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मि मेह या र्ीनी की बीमारी एक खतरनाक रोग है। रि नलूकोज स्तर बढा ा़हूाँआ क्तमलता है, इन मरीजों में रि<br />

कोलेस्रॉल, वसा के अवयव के बढने के कारर् ये रोग होता है। इन मरीजों में आाँखों, ग दों, स्नाय , मक्तस्तष्क,<br />

हृदय के क्षक्ततग्रस्त होने से इनके गुंभीर, जक्तटल, घातक रोग का खतरा बढ़ जाता है।<br />

भोजन पेट में जाकर एक प्रकार के ई ुंिन में बदलता है क्तजसे नलूकोज कहते हैं। यह एक प्रकार की शकच रा<br />

होती है। नलूकोज रि िारा में क्तमलता है और शरीर की लाखों कोक्तशकाओुं में पहुुंर्ता है। अननाशय नलूकोज<br />

उत्पन्न करता है इनस क्तलन भी रििारा में क्तमलता है और कोक्तशकाओुं तक जाता है।<br />

मि मेह बीमारी का असली कारर् जब तक आप लोग नही समझेगे आपकी मि मेह कभी भी ठीक नही हो<br />

सकती है जब आपके रि में वसा डकोलेस्रोल) की मात्रा बढ जाती है तब रि में मोजूद कोलेस्रोल<br />

कोक्तशकाओ के र्ारों वो क्तर्पक जाता है और खून में मोजूद इन्स क्तलन कोक्तशकाओुं तक नही पहुाँर् पाता है<br />

डइुंस क्तलन की मात्रा तो पयाचप् होती है क्तकन्त इससे ररसेप्टरों को खोला नहीं जा सकता है, अथाचत पूरे नलूकोज<br />

को ग्रहर् कर सकने के क्तलए ररसेप्टरों की सुंख्या कम हो सकती है) वो इन्स क्तलन शरीर के क्तकसी भी काम में<br />

नही आता है क्तजस कारर् से शरीर में हमेशा मि मेह का स्तर हमेशा ही बढा हुआ होता है जबक्तक जब हम<br />

बाहर से इन्स क्तलन लेते है तब वो इन्स क्तलन नया-नया होता है तो वह कोक्तशकाओुं के अन्दर पहुाँर् जाता है<br />

अब आप समझ गये होगे क्तक मि मेह का ररश्ता कोलेस्रोल से है न क्तक मि मेह से जब सम्भोग के समय पक्तत<br />

पत्नी आपस में नही बना कर रख नही पाते है या सम्भोग के समय बहुत तकलीफ होती है समझ जाइये<br />

मि मेह हो र्ूका है या होने वाला है क्योंक्तक क्तजस आदमी को मि मेह होने वाला हो उसे सम्भोग के समय<br />

बहुत तकलीफ होती है क्योंक्तक मि मेह से पहले जो क्तबमारी आती वो है सेक्स में प्रोब्लम होना, मि मेह रोग<br />

में श रू में तो भूख बहुत लगती है। लेक्तकन िीरे-िीरे भूख कम हो जाती है। शरीर सूखने लगता है, कब्ज की<br />

क्तशकायत रहने लगती है। अक्तिक पेशाब आना और पेशाब में र्ीनी आना श रू हो जाती है और रोगी का वजन<br />

कम होता जाता है। शरीर में कहीं भी जख्म/घाव होने पर वह जकदी नहीं भरता।<br />

तो ऐसी क्तस्थक्तत में हम क्या करें ? राजीव भाई की एक छोटी सी सलाह है के आप इन्स क्तलन पर ज्यादा क्तनभचर<br />

ना करें क्योंक्तक यह इन्स क्तलन डायक्तबटीज से भी ज्यादा खतरनाक है, साइड इफे क्ट्स बहुत है इसके ।<br />

इस बीमारी के घरेलू उपर्ार क्तनम्न क्तलक्तखत हैं।<br />

आय वेद की एक दवा है जो आप घर में भी बना सकते है -<br />

100 ग्राम मेथी का दाना<br />

100 ग्राम करेले के बीज<br />

100 ग्राम जाम न के बीज<br />

100 ग्राम बेल के पत्ते डजो क्तशव जी को र्ढाते है)<br />

इन सबको ि प में स खाकर पत्थर में क्तपसकर पाउडर बना कर आपस में क्तमला ले यही औषक्ति है ।<br />

pg. 25चनरोगी रहने के चनर्म और गुंभीर रोगो की घरेलू चिचकत्सा ! WWW.RAJIVDIXITMP3.COM(09928064941, 09782705883)

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