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Videha_01_01_2009_Tirhuta

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िव दे ह िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহ िवदेह थम मैिथली ािक्षक ई िका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वषर् २मास १३ अंक २५) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्आवाज अबै- 'क, मी केँ बजा देबै ?’ई सुिनते खौ ंझ आ तामस सँ जी जिर जाय ।खौ ंझ आ तामस खाली ओही लड़कीकफोनसँ होइत हो, से बात निह। तामस सब पर होइ जे ककरो बजा देबालेल फोन करै । ओ तऽ कहुना लड़िकए रहय । फोन जँ लड़की आ जनीजाितकहो तऽ मरद-पुखक रवैया ओहुना क लरम आ मोलायम होइत छै ।जिहया पिहल बेर ओकर फोन आयल रहै तऽ हम पुछ रिहअइ- 'अहा ँ के छी ?’हमर मतलब ओकर नामसँ रहय । लेिकन ओ अपन नाम निह बतेलक । बाजल-'हम नया बजारसँ बािज रहल छी । खाली एतबे कहला सँ ओ बिझ ू जेतै ।’'फो पर रहब आिक फेर करब ?'-हम अनमनायल जका ँ पुछिलऐ ।'पा ँच िमनटमे फेर करै छी ।' –किह कऽ ओ फोन रािख देलक ।हम मन मािर कऽ ओिह कोठली गेलहु ँ, जकर िखड़की सँ मीक कोठली देखाइत रहै। ओकर मकान हमर मकानक पंजरामे रहै । 'मी ! रे, मी !' हम द ू-तीनबेर जोर सँ हाक देिलऐ । ओ कोठलीसँ बाहर िनकलल तऽ कहिलऐ- 'नया बजारसँफोन छौ ।’ ओ हमर घर िदस आबय लागल । आब या तऽ ओ छहरदेवाली फािनकऽ चोे चल आयत या क आगा ँ बढ़ि◌ कऽ िबना फान भीतर चल आयत िकऐतऽ ओिहठाम छहरदेवालीक ऊँ चाइ भिरए ठे ंगहुन छै ।ओ घर ढुिकते रहय िक फोनक घंटी बजऽ लगलै । फोन सुनऽ लेल बाहर सँ ोअबै तऽ हम ओिह कोठलीसँ िनकिल जाइ । आन लोकक फोन स ूनब या ओकरा परपहरेदारी करब हमरा िश आचरण निह ब ुझाइत रहय । कोठलीसँ बाहर िनकलैत आघरक भीतर एर सँ ओर जाइत-अबैत जे सुनबा मे आयल तािह सँ ई ब ुझायलजे मी सा ँझ खन ओिह लड़कीसँ भेंट करतै । ओ लड़की के छलै आ मी सँओकरा कोन काज छलै, से जनबाक इा तऽ ब रहय, मगर मी सँ ई सब प ूछबमोसिकल छलै । ओ अठारह-बीस सालक जवान रहय आ हम ओकर बापक उमेर के। ओहुना ओ घ ुा भावक लड़का रहै । ओ इ ंटरक िवाथीर् छलै, लेिकन पढ़ ाइमेओकर मन निह लगै । ओ टी.भी. देखय, गाना सुनय, िकेट खेलय आ दोस-मिहमसँ ग लड़◌ाबय ।निह जािन ओिह िदन सा ँझकेँ मी ओिह लड़की सँ भेंट केलकै िक निह; लेिकन द ुइए-चािर िदनक बाद लड़की फेर फोन केलकै । वएह पुरान आह । बाजक ओहढंग । क संकोच, क घबराहट आ क डर । बेर-बेर पुछलो पर तऽ ओअपन नाम बतेलकैआ काम । तखन एतबा जर कहलकै जे ओ मीक मामा11

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