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ज्यादा लाभदायक है। अलसी क्तपत्त की थैली में पथरी नहीं बनने देती और यक्तद पथररयाुं बन भी र् की हैं तो<br />

छोटी पथररयाुं तो घ लने लगती हैं।<br />

प्राकृ चतक सौंदर्ा प्रसाधनीः अलसी त्वर्ा की बीमाररयों जैसे म हाुंसे, एनज़ीमा, दाद, खाज, ख जली, छाल<br />

रोग, बालों का सूखा व पतला होना, बाल झड़ना आक्तद में काफी असरदायक है। अलसी में पाये जाने वाले<br />

ओमेगा-3 बालों को स्वस्थ, र्मकदार व मजबूत बनाते हैं। अलसी खाने वालों को कभी भी रुसी नहीं होती<br />

है। अलसी त्वर्ा को आकषचक, कोमल, नम, व गोरा बनाती है। नाखूनों को स्वस्थ व स ुंदर बनाती हैं। अलसी<br />

खाने व इसके तेल की माक्तलश से त्वर्ा के दाग, िब्बे, झाइयाुं, झ ररचयाुं दूर होती हैं। अलसी आपको य वा<br />

बनाये रखती है। आप अपनी उम्र से काफी वषच छोटे क्तदखते हो। अलसी उम्र बढ़ाती हैं।<br />

रोग प्रचतरोधक क्षमताीः अलसी हमारी रोग प्रक्ततरोिक क्षमता बढ़ाती है। गक्तठया, गाउट, मोर् आक्तद में अत्युंत<br />

लाभकारी है। ओमेगा-3 से भरपूर अलसी यकृ त, ग दे, एडरीनल, थायरायड आक्तद ग्रुंक्तथयों को ठीक से काम<br />

करने में सहायक होती है। अलसी कयूपस नेफ्राइक्तटस और अस्थमा में राहत देती है।<br />

मचस्तष्क और स्नार् तुंि के चलए दैचवक भोजनीः अलसी हमारे मन को शाुंत रखती है, इसके सेवन से<br />

क्तर्त्त प्रसन्न रहता है, क्तवर्ार अच्छे आते हैं, तनाव दूर होता है, ब क्तदॎमत्ता व स्मरर् शक्ति बढ़ती है तथा क्रोि<br />

नहीं आता है। अलसी के सेवन से मन और शरीर में एक दैक्तवक शक्ति और ऊजाच का प्रवाह होता है। अलसी<br />

एकज़ीमसच, मकटीपल स्कीरोक्तसस, अवसाद ड Depression ), माइग्रेन, शीज़ोफ्रे क्तनया व पाक्तकच नसन्स आक्तद<br />

बीमाररयों में बहुत लाभदायक है। गभाचवस्था में क्तशश की ऑखों व मक्तस्तष्क के सम क्तर्त क्तवकास के क्तलये<br />

ओमेगा-3 अत्युंत आवश्यक होते हैं।<br />

ओमेगा-3 से हमारी नज़र अच्छी हो जाती है, रुंग ज्यादा स्पि व उजले क्तदखाई देने लगते हैं। ऑखों<br />

में अलसी का तेल डालने से ऑखों का सूखापन दूर होता है और काला पानी व मोक्ततयाक्तबुंद होने की सुंभावना<br />

भी बहुत कम होती है। अलसी बढ़ी हुई प्रोस्टेट ग्रुंक्तथ, नामदी, शीघ्रपतन, नप ुंसकता आक्तद के उपर्ार में<br />

महत्वपूर्च योगदान देती है।<br />

डार्चबटीज़ और मोटािे िर अलसी का िमत्कारीः अलसी ब्लड मि मेह क्तनयुंक्तत्रत रखती है, डायक्तबटीज़ के<br />

शरीर पर होने वाले द ष्प्रभावों को कम करती हैं। क्तर्क्तकत्सक डायक्तबटीज़ के रोगी को कम शकच रा और ज्यादा<br />

फाइबर लेने की सलाह देते हैं। अलसी व गैंहूुं के क्तमक्तश्रत आटे में 50 प्रक्ततशत काबच, 16 प्रक्ततशत प्रोटीन व<br />

20 प्रक्ततशत फाइबर होते हैं। यानी इसका नलायसीक्तमक इन्डेक्स गैंहूुं के आटे से काफी कम होता है।<br />

डायक्तबटीज़ के रोगी के क्तलए इस क्तमक्तश्रत आटे से अच्छा भोजन क्या होगा ? मोटापे के रोगी को भी बहुत<br />

फायदा होता है। अलसी में फाइबर की मात्रा अक्तिक होती है। इस कारर् अलसी सेवन से लुंबे समय तक पेट<br />

भरा हुआ रहता है, देर तक भूख नहीं लगती है। यह बी।एम।आर। को बढ़ाती है, शरीर की र्बी कम करती है<br />

और हम ज्यादा कै लोरी खर्च करते हैं।<br />

डाक्टर र्ोहाना ब डचवज का कैं सर रोधी प्रोटोकोलीः डॉ। योहाना ब डक्तवज की र्र्ाच के क्तबना अलसी का<br />

कोई भी लेख अिूरा रहता है। ये जमचनी की क्तवश्व क्तवख्यात कैं सर वैज्ञाक्तनक थी, क्तजन्होंने अलसी के तेल,<br />

pg. 21चनरोगी रहने के चनर्म और गुंभीर रोगो की घरेलू चिचकत्सा ! WWW.RAJIVDIXITMP3.COM(09928064941, 09782705883)

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