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Videha_01_01_2009_Tirhuta

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िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्िवदेह ०१ जनवरी २००९ वष र् २ मास १३ अंक २५'िवदेह' ०१ जनवरी २००९ (वष र् २ मास १३ अंक २५) एिह अंकमे अिछ:-एिह अंकमे अिछ:-1


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्िच: ोित झा चौधरी१.संपादकीय संदेश२.ग२.१.१. सुभाषच यादव २. ा- राजे िवमल,३.अिमत कुमार झा, ब ुढ़◌ी माता(कथा)२.२.उपास- केदारनाथ चौधरी२.३.१. श ्यामसुर शिश-िवचार २.अंकुर काशीनाथ झा, ताजी पर तामश िकयैकउठैत अिछ2


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्२.४.१. अयोानाथ चौधरी-द ू प २.एकदन ्त हाथी आ लखा हार-ब ृषेश चन ् लाल३.कुमार मज कप- नव वष र् ४.एत’ आ ओत’- अनलका ५.मच िम- अनामकथा (कथा)२.६. आलेख-िरपोता र्ज- १.ड◌ॉ.बलभ िम, २.नरेश मोहन झा ३.नागे झा,४.ड◌ॉ.रेर िम ५.ोित ६.िजते झा-जनकपुर ७.उमेश कुमार ८.नवेु कुमार झा९.मुखीलाल चौधरी२.७. ड◌ॉ.श ंभु कुमार िसंह-ितयोगी परीक्षा२.८. िमिथला म ंथन- सुशा झा२.९. भानस भात-नीिलमा३.प३.१. १.आशीष अनिचार २.मध ुप३.२. १.महेश िम "िवभूित"३.३.-१.ोित-२.सोष िम३.नवीननाथ झा३.४. िवनीत उल३.५. पंकज पराशर३.६. १.िबनीत ठाकुर २.िनिमष झा ३.अमरेन ् यादव४. िमिथला कला-संगीत-छिव झा/ कुमुद िसंह५. ग-प भारती (तेलुगु कथा, गुजराती प)3


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्६. बालाना ं कृते-१.उमेश कुमार-२.ोित झा चौधरी७. भाषापाक रचना लेखन- १.कृिष-मत् शावली २.बसैटी (अरिरया) िबहार, िशवमिरक िमिथलाक्षर िशलालेखक देवनागरी पारण।मानक-मैिथली8. VI DEHA FOR NON RESI DENT MAI THI LS ( Fest i val s of Mi thiladat e-l ist)-The Comet -Engl i sh t r ansl at i on of Gaj endr a Thakur ' sMai t hi l i Novel Sahasr abadhani by j yot i१.संपादकीयिच: ीित ठाकुरिय पाठकगण,िवदेहक नव अंक ई पिब्लश भऽ गेल अिछ। एिह हेतु ल◌ॉग ऑन कhttp:// wwwvidehacoin. . . |4


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्एिह अ ंकसँ ड◌ॉ शु कुमार िसंहक आलेख ितयोगी परेक्षाथीर्क लेल शु कएल गेलअिछ।र ंगकमीर् मीला झा नावि ृ एिह महप ूण र् नाविक ृ संचालनक भार मैलोर ंग केँ देलगेल । मीला झा मेमोिरयल ,घोंघौर आ ओकर ब ंध ासी ी ीनारायण झाारा ।र ंगकमीर् मीला झा नाविक ृ ापना थम मिहला बाल ना िनदेर्शक मीला झाकृितमे भेल अिछ । मीला जी जीवन पय ंत र् भंिगमा, पटना संग जूड़ि◌ बाल र ंगकम र्के बढ़◌ावा दैत रहलीह । मीलाजीक ृित मे ािपत मीला झा मेमोिरयल ,घोंघौर हुनकर बाल र ंगम ंच मे अिवरणीय योगदानक लेल एिह नाविक ृ ापनाकेलक अिछ । एकर म ूल मे मैिथली र ंगम ंच पर मिहला र ंगकमीर्क ोाहन संग हुनकरसामािजक सान अिछ । एिह नाविक ृ संचालनक भार ारा लोक कलाक लेलसमिप र्त संा मैलोर ंग के दान कयल गेल अिछ । वष र् 2006 सँ िनयिमत प सँई नावि ृ ोित व (िदी), र ंजू झा (जनकपुर), ाित िसंह (पटना), िय ंका झा(पटना), व ंदना डे (सहरसा) के दान कयल गेल छिन ।वष र् 2008क लेल सम ूचा िमिथला (भारत+पाल) मे चालीस गणमा र ंगकमीर्/संृितकमीर्केँ नामक अश ंसाक लेल प पठाओल गेल छलिन । ओही अश ंसाक आधार पर थम: मधिमता ु ीवाव (मध ुबनी), ितीय : व ंदना ठाकुर (कोलकाता), तीय : हा वमा र्(िदी), आ चतूथ र् : िवजया ली िशवानी (पटना) अयलीह । िकछु पािरवािरक कारण सँव ंदना जी एिह बेर िवतरण समारोह मे अयबा सँ असमथ र् भ’ गेलीह तेँ ई मबदिल गेल आ व ंदना जीक ान अिगला बेरक लेल सुरिक्षत राखल गेल अिछ ।र ंगकमीर् मीला झा नावि-2008ृतीय :िवजया ली िशवानी : पटनािशवानीक ज दरभंगाक रिसयड़◌ी गाम मे भेलिन । ई िपछला तीन साल सँ लगातारमैिथली र ंगम ंच सँ ज ुड़ल छिथ । िशवानी अिरपन, भंिगमा सन िचर-पिरिचत र ंग संासँ ज ुड़ल छिथ । एिह बीच अहा ँ नदी गोंिगयायल जाय, िमनाक्षी, घ ुघ्घ, ू आिग धधिकरहल अिछ, से कोना हेतै ?, अलख िनर ंजन आिद महप ूण र् नाटक मे अिभनयकरैत अपन नीक छिव बलहु अिछ । मज मज, कौशल िकशोर दास आ5


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्अरिव अू जीक िनदेर्शन मे काज करैत िशवानीक इा छिन जे विर र ंगिनदेर्शक कुणाल जीक िनदेर्शन मे सेहो नाटक करी । विर र ंगकमीर् मलता िमजी सन र ंगकमीर् बनबाक िहनक मोन छिन । िवजया ली िशवानीजीक कहब छिन जे- समकालीन समा मैिथली नाटक मे एयबाक चाही जकर अखन तक कमी अिछ ।पािरजात हरण िहनकर िय नाटक छिन आ िशवानी नबका तुिरया के कह’ चाहैत छिथजे इमानदारी सँ र ंगकम र् करबाक चाही ।ितीय :हा वमा र् : नई िदीहाक ज बेगूसरायक ू चाण नगर मे भेलैन । ई बे सँ र ंगम ंच सँ जूड़लरहलीह अिछ । नवतर ंग, इप्टा, याीक संग काय र् करैत एखन मैलोर ंग िदी सँर ंगकम र् क’ रहल छिथ । हा अिनल पतंग, परवेज़ य ूशुफ, संतोष राणा, िवजय िसंहपाल, अिभषेक, मज मध ुकर आ काश झाक िनदेर्शन मे नाटक केलीह अिछ ।िहनका ारा कयल गेल मुख नाटक अिछ सामा-चकेवा, जट-जिटन, डोम कछ,गोरखध ंधा, काठक लोक, कमल मुखी किनया, एक छल राजा आिद । आग ू लगातारमैिथली र ंगम ंच सँ ज ुड़ल रहबाक िहनकर इा छिन । िहनकर िय नाटककार आिनदेर्शक महे मलंिगया छिथन आ र ंजू झा (जनकपुर) क अिभनय िहनका भािवतकरैत छिन । काठक लोक िय नाटक आ गितशील सोचक संग बेसी युवा केहोबाक कारण मैलोर ंग हाक मनपसंद र ंग संा छिन । अपन आसमप र्ण आसंारक संग र ंगकम र् सँ ज ुड़बाक िहनकर आह छिन नबका कलाकारक लेल । हासी. सी. आर. टी. ारा जूिनयर ◌ॉलिश र्प ा कय छिथ । अखन राष्ीय कथकके सँ कथक मे पो िडोमाक संग खैरागढ़ िविवालय सँ एम. ए. क’ रहलछिथ ।थम : मध ु िमता ीवाव : मध ुबनीमधिमताक ु ज मध ुबनीक स ूरत गंज मुहामे भेलिन । बचप सँ िहनका न ृआकिष र्त करैत छलिन । िवगत दस साल सँ ई मैिथली र ंगम ंच पर सिय छिथ ।मध ुबनीक इप्टा संग र ंगकम र् करैत अहा ँ इप्टाक रा आ राष्ीय रक महोव मेसेहो िशरकत के छी संगिह अहा ँ स◌ॉ◌ंग आ ामा िडभीजन संग सेहो संब छी। मुकािभनयक लेल अहा ँ इ ंटर क◌ॉलेज य ूथ फेीवल-03 मे तेसर आ वष र् 06मे लोक न ृक लेल पहील ान ा के छी । अहा ँ ओकरा आङनक बारहमासा,6


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्४.ी जे िपाठी, सािह अकादमी- इ ंटरट पर थम मैिथली पािक्षक पिका"िवदेह" केर लेल बाधाई आऽ शुभकामना ीकार क।५.ी फुकुमार िसंह "मौन"- थम मैिथली पािक्षक पिका "िवदेह" क काशनकसमाचार जािन कक चिकत मुदा बेसी आािदत भेलहु ँ। कालचकेँ पकड़ि◌ जािहद ूरदृ िक पिरचय देलहु ँ, ओिह लेल हमर म ंगलकामना।६.ी ड◌ॉ. िशवसाद यादव- ई जािन अपार हष र् भए रहल अिछ, जे नव स ूचना-ािक मे मैिथली पकािरताकेँ वेश िदअएबाक साहिसक कदम उठाओल अिछ।पकािरतामे एिह कारक नव योगक हम ागत करैत छी, संगिह "िवदेह"कसफलताक शुभकामना।७.ी आाचरण झा- को प-पिकाक काशन- ताहूमे मैिथली पिकाककाशनमे के कतेक सहयोग करताह- ई तऽ भिव कहत। ई हमर ८८ वष र्मे७५ वष र्क अभव रहल। एतेक पैघ महान यज्ञमे हमर ाप ूण र् आहुित ाहोयत- यावत ठीक-ठाक छी/ रहब।८.ी िवजय ठाकुर, िमिशगन िविवालय- "िवदेह" पिकाक अंक देखलहु ँ, सूण र् टीमबधाईक पा अिछ। पिकाक म ंगल भिव हेतु हमर शुभकामना ीकार कएल जाओ।९. ी सुभाषच यादव- ई-पिका ’िवदेह’ क बारेमे जािन सता भेल। ’िवदेह’िनरर पिवत-पुित हो आऽ चतुिद र्क अपन सुगंध पसारय से कामना अिछ।१०.ी मैिथलीपु दीप- ई-पिका ’िवदेह’ केर सफलताक भगवतीसँ कामना। हमरप ूण र् सहयोग रहत।११.ड◌ॉ. ी भीमनाथ झा- ’िवदेह’ इटरट पर अिछ तेँ ’िवदेह’ नाम उिचत आरकतेक पेँ एकर िववरण भए सकैत अिछ। आइ-काि मोनमे उेग रहैत अिछ,मुदा शी प ूण र् सहयोग देब।१२.ी रामभरोस कापड़ि◌ मर, जनकपुरधाम- "िवदेह" ऑनलाइन देिख रहल छी।मैिथलीकेँ अराष्ीय र् जगतमे पहु ँचेलहु ँ तकरा लेल हािद र्क बधाई। िमिथला रसभक संकलन अप ूव र्। पालोक सहयोग भेटत से िवास करी।8


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्१३. ी राजनन लालदास- ’िवदेह’ ई-पिकाक मामसँ बड़ नीक काज कए रहल छी,नाितक एिहठाम देखलहँ। ु एकर वािष र्क अ ंक जखन ि ट िनकालब तँ हमरा पठायब।कलकामे बहुत गोटेकेँ हम साइटक पता िलखाए दे िछयि। मोन तँ होइतअिछ जे िदी आिब कए आशीवा र्द दैतहु ँ, मुदा उमर आब बेशी भए गेल। शुभकामनादेश-िवदेशक मैिथलकेँ जोड़बाक लेल।१४. ड◌ॉ. ी मश ंकर िसंह- अहा ँ मैिथलीमे इ ंटरटपर पिहल पिका "िवदेह"कािशत कए अपन अुत माभाषारागक पिरचय देल अिछ, अहा ँक िनःाथ र्माभाषारागसँ िरत छी, एकर िनिम जे हमर सेवाक योजन हो, तँ सिचतूकरी। इ ंटरटपर आोपा ंत पिका देखल, मन फुित भ' गेल।२.ग२.१.१. सुभाषच यादव २. ा- राजे िवमल,३.अिमत कुमार झा, ब ुढ़◌ी माता(कथा)२.२.उपास- केदारनाथ चौधरी२.३.१. श ्यामसुर शिश-िवचार २.अंकुर काशीनाथ झा, ताजी पर तामश िकयैकउठैत अिछ२.४.१. अयोानाथ चौधरी-द ू प २.एकदन ्त हाथी आ लखा हार-ब ृषेश चन ् लाल३.कुमार मज कप- नव वष र् ४.एत’ आ ओत’- अनलका ५.मच िम- अनामकथा (कथा)२.६. आलेख-िरपोता र्ज- १.ड◌ॉ.बलभ िम, २.नरेश मोहन झा ३.नागे झा,४.ड◌ॉ.रेर िम ५.ोित ६.िजते झा-जनकपुर ७.उमेश कुमार ८.नवेु कुमार झा९.मुखीलाल चौधरी२.७. ड◌ॉ.श ंभु कुमार िसंह-ितयोगी परीक्षा२.८. िमिथला म ंथन- सुशा झा9


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्२.९. भानस भात-नीिलमाकथा१. एकटा म कथा-सुभाषच यादव २. ा- राजे िवमल,३.अिमत कुमार झा,ब ुढ़◌ी मातािच ी सुभाषच यादव छायाकार: ी साकेतानसुभाष च यादव, कथाकार, समीक्षक एव ं अवादक, ज ०५ माच र् १९४८, माकदीवानगंज, सुपौलमे। पैक ान: बलबा-मेनाही, सुपौल- मध ुबनी। आरिक िशक्षादीवानगंज एव ं सुपौलमे। पटना क◌ॉलेज, पटनासँ बी.ए.। जवाहरलाल हिविवालय, नई िदीसँ िहीमे एम.ए. तथा पी.एह.डी.। १९८२ सँ अापन। सम्ित:अक्ष, ातकोर िही िवभाग, भूपे नारायण म ंडल िविवालय, पिमी पिरसर,सहरसा, िबहार। मैिथली, िही, ब ंगला, संृत, उद, ूर् अंजी, ेिनश एव ं ंच भाषाकज्ञान।काशन: घरदेिखया (मैिथली कथा-संह), मैिथली अकादमी, पटना, १९८३, हाली(अंजीसँ मैिथली अवाद), सािह अकादमी, नई िदी, १९८८, बीछल कथा (हिरमोहनझाक कथाक चयन एव ं भूिमका), सािह अकादमी, नई िदी, १९९९, िबहाड़ि◌ आउ (ब ंगलासँ मैिथली अवाद), िकसुन संक लोक, सुपौल, १९९५, भारत-िवभाजन और िहीउपास (िही आलोचना), िबहार राष्भाषा पिरषद, ् पटना, २००१, राजकमल चौधरी कासफर (िही जीवनी) सारा ंश काशन, नई िदी, २००१, मैिथलीमे करीब सिर टा कथा,तीस टा समीक्षा आ िही, ब ंगला तथा अंजी मे अक अवाद कािशत।भूतप ूव र् सद: सािह अकादमी परामश र् म ंडल, मैिथली अकादमी काय र्-सिमित, िबहारसरकारक सा ंृितक नीित-िनधारण र् सिमित।एकटा म कथाकिहयो-किहयो ओिह लड़कीक फोन अबै । िरसीभर उठा कऽ 'हलो’ किहते ओरसँ10


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्आवाज अबै- 'क, मी केँ बजा देबै ?’ई सुिनते खौ ंझ आ तामस सँ जी जिर जाय ।खौ ंझ आ तामस खाली ओही लड़कीकफोनसँ होइत हो, से बात निह। तामस सब पर होइ जे ककरो बजा देबालेल फोन करै । ओ तऽ कहुना लड़िकए रहय । फोन जँ लड़की आ जनीजाितकहो तऽ मरद-पुखक रवैया ओहुना क लरम आ मोलायम होइत छै ।जिहया पिहल बेर ओकर फोन आयल रहै तऽ हम पुछ रिहअइ- 'अहा ँ के छी ?’हमर मतलब ओकर नामसँ रहय । लेिकन ओ अपन नाम निह बतेलक । बाजल-'हम नया बजारसँ बािज रहल छी । खाली एतबे कहला सँ ओ बिझ ू जेतै ।’'फो पर रहब आिक फेर करब ?'-हम अनमनायल जका ँ पुछिलऐ ।'पा ँच िमनटमे फेर करै छी ।' –किह कऽ ओ फोन रािख देलक ।हम मन मािर कऽ ओिह कोठली गेलहु ँ, जकर िखड़की सँ मीक कोठली देखाइत रहै। ओकर मकान हमर मकानक पंजरामे रहै । 'मी ! रे, मी !' हम द ू-तीनबेर जोर सँ हाक देिलऐ । ओ कोठलीसँ बाहर िनकलल तऽ कहिलऐ- 'नया बजारसँफोन छौ ।’ ओ हमर घर िदस आबय लागल । आब या तऽ ओ छहरदेवाली फािनकऽ चोे चल आयत या क आगा ँ बढ़ि◌ कऽ िबना फान भीतर चल आयत िकऐतऽ ओिहठाम छहरदेवालीक ऊँ चाइ भिरए ठे ंगहुन छै ।ओ घर ढुिकते रहय िक फोनक घंटी बजऽ लगलै । फोन सुनऽ लेल बाहर सँ ोअबै तऽ हम ओिह कोठलीसँ िनकिल जाइ । आन लोकक फोन स ूनब या ओकरा परपहरेदारी करब हमरा िश आचरण निह ब ुझाइत रहय । कोठलीसँ बाहर िनकलैत आघरक भीतर एर सँ ओर जाइत-अबैत जे सुनबा मे आयल तािह सँ ई ब ुझायलजे मी सा ँझ खन ओिह लड़कीसँ भेंट करतै । ओ लड़की के छलै आ मी सँओकरा कोन काज छलै, से जनबाक इा तऽ ब रहय, मगर मी सँ ई सब प ूछबमोसिकल छलै । ओ अठारह-बीस सालक जवान रहय आ हम ओकर बापक उमेर के। ओहुना ओ घ ुा भावक लड़का रहै । ओ इ ंटरक िवाथीर् छलै, लेिकन पढ़ ाइमेओकर मन निह लगै । ओ टी.भी. देखय, गाना सुनय, िकेट खेलय आ दोस-मिहमसँ ग लड़◌ाबय ।निह जािन ओिह िदन सा ँझकेँ मी ओिह लड़की सँ भेंट केलकै िक निह; लेिकन द ुइए-चािर िदनक बाद लड़की फेर फोन केलकै । वएह पुरान आह । बाजक ओहढंग । क संकोच, क घबराहट आ क डर । बेर-बेर पुछलो पर तऽ ओअपन नाम बतेलकैआ काम । तखन एतबा जर कहलकै जे ओ मीक मामा11


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्कत’ सँ बािज रहल अिछ । तऽ की ओ मीक मिमऔत बहीन िछऐ ? जँ मिमऔतबहीन िछऐ तऽ बेर-बेर वएह टा िकऐ फोन करै छै ? ो दोसर िकऐ निह करैछै ? मामा, मामी, मिमऔत भाइ -एिह मे सँ ो तऽ किहयो किरतइ । हमरमन मे कतेको सवाल आबय, मगर जवाब को निह । संदेह आ असम ंजसउपलाइत रहय ।आइ-काि लड़कीक घरक लोक िदलफेक िकिसमक लड़का सभक फोनसँिफरीशान रहैत अिछ । मगर एतय मामला उटे छलै।िचंितत आकिहयो काल हमरा ब ुझाय जेना मीक िच लड़कीमे निह छै। फेर सोचीजे से रिहतइ तऽ मीक उदासीनता लड़कीसँ बहुत िदन धिर िछपल निह रिहतइ ।जँ मी ओकरा निह चािहितऐ तऽ लड़की बेर-बेर फोन िकऐ किरतइ ?तकर बाद फोन आयब ब भऽ गेलै । िकछु िदनक बाद पता लागल जे मीमोबाइल कीन लेलक अिछ । आब ओ लड़की सीधे मीसँ सब तरहक ग करैतहैत । भिरसक इएह सोिच कऽ मी मोबाइल िकन हो। हमरा लागल जेनाहमर िकछु िछना गेल हो । हमरा लेल आब ई मामला सभ िदनक लेल अज्ञात आरहमय भऽ गेल रहय ।लेिकन निह, जीवनमे को चीज अंितम निह होइत छै। भिरसक एक सालबीतल हेतै । एक िदन सा ंझ ुक पा ँच बजे फोनक घंटी बजऽ लगलै । हेतै ककरो। हम अमन भाव सँ सोचलहु ँ । कैकटा भटकल फोन अबैत रहैत छै ।मगर निह, ओरसँ को लड़कीक आवाज एलइ, पातर-मध ुर आवाज आ फोन किटगेलै। हम सोचमे पड़ल रही िक फोनक घंटी फेर बज ्ऽ लगलइ ।हलो !'-हम िरसीभर उठा कऽ कहिलऐ । 'क, मीकेँ बजा देबै ?'अरे ! ई तऽ वएह लड़की िछऐ । अपन नाम आ काम बते िबना मीकेँ बजादेबाक अरोध करयवाली । ओ बहुत िदनक बाद फोन केछल, तै ं खौ ंझ तऽ निहभेल, लेिकन मनमे थोड़◌े उदासीनता पसिर गेल ।'देखइ िछअइ।'-हम कहिलऐ ।'पा ँच िमनट मे हम फेर करै छी ।'12


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्'ठीक छै ।'—हम िवर सन कहिलऐ।देिखऐ या नइ ँ देिखऐ, एिह दिवधामे ु पड़ल-पड़ल हम ओिह कोठलीमे पहु ँच गेल रही,जािह कोटलीक िखड़कीसँ मीक कोठली देखाइत रहै । लेिकन पिह जका ँ हममीकेँ हाक निह देिलऐ । आइ-काि मीक माय-बाप एतिह छै । िखड़की सँओिह पार तिकते ओ द ुन ू अभरल । मकानक मरत होइत रहै । मीक कतहुअता-पता निह छलै । भिरसक कोठलीक भीतर हो । हम ठाढ़ भेल देखैतरहिलऐ । भऽ सकैत अिछ मी कोठलीसँ बाहर िनकिल आबय । आयल तऽ फोनिदआ कहबै ।एक बेर भेल जन सँ पुिछऐ मी छै िक निह, फेर छोड़ि◌ देिलऐ। सोचलहु ँ फोन उठेबे करबै । लेिकन एहन भऽ निह सकल । ओ पा ंचिमनटक अंदरे फोन केलकै आ हम उठाइयो लेिलऐ ।'मी निह छै । कतहु िनकलल छै । ओकर माय-बाप आयल छै । घरक काजचिल रहल छै ।’—अपन िनामे खोटक अभव करैत हम एक सा ँसमे ई सब किहगेिलऐ । ओ िनराशा आ सोचमे डूबल बाजल—'अाऽ !’ हम पुछिलऐ-'अहा ँ केबािज रहल छी ?’एकर ओ सोझ जवाब निह देलक । बातकेँ ओ जिहना घ ुमेनाइ-िफरेनाइ शु केलकै, हमरा ब ुझा गेल ओ पिहनिह जका ँ सवालकेँ टािर देत ।लेिकन आब ओ बेसी अभवी, पटु आ िसयान भऽ गेल छल । ओकरामे साहस आिनभीर्कता आिब गेल छलै ।'अकल, हम नया बजारसँ बािज रहल छी ।'-ओ आवाज सँ हमर उमेर ठेकना लेलक,तै ं अंकल किह रहल अिछ;हम सोचलहु ँ । ओकर अंकल कहनाइ क खटकल, फेरलगले सामा भऽ गेलहँ ु ।'ठीक छै, नया बजारसँ बािज रहल छी, मगर छी के, से न बताउ ?’-अपन रमेबहुत नरमी अत हम धीरे-धीरे कहिलऐ ।'हम मीक मिमऔत बहीनक सखी भेिलऐ ।’-आब ओ सहज भेल जाइत रहय ।तइयो अपन नाम तऽ ओ निहएँ बते रहय । हमरा लागल ओ जर नाज-नखरावाली, शोख आ चंचल होयत। ओकर गप करबाक ढंग मोहक रहै।'अहा ँ अपन नाम निह कहब ?’-हम जेना गोहािर केिलऐ ।'िरतु ।हमर नाम िरतु अिछ ।’-हमर अथ र्ना सँ जेना ओ पिघल गेल रहय ।आब ओकरा को हड़बड़◌ी निह छलै आ ओ िनचेन सँ ग कऽ रहल छल ।13


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्'िकछु कहबाक हो तऽ कहू, हम ओकरा किह देबै ।’-हम िरत केिलऐ । ओसोचमे पड़ि◌ गेल फेर पुछलक- 'अहा ँकेँ ओकर नवका मोबाइल नर ब ूझल अिछ?’हम कहिलऐ- ', मगर हम प ू िछ कऽ राखब ।' 'ओकरा किह देबै काि एगारह बजे फोन करबै ।’मन पड़ल काि तऽ हमरा दस बजे कतहु िनकलबाक अिछ, तै ं कहिलऐ-'एगारह बजेनिह, दस बजे करब।’'ठीक छै ।’-ओ किह तऽ देलकै, लेिकन हमरा लागल जेना ओकरा अपन बात परसंदेह होइ । ओ फोन रािख देलक । फोन पर रहल ओकर संग आब छूिट गेलछल ।आइ ओ बड़◌ी काल धिर आीय जका ँ ग के रहय । फोन रािख देलाकबादो हम ओिह ठाढ◌़ रिह गेल रही, जेना िकछु और कहबाक हो, िकछु और सुनबाकहो । हमरा छगुा भेल, ओिह लड़की लेल हम िकऐ उदास भऽ रहल छी ?दस बजे । काि दस बजे। को म ं जक◌ॉ ं इ हमर भीतर बजैत रहलआब मी केँ ताकय पड़त । काि दस बजे सँ पिह बतबय पड़त जे ओकरफोन आबऽ वला छै । सा ँझे मे किह देनाइ ठीक हेतै । भोरमे छुी निह रहत।जँ ओ िखड़कीसँ देखा गेल, तखन तऽ को बाते निह, निह तऽ ओकर खोजमेचर काटय पड़त । सा ँझ केँ बेसी काल ओ िकरानाक एकटा दोकानमे बैसल रहैतअिछ । पिह ओिह देखबै ।निह भेटल तऽ ओकर घर जाय पड़त । लेिकनघर पर तऽ ओकर माय-बाप छै ! माय-बापकेँ लड़कीक फोन िदआ कहब ठीक निहहेतै । खैर, देखल जेतै । अखन तऽ बहुत समय छै । भऽ सकैत छै ओिखड़कीसँ देखाइए जाय । हम बेर-बेर िखड़की लग जाय लगलहु ँ । ओतय जाइ,कनी काल ठाढ़ रही आ थािक कऽ घिर ू जाइ । अपन छाहे जका ँ ओ लड़की हमरसंग-संग चिल रहल छल, मी नामक रौदमे कख पैघ आ कख छोट होइत ।िरतु आ मीक चुक हमरा आिव कऽ ले छल । ओिह िदन मी निह भेटल। राित मे हम सपना देखैत छी जे ओ द ुन ू आयल अिछ । घरमे हम असकर छी। द ुन ू केँ कोठलीमे बैसा कऽ हम बाहरमे टहिल रहल छी । को चीजक खसलासँ िन टूिट जाइत अिछ। रौद भऽ गेल छै । मन पड़◌ैत अिछ आइ दस बजेिरतुक फोन एतै । मीकेँ कहबाक अिछ । हम िबछान छोड़ि◌ उिठ जाइतछी।ा- राजे िवमल14


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्आइ फेर बहु-बदला भेलैए कहा ँ दन!...गे दाइ, गे दाए!रजदेबाके बहु िसिकिलया आ देबलरैनाके बहु सोनावती। िसिकिलया ओना छैमोसिकलसँ अढ़◌ाइ हाथक मौगी मुदा सउँ से गोर देहमे गजगज मासु करै छै।देिखते होएत जे का ँचे िचबा जाइ। टोिङ देबै, ब दऽ सोिनत फेिक देतै।देहपर जेना इस्ी कएल होइ; िछहलैत आऽ गतानल अंगअंग। देबलरैनके मुँहसँतँ किहया सऽ लेर चूबैत रहै-लसलस। देबलरैना-बहु सोनाबती, रोलल-छोलल,पोरगर करची सन लचलच करैत देह। रजदेबाके ततराटक लािग जाइक- देखैकतँ देिखते। एे टोलमे दसे घरक तऽ फरक हएतै द ुन ूक घरमे। िछनरझबालीसोनावितयो केहन मन सरभसी जे जख रजदेबासँ नयन िमलै िक छ दऽ िबहु ँिसउठै अंग-अंग- जेना लौका लौिक गेल होइ भीतरे भीतर। उपर सऽ सतबरतीजे बय। रजदेबा मा राजदेव म ंडल, अंचल अतालमे चपरासी अिछ। बापओकरा जनमऽ सँ पिहनिह सरग िसधािर गेल रहिथ। पोसल केऽ तऽ माए। एकटाबहीन रहै चंचिलया। सभ कहै कुमरठेी। सउँ से गाम अनघोलकए रहै छौ ंड़◌ी।किहयो खेसारीक झारमे पकड़ल जाइक, किहयो राहिर खेतमे केयो देिख लैक।किह कते आिग भगवान देहमे दे रहिथ। चंचिलयाक माय कहै जे ई देहकआिग थोड़बे रहैक, पेटक आिग रहै, पेटक। आब जे रहौक, मुदा ओ मारिलगेिल। ओकरा लऽ कऽ द ू टा मनसामे झगड़◌ा भऽ गेलैक। जगिदसबा कहै जेहमर धरबी अिछ, मनमोहना िराबला कहै जे हर माल अिछ। चंचिलया द ुूकेँ द ूहैछिल। से बरदा निह भेलै मनमोहना िराबलाकेँ । ताड़ ीक झोंकमे िराक पुरनाचेनसँ तेना ततारऽ लगलै जे होशे रहलै। सउँ से देहसँ सोिनत बिह रहलछलै आ ओ मुँह बािब दे छिल। पिरवारमे िवधवा माय छलै, यं छल, िसिकिलयाछलै आऽ पा ँच बरखक बेटा रहै। बेटा ब सुर आ बड़ ठोला! चंचिलया तऽसंसारसँ उिठए गेलै। आब पिरवारक सुखाएल आ ँतक घघरा िमझएबाक लेल सोिनतसुखएबाक िजेबारी रजबेक छलै। जूआमे चुपचाप का लगा देलक आ बहएलागल। बह ु रहै चमिचकनी, फरदेबाल आ फसलीटीबाली। रोज गमकौआ तेल चाही,ो-पाउडर चाही। रङसँ ठोर नइ ँ रङब, िलपेी चाही। िसमामे चसकिल। जी-मुँह चिलते रहइ। पनिपयाइमे घ ुघनी-मुरही, कचरी भिर पोख। द ुसंझी। रोज-रोज माछु-मासु गमकैत रहउ आङनभिर- िकछु तऽ डोका-ककिर। आिक कछुएकझोर। कतेक िदनसँ एक जोर परबा पोसक लेल रगड़◌ा कए रहिल छिल सा ँयसँ।छमिक कए एमहर, छमिक कए ओमहर। राित-राित भिर झ ूलन देखए, सलहेसक नाचमेखतबैया टोलक झ ुलिफया या नटुआक नाच आ सतरोहनाक िबपटइ देिख-देिख कऽलहालोट भऽ जाए। रजबाकेँ ई सभ सतखेी मौिगक लन ब ुझाइक, तेँ रोजबतकुटौअिल होइ। िराबला देबलरैनासँ यारी रहै रजदेबाकेँ । देबलरैनािसकिलयाके बड़ पिस। कारण रहै जे देबलरैना सेहो सलहेसक नाचमे ढोलिकयारहै। ईह ढोलक बजबैकाल ओकर कनहा जे उपर-नीचा ँ होइ छल- गुम-गुमुक-15


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्गुमुक...गुम गुमुक गुमुक! .. बेर-बेर झ ुलफी मुँहपर खिस पड़◌ै जकरा ओ ओिहनाछोड़ि◌ दैक। मुँहपर ब ुनिकआएल ओसक ब ू ँद सन पसेना! ओ मोनिह मोन अपन सा ँयरजदेबासँ देबलरैनाक िमलान करै। ... कहा ँ देबलरैना, कहा ँ रजदेबा। रजदेबाकमुँहपर चौबीस घंटा जेना िवपिके झपसी लध रहै। घोघनमुँहा एक री सोहाइ िसिकिलयाकेँ । मगर करओ तऽ की करओ? िसङार-पटार कए एकामे एसगरिबछाओनपर पड़ि◌ रहय आ कना करए-सा ँय जे बदलतै! देबलरैना फुलपेट पेिकऽ, चसमा पेि कऽ बाब ू-भैया नािहत जे िरापर बैिठकऽ िरा चलबइ हइ तऽिसमाके गोिबना माउत कऽर हइ। .. मानली जे ताड़◌ी-दा पीबै हइ, त कीभेलइ। सुनइ िछऐ जे कहा ँद ुन ताड़◌ी-दा पीलै हइ मनसासुन तऽ ओकरा देहपरराछी सबार भऽ जाइ छै, मौगीके छोड़ छोड़◌ै छै।..धौर, केनाकऽ सकैतहोतै देबलरैना बहु।..रजदेबा ला ध-सन! िबछाओपर जाएत त खाली घरेकेसमेा। ..रङ आ लस!! .. देहो हाथ छूबैतऽ खौ ंझा कऽ छूटत!..देबलरैनाके ब ँसुरीके आवाज सुनएलै। ..दा पीकऽ अबै छै तऽ आङनमे बैिसकऽब ँसुरी टेरऽ लगै छै।..अहाहाहा..की राग, की तान।..सोनाबतीके तऽ लीरीबीरी कऽदै छै। फेर द ुन ू परानीमे मुँहाठ ुी होइत-होइत िपटािपटौअल शु भऽ जाइतछै।..सोनाबतीके कहब छै जे मरदाबा जे कमाइ हए से तऽ दा पानीमे उड़◌ादै हए, िसमामे गमा दै हए आ स ूतऽ लागी हरान रहै हए।..पेटमे अ आ..“मनसा तऽ रजदेबो हइ”- सोचैए िसिकिलया- “ओकरा स ूतऽ के मन होइहइ?..केरबा आमसन मुँह लटकओ रहैए!” िसिकिलयाके अप हँसी लािग जाइछै।“दोसजी कहा ँ गेलिखन”?- अरे, ई बारह बजे राितमे सोनाबती!!..“की हइ, हे”?- बा ँसक फक खोिलकऽ िसिकिलया बाहर अबैत अिछ।..छौ ंड़◌ाकबाप तऽ एलैगऽ अताल सऽ।..लैटिडपटी (नाइट ूटी) हइ।..”“बहीन की किहयो द ुखके बात। आइ फेन ू मनसा मारलकगऽ।““कइला?”“ध ुर। की जान गेिलऐ कोन बढ़मिकटास हइ देहपर।..हमर तऽ जान लऽलेलक।..अ-पानी जिर गेलै, जी-जा ँघमे खौ ंत फुक रहै छै चौबीस घंटा।– बल ू ,चल नऽ स ूतऽ।..सुतना बेमारी धऽ लेलकैगऽ।“..सोनाबती घौलेघौले बजैत रहल।जोर-जोरसँ घोल-चाउर भेलै तँ ब ुढ़ि◌या रजदेबामाइ टुघिर कऽ अङनामे आएल-16


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्गे, की भेलउ गऽ? चुप, लबरी। सा ँइयो बहुके बातके कहूँ एते घोलफचाभेलै गऽ?”सोनाबती घेओना पसारलिक। िरी िरी कऽ फाटल, सतरह ठामसँ िगरह बाल अपनन ूआ आ अिङया देखओलिक। घरबाली अ बेक मरै छै आ ओ दा-ताड़◌ी पीिबकएबेम भेल रहै छै। घरमे लाल ब ुी नं दै छै। दा पी कऽ सेजपर ओकरगगमे दा ँत गड़◌ा दै छै!“इ!” रजदेबाबहुके मुँहसँ अनायासे बहार भऽ गेलै। भीतर चीनीक गरम पाकजेना टघिर रहल छलै। ओ गग देबलरैनाक हबकबाक कनामे हेरा गेिल।“हे बहीन!..मनसा भोगतओ तँ ई देह लऽ कऽ की करबा।..एक िदन अँिचयापरतऽ सबहक देह जरै छै!”- रजदेबा-बहु समझओलकै। रजदेबामाइद ुरद ुरओलकै। ताबत िडप्टीसऽ रजदेबो घिर ू अएलै। आङनमे ठहाठिह इजोिरयामेचमकैत सोनाबतीक मुँह चमकैत देखलक। नयन िमललै, सोनावती िवहु ँिस देलिक,जेना रजनीगंधा फूल झरझरा गेलै। मोनाण गमैक उठलै। रजदेबा बाजल िकु ं। बस पुछलकै- “की भेलौ गऽ भौजी?” सोनावती फेर सउँ से खेरहादोहरओलिक।...िसिकिलया चौल कएलकै- “सा ँय बदलबे?”“सहे तऽ उपाइ हइ।..तोहर डागदरसनके सा ँय हउ गजै छे।..अतालमे कामकरै हउ। दा, पानी। घरिगरही डेब हउ। भिरमुँह को छौ ंड़◌ीमौगी जरे बोलबो करइ हउ। अपन काम से काम। एहन महाभारथ पुखहमर भागमे कहा ँ?..”िसिकिलयाकें देह जिर गेलै- हइ गोबरके चोत महाभारत कहा ँद ुन! मनसरभसी।अपना सा ँय महकै छिन आ छौ ंड़◌ाक बाप जरे केना रिसया-रिसया, िसिलया बितआइहए।“बहीन, तौ ँ घर जा।..तोहर सा ँयके दोसरकेँ सािर देत ओ? जे अपन साइ ँयोके कसमे रखलक, से मौगी किथके?” आ िसिकिलया रजदेबाक बािह ँ पकड़ि◌घरिदिश घीचय लागिल। रजदेबामाइके िप लहिर गेलै। सोनाबी किनकालथरभसाएिल, फेर बाजिल-“दोस जी!..हम आइ घरे ं जबे..फेन “िनन सऽकूटत।..” ओकर आकृित कातर छलै।17


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्“अहा ँ जाउ। लोक फरेब जोड़त”।रजदेबा समझओलकै। ओ घिर ू गेिल। सभ अन-अन फक लगा लेलक। मुदा,भोरे उठल रजदेबा जँगलझार लेऽ तँ देखलक जे देबलरैनाके बहु दरबापरएकटा फेकल तरकुीपर ओंघराएिल छै, घर ं गेलउ।..किनकाल ओ टुकुर-टुकुर ओकरमुँह तकैत रहल। केना िनभेर भऽकऽ स ूतिल छै, द ुधपीबा िपहुआजेका ँ। न ूआ ँ-बर अ-। िबन तेलकू ँ ड़क जा पड़ल, भु भऽ गेल पैघ पैघ केश,भुँ इयापर एमहर-ओमहर जौ ंड़ जेका ँ लेटाएल।ओकरा देवलरैनापर ब तामस भेलै। सोन-सनक सोनावती अ-वस् बेक झामभऽ गेलै- बीझ लागल ताम-सन। एख जँ नहा धो देल जाइक आ िसङार कऽदै तऽ झकाझक भऽ जएतै। मुदा दोस तऽ दा पीकऽ म रहै छै। सलहेसकनाचमे ओकर ढोलकक गुमकीपर खतबैया टोलक कतेको छौ ंड़◌ी-मौगी ओकरापर जानदओ छै। दोसजी, खा-पैन, चर-चा ँचर, राहिर-कुिसयारक खेत, भुसुा घर,पोखिरक भीर जिह पओलक, तिह छौ ंड़◌ी-मौगी लऽकऽ...। राम-राम।..एहनगुनमीके एना कािह कटबै हइ, दोसजी िनन निह करै हइ!बड़ समझओलकै रजबा सोनाबतीके। सोनाबती ं गेलै। देबलरैनाके ध-सन।खोजैत-खोजैत एे बेर सुज जखन नीचा ँ अएलै तऽ ब ँसुरी टेरैत आएल।सोनाबतीके भिरपा ँज पकड़ि◌ कए चुाचाटी लेबए लागल।– सबहक साम!दिपबाके कोन लाज आ बीज। रजबामाइके हँी लािग गेलै। सोनाबी मनसाकेँधकेिल देलकै, मनसा धा ँय दऽ चानाल िच खसल। िबे आङनमे।..चटाक!...मनसाउिठकए एक चाट देलकै। मौगी घेओना पसारलिक। मनसाकेँ ध-सन।..दोसजीअतालमे रहै।िसिकिलयाक बेटाके “मै ंगोूटी”क खाली िडा कतहु सड़कपर फेकल भेिट गेल रहै।ओ ओिहमे पािन धऽधऽ पीबै छल। िसिकिलयाक नजिर पड़लै-“केहन लगइ हउ?”छौ ंड़◌ा हँिस देलकै- आमके रस निहंता!..पीबे?”िसिकिलयाक मोन भेलै- एक बेर ओहो पीिब कए देखैत। ओ बड़का-बड़का बाब ू-भैया सबके पीबैत देख रहै।..मुदा, ओइमे तऽ पतरसुी फोंफी लागल रहै,एइमे कहा ँ हइ?.. ओ बड़◌ा ललचाएल दृ िसँ ूटीक िडाकेँ देिख रहिल छिल।“दोिनी, पीयब?”-देवलरैना टुभ दऽ प ू िछ बैसल। दोिनीक आ ँ िखमे ूटीक18


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्लालच, पितसँ उलहन, अभावज वेदना लाबाज देवलरैनाकेँ झक् दऽ लौिक गेलै।“चल ू दोिनी, ूिटयो पीयब, िसमो देखब आ होडरोमे खाएब। घ ूमैत-घ ूमैतराित तओले च्हिल आएब”।– देवलरैना बजलै आ फेर कोन जाद ूके बान लगलैकिह, िसिकिलया चट दऽ ओकर िरापर बैिस गेिल। सभ मुँहे तकैत रिह गेलै।ओ जे गेलै िसिकिलया से फेर ६ महीना ं घ ुरलै। सोनाबती रजबाके घरसऽटकसऽ के नाम ं लै। पऽर भेल, पंचैती भेल। द ुन ू मौगीमे सँ को अपन-अपन सा ँय लग घ ुरबाक लेल तैयार निह भेिल।छओ मासक बाद द ुन ू अपन-अपन मनसा लग कत-कत घ ूरिल-ढाकीक ढाकी िसकाइत। िसिकिलया आ सोनाबती एक दोसरक गरदिन पकड़ि◌ झहरा देमए लागिल।िसिकिलयाक घेओनाक आशय छल- देबलरैनाके मुँह महकै छै, ओ बदमास अिछ, गुडाअिछ, िनसेबाज अिछ, लापरवाह अिछ; ाथीर् अिछ आिद-आिद। सोनावती छातीपीिटपीिट बेयान करै छिल- रजबा गुा अिछ, बहुसँ बेसी मायकें मा अिछ, िदनराितपाइ लेऽ खटै अिछ आ सभ पाइसँ घरे चलबै अिछ, बहु ले किहयो कचरी- मुरही अन अिछ। किहयो िसमा ं जाइ अिछ, बहुकें चुा ं लैतअिछ..आिद...आिद...द ुन ू अपन-अपन ओिरिजनल सा ँय लग घ ू िर गेिल।मिवज्ञानक ोफेसर सनारायण यादव कहलैि- यार, जे भेटैत छै, तकर मोल ब ुझाइ छै। जकर पित गंभीर छै ओकरा चंचल पितक लेल मोन पिनआइ छै,जकर चंचल छै से गंभीर पितक लेल िसहाइए..इएह म छै... वन इज परफे..एक िदन िसिकिलया आ सोनावती सुन ू एक-एकटा को मनसा संगे उरहिर गेलै-ओहो एे िदन। रजदेबामाइ भोरेसँ आसमान माथपर उठा लेलिक- “ज ुआनी कर उमताइ हइ..फेन ू बा हइिक ।..समाज आ पिलवारके बन टूिट जतइ तऽमनसा-मौगी िजनगी भिर अिहना भँड़िछ-भँड़िछ कए मिर जतइ...ो. सनारायणक ाा छैि-ान इज पोिलामस बाइ चर..इट इज सोसाइटी िच ानलाइजेज सेएनजीर् ..सओ मुँह, सओ बात!..सबसँ बड़का स जे सोनाबती, िसनिकिलया द ुन ू उरहिरगेल!19


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्अिमत कुमार झा, चैनपुर, सहरसाब ुढ़◌ी माताअपन पिरवार- मा, ँ बाब ूजी, भाइ, बिहन) संग पटनाक शेखपुरामे रहैत रही, बाब ूजीपी.डब्ल. ू डी. मे एस.डी.ओ. एकटा िस ईमानदार अिधकारी रहिथ, सभसँ पैघ भैयापी.एच.ई.डी.द ुमकामे पोेड रहिथ। हम सेंट जेिवयस र् ूल, गा ँधी मैदानसँ बारहमाकरैत रही, पढ़◌ाइ-िलखाइमे बह ुत नीक रही, पढ़◌ाइ-िलखाइक अलावा को काजनिह रहए, ओइ पढ़◌ाइ-िलखाइक कारण हम बहुत कम उमे नीक पद- मैजरिबरला ुप- पर छी, हमर िकछु दो रहए जे ओिह समयक पैघ राजनीितकपिरवारसँ संबिधत ं छलाह- एिह िवषयमे बादमे कहब- आइक ितिथमे सेहो बहुत पैधानपर छिथ। बारहमाक संगिह राम महर राय, एस.पी.वमा र् रोड, पटनासँ मेिडकलए ंसक तैयारी सेहो करैत रही।मु घटना मोन पड़◌ैत अिछ जनवरी १९९५ क – कोिचंग ास ५.३० बजे भोरे सँहोइत रहए, हम घरसँ अारे- ४.३०-४.४५ िनकलैत रही। पटनामे जनवरी मासमेबहुत ठी पड़◌ैत छैक, ओिह समयमे आर बेशी ठंडी पड़◌ैत रहए। ठंडा, ऊपरसँअार सुनसान रा, बहुत डर सेहो लगैत रहए, लेिकन एक नया जोशमे सभ िकछुिबसिर जाइत रही। ११ जनवरी १९९५ केँ कोिचंगमे ’मोुल टे’ रहए, ई कारणहम ४ बजे घरसँ कोिचंग िनकिल पड़लहु ँ- कारण ठंढाक कारण लेट निह होए। हमजिहना पुनाइचक-हड़ताली मोड़क बीच मेन रेलवे लाइन लग पह ु ँचलहु ँ, अचानक एक टाघोघ तन, किरया कल ओढ़ ब ुढ़◌ी माता सामना आिब गेिल, हम तँ डरसँसाइिकलसँ खिस पड़लहु ँ, देखलहँ ु तँ ओ बहुत ब ुढ़ आरो कमर लगसँ झ ुकल लागल। हमउिठ कऽ ठाढ़ भेलहु ँ, गरदा सभ झाड़ि◌ कऽ जिहना चलय लऽ चाहलहु ँ तँ ओऽ आवाजदेलक,..सुन..अ..बौवा...डरसँ हालत खराब भऽ गेल..चा िदससँ सनसन जेका ँ अवाज महस ूस हुअ लागल।20


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्डरल-डरल ओकरा लग गेलहु ँ..।पुछलक...कतए जाऽ रहल छी!!! ताऽ तक ओऽ अपन घोघ निह हटे रहए।डरसँ अबाज तँ जी निह िनकलल...;लेिकन िहत कऽ कए जवाब देलहु ँ, कोिचंगजाइ छी।फेर पुछलक..कथी के पढ़◌ाइ करैत छी..!! बातसँ अपनापन लागल।हम कहलहु ँ-ड◌ॉरीक तैयारी करैत छी..अा बैस..दोसर पढ़◌ाइमे मोन निह लागए छौ- िनदेर्श दैत-..कनी देर िक जोतखन जिहये।ताऽ तक समय लगभग ४.४५ भऽ गेल रहए..एक द ू टा आदमी सभ सड़कपर सेहोनजिर आबए लागल। लेट होइत रहए एिह कारण िहत कए कऽ कहलह ु ँ...हमरा लेटभऽ रहल यऽ..हमर आइ परीक्षा अिछ।को बात निह..जवाब भेटलबड़ असम ंजसमे पड़ि◌ गेलहु ँ..की करी..निञ .करी..एक मोन होय रहए, चलैत लोककेँअवाज दी, मुदा सड़क फेर सुनसान भऽ गेल।तख ओऽ अपन घोघ हटेलक..हुनकर...चेहराकेँ देिखते लगभग बेहोश भऽगेलहु ँ..ब ुढ़—झ ुरीर्दार चेहरा...ओिहपर मद र्जेका...दाढ़◌ी...मोँछ...हे ँभगवान आइ-धिरएहन निञ देख रही...हमर हाव-भावकेँ देिख ओऽ बजली...हमरा देिख कए डर लागएछौ..निञ डर। हम दोसर िकओ निञ िछयौ...पता निञ िकए ओऽ िकछु अपन जेका ँलागए लागल...ताऽ तक लगभग ५ से ऊपर टाइम भऽ गेल...रोडपर द ूध/ ूजपेपरबला ह◌ॉकर सभ नजिर आबए लागल...िकछु कालक बाद अवाज भेटल- आब तू जो..घ ुरैत काल अिबहेँ...हम हवाक भाित/ँतीर सँ बेशी तेजीसँ िनकललहु ँ...बहुत लेट भऽ गेल रही...साइिकलकेँ अपन क्षमतासँबेशी तेजीसँ चलबए शु कए देलहु ँ, जिहना गा ँधी मैदान/ सी बागक मुँहपरपहु ँचलहु ँ...देखलहु ँ जे जबरद एीडेट भेल रहए, प ूरा रा पुिलस ब्ल◌ॉक कऽदे रहए- एीडेंट लगभग २० िमनट पिह भेल रहए, जािहमे चािर टा लोक आऽएकटा चाहक दोकानदार मारल गेल...ओऽ चा टा हमरे इ ंीूटक छा रहए जे नीक21


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्चाह पीबए खाितर कल रहए लेिकन...!!हमहु ँ ओिह चाहबलाक दोकानपर रोज कैत रही- अगर ब ुढ़ ीमाता निञ भेिटतए तँहमहु ँ ओिह समयमे चाहक दोकापर रिहतहु ँ ...फेर पता निञ...)- चाह िपबैक तँआदित निह रहए मुदा ठंढ़◌ाक चलते पीिब लैत रही।कहुना इ ंीूट पहु ँचलहु ँ..ओिहठाम घटनाक स ूचना पहु ँिच गेल रहए...इ ंीूट द ू िदकालेल ब कऽ देल गेल। छाक घरबलाकेँ सेहो सिचत ू कए देल गेल, हमहु ँ ब ुझलमोनसँ घर घ ुरए लगलहु ँ, घर घ ुरैत काल वैह ब ुढ़ि◌या ओहीठाम भेटल...ओिहना घोघतन...लग जाऽ कए सभ घटना सुलाक बादो ओऽ को जवाब निह देलक...िकछुकालक बाद कहलक...बौआ हमरा भूख लागल यऽ!!की खेबए!!! हम पुछिलयए।चूड़◌ा आऽ शर..जवाब भेटल।संयोग एहन रहए जे ताऽ तक हम सभ तरहक समान िकनबाक वाे कोदोकानपर निह गेल रही, कारण घरमे काज करए लेल बहुत आदमी रहए दोसरघरक सभसँ छोट रही। तैयो दोकानपर गेलहु ँ आरो ब ुढ़◌ी-माता लऽ चूड़◌ा-शरकीिन कए अनलहु ँ।िकछु देरक बाद हम पुछलहु ँ..कतए जेबही, हम पहु ँचा देबौ।“कतहु निञ”, जवाब भेटल।“रहबीही ं कतए”, हम पुछलहु ँ।“यैह जगह” सीधा जवाब भेटल।“खाना कतए खेबही ं ”...पुछलापर जवाब भेटल- “ तू ँ ख ुआ, बेशी बक-बक निञ कर,खाइ लेल दे फेर तू पुिछहेँ जे प ूछए के छौ”- िबुल खल जवाब सेहोभेटल। संगिह ेहसँ कहलक- “तू ँहो खो”।हम तँ अजीब मुिश्कलमे पड़ि◌ गेलहु ँ..ओकरा अकेले छोड़ि◌ कए जाइ के मोन सेहोनिञ करैत रहए...आिखर की करी...बहुत सोचलाक बाद िनण र्य लेलहु ँ..जे हुअए एकरा22


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्अपना संग लऽ जाइ...िरापर ब ुढ़ि◌या आरो साइिकलपर हम, घर पहु ँिच ओकरागेटपर ठाढ़ कऽ बाहर ठाढ़ कऽ हम घर गेलहु ँ, सभ कहानी अपन माताजीकेँ बतेलहु ँ,ब ुढ़ि◌या बाहरमे ठाढ़ छै, सेहो किह देलहु ँ। सभसँ पैघ समा जे ब ुढ़ि◌याकेँआिखर कतए राखी...माताजी कहलिखन- नीचा ँमे एकटा म खाली छै- ओिहमे जगहदेल जाए, सभ बेबा-िबछोना, कल, साफ साड़◌ी-कऽ कए ओकरा घरमे बैसेलहु ँ।सा ँझमे बाब ूजी ऑिफससँ अएलाह तँ हुनका सभ कहानी बतेलहु ँ।बाब ूजी कहलि-“ब ुढ़ि◌या किहया तक रहतहु”।“निञ पता”- हम कहलह ु ँ।फेर माताजी सभ सािर लेलि ..आरो बाब ूजीकेँ समझा देलिखन। ब ुढ़◌ी-माताकसेवा करब हमर रोजक ूटी भऽ गेल। कोिचंग जाइसँ पिह आधा घा, आबएके बाद १ सँ डेढ़ घा हमर समय ब ुढ़◌ी माता लग बीतए लागल। खानाक अलग-अलग फरमाइश होइत, सभ िकछु प ूरा करैत एक साह बीतल, एक िदन अपना लगबैसा हमर बारेमे प ूछए लागल- जेना अपन दादी-दादा-अज- ब ुढ़◌ी माता िदससँकहल गेल- तू ँ दोसर पढ़◌ाइ- मेिडकल छोड़ि◌ कऽ– कर। बहुत नाम हेतौ, ख ूबपैसा कमेबे, मा ँ-बाप तोरापर नाज करतौ, १० वा िदन राितमे िबना िकछु बतेपता निञ कतए चिल गेलय- आइ तक निह भेटलीह...एखन तक हम इजार करएछी जे ब ुढ़◌ी माता एकिदन जर भेटतीह।ब ुढ़◌ी माताक बात िबुल सही भेल जखन १४-१५ घा पढ़ ाइ करबाक बावजूदसी.बी.एस.ई. मेिडकलमे वेिट ंग आिब गेल। बी.सी.ई.ई.मे डेयरी ाच भेटल,एम.डी.ए.टी.मे १००% चा रहए- ९०% एूरेट सही कए रही- मुदा परीक्षा-के िमत क◌ॉलेज, दरभंगा केिल भऽ गेल..एिह कारणसँ हम स्शनमे रहएलगलहु ँ। पढाइ-िलखाइ ब कए देलहु ँ...जे एतेक पढ़ ाइ करए के बाद जखनसफलता निह भेटल तँ आब किहयो निह हएत।फेर हमरा ब ुढ़◌ी-माताक बात याद भेल, संगिह बाब ूजी सेहो कहलि- अपन ैकचेज क, लगभग ओही समय य.जी.सी.सँ ू ३ टा नया कोस र् पटना आऽ मगधिविवालयकेँ भेटल- बायो-टेोलोजी, जल आऽ पयावरण र् ब ंधन आऽ बी.सी.ए.।ए परीक्षापर नामा ंकन िया शु भऽ गेल। बी.सी.ए. हमरा िकछ ढंगक कोस र्ब ुझाएल, ए देलहु ँ आऽ पास कऽ गेलहु ँ। य.जी.सी. ू बी.सी.ए.क थम बैचक पिहल23


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्छा हम रही जे अिम परीक्षा ८९% सँ पास केलहु ँ। बाब ूजी कहलि- आबय.पी.एस.सी.क ूतैयारी क, ढंगक सरकारी करी िलअ, लेिकन हमर सोच िकछु आरेरहए। “अगर अपन ितभा/ क्षमताक उपयोग करबाक यऽ तऽ सरकारी करीनिञ क”। फेर एम.सी.ए. केलहँ, ु मोन भेल जे एम.बी.ए. कएल जाय- बहुत किठनरहए आइ.टी.सँ एम.बी.ए. करब। मुदा ब ुढ़◌ी माताक कृपासँ एम.बी.ए. सेहो कऽलेलहु ँ। कैम् सेलेनमे िरलायक ऑफर भेटल। जोइन केलहु ँ, फेरएच.डी.एफ.सी. बै ंकसँ ऑफर भेटल तँ बै ंक जोइन कऽ लेलहु ँ। दयमे इा रहएजे टाटा-िबड़लामे करी करबाक चाही। ब ुढ़ ी माताक कृपासँ इा प ूरा भऽ गेलआऽ िबड़ला ुपसँ नीक ानक ऑफर आिब गेल। जोइन सेहो कऽ लेलहु ँ आऽ एखनतक एतिह छी..आब इा यऽ िदी/ मुइक बहुत सेवा केलह ु ँ...आब अपन िबहार/िमिथलाक सेवा कएल जाय..ब ुढ़◌ी माताक कृपासँ ओहो भऽ जेतए...लेिकन सभसँ पैघइा अिछ ब ुढ़◌ी-माताक दश र्नक..पता निञ होएत िक निञ...ज 3 जनवरी 1936 ई हरा, िजला दरभंगामे। 1958 ई.मेअथ र्शास्मे ातकोर, 1959 ई.मे ल◌ॉ। 1969 ई.मे कैिलफोिन र्या िव.िव.सँअथ र्ास् मे ातकोर, 1971 ई.मे सानािसो ं िव.िव.सँ एम.बी.ए. , 1978मे भारतआगमन। 1981-86क बीच तेहरान आ ैंकफुतर्मे। फेर बई पु होइत2000सँ लहेिरयासरायमे िनवास। मैिथली िफ ममता गाबय गीतक मदनमोहन दासआ उदयभा िसंहक संग सह िनमा र्ता।तीन टा उपास 2004मे चमेली रानी,2006मे करार, 2008 मे माहुर।माहुर..1..24


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्दृ”आह! भैया आिब गेला। हाथ मे पोटरी छिन। अबे ओिह मे ‘मीट’, अरे!निह माता द ुगा र्क परसाद हेतिन!“र ंजना बाजिल छलीह। ओ दौड़◌ैत आ ंगन सँ बाहर एलीह। हुनका भाइजीक हाथ मेठीके पोटरी छलिन जािह मे ‘मीट’ रहैक। भाइजी अपन हाथक पोटरी र ंजनाक हाथमे देब’ चाहलिन। फेर, जािन हुनका की मोन पड़लिन जे अपन पोटरी बला हाथक¢◌ँ पाछा ँ घीिच लेलिन। ओ ब ूत बिन ठार भ’ गेला। भाइजीक ठोर मे कं पनहोब’ लगलिन, आ ँ िख सँ ढबढब र बह’ लगलिन आ हुनक सम शरीर थर-थर का ँपएलगलिन।भाइजी अथा र्त आकाश सँ हुनक एकमाा छोट बिहन र ंजना हुनका सँ बारह बख र्क छोटछलिथन जे आब पहम मे पयर रख छलीह। ओ सलवार-कुतीर् पिहर छलीह।हाथ मे चूड़◌ीक ान पर घड़◌ी बाल छलिन। पुछू िकएक? र ंजना िवधवा छलीह।पिछला आषाढ़ मे र ंजनाक िववाह कमीशन ा सेके लेिफ्टट भार चैधरी सँभेल रहिन। एक मिहनाक अवकाश समा भेला पर भार चैधरी अपन ूटी परकीर पहु ँचल छला। ओतिह आतंकवादीक संग मुठभेर मे शहीद भ’ गेलाह। र ंजनािवधवा भ’ गेलीह।आकाश लगक शहर दिरभंगाक एक बै ंक मे काय र्रत रहिथ। ओ गामिह सँ ूटर परबै ंक जािथ आ आबिथ। अमी रहैक आ बै ंक दशहराक छुी मे ब छलै। गामेकद ुगा र् ान मे बिलदान कएल छागरक भड़◌ाक मा ँउस पुजेगरीक आदेश सँ िबकाइतछलै। ओही ठाम सँ आकाश एक िकलो ‘मीट’ आ की परसाद जे किहयौ कीिन क’अन रहिथ।सम्ित जे दृ उपित भेल छलै ओिह मे आकाश हाथ मे मीटक पोटरी ट ंगथरथराइत ठार रहिथ। हुनका आिख ँ सँ दहो-बहो र बिह रहल छलिन। हुनकपी, पा ंच बख र्क बेटी सुजाता, माता-िपता सभ िकयो ढलानक एक कातठार डबडबाएल आिखए ँ देखैत चुपचाप आकाश िदस तािक रहल छलिथन। र ंजना ठीकआकाशक साम छलीह। हुनक बाल सुलभ सदृश मुख-म ंडल पर बड़◌ी टा िच25


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्बिन गेल छल। काजर पोतल आिख ँ मे र ंजनाक सम भिव धह-धह धधिक रहलछल। त¢◌ँ रक एकोटा ब ू देखाइ निह पड़ि◌ रहल छल। पिरवारक ंदन बीचर ंजना एक अजीबे दृ ि सँ अपन ाता, आकाश क¢◌ँ िनहािर रहल छलीह।बड़◌ी काल सँ अंटकल आकाशक कं ठ सँ कुहरैत श बाहर भेलदृ”हे भगवान! हम ईकी कएल? िकयक हम ‘मीट’ कीनल?“ एतबा बािज आकाश मीट’क पोटरी क¢◌ँ नालामे फेिक, द ुन ू हाथे माथ पकड़ि◌, नीचा जमीन पर बैिस हबोढेकार कान’ लगलाह।आब र ंजना क¢◌ँ छोड़ि◌ पिरवारक साम ू िहक ंदन सँ ान पीड़◌ादायक बिन गेल।माा र ंजना अिवचल ठार रहलीह आ श ू नजिर सँ सभ िकछु देखैत रहलीह।हम कोन तरहक िखा सुनाब लगलहु ँ। इहो को िखा भेलै? र ंजनाक िववाहलड़◌ाइक िसपाही संग भेल छलिन। ताहू मे एहन िसपाही सँ जिनक िनयुि कीर मेआतंकवादी सँ िभड़ मे भेल होअय। तखन त’ ाण जायब करीब-करीब िनितेछलै। त¢◌ँ र ंजना िवधवा बनलीह। अिह मे अजगुत बला को बात निह भेलै।द ुखक बात जँ रहै त’ एतबेटा जे जािह जाित मे र ंजनाक ज भेल रहिन ओिहजाित मे पुनिव र्वाहक िनयम निह रहैक। ओिह जाितमे आ सनातन सँ आयल पररामे िवधवाक िनदान हेतु को टा वा निह रहैक। र ंजना िवधवा भेलीह त’भेलीह। प ूव र्जक पाप ओ निह भोगती त’ के भोगत? त¢◌ँ ई माा ओह आओतबेटा बात भेल जेना मनता मानल को पाठीक बिल पड़ल होअय। आब अहा ँकहबै जे ई कोन तरहक िमलान भैलै? निह अरघै अिछ, त’ सुन ू।मनता मानल पाठी-छागरक बिल पड़◌ै काल बिल देिनहार, कब ुला केिनहार एव ं बा ँकीसभटा तमाशा देखिनहार एतबे सोचैत छिथ यौ जे हरिद, िमरचाइ आ मसा मेभूजल एकर मा ँउस मे कतेक सुआद हेतै? तिहना िवधवा भेिल र ंजना द’ सभसोच’ लागल छिथ जे ई आब सासुर त’ जेतीह निह, गामिह मे रहतीह। गाम मेसभहक टहल-िटकोरा करतीह, अदौरी-कुरौरी खोंटतीह, अँग मे भानस-भातकरतीह, एकरा-ओकरा संग तीथाटन र् जेबा काल भनिसया बिन क’ जेतीह आ छौ ंड़◌ा सँलगाित ब ूढ़बा तकक करेजक तपन मेटौती। त¢◌ँ बरसामबाली काकी कह रहिथन26


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्यौ, भगवान सभहक सभटा इजाम बैसले-बैसल ‘क’ दैत छिथन। द ूर जो, मनसासभहक लप-लप करैत िजा आ आिखक ँ खोराकक पितर् ू सिदकाल सँ बाल-िवधवे सँपितर् ू होइत रहलै अिछ। ई को कायल ग छैक?आब अही ं कहू जे मनता मानल पाठी आ िवधवा भेिल र ंजना मे की फकर्? कोतरहक िशकायत करब सेहो युि संगत निह होयत। त¢◌ँ आब नीक होयत जेअिह िखा क¢◌ँ अही ठाम िवराम द’ क’ ओही गाम मे ओही िदन घटल दोसर घटनाकजानकारी ा करी।गामक नाम भेल पानापुर। पानापुर मे सभ जाित, समुदाय एव ं सम्दायक लोककिनवास। गाम आिथ र्क पे स। ओिह गाम मे छल एकटा द ुगा र् मिदर, ं जे दस-बीस कोस द ूर तक िस छल। पैघ पोखिरक प ूबिरया भीड़ पर तीन-चािर बीघामे पसरल मिदर ं आ मिदरक ं पिरसर। मिदर ं मे द ुगा र्क भ ितमा। तकरबादम ंडप, पुजारीजीक आवास आ सिदकाल खल-खल हँसैत, , िवशाल समतल भूिम।दशहराक समय मे अही ान पर मेला, ट ंकी, नाच-गान आिद आयोिजत होइतछल।द ुगा र् मिदरक ं पुजारी छलाह काली का ओझा। द ुर-पातर, सा ँची धोती, खोंसल ढेका,छाती पर उगल पंिब हीक उपर द ू भा फहराइत जनउ, गौ-खँर ू बरोबिरटीक, पयर मे खराम आ ललाट पर सेरक ठोप। पुजारीजी सन आ म ृद ुभाषीछलाह। वैव त’ओ छलाहे आ साह मे अिधक िदन उपासे मे रहैत छलाह। मुदाहुनक पी अढ़◌ाइ मोनक पा छलिथन। थ ुलथ ुल देह, ख ुजल कारी केश, नाक सँमा ंग तक पितताक िनशानी प सेरक डरीर, पान-जदा र् द ुआरे कारी भेल दा ँतआ बीड़◌ी त’ ओ हरे सँ िपबैत आयल रहिथ। जँ ज ुमिन त’ िन मा ँउस-मा ँछचाहबे करी। द ू अगहनी जोड़ द ू री गुण द ू बरोबिर मिदरक ं बख र् भिरक अ-टाकाकआमदनी पर हुनक प ूण र् एकािधकार छलिन।पुजारीजी पीक सोझा मे आब’ मे कँ पैत छलाह। शारीिरक द ुब र्लता अथवा धािम र्कअजीण र्ता, कारण जे हौउ, पुजारी जी सिदकाल पी सँ डेरायल रहैत छलाह। तखनपुजारीजी के संतान प पुाक ाि भेलिन कोना? ई रहक िवषय अवेछल। मुदा अिह रहक छेदन नीित शास्ा ज्ञाता कइएक बेर क’ चुकल छिथ।27


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्हुनका लोकिनक असारे पित-पीक ह-नक्षा कतबो उल्टा-पुल्टा िकएक हौउक, चुरता एव ं पिरपता बेला मे कखनहु ँ काल अर्-िवराम प ूण र् िवराम भैएजाइत छैक। पुजारीजीक पुाक नाम रहिन यद ुनाथ ओझा। पैघ भेला परयद ुनाथक उपनयन भेलिन आ बख र् भिरक भीतरे िववाह सेहो भ’गेलिन।यद ुनाथक पी अथा र्त पुजारीजीक पुतहु जखन द ुरागमन भेला पर सासुर अयलीह त’हुनक अपम सौय र्क द ुआरे सूण र् पानापुर गाम महमही सँ गमिक उठल। यद ुनाथत’ अपन बापक काब र्न का◌पी छलाह। मुदा हुनक पी जिनक नाम छल कािमनी,तिनका जे देखलक सैह िवभोर होइत बाजल छलदृ”माइ गे माइ! एतेक पपुजारी जीक सुक-पेटार मे झा ँपल कोना रहतैक? को अनहोनी भ’जाइक?“अमीक िन राित। पानापुर गामक सभटा म भिर िदन नाच तमासा देखलक,इा भिर नशा केलक आ भिर पेट मा ँउस-भात खाए थािक क’ झ ुरझमान भ’ सुितरहल। मुदा चोर-उचा, अाचारी एव ं िभचारी िकक लोक क¢◌ँ राित मे िनहोइते छैक। ओहन लोक राितए मे अपन इा-पितर्क ू जोगार करैत अिछ।ओह राक्षस वितक ृ णी मे छल िबदेसरा कुएक। गाम मे एकटा अताल अवेछलै। मुदा डार मिहना, द ू मिहना मे किहओ काल अबैत छलाह। गामक ािवभाग कुएकक िजा छल। ओना सड़क-छाप बहुतो कुएक छल। मुदा िबदेसराकुएक सभ सँ तेज-तरार र् मानल जाइत छल। र-धाह राित-िवराित कख-ककरोभ’ सकैत छलै। तािह कालक भगवान छल िबदेसरा कुएक। ककरा मे एतेक साहसरहै जे िबदेसरा कुएक सँ तकरार किरतय। नाड़◌ी देखै लेल अथवा स ूइया भोंकैलेल िबदेसरा कुएक ककरहु आ ंगन मे कखनह ु ँ वेश क’ जाइत छल। ओकरा कोरोक-टोक निह रहैक।जिहया सँ यद ुनाथ द ुरागमन करा क’ अयलाह आ सुर किनआ ँक कार ं गाम भिरकछौ ंड़◌ा सभहक बीच इखा र्क म ू ितर् बनलाह तिहया सँ िबदेसरा कुएक हुनका मे अिधककाल सटले रहैत छल। चाह-नााक संग चोटगर-िमठगर गप-सप किह िबदेसराकुएक यद ुनाथक मोन क¢◌ँ मोहैत रहल आ अतः हुनकर अिभ िमा बिन गेल।एहना मे िजगरी यार िबदेसरा कुएकक फमा र्इस यद ुनाथ प ू ितर् कोना निह किरतिथ?28


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्ओही अमीक राित ब ुझ ू िनशा प ूजा िनिमे, द ुन ू यार बैसल रहिथ। ान छल यद ुनाथकशयन-कक्ष। पुजारीजीक आवास मे पिह छल कटा ख ुजल दरबा। तकरबादककोठली मे पुजारीजी पीक संग राि िवाम करैत छलाह। तकर सटले भंडार आभनसाघर। सभ सँ अ मे जे कोठली छल सैह भेल यद ुनाथक शयन-कक्ष।द ुरगमिनआ ँ पलंगक एक कात टेब ुल आ कुसीर्। देवाल पर िसमाक अिभा◌ीकनयनािभराम फोटोक बीच भगवतीक फोटो। िखड़की-केबाड़ पदा र् सँ झा ँपल।द ू गोट कुसीर् पर यद ुनाथ आ िबदेसरा कुएक आम-साम बैसल छल। बीचक टेब ुलपर एकटा फूलदार िवदेशी शराबक ख ुजल बोतल, पािन सँ भरल जग आ द ू गोटशीशाक िगलास राखल रहैक। ताही काल यद ुनाथक किनआ ँ कािमनी िछपली मे भुजलमा ँउस टेब ुल पर रखलिन आ पितक अिगला आदेशक तीक्षा मे एक कात ठार भ’गेलीह। हुनक गोरकी बािह ँ मे सटल किरका ब्ला◌उज ककरो एक बेर आरो देखीक’लोभ मे पटिक सकैत छल। िबदेसरा कुएक अपन नजिरक क क¢◌ँ कािमनीकउठल ब्ला◌उज मे भोंकैत बाजलदृ”यार, एतय सभ ठरा र् िपबैत अिछ। मुदा अहा ँलेल हम दिरभंगा सँ सय टाका मे असली अी ितशत ूफ अोहलबला ‘जीन’म ंगौलहु ँ अिछ। आब िबल निह क’ एकरा टे किरयौ।“द ू टा िगलास मे शराब ढारल गेल, पािन िमलाओल गेल, िगलास टकराओल गेल आतखन द ुन ू यार िपअब शु केलिन। मा ँउस िनघं िट गेल। को बात , कािमनीिछपली भरी भूजल मा ँउस फेर सँ अनलिन।यद ुनाथ पिहले पैग मे डोिल गेल छलाह। शराब पचेबाक हुनका काया रहिन आ ाइिटस। दोसर पैग समा करैत-करैत यद ुनाथक आिखक ँ िडा सँ टच र्कफोिंग बाहर होब’ लगलिन। तेसर पेगक आरे मे कािमनी फेर सँ भूजल मा ँउसआन’ चिल गेल रहिथ। जाबे ओ घ ू िम क’ एलीह ताबे हुनक नाथ पलंग पर िचतबेहोश पड़ल रहिथन आ हुनकर थ ुथ ून सँ सा¢◌ँ-सौ ंक अबाज सािरत भ’ रहल छल।कािमनीक हाथ मे तेसर खेपबला भूजल मा ँउसक िछपली छलिन। ओ थकमकाइत ठारभ’ गेलीह आ पलंग पर पड़ल अपन ामी क¢◌ँ टकटक देख’ लगलीह। िकछु समयलेल कािमनीक मिक सोचक य ंा मे क लािग गेलिन।29


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्बेगूसराय सँ खगड़ि◌या जेबाक ‘हाइ वे’क दिक्षण गंगाक तटपर बसल छल िपहुआनामक गा ँव। ओही गामक मिदरक ं पुजारीक का छलीह कािमनी। गंगाजल सँ घोअलमिदरक ं पिवा पिरसर मे कािमनीक ज आ पालन-पोषण भेल रहिन। सासु-ससुरकसेवा एव ं पितक आदेशक पालन करबाक बीज म ंा ल’क’ कािमनी सासुर आयल रहिथ।मुदा सासुरक वातावरण िकछु अलगे तरहक रहैक। सासुक बीड़◌ी िपअल मुँहक गंध सँकािमनी क¢◌ँ िमतली होब’ लागिन, असरधा होिन। मुदा ओ अपना क¢◌ँ रोकिथ आब ुझबिथद ृको बात निह। नव ान मे एना ायः होइते छै। सभटा अप आपठीक भ’ जेतै! केवल धैय र्क िनवाह र् चाही। यिप ई बात हुनका िकयो िसखौनिह छलिन। मुदा आन-आन नव िवआहिल का जका ँ एकर िवास हुनकर संार मेपिह सँ छलिन जे पित हुनकर रक्षक छिथ, परमेर छिथ। तखन िचंता किथक?मुदा एखन त’ हुनकर रक्षक, परमेर बेसुध भेल पड़ल छिथ। एख ुनका बयस तककािमनी क¢◌ँ नीक-बेजायक को टा ज्ञान निह भेल छलिन। त¢◌ँ कािमनीक लेलएख ुनका पिरिित अािशत आ ओझरायल सन छल। ओ काठ बनिल ठार रिह गेलीह।१. श ्यामसुर शिश-िवचार २.अंकुर काशीनाथ झा, ताजी पर तामश िकयैक उठैतअिछश ्यामसुर शिशिवचारिमिथलाक तवाही,सरकारी षडयन ् त अिछ ??संिवधानसभाक िनवा र्चन पश ्च् यात् मधेस चैनक सा◌ा◌ंस ् लेत ,िमिथला आरामसँ अपनिवकास आ कला—संस ्कृितक संरक्षण सम ्बर्नमे जूिट जाएत,तेहन िवश ्वास राजिनितकव ृमे ब ्याप ्त छल । राजिनितक िवश ्लेषकसभके कहब छलिन जे अिधकार वास ्तेमधेसभिर उठल पसाही िनवा र्चन पश ्च् यात् संसदमे ध ुध ुआएत आ सडक शान ्त भ जाएत। सशस ् सम ूहक बन ्द ुक सेहो सहज िनकास पाओत । मुदा से धिर भेल निह ।30


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्मधेसक अन ्यान ्य भाग थोर बहुत शान ्तो भेल मुदा िमिथलाक अवस ्था बद्सँ बद्रहोईत गेल । खासकऽ िमिथलाक सीमामे पडएवला धषा,महोरी,सलाही,िसरहा र् आसप ्तरीक अवस ्था त बेहाल भ गेल । तथ ्या ंक िदस दृष िटगत ् करी त िवगत तीनमिहनामे एिह मे लगभग एक सय सव र्साधारणकेँ हत् या भेल अिछ ।अपहरण,ल ूट,चोरी,डकैती आ मािर िपटक त लेखा जोखा करब मुस ्कील । सडकसँसंसदधिर पहुिचिनहार मधेसी जनअिधकार फोरमकेँ तालोकिन उपराष ्पित,उपधानमन ्ी,मन ्ी आ िक—कहा ँदनके पाछा ँ पिड, सडककेँ भावना िबसिर गेलाह अिछ। िकछुकेँ पाछा ँ निह पडवाक नाटक कएिनहार तराई मधेस लोकतानिक ् पाटीर्,का ँसकेँ नव संस ्करण जका ँ तीत भ रहल अिछ । जेकरा अशान ्त होएवाक चाहैतछल से अथा र्त संसद, शान ्त अिछ । सडककेँ शानितप ् ूण र् आन ्दोलनकारीसभ एखसंसदिदिस आशाक नजिरसँ तािह रहलाह अिछ जे कखन हमरालोकिनकेँ अिधकार भेंटत? अपन सहनशीलताके उत् कष र्धिर आम मधेसी आ मैिथल अपन ता आ संिवधानसभासदसभक शुभसंकेतक ितक्षा करबाक ण जका ँ कए अिछ । सम ्भवत ◌ः तेंसडक शान ्त अिछ । मुदा ई खामोसी िवहायिडक संकेत सेहो भ सकैत अिछ ।तेँ मधेसी दल,सशस ् सम ूह आ सरकार िवहािडक संकेत समयमे अकानिथ त वेस ।अन ्यथा आब उठएवला पसािह जूटक निह फूटक हएत ।साढे तीन करोड जनताक ६सय सभासद, ् साढे छ मिहनाधिर राजकोषक दानापानीचैनसँ हजम करैत रहलाह,मन ्ी—जन ्ी आ िक—कहा ँदन बनवाक जोगाडमे लागलरहलाह । आब हुनकासभकेँ आिख ँ ख ुजलिन अिछ जे—बापर◌◌◌◌ेसंिवधान किहया िलखब? हमरालोकिन त संिवधान िलखवा वास ्ते पठाओल गेल छलहु ँ । आ आब बनल अिछिविभन ्न सिमतीसभ । जे से, पुजारीके जेना देरीसँ मोन पडलिन जे हम पुषछी तिहना हमरासभक सभासद्लोकिनकेँ देिरएसँ सिह मोन त पडलिन जे हमरालोकिनसंिवधान सभासद ् छी,सा ंसद निह ।हमरालोकिन बात कऽ रहल छलौ ं ,िमिथलामे व ्याप ्त अशानितक ् िवषयमे । जेनािकप ूव र्मे अमान लगाओल जा रहल छल जे संिवधानसभाक िनवा र्चन पश ्च् यात् मधेस शान ्तभऽजाएत आ संसद अशान ्त होएत । से भेल निह । राजिनितक शास ्किसान ्तकेँ औठा देखबैत मधेसक सशस ् सम ूहसभक सकृयता आओर बिढ गेल ।िमिथला भिर हत् या,िहंसा,ल ूट,अपहरण,चन ्दा असुलीलगायतके घटनामे अपेक्षाकृत बिएृभेल । सरकारारा वाता र्क आानक बाबज ुदो हत् या िहंसाक घटनामे किम निह आिवरहल अिछ । आम नागिरक मा निह राजिनतीक िवष ्लेशक लोकिन सेहो खोजी करहलाह अिछ जे आिखर एकर पाछा ँ की कारण भ सकैछ ? राजिनितज्ञलोकिन सेहोछगुन ्ता मे छिथ । दोसर िदस आम नागिरककेँ मोनमे एक गोट श ्न उिठ रहलछैक जे िनवा र्चनकेँ ममे चुपचाप बैसल मधेसक सशस ् सम ूहसभ,फेरसँ िकया आकोना सकृय भ उठल ? संगिह िकछु श ंका उपश ंकाक जन ्म सेहो भेल अिछ ।31


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्एक गोट सहज सवाल जे सभकेँ झकझोिड रहल अिछ ओ ई जे—िक माओवादीत् वक वतर्मान सरकार िनितगत पसँ मधेसकेँ अशान ्त राखए चाहैत अिछ, मधेसकअशानितक ् फायदा उठा पुनः औपिनवेिसक शासन त करए चाहैत अिछ ??यिदसे निह त मधेसमे व ्याप ्त िहंसाके िकए निह रोकल जा रहल अिछ । मधेसआन ्दोलनकेँ ममे कएल गेल समझौताक कायानर््वयन िकए निह कएल गेल ? फेरसँमधेसी जनताकेँ ठकबालेल ? एक िदस सशस ् सम ूहसंग वाता र्क नाटक करब आदोसर िदस काय र्कता र्केँ हत् या करब ,कराएव । एहना सिथतीमे ् वाता र्क वातावरणकेाना बनत ?दोसर िदस मधेसक सशस ् सम ूहक ताजा गितिवधी सेहो श ्नक घेरामे अिछ । कीमधेसमे उत् पात मचा रहल द ू दजर्नसँ अिधक सम ूह मधेसेक वास ्ते काज क रहलअिछ ? यिद ई सम ूहसभ मधेसक वास ्ते काज क रहल अिछ तँ संिवधानसभाकिनवा र्चनकेँ बेरमे क छल ?ओ सम ूहसभक मा ंग की अिछ ?सैन ्य संरचना केहन छैक?आ ओ सम ूहसभ कोन ठाम सरकारसंग लडाई कएलक अिछ ? आ सभसँ महत् वप ूण र्जे मधेसक वास ्ते संघष र्र ओ सम ूहसभ मधेसमे चोरी,डकैती,हत् या,िहंसा,अपहरण करहल आपरािधक सम ूहसंग केहन व ्यावहार क रहल अिछ । मधेसक मिसहा कहएवलाएिह सम ूहसभक काज मधेसके सुरक्षा देब सेहो होएवाक चाही ?एिह तरहे देखल जाय तँ मधेसित वतर्मान सरकार आ मधेसक नामपर सशस ् संघष र्करएवला सम ूह, द ुन ूक दृष िटकोण ् नकारात् मक छैक । द ुन ू िमलीक मधेस आ मधेसीकेँशोषण,दोहन आ तवाह करवाक काज क रहल अिछ । मधेसक नामपर सशस ् संघष र्करएवला िकछु सम ूह सव र्साधारण व ्यक् ितकेँ अपहरण करैत अिछ,िफरौती लैत अिछ आपुिलससंगे आधा आधा भाग बण ्डा लगवैत अिछ । सशस ् सम ूहसभ पिह हिथयारखरीद करबाक नामपर चन ्दा असुली अिभयान चलबैत छल । आब त ईहो कहलजाईत छैक जे —हमरा काय र्कता र्के पुिलस पकड अिछ ,ओकरा छोडएवाक वास ्तेचन ्दा चाही ।धषाक महेन ्नगरमे एक गोट घटना हालिह घटल अिछ—अपहरणकारीके पकडलजएवाक मा ंग सिहत उमामपुर आ िकसाननगरके ामीणसभ महेन ्नगर ईलाका हरीकाया र्लय घेराउ कए छल । सिथती ् बेसम ्हार भेलाक बाद पुिलसके गोली चलावएपडलैक आ एिह ममे संजय कुमार साहनामक एक युवक घायल सेहो भेल ।एिह तरहे यिद पुिलस अपहरणकारीके संरक्षण दैत छैक त अपराध कोना िनयन ्णहेाएत ? जनकपुरमे एक सरकारी कम र्चारीके हत् याक बाद सरकार िमिथलाक एिहपाच िजल ्लामे िवशेष सुरक्षा रणिनती बलक अिछ । एिह सरकारी रणिनितससँअपराध घटओ वा निह मुदा िमिथलाक जनता आओर तवाह हएत से धिर पक् का अिछ।32


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्सन ्दभर् ◌ःराम—जानकी िववाह महोत् सवद ुलहा बनल ीराम हे ऽऽऽ◌◌◌◌अगहन शुक् ल पञ् चमी । द ु िनया भिरक िहन ्द ुसभक वास ्ते ितक्षाक िदन । कारणएिह शुभ ितथीमे माया र्दापुषेाम ीराम आ आदश र् नारी सीताक िववाह भेल रहिन। जािह ितथीक एतेक िबकलतास ू ितक्षा कएल जाईत हो,ओ स ्थान कतेक पिवहोएत ?कल ्पना कएल जा सकैत अिछ । स ्वाभावत ◌ः राम—जानकीक िववाहभेल धरतीकेू स ्पश र् कऽ लोक धन ्य धन ्य होवए चाहैत छिथ । सोिचयौ ं जेजनकपुरवासी कतेक भाग ्यमानी छिथ,जिनकर जन ्म एिह पावन धरतीपर भेल छिन ।ओ पावन धरती आ एिह धरतीक ितपालकसभ एिह सप ्ताह अपन िय सीता आ प ूज ्यीरामक िववाह ध ूमधामस ू कएलिन अिछ । एक सप ्ताह धिर चलल एिह िववाहमहोत् सवमे मा जनकपुर आ िमिथलावासी अिपतु भूगोलक कोना कोनाक िहन ्द ुसभअपन अराध ्य देवक िववाहमे सहभागी भेलाह । िमिथलामे सीताके बेटी आ बिहनकपमे मान—सम ्मान कएल जाईत छिन । स ्वाभावत ◌ःद ुलहा रामके जयाय आबिहक पमे । ईतर िमिथलावासीके आश ्चय र् लािग सकैत छिन जे जहन ीरामकेडोला(ितमा) िववाह वास ्ते जानकी मनिदर ् वेश करैत अिछ त मैिथलानीिगितगाईनसभ हुनका गाडी पढैत छिन आ पुछैत छिन—रामजीस ू पुछय िमिथलाक नारीबतावऽ बब ुवा एक गोर ,एक कारीबतावऽ बब ुवाऽऽऽ◌◌◌◌◌अथा र्त हे राम । जवाफ िदय,एक भाय गोर(लक्ष् मण)आ एक भाय कारी(राम) कोनाभेलौ ं । यिद एके गोट िपताक द ुन ू पु छी त एके र ंगक होएवाक चाही ??? मैिथलानीसभक पुछवाक तात् पय र् छिन जे अहा◌ूक द ूगोट िपता त छिथ?राम सीताक िववाह एहन िवलक्षण आ मरम वातावरणमे होईत अिछ ।राम जानकी िववाह महोत् सवके श ंगमे जानकी मनिदरके ् महन ्थ रामतपेश ्वर दासवैष ्णव सीताक िपता अथा र्त जनकके पमे स ्तूत भेल करैत छिथ आ राममनिदरके ् महन ्थ राम िगरी रामक िपता अथा र्त दशरथके पमे । सात िदवसीय एिहिववाह महोत् सवमे धष यज्ञ,ितलक,मटकोर,सेरदान आ मया र्दी भोज(रामकलेवा)सेहो होईत अिछ । द ुलहा पक्षीय ीराम युवा किमटीक युवा—युवती एव ंसरकारी काया र्लयके मुखलोकिन बिरयातीक पमे सहभागी भऽ ढोल िपपही एव ंअंजी वाजाक ध ूनपर िडस ्को सेहो कएलिन । जनकपुर नगर पािलकाक पदािधकारी33


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्आ नागिरक समाजक अगुवालोकिन सिरयाितक पमे बिरयाितसभके स ्वागत कएलिन। हूसी मजाक आ र ंग अिवरक मद र्न त िमिथलाक वैवािहक िविधक अिभन ्न अंे अिछ। सेहो भेल । मा सीता दाईके िववाहमे ओ सभ िकछु भेल जे हम अहा◌ूअपन बेटी,बिहन वा भितजीक िववाहमे करैत छी ।िमिथलाक वैवािहक िरितिरवाजके सभस ू आादक पक्ष अिछ, एिहमे गाओल जाएवला गीत। सा◌ूच कही त मैिथलके िववाहमे पोती पतरा लऽ उपसिथत ् पुरोिहतोस ू बेसीमहत् वप ूण र् होईत छिथ,िगतगाईन दाई—माईलोकिन । आ जहन राम सीताक िववाहभऽ रहल होईत अिछ त मैिथलानीलोकिन बड आवेशस ू गाओल करैत छिथ—िमिथलाक िधया िसयाजगत जनिन भेिलद ुलहा बनल ीराम हेऽऽऽअंकुर काशीनाथ झा, गाम -- कोइलख, िमिथला ंचलताजी पर तामश िकयैक उठैत अिछ॥िवगत िकछु िदन सऽ ता के ित लोकक सोच बदैल गेल अिछ। ता सबहकजे छिव साम ऐल अिछ ओ लोक के भािवत कम केलक। एिह मे नकाराकसंदेश बेसी अिछ। िजनका लोक सब एक िदन समाज के मादिश र्त करबाक लेलआग ू आनई छैथ। एकटा पहचानक संग ठाढ़ करई छैथ। आई हुनका वैह लोकसबगिरया रहल छिथन।34


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्आब उठैत अिछ जे एकटा िजेवार आ पथ दश र्क ि के ित लोककमोन में नकाराक सोच िकयैक घिस ू गेलैन अिछ ? दरअसल एकाएक ऐना निहभेल अिछ। बि पिछला िकछु साल में ता सबहक हावभाव, िवचार, भाव आ काजकरबाक नीित में ऐल पिरवतर्नक ई द ुिरणाम अिछ। एकरा लेल ता यं हद तकिजेवार छिथ। ओ सब ता शक पिरभाषा के बदैल कऽ रािख देलैन अिछ। ओसब राजनीित के मा एटा वसाय ब ुझऽ लगला अिछ। ओ सब चुनाव के एकटावसाियक परीक्षा जंका योग करैत छैथ। समय के संग परीक्षा में भीड़ बढ़ि◌गेल अिछ। तािह ं भीड़ सऽ आग ू िनकलबाक लेल आ खबिर मे रहबाक लेल मजब ूरभऽ कऽ ता जी सब िवकासक काज छोड़ि◌ फालतू आ तकर्िवहीन बयान दैत रहैतछैथ। हुनका सब के एिह गप सऽ को मतलब निह छैन जे हुनकर वक असिरकते द ूरगामी आ घातक भऽ सकैत अिछ। ई घटना ककरो सऽ कैल निह अिछ,जे राज ठाकरे एकटा चुनावी परीक्षा में फेल भेला के बाद अपन मुखारिबू सऽएहेन िशगुफा छोड़लैन जे महारष् के हालात बदैल गेल। गैर िजवारप ूण र्बयानवाजी केला पर को तरहक सख्त सजै निह भेटबाक कारण ताजी सबहकहौसला आरो बढ़ि◌ जैत छैन। यैह कारण अिछ जे देशक केीय म ंीजी सबआतंकी घटना में िल संगठन िसमी पर सअ ितब ंध हटेबाक वकालत करैत छैथ।हुनकर सबहक िनल र्ता तऽ तखन आर हद फािन जैत अिछ जखन अमर िसंह आअंतुले साहब एक टा शहीदक शहादत पर िच लगा दैत छैथ। एिहना एक बेरतऽ एहेन लागल जे केरल के मुम ंी जी सिठया गेला अिछ। मुम ंी जी एकटाशहीदक पिरवार के गािर दई सऽ परहेज निह केलिन। एकर सबहक ऐके टा कारणछै। वोट इका कऽ चुनावी परीक्षा में पास भेनाई। ई सब कऽ कऽ जखनताजी सब चुनावी परीक्षा पास करैत छैथ तऽ ओकर बाद हुनकर सबहक एक टामा ल रहैत छैन। को तरहे बेसी सअ बेसी पया कमेनाई। जखन गपपैसा के आग ू पाछू घ ूमअ लागैत अिछ तख एिह तरहक खेला होयत अिछ।ऐना में साव र्जिनक तौर पर एकटा सवाल उठैत अिछ जे एिह िित में आम लोककी करैथ। जे सब िकछु देखई आ सहै लेल मजब ूर छैथ। मुंबई में भेल आतंकीहमला के बाद अचानक हुनकर सबह ओ तामस जे सालो सअ मोन में दबल छलैन,बारह िनकैल गेलैन। िकछु गोटे मीिडया के साम आिब कऽ अपन तामस िनकाललातऽ िकछु गोटे एकब भऽ िकछु कालक लेल सड़क पर उतरला। एिह सअ बेसीकओ की सकैत छलाह। लोक लाचार छैथ। िववस छैथ। िकयैिक िवकहीन छिथ।हुनका ककरो ककरो तऽ ता बबाक छैे। लोकतािक ं ढ़◌ा◌ंचा एहेन छैक,जई में ता जरी छई। आ ओ ता आम जनता ारा चुवाक छई। बेसी सऽबेसी आम जनता एक के बदैल कऽ दोसर के चुिन सकैत छिथ। मुदा रहता ओहोता। मा शरीर बदलैत छैक। शरीर बदलला सऽ कृ मे को बेसी बदलाव35


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्निह होयत छैक। िकछु बदलाव के ज◌ॉ उीद कैल जैत अिछ तऽ जरी निहअिछ जे ओ बदलाव सकाराके हुवै। ता के िवशेष ि निह होयत छैक।बि ई नाम अिछ ओ िवशेष व के, जकर अलग धम र् होयत छैक। अलग इमानहोयत छैक। आ अलग पहचान होयत छैक।एकरा लेल एकटा गप अकाटय अिछ, आ ओ अिछ जे एिह िवशेष व के ता आिववेकिहनता के हद तक पहु ंचाबई में हमर, अहा ं के आ हमरा सब के कनी कनीयोान अिछ। िकयैिक जान अनजान मे ज◌ॉ िकयौ एिह सऽ कनी अलग हिट कऽकाज करैयो चाहैत छैथ तऽ हुनका सहजताप ूव र्क ीकार निह कैल जैत छैन। ओिहसमय लोकक मोन में पिरवारवाद, जाितवाद, वाद आ पाटीर्वाद एहेन िकटाघोिसंया जैत छैन जे ताल हुनका पथ िवचिलत कऽ दैत छैन। आ एकरेपिरणाम द ूरगामी आ घातक होएत अिछ। फलप बाद मे हम सब पछतैत रहैतछी। जे आई सबहक सम अिछ।१. अयोानाथ चौधरी-द ू प २.एकदन ्त हाथी आ लखा हार-ब ृषेश चन ् लाल३.कुमार मज कप- नव वष र् ४.एत' आ ओत’- अनलका ५.मच िम- अनामकथाद ू प_________अयोानाथ चौधरीअत; आइ हम िदशकेँ प िलखवाक लेल उत भेलहु ँ अिछ । कागत-कलम सब द ु १९६९, मा ठीक ३६ वष र्क बाद । एतेक नर अराल ! कीब ूझत ओ ? खीझ होइत अिछ हमरा जे जीवनमे एंकटा उाही प लेखक िकएकनिह विन सकलहु ँ हम ? एकटा सफल दािय िकएक निह िनभा सकलहु ँ हम ? जकराहम प िलखाक हेतु उत भेलहु ँ ओ हो त किहयो िलखवाक वात सेिच सकैत छल। खैर शआत हमरेसँ रहओ । ओकरा हेतु हमर प एकटा अािशत घटनासािवत हेतैक – ’अ सराइज’ आ, जौ ं ओ जीिवत निह हो ............ ? बहुतनर अराल भेलैक ! प िफता र् आिब सकैत अिछ .............ओिह पर “डेड’जा म ृत का संकेत रिह सकैत छैक । एतेक िनराशाजनक वात निह सोचवाकचाही । ओहना िितमे पोमैन प फािर-फेिककऽ अपन मथ-द ुी सँ म ृभऽगेल रहत ।ई समय प िलखवाक अकूल +{बहुत अकूल व ुझा रहल अिछ । दशमीमे सबगाम अबैए- ओकरो जर गाम आवक चाही । तावत ओकर पी, बेटा वा वेटी36


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्केओ के ओ प सहेिजकऽरािख दे रहतैक । जाइ जमानामे हम सव –’ैज ुएशन’ के रही, ओइ िहसाव सँ ओ जर को करी मे हैत िकएक त’ नीकिवाथीर् रहय । पता निह – पटना वोकारो, टाटा, िदी कतऽ अइ..... आिक सुद ुरदिक्षण केरला, मास-निह जािन कतऽ ?/चािर वष र् संगे अिभ रहवाक कार ओकरा प िलखवामे एकटा ’पेन ड’क मजा आओत । सबसँ पिह तँ’ ओकरा पिरवाक हुिलया लेवऽ पडत । ओकरापिरवारमे के सब छैक ? के कतऽ की करैत छैक ? पक िसलिसला जौ चालुभऽ जायत त कालारमे इ हो ब ूझऽ मे आिव जायत जे ओकरा एकटा मकूलपी भेटलैक की निह..... आकी को ना शेष जीवन िवतावऽक ममे अइ ।याददाश्त वा फेहिर रहत । तिहया सी. एम. कलेजक आलीशान आट्स र् कनव हेवाक कार िवुल को सुर कागज पर पारल र ंगीन ना व ुझाइक – पाकर्जका ँ । जतऽ जाउ जेना पक्षीक झ ु आ कलरव पसरल । िवशाल पुकालय ।वागमतीक मरम आ खतरनाक िकछेर । रहमय ं गर्-कामन-म । िविभिवषयक अलग ’िडपाट र्मेट’ आ ओ रहमय कोठली, उपर हेवाक कार, छासबकौखन काय र्वश, कौखन अरो, को ’सरसँ भेटवाक वहानामे उपर भीड कऽदैक। परु’ जखन ’हुसैन’ साहव मा वाइस िपल अपन ’चैर सँ ’ बहार भऽकेवल तजर्नी उठवैत छलाह तखन सब िसड़हीसँ नीचा भगैत छल – कान – कपारफुटवाक – टा ंग टुटवाक कोटा डर निह । हमरा सभक ूपमे एकटा रीिनता नामकलड़की छिल ’जकरा मा’ कार ितिदन कालेज पहु ँचा जाइक । ली आ सरतीकअप ूव र् संयोग ! मा ंजल अंजी वजैत आ िलैत छिल । फ इयरमे ’िवदेह’मेजे ओकर लेख छपैलक से लाजबाव रहैक – शीष र्क छल “Exclusively ours “| लेखमाफ र्त ओ ओकरा सभक कोठलीक पदा र् हटा भीतरक बहुत रास रहोदघाटन कए छिल। मुदा ओ एक बष र्क बाद निह जािन कतऽ चल गेिल ? धनीक बापक वेटी रहए। ाय: ओ कलेज झ ुझाअन लागल हेतैक ।“ Exclusively ours” एख किहयोकाल पिढ लैतछी मुदा शीष र्कक ताय र् व ुझवामे एख माथमे बल देवऽ पडैत अिछ।एकटा और घटना जकर हम सब किहयो निह िवसिर सकब । हम सव िव छीजे जौ प लेखनक शुआत िम िदश राय िदससँ होइत त ओहो ओइ घटनाकचच र् जर करैत । हम सव भावान रही जे ओहो को ’नी’ टाइटलवाली हमरेसभक ुपक छिल आ व ंगािल छिल । ओकरा आिखमे ँ वावमे एहन एकटा चमकछलैक जे आई ३६ वष र्सँ कतौ अऽ निहं अभरल, पता निह ओ आिख ँ कतऽ अइ? ओइ बड़का – बड़का आिखमे ँ ओ चमक िवमा छैक वा मलीन भेलैक अिछ ?जे िकछु । मुदा सारा काजेज ओ जाद ुई आिख ँ देख छल – देखैत छल ।अनहोनी भाऽ गेलै । एकटा हमरे सवहक सहपाठी लड़का ओकरा नाम पर – ओकर37


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्नाम लैत जहर खा लेलक मुदा समये पर अताल पहुचाओल गेल आ जान विचगेलैक । जंगली आिग जका ँ वात सौसे पसिर गेल । मुदा ओकरा लेल धन-सन। को ितिया को हलचल – सव िकछु िवुल सामा । असलमे एकतरफा म छलैक । वात ओकरो तक जर गेल हेतै –लेिकन ओ वेहद गीरजे छिल । Eng. Hons. Gr oup मे ट◌ॉप कैलक । मुदा ओ जमाना वड़ वेजाएछलैक । लड़का – लड़कीमे बाता र्क संचार निह होइत छलैक । लाख कोिशशक वादहमरा आ िदशक मुँहसँ कं ाुलेसन श निह फुटल – निहए फुटल ।कालेज आ संवेदनशील घटना – संवेदनशील घटना आ कालेज – जेना एकदोसरक पया र्य रहैक । कतेक वात भेल । कतेक घटना घटल । मुदा पिहपाचारक म त शु होवऽ । िदश वहुत वातक जानकारी करा सकैए – ओिहपािन क’ जे अइ । जभूिम आ कम र्भूिम पाल भेलाक कार बहुत रास अपनलोक छुिट गेल । ओना सीमा निह ब ुझाइत छैक मुदा सकर् जे टुिटगेल अिछ ।मुदा एकटा वात । एिह सि-ल पर जीवाक अपन मजा छैक । कौखनउरािभमुख, कौखन दिक्षणािभमुख । द ूटा संृित िमित जीवनक उुता – जिनुपुछू । पहाड़क गीत खोलामे झहिरकऽ समुक लहिरमे िवलन भऽ जाइत अिछ ।भास द ू-मुदा भाव एके –ऐन-मेन । “जहा ँ जहा ँ वाछौ ितमी, म पाइला विनपयाई रहछु “ तु जहा ँ-जहा ँ चलेगा, मेरा साया साथ होगा” ।पहाड़क गीतक सभर्मे १९७१ ई. क एकटा सा ंझ मोन पडैत अिछ ।काठमाडौ सँ द ूर उर वालाज ुउानसँ उपर पहाडीपर Engl i sh LanguageTr ai nni ng I nst i t ut e ारा आयोिजत वनभोज समारोह । नाच करैए ओसव । कोन लड़का-कोन लड़की-नाचमे फकर् निह व ुझायत । िनिव र्कार । िनिव र्कारभऽ नाचत आ गाओत । मुदा एर, अपना समाजमे ल कलाके ुिटता निहहोवऽ दैत छैक । गीत गओलक राममिण । सूण र् मली अिभभूत आ म ंमुभऽ गेल । पहाडमे केवल िनजीर् व पाथरे निह होइत छैक । एकटा िशक्षाथीर् –एकटा िशिक्षकाक आिखसँ ँ र झहडऽ लागल आ सम वातावरण जेना जड़ भऽ गेल।, ओ गीत एख किहयो काल हंमरा मन-ाणके जेना आोिलत कऽ जाइत अिछ– “कोई जव तुारा दय तोड़ दे .......... “ द ुम पहाडी गाममे एह गीतगाओल जाइत अिछ- आ ओतुो लोक ओकर ताय र् बिझ ू िवभोर भऽ जाइत अिछ –हमरा आय र् लािग गेल ।ओइ िदन हम पहाडक आिख ँ रायल देख रही । । िनेह ।हमरा जत सैकड़◌ौ-हजारो वष र् पिह, को युगमे ओइ गीत सँ बहुत बेसी,कैएक गुना वेसी दद र्-भरल गीत सुिन पहाड जे कण न के हैत तकरे38


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्फलप एतेकं नदी नालाक ज भेल हैत । बहुत सव गायक ंय Adam छलहैत आ सुनिनहार ओकर यसी Eve ।राममिण शमा र् ओिह िदन सँ हमर अिभ भऽ गेल । ओकर आ और कतेकसाथी सभक पता हमरा डायरीमे ओिहना पड◌ल अिछ । आव त डायरीक प जीण र्-शीण र् भऽ पीयर भऽगेल अिछ । आइए ३४ वष र्क वाद एकटा प हम और िलखव,एख िलखव .........।१ जनवरी ,’०५जनकपुरधामिदश भाइ,नव वष र्क हािद र्क म ंगलमय शुभकामना । आशा अिछ िलफाफ पर हमरनाम पढलाक बादहमरा िचऽ मे एको क्षण देरी निह लागल हैत । ओना िकछु चौकल जर हैव ।से त भािवके ..........। को अपराध वोध निह भऽ रहल अिछ । एकटा पुछै िछयऽ । जीवन एना जिटल िकएक भेल जा रहल छैक ? कतेक वेर िवचारकरैत छलहु ँ ............ आई िलखैछी, काि पे िलखव .......... मुदा आई ....... जावतद ुन ूप हम िलिख निहलेव, तावत हमराअ चैन निह ........... चैन निह .............।शाि सदन, ढुहवी-१(धषा)ब ृषेश चन ् लाल-एकदन ्त हाथी आ लखा हार39


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्कछमछी छुिटते निह छैक । जखनसँ मकवानपुरक सेनगढ◌◌ी दरबार देिखकए िफरिलअिछ ओकर मसितष ् ्कपरइन ्कुमारी छाएिल छैिक । १४ बष र्क इन ्कुमारी बाल राजकुमारी । लगैत छैकजेना ओ सभिकछु त् यक्ष देिख रहिल हुअय । सोन।चानीक महीन कढ◌◌ाईसँ युचमकैत नीच् चातक सोहराइत घघरा, िनतम ्बतक लटकल कारी केशमे कलात् मकगुहल चोटीसँ सज् िजत माथपर हीरा जड◌ि◌त मुकुट, डरकशसँ नापल गोल िगरहसनकडा ँड◌, बािहपर ँ चमकैत बाज ुबन ्द, हीरा।मोती आ र ंगिबर ंगी रत् न जड◌ि◌त हारसँ सुशोिभत कक् के उठल वक्ष, कानमेझ ुमैत झ ुमका आ कण र्फूल आिद।आिद ।राजकुमारीक जाज ्वल ्य सौन ्दय र्क काल ्पिनक ितमिर् ू ओकर मानसपटलपर िनरन ्तरिबमिबत ् भ। रहल छैक । ओिह राजकुमारीक दैवी सौन ्दय र्क चच र् कोना गोरखापहु ँचल हएतैक ? सभिकछुमे राजकीय सा तथा शस ्।शिक बढ◌◌ोरीकयोग।ास देिख िनण र्य लेबएबला ध ूर् गोरखा युवराज प ृथ ्वीनारायण शाह आ ओकरसशस ् मण ्डली एिह मादेँ कोना अपन ितिया देखओ हो◌ेएतैक ? कोना पिहराजाक खोपीसभाआ फेर तकरबाद भारदारीसभामे◌े मकवानपुरक राजा हेमकण र्सेनक सुता राजकुमारी इन ्कुमारीसँ प ृथ ्वीनारायणक िववाहक स ्तावक योजना बनलहएतैक ? । आिद।इत् यािद करणसभक दृश ्यसभ ओकरा आगा ँ जेना सजीव भएएक।एक कए आबए लागल छैक ओ फेर करोट बदलैित अिछ । ओही कोठरीमेलगले मायसंगिहं दोसर चौकीपर सुतिल आ कक् के काल पिहतक फुसुर।फुसुरबितआइत बड◌की भौजी ओकर कछमछी पकड◌ि◌ लैित छिथन ्ह, । “मिणदाइ, िनन ्ननिह होइअ ? िकछु होइअ की ?”“निह, िकछु निह उ” । भाउजक श ्नसँ ओ अकचका जाइित अिछ ।“ तँ ओना िकआ अहुिरया कटैित छी ?”। बड◌की भौजी जेना कछमछी ठेकािन रहिथन ्ह ।“निह, िकछु निह होइअ । खाली वहए मकवानपुरगढ◌◌ीक दृश ्य आगा ँ चिल अबैतअिछ । ◌◌◌ हेमकण,र्इन ्कुमारी आ िदगबन ्धन सेनक िखस ्सा मोन पड◌ि◌ जाइत अिछ उ” । ओअपनाित भाउजक िचन ्ताकेँ हटाबक कोिशश करैित अिछ । मुदा बड◌की भौजी40


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्अपन स ्वाभािवक व ्युत् पन ्नता छोड◌यबाली निह छिथन ्ह । चट् दािग दैित छिथन ्ह,।“ आ की केओ ओतय मोनमे उतिर गेल अिछ ? माय, देखथ ुन ्ह , मिणदाइकमोनमे केओ चढ◌ि◌ गेल छनिह ् बेटासभकेँ िश वर खोजय कहथ ुन ्ह । देखैछिथन ्ह, कोना करोट पर करोट फेरै छिथन ्ह उ” माय ब ुझाइअ औंघा गेिल छिथन ्ह। ननिद।भाउजक गप ्पमे ओ को उर निह देलिखन ्ह ।मिणकेँ भौजीक एख ुनका पिरहास नीक निह लगलैक । चुप ्पे आ ं िख मुिन लेलिक ।सोचय लागिल, ।“खालीिबआहेटा को जीवन छैक ? िबआह तँ मुदा ारम ्भ अिछ । िबआहक बादकसहयाा िथक जीवन उ की नारी सभिदन अनिचन ्हारे सहयाीक तीक्षा करैितरहित ? आ कतेको इन ्कुमारी अिहना जीवनक यााक पिहलुके पड◌◌ाओपर अपनसहयाीक ितक्षा करैित ासदीक खाढ◌ि◌मे ढ◌केिल देिल जाएित ।आ ओकरसहयाीसभ ओकरा अनभुआर जंगलमे एसगर ठाढ◌कए भगैत रहत । संग निहदेबकलेल अनल आ अनसोहा ँत असम ्भव शतर्सभ आगा ँ बढबैत रहत ? बेटीसभअिहना चीज।वस ्तु जका ँ िनजीर् व नारी बिन तील।तील क। जड◌◌ैित रहित ?”आोश जेना मिणकेँ भीतरसँ आओर छटपटा दैछ । ओ एकबेर फेरो करोट फेरैितअिछ । बड◌की भौजी ायः सुित रहिल छिथन ्ह । राित बेशी चढ◌ि◌ गेल छैक। ओहो अपनाकेँ श ून ्य करक यत् न करैित अिछ । िनन ्नहेतु मनसँ बल करैितआिख ँ मुिन लैित अिछ ।राजकुमारी इन ्कुमारीक कक्ष । पलंगपर बैसिल राजकुमारी । उदास मुदा आिखंआोिशत लालतेस उ मुहँ लड◌कओ ४/५ सखीसभ चाकात घेर । ककरोपदचापक ध ्विन अबैछ । सभ साका ंक्ष भ। जाइछ । राजकुमार िदगबन ्धन सेनवेश करैत अिछ । िफिकरसँ गलल मोनपर उदासी स ्पष ्ट छैक । सखीसभ्सिथरसँ ् बहरा जाइछ । िदगबन ्धन । बिहन उदास निह होअअ उ िनण र्य भ।गेलैक । हमरासभ अपन बिहनकहेतु सभ िकछु न ्योछावर क। देब । बिहनकभिवष ्य आ एिह क मया र्दाक आगा ँ एकदन ्त हाथी आ लखा हार म ूल ्यहीन आतुच् छ अिछ । इन ्कुमारी । ( दौड◌ि◌कए अपन भायक छातीमे माथ सटाएकित ) निह, भाई निह । आब सेन राज ्य आओर मानमिद र्त निह हएत ।बहुतभ। गेलैक । एकदन ्त हाथी आ लखा हार हमरा।आहा ँक निह एिह राज ्यकसम ्पि छैक । जनताक सम ्पि एकगोट राजाक बेटीकेँ दहेजमे निह िदआ सकैतअिछ । ओ सभक धरोहर छैक । एकदन ्त हाथी केओ कमाएल निह अिछ , एिह िवशेषक हेतु कृितक िवशेष आ अपम उपहार िथकैक । एहन गल ्ती जिनुकरब ।41


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्िदगबन ्धन । अपन जमायकेँ संतुष ्ट निह करय सकब एिह महाभारतक आगोसकसम ्प ूण र् मध ्यक मया र्दाक िवपिरत हएत । इितहासमे हमरासभकेँ कोसल जाएतबिहन जे सेन राजा अपन बेटीक िबरागमन दहेजक आभावमे ८ राजा, रानी,युवराजक व ्यिगत कोठरीके पिह पाली दरबारी भाषामे खोपी कहल जाइक । दरबारक सल ्लाहकारसभके भारदार कहल जाइक ।निह क। सकल । जीवनधिर बेटी िववाहोपरान ्त हरेमे रिह गेल । निह बिहननिह आब समय निहछैक तैयारी मे लागलजाय ।इन ्कुमारी । आ ई निह जे सेन राजा अपन अब ुझ जमायक अनल मा ँगक आगा ँझिक ु गेल जे सम ्प ूण र् राज ्यक सम ्पि सेनव ंश एकगोट ब ुनल षड◌यन ्क कारँगोरखाक राजाकेँ िववश भ। चढ◌◌ा। देलकैक ।हम निहजाएब । हमहु ँ अपन सम ्प ूण र् जीवन न ्योछावर क। देब द ु िनया ँकेँ देखा देबैक जेएिह क नारी चीजनिह स ृष िटक ् बीज अिछ । मानक माथ आ त् यागक िशष र् अिछ ।िदगबन ्धन । आह, बिहन उ एहन जी जिन ु क । भ। सकैछ , एिहसँ एिहराज ्यक सुरक्षापर सेहो असर पड◌य ।इन ्कुमारी । तँ क यु राज ्यक असिमताक ् लेल यु करब, आवश ्यक पड◌लापरशहीद हएब आहा ँक धम र् िथक ।राज ्यक सुरक्षापर को असर पड◌◌ैत अिछ तँ उठाउ तवािर हम नारी छी ।नारीक असिमताहेतु ् , अपनपिवताहेतु अपनाकेँ न ्योछावर करब हमर धम र् िथक ।नारी सभ िकछुसँ दिब जाएतमुदा ओकर पिवताओकर स ्वािभमान आ नारी् व ओकर ाासँ बढ◌ि◌कए िथकैक । हमरा उपहारकवस ्तु निह बनाउ, भाई उ42


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्िदगबन ्धन कक्षक चाकात आहत बाघ जका ँ ध ुमय लगैत अिछ ।धम ्म द। बिहनकपलंगपर बैस जाइत अिछ आ ओकर माथ झिक ु जाइत छैक ।इन ्कुमारी । आहा ँ तँ अँड◌ल रिहऐक भाई कोना झिक ु गेिलऐक ? कर्व ्यपरबिहनक ममताक छार पड◌ि◌ गेल अिछ ।सेन राज ्यक राजकुमारकेँ राज ्यक गौरव रक्षा करब पिहल काज छैक । बिहनकममता निह ।हम तिहयेकह रही । गोरखाक िरितिरवाज, राज ्य ापितकहेतु ् िकछु करक चलन, ठगीसंस ्कारक बारेमे सोिच िलअ ।िलगिलगक चौरीमे चोरी क। बनल राजाक स ्तावमे जर िकछु षड◌यन ् हएत। मुदा हम तँ १४हे बष र्मेआहा ँसभक बोझ बिन गेल रही । शायद को ुिट भेल रहय तै ँ एहन खानदानमेहमरा फेकक िनण र्य कएलगेल ।िदगबन ्धन । निह , बिहन उ अनजानमे भेल गल ्तीक कारँ दयमे आओरो हारनिह क । अपन गल ्तीक आिगसँ ई अप दग ्ध आ तप ्त अिछ । आहा ँहमरासभक गौरव छी । हमसभ तँ उरक सभसँ शिशाली राज ्यक रानीक पमेआहा ँकेँ देखय चाहलहु ँ ।इन ्कुमारी । शिये ाप ्त कएलाक कारँ केओ नीक निह भ। जाइछ, भाई ।गुम ्बजपर बैसल कौआ सभसँ नम ्हर निह भ। जाइत अिछ ।िदगबन ्धन । इन ्कुमारी , हमर सोनसन बिहन उ (स ्वरमे िकं कर्व ्य िवम ूढ◌तास ्पष ्ट अिछ ।)इन ्कुमारी । एकदन ्त हाथी आ लखा हार दैये देलापर आहा ँक बिहन ख ुश रहत? िनबाध र् सासुर भोगत तकर को िनशिचत ् ठेकान छैक ? कालिह ् कतहु ँ आओरिकछु निह मािग ँ लेअय ? सबसँ पिह ओसभ िववाह होइतेचतुथीर्योसँ पिह बिरआतीये संग िबदागरीक मा ँग कए रहए । हमरासभकिरितिरवाजपर अपन चलन43


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्लादक कोिशश कए रहए । एकरा संस ्कृित आ परम ्परापरक आमण ब ुझ ू । आबदहेज म ँगैत अिछ ।अड◌◌ाकए । कालिह ् फेरो को नया बहन ्ना खोिज लेत । भाई, हमरा तँब ुझाइत अिछ ओ एिह औपचािरकवैवािहक सम ्बन ्धक लाभ उठाए राज ्यपर चढ◌◌ाई क। देत ।एखन झ ुकक निहतनक समय िथकैक, भावनामेनिह कर्व ्यमे बहक बेर छैक ई । बिहनसँ पिह माभूिमक रक्षाक िचन ्ता किदगबन ्धन उिठ जाइत अिछ । ओकर गाल लाल भ। गेल छैक । बान ्हल मुिठउपर उिठ जाइत छैक ।िदगबन ्धन । एकदम ठीक कहलहँ ु बिहन उ आहा ँक साहससँ हम गौरवानिवत ् आ िरतछी । बाब ूसँ एख िनवेदन करैत िछअनिह ् । ( ित डेगेँ बहरा जाइत अिछ ।)इन ्कुमारीक आ ँ िख ोध आ आोशसँ लाल भ। गेल छैक । ब ुझाइत छैक जेनाबाहर िनकलयलेल आरत होइक । ओ अपन कसल मुिठसँ घघरा उठाकए दा ँतकटकटअबैित झािर दैित अिछ । मिण धड◌फड◌◌ाकए उठिल । मुिठ ओकरो कसल रहैक । बड◌की भौजी तखवेश करैित रहिथन ्ह । अपनािहसाबे ँ अथ र् लगाइये लेलिखन ्ह, । “मिणदाई, सपनाइत छलहु ँ ? सुतलमे कसैतदेह देिखते हमरा ब ुझा गेल छल ।देह द ुःखाइत हएत ” । फेर हँसैतकहलिखन ्ह, । “बादक इन ्तजाम तँ भायसभ करताह । छोटकी चाय बना अिछ । अबैत छी ।” मिण िकछु निह बाजिल । बड◌की भौजी बाहर िनकिलगेिल रहिथन ्ह । ओ पलंगसँ चुपचाप उतिर समे पेष ्ट लगाबए लागिल ।कुमार मज कप।ज-१९६९ ई◌ मे मध ुबनी िजला ंतत सलेमपुरगाम मे। ूली िशक्षा गाम मे आ उ िशक्षा मध ुबनी मे। बा काले सँ लेखन मे44


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्अिभिच। कैक गोट रचना आकाशवाणी सँ सािरत आ िविभ प-पिका मेकािशत। सम्ित कें ीय सिचवालय मे अभाग आधकारी पद पर पदािपत।नव-वष र्शहरी संृित मे नव-वष र्क बड़ महत् भऽ गेलैक आछ। चा कातउास, आनंद को पाबिन-ोहार सँ बेिसये। लोक पुरनका िबतल साल सँिप छोड़◌ा नवका साल कें ागत करय मे बेहाल◌◌ एिह मे केयोककरो सँ पाछा ँ निहं रहऽ चाहैछ। ध ूम-धड़◌् ा, नाच-गान◌◌ आई जकराजे मोन मे आबय कऽ रहल आछ◌◌ नया सालक ागत मोन सँ कऽ रहलआछ। मुदा सब केयो थोड़बे?शहरक एिह उास के निह बिझ ु पािब; सुकना के सात सालक बेटा पुिछयेदेलकै ओकरा सँ -'' बाब, ू आई िक िछयै जे लोक एना कऽ रहल आछ?''''बाऊ, पैघ लोक सभक नया साल आई सँ शु भऽ रहल छै; तै ं सभपाबिन मना रहल आछ।''- बाल-मन कें ब ुझेबाक प ्◌्रायास केलक सुकना।चोिह श्र्नक झड़◌ी लािग गेलै- ''हम सभ नया साल िकयैक निहंमनबैत िछ? हमरा सभक नया साल किहया एतैक??''सुकना एिह अबोध कें कोना समझबौक जे गरीबक को साल नया निहंहोईत छैक। बोिनहारक सभ सा ंझ नया साल आ सभ िभनसर पुरान सालजँका होईत छैक।बाप-बेटा द ुन ू चुप एक दोसराक मुँह देिख रहल छल◌◌ साईत आिख ँ आिखकँभाषा बिझ ू गेल छलैक।एत’ आ ओत’- अनलकाआइ-काि कनाट ेस मे चलैत-चलैत हमरा लगैत अिछ, अपना गामक दशहरा·मेलामे घिम ू रहल छी। नइ, ँ ओत’ मेला मे र ंग-िबरही चीज कीिन पबैत रही, नइ ँ एत’शो-म मे ढुिक पयबक साहस क’ पबै छी। िकलोक िकलो रसगुा-िजलेबीतौलबैत आिक मारते रास िखलौना ल’क’ जाइत लोककेँ डराइत-ललचाइत देखैतरही ओत’ आ एत’ िवशाल-भ म◌ॉल आ लाज-मैकडोनाल्ड सँ चहकैत फुदकैत45


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्बहराइत अर्न अरा केँ इ-बेर संग रभसैत, डेिट ंग िफ करैत ईा र् आोध सँ देखै छी।राष्पित भवनक िपछुआडक जंगल मे एक िदन एक टा बेल गाछ लगककाल ठमकल रही। ओकरा जिड◌ मे िकछु मािटक महादेव फेकल छल, िकछुिनमा र् आ कातक झोंिझ मे को सा ँपक छोड◌ल कें चुआ पुरबाक िसहकीमे डोिलरहल छल। हमर आिख ँ क्षणभिरक लेल मुना गेल। ओत’ एह सन एकटा बेल गाछतर हमर बालपनक ियाक गदिन र् भूत मचोडऩ◌े छलै। ओकरा मौनी मे कामधकचूड◌◌ा ओिहना नजिर पड◌◌ै अिछ!... मुदा हम कतहु ँ हेरायल-भोितआयल नइ ँरही।हम राष्पित भवनक िपछुआिड◌क जंगल मे ओही बेल गाछ लग ठाढ◌ रही।हमराओही आसपास मे एक टा अबलक िरपोिट ंग र् करबाक छल जत’ सँ किरयाघोड◌◌ाक नालक गिलंग होइत छलै। से ओिह बेरहट-बेरा मे भुखायल सन हमअपन िरपोट र् प ूरा करबाक ओिरआओन क’ रहल छलहु ँ िक अचानक एक टा गमक हमरािवचिलत क’ देलक। गाम मे नवका धान-चूड◌◌ा कुटैकाल जे गमक बहराइत छल,एकदम वैह गमक छल! आिसनक बसात अगहनी भ' गेल छलै।... मुदा हमर मनबताह हेबाक सीमा धिर अवसाद भ' गेल।ओिहना एक सा ँझ कुतुब मीनार लग सँ गुजिर रहल छलहँ। ु एक टा छौ ंड◌◌ी अपन संगीछौ ंड◌◌ा केँ जोर-जोर सँ बता रहल छलै जे ओकर सपना मीनारक एकदम ऊपर सँिदी देखैत रहबाक छै। हम सिद र्आयल भुइ ँ पर लगाओल पुआरक सेजौट परकसपना मन पाडय़ लगलहु ँ िक तख हमरा मोबाइल पर बीड◌◌ी सा ँग बाजल। छोटकीमामक फोन छल। ओ कत-कत बाजिल, ''देिखयौ यौ भािगन बाब, ू आब हम कीकरबै!... बैमनमा सब हुनका सी.बी.आई. सँ पकड◌◌ा देलकिन। फुिसयेपाइ लेबाकनाटक मे ओझराक'...।" हमर मामा इनकम टैकस कमीशनर। हम एक-द ू बेर गेलछी हुनका 'रेजीडेंस' पर, मुदा हमरा डेरा मोबाइल पर हुनका लोकिनक सिद र्आयलर आ िकछु एसएमएस टा आयल अिछ। तखन अपनाभीतरक भाव कबैत हम की आ कोना बाजल, से मन नइ ँ अिछ। हमर अदना-सनपकार काज नइ ँ अयलिन, अप पाइ वा जे कथ ुक एकबाल!... से बात जे-से।मोबाइल ीच-ऑफ क' हम जेब मे रखनिह रही िक हमर मन-ाण एक टा टटकागमक सँ सराबोर भ' गेल। धिनया, सिरसो सभ देलाक बाद झोर मे टभकैतमाछक तीमन सँ घर-आ ँगन मे जे गमक पसिर जाइत छै, सैह गमक हमरा मतौजा रहल छल। हम अगल-बगल िहयासल जे कतहु ककरो घर वा झ ुी मे रारहल होयतै, मुदा ओिह झोलअारी मे हमरा चाभर जंगल-झाड◌ आ करकटकअार छािड◌, िकछु तेहन नइ ँ देखा पड◌ल जत' ओिह गमकक ोत ठेकािन46


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्सिकतहु ँ। अंतत: हम अपन जेब मे हथोिडय़◌ा देब' लगलहु ँ जे माछक इ ंतजामभ' सकै छै वा निह!...हाले मे हम अपन सेठक कृपा सँ महीनबारी गुलामी सँ मु कयल गेल छलहु ँ। आबहम तथाकिथत 'तं' िदहाड◌◌ी मजद ूर छी। आ िदहाड◌◌ी पर खट'वलक कपार मेजे बौअयनी िलखल रहै छै, से हमरो संग छल। आ तेँ ओत' सँ एत' आयल मैिथललोकिन सँ भेंटघाट सेहो िकछु बेसी भ' रहल छल। से एक टा एह भेंट मे हमरएक ामीण कहलिन, ''बाउ, ई नगर तेजाबक नदी िथक जािह मे अपन मैिथले टानिह, को म बािढ◌ मे भिसआइत माल-जाल, घर-ार आ लोकवेद जका ँिनपायअिछ।"िक मधेपुरा-िसंहेर िदस सँ आयल एक टा युवक बाजल, ''हौ भैया!,बाजार, मशीनआ सीमेंट तर दबैत-मरैत लोकक नगर िछयह ई।"''हँ, भाइ, ठीक कहलह! मुदा ओत' दलदलो मे जकरा जगह नइ ँ भेटलै, ओ एत',बादक ढेरी पर सही, एक टा नव िमिथला तँ बसबै छै!..." बजैत-बजैत हमहकम' लागल रही आ भीतर पसेना-पसेना भ' गेल रहय।से लगातार एह सन मन:िित सँ गुजिर रहल छलहु ँ हम। आ, यैह पिछला पखकग िथक। एक सा ँझ िवापित बाबाक बरखीक हकार प ूर' हम एडा गेलहु ँ। ओत'बहुत िदन पर भेटलाह, बतौर कलाकार दरभंगा सँ आयल िमिथला नरेशक अंितमपुरोिहतक परपौ महानंद झा। आयोजक सँ प ूराप ूरी िवदाइअसिल ू अटैची डोलबैत फराक भेले छलाह िक हम नमा कयिलयिन। बहुत बरखकभेंटक बादो िचलिन आ एक कात ल' जाक' हाल-चाल प ूछ' लगलाह।गक म मे ओ बेर-बेर एर-ओर ताकिथ। िक हम पुछिलयिन, ''िकनको तकैछीकी?"''हँ यौ! दरभंगक कमीशनर साहेबक बेटा एत' ोफेसर छिथ। ओ हमरा अपनाओत' ल' जाइवला छलाह। देिखयौ , हुनकर आह देिख हम अपन सभ श ंसककेँिनराश क' देिलयिन। सा ंसद जी धिर सँ लाथ क' लेलहु ँ। असल मे होटल मे हमराजिहना जेल ब ुझाइ अिछ, तिहना ता सभक ठाम मेला ब ुझाइछ। तेँ हम कतहुजाइ छी तँ अप को समा ँगक घर रहै छी।" चेहराक बेचैनीक बादहु महानंदजीक र समधानल छलिन।''से तँ नीके करै छी!" हुनक बेचैनी कम करबाक लेल हम आ कयिलयिन,''कह छिथ, तँ अिबते हेताह!"47


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्''से आब नइ ँ लगै अिछ। चािरए बजेक टाइम दे रहिथ। को मीिट ंग मे फँिसगेल हेताह। ...देिखयौ , हम पते ले छी, फोन नंबर। आब तँअवहमे पिड◌ गेलहु ँ।" हुनक परेशानी आब सभ तरहेँ कट भ' रहल छल।"हमरा साफ लािग रहल छल जे ओ होटलक खच र् बचब' लेल ठहार तािक रहल छिथ।एर हमरा ई डर िकछु बजबा सँ रोकै छल जे नइ ँ जािन कते िदन धिर मेहमानीडटाओताह। अंतत: पुछिलयिन, ''किहयाक वापसी अिछ?"ूर् ँ''परस सा ँझ तंता सेनानी एस पकड◌बाक अिछ। िटकटो आर.ए.सी.27 सँ कम भेल वा नइ, माल ूम करबाक अिछ।" आ हमरा हाथ मे मोबाइल देिखझट जेब सँ िटकट बहार कयलिन, ''देिखयौ तँ मोबाइल सँ, िटकटक ेटसकीछै?द ुइए िदनक बात िनित जािन हम िहत कयलहु ँ, ''ई कोना देखै छै, से हमरानइ ँ पता! हमर किनया ँ देिख सकै छिथ। आ से तख हैत जँ अहा ँ हमरो अपसमा ँग ब ुझी आ हमरे घर द ू िदन लेल चली।"''आ से की कहै िछये! अहा ँ तँ अप सँ अपन समा ँग छी। हम तँ घरेक लोकब ुझै छी अहा ँ केँ । ठीक छै, अही ं क घर जायब। ओ ोफेसर आब आिबयो जयताहतँ हम नइ ँ जायब हुनका ओतय। ओ तँ कमीशनर साहेब अपनिह फोन क' कहलिनचलै काल तेँ सोचल!!... धौर, छोड◌◌ू आब ओिह ग केँ । आ ओ हमरा संगचलबा लेल अगुआयले सन छलाह।हम नइ ँ चाहैतो अपना परतािर रहल छलहु ँ जे एतक पैघ कलाकार द ू िदन हमरा घररहताह। से बसक भीड◌◌ो मे ठाढ◌ हम हुनके ागत-सार मादे सोिचरहलरही।िकछु काल बाद हम सब यमुना िवहारक ै पर बस सँ उतरलहु ँ। मेन रोडछोिड◌ अपना गली मे ढुकले रही िक गलक ओिह छोर परक चाह दोकानवला छौ ंड◌◌ागश पाछा ँ सँ िचकिरक' सोर पाड◌लक। ओकरा दोकान मे हमर अबरजात िकछुबेसी छल। अपन भाषा भाषीवला लगाव सेहो रहय। आ ओ छौ ंड◌◌ा एक तरहेँहमर मुँहलगुआ जका ँ भ' गेल रहय। हम ओकरा गाम-घर सँ भले पिरिचत रही,मुदा हमरा मादे ओ नइ ँ जािन सकल रहय। मुदा तखन हमरा पाछा ँ घिरते ु ओपुछलक, ''अहा ँक घर सहरसा लग, िबहरा छी !"48


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्ं''से के कहलकौ?" हम अकचकाइत पुछिलऐ।''अही गामक भोला कामित। ओ हमर मामा िछये।" गश िबहु ँिस रहल छल, जेनाओ को बडका जानकारी हािसल क' ले छल।''कत' छौ भोला?"''भोर मे आयल रहै। द ुपहिरया मे चिल गेलै। भोरे अहा ँ केँ बस पकड◌◌ैतअचानके देखलकै तँ बाजल, ''ई तँ धी भैया लागै छौ रे गसबा!" हमकहिलऐ, ''हँ, धीरजी...बड◌का पकार िछये! तो ं कोना िचै छक?... " आ तखनओ मारते सब टा कहलक।... आगा ँक बात ओ छौ ंड◌◌ा हमरा संग मे अपिरिचत देिखनइ ँबाजल।''गेलौ कत' भोला?" हम बात केँ भोला िदस मोड◌लहु ँ।''ओ बदरपुर मे रहै छै। काि-परस ू धिर फेर अयतै। एै दोकान शु करैवलाछै! "एते काल मे हम ओकरा दोकानक भीतर राखल बे ंच पर बैिस चुकल रही।महानंद जीसेहो। गस चाह बनब' लागल छल।सहसा महानंद जी बजलाह, ''एत' तँ डेग-डेग पर अपन मैिथल भेिट रहलाह अिछआ से मैिथली मे बजैतो छिथ। अपना दरभंगा-मध ुबनी मे चाह-पानवलाक कोनकथा, िरावला धिर केओ मैिथली मे जवाब नइ ँ देत।हमरा िकछु बाजब जरी नइ ँ ब ुझायल। चाहक पािन एखन खदिकए रहल छलै िकगश पुछलक, ''िकछु खयबो करबै, सर? "''हँ! किह हम महानंद जी िदस तकलह ु ँ, ''अंडा लैत छी की?... लैत होइ तँआमलेट-टो बनबा ली!"''हँ, िलय!" क्षणभिर िबलमक' ओ बजलाह, ''यौ धीरजी, आब द ूध-दही लोक केँभेटै नइ ँ छै। सागो-पातक दाम नइ ँ पुछू, आिग लािग गेल छै।ितलकोड◌कतआ कते साल भ' गेल, जीह पर नइ ँ गेल। तखन ईहो सब नइ ँ खाइतँ जीबी कोना? फेर िवज्ञा कहै छै जे ई पोिक चीज िछये।"49


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्हमरा हँसी जका ँ लािग गेल। ताल िकछु बाजल नइ ँ। चलै काल गश केँ लगबजा िकछु ितलकोड◌क पात पाकर्कक कात सँ आिन देब' कहलहँ। ु महानंद जी उछिलगेलाह, ''अयँ! एत ितलकोड◌क पात! आब तँ दरभंगो मे नइ ँ देखाइ छै!"आ तिहना हमरा किनया ँ हाथक दजर्न सँ बेसी तआ चट क' बजलाह,''असली िमिथला तँ आब िदी आिब गेल। दरभंगा मे आब कहा ँ छै ओ बात,कहा ँ छै ओत' ई मैिथलानीवला हाथ!..."हम सभ द ू िदन हुनक ख ूब ागत-सार कयल। ओ ओिह अंतराल मेअक बेर, अक तरहेँ, एहन-एहन अक बात बजलाह। हमसभ कृत-कृत!जयबा काल हमर किनया हुनक आर.ए.सी. वला आधा बथ र्क नंबर सेहो पता क'देलकिन आ बाट मे खयबा लेल पराठा-भुिजयक एक टा पैकेट पकड◌◌ौलकिन। ओख ूब-ख ूब आशीष दैत बहार भेलाह।हुनका अिरयातैत हम गली सँ गुजिर रहल छलहु ँ। गशक दोकान लगएखन पहु ँचले रही िक भोला पर हमर नजिर गेल। तख ओहो हमरा देखलक आबािढ◌क सोझा ँ आयल। हम द ुन ू गोटे एक-दोसरा सँ िलपिट गेलहु ँ।िक तख ओकरा पाछा ँ लागिल एक स्ी सेहो मुिआइत लग आयिल।अिबते ओहमर पयर छूिब लेलक। हम तुरत िचि नइ ँ सकलहु ँ। हमरा अकचकायल देिख वैहबाजिल, ''हमरा नइ ँ िचलहक कका!... हम मीरा!"''ओ!... सैह तँ हम अँिखयासै रही।.. " हमरा सोझा ँ ओकर अठारहक बयस वलािवधवा-जीवन नािच गेल छल।आगा ँ भोला बाजल, ''हमरा द ुन ू आब संगे िछयह। कयाह तँ िसंहेसरे मेकेिलऐ, लेिकन गाम जाइ के िहत नइ ँ भेलह।"हमरा अितशय सता भेल। मुदा तकरा करबा लेल श नइ ँ भेिट रहल छल,''बड◌ बिढय़◌ा◌ँ! चलह द ुन ू गोटे पिह डेरा। बगले मे छै।... हम झट िहनकाबस मे बैसा केँ अबै िछयह।"िक भोला पनबी खोिल अपना हाथक लगाओल पान देलक। महानंद जीसेहो खयलिन। फेर महानंद जीक संग मेन रोड िदस बढ◌लहु ँ।50


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्सभ कहलिथन जे अहा ँ चुप रहू, की हेतै। अहा ँ एतेक खच र् कएलहु ँ, ितलक निहलेलहु ँ आ कपड़◌ा वा समानक लेल की हा करैत छी। मचक जवाब छलिन, जेहम िववाह निह करब। ई बात भय रहल छल की गीतक अवाज ब सिन ू ४-५ टाब ुज ु पुष व दरवाजासँ अँगना पहु ँचलाह आ ई दृ देिख सभ हुनका ब ुझाबयलगलाह आ कहलिथन दाय-माय अहा ँ सभ आग ू काज क! आ ओ लोकिन मचकेँपुनः पछबिरया घरमे लय गेलाह। िकछु पुष व आगुक देख-भाल कय रहलछलाह। पुष-व मे सँ एकटा काका पुछलिथन जे बौआ की भेल, शािसँ बाजू।िबभा एकटा िगलासमे पािन दैत कहलि जे कपड़◌ा सभ नीक निह छैक काका।काका बजलाह जे ई तँ छोट बात अिछ। ई तुक्षताक तीक छी! अहा ँ शा रहू,अहा ँकेँ केहेन चाही हम म ँगवा दैत छी। एक घंटामे बजारसँ उपल भय जायत!मच जवाब देलिखन जे काका, बात कपड़◌ाक निह अिछ, कारण जे हम कह छिलयिन जे हमरा िकछु निह चाही। लेिकन जँ अप िकछु अनबए तँ समाननीक कनीक चाही। ई तँ हमरा बेवकूफ बनओलिथ! हमरा बातक द ुःख अिछ! जँअपकेँ हमरा बातपर िवास निह अिछ तँ भौजी (महारानी) केँ पुछल जाय! आअबाज देलिखन यै भौजी, अहा ँ एर आऊ! भौजी श सुिनते महारानी उपितभेलीह आ बजलीह जे बौआक बात १००% सही छिन। कागत गलत काज कयछिथ, एिहमे को सेह निह! ई बात प ूरा होमयसँ पिह िबेमे मच बजलाहजे हम िववाह निह करब कारण जे िक पता ? ओ हमरा लड़कीमे सेहो ठकताह।लेिकन बात आब इत आ मान-मया र्दाक अिछ, जँ िववाह निह होएत तँ द ुन ू पक्षकइत बबा र्द भय जायत! एक-िदश इत, मान-मया र्दा आ दोसर िदशसँ द ू-टािजनगीक । समा जिटल अिछ, को सेह निह! लेिकन छी तँ मैिथल आऽमान-मया र्दासँ पैघ िजनगी निह अिछ। जे मान-मया र्दा ककरो लेल अिभशाप बिनजाइत अिछ! हम सभ मैिथल जे िकछु छी, बाप-दादाक पाग छी, िजनगीक कोमोल निह! मोनमे एक हजार अबैत अिछ जे हम मैिथलगण िवमे सभसँबेशी चतुर छी आ तख सभसँ पाछू छी, तेकर की कारण अिछ? हमरा नजिरमेजे हम सभ भूतकेँ बेशी मह दैत छी आ भिवकेँ गला दबा दैत छी, सेहोबहुत आसानीसँ हमरा लोकिनकेँ किनयो िहचिकचाहिट निह होइत अिछ! मचकएकेटा उर छलिन जे िकछु बीित जाएत, हम िववाह निह करब। कारण जे हमराआब हुनका सभ (कापक्ष) पर िवास निह अिछ। दाय-माय गीत तँ गबैत छलीहलेिकन रमे उदासी गीत छल। गोसाउिनक (हे जगदा जगत मा ँ काली थम णामकरै छी हे), लेिकन र सुनयमे लागैत छल जेना उदासी गाबैत छिथ। अँगनाकमाहौल खराब भय गेल छल। लगभग एक घंटा बीित गेलाक उपरा जखन कोतरहसँ मात निह देिख भीम िम (मचक िपताजी) बजलाह- आब हमरोसँबदा र्श्त निह भय रहल अिछ आ हमरो िनण र्य अिछ से अहा ँ सुन ू- जँ अहा ँ िववाह निहकरब तँ हम आ हा कय लेब। आब अहा ँक हाथमे गेंद अिछ! िनण र्य अहा ँकेँलेबाक अिछ जे की करब। पिहल िनण र्य िववाह ओिह लड़कीसँ करब आिक दोसर िनण र्य53


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्हमर दाह-संार करब? कारण हम अपन िजबैत अपन पुखाक इत निह गवा ँसकैत छी। ई किह ओ ओिहठामसँ उिठ चिल पड़लाह। हुनका उिठते सभ पुषवठाढ़ भय गेलाह आ एकक बाद एक दरबा िदस िबदा भेलाह। हुनका (भीम िम)केँ ब ुझबैत जे अहूँ एना निह क, ओ बात मानताह अहा ँक आ अहा ँसँ पैघ हुनकरअपन भिव निह छिन। सभ मड़वापर ठाढ़ ग करैत छलाह। एतबेमे मचघरसँ िनकललाह आ आिखमे ँ दहो-बहो रक मुामे िपताक पएर पर खसैत बजलाहजे हमरा माफ क आ कण रमे बजलाह, जखन वण कुमार मा-िपक लेलअपन ाण ोछावर कय देलि तँ हम अपन िपताक लेल अपन भिवक बिलदानदैत छी। लेिकन िकछु शतर् अिछ, भीम िम बजलाह- म ंजूर अिछ। पिहल शतर् हमकागतक समान निह लेब दोसर हुनकर गाड़◌ीपर निह जाएब तेसर देल गोरलगाइकपैया निह लेब। ई श सुत सभ दाय-माय समेत उपित पुषव आ ना-भुटकाक दय सेहो कण भय गेल! मचकेँ उठबैत भीम िम कण रमेबजलाह- हे दाय-माय। जी-जी अपन काज क। हजामकेँ अबाज दैतकहलिथन- अहा ँ जीसँ ानी चौकी धो कऽ आन ू। फेर अबाज देलिखन- भोगीपाहुनकेँ जीसँ खानाक वा क! ई श सुिनतिह सभ िबहािर जेना काज करएलगलाह आ लगभग २०-२५ िमनटमे सभटा काज भऽ गेल। एतबामे जयदेव िमबसकेँ दरबापर लगबैत सभ बिरयातीकेँ बसमे बैसबैत बजलाह- भीम भैया हमबसमे सभकेँ बैसा लेलहु ँ। अहा ँ- माश र्ल िदश इशारा करैत- बैस ू। मचकआिखसँ ँ गंगा-जमुनाक धार जका ँ र ब होइके नाम निह लैत छलिन। बड़कीभौजी एक आिखमे ँ काजर कऽ आबिथ जा दोसर आिखमे ँ करतीह ताधिर ओ काजररक पमे पिरवितर्त भय नीचा ँ चिल आबिन। हुनकर ब ुझ ु अधा आ ँचर रमेभीिज कय गुलाबी साउथ िशक साड़◌ी काजरमय भय गेलिन आ हुनका िकछु खबिरतक निह! एिह तरहेँ ओिहठाम हाथधरीक िवध प ूरा भेल आ बर आ बिरयाती ानकयलक!ाइवर गाड़◌ीकेँ तेज चलाबयके यास करैत लेिकन गामसँ तीन िक.मी. क बाद रासेहो नीक निह। गाड़◌ी आग ू जायके नाम निह लैत छल जेना सभटा केँ मुहक्षीमािर दे हो। को तरहेँ वर आ बिरयाती ग तक पहँचल। ु ओिहठामक दृतँ बहुत रमणीय छल। नीक पंडाल जे बहुत नीक सुसित नीक-नीक मध ुर रमेमैिथली कैसेट सँ ीिरयोक अवाज मोन मोिहत कय रहल छल। ई दृ देिखबिरयाती लोकिनकेँ िवास निह भेलिन जे एिहठाम हमर बैसबाक वा अिछ! ओसभ तुलना करए लगलाह िफकेश आ कपड़◌ाक जे वरक लेल गेल छल आ ओिहसजावटक। हुनका लोकिनकेँ िवास निह होइत छलिन जे समान एिहठामसँ गेलअिछ। तावत अवाज आबए लागल जे अप सभ बैसल जाऊ, सरकार ठाढ़ िकयैकछी? ओर सँ िदलीप झाकेँ िकयो अवाज देलिखन जे हजमा कतऽ गेलाह।54


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्बिरयातीकेँ पएर धो कय शुिकरणक िवध प ूरा करबाऊ! पंडालमे सभटा आधिनकुसुिवधा उपल छल! िकछु नवतुिरआ लोकिन पेपसी आ पेयजल तँ िकयो िबगजीकसमान ब िडामे ल कय उपित भेलाह! बिरयाती लोकिन शहरी मजा लऽ रहलछलाह। लेिकन मचक आिखसँ ँ र ब हो से नामे निह लऽ रहल छल। ओमो-मोन अतेक द:खी ु छलाह जेना शमसान घाटमे को मुदा र्क अिम संारहो। करीब बीस िमनटक बाद गामक नवतुिरआ लड़की आ ना भुटका पंडालक पाछूसँअबाज देलिथन जे वरकेँ किहयु किन पागक लटकैत भागकेँ आग ूसँ उठा देिथनतािक ओ लोकिन वरकेँ देिख सकिथ। िकछु नवतुिरआ लड़का सभ मजाक करैत छलवरक ित- एतवामे आज्ञा-डाला आयल आ ई िवध सेहो प ूरा भेल। ओरपिरछनक लेल आय-माय अयलीह आ पिरछनक लेल मच िबदा भेलाह मुदा हुनकरडेग आग ू निह होइन। चलिथ जेना महुअकक चािल हो, िकछु जवान लड़की मजाकमेबाजिथ जे बड़ शा आ सुशील छिथ वर, तँ िकयो िकछु जे खाना खाऽ कय निहआयल छिथ। मच को जवाब निह देिथ जेना गामपर सभटा ोध छोड़ि◌आयल होिथ। कारण छल िपताक देल वचन जे जाधिर अप लोकिन रहबए हमिकछु निह बाजब आ तकर बाद जँ आग ू ओ गलती करताह तँ हम निह छोड़बिन हुनकासभकेँ । पिरछन भेल आ िववाहक शुआत भेल। ओर बिरयाती लोकिनक ागतमेको कमी निह। सभ समान पया र् माामे उपल छल। िववाहक अिम िवध छलसोहाग देब। सभ बिरयातीगण ान करत। एिह बीचमे द ुन ू पक्ष वाता र् कयलिनजे िरागमन संगे होय कारण भीम िमकेँ कनी डर भऽ रहल छलिन, लोककेँिचबामे देरी निह लगलिन, जे एकरा सभकेँ लड़काकेँ एकटा नीक कुरता देबाकउपाय निह छैक आ पंडाल लगैत अिछ जेना पैघ घरक काज हो। िववाह तँ भेलमुदा द ू सालक बाद अगर िरागमन हो तँ ई िकछु देत तँ अपमान वा कलहककारण। िरागमनक िदन पा भऽ गेल एगारहम िदन। सोहागक उपरा ी भीमिम मचकेँ बजाकय एकामे ५-७ टा गणमाक संग ब ुझेलिखन जे संगेिरागमनक हम बात कय लेलहु ँ आ अहा ँकेँ इा अिछ जे िकछु निह लेबाक अिछ तँआब ओ लड़की हमर आदमी भेलीह, पुतोहु भेलीह। हम अपन आदमीकेँ एहनठाम निहछोड़ब कारण जे ओ िहनके पमे रिग ं जेतीह। ई सभ ब ुझबैत ी भीम िममचकेँ भरोसा दैत कहलिथन जे हम अपन पुतोहुकेँ अपना र ंगमे रिग ं लेब।अहा ँ िचा निह करब आ चतुथीर् िदन गाम जर आयब तखन बात करब। ई शकहैत ओ िवदा भय गेलाह।मच आब कोबरघरमे छिथ। िवधकरी आ िकछु घरक सदगण सेहो छिथ। ओउदासीक कारण पुछलिथन। ओ िकछु निह बजलाह। करीब ५-७ बेर अलग-अलगदाय-मायक श सुिनकय उर देलिखन जे एखन नी आिब रहल अिछ, भोर भेलापरबात करब। ई बात सुत सभ एका-एकी घरसँ बाहर भेलीह। कोबरमे नीचा ँमे55


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्िबर लगाओल गेल। मच सुतबाक यास जर केलि, मुदा आिखसँ ँ र पुनःआबय लगलिन। करीब २०-२५ िमनटक बाद एकटा जनानी कोबरमे वेश कएलकलेिकन हुनका ऊपर को भाव निह पड़लिन, आिखसँ ँ अु प ूव र्वत िनकलैत रहलिन।ओ जनानी िकछु काल धिर ठाढ़ रहल आ तावत पाछूसँ अवाज भेल जे णाम क,ठाढ़ भय की कय रहल छी। मुदा मचक ऊपर को असर निह कारण ओ पिहकह छलाह जे हम भोर भेलापर िकनकोसँ बात करब। तख हुनका ब ुझना गेलिनजे हमर पएरकेँ िकयो श र् कय रहल अिछ आ लहठीक खन-खनाहिट सेहो आयल।ई अवाज सुत आ पएरक श र् अभव करैत ओ पिहसँ बेशी अनिभज्ञताकपिरचय देलिखन आ जिहना छलाह ओिहना रिह गेलाह जेना हुनका को खबिर निह।बस पएर श र्क द ू-िमनट बाद ओ जनानी वापस भेल। ओ मोनमे सोचैत छल जेई जर नव िववािहता छलीह। लेिकन ई बात गु राखएमे नीक जे हम सुतलछलहु ँ, हमरा को बातक खबिर निह। िकछु समय पात् भोर भेल। भोरमे िनआबए लगलिन। ओ घर ब कए स ूतय लेल चिल गेलाह। कोबरमे द ू पहर िबतलाकबाद गामक दाय-मायक झ ु तँ कख द ू-चािर गोटेक आवाजाही छल। आब सभकेँपएर छूिब णामक सेहो ावधान अिछ कारण जे हम मैिथल छी। सा ँझमे मौहककिवध प ूण र् भेल। पुनः रािमे िबरपर िवामक लेल गेलाह। लगभग दस-पहिमनट बाद अभव भेलिन जे पुनः को जनानी वेश कए रहल अिछ। ओ पुनःपएरक श र् कय रहल अिछ आ ओ अिहठाम बैसल अिछ। मचकेँ िन तँ निहलागल छलि मुदा िनक बहा जर भेटलि कारण िववाहक रािमे ओ निह स ूतलछलाह। ओ िदनमे द ुपहिरया बादसँ जागल छलाह। करीब द ू घा बैिस ओ जनानीपुनः वापस भेलीह। पुनः तेसर राित ओ जनानी पुनः अएलीह आ प ूव र्वत अपनकम र्मे िल भय गेलीह, यानी चरण-श र् कए बैिस रहलीह। लगभग चािर-पा ँच घंटाधिर ओ बैसिल रहलीह आ पएर धय िनकलबाक को चेा निह कय रहिल छलीह,जेना हुनकर ितज्ञा हो जे आशीवा र्द कानमे जर सुनी। एतबेमे मचकेँएकटा शरारत सुझलिन आ ओ बहा केलि जेना प ूरा िनमे होिथ। ओ करोटबदिल कय पएरकेँ ानार कय देलिथन। एकरा बाद ओ जनानी पुनः ओिहठामसँिहलय के कोिशश निह केलक। मच तँ करोट लेलि मुदा ओ जनानी प ूव र्वतछिल जेना मािटक मितर् ू हो जेकरा िकयो ओिहठाम बैसल अवामे रािख िबसिर गेलहो। चािरम राित पुनः ओिह जनानीक वेश भेल आ ओ अपन कतर्मे प ूव र्वतछल। मच बजलाह- हमरा कोन कारणसँ परेशान कय रहल छी? अहा ँ केछी? हम की कपट दे छी जे अहा ँ ित रािमे आिब हमर पएरकेँ श र् करैतछी? हमर िनकेँ कोन कारणसँ खराब कय रहल छी? ई बात सुिनते ओ जनानीलाजसँ शरीरकेँ सकुचा लेलक। जेना लजिबीक पातमे िकछु श र् भेलापर ओिसकुिर जाइत अिछ ठीक ओिह कारसँ ओ बाला िसकुिर गेलीह। को उर निहभेटलापर मच पुनः िनक बहा बना कए फोंफ काटए लगलाह। िकछु समयउपरा ओ बाला कोबरसँ िनकिल गेलीह। करीब द ू-तीन घंटा पात् िवधकरी कोबरमे56


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्वेश कय अवाज देलि जे िमसरजी उठथ, ु नहा लथ ु। िनियासँ िनव ृ भऽ ानभेल। हरक पालोपर बैसाकए नविववािहता संग पुनः िववाह शु भेल- चतुथीर्क िवधसभ। आज ुक िदन नगर-चहटगर भोजन भेटलि आ मच घरक लेल ानकरबाक तैयारीमे छलाह तँ िरश्तामे े साढ़◌ू कहलि जे साढ़◌ू भाइ, हमरोजेबाक अिछ। संगे चलब। हम हुनके द ू-पिहयापर बैिस गाम अयलहु ँ। िकछु कालपात् पुनः गाममे भोजन कय मच एर-ओर िनकलय के यास जरकेलि, लेिकन ओ ओिहठाम सँ िनकिल निह सकलाह। पुनः सा ँझमे िपताजी आ ेागणक दवाबमे सासुर घिर ु कए अएलाह। राि-भोजनक पात् िवामक लेलकोबर गेलाह। करीब मरािमे पुनः ओिह बालाक वेश भेल। ओ अपन काजमे छलीह। मच पुनः िनक बहा कयलिन। फेर मोन पड़लिन जे गामसँजखन आबय लगलाह तँ बड़की भौजी िकछु ेलरी दे छलिथन जे ई किनया ँकेँमुँहबजना छी, दऽ देबय, तखन सुतब। जेबीसँ िनकािल कय ओ बालाकेँ कहलथन, ईअहा ँक समान अिछ, लऽ लेब। हमरा िन आिब रहल अिछ, सित ू रहल छी।िन की होयतिन, शरीर तँ लगभग चािर-पा ँच िदनमे आधा भय गेल रहिन।िदमागमे सोच जे पैिस गेलिन! खेनाइ-िपनाइ नीक जेका ँ िन। एकदमिचरिचरा ाभावक भय गेल छलाह। मरािमे ास लगलि तँ पािनक लोटा तािकरहल छलाह। ओ बाला हुनका एकटा िगलासमे लगभग ठंढा भऽ गेल द ूध बढ़◌ेलिखन।मच कहलिथन जे ई द ूध छी, हमरा ास लागल अिछ, ई रािख देल जाओ। मुदाओ निह रखलि। हुनका संग समा छल जे ओ घोघमे छलीह, भिर राितक जागिलछलीह आ किहयो बाजल निह छलीह। ई सभ कारँ ओ हाथमे द ूधक ास लऽतपाक मुामे ठाढ़ रहलीह। मचकेँ लगेमे लोटामे राखल पािन भेटलि आओ पािन पीिब कए पुनः सुतबाक यासमे छलाह। हुनका की िजज्ञासा भेलिन जेदेिखयै ई बाला कतेक काल धिर ठाढ़ भय िगलाससँ भरल द ूध रखैत अिछ। लगभगएक घा बीित गेल मुदा ओ तपामे लीन छिथ ई देिख मचकेँ दया आिबगेलिन आ द ूधक िगलास हाथसँ लय द ू-चािर घोंट पीिब िगलास रािख देलि। पुनःपिरचय भेल। मचक क उरक समय ओ बाला थर-थर कािप ँ रहल छलीह,जेना कसाइकेँ देिख छागरक आिखमे ँ डर।मच- नाम?-सोनी।-कतेक पढ़ल छी?-दसम बोडर् फेल छी।57


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्-स या झ ूठ?-ई ुव स अिछ।ई बात सुिनते मचक आिखमे ँ पुनः गंगा-यमुनाक धारा वािहत भय गेलि तँसोनी दन अवामे बजलीह- हम अपसँ झ ूठ निह बािज सकैत छी। हमरा क्षमाक। हमरा जे सजा देब से कम अिछ। आ हुनको आिखसँ ँ दहो-बहो र खसएलगलि।-अप शरीरसँ िवकला ंग तँ निह छी?-निह।-अप को बीमारीसँ िसत तँ निह छी?-निह।-अप िजबैत िकनका लेल छी?-अहा ँ हमर गरदिन दबा िदअ तँ हमरासँ बेशी भाशाली िकयो दोसर निह होएत।-अपक सभसँ पैघ ल?-अहा ँक ख ुशी।-अप कािन रहल छी, कारण?-अहा ँक क देिख बदा र्श्त निह भऽ रहल अिछ।-अहा ँ ज ु िन कान ू सोनी। एिहमे अहा ँक को दोष निह अिछ।-आइ हम मिर गेल रिहतहु ँ तँ अहा ँकेँ क निह भेल रहैत।ई तँ ईरक बनायलिविधक िवधान छी! एकरा को शि निह कािट सकैत छैक।-देखू, एिह द ु िनया ँमे द ू तरहक लोक होइत अिछ- आशावादी आ पुषाथ र्वादी। हमआशावादी पुष निह छी, पुषाथ र्वादी छी आ आशावादीसँ घ ृणा करैत छी। कारणआशावादी पुष या औरत मेहनती निह होइत अिछ। अप कोन तरहक छी?-हम धािम र्क विक ृ छी आर धम र्मे बहुत िवास अिछ, तािह हेतु आशावादी छी!58


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्ई सुिन मचक मोनमे आर बेशी तकलीफ बढ़ि◌ गेलि। एिह तरहेँ चतुथीर्कराित द ुन ू नव-िववािहत जोड़◌ी कटलि। मच फेर अपन गाम घिर ु गेलाह।सा ँझ भेल, भौजीसभकेँ भेलि जे मच पुनः गाम जएताह। मुदा कोितिया निह देिख पुछल गेलि तँ उर आएल जे आब िरागमनक लेल हमउपित होएब सासुरमे, निह तँ आब िदी घिर ु जाएब। अथा हमर पीड़◌ाकेँबढ़◌ाओल निह गेल जाऊ। हमरा आब जीिवत रहय के को इा निह अिछ।को मरथ निह अिछ। हमर को भिव निह अिछ!िरागमन भेल, किनया ँ सासुर अयलीह। भड़फोरीक पात् मच िदी उपितभेलाह। अपन कनीक काम-काज सारलिथ। काजपर तँ जािथ मुदा अराामेकतेक अबि। कारण जे जीबाक आशाक िकरण लगभग अिम चरणमे पहु ँिचगेल छलि। आब को मरथ निह, निहए िजनगीक को ल बािच ँ गेलछलि। आ एकर कारण मैिथल समाजक िकछु महाभावक िवचार आ कृ अिछ, संगिहमैिथल समाजक िकछु ावधान सेहो िजेदार अिछ। एिह कारेँ निह जािन कतेकमैिथल नव-युवक-युवतीकेँ अपन कण िजनगी जीबाक लेल मजब ूर होमए पड़◌ैतअिछ।आलेख- िरपोता र्ज- १.ड◌ॉ.बलभ िम, २.नरेश मोहन झा ३.नागे झा,४.ड◌ॉ.रेर िम ५.ोित ६.िजते झा, जनकपुर ७.उमेश कुमार ८.नवेु कुमार झा९.मुखीलाल चौधरीड◌ॉ.बलभ िम, सेवा िनव ृ आयुवेिदक र् िचिका पदािधकारी, पिण ू र्या ँल धौत ित पंजीकार- . पं मोदान झाजी- एक संरण. पंजीकार जी िवलक्षण ितभा संप ि छलाह। िहनक संपकर् भेलासँ प ूव िह र्सुत आएल छलहु ँ िक िशवनगर (पिण ू र्या, ँ संित अरिरया िजला) िनवासी पं. मोदानझा जी पुबािरपारक एकमा सव र् पंजीकार तऽ छिथए, संगिह संप ूण र् िमिथलाक म ूध र्पंजीकारक णीमे िहनकहु नाम लेल जाइत छलि।59


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्पंजीकारजी ितवष र् सौराठ सभा गाछी जाइत पुबािर-पछबािर पारक भेल िववाहकिसाक िलिपब आदान-दान करैत छलाह, जािहसँ िहनक पंजी-पुिका व ृहदाकारहोइत व ंश पिरचयक िवशाल भंडारसँ सुशोिभत अिछ।पंजीकारजी महाराज दिरभंगाक अक्षतामे आयोिजत “पंजीकार धौत परीक्षा” मेसव र्थम ान ा कऽ “ल धौत ित” भेल छलाह, जकर िनणा र्यक मलमेमहामहोपााय सर गंगानाथ झाजी सम ित िवान लोकिन छलाह।पंजीकारजी कतेको ठाम सािनत भेलाह, जािहमे “अिखल भारतीय मैिथल महासभा”किवत् म ंडलीसँ आदृत होइत िविश ान पौ छलाह। िहनक कृित एव ं िवलक्षणितभाक आलोकमे िहनक जीवनिह कालमे “चेतना सिमित” यम ् आमित ं कऽपंजीकारजीकेँ सादर सािनत करैत भेल।जखन हमर िववाह १९५५ ई.मे पोिण र्या ँ भेल तिहयासँ पंजीकारजीक म ृुसँ तीनमासप ूव र् तक संपकर् बनल रहल। एिह तरहेँ पंजीकारजीक ित जे सुत आयल छलहु ँतकर यथाथ र् अभूित हमरा पंजीकारजीक संगितमे भेटल।कतेको िववाह िसा िलखबाक अवसर हमरा ब ुझना गेल िक- भलमाष (जाित-पािज)ँिक व ंश पिरचय पंजीकारजी केँ िजा छि।यिप वर काक अिधकार देखबाक ममे पंजीकारजी केँ “पंजी पोथा” उलटबाकआवकता निह छलि, तथािप कतह ु गलती निह भऽ जाय ई ब ु िझ पोथा उलटबाकउपराे अपन िलिखत िनण र्य दैत छलाह।पंजीकारजी सदाचार स होइत सभ िदन अहं भावसँ िनमुर् रहलाह। िहनक रहन-सहन वेश-भूषा एव ं टपकैत ओजिताकेँ देिख केओ अपिरिचत ि िहनक गुणसँपिरिचत भऽ जाइत छल।हम यं पंजीकार जीक सिचार, सद्वहार, सदाशियतासँ िवशेष भािवत भेलहु ँ।पंजीशास्क गहन अयन रहले सा ँ प ूबािर-पछबािरक समय करबाक ु यासजीवन भिर करैत रहलाह।ख ुशीक ग जे पंजीकारजीक बालक ी िवान झा (मोहनजी) पंजीकािरताकमेिनाप ूव र्क अपन मयोग रख छिथ, जािहसँ . पं.मोदान झा जीक आामे अवेशाि भेटैत होयति।अतः हम यैह कहब जे . पंजीकारजीक ु मितक आगा ँ हम जे िकछु किहगेलहु ँ से स ूय र्केँ दीप देखेबाक समान ब ुझल जाय।60


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्एहन नामध पंजीकार . पं. मोदान झा जीकेँ मरपरा एक संरणक पमेअपन ा-सुमन अिप र्त करैत हमर शतशः णाम।नरेश मोहन झा, तुलिसया, िकशनगंजिवरे पीकार मोदान झावष र् १९५४-५५क वाता र् थीक। गृावकाश छल। गामिहं छलहु ँ। एक िदन वे हरमे दरविहपर छलहु ँ। एक ि, अ गौरवण, र् मम ऊँ चाई, देदीमान ललाट,श काया, ध ूपमे चलबाक कारँ ललौ ंछ मुखमल, पैघ-पैघ आिख, ँ उपितभेलाह। देिखतिहं ब ुझबामे आएल जे को महापुष अएलाह अिछ। हमर िपता पं.लीलमोहन झा सेहो दलापर छलाह। ओऽ परम आािदत भए उिठ कऽ ठाढ़भेलाह। झटिक कऽ अिरयाित अनलिख। हमरा सभ जतेक नवयुवक रही- सभकेँकहलि- णाम करहु। हमरो लोकिन उिसत एव ं अशािसत भए णामकएिलयि। बाल्टीमे जल, जलचौकी ओऽ अढ़ि◌या आनल गेल। हुनकासँ पए धोएबाकआह कएल गेलि। हमर िपता जे परोपाक समादृत ि छलाह- यंलोटामे जल लए हुनकर पएर धोअय लगलिख। पुनः अंगपोछासँ पएर पोिछपलंगपर िबछाओल साफ सुर िवछाओनपर बैसेलिख। आऽ हुनक पएर धोयल जलसँसम घर-आङनमे िछड़काव भेल। एिह बीच सरवत आएल- पान आएल। घरक सभसदमे एक अुत उास-जेना को इदेव आिब गेल होिथ। ओिह बैसारमे तँबहुत काल धिर कुशलािदक वाता र् होइत रहल। संाकाल धिर तँ हमर दरवापरगाम भिरक ाणक सम ूहक सम ूह उपित होमऽ लागल। ओिह म हमर िपतापिरचय करौलि। कहलि- ई िथकाह पंजीकार वर ी मोदान झा जी लधौत, िशवनगर, पिण ू र्या ँ िनवासी। हमरा लोकिनक व ंश रक्षक। िहनकिहं तापे हमरालोकिन अपन कुल ओऽ जाितक रक्षा कऽ पबैत छी। िहनक िपता पीशास् म ूध र्पीकार िभिखया झा बड़ पैघ िवान ् ओऽ सदाचार पालक। ओिह यो िपताक यशीपु छिथ पीकार वर मोदान बाब ू। नाम सुिनतिहं अकचकयलहु ँ। हम प ू िण र्या ँ61


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्क◌ॉलेजक जखन छा रही तँ सम कुटु व िबुपुर गामक िमव जे नवरतनपिण ू र्या ँमे रहैत छलाह तिनकासँ िहनक नाम बड़ ाप ूव र्क उिरत होएत सुन छलहु ँ।अिह साक्षाार भेल सा बिझ ु पड़ल जे जे िकछु िहनकर मादे सुन छलहु ँ से बड़कम छल। िनय ई ि परम आदरणीय छिथ। सा ंकालीन बैसारमे गामक सभ ि अपन-अपन व ंशक नवजोिक िववरण िलखबैत गेलिख। पीकारजीतरताप ूव र्क सभक पिरचय बड़ मयोगसँ िलखैत रहलाह। तखन हमरा ब ुझाएल जेकोना कऽ हमरा लोकिनक व ंश पिरचय पिछला हजार वष र्सँ साो-पा उपल रहलअिछ। हमर गाम पीकार गामसँ १०० िक.मी.सँ अिधके प ूव र्मे अवित अिछ।यातायातक को सक वा प ूव र्मे निह रहल होएतैक। नाना कारक असुिवधाकसामना करैत एतैक भू-भागमे पसरल मैिथल ाणक यावतो पिरचय संिहत करब,सुरिक्षत राखब आ बेर पड़लापर उपित करब अ द ुःसा काय र्। याा ओपिरिित ज कक थोड़◌ेको अभव निहं कऽ केँ अपन कतर्ेक धानता दैतिनःाथ र् भावसँ धम र्शास्क रक्षामे तर एिह इितहासक संरक्षण सन पुनीत काय र्करैत रहब िहनकिह सन िसँ संभव। ातः काल प ू िपतासँ एकामे पुछिलयिजे एतेक क उठा कऽ पिरचय संह करबाक योजन की? ब ुझौलि जे अपनालोकिन जे सनातन धमावली र् से सभटा काय र् म, याज्ञवल्, शतपथ, श ंख इािदमहान ् ऋिष लोकिनक देल वापर चलैत छी। म िववाहक सभर्मे कह छिथ जेको का ओ वरक िववाह जन, सगो, सिप ओ समान वरमे निह हो। एिहहेतु आवक अिछ जे सिप िनविक ृ ज्ञान हो। तािह हेतु पुषाक िववाहािदकिववरण सूण र्तः उपल हो। एिह धम र्क रक्षा तँ िवन पीकारिहं सव निह।अथा वण र्श ंकरक धानता होएत ओ जाितय रक्षा निहं होएत। पीकारक निहं रहव ंशक इितहासक ज्ञान न भए जाएत।िवास जिम गेल। हुनका ित मनमे जे आा छल से चतुगु र्ण भऽ गेल। तकरबाद जखन कख ओऽ अएलाह हम ओिह देव भावेँ हुनक सान कएल। ओहोिपवत ेह देलि। ओऽ अपन िक धनी छलाह। सदाचार पालनमे तर।जखन कख हुनकर गामपर जएबाक अवसर भेटल- गमौलहु ँ निह। कतेको बेरहुनकर गाम िशवनगर गेल छी। हुनक ओऽ साफ पिरिछ दलान। रमनगरफुलवाड़◌ी। पीकारजीक दैिनक चया र् कलम ओऽ ख ुरपीक संग स होइत छलि।किम र् पुषः।नागे झा, नवर हाता, प ू िण र्या ँ62


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्. पीकार मोदान झासँ सुनल पए महेो म ूलक प ू िण र्या ँ िजलाक िशवनगरामवासी छलाह। ई पी बक नीक ज्ञाता छलाह। महाराज दरभाक चलाओलधौत परीीण र् छलाह।ई लेख पीकारक िवषयक िथक। अतः पी शक अथ र् की से ब ूझब आवक।प श आएल अिछ संृतमे तथा भाषोमे प शक योग ५ संाक अथ र्मेभेटैछ। तै ं प श ५ संासँ स अिछ। भाषामे हाथक पा ँचो आुर तथाताशक ५ कैं पा कहल जाइछ।पीमे ५ संाक िक योजन? उर- हमरा लोकिन अथा र्त् मैिथल ाण“पदेवोपासक” छी। को तरहक शुभ काय र्मे प ूजा पदेवतैक प ूजासँ आरहोइछ। तिहना धम र्शास्क असारे कहल गेल अिछ जे “मातः पमीं ािपतः समीं भजेत्”। अथा र्त् कृित (माय)सँ पा ँचम ान िित काक स िववाहनिह करी। ई िनषेध कयल गेल।िववाह सि ृ योजनाथे र् होइछ आ सिमे ृ कृितक योजन तै ं मायसँ पा ँचम ानित कासँ िववाह िनिष भेल तथा एिह िनषेधक कारणसँ सव िथक जे एकर नाम“पी” राखल गेल हो अथवा कादानमे वरक द ू पक्ष, काक द ू पक्षक अथा र्त् द ुन ूिमलाकेँ चािर पक्षक िनःेष ाा जािह पुकमे िलखल जाय आओर पीकार ओकराीकार करिथ अथा र्त् हाक्षर करिथ ओऽ भेल पी।संृतमे पी (पिका) शक अथ र् िथक जे प ूण र्तः पदक ाा जािहमे िलखल गेलहो। अथा र्त् ओऽ रिजरो भऽ सकैछ, पुकोक पमे भऽ सकैछ, हैडटोकपमे भऽ सकैछ। सरकारी रिजस्ी ऑिफसमे रिजर रहैछ। हाटपर मवेशीकिबी भेलापर िवीनामा िलखल जाइछ। एकर िनदान “याज्ञवल्” सा करणमे कय छिथ जे बेचिनहार, खरीददार आऽ साक्षी सभक प ूण र् पता रहै जैसँभिवमे को तरहक िववाद निह उठै।ई अिभलेख (रेकडर्) वु िवयोमे तथा दानमे सेहो राखल जाय। ई तँ कादानकरणमे वर-का द ुन ूक व ंशक प ूण र् सिपक अिभलेख जािहमे िलखल जाय से भेलपी आऽ ओिह पीमे जे वर-का सिपक अनाट निह छिथ से िलखिनहारपीकार कहवैत छिथ।एिह िितमे ईहो ज्ञात होबक चाही जे पी था किहयासँ चलल, िकयैक चलल?ई था हिरिसंह देवक समयसँ चिलत भेल अिछ। िकयैक आर भेल से कथा .पीकारे मुहसँ सुनल अिछ, जे िन िथक।63


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्पी बक आरक बीज- एक ाणी रहिथ। ओऽ जािह गाममे रहिथ ओऽ ाणबहुल गाम छल। लोक िक पुष वा िक स्ी िब प ूजा-पाठ के भोजन निहकरिथ। ओिह गामक एक पोखिरपर एक िशवमिर छल। उ ाणीक िनयम छलजे जाऽ धिर उ िशव-मिरक महादेवक प ूजा निह करी ताऽ धिर जलहण निहकरी। ई िशव प ूजाथ र् मिर गेली ओिह समय एक चााल सेहो प ूजाथ र् गेल रहए।िहनका देिख िहनकासँ द ुराचरणक आह कएलक। ई परम पितता छलीह। ओकराद ुारैत कहलिन जे ई मिर िथकैक तू केहेन पापी छैं, जो भाग निह तँ तोहरभला निह हेतौ। ई किहते छलीह की िशविलसँ एक सप र् फुफकार करैत अवैत ईचााल भागल।संयोगवश बाहरसँ एक ाणी, ओिह द ुन ूक वाता र्लाप सुिनते छलीह। गामपर आिव िमाचार ओिह चाालक संग कऽ देलिन। गामक लोक िहनका बजाय कहलिन जे अहा ँकेँायित करए पड़त। एिह लेल िक अहा ँ चालक सम कएल। ई किह उठलीह जेके ई कहलक, हमरा तँ ओकरासँ शो र् निह भेल अिछ। मुदा लोककेँ िवास निहभेल। ायित िलखल गेल (यदीय ं चाालगािमनी तदा अिापं करोतु) ई िलिखहुनक दिहन हाथपर एक िपपरक पात रािख आऽ तैपर लह-लहािन आिग राखलगेल। ई पािक गेलीह। तखन िहनका ाम िनासनक द देल गेल। कत-िखजैत लिखमा ठकुराइन नामक पिताकेँ सब बात कहलिन। ीमती ठकुराइनायि िलखिनहार पितकेँ बजाय कहल जे ायि गलत िलखल गेल। हमायि िलखब। तखन ठकुराइन िलखल जे “यदीय ं पितिभ चााल गािमनी तदाअिापं करोतु”। ई वा प ूव र्वत् दिहन हाथक िपपरक पातपर राखल गेल तँ ईनिह पकलीह। तखन ई वाता र् महाराज हिरिसंहदेवक ओतय गेल।तखन उ महाराज पित मलीकेँ आमित कऽ पुछलिन जे उ स्ीक पितचाल कोना? तखन िवतमली उ स्ीक पितक िववाहक शास्ाकूल िवचािरदेखलिन तँ हुनक िववाह अनिधकृत कासँ भेल तै ँ िहनकर पित चाल भेलाह।एकर बाद महाराजक आदेशसँ मैिथल ाण लोकिनक िववाह पी बनल।मैिथल ाणमे १६ गोक ाण छिथ। एकर बाद गा ँव-गा ँवमे उ गोातजे जे लोक छलाह तिनका-तिनका गामक नाम देल गेल एव ं म ूल कहौलक। पीम ूलक असार बनल, गोक असार निह। एक गोमे अक म ूल अिछ। गोकनामपर पी बत तँ गामक पता निह लगैत।हमर मतसँ पी-ब ंध धम र्शास्क अंग िथक। तै ं एकर िलखिनहार, अिभलेख (रेकडर्)रखिनहार एव ं एक पढ़िनहार ि पीकार (रिजस्ार वा धम र्शास्ी) िथकाह।किलयुगाकूल प ूव र् समय जेका ँ पीकारक परामश र् िब लेनहु ँ िववाहक िनण र्य कऽकादान कऽ लैत छिथ जे परम अिचत िथक।64


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्जे पीकार हमरा लोकिनक लोकार ा प ूव र् पुषक अिभलेख (रेकडर्) रािख आवैह िवा पढ़ि◌ अपन जीवनयापन करैत छिथ हुनक आिथ र्क ोत एक मा ईएह जेहमरा लोकिनक सान (वर वा काक) जखन समय आओत तखन हुनक परामश र् शुदऽ हण करी। से वष र्मे कतेक होइछ। यिद ईएह राा रहत तँ ई िवा लुभऽ जायत।एिह पीक म ू सरकारोक ायालयमे कम निह छैक जेकर िनािकत ं एक उदाहरणदेखू-उदाहरण- एक राजपिरवार व ंशिवहीन भऽ लु भऽ गेल। हुनक सब सिमे सँिकछु सि महाराज दरभंगाकेँ भेल आऽ िकछु सि बलीक राजाम ृतराजपिरवारक उरािधकारीसँ कीिन लेल।एकर बाद महाराज दरभंगा ायालय जाय बली रापर ई किह जे ओऽ (वलीरा) अनिधकृत िकन छिथ। मोकदमा बहुतो िदन चलल। द ुन ू पक्षसँ िदज वकीललोकिन छलाह। उरािधकारक हेतु द ुन ू पक्षकेँ ई पी-ब मा भेल। जािहमेबली राक पीकारक पमे उ पीकार जिनक िवषयमे ई लेख िलखल जाऽरहल अिछ, िहनक प ू .िपता तथा ई, द ुन ू गोटे ं मोकदमाक बहसक लेल िनयुभऽ पी-ब पुकक अिभलेख ायालयक जजकेँ देखओलिन। एकर बाद बलीरा “िडी” पओलक था ई द ुन ू िपता-पुक मा सान कयलक।एिहसँ िस भेल जे उ पीकारक पी सुरिक्षत रिह पीकारक योतोकेँ िसकएलक।िहनक िनलो र्भताक वण र्न सेहो देखू:-एक राजदरबारमे कादान उपित छल। तािहमे परामश र् (िसा)क हेतु अकोपीकार बजाओल गेल रहिथ तािहमे ईहो रहिथ। राजदरबारक बात रहैक।राजाकेँ अपन काक हेतु ई वर पिस रहिथन। ई पीकार अ पीकारसँवाता र्लापमे कहलिथन जे औ पीकारजी! ऐ वरक अिधकार तँ निह होइत छैक।ओऽ उर देलिथन जे अहा ँ बताह भेलहँ ु हेँ। राजाक बात िथकैक। राजाकेँ काजपिस छिन। एिहमे अरा निह लगिबयौक। नीक पारिमक भेटत। ई मो-मोन िवचारलि जे ऐ पापक भागी (पैाक लोभमे पड़ि◌) हम िकयैक होउ।िकछु कालक बाद बाभूिम (पैखाना) जेबाक बहाना बनाय ओतयसँ भािग अयलाह।िहनक िकता सेहो तेह छल। सब िदन ार सा, तप र्ण, गायी जप,शािलामक प ूजा िब कए िवु भगवानक चरदक तथा तुलसीपात िब खए!अ-जल निह करैत छलाह।65


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्एकर अितिर काितर्क मास जखन अबैक तखन भिर मास धाीयैक गाछतर हिवाभोजन करिथ। ऐ सँ हुनक प ूण र् िकताक पता चलैत अिछ।ड◌ॉ. रेर िम- िमिथला िवभूित पं मोदान झादस वष र्क अायुमे हुनका वतर्मान मध ुबनी िजलात सौराठ गाम िवायन लेलपठाओल गेलिन। ओतय हुनक गु आ आयदाता रहिथन ातनाम पंजीकार पं.िवनाथिस िनरस ू झा, जिनकर िपता ल ूटन झा मोदान झाक मौसा रहिथन। पंजीशास्कअयन लेल सामातः पह वष र्क कालाविध समुिचत मानल गेल छैक मुदा मोदानझा दसे-एगारह वष र्मे गु-कृपासँ िनात भेलाह। ओना ओऽ पह-बीस वष र् धिरलगातार गु सािमे सौराठ रहलाह आऽ बादोमे आजीवन, िवशेष पसँ वािष र्कवैवािहक सभाक अवसरपर सौराठ अबैत-जाइत रहलाह आऽ तािह ममे बाटमेदरभंगा ित हमर नरगौना िनवासपर ओऽ किनयो देर लेल अव आबिथ। हमरिपता ड◌ॉ. मदर िम लेल हुनका िवशेष ेह आऽ सान रहिन आऽ हमर एकिप पं. नागेर िमक ओऽ समे साढ़◌ू रहिथन। हमर एकटा पीसा . िदगरझा हुनकर िपितयौत रहिथन। जे हो, िवाधयन समा समा भेलापर राज-दरभंगा ारा आयोिजत धौत परीक्षामे १९४० मे ओऽ सवो र् ान ा कयलिन।हुनका संग उीण र्ता ा केिनहार अ द ू महप ूण र् पंजीकार छलाह ककरौरक हिरननझा आऽ सौराठक िशवद िम। एिह सफलता लेल महाराज सर कामेर िसंहकहाथे तीन ू गोटाकेँ धोती देल गेलिन, मुदा सवो र् घोिषत भेलाक कारँ मोदानझाकेँ दोशाला सेहो देल गेलिन। पारिरक िमिथलामे धौत परीक्षामे उीण र् भेनायबड़का सान होइत छल मुदा ताहूमे सवो र्ता पायब तँ अपमे छल। तिहयासँअनवरत ओऽ अपन जीवन-पय र् िमिथलाक ायः सवािधक र् समादृत पंजीकार रहलाह।मोदान झाकेँ पािब पंजीकारक वसाय ध भेल। १९६२ मे िनरस ू झाक िदव ंगतभेलापर ओऽ सौराठ ितवष र् िनयमप ूव र्क वैवािहक सभामे मा अपन नाम बढ़यबा लेलनिह बि अपन गुक ऋण अदाय करबाक िवचारसँ सेहो जािथ। ताधिर िनरस ू बाब ूकद ुन ू बालक छोट रहिथन आऽ पंजीकारी निह करिथ। हुनकर जेठ बालक ोफेसर(ड◌ॉ.) कािलकाद झा, जे सम्ित लिलत नारायण िमिथला िविवालयक संृतिवभागक अक्ष रहिथ आऽ िवगत लगभग दस-पह वष र्सँ दरभंगामे रिह रहल छिथ(पिह मगध िविवालय, गयामे रहिथ) आब सिय पेँ अिधकार जँचबा आ िसािलखबाक काज करय लागल छिथ। तािहसँ पिह मोदाने बाब ू अपन गुक ओिहठाम66


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्अयिनहार लोकिन लेल िसाािद िलखिथन। ततबे निह ओऽ िनरस ू बाब ूक पुलोकिनकेँ पंजी-ज्ञान सेह् देलिथन आ आइयो कािलकाद बाब ू गु पिह हुनकाित ा रखैत छिथ।मोदान बाब ू पंजीकारीक वसायसँ जे धनाजर्न करिथ तािहसँ सु छलाह। िसािलखबासँ तथा िवदाइसँ हुनका पया र् कमाइ होइन आओर खेत-पथारसँ सेहो नीकआय होइत छलिन।कमाइसँ बेसी हुनकर अिभिच ज्ञानक िवारमे आ पंजीसँ सित िवषयपर शोधकरबामे छलिन। मैिथलीक महान ् िवान, आलोचक आ समीक्षक ड◌ॉ. रमानाथ झाक संगओऽ प ृथक-प ृथक िविभ म ूलक िवात छिव, िवान ् आ राजा-जमीार सबहक व ंश-पिरचय तैयार करबा िदस व ृ भेलाह आ तकरिह पिरणाम छल पिण ू र्या ँक िसबली राजव ंशक पिरचयाक पुक अलयीकुल काशक काशन। आन एहन कारककृ निह तैयार कयल जा सकल तकर हुनका भ छलिन। हुनकर शोधपरकसोचक अंग छल एक अ पिरयोजना जािहक अत िविश गाममे बसिनहार मैिथलाण सभक बीजी पुष धिरक पिरचयाक िववरण तैयार करब अभी छल। ओऽसव र्थम कोइलख गामक समे एहन रचना िलखलिन। ओऽ हमरा तकर कितपय अंशसुबो कयलिन। हुनकर इा रहिन जे उ रचनाक काशन हो मुदा से आइ धिरनिह भऽ सकल अिछ। उपयु र् द ुन ू कारक शोध पिरयोजनाक पंजीकार समाजमेसामातः आलोचना भेलैक िकयैक तँ ओऽ अपन रचनामे एह िववरणक सिवेशकरय चाहैत रहिथ जे पंजीकारीक वसायमे कािशत करब विजर्त कहल जाइतछैक- वुतः ओऽ िववरण सभ द ूषण पीक अंग होइत छैक जािहमे ि आऽपिरवार िवशेषक समे ज्ञात अशोभनीय आ अका बात उििखत रहैत छैक।एिह ममे एक तेसर पिरयोजना, जािहपर ओऽ उैस सय पचासिहक दशकमे काय र्आर कयलिन छल, ओहन पीकार पिरवार लग उपल पाुिलिपक संह करब जािहपिरवारमे आब ो पंजीकारीक वसायमे निह रिह गेल रहिथ आ हुनकर पंजी-पोथीसभ न भऽ रहल छलिन। िपताक म ृु भऽ गेलासँ हुनकर दरभंगा सकर् घिटगेलिन आ पिण ू र्या ँमे पािरवािरक सिक बनमे अपेक्षाकृत बेसी समय लगबयपड़िन। तथािप हुनकर शोध-दृ ि बनल रहलिन आऽ ओऽ अपेक्षा करिथ जे सामािजकिवज्ञानमे आधिनक ु शोध तकनीकसँ पिरिचत ो ि हुनका संग रिह उपयु र्पिरयोजना सभ तँ प ूण र् करबे करिथ पंजीसँ सित आआन िवषयपर काजकरिथ। हुनकर ई अिभलाषा निह प ूण र् भेलिन मुदा हुनक पु मोहनजी, जेपीकारीक पैिक वसायमे लािग िमक पेँ कौिलक िताक िवार कय रहलछिथ। आ अकरणीय पसँ िपभ सेहो छिथ, एिह िदशामे भिवमे ियाशीलभऽ सकैत छिथ।67


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्यं शोधपरक दृ ि आ िच रखिनहार मोदान बाब ू िजज्ञासु लोकिनक मदितकरबालेल सदित तर रहैत रहिथ। हमरा कमसँ कम द ू अवसरपर एकर लाभभेटल। हम १९८७-८८मे िबहार िही अकादमी, पटनाक अरोधपर िबहारक एकप ूव र् मुम ंी पं. िवदान झाक जीवनी िलिख रहल छलहु ँ मुदा हुनकर व ंश-पिरचयकतहु ा निह छल। आधा-िछधा भेटबो कयल तँ ामािणक निह। हम कैकटापंजीकारसँ एिह समे िजज्ञासा कयलहु ँ मुदा थ र्। मा मोदान बाब ू स ूचना देलिनजे हुनकर एक पिरजन . िगिरजान झा गंगाक दिक्षण बसल मैिथल ाण आ पंडासभक व ंशावली तैयार करबाक ु यास कयलिन आ अपना संग िशवनगर ित हुनकरघरमे जाऽ ओिह संहमे िवदान झाक व ंश पिरचय तकबाक चेो कयलिन, मुदाहुनकर पंजी-पोथी सभ वित आ संगिठत निह भेलाक कारँ से संभव निहभेल। जे हो, हमरा ई अव ज्ञात भऽ गेल जे यिद . िगिरजान झाकपोथी-पंजी वित निह कयल गेलिन तऽ गंगाक दिक्षण बसल मैिथल ाण लोकिनकप ूव र्जसँ सित महप ूण र् स ूचना सभ लु भऽ जेतैक िकयैक तँ िगिरजान बाब ूकपिरवारमे आन िकनकहु पंजीकारीक वसायमे िच निह छिन। दोसर अवसर छलजखन भारतीय इितहास शोध पिरषदक अरोधपर हमरा पिण ू र्या ँ िजलाक धमदाहााममे उ सुिवज्ञात इितहासकार ोफेसर जगदीश च झाक अंजीमे िलखलिवलक्षण पोथी “माइशन ऐड एचीवमेट्स ऑफ मैिथल पंिड: िद माइैट ौलस र्ऑफ िमिथला (८००-१९४७)क १९९० मे समीक्षा िलखबाक छल। ओिह पोथीक पिरिशमेकम-सँ-कम तीन पंिडत (१) महामहोपााय नन िस दीनबु झा, (२) म.म.भवनाथझा आ(३)म.म.गुणाकर झा केर व ंश पिरचय देल छल िकु लेखककेँ हुनका लोकिनकम ूल ज्ञात निह भऽ सकलिन। मोदन बाब ू क्षण भिर ान भेलाह आ कहलिन जेई लोकिन मशः खौवालय सुखेत, नरौ प ूरे आ खौवालय नाहस म ूलक छलाह।एतय ई कहब आवक जे म ूल आ एक-द ू खाढ़ि◌क िक नाम देल रहलापर आनसित स ूचना देव संभव छैक मुदा उपयु र् उदाहरणमे तँ उनटा बात छैक आतैयो मोदाने बाब ू सन पंजीकार छलाह जे वािछत ं स ूचना ताल देबामे समथ र्भेलाह। ओ ओिह पुकमे उििखत पह खनाम म ूलक िस िवान ् गोकुलनाथ,हुनक िपता पीतार आ पु रघ ुनाथक िवषयमे बतौलिन जे ओ तीन ू िमिथलाक बारहसडयी अथवा सव र्ज्ञाता िवान ् मे सँ छलाह। गोकुलनाथक िपतामहक नाम रामभछलिन, रामच निह। एतबिह निह ओ इहो बतौलिन जे िमिथलाक एक घ ुमड़ िवान ्ककरौर वासी पड़वे महेपुर म ूलक गुणाकर झाक एक व ंशज धीरे झा सेहो छलाहजे आइसँ लगभग चािर सय वष र् प ूव र् ब ंगाल जाय ओतुा ाण सभक पंजी-स ूचनाकसंशोधन-संवर्नक ममे अक ातर ि सभकेँ ाणक पमे पंजीमेपिरगिणत कय देलिथन। अपन पंजी-पोथीमे उ धीरे झा अपनाकेँ आ अपनिपताकेँ पंजी पंचानन किह सोिधत कयलिन अिछ। एहन कतेको स ूचना मोदान बाब ूिजज्ञासु ि सभकेँ दैत रहैत छलिथन।68


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्ओ अपन समाजमे अपन िवता, उदारता आ सहज सम्षणीयताक कारँ सव र्समादृत रहिथ। हम जखन छट छलहु ँ, आइसँ ायः पचास वष र् प ूव , र् ओ हमर गामिवुपुर अथवा पिण ू र्या ँ शहर ित हमर डेरा आबिथ तऽ सूण र् पिरवार हुनकरसानमे स रहैत छल। ओ सभक छुइल भोजन किहयो निह कयलिन। बेसी कालसभ सामी दऽ देल जाइन तऽ ओ अपन पाक अपनिह करिथ। हमरा ब ूझल अिछजे कैक बेर हमर सभसँ जेठ िपी, पिण ू र्या ँक अ समादृत ओकील आ भिर िबहारमेसभसँ बेसी अविध धिर सरकारी ओकील रहिनहार . किपलेर िम अपन हाथें हुनकालेल पाक करिथन। हमरा पिरवारमे तऽ हुनका सदैव सान भेटबे करैत रहिनमुदा अो कम निह। एक बेरक घटना सुनबैत ओ कह छलाह जे ओ वतर्मानबा ंा देशक एक मैिथल ाण बहुल गाम बोधगाम गेल छलाह जतय हुनका चुरिवदाइ तऽ भेटबे कयलिन ओतुका लोक सभ हुनकर पएर पखािर चरदक सेहोले रहिन।मोदान बाब ू अपन िचनमे एक तरहेँ गितशील आ सुधारक सेहो रहिथ। हुनकरचेा रहिन जे पंजीकार लोकिन मा अिधक सँ अिधक धनाजर्न मे लािग अपन विकृिताथ र् सेहो सोचिथ। हुनका ई नीक निह लगिन जे पंजीकार सभ एक दोसराकित ेष भावसँ काय र् करिथ। हुनकर इा रहिन जे सभ िमिल पंजी आओरपंजीकारक संाकेँ जीव बनाबिथ तथा समाजमे हुनका सभकेँ जे आदर ा रहिनतकर लाभ लए समाजकेँ िदशा िनदेर्श देिथन। ओ राजदरभंगाक िनदेर्शमे चिल रहलपंजी वाक जातंीकरणक पक्षमे रहिथ जािहसँ ाण समाजक सभ वकितिनिध िमिल ओिहना परमानगी दय जातीय रीकरणमे समय-समयपर वािछतंपिरवतर्न करिथ जेना राज दरभंगाक तावधानमे अतीतमे कैक बेर कयल गेलछलैक। जे को ाण पिरवार पंजी-वा िविहत रीितसँ नीक वैवािहक सकरिथ तिनकर रोयन करबाक ओ पक्षमे रहिथ। १९६६ मे हमर िपी ड◌ॉ.रामेर िमक िववाह जखन सोनपुर (उजान) वासी िस ोिय ाण . द ुगे र्रठाकुरक कासँ िर भेलिन तँ मोदान बाब ू राजसँ परमानगी ा करबामे तऽसहयोगी भेबे केलिथन, सौराठमे अिधका ंश पंजीकारक बैसक बजाय सभक सहमितसँहमर िपतामह लाल िमक सभ सित लेल कौली पािजक ँ ापना सेहोकरबौलिन। ओ ायः खभगड़◌ा (अरिरया िजला) वासी . बालकृ झाक पिरवार आकितपय आ पिरवार लेल एह रोयनक पक्षमे रहिथ। हुनकर म रहिन जेजमीारी थाक उूलनसँ आन अक संाक संग पंजी वाक सेहो बड़ क्षितभेलैक। जमीार लोकिन पररा आ संृितक सोषक रहिथ मुदा आब हुनकरान लेिनहार सरकार अथवा को आन संा से काज तािह पेँ निह कऽ पािब रहलअिछ। पंजीकार लोकिनक द ुद र्शाक एक कारण जमीारक समाि सेहो भेल। हुनकासोष रहिन जे पटनाक मैिथली अकादमी सन संा हुनक जीवन पय र्क सेवाकमाता दय हुनका सािनत कय छलिन, मुदा से संभव भेल छल अकादमीक69


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्तालीन अक्ष ड◌ॉ. मदर िमक िगत याससँ, अथा आन िकछु ोिय,यो आ कुलीन पिरवारकेँ छोड़ि◌ अकशः मैिथल ाण पिरवारेकेँ जखन पंजीकारअथवा हुनका ारा कयल िसाक योजन निह रहलिन तऽ ातर समाज आायशः तकरिह ितिनिध सरकार पंजीकारक िितमे सुधारक को य िकयैककरत।िमिथला िवभूित . मोदान झाक ृितक संरक्षणाथ र् ई सव र्तोभावेन वा ंछनीय अिछ जेपिण ू र्या ँमे हुनका ारा सुिवचािरत शोध पिरयोजना सभपर काज करबाओल जाय, .िगिरजान झा सन िमिथला भिरमे पसरल पीकार लोकिनक ओतय उपल ओ पंजी-पा ंडुिलिप सभक संह कयल जाय जे आब कितपय कारणसँ उपयोगमे निह रिह गेलअिछ, मैिथल म ूल ाम सभक अिभज्ञान ा कयल जाय तथा ज्ञात अथवा अज्ञातमैिथल ाण पिरवारक िविशताक चाराथ र् पिरचयाक िववरिणका तैयार करबाओलजाय। पंजी वा िनयतः पतुख अिछ मुदा मोदान बाब ूक बताओल मापरजौ ं शोध काय र् कयल गेल तऽ िमिथलाक सामािजक-सा ंृितक इितहासक अभूतप ूव र्सेवा होयत।ोितोितकेँ wwwpoet . r y. comसँ संपादकक च◌ॉयस अवाडर् (अंजी पकहेतु) भेटल छि। हुनकर अंजी प िकछु िदन धिर wwwpoet . r ysoup. com केरमु प ृ पर सेहो रहल अिछ। ोित िमिथला िचकलामे सेहो पार ंगत छिथ आऽिहनकर िमिथला िचकलाक दश र्नी ईिलंग आट र् ुप केर अंतत ईिलंग ◌ॊडवे,लंडनमे दिश र्त कएल गेल अिछ। िमिथला पेिट ं ंगक िशक्षा सुी ेता झासँ बसेराइ ंीूट, जमशेदपुर आऽ लिलतकला तूिलका, साकची, जमशेदपुरसँ।ोित झा चौधरी, ज ितिथ -३० िदसर १९७८; ज ान -बेवार, मध ुबनी ;िशक्षा- ामी िववेकान िम िडल ूल◌ िटो साकची गर् हाई ूल◌, िमसेज के एमपी एम इटर कालेज़, इिरा गाी ओपन यिनविस ू र्टी, आइ सी डबू ए आइ(क◌ॉ एकाउेी); िनवास ान- लन, य.के.; ू िपता- ी शुभंकर झा, ज़मशेदपुर;माता- ीमती सुधा झा, िशवीपी। ''मैिथली िलखबाक अास हम अपन दादी नानीभाई बिहन सभकेँ प िलखबामे कए छी। बेसँ मैिथलीसँ लगाव रहल अिछ। -ोित70


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्एम पी टूरपिहल िदन23 िदसर 1991 सोम िदन :हमसब अपन िशक्षक ारा िनदेर्िशत प ूव र् सिचत ू काय र्मासार 2◌ः30 बजे दोपहरमेेशन पहु ंचलह◌◌ं। ओतऽ अपन सहयाी साथी सबसऽ भेंट करक उत् सुकता तऽभािवक छल। संगिह अपन अिभभावक ारा िशक्षक सबलग िचा क् त केनाइर ्सेहा◌े आय र्जनक निहं छल। अगर िकछु नब छल तऽ िशक्षकगण◌ िकछु िवाथीर् एवम ्मण करैलेल चुनल गेल ान।हमर सबहक िजज्ञासा तहन किनक धैय र् पौलक जखनगाड◌◌ी प ्लेटफा◌म र् पर आयल आ हम सब िरजव र् ब◌ॉगीमे अपन सामानरखलहु ं।गाड◌◌ी ठीक साढ◌◌े तीन बजे िवदा भेल। हमहु सब अपन अिभभावकसबके टाटा करैत अपन नब टोलीमे जिट ु गेलहु ं।द ू तीन घंटाक भीतर चधरपुरआबैत आबैत हमर सबहक बढ◌ि◌या िचा पिरचय भऽ गेल।एक स बढ◌ि◌ कऽएक नब प्राितभा ् उभरैत गेल।िकया◌े न ृत् य सऽ सबके मना◌ेर ंजन केलक तऽिकया◌े माउथ आ◌रगन सऽ सुर ध ुन सुलक। चुटकुला िका आ गीतके तऽ अेनिहं।बीच बीच मे बाहरक दृक अवला◌ेकन सेहो करी लेिकन ओ अतेक मर ंजकनिहं छल जेहेन ब◌ॉगीक माहौल छल। तैयो जखन ेशन पर गाड◌◌ी कै तऽअपन हा हुड◌ हम सब कम कऽ दएत छलहु ं। इ िशक्षक सबहक आदेशछल।अिह तरहे आिह के िदन िचा पिरचय आ याा मे बीतल।ेशन पर सऽखरीदल नाा आ रेलवेक भोजन सऽ काज चलल। राइतमे सुतै काल हमरा सबकेबहुत हंगामा होएत छल। सब एक दोसरक एअर िपो के नाब िनकाइल दैत छल।ज◌◌ं नाब भीतर िदस राख ू त िपन भोइक कऽ हवा िनकाइल दैत छल। कोतरहे िबना तिकये के स ूतक छल तखन िकयै िपन भा◌ेकवाकऽ तिकयाकेआगा◌े◌ंलेल खराब किरतहु तै ं नाब िनकालक मौका देनाइ बेसी ठीक लागल।कािजी उतरक छल तै ं कम सऽ कम समान िनकाल रही जे हरबरी मे िकछु छुटैनिहं।िजते झा- जनकपुर71


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्अरािष्य र् मैिथली पिरषद अपन िबिभ माग सिहत भारतकराजधानी नया ं िदीित जर मरमे धना र् देलक अिछ । सोमिदन देल गेल एिहधना र्मे भारतक िविभ ानसं आएल मैिथल आ संघ संाक ितिनिध सहभागी रहिथ ।जर मरमे भेल एिह धना र्मे िमिथला क िवकासक लेल अलग िमिथला राबनाओल जाए से माग कएल गेल । अरािष्य र् मैिथली पिरषद एिह अवसरपरराष्पित ितभा पािटलके ज्ञापन प सेहो ब ुझौलक । ज्ञापन प ब ुझेिनहारितिनिध मलमे डा भुव·◌ार साद गुरमैता, डा रिब झा, डा धनाकर ठाकुर,डाकमलाका झा, चुनचुन िम, भवेश ननसिहतके सहभािगता छल । पिरषदक धना र्मेिदीमे रहल िविभ राजनीितक दलसं स तालोकिन सेहो सहभागी रहिथ।पिरषदक पालक पदािधकारी आ काय र्कता र् सेहो धना र्मे सामेल रहिथ । धना र्मेभीख़ नंिह अिधकार चाही हमरा िमिथला रा चाही से नारा लगाओल गेल रहए ।पिरषद मैिथली भाषाक आधारपर रा बनएबाक माग करैत आएल अिछ ।कोना बचाएब संृितक िवरासत ?िमिथलाक पररा आ धरोहिरके मौिलक िविशता गुिमरहल कहैत िवज्ञसभ िचा कएलिन अिछ । संृितक अपन अलग ान बा ंचल रहए से डा गंगेश गुजक कहबछि । मैिथली संृितक िविभ पक्षपर नया ं िदीमे २५ िदसरक' स गोीमेबजैत गुजन मैिथली संृितक संरक्षणपर जोड दे रहिथ ।नाटककार महे मलंिगया िमिथलाक लोकसंृितमे रहल टाना टापर, घरेलु उपचार,शकुन सिहतके िवषयके फ़िरिछयाक' ुत कए रहिथ । मैिथली संृितकसंरक्षणलेल एिहमे समािहत गुणके उजागर करब आवक रहल मलंिगया कहलिन ।िमिथलामे सातो िदन सात तरहक वु खाक' याा गेलासं शुभ याा हएबाक चलन आएह चलनमे रहल वैज्ञािनकता िदश ान जाएब आवक रहल ओ कहलिन ।72


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्सािहकार देव श ंकर निवन मैिथली भाषा संृितके मुल भावना िवपिरत होबए बलाकाजके अपमािनत कएल जाए से कहलिन । मैिथलीक मौिलकताके लितयाक' कएलजाए बला को काजके बिहार कएल जाए निवनक िवचार छि । गायक,सािहकार सिहत सभके मैिथली गीत संगीत, भाषा संृितके ितकुल असर होब बलाकाज नई करबालेल ओ आह कएलिन । नल आ रहीन ुितके अपमािनतकरबालेल निवन आह कएलिन ।मैिथली भोजपुरी एकेडमीक अक्ष अिनल िम िमिथलाक सा ंृितक िवरासतके िवकासकसावना बढाओल जाए से कहलिन । सािह, लोक संृितके सम◌ॄ कएल जाए सेकहैत ओ मैिथली भोजपुरी एकेडमी एिहिदशसं एिहलेल काज हएबाक ितबता कएलिन । िमिथला संृित लेल कएल जाएबला काज आपसमे बािट ं लेल जाए सेिमक सुझाव छि । संृितक िवरासतके रेखाङिकत करैत रोड मैप बनएबापर ओजोड देलिन । संचारमाममे मैिथलीके ान भेटए तािहलेल यास कएल जएबाक ओजनतब देलिन । िदी सािरत सरकार द ुरदश र्नमें मैिथलीक ानलेल िदीकमुमी शीला दीिक्षतके ज्ञापन पेश कएल जएबाक आश्र्वासन देलिन ।सुभाषच यादव एकमा वा रहिथ जे अपन िवचार पिहनिहये सँ िलिख क' देरहिथ से एतए ुत अिछ।-मैिथली लोक-कथासुभष चं यादवमैिथली मे लोक-कथा पर बड़ कम काज भेल अिछ। लोक-कथाक िकहुए संकलनउपल अिछ आ से ृितक आधार पर िलिपब् कयल गेल अिछ, फील्ड वकर्क आधारपर निह । लोक-सािहक को इकाइ हो, ओकर एक सँ अिधक प िवमान रहैतछैक , जे फील्ड वकर् कयले सँ ा भऽ सकैत अिछ । ृित मे ओकर मा एकटाप रहैत छैक, जकरा सवो र्म प मािन लेब आनक भऽ सकैत अिछ । लोक-कथा क जतेक संकलन अखनधिर भेल अिछ, से अप ूण र् अिछ ।मैिथली मे लोक-गीत, लोक – गाथा आ लोक – देवता क लेल तऽ िकछु फील्ड वकर्कयलो गेल, लोक – कथाक लेल भिरसे को फील्ड वकर् भेल अिछ । आब जखनएक युश्त सँ दोसर पुश्त मे लोक – सािहक अंतरण िदिदन संकट भेल जारहल अिछ, तै ं एकर संश्क्षण जरी अिछ ।73


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्लोक – सािहक संश्क्षण मा एिह लेल जरी निह अिछ जे ओ अतीतक एकटा वुिथक; ओ अपन समयक िवमश र् आ आवाचन सेहो होइत अिछ आ एकटा ितमानउपित करैत अिछ । ओकर पक, तीक , भाव आ िशक उपयोग िलिखतसािह मे हम सभ अपन-अपन ढंग सँ करैत रहैत छी । तिहना िलिखत सािहसेहो लोक-सािह केँ भािवत करैत रहैत अिछ ।लोक-सािह संब ंधी अयन मुत: ान आ कालक िनधारण र् पर केित रहल अिछ ।ओकर काय, र् अिभाय आ अथ र् सँ संबिधत ं अख उपेिक्षत अिछ । मैिथली मेतऽ लोक-सािह संब ंधी अयन अखन ठीक सँ शुओ निह भेल अिछ । जे पोथीअिछ, तािह मे लोक-सािहक पिरभाषा आ स ूची उअपित कयल गेल अिछ ।लोक-कथाक उपल संकलन सभ मे ओहन कथाक संा बेसी अिछ जे देशा ंतरणककारँ मैिथली मे आयल अिछ। मैिथलीक अपन लोक – कथा, जकरा खा ँटी मैिथलकिह सकैत िछऐक , से कम आयल अिछ ।रामलोचन ठाकुर ारा संकिलत मैिथली लोक-कथा, जकरा हम अपन एिह अंत संिक्षअयनक आधार ब छी, ताहू मे खा ँटी मैिथली लोक-कथा के अिछ । लोक-कथाक अिभाय आ अथ र् संब ंधी अपन बात कहबाक लेल जािह द ूटा कथाक चयन हमकय छी, से अिछ — ‘एकटा ब ुढ़ि◌या रहय ‘ आ ‘ एकटा िचनता खेिलऐ रओ भैया‘।एिह द ुन ू कथाक वातावरण िवशु मैिथल अिछ । द ुन ू क िवमश र् , आवाचन आितमान मैिथल-मानसक अप अिछ । द ुन ू कथाक िवमश र् ाय पर कें ित अिछ ।पिहल कथाक ब ुढ़ि◌या दािलक एकटा फा ँक लेल बरही, राजा , रानी , आिग, पािन आहाथी केँ ाय पयबाक खाितर ललकारैत अिछ, िकएक तऽ ख ुी ओकर दािल का लेछैक आ दऽ निह रहल छैक ।र्ूूकथाक िवमश पाक प मे एना भेल अिछ – हाथी – हाथी – हाथी ! समुसोख समु । समु अिगन िमझाबय , अिगन । अिगन रानी डेराबय , रानी। रानी राजा ब ुझाबिथ , राजा । राजा बरही डा ँड़िथ , बरही । बरही ख ुी चीड़य , ख ुी। ख ुी दािल िडअय , दािल । की खाउ , की पीब , की लऽपरदेसजाउ।जाइत अिछ । चुी तैयार भऽ जाइत छैक । फेर तऽ चुीक डरँ हाथी ,हाथीक डरँ समु , समुक डरँ आिग , आिगक डरँ रानी , रानीक डरँ राजा ,राजाक डरँ बरही ाय करक लेल तैयार भऽ जाइत छैक आ ख ुी ब ुढ़ि◌या केँ दािलदऽ दैत छैक ।74


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्ई कथा रामलोचन अपन माय सँ सुनन छलाह । ओ कहलिन जे माय वला व ृा ंत मेब ुढ़ि◌या हािथए लग सँ घिर ू जाइत छैक । िलिपब करैत काल ओ एकर पुनस ृर्जनकयलिन । हुनक िलिपब कयल व ृा ंत मे ब ुढ़ि◌या हािथयो सँ आग ू चुी धिर जाइतअिछ । ब ुढ़ि◌या केँ चुी धिर लऽ गेनाइ कथाक ंजना मे िवार अत छैक ।लेिकन लोक – कथाक एहन लेखन कतेक उिचत अिछ ?एिह कथाक आ वाचन ब ुढ़ि◌याक मामे कट भेल अिछ । अपन िितक ितब ुढ़ि◌या जे ितिया करैत अिछ , सएह एिह कथाक आ – वाचन िथक । एकटादािलक बल पर ब ुढ़ि◌या परदेस जेबाक यार करैत अिछ । राजा- रानीक सेरभिर दािल देबाक ाव केँ ितरृत करैत अिछ । समु सँ हीरा – मोतीक दाननिह लैत अिछ । दािल पर अपन अिधकार लेल लड़◌ैत रहैत अिछ । ताय र् ईजे सपना देखबाक चाही । भीख आ दयाक पा निह हेबाक चाही । दान लेब नीकनिह । ािभमानी हेबाक चाही आ अपन हक लेल लड़बाक चाही ।कथा ई ितमान उपित करैत अिछ जे ाय संघषे र् कयला सँ भेटैत छैक ।’एकटा िचनमा खेिलऐ रओ भइया ’ ायक िववेकशीलता पर िवमश र् करैत अिछ ।मुिनया (िचड़◌ै) केँ एकटा चीन खेबाक अपराध मे ाणदंड भेटै वला छैक । ईिवमश र् पाकभेल छैक ।पमे चलैत छैक , जािह मे ओकर दाण अवा सेहो िचितबरदवला भाइ !परबत पहाड़ पर खोता रे खोंताभुखै मरै छै बाएकटा िचनमा खेिलऐ रओ भइयातइलएपकड़ जाइए ।फेर घोड़◌ावला अबै छै , हाथीवला अबै छै , ख ुी-वला अबै छै । मुिनया सभ सँिमनती करैत अिछ ।ओहो सभ खेतवला केँ पोबैत छैक;=छोड़बाक बदला मेबरद , घोड़◌ा , हाथी देबऽ लेल तैयार छैक ,लेिकन खेतवला टस सँमस निह75


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्होइत अिछ । जखन भूखे-ासे जान जाय लगै छैक , तखन ख ुीक बदला मेमुिनया केँ छोड़ि◌ दैत अिछ ।मुिनया कणा आ मानवीयताक आवाहन करैत अिछ । मृित मे कहल गेल छैकजे चुपचाप ककरो फूल तोड़ि◌ लेब चोिर निह होइत छैक ; तिहना ककरो एकटाचीन खा लेब को अपराध निह भेल । इएह कथाक आवाचन िथक ।कथा ई ितमान उप◌ित करैत अिछ जे सभक जीवक मोल बराबर होइत छैक। असहाय आ िनध र् केँ जीबाक अिधकार छैक । एिह संसार मे ओकरो लेल एकटाेस (जगह) हेबाक चाही।ाम भ मैिथली भाषाक अपन संचारमाम हुअए से माग कएलिन । एिहलेल संगिठतयास करबालेल ओ काय र्ममे आह कएलिन । िबहारमे अितिर भाषाके णीमेमैिथलीके राखल गेल कहैत भ रोष कट कएलिन । माभाषाक णीमे मैिथलीनई भेलासं िवाथीर् मैिथली नई पिढ रहल हुनक दाबी छि ।र ंगकमीर् िमला झा मेमोिरयल घोंघौरक ी ीनारायण झा मैिथलमेितबताक कमी हएबाक िवचार कएलिन । िहीमे िलखिनहार मैिथल ाअपन मैिथली भाषामे िकया नई ं िलखैया नारायणक ित रहिन । मैिथलीके समा ंगआ समान द ु रहैत िित सोषजनक नइ रहल ओ कहलिन । अ् म असिचमेूमैिथली आिब गेलाक बाद आब सहज पे भाषा संृितक काज आगु बढए नारायणकहलिन ।76


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्गोीमे मैिथलीलेल काज कएिनहार संाक वतर्मान भूत भिवपर सेहो वासभबाजल रहिथ । मैिथलीमे र ंगकम र्क िवकासके बात होइतो एिहमे काज कएिनहारकेोाहनलेल को पक्षसं ान नई देल गेल कहल गेल । िमला झा नाटयवितृशु भेलाक बादो एोटा नव पुरार/विक ृ शुवात नई भ' सकल मैलोर ंगक काशझा कहलिन । तिहना झा एकगोट मैिथल दोसर मैिथल पर िवश्र्वास करए तसभ तरहक समा समाधान हएत कहलिन । मैिथलबीचके आपसी िवश्र्वासके ओिवकासक म ूलमके संज्ञा देलिन ।अरािष्य र् मैिथली पिरषदक कृपान झा सरकारी रपर मैिथलीके संरक्षण नई भेटरहल कहैत रोष कट कएलिन । मैिथलीक संरक्षण लेल िमिथला रा ापना हुअए- झा कहलिन । मैिथली भाषा संृितिदश लागल संा आिथ र्क संकटसं रहलकहैत ओ गोीमे सहभागीके ानाकष र्ण करौ रहिथ ।िवापित संगीत संरक्षणलेल योजनाब काज हएब आवक रहल गाियका अंशुमालाकिवचार छि । िदी युिनविस र्टीमे संगीतसं एम फ़ि◌ल क' रहल अंशुमाला िवापितसंगीतले ािपत करबालेल ाकरणक आवकता पर जोड देलिन । मैिथलीमेलोकसंगीत आ युवाबीचके द ुरी बढब िचाक िवषय रहल ओ कहलिन । 'लोकसंगीतनई ब ुझिनहार लडकीसं िवयाह नई करब एहन चलन हएबाक चाही' मैिथली संृितसंरक्षणलेल अंशुमाला सुझाव दैत बजिलह ।गोीमे सहभागी र ंगकमीर् अपन कथा था सेहो सु रहिथ । िदीमे रिहक'र ंगकम र् क' संघष र्रत कलाकार बाताबश गुणरहीन काज क' रहल मैलोर ंगक दीपकझा कहलिन । एिहारे कलाकारके अपमािनत करबाक काज िकयो नई करए िदपककेआह छि ।77


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्संृित बचएबाक अिभयानिमिथलाक सा ंृितक िवरासतके संरक्षण सर्नक लेल योजनाब काज करबा पर जोडदेल गेल अिछ । िमिथलाक सा ंृितक िवरासत : संरक्षण आ िवकासक सावनािवषयपर बजैत वासभ एहन िवचार रखलिन अिछ ।मैिथली लोक र ंग िदीक आयोजनमे २५ िदसरक' स मैिथलोवमे बजैतवासभ मैिथली संृित रक्षाक लेल ठोस काय र्योजना बनाओल जाए से कहलिन ।मैिथलोसमे भेल संगोीमे लोक नाटय, खानपान, हिश, लोक न◌ॄ, लोकिवश्र्वास, पुरातािक संरक्षण, िचकला, पाूिलिप, पाविन ितहार, देवी देवता, रीितिरवाज, मठ-मिर, पिहरन-ओढन, लोकसािह, लोकवा, िशाचार,मेला सिहतकिवषयपर वासभ बाजल रहिथ ।गोीमे कथाकार अशोक, कमलमोहन चुु, नाटककार महे मलंिगया, मोहन भाराज,सीयाराम झा सरस, सुभाष च यादव, गंगेश गुजन, मैिथली भोजपुरी एकेडमीकउपाक्ष ो अिनल िम, डा अिनल चौधरी, देवश ंकर निवन सिहत वासभ िमिथलाकसा ंृितक िवरासतक िविभ िवषयपर बाजल रहिथ ।भारतीय भाषा संान मैसुरक सहयोगमे मैलोर ंग नया ंिवालयमे काय र्म आयोजन कए छल।िदीक रािष्य नाटयमैिथलोसमे मैलोर ंग र ंगकमीर् मीला झा नाटयवि ृ सेहो िवतरण कएलक ।एिहबेरक नाटयविक ृ पओिनहािरमे पिहल मध ुबनीक मधिमता ु ीवाव, ितीय कोलकाताकवना ठाकुर आ तीय िदीक हा वमा र् छिथ।र ंगकमीर् मीला झा नाटयविक ृ ापना थम मिहला बाल नाटय िनदेर्शक मीला झाकृितमे भेल अिछ । मीलाक ृितमे ािपत मीला मेमोिरयल ,घोंघौर एिहनाटयवितक ृ ापना कए अिछ ।78


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्मैिथलोसमे संगोी, वित ृ िवतरणक बाद सा ंगीितक काय र्म आयोजन कएल गेलछल । सा ंगीितक काय र्ममे सुरम, घनाम, िदवाकर, भाकर, गुजन, अंशुमाला,कना िमा, राखी दास,रीतेस सिहतक कलाकार दश र्कके मरजन करौ रहिथ ।उमेश कुमार- पु ी केशव महतो, बहाद ुरगंजबहाद ुरगंज स’ िरपोट र्- बाढक िित बडे खतरनाक रहल, आब कोना के ओ बीतगेल। हमर सभक गाममे को राहत कमीर् अएला, ता सभ चुनाव मे अबैछथ, मुदा रौदी दाही मे ।गाममे सरकारी ूल अिछ, साहमे द ू िदन ख ुजल रहै ये, कशीबारी मे। चािर िदनबे रहै ये, अहा पकार छी िहते भैया ई मुा तै ं भेजी रहल छी। गामकलोक खेती बारी करै ये , धान,गेहूँ परवल खीरा, करैला, कू ,तारब ूज ,गोभी,बैगन आ मछली मारै ये।िवराटनगर पाल मे सेहो लोक सभ सी सभ छिथ, 20 िकमी द ूर बहाद ुरगंजमेहाीटल अिछ, गाममे झोलाछाप हाीटल अिछ जे झोलाछाप डारक झोरामे रहैये। िपछला साल एक गोटे के बहाद ुर गँज हाीटल ् ले गेलौ, डार सभ पानीचढा देलकै , तीन िदन तक पानी चढैते रहलै, िकयो खेनाइ देलकै, ओ पेटफूिल क मिर गेल।घर सभ फूसक आ घासक, धानक पुआरक बनल छै, अिगलेमे से सभ जरैत रहैतछै।एक-एक्अ आदमी के 5-6 टा बा िजबैत रहैत छै, 9-10 बामे।िवराटनगर लग गाम मे मौसाक घर गेलौ, ओतए सरकार मैिथली या पाली बाजयलेल कह अिछ, सभ गोटे ओत मैिथली बाजै छिथ, भारतमे िित खराप।पालमे मैिथली के नीक िितक कारन अिछ ओतुा मैिथली मा मैिथल ान आकन र् काय मे सीिमत अिछ, ओतय महतो यादव सभ मैिथली के अपन ब ुझैतछिथ. भारतमे कतेको ठाम मा द ू जाितमे सीिमत अिछ, तेसर के अशु कहल जैछै से ओ अपनाके मैिथली से द ूर के छिथ,जाित-पाित से अपन उित जे हुएमुदा समाजक उित हैत,जाित-पाित से मैिथलीक उित हैत,जाित-पाित सेिमिथला के उित हैत79


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्जाित-पाित से कुंठा लोक नीक रचना िलिख सकताह आ घ ृनामे जरैत रहताह।पालमे घर फूसोके छै मुदा बेसी लकडी आ टीना के छै। ओत खेती बारीभारते जेका छै। ओतहुओ हाीटल द ूरे छै।ओते िरा टेू चलै छै, खाली बस चलै छै। ओत गाे सेहो िबज्ली छै,गाममे मुदा रोड छै, ऊबर खाबर छै, बरसातमे कीचड्क्ष भे जाइ छै। शहरमेरोड ठीक छै। िवराटनगर से 20 िकलोमीटर द ूर नया बजार हिटयामे आधा बजारमे बजार आ आधामे दा िबकाइत छै, जतए छोट से पैघ बा सभी दा पीबैछै।आर समाचार बाद मे।अिक लेल संघष र् करैत पटनाक िवापित ृित पव र्-नवेु कुमार झािमिथला ंचलक सा ंृितक धरोहर महाकिव िवापितक जयीक तीक्षा िमिथलावासी वष र्भिर करैत छिथ। काितर्क धवल योदशीकेँ ित वष र् मनाओल जाएवला एिह वािष र्कउवमे प ूरा मयोगक संग िमिथलावासी शािमल होइत छिथ। एिह ममे राजधानीपटनामे आयोिजत होमएवाला िवापित ृित पव र्क तीक्षा सेहो राजधानीकिमिथलावासीकेँ रहैत अिछ। मुदा एिह वष र् एिह आयोजनपर जेना हण लािग गेलअिछ। बढ़◌ैत संसाधनक बावजूद आयोजक एिह सा ंृितक उवक प वष र्-दर-वष र्छोट कए जा रहल छिथ। ई आयोजन आब इितहास बनबाक ारपर ठाढ़ अिछ।पिछला चौबन वष र्सँ ित वष र् आयोिजत होमएवाला ििदवसीय काय र्म एिह वष र् एकिदवसीय होएबाक संवाद अिछ। पटनाक हािडर् ं ग पाकर्सँ सिचवालय मैदान आ िमलर हाईूल मैदान होइत ई आयोजन जखन भारत ाउट मैदान धिर आएल ता धिर ई80


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्उीद छल जे ई समारोह अपन पुरान गौरवकेँ फेरसँ ा करत मुदा जखन एिहसमारोहक ान पिरवितर्त कऽ कापरेिटव फेडरेशन पिरसर आिब गेल तऽ भऽगेल जे आब आयोजक मा खानापितर् ू करबाक लेल एकर आयोजन करैत छिथ।आ एिह बेरक स ूचनापर गौर करी तऽ होइत अिछ जे आब एिह समारोहकआयोजन मा औपचािरकता रिह गेल अिछ। कोसी मे आएल बाढ़ि◌ आयोजकसभकेँ एकटा बहाना बिन गेल अिछ आ एिह बहा एिह समारोहक गौरवप ूण र्इितहासकेँ समा करबापर लागल छिथ।बाढ़ि◌ िमिथला ंचलक िनयित अिछ। शायदे को वष र् होएत जखन िक एिह ाकृितकआपदाक सामना निह होइत अिछ मुदा एिह बेर कोसीमे आएल बाढ़ि◌सँ आयोजकसंा चेतना सिमितक कता र् धता र्केँ अपन गाम-घर दहाएल तँ हुनक दद र् जािग उठलआ काय र्मक समय-सीमा घटा देलिन। दरभंगा, मध ुबनी, मुजफ्फरपुर, सीतामढ़◌ीआिद िमिथला ंचलक कतेको सभ साल बाढ़ि◌क मािर झेलैत अिछ मुदा िबनाकावट सभ साल तीन िदवसीय िवापित ृित पव र्क आयोजन होइत रहल अिछ।ओिह सभक िचा सिमितकेँ शायद निह रहैत छल। ो बाढ़ि◌क समाक ितएतेक गंभीर छलाह तँ प ूव र्मे कतेको बेर आएल बाढ़ि◌क बाद एिह आयोजनकेँ छोटकएल जा सकैत छल से आइ धिर निह भेल। ो अहू बेर आयोजक एिह समाकित गंभीर रिहतिथ तँ एिह समारोहक मामसँ राजधानीक िमिथलावासीक सहयोग बाढ़ि◌पीड़ि◌तक मदित लेल लऽ सकैत छलाह। एहन रचनाक डेग संा उठाएत से संाककता र्-धता र्क आदित निह रहलिन अिछ। एिहसँ सिमितकेँ सामिहक ू य भेटैत से तऽसंाक महाभाव लोकिनकेँ कतहु म ंजूर निह छलिन। ओ तँ िगत य लेबापरिवास करैत छिथ।दरअसल चेतना सिमितक ज ुझा पदािधकारी सभमे आब काज करबाक चेतना निहबचल अिछ। निह तँ ओ एिहपर जर िचन किरतिथ जे एिह समारोहमे ितवष र्दश र्कक संा िकए कम भऽ रहल अिछ। जखन संाक रसँ दश र्ककेँ जोड़बाक कोयास निह भऽ रहल अिछ तँ एिहमे दश र्क िदससँ यास होएबाक बात सोचब िनरथ र्कअिछ। ओना आयोजक कतेको वष र्सँ एिह समारोहकेँ िवराम देबाक यासमे छिथ।कख चुनावक बहाना बना तँ कख कान ून वाक बहा एिह काय र्मक पकेँछोट क देलिन। एिह वष र् तँ कोसीक िवभीिषका तँ मान ू हुनक सभक मकूलवातावरण दऽ देलक। ारमे ििदवसीय आयोजनक तैयारीक बाद एकाएक एकराएक िदवसीय करब मा औपचािरकता लािग रहल अिछ जािहसँ िक जे िकछु मैिथलीमी छिथ अिगला वश र्सँ अपनिह एिह काय र्मसँ किट जािथ आ दश र्कक अपिितकबहाना बना काय र्मकेँ ब ंद कऽ देल जाए। ई िवडना कहल जा सकैत अिछ जेपटनामे शु भेल िवापित ृित पव र्क देखा-देखी देश आ देशक आन मे81


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्वष र् दर वष र् प ूरा उाहक संग आयोिजत भऽ रहल अिछ आ एिह ठामक आयोजनकअिपर संकट आिब गेल अिछ। वावमे चेतना सिमित आब िकछु फोटोजेिनकचेहरा सभक अखाड़◌ा बिन गेल अिछ जे एकर काया र्लय िवापित भवनकेँ अपनदलान बिझ ु अपनिहमे कुश्ती करैत रहैत छिथ। कोसीक िवभीिषकाक दद र् मठाधीशलोकिनक संग-संग सभ िमिथलावासीकेँ अिछ। कोसीक बाढ़ि◌ पीड़ि◌तक दद र् एिहआयोजन मामसँ सभ िमिथलावासीकेँ जोड़ि◌ सामिहक ू पेँ बाटल जा सकैत छल।ो से निह तऽ बाढ़ि◌ पीड़ि◌तक मदित लेल देश आ देशक कतेको मेसामािजक-सा ंृितक काय र्मक कएल गेल आयोजन थ र् छल।िमिथलाक कतेको महान िवभूित सभक यासँ शु भेल राजधानीक ई सा ंृितक उवप ूरा देशमे एकटा महप ूण र् ान रखैत अिछ। एिह आयोजनकेँ इितहास बबाकयास करब िचाक िवषय अिछ। पिह काय र्मक ान छोट करब आ आब एकरसमय सीमा घटएलासँ राजधानीक िमिथलावासी ममाहत र् छिथ। एकरे पिरणाम अिछ जेछोटे रपर सही राजधानीसँ सटल दानापुर आ राजीवनगरमे िकछु वष र्सँ आयोिजतभऽ रहल िवापित पव र् आब लोकिय भऽ रहल अिछ। आब राजधानीक िमिथलावासीचेतना सिमितक बदला एिह द ुन ू ानपर होमएवाला आयोजनक तीक्षा करैत छिथ।शायद अहूसँ चेतना सिमित सचेत होएत आ िवापित ृित पव र्क अपन पुरानगौरवकेँ पुनािपत र् करबाक यास करत।मुखीलाल चौधरीसुखीपुर – १, िसरहाहाल ◌ः ब ुटवल बहुमुखी क् यापस ब ुटवलिदना २०६५ जेष ्ठ २९ गते ब ुधिदन ।धीरेन ् बाब ु ,नमस ्कारबहुत िदनक बाद अपक काय र्म “हेलौ िमिथलामें” िचठ्ठी पठारहल छी ।आशेटा निह वरण िवश ्वास अिछ, कािशत होएत ।82


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्िदना २०६५ जेठ १४ गते म ंगलिदन जनकपुरधाममें लोकाप र्ण भेल “समझौतापाल”क दोसर स ्तुित गीित एल ्वम “भोर” क गीतके संगही समझौता पालकिनदेर्शक नरेन ्कुमार िमजीक साक्षात् कार िदना २०६५ जेठ १८ गते शिनिदनकानितपुर ् एफ◌एम◌के सवािधक र् लोकिय काय र्म “हेलौ िमिथलामें” सुनबाक मौकाभेटल । संघीय गणतानिक ् पालक भोरमे समझौता पालारा स ्तुत केल गेलगीित एल ्बम भोरके लेल समझौता पालक िनदेर्शन नरेन ्कुमार िमजीके हािद र्कबधाई एव ं शुभकामना । आगामी िदनमें समझौता पाल माफ र्त गीित यााकेिनरन ्तरततासँ गीत या संगीतके माध ्यमसँ िमिथलावासी आ मधेशी संगही सम ्प ूण र् आिदबासीथा में जागणर लावय में सफल होवय आओर िमिथलावासी, मधेशी, आिदवासी थासंगही सम ्प ूण र् देशवासीमें सदाशयता, सदभावना, सिहस ्ता आ स ्हमें गाढताबढावमें सफलता ाप ्त होवय, एकर लेल साध ुवाद ।गीतकार सभहक गीत उत् कृष ्ट अिछ, को गीत वीस निह सभटा एकाईस। एकसँ बढी कय एक । गीतकार सभहक गीतके सम ्वन ्धमें छोटमें अलग अलगिकछु कहय चाहैत अिछपा झाजीक गीत िशक्षा ित जागकता आ चेतानक सन ्देश दरहल अिछ। ज्ञान काश अिछ आओर अज्ञान अन ्धकार । अन ्धकारसँ वचवाक लेल ज्ञान ाप ्तकेनाइ आवश ्यक अिछ । “केह भारी आफत आवौ, ज्ञासँ खदेड” पाित कोसमस ्या िकएक निह िवकराल होय ज्ञान आ वि ु सँ समाधान करल जा सकैत अिछ ।पुनम ठाकुरजीक गीत सब सन ्तान समान होइछ, बेटा—बेटीमे भेदभाव निहहोयबाक आ करबाह चािह सन ्देश दरहल अिछ । “मुदा हो केह अबण ्ड बेटा,कहता कुलक लाल छी ” िसफ र् एक पाितस आज ुक समाजमें बेटा—बेटी ित केहनअवधारणा अिछ, बतारहल छिथ ।िमिथलाके मािट बड पावन छै । संस ्कार आ अचार–िवचार महान छै । आओरवएह मािटक सपुत सािहल अनवरजी छिथ । जई मािटमें सािहल अनवरजी जका ँमक् ख छिथ ओही मािटमे सम ्दाियकताक का ँट उिगए निह सकैछ । उगत त मासदभावना, सदाशयता, माया—ममता, स ्हक गाछ । जेकर गमकसँ सभकेओ आननिदत्रहत आ होएत ।“जतय िहन ्ओ रािख तािजया, मान िदअए इसलामकेछिठ परमेसरीक कव ुलाकय मुल ्लोजी मानिथ रामके”83


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्सँ इ निह लािग रहल अिछ ? िक िमिथलाके पावन मािटमें सिहश ्ताक सिरता आबसन ्तक शीतल बसात बिहरहल अिछ । धन ्य छी हम जे हमर जनम िमिथलाकमािटमें भेल अिछ ।धीरेन ् मिष र्जीक गीत सकारात् मकतासँ भरल अिछ । समस ्या िकएक निहबडका होबय आ को तरहके होय िनरास निह होयवाक चािह आओर सिदखन धैय र्—धारणकय सकारात् मक सोच रािखकय आगा ँ बढवाक चािह । संगिह जािह तरहसँ मा ँ–बाप अपन सन ्तानक लेल सिदखन सकारात् मक दृष िटकोण ् राखैत छिथ, वएह तरहसँसंतानक कतर्व ्य होइछ जे ओ सभ अपन व ुढ मा ँ–बाप ित विहनाइते दृष िटकोण ्अपनावैत । गीतके शुके जे चार पाित“संझ ुका सुरजक लाल िकिरिनया, निह राितक इ िनशानी छैिछट छल जे भोर िपिरितया, तकरे मध ुर कहानी छै” ।सकारात् मकताक ोतक अिछ । एकर संगिह“सोना गढीके इएह फल पौलक, अप बिन गेल तामसनवाह ब ुढवा तैओ वाजैए, हमर बेटा रामसन” इ पाितसँ मा–बापके अपन सन ्तानक ितगाढ माया ममताक बोध करारहल अिछ ।नरेन ्कुमार िमाजीक गीत इ बतारहल अिछ िक संसारमे म, स ्ह, माया–ममता अिछ तएँ संसार एतेक सुन ्दर अिछ । यिद म, स ्ह, माया–ममता हटा देलजाय त संसार िनरस भजाएत आ िनरस लाग लागत । तएँ हेतु एक दोसरकित म, स ्हक आदन–ादान होनाइ आवश ्यक अिछ ।“आिख देखय त सिदखन सुन ्दर स ृजनठोर अलगय त िनकलय मध ुरगर बचन”पाती सँ म आ स ्ह वषा र् भरहल अिछ, लािग रहल अिछ ।विरष ्ट सािहत् यकार, किव, गीतकार य डा◌ राजेन ् ◌िवमल जी आचन ्शेखर ◌शेखर जीके गीत अप अपनमे उत् कृष ्ट आ िविशष ्ट अिछ । िहनकासभक गीत सम ्बन ्धमे िवशेष िकछु निह किहके िहनका सभक गीतक िकछु पाित उध ृतकयरहल छी, सबटा बखान कैय देत ।84


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्डा◌ राजेन ्ी िवमल जीक पाितक“जगमग ई स ृष िट ् करए, तख िदवाली िछम चेतना जािग पडए, तख िदवाली िछरामशि आगुमे, रावण टीिक सकतरावण जख डरए, तख िदवाली िछ”अप अपनमे िविशष ्टता समािहत के अिछ ।ओही तरहे चन ्शेखर ◌शेखर जीक गीतक िनम ्न पाित अप अपनमे िविशष ्टअिछ“सा ँस हरेक आश भर, फतहक िवश ्वासकरिबहु ँसाले रे अधर, मु हो राश ्य–डररोक सब िवनाशके, ठोक इितहासकेदग ्धल िनशा ँसके, लागल देसा ँसके”हमर यानी मुखीलाल चौधरीक गीतके सम ्बन ्धमे चचा र् निह करब त कृतघ ्नताहोएत । हमरारा रिचत गीत भोरक संगीतकार धीरेन ् मिष र्ारा पिरमािजर्त आसम ्पािदत केल गेल अिछ । तएँ एतेक िनक पमे अप सभहक आगा ँ स ्तुतभेल अिछ । हमर गीतके इएह पमे लाबएमे धीरेन ् मिष र्जीक उदार या गहनभुिमका छैन ्ह । एकर लेल मिष र्जीके हम मुखीलाल चौधरी हािद र्क धन ्यवाद ज्ञापनकरए चाहैत छी ।सभटा गीतके संगीत कणिय र् लगैत अिछ । सुत छी त मोन होइत अिछफेर–फेर सुनी । कतबो सुनलाक वादो मोन निह अगहाइत अिछ । एतेक िनकसंगीतक लेल धीरेन ् मिष र्जीके हािद र्क बधाई आओर अगामी िदन सभमे एहोसँ िनकसंगीत दय सकैत, एकर लेल शुभकामना आ साध ुबाद ।सभ गीतकार, संगीतकार, गायक–गाियका इत् यािदक संयोजन कय बड सुन ्दरआ दयस ्पशीर् गीित एल ्बम “भोर ” जािह तरहसँ हमरा सभहक आगा ँ परोस छिथ,एकर लेल भोरक संयोजक पा झा जीके हािद र्क बधाई । अन ्तमे सभ गीतकार,85


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्संगीतकार, गायक–गाियका, संयोजक आ समझौता पालक।िनदेर्शकके हािदक वधाईड◌ॉ.श ंभु कुमार िसंहज : 18 अील 1965 सहरसा िजलाक मिहषी खंडक लहुआर गाममे। आरिभकंिशक्षा, गामिहसँ, आइ.ए., बी.ए. (मैिथली सान) एम.ए. मैिथली (ण र्पदक ा) ितलकामा ँझी भागलपुर िविवालय, भागलपुर, िबहार सँ। BET [िबहार पाता परीक्षा(NET क समतु) ााता हेतु उीण, र् 1995] “मैिथली नाटकक सामािजक िववर्न”िवषय पर पी-एच.डी. वष र् 2008, ितलका मा. ँ भा.िविवालय, भागलपुर, िबहार सँ।मैिथलीक कतोक ितित प-पिका सभमे किवता, कथा, िनब ंध आिद समय-समयपर कािशत। वतर्मानमे शिक्षक ै सलाहकार (मैिथली) राष्ीय अवाद िमशन, केीयभारतीय भाषा संान, मैस ूर-6 मे काय र्रत।आलेख: मैिथली सामािजक नाटकक म ूल के िबु : नारी समाातंयोर युगक अिधका ंश नाटक सामािजक िववतर्न पर िलखल गेल अिछ।एिह नाटक सभक के िबु नारी समा रहल अिछ। नारी व मे अिशक्षा,सामािजक िबडनाक पमे ितलक-था, बाल िववाह एव ं बेमेल िववाहक पिरणामपउपित समाक समाधानक लेल नाटककार लोकिन िरत भेलाह तथा एिह िवषयबुकेँ अपन नाटकक क बना सुधारवादी भावनाक चार-सार कयलिन जािहसँ समाजसुधारक जागरण जोर पकड◌ि◌ सकय।86


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्ातंयोर मैिथली नाटकमे समाजक अित यथाथ र् ितिब देखबाक हेतुभेटैछ। युग िवशेषताक असारेँ एिह कालाविधक नाटकमे नारीक िविभ पकितिब हैब अ ाभािवक अिछ। एिह काल ारिभक ं नाटकमे नारी संब ंधीसहाभूित ओ कणाक िच उपल होइत अिछ। िकछु नाटकमे तालीन नारीजीवनक, पिरवारक मया र्दामे ओकर यथाथ र् िच अंिकत कयल गेल अिछ। मैिथलीककितपय नाटकमे नारीक वेदनामय प पिरवारक अत उभिर कए सोझा ँ आयलअिछ। एिह कालक नाटककार सुधारक आिखये ँ समाज ओ पिरवारक िविभ दोषकेँदेखलिन पिरवारमे नारीक द ुखमय जीवन हुनक सहाभूितक पा बनलीह। नारीकसभसँ पैघ मया र्दा ओकर पित तथा वैवािहक जीवन िथक। काक जीवन मवगीर्यपिरवारक हेतु िचाक कारण बिन जाइत अिछ। दहेजक समा नारीकेँ यो वरनिह भेटबामे किठनता, काकेँ ऋतुमित होएबासँ प ूव िह र् िववाहक आवकता जीवनकेक क्षणमे मया र्दा रक्षाक िचा, पितक असामियक म ृुक कारँ िवधवा बिन जयबाकसंभावना ओ पराित भ’ कए पितत होयबाक भय, असुरिक्षत अवामे समाजककुदृ िक िशकार हैबाक आश ंका , वेा जीवन तीत करबाक बाता तथा कान ूनीदृ िएँ पुषक एकािधकार इािद अक कारण अिछ जे नारी जीवनक वेदनामय,य ंणामय ओ पीड◌◌ामय कथा कहैत अिछ। अतः ातंयोर कालक अिधका ंशनाटककार तालीन सामािजक िितमे नारीक यथाथ र् पक अंकन कयलिन जे उपयु र्समािदक संदभर्मे नारी-जीवनक िचण करैत अिछ।भारतीय समाजमे नारीक ानूूसमाजमे नारी आ पुष द ुन ूक समान मह अिछ। जािह कारेँएक पिहयासँ गाड◌◌ी निह चिल सकैत अिछ ओकरा चल’ क लेल द ुन पिहयाक ठीकहोयब आवक अिछ, ओिहना समाज पी गाड◌◌ी केँ चलयबाक लेल पुष आ नारीकिित समान भेनाइ आवक अिछ। द ुन मे सँ जँ एकहु िनब र्ल अिछ तँ समाजकउित सुचा पसँ निह भ’ सकैत अिछ।87


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्एक समय छल, जखन भारतमे नारीक ान बड◌ आदरणीय छल। समाजक ेककाजमे ओकरा समान अिधकार छलैक। पुषक समानिह सभा, उव आ अ सामािजककाजमे भाग लेबाक ओकरा प ूण र् तंता छलैक। धािम र्क काज तँ हुनक सहयोगकिबना अप ू र् मानल जाइत छल। ओिह समय नारी वािवक अथ र्मे पुषक अांिगनीर्छलीह। कोनहु काज हुनक सितक िबना निह होइत छल। पुष सेहो ओकरािनरीह मािन अाचार निह करैत छलाह। नारी सहो अपनाकेँ गौरवाित महस ूस करैतछलीह तथा अपन चिर वा आदश र्केँ उम रखबाक यास करैत छलीह। देशमेसीता, आ सािवी सन देवी घर-घरमे पाओल जाइत छलीह। समाजमे स्ी िशक्षाकसेहो ख ूब चार छलैक। मैयी, गागीर्, अपाला, िवावती, भारती सन िवद ुषी सँगौरवाित छल। ओिह युगमे नारी वािवक अथ र्मे देवी छलीह। समाजक लेल नारीगौरवक वु छलीह। ओिह समयक सािहमे नारीकेँ पसँ प ूजनीय मानल जाइतछल। एिह लेल मनीषी ारा कहल गेल छल “य नाय र्ु प ूंते रम ंतु त देवताः”अथा र्त जतय नारीक प ूजा आ आदर होइत अिछ ओतय देवता िवचरण करैतछिथ। एिह कारेँ संृत सािहमे नारीकेँ आदर आ सानक दृ िसँ देखबाक वण र्नअिछ।समय पिरवतर्नशील अिछ। देशमे अक पिरवतर्न भेल, धािम र्क, सामािजक, आराजनितक ाित ं भेल एिह सभक भाव नारी समाज पर सेहो पड◌ल। मयुगमेआिब कए नारीक प ूव र्वत सान निह रहल। प ूजनीय आ आदरणीय हेबाक ान पर ओकेवल उपभोगक वु बिन कए रिह गेलीह। एमहर देशक राजनीितक िितमेसेहो महान पिरवतर्न भ’ रहल छल। िवदेशी आमण बल भेल जा रहल छल।देश पर िवदेशी सता आ संृितक भाव पड◌ल जा रहल छल। पिरणामतः आबनारी पर अक कारक बन पड◌’ लागल जकर को कना धिर निह छल।हुनका पर अक कारक सामािजक बन लाग’ लागल। हुनक तंता आब केवलघरक चौखिट धिर सीिमत रिह गेल। आब ओ समाज आ सािहमे केवल मर ंजनकवु रिह गेलीह।जखन मुसलमानी शासन एिह देशमे दृढ◌ भ’ गेल, तखन नारीक पतन सीमाआर बढ◌ि◌ गेल। मुसलमान जखन िनिंत भ’ क’ शासन करय लगलाह, तखनदरबारमे जतय महिफल जमय लागल, सुरा क दौर चल’ लागल ततय पायलकझनकार सेहो होम’ लागल। नारी आब किवक लेल ृ ंगारक वु बिन गेलीह। किव88


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्आब ओकर जनिन प िबसिर कय ओकर नख- िशखक वण र्नमे डूिब गेलाह। हुनकअील िचक अितिर एिह कालक सािहमे आर कोनहु ान निह रिह गेल।आधिनक ु युग जागृितक युग िथक। देशमे जतय सामािजक आराजनीितक ाित ं आयल ओतय नारी समाजकेँ सेहो उितक अवसर भेटलैक।वावमे ई युग समानताक युग िथक। स त’ ई िथक जे जाधिर नारीक उान निहहैत ताधिर देश आ समाजक उित असंभव िथक। एक नारीक महानता समपिरवारकेँ महान बना दैत अिछ। हमरा देशक सभ महान िवभूितक चिर िनमा र्ण मेनारीक महप ूण र् ान रहल अिछ। आब ओ समय आिब गेल अिछ जे नारी समाजक संगलागल सभ कुथाक अंत कयल जाय। िवधवा-िववाह हो वा िपताक संपिमे काकअिधकार हो, िशक्षाक क बाधा हो वा पदा र्-थाक सभ मे जतेको बनअवशेष अिछ आइ ओिह सभ कुथाकेँ समा कर’ पड◌त। जँ समाज नारीकमहाकेँ ीकार क’ ओकर सभ अिधकार ओकरा पुनः घ ुरा देत तखनिह देश पुनःओिह गौरवकेँ ा क’ सकत जकरा लेल ओकर जगत्ाित िस रहलैक अिछ।एिह िदशामे जतय धिर मैिथली नाकारक अिछ, ब ुझाइत अिछ ओ समाजक एकटासजग हरी जका ँ एिह भूिमकाक िनवाह र् क’ रहल छिथ।नारीक कािणक पनारी, पी वा मायक पमे भारतीय पिरवारक म ूल केिबु होइतअिछ। एिह हेतु पिरवारक उान ओ पतनक इितहासमे नारीक िितक समीक्षा होएबअंत योजनीय अिछ। वैिदक युगसँ ल’ क’ आइ धिर पिरवार मे नारीक िितमेपिरणामाक पिरवतर्न भेल अिछ। जतय धिर वैिदक युगक अिछ भारतमे असताक अपेक्षा नारीक िित कतहु ँ नीक छल। अ चीन समाजमे नारीक संगिनद र्यताक वहार कयल जाइत छल। एतय धिर जे य ूनान जे अपन संृितकेँ अिताचीन होयबक दावा करैत अिछ, ओतहु नारीक िित नीक निह छल। इितहासकारडेिवस िलखैत छिथ “एथेंस आ ाटा र् मे नारीक सुखद िितक कोनहु ँ े निह उठैतछल। ाटा र् मे नारी पशुसँ िकछुए उत छल।” 189


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्भारतीय मौिलक सामािजक वा िवशेष कए िमिथलाक संदभर्मे नारीकेँधन, ज्ञान, ओ शिक तीक मानल गेल अिछ, जकर अिभिक पमे ली, सरतीओ द ुगा र्क प ूजा एखनहँ, ु घर-घर मे कयल जाइत अिछ। नारीकेँ पुषक अांिगनीकर्पमे ान देल गेल अिछ, जकरा अभावमे पुष कोनहु ँ कतर्क पितर् ू निह क’सकैत अिछ। मुदा आइ हमरा सभक द ुभा र् िथक जे वैिदक आ उर वैिदककालक पात् हमरा समाजक मौिलक वा ढ◌ि◌क पमे पिरवितर्त होम’ लागलतात् नारी मे लाज, ममता आ ेहक गुणकेँ ओकर कमजोरी मािन पुष व ाराओकर शोषण करब आर ंभ क’ देलक।पुष धान सामािजक वामे नारीकेँ पुषक वासना-पितर्क ू एक साधन माब ुझल जाइत अिछ। ई बात ओिह सभ जाित आ वक लेल स िथक जकर णालीसामवादी िवचारसँ भािवत अिछ। हमर सामािजक जीवन मु पसँ चािर ियासँसित अिछ- जनन, पिरवारक ब ंध, आ नाक सामािजकरण। ावहािरक पमेएिह सभटा िया पर पुषक एकािधकार अिछ। अिधका ंश लोक ारा नारीक करीकरब, िशक्षा ा करब अथवा पिरवारक ब मे हप करब केवल संदेहकदृ िसँ देखल जाइछ अिपतु अपन अहमक िव सेहो मात छिथ। एकैसमशताीक तथाकिथत समतावादी समाजहु ँमे नारी पर होम’ वला अाचारमे को बेसीसुधार निह भेल अिछ, जखन की एिह अाचारमे पिरवतर्न अवंभावी भ’ गेल अिछ।नारी एव ं पुष समाजक समिवभाग अिछ। ेक मे द ून ूक समान अिधकारअिछ। िकु समाजक संरचना एहन अिछ जे पुष ारा नारीकेँ उीड◌ि◌त करबाकवि ृ मैिथल समाजमे दृ िगत भ’ रहल अिछ। जँ हम आन-आन भारतीय समाजकतुलना मैिथल समाजसँ करी तँ ब ुझना जाइछ जे मैिथल समाजमे नारीक उीड◌नसमा क बेसी गंभीर अिछ। एिह कारण सँ पािरवािरक प मे सेहो पिरवतर्न दृ िगोचर भ’ रहल अिछ आ समाजमे नारीक ान नग भेल जा रहलअिछ। यथासमय खास क’ मैिथल समाजमे नारीक िितमे नारीक समताकारी म ूमेपिरिित कोन तरहेँ भािवत कयलक आ क’ रहल अिछ एिह संब ंधमे सामािजकनाटकक मामे िविभ मैिथली नाकार नारीक दशाक वािवक िचण अपन- अपननाकृितमे करबाक यास कय छिथ जकर चचा र् िन पेँ कयल जा सकैत अिछ।90


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्शारीिरक ताड◌नाशारीिरक ताड◌नाक पमे िहंसाक बढ◌◌ैत समा केवल भारते धिर सीिमतनिह अिछ अिपतु संसारक अिधका ंश देशमे ई समा गंभीर भेल जा रहल अिछ।“कनाडा मे ित चािर नारी पर एकक संग मािर-पीटक घटना होइत अिछ।बै ंकाकमे आधा नारी अपन पित ारा पीटल जाइत छिथ। अमेिरका सन िवकिसतदेश मे सेहो ई समा गंभीर अिछ।” 2एकटा नविववािहता जािह संरक्षण म आ सहयोगक भावना ल’ क’ नवघरमे अबैत अिछ ओतय पित, सास वा पिरवारक अ सदक ारा पीटल गेला परओकरा कतके अस वेदना होइत हैतेक तकर अमान हम आसानीसँ निह लगा सकैतछी। नारीकेँ शारीिरक पसँ ताड◌ि◌त करबाक पाछू पािरवािरक कलह, पािरवािरकिवघटन, पारिरक अिवास आ गरीबी अिछ।ँर्•• मैिथली नाटकमे कितपय नारीक वेदनाक प पािरवारक अत उभिरकय आयल अिछ। मैिथली नाटककार सुधारक आिखये समाज ओ पिरवारक िविभदोषकेँ देखलिन अिछ। पिरवारमे नारीक द ुःखमय जीवन हुनक सहाभूितक पाबनलीह। गोिव झाक ‘बसात’ नाटक मे सुिगया अपन पितकेँ परमेर मािन सेवाकरैछ। ओ सामािजक जीवनकेँ वित रखबाक हेतु अपन सूण पिरवारक भारउठौ छिथ तथािप ओ अपन पित ारा ताड◌ि◌त होइत छिथ---•• सुिगयाः “मड◌◌ुआ उलबैय छिलयै। एलैय हा करैत जलखैला,जलखैला, हम कहिलयै, कोनदन कमाइक’ के एलाह जे जलखै िदऔन। की बस, ठामिह चेरा उठा केँ िपटिपटादेलक।” 391


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्िवडना ई िथक जे इ समा केवल ामीण , गरीब आ अिशिक्षत नािरयेधिर सीिमत निह अिछ अिपतु िशिक्षत मवगीर्य ओ नगरीय पिरवारहु ँ मे नारीककमोबेश यैह िित अिछ।यौन उीड◌नमैिथली नाटकक अयन ओ अशीलनक उपरा ंत जे एक समा दृ िगोचरहोइत अिछ ओ िथक नारी पर होम’ वाला अाचार ओ शोषण। मया र्दा, चिरकर्परायण, ाग, सहनशीलता, शील ओ अ गुण सँ मिहमामिडत ं क’ जािह सुरढंगसँ पुष समाज ओकरा संग छल कय अिछ ओिहमे स्ीकेँ सेहो पता निह चिलसकल जे ओ शोिषत भ’ रहल अिछ। उक नाम पर पुष ओकरासँ सभ िकछुमा ँगैत रहल आ ओकरा ल ूटैत रहल। नारी कतहु ँ महानतासँ िवभूिषत होयबाक गव र्कमोहसँ ओकरा पर अपनाकेँ िनछावर करैत रहल त’ कतहु पिरिितवश। मुदा ईस्ीयजिनत गुण जतय ओकरा लेल एक िदस हिथयार िस भेल ओतिह दोसर िदसओकर यैह गुण , ओकर कमजोरी, िववशता, लाचारी ओ पतनक कारण सेहो बनल।नारी शोषणक सभसँ घिणत ृ प िथक ओकर यौन शोषण। ई एक कारकगहन मानिसक शोषण िथक जे शारीिरक यातनाहु ँ सँ बेसी पीड◌◌ादायक अिछ। ड◌ॉ.बोध नारायण िसंह ारा िलिखत एका ंकी नाटक ‘हाथीक दा ँत’ क ता मिहला आमकसंरिक्षका िबजली देवीक सहयोगसँ ख ूब टकाक संह करैत छिथ आ जखन ओिहटकामेसँ िबजली अपन कमीशन मा ँगैत छिथ तँ ताजी बनावटी मीक प धारण कयिबजलीक संग आिलंगनब भ’ जाइत छिथ आ कहैत छिथ कतेक टका लेब, ई कपटीता चिर अिछ। ई टकाक लोभ देखा िबजलीक संग अितक संब ंध त’रखनिह छिथ, िबजलीयेक सहयोगसँ अपन वासनाक भूखकेँ रोिहणी नामक एक युवतीसँशा करैत छिथ। पिरणाम प ओ असहाय लाचार युवती गभर्वती भ’ जाइतअिछ। आब ओ िबजलीकेँ परामश र् दैत छिथ जे----“ध ुर औषध किह के िकछुपुड◌ि◌या खोआ िदयौक ? 492


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्वतर्मान समाजमे उवक लोक ारा नीच वक स्ीक संग कोना यौनअाचार करल जाइत अिछ तकर िच हमरा भेटैछ का ंचीनाथ झा ‘िकरण’ ारािलिखत ‘कण’ र् नामक एका ंकीमे यिप एका ंकीक कथानक आ पा पौरािणक अिछ मुदाएका ंकीकार लाक्षिणक पमे स ूय र्केँ उ व आ कुीकेँ अछोप व मािन समाजमेघिट रहल यौन उीड◌न िदस समाजक ान आकृ कय छिथ। एिह एका ंकीकमामे समाजमे पैघ लोक कहओिनहारक गु ताक भाफोड◌ कयल गेलअिछ। देव अथा र्त् उ वक लोक जे नीच वक संग िववाह तँ निह क’ सकैतअिछ मुदा गु पसँ सोग आ सकर् क’ सकैछ जकर कुित पिरणाम भोगपड◌◌ैत छैक नीच वक लोककेँ ।स ूय र्ः हम देवता छी। देवता मक बेटीकेँ .......कुीः (उेिजत रमें) मक संगे भोग-िवलास कय देह निहछूतई छिन आ देस छुित जयतिन ?स ूय र्ः (िवर रमे) म एखन तन-मन-धन लगा क’ देवताक प ूजा करैतअिछ-- मरलाक बाद जयबाक लेल। जीबैत जयबाक कनिह करैत अिछ। मक बेटीकेँ स्ी बना क’ ल’ जाय लगबैकतँ ओ भाव रहतैक ?कुीः (अितभ रमे) तखन मक काक संग सकेर् िकएक करैत छी?स ूय र्ः (हँिस) आनक लेल ? मकेँ म बना क’ राखैक लेल।कुीः (गिरत रेँ) आ जँ संतान भ’ जाइत होइत त’ ओ मे भ’ क’रहैत होयत।स ूय र्ः हँ, मक पेटक देवता कोना होयत ? 593


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्अरिव कुमार ‘अू’ क नाटक ‘र’ (1992) मे अवैध साितक भयावहपिरणाम सँ समाजकेँ एकटा चेतावनी देल गेल अिछ। एिह घिणत ृ सामािजक िवभीिषकापर नाटककार कहेन काश दे छिथ से िथक-----िकसुनः“तोहर तँ गे अनटटेल होइछ। हौ सड◌कक कातमे गरीबक तँधिनकक ना फकेल रहतैक?” 6ि नारायण लालक नाटक ‘सत’ मे समाजक एक द ुःष्चिर ि ीका,हिरजन युवती नीलमकेँ अपन मजालमे फँसा ओकर सती भंग करैछ जािह करँओ समाजमे मुँह देखयबाक यो निह रिह जाइत अिछ। अतः कोठा परकनारकीय जीवन जीबाक लेल बा होम’ पड◌◌ैत छैक।महे म ंगिगयाक ‘लण रेखा खित’ मे सेहो एिह िवषय पर दृ िपातकयल गेल अिछ----मजः“हँ, एना सकपकेलेँ िकएक ? दरोगा सािहब इएह ओ श ैतान छी जेकतेको बेटी-पुतोहुक इस्ीकेँ लोभ आ बलाारसँ करैत आयलअिछ। गाममे हरदम एकटा एकटा उधवा मचबैते रहैत अिछ जािहसँलोक अशा ंत अिछ।” 7एिह तरहेँ कहल जा सकैछ जे आधिनक ु समाजमे नारीकेँ कहक लेल भनिहदेवी आ द ुगा र्क दजा र् देल गेल अिछ, मुदा पुषक वासना िशकार ओ कोना भ’ रहलछिथ एिह िवषय वुकेँ मैिथली नाटककार बड◌ सजीव िचण कय छिथ।94


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्बाल िववाहबाल-िववाहक ताय र् िववाहक ओिह थासँ अिछ जािहमे रजोदश र्न सँ प ूव िह र् काकिववाह कइल जाइत अिछ। अक धम र्शास्क नामपर मकालिहसँ जािह िवासकेँबढ◌◌ावा देल गेल जे काकेँ रजला होम’ सँ प ूव र् जँ िववाह निह कयल गेल तँएिह सँ माता-िपताकेँ महापाप होइत छैक। एहन िववाह कतके हााद अिछ सेएिह बातसँ भ’ जाइत अिछ जे हमरा कोनहु ँ म ूल धम र् ंथमे बाल-िववाहककोनहु ँ िनदेर्श निह देल गेल अिछ । तथािप ई वा आइयहु ँ िमिथलामे ाअिछ। बाल-िववाहक चलन मैिथल समाजमे चाहे जािह पिरिितसँ भेल हो मुदाएिह कुथाक कारँ आइ समाजमे कतोक कारक गंभीर दोष उ भ’ गेलअिछ। एक िदस जँ काक अपिरप आयुमे नाक पालन-पोषणक भार आिबजाइत अिछ तँ दोसर िदस द ुब र्ल ा हेबाक कारँ लाखक लाख मायक म ृु सवकसमय भ’ जाइत छैक। एिह समाक कारँ मैिथल समाजक कामे िशक्षाक दरबहुत िन भ’ गेल छैक िकएक तँ बाल- िववाहक कारँ त’ ओ िशक्षा ा क’सकैत अिछ आ एकरा जरी ब ूझल जाइत अिछ। एिह थाक कारँ िववाहएकटा संयोग मा बिन कए रिह गेल अिछ। एिहमे उिमरक असमानता हेबाक कारँएक िदस जँ यौन-िला अ रिह जाइत अिछ तँ दोसर िदस बाल-वैध आतकर पिरणामप वेावित ृ आिद सन समासँ समाज िसत भ’ जाइत अिछ।एहना िित मे नारीक जीवन नारकीय भ’ जाइत अिछ। मैिथली नाटकमे बाल-िववाहक समा ल’ क’ कतोक नाटककार अपन ना रचना कय छिथ, एिहमे एकटाबानगी ुत अिछ ‘िवेणी’ क नाियका द ुगा र्क जिनक िववाह छओ वष र्क उिमरमेपै ंतालीस वष र्क ब ूढ◌सँ क’ देल जाइत छैक । काक िपता मध ुका पहहजार टकाक लोभमे अपन फूल सन काक िववाह एहन वरक संगे क’ दैत छिथ जेिववाहक चािरये मासक पात् ओ िवधवा भ’ जाइत अिछ। नाियका द ुगा र् जखनिहबाावाकेँ पार कए युवावामे वेश करैत छिथ हुनक देओर नरेश हुनका अपनवासनाक िशकार बनाब’ चाहैत छिथ जे द ुगा र्केँ मा निह छिन। अतः ओकरा शरीरपर पेोल ढ◌◌ािर कए आिगमे ाहा क’ देल जाइत छैक। काक भावी द ुदैर्िितक िचण हुनक माय मध ुकलाक शमे एना देखल जा सकैछ--95


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्मध ुकला—“(उ भावेँ) बाप रे बाप ! एहन अेर ग कतहु ँ सुनल अिछ।एक िदस छओ वष र्क पी आ दोसर िदस पै ंतालीस वष र्क पित। बड◌अेर होइत अिछ। हमर बेटीकेँ ओ बाप सदृश ब ु िझ पड◌तैक, निहिक पित सदृश। हम अपन बेटीक िववाह ओकरासँ निह करब।’’ 8मुदा आय र्क िवषय िथक एखनह ु समाजमे बाल िववाह भ’ रहल अिछजकर द ुिरणाम समाज भोिग रहल अिछ मुदा ओकर आिख ँ निह फुजैत छैक।दहेजमैिथल समाजमे घरेल ू िहंसाक सबसँ ापक प दहेजक कारँ नारीकेँ देलगेल यातना आ ओकर हाक पमे आयल अिछ। आय र्क ग िथक जे दहेजिनरोधक अिधिनयम बिन गेलाक पातो िविभ समुदायमे का पक्षसँ बेसीसँ बेसीदहेज ा करबाक चलन समाजमे बढ◌ि◌ये रहल अिछ। अिधका ंश माय-बाप वर-पक्षक इाकूल दहेज देब’ मे असमथ र् रहैत छिथ। िववाहक पातो िविभअवसर पर काक माता-िपतासँ ओकर सासु-ससुर ारा िविभ वुक मा ँग करब एकाभािवक िया बिन गेल अिछ। जँ नविववािहता अपन माय-बापसँ ओ वु निहआिन सकैत छिथ तँ ओकरा सासुर पक्ष ारा कतोक कारक मम र्शीर् ताना सुन’पड◌◌ैत छैक। बात-बात मे ओकरा अपमािनत कयल जाइत अिछ। ओ भाित-ँभाितक ँ ला ँछन सेहो लगाओल जाइत छैक। एतबे निह ई िया ता धिर चलैतरहैत छैक जाधिर ओ सासुर वलाक इाक पितर् ू निह क’ दैछ।दहेजक कारँ भारतीय नारीक केहन द ुद र्शा होइत छैक तकर िचण हमरासुधा ंशु ‘शेखर’ चौधरी क ‘लेटाइत आ ँचर’ क नाियका ममताक कण चीार मेभेटैत अिछ---96


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्ममता : “अहा ँ हमरा खामे फेिक देलौ ं। ओकरा रेिडयो, साइिकल देिलयै,ओ दोसर मौगी बेसािह आनलक। बाब ू अहा ँ देखिलए ऐ ओकरा ? हमएतिहसँ सभ िदन देखै िछयै। ओ सब िदन हमरा लग अबैए, सब िदनहमरा छाती पर आिब कए बैिस जाइए, हमरा छाती पर बैिस कए जा ँतिपसैत रहैये । अहा ँ ओिह मौगीकेँ किहयो देख िछयै ?” 9पया र् दहेज निह देबाक कारँ ममता सन नारीक केहन िविक्षअवा भ’ जाइत छैक से तः अमान कयल जा सकैछ। एतबे निह एिहपैशािचक वाक ित मोनमे ततेक डर समा जाइत छैक जे ओ दोसरह ुकेँएिह पिरणामक भिव भोा पमे देिख िसहिर जाइत छैक—ममता : “भैया, बाउक ससुर जँ बाउकेँ मेटरसाइिकल देतै तँ बाउअपन किनयाकेँ छोड◌ि◌ देतै ? एत’ किहयो आब’देतै ?......अहा ँ बाजै छी बाउ, तोही ं कह’ छोड◌ि◌ देबहक ?” 10जािह पिरवारमे ममता सदृश दहेजक मारिल का छैक ओहो अपनपुक िववाहमे टकाक लेन- देन उिचक ब ुझैत छिथ। ितलक दहेजक कारँ मैिथलललनाकेँ एहन द ुिरणाम भोग’ पड◌◌ैत छैक जे “किनया ँ – पुतराक” नाियकासानाशी दहेज थाक मािरसँ बतािह भ’ जाइत अिछ, जािहसँ सव र्गुण संप भेलोउर ओकरा पित ारा दा सुख निह भेटैत छैक। फलप यौवनावामे ओबतािह भ’ किनया ँ- पुतरा खेलाइत रहैत छैक। िथक ओकर इ वेदना आअ लालसा---िनम र्ला--- “ठगै छी। (मायसँ) सुनही मा ँ ! िपपही बाजै छै िक निह.....? मा ँकिनया ँ पुतराक िववाह हेतैक की वर काक ? निह, निह किनया ँ-पुतराक...किनया ँ-पुतराक ह- ह- ह- ह-” 1197


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्पया र् दहेज निह लयबाक कारँ काकेँ एतेक ताड◌ि◌त कयलजाइत अिछ जे ओ ायः आहा धिर क’ लैत अिछ। एतबे निह कखनह ु-कखनह ुतँ दहेजक लोभमे लोक अपन पी केँ घरक आन सदक संग िमिल कए हा सेहोक’ दैत छैक। एहन भावनाक पिरचय हमरा मिणप िलिखत एका ंकी नाटक ‘तेसरकिनया’ ँ मे भेटैत अिछ जािहमे दहेज ा करबाक लेल तण पीढ◌◌ी एव ं ओकरमाय-बाप नरभक्षी बिन द ू-टा काकेँ सुाह क’ देलक। एतय दहेज पीड◌ि◌ताककण चीार सुनल जा सकैत अिछ----षोडसीः “हम जीबय चाहै छी राजा, जीबय चाहैत छी, हमरा खोलबा िदअ।राितए एिह रोगी व ृसँ हमर िववाह एिह कारँ भेल जे हमरा सुलक्षणाहेबाक कारँ ई निह मरताह। हाय रे सुलक्षणा ! राितमे िववाह भेलआ आइ हम जरय जा रहल छी।व ृाःचुप पिपिनया ँ।षोडसीः हमरा बचा िलय राजा, हम जीबय चाहै छी।” 12एिह कुथा आ अितक ापारसँ क्षु भ’ नाटककार यं कहैत छिथ—“आरे ितलक आ दहेजक िपशाच, एिह देशक नारीकेँ आिसहसँ पोसल बेटी सभकेँ सुआिद-सुआिद खो।” 13भारतक संदभर्मे दहेजक कारँ घरेलु िहंसाक समाकेँ एिहचौ ंकाब’ वला तसँ ब ुझल जा सकैत अिछ। मानव संसाधन िवकास म ंालयक एकटाआ ँकड◌◌ासँ होइछ जे एतय ितिदन सोलह नारीक दहेजक कारँ हाहोइत छैक, लगभग सिर ितशत ामीण आ नगरीय पिरवार एहन अिछ जािहमेको को पमे नारीक िव िहंसा भ’ रहल छैक।98


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २वेाविृमास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्वेावि ृ भारतीय समाजक कैंसर िथक। एिह लंत समासँ हमरसमाज तेना िसत अिछ। जे ओकरा आसात करबाक शि छैक आ ओकरा अ करबाक सामर् छैक। एतबा तँ िनिव र्वाद पेँ ीकार कयल जा सकैछजे ो नारी जजात वेा निह बत अिछ, ुत पिरिितक मािरक कारँ ओ एिहधाकेँ ीकार करैत अिछ जकर कितपय सामािजक प ृभूिम िथक जे एकर िनमा र्णमेसमान पेँ सहयोग दान करैत आयल अिछ। वेाक सामािजक मया र्दा छैकआ सामािजक ाणी ओकरा इितक दृ िसँ देखैत अिछ। तथािप ओकर समािजकपक्ष एहन अिछ जे ो ेया तँ ो पिरिितसँ लाचार भ’ समाजमे जीिवत रहबाकहेतु एिह धाकेँ ीकार क’ लैत अिछ। उष र् युगक मैिथली नाटककार नारीकेँउृंखल ओ पमे देखबाक आका ंक्षी निह छिथ, िकएक तँ जीवनक गहन अयनकपात् ओ अभव कएलिन जे समाजक आधार नारी िथक। िकु स्ीक ित पुषककुित मविमे ृ अािप को पिरवतर्न निह देखबामे अबैत अिछ। पािरवािरकजीवनमे अपन अिसँ सता आ संतोष उ कएिनहािर नारीकेँ डेग-डेग परपितसँ समझौता करय पड◌◌ैत छैक।आधिनक ु समाजमे कितपय एहन पित छिथ जे पीकेँ पी निह बिझुकेवल हार-मा ँस वाली नारीक पमे देखैत छिथ। ओ अपन ाथ र् िस करय लेलपीकेँ अिचत यौन ापार कर’ लेल ोािहत करैत अिछ जकरा वेाविक ृ नामदेब सव र्था उिचत ब ुझना जाइत अिछ। करीमे पदोित ा करबाक लेल नारीकसद ुपयोग करबाक विक ृ िदश र्न हमरा निचकेताक ‘नाटकक लेल’ मे भेटैतअिछ। एकर पा श ंकर सतीकेँ वेाविक ृ िदस धकेिल रहल छिथ। सतीक संारइा एव ं मानिसकता सव र्था एकर िवरोध करैत अिछ, िकु पुष धान समाजमेओकर मह निह रिह जाइत अिछ। ओ अपन इाक ितकूल पर-पुषक अंक-शाियनी बत अिछ जे ओकर िनरीहताक पिरचायक कहल जा सकैछः-सतीः “(ोधसँ असंव ृत भए चीार करैत)अहा ँ हमरा वेा बना रहल छी,अहा ँ अपन मकेँ बेिच रहल छी,99


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्अहा ँ हमरा सम म-ीितक गला घोंिट दे छी, अहा ँकहाथमे तकर चे अिछ। क्षमताक लालसामे अहा ँक सभबातसँ द ुंध बहरा रहल अिछ।” 14नारी शोषणक िव अपन नाटक ‘नायकक नाम जीवनमे’ निचकेता समाजपर ंकय छिथ।नवलः “हम निह जत रही, हमर मुहाक मानल लोक सब राितकपहरमे जािह कोठा सबसँ घ ुरिथ छलिथ ओिह महक वेा सब काल ूसरदारक अधीन छैक।’’ 15चौधरी यद ुनाथ ठाकुर ‘यादव’ क नाटक ‘दहेज’ मे सेहो वेाविक ृ िचउपित कएल गेल अिछ। नाटकक नायक रघ ुनन अपन िववािहता पी द ुलरीकेँछोड◌ि◌ मोती (वेा) क संग वेागामी भ’ जाइत अिछ--रघ ुननः “तुारी और तुारी ख ुबसुरती के अलावा मेरे िलए सोच कामसाला ही कौन सा है ?मोतीःरघ ुननः(सलाम करैत) मै ं िनहाल हुई मेरे राजा।िनहाल यों हुआ जाता है ? मेरे पहल ू मे बैठो, मेरे जलते हुएिजगर पर मरहम डालो। तर हो दो मेरे ासे लबों को, अपलवों और शरबते अनार से।” 16100


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्एिह तरहँ हम देखैत छी आज ुक समाजमे कोना नारीकेँ िववश कयलजाइत छैक वेाविक ृ लेल। उेष युगक नाटककार एिह रोगक पदा र्फाश कयलिन ओसंगिह चेतावनी द’ रहल छिथ एिह कुथाकेँ सुधारबाक हेतु।स्ी - पुष संब ंधक नव आयामवतर्मान समयमे हमरा समाजमे ेक र पर भ’ रहल पिरवर्न केँ लिक्षतकयल जा सकैत अिछ। ई पिरवतर्न नवीन िवचारधाराकेँ ज देलक जािहसँ स्ी-पुषक संब ंधकेँ बेसी भािवत कयलक । हमरा समाजक धिर ू पिरवार िथक आपिरवारक ध ूरी पित-पी। एिह तरहेँ ओकरा आपसी संब ंधमे आयल पिरवतर्नक भावपिरवार ओ समाज पर पड◌ब ाभािवके अिछ। ार ंभमे पित ओ पीक पररिरश्तामे पितकेँ ऊँ च ान ा छलैक आ ओकर तुलना परमेर सँ कयल जाइतछलैक। िशक्षाक अभावमे पीक जीवन प ूण र्पेँ पित पर आित छलैक एिह कारँओ पितक संग अपन संब ंधमे को तरहक पिरवतर्न लाब’ मे असमथ र् छलीह। जँपित अपन अिधकारक द ुपयोग क’ ओकर उपेक्षा ओ ितरार करैत छल तैयहुओकरामे ओतेक साहस निह छलैक जो अपन संग भ’ रहल अायक ितकार क’सकय।जेना-जेना िशक्षाक ित नारीक जागकता बढ◌ल गेलैक आ नारी िशिक्षतहोमय लगलीह तिहना-तिहना पित-पीक परर िरश्ता सोहो भािवत होमयलागल। िकएक तँ िशक्षा नारीकेँ अपन अि आ अिधकारक ित जागक बलक।जखन ओकरामे अिधकारक ित जागकता बढ◌लैक तखन ओकरा लेल आवक भ’गेलैक जो ओ अिधकारक रक्षा करय आ अाय भेला पर ओकर िव अपन आवाजउठा सकय। आ ई तख संभव अिछ जखन ओ आिनभर्र हो, पिरणामप नारी1<strong>01</strong>


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्िशिक्षत होमक संगिह-संग आिनभर्र सेहो होम लागल। गोिव झाक नाटक‘बसात’ मे हमरा एिह दृ िकोणक आभास भेटैत अिछ। एिह नाटकक नायक कृकाएक आदश र्वादी युवक छिथ। हुनक िपता फलहारीक पुी फुलेरी सँ हुनक िववाह कर’चाहैत छिथ, मुदा कृका अिशिक्षता फुलेरी पर अिशक्षत होयबाक कटाक्ष करैतछिथ आ घरसँ पड◌◌ा जाइत छिथ। फुलेरी एिह अपमानकेँ एकटा चुतीक पमेीकार करैत छिथ तथा ओ घर सँ बाहर भ’ िशक्षा ा करैत अिछ आ समाज सेवाकरैत अिछ। जोतखीजी ारा पुा (फुलेरी) क चिरकेँ उािटत करैत छिथ-----बमबाबा--- “वाह वाह ! बेटी, तोहर सफलता पर आइ हमरा अपार हष र् भ’रहल अिछ, आ कतेक अबलाकेँ सबला बना रहल अिछ। आब हमरािवास भ’ गेल। आइ निह काि तोहर ितज्ञा अव प ूरा हेतौक—एक िदन फेर िमिथलाक मिहला भारतक आदश र् मिहला कहाओत।” 17एिह तरहेँ हम किह सकैत छी जे िशक्षा ,पाासंृित ओ सताक भाव, स्ी-पुषक समानता आ तंताक भावना नारीमे ातंयभावक ज देलक। ि िवकासक संगिह संग ओकर बाहरी दिनया ु ँ मे हपबढ◌’ लागल एिह तरहेँ नारीक बदलैत पिरिित, समाजक बदलैत म ू दृ ि, नवितकता बोध, स्ी-पुषक परर िरश्ताक आयामिह केँ बदिल देलक।पुषक ित िवोहक भावना102


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्आधिनक ु सामािजक मैिथली नाटक म नाियकाक चिरिवकासमे पुष-समाजक ित िवोहक र अगुंिजत भ’ रहल अिछ। ओ पिरवारर ओ समाजकबनकेँ ठोकर मारबाक हेतु एकर िवूप ओ पिरहासकेँ ान निह द’ अपन िकिवकासक हेतु िशक्षा हण करबाक क्षमता िदस आकिष र्त भेलीह अिछ। एहन नारीअपन िवचार ओ अपन िकेँ मह देलिन तथा वैवािहक बनकेँ तोड◌बाक हेतुतर भ’ गेलीह जकर पिरणाम एतबा अव भेल सामािजक पिरमे एहनपिरवारक जीवन अिधक नारकीय बिन गेल अिछ। एहन नारीक ंसाक ओ िवोहकपक्ष अंत सश अिछ। एिह हेतु मा पुषकेँ दोष निह देल जा सकैछ ुतओिह समाज वाक अिछ जािहमे हमर पर ंपरा बनल अिछ जकर फलप नारी-पुषक साम ंज अध ुनातम संदभर्मे अंत द ुर भ’ गेल अिछ। पुष िवरोधसँसामािजक वा पर आघात करैत अिछ तँ संभवतः एका ंगीकता ओ िविक्षताकआरोप सँ नारी बािच ँ सकैत अिछ। तंयोर नाटककार िकछु एहन नारी चिरकअंकन कयलिन जे अपवाद भूत पमे चतुर कर्वान, मेधावी आ तेजी छिथ।पुष हुनका समक्ष द ुब र्ल ओ आकेित देखाओल गेल छिथ। पी, पित परहावी रहब यर ब ुझैत छिथ---रजनीः--- “हु ँह....मान मया र्दा। अहा ँकेँ जतेक िचा माय-बापक मान- मया र्दाकतकर दशा ंशो यिद हुनका लोकिनकेँ अहा ँक िचा रिहितयि दँ बिझतहुु ँआइ धिर ओ की कएलिन अिछ अहा ँक लेल ?” 18ावहािरक पसँ पुषक िवरोधक पिरणामकेँ अ धिर ल’ जा कए िवचारबआवक अिछ िकएक तँ ओ मानवाली नारीक यौन- वासनाक पितर्क ू समा एिहसँस अिछ। नारी ातंयक आका ंक्षा संभवतः पुषसँ प ृथक रिहक प ूण र् भ’ सकैछ ,िकु नारीक सिक भावना कोना चिरताथ र् हैत। एहन नारी वहार श ू भ’ जाइतअिछ तथा पिरिितक अंतर ंगताक अभव क्षमताक अभाव रहैछ जािहसँ हुनक िवतािनरथ र्क मािणत भ’ जाइत अिछ। एहन पक वािवक िच उपल होइत अिछपिरकता ममताक चिरमे। िपताक हेतु सब सान एक समान होइत अिछ मुदा‘लेटाइत आ ँचर’ मे दीनानाथ अपन तीन ू संतानक ित तीन दृ ि रख छिथ जकरवािवकताक उाटन ममताक कथनसँ भ’ जाइत अिछ---103


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्ममताः— “अहा ँ बा भैयाकेँ द ुरद ुरौ रहैत िछयिन.... लाल भैयाक लो-चो मेलागल रहै छी....जे काि ड◌ॉर बनताह तिनका छनन-मनन खोअबैतिछयिन।” 19समाजक नींव पिरवार छैक आ पिरवारक आधारिशला पित-पी। पित-पीक परर िवास, समझदारी ओ सहयोगिहसँ पिरवार सुखी भ’ सकैछ। जँ द ुन ूमेसँ एकहु ँ पंगु भ’ जायत तँ पिरवारपी गाड◌◌ीक द ुघ र्टना हेबाक संभावना बढ◌ि◌जाइत अिछ। तािह हेतु आब पुषहु ँ केँ सोच’ पड◌तैि जे नारीक संग मानिसकसमायोजन आब अंत आवक भ’ गेल अिछ।िशक्षाक ित नारीक बदलैत दृ िकोणको देश समाज अथवा जाित तावत धिर स निह ब ुझल जायत जाधिर ओिहदेश, समाज, अथवा जाितमे नारीक आदर निह हेतैक। जँ पुष देशक भुजा िथकतँ नारी दय, जँ पुष देशक हेतु दीप िथकाह तँ नारी दीपकक तेल जँ पुषारक सुरता छिथ नारी घरक काश, जँ एकक िब ार सु लागैत अिछ तँ एककिबन घर अार।वैिदक युगमे पुीक िशक्षाक ओतबे मह छल जतबा िक पुक। ऋेदमेिशिक्षत स्ी-पुषक िववाहिह केँ उपयु मानल गेल अिछ। िपता ारा काकेँ अपनपुािहक भाित ँ िशिक्षत कयल जाइत छल आ काकेँ सेहो चय र् कालसँ गुजर’पड◌◌ैत छलैक। अथव र् वेदमे िलखल छैक जे “का सुयो पित ा कर’ मेतख सफल भ’ सकैत अिछ जखन िक चय र् कालमे ओ यं सुिशिक्षत भ’ चुकलहो। कतोक नारी िशक्षाक मे महप ूण र् उपलि ा कय छलीह। एतय धिर104


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्ओ लोकिन वैिदक ऋचा धिरक रचना कय छलीह। लोपामुा, धोषा, िसकता, िनवावरी,िववारी आिद एिह कारक िवद ुषी नारी छलीह जिनक उेख ऋेदमे भेटैत अिछ।वैिदक यज्ञवादक ितियाक फलप उपिनषद्कालमे एक नव दाशिनकर्आोलनक ार भेल। ओिहमे नारीक सहयोग को कम निह छल। ऋिषयाज्ञवल्क पी मैयी परम िवद ुषी छलीह। ओ धनक अपेक्षा ज्ञान ािक कामनाबेसी करैत छलीह। ब ृहदारक उपिनषदमे उेख अिछ जे याज्ञवल्क दोसर पीकाायनीक पक्षमे अपन सितक अिधकार छोड◌ि◌ अपन पितसँ मा ज्ञानदानकाथ र्ना कएलिन। एिह तरहेँ ब ृहदारक उपिनषद ् मे सेहो िवदेहक राजा जनककसभामे गागीर् आ याज्ञवल्क म उ रीय दाशिनक र् वाद-िववादक उेख अिछ।उर वैिदक कालमे समयक गितक संगिह-संग नारी िशक्षाक मे शःशः ास होम’ लागल। काकेँ सुिवात आचाय र् ओ िस िशक्षा के धिरभेज’ मे समाजक उाह िकछु कम पड◌ि◌ गेलैक, ई िवचार बल भ’ गेल जेघरिह पर काक िपता, भाय अथवा आन को िनकट संब ंधी हुनका िशिक्षत करताह।पिरणाम प ाभािवक पसँ ओकर धािम र्क अिधकार िशक्षाक अिधकारमे ास होमलागल।कालमासारे शः शः नारीक ित पुषक बदलैत धारणाक कारँ नारीवमे अिशक्षा ा भ’ गेल। मैिथल समाजमे एखनहँ ु नारी िशक्षाकेँ अधलाह मानलजाइत अिछ। नारी जगतमे िशक्षाक अभावक कारँ ओकर म ू एको कौड◌◌ीकनिह रिह जाइत अिछ। एिह संदभर्मे ‘बसात’ केँ देखल जा सकैछ-“जे मिहला आज ुक युगमे देहिरसँ आगा ँ पयर निह बढ◌◌ा सकय एको कौड◌◌ीअरिज निह सकय, एतेक तक जे ककरहु ँसँ भिर मुँह बािज निह सकय तकरा जँना ँगड◌ि◌ कही बलेल कही, बौक कही, गोबरक चोत कही त’ को अिचतनिह।” 2<strong>01</strong>05


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्ातंयोर युगमे नारी मे आिनभर्रताक वित ृ िवशेष पमे देखल जाइतअिछ, आब ओ गोबरक चोत बिन निह रह’ चाहैत छिथ कालीनाथ झा ‘सुधीर’ क नाटक‘कुसुम’ क नाियका िपताक आज्ञासँ िशक्षा ा करैत छिथ मुदा हुनक माय हुनका एिहलेल ितरृत करैत छिथ—कमला- “इ ग की िछयैक ? हमरा व ंशमे आइ धिर को स्ी निह पढ◌लकतो ं हमर व ंशमे दाग लगौलेँ। मौगीक काज िथक भानस, गीतनाद,कसीदा आ ओइसँ बेसी भेल तँ िची - पी िलखब । तोँ िक बाप जका ँअँगरेिजया बनबै ं ?” 21‘बसात’ नाटकमे कृका ारा िमिथलाक अिशिक्षत नारी पर ती हार कयलजाइत अिछ। ओ अिशिक्षता फुलेरी िववाह निह क’ पड◌◌ा जाइत छिथ।फुलेरी कृका ारा अपमािनत भेला पर अपनाकेँ सुधारैत छिथ। िशक्षा ाकय समाज सेिवकाक काज करैत छिथ। िशक्षा ा क’ फुलेरी मैिथल नारीकमक गव र्सँ ऊँ च करैत छिथ। िहनक चिर ारा नाटककार मैिथल ललनाक िशक्षाकित जागकताक िदस ान आकृ कय छिथ। िशिक्षता फुलेरीकेँ देिख जोतखीारा हुनक श ंसा कयल जाइत अिछ- बम बाबा—“वाह-वाह! --- बेटी तोहरसफलता पर आइ हमरा अपार हष र् भ’ रहल अिछ, आ कतेक अबलाकेँ सबला बनारहल अिछ। आब हमरा िवास भ’ गेल। आइ काि तोहर ितज्ञा अव प ूराहेतौ- एक िदन फेर िमिथलाक मिहला भारतक आदश र् मिहला कहओतीह।” 22एिह तरहेँ हम देखैत छी जे उसम आ बीसम शताीक आर ंभमेराजा राममोहन राय तथा आय र् समाजक यसँ जािह नारी िशक्षाकेँ आर ंभ कयलगेल ओिहमे आइ ापक गित भेल अिछ, आ एिह िवषय के ितपा बना कतोकमैिथली नाटककार िमिथलाक नारीमे िशक्षाक ित दृ िकोणमे पिरवतर्न आनबाक यासकय छिथ। एिह यासक सकाराक भाव आज ुक समाज पर क्ष देखबामे आिबरहल अिछ। नारीक िशक्षाक संदभर्मे ‘पिणर’ िलखैत छिथ। नारी िशक्षा िवोहकओिह कुड◌हड◌ि◌क धारकेँ तेज क’ दे अिछ जािहसँ िहु सामाजक जीवनकझाड◌◌ी केँ साफ केनाय संभव भ’ गेल अिछ। 23106


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्िनष र्मैिथली सामािजक नाटकक अयन आ अशीलपरा हम एिहिनष र् पर पहु ँचैत छी जे िवशेष क’ ातंयोर युगक मैिथली नाटककार सामािजकिववतर्नकेँ ानमे रािख िलखलिन जािहमे मुख र रहल अिछ नारी समा। यिपएखनहँ ु िमिथलामे द ुगा, र् काली, ली, सरती, जानकी आिदक प ूजा कयल जाइत अिछ,तथािप आज ुक नारी िविभ सामािजक कुथाक कारँ मजब ूर छिथ, लाचार छिथ। एिहउीड◌नक जड◌ि◌ जँ खोजल जाय तँ हमरा जिनतेँ सभसँ भयावह िित उहोइत अिछ दहेज आ िवधवा-िववाहक समाकेँ ल’ क’ । यिप बाल-िववाह, व ृ– िववाह, िबकौआ था एखनहँ ु समाजसँ उिठ निह गेल अिछ तथािप एिह िदशामेजागकता अवे देखबामे आिब रहल अिछ। मैिथली नाटककार लोकिन नारीककािणक दशासँ िवत भ’ कए कतोक नाटक म एिह समा सभकेँ ल बनानाटकक रचना कय छिथ जािहसँ समाज-सुधारक जागरण जोर पकड◌ि◌ सकय।मुदा एतय एकटा उपित होइत अिछ जे ातंयोर मैिथलीनाटकमे सामा नारीक ितिब कतेक द ूर धिर अिछ ? एिह कालाविधकनाटककार नारी-िचण आीयता एव ं सहाभूितसँ निह कयलिन, ुत पुषक दृ िएँकएलिन। ातंयोर नाटकमे नारीक िनष्म जीवनक कथा िथक जे सामािजकितबक अा र्लामे झ ुलिस कए न भ’ रहल अिछ। पुषक आका ंक्षा, आदश र् ओिनद र्यताकेँ टारब हुनका हेतु असंभव भ’ जाइत अिछ। नारी जीवनक था, किठनताएव ं कुाक िचण करबामे नाटककार तरता देखौलिन, िकु ओ समाजक हेतुिनष्योजनीय तीत भ’ रहल अिछ। एिह कालाविधमे मैिथली नाटकमे नारीकेँजतेक आदश र्वादी ढ◌◌ंगसँ िचण कयल गेल अिछ, ततेक यथाथ र्वादी दृ िएँ निह।107


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्संदभर्1. डेिवस, ए श◌ॉट र् िहस्ी ऑफ वोमेन, प ृ—1722. ण र् सकूजाक लेख, ‘मिहला सशीकरण युग में िनर ंतर असहोती नारी’, राधाकमल मुखजीर् िचन पर ंपरा, ज ुलाई—िदसर 20<strong>01</strong>, अंक—13. बसात, गोिव झा, प ृ—434. एका ंकी संह, सं. सुरे झा ‘सुमन’, जिकशोर वमा र् मिणप,सुधा ंशु ‘शेखर’ चौधरी, मैिथली अकादमी, पटना, 1977,प ृ—1335. वएह, प ृ—266. र, अरिव कुमार ‘अू’, शेखर काशन, टेटब ुक क◌ॉलोनी,इपुरी, पटना, 1992,प ृ—207. लण रेखा खित, महे झा, उपे झा, ाम- मलंिगया,दरभंगा, प ृ—688. िवेणी, परमेर िम, िमिथला स, 1950,प ृ—419. लेटाइत आ ँचर, सुधा ंशु ‘शेखर’ चौधरी, प ृ—2510. वएह, प ृ—6311. किनया ँ-पुतरा, गुणनाथ झा, प ृ—2112. सपणा, र् सं. ड◌ॉ. देवे झा, प ृ--2113. तेसर किनया, ँ मिणप, प ृ---16108


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्14. नाटकक लेल, निचकेता, प ृ—20-2115. नायकक नाम जीवन, निचकेता, अिखल भारतीय िमिथला संघ, 91 /खेलात घोष लेन, कलका, 1971,प ृ—916. दहेज, चौधरी यद ुनाथ ठाकुर ‘यादव’ प ृ—4617. बसात, गोिव झा, प ृ—4718. एना कते िदन, अरिव कुमार ‘अू’, चेतना सिमित पटना,1985,प ृ—1619. लेटाइत आ ँचर, सुधा ंशु ‘शेखर’ चौधरी, प ृ—6320. बसात, गोिव झा, प ृ—1821. कुसुम, कालीनाथ झा ‘सुधीर’, प ृ—322. बसात, गोिव झा, प ृ—4723. के. एम. पिकर,िमिथला म ंथन- सुशा झा१.िमिथला ंचल िबहार मे सबस िपछड◌ल मानल जाइत अिछ, अगर िति आय ,साक्षरता और सवकाल मे जा-बा के म ृु के मापदंड बनायल जाय तो िमिथला ंचलदेश के सबस गरीब आ िपछड◌ल इलाका अिछ। एकर िकछु कारण त अिह इलाकाके भौगोिलक बनावट अिछ लेिकन ओिहयो स पैघ कारण एिह इलाका के मे कोनीक के आग ू एनाई अिछ। आजादी के लगभग 60 वष र् बीत गेलाक केबाद देश में जिह िहसाब स आिथ र्क असमानता बढ◌ि◌ गेलैक अिछ ओिह में िबहार आखासक िमिथला के साम एकटा ब पैघ संकट छैक जे ई और पाछू फेकाजाय। उदाहरण के लेल ई आ ंकड◌◌ा आिख ं खोिल दै बला अिछ जे एकटा गोआमे रहय बला औसत आदमी के िति आमदमी एकटा औसत िबहारी सं सात गुनाबेसी छैक आ एकटा पंजबी के आमदनी पा ंच गुना बेसी छैक। िबहारो मे अगर109


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्बार आ ंकड◌◌ा िनकालल जाय त िबहार के दिक्षणी( एख ुनका गंगा पार मगध आअंग) एवम पिमी ईलाका बेसी सुखी अिछ, आ ओकर जीवनश ैली सेहो द ू पाई नीकछैक। त एहन में सवाल ई जे फेर रा की छैक। की िमिथला ंचल के लोकएिहना दर-दर के ठोकर खाईके लेल दिनया ु ं में बौआईत रहता अथवा हुनको एकिदिन िवकास के दश र्न हेति।िमिथला ंचलक ई द ुभा र् छैक जे एकर एकट पैघ हमरा िहसाब सं आधा से बेसीइलाका बाढ◌ि◌ में डूबल रहैत छैक। बाढ◌ि◌ के समा के िनदान िसफ र् रासरकार के मजीर् सं निह भ सकैत बि अिह में कें सरकार के सहयोग चाही।िपछला सािठ साल मे िबहार के तागण अिहपर को गंभीर ान निह देलि जकरनतीजा अिछ जे बाढ◌ एखन तक काब ू मे निह आिब रहल अिछ। िपछला कोसी केआपदा एकर पैघ उदाहरण अिछ, आब तासब के आिख ं कनी ख ुललि अिछ, लेिकनएखन सं मेहनत केल जायत त अिह मे कमस कम 20 साल लागत।बाढ◌ि◌ िसफ र् संपि के नाश निह करैत छैक, बि आधारभूत ढ◌◌ा◌ंचा जेनासड◌क, रलेवे आ पुल के ख क दैत छैक। एहन हालत मे को उोग केलगनाई िसफ र् िदन मे सपना देखैक बराबर अिछ।िकछु गोटाके कहब छे जे िबहार मे उोग ध ंधा के जाल िबछाक एकर िवकास केलजा सकैछ। लेिकन जखन सड◌क आ िवजिलये निह अिछ त केना उोग आओत।दोसर बात ई जे िपछला अिवकासके चक फलप आबादीके बोझ एतेकबढ◌ि◌गेल अिछ जे प ूरा इलाका मे को खाली जमीन निह अिछ जतय पैघ उोगलगायल जा सकय। िसंग ूर के उदाहरण साम अिछ। महाशिशाली वाममोचा र् केसरकार के जखन ब ंगाल मे 1000 एकड◌ जमीन खोजल भेलैक त एकर कनाथ र् जे दरभंगा आ मध ुबनी मे सरकार को पैघ उोग के जमीन दै। दोसरबात इहो जे प ूरा िमिथला के पी मे, मुजफ्फरपुर सं ल क किटहार तक कोपैघ संा-चाहे ओ श ैक्षिणक होई या औोिगक- छै जे एकमुश्त 3-4 हजारलोग के रोजगार द सकै। हमरा इलाका मे शहरीकरण के घनघोर अभावअिछ। जतेक शहर अिछ ओ एकटा पैघ चौक या एकटा िवकिसत गा ंव स बेसीनिह।एकटा ढंग के इिजिनयिर ं ंग या मेिडकल कालेज निह, एकटा यिनविस ू र्टी निह।कालेज सब केहन जे 4 साल में िडी द रहल अिछ। एक जमाना मे िसदरभंगा मेिडकल कालेज मे टीचर के अभाव छैक आ कालेज जंग खा रहल अिछ।हम सब एहन अकम र् समाज छी जे कोसी पर एकटा पुल बनबैक मा ंग तक केलहु ं,हमर ता हमरा ठे ंगा देखबैत रहला। आब जा क रेलवे आ रोड पुल केबात भ रहल अिछ।कुल िमलाकर इलाका मे िसफ र् 8-10 ितशत लोक शहर मेंरहैत छिथ, ई ओ लोक छिथ िजनका सरकारी करी छि। ई शहर को उोग110


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्के बल पर निह िवकिसत भेल। बाकी आबादी-लगभग 40 ितशत िदी आपंजाब मे अपन कीमती म औ-पौ दाम मे बेच रहल अिछ। िमिथला के मपंजाब मे ाईओवर आ शािपंग माल बनाब मे खच र् भ रहल अिछ, कारण िक हमसबएहेन माहौल निह बिलएिक जे ओ म अपन घर मे नहर या सड◌क बनब मे खच र्हुए।तखन सवाल ई जे फेर उपाय की अिछ। हमरा ओतय पैघ उोग निह लािग सकैछ,रोड निह अिछ बाढ◌ि◌ के समा िवकराल अिछ, त हमसब की करी। लेिकन निह,िमिथला के िवकास एतेक पाछू भ गेलाक बाद एख ं कयल जा सकैछ। आ अिहिवषय मे कय टा िवचार छैक।िकछु गोटा के कहब छि जे एख ुनका िबहारक सरकार मगध आ भोजपुर के िवकासपर बेसी ान द रहल छैक। एकर वजह जे सा मे पैघ ता ओही इलाका केछिथ, लेिकन दोसर कारण इहो जे ओ इलाका बाढ◌ि◌ निह छैक। पैघोजे के लेल ओ इलाका उपयु छैक। उदाहरणप-एनटीपीसी, नालंदा यिनविस ू र्टीआ आयुध फैक्ी-ई तमाम चीज मगध मे अिछ। दोसर बात ई जे नीककििवटी भेला के कार भिव मे जे को िनवेश िबहार मे हेतैक ओ सीधेएही इलाका मे जेतैक। कुलिमलाक आबै बला समय मे िबहार मे ीय असमानताबढ◌य बला अिछ। एिह हालत मे िकछु गोटा अलग िमिथला राक मा ंग क रहलछिथ, आ हमरा जत संृित स बेसी -अपन आिथ र्क िवकास के लेल ई मा ंग उिचतअिछ।िमिथला के िवकास के माडेल की हुअके चाही।िमिथला के जमीन दिनया ु के सबस बेसीउपजाऊ जमीन अिछ। हमसब प ूरा भारत के सागसी आ अनाज साई क सकैतछी। लेिकन ओ सी दरभंगा सं िदी कोना जायत। एिहलेल फोरलेन हाईवे आरेलवे के रेजेरेटर िडा चाही। दोसर ग हमर इलाका के एकटा पैघ रकमदोसर रा मे इिजिनयिर ं ंग आ मेिडकल कालेज चल जाईत अिछ। हमरा इलाकामे 50 टा इ ं िजनीयिर ंग कालेज आ 10 टा मेिडकल कालेज चाही। ई कालेजभिव में िवकास के रीढ◌ सािबत होयत। हमरा इलाका मे छोट-छोट उोगजेना स◌◌ाफ्टवेयर डेवलपमेंट या पाट र्पुजा र् बनबै बला फैक्ी चाही जिह मे 100-200 आदमी के रोजगार भेिट जाय। लेिकन एिहलेल 24 घंटा िवजली चाही। ई111


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्कतेक द ुभा र् के बात जे बगल के झारखंडक कोयला के उपयोग त पंजाबमें िबजली बनबैक लेल भ जाय छैक लेिकन हमसब एकर को उपयोग निह करहल छी। आई अगर हमरा अपन इलाका मे 24 घंटा िबजली भेिट जाय़ त पंजाबजाय बला मजद ूर के संा में कम सं कम आधा कमी त पिहले साल भ जायत।भारत के दोसर रा िसफ र् आ िसफ र् अही इलाका के सा म के बले तरी करहल अिछ। हमसब ई जनतौ िकछु निह क रहल छी, ई द ुभा र् के ग।िमिथला मे पढ◌◌ाई िलखाई के ाचीन पर ंपरा रहलैक अिछ लेिकन सुिवधा के अभावमे ई धारा हाल मे कमजोर भेल अिछ। खासकर मिहला िशक्षा के दशा-िदशा तआर खराब अिछ। एकटा लड◌की कतेको तेज िकयेक रहे ओ 10 सं बेसी निहपढ◌ि◌ सकैत अिछ कारण घर के पास कालेज निह छैक। हमरा अगर तरी करयके अिछ त इलाका मे एकटा मिहला यिनविस ू र्टी त अवे हुअके चाही, संगिह सरकारके ईहो दािय छैक जे हरेक ब्लाक में कमस कम एकटा िडी कालेज के ापनाहुए। देश के िवकास मे अिह इलाका के संग कतेक भेदभाव केल गेलैक आहमर तागण कतेक िनका छिथ-एकर पैघ उदाहरण त ई जे इलाका मे एकहुटाकें ीय संान निह छैक। एकटा यिनविस ू र्टी निह, एकटा कारखाना निह। आब जा ककिटहार मे अलीगढ यिनविस ू र्टी, दरभंगा में आईआईआईटी आ बरौनी मे फेर सं खादकारखाना के पुनजीर् िवत करैक बात कयल जा रहल अिछ। हमरा याद अिछ जे साल1996 तक दरभंगा तक मे बड◌◌ी लाईन निह छलैक। हमसब कुलिमलाकर कोतरहक संपि के िनमा र्ण निह करैत छी। हमसब अपन आमदनी दोसर रा भेजदै िछयैक-बेटा के ब ंगलोर मे इिजनीयिर ं ंग करबै सं ल क िदयासलाई तक खरीदैमे। हमर पंजी ू अपन रा, अपन इलाका के िवकास में निह लािग रहल अिछ।एिह िित के जाबत काल तक निह बदलल जायत हम िकछु निह क सकैत छी।२.वीण आई अमेिरका चिल गेल। ओकरा एल एंड टी के ोजे पर िशकागोपठा देल गेलै। लेिकन ओकरा संग पढ◌◌ैवाली प ूनम के भा ओहन निह छलैक।ओ द ू बा के मा ं बिन अपन ामी के सेवा में अपन िजंदगी िबता रहलअिछ। िबतला समय याद करैत छी त लगैत अिछ जे प ूनम के संग बड◌◌्ड अायभेलैक। बात सन ् 95 के हतैक, हमर बोडर् के िरजल्ट आिब गेल छल। ओिहसमय प ूनम आ वीण छा में पढैत छल। जािह ूल में पढ◌◌ैत छल ओिह मेंचािर टा मार छलैक जे बेसीकाल खेितए बारी में लागल रहैत छलैक।112


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्प ूनम ास में फर् अबैत छल आ वीण सेकें ड...लेिकन छा के बाद वीण केबाब ू जी ओकरा ल क कटक चिल गेलिख जतय ओ एकटा द ुकान में काज करैतछलिख। प ूनम के घरक हालत अपेक्षाकृत ठीक छलैक, ओकर बाब ूजी सरकारी सेवामें छलिख, लेिकन प ूनम दसवीं से आग ू निह पिढ सकल। ओकरा इ ंटर में मध ुबनीके झ ुमकलाल मिहला कालेज में नामो िलखा देल गेलैक लेिकन बाद में ओ आग ू पढ◌ि◌ सकल। लेिकन वीण राउरकेला सं इ ंजीनिर ंग केलाक बाद एल एंड टी मेंेस्ड भ गेल आ कं पनी ओकरा िशकागो पठा देलकै।एक िदन हमर दीदी प ूनम के प ूछवो केलकैक जे ओ िकयेक बीए में नामिलखेलक, त प ूनम के जवाब छलैक जे ओकर मा ं-पा के बीच ओकर पढ◌◌ाई केल क िनत िदन घोंघाउज होइक। ओकर बेसी पढ◌नाई प ूनम के िववाह में बाधाबिन रहल छलैक। तीन बिहन में सबस पैघ प ूनम के दहेज एकटा ब पैघ समाछलैक। द ू साल के बाद प ूनम के िववाह भ गैलैक आ जे प ूनम ास में फर्अबैत छल ओ जीवन के दौड◌ में सदा के लेल सेकें ड भ गेल। प ूनम के तमामटैलेंट आब िसलाई-कढ◌◌ाई आ ेटर के नब िडजाइन सीख में खप लगलैक।आई हमरा गाम में वीण के टैलेंट के ध ूम मचल छैक। िमिथला के तमामदहेजदाता ओकर दरवाजा पर आिब चुकल छिथ, लेिकन सवाल ई जे िक प ूनम केआग ू पढ◌ि◌ पबै में िक िसफ र् दहेज टा एकटा कारण छलैक या िकछू आउर...?मािन िलय जे दहेज निहयों रिहतैक त की प ूनम के अपन घर लग नीक कालेजभिट जयतैक ? हम सोचैत छी जे यिद प ूनम के ज कनाटक र् या केरल मेंभेल रिहतैक त भ सकैछ ओ इिजनीयर ं बिन जाईत आ एल एंड टी ओकरोिशकागो भेिज दैतैक। लेिकन ई सवाल एख नीतीश कुमार अतबा अजर्न ु िसंह केएजें डा में निह छि। जािन कतेको लाख प ूनम आई िचिचया-िचिचया क ईसवाल अिह वा सं पिछ ू रहल अिछ।113


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्हमर ई पो िहंदी के हमर ब्लाग आपाली(amr apaal i . bl ogspot . com)...ओिहपर एकटा िटणी अिछ जे सब साधन सबके निह देल जा सकैत छैक, आग ू बढ◌यबला के ख ुदे के िजजीिवषा हुअके चाही। लेिकन हमर कथन ई अिछ जे वीण केसंग को जीिजिवषा निह छलैक-ई पुष धान समाज के एकटा द ुखद अाय छैकजे हजारो वीण के त कोटा स ल क ब ंगलोर तक डोशन पर भेज देलजाइत छैक लेिकन लाखों प ूनम एख ं आशाके बाट जोिह रहल अिछ। की ईसरकार के कतर् निह छैक जे ओ प ूनम सब के उिचत पढ◌◌ाई के वाकरैक..?.ई कतेक द ुभा र् केर बात अिछ जे िबहार में एखन हाईूल खोलै परितब ंध लागल छैक। एखन 5 िकलोमीटर के दायरा में िबहार में एकटा हाईूलछैक। को लड◌की के लेल ई कोना संभव छैक जे ओ पा ंच िकलोमीटर पढ◌यलेल हाईूल जाय। आब िबहार सरकार हाईूल में लड◌की सबके साइिकल द रहलछैक लेिकन की िसफ र् हाईूल तक के पढ◌◌ाई उपयु छैक..? दोसर बात ईजे िबहार सनहक रा में जतेक सामा ज ुएशन के सीट छैक, कनाटक र् आमहाराष् में ओिह स बेसी इिजनीयिर ं ंग के सीट छैक।एखन तक रा में एकोटा मिहला िविवालय आ तकनीकी िविवालय छैक।हुअके ती ई चाही छल जे िबहारल में 20-25 साल पिहनिह हर िजला- आ ब्लाकमें एकटा कालेज खोिल देबाक चाही छलैक। आब के जमाना त इिजनीयिर ं ंग आएमबीए कालेज खोलक छैक। एहन हालत में ओिह खाई के के भरत जे िबहार आदोसर रा के बीच में बिन गेलैक अिछ। फेर वेह सवाल साम अिछ- कीअबैयो बला समय में प ूनम इिजनीयिर ं ंग कालेज में जेती....?भानस भात- नीिलमा114


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्मखानक खीरसामी- द ूध-१ १/२ िकलो, िची-१०० ाम, मखान कुटल- १०० ाम, इलाइची पाउडर-ाद असार, काजू- १० टा, िकशिमश-२०टाबबाक िविध- मखानक पाउडर (कनी दरदरा)क पिह १/२ िकलो ठंढ़◌ा द ूधमे घोिरिलअ, शेष द ूध केँ खौला िलअ। आब गम र् द ूधमे ई घोड़ल मखानक िमण िमलािदयौक आर करौछसँ लगातार चलबैत रिहयौक जािहसँ िमण पेनीमे बैसय निह।जखन खौलय लागय तँ ओिहमे िची, काजू, िकशिमश सभ दऽ कय अिममे इलाइचीपाउडर खसाऽ कऽ िमलाऽ कऽ उताड़ि◌ िलअ। मखानक खीर तैयार अिछ।ट:- मखानकेँ सुखलो भुिज कऽ कुिट सकैत छी वा घीमे सेहो भूिज कए कूिट कऽपाउडर बना सकैत छी।मेथीक परोठासामी:-आटा-२५० ाम, बेसन-१०० ाम, िरफाइन-२५० ाम, मेंथी साग-५०० ाम,हिरअर मेरचाइ-४टा, आदी- १ इचक टुकड़◌ा, धनी-पात आऽ न-अंदाजसँ।िविध- मेंथीकेँ साफ कऽ कए धोऽ िलअ। मेंहीसँ कािट कए लोिहयामे कनी तेल दऽकय मेंथी पात खसा िदयौक। कनी भाप लािग जाय तँ ओिहमे काटल हिरयरमेरचाइ, आदी घसल, धनी-पात कािट कय आऽ न ून िमला कय एिह िमणकेँ बेसनफेँ टल आ ँटामे िमला िदयौक। आ ँटाकेँ कक कड़◌ा कऽ सािन िलअ। पराठा बेल कएतवापर कम आ ँचपर िरफाइन लगा कए सेिक िलअ। खाा मेथीक पराठा तैयार भऽगेल।ट:- अहा ँ का ँच मेंथी पात कऽ मेंही कािट कऽ, िपयाज ु सभ िमला कऽ सेहो आ ँटासािन सकैत छी।मुगलई कोबी115


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्सामी:-कोबीक टुकड़◌ा-१/२ िकलो, िपयाज ु महीन काटल-१कप टमाटर, कूकस कएल-१कप, हिरयर मेरचाइ-आदीक पे-१ चच, न ून ादासार, लाल िमरचाइक पाउडर-१/२ चच, धिनया ँ पाउडर-१ चच, हरिद- १ चच, गम र् मसा-१/२ चच, अमचूर-१/२ चच, जीर-१/२ चच, मलाई-१/२ चच, टोमेटो स◌ॉस- १ चच, िरफाइनतेल-२ चच।िविध:- कोबीक टुकड़◌ा धोऽ कऽ चालिनमे आधा घंटाक लेल रािख िदयौक, जािहसँएकर पािन िनकिल जाय। फेर लोिहयामे तेल गम र् कऽ कोबीकेँ हा गुलाबी ाइकऽ िलअ आर एकटा पेपरपर िनकािल िलअ, जािहसँ तेल िनकिल जाय। एक पैनमेतेल ढा। ओिहमे जीर दऽ कए िपयाज आऽ आदीक पे दऽ कय भुिजिदयौक। आब सभ टा मसा दऽ कय कनी देरमे आर भुिजयौक। मलाएकेँ मैशकऽ दऽ िदयौक, स◌ॉसकेँ सेहो दऽ िदयौक आर नीकसँ िमला िदयौक। आब एिहमेकोबीक टुकड़◌ा दऽ कय चचसँ िमला िदयौक। फेर एक बाउलमे ओकरा िनकािल कऽऊपरसँ गरम मसा आर धिनया ँ (धनी) पात सजा िदयौक आर पड़िस िलअ।केसर पुलावसामी:- २ कप बासमती चावल, १ कप मटरक दाना, १ टुकड़◌ा दालचीनी, १ बड़◌ीइलायची, ४ टा लौ ंग, ४ कप पािन, २ टेब ुल ून घी, १/२ केसर, २ टीून गरमपािन, एकटा िपयाज ु ला-ला काटल, १ टी ून जीर, २ टी ून न ून।िविध:-केसरक गरम पािनमे फुलइ लेल दऽ िदयौक। चाउरकेँ नीकसँ धोऽ कए फुलइलेल दऽ िदयौक। चाउरकेँ नीकसँ धोऽ कऽ फुलय लेल दऽ िदयौक। कुकरमे घीगरम कऽ कए ओिहमे ाज दऽ कए ाउन होय धिर ाइ कऽ कए ेटमे िनकािलिलअ। आब एिह गरम घीमे दालचीनी, जीर, इलाइची, लौ ंग आर न ून दऽ िदयौक।मटरकेँ दऽ कए कनी चलाऊ आर चाउरकेँ पािनसँ िनकािल अहीमे दऽ िदयौक। ऊपरसँिपयाज ु आ केसर सेहो दऽ िदयौक। ४ कप पािन दऽ कय एक सीटी आबए तकपकाऊ। गरम-गरम केसर पुलाव, रायता वा को रसगर तरकारी संग खाऊ।म ूरक परोठा116


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्सामी:- आ ँटा-२५० ाम, बेसन-१०० ाम, म ूर-२५० ाम, िरफाइन तेल-१०० ाम,जमाइन-म ंगरैल-अंदाजसँ। आदी-१ इच टुकड़◌ा, धनी-पात-द ू डा ँट, हिरयर मेरचाइ४ टा, न ून- अंदाजसँ।िविध:- म ूरकेँ धोऽ कऽ कूकस कऽ िलअ। लोिहयामे कनी तेल दऽ िदयौक। गम र्भेलापर ओिहमे म ूर आ सभ मसा खसा िदयौक आ ढ़नसँ झािप ँ िदयौक। कनीभाप आिब जाएत, ओकरा िनकािल कऽ ठंढ़◌ा हेबय िदयौक। आब एिह िमणमे न ूनिमला कय बेसन िमलल आ ँटामे िमला कऽ सािन िलअ। गोल-गोल पातर-पातर बेलकऽ ताबापर द ुन ू िदस िरफाइन लगा कए सेिक िलअ। म ूली पराठा तैयार भऽ गेल।म ूरक परोठा बबाक एकटा आर िविध अिछ, अहा ँ म ूलीक कूकस कऽ कए ओिहमे सभमसा िमला िलअ। आब ओकड़◌ा गाड़ि◌ कए एक िदस रािख िलअ। आब आ ँटाकगोलीमे थोड़◌े म ूलीक िमण लऽ कऽ न ून िमला कऽ भिर िलअ आ बेल कऽ ताबापरिरफाइन दऽ कऽ सेिक िलअ।ट:-एिह तरहेँ का ँच अनरबा आ बा कोबीक परोठा सेहो बना सकैत छी।३.प३.१. १.आशीष अनिचार २.मध ुप३.२. १.महेश िम "िवभूित"३.३.-१.ोित-२.सोष िम३.नवीननाथ झा३.४. िवनीत उल३.५. पंकज पराशर३.६. १.िबनीत ठाकुर २.िनिमष झा ३.अमरेन ् यादव१.आशीष अनिचार२.मध ुप117


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्आशीष अनिचार-१. मखमख काज करैत जान अरोिप कएआिफसमे, रोडपरवा कतौभिर लैए टका जेबीमेिनकिल जाइए माकेर्िट ंग करबाक लेलकीिन लबैएरेडीमेड ख ुशी वु-जातक पमेकी मखरेडीमेड भेल जा रहल अिछ?२.गजलजीवनमे दद र्क सश शेष कुशल अिछनिह कहब िवशेष शेष कुशल अिछअरा सरकार चला रहल राजकाजछैक बौकक ई देश शेष कुशल अिछ118


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्देह बदलैए आा निह स ू िन िलअएह छैक सरकारक भेष शेष कुशल अिछमुा आ थापड़क उपयोग के करतखाली आ ँ िखए लाल टरेस शेष कुशल अिछगजल कहब असान निह एतेक आशीषआब चलैत छी बेश शेष कुशल अिछमध ुप जीक किवतामय िची (अकािशत प-ड◌ॉ.पालन झाक सौजसँ)िच. ी चका िम शुभाशीवा र्द पािबअहा ँकेँ कुशल िथकहु ँ सादगामहुमे पिरवार अपन आनअही ं क हेतु छल िचित िच अन।घेंट-पेट ओ तैठ पेटसँ हीनउदय रहए अिछ मनिह मन िकछु िख।म ंगलमय ी म ंगल झा स ूरधामकाशीवासी ’तिज वनता’ आराम।119


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्अहूँ हुनक सेवामे मेवा छी चखैतछी तिहठाम जतए केओ निह अिछ झखैत।(चका िम-मध ुप जीक छोट भाइउदय- चका िमक बालकचका िमक िववाह म ंगलद झा, गाम हरौलीक कासँ।म ंगल झाक काशी वासमे िलखल प, स ूय र्क उरायणमे गेलापर म ृुक वरण, संगमेउदय आऽ म ंगल झाक पौ ी ु कुमार झा सेहो संगमे रहिथ।)१.महेश िम "िवभूित"महेश िम "िवभूित"सोष (०६.०२.६५)सोष सिरतमे िनत नहाय,बल पिहरी तँ लाज न हो।बेदाग होय कतर् करी,हाथी नवीश सँ काज न हो॥कहू! थ र् झगड़ि◌के धन अरजी,सत् कम र् िबना सब काज हो।एक िदन िबन कैंचाके जगसँ,ान क, तँ लाज न हो॥120


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्भऽ जाय फकीरी वोिह सँकी?मक ऊँ चा सिदकाल रहे।कहू? भला वो अमीरी की,लानत जेिह पर काल कहे॥भऽ जाय अमीरी वोिहसँ की?सत् कीितर् समुज्ल कम र् क,िनिश िदन साव िनबाहू जँ।भगवान ् भला करता िनय,किहयौन हुनकिह, निहं काहूसँ॥हुनकर लीला अनदेखल अिछ,फल ा करै छिथ िवासी।सुिनतहु ँ छिथ सबहक परमभु,कारण; वो छिथ घट-घट वासी॥उद ् बोधन : ढाढ़स (३१.०७.६३)मत होउ िनराश एक झटका पर,121


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्िनत कम र्क ान ध मनमे।दिनया ु ँमे एिहना होइतै ं छै,ई सोिच पुनः उत रनमे॥बहुतो ंके एिहना मेल एतऽ,िकु; की साहस छोड़ि◌ देलक।?।साहस थीक सल आशाके,जगमे हारल पुिन लाहु लेलक॥नभमे देखू वो चाके,जे प ूण र् िवकासक मपर अिछ।एक िदन प ूनम पिरप ू िरत भऽ,पुिन ास ास भऽ जाइत अिछ॥नयन िनहािर िनरख ू जगके,के रहल समान िनिश िदन जगमे।?।उान-पतन म कम र्क अिछ,िनभीर्क बन ू ँ, िबच महमे॥जी तोड़ि◌ पिरम करिथ कोय,फल नीक नािहं, तँ दोष कोन।िवधना के एिहना लीला छि,122


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्तँ, एकरामे िकनको दोष कोन॥?॥बड़ आश केलहु ँ शुभ आशाके,सव केलहु ँ निहं काज कोन।फलदाता दरजल नािहं यिद,तँ, एकरामे िकनको लाज कोन॥?॥भेटत वोतबिह, जे िलखल अिछ,पाथर परके रेखा ब ु िझयौ।कतर् क िनत िनकक िहत,भेटत िनय, भागक लेखा ब ु िझयौ॥म-सा मजूरी भेटतै ं छै,ई शास्-पुराण, सुिध जन किह गेल।औकतेलासँ भा पाकयऽ?ई क युगाक रिह गेल॥वोपदेव इितहास-पुष,अमर ले पािणनी ितनकर।धीर धैय र् धारण किरयौ,123


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्यथा भाग भावी िजनकर॥पाव के राज भेटल छीनल,नल दमयीके याद क।िसंहासनाढ़ िसयावर भेला,वसुदेव कोना आजाद क॥मध ुर (०७.११.६२, रिव ी िवजयादशमी)मध ुर की देख रहल छी,दतासँ सँद ूर भऽ के।िचरिनशा के गभर्मे,तीनतासँ िनकट भऽ के॥द ुसँ जँ द ूर छी तँ,कहू कोन उपचार हो।म ूक मुा एना कऽ के,अित द ुःखक ँ िवार हो॥या कहू अिनिहत,र्124


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्द ुःखसँ द ुःखी छी मनिह-मन,से कहू सोच तिज के,की देखब छनिह-छन॥मौन रहला पर कोना के,बिझ ु सकत पर वेदना।वेदना के कऽ के,छाड़ि◌ दी िनज कना॥मध ुर क की महा,किह िदयऽ द ू शमे।हम िमत छी दशा लिखके,िकछु कहू, िकछु शमे॥?॥या कहू िकछु िवसिर गे छी,अहा ँ िनज ालसँ।मध ुर क िलत ाला,ािग दी अरालसँ॥सजिन! पता दी अपन ेशक,125


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्िवषम वेदना मानस के।वा बहु भाित ँ िथत छी अप,दयात तामस से॥कोना वेदना उमड़ल अिछ जे,अगम-अथाह, पता निहं आय।अितशय ेशक द ुःसह भारसँ,दबियत छी दयनीय भऽ हाय॥कहू-कहू! मानस के ओझरी,मध ुर के ाग ू आय।मध ुर यिद द ुःखदाई हो,तुरत ागी, कथमिप निहं खाय॥अहा ँ बेसुिध, हम ससुिध भऽकोना जीवन-रथ चलत।साम ंजानक योजन,जीवनक रथ अथ चलत॥िसूर-दानक गीत: “अरोध” (१४.०५.६३, सोम)126


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्“िय पाहुन िसूर-दान क”सुर सरस समय शुभ सरसल, िसूर हाथ ध।उषा िनहारिथ कमल हके, अिवलम कम र् क॥...॥नव िनिम र्त नगरीमे िसित िकित ाल क।िवलम छाड़ि◌, िसुर लऽ करमे, िहय भुनाम ध॥...॥दश र्क सब ाकुल होय िनरखय, ातीक जल बरस ू।नवजीवनके स ृजन करिथ भु कम र्क ान ध॥...॥कबलौ ं भु अरोध करायब शुभ-शुभ कम र् क।मनःप ूत मनसाके कऽ के, भवनदमे िवह॥...॥शुभ शर-गौरी मैयाके शुभाशीष िहय म ध।िवनय “िवभूित”क एतविह भुसँ, युगल जगत् िवच॥...॥बादरीक आगमन (२६.०५.६३)“नभमलमे पवनक रथपर, कारी-कारी बादिर आयल”।िबज ु िर छटकै, ठनका ठनकै, देिख-सुिन जनमन ख ूब डेरायल॥चहु िदिश उमड़ल कारी बादरी, बादिर आिबके जल बरसायल।लयनाद मेघक सुिन-सुिन, व ृ जनी सब निहं कायल॥127


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्हकरै बालक व ृ जनी सब, लोक कहै सब माल हेरायल।बा ँस-आम गीरल अनिगनती, ो कहै हमरो मिहंस हेरायल॥लोक कहै बहु भाित ँ मद ुःख, िया कहै मोर िय निहं आयल।कािमनी कलपिथ, िय निहं गृह छिथ, िवज ु िरक ध ु िन-सुिन िजयरा डेरायल॥रोर मचल अिछ चहु िदिश जन-जन, एतबिहमे अित जल झहरायल।ििषत भूिम “िवभूित”मय भेली, त-ण वो जन-मन हरसायल॥जगक मान (०९.०६.६३)डोली उठल िबन खोलीके द ुवारसँ,घिर ु निहं आओत, मान हे।का ँच कचा कािट कुढ़◌ावोल,उघल सबटा सामान हे॥ेत वस्सँ म ृतक सजाओल,िनत ित होत जहान हे।अचरज के ँ बात ब ु िझ ई,ई िथक ुवक समान हे॥128


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्चािर ज िमिल का लगाओलगमन करत शमशान हे।पु-णय के पिरचय देता,करता अिक दान हे॥सच् होय अिछ “पुाथे र् भाया”र्होय छिथ पु महान ् हे।कहिथ “िवभूित” बनब िवभूित,एिह िथक जगक मान हे॥“अपटुडेट बिल युवकसँ” (१५.१२.१९६२)क िकछु काज बाब ू औ,रतन धन आय पौ छी।धरा पर अवतिरत भऽ के,एना की मन गमौ छी॥?॥क उाह िकछु मनमे,129


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्चल ू सापर िनिश-िदन।चुकाऊ कजर् माताके-जे भेटल अिछ अहा ँके िरन॥बढ़◌ाऊ डेगके आग ू,समय तँ किट रहल अिछ औ।पुनः ऋण बढ़ि◌ रहल अिछ जे,सधाउ आय, ँ राख ू शेष तिनको औ॥पड़ल माता कराहित छिथ,दया के बेच दे छी।तिनक तँ लाज राख ू जे,एना की मन गमौ छी॥?॥सुयश पायब समाजीसँ,धवल यश देश ापी औ।िपता-माता सुकीरित लिह,अभय वरदान देता औ॥130


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्“अरोध” (२८.०९.१९६२)की कहू? कहलो ँ जाय अिछ,िहय िथत, वाणी सबल निहं,बि ु ाकुल, ाल चहु िदशाल ऊरमे बढ़ि◌ रहल अिछ।की कहू? कहलो ँ जाय अिछ॥दशा पातर, हाल दयनीय,आननक सुकुमारताके।मौन शातीत मुा;-से दयमे चुिभ रहल अिछ।की कहू? कहलो ँ जाय अिछ॥ाण आकुल, िवकल की छी,था-ालमे जिर रहल छी,श ूल बक पितत नगसँबमिर-झहिरके खिस रहल अिछ!की कहू कहलो ँ जाय अिछ॥131


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्दय दाण द ुःख सिहके,मा ा शेष बा ँचल।एना िवल हाल कऽ के,था िगुिणत दऽ रहल छी॥की कहू? कहलो ँ जाय अिछ॥चमुख-मल सुलोचन,कच-िवकच बेहाल की अिछ।वेदनासँ िथत भऽ के,िथत अनका कऽ रहल छी।।की कहू? कहलो ँ जाय अिछ॥बस आश एक, अरोध केवल,मध ु-मध ुर मुान के।हेिर चानक आभा,क मुकुल, िवकिसत ाण के॥पुनः मुल म ृद ुलाअ के,हेतु अरोधी बनल छी।मािननी भऽ मान राख ू,132


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्दशा लिख के अित िवकल छी॥१.ोित२.सोष िम३.नवीननाथ झाोितबाबा अमरनाथठोप ठोप पािन जमा भऽधीरे धीरे परतमे जिमकऽपहाड◌क उपर गुफाक अारमेअमरनाथ बाबा भौितक प मेहोइत छिथ ितवष र् उिवतभक् तक आह्वान सऽ उत्िरतजेना एक शीतल अलौिकक काशसमेट सूण र् सागर आ आकाशजटामे लागैत िनिहत आकाशगंगािहमानी िशविलंग द ू िधया ेतर ंगादेवी पावतीर् के जीवन रहक ज्ञानअिह पावन ठाममे िशव केलिखन दानिहमक आरो ितमा होएत अिछ उपितयम ् गणपित देव िशव पाव र्ती सिहतकायल छल िहुक ई महातीथ र्ान133


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्१. एना िकए ?- सोष िमताकैवला चरवाहा छल एक मुसलमानएकटा स ्ी ,हमर घरकें सबहे काज कऽ दैअसमय–समय पर आिबकऽहमर जरत पुरा क दैअएिहके बाध ओपरतिर दैअमुदा एना िकए ?जिहया हम असगरे रहैछीतिहया ओ हमरा संग राित िबतऽबैयकख ितर त कख तारकिहयो राईके बनादै पहाड◌कख हमरा लेल आािखमे रआ कख हमरासँ द ूरमुदा एना िकए ?134


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्िक ईहे त म निह ?िक ईहो म छै ?हमरा को बेगरता होएओ सेहो पुरा कऽ दैअगलती जौ भऽगेल हमरासँत डटबो करैएमुदा एना िकए ?ओकर आ ँ िखमे,एकटा भावना रहैछैकओकरा िवश ्वास रहैछैक हमरे परतैयो ओ हमरा डटैत रहैएमुदा एना िकए ?िकछु जौ ं किह िदऐ तभऽजाइए टोका–चाली बन ्दओकर म ू ँह बन ्द भइयोकओकर आ ँ िख,अपन मक गीत कहैए135


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्मुदा एना िकए ?िकछु समय बादजेना िकछु भेले निह हुएजेना ओ हमरासँ िचन ्तीते निह हुएतिहना ब ्यवहार करैएमुदा एना िकए ?नवीननाथ झा२नारीये सतयुग आनत यौअपन पीयुष अदानसँ, जन-जनकेँ पान करायत औ,आिब रहल अिछ वो पिव मुहुतर्, जखनिह नारीये सतयुग आनत औ।उषाकालक उव भऽ रहल अिछ, अदयक पावन मुहुतर् अिछ,काणक वेदी सजल कतो, नर सम ूहक मेला अिछ कतो,एहेन सुर उपवनमे, युग-पिरवतर्नक िबगुल बजाओत औ।136


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्आएल वो पिव मुहुतर्, जखन निह नारीये सतयुग आनत औ॥१॥करलक जीव सिक ृ संरचना, चेतनाक संचार लाएत औ,सव-वेदनाकेँ सहलक, मा ँ बिनकेँ ार देलक औ,ा, ज्ञा, िना बिन, ई अकाक पररा िनभौलक औ,आिब रहल अिछ वो पिव मुहुतर्, जखनिह नारीये सतयुग आनत औ॥२॥देव युोमे थम नारी, तात् नरक नाम आएल औयथा-उमा-महेश, शची-पुरर, राधा-कृ, िकया हुएवो सीता-राममाषी पमे देवी थीिक, ई तकेँ ज्ञात कराएत औ।आिब रहल अिछ वो पिव मुहुतर्, जखनिह नारीये सतयुग आनत औ॥३॥नारी-दय अिछ िनम र्ल-कोमल, मक भंडार छुपल अिछ सभटा,मानवताक िसंचन करवा लेल, िनकलल अिहसँ अम ृत-धारा,मुिछ र्त बसुरा पर पुनः जागृित अवेष आएत औ,आिब रहल अिछ वो पिव मुहुतर्, जखनिह नारीये सतयुग आनत औ॥४॥३युगिनमा र्णी संकआइ कमर किसकेँ आएल अिछ, द ु िनयाक युगिनमा र्णी,बहुत भऽ चुकल, आब निञ हुअए देबए मनमानी।धनक लेल वासना भड़काबैवला, सुन ू औ!137


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्द ुराचार-अपराधकेँ , उकसावैवाला सुन ू औ,केिवल, टी.वी. आओर िसमामे सुधार आब होएत,ई िवनाशकारी श ैली आब हमरा सभकेँ अपनावैक निह अिछ,बहुत भऽ चुकल आओर निञ होमे देबए हम मनमानी॥१॥जे िकशोरक मनकेँ भड़कावै,ई कोन मर ंजन भेल?जे अपराधकेँ उकसावै, ई कोन मर ंजन थीक?ल ूट-पाट, िहंसा, हा, अिहलेल होएत अिछ,द ुराचारक घिणत ृ िया, अिह लेल होइत अिछ,ईएह महामारी समाजक लेल, जड़ि◌सँ िमटेबाक दृढ़ितज्ञ छी,बहुत भऽ चुकल, आब निञ हुअए देबए हम मनमानी॥२॥घर-घर जे अील िच अिछ, तकरा जरा कए हम दम लेब,बा सभकेँ भड़कदार वस् निञ पिहराएब हम,ब ुक ◌ॉलपर जहरीला सािह निञ िबकाय लए देबए,मानवीय म ूक आग ू निञ गलत भावकेँ िटकए लेल देबए,कतो निञ रहए लेल देबए को कुित कथा-कहानी।बहुत भऽ चुकल आओर निञ होमए देबए हम मनमानी॥३॥आिरक किवक भावप-पिकामे पुनः होएत रक गाथाएँअपराधक लेल मुखताक निञ होएत थाएँसहज िवधेयाक होएत पुनः दृ ि कलाकारक138


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्हुनका निञ होएत िचा, मा धन वा बजारक।मा ँक िबसरल िता पुनः बढ़त ई अव जान ू।बहुत भऽ चुकल आओर निञ होमए देबए हम मनमानी॥४॥िफ ितक म ूकेँ उकसाबएवाली होएत,किवता नारीक मान-िता बढ़◌ावैवाली होएत।कतहु निह होएत मादक-ध ुनपर न ृ िसहराबएवाली,मानव-िचनक िवष भरए लेल निञ होएत संचार कको,पुनः ितािपत करबाक अिछ, पुरान गिरमामयी कहानी,बहुत भऽ चुकल आओर निञ होमए देबए हम मनमानी॥५॥िपाठक आओर दश र्कक सित्चनकेँ उभारए लेल पड़त आवक छी,शुभ समाजक लेल समिप र्त जँ ि निञ होएत,ओऽ किव कलाकारक नवयुगमे अि निञ होएत,आए ईएह संक लऽ केँ बढ़ि◌ चल ू स ृजन-सेनानी।बहुत भऽ चुकल आओर निञ होमए देबए हम मनमानी॥६॥४जीव की छी? अहम ् उर139


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्जीवन एक जोिखम छी, जीवन एक समर छी।जीवनकेँ एिह पमे ीकार करब, तकर अलावे को चारो तेँ निह अिछ।से कहैत छी, जीवन एक तप ूण र् रहमयी भाव छी।जीवन एक ितली छी, जीवन एक भूल-भुलैया छी।एक तरहेँ ई एक गोरख ध ंधा सेहो छी।िजनकर िजा गंभीर पय र्वेक्षण करबाक दृ ि छैक (अिछ)ओ जन जोिह भावनाक तहतक पहु ँच सकैत अिछ,जीवनसँ ज ुड़ल ाि, कुहासा सेहो,िमटाएल जाऽ सकैत अिछ, अकाक खतरासँ सेहो बा ँचल जाऽ सकैत अिछजेना ९यथा)- हँसैत, हँसाबैत, हलका, फुलका र ंगम ंच,मािनकेँ , िवदप ूव र्क म ंचन करैत,आनप ूव र्क समय तीत करबाक दृढ़ िनयी-भाव,लऽ केँ चली तँ-जे िक प ूणानक र् सव र् इा छी॥ जीवन एक जोिखम छी॥जीवन एक गीत छी,जे गीतकेँ हम पंचम रमे गािब सकैत छी,क िवशेषज्ञ बनल जाऽ सकैत अिछ॥ जीवन एक जोिखम छी॥जीवन एक अवसर छी!एिह अवसरकेँ हाथसँ गँवा निह देबाक अिछ,कारण ई शुभ अवसर जीवनमे ईरक अकासँ,140


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्कमसँ कम एक बेर अवमेव भेटबेटा करतई िनःसंदेह अिछ॥ जीवन एक शुभावसर सेहो छी॥५गायी महाम ंाथ र्ना करैत छी हुनकासँ (परमाासँ)ओऽ ाणप, द ुखनाशक, सुखप, , तेजी, पापनाशक,देवप परमााकेँ हम अपन अराामे धारण करी।ओऽ परमाा हमर ब ु िकेँ सामे िरत करताह,जे अवंभावी अिछ।ओऽ परमाा हमर ब ु िकेँ सा, सापर चलबालेल सुब ु ि देिथ॥गायीकेँ भारतीय संृितक जननी कहाएल अिछ॥१॥गायी भारतीय धम र्शास्क ओऽ सम िदज्ञानक काश अिछ,गायीकेँ बीजाक्षरक िवार मानल गेल अिछ।गायी मा ँकेँ आ ँचर पकड़एबला साधक,कख िनराश भऽ निह सकैत अिछ।ई म ंक चौबीस अक्षर , चौबीस शिक एव ं िसिक मा अिछ,गायी म ंक उपासना करएबला साधकक-मकामना,अवमेव सफलीभूत होइत अिछ।।गायीकेँ भारतीय संृितक जननी कहल गेल अिछ॥२।।141


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्गायी वेदमाता कहल जाइत अिछ,गायी मानव-माक पाप-नाशनी िथकी,अक्षर चौबीस परम पुनीत अिछ,एिहमे बसल शास्, ुित, गीता-महाम ंक जतेक जगमािह, एकोटा गायी सम निञ अिछ।गायी भारतीय संृितक जननी कहल गेल अिछ॥३॥ॐ अयवाचक श छी। अतः ई श परमााक अितिर को,ाणीकेँ योिजत निह होइत अिछ,ॐ शकेँ सेहो कहल जाइत अिछ।भू: भुवः ः- ा, िवु एव ं महेशक ोतक अिछ॥४।।तत्- परमााकेँ भाव ानक िदस आकिष र्त करैत अिछ॥सिवतुः – सिवता वै सवनामीशे िनयेव सम सिकृईररे सिवता अिछ थीक।६म आनक अिभि छीम जगतमे सार वु होइत अिछ।म से अथ र्मे जीवन छी।142


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्म जीवनक सपमे िनयामक छी।जीवन आओर जगक िवकासक सोपान छी।हर मे मक िविशताकेँ नकारल निह जाऽ सकैत अिछम, धम, र् िवज्ञान, मिवज्ञान, समाजशास् तकमे-समाओल गेल अिछ, िपराओल गेल अिछ।म मानव जीवनक अिनवाय र् एव ं अपिरहाय र्अंग मानल गेल अिछ, से से जान ू॥म से अथ र्मे जीवन छी॥म एक सार त अिछ,जे असँ अमे, परमाकेँ परमा िमलाबैत अिछ।पैघ-पैघ हकेँ एक दोसरसँ आकृ कराबैत अिछ,पुषकेँ स्ीक ओर, स्ीकेँ पुषक ओर,मकेँ मक ओर, पशुकेँ पशुक ओर,मान ू तँ सम संसारकेँ एक केक ओर िखचैत अिछम सवो र्पिर सुख आओर आन छी।म जीवनक सार वु छी॥म यथाथ र्मे िनःाथ र्क भावनाक तीक छी,मकेँ दैवी भावनाक संज्ञा सेहो दऽ सकैत छी,ममे सदैव आदश र्क चरमोष र् अिछ॥म जीवनक महानतम धरोहर छी॥143


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्म पुरार निञ चाहैत अिछ,म सदैव मक वाे होइत अिछ,म कता र् निञ अिछ,म िभखम ंग निञ,मक थम िसा जे याचना निञ करैत अिछम से अथ र्मे आाक पुकार छी,म जगतमे सार वु होइत अिछम से अथ र्मे जीवनक सार छी॥िवनीत उल३.िवनीत उल (१९७८- )। आनंदपुरा, मधेपुरा।ारिभक ं िशक्षासँ इ ंटर धिर मुंगेर िजला अंतत रणगा ंव आs तारापुरमे।ितलकामा ंझी भागलपुर, िविवालयसँ गिणतमे बीएससी (आनस)। र् गु जेरिविवालयसँ जनसंचारमे मार िडी। भारतीय िवा भवन, नई िदीसँ अंगरेजीपकािरतामे ातकोर िडोमा। जािमया िमिया इािमया, नई िदीसँ जनसंचार आऽरचनाक लेखनमे ातकोर िडोमा। न म ंडेला सेंटर फ◌ॉर पीस एंड कनििरजोूशन, जािमया िमिलया इािमयाक पिहल बैचक छा भs सिटिफकेट र् ा।भारतीय िवा भवनक ंच कोस र्क छा।144


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्आकाशवाणी भागलपुरसँ किवता पाठ, पिरचचा र् आिद सािरत। देशक ितित प-पिका सभमे िविभ िवषयपर तं लेखन। पकािरता कैिरयर- दैिनक भार,इ ंदौर, रायपुर, िदी स, दैिनक िहंद ुान, नई िदी, फरीदाबाद, अिकं चन भारत,आगरा, देशब ंध , ु िदीमे। एखन राष्ीय सहारा, एडामे विर उपसंपादक।बा नीक छैई बा नीक छैकतेक नीक एकर पैमाना निह छैसुसंृत-संारवान छै कतेकएकरो पैमाना निह छैबेसी बजै निह छैदिनयादारीक ु नव वुकब ूझाबक इा निह छैतािह लेल ई बा नीक छैमाय कए द ूध िपबाक लेलतंग निह करैत छैनिह भेटैत छैक तख चुप छैतािह लेल ई बा क छैदिनयाक ु गम देखकअपन द ुखक सोिचकऐ145


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्ई बा कानब िबसिर गेलतािह लेल ई बा नीक छैमाय-बापक झगड़◌ा देिख कएघर में अशाित ं सं घबराइल ई बाकेकरो िकछु निह कहैत छैतािह लेल ई बा नीक छैजे राटायल से रटतअपन िदमाग सं िकछु निह प ूछतिकताबी कीडा छै ई बातािह लेल ई बा नीक छैसोचैक क्षमता निह छैमाय-बाप सप ूइछ कए करैत अिछ सब काजतािह लेल ई बा नीक छैद ुधमुंहा बाक जनानिह िकछु बाजैत छै146


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्निह िकछु काज करैत छैतािह लेल ई बा नीक छै।िजनगी एकटा तमाशािजनगी एकटा तमाशा छैकख उतार कख चढ़◌ावकिहयो ख ुशी किहयो गमएकरे नाम िजनगी छैिजनगी एकता तमाशा छैकेकरो जीत पर केकरो द ुःखकेकरो हािर पर ककरो सुखसुख-द ुखक सार िजनगी छैिजनगी एकता तमाशा छैएक ठाम फेल तएदोसर ठाम पासपास-फेलक झमेला िजनगी छै147


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्िजनगी एक तमाशा छैकेकरो कानला से हँसबकेकरो हंसबा स कानबहंसबाक-कनबाक खेल िजनगी छै।स्ीगणस्ीगण कए दोयम दजा र् मानले सपुष समाज कए की िमलैत छैकिकछु संतुि िकछु घम ंडसोचैत िछ हमही सव र्मुदा, ई फुइिसयोका गैप सनिह िकछु भेटतकेकरो द ुःख दैकेअहा ं कए सुख भेटैत छैकत सुन िलयअ एकटा गपअहा ं किहयो सुखी निह रहबैिस्गन स सीख ू148


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्साम ंज बनाबैक लेल ब ंधनक गपआउर धैय र्क क्षमताकहबाक में ई सभछोट गप लागैत छैमुदा अहा ंक क्षमता निह छैक जे महीना एक जीवनक भािर सािधभोरिह स सा ँझ धिरभनसाघर में र ंग-िबर ंगातीमनबनबै सकबकतबैयो िदयो तकर्कलेजा पर हाथ धिर कएएक बेरसोचब अहा ंआउरएक िस्गनक क्षमता में अर149


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्िदल ओ िदमाग ख ुइल जाइतअहा ंक घम ंड चुइर-चुइर भ जाइतअहा ं कए मानिह परततु छी अहा ंदोयम दजा र् त अहा ं छीअपन खामी िछपा बैक लेल धौ ंस जैत छी .स समाजतथाकिथत ससमाज मेंम करैक अिधकारनिह छैक लोक कएअहा ं म करबै तेघर सं बारल भए जाइबसमाज में िता ख भए जाइतअहा ं होयब घ ृणाक पा150


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्अहा ं माय सं म कए सकैत छीअहा ं िपता सं म कए सकैत छीअहा ं बिहन सं म कए सकैत छीअहा ं भाई सं म कए सकैत छीअहा ं घर सं म कए सकैत छीअहा ं पढाई सं म कए सकैत छीअहा ं किरयर सं म कए सकैत छीअहा ं कुा सं म कए सकैत छीमुदा, निह कए सकैत छीमिण र्म भिवक लेलआन जाितक युवक आ युवती संई 'स' समाजक पिरभाषा छैकमाय-बापक पिसन सं ाह कमाय-बापक पिसन से म कमाय-बापक पिसन से बा जनमाऊ.पंकज पराशर,151


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्ड◌ॉ पंकज पराशरी ड◌ॉ. पंकज पराशर (१९७६- )। मोहनपुर,बलवाहाट चपरा ँव कोठी, सहरसा। ारिक िशक्षासँ ातक धिर गाम आऽ सहरसामे।फेर पटना िविवालयसँ एम.ए. िहीमे थम णीमे थम ान। जे.एन.य.,िदीसँूएम.िफल.। जािमया िमिलया इािमयासँ टी.वी.पकािरतामे ातकोर िडोमा। मैिथलीआऽ िहीक ितित पिका सभमे किवता, समीक्षा आऽ आलोचनाक िनब ंधकािशत। अंजीसँ िहीमे ◌ॉद लेवी स्◌ॉस, एबहाडर् िफशर, हकु शाह आ ूसचैटिवन आिदक शोध िनबक अवाद। ’गोवध और अंज’ नामसँ एकटा तंपोथीक अंजीसँ अवाद। जनसामे ’दिनया ु मेरे आगे’ ंभमे लेखन। रघ ुवीरसहायक सािहपर जे.एन.य.सँ ू पी.एच.डी.।पुरइिनज कालेसँ छुटैत रहल अिछहमर जीवन केर एक-एकटा खोंइचाअप देहक एक-एक अंगछोड़◌ैत रहल अिछ हमर संग सा ँपक केचुआ जका ँहमर जीवनदाता नािभसँ नालब पुरइिन समा गेलमायक कोइिखसँ धरतीक कोइखमेकारी-कारी हमर जौटी केशलाल मोलायम हाथक नह छुिट गेल152


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्हमरा देहसँ रोज-रोज छुटैत जा रहल द ु िनया जका ँउर द ुधहा दा ँत हमर प ृीक कोन काज आयल हेतिन?मासे-मास कटैत केश आ अठवारे कटैत नहभिरसक काज अओतिन को इितहासवेा केरहमर केश, हमर नह आ द ुधहा दा ँतदिनयामे ु अिबते देरी अलग भ गेल हमरासँसंग-संग संसारमे आयल पुरइिन जखनसंग निह देलक तँ ककरोसँ कोन याचनाकोन अपेक्षा!लाहौर(सुर दास रोड, ली चौक आ लाला छतरमल रोडपर टहलैत)को िन तर ंगकेँ अमित निह छैक एिहठाम भारतसँ अयबाकपासपोट र्पर लागल वीजाक मोहर चुपचाप अभयदानक मुामे हाथ पकड़◌ैत कहैतअिछ-किहयो सािठ-पै ंसिठ बरख प ूव र्क रहल वतर्मान आब इितहास बनल अिछजतयसँ बाहर भेल बह ुत रास िन तर ंग आइयो इितहासपर आ ंगुर उठबैत अिछ153


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्िजस लाहौर निह वेा ओ जा ही नइ- के कहैत छल?के लाहौरसँ ज लेबाक साथ र्कताकेँ जोड़◌ैत छल?मोनमे तरिगत ं असं िहुानीक जनम अकारथ केर कथामे ओझराइतअनारकलीसँ िनकसैत ाल म ंडीमे भुितया जाइत छलजखन-जखन इामाबादसँ उठल िबहाड़ि◌िबड़रो बिन पसरैत अिछ तरेगन भरल आकाशमेलहोर-लहोर किह आतर्नाद क उठैत अिछ िबलटल दयक हाहाकारदरबार-दरबार सबमे िगरफ्तार इितहासक र-पहाड़-पंजाबीमे, पश्तोमे, उद ूर्मे अिभिक अवलंबअग ू ंिजत होइत अिछ ब ुेशाहक र...लहोर-लहोरक उ रमेकतेक नपना सबसँ नापल गेल पािनपािन-पािन भेल धरतीक सीनापर फा ंक-फा ंकक बखरामेबटखरा सबसँ जोखल जाइत रहल प ूव र्ज िसंिचत रख ूनम-ख ून भेल आाक कछेरपर देखैत िगक झ ु ंडलोल भिर-भिर कए भरैत रहल घोघ नरमुंडसँमितिभर्ा लकीर रेड िफक गवाहीमे लाहौरक बताह सबकेँ“टोबा टेक िसंह” मे पा ंतिरत करैत वधलपर चीारोिसत154


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्टै ंक केर मुंहपर अम ृतसरक अम ृतिवहीन हेबाक गवाही दैतआइ धिर हमरा जेबीमे को रेिडयोधमीर् त जका ं पासपोट र्-वीजा बनल छलबसरान कऽ देल गेल ओिह नगर सबटा खेसराकतहु निह बा ँचल आब ओ बसरािव चौधरीक ज ुामे लागल ध ूरामेचािलत हिथयारक मोनबरहू नलीमेतकैत अिछ अपनाकेँ बसराकं धारी कापर ायी किठहारी बिनहारज ुा सबहक ंकसँ उड़ल ध ूरान कऽ दैत अिछ रो केर तारक िवशाल नदी बिह रहल अिछबसरामे बगदादमे काब ुलमे कं धारमेईरानमे सीिरयामे ूबामे लीिबया आ िफिलीनमेजािहमे हेलडूब करैत कोन भिवक आसमे जीिब रहल छी?155


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्पुछैत अिछ बसरा केर कोइख-माथ सु स्ीगणक सम ूहकतेको ना मानव-कं कालसँ भयभीत हेबाक वयसमेबेिच रहल अिछ ापारीकेँ बीछ-बीछ कए मानव अिई कोन यु छल जािहमे बेर-बेर अामा हाथीक म ृुकेँोणपुक म ृु किह कए चािरत कयल गेलई कोन यु छल जािहमे कतहु अिे निह छलोणपु अामा कतहु?एक िदन जखन सा ँझमे घर घ ुरैत छलफौिजया अल सईदतँ देखलिन कइक हजार सालककइक लाख हुनक पुरखाक आ ँ िखसँ खसैतअिवरल र-पातआ कखन िबला गेल ओिहमे ओसे निह देिख सकल दजला-फुरात!१.िबनीत ठाकुर २.िनिमष झा ३.अमरेन ् यादव१. िबनीत ठाकुरबािहके ँ गोदना किवता156


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्रैहगेल िनशानी आब बा ँहीके गोदनाअनाहकमे मारल गेलै ब ुधनीके ब ुधनाउमेरो बेसी भेलरहै मा िबसमरैतकाल ए १ राम बजलै ईशफटलैजे बम त शरीर भेलै िचथरादैवो गवाही त कहबै की ककरालागल छै गाराभुकुर ब ुधिनके िचन ्ताके करतै आब पुरा ओकर बच् चाके िसहन ्ताऐ देशेके लागलछै शितके ातएत िसधा सोझा जनताके केउ माई बापभरल र मेकेहन सपना हम मीता देखलौ ँ भोर मेमाय िमिथला जगाबिथ भरल र मेकहिथ र व घ ुमी अपन अिधकार लेलछैं तू ँ सुतल छु छी तोहर िबचार लेल157


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्किनको बातपर हमरा तू ं करै िवचारकी सुतलासँ ककरो भेटलै अिछ अिधकारजोिर एक एक हाथ बनवै जो लाखों हाथकर िहत तू ं पु िछयौ हम तोहर साथअिछ तोरापर बा ँकी हमर द ूधक कजर्करै एिहबेर तू ं पुरा सबटा अपन फजर्लौटादे हमर आब अपन ािभमानपु तू ं छै महान तोहर कम र् छौ महान२. िनिमष झािचरीर्िचरीर् भेल मोनअहा ँके सफलताक िशखर पर देखऽ चाहैत छलौ ंभीडसँ प ृथक अहा ँक पिरचय खोजैत छलौ ंई हमर सपना निहमक भावना निहजीवनक आदश र् छलएिह बाट पर संगे चलबाक िनयार छल158


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्मुदा आब तऽ िठके ओ िनयार सप भ गेलख ुलल आ ँ िखसँ देखलौ ं सबटा मसन लागलक्षणभंगुरमें िवलीन भेल एकटा अतीतसन लागल ।जोरसँ कािन निह सकैत छीमोन िनचोरी कऽ िनकलल र केंरोिक निह सकैत छीक्षतिवक्षत छातीक ई व ्यथाककरो किह निह सकैत छीव ्यथासँ भरल मन, जीवन लऽबनाबटी हँसी हँसैत छीवेदना काऽ ख ुशीक ममेंिजबाक असफल यास करैत छी ।चुल ्हा आ चौका आब अहा ँक संसार बनलिसन ्द ूर आ चुरी अहा ँक पिरचयई ल आ हतकडीसँ द ूरहम अहा ँके सम ्प ूण र्ता दैत छलौ ंहमुदा अहा ँ तऽ सीतक िसन ्द ूरसँ दबल छीप ूरक जञ् िजरमें बन ्हयाल छी159


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्िकया चािर िकलाक बन ्दी बिन गेलौ ंह अहा ँ ?हमर सपनासँ आब अहा ँ िवभोर निह हैबचािहयो कऽ हमर आका ँक्षा ं अहा ँक तन ्ा भ निह करतहम स ्वीकार कऽ चुकल छीई सब हमर असफलता अिछहमर सपनाक िचता अिछअही ँ क लेल देखल सपना सबअहा ँक जीवन लक्ष् यमेंसम ्प ूण र् सपनाके पान ्तरण निह कऽ सकबाक माण अिछ ई ।जीवनक लक्ष् य आ उेश ्यअहा ँक तरबासँ िपचाइत गेलअहा ँ उज ्ज ्वल ापितक ् लेल द ूर भऽ गेलौ ंहमुदा हम आ हमर मोनइजोिरयोमें अन ्धकारमय अिछसदाक लेल ई मोन फािट गेल अिछिचरीर्िचरीर् भऽ गेल अिछ ।३. अमरेन ् यादव-160


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्टमटिमया ँ घोडाअमेिरका जे इराक परअपन खैमस ्ती झाडलक अिछतािहसँ हमरा कोन काज ।मा◌ाओवादी ् जे बन ्द ुक उठौ अिछआ गणतन ्क लेललिड रहल अिछतकर हमरा कोन मतलब ।सौ ंसे मुसहरी जेभुखक सुली चिढ रहल अिछआ घर—घरक बेटी पुतौह जेचुल ्हाक आ ँच बिन रहल अिछतकर हमरा कोन िचन ्ता ।हम तऽ अहा ँक टमटिमया ँ घोडा छी बाब ुजी ।अहा ँक वीय र्सँ लऽ कऽ ख ुन पिसना धिरकलगानी अिछ हमरा पर ।हम कोना िबसिर सकैत छीअहा ँक ओ आदेशअहा ँक ओ महत् वाका ँ◌ंक्षाहँ बाब ुजी161


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्हमरा चढबाक अिछअहा ँक सपनाक पहाड पर ।कला आ संगीत िशक्षाछिव झा/ कुमुद िसंहलेिखका छिव झा िपछला तीस वष र् स िमिथला िचकला कए अथ र् पर काज कए रहलछिथ। संित ओ 'ेह छिव िमिथला ूल ऑफ आट र्Ó, दरभंगा क िनदेशक छिथ आएकरा पिरभािषत करबा मे लागल छिथ।लेिखका कुमुद िसंह मैिथलीक पिहल इ-पेपर समादक संपादक छिथ।िमिथला िचकला : अथ र्क अिधकता आ साथ र्कता1960 क दशक मे िमिथला िचकला कए दीवार स कागज पर उतारबाक यास शुभेल छल आ तिहए स शु भ गेल एिह िच मे नव-नव योग। तिहये स शुभेल एकर अथ र्क नव संसार जे िमिथलाक सोच आ संृित स प ूरा िभ अिछ। नवयोग आ पुरान अथ र्क एहन िमण भेल जे कलाक प ूरा प आ अथ र् क औिच परसवाल उठा देलक।सब कलाकृितक एकटा अथ र् होइत छैक। जेकर कलाकृित स घिनï संब ंध होइतअिछ। कलाकृित आ ओकर अथ र् ओ कृितक साथ र्कता कए िस करैत अिछ। िमिथलािचकलाक संब ंध मे जखन िवचार करैत छी त कठ र्टा गप साम अबैत अिछ, मुदाएकटा गप होइत अिछ जे िमिथला आ भारतक िवान एिह कलाक ित आइधिर अपन नजिरया निह बना सकलिथ अिछ। िपछला पा ंच दशक मे िवदेशी िवान जेएिह कलाक ित नजिरया ािपत केलिथ अिछ, देशक िवान ओकरे आधार मािन कएआग ू बढैत रहलिथ अिछ। च प ूछु त देशी िवान किहयो अपन नजिरया ुतकरबाक यास तक निह केलिथ। िमिथला िचकलाक एिह गु आ जिटल वािवकताकए ध ंध ु स िनकालबाक पिहल यास सेहो अमरीका मे कैल गेल। 1984 मेअमरीका स कािशत मानव शास् पर आधािरत पिका मे पिहल बेर एिह गप कएरोचक आ गंभीरताप ूव र्क उठाउल गेल जे अथ र्क अिधकता स केना एिह कलाक साथ र्कताख भ रहल अिछ।उर िबहार आ पालक तराई मे पसरल िमिथला क मिहला ारा अपन घरक दीवारआ आ ंगना मे बनाउल जाइवाला एिह िचक संब ंध मे एखन धिर कई बेर िलखन जाचुकल अिछ आ कई ठाम कहल जा चुकल अिछ। एतबे निह कई टा अंतरराï◌्रीर्य162


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्म ंच पर एकर ुित सेहो भ चुकल अिछ। मुदा एकर संब ंध मे िलखल सा बेसीपुरान निह अिछ। 1949 मे पिहल बेर एिह पुरातन कलाक संब ंध मे कागज परिकछु िलखल गेल। डब्ू जी आरचर अपन िकताब मे एिह िचकला कए अुत आआश्र्चयजनक कह छिथ। मुदा 1962 मे कािशत लीना◌ाि◌ झाक पुकिमिथला की सा ंृितक लोकिचकला सही माय मे एिह िचकला पर पिहल आिधकािरकदावेज अिछ। देसी नजिरयाक संग-संग एकर भाषा मे सेहो िहंदी आ मैिथलीकिमण अिछ, जािह स अथ र्क भाव अंगरेजी स बेसी साफ ब ुझबा मे अबैत अिछ।देशी नजिरयावाला एहन पुक कए पाठक तक निह पहु ंचब एिह कलाक अथ र्कअिधकताक म ूल कारण कहल जा सकैत अिछ।िमिथला िचकलाक अथ र्क संब ंध मे समय-समय पुक क काशन होइत रहल अिछ।1952 मे ाउन आ लेूइस, 1966 मे माथ ुर , 1977 मे इब्स िवको (वैूवाद)आ 1990 मे जयकर एिह कलाक अथ र्क संब ंध मे बहुत िकछु िलखलिथ। अिवसनीयमुदा स अिछ जे एिह िकताब सब मे जे िकछु िलखल गेल अिछ ओ िमिथला मेचिलत अथ र्क स सव र्था िभ अिछ। एिह संब ंध मे अमरीकाक चीको िविवालयककैरोिलन ाउन िलखैत छिथ जे िमिथला िचकलाक अथ र् कए हरदम गलत आ मकतरीका स िवक समक्ष राखल गेल अिछ। एकर मु कारण इ रहल जे एिह परदेशी खास कए िमिथलाक िवान गंभीर काज निह केलिथ, जे काज भेल ओ िवदेशीिवानक शोध स भेल। िमिथलाक अंगना मे बनाउल गेल एिह िचक संब ंध मे पुख्ताजानकारी लेब को िवदेशी लेल हरदम एकटा चुती रहल अिछ। लोककला कएब ुझलाक बाद ओकर सही अथ र् ब ुझब आ फेर ओकरा सही प मे पिरभािषत किरअिभ करब को िवदेशी शोधकता र् लेल राई क पहाड◌ सन काज अिछ। 1986मे एसैड, वैल, मारकस आ िफसर, 1988 मे िवाड आ 1992 मे व ूल्फ क आलेखस ब ुझबा मे अबैत अिछ जे ओ िकछु एह साई स सामना के हेताह। कैरोिलनाउन एिह संब ंध मे साफ तौर पर िलखैत छिथ- हम पिम कए लोक एिह िचकलाकए पिरभािषत निह किर सकैत छी, तािह कारण हम सब एिह अुत िवषय कएतोिड◌-मरोड◌◌ी कए पेश करैत रहलहु ं अिछ। हालािक ं एिह मे को संदेह निहअिछ जे एकटा समाज मे िभ-िभ लोकक अगल-अलग नजिरया भ सकैत अिछ, ओएकटा िचक िभ-िभ अथ र् किह सकैत छिथ, मुदा िविभ अथ र्क बीच मे एकटासमानता होइत अिछ, जे अथ र् कए कतह ु कतह ु जोड◌◌ैत अिछ। उदहारण लेलिमिथला मे पुख कम र्का ंड, ायशास् सन शास्ीय िवधा मे नीक पकड◌ रहैत छिथ आओिह स ज ुड◌ल पावैन-ितहार क ाा नीक जेका किर लैत छिथ, ओतिह मौगीघरेल ू पावैन-ितहार पर नीक पकड◌◌ी रखैत छिथ आ ओकर अपन असारे ाासेहो करैत छिथ। एिह लेल कुलदेवीक प ूजा या गौरी प ूजा मे पुखक योगदानकम देखबा मे अबैत अिछ।एकर पाछु कारण इ अिछ जे अंत ग ूढ◌ संसार आ अिधक िवकिसत समाजक सबटा163


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्गपक ज्ञान राखब असंभव अिछ। ओना िमिथला समाज कए अंत िवकिसत समाज बहुतकम िवान मान छिथ। जेना िक 1991 मे दिरदा आ 1994 मे वाल साफ तौरपर िलख छिथ जे एिह िचकलाक सही अथ र् िमिथला मे आब िगनल-चुनल लोक बतासकैत अिछ। वेल क कहब अिछ जे िमिथला मे जे िचक अथ र् किह सकैत छिथ ओचुप रहय चाहैत छिथ, जखन िक अथ र् निह जनिनहार लोक कए चुप राखब एकटा किठनकाज अिछ। ओना एिह संब ंध मे ाउनक मत िकछु अलग अिछ। ाउन कहैत छिथ,'इ सच अिछ जे आम मैिथल एिह कलाक संब ंध में कम जानकारी रखैत छिथ, मुदाबहुत िवान लेल इ को मह निह रखैत अिछ जे मैिथल एिह संब ंध में कतेकब ुझैत अिछ आ की कहैत अिछ। अिधकतर िवान मैिथलक भावना कए अपन शोधमे तोिड◌-मरोिड◌ कए ुत करबा स पाछु निह हटला अिछ। द ुभा र् अिछ जेएखन तक को देशी िवान एिह त कए रेखािकत ं निह केलाह अिछ, मुदा ाउनअपन िमिथला वासक दौरान िकछु एह महस ूस केलीह।असल मे सबस पैघ गप इ अिछ जे पाा संृित, वहार आ िशक्षा हमरा लोकिनक सोच कए दबा देलक अिछ या इ कहू जे सीिमत किर देलक अिछ। एकर अलावाहमरा लोकिन मे अवाद करबाक क्षमता सेहो कम भ चुकल अिछ। आब सवालउठैत अिछ जे एतेक जिटल आ गु तक को एक ि ारा कैल अवाद कएसवो र् मानल जा सकैत अिछ? एिह ठाम इ कहब जरी अिछ जे एकटा िचक कईटा अथ र् भ सकैत अिछ, मुदा ओकर स ू द ूटा निह भ सकैत अिछ। वैह एकटा स ूओकरा आन स िभ करैत अिछ। एिह स ूक चाआत ओकर अथ र् घ ुमैत रहैतछैक। एहन स ू िमिथला मे एख िकछु मिहला कए ब ुझल छैन, मुदा ओ िनित पस ावसाियक निह छिथ। तािह लेल हुनका स ओ स ू ब ुझब को देशी िवान लेलकिठन काज अिछ, एहन मे िवदेशी िवानक गप करब बेकार अिछ। दरअसलिमिथलाक मौगी एिह स ू कए अपन शरीरआ आा मे बसा रख छिथ आ नव पीड◌◌ीकए थोड◌◌े-थोड◌◌े किर कए ब ुझाउल जाइत रहल अिछ। एहन मे अ ज्ञानी सजानकारी लेलाक बाद िवदेशी िवान िमिथलाक स ू जिनिनहार मिहला कए नजरअंदाजकिर दैत छिथ।िमिथला िचकला क सबस चिलत िच कोहबरक पुरैन कए ल कए सबस बेसी मकिित अिछ। अिधकतर िवान एकरा कोहबर नाम स पिरभािषत केलि अिछ, जखनिक पुरैन कोहबरक अक िचगुक एकटा सद मा अिछ। आइ जे पुरैनक पदेखबा मे आिब रहल अिछ, ओ जानकार मिहला मे म पैदा किर रहल अिछ।हालािक ं एतबा अव अिछ जे एकटा गोलाकार आकृितक चाआत छह टा मौिगक मुंहबनाउल गेल अिछ, जेकर बीच मे सातम मुंह सेहो अिछ जे छह टा मुंह स किनपैघ आकारक अिछ। एिह िच कए रेखािचक प मे बनाउल गेल अिछ। पुरैनकस ू पर बनाउल गेल एिह रेखािच स ण हेबाक कईटा कारण अिछ। िमिथला मेपुरैन रेखािच निह, बि िभििच अिछ आ पा ंचटा र ंग स बनाउल जाइत अिछ।हालािक ं आइ अिधकतर कागज पर एहन िच बनाउल जा रहल अिछ, लेिकन एिह164


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्िचक िवशेष मे साफ तौर पर कहल गेल अिछ जे एकरा दीवार पर बनाउलजाइत अिछ। िमिथला मे रेखािच कए अिरपन कहल जाइत छैक आ ओ जमीन परबनाउल जाइत अिछ। ओनाओ िमिथला मे पुरैनक द ू टा स ू अिछ। एकटा ाïण आदोसर कण र्काय लोकिनक पुरैन। द ून ू मे स ूक अंतर अिछ। मुदा एिह िच मेएकर ापक को चच र् निह अिछ। सातटा मौिगक मुंहक संग सा ंप, कछुआ, माछआिदक िचक औिच जखन िमिथलाक लोक लेल ब ुझब किठन अिछ तखन िवदेशी कीब ुझत? िवदेशी िवान लेल इ मा एकटा भीड◌वाला िच अिछ, जािह मे संदेशकको ान निह अिछ। बहुत रास िवदेशी िवान त एकरा जाद ू-टोना आ भूत-तलेल बनाउल गेल िच कहलिथ अिछ। मुदा ाउनक कहब अिछ जे इ पुरैनक नवप अिछ आ काय ाप स िमलैत-ज ुलैत अिछ।िमिथला मे पुरैन कमलक ली कए कहल जाइत अिछ। ाïण ाप मे आकाय ाप मे सातटा कमलक पात दशा र्उल जाइत अिछ। चू ंिक कमलक लीपाइन मे होइत अिछ, तािह लेल एकर संग-संग पाइन मे रहैवाला वु आ जीवकिच बनाउल जाइत अिछ। लीनाथ झा एिह संब ंध मे िलखैत छिथ जे पुरैन मुप स व ंश विक ृ लेल नव दंपित स सा ंकेितक अरोध अिछ। जेना कमलक एकटाली पोखिर कए किहयो कमल िवहीन निह हुए दैत अिछ, तिहना नव दंपित कए घरकए किहयो व ंश िवहीन निह हुए देबाक कतर् िनभेबाक चाही। एतबा त जर अिछजे 20वीं शताी मे पिम मे पलल-बढ◌ल को ि एिह स्ी कए(स्ी कएदय मे वास करैयवाला भावना) घेरा निह बिझ ु पाउत। आइ जखन िबयाह एकटाअलग अथ र् ल चुकल अिछ, एहन मे पुरैनक औिच जर ासंिगक भ गेल अिछ।1960 क दशक मे एिह िच कए कागज पर उतारबाक यास शु भेल छल आतिहए स शु भेल एिह िच मे नव-नव योग। तिहये स शु भेल एकर अथ र्कनव संसार जे िमिथलाक सोच आ संृित स प ूरा िभ अिछ। नव योग आ पुरानअथ र्क एहन िमण भेल जे कलाक प ूरा प आ अथ र् क औिच पर सवाल उठादेलक। सच कहल जाए त िमिथलाक मिहलाक एिह िवलक्षण ितभा कए पिरभािषतकरबा मे एखन धिर को िवान सफलता निह पािब सकलिथ अिछ। सम िमिथला मेबनाउल जाइवाला एिह िच कए िकछु चािर-पा ंच टा गाम मे समेट देबाक अलावा इिवान लोकिन एिह िच कए कएटा अनपढ◌-गवा ंर मौकी ारा बनाउल गेल िच सबेसी िकछु निह सािबत कए सकलिथ अिछ। िमिथला मे एख कई टा मिहला अपनफाटल पुरान क◌ॉपी िनकािल देखबैत छिथ, जािह मे कईटा िवदेशी िवानक िलखलवा अिछ। द ुख आ तामस तखन होइत अिछ जखन क◌ॉपी पर िलखल वापढ◌◌ैत छी, जािह मे िलखल रहैत छैक जे इ िच एकटा िपछड◌ल समाजक गवा ंर,अनपढ◌ आ म ूख र् मिहला ारा बनाउल गेल अिछ। िवदेशी िवान मे इ सोच अचानकनिह आिब गेल अिछ। हुनका कई कार स इ बतेबाक बेर-बेर यास भेल अिछ।द ु िनया मे इ धारण कए ािपत करबाक य इब्स िवको कए अिछ। िवको स बेसी165


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्शायद को िवान एिह िचकला पर काज निह केलिथ अिछ, मुदा ओ जतेक एिहिचक करीब अबैक कोिशश केलाह, एकर अथ र् स ओ ओतेक द ूर होइत गेलाह।िवको राय औवे क संग एकटा िफ सेहो बलिथ, जेकर नाम 'मुीÓ अिछ। ओएकटा ंच िफ सेहो बनउलिथ, मुदा िचक अथ र् ब ुझबा आ ब ुझेबा मे सब बेरअसफल भेलिथ। िवको तख हार निह मानलिथ, ओ 1994 मे एकटा िविडयो िफ'िमिथला पे ंटरस...Ó बलिथ, मुदा नव िकछु निह किह पैउलिथ। आइ िित एहन भचुकल अिछ जे समाजक सब लोक इ ब ुझबा मे लागल अिछ जे आिखर इ पर ंपराककौन वु बारे मे िथक।एिह िचकलाक संब ंध मे सबसे लोकिय ोत िवकोक 1977 मे छपल िकताब' दवीमेंस पे ंटर ऑफ िमिथला...Ó अिछ। जखन िकयो एिह पुकक एक-एक टा िचकए गौर स देखैत अिछ आ ओकर परेखा कए पढ◌◌ैत अिछ त ओकर सामनाएकटा आश्र्चजनक, अुत आओर लगभग असंभव सन तीत होइवाला संसार सहोइतअिछ।िवको िलखैत छिथ जे िमिथला समाज मे मुपा मिहला छिथ आ एिह ठाम पुषकभरमार अिछ। एिह ठाम युवती हमउ युवक स िववाह करबा लेल तरह-तरह सयास करैत छिथ।(1977, प ृ- 17)।िवको एिह गप कए बाजा आओर रोचक बनबैत आग ू िलख अिछ जे िमिथला मेएकटा युवती अपना लेल सुयो युवक कए चुत अिछ आ िववाहक ाव पओकर साम कोहबर रखैत अिछ ।(1977, प ृ- 17)। ओ लोक जे िमिथला कएनीक जेका निह िचाल अिछ, हुनको इ वा पढ◌लाक बाद आश्र्चय हेतेन जेिवको केना िमिथला समाज कए अतेक चिरहीन बना देलिथ। इ अुत मुदा स सनआलेख कए पढ◌लाक बाद एहन तीत होइत अिछ जे िवको कए एहन अवादकभेटलि जेकरा िमिथला समाज, संृित आ सता स को वाा निह रहैन, संगिहहुनका िमिथलाक िरित-िरवाज आ लोकाचार तक कए ज्ञान निह रहैन। सच प ूछु तअवादकलेल िवको मा टका देिनहार िवदेशी छलाह। ओना देखल जाए त िवको कइ िकताब एिह िवषय पर िलखल गेल पिहल अथवा आिखरी िकताब निह िथक। इपुक एिह लेल महप ूण र् भ गेल अिछ, िकया िक िमिथला िचकला पर शोध केिनहारअिधकतर िवान एिह पुक स भािवत छिथ। एतबा धिर िक भारतीय िवान उपे ंठाकुर तक अपन िकताब मे िवको क नजिरया कए नजरअंदाज निह केलिथ अिछ।िवको क एिह िकताब क मह पर ाउनक कहब अिछ जे पिमक िवान जखनको िवषय पर काज शु करैत छिथ तखन ओिह िवषय पर िलखल गेल प ूव र्किकताब स काफी भािवत होइत छिथ। िमिथला िचकलाक संग सेहो िकछु एहभेल। अिधकतर िवान िवकोक प-रेखा स रणा लेलिथ, िकछु त हुनकर नकलतक कैलिथ। तािह लेल इ अ पुक बेसी महप ूण र् भ जाइत अिछ। दोसर इजे िवको बहुत िदन धिर एिह िवषय पर काज केलिथ अिछ आ कई कार स एकरादिनयाक ु समक्ष अनलिथ अिछ, एहन मे िवदेशी िवान लेल हुनका नजरअंदाज करब166


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्किठन रहल अिछ। एिह कारे िवको मक आओर सव र्था गलत तरीका स अवादकिर झ ूठ कए एकटा स स बेसी स प मे ािपत केलिथ अिछ।ओना अिधकतर िवदेशी िवानक कहब अिछ जे िमिथला समाज िवक सबस चिरवानसमाज मे स एक अिछ। एकर संृितक संब ंध मे ाात िचिकक ड◌ॉ कैमेल ककहब अिछ जे आइ 'जीनÓ(अ)क संब ंध मे दिनया ु भिर मे शोध भ रहल अिछ,जखनिक िमिथला मे पंजी वा ओकरे एकटा प अिछ। िमिथलाक ाïण आकण र्काय लग एख बीस-बीस पीिढक़ जानकारी उपल अिछ।िवको कए शायद इ निह बताउल गेल िक िमिथला मे युवितक िववाह पंजीकारक रायस तय कैल जाइत अिछ। युवितक इा एिह ठाम को माय निह रखैत अिछ।एिह त कए ाउन बहुत साफ तौर पर रख छिथ। ाउन कहैत छिथ जे ओिमिथला वासक दौरान पंजीक िविधवत िशक्षा ल चुकल छिथ। ओ एिह गप कए सेहोसाफ करबाक यास केलिथ अिछ जे िमिथला मे किहयो युवित कए पित चुनबाकअिधकार निह रहल अिछ। सीताक संब ंध मे सेहो ाउनक मत ï अिछ। ओकहैत छिथ जे सीताक यंवर निह छल ओ एकटा सशतर् िववाह छल। इ सच अिछ जेओिह िववाह मे पंजीक को वा निह छल, मुदा धष रामक बदला मे रावण उठालैत त िक सीताक इा रिहतो राम स िववाह संभव छल? सीताक इा हुनकिववाह मे को माय निह रखैत छल। ाउल इ तकर् देलाक बाद आिखरी फैसलािमिथलाक लोक पर छोड◌◌ैत कहैत छिथ जे मेरे एिह मत स शायद िमिथलाक लोकसहमत निह हेताह।वैकसेलक श मे कहल जा सकैत अिछ जे िमिथला िचकला एकटा आिखक ं भाितंअिछ जे समयक संग-संग अपना कए बदलैत रहल अिछ, मुदा अपन म ूल िसा ंत सकख समझौता निह केलक अिछ। इ कला जगतक एकटा अुत औजार अिछजेकरा स कलाकार अपन समाजक संग-संग प ूरा िवक गुढ◌ गप आ िरित-िरवाजकए िचक माम स ुत करैत आइल अिछ। (1972,प ृ-38) जे िकछु हुएएतबा त अव भेल अिछ जे िमिथलाक संृित कए दिनयाक ु साम सव र्था गलततरीका स पिरभािषत केल गेल अिछ। आइ िमिथला िचकला अिधकतर एहन िचबनाउल जा रहल अिछ, जेकर एतुका संृित स को लेनादेना निह अिछ।आवकता अिछ एिह िच क गंभीरता स शोध करबाक आ एकर अथ र्क अिधकता कएसमा करबाक, निह त इ िच हरदम लेल हमरा लोकिनक अज्ञानताक ोतक बनलरहत।शेख मोहद शरीफ िस वेमपी शरीफक ज आ देशक कडापा िजलामेभेल छल।जयली पोपुरी, िनजाम क◌ॉलेज, ओािनया िविवालयमे अापन।167


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्तेलुगुसँ अंजी अवादगजे ठाकुर (अंजीसँ मैिथली अवाद)।ज ुाहमर अीक िनदो र्ष मुखम ंदल अबैत अिछ हमर आिखक ँ सोझा, ँ चाहे आिख ँ ब रहएवा ख ुजल रहए। ओिह मुखक डर हमर िवचिलत करैत अिछ। एख हुनकर डराएलकहल बोल हमर कानमे बजैत रहए-ए। ई िदन रहए ज ुाक जािह िदन मामिस्जदक बीचमे बम िवोट भेल रहए। सभ िदस कोलाहल, टी.वी. चैनल सभपरघबराहिटक संग हा, पाथरक बरखा, आदंक आऽ ख ुनाहिन।हम काजमे छलहु ँ जखन फोन बाजल। फोन उठेलहु ँ तँ दोसर िदस अीछलीह..हुनकर फोन ओिह समय नीक आ सहज लागल।एिहसँ पिह िक हम “अी..” किहतहु ँ ओ िचित रेँ “हमर बाउ...!” कहलि।“की अहा ँकेँ ई ब ुझल छल...?” हम पुछिलयि।“हँ एखन तुरे हमरा ई पता चलल..अहा ँ सतकर् रहब! ...लागै-ए अहा ँ आइ मिस्जदनिह गेल रही हमर बाउ।” हम हुनका डरसँ सद र् अवाजमे बजैत सुनलहँ।ुिजनगीमे पिहल बेर हमर मिस्जद निह जएबासँ ओ स भेल छलीह। ई िवचारहमरा द ुख पहु ँचेलक। की हमर अी ई गप बािज रहल छलीह? ई ओ छिथ जेहमरासँ ई पिछ ू रहल छिथ? ई हमर अी छिथ जे एिह तरहेँ डरिल छिथ? हमरमि िवचरक िवोटसँ भिर गेल आ ृितक बाढ़ि◌मे बहए लागल।१हमर अीकेँ ज ुाक नवाज आाक दृ िसँ नीक लगैत छलि। ओ को चीजकअवहेलना कऽ सकैत रहिथ मुदा ज ुाक िदन नमाजक निह, से ओ हमरा सभकेँ ओिहिदन घरमे निह रहए दैत रहिथ। अा सेहो हुनकर दामससँ निह बिच पाबिथ जे ओघरपर रहबाक यास करिथ। हुनकर सन डीलडौल बलाकेँ सेहो हाथमे टोपी लएमिस्जद चुपचाप जाए पड़ि।168


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्हमरा सभक घरमे काजसँ द ूर भागए बला, आलसी बा, िशकारी हम आ हमर अाहरदम मिस्जद निह जएबा लेल बहाक तािकमे रहैत छलहु ँ। हमर अा भोरेसँछाती तत कहैत रहैत छलाह जे आइ ज ुा अिछ से को हालितमे मिस्जदजएबाके अिछ। मुदा जख समय लग अबैत रहए हुनकर बहा शु- “अरे!अख कादोमे हम खिस पड़लहु ँ...” हमर अी लग को रा निह बचि। जे से,तखन ओ हमरा सेहो मिस्जद निह पठा सकैत छलीह...हमरा नहबैत, हमर कपड़◌ाधोबैत, ओ कोना कऽ सिकतिथ? तैयो ओ हाथमे छड़◌ी ले आ ँगन आबिथ,हमरापर गुरैत, हमर पु िपटान करैत आ हमरा अँगनामे कपड़◌ा जका ँ ट ँगैत।से हम ई चोट खएबासँ नीक ब ुझैत रही नमाजे पढ़ब। हमर आलसपना मिस्जदपहु ँिचते अकाशमे उड़ि◌ जाइत रहए।एक बेर ओतए पहु ँिचते हम दोसर बा सभ संग िमझरा जाइत रही आ सभटा नीकवरदानक लेल ाथ र्ना करैत रही- जेना हमर अा लग ख ूब पाइ होि, हमर अीका नीक भऽ जाि, हमर पढ़◌ाईमे मोन लागए आ की की।हमर अा ब ुझाबिथ- “हमरा सभकेँ मिस्जद मा वरदान ा करबाक लेल निहजएबाक चाही, हमर बाउ..हमरा सभकेँ नमाज पढ़बाक चाही...अामे आा हेबाकचाही। वैह छिथ जे हमर सभ काण देखैत छिथ”।जखन दोसर हुनका हमर उपराग देि जे हम नमाज काल आे-आे गप करैतरहै छी तँ ओ हमरा आेसँ दबाड़ि◌ बाजिथ- “हमर बाउ, ाथ र्नाक काल बजबासँअपनाकेँ रोकू...कमसँ कम मिमे दोसर तरहक िवचारकेँ अएबासँ रोकू। बगलमेबम िकएक फाटय तैयो सव र्दा अपन मिकेँ अापर केित राख ू...”। हुनकाओिह िदन एिह गपक अेशा निह रहि जे एक िदन ठीकेमे मिस्जदमे बम फाटत।से आय र् निह जे ओ एतेक आिवाससँ बािज रहल छलीह। आब जखन ठीकेमेबम िवोट भेल अिछ, हुनका ई अभव भऽ रहल छि जे कतेक भावह ई भऽसकैत अिछ।हम हुनकर वेदनाकेँ निह देिख पािब रहल छी। ओ डरायिल छलीह। ओ नमाजसँडरायल छलीह। ओ अासँ सेहो डरायल छलीह।“अी...”। हम उत भऽ कहलह ु ँ।“हमर बेटा...”। ओ दोसर कातसँ बजलीह। “अहा ँ आइ मिस्जद निह गेलहु ँ, निह, हमर बाउ”? ओ फेरसँ कहलीह।169


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्हमर दय डूिम रहल रहए। श हमर संग छोड़ि◌ रहल रहए। हमर कं ठ सिखूरहल रहए। हम घ ुटनक अभव कएलहु ँ। िवचार ािर जका ँ हमरा भीतर उिठ रहलछल। हमरा लागल जे ो हमरा ठेिल कए सोिखं कए भूतमे लऽ जाऽ रहल अिछ।२ज ुाक िदन मिस्जदसँ घ ुरलाक बाद हम सभटा घटनाक आवि ृ अी लग करैतछलहु ँ। हम नमाजक एकटा छोट संरण हुनका लगमे करैत छलहु ँ। हमरा ाथ र्नापढ़◌ैत देिख ओ हमरा आिलंगन मे लऽ चुा लैत छलीह, “अा हरदम अहा ँक रक्षाकरताह, हमर बाउ...”। ओ हमरा आशीवा र्द दैत रहिथ। तखन हम िनण र्य कएलहु ँ जेजहु ँ हमरा को ज्ञानाण अिछ तँ हमरा को नमाज निह छोड़बाक चाही। सभज ुाकेँ ओ नमाजक महपर बाजिथ आ मिस्जद जएबापर जोड़ देिथ। आन चीजकअितिर ओ एिह गपक िवषयमे बाजिथ जे कुरान अही िदन बनाओल गेल रहए, िकम अपन कम र्क लेल अही िदन उर दैत अिछ आ जे िव जीवन रिहत जेकिहयो होएत तँ सेहो अही िदन होएत।हमर माथ, छोट रिहतो, ई गप ब ु िझ गेल जे ज ुा िकएक मुसलमान लेल पिवअिछ।सभ बा ज ुा िदन सा ँझ धिर ूलमे रहैत छलाह, मा हम द ुपहिरयाक बादे ूलछोड़ि◌ दैत छलहु ँ, मिस्जद जएबाक बहे झोरा झ ुलबैत घर घ ुरैत छलहु ँ। हमरअी िशक्षकसँ परामश र् कए के छलीह।दोसर छा सभ हमरा एतेक शी घर जाइत देिख ईा र् करैत छलाह। ओ हमराभाशाली ब ुझैत छलाह आ अप मुिम होएबाक मरथ करैत छलाह।हुनकर ईा र्लु मुख देिख हम भीतरे-भीतर हँसैत रही। हम ख ुशी-ख ुशी घर घ ुरैतरही जेना हाथीक सवारी कए होइ।हमर अी ओिह महप ूण र् उपिितक लेल हमरा तैयार करैत रहिथ- गरम पािनसँनहबैत रहिथ, हमर आिखमे ँ काजर लगबैत रहिथ, हमर केशक लटकेँ टोपीक नीचा ँसमेिट कए राखिथ। हम सभ िदन तँ हाफ पै ंटमे रहैत छलहु ँ मुदा ओिह िदन उजराकुरता पैजामामे चमकैत छलहु ँ।दोसर स्ीगण हमरा देिख अपन हाथ हमर मुखक चा िदस जोरसँ घ ुमाबिथ आ कोद ुााकेँ भगाबिथ आ कहिथ, “जखन ज ुा अबैत अिछ अहा ँ ज ुाक सभटा चक लएअिबते छी”!!170


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्अहा ँ ज ुाक सा ँझमे ई ख ुशी सभ घरमे देिख सकैत छी, दरगा केर म कएलिचक सोझा ँमे जड़◌ैत लै, अगरबतीक सुगी वायुमे हेलैत; अपन माथ झँपस्ीगण घरक भीतर-बाहर होइत; आ नािरकेलक दाम दोकानक िखड़कीपर बढ़◌ैत।दरगा केर म कएल िच पर नािरकेल चढ़◌ेबाक िवधक वण र्न एतए अहा ँ निह छोड़ि◌सकैत िछयैक।िकएक तँ हमर अाकेँ अप र्ण िवधक ज्ञान निह छलि से ओ हजरतकेँ छओटका रासँघर अत रहिथ। हमर अी ई िसखबाक लेल हुनकर पछोर धे अबैत रहिथ।“अहा ँकेँ ई अरो निह ब ुझल अिछ कलमा..आिक गुसुल...हमरा अहा ँसँ िनकाह करेबाकलेल अपन अी-अाकेँ दोषी बनाबए पड़त...िकयो अहा ँसँ नीक हुनका सभकेँ निहभेटलि, अहा ँसँ हमर िबयाह करेलिथ। आब बो सभ अही ं क रा पकड़लिथ हँ...” ओहुनकासँ एिह तरहेँ िववादपर उतिर जािथ।“अहा ँ ..घरक...ई उीड़न हमरा लेल अस भऽ गेल अिछ..”। पजरैत, ओ मिस्जदजाइत रहिथ लाल-पीयर होइत हजरतकेँ घर अनबा लए।हजरत नािरकेलक अप र्ण िवध प ूरा करबाक बाद अपन मुँह आ पएर धोिब आ अपनदाढ़◌ीमे ककबा फेिर बाहरमे खाटपर बैसैत रहिथ। एिह बीच हमर अी फोड़लनािरकेलक गुा िनकािल ओकर कैक भाग कए ओिहमे िची िमलाबिथ। ओ तखन एिहिमणकेँ बाहर हातामे जमा भेल सभ गोटेमे बा ँटिथ। ओ अमे हमरा लेल राखलद ू-तीन टा टुकड़◌ी ले हमरा लग आबिथ।हम िशकाइत किरयि, “यैह हमरा लेल बचल अिछ”? “हमरा सभकेँ अाकेँ अिप र्तकएल वु निह खएबाक चाही, हमर बेटा..हम दोसरामे एकरा बा ँटी तैयो जहु ँ हमरासभ लेल िकछु निह बचए”। ओ हमरा शा करिथ।हुनकर मीठ बोल हमरा मोनसँ नािरकेलक पया र् िहा निह भेटबाक िनराशाकेँ खतमकए दैत छल। बादमे हमर िपता आ हजरत सा ँझमे अबेर धिर बैिस गप करैतरहिथ। अपन वस् बदिल सामा वस्मे हम, अपना संगी सभक संग पड़◌ोसक एकटािनमा र्ण लपर बाल ूक ढेरपर खेलाय लेल चिल जाइत रही।ई सभ सोिच हमर आ ँ िखमे रक इनार बिन गेल...“हमर पु, अहा ँ िकएक निह बािज रहल छी? की भेल? हम डरक अभव कऽरहल छी...बाजू...” हमर अी पुछैत रहलीह। ओना तँ हैदराबाद एनाइ तीन बरख भऽ171


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्गेल मुदा एको िदन हम नमाज निह पढ़लहु ँ। असमयक पारीमे काज करबा अनरहम ईहो िबसिर गेलहु ँ जे नमाज पढ़नाइ की िछयैक। “अी..” हम उर लेल शतकैत बजलहु ँ। “अी, हम किहया हैदराबादमे नमाज पढ़बाक लेल मिस्जद जाइतछी जे अहा ँ एतेक िचित भऽ रहल छी”? हम पुछलहँ।ुहम मोन पाड़लहु ँ ओिह िदनकेँ जखन ओ हैदराबाद आएल रहिथ कारण हम कह्रिहयि जे हम हुनका हैदराबाद नगर देखेबि। मुदा हैदराबाद आिब अपन िवरोधदेखबैत ओ बजलिथ, “हम कतह ु जाए निह चाहैत छी...हमरापर िकएक पाइ खच र् कऽरहल छी”? हम हुनकर मोनक गप ब ुझैत रही। ओ हमरापर बोझ निह बनएचाहिथ, मुदा हम हुनकर िवरोधपर ान निह देलहु ँ। हमर जोर देलापर ओ एक बेरअएलीह। हम हुनकर हाथ पकड़ि◌ रा पार करबामे मदित किरयि। एक बेरखैरताबादक लग सड़क पार करबा काल हुनकर आिख ँ रसँ आ भऽ गेलि।“अहा ँ कतए ज लेलहु ँ...कतए अहा ँ बढ़लहु ँ...अहा ँ कतेक टा भऽ गेलहु ँ? अहा ँ एिहपैघ नगरमे कोना रहए छी? अहा ँ बहुत पैघ भऽ गेलहु ँ...” ओ बड़◌ाई करैतकानए लगलीह।“अहा ँ जखन बा रही तखन हम अहा ँकेँ नानीगाम बससँ लऽ गेल रही। हम अहा ँकहाथ किस कऽ पकड़ रही िक अहा ँ कतह ु हेराऽ जाइ। आब अहा ँ एतेक पैघभऽ गेलहु ँ जे हमर हाथ पकड़ि◌ बसपर चढ़बामे मदित करी”। ई कहैत ओ रकारे ठहिर गेलीह। ओ खखसलीह, “ख ुस...ख ुस...” पिरमसँ अपन ास वापस अनलि।ओ जखन भूतकेँ मोन पाड़ि◌ रहल छलीह हम हुनका साना देिलयि आ हुनकर रपोछिलयि।“अी...हम एतए जीबाक इासँ अएलहु ँ। हम साहस केलहु ँ आ कतेक रास किठनक्षणकेँ सहन कएलहु ँ। जखन दिखत ु रही, हम अपसँ दबाइ लए ले जाइ आ संगमेतख न करी।, ई सभ अी...ई सभ अहा ँक आशीवा र्दसँ भेल, आिक निह? एिहनगरमे अपना किह कऽ संबोिधत करए बला हमर ो निह अिछ, तख हम एतएिबना असगर रहबाक अभूितक रहैत छी”। अपन आिखक ँ र पोिछ कऽ ओ हमराआशीवा र्द दैत कहलि, “दीघा र्यु रहू हमर पु”।समाक आर तकर बाद भेल।“सभ ज ुा..ज ुा...अहा ँ नमाज पड़ए छी हमर बाउ”? ओ पुछलि।172


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्“निह मा ँ। कहू , कखन हमरा पलखित भेटैत अिछ”?“अहा ँकेँ किहयो समय निह भेटत, मुदा अहा ँकेँ करए पड़त, एकरा छोड़बाक कोगुजाइश निह अिछ। मुिमक पमे ज लेबाक कारण अहा ँकेँ , कमसँ कम साहमेएक िदन समय िनकालए पड़त”, ओ कहलि।आगा ँ कहलि, “धिनक आ गरीब नमाजक काल संग अबैत अिछ। ओ सभ कामेका िमलाए नमाज पढ़◌ैत छिथ। ओिह िदन ई बेशी गुणक संग अबैत अिछ। एकबेर हरेलापर अहा ँ ओ आशीष किहिय घ ुरा निह सकैत छी। तािह ारे धिनक आएह जो लाखमे पैयाक लेनदेन करैत छिथ, अपन वसायकेँ एक कात रािखनमाज पढ़◌ैत छिथ। दोकानदार सभ सेहो अपन वसाय ब कऽ दैत छिथ िबनाई सोच जे कतेक घाटा हुनका एिहसँ हेति। संगिह ओ गरीब सभ जे ितिदनकखेनाइक जोगार निह कऽ पबैत छिथ, सेहो नमाज पढ़◌ैत छिथ”।हमरा डर छल जे हमर मा ँ वैह पुरान िखा फेरसँ तँ निह शु कऽ देतीह। िवषयबदिल कऽ हम कहिलयि, “की अहा ँकेँ ब ुझल अिछ जे एतए िनजाम नवाब ारा िनिम र्तएकटा पैघ मा मिस्जद अिछ...”?“एहन अिछ की? हमरा अहा ँ ओतए निह लऽ चलब”? ओ उाहसँ बजलीह।“जखन अहा ँ ओतए पहु ँचब तँ हमरा नमाज पढ़बा ले अहा ँ निह कहब”। हमिवनयप ूव र्क ाथ र्ना कएिलयि।“हमर बाउ...अहा ँ ई की कहैत छी...हम अहा ँकेँ ई सुझाव अहा ँक अपन भलाइ लेलदैत छी”।“ठीक छैक..चल ू चली”! हम सभ ओतएसँ बस ारा सोझे मिस्जद गेलहु ँ। ओचारमीनार िदस देखलि जे मिस्जदकक मीनारसँ बेशी पैघ रहए।“अी ओ छी चारमीनार। हम पिह ओतए चली..आिक मिस्जद”? हम पुछिलयि।“ओतए चारमीनारमे की अिछ हमर बाउ”?“ओतए िकछु निह अिछ...को िदशामे देखू एके र ंग लागत। मुदा अहा ँ ऊपर चढ़ि◌सकैत छी। ओतएसँ अहा ँ मा मिस्जद पमे देिख सकैत छी...आब देरी भऽगेल अिछ। हम चारमीनार बादमे देिख सकैत छी...अखन तँ हमरा सभ मिस्जददेखी”। ओ ीकृित देलि।173


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्मिस्जदक भीतरमे शाि रहए। शािक साा छल। ई शीतल, सुखकारी आिवृत रहए। आगुकक आबाजाही बेशी रहए। अी भीतर जएबामे संकोच कऽरहल छलीह कारण स्ीगण सामातः मिस्जदमे निह वेश करैत छिथ। मुदा ओिकछु ब ुरकाधारी स्ीगणकेँ ओतए देिख ओर बढ़ि◌ गेलीह।अपन सारीक ओरकेँ माथपर लैत ओ बजलीह, “हमहूँ अपन ब ुरका आिन लैतहु ँ ”?घरसँ चलैत काल ओ एिह लेल कह रहिथ मुद ई हम रही जे हुनका एकरा पिहरएसँरोक रही। अपन ठामपर हुनका लेल एकरा छोड़नाइ सव निह छलि मुदा हमएिह नव ानपर हुनका एिह झंझटसँ मुि देमए चाहैत रही। मुदा अपन सम्दयकस्ीगण बीचमे िबना ब ुरका पिहर ओ अपनाकेँ िबना चामक अभव कऽ रहल छलीह।जखन हम हुनका ंिभत आ थरथराइत चलैत देखिलयि तखन हम हुनका ब ुरका निहपिहरए देबाक लेल लित अभव कएलहु ँ। तैयो अपन रक्षा करैत हम कहिलयि,“हम कोना ई बिझतह ु ँ ु अी जे हमर सभकेँ मिस्जद घ ुमबाक ोँत लागत”।ओ िकछु निह बजलीह।“एिहसँ को अर निह पड़◌ैत अिछ...आऊ”। हम बादमे ई किह हुनका भीतर लऽगेलहु ँ। ओ हमर संग अएलीह। हम सभ अपन चल कातमे रखलहु ँ जािहसँ बादमेओकरा लेबामे आसानी होए। कतेक गोटे मिस्जदक सीढ़◌ीयेपर आलती-पालथी मािरकए बैसल रहिथ। परबाक संग खेलाइत िकछु गोटे ओकरा दाना ख ुआ रहल रहिथ।िकछु परबा उड़ि◌ गेल आ िकछु आन घिर ु कए उतरल। िकचु परबा पािनक चभाककातमे बैिस कऽ एर-ओर तािक रहल रहए, एकटा आादकारी दृ। अी हुनका ँआिय र्त भऽ देखलि। बादमे ओ हमर पाछा ँ अएलीह जखन हम सीढ़◌ीक ऊपरेटफ◌ॉम र्पर पहु ँचलहु ँ।ेटफ◌ॉम र्केँ चा िदस देखैत ओ िचकिर कए बजलीह, “हमर बाउ, एक बेरमे कतेकगोटे एतए बैिस कऽ नमाज पढ़ि◌ सकैत छिथ”?“हमरा निह ब ुझल अिछ अी...कैक हजार हमरा लागए-ए। रमजानक िदनमे लोकचारमीनार धिर बैिस कऽ नमाज पढ़◌ैत छिथ”। हम उर देिलयि। “हँ, ई टी.वी.मे देखबैत अिछ” अी ुर देलि। ओ एकरा नीकसँ चीि गेल रहिथ, हमअपनामे सोचलहु ँ। चा कात देखाऽ कऽ अिममे हम हुनका मिस्जदक पाछा ँ लऽगेलहु ँ। पाथारक फलक िचड़◌ैक मलसँ मैल भेल रहए। परबा सभ देबालक िछमेखोप ब रहए।ओ मीनारक देबालकेँ छूिब आ आ ँ िखसँ ाप ूव र्क सटा कऽ अित स भऽ गेलीह।174


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्“एतए नमाज पढ़ब पिव गप अिछ, हमर बाउ”, ओ कहलि। हम एिह बेर कोअित सेदना निह भेल।“हँ। ठीके, हम एतए कमसँ कम एक बेर नमाज अव पढ़ब”। हम अपनाकेँकहलहु ँ।हम जतए रहैत छी मा मिस्जद ओतएसँ ब द ूर अिछ। ज ुा आ छुीक िदन बससँएतए अएनाइ ब द ुम अिछ। तैयो, अिगला बेर हम एतिह नमाज पढ़बाक णकएलहु ँ।“हम अिगला साह् एतए आिब नमाज पढ़ब अी”, हम कहिलयि। ओ फुितअभव कएलि आ हमरा िदस आवेशसँ देखलि।“एिह सभ ठाम नमाज पढ़बामे अपनाकेँ ध ब ुझबाक चाही”, ओ कहलि।“अहा ँक अा ओतेक द ूर रहैत छिथ, ओ की नमाज पढ़बाक लेल एतए आिब सकैतछिथ? अहा ँ अही नगरमे छी..एतए नमाज पढ़◌ू”, ओ कहलि। “निह मा एतए,जतए कतहु पुरान मिस्जद होए ततए नमाज पढ़◌ू। कतेक िस लोक एतएनमाज पढ़ होएताह। एिह सभ ठाम नमाज पढ़लाक बाद को घ ुरए केर गप निहअबैछ। अा अहा ँकेँ िनकेना रखताह”।हम मिस्जदमे एना ठाढ़ रही जेना जाद ूक असिर होए। हम हुनकर गप सुनलहँ, ु कानपािथ कऽ। बदमे, बाहर िनकललाक बाद हम सभ िकछु िबसिर गेलहु ँ। अपन मिस्जदजएबाक ितज्ञाकेँ सेहो हम कात रािख देलहु ँ। ओही संामे हम अीकेँ बस-ैपर छोड़लहु ँ। तकर बादा द ू टा ज ुा बीतल, मुदा से एना बीतल जेना ओको ज ुा निह छल। आब बम िवोटक एिह समाचारक बाद हम ज ुासँ भयभीतछी।“अी...अहा ँकेँ ईहो ब ुझल अिछ जे कोन मिस्जदमे बम फूटल छल”? हम फोनपरपुछिलयि।“कोनमे हमर बाउ”? ओ उुक भऽ पुछलि।“अहा ँ एक बेर हैदराबाद आएल रही, मोन पाड़◌ू? हम निञ अहा ँकेँ एकटा मिस्जदमेलऽ गेल रही...मा मिस्जद...पैघ सन? ओतिह, ओही मिस्जदमे...ख ुनाहिन ओहीमिस्जदमे अी...खसैत लहाश.. अहा ँ कह रही जे िकयो जे ओतए नमाज पढ़त, ध175


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्होएत...ओही मिस्जदमे अी”। हम कहिलयि। “छोट बा सभ...ओकर सभक देहखोनमे लेपटाएल...परबा सभ सेहो मरल...”।र अिनयित द ुखमे बहए लागल। हम बाथम लग र पोछबाक लेल गेलहु ँ।हुनक दय हमर कानिन देख फाटए लगलि। ओ सेहो कानए लगलीह। हम आगा ँकहलहु ँ, “अी, निह कान...अाकेँ ू होएति जे हमरा िकछु भऽ गेल अिछ...हुनकाकिहयि जे हम नीकेना छी”।कत ओ हमरा पुछलि, “फोन निह राखब हमर बाउ”।“जी अी, कहू”।“अहा ँ चिल आउ...गाम चिल आउ...हमर गप सुन ू”।“हमरा िकछु निह भेल अिछ अी”।“बाहर निह जाएब..हमर बाउ”।“ठीक छैक अी”।“ओिह मिस्जदमे निह जाएब, हमर बाउ”।हमर दय फटबा लेल फेर तैयार अिछ। हम हुनका ई आासन दैत जे ओिहमिस्जदक लगो कोठाम हम निह जाएब, फोन रखलहु ँ।मुदा िवचारक आगम बढ़◌ैत रहल। कतेक िविभता! कतेक पिरवतर्न कािसँ! ईहमर अी छिथ जे एना बािज रहल छिथ? ई ओ छिथ जे हमरा ई बािज रहलछिथ जे मिस्जदक लगो कोठाम निह जाऊ? अा को आन भऽ गेल छिथअपन बाक मक आगा ँ? अपन ख ूनक आगा ँ अा अाद ु भऽ गेलिथ? नमाजिवरोधक यो भऽ गेल? अा माफी िदअ! क्षमा क! आन ज ुाकेँ कोख ुनाहिन निह हो..औज िबाही..िमनाश ैतान...िनरा र्जीम..िबिाह इर र्हमा िनर र्हीम...!(ओिह सभ अीजानकेँ समिप र्त िजनका मा मिस्जदक बाद अपनाकेँ हमर अी जका ँपिरवितर्त होमए पड़लि...लेखक)176


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्अजय सरवैया, गुजराती किवगुजरातीसँ अंजी अवाद हेमा ंग देसाई ारा। अंजीसँ मैिथली अवाद गजेठाकुर ारा।अहा ँक तामस हमर ागतपथ“अहा ँ आवेित छी ितिन आ मोहक रसँ”. पाब्लो दाचधर आ पीयुषक लेल१.“किह धिर हम िखचैत रहब एना”? ओ प ूछतआ मुखसँहेराएल आ ँ िखसँहम राखब सोझा ँ शकेँ , ओ रखतीह िनयमावलीहम करब सोझा ँ अपन इा, ओ मकेँहम देबि मेघ, ओ चहम आनब , ओ पलायनहम ितभाक मी, ओ बनकहम क आका ंक्षी, ओ िनजर्नताक177


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्किहया धिर? हम ब ुझलहु ँ नीक जका ँहमर भा रहए फराकहमरा सभक िदन राित सेहोऋतु आ पाबिन ितहार जका ँसमय काल हमरा सभक अरहमरा सभक िविभता रहए िविभहमरा सभ म करैत रहीकतेक िदन धिर?राजे पटेल, गुजराती किवगुजरातीसँ अंजी अवाद हेमा ंग देसाई ारा। अंजीसँ मैिथली अवाद गजेठाकुर ारा।१हम िकएक कऽ रहल छी अभवधरा िबन शाखकिबना एिह हाथक?पसारैत द ूर आ िवृतजीिवत सा ँपक तािकमे178


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्ई सभ हाथ एक दोसरमे ओझराएलआ समा होइत मा नहक विमे।ृबाबाक छड़◌ीक पकड़ि◌सँबसक ठाढ़ होएबला लटकल चमुी अत अिछ वैह अिवचल श ूाकाश।ओकर कए अभूितई सभ खे ंचल कार कौआक हाथघिम ु जाएत आकाश िदससभटा खेत अंकुिरत फुितप ृीक ग-गकपा ँजर खेतमे औंगठलबािह ँ जका ँ।सभटा हरक फारक चेभा रेखा हाथक।पंि जोिख सकैएमा हाथक लाईनिह एकर जड़ि◌179


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्पिह हम कए सकी एकर िनदानहाथक आमण जड़ि◌परेत धरापररोशनाईसँ पसरलअपन नव अंकुिरत आ ँ िखएउड़ि◌ गेल नव-जनमल पािखएँओिह ध ूसिरत गगनक पारआबसभटा मि कोिशकामेहाथ रहैछ अहिन र्शवेश कए रहल गँहीर आर गँहीर जड़ि◌मेपीय ूष ठर, गुजराती किवगुजरातीसँ अंजी अवाद हेमा ंग देसाई ारा। अंजीसँ मैिथली अवाद गजेठाकुर ारा।सा ं बेलासा ँझ होइतेिशिशर आह पव र्तकआािदत कएल अकाशअिवल पड़त सूण र् आकाश फा ँसमेएिह पव र्तक छाहक180


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्पव र्तकेँ भेटत अकाशकाशकेँ छाहशरीर सुततदय द ु िखतओिहना जेनाईरकेँ भेटल मपा िवेदी, गुजराती किवगुजरातीसँ अंजी अवाद हेमा ंग देसाई ारा। अंजीसँ मैिथली अवाद गजेठाकुर ारा।आमदहे िवदेशी!देखाऊ हमरा एहन दृयिद अिछ को एहनिब काशिब गक ओछाओनिब छाहजतएनिहए अिछचुीक अंशिथत दयक िन181


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्निहए िनक आ ँगुरक कक श र्देखाऊ हमरा ओ दृयिद अिछ को एहनहौ िवदेशी!जतएो निह करैछ एकितासक मालगुजािर।बाब ू सुथार, गुजराती किवगुजरातीसँ अंजी अवाद हेमा ंग देसाई ारा। अंजीसँ मैिथली अवाद गजेठाकुर ारा।गृहमोह१.गंध पिहल ब ुीकआ हमबैिस आपसारी एक-दोसराक िदसभेिदत पड़पड़◌ाइत ब ुीक ब ुबलुआही मािट भेलयथाथ र् छननी182


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्अएल खर रौदक फोकापाथरक चामपरअिवलझझायतछातक खपराक भूरधारक संग उगडुम करतनवतुिरआ बरद कछेरपर नाचत।सभटा गलीमेबरद सभ आनत पािनसोलह टा पालो बाि गरदिनमेसभ घरमेधरिन सभ नहाएत जी भिरदेबालपरगाछक छातीपरृितक िशलालेखपरहदसैत पािनखोलतहाक्षर भगवानक प ूव र्जक।183


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्बराखक संगेचमकैत आकाशमाएक कोमल तरही।स ूय र् करत आािदतव ृक्षकशाखकपातकपँख ु िडक।टा ँगल पिक्षक आवाससभ गृहक बाहरमय ूर सभ करत न ृ।जेना िय नव वध ुमय ूरीक माथपरक जलक घटगामक दोगहीसँ िनकलतअनबा लए पािनिछटैत नहक आकारक झीलवैतरणी डुमाएतरीढ़यु नागफनीक पात।184


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्संगजीव आ िशवकरत अमी आ एकादशीचमा उगतचुीक कटगर पीठपरआचाली सभ बहराएतआडरसँ राजसी मुकुट धेसेिकछु अकठ अिछ हमरा सभक भामेआइआइगंध पिहल अछारकआ हमबैिस आपसरैत एक दोसरामे।185


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्वासुदेव सुनानी, ओड़ि◌या किवओड़ि◌यासँ अंजी अवाद श ैलेन राउ◌ॉय आ अंजीसँ मैिथली गजे ठाकुर ाराअमितहमरा अमित अिछ ीमान!हम कए ली िवाम कक काल?अहा ँक आदेशासारछाह केँ दे अिछ बहािर,बू केँ दे छी खोआए,अहा ँक नालाकेँ कए दे छी साफ,निह रहत को द ु आब।हमर अिछ ढोल बजबए बला मध ुमाछीयुगसँ अहा ँक मर ंजनाथ र्आ हमर आ ँगुर िरताक राखए आशहम करी िवाम थोड़बे काल?186


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्हम करैत छी अभव पुरखाक ेदहमर देव, हमर म ृताा।तािह लेल िय ीमान ्घंटा भिरक िवाम मा अिभवादन जका ँिकएक तँ हमर द ु, ेदक आ िकछु आन वुक।हम करए छी तीक्षा अहा ँक नीक समय िकसंगिह अपन कीट-संिमत िजनगीक समािक संकेतक।तीक्षा सेिह भिर दैत अिछ थकान, ीमान ् ियवरिवशेषकए लाख बरखक जहु ँ ई होए।से हम करए छी िवाम थोड़◌ेक काल, ीमान ्?कारण हमरो सन ् तुकेँ ब ुझल छैक छोट-मोट िवोहक कला।भरत मा ँझी, ओड़ि◌या किवओड़ि◌यासँ अंजी अवाद श ैलेन राउ◌ॉय आ अंजीसँ मैिथली गजे ठाकुर ाराहमर घ ुरलाक बाद187


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्हमर घ ुरलाक बादो ओिह ानके निह छोडू िरपकड़ रहू ओकरा।फूल सभकेँ निह फेकूकी को मह अिछ एकर जे ओ टटका फुलाएल अिछ आिक अिछ मौलाएल?खोल ू हमर सभटा काएल भोिथयाएल ,ओकरा अलंकृत कए।उनिट िदअ सभ ठामक लैकेँ ,आ रोिक िदअ अारक ित घ ृणािबना घबरे देखू समुआ तख निह क घ ृणा अकाससँ।होरा अिछ!!!प ृीकेँ ब ुझ ू एकटा समिमित ानयास क आ ठाढ़ रहू ओतए।188


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्कृपया बाट ताकू अपनआ से करए काल, रहू जागल!मोन राख ू, हम घ ुरब एिह प ृीपर जे एहन एकेटा अिछराख ू मोन िक हम घ ुरबहम बाउग के छी पथकेँ सिरसवक बीआसँ,मोन राख ू ओ पथबालाना ं कृते१.उमेश कुमार-२.ोित झा चौधरीउमेश कुमार- पु ी केशव महतो, बहाद ुरगंजएकटा राजा रहए। ओकरा एकटा बेटा रहए। ओकर राजपाट ख ूब शाित ं सँ चलैतरहए। राजा जखन बीमार भेलए तँ बेटाकेँ कहलकए।१.फी कोरमे सीरा खाइले।२.ारपर हाथी बबा कऽ राखय ले।३.वैर भाव नही ं राखए ले।४.बाहर िनकलैपर छा ँवमे रहबा ले।राजकुमार एकर अथ र् निह ब ु िझ पेलक। राजा मिर गेलैक।राजकुमार राजा बिन गेल।िपताजीक गपपर ओ अमल करए लागल।189


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्१.फी कोरमे सीरा खेबाक मतलब ओ ब ुझलकै जे सभ िदन खी कटबा कए सीराखेनाइ आ बचल मासु कर सभ के देनाइ आ ओ सैह करए लागल।२.ारपर ओ एकटा हाथी कीन कऽ रखबा देलक आ चािर टा कर ओकर देखभाललेल रािख देलक।३.ओ सभटा बैरक गाछ कािट कऽ हटा देलक।४.ओ द ू टा कर राखलक जे गाछ कािट कऽ जतऽ जतऽ राजा जाइत रहए ओतए-ओतए लऽ जाइत रहए।एना िकछु िदन ओ राजपाट चलेलक। एना किरते-किरते राजपाट खतम भऽ रहलछलैक , कारण खचा र् बेसी भऽ गेलै आ आमदनी कम, सभ गाछ किट गेलैक।गामक एक ब ुज ु सँ ओ पुछलक जे हमर राजपाट िकएक खतम भऽ रहल अिछ। तँओ ब ुज ु ओकरा ब ुझेलक जे जाऊ आ तीन म ूरी बला आदमी सँ पुछू।चा तरफ राजा खोजलक मुदा तीन म ूरी बला आदमी ओकरा निह भेटलैक। फेरओही ब ुज ु आदमी सँ पुछलक जे हमरा तँ तीन म ूरी बला आदमी निह भेटल।ब ुज ु कहलकै जे ७० बरख सँ ८० बरखक आदमी केँ तीन म ूरी बला कहल जाइतछैक कारण जे जखन ओ बैसैत अिछ तँ ओकर म ूरी झ ु िक जाइ छैक आ ठेहुन ऊपरउिठ जाइत छैक आ से ओ तीन म ूरी जका ँ भऽ जाइत छैक।राजा एहे एकटा मकेँ तािक क' पुछलक।“िपताजी मरए से पिह की की बते रहिथ”। ओ तीन म ूरी बला मख पुछलक।राजा कहलक।“ओ बतेलिथ-१.फी कोरमे सीरा खाइले।२.ारपर हाथी बबा कऽ राखय ले।३.वैर भाव नही ं राखए ले।४.बाहर िनकलैपर छा ँवमे रहबा ले”।190


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्“पिहलाक मतलब छी- एक पाव डेढ़का मा ंछ लऽ कऽ बनबा क' खाउ ओकर सभकौरमे सीरा भेटत।दोसराक मतलब घरक आगा ँ घ ूर लगा देबा लऽ जािहसँ ारपर हरदम १० गोटे बैसलरहत।तेसरक मतलब झगड़◌ा-झािट ँ सँ द ूर रिह दोी िमलान सँ रहू।चािरमक मतलब द ू पैयाक छाता लऽ छाहमे चल ू”। तीन म ूरी बला म बतेलक।एकरापर अमल केलापर राजाक राजपाट वापस आबए लगलैक।देवीजी: ोित झा चौधरीदेवीजी :देवीजी कं प ्य ूटर िशक्षािवालयमे नव वष र्क पिहल िदन छल। एना लागैत छल जे िवालयके इमारतमेिकछु नवीनीकरण कैल गेल छल।सब ाथ र्ना लेल एकित भेल। नववष र्क संग नयाकक्षामे जायके शुभकामना देलाक बाद िशक्षकगण रहमय मुान देबऽ लगला।िवाथीर् सबहक उत् सुकता चरम पर छल।तखन देवीजी समय थ र् िबता◌ैनाइछा◌ेड◌ि◌ सबके सिचत ू केलिखन जे पाठशालामे कं प ्य ूटर िशक्षाक वा कैल गेलअिछ।191


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्वर्मान वैज्ञािनक िवकासक पिरपेमे कं प ्य ूटर के ज्ञान अत् य ंत आवकछल।आिहकाि सब जगह कं प ्य ूटरक उपया◌ेग भऽ रहल छै। सब िवषयमेकं प ्य ूटरक समावेश छै।चाहे आ◌े िवज्ञान हा◌ेए वा कला। िचकला तकमेक् य ूटरक उपया◌ेिगता छै। िडिगटल आट◌ र् ला◌ेगा◌े िडज◌◌ाइन◌ फैशनिडज◌◌ाएन◌ एिनमेशन◌ अतऽ तक जे िफ िनमा र्ता सब एक् शन सीन के कं प ्य ूटरपर एनीमेशन कऽ मार के देखाबैत छिथ जािह सऽ बात ब ुझमे सहायताहा◌ेएत छै।तािह ारे प्राधानाापक ्अिहलेल िवशेष प्रायास ् के छलैथ।बड पिह सऽ लागलछलैथ तखन अिह वष र् इा र् प ूण र् भेलैन। िवाथीर् सब सेहा◌े अिह समाचार सऽ बहुतआह्लािदत भेलैथ।हुनका सबलेल तऽ मान ू प ्न साकार भऽ गेलैन।तकर बादप्राधानाापक ्इहा◌े कहलिखन जे अिगला साल तक इ ंटरट के इ ंतज◌◌ाम सेहा◌ेहा◌ेयत।सबके बेरा र्बेरी क् य ूटर मक दश र्न कराआ◌ेल गेलैन। कं प ्य ूटर के बाह्य बनावटमा◌नीटर◌ सेल प्रा◌ा◌ेसेिसंग ्यिनट ू सी पी य ू◌◌ तथा की बा◌ेडर् के संिक्षप ्तिववरण देल गेल। इ ंटरट के प्राया◌ेग ् सऽ सकर् ापना कतेक सरल आ साभऽ गेल अिछ तकर जानकारी सेहा◌े देल गेल। तकर बाद िवाथीर् सब अपनकक्षा िदस नव उत् साह संग िवदा भेल।सबहक उत् साह देख प्राधानाापक ्के अपनप्रायास ् सफल ब ुझेलैन।192


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्बा लोकिन ारा रणीय ोक१.ातः काल मुहूर् (स ूयो र्दयक एक घंटा पिह) सव र्थम अपन द ुन ू हाथ देखबाकचाही, आ’ ई ोक बजबाक चाही।करा वसते लीः करमे सरती।करम ूले ितो ा भाते करदश र्नम ्॥करक आगा ँ ली बसैत छिथ, करक ममे सरती, करक म ूलमे ा ित छिथ।भोरमे तािह ारे करक दश र्न करबाक थीक।२.संा काल दीप लेसबाक काल-दीपम ूले ितो ा दीपमे जनाद र्नः।दीपा शरः ोक्ः साोितन र्मोऽुते॥दीपक म ूल भागमे ा, दीपक मभागमे जनाद र्न (िवु) आऽ दीपक अ भागमेशर ित छिथ। हे संाोित! अहा ँकेँ नमार।३.सुतबाक काल-राम ं ं हन ूमं वैनतेय ं व ृकोदरम ्।शय यः रेिं द ुः नित॥जे सभ िदन सुतबासँ पिह राम, कुमारामी, हन ूमान, ् गड़ आऽ भीमक रण करैतछिथ, हुनकर द ुः न भऽ जाइत छि।४. नहेबाक समय-गे च यमु चैव गोदाविर सरित।नम र्दे िसु कावेिर जलेऽिन ् सििध ं कु॥हे गंगा, यमुना, गोदावरी, सरती, नम र्दा, िसु आऽ कावेरीअपन साि िदअ।धार। एिह जलमे193


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्५.उर ं यमु िहमाेैव दिक्षणम ्।वष ं र् तत् भारतं नाम भारती य सितः॥समुक उरमे आऽ िहमालयक दिक्षणमे भारत अिछ आऽ ओतुका सित भारतीकहबैत छिथ।६.अहा ौपदी सीता तारा मोदरी तथा।पकं ना रेिं महापातकनाशकम ्॥जे सभ िदन अहा, ौपदी, सीता, तारा आऽ मदोदरी, एिह पा ँच साी-स्ीक रणकरैत छिथ, हुनकर सभ पाप न भऽ जाइत छि।७.अामा बिला र्सो हन ूमा ं िवभीषणः।कृपः परशुराम सैते िचरीिवनः॥अामा, बिल, ास, हन ूमान, ् िवभीषण, कृपाचाय र् आऽ परशुराम- ई सात टा िचरीवीकहबैत छिथ।८.साते भवतु सुीता देवी िशखर वािसनीउन तपसा लो यया पशुपितः पितः।िसिः साे सतामु सादा ध ूजर्टेःजावीफेनलेखेव यूिध शिशनः कला॥९. बालोऽहं जगदान न मे बाला सरती।अप ू र् पंचमे वषे र् वण र्यािम जगत्यम ् ॥१०.िवक थम देशभिक् गीत(शु यज ुवे र्द अाय २२, म ं २२)194


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्आ ि जापितर ्ॠिषः। िलंभोक्ा देवताः। राडुृितः। षड्जःरः॥आ ◌॑न ् ा◌॒ ◌॑वच र्◌॒सी जा◌॑यता◌॒मा रा◌॒ष् रा◌॑ज◌॒ःशुरे◌॑ऽइषो◌॒ऽिता◌॒धी म◌॑हार◌॒थो जा◌॑यता ं◌॒ दोग्ीं धे◌॒वो र्ढा◌॑न◌॒ड्वाना◌॒शुः सिः◌॒पुर◌॑ि◌॒यो र्वा◌॑ िज◌॒ू र◌॑थे◌॒ाः स◌॒भेयो◌॒ युवा यज◌॑मान वी◌॒रो जा◌॒यता ंिनका◌॒मे-िन◌॑कामे नः प◌॒जर्ों वष र्तु◌॒ फल◌॑वो न◌॒ऽओष◌॑धयः पा ं योगेक्ष◌॒मोनः◌॑ कताम ्॥२२॥माथा र्ः िसयः सु प ूणा र्ः सु मरथाः। शूणा ं ब ु िनाशोऽु िमाणामुदयव।ॐ दीघा र्युभर्व। ॐ सौभावती भव।हे भगवान ्। अपन देशमे सुयो आ’ सव र्ज्ञ िवाथीर् उ होिथ, आ’ शुुकेँ नाशकएिनहार सैिनक उ होिथ। अपन देशक गाय ख ूब द ूध दय बाली, बरद भार वहनकरएमे सक्षम होिथ आ’ घोड़◌ा िरत पेँ दौगय बला होए। स्ीगण नगरक करबामे सक्षम होिथ आ’ युवक सभामे ओजप ूण र् भाषण देबयबला आ’ देबामे सक्षम होिथ। अपन देशमे जखन आवक होय वषा र् होए आ’ औषिधक-ब ूटीसव र्दा पिरप होइत रहए। एव ं मे सभ तरहेँ हमरा सभक काण होए। शुकबिक ु नाश होए आ’ िमक उदय होए॥मकें कोन वुक इा करबाक चाही तकर वण र्न एिह म ंमे कएल गेल अिछ।एिहमे वाचकलुोपमालड़◌्कार अिछ।अय-◌॑न ् - िवा आिद गुणसँ पिरप ूण र् रा◌॒ष् - देशमे◌॑वच र्◌॒सी- िवाक तेजसँ युक्195


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्आ जा◌॑यता ं◌॒- उ होएरा◌॑ज◌॒ः-राजाशुरे◌॑ऽ–िबना डर बलाइषो◌॒- बाण चलेबामे िनपुणऽिता◌॒धी-शुकेँ तारण दय बलाम◌॑हार◌॒थो-पैघ रथ बला वीरदोग्ीं-कामना(द ूध प ूण र् करए बाली)धे◌॒वो र्ढा◌॑न◌॒ड्वाना◌॒शुः धे◌॒-गौ वा वाणी वो र्ढा◌॑न◌॒ड्वा- पैघ बरद ना◌॒शुः-आशुः-िरतसिः◌॒-घोड़◌ापुर◌॑ि◌॒यो र्वा◌॑- पुर◌॑ि◌॒- वहारकेँ धारण करए बाली यो र्वा◌॑-स्ीिज◌॒ू-शुकेँ जीतए बलार◌॑थे◌॒ाः-रथ पर िरस◌॒भेयो◌॒-उम सभामेयुवा-युवा जेहनयज◌॑मान-राजाक रामेवी◌॒रो-शुकेँ परािजत करएबलािनका◌॒मे-िन◌॑कामे-िनययुक् काय र्मे196


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्नः-हमर सभकप◌॒जर्ों-मेघवष र्तु◌॒-वषा र् होएफल◌॑वो-उम फल बलाओष◌॑धयः-औषिधःपा ं- पाकएयोगेक्ष◌॒मो-अल ल करेबाक हेतु कएल गेल योगक रक्षानः◌॑-हमरा सभक हेतुकताम ्-समथ र् होएििफथक अवाद- हे ण, हमर रामे ाण नीक धािम र्क िवा बला, राज-वीर,तीर ंदाज, द ूध दए बाली गाय, दौगय बला जु, उमी नारी होिथ। पाजर्आवकता पड़ला पर वषा र् देिथ, फल देय बला गाछ पाकए, हम सभ संपिअिजर्त/संरिक्षत करी।७. मानक मैिथलीइ ं िश-मैिथली कोष मैिथली-इ ं िश कोषइ ं िश-मैिथली कोष ोजेकेँ आग ू बढ़◌ाऊ, अपन सुझाव आऽ योगदान ई-मेलारा ggaj endr a@ yahoo. co. i n वा ggaj endr a@ vi deha. co. i n परपठाऊ।197


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्मैिथली-इ ं िश कोष ोजेकेँ आग ू बढ़◌ाऊ, अपन सुझाव आऽ योगदान ई-मेलारा ggaj endr a@ yahoo. co. i n वा ggaj endr a@ vi deha. co. i n परपठाऊ।१.कृिष-मत् शावली २.बसैटी (अरिरया) िबहार, िशव मिरक िमिथलाक्षर िशलालेखकदेवनागरी पारण।कृिष-मत् शावली- गजे ठाकुरमा ँछ व ंशीसँ सेहो मारल जाइत अिछ।छोट मा ँछक लेल जाल- भौरी जालक योग होइत अिछ।िभरखा- हाथसँ उठा कए फें कल जाइत अिछ। एिहमे स ूत आ लोहाक गोली योगहोइत अिछ, २५-२५ ामक लोहाक गोली लगभग २-१/२ सँ ५ िकलो धिरयोगमे आनल जाइत अिछ। अा जाल छोट होइत अिछ आ कछारमे राितमेलगाओल जाइत अिछ।कोठी जाल पैघ होइत अिछ आ एिहमे बा ँसक योग होइत अिछ।िबसारी जाल- िदनमे मा ँछ हरिक जएतैक से राितमे ख ुी लगा कऽ राितमे मा ँछमारल जाइत छैक।ची जाल- ािकक, पैघ-छोट द ुन , ू िदनमे आषाढ़-साओन द ुन ू मे। ५-१० िमनटमेउठाओल जाइत छैक।स ूतक मोट पैराश ूट जाल, स ूत आ नाइलनक िमणक करेट जाल, स ूतक बड़का हाटाजाल होइत छैक।पैराश ूटसँ छोटकी मा ँछ उड़ि◌ जएतैक।पैघ मछली बड़का व ंशीसँ, बड़का ची जालसँ, स ूताक महाजालसँ मारल जाइत अिछ।पैघ छोट द ुन ू मा ँछ बा ँसक जंघासँ मारल जाइत छैक। एकरा ४ हाथ खड़◌ा नािरयलआ नाइलोनक डोरीसँ बाल जाइत छैक।198


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्बा ँसक करचीक छीपसँ सेहो मा ँछ मारल जाइत छैक।पटुआक सीक १००-२०० पुी एकसाथ लगा कए सेहो मा ँछ मारल जाइत छैक।हाटा जाल िकमी धिर पैघ होइत अिछ आ स ूताक बत अिछ।चा ँच कहड़◌ा बा ँसक होइत अिछ।धार/बदहाल घेरकेँ मारल जाइत अिछ। पािनकेँफुलाऽ कए डगरी लगाओल जाइत छैक, चा ँच फहड़◌ामे चा ँच फहड़◌ासँ घेरल जाइतअिछ।मा ँछक कारडा ँरा मछली (डेरका मछली), म ँहा ू मछली, पोठी, ला (िपआ मा ँछ), गड़इ, पलवा,टे ंगड़◌ा, िसंघी, मा ँगुड़, चपड़◌ा, पैना, रेवा, गड़ही, उड़ा, मोहुल, ब ुआरी, बामी, बगहार,चेलवा, कौअल, गोरा, र् सौल,भौरा, कजाल, कलबौस, िचल, भोइ, की, भौकुड़◌ी,िसलोन, रेहू, िमरका, िबलासकप, िसरकप, चाइना मा ँगुर, कबइ, चाइना कबइ।दरबा- छोट, पातर- २-३ इचक, पीठपर कारी, बगल सफेदगड़ई- कारीचोपड़◌ा- चाकर, कारी, मिलनपलबा- द ुन ू िदस का ँट, पीठपर सेहो का ँट, र ंग- पीयर-उर, मोंछ सेहो होइतछैक।टे ंगड़◌ा- पैघ मा ँछ, एकरो तीन टा का ँट, मुँहपर मोँछ।िसंघी- पातर, द ू टा का ँट द ुन ू िदस, लाल र ंगक आ लाल आ हा कारीम ँगुरी- मोट आ महग सेहो।एकरो द ू टा का ँट, लाल आ हा कारीपैना- सफेद र ंगक, पीठपर का ँटारेवा- सफेद, पौआ-आधा िकलोकडढ़◌ी- पीठपर का ँटा, सफेद199


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्उरा- पीठपर का ँट, नीचा ँ गामे झ ुकल, सफेदभालु- लाइ मुँह, सफेद- खड़◌ा(पीयर), ऊपरमे का ँटा, नािभक लग का ँट(सभ मा ँछमे)बोआली- पैघ मुँह- २० िकलो तक, सफेद, पीठपर का ँट, पखना द ुन ू िदस (सभमा ँछमे)बामी- ला, िबलमे रहैत अिछ, मुँह आग ू, गोल मुँह, स ूआ जका ँ ला, पीठपर का ँट,नािभपर द ू टा का ँटसौ ंस- मा ँछकेँ खाइत अिछ।बघार- छोट, १ पौआसँ िंटल भिरक, कारी-खैरा (पीयर), का ँट- पीठपर एकटा,बगलमे द ू टा, पुी-चाकर, मुँह चापट, चकड़◌ाई- बेसी।चेलबा- उर, का ँट निह होइत छैक। चलैक लेल द ुन ू िदस पखना, मा ँछमेतेजगर।कौअल- सफेद, मुँह नमगर।गोरा र्- मोँछ, दाढ़◌ी, का ँटा, आगा ँमे टेढ़साउल- लाल आ पीयर, नमगर, २-३-५ िकलोकभौरा-(गजाल), साउल, िचतफुटरा, पैघ २०-२५०४० िकलो तक, गोल-गोल उर,हिरयर आ कारीकलबौस- र ंग हा कारीअंदाजी मा ँछिचल- चकरगर बेसी, २०-२५ िकलोक, २-३ फीट चकरगरिसलोन- पालतू,३-४ िकलोक,पोखिरमे पोसल जाइत अिछ।रोहु-पीयर, हा उर, पीठपर का ँटिमरका- हा लाल सफेद200


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्िसरकप- पालतूचैना मा ँगुर- चलानी (पालतू), द ुन ू िदस का ँटचैना कबइ- पालतू (चलानी), पीठपर जहा ँ-तहा ँ का ँटकबई- कनफर आ पीठ द ुन ू ठाम का ँटचेंगा मा ँछ- सुखायलोमे द ूर धिर चिल जाइत अिछ, कबई जका ँसौ ंस- पािनमे मा ँछ खाइत अिछ, आदमीकेँ कसान निह, आदमी संगे खेलाइत अिछ,सीटीक अवाज (डोलिफन)घड़ि◌याल- कुसे र्ला लग गंगामे, मुँह ला, एक-डेढ़ हाथ,दा ँत- आ ँगुरक जेका, ँ र ंगलाल, पुछरी नमगर, ३ हाथबोँछ- आदमीक र ंग प, कारी, माथपर चूल- केश पकड़ि◌केँ डुमा दैत छैककृिष-जोड़◌ा बैल/ हरईश- हरमे जोड़ि◌ कऽ पालोमे बाल जाइत छैक।लगनापालो- कापरपालोमे द ू टा कल द ुन ू बगल बरदकेँ ए- उ (एर-ओर) निञ होमए दैतछैक।कलसँ हिट कऽ एक सवा फीटक डोरी बाल जाइत छैक। समैल (पौन फीटकलकड़◌ीक/ बा ँसक) मे डोरी बाल जाइत छैक।ईशक नीचा ँमे पेटार ईशकेँ ख ुजए निह दैत छैक, ऊँ च-नीच करए दैत छैक।2<strong>01</strong>


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्हलमे पुी, नीचा ँमे द ू-फीटक अगल फी पुीमे सेट कएल जाइत छैक, मािटउखाड़◌ैत छैक।परहत (लगना)- हरवाह एिहपर हाथ धरैत अिछ। तीन फीटक/ ६ इचक मुीपकड़◌ैबला लगनामे ठोकल जाइत छैक (मुिठया)।नाधा- पालो-ईशमे बािकेँ जोड़ल जाइत छैक, डोरी होइत छैक ४-५ फीटक।द ू टा मैडोर (डोरी)- १०-११ फीटक द ू टा- एकरा चौकीमे बाि कऽ बरदमे बािकऽ हरवाहा चौकी दैत अिछ।चौकी- (बा ँस/ लकड़◌ीक) ६-७ फीटक एिहपर हरवाह छढ़ि◌ कऽ चौकी दैत अिछ।हरवाहाक हाथमे एक टा झ ूर/ ोली/ लाठी बरद हा ँकए लेल रहैत अिछ।गेहूँ क जोताई ३ इच गहरा कऽ ४-५ टा चास दऽ होइत अिछ।मइ लेल ४-५ इच गहराइ करए पड़◌ैत अिछ।बीया- एक एकड़ (१०० िडिल) मे २ मन गहूमक बीया, १० िकलो मइक बीया।खाद- एकड़मे २० िक. डी.ए.पी., ५ िकलो पोटाश, ५ िकलो यिरया, ू ५ िकलो िजंकगहूम बाउग करबा काल देल जाइत अिछ।मकइमे डेढ़ सँ द ू फीटक भेलाक बाद मािट चढ़◌ाओल जाइत अिछ। २ कतार २फीट चौड़◌ाइसँ। एकड़मे २ िंटल खाद देल जाइत अिछ। १०० िकलो डी.ए.पी., ५०िकलो यिरया, ू २० िकलो सािल्फक, १२० िकलो पोटाश, १० िकलो िजंक। पािन पटवनसमयमे खाद दऽ कऽ मािट चढ़बैत िछयैक, फेर पािन पटबैत िछयैक। पािनपटेलाक बाद यिरया ू एक एकड़मे एक िंटल देल जाइत अिछ।तर-तरकारीक कारिसंिघया करैला- बड़◌ा- हाइ क/ ेनछोटकी करैला- हजिरया/ ज ुीसफेद करैला- पटिनआ (नजली- मम ख ुटक)202


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्तारब ूज-नामधारी-ािद- भीतरमे लाल, ऊपरमे सफेदी/ िचतफुटरा (हिरयर-उर)माइको- हा कारीपहुजा- माइकोसँ बेशी कारीराजधानी- कारी र ंगमेमहाराजा- पैघ छोट कारी र ंगमेसैनी आ सुगरदीबी- कारी र ंगकनाथ- हा िचतफुटरा (उर/ हिरयर)गंगासागर- कुर जेका ँ उर साफसोरैा- िचतफुटराखीराज ुी- छोटहाइीडमाइको- नमगर/ हिरयर/ पीअरमहाराजा- खीराखेतीबारी- हिरयर र ंगक , नमगर कम, पाछा ँमे मोट बेशी आगा ँ कम।बसैटी (अरिरया) िबहार, िशव मिरक िमिथलाक्षर िशलालेखक देवनागरी पारण।203


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्व ंशे सभा समा सुरगन िबिदते भू स ूरावितना र्।राजाभूतकृदेवोन ृपित समरिसंहा िमधाजातः॥यिन ् राािभषेकं फलियतु िमवतितुोमहेशः।कैलाशाद ् भूगतेोिधन सिततरा वैनाथेन नााः॥त तजः सुकृितन ृपवरौ िवनाथ राजा भूत।िवरनारायण राजाासीद ् सुत॥नरनारायण राजो नरपित कुल मौिल भूषणम ् पुनः।अिथ र्नकूमद ूव सुरगन व ंसावतंसोत्भूत॥२॥तािद वैिरकुल स ूदन रामच नाराय नरपितनयो वभूक।संमोिदता दश िदशो िनज कीितर् च ोितेहािभराथ र् िनवहः सुिरवतयेण॥३।।यानवािर पिरविर्त वािर रािश सा कीितर् िवमलेु मिरिचकािभः।ोोितता दशिदशः सतज इनाराय कुलभूषण राजराजः॥४॥तेनच सुल जाता तनया मनबोध शझिणः कृितनः।पिरणीता बु यैिस्लोचननाि पुीव॥५॥या तापतरणाव ु िदतेऽिपिचतेिचारजिव वनमालभते िवकासमसौदय दय मकर च उेनतैव यद ् गुणगणा मध ुपि योगात्॥६॥यज्ञेवदेर्व ग िजाित िनवहः सायनादरैः।ददा र्प ूण र्ः मरथोऽथ र्परन सिितिनः सना॥७॥204


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्गर्द वैिर मदावारण चपःपेतापा ंकुरौ।व र्ाः सव र्दृशेकृतागुण चमेम र्ा भूमीत॥८॥ी ी इुमित सतीमितमती देवी महारािज्ञकाजाता मैिथल माराऽिमछकुलात् मोधोसरी जानयाः।दा कलता मधः कृतवती ी िवु सेवा परापाित परायणाच सततं गंगेर सारणी॥९॥शाकेु नवच श ैलधरणी संलिक्षत फाुमािस तरे िसताहिन िशतेप ितीयाया ं ितथौ।भूदेवैव र्र वैिदकेर्ठमयं िनभारय र् सििनिमःत सेुमित सुर िविध ाण िताधात्॥१०॥सोदरपुर सव राजाकापिजविनकृितनः।ी शुभनाय कृितिम र्दं िवज्ञेक्षं सताम ्॥११॥मैिथलीक मानक लेखन-श ैली1. पालक मैिथली भाषा वैज्ञािनक लोकिन ारा बनाओल मानक श ैली आऽ 2.मैिथलीअकादमी, पटना1.पालक मैिथली भाषा वैज्ञािनक लोकिन ारा बनाओल मानक श ैलीमैिथलीमे उारण तथा लेखन१.पमाक्षर आ अार: पमाक्षरात ङ, ञ, ण, न एव ं म अबैत अिछ। संृतभाषाक असार शक अमे जािह वक अक्षर रहैत अिछ ओही वक पमाक्षर205


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्अबैत अिछ। जेना-अ (क वक रहबाक कार अमे ङ् आएल अिछ।)प (च वक रहबाक कार अमे ञ् आएल अिछ।)ख (ट वक रहबाक कार अमे ण ् आएल अिछ।)सि (त वक रहबाक कार अमे न ् आएल अिछ।)ख (प वक रहबाक कार अमे म ् आएल अिछ।)उपयु र् बात मैिथलीमे कम देखल जाइत अिछ। पमाक्षरक बदलामे अिधका ंशजगहपर अारक योग देखल जाइछ। जेना- अंक, पंच, खंड, संिध, खंभआिद। ाकरणिवद पित गोिव झाक कहब छिन जे कव, चव आ टवसँ प ूव र्अार िलखल जाए तथा तव आ पवसँ प ूव र् पमाक्षरे िलखल जाए। जेना-अंक, चंचल, अंडा, अ तथा कन। मुदा िहीक िनकट रहल आधिनक ु लेखक एिहबातकेँ निह मात छिथ। ओलोकिन अ आ कनक जगहपर सेहो अंत आ कं पनिलखैत देखल जाइत छिथ।नवीन पित िकछु सुिवधाजनक अव छैक। िकएक तँ एिहमे समय आ ानक बचतहोइत छैक। मुदा कतोकबेर हलेखन वा मुणमे अारक छोटसन िबु निह भेलासँ अथ र्क अनथ र् होइत सेहो देखल जाइत अिछ। अारक योगमेउारण-दोषक सावना सेहो ततबए देखल जाइत अिछ। एतदथ र् कसँ लऽकऽपवधिर पमाक्षरेक योग करब उिचत अिछ। यसँ लऽकऽ ज्ञधिरक अक्षरक सअारक योग करबामे कतहु को िववाद निह देखल जाइछ।२.ढ आ ढ़ : ढ़क उारण “र ् ह”जका ँ होइत अिछ। अतः जतऽ “र ् ह”क उारणहो ओतऽ मा ढ़ िलखल जाए। आनठाम खािल ढ िलखल जएबाक चाही। जेना-ढ = ढाकी, ढेकी, ढीठ, ढेउआ, ढ, ढेरी, ढाकिन, ढाठ आिद।ढ़ = पढ़◌ाइ, बढ़ब, गढ़ब, मढ़ब, ब ुढ़बा, सा ँढ़, गाढ़, रीढ़, चा ँढ़, सीढ़◌ी, पीढ़◌ी आिद।उपयु र् शसभकेँ देखलासँ ई होइत अिछ जे साधारणतया शक शुमे ढ आम तथा अमे ढ़ अबैत अिछ। इएह िनयम ड आ ड़क सभर् सेहो लाग ू होइतअिछ।३.व आ ब : मैिथलीमे “व”क उारण ब कएल जाइत अिछ, मुदा ओकरा ब पमेनिह िलखल जएबाक चाही। जेना- उारण : बैनाथ, िबा, नब, देबता, िबु, ब ंश,बना आिद। एिहसभक ानपर मशः वैनाथ, िवा, नव, देवता, िवु, व ंश,206


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्वना िलखबाक चाही। सामातया व उारणक लेल ओ योग कएल जाइत अिछ।जेना- ओकील, ओजह आिद।४.य आ ज : कतहु-कतहु “य”क उारण “ज”जका ँ करैत देखल जाइत अिछ, मुदाओकरा ज निह िलखबाक चाही। उारणमे यज्ञ, जिद, जमुना, ज ुग, जाबत, जोगी,जद, ु जम आिद कहल जाएवला शसभकेँ मशः यज्ञ, यिद, यमुना, युग, याबत,योगी, यद, ु यम िलखबाक चाही।५.ए आ य : मैिथलीक वतर्नीमे ए आ य द ुन ू िलखल जाइत अिछ।ाचीन वतर्नी- कएल, जाए, होएत, माए, भाए, गाए आिद।नवीन वतर्नी- कयल, जाय, होयत, माय, भाय, गाय आिद।सामातया शक शुमे ए मा अबैत अिछ। जेना एिह, एना, एकर, एहन आिद।एिह शसभक ानपर यिह, यना, यकर, यहन आिदक योग निह करबाक चाही।यिप मैिथलीभाषी थासिहत िकछु जाितमे शक आरोमे “ए”केँ य किह उारणकएल जाइत अिछ।ए आ “य”क योगक योगक सभर्मे ाची पितक असरण करब उपयु मािनएिह पुकमे ओकरे योग कएल गेल अिछ। िकएक तँ द ुन ूक लेखनमे कोसहजता आ द ुहताक बात निह अिछ। आ मैिथलीक सव र्साधारणक उारण-श ैली यकअपेक्षा एसँ बेसी िनकट छैक। खास कऽ कएल, हएब आिद कितपय शकेँ कैल, हैबआिद पमे कतहु-कतहु िलखल जाएब सेहो “ए”क योगकेँ बेसी समीचीन मािणतकरैत अिछ।६.िह, हु तथा एकार, ओकार : मैिथलीक ाचीन लेखन-पररामे को बातपर बलदैत काल शक पाछा ँ िह, हु लगाओल जाइत छैक। जेना- हुनकिह, अपनहु, ओकरहु,तालिह, चोिह, आनहु आिद। मुदा आधिनक ु लेखनमे िहक ानपर एकार एव ं हुकानपर ओकारक योग करैत देखल जाइत अिछ। जेना- हुनके, अप, ताले,चोे, आ आिद।७.ष तथा ख : मैिथली भाषामे अिधका ंशतः षक उारण ख होइत अिछ। जेना-ष (खड़य), षोडशी (खोड़शी), षट्कोण (खटकोण), व ृषेश (व ृखेश), सोष(सोख) आिद।207


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्८.िन-लोप : िनिलिखत अवामे शसँ िन-लोप भऽ जाइत अिछ:(क)ियायी य अयमे य वा ए लु भऽ जाइत अिछ। ओिहमेसँ पिह अकउारण दीघ र् भऽ जाइत अिछ। ओकर आगा ँ लोप-स ूचक िच वा िवकारी (’ / ऽ)लगाओल जाइछ। जेना-प ूण र् प : पढ़ए (पढ़य) गेलाह, कए (कय) लेल, उठए (उठय) पड़तौक।अप ूण र् प : पढ़’ गेलाह, क’ लेल, उठ’ पड़तौक।पढ़ऽ गेलाह, कऽ लेल, उठऽ पड़तौक।(ख)प ूव र्कािलक कृत आय (आए) यमे य (ए) लु भऽ जाइछ, मुदा लोप-स ूचकिवकारी निह लगाओल जाइछ। जेना-प ूण र् प : खाए (य) गेल, पठाय (ए) देब, नहाए (य) अएलाह।अप ूण र् प : खा गेल, पठा देब, नहा अएलाह।(ग)स्ी य इक उारण ियापद, संज्ञा, ओ िवशेषण तीन ूमे लु भऽ जाइतअिछ। जेना-प ूण र् प : दोसिर मािलिन चिल गेिल।अप ूण र् प : दोसर मािलन चिल गेल।(घ)वतर्मान कृदक अिम त लु भऽ जाइत अिछ। जेना-प ूण र् प : पढ़◌ैत अिछ, बजैत अिछ, गबैत अिछ।अप ूण र् प : पढ़◌ै अिछ, बजै अिछ, गबै अिछ।(ङ)ियापदक अवसान इक, उक, ऐक तथा हीकमे लु भऽ जाइत अिछ। जेना-प ूण र् प: िछयौक, िछयैक, छहीक, छौक, छैक, अिबतैक, होइक।अप ूण र् प : िछयौ, िछयै, छही, छौ, छै, अिबतै, होइ।(च)ियापदीय य , हु तथा हकारक लोप भऽ जाइछ। जेना-प ूण र् प : छि, कहलि, कहलहँ, ु गेलह, निह।अप ूण र् प : छिन, कहलिन, कहलौ, ँ गेलऽ, नइ, निञ, ।९.िन ानारण : को-को र-िन अपना जगहसँ हिटकऽ दोसरठाम चिलजाइत अिछ। खास कऽ इ आ उक समे ई बात लाग ू होइत अिछ।मैिथलीकरण भऽ गेल शक म वा अमे जँ इ वा उ आबए तँ ओकर िनानािरत भऽ एक अक्षर आगा ँ आिब जाइत अिछ। जेना- शिन (शइन), पािन(पाइन), दािल ( दाइल), मािट (माइट), काछु (काउछ), मासु(माउस) आिद। मुदातम शसभमे ई िनयम लाग ू निह होइत अिछ। जेना- रिकेँ रइ आ सुधा ंशुकेँ208


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्सुधाउं स निह कहल जा सकैत अिछ।१०.हल(◌्)क योग : मैिथली भाषामे सामातया हल (◌्)क आवकता निहहोइत अिछ। कारण जे शक अमे अ उारण निह होइत अिछ। मुदा संृतभाषासँ जिहनाक तिहना मैिथलीमे आएल (तम) शसभमे हल योग कएल जाइतअिछ। एिह पोथीमे सामातया सूण र् शकेँ मैिथली भाषासी िनयमअसारहलिवहीन राखल गेल अिछ। मुदा ाकरणसी योजनक लेल अावक ानपरकतहु-कतहु हल देल गेल अिछ। ुत पोथीमे मिथली लेखनक ाचीन आ नवीनद ुन ू श ैलीक सरल आ समीचीन पक्षसभकेँ समेिटकऽ वण र्-िवास कएल गेल अिछ। ानआ समयमे बचतक सिह ह-लेखन तथा तकिनकी दृ िसँ सेहो सरल होबऽवलािहसाबसँ वण र्-िवास िमलाओल गेल अिछ। वतर्मान समयमे मैिथली माभाषीपय र्केँआन भाषाक मामसँ मैिथलीक ज्ञान लेबऽ पड़ि◌रहल पिरमे लेखनमे सहजतातथा एकपतापर ान देल गेल अिछ। तखन मैिथली भाषाक म ूल िवशेषतासभकुित निह होइक, ताहूिदस लेखक-मल सचेत अिछ। िस भाषाशास्ी डा.रामावतार यादवक कहब छिन जे सरलताक असानमे एहन अवा िकहु आबऽदेबाक चाही जे भाषाक िवशेषता छा ँहमे पिड जाए। हमसभ हुनक धारणाकेँ प ूण र्पसँ स लऽ चलबाक यास कएलहँ ु अिछ।पोथीक वणिवास र् कक्षा ९ क पोथीसँ िकछु माामे िभ अिछ। िनरर अयन,असान आ िवेषणक कार ई सुधाराक िभता आएल अिछ। भिवमे आनहुपोथीकेँ पिरमािजर्त करैत मैिथली पापुकक वणिवासमे र् प ूण र्पेण एकपताअनबाक हमरासभक य रहत।कक्षा १० मैिथली लेखन तथा पिरमाजर्न महे मलंिगया/ धीरे मिष र् संयोजन-गशसाद भराईकाशक िशक्षा तथा खेलकूद मालय, पाम िवकास के,सािठमी, भपुरसवािधकार र् पाम िवकास के एव ं जनक िशक्षा सामी के, सािठमी, भपुर।पिहल संरण २०५८ बैशाख (२००२ ई.)योगदान: िशवसाद साल, जगाथ अवा, गोरखबहाद ुर िसंह, गशसाद भराई, डा.रामावतार यादव, डा. राजे िवमल, डा. रामदयाल राकेश, धमे र् िवल, पा धी,नीरज कण, र् रमेश रनभाषा सादन- नीरज कण, र् पा झा2. मैिथली अकादमी, पटना ारा िनधािरत र् मैिथली लेखन-श ैली209


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्1. जे श मैिथली-सािहक ाचीन कालसँ आइ धिर जािह वर्नीमे चिलत अिछ, सेसामातः तािह वर्नीमे िलखल जाय- उदाहरणाथ र्-ाएखनठामजकर,तकरतिनकरअिछअाअखन,अखिन,एखेन,अखनीिठमा,िठना,ठमाजेकर, तेकरितनकर।(वैकिक पेँ ा)ऐछ, अिह, ए।2. िनिलिखत तीन कारक प वैिपकतया अपनाओल जाय:भ गेल, भय गेल वाभए गेल। जा रहल अिछ, जाय रहल अिछ, जाए रहल अिछ। कर’ गेलाह, वाकरय गेलाह वा करए गेलाह।3. ाचीन मैिथलीक ‘’ िनक ानमे ‘न’ िलखल जाय सकैत अिछ यथा कहलिन वाकहलि।4. ‘ऐ’ तथा ‘औ’ ततय िलखल जाय जत’ तः ‘अइ’ तथा ‘अउ’ सदृश उारणइ हो। यथा- देखैत, छलैक, बौआ, छौक इािद।5. मैिथलीक िनिलिखत श एिह पे यु होयत:जैह,सैह,इएह,ओऐह,लैह तथादैह।210


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्6. ह्र् इकारा ंत शमे ‘इ’ के लु करब सामातः अा िथक। यथा- ादेिख आबह, मािलिन गेिल (म मामे)।7. तं ‘ए’ वा ‘य’ ाचीन मैिथलीक उरण आिदमे तँ यथावत राखल जाय,िकं तु आधिनक ु योगमे वैकिक पेँ ‘ए’ वा ‘य’ िलखल जाय। यथा:- कयल वाकएल, अयलाह वा अएलाह, जाय वा जाए इािद।8. उारणमे द ू रक बीच जे ‘य’ िन तः आिब जाइत अिछ तकरा लेखमे ानवैकिक पेँ देल जाय। यथा- धीआ, अढ़◌ैआ, िवआह, वा धीया, अढ़◌ैया, िबयाह।9. सानािसक तं रक ान यथासंभव ‘ञ’ िलखल जाय वा सानािसक र। यथा:-मैञा, किनञा, िकरतिनञा वा मैआ, ँ किनआ, ँ िकरतिनआ ँ।10. कारकक िवभिक्क िनिलिखत प ा:-हाथकेँ , हाथसँ, हाथेँ, हाथक, हाथमे।’मे’ मे अार सव र्था ा िथक। ‘क’ क वैकिक प ‘केर’ राखल जा सकैतअिछ।11. प ूव र्कािलक ियापदक बाद ‘कय’ वा ‘कए’ अय वैकिक पेँ लगाओल जासकैत अिछ। यथा:- देिख कय वा देिख कए।12. मा ँग, भा ँग आिदक ानमे माङ, भाङ इािद िलखल जाय।13. अर् ‘न’ ओ अर् ‘म’ क बदला असार निह िलखल जाय, िकं तु छापाक सुिवधाथ र्अर् ‘ङ’ , ‘ञ’, तथा ‘ण’ क बदला अारो िलखल जा सकैत अिछ। यथा:- अ,वा अंक, अल वा अंचल, क वा कं ठ।14. हलंत िच िनयमतः लगाओल जाय, िकं तु िवभिक संग अकारा ंत योग कएलजाय। यथा:- ीमान, ् िकं तु ीमानक।15. सभ एकल कारक िच शमे सटा क’ िलखल जाय, हटा क’ निह, संयु िवभिकहेतु फराक िलखल जाय, यथा घर परक।211


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्16. अनािसककेँ चिबु ारा कयल जाय। पर ंतु मुणक सुिवधाथ र् िह समानजिटल माा पर अारक योग चिबुक बदला कयल जा सकैत अिछ। यथा-िहँ केर बदला िहं।17. प ूण र् िवराम पासीसँ ( । ) स ू िचत कयल जाय।18. सम पद सटा क’ िलखल जाय, वा हाइफेनसँ जोड़ि◌ क’ , हटा क’ निह।19. िलअ तथा िदअ शमे िबकारी (ऽ) निह लगाओल जाय।20. अंक देवनागरी पमे राखल जाय।21.िकछु िनक लेल नवीन िच बनबाओल जाय। जा' ई निह बनल अिछ ताबत एिहद ुन ू िनक बदला प ूव र्वत् अय/ आय/ अए/ आए/ आओ/ अओ िलखल जाय। आिक ऎ वाऒ सँ कएल जाय।ह./- गोिव झा ११/८/७६ ीका ठाकुर ११/८/७६ सुरे झा "सुमन" ११/०८/७६आब 1.पालक मैिथली भाषा वैज्ञािनक लोकिन ारा बनाओल मानक श ैली आऽ 2.मैिथली अकादमी, पटनाक मानक श ैलीक अयनक उपरा िन िबु सभपर मनन कएिनण र्य क।ा / अा1.होयबला/होबयबला/होमयबला/हेब’बला,हेम’बलाहोयबाक/होएबाक2. आ’/आऽ आ61. भाय भै62. भा ँय63. यावतजावत121. जरेनाइ122. जरओनाइ-जरएनाइ/जरयनाइ123. होइत181. पहु ँिच पहु ँच182. राखलिरखलि183. लगलिलागलि212


ँिव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्3. क’ ले/कऽ ले/कएले/कयले/ल’/लऽ/लय/लए4. भ’ गेल/भऽ गेल/भयगेल/भए गेल5. कर’ गेलाह/करऽगेलह/करए गेलाह/करयगेलाह6. िलअ/िदअिलय’,िदय’,िलअ’,िदय’7. कर’ बला/करऽ बला/करय बला करै बला/क’र’बला8. बला वला9. आङ्ल आ ं10. ायः ायह11. द ुःख द ुख12. चिल गेल चलगेल/चैल गेल13. देलिख देलिक,देलिखन14. देखलि देखलिन/देखलै15. छिथ/ छलि छिथन/छलैन/ छलिन16. चलैत/दैत चलित/दैित17. एख अख18. बढ़ि बढि19. ओ’/ओऽ(सव र्नाम) ओ20. ओ (संयोजक) ओ’/ओऽ21. फािग/फािँफाइ ंग/फाइङ22. जे जे’/जेऽ23. ना-कुर ना-कर24. केलि/कएलि/कयलि25. तखन तँ तखनतँ26. जा’ रहल/जाय64. माय मै65.देि/दएि/दयिदि/दैि66. द’/द ऽ/दए67. ओ(संयोजक) ओऽ(सव र्नाम)68. तका’ कएतकाय तकाए69. पैरे (onf oot ) पएरे70. ताहुमेताहूमे71. पुीक72. बजा कय/कए73. बननाय74. कोला75. िदकािदनका76. ततिहसँ77. गरबओलिगरबेलि78. बालु बाल ू79. चेिच(अशु)80. जे जे’81. से/ केसे’/के’82. एख ुनकाअखका83. भुिमहारभूिमहार84. सुगर स ूगर85. झठहाक124. गड़बेलि/गड़बओलि125. िचखैत-(t otest)िचखइत126.करइयो(willingto do) करैयो127. जेकरा-जकरा128. तकरा-तेकरा129. िबदेसरामे/ िबदेसरेानमे130. करबयलहु ँ/करबएलहु ँ/करबेलह ु131. हािरक(उारण हाइरक)132. ओजन वजन133. आधे भाग/आध-भागे134. िपचा’/िपचाय/िपचाए135. नञ/ 136. बा नञ() िपचा जाय137. तखन (नञ) कहैतअिछ।138. कतेकगोटे/ कताकगोटे139. कमाइ-धमाइ कमाई-धमाई184. सुिन (उारणसुइन)185. अिछ (उारणअइछ)186. एलिथ गेलिथ187. िबतओ िबते188. करबओलि/करेलिख189. करएलि190. आिक िकँिच पहु ँच191. पहु192. जराय/ जराएजरा’ (आिग लगा)193. से से’194. हा ँ मे हा ँ (हा ँमेहा ँ िवभिक्मे हटाकए)195. फेल फैल196.फइल(spaci ous)फैल197. होयति/होएति हेति198. हाथ मिटआयब/हाथ मिटयाबय199. फेका फें का200. देखाए देखा’2<strong>01</strong>. देखाय देखा’202. सिर सर203. साहेब साहब204.गेलै/ गेलि205.हेबाक/ होएबाक206.केलो/ कएलो207. िकछु न िकछु/213


ंंिव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्रहल/जाए रहल27. िनकलय/िनकलए लागलबहराय/बहराए लागलिनकल’/बहरै लागल28. ओतय/जतयजत’/ओत’/जतए/ओतए29. की फूड़ल जे िक फूड़लजे30. जे जे’/जेऽ31. कूिद/यािद(मोन पारब)कूइद/याइद/कूद/याद32. इहो/ओहो33. हँसए/हँसय हँस’34. आिक दस/ िकं वादस/ वा दस35. सासु-ससुर सास-ससुर36. छह/सात छ/छः/सात37. कीकी’/कीऽ(दीघीर्कारामेविजर्त)38. जबाब जवाब39. करएताह/करयताहकरेताह40. दलान िदिश दलान िदश41. गेलाह गएलाह/गयलाह42. िकछु आर िकछु और43. जाइत छल जाितछल/जैत छल44. पहु ँिच/भेिट जाइत छलपहु ँच/भेट जाइत छल45.जबान(युवा)/जवान(फौजी)46. लय/लए क’/कऽ47. ल’/लऽ कय/कए48. एखन/अख अखन/एख49. अही ं केँ अही ँ केँ50. गही ं र गही ँ रझटहाक86. छूिब87. करइयो/ओकरैयो88. पुबािरपुबाइ89. झगड़◌ा-झा ँटी झगड़◌ा-झािटँ90. पएरे-पएरेपैरे-पैरे91. खेलएबाकखेलेबाक92. खेलाएबाक93. लगा’94. होए- हो95. ब ुझल ब ूझल96. ब ूझल(संबोधन अथ र्मे)97. यैह यएह98. ताितल99. अयनाय-अयनाइ100. िन- िन1<strong>01</strong>. िब िबन102. जाए जाइ103. जाइ(i ndi f f er entsense)-l astwor d ofsent ence104. छत परआिब जाइ105. 106. खेलाए(pl ay) –खेलाइ140. लग ल’ग141. खेलाइ(f or playing)142. छिथ छिथन143. होइत होइ144. ो िकयो145. केश(hai r )146. केस( cour t -case)147. बननाइ/बननाय/ बननाए148. जरेनाइ149. कुरसी कुसीर्150. चरचा चचा र्151. कम र् करम152. डुबाबय/डुमाबय153. एख ुनका/अख ुनका154. लय (वाकअितम श)- ल’155. कएलक केलक156. गरमी गमीर्157. बरदी वदीर्158. सुना गेलाहसुना’/सुनाऽ159. एनाइ-गेनाइ160. तेनाघेरलि161. नञ162. डरो ड’रो163. कतहु- कही164. उमिरगर-उमरगर165. भिरगर166. धोल/धोअलिकछु िकछु208.घ ुमेलहु ँ/ घ ुमओलहु ँ209. एलाक/ अएलाक210. अः/ अह211.लय/ लए (अथ र्-पिरवर्न)212.कनीक/ कक213.सबहक/ सभक214.िमलाऽ/ िमला215.कऽ/ क216.जाऽ/जा217.आऽ/ आ218.भऽ/भ’ (’फ◌ॉटक कमीकोतक)219.िनअम/ िनयम220.हेेअर/हेेयर221.पिहल अक्षर ढ/बादक/बीचक ढ◌222.तिहं/तिहँ/ तिञ/तै ं223.किहं/कही224.तँइ/ तइ ँ225.नँइ/नइ ँ/ निञ226.है/ हइ227.छिञ/ छै/छैक/छइ228.दृ िएँ/ दृ ियेँ214


ँिव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्51. धार पार केनाइ धारपार केनाय/केनाए52. जेका ँ जेँ का ँ/जका ँ53. तिहना तेिहना54. एकर अकर55. बिहनउ बहइ56. बिहन बिहिन57. बिहिन-बिहइ बिहन-बहनउ58. निह/59. करबा’/करबाय/करबाए60. त’/त ऽ तय/तए107. िशकाइत-िशकायत108. ढप- ढ़प109. पढ़- पढ110. किनए/किनये किन111. राकस-राकश112. होए/होय होइ113. अउरदा-औरदा114. ब ुझेलि(di f f er entmeani nggotunder st and)115. ब ुझएलि/ब ुझयलि(under st oodhi msel f )116. चिल- चल117. खधाइ-खधाय118. मोनपाड़लिख मोनधोएल167. गप/ग168. के के’169. दरबा/दरबजा170. ठाम171. धिर तक172. घिर ू लौिट173. थोरबेक174. ब175. तोँ/ तू176. तोँिह(पमे ा)177. तोँही/तोँिह178. करबाइएकरबाइये179. एकेटा180. किरतिथकरतिथ229.आ (come)/आऽ(conj unct i on)230. आ(conj unct i on)/आऽ(come)231.कु/ कोपारलिख119. कैक-कएक- कइएक120. लग ल’ग8. Engl i sh Tr ansl at i on of Gaj endr a Thakur ' s (Gaj endr aThakur ( b. 1971) i s t he edi t or of Maithili ejour nal “<strong>Videha</strong>”t hat can be vi ewed at http:// wwwvidehacoin. . . / . Hi s poem,215


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्st or y, novel , r esear ch ar t i cl es, epi c – all in Maithili language arelying scattered and is in print in single volume by the title “KurukShetram.” Hecan be r eached at hi s emai l :ggaj endr a@ ai r t el mai l . i n ) Mai t hi l i Novel Sahasr abadhani bySmt . Jyot i Jha Chaudhar yJyot i Jha Chaudhar y, Dat e of Bi r t h:December 3<strong>01</strong>978, Pl ace of Bi r t h- Bel hvar ( Madhubani Di st r i ct ),Educat i on: Swami Vi vekananda Mi ddl e School , Ti sco SakchiGi r l s Hi gh School , Mrs KMPMInter College, IGNOU , ICWAI( COST ACCOUNTANCY); Res i denc e- LONDON , UK ; Fat her - Sh.Shubhankar Jha, Jamshedpur ; Mot her - Smt . Sudha Jha-Shivipatti. Jyoti r ecei ved edi t or ' s choi ce awar d f r omwwwpoet . r y. com and her poems wer e f eat ur ed i n f r ont pageof wwwpoet . r ysoup. com for some per i od.She l ear nt MithilaPai nt i ng under Ms . Shvet a Jha, Baser a I nst i t ut e,Jamshedpur and Fi ne Ar t s f r om Tool i ka, Sakchi , Jamshedpur( India). Her Mi t hi l a Pai nt i ngs have been di spl ayed byEaling Art Gr oup at Eal i ng Br oadway, London.Sahasr aBar hani : The Comettranslated by Jyoti216


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्We st ayed i n t he vi l l age f or 18 mont hs and when myf at her got t r ansf er r ed t o Pat na t hen I came t o Pat na vi aPahl ej aghat and Mahendr ughat . Ther e was a r ul e ofent r ance t est f or admi ssion in the school.Dad made mybr ot her t o gi ve t est f or admi ssi on i n cl ass seven and hemade me t o gi ve t est f or admi ssi on i n cl ass si x andseven. Now I came t o know why my f at her had i nspi r ed meto learn mat hs of cl ass si x when I was i n cl ass f i ve.Wel l , my br ot her passed t he t est f or cl ass seven andI passed t he t est f or bot h cl ass si x and cl ass seven i nDi st r i ct school . Ther e was r ul e of wear i ng uni f or m f orst udent s even i n t he Gover nment school i n ur ban ar ea. We ,bot h br ot her s went t o shop wi t h my f at her and our schooluni f or ms wer e pr epar ed –one shirt and one pair of half pants for eachof us. On the very first day of school a fight was just to happen as one boytried to tease us. Fi r st he cal l ed us ‘dehati’ (people from rural area,not stylist) but that didn’t made us angry because at that age we were consideringthat word good but now I realise that he had said that with wrong sense. Anywaywhen he found us unaffected then he started calling us ‘Bengali guys’.That was intolerable. We both were looking like very gentle and quiet so he daredto call us so. I couldn’t bare this insult and ran to fight with him but mybrother stopped the fight.Now t hat boy st art ed cryi ng and ran t o cal l someseni or st udent . When he came back he was not cr yi ng andhe t ol d me t hat I was l ucky as t he boy he went t o cal lhad not come t o school t hat day.I remai ned scar ed f or t wo t hr ee days t hi nki ng aboutwhat woul d happen i f t hat boy woul d come with his heroseni or . Af t er a f ew days t he boy quar r el l ed wi t h someoneel se and hi s her o f r i end was pr esent t hat day.He came t oour cl ass and hi t my cl assmat e on hi s st omach.Nobody217


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्saved t hat boy at t hat t i me but af t er t hose boys l ef t wehad deci ded t hat nobody wi l l t al k t o t hat quer ul ous boyand we woul d make a compl ai nt agai nst t hat boy t o ourcl ass t eacher so t hat he coul d f or war d t hat compl ai nt t ot he cl ass t eacher of t hat boy.That quar r el some boybecame wor r i ed and agai n showed hi s cr ooked at t i t ude.Hewent t o hi s seni or f r i end and sai d t hat ever yone wasconspi r i ng agai nst hi m.Then t he seni or boy came and t ol dever y one t o st and up but nobody st ood up.Then he t ol dme t o st and up. I f ol l owed hi s i nst r uct i on and st ood up.He r epeat ed t hat wi t h t hr ee or f our mor e boys and al l oft hem st ood up one by one.Then he i nst r uct ed t he ent i r ecl ass t o st and up. Al l f ol l owed hi m.Then t hat seni or boyst ar t ed t hr eat eni ng us.But our cl ass moni t or act edcour ageousl y t hat t i me . He t ol d hi m about t he naught ybehavi our of hi s f r i end.He gave my r ef er ence and askedhi m whet her I l ooked l i ke a quar r el some boy but hi sf r i end had t eased me t oo.Then t hat seni or boy wasconvi nced and he war ned hi s l i t t l e f r i end not t o r epeatsuch mi schi evous act s.The school days wer e passi ng by so on. Once , a boywhi st l ed t o t ease t he t eacher . That boy had escaped t oBombay t o be a chi l d act or but r et ur ned f r om t her e.Someone once asked hi m why di d he r et ur ned f r om Bombay t henhe r epl i ed t hat peopl e wor ki ng t her e wer e B. A., MA . . so hedeci ded t o compl et e at l east mat r i cul at i on.Now t het eacher had l ef t t eachi ng and st ar t ed i nvest i gat i ng aboutwho t he cul pr i t was.Accor di ng t o t he maj or i t y ofopi ni ons one si de was separ at ed t hen one bench waspoi nt ed now i t was t o be f ound out t hat who was t hat boyamong t hose si x boys si t t i ng on t hat bench.Then aquest i on was r ai sed t hat wher e t he sound was came f rom-218


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्r i ght si de or l ef t si de. At l ast t he t eacher ’s investigationended on two boys. Out of those two boys one was that Bombay returned herowhose st or y of t r i al t o be an ar t i st was f avour i t e t i mepass i n our l ei sur e cl asses. I t coul dn’t be confirmed who thatculprit was among those two.The di ar y was bl ank af t er t hat . Nand had r et ur nedt hat di ar y t o hi s son and t her e was not hi ng t o be ashamedof i n t hat di ar y but Aar uni ’s siblings used to tease him for thatincident. Therefore Aaruni torn his diary one day out of anger and thisautobiography couldn’t be turned as a novel.The mi ssi on of Nand t o f i x di sor gani sat i on was ati t s l ei sur e. Ki ds had stayed in the village for 18 mont hs.Hi s sal ar y was st opped f or t hat per i od.Hi s el der br ot herhelped himto quit the job of field work and find the jobof dr awi ng pr oj ect i n an of f i ce by i nf l uence of apolitician. He also instructed Nand to visit office, takecar e of hi s chi l dr en and est abl i sh har mony wi t h peopl ear ound hi m.Nand was ver y obedi ent t o hi s br ot her when he camet o Pat na. He sought one house near by t he Women’s college inwhich his daughter got admission. For admission of two sons he submitted t her equi r ed f or ms f or ent r ance exami nation with correctinformat i on. He i nvi t ed ever yone t o Pat na.He i nst r uct edhi s nephew t o come wi t h al l . He al so t ol d hi m t o cat chthe steamer of t he Bi har Gover nment at Pahl ej aghat . Hedi dn’t like the private steamer of Bachcha Babu because i t used t obe over cr owded and not ver y schedul ed.On t he ot her handt he Gover nment ’s steamers were very punctual and they were not acceptingexcess passengers. That was the reason why there was a crisis of tickets. One219


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्more advant age i n Gover nment ’s steamers over private steamer was that inthe Government’s stearmers life of each passenger was to be insured by a Bimacompany.Hi s wi f e and chi l dr en r eached wi t h hi s nephew.Nandwas l i vi ng i sol at ed l i f e i n t he Ganga Br i dge Col ony. Hehad al so pr event ed hi s f ami ly to associate withnei ghbour s. But ever y t hi ng was r ever sed i n Pat na.Ther ewer e t hr ee nei ghbour s - one r et i r ed sol di er , onepol i ceman of Bi har Gover nment and one wor ker of Bi harLegi sl at i ve Counci l . Nand had vi si t ed t hr ee of t hem wi t hhi s bot h sons and i nt r oduced hi msel f and hi s sons. Nand’schildren had started going to school. Nand was travelling 5 kilometres on his feetto go to the office and while returning to home he used to do domestic workstoo like buying green veget abl es and ot her gr ocer i es i t ems f romt he weekl y f ai r on each Thur sdays.The f ai r was hel d onSundays t oo and he used t o buy al l househol d t hi ngs byhi msel f . The onl y j ob chi l dr en had t o do was t o st udy.Mi lkman used t o dr op packed mi l k at door . Get t i ng f reshmi lk was disturbing children’s study as they were supposed to bringit from the house of the milkman. His elder son, who used to destroy neighbours’garden by snipping flowers or throwing grabbles to other’s windows in the GangaBridge colony, was turned much disciplined after staying in thevillage for 18 mont hs.Nand r emember ed t hat he had t o got o a nei ghbour ’s house with his elder son and his elder son asked for hisapologise to the lady at whom he had thrown grabbles when she was looking outthrough her wi ndow.When Nand r et ur ned f r om of f i ce t hen hecame t o know about t hat i nci dent and he i mmedi at el y madehi s el der son t o say sor r y.The younger son had hi t ast one t o an el der boy whi l e he was r i di ng t he bi ke.Act ual l y t hat boy had pr omi sed t o st op after compl et i ngone ci r cl e but he di dn’t stop and continued by saying that he wasstopping after completing. He couldn’t convince the younger one to say sorry as in220


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्his opinion he had not done anything wrong. Well those incidents happened in theGanga Bri dge Col ony.When Nand vi si t ed t o hi s nei ghbour sthis time hi s el der son was t ot al l y changed but hi syounger son was l i ke st ubbor n.Bot h sons of Nand wer e secur i ng f i r st posi t i ons i nt hei r cl asses. Li f e was goi ng qui t e smoot hl y at t hat t i me .Al l wor r i es of past days wer e seemed t o be gone.A coupl eof people from the village were also living in Patna.They used t o go f or out i ng on one Sunday each mont h -ei t her t o t hei r vi l l ager s or t o a zoo.Once t hey wer evi si t i ng zoo t hen Aar uni asked Nand “We have come to thezoo, it is written ‘Botanical Garden’ on the board outside and at the gateit is printed as ‘Biological Garden’.“In early days, immigrated birds were exhibited in the Sonepur Mela sopeople starting calling it as a Zoo. The acres of this land have t r easur edmany t r ees and each t r ee has i t s name and bot ani caldescr i pt i on wr i t t en on i t so t hi s gar den i s al so abot ani cal gar den. Lat er on,i t was r eal i sed t hat t her e ar emai nl y t wo par t s of bi ol ogy – one is botany and other is zoology.And in this garden apar t f r om t r ees,bi r ds and ani mals likel i ons, t i ger s et c. ar e al so kept . So peopl e f ound ‘BiologicalGarden’ as the most suited name for this place. Old name boards were notremoved”, Nand replied.Once they were in villagers’ house then the topic ofdiscussi on was i naugur at i on of t he new Br i dge on t heGanges.The i naugur at i on had been post poned f or l ast t wot hr ee year s. They asked Nand, “In your opinion when will this beinaugurated? The Chief Minister had said that the bridge would be inauguratedthis year onl y”.221


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्“It will never be inaugurated. I have been hearing this for two three years.When one pillar is completed, because of excess of sand, it stars cracking aftersome period. Again the pillar is broken and new construction begins”When t hat di scussi on st ar t ed Nand st ar t ed t hi nki ngof t hose l abour er s who f el l down f r om t he br eaki ngpillar.Nand was crossed with his colleagues and thecont r act or of t he pr oj ect . Nand had expr essed hi sdi sagr eement during constructing one pillar and aftersome t i me t hat pillar was cracked.The pillar was triedt o be br oken dur i ng ni ght t i me and when i t was not donet hen a bi g t ent was hung t o cover t he cr ack mar k so t hatno one coul d see t hat . That i nci dent was r emai ned as abi g i ssue f or a l ong t i me . The wor ker s wor ki ng i n t hatpr oj ect st ar t ed r espect i ng Nand a l ot af t er t hat i nci dentbut at t he same t i me Nand had become a vi l l ai n f orcont r act or s and hi s col l eague engi neer s.Ever yt hi ng was good i n t hose days. Nand’s sons used tofinish learning all maths and science of t he new cl ass f r om Januar yto Mar ch.But si nce Nand was doi ng al l wor ks by hi msel fhi s chi l dr en wer e t ot al l y unawar e of t he wor l d out si de.They onl y knew t he pat h bet ween home and t he school .Wher e ever t hey wer e goi ng out t hey wer e goi ng wi t h t hei rf at her so t hei r per sonal i t i es wer e devel oped i n di f f er entway . Nand was l eadi ng a nor mal l i f e but any di scussi onabout t he Ganges Br i dge pr oj ect was enough r eason t odi st ur b hi m.Ther ef or e he st ar t ed avoi di ng hi s f r i ends byand by and at l ast he nei t her was vi si t i ng any one’s housenor does he has any friend. There was a Japan made transistor of medium waveavailable in the market in those days. That was the only source of entertainmentin Nand’s house. His children used to call it radio then Nand used to clari fyt hat r adi o was ver y bi gger machi ne i n r espect of222


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्transistor.When nand had st ar t ed ear ni ng he bought at r ansi st or of t he Bush company and t ook t hat t o t hevillage. The villagers had crowded to hear that.ThatJapanese r adi o was consumi ng battery too fast . Thebat t er i es used t o be f i ni shed t i l l 10 th day of a mont hand t hose wer e bought once i n a mont h wi t h t he gr ocer y.So t hat sour ce of ent er t ai nment was not wor ki ng f or r estof t went y days of a mont h. Dur i ng t hose days Nand’s sons usedto play vivid games.Bot h boys used t o make t wo goal post s att wo ends of t he bed.The goal post s wer e made by j oi ni ngt wo pl ast i c t oys.Those t oys wer e gi f t ed t o t hem bysomeone i n t he Ganga Br i dge Col ony.They wer e usi ng combsto kick the balls and the plastic made l et t ers used t o bebal l s.The chal l enge was t o make goal by hi t t i ng t he bal lf r om opposi t e goal post i n one st r oke.The r ul es of t hegame wer e al so di f f er ent . I n t hat way Nand’s sons were creatingmany new games.The days wer e passi ng by i n t hat way . The out i ng wasmi nimal . Two i nci dent s happened af t er t hat . The f i r st wasi naugur at i on of t he Ganges Br i dge and t he ot her was t hatNand’s both sons couldn’t secure first positions in their classes for the first time.After that Nand was somehow upset. However, those t wo i nci dent s wer enot i nt er -related.Since Nand was not justified by thesyst em of t he Gover nment and hi s sons wer e not got t hef i r st posi t i ons, Nand was di sappoi nt ed. Nand’s blind faith in thealmighty and omnipresent God was again strengthened. Every inci dent hasi t s r eason and when t he r eason i s not vi si bl e t henpeopl e’s attraction for the invisible God becomes stronger. And Nand used to bevery t hei st f r om hi s chi l dhood.223


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्“Is Nand at home?” an elderly man having black teeth because ofchewing paan too much,dar k compl exi on and t hi n body askedaf t er knocki ng t he gr i l l of Nand’s house.“No, he has not yet returned from the office. He must be coming verysoon. Come in please”, Nand’s son told.“I am coming after some time”, that man replied.After some t i me Nand r et ur ned i n hi s usual manner ofwi t hout not i ci ng hi s sur r oundi ng j ust hoppi ng t owar ds t hehome. That man came f ol l owi ng hi m.As soon as Nand saw hi mhe gr eet ed- “Oh! Shobha Babu! You’re seen after a long time.”“You recognised me”, said that man.In r et ur n Nand satdown and st ar t ed cr yi ng, “You crazyman, you are still a mad.” Shobha Babu was pleased at heart to get such respect.Shobha Babu was f r om t he Kachabi vi l l age.He wasyounger br ot her of husband of Nand’s eldest sister. Nand’s sister wasdead.Daugher of hi s si st er was l i vi ng wi t h t hem but sheal so di ed af t er suf f er i ng f r om t he deadl y pai n i nst omach. Hi s br ot her -i n-l aw was used t o r i de hor se t ocol l ect t axes. But af t er deat h of t he daught er of Nand’ssister his relation with his brother-in-law was al so weakened wi t houtany i nt ent i on.And suddenl y Shobha Babu met hi m i n Pat naafter 25 years.“How is my brother-in-law? We told him a lot for re-marriage but hewas not convinced.”“Those old royal days are gone now. With the end of jamindari thest at us of t he f ami l y had al so di mi nished.But the habitof l eadi ng l uxur i ous l i f e was st i l l exi st ed.How l ong canone sur vi ve by sel l i ng l ands and pr oper t i es?Peopl e224


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्st ar t ed movi ng t owar ds t owns t o ear n.We t ol d hi m t hatyou ar e t he el dest one. You ar e habi t uat ed t o l i ve i nl uxur y so you cannot l abour . We won’t feet it dignified.”Shobha Babu st opped speaki ng by maki ng an excuse ofchewi ng paan.But t he f act was t hat hi s eyes and t hr oatwer e unabl e t o hi de hi s gr i ef . Af t er t aki ng a br eak herestarted,“Af ter telling this to my br ot her I l ef t home wi t hsome chur a and j i gger y wi t hout aski ng f or hi s per mi ssi on.I went t o Si mar i ya Ghat and had a bat h i n t he hol y r i verGanges t hen cr ossed t he r i ver by a boat and f i nal l yr eached Pat na. I wor ked i n a t ea st al l f or some days.Peopl e f r om our r egi on wer e not i n such a l ar ge number i nt hose days and I was al so young.I cont i nued my workt her e f or many year s.Meanwhi l e many r umour s about mewere spread in my vi l l age l i ke I was dead or I became apr i est et c. Then I st ar t ed my own tea stall after what Isent a post car d t o my f ami l y.I have been r unni ng my ownt ea st al l near B. N. Col l egi at e School f or l ast f i ve year s.I have al so st ar t ed a paan st al l near t hat ”, narrated ShobhaBabu.“Shobha babu! All your teeth are broken.”“I got addiction of tea while working in tea stall. But that was not aproblem. When I started a paan shop then I started chewing cold paan afterhaving a cup of hot tea. This sequence of hot and cold damaged my teeth.”Bot h of t hem st ar t ed l aughi ng at t hat .Agai n t hey st ar t ed chat t i ng. Si st er -i n-l aw of Shobhababu di ed ot her wi se t he r el at i onshi p bet ween Mehat h andKachabi vi l l ages woul d be war m now.Al l mi sf or t unes came225


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्t oget her . Nand r ecal l ed t hat hi s ni ece ( daught er of hi ssi st er ) was pl ayi ng so ni cel y.Suddenl y hi s mot her t ol dt hat someone of some f ami l y had t ouched hi s ni ece’s stomachand she started feeling strange pain in her stomach just after that. Even if manyremedies were tried but that strange pain lead to her mysterious death.“If your niece was live then relation would be alivetoo”, said Shobha Babu.But Nand was lost in some ot her wor l d.He wast hi nki ng about t he l i f e of hi s choi ce.That f ami ly lifehe was l eadi ng at t hat t i me , buyi ng gr ocer i es,wor r yi ngabout chi l dr en’s results, all those things were just a way toobey hi s el der br ot her .The new br i dge on t he Ganges was i naugur at ed and hi ssons had not got f i r st r anks i n t hei r cl asses.Hi sdaught er had opt ed f or Sci ence i . e. Bi ol ogy i n Gr aduat i on.Ther e was no connect i on bet ween t he i naugur at i on ofbr i dge and degr adat i on of hi s sons i n st udy but i n Nand’sopinion children’s progress or retardation is reflection of their parents’ good or baddeeds respectively. He considered his failure in stopping the corruption in theconstruction of the br i dge and ear ni ng t o t ake car e of hi sfami l y t o f ol l ow hi s el der br ot her ’s instruction in stead of fightingagainst the corruption as reasons behind his sons’ degradation.Meanwhi l e chi l dr enNand asked him whet her he came t hr ough t he new br i dge orcr ossed t he r i ver by a st eamer ., ’s uncle and Nand’s elder brother arrived Patna.“I came by streamer because I was unaware of the fact that the bridge wasopened for public use. I will go through that while returning home as I came toknow that many deluxe coaches ar e avai l abl e t o cr oss t hebr i dge”, replied Nand’s brother.226


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्“No, don’t go through that bridge. There are many corruptions done to makethat bridge. Any time it may collapse.”The el der br ot her coul dn’t understand what happened to Nand.“Are you ok? How i s your heal t h?I s your pr obl em ofast hma i n cont rol ?” asked the elder brother as both brothers weresuffering from asthma.“No, that is fine. I tried my level best to forget the past, whateverhappened during construction of that bridge, according to your or der . I haveseen many wor ker s f al l i ng f r om t he col l apsi ng pi l l ar s.Hundr eds of wor ker s di ed.The engi neer s ear ned a l ot bycor r upt i on.Now when t he br i dge was i naugur at ed t hen l i stof onl y 17 wor ker s’ names are sculptured on the stone and kept nearbr i dge and t he engi neer s wer e r ewar ded.Thi s br i dge canf al l down anyt i me.When I t r i ed st r uggl i ng agai nst t hecor r upt i on t hen t hey r et ai ned my sal ary.Every t i me I gottransferred my sal ar y i s r et ai ned and I have t o l eave myfami l y. Fol l owi ng your i nst r uct i on I accept ed t hi st r ansf er . I t r i ed t o f or get ever yt hi ng,t he f al l i ng bodi esof wor ker s i nt o wat er , cr yi ng f ami l i es of t hose wor ker s.Iwas havi ng ni ght mar es of such i nci dent s.And nowdegr adat i on i n t he r esul t s of my t hr ee chi l dr en;t heyused t o get t he f i r st posi t i ons but now condi t i on i schanged. Thi s i s r esul t of my own deed. I shoul dn’t have leftmy struggle without completion”, said Nand.“Are you mad? People who had done corruption they will have to payone day. You did your duty at your utmost. Who doesn’t take care of hisfamily? Neglecting own children because of other’s fault is not wise. What isfault of your children?” said Nand’s brother.Agai n bot h st ar t ed t al ki ng about t he vi l l age Nand .used t o be l ost i n some ot her t hought s whi l e227


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्conver sat i on.The el der br ot her under st ood t hat t he st or mi n Nand’s brain was not going to stop. He kept on consoling Nand. But hehad known Nand from his childhood. He knew that Nand is very stubborn. So hewas scared. He was not talking to Nand’s wife directly but he t ol d hert hat ever yt hi ng was dependent on her .Nand went t o dr op hi s el der br ot her t o t he st eamerat Mahendr ughat because he coul dn’t trust his brother. He suspectedthat his brother could go through the bridge without telling him and the bridgemight col l apse anyt i me.Af t er t hat Nand st ar t ed l ear i ng ast r ol ogy.He and hi schi l dr en st ar t ed wear i ng var i et y of st ones i n r i ngs.Oneday, he bout h Hanumaan chal i sa f or ever y one at home.Hekept f i ve t o t en books ext r a i n st ock and st ar t ed gi vi ngt o vi si t or s. Dur i ng t hat t i me Nand met a f ake t ant r i k.Hecaught Nand’s psychology so nicely that Nand accepted him as a prophet. Thatpriest had all solutions to Nand’s problems- like how to punish the corruptedpeople, how to improve children’s result and many more. The basi s ofsol ut i on was mant r a and t ant r a on whi ch Nand never haddi sbel i ef .That pr i est st ar t ed aski ng f or money f or doi ng al lneedf ul r i t ual s.That pr i est t ol d Nand t hat t he goddesst ol d hi m i n hi s dr eams t hat ever yt hi ng woul d be f i ne i nnext mont h. He t aught hi m some yoga post ur es and Nandst ar t ed f ol l owi ng hi s i nst r uct i ons l i ke a st udentfollowed his teacher’s instructions. Nand tried that for the entire monthbut nothing happened. In that way a year passed. Meanwhile that priest had somefinancial pr obl em and Nand had t o bear hi s per sonal expensest oo. That pr i est ’s children also started tantra. Once a child said, ‘theGoddess is under the bed’ and Nand started looking underneath the bed to findthe Goddess. Again the priest gave proposal of marriages of hi s son andhi s daught er wi t h Nand’s nephew and Nand’s son. Nand was fed up of228


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्his diverted behaviour till then. Nand was happy to be associated with him but henever liked his children to be associated in that circumstances. At the same timewhen Nand’s villagers came to know about that then Nand’s nephew and Nand’selder brother quarrelled with the priest and the priest had accepted the fact that hewas not a real tantric. He promised to return the money he took from Nand buthe never returned that.That i nci dent was a bi d shock f or Nand.He waspassi ng by t he pr i est ’s house but he was not talking to him and thepriest was also not taking any initiative. Nand’s daughter got married and againNand started leading a lonely aimless life.( cont i nued)महत्प ूण र् स ूचना (१):महत्प ूण र् स ूचना: ीमान ् निचकेताजीक नाटक " एंी: मा िवश"केर 'िवदेह' मे ई-कािशत प देिख कए एकर िंट पमे काशनक लेल'िवदेह' केर समक्ष "ुित काशन" केर ाव आयल छल। ी निचकेता जी एकरिंट प करबाक ीकृित दए देलि। िंट प हाडर्बाउड (I SBN NO978 . -81-907729-0-7 म ू .१२५/- य.एस. ू ड◌ॉलर ४०) आऽ पेपरबैक ( ISBNNo . 978-81-907729-1-4 म ू . ७५/- य ूएस.ड◌ॉलर २५/-) मे ुित काशन,१/७, ितीय तल, पटेल नगर (प.) नई िदी-११०००८ ारा छापल गेल अिछ। e-mai l : shruti. publication@ shruti-publ i cat i on. com webs i t e:http:// wwwshruti . -publ i cat i on.comमहत्प ूण र् स ूचना:(२) 'िवदेह' ारा कएल गेल शोधक आधार पर १.मैिथली-अंजीश कोश २.अंजी-मैिथली श कोश आऽ ३.िमिथलाक्षरसँ देवनागरी पाुिलिपिलारण-पी-ब डाटाबेश ुित पिब्लकेशन ारा िट फ◌ॉम र्मे कािशतकरबाक आह ीकार कए लेल गेल अिछ। पुक-ािक िविधक आऽ पोथीक म ूकस ूचना एिह प ृ पर शी देल जायत।१.मैिथली-अंजी शकोश, २.अंजी-मैिथली229


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्शकोश आऽ ३.पी-ब (िडिजटल इमेिजंग आऽ िमिथलाक्षरसँ देवनागरीिला ंतरण) (तीन ू पोथीक संकलन-सादन-िला ंतरण गजे ठाकुर, नागे कुमारझा एव ं पीकार िवान झा ारा)महत्प ूण र् स ूचना:(३) 'िवदेह' ारा धारावािहक पे ई-कािशत कएल जा' रहलगजे ठाकुरक 'सहबाढ़िन'(उपास), 'ग-गु'(कथा संह) , 'भालसिर' (पसंह), 'बालाना ं कृते', 'एकाी संह', 'महाभारत' 'ब ु चिरत' (महाका)आऽ 'यााव ृा ंत' िवदेहमे संप ूण र् ई-काशनक बाद िंट फ◌ॉम र्मे - कुम ्–अम र्नक, ख-१ आऽ २ (लेखकक िछड़ि◌आयल प, उपास, ग-कथा, नाटक-एकाी, बालाना ं कृते,महाका, शोध-िनब आिदक सम संकलन)- गजे ठाकुरमहत्प ूण र् स ूचना (४): "िवदेह" केर २५म अंक १ जनवरी २००९, ई-कािशत तँहोएबे करत, संगमे एकर िंट संरण सेहो िनकलत जािहमे पुरान २४ अंकक चुनलरचना सििलत कएल जाएत।अंितका काशन की नवीनतम पुकेंसिजमीिडया, समाज, राजनीित औरइितहासिडज◌◌ार : मीिडया एप◌ॉिलिट: पु स ून वाजपेयी2008 म ू . 200.00राजनीित मेरी जान : पु स ूनवाजपेयी काशन वष र् 2008 म ू.300.00पालकालीन संृित : म ंज ु कुमारीकाशन वष र् 2008 म ू .पेपरबैक संरणउपासमोनालीसा हँस रही थी : अशोकभौिमक काशन वष र् 2008 म ू.100.00कहानी-संहरेल की बात : हिरमोहन झाकाशन वष र् 2007 म ू .70.00छिछया भर छाछ : महेश कटारेकाशन वष र् 2008 म ू .230


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्225.00स्ी : संघष र् और स ृजन : ीधरमकाशन वष र् 2008 म ू .200.00अथ िनषाद कथा : भवदेव पाेयकाशन वष र् 2007 म ू .180.00उपासमोनालीसा हँस रही थी : अशोकभौिमक काशन वष र् 2008 म ू .200.00कहानी-संहरेल की बात : हिरमोहन झा काशनवष र् 2008 म ू .125.00छिछया भर छाछ : महेश कटारेकाशन वष र् 2008 म ू .200.00कोहरे में कं दील : अवधेश ीतकाशन वष र् 2008 म ू .200.00शहर की आिखरी िचिडय◌◌ा : काशका काशन वष र् 2008 म ू .200.00पीले कागज◌ की उजली इबारत :कैलाश बनवासी काशन वष र् 2008म ू . 200.00नाच के बाहर : गौरीनाथ काशनवष र् 2008 म ू . 200.0<strong>01</strong>00.00कोहरे में कं दील : अवधेश ीतकाशन वष र् 2008 म ू .100.00शहर की आिखरी िचिडय◌◌ा : काशका काशन वष र् 2008 म ू .100.00पीले कागज◌ की उजली इबारत :कैलाश बनवासी काशन वष र् 2008म ू . 100.00नाच के बाहर : गौरीनाथ काशनवष र् 2007 म ू . 100.00आइस-पाइस : अशोक भौिमककाशन वष र् 2008 म ू .90.00कुछ भी तो मानी नही ं : मनीषाकुल काशन वष र् 2008 म ू. 100.00भेम का भे मा ँगता कुाड◌◌ीईमान : सनारायण पटेल काशनवष र् 2007 म ू . 90.00शी काआलोचनाइितहास : संयोग और साथ र्कता :सुरे चौधरीसंपादक : उदयश ंकरिहंदी कहानी : रचना और पिरिित :231


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्आइस-पाइस : अशोक भौिमककाशन वष र् 2008 म ू .180.00कुछ भी तो मानी नही ं : मनीषाकुल काशन वष र् 2008 म ू .200.00बडक◌◌ू चाचा : सुनीता जैन काशनवष र् 2008 म ू . 195.00भेम का भे मा ँगता कुाड◌◌ीईमान : सनारायण पटेल काशनवष र् 2008 म ू . 200.00किवता-संहसुरे चौधरीसंपादक : उदयश ंकरसाधारण की ितज्ञा : अंधेरे सेसाक्षाार : सुरे चौधरीसंपादक : उदयश ंकरबादल सरकार : जीवन और र ंगम ंच: अशोक भौिमकबालकृ भट्ïट और आधिनक ु िहंदीआलोचना का आर ंभ : अिभषेकरौशनसामािजक िचंतनया : श ैलेय काशन वष र् 2008 म ू. 160.00जीना चाहता हूँ : भोलानाथ कुशवाहाकाशन वष र् 2008 म ू .300.00कब लौटेगा नदी के उस पार गयाआदमी : भोलानाथ कुशवाहा काशनवष र् 2007 म ू . 225.00लाल िरन का फुलबा : सुनीता जैनकाशन वष र् 2007 म ू .190.00ल ूओं के बेहाल िद ं में : सुनीताजैन काशन वष र् 2008 म ू .195.00फैंटेसी : सुनीता जैन काशन वष र्िकसान और िकसानी : अिनलचमिडय◌◌ािशक्षक की डायरी : योगेउपासमाइोोप : राजे कुमारकिजयाप ृीपु : लिलत अवाद :महाकाशमोड◌ पर : ध ूमकेतु अवाद :णा र्मोलाज◌ : िपयैर ला म ूर अवाद: सुनीता जैन232


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्2008 म ू . 190.00द:खमय ु अराकच : ाम चैतकाशन वष र् 2008 म ू .190.00कुआर्न किवताएँ : मज कुमारीवाव काशन वष र् 2008 म ू .150.00मैिथली पोथीिवकास ओ अथ र्तं (िवचार) : नरेझा काशन वष र् 2008 म ू ..250 00संग समय के (किवता-संह) :महाकाश काशन वष र् 2007 म ू. 100.00एक टा हेरायल दिनया ु (किवता-संह): कृमोहन झा काशन वष र् 2008.दकचल देबाल (कथा-संह) : बलरामम ू . 60 00काशन वष र् 2000 म ू . 40.00स (कथा-संह) : मार मजकाशन वष र् 2007 म ू .165.00पुक म ंगवा के िलए मनीआडर्र/चेक/ ाफ्ट अंितका काशन के नामसे भेजें । िदी से बाहर के एटपार बै ंिकं ग (at par banki ng)चेक के अलावा अ चेक एक हजारसे कम का न भेजें । .200/-से ादा की पुको ं पर डाक खच र्हमारा वहन करेंगे। .300/- से.500/- तक की पुको ं पर10% की छूट, .500/- से ऊपर.1000/- तक 15% और उससेकहानी-संहधँधली ू यादें और िससकते ज◌ख्म :िनसार अहमदजगधर की म कथा : हिरओमएक साथ िही, मैिथली में सियआपका काशनअंितका काशनसी-56/य ूजीएफ-4, शालीमार गाडर्न,एकसटे ंशन-I Iगािजयाबाद-2<strong>01</strong>005 (उ..)फोन : <strong>01</strong>20-6475212मोबाइल नं.9868380797,9891245023ई-मेल:ant i ka1999@ yahoo. co. i n,ant i ka. pr akashan@ ant i ka-pr akashan.comht t p:// wwwant . i ka-pr akashan.com(िवज्ञापन)233


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्ादा की िकताबों पर 20% की छूटिगत खरीद पर दी जाएगी ।अंित का , मैिथली ैमा िस क ,सादक- अनलकांतअंितका काशन,सी-56/य ूजीएफ-4,शालीमारगाडर्न, एकसटे ंशन-II,गािजयाबाद-2<strong>01</strong>005(उ..),फोन : <strong>01</strong>20-6475212,मोबाइलनं.9868380797, 9891245023,आजीवन सदता शु भा..2100/-चेक/ ाफ्ट ारा “अंितका काशन”क नाम सँ पठाऊ। िदीक बाहरकचेक मे भा.. 30/- अितिरजोड◌◌ू।बया, िह ी छमाही पिका,सादक- गौरीनाथसंपकर्- अंितका काशन,सी-56/य ूजीएफ-4, शालीमारगाडर्न,एकसटे ंशन-I I,गािजयाबाद-2<strong>01</strong>005(उ..),फोन : <strong>01</strong>20-6475212,मोबाइलनं.9868380797, 9891245023,आजीवन सदता शु .5000/-चेक/ ाफ्ट/ मनीआडर्र ारा “अंितका काशन ” के नाम भेजें ।िदी से बाहर के चेक में 30234


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्पया अितिर जोड◌◌े◌ं।ुित काशनसँ१.पंचदेवोपासना-भूिम िमिथला-मौन२.मैिथली भाषा-सािह (२०म शताी)-मश ंकर िसंह३.गुंजन जीक राधा (ग-प-जब ुलीिमित)- गंगेश गुंजन७.हम पुछैत छी (प-संह)- िवनीतउल८. एी: मा िवश- ड◌ॉ. उदयनारायण िसंह “निचकेता”९/१०/११ १.मैिथली-अंजी शकोश,२.अंजी-मैिथली शकोश आऽ ३.पी-ब (िडिजटल इमेिजंग आऽिमिथलाक्षरसँ देवनागरी िला ंतरण) (तीन ूपोथीक संकलन-सादन-िला ंतरण४.बत-िबगड़◌ैत (कथा-ग संह)-गजे ठाकुर, नागे कुमारसुभाषच यादव५.कुम ्–अम र्नक, ख-१ आऽ २(लेखकक िछड़ि◌आयल प, उपास,ग-कथा, नाटक-एकाी, बालाना ं कृते,महाका, शोध-िनब आिदक समसंकलन)- गजे ठाकुर६.िवलित कइक युगमे िनब (प-संह)- पंकज पराशरझा एव ं पीकार िवान झाारा)ुित काशन, रिजडर् ऑिफस:एच.१/३१, ितीय तल, सेर-६३,एडा (य.पी.), ू क◌ॉरपोरेट सह संपकर्काया र्लय- १/७, ितीय तल, प ूवीर् पटेलनगर, िदी-११०००८. द ूरभाष-(०११)२५८८९६५६-५७ फै-(०११)२५८८९६५८Websi t e: http:// wwwshruti . -235


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्publ i cat i on.come-mai l :shr ut i . publ i cat i on@ shr ut i -publ i cat i on.com(िवज्ञापन(c)२००८. सवािधकार र् लेखकाधीन आ’ जतय लेखकक नाम निह अिछ ततय संपादकाधीन।िवदेह (पािक्षक) संपादक- गजे ठाकुर। एतय कािशत रचना सभक क◌ॉपीराइटलेखक लोकिनक लगमे रहति, मा एकर थम काशनक/ आका र्इवक/ अंजी-संृत अवादक ई-काशन/ आका र्इवक अिधकार एिह ई पिकाकेँ छैक। रचनाकारअपन मौिलक आऽ अकािशत रचना (जकर मौिलकताक संप ूण र् उरदािय लेखक गणकम छि) ggaj endr a@ yahoo. co. i n आिक ggaj endr a@ vi deha. com केँमेल अटैचमेक पमेँ . doc, . docx, . r t f वा . txt फ◌ॉमे र्टमे पठा सकैतछिथ। रचनाक संग रचनाकार अपन संिक्ष पिरचय आ’ अपन ैन कएल गेल फोटोपठेताह, से आशा करैत छी। रचनाक अंतमे टाइप रहय, जे ई रचना मौिलकअिछ, आऽ पिहल काशनक हेतु िवदेह (पािक्षक) ई पिकाकेँ देल जा रहल अिछ।मेल ा होयबाक बाद यथासंभव शी ( सात िदनक भीतर) एकर काशनक अंककस ूचना देल जायत। एिह ई पिकाकेँ ीमित ली ठाकुर ारा मासक 1 आ’ 15ितिथकेँ ई कािशत कएल जाइत अिछ।(c) 2008 सवािधकार र् सुरिक्षत। िवदेहमे236


िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्कािशत सभटा रचना आ' आका र्इवक सवािधकार र् रचनाकार आ' संहका र्क लगमेछि। रचनाक अवाद आ' पुनः काशन िकं वा आका र्इवक उपयोगक अिधकारिकनबाक हेतु ggaj endr a@ vi deha. co. i n पर संपकर् क। एिह साइटकेँ ीितझा ठाकुर, मध ू िलका चौधरी आ' रि िया ारा िडजाइन कएल गेल।िसिरु237

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