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क्तवशेषज्ञो के अन सार अक्तनद्रा का रोगी शाम को दोनों नथ नो में गाय के घी की दो – दो बूुंद डाले और रात को<br />

नाक्तभ और पैर के तल ओुं में गौघृत लगाकर लेट जाये तो उसे प्रगाढ़ क्तनद्रा आ जायेगी ।<br />

गौघृत में मन ष्र्: शरीर में पहुुंर्े रेक्तडयोिमी क्तवक्तकरर् का द ष्प्रभाव नि करने की असीम क्षमता हैं । अक्तनन में<br />

गाय का घी क्तक आहुक्तत देने से उसका ि आाँ जहााँ तक फै लता है,वहााँ तक का सारा वातावरर् प्रदूषर् और<br />

आक्तण्वक क्तवकरर्ों से म ि हो जाता हैं । सबसे आियचजनक बात तो यह है क्तक एक र्म्मर् गौघृत को अक्तनन<br />

में डालने से एक टन प्रार् वाय डऑक्सीजन) बनती हैं जो अन्य क्तकसी भी उपाय से सुंभव नहीं हैं |<br />

देसी गाय के घी को रसायन कहा गया है। जो जवानी को कायम रखते हुए, ब ढ़ापे को दूर रखता है।<br />

काली गाय का घी खाने से बूढ़ा व्यक्ति भी जवान जैसा हो जाता है।गाय के घी में स्वर्च छार पाए जाते हैं<br />

क्तजसमे अदभ त औषक्तिय ग र् होते है, जो की गाय के घी के इलावा अन्य घी में नहीं क्तमलते । गाय के घी से<br />

बेहतर कोई दूसरी र्ीज नहीं है। गाय के घी में वैक्सीन एक्तसड, ब्यूक्तरक एक्तसड, बीटा-कै रोटीन जैसे माइक्रोन्यूरी<br />

मौजूद होते हैं। क्तजस के सेवन करने से कैं सर जैसी गुंभीर बीमारी से बर्ा जा सकता है। गाय के घी से उत्पन्न<br />

शरीर के माइक्रोन्यूरी में कैं सर य ि तत्वों से लड़ने की क्षमता होती है।यक्तद आप गाय के 10 ग्राम घी से हवन<br />

अन ष्ठान डयज्ञ,) करते हैं तो इसके पररर्ाम स्वरूप वातावरर् में लगभग 1 टन ताजा ऑक्सीजन का उत्पादन<br />

कर सकते हैं। यही कारर् है क्तक मुंक्तदरों में गाय के घी का दीपक जलाने क्तक तथा, िाक्तमचक समारोह में यज्ञ<br />

करने क्तक प्रथा प्रर्क्तलत है। इससे वातावरर् में फै ले परमार् क्तवक्तकरर्ों को हटाने की अदभ त क्षमता होती है।<br />

गार् के घी के अन्र् महत्विूणा उिर्ोग :<br />

माक्तसक स्राव में क्तकसी भी तरह की गडबडी में 250 ग्राम गमच पानी में डघी क्तपघला होतो 3 र्म्मर् जमा<br />

हुआ हो तो 1 र्म्मर्) डालकर पीने से लाभ होगा। यह पानी माक्तसक स्राव वाले क्तदनों के दौरान ही<br />

पीना है<br />

गाय का घी नाक में डालने से एलजी खत्म हो जाती है, ये द क्तनया की सारी दवाइयों से तेज असर<br />

क्तदखता है।<br />

गाय का घी नाक में डालने से कान का पदाच क्तबना आपरेशन के ठीक हो जाता है।<br />

नाक में घी डालने से नाक की ख श्की दूर होती है और क्तदमाग तारों ताजा हो जाता है।<br />

गाय का घी नाक में डालने से मानक्तसक शाुंक्तत क्तमलती है, याददाश्त तेज होती है।<br />

गभचवती मााँ को गौ मााँ का घी अवश्य खाना र्ाक्तहए इससे गभच में पल रहा क्तशश बलवान, प ि और<br />

ब क्तदॎमान होता है।<br />

दो बूुंद देसी गाय का घी नाक में स बह शाम डालने से माइग्रेन ददच ढीक होता है।<br />

क्तजस व्यक्ति को बहुत हाटच ब्लाके ज की तकलीफ है और क्तर्कनाई खाने की मना क्तकया गया हो, तो<br />

गाय का घी खाएुं, हाटच ब्लाके ज दूर होता है।<br />

pg. 9चनरोगी रहने के चनर्म और गुंभीर रोगो की घरेलू चिचकत्सा ! WWW.RAJIVDIXITMP3.COM(09928064941, 09782705883)

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