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यह सुंकट के दौरान त रन्त ऊजाच देता है।<br />
ग ड़ गले और फे फड़ों के सुंक्रमर् के इलाज में फायदेमुंद होता है।<br />
यह व्यक्ति के तुंक्तत्रक तुंत्र को मजबूत करने में सहायक होता है।<br />
ग ड़ शरीर में जल के अविारर् को कम करके शरीर के वजन को क्तनयुंक्तत्रत करता है।<br />
उपरोि ग र्ों के अक्ततररि ग ड़ उच्र् स्तरीय वाय प्रदूषर् में रहने वाले लोगों को इससे लड़ने में मदद करता<br />
है, सुंक्षेप में कहें, तो ग ड़ एक खाद्य पदाथच साथ एक अच्छी औषक्ति भी है।<br />
अलसी एक र्मत्कारी आय विचक, आरोनय विचक दैक्तवक भोजन<br />
“पहला स ख क्तनरोगी काया, सक्तदयों रहे यौवन की माया।” आज हमारे वैज्ञाक्तनकों व क्तर्क्तकत्सकों ने<br />
अपनी शोि से से आहार-क्तवहार, आय विचक औषक्तियों, वनस्पक्ततयों आक्तद की खोज कर ली है क्तजनके<br />
क्तनयक्तमत सेवन से हमारी उम्र 200-250 वषच या ज्यादा बढ़ सकती है और यौवन भी बना रहे। यह कोरी<br />
ककपना नहीं बक्तकक यथाथच है। आपको याद होगा प्रार्ीन काल में हमारे ऋक्तष म क्तन योग, तप, दैक्तवक आहार<br />
व औषक्तियों के सेवन से सैकड़ों वषच जीक्तवत रहते थे। इसीक्तलए ऊपर मैंने प रानी कहावत को नया रुप क्तदया<br />
है। ऐसा ही एक दैक्तवक आय विचक भोजन है “अलसी” क्तजसकी आज हम र्र्ाच करेंगें।<br />
क्तपछले क छ समय से अलसी के बारे में पक्तत्रकाओुं, अखबारों, इुंन्टरनेट, टी।वी। आक्तद पर बहुत क छ<br />
प्रकाक्तशत होता रहा है। बड़े शहरों में अलसी के व्युंजन जैसे क्तबस्क ट, ब्रेड आक्तद बेर्े जा रहे हैं। क्तदकली से<br />
कोरोनरी बाईपास सजचरी करवाकर लौटे एक रोगी ने म झे बताया क्तक उसे डॉक्टर त्रेहान ने क्तनयक्तमत अलसी<br />
खाने की सलाह दी है ताक्तक वह उच्र् रिर्ाप व<br />
हृदय रोग से म ि रहे। क्तवश्व स्वास््य सुंगठन<br />
डW।H।O।) अलसी को स पर स्टार फू ड का दजाच<br />
देता है। आय वेद में अलसी को दैक्तवक भोजन माना<br />
गया है। मैंने कहीं पढ़ा क्तक सक्तर्न के बकले को<br />
अलसी का तेल क्तपलाकर मजबूत बनाया जाता है<br />
तभी वो र्ौके -छक्के लगाता है और मास्टर<br />
ब्लास्टर कहलाता है। आठवीं शताब्दी में फ्राुंस के<br />
सम्राट र्ालच मेगने अलसी के र्मत्कारी ग र्ों से<br />
बहुत प्रभाक्तवत थे और र्ाहते थे क्तक उनकी प्रजा रोजाना अलसी खाऐ और क्तनरोगी व दीघाचय रहे इसक्तलए<br />
उन्होंने इसके क्तलए कड़े कानून बना क्तदए थे।यह सब पढ़कर मेरी क्तजज्ञासा बढ़ती रही और मैंने अलसी से<br />
सम्बक्तन्ित क्तजतने भी लेख उपलब्ि हो सके पढ़े व अलसी पर हुई शोि के बारे में भी क्तवस्तार से पढ़ा। मैं<br />
अत्युंत प्रभाक्तवत हुआ क्तक ये अलसी क्तजसका हम नाम भी भूल गये थे, हमारे स्वास््य के क्तलये इतनी ज्यादा<br />
pg. 17चनरोगी रहने के चनर्म और गुंभीर रोगो की घरेलू चिचकत्सा ! WWW.RAJIVDIXITMP3.COM(09928064941, 09782705883)