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1945 के दवा और कास्मेक्तटक कानून में सुंशोिन करते हुए बनाए गये ‘दवा और कास्मेक्तटक एक्ट-<br />

1992‘ के लागू होने से पहले ही सरकार एक गजट नोटीक्तफके शन िारा टूथपेस्ट क्तनमाचताओुं के क्तलये तीन<br />

शतों की सूर्ी बना र् की थी। पहली, कोई भी टूथपेस्ट में फ्लोराइड की मात्रा 1000 पी. पी. एम. डपाटच पर<br />

क्तमक्तलयन) से अक्तिक नहीं होनी र्ाक्तहये दूसरे, प्रत्येक टूथपेस्ट क्तडब्बे पर बनाने और अन पयोगी होने की<br />

तारीखें स स्पि क्तलखी जानी र्ाक्तहए। तीसरे, प्रत्येक टूथपेस्ट ट्यूब पर यह र्ेतावनी क्तलखी होनी र्ाक्तहए क्तक<br />

7 वषच से कम के बच्र्े फ्लोराइड य ि टूथपेस्ट का इस्तेमाल नहीं करेंगे। परन्त यह नोटीक्तफके शन जब जारी<br />

हुआ तो इसमें बच्र्ों की र्ेतावनी वाली शतच ही गायब हो गयी। दस्तावेज की सम्पादक आल इक्तण्डया<br />

इुंस्टीट्यूट आफ मेक्तडकल साइुंसेज की डा. ए. के . स शीला ने बताया क्तक ऐसा टूथपेस्ट क्तनमाचता बहुराष्रीय<br />

कम्पक्तनयों के दबाव में क्तकया गया। क्योंक्तक ये कम्पक्तनयााँ र्ाहती थी क्तक भारतीय सरकार कोई कड़ा रूख न<br />

अपनाये, अन्यथा सारे क्तवकासशील देशों की सरकारें इस तरह का कानून बना देंगी और बहुराष्रीय कम्पक्तनयों<br />

का अरबों रूपये का कारोबार समाप् हो जायेगा। डा. स शीला ने एक खामी की ओर और इशारा क्तकया। उन्होंने<br />

कहा क्तक बहुराष्रीय कम्पक्तनयााँ यह तो क्तलख देती हैं क्तक क्तनमाचर् के समय टूथपेस्ट में 1000 पी. पी. एम. से<br />

कम फ्लोराइड क्तमलाया गया है यह बहुत ही खतरनाक है इअसकी जगह के वल नीम का दात न करें।<br />

मच्छर मार दवाएुं घातक हैं<br />

बाजार में क्तबक रहे इन मच्छरमार ब्राुंड़ो में क्तवषैले रसायन ‘डी-एथीलीन‘ का इस्तेमाल क्तकया जा रहा<br />

है क्तजसके लगातार उपयोग से स्वास््य के क्तलये खतरा पैदा हो सकता है। स्वास््य क्तवशेषज्ञों के अन सार<br />

क्तबजली से र्लने वाले उपकरर्ों में जो ि ाँआ क्तनकलता है उसमें फोसफीन नामक गैस से क्तसरददच, एलजी,<br />

नाक में ख श्की, होठों का सूखना, गले में खराश वगैरा हो जाती है। इसके लगातार प्रयोग से दम घ टने और<br />

सााँस रूकने की क्तस्थक्तत बन जाती है जो क्तदल और दमा के मरीजों के क्तलये घातक हो सकती है।<br />

एड्स और कण्डोम का व्यापार<br />

यौन सुंसगच के अलावा कई अन्य तरीकों से भी इसका प्रसार होता है। जैसे इन्जेक्शन की स ई िारा,<br />

रि लेने से एवुं पसीने के सम्पकच िारा। परन्त बहुराष्रीय कम्पक्तनयों की शह पर एड्स को रोकने के क्तजन<br />

तरीकों को ज्यादा प्रर्ाररत क्तकया जा रहा है उनमें हैं स रक्तक्षत सम्भोग और कण्डोम का प्रयोग। डाक्टर लाडच<br />

ओ कक्तलुंनस के अन सार एक बार के यौन सम्पकच से 0.1-1 प्रक्ततशत स ई से 0.5-1 प्रक्ततशत, रि र्ढ़ाए जाने<br />

से 0.9 प्रक्ततशत एड्स होने की सम्भावना रहती है। इस तरह सुंक्रक्तमत व्यक्ति के साथ सम्भोग या स ई के<br />

इस्तेमाल और रि र्ढ़ाने से एड्स होने की बराबर सम्भावनाएुं रहती हैं।<br />

pg. 48चनरोगी रहने के चनर्म और गुंभीर रोगो की घरेलू चिचकत्सा ! WWW.RAJIVDIXITMP3.COM(09928064941, 09782705883)

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