकामक। एकरशासकीय वृित िनरंकुशामक छैक आसामािजक आिथर्क यवथा सामतीछैक।ड एकर सामािजक मानवशाीयसंरचना ९क्यअय(बलतजचयउयियनष्अबिक्तचगअतगचभ० मंगोलाइड केकेिशयनजाितसँ बनल अिछ, जािहमे िनोवाइडआ एटोवाइड जाित सेहो अपसंख्यामे बसल अिछ। कैकेिरयनक आयर्शाखा तँ मुख्य रहैत अिछ।ड िहमालय क्षे आ पहाड क्षेमेिलबु, राई, तामाङ, नेवार, मगर, गुरुङ,शेप जाित तथा जनजाितक वास छैकतँ दिक्षणक समतल मैदानी भूभाग तराइृमेआयर्मूलक जाित जनजाितसभक वासछैक। दुनू क्षेमे िपछड़ल जनजाित,आिदवासीसभक वास सेहो छैक, जािहमेिमित मूलक संख्या उलेखनीय छैक।मूख्यतः कणली देशक आयर्मूलक खस जाितक गोरखा रायवतर्मान सपूणर् नेपालपर शासन करैतअिछ। तँ ई राजनीितक, शासिनक,याियक भाव िवतारक मे येकजातीय क्षेमे वेश कऽ सामािजक,भािषक, जातीय संरचनाकँ तोड–मडोरकऽ देने छैक आ नेपालकँ किथत रुपँरा किह तुत करैत छैक। वतुतःसामािजक िवकासक अययनमे देखलजाए तँ नेपाल एकटा निह, िविभरासँ बनल एक देश अिछ, जतऽएिहटा खस जाितक एकल रायशासनछैक।२. िमिथलानेपालक दिक्षणी समतल भूभागकेँतराई अथवा मधेश कहल जाइत छैक।एतऽ अवध आ िमिथलासन पौरािणकमिहमामिडत ऐितहािसक समृताातगणराय छल, जकरा मुगल िवर्िटशशासन दमन करैत गेल आ अततःशाहवंशीय राजाक स वाँिट लेलक।१८१६ क सिध िमिथलाकेँ खिडतकएलक। जािह िमिथलाक सीमा कोशीसँपिम, गडकसँ पूवर्, गंगासँ उर आिहमालसँ दिक्षण छलैक, तकर आइइितहास छैक, भूगोल निह छैक। जेँ िकएकर भाषा, संकृित, जीिवत छैक तेँबाटल–बाँटल शरीरक आधारपर किहसकैत छी–िसमरौनगढ़सँ पूवर्, झापासँपिम आ महाभारत महाड़सँ उरिमिथला जीिवत अिछ–अिहयाजकाँजीणारक तीक्षामे अिछ, उारक बाटजोिह रहल अिछ।३. संिवधानदेशमे शासन यवथा कायमकरबाक लेल बनाओल गेल मूलकानूनकँ संिवधान कहल जाइत छैक।सभ कानून, ऐन, िनयम एकरे सीमाकभीतर रिह बनाओल जाइत छैक।‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्199


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्लोकतक मुख्य आधार आ एकटामाण संिवधान होइत छैक।नेपालमे २००४ सालमे पिहलबेरकोनो संिवधान नामक चीज तुत भेलरहैक। ओना तािहसँ पूवर् १९१० मेएकटा ऐन सेहो बनल रहैक। तपात२००७ सालमे अतिरम शासन िवधानआ २०१५ सालमे नेपाल अिधरायकसंिवधान आएल। २०१५ सालकसंिवधान एकदलीय पचायती यवथादेलक आ तकर अय २०४६ सालकआदोलन कएलक। २०४७ सालमेएकटा अतिरम सरकार बनाकऽतकराारा नेपाल अिधरायक संिवधान२०४७ लागू कएल गेल। ई सभसंिवधान राजतामक एकामक,एकामक अिछ आ राय सापर,रायपर, शासनपर एक धमर्, एकभाषा, एक जाितकेँ मुखता आअिधकारक मायता देने छल। राजााराद ओ संिवधानसभ राजाकअिधकारकेँ सवपिर मानैत आएल छल।मुदा ०६२Ö०६३ मे भेल जनआदोलनभाग–२ सँ ई मायता ढहैत गेल आएखन देश संिवधानसभाारा अथतजनताक ितिनिधारा िनिमर्त संिवधानकिनमण करत।४. संिवधानसभासंिवधान बनएबाक लेल जनतााराचुनल ितिनिधसभक समूह एवं सभाकेँसंिवधानसभा कहल जाइत छैक।सावर्भौमसा सप जनता अपनाकेँअनुशािसत आ शािसत रहबाक लेलजािह तरहक शासन–यवथाकेँचलएबाक लेल अपने पठाओल ितिनिधारा कानूनक थ तैयार करबाबैक आघोषणा करबबैक, तािह जनितिनिधमूलकसभाकेँ संिवधानसभा कहैत छैक।५. संिवधानसभाक अनुभव(क) उर अमेिरका ः िटेनाराशािसत अमेिरकाक १३ राय वतभेलापर ५५ सदयीय संिवधानसभािनमण कऽ तकर <strong>अनुम</strong>ोदन अमेिरकीजनतासँ करबाकऽ अिल ३०, १९८९मे घोषणा कएलक।(ख) ास ः अपनिह देशकसामती नायक साट सोलहम लुइकिवरु संिवधानसभा वना १७९१ मे लागूकएलक।(ग) रुस ः १९१८ मे संिवधानसभातँ बनल मुदा संिवधान लागू निह भऽसकल।(घ) भारत ः ििटस शासनसँमुिक्तक लेल ३८९ सदयीयसंिवधानसभा बनल मुदा पािकतानकिवभाजनक बाद रहल २९९ सदयीयसभाारा आ डा.राजे सादारा ईघोिषत भेल।(ङ) दिक्षण अिका ः गोर आकारीक बीच भेल संघषर् संिवधानसभाकमाफर्त अय भेल। सवर्पक्षीयसमेलनमाफर्त ४९० सदयीयसंिवधानसभाक िनमण भेल आ संिवधानबना जन<strong>अनुम</strong>ोदन कराओल गेल आघोषणा कएल गेल।िविभ देशक अनुभवक आधारपरनेपालमे बनिनहार संिवधानसभामे िनतरहक िवशेषता होएब वाछनीयरिहतैक–(क) जनसंख्याक अनुपातमे िनवचनक्षे िनधरण कएल जाइक आ येकजाित, जनजाित, अपसंख्यक, दिलत,मिहला, मधेशीक ओिह अनुपातमे क्षेआरिक्षत कऽ यक्ष िनवचनसँजनितिनिधक पठा संिवधानसभाकिनमण कएल जइतैक।(ख) अतिरम संसदसँ संिवधानमसौदा तैयार कऽकऽ ओकराजनमतसंहारा िनमण कएल जइतैक,मुदा यक्ष मतादान वा समानुपाितकणाली दुनू कायम कएल गेलैक। एिहसँअ पिवकिसत देशक जनतामे म आअनावयक गड़बड़ी उप मऽ सकैतछैक।आब पूणर् समानुपाितक णाली बहुतोरािय दलक संगिह येक जातीय,जनजातीय, क्षेीय समूहकसभक सेहोमांग रहलाक कारण ओकरे लागू कएनाइसाथर्क संिवधानसभाक आधार तैयार कऽसकैत अिछ।६. समावेशीकरण तथा समानुपाितकसमावेशीकरणसाक वरुप, शासन, शासनमेदेशक येंक जाित, जनजाित,अःपसंखयक जाित, िविभ भािषकसमूह, सांकृितक समूह, आिदवासी,मिहला, क्षे आिद सभक वेश निह भेलतँ शासन पित जनासँ दूर रिह जाइतअिछ आ ताहूमे लोकत तें माकिथत सात वगर्क खास जाितकहाथक दमनक मायम बिन जाइतअिछ। तेँ जातीय, भािषक संख्याकसमानुपाितक समावेशीकरणसँ मालोकतािक शासन पित मजबूत आदीघर्जीवी भऽ सकैत अिछ।(क) जनसंख्याक समानुपाितकिनवचन क्षे िनधरण कऽ ओिह क्षेसँओिह ठामक मूल जाित, भाषाभाषीक माितिनिधव कराओल जाए।(ख) जनसंख्याक समानुपाितकरुपमे सरकारक येक अंगमे अथवायूनािधक रुपमें सभ क्षे, वगर्, जाित,िलगंक उपिथत कराओल जाए।(ग) सुरक्षा, हरी, शासन,राजनीित, राजनीितक संथा येकमेसमानुुपाितक रूपमे वेश कराओल जाएवा यूनािधक रुपमे ारभ कराओल जाएआ िकछु जाितक लेल ारभमे आरिक्षतकएल जाए।एिह तरहेँ देखलापर आगामी शासनपित समानुपाितक होएबाक लेलसंिवधानसभा समानुपाितक भेनाइआवयक अिछ आ तकरा लेल अतिरमसंसद आ अतिरम सरकार, िनवचनआयोगकँ सेहो समानुपाितक भेनाईआवयक अिछ आ एिह तरहक सुरक्षाकयवथा कएनाइ सेहो आवयक अिछ।७. एिह तरहँ वनल संिवधानसभानेपालक नव राय संरचना कऽ सकैतअिछ आ संघीय संरचनािदस लऽ जासकैत अिछ –(क) राय (ात, देश) ः भाषा,संकृित, जाित, धमर् आिदक आधारपरबनल अथवा बनाओल राजनीितक,‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्200


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्आिथर्क, शासिनक अिधकारसपराजनीितक भूक्षेकँ राय कहैत छैक।(ख) संघ – एहन, राय सभसवनल राजनीितक शिक्त सप केीयसा के संध कहै छ। आंिशकसावर्भौिमकता, वतता, आम िनणर्यकअिधकार ात सभ िमल क सावर्भौमसा केके दान करैछ आ एिह रायसंरचना के संघीय संरचना कहल जाइतअिछ।८. नेपाल संघीय होएबाक आवयकअिछ – कारण ः–(क) नेपाल िविभ जाित, जाित,जनजाित, धमर्, भाषा, संकृित के देशछै। एिह सभ के देशक मूलधारमेलएवाक लेल।(ख) लोकतािक यवथाकेसमानुपाितक समावेशीकृत करबाकलेल।(ग) संघीय सरकार आ रायसरकार भेला स येक नागिरक अपनयोग्यता यवथा अनुकूल उपयोगकरबाक लेल।(घ) राय भीतर अनेक शासिनकयाियक िनकाय िवकेित िवकाश रायक्षेक कायर् सपादन ओिह रायकजनताके िनणर्य अनुसार हौइछै।(ङ) ओिह रायक भीतरकाकृितक सपदा जल, जमीन, जंगलखिनज पदाथर् पर ओिह रायक जनताकअिधकार होइछ, ओकर अिधकतम योगओतिहक जनता करैछ।(च) उदयोग आिद िवकास कायर्पर रायक िनयण रहैछ आ तािह केलेल अय राय स, िवदेश स सबधथािपत क सकैअ।(छ) ओिह रायक मुख भाषाशासन, याियक क्षे आिद मे िनवधरुपमेँ योग क सकैत अिछ जिह सरायक जनता सामािजक याय, मानवीयिवकास स वंिचत निह भ सकैत अिछ।(ज) अपन मातृभाषा, वत ःकायम भेल सपकर् भाषा, िहत िशक्षाकभाषाक सुिवधा भेला सँ शासिनक,शैिक्षक वैदिशक सुरक्षा सेवा आिद मेनीक संख्या मे रायक युवा, िशिक्षत वगर्वेश होएत।(झ) कोनो खास जाितक, राक,जाितक, जनजाितक, भाषाभािषक,धािमर्क, सांकृितक समुदायक इितहास,संकृित, भाषा, भेष, कला , सािहय,परपरा केँ सरक्षण आ सबधर्न कएपिहचान के सुिनत आ सुरिक्षतकरबाक लेल।(ञ) कोनो जातीय, जातीय,धािमर्क, भािषक समुदाय के दोसर वगर्स शोषण दमन स मुिक्त के लेल।(ट) पृथकवादी आदोलन केरोकवाक लेल।(ठ) एकामक राय यवथा परुणर्रुप स असफल भगेल अिछ। तै संघीयसंरचना आवयक अिछ।९. संघीय संरचनाक आधार ः–संघक भीतर रायक संरचना कआधार िन होइछ(क) ऐितहािसक रुप स िनिमर्तरा (.....–जाित ) के आधारपर(ख) कृितक रुपसँ िनिमर्तभूखडकेँ आधार पर।(ग) जातीय वाहुयता के आधारपर(घ) धमर् अथवा धािमर्क सदायकआधार पर(ङ) संकृितके आधार पर अथवासांकृितक सामी यताक के आधार पर।(च) भाषा क आधार पर(छ) कृितक सपदाक आवटनकेआधार पर।(ज) िवकिसत नया अवथा,सोचक, आधारपर।१०. एिह आधारसभ के देखैत आनेपालमेँ चलैत जातीय आदोलन सभकेँदेखैत आ ओकर मांग सभ केँ देखैतनेपालकेँ िन संघीय रायमे िवभािजतकएनाई आवयक छै ः–(क) िलबुवान िकरांत राय(ख) खुबुवान(ग) नेवा राय नेवार राय(घ) तामाङ साबिलंग(ङ) तमुवान गुरुङ राय(च) मगरात मगर राय(छ) खसान खस राय(ज) थरुहट थारु राय(झ) अवध अवधी राय(ञ) भोजपुरी भोजपुरी(ट) िमिथला िमिथला (िवदेह)संघीय िवधाजनक लेल नया,तयपूणर् जनगणना आवयक अिछ, आऐितहािसक रुप स वसल जाित केसामूिहक िनणर्य के आधारपर रायकनामकरण कएनाई आवयक अिछ।सपूणर् नेपाल मे खस जाितकिमित अवथा भेलो स कोनो जातीयक्षेक इितहास आ ओकर भावना निहंमेटाएल अिछ।११. िमिथला – संघीय संरचनामेिमिथला राय िकएक चाही ः–(क) िमिथला ाग्ऐितहािसक भूिमअिछ आ पुराणविणर्त देश अिछ।(ख) िमिथला आयर्जाितक आधारक्षे आ आयर् संकृितक िनमण भूिमअिछ।(ग) कोशी गडक, गंगा, िहमालयके िवचमेँ िथत ई भूिम िनित भूखडात कएने अिछ।(घ) ऐितहािसक कालखडमेएकरापर अनेक आमण होइतोमे ई आयर्जाितक वाहुयताक क्षे छै।(ङ) एकर अपन वहुत समृसंकृित छै।(च) एकर भाषा हजारॱ वषर् पूवर्कइितहास देखवैत अिछ आ वहुत समृअिछ।(छ) िमिथला गणरायक इितहासकसाय अिछ।(ज) एकर खास आिथर्क जीवनणाली छैक।(झ) सामुिहक, देवी देवता स ल“क” पािरवािरक देवता ित आथाकसंकार छै।(ञ) िमिथलामे अखनो लोकिनिमर्त, िनयम कानून छै सममेँ िमिथलाके एकटा सिझया मनोभावना छैकजािहस ई एकटा रा छै आ एकरासंघीय संरचनामे राय होएबाक पूणर्नैसिगर्क अिधकार छै।(क) िमिथलाक सम जातीके,‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्201


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्राजनीितमे, शासनमे समानुपाितकउपिथित के लेल।(ख) उोग, कृिष, पयर्टन, जंगल,जल सभ स अिधकतम् लाभ, लेबाकलेल।(ग) नदी िनयण, िसंचाई सडकवाँध, िवुत आिद के लेल संघीयसरकार स आ िवदेश स सबधथािपत कए िमिथला वासी के उथानलेल।(घ) िमिथला स उठाओल कर ...के उिचत यवथापन कए रायक ुतिवकाश लेल।(ङ) िमिथलामे योग होइत सभभाषा मे सरकारी तथा गैर सरकारीकायलय सभमे कामकाज करवाकलेल।(च) सरकारी सेवामे कामकाजकरबाक अवसर के लेल। अथतवेरोजगारी समया समाधानमे सहयोगकरवाक लेल।(छ) िमिथलाक पाविन ितहार मेछुी पएवाक लेल।(ज) िमिथलाक दिलत, उपीिडत,िपछडल वगर्, जनजाित आिदवासी,मिहला, अप संख्यक कँ लेल िवशेषअवसर के लेल।(झ) िमिथलाक लोकगाथा (सहलेश,लोिरक) लोकनृय लोकधुन लोककला,लोकगीत, लोकनाय आिद के रक्षा आचार सारक लेल।(ञ) पौरािणक िमिथलाक राजधानीजनकपुर सिहत िमिथलाक एक खड,एकर िलिप, सािहय भाषा, संकृितजीवन शैली सभ जीिवत अिछ तै रक्षाकलेल आ िवतर मे एकर सयताके,िवशेषताके फैलावक लेल।(ट) नेपाल मे भेल कोनोलोकतािक आदोलन, जातीय मुिक्तके आदोलनमे िमिथलाके अ, उभूिमका रहलैक, सपूत विलदान देल कैतै संघीयता के लेल अिधक रक्त ावरोकवाक लेल।१२. िमिथला रायक सीमा ः–(क) ाचीन, िमिथलाक सीमाछलैक –उरमे िहमालय, दिक्षणमे गंगा,पूवर्मे कोशी, पिम मे गंडक। ईिमिथला १८१६ क सुगौली सिध पात्खंिडत भेल। अखन एकर जीिवतभूगोल पर जीिवत इितहास छै, जीिवतिलिप भाषा, जीिवत संकृित जीवतिजवन शैली, जीवत मनोभावनाकअिधकार अनुसार सीौन गढ स पूवर्,झापा स पिम महाभारत पवर्त ृंखलास दिक्षण आ नेपाल भारत वीचक सीमास उर िमिथला छैक, आ िमिथलाराय होएबाक चािह।(ख) झापा मधेश मे रिहतो मे एतसतार, राजवंशी जनजाितक बसोवासछैक, आ ओकर अपन इितहास,संकृित, मांग आ संघषर् छै तै ओतए,नव आगतुक खस भाषी के छोिडओकर सभके आम िनणर्यके अिधकारअनुसार िमिथलामेँ समािहत कएल जाएअथवा वायता देल जाए।(ग) वारा, पस भोजपुरी भाषाकक्षे छै। मैिथली भाषा स फरक छैपरतु एकर संकृित, आिथर्क जीवनिमिथला के समान छै। खसवादी साकेदृिकोण यवहार एकरो ित ओहने छैतै एकरो आमिनणर्य के आधारपरिमिथला मे समािहत कएल जाए अथवावायता देल जाए।१३. मधेश आ िमिथला ः–(क) मेची स महाकाली तककेसपूणर् समतल मूिम – मधेश एकिहसास दिमत अिछ, दिलत अिछ,उपीिडत अिछ, तािडत अिछ, उपेिक्षतअिछ। सपूणर् मधेशी एकिह मनोिवज्ञानएकिह मनोदशा लक जीिवत अिछ।एकरा ितक शोषणक वरुप समानछैक तै तकर संघषर्क िनशाना एकिहटाभाषीक वगर् छै।(ख) खस भुववादी सा,मैिथली, भोजपुरी अिविध किहक उपेक्षा,अवहेलना निह करे छै समिमे मामधेशी कहै छै।(ग) थारु जाितके खस शासकपहाडी निह बुझै छै आ थारु अपना केमधेशी बुझ स भय महसुस करै छै।तथापी ओ संघीयता के संघषर्मे मुखशिक्त भए सकैतधै छै। आ इएह सोच‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्202स मधेशमे वसल येक जनजाित,ोणवार, सतार राजवंशी, झागड सभकेदेखनाइ आवयक छै आ ओकरा सबकेएिह संघषर्मे थािपत कएनाई आवयकछै।(घ) मधेशक आदोलन खस साके िवरु राजनीितक आदोलन छै आिमिथलाक आदोलन मािथक,सांकृितक, जातीय आदोलन िनिहतराजनीितक आ दोलन छै तै संघीयता केआदोलन के अतरवतु लेने छै।(ङ) मधेश आदोलन के थलिमिथला क्षे रहैत अिछ आ मानवअिधकार राजनीितक अिधकार ाितकेआदोलन के के सेहो िमिथला क्षेरहैत अिछ। तै मधेश आदोलन केिमिथला आदोलन स जोडनाई आिमिथला आदोलन के मधेश आदोलनके रुपमेँ िवकिसत कएनाई रणनीितकसोच राखव आवयक छै।१४. िमिथला आ गणत ः–िमिथला रायक लेल अथवािमिथलाक मुिक्तके लेल नेपालमे संघीयशासन आवयक शतर् छै। संघीय शासनके लेल गणत आ लोकत आवयकशतर् छै आ अततः लोकत केथापनाके लेल, एकर सशक्तता केलेल, एकर दीघयु के लेल गणतआवयक छै।१. गणत – जमक आधारपरिवशेषािधकार सिहत शासक िवना केशासन पित साक वरुप के गणतकहैत छै। सावर्भौिमक जनताजनितिनिध ारा रा मुख िनमणकपित के गणत कहैत छैक अथत्राजा िवना के शासन पित।२. नेपाल गणतामक देशहोएबाक चाही – कारण ?(क) किथत एिककरण वलातुसैिनक वल स िहंसा ारा भेल छै।(ख) राजतक मूल चिरिनरंकुश, िनमर्म, अयाचारी होइत आएलछै।(ग) सामे, सेनामे, शासनमे, यायालय दमनकारी नीित स पकड वना


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्क आम वगर् केँ िनमर्म शोषण दमनकरैत छै।(घ) कोनो कारक, नया सोच,वैज्ञािनक िचतन जनअिधकार आ गितिवरोिध भेनाई राजतक मूल ऐितहािसकिचतन आ चिर छै।(ङ) एक देश–एक राय, एकराय –एक रा, एक रा – एकजाित, एक जाित – एक धमर्, एक धमर्– एक संकृित, एक संकृित– एकभाषा, एक भाषा – एक भेष आिदकारक िनरंकुश एकामक नीित लैतआएक छै।(च) लोकतके थायी व,मानवअिधकारक वहाली, कानूनी रायकथापना वत, यायपािलका के लेलेराजत उच्छेदन आवयक छै।(छ) जनताके बलीदानी संघषर् सआएल लोकत के साथ सदा घोरषडय करैत आएल छै।(ज) िन जाित आ वगर् के सासँदुर रािख दानवीय यवहार कएनाई केदैिवक अिधकार बुझै छै।(झ) कोनो जाित जाित ,जनजाित, भाषाभाषी के पिहचान के दमनकरैत आएल छै आ दमन मे सेना,शासन, अदालत, मातृहत केँ योगकरैत आएल छै।(ञ) मधेशी के सदा िवदेशी सािवतकरै मे यथ रहै त आएल छै।(ट) िमिथला के साथ वहुत वडकाधोखा, षडय, गारी करैत आएल छै,जहन िमिथलाक सेना स सहयोग ल कभंग कए देने छै।(ठ) जातीय अिधकार के सुिनित,सुरिक्षत रखवाक लेल आवयक संघीयसंरचनाके थापनाक लेल गणतआवयक छै।१५. सघीयता आ वगय आदोलन ः–िकछु राजनीितक आ बौिधक वगर्मेम रहैंछ आ म ृजना करैछ जेसंघीय आदोलन वगय आदोलनकेँकमजोर करैत छै आ संघीय आदोलनजातीय सदाियक साव के दूिषत छै।मुदा ई म मा अिछ। शोषण केवरुप आ गित जतेक प आ तीहोइछ आ वगय आदोलन के गुण लैतजाइत अिछ आ सप वगर् आ “सय”जाित के िभतर िनिमर्त शोषण आशोिषतक चिर लबैत अिछ त ओ माअिधकार आदोलन निहं, जाित, क्षेिहतक आदोलन मा निहं मानविवकाशके म मे भेल वगय आदोलनअिछ। (आ कोनो वगय आदोलनकारीके संघीय आदोलनके समथर्न करबाकचाही) िमिथला आदोलन सेहो वगयआदोलन अिछ जतए एकटा रा,समृ संकृित, भाषा, सािहय, शोषणआ दमनके िशकार अिछ।१६. िमिथला आ जातीय आदोलन ः–जाित वरुप, चिर, इितहास, आओिह जाितपर होइत शोषण दमके माा,जातीय आदोलनके िदशा र वरुपिनधरण करैछ। (सामािजक संरचनाकेिभरके िविभ जाितकै तह, िहदुधमबलबीके िविभ जातपर होइतभेदभाव, आ शोषण सेहो आदोलन केसमय आ वरुप िनधरण करैछ।तथािप छोट आ सामियक अतर िवरोधएकर मुख्य आदोलन के असर निहं कसकैछ आ धान अतर िवरोध केसमाधान मा ओिह अतर िवरोध केसमाधान क सकैछ। िमिथलाके िभरकेँिविभ मुख्य के समाधान करमें आएल वाधा राजनीितक वैचािरकआदोलन के माफर्त मा अय कएलजाए सकैछ।१७. िमिथला आ जनजातीय आदोलनः–जनजाित वतः शोिषत दिमत आअिवकिसत होइत अिछ। ओकरा परसिदयॱ स शोषण भ रहल अिछ। मुदाआब ओहो अपना अिधकार के लेलअनवरत संघषर् क रहल अिछ। नेपालमेँजनजाित कोनो िवकिसत आ कोनोअिवकिसत अिछ। दुनु के वायताचाही। िकछु जनजाित सैिनक हरीसेना स जुडल अिछ। मुदा अिधकारसवंिचत। ओ पहाड मे आ मे आ मधेशमे सेहो अिछ। मधेशक आदोलन दुनुके अिधकारके लेल कएल संघषर् मेसहयोग कएलक अिछ। िमिथला क्षे मेजे जनजाित अिछ तकरा िमिथला रायसमानुपाित अिधकारस वंिचत निहं करतसे ओकरा िवास निहं भैरहल छै आपहाडके जनजाित स िमिथला तथामधेश आदोलन के िनक जकाँ निहंजोडल जा रहल अिछ। दुनु ठामकजनजाित के िवास मे लेनाई आवयकअिछ।१८. मधेश, िमिथला आ थारुआदोलनः–जनजाित में थारु क संख्या वेसीछै आ मा मधेश में लगभग पूवर् सपिम तक अिधकांश िजलामें। ईजाित अलग पिहचानक जाित छै कएकर अपन भाषा आ िकछु संकृितअलग छै। जािह क्षे में िथत छै तािहठामक भाषा स जुडल छै। शािरिरकबनौट मंगलाइड सन छै मुदा सांकृितकसबध मधेश के साथ जुडल छै। ईवत आदोलन निहं क सकैअ आमधेशी आदोलन स जुड स डराइछै।मधेशी आदोलन के अंगा खस साएकरा योग करै छै। किहओ आ कोनोआदोलन के िवरु में उतािर दैत छै।वहुत सजन जनजाित भेला के कारणई आसानी स ओिह षडय में फंिसजायत छै आ मधेश आ मधेशी केंिवरुमे ठाढ भ जाइत छै। एकराजनजाित आदोलन स नीक जकाँजोडनाई वहुत जरुरी छै, तहन एकरािमिथला आदोलन में समानुपाितअिधकार आ समानुपाित अिधकार क्षेके लेल िवास में ल एकर िवासात केनाई आवयक छै।१९. नेपालक िमिथला आ भारतकिमिथला ः–सुगौली सिध िमिथला के दुखडमें त वांिट देलक, मुदा राजनीितकसीमा स िमिथलाक भाषा, संकृितसािहयक सबध निह तोिड सकल।आई दुनु देशमें िमिथला रायक मांगउिठ रहन छै। अइस हुनु देशक शासक‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्203


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्वगर् के िकछु भय भरहल छै। दुनुदेशक िमिथला आदोलन के भावनामकसबध छै आ दुनु के नैितक समथर्नछै जे नैसिगर्क छै। दुनु राजनीितकवतता कायम राखए चाहैछै, दुनुअखडता के समान करै छै। ई वातदुनु देशक सा के वुझक चाही आहमरा सभ के कतर्य जे दुनु साकेबुझा देवक चाही। संघीय संरचनामें दुनुिमिथला अलग अलग रायािधकारचाहेछै, जेना वंगाल, पंजाव इयािदवंगला देशकें आ पािकतान में सेहोछै।२०. आम िनणर्य के अिधकार आिमिथला ः–यिक्तगत, जाितगत क्षेगत,रागत रुपमें वत पिहचानकें साथराजनीितक शासिनक िनणर्य केअिधकार आमिनणर्य के अिधकारअिछ। आिथर्क जीवन अपने शैली मेंसंचालन केनाई आमिनणर्य के अिधकारक्षे छै, अनुशािसत वतता केअिधकार आमिनणर्य के अिधकारके मूलममर् छै। कोनो यिक्त दोसर यिक्त पर,कोनो जाित दोसर जाित पर कोनो रादोसर रा पर अनािधकार के योगकएनाई के पूणर् िनयण आमिनणर्यकअिधकार कै। क्षेीय, जातीय, राियदमन, शोषण, शासन, शासन स मुिक्तके अिधकार मा आम िनणर्य के आमिनणयक अिधकार छै।िमिथला एकटा वत ऐितहािसकरा छलै तै एकरा आमिनणर्य केअिधकार छै, जे राजनीितक सीमा मेशासिनक शासकीय दमन स मुक्तहोएक।२१. िमिथला आ जातीय वायता ः–सीिमत राजनीितक आिथर्कअिधकार सिहत के खास क्षे में खासजाित अथत रा के ादेिशक शासनके जातीय वायता कहल जाइछै। ईआम िनणर्य के अिधकार के अधर् तथािनयित योग छै। आम िनणर्य केअिधकार के वायता में घेर देनाई आवायतताके जाितगत रुपमें योगकेनाई अयवहािरक छै खासक िमितसामािजक संरचनाके देशमें आ क्षेमें।िमिथला संघीय संरचनामे पूणर्रायिधकार योग करए चाहैत अिछकोनो केीय सा स िनधरण कएलसीिमत अिधकार सिहत कें किथतवायता निहं।२२. िमिथला आ दिलत आदोलन ः–ई हरेक दमन आ उपीडन समूिक्त के युग छै। राजनीितक आिथर्कशोषण मा निहं, सामािजक उपीडन समुिक्त के लेल येक देश में, येकरा मे, येक समाज में आदोलनतीवर् भगेल छै। एकरा समयमे वीकारकएनाई येक लोकतवादीके कतर्यछै। सामािजक याय उपलध करबैतराजनीितक रुपमे येक अंग मेंसमानपूवर्क उपिथत कएनाई राय केकतर्य छै। िमिथला वयं उपेिक्षतउपीिडत अिछ। तैं एकरा कतहु केदिलत आदोलनके हािदर्क समथर्नसहयोग करैत िमिथलाक दिलत मुिक्तकेआदोलन में सामेल होइत, ओकरअगुवाई करैत िमिथला राय के थापनामें गित स आगॉं बढत।२३. िमिथला आ राजनीितक दल ः–देशमें वतर्मान में सिय राजनीितकदल सभ मे संघीय संरचना के िवषयमेप धारणा वाहर निद आएल अिछ।संिवधानत ः वीकार कएले पर एिहिवषय मे पाटक संघ िवरोधी धारणाबाहर अवैत अिछ। संघीय संरचनाबनाएब, तािहमे कपटपूणर् अिभयिक्तअबैत अिछ। िकछु दल के नीित इ रिहआएल अिछ जे सपूणर् मधेश के एकटारायके रुपमे आवक चाही। ई संघीयमायता नेपाल मे कतेक यवहािरकहेतै? पौरािणक िमिथला केसंशोधनसिहत के एकटा राय बना कएमधेश में अय राय सेहो उपयुक्तहोएत। हरेक क्षे के आदोिलत कएसम मे मधेश के खसवादी भुव समुक्त कएल जा येक दल आ किथत‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्204वुििजवी संघीय संरचना के वीकारकरैत, मुक्त मधेश के मायता दैतिमिथला रायके थापना मे सहयोगकरैक, ईहए संघीय मायता अनुकुलहेतै।२४. िमिथला आ मिहला आदोलन ः–िमिथला सदा नारी के समान करैतआएल अिछ। तै नारी अिधकार केकुिडत निहं कए सकैअ। मिहलाअिधकार, मिहला सशिक्तकरण ारामिहला आदोलन के िमिथला आदोलनस जोिडक ल जेनाई जरुरी छै। िकछदशक स िमिथलाके मिहला केअनावयक अतरमुखी वनावल गेल छैआ एिह मे नेपालक जिडआएल सामतीसामािजक राजनीितक यवथाक खासभूिमका छै। तैं िमिथला के लोकतािकराय िनमण मे अिधकार सपमिहलाके भूिमका अित आवयक छै।२५. िमिथला आ किथत िपछडल आआगा बढल वगर् ९ बअपधबचम ायचधबचम ः–िमिथलाक डोम सेहो सपिशालीछल। एकरा साथ अछुत क यवहारनिहं छलै। गणरायक नायक जनकककालमे समतामूलक समाजक माणभेटछ। तथािप िमिथला एकटा देश छलजतए सब जाित जातक बसोबासवभािवक छल आ अिछ। अखनलोकतािक यवथा मे सभ जाितजातके समानुपाितक समावेशीकृतउपिथित िमिथला रायके येक अंगआ िनकाय में रहत से घोिषत नीितअिछ। िमिथला कोनो एकटा जाित केनिहं, किथत उच्च जाित के कथमिपनिहं। योग्यता क्षमता अनुसारसमानुपाितक रुपमें सहभागी केनाईआवयक अिछ। इएह िमिथला िनमणके आधार रहत।२६. िमिथला आ मानक मैिथली ः –


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्मानव शाी आ भाषा शाीकअनुसार केव भाषा निहं बजैअ, सबबोली ९मबिभअतक० बजैअ। समरुपबोली के सम रुप भाषा होइछ। मुदाजािह बोलीक बेसी संचार होइछ जािहबोली मे िवशेष रचना कािशत होइछ,जािह बोली के बेसी पाठक होइछ जािहबोलीक यिक्त सा पर िनयण करैछजािह बोली ारा काशन, याय सपादनहोइछ, जािह बोलीके िवान याकरणकरचना करैछ, ओहए बोली भाषा बिनकसमाजपर भाव पारैत अिछ। तै कोनोबोली किथत उच्च वगर्के भए सकैछ, तैओकरा मानक भाषा बुझनाई ओतेकउिचत निहं आ अइस कोनो जाित केराययपर िनयण के शंका केनाईउिचत निह। तै िमिथला में वतर्मान मेंवाजए जाए बाला येक बोली केसमान करत, सभ भाषाके समानकरतआ वहु भािषक नीित रािख रायसंचालन करत।२७. िमिथला राय थापना के लेलनीितगत कायर्म ः–(क) जनता, लोकत,मानवअिधकार के िवरोधी, जाित, भाषाकअिधकार के धान शु राजतअिछ। तै जनताके िम शिक्तलोकतवादी, मानव अिधकारवादी,कानूनी रायक पक्षधर आिद शिक्त आसंगठन स िमलक गणत लएवाक लेलअथक संघषर् आवयक छै।(ख) येक जाित, जनजाित,आिदवासी, दिलत उपीिडत वगर् िपछडलवगर्, अप संख्यक जाित, मानवअिधकरावादी सबस िमलक, संघीयसंरचना केल कठोर संघषर् आवयकअिछ।(ग) मधेशक येक जाित,जनजाित, भाषा भाषीक समुह, मिहलामुिलम सभके साथ कायर्गत एकताकरैत खस सा स सपूणर् मधेश केमुक्त कएनाई बेसी आवयक छै।(घ) संघीय संरचनाक ममर्, भावनाअनुसार मधेशमे आम िनणयक आधारपर िमिथला क्षेक येक वगर् केआदोिलत कए िमिथला रायके लेलसहमित जुटएनाय आवयक अिछ।२८. कायर्िदशा ः–१. संघीय संरचना िवना मुक्तमधेशक कपना तथा मुक्त मधेश िवनािमिथला रायक कपना असभव होएतसे बुिझ चेतना मूलक कायर्म सपूणर्मधेशमे आवयक अिछ।२. खस सा विगर्य समुदाय केिदमाग स ई भय हटैनाई जरुरी छै आचेतना देनाई जरुरी छै जे कोनो जाित,भाषा के संरक्षण, समान संघीयसंरचनामे मा संभव छै। जन अिधकारसप लोकत संघीय संरचनामे मासंभव छै।३. कोनो सा, दलीय सरकारकिनरंकुशता के यून करवाक लेल संघीयसंरचना मा आधार छै।४. संघीय शासन णाली सं देशखिडत निहं होइछ। अथत संघीयशासन देश के िवखडन स बचवैतअिछ। अथत् संघीय संरचनािवखडनवाद के थायी समाधानअिछ।२९. िमिथला राय िनमण वाधकिचतन ः–अतिरक१(क) िमिथला के लेल कोनोराजनीितक संगठन निह अिछ। आएहके लेल कोनो संघषर् निहं अिछ।(ख) भाषा संकृित करे लेल कोनोएिककृत संगठन निह अिछ।(ग) कोनो थािपत नेतृव निहंअिछ।(घ) भाषा, संकृित के आदोलनके लोकतािक आदोलन, मानवअिधकार वादी आदोलन स जोडक,लएजवाक िचतन या यास निहं अिछ।(ङ) एिहके लेल िकछ भ रहलआदोलन, वौिक यिक्तव सभक माअिछ, िजनकामे वािभमान कम, अहंकारवेसी, संयोजन करवाक क्षमता कम फुटकरवाक क्षमता वेसी छिह।वा‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्205(क) खस जाित सम संघ केिवरोधी िचतन रखैत अिछ अपना केसदा केीय साके भागी बुझैछिथ आनेपाल के अपन पुख के अजर्न सपिबुझै छिथ।(ख) सम मधेश एकरायक नारामेसाधारी वगर् िवखडन के गंध देखैतअिछ आ िमिथला तथा संघीय संरचनाके िवरु सोचेत अिछ।(ग) संघीय आदोलन के नेतृवकएिनहार, दल या यिक्त के िहदीभाषा ित आसिक्त स मातृभाषा ेमीिवचकैत छिथ आ खसवादी सेहो एिहमेिकछु रह मय दुगर्ध सुंधवाक यासकरैत अिछ।िनकषर् ः–नेपाल के साधारी, वगर् संकट केघड़ी सँ गुजिर रहल अिछ। देश अखनअिधकार ाितकँ नयाँ मोडपर ठाढअिछ। अिधकार सँ वंिचत उपीिडतवगर्, जाित आदोलनमे कुिद पडलअिछ। संघीय लोकतािक गणतमाग एकर अचूक औषिध छेक। येकभुसावादी सामती िचतन एिहआदोलन के पाछा धकेल चाहैत अिछआ आदोलन ओकरा िकनार पर खसवैतआगा बिढ रहल अिछ। आउ, समाजकस भ वगर्, आदोलन मे भाग िलअ आनैसिगर्क अिधकार थािपत करु।सदभर् सामाी ः–(क) संिवधानसभा, संघीय संरचना,िमिथला राज – अवधारण १– शीतलझाख) संघीय वशासन ितर...............वृषेश च लाल(ग) संघीय शासन यवथाकोआधारमा रायको पुन ः संरचना –अमरेश नारायण झा(घ) मूयांकन मािसक।


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्शेख मोहमद शरीफिस वेमपली शरीफक जम आ देशक कडापािजलामे भेल छल।जयलमी पोपुरीिनजाम कॉलेज, ओमािनया िविवालयमे अयापन।जुमा-शेख मोहद शरीफिस वेमपली शरीफिलिखत तेलुगु कथा।तेलुगुसँ अंेजी अनुवादजयलमी पोपुरीगजे ठाकुर(अंेजीसँ मैिथली अनुवाद)।हमर अमीक िनदष मुखमंडलअबैत अिछ हमर आँिखक सोझाँ, चाहेआँिख बद रहए वा खुजल रहए। ओिहमुखक डर हमर िवचिलत करैत अिछ।एखनो हुनकर डराएल कहल बोल हमरकानमे बजैत रहए-ए। ई िदन रहएजुमाक जािह िदन मा मिजदकबीचमे बम िवफोट भेल रहए। सभिदस कोलाहल, टी.वी. चैनल सभपरघबराहिटक संग हला, पाथरक बरखा,आदंक आ खुनाहिन।हम काजमे यत छलहुँ जखनफोन बाजल। फोन उठेलहुँ तँ दोसरिदस अमी छलीह..हुनकर फोन ओिहसमय नीक आ सहज लागल।एिहसँ पिहने िक हम “अमी..”किहतहुँ ओ िचितत वरेँ “हमरबाउ...!” कहलिह।“की अहाँकेँ ई बुझल छल...?”हम पुछिलयिह।“हँ एखन तुरे हमरा ई पताचलल..अहाँ सतकर् रहब! ...लागै-ए अहाँआइ मिजद निह गेल रही हमर बाउ।”हम हुनका डरसँ सदर् अवाजमे बजैतसुनलहुँ।िजनगीमे पिहल बेर हमर मिजदनिह जएबासँ ओ स भेल छलीह। ईिवचार हमरा दुख पहुँचेलक। की हमरअमी ई गप बािज रहल छलीह? ई ओछिथ जे हमरासँ ई पूिछ रहल छिथ? ईहमर अमी छिथ जे एिह तरहँ डरिलछिथ? हमर मितक िवचारकिवफोटसँ भिर गेल आ मृितक बािढ़मेबहए लागल।हमर अमीकेँ जुमाक नवाजआथाक दृिसँ नीक लगैत छलिह।ओ कोनो चीजक अवहेलना कऽ सकैतरहिथ मुदा जुमाक िदन नमाजक निह,से ओ हमरा सभकेँ ओिह िदन घरमे निहरहए दैत रहिथ। अबा सेहो हुनकरदामससँ निह बिच पाबिथ जे ओ घरपररहबाक यास करिथ। हुनकर सनडीलडौल बलाकेँ सेहो हाथमे टोपी लएमिजद चुपचाप जाए पड़िह।हमरा सभक घरमे काजसँ दूरभागए बला, आलसी बच्चा, िशकारी हमआ हमर अबा हरदम मिजद निहजएबा लेल बहाक तािकमे रहैत छल।हमर अबा भोरेसँ छाती तनैत कहैतरहैत छलाह जे आइ जुमा अिछ सेकोनो हालितमे मिजद जएबाके अिछ।मुदा जखने समय लग अबैत रहएहुनकर बहा शुरू- “ अरे! अखनेकादोमे हम खिस पड़लहुँ...” हमर अमीलग कोनो रता निह बचिह। जे से,तखन ओ हमरा सेहो मिजद निह पठासकैत छलीह...हमरा नहबैत, हमरकपड़ा धोबैत, ओ कोना कऽ सिकतिथ?तैयो ओ हाथमे छड़ी लेने आँगन आबिथ,हमरापर गुहरैत, हमर पु िपटान करैतआ हमरा अँगनामे कपड़ा जकाँ टँगैत।से हम ई चोट खएबासँ नीक बुझैत रहीनमाजे पढ़ब। हमर आलसपना मिजदपहुँिचते अकाशमे उिड़ जाइत रहए।एक बेर ओतए पहुँिचते हम दोसरबच्चा सभ संग िमझरा जाइत रही आसभटा नीक वरदानक लेल ाथर्ना करैतरही- जेना हमर अबा लग खूब पाइहोिह, हमर अमीक वाय नीक भऽजािह, हमर पढ़ाईमे मोन लागए आ कीकी।हमर अमा बुझाबिथ- “हमरा सभकेँमिजद मा वरदान ात करबाक लेलनिह जएबाक चाही, हमर बाउ..हमरासभकेँ नमाज पढ़बाक चाही...अलामेआथा हेबाक चाही। ओएह छिथ जेहमर सभ कयाण देखैत छिथ”।जखन दोसर हुनका हमर उपरागदेिह जे हम नमाज काल आते-आतेगप करैत रहै छी तँ ओ हमरा आतेसँदबािड़ बाजिथ- “हमर बाउ, ाथर्नाककाल बजबासँ अपनाकेँ रोकू...कमसँकम मितकमे दोसर तरहक िवचारकेँअएबासँ रोकू। बगलमे बम िकएक नेफाटय तैयो सवर्दा अपन मितककेँअलापर केित राखू...”। हुनका ओिहिदन एिह गपक अदेशा निह रहिह जे‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्206


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्एक िदन ठीकेमे मिजदमे बम फाटत।से आयर् निह जे ओ एतेकआमिवाससँ बािज रहल छलीह। आबजखन ठीकेमे बम िवफोट भेल अिछ,हुनका ई अनुभव भऽ रहल छिह जेकतेक भयावह ई भऽ सकैत अिछ।हम हुनकर वेदनाकेँ निह देिख पािबरहल छी। ओ डरायिल छलीह। ओनमाजसँ डरायल छलीह। ओ अलासँसेहो डरायल छलीह।“अमी...”। हम उत भऽकहलहुँ।“हमर बेटा...”। ओ दोसर कातसँबजलीह। “अहाँ आइ मिजद निहगेलहुँ, निह ने, हमर बाउ”? ओ फेरसँकहलीह।हमर हृदय डूिम रहल रहए। शदहमर संग छोिड़ रहल रहए। हमर कंठसूिख रहल रहए। हम घुटनक अनुभवकएलहुँ। िवचार वािर जकाँ हमराभीतर उिठ रहल छल। हमरा लागल जेक्यो हमरा ठेिल कए सोिखं कए भूतमेलऽ जाऽ रहल अिछ।२जुमाक िदन मिजदसँ घुरलाकबाद हम सभटा घटनाक आवृि अमीलग करैत छलहुँ। हम नमाजक एकटाछोट संकरण हुनका लगमे करैतछलहुँ। हमरा ाथर्ना पढ़ैत देिख ओहमरा आिलंगन मे लऽ चुमा लैत छलीह,“अला हरदम अहाँक रक्षा करताह,हमर बाउ...”। ओ हमरा आशीवद दैतरहिथ। तखन हम िनणर्य कएलहुँ जेजओँ हमरा कोनो ज्ञानाण अिछ तँहमरा कोनो नमाज निह छोड़बाक चाही।सभ जुमाकेँ ओ नमाजक महवपरबाजिथ आ मिजद जएबापर जोड़देिथ। आन चीजक अितिरक्त ओ एिहगपक िवषयमे बाजिथ जे कुरान अहीिदन बनाओल गेल रहए, िक मनुक्खअपन कमर्क लेल अही िदन उर दैतअिछ आ जे िव जीवन रिहत जेकिहयो होएत तँ सेहो अही िदन होएत।हमर माथ, छोट रिहतो, ई गपबुिझ गेल जे जुमा िकएक मुसलमानलेल पिव अिछ।सभ बच्चा जुमा िदन साँझ धिरकूलमे रहैत छलाह, मा हमदुपहिरयाक बादे कूल छोिड़ दैत छलहुँ,मिजद जएबाक बहे झोरा झुलबैत घरघुरैत छलहुँ। हमर अमी िशक्षकसँपरामशर् कए केने छलीह।दोसर छा सभ हमरा एतेक शीघर जाइत देिख ईय करैत छलाह। ओहमरा भाग्यशाली बुझैत छलाह आ अपनोमुिलम होएबाक मनोरथ करैत छलाह।हुनकर ईयलु मुख देिख हमभीतरे-भीतर हँसैत रही। हम खुशी-खुशीघर घुरैत रही जेना हाथीक सवारीकएने होइ।हमर अमी ओिह महवपूणर्उपिथितक लेल हमरा तैयार करैतरहिथ-गरम पािनसँ नहबैत रहिथ, हमरआँिखमे काजर लगबैत रहिथ, हमरकेशक लटकेँ टोपीक नीचाँ समेिट कएराखिथ। हम सभ िदन तँ हाफ पैंटमेरहैत छलहुँ मुदा ओिह िदन उजरा कुरतापैजामामे चमकैत छलहुँ।दोसर ीगण हमरा देिख अपनहाथ हमर मुखक चारू िदस जोरसँघुमाबिथ आ कोनो दुामाकेँ भगाबिथआ कहिथ, “जखन जुमा अबैत अिछअहाँ जुमाक सभटा चक लए अिबते नेछी”!!अहाँ जुमाक साँझमे ई खुशी सभघरमे देिख सकैत छी, दरगाह केर ेमकएल िचक सोझाँमे जड़ैत लैप,अगरबतीक सुगधी वायुमे हेलैत; अपनमाथ झँपने ीगण घरक भीतर-बाहरहोइत; आ नािरकेलक दाम दोकानकिखड़कीपर बढ़ैत। दरगाह केर ेमकएल िच पर नािरकेल चढ़ेबाक िवधकवणर्न एतए अहाँ निह छोिड़ सकैतिछयैक।िकएक तँ हमर अबाकेँ अपर्णिवधक ज्ञान निह छलिह से ओहजरतकेँ छओटका रतासँ घर अनैतरहिथ। हमर अमी ई िसखबाक लेलहुनकर पछोर धेने अबैत रहिथ।“अहाँकेँ ई अतरो निह बुझलअिछ कलमा..आिक गुसुल...हमरा अहाँसँिनकाह करेबाक लेल अपन अमी-अबाकेँ दोषी बनाबए पड़त...िकयोअहाँसँ नीक हुनका सभकेँ निहभेटलिह, अहाँसँ हमर िबयाह (िनकाह)करेलिथ। आब बच्चो सभ अहॴक रतापकड़लिथ ...” ओ हुनकासँ एिह तरहेँिववादपर उतिर जािथ।“अहाँ ..घरक...ई उपीड़न हमरालेल अस भऽ गेल अिछ..”। पजरैत,ओ मिजद जाइत रहिथ लाल-पीयरहोइत हजरतकेँ घर अनबा लए।हजरत नािरकेलक अपर्ण िवध पूराकरबाक बाद अपन मुँह आ पएर धोकएआ अपन दाढ़ीमे ककबा फेिर बाहरमेखाटपर बैसैत रहिथ। एिह बीच हमरअमी फोड़ल नािरकेलक गुा िनकािलओकर कैक भाग कए ओिहमे िचीिमलाबिथ। ओ तखन एिह िमणकेँबाहर हातामे जमा भेल सभ गोटेमेबाँटिथ। ओ अतमे हमरा लेल राखलदू-तीन टा टुकड़ी लेने हमरा लगआबिथ।हम िशकाइत किरयिह, “ इएहहमरा लेल बचल अिछ? “हमरा सभकेँअलाकेँ अिपर्त कएल वतु निहखएबाक चाही, हमर बेटा..हम दोसरामेएकरा बाँटी तैयो जओँ हमरा सभ लेलिकछु निह बचए”। ओ हमरा शातकरिथ।हुनकर मीठ बोल हमरा मोनसँनािरकेलक पयत िहसा निह भेटबाकिनराशाकेँ खतम कए दैत छल। बादमेहमर िपता आ हजरत साँझमे अबेर धिरबैिस गप करैत रहिथ। अपन वबदिल सामाय वमे हम, अपना संगीसभक संग पड़ोसक एकटा िनमणथलपर बालूक ढेरपर खेलाय लेल चिलजाइत रही।ई सभ सोिच हमर आँिखमे नोरकइनार बिन गेल...“हमर पु, अहाँ िकएक निह बािजरहल छी? की भेल? हम डरक अनुभवकऽ रहल छी...बाजू...” हमर अमीपुछैत रहलीह। ओना तँ हैदराबाद एनाइतीन बरख भऽ गेल मुदा एको िदन हमनमाज निह पढ़लहुँ। असमयक पारीमेकाज करबा अनतर हम ईहो िबसिर‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्207


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्गेलहुँ जे नमाज पढ़नाइ की िछयैक।“अमी..” हम उर लेल शद तकैतबजलहुँ। “अमी, हम किहया हैदराबादमेनमाज पढ़बाक लेल मिजद जाइत छीजे अहाँ एतेक िचितत भऽ रहल छी”?हम पुछलहुँ।हम मोन पाड़लहुँ ओिह िदनकेँजखन ओ हैदराबाद आएल रहिथ कारणहम कहैत रिहयिह जे हम हुनकाहैदराबाद नगर देखेबिह। मुदा हैदराबादआिब अपन िवरोध देखबैत ओ बजलिथ,“हम कतहु जाए निह चाहैतछी...हमरापर िकएक पाइ खचर् कऽ रहलछी”? हम हुनकर मोनक गप बुझैतरही। ओ हमरापर बोझ निह बनएचाहिथ, मुदा हम हुनकर िवरोधपर याननिह देलहुँ। हमर जोर देलापर ओ एकबेर अएलीह। हम हुनकर हाथ पकिड़रता पार करबामे मदित किरयिह।एक बेर खैरताबादक लग सड़क पारकरबा काल हुनकर आँिख नोरसँ आर्भऽ गेलिह।“अहाँ कतए जम लेलहुँ...कतएअहाँ बढ़लहुँ...अहाँ कतेक टा भऽगेलहुँ? अहाँ एिह पैघ नगरमे कोना रहैतछी? अहाँ बहुत पैघ भऽ गेलहुँ... ओबड़ाई करैत कानए लगलीह।अहाँ जखन बच्चा रही तखन हमअहाँकेँ नानीगाम बससँ लऽ गेल रही।हम अहाँक हाथ किस कऽ पकड़ने रहीिक अहाँ कतहु हेराऽ ने जाइ। आबअहाँ एतेक पैघ भऽ गेलहुँ जे हमर हाथपकिड़ बसपर चढ़बामे मदित करी”। ईकहैत ओ नोरक ारे ठहिर गेलीह। ओखखसलीह, “खुस...खुस...” पिरमसँअपन ास वापस अनलिह।ओ जखन भूतकेँ मोन पािड़ रहलछलीह हम हुनका सावना देिलयिह आहुनकर नोर पोछिलयिह।“अमी...हम एतए जीबाक इच्छासँअएलहुँ। हम साहस केलहुँ आ कतेकरास किठन क्षणकेँ सहन कएलहुँ।जखन दुिखत रही, हम अपनेसँ दबाइलए ले जाइ आ संगमे तखनो य नकरी।, ई सभ अमी...ई सभ अहाँकआशीवदसँ भेल, आिक निह? एिहनगरमे अपना किह कऽ संबोिधत करएबला हमर क्यो निह अिछ, तखनो हमएतए िबना असगर रहबाक अनुभूितकरहैत छी”। अपन आँिखक नोर पोिछकऽ ओ हमरा आशीवद दैत कहलिह,“दीघयु रहू हमर पु”।समयाक आरभ तकर बाद भेल।“सभ जुमा..जुमा...अहाँ नमाजपढ़ए छी हमर बाउ”? ओ पुछलिह।“निह माँ। कहू ने, कखन हमरापलखित भेटैत अिछ”?“अहाँकेँ किहयो समय निह भेटत,मुदा अहाँकेँ करए पड़त, एकरा छोड़बाककोनो गुजाइश निह अिछ। मुिलमकरूपमे जम लेबाक कारण अहाँकेँ,कमसँ कम सताहमे एक िदन समयिनकालए पड़त”, ओ कहलिह।आगाँ कहलिह, “धिनक आ गरीबनमाजक काल संग अबैत अिछ। ओसभ काहमे काह िमलाए नमाज पढ़ैतछिथ। ओिह िदन ई बेशी गुणक संगअबैत अिछ। एक बेर हरेलापर अहाँ ओआशीष किह घुरा निह सकैत छी। तािहारे धिनक आ एहनो जो लाखमेरुपैयाक लेनदेन करैत छिथ, अपनयवसायकेँ एक कात रािख नमाज पढ़ैतछिथ। दोकानदार सभ सेहो अपनयवसाय ब कऽ दैत छिथ िबना ईसोचने जे कतेक घाटा हुनका एिहसँहेतिह। संगिह ओ गरीब सभ जेितिदनक खेनाइक जोगार निह कऽपबैत छिथ, सेहो नमाज पढ़ैत छिथ”।हमरा डर छल जे हमर माँ ओएहपुरान िखसा फेरसँ तँ निह शुरू कऽदेतीह। िवषय बदिल कऽ हमकहिलयिह, “की अहाँकेँ बुझल अिछ जेएतए िनजाम नवाब ारा िनिमर्त एकटापैघ मा मिजद अिछ...”?“एहन अिछ की? हमरा अहाँओतए निह लऽ चलब”? ओ उसाहसँबजलीह।“जखन अहाँ ओतए पहुँचब तँहमरा नमाज पढ़बा ले अहाँ निह नेकहब”। हम िवनयपूवर्क ाथर्नाकएिलयिह।“हमर बाउ...अहाँ ई की कहैतछी...हम अहाँकेँ ई सुझाव अहाँक अपनभलाइ लेल दैत छी”।“ठीक छैक..चलू चली”! हम सभओतएसँ बस ारा सोझे मिजद गेलहुँ।ओ चारमीनार िदस देखलिह जेमिजदक मीनारसँ बेशी पैघ रहए।“अमी ओ छी चारमीनार। हमपिहने ओतए चली..आिक मिजद”? हमपुछिलयिह।“ओतए चारमीनारमे की अिछ हमरबाउ”?“ओतए िकछु निह अिछ...कोनोिदशामे देखू एके रंग लागत। मुदा अहाँऊपर चिढ़ सकैत छी। ओतएसँ अहाँमा मिजद प रूपमे देिख सकैतछी...आब देरी भऽ गेल अिछ। हमचारमीनार बादमे देिख सकैत छी...अखनतँ हमरा सभ मिजद देखी”। ओवीकृित देलिह।मिजदक भीतरमे शाित रहए।शाितक सााय छल। ई शीतल,सुखकारी आ िवतृत रहए। आगतुककआबाजाही बेशी रहए। अमी भीतरजएबामे संकोच कऽ रहल छलीह कारणीगण सामायतः मिजदमे निह वेशकरैत छिथ। मुदा ओ िकछु बुरकाधारीीगणकेँ ओतए देिख ओहर बिढ़गेलीह।अपन साड़ी (नूआ) ओरकेँ माथपरलैत ओ बजलीह, “हमहूँ अपन बुरकाआिन लैतहुँ ने”? घरसँ चलैत काल ओएिह लेल कहने रहिथ मुदा ई हम रहीजे हुनका एकरा पिहरएसँ रोकने रही।अपन काजपर हुनका लेल एकराछोड़नाइ सभव निह छलिह मुदा हमएिह नव थानपर हुनका एिह झंझटसँमुिक्त देमए चाहैत रही। मुदा अपनसदायक ीगण बीचमे िबना बुरकापिहरने ओ अपनाकेँ िबना चामक अनुभवकऽ रहल छलीह। जखन हम हुनकातंिभत आ थरथराइत चलैत देखिलयिहतखन हम हुनका बुरका निह पिहरएदेबाक लेल लिजत अनुभव कएलहुँ।तैयो अपन रक्षा करैत हम कहिलयिह,“हम कोना ई बुिझतहुँ अमी जे हमरसभकेँ मिजद घुमबाक योँत लागत”।‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्208


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्ओ िकछु निह बजलीह।“एिहसँ कोनो अतर निह पड़ैतअिछ...आऊ”। हम बादमे ई किहहुनका भीतर लऽ गेलहुँ। ओ हमर संगअएलीह। हम सभ अपन चपल कातमेरखलहुँ जािहसँ बादमे ओकरा लेबामेआसानी होअए। कतेक गोटे मिजदकसीढ़ीयेपर आलती-पालथी मािर कएबैसल रहिथ। परबाक संग खेलाइतिकछु गोटे ओकरा दाना खुआ रहलरहिथ। िकछु परबा उिड़ गेल आ िकछुआन घुिर कए उतरल। िकचु परबापािनक चभच्चाक कातमे बैिस कऽएहर-ओहर तािक रहल रहए, एकटाआादकारी दृय। अमी हुनकाँआियर्त भऽ देखलिह। बादमे ओ हमरपाछाँ अएलीह जखन हम सीढ़ीक ऊपरलेटफॉमर्पर पहुँचलहुँ।लेटफॉमर्केँ चारू िदस देखैत ओिचकिर कए बजलीह, “हमर बाउ, एकबेरमे कतेक गोटे एतए बैिस कऽ नमाजपिढ़ सकैत छिथ”?“हमरा निह बुझल अिछअमी...कैक हजार हमरा लागए-ए।रमजानक िदनमे लोक चारमीनार धिरबैिस कऽ नमाज पढ़ैत छिथ”। हमउर देिलयिह। “हँ, ई टी.वी. मेदेखबैत अिछ” अमी युर देलिह।ओ एकरा नीकसँ चीिह गेल रहिथ, हमअपनामे सोचलहुँ। चारू कात देखाऽकऽ अितममे हम हुनका मिजदक पाछाँलऽ गेलहुँ। पथारक फलक िचड़ैकमलसँ मैल भेल रहए। परबा सभदेबालक िछमे खोप बनेने रहए।ओ मीनारक देबालकेँ छूिब आआँिखसँ ापूवर्क सटा कऽ अित सभऽ गेलीह।“एतए नमाज पढ़ब पिव गपअिछ, हमर बाउ”, ओ कहलिह।हमराएिह बेर कोनो अित सवेदना निहभेल।“हँ। ठीके, हम एतए कमसँ कमएक बेर नमाज अवय पढ़ब”। हमअपनाकेँ कहलहुँ।हम जतए रहैत छी मा मिजदओतएसँ बड दूर अिछ। जुमा आछुीक िदन बससँ एतए अएनाइबड दुगर्म अिछ। तैयो, अिगलाबेर हम एतिह नमाज पढ़बाक णकएलहुँ।“हम अिगला सताह् एतए आिबनमाज पढ़ब अमी”, हम कहिलयिह।ओ फुिलत अनुभव कएलिह आ हमरािदस आवेशसँ देखलिह।“एिह सभ ठाम नमाज पढ़बामेअपनाकेँ धय बुझबाक चाही”, ओकहलिह।“अहाँक अबा ओतेक दूर रहैतछिथ, ओ की नमाज पढ़बाक लेल एतएआिब सकैत छिथ? अहाँ अही नगरमेछी..एतए नमाज पढ़ू”, ओ कहलिह।“निह मा एतए, जतए कतहु पुरानमिजद होए ततए नमाज पढ़ू। कतेकिस लोक एतए नमाज पढ़ने होएताह।एिह सभ ठाम नमाज पढ़लाक बाद कोनोघुरए केर गप निह अबैछ। अलाअहाँकेँ िनकेना रखताह”।हम मिजदमे एना ठाढ़ रही जेनाजादूक असिर होए। हम हुनकर गपसुनलहुँ, कान पािथ कऽ। बादमे, बाहरिनकललाक बाद हम सभ िकछु िबसिरगेलहुँ। अपन मिजद जएबाक ितज्ञाकेँसेहो हम कात रािख देलहुँ। ओहीसंयामे हम अमीकेँ बस-टैडपरछोड़लहुँ। तकर बादा दू टा जुमाबीतल, मुदा से एना बीतल जेना ओकोनो जुमा निह छल। आब बमिवफोटक एिह समाचारक बाद हमजुमासँ भयभीत छी।“अमी...अहाँकेँ ईहो बुझल अिछजे कोन मिजदमे बम फूटल छल”?हम फोनपर पुछिलयिह।“कोनमे हमर बाउ”? ओ उसुकभऽ पुछलिह।“अहाँ एक बेर हैदराबाद आएलरही, मोन पाड़ू? हम निञ अहाँकेँ एकटामिजदमे लऽ गेल रही...मामिजद...पैघ सन? ओतिह, ओहीमिजदमे...खुनाहिन ओही मिजदमेअमी...खसैत लहाश.. अहाँ कहने रहीजे िकयो जे ओतए नमाज पढ़त, धयहोएत...ओही मिजदमे अमी”। हमकहिलयिह। “छोट बच्चा सभ...ओकरसभक देह खोनमे लेपटाएल...खून सँभीजल परबा सभ सेहो मरल...”।नोर अिनयित दुखमे बहएलागल। हम बाथरूम लग नोर पोछबाकलेल गेलहुँ। हुनक हृदय हमर कानिनदेिख फाटए लगलिह। ओ सेहो कानएलगलीह। हम आगाँ कहलहुँ, “अमी,निह कानू...अबाकेँ होएतिह जे हमरािकछु भऽ गेल अिछ...हुनका किहयिहजे हम नीकेना छी”।कनैत ओ हमरा पुछलिह, “फोननिह राखब हमर बाउ”।“जदी अमी, कहू”।“अहाँ चिल आउ...गाम चिलआउ...हमर गप सुनू”।“हमरा िकछु निह भेल अिछअमी”।“बाहर निह जाएब..हमर बाउ”।“ठीक छैक अमी”।“ओिह मिजदमे निह जाएब, हमरबाउ”।हमर हृदय फटबा लेल फेर तैयारअिछ। हम हुनका ई आासन दैत जेओिह मिजदक लगो कोनोठाम हम निहजाएब, फोन रखलहुँ।मुदा िवचारक आगम बढ़ैत रहल।कतेक िविभता! कतेक पिरवतर्नकािसँ! ई हमर अमी छिथ जे एनाबािज रहल छिथ? ई ओ छिथ जे हमराई बािज रहल छिथ जे मिजदक लगोकोनोठाम निह जाऊ? अला कोनो आनभऽ गेल छिथ अपन बच्चाक ेमकआगाँ? अपन खूनक आगाँ अलाअवादु भऽ गेलिथ? नमाज िवरोधकयोग्य भऽ गेल? अला माफी िदअ! क्षमाकरू! आन जुमाकेँ कोनो खुनाहिन निहहो..औज िबलाही..िमनाशैतान...िनरजीम..िबिमलाह इरर्हमा िनरर्हीम...!(ओिह सभ अमीजानकेँ समिपर्तिजनका मा मिजदक बाद अपनाकेँहमर अमी जकाँ पिरवितर्त होमएपड़लिह...लेखक)‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्209


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्सुशांत झााम+पालय-खोजपुरसित सुशांत जी इंिडया यूजमे कॉपी राईटर छिथ,-िमिथला िविवालयसँ नातक (इितहास), तकर बाद आईआईएमसी(भारतीय जनसंचार संथान) जेएनयू कैपससँ टेिलिवजन पकािरतामे िडलोमा (2004-05) ओकरबाद िकछु प-पिका आयूज वेबसाईटमे काज, दूरदशर्नमे लगभग साल भिर काज। इंिडया यूज फेर ेसिफ डॉट इन मे चाकरी।—स पादककी बिलराज गढ़ िमिथलाक ाचीनराजधानी अिछ?हमर गाम खोजपुरसँ करीब एकिकलोमीटर दिक्षण िदस बिलराजपुरनामक एकटा गाम छैक। ई गाममुधुबनी िजला मुख्यालयसँ करीब 34िकलोमीटर उर-पूब िदसामे छैक।एतय एक टा ाचीन िकला छैक जे365 िबगहामे पसरल छैक आ एकरदेखभाल भारत सरकारक पुरातविवभाग क रहल अिछ। िकलाक खुदाईभेलापर एिहमे सँ मृदभांड आ िविभतरहक बतु िनकलल आ सोनाक िसासेहो भेटलैक। िकलाक बाहर जे बोडर्लागल छैक तािह के मुतािबक ई िकलामौयर्कालीन हुअक चाही। िकला केकात करोटमे जे गाम छैक ओिहमेभाँित-भाँितक िकंवदित पसरल छैक,िकलाक िवषयमे। जतेक लोक, ततेकतरहक बात। िकछु लोकक कथन छिहजे ई िकला राक्षस राज बिलकराजधानी छलै -आ िकछु गोटा तँ राजाबिलकेँ देखबाक सेहो दावा केलिहअिछ। साँझ भेलाक बाद लोक सभिकला िदस जाइसँ बचए चाहैत छिथ।भऽ सकैत अिछ जे ई अफवाह सरकारीकमर्चारी लोकिह फैलेने हुएआए-कारणजे ओकरा सभकेँ यूटी करएमे कनीआराम भऽ जाइत छैक। लोक सभराजा बिलक डरे िकछु चोरबऽ निञचाहए छैक।िकला अुत छैक। िकलाक देबारभग्नावथामे रिहतहु अपन यौवनक यादिदआ रहल अिछ। िकलाक देबार एतेकचाकर छैक जे ओदृपर तँ आसानी सँएकटा रथ िनकिलये जाइत हेतैक।देबारमे लागल ईंटा दू-दू फीट नमहर आलगभग गोटेक फुट चाकर छैक।चीनक देबारसँ कम मोट निह हेतैक ईअपन यौवन कालमे। िकलामे एकटापोखिर छैक, ककरो निह बूझल छैक,जे किहया खुनाएे ई पोखिर। बूढ़-पुरानक कहब छिह जे ई पोखिरराक्षसक कोरल अिछ। िकछु लोकिनकतँ ई मत छिह जे एिहमे एकटा सुरंगसेहो छैक-जकर रता कतओ आरिनकलैत छैक। सुनैत िछयैक जे ाज-पिरवारक सदयकेँ आपातकालमे बाहरिनकालैक लेल एहन सुरंग बनायलजाइत छलैक। िकलाक कात-करोटमेजे गाम छैक तकर नाम सेहोऐितहािसक। िकलाक पूब िदस छैकफुलबिरया नामक गाम आ ओकर बगलमेसटल छैक गढ़ी गाम..जे आब अंशभऽ कऽ गरही भऽ गेलैए। िकलाकपच्छीम िदस छैक रमणी पी नामकगाम आ ओिहसँ सटल छैक भुपी।िकलाक दिक्षणमे छैक िबमशेर, जतयाचीन सूयर् मंिदरक अवशेष भेटलैए। ईबात यान देबाक जोग जे सूयर् मंिदरदेशमे बड कम जगह छैक। बिलराजगढ़क खुदाई पिहल बेर 1976 मेभेलैक, जखन केमे साइत डॉ0 कणर्िसंह एिह िबभागक मंी छलाह। गढ़कउारक लेल मधुबनीक पूवर् सांसदभोगे झा आ कुदाल सेनाक अयक्षसीताराम झाक बड योगदान छिह।िकछु इितहासकार लोकिनक कहबछिह, जे ई िकला बंगालक पालवंशीयराजा लोकिनक िकला भ सकैत अिछवा फेर मौयर् साटक उरी सुरक्षािकला भऽ सकैत अिछ। ओना िकछुगोटेक कहब छिह जे एकर बडसंभावना- जे ई िकला िमिथलाक ाचीनराजधानी सेहो भऽ सकैत अिछ।एकर पाछू ओ ई तकर् दैत छिथह,जे एखुनका जे जनकपुर अिछ, ओ नवजगह अिछ आ ओतुा मंिदर १८हमशतादीमे इंदौरक महाराणी दुगवतीकारा बनबाएल गेल अिछ। िवानलोकिन जनकपुरक ऐितहािसकताकसंिदग्ध मानैत छिथ। हमरा एिह संबंधमेएकटा घटना मोन पिड़ रहल अिछ।१० साल पिहने पटनामे वैशालीक एकटासजन हमरा भेटलाह आ कहलिह जेबिलराज गढ़ वातबमे िमिथलाक ाचीनराजधानी अिछ। हुनकर कहब छलिहजे ेनसांगक एकटा िववरणक मुतािबकपाटिलपुँस एकटा खास दूरी परवैशाली अिछ, वैशालीसँ एतेक दूरीपरकाठमांडू (कामंडप) अिछ आकाठमांडूक दिच्छन आ पूब िदशामेिमिथलाक ाचीन राजधानी छैक।एखुनका जनकपुर ओिह मापदंडपर सहीनिञ उतिर रहल अिछ। पता निञ एिहबातमे कतेक सयता छैक। एकरअलावा, रामायणमे सेहो िमिथलाक ाचीनराजधानीक संदभर्मे िकछु संकेत छैक।रामायणक संकेत सेहो बिलराजपुरकेँिमिथलाक राजधानी होएबाक संकेत कयरहल अिछ।‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्210


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्सांसद भोगे झाक मुतािबक, राजाबिलक राजधानी महाबलीपुरम भर सकैतअिछ, जे दिच्छन भारतमे छैक। सभसँपैघ बात ई जे पूरा िमिथलामेबिलराजपुरसँ पुरान कोनो िकला निहअिछ, जे िमिथलाक ाचीन राजधानीहोएबाक दावा कय सकए। िकलाकभीतर उबड़-खाबड़ मैदान छैक, जेराजमहलक जमीनक भीतर धँिसजएबाक माण अिछ। एतय एकाधजगह खुदाई भेलैए आ ओहीमे काफीकीमती धातु आ समान भेटलैक अिछ।अगर एकर ढ़ंगसँ खुदाई कएल जाय तँनिञ जािन कतेक रहय परसँ आवरणउिठ जायत। एखन धिर सरकारकतरफसँ कोनो ठोस यास निह भऽपाओल अिछ, जिञसँ बिलराज गढ़काचीनताकेँ दुिनयाक सोझाँ रखबाककोसीस कएल जाय। बस एकटाकामचलाऊ सड़कसँ एकरा बगलक गामखोजपुरसँ जोिड़ देल गेलैक आ इितीकय देल गेलैक।यिद बिलराज गढ़क खुदाई ढ़ंगसँकएल जाय आ एतय एकटा नीकसंहालय बना देल जाय तँ बिढ़या काजहोयत। िमिथलांचलक हृदयथलीमेरहबाक कारणेँ एतय िमिथला पेंिटंगककोनो संथान वा आटर् गैलरी सेहोखोलल जा सकैत अिछ। एकटानीक(चाकर आ िचन हाईवे) क संगनीक िवज्ञापन बिलराजगढ़क पयर्टकसभकेँ िनगाहमे आिन सकैत अिछ।एिहसँ इलाकाक गरीबी दूर करबामे सेहोमदद भेटत। यिद एकरा बुा सिकर्टवा रामायण सिकर्टक अंग बना लेलजाय तँ आर उम।िमिथला मंथन१.िमिथलांचल क्षे िबहार मे सबसँिपछड़ल मानल जाइत अिछ, अगरितयिक्त आय, साक्षरता और सवकालमे जच्चा-बच्चा के मृयु के मापदंडबनायल जाय तोँ िमिथलांचल देश केसबस गरीब आ िपछड़ल इलाका अिछ।एकर िकछु कारण त अिह इलाका केभौगोिलक बनावट अिछ लेिकन ओिहयोसँ पैघ कारण एिह इलाका मे कोनोनीक नेतृव के आगू नै एनाई अिछ।आजादी लगभग 60 वषर् बीत गेलाकबाद देश में जिह िहसाब स आिथर्कअसमानता बिढ़ गेलैक अिछ ओिह मेंिबहार आ खासकए िमिथला सामनेएकटा बड पैघ संकट छैक जे ईआआंर पाछू नै फेका जाय। उदाहरणके लेल ई आंकड़ा आंिख खोिल दै बलाअिछ जे एकटा गोआ मे रहय बलाऔसत आदमी के ितयिक्त आमदमीएकटा औसत िबहारी सं सात गुना बेसीछैक आ एकटा पंजाबी के आमदनी पांचगुना बेसी छैक। िबहारो मे अगरक्षेबार आंकड़ा िनकालल जाय त िबहारके दिक्षणी( एखुनका गंगा पार मगध आअंग) एवम पिमी ईलाका बेसी सुखीअिछ, आ ओकर जीवनशैली सेहो दू पाईनीक छैक। त एहन में सवाल ई जेफेर रता की छैक। की िमिथलांचलके लोक एिहना दर-दर के ठोकरखाईके लेल दुिनयां में बौआईत रहताअथवा हुनको एक िदिन िवकास केदशर्न हेतिह।िमिथलांचलक ई दुभग्य छैक जेएकर एकटा पैघ हमरा िहसाब सँ आधासँ बेसी इलाका बािढ़ में डूबल रहैतछैक। बािढ़ के समया िनदान िसफर्राय सरकार के मज सँ निह भसकैत बिक अिह में केंसरकारके सहयोग चाही। िपछला सािठ सालमे िबहार क नेतागण अिहपर कोनोगंभीर यान निह देलिह जकर नतीजाअिछ जे बाढ़ एखन तक काबू मे निहआिब रहल अिछ। प िछला कोसी केआपदा एकर पैघ उदाहरण अिछ, आबनेतासब के आँिख कनी खुललिह अिछ,लेिकन एखन सँ मेहनत केल जायत तअिह मे कमस कम 20 साल लागत।बािढ़ िसफर् संपि के नाश निहकरैत छैक, बिक आधारभूत ढ़ांचा जेनासड़क, रक्षेवे आ पुल के खम क दैतछैक। एहन हालत मे कोनो उोग केलगनाई िसफर् िदन मे सपना देखैकबराबर अिछ।िकछु गोटाके कहब छिन जे िबहारमे उोग धंधा कएल जाल िबछाकएकरिवकास केल जा सकैछ। लेिकन जखनसड़क आ िवजिलये निह अिछ तकेना उोग आओत। दोसर बात ई जेिप छला अिवकासक चक फलवरुपआबादीक बोझ एतेक बिढ़गेल अिछ जेपूरा इलाका मे कोनो खाली जमीन निहअिछ जतय पैघ उोग लगायल जासकय। िसंगूर के उदाहरण सामनेअिछ। महाशिक्तशाली वाममोच केसरकार के जखन बंगाल मे 1000एकड़ जमीन नै ताकल भेलैक त एकरकपना यथर् जे दरभंगा आ मधुबनी मेसरकार कोनो पैघ उोग के जमीन दै।दोसर बात इहो जे पूरा िमिथला के पीमे, मुजफरपुर सँ ल क किटहार तककोनो पैघ संथा-चाहे ओ शैक्षिणक होईया औोिगक- नै छै जे एकमुत 3-4हजार लोक के रोजगार द सकै। हमराइलाका मे शहरीकरण के घनघोर अभावअिछ। जतेक शहर अिछ ओ एकटापैघ चौक या एकटा िवकिसत गाँव सबेसी निह।एकटा ढंग के इंिजिनयिरंग यामेिडकल कालेज निह, एकटा यूिनविसर्टीनिह। कालेज सब केहन जे 4 साल मेंिडी द रहल अिछ। एक जमाना मेिस दरभंगा मेिडकल कालेज मे टीचरके अभाव छैक आ कालेज जंग खारहल अिछ। हम सब एहन अकमर्यसमाज छी जे कोसी पर एकटा पुलबनबैक मांग तक नै केलहुँ,हमर नेताहमरा ठेंगा देखबैत रहला। आब जा करेलवे आ रोड पुल के बात भ रहलअिछ।कुल िमलाकरइलाका मे िसफर् 8-10 ितशत लोक शहर में रहैत छिथ,ई ओ लोक छिथ िजनका सरकारीनौकरी छिह। ई शहर कोनो उोग केबल पर निह िवकिसत भेल। बाकीआबादी-लगभग 40 ितशत िदली आपंजाब मे अपन कीमती म औने-पौनेदाम मे बेच रहल अिछ। िमिथला केम पंजाब मे लाईओवर आ शािपंगमाल बनाब मे खचर् भ रहल अिछ,कारण िक हमसब एहेन माहौल निहबनौिलएिक जे ओ म अपन घर मेनहर या सड़क बनब मे खचर् होअए।तखन सवाल ई जे फेर उपाय कीअिछ। हमरा ओतय पैघ उोग निहलािग सकैछ, रोड निह अिछ बािढ़ केसमया िवकराल अिछ, त हमसब कीकरी। लेिकन निह, िमिथला के िवकासएतेक पाछू भ गेलाक बाद एखनॲ कयलजा सकैछ। आ अिह िवषय मे कय टािवचार छैक।िकछु गोटा के कहब छिह जेएखुनका िबहारक सरकार मगध आभोजपुर के िवकास पर बेसी यान दरहल छैक। एकर वजह जे सा मे‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्211


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्पैघ नेता ओही इलाका के छिथ, लेिकनदोसर कारण इहो जे ओ इलाकाबािढ़त निह छैक। पैघ ोजेक्ट केलेल ओ इलाका उपयुक्त छैक।उदाहरणवरुप-एनटीपीसी, नालंदायूिनविसर्टी आ आयुध फैक्ी-ई तमामचीज मगध मे अिछ। दोसर बात ई जेनीक कनेिक्टिवटी भेला के कारणेभिवय मे जे कोनो िनवेश िबहार मेहेतैक ओ सीधे एही इलाका मे जेतैक।कुलिमलाक आबै बला समय मे िबहार मेक्षेीय असमानता बढ़य बला अिछ। एिहहालत मे िकछु गोटा अलग िमिथलारायक मांग क रहल छिथ, आ हमराजनैत संकृित स बेसी-अपनआिथर्क िवकास के लेल ई मांग उिचतअिछ।िमिथला िवकास माडेल की हुअकेचाही।िमिथला के जमीन दुिनया केसबस बेसी उपजाऊ जमीन अिछ।हमसब पूरा भारत के सागसजी आअनाज सलाई क सकैत छी। लेिकनओ सजी दरभंगा सं िदली कोनाजायत। एिहलेल फोरलेन हाईवे आरेलवे के रेजेरेटर िडबा चाही। दोसरगप हमर इलाका के एकटा पैघ रकमदोसर राय मे इंिजिनयिरंग आ मेिडकलकालेज चल जाईत अिछ। हमरा इलाकामे 50 टा इंिजनीयिरंग कालेज आ 10टा मेिडकल कालेज चाही। ई कालेजभिवय में िवकास के रीढ़ सािबतहोयत। हमरा इलाका मे छोट-छोटउोग जेना स़ाटवेयर डेवलपमेंट यापाटर्पुज बनबै बला फैक्ी चाही जिह मे100-200 आदमी के रोजगार भेिटजाय। लेिकन एिहलेल 24 घंटा िवजलीचाही। ई कतेक दुभग्य के बात जेबगल के झारखंडक कोयला के उपयोगत पंजाब में िबजली बनबैक लेल भजाय छैक लेिकन हमसब एकर कोनोउपयोग निह क रहल छी। आई अगरहमरा अपन इलाका मे 24 घंटा िबजलीभेिट जाय़ त पंजाब जाय बला मजदूरके संख्या में कम सं कम आधा कमी तपिहले साल भ जायत। भारत के दोसरराय िसफर् आ िसफर् अही इलाका केसता म के बले तरी क रहलअिछ। हमसब ई जिनतो िकछु निह करहल छी, ई दुभग्य के गप।िमिथला मे पढ़ाई िलखाई केाचीन परंपरा रहलैक अिछ लेिकनसुिवधा के अभाव मे ई धारा हाल मेकमजोर भेल अिछ। खासकए मिहलािशक्षा के दशा-िदशा त आर खराबअिछ। एकटा लड़की कतेको तेजिकयेक ने रहेए ओ 10 सं बेसी निहपिढ़ सकैत अिछ कारण घरक क्षेकालेज निह छैक। हमरा अगर तरीकरय के अिछ त इलाका मे एकटामिहला यूिनविसर्टी त अवये हुअकेचाही, संगिह सरकार के ईहो दाियवछैक जे हरेक लाक में कमस कमएकटा िडी कालेज के थापना होअए।देश के िवकास मे अिह इलाका के संगकतेक भेदभाव कएल गेलैक आ हमरनेतागण कतेक िनकमा छिथ-एकर पैघउदाहरण त ई जे इलाका मे एकहुटाकेंीय संथान निह छैक। एकटायूिनविसर्टी निह, एकटा कारखाना निह।आब जा क किटहार मे अलीगढयूिनविसर्टी, दरभंगा में आईआईटी आबरौनी मे फेर सं खाद कारखाना केपुनजिवत करैक बात कयल जा रहलअिछ। हमरा याद अिछ जे साल1996 तक दरभंगा तक मे बड़ी लाईननिह छलैक। हमसब कुलिमलाकर, कोनोतरहक संपि के िनमण निह करैतछी। हमसब अपन आमदनी दोसर रायभेज दै िछयैक-बेटा के बंगलोर मेइंिजनीयिरंग करबै सँ ल क िदयासलाईतक खरीदै मे। हमर पूंजी अपन राय,अपन इलाका के िवकास में निह लािगरहल अिछ। एिह िथित के जाबतकाल तक निह बदलल जायत हम िकछुनिह क सकैत छी।२.वीण आई अमेिरका चिल गेल।ओकरा एल एंड टी के ोजेक्टपर िशकागो पठा देल गेलै। लेिकनओकरा संग पढ़ैवाली पूनम के भाग्यओहन निह छलैक। ओ दू बच्चा के मांबिन अपन वामी के सेवा में अपनिजंदगी िबता रहल अिछ। िबतला समययाद करैत छी त लगैत अिछ जे पूनमके संग बड़्ड अयाय भेलैक। बातसन् 95 के हतैक, हमर बोडर् केिरजट आिब गेल छल। ओिह समयपूनम आ वीण छा भे पढैत छल।जािह कूल में पढ़ैत छल ओिह मेंचािर टा माटर छलैक जे बेसीकालखेितए बारी भे लागल रहैत छलैक।पूनम क्लास में फटर् अबैत छलआ वीण सेकेंड...लेिकन छा के बादवीण के बाबू जी ओकरा ल क कटकचिल गेलिखह जतय ओ एकटा दुकानमें काज करैत छलिखह। पूनम केँघरक हालत अपेक्षाकृत ठीक छलैक,ओकर बाबूजी सरकारी सेवा मेंछलिखह, लेिकन पूनम दसवॴ से आगूनिह पिढ सकल। ओकरा इंटर मेंमधुबनी के झुमकलाल मिहला कालेजमें नामो िलखा देल गेलैक लेिकन बादमें ओ आगू नै पिढ़ सकल।लेिकन वीण राउरकेला सं इंजीनिरंगकेलाक बाद एल एंड टी में लेड भगेल आ कंपनी ओकरा िशकागो पठादेलकै।एक िदन हमर दीदी पूनम के पूछवोकेलकैक जे ओ िकयेक ने बीए में नामिलखेलक, त पनमक जवाब छलैकजे ओकर मां-पपा के बीच ओकर पढ़ाईके ल क िनत िदन घॲघाउजहोइक। ओकर बेसी पढ़नाई पूनम केिववाह में बाधा बिन रहल छलैक। तीनबिहन में सबस पैघ पूनम के दहेजएकटा बड पैघ समया छलैक। दूसाल के बाद पूनमक िववाह भ गैलैकआ जे पूनम क्लास भे फटर् अबैत छलओ जीवन के दौड़ भे सदा के लेलसेकेंड भ गेल। पूनम के तमाम टैलेंटआब िसलाई-कढ़ाई आ वेटर के नबिडजाइन सीख में खप मे लगलैक।आई हमरा गाम में वीण के टैलेंटके धूम मचल छैक। िमिथला के तमामदहेजदाता ओकर दरवाजा पर आिबचुकल छिथ, लेिकन सवाल ई जे िकपूनम के आगू नै पिढ़ पबै में िक िसफर्दहेज टा एकटा कारण छलैक या िकछूआउर...? मािन िलय जे दहेज निहयॲरिहतैक त की पूनम के अपन घर लगनीक कालेज भिट जयतैक ? हमसोचैत छी जे यिद पूनम के जमकनटक या केरल में भेल रिहतैक तभ सकैछ ओ इंिजनीयर बिन जाईत आएल एंड टी ओकरो िशकागो भेिजदैतैक। लेिकन ई सवाल एखनो नीतीशकुमार अथवा अजुर्न िसंह के एजेंडा मेंनिह छिह। नै जािन कतेको लाख पूनम‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्212


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्आई िचिचया-िचिचया क ई सवाल अिहयवथा सं पूिछ रहल अिछ।हमर ई पोट िहंदी के हमर लागआपाली(amrapaali.blogspot.com)...ओिह पर एकटा िटपणी अिछ जे सबसाधन सबके निह देल जा सकैत छैक,आगू बढ़य बला के खुदे के िजजीिवषाहुअके चाही। लेिकन हमर कथन ईअिछ जे वीण के संग कोनो जीिजिवषानिह छलैक-ई पुरुष धान समाज केएकटा दुखद अयाय छैक जे हजारोवीण के त कोटा स ल क बंगलोरतक डोनेशन पर भेज देल जाइत छैकलेिकन लाखॲ पूनम एखनॲ आशाके बाटजोिह रहल अिछ। की ई सरकार केकतर्य निह छैक जे ओ पूनम सब केउिचत पढ़ाई के यवथा करैक..?.ई कतेक दुभग्य केर बात अिछजे िबहार में एखन हाईकूल खोलै परितबंध लागल छैक। एखन 5िकलोमीटर के दायरा में िबहार में एकटाहाईकूल छैक। कोनो लड़की के लेलई कोना संभव छैक जे ओ पांचिकलोमीटर पढ़य लेल हाईकूल जाय।आब िबहार सरकार हाईकूल में लड़कीसबके साइिकल द रहल छैक लेिकनकी िसफर् हाईकूल तक के पढ़ाईउपयुक्त छैक..? दोसर बात ई जेिबहार सनहक राय में जतेक सामायेजुएशन के सीट नै छैक, कनटक आमहारा में ओिह स बेसी इंिजनीयिरंगके सीट छैक।एखन तक राय में एकोटा मिहलािविवालय आ तकनीकी िविवालयनै छैक। हुअके तँ ई चाही छल जेिबहार में 20-25 साल पिहनिह हरिजला- आ लाक में एकटा कॉलेजखोिल देबाक चाही छलैक। आब केजमाना त इंिजनीयिरंग आ एमबीएकॉलेज खोलक छैक। एहन हालत मेंओिह खाई के के भरत जे िबहार आदोसर राय के बीच में बिन गेलैकअिछ। फेर ओएह सवाल सामने अिछ-की अबैयो बला समय में पूनमइंिजनीयिरंग कालेज में जेती....?यामल िकशोर झालेखकीय नाम यामल सुमन, जम १०।०१।१९६० चैनपुर िजला सहरसा िबहार, नातक। िशक्षा:अथर्शा राजनीितशा एवं अंेजी, िवुत अिभयंणमे िडपलोमा, शासिनक पदािधकारी,टाटा टील, जमशेदपुर,थानीय समाचार प सिहत देशकअनेक पिकामे समसामियक आलेख, किवता, गीत, गजल, हाय-यंग्य आिद कािशत, थानीय टी वी चैनल एवं रेिडयोटेशनमे गीत गजल सारण, कैकटा किव समेलनमे सहभािगता ओ मंच संचालन।—स पादकयासहमर गाम छूिट गेल, पेट भरवाक लेल!भूख लागल अिछ एखनहुँ, उमिर बीत गेल!!हमर गाम छूिट गेल, पेट भरवाक लेल!नौकरी की भेटल, अपनापन छूटल!नेह डूबल वचन केर आश टूटल!!दोत यार कतऽ गेल, नव-लोक अपन भेल!गाम केर हम बुिधयार, एतऽ बलेल!!हमर गाम छूिट गेल, पेट भरवाक लेल!आयल पाविन-योहार, गाम जाय केर िवचार!घर मे चच केलहुँ तऽ, भेटल फटकार!!निह नीक कुनु रेल, रहय लोक ठेलम ठेल!किनयाँ कहली जाऊ असगर, आ बद करू खेल!!हमर गाम छूिट गेल, पेट भरवाक लेल!की कहू मन के बात, छी पड़ल काते कात!लागय छाती पर आिब िकयो रािख देलक लात!!घर लागय अिछ जेल, मुदा करब निह फेल!नवका रता िनकालत, सुमन ढ़हलेल!!हमर गाम छूिट गेल, पेट भरवाक लेल!‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्213


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्याम सुदर शिशजनकपुरधाम, नेपाल। पेशा-पकािरता। िशक्षा: िभुवन िविवालयसँ, एम.ए. मैिथली, थम ेणीमे थम थान। मैिथलीक ायःसभ िवधामे रचनारत। बहुत रास रचना िविभ प-पिकामे कािशत। िहदी, नेपाली आ अंेजी भाषामे सेहो रचनारत आबहुतरास रचना कािशत। सित- काितपुर वासक अरब यूरोमे कायर्रत।–स पादकमरदे िक बरदेभगवान भाकरक चड तापकेँसहािर सकब धरती मैआक वातेकिठन भऽ रहल छलिन। मैया अपरतीवछलीह। चडलवाक लयंकारी रौअवतारसँ अपने बाचथु िक अपन सखासतानकेँ बचाबथु? “अपन मथा साहुर,साहुर” करबाक अवथा सेहो निहछल। िमिथलाक धरती थोरै छैक जेय त सवर् हिरयरी रहतै। लोकअपनो जुराएत आ लोकोकेँ जुरौतैक? ईकतार छै भाई। कतार। ए गाछ वृक्षकत पािव? धनीमानीलोक ऐजुवा (वगैचा)लगबैत छिथ। जेना लोक धीया पूताकेँदूध िपयाकऽ पोसैत अिछ। तिहनापोसैत अिछ एतुका सेखसभ गाछ-वृक्ष।ककरो मजाल छै जे ओिह गाछक नीचाँसुता लेत..। तुरत वन-िवनाशकानूनक अतगर्त शख्त कायर्वाही भऽजएतैक। आ ओऽ गाछ वृक्ष होईतो निहअिछ सुतैवा योग्य। एक किवक किवतजकाँ “वड़ा हुआ तो क्या हुआ लबेपेड़ खजुर। पंछीको छाया नही फललागे अित दूर..” डारँ मोरवाक योग्यछाहिर निह। बूिझ परैत छल, दोहाकसमु वा प भऽ कऽ उिड़ जाएत।सड़क उपरके अलकरा पघिल रहलछल। सरकार एिह गरमीक मिहनामेदुपहरमे काज करबापर पाबदी लगौनेछैक। तथािप देश िवदेशक मजुरसभअपन-अपन ओभर टाईम पका रहलछल। भगवान भाकरसंगक महासमरमेलागल छल। धरती पुलोकिन। धरतीतँ आिखर धरती छैक ने। अपन जनमधरती हो िक करम धरती...।एिह रौदसँ बेपरवाह लमण पैघ-पैघडेग मारैत आगाँ बिढ़ रहल छल। कोनोअभे लयकेँ भेदन करबाक योजनामेआगू बिढ़ रहल चोटाएल, हारल योाजेकाँ। एिह बेरक समरमे िवजयी ातकरबाक दृढ़ सकिपत छल ओऽ।ओकरा ठेकान निह छलै जे ओकर समदेह घामे पिसने िभजी गेल छैक। ओऽकारी झामर भऽ गेल अिछ। ओऽ बसआगू बिढ़ रहल छल, अपन गंतयिदस। ओकर गतय छलै, दोहाकअितयत इलाकामे अविथत नेपालीदूतावास। जतए ओकर ेयसी गत एकसताहसँ शरणागत छैक। मुदा िकछुएिकलोमीटरक दूरीपर अविथत रहलाकबावजूदो ओऽ हुनकासँ भेिट निह सकलअिछ। ओऽ सीधा दूतावासमे वेशकएकऽ मुदा तुरते पाछाँ घुिम गेल।चार िदवालीक ओटमे ठाढ़ भऽिजसपेटक पिछला जेबीसँ कंघीिनकाललक। केस सीटलक। कपड़ािमलौलक। आ कनेक सतकर् कदमसँदूतावासक मेन गेटकेँ पार कएलक।दूतावास पिरसरमे रहल नेबोक गाछकओटमे बैिस ओकर ेयसी केस झािररहल छलै। ओएह घुरमल-घुरमल केस।सुराही सन कमर आ सुडौल शरीर।‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्214पीठपर किरकवा ितलसँ ओऽ आओरिनधोख भऽ गेल। ओऽ ओकरे रेशमाछैक। आगूसँ देखू िक पाछोसँ। ईस।ओकरा मोनमे िटस जेकाँ उठलै। मोनभेलै जे पाछेसँ जाऽ भिर पाजकँ पकिड़ली आ गत ९ मिहनाक िहसाब-िकताबमाँगी। ओऽ आगू सेहो बढ़ल मुदारेशमाक केश जखनसँ खुजल रहैकतखनेसँ दूतावासक चौकीदार सेहो ओकरेिदस तािक रहल छलै। लमणकेँिहमित निह भेलै अपने ेयसीक हाथधिर पकड़बाक। जहन दुनूक आँिखिमललैक तँ दुनूक नयनसँ अनतअुधारा बिह गेलै। एक िदस लमणछल, दोसर िदस रेशमा आ बीचमे रहैकगाछ। जकरा साक्षी रािख दुनू ९मिहनाक िहसाब िकताब फिरयौलक।लमण एतबे बाजल “हम तँ बरद जेकाँबिहए रहल छी, एिह मरुभूिममे, अहाँदुधिपया बौवाकेँ छोिड़कऽ िकएक आिबगेलौ?”कतारक मैिथल भेड़ा चरवाह-कतारक सदरमुकाम दोहासँ लगभगएक सय िकलोमीटर दूर जमािलयािथत मरुभूिमक छातीपर बनाओल गेलभेड़ाक गोिहयाक आगू ठाढ़ भऽ एकगोट युवक िसटी बजा रहल छल।महाभारतकालीन कृण जकाँ। जनु अपनगोप आ गोपीकेँ लग बजेबाक उपमकऽ रहल हो। मुदा एिह मरुभूिममे नेगाई अएबाक कोनो सभावना छलै आ ने


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्गोपी। मुदा बकरी आ भेड़ा धिर अवयआिब गेल ओकर िससकारी सुिनकए।िदनभिर ५० िडीक ताप छोिड़ वयंथिकत सुरुज भगवान संया रानीसँरसकेिल करबाक धुनमे पिमाचलगामीवाट पकिड़ लेने छलाह। पिमसँआवएवला सेनुताएल काश मरुभूिमकवालुपर पिड़ मिलछाह आकृित बना रहलछल। मरुभूिम िपिलया त रोगी जकाँबेजान देखना जाऽ रहल छल। पिछयाहवा सांय सांय कऽ रहल छल। हावाकगितसंग वालुक छोट-छोट कण उिड़-उिड़ राहगीरकेँ घायल बना रहल छल।बूिझ पड़ैत छल जे लयकेर पूवर् संकेतहो। चारुकात िवयावान मरुभूिम आएिहमे उगल एक आध बबूरक पौध। हमबेर-बेर सोचैत रहैत छी जे धय बबूर,ऊँट आ साकर्देशक दुिखया मजुरसभ जेएिह भूिमकेँ धरती होएबाक ओहदा दानकरैत छैक। अयथा...??मुदा ओऽयुवक शातछल। एकक्षणक बादसुरुज अतभऽ जएतै,सगर ससारअहार भऽ जएतै आ सयौ िवगहामेपसरल मरुभूिमपर कारी रंगक चादरओछा जाएत। ओऽ अहार होएबासँपिहनिह अपना अधिक भेड़ा आ बकरीगोिहयामे घुिसयावए चाहैत छल। कतर्यपरायण मनुपुक रूपमे अपन दाियविनवह करए चाहैत छल।एिह तरहेँ अपन ईसारापर कृणजकाँ भेड़ा-बकड़ीकेँ नचावएवला युवकके नाम छल महे कापर। नेपालकिसरहा िजलाक कमलाकात भेिड़यागामक ई मैिथल युवक, िवजुली, िपवाकपािन, सड़क आ वायािद सुिवधासँिवहीन एिह मरुभूिममे गत एक वषर्सँएिहना भेड़ा वकरी चड़वैत अिछ। महेकापर मा निह, एिह मरुभूिमक िविभभागमे बनाओल गेल िविभ भेड़ा, बकड़ीआ ऊट बथान तथा लगाओल गेलवगैचामे हजारॱ नेपाली, भारतीय,वंगलादेशी, ीलंकन आ सुिडयनमजुरसभ काज करैत अिछ। अपना सभिदस एक गोट कहबी निह छैक जे,“जएवह नेपाल, संगिह जएतह कपार”।तिहना ई युवक सभ अपन करम भोिगरहल अिछ। ओऽ सभ अबैत काल जेदोहा देखने छल, चकमक िवजुलीवीदेखने छल आ िचन चुनमुन फोरलेनसड़क देखने छल से घुरैत काल फेरदेखत। ओकरा सभक वाते दोहा सहरिदली दूर छैक।महे जमािलयाक एिह अकटारमरुभूिममे गत एक वषर्सँ काज करैतअिछ। ओकरा िजमामे दू सय भेड़ा आबकड़ी छैक। हमरा सभकेँ देिखतेओकर आँिखमे िवशेष कारक चमकयात भऽ गेलै, मुखमडलपर खुशीकरेखा नाचए लगलैक। साँझ पिड़ रहलछैक ओकरा लालटेम नेसवाक छैक,रातुक खाना बनेवाक छैक आ खुलाआकाशक नीचाँ तरेगन गनैत राितिबतेवाक छैक। गत एक वषर्सँ महेकई दैिनकी बिन गेल छैक। ईजोिरयाराितक चानकेँ देिख ओऽ अितशय सहोइत अिछ, “ई चान हमरो बाऊ आमाय आउर सेहो देखैत होतै निञ”?ओकर िनल हमरा भावुक बना देनेछल।ओऽ भेड़ा आ बकरीकेँ गोिहयामेगोतैत अिछ। पठरूसभकेँ दूध िपयबैतअिछ। चारा रखैत अिछ आ चैन भऽहमरा सभसँ गप करवा वाते बैिसजाइत अिछ। ओऽ एक वषर् पूवर् कतारआएल छल। मानव तकरसभ ओकराकहने रहैक जे वगैचाक काज छैक।ओऽ सोचने रहय जे फलफूलमे पािनपटाएव, रोपव उखारव आ िरयालकमाएव मुदा से भेलै निह। ओऽ भेड़ाचरवाह बिन कऽ रिह गेल। असलमेमहे अपने िनरक्षर अिछ। ओकरकतार आगमनके उेय छलै गाममे घरबनाएव आ बेटा-बेटीकेँ बोिडर्ंग कूलमेपढ़ाएव। मुदा ओकर एक वषर्क मसँई संभव निह भऽ पाओल छैक। एकवषर्मे तँ महाजनकेँ ऋणो निहफिरछाओल छैक। एिह वाते ओकराआओर दू वषर् एिह मरुभूिमक वालुकेँफाकय परतैक। अवैत काल दलालओकरासँ ७५ हजार रुपैया लेने रहैक।जे ओऽ महाजनसँ ऋण लऽ कऽ चुकताकएने छल।जहन महेक गपक बखारीखुजलै तँ फेर बद होएवाक नामे निहलैक। ओकरा तँ ओिह गोिहयामे राितिबतैवाक छलै मुदा हमरा सभकेँ सयिकलोमीटर दूर दोहा अएवाक छल।हमरा सभक धरफड़ीकेँ ओऽ अकािनगेल छल। कहलक सर, किहयोकालअवैत जाइत रहब। भेड़ा बकड़ी संगेरहैत-रहैत ओहने भऽ गेल छी, देिखयौचाहो पािनक लेल निह पुछलहुँ। आकपड़ा लपेटल एकगोट पािनक बोतलआगाँ बढ़ा देलक। “हमरा सभक िजबुझू िक एयर कडीशन ईहे अिछ”।गमसँ सुखाएल कडकेँ पािनसँिभजाओल आ अपन गतय िदस आगाँबिढ़ चललहुँ। लगभग दश िकलोमीटरवाट तय कएलाक बाद हमरा लोकिनजमािलया नगरमे पहुँचलहुँ। मुसलमानधमवलबी सभक रोजा खोलवाक समयभऽ गेल रहै। सड़क कातमे बनाओलगेल चबुतरापर नाना कारक यंजनसाँठल जाऽ रहल छल। लोकिवमीलाह करवालेल तैयार छलाह।हमरा मोन पड़ल महेके गोिहयामेराखल खवुज (कतार सरकारक सतादरक रोटी) आ याउजक धेसर। एसगरमहे एखन नून, िमरचाई आ तेलयाउजक संग खवुज दकिर रहलहएत। एतए ओकरेारा पोसल गेलखसीक िवरयानीक वाद लऽ रहलअिछ मािलक आउर।दोहा, कतार, जमिलया।‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्215


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्फानीपंच सभ एकाएकी कारी मड़रकदुअरा पर जमा हुअ’ लागल छल।दलान पर चटाइ िबछा देल गेल रहै।देबालक खोधली मे राखल िडिबया धुआँबोकिर रहल छल। मा रामअधीननेताक अयबाक देरी रहै।िबना रामअधीन नेताक पंचैती कोनाशुरु भ’ सकैए? डोमन पाँच िदनपिहनिह सँ पंच सभक घूर-धुआँ मेलागल छल। डोमन चाहैत रहए जे सभजाितक पंच आबय, मुदा रामअधीन नेतामना क’ देने रहै, “बाभन-ताभन केँबजेबेँ तँ हम नइँ पँचैती मे रहबौ।जाितनामा पँचैती जाितए मे होनाचाही।“ डोमन केँ नेताजीक बातकाटबाक साहस नइँ भेलै। रामअधीनआब कोनो एहर-ओहर वला नेता नइँरहलै, दिलत पाटीक खंड अयक्षिछऐ। थानाक बड़ाबाबू, सीओ, बीडीओ,इसडीओ सभ टा िचहै छै। कुस परबैसाक’ कनफुसकी करै छै। मुसहरीटोलक िबरधापेंशनवला कागज-पर सेहोआब नेतेजी पास करबै छै। कोनहािकम कतेक घूस लै छै, से सभ टारामअधीन नेता केँ बूझल छै। कारीमड़र तँ नामे टाक माइनजन, असलीमाइनजन तँ आब रामअधीने नेता िकने?डोमन पँच सभ केँ चटाइ पर बैसारहल छल आ सोमन माथा-हाथ देनेखाह मे ओङठल, जेना िकछु हरा गेलहोइ। टोल भिरक मौगी सभ कारीमड़रक अँगना मे घोिदया गेल रहै—सोमनआ डोमनक भैयारी-बँटवारा देख’ लेल।ओना दुनू भाइक झगड़ा आब पुरना गेलरहै। मौगी सभक कुकुर-कटाउझ सँीधरम (1974- )युवा कथाकार समालोचक, जम चनौरागंज, मधुबनी। िहदी सािहयमे एम.ए.पी.एच.डी।टोल भिरक लोक आिजज भ’ गेल रहयतेँ रामअधीन नेता डोमन केँ तार द’क’िदली सँ बजबौलकै। सभ िदनक हर-हर खट-खट सँ नीक बाँट-बखरा भइएजाय।झगड़ाक जिड़ सीिलंग मे भेटलाहावैह दसकठबा खेत िछऐ जे सोमनकबापे केँ भेटल रहै। रामअधीन नेताकखेतक आिरये लागल दसकठबा खेत।कैक बेर रामअधीन नेता, सोमनक बापपँचू सदाय केँ कहने रहै जे हमरे हाथेँखेत बेिच लैह, मुदा पँचू सदाय निठगेल रहै। रामअधीन नेता आशा लगौनेरहए जे बेटीक िबयाह मे खेत भरनाराखिह पड़तिन, मुदा पँचू सदाय आशापर पािन फेर देने छलै। एकहक टापाइ जोगाक’ बेटीक िबयाह सहािरलेलक तेँ खेत नइँ भरना लगेलक। मरैसँ चािर िदन पिहनिह पँचू सदाय सोमनआ डोमन केँ खेतक पच दैत कहनेरहै- “ई पच सरकारक देल िछऐ,जोगाक’ रिखहेँ बौआ, जोगिबहेँ। नइँ।दस का केँ िबगहा बनिबहेँ, भिर पेटखाइत देिखक’ सभकेँ फै छिन। बगुलाजकाँ टकयान लगेने रहैए”।डोमन बापक मुइलाक बाद परदेशमे कमाय लागल रहय आ सोमन गामे मेअपन खेतीक संग-संग मजूरी।फिसलक अधहा डोमनक बहु रेवाड़ीवालीकेँ बाँिट दैक। मुदा, जेठकी िदयािदनीमहरैलवाली केँ ई बड अनसोहाँत लागै,“मरर्, ई कोन बात भेलै, पसेना चुवाबैहमर साँय, चास लगाब’ बेर मे सभिनपा आ बखरा लेब’ बेर िगरथाइनबिन जायत। लोकक साँय बलू गमकौआतेल-साबुन िडली से भेजै हय त’ हम‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्216िक हमर धीया-पुा आरु सुङहैयो ले’जाइ हय्।“सभ िदन कने-मने टोना-टनी दुनूिदयािदनी मे होइते रहै। मुदा, ओिह िदनजे भेलै...सोमन गहूँम दौन क’ क’ दू टाकूड़ी लगा देलक आ नहाय ले’ चिलगेल। गहूमक सूँग देह मे गड़ैत रहै।रेवाड़ीवाली अपन िहसा गहूम पिथया मेउठाब’ लागल रहए िक देखते जेनामहरैलवाली केँ सॱसे देह मे फोँका दड़िरदेलकै, “रोइयोँ नइँ िसहरै हय जेनाअपने मरदबाक उपजायल होइ।”रेवाड़ीवाली कोना चुप रिहतय ? कोनोिक खेराअँत लै छै? झट द’ जवाबदेलकै, “कोनो रंिडयाक िजरात नइँ बाँटैहय कोइ अधहाक मािलक िछऐ छातीपर चिढ़क’ बाँिट लेबै।” “रंिडया” शदमहरैलवालीक छाती मे दुकैम जकाँ धँिसगेलै-“बरबनाचो...के लाज होइ हय बजैतसाँय मुा भेजै हय आइँठ-कुइठ धोइक’ आ एत’ ई मौगी िथराएल मिहंसजकाँ टोले-टोल िडिरयायल िफरै हय, सेबपचो...हमरा लग गाल बजाओत।“सुिनते रेवाड़ीवालोक देह मे जेनाजुरिपी उिठ गेलै ओ हाथ चमकबैतमहरैलवालीक मुँह लग चिल गेल, “ऐ गैधोँिछया िनरासी! तूँ बड़ सतबरती गै! हेगै उखैल क’ रािख देबौ गै। भिर-भिरराित सुरजा कपोटर पािन चढ़ा-चढ़ा क’बेटीक ढीढ़ खसेलकौ से ककरा स’नुकायल हौ गै? कोना बलू फटा-फिटबेटी दीन क’ ससुरा भेज देलही।”बेटीक नाम सुिनते महरैलवालीकतामस जवाब द’ देलकै झोँटा पकिड़क’रेवाड़ीवाली केँ खसा देलक। दुनू


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्एकदोसराक झोँट पकड़ने गुथम-गुथीभेल। ओहर सँ सोमनक बेटा गँगवाहहासल-फुहासल आयल आ मुे-मुीरेवड़ीवाली केँ पेटे ताके मार’ लागल।रेवाड़ीवाली एसगर आ एमहर दू माइ-पूत। कतेक काल धिर ठिठतय, ओबपहािर काट’ लागल। टोल पड़ोसकलोक सभ जमा भ’ गेल रहै, दुनू केँडाँिट-दबािड़ क’ कात कयलक। दुनूिदयािदनीक माथक अधहा केस हाथ मेआिब गेल रहै।ओिह राित रेवाड़ीवालीक पेट मेतेहन ने दरद उखड़लै जे सुरजकपोटर पािन चढ़ा क’ थािक गेलै, मुदानइँ सहरलै। चािरये मासक तँ भेलरहै, नोकसान भ’ गेलै। बेहोिसयो मेरेवाड़वाली गिरयिबते रहलै, “ई डिनयाहीहमरा बच्चा केँ खा गेल। सोचै हयकहुना िनवर्ंश भ’ जाय जे सभ टासपैत हड़िप ली। डिनयाहीक बेटामरतै। धितंगबाक हाथ मे लुी-करौआधरतै। काटल गाछ जकाँ अरजेतै...”।दोसरे िदन रेवाड़ईवाली थाना दौगलजाइत रहे, िरपोट िलखाव’। रता सँरामअधीन नेता घुरेने रहै, “समाजे मेपँचैती भ’ जैतौ” आ नेताजी सोमन केँमार’-मारक’ छूटल रहै, “रौ बिहसोमना। मौगी केँ पाँज मे राखबेँ सेनै। आइए सरबे सब परानी जहल मेची िपसैत रिहत’। मडर केस भ’जइतौ। सरबे हाइकोट तक जमानितनिह होइत।” सोमन भीतर धिर काँिपउठल रहय। निह जािन पँचैती मे कीसभ हेतै। एक मोन भेलै, जाय आपटुआ जकाँ महरैलवाली केँ डंगा दैक।’ई, िछनरी के हरदम फसादे वेसाहैतरहैए।’ रामअधीन नेताक अिबतेपँचैतीक करबाइ शुरु भ’ गेलै।फौदारक चीलम सँ िनकलैत धुँआकटुकड़ी िकछु दूर उपर उिठ िबला जाइतरहे गंधक मायम सँ अपन उपिथितकआभास दैत रहय।“हँ त’ डोमन िकऐ बैसेलही हेँपँचैती, से पँच केँ कहिबही िकने”रामअधीन नेता बाजल। डोमन ठाढ़होइत बाजल, “हम परदेस कमाइ िछऐ।रेवाड़ीवाले एत’ एसगर रहै हय। पँचूसदाय बलू भैयाक बाप रहै त’ हमरोबाप रहै। हमहुँ पँचूए सदायक बु स’जनमल िछऐ आ बोए केँ सरकार जमीनदेने रहै महंथ स’ छीिनक। अइ जमीनपर जतने अिधकार एकर हइ ओतनेहमरो हय। तहन जे स’ब िमिल क’रेवाड़ीवालीक गँजन केलकै, तकरिनसाफ पँच आरु क’ दइ जाउ। हमराआर कुछो नइँ कहनाइ हय।“ सबचुप...फेर नेतेजी सोमन केँ टोकलकै,“की रौ। तोहर की कहनाम छौ?”“आब हम बलू की कहबै ? जे भ’गेलै से त’ घुिरक नइँ एतै ग’। समाजआरूक बीच मे िछऐ। जते जुा मारैकेँ हइ, मािर लौ। दुनू मौगी रोसाएलरहै, तहन त’ बलू ओकर नोकसान भ’गेलै तेँ ओकर िदख त लोक नइँ देतै।तहन जे भ’ गेलै से भ’ गेलै। पंचआरू िमिलक’ बाँट-बखरा क’ दौ। खेतोकेँ आ घरो केँ। झगड़े समात भ’जेतै।”“रौ बिहं िसमना, बात केँलिसयबही नइँ। तहन त’ अिहना ककरोिकयो खून क’ देतै आ समाज मुँहदेखैत रहतै। कोना बभना आरू पुीमारै जाइ हइ से तूँ सभ की जान’गेलही। परसू बेलौक पर सार मुिखयाहमरा देिख-देिखक’ हँसैत रहय, चुटकीलैत रहय, “की हौ रामअधीन! जहनटोले नइँ सहरै छ’ त’ िबधायकबनलाक बाद पूरा एलाका कोनासहरतह? सुनै िछय’ एिह बेर िटकटतोरे भेटत’। चल’ अइहबा मे पारलािगऐ जेत’।...” नेताजी गुहरल,“िटकटेक नाम सुिनक’ सार सब केँझरकै छिन, आगू की सभ जरतिन?”रामअधीन नेता एक बेर मोँछ केँ चुटकीसँ मीिड़ उपर उठेक फेर आामक मुाबनबैत बाजल, “सुिन ले बिहं, से सभनइँ हेतौ। गलती दुनू के छौ। पाँच-पाँचहजार दुनू केँ जुबना देम’ पड़तौ,जाितनाम खाता मे।” नेताजीवाभािवकगित सँ पुन: एक बेर मॲछक लोली केँचुटकी पर चढ़बैत मड़र कका िदसदेखलिन, “की हौ मरड़ कका बजैतिकऐ ने छहक?” मड़र कका बदहाजकाँ मूड़ी डोला देलकै।डोमन भाइ सँ बदला लैक धुन मेएखन धिर गुहिर रहल छल, मुदानेताजीक बात सुिनते झमान भ’ खसल।एक मोन भेलै, किह दै—जे भेलै से भेलैभैयारी मे। नइँ करेबाक य’ पंचैती। ईिकन बात भेलै ! हमरे बहु मािरयोखेलक आ जुबन सेहो हमहॴ िदयौ, मुदाचुप रहल। डरें बाजल नइँ भेलै।डोमन केँ देखल छै जे रामअधीन नेतापंचैती नइँ मानिनहार केँ कोना ताड़कगाछ मे बािहक’ पीटै छै। एखन धिरजुबना वला पचासो हजार टाकाजाितनाम खाता मे गेल हेतै, मुदािहसाब? ककर बेटी िबयेलैहेँ जेरामअधीन नेता सँ िहसाब माँगत!रामअधीन नेताक पी.ए. जकाँहरदम संग रहिनहार मोहन सदाय बािजउठल, “की रौ सोमना, हम दुनू भाइस’ पुछै िछयो; किहया तक पाइ जमाक’ देमही ? एक सताह स’ बेसीकटेम नइँ देल जेतौ। अिह पाइ स’ कोनोिछनरपन नइँ हतै, सारबजिनक कामहेतै। दीना-भदरीक गहबर बनतै।”“कतौ स’ चोरी कए क’ त’ नइँआनबै हमर हालित बलू ककरो स’नुकाएल त’ नइँ हय।“ सोमन कलपल।मोहन सदाय केँ रामअधीनक कृपासँ जवाहर-रोजगार वला िठकेदारी सभभेट’ लागल छै। सीओ, बीडीओ केँचेबरे मे बंद क’ दैत अिछ आ मनमानादतखत करा लैत अिछ तेँ ओकरासभटा भिजयायल छै जे घी िकनािनकालल जाइत छै। ओ सभक चुपीकेँ तौलैत मड़रककाक नाड़ी पकड़लक“की हौ मड़र कका! तोरा आरूक कीिबचार छह? दीना भदरीक गहबर मे ओपाइ लािग जाए त’ नीके िकने ?”मरड़ कका आइ दस साल सँहरेक पंचैती मे अिहना दीना-भदरीकगहबर बनैत देिख रहलछै’ मुदा एखनोदीना-भदरीक पीड़ी पर ओिहना टाँगअलगा क’ कुकूर मुितते छै। मड़रककामने-मन कुकूर केँ गिरयेलक, “सार,कुकूरो केँ कतौ जगह नइँ भेटै हय,देबते-िपतरक पीड़ी केँ िघनायत।”खैनीक थूक कंठ धिर ठेिक गेल रहै,िपच्चा द’ फेकैत बाजल’ “जे तूँ सभउिचत बुझही !”पंचैती मे रामधीन नेता आ मोहनसदाय बजैत जा रहल छल। बाकी सभपमिरयाक तेसर जकाँ हँ मे हँ िमलबैत।सोमन पंच सभक मुँह तािक रहल अिछ,‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्217


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्मुदा िदन भिरक हाक थाकल-ठेिहयायलपंच सभक मुँह प कहै छै जे कतेकजदी रामअधीन नेता िनणर्य दै आ ओसभ िनाक कोरा मे बैिस रहय। मड़रककाक हुँहकारी सँ मोहन सदायकमनोबल एक इँच आरो उपर उठलै। ओबाजल, “नगदी ई दुनू भाइ जमा क’सकत से उपाय त’ नइँ छै तहन पाइकोना एकरा सभ केँ हेतै, तकरोइितजाम त’ आइए भ’’ जेबाक चाही।आब अिह ले’ दोसर िदन त’ बैसार नइँहेतै। हमर एक टा ताब छै जे दुनूभाइक सिझया दसकठबा खेत ताबतकेओ दस हजार मे भरना ल’ लौ।जिहया दुनू भाइ पाइ जमा क’ देतैतिहया खेत घुिर जेतै।” िबना ककरोिवचार लेनिह मोहन सदाय डाक शुरुक’ देलक, “बाज’के लेबहक! जमीनअपने टोला मे रहतै बभनटोली मे नइँजेनाय छै खपटा ल’क”।सभ चुप!फेर मोहन सहाय बाजल, “जँ नइँिकयो लेबहक त’ नेताजी सोचतै, टोलकइजित त’ बलू बचाब’ पड़तै ओकरेिकने।” अंितम द बजैत मोहनसदायक आँिख नेताजीक आँिख सँटकरा गेलै। मड़र कका आँिख मुननेभिरसक कुकूरे केँ िखहािर रहलछलाह। खैनीक सेप मुँह मे एतेक भिरगेल रहिन जे कने घोँटाइयो गेलिन।खूब जोर सँ खखसैत बजलाह, :सुिनले’ बिहं िपछला बेर जकाँ एहू बेर नइँपजेबा खिस क’ उिठ जाइ।“ मड़रककाक शंका मे आरो एक-दू गोटाअपन हामी भरलक। मोहन सदायपिहनिह सँ तैयार रहय, झट द’ बािजउठल, “नइँ हौ। दसक हहास बलूअपना कपार पर के लेत? जुबनाकपाइ देबते-िपतर मे जेतै। दीना-भदरीसंगे जे सार गारी करत, तकरा घरपर खढ़ो बचतै ? घटतै त’ एक-दूहजार नेताजी अपन जेिबयो स’ लगादेतै। कोनो अंत’ जेतै? धरम-खाता मेजमा रहतै। बभना आरू जेहनडीहबारक गहबर बनेलकै, ओहू स’िनमन दीना-भदरीक गहबर बनतै।”महरैलवाली बड़ी काल सँ मुँह दबनेरहय। आब ओकर धैयर् जबाव द’देलक, “हइ के हमर जमीन लेतै?दीना-भदरीक गहबर बनै ले’ हमरे जमीनहइ। मॲछवला सभ बेहरी द’क’ बनेतै सेनइँ।” रेवाड़ीवालीक हृदय सेहो आबबफर् भ’ गेल रहय। िदयादनीक बात मेओकरो मौन समथर्न रहै।रामअधीन नेता केँ किहयो-किहओिदन तका क’ तामस उठै छै जहनओकरा मोनक िवपरीत कोनो काज होइतछै। एहन पिरिथित मे नेताजी टोलभिरक छौड़ी-मौगी सँ गािरक मायम सँलैंिगक संबंध थािपत क’ लैत छिथ।“िछनरी केँ तूँ बीच मे बजनाहार के?हम सोमना नइँ छी, ततािर देब।“नेताजी मारैक लेल हाथ उठेलिन।महरैलबाली नेताजीक लग मे आरो सटैतबाजल, “माय दूध िपयेने हइ त’ मािरक’ देख लौ।” नेताजीक हाथ थरथरागेलिन मुदा मुँह चालू “मुँह सहािर क’बाज मौगी नइँ त’ चरसा घीिच लेबौ।आिग-पािन बािर देबौ, देखै छी कोनागाम मे तूँ रिह जाइत छें।”“है केहन-केहन गेलै त’ मोछवलाएलै। बहरा गाम मे रिह जेबै तें जमीनपर नइँ ककरो चड़ह’ देबै। ई नेतबाआरू गुरिमटी क’क जमीन हड़प चाहैहय। जमीन भरना लेिनहार केँ त’खपड़ी स’ चािन फोिड़ देबै। दीना-भदरीगरीबेक जमीन लेतै। अइ नेतबा आरूककपार पर हरहरी बजर खसतै। घुसहापंच सभ केँ मुँह मे जाबी लािग गेलहय। िनसाफ बात बजैत लकबा नारनेहइ।“महरैवालीक ई हतक्षेप सोमनकपक्ष केँ आरो कमजोर क’ देलकै। पंचसभ सोमन केँ धुरछी-धुरछी कर’लगलै। फौदार कहलकै, “त’ रौ बिहंसोमना, ई मौगी िठके झँझिटक जिड़िछयौ। एकरा अँगना क’ बइलेबेँ सेनइँ? गाइरे सुनबै ले’ पंच आरू केँबजेलही हें।” सोमन केँ भरल सभा मेई बेइजती बड़ अखड़लै “जहन मरदा-मरदी बात होइ हय त’ ई मौगी िकऐबीच मे टपकै हय।” सोमन,महरैलवालीक ठौठ पकिड़ क’ अँगना मेजा क’ धकेिल देलक। महरैवाली आँगनेसँ गिरयाबैत रहल, “अइ मुनसा केँ त’जे नइँ ठिक लइ।]बोहा दौ सभ टा। नेतबा सभ त’तौला मे कुश द’क’ रखनै हय।”आब नेताजीक तामस मगजो सँउपर चिढ़ गेल, “ई सार सभ ओना नइँसुधरत। एखने बभना आरू दस टागािर दैतिन आ चािर डंटा पोन परमािरतिह त’ तुरते पंचैती मािनतय।कोन सार पंचैती नइँ मानत से हमरादेखनाइ यए।” नेताजीक ठोरक लय परमॲछो थरथरा रहल छल ! “सरबे सभकेँ हाथ-पयर तोिड़क’ रािख देबिन। घरमे आिग लगा क’ भक्सी झॲका झौिकदेबिन। देखै छी कोन िछनरी भाइ दरोगाहमरा िखलाफ एी लैयए।” चारू भरमशानक नीरवता पसिर गेल छल। पंचसभ आगाँक बात केँ रोकबाक लेलडोमन आ सोमन िदस याचक दृएँतािक रहल छल। मोहन सदाय कागत-कजरौटी िनकालैत सोमनक कान मेबाजल, “की िवचार छौ, फसाद ठाढ़करबें?” आ फेर सोमनक थरथराइतऔंठा पकिड़क’ कजरौटी मे धँसादेलक। अही बीच महरैलवाली वसातजकाँ हहाइत आयल आ दुनू हाथ सँकागत आ कजरौटी केँ पकिड़ क’ ओिहपर सूित रहल! ओ बाजय चाहैत रहय,मुदा मुँह सँ आवाज निह िनकिल रहलछलै। रामअधीन नेता कागत आकजरौटी महरैलवालीक हाथ सँ छीन’चाहैत छल, मुदा महरैलवाली पाथर भ’गेल रहय। जेना ओ कागत निह, ओदसकठवा खेत हो जकरा ओ अपनाछाती सँ अलग निह कर’ चाहैत रहय।“िछनरी केँ तू एना निह मानवें।”महरैलवालीक मुँह पर घुसा मारैतओकर मुी केँ हलुक कर’ चाहलक।एहर रेवाड़ीवालीक चेहरा तामसेलाल भ’ गैल रहै। ओकर सभ टािवोह नेता सभक कूटनीित केँ बुिझतेिपघिल गेल रहै। ओ डोमनक देहझकझौरैत बाजल, “बकर-बकर कीताकै छ’। मार’ ने पूतखौका नेतबाआरू केँ। जब खेते निह बचत’ त’बाँटब’ की?” रेवाड़ीवालीक ई रूप देिखनेताजीक हाथ ढील हुअ’ लागल। पंचसभ हतभ रेवाड़ीवाली िदस ताक’लागल।‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्218


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्सुभाष साहगाम-अरनाहा, िजला सरलाही, नेपाल। वतर्मानमे लंदन मेोपोिलटन िविवालयसँ बी.बी.ए.कए रहल छिथ। सामािजक कायर्,मैिथलक जुटान, सां क़ितक कायर्म संचालनमे िवशेष रुिच। यू.के. केर मधेसीक संगठन ANMUK केर सिय सदय आसित सिचव। नेतृव क्षमताक गुण संगिह खर वक्ता।—स पादकलदनमे नेपाल मेला २००८(लदनसँ ी सुभाष शाहक िरपोटर्)वषर्क रूपमे मनाओल जायत। सुीयामी सऽ हम सब अहू बात परिवचारिवमशर् केलहुं जे 'लुिबनी' केपयर्टक सबलेल बेसी आकषर्क बनाबऽलेल की कैल जा सकैत अिछ।यामीजीअिह बात लेल ितब भेली जे ओसीता मैया एवम् बुदेवक इितहास सऽसबिधत थानके िवकासमे यथाशिक्तयोगदान देती।Association of NepaliMadheshis in UK) के सदयसबलेल अिह आयोजनक सफलता बहुतपैघलदन शहरमे िपकािडली सकर्सनामक थान पर नेपाल एमबैशीकसहायता सऽ २१ आऽ २२ िसतबर२००८ कऽ अिह मेलाक आयोजन कैलगेल छल जािहमे नेपाल के पयर्टन मंीआदरणीया सुी िहिशला यामी नेपालकराजदूत ी मुरारी राज शम खैतानुपके चेयरमैन एवम् मैनेिजंग ेिसडेंट ीराजे खैतान आिद सिहत अय िदग्गजसब उपिथत छलैथ।अतऽ इहो घोषणाकैल गेल जे साल २०११ के पयर्टनी नवीन कुमार एवम् सुी सुनीताशाह ारा तुत सांकृितक पिरधानकफैशन शो अयत सफल रहल।हमरासब अमुक (ANMUK-ोसाहन अिछ।(आभार- अमुक के वेबसाएट जािहसऽ फोटो ात भेल )‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्219


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्सुभाष च यादवकथाकार, समीक्षक एवं अनुवादक, जम ०५ माचर् १९४८, मातृक दीवानगंज, सुपौलमे। पैतृक थान: बलबा-मेनाही, सुपौल।आरिभक िशक्षा दीवानगंज एवं सुपौलमे। पटना कॉलेज, पटनासँ बी.ए.। जवाहरलाल नेहरू िविवालय, नई िदलीसँ िहदीमे एम.ए.तथा पी.एह.डी.। १९८२ सँ अयापन। सित: अयक्ष, नातकोर िहदी िवभाग, भूपे नारायण मंडल िविवालय, पिमीपिरसर, सहरसा, िबहार। मैिथली, िहदी, बंगला, संकृत, उदूर्, अंेजी, पेिनश एवं ेंच भाषाक ज्ञान।काशन: घरदेिखया (मैिथली कथा-संह), मैिथली अकादमी, पटना, १९८३, हाली (अंेजीसँ मैिथली अनुवाद), सािहय अकादमी,नई िदली, १९८८, बीछल कथा (हिरमोहन झाक कथाक चयन एवं भूिमका), सािहय अकादमी, नई िदली, १९९९, िबहािड़ आउ(बंगला सँ मैिथली अनुवाद), िकसुन संकप लोक, सुपौल, १९९५, भारत-िवभाजन और िहदी उपयास (िहदी आलोचना), िबहारराभाषा पिरषद्, पटना, २००१, राजकमल चौधरी का सफर (िहदी जीवनी) सारांश काशन, नई िदली, २००१, मैिथलीमे करीबसिर टा कथा, तीस टा समीक्षा आ िहदी, बंगला तथा अंेजी मे अनेक अनुवाद कािशत।भूतपूवर् सदय: सािहय अकादमी परामशर् मंडल, मैिथली अकादमी कायर्-सिमित, िबहार सरकारक सांकृितक नीित-िनधरणसिमित।–सपादककिनयाँ-पुतराजेना टांग छानै छै, तिहना ऊलड़की हमर पएर पाँज मे धऽ लेलकआ बादुर जकाँ लटैक गेल। ओकरहालत देख ममता लागल। ेनक ओइिडबा मे ठाढ़ भेल-भेल लड़की थाइककय चूर भऽ गेल रहै। किनयें कालपिहने नीचे मे कहुना बैठल आ बैठलो नैगेलै तऽ लटैक गेल।िडबा मे पएर रोपै के जगह नैछै। लोग रेड़ कय चढ़ै-ए, रेड़ कयउतरै-ए। धीया-पूता हवा लय औनाइ छै,पाइन लय कानै छै। सबहक जीयाकुल छै। लोग छटपटा रहल-अय।हम अपने घंटो दू घंटा सऽ ठाढ़रही। ठाढ़ भेल-भेल पएर मे दरद हुअयलागल। मन करय लुद िसन बैठ जाइ।तखैिनये दूटा सीट खाली भेलै, जइ परतीन गोटय बैठल। तेसर हम रही जेबैठब की, बस कनेटा पोन रोपलॱ। ऊलड़की ससैर कय हमरा लग चैलआयल। पिहने ठाढ़ रहल, फेर बैठगेल। फेर बैठले-बैठल हमर टांगमेलटैक गेल। जखैन ऊ ठाढ़ रहय तऽबापक बाँिह मे लटकल रहय। ओकराहम बड़ी काल लटकल देखने रिहऐ।ओकर बाप अखैिनयॲ ठाढ़े छै। छोटबहीन आ भाय ओकरे बगल मे नीचे मेबैठल औंघा रहल छै।ऊ जे टांग छानने ऐछ, से हमरािबदागरी जकाँ लाइग रहल-अय। जाइकाल बेटी जेना बापक टांग छाइन लैछै, तेहने सन। ने ऊ कानै-अय, ने हमकानै छी। लेिकन ओकर क, ओकरअसहाय अवथा उदास कऽ रहल-अय।हम िनल-िनपंद बैठल छी। होइएहमर सुगबुगी सऽ ओकर िबसबास,ओकर असरा कतौ िछना नै जाय। हाथससैर जाइ छै तऽ ऊ फेर ठीक सँटांग पकैड़ लै अय।लड़की दुबर-पातर आ पोरगर छै।हाथ मे घड़ी। लािटकक झोरा मेराखल मोबाइल। लागै छै नौ-दससालक रहय। मगर कहलक जे बारहसाल के ऐछ। सतमा मे पढ़ै-अय आ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्220मिमऔत भाइक िबयाह मे जा रहल-अय।बेर-बेर जे हाथ ससैर जाइत रहैसे आब ऊ हमर ठेंगहुन पर मूड़ी राइखदेलक-अय। जेना हम ओकर माय होइअइ। ओकर माय संग मे नै छै। कतयछै ओकर माय? जकर कनहा पर, पीठपर, जाँघ पर कतौ ऊ मूड़ी राइखसकैत रहय। हम ओकर माथ पर हाथदेिलऐ। ऊ और िनचेन भऽ गेलजेना।एक बेर गाड़ीक धा सऽ ऊससैर गेल; सोझ भेल आ ऑंइखखोललक। एक गोटय कहलकै- दादाकय किस कय पकड़ने रह।अंितम टीशन आइब रहल छै। सबउतरै लय सुरफुरा लागल-अय। अपन-अपन जुा-चपल, कच्चा-बच्चा आसामान कय लोग ओिरयाबय लागल-अय। राइत बहुत भऽ गेल छै। सबकय अपन-अपन जगह पर जायकेिचता छै। बहुत गोटय ठाढ़ भऽ गेलऐछ। ऊ लड़िकयो। हमहूँ ठाढ़ भऽ कऽ


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्अपन झोरा उतारै छी। तखिनयें नेबोसन कोनो कड़गर चीज बाँिह सऽटकरायल। बुझा गेल ई लड़कीक छातीिछऐ। हमर बाँिह कने काल ओइलड़कीक छाती सऽ सटल रहल। ओइपशर् सऽ लड़की िनिवर्कार छल; जेनाऊ ककरो आन संगे नै, बाप-दादा याभाय-बहीन सऽ सटल हो।ओकर जोबन फूइट रहल छै।ओकरा िदस ताकैत हम कपना कऽरहल छी। अइ लड़कीक अनमोलजोबनक की हेतै ? सीता बनत कीदरोपदी ? ओकरा के बचेतै ? हमराराबन आ दुरजोधनक आशंका घेरने जारहल ऐछ।टीशन आइब गेलै। गाड़ी ठमैकरहल छै। लड़की हमरा देख िबहुँसै—अय; जेना रुखसत माइंग रहल हो। ईकेहन रोकसदी ऐछ! ने ऊ कानै छै, नेहम कानै छी। ऊ हँसै-अय, हमहँ हँसैछी।लेिकन हमर हॅसी मे उदासी अय।डाक् टर सूयर्नाथ गोपिदघवा, स तरीमैिथलीकेँ बेिचकऽआ मापै ट सटर्पर टाईकोट किसकऽमाथपर ढाका टोपी चढाकऽबगलमे भारतीय दुतावासक झोरा लटकाकऽएिह युगक सभसँ बडका िवसंगित–डाक् टर सूयर्नाथ गोपएक हाथमे पासपोटर्–िभसा मुिठयबैतदोसर हाथमे िह दीक झ डा फहरबैतिहनिहनाईतिगनिगनाईतजारहल छिथमौिरससअ तरि य िह दी सम् मेलनमे‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्221


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्तूिलकागाम रुपुर, िजला मधुबनी।‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्222


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्उमेश कुमार महतोउमेश कुमार- पु ी केशव महतो, बहादुरगंजतीन मूरी बला....एकटा राजा रहए। ओकराएकटा बेटा रहए। ओकर राजपाटखूब शांित सँ चलैत रहए। राजाजखन बीमार भेलए तँ बेटाकेँकहलकए।१. फी कओरमे सीरा खाइले।२. ारपर हाथी बहबा कऽराखय ले।३. वैर भाव नहॴ राखएले।४. बाहर िनकलैपर छाँहमे रहबाले।राजकुमार एकर अथर् निह बुिझपओलक। राजा मिर गेलैक।राजकुमार राजा बिन गेल।िपताजीक गपपर ओ अमलकरए लागल।१. फी कोरमे सीरा खेबाकमतलब ओ बुझलकै जे सभ िदनखसी कटबा कए सीरा खेनाइ आबचल मासु नोकर सभ केँ देनाइ आओ सएह करए लागल।२. ारपर ओ एकटा हाथी कीनकए रखबा देलक आ चािर टानोकर ओकर देखभाल लेल रािखदेलक।३. ओ सभटा बैरक गाछ कािटकए हटा देलक।४. ओ दू टा नोकर राखलकजे गाछ कािट कए जतए जतएराजा जाइत रहए ओतए-ओतए लएजाइत रहए।एना िकछु िदन ओ राजपाटचलेलक। एना किरते-किरते राजपाटखतम भए रहल छलैक, कारण खचबेसी भए गेलै आ आमदनी कम, सभगाछ किट गेलैक।गामक एक बुजुगर् सँ ओपुछलक जे हमर राजपाट िकएकखतम भए रहल अिछ। तँ ओ बुजुगर्ओकरा बुझेलक जे जाऊ आ तीनमूरी बला आदमी सँ पुछू।चारू तरफ राजा खोजलक मुदातीन मूरी बला आदमी ओकरा निहभेटलैक। फेर ओही बुजुगर् आदमी सँपुछलक जे हमरा तँ तीन मूरी बलाआदमी निह भेटल।बुजुगर् कहलकै जे ७० बरख सँ८० बरखक आदमी केँ तीन मूरीबला कहल जाइत छैक कारण जेजखन ओ बैसैत अिछ तँ ओकर मूरीझुिक जाइ छैक आ ठेहुन ऊपर उिठजाइत छैक आ से ओ तीन मूरीजकाँ भए जाइत छैक।राजा एहेने एकटा मनुक्खकेँतािक क' पुछलक।“िपताजी मरए से पिहने की कीबतेने रहिथ”। ओ तीन मूरी बलामनुख पुछलक।राजा कहलक।“ओ बतेलिथ-१. फी कओरमे सीरा खाइले।२. ारपर हाथी बहबा कएराखए ले।३. वैर भाव नहॴ राखए ले।४. बाहर िनकलैपर छाँहमे रहबाले”।“पिहलाक मतलब छी- एक पावडेढ़का मांछ लए कए बनबा कएखाउ ओकर सभ कओरमे सीराभेटत।दोसराक मतलब घरक आगाँघूर लगा देबा लए जािहसँ ारपरहरदम १० गोटे बैसल रहत।तेसरक मतलब झगड़ा-झाँिट सँदूर रिह दोती िमलान सँ रहू।चािरमक मतलब दू रुपैयाकछाता लऽ छाहमे चलू”। तीन मूरीबला मनुक्ख बतेलक।एकरापर अमल केलापर राजाकराजपाट वापस आबए लगलैक।‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्223


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्ी उदय नारायण िसंह ‘निचकेता’जम-1951 ई. कलकामे।1966 मे 15 वषर्क उमे पिहल काय संह ‘कवयो वदित’| 1971 ‘अमृतय पुाः’(किवता संकलन)आ’ ‘नायकक नाम जीवन’(नाटक)| 1974 मे ‘एक छल राजा’/’नाटकक लेल’(नाटक)। 1976-77 ‘यावर्न’/ ’रामलीला’ (नाटक)।1978मे जनक आ’ अय एकांकी। 1981 ‘अनुरण’ (किवता-संकलन)। 1988 ‘ियंवदा’ (नािटका)। 1997-‘रवीनाथक बाल-सािहय’(अनुवाद)। 1998 ‘अनुकृित’- आधुिनक मैिथली किवताक बंगलामे अनुवाद, संगिह बंगलामे दूटा किवता संकलन। 1999 ‘अु ओपिरहास’। 2002 ‘खाम खेयाली’। 2006मे ‘मयमपुरुष एकवचन’ (किवता संह)। भाषा-िवज्ञानक क्षेमे दसटा पोथी आ’ दू सयसँ बेशीशोध-प कािशत। 14 टा पी.एच.डी. आ’ 29 टा एम.िफल. शोध-कमर्क िदशा िनदश। बड़ौदा, सूरत, िदली आ’ हैदराबाद िव.िव.मेअयापन। संित िनदेशक, भारतीय भाषा संथान, मैसूर।—-स पादकनो एंी: मा िवश(चािर-अंकीय मैिथली नाटक)नाटककारउदय नारायण िसंह ‘निचकेता’िनदेशक, भारतीय भाषा संथान, मैसूर(मैिथली सािहयक सुिस योगधमनाटककार ी निचकेताजीक टटकानाटक, जे िवगत 25 वषर्क मौनभंगकपात् पाठकक समुख तुत भ’ रहलअिछ।)पिहल अंक जारी....िवदेहक एिहआठम अंक 15 अैल 2008 सँ|नो एंी: मा िवश(चािर-अंकीय मैिथली नाटक)पा–पिरचयपद उिठतिह –ढोल–िपपही, बाजा–गाजा बजौिनहार–सबदूटा चोर, जािह मे सँ एक गोटेपॉिकट–मार आएकटा उचादू गोट भ यिक्तेमीेिमकाबाजार सँ घुरैत ौढ़ यिक्तबीमा कंपनीक एजेंटरद्दी िकनै–बेचैबलािभख-मंगनीरमणी-मोहननंदी–भृंगीकैकटा मृत सैिनकबाद मेनेता आ नेताक एक-दूटा चमचा/अनुयायीअिभनेतावाम-पंथी युवाउच्च–वंशीय मिहलाअंत मेयमिचगुतथम कलोल[एकटा बड़का–टा दरबजा मंचकबीच मे देखल जाइछ। दरबजाक दुनूिदिस एकटा अदृय मुदा सत देवारछैक, जे बुिझ लेबाक अिछ– कखनहुअिभनेता लोकिनक अिभनय–कुशलता सँतथा कतेको वातलाप सँ से प भ’जाइछ। मंच परक काश–यवथा सँई पता निह चलैत अिछ जे िदन िथकअथवा राित, आलीक कनेक मिम,सुर–संगत होइत सेहो कने मिरयलसन।एकटा कतार मे दस–बारह गोटेठाढ़ छिथ–जािह मे कैकटा चोर–उचा,एक-दू गोटे भ यिक्तत मुदा ई पजे हुनका लोकिनक िनधन भ’ चुकलछिह। एकटा ेमी–युगल जे िवष-पानक’ कए आम-हया कैल अिछ, मुदाएत’ वगर्क (चाही त’ नरकक सेहोकिह सकै छी) ार लग आिब कए कनेिवल भ’ गेल छिथ जे आब की कैलजाइक। एकटा ौढ यिक्तत जेबजारक झोरा ल’ कए आिब गेल छिथ–बुझाइछ कोनो पथ–दुघर्टनाक िशकारभेल छिथ बाजार सँ घुरैत काल।एकटा बीमा कंपनीक एजेंट सेहो छिथ,िकछु परेशानी छिन सेहो प। एकटारद्दीबला जे री कागजक खरीद–िबीकरैत छल, एकटा िभखमंगनी–एकटापुतलाकेँ अपन बौआ (भिरसक ई कहैचाहैत छल जे वैह छल ओकर मुइलबालक अथवा तकर ितरूप) जकाँकाँख तर नेने, एक गोट अयंत बूढ़यिक्त सेहो, जिनक रमणी–ीित एखनहु‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्224


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्कम निह भेल छिन, हुनका हमसबरमणी–मोहने कहबिन।सब गोटे कतार मे त’ छिथ, मुदाधीरजक अभाव प भ’ जाइछ। क्यो-क्यो अनकाकेँ लाँिघ आगाँ जैबाक यासकरैत छिथ, त’ क्यो से देिख कए शोरकरय लागैत छिथ। मा तीन–चािरटामृत सैिनक–जे िक सब सँ पाछाँ ठाढ़छिथ, हुनका सबमे ने कोनो िवकृितलखा दैछ आ ने कोनो हड़बड़ी।बजार-बला वृ: हे – हे – हे देखैजाउ... देिख रहलछी िक निह सबटातमाशा... कोना–कोना क’ रहल छइ ईसब!की ? त’ कनीटा त’ आगाँ बिढ़जाई![एकटा चोर आ एकटा उचा केँदेखा कए बािज रहल छिथ, जे सबओना त’ चािरम तथा पाँचम थान परढ़ाढ छैक, मुदा कतेको काल सँ अथकयास क’ रहल अिछ जे कोना दुनू भयिक्त आ ेमी–ेिमका युगलकेँ पार क’कए कतारक आगाँ पहुँिच जाई!]बीमा एजेंट: [निह बूिझ पबैत छिथजे ओ वृ यिक्त हुनके सँिकछु किह रहल छिथ िक आनककरहु सँ। बजार-बला वृ सँ आगाँ छल रद्दीबेचैबला आ तकरहुसँ आगाँ छलाह बीमा बाबू।] हमरािकछु कहलहुँ ?बाजारी: अहाँ ओहर देखब त’बूिझ जायब हम की किहरहल छी आ ककरा दय...![अकमात् अयंतोधक आवेश मे आिब ] हे रौ!की बुझै छहॴ...क्यो निह देिख रहल छौ ? [बीमाबाबू केँ बजारक झोरा थहबैत -] हे ईधरू त’! हम देखै छी।[कहैत शोर करैत आगाँ बिढ़ कएएकटा चोर आ उचा केँ कॉलर पकिड़कए घसीटैत पुनः पाछाँ चािरम-पाँचमथान पर ल’ अबैत छिथ, ओसब वाद–ितवाद कर’ लगैत अिछ -]चोर: हमर कॉलर िकयै धरै छी ?उचा: हे बूढ़ौ! हमर कमीज,फािड़ देबैं की ?बाजारी: कमीजे िकयैक ? तोहरआँिख सेहो देबौ हम फोिड़!की बूझै छेँ ? क्यो िकछु कहैबाला निह छौ एत’?उचा: के छै हमरा टोकै–बलाएत’? देखा त’ िदय’ ?चोर: आिह रे बा! हम की कैल जेहमर टीक धैने छी?दोसर चोर: (जे िक असल मेपॉिकट–मार छल) हे हे,टीक छोिड़ दी, नंगड़ी पकिड़िलयह सरबा क!चोर: (गोसा सँ) तोँ चुप रह!बदमाश निहतन!पॉिकटमार: (अकिड़ कए) िकयै ?हम िकयै निह बाजब ?उचा: (वृ यिक्तक हाथ सँअपना केँ छोड़बैत) ओय खुदरा!बेसी बड़बड़ैलें त’... (हाथ सँइशारा करैत अिछ गरा कािट देबाक)पॉिकटमार: त’ की करबें ?उचा: (भयंकर मुामे आगाँ बढ़ैत)त’ देब धड़ सँ गरा केँअलगाय... रामपुरी देखने छह ?रामपुरी ? (कहैत एकटा चाकू बहारकरैत अिछ।)चोर: हे, की क’ रहल छी...भाइजी, छोिड़ िदयौक ने!बच्चा छै... कखनहु–कखनहु जोशमे आिब जाइ छै!भ यिक्त 1: (पंिक्तक आगाँ सँ)हँ, हँ... छोिड़ ने देल जाय!उचा: [भयंकर मुा आनाटकीयता केँ बरकरार रखैत पंिक्तकआगाँ िदिस जा कए... अपन रामपुरीचाकू केँ दोसर हाथ मे उतरा जकाँघसैत] छोिड़ िदयह की मजा चखा देलजाय ? [एहन भाव–भंिगमा देिख दुनू भयिक्त डरै छिथ–ेमी–युगल अपनिहमेमगन छिथ; हुनका दुनू केँ दुिनयाक आरिकछु सँ कोनो लेन-देन निह...] की ?[घुिर कए पॉिकट–मार िदिसअबैत... तावत् ईसब देिख बाजारी वृक होश उिड़जाइत छिन...ओ चोरक टीक/कॉलर जे कही...छोिड़ दैत छिथघबड़ा कए] की रौ ? िदयौ भॲिक?आ िक…?चोर: उचकू–भाइजी! बच्चा छै...अपने िबरादरीकबुझू...! [आँिख सँ इशारा करैछिथ।]उचा: [अहास् करैत] ऐं ?अपने िबरादरीक िथकै ?[हँसब बंद कए- पूछैत] की रौ ?कोन काज करैछेँ?[पॉिकट-मार डरेँ िकछु बािज निहपबैत अिछ–मा दािहना हाथक दूटाआङुर केँ कैंची जकाँ चला कए देखबैतछैक।]उचा: पॉिकट-मार िथकेँ रौ ?[पुनः हँस’ लागै छिथ-छूरी केँ तहलगबैत’]चोर: कहलहुँ निह भाईजी ? ने ईहमरा सन माँजल चोरबिन सकल आ ने किहयो सपनहुमे सोिच सकलजे अहाँ सन गुंडा आ बदमाशो बिनसकत!उचा: बदमाश ? ककरा कहलेँबदमाश ? आँय!पॉिकट-मार: हमरा, हुजूर! ओकरबात जाय िदयह! गेल छलिगरहथक घर मे सेंध देब’... जेआइ ने जािन के टका-पैसा-गहनाभेटत! त’ पिहले बेिर मेजािग गेल िगरहथ, आ तकर चािर–चािरटाजवान-जहान बालक आ सँगिहआठ–आठटाकुकुर... तेहन ने हला मचा देलकजे पकिड़ कएपीटैत–पीटैत एत’ पठा देलक![हँसैत... उचा सेहो हँिस दैत अिछ]आब बुझु! ई केहन चोर िथक!(मुँह दूसैत) हमरा कहैत छिथ!‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्225


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्[कतारक आनो-आन लोक आअंततः सब गोटे हँसय लागैत छिथ]भ-यिक्तत 1: आँय यौ,चोरिथकॱ? लागै त’ निह छी चोरजकाँ...चोर: िकएक ? चोर देख’ मे केहनहोइत छैक ?पॉिकट-मार: हमरा जकाँ...! (कहैत,हँसैत अिछ, आरो एक-दूगोटे हँिस दैत छिथ।) चललाहिभखारी बौआ बन’... ?की ? त’ हम तकर-राज छी![कतहु सँ एकटाटूल आिन तािह पर ठाढ़ होइत...मंचक आनिदिससँ भाषणक भंिगमा मे] सुनू,सुनू, सुनू, भाई–भिगनी! सुनू सब गोटे!ीमान्, ील 108ी ी बुि-शंकर महाराज तकरसाट आिबरहल छिथ! सावधान, होिशयार![एतबा कहैत टूलपर सँ उतिर अपन हाथ-मुँहकमूकािभनयसँएहन भंिगमा करैत छिथ जेना िकभॲपू बजारहल होिथ... पाछाँ सँ भॲपू –िपपहीक शदकिनये काल सुनल जाइछ, जाबतओ ‘माचर्’ करैतचोर लग अबैत अिछ...]चोर: [कनेक लजबैत] निह तोराहम साथ िलतहुँ ओिहराितकेँ, आ ने हमर िपटाइ देखबाकमौके तोराभैटितहौक! [कहैत आँिख मे एक-दूइ बु पािनआिब जाइत छैक।]पॉिकट-मार: आ-हा-हा! एिह मेलजबैक आ मोन दुखैक कोनगप?[थहैत, लग आिब कए] देखह!आइ ने त’काि-चोिर त’ पकड़ले जाइछ।आ एकबेर जँ भंडा-फोड़ भ’ जाइत अिछ त’ बजरत’ माथ पर खसबेकरत! सैह भेल... एिह मे दुखकोन बातक ?उचा: (हँसैत) हँ, दुखी िकयै होइछहक?बाजारी: [एतबा काल आयर् भएसबटा सुिन रहल छलाह।आब रहल निह गेलिन – अगुआकए बाजय लगलाह]हे भगवान! हमर भाग मे छलवथिह शरीर मे िबना कोनो रोग-शोकभेनिह वगर् मे जायब... तैँ हम एत’ऐलहुँ, आ वगर्क ार पर ठ़ाढ छी क्यूमे...! मुदा ई सब चोर–उचा जँ वगमे जायत, तखन केहन हैत ओ वगर्रहबाक लेल ?पॉिकट-मार: से िकयै बाबा ? अहाँकी बूझै छी, वगर् त’ सभकलेल होइत अिछ! एिह मे ककरहुबपौती त’ निञ।बाजारी: [बीमा एजेंट केँ] आब बूझू!आब....चोर िसखाबय गुण केर मिहमा,पॉिकट–मारो करै बयान!मार उचा झािड़ लेलक अिछ,पाट–कपाट त’ जय िसयाराम![चोर-उचा-पॉिकट-मार ताली दैतअिछ, सुिन कए चॱकैत िभख-मंगनी आेमी-युगल िबनु िकछु बुझनिह तालीबजाब’ लागैत अिछ।]चोर: ई त’ नीक फकरा बिन गेलयौ!पॉिकट-मार: एहर तकर-राज त’ओहर किव-राज!बाजारी: (खॱझैत’) िकयै ? कोनगुण छह तोहर, जकरबखान करै अयलह एत’?पॉिकट-मार: (इंिगत करैत आहँसैत) हाथक सफाई... अपनजेब मे त’ देखू , िकछुओ बाकीअिछ वा निञ...बाजारी: [बाजारी तुरंत अपन जेबटटोलैत छिथ – त’ हाथपॉिकटक भूर देने बाहर आिबजाइत छिन। आयर्चिकत भ’ कए मुँह सँ मािवमयक आभास होइत छिन।] जा![बीमा बाबूकेँ आब रहल निञगेलिन। ओ ठहा पािड़ कए हँस’लगलाह, हुनकर देखा–देखी कैक गोटेबाजारी िदिस हाथ सँ इशारा करैत हँिसरहल छलाह।]चोर: [हाथ उठा कए सबकेँथहबाक इशारा करैत] हँिस त’रहल छी खूब!उचा: ई बात त’ प जेमनोरंजनो खूब भेल हैतिन।पॉिकट-मार: मुदा अपन-अपनपॉिकट मे त’ हाथ ध’ कए देखू![िभखमंगनी आ ेमी-युगल केँ छोिड़सब क्यो पॉिकट टेब’ लागैत’ छिथ आबैगक भीतर तािक-झाँिक कए देख’लागैत छिथ त’ पता चलैत छिन जेसभक पाइ, आ निह त’ बटुआ गायबभ’ गेल छिन। हुनका सबकेँ ई बातबुिझते देरी चोर, उचा, पॉिकट-मार आिभख-मंगनी हँस’ लागैत छिथ। बाकीसब गोटे हतबुि भए टुकुर- टुकुरतािकते रिह जाइत छिथ]िभखमंगनी: नंगटाक कोन डर चोरकी उचा ?जेहरिह तकै छी लागै अिछ धा!धा खा कए नाचब त’ नाचू ने!खेल खेल हािर कए बाँचब त’ बाँचूने![चोर-उचा–पॉिकट-मार, समवेतवर मे जेना धुन गािब रहल होिथ]नंगटाक कोन डर चोर िक उचा!आँिखएक सामने पलटल छा!िभख-मंगनी: खेल–खेल हािर कएसबटा फा!समवेत-वर: नंगटाक कोन डरचोर िक उचा ?[कहैत चारू गोटे गोल-गोल घुर’लागै छिथ आ नािच नािच कए कहैछिथ।]सब गोटे: आब जायब, तब जायब,कत’ ओ का ?पॉिकट मे हाथ दी त’ सब िकछुलक्खा!नंगटाक कोन डर चोर िक उचा!‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्226


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्बीमा-बाबू: (चीकार करैत) हेथह’! बंद कर’ ई तमाशा...चोर: (जेना बीमा-बाबूक चारू िदिससपना मे भािस रहलहोिथ एहन भंिगमा मे) तमाशानिञ... हताशा....!उचा: (तािहना चलैत) हताशानिञ... िनराशा!पॉिकट-मार: [पॉिकट सँ छह-सातटाबटुआ बाहर क’ कए देखा –देखा कए] ने हताशा आ नेिनराशा, मा तमाशा...ल’ लैह बाबू छह आना, हरेकबटुआ छह आना![कहैत एक–एकटा बटुआ बॉलजकाँ तकर मािलककिदिस फेंकैत छिथ आ हुनकालोकिन मे तकरासबटाकेँ बटौर’ लेल हड़बड़ी मिचजाइत छिन। एिहमौकाक फायदा उठबैत चोर–उचा-पॉिकटमारआ िभख-मंगनी कतारक सब सँआगाँ जा’ कए ठाढभ’ जाइत छिथ।]रद्दी-बला: [जकर कोनो नुकसाननिह भेल छल-ओ मा मती क’ रहलछल आ घटनासँ भरपूर आनद ल’रहल छल।] हे बाबू– भैया लोकिन!एकर आनद निञ अिछ कोनो जे“भूलल-भटकल कहुना क’ कए घुिरआयल अिछ हमर बटुआ”। [कहैत दूडेग बढा’ कए नािचओ लैत’ छिथ।] ईजे बुझै छी जे अहाँक धन अहॴ केँघुिर आयल... से सबटा फूिस िथक!बीमा-बाबू: (आयर् होइत) आँय ?से की ?बाजारी: (गरा सँ गरा िमला कए)सबटा फूिस ?भ-यिक्त 1: की कहै छी ?भ-यिक्त 2: माने बटुआ त’भेटल, मुदा भीतर ढन–ढन!रद्दी-बला: से हम कत’ कहलहुँ ?बटुओ अहॴक आ पाइयोछैहे! मुदा एखन ने बटुआक कोनोकाज रहत’ आ ने पाइयेक!बीमा-बाबू: माने ?रद्दी-बला: माने निञ बुझिलयैक ?औ बाबू! आयल छी सबगोटे यमालय... ठाढ़ छी बददरबजाक सामने...कतार सँ... एक–दोसरा सँ जूिझरहल छी जे केपिहल ठाम मे रहत आ के रहततकर बाद...?तखन ई पाइ आ बटुआक कोनकाज ?भ-यिक्त 1: सये त’! भीतरगेलहुँ तखन त’ ई पाइ कोनो काजमे निह लागत!बाजारी: आँय ?भ-यिक्त2: निह बुिझिलयैक ?दोसर देस मे जाइ छी त’ थोड़ेचलैत छैक अपन रुपैया ? (आनलोग सँ सहमितक अपेक्षा मे-) छै िकनिञ?रमणी-मोहन: (जेना दीघर् मौनता केतोड़ैत पिहल बेिर िकछु ढंगकेर बात बािज रहल छिथ एहनभंिगमा मे... एिहसँ पिहने ओ कखनहु ेमी-युगलकलग जायेिमका केँ िपयासल नजिर द’ रहलछलाह त’कखनहु िभख-मंगिनये लग आिबआँिख सँ तकरशरीर केँ जेना पीिब रहलछलाह...) अपन ेिमकाजखन अनकर िबयाहल पी बिनजाइत छिथतखन तकरा सँ कोन लाभ ?(कहैत दीघर्-ास याग करैत छिथ।)बीमा-बाबू: (डाँटैत) हे...अहाँ चुपरहू! क’ रहल छी बातरुपैयाक, आ ई कहै छिथ रूपदय...!रमणी-मोहन: हाय! हम त’ कहैछलहुँ रूपा दय! (िभख-मंगनीरमणी-मोहन लग सटल चिल आबैछैक।)िभख-मंगनी: हाय! के िथकी रूपा?रमणी-मोहन: “कािन-कािन वयािमरूपक्यािन रमणी च...!बाजारी: माने ?रमणी-मोहन: एकर अथर् अनेकगंभीर होइत छैक... अहाँ सनबाजारी निह बूझत!िभख-मंगनी: [लाय करैत] हमराबुझाउ ने![तावत िभख-मंगनीक भंिगमा देिखकने-कने िबहुँसैत’ पॉिकट–मार लग आिबजाइत अिछ।]िभख-मंगनी: [कपट ोधेँ] हँसैिकयै छें ? हे... (कोरा सँ पुतलाकेँपॉिकट-मारकेँ थहबैत) हे पकड़ू त’एकरा... (कहैतरमणी-मोहन लग जा कए) औमोहन जी! अहाँ कीने कहलहुँ, एखनहु धिर भीतर मेएकटा छटपटीमचल यै’! रमणी-धमनी कोन बात’कहलहुँ ?रमणी-मोहन: धूर मूखर्! हम त’ करैछलहुँ शकुतलाक गप,मदोदरीक यथा... तोँ की बुझबेँ?िभख-मंगनी: सबटा यथा केर गपबुझै छी हम... भीख मांिग-मांिग खाइ छी, तकर माने ई थोड़े,जे ने हमर शरीरअिछ आ ने कोनो यथा... ?रमणी-मोहन: धुत् तोरी! अपनयथा–तथा छोड़, आ भीतर कीछैक, तािह दय सोच! (कहैत बंददरबजा िदिस देखबैत छिथ-)पॉिकट-मार: (अवाक् भ’ कएदरबजा िदिस देखैत) भीतर ? कीछइ भीतरमे... ?‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्227


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्रमणी-मोहन: (नृयक भंिगमा करैतताल ठोिक- ठोिक कए) भीतर?“धा–िधन–िधा... भरल तमा!तेरे-केरे-िधन-ता... आब निञिचता!”िभख-मंगनी: (आयर् भए) माने ?की छैक ई ?रमणी-मोहन: (गवर् सँ) ‘की’ निञ...‘की’ निञ... ‘के’ बोल!बोल- भीतर ‘के’ छिथ ? के, केछिथ?पॉिकट-मार: के, के छिथ?रमणी-मोहन: एक बेिर अिह ारकेँपार कयलेँ त’ भीतर भेटतीएक सँ एक सुर–नारी,उवर्शी–मेनका–रभा... (बाजैत- बाजैत जेनामुँहमे पािन आिब जाइत छिन--)िभख-मंगनी: ईः! रंभा...मेनका...!(मुँह दूसैत) मुँह-झरकीसब... बजर खसौ सबटा पर!रमणी-मोहन: (हँसैत) कोना खसतैकबजर ? ब त’ छिन देवराजइ लग! आ असरा त’ सबटाछिथ हुनकिह नृयांगना।[िभख-मंगनीक ितिया देिख कैकगोटे हँस’ लगैत छिथ]पॉिकट-मार: हे....एकटा बात हमकिह दैत छी – ई निह बूझू जेदरबजा खोिलतिह आनंदे आनंद!बाजारी: तखन ?बीमा-बाबू: अहू ठाम छै अशांित,तोड़-फोड़, बािढ़ आ सूखार ?आ िक चारू िदिस छइ हिरयर,अकाससँ झहरैतखुशी केर लहर आ मािटसँ उगलैतसोना ?पॉिकट-मार: िकएक ? जँ अशांित,तोड़-फोड़ होइत त’ नीक... कीबूझै छी, एहु अहाँ जीवन–बीमाचलाब’ चाहै छी की ?चोर: (एतबा काल उचा सँफुसुर-फुसुर क’ रहलछल आ ओिह, दरबजा लग ठाढ़छल– एिहबात पर हँसैत आगाँ आिब जाइतअिछ) वगर्मेजीवन-बीमा ? वाह! ई त’ बडनीक गप!पॉिकट-मार: देवराज इंक ब..बोलू कतेक बोली लगबै छी?उचा: पह करोड़!चोर: सोलह!पॉिकट-मार: साढे-बाईस!बीमा-बाबू: पच्चीस करोड़!रमणी-मोहन: हे हौ! तोँ सब बताहभेलह ? वगर्क राजा केर ब,तकर बीमा हेतैक एक सय करोड़सँ कम मे ? [कतहु सँ एकटा टूलकजोगाड़ क’ कए तािह पर चट दय ठाढ़भ’ कए-]पॉिकट-मार: बोलू, बोलू भाई-सब!सौ करोड़!बीमा-बाबू: सौ करोड़ एक!चोर: सौ करोड़ दू –रमणी-मोहन: एक सौ दस!िभख-मंगनी: सवा सौ करोड़!चोर: डेढ़सौ करोड़...िभख-मंगनी: पचपन –चोर: सािठ –िभख-मंगनी: एकसिठ –[दूनूक आँिख–मुँह पर ‘टेनशन’ कछाप प भ’ जाइत छैक। ]चोर: (खॱझैत) एक सौ नबै...[एतेक बड़का बोली पर िभख-मंगनीचुप भ’ जाइत अिछ।]पॉिकट-मार: त’ भाई-सब! आबअंितम घड़ी आिब गेल अिछ –190 एक, 190 दू, 190...[ठहा पािड़ कए हँस’ लगलाहबाजारी, दूनू भ यिक्त आ रद्दी-बला-]पॉिकट-मार: की भेल ?चोर: हँसीक मतलब ?बाजारी: (हँसैते कहैत छिथ) हौबाबू! एहन मजेदार मोल-नीलामी हम कतहु निञ देखने छी!भ-यिक्त 1: एकटा चोर...भ-यिक्त 2: त’ दोसर िभख-मंगनी...बाजारी: आ चलबै बला पॉिकट-मार...[कहैत तीनू गोटे हँस’ लागै छिथ]बीमा-बाबू: त’ एिह मे कोनअचरज?भ-यिक्त 1: आ कोन चीजकबीमाक मोल लािग रहल अिछ–त’ ब केर!भ-यिक्त 2: बजर खसौ एहननीलामी पर!बाजारी: (गीत गाब’ लागै’ छिथ)चोर िसखाबय बीमा–मिहमा,पॉिकट-मारो करै बयान!मार उचा झािड़ लेलक अिछ,पाट कपाट त’ जय िसयाराम!दुनू भ-यिक्त: (एिह संगे) जयिसयाराम![पिहल खेप मे तीनू गोटे नाच’-गाब’लागै छिथ। तकर बाद धीरे-धीरे बीमाबाबू आ रद्दी-बला सेहो संग दैतछिथ।]बाजारी: कौआ बजबै हंसक बाजाभ-यिक्त 1: हंस गबै अिछमोरक गीतभ-यिक्त 2: गीत की गाओत ?छल बदनाम!बाजारी: नाट-िवराटल जयिसयाराम!समवेत: मार उचा झािड़ लेलकअिछ।पाट-कपाटक जय िसयाराम![चोर-उचा-पॉिकट-मार ताली दैतअिछ, सुिन कए चॱकैत िभख-मंगनी आेमी-युगल िबनु िकछु बुझनिह तालीबजाब’ लागैत अिछ।](मश:)‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्228


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्ी बैकुठ झािपता-वगय रामच झा, जम-२४-०७-१९५४ (ाम-भरवाड़ा, िजला-दरभंगा), िशक्षा- नातकोर (अथर्शा),पेशा-िशक्षक। मैिथली, िहदी तथा अंेजी भाषा मे लगभग २०० गीत कऽ रचना। गोनू झा पर आधािरत नाटक''हायिशरोमिण गोनू झा तथा अय कहानी कऽ लेखन। अिह के अलावा िहदी मे लगभग १५ उपयास तथाकहानीक लेखन।—स पादकदुिनयाँ तँ ई धोखा अिछउर दिक्षण पूरब पिमऊिग रहल पिनसोखा अिछ।दुिनयाँ...कौआ करर्-करर् करकराय रहल,आँगनमे धान सुखाय रहल।पेपर रेिडयो टी.वी.परनेतहुँ तँ शोर मचाय रहल।हो िजदा मुद गाय-महीशवृा-पेंशन हो या खरात-हर ठाम कमीशन खाय रहल,हँिस-हँिस कय गाल बजाय रहल।आजुक युग के ई शोभा अिछ,ई मान बराईक नोभा अिछ। दुिनयाँ..दुिनयाँमे अिछ सब चोर-चोर,जकरा िहसा नईं भेंिट रहल-मचबै सगरो तऽ वैह शोर।काटय केउ सेह अहिरयामे,लूटय तऽ केउ इजोिरयामेकेउ ठूसय हीरा वोिरयामेबदूक बनैत अिछ गोिहयामेअिछ सबहक सरदार िसपाहीऊठय िनित ओढ़िढ़यामेईमान जतय घर टाटक अिछई महल अटारी पापक अिछदुिनयाँ तँ ई धोखा अिछपूरब पिम उर दिक्षणऊिग रहल पिनसोखा।(१६.०९.९१)िलखलॱ कतेक प करजोिर जोिर कऽबूझब ओ छल नोरक जगहकेँ छोिड़-छोिड़ कऽिलखलॱ...झहरै तऽ बूँद सावनमे, खुब झूिम-झूिम कऽबरसै तऽ नोर िनत, कपोल चूिम-चूिम कऽिलखलॱ...मुरझाय बन तराग बाग तऽ ओगृममे,पावस उमंग घोिर रहल, आईपवनमे,िलखईत छी पाँित हम, ई कलमबोिर-बोिर कऽ।िलखलॱ कतेक...भेटत नम बूँद फेर, जखन िहम जेिपघिल जैत,आओत कोना ओ बािढ़ औ! सिरतासेहो सुखैतई िलिख रहल छी आई, आँिखफोिड़-फोिड़ कऽ।िलखलॱ कतेक...तोिर-गेिर-तोिर कऽ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्229


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्मुहबतमे तऽ तरपब भाग्यमेिलखला भुसबकेरही जॱ दूर ियतमसँ सजाये मौतत ओ िथक। रही...२यक्षक िवरह छल वषर्केँ जनलकजगत सगरो-जहाँ वष िवरह के बात छै-वनवास त ओ िथक। जहाँ...२ई उपवन ओ िशखा पवर्त आ कल-कल बिह रहल सिरताअगर अली अिछ नज उपवनमे तसुदरता कतय ओ िथक।मुहबत...िचतवन हो यिद चंचल आ तनयौवनसँ हो भारीमगर पावसमे पहु परदेश होयौवन कहाँ ओ िथक।मुहबत...परदेशरुन-झुन बाजय पायल हमर फूजलबाहल केशऔ मोर पाहुन धेलहुँ योिगन वेश।डािढ़-डािढ़पर फुद-फुी सभ फुदिकरहल,खढ़-खढ़केँ समिट बनौने केहन महलकरै पिरम िमल कय दुनू नईं छिहकोनो क्लेश।औ..िबजुलीसँ चमकै घर, मुदा अहिरयायौ।िटम-िटम दीप करै छै ओतयअहिरया औिदन गनैत छी बीित रहल अिछ राितकहाँ अिछ शेष औ...सीता शिक्त राम सौय जग-ाणबनल।पौलिन जगमे नाम घूिम जंगल-जंगल॥महल यािग वनवाश गेलिह बनातपिवन वेश!औ मोर...जतबय दुःख हम कहब अहाँ ततबैबुझबैनिहं पहुँचत जॱ प अहाँ निहंयेजनबैजड़तै तेल कोना नईं घरमे पहुजकर परदेश।औ मोर...(२०.१०.९१)रिह-रिह आँचर उिड़ जाय िकयाअहाँ आँचर समिट लजई िकया।रिह-रिह..देिख बागमे सुमन यवहार करू,उठा िनज नयनकेँ चािर करू,अली हर कलीसँ फुस-फुसायिकया। रिह रिह..चमन छी अहाँ िखिल रहल अयसुमन।लटसँ िलपिट घूिम चूमन पवनपड़य जतय नजिर िलपिट जायिकया! रिह रिह...भार सहय कोना किर केहिर अहाँकराग माधुरी सुनाबय पायल के झनकदेिख अहाँ के िहरदय जुराय िकया।रिह रिह आँचर..परदेश गेलहुँहमरो छोड़लहुँ, छोड़लहुँ माय केछोिड़ देलहुँ घरारपरदेश गेलहुँ…सोनू-मोनू झगड़ा कय-कय हमरोमाथ भुकाय रहलबिहिकरनी तऽ नईं अिछ घरमे, कहूकरत के हमर टहल?बौआ सब बौआय रहल अिछ, पढ़तैकथी कपार!परदेश गेलहुँ..जन-वन िकलौल करै छै, कोनाजेबै हम दरबजाबौआ दौड़ल छल सड़कपर, गेलहुँरोटी भेल भुजामाय छिथ बूढ़, छी एसगर घरमेकोना उठत ई भार!परदेश गेलउँ। हमरो...अहाँ जनै छी लोक केहन अिछ, केकऽ देतै हाट-बजार,साल-साल त बािढ़ अबै छै,उजरै छैसबके संसार,हेतै समु आँगन-घर सगरो,के कउदेतै पार!परदेश गेलउँ। हमरो छोड़लौ...‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्230


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्वासुदेव सुनानी,ओिड़या किवओिड़यासँ अंेजी अनुवाद शैलेन राउॉय आ अंेजीसँमैिथली गजे ठाकुर ाराहमरा <strong>अनुम</strong>ित अिछ ीमान!<strong>अनुम</strong>ितहम कए ली िवाम कनेक काल?अहाँक आदेशानुसारछाह केँ देने अिछ बहािर,बू केँ देने छी खोआए,अहाँक नालाकेँ कए देने छी साफ,निह रहत कोनो दुगर्ध आब।हमर अिछ ढोल बजबए बला मधुमाछीयुगसँ अहाँक मनोरंजनाथर्आ हमर आँगुर िथरताक राखए आशहम करी िवाम थोड़बे काल?हम करैत छी अनुभव पुरखाक वेदहमर देव, हमर मृतामा।तािह लेल िय ीमान्घंटा भिरक िवाम मा अिभवादन जकाँिकएक तँ हमर दुगर्ध, वेदक आ िकछु आनवतुक।हम करए छी तीक्षा अहाँक नीक समय तृितकसंगिह अपन कीट-संिमत िजनगीक समाितकसंकेतक।तीक्षा सेिह भिर दैत अिछ थकान, ीमान् ियवरिवशेषकए लाख बरखक जहुँ ई होए।से हम करए छी िवाम थोड़ेक काल, ीमान्?कारण हमरो सन् तुच्छकेँ बुझल छैक छोट-मोटिवोहक कला।‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्231


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्िवभा रानी(लेखक- एक्टर- सामािजक कायर्कत)बहुआयामी ितभाक धनी िवभा रानी राीय तरक िहदी व मैिथलीक लेिखका, अनुवादक, िथएटर एक्टर, पकार छिथ,िजनक दज़र्न भिर से बेसी िकताब कािशत छिह आ कएकटा रचना िहदी आ मिथलीक कएकटा िकताबमे संकिलत छिह। मैिथलीके 3 सािहय अकादमी पुरकार िवजेता लेखकक 4 गोट िकताब "कयादान" (हिरमोहन झा), "राजा पोखरे में िकतनी मछिलयां"(भास कुमार चाऊधरी), "िबल टेलर की डायरी" व "पटाक्षेप" (िलली रे) िहदीमे अनूिदत छिह। समकालीन िवषय, िफ़म, मिहलाव बाल िवषय पर गंभीर लेखन िहनक कृित छिह। रेिडयोक वीकृत आवाज़क संग ई िफ़स िडिवजन लेल डॉक्यूमेंटरी िफ़म,टीवी चैनस लेल सीिरयस िलखल व वॉयस ओवरक काज केलिह। िमिथलाक 'लोक' पर गहराई स काज करैत 2 गोटलोककथाक पुतक "िमिथला की लोक कथाएं" व "गोनू झा के िकसे" के काशनक संगिह संग िमिथलाक रीित-िरवाज, लोकगीत, खान-पान आिदक वृहत खज़ाना िहनका लग अिछ। िहदीमे िहनक 2 गोट कथा संह "बद कमरे का कोरस" व "चल खुसरोघर आपने" तथा मैिथली में एक गोट कथा संह "खोह स' िनकसइत" छिह। िहनक िलखल नाटक 'दूसरा आदमी, दूसरी औरत'राीय नाय िवालय, नई िदली के अतरीय नाय समारोह भारंगममे तुत कएल जा चुकल अिछ। नाटक 'पीर पराई'कमंचन, 'िववेचना', जबलपुर ारा देश भरमे भ रहल अिछ। अय नाटक 'ऐ िये तेरे िलए' के मंचन मुंबई व 'लाइफ़ इज नॉट अीम' के मंचन िफ़नलैंडमे भेलाक बाद मुंबई, रायपुरमे कएल गेल अिछ। 'आओ तिनक ेम करें' के 'मोहन राकेश समान' सेसमािनत तथा मंचन ीराम सेंटर, नई िदलीमे कएल गेल। "अगले जनम मोहे िबिटया ना कीजो" सेहो 'मोहन राकेश समान' सेसमािनत अिछ। दुनु नाटक पुतक रूप में कािशत सेहो अिछ। मैिथलीमे िलखल नाटक "भाग रौ" आ "मदद करू संतोषी माता"अिछ। िहनक नव मैिथली नाटक अिछ बलचदा।िवभा 'दुलारीबाई', 'सावधान पुरुरवा', 'पोटर', 'कसाईबाड़ा', सनक नाटक के संग-संग िफ़म 'धधक' व टेली -िफ़म'िची'मे अिभनय केलिह अिछ। नाटक 'िम. िजा' व 'लाइफ़ इज नॉट अ ीम' (एकपाीय नाटक) िहनक टटका तुितछिह।'एक बेहतर िवर्व-- कल के िलए' के पिरकपनाक संगे िवभा 'अिवतोको' नामक बहुउेयीय संथा संग जुड़ल छिथ,िजनक अटूट िवर्वास 'िथएटर व आटर्-- सभी के िलए' पर अिछ। 'रंग जीवन' के दशर्नक साथ कला, रंगमंच, सािहय वसंकृित के मायम से समाज के 'िवशेष' वगर्, यथा, जेल- बदी, वृाम, अनाथालय, 'िवशेष' बच्चा सभके बालगृहक संगिहसंग समाजक मुख्य धाराल लोकक बीच साथर्क हतक्षेप करैत छिथ। एतय िहनकर िनयिमत रूप से िथएटर व आटर् वकर्शॉपचलित छिह। अिह सभक अितिरक्त कॉपरेट जगत सिहत आम जीवनक सभटा लोक आओर लेल कला व रंगमंचक मायम सेिविवध िवकासामक िशक्षण कायर्म सेहो आयोिजत करैत छिथ।–स पादकभाग रौ(संपूणर् मैिथली नाटक)लेिखका - िवभा रानीपा - पिरचयमंगतूिभखारी बच्चा 1िभखारी बच्चा 2िभखारी बच्चा 3पुिलसयाी 1याी 2याी 3छा 1छा 2छा 3पकार युवकपकार युवतीगणपत क्ाराजू - गणपतक बेटागणपतक बेटीगुंडा 1गुंडा 2गुंडा 3िहज़ड़ा 1िहज़ड़ा 2िकसुनदेवरामआसरेदशर्क 1दशर्क 2‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्232


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्आदमीतांबेी - मंगतूक मायपुरुष - मंगतूक िपता‘’भाग रौ’’(संपूणर् मैिथली नाटक)िवभा रानीदृय: 1(ेनक दृय। (ेन निञ भ' क' ईकोनो हाट- बजार अथवा मेला-ठेला सेहोभ' सकैत अिछ।) ेन मे मिहला आपुरूष याी। भीख माँग' बला तीन टाबच्चा चढ़ैत अिछ। एक के गरदिन मेहारमोिनयम, दोसराक हाथ मे पाथरक दूटा खपटा। तेसरक हाथ मे खँजुड़ी।तेसर बच्चा उिमर में सभ सँ' छोट।तीनू क तीनू फाटल, चीकट कपड़ा मेअिछ। बच्चा नं. 1 हारमोिनयम परसभ' स' नवीन िफमी गीतक धुनबजाक गािब रहल अिछ। दोसर बच्चाखपटा बजा-बजाक' ओकरा संगे गएबाकयास क' रहल अिछ। छोटका बच्चाखंजड़ी बजा रहल अिछ आ गीतकपंिक्त पकड़बाक यास मे आधा-िछयापंिक्त गबैत अिछ। तीनूक वर; सुर-ताल में कोनो एकरूपता निञ अिछ।सभस' छोटका; बच्चा नं. 3 सभ स'पाई मँगैत अिछ। िकओ देइत अिछ,िकओ डपटैत अिछ, िकओ कोनो दोसरिदस तकैत अिछ, िकओ ऑंिख मूिनलेइत अिछ।)(ेन रूकैत अिछ। तीनू बच्चाउतिर जाइत अिछ। मंचक एकटाकोटी मे तीनू ठाढ़ भ' क' िदनु भरकाकमाई िगनैत अिछ।)बच्चा 1: कतेक?बच्चा 2: साढ़े एगारह।बच्चा 1: बस? भिर िदन ेने-ेनेघूमल आ तइयो साढ़े एगारहे? अकरा मेत' अपना सभक लेल चाहो-मूढ़ी निञ।(सभस' छोटका बच्चा स') आँए रौ,खाए लेल भिर थारी आ माँग' मे सभस' िपछारी! ठीक स' माँगै िकयै नै छेंरे?(बच्चा 3 िबिटर-िबिटर तकैत रहैतअिछ।) मुँह की िनहािर रहल छें? हमकोनो की गोिवंदा छी िक िरितकरोशन। आ तोहॲ आिमर खान निञ छें।जतेक गरीब छें, तकरो स' बेसी गरीबबनल रह। तखने दू टा पाइ भेटतौ।बच्चा 3: (सहमैत) ई पटना छै िकदानापुर?(दुनू बच्चा ई सुिन हठात ठठा पड़ैतअिछ। छोटका फेर िबिटर-िबिटर मुंहतकैत रहैत अिछ।)बच्चा 3: रौ बूिड़। ई पटना निञछै, जकरा ककरो स' निञ पटै छै।दानापुर माने दाना स' पूरम पूरा। हमरआओरक पेट मे त' मरल सनिकरबोनिञ अिछ। की करबहॴ रौ जािन क'की हम कत' छी?बच्चा 1: भूख लागलए।बच्चा 2: तकरा लेल पटना-दानापुरमे रहब जरूरी छै? भूख त' कखनो आकतहु लािग जाइ छै। दम धर।बच्चा 3: पटना िसटी?बच्चा 2: ऊँ हूँ। पटना साहेब।िसटी त' किहया ने बदिल गेलै।बच्चा 1: रौ बता, िसटी स' साहेबभ' गेला से' की भ' गेलै? की बदिलगेलै?बच्चा 2: बदिल गेलै ने? जनानास' मदना भ' गेलै।बच्चा 1: माने? (गंभीर भ' क')बच्चा 2: माने.. िसटी जनाना आसाहेब मदना (दुनू हँसैत अिछ। बच्चा3 ओिहना िबिटर-िबिटर मुंह तकैत रहैतअिछ)बच्चा 1: नाम बदल' स' तकदीरसेहो बदलै छै की? िसटी स' साहेब भ'गेलै त' हमरा आओरक भूख-िपयासकरंग बदिल गेलै की? अपना आओर केकाज भेटलौ? पाइ भेटलौ? तहनिकयैक एतेक मगजमारी? पटना िकदानापुर िक साहेब की फारिबसगंज..हूँह!बच्चा 3: (उसाँस भिरक') भूखलागल अिछ।बच्चा 1: रौ सार! जो, कोनो हाथीपकिड़ ला आ घॲिट जो। सार.. भूखलागलए, भूख लागलए.. निकया देलकईत'..बच्चा 2: आजुक समाचार?बच्चा 2: बच्चा बेमार। हजारोनेा मिर गेलै, खाएक अभाव मे..बच्चा 3: हमरा खाए ला दे। निञत' हमहू मिर जाएब।बच्चा 1: त' मिर जो। धानमंीछें जे मिर जेबें त' देसक काज-धंधाथिह जेतै।बच्चा 3: परधानमंी कोनोखायबला चीज होइ छै। केहेन होइ छै?कत' भेटै छै?बच्चा 2: (ओकर बात पर धेयानदेने बेगर) तॲ कोना बुझलही? तॲ त'अखबार निञ पढ़ै छैं।बच्चा 1: टेसन मे टीबी छै ने।ओकरा मे देखिलयै। बिढ़या स' बूझाब'लेल मँगतुआ त' अिछए।बच्चा 2: ओकरा कोना बूझल छै?बच्चा 1: ओ पढुआ छै। अखबारपढ़ै छै।बच्चा 2: िभखमंगो सभ अखबारपढ़ै छै? बाप रौ!बच्चा 1: ओ कीनै निञ छै।ेसक बाहर बैसै छै। चौकीदार ओकराद' दै छै अखबार।बच्चा 3: भीख मे अखबार! भीखमे चाह-मूढ़ी.. (बजैत-बजैत थिह जाइछै: दुनू बच्चा ओकरा घूरै छै।)बच्चा 2: मंगतू सभटा पिढ़ लेइतछै?बच्चा 1: हँ, रौ। पूरा अखबारचािट जाइत छै। पूरा दुिनयाक हालओकरा बूझल रहै छै। ओ पढ़ल छै।बच्चा 3: पढ़ल की होइ छै?पटना-दानापुर जकाँ कोनो टेसन छैकी?बच्चा 2: (नेह स') तो निञबुझबे अखन।बच्चा 1: पढ़ल बहुत पैघ चीजहोइत छै। पिढ़-िलिख क' लोक बहुतपैध-पैध लोक बिन जाइत अिछ। मुदाअपना आओरक तकदीर मे ई निञअिछ।बच्चा 2: (भरोस िदयबैत) निञ छैत' निञ छै। मंगतुआ छै नें पढ़ल-िलखल। अपने िबरादरीवाला। अपनाआओर स' गप-सप सेहो करै छै।दुिनया जहानक समाचार त' दइते छै।‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्233


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्(अई बेर तेसरका बच्चा कएक बेरहाथ मुँह स' भूख लगबाक संकेत द'चुकल अिछ। सभ बेर दुनू बच्चाओकरा घूरैत अिछ। तेसरका सभ बेरडेराक शांत भ' जाइत अिछ।)बच्चा 1: हे.. देख ओहर! अपनगोिबदा।बच्चा 3: ई कोनो नव िभखमंगाऐलै की? आब त' आओरो भीख निञभेटत। .. भूख..बच्चा 2: मंगतुआ छै।बच्चा 3: ई एतेक पैघ घर ओकरछै? आ तइयो भीख..बच्चा 1: धुिर बुिड.बक। ईअखबारक ओफीस िछयै। अई ठाँ कसभस' पैध अखबारक ओफीस।बच्चा 2: ऐँ मारल! ओ गुडीबकाा। बुझा गेल जे ओकरा पढ़ब-िलखब कोना एलै।बच्चा 1: अखबारक बगल में रहलास' िकओ पिढ़ जाइ छै। मू.ढ़ीक दुकानलग रहला स' मूढ़ी भेिट जाइत छै?बच्चा 3: मूढ़ी.. भूख..दुनू: चोप!बच्चा 2: कोनाक' ऊ पिढ़ गेलैतहन?बच्चा 3: हमहू पढ़ब।बच्चा 1: रौ, कुकुरक नांगिर।पिढ़क' की बनबही? सोिनया गांधी िकमनमोहन िसंह?बच्चा 2: राबड़ी देवी। पढ़कजरूरते निञ।बच्चा 3: (िखिसया क') पढ़ा निञदेबें, खाए लेल निञ देबें, त' करबकी? मूित!बच्चा 2: पढ़ाईक गेरंटी निञ ।खाएक गेरंटी त' आओरो निञ।बच्चा 1: कोना पढ़बही रे? मंगतुआगप दोसर छै। ओकरा लग टेम छै।ओकरा भीखो खूब भेटै छै?बच्चा 3: पढ़ले सते ने! हमहू पिढ़लेब त' हमरो बेसी भीख भेटत।बच्चा 1: चल, चल ..बच्चा 3: कोहर? हमरा भूखलागलए।बच्चा 2: मंगतुआ लग चल।ओकरा खेनाइयो-िपनाई बहुत रास भेटैछै?बच्चा 3: पिढ़क' भीख मांगला स'खेनाइयो ी.. हमरा पढ़ए दे।बच्चा 1: (दुनू क हाथ पकिड़कएक िदस ल' जाइत) चल, चल पािनसेहो बरस' बला छै। चल ओहर (दुनूराता ॉस करबाक अिभनय करैतअिछ। तेसरका पाछा रिह जइत अिछ।दोसरका ओकरा पार करबाक इशाराकरैत अिछ। तेसरका डेराइत अिछ।दोसरका फेर एहर अिछ। ओकरा एकधौल लगाबैत अिछ। फेर खॴिचक' रोडपार करैत अिछ। पार क' क' तीनूमंगतू लग पहुंचइत अिछ। एक गोटमोटरी, एक गोट कटोरा, िकछु पाइओकरा लग पड़ल अिछ। काश तीनूबच्चाक संगे-संगे आब मंगतू पर।)बच्चा 1: की रौ मंगतुआ। की भ'रहल छौ।मंगतू: के? ओह! चनरा, गोबरा,झुनमा रौ! आ बइस, केहेन चिल रहलछौ धंधा-पानी?बच्चा 2: भीख माँगब धंधा पानीहोइ छै? आ सेहो अई अंधड़ पािन में!बच्चा 1: हमरा त' फूटलो आँिखनिञ सोहाइये ई बरखा- बुी। लोकआओर घर मे, आिफस में ब। दुकानदौरी सेहो ठप। लोक आओरक धंधा-पानी निञ त' हमरा आओर के भीख केदेत?मंगतू: हमरा त' बड नीक लगैय'ई बिरसात। चारू िदस हिरयाली, मोनके बड सोहाओन लगैत अिछ।बच्चा 1: पेट भरल रहला परबनरिनयो रानी मुखज लागै छै।बच्चा 2: अपना घर मे बइसक'चाह पकौड़ी उड़ाब' मे केकरा मजा निञएतै?(चाह पकौड़ीक नाम स' बच्चा 3फेर हाथ स' भूख बतबइत अिछ।)बच्चा 1: हमरा आओरक कोनोठेकाने निञ! देखै िछयै नें जे जहनपािन बरसै छै, तहन िभजैत माय कोरामे भीजैत बच्चा के ल' क' िबिडंगे-िबिडंग, घरे-घर बउआ अबैत छै। मुदाकतहु-कोनो चौकीदार ओकरा अपनािबिडंग के नीचा आसरा निञ देई छै।मंगतू: छै। तइयो पािन बरसै छैत' नीक लागै छै। देह मे िजनगीसुरसुराय लागै छै। पािन छै तैं। िजनगीछै नै रौ..! (वर बदिलक') आ, तॲसभ िभंगमे िकयै। तोरा-आओर के त'घर छौ। हमरा जकाँ निञ छौ ने।बच्चा 1: हँ, सहीए । तोरा नािहतनिञ िछयै रौ। रिहितयैक त' भिर िदनई टरेन, ऊ बस, निञ करैत रिहतहुँ।लोकक लात-बात निञ सुनतहुँ। ईगदर्िन देख.. िचकिर-िचकिर के बाँसजतेक पैध भूर भ' गेल अिछ।बच्चा 2: आ जे दू टा पाइ भेटैछै, ओहू में पुिलस, दादा सभक..(ओ बािजए रहल अिछ िक एकटापुिलस डंडा घुमबैत ओहर अबैत अिछ।तीनू के देिखते तीनू पर ताबड़तोप. डंडाबरसाब' लगैत अिछ। तीनू एहर-ओहरबचबाक यास करैत अिछ। ओही मेदेह छीिप-छीिप के पुिलस से निञमारबक नेहोरा करैत अिछ। मंगतूकसेहो यास। अई म मे एक -दू डंडाओकरो लािग जाइत अिछ।)पुिलस: सार सभ! फेर एहर आिबगेलँ। चढ़बे बस ेन में माँग' लेलभीख, आ करबेँ पािकटमारी।बच्चा 1: निञ साब! हम सभ त'..पुिलस: चोप.. भोसड़ी के.. सार,बिहनक इयार! ई डंडा एहर स' घुसतौत' मुँह दने िनकलतौ। चल भाग, जोओई गली मे।(तीनू पुिलसक बताओल गली मेभािग जाइत अिछ। पुिलसबाला िवजयीभाव स' बस टैंड पर ठाढ़ लोकआओर के देखैत अिछ आ फेर मंगतूिदस।)मौज कर रो बाउ, मौज कर।तोहरे भाग मे मौज िलखल छौ। ऐहेनने देह बना के आएल छें जे मौजे-मौजछौ।(कहैत ओ गली िदस बढ़ैतअिछ।) मश‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्234


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्ी िवानद झापीकार िस मोहनजीजम-09.04.1957, पडुआ, ततैल, ककरौड़ (मधुबनी), रशाढ़य (पूिणर्या), िशवनगर (अरिरया) आ’ सित पूिणर्या। िपतालध धौत पीशा मार्ड पीकार मोदानद झा, िशवनगर, अरिरया, पूिणर्या|िपतामह-व. ी िभिखया झा। पीशाक दसवषर् धिर 1970 ई.सँ 1979 ई. धिर अययन,32 वषर्क वयससँ पी-बंधक संवर्न आ संरक्षणमे संलग्न।–सपादकॐ॥ी गणेशाय नमः॥“सृि च”आिदमे शूय छल शूयसँ शाित छल।शूय केर सा िदग-िदगत यातछल।शूयक िवधाता शूयसँ आात छल।शूयसँ ारभ भए शूयिहसँ िवरामछल।िविधना िवधान कएल रचना संसारकएल।खेत पथार पोखिर ओ जीवक संचारकएल।िदित ओ अिदितसँ सृिक िवतारकएल।कमर् सभक बािह बािह धरतीपर आिनधएल।शूयक िवखंडनसँ वृक िवतार भेल।पोखिर ओ झांखिड़ पवर्त पहाड़ भेल।नदी-नद तालाब ओ वनपित हजारभेल।जीव जम थावर ओ गितमान संसारभेल।च सूयर् नक्ष ओ वायु वािरद नीर।धरा-गगन धिर यात भेल िवुत ओसमीर।सभतिर पसरल तेज पु चकाचॱधगभीर।तम-तम करइत िदन दुपहिरया नयनभरल ओ नीर।जल चर- थलचर- नभचर नाना।अपन-अपन धएलक बाना।िविवध भेष ओ भाषा नाना।कएलक िनज-िनज गो बखाना।िवष ओ अमृत संग जनिम गेल।नेह-ेम-आघात गट भेल।दोत-मिहम कुटुब अमरबेल।चतिर-चतिर चहुँओर पसिर गेल।एक िदिश जनमल चोर-उचा।दोसर िदिश भलमानुष सुच्चा।सृि हेतु- समधानल सभटा।भु सभ करिथ हुनक ई िछच्छा।गोङ बिधर बजबैका नार।ेत-याम सवर ओ अजगर।दीघर्काय ओ दुवर पातर।सभटा रचलैिह ओ िवभर।भूख रचल यास रचल।म ओ संधान रचल।रोग रचल यािध रचल।औषध अपार रचल।काम भूख दाम भूख वासनाक उभूख।शान-मान-दान भूख भूखक हजार रूप।ई भूख ओ भूख भूखक िवूप रूप।भूख मुदा बिढ़ते गेल धधकैत िवकरालरूप।शाम-दाम-दड भेद शासन कुशासन।काम-ोध-लोभ-मोह िवरचल “महाशन”।राग-ेष-ेम-वैर पसरल हुताशन।सृि च चलैत रहल वैिदक ऋचासन।....।घर बनल गाम बनल नगर ओ धामबनल।जनता जरल सन नेता भगवान बनल।देशक खेवैया झुा बेइमान बनल।भिक्तक भभटपन पडा शैतान बनल।सृि च चलैत रहल वैिदक ऋचासन।...पाद-िटपणी:१. वािरद-मेघ२. समधानल-ओिरयाकऽ३. िछच्छा-वभाव४. संधान-अवेषण,खोज५. महाशन-िवणु६. हुताशन-अिग्न.‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्235


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्िवनीत उपल (१९७८- )।आनंदपुरा, मधेपुरा। ारंिभक िशक्षासँ इंटर धिर मुंगेर िजला अंतगर्त रणगांव आs तारापुरमे। ितलकामांझी भागलपुर,िविवालयसँ गिणतमे बीएससी (आनसर्)। गुरू जभेर िविवालयसँ जनसंचारमे माटर िडी। भारतीय िवाभवन, नई िदलीसँ अंगरेजी पकािरतामे नातकोर िडलोमा। जािमया िमिलया इलािमया, नई िदलीसँ जनसंचारआऽ रचनामक लेखनमे नातकोर िडलोमा। नेसन मंडेला सेंटर फॉर पीस एंड कनिलक्ट िरजोयूशन, जािमयािमिलया इलािमयाक पिहल बैचक छा भs सिटर्िफकेट ात। भारतीय िवा भवनक ेंच कोसर्क छा।आकाशवाणी भागलपुरसँ किवता पाठ, पिरचच आिद सािरत। देशक ितित प-पिका सभमे िविभ िवषयपरवतं लेखन। पकािरता कैिरयर- दैिनक भाकर, इंदौर, रायपुर, िदली ेस, दैिनक िहंदुतान, नई िदली,फरीदाबाद, अिकंचन भारत, आगरा, देशबंधु, िदली मे। एखन राीय सहारा, नोएडा मे विर उपसंपादक।—स पादकककर गलतीकतेक िदवससँसोचैत रहीजेगाम जाएबपरचिदलीक उथल-धासँमुक्त होएब तखन निञ।िपछला दशहरामेजखन गाम पहुँचलहुँतs आिड़ पकिड़ टोलघुसैत रही।ओिह बाबाक ठामपरएकटा िगन बैसल रहिथकी कहू, धसँ रिह गेलहुँकंठक थूक कंठिहमे सूिख गेलिगन कोनो भूत निह छलीहओऽ कोनो डायन-जोिगन निहरहिथओऽ गौरी दाई छलीहिबयाहक ठामे सालिवधवा भs गेलीहतािह िदनसँ ओऽ नवयुवतीउजरा नुआ पिहरैत छिथसीथमे चुटकी भिर सेनूर निहगुमसुम रहैत समय कािट रहलछिथ।तs हुनका देिख कsहरदम सोचैत छीकी यैह िमिथला िथकयैह हमर संकृित िथकजे मन केँ मािर कए एकटानवयुवती जीवन कािट रहल अिछओकरा िकयो देखिनहार निह छैकओ नवयुवतीक मांगजुआनीमे उजिड़ गेलतािह िदनसँ हुनकापर‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्236


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्की िबतैत होयतपित बीमारीसँ मिर गेलिखनएकरामे गौरी दायक की दोषदोष तs हुनक िपताक छिनिजनका वरक बीमारीक जानकारीनिह छलमुदा ओहो की करताहघटक बिन कs गेल रहिथितीकार जे बतोलिथसैह ने सय मािनतिथई गप सच छलजे गौरी दायअपन िपताक गलतीकसजा भोिग रहल छिथभाग्यकेँ कोिस रहल छिथआब की कहीदेश-परदेशमे तsवर- किनया बदिल जाइत अिछजेना हर छः मास परबदलैत छी हम अपन अंगामुदा, ई गौरी दायबीसेक साल बादोनिह बदललीहओिह िदनसँपितक िवयोगमेिदन-राित घुटैत छिथिकयो कतहुसँ खुिशयोमेहुनका नोत निह दैत छिथिकयो अपन नवजातकेँखेलाबए लेनिह दैत छिथकी करती गौरी दायिकयो हुनका देवी कहैत अिछतऽ डायन-जोिगन कहबासँलोक-वेद पाछुओ निह रहैतछिथ।समपर्ण(कथक नृयांगना पुनीता शमकलेल)जीवनक जीवंतता िकमनुयक मनुयता िकजेहन मोन, जेहन भावतिहने होइत समपर्ण भावनतर्की जखन राग मालकौस मेटेज पर रोशनीक चकाचॱध मेअपन संपूणर् ितभाक दशर्नकरैत छिथदेरवू तखन की होइत अिछराग,की होइत अिछ भाव देखू तखैनिक हैत छिथ राग, िक हैत छिथभावलागत जेना हुनकर देह मेनतर्कीक आमा निहदेवता बैस गेलजे जेना नचािब रहल छैकतिहना नतर्की नाचैत छिथिक िक ठाठिक किर ओइ चरक वणर्नशदो तँ ओतेक निह अिछत कोना करीसमपर्ण भावक वणर्नअहां जकर बेटी होएबअहाँ जकर बिहन होएबमुदा, अहाँ जकरा सँेम करैत होएबई सब कतेक खुशनसीब होइतजे नतर्कीअपन संपूणर् अितवनृय मे झॲइक दैत छिथहुनकर ेम वा पुरुषवा समपर्न जरूर संपूणर् होइत.‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्237


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्देवांशु वसमैिथली िच-ृंखला (कॉिमक्स)जम- तुलापी, सुपौल। मास कयुिनकेशनमे एम.ए। िहदी, अंेजी आ मैिथलीक िविभ प-पिकामे कथा, लघुकथा, िवज्ञान-कथा, िच-कथा, काटूर्न, िच-हेिलका इयािदक काशन। िवशेष: गुजरात राय शाला पाय-पुतक मंडल ारा आठमकक्षाक लेल िवज्ञान कथा “जंग” कािशत (2004 ई.)-सपादक‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्238


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्239


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्नवीन नाथ झा (नवनीत)जम २०.०१.१९४०, बी.ए.ऑनसर् सह एल.एल.बी., िपता- ी बैनाथ झा, गाम- भटोर (चकला), िजला पूिणर्यादया करू माँअहाँक शरणमे आएल छी माँ, दया कऽकेँ अपनाबू माँ।अहीँके चरण-कमलमे रमल छी माँ,दुःखी मन दोसर राह नै, सुझै अिछ माँचोट बहुत खायल छी माँ, दुिनयासँठुकराईल माँदया करु माँ, दया कऽ केँ अपनावूमाँ॥१॥ अहाँ...माँ अपन आँचरक शीतल, सुरिभत,हवासँ ताप एवम् क हरु माँ,परच, िमलल निह ितदान कनेको,हर पगपर वाथर्क लीला,चलन जगतक िनराले माँअहाँक शरणमे आएल छी माँ, दयाकऽकेँ अपनाबू माँ॥२॥(जगत) संसार माया जालमे फँसल अिछमाँ,दुिनयां आतंकसँ आात अिछ माँ,अज्ञानताक-अंधकारसँ भरल अिछ माँअनुशासनक कमी खलै अिछ माँ॥अहाँक शरणमे आएल छी माँ, दयाकऽकेँ अपनाबू माँ...॥३॥अपन परायाक ज्ञान घटल अिछ,अधमर्क, अकमर्क बाजार गमर् अिछएिह जगसँ अज्ञानताक-अंधकार दूर करूमाँ-अहॴक शरणमे आएल छी माँ, तापरहहोँ...॥४॥दुखी जनक दुःख दूर करू माँसकमर्क भाव जन-जनमेअिवलब आिबकेँ अहॴ भरू माँ।अहॴक शरणमे आएल छी माँ, दयाकऽकेँ अपनावू माँ॥५॥िव कयाणक भाव सभमे जगा िदयोमाँ,सयम् िशवम् सुदरम् क ज्ञान सभमेभिर िदयो माँवसुधैव कुटुबक िवचार सचािरत कऽिदयो माँअहॴक शरणमे आएल छी माँ, दयाकऽकेँ अपनावू माँ“अतु”िवमृत किव व. रामजी चौधरी(1878-1952)भजन भैरवीआब मन हिर चरनन अनुराग।यािग हृदयके िविवध वासना दभकपट सब याग॥सुत बिनता पिरजन पुरवासी अतन आबे काज।जे पद यान करत सुर नर मुिनतुहुं िनशा आब जाग॥भज रघुपित कृपाल पित तारॲपितत हजारिबनु हिर भजन बृथा जातिदनसपना सम संसाररामजी सत भरोस छािर अब सीतापित लौ लाग॥॥ राग िवहाग ॥को होत दोसर आन रम िबनु॥ जेभु जाय तािर अिहया जे बिन रहतपरवान॥ जल िबच जाइ गजे उबारोसुनत बात एक कान॥ दौपित चीरबढ़ाई सभा िबच जानत सकल जहान॥रामजी सीता-पित भज िनशिदन जौ सुखचाहत नादान॥चैत के ठुमरीचैत िपया निह आयेल हो रामा िचतघबरायेल।।भवनो न भावे मदन सताबे नैननीद निह लागल॥िनिसवासर कोइल िकत कुहुकतबाग बाग फूल फूलल॥रामजी वृथा जात ऋतुराजिह जॱनकत भिर िमललरामा॥िचत घबरायेल चैत िपया निहआयल॥‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्240


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्मानक मैिथली1. नेपालक मैिथली भाषा वैज्ञािनकलोकिन ारा बनाओल मानक उच्चारणआ लेखन शैली आ 2. मैिथलीअकादमी, पटना ारा िनधिरत मैिथलीलेखन-शैली1. नेपालक मैिथली भाषा वैज्ञािनकलोकिन ारा बनाओल मानक उच्चारणआ लेखन शैलीमैिथलीमे उच्चारण तथा लेखन१. पचमाक्षर आ अनुवार:पचमाक्षरातगर्त ङ, ञ, ण, न एवं मअबैत अिछ। संकृत भाषाक अनुसारशदक अतमे जािह वगर्क अक्षर रहैतअिछ ओही वगर्क पचमाक्षर अबैतअिछ। जेना-अ (क वगर्क रहबाक कारणेअतमे ङ् आएल अिछ।)पच (च वगर्क रहबाक कारणेअतमे ञ् आएल अिछ।)खड (ट वगर्क रहबाक कारणेअतमे ण् आएल अिछ।)सिध (त वगर्क रहबाक कारणेअतमे न् आएल अिछ।)खभ (प वगर्क रहबाक कारणेअतमे म् आएल अिछ।)उपयुर्क्त बात मैिथलीमे कम देखलजाइत अिछ। पचमाक्षरक बदलामेअिधकांश जगहपर अनुवारक योगदेखल जाइछ। जेना- अंक, पंच, खंड,संिध, खंभ आिद। याकरणिवद पिडतगोिवद झाक कहब छिन जे कवगर्,चवगर् आ टवगर्सँ पूवर् अनुवार िलखलजाए तथा तवगर् आ पवगर्सँ पूवर्पचमाक्षरे िलखल जाए। जेना- अंक,चंचल, अंडा, अत तथा कपन। मुदािहदीक िनकट रहल आधुिनक लेखकएिह बातकेँ निह मानैत छिथ। ओलोकिनअत आ कपनक जगहपर सेहो अंतआ कंपन िलखैत देखल जाइत छिथ।नवीन पित िकछु सुिवधाजनकअवय छैक। िकएक तँ एिहमे समय आथानक बचत होइत छैक। मुदाकतोकबेर हतलेखन वा मुणमेअनुवारक छोटसन िबदु प निहभेलासँ अथर्क अनथर् होइत सेहो देखलजाइत अिछ। अनुवारक योगमेउच्चारण-दोषक सभावना सेहो ततबएदेखल जाइत अिछ। एतदथर् कसँलऽकऽ पवगर्धिर पचमाक्षरेक योगकरब उिचत अिछ। यसँ लऽकऽज्ञधिरक अक्षरक स अनुवारक योगकरबामे कतहु कोनो िववाद निह देखलजाइछ।२. ढ आ ढ़ : ढ़क उच्चारण “र्ह”जकाँ होइत अिछ। अतः जतऽ “र्ह”क उच्चारण हो ओतऽ मा ढ़िलखल जाए। आनठाम खािल ढ िलखलजएबाक चाही। जेना-ढ = ढाकी, ढेकी, ढीठ, ढेउआ,ढ, ढेरी, ढाकिन, ढाठ आिद।ढ़ = पढ़ाइ, बढ़ब, गढ़ब, मढ़ब,बुढ़बा, साँढ़, गाढ़, रीढ़, चाँढ़, सीढ़ी,पीढ़ी आिद।उपयुर्क्त शदसभकेँ देखलासँ ईप होइत अिछ जे साधारणतयाशदक शुरूमे ढ आ मय तथा अतमेढ़ अबैत अिछ। इएह िनयम ड आ ड़कसदभर् सेहो लागू होइत अिछ।३. व आ ब : मैिथलीमे “व”कउच्चारण ब कएल जाइत अिछ, मुदाओकरा ब रूपमे निह िलखल जएबाकचाही। जेना- उच्चारण : बैनाथ,िबा, नब, देबता, िबणु, बंश, बदना‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्241आिद। एिहसभक थानपर मशःवैनाथ, िवा, नव, देवता, िवणु, वंश,वदना िलखबाक चाही। सामायतया वउच्चारणक लेल ओ योग कएल जाइतअिछ। जेना- ओकील, ओजह आिद।४. य आ ज : कतहु-कतहु“य”क उच्चारण “ज”जकाँ करैतदेखल जाइत अिछ, मुदा ओकरा ज निहिलखबाक चाही। उच्चारणमे यज्ञ, जिद,जमुना, जुग, जाबत, जोगी, जदु, जमआिद कहल जाएवला शदसभकेँ मशःयज्ञ, यिद, यमुना, युग, याबत, योगी,यदु, यम िलखबाक चाही।५. ए आ य : मैिथलीक वतर्नीमे एआ य दुनू िलखल जाइत अिछ।ाचीन वतर्नी- कएल, जाए, होएत,माए, भाए, गाए आिद।नवीन वतर्नी- कयल, जाय, होयत,माय, भाय, गाय आिद।सामायतया शदक शुरूमे ए माअबैत अिछ। जेना एिह, एना, एकर,एहन आिद। एिह शदसभक थानपरयिह, यना, यकर, यहन आिदक योगनिह करबाक चाही। यिप मैिथलीभाषीथारूसिहत िकछु जाितमे शदकआरभोमे “ए”केँ य किह उच्चारणकएल जाइत अिछ।ए आ “य”क योगक योगकसदभर्मे ाचीने पितक अनुसरण करबउपयुक्त मािन एिह पुतकमे ओकरेयोग कएल गेल अिछ। िकएक तँदुनूक लेखनमे कोनो सहजता आदुरूहताक बात निह अिछ। आमैिथलीक सवर्साधारणक उच्चारण-शैलीयक अपेक्षा एसँ बेसी िनकट छैक।खास कऽ कएल, हएब आिद कितपयशदकेँ कैल, हैब आिद रूपमे कतहु-


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्कतहु िलखल जाएब सेहो “ए”कयोगकेँ बेसी समीचीन मािणत करैतअिछ।६. िह, हु तथा एकार, ओकार :मैिथलीक ाचीन लेखन-परपरामे कोनोबातपर बल दैत काल शदक पाछाँ िह,हु लगाओल जाइत छैक। जेना-हुनकिह, अपनहु, ओकरहु, तकालिह,चोिह, आनहु आिद। मुदा आधुिनकलेखनमे िहक थानपर एकार एवं हुकथानपर ओकारक योग करैत देखलजाइत अिछ। जेना- हुनके, अपनो,तकाले, चोे, आनो आिद।७. ष तथा ख : मैिथली भाषामेअिधकांशतः षक उच्चारण ख होइतअिछ। जेना- षय (खड़य),षोडशी (खोड़शी), षकोण (खटकोण),वृषेश (वृखेश), सतोष (सतोख) आिद।८. विन-लोप : िनिलिखतअवथामे शदसँ विन-लोप भऽ जाइतअिछ:(क) ियावयी यय अयमे य वाए लुत भऽ जाइत अिछ। ओिहमेसँपिहने अक उच्चारण दीघर् भऽ जाइतअिछ। ओकर आगाँ लोप-सूचक िच वािवकारी (’ / ऽ) लगाओल जाइछ।जेना-पूणर् रूप : पढ़ए (पढ़य) गेलाह,कए (कय) लेल, उठए (उठय)पड़तौक।अपूणर् रूप : पढ़’ गेलाह, क’ लेल,उठ’ पड़तौक।पढ़ऽ गेलाह, कऽ लेल, उठऽपड़तौक।(ख) पूवर्कािलक कृत आय (आए)ययमे य (ए) लुत भऽ जाइछ, मुदालोप-सूचक िवकारी निह लगाओलजाइछ। जेना-पूणर् रूप : खाए (य) गेल, पठाय(ए) देब, नहाए (य) अएलाह।अपूणर् रूप : खा गेल, पठा देब,नहा अएलाह।(ग) ी यय इक उच्चारणियापद, संज्ञा, ओ िवशेषण तीनूमे लुतभऽ जाइत अिछ। जेना-पूणर् रूप : दोसिर मािलिन चिलगेिल।अपूणर् रूप : दोसर मािलन चिलगेल।(घ) वतर्मान कृदतक अितम तलुत भऽ जाइत अिछ। जेना-पूणर् रूप : पढ़ैत अिछ, बजैतअिछ, गबैत अिछ।अपूणर् रूप : पढ़ै अिछ, बजै अिछ,गबै अिछ।(ङ) ियापदक अवसान इक, उक,ऐक तथा हीकमे लुत भऽ जाइतअिछ। जेना-पूणर् रूप : िछयौक, िछयैक,छहीक, छौक, छैक, अिबतैक, होइक।अपूणर् रूप : िछयौ, िछयै, छही,छौ, छै, अिबतै, होइ।(च) ियापदीय यय ह, हु तथाहकारक लोप भऽ जाइछ। जेना-पूणर् रूप : छिह, कहलिह,कहलहुँ, गेलह, निह।अपूणर् रूप : छिन, कहलिन,कहलौँ, गेलऽ, नइ, निञ, नै।९. विन थानातरण : कोनो-कोनोवर-विन अपना जगहसँ हिटकऽदोसरठाम चिल जाइत अिछ। खास कऽव इ आ उक सबधमे ई बात लागूहोइत अिछ। मैिथलीकरण भऽ गेलशदक मय वा अतमे जँ व इ वाउ आबए तँ ओकर विन थानातिरतभऽ एक अक्षर आगाँ आिब जाइतअिछ। जेना- शिन (शइन), पािन(पाइन), दािल ( दाइल), मािट (माइट),काछु (काउछ), मासु(माउस) आिद। मुदातसम शदसभमे ई िनयम लागू निहहोइत अिछ। जेना- रिमकेँ रइम आसुधांशुकेँ सुधाउंस निह कहल जा सकैतअिछ।१०. हलत(्)क योग : मैिथलीभाषामे सामायतया हलत (्)क‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्242आवयकता निह होइत अिछ। कारण जेशदक अतमे अ उच्चारण निह होइतअिछ। मुदा संकृत भाषासँ जिहनाकतिहना मैिथलीमे आएल (तसम)शदसभमे हलत योग कएल जाइतअिछ। एिह पोथीमे सामायतया सपूणर्शदकेँ मैिथली भाषासबधीिनयमअनुसार हलतिवहीन राखल गेलअिछ। मुदा याकरणसबधी योजनकलेल अयावयक थानपर कतहु-कतहुहलत देल गेल अिछ। तुत पोथीमेमिथली लेखनक ाचीन आ नवीन दुनूशैलीक सरल आ समीचीन पक्षसभकेँसमेिटकऽ वणर्-िवयास कएल गेलअिछ। थान आ समयमे बचतक सिहहत-लेखन तथा तकिनकी दृिसँ सेहोसरल होबऽवला िहसाबसँ वणर्-िवयासिमलाओल गेल अिछ। वतर्मान समयमेमैिथली मातृभाषीपयर्तकेँ आन भाषाकमायमसँ मैिथलीक ज्ञान लेबऽ पिड़रहलपिरेयमे लेखनमे सहजता तथाएकरूपतापर यान देल गेल अिछ।तखन मैिथली भाषाक मूल िवशेषतासभकुिठत निह होइक, ताहूिदस लेखक-मडल सचेत अिछ। िस भाषाशाीडा. रामावतार यादवक कहब छिन जेसरलताक अनुसधानमे एहन अवथािकहु ने आबऽ देबाक चाही जे भाषाकिवशेषता छाँहमे पिड जाए। हमसभहुनक धारणाकेँ पूणर् रूपसँ स लऽचलबाक यास कएलहुँ अिछ।पोथीक वणर्िवयास कक्षा ९ कपोथीसँ िकछु माामे िभ अिछ।िनरतर अययन, अनुसधान आिवलेषणक कारणे ई सुधारामक िभताआएल अिछ। भिवयमे आनहु पोथीकेँपिरमािजर्त करैत मैिथली पायपुतककवणर्िवयासमे पूणर्रूपेण एकरूपताअनबाक हमरासभक य रहत।कक्षा १० मैिथली लेखन तथापिरमाजर्न महे मलंिगया/ धीरे ेमिषर्संयोजन- गणेशसाद भराईकाशक िशक्षा तथा खेलकूदमालय, पायम िवकासके,सानोिठमी, भक्तपुर


‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वषर् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in मानुषीिमह संस्कृ ताम्सविधकार पायम िवकास केएवं जनक िशक्षा सामी के,सानोिठमी, भक्तपुर।पिहल संकरण २०५८ बैशाख(२००२ ई.)योगदान: िशवसाद सयाल,जगाथ अवा, गोरखबहादुर िसंह,गणेशसाद भराई, डा. रामावतारयादव, डा. राजे िवमल, डा. रामदयालराकेश, धम िवल, रूपा धीरू, नीरजकणर्, रमेश रनभाषा सपादन- नीरज कणर्, रूपाझा2. मैिथली अकादमी, पटना ारािनधिरत मैिथली लेखन-शैली1. जे शद मैिथली-सािहयकाचीन कालसँ आइ धिर जािह वर्नीमेचिलत अिछ, से सामायतः तािहवर्नीमे िलखल जाय- उदाहरणाथर्-ाएखनठामजकर, तकरतिनकरअिछअाअखन, अखिन, एखेन, अखनीिठमा, िठना, ठमाजेकर, तेकरितनकर।(वैकिपक रूपेँ ा)ऐछ, अिह, ए।2. िनिलिखत तीन कारक रूपवैक्लिपकतया अपनाओल जाय:भ गेल,भय गेल वा भए गेल। जा रहल अिछ,जाय रहल अिछ, जाए रहल अिछ।कर’ गेलाह, वा करय गेलाह वा करएगेलाह।3. ाचीन मैिथलीक ‘ह’ विनकथानमे ‘न’ िलखल जाय सकैत अिछयथा कहलिन वा कहलिह।4. ‘ऐ’ तथा ‘औ’ ततय िलखलजाय जत’ पतः ‘अइ’ तथा ‘अउ’सदृश उच्चारण इ हो। यथा- देखैत,छलैक, बौआ, छौक इयािद।5. मैिथलीक िनिलिखत शद एिहरूपे युक्त होयत:जैह,सैह,इएह,ओऐह,लैहतथा दैह।6. र्व इकारांत शदमे ‘इ’ केलुत करब सामायतः अा िथक।यथा- ा देिख आबह, मािलिन गेिल(मनुय मामे)।7. वतं व ‘ए’ वा ‘य’ ाचीनमैिथलीक उरण आिदमे तँ यथावतराखल जाय, िकंतु आधुिनक योगमेवैकिपक रूपेँ ‘ए’ वा ‘य’ िलखलजाय। यथा:- कयल वा कएल, अयलाहवा अएलाह, जाय वा जाए इयािद।8. उच्चारणमे दू वरक बीच जे‘य’ विन वतः आिब जाइत अिछतकरा लेखमे थान वैकिपक रूपेँ देलजाय। यथा- धीआ, अढ़ैआ, िवआह, वाधीया, अढ़ैया, िबयाह।9. सानुनािसक वतं वरकथान यथासंभव ‘ञ’ िलखल जाय वासानुनािसक वर। यथा:- मैञा, किनञा,िकरतिनञा वा मैआँ, किनआँ,िकरतिनआँ।10. कारकक िवभिक्किनिलिखत रूप ा:-हाथकेँ, हाथसँ,हाथेँ, हाथक, हाथमे। ’मे’ मे अनुवारसवर्था याय िथक। ‘क’ क वैकिपकरूप ‘केर’ राखल जा सकैत अिछ।11. पूवर्कािलक ियापदक बाद‘कय’ वा ‘कए’ अयय वैकिपक रूपेँलगाओल जा सकैत अिछ। यथा:- देिखकय वा देिख कए।12. माँग, भाँग आिदक थानमेमाङ, भाङ इयािद िलखल जाय।13. अर् ‘न’ ओ अर् ‘म’ कबदला अनुसार निह िलखल जाय, िकंतुछापाक सुिवधाथर् अर् ‘ङ’ , ‘ञ’, तथा‘ण’ क बदला अनुवारो िलखल जासकैत अिछ। यथा:- अ, वा अंक,अचल वा अंचल, कठ वा कंठ।14. हलंत िच िनयमतः लगाओलजाय, िकंतु िवभिक्तक संग अकारांतयोग कएल जाय। यथा:- ीमान्, िकंतुीमानक।15. सभ एकल कारक िचशदमे सटा क’ िलखल जाय, हटा क’निह, संयुक्त िवभिक्तक हेतु फराकिलखल जाय, यथा घर परक।16. अनुनािसककेँ चिबदु ारायक्त कयल जाय। परंतु मुणकसुिवधाथर् िह समान जिटल माा परअनुवारक योग चिबदुक बदलाकयल जा सकैत अिछ। यथा- िहँ केरबदला िहं।17. पूणर् िवराम पासीसँ ( । )सूिचत कयल जाय।18. समत पद सटा क’ िलखलजाय, वा हाइफेनसँ जोिड़ क’ , हटाक’ निह।19. िलअ तथा िदअ शदमेिबकारी (ऽ) निह लगाओल जाय।20. अंक देवनागरी रूपमे राखलजाय।21.िकछु विनक लेल नवीन िचहबनबाओल जाय। जा' ई निह बनलअिछ ताबत एिह दुनू विनक बदलापूवर्वत् अय/ आय/ अए/ आए/ आओ/अओ िलखल जाय। आिक ऎ वा ऒ सँयक्त कएल जाय।ह./- गोिवद झा ११/८/७६ीकात ठाकुर ११/८/७६ सुरे झा"सुमन" ११/०८/७६‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in माषीिमह संृताम ्243

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