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Videha_01_09_2008_Tirhuta

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<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्'िवदेह' ०१ िसतर २००८ ( वष र् १ मास ९ अंक १७ ) एिह अंकमे अिछ:-ी रामाय झा 'रामर ंग' (१९२८- ) िस ' अिभनव भातखे' जीक मैिथली रचना "िवदेह"क लेल।१.संपादकीय २.संदेश३.मैिथली िरपोता र्ज-िजते झा िरपोिट ंग-(बाढ़ि◌पर र्िवशेष)- मैिथली िरपोता र्ज- पालक (िकछु भारतक) िमिथला मैिथल मैिथलीक सामािजक-आिथ र्क- राजनीितक- सा ंृितक समाचार। लनसँ ोितक िरपोट र्४. ग -कथा 1.शू िसंह 2. अनलका ंतलघ ुकथा १. ी ाम सुर "शिश" २. ी कुमार मज कपी मश ंकर िसंह बीसम शताीमे मैिथली सािहयायावरी- कैलास कुमार िम उपास सहबाढ़िन (आगा ँ)ोितक दैिनकीशोध लेख:हिरमोहन झा सम िजतमोहन झा-मिहला-ंभकोसी ग (बाढ़ि◌पर िवशेष)1.ड◌ॉ गंगेश गुन 2. सुशा ंत झा 3. बी.के.कण. र् 4. शि शेखर 5. ओमकाश झा५.प१.ी िमनाथ झा .२. ी शू कुमार िसंह ३.िवनीत उल ४.िवृत किव . रामजी चौधरी (१८७८-१९५२)१. ी गंगेश गुंजन २.ी वैकु झा ३. ीमित ोित झा चौधरीपंकज पराशर श ैले मोहन झामहाका महाभारत (आगा ँ) काश झाकोसी प (बािढपर िवशेष)-.रामकृ झा “िकसुन”, िवनीत उल, कोसी लोकगीत.६. िमिथला कला-संगीत(आगा ँ)७.पाबिन-संार-तीथ र् -ी फु कुमार िसंह "मौन" आऽ न ूतन झा1


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्८. मिहला-ंभ- का ूणहा, कृितक संग िखलवार- िजतमोहन झा९. बालाना ं कृते-१०. पी बंध (आगा ँ) पी-संाहक ीिवानंद झा पीकार (िस मोहनजी )११. संृत िमिथला१२. भाषापाकरचना लेखन (आगा ँ)13. VI DEH HA FOR NONRESI DENT MAI THILS ( Fest ivals ofMi thila date-l ist)-Vi deha Mi thila Tirbhukt iTi r hut ...The Come et -English t r ansl at i onofand poem by Jyot iGaj endr a Thakur ' sMaithiliNovelSahasr abadhani14. VI DEH HA MAI THI LISAMSKRI T EDUCATI ON ( <strong>co</strong>nt d.)VI DEHA MI THILA MAI THI L MAI THI LINEWS SERVI CEMi thila Spor t sMai t hi l i AcademyRadhi ka JhaRaj kamal JhaMi t h i l a Sanskr i t Ny yayaNavyaNyayaJnanapi t haYaj naval kyaLal i t Kar poor i Kar pur i Vai dehi Vi dehSi t aJhaKant hKar nLabhVai saliAngaPanjikarMiithila Pai nt i ngMadhubaniPai nt i ngChampar anMuzaf f arpur Ci i l My ysor eSahi t yaAkademi Sahi t ya AcademyBaghmSamitiMu uzaf f ar pur Vi dehaTi r bhukt i Ti r hut Roht ar aSar l ahi Mobi t ar i mohi t ar i Sapt ariMotihariMor angMad dheshDhaAmer i canChr oni cl e- Lal u Prashad Yadav now i n Land scam !power edbyRead i nyourown scr i ptRoman(Eng) Guj ar at i Bangl a Or i ya Gur mukhi Tel ugu Tami l Kannada Mal ayal am Hi ndi<strong>http</strong>://ww ww. vi deha. <strong>co</strong>.<strong>in</strong> 'রিদেহ' পাক্ষিক পত্রিকা िवदेह मैिथली पािक्ष्षक ई पिका Vi deha Mai t hili Fortni ght l y e Magazi neSearchिवदेेहक नव-पुरानअंकमे ताकू (कोोकमे देवनागरी, िमिथलाक्षर िकं वा रोमनमे टाइप क)2


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्Searchएिह प ृ पर देल गेल िमिथला आऽ मैिथलीसँ संबिधत ं साइट सभमे ताकू (कोकमे देवनागरिमिथला र िमिथलाक खोज िवदेह पुरान अंकक आका र्इवरचनाकार अपन मौिलक आऽ अकािशत रचना (जकर मौिलकताक संप ूण र् उरदािय लेखक गणक म छि) ggaj endr a@ yahoo. <strong>co</strong>. i n आिक ggअिछ, आऽ पिहल काशनक हेतु िवदेह (पािक्षक) ई पिकाकेँ देल जा रहल अिछ। मेल ा होयबाक बाद यथासंभव शी ( सात िदनक भीतर)महत्प ूण र् स ूचना:(१) िवृत किव . रामजी चौधरी (1878-1952)पर शोध-लेख िवदेहक पिहल अँकमे ई-कािशत भेल छल।तकर बाद हुनकर पुमहत्प ूण र् स ूचना:(२) 'िवदेह' ारा कएल गेल शोधक आधार पर १.मैिथली-अंजी श कोश २.अंजी-मैिथली श कोश आऽ ३.िमिथलाक्षरसँ देवनागमहत्प ूण र् स ूचना:(३) 'िवदेह' ारा धारावािहक पे ई-कािशत कएल जा' रहल गजे ठाकुरक 'सहबाढ़िन'(उपास), 'ग-गु'(कथा संह) , 'भमहत्प ूण र् स ूचना (४):महत्प ूण र् स ूचना: ीमान ् निचकेताजीक नाटक " एंी: मा िवश" केर 'िवदेह' मे ई-कािशत प देिख कए एकर िंट पमहत्प ूण र् स ूचना (५): "िवदेह" केर २५म अंक १ जनवरी २००९, ई-कािशत तँ होएबे करत, संगमे एकर िंट संरण सेहो िनकलत जािहमे पुरमहप ूण र् स ूचना (६): ७ िसतर २००८ केँ िमिथला ंगन संा ारा ीराम सेटर, मी हाउस, नई िदीमे सा ँझ पा ँच बजेसँ मैिथली नाटक-गीत-संगीत सं१५-१६ िसतर २००८ केँ इिरा गा ँधी राष्ीय कला के, मान िसंह रोड नई िदीमे होअयबला िबहार महोवक आयोजन बाढ़ि◌क कारण अिनितमैलोर ंग अपन सा ंृितक काय र्मकेँ बाढ़ि◌केँ देखैत अिगला स ूचना धिर िगत कए देलक अिछ। १२ िसतर २००८ केँ कोशी, बाढ़ि◌ आऽ िदी एिहिवदेह (िदना ंक १ िसतर सन ् २००८)१.संपादकीय (वष: र् १ मास:९ अंक:१७)मावर,िवदेहक नव अंक (अंक १७, िदना ंक १ िसतर सन ् २००८) ई पिब्लश भऽ गेल अिछ। एिह हेतु ल◌ॉग ऑन कht t p:// <strong>www</strong>vi . deha. <strong>co</strong>. i n |िमिथलाक धरती बाढ़ि◌क िवभीिषकासँ आइ काि जूिझ रहल अिछ। कुशेरान िदसुका तँ िबन बाढ़ि◌क बरखाक समयमयेडूमल रहैत अिछ। मुदा ई िित १९७८-७९ केर बादक छी। पिह ओऽ प ूण र् पसँ उपजाऊ छल, मुदा भारतमेतटबक अिनयित िनमा र्णक संग पािनक जमाव ओतए शु भए गेल। मुदा ओिह क बाढ़ि◌क को समाचार किहयो निहअबैत अिछ, किहयो अिबतो रहए तँ मा ई द ुष्चार जे ई सभटा पािन पालसँ छोड़ल गेल पािनक जमाव अिछ। ओतुालोक एिह नव संकटसँ लड़बाक कला सीिख गेलाह। हमरा मोन अिछ ओऽ दृ जखन कुशेरानसँ मिहषी उताराान जएबाकलेल हमरा बढ़ि◌क समयमे अएबाक लेल कहल गेल छल कारण ओिह समयमे नाओसँ गेनाइ सरल अिछ, ई कहल गेल। खसमयमे खा, चभामे नाओ निह चिल पबैत अिछ आऽ सड़कक हाल तँ पुछू जिन। ु फिसलक पमे पिरवतर्न भेल, मत्-पालन जेना तेना कए ई जबरदीक एकटा जीवन-कला िसखलक। कौिशकी महारानीक एिह बेरक कोप ओिह दष्चारकेँुखतम कए पाओत आिक निह से निह जािन!पिह हमरा सभ ई देखी जे कोशी आऽ गंडकपर जे द ू टा बैराज पालमे अिछ ओकर िनयण ककरा लग अिछ। ईिनयण अिछ िबहार सरकारक जल संसाधन िवभागक लग आऽ एतए िबहार सरकारक अिभयागणक िनयण छि। पािन छोड़बाक3


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्िनण र्य िबहार सरकारक जल संसाधन िवभागक हाथमे अिछ। पालक हाथमे पािन छोड़बाक अिधकार तखन आएत जखन ओतुाआन धार पर बा/ छहर बनत, मुदा से ५० सालसँ ऊपर भेलाक बादो द ुन ू देशक बीचमे को सहमितक अछैत सव निहभए सकल। िकएक?सामियक घटनाम- कोशीपर भीमनगर बैरेज, कुशहा, पालमे अिछ। १९५८ मे बनल एिह छहरक जीवन ३० बरख िनधािरतर्छल, जे १९८८ मे बीित गेल। द ुन ू देशक बीचमे को सहमित िकएक निह बिन पाओल? छहरक बीचमे जे रेत जमा भएजाइत अिछ, तकरा सभ साल हटाओल जाइत अिछ। कारण ई निह कएलासँ ओकर बीचमे ऊं चाई बढ़◌ैत जाएत, तखन सभ सालबाक ऊँ चाई बढ़◌ाबए पड़त। एिह साल ई काय र् समयसँ िकएक निह शु भेल? फेर शु भेल बरखा, १८ अगकेँ कोशीबामे २ मीटर दरािर आिब गेल। १९८७ ई.क बाढ़ि◌ हम आिखसँ ँ देख छी। झंझारपुर बा लग पािन झझा देलक, ओवरोभए गेल एक ठामसँ, आऽ आिखक ँ सोझा ँ हम देखलहु ँ जे कोना तकर बाद १ मीटरक कटाव िकलोमीटरमे बदिल जाइत अिछ।२७-२८ अग २००८ धिर भीमनगर बैरेजक ई कटाव २ िकलोमीटर भए चुकल अिछ। आऽ ई करण भेल कोशीक अपन मुधारसँ हिट कए एकटा नव धार पकड़बाक आऽ पालक िमिथला ंचलक संग िबहारक िमिथला ंचलकेँ तहस नहस करबाक। नासाक ८अग २००८ आऽ २४ अग २००८ केर िच कौिशकीक नव आऽ पुरान धारक बीच २०० िकलोमीटरक द ूरी देखा रहल अिछ।भीमनगर बैरेज आब एकटा कोशीक सहायक धारक ऊपर बनल बैरेज बिन गेल।राष्ीय आपदा: जािह रामे आपदा अबैत अिछ, से केसँ सहायताक आह करैत अिछ। केीय म ंीक टीम ओिह राकदौरा करैत अिछ आऽ अपन िरपोट र् दैत अिछ जािहपर केीय म ंीक एकटा दोसर टीम िनण र्य करैत अिछ, आऽ ओऽ टीमिनण र्य करैत अिछ जे ई आपदा राष्ीय आपदा अिछ वा निह। िबहारक राजनीितज्ञ अपन पचास सालक िवफलता िबसिर जखनएक दोसराक ऊपर आपमे लागल छलाह, मनमोहन िसंह म ंीक धानक पमे दौरा कए एकरा राष्ीय आपदा घोिषतकएलि। कारण ई लेवल-३ केर आपदा अिछ आऽ ई सित राक लेल असगरे, निह तँ िवक िलहाजसँ आऽ निहए राहतकवाक सक्षमताक िहसाबसँ, एिहसँ पार पाएब संभव अिछ। आब राष्ीय आकिक आपदा कोषसँ सहायता देल जाऽ रहल अिछ,िकसानक ऋण-माफी सेहो सव अिछ।उपाय की हो? कुशेश्र ानक आपदा सभ-साल अबैछ, से सभ ओकरा िबसिरए जेका ँ गेलाह। मुदा आब की हो?दामोदर घाटीक आऽ मय ूरक्षी पिरयोजना जेका ँ काय र् कोशी, कमला, भुतही बलान, गंडक, ब ूढ़◌ी गंडक आऽ बागमतीपर िकएकसव निह भेल? िवेरैाक व ृावन डैम िकएक सफल अिछ। पाल सरकारपर दोषारोपण कए हमरा सभ किहया धिरजनताकेँ ठकैत रहब। एकर एकमा उपाए अिछ बड़का य ंसँ कमला-बलान आिदक ऊपर जे मािटक बा बाल गेल अिछतकरा तोड़ि◌ कए हटाएब आऽ का नहिरक बदला पा नहिरक िनमा र्ण। पाल सरकारसँ वाता र् आऽ िरत समाधन। आऽ जाधिर ई निह होइत अिछ तावत जे अकािलक उपाय अिछ, जेना बरखा आबएसँ पिह बाक बीचक रेतकेँ हटाएब, बरखाकअएबाक बाट तकबाक बदला िकछु पिहनिह बाक मरितक काय र् करब। आऽ एिह सभमे राजनीितक महाका ंक्षाकेँ द ूर राखब।कोशीकेँ पुरान पथपर अनबाक हेतु कैकटा बा बनाबए पड़त आऽ ओऽ सभ एकर समाधान किहओ निह बिन सकत।कमला धारनहिरसँ लाभ हिन- एक तँ की नहिर आऽ ताहूपर म ूलभूत िडजाइनक समा, एकटा उदाहरण पया र् होएत जेना-तेना बनाओलपिरयोजना सभक। कमलाक धारसँ िनकालल पछबारी कातक मु नहिर जयनगरसँ उमरा ँव- प ूव र्सँ पछबारी िदशामे अिछ। मुदाओतए धरतीक ढ़लान उरसँ दिक्षण िदशामे अिछ। बरखाक समयमे एकर पिरणाम की होएत आिक की होइत अिछ? ई बाबिन जाइत अिछ आऽ एकर उरमे पािन थकमका जाइत अिछ। सभ साल एिह नहर पी बासँ पटौनी होए वा निह एकरउतरबिरया कातक फिसल िनित पेण डुमबे टा करैत अिछ। फलना बाब ूक जमीन नहिरमे निञ चिल जाए से नहिरक िदशाबदिल देल जाइत अिछ!कमला नदीपर १९६० ई. मे जयनगरसँ झंझारपुर धिर छहरक िनमा र्ण भेल आऽ एिहसँ सूण र् क िवनाशलीलाक ार सेहो भएगेल। झंझारपुरसँ आगा ँक क की हाल भेल से तँ हम कुशेरक वण र्न कए दए चुकल छी। मधेपुर, घनामपुर, िसंिघया4


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्एिह सभक िखा कुशेरसँ िभ निह अिछ। कमला-बलानक द ुन ू छहरक बीच जेना-जेना रेत भरैत गेल तािह कारँ एिहतटबक िनमा र्णक बीस सालक भीतर सभ िकछु तहस-नहस भए गेल। कमला धार जे बलानमे िपपराघाटमे १९५४ मे िमिलगेलीह, िहमालयसँ बिह कए को पैघ लड़क अवरोधक कारण। आब हाल ई अिछ जे दस घामे पािनक जलर एिह धारमे२ मीटरसँ बेशी तक बढ़ि◌ जाइत अिछ। १९६५ ई.सँ बा/ छहरक बीचमे रेत एतेक भिर गेल जे एकर ऊँ चाइ बढ़◌ेबाकआवकता भए गेल आऽ ई मा ँग शु भए गेल जे बा/ छहरकेँ तोड़ि◌ देल जाए!ूल क◌ॊलेजमे छुी गमीर् ताितलक बदलामे बाढ़ि◌क समए देबामे कोन हजर् अिछ, ई िनण र्य कोन तरहेँ किठन अिछ?एिह अंकमे:बाढ़ि◌पर िवनीत उलक पक संग कोसी लोकगीत आऽ .ी रामकृ झा "िकसुन" केर प सेहो देल गेल अिछ। बािढपरसुशा झाक आऽ शि शेखर जीक िनब सेहो देल गेल अिछ।ी ग गेश गुंजन जीक ग-प िमित "राधा" जे िक मैिथली सािहक एकटा नव कीितर्मान िस होएत, केर दोसर खेप पढ़◌ूसंगमे हुनकर िवचार-िटणी सेहो। विर सािहकार वैकु झाजीक प सेहो अिछ। किव रामजी चौधरीक अकािशत पसेहो ई-कािशत भए रहल अिछ। ी कैलाश कुमार िम जीक "यायावरी", िमनाथ झा जीक प, न ूतन जीक चौठचप ूजापर लेख, ाम सुर शिश आऽ कुमार मज कपक लघ ु-कथा आऽ ी शू कुमार िस हक आऽ अनलका जीक कथा सेहोअिछ। ी शू कुमार िस ह जीक प सेहो ई-कािशत भऽ रहल अिछ। बी.के कण र्क िमिथलाक िवकासपर लेख, ी ओमकाशजीक लेख., ी मौन जी, ी पंकज पराशर, ी सुशा, काश, िजतमोहन, िवनीत उल श ैले मोहन झा आऽ परम ेयी मश ंकर िसंहजीक रचना सेहो ई-कािशत कएल गेल अिछ।मैिथली िरपोता र्ज िलख छिथ पुधाम जनकपुरधामक युवा पकार ी िजते झा संगमे ोितजी सेहो लंदनसँ िरपोता र्जपठे छिथ।ी हिरमोहन झाजीक सूण र् रचना संसारक अवलोकन सेहो आगा ँ बढ़ल अिछ।ोितजी प, बालाना ंकृते केर देवीजी श ंखला, ृ बालाना ंकृते लेल िचकला आऽ सहबाढ़िनक अंजी अवाद ुत कए छिथ।शेष ायी ंभ यथावत अिछ।पोथी समीक्षा:बा ँकी अिछ हमर द ूधक कजर्- एिह नामसँ १० टा गीतक संह लए ी िबनीत ठाकुर- िशक्षक, गित आदश र् ई. ूल, लगनखेल,लिलतपुर ुत भेल छिथ। ई एिह सालक दोसर पोथी छी जे देवनागरीक संग िमिथलाक्षरमे सेहो आयल अिछ, आऽ एकराहम अंशुमन पाेयकेँ पठा देिलयि, य ूनीकोडक मैिपंगक लेल, कारण िवनीतजी हमरा एिह पोथीकेँ ई-मेलसँ पठेबाक अमितदे छिथ, तािह लेल हुनका धवाद।“भरल रमे” शीष र्क पमे की सुतलासँ भेटलै अिछ ककरो अिधकार आऽ “गाम नगरमे”- लोकतंमे अपन अिधकार लऽ कऽरहत मधेसी, ई घोषणा छि किवक तँ “कोरो आऽ पाढ़ि◌’ मे गरीब छोड़ि◌कऽ के ब ुझतै गरीबीके मािर- ई किह किव अपनआिथ र्क िचन सेहो सोझा ँ रखैत छिथ। चहु ँिदश अमलमे जलक िवनाशपर – मुिश्कलेसँ सुनी िचड़ि◌याके िचहु ं-िचहु ं- किह किवअपन पयावरण र् िचन सोझा ँ रखैत छिथ। “जे करिथ घोटाला” मे ाचारपर आऽ “जाइतक टुकड़◌ी”मे जाित थापर किविनम र्मतासँ चोट करैत छिथ तँ “बेटीक भािवधान”मे किवक भावना उफानपर अिछ। “कम्ुटरक दिनया” ु आऽ “अरेिजया”मे किवसामियकताकेँ निह िबसरल छिथ तँ अिम प “ताल िमसरी” मे वरक सासुर म कक ंाक सुरमे किव किह अपन एिहमे सेहो दक्ष होएबाक माण दैत छिथ। ओना तँ किवक ई थम कािशत कृित छि, मुदा किव जािह लए सँ किवताकए छिथ ओऽ अभूतप ूव र् पेँ श ंसनीय अिछ।अपक रचना आऽ ितियाक तीक्षामे।5


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्गजे ठाकुरggaj endr a@ vi deha. <strong>co</strong>. i n ggaj endr a@ yahoo. <strong>co</strong>.i n२.संदेश१.ी ो. उदय नारायण िसंह "निचकेता"- जे काज अहा ँ कए रहल छी तकर चरचा एक िदन मैिथली भाषाक इितहासमे होएत।आन भए रहल अिछ, ई जािन कए जे एतेक गोट मैिथल "िवदेह" ई जन र्लकेँ पढ़ि◌ रहल छिथ।२.ी ड◌ॉ. गंगेश गुंजन- "िवदेह" ई जन र्ल देखल। स ूचना ौोिगकी केर उपयोग मैिथलीक हेतु कएल ई ु यास अिछ।देवनागरीमे टाइप करबामे एिह ६५ वष र्क उमिरमे क होइत अिछ, देवनागरी टाइप करबामे मदित देनाइ सादक, "िवदेह"केर सेहो दािय।३.ी रामाय झा "रामर ंग"- "अपना" िमिथलासँ संबिधत...िवषय ंवुसँ अवगत भेलहु ँ।...शेष सभ कुशल अिछ।४.ी जे िपाठी, सािह अकादमी- इ ंटरट पर थम मैिथली पािक्षक पिका "िवदेह" केर लेल बाधाई आऽ शुभकामनाीकार क।५.ी फुकुमार िसंह "मौन"- थम मैिथली पािक्षक पिका "िवदेह" क काशनक समाचार जािन कक चिकत मुदा बेसीआािदत भेलहु ँ। कालचकेँ पकड़ि◌ जािह द ूरदृिक पिरचय देलहु ँ, ओिह लेल हमर म ंगलकामना।६.ी ड◌ॉ. िशवसाद यादव- ई जािन अपार हष र् भए रहल अिछ, जे नव स ूचना-ािक मे मैिथली पकािरताकेँ वेशिदअएबाक साहिसक कदम उठाओल अिछ। पकािरतामे एिह कारक नव योगक हम ागत करैत छी, संगिह "िवदेह"कसफलताक शुभकामना।७.ी आाचरण झा- को प-पिकाक काशन- ताहूमे मैिथली पिकाक काशनमे के कतेक सहयोग करताह- ई तऽभिव कहत। ई हमर ८८ वष र्मे ७५ वष र्क अभव रहल। एतेक पैघ महान यज्ञमे हमर ाप ूण र् आहुित ा होयत-यावत ठीक-ठाक छी/ रहब।८.ी िवजय ठाकुर, िमिशगन िविवालय- "िवदेह" पिकाक अंक देखलहु ँ, सूण र् टीम बधाईक पा अिछ। पिकाक म ंगल भिवहेतु हमर शुभकामना ीकार कएल जाओ।९. ी सुभाषच यादव- ई-पिका ’ िवदेह’ क बारेमे जािन सता भेल। ’ िवदेह’ िनरर पिवत-पुित हो आऽचतुिद र्क अपन सुगंध पसारय से कामना अिछ।१०.ी मैिथलीपु दीप- ई-पिका ’ िवदेह’ केर सफलताक भगवतीसँ कामना। हमर प ूण र् सहयोग रहत।११.ड◌ॉ. ी भीमनाथ झा- ’ िवदेह’ इटरट पर अिछ तेँ ’ िवदेह’ नाम उिचत आर कतेक पेँ एकर िववरण भए सकैतअिछ। आइ-काि मोनमे उेग रहैत अिछ, मुदा शी प ूण र् सहयोग देब।१२.ी रामभरोस कापड़ि◌ मर, जनकपुरधाम- "िवदेह" ऑनलाइन देिख रहल छी। मैिथलीकेँ अराष्ीय र् जगतमे पहु ँचेलहु ँतकरा लेल हािद र्क बधाई। िमिथला र सभक संकलन अप ूव र्। पालोक सहयोग भेटत से िवास करी।6


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्१३. ी राजनन लालदास- ’ िवदेह’ ई-पिकाक मामसँ बड़ नीक काज कए रहल छी, नाितक एिहठाम देखलहु ँ। एकर वािष र्कअ ंक जखन ि ट िनकालब तँ हमरा पठायब। कलकामे बहुत गोटेकेँ हम साइटक पता िलखाए दे िछयि। मोन तँ होइतअिछ जे िदी आिब कए आशीवा र्द दैतहु ँ, मुदा उमर आब बेशी भए गेल। शुभकामना देश-िवदेशक मैिथलकेँ जोड़बाक लेल।१४. ड◌ॉ. ी मश ंकर िसंह- "िवदेह"क िनःाथ र् माभाषारागसँ िरत छी, एकर िनिम जे हमर सेवाक योजन हो, तँसिचत ू करी।(c)२००८. सवािधकार र् लेखकाधीन आ’ जतय लेखकक नाम निह अिछ ततय संपादकाधीन।िवदेह (पािक्षक) संपादक- गजे ठाकुर। एतय कािशत रचना सभक क◌ॉपीराइट लेखक लोकिनक लगमे रहति, मा एकरथम काशनक/ आका र्इवक/ अंजी-संृत अवादक ई-काशन/ आका र्इवक अिधकार एिह ई पिकाकेँ छैक। रचनाकार अपनमौिलक आऽ अकािशत रचना (जकर मौिलकताक संप ूण र् उरदािय लेखक गणक म छि) ggaj endr a@ yahoo. <strong>co</strong>. i n आिकggaj endr a@ vi deha. <strong>co</strong>. i n केँ मेल अटैचमेक पमेँ . doc, . docx, . r t f वा . txt फ◌ॉमे र्टमे पठा सकैत छिथ।रचनाक संग रचनाकार अपन संिक्ष पिरचय आ’ अपन ैन कएल गेल फोटो पठेताह, से आशा करैत छी। रचनाक अंतमेटाइप रहय, जे ई रचना मौिलक अिछ, आऽ पिहल काशनक हेतु िवदेह (पािक्षक) ई पिकाकेँ देल जा रहल अिछ। मेला होयबाक बाद यथासंभव शी ( सात िदनक भीतर) एकर काशनक अंकक स ूचना देल जायत। एिह ई पिकाकेँ ीमितली ठाकुर ारा मासक 1 आ’ 15 ितिथकेँ ई कािशत कएल जाइत अिछ।१.मैिथली िरपोता र्ज-िजते आऽ २.मैिथली िरपोता र्ज-ोित१.मैिथली िरपोता र्ज-िजते झापालक (िकछु भारतक) िमिथला मैिथल मैिथलीक सामािजक-आिथ र्क-राजनीितक-सा ंृितक समाचार"रे र एना तोँ निञ टपक"कोशी पाल आऽ भारतक जनता लेल एकटा अिभशापसँ कम निञ । १८ अगक कोशी नदी पुवीर् तटबकेँ पिम कुशहा लगतीन सय मीटर भन करैत बाट बदल छल । तिञ के बाद पालक लगभग १ लाख जनता िवािपत भेल। वएह पािनजहन िबहारमे आएल तँ आओर िवकराल प ल लेलक । िबहारमे पािनसं ३० लाखसं बेशी जनता भािवत अिछ, जािहमे २०लाख कोशी इलाकाके अिछ । मृतकक संा हजारोमे हेबाक आश ंका कएल जाऽ रहल अिछ। िबहार सरकारक तक असारकोशी बािढसँ ७ सय ७५ गामक २२ लाख ७५ हजार जनता भािवत अिछ ।कोशीक कोप7


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्चीनक ितत उदगमल रहल कोशी पाल होइत िबहार कुसे र्ला धिर सात सय २० िकलमीटर द ुरी पार करैत गंगानदीमे िमलैतअिछ। कोशी नदी वािष र्क ५० अरब घन िलटर पािन गंगानदीमे पंहुचाबै-ए। कोशी नदीक वतर्मान जलाधर ९२ हजार ५सय ३८ व फ़ि◌ट िमटर अिछ, जािहमेसँ ४१ हजार ३ सय ३३ व िकलोमीटर पालक भीतर पड़◌ैत अिछ। कोशी योजनासंचालनक ४५ वष र् होइतो कोशी पीिडतक समा जिहनाक तिहना अिछ ।पाल आऽ भारत द ु देशकेँ एिह क उर देव आवक अिछ- िकए टुटल बा ? बािढसँ गरीब िकसान भूिमहीन भऽ गेलअिछ, ला कपडा पेटमे अ आऽ पीबालेल पािन । िकसान टकटी लगौ अिछ कोशीक पािन पर, जे कखनघटत? जिमनदार पािनदार भऽ गेल, गाय मिहष सबटा दहाऽ गेल छैक, आव बा ँकी छिञ मा जीवाक आश,,,,,।दोष ककरपाल आऽ भारत द ु पक्ष एक दोसराके दोषारोपण कऽ रहल अिछ । 'भारतीय ािविधक तटब मरितक लेल गेल छलमुदा, ओ काज करबाक वातावरण निञ बनलाक बाद तटब िनमा र्ण निञ भऽ सकल, भारतीय पक्ष कहैत अिछ। कोशी नदीकसमझौता असार पाल िकछु निञ कऽ सकैत अिछ, तेँ हमसभ मुक दश र्क छी, दोष भारतक अिछ पाली पक्षके दाबी।भारतीय धानमी डा मनमोहन िसंह बाढ़ि◌क िबभीिषका देिखते राष्ीय िवपिक घोषणा कऽ देलिन। बहुत रास पाई आऽखाा सहयोग करबाक आश्र्वासन सेहो। मुदा कोशी तटब टुटल िकए, एकर सरकारी रपर को तरहक जा ँच-ब ुझकआदेश निञ देल गेल अिछ। हँ पालसँ एिह िबषयमे बातचीत करबालेल एकटा उरीय किमटीक गठन कएल गेल अिछ। ओऽसिमित की बातचीत करत आऽ की िनष र् िनकालत भिवक गभर्मे अिछ।क्षितपुितर्कोशी समझौताक असार कोशी तटबक सभ तरहक काज भारतक िजामे अिछ । तटबक मरित मा निञ तटबटूटलासँ होबऽ बला क्षितपुितर् सेहो भारते देत, से सिमे उेख अिछ । पालक परराष्मी उपे यादव कोशीसमझौता असार भारत सरकारकेँ सभ तरहक क्षितपुितर् देबऽ पडतै, से कहैत छिथ। सिक असार इलाज, पुनवा र्स आऽखाा जेहन सहयोग भारत सरकारकेँ करक चाही। भारतीय धानमी आऽ िवदेशमीसँ सहयोगक आह कएल गेल आऽओऽ सभ एिह ित सकाराक रहल, मी यादव कहलिन। आब देखऽ के बा ँकी अिछ, कोशी पीिडत धिर किहआ पडोसी देशसँसहयोग पंहुचैत छिञ।निञ कल कटानकोशी कटान िनयणलेल एखन धिर कएल गेल सभ यास असफ़ल भेल अिछ। कोशीक सभसँ महपुण र् मानल जाएबला र बहऽलागल अिछ। पाल आऽ भारतीय ािविधक टोलीारा कटान िनयणलेल कएल गेल यास िनरथ र्क भऽ गेल अिछ।संयु ािविधक टोलीक िनगरानीमे बीस हजार बोरा बालु, िगटी रािख कऽ निदकेँ पिम िदश घ ुमएबाक यास िनरथ र्क भऽ गेलअिछ। बषा र्क कारण सेहो बािढ िनयण द ुह बनल अिछ। पाल सरकार कोशी कटानसँ िबािपत भेिनहारक ित पिरवार १५8


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्हजार टका सहयोग देत। ई १५ हजार िथत कोशीपीिडतके केक सहयोग भऽ सकत ओऽ सहजिह अमान लगाओल जासकै-ए।िकछु मरल बहुतो िनपासकोशी नदी गामेक बाटसँ बह लगलाक बाद िवािपत भेिनहारसभ एख अपन पिरजनक खोिजमे अिछ । हिरपुर, ीपुर आऽपिम कुशाहासँ िवािपत सभ अपन घर पिरवारक सदके ढु ंिढ रहल अिछ। सुनसरी शासन एखनधिर ५ गोटेक मृुक पुिकएलक अिछ। मुदा एख चािर सय गोट सकर्िवहीन अिछ।दोसर िदश कोशी बाढ़ि◌सँ िवािपत आब पेटझरीक चपेटमे आिब गेल अिछ। पािन गा भऽ गेलाक बाद िवािपत िशिवरमेपेटझरी आऽ मुँहपेट जाएव िवकराल प लऽ ले अिछ। िवािपत एक बालक सिहत द ु गोटक पेटझरीसँ मृु भेल अिछ।मृु भेिनहारमे ीपुर-३ के ५६ वषीर्यय तेजन सदा आऽ ६ विष र्य रा सदा अिछ। सुनसरीक िविभ २९ िशिवरमे एक हजार५ सय गोट एखन िबमार अिछ। अिधका ंशमे पेटझरी, िनमोिनया, बोखार आऽ छातीमे इन ्फ़◌ेन देखल गेल अिछ। रोगीमेसँ१२ गोटक अवा िचाजनक रहल, उपचारमे संल िचिकक जलक अिछ ।केक िबपि !बाढ़ि◌संगिह सरी िजलामे सप र्दंश बिढ गेल अिछ। सप र्दंशसँ शुक राित आओर एक गोटेक मृु भेल अिछ। भादव मिहनामेसा ंप कटलासँ मरिनहारक संा ६ भऽ गेल ानीय जना काया र्लय जलक। खेतमे काज कऽ रहल ानीय रामकृ यादवकेँसा ंप कट रहि। इलाजक लेल सगरमाथा अंचल अताल लऽ जाइत काल हुनक मृु भेल। एिहसँ पिह फ़िकरा ३ क ४५बषीर्य रामअिशष यादव, परगाडा ७ क १४ बिष र्य बमभोला यादव आऽ महादेव ८क १२ बषीर्य घनाम इसरक मृु भऽ चुकल अिछ।िबहारक बाताकोशीक जलर बढ़लाक बाद िबहारक िित आओर असहज भऽ गेल अिछ। िबहार सरकार वायु सेनाक ४ हेिलकप्टर, ८ सय४० नाव आऽ सेनाक मदितसँ यु रमे राहत काय र् भऽ रहल बतौलक अिछ। मुदा बािढपीिडत लाखो जनता एख बािढमेफ़◌ंसल अिछ। सरकारी सहयोग समेत अपया र् रहल, बािढपीिडतक कहब छिञ। िबहार सरकार एखन धिर कोशी मे २८आऽ समुचा रामे ७६ गोटेक मृु भेल जलक अिछ। मुदा भािवत इलाकामे ानीयवासी बहुतो शव दहाइत देखल गेलकहैत अिछ। िबहार सरकारक ता ंकमे कोशी बाढ़ि◌सँ ७ सय ७५ गामक २३ लाख जनता भािवत भेल कहल गेल अिछ।माभाषाक मोह२३ अग । पालमे मैिथली भाषा सािह पाछु हेवाक कारण शाहव ंशीय राजाक गलत वित ृ रहल बताओल गेल अिछ।पालमे शाह व ंशीय राजाक शासन शु होइते मैिथली भाषा सािह आऽ संृितसँ भेदभाव शु कएल गेल कहल गेल अिछ।मैिथली सािह पिरषद सरीक अक्ष हिरका लाल दास शाह व ंशक शुवातेसँ मैिथली भाषा सािहक िवकासमे अवरोध स◌ॄजनाभेल बतौलिन। गणत पालमे जँ सभ भाषा सािहक उान हएत तह नव पालक साथ र्कता हएत हुनक कहब छि।मैिथली बाल ितभा पुरार िदवसमे आयोिजत काय र्ममे मुख अितिथ दास शाहवंशपर मैिथलीसँ भेदभाव करबाक आरोपलगौलिन। तिहना मैिथली सािह पिरषद्क उपाक्ष देवे िम माभाषा मैिथली होइतो अंजी, पाली, िही सिहतके अभाषा िदश आकिष र्त हएव मैिथलीक लेल िहतकर नई अिछ कहलिन। "आब त गामक अिशिक्षत, दिलत आऽ गिरव व मैिथलीकेजीवता द रहल अिछ" िम आगु कहलिन। मधेशी कान वसायी समाजक केिय अक्ष अशोक कुमार चौधरी भािषकियाकलापमे दिलत वकेँ सेहो समेटल जाए से सुझाव देलिन। काय र्ममे मैिथली पकार पिरषदक अक्ष ामसुर यादव,उोग वािण संघ सरीक महासिचव सुरेश कुमार िसंह, पकार हेमश ंकर िसंह म कए रहिथ। मैिथली बाल ितभापुरार िदवसक अवसरमे शिनिदन राजिवराजमे सात गोट मैिथली बालकिवकेँ पुरृत कएल गेल अिछ। मैिथली किव पिरषदकअक्ष महे मल "बनवारी" कृजामी तथा अपन जिदवसक अवसरमे बालितभा पुरार ापना कए छिथ। एिहबेरक बाळ ितभा पुरार ामसुर साह, िवकास कुमार मल, राघवेश देव, आकाश कुमार मल, अज ु यादव, सो दास आऽिववेक कुमार मलके देल गेल ।२.मैिथली िरपोता र्ज-लनसँ ोितक िरपोट र्ििटश लाइरी मे रामायणक परचम9


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्इ ंगलैके राजधानी लनके ििटश लाइरीमे आइ काि रामायणके परचम फहरायल अिछ।१६ मई स◌ॅ◌ं १४िसतर २००८ तक चलऽ बला अिह प ्◌्रादश र्नीक िवज्ञापन लाइरीक बाहरी देवारक उपिर बीच लनके मु सड़क पर लागलपैघ बैनर के पमे िवके सबसऽ पैघ महाका रामायणक महत् उोिषत कऽ रहल अिछ।रामायणक समीक्षा तथा इितहासक संसोधनपर िविभ िवानक िलखल अको पुक सेहो दिश र्त अिछ। पुक सिहत भारतीय िचकला सऽ शोिभत िविभ वुजेनािक कप, छा, कुशन, ीिट ंग काडर्, बैच सब राखल अिछ।अर के गैलेरी मे प ्◌्रावेशे मे एक पैघ स्ीनपर सूण र्रामायण कहल गेल अिछ तथा संगक असारे मेवारक िचश ैलीमे िचक ाइड देखायल गेल अिछ। ई मेवाड़के राणा जगतिसंह (१६२८-१६५२) रामायणक मेृप्ट पर आधािरत अिछ।मेवाड़क राजघराना सऽ ताुक राखऽ वला ससोिदया राजप ूतसबहक कहब छै जे ओ सब रामक व ंशज छैथ।तािह िहसाबे ई रामायण हुनकर सबहक पािरवािरक कथा छैन।अिह स्ीनक बगलमे रामायणक मह एवम ् ओकर कथाके छोट पमे बताबऽके सराहनीय यास सेहो कैल गेलअिछ।करीब बारह संग उेिखत अिछ-रामक बाकाल, रामक वनवास, वनमे जीवन, भरत िमलाप, सीताहरण, सुीव िमलन,सीताक ताक, हमान ारा सीताक भेटनाइ, लंकामे थम आमण, राक्षस एवम ् मायावी सबसऽ यु, अंितम यु, एवम ् सीताकवापसी।10


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्अरके माहौल त मान ू प ूण र्त: सतयुग पहु ँचा देत। लाल◌़ संतरा पीयर र ंग स◌ॅ भरल ान तािहपर सऽ मम रौशनीतकर बीच दशमुख रावणक पुतला आ सबतिर सौ स बेसी कागज पर कैल िचकारी पड़क नक् काशीक फोटो िकछु कपड़◌ा परकैल १९सम शताीक िचकारी सेहो।चाऊ नाचमे उपयोग हुअ बला कागज के लुगदी सऽ बनल मुखौटा छलजे काफी चकमक रंग सऽ रा ंगल छल। चाउनाचक िविडयो सेहो छल।चाउ नाच झारख उड़ि◌सा आ पिम ब ंगालक िमलक ान पर के जनजाित सबहक संृितछै।तकर बाद ककलीक मुामे पुतला राखल छै।केरलमे प ्◌्रािस श ैडो े के िविडयो चलैत रहै छै। अको श ैडोपेट राखल अिछ।शा ंगरी रामायण के दसटा प ्◌्रासंगक िच अिछ जे िहमाचल देशक कुलु देश सऽ आयल छल। अिहमेअंगद ारा ीरामके लंकाक िववरणक संग द ुहरायल छल। तकर बाद अको मैृपटमे वािकी रामायणक कीरी मैृप्टतथा पटना के वैन दास ारा १७८५ ईसवीमे बनायल िच शािमल अिछ।सबसऽ पैघ आकष र्ण छल उीसम शताीक बनल कपड़◌ाक पेिट ंग।करीब ७' ला आ ७' चौड़◌ा स ूती कपड़◌ामे आाश ैलीमे पेिट ंग कैल अिछ जािहमे बामा कात नीचास◌ॅ रामक जस◌ॅ रामायणक िमक प ्◌्रासंगके व ृताकार पस देखायल गेलअिछ।बीचमे पैघ िच अिछ राम सीता सिहत रामक राजदरबारके।तिहना ७' बाइ ५' आर ७' बाइ १०' ला कपड़◌ापर सेहोपेिट ंग कैल गेल अिछ।अिहसब मे रामायण तेलुगु मे िलखल अिछ।ीलंकासऽ प ्◌्रा◌ा कपड़◌ाक पेिग सेहो अिछ।परुसब पेिट ंगमे रामायणक उरका निहं देखायल गेल अिछ। लव-कुशक म ूतीर् क फोटो जर अिछ। म ूतीर् क फोटोमे आठमशताीक एलोराके गुफाक फोटो सेहो अिछ।रामायणक थाई पारण रामािकन देखल जा सकैत अिछ।कोिडया एवम ्थाइलैके हमानक फोटो एवम ् मुखौटा देखल जा सकैत अिछ। भारतसँ लऽ कऽ िवक सभ श ैलीक िचकलासँ सित एतएसीतादेवीक एकटा िमिथला िचकला सेहो िवराजमान छल। ई छल का कए राम ारा सीताक लंकावासक दौरान पिततारहबापर अयोावासीक संदेह सुनबाक संग।लव-कुशक म ूतीर् क फोटो जर अिछ। म ूतीर् क फोटोमे आठम शताीक एलोराकेगुफाक फोटो सेहो अिछ।रामायणक थाई पारण रामािकन देखल जा सकैत अिछ।कोिडया एवम ् थाइलैके हमानकफोटो एवम ् मुखौटा देखल जा सकैत अिछ। भारतसँ लऽ कऽ िवक सभ श ैलीक िचकलासँ सित एतए सीतादेवीक िमिथलािचकला सेहो िवराजमान छल।लाइरी य ून ूब ेशन सऽ २ िमनट आर िकं ग्स ◌ॉससऽ ५ िमनट आरामसऽ पैरे चिलकऽ पहु◌ॅ◌ंचल जा सकैतअिछ।झटिक क चली त द ुओ िमनट निह।कैसके अर सेहो रामायणक बैनर लागल भेटत।ह◌ॉलमे जायकाल बैगके चेिकं गहोइत छै।अर फोटोाफी के अमित निहं अिछ।11


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्(आभार: ी अिजत कुमार झा, लन)ग -कथा 1.शू िसंह 2. अनलका ंतलघ ुकथा १. ी ाम सुर "शिश" २. ी कुमार मज कपी मश ंकर िसंह बीसम शताीमे मैिथली सािहयायावरी- कैलास कुमार िम उपास सहबाढ़िन (आगा ँ)ोितक दैिनकीशोध लेख:हिरमोहन झा सम ब ूढ़-ब ुज ु समापर लेखकोसी ग 1.ड◌ॉ गंगेश गुन 2. सुशा ंत झा 3. बी.के.कण. र् 4. शि शेखर 5. ओमकाश झाकथा 1.शू िसंह 2. अनलका ंतश ंभु कुमार िसंह, ज: 18 अील 1965 सहरसा िजलाक मिहषी खंडक लहुआर गाममे। आरिभक ं िशक्षा,मैिक धिर गामिह सँ, आइ.ए., बी.ए.मैिथली सान, एम.ए.मैिथली (ण र्पदक ा) ितलका मा ँझी भागलपुर िविवालय, भागलपुर,िबहार सँ। BET [िबहार पाता परीक्षा (NET क समतु) ााता हेतु] उीण र् 1995, “ मैिथली नाटकक सामािजक िववर्न”िवषय पर वष र् 2008, ित.मा.भा.िव.िव.भा.िबहार ँमें शोध-ब ंध जमा (परीक्षाफल तीक्षारत)। मैिथलीक कतोक ितित पिकासभमे किवता आ िनब ंध आिद समय-समय पर कािशत। वतर्मानमे, शिक्षक ै सलाहकार (मैिथली) राष्ीय अवाद िमशन, केीयभारतीय भाषा संान, मैस ूर मे काय र्रत।दिभू12


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्09 मई 2008 क बात िथक। गाम गेल रही। सा ँझ चािर बजे तरकारी िकनबा आ घ ुमबाक लाथे ितर ंगा चौक िदस चिलगेलहु ँ, घ ुरैत काल ूल लग अबैत-अबैत दीया-बातीक बेर भ’ गेलैक। गरमीक िदन छलैक मोन भेल कनी काल ूलक ओिहा ंगणमे सुा ली जतय किहयो बैिस हम अपन पाठ याद करैत रही। जिहना बैसबाक उपम कयलहु ँ िक एकटा अािशतर सुनबामे आयल... हे बाउ! ओतय निह एमहर आउ। हम चौिक ं गेलहु ँ, देखैत छी तँ सिरपहु ँ एकटा स्ी हमरा सोझामेठाढ◌़ छलीह आ बैसबाक आह क’ रहल छलीह। हम बैिस गेलहु ँ, हमरा सुख ओ स्ी सेहो बैिस गेलीह। हम साय र् ओिहस्ीकेँ देखय लागलहु ँ िजनक प-र ंग िकछु एना रहिन---हिरतवण र्क शरीर तािहपर हिरयर र ंगक मैल,पुरान-सन साड◌़◌ी जेकहुना हुनकर स्ीया ंगकेँ झा ँप रहिन, ताहूमे कतोक ठाम िपयन लागल, शेष शरीर उघारे ब ुझ ू। सूण र् शरीरमे छोट-पैघ घावजािहसँ पीज बहैत रहिन। एक-द ू ठाम मैला सेहो लागल, जे द ु करैत छल। बामा जा ँघ पर ढ◌़ल-ढ◌़ल करैत फोका,दिहना जा ँघ पर गोदना जका ँ को िविश आकृित, द ुन ू हाथ छड◌़ल जका, ँ माथक केश गोबरछा जका ँ जािहमे िशखर,पान-पराग, तुलसी, रजनीगंधा, मािणकचंद गुटखा, आिदक फाटल-िचटल पुड◌़ि◌या, अखबार, कागदक टुकड◌़◌ी, जड◌़लका िसगरेटकपुी आ टुकड◌़◌ी, सुखल गोबर, स ूगरक मैला आिद-आिद सभ ओझरायल। एिह नारीक िविच ओ दयनीय दशा देिख हमर उंठाबढ◌़ि◌ गेल।हम पुछिलयिन-- अहा ँ के छी?ओ कहलिन-- हम दिभ ू िथकहु ँ। वैह दिभ ू जािह पर अहा ँ एखन बैसल छी। वैह दिभ ू जतय बैिस अहा ँ नपनमे नीरजककिवता पढ◌़◌ैत छलहु ँ “ यह जीवन ा है िनझ र्र है, मी ही इसका पानी है, सुख-द ुख के दो तीरों से चल रहा राह मनमानीहै...।”हम फेर पुछिलयिन – अहा ँक एहन द ुद र्शा िकएक ?ओ बजलीह--- बाउ, हम देिख रहल छी जे अहा ँ तखनसँ हमर अंग-ंगकेँ खूब नीक जका ँ िनहािर छी। पिह अहा ँबताउ, हमरा सुनबामे आयल अिछ जे अहा ँ सािहमे उ िशक्षा ा के छी, ओहुमे मैिथली सन सरस सािहमे।हम कहिलयिन—से कहलहु ँ।तखन संभव भ’ सकय त’ हमर एिह दयनीय दशाकेँ अहा ँ को प-पिकामे कािशत करबा िदऔक। आ ओ आ हैतबाजय लगलीह—बाउ, हमर शरीर ूलक एिह हातामे पसरल दिभक ू तीक िथक तै ँ हिरयर। हमरा माथ पर जे अहा ँ गुटखा,िसगरेटक टुकड◌़◌ी, अखबार आ कागदक टुकड◌़◌ी देखैत छी से एिह ूलक छौ ंड◌़◌ा-छौ ंड◌़◌ी सभक िकरदानी िथक, हम अहा ँकेँकहैत जाइत छी आ अहा ँ एमहर-ओमहर नजिर दौड◌़◌ा-दौड◌़◌ा क’ देख जाउ....। हमर देह जे घावसँ दागल अिछ सेिसगरेटक जड◌़लका पुीसँ, हाथ जे छड◌़ल देखैत छी से िथक मोद बाब ू (मुिखयाजी) क करक िकरदानी, ओ सभ िदनएतय आिब िछा िछलैत अिछ, िदनमे कैक बेर स ूगर, मिहस, गाय, बकरी आिद हमरा दिषत ू करैत रहैत यै, बाम जा ँघ पर ईढ◌़ल-ढ◌़ल फोका िथक वैह म ंगआक लोकक िकरदानी, ओ काि राित चूिक अँगोरा हमरा देह पर फें िक देलक, आ हमरादिहना जा ँघ परक ई चे जकरा अहा ँ गोदना बिझ ु रहल छी से वुतः कोन चीजक आकृित िथक से हमरा किहतहु ँ लाज लािगरहल ऐ, सा ँझिहकेँ , मा एखनसँ कनी कालक पाते देखबैक जे एिह गामक गँजेरी छौ ंड◌़◌ा सभ हेज बनाकेँ आओत,िसगरेटमे भिर कए गा ँजा पीयत आ हमरा झरका-झरका कए एहन अील आकृित बनबैत अिछ, हे! ओिहठाम देिखयौक..., ईजे मैला देिख रहल छी, से िथक एिह आस-पड◌़◌ोसक स्ीगणक काज, क रितगर भेलाक बादे एक िदस सँ पथार जका ँ बैिसजाइत छिथ। हे! ओमहर देिखयौक हाक कछेड◌़मे... की कहू बाउ, जीयब द ूभर भ’ गेल अिछ।(एकटा दीघ र्ास लैत) ओ फेर बाजय लगलीह--बाउ, अहा ँकेँ अपन नपनक बात रण अिछ ? तािह िदन ातः 10 बजे(ायः) ूल पहु ँचलाक पाते सभसँ पिह सरती वना होइत छलैक जािहमे िशक्षक-छा सभ ो भाग लैत छलाह।तकरा बाद ीवाव मार साहेब सभ नाकेँ एक पितयानीसँ बैसा दैत छलाह, आ ओसब ना एकहक टा कागद आ आन-आनसभ कारक गंदगी सभ चुिन-बीिछ लैत छल। हमर काया एकदम साफ भ’ जाइत छल। कक्षा सभमे जखन हाजरी होइतछलैक तँ नाम पुकारल जाइत छलैक, हरेराम, युगलिकशोर, श ंभु, कुमारसंभव, चकला, रहीम, कौशा, कतेक मध ुर आ साथ र्कनाम! सुिन कए मोन भ’ जाइत छल। सा ँझ के ना सब कबी आ खो-खो खेलाइत जखन िगर जाइत छल तँ हमओकरा बेसी चोट निह लागय िदयैक, वाक अभव करैत छलहु ँ तिहया। शिन केँ िवशेष आयोजन होइत छलैक।शिनचराक गुर-चाउर बाकुटक-बाकुट ना सभ खाइत छल, की कहू बाऊ, अहा ँ सभक हाथ सँ िगरलाहा गुर-चाउर खयबा लेलहमहु ँ शिन िदनक तीक्षा करैत छलहु ँ। दोसर पहरमे सा ंृितक काय र्म होइत छलैक। “ जगद अही ं अवल हमर, हे मायअहा ँ िब आस ककर...। कखन हरब द ुःख मोर हे भोला बाबा... । दिनया ु ँ मे तेरा है बड◌़◌ा नाम, आज मुझे भी तुमसेपर गया काम....।” अहा ँकेँ तेँ रण हेबे करत बाउ रमाका एकबेर गय छलाह “ चल चमेली बाग मे मेवा िखलाऊँ गा.....”तािहपर मोलवी मार साहेब हुनका चुर पर ततेक छौ ंकी मार रहिन जे बेचारेक सभटा मेवा घोसड◌़ि◌ गेल रहिन।आ अहा ँकेँ ओ अाक्षरी वला बात याद अिछ की निह? तिहया अाक्षरी मे किवताक प सभ पढ◌़ल जाइत छलैक, अहा ँएकबेर ‘ य’ पर अटिक गेल रही, गाब’ लगलहु ँ—“ ये मेरा दीवानापन था....” अहा ँकेँ मोलवी साहब बजा कए पुछ छलाह “ यहकद का पेड◌़ अगर मा......अहा ँ ँ कािये याद के छलहु ँ, तँ िबसिर कोना गेलहु ँ ? ” आ तकरा बाद हुनक छड◌़◌ी आअहा ँक द ुन ू हाथ। एकिदन रिवश ंकरक चुगली एकटा ना क’ दे रहैक जे “ मार साहेब ई अपन ककाक जड◌़लका13


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्बीड◌़◌ी पीबैत रहय” एिह लेल ीवाव मार साहेब रिवश ंकरकेँ रौद मे एक घंटा धिर अहीठाम मुरगा बना दे रहिथ।तािहिदन ककर मजाल रहैक जे एिह ूलक हाता मे ो गाय, महीस, आ बकड◌़◌ी-छकड◌़◌ी ल’ कए घिस ु जायत। यैह मोदबाब ू (मुिखयाजी) क कर एतय एकबेर िछा िछलय बैसल रहय, मुिखयाजी हुनका ततेक गािर-बात दलकैक, तकर ठेकान।ओ बज जाइत छलीह आ हम अपन अतीतलोकमे िवचरण क’ रहल छलहु ँ। अचानक हम हुनका टोिक देिलयिन-- अा एकटाबात कहू, आइ काि की एहन वा निह छैक एतय ? आब तँ देखै िछयै जे तािह िदन सँ बेसी सरकारक ान िशक्षा परछैक। लोक सेहो जागक भेल अिछ िशक्षाक ित। हम त’ देिख रहल छी जे नीक भवन अिछ, पािन पीबा लेल कल अिछ,म ूालय अिछ, शौचालय अिछ, उिचत संामे िशक्षकगण छिथ, आब की चाही ?ओ बजलीह-- औ बाउ! अहा ँ जे िकछु बजलहु ँ सेहो सा ँचे िथक मुदा अहा ँ आइ एलहु ँ काि चिल जायब। हम तँ कतोकबरखसँ एतिह छी आ क्षदशीर् छी, तै ँ हमहु ँ जे कहल आ जे कहब से फूिस निह। एतय द ूई भवन मे चािर टा कक्ष छैकआ िवाथीर् 400 सयक करीब, एक ितहाई बा कक्षमे बैसैत छैक आ शेष एिह हातामे आ ओिह बड◌़क गाछतर घ ुड◌़दौड◌़करैत रहैत छैक, ो गुटखा, ो....., ो चरैत मिहसक सींग पर दय ओकरापर चढ◌़बाक अास करैत अिछ तँ ो........।शौचालय, म ूालयकेँ अहा ँ एकबेर देिख अिबयौक एकोटामे पा निह लागल छैक, उपरसँ ततेक द ु जे राम कहू ! कलअहा ँ काि आिब कए देिख लेब। ई तँ परस ू जलघर बाब ूक बेटीक िबयाह छलिन तािहलेल ओ अन कल एतए लगौ छलाह,आ शौचालयमे बोराक ची। कािए कलो खिल ु जेतैक ? एतय गड◌़लाहा पाइपे टा ूलक छैक। की कहू, कल जिहनालागै छैक पा ँचे-दस िदनमे ो चोरा लैत छैक। हे िलयह! कुकुरक झौहड◌़ि◌ सुिन रहल छी अहा ँ ? बराती सभ जेकाि भोरमे चूड◌़◌ा-दही खा-खा क’ पात सभ ूलक पछुआड◌़ि◌ मे फेक छल ततिह कुकुर सभ लड◌़ि◌ रहल अिछ।खैर! छोडू ई सब बात। आब पढ◌़◌ाईक वा सुन ू--- अहा ँ केँ तँ ब ुझले हैत जे हमरा सभकदयािनधान मुखम ंीजी क◌ॉ पर कैक लाख लोककेँ िबना को परी-तरी मार बना देलिथन, सेहो की जेगामक लोक गामिहमे िशक्षक हेताह। तै ँ ढ◌़◌ोरहाय-म ंगड◌़◌ू सब िशक्षक बिन-बिन एतय आिब गेल छिथ, िजनकामे सँ कतोककेँ तेँ अपन नामो.....। ाथ र्ना आब निह होइत छैक। जँ किहयो काल होइतो छैक तँ चािर सय मे सँ चािरये टा नाकमुँहसँ श बहराइत छैक बा ँकी सब आऊँ -आऊँ , ऊँ -ऊँ करैत रहैत छैक। हाजरी मे नाम पुकारल जाइत छैक-– डबल,ूबबल, ू डेजी, रोजी, ीटी.....। शिनचराक था उिठ गेल छैक। सा ंृितक काय र्म एखन धिर होइत छैक, एख गीत गाओलजाइत छैक—“ एक आ ँख माँ तो पदा र् हट जाये, द ूजा आ ँख माँ कलेजा फट जाये.........। तनी सा जी ं स ढीला कर....आिद।” एक िदनक बात कहैत छी, एकटा िवाथीर् गाना शु कएलक—“ चोली के पीछे ा है......” आिक सबटा मार ठेिठया-ठेिठया क’ हँस’ लागलाह। म ंजय मार साहेब केँ निह रहल गेलिन ओ नाकेँ डािट ँ कय बैसा देलिथन। तािहपर, म ंतोषमार साहेब आ म ंजय मार साहेबमे नीक जका ँ बािझ गेलिन।म ंजय मार साहेब कहलैथ—मेरा मानना है िक इसमें बे का कोई दोष नही ं है, अगर यही गाना गाना उस बे की मजब ूरी है,तो हम एक िशक्षक हो के नाते इसी गा के ित उसके दृिकोण को बदल सकते हैं, बस एक वा में समझाकर की,“ चोली के पीछे, ‘ मा’ ँ होती है, िजसका अमृतपान करके हम, आप, सबके शरीर को जीवन िमला है।”एिह घटनाक बाद सभ िशक्षक िमिल कए म ंजय बाब ूक नव नामकरण कय देलकिन ‘ मायराम’ । तिहया सँ ओिह कागम ंडली मे हंससदृ म ंजय बाब ूक बिधये ु हेरा गेलिन। एकटा आर ग सुन ू, यैह िपछले शिन िदनक बात छैक, अाक्षरी चलैत रहैक, एकसँ बढ◌़ि◌कए एक कटगर िफी गाना सब ना लोकािन गबैत छल, अचानक ‘ य’ पर एकटा दल अटिक गेलैक….. एकटा बाउठल आ कहलक, “ यह लघ ु सिरता का बहता जल, िकतना शीतल, िकतना िनम र्ल.......।”एकटा मार साहेब ओिह बकेँ लगमे बजौलकिन आ कहलिथ-- “ अहा ँ कािये अपन मी-पाक संग िसमा देख’ सहषा र्गेल रही, ओिह िसमाक गाना, ये गोरी गोरी बा ँहे, ये ितरछी ितरछी.......,िबसिर गेलहु ँ ? बड◌़ भोद ू छी अहा ँ।”दिभ ु रानीक कथा चिलतिह रहिन की एिह बीचमे हमरा एकटा आर नारीक ककर्श र सुनाए पड◌़ल... “ गै माय के िछयै ईमुनसा! ऐतेक कालसँ एतय की क’ रहल छैक? ब ुझैत निह छैक जे ई लोक-बेदक, बाहर-भीतर करबाक बेर छैक ?”हमर ान ओमहर गेल, अारमे ब ुझा पड◌़ल जे तीन-चािरटा स्ीगण एरे बढ◌़िल चिल आिब रहल छलीह। हम जा एमहरताकी ताधिर दिभरानी ू िनपा ! हमहु ँ उिठ कए घर िदस चिल देलहु ँ।ओिह भिर राित हमरा िन निह भेल। कारण छल जे हम ई िनण र्य निह क’ सकलहु ँ जे ओ सिरपहु ँ दिभएुछलीह आ िक हमरा मोनक म ? जतेक सोचैत गेलहु ँ ओतेक ओझराइते गेलहु ँ, मुदा एकटा बात हमरा मोनमे घर क’लेलक जे ई घटना एकटा कथाक प अव ल’ सकैत अिछ। कािए हमरा मैस ूर जेबाक रहय। सोचलहु ँ एकर पा ंडुिलिप बनाकए को पिकाक संपादक लग िषत क’ देबैक, जँ ई कथा छिप गेल तँ हमहु ँ अपन सीना तािन कए कहब जे “ हममैिथलीक कथाकार छी” सोझे-सोझ मैिथलीक एम.ए., पी-एच.डी. कहयलासँ को िता निह। मैिथली पढ◌़ि◌ जँ मैिथलीक14


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्कथाकार, सािहकार निह कहयलहु ँ, तँ मैिथली पढ◌़बे िकएक कएलहु ँ ? हँ एकटा समा तँ रिहये गेल, एिह कथाक शीष र्क कीिदऐक ? चल ू जेह कथा तेह शीष र्क, ‘ दिभ’ ू ।अनलका ंत- मैिथली ैमािसक पिका अंितकाक सादक। िहीमे गौरीनाथ नामसँ लेखन।तप र्णगामक िछा आब एकोरा◌ी नीक नइ ँ लािग रहल छै ड◌ॉ タ टर कामना यादव केञ्ँ।लोकेञ् अध タ की होइ छै, व ंशउजाड◌़◌ौन होइ छै! अप हाथ-पयर भकोिस कृतमुख बिन जाइ छै!...मुदा एना तँनइ ँ जे गामक को चीे-पिहचान नइ ँ रहय? कत' गेल ओ गाम जे उजिड◌़-उपिट गेल अपन भूतप ूव र् गौआ ँ लोकिनक ेटा मे अबै अिछ?...तखन ओ अपना आ ँगनक क'ल लग बाथकीट आ कपड◌़◌ा रािख पछुआिड◌़ धिर आयल छिल। ई पछुआिड◌़ ओकरा पोखिरकप ूबािर महार पर छलै। जत' एक टा कागजी बोक गाछ छलै आ ओिह मे मारतेरास बो लुधकल छलै। िकछु पीयर-पीयरबो खिस क' सिड◌़ गेल छलै। क हिट पितयानी सँ पा ँच टा अड◌ऱबा गाछ रहै। ओहू मे कैक टा अड◌ऱबा तेहनपीयर सँ ललौन जका ँ भ' रहल छलै जे खसेला पर भ タ का-भ タ का भ' जयतै। िकछु मे तँ िचड◌़◌ै-चुनमुनी भूर सेहोतेना पैघ-पैघ क' दे छलै जे िभतरका लाली लखा दै छलै। ओ भूर सब केञ्ँ ान सँ देिख रहिल छिल। िक एक टाअड◌ऱबाक भूर देिख ओ िचड◌़◌ैक कलाकारी पर मु भ' गेिल। ओिह अड◌ऱबा मे ऊपर-नीचा ँ पातर आ बीच मे कचाकर भूर तेहन ढंग सँ बनायल छलै जेना अंजीक एक टा 'वी' अक्षर पर दोसर 'वी' उनिट क' राखल हो!...ओिह पर एकगो बिगया रािख दे प ूरा भूर मुना जयतै!ओिह भूर देिख बिगया मोन पड◌़ला सँ ओकर अआयल-अआयल सन मोन ओस नहायिल दिब ू जका ँ लहलहा गेलै। एिहबेर गाम अयलाक बाद पिछला तीन िदन मे ई एहन पिहल क्षण छलै जखन ओकर ठोर पर मुीक पातर-सन रेहजगिजयार भ' अयलै।पिछला तीन िदन सँ ओ एक टा ढंगक रखबार आिक चौकीदार लेल परेशान छिल। कैक टा एजें सीक दलाल सँ ग क'चुकिल छिल। सब कैक टा रखबार ल' क' आयलो छलै, मुदा कामना यादव केञ्ँ जेहन ामीण टाइपक काज ुल आ अभवीरखबार चाही छल, से नइ ँ भेिट पािब रहल छलै।ओकर दादा कारी यादवक अमल सँ रिह रहल ब ुढ◌़बा रामजी म ंडल आब अपन बेटा-पोता लग रहय चाहै छल। ओकरपैख सेहो थािक गेल छलै। जेना-तेना कारी यादव सँ म ंगनी यादव धिरक जीवन तँ पार लगा देलकैञ्, मुदा तकरा बादकामना लग हाथ जोिड◌़ देलकैञ्, ''नइ ँ ब ुच्स्ची, आब पैख नइ ँ छौ। िकछु िदन हमरो बेटा-पोता संग रहैक सख पुरब'दे। ''15


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्एिह पर की कहैत कामना?...ते ◌ँओ सस ミ मान ब ुढ◌़वाक िवदाइ कर' चाहै छिल, मुदा को दोसर रखबार भेटतैतख ?...पिछला द ू मास मे ई ओकर तेसर याा छलै। लगले लागल ई याा ओकरा परेशान कय छलै, मुदा ओकर समाकिनदान नइ ँ भ' रहल छलै। ओ ミ हर प ूना मे ओकर タ लीिनक एक-एक िदन ब भेला सँ जे परेशानी आिब रहल छलै, सेअलगे।बापक जीबैत कामना गामक बाट िबसिरए जका ँ गेिल छिल। कैक बेर तीन वा चािर साल सँ बेसी पर आयिल छिल।तिहना द ू मास पिह म ंगनीलाल यादवक मुइलाक बाद जे ओ गाम आयिल छिल सेहो ायः द ू साल सँ बेसीए पर। ई र रहलैजे ओकर बाप ओकरा タ लीिनक मे मुइलै आ ताल गाम अयबाक झंझिट सँ बिच गेिल। नइ ँ तँ एसगिर जान की-कीकिरतय? एह ठाम भाय-भातीज, क タ का-पीसा, बिहन-गोतनी आिक जाउत-जयधी बला पुरना पिरवार मोन पिड◌़ जाइ छैलोक केञ्ँ। जे-से, ओ एसगआ छिल ते ◌ँ किहयो ओकरा पर को दबावो नइ ँ देलकैञ् ओकर बाप। तीन सँ चािर मासनइ ँ बीतै िक ब ुढ◌़वा अप पहु ँिच जाइ प ूना। फोन पर तँ ग होइते रहै छलै।...बापक मादे सोचैत-सोचैत कामनाक ठोर परक मुी कखन िबला गेल छलै। ओकर नजिर चाभर सँ भटिक क'पोखिरक अँगनी िदस झ ुकल लताम गाछ पर चिल गेल छलै। एिह गाछक रतबा लताम तेहन लाली ले रहैत रहै जेनासुाक लोल िक ओकर अप तिहयाक ठोर ब ुझाइत रहै।लताम गाछक पात कोकिड◌़या गेल छलै। ूल-फर एखन नइ ँ छलै। मुदा िकछुए मास मे, क गरमी धिबते, एकरपात ेञर् नव तरहे ◌ँ लहलहा जयतै आ ूल-फर सँ लिद जयतै एकर डािर। ेञर्-ेञर् एिह पर लुधिक जयतै ड ミहा आपाकल लताम। तखन ेञर् बहरेतै एिह रतबा लतामक भीतर सँ वैह लाली। मुदा ओकर ठोर? नइ, ँ आब तँ बाजारकमहँग-सँ-महँग िलिपिको नइ ँ सोहाइ छै ओकरा। गाछक आा िड ホ बा मे केञ् भिर सकैञ्ए?पछुआिड◌़क मारतेरास अड◌़हर-बड◌़हर, अ◌ा◌ा-शरीफा, अनार-बेल, केञर्ा-मुिनगा सन गाछ पर सँ नजिर हटा कामनायादव पोखिरक पािन मे खेलाइत माछ िदस ताक' लागिल। चािर-पा ँच टा रोहुक एक टा झंड ु पैघ-पैघ सुंग डोलबैत िझहिरखेला रहल छलै। पािनक सतह पर द ूर धिर खूब-खूब हलचल पसिर रहल छलै। एिह हलचल मे हेरायिल कामना द ू डेग आगूबिढ◌़ दिबक ू िनम र्ल ओछाओन पर टा ँग पसािर बैिस गेिल। ओिह दिब ू पर कचनारक िकछु ूल खसल छलै। एक ूल उठा हाथमे तँ ल' लेलक, मुदा ओकर नजिर पािनक हलचले पर रहलै। ई हलचल ओकरा भीतर एक टा नव हलचल अनलकैञ्। ओिहहलचल संग बहैत-भिसआइत कामनाक भीतर कतेक अतीतक पा फडफ़ड◌़◌ाब' लगलै।......ई पोखिर ओकर दादाक ख ुनायल छलै। अपन प ूरा जीवन गाय-महीसक बीच गुजार' बला ओकर दादा एिह परोपक अंितमअँगुठाछाप छलै। ओना रोज-रोज गाय-महीस द ूहैत ओकर अँगुठाक िनशान मेटा जका ँ गेल छलै। तािह पर, गोबर-गोंतिगजलाक बाद, सिदखन ओ तीन िकलोक हरौती आिक गेवा ँ लाठी जे पकड◌़ रहैत छल, से ओकर हाथक रेखा खाय गेलै।मुदा ओकर कपारक रेखा जगिजयारे होइत गेलै। खदबद करैत पंिडत-पिजयार आिक बाब ू-बब ुआन सभ सँ भरल गामक एकमा 'अहूठ गुआर' कहाब'बला कारी यादव ओिहना 'मड◌ऱ' नइ ँ कहाब' लागल छल! द ूध-घीक पैसा आिक गाछ-बा ँस आ उपजा-बारी सँ कैञ् गोटे सु マ य भेल अिछ? ओिह सँ पैत-पानह बिच जाय, तँ बड◌़का बात!...से जेना-तेना पैत-पानहबचबैत कारी यादव य ं अँगुठाछाप होइतो अपन एकमा म ँगिनया बेटा म ंगनी यादव केञ्ँ शहर-नगरक क◌ॉलेज-यिनविस ू र्टी धिरपढै◌़ मे को कमी नइ ँ होअय देलक।16


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्कारी यादव सुध ंग लोक छल। ओकरा नजिर मे दरोगा आ बीडीओ सँ बिढ◌़ दिनया ु मे◌े को हाकीम नइ ँ छलै आ सैह ओअपन बेटो केञ्ँ बनब' चाहै छल। मुदा म ंगनी यादव से नइ ँ बिन सकल। ओ काशीक नामी िविवालय मे ोेसर बनल तँकी? बापक लेल मारे छल!...ओ र ंगम ंचक मशहूर कलाकार भेल तँ की? बापक लेल नचिन छल!...िबयाहो ओ ミ हरेकयलक। मुदा कारी यादव लेल धनसन।मायक चेहरा मोन नइ ँ छलै म ंगनी केञ्ँ। बापेक राल खाइत अपना हाथें बनायब सीखलक। ते ◌ँ बापक द ुःख ओकराबेसी छटपटाबै, मुदा बाप लेल ओ िकछु क' नइ ँ पाबय। ई फराक जे हरसाइत म ंगनी बाप केञ्ँ ख ुश करैक खूब यास क'रहल छल। ओ जखन-जखन गाम आबय, बाप लेल मारतेरास कपड◌़◌ा-ला◌ा आ अक सामान आनय। मुदा ओकर बाप केञ्ँतकर दरकारे रहै छलै! खरपा पिहरय बला कारी यादव केञ्ँ चल-जूता सँ गोड◌़ मे गुदगुदी लागै। गोलगला छोिड◌़कुता र् पिहरब ओकरा कोनादन ब ुझाइ। म ंगनीक आह पर बाबा िवनाथक दश र्न करबाक लोभ ओकरा बनारस जयबा लेलउसकाबै तँ जञर्, मुदा माल-जाल आ गाछ-िबिरछक िचा पयर रोकैञ्। ते ◌ँ ओ बेटा लग बनारस किहयो जासकल।गाछ-िबिरछ सँ ब ुढ◌़वाक बेसी लगावक एक टा खास कारण ईहो छलै जे बेसी गाछ बिढ◌़याक ु लगायल छलै। ेञर्बिढ◌़याक ु सारा सेहो सरौली आम आ ब ुढ◌़वा धाी गाछक बीच मे छलै जे गोहाल सँ ओकरा सुत' बला मचानक ठीक सोझा ँपड◌़◌ैत छलै तिहया। ओइ सारा पर एक टा एक टा तुलसी गाछ सब िदन रहै छलै। गाय-महीस द ुहलाक बाद ब ुढवा ओहीतुलसी गाछ िदस घिरक' ु धार दैत छल। ेञर् नहेलाक बाद ओिह तुलसी आ धाीक जिड◌़ मे पािन ढारब सेहो नइ ँ िबसरैछल।म ंगनी जिहया ठेकनगर भेल छल तिहया सँ बाप केञ्ँ अप हाथे ◌ँ भानस करैत देख छल। ओकर किनया ँक गौनाकबाद ई सब िकछु िदन लेल छुटबो कयलै, मुदा कामनाक जक िकछुए मास बाद ओ अपन पिरवार बनारस आिन लेलक। ेञर्ब ुढ◌़वाक वैह हाल भ' गेल रहै। म ंगनी एक टा चाकर रखबाब' चाहलक, तँ ब ुढ◌़वा डािट-धोिप ँ थथमािर देलकैञ्, ''ध ुर बिड◌़!ुहमरा देह मे कोन घ ुन लागल जे हम दोसरा सँ चाकरी खटायब?... एह ठाम कहै छै, माय करय कुटौन-िपसौन बेटाकनाम द ुगा र्दा!...''िकछु िदका बाद म ंगनी ताितल मे गाम आयल तँ ब ुढ◌़वा केञ्ँ क बीमार देखलक। ब ुढ◌़वा डा ँड◌़ क टेढ◌़ क'क'चलै छल आ स ूतल मे कुहरैत रहै छल। िदन मे कैक बेर लोटा ल' बहराइत छल आ ढंग सँ िकछु खाइतो छल।म ंगनी कतबो प ूछै, ''हौ, की होइ छअ?'', मुदा ब ुढ◌़वा सही-सही िकछु बतबैते छलै। ब ुढ◌़वा केञ्ँ शहरक ड◌ॉ タ टर लगचलै लेल म ंगनी कतबो िज करै, ब ुढ◌़वा तैयारे होइ। अंत मे म ंगनी खायब-पीिब छोिड◌़ िस रहल।तखन ब ुढ◌़वा म ंगनी केञ्ँ मनबैत कहलकैञ्, ''रौ म ंगनी, चल खाय ले। तों िकऐ जान दै छही! हम मिरये जेबै तँकी िबगड◌़तै? आब जीिवक' को बा-पोखिर देबाक छै हमरा?''''िकऐ हौ बाब, ू मिरक' तों हमरा कप ूत कहबेबहक? कह' तँ जीिवक' बा-पोखिर िकऐ दए सकैञ् छहक तों?''म ंगनीक र भखिर गेलै।''रौ म ंगनी, ओइ लेल एक बोरा टाका चाही। से हमरा द ूध-घी सँ हैत, आ गाछ-बा ँस आिक उपजा-बारी सँ।तोहर मािरयो सँ निहऐं हेतौ। को दरोगा-बीडीओ भेल रिहतय तखन !...'' कारी यादव गंभीर र मे बाजल।''हौ बाब ू, तों नइ ँ ब ुझै छहक! हम दरोगा-बीडीओ सँ पैघे िछऐ हौ। तों बाज' जे कोन बा देबहक आिकपोखिर ख ुबहक!...''17


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्''ठीकेञ् कहै छही रे?''''हँ हौ!...हम तोरा ूिस कहबह?''''बाक तँ एिह जमाना मे को खगते नइ ँ छै। एक टा पोखिरए ख ुना तँ बड◌़की टा, अपना घरक पिम द ू िबगहामे। मिरयो जायब तँ, ज ुग-ज ुग धिर नाम तँ रहतै जे कारी जादब पोखिर ख ुलक।...'' ब ुढ◌़वा भावना मे बह' लागलछल।''चलह, पिह तोहर दवाइ करा दै िछयह। ठीक होइते तों मिटक मजूर सब सँ बात करह। जिहयाक िदन तोंठीकबहक तिहए सँ काज शुञ् भ' जेतै।''आ से ठीकेञ् भ' गेलै। आ ओही संग एक टा चौकीदार, टेहलुक, भनिसया आिक मैजर जे ब ूझी, तािह प मेरामजी म ंडल केञ्ँ ओ रखबौ छल। ई फराक जे तकरा बादो ब ूढ◌़वा जावत जीयलै माल-जाल रोमब, द ुहब-गारब आिकगोबर-करसी; िकछु छोड◌़लक। रामजी म ंडल ओकरा घर-पिरवारक अपन समा ँग जका ँ भ' गेल छलै।...आ कारी यादवकमान-मया र्दा ततेक बिढ◌़ गेलै जे ओ प ूरा परोप मे 'मड◌ऱ' कहाबय लागल छल।कामना केञ्ँ ई सब बेसी सुनले छै। ओिह पोखिरक जाग जे भेल छलै तकर भोज क-म मोन छै ओकरा।मुदा दादाक हाथक तीन िकलोक लाठीक ओ लाली एख खूब मोन छै ओकरा। ओिह लाठी मे चु भिर तेल पचाबैत कालकदादाक मािलश सेहो ओकरा मोन छै। ओ लाठी एख ओकरा घरक को कोन मे राखल छै ठीक सँ, ज ुगताक'।ओकर दादा कारी यादवक मुइलाक बादे एत' ुिसघरक जगह प タ का मकान बनल छलै। मुदा ओिह मे रह'बला रामजीम ंडल टा छलै। ओकरा सँ मारते बब ुआनक बीच एक गुआरक घरक ठीक सँ देखभाल नइ ँ भ' पबै। तािह पर िकछु मालोजालछलै। सभ छु्◌ी मे म ंगनी अबै तँ िकछु िकछु नव िबदैत भ' गेल रहै। हािरक' ओ आ ँगन-दलान संगे पोखिर-गाछ-माप ूरा सात िबगहाक रकबाक चाञ् कात खूब ँ देबाल द'क' तकरा ऊपर खूब ँ धिर का ँटबला तारक बेढ◌़ सँ बेढ◌़बादेलक। एक जोड◌़◌ा किरया गाय छोिड◌़ बाकी मालजाल हटा देलक। तकरा संगरामजी म ंडल केञ्ँ स チ त आदेश भेटलै जे गाछक को फल आिक तीमन तरकारी ओ जते चाहय खाय सकैत अिछ, मुदाए タ को पाइक िकछु बेिच नइ ँ सकैञ् अिछ। तकर पालन करैत रामजी म ंडल ओकर बाग-बगीचा, बाड◌़◌ी-झाड◌़◌ी सँ पोखिरधिर केञ्ँ सब िदन िखलिखल हँसैत जेना ब रहल। अप म ंगनी द ू-तीन मास पर आिब तकतान क' जाय। ओना ओकरासभक सब छु्◌ी गामे मे बीतै छलै आ ओिह छु्◌ी मे माय-बापक संग कामना सेहो अबै छिल।जे-से, समय-साल बीतैत गेलै। आ एक िदन म ंगनी यादव िविवालय सँ सेवामु タ त भ' सपीक गाम आिब गेल।तखन कामना अिखल भारतीय आयुिव र्ज्ञान संान नई िदी मे एमबीबीएस फाइनल क' रहिल छिल आ दिनया ु ँ साधारण सँ साधारणआदमीक मु्◌ी मे अँट' लागल छलै।ओिह समय धिर दिनया ु ँक सब शहर मे एक तरहक बसात बह' लागल छलै आ अपना ठा ँक गाम-घर खाली भ' रहल छलै।ककरो बेटा शहर बसलै, तँ बापक मिरते डीह पर निढ◌़या भुक' लगलै। िकओ चारो िदसक कजर् आ उकबा मे घेराय आिकदब ंगक ताड◌ऩा सँ डराय राता-राती गाम छोिड◌़ देलक, तँ िकओ भूखक आवेग मे जत'-तत' पड◌़◌ा गेल। बाब ू-भैयालोकिन को को कं पनीक ानीय मैजर भ' अपना केञ्ँ शहरी बनाब' लगलाह, तँ िकछु गोटे वाताकू िलत लाक्षागृहमे से लगेबाक यास मे धोती-कुता र् उज्स्जर कर' लगलाह। गाम-गामक खेत-पथार बड◌़का-बडक़◌ा कं पनीक फ◌ॉम र्हाउस मे बदल' लागल छल। सा कार सनक कारखाना आ केिमक हौज लेल पैघ-पैघ रकबा हिथयाओल जा लागल छल।िकसान नामक ाणी मे सँ िकछु अप अपन लीला ख क' लेलक, िकछु शहर-नगरक मशीन चलब' चिल गेल आ जे बचल छलतकरा मे सँ िकछु मारल गेल, िकछु केञर् जीन बदिल एहन मजूर बना देल गेल जे शहरी रहल आ देहाती आ जकर18


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ् को भाषा रहल आ को आ ची-पिहचान। सगरे नव-नव केंट, नव-नव ढाबा, नव-नव चकलाघर िम-ब ुथ आटेलीफोन-ब ुथ जका ँ ख ुज' लागल छलै। आ साधारण लोक 'मैन-पावर' कहाब' लागल छलै। एह सन आफत-बसात म ंगनीयादवक गाम मे सेहो आयल छलै। एही आफत मे रामजी म ंडलक बेटा-पोता ओकर काज ुल घरवाली धिर केञ्ँ ल'क' िदीकझ ुीवास कर' चिल गेल।म ंगनी यादव जिहया सेवामु タ त भ' बनारस सँ गाम घ ूरल छल, ओकरा अपन ेशन कातकदोकान मे बेसी अपिरिचतेलोक भेटल छलै। सा ँझक झलअारी मे घर पहु ँच' धिर कतौ िकओ एहन नइ ँ भेटलै जकरा सँ द ूटियो कुल-म भ'सकैत। रामजी म ंडल केञ्ँ छोिड◌़ ओकर आगमन ककरो लेल को खबिर नइ ँ छलै।अिगला भोर गामक सड◌़क धय टोलक एिह कात सँ ओिह कात गुजिर गेल म ंगनी, केञ्ओ हाल-चाल नइ ँ पुछलकैञ्।ओत' कतहु ओकरा अपन ओ गाम नइ ँ भेटलै जकरा ओ िचै छल। जत' पिह पंिडत दीनब ंध ु झाक घर छलै, ओिह ठाम श ू-सपाट एक टा मैदान बिन गेल छलै आ तकरा चाकात खूब ँ देबाल रहै जकरा गेट पर एक टा पैघ सन बोडर् टा ँगलछलै, 'भिट ंडा फाम र् हाउस'। पंिडतजीक बेटा आब जामनगर मे बैिस गेल छिन। बेटी अमेिरकी नागिरकता ल' ले छिन।म ंगनी क आरो आगू बढ◌़ल, तँ देखलक जे ミ हर पिह धकटोली छलै, ओत' पैघ सन को ैञ् タ ी खिज ु गेल छलैजकरा छतक ऊपर तीन टा मोट-मोट चीमनीमा पाइप मारतेरास ध ुआ ँ छोड◌़◌ैत आसमान कारी करबाक अिभयान मे लागलछलै। आ टोलाक कात सँ कलकल हँसैत बह'बला -िनम र्ल जलधारा बला िमरचैया मे जमुना सन गाइत कारी पािन तेनाजमकल छलै जेना को नाला।म ंगनी केञ्ँ थकान भेलै आ घर घ ुरय लागल। घर घ ुरैत ओ जगह ान मे अयलै जत' पिह िवशाल-िवशाल बर आपाकिड◌़क गाछ छलै। ओिह ठा ँ लगे-लग को द ू गोट मोबाइल कं पनीक िवशाल-िवशाल टावर ठाढ◌़ छलै। ओ िकक'चाभर ताक' लागल। द ूर-द ूर धिर देखलाक बादो ओकरा नजिर पर अपना घर लगक गाछ छोिड◌़ कतहु ए タ को टा तेहेनपैघ गाछ नइ ँ अयलै। जे ミ हरे देखलक सब िकछु एकदम उजड◌़ल-उजड◌़ल सन ब ुझेलै। बीच टोल मे आिब एक ठामठमकल। बगलक दासजीक डीह पर को टै ंट हाउसक बोडर् लागल छलै। क हिट एक टा ैवेल एजें टक साइन बोडर् ट ँगलछलै जकरा नीचा ँ शीशाक गेटक भीतर एक टा पगड◌़◌ीवला सरदार जी कुसीर् पर बैसल छलै। तकरा दस डेग आगुक ामदेवता ान पर बजर ंगबलीक एक टा पैघ सन मिदर ं ठाढ◌़ छलै जकर दिछनबिरया देबाल पर कामो◌ोजना जगब'बला कोिटिकयाक िवज्ञापन छलै। तकरा बाद म ंगनी िकछु देखलक आ सोझे अपना घर आिब गेल। घर मे ओकर पी मुिनगाकतरकारी राि रहल छिल। ओ ओकरा लग जाय अकबका गेल।रसे-रस म ंगनी अपन घर आ सात िबगहाक रकबा मे घेरायल पोखिर-गाछ, पछुआिड◌़-महार धिर अपना केञ्ँ समेिटलेलक। बेटी कामना आ बाकी िहत-िमत सँ संपकर्ञ् लेल ओकरा घर मे फोन आ मोबाइल छलै, र ंगीन स्ञ्◌ीनबला कं ूटरछलै जकर तार स ミ प ूण र् दिनया ु ँ सँ ज ुड◌़ल छलै। घरक पाछा ँ पैघ सन आयताकार आ ँगन छलै। आ ँगनक पिम-उार कोनमे चापाकल छलै। तकर पछुआिड◌़ मे पोखिरक महार पर मारते गाछ-िबिरछ छलै। ओिह पर सँ कख कोयली, तँ कखपड◌़◌ौकी केञर् सुपिरिचत र आबै।...मा ओकर गाम ओकरा सात िबगहाक रकबा मे बायल छलै।जेना-तेना समय किट रहल छलै। कामना िदी छोिड◌़ प ूना मे ै タ िटस शुञ् क' दे छिल। मुदा म ंगनीक घर परएक टा एहन कार कौआ बैिस गेल छलै जे जख ओ द ुन ू ाणी शाित ं सँ आराम कर' चाहय िक ओ जोर-जोर सँ टािह ँ मार'लागै। भोर होइ िक सा ँझ, िदन होइ िक राित-कार कौआक टािह ँ मारब ब नइ ँ भेलै। आ एक राित कामनाक मायक छातीमे तेहेन दद र् उठलै जे ड◌ॉ タ टरकञ् अबैत-अबैत बेचारी चिल गेिल। आ तकरा बाद एसगर म ंगनी कारी यादव जका ँबाड◌़◌ी-झाड◌़◌ी मे लागल रहय आ बीच-बीच मे कामना लग प ूना चिल जाय।...मुदा रामजी म ंडल तँ एहन शािपत यक्ष छलजकरा लग िकओ अबै छलै आ ओ कतौ जाय छल।...19


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्अनचोकेञ् कामनाक भक टूटलै । पोखिरक उतरबिरया महार परक को गाछ पर कायल कोयली बािज रहल छलै। कामनाकभीतर िकछु उमिड◌़ अयलै। मुदा ओ ताल उिठ गेिल। ान केञ्ँ अबेर भ' रहल छलै।भोजनक बाद ओ आराम क' रहिल छिल िक ओकर मोबाइल बजलै। एक टा नव एजें टक क◌ॉल छलै, ''मैडम, ऐसा कीिजएिक चौकीदार और माली केञ् प में दो अलग-अलग आदमी को रख लीिजए। यहा ँ ऐसा कोई चौकीदार नही ं िमल रहा जोआपकी ◌ॉपटीर् केञ् साथ पेड◌़-पौधों की भी देखरेख कर सकेञ्। यँूपोखर की मछली की देखरेख केञ् िलए मछुआरे कीजञर्त िफर भी रह जाएगी।''''नही ं , तीन-तीन आदमी रखना मुिश्कल है हमारे िलए।'', कामना बाजिल।''चौकीदार तो पाली ही है मगर माली जो िमल रहा है, वह एक उिड◌़या भाई है। ये दो ं हमारे पटना सेंटर केञ्मार्त आ रहे हैं और उनकी शतर् है िक वेतन केञ् अलावा हाउिस ंग ैिसिलटी भी चािहए।''िबना को जवाब दे कामना क◌ॉल िड タ ट क' देलक। मुदा भीतर सँ ओकर परेशानी आरो बिढ◌़ गेल छलै।आब एिह गाम मे गाम भ निह रिह गेल हो मुदा ओकर बाप-दादा, माय-दादी सभक ृितक गाम सात िबगहाक एिह रकबा मेबेड◌़हल घर-आ ँगन, गाछ-िबिरछ, पोखिर-कल सभक बीच छै। कारी यादव सँ म ंगनी यादव धिरक नाल एतिह गड◌़ल छै। कारीयादवक माल-जालक गोबर-गोंत एत'क मािटक को को कण मे एख खादक प मे बचल हेतै। ोेसर म ंगनीयादवक कलाकार मोन एिह रकबा मे जािह गामक लघ ु संरण केञ्ँ समेट छल, से जञर् एही ठाम कतहु कतहु कायलहेतै।... की एकरा सब केञ्ँ ओ लुटा देत?...की ओ अपन िजनगी भिरक कमाइ सँ एकर रक्षा नइ ँ क' पाओत?कामना केञ्ँ मोन पडै◌़ छै जे एक बेर ओकर िपता म ंगनी यादव बड◌़ िथत मोन सँ कह छलै, ''गाम मे जेहो गामदेखाइ छलै, से तोरा मायक मुइलाक बाद नइ ँ ब ुझाइ छै। कख-कख तँ मोन करैए जे हमहूँ सब िकछु बेिच-िबकीिनली। मा घर-आ ँगन आ गाछ-पोखिर सँ गाम नइ ँ होइ छै, बौआ। जखन पिह जका ँ केञ्ओ गौएँ नइ ँ रहल तँ कोन गामआ की गाम?...''कामना िकछु जवाब नइ ँ द' सकिल छिल तखन। मुदा एख मोन छै ओकरा जे ओ अपन बापक ओिह हेरायल-बेचैनआकृित केञ्ँ बड◌़◌ी काल धिर देखैत परेशान भ' रहिल छिल। ए タ को श ホ द एहन नइ ँ भेटल छलै तखन ओकरा जािह सँअपन कलाकारमना बापक मोन केञ्ँ राहत द' सकैत छिल। तखन ओकरा अपन ड◌ॉ タ टरीक ज्ञान अकाजक ब ुझायल छलै।सहसा एक कोन मे राखल अपन दादा कारी यादवक कारी खटखट लाठी देखा पड◌़लै ओकरा। ओ उठिल ओिह लाठी केञ्ँछुिबक' देखबाक लेल, मुदा तख क◌ॉलबेल जोर सँ बजलै। ओ गेट िदस पलटिल। गेट पर सी सी िमा नामक एक टामैिथली भाषी से タ युिरटी एजें टक दलाल छलै जे पिछला द ू िदन सँ नव-नव रखबार ओकरा लेल तािक रहल छलै।ओिह दलाल केञ्ँ ाइ ंग म मे बैसा ओ द ू िमनट बाद द ू िगलास पािन ल' घ ुरिल। िक िवन सन बत ओ दलाल बाजल,''ड◌ॉ タ टर यादव, सुिनयौ! अहा ँ बड◌़ सौभाशािलनी छी जे एख अपन बाप-दादाक डीह पर अबै छी। हम तँ करीयेकम मे ए ミ हर आिब गेलहु ँ। कोशीक प ूबे सही, मुदा ईहो कहाइ तँ छै आइयो िमिथले । हम डीही छी कमला कातक।हमर जनम भेल िहमाचल मे ास नदी कातक एक टा अताल मे। बचपन बीतल िदीक यमुनापार मे आ करी भेलकोलकाता मे। मैिथली तँ हम कोलकाता आिब िसखलहु ँ सेहो एिह लेल जे हमर दादा मैिथलीक िस लेखक छलाह आ हुनकरिकताब सभक अंजी अवाद एख खूब लाभ दै अिछ।...एखन कोलकतेक एजें सीक काजें तीन मास लेल एिह मेअयबाक अवसर भेटल। एिह मे कैक टा कं पनी अपन कल-कारखाना शुञ् क' रहल छै, से बहुत जी एत'क◌ॉपटीर्क कीमत उछल'बला छै।...''20


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्कामनाक धैय र् चुिक रहल छलै। ओ बाजिल, ''अहा ँ कह' की चाहै छी?... साफ-साफ बाजू!''''अहा ँ अथा तँ नइ ँ लेबै?''''बाजू !...''''अहा ँ यैह चाहै छी जे अहा ँक ई गाछ-पोखिर बचल रहय, सुरिक्षत रहयआ अहा ँक बाप-दादाक नाम...''''तँ?...'', कामनाक माथ पर बल पड◌़लै।''देखू, ओहेन रखबार बड◌़ महँग पड◌़त जे अहा ँक इा अकू ल हो। एिह लेल रखबार, माली, माह आ मारतेरासमजद ूर पर खच र् कयलाक बादो भेटत तँ िकछु , उनटे िचा आ परेशानी बेचैन कय रहत।''''तँ की करी?... हम बड◌़ परेशान छी। ओझराउ जिन।''ु''सैह कहै छी!...आ लाभक बात कहै छी।...'' क्षण भिर िबलिम ओ बाजल, ''एिह ठाम एक टा भ िरजाट र् खोलै केञर्अमित जँ दी तँ अहा ँ केञ्ँ एक खोखा प ूरा भेिट जायत। संगे पोखिर-गाछक सुरक्षाक गार ंटी सेहो। मा एिह घर-आ ँगनकेञ्ँ तोिड◌़ नव बहुमिजला ं बनब'क अमित देब' पड◌़त। गाछ सब लग मु タ ताकाश मे टेब ुल-कुसीर् लगा देल जयतै आडािर सब पर जगमग लाइट ट ँगा जयतै। पोखिर मे द ू-चािर टा छोटका नाह खसा देल जयतै जािह पर लोक सब अिरयोमे इजोिरया राितक मजा लैत का-िवहार करत। पोखिरक बीच मे जािठक जगह एक टा छोट सनक सुइट बिन जायत,जकर िडमा ंड पय र्टन ल सभ पर सब सँ बेसी होइत छै। से एतहु हेबे टा करतै। िकएक तँ एतहु रसे-रस बड◌़का-बड◌़का कं पनीक डायरे タ टर, सीईओ, एनआरआई आ िवदेशी मेहमानक आगमन शुञ् होबए बला छै।...''''हम अहा ँक ग खूब नीक जका ँ बिझ ु गेलहु ँ।... अहा ँ तँ बड◌़ बिधयार ु लोक छी यौ!...ताल अहा ँ जा सकैञ् छी,दान-प हम शी पठा देब!...'' कामना अपन आवाज सयास संयत रखलक।कक सकपका जका ँ गेल मृद ुभाषी मैिथल दलाल सी सी िमा चालीस सँ बेसीक नइ ँ छल। गेट पार क' ओ एकबेर ठमकल,''क इीनान सँ िवचार करबै मैडम। ड◌ॉ タ टर छी अहा, ँ ओल्ड िथंक आ भाव ुकता सँ िकछुओ फायदा नइ ँ हैत। हािनए-हािन!...''आ ही ं -ही ं क' िठिठआब' लागल।चालीस पार क' चुकिल ड◌ॉ タ टर कामना यादव मे ौढ◌़ता आ धैय र् आिब गेल छलै, मुदा तैयो ओ अपना जगह परबैसिल नइ ँ रिह सकिल। ओ उिठक' द ुआिर िदस आयिल। तेज-तरार र् दलाल सी सी िमा लपिकक' अपन िवदेशी म◌ॉडलकगाड◌़◌ी मे बैिस गेल छल। कदमक गाछ तर थोड◌़◌ेक गरदा उिड◌़याबैत ओकर गाड◌़◌ी तुर ंते ुञ र् भ' गेलै।कामना बाहरक ओसारा पर नहु ँ-नहु ँ ब ुल' लागिल छिल। कदम गाछक बाद देबालक काते-कात लागल िज ミ हड◌़, अमड◌़◌ाआ अशोक पर बेिरयाक रौद खिस रहल छलै। ओिह रौद मे गाछ सभक पात-पात पर जमल गरदाक मोटका परतनीक आर की हेतह?''21


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्रामजी म ंडलक ब ूढ◌़ चेहरा पर लाजक संग हँसीक फाहा िछिड◌़या गेलै। ओ िखलिखलाइत उिठक' आ ँगन चिल गेल।तख घर मे राखल कामनाक मोबाइल बजलै। प ूना सँ ओकर タ लीिनकक फोन छलै। ओ उठबैते बाजिल, ''डोंटवरीर्! सुबह की ヘ लाइट से आ रही हूँ । एक-डेढ◌़ बजे तक タ लीिनक मेंरहूँ गी।'' आ एतबा कहैत ओकर नजिर एकबेरेञर् अपन दादा कारी यादवक तीन िकलोक हरौती लाठी पर चिल गेलै। ओ लपिकक' लाठी उठौलक।लाठी मे पिहक लाली आ चमिक नइ ँ छलै। कारी खटखट ओिह लाठी पर झोल-गरदा जिम गेल छलै। भावावेश मेकामना ओिह लाठी केञ्ँ चूम' चाहलक। मुदा िक गेिल।...कामनाक हाथ ची' जोग नइ ँ छलै। प ूरा हाथ कारी भ' गेल छलै। तख ान अयलै जे ओकर ओज आब तीनिकलो तँ निहये टा हेतै। िक एक ठाम लाठी पर कक दबाव पिड◌़ते ओकर आ ँगूर धँिस जेना गेलै! िक ओकरा ब ुझेलैजे ई लाठी कोकिन क' फोंक भ' गेल छलै आ जोर सँ पटिक दे टुकड◌़◌ी-टुकड◌़◌ी भ' जयतै!... अचा ंचकेञ् डरा गेिलओ। डराइते-डराइत ओ ओिह लाठी केञ्ँ प ूव र्वत घरक कोन मे रािख हाथ धोअ' कल पर चिल गेिल।बड◌़◌ी काल धिर बेर-बेर हाथ धोयलाक बादो ठीक सँ हाथ साफ नइ ँ भेलै। सािबकक तेल पीयल लाठी सँ आओल एक टाअजीब तरहक गंध हाथ मे समा गेल छलै। हािरक' तोिलया सँ हाथ पोछैत क्षण भिरक लेल पछुआिड◌़ िदस गेिल कामना।ओत' ओकरा लगलै, सब गाछ पर जोर-जोर सँ केञ्ओ कुड◌़हिर चला रहल छलै। पोखिर िदस तकबाक साहस नइ ँ भेलैओकरा। ओ सोझे पड◌़◌ायिल घर आ जी-जी अपन ीफकेस सैंत' लागिल।लघ ुकथा १. ी ाम सुर "शिश" २. ी कुमार मज कपाम सुर शिश, जनकपुरधाम, पाल। पेशा-पकािरता। िशक्षा: िभुवन िविवालयसँ,एम.ए. मैिथली,थम णीमे थम ान। मैिथलीक ायः सभ िवधामे रचनारत। बहुत रास रचना िविभ प-पिकामे कािशत। िही,पाली आऽ अंजी भाषामे सेहो रचनारत आऽ बहुतरास रचना कािशत। सम्ित- कािपुर वासक अरब ूरोमेकाय र्रत।मरदे िक बरदेभगवान भारक च तापकेँ सािर सकब धरती मैआक वाे किठन भऽ रहल छलिन। मैञा अपरतीव छलीह। चलवाकलय ंकारी रौ अवतारसँ अप बाचथ ु िक अपन सखा सानकेँ बचाबथ ु? “अपन मथा साहुर, साहुर” करबाक अवा सेहो निहछल। िमिथलाक धरती थोरै छैक जे य त सव र् हिरयरी रहतै। लोक अप ज ुराएत आऽ लोकोकेँ ज ुरौतैक? ईकतार छै भाई। कतार। ए गाछ व ृक्ष कत पािव? धनीमानीलोक ऐज ुवा (वगैचा) लगबैत छिथ। जेना लोक धीया प ूताकेँद ूध िपयाकऽ पोसैत अिछ। तिहना पोसैत अिछ एतुका सेखसभ गाछ-व ृक्ष। ककरो मजाल छै जे ओिह गाछक नीचा ँ सुालेत..। तुर वन-िवनाश कान ूनक अत शख्त काय र्वाही भऽ जएतैक। आऽ ओऽ गाछ व ृक्ष होईतो निह अिछ सुैवायो। एक किवक किवत जका ँ “वड़◌ा हुआ तो ा हुआ ले पेड़ खज ुर। पंछीको छाया नही फल लागे अित द ूर..” डारमोरवाक यो छाहिर निह। बिझ ू परैत छल, दोहाक समु वाफ भऽ कऽ उड़ि◌ जाएत। सड़क उपरके अलका पघिल रहलछल। सरकार एिह गरमीक मिहनामे द ुपहरमे काज करबापर पाबी लगौ छैक। तथािप देश िवदेशक मज ुरसभ अपन-अपन22


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्ओभर टाईम पका रहल छल। भगवान भारसंगक महासमरमे लागल छल। धरती पुलोकिन। धरती तँ आिखर धरती छैक। अपन जनम धरती हो िक करम धरती...।एिह रौदसँ बेपरवाह लण पैघ-पैघ डेग मारैत आगा ँ बढ़ि◌ रहल छल। को अभे लकेँ भेदन करबाक योजनामे आगूबढ़ि◌ रहल चोटाएल, हारल योा जेका ँ। एिह बेरक समरमे िवजयी ा करबाक दृढ़ सित छल ओऽ। ओकरा ठेकान निहछलै जे ओकर सम देह घामे पिस िभजी गेल छैक। ओऽ कारी झामर भऽ गेल अिछ। ओऽ बस आगू बढ़ि◌ रहल छल,अपन गंत िदस। ओकर ग छलै, दोहाक अित इलाकामे अवित पाली द ूतावास। जतए ओकर यसी गत एकसाहसँ शरणागत छैक। मुदा िकछुए िकलोमीटरक द ूरीपर अवित रहलाक बावजूदो ओऽ हुनकासँ भेिट निह सकल अिछ। ओऽसीधा द ूतावासमे वेश कएकऽ मुदा तुरे पाछा ँ घिम ु गेल। चार िदवालीक ओटमे ठाढ़ भऽ िजपेटक पिछला जेबीसँ कं घीिनकाललक। केस सीटलक। कपड़◌ा िमलौलक। आऽ कक सतकर् कदमसँ द ूतावासक मेन गेटकेँ पार कएलक। द ूतावासपिरसरमे रहल बोक गाछक ओटमे बैिस ओकर यसी केस झािर रहल छलै। ओएह घ ुरमल-घ ुरमल केस। सुराही सन कमरआऽ सुडौल शरीर। पीठपर किरकवा ितलसँ ओऽ आओर िनधोख भऽ गेल। ओऽ ओकरे रेशमा छैक। आगूसँ देखू िक पाछोसँ।ई...। ओकरा मोनमे िटस जेका ँ उठलै। मोन भेलै जे पाछेसँ जाऽ भिर पाजकँ पकड़ि◌ ली आऽ गत ९ मिहनाक िहसाब-िकताब मा ँगी। ओऽ आगू सेहो बढ़ल मुदा रेाक केश जखनसँ ख ुजल रहैक तखसँ द ूतावासक चौकीदार सेहो ओकरे िदस तािकरहल छलै। लणकेँ िहित निह भेलै अप यसीक हाथ धिर पकड़बाक। जहन द ुन ूक आिख ँ िमललैक तँ द ुन ूक नयनसँ अनअुधारा बिह गेलै। एक िदस लण छल, दोसर िदस रेशमा आऽ बीचमे रहैक गाछ। जकरा साक्षी रािख द ुन ू ९ मिहनाक िहसाबिकताब फिरयौलक। लण एतबे बाजल “हम तँ बरद जेका ँ बिहए रहल छी, एिह मभूिममे, अहा ँ द ुधिपया बौवाकेँ छोड़ि◌कऽिकया आिब गेलौ?”कुमार मज कपजन ्म : १९६९ ई◌़ मे मध ुबनी िजला ंतत सलेमपुर गाम मे। ूली िशक्षा गाममे आऽ उ िशक्षा मध ुबनी मे।बा काले सँ लेखनमे आभिच। कैक गोट रचना आकाशवानी सँ सािरत आऽ िविभ प-पिका मेकािशत। सम्ित कें िय सिचवालयमे अभाग आधकारी पद पर पदािपत।थाकल बाट''सर, हमर मीटरक फाईल कहा तक पहुचलई?''''उपर सँ निह लौटलै'' - िबजली ऑिफसक कम र्चरीक ई िचरपिरिचत उर फेर हमर कानमे गेल। उरजेना ीिरयोटाईप, ी-िरकोडेर्ड, िबना को जाच-पड़ताल, नाम-पता पुछ, पेᆬकल सन। १५ िदन भऽगेल िबजली ऑिफसक चर लगबैत आऽ यैह उर सुत ।''अरे ई सभ बड घाघ होईत छई। िबना 'सेवा' के िकछु निह हेतौक। परेशानी सँ ब ँचैक छहु तऽ सेवाकरिह परतौ'' - अपन िम भासक ई सलाह कचोटैतो मोन सँ मानिहं परल -िववसतामे। आिखर करीछोड़ि◌ कतेक िदन दौरैत रहब - अनायास,अनथ र्क,आनचत◌़।िबजली िवभागक कम र्चारी 'सेवा' पिबते झट् दऽ हमरा आदेश-प था देलक। जेना ओकरा सँपौती अबैतहोईक- हमर मोनक आशय ओ पिह बिझ ु गेल हो आ आदेश पिह सँ तैयार रख हो- हमरा देबाकहेतु। कायल भेलहु ँ हम 'सेवा' मिहमा सँ। िवजयी भाव सँ आदेश-प कें देखैत हम बाहर िनकिल रहलछलहु िक नजिर परल कातमे लटकल बोडर् पर जािह पर मोंट आखरमे िलखल छलै -''िरत लेना एव ं देनाज ुम र् है।'' भ लोक पानक पीक फेिक िवकृत कऽ दे छलै ओकरा। उपयु िचज उपयु जगह रहकचाही। रामे फेकना भेटल बड़का ला सँ िबजलीक तारमे टोका फंसबैत। हमरा देख कऽ मुियायलओऽ। लागल जेना हमर मुँह दिस ु रहल हो।बीसम शताी मैिथली सािहक िण र्म युग23


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्-ोफेसर म श ंकर िसंहड◌ॉ. मश ंकर िसंह (१९४२- ) ाम+पो- जोिगयारा, थाना- जाले, िजला- दरभंगा। 24 ऋचायन, राधारानी िसा रोड,भागलपुर-812001(िबहार)। मैिथलीक विर स ृजनशील, मननशील आऽ अयनशील ितभाक धनी सािह-िचक, िदशा-बोधक,समालोचक, नाटक ओ र ंगम ंचक िनात गवेषक, मैिथली गकेँ नव-प देिनहार, कुशल अवादक, वीण सादक, मैिथली, िही,संृत सािहक खर िवान ् तथा बाङला एवं अंजी सािहक अयन-अेषणमे िनरत ोफेसर ड◌ॉ. मश ंकर िसंह ( २० जनवरी१९४२ )क िवलक्षण लेखनीसँ एकपर एक अक्षय कृित भेल अिछ िनःस ृत। िहनक बहुम ू गवेषणाक, मौिलक, अनिदत ू आऽसािदत कृित रहल अिछ अिवरल चिच र्त-अिच र्त। ओऽ अद उाह, धैय, र् लगन आऽ संघष र् कऽ तयताक संग मैिथलीक बहुम ूधरोरािदक अेषण कऽ देलिन पुकाकार प। िहनक अेषण प ूण र् आऽ बकार आलेखािद ापक, िचन, मनन, मैिथलसंृितक आऽ परराक िथक धरोहर। िहनक स ृजनशीलतासँ अािणत भऽ चेतना सिमित, पटना िमिथला िवभूित सान (ता-प) एव ं िमिथला-दप र्ण, मुई विर लेखक सानसँ कयलक अिछ अलंकृत। सम्ित चािर दशक धिर भागलपुर िविवालयकोफेसर एव ं मैिथली िवभागाक्षक गिरमाप ूण र् पदसँ अवकाशोपरा अनवरत मैिथली िवभागाक्षक गिरमाप ूण र् पदसँ अवकाशोपराअनवरत मैिथली सािहक भारकेँ अिभविर्त करबाक िदशामे संल छिथ, त सारत-साधनामे।कृित-मौिलक मैिथली: १.मैिथली नाटक ओ र ंगम ंच,मैिथली अकादमी, पटना, १९७८ २.मैिथली नाटक पिरचय, मैिथली अकादमी, पटना, १९८१३.पुषाथ र् ओ िवापित, ऋचा काशन, भागलपुर, १९८६ ४.िमिथलाक िवभूित जीवन झा, मैिथली अकादमी, पटना, १९८७५.नाााचय,शेखर काशन, पटना २००२ ६.आधिनक ु मैिथली सािहमे हा-ं, मैिथली अकादमी, पटना, २००४ ७.पािणका, कण र्गोी, कोलकाता२००५, ८.ईक्षण, ऋचा काशन भागलपुर २००८ ९.युगसंिधक ितमान, ऋचा काशन, भागलपुर २००८ १०.चेतना सिमित ओ नाम ंच,चेतना सिमित, पटना २००८मौिलक िही: १.िवापित अशीलन और म ूा ंकन, थमख, िबहार िही अकादमी, पटना १९७१ २.िवापित अशीलन औरम ूा ंकन, ितीय ख, िबहार िही अकादमी, पटना १९७२, ३.िही नाटक कोश, शनल पिब्लकेशन हाउस, िदी १९७६.अवाद: िही एवं मैिथली- १.ीपादकृ कोटकर, सािह अकादमी, नई िदी १९८८, २.अर फिसल, सािह अकादेमी, नई िदी२००१ ३.पागल दिनया, ु सािह अकादेमी, नई िदी २००१, ४.गोिवदास, सािह अकादेमी, नई िदी २००७ ५.रानल, ऋचा काशन,भागलपुर २००८.िलारण-१. अीयानाट, मज काशन, भागलपुर, १९६७।सादन- १. गवरी, महेश काशन, भागलपुर, १९६६, २. नव एका ंकी, महेश काशन, भागलपुर, १९६७, ३.प-पु, महेशकाशन, भागलपुर, १९७०, ४.पदलितका, महेश काशन, भागलपुर, १९८७, ५. अनिमल आखर, कण र्गोी, कोलकाता, २००० ६.मिणकण,कण र्गोी, कोलकाता २००३, ७.हुनकासँ भेट भेल छल, कण र्गोी, कोलकाता २००४, ८. मैिथली लोकगाथाक इितहास, कण र्गोी,कोलकाता २००३, ९. भारतीक िबलाड़ि◌, कण र्गोी, कोलकाता २००३, १०.िचा-िविचा, कण र्गोी, कोलकाता २००३, ११. सािहकारकिदन, िमिथला सा ंृितक पिरषद, कोलकाता, २००७. १२. व ुआड़ि◌भितरिणी, ऋचा काशन, भागलपुर २००८, १३.मैिथली लोकोिकोश, भारतीय भाषा संान, मैस ूर, २००८, १४.पा सोना हीरा, कण र्गोी, कोलकाता, २००८।पिका सादन- भूिमजा २००२बीसम शताी: मैिथली सािहक िण र्म युग (आगा ँ)कथासािहिक िवधानमे कथा नवीनतम अिछ। मैिथली कथा-सािहक इितहास प ूण र्पेण बीसम शताीक देन िथक, जकर िवकास तीतीयदशकक प ूव र् निह भऽ सकल छल। ारमे संृत कथाक पारण कािशत भेल। मैिथली कथा-सािहकेँ लोकिय बनयबाक24


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्य अिछ मैिथलीक पिकािदकेँ । मैिथली कथामे पिरवतर्नक स ूपात होइत अिछ िवगत शताीक ितीय दशकक पात् जाऽकऽ। मैिथली कथा सािहपर िवचार करैत एकरा िन कालखमे िवभािजत कयल जाऽ सकैछ।१. ार युग- १९२० ई.सँ १९३५ ई.२. गित युग १९३६ ई. सँ १९४६ ई.३. योग युग १९४७ ई.क पात्ाधीनता प ूव र्मे कितपय कथाकार सािहमे वेश कयलिन, िकु हुनक पिरप कथा ाधीनताक पात् कशमे आयल। देशकाधीन भेलाक पात् मैिथली कथामे ती िवकास भेल। मैिथली ग-सािहक िवकासमे पिकािदक योगदान सवािधक र् रहलअिछ। ेक पिकक झान साधारणतः कथा िदस रहल अिछ। अतः नव-नव कथाक रचनाक संगिह-संग नव-नव कथाकारकआिवभाव र् अ ुत गितएँ भेल। अित आधिनक ु कथा-सािहमे जािह नवयुवक कथाकारक अवदान अिछ ओऽ ग वाङमयक जेमानद अिछ ओकर सक् पिरचय रखैत ग रचनामे संल भेलाह।शः-शः सामािजक जीवनमे घिटत भेिनहार साधारण घटनाकेँ आधार बना कऽ कथाक रचना भेल तथा यथाथ र्वादी आऽ कनास ूत कथाक द ुइ धारा जकर वतर्क हिरमोहन झा एव ं जिकशोर वमा र् “मिणप” कयलिन जािहमे राजकमल (१९२९-१९६७),लिलत (१९३२-१९८३), मायान (१९३४), भास कुमार चौधरी (१९४१-१९९८) आिद कितपय कथाकार योगदान छलिन। उपयु र्कथाकार लोकिनमे सामािजक चेतना छलिन आऽ हुनका सभक कथा-आदश र् प ूण र् संवेदनशीलताक िवशेष गुण आऽ मिवज्ञानक हुकपुट अिछ। परवतीर् कथाकार लोकिन रोमा ंसप ूण र् कथाक सजर्न कयलिन। युग-संिधक उष र् बेलाक कथाकार जीवनक कथानकचुनलिन, मवक जीण र्-जीवनक वण र्न कयलिन, िक मनक िवेषण कयलिन, स्ी-पुषक मक िचण कयलिन आऽ आधिनकुजीवनक मानिसक आऽ भौितक िवषमताक पार्भूिमपर अपन कथाकेँ आधािरत कयलिन।मैिथली कथा सािहक ापक भेल था म ू एव ं दृिकोणमे पिरवतर्नक संग िवषय-वुमे अिधक वैिव आयल अिछ।सिरक दशकमे कथा सभमे यथाथ र्वादी एव ं िवादी र तीख आऽ सु भेल। मैिथली कथाक मुख भाग सामािजक कथािथक। सामािजक जीवन एवं िवचारधारामे पिरवतर्नकेँ िचित कयिनहार कथाक रचना भेल। सामािजक संरचना, पिरवार एव ंिगत जीवनक िविभ पक्षमे भऽ रहल पिरवतर्नक यथाथ र् िन िचण कथाकार लोकिन कयलिन अिछ। मैिथलीमे लघ ु कथा,ं कथा, लोक कथा इािद िविवध रोपक रचना सेहो भेल अिछ। सविवध र् मैिथली कथा सािहक सर्क कथाकार लोकिनकसिय सहभािगताक फलप ई एक सुिवकिसत िवधाक पमे अपन ान सुरिक्षत कऽ लेलक अिछ।नाटक-एका ंकीिवगत शताी मैिथली नाटक-एका ंकीक हेतु एक ािकारी युगक पमे ुत भेल। आधिनक ु मैिथली ना जगत जखनअकारमे टापर-टोइया दऽ रहल छल तखन युग-पुष जीवन झा गक नव-ोितसँ सूण र् मैिथली ना-सािहकेँ आलोिकतकयलिन। आधिनक ु मैिथली नाटकक ज एही शताीमे भेल जकरा वतर्न कयलिन कीितर्-पुष जीवन झा। ई मैिथली गकमहान उायक रहिथ। ओऽ गकेँ नवीन प दान कयलिन। अपन नाािदक मामे मैिथली गक म ंगल ारकेँ खोललिन तथाभिवक नाटककारकेँ एक नव रणा देलिन। मैिथलीमे उ कोिटक ना-सािहक िनमा र्ण काय र् िवगत शताीक अपम उपहारएिह सािहकेँ भेटलैक। िवगत शताीक नाटककार जीवनक िविभ सँ सामी हण कऽ कए सामािजक, धािम र्क, िवशुसािहिक, पौरािणक आऽ राष्ीय एव ं राजनीितक नाटकक परराकेँ ज देलिन आऽ भारतीय नवोानकालीन भावनाक चारकयलिन। जीवन झाक पात् मैिथलीक दोसर नाटककार सािह राकर मुंशी रघ ुनन दास आऽ पित लालदास आऽ हुनकासभक पातो नाटकक मे एिह परराक िनवाह र् होइत रहल। देशक आवकतासार िवगत शताीमे ऐितहािसक नाटककरचना भेल। पौरािणक कथाकेँ नव-ढ़◌ंगे ितपािदत कयल जाय लागल। मैिथलीक िकछु नाटककार तीकाक नाटकक रचनाकयलिन, िकु ई पररा अिधक पु निह भऽ सकल। यिप गीित नाक रचना सेहो िवगत शताीमे भेल तथािप मैिथलीमेसुर गीित-नाक पमे सोमदेव (१९३४-) क “चरैवेित” (१९८२) एक ितमान ुत करैछ। िववे कालाविधमे समानाटकक रचना भेल अिछ। य ूरोपीय भावक अत समा नाटकमे बिवादक ु आधारपर सामािजक, िगत तथा जीवनक अमे थ र्क आडर आऽ वााचार तथा पररा पालनक िवरोध कयल गेल अिछ। िकु मैिथलीक समा नाटकक बिवादुकू ं िडत आऽ ओकर सीिमत अिछ, जािहमे जाजर् बना र्ड श◌ॉ आऽ हेनिरक इब्सनक तीण दृिक अभाव अिछ। ओहुना ईपररा मैिथलीमे िवकिसत निह भेल अिछ।आलोकालमे र ंगम ंचक अभावक कारँ एकर गितमे बाधक िस भेल अिछ। मैिथलीमे एक साध ु अिभनयशाला निह भेलासँ पासािहक िवकासक गित एक िवशेष िदशामे झ ु िक गेल अथा र्त् एहन नाटकक िनमा र्ण होइत रहल जे सािहिक आनक दृिएँ सुररचना िथक, िकु र ंगम ंचीय िवधानक दृिएँ दोषप ूण र् अिछ। िवगत शताीक ना-सािहपर िववेचन करबाकाल मा र ंगम ंचपर ाननिह देबाक चाही। जँ र ंगम ंचकेँ नाटकक कसौटी मािन लेल जाए तँ िवक अक िस नाटकािदकेँ नाटकक णीसँ िनािसतकरए पड़त। श ैलीक दृिसँ मैिथली ना सािह प ूव र् आऽ पिमकेँ लऽ कए चलल छल, िकु शः-शः ओऽ पिमािभमुखअिधक भऽ गेल अिछ आऽ भारतीय तत् नग भेल जाऽ रहल अिछ।25


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्िवगत शताीक चतुथ र् दशकमे सािह राकर मुंशी रघ ुनन दासकेँ य आऽ य द ुन ू छिन जे मैिथलीमे एका ंकी रचनाकशुभार कयलिन जे पात् जाऽ कऽ एक सबल ाणव िवधाक पमे पिवत भेल। वतर्मान समयमे एका ंकी िलखल जाऽ रहलअिछ अव, िकु िकछु अपवादकेँ छोड़ि◌ कऽ एका ंकीक वािवक कलाक कसौटीपर खरारहिनहार एका ंकीक असंधान करबा-कालिनराश होमए पड़◌ैछ। प ृभूिम, वातावरण आऽ काय र् ापारक अभाव ायः सभ एका ंकीमे भेटैछ। एकर उेक पिरिध िवृतअिछ। ओऽ सामािजक, ऐितहािसक, राष्ीय, मवैज्ञािनक, हा-ंप ूण र् आिद अक उेकेँ लऽ कए िलखल गेल अिछ।वैीकरणक फलप आधिनक ु जीवनक िवडनापर गीर हार करब एका ंकीकारक कतर् भऽ गेलिन अिछ। रेिडयो आऽटेलीभीजनक कारँ नाटकक नवीनतम प िन पकमे भेटैछ, जकर टेकिनक एका ंकीक टेकिनकसँ िभ होइछ। र ंगम ंचीयकलाक दृिसँ एका ंकीक िन पककेँ आघात पहु ँचबाक प ूण र् सावना अिछ, ओिहना जेना िफक चारसँ नाकलाकेँ क्षित पहु ँचलअिछ।िनबभारतीय समाजमे एक नव सा ंृितक आऽ राजितक चेतनाक उदय, पिकाक काशन, साधारण िवषय, सामािजक आोलनकफलप पिकाक संग जािह सािहपक जक संगिह ओकर ाभाव पकािरताक िवशेषताक झलक भेटैछ। िवषय वैिव,सामािजक आऽ राजितक, श ैलीक रोचकता आऽ गा ंभीय, र् गौरवक अभाव आिद आरिक िनबक एहन गुण अिछ जे पकािरतासँस अिछ। िनब तँ ज्ञान रािशक संिचत कोश िथक।िनबकार समाजक भाकार आऽ आलोचक सेहो होइत छिथ। अतएव सामािजक पिरिितक जेहन भाव िनबमे देखबामेअबैछ ओऽ सािहक अ पमे निह। िववे कालाविधमे िनबक िवषय जीवनक अक सँ लेल गेल तुसँ तु तथागीरसँ गीर िवषयपर िनब उपल होइछ। यिप ओिहमे िचन-मननक गीरताक अभाव अिछ तथािप ओकर सामािजकचेतना ापक छल। समयाकू ल िविवध िवषयपर िब को प ूवा र्हक भऽ कए िनबकार आीयताक संग अपन दयपाठकक समक्ष रखलिन। िब को संकोचक िवदेशी शासक वा शोषककेँ डािट-फटकािर ँसकैत रहिथ तँ अपना ओतयक पितमुा आऽ पुरान शास्कार धिर हुनक कठहुितपर नीक अधलाह कहलिन। िनबकार एक भाग आतुर वा वाह पिततपिरवर्नवादी अंजी सताक गुलामक खबिर लेलिन तँ दोसर भाग न ूतनता भी ढ़ि◌वादीक भर्ना कयलिन।िवगत शताीमे ग श ैलीक िनमा र्ण िनबकारक वैयिक यासक ितफल िथक। भाषाक दृिएँ तालीन िनबकार लोकिनमेसामिहक ू भाव – क◌ॉरपोरेट से- क अभाव छल। गक को ीकृत प निह भेलाक कारँ ओकर भाषा साव र्जिनक पनिह ा कऽ सकल। आलोच्य्कालक आरिक िनबमे िवषय आऽ श ैलीक दृिएँ वैिव भेटैछ।शः-शः िनबमे पकािरताक ता क्षीण होमय लागल। पिकाक संा बढ़लाक कारँ साािहक, मािसक एव ं ैमािसकपक द ूरी बढ़◌ैत गेल आऽ िनबकार शः-शः िशिक्षत आऽ िश समाजक समीप अबैत गेलाह। पात् जाऽ कऽ गीरिवषयपर िनब िलखल जाय लागल जािहसँ ओकर प-र ंग गीर भऽ गेलैक। सािहिक समालोचनाक िनबक धारा जतेक पुभेल ओतेक रचना िवषयक िनयमावितर्ता छोड़ि◌ कऽ नव ढ़◌ंगसँ कम अिधक ताप ूव र्क श ैलीमे िनब निह िलखल गेल।हिरमोहन झा चुर पिरमाणमे ं धान िनबक रचना कयलिन जकर िवकास युग सिक उष र् बेलामे भऽ रहल अिछ।ंक म ूल वि ृ सामािजक वातावरणक िविश सभर्मे आलोचना भऽ रहल अिछ। एकरा म ूलमे नव सामािजक चेतना आऽ ओिहसँउ आलोचना वि ृ खर ंक प धारण कऽ कए एहन िनबमे अबैत अिछ। एहन िनबकार लै ंब आऽ ल ूकसक अपेक्षा,विक ृ िवचारसँ चेरटन, ुत िफटक अिधक समीप छिथ। मैिथली िनब अपन अ जीवनकालमे कोन कारेँ िविवध प-र ंगमे िवगत शताीसँ िवकिसत होइत आयल जे आगा ँ सािहमे िवषय-िव जिहना-जिहना िवकिसत होइत जायत तिहना-तिहना भावी पीढ़◌ीक िनबकार बढ़◌ैत जयतह।पठन-पाठनमे ीकृितएकर ाचीन सािहक गौरव-गिरमासँ अवगत भऽ कए िवगत शताीक ितीय दशकमे आधिनक ु भारतक ाचीनतम कलकािविवालयमे थमे-थम मैिथली भाषा आऽ सािहक एम.ए. र धिर पठन-पाठनक शुभार कएलिन सर आशुतोष मुखजीर्(१८६४-१९२४) आधिनक ु भारतीय भाषा िवभागक अत। तात् आलो शताीक श दशकक प ूवा र्र्मे पटना िविवालयकसंगिह संग िबहारक अा िविवालयमे सेहो एकर पठन-पाठनक वा भेलैक। िशक्षण संानमे मैिथलीक माता भेटलाकपात् सािहकार लोकिनक दािय बढ़लिन जे एिह िनिम तदप पा-क िनमा र्णाथ र् ओऽ सभ सिय भेलाह आऽ सिहातनव नक ाद ुभाव र् भेल।पिकापुनजा र्गरणक एिह व ृ िक मैिथलीक सचे मनीषी तपः सप ूत संघष र्रत भऽ सािहक नव िनमा र्णक िदशामे उुख भेलाह। एिहमेसेह निह जे गितशील आऽ सामा प ूवा र्ह मु िशिक्षत समाजकेँ वाणी देबाक िनिम वासी माभाषारागी लोकिनकसत्याससँ जयपुरसँ “मैिथल िहतसाधन” (१९०५) तथा काशीसँ “िमिथला मोद” (१९०६) क काशनक शुभार भेलैक, जकरा एक26


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्ािकारी डेग कहल जाऽ सकैछ, जे ग सािहक गितिविधसँ पाठककेँ पिरचय करौलिन। एकरा मामे सामियक सािहिकपरराक अयन, िचन आऽ मननक म ाभािवक आऽ वा ंछनीय निह, ुत भिवक हेतु मा िनदेर्श करबाक, ढ़ि◌ आऽिवास, शास्ीय मातािदक म ूा ंकन करबाक, युगक नवीन आवकता आऽ परखबाक दृिएँ अावक छ्ल। एिह दृिएँ सािहिनमा र्ता आऽ अेता एक दोसराक समीप आिब गेलाह आऽ को ठोस वु ाि करबाक श माक िनमा र्ण कयलिन। एक नवशि उािषत भेल, पयुिषतक र् ान अपयुिषतक र् ज भेल। एकर जोरदार भाव पड़लैक िमिथला ंचलक मैिथल समुदायपर जेओऽ सभ एिहसँ अािणत भऽ दरभंगासँ “िमिथला िमिहर” (१९०९-) क काशनक शुभार कयलिन जे िवगत शताीक नवम दशकधिर अनवरत चलैत रहल जे पाठकक संगिह लेखक वक सबल दल तैयार कयलक आऽ ओकर नवीनतम अंक देखबाक िनिमजिहना पाठकमे उुकता रहैत छलिन तिहना लेखक लोकिन में सेहो औु रहैत छलिन जे हुनक कोन रचना कािशत भेलअिछ।मैिथली पकािरताक दोसर चरणक ार थम िवयु (१९१४-१९१८) क पात् ार भेल। एिह समयमे सामािजक, बौिकआऽ औोिगक िवकासक रचनाक काय र्म हेतु मेधावी जनशिक लोप भऽ गेलैक। िव-युक समािक पात् लोकक मोहभंग भऽ गेलैक जे िवदेशी आिधपक चापसँ िकछु आशा कऽ रहल रहिथ। एिह िनराशासँ १९२० ई. मे राष्िपता महाा गा ँधीारा समाज सुधार आऽ असहयोग आोलनक शुभार िमिथला ंचलक चाण र्सँ भेल। एिह आोलनक हेतु पिरिित अकू ल भेलअपन िकछु गीर मन, देशी लोकक िवपरीत एिह आोलनक ागत सोाह कयलिन आऽ मैिथली पिका आलो कालक तेयदशामे काशनक पथपर असर भेल।मैिथली पिकाक तेसर चरणक शुभार आलो शताीक चतुथ र् दशकमे गवन र्मेंट ऑफ इिया ए (१९३५) ारा देशमेसंवैधािनक पिरवतर्नसँ भेल। एिह समयक अवसान बेलामे ितीय िव-यु (१९३९-१९४५) ार भेलैक तथा कितपय नव-नवपिका सािह जगतमे वेश कयलक। िवगत शताीक ष दशकमे अक पिका कािशत भेल जािहमे वैदेही (१९५०) एव ंिमिथला दश र्न (१९५३) मैिथली सािहक नव-िनमा र्ण अहम ् भूिमकाक िनमा र् निह कएलक ुत रचनाकारक संगिह पाठक वक िनमा र्णकयलक। युग सिक उष र् बेलामे गोट बीसेक पिका चिल रहल अिछ जािहमे कोलकातासँ कािशत कणामृत र् िवगत २६ वष र्सँअनवरत चिल रहल अिछ, िकु शेष पिकािद कखन काल कविलत भऽ जायत ओऽ तँ भिवपर िनभर्र करैछ।काशनिवगत एव ं वतर्मान सहाी मैिथलीक जे उष र् जनमानसक समक्ष ुत अिछ तकर ल साक्षी िथक जे सािह िनमा र्ताक संगिहसंग काशनक सौिवक फलप मैिथली सािहमे िवपुल पिरमाणमे ग-प सािहक काशन भेल अिछ, तकर य आऽ यमैिथली अकादमी आऽ सािह अकादमीकेँ छैक। मैिथली अकादमी ारा िविवध िवधािदक रीय ंथ अािप लगभग अढ़◌ाय सयतथा सािह अकादेमी ारा डेढ़ सय क काशन भऽ सकल अिछ। एिह दृिसँ कोलकाताक वासी संािदकेँ छैक जे ओतएसँिविवध-िवधािदक सहािधक मौिलक अनिदत ू पुकक काशन संभव भऽ सकल अिछ जे एक ितमान ुत करैछ। एिह िदशामेचेतना सिमित अर् शतकसँ बेशी पुकक काशन कयलक अिछ जे उे यो अिछ। वतर्मान पिरमे योजन अिछ जेअा संािद जे पुक काशनमे सिय अिछ तकर िसलिसलेवार ढ़◌ंगसँ पुक-काशनमे सहयोग देिथ। एिहसँ अितिरकितपय सािहिक संा तथा लेखक लोकिन अपन िचक अकू ल सािहिक काशन कऽ कए एकरा सिध र्त करबाक िदशामे संलछिथ जे एिह सािहक रीढ़केँ सुदृढ़ कयलक अिछ। युग-सिक उष र् बेलामे जेना पुक काशनक बाढ़ि◌ आिब गेल अिछ।मिहला सािहकारक ाद ुभावर्ातयोर सािहात जनजागरणक जे म फूकल गेल तकर मिहला सािहकारपर अ ती भाव पड़ल। िवगतशताीमे पुष लेखकक समानिह मिहला लेखक चुर पिरमाणमे सािहक ेक िवधामे अपन उपिित दजर् करौलिन जकरा निहअीकारल जाऽ सकैछ। शताीक सि बेलामे मिहला सािहकारक कृितक अवगाहपरा ितभािषत होइत अिछ, जेहुनकामे सािह साधनाक अपिरिमत सावना छिन। हुनका सभक रचनाक क्षमता एव ं गुणवा द ुन ू दृिएँ उेखनीय अिछ। सािहकमे िमिथला ंचलक नारी समाजक जागरण िवगत शताीक अर्शतकक पात् भेल जे सवािधक र् महत्प ूण र् उपलि िथक।मिहलामे सािहिक अिभिच जगयबाक य छैक मैिथली पिकािदकेँ जकर कितपय उदाहरण अिछ। सािहक को एहन िवधाबाकी निह अिछ जािहमे ई लोकिन अपन हाक्षर निह कयलिन। हमरा दृिएँ हुनका सभमे सािह-साधनाक अपिरिमत सावनायुग सिक उष र्मे पिरलिक्षत भऽ रहल अिछ।िविवध गयुग सिक उष र् बेलामे मैिथलीमे आकथा, जीवनी, याा, संरण, साक्षाार आऽ पिरचचा र् िवषयपर सािह पाठकक समक्षआयल अिछ। िविभ पिकािदमे समय-समयपर एहन रचनािद अव कािशत भेल अिछ, िकु ओऽ सभ काशनाभावक कारँध ूल-ध ूसिरत भऽ रहल अिछ। वतर्मान शताीक थम दशामे जिलशोर वमा र् “मिणप”क एक अनमोल संरण काशमे आयलअिछ, “हुनकासँ भेट भेल छल”(२००४) जकर सादन कयलिन मश ंकर िसंह एवं इमोहन लाल दास, जे अिधक चिच र्त-अिच र्तभेल अिछ। एकरा मामे िमिथलाक अक कीितर्पुषक ि ओ कृितक संगिह िमिथलाक सा ंृितक चेतना तथा गौरवमयपरराक िचण कऽ मैिथली पाठककेँ अािणत कयलिन अिछ।27


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्संािदक सिय सहभािगतामैिथली सािहक उष र् बेलामे िवगत शताीमे माभाषारागी लोकिनक सिय सहभािगताक फलप मैिथली भाषा आऽ सािहकउयनाथ र् भारतक िविभ मे यथा- मैिथल महासभा (१९१०), मैिथल छा सेलन (१९१०), मैिथली क् (१९१८), मैिथल िशिक्षतसमाज (१९१९), मैिथल सेलन (१९२३), मैिथल युवक संघ (१९३०), मैिथली सािह पिरषद (१९३०), िमिथला लोक संघ (१९४७), अिखलभारतीय मैिथली सािह सिमित (१९५०), चेतना सिमित (१९५४), कण र्गोी (१९७४) आिद-आिद सािहिक संािदक ाद ुभूर्त भेलजे योजना व पेँ मनसा वाचा कम र्णा दिच भऽ काय र्रत भेल, जकर फलप एकर िवकासक अव मा शः-शःश होइत गेल। सन ् १९४७ ई.मे िव लेखक सेलन पी.ई.एन.मे, १९६० ई. मे इलाहाबादमे एव ं १९६३ ई. मे िदीमेपुक दश र्नीक फलप १९६५ ई. मे सािह अकादेमीमे आऽ वतर्मान शताीमे भारतीय संिवधानमे एिह भाषा आऽ सािहकेँअम अस ूचीमे एक ाचीन भाषाक पमे माता भेटलाक तात् एकर िवकासक गित तीतर होइत गेल।वतर्मान पिरमे योजन अिछ जे सम संािदक िसलिसलेवार ढ़◌्गसँ असंधान कऽ कए तोपल ऐितहािसक विक ृ लेखा-जोखा ुत कयल जाय जे भावी पीढ़◌ीकेँ ई िदशा िनदेर्श करत। एिह कारक संािदक संा बड़ िवशाल अिछ तेँ ऐितहािसकविक ृ लेखा-जोखा करब आवक अिछ।िनःसारणयुग-सिक उष र्बेलामे बीसम शताीकेँ िण र्म काल उोिषत करबाक पाछा ँ कितपय आिथ र्क, ऐितहािसक, धािम र्क, राजितक,सा ंृितक आ सामािजक तत्क पिरमे मैिथली सािहक उयनाथ र् जे िया-कलाप भेल तकर वािवक पेँ िववरण ुतकरब एक द ुव र्ह काय र् िथक तथािप सािहिक गवाक्षसँ उेख यो पिरिित एव ं पिरवेशमे एकरा िण र्म काल उोिषत करबाकउपम कयल गेल अिछ। िवगत शताीक मैिथली सािह जािह सजीवता, ितभा आऽ िविभ िवचारादश र् आऽ गितिविधक पिरचयदैत अिछ ओकर जड़ि◌मे जािह कारेँ उैसम शताीक उराध र्मे जमल ओिहना बीसम शताीक उराध र्क बौिक ियाशीलताकप ूवा र्भास हमरा भेटैछ।वतर्मान पिरमे ई य आऽ य बीसम शताीकेँ छैक जे आलो कालक सवािधक र् महत्प ूण र् उपलि िथक ग-सािह।जतय एक भाग पररागत मैिथली सािह अपन बनमे बरोबिर ब रहल आऽ अपनाकेँ मेटबैत रहल ओतय िनयेअभूतप ूव र् आऽ िनेह गक पमे ितित भेल। आलो कालीन ग मैिथली सािहमे एक नव युगक अवतरण कयलक।सािहेितहासमे मब पररा एिह शताीक महप ूण र् अवदान िथक जे अपन भिवक ित आशाक सल ले सािहमे वेशकयलक आऽ ओकर शकोशमे आय र्जनक वि ृ भेलैक। वुतः आलो शताी ग-युग िथक जे अवतारणा आलोकालीनग िथक।युगसिक उेषबेलामे ग जगतक संगिह संग का जगतक अभूतप ूव र् समागम एिह कालाविधमे भेल जे मैिथली सािहातकितपय नव-नव िवधािदक ज भेलैक, ओकर संार भेलैक आऽ ओकर चार-सार ुतगितएँ भेलैक आऽ भऽ रहल अिछ जेवतर्मान सभर्मे ओऽ सािहक सवािधक र् मुख अंग बिन कऽ अपन अिकेँ सुरिक्षत कयलक आऽ लोकिय भऽ गेल अिछ।वतर्मानमे सािहक को एहन िवधा निह अिछ जािहमे ितल-ितल न ूतनताक संचार निह भऽ रहल हो आऽ सािह नव ंदनसँभिर गेल अिछ। वतर्मान समयमे हमरा लोकिन अपन माभाषाक अ समीपमे छी आऽ एिहमे कितपय उलझन आऽ सेहप ूण र्ल अिछ। तथािप िनेह कहल जा सकैछ जे मैिथली जीवनक सहाीक कालाविध मानिसक उथल-पुथल आऽ बौिक ािकसंिध-ल िथक। िविवध-धारा अधाराक र् बीच वतर्मानमे हम मैितली सािहक संिध लपर िर भऽ नवयुगक आशा भरल तीक्षाकऽ रहल छी। गेटेक कथन छिन “वी िबड य ू होप”- इितहास हमरा एिहसँ नीक संदेश निह दऽ सकैछ।(अिगला अंकमे जीवन झाक कृितक िववेचन, ी मश ंकर िसंह ारा।)ड◌ॉ कैलाश कुमार िम (८ फरबरी १९६७- ) िदी िविवालयसँ एम.एस.सी., एम.िफल., “मैिथली फ◌ॉकलोर स्र ए क◌ॊिशनऑफ द फ◌ॉकसा ंग्स ऑफ िमिथला: एन एिलिटकल डी ऑफ एोपोलोजी ऑफ ुिजक” पर पी.एच.डी.। मानव अिधकार मेातकोर, ४०० सँ बेशी ब -अंजी-िही आऽ मैिथली भाषामे- फ◌ॉकलोर, एोपोलोजी, कला-इितहास, यााव ृा ंत आऽसािह िवषयपर जन र्ल, पिका, समाचारप आऽ सािदत- सभमे कािशत। भारतक लगभग सभ सा ंृितक मे मण,एखन उर-प ूव र्मे मौिखक आऽ लोक संृितक सवांगीन र् पक्षपर गहन पसँ काय र्रत। यिनविस ू र्टी ऑफ ाा, य.एस.ए. ू केर“फ◌ॉकलोर ऑफ इिया” िवषयक रेफ़◌ेरी। केीय िही िनदेशालयक पुरारक रेफरी सेहो। सय सँ ऊपर सेमीनार आऽवकर्श◌ॉपक संचालन, बहु-िवषयक राष्ीय आऽ अराष्ीय र् संगोीमे सहभािगता। एम.िफल. आऽ पी. एच.डी. छाकेँ िदशा-िनदेर्शक28


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्संग कैलाशजी िविजिट ंग फैकल्टीक पमे िविवालय आऽ उ-शि ा संानमे अापन सेहो करैत छिथ। मैिथलीकलोक गीत, मैिथलीक डहकन, िवापित-गीत, मध ुपजीक गीत सभक अंजीमे अवाद।“रचना” मैिथली सािहिक पिकामे “यायावरी” ंभक श ंभकार ी कैलास जीक “िवदेह” लेल ार कएल गेल ई यायावरींभ दीघ र् काल तक ायी रहत तािह कामनाक संग ुत अिछ अहा ँ लोकिनक समक्ष ई पिहल खेप।यायावरीन◌ॉथ र् कछार िह: धरतीक काएल –ड◌ॉ कैलाश कुमार िम-हमर अंजीमे िलखल लेख पढ़ि◌ लोक सभ हमरासँ मैिथलीमे िलखबाक हेतु अरोध करैत छिथ। कए दी जे अंजीहमर वसाय केर भाषा िथक। किहयो िमिथलामे निह रहलहु ँ, संृत आऽ सोितयामी मैिथली निह तँ पढ़लहु ँ आऽ िलखलहु ँ।तिञ मैिथलीमे िलखक कना जख करैत छी तँ हाथ का ँपय लगैत अिछ। तीन वष र् प ूव र् ड◌ॉ िवनाथ झा अपन ैमािसकपिका रचना हेतु िलखबाक लेल भावनाक पेँ हमरा बा कऽ देलि। डराइत-डराइत हम रचनामे “यायावरी” नामसँ अपनयाा-व ृा िलखनाइ ार केलहु ँ। पा ँच अंकमे लगातार िलखलाक बाद काय र्क अिधक ताक कारँ यायावरी िलखनाइ बकऽ देलहु ँ। घ ुमब आऽ अंजीमे िलखबसँ समय कहा ँ बचैत अिछ।29


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्एर -दस माससँ गजे बाब ू अपन पिकाक हेतु पुनः मैिथलीमे िलखबाक हेतु किह रहलाह अिछ। अतेक चेिरयेलि जेअतः याा-व ृाक “यायावरी” ार कऽ रहल छी। पाठक लोकिनसँ न िनवेदन जे हमर लेखक िवषय आऽ वण र्नकेँ पढ़िथआऽ भाषा-िवासक गलतीपर बेशी ान निह देिथ।यायावरीक ार हम असम केर एक छोट भ, र, आकष र्क, किठन परु अक र ंग आऽ उाससँ भरल भूख, नाथ र् कछारिहसँ कऽ रहल छी।अपन संा – इिरा गाी राष्ीय कला केक सद सिचव ड◌ॉ काण कुमार चवतीर् महोदय केर िनदेर्श एव ं काय र्श ैलीसँभािवत भऽ हम सम उर-प ूव र् भारत एव ं िसिममे िविभ ियाकलाप ार केलहु ँ, जािहसँ ानीय संृित आऽ िवरासतकेर रक्षा कएल जाऽ सकय। असममे काय र्क ीगश हमरा लोकिन “ीम ंत श ंकरदेव कला ” गुआहाटी केर सिचव ीगौतम शमा र्क संग कएल।30


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्31


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्लगभग ६४ बीघा पहाड़◌ी धरतीमे बनल ीम ंत श ंकरदेव कला ब रमनगर जगह ब ुझना गेल। जे िकयो गुआहाटी घ ुमएजािथ आऽ हुनका कलासँ थोरेकबो म होइन तँ ीम ंत श ंकरदेव कला अव जािथ, ई हमर िनवेदन। कलामे पािनकफारा, फुलबारी, िवशाल आऽ कलाक अको भवन, द ू टा अितिथ गृह, आिट र् िवलेज; कलाकार सभकेँ रहबाक हेतुड◌ॉरमेटरी; संहालय, कला दीघा, र् बा सभक लेल ट◌ॉय रेल एवं अ वा; असम केर इितहासक समे “लाइट ए साउं ड”काय र्म; पुकालय, िशवसागर िजलाक ऐितहािसक र ंगघर केर िरोडन इािद बरवश कु घ ुमए बलाकेँ मोन मोिह लैतछैक।असम केर अिधका ंश ऑिफस आऽ घरसभमे लोक अपन ज ुा-चल आिद घरक बाहरे खोिल वेश करैत छिथ। हमहूँ एिहपरराक पालन जखन-जखन असम जाइत छे, तखन-तखन करैत छी।32


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ् कऽ दी जे ीम ंत श ंकरदेव कला सोलहम शताीक महान वैव स श ंकरदेव केर नामपर असम रा सरकार,भारत सरकारक आिथ र्क सहायतासँ सम उर-प ूव र् भारत, िवशेषपेण असम केर संृित, िवरासत तथा गौरवक संरक्षण एव ंसध र्न करबाक दृिसँ बनल छैक।श ंकरदेव जाितसँ काय छलाह। ी बाीिक साद िसंह जे असम काडर केर आइ.ए.एस.पदािधकारी छलाह; बादमे भारतसरकारक गृह सिचव भेलाह आऽ अतः िवबै ंक केर काय र्कारी िनदेशक पदसँ अवकाश ा कएलि, हमरा कहलाह जेश ंकरदेव मैिथल छलाह। हुनकर िपतामह िमिथलासँ असम वास कऽ गेलिथ। पीसँ ईहो पता चलैत छैक, जे श ंकरदेव तँनिह परु हुनकर िपता तीन-चािर बेर िमिथला आयल छलाह। एिह बातक एतय उेख करब केर पया र्य ई जे एिह िवषयपरगहन शोध करबाक आवकता िथक। यिद ई बात मािणत भऽ गेल जे श ंकरदेव मैिथल छलाह तँ आइ हमरा लोकिनिवापितक मैिथल होएबापर गव र् करैत छी, तिहना श ंकरदेवोपर गव र् करब। हमरा िहसाबे तँ ब ु मैिथल सभ िबहार सरकारसँश ंकरदेवपर एक गहन शोध करबाक पिरयोजना ार करबाक हेतु िनवेदन करिथ। गजेजी एिह िदशामे आगा ँ बढ़िथ तँनीक बात। संयोगसँ वाीिक बाब ू आइ-काि िसिम देशक रापाल िथकाह। हुनकर मदितसँ पिरयोजनाक ार कएल जाऽसकैत अिछ। ओऽ हमरा कतेको बेर एिहपर काय र् करक हेतु किह चुकल छिथ। एक समय एह छलैक जखन ब ंगाली सभिवापितकेँ ब ंगाली ब ुझैत छलाह। परु आब मािणत भऽ गेल जे िवापित मैिथल छलाह। यिद एह िकछु सबरा परराकेर जनक ीम ंत श ंकरदेवक उतेढ़पोथीसँ चिल जाय तँ ब ुझ ू जे हमरा लोकिन ध भऽ जाएब।ीम ंत श ंकरदेव कलाक सिचव गौतम शमा र् आऽ सुलझल ि छिथ। लगभग पचास वष र्क गौर वण र् आऽ मम कद-काठीकआकष र्क ि। िर िच। थम दृिमे लागत जे ओिहना िकयो छिथ। परु मुदा डायिमक लोक। कलाक १२५आदमी हुनकर इशारापर नचैत रहैत अिछ। हमेशा ओऽ अपन सहयोगी सभकेँ पिरवारक सद जेका ँ ेह करैत छिथ।33


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्गौतम शमा र्क सहयोगक कारँ हमरा लोकिन गुआहाटी आऽ तेजपुरमे बहुत सफलताप ूव र्क अक काय र्म कऽ चुकल रही।हमरा लोकिन असम केर िकछु एहन मे ओिह क संृित आऽ िवरासतपर काय र् करए चाहैत रही, जािहपर िवशेष काय र्निह भेल हो। शमा र्जीसँ पता चलल जे सा ंृितक दृिएँ असम देशकेँ मोटा-मोटी चािर मे बा ँटल जाऽ सकैत अिछ:१.अपर असम२.लोअर असम३.बराक घाटी४.न◌ॉथ र् कछार घाटीशमा र्जीसँ इहो पता चलल जे न◌ॉथ र् कछार िह सा ंृितक वैिवतासँ भरल अपम ान िथक, जािहपर को िवशेषकाय र् निह भेलैक अिछ। परु ई घाटी उपव, िविभ घटना, ब आिदक कारँ बेशी जानल जाइत अिछ। लोकसभ सामातया एतय जाएसँ बचए चाहैत छिथ। मुदा सौय र् आऽ सा ंृितक िविभताक कार ई िथक असम केरश ंगार-नकमुी।ृशमा र्जीक बात सुिन हमरा मोनमे ई भावना बल भऽ गेल जे न◌ॉथ र् कछार घाटीमे अव काय र् करब।गौतम शमा र् हमर मदशाकेँ ब ुझैत कहलाह: “कैलाशजी, अगर अहा ँ एतए काय र् करए चाहैत छी तँ हम वा कए देब। एतएकेर िजला अिधकारी आऽ न◌ॉथ र् कछार घाटी ऑटोमस काउिल केर िंिसपल सिचव अिनल कुमार बआ हमर िम छिथ।एस.पी.केँ हम सेहो जत िछयि। ऑटोमस काउिल केर संृित िवभागक अिधकारीगण हमरा लग बराबर अबैत रहैतछिथ। सभ िकयो मदित करताह।34


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्गौतम शमा र्क बातसँ हमर मोन स भऽ गेल। तुरतिह ड◌ॉ काण कुमार चवतीर् सँ अमित लए २३ नवर २००७ ई. सँ ८िदनक संृित एव ं िवरासत केर लेखन केर काय र्म न◌ॉथ र् कछार धारी केर मुालय हाफलौ ंगमे करबाक ान बना लेलहु ँ। ईकाय र्म गौतम शमा र्क सहयोगसँ करक छल। तदसार प ूव र् िनधािरत् र् योजनाक असार हम २१ नवरकें सा ँझे िदीसँ सँझ ुकाहवाई-जहाजसँ गोवाहाटी पहु ँिच गेलहु ँ। गुआहाटीसँ हाफलोंग केर द ूरी सड़कमासँ २६१ िकलोमीटर छैक। हमरा लोकिन (हमआऽ शमा र्जीक ३ सहयोगी) टाटा स ूमो (जीपसँ) २२ नवरक साढ़◌े चािर बजे ातः गुआहाटीसँ हाफलौ ंगक लेल ान कऽदेलहु ँ। शमा र्जी ब पािरवािरक ि छिथ। ओऽ प ूरा टीमक लोक सभक लेल भोजन, टेट, जलखै, जेनरेटर आिदक वागुआहाटीसँ कए कमे लािद ह◌ॉफलोंग लऽ गेलाह।35


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्समय द ुगा र्प ूजाक छलैक। राामे अक ठाम ानीय युवक सभ हमरा लोकिनकेँ चा लेल रोकैत रहल। एक ठाम हमरालोकिन केर राशन-पािन आऽ करीब २५ आदमीसँ भरल बड़का बसक चा सड़कक कात मािटमे ँ धिस गेल। चािर घटाकइजारक बाद सेनाक सहायता लए चाकेँ दलदलसँ बाहर िनकालल गेल। अतः साढ़◌े एगारह बजे राितमे हाफलौ ंगपहु ँचलहु ँ। मोनमे डर छल। हेबो िकएक निह करैत! हमरा सभकेँ अएबासँ द ू िदन पिह पा ँच आदमीक बीच हाफलौ ंगशहरमे गोलीसँ मािर देल गेल रहैक।36


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्खैर! शमा र्जीक यास आऽ ड◌ॉ के.के.चवतीर् जीक असम केर मु सिचव केर नाम िलखल िचीक कारण हमरा हाफलौ ंगसिकर्ट हाउसमे रहबाक वा भऽ गेल। सिकर्ट हाउस शहरक सभसँ ऊँ च ानपर बनल अंजी हुकुमतक समयक भ मकानछैक। एतएसँ कृित केर अवलोकन तथा सम हाफलौ ंग शहर एव ं अगल-बगलक इलाकाकेँ देखल जाऽ सकैत अिछ।हमर कमरा काफी पैघ आऽ साफ सुथरा छल। हँ, पािनक किनक िदत अव छलैक। कपड़◌ा बदिलते सुित रहलहु ँ। भेलजे राितमे भोजन निह करब। परु गौतम शमा र् कतऽ मानऽ बला छलाह! किनकबे कालक बाद एक ानीय कलाकारकेँ लएआिब गेलाह। हम िशतावश निहओ चाहैत बैिस रहलहु ँ। शमा र्जी कहलि, “जी चल ू। भोजन तैयार अिछ”। न◌ॉथ र् कछारिह ऑटोमस काउिल केर कला एव ं संृित िवभागक िनदेशक ी लंगथासा सेहो शमा र्जीक संग छलिथ। हुनके याससँ37


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्संृित भवन केर ा ंगणमे हमरा लोकिनकेँ काय र्म करबाक अमित भेटल छल। लंगथासा उदार आऽ संृित मी छिथ। यंिदमासा जनजाितक छिथ। कहलि “हमरा सभ लेल ई गौरव केर बात थीक जे अहा ँ लोकिन िदीसँ आिब एिह इलाकामे जतएिकयोक निह आबए चहैत अिछ, अयलहु ँ अिछ आऽ हमरा लोकिनक संृित एव ं धरोहरक रक्षाक ित कृतसंकित छी। एतए तँओना असम राइफ, सैिनक, पुिलस आिदक जमघट लागल रहैत अिछ, परु संृित आऽ िवरासतक िचा ककरा छैक? अहा ँसभकेँ केना धवाद दी”।हम लंगथासा महोदय िदस तकैत बजलहु ँ: “अहा ँ सभ यिद चाही तँ हमरा लोकिन एिह क सा ंृितक धरोहरकेँ संरक्षण एव ंसंवध र्नक हेतु बेर-बेर आएब”।हमरा बातपर उािहत भऽ लंगथासाजी बजलाह: हमरा लोकिन सभ तरहक सहयोग करबाक हेतु तैयार छी। एतय केर तमामअलगाववादी, सरकार िवरोधी जा सम ूह संृित रक्षणक िवरोधी निह िथक। तमाम लोसभ अहा ँक िनण र्यसँ स अिछ। जावतधिर अहा ँ सभ एतए रहब तावत धिर अतए कु मार-काट निह हैत। अहा ँ जे जािह तरहक ानीय सहयोग चाही, हमरालोकिन करबाक हेतु तर छी”।38


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्एकर बाद हमरा लोकिन रािक भोजन हेतु िवदा भेलहु ँ। चटगर भोजन-भात, माछ, दािल, सजमिन केर तरकारी, सलाद,िमठाई, चटनी- केलाक बाद पुनः सिकर्ट हाउस आिब सुतबाक तैयारीमे लािग गेलहु ँ। सुतएसँ पिह अपन पीकेँ द ूरभाषसँआ कए देिलयि। जे िचाक को बात निञ। हम एतए ठीक छी”। एकर तुरत बाद सुित रहलहु ँ।अिगला िदन ातः पा ँच बजे उिठ बाहर अएलहु ँ तँ मरम दृ देिख मोन म भऽ गेल। सिकर्ट हाऊससँ एना ब ुझना गेलजेना सुज अपन लािलमा लए लाल गेन जका ँ उगैत छिथ। हिरयर जंगल, कलकल करैत छोट परु घ ुमावदार नदीक भाव,द ूरमे बनल जंगलक म आिदवासी सबहक छोट-छोट घर, सभ िकछु मनमोहक लगैत छल।39


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्िकछु कालक बाद गौतम शमा र् साद पठओलि जे हमरा लोकिनक काय र्म सा ँझ ६ बजे ार हैत। िकछु कालक बाद सकामआऽ कुशा मह िकछु ानीय लोक संग हमरा लग आिब कहलि जे खाली समयमे ह◌ॉफलौ ंग आऽ अगल-बगलक केँ देखबाकचाही। हमरा ई िवचार नीक लागल। तुरत तैयार भऽ गेलहु ँ।40


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्ानीय लोकसभसँ पता चलल जे हाफलोंग म ूलतः “हंगौंग” सँ बनल छैक जकर अथ र् थीक स आऽ रगभा र् धरती। बादमेिकछु दोसर िवान लोकिन कहलि जे “ह◌ॉफलौ ंग” श िदमासा जनजाितक श “हाफलाऊ” (HAFLAU)क िवकृत प थीक।“हाफलाऊ” शक अथ र् भेल वाीक पहाड़◌ी (Ante hill)। हाफलौ ँग शहरक िनमा र्ण अँज शासन ारा १८९५ ई. मेबोराइल रेंजपर एकटा छोट िछन िहल ेशनक पमे कएल गेलैक। ारमे चीर, देवदारक पाितसँ ँ लागल गाछ, छेदकगोल्फ कोस, र् छोट परु आकष र्क आऽ कलाक ब ंगला, हाफलौ ंग लेक, रेलवेक कम र्चारी सभ लेल ाफ ाटर, र् छोट बजार,रेलवे ेशन आिद सुिवधाक संग एिह शहरक िवकास ार कएल गेलैक।41


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्अंज सबहक िहितक श ंसा करए पड़त। ३६ खोह (t unnel s) कऽ बना रेल लाइन लऽ गेनाइ ओिह जमानामे अथा र्त्१८९५-९८ मे की छोट बात छैक? रेलवेक िनमा र्ण काय र्क हेतु ठीकेदार, मजद ूर, कम र्चारी, ापारी आिद सभ उर-देश,िबहार, ब ंगाल आऽ असम केर अ ानसँ आनल गेल। पुनः आपसमे वाता र्लापक हेतु एक नव तरहक बजा िही िवकिसतकएल गेलैक। एिह िहीकेँ ह◌ॉफलौ ंग-िही कहल जाइत छैक। ई िही ाकरणक िनअमक पालन तं भऽ करक अिधकारदैत छैक। हाफलौ ंग िही रोमन िलिपमे िलखल जाइत छैक। ानीय बिजीवी ु लोकिनक किठन संघष र्क फलप आइ-कािह◌ॉफलौ ंग िहीक माता सािह अकादमीसँ भऽ गेल छैक।नाथ र् कछार िह असम केर बहुर ंगी चुनरी थीक। एतए िनिलिखत एगारह जनजाितकलोक रहैत छिथ:42


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्१.दीमासा (Di masa or Cachar i )२.ार ( Hmar )३.जेिम नागा ( Zeme Naga)४.कुकी ( Kuki )५.ब ंइते ( Bai t e)६.काबीर्( Kar bi )७.खासी अथवा ार ( Khasi or Pnar )८.ा ंगखल ( Hr angkhal s)९.वइफी ( Vai phi es)१०.खेलमा ( Khel ma )43


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्११.रोंगमई ( Rongmei )एकर अितिर अ समुदाय जेना िक ब ंगाली, असमी, पाली, मिणपुरी, मुसलमान, देसवाली आिद सेहो एतए रहैत छिथ। सभसमुदायक बीच हमरा भावनाक एकताक कड़◌ी ब ुझना गेल। भारतक अकतामे एकताक प ब ुझाएल जेना अपन मिनएचरधारण कए एिह छोट धरामे मोडेल बिन “संगे-संगे चली”, “संगे-संगे खाई”, “संगे-संगे रही” केँ चिरताथ र् करैत छल।तता ािक बाद भारतक अ शहर जका ँ ह◌ॉफलौ ंग सेहो शः-शः िवकिसत भऽ रहल अिछ। १९७० ई. मे एकरािजलाक मुालय बना देल गेलैक। आब न◌ॉथ र् कछार िह ऑटोमस काउिल केर मुालय, िविभ सरकारी िवभागक दफ्तरआऽ मकान, आवासीय पिरसर, पाकर्, जेहल, खेल पिरसर आऽ मैदान, द ू टा रेलवे ेशन, िसिवल अताल, ाइमरीसँ हाइयरसेकेरी र केर िविभ िवालय, सभ सुिवधासँ पिरप ूण र् सरकारी महािवालय जािहमे कला, िवज्ञान एव ं वािण संकाय केरअिधका ंश िवषयक पढ़◌ाई केर सुिवधा सहजतासँ उपल छैक; पािनक सुिवधा, डाक, टेलीाम, टेलीफोन आिदक सुिवधा, बै ंक, चच,र्मिर, मिस्जद, पुकालय अक तरहक सामािजक-सा ंृितक िया-कलापमे संल संा; िसमा ह◌ॉल, बस े आिद सुिवधासँभरल अिछ।अगर रेलसँ हाफलौ ंग आबय चाही तँ गुआहाटीसँ न◌ॉथ र् टीयर िहल सेन केर मीटरगेज ारा लम्डी ं गक रे लोअर हाफलौ ंगेशन आिब सकैत छी। एकर द ूरी गुआहाटीसँ २८५ िकलोमीटर छैक। िसलचरसँ बदरपुर होइत िहल हाफलौ ंग ेशन केर द ूरी९२ िकलोमीटर छैक।44


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्रेलक िडामे बैिस न◌ॉथ र् कछार िह केर नील पहाड़◌ीक अवलोकन केनाई केर अवलोकनसँ कम निञ छैक। जीग-जैग(टेढ़-मेढ़) रा नगा ँवसँ ार भय सम न◌ॉथ र् कछार िहक उरसँ दिक्षण िदशामे िजलाक तीन मुख नदी- माहुर, दीय ंग ूआऽ जिट ंगा- कऽ संग-संग चलैत रहैत छैक। ब ुझाएत जेना पािन, रेलक पटरी आऽ मक मोन तीन ू आपसमे तालसँ तालिमला गितमान भेल होए।उपरो तीन नदीक अितिर एिह धरामे चािर छोट-मोट नदी आरो थीक। एिह नदी सबहक नाम छैक: जीनाम, लंगटींग,कोिपली, िडलेयमा। सभसँ पैघ नदी दीय ंग ू छैक जकर लाई २४० िकलोमीटर छैक।१८६६ मीटर केर ऊँ चाई पर अवित थंगजा ु ंग पहाड़◌ी सभसँ ऊँ च ान छैक।न◌ॉथ र् कछार िह प ूबसँ असम केर पड़◌ोसी देश नागालै आऽ मिणपुर; पिममे मेघालय आर काबीर् अंगलौ ंग िजला; उरमेनगा ंव आऽ काबीर् अंगलौ ंग िजला तथा दिक्षणमे बराक घाटीक कछार िजलासँ घेरल अिछ। ४८९० व िकलोमीटर मे पसरलन◌ॉथ र् कछार िह केर सामा ऊँ चाई समु तलसँ ३११७ फीट छैक।न◌ॉथ र् कछार िह िजलामे ६१९ गाम; पा ँच ख, द ू सब िडवीजन (हाफलौ ंग आऽ मइबा ंग)मे िवभ अिछ।अतए केर आिदवासी म ूल पसँ झ ूम खेती करैत छिथ। झ ूममे एक भागक जंगल-झाड़केँ कािट ओिहमे आिग लगा पुनः खेतीकएल जाइत छैक। तीन-चािर वष र्क बादओिह भूिममे पुनः जंगल झाड़केँ बढ़ए देल जाइत छैक आऽ जंगल-झाड़सँ भरलजमीनकेँ आिग लगा साफ कय ओिहमे खेती कएल जाइत छैक। एतए १७,२९३ हेेअर जमीन झ ूम खेतीक पमे, टोटल फसलहेतु उपयु जमीन ३६७५८ हेेअर आर बीया रोपए बला सम जमीन २९२०५ हेेअर छैक। एिह जनपद केर करीब४५२९व िकलोमीटर धरती जंगलसँ भरल छैक। ६१०.५१ व िकलोमीटर सुरिक्षत आऽ बाकी िहा रा सरकार ाराघोिषत।तीन सुरिक्षत जंगल क नाम मशः(क) ला ंगटींग-म ूपा सुरिक्षत जंगल (४९७.५५ व िक.मी.)(ख) कू ंग सुरिक्षत जंगल (१२४.४२ व िकलोमीटर)(ग) बोराइल सुरिक्षत जंगल (८९.८३ व िकलोमीटर)ओिह िदन लगभग साढ़◌े बारह बजे भोजन कयल। तात् न◌ॉथ र् कछार िह ऑटोमस िह काउिलक कला एव ं संृितिवभागक िनदेशक लंगथासा महोदय, उप-िनदेशक ी संजय जी दंग ू एव ं िकछु अ लोकिन हमरा लग अयलाह आऽ कहलि जे“चल ू अहा ँकेँ पहाद ्ई िदस लऽ चलैत छी। यिद समय बचत तँ जटींगा पहाड़◌ी आऽ गाम सेहो चलब”।गुआहाटीमे िकछु लोक सभ जानकारी दे छलाह जे जटींगा पहाड़◌ीपर िचड़◌ै सभ राितमे रोशनी देखलापर झ ुक-झ ुाअिबरोशनीपर हार करैत छिञ तथा सामिहक ू पेण आहा कऽ लैत छैक। इहो पता चलल छल जे पक्षीशास्ी लोकिन एिहपरगहन शोधमे बहुत िदनसँ लागल छिथ परु एखन धिर को ठोस िनष र्पर निह आिब सकल छिथ जे आिखर एकर रह कीछिञ? आऽ एकर सता की िथकैक? गुआहाटीमे मोन बना ले रही जे जटींगा पहाड़◌ी अव जायब। आइ ई अवसरहमरा लंगथासाजी देलि तँ मोन गद ् गद ् भऽ गेल। हम तुरत हुनका लोकिनक संग जटींगा गाम जयबाक लेल तैयार भऽगेलहु ँ।जटींगा पहाड़◌ी आऽ गामक रामे िविभ कारक बे ंतक झाड़◌ी आऽ बा ंस भेटल। न◌ॉथ र् कछार िहक टोटल धरती (४८९०००हेेअर)मे लगभग ३०७९०० हेेअरमे बा ंस लागल छैक। बा ंस अक कारक अक जाितक, असम देशमे ३३ न केरबा ंस होइत छैक, जािहमे लगभग २० न वा जाित एिह मे उपल छैक। मुख जाितमे काको/ पीछा वा पीछा,जाित, डाल, ू म ूली, िहलजाित, कता, मकाल, ू काली-स ूी, टेराई आिदक नाम सामाो मक जीभमे रचल-बसल छैक। बा ंस एिहक लोकक जीवनक मुख आधार छैक। एकर योग झोपड़◌ी, जाफरी, जारिन, प ूल आिद बबाक लेल कएल जाइतछैक। बा ंसक कोपड़सँ तरकारी, अचार आिद सेहो बनायल जाइत छैक। बा ंसकेँ ानीय चाऊर, मकई आिदसँ बनल दा पीबाकहेतु बतर्न (ास-कप)क पमे कएल जाइत छैक। जमीनक कटाव रोकबाक हेतु बा ंसक आधार देल जाइत छैक। एकरअलावे बा ंसक योग बतर्न, फनीर्चर, कृिषय एवं उपकरण, धष-वाण, सजेबाक कलाक वु, हकला, बी, सीढ़◌ी इािदमेउपयोग होइत छैक। बादमे हम अको वा या लोकव य ं देखलहु ँ जािहमे बा ंसक योग कएल गेल रहैक।अतः हमरा लोकिन जटींगा गाम पहु ँचलहु ँ। ई गाम बोराइल रेंज केर पादिगिर (foothills) पर बसल छैक। ईपहाड़◌ी तरह-तरहक वासी एव ं देशी िचड़◌ै सबहक िवाम-ली िथकैक। एिह ानमे अंजी मास िसतर-अूबरमे िचड़◌ैसभ अिरया पक्षक राितमे रोशनीक को ोत जेना िक ट◌ॉच, र् मशाल आिद देिख झ ुक-झ ुमे आिब खिस पड़◌ैत छैक आऽआहा कऽ लैत छैक। जटींगा गाम ह◌ॉफलौ ंग शहरसँ आठ िकलोमीटर केर द ूरीपर बसल छैक। लोक सभसँ ज्ञात भेल जे45


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्िचड़◌ै सभ अिरया राितमे रोशनी देिख झलफलाक खसय लगैत छैक; जकर फायदा उठा कऽ िचड़◌ैमार सभ बा ंसक ली अथवाबीसँ चोरायल िचड़◌ै सभपर हार करय लगैत छैक एव ं पकड़ि◌ लैत छैक।अिरया राितक संग-संग एक िनित वातावरणक भेनाई िचड़◌ै सबहक सामिहक ू आहाक लेल सेहो कारण बत छैक। ईवातावरण छैक हवाक बहबाक िदशा। हवाक िदशा दिक्षण-पिमसँ उर-प ूबमे हेबाक चाही। बोराइल पहाड़◌ीक अगल-बगलमेध ंध ू आऽ शीत लागल रहनाई सेहो जरी। ध ंधमे ू कनीक झलफलाईत रोशनी हेबाक चाही। एहन िितमे जखन दिक्षण िदशासँधँध ू चलैत छैक तख िचद ्ऐ सभ जिट ंगा िदस आगा ँ बढ़◌ैत अिछ। सामिहक ू आहा करय बला िचड़◌ै सभमे लाली िचड़◌ै( I ndi an r uddy), कौड़ि◌ा (Ki ng f i sher ), भारतीय र ंग (I ndi an pi t t a), हािरल, ब्लैक ो ं गो, उजरा बगुला,िचतकबरी पौरकी, बटेर आिद मुख छैक।आय र्क बात ई जे अिधका ंश िचड़◌ै जे कृिम रोशनीक चकाचौ ंधसँ सामिहक ू पसँ झ ुक-झ ुमे झलफला या चौिधया ं कऽ खसैतछैक ओ सभ देशी िचड़◌ै छैक। वासी िचड़◌ै सभ संगे ई घटना घिटत निह होइत छैक। ानीय लोकसभसँ ईहो पता चललजे ई वि ृ सम जटींगा पहाड़◌ीमे निह भऽ कऽ िकछु खास जे िक मा डेढ़ िकलोमीटर केर लाई आऽ २०० मीटरकेर चौड़◌ाईक सीमामे बल छैक।जटींगा गामक एक पासी बष र्क व ृ जे ार (खासी) जनजाितक छिथ सँ पता चलल जे िचड़◌ै सबहक जटींगामे कृिम रोशनीसँसामिहक ू आहाक वि ृ केर जानकारी सव र्थम १९१४ ई.क आसपास चललैक। भेलैक ई जे एक राित ककरो चािर-पा ंच बरदजंगल िदस भािग गेलैक। बरदक मािलककेँ भेलैक जे अगर बरदकेँ राितयेमे निह पकड़ल गेलैक तँ बाघ-शेर सभ खाऽजेतैक। तिञ पा ँच आदमी एकटा टोली बना बा ंसक फीमे कपड़◌ा बाि ओिहमे मिटया तेल डािल ओकर मशाल बना कऽ तथाहाथमे लालटेन लय बरद सभकेँ ताकक लेल जंगल िदस िबदा भेल। कनीक कालक बाद आय र्जनक ढ़◌ंगसँ िचड़◌ै सभ झ ुमेआिब मशाल लग आिब खसय लगलैक। परु ई लोकिन ओिह िचड़◌ै सभकेँ निह पकड़लकैक। यिप ओऽ सभ िचड़◌ै मा ंसकयोगमे लाबए जोग रहैक। एकर कारण ई छलैक जे ानीय जेिम नागा समुदाय (जनजाित) क लोकक बीच ई ाि रहैकजे जटींगा मे राितक भूत-त िवचरण िचड़◌ै बिन करैत रहैत छैक। हुनका लोकिनकेँ तिञ डर भेलि जे िचड़◌ै केँपकड़लासँ किहं को अिन भऽ जाए।१९१७ ई.क आसपास लाखन-सारा नामक एक ि कृिम रोशनीसँ झलफलाएल िचड़◌ै सभकेँ सव र्थम पकड़ि◌ घर अनलाह एवं ओकरमा ंसकेँ भुिज पका कऽ खयलि। आऽ ओकर को दष्भाव ु हुनका सभकेँ निञ भेलि। एकर बाद िचड़◌ै सभपर आफत शुभऽ गेलैक। लोकसभ अिरया राितमे कृिम रोशनीक मदितसँ िचड़◌ै सभक संहार ार कऽ देलक। हालािक ँ जखन अंजशासनकेँ एिह बातक जानकारी भेटलैक तँ एिह पररापर रोक लगा देल गेलैक।तता ािक बाद लोक पुनः का-चोरा कऽ िशकार करए लगलाह। आब पयावरणिवद र् , ् पक्षीशास्ी, पकार एव ं अलोकिनक अथक यासक बाद शासन पुनः कृिम रोशनीसँ िचड़◌ै मारबाक थापर ितब लगा देलकैक अिछ। हम ओिहानपर गेलहु ँ। ओतए र ंग-िबर ंगक िचड़◌ै सबहक आकष र्क फोटो टा ंगल रहैक। एक म ूल वा नीक लागल। वा ई रहैक:“ shoot t hese bi r ds wi t h your camer a, not wi t h bul l et s:.घड़◌ी देखलहु ँ तँ सा ँझ भऽ गेल छल। आब हमरा लोकिन जटींगासँ सोझे सिकर्ट हाउस आिब गेलहु ँ। मुँह हाथ धोलाक बादकाय र्म लीपर पहु ँचलहु ँ। ओतए पा ँच हजार लोक सभ आयल छलाह। सभ जनजाित केर स्ी-पुष, बा सीयान सभ िकयोअपन समुदायक पररागत र ंग-िबर ंगक वस् पिहर सुसित भेल पहु ँचल छलाह। शासन केर सहयोग तँ छले। िडुटीकिमर, न◌ॉथ र् कछार िह ऑटोमस काउिल केर चेअरमेन, सद, मुख सिचव, एस.पी., ानीय क◌ॉलेजक िशक्षक एव ं छासभ िकयो पहु ँचल छलाह। ानीय पकार सभ सेहो उािहत छलाह।सभ िकयो हमरा मामसँ आऽ गौतम शमा र्क मामसँ इिरा गा ँधी राष्ीय कला के केर ित धवाद दैत छलाह। हमसोचलहु ँ जे केहेन िवडना छैक। जे सा ंृितक सताक खान िथक ओकर एहेन अपमान! मुधारासँ एिह केँविचत ं िकएक कएल गेल छैक! हमरा भेल जे सम िवमे न◌ॉथ र् कछार िहसँ शा आर सा ंृितक वैिवसँ भरल आर कोजगह निञ भऽ सकैत अिछ। हम अपन भाषणमे बजलहु ँ: “हमरा लोकिन अहा ँ सभकेँ िसखाबए निह अएलहु ँ अिछ। हमरा लोकिनअएलहु ँ अिछ अहा ँ लोकिनकेँ जात करक हेतु जे अहा ँ सभ अपन सा ंृितक वैिवता तथा गिरमाकेँ ब ुझ ू आऽ एकरा सातराखू। हमरा लोकिन एतए केर सा ंृितक िवरासतकेँ जानए आऽ ओकर ड◌ॉुमेटेशन करए आएल छी। अगर अहा ँ सबहकसहयोग रहल तँ बेर-बेर आएब। हमर काय र्ममे आऽ एनमे कौमा (,) वा अधिवराम र् भऽ सकैत अिछ, प ूण र् िवराम कखनहु ँनिह हैत”।लोक सभ हमर बातकेँ सही अथ र्मे लेलि। पिहल िदनक काय र्म लगभग साढ़◌े- बजे राित धिर चललैक।46


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्जखन राितमे भोजनक उपरा िवाम करए गेलहु ँ तँ एक आदमीक देल एक पुक पढ़य लगलहु ँ। पुक न◌ॉथ र् कछार िहपरछलैक। ओिह पोथीमे रातु हकमओसा नामक ानीय किवकेँ न◌ॉथ र् कछार िहपर िलखल िकछु पंि ब उपयु ब ुझना गेल: पंियथावत अंजीमे पाठक लेल िलिख रहल छी:A har moni ous game ofhi de and seekBehi nd t he bushes,mar shy meadowUndershadow wi t h cl ouds vi ew,Ever r eady f or wor t hwhi l e, cher i sh at dawn ,The bl ues make enchant i ng hear t of l over sMi dst of <strong>co</strong>ver s whi t eChangi ng scene t hat l i vel y f or r omanceBeaut y and bount y of br ooks t hat f l ow.Moment s of j oy,l ove t o cher i shI nsi ght t he har mony game of hi de and seekBehi nd t hi ck t r espasses ofwhi t e and bl ueWi t h nar r ow pat h ofzi g-zag.The beaut y of hills under <strong>co</strong>verOrchids, white fall,violet at hillsEver y momentthrilled with behal fNature disposal at North Cachar Hills.(अवतर्ते)सहबाढ़िन-गजे ठाकुराचारीकेँ द िदआ सकबाक, बा सभक िरजल्ट नीक करेबाक, सभकेँ रखबाक आऽ आर आर तरहक समा सभक। ईसभटा समाक समाधानक आधार छल तं िवज्ञान, जकर िवसनीयतापर को कारक अिवास नकेँ किहयो निह छलि।47


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्ओऽ तािक नसँ गु प ूजा-पाठ लेल पाइ-कौड़◌ीक मा ँग करए लागल। ओऽ तािक किहयो कहि जे माता सपना देलिअिछ, जे आब द ुक नाश होएत। आबए िदऔक आिसन, शारदीय नवरामे सूण र् िसि भए जायत। फेर मािर रास प ूजापाठक िविध, शवासन-योग आिद बता देलकि नकेँ आऽ न ओिह सभ िविधक असरण ओिहना करए लगलाह जेना एकटािवाथीर् अपन गुक पाठक अास िनअमक असार करैत अिछ। आिसन भिर सभ काज छोड़ि◌ न एिह सभमे लागल रहलाहमुदा आिसन आएल आऽ चिलओ गेल, मुदा निञ िकछु हेबाक छल आऽ िकछु भेल। आिसनमे कहल गेल जे आब अिभया सभकेँ सजा भेटबे करतैक, आबए िदऔक बरखा। एिहना साल बीित गेल मुदा सजा िदएबाक जे समय सीमा छल सेआगा ँ बढ़◌ैत रहल। पंिडतजीकेँ िकछु आिथ र्क समा सेहो अएलि आऽ नकेँ तकर भार वहन करए पड़लि। घर-ारपरपंिडतजीक बा सभ सेहो तािक ं िवा शु कए देलक। पलंगक नीचा ँ भगवती- ई श पंिडतजी वा तािकजीक ं बा बाजलआऽ न पलंगक नीचा ँ भगवतीकेँ ताकए लागिथ। फेर पंिडतजी िववाह-दानक ाव अपन पु-पुीक राखए लगलि, नकइ ंजीिनयर भाितजसँ अपन पुीक आऽ अपन पुसँ नक पुीक। आब नक मोन उचिट गेलि, यावत अपना धिर गप सीिमतछलि तावत धिर ीकार छलि, मुदा बाल-बाक अिहत हुनका किहयो ीकार निह भेलि। एर गामक एक-द ू गोट नकभाितज आऽ नक भैया सेहो तािककेँ ं घरपर जाए रबाड़ि◌ देलिख, से ओहो अमे ीकार कए लेलक जे ओकरा कोतं-म ं निह अबैत छैक आऽ निहये ओऽ एिह िविधसँ ककरो सजा िदआ सकैत अिछ। नसँ लेल पाइ ओऽ घ ुराऽ देत, ओऽई गप सेहो कहलक, मुदा किहयो पाइ घ ुरा निह सकल।नक लेल ई एकटा पैघ आघात छलि। तािकक ं घरक बगलसँ जािथ मुदा निह तँ वैह टोकैत छलि आऽ निहये नओकरा टोकैत छलिख। एर नक पुीक िववाह भए गेलि आऽ न जेना सभ िदससँ आसरा छोड़ि◌ िबना लक िजनगीकपथपर आगा ँ बढ़य लगलाह।(अवतर्ते)२. ोितकेँ <strong>www</strong> . poet r y . c omसँ संपादकक च◌ॉयस अवाडर् (अंजी पक हेतु) भेटल छि। हुनकरअंजी प िकछु िदन धिर <strong>www</strong>poet . r ysoup. <strong>co</strong>m केर मु प ृ पर सेहो रहल अिछ। ोित िमिथला िचकलामे सेहोपार ंगत छिथ आऽ िहनकर िचकलाक दश र्नी ईिलंग आट र् ुप केर अंतत ईिलंग ◌ॊडवे, लंडनमे दिश र्त कएल गेल अिछ।िमिथला पेिट ं ंगक िशक्षा सुी ेता झासँ बसेरा इ ंीूट, जमशेदपुर आऽ लिलतकला तूिलका, साकची, जमशेदपुरसँ। शनलएशोिसएशन फ◌ॉर ब्लाइड, जमशेदपुरमे अवैतिनक पेँ प ूव र्मे अापन।ोित झा चौधरी, ज ितिथ -३० िदसर १९७८; ज ान -बेवार, मध ुबनी ; िशक्षा- ामी िववेकान िम िडल ूल◌़ िटोसाकची गर् हाई ूल◌़, िमसेज के एम पी एम इटर कालेज़, इिरा गाी ओपन यिनविस ू र्टी, आइ सी डबू ए आइ (क◌ॉएकाउेी); िनवास ान- लन, य.के.; ू िपता- ी शुभंकर झा, ज़मशेदपुर; माता- ीमती सुधा झा, िशवीपी। ''मैिथली िलखबाकअास हम अपन दादी नानी भाई बिहन सभकेँ प िलखबामे कए छी। बेसँ मैिथलीसँ लगाव रहल अिछ। -ोितचािरम िदन :२८ िदसर १९९०, शुवार :हमसब यथावत साढ़◌े प◌ॉ◌ंच बजे भोरे उिठकऽ अपन प ूव र्स िचत ू काय र्मक असारे तैयार भऽ गेलहु ं।पिह बेलुर मठगेलहु ं।बेलुर मठ :48


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्ओतऽवेश करैत देरी मोन िनम र्ल भऽ जाइत छै। ओतके वातावरण आ शाि अलौिकक शि के प ्◌्राित ा आरबढ़◌ा दैत छै।धम र्गु रामकृ परमहंस के अयायी सब हुर मरपरा अिह संाक िनमा र्ण के छिथ।भागमभाग स◌ॅ भरलशहर के एक कोन में ित ई ान महावतार रामकृ परमहंस, हुनकर पी शारदा देवी आ हुनकर िश िववेकान के मिरआ ितमा सऽ भरल अिछ।अत िवरािजत ितमा के मुख पर जे भिभाव आ आसंतोष पिरलिक्षत होइत छै तकरदश र्नमाके लेल दिनयाभिर ु सऽ लोकसब आबैत अिछ।आिकताक ित आा बढ़◌ाबऽमे प ूण र्त: सक्षम अिछ।अतऽ सऽ हम सबदिक्षर मिर गेलहु ं।दिक्षर मिर :गंगाक कछार पर ित ई मिर एक अछूत स्ी रासरानी उारा िनिम र्त अिछ। कथासार रासरानी के सपना में यम ् देवीकालीजी आदेश देलिखन मिर िनमा र्ण लेल।अिह ठाम बारहटा िशवके मिदर ं चा िदस छल आ इकटा कालीजीक मिदर ं बीचमे।धािम र्क ानक दश र्न होइ आ श ैक्षिणक याा पर िनकलल टोली में िवज्ञान आ ईरक अिके चचा र् निहं होई से कोना भऽसकैत छल। बहुत सामा िवषय परु हमसब काफी देर तक अिह पर बाजैत रहलहु ं।आय र् ई छल जे केकरो सौितशत िहत निहं छल जे ईर के अिके प ूण र्तथ झ ूठ मानय। ह◌ॉ◌ं सब अिह पर सहमित छलैथ जे ईर ओकरेसहायक छिथन जे अपन सम र् पर अिडग रहैया।“ God hel ps hi m who hel ps hi msel f ” (ग◌ॉड हे् स िहम हू हे् स िहमसेल्फ) अथा र्त् ईरो ओकरे सहायक होइतछिथन जे अपन सहायता यम ् करैत अिछ। आब अिगला ल छल शनल ब◌ॉटेिनकल गाडेर्न।इिडयन ं ब◌ॉटेिनकल गाडेर्न :अकरा कलका ब◌ॉटेिनकल गाडेर्न आर र◌ॉयल ब◌ॉटेिनकल गाडेर्न के नाम स◌ॅ सेहो िचल जाइत अिछ।अपन नामक अपेइ बगान अको तरहक गाछ पात स भरल छल।कलकासऽ लगले िशवपुर, हावड़◌ा में ित १०९ हेेयर में पसरल ई ानकरीब १२००० जाितक वनित के संरिक्षत के अिछ। बब ूल, रोइन, ब◌ॉ◌ंस, अशोक, पाम के अक जाित, महुआ, जंगलीबादाम, सुि आिद।अकर ापना १७८७ ईसवीमे ई इिडया ं कनीके एक ििटश आमीर् ऑिफसर र◌ॉबट र् िकड' उारा वनितकेनव प ्◌्राजाित के िचैलेल कैल गेल छल। उे ापार छल। अतऽके मु आकष र्ण छल िवके सबसऽ पैघ बड़क गाछफाइकस बे ंघालेिसंस'( Fi cus Bengal hensi s) ।ई गाछ २२५ वष र् पुरान अिछ। १८६४ आऽ १८६७ के भय ंकर बव ंडर सेहोअकरा निहं न कऽ सकल।१९२५ में फफूंदी उारा रोग भेलाक बाद अकर मु जड़ि◌ कािट देल गेल। िकु वतर्मान मेंित १८२५ जड़ि◌ में सऽ कोन सबसऽ बलगर अिछ से कहनाई मुिश्कल।अकर उतम ् शाखाक ऊ◌ॅ◌ंचाई २४.५ मीटर छै।ईअपमे एकटा जंगल जक◌ॉ◌ं छै।अकर पिरिध लगभग ४२० मीटर छै ।अतऽ सऽ बहरा भोजन कैल।तदोपरा कलकाकदोसर (मेो रेलक बाद) सबसऽ रोमा ंचक याा हमरा सबलेल हुगली नदीके ीमर सऽ पार केनाई छल।हमरा सबलेल पया र्सीट िरजव र् छल लेिकन हमसब ठाढ़◌े भऽ कऽ नदीक धारक वेग अवलोिकत केलहु ं। हिरउारक गंगामे ान के रही आ अतऽसागर में िवलीन होइकाल सेहो देख लेलहु ं।घ ुरैकाल हावड़◌ा िजके पैरे पार केलहु ं। ओिहमें व◌ॉकवे बनल छल।ओिहसेतुके नजदीकस◌ॅ देखके एिहसऽ नीक अवसर निहं भेट सकैत अिछ।अतऽ सऽ िनकिल हमरा सबके एकटा मैदानमे करीब एकघंटा लेल छोड़ि◌ देल गेल छल। ओतऽ सऽ अपन ल◌ॉज लौट गेलहु ं। काि हमरा सबके कलकासऽ िवदा भऽ जायकेअिछ। ओिह िहसाबसऽ अपन समान पाती सैंत लेलहु ं। फेर भोजपरा िकछु मर ंजन कैल गेल। िकछुगोटए गीतसुलक, िकछु चुटकुला, तऽ िकछुगोटय शायरी सुलक। हम एकटा रिचत हा किवता सुलहु ं जािहमें सब िवषय आऽ ओिहिवषयक िशक्षक-िशिक्षका सबसऽ बचके ईा के छलहु ं।ई हम अपन िवालयमे िशक्षक िदवस पर सु छलहु ं। अतौसबके ह◌ॅ◌ंसाबऽ में सक्षम भेलहु ं। अिहकारे आिहके िदनचया र् समा भेल।१. हिरमोहन झा सम २.मिहला-ंभ -िजतमोहन झा. हिरमोहन झा49


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्. ी हिरमोहन झा (१९०८-१९८४)ज १८ िसतर १९०८ ई. ाम+पो.- कुमर बािजतपुर , िजला- वैशाली, िबहार, भारत। िपता- गीर्य पं. जनाद र्न झा“जनसीदन” मैिथलीक अितिर िहीक लित िवेदीयुगीन किव-सािहकार। िशक्षा- दश र्नशास्मे एम.ए.- १९३२, िबहार-उड़◌ीसामे सवो र् ान लेल ण र्पदक ा। सन ् १९३३ सँ बी.एन.क◌ॉलेज पटनामे ााता, पटना क◌ॉलेजमे १९४८ ई.सँाापक, सन ् १९५३ सँ पटना िविवालयमे ोफेसर तथा िवभागाक्ष आऽ सन ् १९७० सँ १९७५ धिर य.जी.सी. ू िरसच र् ोफेसररहलाह। िहनकर मैिथली कृित १९३३ मे “कादान” (उपास), १९४३ मे “िरागमन”(उपास), १९४५ मे “ण देवता” (कथा-संह), १९४९ मे “र ंगशाला”(कथा-संह), १९६० मे “चच र्री”(कथा-संह) आऽ १९४८ ई. मे “खर ककाक तर ंग” (ं) अिछ।“एकादशी” (कथा-संह)क दोसर संरण १९८७ ए. मे आयल जािहमे ज ुअट पुतोहुक बदला “ादश िनदान” सििलत कएल गेलजे पिह “िमिथला िमिहर”मे छपल छल मुदा पिहलुका को संहमे निह आएल छल।ी रमानथ झाक अरोधपर िलखल गेल“बाबाक संार” सेहो एिह संहमे अिछ। आऽ हुनकर “खर काका” िहीमे सेहो १९७१ ई. मे पुकाकार आएल। एकरअितिर िहनकक ुट कािशत-िलिखत पक संक “हिरमोहन झा रचनावली ख ४ (किवता)” एिह नामसँ १९९९ ई.मे छपल आऽिहनकर आचिरत “जीवन-याा” १९८४ ई.मे छपल। हिरमोहन बाब ूक “जीवन याा” एकमा पोथी छल जे मैिथली अकादमी ाराकािशत भेल छल आऽ एिह ंथपर िहनका सािह अकादमी पुरार १९८५ ई. मे मृोपरा देल गेलि। सािह अकादमीसँ१९९९ ई. मे “बीछल कथा” नामसँ ी राजमोहन झा आऽ ी सुभाष च यादव ारा चयिनत िहनकर कथा सभक संह कािशतकएल गेल, एिह संहमे िकछु कथा एह अिछ जे िहनकर एखन धिरक को पुरान संहमे सििलत निह छल। िहनकर अकरचना िही, गुजराती, मराठी, कड़, तेलुगु आिद भाषामे अवािदत भेल। िहीमे “ाय दष र्न”, “वैशेिषक दश र्न” ,“तकर्शास्”(िनगमन), द-चटजीर् क “भारतीय दश र्नक” अंजीसँ िही अवादक संग िहनकर सािदत “दाशिनक र् िववेचनाएँ” आिद कािशत अिछ। अंजीमे िहनकर शोध ंथ अिछ- “ड्स ऑफ िलंििक एिलिसस इन इिडयन ं िफलोसोफी”।ाचीन युगमे िवापित मैिथली काकेँ उष र्क जािह उ िशखरपर आसीन कएलिन, हिरमोहन झा आधिनक ु मैिथली गकेँ तािहानपर पहु ँचा देलिन। हा ंप ूण र्श ैलीमे सामािजक-धािम र्क ढ़ि◌, अंधिवास आऽ पाखपर चोट िहनकर लेखनक अतमवैिशष् रहलिन। मैिथलीमे आइयो सवािधक र् कीनल आऽ पढ़ल जायबला पीसभ िहनकिह छिन।हिरमोहन झा समकादानक समप र्ण- जे समाज का कैं जड़ पदाथ र्वत् दान कय देबा मे कुंिठत निह होइत छिथ, जािह समाजक स ूधार लोकिनबालक कैं पढ़◌ैबाक पाछा ँ हजारक हजार पािन मे बहबैत छिथ और काक हेतु चािर कैाक िसलेटो कीनब आवक निह ब ुझैतछिथ, जािह समाजमे बी.ए. पास पितक जीवन-संिगनी ए बी पय र् निह जत छिथ, जािह समाज कैं दा-जीवनक गाड़ ी मेसरकिसया घोड़◌ाक संग िनरीह बाछी कैं जोतैत कको ममता निह लगैत छि, ताही समाजक महारथी लोकिनक कर-कुिलश मेई पुक सिवनय, सारोध ओ सभय समिप र्त।ण देवताक समप र्ण- आइ सँ सात वष र् प ूव र् जे काितर्की पिण ू र्माक करार पर हमरा सँ पै ंच लऽ गेलाह और तिहयासँ पुनःकिहयो दश र्न देबाक कृपा निह कैलि, जिनक िचर-रणीय कीितर्-कलाप थमे कथा मे िवशद प सँ विण र्त छै, जे “णदेवता” क म सव र् आसन पर अिधकार जमा सकैत छिथ, जिनक वनीय बुव ई पुक देिख िव मङनिह अपन ािपत कय लऽ सकैत छिथ, तेहन मुख चिरत-नायक, िवकट पाहुन भीमेनाथ क सुदृढ़ िवशाल मुिमे ई िविच-चिर-प ूण र्पोथी िववशताप ूव र्क अिप र्त छै!खर ककाक तर ंगक समप र्ण- जे भंगक तरंगमे का-शास्-िवदक धारा बहा दैत छिथ; जिनक वाहमे थोड़◌ेक कालक हेतुवेद-पुराण, धम र्शास्, सभटा भिसया जाइत अिछ; जे बात-बातमे अुत रस ओ चमारक चाशनी घोिर दैत छिथ; जे मम र्षीर्ं ारा लोकक अल मे पहु ँिच गुदगुदी लगा दैत छिथ; तेहन िचर आनमितर्, ू पिरहास-िय खर कका कैं- त्व्दीय ं वुिप! तुमेव समिप र्तम ्।र ंगशालाक समप र्ण- जे अक्षययौवना नटी एिह अनािद अन र ंगशालाक वितर्का िथकीह, जे महर वीणा-वािदनी सूण र् चराचरिवकैं अपना आ ंगुरक अभाग पर नचा रहल छिथ, जे रहमयी अपन मोिहनी लीलाक झलक देखाय ककरो श र् निह करयदैत छिथ, जे कनाक र ंगीन पािख ँ पर आिब कलाकारक कलामे रसक संचार करैत छिथ, तेहन आय र्कािरणी िचरसुरीैलो-िवजियनी माया देवी कैं।50


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्िजतमोहन झा घरक नाम "िजतू" जितिथ ०२/०३/१९८५ भेल, ी बैनाथ झा आ ीमित शाित ं देवी केँ सभ स छोट(ितीय) सुप ू। .रामेर झा िपतामह आ .शोभाका ंत झा मामह। गाम-बनगा ँव, सहरसा िजला। एखन मुईमे एकिलिमटेड कं पनी में पद्ािपत।िच : अयन आ लेखन खास कs मैिथली ।पसंद : हर िमिथलावासी के पसंद पान, माखन, औरमाछ हमरो पसंद अिछ।का ूण हा, कृित के साथ िखलवारिपछला छुीमे एक सालपर हम गाम गेल छलहु ँ। जिहया गाम पहु ँचलहु ँ ओकर दोसरे िदन पता चलल की हमर बचपनक दोकबहुत जोर मोन ख◌ऱाब छिन ! आर ओ अतालमे भरती छिथ ! खबर जिहना हम सुनलहु ँ अतालक लेल चिल देलहु ँ !हमरा संग हमर पी सेहो चिल देलीह, अताल पहु ंचला पर पता चलल जे कुन ू िचंताक बात सब ठीक ठाक अिछ ! एकघंटाक बाद हुनका (हमर दोकेँ ) छुी िमल जेतिन, बहुत िदनक बाद अताल आयल छलहु ँ, इा भेल कनी चा िदस घिम ु -िफिर ली। मनमे अतालक लेल बहुत िजज्ञासा छलए ! हम आर हमर पी जिहना दोक वाडर्सँ बाहर िनकललहु ँ, हमरनज़िर अपन चचेरा भैया - भाभी पर पड़ल, अचानक हुनका सभकेँ अतालमे देिखकेँ हम चौक गेलहु ँ ! हमर नज़रएकाएक भाभीक उदास, कनमुँह चेहरा पर परल .....पुछिलयिन की बात ... मुदा ओ िकछु जबाब निञ देलीह। हमर पी कातमेबजा कए हुनकर पीड़◌ा सुनलि ! द ुबारा पुछलासँ भाभी अपन पीड़◌ा निञ रोिक सकलीह, हुनकर पीड़◌ा हुनकर आिखसँ ँ छलिकउठलिन, पता चलल जे द ू गोट काक जक बाद आब तेसर बेर फेरसँ काकेँ निञ बदा र्श्त करैक चेतावनी भैया हुनकापिह द ् चुकलिकन-ए ....पता चलल गभर् पिरक्षण लेल भैया भाभीकेँ अताल अन छिथ ! गभर्मे पोसा रहल बाक ितिपताक खौफनाक इरादासँ उपजल भयक भाव भाभीक चेहरा पर साफ - साफ देख ्अलहु ँ ! बादमे हमरा आर हमर पी केँकतेक ब ुझेलापर भैया भाभीकेँ वापस घर लए गेलिखन ! संयोगवश अगला संतानक पमे हुनका बालकक ाि भेलिन ....ओना ूण पिरक्षण ितबिधत ं अिछ आर सरकार एकरा लेल बाकायदा कान ू ब छिथ ! मुदा ई की ? लागैत अिछ िपछलादरवाजाक संृित अतालों के निञ छोड़ अिछ, तख तँ भैया बहुत आसानीसँ भाभीकेँ गभर् परीक्षण करबाबए लेल चिलदे छलिथ। हम तँ कहए छी चाहे सरकार लाखो कान ून बनबिथ, लाखो कड़◌ासँ कड़◌ा सजा तय करिथ लेिकन जा तक हम सबय ं अपना तरफसँ कुन ू कदम निञ उठायब ई कान ूनक हेब निञ हएबक समान अिछ ! आइ तक ष्ाचार, बालम, शोषणकिवधो सरकार बहुत कान ून लागू केलिथ मुदा िक समाजमे एकर रोकथाम भs सकल ? निञ ! आर यिद अप ई निञहेबाक कारणक पता करब तँ पायब िक शायद हम ख ुद कतहु कतहु कुन ू न कुन ू कारे एकर दोषी छी ! हम सबपिरिितक संग कुन ू तरहक समझौता करबाक वजाय ओकरा सदा बदलबाक फेरमे नए रहैत छलहु ँ चाहे ओकरा लेल हमरा सभके कुन ू तरहक हथकं डा िकयेक निञ अपनाबए परए .... हम सब चुकय निञ छी ! हम तँ प ूछे छी जे िक कारण अिछ जेलड़कीक ज भेला पर आइयो म ूह िसकोरल जाइत अिछ ? शायद हुनकर परविरश, िशक्षा, िववाह आिदमे आबै वाला तमाममुिश्कलक कारण एिह तरहक वहार कएल जाइत अिछ ! मुदा िक लड◌़काक ज भेसँ ई तमाम समा समा भs जाइतअिछ ? लड◌़कोकेँ तँ परविरश करए परए-ए ? हुनकरो िशक्षा,करीक लेल दर-दर भटकए पड़◌ैत अिछ ! आर िववाह........!यिद एिह गितसँ का ूण हा होइत रहत तँ बिझ ू िलअ जे सब लड◌़काकेँ कुंआरे रहए पड़त ! उदाहरण प अपहिरयाणामे लड़कीक संामे लगातार दजर् कएल गेल कमी देख सकैत छी, हिरयाणामे िववाह लेल लड़की निञ भेटए छिन। ओिहठामक लोकनीकेँ दोसर रामे लड़कीक तलाश करए पड़◌ैत छिन .....कनी सोचु अगर प ूरा देशमे ईएह िित भs जाएत तँ की होएत ?51


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्हम नीक जेका ँ जत छी जे अप एिह बातकेँ ानमे निञ राखब आर यिद राखबो करब तँ दोसर केँ उदाहरण देबाकलेल ! लेिकन िक अप य ं का ूण हा रोकएमे दोसरकेँ जागक करब ? अपकेँ निञ लागैत अिछ जे कृित ारािनधािरत र् जीवनकेँ सुचा पसँ चलबै लेल एिह गाड़◌ीक द ु पिहयाक समान पसँ आवक अिछ ! आर का ूण हा यानी िककृितक संग िखलवाड◌़ अिछ ! एिह िखलवाड◌़केँ रोकए लेल हमरा सभकेँ एकज ुट हेबए परत आर एतबे निञ एिहमानिसकतोकेँ बदलए पड़त िक व ंशबेल खाली आर खाली लड़के चलेता, तख हम सही पामे आधिनक ु कहाएब ....1.ी ड◌ॉ. गंगेश गुंजन(१९४२- )।िवचार िटणी- गंगेश गुंजनभोज परक आ ँटी- सिरक नव-खाढ़ि◌क युवा नवतुिरआसँ“भोज परक आ ँटी” अव सुनल हएत बु! हमरा लोकिन ते आब आयु-अवरोहणक ियामे छी। मुदा पराभव अिछ अपनएिह मैिथल मानक ओ जे िमिथला ंचलक सम सामािजक पिरवतर्नक अथा र्त्- जनपथक िनमा र्ण (राजपथ निह) आका ंक्षामे सौ ँसेबातपर उट डेगे चिलते रहबा लेल िववश छी। हमर गाम िपलखबारो तािह से ज ुटल अिछ, जािहसँ िहतेजी अहा ँक गामकेओटी।हमरा पीढ़◌ीकेँ तँ इितहास “भोज परक आ ँटी” बना लेबाक बेर-बेर उपाय कएलक, जेना-तेना ब ँचबामे सफल रहिलयैक, मुदाभऽ कहा ँ को खास सकलैक। तेकरे टा अफसोच। एक बोझक पमे फिसलकेँ खिरहानधिर कहा ँ पहु ँचा सकिलयैक। तेकरेटा द ुःख! मुदा िटकल रहिलयैक अपन जीवन-म ू आऽ समाज दश र्नक भूिमपर। एक टा किव-लेखक जे संघष र् असकरो कऽसकैत छी। से रा चलबाक य। जे से।प ूरा िबहार- आोलनक पिरणित एहन आऽ एतए धिर भऽ जेतैक से ो सोिचयोसकैत छलैक? अवे ब ुझल हएत जे तािहआोलनक उपज- आमद भिर देश कैक टा महापद आसीन सी.एम. समेत कतोक एम.पी., एम.एल.ए. महोदय छिथ। अहा ँकपीढ़◌ीमे यिद सेक (सेह निह सिरक कारवा ँक भव से किह रहल छी जे) से िमिथलाक दद र् अिछ तँ राजनीितकेँ िचैत जाइजाऊ। पोलीिट कऽ एिह नव अवतारकेँ । से भाषाक। ताहूमे मैिथलीक नव-नव ा ंडक ता आ एहन राजनीितकेँ चीिजाऊ। कारण जे राजनीितक ई एकदम नव अवतार ठीक िव-बाजारी अवतार! को औसत सुख लेल ककरो “भोज परकआ ँटी” निह बनब। एिह वाीकरणक वाहमे एहन लोक नीक समय अथा र्त् को ितगामी वा रोिक निह सकैत अिछ। य ंराजनीितक िवचारधारा-अवधारणामे सेहो युगक असार सकाराक पुनिव र्चार चिल रहल छैक। जाित, धम, र् सम्दय, ीयतासभसँ ऊपर सोचैत। समतासँ एक होऊ। अपन िमिथला ँचलो तँ देशेमे अिछ।अपम मा ँ मैिथली तँ अवे महान। मुदा अ लोकक माभाषा सेहो तु निह। अपना देशक सभ भाषा अिछ। मुदाद ुभा र्सँ िकछु म ूढ़ मैिथल मानिसकताक लोक आर तँ आर िही तककेँ अपमान जेका ँ कऽ देबाकेँ अपन मैिथल म बिझ ु लैतछिथ, ई नकाराक वि ृ उिचत निह। हम तँ तेहन समयकेँ सहन कए छी, जे िकछु परम ् िवान ् अ आदरणीय लोकिलखैत तँ मैिथली निह तँ इिश। ं िही निह। ई बहुत िविच लागए। आिखर िही अपन बहुत गौरवशाली लोकतराष्-भाषा िथक। बु! से मानिसकता बदिल जर रहल अिछ मुदा अहा ँ खाढ़ि◌क (पीढ़◌ीक) युवा नवतुिरआमे आओर तेजीसँपिरवतर्न चाही। बात निह चए तँ िबसिर जाएब, आह!52


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्2.सुशा ंत झा,ाम+पालय-खोजपुर, मध ुबनी(िबहार),िहनकर िपता ी पनारायण झा'िवरिच' ं तािह समयक िमिथला िमिहर आऽ आयावतर्क िस ाई ंभकार। पठन-लेखन िवरासतमे भेटल छि सुशाजीकेँ ।सम्ित सुशा ंत जी इिडया ं ूजमे क◌ॉपी राईटर छिथ,-िमिथला िविवालयसँ ातक(इितहास), तकर बाद आईआईएमसी(भारतीयजनसंचार संान) जेएनय ू कैससँ टेिलिवजन पकािरतामे िडोमा(2004-05) ओकरबाद िकछु प-पिका आऽ ूज वेबसाईटमेकाज,द ूरदश र्नमे लगभग साल भिर काज। संित इिडया ं ूजसँ ज ुड◌़ल|िबहार में लय, लेिकन की छैक िनदान ?िबहार में एिहबेर बाढ◌़ि◌ लय बिन कऽ आयल अिछ। ई ओऽ बाढ◌़ि◌ निह छी जे पिहनउ अबैत छल आऽ दस-पा ंच िदन रिहकऽ चिल जाइत छल। अिह िविभिषका के तँ ककरो उीदो निह छलैक। ऐहेन आपदा तँ हजार द ू हजार सालमे एक बेरअबैत छैक। लेिकन पैघ सवाल ई जे िक एकर को िनदान छैक या िबहार के एकटा िहा एिहना बीरान भय जेतै?इितहासकार सभक मत छि जे दिनया ु के कय टा सता एिहना बाढ◌़ि◌ वा भुकं प के कार ख भऽ गेलैक। िकछु लोककेँ इहो कहब छि जे िसंध ु घाटी सता सेहो एह को बाढ◌़ि◌क कारँ ख भऽ गेलैक। बहुत िदन पिह ातनदी िवशेषज्ञ अपम िमक लेख पढ◌़ रही जािहमे ओऽ कह रहिथ जे िवशाल बा ंध बनाकऽ बािढक जबद र्ी िनदान निह कयलजा सकैत अिछ। हमरा लोकिन केँ नदीक संग िजनाई सीखय पड◌़त।ओकर पािन केँ िबना को छेड◌़छाड◌़ के समु तकजाई के राा देबय पड◌़त।अगर एिहमे को काबट हेतई तँ कृितक कोप हमरा सबके झेलय-ए पड◌़त। आऽ अगरान सँ देखल जाय तँ िपछला सय सालमे यैह भेलैक अिछ।बाढ◌़ि◌क सबसँ पैघ कारण छैक नदीक िसल्टींग। जाबेकाल तक एिह िसल्टींग के द ूर निह कयल जायत ताबेकाल तक बाढ◌़ि◌पर भावी ढ◌़◌ंग सँ रोक निह लगायल जाऽ सकैत अिछ। पािन केँ जखन-जखन समुमे जाईमे अवरोध हेतई- ओकरपािन िकनारमे पसिर जायत। गौरसँ देखल जाए तँ िसिल्ट ंग हटेनाई को ब मुिश्कल निह। खास कऽ िबहार एहेन ामेतँ एिहसँ कतेक रास रोजगार सेहो स ृजन कयल जा सकैत अिछ। राष्ीय ामीण रोजगार गार ंटी योजना केँ पाई सेहोअिह मे लगायल जाऽ सकैत अिछ। दोसर बात ई जे नदीक कछेरमे िसल्ट सँ ऊं च तटब ंध आऽ सड◌़क बनायल जाऽ सकैतअिछ, पय र्टन आऽ दोसर कतेको काज कायल जाऽ सकैत अिछ।िबहारमे बहय बला नदीक ोत पालमे छैक। ओिह पािनपर हमरा लोकिनक को बस निह आऽ ओिह पािनकेँ पालमेरोकल जाऽ सकैत छैक। पुरना जमानामे पालक तराईमे आऽ पहाड◌़क ढ◌़लानपर खूब बोन छलै- जे िपछला सय-द ू सयसालमे ख भय गेलै। आब पहाड◌़मे किनयो पािन होई छै िक मैदानमे पसिर जाई छैक। पिह ओऽ जंगलककार आे-आे मैदानमे अबैत छलै। िबहार सरकार अिह मामलामे िकछु निह कऽ सकैत अिछ, िसवाय कें पर दबाव दैके। हँ, भारत सरकार चाहे तँ पालक संग िमल कय बािढकेँ रोकय के लेल छोट-छोट बा ंध आऽ वनीकरणकएकटा दीघ र्कालीन नीित बना सकैत अिछ । एिह के लेल हजारो करोड◌़ पैया के िनवेश के जरत छैक आऽ ई काजद ून ू देशक आपसी सहयोगसँ कयल जाऽ सकैत अिछ।दोसर बात ई जे हमरा सबके अपन गलती के सेहो ान में राखय चाही। छोट-2 धार जे कमला-बलान में िमल जाईतछलैक ओकरा िपछला शताी में भिर कय़ खेत आ घराड◌़◌ी बना लेल गेलै।जे जमीन, सरकारी मानल जाईत छलैक ओकरबड◌़ पैघ पैमाना पर ल ूट भेलैक।एकरा कड◌़◌ा कान ून बना कय रोक पड◌़त। पािन के संग छेड◌़छाड◌़ के जघ अपराध53


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्घोिषत कर पड◌़त।इर जे िवकास के योजना बनलैक ओहो बाढ◌़ के बढ◌़◌ावा दै में को कसर निहछोड◌़लकै।उदाहरणाथ, र् उर िबहार में जमीन के ढ◌़लान उर सं दिक्षण दीस आ दिक्षण िबहार में दिक्षण सं उर दीसछैक। लेिकन के टा एहन हाईवे आ रेलवे बनलैक जे पािन के ाकृितक बहाव में अवरोध भय गेलैक। जेना, दरभंगा-मुजफ्फरपुर हाईवे आ दरभंगा-िनम र्ली रेलवे लाईन।एतय कहैक ई मतलब निह जे िवकास निह हुअक चाही-लेिकन िवकास आकृित के बीच में प ूरा साम ंज हुआ के चाही।दोसर बात ई जे िबहार में जे नदी पिरयोजना सब में िपछला पचास साल सं ल ूट भेलैक ओिहलेल सुीम कोट र् के ायाधीशके अक्षता में एकटा आयोग बनय के चाही।प ूरा देश में हमरा िहसाब सं िबहार में जतेक ल ूट भेलैक ओते कतौ निह।कोिसये के बात कयल जाय त -पिम कोसी नहिर जे हमरा गा ंव के बीच सं िनकलैत अिछ ओकरा सरकारी घोषणा के िहसाबसं 1983 में बिन जाय के चाही छलैक।लेिकन एखन पचीस साल बीतला के बादों को उीद निह। हमरा जत जे यिदनदी पिरयोज सब के ढ◌़◌ंग सं लागू कयल जैयतैक त बाढ◌़ि◌ के प ूरा निह त आधा समाधान त जर िनकिल जयतैक।शायिद एख प ूरा तबाही निह भेल अिछ,एिह बेरक जललय़ हमरा सबके स ूतल सं जगेलक अिछ। कुल िमलाकय जाबेतकबाढ◌़ि◌ जनता आ राजता सबके एजें डा में शािमल निह होयत ताबेत तक एकर समाधान संभव निह अिछ।3.बी.के कण(1963-),िपता र्ी िनभर्य नारायण दास गाम- बलौर, भाया- मनीगाछी, िजला-दरभंगा। पैकेिजंग टेोलोजीमेातकोर आऽ य.एन.डी.पी. ू जम र्नी आऽ इैक काय र्मक फेलोिशप, २२ वष र्क पेशेवर अभव आऽ २७ टा प कािशत।डायगिक िमिथला पेिट ं ंग आऽ िमिथलाक सामािजक-आिथ र्क समापर िचन। सम्ित इिडयन इीूट ऑफ पैकेिजंग,हैदराबादमे उपिनदेशक (ीय मुख)।स ंकट गुणक (िर फैर) आऽ मैिथलिमिथलाक िवकास क़◌ेना आऽ कखनिवकासक िबना िजनगी बड किठन। िवकासक रा बड उबड ख़◌ाबड ।संघष र् सिदखन। डेग डेगपर। िबना संघष र्क िवकासो संभव निह।सवां गीन र् िवकासक हेतु◌़ िगत िवकासे आधार होइछ ।बहुत िकछु गमेलहु ँ मुदा आब निह।मैिथल युवा मोचा र् तैयार भए रहल अिछ। िवकिसत वा अिवकिसतक िबच-िबचवामे छी।एतवा त◌ॅ तए अिछ जे आिथ र्क िवकासकलेल सुर सार भए रहल अिछ। आिथ र्क िवकास एकटा गित होइछ जे कख कम वा बेशी।ं ंआिथ र्क उपाजर्नक लेल◌़ हम सब सकाराक यासमे सुतल छी। जिहया उठब◌़ तिहया िसंह जका दहारब वा सा ंप जकाफूफकारब।जय ी हमानजी एक समयमे अपन शि िबसिर गेल छलाह, तिहना हम सब मैिथल अपन शि िबसरौ छी।54


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्बहुतो मैिथल वाशी जीवनमे◌़ अपन आिथ र्क सक्षमता मे वि ृ केलाह, पर हुनक िधया प ूता िमिथला मैिथल स◌ॅ◌ं कोसो द ुर!!! पैघ संकट। ट िर!!!मैिथलक सान मैिथली थीक आओर एकर अपमान मैिथले कऽ रहल छिथ। अप पिरवारमे मैिथलीपर मता ंतर। मैिथली घरेमेटूअर।मैिथल पलायनस◌ॅ◌ं मैिथलीक आकिक अ। केऽ िवलाप कडत।पलायन द ुइ िितमे-१. जीवन भरण पोषणक लेल२. िगत उेक पितर्क ू लेलिमिथलामे की कमीडेग डेग पर पोखिरघर घरमे पतरा-पोथी।गाम गाममे जाित प◌ॉितछोटका प◌ॉित लैऽ कऽ एके पिरवारमे शानक घमासान।मैिथली संकटमे, आवकत अिछ कोमल श र्क।कतेको बेर िबहार सरकार ारा मैिथली भाषापर सीधा हार भेल। परम द ुखक बात ई अिछ जे िकछु मैिथल मैिथलीकेँतोड़यमे लागल रहल छिथ। पर िचंताक को बात निह◌़। मैिथली अिछ अटल◌़-अिवचल। मैिथलीक जड़ बड़ मजगूत।हम मैिथलसब अपन मौिलक कतर् बिझ ू आऽ अपन भाषा स◌ॅ◌ं अथाह लगन लगावी।ब ंगाली-पंजाबी-मराठी केँ देख ु जे अपन माभाषाक ा ंस◌ॅ◌ं ऊपर ान दे छिथ। एतबाऽ निह हर म ंचपर अपन भाषाकित ेह तथा सान किको कौती निह करैत छिथ। पर◌़ हम मैिथल कतेक िना रखैत छी। एहन िकछुए मैिथलकेदेखल जा सकैछ।ब ंगालमे ब ंगाली, पंजाबमे पंजाबी। एिहना बहुतो ादेिशक रामे◌़ अपन-अपन भाषाकेँ अपन जीऽ जान स◌ॅ◌ं पैध लगावरख छिथ।ब ंगालीक भाषा ब ंगालीपंजाबीक भाषा पंजाबीमराठीक भाषा मराठीिबहारीक भाषा की?िही◌़-भोजपुरी आऽ मैिथलीिही◌़ त◌ॅ◌ं राष्भाषाक अिमे अिछ। भोजपुरी काफी लोकियता हािसल कय रहल अिछ। भोजपुरी िसमा उोगकेँकाफी सफलता भेटल। मुदा मैिथलीक िित िबहारमे केहन अिछ से की कहल जा् इछ। मैिथलीक िित िमिथलामे बड़कमजोर।55


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्गैरमैिथल िबहारी कतेक ितशत मैिथलीक इत करैत छी।अमािनत ितशत बड़ कम होयत।मैिथल अपनाकेँ गोद लेल मैिथल जेका ँ आचिरत किहआ धिर करताह?मैिथली सश भाषा अिछ। एकर अपन इितहास अिछ। पर हम सब मैिथली बाजय वालाकेँ आऽ िलखय वालाकेँ िपछड़ल ब ुझैतछी।अक भाषा सीखू◌़ बाजू◌़ मुदा मैिथलीकेँ छोड़ि◌ कऽ निह। मैिथलीकेँ बोझ निह बिझयौक।ुअिगला अंकमेमध ुबनी।4.शि शेखर, िपता-ी शुभनाथ झा, गाम- मोहनपुर, भाया-हरलाखी, िजला-कखन बदलब हम-शि शेखरबहुत तामस होइए भगवानक एिह कृसँ जे ओऽ अपन उपिित िमिथला ंचलमे दजर् केनाय शायदे को साल िबसरै छिथ। मुदाहमरा सबकेँ एिह भयावह िितसँ लड़बाक अलावा आओर को रो तँ निह अिछ। जी, हम बात कऽ रहल छी, एखन िबहारमेआयल बािढक संदभर्मे। अमान लगायल जाऽ रहल अिछ, जे अिह बािढक चपेटमे करीब 50 लाख लोक आयल छिथ। सभसाल ज ुलाई-अगक मास अिबते िबहारक लोक आतंिकत भऽ जाइत छिथ।सबहक मोनमे ई डर रहै छिन, जे एिह बेरकेकर घर उजरतौ। लोकसब भिर साल िदन राित मेहनत कऽ एकटा घर बनाबैत छिथ, िकछु पंजी ू जमा करैत छिथ,मुदा कीहोइए एिह सभसँ? ई बािढ तँ को आतंकवादीसँ बेसी भयावह होइत अिछ जे हर बेर कतेको गामकेँ , कतेको िबगहाजमीनकेँ अपन अंदर समेट लैत अिछ। संबिधत िवभाग बािढकेँ लऽ कऽ सब जानकारी रािखतो को तरहक कदम निहउठाबैत अिछ। शायद ई बािढ हुनका सभक लेल आमदनीक एकटा ोत जे होइ-ए। पछुलका बािढ सभक राहत-अदानपरनजर दौड़◌ाबी तँ िनधोक एक बात कहनाइ अिचत निह होयत, जे बािढसँ कतेको लोक करोड़पित सेहो भऽ गेलाह।ईश्र्वरक लीला देिखयौक, जे एक िदस एिह बािढसँ सभ बेर कतेको लोक (शायद अमान लगेनाय असंभव अिछ) केर सबचीज लुइटे जाय छिन, तँ दोसर िदस बािढ घोटालाक अिभयु आओर कतेको लोक करोड़पितक िगनतीमे आिब गेलाह। ओिहदृक बारेमे सोचल जाय, जे पिण ू र्यामे बािढक डरे अपन छत पर बैसल चािर सालक बा भूखसँ अपन दम तोड़ि◌ देलक, ओिहलोकक बारेमे सोिच, िजनका खेनाय तँ द ूर िपबऽ के लेल पािन तक निह भेिट रहल छिन। लोकक चापाकल बािढक पािनमेडुिब गेल छिन। िहनका सभ लग िकएक निह पहु ंिच पािब रहल छिन राहत सामाी। किहं एहन तँ निह जे फ़◌ेर सँ कतेकोलोक एिह बािढमे करोड़पित बनए वला छिथ। धानम ंी मनमोहन िसंह िबहारक बािढकेँ राष्ीय आपदा घोिषत तँ कऽ देलिमुदा पीड़ि◌तक लेल ई सा ंना मा अिछ। के सरकार िदससँ िबहारक बािढ पीड़ि◌तक लेल 1000 करोड़ पया अदानकरािश देल गेल अिछ। मुदा एिह अदानक रािशक िवषयमे अख कतेको बािढ पीड़ि◌त केँ माल ूम निह चिल सकल अिछ।िजनका अिह बारेमे जानकारी भेटबो कैल तँ िनित ओऽ सोच हेताह िक शायदे एिह रािशमे सँ हुनका सभकेँ िकछु भेटत।के सरकार ई रािश तँ दऽ कऽ अपन बािढ पीड़ि◌तसँ तँ अपन पा झाड़ि◌ लेलाह, मुदा बािढ पीड़ि◌त तक ई रािश कोनापहु ंिच सकत, एिह बारेमे हुनकर ान निह गेल अिछ। एक बेर फ़◌ेरसँ कहब जे ई अदानक रािश सब िवभाग तक बटैतबटैत दस ितशतो बािढ पीड़ि◌त तक निह पहु ंिच सकत। आओर हँ, बािढक दोगमे जे सभसँ पैघ चीज होइत अिछ ओऽअिछ राजनीित। कतेको ता सभ एिह बािढ पीड़ि◌तक लेल आिगमे घी देनाय जेहेन काज करैत छिथ। रा सरकार केँदोषी ठहराबैत ता सब ओिह जगह अपन सीट सुिनित करबाक फ़ि◌राकमे रहैत छिथ। हेलीकाप्टरसँ बािढ क सवे र्क्षणकरैत बहुतो तासभकेँ अतबो जानकारी निह रहैत छिन जे ओऽ कोन क दौड़◌ा कऽ रहल छिथ। पता एिह बातसँलगायल जाऽ सकैत अिछ जे तासभ ओिह क कतेक ज्ञान रख छिथ। इमहर रा सरकार सेहो कहा ं चुप रहएवला। ओऽ केपर िनशाना साधैत छिथ तँ के रा सरकार पर। एिह राजनीितमे िपसाइत तँ बािढ पीड़ि◌त छिथ।को बात निह, समय आिब गेल अिछ एकज ुटता देखाबएबाक आऽ मदित करबाक....बािढ पीड़ि◌तक संग, बािढ पीड़ि◌तक लेल।तख हम तं भारतक कतर्िन नागिरक भऽ सकए छी।56


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्5.ओमकाश झा, गाम, िवजइ, िजला-मध ुबनी।िमिथले तक निह छिथ मैिथल-ओमकाश झाग अिछ नव ंबर 2007 केर, एिह समयमे हम गोवा ूज (जे िक गोवा अवित अंजी ीय ूज चैनल छ्ल) मे काजकरैत रही। गोवामे सोलहम अंतराष्ीय मैिथली पिरषदक सेलन भेल छ्ल, जकर अक्षता ी िवनय कुमार झा ,चीफ़िविजलेंस,गोवा ेट केलिथ। एिह का ंफ़रेंसक एकटा छोट सनक अंश य ू-टय ूब साइट पर सेहो उपल अिछ। एिह काय र्मकेँकवर करबाक भार अपन संासँ हमरे भेटल छ्ल। एिह काय र्मक दौरान बहुत रास िच जे भऽ कऽ सोझा ँ आयल ओऽई सभ छल.......1.बहुत रास मैिथल छतीसगढ आऽ म देशमे बसल छिथ। हालािक ं आब हुनका सबहक माभाषा मैिथली निह रिह गेल अिछ।यिद आओर तहमे जाई तँ ओऽ लोकिन मैिथली भाषा िबसिर चुकल छिथ, तथािप िमिथलासँ ओतबेक ेह आऽ लगाव छि, जतबाकहमरा सबकेँ अिछ। हुनकर सबहक पु बहुत पिह ओतए चिल गेल रहिथ। ग करीब 4-5 पु पिहक अिछ।2. िदीक ना ंगलोई इलाकामे सेहो िकछु रास मैिथल छिथ, जे िक अपन जीवन-यापनक ममे कतेक रास आन आन वसायसब अपना ले छिथ। संगिह देशक िभ- िभ भागमे कतेको ठाम मैिथल लोकिन व ृहद समुदायक संग रिह रहल छिथ।ओना भाषा एिहमे सँ बहुतो गोटेक हरा गेल अिछ।3. एकटा आरो ग जे िक साम आयल ओऽ छल, जे िक गोवाकेँ मैिथले ाहम्ण सब बसे छिथ आऽ एकर माण पुराणमे भेटैत अिछ। हम अहा ँ केँ ई बात किह दी, जे िक गोवन (गोवाक वासी) सबहक माभाषा को ंकणी अिछ मुदा एिहभाषाक बहुतो रास श मैिथली भाषाक अिछ। िकछु शक बारेमे हम अहा ँ सबकेँ किह रहल छी, जेना िक अदहन (भातक लेलगरम कएल गेल पािन), पाहुन (गे), मध ुर आिद। ओहो सब कोजगरा िदन ली प ूजा करैत छिथ। रहन-सहनक र अपनासबसँ बहुत हद तक िमलैत अिछ। आओर तहमे गेनाय अखन उिचत निह अिछ।काय र्ममे कतेको िमिथला-िवभूित सब उपित छलाह। वतर्मानमे िदी पुिलसमे विर अिधकारी ी उवल िम ओिह ठामतालीन डी.आइ.जी. छलाह। भारतक िविभ भागक संगे पालक िकछु रास ितिनिध सब सेहो पहु ंचल छलाह। एिहकाय र्मक कवर करबाक लेल गोवा ूज आऽ पाल टीवी (पालक) चैनल पहु ंचल छल, जखन िक बड़का-बड़का मैिथल पुरोधासब गोवामे िविभ मीिडया लेल काज करैत छिथ। बादमे जहन हुनका सबसँ िजज्ञासा बस पुछिलयि तँ कुन ू कुन ू ओहबहाना बना लेलाह, जेना िक जखन धानम ंी ० राजीव गा ंधीक समयमे मध ुबनी के एम०पी० हनान अंसारी लोक सभामे मैिथली केँअम स ूचीमे जोरबाक लेल आवाज ब ुलंद केलिथ तँ ी भोगे झा जी जे कुन ू बहाा ब रहिथ। हम एकर तहमे निहजाय चाहब, सब गोटे बिझ ु रहल छी। अज्ञ कहु वा िकशोर हमरा मोनमे कतेको उठए लागल जे एनामे मैिथली कोनाबचल रहत।हयऔ, हमर भाषा कुन ू अ भाषा सँ किनको कमजोर निह अिछ। हमरा लोकिन अंजी बाजैत छी, आधिनक ु पिरधान पिहरैतछी, सबटा ब नीक बात अिछ। मुदा एिह तमाम चीजक म ूक पमे अपन भाषा आऽ संृित केँ उ केनाय हमरा निह पिचरहल अिछ। ई तँ ओह ग भेल जेना िकछु रास लोककेँ आिथ र्क तंगी निह रहलाक बादो दोसरसँ कजर् लेबाक वित ृ होयछि।पिरवतर्नक फ़◌ेज सँ गुजिर रहल अपन समाज कही ं िश ंकु तँ निह बिन रहल अिछ।एखन बस एतबे।प१.ी िमनाथ झा .२. ी शू कुमार िसंह ३.िवनीत उल ४.िवृत किव . रामजी चौधरी (१८७८-१९५२)१. ी गंगेश गुंजन २.ी वैकु झा २. ीमित ोित झा चौधरी57


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्पंकज पराशर श ैले मोहन झामहाका महाभारत (आगा ँ) काश झाकोसी प -.रामकृ झा “िकसुन”, िवनीत उल, कोसी लोकगीत.१.ी िमनाथ झा .२. ी शू कुमार िसंह ३.िवनीत उल ४.िवृत किव . रामजी चौधरी (१८७८-१९५२)ड◌ॉ िमनाथ झा, १९५६- , िपता नामध िमिथला िचकार . लीनाथ झा िस खोखा बाब ू, ाम-सिरसब, पो सिरसब-पाही, भाया- मनीगाछी, िजला-मध ुबनी (भारत), सम्ित िमिथला शोध संान, दिरभामे पाुिलिपिवभागाक्ष ओ एम.ए. (संृत) कक्षाक िशक्षाथीर्केँ एम.ए. पामक सभ पक अापन। लेखन, उरीय शोध ओ समाज-सेवामेिच। संृत, मैिथली, िही, अंजी, भोजपुरी ओ उद ूर् भाषामे ग-प लेखन। राष्ीय ओ अराष्ीय र् रपर सुितितअकाक प-पिका, अिभनन- ओ ृित-ािदमे अको रचना कािशत। राष्ीय ओ अराष्ीय र् रपर आयोिजतअको सेिमनार, क◌ॉनफेरे, वकर्श◌ॉप आिदमे सिय सहभािगता।िवदेह-वैभविवा-वैभव केर गिरमासँ सव र्था पु जे िस भूिम।अर कदािप निह जे कएलक अन वा आनक थातीमे॥देलक सिदखन जे प ूण र् ज्ञान िनलता ओ कम र्ठतासँ।मिम कखनहु ँ निह पड़य देल, दय तेल ज्ञान केर बातीमे॥हिव ज्ञानक अन सतत बािट, ँ हो बिक ु को अान।िशक्षाक भनिह हो को िवधा, विजर्त निह िहनकर पातीमे।अक्षु रािख िनज-मया र्दा, अहु क कएलक िवकास।िमिथला केर तापस ज्ञान-भासँ, के-के निह लेलक काश॥मतवैिभक अन मिहमा, के निह जछ ई िदभूिम।तमसँ आािदत मा को, िरते पाओल ज्ञानक काश॥रिह म मा केर अगामी, कामी निह कोनहु तु फलक।58


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्कएलक यास िवंसक बड़, पर कए न सकल िकित् िवनाश॥होता कोनहु हो, यजमानक ज्ञानक मानक हो ान सदा।िमिथला केर पावन धरतीपर, गुित हो ज्ञानक गान सदा॥भ िचनिचाक त दावानलमे हम की रचनाक काय र् क।िहयमे तँ अबैछ लहिर भावक, पर धार कोना ई पार क॥िभुवन केर ायः को वु, मानव-िचनसँ द ूर निञ।की भावनाक ई िद महल, होएत हमरासँ प ूर निञ॥लेखनी हमर ई बािज रहल, की हमरा अपनिह भिर रखबे ँ।मानस पट से िधािर रहल, की समय एतबिह भिर रखबे ँ॥खाली हाथेँ जाएत सभ ो, ई नीक जेका ँ हम जत छी।लेखनीक आइ द ुद र्शा देिख, एका मौन भए कत छी॥कारण जत छी निह जाएत भूतलसँ संग एोटा कण।पर िम भासारणी हमर निह देलक एहन को यक्षण॥जेिह अपमेय क्षणमे अन भावना अतीतकेँ दोहराबी।भा वीणा केर ग्ण तारपर द ू आखर हमहूँ गाबी।२.श ंभु कुमार िसंह, ज: 18 अील 1965 सहरसा िजलाक मिहषी खंडक लहुआर गाममे। आरिभक ं िशक्षा,मैिक धिर गामिह सँ, आइ.ए., बी.ए.मैिथली सान, एम.ए.मैिथली (ण र्पदक ा) ितलका मा ँझी भागलपुर िविवालय, भागलपुर,िबहार सँ। BET [िबहार पाता परीक्षा (NET क समतु) ााता हेतु] उीण र् 1995, “मैिथली नाटकक सामािजक िववर्न”िवषय पर वष र् 2008, ित.मा.भा.िव.िव.भा.िबहार ँमें शोध-ब ंध जमा (परीक्षाफल तीक्षारत)। मैिथलीक कतोक ितित पिका59


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्सभमे किवता आ िनब ंध आिद समय-समय पर कािशत। वतर्मानमे, शिक्षक ै सलाहकार (मैिथली) राष्ीय अवाद िमशन, केीयभारतीय भाषा संान, मैस ूर मे काय र्रत।आानभारत भूिमक नवतुिरयाहमर किवताक आान सन ूभ’ तय अपन कान खोिलछिथ बािज रहल भारती से सुन ूहे भारत ! ई भारती िथकअित िववश भाव भंिगमा िहल रहल ठोर िकछु कहबा लेलिरत क’ रहल िकछु करबा लेलकखनहु ँ अहा ँक कखनहु ँ हमरएिह लेल बाट िनहारैत छिथबस ािह-माम पुकारैत छिथछिथ कहिथ देखू हमर ई दशाशोिणत सँ रिजत ं ेत वसननखसँ िशख धिर अिछ जख्म भरललिट ू रहल हमर अिछ अमन-चैनपंजाब,असम,गुजरात,आ ँकीर सिहत अा ाअिछ िससिक रहल भ’ भयााछल किहयोउुंग गव र्सँ हर िसर60


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्कृित द पावन कीरकेसिरया सेब क’ रहल ृ ंगारलहलह-हिरयर बाग िनशातउर बफिशला र् बािट ँ रहल छलशाितकेर ं संदेश उधारछल बहैत जतय शीतल समीरचहु ँिदस आब बरसैत अिछ गोलीनिह खेल, ू निह खेल ू रोकू ई खूनक होलीजाित-धम र्क उाद भड◌काजे उादी अहा ँकेँ लड◌◌ाबैत छिथहुनकर तँ कुरसीक छैकमुदा की यैह अहा ँक मानवता िथक ?(18-08-2008,मैस ूर)३.िवनीत उल (१९७८- )। आनंदपुरा, मधेपुरा। ारिभक ं िशक्षासँ इ ंटर धिर मुंगेर िजला अंतत रणगा ंव आs तारापुरमे।ितलकामा ंझी भागलपुर, िविवालयसँ गिणतमे बीएससी (आनस)। र् गु जेर िविवालयसँ जनसंचारमे मार िडी। भारतीयिवा भवन, नई िदीसँ अंगरेजी पकािरतामे ातकोर िडोमा। जािमया िमिया इािमया, नई िदीसँ जनसंचार आऽरचनाक लेखनमे ातकोर िडोमा। न म ंडेला सेंटर फ◌ॉर पीस एंड कनि िरजोूशन, जािमया िमिलया इािमयाकपिहल बैचक छा भs सिटिफकेट र् ा। भारतीय िवा भवनक ंच कोस र्क छा।आकाशवाणी भागलपुरसँ किवता पाठ, पिरचचा र् आिद सािरत। देशक ितित प-पिका सभमे िविभ िवषयपर तं61


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्लेखन। पकािरता कैिरयर- दैिनक भार, इ ंदौर, रायपुर, िदी स, दैिनक िहंद ुान, नई िदी, फरीदाबाद, अिकं चन भारत,आगरा, देशब ंध , ु िदी मे। एखन राष्ीय सहारा, एडा मे विर उपसंपादक .।अंगदेशिबसिर जाउओ कण र्क नगरी अंगदेशजतय, जािह सं जे म ंगतहु ंस भेटतिहकिहयो िवमिशलाकसन रहैअिह ठाम िविवालयचारों िदशक लोक आबिथिशक्षा लेबा लेलएिह ठाम छैथम ंदार पव र्तजे अिछसमुद्र्म ंथनक िनशानीअिह ठाम आयल रहिथकिव रिवनाथओ शरतचंक नपनएिह ठाम बीतल62


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्मुदाअंगदेश कsककर नजिर लागलजे निह ओ शान निह ओ शौकतदलमिलत होइत छिथअंगदेशक आाआ बजबैत छिथतारणहार उधारकता र्क कs.परीक्षाकहू वा निह कहूअलबल रीित-िरवाजयुग-युग सsअपन समाजक कोइढ़ छिथएक पाविन अिछमध ुावणी63


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्पीक पितताकसिट र्फ़ि◌केट लेलहोइत अइमे टेमीजकरा कहैत छीहम अधांिगनीर्बार ंबार दैत छिथ परीक्षाता मे सीता ओ अिहाकलयुग मे होइत िनत अिपरीक्षाछी हम पुषमुदा छी बड़ डरपोकतिह स परीक्षा निह दैत छीनिह फ़◌ेलक िचंता निह पासक४ िवृत किव . रामजी चौधरी (1878-1952)पर शोध-लेख िवदेहक पिहल अँकमे ई-कािशत भेल छल।तकरबाद हुनकर पु ी द ुगान र् चौधरी, ाम-पुर,थाना-अंधरा-ठाढ़◌ी, िजला-मध ुबनी किवजीक अकािशत पाुिलिप िवदेहकाया र्लयकेँ डाकसँ िवदेहमे काशनाथ र् पठओलि अिछ। ई गोट-पचासेक प िवदेहमे एिह अंकसँ धारावािहक पेँ ई-कािशतभ’ रहल अिछ।िवृत किव- पं. रामजी चौधरी(1878-1952) ज ान- ाम-पुर,थाना-अंधरा-ठाढ◌◌ी,िजला-मध ुबनी. म ूल-पगुार राजेगो-शाि ।जेना श ंकरदेव असामीक बदला मैिथलीमे रचना रचलि, तिहना किव रामजी चौधरी मैिथलीक अितिरक् जब ुलीमे सेहो रचनारचलि।किव रामजीक सभ पमे रागक वण र् अिछ, ओिहना जेना िवापितक पालसँ ा पदावलीमे अिछ, ई भाव हु ंकर बाबाजे गबैा छलाहसँ िरत ब ुझना जाइत अिछ।िमिथलाक लोक पंच्देवोपासक छिथ मुदा िशवालय सभ गाममे भेिट जायत, सेरामजी चौधरी महेानी िलखलि आ’ चैत मासक हेतु ठ ुमरी आ’ भोरक भजन (पराती/ भाती) सेहो। जािह राग सभकवण र्न हुनकर कृितमे अबैत अिछ से अिछ:1. राग रेखता 2 लावणी 3. राग झपताला 4.राग ुपद 5. राग संगीत 6. राग देश 7. राग गौरी 8.ितरहुत 9. भजन िवनय10. भजन भैरवी 11.भजन गजल 12. होली 13.राग ाम काण 14.किवता 15. डक होली 16.राग कागू काफी 17. राग िवहाग64


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्18.गजलक ठ ुमरी 19. राग पावस चौमासा 20. भजन भाती 21.महेशवाणी आ’ 22. भजन कीर्न आिद।िमिथलाक लोचनक रागतरिगणीमे ं िकछु राग एहन छल जे िमिथले टामे छल, तकर योग सेहो किवजी कएलि।ुत अिछ हुनकर अकािशत रचनाक धारावािहक ुित:-िविवध भजनावली६.भजन भैरवीआब मन हिर चरनन अराग।ािग दयके िविवध वासना द कपट सब ाग॥सुत बिनता पिरजन पुरवासी अ न आबे काज।जे पद ान करत सुर नर मुिन तुहु ं िनशा आब जाग॥भज रघ ुपित कृपाल पित तारों पितत हजारिब हिर भजन ब ृथा जातिदन सपना सम संसाररामजी स भरोस छािर अब सीता पित लौ लाग॥७.॥ राग िवहाग ॥को होत दोसर आन रम िब॥ जे भु जाय तािर अिहा जे बिन रहत परवान॥ जल िबच जाइ गजे उबारो सुनतबात एक कान॥ दौपित चीर बढ़◌ाई सभा िबच जानत सकल जहान॥ रामजी सीता-पित भज िनशिदन जौ सुख चाहतनादान॥65


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्८.चैत के ठ ुमरीचैत िपया निह आयेल हो रामा िचत घबरायेल।।भव न भावे मदन सताबे न नी निह लागल॥िनिसवासर कोइल िकत कुहुकत बाग बाग फूल फूलल॥रामजी व ृथा जात ऋतुराजिह जौ ंन क भिर िमललरामा॥िचत घबरायेल चैत िपया निह आयल॥९.चैतके ठ ुमरीआिब गेल चैत बैरनमा हो रामा िविध भेल वामा॥लाले-लाले चूरी लगाय पलंगपर िपयवा न अयल सपनमा॥जौवन जोर आर भैल िदन िदन िवष सन लागत भवनमा॥रामजी जीवन व ृथा एिह तनमे भु कोन देखलो नयनमा॥१०.चैतके ठ ुमरी66


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्आिब गेल िसयाक खोजनमा हो रामा पवन सुअनमा॥वरिज वरिज हारे सब िनिसचर लड़त कौ न सयनमा॥उपवन नास िरसाय लंकपित मेघवासे कहत बयेनमा॥मारिस जिन सुत बािके लाऊ रामजी ब ुझत कारनमा हो रामा॥११.महेशवाणीसु सु चेर नाथ कृपा दृ से एक वेर ताकहु हम छी परम अनाथ॥देव दज भूपित कत सेबल िकयो न द ुखके साथ,बड़◌े िनरास आश धय रोपल अहा ँक चरणमे माथ॥भटिक-भटिक सबके िच ब ूझल सब ारथके साथ जे छिथिम अपेिक्षत पिरजन सभै रखै छिथ ाथ॥निह िकछ वेदपुराण जनए छी निह प ूजाके भाविनिस िदन िचा उदरके फूिसफटकके बात।।अहा ँ दयालु दीपर सब िदन जत अिछ संसाररामजीके सकल मरथ प ूर वहु भोला नाथ॥(अवतर्ते)१. ी गंगेश गुंजन २.ी वैकु झा २. ीमित ोित झा चौधरी१. ी ड◌ॉ. गंगेश गुंजन(१९४२- )। ज ान- िपलखबाड़, मध ुबनी। एम.ए. (िही), रेिडयो नाटक परपी.एच.डी.। किव, कथाकार, नाटककार आ' उपासकार।१९६४-६५ मे पा ँच गोटे किव-लेखक “काल पुष”(कालपुष अथा र्त्आब गीर्य भास कुमार चौधरी, ी गंगेश गुजन, ी साकेतान, आब गीर्य ी बालेर तथा गौरीका चौधरीका, आबगीर्य) नामसँ सािदत करैत मैिथलीक थम नवलेखनक अिनयिमतकालीन पिका “अनामा”-जकर ई नाम साकेतानजी ारादेल गेल छल आऽ बाकी चा गोटे ारा अिभिहत भेल छल- छपल छल। ओिह समयमे ई यास तािह समयक यथािितवादी67


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्मैिथलीमे पैघ द ुाहस मानल गेलैक। फणीरनाथ “रे” जी अनामाक लोकाप र्ण करैत काल कहलि, “ िकछु िछनार छौरासभक ई सािहिक यास अनामा भावी मैिथली लेखनमे युगचेतनाक जरी अभवक बाट खोलत आऽ आधिनक ु बनाओत”। “िकछुिछनार छौरा सभक” रेजीक अपन अाज छलि बजबाक, जे हुनकर समे रहल आऽ सुन अिछ, तकरा एकर ना आऽरस ब ूझल हेतैक। ओना “अनामा”क कालपुष लोकिन को पमे सािहिक मा मया र्दाक ित अवहेलना वा ितरार निहकए रहिथ। एकाध िटणीमे मैिथलीक पुरानपंथी कािचक ित कितपय मुखर आिवारक र अव रहैक, जे सभ युगमेनव-पीढ़◌ीक ाभािवक वहार होइछ। आओर जे पुरान पीढ़◌ीक लेखककेँ िय निह लगैत छिन आऽ सेहो भािवके। मुदाअनामा केर तीन अंक मा िनकिल सकलैक। सैह अनाा बादमे “कथािदशा”क नामसँ .ी भास कुमार चौधरी आऽ ी गंगेशगुंजन द ू गोटेक सादनमे -तकनीकी-वहािरक कारणसँ-छपैत रहल। कथा-िदशाक ऐितहािसक कथा िवशेषा ंक लोकक मानसमेएख ओिहना छि। ी गंगेश गुंजन मैिथलीक थम चौबिटया नाटक बिधबिधयाक ु लेखक छिथ आऽ िहनका उिचतवा (कथासंह) क लेल सािह अकादमी पुरार भेटल छि। एकर अितिरक् मैिथलीमे हम एकटा िमा पिरचय, लोक सुन ू (किवतासंह), अार- इजोत (कथा संह), पिहल लोक (उपास), आइ भोर (नाटक)कािशत। िहीमे िमिथला ंचल की लोककथाएँ, मिणपक का- बिनजाराक मैिथलीसँ िही अवाद आऽ श तैयार है (किवता संह)। ुत अिछ गुनजीक मैगनमओपस "राधा" जे मैिथली सािहकेँ आबए बला िदनमे रणा तँ देबे करत सँगिह ई ग-प-जब ुली िमित सभ द ुःख सहएबाली- राधा श ंकरदेवक पररामे एकटा नव-परराक ार करत, से आशा अिछ। पढ़◌ू पिहल बेर "िवदेह"मे गुनजीक"राधा"क पिहल खेप।-सादक। मैिथलीक थम चौबिटया नाटक पढबाक लेल िक क बिधबिधया। ु गुंजनजीक नाटक आइभोर पढ़बाक लेल िक क "आइ भोर"।गुंजनजीक राधािवचार आ संवेदनाक एिह िवदाइ युग भू- म ंडलीकरणक िबहाड़ि◌मे राधा-भावपर िकछु-िकछु मेग, बड़ बेचैन कए रहल।अनवरत िकछु कहबा लेल बा करैत रहल। करिह पड़ल। आब तँ तकरो कतेक िदन भऽ गेलैक। ब ंद अिछ। मा सेमन एखन छोड़ि◌ दे अिछ। जे ओकर मजीर् । मुदा तं निह कए दे अिछ। मखदेवा सवारे अिछ। करीब सए-सवा सएपात किह चुकल िछयैक। मा िलखाएल छैक ।आइ-काि मैिथलीक महा ंगन (महा+आ ंगन) घटना-द ुघ र्टना सभसँ डगमगाएल-जगमगाएल अिछ। सुागतम!लोक मानसकें अिभजन-बि ु फेर बेदखल कऽ रहल अिछ। मजा केर बात ई जे से सब भऽ रहल अिछ- मैिथलीयेक नामपर शहीद बनवाक उपम दश र्न-िवाससँ। िमिथला राक माताक आ ंदोलनसँ लऽ कतोक अा लाभासक एन.जी.ओ.यीउोग मागे र् सेहो। एखन हमरा एतवे कहवाक छल । से एहन कालमे हम ई िवहास िलखवा लेल िववश छी आऽ अहा ँकेँ लोकधिर पठयवा लेल राधा किह रहल छी। िवचारी।68


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्राधा (दोसर खेप)देह भेल िपजड़◌ा केहन िनम र्म कतेक लाचारई मन सोन िचड़◌ै उड़वा लेल ाकुल ,ितपल झािट-झा ं िट ं क' पािखंकरइत शोिनते-शोिनतामकोमल माध ुरी फूल सदृश अपन देह।चा ंगुर सुकोमल,तुर ंत जनमल ना सन सुरआ जीवन-सि ृ केर सःसिजत ृ आशा मरथकनवीन मृद ु मािट, पािन ,काश, पवन आ आिगधधिक रहले देह पहरक पहर एक-एक ा ंसकेहन वक देह केर िपजड़◌ा तथािप69


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्जिर छुिटतयक' िदअय फेर सं मुओएह आकाश, मेघक ाम ि सतर ंगमास धोअल फहराइत सघन कारी केशरािशझ ूमैत डािर-पातक िहड़ला-न !ाधीन संगीतक मुाकाश धोअल वस्सन ई तनजेना उिधया रहल वेग मे बिह रहलिद बसात पर िनब ंध र् िनभर्य मु आालीनिकु असह जे ई सब,वत भ' जाइत अिछ सब बेरख ुजय निह िपजड़◌ाक ई फाटक से पयंतर्आ हमर ई मन ,कोमल पािखक ं सामर् परसहैत सबटा लोक-समाज-स केरबोराक बोराऊिघ रहल छी अरे जे अनतेकर करय के िहसाब,इ िकयेक निह टुटैये िपजड़◌ा जिरये जाइत अिछएिह देहक मुि केर अका ंक्षा आ उताप!एकरा मे सं अपित भ' गेलय कीसबटा ाला सबटा आिग ?एिह द ुब र्ल देह ाकुल मनकल' लेलक की आय ?70


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्भ' गेलय िनिचिल गेलय कुटमैती मे को गामतेहन भेल आब समय जे कृित सेहोछोड़ि◌ रहले धम र्जल करय निह ासल कं ठ,करय शीतल बसातो तनअि छोड़ल धम र् निह तं जरा िदतयहमर िपजड़◌ाकें , ई जीवनध धिर आकाशअिछ टीकल अन-िबसन, धिनसनमहाेती आिक्षितज नीलाभ छातातनल अिछ आ,ककरा लेल किह निहल' ले अिछ गंहीर दीघ र् शवासनओहो निह रिह गेल को काय र्कएिह लाचार लेलबिन गेलए जेना को अथबल माय,करैत िवलाप ममन अपन अस ममतािनष्योजन िनपाय होयवाक िनयित पर ...(८/४/०५)71


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्२.ी बैकु झा,िपता-गीर्य रामच झा, ज-२४ - ०७ - १९५४ (ाम-भरवाड़◌ा, िजला-दरभंगा),िशक्षा-ाोर (अथ र्शास्),पेशा- िशक्षक। मैिथली, िही तथा अंजी भाषा मे लगभग २०० गीत कऽ रचना। गोन ू झा परआधािरत नाटक ''हािशरोमिण गोन ू झा तथा अ कहानी कऽ लेखन। अिह के अलावा िही मे लगभग १५ उपास तथाकहानी के लेखन।दिनय◌ॉ◌ंुदिनय◌ॉ◌ं ु कृतक डेरा छै,पापी - अधमक इ बसेरा छै।उपकार क अपकार करत,खायत मध ुर कुचार करत।बाजय जे झ ूठ सगरो - सिदखन,य ं सक ओ अवतार कहत॥देखू जे स अिछ बािज रहल,ओकरे खाितर ई घेरा छै।दिनय◌ॉ◌ं ु कृत के डेरा छै,पापी - अधमक ई बसेरा छै।पापी - कृत के देिख देिख,दिनय◌ॉ◌ं ु निह एख चेत सकल।सत् युग, ता, ापर, किलयुग मे,देिख रहल छी वैह िवकल।धन शाित ं क् ऽ माम होयत कोना,ता मे देखलहु ं सोन जरल।िवा - बल स सं द ूर रहल,72


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्रावण - कौरव बेमौत मरल।जे द ूर स सं भािग रहल,दिनय◌ॉ◌ं ु इ का ंट क घेरा छै।दिनय◌ॉ◌ं ु कृत के डेरा छै,पापी - अधमक ई बसेरा छै।३. ोितकेँ <strong>www</strong>poet . r y. <strong>co</strong>mसँ संपादकक च◌ॉयस अवाडर् (अंजी पक हेतु) भेटल छि। हुनकरअंजी प िकछु िदन धिर <strong>www</strong>poet . r ysoup. <strong>co</strong>m केर मु प ृ पर सेहो रहल अिछ। ोित िमिथला िचकलामे सेहोपार ंगत छिथ आऽ िहनकर िमिथला िचकलाक दश र्नी ईिलंग आट र् ुप केर अंतत ईिलंग ◌ॊडवे, लंडनमे दिश र्त कएल गेलअिछ।िमिथला पेिट ं ंगक िशक्षा सुी ेता झासँ बसेरा इ ंीूट, जमशेदपुर आऽ लिलतकला तूिलका, साकची, जमशेदपुरसँ। शनलएशोिसएशन फ◌ॉर ब्लाइड, जमशेदपुरमे अवैतिनक पेँ प ूव र्मे अापन।ोित झा चौधरी, ज ितिथ -३० िदसर १९७८; ज ान -बेवार, मध ुबनी ; िशक्षा- ामी िववेकान िम िडल ूल◌ िटोसाकची गर् हाई ूल◌, िमसेज के एम पी एम इटर कालेज़, इिरा गाी ओपन यिनविस ू र्टी, आइ सी डबू ए आइ (क◌ॉएकाउेी); िनवास ान- लन, य.के.; ू िपता- ी शुभंकर झा, ज़मशेदपुर; माता- ीमती सुधा झा, िशवीपी। ''मैिथली िलखबाकअास हम अपन दादी नानी भाई बिहन सभकेँ प िलखबामे कए छी। बेसँ मैिथलीसँ लगाव रहल अिछ। -ोितकनालोककनालोकमें िवचरण करै छलहु ँ उुसबतरहक िवषाद जतऽ भऽ गेल छल लुआािदत दय सेहो रहय िवयस◌◌ं युप ्◌्राश ंसामें श लागल सबसऽ उपयु र्को भूिम निह भेटल जे छल कलह स◌ िलथलहु ँ जत कतौ छल ेहक जलस◌◌ंऽ िसआरोक कचोर र ंग सव र् छल पिवत73


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्तािह पर ख ुशी कोमलताप ूव र्क रहय पुितशाि तेहेन जे देलक अप ूव र् आसंतोषद ूर-द ूर तक निहं कतौ देखायल आोशएह दिनया ु हैत कतौ से निहं छल भरोसजािह स◌◌ं द ुखी छलहु ँ से मेटायल सब रोषवािवकता अिछ अलग से तऽ यिसंसमा स◌◌ं जूझैत सब, की बा की व ृकनाक साकार भेनाई अिछ अिहमें िनिमघर-घर जहन लोक हैत िशिक्षत आ समृ।1.भिगीत 2. महाभारतकाश झा, ाम+पो.- कठरा, भाया-पुटाई, थाना- मनीगाछी, दरभंगा, िबहार (भारत)हाल बचपनसँ पचपन तकॐछोट-छोट धीया पुताक चंचलता,प ूरा पिरवारक सता,देख-देख ख ुशीक नयनसँ खसए अिछ रब ुझबामे निञ आबए अिछकखन भेल सा ँझ कखन भेल भोर,74


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ् * *नाना-नानी, मामा-मामी, बाबा-मैञा, का-काकी, िहनकर लोकिनक एकटा ारमा-िपता, संग प ूरा समाज िमल रख छिथ हजारो नामिकयो कहए नवनीत-िनराला, िकयो कहे िमकु कुमार,िहनकर छोट भऽ किनओ कम निञिहनकर नाम छि दश र्नपढ़◌ाईमे छिथ एकदम जीरोपैघ भऽ बनता ड◌ॉर एडरसन।बचपनमे तोतराइत बोली सुनबालेल लगे रहए छिथ सभ आसमुदा एिह युगक ना जनमैतेपिहलेसँ रहए यऽ बी.ए. पास।हाट-बजार लगे बौआक फरमाइस रहए छिन सभसँ िभभात-दािल सभसँ पैघ द ुनसिदखन खएता मैगी-चौमीनिज पैट कारी चा पिहिरअपनाकेँ ब ुझए पैघ हीरोअपन आगूमे दोसर बाकेँब ुझता एकदम जीरोूलक चरचा ौँ किरयौ तँिही मीिडअमसँ निञ पढ़ताह75


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्अंजी ूलमे पढ़ि◌ ओऽइजीिनअर-ड◌ॉरक सपना देखताहआइ कािक बाकेँ छिञूल जाइ लेल एिससटे आऽ कारपापा कपड़◌ा, जूता पिहराबिथमा ँ केक ट◌ॉफी भिरकऽ रहल छिथ िटिफन तैयारबौआ ूलमे पढ़ए छिथबिझऔ ु सभटा भगवान भरोसेपरीक्षामे फेल भेलाऽ पारपेरा-लू भेटए छिन सौ ँसेबाक असफलता देिखमा ँ-बाप िपे कपारएखन तँ शुआते भेल अिछपैघ भऽ िपअत शराबबेटा किहआ पैआ कमाएततकर रहए छिन , सभ गोटेकेँ इजारनीक पुतोहु, नीक पिरवार आर पा ँच लाख दहेज लेबा लेलबरका रहए छिन बोगली तैयारजखन आबए छिन, पुतोहु हेमामािलनी सन76


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्देखबिन हुनकर साज-श ंगार ृथोर िलिपिक, आिखमे ँ काजरिबच अँगनामे माथ-उघारएखन आिब गेल मोबाइलक जमानािमनटे-िमनटे घी बाजएअप-कमाइत छिथ िदी-मुईिबन बात के िकए छिन भेटेब ुरहारीमे मा ँ-बाप के कहएअहा ँ सभ बनल छी कक घेघअांिगनीकेँ र् स रखबाऽ लेल पकड़◌ाबिथहाक्षर कएल ब्लै ंक चेकआब कतेक वण र्न करी जमानाकसभ िमिल द ुयओ बातपर ानमा ँ-बाप भगवासँ पैघहुनका लोकिनक किरयु सानसभक एक िदन आएत ब ुरहारीजेह करबए तेह फल पाएब नरक एतए भेटतकतब ू करब तीथ र् वा गंगा नहाएबिलखते-िलिखते कलम कए कऽनिञ लए कख नाम77


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्काशक बातपर ान देलापरअहा ँ कहब िमिथला महान2. महाभारतमहाभारत (आ ँगा)-गजे ठाकुर७. ोण-पव र्रािमे द ुयो र्धन कएलक णअजर्नक ु मृुक भेल आवाहन,कण र्केँ सेनापित बनाए कएलिकौरवक गण सोलहम िदनक युक ाअर।कण र्क श ंखिनसँ भेल यु शु,कण र्क तापसँ युभूिम ,नकुल सोझा ँ पािब अपघात छोड़ल ाणकुीक देल कण र्क वर ाणदान।कृक आवाहन अजर्न ु अहा ँकेँ छोड़ि◌,ो निञ कए सकत िवजय कण र्क ऊपिर,वीगसँ जे बढ़ल अजर्न ु आगा ँ भेल शु बरखा,बरखा वाणक कौरवगणक अजर्नक ु समक्ष,मुदा अजर्नक ु सोझा ँ सभ भेलाह प,मुदा तख भेल सोलहम िदनक स ूया र्।78


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्रािमे कण र् कहलि हे िम द ुयो र्धन,अजर्नक ु रथमे होइछ ढेर-रास शस्क अटावेश,गाीव आऽ अक्षय तूणीरक निह कोो जोड़,हुनकर अक गित निह को थोड़ कृ सन सारथी।श बनिथ हमर सारथी यिद होएताह ओऽ कृक तोड़,मुदा श कहलि अिछ हमर मुँहपर निह जोड़,कण र्केँ से होए ीकार तँ हमरा को हजर् निह।सहम िदका यु भेल शु कण र्क आमण शु,अजर्न ु बढ़ल आगू श कहल िभ महाामीक अजर्नसँ,ुकण र् देखलि भीमकेँ करैत संहार चल ू श ओिह पार,भीमक प आइ च छोड़ल वाण चीड़ि◌ कवच कण र्क गा ँथल देह,अचेत कण र्केँ लए भगलाह श रणभूिमक कात-करोट।देिख ई दृ भीम भेलाह आर ती,द ुयो र्धन हुनकर सोझा ँ पठाओल द ुःशासन वीर।गदा यु द ुहुक म छल भेल भयर,भीमक मक हार खसल मिछ ू र्त द ुःशासन।भीम हाथ उखाड़ि◌ पीबय लागल छातीक र,भागल कौरवसेना देिख दृ एिह तरहक।आब सोझा ँ-सोझी अजर्न ु कण र्क यु आइ शु,कण र् काटल गा ंडीवक ंचा यावत दोसर चढ़◌ाबिथ,कएल वाणसँ आमण अजर्न ु कोहुना कए ंचा चढ़◌ाओल,वाण-वषा र् अजर्नका ु जखन भेल शु, कण र् श भेलाह चोिटल,कण र्क सहायक सेना भेल न कण र् अित ाकुल।छोड़ल कण र् वाण िद अजर्नपर ु कृ कएलि अकेँ ठेहुनपर ठाढ़,79


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्अजर्नक ु मुकुटकेँ छुबैत ओऽ अजर्नक ु ाणक संकट भेल पार।तखनिह कण र्क रथक पिहया धँसल यु म,कण र्क पुकार कक काल वाण निह चलएबाक धम र्क ई यु,िवराटक गौक चोिर अजर्न ु कहलि आऽ अिभमुकेँ मारैत काल,धम र् आऽ धम र्युक िबसरल छलहु ँ अहा ँ पाठ,ाणक िभक्षा म ँगैत लिगतहु अिछ निह लाज।कण र् उतिर लगलाह रथक पिहया िनकालए,अजर्नक ु वाण काटल मक कौरवमे हाहाकार भारी।द ुयो र्धनक सभ भा ँयकेँ मार छालाह भीम तावत,एगारह अिहणीमे सँ बड़ थोड़ कौरव छल बा ँचल,कृपाचाय र् ब ुझओलि द ुयो र्धन आबो क सि,मुदा ओऽ कहल हम अहा ँ कृतवमा र् अाम आऽश अछैत,सिक गप छी अहा ँ करैत।श बनिथ सेनापित यु अठारहम िदन रहत जारी।९.श-पव र्शक भेल उोष ओकर बढ़ल पग युिधिर छल रोकल।श जखनिह काटल हुनकर एक धष,युिधिर उठाए दोसर धष मारल शक अ आऽ सारथीकेँ ,भेल तखन घमासान युिधिर लेलि श ाण,सहदेव छुटलाह शकुिन आऽ ओकर पु उल ूकपर,लेलि बाप-बेटाक ाण ज ुआरीक ाणा।गदा लए द ुयो र्धन िनकिल गेलाह छोड़ि◌ रण,एकटा सरोवर म छल ंभ काएल ओतए द ुयो र्धन,देखलि जाइत हुनका िकछु ामीण।80


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्पावक संग कृ पहु ँचलाह ओतए,िकछु ामीण जे देलि पता ओतएक,भीम देलक ललकारा द ुयो र्धन िनकिल आएल,तीथ र्सँ घ ुरैत बलराम सेहो पहु ँचलाह ओतए आइ।िश द ुयो र्धनकेँ दए आशीवा र्द कएल गदा युक शुआत,भीम द ुयो र्धनक बीच बाझल यु घनघोर,कृ देल जा ँघपर थपकी मोन पाड़ल भीमकेँ ओकर ितज्ञाक,तोिड जा ँघक ही कए मकपर द ुयो र्धनक गदा-पएरसँ हार,भीमक ई कृ छुटलाह बलराम ओकरा पर मार-मार,कृ रोिक दाऊकेँ मोन पाड़ल ौपदीक अपमान,भीमक ण।छोड़ि◌ द ुयो र्धनकेँ असहाय,गेलाह सभ पाव भाय।संा समय कृतवमा र् कृपाचाय र् आऽ अामापहु ँिच देखल द ुयो र्धनक द ुद र्शा आऽ लाप,भीमक पादसँ द ुयो र्धनक मकपर हार,सुिन ई क अामा लेल पावक वधक त,द ुयो र्धन कएल अामाक सेनापित पमे अिभषेक,कृतवमा र् कृपाचाय र् आऽ अामा बढ़लाह पाव-िशिवर समक्ष।१०.सौिक पव र्कृष्न लए पा ंचो पा ंडवकेँ गेलाह कतहु अ।पाव-िशिवरक समक्ष एकटा व ृक्ष,नीचा ँ सुतलाह कृपा आऽ कृत,अामाक आिखमे ँ िनक निञ लेष, देखल एकटा पक्षी अबैत,ओिह व ृक्षपर कौआसभ सुतल मािर रास, केलक ओऽ पक्षी सभक ास।81


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्देिख ई दृ अामा उठाओल कृपाचाय र् ओऽ कृत,भोरक बाट ताकब निह सुबि, ु ई अधम र् कहल कृप,मुदा अाम चिल पड़ल िशिवर िदश,हािर पहु ंचल पाछा ँ-पाछा ँ कृत-कृप,हम पैसैत छी भीतर िशिवर,बाहर होइत सभकेँ ाण िलअ अहा ँ द ुन ू गोटे,एतए ठाढ़ लग ार।सभ पा ंचाल ध ृु िशखी समेत,ौपदीक पा ँचू पुकेँ बिझ ु पाव देल मािर,अामा देल िशिवरकेँ आिगसँ जराए।फेर पहु ँिच लए ौपदीक पा ँचू पुक माथ,द ुयो र्धन देिख मा ँगल भीम माथ,ओकर मुिकाक हारसँ मक भेल फा ँक,निह ई निह भीमक माथ,भोरमे देखल ौपदीक पा ँचू पुक माथ,कात हाोश करैत भेल द ुयो र्धनक ाणा।भोरमे क◌ॄ पहु ँचलाह पाव-ौपदीक संग,देिख िवनाश भीम चलल अामाक तािकमे,छल ओऽ गंग तटपर ासक समक्ष,युिधिर-अजर्न ु संग कृ पहु ँचल जाए,पावक नाशक संक संग अामा छोड़ल िशरा अस्,अजर्नक ु छोड़ल पाशुपत महास् अि वि ृ सँ सिक ृ िवनाश,बीचमे अस्क अएलाह नारद आऽ ास,आह करैत जे द ुन ू गोटे िलअ अपन-अपन अस् सािर,अजर्न ु लेलि अपन अस् सािर मुदा,82


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्अामा कहल निह घिर ु सकत हमर अस् आइ,ऋिषक ितकार िशरासँ होएत उराक गभर्क नाश,मुदा अामकेँ देमए पड़त मकक मिण,भेल ओऽ िनब र्ल तपी ासक आममे जीवन सकल।११.स्ी पव र्द ुयो र्धनक पी भामित छिल अचेत, गा ंधारी करिथ िवलाप,ध ृतराष् मित ू िवद ुरक हाोश, पाव घ ुरल अामाक मिण संग,कृ लेलि लौहक भीमक ा ंग ध ृतराष् पहु ँचल कु वध ू सभक संग।भीमकेँ गर लगाए कएल ओकरा चूण र् भेल भीम-भीम कहैत लाप,कृ कहल निह कान ू हे ध ृतराष्, छल ई लौहक भीम मा,गा ंधारी देल क◌ॄकेँ शाप,जेना कएल अहा ँ हमर व ंशक नाश,होएत अहूँ क कुल न।मृतकक दाह संारक संग एक पक्ष समा।१२. शाि पव र्युिधिरक मोन िविख, छोड़ल राज-पाटक िवचार,ास आिब देलि उपदेश, पलयन निह अहा ँक मा।धौ कए वेद म ंक गाण राजितलक युिधिरकेँ लगाएल।फेर पहु ँिच भीक समक्ष लेल अशासनक िशक्षा,राजधम,लोकधम र् र् मोक्षधम र्क ज्ञान, जापालन,उिठ देश जाितक िवचारसँ ऊपर, राजाक तक क पिरपालन।83


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्१३.अशासन पव र्आएल ओऽ काल जखन स ूय र् भेलाह उरायण,पहु ँचलाह युिधिर संग माता-गा ंधारी-कुी, ध ृतराष् ाता संग,अावन िदनक शर-शाक अिम उपदेश आऽ महायाण,चाननक िचतापर भीकेँ युिधिर देल आिग सभ आा।१४.आमेिधक पव र्हिनापुरक रामे आएल सुख समृि,युिधिरक कौशल कएल आशाक वि,ृउराकेँ तख भेल मृत-पुक ाि,सुभा खसिल कृ लग जाए।कृ उठाए बालकेँ कहल हम निह कएल पलायन,ससँ स रहल बनल, परािजत शु कए निह भेलहु ँ िहंसक,यिद ई स तँ बालक जीिब उठिथ।ई सुिनतिह िशशु भेल जीिवत नाम पड़ल परीिक्षत।फेर कएल युिधिर यज्ञ अमेध,िसलेबी अक गरमे ण र्प,िजनका युिधिरक रासँ परहेज,से पकड़ि◌ घोटक करिथ एकर िवरोध।मुदा घिर ु आएल अ िनंटक,यज्ञ भेल समा िनिव र्।१५.आमवािसक पव र्84


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्बरख पह बीतल तखन अएलाह ास,देल उपदेश ध◌ॄतराष् लेल वान धम र्क ज्ञान,गा ंधारी, कुी िवद ुर संजयक संग िहमालय याण,िवद ुर लेलिन वनिहमे समािध,दावाि लेलक शेष सभक ाण।१६.मौसल पव र्कृ युक बाद गेलाह ारका,छलिथ कए सान,मुदा यादव राजकुमार,करिथ अपमान िवानक,मािर-कािट करिथ आपसमे ख,देिख दिखत ु बलराम भासतीथ र् जाए,ओतिह लेल दाऊ समािध,कृ पहु ँिच देिख हुनकर ाणा,गाछ पकड़ि◌ रहिथ ठेिहआए,ाध जकर छल जरा नाम,हिरण बिझ ु पैरक तलवामे मारल वाण,भेल कृक ाणा,सुिन ई समाचार मृुक वसुदेवक,िपता वासुदेव सेहो कएल जीवनक अ।१७.महााािनक पव र्85


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्कृक मृुक समाचार,पावराज युिधिर देल परीिक्षतकेँ राज,सुभा केँ दए उपदेश,संग ौपदी पहु ँचल ारका पा ँचू भाए।ओतए डूबल समुमे छल ओऽ नगरी,घ ुमैत िफरैत चललाह िहमालय सभ गोटे।एक कुकुड़ छल संग चलैत ओतए,िहमालय व ृहदाकार िहमपातक मािर,ौपदी खसिल मरिल , फेर सहदेव,नकुल अजर्न ु भीम खिस मरल फेर-फेर।आगा ँ देवलोकक रथ छल ठाढ़,इ कहल चल ू असगर सशरीर युिधिर,ई कुकुड़ निह रहए साथ।युिधिर निह मानल घिर ु जाऊ इ,िबन एकर निह जाएब ओतए होए अिह।छल ओऽ कुकुड़ यमराज य ं,कट भए देल ओऽ आशीवा र्द ओतए।१८. गा र्रोहण पव र्पहु ँिच देखल कौरव गण सभ ओतए,इ हमर ाता छिथ कतए।तखन एकटा द ूत लए गेल हुनका नकर्क ारपर,ौपदी संग पा ँचू भाए छलाह ओतए।कहल युिधिर हम रहब एतिह हे द ूत,86


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्छोड़ि◌ िहनका जाएब निह कतहु।इ यम पहु ँिच गेलाह ओतए।यम कहल यक्ष कुकुड़ बिन हम अहा ँ परीक्षा लेल,आइ एिह तेसर परीक्षामे सेहो अहा ँकेँ उीण र् कएल।ई अिछ देवलोक मुदा सदेह राजाकेँ ,एतुा क देखक लेबाक चाही िशक्षा तेँ ,िकछु कालक क हम अहा ँक देल।छोड़◌ू ई शरीर िलअ दैवी प आब,कहैत यमक भेल ई पिरवतर्न,कण र् सेहो ओतए बारह आिदक संग,रजिटत िसंहासनपर छल िवराजमानभारतक युक काक समापन।(समा)ब ु चिरतई पुरातन देश नाम भरत,राज करिथ जतए इाकु व ंशज।एिह व ंशक शा कुल राजा शुोधन,पी माया छिल,किपलवुमे राज करिथ तखन।(अवतर्ते)1.ी ड◌ॉ. पंकज पराशर 2. श ैले मोहन झा87


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्ी ड◌ॉ. पंकज पराशर (१९७६- )। मोहनपुर, बलवाहाट चपरा ँव कोठी, सहरसा। ारिक िशक्षासँ ातक धिरगाम आऽ सहरसामे। फेर पटना िविवालयसँ एम.ए. िहीमे थम णीमे थम ान। जे.एन.य.,िदीसँ ू एम.िफल.। जािमयािमिलया इािमयासँ टी.वी.पकािरतामे ातकोर िडोमा। मैिथली आऽ िहीक ितित पिका सभमे किवता, समीक्षा आऽआलोचनाक िनब ंध कािशत। अंजीसँ िहीमे ◌ॉद लेवी स्◌ॉस, एबहाडर् िफशर, हकु शाह आ ूस चैटिवन आिदक शोधिनबक अवाद। ’गोवध और अंज’ नामसँ एकटा तं पोथीक अंजीसँ अवाद। जनसामे ’दिनया ु मेरे आगे’ ंभमेलेखन। रघ ुवीर सहायक सािहपर जे.एन.य.सँ ू पी.एच.डी.।ाय जारी अिछ(साम हुसैनकेँ देल गेल मृुदपर)सुभािषतािन आ नीितोकाः मे आब निह बा ँचलएो टा ायाधीश वानरअपन इनसाफी बटखराक संगआब ओ सब देखल जा रहल-ए आानसँ बहरा कऽसुा वतर्मानमेवतर्मानक अथ र् जँ सुपरसोिनक िवमानसँगशजीक द ुषा धिर जोड़ि◌ सकीआ अथ र् लगा सकी कोनहुना उ तकनीकसँ संपसुपर कं ुटरपर लागल सेरक ड़◌ा◌ँड़ि◌ के बीचतँ शायद वतर्मान शक िकछु अथ र् ताकल जा सकैत अिछकलर बमक हारसँ दिनया ु भिरमेलोकतं ािपत करबाक यासमे अपा ँत महाशिक्ष-क्षण अपन बयान बदलैत एकर कारणकहुखन ईरीय आदेशक पालन कहैत अिछ88


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्तँ कहुखन ापक िवनाशक हिथयारक उादनजािन निह कोन-कोन ायाधीशक िनण र्य आयबएखन बा ँचल अिछजािन निह हमरा सबहक छातीककरा-ककरा ब ंद ूकक लेल आरिक्षत अिछआ घर पेोल बमक घेरामे आिब चुकल अिछलोकतं ापनाक यासपर को तरहक िटणीायालयक गंभीर अवमानना मानल जायतआ ायाधीश केर िनयोाक संग निह देब-शुतासावधान! दिनयाक ु खास-ओ-आमायाधीशक ाय जारी अिछ।बोिनहािर मोनक आतर्नादिडी-पै ंजाबक लेल जिहया-जिहया िनकलैत अिछझंडक-झ ु ंड ु युवक सब बटखचा र्क लेल बालदािलपुड़◌ी आ ठकुआ-पकमानक संगतँ िस जका ँ भिर लैत छी नाकक प ूरामे सबटा गंधलाहक लहठीसँ भरल हाथसँ बाल मोटरीपर हड़बड़◌ीमेअभरल हरिदयाएल हाथक आ ँगुरक छापभिरसक सओन-भादवक राितमे हेतैक कँ-कँ मिलनवा सेहो निह कोना किह सकब89


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्बाटक बा ँचल द ुटीजे टमटमपर टीसन धिर चलैत अिछ अनवरततािहमे बेर-बेर हुलकी मारैत अिछ पै ंजाबक चच र् के बीचमास ूलवला टाकाक कजा र् आ पिछले वष र्सँ स ूदभरना लागलअगद ुआिरवला खेतक िहयासमोन कइक युगसँ कऽ रहल अिछ आतर्नादबाटसँ बेशी मोनमे चलैत अिछ अगद ुआिरवला खेतक चच र्जिहया-जिहया हफीमक िनसा ंमेबड़द जका ँ खटैत अिछ तीन बहीन परक द ुलआ हमर दोसिजला संगरक सािकन जियामे * * *शौचालयक कातमे कोनहुना ठाढ़ हेबाक ठाम तकैतओ जखन नाकक ियाशीलताक सँ होइत अिछ पीड़ि◌ततँ तकैत अिछ गामसँ लऽ कए न धिर ककोँ टा ानमुदा ानासीन लोकक शिकत ं दृिसँ िवओ िबलमैत अिछ गामिह जका ँ एतहु को करौटमे भिर राितमोनमे कइक युगसँ दिमत अिछ ानक आसिपंडदानक संदभर्मे सुनल िपंडक अथ र् जखन ओ सुत अिछ-गामतँ गामक बाहर बसिनहार ओकरा एतहु जगह भेटैत छैकिपंडसँ बाहर खेतक बीचमे बनाओल “कोठा”मेपुरना ैरक टायर आ खाद-िबयाक बोरा सबहक बीच90


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्दिनया ु मायक कोर निह होइत अिछ आ निह घरक िबछाओनजतय को तरहक िचाक ान निह छलओ सोचैत अिछ अपन राक संज्ञाकेँ एकटा गािर जका ँ सुतको अतािह हरवाह जका ँ ओकरा बड़द बिझुजखन मारैत अिछ पै ंजाबक िकसानजी करो, जी करो- केर पेनातँ अदार बाछा सन मोनपर अभिर अबैत अिछ- दागओ सोचैत अिछ करिनिनया राितमेसब लोक सबहक लेल लोके निह होइत छैकघरमुहा ँ मोन बेर-बेर ढरैत अिछिबतलाहा समय केर बाटजािह गाममे ओ जनमल-बाढ़लजािह मािटमे लोटबैत भेल ज ुआनतािह ठाम ककर-ककर निह कयलक बेगारी आ हरवाहीमुदा तइयो निह भेटलैक को ान, को मानआ गाममे भिर पेट भोजन द ुन ू सा ँझमास ूलवला टाका अगद ुआिरवला खेतमे िमर होइतनक याा संग हरिदयाएल हाथक कँ पकँ पीिघंघोरल र ंग जका ँ ओकरा आिखमे ँ नचैत रहैत छैकआ िनकेँ फुसलयबाक ओकर सबटा यासथ र् भऽ जाइत अिछ अरहा ं91


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्तेरह मासक ओकर किकरबा आब कतेक टा भेल हेतैककतेक बदलल हेतैक ओकरा परोक्षमे गामक मोनक भूगोलिचार चीज सब कतेक भऽ गेल हेतैक अिचारआ आे-आे कतेक भेल हेतैक टोलक पसारकतेक रास आ कतेक रास क संगओ घ ुरैत अिछ मोनमे बसल गामअसंक राितक िहयास लेमाथपर भारी बाकेँ फूल सन हुक ब ुझैतब ुढ़ि◌याक िखा सुन... ू ब ुढ़ि◌याक िखा... ओ नगरी ओ ठाम... ओ नगरी ओ ठाम...मोन अहिन र्श करैत रहैत अिछ आतर्नादबरगंडीसँ सोलगंडी सेरक यथाथ र् धिर बढ़ल गामशः शः होइत गेल अनिचारआ बोिनहारी मोनक गाम घ ुरबाक आकुलतापरहोइत गेल वपात।2. श ैले मोहन झारसमय किव चतुर चतुरभुज- िवापित कालीन किव। मा १७ टा प उपल, मुदा ई १७ टा पद िहनकर कीितर्केँ अक्षयरखबाक लेल पया र् अिछ। उदाहरण देखू-िदन-िदन द ुहु-तन छीन, माधव,एकओ अपन अधीन।हे कृ! िदनपर िदन द ुन ूक तन िवरहसँ क्षीण भेल जाऽ रहल अिछ, आऽ द ुन ूमे केओ अपन अधीन निह छिथ।"िवदेह" ुत कए रहल अिछ आधिनक ु रसमय किव श ैले मोहन झाक रचना।92


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्सौभासँ हम ओिह गोन ू झाक गाम, भरवारासँ छी, िजनका सूण र् भारत, हािशरोमिणक नामसँ जत अिछ। वतर्मानमे हमटाटा मोटस र् फाइ िलिमटेड, सलपुरमे बकक पमे काय र्रत छी।हम तऽ छी परदेशमे-िकछु िदन पिह हमर िववाह भेल छल आर ई गीत हम अपन किनया ँ लेल, जेना िलखल आर गायल ब ुझाइत छल, िलिखपठाओल। मुदा द ुःखक गप ई जे चंड बाढ़ि◌क कारण हुनका ा निह भेल।हम तऽ छी परदेशमे,गामपर िनकलल होएत चा ँदअपन राितके छतपर केक,असगर होयत चा ँद यौहम तऽ छी...जािह आिखमे ँ काजर बिन कयऽहेलै अिरया राितओिह आिखमे, ँ रक एकटाब ँदे ू होयत चा ँद यौराित तऽ ऐहन पे ंच लगौलक,छूटल हाथसँ डोिरअपन आ ँगनक नीममे जा कयऽअटकल होएत चा ँद यौचा ँद िबना िदन अिहना बीतैजेना युग िबतलहमरा िबना कोन हालमे होएतकेहन होएत चा ँद यौ93


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्हम त छी परदेशमे,गामपर िनकलल होयत चा ँदगेगे छौड़◌ी किन तिकहैं गे,एर किन तिकहैं गे....तोरा लऽ दय बेकरार गे ऽऽऽऽकेश छौ कारी-कारीई यौवन भारी-भारीअसगर सरतौ कोनाऽऽऽऽआिख ँ मिदराक ालाठोढ़ तोहर मध ुशालापीबय दे हमरो किनऽऽऽबातसँ िमसरी चूबैमन तऽ आिखमे ँ डुबैपार उतरबै कोनाऽऽऽऽचाल छौ िहरणी जेहनजहर तोहर, िबढ़नी जेहनजहर उतरतै कोनाऽऽऽगालमे स ूरज उगैकेशमे स ूरज डुबैिदन राित बशमे तोराऽऽऽगें छौड़◌ी किन तिकहैं गेएर किन तिकहैं गेंएर किन तिकहें गें94


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्तोरा लेल दय बेकरार गेऽऽऽ१.(कोसी लोकगीत)(िबहार की निदया, ँ सदय, १९७७, प.३७२-७३)ृमुठी एक डँ ड़वा गे कोिसका अलपा गे बयसवागे भुइया ँ लौटे नामी-नामी केशकोसी मय लोटै छौ गे केश॥केशवा सािर कोसी ज ुड़वा गे बाओलकोसी गे खोपवा बाओलओिह खोपवा कुहुकै मजूर।उतरिह राज से एलेँ हे रैया रनपालसे कोसी के देिख-देिख स ूरित िनहारैस ूरित देिख धीरज रहै धीर॥िकये तोरा कोिसका चेकापर गढ़लकिकये जे पा गढ़लक सोनार॥ हो रनपाल मोिह चेकापर गढ़लक पा गढ़लक सोनारअा कोिखया हो रनपाल हमरो जनम भेलस ूरित देलक भगवानगाओल सेवक जन द ुहु कर जोिरगआक बेिर होउ न सहाय, गे कोसी मैयाहोउ न सहाय॥२. (कोसी लोकगीत, मोर ंग, पाल)(निदया ँ गाती हैं, ओमकाश भारती, २००२, प.१०८)ृसगर परबत से नाल कोिसका माता,भोटी मुख कयेले पयामआगू-आगू कोयला वीर धसना खभारल,95


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्पाछू-पाछू कोिसका उमरल जायनाी-नाी आछर िलखले गंगा माता,िदहलिन कोसी जी के हाथसात रात िदन झड़◌ी नमावलचरहल चनन केर गाछे येचानन छेिब-छेिब बेड़ बनावल,भोटी मुख देव चढ़◌ी आय येगिहरी से निदया देखहु ँ भेयाउनतहा ँ देल झौआ लगायरोहुआक म ूरा चढ़◌ी हेरये कोिसका,केती द ूर आबैय छे बलानमार-मार के धार बिहये गेल,काम चलल घहरायपोखिर गहीर भौरये माता कोिसका,कमला के देल उपदेसमाछ-काछु सब उसरे लोटाबय,पसर चरयै धे गायगाइब जगत के लोक कल जोरी,आज ु मइआ इब ु न सहाय।३.(कोसी लोकगीत)(कोसी लोकगीत- जेर,१९५५)राितए जे एलै रान ू गउना करैले,कोहबर घरमे सुतल िनिचत!जकरो द ुअिरया हे रा कोसी बहे धारसेहो कैसे स ूते हे िनिचत॥96


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्सीरमा बैसल हे रा कोिसका जगाबैस ूतल रा उठल चेहाय॥का ँख लेल धोितया हे रा मुख दतमिनमाय तोरा हंटौ हे रा बाप तोरा बरजौज जाहे कोसी असनान॥हँटलौ मा रा दबलौ माचली गेलै कोसी असनान॥एक डूब हे कोसी द ुइ डूब लेलतीन डूब गेल भिसयाय॥जब तुहू आहे कोिसका हमरो डुबइबेआनब हम अी मन कोदािर॥अी मन कोदिरया हे रा बेरासी मन बे ंटआगू आगू धसना धसाय॥.रामकृ झा “िकसुन” (१९२३-१९७०)कोशीक बाढ़ि◌(िकशुन रचनावली, तेसर ख, मैिथली अकादमी)आिब रहलै बाढ़ि◌अिछ उाम कोशीक धारआिब रहलै बाढ़ि◌ ईअित क्षु/ मया र्दा-रिहत सागर सदृशउछलैत/ लहिरक वेगमेभिसया रहल छै काश वा िक पटेर, झौआ, झारगाछ, बा ँस कतहुकतहु अिछ खा, खोपड़ि◌खढ़ कोरो सिहत फूिसक चार97


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्आिब रहलै बाढ़ि◌ अिछ उछाम कोशीक धारबिच सकत निह एिहसँिडहबार बाबा केर उँ चका थानवा िक गहबर सलहेसकआ रामदासक अखराहावा डीह राजा साहेबकोढ़◌ी, हवेली, अबल, हिथसारबाभनक घर होिक डोम द ुसाध गोंढ़ि◌क तु खोपड़ि◌पािन सबकेँ कऽ देतै एकटारआिब रहलै बाढ़ि◌अिछ उाम कोशीक धार।ऊँ च-ऊँ च जतेक अिछसब नीच बिन जयतैकनीच अिछ खा िक डाबरभरत सबटा/ ऊँ च ओ बिन जैतहैत सबटा/ ऊँ च ओ बिन जैतहैत सबटा एक र ंग समभूिमऊँ च नीचक भेद निह िकहु रहतजे ऊँ च अिछपिह कटिनया ंमे कटतआ नीच सभकेँऊँ च होमकसुलभ भऽ जयतै सहज अिधकार98


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्कोढ़मे छक दऽ लगय तँ की करबआब ई सब तँ सहय पड़बे करतबाप-बाप क िक पीटू सब अपन कपारआिब रहलै बाढ़ि◌अिछ उाम कोशीक धार।आिर ध ूर काज िकछुओ दऽ सकतसब बिुिनयमक सुदृढ़ बा िकुिटिक सकत िकछु कालबससब पर पलाड़◌ी पािनउमड़ि◌ कऽ चढ़ि◌ जैतसबकेँ भिर बरोबिर कऽ देतैआ पुरनकी पोखिरिक नवकी अिछ जतेकखिस पड़त ई पािन बाढ़ि◌क हहाकऽनिह रोिक सकबैरोिक निह सकतैक ऊँ च महारजे बनल अिछ पोखिरक रक्षकभखिरकऽ वा िक किटकऽ िनपा भऽ जैतआ पािन जे खसतैतखन ईबहुत िदनसँ बाि कऽ राखलमहारक श ंखलामे ृअिछ जते युग-युग ताड़ि◌त99


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्पीड़ि◌त फुिसऐल पोसलनी, भुा आ िक ललमुँिहया ँ ितई माछ सब एिह पोखिरक निह रिह सकतसब बहार उजािहमे जयबे करतपाग आब रहय िक निहवा बिच सकय निह टीक ककरोकी करब?एिह बाढ़ि◌मे अिछ ककर वश?ककरा कहू जे के हैत देखारआिब रहलै बाढ़ि◌अिछ उाम कोशीक धार।आिब रहलै बाढ़ि◌ जे कोशीक ईबिच सकत निह घर आ िक द ुआरसड़क-खा/ ऊँ च-नीचपोखिर िक डाबड़/ गाम-गाछीआ िक खेत-पथारआिब रहलै बाढ़ि◌अिछ उाम कोशीक धार।100


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्िवनीत उल (१९७८- )। आनंदपुरा, मधेपुरा। ारिभक ं िशक्षासँ इ ंटर धिरमुंगेर िजला अंतत रणगा ंव आs तारापुरमे। ितलकामा ंझी भागलपुर, िविवालयसँ गिणतमे बीएससी (आनस)। र् गु जेरिविवालयसँ जनसंचारमे मार िडी। भारतीय िवा भवन, नई िदीसँ अंगरेजी पकािरतामे ातकोर िडोमा। जािमयािमिया इािमया, नई िदीसँ जनसंचार आऽ रचनाक लेखनमे ातकोर िडोमा। न म ंडेला सेंटर फ◌ॉर पीस एंडकनि िरजोूशन, जािमया िमिलया इािमयाक पिहल बैचक छा भs सिटिफकेट र् ा। भारतीय िवा भवनक ंच कोस र्कछा।आकाशवाणी भागलपुरसँ किवता पाठ, पिरचचा र् आिद सािरत। देशक ितित प-पिका सभमे िविभ िवषयपर तंलेखन। पकािरता कैिरयर- दैिनक भार, इ ंदौर, रायपुर, िदी स, दैिनक िहंद ुान, नई िदी, फरीदाबाद, अिकं चन भारत,आगरा, देशब ंध , ु िदी मे। एखन राष्ीय सहारा, एडा मे विर उपसंपादक .।गामडूिब गेलभोरम-भोरचन भैयाकफ़◌ोन आयलकहलिखन हालचालसमाद दलिखनअपन गाम डूिब गेलसुनक स रिह गेलोओिह जभूिम101


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्ओिह िमिथलाक ासदी सुिन कsिसलेमा जनागामक सबटा दृआिखंक साम घ ुरै लागलअपन फ़◌ूसक घरकाक पा मकानार ओ भंसाघरयाद आकुकुर ओ मालजालबाड़◌ी ओ कटहलक गाछभैया कहलिखनचाइर सं पा ंच फ़◌ुटपैन छै आ ंगन मेअपन गाम रहैथसबसे ऊं च किहयोनिह डूबैत छैक बाढ़ मेदेखू, चकाचक भs रहलछैथ राजधानी102


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्एतअ सं द ूर गाम-घर मे भढ़ल छैक पानी.1. कला 2. संगीत िशक्षािमिथला कला(आ ँगा)िचकार- तूिलका, ाम-पुर, भाया-आा-ठाढ़◌ी, िजला-मध ुबनी।103


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्अवतर्ते)2.संगीत िशक्षाी रामाय झा ’रामर ंग’(१९२८- )राग िवापित काण- एकताल (िवलित)मैिथली भाषामे ी रामाय झा “रामर ंग” केर रचना।ाई- कतेक कहब गुण अहा ंके सुवन गश िवापित िवा गुण िनधान।अरा- िमिथला कोिकला िकितर् पताका “रामर ंग” अहा ं िशव भगत सुजान॥104


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्ायी- - रेग◌॒म◌॑प ग◌॒रेसाऽऽ क ते ऽऽ क क ऽरे सा (सा) िन◌॒ध िनसा – रे िन◌॒ध प धिन सा सारे ग◌॒रे रेग◌॒म◌॑ओअ - म◌॑ह ब ऽ ऽ ऽ गु न ऽ अ हा, ं ऽऽ के ऽ ऽ सुव नऽ ऽऽऽऽ ऽ गप प धिन◌॒ धप धिनसा ं - - रें सा ं िन धप (प)ग◌॒ रे सा रे ग◌॒म◌॑प ग◌॒ रेसा स िवऽ ाप ित ऽऽ ऽ ऽिव ा गुन िनधा न, क ते ऽऽऽ क, कऽअरापप िन◌॒ध िनसा ं सा ंरेंिमिथ लाऽ ऽऽ कोिकसा ं – िनसा ंरेंगं◌॒ रें सा ं रें िन सा ंरे िन◌॒ धप प (प) ग◌॒ रेसालाऽ की ऽऽऽ ित प ता ऽ ऽऽ का ऽऽ रा म र ं ग अरे सासा धिन◌॒प ध िनसा -सा रे ग◌॒म◌॑प -ग◌॒ सारे सा,सा रेग◌॒म◌॑प ग◌॒, रेसाहा ं िशव भऽ, ग तऽ ऽसु जाऽऽऽ ऽ ऽ न ऽ, क ते ऽऽऽ क,कऽ*गंधार कोमल, मम ती, िनषाद द ुन ू आऽ अ र शु।३.ी गश जीक वना105


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्राग िबलावल िताल (म लय)ाई: िवघन हरन गज बदन दया क, ह हमर द ुःख-ताप-संताप।अरा: कतेक कहब हम अपन अवगुन, अधम आयल “रामर ंग” अहा ँ शरण।आशुतोष सुत गण नायक बरदायक, सब िविध टा पाप।ाईिनग प ध िन सा िन ध प ध िन◌॒ ध प म ग म रेिव ध न ह र न ग ज ब द न द या ऽ क ग ग म िन◌॒ ध प म ग ग प म ग म रे स साग ऽ ह म र द ु ख ता ऽ प सं ता ऽ प ऽअरािनरेंप प ध िन सा ं सा ं सा ं सा ं सा ं गं गं म ं गं रें सा ं –क ते क क ह ब ह म अ प न अ व गु न ऽरेसा ं सा ं सा ं सा ं ध िन◌॒ ध प ध ग प म ग ग प पअ ध म आ य ल रा म रे ऽ ग अ हा ं श र णध प म ग म रे सा सा सा सा ध - ध िन◌॒ ध पआ ऽ शु तो ऽ ष सु त ग ण ना ऽ य क व रधिन संरें िन सा ं ध िन◌॒ ध प पध िन◌॒ ध प म ग म रेदाऽ ऽऽ य क स ब िब ध टाऽ ऽ ऽ पा ऽ ऽ प106


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्४.िमिथलाक वनाराग तीरभुि झपतालाई: गंग बागमती कोशी के जहँ धार, एहेन भूिम कय नमन कँ बार-बार।अरा: जनक याव जहँ स िवान, “रामर ंग” जय िमिथला नमन तोहे बार-बार॥ाईरे – ग म प म ग रे – सागं ऽ ग ऽ बा ऽ ग म ऽ तीपसा िन ध◌ – प◌ िन िन सा रे साको ऽ शी ऽ के ज हं धा ऽ रसाम ग रेग रे प ध म पिन सा ं सा ंए हे नऽ ऽ भू ऽ िम कऽ ऽ यपसा ं िन प ध (ध) म ग रे सा सान म न क ँ बा ऽ र बा रअराप पध म – प िन िन सा ं – सा ं107


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्ज नऽ क ऽ ऽ या व ऽ रें रें गं – म ं म ं गं रें – सा ंज हं सं ऽ त िव ऽ ा ऽ नधपसा ं िन प ध म प िन सा ं सा ं सा ंरा म र ं ऽ ग ज य िम िथ लापसा ं िन प ध (ध) म ग रे सा सान म न तो हे बा ऽ र बा र५.ी श ंकर जीक वनाराग भूपाली िताल (म लय)ाई: कतेक कहब द ुःख अहा ँ कय अपन िशव अहूँ रहब चुप सािध।अरा: िचंता िवथा तरह तरह क अिछ, तन लागल अिछ ािध,“रामर ंग” कोन कोन गनब सब एक सय एक असा॥ाईप ग ध प ग रे स रे स ध सा रे ग रे ग गक ते क क ह ब द ुः ख अ हा ँ कय अ प न िश वग ग – रे ग प ध सा ं पध सा ं ध प ग रे सा –अ हूँ ऽ र ह ब चु प साऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ िध ऽअरा108


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्प ग प धसा ं सा ं – सा ं सा ं ध सा ं सा ं सा ं रें सा ं सा ंिचं ऽ ता ऽ िव था ऽ त र ह त र ह क अ िछसा ं सा ं ध - सा ं सा ं रें रें सं रे गं रें सा ं – ध पत न ला ऽ ग ल अ िछ ा ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ िध ऽसा ं – ध प ग रे स रे सा ध स रे ग रे ग गरा ऽ म र ं ऽ ग को न को ऽ न ग न ब स बग ग ग रे ग प ध सा ं पध सा ं ध प ग रे सा –ए क स य ए ऽ क अ साऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ1.मौन-िमिथलाक शा 2.हिरतािलका/ चौरच/ अनंत चतुद र्शी 3. चौठचपर न ूतन झाड◌ॉ फु कुमार िसंह ‘मौन’ (१९३८- )- ाम+पो- हसनपुर, िजला-समीपुर। िपता . वीरे नारायणिसँह, माता . रामकली देवी। जितिथ- २० जनवरी १९३८. एम.ए., िडप.एड., िवा-वािरिध(िड.िलट)। सेवाम: पाल आऽभारतमे ाापन। १.म.मो.क◌ॉलेज, िवराटनगर, पाल, १९६३-७३ ई.। २. धानाचाय, र् रा.. िसंह क◌ॉलेज, महनार (वैशाली),१९७३-९१ ई.। ३. महािवालय िनरीक्षक, बी.आर. अेडकर िबहार िविवालय, मुजफ्फरपुर, १९९१-९८.मैिथलीक अितिर पाली अंजी आऽ िहीक ज्ञाता।मैिथलीमे १.पालक मैिथली सािहक इितहास(िवराटनगर,१९७२ई.), २.ाम(िरपोता र्ज दरभंगा १९७२ ई.), ३.’मैिथली’ ैमािसककसादन (िवराटनगर,पाल १९७०-७३ई.), ४.मैिथलीक नागीत (पटना, १९८८ ई.), ५.पालक आधिनक ु मैिथली सािह (पटना, १९९८ई.), ६. मच चयिनत कथा, भाग- १ आऽ २ (अवाद), ७. वाीिकक देशमे (महनार, २००५ ई.)।काशनाधीन: “िवदापत” (लोकधमीर् ना) एवं “िमिथलाक लोकसंृित”।भूिमका लेखन: १. पालक िशलोीण र् मैिथली गीत (ड◌ॉ रामदेव झा), २.धम र्राज युिधिर (महाका ो. लण शास्ी), ३.अनंगकुसुमा (महाका ड◌ॉ मिणप), ४.जट-जिटन/ सामा-चकेबा/ अिनल पतंग), ५.जट-जिटन (रामभरोस कापड़ि◌ मर)।अकादिमक अवदान: परामशीर्, सािह अकादमी, िदी। काय र्कािरणी सद, भारतीय न ृ कला मिर, पटना। सद, भारतीय भाषासंान, मैस ूर। भारतीय ज्ञानपीठ, िदी। काय र्कािरणी सद, जनकपुर लिलत कला ितान, जनकपुरधाम, पाल।सान: मौन जीकेँ सािह अकादमी अवाद पुरार, २००४ ई., िमिथला िवभूित सान, दरभंगा, रे सान, िवराटनगर, पाल,मैिथली इितहास सान, वीरगंज, पाल, लोक-संृित सान, जनकपुरधाम,पाल, सलहेस िशखर सान, िसरहा पाल, प ूवो र्रमैिथल सान, गौहाटी, सरहपाद िशखर सान, रानी, बेगूसराय आऽ चेतना सिमित, पटनाक सान भेटल छि।109


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्राष्ीय-अंतराष्ीय र् संगोीमे सहभािगता- इाल (मिणपुर), गोहाटी (असम), कोलकाता (प. ब ंगाल), भोपाल (मदेश), आगरा(उ..), भागलपुर, हजारीबाग, (झारख), सहरसा, मध ुबनी, दरभंगा, मुजफ्फरपुर, वैशाली, पटना, काठमाू (पाल), जनकपुर(पाल)।मीिडया: भारत एवं पालक ितित प-पिका सभमे सहािधक रचना कािशत। आकाशवाणी एव ं द ूरदश र्नसँ ायः साठ-सरवातािद र् सािरत।अकािशत कृित सभ: १. िमिथलाक लोकसंृित, २. िबहरैत बनजारा मन (िरपोता र्ज), ३.मैिथलीक गाथा-नायक, ४.कथा-लघ ु-कथा,५.शोध-बोध (असान परक आलेख)।ि-कृित म ूा ंकन: ो. फु कुमार िसंह मौन: साधना और सािह, सादक ड◌ॉ.रामवेश िसंह, ड◌ॉ. शेखर श ंकर(मुजफ्फरपुर, १९९८ई.)।चिच र्त िही पुक सभ: था लोकगीत (१९६८ ई.), सुनसरी (िरपोता र्ज, १९७७), िबहार के बौ संदभर् (१९९२), हमारे लोकदेवी-देवता (१९९९ ई.), िबहार की जैन संृित (२००४ ई.), मेरे रेिडयो नाटक (१९९१ ई.), सािदत- ब ु, िवदेह औरिमिथला (१९८५), ब ु और िवहार (१९८४ ई.), ब ु और अपाली (१९८७ ई.), राजा सलहेस: सािह और संृित (२००२ ई.), िमिथलाकी लोक संृित (२००६ ई.)।वतर्मानमे मौनजी अपन गाममे सािह शोध आऽ रचनामे लीन छिथ।िमिथला ंचलक शा - ड◌ॉ फु कुमार िसंह “मौन”सि ृ रहाव ृ अिछ आर ’धम र् तं िनिहतं गुहाया’ ं , मुदा सिक ृ म ूलमे प ृी (िक्षित), जल, अि (पावक), आकाश (अंतिरक्ष) एव ंवायुक तािक अविित सव र्मा अिछ। वैिदक सािहमे प ृीकेँ माता ओऽ मकेँ प ृीपु कहल गेल अिछ। ऋगवेदक “प ृीस ू” ओ “नदी स ू” मे हुनक देवीक ुितगान भेल अिछ। प ृी ओ जलक जनन शि अथा र्त् ओिहसँ उूत चेतनशील जीवनजगत मक लेल कौतुहलक िवषय छल, ा ओ भिक िवषय छल। अिहठामसँ शिक ित िनरर िचनक पिरणामपहुनकासँ आरो, संतित, सुख-समृि एव ं संरक्षणक कामना कयल जाइछ।मादेवीक पमे प ृी (भूदेवी)क पिरकना सव र्ाचीन अिछ। िवक ायः सम ाचीन सता ओ संृितक उम नदी-धारीमानल गेल अिछ, मोहनजोदड़◌ो, हड़ा, काली-ब ंगा, िम, मेसोपोटािमया आिदसँ ा मादेवीक ाक् ऐितहािसक मृणमितर्सभकूपुरावशेष एकर लंत उदाहरण अिछ। एव ं कारे प ृी ओ जलमे देवक अवधारणा प ूव र् वैिदक युगक आये र्तर अवधारणा िथक।आय र् लोकिनकेँ अपन भु िवारक मे अक यु (देवासुर संाम अथा र्त् इ-व ृासुर, मिहषासुर वध, कािलय-दमन, राम-रावण यु, गजासुर वध आिदक परिरत ुित ओ सािहिक अंतः सा उपल अिछ। तदसार आय र्लोकिन आये र्तरक शाअवधारणाकेँ सम ूल न निह कऽ ओकरा पिरृत कऽ अंगीकार कयलिन। प ृी ओ नदी (गंगा, यमुना, सरतीक समानारिमिथला ंचलक कमला, कोशी, जीबछ) मे देवी एव ं अि ओ वायुमे देवक ितापन कयल गेल। आकाश (अंतिरक्ष) तँ अिहदेवी-देवताक िवहार अिछ। आज ुक वैज्ञािनक लोकिनक लेल अंतिरक्ष शोध-बोधक िवहार बिन गेल अिछ। शतपथाणक अंतः साक असार वैिदक आय र्लोकिन अिप ूजक छलाह।आािक चेतनाक िवकासक ममे शिक िवकास एव ं िवार समाका, दशमहािवा, चौसठ योिगनी आिदक पमे भेल देखनाजाइछ। भारतीय मितर्कलाक ू इितहासमे एक फलकपर स माकाक िशा ंकन कुषाणकालमे आर भऽ गेल छल- ाणी,वैवी, माहेरी, वाराही, कौमारी, इाणी ओ चामुा। एकर समानार िमिथला ंचलक जन-जीवनमे पिजत ू समाकाक नामावलीिभ छैक एव ं हुनक लोकोपासना सातटा िपक आिदम पमे चिलत अिछ, जे सिपी अथवा सवेदीक पमे अिभज्ञातअिछ।110


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्दोसर िवकासममे अबैत अिछ दशमहािवा अथा र्त् काली, तारा, षोड़सी (िपुर सुरी), िछमा, बगला, कमला (ली), मातंगी,भुवरी, भैरवी ओ ध ूमावती-काली तारा िछमा सुरी बगला रमा।माती भुवरी िसिवा च भैरवी।ध ूमावती च दशमी महािवा दशृता॥–पुरया र्ण र्व शा सम्दायमे जािह दस धान पक क उपासना होइछ, ओकरा महािवाकहल जाइछ। अिह िवाक द ू टा धान मा अिछ, योग एव ं तं।तेसर िवकासममे अबैत अिछ चौसठ योिगनी। चौ ंसठ योिगनीक मकालीन मिर वाराणसी (उर देश), भेड़◌ाघाट (म-देश), हीरापुर (उड़◌ीसा) आिद ानसभमे पाओल जाइछ। िमिथला ंचलक सहरसाक (मत्गंधा पिरसर) िपरािमडमा ाप(मिर)मे िनिलिखत चौ ंसठ योिगनीक संग बटुक भैरवक मितर्सभ ू ितािपत अिछ- माया, कुाा, नम र्दा, यमुना, ाि, वि,ृगौरी, ऐी, वाराही, रणवीरा, म ूरित, वैवी, ालामुखी, अिजता, चिच र्का, माजारी, र् डािकनी, घकणा, र् घटवरा, िवकराली, जयी,सरती, कावेरी, मालुका, नारिसंही, ी, िवकटा, जेरी, कौमारी, महामाया, सुरपिजता, ू ईरी, सप र्ा, यशा, वैवती, काली,मातंगी, जयावती, अभया, माहेरी, कामाक्षी, मय ूरी, कपािलनी, तुि, काली, उमा, रौी, अिका, ाणी, अमुखी, आेयी,अिहोी, अिदित, चकाा, चामुा, गंगा, माित, ध ूमावती, गाारी, अपरािजता, िवमोिहनी, स ूय र्पुी एव ं वायुवेगा।कािलकापुराणक असार भगवती ेया िभ-िभ उेसँ िविभ अवसरपर चौ ंसठ पमे अवतिरत भऽ योिगनीक पमे पिजतूभेलीह। सिक ृ स ृजन, पालन एव ं संहार हेतु िधापमे अवधािरत महाली, महासरती एवं महाकालीसँ उूत नाना शिपायोिगनी सभ धन, यश, िवा, बि, ु शौय र्-पराम, आरो ओ मोक्षदाियनी मानल जाइत छिथ। उपरो नामावलीमे ऐी,वाराही, वैवी, माहेरी, ाणी ओ चामुा, दशमहािवामे एव ं िकछु समाकामे सेहो पिरगिणत छिथ। गंगा, यमुना, सरतीओ कावेरी म ूलतः नदी देवी छिथ। कामाक्षीक तं तािक ं प ूजोपासना कामप (असम)क कामाा एव ं पाल उपकाकगुेरीमे परिरत अिछ। कुाा, नवद ुगा र्क एकटा प िथक मुदा योिगनीपेँ ितित वराहिवुक शि वाराहीक तंपालकालीन र मितर् ू पुनामा तापनगर (गिछया, भागलपुर), ालामुखी बनाम जालपाक मितर् ू लगुरा ँव (महुआ, वैशाली), डािकनीकप ूजन ख ुरहान (आलमनगर, मधेपुरा) आिद माता अा बनाम अिकाक प ूजन आमी (िदघवारा, सारण), चामुा प ूजन कटरा(मुजफ्फरपुर), पचही, वरैपुरा, पचा (बेगुसराय) आिदक ाचीन र ितमा सभमे उपल अिछ। जयावतीक प ूजा नाग देवीजयाक पमे एव ं नदी देवीक पमे गंगा ओ यमुनाक तं प ूजन पररा, बरसाम (मध ुबनी), नगरडीह (दरभंगा), म ंझौल(बेगुसराय) आिदक अलावा अराठाढ़◌ी (मध ुबनी) ओ मिहषी (सहरसा)क मिर ापक एव ं अलंकरणक पमे ा अिछ। ापअलंकरणक पमे गंगा-यमुनाक ाचीनतम मितर् ू अवशेष भरहुत ओ सा ंची (म-देश)सँ ा अिछ, जकर िशा ंकन ई.प. ू दोसर-तेसर शताीमे भेल छल। कौमारी कुमार काितर्केय शि छिथ। सभटा शि पा देवी अपन-अपन देवताक वाहन ओ आयुधधािरत कय छिथ।ात अिछ जे आलो शि पाक उावना उे िवशेषक कारँ भेल छल। असुर शिक संहारक हेतु समाकाक संयुशि ितकार हेतु क्ष भेल छल। दशमहािवाक ेक देवी शि-स, मोक्षदाियनी, काणकािरणी एव ं य ंमे नानापाछिथ। शिहीन शव ओ शियु भेलासँ िशव छिथ। दोसर शावलीमे शिहीन िशव शव समान छिथ अथा र्त् िनिष्य कसिय, चेतन ओ जात प काली छिथ- “महाकालक शि महाकाली”- परमाा काल परः संिविद वतर्ते। काली नामपराशिः सैव देव गीयते”।– तंलोक (बई, १९२० ई.)। िमिथला ंचलमे दस महािवाक प ूजोपासना गढ़-बआरी (सहरसा),भीठ भगवानपुर ओ राजनगर (मध ुबनी)मे होइछ। कणाटकालीन र् मितर्कलामे ू ओ सभ िव छिथ।पं राजेर झ िमिथला ंचलक शि-साधनाक एकटा उपम मािलन कल्टक उेख कए छिथ, जे लौिकक धरातलपर परिरतअिछ। िमिथला ंचलमे भगवतीक तािक ं प ूजा योिगनी ओ मािलनीक पमे होइछ। तािक ं साधनामे िहनक भूिमका महप ूण र् मानलगेल अिछ। तािक ं ियामे ओ मादश र्नक काज करैत छिथ। कालारमे योिगन ओ मािलन एकाथ र्क भऽ गेलीह। चौसठयोिगनीमे “मािलन” सेहो ितित छिथ। काण, गोरखपुर, शि उपासना अंक, जनवरी १९८७ ई. प.२३६)। ृ ओऽ िसिदाियनी,मोक्षदा एव ं वरदाियनी मानल जाइत छिथ। लौिकक अवधारणाक असार मािलन भगवतीक िय सेिवकाक संगे तं-म ं, योग-111


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्टोम, चमारािदक मामे अभी साधनमे िनपुण होइत छिथ। ड◌ॉ फु कुमार िसंह ’मौन’ िमिथलाक लोकिस मािलनसभमेकुसुमा मािलन, दौना मािलन, कोसा मािलन, पना मािलन, रमण अिभनन , ख ुटौना, मध ुबनी, २००४ ई. प.२२६-२३४)।ृिमिथला ंचलक िझिझया न ृ वुतः तािक ं न ृ िथक।वैिदक एव ं औपिनषिदक सािहमे अिनिहत र् आाशिक आय लऽ पुराणसभमे शि (देवी)क प, मिहमा ओ प ूजोपासना-ियाक िवृत वण र्न उपल अिछ। शा उपासनाक दृिसँ पुराणकाल एव ं शि सभक भ िशा ंकन दृिसँ गुकालकेँ ण र्युगकहल जाइछ। पुराणसभक ापक सारसँ शि उपासनाकेँ एतेक बल भेटलैक जे जनजीवनमे क प ूजोपासना पर एवंमा द ुन ू पमे होमऽ लागल। देवी भागवत (३.६.२) क असार मा सम दैवीशिक म ूलमे छिथ। मकालमे आिबशिक तंोपासना बेस लोकिय भऽ गेल। फलतः आिभजा रपर कं काली (भारदह, भीमनगर बराज, पाल, राजपिरसर,दरभंगा आिद) िछमा (सखरा, राजिवराज, पाल; ख ुरहान, मधेपुरा; रजरा, झारखंड आिद), तुलजा (पाल उपका, राजाहिरिसंहदेव ारा ािपत), हैह देवी (हावी डीह, कमािद र् ारा ािपत), वारी (भंडाअिरसम, दरभंगा), ैलो िवजय(म ंगरौनी, मध ुबनी), उतारा (मिहषी, सहरसा) आिदक अितिर लोकरपर बामती, गिहल, रमाला, चा डमौनी, नयना योिगन,गढ़◌ीमाइ, लुकेसरी (लोकेरी) आिद देवी सभक ाद ुभाव र् भेल देखना जाइछ (हमारे लोक देवी-देवता, ड◌ॉ मौन,मुजफ्फरपुर, १९९९ ई.)। िहू धम र्क अत तंयानक िवकास बयानी पररासँ भािवत अिछ। अिधका ंश बौ देवी िहूदेवीक ितप अथवा समानार िवकिसत छिथ। बौ देवी तारा दशमहािवाक ितीया तारा छिथ। वनगा ँव (सहरसाक) भगवतीओ मिहषीक उतारा, एव ं वारी (िसंिधया, समीपुर)क भगवती ओ तारा समानार िवकिसत छिथ। म ंगरौनी (मध ुबनी)क ैलोिवजयअभुजी शिपा छिथ, मुदा िशव ओ पाव र्ती हुनक पैरक तर मिद र्त छिथ। आलो मितर्मे ू बौदेवीक ता दिश र्तअिछ। मुदा बौदेवी ज्ञापारिमता िहू देवी सरतीक ितप िथकीह।िमिथला ब ंगाल ओ असम शि साधनाक एकटा सश िकोण अिछ। िमिथलाक धरतीपर एिह िकोणकेँ मिहषी (तारा), िवराटपुर(ची) ओ बदलाधमहारा (काायनी)मे देिख सकैत छी। अधोमुखी िकोण शा ओ उर्मुखी िकोण श ैव लोकिनक साधना तीकिथक। जखन िवपरीत िितमे आिब षटकोषक स ृजन होइत अिछ तखन ओ महाकाली ओ महाकालक संयु भे कामकलाक पहोइत अिछ। क कामशि ारा कलाक सिक ृ नाम कामकला िथक। (तीक िवा, ड◌ॉ जनाद र्न िम, पटना, १९५९ ई.,प.१९८) ृ अथा र्त् सदािशवक ऊपर रिह (मिद र्नी काली) शि ाक स ृजन करैत अिछ- “सदािशवोपिर िरवा ां भमानयेत”कालीिवलासतं, लंडन, १९१७ ई. २४.२३)। िकोण िशिक पमे चेतनाक आसार िथक। उर्मुखी िकोण िशव, अधोमुखीिकोण शि (िशवा) एव ं षटकोणीय िकोणकेँ िशव-शाक िकोण कहल जाइछ। िकोणक केमे िवु सिक ृ म ूल िथक।तंम ूलक य ंक संरचनाक मे ई आधार मानल जाइछ। िमिथला ंचलमे म ंगरौनी (मध ुबनी) एव ं हरौली (वैशाली) आाशि(मा)क साधना पीठ िथक।देवताक भेदें आगमक वगीर्करण िनपेँ भेल अिछ- श ैवागम, शाागम, वैवागम एव ं बौागम। महाकालस ंिहताक असारशाागमक चािरटा उपभेद अिछ- कापािलक, मौलेय, िदगर एव ं भािकेर। कापािलक डामरतंक, मौलेय यामल तंक, िदगरभैरव-भैरवी तंक एव ं भािकेर क्षावरतंक असरण करैत अिछ। िमिथलामे वेदिह जका ँ तंोकेँ अपौषेय कहल गेलअिछ।(िमिथलामे तं, ड◌ॉ िलोकनाथ झा ीअमर अच र्ना; दरभंगा,२००१ ई.प.२९५)। ृ तािक ं पितसँ उपासना सरल होइछ।ागैितहािसक कालसँ प ूवीर् भारतक असम, ब ंगाल, िमिथला ओ पालमे शातंक चार-सार रहल अिछ। असमक कामाा,ब ंगालक दिक्षणकाली, पालक गुेरी एव ं िमिथला ंचलक उतारा (मिहषी)सहरसा। बरा ंटपुरक ची, कटरागढ़ (मुजफ्फरपुर)कचामुा, िसमरौनगढ़ (पाल)क कं काली, आमी (सारण)क अिका ान, उैठ (मध ुबनी)क भगवतीथान, थावे (गोपालगंजक)क भगवतीमिर आिदक अितिर बेितयाराज, दरभंगाराज ओ राजनगरक भगवती मिर आिद।तंोपासनाक उव ब ंगालमे भेल छल मुदा ओ साधना बलेँ िमिथलामे वलीकृत भेल- “गौड़◌े कािशत िवा िमिथले वलीकृता”।किलयुगमे संसार सागरसँ पार उतारिनहार एव ं ज-मरणक ब ंधनसँ मुि िदयौिनहार मा द ू टा आरा छिथ- िशव ओ शि।िमिथला ंचलमे िशवक अपेक्षा शिक मह अिधक अिछ। मैिथल लोकिनकेँ कहल गेल अिछ- “अः शाः”। शि उपासनाक द ूटा मा- वाम एवं दिक्षण- द ुन ू पक्ष सैाितक ं ओ ायोिगक अपन उष र्केँ ा कयलिन। दरभंगाक खवलाकुलक राजालोकिनशाधमीर् ओ तंोपासक छलाह।सामातः वैिदक अवधारणाक असार जतऽ भोग छैक ततऽ मोक्ष निह आर जतऽ मोक्ष छैक ओतऽ भोग निह। मुदा दश-महािवाक अत पिजता ू िपुरसुरीक प ूजनसँ भोग एव ं मोक्ष द ुन ू ा भऽ जाइछ। एिह तरहेँ नानापधािरणी शिकप ूजोपासना शास्ीय एव ं लौिकक द ुन ू पेँ सूण र् िमिथला ंचलमे पिरा अिछ। एिहठाम आािक ऊजा र्सँ उजर्ित अक िसशिपीठ ऐितहािसक सासँ मािणत, पौरािणक कथासँ समित एवं लोक-आासँ स ूब अिछ। गोसाउन घरसँ लऽ कऽ शि112


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्(भगवती) कतहु िपपमे, कतहु पाथरक मितर् ू पमे तँ कतहु तािक ं च पमे पुजाइत छिथ। नवराक अवसरपर सूण र्िमिथला शामय भऽ जाइछ। अतः िमिथलाक सुद ूर ामा ंचलमे िवश ंखिलत ृ शि साधनाक िकछु ितिनिध लसभकेँ बानगीक पमे“हेिरटेज िमिथला”क अत काशमे आनब एकटा धािम र्क कृ िथक।उैठक भगवती: मध ुबनी िजलाक बेनीपी अम ंडल मुालयसँ ायः पा ँच िकलोमीटर िदशामे अवित उैठक (उैः) भगवतीान सुिस शि साधना ल अिछ। िमिथलामे ेक देवीकेँ भगवती कहल जाइछ। ुित-परराक असारउैठक भगवतीक स कािलदाससँ स ूब अिछ। भगवती ानक लगपासमे कािलदासक डीह कहल जाइछ। मुदा उैठकभगवती कािलदास कालीन (गुकाल) निह अिछ। मिदरमे ं ािपत भगवतीक कारी पाथरक मितर् ू तै ंतीस ई ंच नमहर अिछ।भगवतीक चतुभुर्जी मितर् ू दोहरा कमलासनपर लिलतासनमे िनिम र्त अिछ। भगवतीक िसरोभाग ओ वाम भुजा खित अिछ। एकटासमकालीन भगवती मितर्क ू वाम हाथ (िन)मे कलश ओ ऊपरी हाथमे िश ूल एवं दिहन हाथ (िन)मे फल ओ ऊपरी हाथमे दप र्णउीण र् अिछ। िशरोभूषण, कण र्फूल, गृमहार, यज्ञोपवीत, वाज ुव, कं गन, किटब ओ पायल आिदक संग कं चुकी ओ अधोवस्सँसुसित अिछ। पादपीठमे वाहन िसंह उीण र् अिछ। प िवासक दृिसँ उैठक भगवती िसेरी पाव र्ती छिथ।अिह तरहक भगवतीक दोसर र मितर् ू मध ुबनी िजलात किपलेरानसँ पा ँच िकलोमीटर पिम-दिक्षणमे अवितभोजपरौलसँ (पै ंतीस ई ंच नमहर) ा अिछ, जे प ूण र्तः अक्षत अिछ। प ओ भंिगमा सादृक अलावा उैठ भगवतीकमुखाकृित आय र्त अिछ तँ भंडािरसमक भगवतीक मुखाकृित गोल अथा र्त् म ंगोलन अिछ। मुदा अमृतकलश, िश ूल, फल ओ दप र्णसमान अिछ। सनारायण झा साथीर्क (िमिथलाक पुरातािक सदा, दरभंगा, २००३ ई.) संकेतासार एिह वक एकटा भगवतीमितर्ू वनगा ँव (सहरसा)मे सेहो पिजत ू अिछ। भगवतीक तीन ू मितर्ू पालकालीन कलाकृित मयुगीन सा ंृितक दप र्ण बिन गेलअिछ। अमृतकलश हुनक मादेवीक एव ं दप र्ण पाव र्तीक तीक िथक। आलो भगवती-मिर सभ ाचीन भवनावशेष मेबनल अिछ। ूनर स ूबेगढ़क (मुजफ्फरपुर) भगवती मिदरकेँ ं ितरहुत श ैलीमे बनल कह छिथ।एिह कड़◌ीक एकटा षटभुजीभगवती समीपुर िजलात िसंिघया ख मुालयसँ आठ िकलोमीटर उर वारीक भगवतीानमे पिजत ू अिछ। कारी पाथरकई आलो भगवती मितर् ू चौ ंतीस ई ंच नमहर कणाटकालीन र् कलाकृित िथक। भगवतीक वाम हाथ सभमे मशः नीचासँ ऊपर कलश,घा, ढाल ओ दिहन हाथसभमे मशः अभयमुा, ख ओ अक्षमाला सुशोिभत अिछ। भगवती कमलासनपर लिलतासनमे ितितछिथ। पादपीठमे िसंह वाहनक पमे उीण र् अिछ। वारी ऋिष-मुिन एव ं तपसी-साधक लोकिनक साधना-ल छल मकालमे।उैठ, भोजपरौल, वनगा ँव ऊ वारीक अितिर ओ भंडािर सभ (दरभंगा)मे सेहो पररासँ पिजत ू छिथ। भोजपरौल एव ंभंडािरसभक भगवती चतुभुर्जी छिथ। भंडािरसभक भगवतीक वाम (िन) हाथमे िश ूल ओ प पु एव ं दिहन हाथमे फल ओख अिछ। भगवती वारीक नामे िवशेष िस छिथ। मितर्ू अड़तालीस ई ंच नमहर अिछ, नदी अवशेषक पिमी तटपरअवित एकटा मिदरमे ं पिजत ू छिथ। भंडािरसम दरभंगा िजलाक मनीगाछी खसँ तीन िक.मी. दिक्षणमे अिछ। देकुलीकअभुजी भगवती कणाटकालीन र् छिथ।अािक चेतना ओ कलाक भतासँ समित ई मकालीन भगवती मितर्सभ ू अपन युगक सा ंृितक दप र् निह अिपतु तुगीनजीवनक धािम र्क आा, आािक चेतना, कलाक सोच, सामािजक ओ आिथ र्क अविितकेँ ितिबित करैछ। मितर्ू िवज्ञानकअसार भगवतीक शास्ीय प िनधािरत र् अिछ, मुदा एकिह युगक बनल भगवतीक मितर् ू सभमे श ैलीगत िभता पाओल जाइछ।पाल सााक पतुख अवामे राजकीय संरक्षण ओ िनदेर्शक अभावक कार श ैलीगत शिथ ै ाभािवक अिछ। मितर्िशकूशास्ीयतासँ बल रिहतो मितर्कार ू तं चेता सेहो होइत छिथ।फुलहरक भगवती िगिरजा: मध ुबनी िजलात हरलाखी ख मुालयसँ पिम-दिक्षण िदशामे अवित फुलहर गाममे ाचीनभावशेषपर बनल नविनिम र्त मिदरमे ं ािपत एवं पिजत ू भगवती िगिरजाक भ ाचीन ितमा सैंतीस ई ंच नमहर अिछ।जनुितक असार रामचिरतमानसक िगिरजाान यैह िथक, जे जानकीक आराा छलीह आर आइयो कुमािर का लोकिनक आरााबनल छिथ।113


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्िगिरजाक चतुभुर्जी ितमा कमलासनपर ानक मुामे बनल अिछ। वाम हाथमे केराक हा ओ गदा एव ं दिहन हाथमे दप र्ण ओसनाल कमलपु सुशोिभत छिन। माथपर मुकुट, कानमे कुल, गरामे हार, कासँ लटकैत यज्ञोपवीत, बािहमे ँ बाजूव,कलाइमे आभूषण, डा ँरमे अधोवस्केँ कसैत किटभूषण ओ पैरसभमे पादाभूषण। भगवतीक वाम पार्मे काितर्केय एव ं दिहनमेगश कमलासनपर ठाढ़ छिथ। भगवतीक ितमा वाक भावाक पिरवेशमे िनिम र्त अिछ। पाव र्ती जगाता छिथ। िगिरजावुतः पव र्तका पाव र्ती छिथ। िववाह पंचमीक अवसरपर एिहठाम िवशाल मेला लगैत अिछ। नवरामे तािक ं साधना सेहोचिलत अिछ।भगवती िगिरजा अथा र्त् पाव र्तीक दोसर भ कणाटकालीन र् (१२-१३म सदी) मितर्ू दरभंगाक िमरजापुर मोहाक देवी मिरमेितािपत अिछ। दरभंगाक सा ंृितक िक्षितजपर उािसत भगवती पाव र्तीक (बेस इ ंच नमहर) कणाट र् (पालोर) श ैलीमेिनिम र्त छिथ। मितर्क ू भावली बेस अलंकृत अिछ। भगवती कमलासनपर वस्ाभूषणसँ िव ानक मुामे ठाढ़ छिथ। वामपार्मे काितर्क ओ दिहनमे गश ठाढ़ छिथ। द ुन ूकेँ भगवतीक अभय ा छिन। भगवतीक दिहन हाथ (उपरका) मे बा ँसुरीउीण र् भे साथीर् एिह ितमामे िगिरजा, राधा एव ं लीक समाहार देख छिथ। मुदा बा ँसुरी श क तीक अिछ, िशवकडम जका ँ। िमजा र्पुरक भगवती ेमिद र्नीक नामे लोकात छिथ। ुित साक असारे भगवती जािह पोखिरक जी र्ारकमे उिनत भऽ कट भेलीह, ओऽ कगाह छल। मुजफ्फरपुर कोट र्क फैसलाक असार ओिह भूभागक ािम िहू लोकिनकेँभेटलिन। ओिह ानपर आइ भगवतीक एकटा भ ओ दश र्नीय मिदर ं शि-साधना ओ लोक आाक के बिन गेल अिछ।साथीर् (िमिथलाक पुरातािक संपदा, २००३ ई.) अपन सवे र्क्षणमे अराठाढ़◌ी (मध ुबनी), देकुली, कुसीर् निदयामी (दरभंगा), किरयन(समीपुर) ओ फुलहर (दरभंगा)क भगवती पाव र्तीक उेख कए छिथ। भगवतीक प कमनीय, वस्ाभूषण लिलत एव ं देहयिआपाितक बनल अिछ। फलतः भगवती पाव र्तीक ितमा ाणव ंत भऽ गेल अिछ।नाहरक मिहषासुर मिद र्नी: मध ुबनी िजला मुालयसँ बारह िक.मी. प ूव र् िदशामे अवित भगवतीपुरक मिदरमे ं मिहषासुर मिद र्नीकपाथरक मितर् ू (२५”*१२”आकार) ािपत एव ं पिजत ू अिछ। दसभुजी भगवती िभंगी एव ं ानक मुामे कमलफूलक दोहराआसनपर मिहषासुरकेँ श ूल (बरछी)सँ बेधैत बनल अिछ। वस्ाभूषणसँ सुसित भगवतीक हाथसभमे दश िदक् पालक अस्सभशोिभत छिन। इक ब, अिक शि, यमक द, ऋतक ख, वणक पाश, ईशानक श ूल, वायुक अंकुश, कुबेरक गदा,िवुक च ओ ाक प। मिहषासुर महामोह अथवा अिवाक तीक अिछ, जकर बध लोककाणाथ र् भगवतीक हाथेँ भेलछल। दश भुजा भगवतीक िदग-िदगंत पिरा शिक तीकािभि िथक। भगवतीक मितर्ू कणाटकालीन र् कलाश ैलीमे िनिम र्तअिछ। मुखाकृित आय र्न, देहयि संतुिलत ओ आपाितक बनल अिछ।नाहरक भगवतीक िसिक कारँ शि-साधना ल नाहर भगवतीपुरक नामे लोक िस अिछ। एिह ठामक पार्वतीर्मिदरसभमे ंस ूय र् ओ िवुक र मितर्ू पिजत ू अिछ मुदा नाहरक िसि मिहषासुर मिद र्नीक कार अिधक अिछ। मितर्कूपादपीठमे भगणक छोट-छोट मितर्सभ ू िवनीत मुामे उीण र् अिछ।हावीडीहक भगवती: दरभंगा िजलात बहेड़◌ा ख मुालयसँ पा ँच िक.मी. प ूव र्-दिक्षण िदशामे अवित हावीडीहक िसियिप महारानी सौभावतीदेवी (सुहब देवी)क आज्ञासँ तापी म ंी कमािद र् ारा ािपत हैह देवी भगवती पाव र्तीक कारअिधक अिछ (१३म शती), मुदा देवी मिदरक ं गभर्गृहमे ािपत मिहषासुर मिद र्नीक मह कम निह होइछ। ुित अिछ जेभगवतीक मितर्क ू पादपीठ नवादा (दरभंगा) मे पिजत ू अिछ, मुदा य-त उृत अिभलेख कतहु निह अिछ। हाबीडीहकमिहषासुर मिद र्नी अभुजी छिथ। हैह देवीक नामे पिजत ू पाव र्ती लिलतासनमे एव ं मिहषासुरमिद र्नी ाक मुामे िनिम र्त अिछ।कमािदक र् काल १२२५-७५ ई. मानल जाइछ। हावीडीह पंचदेवोपासक भूिम अिछ मुदा भु भगवतीक छिन।मिहषासुरमिद र्नीक तेसर साधना के दरभंगासँ िक.मी. प ूव र्-दिक्षण िदशामे अवित अामामे (२२”) ाची नदी अवशेषकपिमीतटपर बनल मिरमे ािपत भगवती ओ पिजत ू अिछ। अभुजी भगवतीक हाथसभमे नाग, धष, ढाल, श ूल, च ओ114


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्ख धािरत अिछ। नाना वस्ालंकारसँ सुशोिभत भगवती दोहरा कमलासनपर ठाढ़ छिथ। भगवतीक दिहन पार्मे एकटा ढाल खधािरणी सहदेवीक मितर्ू उीण र् अिछ। भगवतीक मितर्ू संरचना मैिथल अवधारणाक असार भेल अिछ। िमिथला ंचलमे भगवतीकमिहषासुर मिद र्नी प समसामियक पिरवेशमे बेस लोकिय छल। मिहषासुर मिद र्नीक ाचीन ऐितहािसक मितर्सभ ू वैनाथपुर(चतुभुर्जी), उजान (मध ुबनी). डोकहर, जरैल-परसौन, देवपुरा (मध ुबनी), कुसो र्-निदयामी, बरसाम, पोखराम (अभुजी), हरा,बहेड़◌ी (अभुजी), चौगामा (दरभंगा), मदिरया, ब ुढेव (७२*३०” अभुजी), भवानीपुर, सहमौरा, नया नगर (कोशी मल),खोजपुर (दरभंगा) आिदक अितिर भजनाहा (मध ुबनी) ओ गवािर (दरभंगा)सँ ा िसंहवािहनी अभुजी द ुगा र्क ाचीन, प ूजनीयएव ं ऐितहािसक मितर्सभ ू पहाड़◌ी श ैलीमे िनिम र्त अिछ।िमिथला ंचलमे अक नामधािरणी भगवतीक मितर्सभ ू राजेरी, परमेरी, िसेरी, भुवरी वारी, गुेरी जयम ंगला आिदकनामे पिजत ू अिछ। िसमिरया िभी (समीपुर)मे सेहो मिहषासुरमिद र्नीक ाचीन पाथरक मितर्ू ा भेल अिछ। निदयामीकचतुभुर्जी मितर्ू पाव र्ती (िगिरजा)क िथक, जिनक पार्मे काितर्क ओ गश उीण र् छिथ। पाव र्तीक एकटा िवलक्षण ाचीन रितमा (पाली) िनसंदेह अितीय अिछ। पाव र्तीक गोदमे िशशु गशक संगे बैसल छिथ। गुकालक ई मितर् ू भगवतीक वाभावक अिभंजक अिछ। पाव र्तीक एकटा चतुभुर्जीमितर्ू किरयन (समीपुर)सँ सेहो ा अिछ। िमिथलाक इितहास पुरात ओसा ंृितक मे िवजयका िम- िमिथला आट र् ए आिकर्टेर- एव ं से कुमार झा (िमिथला की पाल ितमाएँ) ड◌ॉ फुकुमार िसंह मौन (कणाटकालीन र् मितर्कला), ू सनारायण झा साथीर् (दश र्नीय िमिथला, १-१०), ड◌ॉ नरे नारायण िसंह िनराला- मध ुबनीअंचलक मितर्-, ू ड◌ॉ हीरान आचाय र् (राजनगरक ऐितहािसक एवं धािम र्क मह) आिदक सवे र्क्षणाक अयन-अशीलन उेखनीयअिछ।िमिथला ंचलक नवरामे मिहषासुर मिद र्नीक लोकप ूजन सवािधक र् लोकिय एव ं परिरत अिछ। आलो ितमा एकटा सामािजकितियाक धािम र्क अिभंजना िथक। िमिथलाक मकालीन इितहास आमण-ामण एव ं संघष र्प ूण र् िितसँ भरल अिछ। िवशेषकऽ मुिम आमण ओ घात-ितघातसँ िमिथला आा छल। एिह िितमे ेमिद र्नी द ुगा र्क पगत संरचनाक अथ र्वा बढ़ि◌जाइछ। े असुरक पया र्य अिछ। देव लोकिन असुरक वध कयलिन मुदा े सभक वध भगवतीक हाथे भेल आर हुनक एिहपकेँ ेमिद र्नी मानल गेल, जे शि-साधनाक एकटा तीक बनल अिछ।िमिथलाक मकालीन इितहासक प ृभूिममे िहू धम र्क अत धािम र्क सावक िवकास भेल। पाल राजालोकिन यिप बौधमीर्छलाह, मुदा ओ िहू धम र्क देवी-देवता सभक सेहो उदारताप ूव र्क संरक्षण देलिन। एिह संमणकालमे बौ लोकिन िहू देवी-देवता एव ं िहू लोकिन बौ देवी-देवताकेँ अंगीकार कएलिन। तारा, िछमा, मनसा आिद िहू जगतमे ओ तारा, ची,कं काली, डािकनी, व-वाराही, वतारा आिद बौ जगतमे िता पौलिन। िभ साधना िया एव ं पिवासक अलावा बिलिनषेध छल बौ-साधक लोकिनमे। मुदा िवमिशलाक िस-साधनामे पंचमकारक समावेशसँ िमिथला ंचलक शि-साधना भािवतअव भेल। एिह भूभागमे िहू ओ बौ धम र् संगे-संग िवकिसत भेल। उदाहरणाथ र् वनगा ँव मिहषी (सहरसा) एव ं वारीक(समीपुर) िहू ओ बौ ताराक प ूजोपासनाकेँ राखल जाऽ सकैछ।कोथ र्क काली: दरभंगा िजलाक घनामपुर खक अत सा ंृितक कोथ र् (पौरािणक कोथ, र् सनारायण झा साथीर्, लहेिरयासराय,दरभंगा)क गोसाउिनक ानमे ािपत एव ं पिजत ू पाथरक काली मितर्ू (३ फीट ६ इ ंच) चतुभुर्जी अिछ। आाशि कालीदशमहािवामे थमा एव ं महाकाल (िशव)क शि छिथ। कला (साकार जगत)कें आसात करऽबाली काली िदस् छिथ। हुनकवाम हाथ (िन)मे िछमक ओ ख एव ं दिहन हाथमे पोथी (शास्) ओ वरमुा बनल अिछ। मुमािलनी काली शवप िशवकदय लपर ठाढ़ छिथ। शिहीन शव अिछ आर शियु भऽ ओ िशव कहबैत अिछ। कालीक माथपर मुकुट, डा ँर ओहाथ-पैर सभ आभूषण मिडत ं अिछ, कालीक िजा बाहर िनकलल छिन। कोथ र्क एिह कालीक प ूजाम ं अिछ- “हंसौः सदािशवमहातपासनाय नमः”।– तारा रह, १८९६ ई., प.४१.ृ“पुरया र्ण र्व” (बनारस, १९०१ ई.-प ृ .१७)क असार कालीक टा भेद अिछ- दिक्षणकाली (कलका), भकाली (कोइलख), सानकाली(दरभंगा), कालकाली, गुकाली (काठमाू), कामकलाकाली (कामप), धनकाली, िसिकाली ओऽ चकाली (िबराटपुर)। लीतंकअसार िम व शुक सत-असत पक िवभुकेँ मायागुणयु भेलाक कार ओ भकाली कहबैत छिथ। ओ काणपा छिथ।115


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्िमिथला ंचलमे भकालीक प ूजोपासना कोइलख (मध ुबनी) मे होइछ। “िमिथला त िवमश” र् (परमेर झा) मे कोइलखक भगवतीकेँभकाली ओऽ कािकलाक्षी कहल गेल अिछ। भगवती मध ुबनीसँ तेरह िक.मी. प ूव र् िदशामे ित कोइलखक भ मिरमे पिजतूछिथ।एकर अितिर सहरसाक मत्गंधा पिरसरक पगोडा श ैलीमे बनल मिदरमे ं रकालीक भ ओऽ आकष र्क मितर् ू ािपत ओ पिजतूअिछ। िभंगी न ृ मुामे िनिम र्त िभुजी मुमािलनी रकालीक वाम हाथमे कपाल ओ दिहनमे ख धािरत छिन। रकालीकएिह न ृमे असत तािदक दमन ओ कपालमे सि ृ बीजक संरक्षणक भाव अिनिहत र् अिछ। राजनगर (मध ुबनी)क राजपिरसरककाली मिरमे ािपत कालीक सौ मितर्, ू मध ुबनीक भओरागढ़मे महाराज रामेर िसंह ारा ािपत काली, राजदरभंगाक ामा,दरभंगाक बागमती तटक शसान काली, चैनपुर (कोशी अंचल)क महाकाली, धरान (पाल)क दंतकाली, बेितया राजक काली आिदिविभ पेँ पिजत ू छिथ। जनपदक ामा ंचलमे वनकाली, रणकाली आिदक लोकप ूजन सेहो परिरत अिछ। दशमहािवाकअत ितीया महािवाक पमे ितपािदत भगवती तारा ाण धम र्क वैिदक पररा ओ बौिक धम र्क तािक ं पररामेवनगा ँव-मिहषी ओ वारीमे ािपत एव ं पिजत ू छिथ। ड◌ॉ जनाद र्न िम (भारतीय तीक िवा, पटना, १९५९ ई. प.२०७)कृअसार सनातनी तारा एव ं बौ ओ जैन तारामे पगत आर िसातः को भेद निह अिछ। मुदा बौ देवी ताराकपगत िवार देखना जाइछ- उतारा, नीलतारा, पीततारा, हिरततारा, धनद तारा, महाचीन तारा, बतारा, वरद तारा, ेततारा आिद। वारी (िसंिघया समीपुर) क रामजानकी मिरमे रिक्षत िभुजी बौदेवी तारा (३१ इच)क पालयुगीन रमितर्मे ू मु तारक अितिर सूण र् भावलीमे एगारह टा िविभ तारा सभक मितर्ू अिभिशित अिछ। भगवती ताराकमलासनपर लिलतासनमे बैसल छिथ। दिहन हाथ वाममुामे बनल अिछ। भगवतीक ितमा वस्ाभूषणसँ अलंकृत अिछ। हमायः तीन दशक प ूव र् बहेड़◌ा (दरभंगा)क एकटा िगत प ूजागृहमे नीलतारा (सरतीक ितप)क पालयुगीन र मितर्ूदेख छलहु ँ। साथीर्वनगा ँव मिहषीक तारामितर्केँ ू प ूण र्तः (मुखाकृितकेँ छोड़ि◌) वस्ाािदत पोटरी कह छिथ। मिहषीकूूवतर्मान तारामिरक िनमा र्ण नरे ठाकुर (१७४३-६०)क रानी पावती करौ छलीह। ओ मिहषीक छलीह। क्षदशीर्क असारउताराक पार्देवक पमे नीलतारा ओ एक जटा मितर्त अिछ। मिहषीक उताराकेँ विशारािधतारा कहल जाइत छिन। एिहक धम र्म ूला (धेमुरा) नदीक तटवतीर् सँ ा बौदेवी ताराक एकटा र मितर्सम्ित पटना संहालयमे संरिक्षतअिछ। वैशालीक नीरभुौ ताराः चिच र्त अिछ।जगतपुर बरारी सँ ा ताराक िभुजी ानक मितर् ू दशम-एगारहम शताीक िथक। ताराक पार्मे द ू टा देवी मितर् ू िभंगीमुामे अंिकत अिछ। एिहसँ ई ज्ञात होइछ जे िमिथला सतत ाण धम र्क वतर्क छल, सेहो बौ धम र्क देवी-देवताकभावसँ विचत ं निह रिह सकल। (िमिथला भारती, पटना, माच र्-जून १९६९ ई.)। मितर् ू २ फीट चािर इच गुणा १ फीट ३ इचआकारमे बनल अिछ। मितर्ू अिभिलिखत अिछ- “य ं धमा र् हेतु भवा...”। महायानमे देवी तक धानता छल- तारा, ची,हारीित आिद। भगवती ताराक एकटा ाचीन मिर ितलकेर (दरभंगा)मे अिछ। रणीय अिछ वनगा ँव-मिहषीक पिहचानब ुकालीन आपण िनगमसँ भेल अिछ।कटराक चामुा: गुकालीन इितहासमे कटरा तीरभुिक चामुा एकटा “िवषय” छल आर कटरागढ़ (वतर्मान मुजफ्फरपुर िजलाअत)क चामुा एिह तािक ं शिपीठक अिधाी देवीक पमे पिजत ू छिथ-िवदेह नगरी िा सव र्शि समिताचामुेित ततो ाता लणातर वािसनी।कटराक ाचीन ऐितहािसक गढ़क भावशेषपर चामुाक नविनिम र्त मिर लखनदेड़ (लणा) तटपर अवित अिछ। चामुाक कटैयाक कटीरी ओ चकौतीक चरी उपशि पीठ अिछ।चामुा तािक ं प ूजावशेष वीरपुर, पचा(बेगुसराय), पचही (मध ुबनी) आिद ान सभसँ ा अिछ।116


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्िवराटपुरक ची: सहरसा िजलाक सोनवषा र् खक अंतत िजला मुालयसँ पै ंतीस िक.मी. प ूव र्मे ित िवराटपुर गामक शिपीठचीानक नामसँ लोकात अिछ। िवराटपुरक ची, धमहारा (धम र्धारा)क काियनी एव ं मिहषीक उतारा ान एकटा तािकंिकोणपर अवित अिछ। ची मिर अकोणीय आधारपर बनल मिरक गभर्गृहमे भगवती चीक मितर्, ू मिरक वेशारपर ब ुक मितर्ू (ब ुधाय ामी), िशािकत ं तािक ं च, ा ंगणमे ितरहुतामे अिभलेखािद शिपीठक ऐितहािसकताक माणअिछ।ची द ुगा र्क एकटा प िथक। िहू ितमा िवज्ञानक असार ओऽ दसभुजी एव ं िसंह अथवा बाघपर आढ़ रहैत छिथ। ओऽमिहषासुर मिद र्नी जका ँ उपा छिथ। चीक एकटा गुकालीन मिर गाजीपैता (कोशी ) गाममे अवित अिछ। मिरकपाथरक चौखिटमे एकटा अ अिभलेख उीण र् अिछ (िबहार की निदया, ँ हवलदार साद िपाठी, पटना, १९७७ ई., प.४१०)।ृबेहट ओ लीपुरमे सेहो चीमिर शि-साधनाक के बनल अिछ। जयम ंगलागढ़ (बेगुसराय)क भगवती म ंगलाकेँ “म ंगल ची”(देवी भागवत) कहल गेल अिछ। एव ं कारे चीक प ूजन परराक अवशेष िवराटपुर (वीरह), गाजीपैता, लीपुर (कोशी), बेहट, जयम ंगलागढ़ एव ं अरेराज (प.चारण) क चीानमे उपल अिछ।िसमरौनगढ़क कं काली: ितरहुतक कणाटव र् ंशीय राजा नादेवक राजधानीनगर िसमरौनगढ़ (सम्ित पाल तराइमे अवित)क कुलदेवीकं कालीक ाचीन र मितर् ू (खित) एकटा मिरक गभर्गृहमे ािपत ओ पिजत ू अिछ। मिरक ा ंगणमे िवु, उमामाहेर स ूय र्आिदक िवशाल- पाथरक कलाक मितर्सभ ू कणा र्टश ैलीमे िनिम र्त एवं लोकपिजत ू अिछ। कणाट र् राजा लोकिन पंचदेवोपासक रिहतोशिक उपासक छलाह। कणाट र् राजा श िसंह ारा ािपत सखराक भगवतीक शरी एव ं राजा हिरिसंहदेवक कुलदेवी तुलजाभवानीक (पाल उपकाक तीन ू राजधानी नगरमे ािपत एव ं पिजत ू मितर्ू सभ शि उपासनाक उदाहरण बिन गेल अिछ।कं कालीक एकटा मिर राजपिरसर, दरभंगामे अिछ।कं कालीक तेसर सा ंृितक िमिथला ंचलक भारदह (भीमनगर बराजसँ पिम, वतर्मान पाल तराइ)क मिरमे एकटा तेजिनीपाथरक मितर्ू ािपत अिछ। कं काली भगवती चतुभुर्जी छिथ, जे िनसंदेह कणाटकालीन र् (१२-१३म सदी) िथक। कं कालीक पार्मेअभुजी दिक्षणकाली, वाम िदस चतुभुर्जी िवु आिद ाचीन र मितर् ू सभक ऐितहािसक मह अिछ। कं कालीक उदर भाग गहीरधिर तराशल अिछ आर हाथसभमे द ओ पाश बा ँचल अिछ। शेष खित अिछ।आमीक अिका ान: हाजीपुर-सोनपुरसँ छपरा मामे िदघवारा (सारण) लग गंगाक वाम तटपर आमीमे अिका भगवतीक एकटााचीन मितर्ू ािपत ओ पिजत ू अिछ। आमी मही ओ गंगाक संगम अिछ। एिह भूभागकेँ संगमतीथ र् सेहो कहल जाऽसकैछ। ुित अिछ एिहठाम दक्ष जापितक यज्ञमे िशवा अपन ाणाहुित दे छलीह। राजा सुरथ एिहठाम भगवतीक उपासनाकय छलाह। द ुगा र्-सशतीक अंतः साक असार ओ एिहठाम भगवतीक मिदरक ं मितर्ू बनाकऽ प ूज छलाह। आमी जातशिपीठ अिछ।अिकाक प िवासमे कहल गेल अिछ जे ओ कमलासनपर आसीन छिथ। हुनक हाथमे पाश, अंकुश आिद छिन एव ं वाहन िसंहछिन। अिकाक प ूजोपासना समान पसँ श ैव, शा, बौ, जैन आिद लोकिन करैत छिथ। जैन सभर्मे ओ िमनाथक यिक्षणीओ शासनदेवी सेहो छिथ।सखराक िछमा: कुलीसँ (िनम र्ली, सहरसा) मा द ू मील पिमोर िदशामे अवित सखरामे िछमाक िस मिर अिछ।मिरक गभर्गृहमे कणाट र् राजा शिसंह (१२८५-९५) भगवतीक मितर्क ू ापना कय छलाह। फलतः सखराक िछमाकेँशरी सेहो कहल जाइत अिछ। ओऽ तािक ं प ूा भगवती छिथ, मिरक गभर्गृहमे ािपत पंचदेवीमे िछमा मुखछिथ। सखरा सा ंृितक िमिथला ंचलक पाल तराइ राजिबराज, सरीमे पड़◌ैत अिछ।117


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्भगवती िछमा िभुजी पमे रित-कामक युगन आसनपर ठाढ़ छिथ। दिहन हाथमे काता एव ं वाम हाथमे हे मुितमक छिन। ओ िदगवस्ा छिथ, मुकेशा छिथ। हुनक द ुन ू पार्मे योिगनी ओ भोिगनी (डािकनी) योिनमुामे ठाढ़ भगवतीककसँ िनःस ृत रक धारकेँ पीबैत छिथ। रक पिहल धार भगवतीक अप मुँहमे जाइत छिन। यैह सिक ृ जीवनचिथक। योिगनी ओ डािकनीक हाथ सभमे कपाल ओ काता छिन। रजरा (झारख) मे भगवतीक भ मिर दश र्नीय अिछ।भगवतीक शास्िविहत एव ं लोकिविहत पसाधनाक सभर्मे िनिलिखत पक िसि उेखनीय अिछ- ली (अराठाढ़◌ी, मध ुबनी;परानपुर, किटहार), गजली (भीठ-भगवानपुर, मध ुबनी; रोसड़◌ा, समीपुर आिद), सहोदरा माई (नरकिटयागंज, प.चारण),गढ़◌ी माइ (पाल तराइ), ब ुढ़ि◌या माइ ( म ंगरौनी, मध ुबनी;कौली, वैशाली आिद) आिदक अितिर परमेरी (अराठाढ़◌ी),वारी (मकरा), भुवरी (भवानीपुर), राजेरी (डोकहर), िसेरी (सिरसव), जटेरी (लोहट), िवषहरी (िदयारीथान,सहरसा) आिद। िमिथला ंचलक गाम-गाममे पसरल िपपा समाका एव ं घर-घरमे िपित गोसाउिन भगवतीक प िवारकसा ंृितक सवे र्क्षण ओ अशीलन आवक अिछ। एकर अितिर जलशि पिरत ू नदी देवी सभमे गंगा, यमुना, कोशी, कमला ओजीवछक शि पक प ूजोपासना सेहो िविश अिछ।2.हिरतािलका/ चौरच/ अनंत चतुद र्शी- गजे ठाकुरहिरतािलका प ूजा त (तीज)ितिथ भादव शु ितयाकेँ कुमािर का सोहागक लेल त करैत छिथ। कथा एिह कारेँ अिछ। स ूतजी- पाव र्ती िशवसँिशवसन वरािक तक िवषयमे पुछैत छिथ तँ ओऽ उर दैत छिथ जे िहमवान पहाड़पर अहा ँ भादव शु ितयाकेँ ई तकए रही बारह वष र् उल्टा टा ंग मा धँआ ु पीिब कए, मघमे जलमे बैिस, ावनमासमे वषा र्मे आऽ बैसाख द ुपहिरयामे पंचािमे।तखन अहा ँ िपता नारदकेँ कहलि जे ओऽ पाव र्तीक िववाह िवुसँ करओताह। ई सुिन अहा ँ सखीक घरपर कानए लगलहु ँ जे हमतँ पा िशवकेँ अपन पित बनाएब आऽ अपन सखेक संग गंगाकात खोहमे चिल गेलहु ँ आऽ भादव शु ितयाकेँ हमर बाल ूकितमाक प ूजा कएलहु ँ तखन हम आिब अहा ँकेँ पित होएबाक वर देलहु ँ। तखन अहा ँ हमर बालुक ितमाक िवसजर्न कए पारणकेलहु ँ, तख अहा ँक िपता सेहो पहु ँिच गेलाह आऽ अहा ँकेँ घर अनलि आऽ हमरासँ अहा ँक िववाह भेल। अहा ँक सखी अहा ँकेँहिरकए लए गेल छलीह तै ँ एिह तक नाम हिरतािलका पड़ल।चौरचनक कथा118


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्119


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्सनुमारकेँ निकेर योगी कथा सुनबैत छिथ- कृ िमा आरोपसँ दिखत ु भए गश आऽ चमाक प ूजा कएलि। प ृीकभार उतारए लेल बलराम, कृ आऽ कमलनाभ उ भेलाह। कं सक वध कृ कएलि। मुदा कं सक ससुर जरासक आमणसंकट देिख छन करोड़ यद ुव ंशीक आऽ सोलह हजार आठ स्ीवक संग ारका अएलाह।संािजत स ूय र्क उपासना ारका तटपर कए ामक मिण- जे सभ िदन आठ भार सोना उ करैत छल- पओलि। ओऽएकरा अपन भाइ सेनकेँ दए देलि। राजा उक द ुन ू सान छलाह- संािजत आऽ सेन। एक िदन कृ आऽ सेनिशकार खेलाए लेल बोन गेलाह तँ एकटा िसह सेन कए मािर मिण लए िवदा भेल तँ जावान भालु ओिह िसंहकेँ मािर मिण अपनपुकेँ खेलाए लेल दए देलि। कृ ज असगरे आिपस भेलाह तखन सभ हुनकापर सेनक हा मिणक लोभमे करबाकआरोप लगओलक। तखन कृ सभकेँ लए बोन गेलाह तँ िसंह आऽ सेनकेँ मुइल देखलि आऽ जावानक पु सुकुमारकझ ूलामे लटकल मिण देखलि। जावानक पुी कृकेँ मिण लए भागए कहलि, मुदा कृ श ंख फुिक सात िदन खोहमे भेलयुक बाद ारकावासी ारका घिर ु कृक अिम संार मृत बिझ ु कएल, मुदा २१ म िदन जावान हािर मािन पुीक िववाह हुनकासँकराए मिण उपहारमे देलि। क ओिह मिणकेँ संािजतकेँ दए देलि। संािजत हुनकापर िमा आरोपसँद ुखी भए अपनपुीक िववाह कृसँ कराओल आऽ ामक मिण कृकेँ देल मुदा कृ निह लेलि।फेर कृ-बलराम जखन बाहर छलाह तखन शतधा सािजतकेँ मािर मिण लए लेलक आऽ अूर यादवकेँ दए अप भािगगेल। सभामाक कहलापर कृ-बलराम ओकरा खेहारलि, कृ ओकरा मारल मुदा मिण निह भेटल, ई कथा सुिनते बलरामकेँ ईश ंका भेल जे कृ कपट करैत छिथ, से ओऽ कृ ारका अएलाह मुदा बलराम िवदभर् चल गेलाह, अूर तीथ र्याापर िनकिलगेलाह, मिण धारण कए काशीमे स ूय र्क उपासना करए लागल।तखन नारद कृकेँ भा शु चौठमे चमाक दश र्न कएलाक कारण ई कलंक लागल, से कहलिन, कारण पक गव र्मे चमाकेँगशजी ाप देलि जे एिह िदन हुनकर दश र्न करएबलाकेँ कलंक लागत।ा-िवु-महेश िनिव र्देवक अिसि प ूजा कएल आऽ जखन ओऽ घिर ु रहल छलाह तँ चमा हुनकर हाथी बला मक, पैघपेट देिख कए हँिस देलि आऽ ई ाप पओलि। तखन एिह चतुथीर् ितिथकेँ ाक कहल असार गशक प ूजा भेल फेरचमाक अनय-िवनयपर ई वर देल जे जे ो भा शु चौठमे हथमे फल-फूल लए म ंक संग अहा ँ दश र्न करत ओकराकलंक निह लागत।अनंत प ूजाअन भादवमास शु पक्ष चतुद र्शीकेँ अन प ूजा होइत अिछ। कथा- ज ुआमे हारल युिधिरकेँ बोनमे कृ एिह तकरबाकलेल कहलि आऽ कथा सुनओलि। सयुगमे सुम नाा ाण गुक का दीक्षासँ िववाह कएलि। मुदाक शील जकबाद दीक्षाक मृु भए गेलि। फेर सुमक िववाह ककर्शासँ भेलि ओऽ शीलाकेँ क देमए लागिल। फेर शीलाक िववाहकौिसँ भेलि। द ुन ू गोटे अन चतुद र्शीक िदन यमुना तटपर घ ुरैत कल जाइत छलाह तँ स्ीगण लोकिन हुनका बािहपरँअनक ताग बाि देलि जािहसँ हुनकर सभक घर गृहीमे समृि आयल। घरमे मािण रिहतहु ँ ई ताग देिख एक िदन पितओकरा तोड़ि◌ आिगमे फें िक देलि। शील जरल डोरकेँ िनकािल द ूधमे रािख लेल। आब िवपि शु भए गेल आऽ घरमेआएल दिरताकेँ देिख कौि बोन चिल गेलाह। ओतए अन भगवान हुनका िवु लग लए गेलिख। ओऽ हुनका अन त१४ बरख धिर करबाक लेल कहलि।न ूतन झा; गाम : बेवार, मध ुबनी, िबहार; ज ितिथ : ५ िदसर १९७६; िशक्षा - बी एस सी, काणक◌ॉलेज, िभलाई; एम एस सी, क◌ॉपो र्रेिटव क◌ॉलेज, जमशेदपुर; फैशन िडजाइिनंग, एन.आइ.एफ.डी., जमशेदपुर।“मैिथलीभाषा आ' मैिथल संृितक ित आा आ' आदर हर मोनमे बेस◌◌ं बसल अिछ। इ ंटरट पर ितरहुताक्षर िलिपक उपयोगदेिख हम मैिथल संृितक उज्ल भिवक हेतु अित आशाित छी।”120


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्चौठच प ूजाभादवमासक शुपक्षक चतुथीर् ितिथकऽ ई प ूजा होइत अिछ।मकामना प ूण र् भेलापर ई पाबिन कैल जाइत अिछ।अिह िदन चमाक प ूजा भ◌ॉ◌ंित प ्◌्राकारक पकवानक वेस◌ कैल जाइत अिछ।िमिथलानरेश ं हेमा ंगद ठाकुर जे िकोितषी सेहो छलाह अपन को मकामना प ूण र् भेलापर अिह प ूजाक आर के छलाह।अिह पाबिनमे िदन भिर िनराहाररिहकऽ स◌ॉ◌ंझमे िविभ प ्◌्राकारक प ूरी पकवान सिहत दहीक मटकुरी के अड़ि◌पन पर उिचत ान पर रािख प ूजा प ्◌्रा◌ारकैल जाइत अिछ।गणपािद पंच देवता सिहत गौरीजीक प ूजा पिह होइत अिछ। जे िवधवा स्ी होइत छिथ से गौरीकानपर िवुक प ूजा करैत छैथ।तकर बाद चतुथीर्चक प ूजा चानन, र चानन, िसुर, यज्ञोपवीत, अक्षत, फूल, फूलमाला, दिब,ूबेलपात, जल, अर् इािद लऽ प ूजा कैल जाइत अिछ।तकर बाद डाली लऽ तथा दही मटकुरी लऽ कऽ चमाक दश र्न कैलजाइत अिछ।डालीलऽ दश र्न करैके म -नमो िसंह: प ्◌्रासेनमवधीतिस ंहो जावताहत: ।सुकुमारक मारोदीपेषव मक:॥दही मटकुरी लऽ दश र्न करक म -नमो दिध श ंखातुषाराभम ् क्षीरोदाण र्व सवम ्।नमािमशिशनं भा श ंभोमुर्कुट भूषणम ्॥अध र्पामे सब वु रािख अमे '' नम:”।तकर बाद कथा सुिन िवसजर्न कैल जाइत अिछ।कथा सुत काल हाथमे जे फूल रहैत अिछ तकरा िन म ं पढै◌त िवसिजर्तकैल जाइत अिछ।''पं देिह जयं देिह भां भगवान देिहमे।धमान र् देिह धनं देिह सवानर्् कामान प ्◌्रादेिहमे॥ ्तकर बाद दिक्षणा दऽ प ्◌्रासाद िवतरण कैल जाइत अिछ।िजतमोहन झा घरक नाम "िजतू" जितिथ ०२/०३/१९८५ भेल, ी बैनाथ झा आ ीमित शाित ं देवी केँ सभ स छोट(ितीय) सुप ू। .रामेर झा िपतामह आ .शोभाका ंत झा दास मामह। गाम-बनगा ँव, सहरसा िजला। एखन मुईमे एकिलिमटेड कं पनी में पद्ािपत।िच : अयन आ लेखन खास कs मैिथली ।पसंद : हर िमिथलावासी के पसंद पान, माखन, औरमाछ हमरो पसंद अिछ।का ूण हा, कृितक संग िखलवारिपछला छुीमे एक सालपर हम गाम गेल छलहु ँ, जिहया ँ गाम पहु ँचलहु ँ ओकर दोसरे िदन पता चलल की हमर बपनक दोकबहुत जोर तिबयत ख◌राब छिन ! आर ओऽ अतालमे भरती छिथ! खबर जिहना हम सुनलहु ँ अतालक लेल चिल देलहु ँ! हमरा संग हमर पी सेहो चिल देलीह, अताल पहु ंचला पर पता चलल जे कुन ू िचंताक बात सब ठीक ठाक अिछ!एक घंटाक बाद हुनका (हमर दो) छुी िमल जेतें न, बहुत िदनक बाद अताल आयल छलहु ँ, इा भेल किन चारो तरफ घिमु- िफर ली मनमे अताल के लेल बहुत िजज्ञासा छलए ! हम आर हमर पी जिहना दो के वाडसँ बाहर िनकललहु ँ हमर121


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्नज़िर अपन िपतयौत भैया- भाभी पर परल, अचानक हुनका सभकेँ अतालमे देिखकेँ हम चौक गेलहु ँ ! हमर नज़िरएकाएक भाभीक उदास, कनमुँह चेहरा पर परल .....पुछिलयिन की बात ... मुदा ओ िकछ जबाब निञ देलीह, हमर पी कातमेबजाकए हुनकर पीड़◌ा सुनलि ! द ुबारा पुछलासँ भाभी अपन पीड़◌ा निञ रोिक सकलीह, हुनकर पीड़◌ा हुनकर आिखसँ ँ छलैकउठ्लैन पता चलल जे द ू गोट काक जक बाद आब तेसर बेर फेरसँ का कs बदा र्श्त करबाक चेतावनी भैया हुनकापिह दऽ चुकिल्खन-ए ....पता चलल गभर् परीक्षण लेल भैया भाभीकेँ अताल अन छिथ ! गभर्मे पिल रहल बाक ितिपताक खौफनाक इरादासें उपजल भयक भाव भाभीक चेहरा पर साफ-साफ देखलहु ँ! बादमे हमरा आर हमर पीक कतेकसमझेला पर भैया भाभीकेँ वापस घर लऽ गेलिखन! संयोगवश अगला संतानक पमे हुनका बालकक ाि भेलिन ....बेशक ूण पिरक्षण ितबिधत ं अिछ आर सरकार एकरा लेल बाकायदा कान ू ं बन अिछ! लेिकन ई की ? लागैत अिछिपछला दरवाजाक संृित अतालों के छोर छिन, तखतँ भैया बहुत आसानीसँ भाभी केँ गभर् पिरक्षण कराबए लेल चिलदे छलिथ, हमतँ कहए छी चाहे सरकार लाखो कान ून बनबिथ, लाखो कड़◌ासँ कड़◌ा सजा तय करिथ लेिकन जाऽ तक हम सबय ं अपना तरफसँ कुन ू कदम निञ उठायब ई कान ूनक हेब निञ ह्एब एके समान अिछ ! आइ तक ष्ाचार, बालम, शोषणकिवधो सरकार बहुत कान ून लागू केलिथ, मुदा िक समाजमे एकर रोकथाम भs सकल? निञ! आर यिद अप एकर कारणकपता करब तँ पायब िक शायद हम ख ुद कतो न कतो कुन ू न कुन ू कारे एकर दोषी छी ! हम सब पिरिितक साथ कुन ूतरहक समझौता करबाक वजाय ओकरा सदा बदलबाक िफराकमे रहैत छलहु ँ चाहे ओकरा लेल हमरा सभ केँ कुन ू तरहक हथकं डािकयेक निञ अपनाबऽ परए .... हम सब चुकए निञ छी ् ! हमतँ प ूछए छी जे िक कारण अिछ जे लड़कीक ज भेला परआइयो मुँह िसकोरल जाइत अिछ? शायद हुनकर परविरश, िशक्षा, िववाह आिदमे आबै वाला तमाम मुिश्कलक कारण एिहतरहक वहार केल जैत अिछ ! मुदा िक लड◌का के ज भेसँ ई तमाम समा समा भs जाइत अिछ? लड◌को केँतँ परविरश करए परै यऽ ? हुनकरो िशक्षा,करीक लेल दर-दर भटकए परैत अिछ ! आर िववाह ........!यिद ईएह गितसँ का ूण हा होइत रहत तँ बिझ ू िलअ जे सब लड◌का के कुंआरे रहए परत ! उदहारण प अपहिरयाणामे लड़कीक संामे लगातार दजर् केल गेल कमी देख सकैत छी, हिरयाणामे िववाह लेल लड़की निञ भेटैत छि ओईठामक लोककेँ दोसर रामे लड़कीक तलाश करए पड़◌ैत छिन .....किन सोचु अगर प ूरा देशमे ईएह िित भs जैत तँ िक हैत ?हम िनक जेका ँ जात छी जे अप ई बातकेँ ानमे निञ राखब आर यिद राखबो करब तँ दोसर केँ उदाहरण दैक लेल! लेिकन िक अप ख ुद का ूण हा रोकेऽ मे दोसरकेँ जागक करब ? अपकेँ निञ लागैत अिछ जे कृित ारािनधािरत र् जीवनकेँ सुचा पसँ चलबै लेल ई गाड़◌ीक द ु पिहया ँ समान पसँ आवक अिछ ! आर का ूण हा यानी िककृितक संग िखलवाड◌ अिछ ! अई िखलवाड◌केँ रोकऽ लेल हमरा सभकेँ एकज ुट हेबअए परत आर एतबे निञ एिहमानिसकतोकेँ बदलए परत िक व ंशबेल खाली आर खाली लड़के चलेता, तख हम सही मायमे आधिनक ु कहाएब।बालाना ं कृते१.जट-जिटन-गजे ठाकुर२. देवीजी:िशक्षक िदवस- ोित झा चौधरी122


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्िच: ोित झा चौधरीजट-जिटनमहाराज िसव िसंह (१४१२-१४४६) िमिथलाक राजा छलाह। िवापित हुनके शासनकालमे भेल छलाह आऽ राजा िशव िसंह आऽहुनकर रानी लिखमा रानी हुनकासँ बड़ म करैत रहिथ। एक टा जयट वा जट नाा बड़ पैघ संगीतकार सेहो छलाह ओिहसमयमे। राजा िशव िसंह हुनकासँ िवापितक गीतकेँ राग-रािगनीमे बबाक लेल कह रहिथ। वैह जयट जट-जिटन नाटककरचना कएलि आऽ जटक भूिमका सेहो कए छलाह। साओन-भादवक शु-पक्षक राितमे ई नाटक स्ीगण ारा होइतअिछ।जट छिथ पिहर पुष-पिरधान आऽ जिटन पिहर छिथ िछटगर न ूआ। आऽ देखू द ुन ू गोटे अपना संग अपन-अपन संगीकेँलए आिब गेल छिथ।िबयाहक पिहल सालक साओन, जिटन जाए चाहैत छिथ हर मुदा धारमे बाढ़ि◌ छैक, हे माय को आ-ठाकुर-ाण आिकपैघ भाए केर बदलामे छोटका भायकेँ पठिबहँ िबदागरीक लेल निञ तँ सासुर बला सभ िबदागरी आिपस कए देत। जािहनवकिनया ँकेँ हर निह जाय देल गेल ओऽ अपन पितकेँ कहैत छिथ जे जट-जिटनक न ृमे तँ भाग लेबए िदअ। मुदा वरझ ूमर खेलाएबसँ मना कए दैत छिथ, तखन ओऽ घामक बहा बनाए द ूर भए जाइत छिथ।जट-जिटन बीचमे छिथ आऽ द ुन ूक संगीमे बहस चिल रहल अिछ।-चल ू झ ूमर खेलाए।123


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्-कोन पातपर चढ़ि◌ कए।-पुरैनीक।जट-जिटनमे िवआह होए बला अिछ, मुदा जट िकछु बातपर अड़ि◌ गेल, जेना धानक शीस जेका ँ लीिब कए चलत जिटन, िकछुदेखावटी िवरोधक बाद जिटन सभटा मािन जाइत छिथ। फेर द ुन ू गोटे िवआह कए लैत छिथ। फेर भोर होइत अिछ,जिटन किहत छिथ जे जाए िदअ, अँगना बहारबाक अिछ, मुदा जटा कहैत छिथ जे अँगना मए-बिहन बहाड़ि◌ लेत।फेर िदन िबतैत अिछ तँ जिटन कहैत छिथ जे गहना िकएक निह बनबाए रहल छी हमरा लेल, आर बहा करब तँ हम सोनारकघर चिल जाएब।जिटन ततेक खरचा करबैत छि जे जटाक हाथी तक िबकाऽ जाइत छि आऽ हाथीक िसकड़ि◌ मा बचल रिह जाइत छि।जिटन कहैत छिथ जे हमरा हर जएबाक अिछ, तँ जटा कहैत छिथ जे धानक फिसल तैयार अिछ, तकरा कािट कए जाऊ।जिटन निह मात छिथ कहैत छिथ जे एिह बेर जे हम जाएब तँ घिर ु कए निह आएब। मुदा सौितनक गप सुिन कए डेराएजाइत छिथ। बीचमे ा ंग जेना को रोगीक इलाज आिद सेहो होइत रहैत अिछ।जट मोर ंग िबदा भए जाइत छिथ कमाए। जिटनकेँ सोनार लोभन दैत छि गहनाक, मुदा जिटन जटाक सुरताक वण र्नकरैत छिथ।फेर जटा घिर ु अबैत अिछ। एक िदन द ुन ू गोटेमे को गप लऽ कए झगड़◌ा भए जाइत छि। जट छौ ँकीसँ जिटनकेँ छूिबदैत छिथ। जिटन िस कए घर छोड़ि◌ दैत छिथ। जटा गोपी, मिनहािरन आऽ आन-आन प धिर ताकैत छिथ हुनका।मुदा जटाक घरमे झोल-मकड़◌ा भिर जाइत छि आऽ अंगनामे दिभ ू उिग जाइत छि। तखन जिटन हुनकालग आिब जाइत छिथ। फेर स्ीगण लोकिन बे ंगकेँ एकटा खा खिन ु कए ओिहमे दए दैत छिथ आऽ ऊपरसँ ओकरा कू टैत छिथआऽ मरल बे ंगकेँ झगरािह स्ीक दरबपर फेिक अबैत छिथ। ओऽ स्ी भोरमे मरल बे ंगकेँ देखला उर जतेक गािरपढ़◌ैत छिथ, ततेक बेशी बरखा होइत अिछ।२. देवीजी: ोित झा चौधरीदेवीजी : िशक्षक िदवस124


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्िच: ोित झा चौधरीदेवीजी : िशक्षक िदवसआई ५ िसतर कऽ िवालयमे िशक्षक िदवसके आयोजन छल। सब िशक्षक-िशिक्षका अितिथ रहैत आ सब काय र्मिवाथीर् उारा ुत छल। तरह - तरहक र ंगार ंग काय र्म देखायल गेल जािह स सब अापक बहुत स भेलैथ।अिहबातकचचा र् िवृत पसऽ भेल जे ई ितिथ देशकेथम उपराष्पित एवम ् िउतीय राष्पित गीर्य सर सव र्पी राधाकृन केजितिथ छैन।भारतीय दश र्नके पिमी सतामे माता िदयाबऽमे हुनकर योगदान अिवरणीय छैन।1952 – 1962 मेउपराष्पित रहला आ १३ मई १९६२ स◌अिगला प◌ॉ◌ंच साल तक राष्पित रहला।जहन ओ राष्पित भेला तऽ हुनकर िवाथीर्हुनकर जिदवस मनाबऽके अमित म◌ॉ◌ंगऽ गेलैन।ओ कहलिखन जे हमर जिदन के आडर के बदले अिह िदनके िशक्षकिदवस के पमे मनाकऽ हमरा गिव र्त क। तिहयास◌◌ं ई प ्◌्राथा प ्◌्रा◌ार ंभ भेल।अिह िदन सब िवाथीर् अपन िशक्षकसभके प ्◌्राित अपन आभार प ्◌्राकट करैत छिथ। करैयो के चाही कारण कहलगेल अिछ -''गु गोिव दो खड़◌े◌,काको लागू ं पाय।ध गु आप ,गोिव िदयो िदखाय॥सबिकयो अ िशक्षक - िशिक्षका संगे देवीजीके ित िवशेष आभार कट केलक ।अंतमे धानाचाय र् अपन भाषणमेिवाथीर्क श ंसाक अितिर अिह बात पर िवशेष जोर देलिखन जे िशक्षक देशक भिवक िनमा र्ता होइत छैथ तै ं हुनकािवाथीर् लग इक आदश र् ुत करैके चाही। िशक्षकके िजेवारीक मह पर जोर देलाक बाद काय र्म समा भेल।सब सहष र्अपन घर िदस िवदा भेला कारण आिह अवकास छल।125


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्बा लोकिन ारा रणीय ोक१.ातः काल मुहूर् (स ूयो र्दयक एक घंटा पिह) सव र्थम अपन द ुन ू हाथ देखबाक चाही, आ’ ई ोक बजबाक चाही।करा वसते लीः करमे सरती।करम ूले ितो ा भाते करदश र्नम ्॥करक आगा ँ ली बसैत छिथ, करक ममे सरती, करक म ूलमे ा ित छिथ। भोरमे तािह ारे करक दश र्न करबाकथीक।२.संा काल दीप लेसबाक काल-दीपम ूले ितो ा दीपमे जनाद र्नः।दीपा शरः ोक्ः साोितन र्मोऽुते॥दीपक म ूल भागमे ा, दीपक मभागमे जनाद र्न (िवु) आऽ दीपक अ भागमे शर ित छिथ। हे संाोित! अहा ँकेँनमार।३.सुतबाक काल-राम ं ं हन ूमं वैनतेय ं व ृकोदरम ्।शय यः रेिं द ुः नित॥जे सभ िदन सुतबासँ पिह राम, कुमारामी, हन ूमान, ् गड़ आऽ भीमक रण करैत छिथ, हुनकर द ुः न भऽ जाइतछि।४. नहेबाक समय-गे च यमु चैव गोदाविर सरित।नम र्दे िसु कावेिर जलेऽिन ् सििध ं कु॥हे गंगा, यमुना, गोदावरी, सरती, नम र्दा, िसु आऽ कावेरी धार। एिह जलमे अपन साि िदअ।५.उर ं यमु िहमाेैव दिक्षणम ्।वष ं र् तत् भारतं नाम भारती य सितः॥समुक उरमे आऽ िहमालयक दिक्षणमे भारत अिछ आऽ ओतुका सित भारती कहबैत छिथ।६.अहा ौपदी सीता तारा मोदरी तथा।पकं ना रेिं महापातकनाशकम ्॥126


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्जे सभ िदन अहा, ौपदी, सीता, तारा आऽ मदोदरी, एिह पा ँच साी-स्ीक रण करैत छिथ, हुनकर सभ पाप न भऽजाइत छि।७.अामा बिला र्सो हन ूमा ं िवभीषणः।कृपः परशुराम सैते िचरीिवनः॥अामा, बिल, ास, हन ूमान, ् िवभीषण, कृपाचाय र् आऽ परशुराम- ई सात टा िचरीवी कहबैत छिथ।८.साते भवतु सुीता देवी िशखर वािसनीउन तपसा लो यया पशुपितः पितः।िसिः साे सतामु सादा ध ूजर्टेःजावीफेनलेखेव यूिध शिशनः कला॥९. बालोऽहं जगदान न मे बाला सरती।अप ू र् पंचमे वषे र् वण र्यािम जगत्यम ् ॥१२. पी ब ंध-गजे ठाकुरपी ब ंधपंजी-संाहक- ी िवानंद झा पीकार (िस मोहनजी)ी िवान झा पञीकार (िस मोहनजी) ज-09.04.1957,पुआ, ततैल, ककरौड़(मध ुबनी), रशाढ़य(पिण ू र्या), िशवनगर (अरिरया)आ’ सम्ित पिण ू र्या। िपता ल धौत पीशास् मार् पीकार मोदान झा, िशवनगर, अरिरया, पिण ू र्या| िपतामह-. ीिभिखया झा | पीशास्क दस वष र् धिर 1970 ई.सँ 1979 ई. धिर अयन, 32 वष र्क वयससँ पी-ब ंधक संवर्न आ' संरक्षणमेसंन। कृित- पी शाखा पुकक िला ंतरण आ' संवर्न- 800 प ृसँ अिधक अंकन सिहत। पी नगरिमक िलारण ओ'संवर्न- लगभग 600 प ृसँ ऊपर(ितरहुता िलिपसँ देवनागरी िलिपमे)। गु- पीकार मोदान झा। गुक गु- पीकारिभिखया झा, पीकार िनरस ू झा िस िवनाथ झा- सौराठ, पीकार ल ूटन झा, सौराठ। गुक शास्ाथ र् परीक्षा- दरभंगामहाराज कुमार जीवेर िसंहक यज्ञोपवीत संारक अवसर पर महाराजािधराज(दरभंगा) कामेर िसंह ारा आयोिजत परीक्षा-1937 ई. जािहमे मौिखक परीक्षाक मु परीक्षक म.म. ड◌ॉ. सर गंगानाथ झा छलाह।शाखा पीक िवशेषता127


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्शाखा पी एक अभूतप ूव र् पुक छी। एिह तरहक पुक हमरा ब ुझ संसारक को देश को सम्दाय वा को वमे निहपाओल गेल अिछ। यिप ई व िवशेषक पुक िथक, पर एिह कारक पुक को सम्दाय वा को वक लेल शुकएल जाऽ सकैत छैक। िमिथलाक ई अितीय देन िस भऽ सकैछ, जािहमे १००० वष र्सँ पिरचयक जाल जका ँ िनिम र्त कएल गेलअिछ। जेना किव कोिकल िवापित ठाकुरक पिरचय हुनक पुषाक उेख ७ पीढ़◌ी पिहसँ लऽकेँ िवापितक व ंशधर वतर्मानधिर, सभक साोपा (िवा, उपािध, िविशता, काय र् पिरवतर्न, माकुलक पिरचय) पिरचय भेटत। एहन पिरचय मािवापितये निह सम मैिथल ाणक भेटत, एिह कारक आधारपर िविभ िवान ाणक काल िनधारण र् सेहो कएल जाऽसकैछ।शाखा पीक मादे: हम पीकारक व ंशज िथकहु ँ। संगिह ारह वष र् धिर मैिथल पी ब ंधक साोपा अयन कएलहु ँ। गुछलाह य ं हमर िपता पीशास् मार् धौत परीक्षामे थम णीमे थम ान पािब महाराजािधराज कामेर िसंहक हाथेंदोशाला पओिनहार नाम ध पीकार मोदान झा- हुनक मौिखक परीक्षाक मु परीक्षक छलाह महामहोपााय ड◌ॉ सरगानाथ झा। पी प्र्बक जे इितहास अिछ तािहमे विण र्त अिछ जे पी ब ंधक वतर्मान पक ता छलाह सद ुपाायगुणाकर झा, जिनक हम उैसम पीढ़◌ीमे छी। आइसँ उैस पु पिह जे मैिथलक व ंशावलीक संकलन संवर्न ओऽ संरक्षणक तदृढ़ िनासँ सद ुपााय गुणाकर झा लेलि वा तालीन िवत व ारा िवासप ूव र्क देल गेलि, से अाविध िनाप ूव र्क हमरा धिरसुरिक्षत ओ संविर्त अिछ।पीक सम पुक िमिथलाक िलिप ितरहुतामे िलिखत अिछ/ िलखल जाऽ रहल अिछ। आऽ ब ुझ ू तँ ितरहुता िलिपक ाणाधार िथकपी ब।परु वतर्मान पीक काय र् करैत अभव कएल जे एिह शास्सँ स पक्ष एिह िलिपक ज्ञानक अभावमे साम बैिसयौकऽ िवषयवुसँ अनिभज्ञ रिह जाइत छिथ। फलप एकर संरक्षणक ित सहयोग घटल जाऽ रहल छैक।एिहना िितमे भेल जे िकयैक निह देवनागरीमे अवाद कएल जाए। सोिच तँ लेलहु ँ मुदा काय र् ब द ुह। संगिह आबादीकिवार संग शाखाक िवार सेहो आवक तँय ई एकटा प ूण र्कािलक काय र् भेल लगभग ६-७ वष र् धिर एिहना िितमे पािरवािरकदाियक िनव र्हन करैत एिह गुतर काय र्क सादन करब एकटा असा साध भेल एिह युगमे। पर उाही युवक लोकिनकीमान ् गजे ठाकुर, मेहथ, मध ुबनीक आऽ ी नागे कुमार झाक सहयोग एिह काय र्मे भेटल।धम र्पी ीमित गीता झा ारा देल गेल मानिसक संवलक कारँ हम यथा संभव एिह काय र्केँ स कऽ सकलहु ँ। सुधीजन ूिटकहेतु क्षमा करताह एिह आशाक संगे।शाखा पुक देखबाक अवगितशाखा पुकमे सभसँ पिह -वणा र्मसँ अ सँ ऐ धिरक पातमे प पी अिछ। जकर िवषय िथक कतेक गो- गोक अधीनकतेक म ूल, म ूलक िवभेद म ूलाम ओ तकर- तािह म ूलामक अिछ पुष। प. ृ १ सँ ३३८ धिर शाखाक िवार अिछ, ार भेलअिछ शाि गोक गंगोली म ूलसँ आऽ जकर आिद पुष िथकाह गंगाधर। अगलिह पीढीमे हुनक एक िववाहक द ू संतान १.वीरझा आऽ २.नारायण। वीरक सान पव र् पी/ पवौली म ूलक बीजी। आऽ नारायणक संतान आगा ँ संकष र्णसँ खवला (खडौरे) म ूलकसंापक भेलाह। एिहना मे ायः ित म ूलक बीजी पुष ठाम-ठाम भेटताह-यथा प ृ-संा १/३- गंगोली बीजी गंगाधरप.सं. ृ १/१२- एकमा विलया वीजी धरनीधरप.सं. ृ १/१४- वआली मराढ़ वीजी- िदवाकरप.सं.- ृ १/१७- म ंगरौनी मार वीजी िनयन भ इािद।128


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्शाखा पुकक मु िवशेषता अिछ- योजनक असार िवार, प ूवा र्परक ज्ञान हेतु अंकनक वा कएल गेल अिछ।यथा प ृ संा- ८३/०६ (पंजीकार वाला अंक) १८१-६ (ी ठाकुरजी वाला अंक) मेकमल मिण ठाकुरक िववाहक उेख अिछ- हुनका एक बालक- कुलमिण िस फेकन ठाकुर। कमलमिण ठाकुरक िववाह दिरहराम ूलक रतौली शाखामे अभयनाथ झाक बालक भीखर झाक पुीसँ। आब पढ़िनहारकेँ समा हेति जे ई अभयनाथ सुत भीखरकप ूव र् पिरचय की छि तँ हम देखैत छी जे भीखरक आगा ँ मे ३८/५ िलिखकऽ हिरनन झाक िपता रामच झा छिथ, िजनकरिववाहक उेख ३८ पक पिहल पारमे ५म पंि रामच झाक िववाह िलखल छि। रामच झाक द ू गोट बालक रघ ुनन आऽदोसर हिरनन। ई द ुन ू भाय खबला म ूलक रितनाथ ठाकुरक दौिह छिथ। एिह रितनाथक पिरचयक हेतु ३३॥२ अथा र्त्पात संा ३३क दोसर प ृ पर तेसर पंिमे जीवे छिथ खबला म ूलक। एिह जीवेकेँ उठाकऽ ३८ पातक पिहल पारक पा ँचमपंिमे अत िछयि। एिह ठाम देखैत छी जे जीवेक बालक छिथ रामनाथ आऽ पा ँथ ू। एिह पा ँथ ूक बालक छिथ रितनाथ। एिहरितनाथक िववाह छि मिहषी ब ुधवाल म ूलक डाल ूक पौी ओऽ ीदक पुीमे। रितनाथक िववाहक वण र्न एिह ३८ पातक पिहलपारक आठम पंिमे। अु एिह कारेँ सभटा अंकक सहारासँ पिरचय आगा ँ बढ़◌ैत अिछ। जािह ठामसँ उरण लेल जाइतछिथ। तािह ठाम नामक ऊपरमे माथपर अंक िलखल जाइत अिछ। ई अंक िथक, जतऽ नाम लए जएबाक अिछ ओिह पातकसंा ओऽ पंि जतऽ नाम आनल जाएत अिछ। ओिह ठाम नामसँ पिह जतऽ सँ नाम आनल गेल ओिह पक संा ओ पंि।यिद पिरचय ् प ूण र् अिछ तऽ नाम अनबाक योजन निह, मा जतऽ प ूव र् पिरचय िलखल अिछ, ओिह पातक संा ओ पंिक अंकमा िलिख देल जाइत अिछ। जेना ११४ पातक पिहल प ृपर चािरम पंिमे अथा र्त् ११४/४ मे विलयास म ूलक राव श ंकरकिववाहक उेख भेल अिछ। हुनक िववाह छल पवौली म ूलक िितनाथक कामे। िितनाथक िववाहक वण र्न १०३/२ मे भऽ चुकलअिछ। हुनक िववाह छल कुजौली म ूलक गोपीनाथक कामे तँ मा १०३/०२ िलिख पिरचय प ूरा कऽ देल गेल, आब िजनकापिरचय ब ुझबाक होएति तँ ओ १०३/०२ मे जाऽ कऽ देख लेताह, अु।र् बहुत ठाम प ूण पिरचय निह रहलासँ अंकक उपयोग निह कएल गेल अिछ। एिह कारेँ अंक िलखबाक योजन िस होएतअिछ।िकिछ सा ंकेितक श:दौ- अथा र्त् मातामह (नानाक नाम)सँ- म ूलक पिरचायकदौिह दौ (ौ.) माइक (मायक) नाना मा मातामहसद.- ु सद ुपाायम.म.उ.- महामहोपाायवैया.- वैयाकरणवै.- वैिदको.- ोितष शास्क ज्ञाताबीजी- अथा र्त् को म ूलक ारिक ज्ञात पुषहिरनाथ (१३००-१४०० ई.)हिरनाथ गंगौर म ूलक मैिथल ाणक छलाह आऽ हुनकर पौ िशवनाथक िववाह पाली म ूलक ोितरीर ठाकुरक पुीसँछलि। िहनकर िववाह गलतीसँ अपन पुरखाक व ंशजसँ भऽ गेलि, तािह ारे हरिसंहदेव पी वाक ार केलि।भेलहिरनाथ ृितसार िलखलि, जे धम र्शास्क िविभ अायपर आधािरत छल। हिरनाथ संारक ८ भेद करैत छिथ। आचारखमे संारक अितिर आिका- िजक िनकम, र् ा आऽ ायितक िववरण अिछ।129


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्िववाद, वहार आऽ उरािधकारपर सेहो हिरनाथ िलख छिथ। े पुकेँ जेठा ंश, स्ीधन, पुक िविभ कार, िविभकारक द इािदक वण र्न हिरनाथ कए छिथ। िविधमे कोना कम्ेन फाइल करी, ओकर उर, ाय आऽ ायक आधार आऽायक पुनरीक्षण, एिह सभक चरचा अिछ। िववादक १८ टा कार आऽ िसिवल आऽ आपरािधक िविध जे ायालयमे अपनाओलजाइत अिछ, तकर िववरण हिरनाथ दे छिथ।संृत िमिथला-गजे ठाकुरलीधरकृकतक लेखक लीधर भ दयधरक पु छलाह। हुनकर िपता राजा गोिवचक दरबारमे शाि आऽ युक म ंीछलाह। लीधर मीमा ंसक छलाह। चेर, वाचित आऽ धर अपन-अपन रचनामे लीधरक उरण चुर माामे देछिथ। लीधर एगारहम शताीक दोसर भाग आऽ बारहम शताीक पिहल भागमे अवतिरत भेल छलाह।र्लीधरक कृकत महाभारतक एक ितहाइ आकारक अिछ आऽ जीवन जीबाक कला आऽ िनअमक वण र्न करैत अिछ। मैिथल-ृितशास्क ई तम योगदान अिछ। चेरक िववाद राकर प ूण पसँ कृकतपर आधािरत अिछ, िवापितकिवभागसार सेहो कतक िवषयस ूचीक योग करैत अिछ।लीधरक िवचार- राजाक काय र् कान ून आऽ ाय दान केनाइ छैक। वहार तािकर्क पसँ राजधम र्क पमे ब ुझल जाऽ सकैतअिछ। राक सात टा पारिरक तत्क सेहो चरचा अबैत अिछ। राजाक कतर्क छह कारक षडगुम केर सेहो चच र्अिछ। राजशाहीकेँ ओऽ सरकारक एकमा िवक कहैत छिथ। मुदा लीधर राजाक दैिवक उिमे िवास निह करैत छिथ।राजा जनताक ी अिछ, ायी अिछ आऽ धम र्क असार काय र् करैत अिछ। मुदा राजाकेँ धािम र्क-कान ून बदलबाक को अिधकारनिह छल। सव र्भौिमकताक अिभषेकक बाद राजाक िशक्षा-दीक्षा आऽ जनताक ित आदरपर ओऽ बहुत जोड़ देलि। लीधरराजकम र्चारीक आचार-संिहतापर बड़ जोर दैत छिथ। द ुक िववरण ओऽ राजमहल आऽ िकलाक पमे करैत छिथ।इिश-मैिथली ंकोष मैिथली-इिश ं कोषइिश-मैिथली ंकोष ोजेकेँ आगू बढ़◌ाऊ, अपन सुझाव आऽ योगदान ई-मेलारा ggaj endr a@ yahoo. <strong>co</strong>. i n वा ggaj endr a@ vi deha. <strong>co</strong>. i n पर पठाऊ।मैिथली-इिश ं कोष ोजेकेँ आगू बढ़◌ाऊ, अपन सुझाव आऽ योगदान ई-मेलारा ggaj endr a@ yahoo. <strong>co</strong>. i n वा ggaj endr a@ vi deha. <strong>co</strong>. i n पर पठाऊ।गोिवदास (१५७०-१६४०) शावली (साभार-गोिवदास-भजनावली, सादक गोिव झा)अंगुिलवलय- औँठीअंचल- आ ँचर;कोरअकण- िनद र्यअकाज- िवघटनअगुसिर- आगा ँ बढ़ि◌अछोरब- ागबअत- कामदेवअतसी- तीसीअनंग- कामदेवअनत- अ130


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्अनल- आिगअखन- हरदमअगत- सेवकअब- संगितअसय- पाापअसरब- पाछु चलबअराय- िवअपप- अप ूव र्अबगाह- पैसबअवतंस- मनटीकाअवधान- होसअवनत- झ ुकलअवश- िववश, बाअिवरत- लगातारअिवरल- घनगरअिवराम- िनररअब ुध- बकलेलअभािग- अभाअिभसार- मीसँ िमलए जाएबअमरत- कव ृक्षअिमअ- अमृतअर- आकाश, वस्अरिव- कमलअिणम- लाल, ललाओनअण-लालअलक- लटितलक- पसािहनअलिखत- अलिक्षत, अनचोकअलस- अलसाएल, िशिथलअिल- मरअसार- आसार, वषा र्अहिनस- िदनराितअहेर- आखेटक, िशकारीआकुर- ओझराएल; घबराएलआगर- आकर, भंडार, खजानाआतप- रौदआनआन- अो, पररआनन- मुख, चेहराआमोद- सौरभआरकत- आरत, आलताआरित- आितर्, आतुरताआसोआस- आासइफा ँस- एक कारक बनइु- चमाइषदवलोकन- अझकिह देखबउजागिर- जागरणउजोल- काशउतपत- उ, धीपलउतरोल- कोलाहलउर- दय, छाती, नउ- जा ँघउरोज- नउलिसत- उिसतऊजर- उवलकं ज- कमलकं टक- का ँटकटाख- कटाक्ष, कनखी131


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्कनकाचल- सोनाक पव र्तकनय- कनक, सोनकपाट- केबाड़कबरी- खोपाकमान- धषकु- श ंखकरहाथ- स ूढ़, हाथकरतल- तरहीकरतँह- करैत छिथकरयुग- जोड़ल हाथकल- शाि; मध ुर (िन)कलप- ककलप त- पािरजातकलरव- घोलकलहंस- एक पक्षीकलावती- रिसक रमणीकत- पािरजातकहतहँ- कहैत छिथका ंचन- सोनाककातर- दीनकान- कृ; काण र्कानन- वनका ँबिल- सािगँकािमिन- रमणीकािली- यमुना नदीकािलय- एक नाग जकरा कृ नथलिनकािहनी- कथािकं िकर- चाकर, सेवकिकं िकिण- घ ुघिकसलय- नब पात, पवकुंकुम- सौय र् साधनक लाल लेप वा चूण र्कं टक- का ँटकुंिचत- संकुचलकुंजर- हाथीकुच- नकुल- लटकुल- खराजल, सोधलकुवलय- नील कमलकुमुद- ेत कमल, भेँटकुमुिदिन- ेत कमलक लताकुसुम- फूलकुसुमबान कामदेवकुसुमसर- कामदेवकुसुमसायक- कामदेवकुहू- अमावाकुल- तीरकेिल- काम-िवलासकेसिर- िसंहकोक- एक पक्षी, चकबाखिचत- खोँसलखर- तेज, तीणखरतर- तीणतरगंड- गाल; हाथीक मकगगन- आकाशगज- हाथीगजमोित- ओ मोित जे हाथीक मिमे रहैछगणक- जोतखी132


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्गरगर- गद ् गद, िवलगरब- घम ंडगरल- िवषगअ- भारीगिलत- नमड़लगहन- नवगहीन- गँहीरगात- देहगाहनी- वेश कएिनहािरिगम- ीवा, गरदिनगुनगाम- गुणाम, गुणावलीगुिन- िबचािर, सोिचगुहक- ओझा-गुनीगेह- घरगैिरक- गेगोए –िछपाएगोचर- बाधीम-ीवा, गरदिनधन- बल,तेज ;अिवरल, लगलग, लगले लागलघनरस- जल; गाढ़ रसघनसार- कप ूर्रघाघर- झा ँपघामिकरन- स ूय र्घ ुमाएब- स ूतबघ ूम- िनाघोर- िवकटघोस- गोपचकोर- एक पक्षीचतुरानन- ाचक- मय ूरक पािखँचरमाचल- अाचलचलतँह- चलैत अिछचा ँचर- चलचा- सुरचाह- िनहारनाइ, अवलोकनचाहनी- अवलोकनचाहब- िनहारबिचब ुक- दाढ़◌ीिचर- दीघ र्कालचीतपुतिर- िचमे िलखल मितर्ूचूड़- िशखर, जूड़◌ाचूड़क- पुषक खोपाचेतन- चैत, होसचोआ- ध ूमनक तेल जे सुगित होइत अिछछ- गित, वि, ृ इा; शोभाछा ँद- शोभाजघन- जा ँघजद ुपित- कृजर- र, सापजलजात- कमलजसु- जकरजा- ठेहुनजाबक- आरत, आलताजाम- याम, पहरजािमिन- राितजामुन- यमुना133


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्जूथ- दलजूिथ- जूही फूलजोर- युगल, जोड़◌ाजौबित- युवतीझंक- दीन वचन, द ुःखझंझर- झटक, विृझपान- खटुलीझष- माछझामर- ामल, कारीिझी- एक कीड़◌ाझ ूर- िविखटलमल- अिरठान- ानडमक- डाडर- आटोपढरढर- िनरर (वाह)ढलमल- डगमगतिटनी- नदीतड़ि◌तलता- िबज ुलोकाती- वीणातपन- स ूय र्तमाल- एकव ृक्षतरं िगनी- नदीतरल- ुततकोर- गाछक ंभतन- टटका; युवातणी- युवतीताट ंक- तड़का, कानक एक गहनाताड़- एक गहनातापिन- यमुनाताूल- पानतार- ताराितआस- िपपासाितिमत- िरितिमत- अकारितिरवध- नारीक हाक पापितलितल- छन-छनतुंग- ऊँ चतमुल- तेज (िन)तुषदह- भूसाक आिगतुिहनकर- चमातूण- तरकसतोिरत- तुर, शीिविल- नारीक पेटपरक िसकुड़निभंग- नाचक एक मुादी- हाथीद- , िभड़; झगड़◌ा; िचादरस- दश र्नदिलता ंजन- एक कारक अंजनदसन- दा ँतदसबान- दस बेर गलाए शु कएल सोनदहन- आिगदाद ुर- बेङदाम- डोरीदािमिन- िबज ुलीदािरद- दिर134


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्दान- भयानकिदगर- नाङट; िशविदिठ- दृि, नजिरिदनमिण- स ूय र्दीगभरम- िदग ् मदीघ- दीघ, र् पैघद ुरगह- द ुधारणा, र् ािद ुरिदन- अधलाह िदन; वषाबाला र् िदन।द ुलह- द ुल र्भदैव- जोतखीदोषाकर- चमा; अक दोषबाला (ि)िजराज- चमाधिन- ध; सजनी, नारीक िश सोधनछ- िचाधबल- उरधविलम- उरधरिन- धरणी, प ृीधराधर- पव र्तधाब- दौड़नाइध ूसर- भुल र ंगनखपद- नखसँ नपर कएल िचनखर- नहनखर ंजिन- नहरनीनखरेख- नखदनन- पुनवल- न ूतननबेिल- नवीनानभ- आकाशनयान- नयन, आिखँनिलनी- कमल-लतानागदमन- कािलयनागकेँ नथिनहार (कृ)नागर- रिसक (पुष)नाह- नाथ, पितिनअ- िनज, अपनिनअर- िनकटिनकर- सम ूह, बहुस ूचकिनकन- िनण, िनद र्यिनकुंज- लताव ृक्षसँ घैरल ानिनकेतन- घरिनगमन- िनम, डूबलिनचोर- चोलीिनछोिर- छीन (लेब)िनज- अपनिनतििन- पु िनत वाली सुरीिनदान- द ुरवा, द ुखद िितिनध ुवन- रित, सोगिननाद- िनिनिवड़- घनगर, गहनिनत- िछपलिनिमष- छनिनरखब- िनहारबिनपम- अपम, अप ूव र्िनसान- िनिनिसत- िपजाओल, तेजनीित- िननीप- कदनीवी- जारब135


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्नीिलम- नील र ंगकनीर- पािननीरद- मेघनीलमिण- नीलमपउरब- हेिलकेँ पार करबपखान- पाषाण, पाथरपखावज- एक बाजापतिन- चादरपद- पाएरपदतल- तरबापद ुमिन- कमललता; उृ,नाियकापन- पण, पािरिमकपवार- वाल, म ँगा ूपय- पाएरपयान- याण, ानपयोधर- मेघ;नपरजंक- पयंक, र् पलंगपरतेक- क्षपरबोधब- बौ ँसबपरमाद- माद, चूकपरमान- माण; साक्षीपरस- श र्परसंग- चचा र्पिरबादिस- आरोपहपिरमल- सौरभपिरर- आिलंगनपिरहार- ागपहु- भू, ामीपात- जयप, िडीपाद ुक- खड़◌ाओँपािन- हाथिपक- कोइलीपीछ- मय ूरक पािखँपीन- पुपुनफल- पुण ्य़क सुपिरणामपुलक- रोमा ंचपुलकाियत- रोमािचतंपुलिकत- रोमािचतंफिटक- िटक, एक कारक पाथरफिनमिन- ओ मिण जे नागक फेँ च मे उ कहल जाइछ।फागु- अबीरफुलध- कामदेवफुलसर- कामदेवफूर- स; मन मे आएबफोइ- खोिलकेँब ंज ुल- एक लताबकुल- एक फूल, भालसरीबजर- वबदिरकोर- बैरक गाछक जड़ि◌बिद- बिझकेँूबुक- मध ुरीवयन- वचन, बोलवलय- कगना, माठा, औँठीबलािकनी- बकक पा ँतीविलत- वेितविर- लतावसन- वस्, पिरधान136


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्बहुवभ- बहुत नारीसँ म कएिनहारबाए- वायुबात- हवावाद- झगड़◌ाबादर- मेघबािन- वाणीवािर- जलवािसत- सुरिभतिवकच- िवकिसत, फुलाएलिवगिलत- खसल, नमड़लिबछेद- िवयोगिबजन- बीअिन, पंखािवतान- चनबािबथार- िवारिबद- रिसकिवध ु- चमािवध ुुद- राहुिवपथ- कुमािवपाक- कुफलिविपन- वनिवलुिलत- लटकल, डोलैतिवलोकन- नजिरिविशख- बाणिवषम- िवकट, द ुखदिवहंग- पक्षीिबिह- िवधाताबीजन- बीअिन, पंखाबीजिर- ु िबजलोकाबेिण- जूटीबेल- तटबेिल- बेरबेश- िसङार, साधनभंग- भंिगमाभनतँह- कहैत छिथभव- संसारभमइ- मण करैछभािबिन- कािमनी, भ मिहलाक सोधनभाल- ललाटभास- शोभा पाएबभीतपुतिर- िभिमे बनाओल मितर्ूभुज- बािहँभुजंग- सापभुजमास- पा ँजभूिर- बहुतभूिषत- अलंकृतभोर- ाि; सुिधहीनम ंज ुल- सुरमगन- म, डूबलमिण- बीचमे छेदबाला रमिणम- जड़◌ी-ब ूटी आ झाड़फूकमत- म, आकुलमध ु- वसमध ुकर- मरमध ुप- मरमध ुपुर- मथ ुरामधिरपु- ु कृ, मध ूस ूदनमधिरम- ु मध ुर, मरम137


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्मनमथ- कामदेव; मनकेँ मथिनहारमनिसज- कामदेवमभव- कामदेवमर- ममिर- घर, िनवासगृहमरकत- एक रमरजाद- सीमामरम- दय, अम र्नमराल- हंसमलयज- चनमि- बेली फूलमस ृण- िचन, कोमलमिह- प ृीमिहतल- धरतीमिहपंक- कादोमही- धरतीमाधिव- एक फूलमान- नारीक ािभमानमािन- मामािनिन- मानवतीमारग- मा, बाटमालित- एक फूलिमछिह- फुिसएिमिहरजा- यमुनामीन- माछमुकुटमिण- मुकुर- दप र्णमुकुिलत- कोँिढआएल, संकुिचतमुखर- अिधक बजिनहारमुिदर- मेघमुगुिध- मोिहत, अमितमुरी- मुिका, औँठीमृगयित- जोहबमृद ु- कोमलमेह- मेघमोितम- मोितक बनलमौिल- िशखर, िसरर ंग- केिलिवलासरिगिन- ं िवलािसनीरजनीकर- चमारिणत- झमझम िनरत- मासरित- सोग; कामदेवक स्ीरव- शरबाब- एक बाजारभस- हठकेिलरसना- जीह; मेखलारसनारोचन- उृ रसक कारँ िचकररसबित- रिसक (रमणी)रसायन- रसक भंडार; सुखद भावबालारसाल- रसयु, रिसकराइ- रािधकाराग- आसि, मरातुल- लालराव- िनराही- रािधकािरतुपित- वस138


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्िच- अरागिचर- िय, आनदायकरे- ध ूरा, गरदारेह- रेखारोचन- िचकर, ियरोमाबिल- नारीक नािभलगक रोइआ ँरोष- तामसलिलत- सुरलाज- लाबा; ला, संकोचलाबिन- लावलालस- लालच लोभलोचन- आिखँलोल- चंचलसंकेत- इशारा, इिगतंसंघात- ढेरसंघाित- मेलसंव- समेटकसचिकत- िवितसजल- राएल, भीजलसित- ससान- िनशानासफरी- पोठी माछसमागम- संगमसमािध- ान लगाएबसमीर- वायुसयान- सज्ञान- बिधआरुसरबस- सव र्सरम- ािसरिसज- कमलसप- ससरोह- कमलससधर- चमासािख- साक्षी, क्षासाित- शाि, सजाए, कुपिरणामसाद- श, साध, मरथसाध- मरथ, कामनसामर- शामल, ामवण र्सािर- मएनासारी- मएनािशखंड- मय ूरक पािखँिशखंडक- मय ूरक पािखँिशिखचचक- मय ूरक पािखँिसिरस- िसरीष व ृक्षिसिसर- िशिशर ऋतुसुधाकर- चमासुधीर- िर, गीरसुरत- पािरजात व ृक्षसुरपित- इसीकर- फुहार, जलकणशेखर- शीष र् ानसेल- श, आिरक वेदनासोहन- शोभन, सुपसोहािग- सौभावन- कानमजल- धामील- ीयुतुित- कान139


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्हिर- िसंह, कृहाम- हमिहअ- दय, उरिहमकर- चमाहुतास- अिहेम- सोनहेम- पा ँचम ऋतु, अगहन-प ूसबीनाथ झा शावलीिमिलन- मध ुमी, भौरारसाल- आमक गाछ, कुिसयारअत- सावधान, जागकखोत- भगजोगनीद ुवार- र् किठनयित- ितब ंध, जतेक बेरअचलसेतु- अदृलेखिविपन- जंगलतरिण- नाओअवाम- दिहनगड़केतु- िवुबौड़ि◌- उतुषार- शीतलिष र्सुत- कपवाणी- पिम िदशाकप- मुिन ओ मपतीची- पिम िदशाकुलाय- खोंतासा ँझ- समािध वा समुयजीव-अिभदान- नामकमान- धष140


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्िवध ु- चमाहय- थोड़◌ानिम- नमारनीराजन- ातःकालक आरतीमानर- मृदङकाहल- वािवशेषचतुिवध- आिक, वािचक, सािक, आहाय र्उड़◌ुगण- तारादैवज्ञ- ोितषीपाटल- लालपाटल- ा भेलअिवा- अज्ञानअिधका- पव र्तक ऊपरक देशकुशिका- वेिदसाजर्नािदमेधा- धारणावती बिुसार- सामीकल- कारी (काजर)भूयसी- एक कारक दिक्षणादीिठ- दृिन ृपदार- रानीपिरचार- पिरचया र्फुलहरा- कोढ़ि◌लाक झाड़राजीव- कमलमुदवािर- आनक रष- ापाज- श141


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<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्अचलेश- भूपितिबहान- भातपपटसार- उम पाटक वस्िवभूितवत- ऐय र्एकतान- एकावनी- वानऔर्दैिहक- परलोकोपकारक ाभोज-ओज- कृपणताचरीक- मरसोहल- शोिभत भेलछान- कलअदिक्षण- ितकू लइीवर- नील कमलकीर- स ूगाअकानल- स ूगाअकानल- सुनलपोषक-ेषक- पोसिनहार (कौआक) ेषीु- दाढ़◌ी-मोछश ैवाल-लितका- सेमारक लीकुिलत- लपेटलकिण र्कार- कलीवा- गरदिनइायुध- वतमाल-साल- सा ँख ुशा- िवुतासहकार- आम143


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्वकुलमुकुल- भालसरीक कलीपखान- पाथरदमनक- दोनाफूलअंसयुगल- द ुहूअसार- लोहमिणब- पहु ँचाअबलासव- िवरोधदिहण- ु ाजिरपु- इऊ- जा ँघआरत- िवरोधनीरज- जलमे अ, धिल ु रिहत, िवरोधइलातनय- पुरवासुरवैयुगल- द ुहू अिनीकुमारिक्षितहिरहम- प ृीपरपु- कोयल, कोिकल, पसारमे पिरपुा वैामध ुप- मर, मपआतर- िनभर्यकाक- शुककमध ुभिर- बसपय र्सुरिभमग- कामधेक माअनीित- अितव ृष्ािदरिहतिशक्षालोक- काशताव- उिनजनपद- अपन देशसािभिनवेश- आहप ूव र्क144


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्धारणा-ाण- अायोगक छठम ओ सातम अकृित- भाव, जापीय ूष-य ूष- अमृतसारमातर्- स ूय र्सक- सगुणसौ- ब ुधहवाित- ब ृहितरिव-क- स ूय र्-सदृशयाचना-परायण- याचकअिभयोगी- अिभयोग कएिनहारकैरवामोद- कुमुदक सौरभ, शुक आनअदार- स्ीसँ अगतपुिक- पुोादक यज्ञएकावली- मोतीक मालामिरता- अशुभेषलालनसुिहता- लाल वा अकू लपिरणाह- विृम- असावधान वा उबालवशामे- नवीन हिथनीआिवल- पिलअध र्च- चक ओ गड़हािशिखकलाप- मय ूरक िप, िवषमबलाहक- मेघसरणी- आकाशजड़भाव- श ै वा जलमेचक- नील145


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्िरद- हाथीधि- केशपाशिवलक्ष- लितपिथक-च- चबाक ओ समुदायकाली- कारीरतारा- आिखक ँ पुतड़◌ीकाली- थमा महािवातारा- ितीयाचतुुित- ुितवेद, पढ़िनहार ाुित- कान, सुनबिवुित- िसिछीजक- न होएबाककलकी- कोिकलात-तपनीय- सोना, ण र्िचव ुक- दाढ़◌ीपिरुर- चललेखा- गणनाजूझल- लड़लमहायित- अितिवीण र्आिहत- ािपतूप- मािटक ढेरीिलकुचक- बड़हड़कीफल-मद- िवफलक गव र्गतर्- खाकुलाल- कुार146


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्नािभभव- ाशारदा- अदृा सरती नदी (अलखप शारदा)ििदवस सािरणी- गावली- उदररेखा (तीिनवली)बली- बलवानपाटर- चोरकेहिर- िसंहिनतक- पव र्तक म भागकिविधओजक- तापककृष-नीच- नीचािदिससँ ँ मिह पातर (जा-म-कृष-नीच)वे-द- सोनाक अिधकार दहंसक- प ूरदश-शशधर- नखप-दशचकलाजें बीतल- संकुिचत भेलअन ृत-द ूषण-कृपाणी- िमादोषक छुरी जेका ँ नाशककथाऽवशेष- अविश वहष र्-न ृ- गािवपसभीक- भीतसागर-पिरपी- सागरक ितधा र् कएिनहारसुिटत- सुिचतिवगेय- िननीयिवजीहीषा र्- िवहारक इादलतर- पातक नीचा ँअितसुकिव- ऊह- सुकिव तकर्क अगोचरकुवलय-रा-समान- प ृी-मलक रा सदृशदेवानीय- देवाना-सी147


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्रास- मलाकार न ृामा- ियुामोहक- सोहककाल- यमराजसारग्ङ- हिरणकृतयुग- सयुगरण-एकतान- युमे सव र्दा िवजय पओिनहारन ृपित-पतािकनीक- राजसेनाकिवकटतीक- दाणाकारपुरीक- बाघिदु-दीन- िदनक च सदृश मिलनसव र्सहाक- प ृीकलीन- लयमे ािवलीन- िवलाएलगोए- रािखतदसार- पाछा ँिवदताक- रिसकताकगअ- पैघभूरमाक- भूतल लीकशम र्- सुखदिलतपा ंशु- िनाप वा िनदो र्षभिवतव- भााधीनअनप- ितकू लिणधानलीन- ानमिजद- िसाणसँ देलद-द- दयसँ देल148


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्उदेष- अेषणरित- िवषयक मधैय र्-कदय र्- अधीरचरमदशाक- मृुकअवगाह- आलोड़नओज- तेजयश- यशोजनकअलेश- िनलिविजगीषा- िवजयक इापुटपाक- द ुइ सरबाक सुटमे वुकेँ मिन ू पकहयीव- राक्षस जेकरा िवु मारलअन- अ-रिहतपाय- पिरप ूण र्भ- पराजयसर- युत- कोमलआित-द ु- द ुगो र्पासकद ु- दैसँ सेिवत द ुमसव र्सहा- प ृी, ितितक्षा, सभ सहिनहािर प ृीम- मिशव- काणकारककू च र्- ी ँिशिखजाया- ाहाआखर- ी ँ गौिर! दियते! योगेरी। हूँ फट ाहाअथा र्- यथाथ र्नामािसि- िसिकेँ ा, स149


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्ाण-भोज-पा पुररण (तप र्ण माजर्न ाण भोज न ृसोम)वै- राजा प ृथ ुफलक- ढालिशशुमार- सोँसधन-शाद- पा ँकपणी- कआरपटमप- तूयादस्न- जलजुक शप ूत- पिविरदका ँ- हाथीकेँदानजल- मदजलमन-अवसाद- द ुःखभ- शुभ, सुरआयुधरािज- चला, िवुतचै- िस गृहद ु- िकलासुचतुश- चौबीअहूिवका- हम पिह तँ हम पिह एिह धा र्सँ दौगबपिव- वअथ र्- योजनभूत- बहुतलाघव- शीतादज-तज- शरीरमे उअभर्- नासुरसरणी- आकाशशािरका- मएना150


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्मेकल- नम र्दा नदीक उादक पव र्तपिरपाटी- परराउोच- घ ूसिवतान- िवारको- पहु ँचाअुरीय- अुठीकेतन- जािनम र्म- ममताहीनउिदखर- उिदतदीिधित- चिकरणदिक्षण- अकमे समानारागी ओ दिहनमरी- ेषीिविनपातोुख- अवनित िदस व ृमध ु-सेँ- नामसँन ृपदारक- राजकामोद-िनबन- कारणवी- कैदीपुषाथ र् चतुष्- धम, र् धन, काम ओ मोक्षदीिधित-माली- स ूय र्नरनाथ- पिरकरऔरस-सुत- अपनासँ धम र्पीमे उ पुचधर- नारायणईषर- सुकरकुिलशायुधसँ- इसँमा-सािलत- यथाथ र्ज्ञानसँ ीतउि-ग- बजबामे ौढ़151


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्शमन- यमराजिवधेय- कतर्दिव ु र्पाक- अधलाह फलस-कना- मानस कम र्क रचनाित- जड़◌ीभूतसकल-करण-पिरवारक- इिय वकभव-झिरणी- संसार नदीशिशका- चका मिणरजिनकर- िचएँ- कािएँिनपट- िचएँ-ीितएँुत- शीिवुत- पिघललमानिसक- ितमहुक-मानस-िभचारहुकउििषत- बढ़लकृित- चैत-युकालासुर- कालकेतु राक्षसअमान- अपिरिमतअमानव- अलौिकककुरित- हिरण जेका ँ उछलैतिवम- िवलक्षण वा िवगत छैक म जािहमेपानन- िसंहआरभटी- आडरप ूण र् चेाद ुरिभसि- द ुराशयकािशीक- भयसँ पढ़◌ैिनहारअनाथ- िवधवा152


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्ध ृ- ौढ़िनकृ- नीच, छोटउपरोधन- धैरवअनार- आर निह करबभामान- स ूय र्कृकलाश- िगरिगटसाह- युक उोगमध ु-मधिरमाहर्- ु ाक्षासदृश-मध ुर सम मध ुर, दाखसनसव र्ज्ञ- अपनाकेँ सव र्ज्ञ मानिनहारवीरमानी- अपनाकेँ वीर मानिनहारन ृश ंस- ूर (वातक)अपलापपरा- लाथ करबामे तराथिमक- पिहलेबेककार- िदवारकअज- बूकुर- हिरणगवय- गो सदृश नीलगायशाद ूर्ल- बाघसार- हिरणसन जुभूतनाथ- महादेवमथरािज- गणसम ूहश ृी- श ृवालाजटी- जटाधारीवारणरद- हाथीकसन दा ँतबालापुी- नािरकृिपटी- बाघक चाम पिहरिनहार153


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्चर- चानभीभीमा- भीक भयरपटल- पिट गेलज- युराज- क्षियिभिपाल- ढेलमासु सन गुी फें कबाक अस्तोमर- मन दसन अस्कृपाण- तआिरपरशु- फसाअिस धे- खा ँड़, छूड़◌ाभुशुी- अिधान अस्पिरध- हथौड़◌ीदजभुवन- पातालजलद-छाया- मेघक छाहिर,तदृश अिरमृुशि-उत्ािदा- मृुकेँ ’उत्ािदा’ नामक शि छि जािहसँ जीवोत्मण करैत छिथव ृारक-व ृक- देवसम ूहकिनजचम ू- सेनापताल- अतल, िवतल, सुतल,तलातल,महातल, रसातल,पातालसेश- संवाद (समाद)ििदवहु ँ- हु ँूष- ातः कालदानव-भोिगनी- राजाक सामा स्ीअास- योगाासेश- अिवा-िता-राग-ेष ओ अिभिनवेशजिन- जभोगभू- भोगान वा भूिम154


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्भुजगभुवन- पातालनाक- सहार- िशर ित सहदल- कमलाकार चिनम र्ु- िनरपराध (िनदो र्ष)फेिर- घ ुमाएफेिर- पुिनअराय- िवयाचकपटलीक- याचकसम ूहजेका ँरहोेदसँ- गुीितक काशसँलोकपित- नरेशममलोक- मर्भुवनअधोभुवन- पातालनरिर- मसँ रिहततूण र्- शीउेश- उारणउपे- वामन भगवान ्काक- शुक पुी देवयानीकअथ र्ना- याचनासपिरकर- पिरवार पिरजन सिहतपुषस ू- “ओँ सहशीषा” र् इािद सोड़ह ऋचाद ुइ- नारायण ओ तुव र्सु (िनज द ुइ बापक पिरचय)ितह- दान लेबलाजहोम- लाक हवनलाजहोममे- लावासँ हवनमेणयकोपक- मानकअपसारण-गित- हटएबाक उपाय155


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्परमा- स ूय र्क भामे दृ रेक छठम भागयक- द ू परमाप ूगीफल- सुपारीयवचन- ाथ र्-बोधक वचनिदवसचतुय- चािरगानचातुरी-िववरण- काशनकान-सुधारस-िवतरण- दानचािरमशुिच- चातासँ भूिषतपा ँकल- पा ँकमे लागलिनमीिलत- सुिचतकीिलत- ब (पीड़ि◌त)मदन-जा- रोगिनवांप- र् शाि करबसमािजत- पिजतूउेद- िवकासचलदल- पीपड़मथ-घष र्ण- गताकक- कसदृशआशा-िदशािवद- िवकल, रिसकसुरतिवतान- ीड़◌ा-कलापिवतानल- िवीण र् कएलसंभोग- श ंगारक ृ प ूवा र् वा केिलिवल- श ृारक उरा वा िवरहअविसत- समािवध ुर- िवरिहत (दीपक-िवध ु-िवध ुर)156


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्अनवम- िनदो र्षिवरस- िनःृह (िवमुख)पयज्ञ-यज्ञ(वेद अयन-अापन),िपयज्ञ (िपतरक तप र्ण ओ िना),देवयज्ञ(हवन),भूतयज्ञ(वैदेवविल), न ृपज्ञ (अितिथ-सार)पव र्- पाबिनआिरक- अःकरणमूषा- पेटीभूिमता- प ृीपितजरती- ब ृावैजय- इाणीसँ भूिषत इासादकपित-पिरचार- ामीक सेवाम- िवचारका- ियाधापरायण- श ंसामे तरधव- धावामध ुपा- मपाियनीभूिर- बहुतसव र्सहासमेत- सभ (द ुःखकेँ ) सहिनहािर प ृी सिहतकासर- मिहसािहोर- मचकीश ैल ूष-कुहना- नटक मायामैिथलीक मानक लेखन-श ैली1. जे श मैिथली-सािहक ाचीन कालसँ आइ धिर जािह वर्नीमे चिलत अिछ, से सामातः तािह वर्नीमे िलखलजाय- उदाहरणाथ र्-1.ाअाएखनअखन,अखिन,एखेन,अखनी157


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्ठामजकर,तकरतिनकरअिछिठमा,िठना,ठमाजेकर, तेकरितनकर।(वैकिक पेँ ा)ऐछ, अिह, ए।2. िनिलिखत तीन कारक प वैिपकतया अपनाओल जाय:2.भ गेल, भय गेल वा भए गेल।2.जा रहल अिछ, जाय रहल अिछ, जाए रहल अिछ।2.कर’ गेलाह, वा करय गेलाह वा करए गेलाह।2.3. ाचीन मैिथलीक ‘’ िनक ानमे ‘न’ िलखल जाय सकैत अिछ यथा कहलिन वा कहलि।3.4. ‘ऐ’ तथा ‘औ’ ततय िलखल जाय जत’ तः ‘अइ’ तथा ‘अउ’ सदृश उारण इ हो। यथा- देखैत, छलैक,बौआ, छौक इािद।4.5. मैिथलीक िनिलिखत श एिह पे यु होयत:5.जैह,सैह,इएह,ओऐह,लैह तथा दैह।5.6. ह्र् इकारा ंत शमे ‘इ’ के लु करब सामातः अा िथक। यथा- ा देिख आबह, मािलिन गेिल (ममामे)।6.7. तं ‘ए’ वा ‘य’ ाचीन मैिथलीक उरण आिदमे तँ यथावत राखल जाय, िकं तु आधिनक ु योगमे वैकिकपेँ ‘ए’ वा ‘य’ िलखल जाय। यथा:- कयल वा कएल, अयलाह वा अएलाह, जाय वा जाए इािद।7.8. उारणमे द ू रक बीच जे ‘य’ िन तः आिब जाइत अिछ तकरा लेखमे ान वैकिक पेँ देल जाय। यथा-धीआ, अढ़◌ैआ, िवआह, वा धीया, अढ़◌ैया, िबयाह।8.9. सानािसक तं रक ान यथासंभव ‘ञ’ िलखल जाय वा सानािसक र। यथा:- मैञा, किनञा, िकरतिनञा वामैआ, ँ किनआ, ँ िकरतिनआ ँ।9.10. कारकक िवभिक्क िनिलिखत प ा:-10.हाथकेँ , हाथसँ, हाथेँ, हाथक, हाथमे।10.’मे’ मे अार सव र्था ा िथक। ‘क’ क वैकिक प ‘केर’ राखल जा सकैत अिछ।10.11. प ूव र्कािलक ियापदक बाद ‘कय’ वा ‘कए’ अय वैकिक पेँ लगाओल जा सकैत अिछ। यथा:- देिख कय वा देिखकए।11.12. मा ँग, भा ँग आिदक ानमे माङ, भाङ इािद िलखल जाय।12.13. अर् ‘न’ ओ अर् ‘म’ क बदला असार निह िलखल जाय(अपवाद-संसार सार निह), िकं तु छापाक सुिवधाथ र् अर् ‘ङ’ ,‘ञ’, तथा ‘ण’ क बदला अारो िलखल जा सकैत अिछ। यथा:- अ, वा अंक, अल वा अंचल, क वा कं ठ।13.14. हलंत िच िनयमतः लगाओल जाय, िकं तु िवभिक संग अकारा ंत योग कएल जाय। यथा:- ीमान, ् िकं तु ीमानक।14.15. सभ एकल कारक िच शमे सटा क’ िलखल जाय, हटा क’ निह, संयु िवभिक हेतु फराक िलखल जाय, यथा घरपरक।15.16. अनािसककेँ चिबु ारा कयल जाय। पर ंतु मुणक सुिवधाथ र् िह समान जिटल माा पर अारक योगचिबुक बदला कयल जा सकैत अिछ।यथा- िहँ केर बदला िहं।17. प ूण र् िवराम पासीसँ ( । ) सिचत ू कयल जाय।158


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्17.18. सम पद सटा क’ िलखल जाय, वा हाइफेनसँ जोड़ि◌ क’ , हटा क’ निह।18.19. िलअ तथा िदअ शमे िबकारी (ऽ) निह लगाओल जाय।20.ाअा1. होयबला/होबयबला/होमयबला/ हेब’बला, हेम’बला1.होयबाक/होएबाक2. आ’/आऽ आ2.3. क’ ले/कऽ ले/कए ले/कय ले/3.ल’/लऽ/लय/लए3.4. भ’ गेल/भऽ गेल/भय गेल/भए गेल4.5. कर’ गेलाह/करऽ गेलह/करए गेलाह/करय गेलाह5.6. िलअ/िदअ िलय’,िदय’,िलअ’,िदय’6.7. कर’ बला/करऽ बला/ करय बला करै बला/क’र’ बला7.8. बला वला8.9. आङ्ल आ ं9.10. ायः ायह10.11. द ुःख द ुख11.12. चिल गेल चल गेल/चैल गेल12.13. देलिख देलिक, देलिखन13.14. देखलि देखलिन/ देखलै14.15. छिथ/ छलि छिथन/ छलैन/ छलिन15.16. चलैत/दैत चलित/दैित17. एख अख17.18. बढ़ि बढि18.19. ओ’/ओऽ(सव र्नाम) ओ19.20. ओ (संयोजक) ओ’/ओऽ159


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्21. फािग/फािँफाइ ंग/फाइङ22. जे जे’/जेऽ23. ना-कुर ना-कर23.24. केलि/कएलि/कयलि24.25. तखन तँ तखनतँ25.26. जा’ रहल/जाय रहल/जाए रहल26.27. िनकलय/िनकलए लागल27. बहराय/बहराए लागल िनकल’/बहरै लागल27.28. ओतय/जतय जत’/ओत’/जतए/ओतए28.29. की फूड़ल जे िक फूड़ल जे29.30. जे जे’/जेऽ31. कू िद/यािद(मोन पारब) कू इद/याइद/कू द/याद31.32. इहो/ओहो33. हँसए/हँसय हँस’33.34. आिक दस/ िकं वा दस/ वा दस34.35. सासु-ससुर सास-ससुर35.36. छह/सात छ/छः/सात36.37. की की’/कीऽ(दीघीर्कारामे विजर्त)37.38. जबाब जवाब38.39. करएताह/करयताह करेताह39.40. दलान िदिश दलान िदश40.41. गेलाह गएलाह/गयलाह41.42. िकछु आर िकछु और42.43. जाइत छल जाित छल/जैत छल43.44. पहु ँिच/भेिट जाइत छल44.45. जबान(युवा)/जवान(फौजी)45.46. लय/लए क’/कऽ47. ल’/लऽ कय/कए47.पहु ँच/भेट जाइत छल160


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्48. एखन/अख अखन/एख48.49. अही ं केँ49.50. गही ं र50.51. धार पार केनाइ धार पार केनाय/केनाए51.52. जेका ँ जेँ का ँ/जका ँ52.53. तिहना तेिहना53.54. एकर अकर54.55. बिहनउ बहइ55.56. बिहन बिहिन56.57. बिहिन-बिहइ बिहन-बहनउ57.58. निह/58.59. करबा’/करबाय/करबाए59.60. त’/त ऽ तय/तए60.61. भाय भै61.62. भा ँय63. यावत जावत63.64. माय मै64.65. देि/दएि/दयि दि/दैि65.66. द’/द ऽ/दएअही ँ केँगही ँ रतका’ कए तकाय तकाएपैरे ( on f oot ) पएरेताहुमे ताहूमेपुीकबजा कय/ कएबननाय161


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्कोलािदका िदनकाततिहसँगरबओलि गरबेलिबालु बाल ूचे िच(अशु)जेजे’से/ केसे’/के’एख ुनकाअखकाभुिमहार भूिमहारसुगरस ूगरझठहाक झटहाकछूिबकरइयो/ओ करैयोपुबािरपुबाइझगड़◌ा-झा ँटीझगड़◌ा-झािटँपएरे-पएरेपैरे-पैरेखेलएबाकखेलेबाकखेलाएबाकलगा’होए- होब ुझलब ूझलब ूझल (संबोधन अथ र्मे)यैहयएह162


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्ताितलअयनाय- अयनाइिन- िनिबिबनजाए जाइजाइ(i n di f f er ent sense)-l ast wor d of sent enceछत पर आिब जाइखेलाए (pl ay) –खेलाइिशकाइत- िशकायतढप- ढ़पपढ़- पढकिनए/ किनये किनराकस- राकशहोए/ होय होइअउरदा- औरदाब ुझेलि ( di f f er ent meani ng- got under st and)ब ुझएलि/ ब ुझयलि (under st ood hi msel f )चिल- चलखधाइ- खधायमोन पाड़लिखमोन पारलिखकैक- कएक- कइएकलग ल’गजरेनाइ163


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्जरओनाइ- जरएनाइ/जरयनाइहोइतगड़बेलि/ गड़बओलििचखैत- ( to test)िचखइतकरइयो(will<strong>in</strong>g to do) करैयोजेकरा- जकरातकरा- तेकरािबदेसर ामे/ िबदेसरे ानमेकरबयलहु ँ/ करबएलहु ँ/करबेलहु ँहािरक (उारण हाइरक)ओजनवजनआधे भाग/ आध-भागेिपचा’/ िपचाय/िपचाएनञ/ बा नञ () िपचा जायतखन (नञ) कहैत अिछ।कतेक गोटे/ कताक गोटेकमाइ- धमाइ कमाई- धमाईलग ल’गखेलाइ (f orplay<strong>in</strong>g)छिथ छिथनहोइत होइोिकयोकेश ( hai r )164


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्केस (<strong>co</strong>ur t -case)बननाइ/ बननाय/ बननाएजरेनाइकुरसी कुसीर्चरचाचचा र्कम र्करमडुबाबय/ डुमाबयएख ुनका/ अख ुनकालय (वाक अितम श)- ल’कएलककेलकगरमीगमीर्बरदीवदीर्सुना गेलाह सुना’/सुनाऽएनाइ-गेनाइतेना घेरलिनञडरोड’रोकतहु- कही ंउमिरगर- उमरगरभिरगरधोल/धोअल धोएलगप/गके के’दरबा/ दरबजा165


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्ठामधिर तकघिरूलौिटथोरबेकबतोँ/ तू ँतोँिह( पमे ा)तोँही/तोँिहकरबाइएकरबाइयेएकेटाकिरतिथकरतिथपहु ँिच पहु ँचराखलि रखलिलगलि लागलिसुिन (उारण सुइन)अिछ (उारण अइछ)एलिथ गेलिथिबतओिबतेकरबओलि/ करेलिखकरएलिआिकिकपहु ँिच पहु ँचजराय/ जराए जरा’ (आिग लगा)से से’166


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्हा ँ मे हा ँ (हा ँमे हा ँ िवभिक्मे हटा कए)फेल फैलफइल( spaci ous) फैलहोयति/ होएति हेतिहाथ मिटआयब/ हाथ मिटयाबयफेका फें कादेखाए देखा’देखायदेखा’सिरसरसाहेबसाहबVI DEHA FOR NON RESI DENTS1.VI DEHA MI THI LA TI RBHUKTITI RHUT2.THE COMET- Engl i sh t r ansl at i on oftranslated by Jyoti.- poem by Jyot i .Gaj endr a Thakur ' s Mai t hi l i Novel Sahasr abadhaniYEAR 2008-09 FESTI VALS OF MITHILAिमिथलाक पाबिन-ितहारYear 2008ashunyashayanvr at - 19 julyअश ूशयन तmauna panchmi -23 july मौना पंचमीmadhusr avanivr at samapt 4august मध ुावनी तसमाnag panchmi 6august नाग पंचमीr aksha bandhan/sr avani poor ni ma16 august रक्षाबन ावनी पिण ू र्माkajli tritiya 19august कजली ितीयाsr i kr i shnajanmasht ami - 23august ीकृजामीsr i kr i shnasht ami24 augustीकृामीkushot pat an/kushi amavasya30 augustकुशोाटन / कुशीअमावाhar i t al i ka vr at2 sept emberहिरतािलका तchaut h chandr a 3sept ember चौठ चRi shi panchmi 4sept ember ऋिषपंचमीkar ma dhar maekadasi vr at 11sept ember कमा र् धमा र्i ndr apooj aar ambh 12sept ember इप ूजाanant pooj a 14sept ember अनंतप ूजाagast yaar dhdanam 15sept ember अगस्167


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्एकादशी त आर अध र्दानमpi t r i pakshaar ambh 16sept ember िपपक्षआरvi shvakar mapooj a 17sept ember िवकमा र्प ूजाi ndr vi sar j an 18sept ember इिवसजर्नsrijimoot vahanvr at 22sept ember ीजीम ूतवाहन तmat r i navmi 23sept ember मानवमीsomaavat eeamavasya 29sept ember सोमावतीअमावाkal ashst haapana30 sept emberकलशापनvilvabhimant r a/bel naut i 5oct ober िवािभम ं/बेलितpat r i ka pr avesh6 oct ober पिकावेशmahasht ami 7oct ober महामीmahanavmi 8oct ober महानवमीvi j ayadasmi 9oct ober िवजयादशमीkoj agr a 14oct ober कोजगराdhant er as 26oct ober धनतेरसdeepaval i -di yabat i -shyamapooj a 28oct ober दीयाबाती/ामाप ूजा/ दीयाबातीannakut a-govar dhan pooj a29 oct ober अकू टगोवध र्न प ूजाbr at r i dvi t i ya/chi t r agupt pooj a30 oct oberाितीयाkhasht hi khar na3 november षीखरनाchhat hisayankal i kaar ghya 4navamber छिठसाय ंकािलक अर्samaa pooj aar ambh- chhat hivr at ak par ana 5november सामा प ूजाआर/ छिठ तकपारनाakshaya navmi 7november अक्षयनवमीdevot t hanekadasi 9november देवोानएकादशीvi dyapat i smr itipar v11 novemberिवापित ृित पव र्काितर्क धवल योदशीkaar t i k poor ni ma13 november काितर्कपिण ू र्माshanmasi k r avivr at ar ambh 30november षाणमािसकरिव तारnavan par van 4dec. नवान पाव र्नvi vah panchmi 2december िववाहपंचमी168


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्Year 2009makar sankr ant i14 j anuar y मकरसंाितंnar ak ni var anchat ur dasi 24j anuar y नरक िनवारणचतुद र्शीmauni amavasya26 j anuar y मौनीअमावाsar asvat i pooj a31 j anuar y सरतीप ूजाachl a sapt mi - 2f ebr uar y अचलासमीmahashi vr at r ivr at 23 f ebr uar yमहािशवराि तj anakpurpar i kr ama 26f ebr uar y जनकपुरपिरमाhol i ka dahan 10mar ch होिलका दहनhol i /sapt ador a11mar ch होली साडोराvar uni yog 24mar ch वािण योगvasant /navr at r ar ambh 27mar ch वसंतनवराारbasantsoor yashasht hi /chhat hi vr at 1apr i l बसंत स ूय र्षी/छिठ तramnavmiरामनवमी3 apr i lmesh sankr ant i14 apr i l मेषसंाितंjurisital 15apr i l जूड़ि◌शीतलakshya t r i t i ya27 apr i l अक्षयितयाshanmasi kr avi vr at samapt3 may षणमािसकरिवत समाj anki navmi 3may vat savi t r i24 may जानकी नवमीgangadashhar a 2june गंगादशहराsomavat iamavasya 22 j uneसोमवती अमावाj agannat h r at hyat ra 24 j uneजगाथ रथयााsaur at h sabhaar ambh 24 j uneसौराठ सभा आरsaur at h sabhasamapt i 2 j ul yसौराठ सभा समािhar i shayanekadashi 3 j ul yहिरशयन एकादशीaashadhi gur upoor ni ma 7 j ul yआषाढ़◌ी गु पिण ू र्माVI DEHA MI THI LA TI RBHUKTI TI RHUT---Hussi n Shah won Ti r hut i n AD . . 1466.At Sambhal he ar r est ed Tat ar Khan Lodi and sent169


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्hi m t o Sar an i n Ti r hut . Sar an was a Si r kar of Ti r hut .Cont r i but i on of Oi ni var a Dynast yDur i ng Oi ni var a Dynast y t her e was devel opment of Sanskr i t l ear ni ng not abl e among t heschol ar a bei ng Jagaddhar a, Vi dyapat i and Var dhamana.Si vasi mha and Lakhi ma , Padmasi mha and queen Vi svasa Devi , Chandr asi mha and hi s wi f ewer e f r i endl y wi t h emi nent men of letters.Bet ween 1527 A. D. t o 1557 A. D., when t he New Dynast y was est abl i shed by Mahar aj a Mahesi aThakur a cent r e shi f t ed t o Nepal .One Kayast ha Maj umdar r ul ed f or a year A• D. 1544 there was no ruler till A D. 1557.Dur i ng Akbar t he f or t of Haj i pur f el l and l at er Bi har was l ost t o t he r ebel DaudKhan. Ti r hut was i ncl uded i n t he Subah of Bi har .Mahesa Thakur a ( c. 1557-71 A. D.),Akbar set up a nat i ve Hi ndu f ami l y as t he r ul er ofMi t hi l a, he wr ot e a hi st or y of Akbar ' s r ei gn i n Sanskr i t . Gover nor of Bi har , Haj i purand Bengal i n t hose days was Man Si nghI t has been poi nt ed out t hat t he act ual man t o pl ease t he Emper or and got t he sai l edfor Mi t hi l a Raj was Raghunandana Raya. Hi s r egi n st ar t ed on Ramanavnmi Sake 1478,Mar ch 1557 A. D.Chanda Jha wr i t es i n t he I nt r oduct or y por t i on of hi s Ramayana t hat Mahesa Thakuraascended t he t hr one i n Sake 1478 i . e. 1557 A. D.wher eas Mahavai yakar ana Har shanat haJha has wr i t t en i n hi s Samakar a Di pi ka 1479 Sake i . e. 1556 A. D. f or t he same . MahesaThakur a est abl i shed hi msel f at Bhaur a. Mahesa Thakur a had si x wi ves.He was aut hor of Dar pana- A<strong>co</strong>mment ar y on Jayadeva' s <strong>co</strong>mment ar y cal l ed ' Al oka'onGangesha' s cel ebr at ed wor k Tat t vachi nr amani , wr ot e At i char ani r naya.St ar t ed t heDhaut apar i ksha.Gopal a Thakur a ( 1571-84 AD . .)- Whi l e Mahar aj a Mahesa Thakur a was al i ve, Gopal a Thakur a,hi s se<strong>co</strong>nd son, assumed t he char ge of t he admi ni st r at i on, however , abdi cat ed l at er on,i n f avour of hi s youngest br ot her .I n 1585 Raj a Todar mal f i xed t he annual r evenue r ecei pt of Ti r hut af t er measur ement atRs . 11, 63, 020/-per annumRajarshi Paramananda Thakur a t he younger son of Mahesa Thakur a a gr eat poeten<strong>co</strong>ur aged Sanskr i t l ear ni ng,Anandavi j aya of Ramadasa and Ragat ar angi ni by Lochanawas wr i t een under hi s pat r onage.Shubhankar Thakur wr ot e Hast amukt aval i , a wor k on Nr i t ya , changed t he capi t al of t heki ngdom f r om Bhai r va t o Bhaur a.Pur ushot t ama Thakur a ( 1619-1626 A. D.) suppr essed r ebel l i ous chi ef s of Sugauna.He r ul edonl y f or si x year s because he was t r eachor ousl y mur der ed by Mi rza. , the Imper i alRevenue Col l ect or .Nar ayana Thakur a ( 1625-1644 A. D ).Raj a Sundar a Thakur a al i as Pr i t i nat ha Thakur a,was a pat r on of ar t and l et t er spat r oni sed one poet namel y,Ramadasa Jha and en<strong>co</strong>ur aged t he t r adi t i ons set up by hi sfather.Mahi nat ha , Thakur a ( 1670/ 1-1692/ 3 A. D.) f aught i n a bat t l e wi t h Raj a Gaj asi mha of Sugama, suppr essi on of a r evol t i n Mor anga by hi s br ot her Nar apat i Thakur a.Mahi nat hahi msel f <strong>co</strong>mposed a pr ayer t o goddess Kal i i n Maithili.170


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्Nar apat i Thakur a ( 1692-1704 A. D.)’s wife Urvasi Thakura <strong>co</strong>nstructed a temple of Saiva.Raghavasi t hha ( 1704-1740 A. D.)received the Khillat and other honours fromtheEmper or t hr ough Subehdar Mahabat Jang and ext ended f avour t o hi s depar t ed f at her byunder t aki ng a j our ney t o Jagannat haPur i and by ut i l zi ng t he oppor t uni t y t o vi si t t heNawab of Bengal . Al i var di Khan, at Mur shi dabad,obt ai ned t he t hen pr oud t i t l e of Raj asur name of Si mha f or hi msel f .The Bhaur a-gar hi was t ur ned i nt o an i mpr egnabl e gar r i son and t he <strong>co</strong>nt empor ar y poetGopal a Kavi eul ogi ses t he pr owess of t he f or t of Bhaur a i n ent husi at i c t er ms ; i t si nvul ner abl e char act er , i t s f our gat es, i t s hei ght s, i t s t empl es,i t s br ave war r i or sand i t s excel l ent management .Jyot i Jha Chaudhar y, Dat e of Bi r t h: December 30 1978, Pl ace of Bi r t h-Bel hvar ( Madhubani Di st r i ct ), Educat i on: Swami Vi vekananda Mi ddl e School , Ti s<strong>co</strong> SakchiGi r l s Hi gh School , Mrs KMPMInter College, IGNOU , ICWAI ( COST ACCOUNTANCY ); Resi dence-LONDON , UK ; Fat her - Sh. Shubhankar Jha, Jamshedpur ; Mot her - Smt . Sudha Jha- Shivipatti.Jyot i r ecei ved edi t or ' s choi ce awar d f r om <strong>www</strong>poet . r y. <strong>co</strong>m and her poems were f eat uredi n f r ont page of <strong>www</strong>poet . r ysoup. <strong>co</strong>m for some peri od.She l ear nt Mi t hi l a Pai nt i ng underMs . Shvet a Jha, Baser a I nst i t ut e, Jamshedpur and Fi ne Ar t s f r om Tool i ka, Sakchi ,Jamshedpur ( I ndi a). She had been honor ar y t eacher at Nat i onal Associ at i on For Bl i nd,Jamshedpur ( I ndi a). Her Mi t hi l a Pai nt i ngs have been di spl ayed by Eal i ng Ar t Gr oup atEal i ng Br oadway, London.Jyot iEngl i sh Tr ansl at i on of Gaj endr a Thakur ' s Mai t hi l i Novel Sahasr abadhani by Smt .Jha Chaudhar yJyot i Jha Chaudhar y, Dat e of Bi r t h: December 30 1978, Pl ace of Bi r t h-Bel hvar ( Madhubani Di st r i ct ), Educat i on: Swami Vi vekananda Mi ddl e School , Ti s<strong>co</strong> SakchiGi r l s Hi gh School , Mr s KMPMInter College, IGNOU , ICWAI ( COST ACCOUNTANCY ); Resi dence-LONDON , UK ; Fat her - Sh. Shubhankar Jha, Jamshedpur ; Mot her - Smt . Sudha Jha- Shivipatti.Jyot i r ecei ved edi t or ' s choi ce awar d f r om <strong>www</strong>poet . r y. <strong>co</strong>m and her poems wer e f eat ur edi n f r ont page of <strong>www</strong>poet . r ysoup. <strong>co</strong>m f or some per i od.She l ear nt Mi t hi l a Pai nt i ng underMs . Shvet a Jha, Baser a I nst i t ut e, Jamshedpur and Fi ne Ar t s fromToolika, Sakchi,Jamshedpur ( I ndi a). She had been honor ar y t eacher at Nat i onal Associ at i on For Bl i nd,Jamshedpur ( I ndi a). Her Mi t hi l a Pai nt i ngs have been di spl ayed by Eal i ng Ar t Gr oup atEal i ng Br oadway , London.The Dawn Of One Summer Day171


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्Before the birds st ar tchi r pi ngAnd peopl e wi l lbegi n r ushi ngMoment s f ormer el y br eat hi ngNot f ar away f r om t he mor ni ngTr anqui l i zed t i me of dawn of t he dayDiligently wait<strong>in</strong>g for the first sun rayThe sky i s yetbl ack and dar k gr eyWi l l be br i ght ened wi t hout del aySt ar s have not gone out of si ghtMoon i s shi ni ng st i l lver y br i ghtBut i t i s not t he t i me of ni ghtThe mosthal cyon t i me t o i ndi t eCol d wi nd def eat i ng t he summerThe dew poi nti s r eady t o occurTr af f i c of t he ci t y i s at i t s l ei sur eUsual y cr owded, when day’s sizzl erSahasr aBar hani : The CometTo sol ve t he pr obl em of i r r i gat i on Nand i nst al l ed wat er bor i ng syst em.But t hat wasunsuccessf ul . Af t er di ggi ng up t o a dept h he f ound t hat t he l and he sel ect ed f or t hatdi dn’t have enough water. Due to failure <strong>in</strong> f<strong>in</strong>d<strong>in</strong>g r i ght l ayer t he i nst al l at i on of bor i ng was not<strong>co</strong>mpleted and the pipes were left there dry<strong>in</strong>g.Children started call<strong>in</strong>g that field“bor<strong>in</strong>g bala khet” that means a field hav<strong>in</strong>g bor<strong>in</strong>g. Afterwards the Government declared to arrange bor<strong>in</strong>g system. Whenpeople came t o know t hr ough Nand’s brother that this bor<strong>in</strong>g system would be arranged <strong>in</strong> those fields hav<strong>in</strong>gsufficient water <strong>in</strong>stead of fields those need that then they sent their representatives to the Chief M<strong>in</strong>ister with an application.Then the problem was sol ved.A seven f eet t al l Engl i sh man ar r i ved wi t h pecul i ar machi nesand f i ni shed t he i nst al l at i on wi t hi n t wo days.But l at er on someone sai d t hat t he172


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्whi t e man was an American not British. Every white person didn’t need to be British. The damswere <strong>co</strong>nstruct ed i n Kamal a and Bal an r i ver s.Ever yt hi ng was goi ng ver y smoot hl y f or nextsome days but af t er t hat sand was f i l l ed i n dams . The boundar y wal l s wer er e<strong>co</strong>nst r uct ed hi gher but t hat was i n vai n.The sand l evel r ose up t o t he br i dge ofJhanj har pur . A l i t t l e f l ow of wat er i n t he r i ver was enough t o cr oss t he l i ne ofdanger and over f l ow t o submer ged t he pat h, f i el ds, and ponds.The usel ess f i el ds ofhi ghl ands became f er t i l e and t he most f er t i l e f i el ds of t he l ow l and became usel ess.The sandy f i el ds bet ween t wo boundar i es of dams had t o be sowed t wi ce f or a si ngl ehar vest . Peopl e st ar t ed gr owi ng par wal s ( poi nt ed gour ds)and sweet pot at oes i n sandygr ounds.The sur r oundi ng ar ea of t he Dakahi pond was used t o gr ow r i ce i n i nf or malmanner wi t hout pr oper sowi ng pr ocess as t hat was expensi ve.The ol d f er t i l e f i el dswere filled with water.The village of Bhoraha was <strong>in</strong> very lowland between Kothia andMehat h. Per haps i t was a di ver t ed st r eam of Koshi .The f act st at ed above may seem i ncr edul ous <strong>co</strong>nsi der i ng pr esent geogr aphi cal posi t i onof t he r i ver Koshi . The bank of t he Bhor aha st r eam had wi t nessed t he f i ght bet weenvi l l ager s of Kot hi a and Mehat h.The st or y of one ol d man f r om t he Bhomi har <strong>co</strong>mmuni t yof west si de- peopl e used t o t i e hi m wi t h pi l l ar of t he house but he used t o <strong>co</strong>me outof t hat t o f i ght wi t h t he peopl e of nei ghbour vi l l age.He used t o have an axe t i edwi t h l ong bamboo st i ck f or t hi s pur pose.Ar ound 60 ki l os of chur i wer e br oken i n t hatf i ght .VI DEHA MAI THI LISAMSKRI T EDUCATI ON्््््ु ्् ँENGLI SH SAMSKRI T MAI THI LIEt i quet t es िशाचारः िशाचारHello हिरः ओम के बजैत छी/ की समाचारGood mor ni ng,Goodसुभातम ्/ नमे/ नमारःसुभात्/ नमारaf t er noon/Good Eveni ngGood ni ght शुभरािः शुभरािThank you धवादः धवादWel <strong>co</strong>me ागतम ागत अिछExcuse/ par don meक्षताम क्षमा करबDon’t worry िचा माु िचा निह कPl ease कृपया कृपया कनीLet us meet agai n पुनः िमलामः फेर भेंट हएतAl l r i ght / Okayअु ठीकSi r / Madam ( whileaddr essi ng onl y)ीमन र्ीमानSi r / Madam ( whi l eआये र्/ महोदयेीमन ्/ महोदयाaddr essi ng onl y)Ver y Goodसाध ु-साध/ समीचीनम ब नीकI NTRODUCTI ON पिरचयः पिरचयWhat i s your name? ( masc.) भवतः नाम िकम ्? अहा ँक नाम की छी?What i s your name?( f em.) भवाः नाम िकम ्? अहा ँक नाम की छी?My name i s… मम नाम... हमर नाम..This is my f r i end… एषः मम िमं.. ई हमर िम..What do you do? भवान िकं करोित? अहा की करैत छी?173


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ््ँं र्ँं र्ं ं ँI am a t eacher .( m) अहम अापकः अि।(पु.) हम अापक छी।This is my f r i end. एषा मम सखी..। ई हमर सखी..।What do you do? भवती िकं करोित?(स्ी.) अहा की करैत छी।I am a st udent .( f ) अहं िवािथ र्नी अि।(स्ी.) हम िवाथीर् छी।Where do you work?भवान ्/ भवती कु काय करोित? अहा कऽ काज करैत छी?I work i n a factory. अहं यागारे काय करोिम।हम फैरीमे काज करैत छी।I n whi ch cl ass do youst udy?भवान ्/ भवती का काया पठित? अहा कोन कक्षामे पढ़◌ैत छी?I amstudy<strong>in</strong>g <strong>in</strong> I/ II/IIIyear of gr aduat i on.अहं ातक थम/ ितीय/ तीय वषे र्पठािम।हम ातक पिहल/ दोसर/ तेसर वष र्मेपढ़◌ैत छी।What do you st udy? भवान ्/ भवती िकं पठित? अहा ँ कोन िवषय पढ़◌ैत छी?ं् ्््र्् र्र्् ँँँंI st udy sci ence/ <strong>co</strong>mmer ce/अहं िवज्ञानं/ वािणं/ कला पठािम। हम िवज्ञान/ वािण/ कला पढ़◌ैत छी।ar t s.Wher e i s your house? भवतः/ भवाः गृहं कु अि? अहा ँक घर कतए अिछ?My house i s al so i nमम गृहमिप जयनगरे अि।हमर घर जयनगरमे अिछ।Jayanagar .Wher e i n Jayanagar a? जयनगरे कु? जयनगरमे कतए?I n t he l ane besi de t he<strong>co</strong>ur t -build<strong>in</strong>g.ायालयभवन पाेर् या वीथी अिताम ्।ायालय भवनक बगलमे जे गली अिछओय।Come t o my house somet i me. आगतु कदािप मम गृहम ्। कख हमर घर आऊ।Yes , I ’ll certa<strong>in</strong>ly <strong>co</strong>me. आम, अवम आगिमािम। हँ, अव आएब।How ar e y ou? कथम अि भवान ्/ भवती? केहन छी अहा ँ?I am f i ne. अहं कुशली/ कुशिलनी अि। हम कुशल छी।How ar e y ou? कुशलं िकम ्? की समाचार?Yes, I am f i ne. आम, कुशलम ्। हँ, सभ नीक।I s ever yone f i ne at home? गृहे सवे कुशिलनः िकम ्? घरपर सभ ठीक छिथ ?Yes, all are f<strong>in</strong>e. आम, सवे कुशिलनः। हँ, सभ ठीक छिथ।What news? कः िवशेषः/ का वाता/ कोऽिपको नव समाचार?िवशेषः?You onl y t el l . भवान एव वदतु। अही बाजू।Wher e ar e you <strong>co</strong>mi ngभवान ्/ भवती कुतः आगित? अहा कऽ सँ आिब रहल छी?from?I am <strong>co</strong>m<strong>in</strong>g from school . अहं शालातः आगािम। हम ूलसँ आिब रहल छी।Wher e ar e you goi ng? भवान ्/ भवती कु गित? अहा कऽ जाऽ रहल छी?I am goi ng t o of f i ce. अहं काया र्लय गािम। हम ऑिफस जाऽ रहल छी।्ं् ँ्I ’ve heard about you.भवतः/ भवाः िवषये ुतवान हम अहा ँक िवषयमे सुन छी।आसम ्।Happy t o meet you. मेलन बहु सोषः। अहा ँसँ भेँटसँ ब संतोष भेल।I ’ve seen you somewher e.भवं/ भवती कुाऽिप दृवान ्। हम अहा ँकेँ कतहु देख छी।Di d you <strong>co</strong>me f r om Samskr i t भवान ्/ भवती संृतिशिबरम आगतवान ्/ अहा संृतिशिवरसँ आएल छी की?<strong>co</strong>nver sat i on cl ass?आगतवती िकम ्?Then wher e di d I see you? तिहर् कु दृवान ्? तखन हम अहा ँकेँ कतए देख छी?Yes,t hen I saw you t her e आम, तिहर् तैव दृवान ्। हँ, तखन हम अहा ँकेँ ओिह देखलहु ँ।onl y.संृत िशक्षा च मैिथली िशक्षा च(मैिथली भाषा जगननी सीतायाः भाषा आसीत् - हमः उवान- माषीिमह संृताम ्)(आगा ँ)174


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्-गजे ठाकुरसुभािषतम ्अकृा परसापम ् अगा खलनमताम ्।अृ सता ं वर् यत् मिप तद ् बहु॥इदानीम यत् सुभािषतं ुतवः त सुभािषत अथ र्ः एवम ् अि। जीव सः कथं वहारतम ् इित एतिन ् सुभािषतेउम ् अि। यिद एतत् सव र्म ् अिप अकृा जीव अिधकं संपादयित चेदिप त म ूमेव न भवित।एका पिका/ सिका/ द ूरवाणी/ कर्री/ अणी एकटा पिका/ संिचका/ टेलीफोन/ कैंची/ पेिलएकम ् पुकम ्/ कारयानम ् अि।एकटा पुक/ कार अिछ।एकः दंतकू च र्ः/ सुधाखः/ दः/ चमषः/ ंथः/ बालकः/ युवकः/ ददीपः/ िवडालः/ दप र्णः/ लेखनी/ मािपनी/ बािलका/कू पी/ उपम ्एकटा दातमिन/ च◌ॉक/ डं टा/ चच/ / बालक/ युवक/ ूबलाइट/ िबलाड़/ अएना/ कलम/ ेल/ बािलका/ पा/ चाइदानीम वय ं प ूव र्तन पाठ पुनःरणम ् कुम र्ः।एकवचन- आसीत् बहुवचन- आसन ्एक.व.- छलए-हँ बहु.व.- छलए-हँअहम ् एकवच वदािम भवः बहुवच पिरवतर्नं कुव र्ु।बालकः िवालये आसीत्।बालक िवालयमे छलए।बालकाः िवालये आसन ्।बालक सभ िवालयमे छलाह।175


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्कम र्करः वािटकायाम ् आसीत्। जोन वािटकामे छलाह।कम र्कराः वािटकायाम ् आसीत्। जोनसभ वािटकामे छलाह।गृिहणी मिरे आसीत्। गृिहणी मिरमे छलीह।गृहः मिरे आसन ्। गृिहणीसभ मिरमे छलीह।बािलका ीडा आसीत्। बिचया खेलक मैदानमे छिल।बािलकाः ीडा आसन ्। बिचयासभ खेलक मैदानमे छलीह।मिहला गृहे आसीत्। मिहला घरमे छलिथ।मिहलाः गृहे आसन ्। मिहलासभ घरमे रहिथ।फलम ् व ृ आसीत्। फल गाछपर छल-ए।फलािन व ृ आसन ्। फलसभ गाछपर छल-ए।मीनः नाम ् आसीत्। माछ धारमे छल-ए।मीनाः नाम ् आसन ्। माछसभ धारमे छल।कम र्करी मागे र् आसीत्। बोिनहािर रामे छिल।कम र्करयः मागे र् आसन ्। बोिनहािरसभ् रामे छलीह।अहं मिरे/ नगरे/ गृहे/ मागे/ र् आसम ्।हम मिरमे/ नगरमे/ घरमे/ रामे छलहु ँ।वय ं मिरे/ नगरे/ गृहे/ मागे/ र् आ।176


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्हमसभ मिरमे/ नगरमे/ घरमे/ रामे छलहु ँ।पुनः एकवच अहं वदािम, बहुवचनं पिरवतर्नं कुव र्ु।अहं सुधाखेन िलखािम।देन ् अहं न ताडयािम।चषकेन ् जलं िपबित।चमषेण शकर्राम ् खादित।हेन श ं र् करोिम।अहं कतेन ् केश साधनं करोिम।अहं करवस्ण माजर्नं करोिम।बालाः कुकेन ् ीडि।उपण पािम।अहं छुिरकया फलं कतर्यािम।वय ं मािपकया मापनं कुम र्ः।अहं कुिकया तालम ् उाटयािम।मालया अलंकारः कुम र्ः।अहं कतर्या र् कतर्यािम।अा िचं िलखामः।दा र् पिरवेशनं करोित।लेखा िलखामः।माजर्ा माजर्यामः।ोा जलं नयामः।कृः- कृेन चमषेणलेखकः- लेखकेन ् ूतेनचषकेणफलेन ्177


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्पाठेन ् पुकेन ्कलशेन ् रमा रमयादंतकू चेर्नराधयासीतयामािपकयासंिचकया पिकयाछुिरकया पाव र्ामालया भिगाोाअालेखा घाकू ा गदयावयम ् इदानीम ् एतेषा ं शानाम ् उपयोगं कृा वां रचयामः।बािलका िचिकया िवालय ं गित।बिचया साइिकलसँ ूल जाइत अिछ।सिचवाः िवमान िवदेश ं गि।सिचवसभ हवाई जहाजसँ िवदेश जाइत छिथ।कया कू चेर्ण ूतेन कुिकया लेखा लोकयानिवमान देन तुलया तोलयािमाधः बाणः शौिचकः कतर्री िशक्षकः सुधाखः माता वेनी लोहकारः मुरःअच र्कः माला सैनकः गदा सुरेशः कुिका वण र्कारः कू च र्ः जना वाहनः सव र्ःिजासाषणं अासः-भो इाक्षी। आगतु। उपिवशतु। सव ं र् कुशलं िकम ्?-सव ं र् कुशलं। िकं करोित भवित।-अहं पाकं करोिम।178


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्-कः िवशेषः।-अा बावाः आगि। अतः िवशेषः पाकः।-एव ं वा।-भवती िकम ् िकम ् करोित।-अहम ् आल ूकं नं करोिम। कुशमाेन िथनं करोिम।-बहु मरीिचकाः सि खलु। मरीिचकया िकम ् करोित भवती।-एषा महामरीिचका। एषा कटुः नाि। एतया भ करोिम।-भवित रोिटका ं न करोित वा।-करोिम। रोिटकया सह दालम ् अिप करोिम।-िकमिप मध ुरम ्।-करोिम। पायषम ् करोिम।-पायसम वा। घ ृते पायस िचः अिधका भवित। इदानीम ् वदतु। अहं िकम ् सहां करोिम।-सहाम ् िकमिप माु भोः। मया सह साषणं करोतु। पया र्म ्।-तिहर् भवती एव सव ं र् करोतु। अहं सवे र्षा ं िचं पािम।इदानीम ् वयम ् एकं सुभािषतं ुमः।साषणं अासः-२-वै महोदयः। महती उदरवेदना।-उदरवेदना वा। शयनं करोतु। परीक्षा ं करोिम।-अा वा वा। िकित् उपिर। अ वा।-त ज्ञातम ्। उपिवशतु।-दीघ ं र् ास उवास ं करोतु।-ः उदरवेदना आसीत् वा।-न ः उदरवेदना ना आसीत्। अहं मेव आसन ्।-अ ातः। अ ातः अिप न आसीत्। अपराे ारम ्।-तदा िकम ् कृतवान भवान ्।-मम समीपे कान ् गुिलकाः आसन ्। ताः सवा र्ः खािदतवान ्।179


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका ०१ िसतम्बर २००८ (वषर् १ मास ९ अंक १७)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्-कित गुिलकाः।-प गुिलकाः।-ताः सवा र्ः खािदतवान ्।-मादृशाः म ूखा र्ः प ूव र्म ् अिप अ आगताः आसन ् , जानातु। वै परामशिवना र् औषधसेवनम ् अपायकरम ्। पुनः कदािप एव ं नकरोतु। एतद ् औषध ं ीकरोतु। तथैव भवतु।(c)२००८.सवािधकार र् लेखकाधीन आऽ जतय लेखकक नाम निह अिछ ततय संपादकाधीन।'िवदेह' (पािक्षक) संपादक- गजे ठाकुर। एतय कािशत रचना सभक क◌ॉपीराइट लेखक/संहका र् लोकिनक लगमे रहति,मा एकर थम काशनक/आका र्इवक/अंजी-संृत अवादक अिधकार एिह ई पिकाकेँ छैक। रचनाकार अपन मौिलक आऽअकािशत रचना (जकर मौिलकताक संप ूण र् उरदािय लेखक गणक म छि) ggaj endr a@ yahoo. <strong>co</strong>. i n आिकggaj endr a@vi deha. <strong>co</strong>. i n केँ मेल अटैचमेक पमेँ . doc, . docx . t xt वा . rtf फ◌ॉमे र्टमे पठा सकैत छिथ।रचनाक संग रचनाकार अपन संिक्ष पिरचय आऽ अपन ैन कएल गेल फोटो पठेताह, से आशा करैत छी। रचनाक अंतमेटाइप रहय, जे ई रचना मौिलक अिछ, आऽ पिहल काशनक हेतु िवदेह (पािक्षक) ई पिकाकेँ देल जा रहल अिछ। मेला होयबाक बाद यथासंभव शी ( सात िदनक भीतर) एकर काशनक अंकक स ूचना देल जायत। एिह ई पिकाकेँ ीमितली ठाकुर ारा मासक 1 आऽ 15 ितिथकेँ ई कािशत कएल जाइत अिछ।रचनाक अवाद आ' पुनः काशन िकं वा आका र्इवक उपयोगक अिधकार िकनबाक हेतु ggaj endr a@ vi deha. <strong>co</strong>. i n पर संपकर्क। एिह साइटकेँ ीित झा ठाकुर, मधिलका ू चौधरी आ' रि िया ारा िडजाइन कएल गेल।िसिरु180

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