22.08.2015 Views

1. ISSN 2229-547X VIDEHA 'िवदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४ ...

1. ISSN 2229-547X VIDEHA 'िवदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४ ...

1. ISSN 2229-547X VIDEHA 'िवदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४ ...

SHOW MORE
SHOW LESS

Create successful ePaper yourself

Turn your PDF publications into a flip-book with our unique Google optimized e-Paper software.

िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong><strong>1.</strong><strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>'िवदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४ मास ४२ अंक८३)िव दे ह िवदेह Videha http://www.videha.co.in िवदेह थम मैिथली पािक ईपिका Videha Ist Maithili Fortnightly e Magazineनव अंक देखबाक लेल पृ सभक िरेश कए देखू। Alwaysrefresh the pages for viewing new issue of<strong>VIDEHA</strong>. Read in your own scriptRoman(Eng)Gujarati Bangla Oriya Gurmukhi TeluguTamil Kannada Malayalam Hindiऐ अंकमे अिछ:-१. संपादकीय संदेश२. ग1


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>२.१. जगदीश साद म डल२.२. बेचन ठाकुर- अिधकार२.३. िश वकुमार झा िट लू -ि◌ नतुकी२.४. जगदीश साद म डल- नाटक- क ोमाइज(पिछलाखेपसँ आग)2


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>२.५. िबिपन झा- तरिवहीन तर२.६. आशीष-अनिचहार- बेचन ठाकुरजीक नाटक- बेटीकअपमान२.७.१.हम पुछैत छी: मुाजीक सोमदेवसँ भेलगपशप २. हम पुछैत छी: मुाजीकगपशपअशोकसँ भेल३. प3


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>३.१.१. जगदीश च अिनल- गजल २. रिवभूषण पाठक- मरणोपरत-३३.२.१. गंगेश गुंजन राधा- ३० म खेप २.जवाहर लाल कयप३.३. योित सुनीत चौधरी- हा4


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>३.४. उमेश म डल३.५.१. सुनील कुमार झा- सरल वािणक छदमे दूटागजल २.भात राय भ३.६.१. पंकज कुमार झा २. नवीन कुमार आशा5


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>३.७. १. रामिव लास साहु २. रामदेव सादम डल 'झादार' ३. िकशन कारीगर-ग़रीब४. जगदीशसाद मडल३.८. डॉ. शेफािलका वम४. िमिथला कला-संगीत- १. ेता झा चौधरी२. योित सुनीत चौधरी ३. ेता झा(िसंगापुर) ४.गुंजन कण6


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>६. बालान कृते-१. जगदीश च अिनल २.ेमच िम-अपन बेटा अिभनव िमक बल दै लेल किवता७. भाषापाक रचना-लेखन -[मानक मैिथली], [िवदेहक मैिथली-अंेजी आ अंेजी मैिथली कोष (इंटरनेटपर पिहल बेर सच-िडशनरी) एम.एस. एस.यू.एल. सवर आधािरत -Based onms-sql server Maithili-English and English-MaithiliDictionary.]8.<strong>VIDEHA</strong> FOR NON RESIDENTS7


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>8.2.<strong>1.</strong>Episodes Of The Life - ("Kist-Kist Jeevan"bySmt. shefalika Varma translated intoEnglish by Smt. Jyoti Jha Chaudhary )2.Original Poem in Maithili byKalikantJha "Buch" Translated into English byJyoti Jha Chaudhary8


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>िवदेह ई-पिकाक सभटा पुरान अंक ( ेल, ितरहुता आ देवनागरीमे ) पी.डी.एफ. डाउनलोडक लेल नीचक िलंकपर उपलध अिछ।All the old issues of Videha e journal ( in Braille,Tirhuta and Devanagari versions ) are availablefor pdf download at the following link.िवदेह ई-पिकाक सभटा पुरान अंक ेल, ितरहुता आ देवनागरीपमे Videha e journal's all old issues in BrailleTirhuta and Devanagari versionsिवदेह ई-पिकाक पिहल ५० अंकिवदेह ई-पिकाक ५०म सँ आगक अंकिवदेह आर.एस.एस.फीड।"िवदेह" ई-पिका ई-पसँ ात क।अपन िमक िवदेहक िवषयमे सूिचत क।9


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>↑ िवदेह आर.एस.एस.फीड एनीमेटरक अपन साइट/ लॉगपरलगाऊ।लॉग "लेआउट" पर "एड गाडजेट" मे "फीड" सेलेट कए"फीड यू.आर.एल." मे http://www.videha.co.in/index.xmlटाइप केलासँ सेहो िवदेह फीड ात कए सकैत छी। गूगलरीडरमे पढ़बा लेल http://reader.google.com/ पर जा कऽAdd a Subscription बटन िलक क आ खाली थानमेhttp://www.videha.co.in/index.xml पेट क आ Addबटन दबाउ।Join official Videha facebook group.Join Videha googlegroupsमैिथली देवनागरी वा िमिथलारमे निह देिख/ िलिख पािब रहल छी,(cannot see/write Maithili in Devanagari/Mithilakshara follow links below or contact atggajendra@videha.com) तँ एिह हेतु नीचक िलंक सभ पर10


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>जाऊ। संगिह िवदेहक तंभ मैिथली भाषापाक/ रचना लेखनक नव-पुरान अंक पढ़ू।http://devanaagarii.net/http://kaulonline.com/uninagari/ (एतए बॉसमे ऑनलाइनदेवनागरी टाइप क, बॉससँ कॉपी क आ वड डॉयुमेटमेपेट कए वड फाइलक सेव क। िवशेष जानकारीक लेलggajendra@videha.com पर सपक क।)(Use Firefox4.0 (from WWW.MOZILLA.COM )/ Opera/ Safari/Internet Explorer 8.0/ Flock 2.0/ Google Chromefor best view of 'Videha' Maithili e-journal athttp://www.videha.co.in/ .)Go to the link below for download of old issuesof <strong>VIDEHA</strong> Maithili e magazine in .pdf formatand Maithili Audio/ Video/ Book/ paintings/ photofiles. िवदेहक पुरान अंक आ ऑिडयो/ वीिडयो/ पोथी/ िचकला/फोटो सभक फाइल सभ (उचारण, बड़ सुख सार आ दूवत मंसिहत) डाउनलोड करबाक हेतु नीचक िलंक पर जाऊ।<strong>VIDEHA</strong> ARCHIVE िवदेह आकइव11


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>भारतीय डाक िवभाग ारा जारी किव, नाटककार आ धमशाीिवापितक टाप। भारत आ नेपालक मािटमे पसरल िमिथलाकधरती ाचीन कालिहसँ महान पुष ओ मिहला लोकिनक कमभिमरहल अिछ। िमिथलाक महान पुष ओ मिहला लोकिनक िच'िमिथला र' मे देखू।गौरी-शंकरक पालवंश कालक मूि, एिहमे िमिथलारमे (१२०० वषपूवक) अिभलेख अंिकत अिछ। िमिथलाक भारत आ नेपालकमािटमे पसरल एिह तरहक अयाय ाचीन आ नव थापय, िच,अिभलेख आ मूिकलाक़ हेतु देखू 'िमिथलाक खोज'िमिथला, मैिथल आ मैिथलीसँ सबिधत सूचना, सपक, अवेषण12


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>संगिह िवदेहक सच-इंजन आ यूज सिवस आ िमिथला, मैिथल आमैिथलीसँ सबिधत वेबसाइट सभक सम संकलनक लेल देखू"िवदेह सूचना संपक अवेषण"िवदेह जालवृक िडसकसन फोरमपर जाऊ।"मैिथल आर िमिथला" (मैिथलीक सभसँ लोकिय जालवृ) परजाऊ।Thank you, we have already counted your vote.संग समय के (किवता संह)- महाकाश 2.72% (44 votes)भाग रौ बलचंदा (दू नाटक)-िवभारानी 2.35% (38 votes)बनैत िबगड़ैत (कथा संह)-सुभाष च यादव 15.66% (253votes)मैिथली लोकनायक िवतृत अययन एवं िवलेषण (शा) -महेमलंिगया 2.23% (36 votes)िकत िकत जीवन (आमकथा )-शेफािलका वम 18.94%(306 votes)13


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>नो एंी मा िवश (नाटक )- उदय नारायण िसंह"निचकेता" 16.65% (269 votes)गामक िजनगी (कथा संह)-जगदीश साद मंडल 2<strong>1.</strong>1% (341votes)कुेम् अतमनक (िविवधा)-गजे ठाकुर 20.17% (326votes)Other: 0.19% (3 votes)Total Votes: 1,616Comments (0)Return To PollShare ThisCreateYour Own PollThank you, we have already counted your vote.रामलोचन ठाकुर- पा नदीक माझी (बला- मािणकवदोपायाय) 60.92% (198 votes)मेनका मिलक- देश आ अय किवता सभ (रेिमका थापा-नेपाली) 22.77% (74 votes)कृण कुमार कयप आ शिशबाला- मैिथली गीतगोिवद (जयदेव -संकृत) 14.77% (48 votes)14


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>Other: <strong>1.</strong>54% (5 votes)Total Votes: 325Comments (0)Return To PollShare ThisCreateYour Own PollThank you, we have already counted your vote.ीित ठाकुर (गोनू झा आ आन मैिथली िचकथा) 53.45% (248votes)ले.क.मायानाथ झा (जकर नारी चतुर होइ- बालकथासंह) 23.92% (111 votes)जीवकत - िखिखरक िबअिर- किवता संह) 1<strong>1.</strong>21% (52votes)िवानाथ झा "िविदत" (साते भवतु सुीता- बालउपयास) 1<strong>1.</strong>42% (53 votes)Other: 0% (0 votes)Total Votes: 46415


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>Comments (0)Return To PollShare ThisCreateYour Own PollThank you, we have already counted your vote.आनंद कुमार झा- हठात् पिर वन ( नाटक) 50.28% (442votes)िवनीत उपल - हम पुछैत छी (किवता संह ) 16.5% (145votes)उमेश मंडल- िनतुकी ( किवता संह) 16.84% (148 votes)योित सुनीत चौधरी- अिचस (किवता संह ) 15.59% (137votes)Other: 0.8% (7 votes)Total Votes: 87916


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>संपादकीय“हमरा मानसपटलपर मैिथलीक समािनत आलोचक ी रमानद झा“रमणक” ओ वाय औखन ओिहना अंिकत अिछ जािहमे ओमैिथलीक वतमान गीत-गजलक मंचीय यश एवं अथलाभक औजारकिहकऽ एकर महवक एकदमे नकािर देने रहिथ (सदभ- िमिथलािमिहर, फरबरी-१९८३); ...कोनो आलोचकक एहेन गैरिजमेदारीवला वतय देबाक की अिधकार? भारतीय संिवधानमेभाषणक वतंता एकटा मौिलक अिधकार छैक त?” (िसयारामझा “सरस”, दीपोसव, १८/१०/९०; आमुख, लोकवेद आलालिकला)िवयोगी लोकवेद आ लालिकलाक एकटा दोसर आमुखमे िलखै छिथ-“छदशाक िनयमपर आधािरत होयबाक उपरातो एिहमेगजलकारक गणना-िनयमक वातयक अिधकार रहैत छैक।” (!)17


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>गजल कतेको ढंगसँ कतेको बहरमे कतेको छदमे िलखल जासकैए, ई सय अिछ, मुदा गणना िनयमक वातयक अिधकार नेमािक गणनामे छैक आ ने वािणक गणनामे।देवशंकर नवीन िलखै छिथ –“...पुनः डॉ. रामदेव झाक आलेखआएल। एिह िनबधमे दूटा अनगल बात ई भेल, जे गजलक पंितलेल, छद जक माा िनधरण करए लगलाह..”।लोकवेद आ लालिकलामे गजल शु हेबासँ पिहने कएकटा आलेखअिछ, मैिथली गजलपर कोनो सकारामक िटपणी तँ नै अिछ ऐसभमे, हँ मुदा समीकक लाठी हाथे “ई सभ मैिथली गजल िथक,गजले टा िथक” कहबापर िववश करैत हार सभ अवय अिछ।हाइकूमे िसलेबल आ वणक िमलानी अंेजी हाइकूक आरिभकलेखनमे नै भऽ सकल, देखल गेल जे ५/७/५ िसलेबलमे बहुतरासअफाबेट आिब गेल, जापानीमे ओतेक अफाबेट ५/७/५ िसलेबलमेनै छल। मैिथलीक आरिभक हाइकूमे सेहो ५/७/५ िसलेबलकअनुकरण करैत योित चौधरी अपन किवता संह “अिचस्” मेबेसी वणक योग केलिह। त हम सलाह देलहुँ जे मैिथली हाइकूसरल वािणक छदक आधारपर िलखल जाए जइमे व-दीघकिवचार नै हुअए। संकृतमे १७ िसलेबलबला वािणक छदमे नोकमेनोक िमला कऽ १७ टा वण होइ छै- जेना िशखिरणी, वंशपपिततम्, मदााता, हिरणी, हािरणी, नरदकम्, कोिकलकम् आ18


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>भारााता। से ५/७/५ मे १७ िसलेबल लेल १७ टा वण हाइकूलेल गेल, से आब योितजी सेहो लऽ रहल छिथ, हम सेहो लऽरहल छी आ सुनील कुमार झा सेहो लऽ रहल छिथ। बाइमे हमरसलाह छल जे एतए सरल वािणक छदक योग सभव नै अिछ,कारण एकर ारभ दीघ-दीघ-दीघ वा दीघ-दीघ-व सँ होइत अिछसे चाहे तँ व-दीघक िमलानी खाइत विणक छदक योग कवा मािक दक। बाइक चतुपदीमे पिहल दोसर आ चािरमपती कािफया युत होइत अिछ; आ माा (वा वािणकमे वण) २०वा २१ हेबाक चाही। कारण चा पती चािर तरहक बहर (छद)मे िलखल जा सकैए से िनअमक आग नमरेबाक आवयकता नैछै, हँ ई िनणय करैए पड़त जे चा पतीमे वािणक वा मािकगणना पित जे ली, से एे हेबाक चाही।गजलमे मुदा अह वािणक, सरल वािणक वा मािक छदक योगकऽ सकै छी, मुदा एक गजलमे दूटा बौतु िमझर नै क। िबनछद वा बहरक गजल अह किह सकै छी, समीकक लुलुआ कऽआ लाठी हाथे; मुदा ओ गजल नै हएत, उदू/ फारसीमे तँ मुशायरामेअहक ढुकैये नै देत। आ आब जखन सुनील कुमार झा सन युवागजलकार अतजलपर एकटा िटपणीक बाद सरल वािणक छदमेगजलक संशोिधत कऽ सकै छिथ तँ लालिकलावादी गजलकारलोकिन िकए नै कऽ सकै छिथ ? मायानद िम “गीतल” किहआ गंगेश गुंजन “गजल सन िकछु मैिथलीमे” किह जे गलत19


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>परपराक जारी रखबाक िनणय लेने छिथ तकरा बाद अिजतआजाद आ आशीष अनिचहार जँ िबना छद/ बहरक गजल िलखैछिथ तँ एकरा हम मायानद िम, गंगेश गुंजन आ लालिकलावादीअ-गजलकार लोकिनक दुभावे बुझै छी।लोकवेद आ लालिकला:आममुध आमुख सभक बाद ऐ संहमे कलानद भ, तारानदिवयोगी, डॉ. देवशंकर नवीन, नरे, डॉ. महे, रमेश, रामचैतय“धीरज”, रामभरोस कापिड़ “मर”, रवी नाथ ठाकुर, िवभूितआनद, िसयाराम झा “सरस” आ सोमदेवक गजल देल गेलअिछ।कलानद भभोर आनब हम दोसर उगायब सुजकरब नूतन िनमण हम बनायब सुजसरल वािणकक अनुसारे गणना- पिहल पती-१७ वण दोसर पती-१८ वण; जखन सरल वािणकेमे गणनाक अतर अिछ तँ व दीघिवचारपर जएबाक मेहनित बिच गेल।20


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>मािक गणनाक अनुसार- पिहल पती-२१ माा, दोसर पती- २१माा, माा िमिल गेलसे आब व दीघ पर चली। पिहल पतीदीघ-व-दीघ-व-व-व-व-दीघ-व-व-व-दीघ-व-व-व-व-व (एतए दूटा लगातार वक बदला एकटा दीघदऽ सकै छी, से दोसर पतीमे देखब)। दोसर पती- व-हव-व-दीघ-व-व-व-दीघ- व-हव- व-हव-दीघ- व-हव- व-हव-व। मुदा एतए गाढ़ कएल अरक बाद मटूिटगेल।तारानद िवयोगीदद जँ हद क टपल जाए तँ आिग जनमै अिछबफ अंगार बनल जाए तँ आिग जनमै अिछसरल वािणकक अनुसारे गणना- पिहल पती-१९ वण दोसर पती-१८ वण; जखन सरल वािणकेमे गणनाक अतर अिछ तँ व दीघिवचारपर जएबाक मेहनित बिच गेल।मािक गणनाक अनुसार- पिहल पती-२५ माा, दोसर पती- २५माा, माा िमिल गेलसे आब व दीघ पर चली। दीघ(संयुतारक पिहने)-व-व-व-व-दीघ-व-व-व-दीघ-21


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>दीघ-व-दीघ-व-व-व-दीघ-्अव-व।(एतए दूटा लगातारवक बदला एकटा दीघ दऽ सकै छी, से दोसर पतीमे देखब)।दोसर पती- दीघ (संयुतारक पिहने)-व-दीघ-दीघ एतए मभंगभऽ गेल।देवशंकर नवीनअँटा लेब समय-च, सहजिह एिह आँिख बीचनबका भात लेल, ाित कोनो ठािन लेबसरल वािणकक अनुसारे गणना- पिहल पती-१९ वण दोसर पती-१६ वण; जखन सरल वािणकेमे गणनाक अतर अिछ तँ व दीघिवचारपर जएबाक मेहनित बिच गेल।मािक गणनाक अनुसार- पिहल पती-२५ माा, दोसर पती- २५माा, माा िमिल गेलसे आब व दीघ पर चली। व-दीघ-दीघ-व-व-व-व-दीघ-व-व-व-व-दीघ-व-दीघ-व-दीघ-व (एतए दूटा लगातार वक बदला एकटा दीघ दऽ सकैछी, से दोसर पतीमे देखब)। दोसर पती- व-व-दीघ- मुदाएतए गाढ़ कएल अरक बाद मटूिट गेल।22


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>नरेिनकलू तँ सिजकऽ सजाकबासन ली ठोिक बजाकसरल वािणकक अनुसारे गणना- पिहल पती-१० वण दोसर पती-९ वण; जखन सरल वािणकेमे गणनाक अतर अिछ तँ व दीघिवचारपर जएबाक मेहनित बिच गेल।मािक गणनाक अनुसार- पिहल पती-१३ माा, दोसर पती-१४,माा गणनाक अतर अिछ तँ व दीघ िवचारपर जएबाक मेहनितबिच गेल।डॉ महेचलैछ आदमी सिदखन चलैत रहबा लएजीबैछ आदमी सिदखन कलेस सहबा लएसरल वािणकक अनुसारे गणना- पिहल पती-१८ वण दोसर पती-१८ वण। मुदा तेसर शेरमे दोसर पतीमे १६ वण आिब गेल23


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>अिछ। मािकमे सेहो उपरका दुनू पतीमे मसँ २४ आ २५ वणअिछ।रमेशजखन-जखन साओनक ओहास पड़ैएहमर छाती मे गजलक लहास बरैएसरल वािणकक अनुसारे गणना- पिहल पती-१६ वण दोसर पती-१६ वण। मुदा दोसर शेरक पिहल पतीमे १५ वण। मािक मेसेहो उपरका दुनू पतीमे २२ वण अिछ। मुदा व-दीघ गणनामेदोसरे शदमे ई मािर खा जाइए।ई दोष शेष गजलकारमे सेहो देखबामे अबैए।एकर अितिरत सुरेनाथक “गजल हमर हिथयार िथक” ,िसयाराम झा “सरस”क “थोड़े आिग थोड़े पािन”, रमेशक“नागफेनी” आ तारानद िवयोगीक “अपन युक साय” मे सँिकछु िकताब लाठी हाथे मैिथली सािहयमे गजल संहक पमेसािहय अकादेमीक सव ऑफ मैिथली िलटेरेचरक उर जयकातिम संकरणमे आिब गेल अिछ, िकछु ऐ सािहियक इितहासक24


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>अिगला संकरणमे आिब जाएत! अरिवद ठाकुरक गजल सेहो प-पिकामे गजल किह छिप रहल अिछ जे अही परपराक आगबढ़बैत अिछ।जँ ई सभ गजल नै छी तँ प तँ छी आ तइ पमे एकर िववेचनतँ हेबाके चाही। ऐ ममे रवीनाथ ठाकुरक “लेखनी एक रंगअनेक” देखू। मैिथली गजल संहक पमे ई पोथी आइसँ २५बख पूव आएल। सोमदेव आ मरक संग िहनको गजललालिकलावादक पिरभाषामे नै अबैत अिछ। गजल नै मुदा पकपमे एकर थान मैिथली सािहयमे सुरित छै, मुदा ई आनविणत गजलक तथाकिथत संकलनक िवषयमे नै कहल जा सकैए।एक छद, एक बसुरी, एक धुन सुनयबालेऽिलयौ ई एक गजल, आई गुनगुनयबालेऽ(रवीनाथ ठाकुर “लेखनी एक रंग अनेक”)सूचना: िवदेहक तेसर अंक (१ फरबरी २००८)मे हम सूिचत केनेरही- “िवकीपीिडयापर मैिथलीपर लेख तँ छल मुदा मैिथलीमे लेख25


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>निह छल,कारण मैिथलीक िवकीपीिडयाक वीकृित निह भेटल छल।हम बहुत िदनसँ एिहमे लागल रही आ सूिचत करैत हिषत छी जे२७.०१.२००८ क (मैिथली) भाषाक िवकी शु करबाक हेतुवीकृित भेटल छैक, मुदा एिह हेतु कमसँ कम पच गोटे, िविभजगहसँ एकर एिडटरक पमे िनयिमत प काय करिथ तखनेयोजनाक पूण वीकृित भेटतैक।” आ आब जखन तीन सालसँबेशी बीित गेल अिछ आ मैिथली िवकीपीिडया लेल ारिभक सभटाआवयकता पूण कऽ लेल गेल अिछ िवकीपीिडयाक “लगुएजकमेटी” आब बुिझ गेल अिछ जे मैिथली “िबहारी नामसँ बुझलजाएबला” भाषा नै अिछ आ ऐ लेल अलग िवकीपीिडयाक जरतअिछ। िवकीपीिडयाक गेराड एम. िलखै छिथ (http://ultimategerardm.blogspot.com/2011/05/bihariwikipedia-is-actually-written-in.html)-“ई सूचना मैिथली आ मैिथलीक िबहारी भाषासमूहसँ सबधकिवषयमे उमेश मंडल ारा देल गेल अिछ- उमेश िवकीपीिडयापरमैिथलीक थानीयकरणक पिरयोजनामे काज कऽ रहल छिथ,...लगुएज कमेटी ई बुझबाक यास कऽ रहल अिछ जे कीमैिथलीक थान िबहारी भाषा समूहक अतगत राखल जा सकैए?..मुदा आब उमेश जीक उरसँ पूण प भऽ गेल अिछ जे“नै”। ”26


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>रामिवलास शमक लेख (मैिथली और िहदी, िहदी मािसक पाटल,सपादक रामदयाल पडेय) जइमे मैिथलीक िहदीक बोली बनेबाकयास भेल छलै तकर िवरोध याीजी अपन िहदी लेख ारा केनेछलाह , जखन हुनकर उमेर ४३ बख छलिह (आयवत १४/ २१फरबरी १९५४), जकर राजमोहन झा ारा कएल मैिथली अनुवादआरभक दोसर अंकमे छपल छल। उमेश मंडलक ई सफल यासऐ अथँ आर िविशता ात केने अिछ कारण हुनकर उमेर अखनमा ३० बख छिह। जखन मैिथल सभ हैदराबाद, बंगलोर आिसएटल धिर कयूटर साइंसक ेमे रिह काज कऽ रहल छिथ,ई िवरोध वा करेशन हुनका लोकिन ारा नै वरन िमिथलाक सुदूरेमे रहिनहार ऐ मैिथली ेमी युवा ारा भेल से की देखबैतअिछ?उमेश मंडल िमिथलाक सभ जाित आ धमक लोकक कठक गीतकफीडवक ारा ऑिडयो आ वीिडयोमे िडिजटलाइज सेहो कएने छिथजे िवदेह आकइवमे उपलध अिछ।नीचक पचू साइट िवकी मैिथली ोजेटक अिछ, ोजेटक आगबढ़ाऊ।http://translatewiki.net/wiki/Project:Translator27


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>http://meta.wikimedia.org/wiki/Requests_for_new_languages/Wikipedia_Maithilihttp://translatewiki.net/wiki/Special:Translate?task=untranslated&group=coremostused&limit=2000&language=maihttp://incubator.wikimedia.org/wiki/Wp/maihttp://translatewiki.net/wiki/MediaWiki:Mainpage/mai( िवदेह ई पिकाक ५ जुलाइ २००४ सँ एखन धिर १११ देशक१,७८९ ठामसँ ६१, २६१ गोटे ारा िविभ आइ.एस.पी. सँ३,०५,४७५ बेर देखल गेल अिछ; धयवाद पाठकगण। - गूगलएनेलेिटस डेटा। )28गजे ठाकुर


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>ggajendra@videha.comhttp://www.maithililekhaksangh.com/2010/07/blogpost_3709.html२. ग२.१. जगदीश साद म डल२.२. बेचन ठाकुर- अिधकार29


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>२.३. िश वकुमार झा िट लू -ि◌ नतुकी२.४. जगदीश साद म डल- नाटक- क ोमाइज(पिछलाखेपसँ आग)२.५. िबिपन झा- तरिवहीन तर२.६. आशीष अनिचहार- बेचन ठाकुरजीक नाटक -बेटीक अपमान30


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>२.७.१.हम पुछैत छी: मुाजीक सोमदेवसँ भेलगपशप २. हम पुछैत छी: मुाजीकगपशपअशोकसँ भेलजगदीश साद म डल१31


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>दीघकथाशंभूदासिज नगीक ओइ सीमापर शंभूदास पहुँच गेल छिथ जतए पैछलािज नगीक बहुतो िव चार आ काज वत: छुिट गेलिन । िक छु नव जेमनमे उपिक रहल छि ह ओ करैले जइ शि त आ सामथक जतेजरत छि ह ओ तकनहुँ नै भेट रहल छि ह । जना आिग किच नगोरा रसे-रसे पझा-पझा या तँ मैल जक उपर छाड़ने जा रहलछि ह या झिड़ -झिड़ खिस रहल छिह । डंटीसँ टूटल पोखिर ककमल सदृ य हवाक िस हकी वा पािन क क पसँ दहिल रहलछि ह । जे किह यो कामधेनु, फूल-फड़सँ लदल वृ सदृ य छलिनवएह आइ ठठ वा पहीन ठूठ बुिझ पिड़ रहल छि ह । जे किह योराजभोगक बीच िदन िब तबैत छलाह आइ अ-व िव हीन भीखकघाटपर बैस अपन िज नगीक िह साब-वारी जोिड़ रहल छिथ । मनकहैत छि ह जे सभ िद न तँ गुनगुनाइत रहलॱ- जे ब चा कनैत ऐधरतीपर अबैत अिछ आ हँसैत जाइक चािह ऐ, मुदा से कह......?जे आ मा िब नु िव वेकक िज नगी टिप िव वेकवान लग पहुँचल ओ32


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>आगू नै बिढ़ पाछु िद स िक अए ढड़िक रहल अिछ । सोन-सनउ जर धप-धप दाढ़ी-मोछक संग माथसँ पएरक अंगुिर क धिर ककेश, आमील सन सुखाएल गालक संग अिग ला भाग, सामथ हीनहाथ-पएरक मुदा आँिख क योित भोरक ुवतारा जक ललौन मनउफिन उठलिन जे देव थान जक ित रपेखिन ऐ दुिन यक करब।जिह ना बाध-वोनक ओहन परती जइपर किह यो हर-कोदािर नै चललसुिख -सुिख गाि◌ छ-िव िर छ खिस उसर भऽ जाइत, ओइ परतीपर यातँ िच ड़ै-चुनमुनीक मा यमसँ वा हवा-पािन क मा यमसँ अनेआ फूल-फड़क गाछ जनिम रौद-वसात, पािन -पाथर, अ हर-िव हािड़ सिहअपन जुआनी पािब छाती खोिल बाट-बटोहीक अपन मीठ सुआदसँतृि त करैत तिह ना जमुना नदीक तटपर शंभूदासक ज म बटाइ-िक सान पिर वारमे भेलिन । रिव िद न रहने समाजक दाय-माय शुभिद न मािन शंभू नाओं रखलकिन । परदेिश या जक तँ नै जे ज मसँपिह निह माए-बाप नामकरण कऽ लैत। छठम िद नसँ पूवक सभक ट िव सिर शंभूदासक माए सुखनी अपन सुखैक िन आसा छोिड़अपन देव थानक देवता पूजनमे हराएल। अपन मयदा गिस कऽपकिड़ शंभूक सेवामे जुिट गेलीह। पिर वारक बोझक तर िप ता, तँएिब लगा कऽ िक छु नै सोचिथ ।33


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>पच वख पूव धिर संतोखीदास अपने बोिन हार सभ जक दुनूपरानी संतोखी आ सुखनी, खेित हर बोिन हार छलाह। खेित यो तँमौसमेक हाथक खेलौना। बेठेकान। मुदा तैयो तँ सभ बुझैत जेजाड़, गरमी आ बरसात, सालक तीन अव था छी। भलिह◌ ं गोटेसाल शीतलहरी पािब जाड़ अपन िव काराल प देखबैत तँ रौदीपािब गरमी। बरखा पािब बसात बािढ़ क संग नंगटे नचैत तँ झटपािब ता डव करैत।बजारवादक हवा िस हकल। ओना तँ िव हािड़ क प हवा उठल मुदापहाड़, बोनक टाट अँटकौलक। गित क कम केलक मुदा तैयोबिह ते रहल। जाड़-रौदीक मारल िक सानो अ◌ा बोिन हारो गाम (खेती-पथारी) छोिड़ बजार िद स िव दा भेल। जिह ना घर बनबैमे पातरसँमोट खूँटक जरत होइत तिह ना करखाना चलबैक लेल मजदूरबोिन हारसँ लऽ कऽ संचालक धिर क आवयकता भेल। उजड़ल-उपटल गामक िख मे बदलाव अबए लगल। खेतमे काज केिन हारबोिन हारक करखाक नव मजदूरी भेटए लगल। जइसँ िज नगीमेहिर यरी अबए लगलै। मुदा हवाक गित धीरे-धीरे तेज हुअए लगल।स त मजदूर पािब रंग-िव रंगक कारोवार शहरमे ज म िल अएलगल। जइसँ िम कक मग बढ़ल। टूटैत गामक िज नगीसँ तंगभऽ वेवस िम क जेर बना-बना बजारक बाट पकड़लक। मक34


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>िव करीक कारोवार जोर पकड़लक। खु लम-खु ला िव करी बाहुअए लगल।गामक िम कक पड़ाइनसँ गामो हलचलाएल। खेतबलाक करखापहुँचने खेतीमे ठहराव आएल। िम कक अभावमे खेती ठमकल।समाजक िव चारधारामे बदलाव आएल। एक िव चारधारा -जे अखनोधिर स पित क ित ठा बुझैत- जे पिह लुकके खेतीक थोड़-थाड़अ-पािन खुआ-िप आ जीिव त रखलिन तँ दोसर िव चारधारा (शहरीकारोवार देख) खेत-पथार माने ामीण स पि क पूँजी बुिझ आमद-खचक ि◌ हसाब जोिड़ िव चारमे बदलाव अनलिन । संग-संग बटाइखेतीक बीच नव-सम या सेहो उठल। जइठाम एखन धिर गामकजमीनदार खेतक उपजे बेर-टामे खेतक दशन करैत, ओ गामसँबाहर भेने सालक-साल खेतक दशनसँ िव मुख भेला। संग-संगगाममे म-शि त क अभाव भेल। बटेदारक वगक वृि भेल।खेतक बटाइ थामे बदलाव आएल। जइसँ आमक कन (फड़कहसावसँ) उपजाक मनखप आ पोिस या माल-जालमे बदलाव आएल।कोनो धरानी संतोखीदास एकटा बड़द बनौलक। दू परानीक हाथ-पएर आ एकटा बड़द पािब संतोखीदस बटेदार िक सानक पमे ठाढ़भेल। पेट भरने पिर वारमे खुशीक बािढ़ तँ नै मुदा पटवी पािन कखुशी जर आिब गेल। बीघा भिर क खेित हर संतोखीदास बिनगेल। नव आिथक िव कास भेने पिर वरक ब चो सभमे मौलाहटकमल। जइसँ ब चाक मृ युक सं यामे कमी आएल। ओना एखनो35


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>धिर मिक पिर वारमे बेट-बेटीमे अ तर नै बुझल जाइत िक एक तँभगवानक अगम लीलाक बीच ह तेप् नै करए चहैत मुदा बजारकिब खाएल वयार तँ बिह ये रहल अिछ ।शंभूक तीन बख पुिर ते, जिह ना शीतलहरीमे पौ फिट ते सुजकरोशनीक आशा जगैत, बदरीहन समए बादलक िछ िड़ आइते घरसँबहराइक आशा जगैत तिह ना संतोिख यो दास आ सुखिन योक भेल।िज नगी भिर क लेल मनखप खेत भेटने िक अए नै दुनू परानीक मनमेआशा आओत। तहूमे बाढ़-रौदीक सालक कोनो देनदिर ये नै, रहलसु य त समैक देनदारी। ओहो देनदारी िक अ तैसँ कमा कऽआनए पड़त। धरती माता कामधेनु। जते करब तते पाएब। जखनमन हएत, तखन खाएब। िद न-राित ओंघराइत रहब।एखन धिर सुखनी शंभूक पाछु आंगनसँ नै िन किल पबैत छलीह मुदाआब तँ शंभू तीन सालक भऽ गेल। अगहन मासमे खेतक आिड़ परधानक खा◌े◌ंचिड़ क घर बना देब ओइमे खेलेबो करत आं◌ेघी लगतै तँसुतबो करत। गरमी मासमे गाछक छाहिर मे रहत। लऽ दऽ कऽबरसात रहल। तँ बरखो िक लोकक िब ना चेतौने अबैए। अबैसँपिह ने राजा-रजवाड़ जक समाद पठा दैत अिछ । तहूमे बरखाकेहन पमे आओत सेहो तँ किह ये दैत अिछ । जेठुआ बरखामे जेदुइयो बेर देह धुआ जेतै तँ सालो भिर धुआएले रहतै। ब चा िककोनो िस यान सैतान होइए जे भिर िद न डॱ-डॱ करत। ओकरा तँ36


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>अ-पािन भेट जाए, भिर िद न बौआइत रहत। जिह ना नव दतजनमने मसुहिर िक छु करैले सबसबाइत अिछ तिह ना ब चो मन।जेठक दसहारा। बृह पित िद न। िग रह तीक पतराएल काज।अटूट फड़ल आम-जामुनक गाछ। गामक-गाम लोकक मन गदगद।िक अए ने रहत। दू मास जे अमृत फल भेटत। बाधक चौबगलीगाम अ टयाम कीतनक मंसँ अकास गनगनाइत। िक हरो“सीताराम, सीताराम सीताराम जय सीताराम” तँ िक हरो “काली,गुग राधे याम, गौरी शंकर सीताराम।” िक हरो “हरे राम, हरेराम...।” तँ िक हरो “हरे कृ ण हरे कृ ण।”दसहारा रहने थानमे घोड़ा चढ़ौल सजाओल जाएत। ऐबेर तँजिह ना बाबा खुशी छिथ न तिह ना लोकोक मन। आन सालजक िक ऐबेर ह लुक दामा रंग सुखा घोड़ा लोक चढ़ौत पिह नेसाय-बेना- दऽ दऽ सरैसो घोड़ासँ िन मन-िन मन चढ़ौत। दूध-पीठखाइत-खाइत ोबाबाक मन अकछा गेल छि ह तँए ऐबेर सेरही,पनसेरही, दससेरही, अधमनीक संग मनही मं◌ूगाबा सेहो परदेिस यासभ चढ़ौत।िद नक एगारह बजैत। मािट -पािन तबने हबो तिब गेल। खेतक जेखढ़ अिछ ओ रोहिण िम रिग सरामे नै सूखत तँ सालो भिर ओकरओिध थोड़े सुखत। तँए संतोखीदास मआ खेत जोतए आ सुखनीखढ़ िब छए गेल। मुदा छोट ब चा शंभूक असकरे आँगनमे केना37


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>छोिड़ िद तिथ । ब चोले बाटीमे भात आ भिर डोल पािन नेने खेतगेली। अपनो सभक िप यास लगत तँ पीबैक िख यालसँ। खेतसँका दुऐक हिट आिड़ पर एकटा ब जर केराइक अनेआ गाछ।जकरा िन चामे सघन छाहिर तँ नै मुदा छाहिर । जतए शंभूकखेलाइले छोिड़ अपने दुनू परानी संतोखीदास खेतमे काज करैत।काज लिग चाएल देख, खाली हड़मड़ी चौकी देब बाकी, हर खोिलचौकी ठेक संतोखीदास पीक कहलिख न- “रौदमे मन तबैध गेलहएत, कनीखान छाहिर मे जीरा लइले चलू।”सुखनी- “सएह कहए चाहै छलॱ मुदा काज लिग चाएल देख नै कहैछलॱ। जे काज ससिर जाइ छै ओते तँ जाने हलुक होइ छैिक ने।”“हँ से तँ होइ छै। मुदा काजो िक ......?”“से की?”गिच याह नजिर पीपर दैत संतोखीदास मु की दैत कहएलगलिख न- “जिह ना भग-गजा अपन सेवकक बौरा दैत, बेिश याइकबाजक, तिह ना ने काजो अपन कतक बाबला बना जान लइपरतुलल रहैत।”“नै बुझलॱ?”38


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>“देखै नै िछ ऐ, दोकान सभमे िल ख कऽ टगल रहैए जे, काजकरैत चलू फलक आशा नै क।' जखन मनुख छी रोड-सड़ककनाि◌प मीलक पाथर गारल रहैए तखन कतऽ कोन रा ता चलकचाही से तँ सोचए पड़तै िक ने। आिक र ते भुित या जाय। जे बाटनै देखल रहै छै ओही बाटमे ने लोक भुित आइए। खाइर, छोड़ू ऐसभक चलू कनी ठंढ़ाइयो लेब दू घॲट पािन यो आ तमाकुलो खालेब।”दुनू परानी ब जर केराइ गाछसँ फिड़ े देखलिन जे शंभू पूवािरपारक अ टयामक मं- “हरे कृ णा, हरे कृ णा, कृ णा-कृ णा हरे-हरे” एक ताले छिठ क ढोल जक थोपड़ी बजबैत गबैत रहए।बेटापर नजिर पिड़ ते सुखनी अध िख लू फूल जक िव हुँसैत पित ककहलिन - “देिख यौ ऐ छॱड़ाक। आन िध या-पूता रहैत तँ माए-माएकरैत। केहेन मगन भेल अिछ ।”पित - “रौदमे तबैध तँ ने गेल अिछ ?”“तबधल ब चा थोपड़ी बजा गाओत आिक अँहोिछ या काटत।”“हँ से तँ ठीके।”39


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>जिह ना त व िच तक आ माक तार जोिड़ त वक अ वेषणकरैत तिह ना शंभू कृ ण मंसँ अपन मनक तार जोिड़ अ टयामकधुनमे बेसुिध भेल मीरा जक गािब रहल अिछ ।जिह ना एे फुलबाड़ी वा गाछीमे िभ -िभ रंगक फूल वा फलताधिर अपन पिर चयसँ हराएल रहैत जाधिर ब चा सदृ य पालल-पोसल जाइत, मुदा जखन अपन गुण वा प देखबै जोकर भऽजाइत तखन एकठाम रिह तो बेड़ाए लगैत तिह ना सात बख अबैत-अबैत शंभूओ बेड़ाए लगल। पिर वारमे अनेको रंगक व तु-जातरिह तो ओतबे िस नेह रखैत जते काजक व तु बुझैत। जइ व तुकयोजन आन-आन पक आन-आन काजमे होइत तइसँ िभ ओइव तुक उपयोग अपन काज देख करए लगल।अपना खेत-पथार नै रिह तो संतोखीदासक पिर वार गामक िक सानपिर वारक खाड़ीमे आिब चुकल छल। जिह ना िक सान पिर वारमेवाइस-बेरहट कऽ कऽ खाइत अिछ तिह ना संतोिख यो दासकपिर वारमे चलए लगलिन । ओना ई गित लगातार नै चिल पबैत,िक एक तँ िक सान पिर वार, डगी नाह जक सदित उपर-िन चाहोइत रहैत। जइ साल खरचा वा दहार समए भेल तइ सालसभ धुआ-पोछा गेल। मुदा जइ साल सुिभ तगर समए भेल तइसाल पुन: नव-पुरानक चािल पकिड़ लैत। नवे-पुरानक चािल नेरसगरो आ सुअदगरो होइए, अिग ला-पिछ ला बाट देख चलबे ने40


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>िद शा दैत। जेना एे आमक चटनी टटका नीक होइत तँ अचारबिस या। जते-पुरान तते रसगर। मुदा चटनी तँ लगले अआजाइत। तिह ना नवका कुरथीक दािल आ पुरान राहिड़ क दािल ।एखन धिर शंभू, पिर वारक खाली खाइ-पीबै, माता-पीताक संग रहैकटा बुझैत। िक एक तँ बाल-बोध बुिझ , ने माता-िप ता िक छु करैलेअढ़बैत आ ने शंभू पिर वारक काजक अपन काज बुझैत। सदितधैनसन। सोलही बेरागी जक। मुदा तँए िक शंभू भिर िद नओछाइनेपर ओंघराएल रहैत सेहो बात नै। जँ िक छु नै करैत तँिद न-राित केना कटैत छैक।अखनो धिर गामक ि◌कसान धरतीसँ अकास धिर क मरण सझ-भोर जर करैत अिछ । भोरमे धरतीक मरण तँ सझमे अकासिव चरण जर करैत अिछ । आने पिर वार जक संतोिख यो दासकपिर वार। पिर वारमे शंभूक कोनो मोजरे नै। मा खाइ-पीबै आ सुतैबेर माता-िप ता िस र चढ़बैत। बाकी समए सढ़-पारा जक अनेरबौआइत ढहनाइत। तँए िक सॴग-नाङिर बला पशु जक िक शंभूकथइर-पगहाक जरत होइत। 'अनेर गाएक धरम रखवार' होइत।भोरमे जखन संतोखीदास खेत-तमैक िव चार करए लगिथ तँ नचैतहृदेक घूघड़ूक क प ठोठक वर होइत खपिड़ क मकइ-जनेरकलावा जक कूिद -कूिद िन चा खसैत तिह ना संतोिख यो दासक मुँहसँरंग-िव रंगक मौसमक संग मौसमी िस नेह िछ िड़ याए लगैत। जकरा41


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>बीछ-बीछ शंभू खेलेबो करैत आ तिह या-तिह या सीनाक डायरीमेिल ख-िल ख रखबो करैत। हृदयंगम करैत। मुदा ब चाक किच याडायरी रहने िक छु िल खेबो करैत आ िक छु निह यो िल खाइत। मुदाित भोर आ सझक वर 'सीताराम-सीताराम, राधे याम-राधे याम'डायरीक उपरेक पामे िल खा गेल। जकरा भिर िद न शंभू गो-मुखीाक माला बना जपैत रहैत। कामधेनु गाए जक सदित दूधकढारसँ नव-नव राग-रािग नी वत: अबए लगल। कंठक वर-लहरीहाथक िथ रकबै लगल। जइसँ कखनो दुनू हाथ िम ल ताल िम लबैततँ कखनो प था मािर बैस ठेहुनपर ताल िम लबए लगल।घर-अंगना एक रहने िप ताक संग माइयोक पाछु-पाछु आंगन बाहरैतसमए, चुि -िच नमार नीपैक समए, जत-ढेकी चलबैक समए शंभूनचए-गबए लगल। बेटाक बौराइत मन देख माइयो आ म-िव भोर भऽझुिम -झुिम शंभूक आँिख मे आँिख गािर फड़ैत-फुलाइत फुलबाड़ीमे हराजाइत।माता-िप ताक उसकैत हाथ देख शंभूओक हाथ खाइबला बाटीपरउसकए लगल। खजुरी जक ओकरा बजाएब शु केलक। कोनानै करत? कामेसँ राम आ रामेसँ काम ने चलैत अिछ । मुदा भारी यक बाटी रहने हाड़-मासुक हाथक ओंगरी कतेखान ठठत। जेबात शंभू तँ नै बुिझ सकल मुदा संतोखीदास बुिझ गेलिख न।42


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>सोचलिन जे जँ खजुरी बना िद अए तँ चौबीसो घंटा शंभू आन दमेमगन रहत। बेटाक ित िप ताक दािय वे िक ? यएह ने जे हँसी-खुखीसँ िद न-राित चलैत रहए। मन मािन गेलिन जे बेटाक खजुरीबना देबै। एकल य जक साजमे खजुिर यो ने अिछ । ने ओकरादोसर संगीक जरत होइत आ ने कखनो अपनाक असगर बुझैत।जिह ना हवामे उड़ैत रोग लोकक पकिड़ लैत, लगन अिब ते बर-क याक पकड़ए लगैत, तीथ-वतक डोरी लगैत तिह ना शंभूओकगीत-नादक माने संगीतक रग पकिड़ लेलक। जइसँ िप ताक हरजोतैत, कोदािर पाड़ैत, धान-रोपैत कालक गुनगुनीक संग आंगनबाहरैत, धान कुटैत, जा चलबैत कालक गुनगुनी पकिड़ लेलक।जकरा संग शंभू भिर िद न मगन भऽ गारा-जोड़ी केने बुलए-भंगएलगल। मुदा तँए िक शंभू एतबेमे ओझराएल रहल? नै! ने ओकरागामक आन घर अनभुआर आ ने लोक अनिठ या बुिझ पड़ै। तहूमेएकठाम रहने, जखन माए-बापक संग बाध-बोन िद स जाए तँ वएहघर वएह लोक देखए। समाज तँ ओहन सरोबर छी जइमे घॲघा-िस तुआसँ लऽ कऽ कमल धिर फुलाइत अिछ । देव थानमे सझ-भोर घड़ी-घंट, शंख बजैत खिर हनमे धान फटकैत सूपक अवाजअकासमे उड़ैत। काठपर ओंघराइत टगारी-कुड़हिर गद करैत तँचुि पर चढ़ल बरतनक अदहन झ-झ-काली करैत रहैत।छह बखक बेटा शंभू लेल संतोखीदास खजुरीक ओिर यान करैकिव चार केलिन । ओना हाट-बजारमे खजुरी तँ नै िब काइत अिछ मुदा43


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>हिर हरे, िस हेर, जनकपुर आ देवघरमे तँ िब काइते अिछ । मुदाओतएसँ आओत कोना? एखन तँ अ◌ो हर मुँहे जाइक िन यार नैअिछ । ओना गामोमे बरही लकड़ीक कठरा बनबैए। मघैया सिर सोबासनगोिह मािर खेबो करैए आ ओकर छाल बेचबो करैए। अगर जँकठरा बनबा, सनगोिह क छाल कीन लेब तँ तेबखाक बेसनसँ अपनोछािड़ लेब। हम सभ िक कोनो शहर-बजारक लोक छी जे बेटा-बेटीक पे तौल बम-बाद-छुड़छुडी-फटाका- खेलाइले देबै। जँ खेत-खिर हन िद सक मन देिख ित ऐ तँ िख एलहा हँसुआ-खुरपी खेलाइलेदैित ऐ जँ से नै देखै िछ ऐ तँ एकरा खजुिर येक ओिर यान कऽ देबै।सएह केलिन ।जिह ना हाथमे औजार ऐने िम क बड़का-बड़का इंजीन बना चलबैततिह ना हाथमे खजुरी ऐने शंभूओ पिर वारक संग समाजक कीतन,भजन, य इ यािद मे शािम ल हुअए लगल।छह बख बीतैत-बीतैत शंभूक हाथ खजुरीपर बैस गेल। जइसँअसकरे आंगनक ओसारपर बैस जाधिर हाथक आंगुर नै दुखाए लगैताधिर एकताले सीता-राम सीता-राम, राधे याम, राधे याम खजुिर कअवाजक संग अपन कंठक अवाज िम ला उ म भऽ गबैत-रहैत।भगवानोक लीला अजीव छि ह । एे मनुख वा पशु-पीक गोटेब चाक उसँ बेिस ऐ बना दैत छिथ न आ कोनोक कम बना दैतछिथ न। िक यो पचे बखमे पनरह बखक बुि -ान अरिज लैत44


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>अिछ तँ िक यो पनरहो बखमे पचो बखसँ िन चे रहैत अिछ । जनाशंभुओक भेल। छबे बखमे पनरह बखक ब चाक कान काटएलगल। तहूँमे तेहन समाजक कूल अिछ जे जते िम हनत करएचाहब ओते फलो भेटबे करत।सिद काल कतौ ने कतौ कोनो ने कोनो उ सव समाजमे होइते रहैतअिछ । देव थानसँ पिर वार धिर , कतौ अ टयाम-कीतन, तँ कतौब चाक मूड़न, कतौ सारायण भगवानक पूजा तँ कतौ ि◌वयाह-दुरागमन। शुभ काज तँए शुभ वातावरण बनबैक लेल शुभ-शुभि या-कलाप। शुभ ि या-कलापक लेल कतौ ढोलक-झािलहारमोिन यमक संग रामधुन चलैत तँ कतौ ढोल-पीपहीक संग गीत-नाद। ततबे नै संग-संग पिर वारक उ सवमे समबेत वर माए-वहीिन क गीत-नाद सेहो चलबे करैत अिछ । जिह ना पच बखकब चा कूलमे नाअ◌ो◌ं िल खा दोसर-तेर ब चा संग पढ़ैत तिह नाशंभूओ समाजमे कतौ ढोलक-झािल वा ढोल-पीपहीक अवाज सुिन तेठोकले ओइ जगहपर पहुँच, बेद पाठी जक आँिख -कान समेटताधिर देखैत-सुनैत रहैत जाधिर िव ाम करैले नै ब होइत।शंभूक ि या-कलापसँ दुनू परानी संतोखीदास सेहो िन चेन भऽ अपनकाज करैत रहैत। काजमे म त रहैत। िक एक तँ दुनू परानी बुिझगेलाह जे जतए ढोल-पीपही बजैत हएत शंभू ओतए जर हएत।तँए जखन खेत-पथारसँ काज कए घुमैत तँ ठोकले ओइ थानपरपहुँच शंभूक तािक अनैत।45


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>समाजो तँ ओहन बाट बना चलैत जइसँ हँसैत-िख लैत िज नगी िब नुथकनिह सदैत चलैत रहैत। कोना नै चलत? धार ककर आशा-बाटक ित ा करैत। जिह ना अपना गित ये िद न-राित चलैत रहैततिह ना ने समाजो अपना गित ये सदैत चलैत रहैत।आओर आगशेष अिग ला अंकमे......।२जगदीश साद म डलनाटकझमेिल या िब याहपिह ल दृ य46


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>(भागेसर, सुशीला)(रोग स जापर सुशीला। दवाइ आ पािन नेने भागेसरकवेश।)भागेसर-केहेन मन लगैए?सुशीला-की कहब। जखन ओछाइनेपर पड़ल छी, तखनभगवानेक हाथ छि ह । राजा-दैवक कोनठेकान?भागेसर-से की?सुशीला-उिठ कऽ ठाढ़ो भऽ सकै छी, सुतलो रिह सकै छी।47


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>भागेसर- एना िक अए बजै छी। कखनो मुँहसँ अवाच कथा नैिन काली। दुरभखो िव षाइ छै।सुशीला-(ठहाका दऽ) बताह छी, अगर दुरभाखा पड़तै तँसुभाखा िक अए ने पड़ै छै? सभ मन पित अबैकछी।भागेसर-अ छा पिह ने गोटी खा िल अ।सुशीला-एते िद नसँ दवाइ करै छी कह एकोरी मन नीकहोइए?भागेसर- बदिल कऽ डा◌ॅ टर सहाएब गोटी देलिन । हुनकाबुझबेमे फेर भऽ गेल छलिन । सभ बात बुझाकऽ कहलिन ।48


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>(गोटी खा पािन पीब पुन: िस रहौनीपर माथ रिख ।)सुशीला- की सभ बुझा कऽ कहलिन ?भागेसर-कहलिन जे एे लण-कमक कते रंगक बेमारीहोइए। बुझैमे दुिव धा भऽ गेल। तँए आइसँदोसर बेमारीक दवाइ दइ छी।सुशीला-(ददक आगमन होइत पँजरा पकिड़ ।) ओह, नैबचब। पेट बड़ दुखाइए।भागेसर-हाथ घुसकाउ ससािर दइ छी।(सुशीला हाथ घुसकबैत। भागेसर पेट ससारए लगैतकनी कालक पछाित ।)49


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>सुशीला-हँ, हँ। कनी कऽ मन असान भेल।भागेसर-मनसँ सोग-पीड़ा हटाउ। रोगक दवाइ छोड़ाओत।भिर सक दवाइ आ रोगक िभ ड़ानी भेलै तँए ददउपकल।सुशीला-भऽ सकैए। िक अए तँ देखै िछ ऐ जे भुखल पेटमेछुछे पािन पीलासँ पेट ढकर-ढकर करएलगैए। भिर सक सएह होइए।भागेसर-भगवानक दया हेतिन तँ सभ ठीक भऽ जाएत।सुशीला-िक अए भगवानो लोके जक िव चािर कऽ काज करैछिथ न।50


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>भागेसर- अखैन तक एतबो नै बुझै िछ ऐ।सुशीला-हमरा मनमे सिद खन िच ते िक अए बैसल रहैए।खुशीक कतए नुका कऽ रािख देने छिथ । आिक .....?भागेसर- िक आ िक ?सुशीला-नै सएह कहलॱ। िक यो ठहाका मािर हँसैए आ हमरासबहक हँिस ये हराएल अिछ ।भागेसर-हराएल ककरो ने अिछ । माइिट क तरमे तोपा गेलअिछ ।सुशीला-ओ िन कलत केना?51


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>भागेसर-खुिन कऽ।सुशीला-कथीसँ खुनबै?भागेसर-से जे बुिझ तॱ तँ एिह ना थाल-पाि◌नमे िज नगी बीतैत।सुशीला-जखन अह एतबो नै बुझै िछ ऐ तँ पुख कोनसपेतक भेलॱ। अ छा ऐले मनमे दुख नैक। नीक-अधलाक बात-िव चार दुनू परानी नैकरब तँ आनक आशासँ काज चलत।भागेसर- (मूड़ी डोलबैत जना महसूस करैत, मुँहिच कुिर अबैत।) कहलॱ तँ ओहन बात जे आइधिर हराएल छलै मुदा ई बुझब केना?52


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>(भागेसरक मुँहसँ बतीसो दत सोझ आएल, जइसँ पीहँसी बुिझ ।)सुशीला-अहक खुशी देख अपनो मन खुिश या गेल।भागेसर-मन कह खुिश आएल अिछ ।सुशीला-तखन?भागेसर- बतीसयासँ सिठ या गेल अिछ । वएह कलिप -कलिप ,कुहिर -कुहिर कुकुआ रहल िअ छ।सुशीला-छोड़ू ऐ लम-पाक। जेकरा पलखैत छै ओ करैतरहह। अपन दुख-सुखक गप क।53


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>भागेसर- कना दुख-सुखक गप अखैन करब। मन जड़ाएलअिछ हुअए ने हुअए.......?सुशीला-की?भागेसर-जड़ाएले मनक ताउसँ बौराइ छै। पिह ने देहक रोगभगाउ तखैन िन चेनसँ िव चार करब।सुशीला-बेस कहलॱ। िभ नसरेसँ झमेिल याक नै देखिल ऐ हेन?भागेसर-बाल-बोध छै कतौ खेलाइत हेतै। भुख लगतै अपनेने दौड़ल आओत।सुशीला-ऐ देहक कोनो ठेकान नै अिछ । तहूमे बेमारीओछाइन धरौने अिछ । जीता िज नगी पुतोहूदेखा िद अए?54


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>भागेसर-मन तँ अपनो तीन सालसँ होइए जे बेटा-बेटीकरजासँ उरीन रहब तखन जे मिर यो जाएब तँकरजासँ उरीन मनक मुि त हएत।सुशीला-सएह मनमे उपकल जे बेटीक िब याह कइये नेनेछी। जँ परानो छुिट जाएत तँ िब नु बरो-बिर यातीक लहछू करा अंगबला अंग लगालेत। मुदा.....?भागेसर-मुदा की?सुशीला-यएह जे झमेिल योक िब याह कइये िल अ।भागेसर-अखन तँ लगनो-पाती निह ये अिछ । समए अबै छै तँबुझल जेतै।55


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>(झमेिल याक वेश।)झमेिल या-माए, माए मन नीक भेलॱ िक ने?सुशीला-बौआ, लाखो रोग मनसँ मेटा जाइए, जखने तोरादेखै ि◌ छयह। िभ नसरेसँ नै देखिल अ कतए गेलछेलहह?झमेिल या-इसकूलक फीलपर एकटा गुनी आएल छलै। बहुतरास कीदैन-कह सभ झारामे रखने छलै।डमओ बजबै छलै आ गािब -गािब कहबो करैछलै।सुशीला-िक गबै छलै?56


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>झमेिल या- लाख दुखक एक दवाइ। पचे पैया दामो छलै।सुशीला-एकटा नेने िक अए ने एहल?झमेिल या-हमरा पाइ छलए?सुशीला-केमहर गेलै?झमेिल या-मारन बाध िद सक र ता पकिड़ चिल गेल।सुशीला-बौआक िब याह करा िद यौ?(िव याहक नाआं ◌े सुिन झमेिल याक मुँहसँ खुशी िन कलैत।)57


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>भागेसर- िव याहैओ जोकर तँ भइये गेल अिछ । कहुना-कहुनातँ बारहम बख पार कऽ गेल हएत?सुशीला-पैछला भुमकमक कते िद न भेल हएत। ओही बेर नेजनमल?भागेसर-सेहो िक नीक जक साल जोड़ल अिछ । मुदाअपना झमेिल यासँ छोट-छोट सभक िब याह भेलैतँ झमेिल यो भेइये गेल िक ने?@58


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>दोसर दृ य(सुज डूबैक समए। बाढ़िन लऽ झमेिल या आंगन बाहरएलगैत। सुशीला आिब बाढ़िन िछ नैत।)सुशीला-जाबे जीबै छी ताबे तोरा केना आंगन-घर बहारएिद औ।झमेिल या-िक अए, ककरो अनकर िछ ऐ? अपन घर-आंगनबहारब कोनो पाप छी।सुशीला-धरम आ पाप नै बुझै छी। मुदा एते तँ जर बुझैछी जे भगवानेक बटल काज िछ यिन ने।पुख आ ीगणक काज फुट-फुट अिछ ।59


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>झमेिल या- राजा-दैवक काज ऐसँ फुट अिछ । सभ िद न कहबहारए अबै छलॱ। अखन तू दुिख त छ, जखननीक भऽ जेमे तखन ने तोहर काज हेतौ।सुशीला-सएह बुझै िछ ही, ई नै बुझै िछ ही जे काजे पुख-सीगणक अ तर कऽ ठाढ़ रखने अिछ ।भलिह◌ ं बेटा िछ ऐ एहेन-एहेन बेरमे तू नै देखमेतँ दोसर केकर आशा। मुदा.......?झमेिल या-मुदा की?सुशीला-यएह जे माए-बाप बेटा-बेटीक पिह ल गु होइ छै।िह नके िस खैलासँ बेटा-बेटी अपन िज नगीकरा ता धड़ैए।(माइयक आगू झमेिल या ओिह ना देखैत अिछ जिह नारोगसँ िस त माए अपन दूधमुँह ब चा देख60


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>हुकड़ैत अिछ । तिह ना हाथक बाढ़िन िन चामुँहे केने सुशीला झमेिल याक चेहरापर रिखजना पिढ़ रहल हुअए िक ऐ कुल-खनदान आपिर वारक संग माइयो बापक तँ यएह माइिट ककच िद आरी छी जे अबैत दोसर िद आरीकलेिस िट मिट माइत रहत। तइकाल भागेसर आयशोधरक वेश।)भागेसर-(झमेिल यासँ) बौआ सझ पड़ल जाइ छै, दुआर-दरव जाक काज देखहक।झमेिल या-दरब जा बहािर आंगन बहारए एलॱ िक माए बाढ़िनछीन लेलक।(िब ना िक छु बजनिह भागेसर नीक-अधला िव चार करएलगल।)(कनीकाल बाद।)61


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>भागेसर- (पीसँ) मन केहेन अिछ ?सुशीला- अहूँ बुिझ ते छी आ अपनो बुिझ ते छी जे साल भिरदवाइ खाइले डॉ टर सहाएब कहलिन सेिन महत। जइठीन मथटनकीक एकटा गोटी नैभेटै छै तइठीन साल भिर पथ-पािन क संगदवाइ खाएब......?(बहीनक बात सुिन यशोधरक देह घमा गेल। चाइिन कपसीना पोछैत।)यशोधर-बहीन, भगवानो आ कानूनो ऐ पिर वार जबाबदेह बनौनेछिथ । जाबे जीबै छी ताबे एहेन बात िक अएबजै छह?62


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>सुशीला- भैया, अह िक अए.....? खाइर छोड़ू काजक कीभेल?यशोधर-बहीन, मने-मन हँिस यो लगैए आ मनो कचोटैए।मुदा.......?सुशीला-मुदा की?यशोधर-(मु की दैत) पनरह िद नमे पएरक तरबा िख आ गेलमुदा काजक गोरा नै बैसल। एकटा लड़कीकभज नवानीमे लागल। गेलॱ। दरब जापर पहुँचघरवारी अवाज दैते आंगनसँ िन कललाह।(िब चिह मे भागेसर मु की देलिन ।)सुशीला-कथो-कुटुमैतीक हँिस येमे उड़ा दइ छऐ?63


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>यशोधर-हँसीबला काजे भेल। तँए हँसी लगलिन ।सुशीला-की हँसीबला काज भेल?यशोधर-दरब जापर बैस गप चलेलॱ िक जिह ना हवाकिस हकीमे पाकल आम झड़भड़ा जाइत तिह ना ीगण सभ आबए लगलीह।सुशीला- ीगणे अबए लगली आ पुख नै?यशोधर- ीगण बेसी पुख कम। एकटा ीगण िब चिह मेटभिक गेलीह।सुशीला-की टपकली?64


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>यशोधर-(मु की दैत) हँिस यो लगैए आ छगु तो लगैए। बजलीजे बर पेदार अिछ िक जे आनठाम क यागतजाइत छिथ आ अह......? सुिन ते मनमे नेिसदेलक। उिठ कऽ िव दा भऽ गेलॱ।सुशीला- ीगणेक बात सुिन अगुता गेलॱ। पिर वारमे बेटा-बेटीक िब याह पैघ काज छऐ पैघ काजकरा तामे छोट-छोट हु ची-फु चीपर नजिर नैदेबाक चािह ऐ।यशोधर-एतबे टा नै ने, गामो नीक नै बुिझ पड़ल। आमकगाछीसँ बेसी तरबोनी खजुर बोनी। एहेन गामक ीगण तँ भिर िद न नहाइये आ झुटकासँपएरे-मजैमे बीता देत। तखन घर-आमककाज केना हएत। सोझे उिठ कऽ रा ताधेलॱ।65


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>सुशीला- आगू कतए गेलॱ?यशोधर-ननौर। गाम तँ नीक बुझाएल। मुदा राज थाने जकपािन क दशा। खाइर कोनो िक बेटीक िब याहकरब। बेटाक करब। बैिस ते गप-स प चलल।घरवारी कुल-गो पुछलिन । कहिल यिन । सोझेसुहरदे मुँहे कहलिन , कुटुमैती नै हएत।सुशीला- िक अए, से नै पुछिल यिन ?यशोधर-िक पुिछ ित यिन । उिठ कऽ िव दा भेलॱ।सुशीला-भैया, िद न-दुिन य एहने अिछ । कते िद न छी आ िकनै छी। मन लगले रिह जाएत।66


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>यशोधर- कोनो िक बेटीक अकाल पिड़ गेल जे भािग नकिब याह नै हएत।सुशीला- डा◌ॅ टर सहाएब ऐठाम कते गोटे पेटक ब चा जँचबएआएल रहए।यशोधर-ओ सभ िव याहक दुआरे खुरछही कटैए। मुदा.....?सुशीला-मुदा की?यशोधर-माइयो-बापक सराध छोिड़ देत। िव याहसँ िक ह लुककाज सराधक छै।सुशीला-ठनका ठनकै छै तँ िकयो अपना म थापर दइ छै।ई तँ बुझै छी जे, जे 'गाए मािर कऽ जूा67


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>दान' कहलो जाइ छै। मुदा बुझनिह िक हएत।आगूओ बढ़लॱ?यशोधर-छोिड़ केना देब। तेसर ठाम गेलॱ तँ पुछलिन जेलड़का गोर अिछ िक कारी?सुशीला- िक अए एहेन बात पुछलिन ?यशोधर-लोकक माथमे भु सा भिर गेल छै। एतबो बुझैलेतैयार नै जे मनु खक मनुखता गुणमे िछ पल छैनै िक रंगमे।सुशीला-(िन राश मने) िक झमेिल या ओिह ना रिह जाएत।सृि ट ठमिक जाएत?68


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>यशोधर- अखन लगन जोड़ नै केलकै हेन, तँए। जिह नासंयोग आिब जेतै तिह या सभ ओिह ना मुँहतकैत रहत आ िब याह भऽ जेतै।यशोधर-बहीन, ऐ लेल मनमे दुख करैक काज नै । जखनकाजमे भीड़ गेलॱ तँ कइये कऽ अंत करब।ओना एकटा लगलगाउ बुिझ पड़ल।सुशीला-की लगलगाउ?यशोधर-ओ कहलिन जे अहूठामक पिर वार, पिर वारक काजदेख िल यौ आ ओहूठामक देख कऽ, काजस हािर लेब।भागेसर-ई काज हेबे करत। अपनो कहैए जे एक रंगाहपिर वार (एक यवसायसँ जुड़ल)मे कुटुमैती भेनेपिर वारमे हड़हड़-खटखट कम हएत?69


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>सुशीला-(मूड़ी डोलबैत) हँ, से तँ हएत। मुदा िव धताक चूकभेलिन जे मनु खोक सॴघ नाङ िक अए नेदेलिख न।@70


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>तेसर दृ य(राजदेवक घर। पोता यामक पढ़बैत।)राजदेव- बौआ, कूलमे कते िश क छिथ ? याम-थिटन गोरे।राजदेव-ऐ बेर कोनमे जाएब? याम-ीमे।(हाथमे अखवार नेने कृ णान दक वेश।)71


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>कृ णान द-का, एकटा दुखद समाचार अपनो समाजकअिछ ?राजदेव- (िज ासासँ) से िक , से िक ?कृ णान द-(अखवार उनटबैत। आंगुरसँ देखबैत।) देिख यौ।िच है िछ ऐ एकरा?राजदेव-(दुनू आँिख तरह थीसँ पोिछ गौरसँ देखए लगैत।) ईतँ िच हरबे जक बुिझ पड़ैए। कनी गौरसँदेखए दाए हाथमे तानल ब दूक जक बुिझपड़ैए।कृ णान द-हँ, हँ का, पुरानो आँिख अिछ तैयो िच िहगेिल ऐ।72


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>राजदेव-कनी आरो नीक जक देखए जाए। गामक तँ एेगोरे सीमा चौकीपर रहैए। देव।कृ णान द-(दुनू आँिख क नोर पोछैत।) हँ, हँ का। हुनकेछातीमे गोली लगलिन । मुँह देखै िछ ऐ खुजल।देश भि त क नारा लगा रहलाह।राजदेव-(ित लिम लाइत।) बौआ, तोरे संगे ने पढ़ै छेलह।कृ णान द-संिग ये छेलाह। अपना लासमे सभ िद न फ टकरै छलाह। हाइये कूलसँ मनमे रोिप नेनेछेलाह जे देश भ त बनब। से िन मािह योलेलिन ।73


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>राजदेव- बौआ, देश भ तक अथ संकीण दायरामे नै िव तृतदयरामे छै। ओना अपन-अपन पसन आ अपन-अपन िव चार सभक छै।कृ णान द-कनी फिर छा कऽ किह यौ?राजदेव-देखहक, खेतमे पसीना चुबबैत खेित हर, सड़कपरप थर फोड़ैत बोिन हार, धारमे नाओ खेबैतखेबिन हार सभ देश सेवा करैत अिछ , तँएदेशभ त भेलाह।कृ णान द-(नमहर सस छोड़ैत।) अखन धिर से नै बुझैछिल ऐ।राजदेव-निह यो बुझैक कारण अिछ । ओना देश सीमाक राबाहरी दुमनक (आन देशक) राक लेल होइतअिछ । मुदा जँ मनु यमे एक-दोसराक संग ेम74


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>जगत तँ ओहुना र छा भऽ सकैए। मुदा से नैअिछ ।कृ णान द-(मूड़ी डोलबैत।) हँ से तँ निह ये अिछ ।राजदेव-मुदा देशक भीतरो कम दु मण नै अिछ । एहेन-एहेनप बना मासूम जनताक संग कम गारीकेिन हारोक कमी नै अिछ ।कृ णान द-से केना?राजदेव-देखते छहक जे जइ देशमे खाइ बेतरे लोक मरैए,घर दवाइ, पढ़ै-िल खैक तँ बात छोड़ह। तइदेशमे ढोल पीटिन हार देश सेवक सभ अपनस पि चोरा-चोरा आन देशमे रखने अिछओकरा िक बुझै छहक?75


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>कृ णान द- हँ, से तँ ठीके कहै छी।राजदेव-केहेन नाटक ठाढ़ केने अिछ से देखै छहक।आजुक समैमे सभसँ पैघ आ सभसँ भयंकर देशक सोझा ई अिछ जे सभक जीबै आआगू बढ़ैक समान अवसर भेटै।कृ णान द-हँ, से तँ जिर ये अिछ ।राजदेव- एे िद स एहेन बात नै ने अिछ ?कृ णान द-तब?राजदेव-समाजोमे अिछ । कनी गौर कऽ कऽ देखहक।पैछले बख ने हमदेवक िब याह भेल छलै?76


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>कृ णान द-एोटा स तान तँ नै भेलैक अिछ ।कृ णान द-नै। हमरा बुझने तँ भिर सक दुनू परानीक भटो-घटतेना भऽ कऽ नै भेल हेतै। िक अए तँ गामअिब ते खबिड़ भेलै जे सीमापर उपव बिढ़गेल, तँए सबहक छुी केि स ल भऽ गेल।बेचारा िब याहक भोरे बोिर या-िव तर समेिटदौड़ल।राजदेव-अखन तँ नव-धब घटना छै तँए जह-तह वाह-वाहीहेतै। मुदा वाह-वाहीक नै िज नगीकअिछ । बेटाक सोग माए-बापक आ पित क दुख ीक नै हेतै?कृ णान द-हेबे करतै।77


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>राजदेव- एना िक अए कहै छह जे हेबे करतै। जिह ना एकिद स मनु य क याणक धरम हेतै तिह ना दोसरिद स माए-बाप अछैत बेटा मृ युक दोष, समाजसेहो देतिन ।कृ णान द-(गुम होइत मूड़ी डोलबए लगैत।)राजदेव-चुप भेने नै हेतह। सम याक बुझए पड़तह। जेसमाजमे केना सम या ठाढ़ कएल जाइए। तॲहीकहह जे ओइ दूध-मुँह बि च याक कोन दोखभेलै।कृ णान द-से तँ कोनो नै भेलै।राजदेव-समाज ओकरा कोन नजिर ये देखत?78


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>कृ णान द- (मूड़ी डोलबैत।) हूँ-अ-अ।राजदेव- हुँहकारी भरने नै हेतह। भारी बखेरा समाज ठाढ़केने अिछ । ओइ, बि च याक भिव य देखिन हारिक यो नै अिछ , मुदा......?कृ णान द-मुदा की?राजदेव-यएह जे, एक िद स कलंकक मोटरीसँ लािद देत तँदोसर िद स जीनाइ किठ न कऽ देत।कृ णान द-हँ, से तँ करबे करत।राजदेव-तोही कहह, एहेन समाजमे लोकक इ जत-आवकेना बचत?79


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>कृ णान द-(मूड़ी डोलबैत। नमहर सस छोिड़ ।) सम या तँभारी अिछ ।राजदेव-नै, कोनो भारी नै अिछ । सामािज क ढड़क बदलएपड़त। िव घटनकारी सोच आ काजक रोिकक याणकारी सोच आ काज करए पड़त।तखने हँसैत-खेलैत िज नगी आ मातृभूिम कदेखत।कृ णान द-(मु की दैत।) संभव अिछ ।राजदेव- ई काज केकर िछ ऐ?कृ णान द-हँ, से तँ अपने सबहक छी।80


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>राजदेव- हँ। ऐ िद शामे एक-एक आदमीक डेग बढ़बैक जरतअिछ ।@81


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>चािर म दृ य(भागेसर दरब जा सजबैत। बहािड़ -सोहािड़ चािर टाकुरसी लगबैत। कुरसी सजा भागेसर चाकातिन हािर -िन हािर गौर करैत। तहीकाल बालगोिव दआ राधे यामक वेश।)भागेसर-(कुरसीपर सँ उिठ ।) आउ, आउ।(कुरसीपर तीनू गोरे बैसैत।)बालगोिव द-(राधे यामसँ।) बौआ, बेटी हमर छी, वहीन तँ तोरेिछ अ। अखन समए अिछ तँए......?82


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>भागेसर- अपने दुनू बापूत गप-स प क।(उिठ कऽ भीतर जाइत।)राधे याम-अहक परोछ भेने ने......। जाबे अह िछ ऐ, ताबेहम.....।भागेसर-नै, नै। पिर वारमे सभक अपन-अपन मनोरथ होइछै। चाहे छोट भाए वा बेटाक िब याह होउआिक बेटी-बहीनक होउ।राधे याम-हँ, से तँ होइते अिछ । मुदा अह अछैत जते भारअहपर अिछ ओते थोड़े अिछ । तखन तँबहीन छी, पिर वारक काज छी, कोनो तरहकगड़बड़ भेने बदनामी तँ पिर वारेक होइत अिछ ।83


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>बालगोिव द- जाधिर अंजल नै केलॱह ताधिर दरब जा खुजलअिछ । मुदा से भेलापर बाह पिड़ जाइतअिछ । तँए......?राधे याम-हम तँ परदेश खटै छी। शहरक बेबहार दोसररंगक अिछ । गामक की बेबहार अिछ से नीकजक थोड़े बुझै छी। मुदा तैयो......?बालगोिव द- मुदा तैयो िक ?राधे याम-ओना तँ बहुत िम लानीक अिछ मुदा िक छु एहेनअिछ जेकर हएब आवयक अिछ ?बालगोिव द- आब िक तोहूँ बाल बोध छह, जे नै बुझबहक।मनमे जे छह से बाजह। मन जँचत कुटुमैतीकरब नै जँचत नै करब। यएह तँ गुण अिछजे अ पसं यक नै छी।84


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>राधे याम-िक अ पसं यक?बालगोिव द-जइ जाित क सं या कम छै ओकरा संगे बहुतरंगक िब हंगरा ठाढ़ होइत अिछ । मुदा जइकाजे एलॱह तेकरा आगू बढ़ाबह। िककहलहक?राधे याम-कहलॱ यएह जे कमसँ कम तीनक िम लानी अवसहोइ। पिह ल गामक दोसर पिर वारक आ तेसरलड़का-लड़कीक।बालगोिव द-जँ तीनूक नै होइ?राधे याम-तँ दुइयोक।85


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>बालगोिव द- अपन पिर वारक बेबहार छह तेहने अहू पिर वारकअिछ । गामो एकरंगाहे बुिझ पड़ैए। लड़का-लड़की सोझेमे छह।राधे याम-तखन िक अए काज रोकब?(जगमे पािन आ िग लास नेने आिब , टेबुलपर िग लास रिखपािन आगू बढ़बैत। िग लास हाथमे रिख ।)बालगोिव द-नीक होइत जे पिह ने काजक गप अगुआ लेतॱ।भागेसर- अखन धिर अहूँ पुरने िव ध-बेबहारमे लटकल छी।कुटुमैती हुअए वा नै मुदा दरब जापर आिब जँपािन नै पीब, ई केहन हएत?86


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>बालगोिव द- (पािन पीबैत। तहीकाल झमेिल या चाह नेनेअबैत।) पािन िप आ दुनू गोटेक चाहक कपदैत अपनो कुससीपर बैस चाह पीबए लगैत।बालगोिव द-समए तेहन दुरकाल भऽ गेल जे आब कथा-कुटुमैतीमे कतौ ल जित नै रहैए। बसीसँ बेसीचािर -आना कुटुमैती कुटुमैती जक होइए।बारह आनामे झगड़े-झंझट होइए।भागेसर-हँ, से तँ देखते छी। मुदा हवा-िब हािड़ मे अपन जाननै बँचाएब तँ उिड़ कऽ कतएसँ कतए चिलजाएब, तेकर ठेकान रहत।बालगोिव द-पैछला लगनक एकटा घटना कहै छी। हमरेगामक छी। कुल-खनदान तँ दबे छलिन मुदापिढ़ -िल ख पिर वार एते उित केने अिछ जेइलाकामे िक यो कहबै छिथ ।87


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>भागेसर- वाह।बालगोिव द-लड़को-लड़की उपरा-उपरी। कमसँ कम पचासलाखक ि◌ बयाहो भेल छलै। मुदा खाइ-पीबै बेरमेतते माि◌र-दंगा भेल जे दुनूक मन रहतिन ।भागेसर-मािर िक अए भेल?बालगोिव द-पुछिल यिन ते कहलिन जे िब याह-दानमे कोनो रसेनै रिह गेल अिछ । लड़काबला सिद खनलड़कीबलाक िन चा देखबए चाहैत तँ सिर यातीबिर यातीक। अही बीचमे रंग-िव रंगक बखेराठाढ़ कऽ मािर -पीट होइए।भागेसर-एहेन बिर यातीमे जाएबो किठ न।88


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>बालगोिव द- स जन लोक सभ छोिड़ देलिन । मुदा तैयो िकबिर याती कम जाइए। तते ने गाड़ी-सवारी भऽगेल जे हुहुऔने िफ रैए।भागेसर-खाइर, छोड़ू दुिन य-जहानक बात। अपन गप क।बालगोिव द-हमरेसँ पुछै छी। क यागत तँ सदित चाहै छिथ जेएकटा ऋृण उताड़ैमे दोसर ऋृण ने चिढ़जाए। अपने लड़काबला िछ ऐ। कोना दुनूपिर वारक क याण हएत, से तँ......?भागेसर-दुिन य के हरो गुड़ैक जाउ। मुदा अपनोले तँ िक छुकरब। आइ जँ बेटा बेच लेब तँ मुइलापरआिग के देत। बेचलाहा बेटासँ पैठ हएत।बालगोिव द-कहिल ऐ तँ बड़बिढ़ या। मुदा समाजक जेकुकुड़चािल छै से मानता दुनू पिर वार िम ल-89


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>जुिल काज ससािर लेब। मुदा निढ़ या जक जेभूकत तेकर िक करबै?भागेसर-हँ से तँ ठीके पैछलो नीक चलिन आ अखुनकोनीक चलिन अपना कऽ अधला छोड़ देब।िक अए िक यो भूकत। जँ भूकबो करत तँअपन मुँह दुखाओत।मश:३कथा90


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>िब हरन(पूवश)जिह ना चैत-बैशाखक लहकैत धरती गरमाएल वायुमंडलक बीचअनायास हवा कऽ खसने िब हािड़ क ित ा कएल जाइत, अनायाससुज मेघक छोट-छीन चिर ओढ़ए लगैत, रेलगाड़ी सदृ य अवाजदौड़ए लगैत, रिह -रिह कऽ गुलाबी व सि ज त ठनका ठुनकएलगैत तँए अनुमािन त मन मानैले बेबस भऽ जाइत जे िब हािड़ पािनपाथर ठनका संग आिब रहल अिछ , तिह ना रघुनदन आ सुलणीकपिर वारमे योित कुमारीक ज मसँ भेलिन ।भलिह◌ ं आइ-काि बेटीक ज म भेने माए-बाप अपन सुभा यकदुरभाग मािन मनक कतबो िक अए ने कोसिथ जे पिर वारमे बेटीकबािढ़ िह मालयसँ समु िद स िन चा मुँहे ससरब छी मुदा से दुनूबेकती सुलणीक नै भेलिन । जिह ना गा पािब कुरसी गदगर होइततिह ना दुनू ाणी रघुन दनक मन गद-गद। से खाली पिर वारे धिरनै सर-समाज, कुटुम-पिर वार धिर छलिन । ओना आन संगी जकरघुन दन नै छलाह जे तीिन ये मासक पेटक ब चाक दु मन बिनमोछ पीजबैत आ ने अपन रसगर जुआनी छोलनी धीपा-धीपा दगैत।91


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>दुनू परानी बेहद खुशी। िक अए नै खुशी रहिथ , मन जे मधुमाछीसदृ य मधुक संग मधुर मु कान दैत छलिन । पुष अपन वंशबढ़बै पाछु बेहाल आ नारीक हाथ-पएर बाि ह बौगली भिर रौदमेओंघरा देब कते उिच त छी। दुनू ाणीक वंश बढ़ैत देख दुनूबेहाल। मन ित रिप त भऽ तड़ैप-तड़ैप नचैत।आ◌ेना तीन भाइक पछाित योित क ज म भेल, मुदा तइसँ पिह नेआगमनो नै भेल छलिन जे दोिख यो बिन तिथ । भगवानोक िक रदानीिक नीक छि ह , नीको कोना रहतिन काजक तते भार कपारपररखने छिथ जे जखन टनकी धड़ै छि ह तखन िख िस या कऽिक छुसँ िक छु कऽ दैत छिथ । मुदा से लोक थोड़े मानतिन , मानबोिक अए करतिन जखन अपने अपने हाथ-पएर लािड़ -चािड़ जीबैएतखन अनेरे अनका िद स मुँहतीक कोन जरत छै। िक अए नेकहतिन जे अह ि◌ नमता छी तखन तराजू एक रंग राखू, िक अएककरो जेरक-जेर बेटा दइ िछ ऐ आ ककरो जेरक-जेर बेटी। जँदेबे करै िछ ऐ ते बुि िक अए भंगठा दइ िछ ऐ जे बेटासँ धन अबैतअिछ आ बेटीसँ जाइत अिछ । जइसँ नीको घरमे चॲगराक जरतपिड़ जाइ छै।उ च अफसरक पिर वार तँए पिर वािर क तर सेहो उ च। भलिह◌ ंिक अए ने माए-बाप छिट पिर वार होइन। खगल पिर वार जकसदित गरजू नै। पिर वारक खच समटल तइसँ खु ला बजारक92


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>कोनो असिर नै। सरकारी दरपर सभ सुिव धा उपल ध, जइसँखाइ-पीबैसँ लऽ कऽ मनोरंजनक ओसार चकमकाइत। भलिह◌ ं जेकरअफसर तेकर बात बुझैमे फेर होइन। जइसँ महगी-स ती बुझैमेसेहो फेर भऽ गेल होइन। मुदा परोछक बात छी चा ब चाकित समान िस नेह रहलिन । पिर वारमे सभसँ छोट ब चा रहनेसबहक मनोरंजनक व तु। मुदा गुआइ तँ ओिह ना नै होइ छै, तँएसभ अपन-अपन मिह ा मनक टेमीसँ सदित देखैत, जप करैत।आिख र ऐ धरतीपर ान दानी नै होिथ । भलिह◌ ं ओ अधिख जुए वाअधपकुए िक यो ने होिथ । जिह ना कोनो मालीक ब चा िप ताक संगजामंतो (अनेको) रंगक फूलक फुलवारीमे िज नगीक अनेको अव थादेख चौकैत तिह ना भरल-पूरल पिर वारमे योित योक भेलिन ।देखलिन जे गुलाबक कलीमे जिह ना अबैत-अबैत रंगो, सौ दय आमहको अबैत अिछ तिह ना ने िज नगी छी। जँ मनु यक डोरीसँबा हल जाय तँ डोरी तोड़ैक उपाए तँ हुनको छि ह ।समुिच त वातावरण योित संगी-साथीक बीच नीकक ेणीमे आिबगेिल । जिह ना संगीक िस नेह तिह ना िश कोक िस नेह भेटएलगलिन । जिह ना िट कट कटाओल याी गाड़ीमे सफर करैत तिह नासमतल िज नगी पािब योित आगू बढ़ए लागिल । िज नगीमे बधो अबैछै तइसँ पूण अनिभ योित । जना कम-धम बिन िज नगीक बाटबनौने होय।93


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>मश:ऐ रचनापर अपन मंतय ggajendra@videha.com परपठाउ।झंझारपुर, मधुबनी।बेचन ठाकुर, गाम चनौरागंज,बेचनजी िवगत पचीस बखसँ मैिथली नाटकक लेखन आ िनदशनमेजुटल छिथ। िहनकर एक दजन नाटक ामीण सभक मोन तँमोहनिहये छल, िहनकर िवदेहमे कािशत छीनरदेवी आ बेटीकअपमान िव भिरमे पसरल मैिथली भाषीक बीचमे कएकटासमीामक बहस शु कऽ देने अिछ। जखन मैलोरंग अपनसवण शु केलक जे मैिथलीक सवे नाटक महे मलंिगयाक94


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>ओकर आंगनक बारहमासा वा बेचन ठाकुरक बेटीक अपमान आआशीष अनिचहारक समीापर बहस चिलये रहल छल तँ तारानदिवयोगीक कथन आिब गेल, ऐ सवणक रोकबाक आह करैत-"हम त चिकत छी काश। की मैिथलीक एहन दुिदन आिब गेलैजे आब एना तुलना कएल जेतै? जकरा बल पर सॱसे भारतीयसािहय मे मैिथलीक झंडा बुलद मानल जाइत रहल अिछ, तकरामादे हमर नवतुिरया सब एना बात करता? एतेक सतही आिववेकहीन पीढी िमिथला पैदा केने छिथ यौ? की पं० गोिवद झाकओ कथन सय होब'बला छै जे तीस-चालीस साल मे मैिथली मिरजाएत। (मैिथली माने मैिथली सािहय।) एना निह काज चलत।िकछु किरयौ बाबू।" मुदा काश बाबू कहलिखह- "सर ! िकछुकारण अिछ । सब नवतुिरयाक िथित एक रंग निह छिन ।सभहक अपन अपन मनतय छिन । मुदा अँेजी मे एकटाकहाबत अिछ । सरभाइवल ऑफ दी िफटेट.... । जे िकयो जेिकछु सोचैइथ मुदा मैिथली आ नाटक लेल सोचैत छैिथ यैह हमरालेल जीवन दायी अिछ ।" तारानद िवयोगी फेर िलखलिह-"िमिथलाक ित जं ेम अिछ, तं अपन िबरासत क िचहनाइ आओिह पर गव करनाइ सीखू। हरेक भाषा मे िकछु एहन रचना होइछै जे 'लािसस' के कोिट मे अबै छै। । (से मैिथिलयो मे छै)जखन आगुओ कोनो ओिह टर के रचना आिब जाइ छै तं ओकरासमान दैत पूवक लािसस के बराबर मे राखल जाइ छै। एिहलेल िबरासत क खािरज करब जरी नै छै। मािन िलय' जे95


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>गजे ठाकुर बड िविश किव छिथ, त की अह ई सवणकराएब पसद करब जे 'िवापित पैघ किव की गजे ठाकुर?'सािहय के संकृित मे आम तौर पर एना निह कएल जाइ छै।मुदा 'खास' तौर पर जं करए चाही, तं तािह सं ककरो के रोिकसकै छै। राजनीित के संकृित मे तं से चलन छैके।" तइपरउमेश मंडल जवाब देलिखह जे ई उदाहरण तखन सटीक होइतएजँ बेचन ठाकुर वा महे मलंिगयाक तुलना योितरीरसँ कएलजाइत। ऐ िडसकसनक शुमे काशजीक िवचार बेचनजीकनाटकक िव छलिह आ से पुनः िस भेल जखन बेचनठाकुरक "अिधकार" नाटक ऐ िटपणीक संग पोट कएल गेल तँओ ओकरा िडलीट कऽ देलिह। एना िकए भेल? जखन काशझा महे मलंिगयाक नाटक करबै छिथ (मैिथलीमे िवदेहक एलासँपूव ूफरीडरक सपादक कहल जाइ छल आ नाटकमे जे िकयोकोनो काज नै करिथ कुसपर पएर लटका क' बैसिथ आ गपछटिथ तकरा नाटकक िनदशक कहल जाइ छल) तँ 90 ितशतदशक मैिथल ाण आ जखन संजय चौधरी मलंिगयेक नाटककरै छिथ तँ 90 ितशत दशक कण कायथ; आ दुनू गोटेमैिथलीक नामपर सरकारी संगठनसँ, जे टैसपेयरक पाइसँ चलैछै, पाइ ल' नाटक करै छिथ, शहरो वएह िदली िछऐ। ई समाजिकए तोड़ल जा रहल अिछ? आ दु जाितक अितिरत शेष मैिथलीभाषी? मुदा तइले िवयोगीजीक आान काशक नै भेटै छिह!िकए!! आ काशजी बेचनजीक नामो बेचा ठाकुर िलखै छिथ आ96


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>पाठकक ऐपर भेल िवरोधक बावजूद सुधार नै करै छिथ सेउचारण दोष, िजै दोष अनायास भेल नै सायास भेल िस होइतअिछ। काशजी उमेश मंडलक कहै छिथ जे ओ हुनकासँ सपकबढ़ेबामे िच नै राखै छिथ मा फोनपर गप छिह से हमहूँ 2008मे काशजीक पिहल बेर नाम नाम सुनने रिहयिह, िमिथलगनकअभय दास नाम-नबर देने रहिथ आ तिहयासँ दू-तीन बेर 2-3िमनटक फोनपर गप अिछ आ 2-3 बेर ठाढ़े-ठाढ़े गप अिछ, अंितमबेर जखन उमेश मंडल जीक कहलापर जगदीश साद मडलजीक नाटक हुनका देने रिहयिह आ ओ ओइ बदलामे मलंिगयाजीकपोथी कूिरयरसँ पठेबाक गप कहने रहिथ। िवयोगीजी आ काशजीअखनो धिर "मेिडयोिटी" सँ बाहर नै आिब सकल छिथ आसाथक सवाद आ समालोचना सहबामे तकाल अम छिथ। जँजँ ओ लोकिन आर मेहनित करताह आ "मेिडयोिटी"सँ बाहरबहरेताह तँ तँ हुनका लोकिनमे समालोचना सहबाक मताबढ़तिह।टैसपेयर तँ सभ छिथ, ओतए तँ जाित-भेद नै छै। मुदा"अिधकार" नाटक िडलीट नै कएल जा सकल, ई बिच गेल कारणऐ नाटकक कएक टा बैकप कतेक संगणकपर उपलध छल। सेऐ पिरेयमे बेचन ठाकुर जीक तेसर नाटक "अिधकार" िवदेहमेदेल जा रहल अिछ आ आशा करैत छी जे आशीष अनिचहार फेरऐ नाटकक समीा करताह आ सूतल लोक जेना आँिख मीड़ैत97


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>उठल अिछ तिहना ई नाटक ामीणक पिहने आ मैिथली नाटककिकछु ठेकेदार समीक/ िनदशक लोकिनक पछाित िन तोड़त।संगिह जेना मजारपर वािषक उस होइ छै जतए लोक सालमे एकबेर चिर चढ़ा आ अगरबी जड़ा क' कतयक इिती मािन लैए,तिहना मैिथलीक नामपर खुजल कागजी संगठन सभक, जे बेसी(95 ितशत) मैिथल ाण सदाय ारा टैसपेयरक पाइकलुटबा लेल फज पतापर बनाएल गेल अिछ, वािषक (बखमे ओनाएे बेर िहनकर सभक िन खुजै छिह) काजक समीा होएबाकचाही। जखन हम संकृत वीथी नाटकक िनदशन/ अिभनय करैछलहुँ तँ ओतए अिभनय केिनहार सभक आ सह-िनदशक लोकिनकितभा आ मेहनित देिख हष होइ छल; मुदा एतए ितभाक दिरतािकएक? उर अिछ जे एक जाितक लेब आ तहूमे तै जाितकजकरा अिभनयसँ पारपिरक पमे कोनो लेना देना नै छै, आजकरा लेना-देना छै तकरा अह बारने छी तँ की हएत? जखनहरखा पाटमे खतबेजी रावणक अिभनय करै छलाह तँ से आजखन ओ चहास नाटकमे खलनायकक नै वरन चिरअिभनेताक अिभनय करै छलाह से, दुनू मे िकयो नै किह पबै छलजे कोन अिभनय बीस! बचामे गाममे आँिखसँ देखल अिछ।संगिह जे िलट गनाओल जाइत अिछ, तैमे खतबे जी कतौ नै!!दसटा मैिथली िनदशक छिथ जे पटना, कलका, िदली, मुबइ,चेइमे (सभटा िमिथलासँ बाहर) िनवास करै छिथ आ 200लोकक सोझमे ऑिडटोिरयममे नाटक करबै छिथ आ कलाक98


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>यूनताक पूित लाल-पीअर-हिरयर लाइट-बी जड़ा क' करै छिथ(िकछु अपवादो छिथ), की भिर िमिथलामे एतबे नाटक मैिथलीमेहोइए आ की एतबे िनदशक मैिथलीमे छिथ? गाम-गाममे पसरलअसली मैिथली नाटकक िनदशकक सूची आ हुनका ारा िबनाटैसपेयरक फडसँ खेलाएल गेल नाटकक अिभलेखनक काजिवदेह टीम ारा चिल रहल अिछ जकर िवतृत सूची "सव ऑफमैिथली िलटेरेचर वोयूम.2 मे देल जाएत।तुत नाटक इिदरा आवास योजनाक अिनयिमतताकआर.टी.आइ.सँ देखार करैबला आ िरशासँ झंझारपुरसँ िदलीजाइबला (आ अिभषेक बचनसँ झंझारपुरमे पुरकार पाबैबला)असली चिर मंजूरक कथा अिछ जे िडलीट नै कएल जा सकलमुदा िकए िडलीट कएल जा रहल छल, िकनकर िहतक ऐ नाटकसँखतरा छिह/ छलिह आ िकए एकर िवरोध एतेक तीव पमे भेल,से सभटा आब फिरछ भ' गेल अिछ। -गजे ठाकुर, सपादक,िवदेह।अिधकार-ीसरवयै नमः-महान सामािजक एवं ितकारी मैिथली लघुनाटक अिधकार99


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>दृय - एक( थान - मुिखया चदनक घर। दलान पर चािर-पचटा कुिसलागल छै। मुिखयाजीक मुहँलगुआ अमरनाथ आ चदन कुस परबैस गपसप क ऽ रहल छिथ। )अमरनाथ - मुिखयाजी, आइ-काि कोनो मुा फँसलै की नै।चंदन - फँिसते रहै छै की। ओना दू-तीिन िदनसँ बािहनीओ नै भेलअमर भाई।अमरनाथ - मुदा बड किसक ऽ ध ऽ लै िछऐ अह।चंदन - की करबै , अहॴ कहु। हमरा सरकार कोनो तनखाह दैछै ? (मंजूरक वेश पूण गरीबी अवथा म )मंजूर - मुिखयाजी णाम।चंदन - णाम णाम। आउ मंजूर भाई। ( मंजूर भूइया पर बैिसजाइ अिछ।) मंजूर भाइ , नीचमे िकआए बैसलहुँ ? कुस परबैसु ने।मंजूर - हम कुस पर बैसैबला लोके नै िछयै। कुिस पर हािकमसभ बैसै छिथह।अमरनाथ भाई , णाम ।अमरनाथ - णाम णाम , कहु मंजूर भाई, की हाल चाल ?मंजूर - जीऐ छी नै मरै छी , हुुर-हुुर िरै छी◌ै अह ऐ फाटल-िचटल लोक पर , कोनो याने नै दै छी ।।अमरनाथ - कहु िधया-पुताक हाल-चाल , घरवालीक हालचाल ?100


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>मंजूर - की कहब , िधया-पूता चािर-पचटा बेसी भ ऽ गेलै। तैसँअछ रहै छी। कहलिन अपरेशन करा ऽ िलअ त कहलिन अपनासबहक हदीशमे से नै िलखल छै। आ फेर कहलिन हुअ न िदयौके हेतै अपन-अपन कमा ऽ खेतै।(चदन आ अमरनाथ मुकाए रहल छिथ। )अमरनाथ - मंजूर भाइ , किनय थेहगर छ से ?मंजूर - की पूछै छी ? आब नै सकै छी तैयो बड हरान क ऽ दैआए। आब छोड़ भाइ मजाक तजाक। ऐ बुढ़बाक की चटै छी ?चदन - कह मंजूर केहर-केहर एलाह ?मंजूर - सरकार, इिदरा आवासवला गप हम किहया कहलॱ2006ए म। के िदन भ ऽ गोलै ? ताबे के आदमीक इिदराआवास भेटबो केलै। सरकार हमरोसँ बेसी गरीब िकयो छै ?टमटम चलबै छेलॱ त ऽ घोड़ीओ खच नै िनकलै छेलाए। सुखा-टटाक ऽ घोड़ीओ मिर गेल। करजा-बरजा ल ऽ क ऽ एगो पुरनािरा कीनलहुँ। सेहो किहयो चलै बाए किहयो नै। टेपू-सवारीिरेवलाक रोजी-रोटी खेलकै। आब हमरो पर यान िदयौ सरकार।बरसात म एो बुी पािन बाहर लै खसै छै।चदन - बीस हजार तोरा नाम सँ ऽ भेटतह । ओइमे की खरचा-बरचा करबहक ?मंजूर - हम त ऽ कहब, एो पाइ नै । मुदा अहॴ किहयौ कीकेना लगतै ?चदन - अमरनाथ भाइ, कनी बूझाए िदयौ।101


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>अमरनाथ - मजूर भाइ, ओना सभक छ-सात हजार लगै छै,अहक पच हजार लागतै।मंजूर - बाप रे बा, तहन हमरा की बचतै ? पनरह हजार मे केहेनघर हेतै ?अमरनाथ - िकछु अपनो िदिशसँ लगा देबै।मंजूर - खाइ लाए मरै छी,िधया-पुता पी िबछै आए रोड पर। ओइमे से एक-दू साए टका खइ-पीऐ लाए द ऽ देब, सरकार। िकरपाकिरयौ।चदन - पच हजार देबै तहने हाएत। नै त ऽ नै हाएत। बातजानी साफ।मंजूर - हे हे सरकार, पाएर पकड़ै छी। दाढ़ी पकड़ै छी। एगोघर डाइनो बकसै छै। एगो गरीबो क कसरण क। नीक हाएतसरकार।चदन - बेसी नीक कमरा नै पचै छै। ओे लगबे करत।मंजूर - तहन जाइ छी सरकार। जे किरयौ। ओना एगो गरीबकतािरितयै ऽ ऽ ऽ ऽ।(थान)चदन - हम फेर मुिखया हाएब की नै, के जनै छै ? मालबनेबाक बेर अनेक नै अिछ।अमरनाथ - से त ऽ ठीके मूिखयाजी। काि के देखलकै ? ओनामंजूर वातवम बड गरीब अिछ।(पटाेप)102


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>दृय - दू( थान - मंजूरक सलाहकार िवनोदक दलान िवनोद कूस परबैिस पेपर पिढ़ रहल छिथ। दीन हीन अवथा म मंजूरक वेश।)म्ं◌ाजूर - नेताजी णाम।िवनोद - णाम णाम। कह की हाल चाल ? आइ बहुत िदन परदेखिलअ। कह केहर-केहर एलाह ?म्ं◌ाजूर - की पूछै छी नेताजी। मूिखया िबना घूसे ? इंिदरा आवासनै देम ऽ चाहैय। तहूमे बीस हजार मे कम-सँ-कम पच हजार।कहू त ऽ पनरह हजार मे की की करब ? अहूमे आइ चािर-पचसालसँ आइ-काि आइ-काि करै य। अखैन कतबो पाएर दाढ़ीपकड़िलयैन तैयो उ नै घमलिथ। एो बेर कहलिथ, पच हजारदेबै तहने हाएत। नै त नै हाएत। बात जािन साफ। अपने हमराबुिध िदअजे एकर कोनो िनयम कानून छै की नै ?िवनोद - कानून त छै, मूदा दौड़ा-बढ़ी कर पड़तह। तॲ गरीबआदमी छह। तोरा सँ पार लागतह ?मंजूर - नेताजी, मरता या नहॴ करता । मरल त हम छीहे।अह हमरा रता बताए िदअ, देखै िछयै कानून मे दम छै की नै।उिचतक लेल अह हमरा जे कहब से करै लाए तैयार छी।िवनोद - हम एगो आवेदन िलिख दैत िछयह। मुिखया लग बखैनचिल जा द ऽ िदहक आ की कहै छह से फेर किहहह।(िवनोद मंजूर के एगो आवेदन िलख दैत छिथ आ मंजूर उ ल ऽ103


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>क ऽ मुिखया लग तुरंत जाइ अिछ। )(पटाेप)दृय - तीन( थान - चदन मुिखयाक दलान। दलान पर चदन आअमरनाथ कुस पर बैस गपसप क ऽ रहल छिथ। मंजूरक वेश।)म्ं◌ाजूर - मुिखया जी णाम।चदन - णाम णाम।मंजूर - अमरनाथ भाइ णाम।अमरनाथ - णाम णाम मंजूर भाइ। बैसू।मंजूर - की बैसब ? बैसलासँ पेट भरतै। मुिखया जी एगो दरखासछै, देखल जाउ।चदन - ल ऽ िलअ अमरनाथ। पिढ़यौ की िलखल छै।( अमरनाथ दरखात लऽ कऽ पढ़ै छिथ। मंजूर भूइयमे बैिसजाइत अिछ। )अमरनाथ - सेवा म,ीमान् मुिखया महोदय।ग्◌्रा◌ाम पंचायत राज रामपूर।महाशय,न िनवेदन अिछ जे हम अित िनधन यित छी। अपन पंचाइत मेिकनको सँ पिहने हमरा कोनो सुिवधा भेटक चाही। ओइमे अपनेहमरा पाछू छोिड़ दै िछयै। इंिदरा आवास लाए चािर-पच साल सँ104


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>घूमबै छी। जै गरीबक पच हजार टाका घुस लाए नै भेटै।ऐ संदभ मे अपने सँ करब ाथना अिछ जे एगो महागरीबकिनःषुक इंिदरा आवास दान कऽ कयाण काएला जाए। संगिहसूचना अिधकारक तहत पंचाइत सिचव सँ इंिदरा आवासवलाआययाय फाइल उपलध कराब ऽ मे सहयोग काएल जाए।धयवाद।अपनेक िववासी - मंजूरचदन - जाउ मंजूर, अहक जै अिधकारक योग करबाक अिछक ग। देख लेबै। नै, जदी पच हजार टाका ओइ मे से देबैतऽ अखनो भऽ सकैया।मंजूर - नै मुिखयाजी , हमरा कानूनेमे जाए िदअ।चदन - जाउ न हम रोकने छी।मंजूर - बेस हम जाइ छी। (मंजूरक थान )अमरनरथ - मुिखयाजी एकरा बुते एगो अुआ तऽ उखरबे नैकरतै आ आएल छेलाह धमकी दै लाए। केहेन-केहेन गेलाह तऽमॲछवला एलाह।चदन - हा हा हा ऽ ऽ ऽ ऽ (ठहा मिर हँसै छिथ। ) जाएिदयौ अमरनाथ क जेतै कानून अपना हाथमे छै।(पटाेप)दृय - चािर(थान - िवनोदक दलान। िवनोद ससुराइर जाइक तैयारी मेछिथ। तखने मंजूरक वेश। )105


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>म्ं◌ाजूर - नेताजी णाम।िवनोद - णाम णाम। कह मंजूर, मुिखयाजी भेटलखुन।मंजूर - हँ भेटलिथ त जर। मुदा फेर ओएह गप। िबना पचहजार घुसे काज नै हाएत। अहके जै अिधकारक योग करबाकहुआए ये क।िवनोद - आब हुनक, िकछु नै कहक। हम तोरा तीिनगो आवेदनिलख दै िछयह। एगो बी0 डी0 आ0 क द ऽ िदहक, एगो एस0डी0 ओ0 के द ऽ िदहक आ एगो डी0 एम0 क द ऽ िदहक।डर नै न हेतह।मंजूर - डर कथीके हेतै नेताजी। कोनो हम चोरी कर जाएव।अह कनी हािनक ऽ िलिख िदअ।(िवनोद तीनीगो आवेदन िलिख दै छिथ। )िवनोद - मंजूर, ई तीनु आवेदन लाएह। तीनु ऑिफसमे दऽ िदहक।हम आइ ससुराइर जाइ िछसह। एक सताहक बाद एबह। देखहककी होइ छै ?मंजूर - हम एखनइ जाइ छी नेताजी।िवनोद - बेस जाह। हमहूँ लाइ िछयह।(पिहने मंजूरक थान। तकर बाद िवनोदक थान। )(पटाेप)दृय - पच( बी0 डी0 ओ0 कायलय। गेट पर एगो िसपही छिथ। बी0 डी0106


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>ओ0 अषोक कायलय मे फाइल उनटा रहल छिथ। तखने मंजूरकवेश। िसपाही मानिसंह छिथ। )म्ं◌ाजूर - णाम सर।मनिसंह - णाम णाम। का बात हउ ?म्ं◌ाजूर - सर, कनी बी0 डी0 ओ0 सहाएबक भट करबाक छै।मानिसंह - बात का ह, से पिहले बोल न ? सहाएव जरी काममेफंसल बा ?म्ं◌ाजूर - सर, हमरो बड जरी काज छै। इंिदरा आवासवला एगोदरखास छै।मानिसंह - अछा जा।(मंजूर अशोक लग पहुँचलिथ।)म्ं◌ाजूर - हािकम परणाम।अषोक - बाजू की बात अिछ ?म्ं◌ाजूर - हािकम इंिदरा आवासवला एगो दरखास छै।अषोक - अखैन उ सब काज नै होइ छै लॉक मे। उ काजमुिखए करै छै। अपन मुिखए लग जाउ।मंजूर - हािकम, मुिखयासँ अछ भऽ गेलहुँ जहन ने अपनेकशरणमे एलहुँ। चािर-पच साल पिहने बािढ़मे घर दहाए गोल।िसरकी तािन सभ परानी कौहुना जीबै छी।अषोक - मुिखया की कीहलिन ?मंजूर - मुिखया कहलिन जे बीस हजारमे पच हजार लेब, तहनेहाएत, नै त नै।107


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>अषोक - िकछु लऽ दऽ के काम क ऽ लैतहुँ न ?मंजूर - हािकम, हमरा उ बात एो री पसीन नै पड़ल। एक-दूसाए वला गप रिहतै तऽ सॲचबो किरितऐ। हािकम, िकरपा कऽ ईदरखास िलयौ आ एगो गरीबोसँ गरीअ पर िवचार किरयौ।अषोक - बेस लाउ। ( मंजूर अषोकक दरखास दऽ दै छिथ। )मंजूर - परणाम हािकम। जाइ छी हम। िरा चलबै लाए जाएब।( स् था न )अषोक - सेवा मे,ीमान् खंड िवकास पदािधकारी महोदय,कायलय - भगवानपुरमहाशस,सूचना अिधकारक तहत हम पूछै लाए चाहै छी जे इंिदरा आवासपचहजार घुसे लऽ िकआए भेठत, ओना िकआए नै भेटत ? एकरिलिखत जवाबदूः िदनक अदर चाही। नै त आगू बढ़ब। धयवा◌ाद,मंजूर, ाम पंचाइत राजरामपुर।(अषोक आवेदन पिढ़ कूड़ामे फक दै छिथ। )एकर िलिखत जबाब दू िदनक अदर चाही, नै तऽ आगू बढ़ब।जाउ, जबढ़ब, त बढ़ू। सब ठाम एे रंड. भेटत।108


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>प टा े पदृय - छह( थान - अनुमंडल कायलय। सुनील एस0 डी0 ओ0 आ बहादुरहुनक िसपाही छिथ। सुनील फाइल उनटा रहल छिथ। मंजूरकवेश। )म्ं◌ाजूर - सर णाम।बहादुर - णाम णाम। क हुरार जकँ◌ा हुरकल जाइ छी ?कू। पिहने ए पच गो टका िदअ, तहन अदर जाएब।मंजूर - ( जोर सँ ) ऐ देहमे करौआ लागल छह की ? सरकारसँ तॲ तनखाह नै लै छहक ?बहादुर -अछा जा। बेसी बाजह नै ( मंजूर सुनील लग पहुँचल।)मंजूर - परणाम हािकम।सुनील - की बात ?मजूर - इंिदरा आवासवला एगो दरखास छै। लेल जाउ।सुनील - ( आवेदन लऽ कऽ ) अह जाउ।मुजूर - जाइ छी हािकम। एगो गरीबोक कया◌ाण करबै।परणाम।( मंजूरक थान। )सुनील - सेवा म,ीमान् अनुमंडलािधकारी महोदय, बेनीपुर।109


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>महाशय,हम मंजूर ाम पंचाइत राज रामपूर थाई िनवासी छी। चािर-पचसाल पिहने बािढ़म कािह कािट रहल छी। इंिदरा आवास लाएमुिखया चंदनपच हजार टाका घुस मड.◌ै आए। बी0 डी0 ओ0 साहेब सेहोहमर आवेदनपर कोनो यान नै देलिन। सूचना अिधकारक तहत हम एकरिलिखत जबाबदू िदनक अदर चाहै छी। अयथा आगू बढ़ब।धूः ई बकवासवला आवेदन छै। के माथा पचीकरतै ऐमे ?( सुनील आवेदन के कूड़ा मे फक दै छिथ । )प टा े पदृय - सात( थान - समाहरणालय। डी0 एम0 चकात कायलय मफाइल उनटा रहल छिथ। गेट पर िसपाही हंसराज ठाढ़ छिथ।तखने मंजूरक वेश। )म्ं◌ाजूर - परणाम हूजूर। अदरा कलटर सहाएब छिथह ?हंसराज - की बात ?मंजूर - हुनके सँ काज य।110


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>हंसराज - कोन काज स ?मंजूर - इंिदरा अवासवला एगो दरखस देबाक स हािकमक।हंसराज - लाउ ने पच हजार टाका, हमही काज कराऽ दै छी।हाथो-हाथ काज भऽ जाएत।मंजूर - खाएब, से ओकाइदे नै आ पच हजार टाका हम क सँदेब ?हंसराज - तहन ऑिफसमे नै घुसु। घुिर जाउ।मंजूर - से िकआए, अहॴक ऑिफस छी लगाएल।हंसराज - बेसी फटर-फटर बाजलॱह तऽ एे झापर म ठीक भऽजाएब। कोनो बाप काज नै देत - 3मंजूर - बेसी बाप-बाप केलॱ तऽ बुिझा िलअ।हंसराज - ( मंजूर के एक थापर मािर ) हरमी कहॴ के। आबबाज कोन बाप काज देतौ।मंजूर - ( हंसराज क एक थापर मािर ) हरमी सभ, चोा सबगरीबक खाकऽ सढ़-पारा भऽ गेल।( हंसराज आ मंजूर म हाथापाई भऽ रहल अिछ। हला सुिनचकात गेट पर एलाह। )चंकात - अहसब हला-फसाद िकआए करै छी ? हंसराज कीभेलै ?हंसराज - सर, ई हमरा िबना मतलबक गािड़ द ऽ देलक।मंजूर - सर, पिहने इहाए हमरा गािड़ देलक। तहन हम देिलयै।चंकात - िधया पुता जेक गािड़-गलैज, मािर-पीट करै जाइ छी।111


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>िछः! िछः! लेक सब हँसत। बाजू बौआ, की बात अिछ ?मंजूर - हूजूर एगो इंिदरा आवासवला दरखास छै।चंकात - लाउ अदर आउ। ( मंजूर आ चकात कायलस मेजाइ छिथ। ) आब बाजू की कट ?मंजूर - हजूर हम िरा चालक छी। कमाइ छी तऽ खाइ छी। नैतऽ उपासे रहै छी। चािर-पच साल पहीने बािढ़म हमर झोपरी दीहागोल। इंिदरा आवास लाए मुिखयालजीक कहिलयिह तऽ उकहलिन जे पच हजार टाका घूस देबही तहने हेतौ नै तऽ नैहेतौ। पाएरो दाढ़ीयो पकड़िलयिन जे खाइ पीयै लाए, एक-दू साएटाका पेटो कािट कऽ देब। हमरा पर िकरपा कएल जाउ। मुदाटस-सँ-मस नै भेलाह।हजूर, एगो हमर दरखास वीकार काएल जाउ।चंकात - बेस लाउ। ( मंजूर चंकातक दरखात दऽ दैछिथ। )मंजूर - हजूर, हमरा पंचाइत मे हमरासँ बेसी गरीब िकयो नैहाएत। अपने पता कऽ िलयौ। एगो गरीब बड आशा सँ अपने लगपहुँचल अिछ। िकरपा अवस कएल जाउ हजुर।आब हम जाइ छी हजुर। तीिन िदनसँ भुखले छी।चंकात - सेवा म,ीमान् समाहती महोदय , परसामहाशस ,न िनवेदन अिछ जे हम मंजूर ाम पंचाइत राज रामपुरक थाइ112


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>िनवासी छी। हम अित िनधन िरा चालक छी। चािर-पच सालपिहनेपिहने हमर झोपड़ी बािढ़ा म दहा गेल। हम सब परानी िसरकीतािन पषुजीवन जीबै छी।कृपया एगो इंिदरा आवासक अनुमित दान काएल जाउ। ऐ लेलहम अपनेक आजीवन कृत रहब। ओना मुिखया,बी0 डी0 ओ0आ एस0 डी0ओ0 के आचरणसँ हम पूण आजीज छी।कृपया हमर अनुमित दू िदनक अंदर देबाक कट करी। अयथाहमसूचना अिधकारक तहत घुसखोरीक िव आवाज अवयउठाएब।धयवाद,( आवेदन पिढ़ चकत कूड़ा म फेक दै छिथ। ई तऽ सरासरधमकी भेलै। सूचना अिधकारक हमरा मुीम छै। हम कोनोआइरी-गाइरी हािकम छी, डी0 एम0 छी। )हंसराज - ( अदर कायलय जाक ) सर, ई आदमी बड चरछेलाह। जाह कहिलयै पच हजार घूस देबै तऽ हाथो-हाथ काजकरा देब। फट सन एक थापर बैसा देलक। तकरे हाथापाई छेलै।चकत - जाए न िदयौ। ओकरा कोनो ऑिफस गुदानतै।113


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>प टा े पदृय - आठ( थान - िवनोदक दलान। िवनोद कुी कािट रहल छिथ।मंजूरक वेश। )म्ं◌ाजूर - नेताजी परणाम।िवनोद - परणाम परणाम। कह मंजूर, काज भेलह ?मंजूर - आइ पनरह िदन भऽ गोल। काजक कोनो अता-पता नै।बेकार लाए रोजी-रोटी छोिड़ कऽ हरानो भेलहुँ।िवनोद - मंजूर, तॲ िजला तक पहुँचलक। तोहर काजक कोनोसुनबाई भेलै। आब बुझहकं शासन केहेन ट छै। एकटा करह,छोड़ह माथा-पची। जा कमैहह आ खैहह। ऐ सबहक चरम नैपड़ह। ऐ रातामे बडा फैदरत छै।मंजूर - नेताजी, परेशानी झेलै लाए हम तैयार छी। अह हमराउपाइ बताउ।िवनोद - हाईकोट छै, सुीम कोट छै। सूचना आयोग छै।मंजूर - नेताजी, हमरा आह ज जाइ लाए कहबै ओ जाइ लाएतैयार छी।िवनोद - बेसी, एगो दरखात हम िलख दै िछयह। तॲ जगदीशपुरचिल जाह। ओइ गाममे एगो हमर पुरना िम छिथनह। हुनक नामयामनद िछयिह। पूछैत-पूछैत चिल जइहह। हुनका दरखात दऽिदहक। बड नीक लोक छिथह। गरीबक अपनो िदशसँ मदित करै114


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>छिथह।मंजूर - बेस अपने िलिख िदयौ। ( िवनोद आवेदन िलखै छिथ।मंजूर आवेदन लऽ कऽ थान करै छिथ। )िवनोद - केहेन ट शासन छै जे ओइ बुढ़बाक दौड़बैत-दौड़बैतहरान कऽ देलकै। मुदा िबन घुस एगो इंिदरा आवास नै भेटलै। (मुँह िबजकाए लै छिथ। )प टा े पदृय - न ऽ( थान - नेता यामानदक दलान। दलान पर बैस उ पिकाउनटा रहल छिथ। मंजूरक वेश। )म्ं◌ाजूर - परणाम सरकार।यामानद - परणाम परणाम। नै िचहलॱह।म्ं◌ाजूर - सरकार हम मंजूर छी। रामपुरसँ बड़ी आशसँ पाएरेएलहुँह।यामाद - बाप रे बा, एे दूरसँ पाएरे। धयवाद अहक।म्ं◌ाजूर - सरकार, मजबूरीक मारल छी, बािढ़क झमारल छी,मुिखया-बी0डी0ओ0-एस0डी0ओ0-कलटर सभसँ िरटाइर छी।या◌ामाद - कहु की बात अिछ।म्ं◌ाजूर - सरकार, एगो हमर दरखास छै।या◌ामाद - लाउ दरखात। ( यामानंद आवेदन लऽ पढ़ै छिथ। )115


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>सेवा मे,ीमान् सूचना आयुत महोदय, पटना।महाशय,िनवेदन अिछ जके चािर-पच साल पव बािढ़म हमर झोपड़ी दहागेल। हम गरीब आदमी छी। िरा चलाकऽ कौहुना गुजर करैछी। कमाइछी तऽ खाइ छी नै तऽ उपासे रहै छी। आइ पच सालसँ िसरकीतािन पषुजेक रहै छी। बरसात म एोटा बुी बाहर नै खसै आए।म्◌ुिखयाजीक पाएर-दढ़ी पकड़िलयिह त उ कहलिन पच हजारघुस देबै तऽ इंिदरा आवास भेट जाएत। नै तऽ कोनो उपाए नै।बी0 डी0 ओ0, एस0 डी0 ओ0 आ डी0 एम लग दरखात देलॱआ सूचना अिधकारक तहत दू िदनमे जबाब मड.लौह। आइपनरहम िदनछी। कौ कोनो सुनवाइ नै।ऐ संदभमे हमर ीमान् सँ करबध ाथना अिछ जे िथितक पूणजच करबाए हमर सूचना अिधकारक औिचय पर गंभीरतापूवकिवचारकाएल जाए आ एगो उजरल अितिदनक बसाएल जाए।ऐ पुयामक कायक लेल हम अपनेक आजीवन आभारी रहब।धयवाद,अपनेक िववासी116


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>नाम - मंजूराम - रामपुरखड - भगवानपुरिजला - परसा ( िबहार )( या◌ामानंद िकछु देर सॲिचकऽ )टाइ धिर हमरा लग एहेन केस नै आएल छल। ई गंभीर केसअिछ। खाइर मंजूर अह जाउ। हम पूण यास करब।म्ं◌ाजूर - हमरा आबो पड़तै पटना। ?यामानंद - एखन नै। जरी पड़तै तऽ बजाए लेब।म्ं◌ाजूर - बेस सरकार िकरपा अवस करबै।यामानंद - अह जाउ। एे दूर जेबाको अिछ पाएरे।म्ं◌ाजूर - परणाम सरकार।यामानंद - परणाम परणाम। ( मंजूर थान करै छिथ। )प टा े पदृय - दस(थान - मंजूरक घर। मंजूर घरक आगू रता पर माथा-हाथ दऽबैसल छिथ। )मंजूर - अला सबटा िवपि हमरे दऽ देलक। घोड़ीओ मिर गेल।सब िदन िरो नै चलै आए। गाम-घरक कजो सब िदन नै भेटैआए। एहर िधया-पुत खोखरै आए। िसरकीयो चुऐ आए। की करी117


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>की न, िकछु नै फा◌ुराइ आए। या अलाह, या खुदा।( यामानंदक नोकर मािलकक वेश। )मािलक - मंजूर अपने िछऐ ?म्ं◌ाजूर - जी जी, की कहै छी से ?मािलक - हमर नेताजी ी यामानंद बाबू अपनेक कािु पटनाबजौलिह। सूचनाअिधकारक योग म अपनेक बड पैघ ितठाभेटऽ जा रहल अिछ।म्ं◌ाजूर - परणाम सर, परणाम सर। धयवाद अहक। एहेन षुभसमाचार आइ धिर िकयो नै देने रहिथ।मािलक - बेस हम जाइ छी। अह जर जेबै, िबसरबै नै। (थान )म्ं◌ाजूर - ( घरवाली नजीमा लग जा कऽ ) गै नजीमा काि हमपटना जेबै। आब देखही अला की करै छै ?नजीमा - बटखरचा लाए तऽ घरमे िकछो नै छै। कनी मुरहीहेतै।म्ं◌ाजूर - साहाए दऽ िदहैन।नजीमा - जेबहक केना ? ओे दूर पाएरे हेतह जाएल।म्ं◌ाजूर - टेनमे मडै.त-चडै.त चिल जेबै गै।नजीमा - कनी ओिरयाके जइहह। सेहो तऽ गाड़ी आइए पकड़बहकतब नऽ काि पटना पहुँचबहक।म्ं◌ाजूर - ठीक कहै छ नजीमा। जो अखने मुरही लेने आ िवदे भजाइ। ओना असडै.सँ टेन छुिट जाएत तहन। हमरा भीखो मड.118


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>पड़तै नजीमा।नजीमा - की करबहक ? मजबूरीक नाम महामा गधी होइ छै।तोरा अबेरो होइ छह। हैआए मुरही लेने आबै िछयह। ( नजीमाएक मुठी मुरही खॲइछामे आनलिथ। ) हैआए, एतबे छेलै।म्ं◌ाजूर - ला जे छौ से। ( नजीमा मंजूरक गमछामे देलक ) हमजाइ िछयौ। राित िवराित कनी जाइगे के सुतीह। घर बेपरद छौ।नजीमा - बेस, तू जा न अला के नाम लऽ केऽ ।म्ं◌ाजूर - या अला, या िविमला ।प टा े पदृय - एगारह( थान - सूचना आयुत कायलय पटना। देव सुचनाआयुत, नेताजी यामानंद आ उप सूचना आयुत अनजार कायलयमे बैसकऽ मंजूरक भूिमका पर समीा कऽ रहल छिथ। )यामानंद - सर, आइ धिर हमरा मंजूर जेक केस किहयो आ कौनिह टकराएल राहाए। एे गरीब एवं मूख रहैत एहेन किठनटेप।अनजार - साहाएब, वातवमे मंजूर धयवादक पा आछ जे◌ेिनछछ देहाती आ औंठा छाप रहैत अपन अिधकारक आ कयकित संघशषीलताक दषन केलिन।देव - हम एते पद देखलहुँ मुदा मंजूर जेक अपन हकक ित119


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>जागक एवं कमठ यित नै भेटल राहाए। जदी उ अखैन एरिहताए तऽ हम हुनका हािदक धयवाद दैतहुँ।यामानंद - आइ पटना आबै लाए ओकरा संवाद पठेने रिहयै। संवादभेटलै की नै। आएत की नै पता नै । ( मंजूरक वेश। )म्ं◌ाजूर - (यामानंद क ) परणाम हुजूर। (कर जोिड़ )यामानंद - परणाम परणाम।म्ं◌ाजूर - ( देव क ) परणाम हुजूर।ब्◌्रामदेव - परणाम हुजूर।म्ं◌ाजूर - ( अनजारक ) आदाब हुजूर।अनजार - आदाब आदाब।मंजूर - हुजूर सभ, हमरा आबैमे बड देरी भऽ गेल। मा काएलजाउ। हुजूर ?टेने लेट छेलै।देव - अछा चलू कोनो बात नै। बेसी लेट नै भेल। अहॴकनाम मंजूर छी ने ?मंजूर - जी हुजूर।देव - हम सूचना आयुत छी। हम अहक हािदक धयवाद दैछ। ( वाह! वाह! किह पीठी ठोकै छिथ। ) अह जेक अपनअिधकारक आ कयक ित समिपत नागिरक देशक उार कऽदेत। अपने क बहुत-बहुत धयवाद। ( िहदुतान पकार पवनआ दैिनक-जागरणक पकार महेशक वेश। दुनु मंजूरक फोटोघीचै छिथ आ गपसप करै छिथ।)पवन - मंजूर, ऐ कायलय मं अपनेक की भेटलै ?120


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>मंजूर - हुजूर। सूचना आयुतक साहाएब हमरा धनवाद देलकै।महेश - जखन धयवाद नै दैतिथ तहन ?मंजूर - तखन हमरा हािकम परसँ िवशवास हिट जाइताए। हमबुिझ जाइतहुँ जे बड़को आिपस बकवास अिछ बेमतलब अिछैपवन$महेश - धयवाद मंजूर भाइ।प टा े पदृय - बारह( थान - आई0 बी0 एन0-7 चैनलक मनेजर अिखलेशकआवास। उ िमिथला समाद पेपर पिढ़ रहल छिथ। )अिखलेश - मंजूर को ितठामंजूर ाम-पंचाइत राज रामपूर, खंड-भगवानपुर, िजला-परसा (परसा ) क थाई िनवासी छिथ। ओ अितदीन िरशा-चालक छिथजे पूण मुख छिथ। ओ इंिदरा आवासमे घुसखोरीक िव आवाजउठेबामे सूचना कायलयसँ िता ात केलिह जइसँ सूचनाआयुत देव हािदक धयवाद दैत पीठ ठोकलिन। देवकहलिन, ऐहेन कमठ नागिरक देशक उार करत।( अिखलेश िकछु काल सोिचकऽ पेपर रािख दै छिथ। )म्ं◌ाजूर मूख एवं गरीब रिहकऽ ऐहन किठन कदम उठौलिन देशकमहान ेरणादायक काज केलिन। उ देशक असल नागिरक छी।हुनका हमरा तरफसँ हािदक धयवाद आ अवाड परसु िदली म121


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>भेटतिह। हम हुनका सपिरवार आबै-जाइक भाड़ा पठाए दैिछयिह।प टा े पदृय - तेरह( थान - मंजूरक झोपड़ी। झोपड़ीमे मंजूर, नजीमा, बेटी सलमा,नाजीनी, खुशबू आ बेटा अजहर, जफर एवं अफाक उपिथतछिथै मंजूर सपिरवार िदली जेबाक िवचार-िवमष काए रहल छिथ।)म्ं◌ाजूर - गै नजीमा, अिखलेश अपना सभक िदली आबै-जाइकखच पठाए देलकौ, से जेबही ?नजीमा - कथी लाए हौ ?म्ं◌ाजूर - से हमरो नै बुझल छौ। एक आदमी कहै छेलाए जे जाहिदली, अिखलेश बड़का अबार देतह। कहदुन पेपरमे िनकललछेलै।नजीमा - चल न देिखयौ तऽ ओकरा केहेन छै ? हौ हमरा सेकुछो पूछतै तऽ की कहबै ?म्ं◌ाजूर - जे फुरतौ से किहयै। उ कोनो नै बुझै हेतै जे मंख आगरीबक भनिसया सधारणीमे केहेन होइ छै।गै नजीमा, लोक सभ हमरा बड मजाक करै य जे िदली जा न,िरा पर बैसाक ऽ अपूण के खूम घुमिबहह।नजीमा - हौ, अपना सभक अपने गाम लऽ के नै तऽ चिल जेतै ?122


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>मंजूर - नै गै, से तऽ नै बुझा◌ाइ छौ। चल नऽ बुझाल जेतै। बड़बेसी तऽ अपना गाम लऽ जेतै। ऐ सँ बेसी की हेतै ? ओतैखाएब, पीसब आ मौज मती मे रहबै बुझै छी ही, अिखलेशकेक बड़का आदमी छै ?नजीमा - हँ हौ, सुनै िछऐ बड़ीटा लोक छै। िबयाह-ितयाह करैलाए नै न कहतै।मंजूर - नै गै, तूँ तऽ बूरबक जक गप करै छ।सलमा - बाबा, हमहुँ जेबौ तोरा सँडे. िदली अिखलेश क देखैलाए।अफाक - बाबा, हमहुँ ओकरेसँ िबयाह करबै।मंजूर - केकरासँअफाक - अिखलेशक साइर सँ।मंजूर - धुर बुरबक, लोक हँसतौ।खुशबू - बाबा, सभक िदली लऽ जेबहक आ हम घर पर असगरेरहबै ?म्ं◌ाजूर - सभ िकयो चलबै बुची राजधानी एेससँ। ओइ टेनमेजाड़मं गरम आ गरममे जाड़ लगै छै।गै नजीमा, तू सभ जदी तैयार होइ जो। आइ राितमे पटनासे ओटेन छै। फेद एे दूर जेबाको छै न। लेट भऽ रहल छौ।नजीमा - जाइ िछयह तैयार होइ लाए। तॲहूँ जा झारा-झपटासँ भऽआबह। तोरा खुच-खुच झड़े लगैत रहै छह।मंजूर - अछा हम ओहरसँ अबै छी। तॲ सभ तैयार रह।123


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>म्ं◌ाजूर - हम दषक भाइ सभक की कहबैन। हम तऽ मुख छी।तहन अपनेक आा भेलै तऽ िकछो किह दै िछयै।हम तऽ इहाए कहब जे देशमे टाचारीके जनम जनता देलकै आओकर पालन-पोशण से हो जनते करै छै। जदी एकजूट भऽ कऽसती सँ एकर िवरोध काएल जाए तऽ पा कहै छी जे ऐमहामारीसँ देशके मुित भेटतै आ हमर देशक कयाण हेतै तथादुिनया म एक रनाम हेतै। ऐ से बेसी हमरा िकछो नै फुराए य।धनवाद। ( फेर थोपरीक बौछार भऽ जाइ छै। )अिखलेश - आब अपने सबहक सम हम मंजूर भाइक समािनतकाए रहल िछयिह।( अिखलेश मंजूरक फुल-माला अिपत केलिन। थोपरीक बौछारभेल। अिखलेश मंजूरक अवाड देलिन। थोपरीक फेर बौछारभेल। मंजूर अिखलेश क पाएर छुिब णाम कर चाहैत छिथ। मुदाअिखलेश मंजूरक हाथ पकिड़ लै छिथ। )मंजूर भाइ, सचमुच अपने ऐ देशक महान ेरक िछयै। हमरा सँबड पैघ िछयै। आ हािदक णाम।म्ं◌ाजूर - खुश रहु अिखलेश भाइ। अहक हमर उमेर लिग जाए।( मंजूर अिखलेश सँ गरदिन िमललिथ आ नजीमा अपूण कपाएर छुिब णाम केलक। थोपरीक बौछार भेल। )प टा े प126


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>खाली अबारेट भेटलै और कह िकछु भेटलै।िवनोद - कथी भेटतै ?रमजानी - िकछो पाइ-कौड़ी भेटतै तहन ने ?िवनोद - बौआ, ितठा से बिढ़ कऽ िकछु नै छै। ओना पाइयोितठाक िसंड.◌ार िछयै। सेहो मंजूर क जर भेटतै।मंजूर तॲ धैय राखह सेतोश राखह। सबटा धीरे-धीरे हेतै। बहुतठाम तोहर सहयोगक चच भऽ रहल छै।मंजूर - नेताजी, अपने जेना कहबै। हम साएह करबै। नेताजी,अपने अपन अनुभव पिलकक िकछु दैितऐ त बड बिढ़या होइतै।िवनोद - हम कोन जोकरक छी जे पिलकक अपन अनुभव देबै।आइ-काि िकयो केकरोसँ कम नै छै। तैयो हम दू शद किह दैिछऐ।अिशे कारण जनता सुयोय ितिनिधक चयन नै कऽ पावै अिछ,ताड़ीए दाए पर बीकी जाइ अिछ। वभािवक छै जे ितिनिधितपुत मे घुसखोरीक अय लेत। ओइ घुसखोरीक मेटाबऽ लेलहमरा लोकिनक एकजुट भऽ कऽ िशाक सबसँ आगू बढ़ेनाइअिछ। हमरा नजिरमे सबटा अयवथाक मूल कारण अिशा छै।अिशा हटतै तहने यवथा सुधरतै आ देशक चहुँमुिख िवकासहेतै।अंत मे मंजूरक हािदक बधाई दैत अपन दू शद खम करै छी।जय िहद ! जय भारत !! जय िशा !!!129


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>ि◌ नतुकीिन तुकीक अथ होइछ- “िनि त”, िनि त माने परम स य। कोनोसािह यक कृित क नाओं ओइमे िन िह त त वक िव लेषणक हेतुमौिल क परेखाक भान करबैत छैक। आधुिन क मैिथ लीक नवतुिर याकिव ी उमेश म डल रिच त किव ता संह “िन तुकी”क पढ़लाकबाद ई ात भेल जे ऐ छोट-छीन कृित मे िम िथ लाक स कृित क ओसमािज क पराभव केर दशो िद शा िन ि च त कएल गेल अिछ ।उमेशजी िश पी नै छिथ आ ने हुनक किव ता सभमे अलंकारकदशन होइत अिछ कतौ कोनो भंिग मा नै, लया मक धार नै तखनऐमे कोन कारक “ताि व क िव वेचन” अिछ जकर समीा कएलजाए?वा तवमे िम िथ लाक ा य जीवनमे रिम , ऊँच-नीचक अनुभव िह नकरचनामे अलग-अलग िब ब प यथाथक बोध करबैत अिछ । िव राटजीवन अनुभव नै रहलाक बादो नवतुिर या किव अपन दैनि द नीकका या मक प देलक, ऐ लेल किव क पिह ल रचनामे कतौ अपनभाषा-सं कृित ओ सािह यसँ िव ासघात नै देखएमे आएल। उपेि तसमाजक म य ज म नेिन हार किव जल प उपेासँ आकुल छिथ131


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>मुदा मा अपन नै, समाजमे या त िव षय जीवन शैली ओ मकसंग-संग मजीवीक अधोगित िह नक किव ता सभमे नव पपिर लि त भेल। ऐ उपेामे कोनो ित क वा उ मादक आश नै,मा अधोगित क पराभव चाहैत छिथ । ऐ कारक िव षमता कोनादूर हएत ई तँ समाजपर ि◌ नभर करैत अिछ । मूलत: अथनीित कअपन दृि ट कोण किव क महा िथ क। ऐमे सि िह त सा यवादलेिल न ओ टािल नक सा यवादी िव चारधारा नै, हमर अपनिम िथ लाक उमेश म डलक िव चारधारा िथ क, जे जगदीश सादम डलक अवतारवादसँ भािव त तँ छिथ , मुदा कतौ-हुनक रचनाकनै चोरौलिन ।पिह ल किव ता “हँसैत लहास”मे कोनो लहासक वणन नै, जेमनु ख जीिव त रिह तो साधनहीन आ लािन सँ भरल यायावरी जीवनि◌ जबैत-िज बैत थािक गेल अिछ ओइ जीिव त रिह तौ लहास बनलमनु खमे आब ानीय त सि य भऽ गेल आ ओ बजवाक लेलउत अिछ । वा तवमे एकरा ित मानल जाए। ऐ कारकित सँ हमरा देशमे िव िभ कारक आ दोलन भेल, मुदा अइठामओ लहास कोनो आ दोलन नै करत। आ ने न सलवादक ज महएत, ऐ लेल समाज िन ि च त रिह सकैत अिछ , मुदा आ दोलनहएत तँ वा आडंवर ओ अपन सं कृित क िव । परंच ओहूठामलहास कोनो लाठी-गड़स नै उठाएत, मा हँसत। दस पतीक ऐलघुकिव तामे स कृित क अधोगित पर किव तेज श दवाण चला कऽ132


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>िम िथ लेटा नै, स पूण आयवतमे या त समािज क िव षमताकझकझोिड़ देलिन । कतेक समािज क आ दोलन भेल मुदा ि थ ितयथावत्, नै जािन किह या धिर ऐ कारक िव षमता हमरा सबहकसमाजक कोिढ़ बिन गलबैत रहत। एकटा कनेक कमी ऐ किव तामेदेखएमे आएल ओ अिछ पराभवसँ मुित क उपाए, किव नै कटकऽ सकलिन जे लहासक हँसीक पिर णाम की हएत।“फट” एकटा एहन श द िथ क जे लोकक लोकसँ फराक कऽरहल। ा-कमक अंित म िद न ये ठ संतानक मा◌ॅथमे पगड़ी बाि हउतरािध कारी बनाएल जाइत अिछ , मुदा णिह मे मृतकक खड़ामछोिड़ सभटा आन व तु लेल पिर वारक आन लोक ओइउतरािध कारीक आदेश केर तीा सेहो नै करैत अिछ । वा तवमे“फट” श द बौि कतापर भारी पिड़ रहल, लोक अपन आचार-िव चारक ताखपर रािख देआद बिन गेल छिथ , मा कुल-वंशकअिध कार लेल नै, जीवनक सम त “कम थली”मे ऐ कारक वृितअिछ । “किव ता” शीषक किव तामे किव देआदक िम बनाबए चाहैछिथ । “बाधा”गरीबक जीवनमे सहचरी बिन कऽ कखनो नै संगछोड़ए चाहै छिथ । मंगला पूव भर जा तँ रहल अिछ , नदी पारकरबाक ममे सो भेल जे नदीमे पािन नै मा बालु तँए िब नुघटखेबा देने पार भऽ जाएब। मुदा......। ओतौ िक छु लंठ लोकघटखेबा लऽ रहल, मंगलाक जेबीमे कचा नै वापस पि मे रिह133


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>गेल। ऐ कारक घटना पलायनवादक रोकैत अिछ । एकर िश कारिम िथ लाक महान दाशिन क उदयनाचाय सेहो भेल छलाह जकरपिर णाम भेल जे ओ गंडक पार नै कऽ सकलिन आ आपस अपनज मभूिम किर यनमे आिब अपन नाओंक संग पूण मैिथ ल लगालेलिन । भोजपुरी सािह यक आिद किव िभ खारी ठाकुर अथपाजनकलेल पलायन तँ केलिन मुदा कटुफल भेटलिन आ पुिन भोजपुरआिब गेलाह, जकर पिर णाम सोझ अिछ , भोजपुरी सािह य आयपिर वारक भाषा समूहमे अपन थान बना लेलक। ई तँ भेल“मंगला”क भेटल यथाक रोकबाक यास, मुदा जॱ ओ पू-भर मािम िथ लेमे जाइत हएत तँ एकरा की मानबाक चाही, गरीबक बाटमेकट रोपबाक यास नै?स यक अथनीित क आश धएने एकटा आर किव ता िल खल गेलअिछ - “भा◌ेगी”। भा◌ेगी आ योगी समािज क जीवन पी नदीक दूकछेर िथ क मुदा अइठाम योगीक अथ मजीवी आ भोगीक अथअनैित क पसँ धनोपाजन कऽ अंत धिर समाजपर अपन अिध काररखिन हार मनु ख। अइठाम आिब कऽ किव कालीका त झा बूचकउि त - “भोगीक देहोक मोह नै, योगी तम किथ तु मा रिह -रिह...”उनटा पिड़ गेलिन । ओइकालसँ वमान समए केर तुलनामे भोगीबेसी भारी पिड़ गेल छिथ ।134


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>“छिठ” किव ता सूयक उपासनासँ बेसी कजक ित कृतताक बोधकरबैत अिछ । मुदा कोन कारक कज किव प ट नै कऽसकलिन । किव क फुलवारीमे फूलक डंटी वय क नै भेल छि हिक एक तँ नवतुिर या छिथ , एखन मा जल माली छिथ , वीणनै। तँए बेसी नकारा मक अंश िन कालब हतो सािह त कऽ सकैतछि ह । ऐ किव ता संहक आन किव ता सभ सेहो बोधग य अिछमुदा एकटा आर किव ता जे ए◌े संहक वैिश यता दान करैतअिछ ओ िथ क- “के मैिथ ल”वा तवमे बेर-बेर समाजक कात लागल वगक आगक लोक कहैतछिथ - “अहूँ मैिथ ले िथ कॱ” ऐसँ किव ममिह त भऽ अपन तकसँमािण त करवाक यास कएलिन जे िम िथ लाक कात लागल वगअ◌ान लोकसँ वेसी मैिथ ल कहेबाक यो य छिथ । कात कऽ देलगेल समाजक लोक जॱ किव भऽ जाइत छिथ तँ लेखनीमे अपन यथाक झपब असंभव।फजलुर रहमान हासमीक किव ता- “हे भाई” जक उमेश म डलककिव ता- “के मैिथ ल” भिव यमे मैिथ ली सािह यक ित वादीदृि ट कोणसँ अव य कािश त करत-“डोका ककोर बीछ हमभटक लावा िच बाकऽ135


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>उफनैत शोिण तक जरा रहल छीिम िथ लामे बैसल........।मुदा रिह ये गेलके मैिथ ल?”किव आशु किव नै अिछ , आ ने आ मासँ किव ता िल खलक, मुदािम िथ लाक समाजमे रमल किव अपन जीवन दशनक झिप नै सकलआ किव ता सभक प िम िथ लामे परिस देलक।ि◌ न कषत: पिह ल यास सराहनीय मानल जाए। कोनो आन किव ककिव ता सभसँ एकर तुलना करब अनुिच त हएत। िक एक तँ ऐमे नेतँ ृंगार आ ने वैरा य, ने कतौ भि त क िह लकोिर , कतौ हा यकसमागम नै परंच िब ि ब त अथनीित ओ िव चारमूलक किव ताकआधुिन क ं◌ृखला।ध यवादक पा छिथ िव देहक संपादक गजे ठाकुर जे गामक वैधबनल उमेशमे किव व गुण देख आग बढ़एलिन , ई मा उमेशपरउपकार नै स पूण िम िथ लाक ित गजे जीक िस नेह िथ क। ऐलेल िव देह पिर वारक संग-संग ुित काशन सेहो ध यवादक पा136


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>छिथ जे मा भा◌ॅज पुड़एबाक लेल समाजक कात लागल वगकसंह कािश त नै करै छिथ , वरन् आ मीय प स पूण िम िथ ला-मैिथ लमे उपेि त नीक रचनाक कािश त करबाक योजना ुितकाशनक आधुिन क मैिथ लीमे शीष थानपर बैसा देलक।पोथीक नाओं- ि◌ न तुकीरचनाकार- उमेश म डलकाशक- ुित काशन, िद लीदाम- १००काशन वष- २००९ऐ रचनापर अपन मंतय ggajendra@videha.com परपठाउ।137


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>जगदीश साद म डलनाटकक ोमाइज(पिछला खेपसँ आग)बारहम दृ य138(गामक िव ालयक आंगन। ब चा सभ फी डपर खेलैत।र ता धऽ कऽ राही सभ चलैत। गोल-मोलबैसार। एकठाम कृ णदेव, मनमोहन आ रघुनाथ


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>बैसल। बगलमे घन याम, नसीवलाल, सुकदेवआ गामक लोक बैसल...)नसीवलाल-(ठाढ़ भऽ...) आजुक बैसार लेल सभक ध यवाददइ िछ यिन जे अपन य त समैमे आिब गामकबैसारक शोभा बढ़ौलिन । तइ संग होनहारकमदेवक आरो बेसी बधाइ दइ िछ यिन जे जी-तोिड़ मेहनत कऽ बैसार करौलिन ।मनचन-भैया, अह कमदेवक शंसा बेसी केिल यिन ।नसीवलाल-कमे केिल यिन । नवयुवक आ बाल-ब चाक (बेटा-बेटीक) बेसी शंसा कतौ-कतौ अधलो होइछै।कृ णदेव-(चॱकैत...) से केना?139


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>नसीवलाल- मनु यक घरसँ बाहर धिर शंसा-िन दासँ परहेजकरक चाही।कृ णदेव-तखन?नसीवलाल-उिच त सीमाक उ लंघन होइते बनै-िव गड़ैक संभावनाबिढ़ जाइत अिछ ।घन याम-(मूड़ी डोलबैत...) संभव अिछ ।नसीवलाल-संभव रिह तो किठ न (भारी) अिछ । मुदा जाधिरसंभव नै हएत ताधिर समाजक गािड़ यो लीखदऽ ससरब किठ न अिछ ।घन याम-नीक-अधलाक िव चार तँ करैके चाही।140


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>नसीवलाल-िन ि त करैक चाही। मुदा हिट कऽ नै सिट कऽ।घन याम-की मतलब?नसीवलाल-मतलब यएह जे जिह ना समुक िक नछिर क पािनकम गहॴरमे रिह तो अगम पािन सँ िम लल रहैत,तिह ना।(कनडेिर ये आँिख ये रघुनाथ, मनमोहन नसीवलाल िद सदेखैत तँ मनचन, सुकदेव कृ णदेव िद स।अपन-अपन मनोनुकूल मुँहक प सेहोबनबैत...)घन याम-(ठहाका मािर ...) एखन धिर गामक बैसार कोन पेचलैत अिछ नसीवलाल भाय?141


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>नसीवलाल-घन याम बाबू, जिह ना ब दूकक अनेको गोलीखेिन हारक देहक कोनो अंग िच हार नै रहैततिह ना गामो-समाजक भऽ गेल।घन याम-कनी फिर छा कऽ किह यौ?नसीवलाल-ओना एखन जइ काजे सभ एकठाम बैसलॱ पिह नेसे काज हेबाक चाही। मुदा ऐ तरहक बैसारपिह ल-पिह ल अिछ तँए िक छु आनो बात चलबेकरत।मनचन-भैया, हनुमानजी जक िक यो छाती फािड़ देखबैएआिक पेटक बात आ हाथक काजेसँ देखबैए।142(मनचनक बात सुिन कृ णदेव हंसक िह लुसैत आँिखजक देख...)


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>कृ णदेव-एखन धिर मनचनक बटेदार बुझै छलॱ मुदा से नैओ समाजक पटेदार (िह सेदार) छी।(कृ णदेवक िव चार सुिन ...)नसीवलाल-जिह ना हाथमे पचो-आंगुर पच ल बाइ-चौड़ाइक होइछैक मुदा हाथक शोभा तँ बराबरे बढ़बैत छैिक ने?कृ णदेव-हँ से तँ बढ़ैबते छै।नसीवलाल-तिह ना ने सड़क बनौिन हारमे प थर बैसौिन हारसँलऽ कऽ न शा बनौिन हार धिर क होइ छै।143


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>कृ णदेव- मुदा?नसीवलाल-हँ। जिह ना िस र ीणका भगवतीक मह व होइततिह ना ने मु कुराइत खगधारी भगवित योकहोइत।(िब चिह मे...)घन याम-हँ हेबाक चाही। मुदा पिह ने दुनूक पिर चए हएबजरी।नसीवलाल-िन ि त। जिह ना भूतपर भिव य ठाढ़ होइत तिह नाने मनु योक पैछला िज नगी अिग ला िज नगीकठाढ़ करैमे मदित गार होइत।मनचन-जँ से नै हुअए, तखन?144


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>नसीवलाल-ओिह ना हएत जिह ना स यवादी हिर क पाट( टेजपर) िक यो शराबी झुिम -झुिम कठहीचौकीपर अलापैत।(ठहाका...)घन याम-हँसी-मजाक छोिड़ बैसारक गिर मा बनाउ?नसीवलाल-(अधहँसी हँिस ...) बहुत नीक िव चार घन यामबाबू,देलिन । आइ धिर हृदए तड़पैत रहल जेगामोक न शा इित हासक पामे जोड़ाए।से......?मनचन-भैया, जइ समाजमे ोफेसर, इि ज िन यर, डॉ टर,बक मैनेजर लऽ कऽ गोबर बीिछ िन हािर धिर145


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>छिथ तइ समाजक इित हारस नै बनै ओलािज मी छी।नसीवलाल-कहलह तँ ठीके मुदा.....।मनचन-मुदा की?नसीवलाल-यएह जे, ओना आइ धिर क समाजक पा-पापढ़ए पड़त। ओकरा तकैमे िक छु मेहनत उठबएपड़त। मुदा जँ ओकरा िव चारणीय बनारािख आजुक समाजक अ ययन कऽ ि◌ नमणकसंक प लेल जाए, तहूसँ काज चिल सकैए।मनचन-से कोना हएत?146


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>घन याम- जँ करैक इ छाशित जगा संक पव भऽ डेगउठाबी तँ भऽ सकैए।कमदेव-घन याम काका, अह तँ नारदजी जक छोटकाबकक मीिट◌ ंगसँ लऽ कऽ बड़का बकक मीिट◌ ंगधिर क अनुभव रखने छी तँए नीक हएत जेअपने समाजक एकटा प-रेखा बना बिज यौ?घन याम-बाउ कमदेव, कहलह तँ ठीके बाहरी दुि◌नयसँ िभ ामीण दुिन य अिछ । तँए जे तरी-घटी गामकनसीवलाल भाय जनैत-बुझैत- छिथ से नै बुझैछी।सुकदेव-ई कोनो बड़ पैघ सम या नै छी। नीक हएत जेदुनू गोरे िव चािर कऽ आगूक डेग उठाबी।147


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>(सुकदेवक िव चारक मनमोहन आ रघुनाथ समथनकेलिन । मुदा कृ णदेव मुँहक बात रोिकलेलिन ...)मनचन-(मु की दैत...) घन याम भाइक तेहेन पटपेटा पेटछि ह जे नसीवलाल भैयाक पीिच ये देिथ न।घन याम-(हँसैत...) नै मनचन, मोटेलहा पेट रहैत तखन नेफुललाहा छी। कोिढ़ लोसँ ह लुक।मनचन-गणेशजी बला। जे एक-रीक मुसरी मुनहर सनपेटक उठा दौड़ैत रहैए।घन याम-हँ। हँ। सएह बुझहक।कृ णदेव-( ट भऽ...) समैक उपयोग क।148


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>घन याम-भाय, िव चार अिछ जे सभ िक यो िद लसँ अपन-अपन िज नगीक अनुभव य त करी। जइसँएक नव समाज बनैक सुदृढ़ नीब पड़त।कृ णदेव-बहुत बिढ़ य, बहुत बिढ़ य। जाधिर गामक दशाकस यक चच नै हएत ताधिर िद शा ि◌ नधिर तकरैमे िक छु कमी रहबे करत।नसीवलाल-बहुत बिढ़ य िव चार कृ णदेवबाबूक छि ह । जाधिरपेटक नीकसँ अधला धिर क िव चार समाजकबीच नै राखब ताधिर समाजक अंतरी िम लानकोना हएत?मनचन-भैया, अंतरी िम लान केकरा कहै छै?घन याम-(मु की दैत...) छाती िम लानक।149


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>मनचन-छाती िम लान......। छाती िम लान तँ दुइयेठाम......। समैिध क संग आ दुनू परानी.......।दू परानी.......?घन याम-कोन मं पढ़ए लगलह मनचन?मनचन- यासजी आ गनेसजीमे यएह ने श रहिन जे िब नुबुझने कलम नै बढ़ावी।घन याम-अह तँ शा ो बुझै छी मनचन।मनचन-पिढ़ कऽ नै, भागवत सुिन कऽ। तेसरा तक अपनोगामक थानमे साले-साल भागवत होइ छलैिक ने।150


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>नसीवलाल-एखन धिर बैसारक मूल िव षयपर नै एलॱह।अढ़ाइ-तीन घंटा बीत गेल। ओना, भलिह◌ ं हमसभ िव षयानतरे गप-स प िक अए ने केलॱ मुदाबेबुिन याद बात तँ नै भेल।घन याम-आन काजसँ िभ बौि क काज होइए। हाथ-पएरककाज जक लगातार केने काज छुटैक संभावनाबिढ़ जाइत अिछ । तँए......?मनचन-घन याम भाइक िव चारक समथन करै छी।नसीवलाल-बीचमे िट फीनक आवयकता तँ जर होइतअिछ ।सुकदेव-पशुपित नाथक दशन आ िक छु बिन ज हएब, जिह नादोबर लाभ दैत अिछ तिह ना बाल-भोग भेलासँहएत।151


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>मनचन-बेस कहिल ये भैया। एखन धिर जे हम सभ समाजमेटौहकी संग पहटोमे फँसल छी, तेकरो.......?घन याम-मनचनक दृि ट कूट नै बुझलॱ?नसीवलाल-दोसराक या यासँ नीक मनचनेक या या हएत।मनचन-से िक अए भैया?नसीवलाल-हौ मनचन, जमीन-जाल, श द-जाल आ वाक्-जालमेसभ ओझराएल छी। तोहर आ मा िक बािजरहल छह से तॲहीटा बुझै छहक। वाणी होइतजे िन कलतह वएह बात तोहर भेलह।152


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>मनचन- भैया, आ मो बोली तँ दुबिट या (बुइिध क मोड़) परहरा जाइत अिछ । एे िव चारक आमक गाछजक डािर िछ टिक जाइ छै।सुकदेव-मनचन, ग पक िछ लिन छोड़ह?मनचन-भैया, जाबे ग पक िछ लिन नै करब ताबे शीशो जकसुरेब केना हएत। खाएर, जिह ना औझकाबैसार ऐित हाि◌सक भऽ रहल अिछ तिह ना जेपनिप आइ करब तइमे सभ िम िल बना, परोिससभ िम िल खाए।घन याम-मनचन, जे कहलक ओ आब नै छै। सभठाम चलैछै।मनचन-आँिख क सोझमे जाइित क आ दू स दायक बीचखानो-पान आ ेमसँ िव याहो होइत देखै छी।153


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>मुदा सवस मित सँ िक अए ने घोषणा कऽ दइछै। जखन िक धरतीसँ अकास धिर उिड़ आइतअिछ ।पटाेप।154


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>तेरहम दृ य(दोसर बैसार...)घन याम-मनचन, बरी बड़ सु दर बनल छेलह। नूनदेिन हारक चाबसी दइ िछ यिन ।मनचन-हमरा िर झबै छी। दू सालसँ सभ नोनगर भोजिव यासमे हमहॴ नोन दइ छी।घन याम-िक अए?155


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>मनचन- गाममे बारह आना लोक रोिग ये-टी अिछ । िक योनून बाड़ने अिछ तँ िक यो अधे खाइए। भोजतँ सामुिह क छी। एकठाम बैस खाएब।घन याम-दोसरो चाबसी दइ छी मनचन।मनचन-से िक अए?घन याम- एखन धिर हमहूँ नै गौर केने छलॱ जे अह केनेछी।मनचन-भाय, अहक सोझमे बजैत संकोच होइए। मुदाअपना घरमे लोक नीकसँ नीक आ अधलाहसँअधलाह बजैत अिछ तँए........?156


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>घन याम- चुप िक अए भेलॱ? आइ धिर जे आन द िज नगीमे नैभेटल छल ओ भेट रहल अिछ ।मनचन-केना?घन याम-अपनासँ अिग ला लग जी हुजुरी करए पड़ैए आपैछलाक जी-हुजुरी करबै िछ ऐ। िज नगीक कोनोआिड़ ये-धुर नै अिछ ।सुकदेव- मनचन, मुँह ब करह। बैसारक मह व होइतअिछ । दोसरो गोटेक अवसर दहुन?आभा-एक तँ उमेरे कते भेल हेन। मुदा जतबे अिछ तइमेआइ जते समाजक बीच आएल ओते.......।157


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>नसीवलाल- कोनो गलत िक सही पर परा ओतबे िद न चलैतअिछ जते िद न लोक चलबैत अिछ । ऐ िद सिव वेकीक जर नजिर देबाक चािह यिन ।आभा- िक नजिर ?नसीवलाल-यएह जे पाछुसँ अबैत यवहार आजुक समैमेअनुकूल अिछ वा नै। िव वेकी मनु य होइकनाते सबहक दािय व बनै छि ह जे सनातनी यवहार अिछ ओ जीिव त रहए।आभा-सनातनी बेबहार की?नसीवलाल-पिर वतनशील बेबहार।शा ती-काका, गलत बेबहार समाजमे पैसल केना?158


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>नसीवलाल-ने एकबेर पैसल आ ने एकिद न पैसल।घुसकुिन या-आ◌े◌ंघरिन या दैत पैस अंकुिर त भऽिव शाल वृक पमे बदिल गेल। जइसँ लोक,परलोकक संग िव क न शे बदिल गेल।शा ती- डा◌ॅ टरकाका, अपने िक छु......?रघुनाथ-देिख यौ, जिह ना रामायणमे तुलसी कहने छिथ - हिरअन त हिर कथा अनंता' तिह ना अिछ । ओना,दुिन यक सभ मनु यक िक छु आवयकता आगुन एक तरहक अिछ , मुदा.....?शा ती-मुदा की?रघुनाथ-यएह जे िक छु एहनो अिछ जे सभक फुटो-फुट-अलगो-अलग- होइत। ओना हमहूँ एक भगुए159


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>भऽ गेल छी। समाज अ ययन तँ िव शालअ ययन छी, तँए......। कृ णदेवबाबू आमनमोहनबाबू बुझा सकै छिथ ।मनमोहन-भाय, जिह ना अह रोग आ रोगीक बीच रहलॱतिह ना छी। मुदा मनक बात िछ पाइयो कऽराखब उिच न नै बुझै छी।सुकदेव-हृदेक बात इंिज िन यर सहाएब बजलाह।मनमोहन-जेना-जेना समए बीत रहल अिछ तेना-तना लोकोकिज नगी बदिल रहल अिछ । पिह लुका लोकसोलहो आना शरीरसँ म कऽ शरीरक राकरैत छलाह।सोमन-जेना आइ देखै िछ ऐ तेना नै छलै?160


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>मनमोहन- नै।सोमन-(िक छु शंका करैत...) इंजीिन यर सहाएब, कते िद नभेल से तँ नीक जक मन नै अिछ । मुदाएिह ना एक बेर रौदी भेल से मन अिछ । जह-तह लोक कमाइ-खटाइले लोक भागल। हमहूँभोलबाका सेने कलका गेलॱ।आभा-कलका गेल छी?सोमन-गेले नै छी दू साल ठेलो चलौने छी। जइसँ सभगली-कु ची देखल अिछ ।आभा- केना ठेला चलबै छेिल ऐ?161


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>सोमन- छातीमे ठेलाक अिग ला भाग अड़ा दुनू हाथसँ दुनूभागक डंटा पकिड़ ठेलै छलॱ।आभा-इंजीिन गाड़ी सभ नै छलै?सोमन-छलै। जीपे-कारक कोन बात जे बड़का-बड़का कोठा,करखा, दोकान सभ छलै। जेहेन ओइठीनकदोग-साि ह क सड़क अिछ तेहन तँ अपना सभिद स अिछ यो नै।घन याम-बात दोसर िद स बढ़ल जाइए।मनमोहन-बड़बिढ़ या घन याम भाय कहलिन । एक तँ दैवीकोप-बािढ़ , रौदी-सँ अपन इलाका पछुआएलदोसर मनु खोक दोख कम नै छै। जे इलाकाजते पिह ने जागल ओ ओते अगुआएल।162


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>आभा- कनी सोझरा िद यौ का?मनमोहन-(मु की दैत...) पिह ने जंगली अव थामे अपनासबहक पूवज रहै छलाह। हाथे-पएरसँ सभिक छु करै छलाह। जेना-जेना बुि -अकीलबढ़ैत गेल तेना-तेना आगू मुँह ससरैत गेलाह।हथकरघासँ पच सीढ़ी आगू बिढ़ क यूटरयुगमे पहुँच गेल छी।आभा-ऐसँ आगूओ बढ़त?मनमोहन-िनि त बढ़त। िन चेनमे किह यो आरो कहब। एखनजइ काजे एकि त भेल छी तेकरा आगूबढ़ाउ।सोमन-भाय, हम सभ ने किह यो काल मासुल दऽ कऽ बस,जीपपर चढ़ै छी। अहक तँ अपने अिछ ।163


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>मनमोहन-से तँ अिछ ये।घन याम-ओना बािढ़ रौदी दुनू जनमारा छी। मुदा आइरौदीक िव चार क।शा ती-मैनेजर काका, अह सभ तरहे उपर छी। ओनासमाजक िक छु भार उपरमे अिछ । तँए चाहबजे झगड़ा-झंझटसँ नै िव चारक रा तासँ समाजआगू बढ़ए।घन याम-िव चार तँ अपनो सएह अिछ । मुदा निह यो चाहलापरकते-गोटेक बकक लोनमे जहल पठबए पड़ैएआ चौकिठ -केवाड़ उखाड़ए पड़ैए।शा ती-से िक अए?164


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>घन याम-(ि◌ वि म त होइत...) िक कहब बोिर◌ ंग-दमकल, गाएपोसैक लोन उठा सराध-िव याहक भोज कऽपूँजी न ट कऽ लैत अिछ । समैपर आपस नैकरैत।शा ती-तखन?घन याम-औझुका बैसार तँए ऐित हािस क अिछ जे समाजअपन क याणक िद शा िन ि त करिथ ।नसीवलाल-जुग-जुगा तरसँ जे मनोवृि बिन गेल अिछ ओकराएकाएक नै बदलल जा सकैए। मुदा िब नाबदलने काजो नै चलत। तँए जरी अिछ जेउत् पादन आ उपभोगक नीक जक सभ बुझी।घन याम-जुगक अनुकूल िव चार अिछ ।165


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>सुकदेव-घन यामबाबू, गामक बारहआना जमीन हुनका सबहकिछ यिन जे गाम छोिड़ अनतए जा नोकरी करैछिथ । जखन िक खेती केिन हारक अपन खेतनै िछ यिन ।घन याम-(मूड़ी डोलबैत...) हँ से तँ अिछ ये।सुकदेव-तइ बीच कोना सामंज य हएत?घन याम-ओना अपना सभ बुझै छी जे अंेजक भगा हमसभ वतं भेलॱ मुदा से नै छी। जखनशासन आ स पि (देशक) सबहक सिझ या भएिज नगीक समुिच त िव कास िद स बढ़त तखनहएत।166


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>रघुनाथ- (हृदए खोिल ...) मन ह लुक करै दुआरे अपन बातकहै छी। जिह ना जुआनीक उमकीमे गाम छोिड़शहर गेलॱ तिह ना आइ बुिझ पड़ैए जे......?मनमा◌ेहन- कलॱ िक अए?रघुनाथ-संकोच होइए। जइठाम छी तइठाम िन ह था भऽगेलॱ। िज नगीक सभ िक छु छीना रहल अिछ ।मुदा गाममे सभ िक छु देख रहल छी।मनमोहन-संकोच िक अए होइए।रघुनाथ- पूँजी न ट होइत देख रहल छी। जइले िज नगीगमेलॱ सएह.......?167


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>मनमोहन- डा◌ॅ टर सहाएबसँ किन यो नीक नै छी। ओनाडा◌ॅ टर सहाएबक सभिक छु भेट जेतिनमुदा......?रघुनाथ-(मु की दैत...) मुदा की?मनमा◌ेहन- एीक चर िश ा पािब बेटा गाममे रहत आ अपनेशहरमे। बुढ़ाढ़ीमे एकलोटा पोिन यो के देत।सोमन-अहक गाम छी। खेत-पथार छी। अहक सुआगतअिछ जे गाम आिब अपन िज नगीक अनुभवअनाड़ी-धुनाड़ीक िद ऐक।कृ णदेव-एखन हम तनावमे चिल रहल छी। मुदा तैयो कहैछी अह सबहक िव चारानुसार जीवैक कोिश शकरब।168


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>शा ती- घन यामकाका, आगूक भार अह उपर?घन याम- गामक भाग जिग गेल। पूँजीक जते जरत हएतओ बकसँ िद आ देब। भने एीक चर ेजुएटगाममे रहताह, हुनका मा यमसँ गामक योजनाबना उित खेती आ खेतीसँ जुड़ल कल-कारखानाक लेल यासरत रहब।शा ती-(हँसैत...) िज नगीक साथकता पािब रहल छी।घन याम-िक छु करैक संक प सभ िल अ। जखने सामुिह कडेग उठत तखने र ता धड़ैमे देरी नै लागत।नसीवलाल-सबहक दुख-सुख- सहबहक छी।सबहक इ जत- सबहक छी।169


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>पटाेपसमा त।ऐ रचनापर अपन मंतय ggajendra@videha.com परपठाउ।िबिपन झा, IIT Bombayतरिवहीन तर(’अपन युिनभरसीटी’ केर हाल)170


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>{लेखक िबिपन कुमार झा, IIT मुबई मे Ph. D शोधरत छिथ।िटपणी bipinjhajnu@iitb.ac.in पर सादर आमित।}लालबुझर मी जयराम रमेशक भारतीय िव्विवालय के तरकेर सबध मे कयल गेल िटपणी बुिजीवी वगक बीच म पुनःचच केर िवषय बिन गेल ।आरोप यारोप आ पूवह सँऽ ऊपरउिठ यिद िचतन कयल जाय तऽ िनित प सँऽ अपन सभकवातिवकता अिछ। देश भिर म 200 सँऽ अिधक िविवालयअिछ। मुदा िगनती केर िकछु िविवालय छोिड अिधकश िडीकेर िंिटंग ेस मा अिछ। कहल जाइत छैक जे अंज सभिविवालयीय िशा केर मायम सँऽ भारत म शासन चलेबाक हेतुकलक तैयार करैत छलाह मुदा आजु क िविवालय के उचिशा ात औसत युवा एिहयो योय निह छिथ।आजुक िविवालय केर िया थीक येन केन कारेण वेशिलया, फीस भ, साल भिर अपन ससािरक िया कलाप मयत रहू, जखिन परीा केर वेश प आ िसयूल आिब जायतखिन गेस पेपर योर िसरीज एवं अयाय साधन सँऽ परीा पीवैतरणी पार क। कोनो का, कोनो लेचर, कोनो सेिमनार केरआवयकता निहं। कतहु कतहु तऽ ’लमीजी’ सेहो ’सरवतीजी’केर माणप दैत छथीह।171


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>िवशेष उदाहरण अपन वनामधय िमिथला िविवालयकऽ िलआ। षवषय योजना, पंचवषय योजना वला ऐितहािसकगौरव रखिनहार ई िविवालय ओिह थान पर अिछ जे थानभारतवष म बौिक प सँऽ सविधक ऊवर अिछ। जकर परीाकैलेडर क भगवाने मािलक छिथ िकया िक हाल म हमर एकटाअनुज सेकेड ईयर पास कयलाके मा दू मिहना बाद थड ईयरक परीा देलिथ! आ पूव म हमर पिरिचत साढे पच वष मनातक िबना फेल केने उीण कयलिथ। जािह तरह एकटाभातक दाना पूरा वतन केर भातक पिरचय दैत अिछ ओिह तरह ईउदाहरण पूरा देश क सवयापी उदाहरण अिछ।आब बात करी शोधक िथित। ई अपने आप मएकटा ’शोध’ केर िवषय अिछ िकयाक तऽ अिधकश िविवा लयके िरसच वक आ िरसच िथिसस के की हालात अिछ एिह सेअपने सभ पिरिचत होयब। मा दस हजार पया म िथिससिलखबा के जमा क आ “डाटर” केर उपािध धारण क।दुभयवश हमहूं भारत केर सवे तीन टा संथानक(Allahabad University, Jawaharlal NehruUniversity, IIT Mumbai) छा रहलहुं हुनकर वातिवकताकिह हम मयदा केर उलंघन निहं करब। एिह लेल हम मााथछी।172


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>दस हजार पया खच कय Ph. D उपािध हािसल कआ बोरा भिर पैसा अथवा झोडा भिर पैरबी केर मायम सँऽ कतहु“अिसटेट ोफेर” क पद ात क और अपनिहं सदृश“रतबीज” केर िनमण क। वेतन पचास हजार सँऽ सवा लाखपया मािसक और कायभार ’वेछानुसार’।चच म ोफेशनल कालेज केर चच छुिट गेल। जेयित इटरमीिडयेट केर कैकुलस क सवाल हल निह कयसकैत छिथ ओ इंजीिनयिरंग कालेज (सामायतया ाइवेट) केडाइरेटर आ फैकेटी आिद बिन गेल छिथ। मयम आ िन वगके माता िपता अपन बचा सभ के ऊपर िजदगी भिर के पूंजीखच किर एिह कालेज सभ सं बी. टेक आ एम.बी. ए करबैतछिथ। हुनक हाल ई पंित पर चिरताथ होइत छिह “बडे बेआबहोकर तेरे कूंचे से हम िनकले”।यिप ई िनराशाजनक तवीर एकटा वातिवकता अवयछी मुदा एिह अहार म िकछु चमकैत न सेहो अिछ।आवयकता एिह गप के अिछ जे िशा णाली म सथागत पसँऽ यापक पिरवतन हेबाक चाही। िशा हेतु अिधक धनआबटन, उचिशाऽिधकारी के पद पर ईमानदार यित किनयुित योय यित के फैकटी के िनयुित, आ संगिह यिद पूण173


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>पारदश यवथा अगर होइत छैक तऽ िनित प सँ तवीरिकछु िभ होयत।आशा अिछ जे समाज बुिजीवीवग एवं नीितिनयताउचिशा केर सवच ाथिमकता देताह। तखिन एकटा ानआधािरत समाज केर िनमण अवय हेतैक।ऐ रचनापर अपन मंतय ggajendra@videha.com परपठाउ।आशीष अनिचहारबेचन ठाकुरजीक नाटक बेटीक अपमान174


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>हम यिगत प हिरयाणाक ायः-ायः येक कोणमे रहल-बसलछी आ तँए थानीय जनताक पमे हिरयाणामे कौ घुिस जाइतछी। एकर हािन हमरा जे भेल हुअए मुदा लाभ एतेक तँ जरभेल जे हम थानीय परेशानी बुझए लागल िछऐक। ओनाहिरयाणाक नाम सुिनते मोनमे समृिक नजारा देखाए लगैत छैक।भरल-पुरल खेत सुझाए लगैत छैक। मुदा एिहठामक थानीयसमया बहिरआ लोकक नै बुझल छैक। ऐठाम हरेक साल १००-१५० लड़काक िबआह दोसर रायक लड़कीसँ होइत छैक। जँसोझ ढ़ंगे कही तँ हिरयाणाक सेस रेिशओ (िलंगानुपात) असमानअिछ। अथत १००० लड़कापर ८५०-९०० लड़की।आब अह सभ हमरा हूट करबाक सोिच रहल हएब। तुत पोथीमैिथलीक अिछ आ हम हिरयाणाक गप कऽ रहल छी से अहसभक उटा लािग रहल हएत। मुदा ऐठाम हम ई कहए चाहब जेमा थान आ मनुख बदिल जाइत छैक, मनोवृित आ समया वएहरहैत छैक। आब हम अही समयाक िमिथलाक पिरेयमे सोची।बेसी अंतर नै भेटत आ से ऐ ारे जे नेपालमे सेहो िमिथला छैक।आ भारतक िमिथला आ नेपालक िमिथला दुनूमे िबआह चिलतछैक। तथािप जँ भारतक िहसाबे सोची तँ िबहारमे १०००लड़कापर ९२१ लड़की छैक ( ओना जँ २०११ क जनगणनाकोिवजनल िरपोट देखब तँ संपूण भारतमे १००० लड़कापर ९४०लड़की छैक)।175


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>आ जँ ऐ समयाक पिरेयमे िवकिसत हिरयाणा आ अिवकिसतिमिथलाक देखी तँ कोनो बेसी अंतर नै बुझाएत। अथत ऐसमयासँ दुनू े िसत अिछ। मुदा ई आब िबचारए पड़त जे ईसमया कहसँ िनकलैत छैक? कोन मनोवृितसँ ई समयापरचािलत होइत छैक ? आिखर ई कोन दृिकोण छैक जइ तहतलोक बेटी नै चाहैत अिछ आ ऐ लेल ूण हया सन पाप करबासँसेहो नै िहचकैत अिछ ? िमिथलाक िहसाबे गप करी तँ दहेजथाक एकर िजमेदार ठहराओल जा सकैए मुदा हिरयाणाक िहसाबई कारण ओतेक भावी नै कारण हिरयाणामे दहेज था नै कऽबराबर छैक। तँए हम दहेजक ूण हयाक एकटा कारण मानैतछी मुदा मुख कारण नै। हमरा िहसाबे ऐ समयाक मुख कारणएखनो आधुिनक कालमे बेटाक अिनवाय मानब अिछ। एकरसमािजक आ आिथक, दुनू पमे बटए पड़त।समया आ सािहय दुनू एकै चीजक अलग-अलग नाम िथक।िबना समया कोनो सािहय नै भऽ सकैत छैक। आ अंततःसािहये कोनो समयाक समाधान तकैत छैक। मुदा मैिथलीसािहय एकर अपवाद अिछ। ऊपर हम देिखए चुकल छी जे कोनािमिथला ूण हयाक समयासँ िसत अिछ। तथािप ऐठामकसािहयकार ऐपर कलम नै चलौलिह। घोर आशचयक िबषए।आशचयक िबषए ईहो जे एहने-एहने समयासँ कितआएलसािहयकारक आलोचक आ मठाधीश सभ बढ़ाबा देलिथ।176


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>कोनो समाज कोनो समयासँ कितआ कऽ बेसी िदन नै रिह सकैतअिछ। एकर अनुभव हमरा ी बेचन ठाकुर िलिखत नाटक "बेटीक अपमान" पढ़लापर बुझाएल। आ संगिह-संग ईहो बुझाएल जेआब बेसी िदन िमिथला सूतल नै रहत आ ने बेटीक खराप बुझलजाएत ।ी बेचन ठाकुरऐ रचनापर अपन मंतय ggajendra@videha.com परपठाउ।177


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>१.हम पुछैत छी:मुाजीकसोमदेवसँ भेल गपशप २. हम पुछैत छी: मुाजीकअशोकसँ भेल गपशप१िहदी-मैिथलीक िव किव आचाय ी सोमदेवजीसँ हुनकदीघकालीन सृजन िनरतरताक मादे िवहिन कथाकार मुाजीसँसोझ-सोझी भेल िवतृत गपक सारश:178


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>मुाजी: सवथम अपनेक बोध समान ाित हेतु बधाइ।सामायतः मैिथली रचनाकार िकछु कालाविधमे रचनारत रिहपुरकारक यॲत वा ाितक तीारत रिह सुताए लगैत छिथ।मुदा अपने ऐ सभसँ ऊपर उिठ ारभसँ एखन धिर एेसियताक संग जुड़ल छी। ऐ िनरतरताक पाछ की सोच वाकोन रहय! वा ई िवशेष ऊजवान हेबाक पिरणाम अिछ?सोमदेव:पुरकार आमबल दैत छैक। मुदा हमर माथमे सिदखन नविवचार घुरघुराइत रहैए, जकरा हम अपन लेखनीमे उतारलाकपछाितये संतुि पबै छी। सित िलख नै पबै छी, शारीिरकअमताक कारणसँ। मुदा िलखबाक उेय अपन िवचारक दोसरधिर पहुँचेबाक रहैए।मुाजी: अपने अपन ारिभक रचनाकालक ियाकलाप वा मैिथलीसािहय सृजनमे वेशक जनतब दी।सोमदेव:हम िलखब िहदीमे ारभ केने रही। समयातरे िहदीमेहेरा जेबाक डर आ माइक भाषाक ित ेम हमरा मैिथली िदसअनलक आ ऐ भाषामे रचनारत रिह िटकल रिह गेलॱ। संगिहअपन प िवचारक संेषणीयताक तरपर मैिथलीमे बेसी फरीछकऽ पबैत छी, िहदीमे नै।179


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>मुाजी:अह िहदी आ मैिथली दुनू भाषामे समान प सृजनरतरही, एकर की कारण? उपरोत दुनूक अितवक फराकसँ कोनािचवेचन करब?सोमदेव:रचनाक आरभमे दुनू भाषामे रचना केलॱ मुदा बादमे मैिथलीमामे िलखलॱ। दुनू उपरओँजक भाषामे िगरल जा रहल अिछ।मैिथलीक िहदीक आछादन आ िहदी अंेजीक घोघ काढ़लकिनय जक भऽ घॲटल जा रहल अिछ। बेगरता छै अपनअितवक राथ अपन भाषा माक रचना होइत रहए। दोसराभाषाक देखाऊँसे वा वैशाखीक बल ठाढ़ हेबाक चेा नै हुअए।मुाजी:अह अपन ारिभक रचना कालसँ आजुक अविध धिर ऐभाषाक रचनाकारमे रचनामे वा भाषा मय केहेन पिरवतन वाटकरावक अनुभव केलॱ आ से की सभ छल?सोमदेव:ारभमे छदक ाथिमकता छलै। बादमे छदमुत कायसभ एलै। हमहूँ एहेन रचना केलॱ। मुदा पिहलुका जे तर छलैसे अथपूण छलै, आब अथहीन रचना बेसी आिब कऽ भिर गेलैए,जइसँ तर नीच जा रहल छै। तकर मूल कारण रचनाकार ाराअययन आ अयापनक अभाव छैक।180


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>मुाजी:मैिथली भाषाक एतेक ाचीन आ वतं अितव रिहतो ओआइयो अपन अितववाते घैहैर कािट रहल अिछ। एकर की मूलकारण वा अवरोध अिछ?सोमदेव:सय अिछ जे दिण एिशया, िवशेष कऽ भारतमे संकृतकसमक जँ कोनो भाषा छै तँ से अिछ मैिथली भाषा आ ितरहुतािलिप (बादमे कैथी िलिप सेहो)। मुदा शासकक वैिवयताक संगएकरो भौगोिलक प टुकड़ी कऽ देल गेलै। आइ गुजराती, बला,असमी, ओिड़या,कुमाऊँ-गढ़वाली आिद एकरे टुकड़ी अिछ, बेगरताछै एकाकार देबाक से भऽ जाए तँ एकरापन अितव छै से मरतैनै।मुाजी: अह सबहक ारिभक रचनाकालमे ग आ प दुनूिवधाक जे वप से आजुक सदभमे बहुत बदलल अिछ।समयातरे ऐ दुनू िवधाक िकछु आओर ितप सोझ आएल यथागजल आ िवहिन कथा। ऐ सबहक भिवय केहेन देखाइए?सोमदेव:देिखयौ मुाजी, यित, थान, भाषा वा रचना सबहकबदलाव समयानुसार वाभािवक छै। गजलक कोनो भाषाक मूलमेिनिहत कएल जा सकैए, बशत िक रचनाकार ओकर जिड़मे डूमल181


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>होिथ। वतमान रचनामे एकर अभावे फूहड़पन वा गीजल चीज बेसीदेखा पड़ैए। लघुकथामे अह िकछु गोटे नीक काज कऽ रहलॱअिछ, से ठाम-ठीम देखै छी। भिवयमे बदलैत समयानुसार पाठकके खोराक बनत से िवास अिछ।मुाजी: छठम-सातम दशकमे मैिथली सािहयमे सायवादीिवचारधाराक िबरड़ो उठलरहै। ओकर की भाव भेलै आ आइ ओकतऽ छै?सोमदेव:यौ बौआ, किहयो एहेन िबरड़ो नै उठलै। तिहया केसकशासन रहै आ ओ सभ मैिथलीक दबौने रहलै। ऐ मे कोनो वतंिवचार वा वादतँ सपना मा रहै। हँ िकछु गोटे अपनाक हाइलाइटकरबा लेल एहने िवचारे उिधयेबाक यास केलिन। हमहूँ समाजवादीिवचारक समथक रही, मुदा की गरीब वा गरीबीपर िलख देनेसमाजवादी कहाए लागब, िकहुँ नै। सक मासवादी िवचारिमिथलाक कठकोकइड़ बाभनवादमे कतौ सिहया सकै छै। नै,किहयो नै। मासवाद वा कोनो वादमे हमर समक वा ेरचनाकार सेहो वादसँ जुड़बाक नामपर िवचारहीन देखाइत रहलाह।182


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>मुाजी: मैिथली-िहदी मय सािहियक वणसंकरता पसरलै। मुदामैिथलीक पूणतःजाितवािदता गरोसने रहलै आ ई जाित िवशेषकमुीक बौतु भऽ गेल। की ऐ सँ किहयो अहूँ सभ आछािदत वाभािवत भेलॱ? ऐ सँ रचनाकार वा सािहयक कोनो नोकसान भेल?सोमदेव:ई िकछु (मा िकछुए) लोकक, जे रचनाकार निहयो छिथ,ितनकर कुिटचािल अिछ जे अदौसँ आिब रहल अिछ। हँ ई सयजे कमाइक आस देखेलापर बाभन लोकिन अपन मूल भाषा संकृतछोिड़ गएर बाभनक मूलभाषा मैिथलीक गरोिस लेलिन। तइमे गएरबाभन लोकिन ओतबे िजमेवार छिथ, जे अपनाक पूणतः कितयौनेरहलाह।मुाजी: अह िनवाथ सृजना वा साधनारत रहलॱ। आ समय-समयपर ऐ सेवाक हेतु पुरकृत होइत रहलॱ, एकर केहेन अनुभूितभेल?सोमदेव:यौ , पिहनिहय कहलॱह जे ऐ सँ आमबल भेटैछ। हमरअपन िवचार लेब तँ जिहया जे पुरकार भेटल ओ रािश धीया-पुताक दैत रहलॱ। अकादेमी पुरकारक रािश बेटाक पढ़बामे आबोध समानक पाइ नाितनक दऽ अपनाक कृताथ बुझै छी। हँएकटा बात जे सभ संतान, बेटा-जमाए, पोता-पोती, नाित-नाितन183


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>नीक पदपर छिथ। हमर जीवनक सवे पुरकारक सववअनुभूितक पमे ईएह अिछ।मुाजी: नवका दशकमे गएर बाभनक झुडक सिय सािहियकवेशक मैिथली सािहयक नजिरये कोना देखै छी। एकर भिवयकसंकेत की अिछ?सोमदेव: आब िकछु लोक जे सिय छिथ से संघषमे पाछ नैहोिथ तँ सफल अपनो हेता आ भाषाक भिवय सेहो उजवल हएत,जै हेतु धैय आ सियता चाही (दू-तीन दशकधिर), नै तँ ई भाषापूणतः मिर जाएत।मुाजी: मैिथली आब कागज मोइससँ बहरा अतजलपर आिबवैिक तरपर पसिर गेल अिछ, एकरा मैिथलीक वतमान वाभिवयसँ कोन पे जोिड़ कऽ देखऽ चाहब?सोमदेव:ई सताक बात अिछ जे आब ककरो कोनो िवचार(य वा अय) सेकेडेमे सभक सोझ अबैए आ अह पाछअपन वतयसँ मुँह नै मोिड़ सकै छी। दोसर जे अहक िवचारक184


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>वैिक मंच भेटल अिछ, अिगला समएमे ओ जगिजयार हएत। मुदाकागज मोइसक जमाना लदल नै अिछ, ऐ मे सिय रहबे क।मुाजी: मैिथली सािहयमे ललनाक वेश िनिषता वा मिहलारचनाकारक अभावक की मूल कारण अिछ? एकर िनदानाथ कीकहब? भिवयमे एकर की भाव भऽ सकैए?सोमदेव:अहक ई सुदर सोचक अिछ, तै लेल धयवाद।पिहने नारी घोघ तरक बहुिरया आ चहरिदवारीमे नुकाएल बाहलमुीक चीज मा छल, त ओकर िवचार दबल रिह जाइत छल।आइ मैिथल ललना सभ मानिसक, शारीिरक आ तकनीकी सभतरपर उच भऽ रहल अिछ। िवचार सेहो सावपूण,ठोस, राग-ेषरिहत छै। ई पीढ़ी जुिड़ गेल तँ ई आर फिरछाएत, जे वछिचतन आ िचण सोझ आओत।मुाजी: अतमे अपने नवका धीया-पुता (रचनाकार) क उजवलसािहियक भिवयक वाते की सनेस देबऽ चाहब?सोमदेव: नवका धीया-पुताक मगज थोरेक आर आगू छै। एकररचनामक िवचार ठोस आ िदशा सूचक अिछ। ई सभ जुड़िथ तँ185


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>मैिथलीक कयाण हएत। हँ, अपन संकार नै िबसरिथ बस !एतबे।अह आ गजेजी दुनू गोटेक अतजलक जालमे हमरो लपेटअपन िवचार रखबाक अवसर देबालेल हृदैसँ धयवाद।मुाजी: हािदक आभार! बहुमूय समय आ िवचार देबाक वाते।२िकोणक एक कोणसँ अशोकसँ सााकारमुाजी: अपने मैिथली रचना ारभक ेरणा कतऽ सँ पौलहुँ।एकर ारभ किहया आ कोना भेल?अशोक: हम मैिथलीमे रचनाक ेरणा काशीमे हण केलहुँ। सातेवषक अवथा सँ िपता संग काशीमे रहऽ लगलहुँ, पढ़बाक लेल।मायाअ भाइ-भाउज लोकिन गाममे रहैत रहिथ। काशीमे राम186


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>मिदरपर रही। ओतऽ हमर िपता व. उमापित झा मिदरकयवथापक रहिथ। राममिदरपर मैिथल छा संघ ारा अनेकसािहियक ओ सकृितक कायम होइ। नेनेसँ सभ देखऽ सुनऽलगलहुँ। कानमे िमिथला, मैिथल ओ मैिथली शद सभ जायलागल। एही ममे हमहूँ किवता सभ िलखऽ लगलहुँ। वष १९६८मे “वटुक” पिका मे डॉ. सुधाकात िम (जे “वटुक” पिकाकसपादक रहिथ) हमर पिहल किवता “शिश चदाके समान” छपनेरहिथ। ई किवता हम चदा झा जयतीक अवसरपर िलखने ओपढ़ने रही। ओिह जयतीक अयता मैिथलीक िस किवचनाथ िम “अमर” केने रहिथ। तकर बाद किवता सभ िलखऽलगलहुँ। जखन दजन भिर किवता िलखल भऽ गेल तँ अपन जेठभाइ व. सुशील झा (धानाचाय, एल.एन. जनता कॉलेज,झंझारपुर) क देखौिलयिन। ओ हमरा ओिह किवता सभक डॉ.धीरे (हमरे गामक िस सािहयकार) क देखेबाक लेल िनदशदेलिन। डॉ. धीरे किवता सभ देखलिन आ ओिहमे सँ िकछुकिमिथला िमिहरमे पठेबाक लेल कहलिन। ओिह किवतामे सँ दूटाकिवता िमिहर मे छपल। जािहमे पिहल “ई यू लाइटक फैसनिथक” वष १९६९ मे िमिहरमे छपल रहय।187


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>मुाजी: िकोणक शेष दू कोण माने िशवशंकरजी/ शैलेजी संगकोना जुड़लॱ? पिहल संह िकोणक काशनक िनयार कोनाभेल?अशोक:काशीसँ गरमीक छुीमे गाम आबी। अही ममे वष १९६७-७० मे गाममे दुनू गोटेसँ भट भेल। दुनू गाममे रहैत छला आदुनूमे नेनेसँ िमता रहिन। तीनूक जखन भट भेल तँ बुझलहुँ जेतीनू एे रताक पिथक छी। तीनू किवता आ गीत िलखैत छी।किवता िलखब हमरा तीनूक एक-दोसरासँ जोिड़ देलक। तकरबादसँ तँ तेहेन िमलान भेल जे लगबे निह करय जे किहयोअपिरिचत छलहुँ।किवताक संग तीनू गोटे हम, िशवशंकर आ शैल (शैले आनद)कथा सेहो िलखऽ लगलहुँ। कथा सभ पिका सभमे छपऽलागल। शैल गामेसँ “आहुित” पिका सेहो िनकालऽ लगलाह।तखन िनयार भेल जे तीनूक एक कथा-संह िनकलय। हम तावत्नोकरीमे पटना आिब गेल रही। पटनेसँ तीनू कथाकारक पच-पचटा कथाक संह िनकलल “िकोण” नामसँ।मुाजी: िकोणसँ कतेक पूव अह सभ लेखन ारभ केलहुँ। फेरएक पटलपर कोना एलॱ आ तकर की फाएदा आ नोकसान भेल?188


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>अशोक: मोटामोटी कही तँ हमरा तीनू गोटे एे संग लेखन ारभकेलहुँ। हम काशीमे रही। ओतिह किवता िलखऽ लगलहुँ १९६७-६८ ई. सँ। िशवशंकर ीिनवास आ शैले आनद गाम लोहनामेरहिथ। ओही ठाम रिह ओही समयसँ िलखऽ लगला। िलखब शुकरबाक बाद करीब दू-तीन बरखक भीतरे तीनूक गाममे भट भऽगेल। तकर बाद तँ संग-संग तँ संग-संग सािहयमे जीबऽ लगलहुँ।हम १९७१ ई. मे गाम चल अयलहुँ। सिरसब कॉलेजमेआइ.एस.सी. करबाक लेल। १९७२ ई. मे आइ.एस.सी. केलहुँ।ओहो दुनू सिरसबे कॉलेजमे पढ़िथ। तीनू लगभग संगिह कॉलेजजाइ आ आबी। िमता गाढ़ होइत गेल। बी.एस.सी. करबाकलेल हम सीतामढ़ी गेलहुँ १९७२ ई. मे। मुदा फेर १९७५ मे गामचल अयलहुँ। दू वष गामे रहलहुँ। बी.पी.एस.सी. क ितयोिगतापरीाक तैयारीक ममे। फेर एक संग तीनूक जुटान भऽ गेल।कोनो नव रचना करी तँ तीनू एक दोसराक सुनाबी। तकर बादहमरा नोकरी लािग गेल। पटना आ अरिरया, बसरमे रहलहुँ। वष१९८३ मे पटना आिब गेलहुँ। िकोण १९८७ मे छपल। ईसहयोगी काशन तीनूक कथाकार पमे पिरचय थािपत करबामेसहायक भेल। कथाकारक पमे लोक चीहय लागल। एिहसँनोकसान निह फाएदे भेल।189


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>मुाजी: अह जिहया लेखन ारभ केलहुँ तिहया आ आजुकपिरिथित (सािहियक) मे की समानता वा िभता देखाइछ?अशोक:हमरा लोकिन जिहया १९६७-६८ मे लेखन ारभ केलहुँतकरा आइ चालीस वषसँ बेसी भऽ गेल अिछ। एिह चालीस वषमेबहुत पिरवतन भेल अिछ। से पिरवतन यितगत आ सािहियकदुनू पमे भेल अिछ। तीनू आब एक संग निह रहैत छी। भटो-घट कमेकाल भऽ पबैत अिछ। मुदा सािहय लेखन चिल रहलअिछ। तीनूक पोथी सभ कािशत भेल अिछ। तखन जे जोश-खरोश ओिह समय रहय से आब निह रिह गेल अिछ। से दुनूतरपर। यितगत पमे पािरवािरक कारण सभसँ आ सािहियकपिरदृयमे सामािजक कारण सभसँ। जँ जँ मैिथलीक सुिवधा ातभऽ रहलैक अिछ तँ तँ सािहयकारमे लगनशीलता घिट रहलैकअिछ। मैिथली लेल ओ जोश खरोस निह देखाइत अिछ जे तीस-चालीस वष पिहने छल। आइ मैिथलीक लेल सभसँ पैघ समयानव-नव ितभाशाली लोकक सािहय ेमे निह जायब िथक। एहनबात निह छैक जे नव लोक आिब निह रहल छिथ, आिब तँ रहलछिथ मुदा जे लगाओ, जे िना चाही से निह देखाइत अिछ। एिहबातक अनुभव ओिह सभ यितक भऽ रहलिन अिछ जे कोनोपिका िनकािल रहल छिथ वा सािहयक िवकास लेल यशीलछिथ।190


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>मुाजी:अहक लेखनक मय सायवादी िवचारधाराकहवा मैिथलीयोसािहयमे बहलै। की मैिथली सािहयमे कोनो एहन वतंिवचारधारा बिन पौलै। अह ओइसँ कतेक लग वा दूर रहलॱ!अशोक:सायवादी िवचारधाराक भाव तँ मैिथली सािहयमे एकदमदेखार अिछ। से यिद निह देखार भेल रहैत तँ ओिहपर एतेकआमण जे बढ़लैक अिछ से निह बिढ़तैक। सायवादी िवचारकभाव तँ मैिथलीमे कंचीनाथ झा “िकरण” आ याीक सािहयेसँदृिगोचर हुअ लगैत अिछ। १९६०क बाद ओिहमे तेजी अयलैक।१९७१ ई.सँ १९८० क दशकमे वातावरणमे पसरल नसलवाड़ीआदोलनक भाव मैिथली सािहयमे पुरजोर प पड़लैक।अनेकानेक किवता, कथामे एकरा देखल आ िचहल जा सकैतअिछ। बादमे ई िवचारधारा मशः महीन होइत गेल छलैक। तआब, जेना अह कहलॱ, हवा जक निह लगैत अिछ। आब ईिवचारधारा कोनो फैसन जक निह अिछ, जीवनक अंग भऽ कऽआिब रहल अिछ सािहयमे।मुाजी:अह गक लेखनमे लघुकथा सेहो िलखलहुँ। लघुकथािलखब केहेन लागल, एकर सोच कतऽ सँ आयल?191


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>अशोक: लघुकथा हम िम िवभूित आनदक कहलापर िलखलहुँ।ओ मािट-पािन पिकाक सपादक रहिथ। वएह पिका लेललघुकथा लीिख कऽ देबाक लेल कहलिन। िकछु लघुकथा मािट-पािन आ आन पिकामे छपबो कयल। सगर राितमे सेहो िकछुलघुकथा पढ़लहुँ। एहर बहुत िदनसँ कोनो लघुकथा निह िलखलहुँअिछ। जिहया िलखलहुँ तिहया िलखबामे खूब आनद आयल।मुाजी: अहक नजिरमे आजुक पिरेयमे मैिथली लघुकथाक कीिथित छै? की मैिथलीमे ओ वतं थान पािब सकत?अशोक:मैिथलीमे आइयो लघुकथा खूबे िलखा रहल अिछ।लघुकथाक पोथी सेहो कािशत भेल अिछ। तारानद िवयोगी,दीप िबहारी, मधुकर भाराज, अनमोल आ अहक लघुकथा सभहम पढ़ने सुनने छी। मोन पड़ैत अिछ जे ीधरम सगर राितमेपिहले पिहल अपन लघुकथासँ हमरा सभक आकिषत केने रहिथ।लघुकथाक एक संह व. ए.सी.दीपकजी बहार केने रहिथ।मैिथलीमे लघुकथाक तँ वतं थान छैके। तखन एक संहकयोजन तकाल हमरा अवय बुझा रहल अिछ।192


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>मुाजी:वतमानमे अयाय भाषा-सािहय मय मैिथली सािहयक कीिथित देखा पड़ैछ।अशोक:मैिथलीमे किवता आ कथा आन भाषा सािहयसँ पाछू निहअिछ। उपयास अवय पछुआएल अिछ। उपयासक खगताअवय मैिथलीक छैक। एहन उपयासक जे आन भाषाकउपयाससँ टर लऽ सकय। आन अनेक िवधामे सेहो तरीयपोथी निह आिब रहल अिछ। आन भाषा सािहय सन वैचािरकलेखन सेहो निह भऽ रहल अिछ। हँ, तारानद िवयोगीक “तुिमिचर सारिथ” िहदीमे अनुवाद भऽ खूब धूम मचौलक अिछ। चिचतशंिसत भेल अिछ। मैिथलीक एिहसँ गौरव भेटलैक अिछ।मुाजी:एखन धिर अह ारा जतेक काज भेल तािह हेतु कोनोठोस मूयकन वा पुरकारसँ वंिचत रिह केहेन अनुभूित होइए?अशोक: वतुतः पूछी तँ हम जतेक काज केलहुँ अिछ तकर खूबेमूयकन भेल अिछ। हमरा मूयकनक कोनो अभाव निह बुझाइतअिछ। काजे निह कऽ पािब रहल छी जते करबाक चाही। आनअनेक कारक यतता लेखन निह करऽ दैत अिछ। तकरअनुभूित बरोबिर होइत रहैत अिछ। जह धिर पुरकारक गप अिछ193


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>तँ तेहेन कोनो काजे हम आइ धिर निह केलहुँ अिछ। एखन तँबहुत काज करबाक अिछ। बहुत िलखबाक अिछ।मुाजी:अपन तीनू कोणक मय अह अपनाक कतऽ पबै छी?अशोक:तीनू कोणक अपन फूट-फूट महव आ िविशता होइतछैक। मुदा तीनू िमिलए कऽ िकोण बनैत अिछ। तखन आइएकटा कोण लोहनामे, एकटा कोण दरभंगामे आ एकटा कोणपटनामे अिछ, एिह थानक िभताक भाव तँ पिड़ए रहल छैक।तीनू कोण जखन फेरसँ एक संग लोहनामे जुटब तँ सोचब जे के,कोना आ कतऽ छी। िकोणक याा तँ एखन चिलये रहल अिछ।मुाजी:नव पीढ़ीक रचनाकार वाते अपन िवचार की देब?अशोक: औ मुाजी, हम तँ एखनहुँ अपनाक नबे मानैत छी। िकछुिलखैत छी तँ होइत रहैत अिछ जे बनलैक की निह। कॲढ़ कपैतरहैत अिछ। हमरा तँ अपने बेर-बेर िवचारक आवयकता होइतरहैत अिछ। एहनामे हम िवचार की देब?194


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>ऐ रचनापर अपन मंतय ggajendra@videha.com परपठाउ।३. प३.१.१. जगदीश च अिनल- गजल २. रिवभूषण पाठक- मरणोपरत-३३.२.१. गंगेश गुंजन राधा- ३० म खेप२. जवाहर लाल कयप195


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>३.३. योित सुनीत चौधरी- हा३.४. उमेश म डल३.५.१. सुनील कुमार झा- सरल वािणक छदमे दूटागजल २.भात राय भ196


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>३.६.१. पंकज कुमार झा २. नवीन कुमार आशा३.७. १. रामिव लास साहु २. रामदेव सादम डल 'झादार' ३. िकशन कारीगर-ग़रीब४. जगदीशसाद मडल३.८. डॉ. शेफािलका वम१. जगदीश च अिनल- गजल २. रिव भूषणपाठक- मरणोपरत-३197


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>१जगदीश च अिनल (मूलनाम- जगदीश च ठाकुर, जम: 27.1<strong>1.</strong>1950,शंभुआर, मधुबनी। सेवा िनवृत बक अिधकारी। मैिथलीमे कािशत पोथी-<strong>1.</strong> तोराअडनामे -गीत संह-1978 2. धारक ओइ पार-दीघ किवता-1999गजल - जगदीश च अिनलपोखिरमे मखान गामे-गामेदा के दोकान गामे-गामे।198


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>िदनमे पूजा राित िबताबय चोरीमेरावण के खहान गामे-गामे।कबुला केलक, पूर मनोरथ भेलै लोककगेल छागर के जान गामे-गामे।लोक मुतैए ठाढे-ठाढे माथे परटाका केर मचान गामे-गामे।याहक दू िदन बाद एलैए वर-विरयातीसभ रता पर जाम गामे-गामे।२रिव भूषण पाठकमरणोपरत-३199


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>मरनाहर के यािद कहे चदेव ,राम ,भूषणआ कृणमोहनमरनाहर के यािद कजे◌ेना मंिदरक िनरमालबीतल समेलनक पोटरआरती पूजाक बाद शािलाम ।ई नइ िकई देलाहआ ई नइ देलाहरोड पर अपने घर बनेलाहआ हमरा बँसिबी देलाहअपने भीठाआ हमरा उसरौठी देलाहभाइ पर कमआ बेटा पर बेशी यान देलाहई आहक तुकबदी बंद कमरनाहर ककरो सँ िकछु नइ लेलकभले ककरो िकछु कम देने होए ।तािह दुआरे आबू200


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>आ काज मे रिम जाउजमीन जाल खेत मकानगाछी बस रहबे करतइकाि सँ बटबआ बिटते रहब ।हयओ इंजीिनयर साहेबबजाबू खुआबू िवनय सँई धरती हरदम नीचाआ अकाश हरदम ऊपरे रहैत छैकअहक पुषाथ सँ अिवचिलतमूड़ी किन नीचा आछाती िबन उतान केनेआनू मुँह पर किनिवािपत नकली मुसकानगॱआ घआिनमंित छिथहई नइ छिथहखबास आ जोनई नइ छिथहपुल बाहक ठीकेदारिबसिर अपन नाम पदवागत क सब के ।201


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>चाहे केओ कतबो खगलकपड़ा ला फाटल चीटलझुिक जाउ वागत मेसमान,मयदा क तमघैल किहया ले राखबखुिल के खच कसंिचत िता के बेन बनाउआउ ,झुिक जाउभोज कालपसिर गेलइ सुअक गंधआब‘ लागलाह िनमंितघुसक‘ लागलइ िबलाइ कुकुरचौकस कौआ उलू बनिबलाइबैस‘ लागलइ पित क पितआब‘ लागलइ जेिर क जेरिवदा भेलाह गॱआ िदयादनून तीमन क मीमसा करैतसुपारी चून लैतकुरता खोिल गरदिन पर राखैतसाफ कर‘ लागलइ जोन खबासपित मे िगरल पाभात दािल दही बरीफाटल पात िछा मे जाइतो जाइत202


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>िगिर जाइ िकछु भात िकछु दहीदही क िवषेन गंध दािल तरकारी मे िमिलबना देलकए भोजेन !भोजेन !भोजगंध अलिसयाब‘ लागलइदौड़‘ लागलइ गोला किरया कुकुरहा हा कर‘ लागलाह दामो सुरेशिचकर‘ लागलाह बैजू बाबूगंगेश जी मू बाबू“जदी ला रे खर पािन झाउठाबू अओ पातलाबू भातकह गेलइ तरकारी दािलदूनू तरकारी एक साथ उठाबूआब बरी भ गेलइबस दही उठाउओमहर सँ के उिठ रहल अिछबैसू !बैसू !बैसू !देखब कुकुर पित मे नइ घुसएहओ एमहर दही छूिट गेलइचलू आब पाितल राखूभंडार घर बद क ”203


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>ऐ रचनापर अपन मंतय ggajendra@videha.com परपठाउ।१. गंगेश गुंजन राधा- ३० म खेप २.जवाहर लाल कयप (1981- )१.204


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>गंगेश गुंजनराधा- ३० म खेपकोनो संग मे की क' जाइछ मनुयकोनो संग की भ' जाइछ मनुयसेहो एकटा िविच हेिलका िथकदेखबा मे जे यथाथ बुझाइत अिछबेशी काल से िनतात अपूण आ ामक िनकलैत अिछत तक िनकष य बड़ साथककम संदेहापद अिधक होइत अिछई सबटा मनुखेक ारा मनुखेक205


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>होइत अिछ एही दशा िदशा मे लोकपर पीड़न सँ ल' आम पीड़नक रोगी बिन जाइत अिछउपचारक उपहास कर' लािग जाइत अिछ आदुःखक उपभोग कर' लगैत अिछ। भोग निह, उपभोग।सात रंग सुदर सृि क एक रंग पीयर-पीयर आण देख'-बूझ' आ कह' लगैत अिछ, मनुखिनतत अपन झीवन-भोगक आँिखय, भिर समाजसंसार क देख' आ बूझ' लगैत अिछ, अपन सैहिनयित बना लैत अिछ, सबटा ओहन यथाथ जेओकरा अितिरतो सॱसे समाजक लोकक िकछु यथाथ सेहोहोइत छैक-भ' सकैत छैक तकरा पर यान देब तँ िभओकर अितवे सँ अनिभ होइत चिल जाइत अिछित पल,िदन,मास वष, आयु वयं अपना चतुिदक एकटा206


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>रोगाह पिरवेश िनिमत कर' लगैत अिछ आ बचल अपनसमत िजजीिवषा-ऊज क एिह बुिये िदशा मे सिय क' लैतअिछमनुख अपने िव अपना चा कात बधन बािह लैत अिछ।अपन गित, अपन सहज जीवन-वाह क अनेरेक अवरोधकपहाड़ी चेखान सभक अपनिह िनिमत बाधा सब सँ कुंिठत क' लैतअिछ।अपन से कुंठा अपन नेही,संबंधी, सॱसे समाज पर उगलैत रहैतअिछ।जत'-जत'सृजन छैक ओत' ओत' संहारक यॱत-वातावरण बनब'लगैत अिछ।अपन, िनतत अपन कुंठाक माहुर - मन ओ अपना अितिरतसभक कलुिषत,जीवन िवरोधी आ अमानुष बुझबाक तदनुपे आचरण करबाकएकटा दुःवभाव बना लैत अिछ,207


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>सबक यथ ,बाहरी लोक बना देबाक अपनिह सिय मनोदशा मे,अपनिह असकर एकात तथा दयनीय बिन क' रिह जाइछ,से ओकरा बुझबा मे अबैत निहं छैक। निह बुझबा मे अबैत छैकजेओ भ' चुकल अिछ -रोगी, मनोरोगी !देह-रोग सँ बहुत बेशी, बहुत गंभीर मनोरोग...-' तँ िक हम मनोरोगी भ' गेलॱह, हम ?'अकमात् राधाक ाण चॱकल। वयं के पूछ' लागल यैह टा !गुंिजत-अनुगुंिजत-ित गुंिजत...बड़ आत मरण कएलिन -' हे कृण !'िकछु निह हएत, कृण क बजौलहु सँ हएत निह िकछु,आने जेक हुनको छिन आब कमे फुरसितबहुत रास छिन कपार पर काज, उर दाियवक पैघ संसार208


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>हुनको आिखर चािहयिन अपन काज-कतय सँ अवकाशहुनको संसार मे बहुत िकछु घिटत भ' रहलिनह न'वहुनको मोनक िथित आब निह छिन वाधीन, ने छिनिकछुओ िनतत मनमौजी-अपनिह सुखक संग रहब संभव निह छिनहुनको लेलओहो अपना कार सँ िफिफयाइत रहैत छिथ,छुछ गाय चरायब आ बँसुरी बजायब निह रिह गेलिनह हुनकएकमा काज।माखन चोरायब भ' रहल छिन दुघट !गाम मे कम दूध देब' लगलैक अिछ सभ घरक गाय,दुबर भ' रहलैए ने-बाछी,गायक हुकड़ब निह रहलै आब असंभव,भ' रहल छैक आइ काि बेसी काल ।209


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>सुर कोमल गुड़कुिनय लैत ने पयत भ' रहलैक अकाल कालकविलतअपना मायेक सोझ देखैत गाय माय होइछ मनुख निह,मनुक माय क पयत यिप सह' पिड़ रहलैक अिछ-संतान शोक!चर-चचर सभक हिरयरी जािन निह कोन अदृय महापशु अहिरया,चिर क' चिल गेलय केकरो निह ात।सॱसे फाटल शुक मािटक धरती पर पीयर-पीयर सुखएल खुी-खुीचलैत पएर सभक तरबा मे गड़ैतजे यमुना अपना कंठ धिर ऊपर आिब क' द' देत छलीह समय-समय पर हुलकी,वयं दूबिर गता, िथर भेिल तध छिथ।धार-कातक सघन रंग लता-वृ ?केहन भेल ीहीन तट !210


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>तधे अिछ बेसी बतु। मथुराक बेशी घटना थल, लोकलोकक आचार-यवहार तध' ।कोनो परो बोझक त'र ितपल दबायल जाइत ..ककरो निह भ' पािब रहलैये अंटकर एकर कोनो अनुमान।अपना-अपना घर मे सब ुध बैसल। हेराएल छैक ान !पूछ' चाहैत अिछ सब एक दोसरा क मुदा पिड़तिह ओकर आकृितअपना सोझ,बदिल जाइत अिछ लोकक मन ओकर उदासीक यानभम पड़ैत अिछ मोन,मोनक उदासी सँ भरल सब दलानकृण एही सब मे छिथ ओझरायल करैत आवयक अनुसंधानकृण छिथ िकतु अयथा सेहो हरन-िफरीसानजेना सस कोनो आन देह ल' रहल हो अत'जेना देह कोनो आन नाक सँ िघिच रहल हो सस211


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>जेना देह हो कतहु, िया आ पंदन होइत हो कतहु अत'जेना राधा छिथ अपना आँगन एकात मेकृण अपना कम, िया-कलापक संसार मे अपयतहोइत परपर एक दोसरा सन करैत िया अपन-अपनकाज कतहु कारण कतहु ओतहु सेह, सैह एतहुककरा लेल के अिछ िवकल-बचैनककरा लेल ककरा ननिह अबैत छैक कतेक िदन सँ चैनिनणय करब अिछ असंभव।एना िकएक एिह समय मे बेसी रास बात जे,िनतत छल सहज संभव, भ' गेलय िनाहे असंभव,हाथ सँबाहर, बेहाथ !िथित यैह यैह िथित दू टा पीठ दू टा िवबेशी िकछु िव िकएक भ' रहलय एिह युगक बेसी िवषय212


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>भाव आ वतु एना िव...(जारी...)२जवाहर लाल कयप (1981- )िपता ी- हेमनारायण िम , गाम फुलकाही- दरभंगा।समयक धारअहॉके याद होयत , वा निह213


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>एकटा आमक गाछ छलैरता कात मे, पोखिर परखुब झमटगरओकरे छॉह मे खेलै छलभोड आ सॉझ, कबडी वा िकरकेटमोन परैत अिछ ,बहुत रास बातपूसक शीतलहर, माघक मजरकोयलक कू, होलीके पूकलम गाछी, बरद बाछीफ़ुलही थाडी, कटही गाडीचौरचन आ जीितया,ठकुया पीिडिकयाबाध बोन ,तीतली के पाछा उडैत मोन214


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>धानक लावा, दुधक डावािवयाहक चुमान ,कोजगराके मखानिवधक गीत,बचपनक मीतपुरहर आ पाती, दीयाबातीछैठक पूजा, चाउरक भुसबागामक भोज ,याद आवय रोजसमयक धार मे भिसया गेलैबहुत रास बातदेखैत रिह गेलँहु हममुक दशक,िनरीह ाणी जकॉसमयक संग भिसया गेलँहु हमआब ने ओ गाछ अिछ,215


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>ने बहुत रास बातऐ रचनापर अपन मंतय ggajendra@videha.com परपठाउ।योित सुनीत चौधरीहाअतजलक सुिवधा छल तऽ बड़ी नीकई मेल सऽ दुिनया भऽ गेल छल नजदीकप्◌्राितंदतामे दामो भऽ गेल छल ठीकऑनलाइन योितष धेने पाखंडीक टीकसमाचार होय वा होय मनोरंजनक बातवेबसाईट देने छल टीवी रेडीयो के मातमोनक मािफत घरे बैसल क बजार हाटशौक सऽ सीखू आ िसखाऊ भानसभात216


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>मुदा अवगुणक मेल रिहते अिछ गुणक संगहैकरक उडता सऽ याकुल रहल मनउपाय बड़नीक सूझल फेर हा सनपासवड मे िलखलहुँ हैकरके नामपर डहकन।।ऐ रचनापर अपन मंतय ggajendra@videha.com परपठाउ।उमेश म डलसं कार गीत (संकलन)गोसाइ गीत (म लाह)217


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>कमलाकमला-कमला सुनै छलॱ कमला बड़ दूर हेऽऽगहबर पहसैत कमला भए गेल कसहूर हे,अन देलॱ धन देलॱ ल मी बहुत हेएकेटा जे माइ िब नु लागै य सुनऽ हे।कोयल-कोयला सनै छलॱ कोयला बड़ी दूर हेऽऽगोबर पहसैते कोयला भऽ गेल मसहूर हेअन देलॱ धन देलॱ ल मी बहुत हेजे भाित ज िब नु लागै य सुन हेकोयला-कोयला.....।218


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>मातैर-मातैर सुनै छलॱ मातैर बड़ी दूर हेअन देलॱ धन देलॱ, ल मी बहुत हेएकेटा जे वमी िब नु लागै य सुन हेमातैर-मातैर.....।सिस या-सिस या सुनै छलॱ, सिस या बड़ी दूर हेअन देलॱ धन देलॱ, ल मी बहुत हेएकेटा जे बालक िब नु लागै य सुन हेकमला-कमला......।2कमला मैया बसत बड़ी दूरगमक लागे गदा फूल219


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>कथी डािल लोरहब बेली-चमेलीकथी डािल लोरहब अरहूल हेगमक लागे गदा फूल कमला मैया.....िक नका चढ़ाएब बेली-चमेलीिक नका चढ़ाएब अरहूलगमक लागे गदा फूल-2कमला चढ़ाएब बेली-चमेलीकोयला चढ़ाएब अरहूल,गमक लागे गदा फूल हेकमला...िक नका सँ मगब अन-धन सोनमािक नकासँ मगब सोहाग गे सोहाग गेमलिह नय देखै मे फूल वर लाल हेसिस या सँ मगब अन-धन सोनमा220


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>मातैर सँ मगब सोहाग गेमलिह नय देखै मे फूल वर लाल....।3कटबै मे सोना सुतिर या िब नबै झुमिर जाल हेजाल फिर -फिर कमला एलिख नसन-झुन लागै गोहबिर याकह गेली परलोिभ या सेवकसुन लगै गोहबिर या हेऽऽकटबै......जाल फिर -फिर गगो एलिख नन-झुन लगै गोहबिर या हेकह गेली परलोिभ या सेवक,221


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>सुन लगै गोहबिर या हे-2कटबै.........जाल फिर -फिर मातैर एलिख नन-झुन लगै गोहबिर या हेकह गेली परलोिभ या सेवकसुन लगै गोहबिर या हेकटबै.....िब नबै झुमिर जाल हे।4जग मग जग मग योित जलै मंिद रमेदेिख यौ कमला के ृंगर कमला केलट मे तेल सोभे हुनका सदुर के222


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>अिध कार जग मग जलै मंिद र मेदेिख यौ मातैर के नाक मे निथ या सोभेहुनका झुमका के अिध कारजग मग जलै मंिद र मे सिस या के मग मेिट का सोभे हुनका होसली के अिध कारजग मग जग मग योित जलै मंिद र मेकमला ृंगार.....।गोसाइ (डोमीन)किर या कुखा हे काली माय लेलिन जोिर आइ हेमैया एक कोस गेलऽ हे काली माय दुइ कोस गेलऽ हेकाली माइ तेसर कोस उठल िश कार हे223


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>हकन कनै छै काली बन के मयुर हेबकिस िद यौ सीर के िस दुर हेसारी रात नटुआ नचाबऽ हेहोइत भोर मे उसारब हे......।2एक मूड़ी तुलसी जल सािज के रिख ह गै मलहीिन यहमरा पािन सेब देवता अरैध के लिब ह गैएक मूड़ी तुलसी जल सािज के रिख ह गै मलहीिन यऽ?हमरा गौर या सन अरैध के लिब ह गैएक मूड़ी तुलसी जल सािज के रिख ह गै मलहीिन यहमरा गहील सन देवता अरैध के लिब ह गै.....।224


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>संकलन, मूड़न गीतगोसाउिन नोतक गीतबा भिर चानन रगड़ल पाने प िल खल हे।तािह पान नोतब गोसाउिन जे िन त पूिज िथ िक हे।तािह पान नोतब िप तर लोक जे िन ज आिश ष देिथ हेतािह पान नोतब ऐहब लोक जािह स मंगल हएत हे।मूड़न बेरक-कौने बाबा िद नमा गुनाय जग ठानल हे।कौने बाबी पिड़ छिथ केश ि◌ क होिड़ या के मूड़न हे।225


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>लाल पीयर चीर पिह रब केश परीछब हेबस पुरैन लेल खॲइछ िक होिड़ लाक मूड़न हेदेबउ हजमा बड़ इनाम िक होिड़ लाक मूड़न हे।शुभ-शुभ काट हजमा केश िक होिड़ लाक मूड़न हे।लावा भुजै कालकलाव भूजय बैसली बिह िन याचुलहा दिह िन या हे।हे सु दिर मंगल आिग पजारल हेसाी प मे राखललावा पुिन भूजल हे।दुलिह न गृह मे बैिस जे याहल हे।226


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>कहय हे सिख सभ आन द मनािव यभु गोहरािव य हे।जुगे-जुगे बढ़ू अिह बातिक अइहब गािब य हे।गोसाउिन क गीतअह जगजननी सकल दुख म जिन हमरािब सिर िक ये देल।हमहूँ अबोध बोध नै हमरो ि◌ कये उसह दुख देल।िक येक चरण तब हटल अ ब हे िक येक ऐहेन मनहम अपराध कएल बड़ जननी मातु मा कय देलमूस किव कर जोिड़ िव नय क हमरा िब सिर िक य देल।227


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>2हे भवानी दुख ह म पु अपनो जाि◌ न क।दय रहल छी दुख भारी बीच भँवर आन क।आिब आशा मे पड़ल छी की क हम कािन किवमाता छी अह म आह! से हम मािन क।कोिट यो ने पएर छोड़ब हाथ राखब छािन क।दीन भु हम िन य पूजब नेम वत क ठािन क।हे भवानी।3अ बे-अ बे जय जगद बे,जय-जयकार करै छी हे।ित नू भुवन के माय अह छी228


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>तीन नयन से तकै छी हे।िस◌ ंह पर एक कमल रािज त,तािह पर बैसल छी हे।भूत ेत सब झािल बजाबैयोिग न के नचबै छी हे।रास के संहार करै छीदुिन य के जुड़बै छी हे।4कतेक दुख सुनाएब हे जननीकतेक दुख.......तं-मं एको नै जानलकी किह अह के सुनाएब हे जननी229


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>मूख पु एक अह के भुित आएलरखबिन संग लगाए, हे जननीसूरदास अधम जग मूरखतारा नाम तोहार, हे जननीदुग नाम तोहार।5मैया दुआर अड़हुल फुल गिछ याम हे फड़-फुल लुबधल डाि◌रदिछ न पिछ म स सूगा एक आएलम हे बैस गेल अड़हुल फूल गाछफड़ो ने खाय सुगा फूलो ने खायम हे पाते पाते खेलय पतझार230


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>कह गेल िक ए भेल डीहवार ठाकुरम हे अपन सूगा लीअ सुमझायभनिह◌ ं िव ापित सुनू जगद बा हेम हे सेवक पर रहबइ सहाय।िव षहिर क गीत1िव षहिर सेब मोरा िक छुओ ने भेलबिझ न पद मोरा रिह ये गेलिक यो नीपय अगुआर, िक यो पछुआरहमहुँ अभागिल दुआर धेने ठारि◌ कयो लोढ़ै बेली फूल िक यो अढ़ूल231


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>हमहुँ अभागिल ित िर या खोदू नामी दुिबिक यो मगय अन-धन, िक यो पूतहमहुँ अभागिल कर जोिड़ ठार।भनिह◌ ं िव ापित िव षहिर मायसभ िद न सभ ठाम रहब सहाय।2साओन िव षहिर लेल वेशभादव िव षहिर खेलल िझ लहोिर ।आिस न िव षहिर भगता लेल पानकित क िव षहिर नयना झ नोर।अगहन िव षहिर हेती अनमोल।232


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>3ऊँच रे अटिर या पर िव षहिर मायराम, नीची रे अटिर या पर सोनरा के मायदेबौ रे सोनरा भाइ डाला भिर सोनराम, गिढ़ िव षहिर के कलस पचासबाट रे बटोिह या िक तोह मोर भाइराम, कहबिन िव षहिर के कलसा लय जाइतोहरो िव षहिर के िच ि ह यो ने जािनराम, कहबिन कोना के कलस लए जायहमरो िव षहिर के नामी-नामी केशराम, मुठी एक डर छिन अ प बएस।233


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>महेशवाणी1दुर-दुर छीया ए छीया,एहन बौराहा बर संग जयती कोना धीयापच मुख बीच शोभिन तीन अंिख यासह-सह नचै छिन सप सिख यादुर-दुर.....।कख तर झोरी शोभिन , धथूर के बीयािद ग बर के प देख साले मैना के हीया234


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>दुर-दुर.....।जँ िध या के िव ष देिथ न िप आकोहबर मे मरती धीयाभनिह िव ापित सुनू धीया के मायबैसले ठाम गौरी के गुजिर यादुर-दुर......।2ना जाएब, ना जाएब ना जाएब हेसिख गौरी अंगनमागौरी अंगना सिख , पारवती अंगनमाबिह रा सपक माड़ब बनाओलतेिल या देल ब हनमा हे235


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>धामन सपक कोरो बनाओल,अजगर के देल धरनमा हेसिख गौरी अंगनमाहरहरा के काड़ा-छाड़ा,कड़ैत के लाओल कंगनमापिन यादरार के पहुँची लाओलढरबा के लौल ढोलनमा हे,सिख गौरी........सुगवा सप के लौल जशनमा हे,चा द तारा के शीशा लाओलमछिग ि के अभरनमा हे,सिख गौरी.........।236


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>3सिख जोगी एक ठाढ़ अंगनमामेअंगनमामे, हे भवनमामेसपिह -सप बामदिह न छलिच -िव िच वसनमामेिन त िद न भीख कतए सँ लायबघुिर िफ िर जाहु अंगनमामेभीखो ने िल अए जोगी, घुिर यो ने जाइगौरी हे िन कलू अंगनमामेभनिह◌ ं िव ापित सुनू हे मनाइनिश व सन दानी के भुवनमामे।237


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>4डर लगैए हे डेराओन लगैएगौरी हम निह जाएब तोरा अंगना, भयाओन लगैएहे अजगर के स हा पर धािम न के बरेिड़ यागहुमन के कोरो फुफकार मारैए, गौरी हम....कड़ेत के बी पर सखड़ के ब हनमािब ढ़नी के खोता घनघन करैए।गौरी.........सुगबा के पािढ़ पर ढोरबा के ढोलनमापिन या के जीभ हनहन करैएगौरी.........तेिह घर मे बैसल छिथ अपने महादेविब छुआ के कु डल सनसन करैए।238


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>गौरी..........5हम निह गौरी िश व सँ िब आहबमोर गौरी रहत कुमािर हेभूत-ेत बिर याित अनलिनमोर िज या गेल डेराइ गे।गे माइ गालो चोकटल, मोछो पाकलपएरो मे फाटल बेमाइ गेगौरी लए भागव, गौरी लए जाएबगौरी ले पड़ाएब नैहर हे।भनिह◌ ं िव ापित सुनू हे मनाइिनइहो िथ क ि भुवननाथ हे239


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>शुभ-शुभ कए गौरी के िब आह,ता होउ सनाथ गे माइ।नचारीबम-बम भैरो हो भूपालअपनी नगिर या भोला खेिब लगाबऽ पारकथी केर नाव-नवेिर या कथी कआिरकोने लाला खेबनहारे, कोने उतारे पारसोने केर नाव-नवेिर या पे कआिरभैरो लाला खेबनहारे, भोला उतारे पारजँ तोह भैरो लाला खेिब लगाएब पारमोतीचूर के लड़ुआ चढ़ाएब परसाद240


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>हाथी चलै, घोड़ा चलै, पड़ै िन शानबाबा के कमरथुआ चलै, उठै घमसान2भोला नेने चलू हमरो अपन नगरीअपन नगरी यो कैलास पुरीपारबती के हम टल बजाएबिन त उिठ नीर भरब गगरीबेलक पित या फूल चढ़ाएबि◌ नत उिठ भग पीसब रगड़ीभनिह◌ ं िव ापित सुनू हे मनाइिनइहो िथ क दानीक माथक पगड़ी।241


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>3जय िश वशंकर भोले दानीमा मंगै छी तोरे सँअपराधी पातक हम भारीत कनै छी भोरे से।तोहर शरण छोिड़ ककरा शरण मेजाएब हे शंकरदानीदयावान दाता तोरा सनके ि लोक मे निह जािन ।जाधिर निह ताकब बमभोलेहम िच िच आएब जोरे सँअपना ले फर भंिग या242ि◌ क तु तोहर अनुचर भरले


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>कोसे-कोसे नामी तूँ शंकरसेवक पर सिद खन ढरले।जनम भेल माया तृ णा मेसे तृ णा निह पूर भेलै।कामना के लहिर मे बाबाजीवन एिह ना दूिर भेलै।हे दुखमोचन पार लगाबऽहम दुिख या छी ओरे सँपूजन िव िध निह जानी हम हेयएह जिप -जिप कऽ िध यान धरीकम च के जीवन भिर हमपेटे ले ओिर यान करीजे योित र पार लगाबह243


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>हम दुिख या छी ओरे सँ।4हटलो ने मानय ि पुरारी हो िव पि बड़ भारीखूजल बसहा के डोरी कोना पकड़बचिड़ गेल फूल-फूलवारी, हो िव पि बड़ भारीअंगने-अंगने सिख सभ उलहन दै छिथकतेक सहब अित गारी, हो िव पि बड़ भारीभनिह◌ ं िव ापित सुनू हे गौरी दाइइहो छिथ ि शुलधारी, हो िव पि बड़ भारी।सोहर-244


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>1धन धन राज अयो या ध य राजा दशरथ रे।धन रे कौश या के भाग िक राम जनम लेल रे।देखैत पि ड त पुरोिह त पोथी कर नेने रेललना रे बालक होयत सगेआन वनिह िस धारत रे।से सुिन रानी िव कल भेल राजा मुरि त रे।ललना रे राम जनम लेल जॱ बन जायत रे।मन गुनी रानी हरिख त भेली राजा मुिद त भेल रे।ललना रे.......भल भेल राम जनम लेल, बझी पद छुटल रे।2245


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>कौने मास मेघबा गरिज गेलकोने मास बगवा बाजू रेललना रे कोने मासे होिर ला जनम लेलिक गोित नक िह या सालू रे।सावन मेघवा गरिज गेल,भादव बग बाजू रे।आिस न होिर ला जनम लेलिक गोित नक िह या सालू रे।कोने तेल देव सासु केकोने ननिद जी के रे।ललना रे, क तेल देबैन सासु जी केगरी ननिद जी के रे।ललना रे अमला दबैन गोित न के246


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>हुनकर पच हेतिन रे।दसमासी सोहरपिह ल मास चढ़ु अगहन, देवकी गरम संओ रेललना रे....मूंगक दाल निह सोहाय, केहन गरम संओ रेललना रे....दोसर मास चढ़ु पूस, देवकी गरम संओ रेललना रे.....पूसक माछी ने सोहाय, िक देवकी गरम संओ रेललना रे.....तेसर मास चढ़ु माघ, देवकी गरम संओ रेललना रे.....247


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>पौरल खीर ने सोहाय, िक केहन गरम संओ रेललना रे....चािर म मास चढ़ु फागुन, देवकी गरम संओ रेललना रे....फगुआक पूआ ने सोहाय, िक देवकी गरम संओ रेललना रे.....पचम मास चढ़ु चैत, देवकी गरम संओ रेचैत के माछ ने सोहाय, िक केहन गरम संओ रेछठम मास चढ़ु वैशाक, देवकी गरम संओ रेललना रे.....आम के िट कोला ने सोहाय, िक केहन गरम सेओ रेसातम मास चढ़ु जेठ, देवकी गरम संओ रेललना रे.....248


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>खुजल केश ने सोहाय, िक केहन गरम संओ रेआठम मास चढ़ु अखाढ़, देवकी गरम संओ रेललना रे.....पाकल आम ने सोहाय, िक केहन गरम संओ रेनवम मास चढ़ु साओन, देवकी गरम संओ रेललना रे....िप या के सेज ने सोहाय, िक केहन गरम संओ रेदसम मास चढ़ु भादव, िक देवकी गरम संओ रेललना रे....देवकी दरदे बेयाकुल दगिर न बजायब रेजब जनमल जदुन दन, खुिज गेल बंधन रेललना रे.....खुिज गेल ब केबार पह सभ सूतल रे।249


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>4यशोमित अुत लेखल, बालक देखल रेसु दर हुनकर गात, िक बात पकठोसल रेकंस क जी थर-थर कपय, अपन घर पहुँचल रेपूतनाक देल िव चार, जाहु तौह गोकुल रे।पूतना थन िव ष लेल घोिर िव दा भेल गोकुल रेघर स बहार भेली यशुमती, बालक लइली रेदेलिन पूतना क कोर, बालक बड़ सु दर रे।पूतना दूध िप आओल, आओर िव ष पसारल रेहिर देलिन दरसन बैसाइ खसल मुरछाइ रे।खेलौना250


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>1हाथक कंगना ननदी के दलिनसे निह मन भाबय हो लाल।फूल के घड़ी ननिद या मगय,सेहो कह पाएब हो लाल।डड़ के डरकस ननदी के दिल एिनसे निह मन भावय हो ललिप यबा देिल यिन ननदोिस या देिल एिन ,से निह मन भावय हो लाल।ई सभ िक छु निह हुनका चाहीओ मगिथ पठनमे हो लाल।251


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>2सोठौरा नइ खाएब राजा तीत लगैएसासु जे बजती बािज कऽ की करतीछिठ यारी पुजाबऽ लए माय अबैएसोठौरा ने खाएब......गोतनो ने बजती बािज कऽ की करतीहलुआ बनाबए लए भौजी अबैए।सोठौरा ने.......ननदो जे बजती बािज कऽ की करतीकजरा सेदै लए बिह न अबैए।सोठौरा ने.......देओर जे बजता बािज कऽ की करतादगिर न बजबै ले भाय अबैए।252


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>सोठौरा ने.......उमेश म डलकिव ताके मैिथ ल?जहानक परम स यजेकरा अंेजीया युिन भसल ुथ कहै छिथ -“सुज पूवमे उगैछ।”जॱ बेर-बेर आिद यसँ पूछल जाएतँ की हएत,253


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>ओहो भऽ जेताह भक्िक देखबए चाहै छिथसंसारक लोककी हम कत य पथसँ िव मुख छी? यक माण की?िक अए देतीहवैदेहीक बेर-बेर अिन परीा।दशानन जॱ सीयासँकिर तिथ स पकक यासभ मी भूत हएब िन ि त छलभगवानोक बूझल छलिनतखन रघुवर िक अए लेलिन254


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>सीताक अि न परीा?िम िथ लाक बेटी कतए गेलीहदोख ककर,राजधम वा कत यबोधभिर गर पड़ल लोकक अिव ासजकरा लेल सुखसँ िव मुख भेलिथ रघुवरओकरे आँिख मे नोर नैतँए, दूर नै भगाउजॱ िम िथ लाक बचेबाक इ छा रखै छीबेर-बेर िक अए कहै छी“हमहूँ मैिथ ल”कखनो तँ अपन मोनसँ पुछू255


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>“अह मैिथ ल, िक हम मैिथ ल?”फूलबाबूक भेटलिन पुर कारवयनाक धेने हिथ यारमुदा, हुनक नेना-भुटकामैिथ लीसँ अनभुआरफूलबा मैिथ लीक नै अिछसािह यकारमुदा हाथमे भाषाक पतवारधेने घुिम रहल अपन खेत-पथारडोका-काका◌ेर बीछ हमभटक लाबा िच बा कऽउफनैत सोिन तक जरा रहल छीिम िथ लामे बैसल.....।256


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>मुदा, रिह ये गेलके मैिथ ल?िक छु नै फुराइएकी कही कहल नै जाइएदेखै छी रहल नै जाइएसुनै छी तँ आय लगैएहवाइ लडू सगतिर िब काइएहाथीक बदला िस िड़ लेनेसझ-परात घुमैए257


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>लेलहा, लुा, लुटलाहाबंिच त भऽ कऽअपन भा यपर कनैएबेब था केर होइत नाचसझ-परात सभ देखैएिन नाएल आँिख , भकुआएल मोननैसिगक ित भाक टोना करैएिवक आहिट पािबिव ानक सुगबुगाहिट देखिक छु णले सभ एक होइएमुदा,ओ िस िड़कखनो जाित क तँ कखनो धमक258


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>माला िप हबैएकखनो झािल क धून तँकखनो मृदंगकअपन धूनक धुिन मे सभ अंध भेल बौअ◌ाइएिक छु नै फुराइए।अपन गामउड़ैत-उड़ैत उिठ नै सकलॱउजिड़ गेलॱ उपिट गेलॱकेरा आ अिड़ कंचनक पातकलक बगलक खा बलेदुनूक लहलहाइत वीर देख259


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>ि◌ व त भऽ आ त भऽहम उिड़ गेलॱबीना जिड़ -मूड़ीक भऽ गेलॱठुठ गाछ सन,नव पपी खोजैक िल लसामनमे अिछ हमरा या तमुदा,खाक हम बुझै छी अधलाजे हमर करत क याणसंभवत: तँएहमरा नै अिछ िव ासउड़ैत-उड़ैत उिठ नै सकलॱबौराए गेल छी अकासे-अकास।260


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>हे यौ अह केलॱ िक छु अहजे केलॱ अपनेले अहतइले दुख हमरा अिछ कह।सुर ि◌ नमल छोिड़ अहअक याणक बाट पकिड़ अहखुरछाही कटैत रहलॱबदलैत प ओ ि थ ित किच ह-जािन तैयो अहढेका पकिड़ टहलैत अहआइ जॱ हम, िक छु बजै छी261


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>िक छु करै छीऐमे केना मा टरी करै छी अहकाि अहक हमरकोनो ान नै छलकि को िध यान नै छलमुदा, भुखलक पेट भरबाक जगहतेल, फुलैलक फेरमेधकलैत ओइ जेरमे रहलॱ अहआब गाम गाम नै रहलिव क गाम भऽ गेलअहक बजोरोसँ पैघ, सघनजतए इमानदार, कमठ, उदाररहैत आएल अिछ आइसँ नै262


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>सिद ओंसँ, जेकर साी अिछ इित हाससंभवत: अहुँक चपचपी सघनभऽ जाइत अिछ गामेक नशामे।गाओल जाइत अिछअपन गीतनाद,मनाओल जाइत अिछअपन िव ध-बेबहारकएल जाइत अिछअपन काज-राजखाएल जाइत अिछअपन कमाएल।263


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>घामघाम चुबा-चुबातमैत अिछ कोला-कोलािक सानक हृदैमे होइत अिछगदमगोला।अपनो खाएब आ दोसरोक िख आएबयएह तँ एकर िछ ऐ सरोकारमुदाऐ सरोकारक िक यो नै दैत अिछ .........।264


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>हैकू/ टंनका1तोरा पएरेहम नै जेबो आबिक एक तँ तूँभेल लापड़बाहचऽल कोिढ़ क चािल ।2अहक आिखचपेट लैत अिछहमर हृदेऔनाए लगैत छी265


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>चा भूवन हम।3मेघ बादलदुनू चलै साधलपहाड़ी िद स।4नदी गॲिग ऐकमल केर फूलरँग बदलैरौद लगलापरउ जरो भऽ जाइत।5इ कमल266


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>होइत अिछ फूलउ जर धप्6थल कमलगाएक घंटी सनहोइत अिछ7बग बजैएटर-टर रटैतघोघ फका कऽउछिल -उछिल कऽतड़ैप-तड़ैप कऽ267


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>8कदम फूलसभरँगा रँगसँशोिभ त छैझड़ैत रहैत छैसमए समैपर।9बोिन हािर नकेर सोि◌ नतक छैसड़कपरदेल अलकतड़ानै छै ककरो पता।10268


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>सोिन त दानमहादान होइछजीवन लेल11हिर यरकाडग-डगीसँ भिरजाइत अिछ12कनैल फूलपामे नुकाएलरहैत अिछ269


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>13एतुा िग पड़ाइन करैएमनु खे जाक14अंडी छाहिरदैत अिछ राहितकोिश क हामे15उ जर मेघिट करी बिन -बिन270


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>जेना चलैए16केराक वीरअपन वीरताकघोकचौअने17मोड़-मोड़नीवादलक सह पािबनाचै लगैत18271


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>गुफाक गुंजेत वादलक सहअनुगुंिज त19रँगल कोसानेने अबैत संगकेरा घौड़क20च पा-चमेलीरोहिन क नकरक रौद272


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>21मआ बीआरोहिन आम दुनूउमझै पकै22ित खर रौदबलुक जहाजकतेजी अनैत23सुरेब िस सो273


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>ऋृगवैिद क सनकठमकठ24पहार पारउरवािर कातिक छु अव य25पाथर उगैपािन सटकै छैकमेघ लटकै274


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>26गोल-मोल छैधप्-धप् चान छैदाग लागल27सु गा बैसलसोिच रहल अिछपाछू लोक ले28सु गा बैसलिच तामे डूबल छै275


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>दीन-हीन लेऐ रचनापर अपन मंतय ggajendra@videha.com परपठाउ।१. सुनील कुमार झा- सरल वािणक छदमे दूटा गजल२. भात राय भ१276


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>सुनील कुमार झासरल वािणक छदमे दूटा गजल(१)हुनका सॲ हँिस के बाजलॲ ते हला मिच गेलहुनक मुँह िदस ताकलॲ तs हला मिच गेलपक चमा के कारी अमावस केने रहीचमकैत पूिणमा के देलॲ तs हला मिच गेलओ नैनक कटार से सबके ये घायल केनेहम नजैर से जे ताकलॲ तs हला मिच गेलहुनक पक लाइट भ-भ जरैत येसबहक िडिबया िमझेलॲ तs हला मिच गेलओ आँिखक इशारा जे मारलक मुंडेर परहम फिद गेलॲ जे देबार तs हला मिच गेल277


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>अहॲ िलखूं ग़ज़ल ओ कहैत रहे सिदखनकिरया कलम जेs उठेलॲ तs हला मिच गेल(२)चमरपी म गाय मरल ते कोनो बात नैबभनपी म बग मरल हला मिच गेलहमर झोपड़ी खसाs के ओ महल बना लेलाsफेर से दुछी जे बनेलॲ ते हला मिच गेलओ नोटक जोड़ पर बड़का नेता बिन गेलहमर ईमान नै िबकल ते हला मिच गेलिवदेशो म रिह, नै िबसरल अपन मिट केएता गामॲ म बाजलॲ मैिथली हला मिच गेलनै िबसरब अपन मिट के किरयॲ ई णजे सुनलक हमर ई गोप हला मिच गेल278


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>२भात राय भ१जम लेलॱ हम जतय सीता माए के अिछ गाम,या गै हमरा एतेक बतादे की अिछ हमार नाम,िकया कहैय हमरा सीसी बोतल आर िबहारी धोती,आफद भगेल यामे हमरा अपने देशम दू छाक रोटी,279


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>अपने देश बुझाईय परदेश शासक बुझैय हमरा िबदेशी,नए छौ तोहर कोनो नागिरक अिधकार तू भेले मधेसी,भूख स मोन छटपट करैय भेटे नए िकछु आहार,दया धम इमान नए छै शासक के िकया करैय ितरकार,की यी हमर रा नए अिछ? या हम सुकुबासी िथक?बौआ हमर नुनु ययौ कान खोइलक दुनु सुनु ययौ,अह िथक मधेशक धरतीपु हम अहक मधेस माए,िनठुर शासक के हाथ बधकी परलिछ देलॱ सिकछ गमाए,तन मन धन सब लुलक आब करैय खून पसीना शोषण,आशा केर दीप अिहं अिछ हमर वीरपु क मधेस रोशन ,मधेसमे जम लेली जे िकयो फज तेकरा िनभाव परत ,नेपाल स मधेस माए के मुत कराब परत ,280


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>सुदर शत वतं एक मधेस एक परदेश बनाब परत,मंगला स त भेटल नए आब छीन क लेब परत ,लड़ पडत आजादी के लड़ाई देब परत बिलदान ,तखने भेटत मान समानं आ बनत मधेस महान२याामरलोउपरत रहैय ओ आमा जीवंत,िजनकर याा होइत अिछ अनत,अनबरत चलैत रहू लयक डगर पैर,िमलय नए मंिजलक ठेगाना जाधैर,पाछू कखनो घुईर नए ताकू,281


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>डेग पैर डेग बढ़ाऊ आगू,पाथैर कंकर पैर चल परत,कट क चुभन सहपरत,भसकैय संगी सेहो साथ नएिदए,एसगर िजनगी क यााम चल पड़य,रही रही मोनम उय जोर िटस,जुनी िकयो नए ताकत अहिदस,भसकैय अपनॲ सबध पराया,साथ छोइड सकैय वथ काया,मुदा टूटे नए अटल िववास,एक िदन बुझत मोनक यास,282


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>भेटत अहके अपन मंिजलके ठेगाना,िजनगी अनंत याा छै बुझत जमाना,मरलोउपरत रहैय ओ आमा िजवंत,िजनकर याा होइत अिछ अनत,ऐ रचनापर अपन मंतय ggajendra@videha.com परपठाउ।१. पंकज कुमार झा २. नवीन कुमार आशा१283


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>अिभयता छिथ।पंकज कुमार झा, सित- एच.सी.एल. मेओझरैल हमर बौिक मोन (1)एक अबोधदय के शूलिबना कोनो कारनेअई जमक भूल िबनाजहन भोगी रहल अई284


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>दंड पूव जम केतहनेटा पता चलैत अईजमतरक् खेलओना त सबटािमया लगैत अईिवानक सोच मओझरैल हमर बौिक मोनईवरक लीला मानैक लेल तैयार नै अईमुदा !जमे स रजाआ जमे स रंकजीवन के अनत रंग मऐना सनैल अई285


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>िक सब िकछ माया अईवषक बुलबुला जँकारंगीनमुदा !फुटलाक बादकतौ िकछ नै(आर एम एल हॉिपटल म एक बचा दय रोग स पीिड़त छल)आनंदक रहय (2)देखलहुं आदमीक वभावक वपजहन जहन िबपि अबै छैनमोनक कटुता दूर हटै छैन286


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>मीठ बोल सहयोगी बनै छैथआ पुनःसमय अनुकूल होइतेमोन जहर स भैर जैत छैनअजब गजब पिरवतनतुरंत तुरंतएके यित केअलग अलग यबहारसमय के अंतराल मकेना रत के वाहबदैल देत छैकभावनाक वप केसमझ स परे छैक287


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>बुझैत समझैत जनैतमुदा !समय स हरैतयित वयंघुटन महशुश करैत छैथमुदा !अयास हावी होइत छैनआ ओ अयासक पिरहासमुदा !ई सब िनमणईर के कैल छैनिम जँकाभावनाओ के288


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>अलग अलग प मपरावितत करैक छमतामनुयक दय म बनौने छैथिविमत त करैयामुदा !ई कोनो यित िवशेष नईिनमण कत के िनमण अईवभावक सच वप तसमझनाई थोड़ेक किठन अईआ तएकरा माईन लेला मा ससता सहजे भेटनाईये अई289


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>सृिक खेल (3)बड़ा अुत अईराम एलाकृण एलागंगा सेहो अवतिरत भेलीहंथो सब िलखैलएखैन धैरपूजन वाचन चलैत अईमुदा !कोनो पिरवतन नई भेलमानव वाभाव स वैह रही गेलिकयािक ?290


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>मानव के रचना अिह लेल भेल अईई मा एक टा लुकािछपीक खेल अईसृि आ ाक अनंत च अईसचक पथ (4)सच त याह अईिक सचक पथ परशुले टा गड़तमोन भीतरे भीतर सबटा सहतिकयािक सच ससहनािययेटाक ान भेटल अईएकर िबपरीत291


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>चालला सशूल ने गड़तिकयािक असहनशीलताक ानपिहले स शूल के उखाड़वाक य करतसंतुलन आ असंतुलन के खेल (5)अजब ई देहक संरचना अईमैट पैन स बनलमुदा !संतुलनेटा म जीवन अईथोड़बे असंतुलन सपुनः292


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>मैट पैन सअलग भै जैत अईजीवन जड़ संग िबनादेह ख़म भै जैत अईबड़ा किठन अईदेहक संतुलन के बनौनाईआ देह के बचा क रैख पौनाईहर छन देहक कृित बदलैत छैकसंतुलन असंतुलन के म चलैत छैकमैट के पैन सपैन के मैट सजुड़नाई िबछरनाईचलैत रहैत छैक293


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>देहक िनमणआ देहक अबसानसंतुलन आ असंतुलन के खेल छैक६ठाढ़ छीठाढ़ छीसमयक-शेषनाग स बहैल छीसय आ असयक िबचमथनी जँका मथाई छीमंदराचल जँकातटथकछप पर294


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>देवता िदश एक बेरआ असुरक िदश एक बेरखॴचल जैत छीअपने धुरी परपृवी जँकािदन आ राइत म बंटैल छी२295


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>नवीन कुमार आशाअनाथमाए बाबू अहाक आवे यादजे पिबतो दूनूक साथिक लोक किहते अनाथजखन देिख अहाक छायाने िक पाबे तखन नीरमाए ....................................कखनो कखनो मोन करेहमहू पािब कोनो कनहाने भेटे जखन कोनो कनहातखन लागे हम छी अनाथमाए..........................................अहा दूनू जे रिहतो296


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>िनक खराबक पिहचान करेतोकखनो हमरा डिटतोकखनो करतो दुलारने पेलौ ओ दुलारजे म रहे सभक संसारमाए......................................जखन किर बदमाशीलोक कहे हमरा यो बाबूिकयाक ने हेते ऐहनने छे ककरो सायािकयाक ने करे कुसंगने छे ककरो सायामाए...................................भगवान ने ककरो ऐहन िदन देखाबेने ककरो अनाथ बनाबिथभेटे सबके माए बापक यारजे मे अिछ सभक संसारमाए...................................................297


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>ऐ रचनापर अपन मंतय ggajendra@videha.com परपठाउ।१. रामिव लास साहु २. रामदेव सादम डल 'झादार'३. िकशन कारीगर- ग़रीब ४. जगदीशसाद मडल१.रामिव लास साहुकिव ता298


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>बेरोजगारीहम छी बेरोगारकाम करै छी लाचारहमरासँ करबैत अिछ बेगारभुखल पेट बनल छी दुखारीदुखक मारल सुतल छीउपरसँ पिर वारक बोझ भारीजिह ना लकड़ीक चीरैत आरीखेबाक नै भेटैत उधारीबाल-ब चा बनल अिछ भीखारीहमरा देख लोक मारैए िक लकारीकी करब नै अिछ समझदारी299


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>आसा नै किह या बनब रोजगारीकी ाण लेत अ याचारीदेशमे किह या मेटाएत बेरोजगारीसरकारक नै अिछ सभसँ सरोकारहम छी बेरोजगार।ीतक गीतफागुन मास हमर िब तए यौवनमाहमर दुख किह या हरत सजनमागौना कराए िल अ एबकी फगुनमाआमक गाछपर बैसल कोइली300


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>ीतक गीत सुनबए एबकी फगुनमाचैत मास जेना टपकै महुआओिह ना टपकै हमर यौवनमासावनक मेघ िभ जबए बदनमािब जली चमकए बादल बरसैदेहसँ छुटै पिस नमाबरखा बरसै घनघनमािप या बनल अिछ बैमनमाऊमरल निद या, दरद जगाबएदरदक दुख केना केकरो कहबैआिब ते सजनमा दरद हिर लैत फगुनमागौना कराए िल अ एबकी फगुनमाीतक गीत सुनबै छी सजनमा।301


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>पैआक ढेरीपैआक ढेरीपर करैए खेलदुिन यक नचबैए ठेल-ठेलपयाक लालचमे बनल अिछ पागलदानव बिन मानवपर करैत राजसुखक भुख िम टबैए पैआसँदीन दुिख याक तौलैए पैआसँमनु खक चािल छोिड़ चलैएनाच करैए खंजन िच ड़ै सनसुखक चाहमे भटिक गेल राहसोमरसमे समाए गेल मन िव चार302


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>नंगा नाच करैए पैआ ढेरीपरजोशमे होश उिड़ गेल नचबैयाकजखन पैआक ढेरी अंत भऽ गेलिज नगीक दू िक नारा बीच िप साए गेलदुखक धारमे बिह गेल पैआक ढेरीजिह ना मनुख मुी ब जनमैएहाथ पसािर संसारसँ चिल जाइएपैआक ढेरी ओिह ना रिह जाइए। टाचारीजागु-जागु यौ देशक भैयारी303


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>देशमे घुसल पैघ-पैघ चोरचोर केहेन पिह चान नै आबएदेशमे घुिस सभक सतौनेएदेशक भैयारी, जागु, क तैयारीदेशक क रखबारीआब अ◌ापसमे क नै कोनो बेपारी।चोर देशक करैत अिछ कमजोरचोरक नाओं छी टाचारीसभ िव भागमे जमैने अिछ अिध कारमंी-संी एकरे बलपरभेल अिछ मालो-माल।304


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>बड़का महलबलाक िद ल अिछ कारीसभ टाचारी, बनल अिछ अिध कारीदेशक धन िव देशमे करैत अिछ िब कवालीसभ टाचारी, बनल अिछ अ याचारीजनताक सोिन तबेचबाक करैत अिछ रोज तैयारीकेना भागत देशसँ ई टाचारीतेकर क तैयारीजागु-जागु यौ देशक भैयारी।305


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>२'झादार'रामदेव साद म डलज म- 13. 07. 1967पता-गाम- रसुआरभाया- मुंगराहा (ि◌ नमली)थाना- मरौनािज ला- सुपौलपीन- 847452306


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>1जागू बाबू आबू आगूजीयापर क िव चार यौकोना जीयब अइ दूषणमेृजनहार बेमार यौभू जल वायु विन दूषणदुख दुिन यामे अपार यौ।कोना बँचब ए◌े काल गालसँसभ िम ल क िव चार यौ।307


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>िव ानक ई देन दूषण बिनघर घुसल चुहार यौ।बाघ बिन ई मुँह बौने अिछदुि◌ नय बनल िस कार यौ।इंजन हो पूरा कंडीसनधुआँ नै छोड़ै बेकार यौ।क िख याल िक छु अिग ला िप ढ़ीकोना रचत संसार यौ।होयत कोना दुि◌नयामे पावनघरतीपर नर नािर यौजगत पाविन गंगा मैया,308


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>खुद शुि क ि◌भखाइर यौ।2दया धरम िन ठा मानवताान भरल भरपुर गैबोल गै दैया कोना नै हेतैदेशक गिर बी दूर गै।काम ोघ आओर लोभ भगेतै,घर-घर ानक दीप जरेतै।आब नै राज अानक रहतै,घरतीपर दूर दूर गै बोल.....309


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>िह नसा छोिड़ आब शाि त घरतै,बसुदेव कुटुम कम गढ़तै।जग अमनक पोथी पढ़तै,सझ भोर दुपहर गै बोल...झादारक सभ झा पढ़तैदया मानवता मनमे भरतै।सेवा केना आग बढ़बै छैसोचतै सभ जर गैबोल.....सेवा कमक पूजा बुझतैअसत छुटै कऽ युि त सुझतैअसत ित यािग सभ सुख अपनेतै310


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>आब बेसी नै दूर गै बोल....।3सभपर छै अानक छायासतसँ भेलै दूर हौ।अपने भाएक लहु चाटै छैबिन कऽ मिह षा सूर हौ।जाित धम मानवता भेदीलोग बनल सभ अही केर कैदीधमक आिग मे जड़ै ई जनताबिन गेल छह सभ ुड़ हौ।311


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>धम इमानसँ लोक छै बंिच तकाम ोध आओर लोभ छे संिच तिन ठा नीित मानवताक, सभ तपै छै घूर हौअंध िव ास छै सभक धएनेकुरीित सँ घर छै भरनेअानक अ◌ािग मे जड़लैसबहक करम कपुर हौ।३312


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>िकशन कारीगरग़रीब ।हम छी गरीबनिह आब दैत छिथ313


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>हमरा िकयो अपना करीबिकएक त हम छी गरीब।।भिर िदन भूखले रिह किकछु काज राज करैत छीमुदा तइयो दू टा रोटीिलखल निहं अिछ हमरा नसीब।।जेकरे मौका भेटैत छिहवैह हमर शोषण करैत अिछिकछु बाजब त बोइनो निह भेटतडरे हम िकछु निह बजैत छी।।314


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>डेग डेग पर ाचारएसगर हम केकरा सँ लड़बिधया पूता अ िबनू िबलैख रहल अिछकहू कोना के हम िजअब।।िठकेदारो हमरे कमाई लूिट रहल अिछजेबी मे निह अिछ एो टा टाकानून रोटी खा कहूना के रिह जइतहुँमुदा बढ़ल मँहगाई गरीबक घर देलक डाका।।टाकाक अभाव मे आब हमबिन गेलहुँ अपतालक मरीजडॉटरो हमरा देखी कहैत छिथ315


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>तू दूरे रह निह आ हमरा करीब।।िवधाता केहेन रचना केलैनजे हमरा बनौलिह गरीबनिह आब दैित छिथहमरा िकयो अपना करीब।।आब अिहं कहू यौ समाजक लोकअधपेटे कोनो जीबैत छी हमगरीिबक दुशच अिछ घेरेनेिजनगी जीबाक आस भेल आब कम।।जी तोड़ मेहनत करैए चाहैत छी316


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>मुदा कतए भेटत सब िदन काजकाज भेटलो पर होइत अिछ शोषणएना मे कोना करब धीया पूताक पालन पोषण।।सझ िभंसर दू टा रोटी भेटैएएतबाक आस लगेने अिछ गरीबिनक िनकौत सेहतो निह सोचैत छीिकएक त हम छी गरीब।।४317


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>जगदीश साद मडलकिव ताजुआनीसमए संग चढ़ैत जवानीसुित -जािग चलैत अिछ ।नट-नटीक रंगमंच गिढ़318


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>घर-अंगना नचैत अिछ ।चैत िच चिढ़ ते चढ़ैतयोग-िव योग बीच मरड़ाइत।लहलहाइत, फन-फन फानितदन-दन-दनाइत तड़पैत।कात-करोट देख-देखसोलहो ृंगार सजबैत।योगी-िव योगी बिन -बिनराग-तान, सुर िम लबैत।हपैत हवा थरड़ाएल योित बीचवेदनक वाणसँ बेिथ ततुक तन अधिख लू मनटुकड़ी-पुरजा भऽ उड़ैत।319


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>शीतल समीर िस हरैत सजाकलिप कलिस कोमन कलीहँिस -काि◌न झर-झर झहिरनयन-नीर कोमल डली।कड़िक जुआनी झड़िक -झड़िकिह यबै राह िज नगी केरबिक◌ ंग बौल बना-बनािख ल पकिड़ फेक सािध केर।ऐ रचनापर अपन मंतय ggajendra@videha.com परपठाउ।320


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>डॉ. शेफािलका वम१इजोिरयाक भाषाचलू, परछाहॴक पार हम घूमी आिबिलखलजे ससक गाथामौनक भाषा मे ओकरे हम गुनगुनाबी......दद ाण मे अहक मृितकिवलािख िवलािखआहत गीत उमड़ीछटपटा रहलउमड़ी321


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>बैसी अधर पर कुहैरी रहल !सझक दम तोडैत बेलाचैती बयारक कपनचदनी बैिस हमर अहकिलिख रहलओ भाषाजे निह किह सलॲहम अहकेनिह किह सलॲ अह हमरा ...चलूतखन इजोिरया सअपन अहक मौन गाथापुिछआिबमौनक भाषा मे ओकरे हम गुनगुनाबी ..............322


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>२बीतल इितहासहम पलक पिख मे पोिसरहल छीबीतल युगक नीरव इितहास !नयन-पथसं सस मे िमिलिशखी चुनैत जलजात रहल'आह ' सं िनकिल 'चाह' म िखलीटूटल आस-पािरजात रहल !ओचंचल सपना पुलक भरलई323


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>पंदन िचर यथा केरसुिध सं सुरिभत नेह घुललआखर िततल हमर कथाक !नयन म अनिगन चुबनसजग िमित रहल उमदसस म सुरिभ, वेदनक णचातकी सन तकैत िये -पद !आय तं सब सस म भरलमरण योहारक िनसीम जयमौन म ानक तार टूटलिनसस भेल िपआस म लयगहन तम-िसधु म उमड़ल324


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>अधर पर अंगारक हासबीतल युगक नीरव इितहास....ऐ रचनापर अपन मंतय ggajendra@videha.com परपठाउ।िवदेह नूतन अंक िमिथला कला संगीत१. ेता झा चौधरी २. योित सुनीत चौधरी३. ेता झा (िसंगापुर) ४.गुंजन कण325


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>१.ेता झा चौधरीगाम सिरसव-पाही, लिलत कला आ गृहिवानमे नातक। िमिथलािचकलामे सिटिफकेट कोस।कला दिशनी: एस.एल.आर.आइ., जमशेदपुरक सकृितककायम, ाम-ी मेला जमशेदपुर, कला मिदर जमशेदपुर (एजीवीशन आ वकशॉप)।कला सबधी काय : एन.आइ.टी. जमशेदपुरमे कला ितयोिगतामेिनणयकक पमे सहभािगता, २००२-०७ धिर बसेरा, जमशेदपुरमेकला-िशक (िमिथला िचकला), वूमेन कॉलेज पुतकालय आहॉटेल बूलेवाड लेल वाल-पिटंग।ितित पॉसर: कॉरपोरेट कयुिनकेशस, िटको;326


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>टी.एस.आर.डी.एस, िटको; ए.आइ.ए.डी.ए., टेट बक ऑफइिडया, जमशेदपुर; िविभ यित, हॉटेल, संगठन आ यितगतकला संाहक।हॉबी: िमिथला िचकला, लिलत कला, संगीत आ भानस-भात।२.327


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>योित सुनीत चौधरीजम ितिथ -३० िदसबर १९७८; जम थान -बेवार, मधुबनी ;िशा- वामी िववेकानद िम िडल कूल़ िटको साकची गस हाईकूल़, िमसेज के एम पी एम इटर कालेज़, इिदरा गाधी ओपनयूिनविसटी, आइ सी डबयू ए आइ (कॉट एकाउटेसी); िनवासथान- लदन, यू.के.; िपता- ी शुभंकर झा, ज़मशेदपुर; माता-ीमती सुधा झा, िशवीपी। योितकwww.poetry.comसँसंपादकक चॉयस अवाड (अंेजी पक हेतु) भेटल छिह। हुनकरअंेजी प िकछु िदन धिर www.poetrysoup.com केर मुयपृ पर सेहो रहल अिछ। योित िमिथला िचकलामे सेहो पारंगतछिथ आ िहनकर िमिथला िचकलाक दशनी ईिलंग आट ुप केरअंतगत ईिलंग ॊडवे, लंडनमे दिशत कएल गेल अिछ। किवतासंह ’अिचस्’ कािशत।328


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>329


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>३. ेता झा (िसंगापुर)330


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>४.गुंजन कण रटी मधुबनी, सित यू.के.मे रहैछिथ। www.madhubaniarts.co.uk पर हुनकर कलाकृितदेिख सकै छी।331


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>ऐ रचनापर अपन मंतय ggajendra@videha.com परपठाउ।िवदेह नूतन अंक ग-प भारती१. मोहनदास (दीघकथा):लेखक: उदय काश (मूल िहदीसँमैिथलीमे अनुवाद िवनीत उपल)मोहनदास (मैिथली-देवनागरी)मोहनदास (मैिथली-िमिथलार)मोहनदास (मैिथली-ेल)२.िछमता- भा खेतानक िहदी उपयासक सुशीला झा ारामैिथली अनुवादिछमताबालान कृते332


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>१. जगदीश च अिनल २.ेमच िम- अपन बेटाअिभनव िमक बल दै लेल किवता१जगदीश च अिनल (मूल नाम)जगदीश च ठाकुर, जम: 27.1<strong>1.</strong>1950,शंभुआर, मधुबनी ।सेवा िनवृत बक अिधकारी। मैिथलीमे कािशत पोथी-<strong>1.</strong> तोराअडनामे -गीत संह-1978 2. धारक ओइ पार-दीघ किवता-1999333


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>गीत१बुची बढती,िलखती-पढतीहमरा िचता कथी के।ितलक-दहेजक दानव केरउपात मचल अिछ िमिथलामे,तै लए बुचीखडग उठौतीहमरा िचता कथी के।ान आर िवानक संपितअिजत करती जीवनमे,नव सुज आचान बनौतीहमरा िचता कथी के।334


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>लोकक मोल बुझैछै एखनहुंलोक बहुत छै दुिनयामे,संगी अपनअपनिह चुनतीहमरा िचता कथी के।अपनिह म सं बाट बनौतीएिह बबूर केर जंगलमे,दुख सं लडतीआग बढतीहमरा िचता कथी के।२जगदीश च ‘अिनल’मैिथली गीत-ममी, तो िचंता जुिन कर,तॲ तं हमरा पढ़ा-िलखादेकर निह किनयॲ कथूक डर ।ितलक-दहेजक बल पर िकहुहम कतहु निह करब िबयाह,335


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>अानी, ढॲगी, पाखंडीकसंग निह जीवन करब तबाहअपन पयर पर ठाढ़ होयब हमहोयब अपनिह पर िनभर,ममी, तॲ िचंता जुिन कर ।संपित अिजत करब सतत हमान आर िवान केरनाम बढ़ायब हम दुिनया मेसगरो िहदुतान केरहमर वमे ‘िकरण’, ‘कपना’सतत कानमे हुनकिह वर,ममी, त◌े िचंता जुिन कर ।हमर गहना होयत ममीहमर आम-िवास टािवजय अंध-िवासक उपरसयक िदय काश टाजीयब वािमभमान केर संगिहएतबिह अिछ अिभलाष हमर,ममी, तॲ िचंता जुिन कर ।२336


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>ेमच िमअपन बेटा अिभनव िमक बल दै लेल किवतानुका नुका कऽ कानय बाला, यथ समय िबताबय बाला!!िकछु सपनाक मिर गेलासँ, जीवन निह मरैत छै!!सपना की अिछ, अहॴक ओछाइनपर, सूतलमे आँिखक पािन।आओर टूटल तँ की भऽ गेल, जेना जागए कचे नी जवानी॥भीजल उमर बनाबय बाला, डुबकी िबना नहाबए बाला॥कनी पािनक बिह गेलासँ सावन निह मरैत छै।337


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>माला टूिट गेल तँ की भेल अपने हल भऽ जाएत समया।नोर जा िललाम हुअए तँ बुझू पूरा भेल तपया।सल िदन मनाबय बाला, फाटल अंगा िसयाबय बाला।एक आध दीपक िमझा गेलासँ अंगना नै मरैत छै।हराइत निह छै िकछु एतए, बस िसफ िजद बदलैत अिछ पोथीजेना राितक उतिरक चादनी, भोरे पिहरैत अिछ रौदक धोतीकपड़ा बदिल कऽ आबए बाला, चािल बदिल कऽ जाइ बाला338


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>कनी खेलौनाक हेरा गेलासँ नेनपन निह मरैत अिछलुिट लेलक जे मिलया उपवनक, लुटलक नै ओ गध फूलकिबहाइरो तक नै छोड़लक पर, िखड़की बद ने भेल धूलकनफरत आिलंगन करैबाला, सभपर गद उड़बैबालािकछु मुखड़ाक नाराजगीसँ अएना नै मरैत अिछलाखो बेर घैला फूटल, चीछो तक नै आएल पनघटपरलाखो बेर नाह सभ डूबल, चहल-पहल ओिहना अिछ पनघटपर339


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>अपन उमर बढ़ाबय बाला, लौ कऽ उमर घटाबय बालालाख करए पतझर कोिशश पर फुलवाड़ी नै मरैत छैऐ रचनापर अपन मंतय ggajendra@videha.com परपठाउ।बचा लोकिन ारा मरणीय लोक१.ातः काल मुहू (सूयदयक एक घंटा पिहने) सवथम अपनदुनू हाथ देखबाक चाही, आ’ ई लोक बजबाक चाही।कराे वसते लमीः करमये सरवती।करमूले िथतो ा भाते करदशनम्॥करक आग लमी बसैत छिथ, करक मयमे सरवती, करक मूलमेा िथत छिथ। भोरमे तािह ारे करक दशन करबाक थीक।२.संया काल दीप लेसबाक काल-340


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>दीपमूले िथतो ा दीपमये जनादनः।दीपाे शरः ोः सयायोितनमोऽतुते॥दीपक मूल भागमे ा, दीपक मयभागमे जनादन (िवणु) आऽदीपक अ भागमे शर िथत छिथ। हे संयायोित! अहकनमकार।३.सुतबाक काल-रामं कदं हनूमतं वैनतेयं वृकोदरम्।शयने यः मरेियं दुःवतय नयित॥जे सभ िदन सुतबासँ पिहने राम, कुमारवामी, हनूमान्, गड़ आऽभीमक मरण करैत छिथ, हुनकर दुःव न भऽ जाइत छिह।४. नहेबाक समय-गे च यमुने चैव गोदाविर सरवित।नमदे िसधु कावेिर जलेऽिमन् सििधं कु॥हे गंगा, यमुना, गोदावरी, सरवती, नमदा, िसधु आऽ कावेरी धार।एिह जलमे अपन सािय िदअ।341


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>५.उरं यसमुय िहमाेैव दिणम्।वषं तत् भारतं नाम भारती य सतितः॥समुक उरमे आऽ िहमालयक दिणमे भारत अिछ आऽ ओतुकासतित भारती कहबैत छिथ।६.अहया ौपदी सीता तारा मडोदरी तथा।पचकं ना मरेियं महापातकनाशकम्॥जे सभ िदन अहया, ौपदी, सीता, तारा आऽ मदोदरी, एिह पचसावी-ीक मरण करैत छिथ, हुनकर सभ पाप न भऽ जाइतछिह।७.अथामा बिलयसो हनूम िवभीषणः।कृपः परशुराम सतैते िचरीिवनः॥अथामा, बिल, यास, हनूमान्, िवभीषण, कृपाचाय आऽ परशुराम- ईसात टा िचरीवी कहबैत छिथ।८.साते भवतु सुीता देवी िशखर वािसनीउेन तपसा लधो यया पशुपितः पितः।342


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>िसिः साये सतामतु सादातय धूजटेःजावीफेनलेखेव ययूिध शिशनः कला॥९. बालोऽहं जगदानद न मे बाला सरवती।अपूण पंचमे वष वणयािम जगयम् ॥१०. दूवत मं(शुल यजुवद अयाय २२, मं २२)आ ियय जापितॠिषः। िलंभोा देवताः।वराडुकृितछदः। षजः वरः॥आ ॑न् ा॒णो ॑वच॒सी जा॑यता॒मा रा॒े रा॑ज॒यःशुरे॑ऽइषयो॒ऽितया॒धी म॑हार॒थो जा॑यत॒ दोॴ धे॒नुवढा॑न॒वाना॒शुः सितः॒पुर॑िध॒यवा॑ िज॒णू र॑थे॒ाः स॒भेयो॒ युवाय यज॑मानय वी॒रो जा॒यतिनका॒मे-िन॑कामे नः प॒जयॲ वषतु॒ फल॑वयो न॒ऽओष॑धयः पयतयोगे॒मो नः॑ कपताम्॥२२॥माथः िसयः सतु पूणः सतु मनोरथाः। शूण बुिनाशोऽतुिमाणामुदयतव।ॐ दीघयुभव। ॐ सौभायवती भव।343


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>हे भगवान्। अपन देशमे सुयोय आ’ सव िवाथ उप होिथ,आ’ शुुक नाश कएिनहार सैिनक उप होिथ। अपन देशक गायखूब दूध दय बाली, बरद भार वहन करएमे सम होिथ आ’ घोड़ाविरत प दौगय बला होए। ीगण नगरक नेतृव करबामे समहोिथ आ’ युवक सभामे ओजपूण भाषण देबयबला आ’ नेतृव देबामेसम होिथ। अपन देशमे जखन आवयक होय वष होए आ’औषिधक-बूटी सवदा पिरपव होइत रहए। एवं मे सभ तरहहमरा सभक कयाण होए। शुक बुिक नाश होए आ’ िमकउदय होए॥मनुयक कोन वतुक इछा करबाक चाही तकर वणन एिह मंमेकएल गेल अिछ।एिहमे वाचकलुतोपमालकार अिछ।अवय-॑न् - िवा आिद गुणसँ पिरपूण रा॒े - देशमे॑वच॒सी- िवाक तेजसँ युआ जा॑यत॒- उप होए344


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>रा॑ज॒यः-राजाशुरे॑ऽ–िबना डर बलाइषयो॒- बाण चलेबामे िनपुणऽितया॒धी-शुक तारण दय बलाम॑हार॒थो-पैघ रथ बला वीरदोॴ-कामना(दूध पूण करए बाली)धे॒नुवढा॑न॒वाना॒शुः धे॒नु-गौ वा वाणी वढा॑न॒वा- पैघ बरद ना॒शुः-आशुः-विरतसितः॒-घोड़ापुर॑िध॒यवा॑- पुर॑िध॒- यवहारक धारण करए बाली यवा॑-ीिज॒णू-शुक जीतए बलार॑थे॒ाः-रथ पर िथरस॒भेयो॒-उम सभामेयुवाय-युवा जेहन345


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>यज॑मानय-राजाक रायमेवी॒रो-शुक परािजत करएबलािनका॒मे-िन॑कामे-िनययु कायमेनः-हमर सभकप॒जयॲ-मेघवषतु॒-वष होएफल॑वयो-उम फल बलाओष॑धयः-औषिधःपयत- पाकएयोगे॒मो-अलय लय करेबाक हेतु कएल गेल योगक रानः॑-हमरा सभक हेतुकपताम्-समथ होएििफथक अनुवाद- हे ण, हमर रायमे ाण नीक धािमकिवा बला, राजय-वीर,तीरंदाज, दूध दए बाली गाय, दौगय बलाजतु, उमी नारी होिथ। पाजय आवयकता पड़ला पर वष346


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>देिथ, फल देय बला गाछ पाकए, हम सभ संपि अिजत/संरितकरी।8.<strong>VIDEHA</strong> FOR NON RESIDENTS8.<strong>VIDEHA</strong> FOR NON RESIDENTS8.1 to 8.3 MAITHILI LITERATURE IN ENGLISH8.<strong>1.</strong><strong>1.</strong>The Comet -GAJENDRA THAKURtranslated by Jyoti Jha chaudhary8.<strong>1.</strong>2.The_Science_of_Words- GAJENDRATHAKUR translated by the author himself8.<strong>1.</strong>3.On_the_dice-board_of_the_millennium-GAJENDRA THAKUR translated by Jyoti Jhachaudhary8.<strong>1.</strong>4.NAAGPHANS (IN ENGLISH)- SHEFALIKAVERMA translated by Dr. Rajiv Kumar Vermaand Dr. Jaya Verma347


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong><strong>1.</strong>Episodes Of The Life - ("Kist-Kist Jeevan" bySmt. shefalika Varma translated intoEnglish by Smt. Jyoti Jha Chaudhary )2.Original Poem in Maithili byKalikantJha "Buch" Translated into English byJyoti Jha Chaudhary१348


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>Episodes Of The Life - ("Kist-Kist Jeevan" bySmt. shefalika Varma translated intoEnglish by Smt. Jyoti Jha Chaudhary )Shefalika Verma has written two outstandingbooks in Maithili; one a book of poems titled“BHAVANJALI”, and the other, a book of shortstories titled “YAYAVARI”. Her Maithili Bookshave been translated into many languagesincluding Hindi, English, Oriya, Gujarati, Dogriand others. She is frequently invited to the IndiaPoetry Recital Festivals as her fans and friendsare important people.Translator:Jyoti Jha Chaudhary, Date of Birth:December 30 1978,Place of Birth- Belhvar(Madhubani District), Education: SwamiVivekananda Middle School, Tisco Sakchi Girls349


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>High School, Mrs KMPM Inter College, IGNOU,ICWAI (COST ACCOUNTANCY); Residence-LONDON, UK; Father- Sh. Shubhankar Jha,Jamshedpur; Mother- Smt. Sudha Jha- Shivipatti.Jyoti received editor's choice award fromwww.poetry.comand her poems were featured infront page of www.poetrysoup.com for someperiod.She learnt Mithila Painting under Ms.Shveta Jha, Basera Institute, Jamshedpur andFine Arts from Toolika, Sakchi, Jamshedpur(India). Her Mithila Paintings have been displayedby Ealing Art Group at Ealing Broadway,London."ARCHIS"- COLLECTION OF MAITHILIHAIKUS AND POEMS.Episodes Of The Life :Episodes Of The Life :Preface 2:350‘Episodes of life’ is because everything inthis book has come from the pages of my diary.


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>I don’t remember when I got habit of writingdiary – perhaps from my childhood, because Iachieved my youth with Sarat, Bankim, Ageyaetc. and coloured my heart with Amrita, Agyeya,Jainendra, Mahadevi thereafter. There was a pileof diaries from 1958 to 2001 in my almirah.Varma ji had been saying “I am publishing yourdiaries in a book. I also became excited as thediary doesn’t merely bear a list of good and badincidents; rather the emotions associated are alsoreflected through it. Collecting the past, a diaryserves as a stone of foundation of the strongbuilding of the future. Writing diary is capturing aperiod of time. This is a creation of a newdirection, a new morrow of future in the light ofpast, an attempt to progress the society.Vermaji passed away. The pages of thediary were kept serially. First I made my mind tohand over this treasure to my children but whenI had to live without Vermaji then I started tryingto recollect all scattered pages of my past.351


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>Specially, the dialogues of Vermaji cameout time to time. In the race of life whenever hewas telling something I was writing that down.He used to say, note it down Ranno, write itdown, don’t consider what I say a dialogue. Ifthose will be noted and you will be revising thenyou will find them useful in life. I was alwayslooking for paper and pen or newspaper so thatI can write down his statements. Now, in theloneliness of life, I am looking for those piecesof notes insanely. If I get something somewhereit seems I found the most precious treasure ofthe world.The courage is awakened in me. Thisautobiography is an effort to join the various partof the past life. Vermaji is not alive anymore butI couldn’t dare to publish the pages of diaries inoriginal form because ‘Man ko kintu samjhanewala phir aisa man na milega’ (That heart whocan console the heart will not be found anymore)352


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>(to be continued..................)२Kalikant Jha "Buch" 1934-2009, Birthplace- village Karian, District- Samastipur (Karianis birth place of famous Indian Nyaiyyayikphilosopher Udayanacharya), Father Late Pt.Rajkishor Jha was first headmaster of villagemiddle school. Mother Late Kala Devi washousewife. After completing Intermediateeducation started job block office of Govt. ofBihar.published in Mithila Mihir, Mati-pani,Bhakha, and Maithili Akademi magazine.Jyoti Jha Chaudhary, Date of Birth:December 30 1978,Place of Birth- Belhvar(Madhubani District), Education: Swami353


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>Vivekananda Middle School, Tisco Sakchi GirlsHigh School, Mrs KMPM Inter College, IGNOU,ICWAI (COST ACCOUNTANCY); Residence-LONDON, UK; Father- Sh. Shubhankar Jha,Jamshedpur; Mother- Smt. Sudha Jha- Shivipatti.Jyoti received editor's choice award fromwww.poetry.comand her poems were featured infront page of www.poetrysoup.com for someperiod.She learnt Mithila Painting under Ms.Shveta Jha, Basera Institute, Jamshedpur andFine Arts from Toolika, Sakchi, Jamshedpur(India). Her Mithila Paintings have been displayedby Ealing Art Group at Ealing Broadway, London.One Upon The OtherWho is inferior among each otherAll have high show off style354


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>The short one holds the teekThe new comer grabs the neckSon engaged in one sirsasanFather knows eighty two aasanDaughter-in-law having handful foodMother-in-law gets an empty panThe simplest one creates the tuneAnd lame is dancing on that rhythmGetting madua flour for one rupeeI balance my pocket moneyWheat is prasaad, oil is holywater,355


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>The dealer is worshipped like a GodLet bygones of previous year be bygonesThe reality is about the current yearThe general public is loosing lifeLeader claims improved quality of lifeAfter serving food again and againThe cook puts himself on the stoveFools can accept it as developmentBut this is a shine of feverWorkers are costly, masters are cheapForbidding the meal, snacking jalebi356


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>The front of the house is being cementedThe back side is scattered all overWith the strutting of the mistressThe maids start dancing tooThe grandson holds the juicy sinuriyaThe granddad wants juice of mangoHe misses the sweet kheer of kohwarHe will get pind of kheer in funeralOn his cemetery inviting antsThe old women have long locksThe young women cut their hair.357


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>Send your comments to ggajendra@videha.comInput: (कोकमे देवनागरी, िमिथलार िकंवा फोनेिटक-रोमनमेटाइप क। Input in Devanagari, Mithilakshara orPhonetic-Roman.)Output: (पिरणामदेवनागरी, िमिथलार आ फोनेिटक-रोमन/ रोमनमे। Result inDevanagari, Mithilakshara and Phonetic-Roman/Roman.)English to MaithiliMaithili to Englishइंिलश-मैिथली-कोष / मैिथली-इंिलश-कोष ोजेटक आगू बढ़ाऊ,अपन सुझाव आ योगदान ई-मेल ाराggajendra@videha.com पर पठाऊ।358


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>िवदेहक मैिथली-अंेजी आ अंेजी मैिथली कोष (इंटरनेटपर पिहलबेर सच-िडशनरी) एम.एस. एस.यू.एल. सवर आधािरत -Basedon ms-sql server Maithili-English and English-Maithili Dictionary.१.भारत आ नेपालक मैिथली भाषा-वैािनक लोकिन ारा बनाओलमानक शैली आ २.मैिथलीमे भाषा सपादन पायम१.नेपाल आ भारतक मैिथली भाषा-वैािनक लोकिन ारा बनाओलमानक शैली१.१. नेपालक मैिथली भाषा वैािनक लोकिन ारा बनाओल मानकउचारण आ लेखन शैली(भाषाशाी डा. रामावतार यादवक धारणाक पूण पसँ स लऽिनधिरत)मैिथलीमे उचारण तथा लेखन१.पचमार आ अनुवार: पचमारातगत ङ, ञ, ण, न एवं मअबैत अिछ। संकृत भाषाक अनुसार शदक अतमे जािह वगकअर रहैत अिछ ओही वगक पचमार अबैत अिछ। जेना-अ (क वगक रहबाक कारणे अतमे ङ् आएल अिछ।)पच (च वगक रहबाक कारणे अतमे ञ् आएल अिछ।)खड (ट वगक रहबाक कारणे अतमे ण् आएल अिछ।)359


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>सिध (त वगक रहबाक कारणे अतमे न् आएल अिछ।)खभ (प वगक रहबाक कारणे अतमे म् आएल अिछ।)उपयुत बात मैिथलीमे कम देखल जाइत अिछ। पचमारकबदलामे अिधकश जगहपर अनुवारक योग देखल जाइछ। जेना-अंक, पंच, खंड, संिध, खंभ आिद। याकरणिवद पिडत गोिवदझाक कहब छिन जे कवग, चवग आ टवगसँ पूव अनुवार िलखलजाए तथा तवग आ पवगसँ पूव पचमारे िलखल जाए। जेना-अंक, चंचल, अंडा, अत तथा कपन। मुदा िहदीक िनकट रहलआधुिनक लेखक एिह बातक निह मानैत छिथ। ओ लोकिन अतआ कपनक जगहपर सेहो अंत आ कंपन िलखैत देखल जाइतछिथ।नवीन पित िकछु सुिवधाजनक अवय छैक। िकएक तँ एिहमेसमय आ थानक बचत होइत छैक। मुदा कतोक बेर हतलेखनवा मुणमे अनुवारक छोट सन िबदु प निह भेलासँ अथकअनथ होइत सेहो देखल जाइत अिछ। अनुवारक योगमेउचारण-दोषक सभावना सेहो ततबए देखल जाइत अिछ। एतदथकसँ लऽ कऽ पवग धिर पचमारेक योग करब उिचत अिछ।यसँ लऽ कऽ धिरक अरक स अनुवारक योग करबामेकतहु कोनो िववाद निह देखल जाइछ।360


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>२.ढ आ ढ़ : ढ़क उचारण “र् ह”जक होइत अिछ। अतः जतऽ“र् ह”क उचारण हो ओतऽ मा ढ़ िलखल जाए। आन ठामखाली ढ िलखल जएबाक चाही। जेना-ढ = ढाकी, ढेकी, ढीठ, ढेउआ, ढ, ढेरी, ढाकिन, ढाठ आिद।ढ़ = पढ़ाइ, बढ़ब, गढ़ब, मढ़ब, बुढ़बा, सढ़, गाढ़, रीढ़, चढ़,सीढ़ी, पीढ़ी आिद।उपयुत शद सभक देखलासँ ई प होइत अिछ जे साधारणतयाशदक शुमे ढ आ मय तथा अतमे ढ़ अबैत अिछ। इएह िनयमड आ ड़क सदभ सेहो लागू होइत अिछ।३.व आ ब : मैिथलीमे “व”क उचारण ब कएल जाइत अिछ,मुदा ओकरा ब पमे निह िलखल जएबाक चाही। जेना- उचारण: बैनाथ, िबा, नब, देबता, िबणु, बंश, बदना आिद। एिहसभक थानपर मशः वैनाथ, िवा, नव, देवता, िवणु, वंश,वदना िलखबाक चाही। सामायतया व उचारणक लेल ओ योगकएल जाइत अिछ। जेना- ओकील, ओजह आिद।४.य आ ज : कतहु-कतहु “य”क उचारण “ज”जक करैतदेखल जाइत अिछ, मुदा ओकरा ज निह िलखबाक चाही।उचारणमे य, जिद, जमुना, जुग, जाबत, जोगी, जदु, जम आिदकहल जाएबला शद सभक मशः य, यिद, यमुना, युग, यावत,योगी, यदु, यम िलखबाक चाही।361


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>५.ए आ य : मैिथलीक वतनीमे ए आ य दुनू िलखल जाइत अिछ।ाचीन वतनी- कएल, जाए, होएत, माए, भाए, गाए आिद।नवीन वतनी- कयल, जाय, होयत, माय, भाय, गाय आिद।सामायतया शदक शुमे ए मा अबैत अिछ। जेना एिह, एना,एकर, एहन आिद। एिह शद सभक थानपर यिह, यना, यकर,यहन आिदक योग निह करबाक चाही। यिप मैिथलीभाषी थासिहत िकछु जाितमे शदक आरभोमे “ए”क य किह उचारणकएल जाइत अिछ।ए आ “य”क योगक सदभमे ाचीने पितक अनुसरण करबउपयुत मािन एिह पुतकमे ओकरे योग कएल गेल अिछ।िकएक तँ दुनूक लेखनमे कोनो सहजता आ दुहताक बात निहअिछ। आ मैिथलीक सवसाधारणक उचारण-शैली यक अपेा एसँबेसी िनकट छैक। खास कऽ कएल, हएब आिद कितपय शदककैल, हैब आिद पमे कतहु-कतहु िलखल जाएब सेहो “ए”कयोगक बेसी समीचीन मािणत करैत अिछ।६.िह, हु तथा एकार, ओकार : मैिथलीक ाचीन लेखन-परपरामेकोनो बातपर बल दैत काल शदक पाछ िह, हु लगाओल जाइतछैक। जेना- हुनकिह, अपनहु, ओकरहु, तकालिह, चोिह, आनहुआिद। मुदा आधुिनक लेखनमे िहक थानपर एकार एवं हुकथानपर ओकारक योग करैत देखल जाइत अिछ। जेना- हुनके,अपनो, तकाले, चोे, आनो आिद।362


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>७.ष तथा ख : मैिथली भाषामे अिधकशतः षक उचारण ख होइतअिछ। जेना- षय (खड़य), षोडशी (खोड़शी), षकोण(खटकोण), वृषेश (वृखेश), सतोष (सतोख) आिद।८.विन-लोप : िनिलिखत अवथामे शदसँ विन-लोप भऽ जाइतअिछ:(क) ियावयी यय अयमे य वा ए लुत भऽ जाइत अिछ।ओिहमे सँ पिहने अक उचारण दीघ भऽ जाइत अिछ। ओकरआग लोप-सूचक िच वा िवकारी (’ / ऽ) लगाओल जाइछ।जेना-पूण प : पढ़ए (पढ़य) गेलाह, कए (कय) लेल, उठए (उठय)पड़तौक।अपूण प : पढ़’ गेलाह, क’ लेल, उठ’ पड़तौक।पढ़ऽ गेलाह, कऽ लेल, उठऽ पड़तौक।(ख) पूवकािलक कृत आय (आए) ययमे य (ए) लुत भऽ जाइछ,मुदा लोप-सूचक िवकारी निह लगाओल जाइछ। जेना-पूण प : खाए (य) गेल, पठाय (ए) देब, नहाए (य) अएलाह।अपूण प : खा गेल, पठा देब, नहा अएलाह।(ग) ी यय इक उचारण ियापद, संा, ओ िवशेषण तीनूमेलुत भऽ जाइत अिछ। जेना-पूण प : दोसिर मािलिन चिल गेिल।363


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>अपूण प : दोसर मािलन चिल गेल।(घ) वतमान कृदतक अितम त लुत भऽ जाइत अिछ। जेना-पूण प : पढ़ैत अिछ, बजैत अिछ, गबैत अिछ।अपूण प : पढ़ै अिछ, बजै अिछ, गबै अिछ।(ङ) ियापदक अवसान इक, उक, ऐक तथा हीकमे लुत भऽजाइत अिछ। जेना-पूण प: िछयौक, िछयैक, छहीक, छौक, छैक, अिबतैक, होइक।अपूण प : िछयौ, िछयै, छही, छौ, छै, अिबतै, होइ।(च) ियापदीय यय ह, हु तथा हकारक लोप भऽ जाइछ।जेना-पूण प : छिह, कहलिह, कहलहुँ, गेलह, निह।अपूण प : छिन, कहलिन, कहलौँ, गेलऽ, नइ, निञ, नै।९.विन थानातरण : कोनो-कोनो वर-विन अपना जगहसँ हिटकऽ दोसर ठाम चिल जाइत अिछ। खास कऽ व इ आ उकसबधमे ई बात लागू होइत अिछ। मैिथलीकरण भऽ गेल शदकमय वा अतमे जँ व इ वा उ आबए तँ ओकर विनथानातिरत भऽ एक अर आग आिब जाइत अिछ। जेना- शिन(शइन), पािन (पाइन), दािल ( दाइल), मािट (माइट), काछु(काउछ), मासु (माउस) आिद। मुदा तसम शद सभमे ई िनअमलागू निह होइत अिछ। जेना- रिमक रइम आ सुधशुक सुधाउंसनिह कहल जा सकैत अिछ।364


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>१०.हलत(◌्)क योग : मैिथली भाषामे सामायतया हलत (◌्)कआवयकता निह होइत अिछ। कारण जे शदक अतमे अउचारण निह होइत अिछ। मुदा संकृत भाषासँ जिहनाक तिहनामैिथलीमे आएल (तसम) शद सभमे हलत योग कएल जाइतअिछ। एिह पोथीमे सामायतया सपूण शदक मैिथली भाषासबधी िनअम अनुसार हलतिवहीन राखल गेल अिछ। मुदायाकरण सबधी योजनक लेल अयावयक थानपर कतहु-कतहुहलत देल गेल अिछ। तुत पोथीमे मिथली लेखनक ाचीन आनवीन दुनू शैलीक सरल आ समीचीन प सभक समेिट कऽ वण-िवयास कएल गेल अिछ। थान आ समयमे बचतक सिह हत-लेखन तथा तकनीकी दृिसँ सेहो सरल होबऽबला िहसाबसँ वण-िवयास िमलाओल गेल अिछ। वतमान समयमे मैिथली मातृभाषीपयतक आन भाषाक मायमसँ मैिथलीक ान लेबऽ पिड़ रहलपिरेयमे लेखनमे सहजता तथा एकपतापर यान देल गेलअिछ। तखन मैिथली भाषाक मूल िवशेषता सभ कुिठत निहहोइक, ताहू िदस लेखक-मडल सचेत अिछ। िस भाषाशाीडा. रामावतार यादवक कहब छिन जे सरलताक अनुसधानमे एहनअवथा िकहु ने आबऽ देबाक चाही जे भाषाक िवशेषता छहमेपिड जाए।-(भाषाशाी डा. रामावतार यादवक धारणाक पूण पसँ स लऽिनधिरत)365


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>१.२. मैिथली अकादमी, पटना ारा िनधिरत मैिथली लेखन-शैली१. जे शद मैिथली-सािहयक ाचीन कालसँ आइ धिर जािहवनीमे चिलत अिछ, से सामायतः तािह वनीमे िलखल जाय-उदाहरणाथ-ाएखनठामजकर, तकरतिनकरअिछअाअखन, अखिन, एखेन, अखनीिठमा, िठना, ठमाजेकर, तेकरितनकर। (वैकिपक प ा)ऐछ, अिह, ए।366


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>२. िनिलिखत तीन कारक प वैकिपकतया अपनाओल जाय:भऽ गेल, भय गेल वा भए गेल। जा रहल अिछ, जाय रहल अिछ,जाए रहल अिछ। कर’ गेलाह, वा करय गेलाह वा करए गेलाह।३. ाचीन मैिथलीक ‘ह’ विनक थानमे ‘न’ िलखल जाय सकैतअिछ यथा कहलिन वा कहलिह।४. ‘ऐ’ तथा ‘औ’ ततय िलखल जाय जत’ पतः ‘अइ’ तथा‘अउ’ सदृश उचारण इ हो। यथा- देखैत, छलैक, बौआ, छौकइयािद।५. मैिथलीक िनिलिखत शद एिह पे युत होयत: जैह, सैह,इएह, ओऐह, लैह तथा दैह।६. व इकारत शदमे ‘इ’ के लुत करब सामायतः अािथक। यथा- ा देिख आबह, मािलिन गेिल (मनुय मामे)।७. वतं व ‘ए’ वा ‘य’ ाचीन मैिथलीक उरण आिदमे तँयथावत राखल जाय, िकंतु आधुिनक योगमे वैकिपक प ‘ए’ वा‘य’ िलखल जाय। यथा:- कयल वा कएल, अयलाह वा अएलाह,जाय वा जाए इयािद।367


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>८. उचारणमे दू वरक बीच जे ‘य’ विन वतः आिब जाइतअिछ तकरा लेखमे थान वैकिपक प देल जाय। यथा- धीआ,अढ़ैआ, िवआह, वा धीया, अढ़ैया, िबयाह।९. सानुनािसक वतं वरक थान यथासंभव ‘ञ’ िलखल जायवा सानुनािसक वर। यथा:- मैञा, किनञा, िकरतिनञा वा मैआँ,किनआँ, िकरतिनआँ।१०. कारकक िवभिक िनिलिखत प ा:- हाथक, हाथसँ,हाथ, हाथक, हाथमे। ’मे’ मे अनुवार सवथा याय िथक। ‘क’क वैकिपक प ‘केर’ राखल जा सकैत अिछ।११. पूवकािलक ियापदक बाद ‘कय’ वा ‘कए’ अयय वैकिपकप लगाओल जा सकैत अिछ। यथा:- देिख कय वा देिख कए।१२. मग, भग आिदक थानमे माङ, भाङ इयािद िलखल जाय।१३. अ ‘न’ ओ अ ‘म’ क बदला अनुसार निह िलखल जाय,िकंतु छापाक सुिवधाथ अ ‘ङ’ , ‘ञ’, तथा ‘ण’ क बदलाअनुवारो िलखल जा सकैत अिछ। यथा:- अ, वा अंक, अचलवा अंचल, कठ वा कंठ।368


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>१४. हलंत िच िनअमतः लगाओल जाय, िकंतु िवभितक संगअकारत योग कएल जाय। यथा:- ीमान्, िकंतु ीमानक।१५. सभ एकल कारक िच शदमे सटा क’ िलखल जाय, हटाक’ निह, संयुत िवभितक हेतु फराक िलखल जाय, यथा घरपरक।१६. अनुनािसकक चिबदु ारा यत कयल जाय। परंतुमुणक सुिवधाथ िह समान जिटल माापर अनुवारक योगचिबदुक बदला कयल जा सकैत अिछ। यथा- िहँ केर बदलािहं।१७. पूण िवराम पासीसँ ( । ) सूिचत कयल जाय।१८. समत पद सटा क’ िलखल जाय, वा हाइफेनसँ जोिड़ क’, हटा क’ निह।१९. िलअ तथा िदअ शदमे िबकारी (ऽ) निह लगाओल जाय।२०. अंक देवनागरी पमे राखल जाय।२१.िकछु विनक लेल नवीन िचह बनबाओल जाय। जा' ई निह369


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>बनल अिछ ताबत एिह दुनू विनक बदला पूववत् अय/ आय/ अए/आए/ आओ/ अओ िलखल जाय। आिक ऎ वा ऒ सँ यत कएलजाय।ह./- गोिवद झा ११/८/७६ ीकात ठाकुर ११/८/७६ सुरे झा"सुमन" ११/०८/७६२. मैिथलीमे भाषा सपादन पायम२.१. उचारण िनदश: (बोड कएल प ा):-दत न क उचारणमे दतमे जीह सटत- जेना बाजू नाम , मुदा णक उचारणमे जीह मूधमे सटत (नै सटैए तँ उचारण दोष अिछ)-जेना बाजू गणेश। तालय शमे जीह तालुसँ , षमे मूधसँ आ दतसमे दतसँ सटत। िनश, सभ आ शोषण बािज कऽ देखू।मैिथलीमे ष क वैिदक संकृत जक ख सेहो उचिरत कएलजाइत अिछ, जेना वष, दोष। य अनेको थानपर ज जकउचिरत होइत अिछ आ ण ड़ जक (यथा संयोग आ गणेशसंजोग आगड़ेस उचिरत होइत अिछ)। मैिथलीमे व क उचारण ब, श कउचारण स आ य क उचारण ज सेहो होइत अिछ।ओिहना व इ बेशीकाल मैिथलीमे पिहने बाजल जाइत अिछकारण देवनागरीमे आ िमिथलारमे व इ अरक पिहने िलखलोजाइत आ बाजलो जएबाक चाही। कारण जे िहदीमे एकर दोषपूण370


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>उचारण होइत अिछ (िलखल तँ पिहने जाइत अिछ मुदा बाजलबादमे जाइत अिछ), से िशा पितक दोषक कारण हम सभओकर उचारण दोषपूण ढंगसँ कऽ रहल छी।अिछ- अ इ छ ऐछ (उचारण)छिथ- छ इ थ – छैथ (उचारण)पहुँिच- प हुँ इ च (उचारण)आब अ आ इ ई ए ऐ ओ औ अं अः ऋ ऐ सभ लेल माा सेहोअिछ, मुदा ऐमे ई ऐ ओ औ अं अः ऋ क संयुतार पमे गलतपमे युत आ उचिरत कएल जाइत अिछ। जेना ऋ क रीपमे उचिरत करब। आ देिखयौ- ऐ लेल देिखऔ क योगअनुिचत। मुदा देिखऐ लेल देिखयै अनुिचत। क् सँ धिर असिमिलत भेलासँ क सँ ह बनैत अिछ, मुदा उचारण काल हलतयुत शदक अतक उचारणक वृि बढ़ल अिछ, मुदा हमजखन मनोजमे ज् अतमे बजैत छी, तखनो पुरनका लोकक बजैतसुनबिह- मनोजऽ, वातवमे ओ अ युत ज् = ज बजै छिथ।फेर अिछ ज् आ ञ क संयुत मुदा गलत उचारण होइतअिछ- य। ओिहना अिछ क् आ ष क संयुत मुदा उचारणहोइत अिछ छ। फेर श् आ र क संयुत अिछ ( जेनािमक) आ स् आ र क संयुत अिछ (जेना िम)। भेलत+र ।उचारणक ऑिडयो फाइल िवदेह आकइवhttp://www.videha.co.in/ पर उपलध अिछ। फेर क / सँ371


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>/ पर पूव अरसँ सटा कऽ िलखू मुदा तँ / कऽ हटा कऽ। ऐमेसँ मे पिहल सटा कऽ िलखू आ बादबला हटा कऽ। अंकक बादटा िलखू सटा कऽ मुदा अय ठाम टा िलखू हटा कऽ– जेनाछहटा मुदा सभ टा। फेर ६अ म सातम िलखू- छठम सातम नै।घरबलामे बला मुदा घरवालीमे वाली युत क।रहए-रहै मुदा सकैए (उचारण सकै-ए)।मुदा कखनो काल रहए आ रहै मे अथ िभता सेहो, जेना सेकमो जगहमे पािकंग करबाक अयास रहै ओकरा। पुछलापर पतालागल जे ढुनढुन नाा ई ाइवर कनाट लेसक पािकंगमे काजकरैत रहए।छलै, छलए मे सेहो ऐ तरहक भेल। छलए क उचारण छल-एसेहो।संयोगने- (उचारण संजोगने)क/ कऽकेर- क (केर क योग गमे नै क , पमे कऽ सकै छी। )क (जेना रामक)–रामक आ संगे (उचारण राम के / राम कऽ सेहो)सँ- सऽ (उचारण)चिबदु आ अनुवार- अनुवारमे कंठ धिरक योग होइत अिछमुदा चिबदुमे नै। चिबदुमे कनेक एकारक सेहो उचारण372


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>होइत अिछ- जेना रामसँ- (उचारण राम सऽ) रामक- (उचारणराम कऽ/ राम के सेहो)।क जेना रामक भेल िहदीक को (राम को)- राम को= रामकक जेना रामक भेल िहदीक का ( राम का) राम का= रामककऽ जेना जा कऽ भेल िहदीक कर ( जा कर) जा कर= जाकऽसँ भेल िहदीक से (राम से) राम से= रामसँसऽ , तऽ , त , केर (गमे) ए◌े चा शद सबहक योगअविछत।के दोसर अथँ युत भऽ सकैए- जेना, के कहलक? िवभित“क”क बदला एकर योग अविछत।निञ, निह, नै, नइ, नँइ, नइँ, नइं ऐ सभक उचारण आ लेखन -नैव क बदलामे व जेना महवपूण (महवपूण नै) जतए अथबदिल जाए ओतिह मा तीन अरक संयुतारक योग उिचत।सपित- उचारण स प इ त (सपि नै- कारण सही उचारणआसानीसँ सभव नै)। मुदा सवम (सवतम नै)।रािय (राीय नै)सकैए/ सकै (अथ पिरवतन)पोछैले/ पोछै लेल/ पोछए लेल373


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>पोछैए/ पोछए/ (अथ पिरवतन) पोछए/ पोछैओ लोकिन ( हटा कऽ, ओ मे िबकारी नै)ओइ/ ओिहओिहले/ओिह लेल/ ओही लऽजएब/ बैसबपँचभइयदेिखयौक/ (देिखऔक नै- तिहना अ मे व आ दीघक मााकयोग अनुिचत)जक / जेकतँइ/ तैँ/होएत / हएतनिञ/ निह/ नँइ/ नइँ/ नैसौँसे/ सॱसेबड़ /बड़ी (झोराओल)गाए (गाइ निह), मुदा गाइक दूध (गाएक दूध नै।)रहल/ पिहरतैँहमहॴ/ अहॴसब - सभसबहक - सभहकधिर - तक374


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>गप- बातबूझब - समझबबुझलॱ/ समझलॱ/ बुझलहुँ - समझलहुँहमरा आर - हम सभआिक- आ िकसकैछ/ करैछ (गमे योगक आवयकता नै)होइन/ होिनजाइन (जािन नै, जेना देल जाइन) मुदा जािन-बूिझ (अथ पिरतन)पइठ/ जाइठआउ/ जाउ/ आऊ/ जाऊमे, क, सँ, पर (शदसँ सटा कऽ) तँ कऽ धऽ दऽ (शदसँ हटाकऽ) मुदा दूटा वा बेसी िवभित संग रहलापर पिहल िवभित टाकसटाऊ। जेना ऐमे सँ ।एकटा , दूटा (मुदा कए टा)िबकारीक योग शदक अतमे, बीचमे अनावयक प नै।आकारात आ अतमे अ क बाद िबकारीक योग नै (जेना िदअ, आ/ िदय’ , आ’, आ नै )अपोोफीक योग िबकारीक बदलामे करब अनुिचत आ माफॉटक तकनीकी यूनताक पिरचायक)- ओना िबकारीक संकृतप ऽ अवह कहल जाइत अिछ आ वतनी आ उचारण दुनू ठामएकर लोप रहैत अिछ/ रिह सकैत अिछ (उचारणमे लोप रिहतेअिछ)। मुदा अपोोफी सेहो अंेजीमे पसेिसव केसमे होइत अिछ375


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>आ चमे शदमे जतए एकर योग होइत अिछ जेना raisond’etre एतए सेहो एकर उचारण रैजौन डेटर होइत अिछ, मानेअपोॉफी अवकाश नै दैत अिछ वरन जोड़ैत अिछ, से एकरयोग िबकारीक बदला देनाइ तकनीकी प सेहो अनुिचत)।अइमे, एिहमे/ ऐमेजइमे, जािहमेएखन/ अखन/ अइखनक (के निह) मे (अनुवार रिहत)भऽमेदऽतँ (तऽ, त नै)सँ ( सऽ स नै)गाछ तरगाछ लगसझ खनजो (जो go, करै जो do)तै/तइ जेना- तै दुआरे/ तइमे/ तइलेजै/जइ जेना- जै कारण/ जइसँ/ जइलेऐ/अइ जेना- ऐ कारण/ ऐसँ/ अइले/ मुदा एकर एकटा खास योग-लालित कतेक िद नसँ कहैत रहैत अइ376


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>लै/लइ जेना लैसँ/ लइले/ लै दुआरेलहँ/ लॱगेलॱ/ लेलॱ/ लेलँह/ गेलहुँ/ लेलहुँ/ लेलँजइ/ जािह / जैजिह ठाम/ जािह ठाम/ जइठाम/ जैठामएिह / अिह /अइ (वायक अंतमे ा) / ऐअइछ/ अिछ / ऐछतइ/ तिह / तै/ तािहओिह / ओइसीिख / सीखजीिव / जीवी/ जीबभलेहॴ/ भलिह◌ ंत/ तँइ/ तँएजाएब/ जएबलइ/ लैछइ/ छैनिह / नै/ नइगइ/ गैछिन/ छि ह ...377


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>समए श दक संग जखन कोनो िव भि त जुटै छै तखन समै जनासमैपर इ यािद । असगरमे हृदए आ िव भि त जुटने हृदे जना हृदेसँ,हृदेमे इ यािद ।जइ/ जािह /जैजिह ठाम/ जािह ठाम/ जइठाम/ जैठामएिह / अिह / अइ/ ऐअइछ/ अिछ / ऐछतइ/ तिह / तै/ तािहओिह / ओइसीिख / सीखजीिव / जीवी/जीबभले/ भलेहॴ/भलिह◌ ंत/ तँइ/ तँएजाएब/ जएबलइ/ लैछइ/ छैनिह / नै/ नइगइ/गै378


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>छिन / छि हचुकल अिछ/ गेल गिछ२.२. मैिथलीमे भाषा सपादन पायमनीचक सूचीमे देल िवकपमेसँ लगुएज एडीटर ारा कोन पचुनल जेबाक चाही:बोड कएल प ा:१.होयबला/ होबयबला/ होमयबला/ हेब’बला, हेम’बला/होयबाक/होबएबला /होएबाक२. आ’/आऽआ३. क’ लेने/कऽ लेने/कए लेने/कय लेने/ल’/लऽ/लय/लए४. भ’ गेल/भऽ गेल/भय गेल/भएगेल५. कर’ गेलाह/करऽगेलह/करए गेलाह/करय गेलाह६.िलअ/िदअ िलय’,िदय’,िलअ’,िदय’/७. कर’ बला/करऽ बला/ करय बला करैबला/क’र’ बला /करैवाली८. बला वला (पुष), वाली ( ी) ९.आल आंल379


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>१०. ायः ायह११. दुःख दुख १२. चिल गेल चल गेल/चैल गेल१३. देलिखह देलिकह, देलिखन१४.देखलिह देखलिन/ देखलैह१५. छिथह/ छलिह छिथन/ छलैन/ छलिन१६. चलैत/दैत चलित/दैित१७. एखनोअखनो१८.बढ़िन बढ़इन बढ़िह१९. ओ’/ओऽ(सवनाम) ओ२०. ओ (संयोजक) ओ’/ओऽ२१. फिग/फाि फाइंग/फाइङ२२.जे जे’/जेऽ २३. ना-नुकुर ना-नुकर२४. केलिह/केलिन /कयलिह२५. तखनतँ/ तखन तँ२६. जारहल/जाय रहल/जाए रहल380


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>२७. िनकलय/िनकलएलागल/ लगल बहराय/ बहराए लागल/ लगल िनकल’/बहरै लागल२८. ओतय/ जतय जत’/ ओत’/ जतए/ ओतए२९.की फूरल जे िक फूरल जे३०. जे जे’/जेऽ३१. कूिद / यािद(मोन पारब) कूइद/याइद/कूद/याद/यािद (मोन)३२. इहो/ ओहो३३.हँसए/ हँसय हँसऽ३४. नौ आिक दस/नौ िकंवा दस/ नौ वा दस३५. सासु-ससुर सास-ससुर३६. छह/ सात छ/छः/सात३७.की की’/ कीऽ (दीघकारातमे ऽ विजत)३८. जबाब जवाब३९. करएताह/ करेताह करयताह४०. दलान िदिश दलान िदश/दलान िदस४१. गेलाह गएलाह/गयलाह४२. िकछु आर/ िकछु और/ िकछ आर381


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>४३. जाइ छल/ जाइत छल जाित छल/जैत छल४४. पहुँिच/ भेट जाइत छल/ भेट जाइ छलए पहुँच/ भेिट जाइतछल४५.जबान (युवा)/ जवान(फौजी)४६. लय/ लए क’/ कऽ/ लए कए / लऽ कऽ/ लऽ कए४७. ल’/लऽ कय/कए४८. एखन / एखने / अखन / अखने४९.अहॴक अहीँक५०. गहॴर गहीँर५१.धार पार केनाइ धार पार केनाय/केनाए५२. जेक जक/जक५३. तिहना तेिहना५४. एकर अकर५५. बिहनउ बहनोइ५६. बिहन बिहिन५७. बिहन-बिहनोइबिहन-बहनउ382


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>५८. निह/ नै५९. करबा / करबाय/ करबाए६०. तँ/ त ऽ तय/तए६१. भैयारी मे छोट-भाए/भै/, जेठ-भाय/भाइ,६२. िग नतीमे दू भाइ/भाए/भइ६३. ई पोथी दू भाइक/ भइ/ भाए/ लेल। यावत जावत६४. माय मै / माए मुदा माइक ममता६५. देिह/ दइन दिन / दएिह/ दयिह दिह/ दैिह६६. द’/ दऽ/ दए६७. ओ (संयोजक) ओऽ (सवनाम)६८. तका कए तकाय तकाए६९. पैरे (on foot) पएरे कएक/ कैक७०.ताहुमे/ ताहूमे७१.पुीक७२.बजा कय/ कए / कऽ७३. बननाय/बननाइ७४. कोला७५.िदनुका िदनका383


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>७६.ततिहसँ७७. गरबओलिह/ गरबौलिन /गरबेलिह/ गरबेलिन७८. बालु बालू७९.चेह िचह(अशु)८०. जे जे’८१. से/ के से’/के’८२. एखुनका अखनुका८३. भुिमहार भूिमहार८४. सुगर/ सुगरक/ सूगर८५. झठहाक झटहाक ८६.छूिब८७. करइयो/ओ करैयो ने देलक /किरयौ-करइयौ८८. पुबािरपुबाइ८९. झगड़ा-झटीझगड़ा-झिट९०. पएरे-पएरे पैरे-पैरे384


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>९१. खेलएबाक९२. खेलेबाक९३. लगा९४. होए- हो – होअए९५. बुझल बूझल९६.बूझल (संबोधन अथमे)९७. यैह यएह / इएह/ सैह/ सएह९८. ताितल९९. अयनाय- अयनाइ/ अएनाइ/ एनाइ१००. िन- िनद१०१.िबनु िबन१०२. जाए जाइ१०३.जाइ (in different sense)-last word of sentence१०४. छत पर आिब जाइ१०५.ने१०६. खेलाए (play) –खेलाइ१०७. िशकाइत- िशकायत१०८.385


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>ढप- ढ़प१०९. पढ़- पढ११०. किनए/ किनये किनञे१११. राकस- राकश११२. होए/ होय होइ११३. अउरदा-औरदा११४. बुझेलिह (different meaning- got understand)११५. बुझएलिह/बुझेलिन / बुझयलिह (understood himself)११६. चिल- चल/ चिल गेल११७. खधाइ- खधाय११८.मोन पाड़लिखह/ मोन पाड़लिख न/ मोन पारलिखह११९. कैक- कएक- कइएक१२०.लग ल’ग१२१. जरेनाइ१२२. जरौनाइ जरओनाइ- जरएनाइ/जरेनाइ१२३. होइत१२४.386


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>गरबेलिह/ गरबेलिन गरबौलिह/ गरबौलिन१२५.िचखैत- (to test)िचखइत१२६. करइयो (willing to do) करैयो१२७. जेकरा- जकरा१२८. तकरा- तेकरा१२९.िबदेसर थानेमे/ िबदेसरे थानमे१३०. करबयलहुँ/ करबएलहुँ/ करबेलहुँ करबेलॱ१३१.हािरक (उचारण हाइरक)१३२. ओजन वजन आफसोच/ अफसोस कागत/ कागच/ कागज१३३. आधे भाग/ आध-भागे१३४. िपचा / िपचाय/िपचाए१३५. नञ/ ने१३६. बचा नञ(ने) िपचा जाय१३७. तखन ने (नञ) कहैत अिछ। कहै/ सुनै/ देखै छल मुदाकहैत-कहैत/ सुनैत-सुनैत/ देखैत-देखैत१३८.कतेक गोटे/ कताक गोटे१३९. कमाइ-धमाइ/ कमाई- धमाई387


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>१४०. लग ल’ग१४१. खेलाइ (for playing)१४२.छिथह/ छिथन१४३.होइत होइ१४४. यो िकयो / केओ१४५.केश (hair)१४६.केस (court-case)१४७. बननाइ/ बननाय/ बननाए१४८. जरेनाइ१४९. कुरसी कुस१५०. चरचा चच१५१. कम करम१५२. डुबाबए/ डुबाबै/ डुमाबै डुमाबय/ डुमाबए१५३. एखुनका/अखुनका१५४. लए/ िलअए (वायक अंितम शद)- लऽ388


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>१५५. कएलक/केलक१५६. गरमी गम१५७. वरदी वद१५८. सुना गेलाह सुना’/सुनाऽ१५९. एनाइ-गेनाइ१६०.तेना ने घेरलिह/ तेना ने घेरलिन१६१. निञ / नै१६२.डरो ड’रो१६३. कतहु/ कतौ कहॴ१६४. उमिरगर-उमेरगर उमरगर१६५. भिरगर१६६. धोल/धोअल धोएल१६७. गप/गप१६८.के के’१६९. दरबजा/ दरबजा१७०. ठाम१७१.389


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>धिर तक१७२.घूिर लौिट१७३. थोरबेक१७४. बड१७५. त/ तू ◌ँ१७६. तिह( पमे ा)१७७. तही / तिह१७८.करबाइए करबाइये१७९. एकेटा१८०. किरतिथ /करतिथ१८१.पहुँिच/ पहुँच१८२. राखलिह रखलिह/ रखलिन१८३.लगलिह/ लगलिन लागलिह१८४.सुिन (उचारण सुइन)१८५. अिछ (उचारण अइछ)१८६. एलिथ गेलिथ१८७. िबतओने/ िब तौने/390


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>िबतेने१८८. करबओलिह/ करबौलिन /करेलिखह/ करेलिख न१८९. करएलिह/ करेलिन१९०.आिक/ िक१९१. पहुँिच/पहुँच१९२. बी जराय/ जराए जरा (आिग लगा)१९३.से से’१९४.ह मे ह (हमे ह िवभिमे हटा कए)१९५. फेल फैल१९६. फइल(spacious) फैल१९७. होयतिह/ होएतिह/ होएतिन /हेतिन / हेतिह१९८. हाथ मिटआएब/ हाथ मिटयाबय/हाथ मिटयाएब१९९. फेका फका२००. देखाए देखा२०१. देखाबए२०२. सिर सर२०३.391


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>साहेब साहब२०४.गेलैह/ गेलिह/ गेलिन२०५. हेबाक/ होएबाक२०६.केलो/ कएलहुँ/केलॱ/ केलुँ२०७. िकछु न िकछु/िकछु ने िकछु२०८.घुमेलहुँ/ घुमओलहुँ/ घुमेलॱ२०९. एलाक/ अएलाक२१०. अः/ अह२११.लय/लए (अथ-पिरवन) २१२.कनीक/ कनेक२१३.सबहक/ सभक२१४.िमलाऽ/ िमला२१५.कऽ/ क२१६.जाऽ/जा२१७.आऽ/ आ२१८.भऽ /भ’ (’ फॉटक कमीक ोतक)२१९.िनअम/ िनयम२२०.हेटेअर/ हेटेयर२२१.पिहल अर ढ/ बादक/ बीचक ढ़392


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>२२२.तिहं/तिहँ/ तिञ/ त२२३.किहं/ कहॴ२२४.तँइ/त / तइँ२२५.नँइ/ नइँ/ निञ/ निह/नै२२६.है/ हए / एलीह/२२७.छिञ/ छै/ छैक /छइ२२८.दृिएँ/ दृिय२२९.आ (come)/ आऽ(conjunction)२३०.आ (conjunction)/ आऽ(come)२३१.कुनो/ कोनो, कोना/केना२३२.गेलैह-गेलिह-गेलिन२३३.हेबाक- होएबाक२३४.केलौँ- कएलौँ-कएलहुँ/केलॱ२३५.िकछु न िकछ- िकछु ने िकछु२३६.केहेन- केहन२३७.आऽ (come)-आ (conjunction-and)/आ। आब'-आब'/आबह-आबह२३८. हएत-हैत२३९.घुमेलहुँ-घुमएलहुँ- घुमेला◌े◌ं२४०.एलाक- अएलाक393


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>२४१.होिन- होइन/ होिह/२४२.ओ-राम ओ यामक बीच(conjunction), ओऽ कहलक (hesaid)/ओ२४३.की हए/ कोसी अएली हए/ की है। की हइ२४४.दृिएँ/ दृिय२४५.शािमल/ सामेल२४६.तैँ / तँए/ तिञ/ तिहं२४७.जॱ/ य/ जँ/२४८.सभ/ सब२४९.सभक/ सबहक२५०.किहं/ कहॴ२५१.कुनो/ कोनो/ कोनहुँ/२५२.फारकती भऽ गेल/ भए गेल/ भय गेल२५३.कोना/ केना/ क ना/कना२५४.अः/ अह२५५.जनै/ जनञ२५६.गेलिन /गेलाह (अथ पिरवतन)२५७.केलिह/ कएलिह/ केलिन /२५८.लय/ लए/ लएह (अथ पिरवतन)394


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>२५९.कनीक/ कनेक/कनी-मनी२६०.पठेलिह पठेलिन / पठेलइन/ पपठओलिह/ पठबौलिन /२६१.िनअम/ िनयम२६२.हेटेअर/ हेटेयर२६३.पिहल अर रहने ढ/ बीचमे रहने ढ़२६४.आकारातमे िबकारीक योग उिचत नै/ अपोोफीक योगफाटक तकनीकी यूनताक पिरचायक ओकर बदला अवह(िबकारी) क योग उिचत२६५.केर (पमे ा) / -क/ कऽ/ के२६६.छैिह- छिह२६७.लगैए/ लगैये२६८.होएत/ हएत२६९.जाएत/ जएत/२७०.आएत/ अएत/ आओत२७१.खाएत/ खएत/ खैत२७२.िपअएबाक/ िपएबाक/िप येबाक२७३.शु/ शुह२७४.शुहे/ शुए२७५.अएताह/अओताह/ एताह/ औताह२७६.जािह/ जाइ/ जइ/ जै/२७७.जाइत/ जैतए/ जइतए395


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>२७८.आएल/ अएल२७९.कैक/ कएक२८०.आयल/ अएल/ आएल२८१. जाए/ जअए/ जए (लालित जाए लगलीह।)२८२. नुकएल/ नुकाएल२८३. कठुआएल/ कठुअएल२८४. तािह/ तै/ तइ२८५. गायब/ गाएब/ गएब२८६. सकै/ सकए/ सकय२८७.सेरा/सरा/ सराए (भात सरा गेल)२८८.कहैत रही/देखैत रही/ कहैत छलॱ/ कहै छलॱ- अिहना चलैत/पढ़ैत(पढ़ै-पढ़ैत अथ कखनो काल पिरवितत) - आर बुझै/ बुझैत (बुझै/बुझै छी, मुदा बुझैत-बुझैत)/ सकैत/ सकै। करैत/ करै। दै/ दैत।छैक/ छै। बचलै/ बचलैक। रखबा/ रखबाक । िबनु/ िबन।राितक/ रातुक बुझै आ बुझैत केर अपन-अपन जगहपर योगसमीचीन अिछ । बुझैत-बुझैत आब बुझिल ऐ। हमहूँ बुझै छी।२८९. दुआरे/ ारे२९०.भेिट/ भेट/ भट२९१.खन/ खीन/ खुना (भोर खन/ भोर खीन)२९२.तक/ धिर396


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>२९३.गऽ/ गै (meaning different-जनबै गऽ)२९४.सऽ/ सँ (मुदा दऽ, लऽ)२९५.व,(तीन अरक मेल बदला पुनितक एक आ एकटादोसरक उपयोग) आिदक बदला व आिद। महव/ महव/ कत/क आिदमे संयुतक कोनो आवयकता मैिथलीमे नै अिछ।वतय२९६.बेसी/ बेशी२९७.बाला/वाला बला/ वला (रहैबला)२९८.वाली/ (बदलैवाली)२९९.वा/ वात३००. अतरिय/ अतरीय३०१. लेमए/ लेबए३०२.लमछुरका, नमछुरका३०२.लागै/ लगै (भेटैत/ भेटै)३०३.लागल/ लगल३०४.हबा/ हवा३०५.राखलक/ रखलक३०६.आ (come)/ आ (and)३०७. पाताप/ पााप३०८. ऽ केर यवहार शदक अतमे मा, यथासंभव बीचमे नै।397


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>३०९.कहैत/ कहै३१०.रहए (छल)/ रहै (छलै) (meaning different)३११.तागित/ ताकित३१२.खराप/ खराब३१३.बोइन/ बोिन/ बोइिन३१४.जािठ/ जाइठ३१५.कागज/ कागच/ कागत३१६.िगरै (meaning different- swallow)/ िगरए (खसए)३१७.रािय/ राीयFestivals of MithilaDATE-LIST (year- 2010-11)(१४१८ साल)Marriage Days:Nov.2010- 19Dec.2010- 3,8398


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>January 2011- 17, 21, 23, 24, 26, 27, 28 31Feb.2011- 3, 4, 7, 9, 18, 20, 24, 25, 27, 28March 2011- 2, 7May 2011- 11, 12, 13, 18, 19, 20, 22, 23, 29,30June 2011- 1, 2, 3, 8, 9, 10, 12, 13, 19, 20, 26,29Upanayana Days:February 2011- 8March 2011- 7May 2011- 12, 13June 2011- 6, 12Dviragaman Din:November 2010- 19, 22, 25, 26399


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>December 2010- 6, 8, 9, 10, 12February 2011- 20, 21March 2011- 6, 7, 9, 13April 2011- 17, 18, 22May 2011- 5, 6, 8, 13Mundan Din:November 2010- 24, 26December 2010- 10, 17February 2011- 4, 16, 21March 2011- 7, 9April 2011- 22May 2011- 6, 9, 19June 2011- 3, 6, 10, 20400


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>FESTIVALS OF MITHILAMauna Panchami-31 JulySomavati Amavasya Vrat- 1 AugustMadhushravani-12 AugustNag Panchami- 14 AugustRaksha Bandhan- 24 AugKrishnastami- 01 SeptemberKushi Amavasya- 08 SeptemberHartalika Teej- 11 SeptemberChauthChandra-11 SeptemberVishwakarma Pooja- 17 SeptemberKarma Dharma Ekadashi-19 September401


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>Indra Pooja Aarambh- 20 SeptemberAnant Caturdashi- 22 SepAgastyarghadaan- 23 SepPitri Paksha begins- 24 SepJimootavahan Vrata/ Jitia-30 SepMatri Navami- 02 OctoberKalashsthapan- 08 OctoberBelnauti- 13 OctoberPatrika Pravesh- 14 OctoberMahastami- 15 OctoberMaha Navami - 16-17 OctoberVijaya Dashami- 18 OctoberKojagara- 22 Oct402


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>Dhanteras- 3 NovemberDiyabati, shyama pooja- 5 NovemberAnnakoota/ Govardhana Pooja-07 NovemberBhratridwitiya/ Chitragupta Pooja-08 NovemberChhathi- -12 NovemberAkshyay Navami- 15 NovemberDevotthan Ekadashi- 17 NovemberKartik Poornima/ Sama Bisarjan- 21 NovShaa. ravivratarambh- 21 NovemberNavanna parvan- 24 -26 NovemberVivaha Panchmi- 10 DecemberNaraknivaran chaturdashi- 01 FebruaryMakara/ Teela Sankranti-15 Jan403


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>Basant Panchami/ Saraswati Pooja- 08 FebruaqryAchla Saptmi- 10 FebruaryMahashivaratri-03 MarchHolikadahan-Fagua-19 MarchHoli-20 MarVaruni Yoga- 31 Marchva.navaratrarambh- 4 Aprilvaa. Chhathi vrata- 9 AprilRam Navami- 12 AprilMesha Sankranti-Satuani-14 AprilJurishital-15 AprilSomavati Amavasya Vrata- 02 MayRavi Brat Ant- 08 May404


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>Akshaya Tritiya-06 MayJanaki Navami- 12 MayVat Savitri-barasait- 01 JuneGanga Dashhara-11 JuneJagannath Rath Yatra- 3 JulyHari Sayan Ekadashi- 11 JulAashadhi Guru Poornima-15 Jul<strong>VIDEHA</strong> ARCHIVE१.िवदेह ई-पिकाक सभटा पुरान अंक ेल, ितरहुता आ देवनागरीपमे Videha e journal's all old issues in BrailleTirhuta and Devanagari versionsिवदेह ई-पिकाक पिहल ५० अंकिवदेह ई-पिकाक ५०म सँ आगक अंक405


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>२.मैिथली पोथी डाउनलोड Maithili Books Download३.मैिथली ऑिडयो संकलन Maithili Audio Downloads४.मैिथली वीिडयोक संकलन Maithili Videos५.िमिथला िचकला/ आधुिनक िचकला आ िच MithilaPainting/ Modern Art and Photos"िवदेह"क एिह सभ सहयोगी िलंकपर सेहो एक बेर जाऊ।६.िवदेह मैिथली िवज :http://videhaquiz.blogspot.com/७.िवदेह मैिथली जालवृ एीगेटर :http://videha-aggregator.blogspot.com/८.िवदेह मैिथली सािहय अंेजीमे अनूिदत406


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>http://madhubani-art.blogspot.com/९.िवदेहक पूव-प "भालसिरक गाछ" :http://gajendrathakur.blogspot.com/१०.िवदेह इंडेस :http://videha123.blogspot.com/११.िवदेह फाइल :http://videha123.wordpress.com/१२. िवदेह: सदेह : पिहल ितरहुता (िमिथला़र) जालवृ (लॉग)http://videha-sadeha.blogspot.com/१३. िवदेह:ेल: मैिथली ेलमे: पिहल बेर िवदेह ाराhttp://videha-braille.blogspot.com/१४.<strong>VIDEHA</strong> IST MAITHILI FORTNIGHTLYEJOURNAL ARCHIVEhttp://videha-archive.blogspot.com/407


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>१५. िवदेह थम मैिथली पािक ई पिका मैिथली पोथीकआकइवhttp://videha-pothi.blogspot.com/१६. िवदेह थम मैिथली पािक ई पिका ऑिडयो आकइवhttp://videha-audio.blogspot.com/१७. िवदेह थम मैिथली पािक ई पिका वीिडयो आकइवhttp://videha-video.blogspot.com/१८. िवदेह थम मैिथली पािक ई पिका िमिथला िचकला,आधुिनक कला आ िचकलाhttp://videha-paintings-photos.blogspot.com/१९. मैिथल आर िमिथला (मैिथलीक सभसँ लोकिय जालवृ)http://maithilaurmithila.blogspot.com/२०.ुित काशन408


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>http://www.shruti-publication.com/२१.http://groups.google.com/group/videha<strong>VIDEHA</strong> केर सदयता िलअईमेल :???? ???एिह समूहपर जाऊ२२.http://groups.yahoo.com/group/<strong>VIDEHA</strong>/Subscribe to <strong>VIDEHA</strong>enter email addressPowered by us.groups.yahoo.com409


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>२३.गजे ठाकुर इ डेसhttp://gajendrathakur123.blogspot.com२४.िवदेह रेिडयो:मैिथली कथा-किवता आिदक पिहल पोडकाटसाइटhttp://videha123radio.wordpress.com/२५. नेना भुटकाhttp://mangan-khabas.blogspot.com/महवपूण सूचना:(१) 'िवदेह' ारा धारावािहक पे ई-कािशतकएल गेल गजे ठाकुरक िनबध-बध-समीा, उपयास(सहबाढ़िन) , प-संह (सहादीक चौपड़पर), कथा-गप(गप-गुछ), नाटक(संकषण), महाकाय (वचाहच आ असाितमन) आ बाल-िकशोर सािहय िवदेहमे संपूण ई-काशनक बाद िंटफॉममे। कुेम्–अतमनक खड-१ सँ ७ Combined ISBNNo.978-81-907729-7-6 िववरण एिह पृपर नीचमे आ410


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>काशकक साइट http://www.shruti-publication.com/ पर।महवपूण सूचना (२):सूचना: िवदेहक मैिथली-अंेजी आ अंेजीमैिथली कोष (इंटरनेटपर पिहल बेर सच-िडशनरी) एम.एस.एस.यू.एल. सवर आधािरत -Based on ms-sql serverMaithili-English and English-MaithiliDictionary. िवदेहक भाषापाक- रचनालेखन तंभमे।कुेम् अतमनक- गजे ठाकुरगजे ठाकुरक िनबध-बध-समीा, उपयास (सहबाढ़िन) ,प-संह (सहादीक चौपड़पर), कथा-गप (गप गुछ),नाटक(संकषण), महाकाय (वचाहच आ असाित मन) आबालमंडली-िकशोरजगत िवदेहमे संपूण ई-काशनक बाद िंटफॉममे। कुेम्–अतमनक, खड-१ सँ ७Ist edition 2009 of Gajendra Thakur’sKuruKshetram-Antarmanak (Vol. I to VII)- essay-411


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>paper-criticism, novel, poems, story, play, epicsand Children-grown-ups literature in singlebinding:Language:Maithili६९२ पृ : मूय भा. . 100/-(for individual buyersinside india)(add courier charges Rs.50/-per copy forDelhi/NCR and Rs.100/- per copy for outsideDelhi)For Libraries and overseas buyers $40 US(including postage)The book is AVAILABLE FOR PDF DOWNLOADAThttps://sites.google.com/a/videha.com/videha/http://videha123.wordpress.com/Details for purchase available at print-versionpublishers's site412


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>website: http://www.shruti-publication.com/or you may write toe-mail:shruti.publication@shruti-publication.comिवदेह: सदेह : १: २: ३: ४ ितरहुता : देवनागरी "िवदेह" क, िंटसंकरण :िवदेह-ई-पिका (http://www.videha.co.in/) कचुनल रचना सिमिलत।िवदेह:सदेह:१: २: ३: ४सपादक: गजे ठाकुर।413


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>Details for purchase available at print-versionpublishers's site http://www.shruti-publication.comor you may write to shruti.publication@shrutipublication.com२. संदेश-[ िवदेह ई-पिका, िवदेह:सदेह िमिथलार आ देवनागरी आ गजे ठाकुरकसात खडक- िनबध-बध-समीा,उपयास (सहबाढ़िन) , प-संह(सहादीक चौपड़पर), कथा-गप (गप गुछ), नाटक (संकषण), महाकाय(वचाहच आ असाित मन) आ बाल-मंडली-िकशोर जगत-संह कुेम् अंतमनक माद। ]१.ी गोिवद झा- िवदेहक तरंगजालपर उतािर िवभिरमे मातृभाषामैिथलीक लहिर जगाओल, खेद जे अपनेक एिह महािभयानमे हमएखन धिर संग निह दए सकलहुँ। सुनैत छी अपनेक सुझाओ आरचनामक आलोचना िय लगैत अिछ त िकछु िलखक मोन भेल।हमर सहायता आ सहयोग अपनेक सदा उपलध रहत।२.ी रमानद रेणु- मैिथलीमे ई-पिका पािक प चला कऽ जेअपन मातृभाषाक चार कऽ रहल छी, से धयवाद । आग414


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>अपनेक समत मैिथलीक कायक हेतु हम हृदयसँ शुभकामना दऽरहल छी।३.ी िवानाथ झा "िविदत"- संचार आ ौोिगकीक एिह ितपधलोबल युगमे अपन मिहमामय "िवदेह"क अपना देहमे कट देिखजतबा सता आ संतोष भेल, तकरा कोनो उपलध "मीटर"सँनिह नापल जा सकैछ? ..एकर ऐितहािसक मूयकन आसकृितक ितफलन एिह शतादीक अंत धिर लोकक नजिरमेआयजनक पसँ कट हैत।४. ो. उदय नारायण िसंह "निचकेता"- जे काज अह कए रहलछी तकर चरचा एक िदन मैिथली भाषाक इितहासमे होएत। आनदभए रहल अिछ, ई जािन कए जे एतेक गोट मैिथल "िवदेह" ईजनलक पिढ़ रहल छिथ।...िवदेहक चालीसम अंक पुरबाक लेलअिभनदन।५. डॉ. गंगेश गुंजन- एिह िवदेह-कममे लािग रहल अहकसवेदनशील मन, मैिथलीक ित समिपत मेहनितक अमृत रंग,इितहास मे एक टा िविश फराक अयाय आरंभ करत, हमरािवास अिछ। अशेष शुभकामना आ बधाइक स, सनेह...अहकपोथी कुेम् अंतमनक थम दृया बहुत भय तथा उपयोगीबुझाइछ। मैिथलीमे तँ अपना वपक ायः ई पिहले एहन भयअवतारक पोथी िथक। हषपूण हमर हािदक बधाई वीकार करी।415


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>६. ी रामाय झा "रामरंग"(आब वगय)- "अपना" िमिथलासँसंबंिधत...िवषय वतुसँ अवगत भेलहुँ।...शेष सभ कुशल अिछ।७. ी जे िपाठी- सािहय अकादमी- इंटरनेट पर थममैिथली पािक पिका "िवदेह" केर लेल बधाई आ शुभकामनावीकार क।८. ी फुलकुमार िसंह "मौन"- थम मैिथली पािक पिका"िवदेह" क काशनक समाचार जािन कनेक चिकत मुदा बेसीआािदत भेलहुँ। कालचक पकिड़ जािह दूरदृिक पिरचय देलहुँ,ओिह लेल हमर मंगलकामना।९.डॉ. िशवसाद यादव- ई जािन अपार हष भए रहल अिछ, जेनव सूचना-ाितक ेमे मैिथली पकािरताक वेश िदअएबाकसाहिसक कदम उठाओल अिछ। पकािरतामे एिह कारक नवयोगक हम वागत करैत छी, संगिह "िवदेह"क सफलताकशुभकामना।१०. ी आाचरण झा- कोनो प-पिकाक काशन- ताहूमेमैिथली पिकाक काशनमे के कतेक सहयोग करताह- ई तऽभिवय कहत। ई हमर ८८ वषमे ७५ वषक अनुभव रहल। एतेकपैघ महान यमे हमर ापूण आहुित ात होयत- यावत ठीक-ठाक छी/ रहब।416


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>११. ी िवजय ठाकुर- िमिशगन िविवालय- "िवदेह" पिकाकअंक देखलहुँ, सपूण टीम बधाईक पा अिछ। पिकाक मंगलभिवय हेतु हमर शुभकामना वीकार कएल जाओ।१२. ी सुभाषच यादव- ई-पिका "िवदेह" क बारेमे जािनसता भेल। ’िवदेह’ िनरतर पलिवत-पुिपत हो आ चतुिदकअपन सुगंध पसारय से कामना अिछ।१३. ी मैिथलीपु दीप- ई-पिका "िवदेह" केर सफलताकभगवतीसँ कामना। हमर पूण सहयोग रहत।१४. डॉ. ी भीमनाथ झा- "िवदेह" इटरनेट पर अिछ त "िवदेह"नाम उिचत आर कतेक प एकर िववरण भए सकैत अिछ। आइ-काि मोनमे उेग रहैत अिछ, मुदा शी पूण सहयोगदेब।कुेम् अतमनक देिख अित सता भेल। मैिथलीक लेलई घटना छी।१५. ी रामभरोस कापिड़ "मर"- जनकपुरधाम- "िवदेह"ऑनलाइन देिख रहल छी। मैिथलीक अतरीय जगतमे पहुँचेलहुँतकरा लेल हािदक बधाई। िमिथला र सभक संकलन अपूव।नेपालोक सहयोग भेटत, से िवास करी।417


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>१६. ी राजनदन लालदास- "िवदेह" ई-पिकाक मायमसँ बड़नीक काज कए रहल छी, नाितक अिहठाम देखलहुँ। एकर वािषकअ ◌ंक जखन िं ट िनकालब तँ हमरा पठायब। कलकामे बहुतगोटेक हम साइटक पता िलखाए देने िछयिह। मोन तँ होइत अिछजे िदली आिब कए आशीवद दैतहुँ, मुदा उमर आब बेशी भएगेल। शुभकामना देश-िवदेशक मैिथलक जोड़बाक लेल।.. उकृकाशन कुेम् अंतमनक लेल बधाइ। अुत काज कएलअिछ, नीक तुित अिछ सात खडमे। मुदा अहक सेवा आ सेिनःवाथ तखन बूझल जाइत जँ अह ारा कािशत पोथी सभपरदाम िलखल निह रिहतैक। ओिहना सभक िवलिह देल जइतैक।(पीकरण- ीमान्, अहक सूचनाथ िवदेह ारा ई-कािशतकएल सभटा सामी आकइवमेhttps://sites.google.com/a/videha.com/videha-pothi/पर िबना मूयक डाउनलोड लेल उपलध छै आ भिवयमे सेहोरहतैक। एिह आकइवक जे िकयो काशक अनुमित लऽ कऽ िंटपमे कािशत कएने छिथ आ तकर ओ दाम रखने छिथ तािहपरहमर कोनो िनयंण निह अिछ।- गजे ठाकुर)...अशेष शुभकामनाक संग।अहक ित१७. डॉ. ेमशंकर िसंह- अह मैिथलीमे इंटरनेटपर पिहल पिका"िवदेह" कािशत कए अपन अुत मातृभाषानुरागक पिरचय देलअिछ, अहक िनःवाथ मातृभाषानुरागसँ ेिरत छी, एकर िनिम जे418


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>हमर सेवाक योजन हो, तँ सूिचत करी। इंटरनेटपर आोपतपिका देखल, मन फुिलत भऽ गेल।१८.ीमती शेफािलका वम- िवदेह ई-पिका देिख मोन उलाससँभिर गेल। िवान कतेक गित कऽ रहल अिछ...अह सभ अनतआकाशक भेिद िदयौ, समत िवतारक रहयक तार-तार कऽिदयौक...। अपनेक अुत पुतक कुेम् अंतमनक िवषयवतुकदृिसँ गागरमे सागर अिछ। बधाई।१९.ी हेतुकर झा, पटना-जािह समपण भावसँ अपने िमिथला-मैिथलीक सेवामे तपर छी से तुय अिछ। देशक राजधानीसँ भयरहल मैिथलीक शंखनाद िमिथलाक गाम-गाममे मैिथली चेतनाकिवकास अवय करत।२०. ी योगानद झा, किबलपुर, लहेिरयासराय- कुेम्अंतमनक पोथीक िनकटसँ देखबाक अवसर भेटल अिछ आ मैिथलीजगतक एकटा उट ओ समसामियक दृिसप हतारककलमबद पिरचयसँ आािदत छी। "िवदेह"क देवनागरी सँकरणपटनामे . 80/- मे उपलध भऽ सकल जे िविभ लेखकलोकिनक छायािच, पिरचय पक ओ रचनावलीक सयककाशनसँ ऐितहािसक कहल जा सकैछ।419


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>२१. ी िकशोरीकात िम- कोलकाता- जय मैिथली, िवदेहमे बहुतरास किवता, कथा, िरपोट आिदक सिच संह देिख आ आरअिधक सता िमिथलार देिख- बधाई वीकार कएल जाओ।२२.ी जीवकात- िवदेहक मुित अंक पढ़ल- अुत मेहनित।चाबस-चाबस। िकछु समालोचना मरखाह..मुदा सय।२३. ी भालच झा- अपनेक कुेम् अंतमनक देिख बुझाएलजेना हम अपने छपलहुँ अिछ। एकर िवशालकाय आकृित अपनेकसवसमावेशताक पिरचायक अिछ। अपनेक रचना सामयमेउरोर वृि हो, एिह शुभकामनाक संग हािदक बधाई।२४.ीमती डॉ नीता झा- अहक कुेम् अंतमनक पढ़लहुँ।योितरीर शदावली, कृिष मय शदावली आ सीत बसत आसभ कथा, किवता, उपयास, बाल-िकशोर सािहय सभ उमछल। मैिथलीक उरोर िवकासक लय दृिगोचर होइत अिछ।२५.ी मायानद िम- कुेम् अंतमनक मे हमर उपयासीधनक जे िवरोध कएल गेल अिछ तकर हम िवरोध करैतछी।... कुेम् अंतमनक पोथीक लेल शुभकामना।(ीमान्समालोचनाक िवरोधक पमे निह लेल जाए।-गजे ठाकुर)420


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>२६.ी महे हजारी- सपादक ीिमिथला- कुेम् अंतमनकपिढ़ मोन हिषत भऽ गेल..एखन पूरा पढ़यमे बहुत समय लागत, मुदाजतेक पढ़लहुँ से आािदत कएलक।२७.ी केदारनाथ चौधरी- कुेम् अंतमनक अुत लागल,मैिथली सािहय लेल ई पोथी एकटा ितमान बनत।२८.ी सयानद पाठक- िवदेहक हम िनयिमत पाठक छी। ओकरवपक शंसक छलहुँ। एहर अहक िलखल - कुेम्अंतमनक देखलहुँ। मोन आािदत भऽ उठल। कोनो रचना तरा-उपरी।२९.ीमती रमा झा-सपादक िमिथला दपण। कुेम् अंतमनकिंट फॉम पिढ़ आ एकर गुणवा देिख मोन स भऽ गेल, अुतशद एकरा लेल युत कऽ रहल छी। िवदेहक उरोर गितकशुभकामना।३०.ी नरे झा, पटना- िवदेह िनयिमत देखैत रहैत छी। मैिथलीलेल अुत काज कऽ रहल छी।३१.ी रामलोचन ठाकुर- कोलकाता- िमिथलार िवदेह देिख मोनसतासँ भिर उठल, अंकक िवशाल पिरदृय आवतकारी अिछ।421


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>३२.ी तारानद िवयोगी- िवदेह आ कुेम् अंतमनक देिखचकिबदोर लािग गेल। आय। शुभकामना आ बधाई।३३.ीमती ेमलता िम “ेम”- कुेम् अंतमनक पढ़लहुँ। सभरचना उचकोिटक लागल। बधाई।३४.ी कीितनारायण िम- बेगूसराय- कुेम् अंतमनक बडनीक लागल, आगक सभ काज लेल बधाई।३५.ी महाकाश-सहरसा- कुेम् अंतमनक नीक लागल,िवशालकाय संगिह उमकोिटक।३६.ी अिनपुप- िमिथलार आ देवार िवदेह पढ़ल..ई थम तँअिछ एकरा शंसामे मुदा हम एकरा दुसाहिसक कहब। िमिथलािचकलाक तभक मुदा अिगला अंकमे आर िवतृत बनाऊ।३७.ी मंजर सुलेमान-दरभंगा- िवदेहक जतेक शंसा कएल जाएकम होएत। सभ चीज उम।३८.ीमती ोफेसर वीणा ठाकुर- कुेम् अंतमनक उम,पठनीय, िवचारनीय। जे यो देखैत छिथ पोथी ात करबाकउपाय पुछैत छिथ। शुभकामना।422


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>३९.ी छानद िसंह झा- कुेम् अंतमनक पढ़लहुँ, बड नीकसभ तरह।४०.ी ताराकात झा- सपादक मैिथली दैिनक िमिथला समाद-िवदेह तँ कटेट ोवाइडरक काज कऽ रहल अिछ। कुेम्अंतमनक अुत लागल।४१.डॉ रवी कुमार चौधरी- कुेम् अंतमनक बहुत नीक, बहुतमेहनितक पिरणाम। बधाई।४२.ी अमरनाथ- कुेम् अंतमनक आ िवदेह दुनू मरणीयघटना अिछ, मैिथली सािहय मय।४३.ी पंचानन िम- िवदेहक वैिवय आ िनरतरता भािवत करैतअिछ, शुभकामना।४४.ी केदार कानन- कुेम् अतमनक लेल अनेक धयवाद,शुभकामना आ बधाइ वीकार करी। आ निचकेताक भूिमकापढ़लहुँ। शुमे तँ लागल जेना कोनो उपयास अह ारा सृिजतभेल अिछ मुदा पोथी उनटौला पर ात भेल जे एिहमे तँ सभ िवधासमािहत अिछ।423


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>४५.ी धनाकर ठाकुर- अह नीक काज कऽ रहल छी। फोटोगैलरीमे िच एिह शतादीक जमितिथक अनुसार रहैत तऽ नीक।४६.ी आशीष झा- अहक पुतकक संबंधमे एतबा िलखबा सँअपना कए निह रोिक सकलहुँ जे ई िकताब मा िकताब निहथीक, ई एकटा उमीद छी जे मैिथली अह सन पुक सेवा सँिनरंतर समृ होइत िचरजीवन कए ात करत।४७.ी शभु कुमार िसंह- िवदेहक तपरता आ ियाशीलता देिखआािदत भऽ रहल छी। िनितपेण कहल जा सकैछ जेसमकालीन मैिथली पिकाक इितहासमे िवदेहक नाम वणरमेिलखल जाएत। ओिह कुेक घटना सभ तँ अठारहे िदनमेखतम भऽ गेल रहए मुदा अहक कुेम् तँ अशेष अिछ।४८.डॉ. अजीत िम- अपनेक यासक कतबो श ंसा कएल जाएकमे होएतैक। मैिथली सािहयमे अह ारा कएल गेल काज युग-युगातर धिर पूजनीय रहत।४९.ी बीरे मिलक- अहक कुेम् अतमनक आ िवदेह:सदेहपिढ़ अित सता भेल। अहक वाय ठीक रहए आ उसाहबनल रहए से कामना।424


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>५०.ी कुमार राधारमण- अहक िदशा-िनदशमे िवदेह पिहल मैिथलीई-जनल देिख अित सता भेल। हमर शुभकामना।५१.ी फूलच झा वीण-िवदेह:सदेह पढ़ने रही मुदा कुेम्अतमनक देिख बढ़ाई देबा लेल बाय भऽ गेलहुँ। आब िवास भऽगेल जे मैिथली निह मरत। अशेष शुभकामना।५२.ी िवभूित आनद- िवदेह:सदेह देिख, ओकर िवतार देिख अितसता भेल।५३.ी मानेर मनुज-कुेम् अतमनक एकर भयता देिख अितसता भेल, एतेक िवशाल थ मैिथलीमे आइ धिर निह देखनेरही। एिहना भिवयमे काज करैत रही, शुभकामना।५४.ी िवानद झा- आइ.आइ.एम.कोलकाता- कुेम् अतमनकिवतार, छपाईक संग गुणवा देिख अित सता भेल। अहकअनेक धयवाद; कतेक बरखसँ हम नेयारैत छलहुँ जे सभ पैघशहरमे मैिथली लाइेरीक थापना होअए, अह ओकरा वेबपर कऽरहल छी, अनेक धयवाद।५५.ी अरिवद ठाकुर-कुेम् अतमनक मैिथली सािहयमे कएलगेल एिह तरहक पिहल योग अिछ, शुभकामना।425


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>५६.ी कुमार पवन-कुेम् अतमनक पिढ़ रहल छी। िकछुलघुकथा पढ़ल अिछ, बहुत मािमक छल।५७. ी दीप िबहारी-कुेम् अतमनक देखल, बधाई।५८.डॉ मिणकात ठाकुर-कैिलफोिनया- अपन िवलण िनयिमतसेवासँ हमरा लोकिनक हृदयमे िवदेह सदेह भऽ गेल अिछ।५९.ी धीरे ेमिष- अहक समत यास सराहनीय। दुख होइतअिछ जखन अहक यासमे अपेित सहयोग निह कऽ पबैत छी।६०.ी देवशंकर नवीन- िवदेहक िनरतरता आ िवशाल वप-िवशाल पाठक वग, एकरा ऐितहािसक बनबैत अिछ।६१.ी मोहन भाराज- अहक समत काय देखल, बहुत नीक।एखन िकछु परेशानीमे छी, मुदा शी सहयोग देब।६२.ी फजलुर रहमान हाशमी-कुेम् अतमनक मे एतेकमेहनतक लेल अह साधुवादक अिधकारी छी।६३.ी लमण झा "सागर"- मैिथलीमे चमकािरक प अहकवेश आादकारी अिछ।..अहक एखन आर..दूर..बहुत दूरधिरजेबाक अिछ। वथ आ स रही।426


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>६४.ी जगदीश साद मंडल-कुेम् अतमनक पढ़लहुँ । कथासभ आ उपयास सहबाढ़िन पूणप पिढ़ गेल छी। गाम-घरकभौगोिलक िववरणक जे सूम वणन सहबाढ़िनमे अिछ, से चिकतकएलक, एिह संहक कथा-उपयास मैिथली लेखनमे िविवधताअनलक अिछ। समालोचना शामे अहक दृि वैयितक निहवरन् सामािजक आ कयाणकारी अिछ, से शंसनीय।६५.ी अशोक झा-अय िमिथला िवकास पिरषद- कुेम्अतमनक लेल बधाई आ आग लेल शुभकामना।६६.ी ठाकुर साद मुमु- अुत यास। धयवादक संग ाथनाजे अपन मािट-पािनक यानमे रािख अंकक समायोजन कएल जाए।नव अंक धिर यास सराहनीय। िवदेहक बहुत-बहुत धयवाद जेएहेन सुदर-सुदर सचार (आलेख) लगा रहल छिथ। सभटाहणीय- पठनीय।६७.बुिनाथ िम- िय गजे जी,अहक सपादन मे कािशत‘िवदेह’आ ‘कुेम् अंतमनक’ िवलण पिका आ िवलण पोथी!की निह अिछ अहक सपादनमे? एिह य सँ मैिथली क िवकासहोयत,िनसंदेह।427


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>६८.ी बृखेश च लाल- गजेजी, अपनेक पुतक कुेम्अंतमनक पिढ़ मोन गदगद भय गेल , हृदयसँ अनुगृिहत छी ।हािदक शुभकामना ।६९.ी परमेर कापिड़ - ी गजे जी । कुेम् अंतमनकपिढ़ गदगद आ नेहाल भेलहुँ।७०.ी रवीनाथ ठाकुर- िवदेह पढ़ैत रहैत छी। धीरे ेमिषकमैिथली गजलपर आलेख पढ़लहुँ। मैिथली गजल कऽ सँ कऽचिल गेलैक आ ओ अपन आलेखमे मा अपन जानल-पिहचानललोकक चच कएने छिथ। जेना मैिथलीमे मठक परपरा रहलअिछ। (पीकरण- ीमान्, ेमिष जी ओिह आलेखमे ई पिलखने छिथ जे िकनको नाम जे छुिट गेल छिह तँ से माआलेखक लेखकक जानकारी निह रहबाक ारे, एिहमे आन कोनोकारण निह देखल जाय। अहसँ एिह िवषयपर िवतृत आलेखसादर आमंित अिछ।-सपादक)७१.ी मंेर झा- िवदेह पढ़ल आ संगिह अहक मैगनम ओपसकुेम् अंतमनक सेहो, अित उम। मैिथलीक लेल कएल जारहल अहक समत काय अतुलनीय अिछ।७२. ी हरेकृण झा- कुेम् अंतमनक मैिथलीमे अपन तरहकएकमा थ अिछ, एिहमे लेखकक सम दृि आ रचना कौशल428


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>देखबामे आएल जे लेखकक फीडवकसँ जुड़ल रहबाक कारणसँअिछ।७३.ी सुकात सोम- कुेम् अंतमनक मे समाजक इितहासआ वतमानसँ अहक जुड़ाव बड नीक लागल, अह एिह ेमेआर आग काज करब से आशा अिछ।७४.ोफेसर मदन िम- कुेम् अंतमनक सन िकताब मैिथलीमेपिहले अिछ आ एतेक िवशाल संहपर शोध कएल जा सकैतअिछ। भिवयक लेल शुभकामना।७५.ोफेसर कमला चौधरी- मैिथलीमे कुेम् अंतमनक सन पोथीआबए जे गुण आ प दुनूमे िनसन होअए, से बहुत िदनसँआका छल, ओ आब जा कऽ पूण भेल। पोथी एक हाथसँ दोसरहाथ घुिम रहल अिछ, एिहना आग सेहो अहसँ आशा अिछ।७६.ी उदय च झा "िवनोद": गजेजी, अह जतेक काजकएलहुँ अिछ से मैिथलीमे आइ धिर िकयो निह कएने छल।शुभकामना। अहक एखन बहुत काज आर करबाक अिछ।७७.ी कृण कुमार कयप: गजे ठाकुरजी, अहसँ भट एकटामरणीय ण बिन गेल। अह जतेक काज एिह बएसमे कऽ गेलछी तािहसँ हजार गुणा आर बेशीक आशा अिछ।429


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>७८.ी मिणकात दास: अहक मैिथलीक कायक शंसा लेल शदनिह भेटैत अिछ। अहक कुेम् अतमनक सपूण प पिढ़गेलहुँ। वचाहच बड नीक लागल।७९. ी हीरे कुमार झा- िवदेह ई-पिकाक सभ अंक ई-पसँभेटैत रहैत अिछ। मैिथलीक ई-पिका छैक एिह बातक गव होइतअिछ। अह आ अहक सभ सहयोगीक हािदक शुभकामना।िवदेहमैिथली सािहय आदोलन(c)२००४-११. सविधकार लेखकाधीन आ जतय लेखकक नामनिह अिछ ततय संपादकाधीन। िवदेह- थम मैिथली पािक ई-पिका <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong> सपादक: गजेठाकुर। सह-सपादक: उमेश मंडल। सहायक सपादक: िशवकुमार झा आ मुाजी (मनोज कुमार कण)। भाषा-सपादन: नागेकुमार झा आ पीकार िवानद झा। कला-सपादन: योित430


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>सुनीत चौधरी आ रिम रेखा िसहा। सपादक-शोध-अवेषण: डॉ.जया वम आ डॉ. राजीव कुमार वम।रचनाकार अपन मौिलक आ अकािशत रचना (जकर मौिलकताकसंपूण उरदाियव लेखक गणक मय छिह)ggajendra@videha.com क मेल अटैचमेटक पम .doc,.docx, .rtf वा .txt फॉमटमे पठा सकैत छिथ। रचनाक संगरचनाकार अपन संित पिरचय आ अपन कैन कएल गेल फोटोपठेताह, से आशा करैत छी। रचनाक अंतमे टाइप रहय, जे ईरचना मौिलक अिछ, आ पिहल काशनक हेतु िवदेह (पािक) ईपिकाक देल जा रहल अिछ। मेल ात होयबाक बाद यथासंभवशी ( सात िदनक भीतर) एकर काशनक अंकक सूचना देलजायत। ’िवदेह' थम मैिथली पािक ई पिका अिछ आ एिहमेमैिथली, संकृत आ अंेजीमे िमिथला आ मैिथलीसँ संबंिधत रचनाकािशत कएल जाइत अिछ। एिह ई पिकाक ीमित लमीठाकुर ारा मासक ०१ आ १५ ितिथक ई कािशत कएल जाइतअिछ।(c) 2004-11 सविधकार सुरित। िवदेहमे कािशत सभटारचना आ आकइवक सविधकार रचनाकार आ संहकक लगमेछिह। रचनाक अनुवाद आ पुनः काशन िकंवा आकइवकउपयोगक अिधकार िकनबाक हेतु ggajendra@videha.co.in431


िवदेह Videha िवदेह थम मैिथली पाि क ई प िक ा Videha Ist Maithili Fortnightlye Magazine 'वदेह' ८३ म अंक ०१ जून २०११ (वष ४मास ४२ अंक ८३) http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृताम् <strong>ISSN</strong><strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>पर संपक क। एिह साइटक ीित झा ठाकुर, मधूिलका चौधरीआ रिम िया ारा िडजाइन कएल गेल।िसिरतु432

Hooray! Your file is uploaded and ready to be published.

Saved successfully!

Ooh no, something went wrong!