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ISSN 2229-547X VIDEHA 'िवदेह' ९४ म अंक १५ ... - WordPress.com

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िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong><strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>'िवदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष ४ मास ४७ अंक९४)िव दे ह िवदेह Videha http://www.videha.co.in िवदेह थम मैिथली पािकई पिका Videha Ist Maithili Fortnightly eMagazine नव अंक देखबाक लेल पृ सभक िरेश कएदेखू। Always refresh the pages for viewing newissue of <strong>VIDEHA</strong>. Read in your own scriptRoman(Eng)Gujarati Bangla Oriya Gurmukhi TeluguTamil Kannada Malayalam Hindiऐ अंकमे अिछ:-१. संपादकीय संदेश२. ग1


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>२.१. १बहुआयामी युवा ी धीरे ेमिष जी सँ िवहिनकथाकार मुाजीक भेल गपशप २.डॉ कलाधर झासँ डॉ. शेफािलका वमक सााकार२.२.१. परमेर कापिड़-मानकताक बात िवखपादअिछ ! २.अतुलेर- िकछु िवचार िटपणी2


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>२.५. गजे ठाकुर- उकामुख (आग)२.६. राजदेव म डल- हमर टोल- उप यास(आग)२.७. ओमकाश झा - कथा- सफल अिधकारी4


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>२.८. नवीन ठाकुर-िमिथला उवाच३. प३.१.१. गुलसािरका २. इरा मिलक३. शितलमी चौधरी ४ शेफािलका वम5


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>३.२.१. सयनारायण झा २ओमकाश झा३.३. १. जगदीश च ठाकुर ’अिनल’ २. िमिहरझा ३. झा हेमत बापी ४. जगदानंद झा 'मनु'6


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>३.४.१. िशवशंकर िसंह ठाकुर २. अिमत मोहन झा३.५.१. िशवशंकर ीिनवास २. िवकास झा रंजन३. जगदीश साद मडल ४. मुाजी हाइकू ५.रामिबलास साहू- टनका7


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>३.६.१. अजनी कुमार वम २.िवनीत उपल३.७.१. डॉ॰ शिशधर कुमर २ नवीनकुमार "आशा"३.८.१. रामदेव साद म डल ‘झादार’ २.नवीन ठाकुर8


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>४. िमिथला कला-संगीत-१. योित सुनीत चौधरी२. ेता झा (िसंगापुर) ३.गुंजन कण४. इरा मिलक ५. राजनाथ िम (िचमयिमिथला) ६.िमिथलाक जीव-जतु/ िमिथलाक िजनगी)उमेश मडल (िमिथलाक वनपित/बालान कृते-डॉ॰ शिशधर कुमर9


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>भाषापाक रचना-लेखन -[मानक मैिथली], [िवदेहक मैिथली-अंेजी आअंेजी मैिथली कोष (इंटरनेटपर पिहल बेर सच-िडशनरी) एम.एस.एस.यू.एल. सवर आधािरत -Based on ms-sql serverMaithili-English and English-Maithili Dictionary.]<strong>VIDEHA</strong> FOR NON RESIDENTSिवदेह ई-पिकाक सभटा पुरान अंक ( ेल, ितरहुता आ देवनागरीमे ) पी.डी.एफ. डाउनलोडक लेल नीचक िलंकपर उपलध अिछ।All the old issues of Videha e journal ( in Braille,Tirhuta and Devanagari versions ) are availablefor pdf download at the following link.िवदेह ई-पिकाक सभटा पुरान अंक ेल, ितरहुता आ देवनागरीपमे Videha e journal's all old issues in BrailleTirhuta and Devanagari versions10


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>Join official Videha facebook group.Join Videha googlegroupsसाइटिवदेह रेिडयो:मैिथली कथा-किवता आिदक पिहल पोडकाटhttp://videha123radio.wordpress.<strong>com</strong>/Videha Radioमैिथली देवनागरी वा िमिथलारमे निह देिख/ िलिख पािब रहल छी,(cannot see/write Maithili in Devanagari/Mithilakshara follow links below or contact atggajendra@videha.<strong>com</strong>) तँ एिह हेतु नीचक िलंक सभ परजाऊ। संगिह िवदेहक तंभ मैिथली भाषापाक/ रचना लेखनक नव-12


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>पुरान अंक पढ़ू।http://devanaagarii.net/http://kaulonline.<strong>com</strong>/uninagari/ (एतए बॉसमे ऑनलाइनदेवनागरी टाइप क, बॉससँ कॉपी क आ वड डॉयुमेटमेपेट कए वड फाइलक सेव क। िवशेष जानकारीक लेलggajendra@videha.<strong>com</strong> पर सपक क।)(Use Firefox4.0 (from WWW.MOZILLA.COM )/ Opera/ Safari/Internet Explorer 8.0/ Flock 2.0/ Google Chromefor best view of 'Videha' Maithili e-journal athttp://www.videha.co.in/ .)Go to the link below for download of old issuesof <strong>VIDEHA</strong> Maithili e magazine in .pdf formatand Maithili Audio/ Video/ Book/ paintings/ photofiles. िवदेहक पुरान अंक आ ऑिडयो/ वीिडयो/ पोथी/ िचकला/फोटो सभक फाइल सभ (उचारण, बड़ सुख सार आ दूवत मंसिहत) डाउनलोड करबाक हेतु नीचक िलंक पर जाऊ।<strong>VIDEHA</strong> ARCHIVE िवदेह आकइव13


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>भारतीय डाक िवभाग ारा जारी किव, नाटककार आ धमशाीिवापितक टाप। भारत आ नेपालक मािटमे पसरल िमिथलाकधरती ाचीन कालिहसँ महान पुष ओ मिहला लोकिनक कमभिमरहल अिछ। िमिथलाक महान पुष ओ मिहला लोकिनक िच'िमिथला र' मे देखू।गौरी-शंकरक पालवंश कालक मूि, एिहमे िमिथलारमे (१२०० वषपूवक) अिभलेख अंिकत अिछ। िमिथलाक भारत आ नेपालकमािटमे पसरल एिह तरहक अयाय ाचीन आ नव थापय, िच,अिभलेख आ मूिकलाक़ हेतु देखू 'िमिथलाक खोज'िमिथला, मैिथल आ मैिथलीसँ सबिधत सूचना, सपक, अवेषणसंगिह िवदेहक सच-इंजन आ यूज सिवस आ िमिथला, मैिथल आ14


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>मैिथलीसँ सबिधत वेबसाइट सभक सम संकलनक लेल देखू"िवदेह सूचना संपक अवेषण"िवदेह जालवृक िडसकसन फोरमपर जाऊ।"मैिथल आर िमिथला" (मैिथलीक सभसँ लोकिय जालवृ) परजाऊ।१. संपादकीयबेचन ठाकुर जी ारा शु कएल गेल मैिथली समानातर रंगमंचकिववरण।सर वती पूजा १९९५ केर अवसरपर नाटक मंचन नाओं- रमेशडीलर थान- यू लोटस इंि ल श कूल पिर सर- चनौरागंजि◌ नमता ि◌नदशक- बेचन ठाकुर15


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>पा, कलाकार, िप ता आ गामक नाओं1. रमेश धान रामबाबू साह, िप ता व. िव नाथसाह, गाम- चनौरागंज2. सीताराम तेली िव जय कुमार पासवान िप ता व. कारीपासवान चनौरागंज3. सुकन पासवान बुदेव कुमार ी पंचू महतो .....बेरमा4. ढोलहा रामकुमार पंिज यार व. गोपाल पंिज यारचनौरागंज5. भोलाराम म डल नवीन कुमार ी कामेर म डलचनौरागंज6. मो. वासील राम वप पासवान ी किप लेर पासवानचनौरागंज16


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>7. गुलाव च ठाकुर केशव कुमार ी हेमनारायण साहनरिह या8. याम म डल च देव महतो व. ल मी महतोबेरमा9. एम.ओ रामनारायण राउत ी जागेर राउतचनौरागंजमंचनक सहयोगक-हारमोिन यम संगतकत- ी भीखन महतो चनौरागंजढोलिक या- ी कारी पासवान चनौरागंजमनोज कुमार पुव ी रामावतार पुव चनौरागंजअमरे कुमार ी ज िक शोर साह चनौरागंज17


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>शु न धान ी ल मी धान चनौरागंजगणेश ठाकुर ी ल मी ठाकुर चनौरागंजिव जय कुमार महतो व. परमेर महतो चनौरागंजकृ ण देव ठाकुर ी रामखेलावन ठाकुर मझौरािव शेष सहयोगक व ेरक...सामा य पढ़ाइक गु-संगीत गु.............सािह य गु.........नायकलाक गु.....रचना काशन य............ी शुभ च झा (मोहना)ी रामवृ िस◌ ंह (फुलबिर या)ी जगदीश साद म डल (बेरमा)ो. पुलिक त कामत (पौराम)ी गजे ठाकुर18


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>िन जी िव ालयक सलाहकार... ी अजय कुमार म डल(िब शौल)िव ालय एवं कोिच◌ ंग मकान दाता... ी महावीर साह (चनौरागंज)कायम अिभ भावक व................ ी ज िक शोर साह(चनौरागंज)सर वती पूजा 1996 केर अवसरपर मंिच त एककी- महावीरलाल थान- यू लोटस इंि ल श कूल पिर सर- चनौरागंजनाटककार- बेचन ठाकुरि◌ नदशक- बेचन ठाकुरपा कलाकार, िप ता गाम19


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>1. महावीरलाल रामबाबू साह िप ता व. िव नाथ साह,चनौरागंज2. हनुमान संजीव कुमार म डल ी रामिव हारी म डलचनौरागंज3. वासील अ◌ाफताब आलम मो. मुखतार आलमचनौरागंज4. पुरहीत अमरे कुमार िम ी िव नोद िम बेरमा5. छ बीस न बर मोहन कुमार ठाकुर ी महाका त ठाकुरचनौरागंजसहयोगक-20


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>हारमोिन यम संगतकत- ी भीखन महतो चनौरागंजढोलिक या- ी कारी पासवान चनौरागंजराम िक शोर पासवान ी किप लेर पासवान चनौरागंजपवन कुमार ी रामबहादुर ठाकुर चनौरागंजइ दू कुमारी ी राजे यादव चनौरागंजित मा कुमारी ी ज िक शोर साह चनौरागंजराहुल कुमार ी शु न साह चनौरागंजअशोक कुमार राउत व. जगदीश राउत चनौरागंजबेचन पासवान ी ित रिप त पासवान चनौरागंजरामनाथ म डल ी िव देर म डल चनौरागंजसर वती पूजा १९९७ केर अवसरपर मंिच त एककी- िक सुन बम21


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong> थान- यू लोटस इंि ल श कूल पिर सर- चनौरागंज िज ला- मधुबनी(िब हार)नाटककार- बेचन ठाकुरि◌नदशक- बेचन ठाकुरपा अिभ नय कत िप ताक नाओं पता1. िक सुन बम वन कुमार पासवान िप ता व. भोलापासवानचनौरागंज2. राजे महतो साकेत िव हारी राउत ी रामसेवक राउतचनौरागंज3. िश वकारक रामबाबू साह व. िव नाथ साहचनौरागंज4. मो. इंताज नदीम आलम मो. वकील हकचनौरागंज22


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>िद नक- ०१/ ०२/ १९९८ (रिव िद न)नाटककार- बेचन ठाकुरि◌नदशक- बेचन ठाकुरपा कलाकार िप ता गाम1. ल मी म डल संजीव कुमार ी योगे धानचनौरागंज2. राजे म डल आफताब आलम मो. मुखतार आलमचनौरागंज3. जोगी धान राहुल कुमार ी शु न साहचनौरागंज4. मो. ईषा आलम रहबरे आजम मो. ईषा आलमचनौरागंज25


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>मंचनक सहयोगक-हारमोिन यम संगतकत- ी भीखन महतो चनौरागंजढोलिक या- ी कारी पासवान चनौरागंजपु पा कुमारी ी ल मण साह चनौरागंजसुलेखा कुमारी ी भरत साह चनौरागंजिद गमंबर यादव ी जीबछ यादव चनौरागंजसमीम आलम मो. वकील हक चनौरागंजअजुन कुमार राम ी सीयाराम राम चनौरागंजराजराम पासवान ी ल मी पासवान चनौरागंज26


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>4. मोहन कंचन कुमारी ी गौड़ी शंकर राउतचनौरागंज5. सोहन अचना कुमारी ी रामसेवक राउतचनौरागंज6. याम िप◌ ंकी कुमारी ी सोहन दास कनकपुरा7. सोनू सुधा कुमारी ी महे पोार चनौरागंज8. रेखा िक शोरी कुमारी ी किप लदेव यादव चनौरागंजमंचन केर सहयोगक-हारमोिन यम संगतकत- ी परमान द ठाकुर जगदर28


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>ढोलिक या- ी बु ची महतो नवानीधीरे कुमार ी ज िक शोर साहु चनौरागंजसंजीव कुमार ी चेत नारायण साह चनौरागंजरंजीत कुमार ी भरत साह चनौरागंजशिश रंजन ी न द िक शोर गु ता चनौरागंजराम वप पासवान ी किप लेर पासवान चनौरागंजरामाशीष यादव ी तीरथ यादव चनौरागंजकुमुद रंजन ी नागेर कामत पौरामपवन कुमार म डल ी राजे म डल चनौरागंजछोटे कुमार यादव ी सुकन यादव चनौरागंजगणेश कुमार यादव ी उम लाल यादव कनकपुरा29


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>सर वती पूजा २००० केर अवसरपर मंिच त छठीम एककी-कौआसँ गे बुिध यार थान- यू लोटस इंि ल श कूल पिर सर- चनौरागंजिद नक- १०/ ०२/ २००० (वृह पित िद न)नाटककार- बेचन ठाकुरि◌ नदशक- बेचन ठाकुरपा, कलाकार, िप ता पता-...1. सोमन हीरा कुमारी ी दयाका त पोारगाम- चनौरागंज2. बुधन सुनीता कुमारी ी रघुवीर यादवचनौरागंज30


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>3. भूखन किम नी कुमारी ी िद नेश झा (पंडीजी)कनकपुरा4. शोभा संजीत कुमार पासवान ी भोला पासवानचनौरागंज5. राधा वीभा कुमारी ी उपे कामत पौराम6. गोपी संजय कुमार ी महावीर कामत पौराम7. रीता कंचन कुमारी ी गौड़ी शंकर राउतचनौरागंज8. िक शन ीराम पासवान ी ल मी पासवानचनौरागंज9. मखना रिव कुमार साफी ी ल मी साफीचनौरागंज10. ब चा सुनील िप◌ ंकी कुमारी ी सोहन दासकनकपुरा11. जुआन सुनील रामकरण यादव ी हरेराम यादवचनौरागंज31


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>मंचन केर सहयोगक-हारमोिन यम संगतकत- ी परमान द ठाकुर जगदरढोलिक या- ी बु ची महतो नवानीसंतोष कुमार महतो ी सूरत महतो चनौरागंजपवन कुमार दास ी दया का त दास कनकपुरामुरली कुमार म डल ी कामेर म डल चनौरागंजमुकेश कुमार पासवान ी बौधू पासवान चनौरागंजकमलेश कुमार ी उपे साह चनौरागंजरामबाबू यादव ी िब लट यादव चनौरागंजअनील कुमार पासवान ी सुशील पासवान चनौरागंजरामकुमार यादव ी अबध यादव चनौरागंज32


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>रामआशीष महतो ी कुशेर महतो चनौरागंजसर वती पूजा 2005 केर अवसरपर मंिच त छठीम एककी-राखीक लाज थान- यू लोटस इंि ल श कूल पिर सर- चनौरागंजिद नक- 13/ 02/ 2005 (रिव िद न)नाटककार- बेचन ठाकुरि◌ नदशक- बेचन ठाकुर33


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>पा, कलाकार, िप ता आ गामक नाओं...1. उदयशंकर अिन ता कुमारी ो. पुलिक त कामतपौराम2. याम सुन् दर सािव ी कुमारी ी सूयनारायणकामतपौराम3. मालती योित कुमारी ी िव पीन कुमार साहचनौरागंज4. ि यंका अनुराधा कुमारी ी न दिक शोर गु ताचनौरागंज5. सु दरलाल मुन् नी कुमारी ी शंभू म डलचनौरागंज6. मोनू संगीता कुमारी ी स यनारायण महतोचनौरागंज7. टोनू ीती कुमारी ी रमेश धानचनौरागंज34


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>8. शंकर मीना कुमारी ी उपे कामतपौराम9. ेमनाथ रानी कुमारी ी बैनाथ साहिस मरा10. मोहन शीला कुमारी ी परमेर साहचनौरागंज11. रामलाल पूजा कुमारी ी लालबहादुर यादवचनौरागंज12. मदनलाल सुलेखा कुमारी ी हरेराम यादवचनौरागंज13. कमलकत रेखा कुमारी ी अशफ महतोचनौरागंज14. गजानंद गुिड़ या कुमारी ी देवे महतोचनौरागंज15. राम दुलारी अिन ता कुमारी व. लखन महतोचनौरागंज35


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>मंचन कायक सहयोगक-िव जय कुमार ी बैनाथ साह िस मरा (मधुबनी)क हैया कुमार ी कामेर मंडल चनौरागंजदीप कुमार ी शु न साफी चनौरागंजमुरली कुमार म डल ी कामेर म डल चनौरागंजिस ाथ सौरभ ी जगदीश म डल चनौरागंजसािहय अकादेमी, िदलीक महर सदयता ी चनाथ िमअमरक देल गेलिह। मैिथली लेल ई पिहल बेर देल गेल। ऐसँपिहने नागाजुनक (मैिथलीक याीजी) िहदी आ मैिथली किवकपमे सािहय अकादेमी, िदलीक महर सदयता देलगेलछलिह।36


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>सािहय अकादेमी महर सदयता वीकृित वतय ी चनाथिम अमर (संित)पिहल:ण आ कणक सदुपयोगक हम अपन जीवन दशनक अंगबना लेलॱ।दोसर:वायाय, वावलबन, वछताक आदश मानलॱ।तेसर:मातृभाषा मैिथलीक चतुमखी िवकासक अपन लय िनधिरतकेलॱ।चािरम: मैिथली सािहयक इितहासमे पसरल िकछु ाितकपिकािरताक इितहास ारा िनराकरण केलॱ।पचम:िवापित गोीक मायमसँ मैिथलीक भाषावक लऽ कऽसामंजय आ समरसता अनबाक सफल यास केलॱ।सािहय अकादेमीक शितPANDIT CHANDRANATH MISHRA'AMAR' PanditChandranath Mishra 'Amar' on whom Sahitya37


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>Akademi is conferring its Fellowship today is anoutstanding poet, playwright, novelist and critic inMaithili language whose stellar contributions havedistinguished him as a major writer in Maithili.Pandit Chandranath Mishra 'Amar' was born in1925 in Khojpur village of Madhubani district,Bihar. 'Amar', who was dumb till four years ofage, was a cause of concern for his father, thereputed scholar Pandit Muktinath Mishra and hisdevoted mother Daijee Devi. Muktinath Mishrawas especialy concerned about his son's deepdistaste for learning, and decided to'send him tothe town of Narhi for education. But Amar' wasnot to be tamed so easily and he returned toKhojpur by foot four days later. He was forcefullysent to Narhi again, and this time he took tostudies seriously and did not return to his nativeplace for the next three years.38


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>It was a turning point inthe life of Amar,' and this boy who couldn'tspeak for the first four years of his life, began toshow all the signs of the master of erudition andeloquence he was to be<strong>com</strong>e. But life was noteasy for young 'Amar': his studies got interrupteddue to frequent illness, difficult circumstances andfamily tragedies. But he <strong>com</strong>pleted his educationin flying colours and passed the Acharya degreein grammar and Shastri degree in literature withdistinction. For the next couple of years hefrequently found himself unemployed as hemoved from one school to another as a teacher.His search finally ended in 1947, the year ofIndia's Independence, when he joined M.L.Academy School at Darbhanga which he servedtill his retirement in 1983, leaving an indelibleimprint as a model teacher and a strictdisciplinarian.39


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>Even if his formative years were full of domesticand employment-related hassles they were notformidable enough to stop him from rising intoprominence. He was barely twenty one when hisfirst poetry collection Gudgudi (1946) waspublished and turned out to be a huge' successfor its punching humour. He soon became ahousehold name and began to read his poemsat numerous poetry meets. His humour mellowedand led to some serious satirical poems like'Yugchakra' which was greatly acclaimed when itwas published in the daily Swadesh. Though heimmediately joined the prestigious league ofsatirists like Sitaram Jha and Hari Mohan Jha hedid not stereotype himself. His other popularpoetry collections, Ritupriya (1963), Unta Pal(1972), Asha-Disha (1975) and Thahi-Pathahidealt with the beauty of nature, the mystery ofhuman sensibility and exhibited the sympathetic40


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>has also served as the editor of numerousperiodicals including Swadesh, Janak, Nirmaanand Vaidehee.Amar' is the recipient ofnumerous awards including Harinandan SinghMemorial Trust Award (1963), Kaviratnam Award(1969), Sahitya Akademi Award (1983), Lt.Ramanath Jha Memorial Award (1990), SriTriloknath Jayakant Devi Maithili Sahitya MemorialAward (1990), Sahitya Akademi Translation Award(1998), Bihar Government's Vidyapati Award(1998-99) and the Lifetime Achievement Award(2010) by the All India Maithili Mahasabha. Hehas also been honoured by numerousorganizations including Chetna Samiti (1984),Sanskar Bharati (1994), Sahitya Parishad,Madhubani, Mithila Sanskritik Sangam, VidyapatiSamiti (1999) and KSD Sanskrit University.42


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>From being aclassicist in literature to being a campaigner forthe cause of Maithili, Amar' has taken onnumerous roles and has seriously explored thestorehouse of tradition at a time when rapidindustrialisation and globalization have broughtdisillusionment. Bringing the depth of insight,sensitivity and the deliberate craft of the master,'Amar' has articulated the stirrings of an age, alife and a society with profundity and vision.Writing over a period spanning more than sixdecades he has made his mark as a writer parexcellence. Today he stands at a juncture wherethe past, present and future of Maithili literatureconverge as he continues his journey ofexpanding the frontiers of literature. SahityaAkademi feels proud to confer its highest honour43


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>of Fellowship to this doyen who stands tall asthe highest pillar of modern Maithili literature.( िवदेह ई पिकाक ५ जुलाइ २००४ सँ अखन धिर ११६ देशक१,९६० ठामसँ ७०,११५ गोटे ारा िविभ आइ.एस.पी. सँ३,३०,९५० बेर देखल गेल अिछ; धयवाद पाठकगण। - गूगलएनेलेिटस डेटा। )गजे ठाकुरggajendra@videha.<strong>com</strong>44


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>http://www.maithililekhaksangh.<strong>com</strong>/2010/07/blogpost_3709.html२. ग२.१. १बहुआयामी युवा ी धीरे ेमिष जी सँ िवहिनकथाकार मुाजीक भेल गपशप २.डॉ कलाधर झासँ डॉ. शेफािलका वमक सााकार45


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>२.२.१. परमेर कापिड़-मानकताक बात िवखपादअिछ ! २.अतुलेर- िकछु िवचार िटपणी२.३. मुाजी- अनमोल झाक समयक साी रािख ....!२.४.१.चेतना सिमित, पटना समाचार/ II.खूजत अलग िमिथलादेशक ार? छोट देशक समथन कएलिन मुयमंी (िरपोटनवदु कुमार झा)२.उमेश मडल-१.‘मैिथ लीभाषाक दशा ओ िद शा’पर पिरचच २. महाकिव पिडत लालदास46


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>जयती समारोह ३.पं. लालदास जय ती समारोहसंजीव कुमार ‘शमा’- महाकिव२.५. गजे ठाकुर- उकामुख (आग)२.६. राजदेव म डल- हमर टोल- उप यास(आग)47


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>२.७. ओमकाश झा - कथा- सफल अिधकारी२.८. नवीन ठाकुर-िमिथला उवाच48


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>१बहुआयामी युवाी धीरे ेमिष जी सँिवहिन कथाकारमुाजीक भेल गपशप२. डॉ कलाधर झासँ डॉ. शेफािलका वमकसााकार49


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>बहुआयामी युवाी धीरे ेमिष जी सँिवहिन कथाकारमुख अंश तुत अिछ।मुाजीक भेल गपशपकमुाजी: धीरे जी नमकार। वागत अिछ िवदेहक आंगनमे।मैिथली सािहयमे वेश कोना केलहुँ। कोनो िवशेष कारण वा िकछुआओर।धीरे ेमिष: सवथम धयवाद अिछ मुाजी जे हमरा िवदेहकआङनमे आमित कएलहुँ। ई हमरा नीक लागल जै मैिथलीसािहयमे वेश कोना कएलहुँ? असलमे हमर सािहयमे वेशलौलसँ भेल छल। सेहो नेपाली भाषाक मायमे। ई लगभग िव.सं.50


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>२०४४ साल अथत् १९८७ ईवीक समय छल। लौल ई जेहमरो नाम प-पिकामे छपए। ओना मा िकछु िलखनाइक जँसािहय कहल जाए तँ हमर कलमसँ िजनगीमे सभसँ पिहल कोनोरचना मैिथलीएमे िलखाएल छल, जे एकटा फटीचर टाइप गीतरहए। छोटे वयससँ सरकारी नोकरीमे वेश कऽ चुकल हम जखनबदली भऽ कऽ जनकपुर गेलहुँ तँ अपन गीत-सीतक ेमक मूप देबाक लेल कोनो जगहक खोज करबाक ममे िमिथलानायकला पिरषद् पहुँचलहुँ। ओिहठाम जखन डा. धीरे, महेमलिया, डा. राजे िवमल, योगे साह ‘नेपाली’ सन िवभूितसभसँ भेट भेल तखन जा कऽ असलमे हमरा मैिथली भाषाकअवथा आ महाक बोध भेल। तकरा बाद हमहूँ अपन लेखनितक लौलक मैिथली सािहयक अिभयान िदस मोिड़ देलहुँ। िव.सं.२०४६ सालमे िमनाप ारा आयोिजत मैिथली िवकास िदवसककिवगोीक लेल किह-कूिथकऽ एकटा किवता िलखलहुँ। ओिहमेडा. धीरे ारा लाल रोसनाइवला कलमसँ जे सुधारामकपिरवतन-िच सभ लगाएल गेल छल, सएह हमरा लेल मैिथली वणिवयासक गुम बिन गेल आ हम मैिथलीमे िलखैत चिल गेलहुँ।51


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>मुाजी: अहक सभ तरहक रचनामे तीण नजिरया जगिजआरहोइछ। एकर की ोत वा ऐलेल रचनामक ऊज कतऽ सँ वाकोना ात होइए?धीरे ेमिष: एकर जवाबमे हम अपने गजलक एकटा शेर कहऽचाहब–मनमे ने किनय चोर अिछत गजलो हमर अङोर अिछदेश, समाज आ अपना ित इमादारी लोकमे सहजिहँ तीणताआिन दैत छैक। हम 'खुप छुआ बोिन हुआ' मे किहयो िवास निहकएलहुँ। हमर रचनामकताक ोत अपन समाजे अिछ। खासकऽ समाजमे रहल छवेषी पिरपाटी हमरा बेसी झकझोड़ैत अिछआ उएह हमरा िलखिबतो अिछ। एखनो िवशु कमशीलतापरिवास कएिनहार जे िकछु लोक छिथ ितनका सभक िना आलगनशीलता हमरा सृजनामक ऊज दैत अिछ।मुाजी: की मैिथलीक अितिरत आनो भाषामे रचना केलहुँ अिछ?मैिथली आ अयाय (िवशेष कऽ नेपाली) भाषा मय मैिथलीकअितव केहेन वा कोन ठाम नजिर अबैए।52


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>धीरे ेमिष: हँ, हम मैिथलीक अितिरत नेपाली भाषामे सेहोयथे माामे िलखैत छी। नेपालक नातक तरक अिनवायनेपालीक पायपुतकमे हमर गजल सेहो पढ़ाओल जाइत अिछ।िछटफुट हम िहदीमे सेहो िलखैत छी। खास कऽ नेपालीसािहयक स जखन हम मैिथलीक तुलना करैत छी तँ सोच,संवेदना आ शैलीगत पमे हमरा मैिथली कनेको झूस निह बुझाइतअिछ। मुदा सयामकता आ यापकताक िहसाब मैिथली सीिमतअिछ। नेपाली सािहयमे मैिथलीजक यापक गोलैसीक वातावरणसेहो निह छैक, जािहसँ ओकर िवकास-गित तीवतर बुझाइत छैक।ओ सभ वतमानक उपलिधपूण बनएबामे अिधक दिच बुझाइतअिछ मुदा हम सभ इितहासक झुनझुा बजबैत मत रहबामे बेसीआनिदत होइत छी।मुाजी: अह रचनाक अलाबे सपादनमे सेहो सियता देखा चुकलछी। अहक नजिरये सृजनकत आ सपादकक मय की फरकहेबाक चाही।धीरे ेमिष: हम पलव, मैिथल समाज, कामना िसनेमािसक(नेपाली) आिद पक सपादन सेहो कऽ चुकल छी। रचनाकार आसपादक दुनूमे फरक की होएबाक चाही से हम निह किह सकैतछी। मुदा समान की होएबाक चाही से हम अवय कहब। दुनूमे53


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>मातृगुण अिनवाय प होएबाक चाही। हँ, मुदा मुखरताक दृिएँरचनाकार देवकी रहए आ सपादक यशोदा तँ सृजनपी सताननीक जक फौदएतैक, से िनित।मुाजी: सपादनमे भाइ-भैयारीबला नजिरया देखाइत रहल अिछ।जखन की सपादकक िनरपे आ दृि फरीछ हेबाक चाही, कीकहब अह?धीरे ेमिष: सपादनमे भाइ-भैयारीवला नजिरयाक बात जे अहउठौलहुँ अिछ से सही भऽ सकैत अिछ। मुदा एकर सापेतादेखब जरी अिछ। मैिथली पकािरता एहन निह अिछ जे साधन-ोतसँ सप भऽ कऽ चलैत होइक। लोक अनेक तरहक भजिभड़ा कऽ मैिथलीमे पकािरता करैत अिछ। एहनमे बाहरसँवत प यथे सहयोग निह भेिट पएबाक कारणे सेहोसपादकक भाइ-भैयारीक सहयोग लेबऽ पड़ैत होएतिन। मुदासपादन ज िक समीा, समालोचना आिद कायक दाियव सेहोिनमाहैत चलैत अिछ, त यथासभव एिहसँ एकरा दूर राखबउिचत। कचोट तँ तखन होइत अिछ जखन समालोचना भाइ-भैयारीवला नजिरयासँ कएल जाइत छैक।54


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>मुाजी: अह िविभ तरहक कायम (आकाशवाणी वा दूरदशन)मायमे तुित दैत रहलॱ, की ऐमे रोजगार छै। अपनाक ऐमेकतऽ पबै छी।धीरे ेमिष: नीकजक समिपत भऽकऽ लगलापर आजुक समयमेसभ ेमे रोजगारी छैक। तखन आकाशवाणी वा दूरदशन तँआओर बहुतो लोकक व-संसार सेहो िछयैक आ आजुक समयकसविधक सशत हिथयारो। एिहमे रोजगारी निह होएबाक बाते निहअबैत अिछ। हम पूण प एिहसभ ेमे किहयो आित निहरहलहुँ। हम नेपालक सरकारी आकाशवाणी रेिडयो नेपालमे १३ वषधिर मैिथली, िहदी आ नेपालीक समाचार वाचनमे संलन रहलहुँ।तिहना पिछला एक दशकसँ नेपालक सभसँ पैघ रेिडयो नेटवकरेिडयो काितपुरसँ जुड़ल छी आ हेलो िमिथला सिहत िकछुकायमक सचालन करैत आएल छी। तिहना समय-समयपरटेिलिभजनक िविभ कायम आ िसिरयल सेहो करैत आएल छी।हमर रेिडयो नेपालसँ जुड़ाव तँ एकटा सरकारी नोकरीक पमेछल। मुदा एिह सभ काजमे हमर अभी मैिथली भाषा-संकृितकसमान आ सबन रहैत अिछ। एकरे यानमे रािख १० वष पिहनेहम सभ रेिडयो काितपुरमे हेलो िमिथलाक शुआत कएने रही।एिहमे हमर आवता लगभग वयंसेवकीय छल। मुदा हम लागलरहलहुँ। तकर पिरणाम ई छैक जे हमर रोजगारीमे आंिशकसहायक तँ ओ भेले अिछ, आइ नेपालमे कमसँ कम पच सय गोटे55


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>खािल मैिथलीएमे बािजकऽ रोजीरोटी कमा रहल छिथ। त एिह मादेहम एतबए कहब जे पूण लगनशीलताक स जँ हमसभ बालुओपेरैत रहब तँ एक ने एक िदन ओिहमेसँ तेल बहरएबे करतैक।मुाजी:अह िविभ कारक ियाकलाप वा गितिविधमे लागल रहैतछी। अपनाक समेिट रखबामे िकछु बाधक तँ नै होइछ?धीरे ेमिष: किहयो काल अवथा एहन अवय भऽ जाइत अिछजे पीठक झँपैत छी तँ माथा उघार आ माथा झँपैत छी तँ पीठउघार। मुदा समयक सीिमत चादिरक यवथापन करैत माथ आपीठ दुनू झिप लेबामे जे आनद अबैत छैक से वणनातीत होइतअिछ। त बेसी िदस िछिड़अएनाइक सेहो हम अपन सफलताकोतक मानैत छी। हँ, एिहिदस साक जर रहैत छी जेबेसीिदस िछिड़आकऽ कहीँ हमर अिभयान तँ लचर निह भऽ रहलअिछ! हम ओ सभ काज करैत रहैत छी जािहसँ बुझाइत अिछ जेई काज कएलासँ हमर मैिथली एको डेग आग ससरत। जिहयाहमरा ई बुझबामे आएत जे ई काज कएने हमर मैिथलीक ित भऽरहल छैक तँ ओ काज हम ठामिह रोिक देबैक। हमरा एखन धिरिकछु िवशु पूवही वा अपरोजक-अपाटक सभक छोिड़ केओ एहनसेतो निह देने अिछ, त अपनाक चहुँिदस सिय रखने छी।56


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>मुाजी:पा भौजी, धीरे भैयाक कायम सभमे सेहो अिगनीबिन देखार भेलीह अिछ। एकर सभक अितिरत अहसँ वतंकोन-कोन गितिविधमे सिय रहैत छिथ।धीरे ेमिष: वत प सभसँ मुख तँ पा एक कुशल गृिहणीछिथ। किवता-कथा िलखैत छिथ। कम िलखैत छिथ, मुदाहुनकामे समाज आ संवेदनाक धरबाक जे कला आ सामय छिन सेिवलण। गीत गबैत छिथ, सेहो हुनक वत े छिन।नेपालक वतमान रागानक एक गाियका पा सेहो छिथ। मैिथलमिहला समाजक सिचव आ िविभ मिहला समाजक सलाहकार भऽकऽ ओ अनेक काज कऽ रहल छिथ। नारी जागृित सबधीकतेको काजमे ओ नेतृवदायी भूिमका िनवह कऽ रहल छिथ।मुाजी: िमिथला (िबहार) आ नेपालमे कोनो मैिथली गितिविधकरािस अगड़ा जाितक हाथमे रहल अिछ। मुदा नवम सदीमे िपछड़लजाितक धरिहक सिय वेश भेल अिछ। एकरा भिवयमे कोननजिरये देखै छी।धीरे ेमिष: अह िबहारक नजिरयासँ देखैत ई बात कहने होएब।मुदा नेपालक अवथा िकछु िभ अिछ। नेपालक मैिथली57


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>गितिविधक जँ बात करब तँ एिहठाम अगड़ी-पछड़ीवला बात हमराबेतुका बुझाइत अिछ। नेपालमे तँ बहुत पिहनिहसँ मैिथलीगितिविधक रािस अहक आशय रहल तथाकिथत पछड़ी जाितकडा. रामावतार यादव, डा. योगेसाद यादव, डा. रामदयालराकेश, डा. गासाद अकेला, रामभरोस कापिड़ ‘मर’, योगेसाह ‘नेपाली’, परमेर कापिड़, रामाशीष ठाकुर, मदन ठाकुर,रामनारायण ठाकुर, महे मडल ‘वनवारी’ सँ लऽकऽ नवतुिरयोमेअमरे यादव, अिमतेश साह, िनयानद मडल, शीतल महतोसदृश लोकक हाथमे छिन। जँ संथागत गितिविधक बात करब तँमा सतरी िजलामेटा पचाससँ अिधक मैिथलीसँ सबिधत स-संथा भेटत, जकर पदािधकारी सभ किथत पछड़ा वगक छिथ।ायः इएह कारण छैक जे नेपालक मैिथली गितिविध जतबए छैक,जिड़ धएने छैक। ायोिजत निह बुझाएत एिहठामक मैिथलीगितिविध। अिधकश भारतीय मैिथली अिभयानी सभ जक निह जेकहब मैिथलीक कायकत आ िहदीक कनेक अत भेिट जाए तँओहीपर तर-उपर होइत रहिनहार वा घरमे िहदीक योगक िताबुझिनहार।रहल बात एिह सदीमे जँ िबहारो िदस ाण आ कायथेतर जाितजँ मैिथली गितिविधमे आग आिब रहल छिथ तँ ई िमिथला-मैिथलीक लेल सौभायक बात िछयैक। कारण यथाथमे जँ देखबैकतँ किथत अगड़ीसभ तँ मैिथलीक रटीप मा करैत आएल छिथ,58


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>अपन दैनिदनीमे मैिथलीक य-त-सव योग करैत यथाथमेएकरा जीवन देिनहार तँ किथत पछड़े सभ छिथ। ओ सभ जँ पूणसचे भऽ कऽ लािग जािथ तखन तँ मैिथलीक लेल ककरो नोरबहबैत रहबाक कोनो योजने निह रिह जएतैक।मुाजी: अह ारा तुत कायम सभ सतही वा यावसाियक पूितमाक इंिगत करैए, की कहब अह?धीरे ेमिष: अपन गायकी वा सीत, अिभनय वा कायम सभकहम सािहय वा रचना मानैत छी आ ताही भावसँ ओकरा हमकायप सेहो दैत िछयैक। एहनमे हम अहक सँ कनेअसमसमे पिड़ गेल छी। दोसर नबर मे अह ई कहैत छीजे ‘अहक सब तरहक रचनामे तीण नजिरया जगिजयार होइतअिछ’। फेर िकछु आग चिलकऽ अह कहैत छी जे ‘अहककायम सतही होइत अिछ’। चलू जँ सतहीयो होइत अिछ तैयोहम एिह बातसँ स छी जे अह सन गभीर यित एक सतहीकायम चलबैत मा यावसाियक पूित करऽ वलाक एहन गूढ़ पुछबाक योय यित मानलहुँ। हमरा लेल इएह सभसँ पैघउपलिध अिछ।59


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>मुाजी: अपन अिगला योजना की अिछ? कोनो िवशेषियाकलापक योजना हुअए तँ उलेख करी।धीरे ेमिष: िनकट भिवयक मूलतः तीनटा मुख योजना अिछ।पिहल पलव पिकाक पुनकाशन। दोसर नेपालमे महाकिविवापितक रािय िवभूित घोषणा करएबाक लेल अिभयानकसचालन आ तेसर अपन मैिथली गजलसहक काशन।मुाजी:मैिथली िपाकलापसँ जुड़ल युवा/ युवतीक लेल की सदेशदेबऽ चाहब।60


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>धीरे ेमिष: जे युवा मैिथली ियाकलापसँ जूिड़ गेल छिथितनका िकछु कहबाक योजने निह अिछ। िकएक तँ वतमानमेबकी सभ िदस अवसरक झमाझम वष भऽ रहल समयमे सेहो जँकेओ वेछासँ मैिथली सन सूखात े चुनैत छिथ तँ अनेरेनिह िकछु सोिचए कऽ, िकछु बूिझए कऽ। ओहुना एखनुक युवाबहुत बुझनुक अिछ। हँ, िकनको-िकनकोमे ई देखबामे अबैत अिछजे सोचल सन उपलिध चटपट हािसल निह भेलापर कने िनराशभऽ जाइत छिथ। बस अहीठाम कने िहमत बहने रहबाक जरितछैक। हम सभ मैिथलीमे जँ लागल छी तँ अपन मािटक बलेमसँ वशीभूत भऽ कऽ। एिह ेममे सिरपहुँ आन कोनो ेमसँ बेसीडूिब जाइ। मुदा ेम शद सुनबामे जतेक सहज छैक, िनमाहऽ मेओतेक िकहु निह छैक। त ने एकटा िहदी गीतमे कहल गेलछैक¬ये इक नहॴ आस इतना तो समझ लीजै,एक आग का दिरया है और डूब के जाना है।बस एतबा बात जँ बूिझ गेलहुँ आ एतबा धीरज सेहो धािर लेलहुँ तँहम सभ तरहथीमे सेहो दूिभ जनमा सकैत छी।61


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>मुाजी:धयवाद धीरेजी अपन वतं िवचार देबाक लेल।धीरे ेमिष: एिह अवसरक लेल मुाजी अहक स-स िवदेहपिरवारक सेहो हम आभारी छी।२.डॉ कलाधर झासँ डॉ. शेफािलका वमक सााकार62


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>(हम हेरोगेट, इंलॅड . मे हडी रोगक शय िचिकसक डॉ.कलाधर झा एवं हुनक पी डॉ. पूनम झा ओतए बैसलछलॱ..कलाधर झाजीक िपता ी जगधर झा जी पटना सायंसकॉलेजक थम ३ टा िवाथ मे सँ छलाह . ी जगधर झा,डॉ.शीतल साद, जे दरभंगा मेिडकल कॉलेजक गोड फादर मानलजाइत छलाह आ ी वाई एन झा ऐ तीन टा िवाथ सँ पटनासायंस कॉलेज खुजल छल. डॉ. पूनम झा जे जीपी छलीह ,हुनकनाना ी सी. एस. झा आइ.सी.एस. छलाह,आ िपता ी महानंद झाइंजीिनयर छिथ....)शेफािलका वम:अपने िमिथला रायक िवषयमे की सोचैत छी,हेबाक चाही िक नै ?कलाधर झा (चॱकैत) -हं िकएक नै, जर हेबाक चाही ,मुदा,एखन नै, ...शेफािलका वम: से िकएक ?कलाधर झा (हमर पर ओ छुटतिह बािज उठलाह):.जाधिरिमिथलचलक आिथक वाधीनता नै हेतैक ताधिर नै..शेफािलका वम:जेना..63


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>कलाधर झा:(हमर पर ओ किनक काल हमर मुंह देखैतरहलाह , फेर बािज उठलाह )..हम अपना सँ िकछु िनभर भऽजाइ, सीधे सरकारक सोझा मुंह बािब ठाढ़ भऽ जाइ ई तँ कोनोनीक बात नै..अलग राजसँ घाटा फाएदा दुनु छैक ,साकिवकीकरण लेल िमिथला योय नै...आिथक वाधीनता जेना अहपिहने कृिषक उत क, चीनी िमल, पेपर िमल, यािन नेचुरलिरसोससक देखू , अह अपनासँ की सभ कऽ सकैत छी..देखूशेफािलका जी, लोग हमरा एंी मैन कहैत अिछ , िकतु हम नीकजक जनैत छी जे सरकार हमर कोनो मदद ऐमे नै करत.शेफािलका वम- तं सरकार हमर की करत से बाजू,---कलाधर झा(हमर बात पर ओ चोे जबाब देलाह): हँ िकएक ने,सुनु, सरकारसँ हम तीन बातक मदित लऽ सकैत छी ..कानून आयवथा , पिरवहन, एनेज , यिद ऐ तीनूक आपूित सरकार कऽदैक तँ बंद िमल की िमिथलामे एतेक शित छैक जे नव नव िमलखोिल देत,फैी खोिल देत, िमिथलाक माछ आ मखानक खेतीसँतँ िमिथला िवक सपदा कीिन लेत...............64


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>ऐ रचनापर अपन मंतय ggajendra@videha.<strong>com</strong> परपठाउ।१. परमेर कापिड़-मानकताक बात िवखपाद अिछ !२. अतुलेर- िकछु िवचार िटपणी65


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>१. ा.परमेर कापिड़जनकपुरधाम नेपालमानकताक बात िवखपाद अिछ !िटपणीमे दम आ सॲच सिहतक पिकया ओजह अिछ । बहुतबिढ़य◌ँ लागल आ एिहस’ मैिथली मुद हअ’स’ बँचत । हमनेपालक छी तएँ नेपालक बात करब आ कहब जे नेपाल नविनमाण आ संघीय संरचना िवकासक ममे अिछ । एिह ठामकलोक अपन संघीय राज भाषा,संकृित, जातीयता, ेीयता,स◌ीकृितकता आ एितहािसकौरािणकताक बाहुय एवं भुवकभावपर चाहैत अिछ । सॱच छै जे एिहस’ हमर अिमताकपहचान बनत आ वायतताक वोध होएत । ईबाएिहलोकलेखेजात आगणतोस’ पिहनेक चाहना अिछ ।हमरासबके भाषा संकृितक बाहुयता संघीयराज, सकृितकपहचान आ राजनीितक पहुच िदअएतै आ िदअिबतो छै!66


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>हमरासबकेभािषाक सकृितक चेतना अमीता आ वाततावोधस’आव रहनेएिहपर राजनीितयो खूब भ’ रहल छैआ आरो होएतै ।एहनमे ईमानकताक बात पद बराइ िवताक बात अिछ आएिहस’एिह सालक नेपालक जनगणनामे कैिथलीके बडघाटा भेल छै। छट ध’क’ घट काट’बलासबके कहब छै जेहमसब अिछ, छिथ,छिथनबला नै छी। हए हब हैहुइ बजैछी तै बिजका बजैछी ।बिजका किह भािषक लाभ लभगरस’ होएतै आ एकर राजनैितकसदभ अलगे छै । पूवतराइमे थाभाषा अपन अलगेपहचान आसंकार बना लेने अिछ सेहे नइ,हमरा सबकेसलही, बाड़ा पसिजलासबकेलोक जिक छिथ अिछ नइ बजैत अिछ तअपनाकेमैिथलीभाषी निह किह पािब रहल अिछ ।जेकोइ मानकताक हुड़फेर फेर’ चाहैत छिथ से ई बात िकए नेबूझैत छिथन जेमैिथली भाषा असलमे लोकभाषा अिछ, मैिथलीसंकृित लोकसंकृित अिछ । ईएह हाल लोककला, लोकसंगीतलोकसािहय, लोकगीत, लोकगाथा लोकिचकलाक अिछ । जेसुधार िवकास आ िनखार आएल अिछ ओबहुत एहर आिबक’सेहोहफिनयाब’ दफिनयाब’ आ भाषा–संककृितपर राज कर’ वाते।िमिथलेमे रिहक’ ाण–कायथेतर लोक अपनाके मैिथल आ अपनाभाषाके मैिथली भाषा नै किह सकल अिछ । आनक भाषाकेसपकमे अएलास’ आनो लोक ओ भाषा िसिख जाइए। हमराजिनतेएकिह गाम समाजमे रिहयोक’ तथाकिथत सोलकन आछोटवणअिछ छिथ छिथन नै बजलिखह आ जत’ कतौ बजलोहोतै67


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>त’ सेबिहया खबास, नोकरनी बिहिकरनीसब । मनोिवान देखलजाय जेिवमेजा’क’ लोक विहकार केना करैछै। वाभन पहचानकअिछ छिथ,छलह आ जनौकेाणेतरवगभूिलयोक लवजपर नइलएलिखह ! पिरणाम भेलै जे अपने िमिथलामेमैिथलीकेचारमे कह’जाय पड़लै जे अहूँ मैिथल छी आ अहक भाषा मैीथली भाषा अिछ,अहक संकृित मैिथली संकृित अिछ । आइ िकछु लोक क’कहकेधोती–कुता आ बभनौटी पागकेमैिथली संकृितक पहचानसङेजोड़के घृटता कए रहलाह अिछ । हमरा जिनते सय बरख त’बहुत भ’ गेल, भल पचास वष पिहने धिर अपनासबके पुख मानुषिवापितसनके चौही पेहैत छलाह । चौवही पेहिनहारकेएखनतेसर पुता ठीकस’ अएबो नै कएलैए आ समाजमेबाभन छोिड़ आनकेओपाग पिहरते नै छै। जे जाित िवशेषस’ आव अिछ सेपाग जँमैिथली संकृितक तीक बनत त’ नै लगैए जे ई बात फेहमरेबाभनके थीक से भ’ जएतै?कोनो भाषा समाज आ संकृितस’ जुड़ले रहैत अिछ । हमसबाणेतर छी तै हमरासबके बाउ माइ रहे, माताजी िपताजी नैरहिथ ! बाउए सब िदन हर जोतलकै, कोदािर पाड़लकै, करीनपटएलकै घर बहलकैखेती िगरहतीके सब काज कएलकै।जिपताजी वाभनके छलिन त ओअएलाह गेलाह पुरिहतीपिडतारेकएलिह लौटा सेहो चलौलिह । हमरासबके घरमे ितमनाबनल , हुनकासबके घरमेभोजन आ तरकारी बनलिन । ई लोकनुआ घोती, आ–जमा पेहलक ओ लोकिन संकृतक व पिहरलिथ68


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>। संकृतेमेकािघिर पतर–पित भेजबलाके मैिथली दवे–घावे नेअपन रहिन ? हमरासबमेबाउ हरजोतैहै। भात खाइ है माइ धासिछलै है उसुन बिनहारी खबासी करै हैसे जे कहै छै त’ ओकरसेषणमे,कोनोमानकताक गची–मोड़ आदथअनादथकेमान÷अपमानलिगते नै छै त’ आनलोक िटप ध’क’ ऐमे भािषक िवष िकए पादत?फे नेपालक सदभमे कहब जे एखुनका समय सदभमे मानकताकनइ सबकेसमेटबाक आवयकता छै सेहोपोा पिनयक’ !जनगणनामे एिह िवषयलक’ हमरासबकेबहुते पापड़ बेल’ पड़ल अिछआ धयवाद एितुका राजनैितक दल आ कायकतासबके जेओहोलोकिन जे जेहन मातभाषा बजैत होिथ अपन मातभाषा लखामैिथलीक हकमै बड़ पैघ योगदान देलिह अिछ । मानकता वगभेद,जाितभेद भाषाक राजनीित आ संकृितकेिहसाबे िवखडनक काजकरैत अिछ । एिहस’ मैिथलीक िवशाल बड़गदकेसोझे पािङदकिड़ठुठ एकपोिड़या बनाएब त’ अिछए, लोकगीत, लोककथा,लोकगाथा आलोकभाषा–संकृितपर सोझे लात मािर कात करबअिछ ।२69


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>अतुलेरिकछु िवचार िटपणी१पंिडत गोिवद झा, मैिथली आ अययनआम पाठकक गोिवद झाक नाटक, कथा आ हुनक िलखलिवापितक आमकथा आकिषत करैत अिछ। मैिथली भाषाकअययन कएिनहारक हुनक सािहय तँ आकिषत किरतिहं अिछ,सबसँ बेशी आकिषत करैत अिछ हुनक भाषा पर कयल काय।हुनक सािहियक रचना आ भाषा वैािनक काय दुनू एे गित सँचलैत अिछ िनरंतर गितशील आ िचंतनशील। हेमिनमे हुनक एकगोट पोथी आयल अिछ, मैिथली याकरण(अंेजी सँ मैिथलीमेअनुवाद), जकर मूल रचियता छिथ अंेज लोकिनक ियसनसाहेब, मैिथलक िगलेसन साहेब आ गोिवद झाजीक अनुसारमैिथलीक पािणनी। प.जीक मैिथली भाषाक ित ई काज हुनक70


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>िजजीिवषाक देखबैत अिछ, कारण जे काज युवा वग आ मैिथलीअयापकक करबाक चािहएिन ओ काज पंिडत जी अपन नबेबिरसमे कतेक मनोयोगसँ कएलिन अिछ, तकर अनुभव सभ सहृदयीकए सकैत छिथ। हुनक एिह कायक हेतु हमरा लग कोनो शदनिह अिछ, जािहसँ हुनक अिभवादन-अयथना कएल जाए सकए।कारण मैिथली भाषाक भाषावैािनक काय बहुत सीिमत भेल अिछ,जे भेल अिछ ओ आंगुर पर गानल जा सकैछ, जखिन िक ओकरअययन आ िववेचना वतं भारत सँ पूव भ चुकल छल। एतए उठैत अिछ जे आिखर एिह अतरक कोन कारण? एतेक िदनभेलाक बादो आइओ बहुतो तकला पर उिचत मैिथली याकरणभेटब मोिकल अिछ, जािहसँ सभ अयवसायीक शंकाक समाधानभए सकिन। आइ हमरासभक छोट सँ छोटो याकरणीय समयालेल बहुत बेशी कसरत करए पड़ैत अिछ। मैिथली भाषा वैािनकअययनक िशिथलताक एकटा नमूना हम स: देखल अिछ।जखिन कतहु मैिथली भाषाक चच होइछ तँ ओ कखनो एकरािबहारी भाषा किह तँ कखनहुँ िहदीक बोली किह सोचल जाए रहलअिछ। सोचबाक िवषय अिछ जे एिह भाषा क एहन गित िकयाक?हमरा लोकिन मा शु आ अशु क झगड़ा मे लागल रहलहुँ। ईकखनो निह सोचलहुँ जे भाषा क वैिक िवकास लेल सािहयकरचनाक संग-संग ओकर भाषा वैािनक अययन सेहो होयबाकचाही , ओना िकछु काय भेल, मुदा ओकर िनरतरता निह रहलजकर कारण भेल मैिथली भाषा िहदी क मझमे दबाइत गेल।71


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>ओना ई अनुभव हमरा हेमिनमे आर बेशी भेल जखिन सपूणभारतीय भाषा जे संिवधानक अम अनुसूची मे सिमिलत अिछओकर एकटा कायशाला छलैक आ कायशाला अपन-अपन े मेहेबाक चाही एिह कारक िनदश छलैक। मुदा मैिथली ककायशाला िमिथला िक िबहार तक मे निह भेल, एकर एक माकारण देखाओल गेल जे मैिथलीमे भाषािव निह छिथ। िकतुकारण िकछु आन छलैक आ ओ कारण छलैक मैिथलीक िहदी कबोलीक पमे थािपत करबाक एकटा षडयं। ई षडयंमे जतेकदोषी ओ लोकिन निह छलाह ओिह सँ बेशी हम मैिथल छी, कारणमैिथलीक नाम पर जे िव बजाओल जाइत छिथ ओ बेर-बेरएतबिह कहताह जेना िहदी मे होइत छैक ओिहना मैिथलीमे सेहोहोयत। आ मैिथली अपन वतं अितवक लड़ाई लड़बा सँपिहने हािर जाईत अिछ। ई भ रहल अिछ अरकु मैिथली िवलोकिनक कारण। नाम लेब एिह कारण उिचत निह जे ओ सभिबन वजह क िसि पािब लेताह। हम एिह ठाम ई संग एिहकारण देलहुँ अिछ जे पंिडतजी क ई आभास छिन जे भाषाक लेलसािहय जतेक आवयक छैक ओिहना ओकर भाषा वैािनकअययन सेहो, जकर कारण छल ओ सुिवधाक अभावॲ मे मैिथलीभाषा क वैािनक अययन करैत रहलाह अिछ । मुदा ई एकटा उठैत अिछ जे िव विवालय मे चाकरी कएिनहार आ मैिथलीभाषाक िव कहौिनहार ई अयापक लोकिन क िकयाक निह एिहिवदु िदश यान जाइत छिन, ओ सभ मा सुिवधा पएबाक72


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>जोगाड़मे िकयाक लागल रहलाह आ आइओ छिथ। एतेक वषमैिथलीक अययनक आरभ भेलाक बादो ई महानुभाव लोकिनक ईआवयकता िकयाक निह देखा पिड़ रहल छिन । एकर कारणअिछ हुनका लग एतेक अथाह पािनक उपछबाक समय निह छिन,हुनका लग समय मा छिन अपन गॲटीके यॲत धरएबाक।पुतकक काशन करताह मा एिह लेल जे ोितक लाभभेटतिह भलsिह ओ पुतक कोनो उपयोगी िस हुअए वा निह ।मुदा पंिडत गोिवद झाक निह तँ ओिह सँ ोितक लाभ होइतछिन आ आने कोनो आने लाभ। हँ, लाभ होइत छिन- यश लाभ,जे हुनक एिह काजक मायम मैिथलीक एकटा वतं अितवकसंग-संग मैिथली भाषा क िवशेषता देिख आनो बु वग आकिषतहोएताह। यिद मैिथली भाषाक पूण देखय चाहैत छी तँ ओकरा लेलसवथम हमरा लोकिनक मैिथलीक अययनक िवतृतताक बढ़बयपड़य निह तँ हमरा लोकिन अपन भाषा क िवशेषताक ितितनिह कए सकब। एकरिह पिरणाम होएत जे हमर भाषाक िवशेषतानुकायले रिह जायत आ दोसर जे केओ हमर भाषाक िवषयमे कहतओएह संसार मानत आ हम सभ ओिहना मूंह तकैत रिह जायब।२उजरैत गाम बसैत शहर........73


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>आइ काि मैिथली सािहयमे गामसँ जा रहल लोक , आ उजड़ैतगामक िवषयमे बहुत िचतन कयल जाईत देखल जा रहल अिछ ।कतहु गामक बदलैत पिरदृय तँ कतहु गामसँ पलायन करैतलोक। ओना ई िचतन सही अिछ कहल तँ जा सकैछ जे ईिचतन बहुत पिहने सँ भऽ रहल अिछ । कारण गामक बदलैतपिरदृय गाम टाक निह अिपतु गामसँ जुड़ल सभ िकछु कपिरवितत कएने जा रहल अिछ । काि धिर गाममे विन दुषणनिह छल आई ओ िवकट प धारण कए चुकल अिछ । एिह सँबेशी गाममे अपन डािर पसािर रहल अिछ शहरक संकार आताहूसँ बेशी संवेदनहीनताक िथित। गामक िचता बहुत नीक जेकअंितकाक सपादकीयमे अनलकात जी केने छिथ जे कोना कगाम मे पिरवतन भ रहल अिछ आ ई पिरवतन मानवीयताक रणिदश ल जा रहल अिछ। ओ अपन सपादकीय मे कहने छिथ जेई पिरदृय मा हमर गामक निह छी सपूण िमिथलाक गामकिथक । हुनक ई कहब सौ ितशत सय अिछ। रोजगार किशलिशलामे घर सँ बाहर होइत िमिथलाक लोक बहुत िदन धिर74


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>अपन भीतर गामक निह रािख पबैत अिछ , कारण जिहना-जिहनाओ गामसं दूर होइत जाइत अिछ गामक ित ओकर मोह सेहोओिहना दूर होइत जाइत छैक । हेमिनमे हम दुग पूजा मे गामजयबाक लेल सोचैत छलहुं कारण गाम मे म छिथ मुदा पिरिथितगाम निह जाए देलक । ई म हमरा एिह बेर निह कतेक बेर सँभऽ रहल अिछ म छिथ मुदा तइयो गाम निह जा पबैत छी । आगाम हमरा सँ अखैन मा दूर भेल जा रहल अिछ, भए सकैछ जेकाि तक गाम हमर अतीत भ जाए। म छिथ तँ गाम बचलअिछ आ मक प चात गाम? कारण गामक हम संजोिगक राखब सेभ निह सकत आ संजोिगक निह रखैत छी तं ओ हमरा अपना संदूर केने जा रहल अिछ । दोसर आई गामक पिरिथित सेहोओहने छैक, अपन आलोचनाक पुतक ....मे िशवशंकर ीिनवासिलखने छिथ जे गाम मे युवा निह छैक मा बूढ़ बचल छिथ। सेठीके, जे बचल छिथ ओिह मे दू वग अिछ एकटा जे अपनपिरवारक संग बाहर जा निह पबैत छिथ, दोसर िकछु गोट शहरसं उिबयाक गाममे रिह रहल छिथ । ओ गाममे रहैत तं छिथ मुदागामक शहर मे बदिल क । हमर एकटा िम छिथ िजनकर िपताअपन शेष जीवन गाममे िबतबय चाहैत छिथन , मुदा जीवनकमहवपूण ण ओ शहरमे िबतौने रहबाक कारण गाम मे हुनकाबहुत असकौय देखबामे अबैत छिन, त ओ गाममे एकटा छोट छीनशहरक िनमण करैत छिथ । एिह सं हुनका तँ सहज होइत छिहमुदा गामक अथ समा त भ जाइत छैक । आ िकछु िदनक प चात75


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>गाम मा ओ सरकारी फाईल मे नामक पमे रिह जायत एकरआशंका बढ़ैत अिछ । कारण गामक अथ छल कम स कमसुिवधामे रहब मुदा आई ओकर अभाव देखल जा रहल अिछ।एकर कारण अिछ गाममे शहर जेक अपना-अपना मे जीबाकसंकार निह छलैक मुदा आई ओतहु ई संकार ुतगित सँ बिढ़रहल अिछ । काि धिर सभ सभक कुशल ेम, ओकर खोजखबिर लैत छलैक मुदा आई ओ समा त भ रहल छैक। सभअपनामे सीिमत। जे गामक पिरदृयक बदिल देलक। हमरा कखनोकखनो होइत अिछ जे यिद गाममे ई िथित एिहना बढ़ैत गेल तंहमरा लोकिनक अपन गामक िखसा मे ताकय पड़त । हमराजनैत हम सभ मा गामसं पलायन निह भ रहल छी अिपतुहमरालोकिन अपन गामक उजािर रहल छी । त तं भोरे भोरजतऽ पराती सुनाईत छल आई िहदी क भजन लाउडीपीकर मेसुनाइछ जािह सं कखनो ई निह बुझाइत अिछ जे ई हमर गामकआमा बािज रहल अिछ, लगैत अिछ जेना ई गामक ेत बािजरहल अिछ जे अपन आमाक शाित लेल गामक लोकसं अनुरोधक रहल अिछ । अतमे मक ई पित जे मोबाइल पर कहनेछलीह याािदन जे जयती तँ कािट लेलहुँ, गोसाउन के सेहो चढ़ादेलयिह मुदा एतय तँ केओ निह अिछ, िक क? मुदा ई सोिचकरखैत छी जे यिद अह सभ गाम आयब तँ द देब । आ हमसोचय लगैत छी जे ई मा हमर मक भावना निह सपूणिमिथलाक मायक होइत हेतिन ।76


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>पठाउ।ऐ रचनापर अपन मंतय ggajendra@videha.<strong>com</strong> परमुाजीअनमोल झाक समयक साी रािख ....!िविहन कथा (लघु कथा) माने बीज कथा।ई कथा, एकटा बीयाक समान अिछ। जेना कोनो बीयामे एकटागाछ हेबाक सम गुण िवमान होइछ तिहना िवहिन कथा अपनामेएकटा संपूण कथाक समता समेटने रहैछ। मैिथली कथाक िकछुबानगीक िवलगा देल जाए तँ ओकर तर अयाय कथा सािहयक77


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>तरक सोझ खसल बुझाएत । मुदा ग िवधाक एक ितपिवहिन कथाक वतमान पिरदृय वैिक तरक समक आिब ठाढ़अिछ। एना मा तुलनामक प अिछ। िकएक तँ एखन ई अपनसहजताक एक सीमा मामे समेटने संकुिचत अिछ। मैिथलीसािहय मय कथा जेना आन भाषाक कथाक तुलनामे अबेरसँअपन अितव पौलक, ओइसँ दुलभ िथित िवहिन कथाक अिछ।अयाय भाषाक लधु-कथा सेहो ारंभ मे मैिथली िवहिन-कथा जकएकपेिड़या बाट धऽ आग बढ़ल मुदा ओइ सभ भाषाक सरकारी गैरसरकारी संथा, काशक एवं रचनाकारक सम बल एकरा अपनफराक नाम आ अितव दऽ फिरछेबामे संग देलक, तकरे पिरणामवप बलामे “ए िमिनटेर कथा”, पंजाबीमे “िमी कथा” आिदनामे ई जानल जाए लागल। मुदा िवहिन कथा आइयो डुबा पािनमय उिग डुिब रहल अिछ, सािहय अकादमी (िदली), मैिथली-भोजपुरी अकादमी (िदली सरकार), सी.आइ.आइ.एल. मैसूर वाअयाय संथा वा ऐपर पलथी मािर बैसल महंथ सभ एकरकाशन , सेिमनार आयोजन वा ऐ मादे वतं िया–कलापक पआइ धिर सोझ नै आिब सकलाह। िकछु भाषाक लघुकथामे वतंशोध सेहो शु भेल अिछ। मैिथलीयो अइमे पछुआएल नै अिछ।जकर ेय अही रचनाकारक जाइछ। परती-परत सन पड़लजमीनक अपन सवव ऊज ोत उपजा हिरयरी अनैबला ऐरचनाकारक येक रचना िवहिन कथाक िवलगा कऽ थान78


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>िदयाओत। समुमे हथोिरया देबै तँ ायः मुीमे पािनये टाआओत। ओहो शु वा साफ नै मािटओसँ लेपटाएल सन।मैिथलीक ग िवधाक एकटा कार िवहिन-कथाक िथित सेहोएहनाह जक रहल अिछ। मैिथलीक ग संसारमे िवहिन-कथा सेहोएिह मय लहिरक बीच-बीचमे उगैत डुबैत रहल। िकछु रचनाकारसभ अपन लेखनीये डुबकी लगेबाक यासो करैत रहलाह। परचओ ओइ लहिरक सहबाक सामय नै रािख लहिरक संग िबलाइतगेलाह। एहेन दुह पिरिथित मय जे लेखक सभ िकछु सहैतअपन सवव रचना शितक ऊज ऐमे लगबैत रहलाह ओ छिथ ीअनमोल झा।ी झा “ समय साी िथक”, अपन पिहल िवहिन-कथा संह लऽसोझ एलाह अिछ। ऐ संहमे सय कही तँ समयातर अनुपरचना-संयोजन कएल गेल अिछ जे िहनक कएक दशकक भोगलयथाथक पिरणाम िथक।ऐ संह मय समाजक गभीर होइत पिरिथितक उजागर केलिनअिछ। ऐमे ण-ण घटैत सामािजक घटना, ओकर अधलाहअसिरक महीन गढ़िनये उजागर करबामे सम भेलाह अिछ। ऐमेकािशत अिधकश रचना सभमे सामािजक मूयक अवमूयन,संबंधक दोहन, तकनीकी पिरवतने भािवत होइत सामािजकअितवक सुंदर िचण पिरलित होइछ। ऐमे सोर भेल79


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>अिधकश रचनाक धारदार समायोजन िहनक िवहिन-कथा उेयकसोझ अनबामे सम बुझाइत अिछ। िकछु पारंपिरक कथानकआधारक सेहो नव-नव पिरवतन वा आकलनक संग जोिड़ देखवामेसमथ भेल बुझना जाइछ ।ऐ रचनापर अपन मंतय ggajendra@videha.<strong>com</strong> परपठाउ।१.चेतना सिमित, पटना समाचार/ २.खूजत अलग िमिथला देशकार? छोट देशक समथन कएलिन मुयमंी (िरपोटनवदु कुमार झा)२.उमेश मडल-१.‘मैिथ ली भाषाक दशा ओ िद शा’पर पिरचच २. महाकिव पिडत80


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>लालदास जयती समारोह ३.महाकिव पं. लालदास जयतीत समारोहसंजीव कुमार ‘शमा’-१. नवदु कुमार झा)01. अितवक लड़ाई लड़ैत सप भेल मृित पवचेतना सिमित ारा आयोिजत अंठाबनम् िवापित मृित पवसमारोह सप भऽ गेल| ििदवसीय एिह समारोहक अवसरपर तीनिदन धिर राजधानी पटनाक िमिथलावासी िमिथलाक कला, संकृितखान-पानक रसावादन क' संगिह गीत-संगीतक आनद उठौलिन।मुदा नबेक दशकसॅ पिहने राजधानीक िमिथलवासीक लेल पाबिनबनल ई समारोह आब चेतनाक मा औपचािरकता भेल जा रहल81


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>अिछ। आयोजनक घटैत तरसॅ जतए मैिथली भाषीक एिहसमारोहक ित िच घिट रहल अिछ ओतिह चेतना सिमित सेहोएिह आयोजनक बंद करबाक रणनीितपर चलैत एिह तरहक कायमसभ रखैत अिछ जे िदन पर िदन उपिथित कम भऽ रहल अिछ।ई चेतनाक सौभाय अिछ जे पिछला तीन चािर वष सॅ तीनू िदनककायम समाित कऽ घोषणा सॅ पिहनिह कायम थल खाली भऽजाइत अिछ आ ई संभव अिछ जे आबए बाला समय मे चेतनासिमितक ऊजवान सिय अिधकारी आ कायकत सभ तीनू िदनवयं धूिन रमा बाबा िवापितक गोहार लगौताह।िबहारक राजधानी पटना मे अठाबन वष पिहने मैिथल आ गैरमैिथलके िमिथलाक कला संकृित आ मािट सॅ जोड़बाक लेल बाबानागाजून सिहत आन कतेको मैिथल धरती पु चेतना सिमितकगठनक िवापित मृित पव परपराक ारंभ कएने छलाह जे बादमे पटनाक मैिथल आ गैर मैिथलक मय ततेक लोकिय भेल जेलोक नव वषक कलैडर अएलाक बाद आन पाबिन जकिवापित पव समरोहक ितिथ जर तकैत छलाह। मैिथली भाषीकमय ई समारोह ततेक लोकिय भेल जे पटनाक हािडक पाककमैदान छोट पिड़ जाइत छल मुदा आब तऽ िवापित भवन हॉल आमगध लबक मैदान पैघ भऽ रहल अिछ। राजनीितक े मे एिहसमारोहक ई िथित छल जे सभ दलक नेता एिह मे अपनउपिथित दज करैबा लेल बेचैन रहैत छलाह। शहिर भिरक82


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>मैिथलक एिह जुटान मे कतेको कयादान आ वरदान सकृितककायमक आनदक मय गपसप मे अंितम प लैत छल।पिछला दू दशक मे चेतनाक ई आयोजन ओकर असफलताककहानी गिढ़ रहल अिछ हालिक सिमितक पदािधकारीक एिह संदभमे जबदत तक छिन आ ओिह सॅ सहमत होएब हमरा सभकमजबूरी | सिमितकक मानब अिछ जे टीवी इंटरनेट आिदमनोरंजन बढ़ैत साधनक कारण एिह समारोह मे उपिथित कम भऽरहल अिछ आ एिह तक सॅ भला के मना कऽ सकैत अिछ।शायद सिमितक जनतब निह अिछ जे आइयो दरभंगा, कोलकाता,जमशेदपुर, बोकारो आिद आब कतेको ठाम िवापित पव समारोहआयोिजत भऽ रहल अिछ आ एकर ेरणाक ोत चेतना सिमितअिछ, ओतए एखनो अपन कला संकृित गीत-संगीत सॅ मैिथलीभाषीके अिच निह भेल अिछ।दरअसल एिह आयोजनक ित घिट रहल िचक कारणचेतना सिमितक मठाधीश छिथ जे बाबा िवापितक नामपर बनलमठपर ितिदन सझ देखा अपन कलैडरक अनुसार कायमआयोिजत कऽ काज समात बुझैत छिथ। सिमित पिछला दू दशकसॅ ाइवेट िलिमटेड कपनीक जक काज कऽ रहल अिछ।सहकािरताक नीक जनतब राखए बलाक िनयंणमे यॲ कोनोसंथा के ाइवेट िलिमटेड बना देल जाए तऽ ओकर ई हाल होएब83


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>वाभािवक अिछ। सिमितक वतमान काय णाली आ िवापितमृित पवक वतमान िथित देिख बाबा नागाजूनक आमा के सेहोलािन होइत। आब तऽ िथित ई अिछ जे तीनू िदनक कायमकउाटक, मुय अितिथ, कलाकार आ दशक िफसड भऽ गेलछिथ। कायम देखबा सॅ बेसी उसुकता आब भेट करबाक रहैतअिछ। िकछु लोक एखन होइत छिथ जे एिह समारोहक दरिमयानभेट होइत छिथ आ भेटक बाद गपसप कऽ लोक आपस अपनाघर िदस िबदा भऽ जाइत छिथ। पिहने एिह समारोहक उाटनिबहारक रायपाल सॅ करैबाक परपरा छल आ एिह समारोहकएतबा महव छल जे रायपाल आ मुय मंी एिह समारोहक लेलअपन समय सुरित रखैत छलाह मुदा िबहारक राजनीित बदललाकसंगिह पिरिथित सेहो बदलल आ तखन िवापित मृित समारोहकवप बदलब वाभािवक अिछ। हालिक सिमित अपन परपराकफेर सॅ ारंभ कएलक आ कतेको वषक बाद एिह वष समारोहकउाटन िबहारक रायपाल देवानद कुंवर कएलिन।सिमितक सभसॅ महवपूण एिह कायमक घटैत लोकियताकलेल सिमितक काय णाली िजमेवार अिछ। लोकतिकयवथासॅ सिमित चलैबाक नामपर जे वतमान कायकािरणी बनलअिछ ओ िबहारक पह वषक कुशासनक याद िदया रहल अिछ।हमरा सभक लेल सौभायक बाद अिछ जे पिहल बेर एकटा योयमिहला अय मीला झाक नेतृव मे ई आयोजन भेल। मीला झा84


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>योय मैिथलानी छिथ मुदा सिमितक अयक पद पर बैसा पदकपाछासॅ सिमितक साक संचालन कोनो तरहे लोकतिक आसहकािरताक मूल भावनाक अनुप निह अिछ। संगिह सिमितकसंवैधािनक बायताक कारण मिहलाक अय बनाएब आ ओिहमेिमिथल आ मैिथलीक ित समिपत मैिथलािनक कात करब सिमितकिनयम पर िचह ठाढ़ करैत खैर, सभ वष जक अहू बेरपटनाक मैिथल समाज तीन िदन धिर िमिथलाक मािट संग जुिड़अपन कला संकृित, गीत-संगीतक ित समपण देखौलक मुदाअितवक संकट झेिल रहल एिह समारोहमे नव दशक आमदहोएत आ पुरान गिरमाक थािपत कऽ सकत एकर कपना तऽवतमान नेतृव सॅ निहए कएल जा सकैत अिछ।02. लोबल भेल चेतनाचेतना सिमित आब लोबल भऽ गेल अिछ। ििदवसीय िवापितमृित पवक उाटनक अवसरपर रायपाल देवानद कुंवर चेतनासिमितक बेवसाइटक उाटन कएलिन। देश-िवदेशक कोनो कोन सॅ85


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>िमिथलावासी www.chetnasamiti.org लॉग इन कऽ सिमितकगितिविध जािन सकैत छिथ। सिमित एिह मायम सॅ वासी मैिथलसमाजक िववाह समयाक समाधानक लेल िववाह योय वर कयाकजनतब सेहो उपलध कराओत रायपाल एिह अवसर पर सिमितकमािरका आ कतेको पुतकक िवमोचन सेहो कएलिन।03. मंिचत भेल नाटकिवापित मृित पव समारोहक समापन नाटक मंचनक संग भेल,एिह अवसर पर ित वष नाटकक मंचन होइत अिछ। एिह वषमिहला लेिखका िवभा रानी िलिखत आ कमल मोहन चुू िनदिशतनाटक ‘‘मदित क माता’’ क मंचन भेल। चिलत मैिथलीनाटकक िवषय वतु सॅ हिट नव िवषय वतुक संग तुत ईनाटक लेखक आ िनदशकक योयता आ मताक अनुप निहछल मुदा कलाकार सभ अपन अिभनयक मायम सॅ उपिथतदशकक मनोरंजन करए मे सफल रहल।86


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>04. राजकीय समारोहक प मे मनल िवापित पवमहाकिव िवापितक जयंती राजकीय समारोहक प मे सेहोमनाओल गेल, ीकृण मारक भवन पिरसर मे आयोिजत कायममे उपमुयमंी सुशील कुमार मोदी, िबहार िवधान पिरषकसभापित पंिडत ताराकत झा, खा आपूित मंी याम रजक,िवधायक पूनम देवी सिहत कतेको गणमाय लोक महाकिवक िचपर मायापण- जिल अिपत कएलिन, बेगूसरायक बरौनीकिसमिरया मे आयोिजत अकुभ मे सेहो उसाहक संग िवापितपव समारोह मनाओल गेल।05.समािनत भेलाह िवान आ संकृितकमचेतना सिमित ारा आयोिजत ििदवसीय िवापित मृित पवसमारोहक उाटनक अवसर पर कतेको समान आ पुरकार सेहोदेल गेल। एिह अवसर पर सिमितक मािरका आ आन पुतककिवमोचन सेहो भेल। रायपाल देवानंद कुंवर कतेको िवानक87


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>समािनत कएलिन। रायपाल आ पूव मुयमंी डा0 जगाथ िमसंयुत प सॅ मािरका आ पुतकक िवमोचन कएलिन। नाटक मेनीक अिभनय आ सवे मिहला कलाकारक पुरकार बुिनाथिम िम देलिन आ कला संकृित आ युवा मंी बाल मेला मेिवजय भेल नेना सभक पुरकार देलिन।06. चेतना सिमितक समान - 2011संकृित सािहय समान- डा. रामजी ठाकुरमैिथली सािहय समान- मोहन भाराजसंगीत नृय नाटक समान- कुणालिमिथला िचकला समान- दुलारी देवीिविश अवदान समान- महे हजारीचेतना सेवी समान- धमनाथ झा88


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>कीित नारायण िम सािहय समान- अजीत आजादयाी चेतना समान- राम भरोस कापिड़ मर (जनकपुर)(गुवाहाटी)सुलभ सेवा समान- िमिथला सकृितक समवय सिमितडा. माहेरी िसंह महेश ंथ पुरकार- वीण कयप(भागलपुर)डा. महेरी िसंह महेश िनबंध पुरकार- सुी ेता भारतीझायशोदा देवी िमिथलार लेखन पुरकार- सुी मुित रंजनिसेरी देवी मैिथली संकार गीत पुरकार- रेखा झाीमती शैलवाला िम मृित पुरकार- आशुतोष अिभ(सवे कलाकार नाटक)नाटक)कामेरी देवी पुरकार- िरतू कण (सवे मिहला कलाकार89


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>07. ारंभ भेल नव परपराििदवसीय िवापित मृित पाक समारोहक तीनू िदनक कायमकारंभ गोसाउिनक गीत जय-जय भैरिवसॅ होइत रहल छल। मुदाएिह वष सिमित एकटा नव परपरा ारंभ कएलक। समारोहकउाटन स एिह वष राीय गीत जन गण मन सॅ ारंभ कऽएकटा नव परपरा ारंभ कएलक। जखन िक समारोहक समापनसमदाउन सॅ होइत छल जे एहू वष निह भेल।08. आयोिजत भेल पुतक आ िचकला दशनीिवापित मृित पवक अवसर पर समारोह थल पर पुतकिमिथला िचकलाक दशनी लगाओल गेल, एिह दशनी मे लागलकतेको पुतक टॉल पर मैिथली भाषी मैिथली भाषाक दुलभसािहय, प-पिका आ मैिथली गीतक सीडी आ िमिथलािचकलाक अवलोकन आ खरीद कएलिन। िमिथलचलक िविश90


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>पहचानक पानक िबी सेहो खूब भेल। मैिथल ललना सभकयंजनक मेलाक रसावादन लोक सभ जिम कऽ कयलिन।09. राय गीत सॅ िमिथला िनपा, सरकार पर दबाब बनौलकसिमितिबहारक शतादी वषक अवसर पर राय गीतक युग चयन िबहारसरकार कएलक अिछ। एिह गीत मे िमिथलाक सामािजकसकृितक झलकक एकहुटा शद निह अिछ। चेतना सिमितकसिचव िववेकानद ठाकुर एिह पर िचता कट करैत िमिथलावासीिदस सॅ देश कला संकृित आ युवा मंी सुखदा पाडेयक यानएिह िदस िखचलिन। ी ठाकुर मंी सॅ आह कएलिन जे सरकारिमिथलावासीक जनभावनाक समान करैत एिह राय गीत पर फेरसॅ िवचार करए।.................II91


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>खूजत अलग िमिथला देशक ार? छोट देशक समथन कएलिनमुयमंीिबहारक मुयमंी नीतीश कुमार छोट देशक समथन कएलिन,सेवा याापर जाइसॅ पिहने पटनामे ीकुमार कहलिन जे- िसतपसॅ छोट देशक समथन करैत छी मुदा ई मािमला के आरायक मयक अिछ। नीतीश कुमारक एिह बयानक बाद अलगिमिथला रायक आशा बढ़ल अिछ। यॲ िवकास आ शासिनकदृिए उर देशक चािर भागमे बटबाराक ित ी कुमार अपनसहमित दऽ रहल छिथ तँ अलग िमिथला रायक लेल सेहो हुनकाआग अएबाक चाही।िमिथला रायक मग कोनो नव निह अिछ। आजादीक बादे अलगदेशक मग होइत रहल अिछ मुदा िमिथलाक संकृित, संकारआ मािटमे ओ तेजी निह देखाओल जे झारखंड, उराखंड आछीसगढ़मे देखाओल। िमिथलाक लोक शितिय छिथ आसादगीक संग अपन बात सरकारक सोझा रखैत रहलाह अिछ92


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>जकर पिरणाम अिछ जे वतंाक 64 वषक बादो रौिद आ बािढ़किशकार बनल अिछ आ अपन मािटक छोिड़ पेटक आिगक शतकरबाक लेल वासी बिन अनकर भिवय सुधािर रहल छिथ। ईदुभय अिछ जे गोटेक चािर दशक धिर िमिथलाक पुक हाथ मेसाक डोिर रहल मुदा िमिथलाक नोर पोछबाक कोनो यास निहभेल। पिछला दू दशक रणनीित दृय देखी तँ प अिछ जेकुशासनक डेढ़ दशकमे िवकासक मतलब सारण छल आ एखनपिछला छह वषमे िवकासक मतलब नालदा भऽ गेल अिछ, मुदािमिथला पु सभ िमिथलाक िवकासक के निह बना ओकरा अपनराजनीितक शतरंज बना देलिन जकर पिरणाम आइ सोझ अिछ आिबहारक राजनीितमे चा खाना िच भऽ बौक बनल अपन कुसबचबऽ लेल दुहाइ सरकार कऽ रहल छिथ।मुयमंीक ई िवचार एहन समय मे आएल अिछ जखन देशमे छोटदेशक लऽ कऽ राजनीित गमएल अिछ। ई उिचत समय अिछजखन िमिथला रायक समथक सड़कपर उतरिथ। िकएक तँिबहारक संग रहने िमिथलाक िवकास होएब संभव निह अिछ। एकरउदाहरण संयुत िबहार अिछ। संयुत िबहारमे िवकासक धारदिण िबहार (आब झारखंडमे बहैत छल तिहना एखन िवकासकमतलब सेहो दिण िबहार (यािन नालदा) भऽ गेल अिछ। एतबा93


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>निह िबहारक थापनाक शतादी वषमे चुनल गेल राय गीतमे सेहोिमिथला लापता अिछ। जखन गीतक लेखक खटी िबहारी होिथ तँभला हुनका िमिथला िकएक सुझतिन। त आब तँ सरकार सेहोिमिथलाक िबहारक अंग निह मानैत अिछ। सरकारक बाबू कुंवरिसंहक गुणगान वीकार अिछ। मुदा िमिथलाक िवभूित महाकिविवापित, दीना-भी, लोिरक सलहेस, मंडन, आयाचीक जनतब निहअिछ। यॲ एकर जनतब िबहार सरकारक िवान िनणयकमंडलीक रहैत तँ ओ भला िमिथलाक एिह महान िवभूित सबहकउपेा कऽ िलखल गेल गीतक राय गीतक पमे कहु वीकृितनिह दैत।आब समय आिब गेल अिछ। उर देशक मुयमंी चुनावकसमय छोट देशक तुपक पा भने अपन राजनीितक उेयकपूितक लेल फेकलिन अिछ मुदा िबहारक मुयमंी नीतीश कुमारकछोट देशक समथन अलग िमिथला रायक िनमणक िदशामेमीलक पाथर सािबत भऽ सकैत अिछ। मुदा एिह लेल यास करऽपड़त िकएक तँ नेनाक कनने िबना माय सेहो दूध निह िपअबैतअिछ तँ भला िबहार सरकार आ के सरकार सादगी, सदाचार आशितसॅ बैसल रहलापर अलग देश बनाओत ई असंभव अिछ।२94


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>उमेश मडल१.‘मैिथ ली भाषाक दशा ओ िद शा’पर पिरचच २. महाकिव पिडतलालदास जयती समारोह१‘मैिथ ली भाषाक दशा ओ िद शा’पर पिरचचिम िथ लचल िव कास पिर षद, लहेिर यासराय आ िम िथ ला संघष सिम ितदरभंगाक संयु त त वावधानमे िद नक 8 नभ बर 2011 तदनुसारमंगल िद न बेपहर दू बजेसँ पिर चचक आयोजन कएल गेल छल।पिर चचक िव षए रहए- ‘मैिथ ली भाषाक दशा ओ िद शा’सीतायन, दरभंगामे आयोिज त पिर चचमे व ता लोकिन मह वपूणिव चार रखलिन ।मु य व ता डॉ. भीमनाथ झा कहलिन , किव कोिक ल िव ापितअपन मातृभाषाक िव षएमे का यिभ यि त क ममे कहने छिथ -95


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>बालचंद िव जावई भाषा दुई नऽ ल गई, दु न हासा..। इ यािदकहैत िव ापित क भाषानुरागक िव तृत या या केलिन ।पिर चचक अ य ी जगदीश साद म डल कहलिन - “िम िथ ला आमैिथ ली भाषाक हमसभ कुचलल आ कमजोर िक अए बुझै छी।यूरोपक दजनो मुख देश आ ओकर भाषा एहेन अिछ जे दुिन यकबीच अपन पिह चान बनौने अिछ, जहन की ओकर जनसं या आेफल हमरा सभसँ माने िम िथ लचलसँ बहुत कम अिछ ?अपना ऐठाम तँ ेे आ जनसं येक पाछू तेहन वैचािर क ओझरीलागल अिछ जे सभ र ते-पेरे बौआइ छी। जमीनी भाषा मैिथ लीछी, जते दूरमे मैिथ ली बाजल जाइए ओ िम िथ ला भेल। जिह नाआनो-आनो ेमे मातृभाषाक अित िर तो भाषा बजलो जाइए आपढ़ौलो-िल खौल जाइए, तिह ना अहूठाम अिछ । तहूमे िह दी तँरा भाषे छी।जह धिर सािह ि य क मानक भाषाक अिछ ओ तँ कतौ नेअिछ । दुिन यक बीचमे अंेजी सािह य सभसँ समृ बुझल जाइतअिछ , जखन िक दू देशक कोन बात जे एको देशक भाषासािह यमे एकपता निह अिछ ।िम िथ लाराज हेतु जे दशा-िद शा अिछ तै संबंधमे एकटा कथा कहैछी- ापर युगक सं याबेला। अजुनक मनमे ेता युगक समुमे96


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>पुल बनबैक िव चार उठलिन । लंका जेबाकाल समुमे एक-एकपाथर जोिड़ पुल िक अए बनौल गेल? ओ तँ एक तीरोमे बिन सकैतछल? प पापुरमे हनुमान तप या कऽ रहल छिथ हुनके मुँह सुनबबेसी नीक हएत। प पापुर पहुँच अजुन केलिख न। मु कुराइतहनुमानजी उर देलिख न जे पुल बिन सकैए, मुदा जते मजगूतएक-एक पाथर जोड़लासँ बनत ओते तीरसँ नै बिन सकैए।जइठाम बाहरसँ आन-आन भाषाक तेजीसँ आयात भऽ रहल अिछ ,गाम-गाममे अंेजी मा यमक कूल चिल रहल अिछ , अपन िश ापित क ि◌नमूल उखाड़ैक योजना बिन रहल अिछ , तइठामिम िथ लाराज आ िम िथ ला दशनक सपना कते साथक अिछ ?”इ यािद, अपन िव चार य त केलिन ।िम . िव . प.क अ य डॉ. िव ानाथ झा, ी बुिनाथ झा, ीफूले झा, ी िक शोरी कत िम , डॉ. वण कुमार चौधरी, ीभाष सहनी, ी िश लानाथ िम आिद व ता, मैिथ ली भाषाकउरोर िव कास याापर काश देलिन ।पिर चचक संचालन िम िथ ला संघष सिम ित क अ य- ी कमलेशझा केलिन ।२.97


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>महाकिव पिडत लालदास जयती समारोहमधुबनी िज लाक खरौआ गाममे +2 उच िव ालय पिर सरमे 02नभवार 2011क महाकिव पिडत लालदास जे रमेर रिच तिम िथ ला रामायणक पिर नेता छलाह। हुनक 155म जयती समारोहसुसप भेल।ऐ अवसरपर जयती समारोह, कायपाठ, महाकिव पिर चच आसंकृित क कायम विणत मश: चािर समे सामापन कएलगेल। िद नमे 3 बजेसँ अधरित या धिर ामीण लोकिन आ खरौआसँबाहरोक लोक भाग लेलिन । आयोजन किम िट क उोषक समीरकुमार ‘समा’क समारोह सक संचालन करबाक हेतु, आ एच.वी.लालक अयता हेतु, हिर नारायण झाक मुिय अित िथ पमे आजनक िक शोर लाल दास, लमण झा, रंगनाथ चौधरी, कुमाररामेरम्, रमानद झा ‘रमण’, जगदीश साद मडल, रधुवीर मोचीआिद क नाओं िव िश अित िथ पमे मंचपर िव राजमान हेबाक घोषणाआयोजक किम िट केलिन। सभ िक यो मंचासीन भेलाह। उपिव कास आयुत ओम काश राय दीप जविल त कऽ समारोहसभाक उाटन केलिन । “महाकिव पिडत लालदास अपन कमसँपिडत छलाह। ाण जाित मे नै रहलाक बादो हुनका राजदरवारमे98


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>पिडतक उपािध भेटबाक ऐ बातक सूचक िथ क।” ई बात समारोहसभाक अधय कहलिन । ओम काश राय खरौआ गामक संगमधुबनीये मा नै अिप तु सपूण िम िथ लामे एक-सँ-एक िव ान हेबाकसुयोया कहलिन । ओ इहो कहलिन जे िम िथ लावासी लेल ईगौरवक बात िथ क, जैठाम मनुय नै अिप तु मनुयक कम महानहोइए। अपन िट पणीक पुि करैत कहलिन - “महाकिव पिडतलालदासक पिडतक उपािध केना भेटलिन । जेकर उलेख अखनेअय महोदय सुनौलिन अिछ ।” अही पिर पेयमे आग कहलिन -'सभ मनुय जमसँ शु होइए आ कमसँ ाण। ऐमे जाित ककोनो महव नै। की िथ क अहु संदभमे ओ अपन सुदरिव चार रखलिन । अंतमे अपन एक गोट ‘शेर’ सुनेलिख न । दशक-दीघपर नीक भाव देखल गेल। थपड़ीक गड़गराहिट ऐ बातकसूचक बुझाएल। उप िव कास आयुत ओम काश राय जीक वाचनिह दी भाषामे छल, अपरोत संदिभत बात िह दीसँ मैिथ लीमे कएलभावानुवाद छी। राय जीक नह र आ सुदर िट पणीसँ ोता जगतमेशाितक सुदर दशन सेहो भेल। बाद एकर, एक आध गोटिव िश अित िथ क िट पणीक पछाित दोसर सक माने कायगोीकेर घोषणा करैत कहल गेल जे उचयच झा ‘िव नोद’ गोीकअयता करताह आ फूलच झा ‘वीण’ संचालन। संग-संगपिर सरमे उपिथत किव लोकिन क मंचपर शी आबए लेल आहकएल गेलिन । ऐ शी आहक आह ओम काश राय जीक सेहोरहिन । अशोक कुमार मेहता, नद िव लास राय, उमेश पासवान,99


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>िव ाधर िम , बुच पासवान, मो. गुल हसन, रामिव लास साहु,हिर हिर त, जगदीश साद मडल, चेश, जनक िक शोरलालदास, राम सेवक ठाकुर, रामदेव साद मडल ‘झादार’,शिश कात झा, मनोज कुमार मडल, िश वकुमार िम , लमी दास,किप लेर राउत, अिख लेश कुमार मडल, उमेश मडल, कपकिवउमेश नारायण कण आिद क संग गोीक अय आ संचालकमंचपर उपिथत भऽ गेलाह।कायगोीक ीगणेश अशोक कुमार मेहताक किव ता- ‘कने अपनोकहु आ कने हमरो सुनू’सँ भेल पात् िव ाधर िम - ‘गेले घरछी’, बुच पासवान- ‘िम िथ ला राज मंगै छी यौ’, हिर द हिर त-गाम हेरा गेल, जगदीश साद मडल- ‘सझ’, तेकर बाद रामदेवसाद मडल, मो. गुल हसन, शिश कात झा, िश वकुमार िम ,रामसेवक ठाकुर, जनक िक शोर लालदास, चेश, रामदेव सादमडल ‘झादार’ आ एक-आध-टा आओर किव जीक किव ता पाठभेल। आयोजक िद ससँ अिग ला सक कायम माने पिर चच लेलआब ऐ गोीक समापनक घोषणा जिदये करिथ । से आहसंचालक आ अयसँ कएल गेल। अय उदयच झा ‘िव नोद’इशारामे संचालकक सहमित देलिख न, संचालक फूलच झा‘वीण’ अशोक कुमार मेहताक हाथमे मैक दैत कहलिख न जे ओ100


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>हुनकर नाओंक घोषणा कऽ देिथ न। अशोक कुमार मेहता मैकहाथमे लैत कहलिख न- “आब अह सबहक बीच ऐ गोीकसंचालक डॉ. फूलच झा ‘वीण’ अपन एकगोट लयामक गीतसुनौताह।” बहुत सुदर ढंगे लाय आ रागसँ पूण गीतक गायनआराम-आरामसँ बहुत नीक सूरमे केलिन । गीत सप भेलाक बादसंचालक पमे आिब लगले-सूरे घोषणा केलिख न - “आब अयमहोदय डॉ. उदयच झा ‘िव नोद’ िज नका अपने सभ नीकसँ जनैतहएब....।” इयािद कहैत आ िव तृत पिर चए दैत, हुनका आहकएल गेलिन । उपिथत भऽ अय महोदय अपन किव ताक पाठसुदर ढगे केलिन , सहजता आ असिथ रतासँ पूण पाठ, बहुत नीकशैलीमे केलिन । ई किव ता गोीक अंित म किव ता छल। किव ताकसमापन होइतिह अय पमे आिब लगले-सूरमे बजलाह- “आबकायगोीक समापनक घोषणा कएल जाइत अिछ ।” मंचपरउपिथत- उमेश पासवान, रामिव लास साहु, नद िव लास राय, बेचनठाकुर, किप लेर राउत, मनोज कुमार मंडल, लमीदास, अिख लेशकुमार मंडल आिद किव सुगबुगाए लगलाह। मैकपर आयोजककउोषक घोषणा केरैत कहलिन - “मंचपर उपिथत किव मे िज नकरकिव ताक पाठ भ' सकल ओ कृपया मंचासीन रहिथ , हुनका सभकसमािन त कएल जाएत। वॉकी किवक मंच खाली करबाक आहकरै िछ यिन ।” सएह भेल। किम िट िद ससँ किव लोकिन क(िज नकर-िज नकर किव ता पाठ भऽ सकलिन ..) एक-हक गोटचादिर सँ समािन त कएल गेलिन । तेकर बाद तेसर सक ारभ101


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>भेल जइमे महाकिव लालदास पिर चच भेल। कमलेश झा, फूलचिम ‘रमण’ रमानद झा ‘रमण’ कुमार रमेरम्, आिद िव ान भागलेलिन ।ऐ अवसरपर महाकिव लालदास कृत ‘महेर िव नोद’ पोथीकलोकापण समारोह सभामे मंचासीन सभ गोटे ारा कएल गेल आ‘िव देह’ ारा आयोिज त 15म मैिथ ली पोथीक भय दशनी सेहोछल। अंत सकृित क कायमक पछाित भेल।३.संजीव कुमार ‘शमा’, एम.ए. (संगीत, िहदी आपकािरता), एल.एल.बी., पी.एच.डी. लेल शोधरत (संगीतमे)।सित-अिधवता िसिवल कोट ,झंझारपुर। गाम- रतुपार, पो ट-ताजपुर, भाया- झंझारपुर, िज ला- मधुबनी, (िब हार)102


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>महाकिव पं. लालदास जय ती समारोहमहाकिव पं. लालदास जय ती समारोह आयोजन सिम ित , खड़ौआारा पं. लालदासक 155म जय ती समारोह थानीय लालदासउ चतर मा यिम क िव ालय ाङणमे समारोहपूवक 02/11/2011कमनाओल गेल। समारोहक िव िश ठ अित िथ िज ला उपिव कास आयु ती ओमकाश राय, मु य अित िथ अवकाश ा त िश क ीहिर नारायण झा, आयोजन सिम ित सह कायमक अध्य ारख डिव ुत बोडक पूव चेअरमैन डॉ. हिर वंश लाल संयु त पसँमहाकिव क ित मापर पु प अपण आ दीप वलन कऽ समारोहकउाटन केलिन । कायमक शुभारंभ वंदनाक वागत गीतसँ भेलत पात भी.डी.एस.एच संगीत महािव ालय झंझापुरक छा देवे महतो पं. लालदास रिच त मङल गीत- ‘जय जय िग िर जा तनयगणेश’ गौलिन । जकर धुन ीमती अंजना शमा देने रहिथ ।िव िश ट अित िथ ी राय अपन उाटन भाषणमे उगार य तकरैत बजलाह जे िम िथ लाक मािट वनामध य अिछ । ऐठाम अदौसँिव ानक परंपरा रहल अिछ । अपन अ यीय भाषणमे डॉ. एच.वी.लाल कहलिन जे महाकिव ज मसँ नै अिप तु कमसँ पिड यकचिर ताथ केलिन । ओ कहलिन जे हम सभ हुनक यि त व आकृित वसँ कृताथ छी। समारोहक मु य अित िथ ी झा जयंती103


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>समारोह मनेबा लेल आयोजन सिम ित क साधुवाद दैत कहलिन जेपंिड तजीक जय ती मनौलासँ नव पीढ़ीक हुनकर जीवन आदशसँनवा िद शा भेटतिन । ऐ अवसरपर पंिड त लालदास कृत मैिथ लीपमय पोथी ‘महेर िव नोद’क िव मोचन िव िश ट अित िथ , मु यअित िथ आ मंचासीन स मािन त अित िथ लोकिन ारा भेल। सभअित िथ लोकिन क फूलक मालासँ स मािन त कएल गेलिन । ऐअवसरपर ‘िव देह सािह य आ दोलन’क वैनर तले मैिथ ली पोथीदशनी सेहो छल।िव िश ट अित िथ क िव शेष आहपर किव संगो ठीक आयोजन थमेसमे कएल गेल। जकर अ यता डॉ. उदय च झा ‘िव नोद’आ संचालन डा◌ॅ. फूलच झा ‘वीण’क छल। संगो ठीमे जतए डॉ.अशोक कुमार मेहता, क प किव डॉ. उमेश नारायण कण, डॉ.बु◌ूच पासवान, मो. गुल हसन, ी रामदेव साद म डल ‘झादार’ी चेश, ी शिश का त झा, ी जगदीश साद म डल, डॉ.जनकिक शोर लालदास, ी. िश वकुमार िम , ी रामसेवक ठाकुरअपन-अपन का यपाठसँ ोताक मु ध कलिन , ओहीठाम ी शंभूकुमार िद न, ी उमेश म डल, ी न द िव लास राय, ी ल मीदास, ी बेचन ठाकुर, ी संजीव कुमार शमा, ी उमेश पासवान,ी रामिव लास साहु , ी अकलेश कुमार म डल, ी मनोज कुमारम डल, ी किव लेर राउत आिद किव अपन का यपाठसँ वंिच त104


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>भेलाह। किव संगो ठीक अ य ऐ वा ते कोनो खेद नै य त कऽसकलाह। आयोजन सिम ित खड़ौआ’क तरफसँ ओइ सभ किव किज नकर-िज नकर किव ताक पाठ भऽ सकल, शालसँ स मािन त कएलगेल ।महाकिव क ‘ यि त व आ कृित व‘ िव षयपर पिर चचमे मैिथ लीकसमालोचक डॉ. फूलचं िम ‘रमण’ महाकिव क रचना ‘रमेररिच त िम िथ ला रामायण’क पु कर का डपर गंभीरतापूवक काश दैतकहलिन जे महाकिव क दशनक साा कार छल। िम िथ लामे चंदाझाक रामायण पूविह कािश त भेल छल तँए ई पूविह सँ लोकि यभेल। डॉ. रमानंद झा ‘रमण’, डी. ई. पी. िन देशक ी रंगनाथचौधरी िद वाकर, ी कमलेश झा, ी कुमार रामेर, ी भरतनारायण कण आ मैिथ ला अकादमीक पूव िन देशक डॉ. रघुवीर मोचीसन मैिथ लीक उदभट िव ान लोकिन अपन शोधपूण सारगिभत या यान देलिन ।साझूँ परक कायममे क तूरबा गधी बािल का िव ालय सकरीकछाा लोकिन ारा जट जटीन, िझ िझ या आ डोमकच नृ यकभावपूण स्तुित भेल। संदीप कुमार पंकज, चंदन, यामा, ीित ,105


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>अंशु अपन गायनसँ ोतावगक झूमएपर मजबूर कऽ देलिन । ओतिहहा य साट ी रामसेवक ठाकुर अपन गप-स पसँ ोतावृंदकलोट-पोट केलिन । संपूण कायममे बजोपर राजकुमार महथा,नालपर महे ठाकुर म नू, पैडपर चीकू, तबलापर शीतल अपनकुशल संगित दान केलिन ।।जयंती समारोहक उोषक एस.के.कण शमा कायमक सफलसंचालन सािह ि य क अंदाजमे कऽ ोतावगपर अपन खास भावछोड़लिन । आयोजन समारोहक सफल बनेबामे सुनील कुमार दास,डा◌ॅ. अरिव द लाल, ी योगानंद लाल दास, ी अजय कुमार दास,ी राजे कुमार दासक संग संपूण ामवसीक भूिम का सराहणीयछल। सिच व भािग रथ लालदासक ध यवाद ापनक संग समारोहशेष भेल।गजे ठाकुर106


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>उकामुख (मैिथली नाटक)तेसर कलोल(आचाय या एकटा शतरंजक घनक चा कात घूिम रहलछिथ। आचाय िसंह दोसर शतरंजक घनक चा कात घूिम रहलछिथ।)आचाय या: तविचतामिणमे हमरा सभक चच गंगेश केलिह मुदाआब लोक हमर सभक असल नाम सेहो िबसिर गेल। हमर सभकपोथी सेहो सुडाह भऽ गेल।आचाय िसंह: मुदा अपना सभक तँ कोनो सरोकार अिछये नै,तखन?आचाय या: हँ, आ मुइलाक बाद भूत राकशसँ नीक या आिसंह कहेनाइ भेल ने।आचाय िसंह: मुदा अपना सभक तँ कोनो सरोकार छलैहे नै,दशनक िसातमे गंगेश ारा कएल चच…107


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>आचाय या: तहीसँ हमरा सभ अछोप भऽ गेलॱ िकने।आचाय िसंह: मुदा ओ तँ आनो लोकक चच तविचतामिणमे केनेछिथ। ओ सभ िकए अछोप नै भेलाह…आचाय या: कारण हुनका सभक नाम गंगेश िलखने रहिथ। मुदाअपना सभक लेल ओ आचाय िसंह आ आचाय या मा िलखनेछिथ। से गंगेशक किवता बिन गेल उकामुख आ हम सभ बिनगेलॱ या आ िसंह। गंगेशक बेटा वमान गंगेशक िवषयमेिलखलिह “सुकिव कैरव काननेदुः”। मुदा िकयो खोजो केलकैचौपािड़पर जे जँ गंगेश किव रहिथ तँ हुनकर किवता की भेल।आचाय या आ आचाय िसंहक जँ गंगेश आदर देलिह तँ से पोथीसभ सेहो सुडाह भऽ गेल।आचाय िसंह: कोन रहय छै ऐ मे।आचाय या: असुरा आचाय िसंह। गंगेश केलक रा हमरसभक तकक ीहषक आमणसँ, आ बनेलक नय-याय। नबकाशा, नबका यायशा। ओहो अजीबे भेल, िपताक मृयुक पचसाल बाद भेलै ओकर जम आ चमकािरणीसँ केलक िववाह। आओइ िववाहसँ जे पु भेलै वधमान से फेर िमलेलक याय आ नय-यायक। मुदा वमान अपन िपताक किवताक नै िबसरल।असुरा आचाय िसंह, चौपािड़ मय बाहरक िवाथक108


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>तविचतामिणक ितिलिप पधर नै करऽ दै छलिखह, ने सार-संेप िलखऽ दै छलिखह। चौपािड़मे वमानक बाद सभ िकयोआचाय या, आचाय िसंह आ उकामुख सभक कापिनक बनादेलक।आचाय िसंह: मुदा ऐसँ सजन कोना हएत आचाय या। िबनसजनक चौपािड़पर िवाथ आम अिभयित कोना करताह।योयता कोना बढ़त। पुरान इितहास या, िसंह आ उकामुख बिननै रिह जाएत? ितबध, ितबध..फेर ानक िवतार कोनाहएत।समाजक एक वग दोसरसँ किट जाएत… ितबध,ितबध..ऐ सँ नेह बढ़त वा िनरपेता बढ़त? जे अहक करबाकहुअए क, जे हमरा करबाक हएत हम करब..की समाजक यएहगित हएत?आचाय या: आचाय िसंह। की ऐ िवमरणक रोकबाक यास नैहेबाक चाही?आचाय िसंह: हेबाक चाही आचाय या। कोनो चीजक िवमरणतावत धिर सभव नै जाधिर ओकरा हम सभ बुझनाइ नै छोिड़िदऐ।आचाय या: बुिझ कऽ मोन राखनाइ, ठीक कहलॱ आचाय िसंह।तँ चौपािड़पर ई यवथा भऽ रहल हएत जे िबनु बुझने पाठ109


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>िवाथक यािद कराएल जाए जइसँ सभ िबसिर जािथ गंगेश आवलभाक।आचाय िसंह: मुदा हम सभ संकेतक योग कऽ सकै छी। संकेतसँमरण िवमरण नै बनत। अपूण रहत चौपािड़क पाठ, आ अपूणपाठक िवमरण नै भऽ सकैए, िवमरण होइए मा पूण पाठ।आचाय या: मुदा कोन संकेत आचाय िसंह..आचाय िसंह: उकामुख…(आकाशवाणी होइए….उकामुख..उकामुख…उकामुख…उकामुख…)आचाय सरभ: ई गंगेश आ वलभाक िववाह शतरंजक खाना सभदैयाकार बिन जाएत, सात सए सालमे जाित खतम..िकछुक…रोकू..िवमरण…िवमरण….वमान: ।उदयन:: जगाथ मिदरमे उदयनक उोष, जे जैँ हम त तूँ पूिजतहोइ छह। बद केवार खुिज गेल।110


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>दीना: भदरी: जिड़मे दुनू गोटे अड़ा देिलऐ शरीर आ दरिक गेलदेवार। आ ब केवार खुिज गेल।दीना: मुइल गाइक हडीमे फोटरा िगदर बिन नुका कऽ सलहेसदीना-भदरी आ बाघक कुती देखिथ। बाघक रान पकिड़ दू कातचीर कऽ फेकी हम दुनू भइ आ मुइल गाइक हडीसँ बहार भऽफोटरा गीदर बनल सलहेस ओकरा जोिड़ देिथ आ फेर ।भदरी: िमिथलाक राजा मगहक हंशराज-वंशराजसँ नआरक पोखिरखुनबओलिह मुदा ओ जाइठ नै उठा सकल। हम दुनू भइदिछनबिरया भीड़सँ जाइठ फेकलॱ तँ ओ सोझे जािठक लेल बनाएलखािध- बॉली मे जा कऽ खसल। ई जाइठ अखनो दिण िदस टेढ़अिछ।उदयन:: माथमे महिष पतिलक वैािनक मतय “यछद आहतदमाकं माणम्” माने जे शद आिक मंक पद कहैत अिछसएह हमरा लेल माण अिछ- एकर अथ बादमे वेदे माण अिछ-सेहो हमरा नामसँ भिवय पुराणमे नै जािन िकए गलत प दऽ देलगेल। अनकर देखल बौतुक मरण अनका कोना हेतै?111


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>दीना-भदरी (सवेत प): धामी कहलक हमरा सभक काज करैलेअपना खेतमे। मािर कऽ जुमा कऽ फेकलॱ हम सभ ओकरा धािमनलग। धािमन गेल िखिसया आ बजेलक अपन दोस फोटरागीदरक। फोटरा गीदर मारलक हमरा सभक।दीना: मुदा दौरीवाली िहिरया तमोिलन केलक तपया पितक पमेाित लेल..भदरी: आ दौरीवाली िजिरया लोहािरन केलक तपया पितक पमेाित लेल..दीना-भदरी (सवेत प): मरलाक बादो। गंगामे पैिस बनेलॱ पीदुनूक। मरलाक बादो।उदयन:: गंगेश केलक रा हमर तकक ीहषक आमणसँ, नय-याय। नबका शा, नबका यायशा। ओहो अजीबे भेल,िपताक मृयुक पच साल बाद भेलै ओकर जम आ चमकािरणीसँकेलक िववाह। आ ओइ िववाहसँ जे पु भेलै वधमान से फेरिमलेलक याय आ नय-यायक।दीना-भदरी (सवेत प): सयकामक सेहो तँ सएह हाल रहै।िपता के छलै ओकरा बुझले नै छलै, जबालाक पुसयकाम, मुदागौतम सन गु भेटलै, वेदक अययन केलिह। मरलाक बादो112


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>उदयन, नव आ पुरानक मेल आ िवरोध होइए। वंशीधर बाभन आबालारामक मेल भेल, लोक देवी गहील आ पौरािणक दुग देवीकमेल भेल।उदयन:: मरलाक बादो दीना-भदरी।दीना-भदरी (सवेत प): हँ उदयन। फोटरा गीदर बनलदोस…संग भेलाह सलहेस। मरलाक बादो……(जारी)ऐ रचनापर अपन मंतय ggajendra@videha.<strong>com</strong> परपठाउ।113


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>राजदेव म डलहमर टोलउप यासगतशसँ आगू....धमडीहीवाली कतेक िद नसँ कोिश शमे लगल अिछ िक तु मौका हाथनै लगै छै। ओकर िव चार छै जे असगरमे सभटा बात खेलावनभगतक साफ-साफ सुनाबी। पर तु झार-फूँक करबैबलाक कोनोअभाव छै। आ ग प हकैबला तँ ओकरे लग बैसत। कखनोसुनहट नै। ए◌ेसँ पिह ने महतो बाबाक थानमे डाली लगौने रहए।114


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>घोड़ा साफ-साफ किह देलकै- “हम की करबौ। कोिख मारलछौ।” फेर दवाइ करबैक िव चार भेल। नीक डा टर गाममे रहै नैछै। शहरक बड़का भारी डा टर लग जाएत तँ ओतेक पैयाकतएसँ लाबत? संगे के जाएत? रहत कतए अनभुआर जगहपर?तैयो धमडीहीवाली िन राश नै भेल छै। िक छु िद नसँ खेलावनभगतपर ओकर िव ास जेना बढ़ए लगलै। लचारीमे कतेक बेरिव चारी करए पड़ै छै। हौ बाबू िव ासे गुणे फल।आिख र दस-दस कोसक लोक लोग आबै छै। फिल त नै होइ छै तँओिह ना? मरल-सुखाएल कोिख हिर यर भऽ जाइत छै। जश-अपजशिव िध हाथ।सोझेमे तँ छै-नररी बुिढ़ याक पुतोहू। ओझा-गुणी, डा टर-वै, धाइमसभ नकािर देने रहए। खेलावन भगत दूटा स तान होइक वाक दऽदेलकै।समूचा धनुकटोलीक ठकमुड़ी लिग गेलै। जिह या वचन पूरा भेलै।कहए भगता आ पूराबए देवता।115


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>ओना तँ ऐंठ खाइ छै आ झूठ बजै छै। सभ कुकरम देखते छी।नचारक िव चार की। दस गोटेक बात तँ मानिह पड़ै छै। चलतीमेतँ मािट यो िब का जाइत छै।धमडीहीवालीक तँ सोिच -िव चािर कऽ काज करए पड़तै। जागेसर तँओइ िद न किह देलकै- पंच सभ साल भिर क समए देने अिछ ।अहक मन-जेकरासँ इलाज कराबी। ओझा-गुणी, डागडर-वै।हमरा िद ससँ कोनो मनाही नै। िस िर फ टाका-पैसा पुरौनाइ हमरकाज छी। पाछ हमर कोनो दोख नै।खेलावन भगत बतमे तेल लगा कऽ सुरिर रहल छै। भगतक सभिक छु अलगे टाइपक। बत लगै छै- सप सन। अ हारमे देख लेततँ सपे बुझेतै।आइ धमडीहीवालीक मौका भेटलै। सुनहटमे सभ ग प फिर छा कऽकिह रहल छै। िक तु भगतक मन जेना कतौ आर टहल-बुिलरहल छै। देह कतौ आ मन कतौ। आँिख जेना िन शमे डूबल छै।धमडीहीवाली सोचैत अिछ - एना िक अए केने अिछ - भगतजी। कहॴओइ िद नका ग प मन तँ ने पिड़ गेलै। झाड़ैत काल चमेटा जे116


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>लगल रहए। कहॴ हमरापर तमसाएल तँ ने अिछ । आब जे होए।बखत पड़लासँ........।धमडीहीवाली कने सुरक तेज केलक। अपना िद स िध यानिख◌ ंचबाक लेल तँ उपाए लगबए पड़तै।“भगत जी, हमरो दुख हरण कऽ िल अ। आब तँ हम कतौक नैरहबै। जँ बाल-ब चा नै हेतै तँ सोित न तरमे बास करए पड़तै।अह तँ बुिझ ते छी- नदी तरक चास-आ सौित न तरक बास।”“सौित न ने कहै छै। बैिर न तरक बास।” ट प दऽ बाजल भगत।“हम तँ मूख छी भगतजी। अह तँ भगवान िछ ऐ। परोपामेअहक जय-जयकार भऽ रहल अिछ । कतेकोक दुख हरण कऽलेिल ऐ। हमरो दुखसँ उबा। खाली आँचारक भिर िद अ। जँहमरा संतान नै हेतै तँ हम बेसहारा भऽ जाएब। पएर पकड़ै छीभगत जी। कोनो उपाए क।”िन सस िख◌ ंचैत भगत बजल- “गु महराज कहने रहिथ न- सुआरथलािग करे सभ पीरीत।”117


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>धमडीहीवालीक आँिख सँ भरभरा कऽ नोर खिस पड़ल। भगत जीकिद ल िप घिल गेलै। ओकरा हाथक अपना पएरपर सँ हटबैतकहलक- “घबरा नै। सभ कुछो हेतै। जे बाट देखाबै िछ औ।ओइपर चलए पड़तौ।”“बचा िल अ भगतजी। जीअत तँ जीअत, मुइलोमे सौित न नै बकसैछै। मुइलोपर िब साइत छै।”“तूँ तँ एक-तरफा सोचै छ। पुषोक दूटा ी भेलासँ ओिह नाकठ होइ छै। तरघुसका तकलीफ होइ छै। तोरा तँ मालूमो नैहेतौ घॲचाय मड़रक भाइक िख सा।”“हमरा कतएसँ मालूम हेतै।”“आब तँ बेचारा दुिन यसँ चिल गेलाह। चािर -पच साल पिह लुकाग प िछ ऐ। सौित िन य डाहक िश कार भऽ गेलै। दुनू ी िम िल कऽदशा िब गािड़ देने रहए। देखैत छी आइयो दुनूटा सढ़ जक ढेकैरकऽ लड़ैत छै।”118


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>“की भेल रहै भगतजी?”धमडीहीवालीक आँिख मे उ सुकता भिर गेल छै। खेलावन भगतपलथी मािर कऽ बैस गेल। दिह ना जघपर राखल बत थरथरारहल छै। मुँहसँ िख साक बखान चिल रहल छै।“घॲचाय मड़रक भाइक नाओं रहै- िच चाय। एकटा ीमे संतान नैभेलै। फेर दोसर केलक। ओहोमे संतान नै भेलै। दुनू औरित यामेराित -िद न हड़-हड़, खट-खट होइते रहए। िच चाय झगड़ा छोड़बैमेअप यत। दुनू तरफसँ गािड़ मािर सुनए पड़ैत। िच चाय लवकीकबेसी मानैत। ओकरो संगे राित िब ताबैत। पुरनकी कछ-मछ कऽराित काटैत। सौित िन या डाहसँ जरैत पुरनकी सोचलक।”िक छु काल िक भगत आगू बजय लगल- “हँ, अमव याक राितरहए। खट-खट अ हार। िट िप र-िट िप र बून चुबैत। हाथ-हाथ नैदेख पड़ैत। लबकी जइ घरमे सुतैत रहए ओइ ओसरपर िच चायदिह ना पएर रखलक आिक बामा पएर पुरनकी पकिड़ लेलक।अ हारक कारने िच चाय देख नै सकल। ओ डरे ‘आऊँ, आऊॅ’करए लगल। लबकी दौग कऽ िन कलल आ दिह ना पएर पकिड़लेलक। दुनू अपना-अपना िद स िख◌ ंचए लगल। अपना-अपना घरिद स लऽ जेबाक यास। खच रहल छल। िच चायक बुिझ पड़लै119


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>जे दू फकमे चीरा कऽ बँिट लेत। ओ बाप-बाप करैत िच िच याउठल। अड़ोिस या-पड़ोिस या जमा भेल। तखन मिम लाक शा तकेलक। दूटा ी केलाक फल एहनो होइत छै।”“भगतजी, तैयो मरदक जाित ऊपरे रहै छै। हमर नैया कोन िव िधपार लगतै।”“तूँ िच ता नै कर। अबए दही उ शुभ घड़ी। उ पिवतर राित । ”खेलावन भगत बत उठा कऽ उपदेश िद अ लगल- “सात िद नपिह लेसँ अरबा-अरवाइन भोजन। दुनू बखत नान। मन देह शु।चौबिट यापर पूजा-चर। बाहर बजे राित मे एका त जगहपर आबएपड़तौ। राह-बाटमे कोनो टोका-चाली नै। िक यो देखै नै। िन िश भागराित मे चौबिट यापर नान-पूजा कबुला सभ करए पड़तौ। समैपरसभटा बात बुझा देबौ। भट करैत रिह ह। शरणमे आिब गेल छ तँक याण भऽ जेतौ।”“ध य हो भगतजी।”120


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>धमडीहीवाली उिठ कऽ आंगन िद स चिल देलक। ओकर पएर ि थ रनै भऽ रहल छै। जेना िन शसँ मातल हो तिह ना ओकरा मनमेबुझाय छै। पता नै ई िन श सफलताक िछ ऐ वा असफलताक।ओकर पएरक गित तेज भऽ गेलै। तैयो गहबरक ग ध ओकराचाभरसँ घेरने छै......।मश: ...................ऐ रचनापर अपन मंतय ggajendra@videha.<strong>com</strong> परपठाउ।ओमकाश झासफल अिधकारी121


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>वातानूकुिलत चैबरक शीतल हवा मे िरवॉिवंग चेयर पर आराम सेअलेटल अवथा मे बैसल छलाह ी िबमलेश च। जी ह ीिबमलेश च, जे हमर िवभागक एकटा सफल आयकर अिधकारीमानल जायत छैथ। हुनकर भावी यितवक आग पूरा िवभागनतमतक रहैत अिछ। जतय ककरो कोनो काज अटकल िक ीिबमलेश तुरत यािद कैल जायत छैथ। की अिधकारी आओर कीकमचारी, सभ गोटे हुनकर काज कराबै केर मता आओर हुनकरयितवक लोहा मानैत छैथ। आई वैह िबमलेश जी िकछ शोचपूणमुा मे अपन कुस मे घॲिसयायल छलाह। हम भीतर ढुकबाकआा मगिलयैह त' िबना डोलल संकेत सँ बजेलाह आओर हमओिह सुर वातानूकुिलत क मे वेश कय गेलहुँ। एतय इ बतादी जे जिहया सँ हमर िवभाग मे कयूटर जीक पदापण भेलिह,तिहया सँ सभ अिधकारीक क वातानूकुिलत भ' गेल अिछ। ओनाइ अलग गप थीक जे इ वातानूकुलन कयूटर जी लेल भेलछैह। हम िबमलेश जी सँ िचताक कारण पूछिलयैिह। ओबजलाह- "जिहया सँ मयंक सर गेलाह आओर खगे सर एलाह,तिहया सँ हम िचितत छी।" मयंक शेखर हमर सभक आयकरआयुत छलाह िजनकर बदली भ' गेलिह आओर हुनका थान परखगे नाथ जी नबका आयुतक पदभार हण केलिखह। हमकहिलयैह- "यौ एिह गप सँ िचताक कोन सबध? िकयो आयुतरहिथ, अपना सभ क त' काज करै क अिछ, से करैत रहब।"िबमलेश- "अह एिह दुआरे िफसडी छी आओर सिदखन अिहना122


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>िफसडी रहब।" हम चुप रिह क पराजय वीकार केलहुँ आ एिहसँ आओर उसािहत होयत ओ बजलाह- "अह बुिडराज छी। इजनतब राखनाई बड जरी अिछ जे नबका सर कोन िमजाजकलोक छैथ।" हम- "से िकयाक?" ओ अपन ान सँ हमराआलोिकत करैत कहलाह- "िमजाजक पता रहत तहन ने ओिहअनुपे काज कैल जेतई।" फेर ओ सोझ भ' क बैस गेलाहआओर एकटा नबर दूरभाष पर डायल करैत बजलाह जे मयंकसर क फोन करै िछयैिह। ओकरा बाद एकटा चुपी आओर फेरिबमलेश जी मुकी दैत िवनीत भाव मे दूरभाषक चोगा परबाजलैथ- "णाम सर। हम िबमलेश।"----------------------------------------------"जी सब नीके छै अपनेक आशीवद सँ।"----------------------------------------------"जी अह संगे काज करय केर आनद िकछ आओर छल। अहकिवषयक पकड आओर अहक ान------- ओह सभ मोन पडैतअिछ।"-----------------------------------------------"झूठ नै कहै छी। अछा सर अहक सामान सभ पहुँचल की नै?सॉरी सर, एक िदन िबलब भ' गेल, ासपोट मे क खाली नैछल।"-----------------------------------------------"जी इ अपनेक महानता अिछ। निह त' हम कोन जोगरक लोक123


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>छी। कोनो आओर काज हुए त' कहब जर सर।"-----------------------------------------------"जी णाम सर।" ई कहैत ओ दूरभाषक सबध िवछेद करैतहमरा पर िवजयी मुकी फकलैथ आओर अपन आँिख हमर आँिखमे ढुकबैत कहलैथ जे कहू आर की हाल चाल। हम- "नीके छीयौ। बजबय लेल आयल छलहुँ। चलू नबका आयुतक चैबर मेमीिटंग अिछ।" ओ तुरत हमरा संगे चिल देलैथ आओर हम सबआयुत महोदयक चैबर पहुँचलहुँ जतय सभ अिधकारी बैसलछलाह। मीिटंग शु भेल। एकटा चुपी ओिह क मे पसिर गेल।हमरो िवभाग मे आन सरकारी िवभाग जक भिर साल मीिटंग चलैतरहैत अिछ। एिह िवषय पर एकटा थ िलखल जा सकैत अिछजे मीिटंगक कतबा फायदा अिछ। खैर मीिटंग मे आयुत महोदयअिधकारी सभ क खूब पािन िपयेलिखह आओर खराब दशनकलेल पुरकस डट सेहो भटल। कहुना मीिटंग खतम भेल आओरहम सभ ओिहना पडेलहुँ जेना िबलािडक डर सँ मूस परायतअिछ। मुदा िबमलेश जी फेर सँ अनुमित ल' क भीतर ढुकलाहआओर आयुत सँ कहलिखह- "णाम सर, हम िबमलेश।"आयुत भावरिहत बजलाह- "बैसू।" हमर िवभाग मे कोनो नबकाअफसर आबैत छैथ त' िविभ अिधकारी आओर कमचारी केरखािसयत सँ हुनका पिरिचत करेबा मे िकछ लोक आग रहैतछैथ। िबमलेश जीक (कु)याित सँ आयुत महोदय नीक जकपिरिचत क' देल गेल छलाह। भाव िवहीन चेहरा सँ आयुत124


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>महोदय िबमलेश जी क कहलिखह- "अहक रेकॉड त' बडखराब अिछ। िकछ काज नै भेल अिछ।" िबमलेश जी पतराबदलैत बजलाह- "सच पूछू सर त' एिह लेल अपनेक मागदशनलेल हम आयल छी। एिह चाज मे किहयो ठीक सँ काज निहभेल। आब अह क अयला क बाद सभ ठीक भ' जेतै।" आयुतमहोदय कनी नरम भेलाह आओर अपन योजना पर चच करयलगलाह। िबमलेश जी म मुध भ' क मुकी दैत ह हूँ करैतसुनैत रहलाह। गप खतम भेला क बाद िबमलेश जी कहलिखह-"सर अहक डेरा पर सामान उतारबाक लेल ५ टा लोक पठा देनेछी आओर राितक खेनाई िडलाईट होटल मे आडर क' देने छी।"आयुत महोदय िकछ निह बजलाह। ओकर बाद पता चलल जेिबमलेश जी क िनयिमत बोलाहट होबय लागलैिह आयुत महोदयलग। दू मासक बाद आयकर अिधकारीक बदलीक आडर आयुतमहोदय क आिफस सँ िनकलल। ी िबमलेश जी क अपनकायलय मे छोडैत एकटा आओर कायलय केर अितिरत भारदेल गेलिह। संगिह आयकर अिधकारी (मुयालय) क अितिरतभार सेहो देल गेलिह। हमर पदथापन एकटा दूरक िजला मेक' देल गेल छल। सझ मे िबधुआयल मुँह लेने घर पहुँचलहुँ।किनय मुँह फुलेने बैसल छलीह, िकयाक त' हुनका पिहने बदलीकसमाचार भट गेल छलैिह। हमरा िदस ितरकार क संग देखैतबजलीह- "अह त' ओिहना बुिडबक रिह गेलहुँ। िबमलेश जी क125


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>देिखयौह, कतेक सफल अिधकारी छैथ। सभक पिस छैथ।"हम मौन रिह क हुनकर गप सुनैत अपन पराजय वीकार केलहुँ।ऐ रचनापर अपन मंतय ggajendra@videha.<strong>com</strong> परपठाउ।नवीन ठाकुर, गाम- लोहा (मधुबनी ) िबहार,जम - १५-०५-१९८४, िसा - बी .कॉम (मुंबई िवापीठ), िच- किवता , सािहयक अयापन एवं अपन मैिथल सकृितककायकममे िच। कायरत - Comfort Intech Limited(malad) (R.M. )१िमिथला उवाच126


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>फलना बाबु मिर गेला बहुत नीक लोक छलाह ..........के कहलक..........एखने एगो िधया-पुता बजैत जाइ छल जे फलना िदन भोजहेतै ....बाहर िनकलहुँ तँ ...हिरबोल - हिरबोल सुनाइ पड़ल .!तूँ ....जेबहक की नै किठयारी .....ह ह िकएक नै जेबै !.....जाएब तँ संग कऽ लेब कने -...फलना बाबु छी यु किठयारी के हकार दैत छी .........िचलना बाबुनै रहला .........!ओहो.. ओहो ...कािये तँ गप भेल छल हुनका संग हमरापोखिरपर भेटल छलाह .........आहा..ह .. किहयौ...... जम127


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>मरणक कोनो भरोसा नै होइत छै यौ बाबु ..........ठीके कहैत िछऐेकाका .......!लेिकन गेलाह सभटा सुख भोिग कऽ बेटा-पुतौह बड़ िनक छिन ,खूब सेवा वारी करैत छलिन .........!.ह ह िकएक नै करिथन, किमये कोन छलिन ....एगो बेटा डाटरछिन ...एगो, वन िवभागक अिधकारी छिन ........बेिटयो सभ सुखीसप छिन ,सभ काजसँ िनिंत भऽ कऽ मरलाह!हँ से तँ सभ अथसँ महादेवक कृपा सन भरल पुरल छिथ,.......लेिकन काज राज ढंगसँ करता तखन ने ..........भगवान् कोनोकमी नै देने छिन .........जवार तँ खुएबाक चाही ........हँ तँ सेिकएक नै.......!128


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>चल चल देरी भऽ रहल अिछ ..........फेर एबाको अिछ..........पूजा पाठ करबाक अिछ ......!राम नाम सय है ............!हरी बोल ....हरी बोल .......!कथीक अतेक हला भऽ रहल छै यौ छोटका बाबू ........- भौजीफलना बाबुक ववस भऽ गेलिन !ठीक छै अह चिल जाउ किठयारी ....... भैयाक पठा िदयौ कनेअंगना भोरसं भुखले यासल बैसल छिथ ....दालानपर !.................................................................. !इजोिरयो राितमे टोच लऽ कऽ ई के आिब रहल अिछ बुरलेलआदमी हौतखने मुँहपर टोच मारलकैन .........काका ......एकासा -दुआसाक नोत हँकार दैत छी129


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>......पुरक दफा ..!आहा ...फलना बाबु ...औ औ बैसू .....!नै काका बड़ काज अिछ एखन ...!ह अहक तँ एखन काजक अंगना अिछ बौआ , ........बिहन सभएलीह की नै?ह सभ आिब गेल ......काका छोटकी पुछै छल अहक बारेमे.........जे काका िजिबते छिथन ने ..........!हह हहह हा.. हा.. ह ह ओकरा तँ होइते हेतै , बचामे बड़मारने रिहऐे ने ......!बड़की बिहनक तँ ननिकरबो छऽ ने एकटा ......130


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>ह ५ सालक छै ननिकरबा ..........!भगवान् देह समग दोउ बिढ़या .......बड़ िनक ! ठीक छै चली छीकाका .!भोजक िदन -कए गो तरकारी छै हौ भाइ .........?सात गो तरकारी छै काका ......!कोन-कोन ?.........आलू- कोबी, भाटा-अदौरी , कदीमा , सजमैन, साग , बड़,आ बड़ी ,आह बहुत िनक .......सबेर सकाल िबझो भऽ जेतै तँ ठीक रिहतै..बेसी राितमे नै ठीक होइ छै131


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>...िधया पुता सब उघा लागै छै ..........ह -जाने....... कनेक देख कऽ आब तँ कतऽ तक काज आग बढ़लैए.......!तखने.दूर सं..........!फलना बाबु छी यौ ....िबझो करबैत छी .!ह ह .........ठीक छै ........!हइ िबझो भेलै ....िबझो भेलै....!हइ छौरी सभ हला नै कर ....!बाबा ......भतुआ सुइत रहल ...!हइ जो ने उठा दही ने सझे सँ हला केने छलअ भोज खाएबभोज खाएब .....जो जदी लोटा लऽ कऽ आऽगऽ ..!दू गो लोटा लऽ िलहँ.......132


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>ह...!यौ एगो आउर पात िदअ ई फाटल अिछ ......हइ छौरी ....पात खेबा की भात .....!जाए िदयौ बचा छै हइ ले बौआा ...दोसर पात !हइै भात उठब ने ......! मऽ तोरी गप की करैत छऽ उहर एखनधिर पतॲ नै परसला ....!दाइल लेब दाइल ..! डालना.... डालना....!पाइन ओ एगोटा तँ उठा ला कम सं कम ....की सब तरकािरयेपरसबऽ!..हरे किरया ..एहर आ ..चल पाइन उठा ले तूँ .!हइ हम पैन नै उठाएब .......!133


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>हइ बिचो पैन िपएला सँ धम हेतौ .......उठा ने !..................................हइै क़ात भऽ कऽ हाथ धोए जाइ जाउ - हइ ई के िधया-पुताअिछ ........हइ िबचइमे राता पर पाइन हरबै छऽ...लोक िपछैर कऽ खतै एकने चंडाल कही के ...!बहुत नीक .........छल काका भोज ,जय जय भऽ गेलै ..!हौ एतबो नै किरतै तँ नाक -कान कटब के छलै की ...एतेकसपैत कतऽ कऽ रखतै ....समाजमे रहऽ के छै की नै ....!ह सेहो िछऐ........देिखयौ आब काि की होइएा ....सुनऽ मेआएलऽ जे जवार भऽ रहल अिछ पच गाम नोतात.!आह करबाके चाही .. अिह सं नाम होइत छै ....अपने नाम हेतै नेकोनो हमर थोड़े ने, ह .......गामक नाम सेहो हेतै कने !134


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>भोजक २-४ िदन पात ...........!हौ फलना बाबुक राित तिबयत ख़राब भऽ गेलै की ....!हला सुनिलऐ काका आइ भोरमे ........ओहो लटकले छिथ..........पाकल आम छिथ....... आब जे िदन जीबैत छिथ से िदन !ह .........हमरो जेबाक छलए बंबई लेिकन ई हला सुनिलऐतँ िक गेलहुं !दू चािर िदन आर िक जाइ छी .......कही ओहो ने ...आब कतबोछिथ तँ िदयादे छिथ ने .....चिल जाएब तँ बदनािमये हएत .....!तिह दुआरे िकए जाइ ...............!135


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>ऐ रचनापर अपन मंतय ggajendra@videha.<strong>com</strong> परपठाउ।३. प३.१.१. गुलसािरका २. इरा मिलक३. शितलमी चौधरी ४ शेफािलका वम136


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>३.२.१. सयनारायण झा २ओमकाश झा३.३.१. जगदीश च ठाकुर ’अिनल’ २. िमिहर झा३. झा हेमत बापी ४. जगदानंद झा 'मनु'३.४.१. िशवशंकर िसंह ठाकुर २. अिमत मोहन झा137


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>३.५.१. िशवशंकर ीिनवास २. िवकास झा रंजन३. जगदीश साद मडल ४. मुाजी हाइकू ५.रामिबलास साहू- टनका३.६.१. अजनी कुमार वम २.िवनीत उपल138


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>३.७.१. डॉ॰ शिशधर कुमर २ नवीनकुमार "आशा"३.८.१. रामदेव साद म डल ‘झादार’ २.नवीन ठाकुर139


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>३.१.१. गुलसािरका २. इरा मिलक३. शितलमी चौधरी ४ शेफािलका वम१गुलसािरका, भोपालअहक जीवनकअहक जीवनकहमही सपता आ िवपता140


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>अिहना डोरा घुमैत रहतहम गीरह बनैत रहबअह गृहथीक धानक खोछाछोडबैत रहबचलू आजुक इजोिरयामेधो आबी अपन अपनमुँह आ कानिचहबाक करी य जेएखनधिर हम आ अहकतेक भेलहुँ अपन आकतेक छी आनकनी देखी अहक तरथीक रेखाआ माथा परहुक रेघा141


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>सब ठाम त सँगिह छीकतहु टेढ त कतहु सीधाजँ निह लागए बेजाएत किह दी बुझाएसतपदीक अनुबध सँ बहुत पैघ होइत छैकृित आ पुष केर बधअह अिहनाबिह पुजबैत रहीमॲछ िपजबैत रहीसीता जेक हमिठिठयाइते रहब आलय दीस धिकयिबते रहबओना त टगल छीहे142


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>अहक काह परपिहरल गंजी वा पुरना गमछा जेकघुिसया जैब कोनो कोनत भरोस अिछमोने मोन उपालभ दैतोनील आ टीनोपाल दफेर पिहिरये लेबत हे नाथ जुिन करी मोन छोटसंघषक पजारल चूि परखौल िदय अदहनअह बढ़ू आगूकंगुिरया धेने हमपाछुए रहब ठाढ़143


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>२इरा मिलक, िपता व. िशवनदनमिलक, गाम- मिहसािर, दरभंगा। पित ी कमलेश कुमार,भरहुली, दरभंगा।जीवन-------जीवन अिछ,आह, कराहक िसलिसला ,पीड़ा आ दद के144


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>रंगीन,मनमोहक कथा!सब िकछ,म,व,िमया,वँचना!दुिनयक सब िरता अिछ,ममताक मृगतृणा!जीवन के ,िसफ अपना लेल िजनाय.अपन लेल सोचनाय,हमर जीवन,बस हमरे लए?निहँ निहँ,एना सोचब तै.होयत वाथ हमर,िनतत वाथ !जीवन के िकछ अथ भेनाइ,ते जरी छैक,जीवन के एक लय भेनाइ,145


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>ते बेहद जरी छैक।ओ लय,भए सकैत अिछ,िभ िभ ।ककरा हम कहबै,सय.ककरा हम,असय ठहरा सकैत छी।िकतु एक सय ,मानव जीवन म,आिन सकैत अिछ,अथाह शाित.असीम आनद!ओिह सय के बुझबाक ,हम यास करैत छी िनरंतर!हमरा लए हमर जीवन म,सबसे पैघ वैभव,ओ विगक सुख अिछ,जे दैत अिछअपूव सँतोष,मानव सेवा म िछपल अिछ,हमर अँतमन के ओ ,146


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>अलौिकक सय!मानव सेवा आ परोपकार सँग,जी उठैत अिछ ,हमर आमा,तृत भs जायत अिछ मोन,ओिह आिमक सुख के आगू,दुिनय के सब सुख .बुझायत अिछ छोट , छोट,बहुत छोट!!!मानव सेवा आ परोपकार,यैह अनँत िनिध अिछ ,यैह िनतत सय अिछ,यैह एक लय अिछ,हमर जीवन के!!३147


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>ीमित शितलमी चौधरी, ाम गोिवदपुर, िजला सुपौल िनवासी आराजे िम महािवालय, सहरसा मे कायरत पुतकालयाय ीयामानद झाक जे सुपुी, आओर ाम मिहषी (पुनवसआरापी), िजला सहरसा िनवासी आ िदली कूल ऑफइकानोिमस सँ जुड़ल अवेषक आ समाजशाी ी अय कुमारचौधरीक अधिगनी छिथ। ाणीशा सँ नातकोर रिहतोिशाशाक नातक िशाथ आ एकटा समाजशाी सँसािनयक चिलते आम जीवनक सामािजक िबषय-बौतु आ खासकऽ मिहलाजय सामािजक समया आ घटनामे िहनक िवशेषअिभिच वभािवक।गजल148


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>१पले पल ेमक यास लागय आब फ़ेर किहया िमझायब यौइसक तँ जाइत छी परायल िपया फेर किहया आयब यौपचासे हजारक लेल ऐना तामसायल छी कथी लय पीतमकाज असल फेरसँ हम अपन माय बाबुजी क बुझायब यौपके साल एल.सी.डी. आओर फ़ीज बाबुजी रहैथ कीन देनेकहै छलाह अपन जमायक एिहना सभ सsख पुरायब यौमोटरोसाइिकलक सsख अहक ओहो जदीये कय देता पुराबस आब दसे हजार पैया बचल आरो छैक बचायब यौ149


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>बाबुजीक आय छैक बड़ कम खच अथाह अपरम पार यौतैपर मासेमास भायक पढ़ेवाक खच होटल पढ़ायब यौसाल दुई साल तक छैक सेहो दस लाख दान-दहेजक खचवयस िबतल जाइत छोटकी बिहन क पिहने िबहायब यौबर हाथ लगैल बेटीक ऐतै करैथ बाबुजीयेक बड़पनबुझनुक लोक वयं अह छीहै हम गमारीन की बुझायब यौकहै छी हम बेिच िलय हमर सभटा गुिड़या गहना जेबऱसोन शृंगार नय रहत तिक िपया हम उढ़ैर नै जायब यौहम अहक छौिड़ कतय जायब िपया, छौिड़ कतय जायब यौ150


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>चाहे मैिर-जैिर आब वा सदेह िसते जक मैिटये समायब यौ"शितलमी" कहैत छथी यौ अह ितरहुतक सवपुज पाहुनऔर कतैक िदन धिर िवदेहक बेटी जाित क सतायब यौ....................वण २४..................२151


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>िवकासक आगु िवचार देिखयौ कोना खसल जाइत छैिलअ’ लोगबाग आब गितक पथ चढ़ल जाइत छैबुढ़-पुरान सँ िसनेह-भावक भs रहलै अभाव आबथुल माय-बापक िनमेराक तँ रीते उठल जाइत छैबुढ़वा-बुिढ़या क िभन कs बेटा गप भँजे छिथ सुयतआब कोवरे सँ िगरथैिन बहराित देखल जाइत छैकोर पोसल वपुत जखन भs रहल छै कतय युतभावक धमपुत पािब बुढ़ाक नोर ढ़रल जाइत छैखड़ खड़ जोिड़ जे ठाढ़ केयलिन आम घर गृहती152


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>वैह बुढ़ घरसँ िनकैिल बृाम ढ़ुकल जाइत छैबुढाक वग िसधारैक पसरल छै भोरे सँ घुनसुनमुदा कनना-आरोहैटक आइ लाजो उठल जाइत छै"शितलमी" हँसै सोिच सोिच चौथापनक अहक दुगितइहो वयस बुढ़ापाक तँ ओिहना गुड़कल जाइत छै.....................वण २१................४. शेफािलका वमपािनक किपत लहिर पर ,153


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>नै रचू अह इितहास हमरपवन-उिमक वेगपर नै रचू अह हास हमरकतेक यथा -वाण लागलकाल धनुष पर झूिल कऽससक लघु लहिर िसहकौलकसंसृितक फूल करेत केर देवार पर ,आइ सजल उजास हमरिच-अंिकत रेख मे निह जीवनक पदनीण सुिध-दीप योितत कोनानेह-वितका आइ अचेतनाणक लघु-िनलय मे आइमोन उदास हमरण ण पिरवितत अग-जगलहिर लहिर मे मौन िनमणनीरव िनःवर पल पलअहक उपहारक दशनतुिहन िवदु सन िकसलयअंचल मेझरैत कुसुम तारक सन भाव-हृदयघन यामल मे !154


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>भेलॱ िनःशेष ीितक तीा मेअनिलखल पाती दऽ रहल छीसमीा मेएिह अम लेखनी सँ नै िलखू अहतरास हमरकाल-प पर छिवमान सततउवास हमरपािनक किपत लहिर पर नै िलखू अहइितहास हमर...............ऐ रचनापर अपन मंतय ggajendra@videha.<strong>com</strong> परपठाउ।155


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>१. सयनारायण झा २ ओमकाशझा१सयनारायण झाधारक कछेर मे बैसल टुकुर टुकुर तकइत छी,तकइ छी एिह धार क’,तकइ छी ओिह पार क’यैह ओ धार छैक ,?सभक करेज पर छुरी चलबैत छलजवानॲ क’ िदल धरकबैत छल |एकर जखन जवानी रहैक ,कतेक उफनैत छलै ,कतेक फनकैत छलैजेना एकरा आगा िकयो निह छै156


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>एकरा डरे िकयो सुतैत निह छलई कखन की करत ,एकर कोनो ठेकान निह ?गामक गाम सु क’ देलक ,पोखिर,इनार ,गाछी िवरछी सभ नाश केलक ,ई गामक जेठरैयत छल ,गामक पटवारी छलएकर आगमने सुिन लोक कपैत छल |बाप रे फेर डकुबा एतैक ,एिहबेर निह जािन की करतैक ?समूचा गाम क’ सुडाह केलक ,घर, आँगन, दलान तोरलक |धीयापूता कलोल करैत छल ,भूखे पेटकान धेने ,बेजान रहैत छल |मुदा ,एिह डकुबा क’ कनेको दया निह ,िववेक निह ,िनुर िहरदय ,ककश वर ‘अिगया बेताल छल ,ई धारे निह, महाकाल छल |कतेक क’ मग पोछलक ,कतेक क’ लहठी तोरलक|कतेक क’ कोिख उजारलक ,ई रासे निह ,पैघ भक छल |एकर वाह तेज होयते ,लोक िसहिर जाइ छल ,केखनो सीधा दौडइत छल ,पाछू घुमैत छल ,चर कटैत छल ,िवकराले निह ,भयानक लगैत छल |157


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>समय च उनटलइ ,एकरो अंत एलइएकरा बुझल निह छलैक ,एकरो काल घेरतइक ‘इहो एक िदन िनाण हेतैक |एकरा करेज पर लोक घर बािह देलकै ,ई िनजव भेल परल ,नगटे ओंघरायल छैक ,जतेक पाप केलक ,सभक फल पेलक |एकर हाल िभखमंगनी जक छैक ,एकरा देह पर गुदरी लादल छैक ,हुक हुकी छैक ,मगर टुकुर टुकुर तकइ छैक हमरे जक ,,जेना हम तकइ छी एखन एकरे जक |२ओमकाश झा158


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>गजलधरल रिह जैत होिशयारी, मोटरी बाहने की हैत।जखन टूटल अिछ केवाडी, यौ ताला भरने की हैत।नीमक पात तर चानन कानै ई कोन रीत रचेलै,जे ई सवार बनल सवारी, नाक रगडने की हैत।केहेन गाछी अह लगेलॱ जे भूतािह भेल जाइ ए यौ,बढबै लागै जखन बेमारी, दवाई कीनने की हैत।159


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>झरकल मुँह क झपने नीक होइत छै सिदखन,राखले रिह जैत ई तैयारी, मुँह क रँगने की हैत।शीशा महग भेल हीरा सँ "ओम" क अचरज लागल,राखले घर भरल बखारी, सगरो कानने की हैत।------------------ वण २० -------------------गजलिकया एना ई भ' गेल छै देखू उनटा यवहार।हर वहै से खढ खाय छै, बकरी खाय अचार।ककरो तन नै झपल, िकयो आडबर छै केने,160


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>िकयो तरसल बूँद लेल, लागल कतौ सचार।रामनामा ओिढ क आबै भीतर रखने खंजर,छै जकर मोन दिर, हमरा देलक हकार।महगी केर बाण चलै छै चाम देहक नोचैत,जन-जन ओ बाण सहै भूशायी पडल लाचार।जीबै केर अिधकार िछनायल "ओम" देखू कोना,'सुनामी' बिन तडपैत मोन मे भरल िवचार।--------------- वण १८ -----------------गजल161


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>बालुक भीत बनल िजनगी चमकै छै कोना।सुखायल ई फूल सबधक गमकै छै कोना।नकली मुकीक भीड मे हरायल कतौ हँसी,िचता भरल मुँह पर मुकी दमकै छै कोना।पैघ भेल जाइ छै मनुख, झूस िवचार भेलै,कम-धार मे हलुक िवचार जमकै छै कोना।भ' रहलै तमाशा नाचक िबना सुर-ताल के,सरगम कतौ नै मुदा पैर झमकै छै कोना।काठक बनल लोक रहै छै ऊँच मकान मे,162


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>जे सुनै छै िकयो नै िकछ, "ओम" बमकै छै कोना।------------------- वण १७ ------------------गजलहमर हृदयक कुंज-गली मे िवचरैत मोनक मीत अहॴ छी।गािब-गािब जे मोन सुनाबै सिदखन ओ राग अहॴ गीत अहॴ छी।िजनगी हमर पिहने किहयो एते सोअदगर िकया नै छल,सबटा सोआद अहॴ मे छै बसल, मीठ, नोनगर, तीत अहॴ छी।आँिखक बाट मोन मे ढुिक क ेमक घर आलीशान बनेिलयै,ओिह घरक कण-कण मे छै नाम अहॴक, ओकर भीत अहॴ छी।163


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>जुग-जुग सँ ेमक धार मे अहॴ हमर पतवार बनल छी,हमर ेमक दुिनयाक सुर रंग सबटा आ रीत अहॴ छी।"ओम"क मोन केर कोन-कोन मे बसल रहै छै अहॴक सुरिभ,आब ई जमाना सँ की लेनाई िये, हमर हार आ जीत अहॴ छी।------------------------- वण २४ --------------------------गजलिमझबै लेल पेटक आिग देखू पजिर रहल छै आदमी।जीबाक आस धेने सिदखन कोना मिर रहल छै आदमी।डेग-डेग मँहगी केर िनदय जत मे पीसल राित िदन,164


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>पीयर मुँह िबहुँिस क उठौने कुहिर रहल छै आदमी।जनसंयाक नङिर िकयाक बढले जाइ ए िबन थाकल,फिसलक उपजा कम भेल, सॱसे फिर रहल छै आदमी।वाथक एहन िबहािड चलल छै आइ मनुखक गाम मे,सबधक झरकल गाछ सँ आब झिर रहल छै आदमी।किहयो हँसीक ईजोर पसरतै "ओम"क अहार टोल मे,यैह सोचैत सलाई िवासक रगिड रहल छै आदमी।-------------------- वण २२ ---------------------गजल165


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>कर जोडै छी सरकार आब रह' िदयौ।कते करब ाचार आब रह' िदयौ।'टू जी', चारा, खान घोटाला, िकछो नै छूटल,भिर गेल अिछ 'ितहाड' आब रह' िदयौ।मुिखया बनै सँ पिहने चलै छलॱ पैरे,कोना चढ' लगलॱ कार आब रह' िदयौ।कठ मोिक जनताक कते राज करब,जनता नै छै यौ लाचार आब रह' िदयौ।कोना फूिस बािज अह "ओम" क ठिक लै छी,166


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>केिलयै लाजक संहार आब रह' िदयौ।----------- वण १५ ----------------गजलघोघ तर सँ चान उगल, अँगना मे इजोर पसिर गेलै।मोन हमर छल बाहल, िकया आइ अपने िपछिड गेलै।मृगनयनी, मोनमोहनी, चंचल नयन सँ ाण हतल,मुख पर नयन-कमल, जै सुरिभ सँ मोन पजिर गेलै।सुिन अहक वचन, भ' ेम मगन, मोन-मयूर नाचल,ेम-बोली तोहर सुनल, इ हृदय नािच क ससिर गेलै।167


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>िहय-आँगन, पायल झन-झन, संगीत मधुर छै बाजल,रोिक कोना जे मोन नाचल, नै कहब िकया नै सहिर गेलै।अहक अजगुत प देिख क, भाव "ओम" रोिक नै सकल,जे िकछ छल मोन राखल, कोना देखू सबटा झहिर गेलै।---------------------- वण २२ ---------------------गजलिकया एना ई भ' गेल छै देखू उनटा यवहार।हर वहै से खढ खाय छै, बकरी खाय अचार।ककरो तन नै झपल, िकयो आडबर छै केने,िकयो तरसल बूँद लेल, लागल कतौ सचार।रामनामा ओिढ क आबै भीतर रखने खंजर,छै जकर मोन दिर, हमरा देलक हकार।168


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>महगी केर बाण चलै छै चाम देहक नोचैत,जन-जन ओ बाण सहै भूशायी पडल लाचार।जीबै केर अिधकार िछनायल "ओम" देखू कोना,'सुनामी' बिन तडपैत मोन मे भरल िवचार।--------------- वण १८ -----------------ऐ रचनापर अपन मंतय ggajendra@videha.<strong>com</strong> परपठाउ।१. जगदीश च ठाकुर ’अिनल’ २. िमिहरझा ३. झा हेमत बापी ४. जगदानंद झा 'मनु'१169


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>जगदीश च ठाकुर ’अिनल’गजल1कट-कूस अिछ भरल बाट पर जह-तहनिढया,कूकुर मरल बाट पर जह-तह ।ए राजा,किनमोझी आ कलमाडीक युग इकेने छिथ सभ दखल बाट पर जह-तह ।हेय दृि सं देिख रहल अिछ नर-नारी कसढ आ मिहशा पडल बाट पर जह-तह ।ऐंठन एखनहुं धिर ओिहना के ओिहना अिछजौड कते अिछ जडल बाट पर जह-तह ।खोपडी ठाढ छलै अनिगनती,िबला गेलै170


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>ठाढ भेल अिछ महल बाट पर जह-तह ।बूिझ पडैये जीत गेल छिथ पु िपता संरंग बहुत अिछ उडल बाट पर जह-तह ।आइ हजारो अा केर आवयकता अिछसय बहुत अिछ गडल बाट पर जह-तह ।2अपने छी ए’आ मोन कतहु टगल अिछजािन निह देख’ ले’ की की सभ बचल अिछ ।सभठ िबलाइ छै आ सभ ठाम रताघूरब कतेक बेर सभ बाट काटल अिछ ।कज पर कज आ रसगुलाक भोजओझा बताह आ िक भिर गाम पागल अिछ ।मुंबईमे बेटा आ िदलीमे किनयबूढ मोन दूटा हजार ठाम बटल अिछ ।171


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>जीवकात,गौहर,िवयोगी,िवहंगमदेखू असंय फूल मालामे गथल अिछ ।गाम-गाम देखू ई दृय महाभारतकशतरंजक खेलमे सभ हाथ बाझल अिछ ।जिहया समयलीह सीता एिह धरतीमेतिहया सं धरती हजार बेर फाटल अिछ ।२िमिहर झाचयूह :िनिवकार िनराकार उमुत पदाथ172


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>रंग प जाित सॲ िवमुत यथाथमनुय हमरा कहै ेतहम घुमै छी खेते खेत |भेल एक टा ज़ोरगर हारजम लेलहु करैत चीकारदेव ! जखन उठाएल मूहदेलहु हमरा ई चयूहपढ़ल िलखल भूजा फकीपिहल यूह टूटल पेट झिकहसैत छल सुिन हमर कथाके बूझत मोनक यथा ?याह भेल पिरवार भेलउरदाियव साकार भेलबलहु हम कोलहुक बरदकोनो क आब की गरततोड़ल दोसर यूहक् तारहे भगवान लगाऊ पार |धीया पुता पिढ िलख गेल173


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>याह दान सॲ फ़ुसत भेलराम राम हम पिढ रहल छीअंितम यूह सॲ लड़ रहल छीफेर सॲ आब हम भेलहु चेतभनिह छलहू हम बनल ेत |१झा हेमत बापीझा हेमत बािप१िधयासुइन सौसे घर मचल कोहरामस भ रैह गेलौ सब ठामे ठामसुनाइ परल घर जनमली िधया174


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>हमरे घर ऐला अभगली कीयानै बटल िमठाई नै केलौ दानमाथ पकैर कहलौ हे भगवानकोन जनम के पाप की कैलौतकर फ़ल हमरा आह दैलौदैतहुँ पूत जे संगइह रहैयतहमर बुढ़ाढ़ी के ठगा बनैत्इ िक देलौहु िजनगी के झर्पराय जयत जे अनकर घरितलक दहेज लेल टाका जोगाउया एकरा इकुल पठाउकतबो इ पढ़तै िलखतैचौका चा त करहे पड़तैजै स रहै ौ परयलसेहै हमर माथा बथाइल्सिदखन इजत के रे सोचीबेर बेर माथा हम नोचीसुनु आब बािप के रे िवचार175


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>तजु मोन स िघनयल वीकार्पूत एक कुल के िदपक होइयेबेटी दु कुल के इजोत करैयेखोलु मगज आ क िवचार किनजौ जुग नै रहैत जिनत हम आह कोन क रैतौिटी केर िक का कैतहुजै िहद जै िमिथला ज्ऐ मैिथल जै मैिथिल२की कहुसैद खन समय परा रहल ऐछनै बहबाक कोनो जोगारआब नै काटल कइट रहल ऐछ176


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>िजनगी बनल पहाड़ज धैर ल सम देह मेनै केकरो गोहरेलौखसल सरीर जे आएल बुढ़ाढ़ीिनज घर स बहरैलौदुःख स माथ पकैर कनै छीकेउ नै नोर पोछैयाजेकरा हाम बजनाइ सीखेलौओ देख दशा हसैयाबड़का बौआ कहैथ जोर सिकछु नै आह बुझै छीमंिझला,छोटका दुकैर रहल ऐछनै जानै कोन िजबै छीपोता पुतोहु नै आब टेरैयाकेउ घुइरो क नै ताकाइकुहैर कुहैर क जीब रहल छीाण नै िनकसै केहु बाटे177


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>नै सुझबाक ,नै सुनबाक दुःख नैदुःख एतबे मोन होइएिजनक लेल िजलौ िजऐलौसेहे अपन फ़ास बुझैएचाईर पाच िधया पुता के या बाप्सहज सुलभ पलै ऐमुदा सब मील जुइल कया बाप के नै रखै ऐकहै बािप जैिन क एनाअहुँक समय आबै ऐईहो जुग मे जे जेना करै ऐतेहने फल पबै ऐझा हेमत बापी३अिभलाशासौसे घर चहैक रहल छै , सब के मूख पर नव उलास।मुदा ओ दुखनी बुिढ़या कोन मे, बैसल मूहँ लटकोने भेल उदास्।178


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>आय ओकर पोता के मुंडण, ओकरा केउ नै पुइछ रहल छै।घर के सब जन खा पी उठल, ओ अपन बेरक बाट जोिह रहलछै।देख कै गरम कचौड़ी तीमन, भ गेलै दुखिन के मोन अधीर।सोचलक डेग बढ़ा ल लै छी, अपने सॅ किन पुरी खीर।जखने हाथ सॅ उठबै लागल, दू टा पुरी सेरायल।तखने िचकरैत पगहा वाली, दौड़ल आयल हनहनायल।देिखयो सेखी चटोरी बुिढ़या के, कैनको लाज नै आबै छै।पाहुन सब लेल बनल पुड़ी सॅ, खाइ ले कोना चोराबै छै।कतए गेलौ यो देख रहल छी, अपन माय के करतुत।किनञा के ह मे ह िमलेला, सोन सनक ओ पूत।गा पकैर क पगहा वाली, दुखिन के िखचैत ल गेल।पछुऐत बनल कोठली मे ल जा, दुखिन के बद क देल।पछता क बुिढ़या काइन रहल ऐ, इ भूल िकए कएलो।पहुन सब लेल बनल भोज मे, अपन हाथ लगएलो।179


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>पगहा वािल जे केलक , तेकर नै मोन मे अघात।सोईच नोर के धार बहैया , िकया बौआ नै देलक साथ।बूढ़ छी, बुी हरा गेल छल, तईयो एना नै कऽरैत्।सभक लॅग िकया बेजती कएलक, असगरे मे बुझअबैत।िकछे देर मे मोन ठंढेतै , आयत बजआबऽ हमरा।कहत चलै म मुंड़न देखऽ, नै जएबै आ करबै झगड़ा।मान मनौअल खुबे करत, तखने संगे जएबै।देखबै मुंडन गेबै गीत, आ मोन भैर आिशश देबै।सोइच , पुरनका कोना मे धरल , खोललक जा कऽ पेटी।बाहल पोटली ओिह मे सॅ काढ़लक , खोललक ओकर गठी।बाजल देब अपन पोता के ,लऽ सोना के िसकरी हाथ ।देख सब के सेहता हेतै , बैसऽरतै पैला बात।सोचैत-सोचैत िदन िबतल ,नै बौआ नै आयल समाद।कमछ दुखिन करए लागल, सझक दीया बाती बाद्।180


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>सोचलक काज के घर छै, परल नै होएतै मोन्।अपने ज आिशश दऽ आबै छी , चलल हाथ धऽ सोन।लटपटायत केहुना डेग बढ़ोलक , आङान िदस ओ जखने।पगहा वािल फेर नै मारै , सोइच घुरल ओ तखने।किन काल तऽ कलमच बैसल , फेर लागल चहुँ िदस ताकऽ।कतौ केउ नै सुइझ परलै तऽ , पऽइर रहल केथिर पर जा कऽ।बाट जोहैत-जोहैत केहुना , आधा राइत त िबतल।हारल थाकल नैन बद भेल ,जे रऽहे नोर सॅ तीतल।दु िदन के बद जखन सबके , कोनो चीजक दुगध लागल्।पछुऐत िदस सॅ आइब रहल ऐ , ओहरे सब केओ भागल्।पहुँच जखन सब केओ खोललक, कोठली के केवाड़।परल चीर िना मे दुखिन, देह लुधकल चुी केर धार्।अखनो बाट ओ जोिह रहल ऐ, लऽ सोना िसकड़ी हाथ।केउ बुझलक केउ नै बुझलक बापी, दुखिन मोन के बात।४181


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>दानवजगदबा सॅ उपजल धरतीबनल िनठुर आ भऽ गेल परतीफाईट रहल िमिथला के करेजजनमल एिह ठाम असुर दहेजघरे घर पैस गेल इ दानवहैवान बनल िमिथला केर मानवघरे सॅ धूआँ उड़ा रहल छीबेटी सन पुतोहु के जरा रहल छीिनत बिहन बेटी के बिल मंगैयाकते के खा गेल मुदा एकर पेट नै भरैयाहाम सब एकरा खुआ रहल छीघरे मे राछस पाईल रहल छीअनका स कहै छी एकरा यागूअपना बेर मे सभ सॅ आगूपिहर लेलौ िनलजक भेशबेटा के बुझै छी नगदी कैश182


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>काईन रहल िमिथला केर धीयाई धरती पर जनमलौ कीयाबैन गेलौ घऽरक अिभशापपरल सोइच मे भाई,म, बापएकरा जे सभ बढ़ा रहल छैथिमिथला के ओ सभ जरा रहल छैथकैऽह दै छी ई नै आब परायतएक िदन अहुँक घर जरायतिदने िदन ई बढ़ले जाइ ऐसुरसा जेना मुहँ फारने जाइ ऐआकार एकर भै गेल अनतिमिथला सकारऽक कऽ देलक अतिकिरया ऐ एकरा सॅ सब जूझूअनकर वैदेही के अपन बूझूसभ गोटे क एकरा सॅ परहेजभगवती सपत नै लेब आ नै देब दहेज"बापी" आबो सब चेत जाउआउ सब िमल इ दानव के बैलाउ183


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>फेर घरे घर अएती म सीयाधय बुझब जे घर अएती धीया२जगदानंद झा 'मनु',िपता- ी राज कुमार झा, जम थान आ पैिक गाम :हिरपुर िडहटोल ,िजला मधुबनी, िशा :ाथिमक -ाम हिरपुरिडहटोल मे, मायिमक आ उच मायिमक -सी बी एस ई, िदली,नातक -देशबंधु कालेज ,िदली िबिवालयकिवता(1) कथा अमर अपन िमिथला कए184


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>कथा अमर अपन िमिथला कएएकरा जुिन िबस |समत िबहार मैिथलीमय हुएआब ओ िदन सुम ||बहुत िपसेलॱह साक जत मआब जुिन िपसल जाउ |बहुत पछुएलौह पछा चैलकएआबो आगु डेग बढाउ ||िनरादर िकएक मायक भाषा कएएकरा जुिन िबसराउ |आबोजागू होश सहा185


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>मैिथिल कए बचाउ ||उठू सुतल िसंह जगाबुअपन वािभमान कए |आसमान सs ऊँच उठाबुअपन िमिथलाक पहचान कए ||*** जगदानंद झा 'मनु'-------------------------------------------------------(2) िमिथला स पलायनखेत -खडीहान उजार भेलसबटा186


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>िमिथला हमर आई बेगार भेल सबटा|निह गामक हाट ओनिह कुजिनक हक़ ओनिह ककाक ठाठ ओिमिथलाक िरतहेराय गेल सबटा|निह बजैत पैजिनयनिह बाबी कए खेलौिनयबाबा कए लाठी हेरायगेल सबटािमिथला हमर आई उजार भेल सबटा |पेटक आइग म187


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>आधुिनकता कए खाई मबेरोजगारी कए है मिमिथला हमर आई पलायन भेल सबटािमथला हमर आई उजार भेल सबटा |*** जगदानंद झा 'मनु'--------------------------------------------------(3) धन हमर िमिथलाजुिन हमरा चािह, धनक गठिडया |दए िदय हमरा,हमर माटी कए पुिडया ||लए िलयअ हमरा सँ,हमर कमायल धन |धन हमर िमिथला, माटी एकर धन ||188


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>मायक आँचर सँ,हमर िमिथलाक धरती |||पायब एहन कहु, दोसर कतएधरतीदूर भए कए बुझलॱह, मोल एकर हम |||िक िथक हमर, आ िक एकर हमजािह आँगन म, जनमलॱह खेलेलॱह |दाबा पकैर जतए, चलब हम िसखलॱह ||आई ओही आँगन सँ,एतेक दूर भएलॱह |कचोतैए मोन कए,दशनॲ निह कएलॱह ||189


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>४ऐ सुंदर-सुंदर किनय , अह के बाजे बर िनक पैजिनय |ई झुमकी,लाली,िबंिदय,चम्-चम् चमके अह के ओधिनय||किनयॲ त संभा अपन, ओ मुकी चौबी बाली |नै त ल लेट हमर जान , ऐ किनय -िझकी बाली ||ई कपत सन िबखरल , मनोहारी कंचन-वेश |िबषधर सँ बेसी मादक , ई सुंदर अहक केश ||रिहतॲ जे हम कवी , रैचतौ बरिनक किवता |बस मोने -म़ोन देखै छी, हम अहक छिबता ||ऐ रचनापर अपन मंतय ggajendra@videha.<strong>com</strong> परपठाउ।. िशवशंकर िसंह ठाकुर २. अिमत मोहन झा190


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>१.िशवशंकर िसंह ठाकुरबाइठोर स ठोर सटे ज़ाम टकराई अिछ,नैन स नैन िमले,ेम कहाई अिछ ,दूर स हुनका जे देखलॱह एक बेिर,ने हुनका सुिध रहल ने हमरा सुिध रहल ,गजलिकये ईस क चईल गेली ओ हमरा स ,कोन अपराध जाने भेल हमरा स ,कत चईल गेली िजनका हम चाहई छलॱह ,नेह लगा क ईस गेली हमरा स ,िजहर सँ जाई िछ देखै िछ हुनके हम ,मोनक आशा ओ छीन गेली हमरा सँ ,191


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>छाती पर पाथर हम रािख क चलई िछ ,हमरे जान छीन क ल गेली हमरा स,भूख ने यास ,ने नॴद लगईया,हमरे चैन ओ छीन गेली हमरा स ,हुनकर ेम नस -नस म रमल अई ,की क आब,हािर गेलॱह अपने स ,फुिसये हम मोन के रिह-रिह पारतारय िछ,ेम िबना हम िनरसल िछ अपने स ,राईत - िदन तरपई िछ िमलय लेल हुनका स ,ओ छिथ जे हमरे नीन चोरा ल गेली हमरा स ,कतबो कहै छिथ िशव शंकर जे मािन जाऊ ,हमरे 'ेम' चोरा लेली ओ हमरा स ,२.192


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>अिमत मोहन झााम- भंडािरसम(वाणेरी थान), मनीगाछी, दरभंगा, िबहार, भारत।हमर ेयसीकाश हम किवता बिन पिबतहु,अहक उर के छू पिबतहु,बिन िमत मर अहक यौवन के,लव पंखुरी पर छा पिबतहु ।अहक आँिखंक काजल होईतहु,अहक पलक पे बिस पिबतहु,ओइ नीला मान सरोवर के,ओ ेत हंस हम बन पिबतहु ।अह ेम काय के मूरत छी,रित कामदेव के सूरत छी,वाणी मे वीणा वास करे,हर एक कला स पूिरत छी।193


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>देख अहक छम से चलनाई,वन के िहरनी शमवैत अिछ,यौवन घट एना छलक रहल,जेना घटा उमर कय आवैत अिछ।यामल मुख पर िझलिमल िबंिदया,लय चोरा गेल नैनन िनंिदया,लय कपोल पर वो खनक हंसी,अह बिन गेलौ हमर मनबिसया।हमर ेत धवल मन मंिदर मे,अह सुर-सुरय अह वीणा छी,एही यामल सुंदर यौवन के,हे मािननी हम ते याचक छी।अधखुला केश के देख देख,सावन की घटा शम जायत ,अहक नैनक काम वाण,हमर हृदय तरसा जायत।अहक कदम के चूिम चूिम,िनजव धरा अित हिषत अिछ,194


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>अहक मोिहनी छिव देख,ऋतु वसंत शिमंिदत अिछ।कारी लट अह िबखरा जाउ,घनघोर घटा सन अह छा जाउ,ुिधत अंक मे ेम से लय,,ेमक सावन अह बरसा जाउ।अधरक ओ सुधा िपलाबु ने,नैनन से नैन िमलाबु ने,अपन अह सवव सॲिप,हमर अितव िमटाबु ने।ेम भाय के बिन रेखा,हमर हाथ मे अह छा जाउ,बन ेम पिथक हमर राधा,“अिमत” हृदय मे अह समा जाउ।ऐ रचनापर अपन मंतय ggajendra@videha.<strong>com</strong> परपठाउ।195


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>१. िशवशंकर ीिनवास २. िवकास झा रंजन३. जगदीश साद मडल ४. मुाजी हाइकू ५.रामिबलास साहू- टनका१िशवशंकर ीिनवास196


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>दूटा गीत१रोटी भातक नै छै पाअगबे हर-हर गीत।इमान मुखौटा लगा बहादुरलऽ रहल छै जीत॥औ जी बुिक छै बिलहारी।कहै छै दूध, मुदा छै ताड़ी॥जतिह हथौरब कतहु िकछु नैअगबे चाले-चाल।छुछ हाथमे कतहु िकछु नैिजनगी भेल बेहाल॥197


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>पेपर िलखै बम- वम वमटीबी नाचै छम छम छमऔजी अुत छै अिपयारी।कहै छै दूध मुदा छै ताड़ी॥करौछ िछपाओल गरम पािनमेकऽ रहल छै छनाक-छनाकहूले- ले ले, हूले- ले लेभऽ रहल छै दनाक-दनाकऔजी अुत छै बुिधयारी।कहै छै दूध मुदा छै ताड़ी॥२आउ िमक जन आउ।198


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>अपन गाम घुिर आउ॥किनय औती बचा आओतजागत गामक ाण॥आउ िमक जन आउ।अपन गाम घुिर आउ।नव योित जे िछटिक रहल अिछओकरा आनू खेतनदी पािन जे छै बौआयलओकरो मो रेतमहमह चास वासमेातीक सूनब टान।आउ िमक जन आउ।अपन गाम घुिर आउ॥199


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>अह िबना ई गाम उदासकानै रा मायदूध भात के अङना खेतैकनने चा जाय।अह आयब तऽ ठुमकत आङनहँसता मामा चानआउ िमक जन आउअपन गाम घुिर आउसुकरातीक आङनमेअिरपन फेर िलखेतै।आँचर तर हे दीपनेह दुलारल जेतै॥वासमती आ जलबा गमकत200


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>लौकत मड़ुआ धान।आउ िमक जन आउ।अपन गाम घुिर आउ॥२िवकास झा रंजनगजल201


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>हमर घरक भीत लाईग छोट सन बाटबाटक ध कगनी हुनक तािक हम बाटचान सुज देिख देिख घोर भेल नैनािजनगीक चान आई उगती ई बाटहसोथब कोना हुनक पक इजोत केटहाटही अभरत आई इजोर ई बाटहमरे सन हुनको भेल हेतैन धकमकीदेिख देिख इ सब मुसुकी देत ई बाटहुनके गछेर हम कबैन िनजगुतजरे जरे काटब िजनगीक ई बाट३202


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>जगदीश साद म डलजगदीश साद म डलकिव ता-सान-धार-धाराअबैत जखन मनुखमे सानशानसँ चलए लगैत।एक दोसरमे सान चढ़ा203


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>पिर वारक शान बनबए लगैत।चिढ़ ते सान पिर वारमेबख-बून बिन धिर याए लगैतधिर आइत-धिर आइत धिर आ,धारा बिन धड़धड़ाइत चलैत।अपन-अपन मािट क रसेअपन-अपन सभ धार सजबैत,संग िम िल चािल -चलैतनीक-अधला रहए बनैत-िब गड़ैत।जइ बखक जेहन बून204


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>तेहन से बनबैत धारधार िम िल धरा धारअपना गित ये बदलैत धार।जे धारा सृजए गंगाकमला कोसी ओ महान दाओ धार किह या धिर ठमिकमानैत रहत फंदा?४.205


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>मुाजीहाइकू१पजेबा कचठीकाक मकानभसैक गेल२पीिड़त नारीमोशन कै नै206


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>त मुँह ब३नोकरी नीकभीतरमे गनएयर होट४हाक सूनलमािर खेबाक डरेनै बचौलक५भोगने िबनाजीवनक दशनसयसँ दूर207


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>६अिन पीढ़ीमेहोहला भेल बेसीकाजमे शूय७मैिथली मयओिल वसूलीकसमीा बुझू८जाित पाितकभेदभाव घटलसमरसता९208


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>इलाज भेलहास पिरहाससँएक मायम१०आब अिछ नैजीवनक िवोभकमौआ लेल५रामिबलास साहूिकछु टनका209


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>30. पान मखानि◌ मिथ लाक स मानधानक खानजनकपुर धामि◌ मिथ लाक णाम।31. पढ़ैत सु गाकहैत राम नामि◌ पंजड़ा ब दरहैत छै गुलामअिछ संत समान।210


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>32. सँ◌ाच बजैतजग मारल जायझूठ बजै तँजगत पित यायनै छो सँ◌ाच बािन ।33. नीमक गािछसुतल रही खाटसपनैित छीचिल तो पछताितनदी तटक बाट।34. दु:खक बात211


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>नै किह यो ककरोसुिन हसँतहािन करत माननै ि◌ मलत स मान।35. जीवन दैतजल जीव ज तुकशीतल चँ◌ादचँ◌ादनी ि◌छटकैतशोभा छै धरतीक।36. आमक डािरझूला झूलैत राधा212


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>कृ ण पुकारैसंगे-संग झूलववृ दावनक झूला।37. पानक पातमखानक साद वगक बासनदी तटक चासनै होएत िव वास।38. मायक गोदधरतीक िब छौनाफूलक सेज213


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>सुख पाबै बेजोरनै ि◌ मलै परलोक।39. बँ◌ासक वंशी वर बजै मधुरमाया पसारै वर छै अनमोलसुनै सभ िव भोर।40. कारी काजरमुखड़ा ि◌ बगारैतकारी कोइलीमधुर गीत गबै214


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>सभक ललचाबै।41. चँ◌ादनी राितकहै मनक बात यासल ेमी यास बुझाबै राितिद लसँ करै बात।42. देव धमसँउपर माय-बापतीथक खानधरती माता अिछिह दु तान महान्।215


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>43. मान घटै जँि◌ न य जाय सासुरमान बढ़ै जँकरै अित िथ सेवासेवासँ ि◌मलै मेवा।44. कालक मुँहखुलल छै ि◌ वशालमश: सभसमाय बचै निहकोय एिह चसँ।216


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>45. चमेली फूलगमकै ि◌ दन-राितगजरा बिनदेवौक निह चढ़ैनारी सजाबै केश।46. कमल फूलि◌ बराजै ल मीजीसुख शाि त दैअ न, धनसँ भरैसभक छै क याण।47. सावन मास217


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>जलक बु न पड़ैआसमानसँबगक बाजा बजैख ता डबरा भरै।48. पािन क बुननमोतीसँ महग छैमोतीसँ निहि◌ मटै भूखक रोगपािन ि◌ जनगी दैत।49. मैिथ ली भाषामौध सन मधुर218


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>जे निह पढ़ैवो बािज तौ लजायपावै पिढ़ ते मान।50. मौध मखानरेहू माछक खानपानसँ मानपाग सँ बढ़ै शानि◌ मिथ लाक ि◌नशान219


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>ऐ रचनापर अपन मंतय ggajendra@videha.<strong>com</strong> परपठाउ।. अजनी कुमार वम २. िवनीतउपल१अजनी कुमार वम१220


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>ओजक भोज,,,,,,,,,,,,,,,इ आमीयता िथक मृगमरीिचकाजािह पाछु आम लोक सदृशिथित क खुआ रहल छी ओजक भोजझपल हाड़ भ गेल बहारवसन तर सं द रहल अिछ देखारइ कतयक ार ,केयो नै पाबैछ पारगलब अिछ सहज मुदावण बनब किठनइ सबध अिछ अनंतइ आमीयता अिभ....२दुई गोट भूख,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,खिस गेलैक-ए आँिखक पािनआब लोक चौबिटया पर बेच दैछ221


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>अपन अितव ,खोिल दैछ नीबी-बंधिकयैक तs पेटक होम कुंड मsदेबय परैछ आहुित ...बले जा रहल अिछ िदनानुिदनअनंत िदशा म वासना केर भूखवासनाक भूखल िकनी लेछरोटीक लेल छटपटाइत लोकक अितवलोक म आब कोन वृि आिब गेल अिछदानवी , पाशिवक आ की कोनो तेसर ......एकर वगकरण करब अिछ असंभवदुवs भुखक सबध भs गेल अिछअयोयाय .....३समया,,,,,,,,,,222


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>आबक लोक की करत बसंतक अनुभवकी सुनत कोइलीक गीतकी घुमत पुप वािटका म ,कपार पर राखल किरया पाग कएउघैत - उघैत बनल रहैछ बताहनिह पािब सकैछ थाहनिह सुित सकैछ सुख संनिह बािज सकैछ दुःख संगॲताह पािन म डूबल रहैछ कंठ धिरछटपटाइत रहैछ, बऊआयत रहैछ मनसपनहूँ म देखैछ सिदखन दुःख धंधाघट म लागल फंदा ,निह रौदक िचंता अिछ,निह पािनकमा िचंता अिछ सबक अपन पेटकफंदा लागल घटक ....३223


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>िवनीत उपलतात-तात औ तात, सभ िदश अिछ ाचार देखै छीके राजा के रंक, सभक यैह अिछ िशाचार देखै छीघूस िदयो, घूस िलयो, घूस िपबू,घूस खाइ जाउ यौघूस अिछ हमर हम, ई अिछ सदाचार देखै छीघूसं ा, घूसं िवणु, घूसं देव महेरः सुनै छीघूसं जीवन आ मरणं, इेक छी हम लाचार देखै छीहाय पैसा, हाय पैसा, सभ िकछु अिछ पैसे-पैसा िकए ईधम क, कम क, छोडू ई सभटा दुराचार देखै छीआजुक कालमे याकुल उपल किह रहल अिछनीक काज नै करब, नाम पर होयत मूाचार. देखै छी224


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>ऐ रचनापर अपन मंतय ggajendra@videha.<strong>com</strong> परपठाउ।१. डॉ॰ शिशधर कुमर २ नवीनकुमार "आशा"१.225


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>डॉ॰ शिशधर कुमर, एम॰डी॰(आयु॰) – कायिचिकसा, कॉलेज ऑफआयुवद एड िरसच सेटर, िनगडी – ािधकरण, पूणा (महारा) –४११०४४पूणा – वास ( १)(किवता)िमिथलाक मािट सँ दूर एतए,यौ अह पुछै छी केहेन लगैए ।विरत वेग, पर एकरस िजनगी,पुिरबा – पिछबा बुिझ ने पड़ैए ।।की बसत – बरसात – घाम,सभ एिह रंग मधुमास लगैए ।की आयल, की गेल, से निञ किह,शरद – िशिशर – हेमत िबतैए ।।सौ - सौ उविश - रित - मेनका,आँिखक सोझ सदा रहैए ।िचर कृित - मनोहर - सुर,नदन - वन सन रोज हँसैए ।।मुदा तदिप निञ जािन एतऽ िकए,226


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>हमर मोन, िमिसयो ने लगैए ।ओ िमिथला – भू याद आबैतिछ,िमिथला – भाषा कह भेटैए ??पूणा – वास ( २)(किवता)जे देखल, से किह ने सकै छी ।िबनु कहने, चुप रिह ने सकै छी ।की पूणे नगरी छी रे भैया,दूरिह देिख कऽ किह ने सकै छी ।जे देखल, से किह ने सकै छी ।।देव मािन, आदश बुझै छी ।जकरा हम सब िनय पुजै छी ।इक कृय कतोक देवमय,िनज जीनगी अनुसिर ने सकै छी ।जे देखल, से किह ने सकै छी ।।भोरक सूय - शात ओ सुर ।227


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>दूरिह, चान - तरेगन सुर ।लऽग सँ कर दृय केहेन की,कोना कहू, िकछु किह ने सकै छी ।जे देखल, से किह ने सकै छी ।।पूणे - नगरी, िवा केर नगरी ।बहुत पैघ बाहल त पगरी ।निह फूिस एकहु आखर एिह मे,ओहो िवा , जे ने वरिण सकै छी ।जे देखल, से किह ने सकै छी ।।चकोरक उित चानक ित(किवता)हे चान ! अह धय छी ।हमर मृयु पर श छी ।अहँक हृदयहीनता सँ, हऽम अवस छी ।हे चान ! अह धय छी ।।िजनगी भिर रटलहुँ हम, अऽहॴ केर नाम ।मनमे अऽहॴक छिव, बसल अिभराम ।228


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>की हम कहू , अह पाथर अनम छी ।हे चान ! अह धय छी ।।अहॴ हमर इछा, अहॴ हमर काम ।अहॴ हमर काया, अहॴ हमर ाण ।हम तऽ अहक, छ प देिख स छी ।हे चान ! अह धय छी ।।अहॴ केर िवयोग, हम यागै छी ाण ।अहँक ठोर िनुर, िछिड़याबै मुकान ।सोिच रहल छी, अपन पाथर णय छी ।हे चान ! अह धय छी ।।अह सपनिह मे आबै छी, आयल क(गज़ल)अह सपनिह मे आबै छी, आयल क ।मोन सपनिह मे िणकहु, जुड़ायल क ।।हम चाही ने आओर िकछु, अहँ सँ िय ।अहँ बिन कऽ गुलाब, मुिकआयल क ।।229


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>पािब सकलहुँ ने अहँ क जदिप हम िय ।अहँ ओिहना, कौमुिद क लजायल क ।।अहँ दूरिह रही, अह अनकिह सही ।दीप ेमक हमेशा, जड़ायल क ।।ेम ेमिह रहत , ओ मेटा ने सकत ।अहँ चाही तऽ सपनहु ने आयल क ।।ेम मोनक िमलन, निह कामक सदन ।अहँ जािह ठ छी,ओिह ठ फुलायल क ।।२. नवीन कुमार "आशा"230


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>दतरदतरक सब के खसता हाल जखन पहुँचब बुझु हएब हलाल .दतरक चर बड खराब ,ओतय ने अिछ कोनो जवाब ..जँ अहा छी बड जदीमे ,वागत किरयौिन नकदी सँ ..ओतय चलए सब तरहक रेट ,सब िकयो लै छिथ अलग सँ भेट..बरका होिथ वा छोटका सभक िदयौन टटकाजँ करबिन िसनाजोिरहेत काज मे देरी...देख ओतुा नजाराचढल हमरा पारा,बुिझतय ओकर इलाजपर हमरो तँय छल काज..मोनमे आएल सबक िसखािब ,फेर आएल याद .जँ िहनका सब सँ करब िसनाजोिर231


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>तँ होयत काजमे देरीिक करतै बेचारा आशा नै छलै आर कोनो आस ..जेबीसँ िनकाललक टाका आ करा देलक ओ िनगत ...किनको ने सोचलक ओ जँ ऐकरा देब बढावातखन तँ चढबै पड़त चढावा..दतरक ई हालऐ रचनापर अपन मंतय ggajendra@videha.<strong>com</strong> परपठाउ।१. रामदेव साद म डल ‘झादार’ २.232नवीन ठाकुर


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>१रामदेव साद म डल‘झादार’, मैिथलीक पिहल जनकिव आ मैिथलीक िभखारी ठाकुररामदेव साद म डल ‘झादार’क गीत आ झा।झाभाि◌ग गेला अंेज अकेला।छोिर कऽ पाछू ढेरो जाि◌ त॥कर रंगदारी वसुल रहल अिछ ।233


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>मािर मािर कऽ सभक लाित ॥गीत (1)लोभी लालची कामी ोधी।भूिम भरल दूर-दूर हौ॥बाजह हौ काका केना कऽ हेतह।देशक गरीबी दूर हौ॥......2हाथ कड़ोरो काम जे कैरतै।सोनसँ खजाना भैरतै॥घर बैसल घरघुसरा बैिन कऽ।कला कौशल मजदूर हौ॥ बा.... यथ बैसल मानव संसाधन।हाथ पैर महदी आँिख मे आजन॥भिर िद न चौकपर तास खेलै छै।234


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>और मचबै छै हुर हौ॥ बा....सी.ओ, बी.डी.ओ, सरपँच मुिख या।धरतीपर सभसँ ई दुिख या॥फँड कोना सभ ह मर हेतै।हरदम भाजै भूर हौ॥ बा....शाि त सभक दँ◌ात काटै छै।एक दोसर लऽ दुख बटै छै॥अपने भायक लहु चाटै छै।बिन कऽ मिह षासूर हौ॥ बा....काम-ोध और लोभ भरल छै।आिग अानमे सभ जड़ल छै॥आम जािन कऽ सभ रोपै छै।गजड़ा कट बबुर हौ।। बा....235


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>सू त परल छै राजक कम।सेवामे बत छै नम॥सत् कमक सभकोई छोिड़ कऽसुखसँ भेलै दूर हौ।। बा....राजकोषपर नजर गरल छै।हिथ याबक लोभ भरल छै।।ह मर की कत य बनै छै।ान िह नकासँ दूर हौ॥ बा....जाित धरम मानवता भेदी।लोग बनल सभ अही केर कैदी॥धरम आिग मे जिड़ ई जनता।बिन गेल छह सभ ुड़ हौ।। बा....धरम इमानसँ लोग छै वंिच त।236


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>काम ोध और लोभ छै संिच त।।िन ठा नीित मानवताक।जड़ा तापल केर घुर हौ।। बा....अ धिवास छै सभक धरने।कुिर तीसँ घर छै भरने।।अानक अि न मे जड़लै।सबहक करम कपुर हौ।। बा....वोटक खाि◌तर आजुक नेता।मारै छै चानी केर जूता॥कुछ पापी तँ वोट बेच कऽ।खािध खसल छै जर हौ।। बा....ग पे-ग पमे लफड़ा बढ़लै।शाशक िस रपर टे शन चढ़लै।।237


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>अलुल-जलुलसँ लिड़ ई शाषक।भेलह चकना चूर हौ।। बा....मुँह देखैल पंचैती होई छै।घूस पंच भगवानो खाइ छै।।आब ककड़ापर आश करतै।गामक लोग मजबूर हौ।। बा....ानले नै कोइ कूल जाइ छै।नौकड़ी कऽ ई जिड़ देखाइ छै।।िश ामे सभ कोई खोजै छै।पाइ अड़िज कऽ लुिर हौ॥ बा....२238


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>नवीन ठाकुर, गाम- लोहा (मधुबनी ) िबहार,जम - १५-०५-१९८४, िसा - बी .कॉम (मुंबई िवापीठ), िच- किवता , सािहयक अयापन एवं अपन मैिथल सकृितककायकममे िच। कायरत - Comfort Intech Limited(malad) (R.M. )१गीत --िकए िजनगीक आशा अह सँ केलहुं / ........................(मुखरा)अपन हृदयक कोनामे अहॴक बसेलहुँ//िकए िजनगीक................................//मोनक बाते मोने रिह गेल , ..............................(अंतरा )उपजल जे ललसा कोना मिर गेल //कंठ अधीर भऽ सुखाएल जाइए,अपन अधरक जाम सँ वंिचत केलहुँ /239


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>िकए िजनगीक...............................//जनलहुँ ने दोख जे हमरा सँ भेल ,ेमक जं दोख बुझी हमरा सँ भेल //ेमक पिरभाषा बुझिलऐ ने किहयो ~धनक बेगरता अह ेममे िसखलहुँ /िकए िजनगीक ..................................//बैिसते फुलवारीमे याद पिड़ गेलिटशक दू संझा सँ आँिख भिर गेल //ाणक िबना कोनो िजनगी भेलैए ~अह देहक िबसिर हमर ाण लऽ गेलहुँ /िकए िजनगीक ..................................//अपन हृदयक कोनामे अहॴक बसेलहुँ //िकए िजनगीक ..................................////२240


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>िमिथला दपण १चाहे रहू िमिथलामे चाहे रहू परदेश ,िमिथलाक संतत छी जुिन राखू लेश ! !ने िबस संकृित ने बदलू यवहारमैिथल के देिखते नै बनू अनिचहारसंगठन िबन एकताक ने पूण हएत उेय !चाहे रहू िमिथलामे चाहे रहू परदेश,िमिथलाक संतित छी जुिन राखू लेश !!अपना धरोहरक कए बुझैत छी बेकारदोसराक उसवमे जा पुरैत छी हकारिधयो - पुता क उनटा - सीधा दैत छी उपदेशचाहे रहू िमिथलामे चाहे रहू परदेश ,िमिथलाक संतत छी जुिन राखु लेश ! !धम केर ई भूिम अिछ िमिथला महान हमरबु, जानकी, महावीर क धाम छी गाम हमरसहेजू पुलिकत भऽ एहन दुलभ सदेशचाहे रहू िमिथलामे चाहे रहू परदेश ,िमिथलाक संतत छी जुिन राखु लेश ! !241


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>ने छी कम िकनको सँ, छी ने िकछुमे पाछूाित जे मोनक अिछ तकरा मेटाबूअपने दहीक खा किह, करैत छी खुदसँ ेशचाहे रहू िमिथलामे चाहे रहू परदेश ,िमिथलाक संतत छी जुिन राखु लेश ! !छी नै अनिभ अह िमिथलाक इितहास सँबुिझतो जे मुहं फेरै छी अपना िवकाश सँिमिथलाक उथान हेतु बन परत िमिथलेशचाहे रहू िमिथलामे चाहे रहू परदेश ,िमिथलाक संतत छी जुिन राखु लेश ! !३िमिथला दपण २परदेशमे रिहकऽ मोन पड़ैए गाओँक पोखरी भीरभूखे गुलेर मीठ लगैत छै जिहना कोबराक खीर !पटुवा ,बथुवा और खेसारी साग बड छल अनमोलबारीक़ कोबी आर कदीमा छोटका बरका ओल !242


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>मित मारलक जे हमरा लागल बारीक़ पटुवा तीतपरदेशमे रिहकऽ मोन पड़ैए गाओँक पोखरी भीर !भूखे गुलेर मीठ लगैत छै जिहना कोबराक खीर ! !भोजक िदनमे भोरे सँ भिर िदन मचबैत छलहुँ हलािकयो कहैत सकरौरी छै िकयो कहैत छल रसगुलादेिखते चुरा - दही पात पर , मुहं सँ छुबैत छल नीरपरदेशमे रिहकऽ मोन पड़ैए गाओंक पोखरी भीर !भूखे गुलेर मीठ लगैत छै जिहना कोबराक खीर ! !आमक मिहना गाछी िबरछी बाध-बोन बौएतॱकृणभोग , बबैया ,मालदह चोभा मािर कऽ खैतॲिकछुओ जे छुबतॱ हमर आमक होइतॱ हम अधीरपरदेशमे रिहकऽ मोन पड़ैए गाओंक पोखरी भीर !भूखे गुलेर मीठ लगैत छै जिहना कोबराक खीर ! !छैठ, िदवाली , दुग पूजा , भरदुितया सन नै पाबैनजे िकयो नै बुझला िमिथला दपण हुनका के बुझाबैनआथा िमिथलाक ेममे बंधने अिछ हमरा जंजीरपरदेशमे रिहकऽ मोन पड़ैए गाओंक पोखरी भीर !भूखे गुलेर मीठ लगैत छै जिहना कोबराक खीर ! !243


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>ऐ रचनापर अपन मंतय ggajendra@videha.<strong>com</strong> परपठाउ।िवदेह नूतन अंक िमिथला कला संगीत१. योित सुनीत चौधरी २. ेता झा(िसंगापुर) ३.गुंजन कण ४. इरा मिलक५. राजनाथ िम (िचमय िमिथला) ६. उमेशमडल (िमिथलाक वनपित/ िमिथलाक जीव-जतु/ िमिथलाकिजनगी)१.244


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>योित सुनीत चौधरीजम थान -बेवार, मधुबनी। योित िमिथला िचकलामे सेहोपारंगत छिथ आ िहनकर िमिथला िचकलाक दशनी ईिलंग आटुप केर अंतगत ईिलंग ॊडवे, लंडनमे दिशत कएल गेल अिछ।किवता संह ’अिचस्’ कािशत। योित सित लदनमे रहैछिथ।245


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>246


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>२. ेता झा (िसंगापुर)247


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>३.गुंजन कण रटी मधुबनी, सित यू.के.मे रहैछिथ। www.madhubaniarts.co.uk पर हुनकर कलाकृितदेिख सकै छी।248


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>४. इरा मिलक५249


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>राजनाथ िमिचमय िमिथला लाइड शोिचमय िमिथला(https://sites.google.<strong>com</strong>/a/videha.<strong>com</strong>/videhapaintings-photos/)६.उमेश मडल250


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>िमिथलाक वनपित लाइड शोिमिथलाक जीव-जतु लाइड शोिमिथलाक िजनगी लाइड शोिमिथलाक वनपित/ िमिथलाक जीव जतु/ िमिथलाक िजनगी(https://sites.google.<strong>com</strong>/a/videha.<strong>com</strong>/videhapaintings-photos/)ऐ रचनापर अपन मंतय ggajendra@videha.<strong>com</strong> परपठाउ।िवदेह नूतन अंक ग-प भारती251


िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह थम मैिथली पािक्षक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightly e Magazine िवदेह थम मैिथली पािक्षक 'िवदेह''िवदेह' ६७ म अंक ०१ अक्टूबर २०१० (वषर् ३ मास ३४ अंक ६७)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्िवदेह:सदेह:१: २: ३: ४सादक: गजे ठाकुर।Det ai l s f or pur chase avai l abl e at pr i nt -version publisherss ' sitehttp:// wwwshruti . -publ i cat i on. <strong>com</strong> or you may wr i t e t oshr ut i . publ i cat i on@ shr ut i -publ i cat i on.<strong>com</strong>२. संदेश-[ िवदेह ई-पिका, िवदेह:सदेह िमिथलाक्षर आ देवनागरी आ गजे ठाकुरक सात खक- िनब-ब-समीक्षा,उपास (सहबाढिन) , प-संह (सहाीक चौपडपर), कथा-ग (ग गु), नाटक (संकष र्ण), महाका(ाह आ असाित मन) आ बाल-म ंडली-िकशोर जगत- संह कुम ् अंतम र्नक मादेँ। ]१.ी गोिव झा- िवदेहकेँ तर ंगजालपर उतािर िवभिरमे माभाषा मैिथलीक लहिर जगाओल, खेदजे अपक एिह महािभयानमे हम एखन धिर संग निह दए सकलहँ। ु सुत छी अपकेँ सुझाओ आरचनाक आलोचना िय लगैत अिछ तेँ िकछु िलखक मोन भेल। हमर सहायता आ सहयोग अपकेँसदा उपल रहत।२.ी रमान रे- मैिथलीमे ई-पिका पािक्षक पेँ चला कऽ जे अपन माभाषाक चार कऽ रहलछी, से धवाद । आगा ँ अपक सम मैिथलीक काय र्क हेतु हम दयसँ शुभकामना दऽ रहल छी।३.ी िवानाथ झा "िविदत"- संचार आ ौोिगकीक एिह ितधीर् ोबल युगमे अपन मिहमामय"िवदेह"केँ अपना देहमे कट देिख जतबा सता आ संतोष भेल, तकरा को उपल "मीटर"सँनिह नापल जा सकैछ? ..एकर ऐितहािसक म ूा ंकन आ सा ंृितक ितफलन एिह शताीक अंत धिरलोकक नजिरमे आय र्जनक पसँ कट हैत।४. ो. उदय नारायण िसंह "निचकेता"- जे काज अहा ँ कए रहल छी तकर चरचा एक िदन मैिथलीभाषाक इितहासमे होएत। आन भए रहल अिछ, ई जािन कए जे एतेक गोट मैिथल "िवदेह" ईजन र्लकेँ पिढ रहल छिथ।...िवदेहक चालीसम अंक पुरबाक लेल अिभनन।५. डा. गंगेश गुंजन- एिह िवदेह-कम र्मे लािग रहल अहा ँक सेदनशील मन, मैिथलीक ित समिप र्तमेहनितक अम ृत र ंग, इितहास मे एक टा िविश फराक अाय आर ंभ करत, हमरा िवास अिछ।अशेष शुभकामना आ बधाइक स, सेह...अहा ँक पोथी कुम ् अंतम र्नक थम द ृया बहुत भतथा उपयोगी ब ुझाइछ। मैिथलीमे तँ अपना पक ायः ई पिहले एहन भ अवतारक पोथीिथक। हष र्प ूण र् हमर हािद र्क बधाई ीकार करी।६. ी रामाय झा "रामर ंग"(आब गीर्य)- "अपना" िमिथलासँ संबिधत...िवषय ंवुसँ अवगतभेलहँ।...शेष ु सभ कुशल अिछ।७. ी जे िपाठी- सािह अकादमी- इ ंटरट पर थम मैिथली पािक्षक पिका "िवदेह" केरलेल बधाई आ शुभकामना ीकार क।253


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>निह ककरहु हम पथिव बनब ।पर अपन गित - पथ - रोड़ा लेऽहम लोहक दड समाठ बनब ।।पािनक संग बिन कऽ माछ रहब ।शु लेऽ िवषधर सप बनब ।सजन लेऽ िशव अिभराम सही,दुजन लेऽ हर िवकराल बनब ।।िमिथला केर पारावार हमर ।िमिथला भाषा अिधकार हमर ।अिछ तुछ एतए, संसार सगर ।िमिथला भाषा सभसँ मीठगर ।254


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>५.उरं यसमुय िहमाेैव दिणम्।वषं तत् भारतं नाम भारती य सतितः॥समुक उरमे आऽ िहमालयक दिणमे भारत अिछ आऽ ओतुकासतित भारती कहबैत छिथ।६.अहया ौपदी सीता तारा मडोदरी तथा।पचकं ना मरेियं महापातकनाशकम्॥जे सभ िदन अहया, ौपदी, सीता, तारा आऽ मदोदरी, एिह पचसावी-ीक मरण करैत छिथ, हुनकर सभ पाप न भऽ जाइतछिह।७.अथामा बिलयसो हनूम िवभीषणः।कृपः परशुराम सतैते िचरीिवनः॥अथामा, बिल, यास, हनूमान्, िवभीषण, कृपाचाय आऽ परशुराम- ईसात टा िचरीवी कहबैत छिथ।८.साते भवतु सुीता देवी िशखर वािसनीउेन तपसा लधो यया पशुपितः पितः।257


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>िसिः साये सतामतु सादातय धूजटेःजावीफेनलेखेव ययूिध शिशनः कला॥९. बालोऽहं जगदानद न मे बाला सरवती।अपूण पंचमे वष वणयािम जगयम् ॥१०. दूवत मं(शुल यजुवद अयाय २२, मं २२)आ ियय जापितॠिषः। िलंभोा देवताः।वराडुकृितछदः। षजः वरः॥आ ॑न् ा॒णो ॑वच॒सी जा॑यता॒मा रा॒े रा॑ज॒यःशुरे॑ऽइषयो॒ऽितया॒धी म॑हार॒थो जा॑यत॒ दोॴ धे॒नुवढा॑न॒वाना॒शुः सितः॒पुर॑िध॒यवा॑ िज॒णू र॑थे॒ाः स॒भेयो॒ युवाय यज॑मानय वी॒रो जा॒यतिनका॒मे-िन॑कामे नः प॒जयॲ वषतु॒ फल॑वयो न॒ऽओष॑धयः पयतयोगे॒मो नः॑ कपताम्॥२२॥माथः िसयः सतु पूणः सतु मनोरथाः। शूण बुिनाशोऽतुिमाणामुदयतव।ॐ दीघयुभव। ॐ सौभायवती भव।258


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>हे भगवान्। अपन देशमे सुयोय आ’ सव िवाथ उप होिथ,आ’ शुुक नाश कएिनहार सैिनक उप होिथ। अपन देशक गायखूब दूध दय बाली, बरद भार वहन करएमे सम होिथ आ’ घोड़ाविरत प दौगय बला होए। ीगण नगरक नेतृव करबामे समहोिथ आ’ युवक सभामे ओजपूण भाषण देबयबला आ’ नेतृव देबामेसम होिथ। अपन देशमे जखन आवयक होय वष होए आ’औषिधक-बूटी सवदा पिरपव होइत रहए। एवं मे सभ तरहहमरा सभक कयाण होए। शुक बुिक नाश होए आ’ िमकउदय होए॥मनुयक कोन वतुक इछा करबाक चाही तकर वणन एिह मंमेकएल गेल अिछ।एिहमे वाचकलुतोपमालकार अिछ।अवय-॑न् - िवा आिद गुणसँ पिरपूण रा॒े - देशमे॑वच॒सी- िवाक तेजसँ युआ जा॑यत॒- उप होए259


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>रा॑ज॒यः-राजाशुरे॑ऽ–िबना डर बलाइषयो॒- बाण चलेबामे िनपुणऽितया॒धी-शुक तारण दय बलाम॑हार॒थो-पैघ रथ बला वीरदोॴ-कामना(दूध पूण करए बाली)धे॒नुवढा॑न॒वाना॒शुः धे॒नु-गौ वा वाणी वढा॑न॒वा- पैघ बरद ना॒शुः-आशुः-विरतसितः॒-घोड़ापुर॑िध॒यवा॑- पुर॑िध॒- यवहारक धारण करए बाली यवा॑-ीिज॒णू-शुक जीतए बलार॑थे॒ाः-रथ पर िथरस॒भेयो॒-उम सभामेयुवाय-युवा जेहन260


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>यज॑मानय-राजाक रायमेवी॒रो-शुक परािजत करएबलािनका॒मे-िन॑कामे-िनययु कायमेनः-हमर सभकप॒जयॲ-मेघवषतु॒-वष होएफल॑वयो-उम फल बलाओष॑धयः-औषिधःपयत- पाकएयोगे॒मो-अलय लय करेबाक हेतु कएल गेल योगक रानः॑-हमरा सभक हेतुकपताम्-समथ होएििफथक अनुवाद- हे ण, हमर रायमे ाण नीक धािमकिवा बला, राजय-वीर,तीरंदाज, दूध दए बाली गाय, दौगय बलाजतु, उमी नारी होिथ। पाजय आवयकता पड़ला पर वष261


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>देिथ, फल देय बला गाछ पाकए, हम सभ संपि अिजत/संरितकरी।8.<strong>VIDEHA</strong> FOR NON RESIDENTS8.1 to 8.3 MAITHILI LITERATURE IN ENGLISH8.1.1.The Comet -GAJENDRA THAKURtranslated by Jyoti Jha chaudhary8.1.2.The_Science_of_Words- GAJENDRATHAKUR translated by the author himself8.1.3.On_the_dice-board_of_the_millennium-GAJENDRA THAKUR translated by Jyoti Jhachaudhary8.1.4.NAAGPHANS (IN ENGLISH)- SHEFALIKAVERMA translated by Dr. Rajiv Kumar Vermaand Dr. Jaya Verma262


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>Send your <strong>com</strong>ments to ggajendra@videha.<strong>com</strong>Input: (कोकमे देवनागरी, िमिथलार िकंवा फोनेिटक-रोमनमेटाइप क। Input in Devanagari, Mithilakshara orPhonetic-Roman.)Output: (पिरणामदेवनागरी, िमिथलार आ फोनेिटक-रोमन/ रोमनमे। Result inDevanagari, Mithilakshara and Phonetic-Roman/Roman.)English to MaithiliMaithili to Englishइंिलश-मैिथली-कोष / मैिथली-इंिलश-कोष ोजेटक आगू बढ़ाऊ,अपन सुझाव आ योगदान ई-मेल ाराggajendra@videha.<strong>com</strong> पर पठाऊ।263


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>िवदेहक मैिथली-अंेजी आ अंेजी मैिथली कोष (इंटरनेटपर पिहलबेर सच-िडशनरी) एम.एस. एस.यू.एल. सवर आधािरत -Basedon ms-sql server Maithili-English and English-Maithili Dictionary.१.भारत आ नेपालक मैिथली भाषा-वैािनक लोकिन ारा बनाओलमानक शैली आ २.मैिथलीमे भाषा सपादन पायम१.नेपाल आ भारतक मैिथली भाषा-वैािनक लोकिन ारा बनाओलमानक शैली१.१. नेपालक मैिथली भाषा वैािनक लोकिन ारा बनाओल मानकउचारण आ लेखन शैली(भाषाशाी डा. रामावतार यादवक धारणाक पूण पसँ स लऽिनधिरत)मैिथलीमे उचारण तथा लेखन१.पचमार आ अनुवार: पचमारातगत ङ, ञ, ण, न एवं मअबैत अिछ। संकृत भाषाक अनुसार शदक अतमे जािह वगकअर रहैत अिछ ओही वगक पचमार अबैत अिछ। जेना-अ (क वगक रहबाक कारणे अतमे ङ् आएल अिछ।)पच (च वगक रहबाक कारणे अतमे ञ् आएल अिछ।)खड (ट वगक रहबाक कारणे अतमे ण् आएल अिछ।)264


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>सिध (त वगक रहबाक कारणे अतमे न् आएल अिछ।)खभ (प वगक रहबाक कारणे अतमे म् आएल अिछ।)उपयुत बात मैिथलीमे कम देखल जाइत अिछ। पचमारकबदलामे अिधकश जगहपर अनुवारक योग देखल जाइछ। जेना-अंक, पंच, खंड, संिध, खंभ आिद। याकरणिवद पिडत गोिवदझाक कहब छिन जे कवग, चवग आ टवगसँ पूव अनुवार िलखलजाए तथा तवग आ पवगसँ पूव पचमारे िलखल जाए। जेना-अंक, चंचल, अंडा, अत तथा कपन। मुदा िहदीक िनकट रहलआधुिनक लेखक एिह बातक निह मानैत छिथ। ओ लोकिन अतआ कपनक जगहपर सेहो अंत आ कंपन िलखैत देखल जाइतछिथ।नवीन पित िकछु सुिवधाजनक अवय छैक। िकएक तँ एिहमेसमय आ थानक बचत होइत छैक। मुदा कतोक बेर हतलेखनवा मुणमे अनुवारक छोट सन िबदु प निह भेलासँ अथकअनथ होइत सेहो देखल जाइत अिछ। अनुवारक योगमेउचारण-दोषक सभावना सेहो ततबए देखल जाइत अिछ। एतदथकसँ लऽ कऽ पवग धिर पचमारेक योग करब उिचत अिछ।यसँ लऽ कऽ धिरक अरक स अनुवारक योग करबामेकतहु कोनो िववाद निह देखल जाइछ।265


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>२.ढ आ ढ़ : ढ़क उचारण “र् ह”जक होइत अिछ। अतः जतऽ“र् ह”क उचारण हो ओतऽ मा ढ़ िलखल जाए। आन ठामखाली ढ िलखल जएबाक चाही। जेना-ढ = ढाकी, ढेकी, ढीठ, ढेउआ, ढ, ढेरी, ढाकिन, ढाठ आिद।ढ़ = पढ़ाइ, बढ़ब, गढ़ब, मढ़ब, बुढ़बा, सढ़, गाढ़, रीढ़, चढ़,सीढ़ी, पीढ़ी आिद।उपयुत शद सभक देखलासँ ई प होइत अिछ जे साधारणतयाशदक शुमे ढ आ मय तथा अतमे ढ़ अबैत अिछ। इएह िनयमड आ ड़क सदभ सेहो लागू होइत अिछ।३.व आ ब : मैिथलीमे “व”क उचारण ब कएल जाइत अिछ,मुदा ओकरा ब पमे निह िलखल जएबाक चाही। जेना- उचारण: बैनाथ, िबा, नब, देबता, िबणु, बंश, बदना आिद। एिहसभक थानपर मशः वैनाथ, िवा, नव, देवता, िवणु, वंश,वदना िलखबाक चाही। सामायतया व उचारणक लेल ओ योगकएल जाइत अिछ। जेना- ओकील, ओजह आिद।४.य आ ज : कतहु-कतहु “य”क उचारण “ज”जक करैतदेखल जाइत अिछ, मुदा ओकरा ज निह िलखबाक चाही।उचारणमे य, जिद, जमुना, जुग, जाबत, जोगी, जदु, जम आिदकहल जाएबला शद सभक मशः य, यिद, यमुना, युग, यावत,योगी, यदु, यम िलखबाक चाही।266


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>५.ए आ य : मैिथलीक वतनीमे ए आ य दुनू िलखल जाइत अिछ।ाचीन वतनी- कएल, जाए, होएत, माए, भाए, गाए आिद।नवीन वतनी- कयल, जाय, होयत, माय, भाय, गाय आिद।सामायतया शदक शुमे ए मा अबैत अिछ। जेना एिह, एना,एकर, एहन आिद। एिह शद सभक थानपर यिह, यना, यकर,यहन आिदक योग निह करबाक चाही। यिप मैिथलीभाषी थासिहत िकछु जाितमे शदक आरभोमे “ए”क य किह उचारणकएल जाइत अिछ।ए आ “य”क योगक सदभमे ाचीने पितक अनुसरण करबउपयुत मािन एिह पुतकमे ओकरे योग कएल गेल अिछ।िकएक तँ दुनूक लेखनमे कोनो सहजता आ दुहताक बात निहअिछ। आ मैिथलीक सवसाधारणक उचारण-शैली यक अपेा एसँबेसी िनकट छैक। खास कऽ कएल, हएब आिद कितपय शदककैल, हैब आिद पमे कतहु-कतहु िलखल जाएब सेहो “ए”कयोगक बेसी समीचीन मािणत करैत अिछ।६.िह, हु तथा एकार, ओकार : मैिथलीक ाचीन लेखन-परपरामेकोनो बातपर बल दैत काल शदक पाछ िह, हु लगाओल जाइतछैक। जेना- हुनकिह, अपनहु, ओकरहु, तकालिह, चोिह, आनहुआिद। मुदा आधुिनक लेखनमे िहक थानपर एकार एवं हुकथानपर ओकारक योग करैत देखल जाइत अिछ। जेना- हुनके,अपनो, तकाले, चोे, आनो आिद।267


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>७.ष तथा ख : मैिथली भाषामे अिधकशतः षक उचारण ख होइतअिछ। जेना- षय (खड़य), षोडशी (खोड़शी), षकोण(खटकोण), वृषेश (वृखेश), सतोष (सतोख) आिद।८.विन-लोप : िनिलिखत अवथामे शदसँ विन-लोप भऽ जाइतअिछ:(क) ियावयी यय अयमे य वा ए लुत भऽ जाइत अिछ।ओिहमे सँ पिहने अक उचारण दीघ भऽ जाइत अिछ। ओकरआग लोप-सूचक िच वा िवकारी (’ / ऽ) लगाओल जाइछ।जेना-पूण प : पढ़ए (पढ़य) गेलाह, कए (कय) लेल, उठए (उठय)पड़तौक।अपूण प : पढ़’ गेलाह, क’ लेल, उठ’ पड़तौक।पढ़ऽ गेलाह, कऽ लेल, उठऽ पड़तौक।(ख) पूवकािलक कृत आय (आए) ययमे य (ए) लुत भऽ जाइछ,मुदा लोप-सूचक िवकारी निह लगाओल जाइछ। जेना-पूण प : खाए (य) गेल, पठाय (ए) देब, नहाए (य) अएलाह।अपूण प : खा गेल, पठा देब, नहा अएलाह।(ग) ी यय इक उचारण ियापद, संा, ओ िवशेषण तीनूमेलुत भऽ जाइत अिछ। जेना-पूण प : दोसिर मािलिन चिल गेिल।268


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>अपूण प : दोसर मािलन चिल गेल।(घ) वतमान कृदतक अितम त लुत भऽ जाइत अिछ। जेना-पूण प : पढ़ैत अिछ, बजैत अिछ, गबैत अिछ।अपूण प : पढ़ै अिछ, बजै अिछ, गबै अिछ।(ङ) ियापदक अवसान इक, उक, ऐक तथा हीकमे लुत भऽजाइत अिछ। जेना-पूण प: िछयौक, िछयैक, छहीक, छौक, छैक, अिबतैक, होइक।अपूण प : िछयौ, िछयै, छही, छौ, छै, अिबतै, होइ।(च) ियापदीय यय ह, हु तथा हकारक लोप भऽ जाइछ।जेना-पूण प : छिह, कहलिह, कहलहुँ, गेलह, निह।अपूण प : छिन, कहलिन, कहलौँ, गेलऽ, नइ, निञ, नै।९.विन थानातरण : कोनो-कोनो वर-विन अपना जगहसँ हिटकऽ दोसर ठाम चिल जाइत अिछ। खास कऽ व इ आ उकसबधमे ई बात लागू होइत अिछ। मैिथलीकरण भऽ गेल शदकमय वा अतमे जँ व इ वा उ आबए तँ ओकर विनथानातिरत भऽ एक अर आग आिब जाइत अिछ। जेना- शिन(शइन), पािन (पाइन), दािल ( दाइल), मािट (माइट), काछु(काउछ), मासु (माउस) आिद। मुदा तसम शद सभमे ई िनअमलागू निह होइत अिछ। जेना- रिमक रइम आ सुधशुक सुधाउंसनिह कहल जा सकैत अिछ।269


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>१०.हलत(◌्)क योग : मैिथली भाषामे सामायतया हलत (◌्)कआवयकता निह होइत अिछ। कारण जे शदक अतमे अउचारण निह होइत अिछ। मुदा संकृत भाषासँ जिहनाक तिहनामैिथलीमे आएल (तसम) शद सभमे हलत योग कएल जाइतअिछ। एिह पोथीमे सामायतया सपूण शदक मैिथली भाषासबधी िनअम अनुसार हलतिवहीन राखल गेल अिछ। मुदायाकरण सबधी योजनक लेल अयावयक थानपर कतहु-कतहुहलत देल गेल अिछ। तुत पोथीमे मिथली लेखनक ाचीन आनवीन दुनू शैलीक सरल आ समीचीन प सभक समेिट कऽ वण-िवयास कएल गेल अिछ। थान आ समयमे बचतक सिह हत-लेखन तथा तकनीकी दृिसँ सेहो सरल होबऽबला िहसाबसँ वण-िवयास िमलाओल गेल अिछ। वतमान समयमे मैिथली मातृभाषीपयतक आन भाषाक मायमसँ मैिथलीक ान लेबऽ पिड़ रहलपिरेयमे लेखनमे सहजता तथा एकपतापर यान देल गेलअिछ। तखन मैिथली भाषाक मूल िवशेषता सभ कुिठत निहहोइक, ताहू िदस लेखक-मडल सचेत अिछ। िस भाषाशाीडा. रामावतार यादवक कहब छिन जे सरलताक अनुसधानमे एहनअवथा िकहु ने आबऽ देबाक चाही जे भाषाक िवशेषता छहमेपिड जाए।-(भाषाशाी डा. रामावतार यादवक धारणाक पूण पसँ स लऽिनधिरत)270


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>१.२. मैिथली अकादमी, पटना ारा िनधिरत मैिथली लेखन-शैली१. जे शद मैिथली-सािहयक ाचीन कालसँ आइ धिर जािहवनीमे चिलत अिछ, से सामायतः तािह वनीमे िलखल जाय-उदाहरणाथ-ाएखनठामजकर, तकरतिनकरअिछअाअखन, अखिन, एखेन, अखनीिठमा, िठना, ठमाजेकर, तेकरितनकर। (वैकिपक प ा)ऐछ, अिह, ए।271


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>२. िनिलिखत तीन कारक प वैकिपकतया अपनाओल जाय:भऽ गेल, भय गेल वा भए गेल। जा रहल अिछ, जाय रहल अिछ,जाए रहल अिछ। कर’ गेलाह, वा करय गेलाह वा करए गेलाह।३. ाचीन मैिथलीक ‘ह’ विनक थानमे ‘न’ िलखल जाय सकैतअिछ यथा कहलिन वा कहलिह।४. ‘ऐ’ तथा ‘औ’ ततय िलखल जाय जत’ पतः ‘अइ’ तथा‘अउ’ सदृश उचारण इ हो। यथा- देखैत, छलैक, बौआ, छौकइयािद।५. मैिथलीक िनिलिखत शद एिह पे युत होयत: जैह, सैह,इएह, ओऐह, लैह तथा दैह।६. व इकारत शदमे ‘इ’ के लुत करब सामायतः अािथक। यथा- ा देिख आबह, मािलिन गेिल (मनुय मामे)।७. वतं व ‘ए’ वा ‘य’ ाचीन मैिथलीक उरण आिदमे तँयथावत राखल जाय, िकंतु आधुिनक योगमे वैकिपक प ‘ए’ वा‘य’ िलखल जाय। यथा:- कयल वा कएल, अयलाह वा अएलाह,जाय वा जाए इयािद।272


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>८. उचारणमे दू वरक बीच जे ‘य’ विन वतः आिब जाइतअिछ तकरा लेखमे थान वैकिपक प देल जाय। यथा- धीआ,अढ़ैआ, िवआह, वा धीया, अढ़ैया, िबयाह।९. सानुनािसक वतं वरक थान यथासंभव ‘ञ’ िलखल जायवा सानुनािसक वर। यथा:- मैञा, किनञा, िकरतिनञा वा मैआँ,किनआँ, िकरतिनआँ।१०. कारकक िवभिक िनिलिखत प ा:- हाथक, हाथसँ,हाथ, हाथक, हाथमे। ’मे’ मे अनुवार सवथा याय िथक। ‘क’क वैकिपक प ‘केर’ राखल जा सकैत अिछ।११. पूवकािलक ियापदक बाद ‘कय’ वा ‘कए’ अयय वैकिपकप लगाओल जा सकैत अिछ। यथा:- देिख कय वा देिख कए।१२. मग, भग आिदक थानमे माङ, भाङ इयािद िलखल जाय।१३. अ ‘न’ ओ अ ‘म’ क बदला अनुसार निह िलखल जाय,िकंतु छापाक सुिवधाथ अ ‘ङ’ , ‘ञ’, तथा ‘ण’ क बदलाअनुवारो िलखल जा सकैत अिछ। यथा:- अ, वा अंक, अचलवा अंचल, कठ वा कंठ।273


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>१४. हलंत िच िनअमतः लगाओल जाय, िकंतु िवभितक संगअकारत योग कएल जाय। यथा:- ीमान्, िकंतु ीमानक।१५. सभ एकल कारक िच शदमे सटा क’ िलखल जाय, हटाक’ निह, संयुत िवभितक हेतु फराक िलखल जाय, यथा घरपरक।१६. अनुनािसकक चिबदु ारा यत कयल जाय। परंतुमुणक सुिवधाथ िह समान जिटल माापर अनुवारक योगचिबदुक बदला कयल जा सकैत अिछ। यथा- िहँ केर बदलािहं।१७. पूण िवराम पासीसँ ( । ) सूिचत कयल जाय।१८. समत पद सटा क’ िलखल जाय, वा हाइफेनसँ जोिड़ क’, हटा क’ निह।१९. िलअ तथा िदअ शदमे िबकारी (ऽ) निह लगाओल जाय।२०. अंक देवनागरी पमे राखल जाय।२१.िकछु विनक लेल नवीन िचह बनबाओल जाय। जा' ई निह274


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>बनल अिछ ताबत एिह दुनू विनक बदला पूववत् अय/ आय/ अए/आए/ आओ/ अओ िलखल जाय। आिक ऎ वा ऒ सँ यत कएलजाय।ह./- गोिवद झा ११/८/७६ ीकात ठाकुर ११/८/७६ सुरे झा"सुमन" ११/०८/७६२. मैिथलीमे भाषा सपादन पायम२.१. उचारण िनदश: (बोड कएल प ा):-दत न क उचारणमे दतमे जीह सटत- जेना बाजू नाम , मुदा णक उचारणमे जीह मूधमे सटत (नै सटैए तँ उचारण दोष अिछ)-जेना बाजू गणेश। तालय शमे जीह तालुसँ , षमे मूधसँ आ दतसमे दतसँ सटत। िनश, सभ आ शोषण बािज कऽ देखू।मैिथलीमे ष क वैिदक संकृत जक ख सेहो उचिरत कएलजाइत अिछ, जेना वष, दोष। य अनेको थानपर ज जकउचिरत होइत अिछ आ ण ड़ जक (यथा संयोग आ गणेशसंजोग आगड़ेस उचिरत होइत अिछ)। मैिथलीमे व क उचारण ब, श कउचारण स आ य क उचारण ज सेहो होइत अिछ।ओिहना व इ बेशीकाल मैिथलीमे पिहने बाजल जाइत अिछकारण देवनागरीमे आ िमिथलारमे व इ अरक पिहने िलखलोजाइत आ बाजलो जएबाक चाही। कारण जे िहदीमे एकर दोषपूण275


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>उचारण होइत अिछ (िलखल तँ पिहने जाइत अिछ मुदा बाजलबादमे जाइत अिछ), से िशा पितक दोषक कारण हम सभओकर उचारण दोषपूण ढंगसँ कऽ रहल छी।अिछ- अ इ छ ऐछ (उचारण)छिथ- छ इ थ – छैथ (उचारण)पहुँिच- प हुँ इ च (उचारण)आब अ आ इ ई ए ऐ ओ औ अं अः ऋ ऐ सभ लेल माा सेहोअिछ, मुदा ऐमे ई ऐ ओ औ अं अः ऋ क संयुतार पमे गलतपमे युत आ उचिरत कएल जाइत अिछ। जेना ऋ क रीपमे उचिरत करब। आ देिखयौ- ऐ लेल देिखऔ क योगअनुिचत। मुदा देिखऐ लेल देिखयै अनुिचत। क् सँ धिर असिमिलत भेलासँ क सँ ह बनैत अिछ, मुदा उचारण काल हलतयुत शदक अतक उचारणक वृि बढ़ल अिछ, मुदा हमजखन मनोजमे ज् अतमे बजैत छी, तखनो पुरनका लोकक बजैतसुनबिह- मनोजऽ, वातवमे ओ अ युत ज् = ज बजै छिथ।फेर अिछ ज् आ ञ क संयुत मुदा गलत उचारण होइतअिछ- य। ओिहना अिछ क् आ ष क संयुत मुदा उचारणहोइत अिछ छ। फेर श् आ र क संयुत अिछ ( जेनािमक) आ स् आ र क संयुत अिछ (जेना िम)। भेलत+र ।उचारणक ऑिडयो फाइल िवदेह आकइवhttp://www.videha.co.in/ पर उपलध अिछ। फेर क / सँ276


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>/ पर पूव अरसँ सटा कऽ िलखू मुदा तँ / कऽ हटा कऽ। ऐमेसँ मे पिहल सटा कऽ िलखू आ बादबला हटा कऽ। अंकक बादटा िलखू सटा कऽ मुदा अय ठाम टा िलखू हटा कऽ– जेनाछहटा मुदा सभ टा। फेर ६अ म सातम िलखू- छठम सातम नै।घरबलामे बला मुदा घरवालीमे वाली युत क।रहए-रहै मुदा सकैए (उचारण सकै-ए)।मुदा कखनो काल रहए आ रहै मे अथ िभता सेहो, जेना सेकमो जगहमे पािकंग करबाक अयास रहै ओकरा। पुछलापर पतालागल जे ढुनढुन नाा ई ाइवर कनाट लेसक पािकंगमे काजकरैत रहए।छलै, छलए मे सेहो ऐ तरहक भेल। छलए क उचारण छल-एसेहो।संयोगने- (उचारण संजोगने)क/ कऽकेर- क (केर क योग गमे नै क , पमे कऽ सकै छी। )क (जेना रामक)–रामक आ संगे (उचारण राम के / राम कऽ सेहो)सँ- सऽ (उचारण)चिबदु आ अनुवार- अनुवारमे कंठ धिरक योग होइत अिछमुदा चिबदुमे नै। चिबदुमे कनेक एकारक सेहो उचारण277


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>होइत अिछ- जेना रामसँ- (उचारण राम सऽ) रामक- (उचारणराम कऽ/ राम के सेहो)।क जेना रामक भेल िहदीक को (राम को)- राम को= रामकक जेना रामक भेल िहदीक का ( राम का) राम का= रामककऽ जेना जा कऽ भेल िहदीक कर ( जा कर) जा कर= जाकऽसँ भेल िहदीक से (राम से) राम से= रामसँसऽ , तऽ , त , केर (गमे) ए◌े चा शद सबहक योगअविछत।के दोसर अथँ युत भऽ सकैए- जेना, के कहलक? िवभित“क”क बदला एकर योग अविछत।निञ, निह, नै, नइ, नँइ, नइँ, नइं ऐ सभक उचारण आ लेखन -नैव क बदलामे व जेना महवपूण (महवपूण नै) जतए अथबदिल जाए ओतिह मा तीन अरक संयुतारक योग उिचत।सपित- उचारण स प इ त (सपि नै- कारण सही उचारणआसानीसँ सभव नै)। मुदा सवम (सवतम नै)।रािय (राीय नै)सकैए/ सकै (अथ पिरवतन)पोछैले/ पोछै लेल/ पोछए लेल278


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>पोछैए/ पोछए/ (अथ पिरवतन) पोछए/ पोछैओ लोकिन ( हटा कऽ, ओ मे िबकारी नै)ओइ/ ओिहओिहले/ओिह लेल/ ओही लऽजएब/ बैसबपँचभइयदेिखयौक/ (देिखऔक नै- तिहना अ मे व आ दीघक मााकयोग अनुिचत)जक / जेकतँइ/ तैँ/होएत / हएतनिञ/ निह/ नँइ/ नइँ/ नैसौँसे/ सॱसेबड़ /बड़ी (झोराओल)गाए (गाइ निह), मुदा गाइक दूध (गाएक दूध नै।)रहल/ पिहरतैँहमहॴ/ अहॴसब - सभसबहक - सभहकधिर - तक279


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>गप- बातबूझब - समझबबुझलॱ/ समझलॱ/ बुझलहुँ - समझलहुँहमरा आर - हम सभआिक- आ िकसकैछ/ करैछ (गमे योगक आवयकता नै)होइन/ होिनजाइन (जािन नै, जेना देल जाइन) मुदा जािन-बूिझ (अथ पिरतन)पइठ/ जाइठआउ/ जाउ/ आऊ/ जाऊमे, क, सँ, पर (शदसँ सटा कऽ) तँ कऽ धऽ दऽ (शदसँ हटाकऽ) मुदा दूटा वा बेसी िवभित संग रहलापर पिहल िवभित टाकसटाऊ। जेना ऐमे सँ ।एकटा , दूटा (मुदा कए टा)िबकारीक योग शदक अतमे, बीचमे अनावयक प नै।आकारात आ अतमे अ क बाद िबकारीक योग नै (जेना िदअ, आ/ िदय’ , आ’, आ नै )अपोोफीक योग िबकारीक बदलामे करब अनुिचत आ माफॉटक तकनीकी यूनताक पिरचायक)- ओना िबकारीक संकृतप ऽ अवह कहल जाइत अिछ आ वतनी आ उचारण दुनू ठामएकर लोप रहैत अिछ/ रिह सकैत अिछ (उचारणमे लोप रिहतेअिछ)। मुदा अपोोफी सेहो अंेजीमे पसेिसव केसमे होइत अिछ280


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>आ चमे शदमे जतए एकर योग होइत अिछ जेना raisond’etre एतए सेहो एकर उचारण रैजौन डेटर होइत अिछ, मानेअपोॉफी अवकाश नै दैत अिछ वरन जोड़ैत अिछ, से एकरयोग िबकारीक बदला देनाइ तकनीकी प सेहो अनुिचत)।अइमे, एिहमे/ ऐमेजइमे, जािहमेएखन/ अखन/ अइखनक (के निह) मे (अनुवार रिहत)भऽमेदऽतँ (तऽ, त नै)सँ ( सऽ स नै)गाछ तरगाछ लगसझ खनजो (जो go, करै जो do)तै/तइ जेना- तै दुआरे/ तइमे/ तइलेजै/जइ जेना- जै कारण/ जइसँ/ जइलेऐ/अइ जेना- ऐ कारण/ ऐसँ/ अइले/ मुदा एकर एकटा खास योग-लालित कतेक िद नसँ कहैत रहैत अइ281


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>लै/लइ जेना लैसँ/ लइले/ लै दुआरेलहँ/ लॱगेलॱ/ लेलॱ/ लेलँह/ गेलहुँ/ लेलहुँ/ लेलँजइ/ जािह / जैजिह ठाम/ जािह ठाम/ जइठाम/ जैठामएिह / अिह /अइ (वायक अंतमे ा) / ऐअइछ/ अिछ / ऐछतइ/ तिह / तै/ तािहओिह / ओइसीिख / सीखजीिव / जीवी/ जीबभलेहॴ/ भलिह◌ ंत/ तँइ/ तँएजाएब/ जएबलइ/ लैछइ/ छैनिह / नै/ नइगइ/ गैछिन/ छि ह ...282


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>समए श दक संग जखन कोनो िव भि त जुटै छै तखन समै जनासमैपर इ यािद । असगरमे हृदए आ िव भि त जुटने हृदे जना हृदेसँ,हृदेमे इ यािद ।जइ/ जािह /जैजिह ठाम/ जािह ठाम/ जइठाम/ जैठामएिह / अिह / अइ/ ऐअइछ/ अिछ / ऐछतइ/ तिह / तै/ तािहओिह / ओइसीिख / सीखजीिव / जीवी/जीबभले/ भलेहॴ/भलिह◌ ंत/ तँइ/ तँएजाएब/ जएबलइ/ लैछइ/ छैनिह / नै/ नइगइ/गै283


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>छिन / छि हचुकल अिछ/ गेल गिछ२.२. मैिथलीमे भाषा सपादन पायमनीचक सूचीमे देल िवकपमेसँ लगुएज एडीटर ारा कोन पचुनल जेबाक चाही:बोड कएल प ा:१.होयबला/ होबयबला/ होमयबला/ हेब’बला, हेम’बला/होयबाक/होबएबला /होएबाक२. आ’/आऽआ३. क’ लेने/कऽ लेने/कए लेने/कय लेने/ल’/लऽ/लय/लए४. भ’ गेल/भऽ गेल/भय गेल/भएगेल५. कर’ गेलाह/करऽगेलह/करए गेलाह/करय गेलाह६.िलअ/िदअ िलय’,िदय’,िलअ’,िदय’/७. कर’ बला/करऽ बला/ करय बला करैबला/क’र’ बला /करैवाली८. बला वला (पुष), वाली ( ी) ९.आल आंल284


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>१०. ायः ायह११. दुःख दुख १२. चिल गेल चल गेल/चैल गेल१३. देलिखह देलिकह, देलिखन१४.देखलिह देखलिन/ देखलैह१५. छिथह/ छलिह छिथन/ छलैन/ छलिन१६. चलैत/दैत चलित/दैित१७. एखनोअखनो१८.बढ़िन बढ़इन बढ़िह१९. ओ’/ओऽ(सवनाम) ओ२०. ओ (संयोजक) ओ’/ओऽ२१. फिग/फाि फाइंग/फाइङ२२.जे जे’/जेऽ २३. ना-नुकुर ना-नुकर२४. केलिह/केलिन /कयलिह२५. तखनतँ/ तखन तँ२६. जारहल/जाय रहल/जाए रहल285


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>२७. िनकलय/िनकलएलागल/ लगल बहराय/ बहराए लागल/ लगल िनकल’/बहरै लागल२८. ओतय/ जतय जत’/ ओत’/ जतए/ ओतए२९.की फूरल जे िक फूरल जे३०. जे जे’/जेऽ३१. कूिद / यािद(मोन पारब) कूइद/याइद/कूद/याद/यािद (मोन)३२. इहो/ ओहो३३.हँसए/ हँसय हँसऽ३४. नौ आिक दस/नौ िकंवा दस/ नौ वा दस३५. सासु-ससुर सास-ससुर३६. छह/ सात छ/छः/सात३७.की की’/ कीऽ (दीघकारातमे ऽ विजत)३८. जबाब जवाब३९. करएताह/ करेताह करयताह४०. दलान िदिश दलान िदश/दलान िदस४१. गेलाह गएलाह/गयलाह४२. िकछु आर/ िकछु और/ िकछ आर286


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>४३. जाइ छल/ जाइत छल जाित छल/जैत छल४४. पहुँिच/ भेट जाइत छल/ भेट जाइ छलए पहुँच/ भेिट जाइतछल४५.जबान (युवा)/ जवान(फौजी)४६. लय/ लए क’/ कऽ/ लए कए / लऽ कऽ/ लऽ कए४७. ल’/लऽ कय/कए४८. एखन / एखने / अखन / अखने४९.अहॴक अहीँक५०. गहॴर गहीँर५१.धार पार केनाइ धार पार केनाय/केनाए५२. जेक जक/जक५३. तिहना तेिहना५४. एकर अकर५५. बिहनउ बहनोइ५६. बिहन बिहिन५७. बिहन-बिहनोइबिहन-बहनउ287


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>५८. निह/ नै५९. करबा / करबाय/ करबाए६०. तँ/ त ऽ तय/तए६१. भैयारी मे छोट-भाए/भै/, जेठ-भाय/भाइ,६२. िग नतीमे दू भाइ/भाए/भइ६३. ई पोथी दू भाइक/ भइ/ भाए/ लेल। यावत जावत६४. माय मै / माए मुदा माइक ममता६५. देिह/ दइन दिन / दएिह/ दयिह दिह/ दैिह६६. द’/ दऽ/ दए६७. ओ (संयोजक) ओऽ (सवनाम)६८. तका कए तकाय तकाए६९. पैरे (on foot) पएरे कएक/ कैक७०.ताहुमे/ ताहूमे७१.पुीक७२.बजा कय/ कए / कऽ७३. बननाय/बननाइ७४. कोला७५.िदनुका िदनका288


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>७६.ततिहसँ७७. गरबओलिह/ गरबौलिन /गरबेलिह/ गरबेलिन७८. बालु बालू७९.चेह िचह(अशु)८०. जे जे’८१. से/ के से’/के’८२. एखुनका अखनुका८३. भुिमहार भूिमहार८४. सुगर/ सुगरक/ सूगर८५. झठहाक झटहाक ८६.छूिब८७. करइयो/ओ करैयो ने देलक /किरयौ-करइयौ८८. पुबािरपुबाइ८९. झगड़ा-झटीझगड़ा-झिट९०. पएरे-पएरे पैरे-पैरे289


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>९१. खेलएबाक९२. खेलेबाक९३. लगा९४. होए- हो – होअए९५. बुझल बूझल९६.बूझल (संबोधन अथमे)९७. यैह यएह / इएह/ सैह/ सएह९८. ताितल९९. अयनाय- अयनाइ/ अएनाइ/ एनाइ१००. िन- िनद१०१.िबनु िबन१०२. जाए जाइ१०३.जाइ (in different sense)-last word of sentence१०४. छत पर आिब जाइ१०५.ने१०६. खेलाए (play) –खेलाइ१०७. िशकाइत- िशकायत१०८.290


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>ढप- ढ़प१०९. पढ़- पढ११०. किनए/ किनये किनञे१११. राकस- राकश११२. होए/ होय होइ११३. अउरदा-औरदा११४. बुझेलिह (different meaning- got understand)११५. बुझएलिह/बुझेलिन / बुझयलिह (understood himself)११६. चिल- चल/ चिल गेल११७. खधाइ- खधाय११८.मोन पाड़लिखह/ मोन पाड़लिख न/ मोन पारलिखह११९. कैक- कएक- कइएक१२०.लग ल’ग१२१. जरेनाइ१२२. जरौनाइ जरओनाइ- जरएनाइ/जरेनाइ१२३. होइत१२४.291


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>गरबेलिह/ गरबेलिन गरबौलिह/ गरबौलिन१२५.िचखैत- (to test)िचखइत१२६. करइयो (willing to do) करैयो१२७. जेकरा- जकरा१२८. तकरा- तेकरा१२९.िबदेसर थानेमे/ िबदेसरे थानमे१३०. करबयलहुँ/ करबएलहुँ/ करबेलहुँ करबेलॱ१३१.हािरक (उचारण हाइरक)१३२. ओजन वजन आफसोच/ अफसोस कागत/ कागच/ कागज१३३. आधे भाग/ आध-भागे१३४. िपचा / िपचाय/िपचाए१३५. नञ/ ने१३६. बचा नञ(ने) िपचा जाय१३७. तखन ने (नञ) कहैत अिछ। कहै/ सुनै/ देखै छल मुदाकहैत-कहैत/ सुनैत-सुनैत/ देखैत-देखैत१३८.कतेक गोटे/ कताक गोटे१३९. कमाइ-धमाइ/ कमाई- धमाई292


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>१४०. लग ल’ग१४१. खेलाइ (for playing)१४२.छिथह/ छिथन१४३.होइत होइ१४४. यो िकयो / केओ१४५.केश (hair)१४६.केस (court-case)१४७. बननाइ/ बननाय/ बननाए१४८. जरेनाइ१४९. कुरसी कुस१५०. चरचा चच१५१. कम करम१५२. डुबाबए/ डुबाबै/ डुमाबै डुमाबय/ डुमाबए१५३. एखुनका/अखुनका१५४. लए/ िलअए (वायक अंितम शद)- लऽ293


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>१५५. कएलक/केलक१५६. गरमी गम१५७. वरदी वद१५८. सुना गेलाह सुना’/सुनाऽ१५९. एनाइ-गेनाइ१६०.तेना ने घेरलिह/ तेना ने घेरलिन१६१. निञ / नै१६२.डरो ड’रो१६३. कतहु/ कतौ कहॴ१६४. उमिरगर-उमेरगर उमरगर१६५. भिरगर१६६. धोल/धोअल धोएल१६७. गप/गप१६८.के के’१६९. दरबजा/ दरबजा१७०. ठाम१७१.294


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>धिर तक१७२.घूिर लौिट१७३. थोरबेक१७४. बड१७५. त/ तू ◌ँ१७६. तिह( पमे ा)१७७. तही / तिह१७८.करबाइए करबाइये१७९. एकेटा१८०. किरतिथ /करतिथ१८१.पहुँिच/ पहुँच१८२. राखलिह रखलिह/ रखलिन१८३.लगलिह/ लगलिन लागलिह१८४.सुिन (उचारण सुइन)१८५. अिछ (उचारण अइछ)१८६. एलिथ गेलिथ१८७. िबतओने/ िब तौने/295


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>िबतेने१८८. करबओलिह/ करबौलिन /करेलिखह/ करेलिख न१८९. करएलिह/ करेलिन१९०.आिक/ िक१९१. पहुँिच/पहुँच१९२. बी जराय/ जराए जरा (आिग लगा)१९३.से से’१९४.ह मे ह (हमे ह िवभिमे हटा कए)१९५. फेल फैल१९६. फइल(spacious) फैल१९७. होयतिह/ होएतिह/ होएतिन /हेतिन / हेतिह१९८. हाथ मिटआएब/ हाथ मिटयाबय/हाथ मिटयाएब१९९. फेका फका२००. देखाए देखा२०१. देखाबए२०२. सिर सर२०३.296


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>साहेब साहब२०४.गेलैह/ गेलिह/ गेलिन२०५. हेबाक/ होएबाक२०६.केलो/ कएलहुँ/केलॱ/ केलुँ२०७. िकछु न िकछु/िकछु ने िकछु२०८.घुमेलहुँ/ घुमओलहुँ/ घुमेलॱ२०९. एलाक/ अएलाक२१०. अः/ अह२११.लय/लए (अथ-पिरवन) २१२.कनीक/ कनेक२१३.सबहक/ सभक२१४.िमलाऽ/ िमला२१५.कऽ/ क२१६.जाऽ/जा२१७.आऽ/ आ२१८.भऽ /भ’ (’ फॉटक कमीक ोतक)२१९.िनअम/ िनयम२२०.हेटेअर/ हेटेयर२२१.पिहल अर ढ/ बादक/ बीचक ढ़297


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>२२२.तिहं/तिहँ/ तिञ/ त२२३.किहं/ कहॴ२२४.तँइ/त / तइँ२२५.नँइ/ नइँ/ निञ/ निह/नै२२६.है/ हए / एलीह/२२७.छिञ/ छै/ छैक /छइ२२८.दृिएँ/ दृिय२२९.आ (<strong>com</strong>e)/ आऽ(conjunction)२३०.आ (conjunction)/ आऽ(<strong>com</strong>e)२३१.कुनो/ कोनो, कोना/केना२३२.गेलैह-गेलिह-गेलिन२३३.हेबाक- होएबाक२३४.केलौँ- कएलौँ-कएलहुँ/केलॱ२३५.िकछु न िकछ- िकछु ने िकछु२३६.केहेन- केहन२३७.आऽ (<strong>com</strong>e)-आ (conjunction-and)/आ। आब'-आब'/आबह-आबह२३८. हएत-हैत२३९.घुमेलहुँ-घुमएलहुँ- घुमेला◌े◌ं२४०.एलाक- अएलाक298


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>२४१.होिन- होइन/ होिह/२४२.ओ-राम ओ यामक बीच(conjunction), ओऽ कहलक (hesaid)/ओ२४३.की हए/ कोसी अएली हए/ की है। की हइ२४४.दृिएँ/ दृिय२४५.शािमल/ सामेल२४६.तैँ / तँए/ तिञ/ तिहं२४७.जॱ/ य/ जँ/२४८.सभ/ सब२४९.सभक/ सबहक२५०.किहं/ कहॴ२५१.कुनो/ कोनो/ कोनहुँ/२५२.फारकती भऽ गेल/ भए गेल/ भय गेल२५३.कोना/ केना/ क ना/कना२५४.अः/ अह२५५.जनै/ जनञ२५६.गेलिन /गेलाह (अथ पिरवतन)२५७.केलिह/ कएलिह/ केलिन /२५८.लय/ लए/ लएह (अथ पिरवतन)299


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>२५९.कनीक/ कनेक/कनी-मनी२६०.पठेलिह पठेलिन / पठेलइन/ पपठओलिह/ पठबौलिन /२६१.िनअम/ िनयम२६२.हेटेअर/ हेटेयर२६३.पिहल अर रहने ढ/ बीचमे रहने ढ़२६४.आकारातमे िबकारीक योग उिचत नै/ अपोोफीक योगफाटक तकनीकी यूनताक पिरचायक ओकर बदला अवह(िबकारी) क योग उिचत२६५.केर (पमे ा) / -क/ कऽ/ के२६६.छैिह- छिह२६७.लगैए/ लगैये२६८.होएत/ हएत२६९.जाएत/ जएत/२७०.आएत/ अएत/ आओत२७१.खाएत/ खएत/ खैत२७२.िपअएबाक/ िपएबाक/िप येबाक२७३.शु/ शुह२७४.शुहे/ शुए२७५.अएताह/अओताह/ एताह/ औताह२७६.जािह/ जाइ/ जइ/ जै/२७७.जाइत/ जैतए/ जइतए300


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>२७८.आएल/ अएल२७९.कैक/ कएक२८०.आयल/ अएल/ आएल२८१. जाए/ जअए/ जए (लालित जाए लगलीह।)२८२. नुकएल/ नुकाएल२८३. कठुआएल/ कठुअएल२८४. तािह/ तै/ तइ२८५. गायब/ गाएब/ गएब२८६. सकै/ सकए/ सकय२८७.सेरा/सरा/ सराए (भात सरा गेल)२८८.कहैत रही/देखैत रही/ कहैत छलॱ/ कहै छलॱ- अिहना चलैत/पढ़ैत(पढ़ै-पढ़ैत अथ कखनो काल पिरवितत) - आर बुझै/ बुझैत (बुझै/बुझै छी, मुदा बुझैत-बुझैत)/ सकैत/ सकै। करैत/ करै। दै/ दैत।छैक/ छै। बचलै/ बचलैक। रखबा/ रखबाक । िबनु/ िबन।राितक/ रातुक बुझै आ बुझैत केर अपन-अपन जगहपर योगसमीचीन अिछ । बुझैत-बुझैत आब बुझिल ऐ। हमहूँ बुझै छी।२८९. दुआरे/ ारे२९०.भेिट/ भेट/ भट२९१.खन/ खीन/ खुना (भोर खन/ भोर खीन)२९२.तक/ धिर301


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>२९३.गऽ/ गै (meaning different-जनबै गऽ)२९४.सऽ/ सँ (मुदा दऽ, लऽ)२९५.व,(तीन अरक मेल बदला पुनितक एक आ एकटादोसरक उपयोग) आिदक बदला व आिद। महव/ महव/ कत/क आिदमे संयुतक कोनो आवयकता मैिथलीमे नै अिछ।वतय२९६.बेसी/ बेशी२९७.बाला/वाला बला/ वला (रहैबला)२९८.वाली/ (बदलैवाली)२९९.वा/ वात३००. अतरिय/ अतरीय३०१. लेमए/ लेबए३०२.लमछुरका, नमछुरका३०२.लागै/ लगै (भेटैत/ भेटै)३०३.लागल/ लगल३०४.हबा/ हवा३०५.राखलक/ रखलक३०६.आ (<strong>com</strong>e)/ आ (and)३०७. पाताप/ पााप३०८. ऽ केर यवहार शदक अतमे मा, यथासंभव बीचमे नै।302


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>३०९.कहैत/ कहै३१०.रहए (छल)/ रहै (छलै) (meaning different)३११.तागित/ ताकित३१२.खराप/ खराब३१३.बोइन/ बोिन/ बोइिन३१४.जािठ/ जाइठ३१५.कागज/ कागच/ कागत३१६.िगरै (meaning different- swallow)/ िगरए (खसए)३१७.रािय/ राीयFestivals of MithilaDATE-LIST (year- 2011-12)(१४१९ साल)Marriage Days:Nov.2011- 20,21,23,25,27,30Dec.2011- 1,5,9303


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>January 2012- 18,19,20,23,25,27,29Feb.2012- 2,3,8,9,10,16,17,19,23,24,29March 2012- 1,8,9,12April 2012- 15,16,18,25,26June 2012- 8,13,24,25,28,29Upanayana Days:February 2012- 2,3,24,26March 2012- 4April 2012- 1,2,26June 2012- 22Dviragaman Din:November 2011- 27,30December 2011- 1,2,5,7,9,12304


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>February 2012- 22,23,24,26,27,29March 2012- 1,2,4,5,9,11,12April 2012- 23,25,26,29May 2012- 2,3,4,6,7Mundan Din:December 2011- 1,5January 201225,26,30March 2012- 12April 2012- 26May 2012- 23,25,31June 2012- 8,21,22,29FESTIVALS OF MITHILA305


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>Mauna Panchami-20 JulyMadhushravani- 2 AugustNag Panchami- 4 AugustRaksha Bandhan- 13 AugKrishnastami- 21 AugustKushi Amavasya / Somvari Vrat- 29 AugustHartalika Teej- 31 AugustChauthChandra-1 SeptemberKarma Dharma Ekadashi-8 SeptemberIndra Pooja Aarambh- 9 SeptemberAnant Caturdashi- 11 SepAgastyarghadaan- 12 SepPitri Paksha begins- 13 Sep306


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>Mahalaya Aarambh- 13 SeptemberVishwakarma Pooja- 17 SeptemberJimootavahan Vrata/ Jitia-20 SeptemberMatri Navami- 21SeptemberKalashsthapan- 28 SeptemberBelnauti- 2 OctoberPatrika Pravesh- 3 OctoberMahastami- 4 OctoberMaha Navami - 5 OctoberVijaya Dashami- 6 OctoberKojagara- 11 OctDhanteras- 24 OctoberDiyabati, shyama pooja-26 October307


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>Annakoota/ Govardhana Pooja-27 OctoberBhratridwitiya/ Chitragupta Pooja-28 OctoberChhathi-kharna -31 OctoberChhathi- sayankalik arghya - 1 NovemberDevotthan Ekadashi- 17 NovemberSama poojarambh- 2 NovemberKartik Poornima/ Sama Bisarjan- 10 Novravivratarambh- 27 NovemberNavanna parvan- 29 NovemberVivaha Panchmi- 29 NovemberMakara/ Teela Sankranti-15 JanNaraknivaran chaturdashi- 21 JanuaryBasant Panchami/ Saraswati Pooja- 28 January308


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>Achla Saptmi- 30 JanuaryMahashivaratri-20 FebruaryHolikadahan-Fagua-7 MarchHoli-9 MarVaruni Yoga-20 MarchChaiti navaratrarambh- 23 MarchChaiti Chhathi vrata-29 MarchRam Navami- 1 AprilMesha Sankranti-Satuani-13 AprilJurishital-14 AprilAkshaya Tritiya-24 AprilRavi Brat Ant- 29 AprilJanaki Navami- 30 April309


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>Vat Savitri-barasait- 20 MayGanga Dashhara-30 MaySomavati Amavasya Vrata- 18 JuneJagannath Rath Yatra- 21 JuneHari Sayan Ekadashi- 30 JuneAashadhi Guru Poornima-3 Jul8.<strong>VIDEHA</strong> FOR NON RESIDENTS8.1 to 8.3 MAITHILI LITERATURE IN ENGLISH8.1.1.The Comet -GAJENDRA THAKURtranslated by Jyoti Jha chaudhary8.1.2.The_Science_of_Words- GAJENDRATHAKUR translated by the author himself8.1.3.On_the_dice-board_of_the_millennium-GAJENDRA THAKUR translated by Jyoti Jhachaudhary310


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>8.1.4.NAAGPHANS (IN ENGLISH)- SHEFALIKAVERMA translated by Dr. Rajiv Kumar Vermaand Dr. Jaya VermaOriginal Poem in Maithili byKalikantJha "Buch" Translated into English byJyoti Jha Chaudhary311


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>Kalikant Jha "Buch" 1934-2009, Birthplace- village Karian, District- Samastipur (Karianis birth place of famous Indian Nyaiyyayikphilosopher Udayanacharya), Father Late Pt.Rajkishor Jha was first headmaster of villagemiddle school. Mother Late Kala Devi washousewife. After <strong>com</strong>pleting Intermediateeducation started job block office of Govt. ofBihar.published in Mithila Mihir, Mati-pani,Bhakha, and Maithili Akademi magazine.Jyoti Jha Chaudhary, Date of Birth:December 30 1978,Place of Birth- Belhvar(Madhubani District), Education: SwamiVivekananda Middle School, Tisco Sakchi GirlsHigh School, Mrs KMPM Inter College, IGNOU,ICWAI (COST ACCOUNTANCY); Residence-LONDON, UK; Father- Sh. Shubhankar Jha,312


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>Jamshedpur; Mother- Smt. Sudha Jha- Shivipatti.Jyoti received editor's choice award fromwww.poetry.<strong>com</strong>and her poems were featured infront page of www.poetrysoup.<strong>com</strong> for someperiod.She learnt Mithila Painting under Ms.Shveta Jha, Basera Institute, Jamshedpur andFine Arts from Toolika, Sakchi, Jamshedpur(India). Her Mithila Paintings have been displayedby Ealing Art Group at Ealing Broadway, London.Kavi Kokil VidyapatiBecause of whom our native language got a lifeThat world-renowned nightingale poet’s name isVidyapatiA new hope in the MithilanchalOur language is spread in each house313


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>Kind emotions and colourful thoughtsStability in mind and woman in the visionCreated the God Shiva under the veilThat world-renowned nightingale poet’s name isVidyapatiThe shade of yoga in the bed of enjoymentThe illusion of personality is immeasurableThe triveni is immerged in the bellyThe shrine resides with the beautyThe sun of creation shined in the kaalratri ofritualsThat world-renowned nightingale poet’s name isVidyapati314


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>Face is like spring, bhado (rainy season) in eyesThe flow is pure, bank is muddyLike leaves of lotus in the waterLike flow of nectar in the desertSinging the song for Radha but keeping Madhavin the mindThat world-renowned nightingale poet’s name isVidyapatiVidyapati nagaram is blessedWith Visfisut, Truth, Shiva and VirtueRemnant after being burnt outMahesh is immortal after death315


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>The entrance is adorned with gold but inside iscrematoriumThat world-renowned nightingale poet’s name isVidyapatiSend your <strong>com</strong>ments to ggajendra@videha.<strong>com</strong><strong>VIDEHA</strong> ARCHIVE१.िवदेह ई-पिकाक सभटा पुरान अंक ेल, ितरहुता आ देवनागरीपमे Videha e journal's all old issues in BrailleTirhuta and Devanagari versionsिवदेह ई-पिकाक पिहल ५० अंकिवदेह ई-पिकाक ५०म सँ आगक अंक२.मैिथली पोथी डाउनलोड Maithili Books Download316


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>३.मैिथली ऑिडयो संकलन Maithili Audio Downloads४.मैिथली वीिडयोक संकलन Maithili Videos५.िमिथला िचकला/ आधुिनक िचकला आ िच MithilaPainting/ Modern Art and Photos"िवदेह"क एिह सभ सहयोगी िलंकपर सेहो एक बेर जाऊ।६.िवदेह मैिथली िवज :http://videhaquiz.blogspot.<strong>com</strong>/७.िवदेह मैिथली जालवृ एीगेटर :http://videha-aggregator.blogspot.<strong>com</strong>/८.िवदेह मैिथली सािहय अंेजीमे अनूिदतhttp://madhubani-art.blogspot.<strong>com</strong>/९.िवदेहक पूव-प "भालसिरक गाछ" :317


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>http://gajendrathakur.blogspot.<strong>com</strong>/१०.िवदेह इंडेस :http://videha123.blogspot.<strong>com</strong>/११.िवदेह फाइल :http://videha123.wordpress.<strong>com</strong>/१२. िवदेह: सदेह : पिहल ितरहुता (िमिथला़र) जालवृ (लॉग)http://videha-sadeha.blogspot.<strong>com</strong>/१३. िवदेह:ेल: मैिथली ेलमे: पिहल बेर िवदेह ाराhttp://videha-braille.blogspot.<strong>com</strong>/१४.<strong>VIDEHA</strong> IST MAITHILI FORTNIGHTLYEJOURNAL ARCHIVEhttp://videha-archive.blogspot.<strong>com</strong>/१५. िवदेह थम मैिथली पािक ई पिका मैिथली पोथीकआकइवhttp://videha-pothi.blogspot.<strong>com</strong>/318


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>१६. िवदेह थम मैिथली पािक ई पिका ऑिडयो आकइवhttp://videha-audio.blogspot.<strong>com</strong>/१७. िवदेह थम मैिथली पािक ई पिका वीिडयो आकइवhttp://videha-video.blogspot.<strong>com</strong>/१८. िवदेह थम मैिथली पािक ई पिका िमिथला िचकला,आधुिनक कला आ िचकलाhttp://videha-paintings-photos.blogspot.<strong>com</strong>/१९. मैिथल आर िमिथला (मैिथलीक सभसँ लोकिय जालवृ)http://maithilaurmithila.blogspot.<strong>com</strong>/२०.ुित काशनhttp://www.shruti-publication.<strong>com</strong>/२१.http://groups.google.<strong>com</strong>/group/videha319


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong><strong>VIDEHA</strong> केर सदयता िलअईमेल :????? ???एिह समूहपर जाऊ२२.http://groups.yahoo.<strong>com</strong>/group/<strong>VIDEHA</strong>/Subscribe to <strong>VIDEHA</strong>enter email addressPowered by us.groups.yahoo.<strong>com</strong>२३.गजे ठाकुर इ डेस320


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>http://gajendrathakur123.blogspot.<strong>com</strong>२४.िवदेह रेिडयो:मैिथली कथा-किवता आिदक पिहल पोडकाटसाइटhttp://videha123radio.wordpress.<strong>com</strong>/२५. नेना भुटकाhttp://mangan-khabas.blogspot.<strong>com</strong>/महवपूण सूचना:(१) 'िवदेह' ारा धारावािहक पे ई-कािशतकएल गेल गजे ठाकुरक िनबध-बध-समीा, उपयास(सहबाढ़िन) , प-संह (सहादीक चौपड़पर), कथा-गप(गप-गुछ), नाटक(संकषण), महाकाय (वचाहच आ असाितमन) आ बाल-िकशोर सािहय िवदेहमे संपूण ई-काशनक बाद िंटफॉममे। कुेम्–अतमनक खड-१ सँ ७ Combined ISBNNo.978-81-907729-7-6 िववरण एिह पृपर नीचमे आकाशकक साइट http://www.shruti-publication.<strong>com</strong>/ पर।321


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>महवपूण सूचना (२):सूचना: िवदेहक मैिथली-अंेजी आ अंेजीमैिथली कोष (इंटरनेटपर पिहल बेर सच-िडशनरी) एम.एस.एस.यू.एल. सवर आधािरत -Based on ms-sql serverMaithili-English and English-MaithiliDictionary. िवदेहक भाषापाक- रचनालेखन तंभमे।कुेम् अतमनक- गजे ठाकुरगजे ठाकुरक िनबध-बध-समीा, उपयास (सहबाढ़िन) ,प-संह (सहादीक चौपड़पर), कथा-गप (गप गुछ),नाटक(संकषण), महाकाय (वचाहच आ असाित मन) आबालमंडली-िकशोरजगत िवदेहमे संपूण ई-काशनक बाद िंटफॉममे। कुेम्–अतमनक, खड-१ सँ ७Ist edition 2009 of Gajendra Thakur’sKuruKshetram-Antarmanak (Vol. I to VII)- essaypaper-criticism,novel, poems, story, play, epicsand Children-grown-ups literature in singlebinding:322


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>Language:Maithili६९२ पृ : मूय भा. . 100/-(for individual buyersinside india)(add courier charges Rs.50/-per copy forDelhi/NCR and Rs.100/- per copy for outsideDelhi)For Libraries and overseas buyers $40 US(including postage)The book is AVAILABLE FOR PDF DOWNLOADAThttps://sites.google.<strong>com</strong>/a/videha.<strong>com</strong>/videha/http://videha123.wordpress.<strong>com</strong>/Details for purchase available at print-versionpublishers's sitewebsite: http://www.shruti-publication.<strong>com</strong>/or you may write toe-mail:shruti.publication@shruti-publication.<strong>com</strong>323


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>िवदेह: सदेह : १: २: ३: ४ ितरहुता : देवनागरी "िवदेह" क, िंटसंकरण :िवदेह-ई-पिका (http://www.videha.co.in/) कचुनल रचना सिमिलत।िवदेह:सदेह:१: २: ३: ४सपादक: गजे ठाकुर।Details for purchase available at print-versionpublishers's site http://www.shruti-publication.<strong>com</strong>or you may write to shruti.publication@shrutipublication.<strong>com</strong>324


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>२. संदेश-[ िवदेह ई-पिका, िवदेह:सदेह िमिथलार आ देवनागरी आ गजे ठाकुरकसात खडक- िनबध-बध-समीा,उपयास (सहबाढ़िन) , प-संह(सहादीक चौपड़पर), कथा-गप (गप गुछ), नाटक (संकषण), महाकाय(वचाहच आ असाित मन) आ बाल-मंडली-िकशोर जगत-संह कुेम् अंतमनक माद। ]१.ी गोिवद झा- िवदेहक तरंगजालपर उतािर िवभिरमे मातृभाषामैिथलीक लहिर जगाओल, खेद जे अपनेक एिह महािभयानमे हमएखन धिर संग निह दए सकलहुँ। सुनैत छी अपनेक सुझाओ आरचनामक आलोचना िय लगैत अिछ त िकछु िलखक मोन भेल।हमर सहायता आ सहयोग अपनेक सदा उपलध रहत।२.ी रमानद रेणु- मैिथलीमे ई-पिका पािक प चला कऽ जेअपन मातृभाषाक चार कऽ रहल छी, से धयवाद । आगअपनेक समत मैिथलीक कायक हेतु हम हृदयसँ शुभकामना दऽरहल छी।३.ी िवानाथ झा "िविदत"- संचार आ ौोिगकीक एिह ितपधलोबल युगमे अपन मिहमामय "िवदेह"क अपना देहमे कट देिखजतबा सता आ संतोष भेल, तकरा कोनो उपलध "मीटर"सँ325


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>निह नापल जा सकैछ? ..एकर ऐितहािसक मूयकन आसकृितक ितफलन एिह शतादीक अंत धिर लोकक नजिरमेआयजनक पसँ कट हैत।४. ो. उदय नारायण िसंह "निचकेता"- जे काज अह कए रहलछी तकर चरचा एक िदन मैिथली भाषाक इितहासमे होएत। आनदभए रहल अिछ, ई जािन कए जे एतेक गोट मैिथल "िवदेह" ईजनलक पिढ़ रहल छिथ।...िवदेहक चालीसम अंक पुरबाक लेलअिभनदन।५. डॉ. गंगेश गुंजन- एिह िवदेह-कममे लािग रहल अहकसवेदनशील मन, मैिथलीक ित समिपत मेहनितक अमृत रंग,इितहास मे एक टा िविश फराक अयाय आरंभ करत, हमरािवास अिछ। अशेष शुभकामना आ बधाइक स, सनेह...अहकपोथी कुेम् अंतमनक थम दृया बहुत भय तथा उपयोगीबुझाइछ। मैिथलीमे तँ अपना वपक ायः ई पिहले एहन भयअवतारक पोथी िथक। हषपूण हमर हािदक बधाई वीकार करी।६. ी रामाय झा "रामरंग"(आब वगय)- "अपना" िमिथलासँसंबंिधत...िवषय वतुसँ अवगत भेलहुँ।...शेष सभ कुशल अिछ।326


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>७. ी जे िपाठी- सािहय अकादमी- इंटरनेट पर थममैिथली पािक पिका "िवदेह" केर लेल बधाई आ शुभकामनावीकार क।८. ी फुलकुमार िसंह "मौन"- थम मैिथली पािक पिका"िवदेह" क काशनक समाचार जािन कनेक चिकत मुदा बेसीआािदत भेलहुँ। कालचक पकिड़ जािह दूरदृिक पिरचय देलहुँ,ओिह लेल हमर मंगलकामना।९.डॉ. िशवसाद यादव- ई जािन अपार हष भए रहल अिछ, जेनव सूचना-ाितक ेमे मैिथली पकािरताक वेश िदअएबाकसाहिसक कदम उठाओल अिछ। पकािरतामे एिह कारक नवयोगक हम वागत करैत छी, संगिह "िवदेह"क सफलताकशुभकामना।१०. ी आाचरण झा- कोनो प-पिकाक काशन- ताहूमेमैिथली पिकाक काशनमे के कतेक सहयोग करताह- ई तऽभिवय कहत। ई हमर ८८ वषमे ७५ वषक अनुभव रहल। एतेकपैघ महान यमे हमर ापूण आहुित ात होयत- यावत ठीक-ठाक छी/ रहब।327


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>११. ी िवजय ठाकुर- िमिशगन िविवालय- "िवदेह" पिकाकअंक देखलहुँ, सपूण टीम बधाईक पा अिछ। पिकाक मंगलभिवय हेतु हमर शुभकामना वीकार कएल जाओ।१२. ी सुभाषच यादव- ई-पिका "िवदेह" क बारेमे जािनसता भेल। ’िवदेह’ िनरतर पलिवत-पुिपत हो आ चतुिदकअपन सुगंध पसारय से कामना अिछ।१३. ी मैिथलीपु दीप- ई-पिका "िवदेह" केर सफलताकभगवतीसँ कामना। हमर पूण सहयोग रहत।१४. डॉ. ी भीमनाथ झा- "िवदेह" इटरनेट पर अिछ त "िवदेह"नाम उिचत आर कतेक प एकर िववरण भए सकैत अिछ। आइ-काि मोनमे उेग रहैत अिछ, मुदा शी पूण सहयोगदेब।कुेम् अतमनक देिख अित सता भेल। मैिथलीक लेलई घटना छी।१५. ी रामभरोस कापिड़ "मर"- जनकपुरधाम- "िवदेह"ऑनलाइन देिख रहल छी। मैिथलीक अतरीय जगतमे पहुँचेलहुँतकरा लेल हािदक बधाई। िमिथला र सभक संकलन अपूव।नेपालोक सहयोग भेटत, से िवास करी।328


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>१६. ी राजनदन लालदास- "िवदेह" ई-पिकाक मायमसँ बड़नीक काज कए रहल छी, नाितक अिहठाम देखलहुँ। एकर वािषकअ ◌ंक जखन िंट िनकालब तँ हमरा पठायब। कलकामे बहुतगोटेक हम साइटक पता िलखाए देने िछयिह। मोन तँ होइत अिछजे िदली आिब कए आशीवद दैतहुँ, मुदा उमर आब बेशी भएगेल। शुभकामना देश-िवदेशक मैिथलक जोड़बाक लेल।.. उकृकाशन कुेम् अंतमनक लेल बधाइ। अुत काज कएलअिछ, नीक तुित अिछ सात खडमे। मुदा अहक सेवा आ सेिनःवाथ तखन बूझल जाइत जँ अह ारा कािशत पोथी सभपरदाम िलखल निह रिहतैक। ओिहना सभक िवलिह देल जइतैक।(पीकरण- ीमान्, अहक सूचनाथ िवदेह ारा ई-कािशतकएल सभटा सामी आकइवमेhttps://sites.google.<strong>com</strong>/a/videha.<strong>com</strong>/videha-pothi/पर िबना मूयक डाउनलोड लेल उपलध छै आ भिवयमे सेहोरहतैक। एिह आकइवक जे िकयो काशक अनुमित लऽ कऽ िंटपमे कािशत कएने छिथ आ तकर ओ दाम रखने छिथ तािहपरहमर कोनो िनयंण निह अिछ।- गजे ठाकुर)...अशेष शुभकामनाक संग।अहक ित१७. डॉ. ेमशंकर िसंह- अह मैिथलीमे इंटरनेटपर पिहल पिका"िवदेह" कािशत कए अपन अुत मातृभाषानुरागक पिरचय देलअिछ, अहक िनःवाथ मातृभाषानुरागसँ ेिरत छी, एकर िनिम जे329


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>हमर सेवाक योजन हो, तँ सूिचत करी। इंटरनेटपर आोपतपिका देखल, मन फुिलत भऽ गेल।१८.ीमती शेफािलका वम- िवदेह ई-पिका देिख मोन उलाससँभिर गेल। िवान कतेक गित कऽ रहल अिछ...अह सभ अनतआकाशक भेिद िदयौ, समत िवतारक रहयक तार-तार कऽिदयौक...। अपनेक अुत पुतक कुेम् अंतमनक िवषयवतुकदृिसँ गागरमे सागर अिछ। बधाई।१९.ी हेतुकर झा, पटना-जािह समपण भावसँ अपने िमिथला-मैिथलीक सेवामे तपर छी से तुय अिछ। देशक राजधानीसँ भयरहल मैिथलीक शंखनाद िमिथलाक गाम-गाममे मैिथली चेतनाकिवकास अवय करत।२०. ी योगानद झा, किबलपुर, लहेिरयासराय- कुेम्अंतमनक पोथीक िनकटसँ देखबाक अवसर भेटल अिछ आ मैिथलीजगतक एकटा उट ओ समसामियक दृिसप हतारककलमबद पिरचयसँ आािदत छी। "िवदेह"क देवनागरी सँकरणपटनामे . 80/- मे उपलध भऽ सकल जे िविभ लेखकलोकिनक छायािच, पिरचय पक ओ रचनावलीक सयककाशनसँ ऐितहािसक कहल जा सकैछ।330


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>२१. ी िकशोरीकात िम- कोलकाता- जय मैिथली, िवदेहमे बहुतरास किवता, कथा, िरपोट आिदक सिच संह देिख आ आरअिधक सता िमिथलार देिख- बधाई वीकार कएल जाओ।२२.ी जीवकात- िवदेहक मुित अंक पढ़ल- अुत मेहनित।चाबस-चाबस। िकछु समालोचना मरखाह..मुदा सय।२३. ी भालच झा- अपनेक कुेम् अंतमनक देिख बुझाएलजेना हम अपने छपलहुँ अिछ। एकर िवशालकाय आकृित अपनेकसवसमावेशताक पिरचायक अिछ। अपनेक रचना सामयमेउरोर वृि हो, एिह शुभकामनाक संग हािदक बधाई।२४.ीमती डॉ नीता झा- अहक कुेम् अंतमनक पढ़लहुँ।योितरीर शदावली, कृिष मय शदावली आ सीत बसत आसभ कथा, किवता, उपयास, बाल-िकशोर सािहय सभ उमछल। मैिथलीक उरोर िवकासक लय दृिगोचर होइत अिछ।२५.ी मायानद िम- कुेम् अंतमनक मे हमर उपयासीधनक जे िवरोध कएल गेल अिछ तकर हम िवरोध करैतछी।... कुेम् अंतमनक पोथीक लेल शुभकामना।(ीमान्समालोचनाक िवरोधक पमे निह लेल जाए।-गजे ठाकुर)331


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>२६.ी महे हजारी- सपादक ीिमिथला- कुेम् अंतमनकपिढ़ मोन हिषत भऽ गेल..एखन पूरा पढ़यमे बहुत समय लागत, मुदाजतेक पढ़लहुँ से आािदत कएलक।२७.ी केदारनाथ चौधरी- कुेम् अंतमनक अुत लागल,मैिथली सािहय लेल ई पोथी एकटा ितमान बनत।२८.ी सयानद पाठक- िवदेहक हम िनयिमत पाठक छी। ओकरवपक शंसक छलहुँ। एहर अहक िलखल - कुेम्अंतमनक देखलहुँ। मोन आािदत भऽ उठल। कोनो रचना तरा-उपरी।२९.ीमती रमा झा-सपादक िमिथला दपण। कुेम् अंतमनकिंट फॉम पिढ़ आ एकर गुणवा देिख मोन स भऽ गेल, अुतशद एकरा लेल युत कऽ रहल छी। िवदेहक उरोर गितकशुभकामना।३०.ी नरे झा, पटना- िवदेह िनयिमत देखैत रहैत छी। मैिथलीलेल अुत काज कऽ रहल छी।३१.ी रामलोचन ठाकुर- कोलकाता- िमिथलार िवदेह देिख मोनसतासँ भिर उठल, अंकक िवशाल पिरदृय आवतकारी अिछ।332


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>३२.ी तारानद िवयोगी- िवदेह आ कुेम् अंतमनक देिखचकिबदोर लािग गेल। आय। शुभकामना आ बधाई।३३.ीमती ेमलता िम “ेम”- कुेम् अंतमनक पढ़लहुँ। सभरचना उचकोिटक लागल। बधाई।३४.ी कीितनारायण िम- बेगूसराय- कुेम् अंतमनक बडनीक लागल, आगक सभ काज लेल बधाई।३५.ी महाकाश-सहरसा- कुेम् अंतमनक नीक लागल,िवशालकाय संगिह उमकोिटक।३६.ी अिनपुप- िमिथलार आ देवार िवदेह पढ़ल..ई थम तँअिछ एकरा शंसामे मुदा हम एकरा दुसाहिसक कहब। िमिथलािचकलाक तभक मुदा अिगला अंकमे आर िवतृत बनाऊ।३७.ी मंजर सुलेमान-दरभंगा- िवदेहक जतेक शंसा कएल जाएकम होएत। सभ चीज उम।३८.ीमती ोफेसर वीणा ठाकुर- कुेम् अंतमनक उम,पठनीय, िवचारनीय। जे यो देखैत छिथ पोथी ात करबाकउपाय पुछैत छिथ। शुभकामना।333


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>३९.ी छानद िसंह झा- कुेम् अंतमनक पढ़लहुँ, बड नीकसभ तरह।४०.ी ताराकात झा- सपादक मैिथली दैिनक िमिथला समाद-िवदेह तँ कटेट ोवाइडरक काज कऽ रहल अिछ। कुेम्अंतमनक अुत लागल।४१.डॉ रवी कुमार चौधरी- कुेम् अंतमनक बहुत नीक, बहुतमेहनितक पिरणाम। बधाई।४२.ी अमरनाथ- कुेम् अंतमनक आ िवदेह दुनू मरणीयघटना अिछ, मैिथली सािहय मय।४३.ी पंचानन िम- िवदेहक वैिवय आ िनरतरता भािवत करैतअिछ, शुभकामना।४४.ी केदार कानन- कुेम् अतमनक लेल अनेक धयवाद,शुभकामना आ बधाइ वीकार करी। आ निचकेताक भूिमकापढ़लहुँ। शुमे तँ लागल जेना कोनो उपयास अह ारा सृिजतभेल अिछ मुदा पोथी उनटौला पर ात भेल जे एिहमे तँ सभ िवधासमािहत अिछ।334


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>४५.ी धनाकर ठाकुर- अह नीक काज कऽ रहल छी। फोटोगैलरीमे िच एिह शतादीक जमितिथक अनुसार रहैत तऽ नीक।४६.ी आशीष झा- अहक पुतकक संबंधमे एतबा िलखबा सँअपना कए निह रोिक सकलहुँ जे ई िकताब मा िकताब निहथीक, ई एकटा उमीद छी जे मैिथली अह सन पुक सेवा सँिनरंतर समृ होइत िचरजीवन कए ात करत।४७.ी शभु कुमार िसंह- िवदेहक तपरता आ ियाशीलता देिखआािदत भऽ रहल छी। िनितपेण कहल जा सकैछ जेसमकालीन मैिथली पिकाक इितहासमे िवदेहक नाम वणरमेिलखल जाएत। ओिह कुेक घटना सभ तँ अठारहे िदनमेखतम भऽ गेल रहए मुदा अहक कुेम् तँ अशेष अिछ।४८.डॉ. अजीत िम- अपनेक यासक कतबो श ंसा कएल जाएकमे होएतैक। मैिथली सािहयमे अह ारा कएल गेल काज युग-युगातर धिर पूजनीय रहत।४९.ी बीरे मिलक- अहक कुेम् अतमनक आ िवदेह:सदेहपिढ़ अित सता भेल। अहक वाय ठीक रहए आ उसाहबनल रहए से कामना।335


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>५०.ी कुमार राधारमण- अहक िदशा-िनदशमे िवदेह पिहल मैिथलीई-जनल देिख अित सता भेल। हमर शुभकामना।५१.ी फूलच झा वीण-िवदेह:सदेह पढ़ने रही मुदा कुेम्अतमनक देिख बढ़ाई देबा लेल बाय भऽ गेलहुँ। आब िवास भऽगेल जे मैिथली निह मरत। अशेष शुभकामना।५२.ी िवभूित आनद- िवदेह:सदेह देिख, ओकर िवतार देिख अितसता भेल।५३.ी मानेर मनुज-कुेम् अतमनक एकर भयता देिख अितसता भेल, एतेक िवशाल थ मैिथलीमे आइ धिर निह देखनेरही। एिहना भिवयमे काज करैत रही, शुभकामना।५४.ी िवानद झा- आइ.आइ.एम.कोलकाता- कुेम् अतमनकिवतार, छपाईक संग गुणवा देिख अित सता भेल। अहकअनेक धयवाद; कतेक बरखसँ हम नेयारैत छलहुँ जे सभ पैघशहरमे मैिथली लाइेरीक थापना होअए, अह ओकरा वेबपर कऽरहल छी, अनेक धयवाद।५५.ी अरिवद ठाकुर-कुेम् अतमनक मैिथली सािहयमे कएलगेल एिह तरहक पिहल योग अिछ, शुभकामना।336


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>५६.ी कुमार पवन-कुेम् अतमनक पिढ़ रहल छी। िकछुलघुकथा पढ़ल अिछ, बहुत मािमक छल।५७. ी दीप िबहारी-कुेम् अतमनक देखल, बधाई।५८.डॉ मिणकात ठाकुर-कैिलफोिनया- अपन िवलण िनयिमतसेवासँ हमरा लोकिनक हृदयमे िवदेह सदेह भऽ गेल अिछ।५९.ी धीरे ेमिष- अहक समत यास सराहनीय। दुख होइतअिछ जखन अहक यासमे अपेित सहयोग निह कऽ पबैत छी।६०.ी देवशंकर नवीन- िवदेहक िनरतरता आ िवशाल वप-िवशाल पाठक वग, एकरा ऐितहािसक बनबैत अिछ।६१.ी मोहन भाराज- अहक समत काय देखल, बहुत नीक।एखन िकछु परेशानीमे छी, मुदा शी सहयोग देब।६२.ी फजलुर रहमान हाशमी-कुेम् अतमनक मे एतेकमेहनतक लेल अह साधुवादक अिधकारी छी।६३.ी लमण झा "सागर"- मैिथलीमे चमकािरक प अहकवेश आादकारी अिछ।..अहक एखन आर..दूर..बहुत दूरधिरजेबाक अिछ। वथ आ स रही।337


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>६४.ी जगदीश साद मंडल-कुेम् अतमनक पढ़लहुँ । कथासभ आ उपयास सहबाढ़िन पूणप पिढ़ गेल छी। गाम-घरकभौगोिलक िववरणक जे सूम वणन सहबाढ़िनमे अिछ, से चिकतकएलक, एिह संहक कथा-उपयास मैिथली लेखनमे िविवधताअनलक अिछ। समालोचना शामे अहक दृि वैयितक निहवरन् सामािजक आ कयाणकारी अिछ, से शंसनीय।६५.ी अशोक झा-अय िमिथला िवकास पिरषद- कुेम्अतमनक लेल बधाई आ आग लेल शुभकामना।६६.ी ठाकुर साद मुमु- अुत यास। धयवादक संग ाथनाजे अपन मािट-पािनक यानमे रािख अंकक समायोजन कएल जाए।नव अंक धिर यास सराहनीय। िवदेहक बहुत-बहुत धयवाद जेएहेन सुदर-सुदर सचार (आलेख) लगा रहल छिथ। सभटाहणीय- पठनीय।६७.बुिनाथ िम- िय गजे जी,अहक सपादन मे कािशत‘िवदेह’आ ‘कुेम् अंतमनक’ िवलण पिका आ िवलण पोथी!की निह अिछ अहक सपादनमे? एिह य सँ मैिथली क िवकासहोयत,िनसंदेह।338


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>६८.ी बृखेश च लाल- गजेजी, अपनेक पुतक कुेम्अंतमनक पिढ़ मोन गदगद भय गेल , हृदयसँ अनुगृिहत छी ।हािदक शुभकामना ।६९.ी परमेर कापिड़ - ी गजे जी । कुेम् अंतमनकपिढ़ गदगद आ नेहाल भेलहुँ।७०.ी रवीनाथ ठाकुर- िवदेह पढ़ैत रहैत छी। धीरे ेमिषकमैिथली गजलपर आलेख पढ़लहुँ। मैिथली गजल कऽ सँ कऽचिल गेलैक आ ओ अपन आलेखमे मा अपन जानल-पिहचानललोकक चच कएने छिथ। जेना मैिथलीमे मठक परपरा रहलअिछ। (पीकरण- ीमान्, ेमिष जी ओिह आलेखमे ई पिलखने छिथ जे िकनको नाम जे छुिट गेल छिह तँ से माआलेखक लेखकक जानकारी निह रहबाक ारे, एिहमे आन कोनोकारण निह देखल जाय। अहसँ एिह िवषयपर िवतृत आलेखसादर आमंित अिछ।-सपादक)७१.ी मंेर झा- िवदेह पढ़ल आ संगिह अहक मैगनम ओपसकुेम् अंतमनक सेहो, अित उम। मैिथलीक लेल कएल जारहल अहक समत काय अतुलनीय अिछ।७२. ी हरेकृण झा- कुेम् अंतमनक मैिथलीमे अपन तरहकएकमा थ अिछ, एिहमे लेखकक सम दृि आ रचना कौशल339


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>देखबामे आएल जे लेखकक फीडवकसँ जुड़ल रहबाक कारणसँअिछ।७३.ी सुकात सोम- कुेम् अंतमनक मे समाजक इितहासआ वतमानसँ अहक जुड़ाव बड नीक लागल, अह एिह ेमेआर आग काज करब से आशा अिछ।७४.ोफेसर मदन िम- कुेम् अंतमनक सन िकताब मैिथलीमेपिहले अिछ आ एतेक िवशाल संहपर शोध कएल जा सकैतअिछ। भिवयक लेल शुभकामना।७५.ोफेसर कमला चौधरी- मैिथलीमे कुेम् अंतमनक सन पोथीआबए जे गुण आ प दुनूमे िनसन होअए, से बहुत िदनसँआका छल, ओ आब जा कऽ पूण भेल। पोथी एक हाथसँ दोसरहाथ घुिम रहल अिछ, एिहना आग सेहो अहसँ आशा अिछ।७६.ी उदय च झा "िवनोद": गजेजी, अह जतेक काजकएलहुँ अिछ से मैिथलीमे आइ धिर िकयो निह कएने छल।शुभकामना। अहक एखन बहुत काज आर करबाक अिछ।७७.ी कृण कुमार कयप: गजे ठाकुरजी, अहसँ भट एकटामरणीय ण बिन गेल। अह जतेक काज एिह बएसमे कऽ गेलछी तािहसँ हजार गुणा आर बेशीक आशा अिछ।340


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>७८.ी मिणकात दास: अहक मैिथलीक कायक शंसा लेल शदनिह भेटैत अिछ। अहक कुेम् अतमनक सपूण प पिढ़गेलहुँ। वचाहच बड नीक लागल।७९. ी हीरे कुमार झा- िवदेह ई-पिकाक सभ अंक ई-पसँभेटैत रहैत अिछ। मैिथलीक ई-पिका छैक एिह बातक गव होइतअिछ। अह आ अहक सभ सहयोगीक हािदक शुभकामना।िवदेहमैिथली सािहय आदोलन(c)२००४-११. सविधकार लेखकाधीन आ जतय लेखकक नामनिह अिछ ततय संपादकाधीन। िवदेह- थम मैिथली पािक ई-पिका <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong> सपादक: गजेठाकुर। सह-सपादक: उमेश मंडल। सहायक सपादक: िशवकुमार झा आ मुाजी (मनोज कुमार कण)। भाषा-सपादन: नागेकुमार झा आ पीकार िवानद झा। कला-सपादन: योित341


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर २०११ (वष४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम्<strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>सुनीत चौधरी आ रिम रेखा िसहा। सपादक-शोध-अवेषण: डॉ.जया वम आ डॉ. राजीव कुमार वम। सपादक- नाटक-रंगमंच-चलिच- बेचन ठाकुर। सपादक-सूचना-सपक-समाद पूनम मंडलआ ियंका झा।रचनाकार अपन मौिलक आ अकािशत रचना (जकर मौिलकताकसंपूण उरदाियव लेखक गणक मय छिह)ggajendra@videha.<strong>com</strong> क मेल अटैचमेटक पम .doc,.docx, .rtf वा .txt फॉमटमे पठा सकैत छिथ। रचनाक संगरचनाकार अपन संित पिरचय आ अपन कैन कएल गेल फोटोपठेताह, से आशा करैत छी। रचनाक अंतमे टाइप रहय, जे ईरचना मौिलक अिछ, आ पिहल काशनक हेतु िवदेह (पािक) ईपिकाक देल जा रहल अिछ। मेल ात होयबाक बाद यथासंभवशी ( सात िदनक भीतर) एकर काशनक अंकक सूचना देलजायत। ’िवदेह' थम मैिथली पािक ई पिका अिछ आ एिहमेमैिथली, संकृत आ अंेजीमे िमिथला आ मैिथलीसँ संबंिधत रचनाकािशत कएल जाइत अिछ। एिह ई पिकाक ीमित लमीठाकुर ारा मासक ०१ आ १५ ितिथक ई कािशत कएल जाइतअिछ।(c) 2004-11 सविधकार सुरित। िवदेहमे कािशत सभटारचना आ आकइवक सविधकार रचनाकार आ संहकक लगमे342


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ९४ म अंक १५ नवबर२०११ (वष ४ मास ४७ अंक ९४)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>छिह। रचनाक अनुवाद आ पुनः काशन िकंवा आकइवकउपयोगक अिधकार िकनबाक हेतु ggajendra@videha.co.inपर संपक क। एिह साइटक ीित झा ठाकुर, मधूिलका चौधरीआ रिम िया ारा िडजाइन कएल गेल।िसिरतु343

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