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सामान्य स्तुंभन की प्रक्तक्रया हामोन, नाड़ी तुंत्र, रिपररवहन तथा के वनोसल घटकों के सामन्जस्य पर क्तनभचर<br />

करती है। स्तुंभनदोष में कई बार एक से ज्यादा घटक कायच करते हैं।<br />

मनोवैज्ञाक्तनक कारर्<br />

प्रौढ़ता डAgeing)<br />

क्तशश्न आघात या रोग<br />

पेरोनीज रोग, अक्तवरत क्तशश्नोत्थान डPriapism)।<br />

िमनी रोग<br />

दवाइयाुं: डायक्तबटीज, उच्र् रिर्ाप, क्तडप्रेशन आक्तद रोगों की अक्तिकतर दवाइयाुं आदमी को<br />

नप ुंसक बना देती हैं।<br />

जीर्च रोग डChronic Diseases): डायक्तबटीज, हृदय रोग, उच्र् रिर्ाप, अक्तनयुंक्तत्रत क्तलक्तपड<br />

प्रोफाइल, क्तकडनी फे कयर, यकृ त रोग और वाक्तहकीय रोग।<br />

क्तवकृ त जीवनशैली: िूम्रपान और मक्तदरा सेवन।<br />

डायक्तबटीज, उच्र् रिर्ाप और कई दवाइयों के प्रयोग की वजह से।<br />

नाड़ी सुंबन्घी रोग: स ष म्ना नाड़ी आघात डSpinal cord Injury), वक्तस्तप्रदेश आघात डInjury<br />

Pelvis) या शकय क्तक्रया, मकटीपल क्तस्क्लरोक्तसस, स्रोक आक्तद।<br />

हामोन: टेस्टोस्टीरोन का स्राव कम होना, प्रोलेक्तक्टन बढ़ना।<br />

स्तुंभन का रसार्नशास्त्र: स्पशच, स्पुंदन, दशचन, श्रवर्, गुंि, स्मरर् या<br />

क्तकसी अन्य अन भूक्तत िारा यौन उत्तेजना होने पर क्तशश्न में नोनएड्रीनक्तजचक<br />

नोनकोलीनक्तजचक नाड़ी कोक्तशकाएुं और रिवाक्तहकाओुंकी आुंतररक क्तभक्तत्तयाुं<br />

डEndothelium) नाइक्तरक ऑक्साइड डNO) का स्राव करती हैं। नाइक्तरक<br />

ऑक्साइड अक्तत सक्तक्रय तत्व है तथा ये एुंजाइम साइटोप्लाक्तज्मक<br />

ग आनाइल साइक्लेज को सक्तक्रय करता है जो GTP को cGMP में<br />

पररवक्ततचत कर देता है। cGMP क्तवक्तशष्ठ प्रोटीन काइनेज को सक्तक्रय करता है<br />

जो अम क प्रोटीन में फोस्फे ट का अर् जोड़ देता है क्तफर यह प्रोटीन सक्तक्रय<br />

होकर क्तस्ननि पेक्तशयों के पोटेक्तशयम िार खोल देता है, के क्तकशयम िार बुंद<br />

कर देता है और कोक्तशका में क्तवद्यमान के क्तकशयम को एुंडोप्लाजक्तमक<br />

रेक्तटक लम में बुंद कर ताला जड़ देता है। पेशी कोक्तशका में के क्तकशयम की कमी के फलस्वरूप कोपचस के वनोसस में क्तस्ननि पेक्तशयों,<br />

िमक्तनयों का क्तवस्तारर् होता है और और कोपचस के वनोसम के ररि स्थान में रि भर जाता है। यह रि से भरे के वनोसम रि को वापस<br />

ले जाने वाली क्तशराओुं के जाल पर दबाव डाल कर क्तसकोड़ देते है, क्तजसके कारर् क्तशश्न में अक्तिक रि प्रवेश करता है और कम रि<br />

वापस लौटता है। इसके फलस्वरूप क्तशश्न आकार में बड़ा और कड़ा हो जाता है तथा तन कर खड़ा हो जाता है। इस अवस्था को हम<br />

स्तुंभन कहते हैं, जो सुंभोग के क्तलए अक्तत आवश्यक है। सुंभोग स ख की र्रम अवस्था पर मादा की योक्तन में पेशी सुंक र्न की एक श्रृ ुंखला<br />

के िारा वीयच के स्खलन के साथ सुंभोग की क्तक्रया सुंपन्न होती है। स्खलन के बाद क्तस्ननि पेक्तशयाुं और िमक्तनयाुं प नः सुंक क्तर्त हो जाती<br />

हैं, रि की आवक कम हो जाती है, के वनोसम के ररि स्थान में भरा अक्तिकाुंश रि बाहर हो जाता है, क्तशराओुं के जाल पर रि से भरे<br />

pg. 1चनरोगी रहने के चनर्म और गुंभीर रोगो की घरेलू चिचकत्सा ! WWW.RAJIVDIXITMP3.COM(09928064941, 09782705883)

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