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Videha_01_08_2008_Tirhuta

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<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ अगस्त २००८ (वषर् १ मास ८ अंक १५)http://www.videha.co.in/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्'िवदेह' १ अग २००८ ( वष र् १ मास ८ अंक १५ ) एिह अंकमे अिछ:-ी रामाय झा 'रामर ंग' (१९२८- ) िस ' अिभनव भातखे' जीक मैिथली रचना "िवदेह"क लेल।१.पालवन आ मधेश ेशल २.संपादकीय ३.संदेश२. नाटक एंी: मा िवश ी उदय नारायण िसंह 'निचकेता'मैिथली सािहक सुिस योगधमीर् नाटककार ी निचकेताजीक टटका नाटक, जे िवगत २५ वष र्क मौनभंगक पात् पाठककसुख ुत भेल। पढ़◌ू नाटकक अिम खेप।३. ग -अ.१. कथा िवभा-रानी आऽ भालच झा आ. आा-ी मैिथलीपु दीप२. साहेब रामदास-ी पालन झा/ दैिनकी- ोितइ. ी मश ंकर िसंह बीसम शताीमे मैिथली सािहउपास सहबाढ़िन (आगा ँ)ईशोध लेख: मायान िमक इितहास बोध (आगा ँ) संगमे ी मायान िमजीसँ ड◌ॉ िशवसाद यादवजी ारा लेल गेलसाक्षाार।४. पिवृत किव . रामजी चौधरी,गजे ठाकुरी गंगेश गुंजन ोित झा चौधरी ी पंकज पराशर,महाका महाभारत (आगा ँ) ी िजतमोहन -भि गीत५. संृत मैिथली िशक्षा(आगा ँ)६. िमिथला कला(आगा ँ)७.पाबिन-संार- तीथ र् -पंचदेवोपासक भूिम िमिथला--ड◌ॉ फु कुमार िसंह ’मौन’मध ुावणीपर िवशेष िमिथलाक पाबिन-ितहारक कैलेंडर)८. संगीत िशक्षा -ी रामाय झा 'रामर ंग'1


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ अगस्त २००८ (वषर् १ मास ८ अंक १५)http://www.videha.co.in/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्९. बालाना ं कृते-१०. पी ब ंध (आगा ँ) पी-संाहक ी िवानंद झा पीकार (िस मोहनजी )११. संृत िमिथला१२.मैिथली भाषापाक१३. रचना लेखन (आगा ँ)14. VI DEHA FOR NON RESI DENT MAI THI LS ( Fest i val s of Mi thila date-list)-1.Vi deha Mi t hi l a Ti r bhukt iTi r hut ... 2.Goa and Mai t hi l s by Aj ay ThakurThe Comet -Engl i sh t r ansl at i on of Gaj endr a Thakur ' s Mai t hi l i Novel Sahasr abadhani byJyot iमहत्प ूण र् स ूचना:(१) िवृत किव . रामजी चौधरी (1878-1952)पर शोध-लेख िवदेहक पिहल अँकमे ई-कािशत भेलछल।तकर बाद हुनकर पु ी द ुगान र् चौधरी, ाम-पुर,थाना-अंधरा-ठाढ़◌ी, िजला-मध ुबनी किवजीक अकािशत पाुिलिपिवदेह काया र्लयकेँ डाकसँ िवदेहमे काशनाथ र् पठओलि अिछ। ई गोट-पचासेक प िवदेहमे नवम अंकसँ धारावािहक पेँ ई-कािशत भ' रहल अिछ।महत्प ूण र् स ूचना:(२) 'िवदेह' ारा कएल गेल शोधक आधार पर मैिथली-अंजी आऽ अंजी-मैिथली श कोश (संपादक गजेठाकुर आऽ नागे कुमार झा) कािशत करबाओल जा' रहल अिछ। काशकक, काशन ितिथक, पुक-ािक िविधक आऽपोथीक म ूक स ूचना एिह प ृ पर शी देल जायत।महत्प ूण र् स ूचना:(३) 'िवदेह' ारा धारावािहक पे ई-कािशत कएल जा' रहल गजे ठाकुरक 'सहबाढ़िन'(उपास), 'ग-गु'(कथा संह) , 'भालसिर' (प संह), 'बालाना ं कृते', 'एकाी संह', 'महाभारत' 'ब ु चिरत' (महाका)आऽ 'याा व ृा ंत'िवदेहमे संप ूण र् ई-काशनक बाद िंट फ◌ॉम र्मे कािशत होएत। काशकक, काशन ितिथक, पुक-ािक िविधक आऽ पोथीकम ूक स ूचना एिह प ृ पर शी देल जायत।महत्प ूण र् स ूचना (४):महत्प ूण र् स ूचना: ीमान ् निचकेताजीक नाटक " एंी: मा िवश" केर 'िवदेह' मे ई-कािशत प देिखकए एकर िंट पमे काशनक लेल 'िवदेह' केर समक्ष "ुित काशन" केर ाव आयल छल, एकर स ूचना 'िवदेह' ारा ीनिचकेताजीकेँ देल गेलि। अहा ँकेँ ई सिचत ू करैत हष र् भए रहल अिछ, जे ी निचकेता जी एकर िंट प करबाक ीकृितदए देलि। एी मा िवश (४ अ कीय मैिथली नाटक) ( c) ी उदय नारायण िसंह "निचकेता"काशक: ुित पिब्लकेशन (एिह पुकक I SBN No. शी देल जायत)महत्प ूण र् स ूचना (५): मैिथली-भोजपुरी अकादमीक तत्ाधानमे ६ अग २००८ केँ ीराम सेटर, सफदर हाशमी मा, मीहाउस, नई िदीमे सा ँझ साढ़◌े पा ँच बजेसँ राित लगभग ९ बजे धिर मैिथली नाटक-गीत-संगीत संाक आयोजन भए रहलअिछ। मैिथली लोक र ंग (मैलोरंग) संा ारा एकर अंतत साढ़◌े छह बजेसँ सवा आठ बजे धिर महे मलंिगयाक नाटक"काठक बनल लोक" मिचत ं कएल जाएत- एकर िनदेर्शक छिथ शनल ूल ऑफ ामाक ी काश झा।फेर ७ िसतर २००८ केँ िमिथला ंगन संा ारा ीराम सेटर, मी हाउस, नई िदीमे सा ँझ पा ँच बजेसँ मैिथली नाटक-गीत-संगीत संाक आयोजन होएत।िवदेह (िदना ंक १ अग सन ् २००८)2


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ अगस्त २००८ (वषर् १ मास ८ अंक १५)http://www.videha.co.in/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्१.पाल वन आ मधेश ेशल २.संपादकीय ३.संदेशपाल वन आ मधेश ेशल-िजते झा पताः जनकपुरधाम, पाल एखन ; नई िदीटेिलिभजनमे जं मैिथलीक मादे बात करी त पाल वन टेिलिभजनके एकटा अलग ान बिन चुकल अिछ । पाल वनटेिलिभजन राित पौ ८ बजे सािरत होब' बला मधेश ेशलक मामसं मैिथली बहुतो मैिथल धिर पंहुच रहल अिछ ।पालमे सभसं बेशी बाजल जाए बला दोसर भाषा मैिथली रिहतंहु ओ तािह अपातमे संचारमाममे मैिथलीके ान नई भेटसकल छइ । एहन अवामे पडोसी देश भारतसं सचािलत पाल वन टेिलिभजन मैिथलीमे काय र्म सारण क मैिथलीभाषाभाषी म अपन अलग ान बनाले अिछ । पालमे सरकारी रपर संचािलत पाल टेिलिभजन सिहत िनजी टेिलिभजनानलमे मैिथली एख उपेिक्षते अिछ । यिप बेर बेरके मधेश आोलन आ संचारमामपर लाग बला साम्दाियकताकआरोपक कार काठमाुकेित टेिलिभजनसबमे आब मैिथलीके ान भेट लागल छइ । काठमाुसं सािरत सगरमाथाटेिलिभजन सेहो सभिदन मैिथलीमे समाचार देल करैत अिछ ।पाल वन टेिलिभजनक मधेश ेशल नामक 1 घाक काय र्ममे समाचार, पालक समसामियक राजनीित, पालक मुख मुापरबातिचत आ गीत संगीत समेटल गेल अिछ । समसामियक वुिित पर लोक अपन धारणा द क पिरचचा र्के महप ूण र् बना देलकरैत अिछ । ई काय र्म राित पौ आठ बजेसं पौ नओ बजेधिर सािरत होइत अिछ । पाल केित समाचाररिहतो पाल सं बाहर इ काय र्म देिखिनहार मैिथल कमी नई अिछ । पालक सीमावतीर् मध ुवनी, दरभंगा, सीतामढी, सुपौल,सहरसासिहतके िजासभमे सेहो एकर दश र्कके कमी निह अिछ । पालक मैिथल ज मैिथलीमे समाचार, गीत, आ पिरचचा र्सुिन क सुसिचत ू होइत छैथ ततई भारत आ आन ठामक दश र्क मैिथली गीत आ संचारमाममे मैिथलीक बोली सुिन हिष र्त भेलकरैत अिछ ।मधेश ेशल पालक मधेशीके एकटा अरािष्य र् संचारमाममे मुंह खोिल क बजबाक अवसर देलकै, सेहो अप भाषामे ।पालक संचारमामसं सेहो कटल कट्ल रहबला मधेशके छोट िछन घटना सेहो मुख समाचार बन लागल । मधेशीक मुापरखिलक ु बहस शु भ गेल । मधेशक ता सेहो धोती कुता र् पिहिरक काठमाुएमे बैिस क को टेिलिभजन पर क्ष पे ंजनतासं बातिचत कर लगला। टेिलिभजनमे ज मैिथली शुाय छल तािह अबामे एिहबेर एक घा मैिथलीक काय र्मकेलोकिय होब मे बेशी समय नइ लगलै । एखन इ काय र्म द ू बष र् पुरा कर लागल अइ।पाल 1 टेिलिभजन िडस िटभी आ टाटा ाइपर उपल हएबाक कार इ देश िवदेशमे रह बला मैिथललग सहजिहं पंहुचबनाले अिछ । एिहारे लगभग ७० टा देशमे रहबला मैिथल भाषी मधेश ेशलके मामसं मैिथलीमे सुचना आ मरजन लरहल छैथ । मधेश ेशल मैिथली आ भोजपुरीक िमित काय र्म अिछ । एिहमे मैिथली भाषाक गीत नादक अितिरभोजपुरीक चौकी तोड आ आधिनक ु गीत सेहो सारण होइ छै । ई काय र्म तीन भागमे बाटल अिछ। पिहलमे पाल आअरािष्य र् समाचार रहैछै त दोसरमे समसामियक चचा(टक र् शो) आ तेसरमे मैिथली/भोजपुरी गीत ।3


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ अगस्त २००८ (वषर् १ मास ८ अंक १५)http://www.videha.co.in/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्दृ संचारमे मधेश ेशल मैिथलीके जगिजयार करमे बड पैघ भूिमका िनवाह र् क रहल अिछ आ क सकैत अिछ से कहनाईअितशयोि नई हएत । डोम कछ आ जट जिटनक नाचसं जं मािटक सुग लेब चाहैत हुवए त हुनका सभहक लेल मधेशेशल सहायक भ सकैत छै ।मेधेश केित काय र्म होइतो इ िमिथलाचलके सवािङण र् िवकासमे केक सहायक हएत से त आव बला िद बताओत मुदाएतवा िनित जे टेिलिभजनमे मैिथलीक िनयिमत सारणस ं मैिथलके अपन बोली अपन भाषा याद िदयबैत रहैतै ।२.संपादकीय (वष: र् १ मास: ८ अंक:१५)मावर,िवदेहक नव अंक (अंक १५, िदना ंक १ अग सन ् २००८) ई पिब्लश भऽ गेल अिछ। एिह हेतु ल◌ॉग ऑन कht t p:// wwwvi . deha. co. i n |एिह अंकमे निचकेताजीक नाटक एंी: मा िवश अिम खेप ई-कािशत भ’ रहल अिछ। ग गेश गुंजन जीक प आऽिवृत किव रामजी चौधरीक अकािशत प सेहो ई-कािशत भए रहल अिछ। ी मौन जी, मैिथलीपु दीप, ी पालन झाी पंकज पराशर आऽ परम ेय ी मश ंकर िसंहजीक रचना सेहो ई-कािशत कएल गेल अिछ।ी मायान जीक इटरू लेलि ी ड◌ॉ. िशवसाद यादव। तकर दोसर भाग सेहो ुत अिछ।पाल १ टी.वीक मैिथली काय र्मक िवषयमे िववरण दए रहल छिथ िजतेजी आऽ भि-गीत ुत कए छिथिजतमोहनजी।ोितजी प, बालाना ंकृते केर देवीजी श ंखला, ृ बालाना ंकृते लेल िचकला आऽ सहबाढ़िनक अंजी अवाद ुत कए छिथ।शेष ायी ंभ यथावत अिछ।अपक रचना आऽ ितियाक तीक्षामे। विर रचनाकार अपन रचना हिलिखत पमे सेहो नीचा ँ िलखल पता पर पठासकैत छिथ।गजे ठाकुर३८९, प◌ॉकेट-सी, सेर-ए, बसकुंज,नव देहली-११००७०.ggaj endr a@ vi deha. co. i n ggaj endr a@ yahoo. co.i n३.संदेश4


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ अगस्त २००८ (वषर् १ मास ८ अंक १५)http://www.videha.co.in/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्१.ी ो. उदय नारायण िसंह "निचकेता"- जे काज अहा ँ कए रहल छी तकर चरचा एक िदन मैिथली भाषाक इितहासमे होएत।आन भए रहल अिछ, ई जािन कए जे एतेक गोट मैिथल "िवदेह" ई जन र्लकेँ पढ़ि◌ रहल छिथ।२.ी ड◌ॉ. गंगेश गुंजन- "िवदेह" ई जन र्ल देखल। स ूचना ौोिगकी केर उपयोग मैिथलीक हेतु कएल ई ु यास अिछ।देवनागरीमे टाइप करबामे एिह ६५ वष र्क उमिरमे क होइत अिछ, देवनागरी टाइप करबामे मदित देनाइ सादक, "िवदेह"केर सेहो दािय।३.ी रामाय झा "रामर ंग"- "अपना" िमिथलासँ संबिधत...िवषय ंवुसँ अवगत भेलहु ँ।...शेष सभ कुशल अिछ।४.ी जे िपाठी, सािह अकादमी- इ ंटरट पर थम मैिथली पािक्षक पिका "िवदेह" केर लेल बाधाई आऽ शुभकामनाीकार क।५.ी फुकुमार िसंह "मौन"- थम मैिथली पािक्षक पिका "िवदेह" क काशनक समाचार जािन कक चिकत मुदा बेसीआािदत भेलहु ँ। कालचकेँ पकड़ि◌ जािह द ूरदृिक पिरचय देलहु ँ, ओिह लेल हमर म ंगलकामना।६.ी ड◌ॉ. िशवसाद यादव- ई जािन अपार हष र् भए रहल अिछ, जे नव स ूचना-ािक मे मैिथली पकािरताकेँ वेशिदअएबाक साहिसक कदम उठाओल अिछ। पकािरतामे एिह कारक नव योगक हम ागत करैत छी, संगिह "िवदेह"कसफलताक शुभकामना।७.ी आाचरण झा- को प-पिकाक काशन- ताहूमे मैिथली पिकाक काशनमे के कतेक सहयोग करताह- ई तऽभिव कहत। ई हमर ८८ वष र्मे ७५ वष र्क अभव रहल। एतेक पैघ महान यज्ञमे हमर ाप ूण र् आहुित ा होयत-यावत ठीक-ठाक छी/ रहब।८.ी िवजय ठाकुर, िमिशगन िविवालय- "िवदेह" पिकाक अंक देखलहु ँ, सूण र् टीम बधाईक पा अिछ। पिकाक म ंगल भिवहेतु हमर शुभकामना ीकार कएल जाओ।९. ी सुभाषच यादव- ई-पिका ’िवदेह’ क बारेमे जािन सता भेल। ’िवदेह’ िनरर पिवत-पुित हो आऽ चतुिद र्कअपन सुगंध पसारय से कामना अिछ।१०.ी मैिथलीपु दीप- ई-पिका ’िवदेह’ केर सफलताक भगवतीसँ कामना। हमर प ूण र् सहयोग रहत।११.ड◌ॉ. ी भीमनाथ झा- ’िवदेह’ इटरट पर अिछ तेँ ’िवदेह’ नाम उिचत आर कतेक पेँ एकर िववरण भए सकैत अिछ।आइ-काि मोनमे उेग रहैत अिछ, मुदा शी प ूण र् सहयोग देब।१२.ी रामभरोस कापड़ि◌ मर, जनकपुरधाम- "िवदेह" ऑनलाइन देिख रहल छी। मैिथलीकेँ अराष्ीय र् जगतमे पहु ँचेलहु ँतकरा लेल हािद र्क बधाई। िमिथला र सभक संकलन अप ूव र्। पालोक सहयोग भेटत से िवास करी।१३. ी राजनन लालदास- ’िवदेह’ ई-पिकाक मामसँ बड़ नीक काज कए रहल छी, नाितक एिहठाम देखलहु ँ। एकर वािष र्कअ ंक जखन ि ट िनकालब तँ हमरा पठायब। कलकामे बहुत गोटेकेँ हम साइटक पता िलखाए दे िछयि। मोन तँ होइतअिछ जे िदी आिब कए आशीवा र्द दैतहु ँ, मुदा उमर आब बेशी भए गेल। शुभकामना देश-िवदेशक मैिथलकेँ जोड़बाक लेल।१४. ड◌ॉ. ी मश ंकर िसंह- "िवदेह"क िनःाथ र् माभाषारागसँ िरत छी, एकर िनिम जे हमर सेवाक योजन हो, तँसिचत ू करी।(c)२००८. सवािधकार र् लेखकाधीन आ’ जतय लेखकक नाम निह अिछ ततय संपादकाधीन।5


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ अगस्त २००८ (वषर् १ मास ८ अंक १५)http://www.videha.co.in/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्नंदी : सपना निह...ं गी : मा ब ुझबाक दोष छल...वामपंथी :तखन ई दरबा, दरबा निह छल....िकछु आन वु छल....?िचगु :ई दरबा को माया- ार निह िथक....आई सँ कतेको युग पिह ई ख ुजतो छल, ब ंदो होइत छल...!ताजी :मुदा आब?अचर 1 : आब ई निञ ख ुजैत अिछ की ?अनचर 2 :जँ हम सब साम जा कए तारर मे पुकािर- पुकािर कए कही—‘खिल ु जो िसमिसम’ ् तैयहु निह िकछु हैत!नंदी : ई को ‘अलीबाबा चालीस चोर’ क िखा िथक थोड◌़◌े…ं गी : आ ई को धन-रक गुफा िथक थोड◌़◌े !वामपंथी : त’ ई दरबाक पाछा ँ छइ कोन चीज ?ता : की छइ ओिह पार ?अचर 1 : म ंदािकनी ?अचर 2 : वैतिरणी ?अिभता : आ िक बड◌़का टा िकला जकर सबटा कोठरी सँ आिब रहल हो दबल रेँ ककरहु नक आहिट...रबहाबैत आा सब...!चोर : आ िक एकटा नदी-िकनारक िवशाल शमशान - घाट,जतय जिर रहल हो हजारक हजार िचता...हन कातआीय जन...?बाजारी : निह त’ भ’ सकैछ एकटा बड◌़का बजारे छइ जतय िदन-राित जबरद खरीद-िबी चिल रहल हो।िभख-म ंगनी :इहो त’ भ’ सकैछ जे घिरते ु भेटत एकटा बड◌़का टा सड◌़क बाट काटैत एकटा आन राजपथक आ द ुन ूकमोड◌़ पर हाथ आ झोरा पसारैत ठाढ◌़ अिछ लाखो लोग- भुखमरी, बाढ◌़ि◌ , दंगा फसाद सँउजड◌़ल उपटल लोग....रीवला : निञ त’ एकटा ब-ड◌़-की टा केर ‘डिंग ाउं ड’ जतय सबटा वु वहार क’ क’ कए लोग सब फेकैजाय होइक—री सँ ल’ कए जूठ-का ँट, पुरनका टूटल भा ँगल चीज सँ ल’ कए ताजा िबना वािरसकलहास...िमका : िक आयाितत अवािछत ं सः जनमल को िशशु...मी : का िशशु, हजारोक हजार, जकरा सबकेँ ु केँ कोिखसँ उपािर कए फें कल गेल हो...वामपंथी : अथवा हजारो हजार ब ंद होइत कारखानाक बजैत सीटी आ लाखो पिरवारक जरैत भूखल-थाकल चूि-चपाटी....8


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ अगस्त २००८ (वषर् १ मास ८ अंक १५)http://www.videha.co.in/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्ताजी : ई त’ अही जा छी जे दरबाक ओिह पार की छइ... हम सब त’ मा अाजे क’ सकै छी जेभिरसक ओर हजारोक हजार अनकहल द ुःखक कथा उमड◌़ि◌-घ ुमड◌़ि◌ रहल छइ अथवा छइएकटा िवशाल आनक लहर जे अपनाकेँ रोिक होइक ई देखबाक लेल जे दरबा देके आओत अिगला बेिर...िचगु : ई सबटा एक साथ छैक ओिह पार, ठीक जेना प ृी पर रचल जाय छइ सँ ल’ कए नकर् - सबटा ठाम! जे ो नदीक एिह पार छइ तकरा लागै छइ जािन सबटा ख ुशी भिरसक छइ ओिहपार !नंदी : भिरसक नीक जका ँ देख निह हैब ओिह दरबा आ देबार िदिस !ं गी : एखनहु देखब त’ ऊपर एकटा कोना मे लटिक रहल अिछ बोडर्—“ एी!”ताजी :(आय र् होइत) आ ँय!(सब ो घिर ु कय दरबा िदस दैखैत छिथ)सब ो : “ एंी ?”(काश अथवा ◌ॉट-लाइट ओिह बोडर् पर पड◌़◌ैत अिछ)ताजी :ई त’ निञ छल पता ककरहु.. निह त’...िचगु : निह त?ताजी : (िवमष र् होइत) निह त’....पता निह....निह त’ की किरतहु ँ....वामपंथी : मुदा आब ? आब की हैत ?अिभता : आब की करब हम सब ?ता : आब की हैत ?(िचगु िकछु निह बाजैत छिथ आ नंदी-ं गी सेहो चुप रहैत छिथ । एक पल केर लेल जेना समयथि गेल होइक।)अचर 1 : यमराजेसँ प ूछल जाइन !अचर 2 :(घबड◌़◌ा कए) के प ूछत गय ? अही ं जाउ ! (केहु ँनी सँ ठेलैत छिथ।)अचर 1 :निञ-निञ.... हम निञ ? (पछुआ अबैत छिथ।)अचर 2 : तखन ताजीए सँ किहयिन जे ओ फिरछा लेिथ !अचर य :ताजी ! (ताजीकेँ घिर ु कए देखैते देरी द ुन ू जेना इशारा क’ कए कहैत होिथ प ूछबा दय।ताजी : (िविच श बजैत छिथ- कं ठ सिख ू जाइत छिन) ह..ह...!9


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ अगस्त २००८ (वषर् १ मास ८ अंक १५)http://www.videha.co.in/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्[ताजी िकछु बािज पबैत छिथ आ पुिछए सकैत छिथ। मा यमराजक लग जा कएठाढ◌़ भ’ जाइत छिथ। यमराज रिजर मे एक बेिर दैखैत छिथ, एक बेिर ताजी िदस]यमराज : बदरी िवशाल िमसर !ताजी : (जेना कठघरामे ठाढ◌़ अपन ीकारोि दैत होिथ) जी !यमराज : आयु पचपन !ताजी : (अ रेँ) साढ◌़◌े ितरपन !नंदी : असली उमिर बताउ !ं गी : सिटिफकेट-बला र्निञ !ताजी : जी पचपन !ंृर्र्यमराज : ज भा मासे, कृ प, योदश घिटका, षड्-िशित पल, पंचदश िवपल... ज-रािश ध...ल-विक,रोिहणी नक्ष, गण-म, योिन-सप, योग-शु, व माजार, करण- शकुिन![जेना-जेना यमराज बाजैत चिल जाइत छिथ—काश कम होइत म ंचक बामे िदिस मा रहैतअिछ जािह आलोक मे यमराज आ मुड◌़◌ी झ ुकौ ताजी लखा दैत छिथ। बा ँकी सभकउपर मिम काश। नंदी यमराजक दंड केँ धै हुनकर पाछा ँ सीना तािन कए ठाढ◌़ छिथ, ं गीटूल पर पोथीक िवशेष प ृ पर आ ँगुर रख रिजरकेँ धै छिथ। िचगु लगे मे ठाढ◌़छिथ, यमराजक र मे धीरे-धीरे जेना ितिन सुनल जाइत छिन-एना लािग रहल हो।]ताजी : जी !ँ ँ यमराज : (हु ंकार दैत) अहा केँ दैखैत छी ‘शश योग’ छैक...(ोक पढ◌़◌ैत छिथ अथवा पाछा सँ ित रेँ ‘ििरक◌ॉडेर्ड’ उारण सुनल जाइत अिछ-)“भूपो वा सिचवो वनाचलरतः सेनापितः कू रधीःधातोवा र्द-िवद-व ंचनपरो दाता सरोषेक्षणः।तेजी िनजमाभििनरत: श ूरोऽिसता ंग सुखीजातः सितमायुरेित शशके जारियाशीलवान ्अथा र्त—ता बनब त’ अहा ँक भागमे िलखल अिछ आ सिदखन सेवक आ अचर-अयायी सँ घेरल रहबसेहो िलखल अिछ.... छोट-मोट अाय निह कै होइ—से निह...मुदा बहुत गोटे अहा ँक नाम ल’कए अपराध करै जाइ छल—से बात । वैह जे कतेको जनता केँ होइ छिन..कखनहुदेिखयो कए अनठा दैत छलहु ँ। बाजै मे बड◌़ पटु छी से त’ े अिछ.. मुदा ई की देिखरहल छी—का चोरा कए िववाहक अितिरो म करबा दय.. से एहन िकछु चिल रहल अिछ की?”ू ूता : (त: एहन गोपनीय बात सब सुिन कए अंत लित भ’ जाइत छिथ। हुनक द ुन बगल मे ठाढ◌़ द ुनअचर अकास िदिस म ूड◌़◌ी उठा कए एर-ओर देखै लागै छिथ जेना ओसब िकछु निह सुिनरहल छिथ) निह...मा ..तेहन िकछु निह..10


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ अगस्त २००८ (वषर् १ मास ८ अंक १५)http://www.videha.co.in/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्िचगु : (मुी दैत) मुदा कनी-मनी...?.निह?ता : हँ, वैह.... ब ुझ ू जे...यमराज : सब बिझ ु गेलहु ँ....िचगु : मुदा ओ कहै छिथ हुनकर उमर भेलिन पचपन और शश-योग कहै छइ जीिवत रहताह सिर सँ बेसी उमिरधिर तखन ?ँ यमराज : तखन बात त’ जे समय सँ पिहनिह अहा को घ ृ राजितक चा ंतक िशकार बत एतय पठाओलगेल छी। (मोटका रिजर केँ ब करैत छिथ--)ता : तकर मा ?ंँ ँ ुयमराज : तकर मा ठीक तिहना जेना एिह चािर गोट सैिनक केँ एत’ ऐबाक आवकता निह छल... ओहो सब अहीजका .. मा इयैह जे अहा मु छी, घिर सकै छी राजनीितक जगत मे... एतय कतारमे ठाढ◌़रहबाक को दरकारे निह...ू ता : आ ँय ! (कहैत देरी द ुन अचर आनक अितिर काश करैत हुनका भिरपा ँज पकड◌़ि◌ लैत छिथ।संगिह कक देर मे नारेबाजी सेहो शु क दैत छिथ।)[ताजीक आगा ँ द ूटा सैिनक सेहो म ंच सँ िनष्ा ंत होइत छिथ।]यमराज : (ताजीक संगिह िखसिक जा रहै चाहै छिथ से देिख कए, द ुन ू अचर सँ) अहा ँ सभ कत’ जा रहल छी ?(द ुन ूक पैर थि जाइत छिन।) की ? निह बाजलहु ँ िकछु ?अचर 1 :आ.. जी.. हम सब..ताजी... जा रहल छिथ तै...ंयमराज : को तै ं-वै ं निह चलत..(घिर ु कए) िचगु !िचगु : जी ?यमराज : नीक जका ँ उल्टा-पुल्टा कए, देखू त’ रिजर मे िहनका सब दय की िलखल छिन...ू िचगु : जी !....(अचर 1 केँ देखा कए) राजनीितक जगतमे बदरी िवशाल बाब जतेक मार-काट कै- करौछिथ—से सबटा िहनके द ुन ूक कृपासँ होइ छलिन....अचर 1 :(आपि जताबैत) निह... मा...यमराज : (डा ँटैत) चोप! को-मा ता निह...िचगु : (आदेश दैत) सोझे भु केर कड◌़◌ाही मे ल’ जा कए फें कल जाय !(कहैत देरी नंदी आ ं गी अचर 1 आ अचर 2 केँ द ुन ू िदिस सँ ध’ कए बाहर ल’ जाइत छिथ—ओरबा ँकी मृत सैिनक मे सँ द ू गोटे िहनका ल’ कए आगा ँ बढ◌़◌ैत छिथ आ नंदी-ं गी अपन-अपन ानपर घिर ु आबैत छिथ।)11


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ अगस्त २००८ (वषर् १ मास ८ अंक १५)http://www.videha.co.in/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्मी युगल : (द ुन ू आर धीरज निह रािख पबैत छिथ) आ हम सब ?मी : हमरा द ुन ूकेँ की हैत ?िमका : ई हमरा कतेको कालसँ घिर ु चलबा लेल कहैत छलाह... मुदा हमही निह सुिन रहल छिलयिन !मी : की एहन निह भ’ सकैत अिछ जे.....बाजारी : (आगा ँ बढ◌़◌ैत) हे.... िहनका द ुन ू केँ अव एकबेर िजनगी देबाक मौका देल जाइन...िचगु : से िकयै ?ू बाजारी : देखू...एत त’ हम कादान क’ कए िववाह करबा देिलयिन... मुदा वुतः त’ ई द ुन गोटे अपन-अपनपिरवारक जे ो अिभभावक छिथ तिनका सभक आशीवा र्द निह भेिट सकलिन।भ ि 2 :...आ तै ं द ुन ू गोटे िनित कै छलाह जे जीयब त’ संगिह आ मरब त’ संगिह..मुदा आब त’ हम सबिववाह कैये दे छी...बाजारी ि :तै ं हमरा लगैछ जे द ुन ू पिरवारो आब मािन लेताह...भ ि 1 : भ’ सकैछ आब पातापो क’ रहल छिथ।यमराज: बड◌़ बेस...िचगु : आ जँ एखनहु अड◌़ दैखौता त’ अहा ँ सब हुनका लोकिनकेँ समझा ब ुझा’ सकबिन िक निह ?भ ि 1,2 : अव...अव !ू यमराज : बेस... तखन (नंदी-ं गीकेँ ) एिह द ुन बालक-बािलका आ िहनका द ुन ूक एतहुका अिभभावक लोकिनकेँ रा देखािदयु...[नंदी-ं गी मी-िमका आ ओिह तीन ू गोटेकेँ (द ुन ू भ ि आ बाजारी व ृकेँ ) रा देखा कए बाहरल’ जाइत छिथ...पाछू-पाछू ढोल-िपपही बजा कए ‘माच’ र् करैत बाहर ल’ जाइत छिथ। तखन रिहजाइत छिथ जेसब तािह सबमे सँ अिभता अगुआ आबै छिथ।]िचगु : (जेना यमराज केँ अिभताक पिरचय द’ रहल छिथ) ई िववेक कुमार भेलाह... (नंदी सँ) प ृ पा ँच सौअड◌़तीस...अिभता :(आय र्-चिकत होइत, िचगु सँ) अहा ँ केँ हमर प ृो मोन अिछ...करोड◌़◌ो ममे....? ई त’ आय र्कग भेल...ंिचगु : एिह मे अचरजक कोन बात? एतेक िकछु करैत रहैत छी जे बेिर-बेिर ओिह प ृ पर ‘एी’ करै-टापड◌़◌ै अिछ...तै.....नंदी : (जेना घोषणा क’ रहल होिथ...) प. ृ 538, िववेक कुमार उफ.....?र्अिभता :(टोकैत) हे कथी लय दोसर-दोसर नाम सब लै जाइ छी ? बड◌़ मोसिकल सँ त’ अपन जाित-पाित केँपाछा ँ छोड◌़◌ा सकल.... आ तखन एहु आिब कए....?िचगु : आगा ँ बढ◌़’! नाम छोड◌़ि◌ दहक !12


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ अगस्त २००८ (वषर् १ मास ८ अंक १५)http://www.videha.co.in/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्नंदी : आगा िरकाडर् त’ ई कहै अिछ जे ओना ई छलाह त’ ब माम ूली ि, तखन अपन कुशलता सँ, आओरसौभाो सँ, पहु ँिच गेल छिथ िशखर पर... पाइ बहुत कमौलिन.. (झिक कए नीक जका रिजर मेसँ पढ◌़◌ैत...) दान-ान सेहो कै छिथ... ततबा निह जतबा क’ सकैत छलाह अक मिहला सँिहनक नाम केँ जोड◌़ल जाइ छिन...अफवािह केँ अप पिस करै छिथ... एिह मामलामे बदनामेरहलाह... आ तै पािरवािरक जीवन सुखद निह छलिन... िनःसंतान छिथ, पीकेँ ािग देताह तािहसँपिहनिह वैह छोड◌़ि◌ कए चिल गेलीह...वुतः पीक कहब छलिन ई असलमे नपुंसक छलाह...अिभता : (नंदी केँ थबैत) की सभक साम अंट-संट पढ◌़ि◌ रहल छी पोथासँ ? पी छोड◌़ि◌ कए चिल गेलीह…नीक कैलीह, एखन सुखी छिथ एकटा अधेड◌़ उमरक नवयुवकक संगे.... मीिडया बला सभसँ पाइभेटलिन आ िक कहानी बनबै लगलीह... ‘अफसाना’.... जे िबकत ब बेसी।िचगु : से ओ सब जाय दहक ...ई कह आर कोन िवशेष बात सभ दजर् छैक..ुं गी : (ओहो झिक कए देिख रहल छलाह रिजर मे, आब रहल निह गेलिन---) िहनक जेक िम छिन, शुकसंा तािहसँ बहुत गुना बेसी छिन।यमराज : से त’ ाभािवके.....ं गी : िहनक शुपक्ष कहैत अिछ ई का–चोरा कए कतेको वामपंथी गोी केँ मदित करैत छलाह.... बहुतो तािहतरहक संगठन केँ ....वामपंथी : (ितवादक रमे) कथमिप निह... ई सब फूिस बािज रहल छी अहा ँसब....ं गी : बािज कहा ँ रहल छी यौ कामरेड? हम त’ मा पढ◌़ि◌ रहल छी--!वामपंथी : िहनका सन ‘ब ुजो र्आ’ गोीक सद कखनहु करत गै मदित को सावादीक ? असंभव !ं अिभता : िकयै ? सावाद पर अहीसभक जिस अिधकार छै की ? आन ो ‘सा’ क कना निह क’ सकैतअिछ ?वामपंथी : (ंाक रें) िकयैक निह ? कनाक घोड◌़◌ा पर के लगाम लगा सकैत अिछ ?क, जतेक मजीर् कना करै जाऊ ! मुदा हम सब छी वािवक जगत् मेवाव केँ भोिग रहल छी...अिभता :वावमे भोगी छी अहा ँ सब, भोगक लालसा मे ‘सा’ दय गेलहु ँ िबसिर ‘वाद’टा मोन रहल ... वाद-िववादमे काज मे आबैत अिछ....!र्ंिचगु : वाद-िववाद सँ काज कोन ? कहबाक ताय ई जे िववेक कुमार जीक िववेक भिरसक बड◌़ बेसी काजकरैत छिन...तै.....यमराज :(गंभीर मुामे) हुम ्-म ्-म ् ! (नंदी सँ) तखन देखै छी िवपक्ष सँ बैसी सप मे सबटा पढ◌़ि◌ रहल छी...िचगु : तकर अलावे ...ई िहनक अकाल आगमन िथकिन.... ंटमैनक बालक छल अ, गेल छल छुी ल’ क’ अपनघर... त’ ई अपनिह ंट करै लगलाह...अिभता : (िबहु ँसैत) किनयें टा चूक भ’ गेलैक िक पहाड◌़◌ी पर सँ खिस पड◌़लहु ँ....ँयमराज : किनये-किनये भूल-चूक मे बदिल जाइत अिछ इितहास आ पुराण...सबटा पु बहा जाइत अिछ तिनकेपापसँ ! मुदा जे हो (नंदी सँ) िहनका एखनहु अक िदन जीबाक छिन.. पठा िदयौक प ृी पर...13


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ अगस्त २००८ (वषर् १ मास ८ अंक १५)http://www.videha.co.in/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्वामपंथी : (अगुआ कए) आ हम ? हमर की हैत ? (एक बेिर यमराज तँ एक बेिर िचगु िदिस देखैत छिथ।मा ं गी ससान अिभताकेँ बाहर पहु ँचाबै जाइत छिथ।)यमराज : अहा ँक कथा मे तँ -नकर् को टा निह अिछ... छी हम आ िचगु...वामपंथी : जी, से त’...(कहै जाइत छलाह ‘अव !’ मुदा तािह सँ पिहनिह टोकल जाइत छिथ।)ँ िचगु : सैह जखन बात छैक त’ अहा अप िवचार क अपन भिव....(प◌ॉिकट सँ एकटा मुाकेँ ‘ट◌ॉस’ करबाकभंिगमा मे.....) कहु की कहै छी ‘िचत’ की ‘पट’?वामपंथी : हमर िवास आ हमर िशक्षा िकछु आ तरहक छल, मुदा जे क्ष क’ रहल छी (कहैतदेवार....यमराज...िचगु आिद केँ देखाबैत छिथ) तकरे अीकार कोना क ?यमराज : िकयैक ? ईहो त’ भ’ सकैछ जे आिख ँ धोखा द’ रहल अिछ...ई सबटा एकटा द ुः मा िथक...कलोक मा िथक...ई, जतय घ ुसै जायब त’ देखब बोडर् पर टा ंगल अिछ---‘ एी’!वामपंथी : तखन ?िचगु : तखन की ?वामपंथी : तखन हम की क ?यमराज : (गंभीर मुामे) पिह ई कहू... िवषम के िथक ? म िक कृित ?वामपंथी : द ुन ... ूयमराज : के कम के बेसी ?वामपंथी : कृित मे तैयहु कहु ‘ाकृितक ाय’ (चरल जिस)काजक’ रहल अिछ, मुदा मक भावक आधारेअाय पर ठाढ◌़ अिछ...यमराज : की अहा ँक राजनीित एहन अाय केँ द ूर निह क’ सकैत अिछ ?वामपंथी : यास करैत अिछ...ू यमराज : ठीक अिछ... तखन िहनको तीन गोटे केँ जाऊ ! (चोर उचा आ प◌ॉिकट-मारक िदिस देखा क’बाजैत छिथ) आ देखू िहनका सब केँ बदिल सकै छी वा निह ?वामपंथी : बेस....14


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ अगस्त २००८ (वषर् १ मास ८ अंक १५)http://www.videha.co.in/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्[कहैत प◌ॉिकट-मार आ उचा हुनका लग चिल आबै छिथ। चोर कक इततः करैत छिथ आ अंत मेपिछ ू दैत छिथ जाय सँ प ूव र्…]चोर : तखन एिह सँ आगा ँ ?यमराज-िचगु-नंदी : (एिह संग) ‘ एनी’...[कहैत देरी तीन ू गोटे केँ साथ ल’ कए वामपंथी युवा वाहर जैबाक लेल उत होइत छिथ िक तावत्अिभता केँ छोड◌़ि◌ कए ं गी घिर ु कए म ंच पर वेश क’ रहल छलाह।]यमराज : मा िवश....िचगु : कदाचन![चा गोटे एक पलक लेल चौ ंकैत थैत छिथ ....तकर बादे िनष्ा ंत होइत छिथ। हुनकासभक ानक पाछा ँ ं गी आगा ँ बढ◌़◌ैत छिथ यमराजक िदिस।]अ.१. कथा िवभा-रानी आऽ भालच झाआ. आा- ी मैिथलीपु दीप२. ी पालनिवदेह न ूतन अंक दीप दैिनकी रामदास झा/ दैिनकी- ोितइ. उपास सहबाढ़िन (आगा ँ)ी मश ंकर िसंहकथा भालच झा आऽ िवभा-रानीी भालच झा, ए.टी.डी., बी.ए., (अथ र्शास्), मुईसँ िथएटर कलामे िडोमा। मैिथलीक अितिर िही,मराठी, अजी आऽ गुजरातीमे िनात। १९७४ ई.सँ मराठी आऽ िही िथएटरमे िनदेशक। महाराष् रा उपािध १९८६ आऽ१९९९ मे। िथएटर वकर्श◌ॉप पर अितथीय भाषण आऽ नामी संानक नाटक ितयोिगताक हेतु ायाधीश। आइ.एन.टी. केर लेलनाटक “सीता” केर िनदेर्शन। “वासुदेव संगित” आइ.एन.टी.क लोक कलाक शोध आऽ दश र्नसँ ज ुड़ल छिथ आऽ नाशालासँ ज ुड़लछिथ िवकला ंग बाल लेल िथएटरसँ। िन टी.वी. मीिडयामे रचनाक िनदेशक पेँ काय र्- आभलमया (मराठी दैिनक धारावािहक ६०एपीसोड), आकाश (िही, जी.टी.वी.), जीवन संा (मराठी), सफलता (रजानी), पोिलसनामा (महाराष् शासनक लेल), मुी उदालीआकाशी (मराठी), जय गश (मराठी), की-सौी (िही डी.डी.), याा (मराठी), धनाजी नाना चौधरी (महाराष् शासनक लेल), ीपी.के अना पािटल (मराठी), यर (मराठी), िफर नही ं कभी नही ं ( नशा-सुधारपर), आहट (एड्सपर), बै ंगन राजा (बाक लेलकठपुतली शो), मेरा देश महान (बाक लेल कठपुतली शो), झ ूठा पालतू(बाक लेल कठपुतली शो),टी.वी. नाटक- बी (लेखक- राजीव जोशी), शतकवली (लेखक- . उल द), िचकाठी (लेखक- . महर वाकोडे), दयची15


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ अगस्त २००८ (वषर् १ मास ८ अंक १५)http://www.videha.co.in/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्गोा (लेखक- राजीव जोशी), हापार (लेखक- एह.एम.मराठे), वालन (लेखक- अज्ञात)।लेखन-बीछल बेरायल मराठी एका ंकी, िसंहावलोकन (मराठी सािहक १५० वष), र् आकाश (जी.टी.वी.क धारावािहकक ३० एपीसोड), जीवन सा(मराठी साािहक, डी.डी, मुई), धनाजी नाना चौधरी (मराठी), यर (मराठी), िफर नही ं कभी नही ं ( िही), आहट (िही), याा (मराठी सीरयल), मय ूरप ( मराठी बाल-धारावािहक), हेल्थकेअर इन २०० ए.डी.) (डी.डी.)।िथएटर वकर्श◌ॉप- कला िवभाग, महाराष् सरकार, अिखल भारतीय मराठी ना पिरषद, दिक्षण-म कला के, नागपुर, .गजानन जहागीरदारक ाापकमे चाक िफक लेल अिभनय ूल, उाद अमजद अली खानक द ू टा संगीत दश र्न।ी भालच झा एखन फ़◌्री-ला लेखक-िनदेशकक पमे काय र्रत छिथ।चूि---: भालच झा'... चूि आ स्ी - द ुन ूक ार एके जका ँ होइत छैक, ब ुझलहक? जरैत-जरैत जीबइए में द ुन ूक गुजिर होइत छैक...गै दाई !'जाबैत िजयलै - ई ग, माय हमरा सिदखन किहते रहलै। ई कह' में जे मम र् काएल छलै, से ब ुझबाक उिमर त' निहंएरहय, मुदा जािह तरहैं उसा ँस ल' क' माय ई बात कहय, तािह स' ई त' लागबे करय जे ई ग अबे को तरहकजीवन-म ं हेतैक - अिह तरहक िवचार मोन मे आिब आिब जाय।... आ देिखयौ भाक खेला, जे हमर आ चूिक संग कहा ँदिन जनिमते देरी िक धरा गेलै।माइये कहिथ जे हमर जनम अिहना जाड़ स' कनकनाइत राित मे भेलै। हे दाई - जनम त' भ' गेलै, मुदा मुँह स'पिहल केहा ं िनकाल' लेल चुिएक सहारा लेब' पड़लै।अपन गरमी द' क' चूिए हमरा बचा ले रहय। आ तािह लेल वा की, जे घर-आ ँगनक लोक आओर हमर नामे ध' देलकैचुिया' ...। आब किहयौ त' भला, इहो को रीत भेलै नाम जोड़बाक !ओ त' धभाग हमर, जे बबा के की फुरेलि आ नामकरणक िदन हमर नाम रािख देलिख - 'िसया सुिर'।तैयो घर-आ ँगन के त' बिझते ू िछयै ' ... एक बेर जे कह' लगलै 'च्◌ु◌ूिया' त' ओ िकयो बदलै भला! हे दाई, 'िसया-सुिर'। ई नाम त' मा कागजे लेल रिह गेलै।बबा त' ब िखिसयैिथ मुदा लोको सभ थेथर भ' गेल रहै। हुनका सोझा मे त' सभ िकओ दम सािध लै, मुदा जखपरोछ भेलाह िक फेर सभके को झरकबाही लािग जाय छलै... चुिया, चूियाक से िकलोल मिच जाय जे की कही ... आईत' हँिसयो लािग जाइयै । मुदा छोटपन मे हमरा बड़◌्ड खराब लागय, ब ुझलहु ँ की?आई बैसल-बैसल जहन ओ ग सभ मोन पड़◌े◌ैयै त' िवचार' लागै छी जे वाव में, एहन आगा ंक िबचार करयबला पुखपा के रहब घर में कतेक जरी होई छै। निञ त' घ ूमैत रहू जनम भिर अपन एह जरल धनकल सन नाम ल' क' ...चुिया ..पनबसना दाई ... ताबा कुमारी ... चकला देबी ...!!! ध ुर र् जाउ, अहा ँ के हँी लगैय' ...आ हम सोचै छी जे देिखयौ त'। बेटी आओर के एक गोट नीक नामो टा नसीब निञ होई छै अइ समाज मे... तहन आरकथीक आस धरै ओ...? कोन भरोस पर जीबय ओ?... त' कह' जे लगलहु ँ ... जे किन ब ूझ' स ूझ' जोगर भेलहु ँ त' देिखयैक जे हमरा घरक चूि जहा ँ किनको किरयैलै िक16


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ अगस्त २००८ (वषर् १ मास ८ अंक १५)http://www.videha.co.in/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्हमर माय ओकरा लीप-पोइत क' ओकरा िचिन चुनमुन बना दैक।चूि सेहो ओकरा लेखे एकटा नाि टाक बे टा रहै। जािह माया आ ममित स' ओ हमरा आओर के धोबै-पोछै छलै, ओिह स'कम माया ममित निञ देखिलयै हम ओकरा चूि लीपैतकाल। आ, क नीक स' सोिचयौ, त' चूि स' जे ओकर िसह रहयसे अनल निञ छलै ! यै! जे चूि आज जिर धनिक क' लोग आओरक पेट भरै छै, ओकरे ित लोक एतेक कृतकोना क' भ' जाइत छैक? ... माउिग के ल' क' सेहो अपना समाज मे अिहना होबैत एलैये आई धिर। भिर िजनगीदोसरे लेल जिरतहु-धनिकतहु बेर पडला पर ओकरो अही चूि जँका कात क' दै छैक लोक आओर। िजिबते जी मुँह मेंछाउर भर पड़ल रहैत अिछ अपन भनसाघर क एकटा कोटा मे...।धिर ु जो। हमहूँ ई कोन जरल धनकल सनक कथा ल' क' बैिस गेलहँ◌ु। त'...कहैत जे छलहु ँ ...। रसे - रसे ई चूिलीप' पोतक काज हमरे िजा लािग गेल। आ ओिह में हमर मो सेहो लाग' लागल। ब ुझलहु ँ ! फूिस िकयैक बाजब?आिह रे बा। ले बलैा के। एकटा बात त' कहब िबसिरए गेलहु ँ। हमर माय ब लुिरगर आ तै ं अपना लिर-ढंगक ू कारप ूरे परोपा में नामी। सनारायण भगवानक प ूजा मे ओ जे अिरपन दै से की कहू। देिखतहु ँ त' आिख ँ चोराजयितयैक। केह खरकल बासन िकयैक निञ रहौ - से कहै छी जे यिद ओ मािज ँ दैक त' बतर्न चानी जका ं झलमल क'उठै छलै। हे, छिठ मे अिहबातक पाितल जे ढेिरतै - तँ एहन, जे गा ँम के लोक कहै छी, भकच रिह जाइत छलै।माउिग बला को एहेन लुिर बा ँकी निञ छलै, जािह मे ओ ककरो स' पाछा ं भ' जइितयैक, कहै छी जे से । िसआइयो-कढ़◌ाई सीख' लेल परोपाक नवकिनञा सभ के कहै छी जे से िसहंता लागल रहैत छलै जे किहया ओ हुनकर अंगना मे आबथ ुआ किहया ओ सभ हुनका स' अपन मनपसीनक चीज बतुस आओर बनाबय के सीिख िलयए।माय मे बस कमी छलैक त' एकेटा, जे ओ हरक ब गरीब छलै ! आ गा ँम-घर मे त' ब ुझले अिछ, जे जकरा लग टाकापँजीक ू ढेर छै, सएह लोक मातबर कहल जाइत छैक। ओ म मे गनल जाइत छैक। आ िक निञ? लिर-बेबहार ूत'बादक ग भेलै। टाका पँजी ू रहलै त' बींगलो-बताह सभ बिधयार ु भ' जाइ छै। आ से जे निञ रहलै त' आिख-कानँरिहतहु लोक आरे-ला ंगड़ ब ुझल जाइ छै।यै, जौ ं सच-सच प ूछी त' अपना सभ मे माउिग-म स' िबयाहदान थोड़बे कएल जाइत छैक? िबयाह-दान त' होइत छैकजर-जमीन स', टाका-पँजी ू स', िकं वा धन-संपि, मान-मरातब स'। माउिग त' ओिह िबयाहक उलल मे देल गेल एकटा ससे(भेंटवु) छैक। से िकयैक त' पँजी-टाका ू कतबो िकयैक निञ रहौक, एकिदन त' खतम भइए जाइत छैक। तहन मोनकोना क' रहतैक जे अई घर मे िबयाहो भेल छै ककरो! से बस, माउिग नामक सस के देिख क' ई ब ुझल जाइत रहैतछैक जे अहू घर मे एकटा िबयाह भेल छैक। तै ं बिझयौ ू जे माउिग भ' गेलै यादगारक एकटा समान। ब ुझलहु ँ िक निञ।बस अिहना एकटा समान रहै हमर माय।से िकयैक त' हमर दाई जे रहिथन - कहै छी जे ब लोभी। हुनका भगवान संतोषक नामक वु जेना देिह निञरहिथ िजनगी मे। बार रौ बाप। चानी परक तेलो चाट' लेल तैयार रह' बला एहन लोभी स्ी हम नही ं देखलहु ँ आई धिर,से जे कहै छी। ओ त' हमर बाबा जाबित सम ंगगर रहिथ, ताबित िहनकर िजतुए निञ चलैि तै ं, वरना हमर माय एिह घरमे अिबितयैक भला? बाबा अपना जितए ु माय के पुतोहु बनाक' ल' त' एलिखन, मुदा अँगना मे त' जे हाल ओकर करिथनदाई से दलान पर बैसल ओ बेचारे की जान' गेलिथ। आ गरीबी जे आदमी के सहनशीलता िसखा दैत छै, से त' अहा ं केब ुझले अिछ। हमर माय अपन करमक लेख बिझ ु क' सभिकछु चुपचाप सहन कए जाइ। ककरा किहितयैक! के रहै ओकरअपन, जकरा किहक' द ू छनक द:खो ु बािट ँ िलितयैक? हर बला सभ तँ छौ ंरी सभके ाह-दान करबा क' कहुना क' अपनपितया छोड़◌ा लैये । तकर बाद त' कहबी छै जे ओ आ ओकर तकदीर। जे जे पा्रर छै ओकरा लेल, तकरा स'ओकरा सभके कोन सरोकार ।आ दैबक रचना देिखयो, एकरे ओ सभ िहू धम र्क महादान 'कादान' कहै छिथ। दा कर' लेल के भेटलि भगवानकई भ लोकिन के। ब ुझलहूँ । ओिह काल मे की अख। आिस्कता-नािकताक सवाले निञ! मा कतर् द ुधारी चलेनाईआ नामे भ' गेलै ई दानक कादान त' अिह मे िकओ की क' सकैय'? बेटा के दान कर' के बात निहं फुरैलिन। हँ,बेटाक िबी त' होइते छलै, आइयो होइते छै। ओह, िबी निञ, कादान जका ँ एकरो साननीय नाम छै - ितलकदहेज। बेटीक सुख लेल बेटीक भावी घर के खिलहान आ कोठी जका ँ भिर देबाक कतर् बोध ! निञ जािन हम सब किहयाधिर एकरा सभके करमक लेख किह-किह के अपना आओर के बहटारैत रहबै।त' कह' जे लगलहु ँ ...हमरा माय मे आ गाय मे को अंतर निञ रहै, ब ुझलहँ◌ु? सभ लाथे। हम जखन-जखन गाय के नबेद ख ुआब' जइयै -17


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ अगस्त २००८ (वषर् १ मास ८ अंक १५)http://www.videha.co.in/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्अकाते कहै छी जे हमर ान ओकर आिख ँ िदस चिल जाय। सिदखन लागय जेना ओिह आिख ँ में कणा भरल रहै छै।कणा छोड़ि◌ क' जेना दोसर को भाव भगवान भरये निञ रहिथ गायक ऑिख मे!आ एर हमरा माय के आिख ँ मे सेहो को भय आ कणाक िमित भाव एहन रिच-बिस गेल रहै जे भय ओकर देहकदोसर नाम भ' गेल रहै आ कणा आिखक। ं जखन देिखितयै, जेना डेराएले रहै आ दयनीये बनल रहै। लागै जेना अिहघर मे सिदखन ओ अपना के असुरिक्षते ब ुझै। आ सिरपहु ं अही डरक खाितर ओकरा मे चौबीसो पहर खटैत रहबाक ताकितआिब गेल छलै। कख जे बैसल देिखतीयै माय के! ओह! किहयो, कख, पलखितयो लेल!हे... मुदा एकटा बात जे कहलहु ँ - आिख ँ बला। सँ◌ाचे कहै छी, आिख ँ किहयो झ ूठ निञ बािज सकैयै। अहा ँक मोनक छोटस' छोट छीन उथल-पुथल के देखार क' दइत छै ई आिख। ँ तै ं देखै िछयै जे अइ पुष-धान समाज मे िनयमे बिनगेल छै जे को माउिग पुषक सोझा मे आिब क' ठाढ़ निञ भ' सकैय', ठाढ़ भ' क' निञ रिह सकैये। डर बनले रहै छैआ िक । सिदखन तकरा कौ रही जे कतहु आिख ँ मे िकओ िकछु देिख लेलक, तहन तँ उधारे भ' जायब। कत' काएबअपन ढ़◌ो◌ंगी प...? तै ं िनयमे बना देलकै धोधक आ नाम द' दैलकै संृित आ पर ंपराक। यिद संृित आ पर ंपराकएतबे धेयान रहै छै त' पुष पा िकयैक निञ करै छिथ ई सभ' परहेज, पाबिन ितहार, त उपवास, कोिख सेन ूर लेलसभ थान-भगवती थान, द ुगा र्थान, महावीर थान गोहरबैत, हरतािलकाक िनजर्ला उपास करैत, बटसाइतक बड़ भगवानक 1<strong>08</strong>फेरा लगबैत। कहू त' भला जे इहो को िनयम भेलै जे पुष पा अप त' सा ंढ़ जँका छुा, अंबड बनल घ ूमैतरहौक आ माउिग आओर जोताएल रहौक अपन चूा-चौकी मे...।ध ुर र् जो, हमहूँ की अनल बात ल' क' बैिस गेलहु ँ।त' कह' लगलहु ँ जे हमर माय बेदसा बेदसा भ' भ' क' काम करै। आ हमर दाई जखन अबै त' ओकरा संहारे करबाक पाछूलागल रहैक। िकयैक... त' हर स' िकछु दान-दहेज निञ आनलकै , तै ं!आ ताहू पर देिखयौ, कतबो राित बीत जाए... तैयो हमर माय दाई के चािन पर तेल रगड़, हुनक गोड़ हाथ जा ँतबगैर निञ स ूतै। ब ुझलहु ँ। अपन ई कतर् ओ मिरतो दम धिर निञ छोड़लकै। आ तैयो ई हडासंखनी के कहै िछयै जेकरेज निहं पिसजलै।आ... ई सभ देख क' हमर एकटा िवचार पा भ' गेलै जे माउिगक मोजिर ओकर लिर ू सँ बेसी कीमती छै ओकर हर स'आब' बला िबदाईक समान के। िबयाह दान आई काि स्ी पुष मे निञ कएल जाई छै। ओ त' कयल जाई छै जर-जमीन सँ... टाका-पँजी ू सँ ... धन-दौलित सँ... मान मरजाद सँ... मातबरी स'। ओत' हमर भागक लेख जे हमर िबयाह माय केरिहते भ' गेलै। बाब ू त' निहंए रहिथ। सासुर अयलाक बाद किहयो िकओ गाम घर से एर-ओर स' आिब जाय, त' मायके समाचार क-म बिझ ु जइयैक। मोन हुअए, जे भिर पोिख हुनका आओर स' ग करी। मुदा सासु बीच मे मिचया ल'क' बैिस जातिथ। त' जे आएल छल, ओकरा स' भेंट घा ंट करबाक लेल हम जे भीतर स' छन भर लेल दलानक कोठरी मेआबी त' मा औपचािरक हाल-चािल प ूछलाक अितिर कइए की सकै छलहु ं। तइयो िकओ-िकओ सासुक परबािह निञ क' क'मायक था बखािनए जाए आ ई सभ सुिनक' त' हमर कोिढ ं फािट जाय...। सुिन क' हेह भ' भ' क' कान' लागी। ब ुझलहु ँ।आर कइये की सकितयैक? हमहूँ त माउगे रिहयै ? ओर जेना ओ बाएल... ओिहना एर हम बाएल...। कोलाथे कोटाबला घर मे चिल जाइ आ मुंह मे अँचरा कोिच ं क' खूब... भिर मोन कानी।कहू त'... जािह घर मे अपन द:खो ु के काए क' भोग' पड़◌ै... ओकरा घर कहल जेतै। यािह टा होई छै अपनघर? माउिग लेल, माउगक अपन घर लेल, जािह लेल शास् सत िशक्षा, जे जािह घर मे डोली उतरौ तािह घर स' अथीर्एउठौ गै बाउ। एहन एहन घर । मुदा उपाय? थ, ू एहन अपनापन पर!हे दाई, अिहना होइते-होइते एक िदन इहो सुिन लेिलयैक जे माय अपन असावधानीक कार चूि मे जिर क' मिरगेलै...।अँ ... यै .. जािह चूि के ओ अपन संता ं स' बढ़ि◌क पिरचया र् केलकै, सएह चूि ओकरा जरा देलकै। के पितयेतैएहेन-एहेन कथा पर।आओर िकओ पितयाओ वा निञ, हमरा त' रीयो भिर िवश्र्वास निहं भेलै अइ बात पर।बिझ ू त' गेिलयै सभ िकछु, मुदा जकर हेराई छै, ओकरा बाजब के अिधकार त' निहंए रिह जाइ छै यौ! केसुनतै ओकर आोशक कथा? के ब ू◌ुझतै ओकर मोनक था। भीतरे-भीतरे दा ँत पर दा ँत गा क' क' इहो आघात पचा18


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ अगस्त २००८ (वषर् १ मास ८ अंक १५)http://www.videha.co.in/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्लेलहु ँ...।ब ुझा देिलयै मोन के जे अहू लाथे जरैत-जरैत जीब' स' त' ओ बिच गेलै। जीिबते में कोन सुख रहै जे मरलास' कम भ' जयतयि ! सोचै छी जे चूियो के देखल गेलै ओकर अवा। तै ं ल' लेलकै ओकरा अपना कोरा में...जेना सा◌ीता के अि माता ल' ले छलीह! सीता त' तइयो घ ुरा देल गेल छलीह अि ारा, मुदा चूि त' धरती माताजका ँ ओकरा अपना मे समेिट लेलकै - सिदखन लेल। सुता देलकै िचर-िना मे...आ मोनक एकटा ग कहू..आब त' हमरो ओिह चूि स' ऐतेक ह भ' गेल अिछ से की कहू ! किनको झरकल देखिलयै िक बस, लीप' लेलबैिस जाइत िछयै...।हर खन लगैत रहैये जे कतहु माय देख लेतै त' की कहतै - देिखयो त' क। एना िकओ चूि के राखैए! कहै छी जेजाबित लीपबै ताबित कान में जेना माइयेक आवाज ग◌ॅ◌ू◌ंजैत रहैत अिछ - 'हे िसया-सन ्◌ुनिर... क देखहक त'...केहेन किरया गेल छह चूि... लीप देबहक से !' आ हम चाभी लागल मशीन जँका उठै छी... आ न ूरा ल' क' चूि केलीप' लागै छी।अँगना घर में सभ िकओ हँिसयो उड़बैत छिथ जे - ई कतहु बतािह त' निहं भ' गेलीहए। चूि के िकओ एतेक जी-जीलीपय?मुदा हमरा किनको रोष लगैये लोक आओर अइ हँसी ठा पर...िकयैक त' हम जत छी जे माउिग आ चूिक एके ारहोईत छै... ज आ जिर -जिर क' जीबैत रहू। अही◌े में ओकरा आओरक बास छै...।'जे कथा ई सभ िकओ निहं ब ुझलिख, सएह कथा कहै छी जे नाि टाक हमर छोटकी बेटी अही उिमर मे बिझ ु गेल छै।एख िकछु देर भेलै, हमर छोटकी आ ननटुनवा द ुन ू खेलाई छलै। की से ब ुझलहु ँ ... घर-घर ! द ुन ू आपस मे खेलौनाबा ँटे छलै आ हम अिहना कोिनया ँ घर मे बैसल-बैसल देखै छिलयै जे देिखयो की करै जाई छै ओ सभ!थारी लेलकै ननटुनमा ँ त' बाटी लेलकै हमर छोटकी।लाठी लेलकै ननटुनमा त' चकला-बेलनी लेलकै छोटकी।ननटुनमा ँ पँिजएलकै अपन सूक, तँ छोटकी सारलकै अपन घैल-तमघैल। अिहना करैत-करैत ननटुनमा के हाथ पड़ि◌ गेलै,कहै छी जे चूि पर...। आ ननटुनमाक हाथ पड़लाक देरी से कहै छी जे हमर छोटकी तेहेन चील जका ँ झपा मारलकै आखीं च लेलकै चूि के अपना दीस जे हम तािकते रिह गेलहु ँ ओकरा। ओ कह' लागलै ननटुनमा के -'हे... चूि कतहु पुषपा लेल भेलैये। लेबइये के अिछ त' िदयासलाई ल' लीय'। अहा ँ के काज आओत कतहु, कख ! चूि त' मौगीआओरक काज अबै छै ...। अहा ँक कोन मतलिब एकरा आओर स' ! ओ सुिन क' जेना सु रिह गेलहँ◌ु... ब ुझलहँ◌ु। कतकेजी बिझ ू गेलै हमर ई नकी, अपन ई नािप में अइ दिनया ु ँक रीित रेबाज ! यै, आइ ओ एतेक बिझ ु गेलैये त'भ' सकैये जे ार हेतै त' एकरा स' सावधा हेबाक रा खोिज लेतै ओ। जतेक अिधकार स' ओ चूि के अपना िदिसक' क' िदयासलाई ओकरा िदिस बढ़◌ा देलकै, भ' सकै छै, तिहना एक िदन ओिह िदयासलाइक जरैत तीली अपना िदिस बढैतदेिख सएह अिधकार स' ओकरा फँ◌ूिक क' िमझा देतै आ जरैत काठी बढ़ब' बलाक गा ओतबे किस क' पकड़ि◌ लेतै, जतेककिसक' चूिक पिरपाटी ओकरा धए छै। मुदा एखिन त' चली... उठी। आब र त' सुखा गेलै। देिखयै, चूि सुखेलै कीनिहं... ।२.19


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ अगस्त २००८ (वषर् १ मास ८ अंक १५)http://www.videha.co.in/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्िवभा रानी (लेखक- एर- सामािजक काय र्कता)बहुआयामी ितभाक धनी िवभा रानी राष्ीय रक िही व मैिथलीक लेिखका, अवादक, िथएटर एर, पकार छिथ, िजनकदर ्ज़न भिर से बेसी िकताब कािशत छि आ कएकटा रचना िही आ मैिथलीक र् कएकटा िकताबमे संकिलत छि। मैिथली के3 सािह अकादमी पुरार िवजेता लेखकक 4 गोट िकताब "कादान" (हिरमोहन झा), "राजा पोखरे में िकतनी मछिलया ं"(भास कुमार चाऊधरी), "िबल टेलर की डायरी" व "पटाप" (िलली रे) िहीमे अनिदत ू छि। समकालीन िवषय, फ़ि◌, मिहलाव बाल िवषय पर गंभीर लेखन िहनक कृित छि। रेिडयोक ीकृत आवाज़क संग ई फ़ि◌ल् िडिवजन लेल ड◌ॉूमेंटरीफ़ि◌, टीवी चैन लेल सीिरय िलखल व व◌ॉयस ओवरक काज केलि। िमिथलाक 'लोक' पर गहराई स काज करैत 2 गोटलोककथाक पुक "िमिथला की लोक कथाएं" व "गोन ू झा के िके" के काशनक संगिह संग िमिथलाक रीित-िरवाज, लोक गीत,खान-पान आिदक व ृहत खज़◌ाना िहनका लग अिछ। िहीमे िहनक 2 गोट कथा संह "ब कमरे का कोरस" व "चल ख ुसरोघर आप" तथा मैिथली में एक गोट कथा संह "खोह स' िनकसइत" छि। िहनक िलखल नाटक 'द ूसरा आदमी, द ूसरी औरत'राष्ीय ना िवालय, नई िदी के अराष्ीय र् ना समारोह भार ंगममे ुत कएल जा चुकल अिछ। नाटक 'पीर पराई'कम ंचन, 'िववेचना', जबलपुर ारा देश भरमे भ रहल अिछ। अ नाटक 'ऐ िये तेरे िलए' के म ंचन मुंबई व 'लाइफ़ इजन◌ॉट अ ीम' के म ंचन फ़ि◌नलै ंडमे भेलाक बाद मुंबई, रायपुरमे कएल गेल अिछ। 'आओ तिनक म करें' के 'मोहन राकेशसान' से सािनत तथा म ंचन ीराम सेंटर, नई िदीमे कएल गेल। "अगले जनम मोहे िबिटया ना कीजो" सेहो 'मोहनराकेश सान' से सािनत अिछ। द ु नाटक पुक प में कािशत सेहो अिछ। मैिथलीमे िलखल नाटक "भाग रौ" आ"मदद क संतोषी माता" अिछ। िहनक नव मैिथली नाटक -ुित छि- बलचा।िवभा 'द ुलारीबाई', 'सावधान पुरवा', 'पोर', 'कसाईबाड़◌ा', सनक नाटक के संग-संग फ़ि◌ 'धधक' व टेली -फ़ि◌ 'िची'मेअिभनय केलि अिछ। नाटक 'िम. िजा' व 'लाइफ़ इज न◌ॉट अ ीम' (एकपाीय नाटक) िहनक टटका ुित छि।'एक बेहतर िवश्र्व-- कल के िलए' के पिरकनाक संगे िवभा 'अिवतोको' नामक बहुउेीय संा संग ज ुड़ल छिथ, िजनकअटूट िवश्र्वास 'िथएटर व आट र्-- सभी के िलए' पर अिछ। 'र ंग जीवन' के दश र्नक साथ कला, र ंगम ंच, सािह व संृित केमाम से समाज के 'िवशेष' व, यथा, जेल- बी, व ृद्ाम, अनाथालय, 'िवशेष' बा सभके बालगृहक संगिह संग समाजकमु धाराल लोकक बीच साथ र्क हप करैत छिथ। एतय िहनकर िनयिमत प से िथएटर व आट र् वकर्श◌ॉप चलित छि।अिह सभक अितिर क◌ॉपो र्रेट जगत सिहत आम जीवनक सभटा लोक आओर लेल कला व र ंगम ंचक माम से िविवधिवकासाक िशक्षण काय र्म सेहो आयोिजत करैत छिथ।माउिग- िवभा रानी.माउिग, माउिग, गे माउिग, गे माउिग! तों माउिग, हम माउिग, ई माउिग, ऊ माउिग - सभ िकओ माउगे-माउिग। ऊँ हूँ - सभिकओ भला माउिग हुअए। ई तय कर' बाली तों के? अएं गे? तोरा किहया स' भेटलौ ई हक? ई सभ काज-ध ंधा हमराआओरक अिछ - हमरे आओर के करे दें। देख त' क, तोहरो आओर के कतेक र ंग-िबर ंगा प िदया देिलयौ! माउिग,गे माउिग, ब ुझै छैं िक निञ गै!हँ यो! तै ं त' हम भेलहु ँ माउिग - मा ओकलाइन, डाराइन, माराइन - आ हड़ही-सुड़ही सभ भेल मौगी, जनी जाित,हमरा आओर स' हीन। निञ ब ुझिलयै। ध ुर र् जाऊ! हमरा आओर स' ऊपर भेलीह स्ीसभ, जेना िकरण बेदी, मेधा पाटकर,20


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ अगस्त २००८ (वषर् १ मास ८ अंक १५)http://www.videha.co.in/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्फ् लेिवया एेस त' ई सभ, त' ओ सभ आ सभ स' ऊपर नारी - आदरणीया, परमादरणीया; जेना सीता, जेना सािवी, जेनागा ंधारी, जेना कुंती, जेना ौपदी ... उँ ह! ौपदीक नाम निञ ली। हे! बड़ खेलायल मौगी छली। ओकरा नारीक पद परितित केनाई! सिर म ूस गीड़ि◌ के िबलड़◌ो रानी चललीह गंगा नहाए। ऋिष-मुिन आओर के कोन कथा - एतेक ताप-तेजबला साध ु महातमा सभ आ माउिग के देखतही वीय र् चूिब जाइ छै; घैल में त' पात पर त' माछक पेट मे त' कहा ँ दिन,कोर दिन दान द' देइत छिथ जेना हुनक वीय र्-वीय र् निञ भेलै को रक खान भ' गेलै।छोडू ई सभ कथा-पेहानी। आऊ असली बात पर - मा माउिग पर। की कहू, कतबो ई नारी, स्ी, माउिग, मौगीकवगीर्करण भ' गेल हुअए, मुदा वािवकता त' ई छै जे म ूलत: हम सभ माउगे छी - माउिग।अिहना द ू गोट माउिग छली, मा मवगीर्य पिरवारक द ू गोट माउिग। अहा ँ चाही त' सुभीता लेल हुनक नाम रािख सकै छी -दीपा आ रेशमा। द ुन ू पड़◌ोिसया। एकदम द ूध मे चीनी जका ँ बिहनपा, द ुन ू के एक-दोसराक घरक ही ं ग हरिदक पता, ई द ुन ूकघर में एक एकटा मौगी छल, किह िलय' जे ओकर द ुन ूक नाम छल भगवती आ जोहरा आ ओ द ुन ू ई द ुन ूक ओिहठाम चौका बासनकरैत छली। संयोग छल, जोहरा दीपा ओिहठाम काज करै छलै आ भगवती रेशमा ओिहठाम. हौजी, बड़का शहर मे ई सभचलै छै। ओिहना, जेना आइ काि शहर मे दंगा आ खून-खराबा फटाखा जका ँ फुटैत रहै छै आ लोक आओर तीमन-तरकारीजका ँ कटाएत रहै छै। की कहू जे जािह शहर मे ई चा माउिग रहै छली, ओिह शहर मे दंगा संठीक आिग जका ँ धधिकउठलै। आ सभ माउिग एके जका ँ भ' गेलै - मािग ं आ कोिखक िचा स' लहालोट।आब जेना दीपे के देिखयौ। शहर मे तनाव छलै। तइयो लोग अपन-अपन ूटी पर िनकिल गेल छलै। मुदा बेरहिटयाहोबैत-होबैत पता लागलै जे शहरक िित आओर खराब भ' गेलै त' सभ िकओ 'जइसे उिड जहाज कौ पंछी, पुिन जहाजपै आयौ' बिन बिन अपन अपन जहाज िदस पडाए लागल। रेशमा स' दीपा के ई समाचार भेटलै, ओर ठीक द ू बजेकबेरहिटया मे मज बाब ू घर स' बिहरा गेलाह। दीपा टोकबो कएलकै - 'शौकत भाइक फोन आएल छलै रेशमा कत' जेशहरक हालित आओर खराब भ' गेल छै। लोग-बाग घर घिर ु रहल अिछ आ अहा ँ सभ िकछु जािन-बिझक' ु तहयो बाहिर िनकिलरहल छी। जिन ु जाऊ।'आब ओ मरद मरदे की जे अपना घरवालीक कहल रािख िलयए। आ दीपा त' माउिग स' एक कदम आगा ं छली - स्ी छली -पढ़ल-िलखल, सुंदर, ाट र् आ अपन िबजस सेहो चलब' बाली, जकरा मे सभटा आिभजा भरल रहनाइ अपेिक्षते निय ं, परमआवक अिछ। मुदा बावजूद एकटा सफल स्ीक, ओ छली त' माउगे।से, किहयो किहयो के मायक कहल ई कथा मोन पिडये जाइत अिछ जे माउिग कतबो पढ़ल हुअए िक सुंदर िक ाट र् िकिबजसव ुमन, रहत त' माउगे आ तै ं चूि त' फूंकैये पडतै आ घर वा घरबलाक िचंता मे सुािह होबैये पडतै ओकरा।तै ं रातुक एगारह बािज गेलाक बादो मज के निहं घ ुरलाक कार ओ अ िचंितत आ परेशान छलै। ओकरा रिह-रिह क'ब ुझाए जे क◌ॉलबेल बजलै, ख दरबा फोलए त' ख िखड़की पर जा क' ठाढ़ भ' जाए। सा ंस भा ंथी जका ँ चिल रहल छलैआ मोनक सभटा परेशानी मुंह पर िलखा गेल छलै। मना कएलो पर जहन मज निञ कल छलाह त' कह छलै - जीएआएब। जवाब भेटल छलै -'आइ त' फल्ना डेलीगेशन आएल अिछ।''मा राितक एक-डेढ़ बजे धिरक छुी।' दीपाक माउिग ओकर भीतरे-भीतरे बाजलै। तहन िकयैक एगारहे बजे स' एतेकबेचैनी छै? ओकरा त' द ू बजे राितक बाद परेशान होएबाक चाही। मज बाब ू लेल द ू बजे रातक घ ुरनाई को नव कथात' छलै निञ! मुदा दंगा जे नएं कराबए।हािर-थािक क' ओ घर स' िनकललै आ अपना बगले बला क◌ॉलबेल दबेलकै। अहू मे एकटा माउिग छलै - रेशमा। परेशानीओकरो संप ूण र् देह पर अक्षर-अक्षर िलखाएल। ओकरो घरबला घ ुरल निञ छलै। मुदा फोन कए छलै -'हालित ब खराबछै। दरबा आिद नीक स' लगाक' राख रहब। हाथ मे सिदखन एकटा चू वा एहे को चीज सेहो राख रहब।पितयाएब निञ ककरो पर चाहे ओ कतबो नजदीकी हुअए।'द ुन ू माउिग एक-दोसरा के देिख क' तेना चेहैली जेना एक-दोसरक सोझा मे द ूध चीनी सनक संब ंधवाली दीपा आ रेशमा निञ,गहु ँमन आ िबी हुअए। रेशमा एतेक देर राित मे ओकर आएब पर चेहैली त' दीपा रेशमाक गा मे फंसल चू देिखक'।माउिग त' माउगे होइत छै - एतेक अिवश्र्वास स' काज थोडबे छलै छैक। आ ई स्ी मा दीपाक त' सौ ंसे देहे परपरेशानी छपाएल छलै। शौकत त' फो क' दे छलाह। मुदा मज के त' तकर को परवािहए निञ छलै।रिहितयैक त' एतेक ितकू ल पिरिित मे ओकरा मना करबाक बादो जयितयि की? आ मािन िलय' जे ब खगता छलैेजेबाक, तें चिल गेलाह। मुदा चिल गेलाक मा ई त' निय ं जे एकदमे स' िनि भ' क' बैिस जाइ; बेगर ई महस ूस21


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ अगस्त २००८ (वषर् १ मास ८ अंक १५)http://www.videha.co.in/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्कए जे दीपा कतेक िचंितत आ परेशान हेतीह। ध ुर र्? माउिग आओर लेल िकओ एतके परेशान हुअए!द ुनक द ुन ू माउिगक मुंह मे जेना बकार निञ छलै। अंतत: रेशमा सेहे िचिनयाबदाम जका ँ एक-एक टा श िचट िचट क' क'तोडैत-भा ंगैत बाजलै -'बे सो गए? मेरे तो अभी-अभी सोए हैं।''हँ! हुनका आओर के की पता जे दंगा-फसाद की सभ होइ छै। ूल निञ गेनाई त' ओकरा आओर लेल िपकिनक भ'गेलै'। भिर िदन ऊधम मचा-मचाक' थािक-हािरक' एख स ूतल अिछ।''मज भैया लौटे?''घिर ु गेल रिहितयि त' हम की अईठा ं रिहतहु ँ?' स्ी मो मे बाजलै। क्षत: म ूड़◌ी निय ं मे डोला देलकै।''ये भी अभी तक नही ं लौटे हैं। मगर फोन कर िदया है िक लौटे ंगे। िफर भी गर हालात ादा खराब हुए तो उधर हीकही ं िकसी िरश्तेदार के यहा ँ क जाएंगे।' माउिग बाजलै।स्ी चुपचाप ओकर मुंह तकैत रिह गेलै। ओिह दीपा पी स्ीक चेहरा पल-पल बदिल रहल छलै। माउिग रेशमा कहलकै -'उनका फोन नही ं आया है तो तू ही पता कर ले न?''कत'? ओ कत छिथ, हमरा किह के जाइ छिथ जे कहै छी जे फोन करी आ की दिन करी, कहा ँ दिन करी।' स्ी अपनिववशता मे खौ ंझैली।''हौसला रखो। सब ठीक हो जाएगा।'मुदा सभ ठीक निञ भेलै। माउिगक मरद आिब गेलै। शौकत भाइ के देिख क' रेशमाक मुंह मुरझाएल फूल पर मारलपािनक छींटा जका ँ तरोताजा भ' उठलै। दीपाक चेहरा पर सेहो आिशक ं आश्र्विक भाव उभरलै। बेस! एक गोट त'सकुशल आिब गेलाह। आब दोसरो आिब जािथ त' आ िनिंत भ' जयितयैक। अिहना सबहक सर समा ंग सकुशल अपना अपनाबासा घ ुरिथ जाथ ु त' सबहक घरक जनी जाित के कतेक आश्र्वि भेंटतैक! ओ शौकत भाइ स' शहरक म ूड पर ककगप सप कर' चाहै छलै। मोन मे छलै जे आकर परेशानी आ िचंता स' शौकत भाइ सेहो कक सरोकार राखित। प ूछिथकक मजक मादे, कहिथ कक शहरक हालचािल। मुदा शौकत भाइ त' तेहेन सख्त नजिर स' घिर ू क' रेशमा केदेखलिनह िक ओिह नजिरक कठोरता आ बेधकता दीपा सेहो बिझ ू गेलै आ कहलकै -'चलै छी रेशमा, बा सभ असगरे छै।'बाहर मे दंगा आ घर मे भूकं प आिब गेलै। मद र् ितवादक गाड़◌ी पर फरा र्टा स' सवार भ' गेलै -'कहा था न िक िकसीअप कहे जावाले पर भी भरोसा मत करना। ा जरत थी इतनी रात को इसे िबठाए रखना? इन कािफरों काकोई भरोसा है ा?''रेशमा, ई कोफ्ता शौकत भाइ लेल। िद मे ब छलहु ं। हमरा ब ूझल अिछ जे िहनका कोफ्ता ब पसंद छै।' स्ीकफेर वेश भेलै। माउिग फेर सहिम गेलै। मद र् फेर तनतना गेलै।ओ अई लो-चो स' स निञ भेलै। स्ीकगेलाक बाद गरजलै -'फें क दो इसे डिबन में। ा िठकाना, कुछ िमला-िवला कर लाई हो।'माउिगक करेज कनछलै -'अही ं सभ एक-दोसरा लेल द ुन भ' सकै छी। माउिग त' माउगे होइत छै। सभटा द ुख त'ओकरे माथ पर बजरै छै। ओकर मरद के िकछु भ' जेतै त' ओकरा अिहना अपन सगिर िजनगी काट' पड़तै। आ अहा ँआओरक घरवाली मरतै त' क मे देह गललो निञ रहतै िक दोसर िनकाहक मुबारकबाद बरस' लागतै। यौ - माउिग िहू-मुसलमान आ िक िर्ान निञ होई छै। ओ खाली माउगे होइत छै।'मुदा निञ! माउिग खाली माउगे निञ होइ छै। ओ नारी, स्ी, माउिग, मौगी सभ भ' जाइ छै। आ सेहो कठपुतरीबिनक'। आब देिखयौ ! शौकत भाइ एर पिह आिग जका ं बररसलि आ फेर क मक फूंही खसबैत आे आेक' क' तेना ब ुझेलिख जे िक रेशमा सेहो पितया गेलै आ तय क' लेलकै जे ई कोफ्ता काि िभर मे बतर्नमा ंजयबाली के द' देल जेतै। ओर द ू बजे राित मे घ ुरल मज बाब ू नामक मरदक फरमान सेहो िनकललै जे आओरकतहु जाइ त' जाइ, बगल बला घर मे कथमिप निञ। ठीक पुरना जमानाक राजकुमार बला कथा जका ँ - प ूब जाउ, पिमजाउ, उर जाउ मुदा दिक्षण किहयो निञ जाउ आ अिह अितिर सावधानी मे ओ सभस' पिहल काज कएल जे अपन दरबा22


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ अगस्त २००८ (वषर् १ मास ८ अंक १५)http://www.videha.co.in/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्पर साटल 'ऊँ ' िकर के िच-चोिथ ं क' उजाड़ि◌ देलि।आबी, कक एर ईहो द ुन ू गोट मौगीक खोज खबिर ल' ली। ई द ुन ू मौगी ऊपरका द ुन ू स्ी आ माउिग स' ज ुड़ल छली सेत' अहा ं अओर के मो हएत। ई द ुन ू छल भगवती आ जोहरा जे दीपा आ रेशमाक घर मे बतर्न चौका करै छल। ईहोएकटा संयोगे छल जे भगवती नामक मौगी रेशमा नामक माउिगक घर मे काज करै छलै आ जोहरा नामक मौगी दीपा नामकस्ीक घर मे। ईहो द ुन ू मौगी उपरकी द ुन ू माउगे जका ं पड़◌ोिसया छलै।आइ भगवतीक घर मे भ लोटै छलै। आध सेर आटा बा ंचल छलै। तकरे रोटी बनाक' अपन चा िधया-पुता के ख ुआदे छलै - िभरे मे। आब बेरहिटया स' ई अधरितया भ' गेलै। दोकान ब ंद आ पाइक खू ँट ख ुा। को िदस स' रानिञ! िधया-पुता के ठोक-ठािक क', एक-द ू चमेटा खीं िच क' सुता दे छलै। आब जागल-जागल भिर पोख पिह अपनमरद के गिरयौलकै जे ठरा र् आ अढ़◌ाई सौ पैयाक लालिच मे दंगा फोड़'बला लेल काज कर' चिल गेल छलै। ओिह स्ीदीपे जका ँ ईहो भगवती मौगी अपना मरद के रोकबाक यास कए छलै आ मजे बाब ू जका ँ ओकरो मरद ओकर अिल केओकर ठेहुन मे रोपैत चिल गेल छलै आ बाद मे चेथड़◌ी भेल देह ओकर अिल के ओकर ठेहुन मे स' िनकािल क' माथ मेरािख देलकै। मुदा एखिन त' माथ मे राखल अिल सेहो भुितयाएल छलै। हािर थािक क' ओ िधया-पुता लग ढेर भ' गेलैजे आब त' िभरे मे भ' सकै छै िकछु। करफू लागल रहौ िक िकछु। पुिलसबला गोली मारौ िक डं डा। मेम साब ओिहठा ंत' जाइए पड़तै। द ू गोट लोभ - पगार भेटबाक आ सिदखन जका ँ अहू बेर ततेक बचल-ख ुचल भेिट जेबाक आस जािहस' चा िधया-पुताक खीं चखािच क' जलखई त' भइये जाइ छै। मुदा िभर त' हुअए पिह! हे सुज महराज! जीबहार आबथ ु!'सुज महाराज त' कट भेलाह, मगर दोसर मौगी ई मौगीक रा छोिप देलकै -'तुम बावाली औरत! तुम िकधर कूजाएगा ये आफत में। मेरे कू जा दो। अपुन का ा है? अकेला औरत। पुिलसबाला गोली मार भी िदया तो ा होजाएंगा। और जो नही ं मारा तो तेरा मेम साब का भी काम अपुन करके आ जाएंगा आउर तेरा पगार आउर खा-पी काजो कुछ भी देंगा वो सब लेके आ जाएंगा। ठीक?' आ अंचरा मे स' गरम-गरम चािर टा भाखरी िनकािल क' था देलकै- एतबे बचल छलै, तै ं एतबे ...जाबिथ भगवती िकछु सोचय, िकछु बाजय, जोहरा नामक ई दोसरकी मौगी िचड़◌ै जका ँ फुर र् स' उड़ि◌ गेलै। भगवती मौगीथकमकाएले रिह गेलै, जेना जोहराक मरद दंगा बलाक बीच मे फंसल थकमकाएले रिह गेल छलै आ पछाित मे अपन टूटल -भा ंगल फलक ठेला आ ओिह पर सजाओल सभटा फले जका ँ िपचा-िपचू के थौआ-थौआ भ' गेल छलै। दीन ईमानक पा,पा ँचो बेरक नमाजी आ सभटा जनानी के दीदीए आ भाभी कहैबला ओकर मरद जोहरा िहरदै में िजनगी भर लेल का ंट छोड़ि◌गेलै - ओकर देह भिर पोख देखबाक साध मो मे रिह गेलै आ तिहये स' ई का ँट किहयो ओकर प ूरा देह मे गड़' लागैछै आ किहयो अपन मरदे जका ँ मौगीक अप सौ ंसे मोन आ देह थौआ-थौआ भेल ब ुझाए लागै छै।का-चोरा क', झटकािर क' जोहरा द ुन ू स्ी आ माउिगक घरक काज कर' पहु ँिच गेलै। वाह रे पुिलसबलाक चौकस नजिर!अाह! जोहरा शु मलकै। जाए बेर सेहो निञ पडए ओह दिर ंदा सभक नजिर त' बेस। आएल त' असगरे छलै, जाएतत' भगवतीक दरमाहा आ खाए-िपयक समान सेहो रहतै। खेनाइ-िपनाइ त' रोड पर चिल जेतै आ पाइ जािन निञ ककरापािकट मे - दंगाबलाक िक पुिलसबलाक।माउिग आ स्ी कतेक बेर द ुन ू मौगी स' ठा के छलै - "गै, द ुन ू अपन-अपन मेमसाब बदिल ले। िमया ं िमया ंक घर मे आिहंद ू िहंद ूक घर मे। तिहयाक मजाक आइ द ुन ू माउिग आ स्ी के वािवक लािग रहल छलै - द ुन ू मरद जे झोटै ंला पंचक ईमजाक पर किहयो कान निञ देलि, आइ गंभीर फैसलाक तीर, कटार ई द ुन ू माउिग पर संधािन देलि। फमान र् ब ंद ूक स'गोली जका ँ बिहरा गेल छलै आ ई द ुन ू के आब ओिह गोली के अपना-अपना करेज मे धँसा क, धँसलाक बाद अपना-अपना केजीिवत, चाल ू पुजा र् राखैत ओिह फमान र् पर अमल करबाक छलै।जिहया ठेला छलै, फल छलै आ फलक ताजगी जका ँ मुी मारैत ओकर मरद छलै, तिहया जोहरा के काजक को दरकारनिञ छलै। दीपा ओकर चेहराक मासिमयत ू आ खबस ूरती देिख क' सोचै बेर-बेर - जे को नीक घरक स्ी रिहितयैक त'प-र ंग झाड़-फान ूस जका ँ चमकितयैक। मुदा एखिन त' ओकर उदास मुंह, उड़ल र ंग आ बेजान कपड़◌ा। हठात ओकराजोहरा मे रेशमाक झलक भेटलै त' बड़◌ी जो स' ओ चेहा उठलै। मो मोन अपना के लथाड़लकै। जतेक गािर अबै छल,सभटा अपना मोनक ऊपर खाली क' देलकै। जोहरा काज क' क' रेशमा ओिहठा ं चिल गेल छलै। मज बाब ू सुतले छलाह।दीपा िज मे स' झब-झब समान सभ बाहर कर' लागलै।फेर क◌ॉलबेल। फेर दीपाक मुंह। फेर रेशमाक बदलैत र ंग। रेशमा स' को औपचािरक िरश्ता त' छलै निञ! तै23


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ अगस्त २००८ (वषर् १ मास ८ अंक १५)http://www.videha.co.in/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्धड़◌ाधड़ि◌ भे मे चिल गेलै -'जोहरा! ई खाए िपयक समान सभ छै। भगवती के द' िदहें।''लेिकन मै ं जो ये सब तुझे दे रही हूँ , ये सब केवल तेरे िलए हैं। िकसी कािफर-वािफर को नही ं देगी तू और सुन! कलसे तू उधर नही ं , इधर काम करेगी। दस पए ादे ले लेना। चलेगा। वो चाहे तो उधर करले। कल साहब यही कहरहे थे।'थकमक भेल स्ी दीपा देखलकै - भाघरक ैब पर जोहराक देल खा सामी मे रतुा कोफ्ता। ओर कोफ्ता ओकराअंगूठा देखा रहल छलै आ एर रेशमाक ग ओकर करेज पर आड़◌ी चला रहल छलै। त', कतेक पितता स्ी छै। पितजे कहलकै, तुरंत ओकर ताबेदारी मे लािग गेलै। आ ओ? द ू बजे राित मे घ ुरल मनाज् बाब ू स' िफरकापरी पर बहसकेलकै आ जोहरा भगवतीक संग पर मना क' देलकै जे ओ निञ करतै काज कर' बालीक अदला-बदली।मुदा आब? जौ ं ई मौगी मािन गेलै त' ओकरा त' डबल फैदा। आ ओर बेचारी भगवतीक काजक कसान। तहन त'नीके छै ई अदलाबदली। तै ं ओहो दही में सही िमलेलकै। ओना त' ओहो अदला-बदली के ावहािरकताक जामा त'पिहराइये दे छलै जहन िक िज से खा सामी िनकािल क' ओ भगवती लेल आन छलै। किहयो ई निञ देखल-सुनलजे काज करए िकओ आन आ खाएक िपयक भेटै को आन के।मुदा ई मौगी ! जोहरा मौगी! केहेन खरदार! केहेन जबद र्! केहेन जोरगिर! ओ चकचक करैत द ुन ू माउिगक मुंहदेखलकै। बाजलै िकछु निञ। खाली रेशमा स' कहलकै -'करफू लगा हुआ है। भोत मुिश्कल से आया मै ं। कल आ कोहोएंगा िक ई, माल ूम ई। भगवती अपना पगार वाे बोला है। आप दे देंगा तो मै ं ले जाके उसकू दे देंगा।''बोल उसे वो ख ुद आकर ले जाएगी। जब तू आ सकती है तो वो ों नही ं । और अा है न! पुिलस की नजर चढ़ गईतो एक कािफर तो घटेगा कम से कम।'िक माउिग गै माउिग! हम माउिग, तों माउिग, ई माउिग; ओ माउिग - सभ माउगे-माउिग! इहो चारो माउगे माउिग। मुदाई मौगी - छोटहा लोग - मसोमात जोहरा त' जेना पुिलसक गोली आ दंगाबलाक ई ंट, पर, बोतल घासलेट तकरो सभ स'बेसी आा ंत भ' उठलै। काली जका, ँ द ुगा र् जका, ँ चंडी जका ँ ! 'मेम साब! आप दों अपना-अपना सामान रख लो। मेरेकू ई चािहए ऐसा खाना, िजसमें श ैतानी खून बोलता हो। ई दंगा - आप दो ं का मन मे इतना फरक पैदा िकएला है िकआप दों एक िमनट में अपना से गैर बना िदया। भगवती तो बा लोग का खाितर आ को तैयार था। मईच रोकाउसकू िक मेरा ा! मइ अकेला माणस। पुिलस गोली मारेंगा तो भी ा चला जाएंगा मेरा। पण उसकू कुछ होएंगा तोउसका बा लोग यतीम हो जाएंगा, जैसे मइ हो गया अपना मरद का जा से। आपलोग बड़◌ा लोग। इसिलए आपलोगका बड़◌ा बात। बड़◌ा समझदारी। मेरे कू तो खोपड़◌ी ई। आपको भगवती को ई रखना, मित रखो। उसका पगारई दे का, मित दो। लेिकन कल से मइ भी काम पर ई आ का। लेिकन उसका पिहले अभी आपका घर मे मइजो काम िकया, वो पइसा मेरे कू अी का अी दे का। वो मेरा ह है। मइ उसकू लेके जाएंगा आउर जो मजीर्आएंगा, करेंगा। आपका ई भीख ई चािहए मेरे कू ।'मौिगयो आओर बािज सकै छै, सोिच-समिझ सकै छै! एहेन अजगुत कथा ! बाप रौ बाप! द ुन ू माउिग के सा ँप सुंघागेलै। ई मौगी भ' क' एतेक नाटक! माउिगक सोझा मे एकर एतेक टनटनी छै । कक साहेबक सोझा मे पड़'िदयौक। सभटा िबलािडपन एके क्षण मे घ ुसिड जेतै आ ओ फेर केथरी जका ं गुड़ि◌या-मुड़ि◌या जेतै। रेशमा सोचलागलै। यिद शौकत िमया ं उिठ क' आिब जाथ ु त' एकर मुंहक टनटनी एख ब ंद भ' सकै छै।नीक भेलै। शौकत िमया ं आिब गेलाह! भाघरक स' भोा चाहक गक बदला ई िखच-िखचक गंध बदा र्श्त निञ भेलै आअधकचरा भेल नीनक खौ ंझ स' भरल ओ बाहर िनकललाह!'ा हुआ? सुबह-सुबह चाय दे के बदले घर को कब र्ला का मैदान ों बना रखा है?' ाइ ंग म भड़कलै। रेशमाकचेहरा चमकलै। दीपा शरीर स' एर छलै आ मोन स' मज कत'। तै ं ओ संिमत सेहो भेलै। मुदा जोहरा ओहीठा ं छलै- तन आ मोन द ुन ू स'। कतहु को तरहक बनावटी चमक निञ, मुंह पर को तरहक मक चेासी निञ। ओ माथ परओढ़नी धेलकै आ भाघरक िखचिखच के ओतिह छोड़◌ैत ाइ ंगम में पहँ◌ुिच गेलै -'साब! मेरे कू बताओ, ये दंगा हम औरआप कराया ा? आओर जो कराया, उसका बदन का एक बाल भी िगरा ा? भगवती का आदमी गया, मेरा मरद गया।तो ा ये सब उसका, मेरा या आपका चाह से हुआ? कल को ख ुदा न करे, आपको या वो साब को कुछ हो जाता तोवो सब आपका या आपका मेमसाब लोग का चाह से होता था ा? आओर ये मारामारी का फरक िकसका पर िगरेंगासाब। हम औरत लोग पर। बेवा तो अपुन लोग होता है न साब! और बेवा खाली बेवाइच कहलाता - िहू बेवा आमुसलमान बेवा ई। साब, मइ जाता। बस मेरा आज का काम का पइसा दे दो। उस पइसा से मेरे जो मजीर् करेंगा,24


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ अगस्त २००८ (वषर् १ मास ८ अंक १५)http://www.videha.co.in/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्िजसके िलए मन करेगा सामान खरीदेंगा।'ाइ ंगम गरजलै -'ा बकवास लगा रखी है। रेशमा, तुम इनलोगों को यहा ँ से भगाती ों नही ं ?भाघर फेर डेराएल िचड़ई भ' गेलै। दीपा स' आब सहन निञ भेलै। ओ जाए लेल डेग उठेलकै। जोहरा एक पलभाघर मे मोजद द ुन ू माउिग के देखलकै। फेर ओकरो डेग उठलै। आ भाघर जेना भूकं प स' डोल' लागलै। आबकक िर भेलै। रक अरोह-अवरोह मे सेहो िरता अएलै। उठल डेग र स' िमलान कर' लागलै -'जोहरा, ये सबले जाओ और भगवती की पगार भी। हालात ठीक हो पर ही उसे घर से िनकल देना और तुम भी तभी आना। औरदीपा, बैठो न! चाहो तो तबतक शौकत िमया ं से बात करो या िफर यही ं िकचन मे मेरे साथ। मै ं तुरंत चाय बनातीहूँ । जोहरा, तुम भी पीकर जाना।'वाह रे ितिरया चिरर वाह! ऋिष मुिन सभ किहये गेलैिए जे देवो निञ जािन सकलाह त' पुषक कथे कोन? िकुअईठा ं एहेन को गुंिफत रह निञ छलै, निञ त' काम केिलक को का िछपी छलै, नक कटाक्ष आ बैनक मुानछलै। अईठा ँ त' एकेटा चीज पसरल छलै - चाह मे, पी में, चीनी मे, कप मे - माउगे -माउिग। चाह, द ूध, चीनी आिगकगरमी स' एके र ंग ध' लेइत छै, एकमेक भ' जाएत छै। बनल चाह मे से चाहक र ंग, द ूध, चीनी के अलग-अलग करबमोिश्कल। ईहो माउिग सभ चाहे जका ँ एक मेक भ' गेल छलै।शौकत साहब ाइ ंगम में चाहक चुी ल' रहल छलाह। चाहक भाफ ाइ ंगम ठरल, बफ र् भेल सद र्पना के तोड़लकै िक निञ,पता निञ; मुदा सौ ंसे भाघर मे भाफक नरम गरमी पसिर गेलै। आ ओिह नरम-गरम माहौल मे देखाई पड़लै जे एकटामौगी चीज बतुस आ भगवतीक पगार ल' क' झटकल चलल जा रहल छै। एक गोट स्ी आ दोसर माउिगक आिखक ँ पािनटघिर क' चाहक ाली मे खिस रहल छलै। चाह नमकीन भेलै िक मीठे रहलै, सेहो निञ ब ुझेलै। खाली एक गोट र ओिहभाघर मे बरिक गेलै - बरकैत गेलै - 'दीपा हम औरतों के द ुख िकत एक समान होते हैं न!''भगवान निञ करथ ु ककरो मािग ँ आ कोिख उजड़◌ै।''आ शानक मनहूिसयत ककरो घर मे पै ंसए।'लोक आओर कहे छै, माउिग-माउिग अलग होई छै - नारी, स्ी, मिहला, माउिग, मौगी, जनी - हौ जी ई एतेक नाम द' देओ सभ बदिल जाइ छै की ? कहू त' ! एह कतहु भेलैये !१. मैिथलीपु दीप- आािक िनब २. ोित झा चौधरी-दैिनकी३.ड◌ॉ पालन झा-स साहेब रामदास१. ी मैिथली पु दीप (१९३६- )। ाम- कथवार, दरभंगा। िशिक्षत एम.ए., सािह र, नवीन शास्ी, पंचािसाधक। िहनकर रिचत "जगद अही ं अवल हमर’ आऽ ’सभक सुिध अहा ँ लए छी हे अे हमरा िकए िबसरै छी यै" िमिथलामेलेजें ड भए गेल अिछ।ॐ (मा)यज्ञ द ू कारक होइत अिछ। एक िन यज्ञ दोसर िमिक यज्ञ। िन यज्ञ केलासँ को क्ष फल देखबामे तँ निहअबैत अिछमुदा निह केलासँ पाप लगैत अिछ। जेना सा वनमे ान, ान, गायी, जप, स ूयो र्पासना आिद िनकम र् िथक।प-महायज्ञमे पिव क अयन, हवन, देवाच र्न, माता-िपताक सेवा, गु-िपतरक ित ा आिद भूत यज्ञमे सभ ाणीकित दया एव ं भूखलकेँ भोजन आिद। िप यज्ञ जेना िपदान, ा एव ं तप र्ण आिद। म यज्ञ जेना अितिथ सेवाआिद। िमिक यज्ञ द ू कारक होइत अिछ- ( 1) ा- ई ुित ितपािदत यज्ञ थीक। एिहमे मा वैिदक म ाराकम र् होइत अिछ। (२) ातर् यज्ञ- एिहमे वैिदक ओऽ पौरािणक एव ं तािक ं एिह तीन मक योग होइत अिछ।25


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ अगस्त २००८ (वषर् १ मास ८ अंक १५)http://www.videha.co.in/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्वेदमे वैिदक देवताक ुितक संगिह लौिकक एव ं धािम र्क िवषयसँ सित अक आािक एव ं महत्प ूण र् शि अिछ। एिहमेनासदीय स ूक िवषेष महत् अिछ। जतऽ सिक ृ म ूल तत् केर गूढ़ रह ितपािदत भेल अिछ। एकर थम भागमेसिसँ ृ प ूव र्क िितक वण र्न अिछ। जािह समयमे सत्, असत्, मृु, अमर एव ं राित-िदन िकछु निह छल। अिरक्ष छल आकाश छल। को लोक छल जल छल। को भोगक वु छल िकयो भोग केिनहार छल। मा सव र् अारेअार छल। िकु नाम पािद िवहीन एक मा अदृ सा छल। ओिह अदृ साक मिहमासँ संसारक काय र् पक ाद ुभूर्तभेल।एकर तेसर भागमे सिक ृ द ुज्ञेर्यताक िनपण अिछ। सम ामे एहन िकयो निह छिथ, जे ई किह सकिथ जे ई सिृकोना उ भेल। सिक ृ पल गूढ़ तक रहकेँ जे िकयो जत छिथ तँ मा ओऽ जे एिह सम सिक ृ अिधातािथकाह। ओऽ यं वेद प छिथ।एिह नासदीय स ूक गणना िवक िशखर सािहमे होइत अिछ। एिहमे आािक धरातल पर ा केर एकताक भावना पसँ अिभ भेल अिछ। भारतीय िक्षितज पर िमिथलाक संृितमे ई धारणा िनित अिछ जे ामे एकेटा सा िवमानअिछ। जकर को नाम अिछ, प अिछ। एिह स ूमे एिह साक अिभि भेल अिछ।गायी म ं जे वेदक म ूल प थीक तकरा आइ ईावशात् र् ितधीर् भावनासँ िवूप कएल जाऽ रहल अिछ। जिहना अनिभज्ञअनिधकािरक हाथमे आइ िवज्ञानक द ुपयोग भऽ रहल अिछ।तिवतुव र्रेम ् भगो र् देव धीमिह िधयो योनः चोदयात् – ऋगवेदक एिह मक अथ र् होइत अिछ जे “ हे सिदानपरमा, अपक रणादायी िवशु तेजकेँ हम अपन दयमे िन ान करैत छी। जािहसँ हमर सुि िनरर अपसँ िरतहोइत रहय एव ं हमर कुमासँ रोिक कऽ काशमय शुभ मा िदस िरत करैत रहय।ई सम वेद ममे सवो र्पिर अिछ। ऋिषगण अिधकार ा ाणकेँ एिहसँ िवभूिषत कऽ जीव सेवाक िनिम तैयार केलिन। एिहमे आदेश अिछ जे ाणकेँएिह महान साधनाक फलसँ सम समाजक काण कामना करबाक चाही। कारण जे एकर ् अिधकारी निह छिथ, मुदा अिधकारीक िता रखैत छिथ तथा ओिह अिधकारीकेँ अपन शारीिरक सेवासँ सहयोग करैत छिथ हुनको काण हेबाक चाही।एकर संगिह वेदमे िकछु एहन ावहािरक म सभ अिछ जे सम समाजक लेल परम उपयोगी अिछ।जेना ऋगवेदक १०, ३४/१३ मे अिछ अैमा र्दीः। अथा र्त् ज ुआनिदहनक ताय र् जे ज ुआ निह खेलेबाक चाही। िहू िशरोमिणसाट युिधिर ज ुआ खेलेलाह, सम राजपाटक संगिह पी तककेँ दाओ पर लगा देलिन आऽ हािर गेलाह। भगवान ् ीकृ जेभक ममे रथक सहीस तक बिन गेल छला से म ूक-दश र्क रहलाह। िकये जािन-बिझ ू नर करिह-ढ़ि◌ठाई- ताको नकर् िलखाहै भाई॥ अवमेव भों ितेक शुभाशुभम ्। अशुभ कम र् करबैक तँ फल अशुभ हेबे करत। पिव कम र् करब तँ भगवान ्मदित करबे करताह।तिहना यज ुवे र्दमे अिछ- ४०/९/ मा गृधः किनम।अथा र्त्- ककरो वु निह चोरेबाक चाही। पुनः अथव र्वेदमे अिछ ६/२ “मा िहंसी पुषश ं” ू अथा र्त्- म सिहत कोजीवकेँ (पशु, पक्षी, कीट, पव र्तािद) केँ क निह दी।तिह सामवेदमे अिछ-१५/६० मे जे भं मनः कृष्न। हे भु! अप हमर मनकेँ काण मा िदस िरत करी।26


ं<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ अगस्त २००८ (वषर् १ मास ८ अंक १५)http://www.videha.co.in/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्एतावता भारतीय वेदमाक पिरशु प िमिथला हण कय छल। तकरे ितफलमे वेदजननी गायी य ंिमिथलामे अवतिरत भऽ गेल छली।सीता बिनकए२. ोितकेँ www . poet r y . c omसँ संपादकक च◌ॉयस अवाडर् (अंजी पक हेतु) भेटल छि। हुनकरअंजी प िकछु िदन धिर wwwpoet . r ysoup. com केर मु प ृ पर सेहो रहल अिछ। ोित िमिथला िचकलामे सेहोपार ंगत छिथ आऽ िहनकर िचकलाक दश र्नी ईिलंग आट र् ुप केर अंतत ईिलंग ◌ॊडवे, लंडनमे दिश र्त कएल गेल अिछ।ोित झा चौधरी, ज ितिथ -३० िदसर १९७८; ज ान -बेवार, मध ुबनी ; िशक्षा- ामी िववेकान िम िडल ूल◌़ िटोसाकची गर् हाई ूल◌़, िमसेज के एम पी एम इटर कालेज़, इिरा गाी ओपन यिनविस ू र्टी, आइ सी डबू ए आइ (क◌ॉएकाउेी); िनवास ान- लन, य.के.; ू िपता- ी शुभंकर झा, ज़मशेदपुर; माता- ीमती सुधा झा, िशवीपी। ''मैिथली िलखबाकअास हम अपन दादी नानी भाई बिहन सभकेँ प िलखबामे कए छी। बेसँ मैिथलीसँ लगाव रहल अिछ। -ोितदोसर िदन :२६ िदसर १९९०, ब ुवार :आई हम सब भोरे साढ़◌े प◌ॉ◌ंच बजे उठलहु ँ।सब तैयार छलहु ँ िशक्षक सबहक आज्ञाक तीक्षामे। जख आदेशभेटल हमसब दनदनाकऽ बसमे बैस गेलहु ँ। आइ द ुगुना उाह छल। एकतऽ टूरक पिहल िदन तािह परस◌ॅ◌ं मेो रेलवेकदश र्न।जाबे नके आबमे देर रहए ताबे हम सब बेर बेर एलेटर पर चढ़◌ैत उतरैत रहलहु ँ। ेशनक नाम एस्ाछलै।ओिह ेशन पर अराउ रेलवे पर चढ़लहु ँ आ' आठम ेशन ट◌ॉलीगंजमे उतिर गेलहु ँ। न अतेक तेज चलैतरहए जे ठाढ भेनाई मुिश्कल छलै।अिह याा लेल जतबै उािहत छलहु ँ ततबे जी ई समा भऽ गेल।अिगला ान छल अलीगढ़ जू◌़। अिह िचड़ि◌याखानामे िविभ कारक पशु - पक्षी सिहत अको ं िविच स◌ॉ◌ंप सेहोरहए। पशु - पक्षीक नाम िनिलिखत अिछ :( 1)याक, ( 2)सरपे इगल, ( 3)िसयार, ( 4)इियन फ◌ॉ, ( 5)व्हाइट आइबीज, ( 6)ह◌ॉमर पीजन, ( 7)गयल, ( 8)सारस, ( 9)एम ू,( 10)कं गा, ( 11)िकं ग डीयर, ( 12)र ंगीन सुा, ( 13)उदिवलाव, ( 14)िविभ कारक बतख, आऽ ( 15)नीलगाय।अकर बाद स◌ॉ◌ंपक िसलिसला शु भेल।( 1)िवशाल अजगर, ( 2)कोबरा अथा र्त् नाग, ( 3)साधारण कोबरा, ( 4)टुू - ई देवार पर िछपकली जक◌ॉ◌ं सटल छल, ( 5)वाटरम◌ॉनीटर - ई देखमे मगरम जक◌ॉ◌ं छल, ( 6)बैेड करैत अथा र्त् धारीदार करैत - करैतक नाम तऽ गामो में खूब सुनछलहु ँ। अकर पीठ पर कारी आऽ पीयर के धारी छलै आ अकरा िवषैला स◌ॉ◌ंप मानल गेल छल। ( 7)वाइन ेक - ई स◌ॉ◌ंपहिरयर आ' एकदम पातर छल जेना को ली हुए।इहो कनी िवषवला स◌ॉ◌ंप छल आ अंगूरक गाछमे भेटैत छल।गामिदससुगवा स◌ॉ◌ंपक नाम सुन छलहु ँ। ( 8)रैट ेक - ई स◌ॉ◌ंप िवषहीन होइत अिछ आ म ूसक जनसंा कम करमे सहायकअिछ। ( 9) ◌ॉ◌ंजबैक ी ेक - ई स◌ॉ◌ंप क◌ॉ◌ंसा जक◌ॉ◌ं भूर र ंगक होइत अिछ आऽ गाछक डािरमे िमलक कायलरहैत अिछ। ( 10) रेड सै ेक बलुइ, ( 11)ऑना र्मेंटल ेक -िमिडल इहो गाछपर भेटैत अिछ आऽ अकर मुंह िछपिकलीजक◌ॉ◌ं होईत अिछ।अकर बाद हम सब द ू टा हाथी आ िकछु बानर देखलहु ं।हमान, िपगटेल्ड मैसेी आर बब ून मु बानर छल।हमानक मुंह कारी आ पंछ ू नमहर छलै।िपगटेल्ड मैसेीके पंछ ू छोट छलै आऽ मुंह चपटल छलै।बब ूनक मुंह उगल छलै मुदाकारी निहं छलै।हम सब ओकरा संगे खूब खेलेलौ ं।फेर िचल्र्ेस ज़◌ू गेलहु ं।ओतऽ हाथीक कं कालक पड़ल िनशानयु पाथरछल। तरह -तरहक पक्षीक अंडा देखलहु ं। जेना सुगाक अंडा, ऑस्ीचके अंडा, हंसक अा आिद।ओतय हमसब उर बाघ,उर म ूस आर उर कौआ सेहो देखलहु ं।अंतमे ज़ि◌राफ आ िवदेशी पक्षी सबहक आवास ान झीलक लग स होइत लौटगेलहु ं।27


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ अगस्त २००८ (वषर् १ मास ८ अंक १५)http://www.videha.co.in/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्ओतऽसऽ लौिट भोजन कऽ फेर िवोिरया मेमोिरयल िवदा भेलहु ं।िवोिरया मेमोिरयल के फाटक पर द ू टा पैघिसंहक मितर् ू छल। मान ू हमरे सबहक ागत लेल राखल छल।तकर बाद एकटा तोप राखल छल।कहै छै जे होनहार वीरवानके होत चीक पात।अजीमें सेहो कहल गेल छई “mo r n i n g shows the day” हमरा पिह सऽ निहं ब ूझल रहैतैयो अंदाज लािग गेल जे अत वीर-रसक दश र्न हैत।महल सदृश मकान भ छल।अर मैरी, डलहौजी, हेंिंग्स, वेलेीकिवशाल मिर्ूािपत छल।अको कारक हिथयार िवराजमान छल।और ंगजेब, मीरज़◌ाफर, टीप, ू हैदर आिद महान ् योा सबहकतलवार राखल छल।ऑिस्या स अंज ारा छीनल टिकर्श मशीन गन राखल छल।अुल फ़जलक रिचत एितहािसक पुकअकबरनामा सेहो देखलहु ँ।उपर के महलके देवार पर रानी िवोिरया के िवलािसता दशा र्यल गेल छै।अिह ठाम सऽ िनकिल हम सब िबरला तारामल पहु ंचलहु ं। किनक देर पंिमे ठाढ़ भेलाक बाद अर जाय भेटल।सबमजाक करैत छल जे अतऽ िदमें तारा देखायल जाइत छै। ओिहमे खगोलीय जानकारी देल गेल। लागल जेना आकाशकनीचा बैसल छी।अिह सब के लेल जाइ ाटोिरयम ोजेर नामक उपकरणके उपयोग कैल गेल छल।अिह तरहे हमर सबहक आिह के मण स भेल।हमसब अपन ल◌ॉजमे लौिट सुा भोजन कर होटलगेलहु ं।रा भिर हमरा सभके यैह चचा र् रहल जे अत िहीक महत् कतेक कम छैक। सभ जगह जानकारी या त ब ंगालीया अंजीम िलखल छल।भोजपरा हम सभ डायरी िलिख िशक्षक स◌ॅ◌ं हाक्षर करा स ूतक काय र्म बलहु ं।३.ड◌ॉ पालन झा, ाम-हरौली, कुशेरान।एम. ए. ( मैिथली ), स साहेब रामदास पर ड◌ॉ द ुगानाथ र् झा ’ीश’ केर िनदेर्शनमे पी.एच.डी.। संित बी. डी. जे. क◌ॉलेज,गढ़बलीमे मैिथली िवभागाक्ष।स साहेब रामदासपु-िवयोगक कारँ ई पा बैरागी भए गेलाह। गामसँ बाहर भए जंगले-जंगल एकामे वास कए भजन-कीतर्न करएलगलाह। गामक लोकसभ बहुत िदन धिर पाछा ँ कएलकिन जे अप घिर ु जाऊ, हमहु सभ अपक पुक समान छी, अपकेँको क होएत। मुदा साहेब रामदास पर तकर को भाव निह पड़लिन, उनटे जतए लोकक आवागमन देखिथ,ानकेँ बदिल पुनः िनजर्नानमे चिल जाइत छलाह। लोकसभ िकछु िदन धिर पाछा ँ तँ केलकिन, मुदा अमे हिर-थािक कए जेई आब पा बैरागी भए गेल छिथ, तेँ िहनका आब तंग निह कएल जाए, िवचािर कए पाछा ँ करब छोड़ि◌ देलकिन।बैरागी भेलाक बाद ई देशक बहुतो भागमे मण कएलिन। भजन-कीतर्नक संग योग-साधनामे सेहो लीन भए गेलाह।योग-साधनामे िसि ा कएलाक पात् केओटीक िनवासी बिलरामदासजीसँ दीक्षा हण कएलिन। दीक्षा हण कएलाक पातो ईअक धम र् ानक मण करैत रहलाह। कहल जाइत अिछ जे साहेबरामदास द-णाम करैत-करैत जगाथपुरी तकगेलाह। बाटमे बड़ क सहए पड़लिन, घाओ भए गेलिन, घाओमे पीब आिब गेलिन, मुदा द-णाम ओऽ निह छोड़लिन। द-णाम करैत-करैत जगाथपुरी तक गेलाह। जकर माण हुनकिह एक किवतासँ भेटैत अिछ-साध ुके संगत धिर गुक चरण धिर,आहे सजनी हमहु जाएब जगरनाथिह रेकी।निह केओ अदाता संग निह सहोदर ाता,आहे सजनी मािग ँ भीिख िदवस गमाएब रे की।28


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ अगस्त २००८ (वषर् १ मास ८ अंक १५)http://www.videha.co.in/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्सभ जग भेल भाला गुआ अठारह नाला,आहे सजनी ओिहठाम केओ निह छोड़◌ाओल रे की।िसंह दरबाजा देिख मन मोर लुबधल,आहे सजनी ओिहठाम पंडा पंडा बे ंत बजारल रे की।साहेब जे गुिन धिन ु बैसलहु ँ िसर धिन,ुआहे सजनी जगत जीवन िनअराएल रे की।गु बिलरामदास मुिरया रामपुरक एक महाा िश छलाह तथा अपन गाम केओटा (केओटी)क घनघोर जंगलमे योग साधना करैतछलाह। ई योग साधनामे िनात् छलाह। कहल जाइत अिछ जे गुक िबना वािवक ज्ञान असव अिछ आऽ तेँसाहेबरामदास एक यो गुसँ दीक्षा लए, योग-साधनामे िसि ा कए लेलिन। योग िया पर िसि ा कए लेलाक बादज-मरणसँ छुटकारा पािब जेबाक प ूण र् िवास भए गेलिन, से गुक सादिहसँ। मोक्ष ािमे आब को सेह निह रिहगेलिन, जे जीवनक चरम ल िथक। बिलरामदास िहनक दीक्षा गु छलिथन, तकर माण िहनकिह एक किवतासँ भेटैछ-“गु बिलराम चरण धिर माथे, साहेब हिर अपनाया है।अब तौ जरा-मरण छुिट जैहे, संशय सकल मेटाया है”।कृक ई अन भ छलाह। जगाथपुरीक यााक ममे बाटिहमे िहनका यं भगवान ी कृ दश र्न दे छलिथन। आब तँई कृक ानमे िदन-राित लागल रहैत छलाह। समािध कालमे तँ दिनया ु ँक को वुक ान निह रहैत छलिन, ान रहैतछलिन तँ एक मा भगवान ी कृ। जन-ुित तँ ईहो अिछ जे भगवानक भजनक कालमे जखन ई नाच करैत छलाह तँय ं भगवान ी कृ सेहो उपित भए संग दैत छलिथन।साहेब रामदास अक तीथ र्-लक दश र्न कएलिन। सा ंसािरक मोह-मायाकेँ ािग वैरागी भए गेलाह, मुदा िमिथला भूिमकेँ निह ािगसकलाह। एक पदमे ओऽ िलखैत छिथ, “िमिथला नगरी तोर दान िब साहेब होइछ बेहाल” तथा दोसर पदमे “साहेब कणाकरए शीश धिन ु िमिथला होइछ अेिर”। एिह पद सभसँ िमिथलाक ित हुनक मक सहज अमान लगाओल जाए सकैत अिछ।ध ई िमिथला भूिम ओऽ ध महाा साहेब रामदास।पिह किह चुकल छी जे ई जंगलमे एका वास कए भजन-कीतर्न कएल करिथ। जतए-जतए ई जािथ तािह-तािह ठाम ईअपन खी गािर कुिटयाक िनमा र्ण कए एक पाकड़ि◌क गाछ अव रोिप दैत छलाह। िहनक अक जगह पर योगमढ़◌ी छल आऽसबिह ठाम ई पाकड़ि◌क गाछ अव रोिप दैत छलाह। िहनक अिम योगमढ़◌ी दरभंगा िजलाक ’पचाढ़◌ी’ गाममे अिछ, जेप ूव र्मे ब ूढ़वनक नामे िवात छल। एहू ठाम पाकड़ि◌क गाछ रोप छलाह, जे अाविध वतर्मान अिछ। पिवत एिह गाछकशोध मानवशास्ी लोकिन एखनहु कए रहल छिथ।29


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ अगस्त २००८ (वषर् १ मास ८ अंक १५)http://www.videha.co.in/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्कमलाक तट पर ित पचाढ़◌ी गामक वन आऽ व ृावनक तुलना करब किठन भए जाइत छल। व ृावनसँ एको री कम शोभापचाढ़◌ी (ब ूढ़वनक) निह छल। मोरक नाच, सुगाक गान, नाना कारक वजीव ाणीक िनभर्य िवचरण करब, िभ-िभ लता-पुसँ शोिभत वनक दृ लोककेँ सहजिह आकृ कए लैत छल। एिह ानक श ंसामे कवीर चा झा िलखैत छिथ—“पाकड़ि◌ व ृक्ष सएह कमला तट जएह भजन कुटी िवाम।च सुकिव मन धरम परमधन ध पचाढ़◌ी ाम”॥पचाढ़◌ी ानक शोभा आब निह रिह सकल, जे पिह एक िनजर्न ान छल, तािह ठाम आब ाम अिछ, खेती-पथारी कएलजाइत अिछ। वनक तँ आब िनशा निह रिह गेल अिछ, तथािप साहेब रामदासजीक समािध-लक चाकात मिर सेहो एक-द ूनिह छओ-सातटा अिछ। सभमे भोग-रागक वा, पुजेगरीक संग-संग सहायकक वा सभ मिरमे फराक-फराक अिछ।लगभग पा ँच का जमीनमे फुलबारी अिछ। आगत-अितिथक ागत यथासा एखनहु कएल जाइत अिछ। साहेब रामदासक नामपर एकटा संृत महािवालय अिछ, जािहमे िनध र्न छाकेँ ान िदससँ रहबाक वा ओ मुफ्त भोजनक वा कएल जाइतअिछ।पचाढ़◌ीान िमिथलाक वैभवशाली ानमेसँ सव र्मुख अिछ। एकर वैभवशालीक पाछा ँ राजदरभंगाक महप ूण र् योगदान अिछ।तालीन दरभंगा िमिथलेश नरेिस ंह िनःसान छलाह। हुनक पी रानी पावती अितिथ-सार, प ूजा-पाठक िनिम ३०० (तीनसए) बीघा जमीन पचाढ़◌ी ानकेँ दानप दे छलिथन। मुदा कहल जाइत अिछ जे साहेब रामदास ओिह जमीनक दान-पकेँिलत अिमे फेिक देलिखन। िश लोकिनकेँ िभक्षाटन विसँ ृ आगत-अितिथक सेवा सार करए पड़◌ैत छलिन, जािहसँ ओलोकिन तंग आिब गेलाह आऽ फलप ओऽ दान-प पुनः महारानीसँ ा कए चुप-चाप रािख लेलिन, जे एखनहु धिर सिकपमे िवमान अिछ। िकछु जमीन भ लोकिन वेितयामे सेहो दे छिथ। यो िश सभ एिह सिकेँ बढ़◌ाए लगभगहजार बीघा बनाए देलिन। सरकार िकछु जमीनपर िसिलंग लगाए देलक, मुदा वापक लोकिन अिधका ंश जमीनकेँ वन-िवभागकेँदए गाछ-व ृक्ष लगवाए देलिन। अपेक्षाकृत एखनहु ई ान समृ अिछ।साहेबरामदास एक िस पुष छलाह आऽ तेँ िहनकामे चमािरक गुण ाभािवक अिछ। चमारसँ सित अक कथा िहनकासँज ुड़ल अिछ, जािहमे एक चमारक उेख करब हम उिचत ब ुझैत छी, जे िहनक अः सासँ ज ुड़ल अिछ।राजा नरे िसंहक समयमे पटनाक को मुसलमान नवाब िमिथलापर आमण कए देलक। राजा नरे िसंहक सेना ओ नवाबकसेनाक बीच घोर संाम भेल, जािहमे अपार धन-जनक क्षित भेल छल, मुदा राजा नरे िसंह ओिहमे यं वीरताप ूव र्क युकएलिन आऽ शु सेनाकेँ परािजत कएल। ओिह समयमे महाा साहेब रामदास नरे िसंहक िवजयी होएबाक कामना पीकृसँ ाथ र्ना कएलिन-“साहेब िगरधर हरहु नरे द ुःख,करहु सुिखत िमिथलेशिह रे की”।एिहपर ु भए नवाब िहनका बी बनाए पटनाक कारागारमे ब कए देलिन। साहेब रामदास योगबलेँ सभ िदन गंगा-ान,संा-तप र्ण, प ूजा-पाठ आिद गंगिह तटपर कएल करिथ। कारागारमे रिहतहु ँ ई म िहनक िनरर चलैत रहलिन। लोक सभिहनका गंगा तटपर सभ िदन देखैत छलिन। नवाबकेँ कोना कोना एिह बातक जानकारी भेट गेलिन। नवाबकेँ तँ िवासनिह भेलिन तथािप हुनका अपन कम र्चारी सभपर संदेह भेलिन आऽ ओऽ अपसँ कारागारमे ताला लगाए देलिन। तथािप साहेबरामदासक गंगा-ानक म निह टुटलिन। अमे नवाब साहेबरामदासक पएरमे बेड़◌ी बाि कारागारमे ताला लगाए देलिन।साहेबरामदास तणिह कणा भए अपन आरा देव ी कृकेँ पुकारलिन-“अब न चािहए अित देर भुजी,अब न चािहए अित देर।िव-धे-मिह िवकल स जन,30


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ अगस्त २००८ (वषर् १ मास ८ अंक १५)http://www.videha.co.in/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्िलयो है असुरगण घेिर”।गिवते छलाह की पएरक बेड़◌ी ओ फाटकक ताला आिद सभ टूिटकए खिस पड़ल। नवाब आय र् चिकत भए गेल। ओ महााजीकपएरपर खिस पड़ल। साहेबरामदाससँ क्षमा मा ँगलक आऽ बादमे ससान ागत कए िमिथला पहु ँचाए देल।एिह तरहक कएक गोट चमार अिछ, जेना राजा राघव िसंहक समयमे राजदरभंगामे त-बाधाकेँ शा करब, मािटक भीतकेँहा ँकब। कृामी, जामी आिद उवक अवसरपर अिधक साध ु-सक भीड़ ज ुटलाक बादो थोड़बहु सामीमे भोजनक अवसरपरभारामे को कमी निह होएब आिद कतोक चमािरक घटना सभ अिछ, जे िहनकासँ ज ुड़ल अिछ। एिह िस पुषकचमािरक घटनासभसँ लोकक िहनका ित कतेक ा छल से सहजिह अमान कएल जाए सकैत अिछ।साहेबरामदास वैरागी वैव-भ-किव छलाह। पदक रचना करब िहनक साधन छल मुदा सा तँ एकमा छल भगवान िवुकभजन-कीतर्न करब। कहल जाइत अिछ जे ओऽ अपनिह पदक रचना कए सभ िदन भगवानक भजन-कीतर्न कएल करिथ। ओऽभिमागीर् छलाह आऽ तेँ भि-माक िसा ंतक अप पदक रचना कएल करिथ। भि माक सभ रसक पदपमे रचनाकएलिन, मुदा धान रस “मध ुर ं” रस सएह अिछ। भगवानक को एक पक ओऽ आही निह, सगुण-िनगु र्ण द ुन ू पमे मातछलाह, जे अपन मगत भाव किवताम कए छिथ।“िनगु र्ण सगुण पुष भगवान, बिझ ु कहु साहेब धरइछ ान”।“धैरज धिरअ िमलत तोर क, साहेब ओ भु पुष अन”।साहेब रामदासक यिप एकमा पदावली उपल अिछ, जािहमे ४७८ टा पद संकिलत अिछ। मुदा ईएह पदावली हुनक यशकेँअक्षु बनाए रखबामे सभ तरहेँ समथ र् अिछ। भिक ायः सभ िवषयपर पदक रचना कए छिथ, यथा- कृ-ज, वा,व ंशीवादन, संयोग-ृ ंगार, रास-लीला, झ ुलोव आिद। रासलीला परक जेहन पद सभक ई रचना कए छिथ से ायः मैिथलीमेआन केओ किव निह कए छिथ। िहनक रास-लीला परक पदक िववेचन तं पेँ कएल जाए सकैत अिछ। कृ-मकअनता, भि वणता ओ साद गुण िहनक काक मु गुण कहल जाए सकैत अिछ। ऋतुगीत, िदन-राितक िभ-िभसमयोपयोगी पदक रचना, जेना-ाती, सारंग, लिलत, िवहाग आिदक रचना कएल करिथ।िमिथला पदेवोपासक सभ िदनसँ रहल अिछ। साहेब रामदासक रचनामे सेहो भिक िविवध-पक दश र्न होइत अिछ। कृकतँ ई अन भ छलाह मुदा आ-आन देवी-देवता परक पदक रचना कए छिथ। िहनक हमानक फागु परक किवता देखलजाए सकैत अिछ। एकरा स लोकिनक फागु सेहो कहल जाए सकैछ-“वल अिनल किप कौतुक साजल लंका कएल याण।कनक अटारी कए असवारी छाड़िथ अगिनक वाण॥जरए लंक किप खेलए फगुआ, उड़ए गगन अंगार।धँआ ु वाढ़ि◌ अकासिह लागल िदवसिह भेल अार”।िहनक रिचत एकटा महादेवक गीत सेहो अिछ, जकर उेख ड◌ॉ. रामदेव झा अपन “श ैव सािहक भूिमका” नामक मे कएछिथ-“ पुछइत िफरइत गौरा विटया हे राम।कहु हे माइ, जाइत देखल मोर भंिगया हे राम॥हाथ भसम केर गोला हे राम।वरद रे चढ़ि◌ कोन नगर गेल भोला हे राम”॥31


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ अगस्त २००८ (वषर् १ मास ८ अंक १५)http://www.videha.co.in/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्िवरिहणी जानाक मदशाक एक िवलक्षण प एिह ठाम सेहो देखल जाए सकैत अिछ:“कमल नयन मनमोहन रे किह गेल अक।कतेक िदवस भए राखब रे हुिन वचनक टेक॥के पितआ लए जाएत रे जहँ वसु नलाल।लोचन हमर सतओलिन रे छितआ दए शाल॥जहँ-जहँ हिरक िसंहासन आसन जेिहठाम।हमहु मरब हिर-हिर कै मेिट जाएत पीर॥आिद”िमिथलाक सीत पररा अित ाचीन ओ समृ अिछ। संगीतक रचना तँ िवापित ओ हुनकहु ँसँ प ूव र् होइत आएल अिछ, मुदारहवादी संगीत-का-रचना नवीन पमे आएल अिछ, जकर वतर्क साध ु-स लोकिन भेलाह। जािहमे स साहेब रामदासकान अग अिछ। िहनका लोकिनक रचनाक भाव ायः सभ वपर पड़ल। िहनक ायः सभ किवतामे रागक उेखअिछ। अतः एिहपर संगीत-शास्क अकू ल शोध-काय र् कएल जएबाक आवकता अिछ।साहेब रामदास परम वैरागी सुा साध ु छलाह, भ छलाह आऽ तेँ िहनक भाषापर सध ुरी ओ ताल चिलत जभाषाक िकछुभाव सेहो पड़ल अिछ, तथािप हुनक जे पदावली उपल अिछ से मैिथली सािहकेँ समृ बनएबामे अपन महत्प ूण र् ान ाकए अिछ। भि-भावनाक सरलता ओ सहजताक दृिएँ िहनक भाषा सरल ओ सहज अिछ। भि-भावना परक एहन किवतामैिथली-सािहमे ायः द ुल र्भ अिछ। िहनक भि परक गीत एखनहु िमिथलाक गाम-घरमे ब ुढ़-ब ुढ़◌ासक ठोरपर अवतर्मानअिछ, जकर संकलन करब परम आवक अिछ।बीसम शताी मैिथली सािहक िण र्म युग-ोफेसर म श ंकर िसंहअतीत आऽ भिवक संग स ािपत कऽ कए सािह अपन अिक सताक उोषणा करैछ। िव-मानव अ उुकताप ूव र्कसािहक गवाक्षसँ अतीतक िगिरगरक गुफामे वािहत जीवन-धाराक अवलोकन करैछ आऽ अपन गीरतम उेक िविवध कारकसाधन भूल आऽ संशोधन ारा ा करैत अपन भावी जीवनकेँ िसंिचत होइत देखबाक उट अिभलाषा रखैछ। अतीतकरणा आऽ भिवक चेतना निह तँ सािह निह। अतीत, वतर्मान आऽ भिवक कड़◌ीक अन श ंखलाक ृ पमे भावक सिृहोइत चल जाइछ आऽ मानव अपन गितक िनयमािद, िसाािदकेँ अपन वािवक साक िवकासक म ंगल कं गन पिहिर कए अपनद ुन ू हाथसँ आव ृ कय रहैछ। िवकिव रवीनाथ ठाकुर (१८६१-१९४१)क कथन छिन जे िव-मानवक िवराट जीवन सािह ाराआकाश करैछ। एहन सािहक आकलनक ताय र् काकार एवं गकारक जीवनी, भाषा तथा पाठ सी अयन तथा सािहकिविवध िवधािदक अयन करब मा निह, ुत ओकर स संृितक इितहाससँ अिछ, मानव-मनसँ, सताक इितहासमे सािह ारासुरिक्षत मनसँ अिछ।उैसम शताीमे भारतवष र्मे नवजागरणक बल ार उठल। तकर को भाव िमिथला ंचलपर निह पड़ल, कारण िमिथलावासीाचीन परराक प ृपोषक रहलाक कारँ संृत िशक्षामे लागल रहलाह आऽ अंजी िशक्षा तथा पाा िवचारधाराक महकेँनिह ीकारलिन। नवजागरणक फलप ष दशकमे भारतीय परतताक बेड़◌ीसँ मु होएबाक िनिम सन ् १८३७ ई. मेिसपाही िवोह कएलक। िमिथलाक नव शासक मैिथलीकेँ को ान निह देलिन। एिह दशकक अिम बेलामे िमिथलाक शासन“कोट र् ऑफ वाड्स”क र् अधीन चल गेल जकरभाव िमिथलापर पड़लैक। जे एिहठामक िनवासीकेँ थमे-थम पिमक शाभूितर्भेलिन। िकु द ुभा र् भेलैक जे “कोट र् ऑफ वाड्स” र् ारा िमिथलाक भाषा मैिथली आऽ ओकर िलिपकेँ बिहृत कऽ कए ओकरा32


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ अगस्त २००८ (वषर् १ मास ८ अंक १५)http://www.videha.co.in/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्ानाप कयलक उद ुर् आऽ फारसी तथा देवनागरी। िमिथलेश महाराज लीर िसंह (१८५८-१९९८)क गेनशीन भेलापर उैसमशताीक अदशकोर कालमे िमिथलावासीक सामािजक, सा ंृितक एव ं सािहिक जीवनमे नव चेतनाक संचार भेलैक। हुनकचुकीय िक्, कृपाप ूण र् वहार, िवा-सन आऽ असीम देशभि एव ं दानशीलताक फलप िवान सािह सजर्ककेँ आकृकएलक। हुनक उरािधकारी िमिथलेश महाराज रमेर िसंह (१८९८-१९२९) सेहो उ परराकेँ कायम रखलिन।उैसम शताीक अदशकोर कालमे भारतीयमे अभूतप ूव र् जनजागरण भेलैक, जकर फलप तता संामक नव ुिलंगजागृत भेल आऽ ओऽ सभ तताक िनिम अिधक सचेताक संग स भेलाह, जकर भाव सािह स ृजिनहारपर पड़लिन।यिप शताीक अिम वष र् धिर धािम र्क आऽ सा ंृितक िचनपर ढ़ि◌वािदताक पुनः कोपक िवृत छायासँ बौिक आऽसािहिक गितक समक्ष अवसादप ूण र् वातावरणक पिरा भऽ गेलैक। तथािप मैिथली सािह जगतमे उष र् अनबाक िनिमअपन पररागत पिरधानक पिराग कऽ नव विक ृ रचनाकारक ाद ुभाव र् भेल जािहमे माभाषारागी आऽ काशनक सौिवसँसािह नव प धारण करय लागल जकर कयलिन कवीर चा झा (१८३०-१९०७), किववर जीवन झा (१८४८-१९१२), पितलालदास(१८५६-१९२१), परमेर झा (१८५६-१९२४), तुलापित िसंह (१८५९-१९१४), सािह राकर मुशी रघ ुनन दास (१८६८-१९४५), मुकु जा बी (१८६०-१९३८), जीवछ िम (१८६४-१९२३), चेतनाथ झा (१८६६-१९२१), ख ुी झा (१८६६-१९२७), मुरलीधरझा (१८६८-१९२९), जनाद र्न झा “जनसीदन”, सर गंगानाथ झा (१८७२-१९४१), दीनबु झा (१८७३-१९५५), रामच िम (१८७३-१९३८), बब ुआजी िम (१८७८-१९५९), गुणवलालदास (१८८०-१९४३), कुशेर कुमर (१८८१-१९४३), िवान ठाकुर (१८९०-१९५०),किवशेखर बीनाथ झा (१८९३-१७४), पुलिकतलालदास (१८९३-१९४३), गंगापित िसंह (१८९४-१९६९), उमेश िम (१८९६-१९६७),धषधारीलालदास (१८९६-१९६५), भोलालालदास (१८९७-१९७७), अमरनाथ झा (१८९७-१९५५), राजपित बलदेव िम (१८९७-१९६५), कुमार गंगान िसंह (१८९८-१९७०), जमोहन ठाकुर (१८९९-१९७०) एव ं रासिबहारीलालदास आिद-आिद जे िविवध सािहिकिवधािदक ज देलिन आऽ एकरा सिध र्त करबाक दृढ़ स कयलिन।वुतः िवगत शताी मैिथली सािहक हेतु एक ािकारी युगक पमे ुत भेल। अंजी राक ापना देशक सािहिक,वैज्ञािनक, राजितक, आिथ र्क आऽ सामािजक मे एक नव ूितर् दान कऽ कए िमिथला ंचलक जीवन-श ैली आऽ सोचकपुनसंार र् कयलक। एिह शताीमे आधिनक ु िशक्षा, छापाखाना आऽ सरल यातायातक सुिवधाक अभाव रिहतहु ँ मैिथलीमे सािहस ृजनक पररा वतर्मान रहल। बहुतो िदन धिर मैिथली सािह संृत सािहक ितछाया सदृश रहल। एिहमे सािहिक एव ं अकारक लेखन िनरर होइत रहल। द ुइ िव युक बीचक कालमे मैिथली सािहक सवांगीन र् समुारक चेतना अनलक। एिहकालक लेखनमे ई नव मदशा ितफिलत भेल आऽ सािहक िविभ िवधामे उे यो पिरवतर्न भेल।सहबाढ़िन-गजे ठाकुरएिह तरहेँ समय िबतैत गेल। बाहर एनाइ-गेनाइ िकछु कम भैये गेल छल। तकर बाद द ूटा घटना भेल। एक तँ छलगा पुलक उाटन। आऽ दोसर छमाही परीक्षामे नक द ुन ू बेटा पिहल बेर थम ान ा निञ कए सकल छलाह। एकरबाद न असहज होमए लगलाह। ओना एिह द ुन ू घटनामे को आपसी स निह छल मुदा नक अम र्नक जे हुिलमािल छलिसे बढ़ए लगलि। आब ओऽ िकएक तँ सरकारी तसँ ाय निञ पािब सकल छलाह आऽ पु लोकिन सेहो पढ़◌ाईमे िपछड़ि◌गेल छलि, से अदृ शिक ित हुनक आशि फेरसँ बढ़ए लगलि। सभ पिरणामक कारण होइत छैक आऽ कारणक िनदान33


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ अगस्त २००८ (वषर् १ मास ८ अंक १५)http://www.videha.co.in/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्जखन दृ त ारा निञ होइत अिछ, तखन अदृक ित लोकक आकष र्ण बढ़ि◌ जाइत छि। आऽ न तँ अदृक ितपिहनिहसँ, बाकालेसँ आकिष र्त छलाह।“न छिथ”?एक गोट अधवयस, ू मुँहक दा ँत पान िनरर खएलासँ कारी र ंगक भेल, पातर द ुबर िपाम र ंगक, नक घरक ील खटखटा कएपुछलि।“निह। ऑिफससँ निह आयल छिथ, मुदा आबैये बला छिथ। भीतर आउ, बैस ू”। नक बालक कहलिख।“हम आिब रहल छी कक कालक बाद”।िकछु कालक बाद न सुरसुरायल अपन ध ुनमे, जेना ओऽ अबैत छलाह, िबना वाम-दिहन देख, घर पहु ँचलाह। पाछा ँ लागल ओहोमहाशय घर पहु ँचलाह। न हुनका देिख बािज उठलाह-“शोभा बाब ू। कतेक िदका बाद”।“िचि गेलहु ँ”। शोभा बाब ू बजलाह।आऽ एकर उरमे न बैिस गेलाह आऽ हुनकर आिखसँ ँ दहो-बहो र चुबय लगलि।“एह बताह, अख धिर बतहपनी गेल निञ अिछ”। शोभाबाब ूक अम र्न एिह तरहक आदर पािब गदगद भए रहल छल।शोभाबाब ू छलाह कछबी गामक। नक सभसँ पैघ बिहनक िदअर। बिहन बेचारी तँ मिरए गेल छलीह, भिगनी नक गाममेहथक मामागाममे पेट द ुखएलासँ अकाते काल-कविलत भए गेल छलीह। नक बिहउ बढ़ि◌या चास-बला घोड़◌ापर चढ़ि◌लगान वस ूली लए िनकलैत छलाह। मुदा भिगनीक मुइलाक बाद बिहउसँ स कम होइत गेल छलि। को जािन बिझ ु कएनिह वरन ् अनायासिह। आऽ आइ पचीस सालक बाद शोभाबाब ूसँ पटनामे भेँट भेल छलि।“ओझाजी कोना छिथ। हमरासभ बहुत कहिलअि जे दोसर िववाह कए िलअ मुदा निह मानलि”।“आब ओऽ पुरान चास-बास खतम भए गेल। जमीारी खतम आऽ चास-बास सेहो। मुदा खरचा वैह पुरनके। से खेतबेिच-बेिच कतेक िदन काज चिलतए। सभ बाहर िदस भागए लागल। मुदा हम कहिलअि जे अहा ँ हमरा सभसँ बहुत पैघछी, बहुत सुख देख छी, से अहा ँ बाहर जाए को छोट काज करब से हमरा सभकेँ नीक निह लागत”।शोभा बाब ू कं ठमे पानक पात आिब जएबाक बहा कए चुप भए गेलाह मुदा स ई छल जे हुनकर आिख ँ आऽ कं ठ द ुन ूभावाितरेकमे अव भए गेल छलि। िकछु काल चुप रिह फेर आगा ँ बाजए लगलाह-“से किह िबना हुनकर औपचािरक अमित ले घरसँ चूड़◌ा-गूड़ लए िनकिल गेलहु ँ। र-ब िसमिरया ान कए नाओसँ गंगापारकएलहु ँ आऽ सोहमे पटना पहु ँिच गेलहु। पिह एकटा चाहक दोकानपर िकछु िदन काज कएलहु ँ। ओिह िदनमे पटनामे अपनसभ िदसका लोक ओतेक माामे निह रहिथ।अवो कम छल। फेर कैक साल ओतए रहलहु ँ, बादमे पता चलल जे एिह बीचगाममे तरह-तरहक गप उड़ल। जे मरा गेल आिक साध ु बिन गेल शोभा। फेर जखन अपन चाहक दोकान खोललहु ँ तखनजाऽ कए गाम एकटा पोकाडर् पठेिलयैक। आब तँ बीस सालसँ बी.एन.क◌ॉलेिजएट ूल लग चाहक दोकान चला रहल छी।ओतिह पानक सेहो ◌ॉल लगा दे िछयैक”।“सभटा दा ँत टूिट गेल शोभा बाब ू”।“चाहक दोकानमे रहैत-रहैत चाह पीबाक िहक भए गेल। मुदा तािहसँ को िदत निह भेल। मुदा जखन पानक दोकानआिब गेल तखन गरम चाह िपिबयैक आऽ तािहपरसँ ठंढ़◌ा पान दा ँत तरमे धए िदयैक से तािहसँ गरम-सद र् भेलासँ सभटा दा ँतटूिट गेल”।34


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ अगस्त २००८ (वषर् १ मास ८ अंक १५)http://www.videha.co.in/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्एिह गपपर न आऽ शोभा बाब ू द ुन ू गोटे हँिस पड़लाह।फेर गप-शप चलए लागल। शोभाक भौजी तँ मिर गेल छलीह मुदा जौ ँ भतीजी िजबैत रिहतिथ तँ मेहथ कछबीक बीच संब ंधजीिवत रहैत, मुदा जे िवपि आएल तँ सभटा एके बेर। नकेँ मोन पड़लि जे भिगनी केलाइत छलीह पड़◌ोसमे आऽआिब कए नक माएकेँ कहलि जे फलना-अँगनाक फलना पेटपर हाथ रािख देलकि आऽ तख तेहन पेट-दद र् शु भेलिजे कतबो ससारल गेलि तैओ निह ठीक भेलि आऽ नक आिखक ँ सोझा ँमे बिचयाक रहमयी मृु भए गेलैक।(अवतर्ते)शोध लेख संगिह मायान िमजीसँ ड◌ॉ िशवसाद यादवजीक लेल गेल साक्षाारक पिहल भागी मायाना िमक ज सहरसा िजलाक बिनया गाममे 17 अग 1934 ई.केँ भेलि। मैिथलीमेएम.ए. कएलाक बाद िकछु िदन ई आकाशवानी पटनाक चौपाल सँ संब रहलाह । तकरा बाद सहरसा क◌ॉलेजमेमैिथलीक ााता आ’ िवभागाक्ष रहलाह। पिह मायान जी किवता िलखलि,पछाित जा कय िहनक ितभा आलोचनाकिनब ंध, उपास आ’ कथामे सेहो कट भेलि। भा लोटा, आिग मोम आ’ पाथर आओर च-िबु- िहनकर कथा संह सभछि। िबहाड़ि◌ पात पाथर , म ं-पु ,खोता आ’ िचडै आ’ स ूया र् िहनकर उपास सभ अिछ॥ िदशा ंतर िहनकर किवतासंह अिछ। एकर अितिर सो की ा माटी के लोग, थम ं श ैल पुी च,म ंपु, पुरोिहत आ’ स्ी-धन िहनकर िहीककृित अिछ। म ंपु िही आ’ मैिथली द ुन ू भाषामे कािशत भेल आ’ एकर मैिथली संरणक हेतु िहनका सािह अकादमीपुरारसँ सािनत कएल गेलि। ी मायान िम बोध सानसँ सेहो पुरृत छिथ। पिह मायान जी कोमल पदावलीकरचना करैत छलाह , पाछा ँ जा’ कय योगवादी किवता सभ सेहो रचलि।१. पिह साक्षाारक पिहल भागसािह मनीषी मायान िमसँसाक्षाार-ड◌ॉ िशव साद यादवछिथ।ारा।ड◌ॉ. ी िशवसाद यादव, मारवाड़◌ी महािवालय भागलपुरमे मैिथली िवभागाक्ष35


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ अगस्त २००८ (वषर् १ मास ८ अंक १५)http://www.videha.co.in/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्. मैिथली सािहमे थम कािशत पोथी कोन अिछ आऽ कतएसँ कािशत भेल?उ. हमर मैिथलीक थम कािशत पोथी िथक ’भाङक लोटा’ जे हा रसक कथा-संह िथक। जकर काशन सन ् ५१ ई. मेदरभंगाक वैदेही काशनक िदससँ भेल छल। ई सामा कोिटक रचना िथक, मुदा पिहल िथक।. मैिथलीमे अपक लेल िवशेष िचगर िवधा कोन अिछ आऽ िकएक?उ. मैिथलीमे गीत, किवता, ओऽ गीतल िलखलहु ँ आऽ ओऽ सभ म ंचपर शिसतो ं भेल। सन ्सािठ ई.मे मैिथलीमे नवीनकाा ंदोलनकेँ ोािहत करबाक लेल ’अिभंजना’ नामक पिकाक संपादन काशन सेहो कयल, य ं सन ् ५९ ई.सँ एिह कारककाक रचना सेहो कयल। िकु हमर िय ओ मकू ल िवधा रहल कथा सािह ओ उपास, जािहमे मानवीय संवेदनाक संगिहअम र्नक स ू मवैज्ञािनक िवेषण करबाक ल रहैत छल। तै ँ हमर कथा-संह ओ उपास बेसी कािशत भेल।. मैिथलीमे अपक ११ गोट कािशत पोथी उपल अिछ, एिहमे सवािधक र् संतुि कोन पोथीसँ भेटल?उ. लेखककेँ अपन रचनासँ प ूण र् संतोष निह होइत अिछ, तै ँ ओऽ नरर िलखैत जाइत अिछ, िलखबाक इा िनरर बनल रहैतअिछ। ओकर ताक िनण र्य तँ पाठक ओ समीक्षक होइत छिथ। हमरा लगैत अिछ जे हमर चिर कथा संह जे एखन धिरअकािशत अिछ, हमर िय रचना होयत। एना- एखन धिरक काशनमे ’च िबु’ कथा-संह ओ ’म ंपु’ उपास अपेक्षाकृतअिधक संतोष दैत अिछ।. अपक पिहल उपास किहया आऽ कतएसँ कािशत भेल?उ. हमर पिहल मैिथली उपास िथक, “िबहाड़ि◌, पात आऽ पाथर” जकरा हम सन ् ५४ ई.मे िलखलहु ँ, आऽ जे सन ् सािठ ई.मेकलकाक िमिथला दश र्नक मैिथली सिमितक िदिससँ कािशत भेल। मैिथली सिमित अ अक महप ूण र् कृित सभक काशनकेलक जे एकटा इितहास बिन गेल।. म ंपुपर सािह अकादमी पुरार भेटल। की एकर प ूवामान र् छल?उ. लेखक पुरारक लेल निह िलखैत अिछ, ओऽ िलखैत अिछ, ओऽ िलखैत अिछ ाः सुखाय, अपन आ संतोष लेल। िकुकाक उेसँ ’यशे अथ र्कृते ...’ कहल गेल अिछ। वुतः हम पुरारक लेल किहयो उुक निह भेलहु ँ आऽ को तकरचेो कयलहु ँ। तखन लोकसभ चच र् करैत रहैत छलाह, से सुनबामे अबैत रहैत छल, से फूिस कोना कहू, नीके लगैत छल।36


ँ<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ अगस्त २००८ (वषर् १ मास ८ अंक १५)http://www.videha.co.in/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्. सुत छी जे पुरार हेतु पोथी चयनमे गोलेशी चलैत अिछ, कतए धिर अप सहमत छी?उ. हौ! िशवसाद! ई बात हमरहु ँ सुनबामे अबैत अिछ, एकाध बेर अखबारोमे ई बात देखबामे आयल अिछ। बस, हमरहुएिह संग को आिधकािरक ज्ञान निह अिछ, आऽ हम एिह सभमे समये दऽ पबैत छी। तै ँ जिहना तोँ सुत छह, तिहनाहमहूँ सुिन लैत छी।. अपक असारेँ मैिथली जगतमे की एहन को सािहकार छिथ? जे अहता र् रिहतहु ँ सािह अकादमी पुरार पएबासँविचत ं छिथ?उ. िविश सािहकारकेँ तँ ानमे राखले जाइत अिछ, िकु पुरार तँ कृित िवशेषपर भेटैत अिछ, जकर काशनक िनितअविध िनधािरत र् रहैत अिछ। कृित चयनक सेहो एकटा िनित िनअम अिछ।. िबहार सरकारक ियस र्न पुरार किहया भेटल आऽ कोन पुक पर?उ. ई पुरार हमरा ’म ंपु’ नामक ऋगवैिदक कालीन उपासपर सन ् १९८८-८९ ई.मे भेटल छल। एिह उपासमे आयावतर्कजनभाषाक संगिह आय र् अनाय र्क संृितक िमलनक कथा अिछ। एिहमे राष्ीय एकता ओ भावाक एकताक सङिह िव शाितकंसंग सेहो ासंिगक चच र् भेल अिछ।. मैिथली जगतमे िबहार सरकारक ियस र्न पुरार आओर िकनका भेटल अिछ?उ. पुरार संग हम बहुत उुक निह रहैत छी, तै ँ ई बात हमरा ज्ञात निह अिछ।. १९६० ई. मे अपक सादकमे ’अिभंजना’ पटना-सहरसासँ पिका कािशत भेल। चािर पा ँचटा अंकक बाद ब ंद भएगेल। िकएक?उ. हौ िशव साद। िमिथ मािलनीक सादन काशन तँ तोहूँ कऽ रहल छह, ाहक संा भेटबामे कतेक असुिवधा होइत छैकज्ञाते हेतह। ताहूमे तखन, जखन तोरा पीठपर एकटा अित उािहत ओ सुसंचािलत िमिथला पिरषद सन ् संाक हाथ छह।हमहूँ ाहक संा निह बढ़◌ा सकलहु ँ तै ँ ब भऽ गेल। ायः यैह िित मैिथली-पकािरताक रहल अिछ, तै ँ अिधक प-पिका अकािलके रहल।37


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ अगस्त २००८ (वषर् १ मास ८ अंक १५)http://www.videha.co.in/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्. ’अिभंजनवाद’ सँ की अिभाय अिछ?उ. सन ् सािठ ई. मे ’अिभंजना’ काशन-योजनाक पाछू हमर उे छल मैिथलीमे नवीन कााोलनकेँ गित ओ ोािहतकरब। एिह कारक काकेँ मैिथलीक िकछु िवान, ् ’नव किवता’ अथवा योगवादी किवता कहऽ लागल छलाह, जे वाद-पररािहीमे चिल रहल छल। हम िहीक अकरणक िवरोधी रही वा छी। तै ँ मैिथलीक एिह कारक नवीन काकेँ हमअिभजनावादी का कहलहु ँ आऽ िलखलहु ँ। एिह संग हम अिभंजनाक सादकीय ओ िदशार भूिमकामे िवारसँ िलखनहु ँ छी।संपमे एतबिह जे हमर अिभंजनावादक संब ंधमे ोचेक अिभंजनासँ अिछ आऽ अिभनवगुक अिभंजनावादसँ अिछ।मैिथलीक एिह कारक नवीन कामे अिभि-िश िवशेषता रहैत अिछ आऽ से अिभंजना पिका ारा ोािहत कएल गेल,तै ँ अिभंजनावाद।. “िदशार” आऽ “अवार” किवता-संहसँ की िनत होइत अिछ?उ. सन ् सािठ ई.क आसपास अभव भेल जे चिलत का-लेखन-पररामे एकटा िदशा पिरवतर्न भऽ रहल अिछ, जे नवीनताकलेल ओ युगधम र्क लेल अकू ल अिछ तै ँ िदशार। पाछू अभव भेल जे अंततोगा कामे कााकता तथा ओकर गीित-तअित अिनवाय र् त िथक तै ँ पुनः अवार। आऽ तै ँ ई द ुन ू संह कािशत कएल। अवारमे हम गजलकेँ गीतल कहल अिछजे उद ूर् ओ मैिथली भाषा संारपर आधािरत अिछ। ई बात हम अपन अवारक भूिमकामे िवारसँ िलख छी।. सािहिक रचना ाः सुखायक लेल करैत छी अथवा समाजक लेल?उ. सािहिक रचना “ाः सुखाय” क लेल होइत अिछ, िकु अंततोगा ओकर उे भऽ जाइत अिछ समाजे। सािह,समाजेक पिरणाम िथक आऽ तै ँ ओ समाजेक िहत िचनकेँ अपन लो मात अिछ।. कोशी अंचलमे ज भेल। कोशीक उान-पतन देखल, कोशीक िवनाश-लीला देखल, मुदा िलखल निह?उ. िलखलहु ँ निह कोना? मैिथलीमे सन ् ५९-६० ई.मे “मािटक लोक” नामक उपास िलखलहु ँ जे काशन-वाक अभावमे छिपनिह सकल, आब तँ ओकर पाुिलिपयो न भऽ गेल। पुनः ओकर िहीमे पुनले र्खन कयल “माटी के लोक: सो की या” कनामसँ जे राजकमल काशन िदीसँ कािशत भेल आऽ ापक रपर िहीमे चिच र्तो भेल।. आकाशवाणी, पटनामे कतेक िदन सेवा कएल?उ. पटनाक आकाशवाणीमे हम सन ् ५७ ई. सँ ६१ ई.क १४ नवर धिर रहलहु ँ। लगभग पा ँच वष र्।. िकछु मैिथली पिकामे अीलताक िचण भए रहल अिछ। तकर की ितफल?38


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ अगस्त २००८ (वषर् १ मास ८ अंक १५)http://www.videha.co.in/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्उ. सािहमे अील िचण सव र्था अवा ंछनीय।एिहसँ अप-संृितकेँ ोाहन भेटैत अिछ, से का आऽ क्ष। सािहकउेे िथक सम ् िशवम ् सुरम ्। जहा ँ धिर पिका सभक अिछ ओिहमे आरो सतकर्ताक योजन अिछ। कारण, पुककअपेक्षा पिका सभ जनजीवनमे अिधक वेश करैत अिछ, िवशेषतः आज ुक जीवन ममे। तै ँ एहन सािहसँअपसंृितये केँ ोाहन भेटत।. भावी लेखन-योजना की अिछ?उ. िकछु लेखन-योजना एखनहु ँ अिछ, मुदा वाध र् आब बाधा देबऽ लागल अिछ, तखन देखा चाही भिवमे की कऽ पबैत छी।मैिथलीमे िकछु अकािशत पा ंडुिलिप अिछ। पा ंडुिलिप कािशत होइत जाइत छैक तँ लेखनमे सेहो गितशीलता अबैत रहैतछैक।२. आब धारावािहक शोधलेखक आगूक भाग।मायान िम जीक इितहास बोधथम ं श ैल पुी च/ म ंपु/ /पुरोिहत/ आ' स्ी-धन केर संदभर्मेस्ीधनई मायान बाब ूक इितहास बोधक अिम कड़◌ी (अखन धिरक) अिछ। ागैितहािसक “थम श ैलपुी च”, ऋगवेिदक कालीन“म ंपु”, उरवैिदककालीन “पुरोिहत” केर बाद ई पुक स ू-ृितकालीन अिछ, ई ंथ िहीमे अिछ। आऽ ई उपास स ूृितकालीन िमिथला पर आधािरत अिछ। ई पोथी ार होइत अिछ मायानजीक ावनासँ जकर नाम एिह खमे “प◌ॄभूिम”अिछ। एतए मायानजी रामायण-महाभारत केर काल गणनाक बाद इितहासकार लोकिनक एकमा सा शतपथ ाणक चच र्करैत छिथ।िमिथलाक ाचीनतम नाम िवदेह छल, जकर थम वण र्न शतपथ ाणमे आयल अिछ। साथ र्-गमनक ियाक िवृत वण र्न एिहमे अिछ, से मायान जी कहैत छिथ।ई थम आऽ ितीय द ू अायमे अिछ आऽ अमे उपसंहार अिछ। थम अायमे थमसँितीय अायमे थमसँ अम ई आठ टा स अिछ।नवम टा स अिछ।थम अायथम सएिहमे स ृ ंजय ारा कएल जाऽ रहल धम र्-पाापप िभक्षाटनक, पी-ागी होएबाक कारण छह मास धिर िनरर एकटा महातकेर पालन करबाक चरचा अिछ।39


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ अगस्त २००८ (वषर् १ मास ८ अंक १५)http://www.videha.co.in/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्“ितीय वर” केर सेहो चरचा अिछ।ितीय सराजा बहुला जनकक े पु कराल जनककेँ राजव ंशक कौिलक परराक असार िसंहासन भेटलि, तकर वण र्न अिछ।तीय सएतए पुरान आऽ नवक संघष र् देखबामे अबैत अिछ। वाणी एक ठाम कहैत छिथ जे जखन प ू तात हुनकर िविधवत उपनयनकरबओलि, चय र् आममे िविधवत ाचीन कालक असार ुितक िशक्षा देलि, तँ आब हमहूँ भा का बिन अपन वरपाकिनवा र्चन य ं कए िववाह करए चाहैत छी।चतुथ र् सर्र्र्एतए कराल जनकक िव िवोहक सुगब ुगाहिटक चरचा अिछ। कृित जनक आऽ बहुला जनकक कालमे भेल ायप ूण आऽजािहतकारी काणकारी काय र्क चरचा भेल अिछ, तँ सँगिह सीरज जनकक समयसँ भेल िमिथलाक रा-िवारक चरचा सेहोअिछ। बहुला मरैत काल अपन पु करालकेँ आचाय वरे अामा खक उपेक्षा-अवहेलना निह करबाक लेल कह छलिख,मुदा कालारमे वैह कराल जनक अामाक उपेक्षा-अवहेलना करए लगलाह। आचाय वरे-ख िमिथलासँ पलायन कएगेलाह।पंचम सिणपात, आशीव र्चन आऽ कुशल-मक औपचािरकताक वण र्न अिछ आऽ स्ीधनक चरचा सेहो गप-शपक ममे आयल अिछ।ईहो वण र्न आयल अिछ, जे वैशाली िकछु िदन कौशलक अधीन छल, आऽ भारत-युमे ओऽ िमिथलाक अधीन छल। व भूिमकेँकृिष-यो बबाक उपरा पा ँच बस तक कर-मु करबाक परराकेँ राजा कराल जनक ारा तोड़ि◌ देबाक चरचा अिछ।ष सपा ंचाल-जन ारा अंधक विक ृ नायक वासुदेव कृकेँ जय-काक नायक मानल जएबाक चरचा अिछ। जय-का आऽ भारत-काक पिमक उि भोज मायानजीक मोनसँ निह हटलि, आऽ जय-कामे मुिन वैशायन ास ारा बहुत रास ोकजोड़ि◌ व ृहतकायभारत का बनाओल जएबाक िमा तक फेरसँ चरचा अिछ। जयकाक लेखक कृ ैपायन ासकेँ बताओलगेल अिछ। आऽ एकर बेर-बेर चरचा कएल गेल अिछ, जेना को िवशेष त होए।फेर देवक िवकासपर सेहो चरचा अिछ। सरती धारक अकात् सिख ू जएबाक सेहो चरचा अिछ।40


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ अगस्त २००८ (वषर् १ मास ८ अंक १५)http://www.videha.co.in/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्सरतीक मितर्प ू ूजनक ारक आऽ मादेवीक सेहो चरचा भेल अिछ।सम ् ससरतीकेँ मादेवी बनाकए कािनक सरती ितमा-प ूजनक चरचा अिछ। िमिथलामे पितक नाम निह लेबाक परराक सेहोचरचा भेल अिछ।अम ् सराजाक अाचार चरम पर पहु ँिच गेल अिछ। अप ूवा र् ारा िववशताप ूव र्क गाहर् ाग आऽ स्ीधन सेहो छोड़बाक चरचा भेलअिछ।नवम ् ससएसँ बेशी ाम-मुख ारा सेलन-उपवेशनक चरचा अिछ।पा ँच वस धिर कर-मुि आऽ तािहसँवजन आऽश ूजनक सािवत पलायनक चरचा अिछ।सीरज जनकक पात् धे-हरणराािभषेकक बाद मा एकटा पररा रिह गेल, तकर चरचा अिछ। मुदा करल ारा अपन सगोीय शोणभक धे निहघ ुमेबाक चरचा अिछ। कराल ारा बीचमे धान पुरिहतकेँ हटेबाक चरचा अिछ।िचिकाशास् नवोिदत िचिकक बटुक कृताथ र्केँराजकुमारीक िचिकाक लेल बजाओल जाइत अिछ संगमे राजकुमारीक सखी आचाय र् कृतक पुी वाणीकेँ सेहो बजाओल जाइतअिछ, ओऽ अपन अज बटुकक संग जाइत छिथ आऽ कराल बलात् अपन कक्ष ब कए हुनकासँ गा ंधव र्-िववाह कए लैत छिथ।जा िवोह आऽ राजाक घोड़◌ा पर चढ़ि◌ कए पलायनक संग थम अायक नवम आऽ अिम स खतम भए जाइत अिछ।ितीय अायथम सिसत धारक चरचा अिछ। वािणकेँ वण साथ र्वाह सभक संग अंग जनपद चलबाक लेल कहैत छि। आऽ संगे वण ईहो कहैत छिथ जे अंग जनपदक आयीर्करणक काय र् अख अप ूण र् अिछ।ितीय ससाथ र्क संग धध र्र लोकिन चलैत छलाह, अपन ानक संग। साथ र्क संग सामा जन सेहो जाइत छलाह।वण आऽ वाणी िहनकासभक संग अंग िदिह िबदा भेलाह, एिह जनपदक राजधानी चा कहल गेल अिछ, आऽ एकरा गंगाक उरमे ित कहल गेलअिछ।तीय सअंग मे धानसँ सोझे अरबा निह बनाओल जएबाक चरचा अिछ, ओतए उसीन सुखा कए ढेकीसँ बनाओल अरबाकेँ चाउर कहल41


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ अगस्त २००८ (वषर् १ मास ८ अंक १५)http://www.videha.co.in/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्जएबाक आऽ ीिहकेँ धान कहबाक वण र्न भेल अिछ। प ूव र्कालक ी िज वै आऽ अिज नवीन वैक चरचा भेल अिछ।चतुथ र् सआयीर्करणक बेर-बेर चरचा पाा िवानक मायानजी पर भाव देखबैत अिछ। आय र् आऽ िवड़ श द ुन ू पाा लोकिनभारतमे अपन िनिहत ाथ र्क लेल अन छलाह। कोशल आऽ िवदेहक सारक, देवक िवकासक सूण र् इितहास एतए देल गेलअिछ।िमिथलाक दही-चूड़◌ाक सेहो चच र् आएल अिछ।पम सिदनमे एकभु आऽ राितमे द ुपान िमिथला आऽ पा ंचाल द ुन ू ठाम छल। तथाकिथत आय र् आऽ ानीय लोकिनक बीच छोट-मोटजीवनश ैलीक अर आऽ मायानजी आयीर्करण कहैत छिथ ओकरा पाटब।ष सअंगक गृह आय र्ाम जेका ँ सिट कए निञ वरन ् हिट-हिट कए होएबाक वण र्न अिछ। हुनकासभ ारा छोट-छोट वस् आऽ पशुचम र्पिहरबाक सेहो वण र्न अिछ। वजनक बीचमे नरबिल देबाक परराक संकेत आऽ िनािसत वजनसँ भाषाक आदान-दानसेहो मायानजी पाा भावसँ हण कए ले छिथ।िवय-थान खोलबाक जािहसँ भिवमे नगरक िवकास संभव होएत,तकर चच र् अिछ।सम सउसना चाउरक अिधक सुपा आऽ तािह ारे ओकर प देबाक गप कएल गेल अिछ।लौह-सीताक लेल लौहकार, हरक लेलकाकार, बतर्न-पाक लेल कुकार इािद िशीक आवकता आऽ तािह लेल आवास-भूिम आऽ भोजनक सुिवधा देबाक गपआएल अिछ।अम सकृिष उादनक पात् लोक अक बदला सामी बदलेन कए सकैत छिथ, व ृषभ-गाड़◌ीसँ सामीक संचरण, एक मास धिर चलएबलायज्ञक वा भूदेवगण ारा कएल जएबाक संग सेहो आयल अिछ। भाषा-िशक्षण ममे ाणगामक अपंश बाभनगाम आऽवनामक वनगाम भए गेल। भाषा िसखा कए घ ुरैत काल वाणीपर तीरसँ आमण भेल आऽ फेर वािणक मृु भए गेल।उपसंहार42


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ अगस्त २००८ (वषर् १ मास ८ अंक १५)http://www.videha.co.in/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्दोसर वस अबैत िमिथलामे गणतंक पक ापना िर भए गेल।वैशाली आऽ िमिथलाक बीच परर साद एक गणतािकंस ूमे ज ुड़बाक लेल होमए लागल। िसताम ित राजधानीमे प ूव र्मे िमिथलाक सीमा-िवारक चरचा भेल। राजधानी िसतामआऽ प ूवीर् िमिथलाक िजतामक बीच एकटा महावन छल। एकरा ाणाम आऽ िाम ारा िमिलकए जड़◌ाकए हटाओल गेल।एिह बक अंितम खमे ई करब आवक जे एिह शोध-लेखक एकटा सीमा िनधािरत र् कएल चल, इितहास-बोध। सेमायानजीक स्ीधन, पुरोिहत, म ं-पु आऽ थम श ैलपुी च एिह चािर पोथीक जे कथा-िवधान आऽ सािहिक िववेचन छलतकरा यथा संभव निञ छुअल गेल। सािहिक पसँ ई चा अपन िविश ान रख अिछ आऽ एिहमे म ंपु पोथीकमैिथली संरणपर मायानजी केँ सािह अकादमी पुरार सेहो भेिट चुकल छि।भाषा िवज्ञान- ऋगवैिदक ऋचामे ाकृतक िकछु िवशेष श, िन, य आऽ वा रचना भेटैत अिछ। संृतकेँ मानक भाषाआऽ ादेिशक तत्सँ मु भाषाक प ओऽ दे छलाह। कणाटकमे र् पािनकेँ नी आऽ एर जल कहल जाइत अिछ। पािनकई द ुन ू प संृतमे भेटत। ाकृितक तत्सँ मु भाषा बबाक लेल पािणनी को क अवहेलना निह कए छलाहवरण सभक शकोष लए उारणक भेदकेँ खतम कए छलाह। बहुत रास ाकृत श संृतमे लेल गेल ाक संशोधनकए आऽ तािहसँ बादमे ई धारणा भेल जे ाकृतक श सभ तव छल। संृतमे तव तािह कारणसँ निह देखबामे अबैतअिछ। तिहना अपंश आऽ ाकृत भाष सौ ँसे देशमे घ ुमए बलाक भाषा छल।भारतमे देवतंक िवकास पािन संब ंधी धारणासँ ज ुड़ल अिछ। यावत िव अ अिछ तँ अकारमय अिछ, अकास अिछ, भेलापर ओऽ जल बिन जाइत अिछ। अकास आऽ जल द ुन ू भारतीय िचनमे तत् अिछ। मितर्प ू ूजनक जे िच मायानजीिचित करैत अिछ ओऽ सरलीकरण अिछ। भाषा-सारक जे िविध ओऽ स्ीधनमे देखबैत छिथ सेहो अित सरलीकरण अिछ।एिह बक अंितम खमे ई करब आवक जे एिह शोध-लेखक एकटा सीमा िनधािरत र् कएल चल, इितहास-बोध। सेमायानजीक स्ीधन, पुरोिहत, म ं-पु आऽ थम श ैलपुी च एिह चािर पोथीक जे कथा-िवधान आऽ सािहिक िववेचन छलतकरा यथा संभव निञ छुअल गेल। सािहिक पसँ ई चा अपन िविश ान रख अिछ आऽ एिहमे म ंपु पोथीकमैिथली संरणपर मायानजी केँ सािह अकादमी पुरार सेहो भेिट चुकल छि।(समा)स ूचना: अिगला अंकसँ . ी हिरमोहन झा जीक सम रचनापर िववेचन शु कएल जाए रहल अिछ।६. पिवृत किव . रामजी चौधरी,गजे ठाकुरी गंगेश गुंजनोित झा चौधरीी पंकज पराशर,महाका महाभारत (आगा ँ) ी िजतमोहन -भि-गीत43


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ अगस्त २००८ (वषर् १ मास ८ अंक १५)http://www.videha.co.in/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्१.िवृत किव . रामजी चौधरी (१८७८-१९५२)२. गजे ठाकुर१. िवृत किव . रामजी चौधरी (1878-1952)पर शोध-लेख िवदेहक पिहल अँकमे ई-कािशत भेल छल।तकरबाद हुनकर पु ी द ुगान र् चौधरी, ाम-पुर,थाना-अंधरा-ठाढ़◌ी, िजला-मध ुबनी किवजीक अकािशत पाुिलिप िवदेहकाया र्लयकेँ डाकसँ िवदेहमे काशनाथ र् पठओलि अिछ। ई गोट-पचासेक प िवदेहमे एिह अंकसँ धारावािहक पेँ ई-कािशतभ’ रहल अिछ।िवृत किव- पं. रामजी चौधरी(1878-1952) ज ान- ाम-पुर,थाना-अंधरा-ठाढ◌़◌ी,िजला-मध ुबनी. म ूल-पगुार राजेगो-शाि ।जेना श ंकरदेव असामीक बदला मैिथलीमे रचना रचलि, तिहना किव रामजी चौधरी मैिथलीक अितिरक् जब ुलीमे सेहो रचनारचलि।किव रामजीक सभ पमे रागक वण र् अिछ, ओिहना जेना िवापितक पालसँ ा पदावलीमे अिछ, ई भाव हु ंकर बाबाजे गबैा छलाहसँ िरत ब ुझना जाइत अिछ।िमिथलाक लोक पंच्देवोपासक छिथ मुदा िशवालय सभ गाममे भेिट जायत, सेरामजी चौधरी महेानी िलखलि आ’ चैत मासक हेतु ठ ुमरी आ’ भोरक भजन (पराती/ भाती) सेहो। जािह राग सभक वण र्नहुनकर कृितमे अबैत अिछ से अिछ:1. राग रेखता 2 लावणी 3. राग झपताला 4.राग ुपद 5. राग संगीत 6. राग देश 7. राग गौरी 8.ितरहुत 9. भजन िवनय10. भजन भैरवी 11.भजन गजल 12. होली 13.राग ाम काण 14.किवता 15. डक होली 16.राग कागू काफी 17. राग िवहाग18.गजलक ठ ुमरी 19. राग पावस चौमासा 20. भजन भाती 21.महेशवाणी आ’ 22. भजन कीर्न आिद।िमिथलाक लोचनक रागतरिगणीमे ं िकछु राग एहन छल जे िमिथले टामे छल, तकर योग सेहो किवजी कएलि।ुत अिछ हुनकर अकािशत रचनाक धारावािहक ुित:-26.महेशवानीिशव हे हे पलक एक बेरहम छी पड़ल द ुखसागरमेखेिब उता एिह बेर॥जौ ँ नञ कृपा करब िशवश ंकरहम िजयब यिह और॥ितिवध ताप मोिह आय सतायोलेन चह्त जीव मोर॥44


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ अगस्त २००८ (वषर् १ मास ८ अंक १५)http://www.videha.co.in/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्रामजीकेँ निह और सहारा, अशरण शरणमे तोर॥27.समदाउनगौनाके िदन हमर लगचाएलसिख हे िमिल िलअ सकल समाजः॥बहुिरिन हम फेर आयब एिह जगद ूरदेश सासुरके राजः॥िनसे िदन भूिल रहलौ ँ सिखके संगनिह कएल अपन िकछु काजः।अविचत िच चंचल भेल बिझुमोरा कोना करब हम काजः।किह संग जाए संदेश संबल िकछुद ूर देश अिछ बाटः॥ऋण पै ंच एको निह भेटतमारञमे कुश का ँटः॥हमरा पर अब कृपा करब सभक्षमब शेष अपराधरामजी की पछताए करब अबहम द ूर देश कोना जाएबः॥45


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ अगस्त २००८ (वषर् १ मास ८ अंक १५)http://www.videha.co.in/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्28.महेशवाणीकतेक किठन तप कएलहु ँ गौरीएिह वर ले कोना॥सा ँप सभ अंगमे सह सह करिन कोना,बाघ छाल ऊपरमे देखल,मुमाल गहना॥संगमे जे बाघ छिन,बरद चढ़ना,भूत त संगमे नाचए छिन कोना॥गंगाजी जटामे हुहुआइ छिथ कोना,चमा कपार पर शोभए छिथ कोना।भनिथ रामजी सुए मैना,शुभ शुभ के गौरी िववाह हठ छोड़◌ू अपना॥(अवतर्ते)१. ी गंगेश गुंजन २. ीमित ोित झा चौधरी१.. गंगेश गुंजन ी गंगेश गुंजन(१९४२- )। ज ान- िपलखबाड़, मध ुबनी। एम.ए. (िही), रेिडयो नाटक परपी.एच.डी.। किव, कथाकार, नाटककार आ' उपासकार। मैिथलीक थम चौबिटया नाटक बिधबिधयाक ु लेखक। उिचतवा (कथासंह) क लेल सािह अकादमी पुरार। एकर अितिरक् हम एकटा िमा पिरचय, लोक सुन ू (किवता संह), अार- इजोत(कथा संह), पिहल लोक (उपास), आइ भोट (नाटक)कािशत। िहीमे िमिथला ंचल की लोक कथाएँ, मिणपक का-बिनजाराक मैिथलीसँ िही अवाद आ' श तैयार है (किवता संह)।भेटताह अन ?'हमरे िथक ओ माय र्-अजर्क मुत।हमरे , हमर स्ीक ममताक चूण र् िवत दयकअवयव ढेरीक पुनर र्चनाक िया िथक।46


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ अगस्त २००८ (वषर् १ मास ८ अंक १५)http://www.videha.co.in/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्ख-पख भावक काया ,माया।भूिम पर जािह घड़◌ी बिलदानक छागर भेल छल-सीरा आ धर द ू कात छर छर शोिनतक फुचुा मे ,ओ सम मन भेल छल-चूर चूर, ध ूरा गदा र्।तं ओकरे ढेरी पर ठाढ़ भ' क' द ुन ू गोटयमा हम आ हमर स्ी, माएकटा िपता आ माय, अप द ुख आ र सं चूर कें सािन-सािन,बना ले रही को गश द ुगा र्क मिर्क ू मािट।बड़ मयोग सं गढ़ रही, बैसल-बैसल ओिह मािटक मुत।हमरा द ुन ू गोटय द ुन ू गोटय भ' गेल रही ओही मे,सोझा ंक ,पएर तरक, आ मन महक सभटा ममताहत ेश कें ,उपिछ-उपिछ क' बाहर करैत जीवन सं ,बड़◌ी काल अभवैतरिह गेल रही अपा ंत, तथािप बना रखवा लेल संघात कें मुत,लागल रही लगातार लागल रही,केहन पागल रही ?अपनिह दपाहत र् अिक तौला सं खिस पड़लसबटा सुा साद कें समेिट क' बैिस गेल रहीमािट जका ं बनाबय मुत।ब ुकनी-ब ुकनी क' देल गेल मन-ाण-संवेदना कें समटैत,सात आ फेर गढ़◌ैत कालकेहन भ' गेल रही तखन असकर-असहाय ।आ आब आइ ?अपनिह ममताक मुत रिच क' सोझा ं मे रख,केहन छी िनर्, िनि, द ुःख मु !47


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ अगस्त २००८ (वषर् १ मास ८ अंक १५)http://www.videha.co.in/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्उताहुल । करवा लेल फेर, नव मिर्क ू ाण िता !स्ीक िर कोरा कें नवजात िशशु सं भरवा लेलथर-थर देहयोग मे िनस ाकुल !िदी नगर बस मे तामस :एकमानल जे ई ६८० नंबर बसलोक सभ सं को ंचल भरल छैक,पैर ध'क' ् िनचैन ठाढ़ भ' सकवाक निह छैकिमिसयो भिर जगह,तों सीट पर बैसल िनिपफिकर-िनि छ' ?जखन िक भिरसक अवे पे ंशन उठाब' जा रहलओइ ब ूढ़ कें एहन ध्म ध ्◌ुी खाइत,हाथक मैल कुचैल अपन झोरीकरक्षा करैत डगमग ठाढ़ ब ुढ़◌ा कें देिख रहलाक बादो,बैसले रिह जाय लगलहए तों आबगंगेश गुंजन ! निह होअ' लगल'हए ब ूढ़◌ो लोक केंअपन सीट देबा लेल आब ठाढ़!सावधन, खबरदार !िदी नगर बस मे तामस : द ूई बस! नरको मे ठेम ठेला !आ ओ ब ुढ़◌ा कहुना करैत अपन ाण-रक्षापिछला कतोक ◌ॉप सं क' रहल छिथद ुब र्ल पएर पर संतुिलत करैत अपन ई कक याा◌ा !48


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ अगस्त २००८ (वषर् १ मास ८ अंक १५)http://www.videha.co.in/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्ओ बािलग स्ा◌ी !ठामिह बैसिल छिथ िनि,मिहलाएंक सुरिक्षत खास अपन सीट पर सुवित।सोझिहं मे संघष र् क' रहल छिथ व ृ्, बेचैन, अिरकोनहु ं अिगला क पर िध्कया क' खिस पड़वा लेल िचंिततस्ा◌ी कें देखाइत निह छिन ब ृद्ध्क लेल िकछुओ टा कतर्।आरिक्षत स्ा◌ी-सीट पर िनंग बैिस सकयवालीअपना अिध्कार बोध्क एहन चेतना परिकएक उठओ ोध,्कोना होअओ िपफिकर ?२. ोितकेँ www . poet r y . c omसँ संपादकक च◌ॉयस अवाडर् (अंजी पक हेतु) भेटल छि। हुनकरअंजी प िकछु िदन धिर wwwpoet . r ysoup. com केर मु प ृ पर सेहो रहल अिछ। ोित िमिथला िचकलामे सेहोपार ंगत छिथ आऽ िहनकर िमिथला िचकलाक दश र्नी ईिलंग आट र् ुप केर अंतत ईिलंग ◌ॊडवे, लंडनमे दिश र्त कएल गेलअिछ।ोित झा चौधरी, ज ितिथ -३० िदसर १९७८; ज ान -बेवार, मध ुबनी ; िशक्षा- ामी िववेकान िम िडल ूल◌़ िटोसाकची गर् हाई ूल◌़, िमसेज के एम पी एम इटर कालेज़, इिरा गाी ओपन यिनविस ू र्टी, आइ सी डबू ए आइ (क◌ॉएकाउेी); िनवास ान- लन, य.के.; ू िपता- ी शुभंकर झा, ज़मशेदपुर; माता- ीमती सुधा झा, िशवीपी। ''मैिथली िलखबाकअास हम अपन दादी नानी भाई बिहन सभकेँ प िलखबामे कए छी। बेसँ मैिथलीसँ लगाव रहल अिछ। -ोितईशक अराधना1हे ईश एहन हाथ िदअजे कम र्ठ आ कुशल होईअह◌ॉ◌ं लग मा जोड़ि◌ककम र् के ितला ंजली निह दई49


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ अगस्त २००८ (वषर् १ मास ८ अंक १५)http://www.videha.co.in/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्प ूजाक संग काजक संगमजकरा लेल ा होई२हे ईश एहन पैर िदयजे अपन भार सिह सकयआनक जहन योजन होईतऽ सभस◌ॅ◌ं आग◌ॉ◌ं बढ़ि◌ सकैऔिच स◌ॅ◌ं िवचिलत जकराको बाधा नञ कऽ सकै३हे ईश एहेन वािण िदअजािह में िनवास करैथ शारदािमठास होए आ' शीतल होयनिहं होए भय आ' लोलुपताअह◌ॉ◌ंक अराधना भिभावसऽदेववािणमे करक िदअ क्षमता४हे ईश एहेन दृि िदअअह◌ॉ◌ंक पके कराबै िचन ्हारअह◌ॉ◌ंक बास जखन घट-घट मेफेर िकयै जाउ िहमालय पहाड़सम र्के हम प ूजा मानीनिहं रहै अज्ञानताक अार५हे ईश एहन बि ु िदअअह◌ॉ◌ं पर सदैव रहै िवास50


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ अगस्त २००८ (वषर् १ मास ८ अंक १५)http://www.videha.co.in/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्संतोष आ' शाि पािबबेसी के निहं हुए आसप ्◌्रा◌ािणमाक काण लेलकऽ सकी आमरण यास*****ी ड◌ॉ. पंकज पराशर (१९७६- )। मोहनपुर, बलवाहाट चपरा ँव कोठी, सहरसा। ारिक िशक्षासँ ातक धिर गाम आऽसहरसामे। फेर पटना िविवालयसँ एम.ए. िहीमे थम णीमे थम ान। जे.एन.य.,िदीसँू एम.िफल.। जािमया िमिलयाइािमयासँ टी.वी.पकािरतामे ातकोर िडोमा। मैिथली आऽ िहीक ितित पिका सभमे किवता, समीक्षा आऽआलोचनाक िनब ंध कािशत। अंजीसँ िहीमे ◌ॉद लेवी स्◌ॉस, एबहाडर् िफशर, हकु शाह आ ूस चैटिवन आिदक शोधिनबक अवाद। ’गोवध और अंज’ नामसँ एकटा तं पोथीक अंजीसँ अवाद। जनसामे ’दिनया ु मेरे आगे’ ंभमेलेखन। पराशरजी एखन िही पिका ’कादिनी’मे विर क◌ॉपी सादक छिथ। रघ ुवीर सहायक सािहपर जे.एन.य.सँूपी.एच.डी.।राग माल-कोषद ूपहर राित धिर लैपटापपर अपा ंत ओऽ िबसिर चुकल अिछअपन पीक सेहाआऽ गभर् िशशुक आगमनक िचायोताक समु-म ंथनमे एखन एकािच ओऽअंतिरसँ आगू जेबापर अिछ िबतर्खेनाइ बबामे िनता अपटु ओकर रोबोट फोन कऽ चुकल छैकफा फूड केर दोकानकेँिरत होम िडिलवरीक िनिमउ तकनीकसँ स संचार वाक बीचओकर मुीसँ िबलाइत रहैत छैक समयसमय-ब ंधनक उ िडी केर अछैतो51


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ अगस्त २००८ (वषर् १ मास ८ अंक १५)http://www.videha.co.in/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्ओकर िकहु स निह चलैत छैक समयपरनिह देन िबलमैत अिछ निह राित कैत अिछको अदृ लोकपर ओऽ अरो खौ ंझाइत अिछी-जी मोबाइलपर अठबारेँ-अठबारेँ फोन कयिनहािरओकर िनरक्षर मायक आवाजजेना को नरहा इनारसँ अबैत अिछ आािदत-हाई लेवल मीिट ंगक ंोीक बीचमेिनराशाक सीमा धिर िथत मायक रपु केर एूज मीक िखिसयायलुत िवलित भासमे हेरा जाइत अिछजकरा लेल चोिर कयलहु ँ सएह कहलक चोरा...आऽ तकर तुरे पंचम र बाट धरैत अिछ धैवत िदस..हमर अभाग हुनक निह दोष..हमर अभाग...िबहाड़ि◌क बीच बाट तकैतकोना हहाइत आयल काल-वैशाखीजे अनसार कऽ देलक अिछ ठाढ़◌ो रहब-मा ंझ बाधमे आड़ि◌ बैत कहलिन जामुन महतोर ंग-िबर ंगक पता सभ-जे उड़ि◌या रहल अिछ एिह िबहाड़ि◌मेदेखार भऽ गेल जे िकछु छल झा ँपल-तोपल एतेक िदनसँकेहेन-केहेन मोटगर गाछ निह थि सकल52


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ अगस्त २००८ (वषर् १ मास ८ अंक १५)http://www.videha.co.in/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्गाछीक बीचोमे एिह रछा जोरमुदा एकसआ भेल गोटेक टा पीपर गाछआइयो अिछ ओिहना ठाढ़ गामक सीमापरकइक बरखसँहओ बाब ू!गामक ठाम तँ िछयह ओएहमुदा लोक सभ कतय जाइ गेलैक हओ?-चकोा होइत कहैत छिथन जामुन महतोआऽ गाबऽ लगैत छिथन अकात् आइ-माइ जका ँ िचकिर-िचकिर कएएक-पर-एक सोहर आऽ म ूड़न-उपनयनक गीतबेश टहंकारसँचकिबदोर भेल हम देखैत छी हुनकर सभटा िकरदानी..आिक ताऽ हरो-हरो कऽ आबऽ लगैत छिथ कुहेसक धोि फाड़ि◌ कऽहेरायल-भुितयायल हमरा गामक सािकन सभलोककथासँ बहरा-बहराकेँ ओिहना करे-कमानअिरया राितमे गोिरा युक ओिरयाओनमे अपा ंतगामक युवक सभ सकपंज भेल लोकक िदस तकैत अिछतेहन नजिरसँ जेना फेर निह घिर ु सकत ओऽअपन गाम-ठाममे किहयोजािन निह किहया होयत उास हओ िदनकर-दीनानाथ!किहया शा होयत काल-वैशाखीक रछा जोर-53


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ अगस्त २००८ (वषर् १ मास ८ अंक १५)http://www.videha.co.in/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्पेटकुिनया दे हमर बाबीिलबलाहा एकचारीमे गोहरबैत छिथन देवता-िपतरकेँजािन निह कतय-कतयसँ अबैत अिछ ई काल-वैशाखीकोन हवा केर दाब मे साजैत अिछ ई एहेन-एहेन माख साज-बाजहम बहार होइत छी तकर उ केर खोजमेमुदा भेटैत निह अिछ कोनहुना बाटमा(ख) िवहागशानसँ घिर ु कऽ लोह-पाथर छुबैतबार ंबार करैत छी य एिह असार संसारमे दयकेँ पाथर बबाकमुदा चचरीमे बाल एकटा आओर लहास हमर का केर तीक्षामेपिहनिहसँ रहैत अिछ दना ंजिलसँ िस भेलकोना फड़फड़◌ाएल बमवष र्क िवहग सभ महाशि केर िवरोधी आकाशमे-तड़ि◌त लयमे खसैत रहल कलर बम सभ िनरीह जन-अरमेआऽ घिष र्त होइत रहलाह हाहाकारी र-साधनामे िनात घराना केर गायकव ृ!मृु-रागमे िनात नाटो देशक संगितया सभ अपन-अपन तानपुराक संगमा एकटा संकेतक तीक्षा कऽ रहल अिछ पिहनिहसँ तैयार मचपर बैसलतबला िमलेबाक ठकठकीसँ दलमिलत होइत रहैत अिछ मानवता केर आाठाटक बाट िबसरल अपन अमेधी टै ंकसँ मीिडयाकेँ जवाब दैतसभटा कोमल रकेँ बजेबाक भार दैत अिछ “एंबेडेड जनिलज्म” र् केरनव-नव रोगीर् साधक लोकिनकेँ संप ूण र् िव केर संगीत-िपता(ह)54


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ अगस्त २००८ (वषर् १ मास ८ अंक १५)http://www.videha.co.in/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्कहरवापर कुहरबाक साधनामे दीिक्षत करौिनहार संगीताचाय र्नगर-नगरमे पिहनिह खोिल चुकल छिथ हँसी मापक दोकानधोिध लुक मशीन सभसँ भरल अक तरहक अंगतराशएर कइक बरखसँ खाली अीका आऽ एिशयामे तािक रहल छिथिव-सुरी आऽ ा-सुरी िसतारक तारपर सुता कऽ अखबारक पेज-ीपरकोन-कोन राग बाबा हिरदास निह िसखौलिखन तानसेनकेँमुदा अ अकबर आब ठोंठपर चढ़ि◌ कऽ िनकािल रहल छिनसभटा राग पेटे ंटक अपन स◌ॉफ्टवेअरमे संरिक्षत करबाक लेलछोट-छोट तानसेन सभ आिख ँ मुनँ िनम भऽ कए गािब रहल अिछिमनट-िमनटपर राग-मा(ख) िवहाग गुहंत िदवस केर प ूव र् संापरिवकासशील ोता सम ूह केर नव-नव सेनाक्षक फरमाइशकेँ ानमे रखैत।सोहरहहारोह करैत कोशीक कछेरमे गुड़गुड़ि◌या कटैत पािनकेँ देिखनिह जािन मोन कतेक िदनसँ गािब रहल अिछसाओन मासक एिह बेकालमे द ू बीत ठाम तकैतसमदाओनक भासमे सोहर कहरवा तालपर कू ही होइतककरा देबैक छिठहारक हकार बाउ,जनिवहीन भेल एिह जल ािवत गाममेजतय डेग-डेगपर चािर टा काक लेलकं कालवत लहास जोवी सोहरक िन तर ंगमे55


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ अगस्त २००८ (वषर् १ मास ८ अंक १५)http://www.videha.co.in/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्एिह असार संसारमे आगमन आऽ ानक बीच बीतल िजनगी केर अथ र्तकैत रहैत अिछ मृुक तकवीथीमे बौआइत..एिह अथो र्षीर् समयमे हमरा गामक कतेक लोक छिथ अथ र् संप?शेयर बाजारमे उठैत सें-सेी लहिरक िकछु अथां श र्जेना को ूटो हसँ चलल काश जका ँ कइक युग पिहनिह चलल छलआओर कइक युग धिर बाटेमे रहत तकर कोन ठेकान?जकरा सबहक भाषा आिखक ँ कोर बाटे सभ िदन बहैत रहैत अिछजकरा सबहक जीव एकटा अन सओन बनल अिछजकरा सबहक कं ठसँ फूटल बकार हाहाकारमे बदिल जाइत अिछजकरा सबहक औंठा कबालापर िनशानक पया र्य बिन गेल अिछतकरा सबहक कइक पुरखाक जोवी सोहर समदाओनक पया र्य बिन जाइत अिछनिह जािन कोन बाटे अबैत अिछ पािनपािन-पािन भेल िजनगी सबहक शेष िदवसकें गलेबाक लेल सभ बेररहरहा ँ जे हूक उठैत अिछ खरा ँतक बहीमे गमछी ओछबैत सीधे पंचममेआऽ बाब ू-भैयाक लठैत बहा दैत कोशी पुक कं कालवत लहास उदारतासँव ृाक कं ठसँ कतेक यक पात् िनकसैत सोहरक खा ँटी ध ुनकमला-कोशीक कछेरमे रक संग िमर होइत समदाओनमे बदिल रहल अिछनिह जािन ओऽ के छिथ जे आइयो िमिथलामे गाम-गाममे पाग पिहरजनम अविध प िनहारैत अिछ आऽ किहयो ितरिपत निह होइत अिछ?म ूल56


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ अगस्त २००८ (वषर् १ मास ८ अंक १५)http://www.videha.co.in/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्िबयाहक वेदीपर आतुरतासँ पुछैत छिथन पंिडत ध ुर ंधर झागोक पात् हमर म ूल, हमर प ूव र्जक म ूल ानपुछैत छिथन शः शः उ होइत रमेकम र्का ंडज्ञताक अहंकारसँ भरल पंिडतजीपंिडतजी बेर-बेर दौड़बैत छिथन हमरा धिर ..म ूल कहू बाऊ, म ूल, अपन कुलक म ूलकेहेन छी अहा ँ जे िपता म ूलो धिर निह िसखौलिनिशक्षा देखू अंगरेिजया युवक सबहककेहेन आिब तुलायल अिछ द ुालकक सोचैत हम कहिलयिन- सुन ू पंिडतजी, सुन ूओना हमर िपता मात छिथ पंचोभ किरयौन अपन म ूलमुदा हम कोना किह सकब ठीक-ठीक िक इएह टा िथक हमर म ूल?कोना कहब पंिडतजी िक सिक ृ आरेसँ पंचोभे छलाह हमर प ूव र्जकोना कहब िक द ू कौर अ आऽ पा ँच हाथ वस् लेलकतहु आन ठामसँ निह आयल हेताह हमर प ूव र्ज?कोना किह सकब पंिडतजी िक हमर पंचोभेवला प ूव र्जक प ूव र्जमौय र् आ शु ंग व ंशक पात् नादेवक कालसँ हिरिसंहदेवआऽ अहमद खा ँ केर स ूबेदार बनबा धिर पंचोभेमे छलाह?ओइनवार व ंशक उानसँ लऽ कए िदी सल्तनत केर उठा-पटक वला समयमेकतय छलाह, कतय-कतय गेलाह57


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ अगस्त २००८ (वषर् १ मास ८ अंक १५)http://www.videha.co.in/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्से कोना किह सकब हम एकदम ठीक-ठीक?हमर प ूव र्ज आय र् छलाह िक अनाय र् हम निह जत छीजँ ओ आय र् छलाह तँ ईरान िदस होयत कतहु हमर म ूलआऽ ओतहुसँ प ूव र् तँ कतहु रहल हेताह हमर प ूव र्जजािह म ूलक नाम िवलु अिछ हमरा सबहक ृित-कोषसँहमर ओऽ प ूव र्ज लोकिन जे बकरी-छकरी जका ँ ठोंिठया कएचढ़◌ाओल गेलाह कुिसयारक खेतीक लेल म◌ॉरीशसिफजी आऽ स ूरीनामक जहाजमे गदर केर िवोहक पात्हुनका हम कोना अलग कऽ देबिन अपन म ूलसँ?सामिहक ू सा ंृितक इितहासमे कुहरैत हमर प ूव र्जकोना अलग हेताह हमर म ूलसँ पंिडतजी?पंचोभ म ूलक हमर पुरखा कहा ँदन पंचोभसँ अयलाह मिहषीआऽ ओतयसँ परगना फरिकया केर एकटा गाम मोहनपुर,हम पटना-िदी होइत एखन काशीमे िबलमलएकटा डेग हरदम उठौनिह रहैत छी को आन नगरक लेलजािह-जािह नगरक बसातमे सा ँस लेलहु ँजािह ठामक अ-पािनसँ पोसायल अिछ ई देहजािह नगरक संान द ू कौर भातक लेल दैत अिछ मुाओऽ सभटा ान मा पंचोभे टा म ूलमे कोना समािहत हेतैक पंिडतजी?पंचोभ-किरयौनसँ बहुत-बहुत िवशाल अिछ हमर आन-आन म ूल सभ58


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ अगस्त २००८ (वषर् १ मास ८ अंक १५)http://www.videha.co.in/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्एखन बहुत ठाम जयबा लेल िववश करत पेटआऽ जाधिर जीयब ताधिर कतय-कतय जायबकोन-कोन नगरक थारीमे खायब से कोना किह सकब हम ठीक-ठीक?मा एे टा म ूल पंचोभ-किरयौन किह कएएतेक रास म ूल सभसँ हम कोना िपंड छोड़◌ा सकब पंिडतजी?शिनचरागपे-गपमे हमरा मुँहसँजखन िनकिल जाइत अिछअपन ूलक कथा आऽ मोन पड़◌ैत अिछशिनचराक जोगाड़मे अहुिरया कटैत मायक थातँ ब ुझायब किठन भऽ जाइत अिछ बेटीकेँशिनचरा शक अथ र् आऽ औिचमाउं ट कारमेलक िवाथीर् हमर बेटीजखन तैयार होइत अिछ ूलक लेलहाथमे थम र्स पीठपर बाआऽ सुाद ु जलखइ भरल िटिफनक संगतँ अनायासे हीनभावसँ हमर मोनक नातुलना करऽ लगैत अिछ बेटीक नपनसँ अपन नपनकचीनीक मोटका बोरापर पीपरक गाछ तर बैसलशिनचरा निह देबाक अपराधमे जिहयाखजूरक कड़ची खा कए घ ुरी59


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ अगस्त २००८ (वषर् १ मास ८ अंक १५)http://www.videha.co.in/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्तँ ण करी फेर किहयो ूल निह जयबाकमुदा बलजोरी पठाओल जाइ ूलजेलसँ भागल को द ुदां त र् अपराधी जका ँिमसरी नाम धरेबाक लेल गुजीक गंजन सहबाक हेतुाकरणसँ लऽ कए जोड़-घटाव आऽ बाल भारती धिरएे संग पढ़बैत भरौलीवला मारशिनचरा निह देिनहार िवाथीर्क ममरखा देहपरजखन मारैत छलिखन खजूरक कचका कड़चीतँ दस पैसा हमरा दिनयाक ु सभसँ पैघ पाइ ब ुझाइत छलजािह लेल अिगला छओ िदन महाग मोसिगलमे बीतैत छलहमर ओऽ दोस सभ जे शिनचरा देबामे असमथ र् छलआऽ परीक्षा फीसक जोगाड़ तँ महाग मोसिकलसे सभ कड़चीक आदंकसँ िबसरैत चल गेल ूलक बाटआदंकसँ कपसैत र-झोर भेल हमर ओऽ दोस सभजे फीसक बदलामे पा~म्च टा घैलएकटा किचया वा द ू टा पगहासेर भिर द ूध वा एकटा परबा देबाक ावमायक िसखौलापर गुजी लग रखैत छलआइ या भेल िदीमे िरा घीचैत अिछवासक कद िजनगी आऽ देहक अशताक कथाक बीचनंगोिटया दोस सभ जखन चच र् करैत अिछ60


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ अगस्त २००८ (वषर् १ मास ८ अंक १५)http://www.videha.co.in/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्ूल आऽ शिनचरा का ंडक तँ हँसैत अिछया जजर्िरत पा ँजरकेँ कबैत उकासीक सीमा ंत धिरशिनचराक िखा सुत जखन देखैत अिछ बेटीहमरा मुँहपर वएह असहायता आऽ िचातँ हँसैत अिछ भभा कए हमर जीवनक िखापरएिह अथ र्-संप युगमे जनमल हमर बेटीएखन निह जत अिछ अथा र्भावक अथ र्जतेक दरमाहा लेल भिर मास खटैत छलाह हमर िपताघर-आम चलबैत बेर-बेगरतामे सर-कुटुमक संग ठाढ़ओतबा टाका आइ बेटीक एक मासक ूलक फीस होइत अिछजिहया-जिहया पुछैत अिछ बेटी शिनचरा शक अथ र्तँ हमरा बेर-बेर मोन पड़◌ैत अिछ एिह अथ र् युगमेया जजर्िरत दोस सबहक छातीआऽ िपताक एक मासक दरमाहा।1.भिगीत 2. महाभारत1.भिगीत- िजतमोहन झामात िपता गु भु चरणमे णवत बारारहमरा पर कएलहु ँ बड◌़ उपकार,हमरा पर कएलहु ँ बड◌़ उपकार।माताजी जे क उठेलिख ओऽ ऋण किहयो निञ चुकलऒ,आ ंगुर पकड़ि◌ कs चलब िसखेिल्ख ममताक देलिखन शीतल छाया,61


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ अगस्त २००८ (वषर् १ मास ८ अंक १५)http://www.videha.co.in/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्िजनकर कोरामे पिलकए हम कहेलहु ँ होिशया॥हमरा पर कएलहु ँ बड◌़ उपकार,हमरा पर कएलहु ँ बड◌़ उपकार।िपताजी हमरा यो बलिथ कमा-कमा कऽ अ ख ुएलिथ,पढा िलखा गुणवान बलिथ, जीवन पथ पर चलब िसखेलिथ,जोड़ि◌-जोड़ि◌ अपन सित केँ बनाऽ देलिथ हक◌़दा।हमरा पर कएलहु ँ बड◌़ उपकार,हमरा पर कएलहु ँ बड◌़ उपकार।स ज्ञान गुजी बतेलिथ, अंधकार सभ द ूर हटेलिथ,दयमे भिक दीप जरेलिथ,हरी दश र्नक मा बतेलिथ,िबना ाथ्कर् कृपा केला ओऽ कतेक पैघ उदार।हमरा पर कएलहु ँ बड◌़ उपकार,हमरा पर कएलहु ँ बड◌़ उपकार।भु कृपासँ नर तन पेलहु ँ संत िमलनक साज सजेलहु ँ,बल बि ु आर िवा दऽ कs सभ जीवमे बलहु ँ,जे िकयो िहनकर शरणमे एिल्खन,भेलि हुनकर उार।हमरा पर कएलहु ँ बड◌़ उपकार,हमरा पर कएलहु ँ बड◌़ उपकार।2. महाभारतमहाभारत (आ ँगा)-गजे ठाकुर६.भी-पव र्62


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ अगस्त २००८ (वषर् १ मास ८ अंक १५)http://www.videha.co.in/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्भेल भोर रणभूिममे कौरव-पाव सेना सिहतआगा ँ भी कौरवक पावक अजर्न-कृ ु सिहत।भीक रथक द ुहुओर द ुःशासन द ुयो र्धन छलाह,पार्मे अामा गु ोणक संग भा आह।यु कए रा पाएब मािर ाता ियजनकेँ ,सोिच िवल भेल अजर्न ु गा ंडीव खसत कृ हमर।कम र्योग उपदेश देल कृ द ूर क मोह-म,जन ित मोह किर क्षाधम र्सँ िवमुख न होऊ।अधम र्सँ कौरवक अिछ नाश भेल देखू ई दृ।िवराटप देिख अजर्न ु िवशाल अि ालमे,जीव-जु आिब खसिथ भ होिथ क्षणिह,कौरवगण सेहो भ भए रहल छलाह,चेतना जागल अजर्नक ु ुित कएल सः।फलक िचा छोड़ि◌ कम र् करबाक ज्ञानसँ,आा अमर अिछ शोक एकर लेल करब निह उिचत।युिढिर उतिर रथसँ भीक रथक िदस गेलाह,गुजनक आशीवा र्द लए धम र्पालन मोन राखल।भी ोण कृपाचाय र् पुलिकत िवजयक आशीष देल,ध ृतराष् पु युयुु देिख रहल छल धम र्नीितछोड़ि◌ कौरव िमलल पाव पक्षमे ताल,युिषिर िमलाओल गर ओकरसँ भेल श ंखनाद।अजर्न ु श ंख देवद फूिक कएल युक घोषणा,आमण कौरवपर कए रथ हि घोटक पैदल,युमे पिहल िदन मुइल उर िवराटक पु छल।भी कएल भीषण क्षित सा ँझमे अजर्नक ु श ंख,63


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ अगस्त २००८ (वषर् १ मास ८ अंक १५)http://www.videha.co.in/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्बािज कएल युक समाि भी सेहो बजाओल अपन।पिहल िदनक युसँ पादव शोिकत द ुयो र्धन हिष र्त।दोसर िदनक यु जखन शु भी आनल लय।कृ एना भए हमर सेना मरत चल ू भी लग।हँ धनय रथ लए जाइत छी भीक समक्ष।द ुहुक बीच जे यु भेल िवकराल छल कािप ँ सकल।भीम सेहो संहारक बनल भी छोड़ि◌ अजर्नकेँ ु ओर द ुगल,सािकीक वाणसँ भीक सहीसक अपघात भेल,खसल भूिम तखन ओऽ भीक घोड़◌ा भागल वेगमान भए।सा ँझ भेल श ंख बाजल यु द ू िदनक समा भेल।तेसर िदन सािकी अिभमु कौरवपर टूटल,ोणपर सहदेव-नकुल युिधिर आमण कएल,द ुयो र्धनपर टूटल भीम वाण मािर अचेत कएल,ओकर सहीस द ुयो र्धनकेँ लए चलल रणसँ,कौरव सेना ब ुझल भागल छल ओऽ यु छोड़ि◌ कए।भािग रहल सेनापर भीम कएलि आमण,सा ँझ बिन रक्षक आएल द ुयो र्धन कुिपत भेल।भीकेँ रािमे कहल अहा ँक दय पक्षमे अिछ पा ंडवक,भी कहल छिथ ओऽ अजेय पर यु भिरसक करब।(अवतर्ते)संृत िशक्षा च मैिथली िशक्षा च(मैिथली भाषा जगननी सीतायाः भाषा आसीत् - हमः उवान- माषीिमह संृताम ्)(आगा ँ)-गजे ठाकुर64


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ अगस्त २००८ (वषर् १ मास ८ अंक १५)http://www.videha.co.in/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्वयम ् इदानीम ् एकं सुभािषतं ुमः।यथा िचं तथा वाचोयथा वाचथा िया।िचे वािच ियाया ं चमहता मेकपता॥इदानीम ुत सुभािषत ताय र्म ् एवम ् अि।लोके िविवधाः जनाः भवि- सनाः-द ुजर्नाः च। सनाना ं िवचारः यः भवित सा एव वाणी भवित यथा िवचारः भविततथा वाणी भवित-यथा वाणी भवित तथा तेषा ं वहारः भवित- ते यथा िचयि तथैव वदि- यथा वदि तथैव वहारेआचरि- अतः सनाना ं िवचारः वाणी अनरं वहारः च समानाः भवि। एतएव सनाना ं लक्षणः अि।यिद तपं करोित तिहर् मोक्षं ाोित। यिद तप करब तँ मोक्ष ा होएत।अहं दशवाद िना ं करोिम। हम दस बजे सुतैत छी।षड्वाद उिािम। छःबजे उठैत छी।अहं दशवादनतः षड्वादनपय र्ं िना ं करोिम। हम दसबजेसँ छः बजे धिर सुतैत छी।भवान ् कदा िना ं करोित। अहा ँ कखन सुतैत छी।भवान ् कदा अयनं करोित। अहा ँ कखन अयन करैत छी।भवती कदा ीडित। अहा ँ कखन खेलाइत छी।गजे िदनचरी०५०० – ०६०० योगासनंअयनम ्ानम ्प ूजाजलपानम ्65


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ अगस्त २००८ (वषर् १ मास ८ अंक १५)http://www.videha.co.in/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्गृहकाय र्म ्िवालयःीडाअासःभोजनम ्१००० िनासोमवासरतः शुवासरपय र्ं िवालयः अि।सोमिदनसँ शुिदन धिर िवालय अिछ।फेुअरीतः मईमासं पय र्ं िवालयः अि। फरबरीसँ मई मास धिर िवालय अिछ।भारतदेशः काकुमारीतः कीरपय र्म ् अि। भारतदेश काकुमारीसँ कीर धिर अिछ।राजधानी एस िदीतः मुईनगर ंपय र्म ् गित। राजधानी एस िदीसँ मुइ धिर जाइत अिछ।धवादः। पुनिम र्लामः। धवाद। फेर भेँट होएत।सुरः कु अि। सुर कतए अिछ।आगत् ीमन ्। आऊ ीमान ्।जानाित-कः समयः। जत छी- की समय अिछ।कु गतवान। कतए गेलाह।साध र् पंचवादनम ्। एतावत कालपय र्म ्। साढ़◌े पा ँच। एखन धिर?िकं कुव र्न ् आसीत्? की करैत छलहु ँ?अैव आसन ्। ीमन ्। बिहः। एतिह छलहु ँ। ीमान ्। बाहरमे।हतं मा वदतु। झ ूठ निह बाजू।कदा काया र्लयं आगतवान ्। कखन काया र्लय अएलहु ँ?साध र् नववाद। साढ़◌े बजे।तदा िकं कृतवान ्? तखन की कएलहु ँ?ता ं कृतवान ्। साफ-सफाई कएलहु ँ।कदा। कखन?66


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ अगस्त २००८ (वषर् १ मास ८ अंक १५)http://www.videha.co.in/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्नववादनतः साध र्नववादनपय र्म ्। बजेसँ साढ़◌े बजे धिर।ततः िकं कृतवान ्। तकर बाद की कएलहु ँ?ततः साध र्एकादशवाद चायपानाथं र् गतवान ्। तकर बाद चाहपािनक लेल गेलहु ँ।ततः कदा आगतवान ्। तकर बाद कखन अएलहु ँ?सपादादशवाद। सबाबारह बजे।तैव साध र्एकादशवादनतः साध र् ादशवादनपय र्म ् अिप चाय ं पीतवान ् वा। तकर बाद साढ़◌े एगारह बजेसँ साढ़◌े बारह बजे धिरसेहो चाहे िपबैत रहलहु ँ की?ततः िकम ् कृतवान ्? तकर बाद की कएलहु ँ?िवादनतः िवादनपय र्ं भोजनिवरामः तदा भोजनं कृतवान ् खलु। द ू बजेसँ तीन बजे धिर भोजनिवराम छल तखन भोजनकएलहु ँ निञ?आम ् सम ्। हँ ठीक।िवादनतः चतुवा र्दनपय र्ं ािन एव िमा कृतवान, ् उा िवहार ं कृतवान ्। तीन बजेसँ चािर बजे धिर िमत कएलहु ँ, उानिवहार कएलहु ँ।तथा व ीमन ्। िवादनतः चतुवा र्दनपय र्ं पािण संिचकाषु ािपतवान ्। तेना निञ अिछ ीमान ्। तीन बजेसँ चािर बजे धिरपसभ संिचकामे रखलहु ँ।सव र्मिप जानािम। सभटा जत छी।ारा ं अहं साध र्नववादनतः भवान ् िकं िकं करोित इित अहम ् एव परीक्षा ं करोिम। कािसँ हम साढ़◌े बजेसँ अहा ँ की कीकरैत छी ई हम अपसँ िनरीक्षण करब।यिद आलं दश र्िस तिहर् उोगात् िनासयािम। यिद आल देखायब तँ रोजगारसँ हम िनकािल देब।गतु। जाऊ।भवु ितिदनं योगासनं के के कुवि। र् अहा ँमे सँ के के सभ िदन योगासन करैत छी।अहं करोिम। हम करैत छी।भवान ् करोित। अहा ँ करैत छी।अवं करोतु। अव क।अार ितिदनं योगाासं करोतु। आइसँ शु कए सभिदन योगाास क।अार माु। आइसँ निह।ःआर योगासनं करोतु। कािसँ शु कए योगासन क।अार भवः िकं िकं कुवि। र् आइसँ आर कए अहा ँ सभ की की करब।अहम ् अार अिधकं न ीडािम। हम आइसँ बेशी निह खेलाएब।67


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ अगस्त २००८ (वषर् १ मास ८ अंक १५)http://www.videha.co.in/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्अहम ् अार आलं जािम। हम आइसँ आल ािग देब।अहम ् अार सं वदािम। हम आइसँ आल ािग देब।अहम ् अार योगासनं करोिम। हम आइसँ योगासन करब।परः आर। स ूसँ आर कए।अहम ् अजर्नकृते ु चमष ं ददािम। हम अजर्नकलेल ु चच दैत छी।अहं यती कृते सुधाखं ददािम। हम अजर्नक ु लेल च◌ॉक दैत छी।अहं जय कृते कारयानं ददािम। हम जयक लेल कार दैत छी।अहं िविदशायाः कृते द ूरवाणीं ददािम। हम िविदशाक लेल टेलीफोन दैत छी।अहं पिका ं ददािम। हम पिका दैत छी।भवः मम कृते िकं िकं यि। अहा ँसभ हमरा लेल की की दए रहल छी।अहं िशिक्षकायाः कृते चमष ं ददािम। हम िशिक्षका लेल चच दैत छी।अहं भवाः कृते पिका ं ददािम। हम अहा ँक लेल पिका दैत छी।जय-जय कृते। जय-जयक लेल।िविदशा-िविदशायाः कृते। िविदशा-िविदशाक देल।लता गोपाल कृते मध ुर ं ददाित। लता गोपालक लेल मध ुर दैत अिछ।लता िशक्षक कृते पुकं ददाित। लता िशक्षकक लेल पुक दैत अिछ।लता पुायाः कृते स ूचना ं ददाित। लता पुाक लेल स ूचना दैत अिछ।लता भिगाः कृते धनं ददाित। लता बिहनक लेल धन दैत अिछ।लता ीमाः कृते उपायनं ददाित। लता ीमितक लेल पिहरना दैत अिछ।लता िम कृते संदेश ं ददाित। लता िमक लेल संदेश दैत अिछ।माता पु कृते िकं िकं ददाित? माता पुक लेल की की दैत छिथ?क कृते िकं िकं यि? ककरा लेल की की दैत छिथ?अहं यथा करोिम भवान ् तथा करोतु। हम जेना करैत छी अहा ँ तेना क।अहं िलखािम। हम िलखैत छी।िविदशे आगतु। िविदशा आऊ।अहं यथा िलखािम तथा िलखित वा। हम जेना िलखैत छी तेना िलखब की।68


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ अगस्त २००८ (वषर् १ मास ८ अंक १५)http://www.videha.co.in/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्आम ्। हँ।िलखतु। िलखू।अहं यथा िलखािम तथा िविदशा िलखित। हम जेना िलखैत छी तेना िविदशा िलखैत छिथ।चैा उितु। चैा उठू।अहं यथा वदािम तथा भवती करोित वा। हम जेना बजैत छी अहा ँ तेना करब की?क्षीरः हृतु। कुयनं करोतु। खीरकेँ हाथसँ डोलाऊ।उपं सक करोतु। चा ठीक क।कणं र् ृतु। कान श र् क।कािलदासः यथा कां िलखित तथा कोिप न िलखित। कािलदास जेना का िलखैत छिथ तेना ो निह िलखैत छिथ।यथा िचकारः िचं िलखित तथा कः िलखित। जेहन िचकार िच बनबैत छिथ तेहन के बनबैत छिथ।यथा िचा अिभनय ं करोित तथा यतीः न करोित। जेहन अिभनय िचा करैत छिथ तेहन यती निह करैत छिथ।अहं वाय ं वदािम। भवः यथा तथा योजयि।रमा गीतं गायित। गीता अिप गायित।रमा गीत गबैत छिथ। गीता सेहो गबैत छिथ।यथा रमा गीतं गायित तथा गीता अिप गायित।जेना रमा गीत गबैत छिथ तेना गीता सेहो गबैत छिथ।भीमः खादित। कृः न खादित।यथा भीमः खादित तथा कृः न खादित।जेना भीम खाइत छिथ तेना कृ निह खाइत छिथ।सुरेशः िचं िलखित। रमेशः अिप िचं िलखित।सुरेश िच बनबैत छिथ। रमेश सेहो िच बनबैत छिथ।यथा सुरेशः िचं िलखित तथा रमेशः अिप िचं िलखित।जेना सुरेश िच िलखैत छिथ तेना रमेश सेहो िच िलखैत छिथ।नतर्की न ृं करोित। भवती न ृं करोित।नतर्की न ृ करैत छिथ। अहा ँ न ृ करैत छी।69


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ अगस्त २००८ (वषर् १ मास ८ अंक १५)http://www.videha.co.in/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्यथा नतर्की न ृं करोित तथा भवती न ृं करोित।जेहन नतर्की न ृ करैत छिथ तेहन अहा ँ न ृ करैत छी।कथारामपुरे सुं शास्ी इित कन ् गृहः आसीत्। त पी शाा। तद्ौयो अिप सव र्दा अिप कलहः कुतः । एतेन ्पार्गृहाः सवे र् बहुकः अभवि । एकदा तम ् ाम ं कन ् योगीरः आगतवान ्। सः िसिम ् ावान ् इित वाा र् सव र्ुता। तदा शाा त गा योगीर ं दृवती। सा वदित- भोः महान ्। अाकं गृहे सव र्दा कोलाहलः भवित। एतेन ्अहं बहुकम ् अभवािम। पाेर् सवे र् जनाः माम ् उपहसि। अतः एत िनवारणं कृपया वदतु। तदा योगीरः िनमीिकं िचत् कालम ् उपिववान ्। अनरम ् उवान ्- भे िचा ं न करोतु। एत पिरहारम ् अहं वदािम। अहं भवै िदं जलंददािम। भवती गृहं गा एतद ् जलं पुः आगमनात् प ूव ं र् मुखे ापिया उपिवशतु। अनरं योगीरः जलं दवान ्। शाागृहं गतवती। पुः आगमनात् प ूव ं र् जलं मुखे ापिया उपिववती। साय ंकाले सुमः सवािण र् कायािण र् समा गृहम ्आगतवान ्। यदा गृहम ् आगतवान ् तदा शाा तै पानीय ं दवती। पानीय ं पीा सः कोपेन ् उवान ्- एतद ् िकं पानीयम ्- एतद ्पातुम ् एव न शते। अनरं सः बिहः गतवान ्- उपिववान ्। यिप शाायाः कोपः आगतः तथािप सा मौनम ्उपिववती- यतः ताः मुखे योगीरेण दं िदं जलम ् आसीत्। एवमेव कािनचन ् िदनािन अतीतािन। तेषा ं गृहे कोलाहलःएव न ुयित । एतेन ् पार् गृहाः सवे र् संतोषम ् अभवि । एक मासानर ं योगर ं दं जलं समाम ्। अनर ं शाायोगीर समीपं गतवती- उवती- भोः ामी। जलं सव ं र् समाम ् अि। अतः पुनः िदं जलं ददातु।तदा योगीरः महासप ूव र्कम ् उवान ्- मया दं जलं सामां जलम ् एव। भवती यदा जलं प ूरिया उपिवशित तदा िकमिपवुम न शोित । एतेन भवाः पितः अिप िकमिप वुं न शोित । यथा एकेन ् हेन ् करतारणं न भवित तथा एकेन ्अिप कलहं न कतुर् ं शते। तथा एव अहं ः, अहं याम ् इिप धा र् अिप न भवित। एतेन ् गृहे शािः भवित।योगीर एतद ् वचनं ुा संतुा शाा गृहं ागतवती।(अवतर्ते)िमिथला कला(आ ँगा)िचकार- तूिलका, ाम-पुर, भाया-आा-ठाढ़◌ी, िजला-मध ुबनी।एक बेर कुबेर कोनहुना लीकेँ पीक पमे ा कए लेलि आऽ हुनका लेल समुमे एकटा’ कोवर’ घर ब रहिथ।कोबर िचमे पुरैनक पात, पुित बा ंस, मत्,सा ंप, काछु, नवह, श ंख आिदक योग होइत अिछ। धारावािहक पे ं िविभकारक कोबरक िच देल जायत। एिह अंकमे कोबर (पुरैन) देल जाऽ रहल अिछ।70


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ अगस्त २००८ (वषर् १ मास ८ अंक १५)http://www.videha.co.in/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्अवतर्ते)ड◌ॉ फु कुमार िसंह ‘ मौन’ (1938- )- ाम+पो- हसनपुर, िजला-समीपुर। पाल आऽभारतमे ाापन। मैिथलीमे १.पालक मैिथली सािहक इितहास(िवराटनगर,१९७२ई.), २.ाम(िरपोता र्ज दरभंगा १९७२ ई.),३.’ मैिथली’ ैमािसकक सादन (िवराटनगर,पाल १९७०-७३ई.), ४.मैिथलीक नागीत (पटना, १९८८ ई.), ५.पालक आधिनकुमैिथली सािह (पटना, १९९८ ई.), ६. मच चयिनत कथा, भाग- १ आऽ २ (अवाद), ७. वाीिकक देशमे (महनार, २००५ई.)। मौन जीकेँ सािह अकादमी अवाद पुरार, २००४ ई., िमिथला िवभूित सान, दरभंगा, रे सान, िवराटनगर, पाल,मैिथली इितहास सान, वीरगंज, पाल, लोक-संृित सान, जनकपुरधाम,पाल, सलहेस िशखर सान, िसरहा पाल, प ूवो र्रमैिथल सान, गौहाटी, सरहपाद िशखर सान, रानी, बेगूसराय आऽ चेतना सिमित, पटनाक सान भेटल छि। वतर्मानमेमौनजी अपन गाममे सािह शोध आऽ रचनामे लीन छिथ।71


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ अगस्त २००८ (वषर् १ मास ८ अंक १५)http://www.videha.co.in/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्भारतीय देवभावनाक उव एव ं िवकासक अम शास्-पुराणमे अिभंिजत अिछ, जकर क्ष दश र्न िमिथला ंचलमे ा देवी-देवताक ऐितहािसक मितर् ू सभमे होइछ। एकटा (आिद, पर)क पिरकनासँ सि ृ संभव निह। अतः माकअवधारणाक ज भेल, मुदा ओऽ संयु अथा र्त् अध र्नारीरक पमे पैकित भेलाह।, जे कुसीर् निदयामी (बेनीपुर, दरभंगा/राजनगर, मध ुबनी) गामक अघोिषत ाचीन मितर्ू संहालयमे संरिक्षत अिछ। एिह षटभुजी र मितर्क ू वाम भाग नारीक एव ंदिहन भाग पुषक अिछ। एिह षटभुजी र मितर्क ू वाम भाग नारीक एव ं दिहन भाग पुषक अिछ। िहनक हाथ सभमेिदेव (ा-िवु-महेश)क आयुध व उपकरण सभ शोिभत अिछ- अक्षमाला, िशल ओ वरमुदा एव ं पोथी, गदा ओ भयमुा।मुदा सिक ृ लेल पाथ र्क आवकता अभूत कएल गेल। फलतः देवप ा-िवु-महेश (िदेव)क पिरकना म ूतर् कयलगेल। भी (बहेड़◌ी, दरभंगा)क िमितर्ू एकर उृ उदाहरण अिछ। आलो िमितर्क ू मु प ाक िथक।पिवासमे दाढ़◌ी, हाथमे अक्षमाला ओ कमलु, यज्ञोपवीत, मुकुट ओ वाहनक पमे हंस उीण र् अिछ। मितर् ू चतुभुर्जी अिछ।भीक िशवमिरमे पिजत ू आलो मितर्ू यिप म ूलपमे ाक अलावा िशव ओ िवुक तीकसँ अलंकृत अिछ। िमिथला ंचलमेाक प ूजा ायः विजर्त मानल गेल अिछ, तथािप ा भी (दरभंगा) ओ िवथान (समीपुर)मे अविश छिथ। भारतीयितमा िवज्ञानमे काणसुर (िशवपाव र्ती पिरणय)क मितर्मे ू ा पुरोिहतक पमे उीण र् छिथ।संयु मितर्क ू एिह पररामे हिरहर (िवु-िशव)क उेख आवक अिछ। मितर्क ू दिहन भागमे िशव ओ वाम भागमे िवु उीण र्भेल छिथ। िशवक अा र्क स ूचक अिछ जटा, िश ूल ओ नाग एव ं अा र् िवु बोधक िकरीट, च ओ श ंख अिछ। हिरहरक सवां ग र्सुर ओ अक्षत पालकालीन र ितमा वाीिकनगर (पाल िदस) एव ं हिरहर (सारण)मे संरिक्षत अिछ। श ैव ओ वैवसम्दाय म समयक एकटा उपम बिन गेल हिरहरक पिरकना। हिर ओ हर वुतः एके छिथ- “भल हर, भल हिर, भलतुअ कला। खनिह पीतवसन, खनिह बघछला”। हिरहर संगम तीथ र् बनल अिछ। एिह ठाम ितवष र् काितर्क पिण ू र्माकअवसरपर िवशाल मेला लगैत अिछ। पौरािणक कथाक असार एिहठाम गज-ाहक संघष र्क अंत िवुक हाथे भेल छल। एवंकारे िमितर्क ू पिरकनामे तीकाक त िनिहत अिछ- स ृजन, पालन ओ संहारक शि। चाय, र् गाहर् ओ संासक संग-संगसािक राजसी ओ तामसी विक ृ समय। तिहना हिरहरक पिरकनाक प ृभूिममे अिनिहत र् अिछ साम्दाियक साव, जे ओिहयुगक लेल अिनवाय र् बिन गेल छल। साम्दाियक िवखनसँ सामािजक एकता खित होइत अिछ।आलो िदेवमे देवािधदेव महादेव िशवक ान सवो र् अिछ। िशवक पुरातािक सव र्ाचीन अवशेषक पमे मोहनजोदड़◌ोकपशुपित िशव अिछ, जे सम जीव-जुक अिधपित बनल छिथ। िशवकेँ गाहर् जीवनक अिधाता मानल गेल अिछ, फलतः ओसम गृह लोकिनक प ू बनल छिथ। िहनक लीला िवार पुराण-सािहक अितिर भारतीय मितर्कलामे ू सेहो देखना जाइछ।श ैव पिरवारमे िशवक अलावा पाव र्ती, गश ओ काितर्केय सेहो शास् ओ लोकपिजत ू बनल छिथ। िदेवमे मा िशवक गाहर्जीवनक एकटा िवलक्षण अवधारणा बनल अिछ। िशव औघरदानी छिथ, काणकारी देवता छिथ एव ं कालासार लय ंकर िशव अंताचीन एव ं िमिथला ंचलक सविय र् देवता छिथ। ओना तँ िशवक पिरकना वैिदक िथक तथािप िशव-शिक गौरवगान श ैव पुराणसभमे िवशेष पेँ भेल अिछ। तदसार िशव पक पिरकना ाचीन मुदा अिहमे क्ष पे अंिकत अिछ। कुषाणराजवसुदेवक मुापर िशव ओ हुनक वाहन व ृषभ उीण र् अिछ। िहनक सौ ओ रौप द ुन ू ंिकत अिछ। माथपर चमा, हाथमेिश ूल, िपनाक व डम, ि, बघछला, ाक्ष, नागभूषण, व ृषभ वाहन आिद िविश पिहचान बनल अिछ। हुनक सौ पकाणसुर, लिलतप उमामाहेर ओ रौप महाकालमे अिभंिजत अिछ। िशव न ृ देवता नरेशक पमे सेहो िवछिथ। नटराज िशवक एकटा िवलक्षण पालकालीन र मितर्ू तारालाही (दरभंगा)मे पिजत ू अिछ। एिह मितर्मे ू नटराज िशवदैपु अपारक कापर ठाढ़ भऽ न ृरत छिथ। चतुभुर्जी िशवक उपरका द ुन ू हाथमे गजासुरक वध िनिद र् अिछ। गजकपीठपर गश आसीन छिथ। शेष चािरटा हाथमे िश ूल, डम ओ न ृमुा सिचत ू अिछ। एिह तरहक एकटा पालयुगीन रमितर् ू पपौर(िसवान)मे सेहो हम देख छलहु ँ। मितर् ू साढ़◌े चािर फीटक अिछ।मकालीन पिरवेशमे श ैव ितमामे सवािधक र् लोकियता उमा-माहेरकेँ ा भेलैक। एिह तरहक मितर् ू सभ िमिथला ंचलक भीठ-भगवानपुर, रौल राजेर, बाथे, महादेवमठ, ितरहुता, सौराठ, भोजपरौल, वनवारी, गाीवेर, कोथ, र् िसमिरया-िभी, डोकहर,म ंगरौनी ओ वसुदेवामे ा अिछ। एिह मितर्मे ू उमा(पाव र्ती) िशवक वाम जा ंघपर बैसल छिथ। िशव वाम हाथसँ उमाक आिलंगनकऽ रहल छिथ। िशवक दिहन हाथमे िश ूल ओ वामहाथसँ देवीक वाम अंगक श र् कऽ रहल छिथ। पाठपीठमे िशव-पाव र्तीकवाहन मशः व ृषभ ओ िसंह िवामक िितमे उीण र् अिछ। संभवतः एिह मितर्क ू पिरकना श ंकराचाय र्क सासक िवपरीतगृहाम िदस उत्िरत करैत अिछ।पाव र्तीक अिभिशन तँ पेँ सेहो भेल अिछ। फुलहर (िगिरजा ान, मध ुबनी), िमरजापुर (दरभंगा) ओ भरवारी (समीपुर)क मिर सभमे ािपत ओ पिजत ू िगिरजा वुतः पाव र्तीक ितरोप छिथ, जािहमे फुलहर ओ िमरजापुरक िगरीजाक मकालीनर ितमा सभक पार्मे गश ओ काितर्केय सेहो ितित छिथ। दप र्ण िगिरजाक िविश पहचान बनल अिछ। िकछु उमा-माहेरक ाचीन ितमामे सेहो पाव र्तीक हाथमे दप र्ण सुशोिभत छिन। दप र्ण ृ ंगार स ूचक तीक अिछ। सभटा मितर् ू ानकमुामे बनल अिछ एव ं नख-िशख िविभ आभूषणसभसँ अलंकृत अिछ। मितर्मे ू गश ओ काितर्केयक उपिित हुनक वा बोधकअिछ। दरभंगाक िमरजापुर मोहामे अवित एव ं ेमद र्नीक पे लोकात ई , मितर्ू सवांग र् सुर ओ कलाक अिछ।72


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ अगस्त २००८ (वषर् १ मास ८ अंक १५)http://www.videha.co.in/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्फुलहरक िगरीजा पेँ पिजत ू पाव र्तीक िवशेष प ूजा जानकी करैत छलीह। ’ रामचिरत मानस’ क फुलवारी संगक अपेँिगरीजा आइयो कुमारी का लोकिनक अभी बनल छिथ।िशव-पाव र्तीक तीकप ूजन जलढरीमे अवित िशविलंगक पमे सेहो लोकचिलत अिछ। मुदा िशविलंगमे पाव र्तीमुखकअिभिशन एकमुखी िशविलंग अथवा गौरीश ंकरक पेँ अिभज्ञात अिछ। एकमुखी िशविलंगक सव र्ाचीन र मितर्ू (कुषाणकालीन)चीान (अरेराज, प. चारण) मे हम देख छलहु ँ। एकमुखी िशविलंग जमथिर (मध ुबनी), हाजीपुर (वैशाली), आिदक अितिरचतुमुर्खी िशविलंगक गुकालीन ितमा कन छपरा ( अिभलेखयु, वैशाली)क अलावा बिनया ँ (वैशाली)क पालयुगीन चतुमुर्खीिशविलंगक पररामे अरेराज (प.चारण)क िशवमिरमे चतुमुर्खी पशुपित िशविलंग संपिजत ू अिछ। एर गढपुरा (बेगुसराय)कमिदरमे ं एकटा ाचीन चौमुखी महादेवक लोकप ूजन पररीत अिछ।िशविलंगक पिरकना ोितिलंग (ादश ोितिलंग), र् एकादश (म ंगरौनी), सहमुखिल ंग (कटहिरया, वैशाली/ वारी, समीपुर)कअितिर िवशाल िशविलंग (ितलकेर, दरभंगा/ चेचर, वैशाली), घिण ू र्त, िशविलंग (जमथिर, मध ुबनी) आिद सिचत ू अिछ। कुशजजनक ारा ािपत कुशेर, सीरज जनक ारा ितािपत ितलकेर, किपल ारा ािपत किपलेर, िवदेरक अंकुिरतिशविलंग, अरेराजक सोमेरनाथ, कलनाक कार िशव, ऋिषश ंग ृ ारा ािपत िसंहेरनाथ, पाल तराइक जलेर आिद िसिशवतीथ र् अिछ, जािहठाम ायः ेक रिववार िशवराि आिदक अलावा सावनमे भिर मास िशवक जलािभषेक होइछ। पिरसरमेिशवभक बोलबमक जयघोष, का ंविरया सभक तीथ र्वास, मेलािद लगैत अिछ। िशवरािक मेला िवशेष महक होइछ। सोजात(अलौलीगढ़, बेगुसराय/ जनकपुर, पाल) मे िशव िशशु पमे ओ पाव र्ती माता पमे उीण र् अिछ, तािक ं मितर्। ू गश यिपिशवपु छिथ, मुदा पंचदेवोपासनामे ओ थम छिथ। को शुभ काय र्क आरमे गश प ूजन कयल जाइछ। िकयेक तँ ओिवनाशक ओ िसि दाता देव मानल जाइत छिथ। मु लक्षण मानल जाइछ-िठगना कद, लोदर, स ूढ़, हाथमे अंकुश (परशु),कलम एव ं लू। हाथ सभक संा चािरसँ बारह धिर मानल जाइछ। ओ ानक लिलतासनमे बैसल अथवा न ृ मुामे िनिम र्तपाओल जाइछ। मिरक वेश ारपर गशक िता देल जाइछ। गशक तं ितमा कोथ, ूर् हावीडीह, भीठ-भगवानपुर,सौराठ, देकुली, फुलहर, किरयन, भोज परौल, बहेड़◌ा, भी, िवु बआर, लहेिरयासराय, रतनपुर आिद ान सभमे प ूजलजाइत छिथ। माता िशशुक पमे पाव र्तीक गोदमे िशशु गशक अलावा गशक मितर् ू ली (ली गश, िदपावली)क संग ओमिहषासुरमिद र्नी द ुगा र् (पाव र्ती पा)क पर् देवताक पमे संरचनाक लोकपररा अिछ। िवजयादीक अवसरपर पररासँ बतमिहषासुरमिद र्नी द ुगा र्क पार्देवता गश ओ काितर्केय मानल जाइत छिथ। काितर्केयक तं र ितमा सभ (पालयुगीन)बसाढ़ (वैशाली) एव ं वसुआरा (मध ुबनी)क मिरसभमे ितित एव ं पिजत ू अिछ। काितर्केय युक देवता मानल जाइत छिथ।िहनका ओ महासेनक पमे सेहो जानल जाइत छिन। काितर्केयक मितर्मे ू मोरक वाहन एव ं हाथमे बरछी (श ूल)क िवधानअिभिहत अिछ। द ुन ू र ितमा पाल कलाक कलाक ितमान अिछ। पुवध र्नमे काितर्केयक मिरक उेख सेहो ाहोइछ। पुवध र्नक भौगोिलक पिहचान पिण ू र्या ँक(जनपदक)सँ कयल गेल अिछ।िशव पिरवारक एकटा िवशाल संगमम र्र मितर्ू लालगंज (वैशाली)क िशवमिरमे ािपत एव ं पिजत ू अिछ। व ृषभक पीठपर िशव-पाव र्ती आसीन छिथ। गश ओ काितर्केय अपन माता-िपता (िशव-पाव र्ती)क गोदीमे बैसल छिथ। िश ओ श ैलीमे आलो मितर्ूिवलक्षण अिछ। िशव पिरवारक एकटा आर देवता छिथ भैरव, जिनक आकृित भयानक, बढ़ल पेट, गरामे मुमाल, नागाभूषण,हाथमे िश ूल आिद शोिभत अिछ। भैरवक िवशाल र मितर् ू विठया (भैरव बिलया, सकरी, दरभंगा)मे पिजत ू अिछ। भैरवालमुकुट पिहर छिथ। एिह भैरव मितर्क ू दोसर ित भमरलपुर संहालयसँ ा भेल अिछ। भैरवकेँ िशवक रौप कहलगेल अिछ। पाल उपका (काठमाू)मे भैरवक मितर्सभक ू अक कार देख छलहु ँ- आकाश-भैरव, पाताल भैरव, कालभैरव, उ भैरव आिद। कुमारी का लोकिनक हेतु उ भैरवक प ूजन विजर्त अिछ। िशवक काशीमे वच र् छिन (िवनाथ)तँ भैरवक वच र् ितरहुतमे मानल गेल अिछ। काशीकेँ िशव अप रखलिन, भैरव ितरहुत देल। िमिथला ंचलमे िशव भिकपमे नचारी गान ओ नर्नक िवधान अिछ। मैिथलीमे बहुतरास नचारी रचल गेल। आइ अकबरीमे नचारी गानक उेख ाहोइछ। नचारीक एकटा अथ र् भेल- लचारी, अथा र्त् नचारी गीतसभमे द ुख-दैक भाव अिभंिजत अिछ। दोसर अथ र् भेल न ृकआचारसँ संविलत गीत अान। नचारी गयिनहार डमक संगे नािच-नािच कए गबैत छिथ। गीत ओ न ृ एकटा आािनक कृिथक। भिपरक गीतसभमे नचारीक ान िविश अिछ। “संगीत भार”क असार “गीतं वां तथा न ृं यं संगीतमुते”अथा र्त् गीत, नृ ओ वा िमलकए संगीत सिजत ृ होइछ। जँ एिहमे नाक समावेश कए देल जाय तँ एिह कारक सा ंगीितकरचना कीतर्िनया ँ बिन जाइछ। “हरगौरी िववाह” (जगोितम र्) िशव-भि िवषयक एकटा सा ंगितक रचना िथक जािहमे नचारी गीतसेहो ितिनत अिछ।73


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ अगस्त २००८ (वषर् १ मास ८ अंक १५)http://www.videha.co.in/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्अुितक असार िशव िमिथला ंचलक सव र्लोकिय देवता छिथ। गामे-गाम िशवक प ूजन होइत अिछ। ओ ागेितहािसक,पौरािणक ओ लोकदेवता छिथ। शास्, पुराण, तं, योग आिद ंथसभमे िहनक माहा ओ दश र्न पाओल जाइछ। श ंकराचाय र्ारा ािपत ोितिलंगसभक िवशाल भारतक धािम र्क एकताकेँ रेखािकत ं करैत अिछ, तिहना काशी ओ िमिथलाक पिरकितपिरमाक अवधारणा आलो िशवकेँ मिहमाम ंडन करैत अिछ।िशवक पात् िवुप ूजनक धानता िमिथला ंचलमे अिछ। तिषयक पुरातािक माणप ाप (मिदर) ं ओ मितर्सभ ू एिह िवशालभूभागमे उपल अिछ। एिहठामक जनजीवनमे वैवधिम र्ताक साक्षात् दश र्न पंचदेवोपासनामे िवुप ूजन भी िपुक संगेचन ितलक, रामनवमी, िववाह-पंचमी, जामी, सनारायणप ूजा आिद वैवधमीर् अान, चतुःश ंख अिरपन, अदल अिरपनकिवास, वैवधमीर् कीतर्िनया नाच आिदमे होइत अिछ। गुकालमे वैव धम र्केँ राजकीय संरक्षण ा भे ओ अपन उष र्परछल। तुगीन वैवधमीर् पुराणसभमे िहनक मिहमा म ंडन भेल अिछ। िवु िभुजीसँ चतुभुर्जी भेलाह। समुम ंथनसँ ालीकेँ हुनक सेवामे लगाओल गेलिन। लीनारायणक पिरकना कयल गेल। शेषशायी िवुक पिरकनाकेँ र िशमेउीण र् कयल गेल। दशावतारक मिहमा म ंडनक ममे वराह अवतार ओ नरिसंह अवतारक मितर्सभ ू अपेक्षाकृत बेसी पाओलजाइछ। गु राजा लोकिन वराह अवतारक मामे प ृी (साा) उारक पेँ तीिकत कयलिन। िमिथला ंचलमे वराहअवतारक एकटा मकालीन सुर र मितर् ू ितलकेरगढ़ (दरभंगा)सँ ा भेल अिछ, जे सम्ित चधारी राजकीय संहालय(दरभंगा)मे संरिक्षत अिछ। तिहना नरिसंह अवतारक अिभिशन द ुदलनक संदभर्मे कयल गेल, मुदा िमिथला ंचलसँ एिह तरहकमितर्ू अा अिछ। िमिथला ंचलमे गु शासनकालसँ पाल-सेन ओ कणाट र् काल धिर वैवधमीर् मितर्ू सभक िनमा र्ण ओ िता ापकपेँ कयल गेल। पालव ंशी राजा लोकिनक शासनकालमे यिप सव र्धम र् समभावक (बौमितर्ू अिभिशनक कार) धानता छल,मुदा सेन ओ कणाट र् शासन कालमे वैव धम र्केँ धािम र्क नवजागरणक पमे ीकार कयल गेल अिछ। जयदेव, चैत, िवापित,चीदास, श ंकरदेव आिद एिह सा ंृितक युगक साक्षात् वैवधमीर् चेतना पुष छलाह, जिनका मामे जनजीवन धिर आोिलतभेल।िवुक उेख वेदमे पाओल जाइछ। मुदा पिह ओ स ूय र्क एकटा प छलाह। पाछा ँ चिल कए एकटा मुख देवता बिन गेलाह।बसाढ़ (वैशाली)क पुरातािक उननसँ ा एकटा मािटक मोहरपर उीण र् िश ूलक अगल-बगलमे श ंख ओ च उीण र् अिछ, ईिनसंदेह िवु तीक िथक। सवतः ओ िशव ओ िवुक साहचय र्क साव तीक अिछ। एकटा दोसर मोहरपर उीण र् वेदीपरराखल चक द ुन िदस ू श ंख उीण र् अिछ, जे िनसंदेह वैवधमीर् तीक अिछ। ई सभ गुकालीन पुरावशेष अिछ। िवुक मितर्ूिविभ आकार-कारमे बनल िमिथला ंचलमे ा होइछ।, जािहमे िभुजी िवुक एक हाथमे श ंख ओ दोसर वर मुामे अिछ।एिह पमे लोकपाल कहल जाइछ। एिहतरहक एकटा िवशाल िवुमितर्ू ितरहुतक कणा र्टकालीन राजधानी िसमरौनगढ़ (पालतराइ)मे ा अिछ। िसमरौनागढ़मे िवुक बहुतरास आदमकद चतुभुर्जी ितमा सभ कं काली मिरक पिरसरमे राखल अिछ।िवुक माथपर िकरीट ओ हाथसभमे श ंख, च, गदा ओ प छाजीत छिन।िमिथला ंचलमे चतुभुर्जी िवुक पाल, सेन ओ कणाटकालीन र् पाठरक मितर्सभ ू हुलासपी, भीठभगवानपुर, अरा ठाढ़◌ी, िबदेर,भवानीपुर, िजतवारपुर, जयनगर, नरार, अकौर, हावी भौआर, हावीडीह, पोखराम, लदहो, रखवारी, कनहई, कोथ, र् सोनहद,वोरवा, तुमौल, हरा, कुसो र् निदयामी, मदरीया, केवटी, भैरव बिलया, बसुदेवा, हाजीपुर, सोनपुर, सेहान आिदक अितिरसा ंृितक िमिथला ंचलक सीमा वाीिकनगर (पाल तराइ) मे बहुतरास आदमकद िवु मितर्ू सभ ा भेल अिछ।संाक ओ गुणाक दृिसँ िवुक सवािधक र् ाचीन र मितर्ू सभ िमिथला ंचलक अकौर पाल तराइक समरौनागढ़ ओवाीिकनगरमे ा अिछ, जािहसँ ई िनष र् िनकालल जा सकैछ जे ओ सभ वैवधम र्क मे मुख ल छल। अकौर गाममेिवुक छहटा ाचीन र ितमा सभ सहजेँ उिनत भए ा भेल अिछ। ड◌ॉ. से कुमार झा डुमरा परसा (मध ुबनी)कएकटा िवलक्षण िवु मितर्क ू उेख कय छिथ। चािर फीटक एिह मितर्क ू माथपर िकरीटक ानपर नागफण (साइस)क अलंकरणकयल गेल अिछ, जे शेषनागक तीक अिछ। एिह मितर्क ू रचनाकाल तेरहम चौदहम शताी आ ंकल गेल अिछ। सभटा ितमामेिवु ानक मुामे बनल छिथ ओ हुनक पार्वािहनी पेँ चँवरधािरणी ली ओ वीणाधािरणी सरती उीण र् छिथ। प ूव र् मकालमेवैव धम र् एिह क एकटा लोकिय सम्दाय छल।िवुक एिह परिरत पक ममे िकछु ऐितहािसक िविश मितर् ू िश ा भेल अिछ। पिहल वसुदेवा (िसंिगया, समीपुर)सँा िवुक वासुदेव प। चतुभुर्जी वासुदेवक हाथसभमे अिपुराण (अाय चौवािलस)क असार उपरक हाथसभमे श ंख-च ओिनचलकामे गदा-कमल बनल अिछ। माथपर िकरीट ओ गलामे ठेहुन धिर वनमालाक अलंकरण। मु मितर्क ू पार् भागमे अकदेवी-देवता सभ उीण र् छिथ। दोसर अिछ अवाम (उजान लग, दरभंगा)क शेषशायी िवु (४७” * २६”)। एिहमे शेषशापरिवाम करैत िवुक पैर दािब रहल छिथन ली। नािभसँ िनकलल नाल कमलपर बैसल छिथ ा। तेसर ितमा अिछितलकेर ( दरभंगा)सँ ा वराह िवु (३४”)। वीर भावमे ठाढ़ एिह चतुभुर्जी मितर्क ू चाहाथमे श ंख, च, गदा ओ पकअितिर वाम ंधपर प ृी बैसल छिथ, जिनक उार िवु वराह अवतारक पेँ कयलिन। वराहिवुक पादभागमे नागदेवी सभहाथमे क्ष ओ कमल धय छिथ। वराह अवतारक एकमा तं ितमा एकटा द ुल र्भ ओ ऐितहािसक उपलि मानल जाइछ।74


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ अगस्त २००८ (वषर् १ मास ८ अंक १५)http://www.videha.co.in/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्ितलकेर महादेव मिरक ारखपर कमािदक र् िशलालेख ितरहुतामे उीण र् अिछ। संगमपर ािपत एिह महादेवानमेिशवरािक मेला लगैत अिछ। चािरम िवु-मितर्क ू एकटा ऐितहािसक प सेहान (वैशाली)सँ ा अिछ, जे मकालीन ितरहुतश ैलीमे िनिम र्त मिदरमे ं ािपत ओ पिजत ू अिछ। सेहानक िवु ीरामक पमे पिजत ू छिथ। रामनवमीक अवसरपर एकटा िवशालमेला लगैत अिछ। मितर्ू पालकालीन अिछ। जनुितक असार नरिसंह अवतारक एकटा ान पिण ू र्या ँ िजलाक मािनकथंभ (मािणकंभ) नामक ाममे ा अिछ, मुदा मितर् ू निह अिछ। मुदा किटहार िजलाक वेलंदाक ाचीन िवु मिदर ं अपन जजर्र अवामेा अिछ। एिह तरहेँ वैव धम र्क ाि वाीिक नगरीसँ लऽ कऽ किटहार धिर देखना जाइछ। एिह मे पा ँचम उपलिसोनपुर (सारण)क कालीमिरक भीतमे अवित एकटा मितर् ू फलक गड़वाही िवुक अिछ, जािहमे भगवान िवु गड़पर आढ़भए हिरहरक गजाह युक समापनक लेल गजक आतर्पुकारपर आयल छलाह। सोनपुर हिर (िवु) हर (िशव)क नािमत मानल जाइछ। एवं कारे िमिथला ंचलमे िवुप ूजन अक पमे उपल अिछ।स ूय र् वैिदक देवता ओ िवुक एकटा ितप जका ँ पिजत ू छिथ, मुदा ओ पंचदेवोपासनामे िवशेष पमे ितित छिथ।िमिथला ंचलमे स ूय र्क वैिदक, पौरािणक ओ लौिकक तीक समित प जनमानसपर अंिकत अिछ। स ूय र्क ानक पक पिरकनामुतः कुषाणकालमे म ूतर् भेल। तदसार रथाढ़ स ूय र्क माथपर िकरीट, द ुन ू हाथमे कमल-पु, वाम भागक कमरसँ लटकैततलवार हुनक मु प छिन। कालारमे पार्देवी देवताक अलंकरण सेहो िव छल। पार् देवताक पमे एक िदसदवात ले िपंगल ओ दोसर िदस द ले दी। पैरमे ला ब ूट ओ देह रक्षाथ र् कवच, पैरक आगा ँ बैसल रथवाहक अण।पार्देवीक पमे उषा ओ ूषा उीण र् अिछ। िमिथलंचलमे अक मकालीन स ूय र् मितर् ू सभ बरौनी जयम ंगलगढ़ (बेगुसराय) भीठभगवानपुर (मध ुबनी), अरा-ठाढ़◌ी (कमलािद, मध ुबनी), देकुली, असगा ँव-धम र्पुर (दरभंगा), कुसो र् निदयामी, रखबारी, परसा, भोजपरौल, रतनपुर, िवु बआर, गाीवेर ान, सवास, छरा र्पी, अरई, कोथ, र् हावीडीह, िडलाही, नाहर भगवतीपुर, राजनगर,पन, पटला, जगदीशपुर, देवपुरा आिदक अलावा चकवेदौिलया (बेगुसराय), तैयबपुर (वैशाली) आिद ान सभमे पाओल गेल एव ंओ ितित-पिजत ू छिथ। एिह ऐितहािसक स ूय र् ितमा सभमे िवशेष उेखनीय अिछ- परसा (झंझारपुर, मध ुबनी)क स ूय र् मितर्ू(४८*२४ सेमी.) जे ायः तेरहम सदीक कलाकृित अिछ। ओ पालकालीन अलंकरणसँ बनल अिछ। दोसर िविश स ूय र्म ितर् ू िवुबआर (मध ुबनी)क अिछ, जकरा ादश आिदक संज्ञा देल जाइछ। एिह मितर्मे ू ादश आिद उीण र् छिथ। तेसर िविशस ूय र्म ितर् ू अिछ, देवपुरा (बेनीपी, मध ुबनी) ओ रघेपुरा (दरभंगा)क जािहमे देवपुराक मितर्मे ू उषा-ूषा, द-िपंगलसँ अलंकृततथा रघेपुराक स ूय र्म ितर् ू पालमितर् ू कलासँ िभ िमिथला श ैलीमे िनिम र्त अिछ। ई सभटा स ूय र्म ितर् ू पंच्देवोपासनाक एकटा तीकपमे पोिजत छिथ, यिप जनजीवनमे स ूय र् प ूजा छठीमइयाक पमे पररीत अिछ। िमिथला ंचलक चक वेदौिलया (बेगुसराय)मेएकटा ाचीन स ूय र्मिरक ािसँ ई धारणा बत अिछ, जे ओ तं पेँ सेहो पिजत ू होइत छलाह। काहा सहरसा)मेसेहो एकटा तं ऐितहािसक स ूय र् मिर अविश अिछ। स ूय र् मितर्क ू भावलीमे उीण र् अिभलेख यं अपन ऐितहािसक अिकचच र् करैत अिछ। अिभलेख नरिसंहदेवक अिछ। ओऽ ओइनवार व ंशीय छलाह।पंचदेवोपासनाक म ूलमे भगवती केित छिथ आर िमिथला ंचल शाभूिम अथवा शापीठक पमे साधनाभूिम शताियहुसँ बनलअिछ। िमिथला ंचलमे भगवती अपन अक पमे म ूतर् भए पिजत ू छिथ। वनगा ँव-मिहषीक उतारा, िवराटपुरक ची, धमदाहाककाानी (सहरसा िजलात) क अितिर उैठ, फुलहर (मध ुबनी), किरयन समीपुरक िगरीजा, िमरजापुर-दरभंगाक ेमिद र्नी,कोइलखक भकाली भगवती, वारी(समीपुर)क भगवती तारा, अामा (दरभंगा)क ेमिद र्नी, जरैल-परसौन, कोइलख, भवानीपुर,भािरसम (दरभंगा), भोजपरौल (मध ुबनी), कोथ र् (दरभंगा)क काली, देकुली (दरभंगा)क भगवती, बहेड़◌ी ओ नाहरक मिहषासुरमिद र्नी, कटरा (मुजफ्फरपुर) ओ कोइलख (महुबनी)क चामुा, िसमरौनगढ़ (पाल तराइ) ओ वीरपुर (सहरसा)क कं काली, सखड़◌ाक(पाल तराइ) िछमा एव ं गढ़बआरी (सहरसा) ओ भीठभगवानपुर (मध ुबनी)क दशमहािवामे पिरगिणत देवी सभ ितित ओपिजत ू छिथ। हम पुनामा-तापनगर (नवगिछया)मे वाराहीक एकटा भ, िवशाल ओ तं मकालीन र मितर् ू देख छलहु ँ।भीठ-भगवानपुर ओ गढ़ बआरीक दशमहािवा कणाटकालीन र् कलाकृित िथक। भीठ-भगवानपुर कणाटराजा र् मदेवक राजधानीनगरछल एव ं गढ़वआरी कणाटव र् ंशीय गविरया परमार राजप ूत सभक अिछ। ड◌ॉ. हीरान आचाय र् राजनगर (मध ुबनी)मे सेहोदशमहािवा भगवतीक मिरक स ूचना दे छिथ। दशमहािवाक प ूजोपासना तािक ं िविधयेँ कयल जाइछ। जयनगरक मिरकऊपरी भागमे ीय राखल छल। ात अिछ जे खवला कुलक राजा लोकिन शाधमीर् छलाह। दरभंगा राज पिरसरक ामामिर “िमिथलेश रमेश िचताया ं सुिता’ चिच र्ता साधना पीठ बनल अिछ।िमिथला ंचलक शा साधनामे पिजत ू एव ं ितित अा देवी सभमे गंगा-यमुनाक मकालीन र मितर्सभ ू सेहो उपलअिछ। ओना तँ गंगा-यमुनाक मितर् ू ायः राजकीय ापमे िनिम र्त होयबाक पररा रहल अिछ, अराठाढ़◌ीक कमलािद ानमेराखल भ लीनारायणक अिभिलिखत कणाट र् कालीन र मोितर्क पार्मे गंगा ओ यमुनाक उीण र् मितर्ू अविश अिछ।अिभलेखमे कणा र्ट व ंशक संापक जेना राजा नादेवक शि ीधर िलख छिथ। ठाढ़◌ीक िसि परमेरी भगवतीक लेलसेहो अिछ। गंगा ओ यमुनाक तं र मितर् ू नगर डीह (दरभंगा) ओ बरसाम (मध ुबनी)मे ा अिछ। गंगा मकरवािहनी ओयमुना कप वािहनी पेँ िनिम र्त छिथ। वाम हाथमे कलश छिन एव ं नाना आभूषणसँ अलंकृत अिछ।75


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ अगस्त २००८ (वषर् १ मास ८ अंक १५)http://www.videha.co.in/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्शा भूिम िमिथला ंचलसँ भगवतीक र मितर्सभ ू उैठ (मध ुबनी), भोज परौल (मध ुबनी), भंडािरसम (दरभंगा) ओ वारी(समीपुर)सँ ा भेल अिछ। उैठक भगवतीक एका साधक कािलदास छलाह। मितर् ू (३३”) चतुभुर्जी अिछ। वाम हाथ सभमेिश ूल ओ अमृतकलश एव ं दिहन हाथमे दप र्ण (कमल पुाकार) ओ लघ ुपा अिछ। िसर, गला, कान, बािह, ँ कलाइ, कमर ओ पैरआिद आभूषण सभसँ अलंकृत अिछ। देहमे यज्ञोपवीत ओ वाहनक पमे िसंह उीण र् अिछ। भगवती कमलासनपर आसीन छिथ।भोज परौलक भगवतीमितर्ू (३५”) उैठक भगवतीक समतु अिछ। भगवतीक तेसर र मितर्ू भंडािरसम (दरभंगा)कमिरमे ितित अिछ। एिह चतुभुर्जी मितर्क ू (४८”) दिहन हाथमे ख अिछ। भगवती कमलपुपर लिलतासनमे बैसल छिथ।पादपीठमे िसंह उीण र् अिछ। आर सभटा िवास प ूव र्त अिछ। िहनका भगवती वारी सेहो कहल जाइछ। चािरम मितर्ूवारीर (समीपुर)मे ािपत ओ पिजत ू अिछ। मुदा भगवती षटभुजी छिथ (३४”)। वाम हाथमे ढाल, छतरी ओ अज्ञात पदाथ र्एव ं दिहन हाथसभमे अक्षमाला, ख ओ अभय मुामे अिछ। शेष िवास प ूव र्वत अिछ। पंचम षटभुजी मितर्ू देकुली(दरभंगा)मे ािपत अिछ। एिह भगवती सभमे उैठक भगवतीक ान सवो र्पिर अिछ।भगवतीक सौ प िगरीजाक मितर्सभ ू फुलहर (िगरीजाान, मध ुबनी, ३७”), िमजा र्पुर (दरभंगा, ३२”) ओ कुसो र् निदयामी(दरभंगा)क मिरसभमे संपिजत ू अिछ। पुलहर ओ िमरजापुरक िगरीजाक पार्मे गश एव ं काितर्केय उीण र् अिछ। द ुन ूचतुभुर्जी एव ं ानक मुामे िनिम र्त अिछ। साथीर्क अवलोकनक असार आलो मोितमे िगरीजा, राधा ओ ली समित छिथ।िगरीजाक मुरलीक अंकन िविश अिछ। िहनक ाित ेमद र्नीक पमे िवशेष अिछ। भगवतीक मिहषासुर मद र्नीक प सवािधकर्लोकिय अिछ। िमिथला ंचलक मकालीन पिरवेशमे मिहषासुरमिस र्नी वनाम ेमिद र्नीक पिरकित िशा ंकन बेस उपयु छल।मकाल संघष र्क काल छल। एिह पिरिितमे मिहषासुर मिद र्नी उत्रक भेलीह। एिह तरहक मितर्सभ ू बरसाम, कुसो र्निदयामी,नाहर, अामा, वैनाथपुर, उजान, ब ुढेव, पोखराम, हरा, हावीडीह, बहेड़◌ी, िसमिरया िभी, जरैल-परसौन, चौगाम, लावापुरआिद ानसभसँ ा भेल अिछ। नवराक अवसरपर ायः गामसभमे मिहषासुर मिद र्नी द ुगा र्क लोकपिरकित मितर्सभ ू ितवष र्बत अिछ, पिजत ू होइत छिथ एव ं िवसिजर्त होइत अिछ। मितर्क ू पिरकना “दानवपर देवक िवजय” केित अिछ।भगवतीक अा प सभमे नागदेवी मनसा (भैरव ान, मुजफ्फरपुर), िवषहरी (नाथनगर, भागलपुर), विशारािधता तारा(मिहषी, सहरसा), सरती (जयनगर, मध ुबनी), काली (कोथ, र् दरभंगा), गजली (भीठभगवानपुर, मध ुबनी), तारा (बौदेवी,वारी,समीपुर) जगतपुर वआरी (सहरसा), जयम ंगला (बेगूसराय), सहोदरा(नरकटयागंज, प. चारण), पाव र्ती (किरयन,समीपुर), भरवारी, समीपुर आिदक ाचीन ओ ऐितहािसक पाथरक मितर्सभ ू िमिथला ंचलसँ ा भेल एव ं ओऽ सभ पिजत ू अिछ।िमिथलाक मकालीन सा ंृितक इितहासक पिरमे पंचदेवोपासनाक पिरकना िविभ साम्दाियक सावक अममे कयल गेलछल, ओ बहुत िकछु सामािजक एव ं सा ंृितक धरातलपर फलीभूत भेल। बहुतरास मिरसभ एकर उदाहरण बनल अिछ।मध ुावणी-गजे ठाकुरावण मास कृ-पक्षक पमीसँ शुपक्ष ितया धिर नाग आऽ गौरीश ंकरक अथ र्ना कएल जाइत अिछ।मौना पमी-ावन मास कृपक्ष पमीकेँ सा ँपक माए िबसहराक बथ र्डे मनाओल जाइत अिछ। नविववािहताक थम वष र्कमध ुावणीक ई थम िदन िथक । ध ुरख ुरपर गोबरक नाग-नािगनपर िसूर-िपठार लगाओल जाइत अिछ आऽ पमीक मािटकथ ुा घरमे सा ँप कटला उर झाड़◌ा-फूकी लए रािख देल जाइत अिछ। गोसाउिनकेँ खीर-घोरजाउड़क पातिर आऽ िबसहराकेँबो,झौआ,नीमक पातिर देल जाइत अिछ। गोसाउिनक, गौरीक आऽ िबसहराक गीत होइत अिछ, प ूजा-पाठक बाद पा ँच बीनी(फकड़◌ा-किव) तीन-तीन बेर सुनलाक बाद कथा सुनल जाइत अिछ, ई सभिदन कथाक बाद दोहराओल सेहो जाइत अिछ।थम िदनक कथा-एकटा ब ूढ़◌ीकेँ धारमे नहाए काल पुरैनी पात पर पा ँचटा जीव देखाइ पड़◌ैत छि आऽ ओऽ हुनका मौना-पमीक मोन पाड़ि◌गाममे लोकसभकेँ प ूजा करबाक लेल कहैत छि। िकछु गोटे गप मात छिथ, मुदा िकछु गोटे ओकरा फूिस-फटक मातछिथ। जे सभ प ूजा निञ कएलि से राितयेमे मिर गेलाह। सभ दौड़ि◌ कए पा ँचो बिहन िबसहरा लग जाइ गेलाह, आऽहुनका कहलासँ बचल खीर-घोड़जाउड़ मृतकेँ चटा देलि, ओऽ सभ जीिब गेलाह आऽ मरड़ए नाम पड़लि।पा ँचो िबसहरा महादेव सान छलीह। सा ँपक पोआकेँ देिख एकिदन तमसा कए गौरी िहनकासभकेँ थकुिच देलिख।सा ँझमे सा ँझक आऽ कोबरक गीत होइत अिछ।76


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ अगस्त २००८ (वषर् १ मास ८ अंक १५)http://www.videha.co.in/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्दोसर िदनक-कथामनसा महादेवक पुी छलीह जे जनिमतिह युवती भए गेलीह आऽ लाजक रक्षाक हेतु सा ँप हुनका देहमे लपटाए गेल। गौरीतमसा गेलीह से हुनका कैलास छोड़ि◌ जाए पड़लि आऽ मृुलोकमे सभसँ पैघ ापारी चू-चधर हुनकर प ूजा करि से ओऽइा कएलि, मुदा ओऽ छल महादेवक भ से ओऽ वाम हाथे प ूजा करबाक गप कहलि। ओकर छओ बेटाकेँ सा ँप डिस लेलक,मिर जाइ गेल। ब ुढारीमे चूकेँ बेटा भेलि मुदा ोितिष कहलकि जे हुनका िववाहक िदन कोबरघरमे सा ँप डिसलेति। ओिह बाक नाम लीधर-बाला-लखर राखल गेल, छहे-मासमे ओकर िववाह िचर-सोहागिन योगक काा ँसँ होएबिनित भेल। पहाड़पर कोठामे िबी आऽ िबढ़नीक पहराक बीच काा ँ िबहुलासँ िववाह भेल। मुदा कोहबरमे सा ँप आयल आऽहुनका डिस लेलक। िबहुला पितकसंग केराक थपर गंगाधारमे चिल पड़लीह आऽ याग पहु ँिच गेलीह। ओतए एकटा धोिबनकेँओकर बा तंग कए रहल छल, ओऽ ओकरा मािर आसँ झािप ँ देलि आऽ कपड़◌ा खीचलाक बाद ओकरा िजआ देलि। दोसर िदनजखन ओऽ अएलीह तखन िबहुला हुनकासँ अपन था सुनओलि। फेर हुनका संग इक दरबार गेलीह आऽ िबसहराक पैरपकड़ि◌ कहलि जे यिद हुनकर पित आऽ छबो भै ंसुर जीिब जएताह तखन ओऽ िबसहरा प ूजा करबो करतीह आऽ मृुलोकमेओकर चार सेहो करतीह। सभ जीिब गेल आऽ िबसहराक प ूजा शु भेल।िबसहरा कथा-कप मुिनकेँ कूसँ एक हजार सा ँप भेल आऽ कशप मुिन िवष झारबाक म बनओलि, तपा कए मनसँ िबसहराबनओलि से भेलीह मनसा। ओऽ कैलास आऽ पुर गेलीह फेर ब ूढ़ तपीसँ हुनकर िववाह भेलि, तािहसँ आीक नामक पुभेलि। राजा जनमेजयक सप र्-यज्ञमे जड़ल सप र्सभके आीक बचा लेलि। आषाढ़क संािसँ नाग-पंचमी धिर िबसहराकप ूजा पसीझक डािरपर होइत अिछ।म ंगला-गौरी कथा- ुतकीितर् राजाकेँ बेटा निह छलि, भगवतीक उपासना कएल। भगवती कहलि जे सव र्गुणी बेटा १६ वष र्आयुक होएत आऽ महाम ूख र् बेटा दीघा र्यु होएत, से केहन वर चाही। राजा सव र्गुणी बेटाक वर म ँगलि।मिरक सोझा ँक आमक गाछसँ आम तोड़ि◌ ओऽ अपन पीकेँ ख ुआ देलि आऽ पु जे ा भेल ओकर नाम िचरायु राखल।१६ वष र् प ूण र् भेलापर रानीक भाए संगे राजकुमार िचरायु काशी चिल गेलाह। माम भािगन जे काशी लेल िबदा भेलाह तँ रामेआननगर रामे बीरसेन राजाक पुी म ंगलागौरीक िववाह होमए बला छल। ओऽ सखी-बिहनपा संग फूल लोढ़ए लेल फुलवारीमेआयल छलीह तँ गपे-गपमे एकटा सखी हुनका रा ँड़◌ी किह देलिख, तँ ओऽ कहलि जे हम गौरकेँ तेना गोअहर छी जेजािह वरक माथपर हमर हाथक अक्षत पड़त से अायु रहबो करत तँ दीघा र्यु भए जाएत। ओिह राजकुमारेक िववाह बाीकदेशक राजा दृढ़वमा र्क बेटा सुकेतुसँ हेबए बला रहए। ओही फुलबारीमे माम-भािगन रहिथ, आऽ सा ँझमे बर-बिरयाती सभ सेहोअएलाह। वर महाम ूख र् आऽ बहीर छल से ओऽ लोकिन राित भिर लेल िचरायुकेँ वर बनबाक आह कएलि। िचरायु गौरी-श ंकरक ितमाक समक्ष िसूर-दान कएलि। कोहबरमे वर किनआ अएलाह तँ ओही राित िचरायुक १६म वष र् पुिर गेलि आऽतख गहुमन सा ँप डसबाक लेल आिब गेल। राजकुमारी जगले छलीह आऽ ओऽ गहुमनक सोझा ँ द ूध रािख देलिख आऽ पितकेँनिह मारबाक आह कएलि। गहुमन द ूध पीिब पुरहरमे पैिस गेल, राजकुमारी आ ँगीसँ पुरहरक मुँह ब कए देलि।राजकुमारक िन ख ुजलि तँ ओऽ िकछु खाए लेल म ँगलि। राजकुमारी हुनका खीर-लू देलि, हाथ धोबाक काल राजकुमारकहाथसँ पर औँठी खिस पड़लि से राजकुमारी उठा लेलि। वर पान-सुपारी खाए सुतलाह आऽ पुरहिरक सा ँप रक हार बिनगेल आऽ से राजकुमारी गरामे पिहिर लेलि। भोरमे माम भािगनकेँ लए गेलाह मुदा सुकेतुकेँ राजकुमारी कोबरमे निहपैसए देलिख। साल भिरक बाद ाय िवाचलसँ जे माम-भािगन घिर ु रहल छलाह तँ राजकुमारी कोठापसँ हुनका चीिगेलीह। ध ूमधामसँ सभ घर किनआ ँ लए पहु ँचलाह आऽ गौरी आऽ नाग प ूजाक मह ज्ञात भेल।तेसर िदनक कथाप ृीक ज- पापसँ प ृी पाताल चिल गेलीह, तखन ा, िवु ाथ र्ना कए हुनका ऊपर अनलि, फेर ओऽ डगमगाइत छलीह,तखन िवु काछु बिन नीचा ँ चिल गेलाह, अपन पीठपर रािख लेलि, तैयो ओऽ जल-पर भँसैत छलीह, तखन आगस्क जा ँघ तरसँ77


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ अगस्त २००८ (वषर् १ मास ८ अंक १५)http://www.videha.co.in/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्मािट आनल गेल, िवु सेहो माछ बिन मािट अनलि, तकर जोड़न दए प ृीकेँ िर कएल गेल, जे कमी छल से भगवान वराहबिन उर माथसँ प ृीकेँ ठोिक कए ठीक कए देलि।समु-मन- देवता-दानव सुमेपर एक भए समु-मनक हेतु बासुकीनागकेँ मार पव र्तमे लपटाए समुमेउतारल।कू म र्राजकेँ आधार बनाए म ँह ू िदसनसँ दानव आऽ पुी िदसनसँ देवता नागकेँ पकड़ि◌ मारक मथनीसँ म ंथन शु कएलि।रगरसँ पव र्तपर गाछ-व ृक्षमे आिग लािग गेल। इ वषा र् कएलि, समुक न ूनगर पािन द ूध-घी भए गेल, ली, सुरा आऽउैःवा घोड़◌ा िनकलल से चमा-लोकिन लए लेलि। अमृत ले धिर बहार भेलाह, िवष िनकलल से महादेव कमेलेलि। गौरी िबसहरा,सा ँप,िबढ़नी,चुीक मदितसँ िवश महादेवक देहसँ िनकाललि। अमृत लेल झगड़◌ा बझल, िवु मोिहनी बिनगेलाह। दै मोिहत भए अमृत-कलश हुनकर हाथमे रािख देलि आऽ देवतासँ लड़ए लगलाह। िवु सभ देवताकेँ अमृतिपआ देलि। दै राहु भेष बदिल अमृत पीबए चाहलक मुदा चमा स ूय र् हुनका चीि गेलिख, अम्र्त मुँसँ कं ठ धिर यावतजाइत तावत िवु ओकर गद र् चसँ कािट देलि। मुदा अमृतक जे श र् ओकरा भए गेल छल से ओऽ मरल निह, मुभाग राहु आऽ शेष भाग केतु बिन गेल, एख को अमावामे स ूय र्केँ तँ को पिण ू र्मामे चमाकेँ गीड़◌ैत अिछ, मुदा कटलमु-धरक कारण द ुन ू गोटे िकछु कालक बाद बहार भए जाइत छिथ। बचल अमृत िवकमा र्क रखबाड़ि◌मे इकेँ दए देलगेल।बासुकी नागकेँ माइक ाप निह लगबाक आऽ जनमेजयक यज्ञमे भािगन आीक ारा सपिरवार ाणरक्षा होएबाक वरभेटलि।चािरम िदनक कथासतीक कथा- ईरकेँ िवक सि ृ करबाक छलि, से ओऽ पिह िवु, फेर िशव आऽ तखन ाक पमे अवतार लेलि।ओऽ तखन देवता-ऋिष-मुिन, शतपास्ी, ाय ंभुव म, दिहना आिखसँ ँ अि, कासँ मरीिच, दिहना पा ँजरसँ दक्ष-जापितक रचनाकएलि। मरीचीसँकप, अिसँ चमा, मक ियत एव ं उानपाद बेटा आऽ आकृित, देवहूित आऽ सित ू बेटी भेलि।सितक ू िववाह दक्ष जापितसँ आऽ तािहसँ सािठ का भेल। सािठमे आठक िववाह धम, र् एगारहक कप, साइसक चमा आऽएक गोट िजनकर नाम सती छलि हुनकर िववाह महादेवसँ भेलि। चमाकेँ जे सताइस टा पी भेलि तािहमेसँ ओऽरोिहणीकेँ सभसँ बेशी मात छलाह, से २६ टा बिहन अपन िपता दक्षकेँ कहलिन, ओऽ शाप देलिक आऽ चमाक शरीर घटएलगलि। तखन ओऽ महादेव लग गेलाह तँ ओऽ हुनका अपन कपार पर चढ़◌ा लेलि। एिहसँ दक्ष महादेवकेँ बािर देलिख।फेर दक्ष एकटा यज्ञ कएलि आऽ श ंकरकेँ त निह देलि। सती हर जएबाक लेल िजद पकड़ि◌ लेलि तँ वीरभक संगिशव हुनका पठा देलि। सती चिल तँ गेलीह मुदा अपमान देिख यज्ञकुमे कू िद पड़लीह। वीरभ ई देिख दक्षक गरदिनकािट लेलि।महादेवकेँ तमसायल देिख कए देवता सभ ाथ र्ना कएलि जे िबना िजअओ यज्ञ प ूण र् निह होएत से यज्ञककाटल छागरक म ूरी दक्षक धरपर महादेव लगा देलि, आऽ ओ जीिब कए बो-बो करए लगलाह, से माहादेव ई देिख सभेलाह। तिहयेसँ महादेवक प ूजाक अमे ब ू कहल जाए लागल। महादेव सतीक मृत शरीर लए बताह भेल िफरिथ से देिखिवु चसँ सतीक टुकड़◌ा कए देलि आऽ जतए-जतए ओऽ टुकड़◌ा खसल से सभटा िसपीठ भए गेल। महादेव कैलाशछोड़ि◌ जंगलमे तपा करए लगलाह।पितताक कथा- एकटा राजा छालाह। हुनका द ूटाबेटी छलि- कुमरता आऽ पितता। कुमरता ननवनमे कुटीमे रहएलगलीह आऽ पितता िववाह कए सासुर चिल गेलीह। एक िदन एकटा योगीक माथपर कौआ चटक कए देलकैक तँ ओऽ शाप दएओकरा भसम कए देलक। ननवनमे आिग लागल रहए। पितता अपन बिहन कुमरताक कुटी बचेबाक लेल तुलसीक बेढ़देलि तािहमे योगीकेँ भीख देबामे देरी भए गेलैक। योगी तमसाएल तँ पितता देरीक कारण कहलि। योगी बोनमेगेल तँ देखलक जे सौ ँसे बोनमे आिग लागल अिछ मुदा कुमरताक कुटी बचल अिछ। ओऽ कुमरताकेँ एकर रह बतेलकतँ ओहो िनण र्य लेलि जे हमहु ँ िववाह कए पितता बनब। भोरमे एकटा कुरोगीकेँ ओऽ देखलि तँ हुनकेसँ िववाह कएलेलि। पित हुनका कहलिख जे हमरा तीथ र् कराए िदअ। ओऽ हुनका पिथयामे लए िबदा भेलीह तँ रामे जखन पिथयाउतािर रहल छलीह तँ चोट लािग कए एक गोट स ूली पर लटकल ऋिषकेँ चोट लािग गेलैक। ओऽ भोर होइते पितक मृुकशाप हुनका दए देलि। से सुिन बेचारी स ूय र्क उपासना करए लगलीह से पित मृु पािब फेर जीिब उठलिख आऽ एिह बेरिबना रोग ािधक घिर ु अएलि। सती,सािवी, अस ूया आऽ िबहुला जेका ँ सतीक अक उदाहरण अिछ।पा ँचम िदनक कथादक्षक पुनजर् भेलि िहमालयक पमे, आऽ एिह जमे हुनका उमा, पाव र्ती, गंगा, गौरी आऽ सा ई पा ँचटा का भेलि।िहमालय आऽ मनाइनक बेटी उमा महादेवकेँ ा करबाक लेल तपा करए चिल गेलीह, माय उमा कए रोकलि, से नाम उमापड़ि◌ गेलि ओऽ वरक पमे महादेवकेँ ा कए लेलि। दोसर पुी पाव र्ती एकिदन कनकिशखरपर गेलीह आऽ बसहापर78


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ अगस्त २००८ (वषर् १ मास ८ अंक १५)http://www.videha.co.in/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्चढ़ि◌ हुनका संग चिल गेलीह। तेसर पुी गंगा रहिथ। एक िदन महादेव िभक्षुक भेष धए अएलाह आऽ गंगाकेँ जटामे काएचिल गेलाह।छठम िदनक कथासगर राजाक पी रहिथ श ैा आऽ हुनकासँ असम ंजस नामक पु भेलि। दोसर पी वैदभीर्सँ को बा निञ भेलि।वैदभीर् महादेवक तपा केलि तँ सए बरखक बाद एकटा लोथ ज लेलकि। महादेव अएलाह आऽ लोथकेँ सािठ हजारखमे कािट ओतेक तौलामे रािख झािप ँ देलिन। ई सभटा िकछु िदनमे पुक प लए लेलकि। सगर राजाक सएम अमेधयज्ञक इ ोधी भेलाह कारण तखन सगर शततु इ भए जएताह। इ यज्ञक घोड़◌ाकेँ लए भािग गेलाह आऽ किपलकआममे बाि देलिख। सािठयो हजार पु किपलपर दौगलाह, ओ तपालीन छलाह आऽ अपन ु आिख ँ खोिल सभकेँ जरादेलि। वैकुसँ गंगाकेँ अनबाक लेल असम ंजस आऽ तकर बाद हुनकर पु िदलीप आऽ तकर बाद ितनकर पु अंशुमान तपाकरैत-करैत मिर गेलाह। अंशुमानक पु भगीरथक तपासँ िवु स भेला आऽ गंगाकेँ मृुलोक लऽ जएबाक अमित दएदेलि। महादेव िहमालयपर जाए सँ उतरैत गंगाकेँ अपन जटामे रािख सािर लेलि, मुदा जे आगू बढ़लीह तँ जहुऋिषक कुटी दहाए लागल। जहु ऋिष गंगाकेँ पीिब गेलाह। मुदा आह कएलापर ओऽ गंगाकेँ छोड़ि◌ देलि आऽ तिहयासँ गंगाहुनकर पुी जावीक पमे िवात भेलीह। आऽ फेर अमे सगरक पु लोकिन ारा, घोड़◌ाक खोजमे ख ुनल ओिह खािधमेखसलीह जे आब सागर कहाबए लागल आऽ एिह तरहेँ सगरक पुसभकेँ सित भेटलि।गौरीक ज- सतीक मृुक बाद महादेवकेँ िवरि भए गेलि। तखन ताड़कासुर ाकेँ स कए महादेवक पुक अितिरककरो आनसँ निह मरबाक वर लए लेलक, देवताकेँ सँ भगा देलकि। तखन देवता लोकिन महामाया द ुगा र्क आराधनाकएलि आऽ ओ िहमालयक घरमे ज लेलि। ओऽ बड़ गोर-नार छलीह से हुनकर नाम पड़ल गौरी। नारद एकिदन िहमालयकओिहठाम अएलाह आऽ गौरीक हाथ देिख कहलिख जे िहनकर िववाह महादेवसँ होएति। िहमालय गौरीकेँ द ूटा सखीक संगमहादेवक सेवामे पठा देलिख। देवतागण कामदेवकेँ िम वस आऽ स्ी रितक संग ओतए पठेलि। गौरी जखन पहु ँचलीहतखन कामदेव वाण चलेलिख। महादेव आिख ँ खोिल गौरीकेँ देखल। गौरी प ूजा कएलि। महादेव हुा देिख उपमा देलि,मुँह चसन, आिख ँ कमलसन, भोँह कामदेवक धषसन, ठोर पाकल ितलकोरसन, नाक सुाक लोलसन, बोली कोइलीसन।मुदा तख हुनका होश अएलि ओऽ झा ँकुरमे कामदेवकेँ देखलि तँ तेसर ोिधत भए खोिल देखल तँ ओऽ जिरगेलाह। रित मिछ ू र्त भए गेलीह। रितक िवलाप देिख देवतागण अएलाह आऽ कहलि जे ताड़कासुरक वध लेल ई सभटा रचलगेल। महादेव कहलि जे रित समुमे शर दै लग जािथ। कृक पु ुकेँ ओऽ दै उठा कए लए जायत। जखनु पैघ होएताह तखन ओऽ शरकेँ मािर रितकेँ िबयािह ारका लए जएताह। वैह ु कामदेव होएताह।सातम िदका कथागौरी कामदेवक दहन देिख डराए गेलीह। नारद गौरीकेँ तपा करए लेल कहलिख। तपाक लेल िहमालय अपन पीमैनासँ पुछलि। गौरी फेर पटोर खोिल देलि आऽ कृािजन आऽ बल्फर पिहिर सखी संग गौरीिशखर चोटीपर चिल गेलीह।घोर तपा देिख ऋिष-मुिन संग नारद महादेव लग पहु ँचलाह। महादेव गौरीक परीक्षा लेल भेष बनाए गौरीिशखर पहु ँचलाहआऽ महादेवक ढेर-रास िना कएलि। गौरी तमसाए गेलीह तँ ओऽ सोझा ँ आिब गेलाह आऽ िववाहक लेल तैयार भएगेलाह।आठम िदनक कथा79


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ अगस्त २००८ (वषर् १ मास ८ अंक १५)http://www.videha.co.in/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्काशीमे सऋिष , विश आऽ विशक स्ी अती अएलीह। महादेव हुनका लोकिनकेँ कथा लए िहमालयक ठाम पठओलि।िहमालय आऽ मैनाक आिखसँ ँ ख ुशीसँ र झड़ए लगलि। कथा िर भए गेल। नारद देवता लोकिनकेँ हकार देलि। चािरमिदन बिरयाती लगल। गव र्राजकेँ देिख मैनाकेँ नारदकेँ पुछलि तँ ओऽ कहलि जे ई तँ देवताक गबैया छी। फेरधम र्राज, इ सभ अएलाह। नारद सभक पिरचए देलि। मैना सोचलि जे ई सभ एतेक सुर अिछ तँ महादेव कतेकसुर होएताह। महादेव मैनाक मोनक गप बिझ ु िकछु तमाशा कएलि। महादेव, हुनकर गण, भूत-िपशाचकेँ देिख मैनाबेहोश भए गेलीह।नवम िदनक कथामैनाकेँ जखन होश अएलि तँ ओऽ नारद-गौरी सभकेँ बहुत रास बात कहलि आऽ िववाहसँ मना कए देलि। सभ मनबएअएलि तैयो निह मानलीह। तखन महादेव अपन भप देखेलि, तँ मैना देिखते रिह गेलीह। िववाहक काय र् शु भेल।पिरछिन, अठोंगर, गोाायक बद कादान स भेल आऽ ताड़कासुरकेँ मारबाक बाट सोझा ँ तीत भेल।दशम िदका कथामहादेव आऽ गौरीक संभोगसँ जे बा होएत ओऽ प ृीक नाश कए देत, ाक ई वचन सुिन देवता लोकिन हा मचा देलिआऽ महादेवक अंश प ृीपर खिस पड़ल। गौरी देवताकेँ सरापलि जे आइ िदनसँ हुनका लोकिनकेँ सोगसँ सान निहहोएति। प ृी अंशकेँ आिगमे आऽ आिग सरपतवनमे भार सहन निह होएबाक कारण दए देलि। ओतए छह मुँहबला बाभेल, ओकरा कृिकसभ पोसलि तेँ नाम काितर्केय पड़ि◌ गेलि। गशक जक बाद महादेव हुनका बजा लेलि,देवतालोकिन हुनकर अिभषेक कए अपन सेनाक्ष बना लेलि। ओऽ ताड़कासुरकेँ मािर इकेँ रा घ ुरा देलि आऽ सािठसँिववाह कएलि।गशक ज- माघसिद ू योदशी सुपु िवुत एक मासमे समा कए कैलाशमे गौरी-महादेव रमण करए लगलाह। िवुतपीक भेष बनाए अएलाह आऽ भूखसँ ाण रक्षाक गप कहलि। ओछाओनपर अंश खिस पड़ल आऽ गशक ज भए गेल।समारोहमे सभ अएलाह, शिनकेँ गौरी देखए लेल कहलि, मुदा हुनका देखलासँ गशक गरदिन किट कए खिस पड़ल। िवुएकटा हाथीक गरदिन कािट लगा देलि आऽ अमृत छींिट िजआ देलि। गशक िववाह दक्षजापितक बेटी पुिसँ भेलि।गौरीक नागद कथा-िहमालयक आऽ मनाइनक चािरम बेटी गौरीक िववाह महादेवसँ भेल। महादेव भाभट पसािर फेर हटालेलिन।बेटी-जमाएकेँ पु भार सािठ ँ िबदा कएलि, से सठबे निह करि। भड़किन छुलािह जखन ध ुरख ुर सिट ठाढ़ भेल, तखनसभटा भार िबलाएल। एकबेर गौरी कहलि जे सभक ननिद अबैत छैक, भािगन अबैत छैक। महादेव बिहन अशावरीकेँबजेलि। हुनका बेमाय फाटल छलि, बेमायमे गौरीकेँ का लेलि। गौरी कानिथ तँ ो सुनबे निह करि। ादेवपुछाड़ि◌ कएलि तँ ओऽ पैर झाड़लि। गौरी भटसँ खसलीह। तिहना ननिद लेल मा ँछ रालि। सभटा मा ँछ ननिद खाऽगेलिख। गौरी अकछ भए ननिदकेँ िबदा कएलि। गौरी गंगा जल भरए गेलीह तँ पुरबा आऽ पछबा द ुन ू भािगन जोरसँबहए लागल। गौरी हाथ जोड़ि◌ हँसी ब करए लेल कहलि।गौरी िछनािर/चोरनी- गौरी कहलि जे िछनािरकेँ माथपर िसंह आऽ चोरनीकेँ नाङिर दए िदऔक। महादेव तथाु कहलि।गौरी माछ आनए गेलीह तँ धारक कातमे महादेव भेष बदिल मा ँछ बेचबाक लेल ठाढ़ भए गेलाह। गौरीकेँ मा ँछ बेचबासँ मनाकए देलि, कहलि जे हँसी-ठा करब तख हम अहा ँकेँ मा ँछ देब। गौरीकेँ महादेव लेल मा ँछ लेब जरी छलि से ओऽहँसी कए माछ आिन, राि महादेवकेँ खोआबए बैसलीह तँ माथपर िसंघ उिग गेलि। दोसर िदन महादेव गौरीकेँ जीसँखेनाइ बनाबए लेल कहलि, तख गौरीकेँ दीघ र्श ंका लािग गेलि। ओऽ जखन दीघ र्श ंका कए ओकरा पिथयासँ झािप ँ देलिख।जखन महादेव ओर अएलाह आऽ पुछलिख तँ ओऽ लजा गेलीह आऽ गप चोरा लेलि। जखन महादेवकेँ ई कहलि तँ हुनकानाङिर भए गेलि। गौरी िछनािर आऽ चोरनीक चे मेटएबाक अरोध कएलि। तिहयासँ ई चे मेटा गेल।एगारहम िदका कथा80


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ अगस्त २००८ (वषर् १ मास ८ अंक १५)http://www.videha.co.in/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्गौरीसँ छोट आऽ िहमालयक पा ँचम बेटी संासँ िववाहक लेल महादेव चोरा कए चिल गेलाह। गौरीकँ दहो-बहो र चुबएलगलि। घामे-पसी भए गेलीह। देहसँ मैल छुटए लगलि तकरा ओऽ जमा केलि आऽ सा ँप बनाए पथपर छोड़ि◌देलि। महादेव जखन संाक संग िववाह कए अएलाह तखन ओिह सा ँपमे ाण दए देलि। गौरीकेँ कहलि जे ई सा ँप,लीली, अहा ँक बेटी छी आऽ एकरासँ खेलएबाक लेल संाकेँ अन छी। गौरी भभा कए हँिस देलि।नाहर राजा आऽ ता ँती रिनक सए बेटामे सभसँ पैघ ् बेटा बैरसी महादेव लग करी करए लेल गेलाह। महादेव हुनकाकहलिख जे लीलीकेँ धम र्कुमे ान कराए िदयौ आऽ सोहागकुमे औँठा डुबा िदयौ। मुदा ओऽ उलटा कए देलि।सोहाकुमे डुबलाक कारण सोहाग बड़ पैघ भेलि। मुदा धम र्कुमे मा औँठा डुबलि से ओकर लेशमा रहलि। से ओऽबेरसीसँ िववाह करबाक गप कहलि आऽ हुनकेसँ हुनकर िववाह भेल।रिव िदका पितता सुकाक कथाएकटा राजा- आऽ चिरटा हुनकर रानी छलि। छोटकी रानीटासँ एकटा बिचया सुका भेलि। एक िदन राजा सुका संगेटहलैत छलाह तँ सुका एकटा िदबड़◌ाक भीड़ देखलि। ओिहमे द ूटा चमकैत वु सेहो छल। ओऽ ओिहमे कटकीसँ भूड़ करएचाहलि, तँ ओिहमेसँ शोिनत बहार भए गेल आऽ चीार उठल। एकटा मुिन तपा कए रहल छलाह आऽ हुनकर द ुन ू आिखँफूिट गेल छलि। राजा हाथ जोड़ि◌ क्षमा मा ँगलि तँ ओऽ सुकाकेँ सेवाक लेल मािग ँ लेलि। राजा कुमोनसँ सुकाक िववाहओिह ब ूढ़ ऋिषसँ करबाए देलि। फेर एक िदन अिनीकुमार सुकाकेँ भेटलिख आऽ हुनका लोकिनक संग पितकेँ गंगा ानकरेबाक लेल कहलिख। जख तीन ू गोटे ान कए िनकललाह तँ एके र ंग-पक युवा आिख ँ सिहत बाहर आिब गेलाह। आबसुका हुनका िचतिथ कोना। तख ओऽ देखलि जे द ुन ू देवताक िपपनी तँ खिसते निह छि से ओऽ अपन पितकेँ चीिगेलीह। राजा बेटी-जमाएक ख ुशीमे भोज देलिख। देवता सभ सेहो अएलाह मुदा देवता सभ कुमारकेँ पा ँतीमे बैिसकए खाए निह देमए चाहैत छलाह मुदा राजाक कहलापर हुनका सभकेँ एके पा ँतीमे बैसए देलिख।बारहम िदका कथाएकटा ाणीक सात टा बेटा छलि। छोटकी पुतोहु गरीब घरक छलीह से ससु-ससुर निह मात छलि। हुनका गभर् भेलितँ खीर प ूरी खएबाक इा पितकेँ कहलिख। पित कहलिख जे माय हम खेत जाइत छी हमर पनिपआइमे आइ खीर-प ूरीकिनआक हाथे पठा िदअ। मायकें ब ुझेलि जे हो निञ हो, ई अपन किनआकेँ खीर-प ूरी ख ुआओत। से ओऽ पुतोहुक जीहपरिलिख कहलि, जे घिर ु कए आबी तँ ई िलखल रहबाक चाही। पुतोहु खीर-प ूरी लए खेत पहु ँचलीह तँ पित आधा-आधा खाए लेलकहलिख। मुदा ऒऽ जीह देखा देलिख। तखन ओऽ पीपरक धोधिरमे खीर-प ूरी रािख कहलि जे जाऊ, मायकेँ जीह देखाकए घिरुर् आऊ। जखन ओऽ घ ुरलीह तँ ओिह धोधिरक बीहड़ि◌मे रहएबला बासुकी सा ँपक किनआ, जे गभर्वती छलीह से सभटाखीर-प ूरी खाऽ गेल छलीह। ओिह सािपनकेँ बाल आऽ बस द ूटा पोआ भेलैक। एक िदन चरबाहा सभ ओकरासभकेँ मारए लेलदौगल तँ छोटकी पुतोहू ओकरा बचेलक। फेर एकर उरमे बाल-बस हुनका वर म ँगबाक लेल कहलिख। पुतोहू वरम ँगलि जे एहन कए िदअ जे हमरो हरक आस रहए। सैह भेल। बाल-बस िवदागरी करेबाक लेल पहु ंिच गेलाह मपधारण कए। सासुरमे बाल-बस पमे पिरचए दए कहलि जे हमरा सभक ज बिहनक िरागमनक बाद भेल छल। िबदागरीकराए रामे बीहिरमे पैिस कए जे िनकललाह तँ पैघ घर आिब गेल। बासुकीिन ागत कए सा ँझमे सुआिसनक काज सा ँझमेदीअिठपर दीप जरेनाइ अिछ- से कहलि। बासुकीनागक फनपर ओऽ दीप जरबिथ तँ ओऽ खौ ँझाकए पीकेँ कहलि जे एकराहम डिस लेब। पी मना कएलि जे अजश होएत से िबदा करए िदअ। ससुर चिल जाएत तँ जे मोन होए से करब।बसुिकनी न ूआ-लहठी दए िबदा करैत काल धिर ई केलि जे सा ँप रक्षकम ं किनआकेँ िसखा कए बाल-बसक संग िबदा कएदेलि। कहलि जे ई म ं स ूतएकाल पढ़ि◌ स ूतब।दीप-दीपहरा आगू हरा मोती मािनक भ धरा।नाग बड़थ, ु नािगन बढ़थ, ु पा ँचो बिहन, िवषहरा बढ़थ ु।81


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ अगस्त २००८ (वषर् १ मास ८ अंक १५)http://www.videha.co.in/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्बाल बस भैा बढ़थ, ु डाढ़ि◌-खोढ़ि◌ मौसी बढ़थ ु।आशावरी पीसी बढ़थ, ु खोना-मोना मामा बढ़थ ु।राही श लए सुती, का ँसा श लए उठी।होइत ात सोना कटोरामे द ूध-भात खाइ।सा ँझ सुती, ात उठी, पटोर पिहरी कचोर ओढ़◌ी।ाक देल कोदािर, िवुक चा ँछल बाट।भाग-भाग रे कीड़◌ा-मकोड़◌ा, तािह बाटे आओत।ईर महादेव, पड़ए गड़केँ ठाठ।आीक, आीक, आीक।बासुकी डसए लए आबिथ मुदा ई म ं सुिन घिर ु जािथ। चािरमिदन सासुकेँ डिस तीन बेर नाङिर पटिक घर सोना-चानीसँ भिरदेलिख।गोसाउिनक कथा- मध राजाक एकसए एक बेटीक िववाह नाहर राजाक एकसए एक बेटासँ भेलि।सभसँ पैघ भाए बैरसीकिववाह सभसँ पैघ काा गोसाउनीसँ भेलि।िववाहकालमे बैरसीक पागसँ पिहल किनआ महादेवक पुी लीली खिस पड़लि। लीलीलाबा िबिछ खए लागिल।गोसाउिनक िपता मध सरापलि जे बैरसी डेग पाछा ँ पानक िबड़ि◌या खएताह आऽ कोश पाछा ँ ितिरयासँगप करताह तँ जीताह निह तँ मिर जएताह। मुदा बैरसी लीलीकेँ मानिथ। सासुरमे गोसाउिन अपन था िदअर चनाइकेँकहलि। ओऽ भाइकेँ कहलि जे बाहर घिम ु िफिर आऊ। तँ बैरसी ससुरक सरापक कथा कहलि। मुदा चनाइ सभटावा कए भौजीकेँ कहलि जे हम पा ँच्-पा ँच कोसपर ठरबाक वा करब अहा ँ भायसँगे भेष बदिल रहू आऽ संगमे पासाकगोटी लए िलअ आऽ तकरा माण पमे गाड़◌ैत जाएब। सैह भेल। पा ँच िवामक बाद जखन सभ घिर ु अएलाह, तखनगोसाउिनकेँ ओध, ु कछु, महानाग, ीनाग, आऽ नी नमक पा ँचटा पु भेलि। लीली बैरसीकेँ कहलि जे ई चनाइक सानछी। मुदा गोसाउिन पासाक गोटी देखेलि। तखन बैरसी लीलीकेँ मालभोग चौर आऽ खेड़हीक दािल आऽ गोसाउिनकेँ लोहाकचाउर आऽ पाथरक दािल िस करए कहलि। मुदा तैयो लीली ब ुते िस निञ कएल भेलि, मुदा गोसाउिन सुिस कएदेलि। ई देिख कए गोसाउिनक शरीर गौरवे फािट गेलि।तेरहम िदका कथाराजा ीकरक काक टीपिणमे छाती लात, झोँटा हाथ आऽ सौितनक पोखड़ि◌मे अढ़◌ाइ झाक मािट उघब िलखल छल। हुनकरमुइलाक बाद हुनकर बेटा चकर जंगलमे एकटा सोि बना कए एकटा चेरीसंगमे दए राजकुमारीकेँ ओतए रािख देलि।जंगलमे सुवण र् राजाकेँ ओऽ भेँट भेलीह तँ द ुन ू गोटे जाए लगलाह तँ राजकुमारी साओन सिद ू ितयाकेँ मध ुावणी पाबिनक लेलसासुरक अ खएबाक आऽ वस् पिहरबाक थाक मोन पाड़ि◌ कहलि जे ई द ुन ू वु अव पठायब। राजा रा जाएकारीगरकेँ वस्लेल कहलि तँ बड़की रानी सुिन लेलि आऽ वस्मे छाती-लात आऽ झोँटा हाथ िलिख देबाक लेल कहलि।कौआकेँ जखन ई वस् पहु ँचेबाक भार राज देलि तँ ओऽ रामे कतहु भोज-भात खए लागल आऽ सस पहु ँचेनाइ िबसिरगेल। राजा सेहो सभटा िबसिर गेलाह। मध ुावणी िदन राजकुमारी गौरीक प ूजन उर चानन-फूलसँ कएलि आऽ कहलि जेजिहया राजा भेँटा होिथ तिहआ हम बौक भए जाइ। जखन चकरकेँ पता चलल जे राजकुमारी िववाह कए लेलि तँ ओऽखरचा ब कए देलि। आब द ुन ू गोटे राजकुमारी अऽ चेरी सुवण र् राजाक बड़की रानी ारा ख ुनाओल जाए रहल पोखड़ि◌मेमािट उघए लगलीह। सुवण र् एक िदन िहनका लोकिनकेँ देखलिख तँ हुनका सभटा मोन पड़ि◌ गेलि। ओऽ हुनका रा लए82


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ अगस्त २००८ (वषर् १ मास ८ अंक १५)http://www.videha.co.in/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्अनलि। मुदा राजकुमारी बजबे निह करिथ। चेरी सभटा गप ब ुझेलि तँ राजा कहलि जे ई कौआक गलती अिछ। तखनरानी अिगला मध ुावणीमे लाल चाननसँ गौर पुजलि आऽ हुनकर बकार घिर ु गेलि आऽ सुखसँ जीवन िबताबए लगलीह।ीगशजी मध ुावणी िदन मए गौरीसँ कहलि जे आइ हम सोहाग मथब आऽ बा ँटब। धान-ध, काठक तामा, नीम बेल आऽआमक काठीसँ ओऽ सोहाग मिथ सभकेँ ब ँटलि।झ ूलनसाओन मासक शुपक्ष पुदा एकादशीसँ ार भए पा ँच िदनक बाद सलौनी पिण ू र्मा धिर काठक झ ूला, आङी, टोपी, चिर , रेशमीडोरीसँ सजावट कए झ ूला गाओल जाइत अिछ।१०. संगीत िशक्षा-गजे ठाकुररामाय झा “रामरग” (१९२८- ) िवान, वागयकार, िशक्षक आऽ म ंच सादक छिथ।राग िवापित काण- एकताल (िवलित)मैिथली भाषामे ी रामाय झा “रामर ंग” केर रचना।ाई- कतेक कहब गुण अहा ंके सुवन गश िवापित िवा गुण िनधान।अरा- िमिथला कोिकला िकितर् पताका “रामर ंग” अहा ं िशव भगत सुजान॥ायी- - रेग◌॒म◌॑प ग◌॒रेसाऽऽ क ते ऽऽ क क ऽरे सा (सा) िन◌॒ध िनसा – रे िन◌॒ध प धिन सा सारे ग◌॒रे रेग◌॒म◌॑ओअ - म◌॑ह ब ऽ ऽ ऽ गु न ऽ अ हा, ं ऽऽ के ऽ ऽ सुव नऽ ऽऽऽऽ ऽ ग83


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ अगस्त २००८ (वषर् १ मास ८ अंक १५)http://www.videha.co.in/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्प प धिन◌॒ धप धिनसा ं - - रें सा ं िन धप (प)ग◌॒ रे सा रे ग◌॒म◌॑प ग◌॒ रेसा स िवऽ ाप ित ऽऽ ऽ ऽिव ा गुन िनधा न, क ते ऽऽऽ क, कऽअरापप िन◌॒ध िनसा ं सा ंरेंिमिथ लाऽ ऽऽ कोिकसा ं – िनसा ंरेंगं◌॒ रें सा ं रें िन सा ंरे िन◌॒ धप प (प) ग◌॒ रेसालाऽ की ऽऽऽ ित प ता ऽ ऽऽ का ऽऽ रा म र ं ग अरे सासा धिन◌॒प ध िनसा -सा रे ग◌॒म◌॑प -ग◌॒ सारे सा,सा रेग◌॒म◌॑प ग◌॒, रेसाहा ं िशव भऽ, ग तऽ ऽसु जाऽऽऽ ऽ ऽ न ऽ, क ते ऽऽऽ क,कऽ*गंधार कोमल, मम ती, िनषाद द ुन ू आऽ अ र शु।बालाना ं कृते१.डोका-डोकी-गजे ठाकुर२. देवीजी: साक्षरता अिभयान ोित झा चौधरी१.डोका-डोकी84


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ अगस्त २००८ (वषर् १ मास ८ अंक १५)http://www.videha.co.in/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्िच: ोित झा चौधरी१.डोका-डोकीएक टा छल डोका आऽ एकटा छल डोकी।द ुन ूमे ब म। डोकी कहए तरेगण लए आऊ, तँ डोका तरेगण आनएमे सेकेक देरी भए जाए तँ ठीक मुदा िमनटक देरीनिञ होमय दैत छल।िसयारकेँ रहए ईा र् द ुन ूसँ। से ओऽ कनही िसयािरनसँ िमिल गेल आऽ एक िदन जन डोका आऽ डोकी एे थारीमे भोजन कएरहल छल, तखन डोकाकेँ बजेलक। एर-ओरक गप कए ओकरा िबदा कए देलक। फेर डोकीकेँ बजेलक ओऽ िसयरबा।पुछलक जे अहा ँ द ुन ू गोटेमे बड़ म अिछ, मुदा डोका जे कहलक तािहसँ तँ हमरा बड़ द ुःख भेल। लागए-ए जे ओकरमोन ककरो आन पर छैक। आर िकछु प ूछए लागल डोकी तावत ओऽ िसयरबा पड़◌ा गेल।आब डोकी घरमे हनहन-पटपट मचा देलक। डोका लकड़◌ी काटय बोन िदिश गेल। घ ुरल निह। भोरमे एकटा जोगी आएलतँ ओकरासँ डोकी पुछलक जे ई की भेल? जोिगया कहलक जे ई अिछ प ूव र् जक सराप। जख अहा ँ डोकी पर िवासछोड़ब डोका छोड़ि◌ कए चिल जाएत मुदा सातम िदन भेिट जाएत।85


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ अगस्त २००८ (वषर् १ मास ८ अंक १५)http://www.videha.co.in/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्मुदा डोकी िनकिल गेिल डोकाकेँ ताकए। बगुला भेटलैक डोकीकेँ कहलकैकिक जाऊ एिह राित। फेर िसयरबा, वटव ृक्ष,मानसरोवरक रामे बोनमे हाथी सभ कहलकैक जे एक एक राित िक कए जाऊ मुदा डोकी निह किल। फेर भेटलम ूस। ओऽ कहलक जे हमरा संग चल, ू हम महल लए जायब, िखा सुनाएब छह राितक बाद सातम राित बीतत आऽ डोकाभेटत। िखा सुनबैत महल िदिश िवदा भेल द ुन ू गोटे। म ूस कहलक जे अहा ँ हँ-हँ कहैत रहब िखाक बीचमे। म ूसकिखा कक नमगर रहए। डोकी बीचमे हँ कहब िबसिर गेिल। आऽ तकर बाद म ूस सेहो िखा िबसिर गेल। कतबो मोनपाड़य चाहलक मुदा मोन निह पड़लैक। फेर आगू बढ़ल द ुन ू गोटे। एकटा दीबािरमे भूर कए द ुन ू गोटे सुरंगमे पहु ँचल, तँद ू राित धिर चलैत रहल तखन महल आयल। ओतए डोकी हलुआ बनबए लेल लोिहयामे समान देलक आऽ कक पािन आनएलेल बाहर गेल तँ म ूसकेँ रहल निञ गेलैक आऽ ओऽ लोिहयामे मुँह दए देलक आऽ मिर गेल। डोकी घिर ु कए ई देखलक तँकुहड़ि◌उठल।बगुला छोड़ल िसयरबा छोड़लछोड़ल वटक व ृक्षहाथी सन बलगरपकड़ल ई म ूस।म ूस भैयाक संग लेल बीतल छह राित,सातम राितमे ओऽ ाण गमेलिआऽ ओकर सा ँस टुटए लगलैक, मुदा तख दरबा ख ुजल आऽ कुरहड़ि◌ ले डोका हािजर।२. देवीजी: साक्षरता अिभयान86


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ अगस्त २००८ (वषर् १ मास ८ अंक १५)http://www.videha.co.in/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्देवीजी : साक्षरता अिभयानिवालयमे आइ बहुत हलचल छल। बड़का सरकारी गाड़◌ी साम ठाढ़ छल। बासभ उुक भऽ िवालयक अरघ ुसल। सभकेँ िकछु ब ुझा निह रहल छल। बादमे ाथ र्नाक समयमे धानाापक सभकेँ सिचत ू केलिखन ''सरकारक िदस सँ ईिनदेर्श आयल अिछ जे हम सभ देशस◌ॅ◌ं िनरक्षरता हटाबएमे योगदान करी। तािह लेल सरकारक िदसस◌ॅ◌ं पुक आऽ असामी दान कएल गेल अिछ। भारतवष र् िनरक्षरतामे िवमे सभस◌ॅ◌ं आग◌ॉ◌ं अिछ। आर िबहार रा अपन देशमेसाक्षरता आऽ स्ीिशक्षामे सभस◌ॅ◌ं पाछा ँ अिछ। हमरा सभकेँ एकरा हटाबएमे योगदान करबाक चाही।िवाथीर् सभ एिहमे काज करए लेल तैयार छल। सभ देवीजीस◌ॅ◌ं पुछलक जे एिह लेल की करए पड़तैक। तऽदेवीजी सभकेँ पढ़◌ाबए केर तरीका िसखेलिखन। अिगला िदन सौ ंसे गाममे बात आिग जक◌ॉ पसिर गेल जे रोज स◌ॉ◌ंझकऽूलपर ब ुज ुसभकेँ आऽ जािह बा सभकेँ आिथ र्क कमजोरीक कारण िशक्षा निह भेट रहल छैक तकरा सभकेँ िबन खचा र्कसाक्षर बनाओल जायत। सभकेँ आमित ं कएल गेल।आब ितिदन स◌ॉ◌ंझमे भीड़ लागए लागल। िवाथीर् सभ िशक्षक संगे पढ़◌ाबएमे भऽ गेलाह। गमीर्क छुीमे सेहो सभएिह काजमे लागल रहल। द ुइए तीन मिहनाक यासस◌ॅ◌ं गामक सभ ब ुढ़ ब ुज ुसँ लऽ कऽ उमरगर बा सभ साक्षर भऽगेल। सभसँ बेसी लाभ स्ी सभकेँ भेलि, िजनका सभकेँ ई सुिवधा भेटबाक को आशा निह छलि। गाममे अखबारकखपत बढ़ि◌ गेल। आब ब ुढ़ि◌यो सभ बात करए लगलीह जे देशमे कोन पाटीर्क बहुमत अिछ आऽ के धानम ंी अिछ। गीतनाद सेहो िलिख कए राखए लगलीह। आऽ अपन नाितन सभकेँ पढ़बाक लेल ोािहत करए लगलीह। िमिथला ंचल, जतए स्ीसव र्था सािनत रहिल, मुदा िशक्षाक मे ओकर भा किनक कमजोर छल, ताहुकेँ द ूर करबाक ई यास, आगामी उज्लभिवक तीक छल। स्ीिशक्षाक एहेन दीप िलत करबाक लेल िवालयकँ सरकार िदससँ सािनत कएल गेल। धानाापकआऽ सभ िशक्षक सभ अपन िवालयक छासभक बहुत श ंसा केलिखन जे ओकर सबहक तयतास◌ॅ◌ं ई काज स भेल।फेर अिगला अवकासमे एिह काय र्मकेँ आग◌ॉ◌ं बढ़◌ेबाक िवचार कएल गेल।87


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ अगस्त २००८ (वषर् १ मास ८ अंक १५)http://www.videha.co.in/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्बा लोकिन ारा रणीय ोक१.ातः काल मुहूर् (स ूयो र्दयक एक घंटा पिह) सव र्थम अपन द ुन ू हाथ देखबाक चाही, आ’ ई ोक बजबाक चाही।करा वसते लीः करमे सरती।करम ूले ितो ा भाते करदश र्नम ्॥करक आगा ँ ली बसैत छिथ, करक ममे सरती, करक म ूलमे ा ित छिथ। भोरमे तािह ारे करक दश र्न करबाकथीक।२.संा काल दीप लेसबाक काल-दीपम ूले ितो ा दीपमे जनाद र्नः।दीपा शरः ोक्ः साोितन र्मोऽुते॥दीपक म ूल भागमे ा, दीपक मभागमे जनाद र्न (िवु) आऽ दीपक अ भागमे शर ित छिथ। हे संाोित! अहा ँकेँनमार।३.सुतबाक काल-राम ं ं हन ूमं वैनतेय ं व ृकोदरम ्।शय यः रेिं द ुः नित॥जे सभ िदन सुतबासँ पिह राम, कुमारामी, हन ूमान, ् गड़ आऽ भीमक रण करैत छिथ, हुनकर द ुः न भऽ जाइतछि।४. नहेबाक समय-गे च यमु चैव गोदाविर सरित।नम र्दे िसु कावेिर जलेऽिन ् सििध ं कु॥हे गंगा, यमुना, गोदावरी, सरती, नम र्दा, िसु आऽ कावेरी धार। एिह जलमे अपन साि िदअ।५.उर ं यमु िहमाेैव दिक्षणम ्।वष ं र् तत् भारतं नाम भारती य सितः॥समुक उरमे आऽ िहमालयक दिक्षणमे भारत अिछ आऽ ओतुका सित भारती कहबैत छिथ।६.अहा ौपदी सीता तारा मोदरी तथा।पकं ना रेिं महापातकनाशकम ्॥88


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ अगस्त २००८ (वषर् १ मास ८ अंक १५)http://www.videha.co.in/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्जे सभ िदन अहा, ौपदी, सीता, तारा आऽ मदोदरी, एिह पा ँच साी-स्ीक रण करैत छिथ, हुनकर सभ पाप न भऽजाइत छि।७.अामा बिला र्सो हन ूमा ं िवभीषणः।कृपः परशुराम सैते िचरीिवनः॥अामा, बिल, ास, हन ूमान, ् िवभीषण, कृपाचाय र् आऽ परशुराम- ई सात टा िचरीवी कहबैत छिथ।८.साते भवतु सुीता देवी िशखर वािसनीउन तपसा लो यया पशुपितः पितः।िसिः साे सतामु सादा ध ूजर्टेःजावीफेनलेखेव यूिध शिशनः कला॥९. बालोऽहं जगदान न मे बाला सरती।अप ू र् पंचमे वषे र् वण र्यािम जगत्यम ् ॥१२. पी ब ंध-गजे ठाकुरपी ब ंधपंजी-संाहक- ी िवानंद झा पीकार (िस मोहनजी)ी िवान झा पञीकार (िस मोहनजी) ज-09.04.1957,पुआ, ततैल, ककरौड़(मध ुबनी), रशाढ़य(पिण ू र्या), िशवनगर (अरिरया)आ’ सम्ित पिण ू र्या। िपता ल धौत पीशास् मार् पीकार मोदान झा, िशवनगर, अरिरया, पिण ू र्या| िपतामह-. ीिभिखया झा | पीशास्क दस वष र् धिर 1970 ई.सँ 1979 ई. धिर अयन, 32 वष र्क वयससँ पी-ब ंधक संवर्न आ' संरक्षणमेसंन। कृित- पी शाखा पुकक िला ंतरण आ' संवर्न- 800 प ृसँ अिधक अंकन सिहत। पी नगरिमक िलारण ओ'संवर्न- लगभग 600 प ृसँ ऊपर(ितरहुता िलिपसँ देवनागरी िलिपमे)। गु- पीकार मोदान झा। गुक गु- पीकारिभिखया झा, पीकार िनरस ू झा िस िवनाथ झा- सौराठ, पीकार ल ूटन झा, सौराठ। गुक शास्ाथ र् परीक्षा- दरभंगामहाराज कुमार जीवेर िसंहक यज्ञोपवीत संारक अवसर पर महाराजािधराज(दरभंगा) कामेर िसंह ारा आयोिजत परीक्षा-1937 ई. जािहमे मौिखक परीक्षाक मु परीक्षक म.म. ड◌ॉ. सर गंगानाथ झा छलाह।तीय छिठकाक िपतामहक सुरक – जेना मार म ूलक िसहौली म ूलामक १.रघ ुबर झा पु २.फेकू झा तिनक जमाए ३.कं टीर झा, तिनकपु ४.पीतार झा तिनक पु ५.शिशनाथ झा ६.का। एिह म मार िसहौली रघ ुवर झासँ का छिठ छिथ89


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ अगस्त २००८ (वषर् १ मास ८ अंक १५)http://www.videha.co.in/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्चािरम छिठ- फेकू झाक सुर- पाली मिहषी म ूलक हषीर् झा, यथा (१) हषीर् झा- (२)जामाता-फेकू झा (३) जामाता कं टीर झा(४)पु-पीतार (५) शिशनाथ (६) का. एिह तरहेँ का हषीर् झासँ छठम ानमे छिथ तैय हेतु ई चािरम छिठ भेल।पा ँचम छिठ- काक िपतामहक सुरक िपतामहसँ का छठम ान-जेना सकराढ़◌ी म ूलक परहट म ूलामवाला (१) जनाथ झा (२)हुनक बालक हष र्नाथ झा (३) िहनक बालक िसिनाथ झा (४) िहनक जमाय पीतार झा (५) तिनक बालक शिशनाथ झा (६) िहनकका- अु, सकराढ़◌ी परहट जनाथ झा पा ँचम छिठ कहौताह।(अवतर्ते)१३. संृत िमिथला –गजे ठाकुरीकर-ीकर थम मैिथल िनबकार छलाह। िवज्ञार, हिरनाथ, जीम ूतवाहन चेर ठाकुर ई सभ ीकरक िवचारक उेख कएछिथ। ीकर एिह िहसाबसँ सातम शताीक ब ुझना जाइत छिथ।ीकर याज्ञवल् आऽ लीधरक बीचक स ू छिथ। ओऽ कत िलखलि, जािहमे १४ भाग छल, मुदा हुनकर को काय र् एखनउपल निह अिछ।ीकरक असार आािक लाभ उरािधकारक लेल आवक अिछ। चदेर ठाकुर अपन राजनीितराकरमे ीकरक िसा ंत ईिसा ंत रख छिथ, जे गरीबक अिधकार राजा आऽ राक सिमे छैक।१५.मैिथली भाषापाकरचना लेखन-गजे ठाकुरइिश-मैिथली ंकोषमैिथली-इिश ं कोषइिश-मैिथली ंकोष ोजेकेँ आगू बढ़◌ाऊ, अपन सुझाव आऽ योगदान ई-मेलारा ggaj endr a@ yahoo. co. i n वा ggaj endr a@ vi deha. co. i n पर पठाऊ।मैिथली-इिश ं कोष ोजेकेँ आगू बढ़◌ाऊ, अपन सुझाव आऽ योगदान ई-मेलारा ggaj endr a@ yahoo. co. i n वा ggaj endr a@ vi deha. co. i n पर पठाऊ।रसमय किव चतुर चतुरभुज शावलीरसमय किव चतुर चतुरभुज- िवापित कालीन किव। मा १७ टा प उपल, मुदा ई १७ टा पद िहनकर कीितर्केँ अक्षयरखबाक लेल पया र् अिछ। उदाहरण देखू-िदन-िदन द ुहु-तन छीन, माधवएकओ अपन अधीन।हे कृ! िदनपर िदन द ुन ूक तन िवरहसँ क्षीण भेल जाऽ रहल अिछ, आऽ द ुन ूमे केओ अपन अधीन निह छिथ।90


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ अगस्त २००८ (वषर् १ मास ८ अंक १५)http://www.videha.co.in/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्िविह- िवधातासञािन- युवतीत- वयश, देहआ ँतर- अर, भीतरगोए- काएबवेकत- गेहा- ठामपिर- कारेिवरहानल- िवरहक आिगका ँती- कािधिमत- िधपाओलिनपए- िनरीक्षणपिरहर- उपेक्षाअिचरिहँ- अकालिहवामे- ितकू लिनअ- िनज, अपनमलयज- चाननसयािन- िवरह िवदा नाियकाधिन- धा-नाियकाहेरिस- िनहारैतहरिष- हिष र्त भएपिरहिर- मेटायनखत- तरेगणमधिर-दल- ु उभय-ओमनिसज- कामदेव91


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ अगस्त २००८ (वषर् १ मास ८ अंक १५)http://www.videha.co.in/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्अवनत- नीचा ँ झ ुकनाइहुतासन- ाला(अवतर्ते)मैिथलीक मानक लेखन-श ैली1. जे श मैिथली-सािहक ाचीन कालसँ आइ धिर जािह वर्नीमे चिलत अिछ, से सामातः तािह वर्नीमे िलखल जाय-उदाहरणाथ र्-1.ाअाएखनअखन,अखिन,एखेन,अखनीठामिठमा,िठना,ठमाजकर,तकरजेकर, तेकरतिनकरितनकर।(वैकिक पेँ ा)अिछऐछ, अिह, ए।मैिथलीक मानक लेखन-श ैली1. जे श मैिथली-सािहक ाचीन कालसँ आइ धिर जािह वर्नीमे चिलत अिछ, से सामातः तािह वर्नीमे िलखलजाय- उदाहरणाथ र्-ाअाएखनठामजकर,तकरतिनकरअिछअखन,अखिन,एखेन,अखनीिठमा,िठना,ठमाजेकर, तेकरितनकर।(वैकिक पेँ ा)ऐछ, अिह, ए।2. िनिलिखत तीन कारक प वैिपकतया अपनाओल जाय:भ गेल, भय गेल वा भए गेल।जा रहल अिछ, जाय रहल अिछ, जाए रहल अिछ।कर’ गेलाह, वा करय गेलाह वा करए गेलाह।3. ाचीन मैिथलीक ‘’ िनक ानमे ‘न’ िलखल जाय सकैत अिछ यथा कहलिन वा कहलि।92


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ अगस्त २००८ (वषर् १ मास ८ अंक १५)http://www.videha.co.in/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्4. ‘ऐ’ तथा ‘औ’ ततय िलखल जाय जत’ तः ‘अइ’ तथा ‘अउ’ सदृश उारण इ हो। यथा- देखैत, छलैक,बौआ, छौक इािद।5. मैिथलीक िनिलिखत श एिह पे यु होयत:जैह,सैह,इएह,ओऐह,लैह तथा दैह।6. ह्र् इकारा ंत शमे ‘इ’ के लु करब सामातः अा िथक। यथा- ा देिख आबह, मािलिन गेिल (ममामे)।7. तं ‘ए’ वा ‘य’ ाचीन मैिथलीक उरण आिदमे तँ यथावत राखल जाय, िकं तु आधिनक ु योगमे वैकिक पेँ‘ए’ वा ‘य’ िलखल जाय। यथा:- कयल वा कएल, अयलाह वा अएलाह, जाय वा जाए इािद।8. उारणमे द ू रक बीच जे ‘य’ िन तः आिब जाइत अिछ तकरा लेखमे ान वैकिक पेँ देल जाय। यथा-धीआ, अढ़◌ैआ, िवआह, वा धीया, अढ़◌ैया, िबयाह।9. सानािसक तं रक ान यथासंभव ‘ञ’ िलखल जाय वा सानािसक र। यथा:- मैञा, किनञा, िकरतिनञा वा मैआ,ँकिनआ, ँ िकरतिनआ ँ।10. कारकक िवभिक्क िनिलिखत प ा:-हाथकेँ , हाथसँ, हाथेँ, हाथक, हाथमे।’मे’ मे अार सव र्था ा िथक। ‘क’ क वैकिक प ‘केर’ राखल जा सकैत अिछ।11. प ूव र्कािलक ियापदक बाद ‘कय’ वा ‘कए’ अय वैकिक पेँ लगाओल जा सकैत अिछ। यथा:- देिख कय वा देिखकए।12. मा ँग, भा ँग आिदक ानमे माङ, भाङ इािद िलखल जाय।13. अर् ‘न’ ओ अर् ‘म’ क बदला असार निह िलखल जाय(अपवाद-संसार सार निह), िकं तु छापाक सुिवधाथ र् अर् ‘ङ’ ,‘ञ’, तथा ‘ण’ क बदला अारो िलखल जा सकैत अिछ। यथा:- अ, वा अंक, अल वा अंचल, क वा कं ठ।14. हलंत िच िनयमतः लगाओल जाय, िकं तु िवभिक संग अकारा ंत योग कएल जाय। यथा:- ीमान, ् िकं तु ीमानक।15. सभ एकल कारक िच शमे सटा क’ िलखल जाय, हटा क’ निह, संयु िवभिक हेतु फराक िलखल जाय, यथा घरपरक।16. अनािसककेँ चिबु ारा कयल जाय। पर ंतु मुणक सुिवधाथ र् िह समान जिटल माा पर अारक योगचिबुक बदला कयल जा सकैत अिछ।यथा- िहँ केर बदला िहं।17. प ूण र् िवराम पासीसँ ( । ) सिचत ू कयल जाय।18. सम पद सटा क’ िलखल जाय, वा हाइफेनसँ जोड़ि◌ क’ , हटा क’ निह।19. िलअ तथा िदअ शमे िबकारी (ऽ) निह लगाओल जाय।20.ाअा93


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ अगस्त २००८ (वषर् १ मास ८ अंक १५)http://www.videha.co.in/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्1. होयबला/होबयबला/होमयबला/ हेब’बला, हेम’बलाहोयबाक/होएबाक2. आ’/आऽ आ3. क’ ले/कऽ ले/कए ले/कय ले/ल’/लऽ/लय/लए4. भ’ गेल/भऽ गेल/भय गेल/भए गेल5. कर’ गेलाह/करऽ गेलह/करए गेलाह/करय गेलाह6. िलअ/िदअ िलय’,िदय’,िलअ’,िदय’7. कर’ बला/करऽ बला/ करय बला करै बला/क’र’ बला8. बला वला9. आङ्ल आ ं10. ायः ायह11. द ुःख द ुख12. चिल गेल चल गेल/चैल गेल13. देलिख देलिक, देलिखन14. देखलि देखलिन/ देखलै15. छिथ/ छलि छिथन/ छलैन/ छलिन16. चलैत/दैत चलित/दैित17. एख अख18. बढ़ि बढि19. ओ’/ओऽ(सव र्नाम) ओ20. ओ (संयोजक) ओ’/ओऽ21. फािग/फािँफाइ ंग/फाइङ22. जे जे’/जेऽ23. ना-कुर ना-कर24. केलि/कएलि/कयलि94


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ अगस्त २००८ (वषर् १ मास ८ अंक १५)http://www.videha.co.in/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्25. तखन तँ तखनतँ26. जा’ रहल/जाय रहल/जाए रहल27. िनकलय/िनकलए लागलबहराय/बहराए लागलिनकल’/बहरै लागल28. ओतय/जतय जत’/ओत’/जतए/ओतए29. की फूड़ल जे िक फूड़ल जे30. जे जे’/जेऽ31. कू िद/यािद(मोन पारब) कू इद/याइद/कू द/याद32. इहो/ओहो33. हँसए/हँसय हँस’34. आिक दस/ िकं वा दस/ वा दस35. सासु-ससुर सास-ससुर36. छह/सात छ/छः/सात37. की की’/कीऽ(दीघीर्कारामे विजर्त)38. जबाब जवाब39. करएताह/करयताह करेताह40. दलान िदिश दलान िदश41. गेलाह गएलाह/गयलाह42. िकछु आर िकछु और43. जाइत छल जाित छल/जैत छल44. पहु ँिच/भेिट जाइत छलपहु ँच/भेट जाइत छल45. जबान(युवा)/जवान(फौजी)46. लय/लए क’/कऽ47. ल’/लऽ कय/कए48. एखन/अख अखन/एख95


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ अगस्त २००८ (वषर् १ मास ८ अंक १५)http://www.videha.co.in/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्49. अही ं केँअही ँ केँ50. गही ं रगही ँ र51. धार पार केनाइ धार पार केनाय/केनाए52. जेका ँ जेँ का ँ/जका ँ53. तिहना तेिहना54. एकर अकर55. बिहनउ बहइ56. बिहन बिहिन57. बिहिन-बिहइ बिहन-बहनउ58. निह/59. करबा’/करबाय/करबाए60. त’/त ऽ तय/तए61. भाय भै62. भा ँय63. यावत जावत64. माय मै65. देि/दएि/दयि दि/दैि66. द’/द ऽ/दएिकछु आर शमानक मैिथली_३तका’ कए तकाय तकाएपैरे ( on f oot ) पएरेताहुमे ताहूमेपुीक96


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ अगस्त २००८ (वषर् १ मास ८ अंक १५)http://www.videha.co.in/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्बजा कय/ कएबननायकोलािदका िदनकाततिहसँगरबओलि गरबेलिबालु बाल ूचे िच(अशु)जेसे/ केएख ुनकाजे’से’/के’अखकाभुिमहार भूिमहारसुगरस ूगरझठहाक झटहाकछूिबकरइयो/ओ करैयोपुबािरझगड़◌ा-झा ँटीपएरे-पएरेखेलएबाकपुबाइझगड़◌ा-झािटँपैरे-पैरेखेलेबाकखेलाएबाकलगा’होए- होब ुझलब ूझलब ूझल (संबोधन अथ र्मे)यैहयएहताितलअयनाय- अयनाइ97


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ अगस्त २००८ (वषर् १ मास ८ अंक १५)http://www.videha.co.in/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्िन- िनिबिबनजाए जाइजाइ(i n di f f er ent sense)-l ast wor d of sent enceछत पर आिब जाइखेलाए (pl ay) – खेलाइिशकाइत- िशकायतढप- ढ़पपढ़- पढकिनए/ किनये किनराकस- राकशहोए/ होय होइअउरदा- औरदाब ुझेलि ( di f f er ent meani ng- got under st and)ब ुझएलि/ ब ुझयलि (under st ood hi msel f )चिल- चलखधाइ- खधायमोन पाड़लिखमोन पारलिखकैक- कएक- कइएकलग ल’गजरेनाइजरओनाइ- जरएनाइ/जरयनाइहोइतगड़बेलि/ गड़बओलििचखैत- ( to test)िचखइतकरइयो(willing to do)करैयोजेकरा- जकरा98


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ अगस्त २००८ (वषर् १ मास ८ अंक १५)http://www.videha.co.in/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्तकरा- तेकरािबदेसर ामे/ िबदेसरे ानमेकरबयलहु ँ/ करबएलहु ँ/करबेलहु ँहािरक (उारण हाइरक)ओजनवजनआधे भाग/ आध-भागेिपचा’/ िपचाय/िपचाएनञ/ बा नञ () िपचा जायतखन (नञ) कहैत अिछ।कतेक गोटे/ कताक गोटेकमाइ- धमाइ कमाई- धमाईलग ल’गखेलाइ (f or playing)छिथ छिथनहोइत होइोिकयोकेश ( hai r )केस (cour t -case)बननाइ/ बननाय/ बननाएजरेनाइकुरसी कुसीर्चरचाकम र्चचा र्करमडुबाबय/ डुमाबयएख ुनका/ अख ुनकालय (वाक अितम श)- ल’कएलककेलक99


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ अगस्त २००८ (वषर् १ मास ८ अंक १५)http://www.videha.co.in/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्गरमीबरदीगमीर्वदीर्सुना गेलाह सुना’/सुनाऽएनाइ-गेनाइतेना घेरलिनञडरोड’रोकतहु- कही ंउमिरगर- उमरगरभिरगरधोल/धोअल धोएलगप/गके के’दरबा/ दरबजाठामधिर तकघिरूलौिटथोरबेकबतोँ/ तू ँतोँिह( पमे ा)तोँही/तोँिहकरबाइएकरबाइयेएकेटाकिरतिथकरतिथपहु ँिच पहु ँचराखलि रखलिलगलि लागलि100


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ अगस्त २००८ (वषर् १ मास ८ अंक १५)http://www.videha.co.in/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्सुिन (उारण सुइन)अिछ (उारण अइछ)एलिथ गेलिथिबतओिबतेकरबओलि/ करेलिखकरएलिआिकिकपहु ँिच पहु ँचजराय/ जराए जरा’ (आिग लगा)से से’हा ँ मे हा ँ (हा ँमे हा ँ िवभिक्मे हटा कए)फेल फैलफइल( spaci ous) फैलहोयति/ होएति हेतिहाथ मिटआयब/ हाथ मिटयाबयफेका फें कादेखाए देखा’देखायसिरसाहेबदेखा’सरसाहबVI DEHA FOR NON RESI DENTS1.VI DEHA MI THI LA TI RBHUKTITI RHUT2Mai . t hi l s and GoaTHE COMET- Engl i sh t r ansl at i on of Gaj endr a Thakur ' s Mai t hi l i Novel Sahasr abadhanitranslated by Jyoti.1<strong>01</strong>


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ अगस्त २००८ (वषर् १ मास ८ अंक १५)http://www.videha.co.in/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्YEAR 20<strong>08</strong>-09 FESTI VALS OF MITHILAिमिथलाक पाबिन-ितहारYear 20<strong>08</strong>ashunyashayanvr at - 19 j ul yअश ूशयन तmauna panchmi -23 july मौना पंचमीmadhusr avanivr at samapt 4august मध ुावनी तसमाnag panchmi 6august नाग पंचमीूr aksha bandhan/sr avani poor ni ma16 august रक्षाबन ावनी पिण र्माkajli tritiya 19august कजली ितीयाsr i kr i shnajanmasht ami - 23august ीकृजामीsr i kr i shnasht ami24 augustीकृामीkushot pat an/kushi amavasya30 augustकुशोाटन / कुशीअमावाhar i t al i ka vr at2 sept emberहिरतािलकातchaut h chandr a 3sept ember चौठ चRi shi panchmi 4sept ember ऋिषपंचमीkar ma dharmaekadasi vr at 11sept ember कमा र् धमा र्एकादशी तi ndr apooj aar ambh 12sept ember इप ूजाआरanant pooj a 14sept ember अनंतप ूजाagast yaar dhdanam 15sept ember अगस्अध र्दानमpi t r i pakshaar ambh 16sept ember िपपक्षआरvi shvakar mapooj a 17sept ember िवकमा र्प ूजाi ndr vi sar j an 18sept ember इिवसजर्नsrijimoot vahanvr at 22sept ember ीजीम ूतवाहन तmat r i navmi 23sept ember मानवमीsomaavat eeamavasya 29sept ember सोमावतीअमावाkal ashst haapana30 sept emberकलशापनvilvabhimant r a/bel naut i 5oct ober िवािभम ं/बेलितpat r i ka pr avesh6 oct ober पिकावेशmahasht ami 7oct ober महामीmahanavmi 8oct ober महानवमीvi j ayadasmi 9oct ober िवजयादशमीkoj agr a 14oct ober कोजगराdhant er as 26oct ober धनतेरसdeepaval i -di yabat i -shyamapooj a 28oct ober दीयाबाती/ामाप ूजा/ दीयाबातीannakut a-govar dhan pooj a29 oct ober अकू टगोवध र्नप ूजा102


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ अगस्त २००८ (वषर् १ मास ८ अंक १५)http://www.videha.co.in/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्br at r i dvi t i ya/chi t r agupt pooj a30 oct oberाितीयाkhasht hi khar na3 november षीखरनाchhat hisayankal i kaar ghya 4navamber छिठसाय ंकािलकअर्samaa pooj aar ambh- chhat hivr at ak par ana 5november सामा प ूजाआर/ छिठ तकपारनाakshaya navmi 7november अक्षयनवमीdevot t hanekadasi 9november देवोानएकादशीर्vi dyapat i smr i t ipar v11 novemberिवापित ृित पवकाितर्क धवल योदशीkaar t i k poor ni ma13 november काितर्कपिण ू र्माshanmasi k r avivr at ar ambh 30november षाणमािसकरिवतारnavan par van 4dec. नवान पाव र्नvi vah panchmi 2december िववाहपंचमींYear 2009makar sankr ant i14 j anuar y मकरसंाितnar ak ni var anchat ur dasi 24j anuar y नरक िनवारणचतुद र्शीmauni amavasya26 j anuar y मौनीअमावाsar asvat i pooj a31 j anuar y सरतीप ूजाachl a sapt mi - 2f ebr uar y अचलासमीmahashi vr at r ivr at 23 f ebr uar yमहािशवराि तj anakpurpar i kr ama 26f ebr uar y जनकपुरपिरमाhol i ka dahan 10mar ch होिलका दहनhol i /sapt ador a11mar ch होली साडोराvar uni yog 24mar ch वािण योगvasant /navr at r ar ambh 27mar chवसंतनवराारbasantsoor yashasht hi /chhat hi vr at 1apr i l बसंत स ूय र्षी/छिठतramnavmiरामनवमी3 apr i lंmesh sankr ant i14 apr i l मेषसंाितjurisital 15apr i l जूड़ि◌शीतलakshya t r i t i ya27 apr i l अक्षयितयाshanmasi k j anki navmi 3 gangadashhar a 2 somavat i103


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ अगस्त २००८ (वषर् १ मास ८ अंक १५)http://www.videha.co.in/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्r avi vr at samapt3 may षणमािसकरिवतसमाmay vat savi t r i24 may जानकी नवमीjune गंगादशहराamavasya 22 j uneसोमवती अमावाj agannat h r at hyat ra 24 j uneजगाथ रथयााsaur at h sabhaar ambh 24 j uneसौराठ सभा आरsaur at h sabhasamapti 2 julyसौराठ सभा समािhar i shayanekadashi 3 j ul yहिरशयन एकादशीूaashadhi gur upoor ni ma 7 j ul yआषाढ़◌ी गु पिण र्माVI DEHA MI THI LA TI RBHUKTITI RHUT---Basar h seal shows t hat i n Ti r abhukt i , t he Kumaumatya was entrusted with the districtadmi ni st r at i on t o t he pr ovi nci al gover nor s cal l ed upar i ka.The Panchobh copper -pl at e gr ant deed of Ramagupt a appear s t o cont i nue t he domi nanceof Lat er Gupt as over t he Sout her n par t of t he pr ovi nce . Sangr amagupt a gr ant ed avi l l age Vani pama i n di st r i ct Jambuvani t o a Br ahmana cal l ed Kumi ra Swami of Sandi l yaGot r a,. l ear ned i n Yaj ur veda and bel ongi ng t o Kol a chanul a.Af t er t he Gupt as, Mi thila formed a par t of Har sha' s Empi r e whi ch i ncl uded Lor d ofFi ve I ndi es have been i nt er pr et ed as, Lor d of Punj ab, Kanyakubj a, Mi t hi l a,Bengal andOr i ssa.Har s ha l ef t no son t o succeed hi m, Ar j una or Ar unusva, i nchar ge ofTi r abhukt i , cl ai med i mper i al st at us and f or ced nei ghbour i ng pr ovi nces t o submi t tohi m. Madhavagupt a who became i ndependent , must have r esi st ed t he pr et ensi ons of Ar j una.A chi nese mi ssi on was goi ng t o Magadha and Ar j una at t acked t he mi ssi on.Thi s assaul tbr ought about t he i nvasi on of hi s ki ngdom by t he Ti bet an ar my swooped down uponTi r hut , t he ki ngdom of Ar j una and st or med hi s capi t al and al so ot her t owns of t heki ngdom. He was capt ur ed and i t was qui t e possi bl e t hat Ti r abhukt i was br ought underTi bet an i mper i al i sm ai ded by t he Nepal ese ar my. Ki ng of Ti bet ,est abl i shed hi s sway over Mi t hi l a, al ong wi t h Nepal . Ti bet an r ul e i n Ti r hut l ast edonl y f or about hal f a cent ur y A. D. 647-8 t o 703 AD . .Ar j una at t acked a Chi nese mi ssion killed most of t he member s of t he mi ssi on andpl under ed t hei r pr oper t y. Want hi uen-t se f l ed t o Nepal , secur ed 7,000 sol di er s f r om104


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ अगस्त २००८ (वषर् १ मास ८ अंक १५)http://www.videha.co.in/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्Nepal and 1200 f r om Ti bet and r et ur ni ng t o I ndi an pl ai ns,di sast r ousl y def eat ed andimpr i soned Ar j una and t ook hi m a capt i ve t o Chi na.Gopal a : The pal as of Bengal ext ended t hei r i nf l uence over t he whol e of East er n I ndi a.The Pal as i nscr i pt i ons of ear l i er t i mes do not al l ude at al l t o any gl or i ous andl egendr y descent as t hey wer e Buddhi st s. The f oundat i on of t he Pal a dynast y i n Bengalgoes back t o Gopal a, put an end t o t he st at e of anar chy whi ch pr evai l ed i n Bengalaf t er t he deat h of Sasanka.Gopal a i s al so cr edi t ed wi t h t he f oundat i on of t he Nal anda Vi har a , r educed Magadhaal so under hi s power .Dhar mapal a ( c, 783-818 A. D.) really raised the glory of Palas to Imper i al hei ght s,Mi t hi l a was an i nt egr al par t of i t s cent r al st r uct ur e bei ng di r ect l y admi ni st er ed bythe king himsel f . Dhar mapal a f ought wi t h t he Pr at i har as and made hi msel f t he r ealmast er of Kanauj and i nst al l ed hi s pr ot ege chakr ayuddha t o t he t hr one as a vasalruler.The Kar nat as and t he Lat as ar e ment i oned among r oyal of f i cer s i n t he Nal andaI nscr i pt i on of Dhar mapal a.Devapal a ( c. 818-850 A D.) cont i nued hi s hol d over Mi thila, Mudgagi r i ( Munger ) became animpor t ant admi ni st r at i ve cent r e.Badal pi llar inscription of Narayanapal a- the vict or i es of the time of Devapal a ar ecr edi t ed t o t he her edi t ar y mi nisterial fami l y, Dar bhar ai and hi s gr andson Kedar aMi shr a who wer e Mai t hi l . Devapal a's r ei gn i s t he hi gh wat er mar k of t he Pal aimperialism.Bhagal pur I nscr i pt i on def i ni t el y uses t he wor d Tr i bhukt i f or Monghyr .Vi gr ahapal a I i s t he sams as Sur apal a ment i oned i n t he Hadal Pi llar inscription ofGur av ami sr a,, because i t i s t he onl y name ment i oned bet ween Devapal a and Nar ayanpal a,and agai n i n t he Bhagal pur gr ant .Nar ayanpal a ( c. 863-916 A. D.) agai n Pal a domi nation over Mithila. gr ant ed f r omMudgagi r i ( Monghyr ) a vi l l age i n Ti r abhukt i t o t he Shr i ne of Si va.The Bhagal pur copper Pl at e of Nar ayanapal a - Gur avami gr a was hol di ng a hi gh of f i cethat of a dut aka of a r oyal gr ant . Af t er hi s accessi on Nar ayanapal a became r econci l edwith the minist er i al f ami ly and par doned Gur avami sr a f or t he par t t hat he or hi sfather mi ght have pl ayed dur i ng t he i nt er nal t r oubl es i n t he f ami ly.105


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ अगस्त २००८ (वषर् १ मास ८ अंक १५)http://www.videha.co.in/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्The Di ghwa-Dubaul i pl at e was i ssued by Mahendr apal a -a village gr ant about 40 Kms.Sout h east of Gopal aganj i n t he Sar an Di st r i ct - , hol d of Mahendr apal a over Nor t hBi har . Hi s l ast known dat e i s 907-<strong>08</strong> A. D.Mahi pal a' s aut hor i t y over Ti r abhukt i i s pr oved by t wo i dent i cal i ma ges inscriptionsf ound i n t he vi llage of Imadpur i n t he Muzaf f ar pur .I n 1<strong>01</strong>9 A. D. Kal achur i Gangeyadeva was r ul i ng over Ti r hut , and t her ef or e Mahi pal a Imust r econquer ed i t f r om Kal achur i s .Nanyadevaof Mi thila who came t o t he t hr one i n 10 th cent ur y AD." Gaudadl i vaj a" -t he cor r ect r eadi ng bei ng " Gar udadhvaj a",f ewpossibility of i dent i f yi ng Gat i geyadeva of Ti r abhukt i wi t h t he Kal achur i Ki ng.Gangaor Gahga-deva, son of Nanyadeva ( 1097-1147 A. D.).Mi thila mi ght have passed i nt o t he hands of some ot her r ul er t han t he Pal as.Ramapal a at t empt ed a par t i al r ej uvenat i on. Chedi s of Tr i pur i , t he Kar nat a' s of Mi thila,t he Rai var t as of Nor t h Bengal . t he Rasht r akut a of Pi t hi ( i n Bi har ), t he Chandisis ofKanauj and t he Senas of East er n Bengal hammer ed at t he Pal a ki ngdom,whi ch ul t i mat el ydi sappear ed by 12t h cent ur y A. D.Ramapal a ( c. 1<strong>08</strong>4-1130) conquer ed Mi thila fromRaja king of Kaivartas.Vai dyadeva' s Kanaul i copper -pl at e r ef er t o t he conquest of t he l and of Rampal a'sf at her by t he expr essi on " Janakabhu " and not t hat of Mi t hi l a.Dhar mapal a f ounded t he f amous Vi kr amasi l a Vi har a .The Hi st or y of t he 84 Si ddhas and t hat of t he cel ebr at ed Mai t hi l i poems calledChar i apadas cl ear l y show how val uabl e t he i nf l uence of t he Pal a r ul er s was i n t hehi st or y of Buddhi sm and i t s t hought .By st or ming the capi t al of t he Par amar a Ki ng Bhoj a I , dest r oyi ng t he Kal achur i Ki ngKar ma , t he Chal ukya ki ng Somesvar a I paved t he way f or t he Kar nat i c domi nat i on i nNor t h I ndi an pol i t i csl i ke Gahadaval as of Kanauj ( or Kashi ), t he Senas of Bengal and Nanyadeva of Mi t hi l a.Vi j ayasena ( c 1095-1158 A. D.) made an at t empt t o conquer Mi t hi l a al so.Nanyadevacl ai med t o have br oken t he power of Ganda and Venga- Nanyadeva's son Gangedeva,cl ai med t o be t he l or d of Gauds , encount er of Vi j ayasena and Nanyadeva wasi ndeci si ve and t hat Vi j ayasena' s at t empt t o br i ng under hi s domi nat i on,t he whol e ofthe basic Pala Empi r e met wi t h a f ai l ur e i n so f ar as Mi t hi l a was concer nedVallalasenaVallalasena ( c. 1158-1179 A. D.)-Vallala Charita - domi nat i ons of Val l al asena compr i sed106


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ अगस्त २००८ (वषर् १ मास ८ अंक १५)http://www.videha.co.in/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्f i ve pr ovi nce, vi z., Vanga, Var endr a, Radha, Bagdi and Mi t hi l a.Lakshmanasenu ( c. 1179-1205 A. D) was per haps one of t he gr eat est Ki ngs of Bengal . Hi scour t was ador ned by emi ment poet s- Umapat i dhar a Mai t hi l , Govar dhanucl r ar ya wascer t ai nl y a Mai t hi l . Vi dyapat i r ecor ds t he st or y of an act or who di ed whi l eimper sonat i ng Rama ' s vi r aha bef or e hi s cour t , an-er a i n Mi thila after him- oneLakhanackanda i n t he Ragat ar angi ni of Lochana.Chr oni cl e of one Mukunda Sena i s pr eser ved i n Nepal Dur bar Li br ar y.Kar nat a ki ngs wer e i n t he moder n pr ovi nce of Bi har f r om even t he 6t h Cen . A. Dbr , oughtwi t h hi m Kar nat i c pandi t s t o pr opagat e t hei r cul t ur e.Nanyadeva br ought schol ar sr l dhar adasa, t he aut hor of t he Sadukt i kar pamr i t a. A gr eat . schol ar and Vi dyagur u ofVachaspat i , Tr i l ochana mi ght have come t o Mi t hi l a al ong wi t h t he Ki ngs of Kar nat a .Br oadcastAj ay Thakur , pr esent l y l i vi ng at Vasco da Gama , Goa.i s associ at ed wi t hJour nal i sm. Pr esent l y he i s doi ng r esear ch st udy on Goa and Maithils.GOA I S PARASHURAM’s MITHILAIt is Sunday. About 6 pm i n t he eveni ng.I t i s r ai ni ng out si de t he Sai baba Templ e ont he out ski r t s of Cuchel i m i n Mapusa, Goa.I nsi de Lal an Jha cl ear s hi s t hr oat “ l aal el aal e ar hul ker ka aabai t achi ” . Ther e i s a hush. A l one voi ce “ Bhai ya,hum sunn ney t ochel i yaah, muda ahaa pher sau kahi yon” . Lal anj i br eaks i nt o t he song as t he 25 st r ongcr owd accompani es hi m. The song Mai t hi l i , t he pl ace Konkan. What i s t he connect i on.Thi s i s no or di nar y t empl e, t hi s i s no or di nar y pl ace, t hi s i s no or di nar y l and.Andthis is no or di nar y connect i on.I f I say Goa t o You, what wi l l come t o your mi nd. Beaut i f ul whi t e beaches,whi t eski nned angr ez wear i ng l ess or no cl ot hes l yi ng or swi mmi ng i n sea,peopl e wear i ngski r t and bl ouse, dr i nki ng wi ne-beer -whi sky, i ndul gi ng i n al l vi ces.Let Me di sappoi ntYou. And t ake You t o a Goa t hat i s a par t of Mi t hi l aanchal . And i t woul d not be wr ongt o say Goans ar e f r om Mi t hi l aanchal .The f amous si nger , Lat a Mangueshkar comes f r om a smal l vi l l age cal l ed Mangueshi . Thi svi l l age i s named af t er t he r esi dent God Shr i Mangesh. An avat ar of Shi va.The hi st or yof Shr i Mangesh or ( Shr i Mangueesh or Shr i Mangi r eesh) dat es back t o t he Pur anas.I nthe Ramayana we know of how Lor d Par ashur am wi ped t he Kshat r i yas of f t he f ace ofEar t h t hr i ce was doi ng penance when Rama br oke Shi va’ s Bow i n Janakpur ( Capi t al ofMi t hi l a / Ti r hut ), Par ashur am st or med i n t o Janak' s ( Si t a' s Fat her ) Cour t t o ki l l Ramaas he ( Par ashur am) had swor n t o wi pe al l Kshat r i yas f r om Ear t h.But when Rama t ol d hi mt hat hi s ( Par ashur ams ' ) t i me was over and t hat he ( Ram) was hi s ( Par ashur ams ' ) own nextAvat ar ( bot h Par ashur am and Ram ar e Vi shnu' s Avat ar or r ei ncar nat i on)...Par ashur amapol ogi sed and l ef t t he cour t .The Sahyadr i Khand of Skand Pur ana says t hat Par shur am i nvi t ed 66 Panch Gaud Br ahmi nsbel ongi ng t o 10 got r as f r om Tr i hot r a ( bel i eved t o be Ti r hut i n Bi har ) t o Kushast hal( now known as Kut t hal or Cor t al i m, Goa)f or per f or mi ng t he Yagya af t er wi pi ng out t heKshat r i yas. 96 f ami l i es of t he Goud ( meani ng nor t her n) Sar aswat s came t o t he sout her n107


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ अगस्त २००८ (वषर् १ मास ८ अंक १५)http://www.videha.co.in/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्hal f of I ndi a and hence car r i ed t he appel l at i on of ' nor t her n'i n t he f or m of t he wor dGoud. I n vi ew of t he 96 f ami lies who formed 96 set t l ement s i n Goa - Sasasht i ( 66) isnow cal l ed Sal cet t e, t hen Ti ssuar i ( 30) whi ch i s now known as Ti swadi . Ther e wer ef ur t her set t l ement s i n Bar adesh ( 12 set t l ement s)now known as Bar dez wher e t he 16t hInternational Mai t hi l i Conf er ence was hel d.The Gowd Sar aswat s have bui l t many t empl es i n Goa l i ke t he Ramnat hi t empl e i nLout ol i m, and t he Mangueshi and Shant adur ga templ es i n Kushast hal i and Quel l osi m al ongwi t h peopl e f r om t he ot her Hi ndu cast es.Each gr oup had br ought wi t h i t t he i dol t heyused t o wor shi p and i nst al l ed i t i n t he vi l l ages donat ed by Par shur am out of t he l andreclaimed by hi m f r om t he sea. The l egend has i t t hat hi s ar r ow hi t Banahal l i( Benaul i m i n Goa) wher e Lor d Var una ( Sea) st epped back and r el eased a f er t i l e l and.Even t oday,Benaul i m has acr es of f er t i l e l and wher e paddy i s gr own whi ch i s t he onl yar ea, whi ch has pr oof s of bei ng r et r i eved f r om sea.Whi l e t he Ti swadi commune was mi gr ant s f r om Kanyakubj a, Shashat i s wer e f r om Mi t hi l a.Ther e i s a vi ew t hat t hese set t l ement s t oget her wer e 96 and r ef er r ed as Sahanavi s( Saha means si x and Navi means ni net y) and l at er as Shenvi s.These set t l er s bel ongedto 10 Gotras - Bhar dwaj a, Koushi ka, Vat shya, Kaundi nya, Kashyapa, Vasi sht ha, Jamdagni ,Vi shwami t r a, Gaut am and At r i .Those bel ongi ng t o t he Vat sa and Kaundi nya got r a r ecei ved Kushast hal as gr am dan andinstalled in the village their family deity, Shri Mangi r eesh.The Pur ana expl ai ns t hatthe Bramha had est abl i shed t he Shi val i nga at Monghi r i n Tr i hot r a ( Ti r hut ) and i t camet o be known as Mangi r eesh or Mangeesh.Once set t l ed down , t hey al l cont i nued i n t hei r t r adi t i onal pr of essi ons ofadmi nistration and educat i on.Those Sar aswat s who wer e i nt el l i gent and l ucky got r oyalpat r onage and posi t i ons i n gover nance i n due cour se of t i me . But t he oppor t uni t i es i nt hese f ami l i ar pr of essi ons wer e l i mi t ed i n Goa at t hat t i me.So some ent er pr i si ngSar aswat s br anched out i nt o t he pr act i ce of t r adi ng.The successes of t hese pi oneer i ngSar aswat t r ader s encour aged many ot her Sar aswat s t o whol e-hear t edl y adopt t r adi ng asa mai nst r eam pr of essi on.So whi l e we are yet t o see a Mai t hi l Tat a or Bi r l a, Goa i s act ual l y l ed by Sal gaocar s,Dhempos, Ti mbl os & Chowgul e al l Goud Sar waswat Br ahmi ns fromTirhut or Mithila.Today t her e ar e mor e t han 2000+Mai t hi l s who st ay i n Goa and can be f ound most l y i nand ar ound Mapusa, t he shi pyar ds dot t i ng Zuar i and i n t he I ndi an Navy. But t here is al ot of commonal i t y t hat st i l l exi st s i f not cul t ur al l y t hen def i ni t el y genet i cal l y.Just l i ke our Kul devi t hey have a Kul devat a i n each househol d.A l ot of st r ess i sgi ven i n t he pr act i se and under st andi ng of vedi c r i t ual s j ust l i ke us.I n habi t s they love the fish as we do.Just like us they lay mor e st r ess i neducat i onf i r st t hen get t i ng i nt o pr of essi on. Respect t o el der s,j oi nt f ami l y syst em abovenuclear families and stress on karmakaand. Goans ar e qui t e l i ke us.Thi s pl ace i s as peacef ul as Mi t hi l a ( al l of us agr ee i t i s t hat par t of Bi har whi chhas very low crime r at e).The umpt een number of ponds and wat er bodi es of Goa r emi ndsMaithils of the umpt een pokhar s ( pond) and dhar s ( st r eams) of t he Kamal a Bal an pl ai ns.So when Rai l way Mi nister Lalu Yadav announced t he st ar t i ng of Vasco - Pat na Expr esson our demands,t he t hought t hat cr ossed my mi nd was i sn’ t i t st r ange t hat ourf or ef at her s f ol l owed t he same r out e year s ago t o di scover Go-rashtra or Goa now,gener at i ons wi l l t ake a t r ai n t o r ecr eat e t he hi st or i c j our ney” ? I t ook t he r out el ong ago, Why don’ t You?1<strong>08</strong>


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ अगस्त २००८ (वषर् १ मास ८ अंक १५)http://www.videha.co.in/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्Jyot iEngl i sh Tr ansl at i on of Gaj endr a Thakur ' s Mai t hi l i Novel Sahasr abadhani by Smt .Jha Chaudhar yJyot i Jha Chaudhar y, Dat e of Bi r t h: December 30 1978, Pl ace of Bi r t h-Bel hvar ( Madhubani Di st r i ct ), Educat i on: Swami Vi vekananda Mi ddl e School , Ti sco SakchiGi r l s Hi gh School , Mrs KMPMInter College, IGNOU , ICWAI ( COST ACCOUNTANCY ); Resi dence-LONDON , UK ; Fat her - Sh. Shubhankar Jha, Jamshedpur ; Mot her - Smt . Sudha Jha- Shivipatti.Jyot i r ecei ved edi t or ' s choi ce awar d f r om wwwpoet . r y. com and her poems were f eat uredi n f r ont page of wwwpoet . r ysoup. com for some peri od.Her Mithila Paintings have beendi spl ayed by Eal i ng Ar t Gr oup at Eal i ng Br oadway, London.Sahasr aBar hani : The CometEnvi r onment of out si de was war m wi t h t he di scussi on of mai nt enance of wr est l i ng spot .The game of wrest l i ng i n mor ni ng was r eal l y enj oyabl e.Chi l dr en and yout hs of al l agesused t o gat her i n t he mor ni ng.The gr ound of wr est l i ng pl ace was as sof t as amat t r ess. I t was made by pl oughi ng and f i l t er i ng t he soi l . Jhi ngur Babu was mi ssi nghi s son not f i ndi ng hi m i n t he gr oup of ot her chi l dr en.Peopl e used t o consol e hi m byremi ndi ng how i mpor t ant t he st udy of hi s son was because of what he i s apar t f r om hi m.Ear l i er t her e was onl y one wr est l i ng l ovi ng Thakur f ami l y i n t he vi l l age t hat camef r om Akkour year s ago. Now t her e ar e f i ve such f ami lies.The Thakurs have nowgot anequal shar e i n t he di st r i but i on of f i sh of dakhi pond,equi val ent t o a t ol a ofvillage. Now t her e ar e ei ght f ami l i es par t i ci pat i ng i n wr est l i ng consi der i ng chi l dr enbel ongi ng t o t he same age gr oup of Kal i t . These boys had al r eady achi eved t he di gni t yof bei ng r ecogni sed as wr est l er s.A messenger r eached wi t h a message wr i t t en i nTi r hut a on a bhoj pat r a.Af t er gi vi ng one smal l bucket f ul of wat er and a l ot a t o t hemessenger Jhi ngur Babu r ead t he l et t er . I t was pr obabl y an i nvi t at i on f or sacr edt hr ead cer emony cal l ed upanayan sanskaar . “ Don’ t f or get t o vi si t t he f ai r ofPar at apur ” , He i nsi st ed t o t he messenger . He f el t a t r ue af f ect i on t owar ds t her el at i ve r el at ed t o t he ol d gener at i ons of hi s f ami l y t hr ough mool and got r a.Hestarted reading letter in his courtyard:Respect ed Jhi ngur Babu! As ador abl e as Lor d Vi shnu!Pl ease accept Gul ab’ s mi llionspr anaam ( gr eat r espect ) t o your sacr ed f eet . Ever yt hi ng i s f i ne her e.I am ver y pl easedt o announce t he sacr ed t hr ead cer emony of my t wo sons – Shr ee Ganesh and Shr eeChandr amohan. Your gr eat gr andf at her and my gr eat gr andf at her wer e cl assmat es.Mygr andf at her had i nst r uct ed me t o be i n t ouch wi t h peopl e of same got r a.Any newswhet her i t i s good news or sad news shoul d be exchanged wi t hi n our vi l l ages ot her wi sei gnor ance of mai nt enance of ashauch may pr ove har mf ul f or bot h of us i n f ut ur e.Atpr esent I woul d l i ke t o r equest pr esence of f i ve of you r espect ed t hakur s i n t hi sauspi ci ous cer emony. You ar e supposed t o be aachar ya of my el der son.The ar ea ar ound109


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ अगस्त २००८ (वषर् १ मास ८ अंक १५)http://www.videha.co.in/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्Par t apur was vi si t ed by you so l ot s of peopl e ar e cur i ous t o t al k t o you.Your ar r i valon t he f i r st Monday of t he next mont h wi l l assur e t he f l awl ess cont i nuat i on of al lpr epar at i on. The cer emony wi l l be st ar t ed f r om t he f ol l owi ng Wednesday. Good bye.The sabhagachhi - the famous meet i ng pl ace used t o be under dense woods ofPar t apur at t he bank of t he r i ver Bal an. The r i ver of Bal aan was ver y deep and cal m.Once a huge t ree f rom Hi mal ayas f el l i nt o i t and bl ocked i t s way.The r i ver was spl i ti nt o t wo par t s. I n t hi s way a new r i ver Kamal a was bor n.The r i ver of Bal aan i sf l owi ng t owar ds Jhanj har pur and Kamal a i s di r ect ed t owar ds Mai hat h, Nar ua and Gar i yar .Bal an i s ver y deep and cl ear . No sand peep t hr ough i t ; on t he cont r ar y,Kamal a i s notso deep but ver y wavy and ver y dest r uct i ve.Sand and wat er st ar t ed di st ur bi ng t he l andadj acent t o t hi s r i ver i n f l ood. Dept h of Bal an i s same t hr oughout t he year . Cr ossi ngi t wi t hout boat i s not possi bl e even i n summer . But , Kamal a i s shal l ow enough t o becr ossed by pedest r i ans i n summer . The pr evi ous spot of sabhagachhi i n Par t apur wasdest r oyed by one of such dest r uct i ve f l oods by Kamal a and t he sabhagachi pl ace wasshifted to the village of Saurath. But, in the age of Jhingur Babu,Par t apur used t o bet he cent r e of panchkoshi - t he ar ea t hat conser ves t he aut hent i c Mi t hi l a cul t ur e.Al t hough Sabhagachi was shi f t ed t o Saur at h l at er on,Par t apur r emai ned as t he cent r eof panchkoshi .“ Kal i t i s r et ur ni ng on day af t er t omor r ow, I wi l l t ake hi m t o Akkour . The poorboy! He has been apar t f r om f ami l y f or a l ong t i me.I will take himto his maternaluncl e’ s pl ace and my si st er’ s pl ace t hi s t i me .” Jhi ngur Babu t hought .As per pl an bot h f at her and son r eached Ekkour . Jhi ngur Babu di dn’ t f i nd t hi s hi msel fa st r anger i n t hi s vi l l age i n any r espect . The usual t r adi t i on of i nt el l ect ualdi scussi on was goi ng on i n gat her i ng of schol ar s t her e t oo.The t opi c was t he Br i t i shr ul e and I ndi an Ar my st r uct ur e.Bei ng a par t of ar my Mangar u Babu had wi t nessed manywar s i n hi s r ed uni f or m.He st ar t ed descr i bi ng hi s exper i ence of accompanyi ng Si rChar l es Napi er i n t he Br i t i sh 1867-68 expedi t i on t o Abyssi ni a.He al so descr i bed howl ack of t i me was r esul t ed i n f aded uni f or m i n l i eu of r ed uni f or m t o t he sol di er s i nt he second war of Af ghani st an.The same uni f or m became f amous as khaki uni f or m af t ert hat . The Enf i el d r i f l es used i n 1857 r evol t of I ndi ans st r uggl i ng f or f r eedom ar er epl aced by bi gger sni der r i f l es i n 1887. Mangar u Babu al so t al ked about Congr ess.Ont he ot her hand Jhi ngur Babu became busy i n l i st i ng and est i mat i ng t hi ngs f or comi ngf east . Kal i t t oo f ound compani ons t o pl ay wi t h.Fannu Babu f r om Raj e vi llage was alsopr esent among t hose schol ar s. Hi s si st er and br ot her -i n-l awwere living in Ekkour sohe used t o vi si t t he vi l l age qui t e f r equent l y.He had not seen Kal i t i n t hat vi llageear l i er . He became cur i ous about Kalit.When Fannu Babu came t o know t hat Kal i t wasJhi ngur Babu’ s son he went t o hi m.Ther e he came t o know t hat get t i ng per manentempl oyment i n Jami ndar i , Kal i t got t he aut hor i t y t o col l ect cess i n Mi t hi l a r egi on onbehal f of Dar bhanga Raj a and he was t o go t o Kat i har f or t hat wor k. Meanwhi l e,Kal i thad al so compl et ed st udy of Far si and Engl i sh.As l ong as Kal i t ’ s mar r i age wasconcer ned, Fannu Babu was al so l ooki ng f or an appr opr i at e gr oom f or hi s daught er . Theni t was agr eed t hat Fannu Babu woul d vi si t Par t apur Sabhagachi and gi ve Jhi ngur Babu achance t o host hi m.But as soon as t hat mar r i age pr oposal was known r el at i ves ofJhi ngur Babu t hey f or ced hi m t o f i nal l y f i x t he mar r i age and compl et e t he f or malityof Si ddhant i n Bhar am. He was suspect i ng hi s wi f e’ s r ef usal but , agai nst hi santicipation, his wife was filled with ecstasy when she hear d t hat . Al l her wor r i es,t hat had been f or l ast f our days, seemed t o be di sappear ed at once.Ther e wer e onl y t wo opt i ons of t r anspor t at i on- walking of feet or bullock cart .The bar at st ar t ed i t s auspi ci ous j our ney- Gr oom i n a mahf a,young peopl e on f eet andot her el der s on bul l ock car t . The gr oup of ser vant s wer e f ol l owi ng t hem.A war m110


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ अगस्त २००८ (वषर् १ मास ८ अंक १५)http://www.videha.co.in/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्wel c ome was per f or med i n ar r i val of bar at at t he door by t he peopl e f r om br i de-gr oomsi de. As soon as t hey r eached t he br i de-gr oom’ s house a bar ber washed t hei r f eet ;per f ume was spr ead; posi es wer e pr esent ed; and snacks wer e ser ved.And t hen chat t i ngwas s t ar t ed - i nt el l ect ual as wel l as humor ous.The cour t yar d was venue f or al lr i t ual s of mar r i age and t he guest -ar ea i n out si de pl ace of soci al meet i ng.Theconver sat i on of bar at was i nt er r upt ed by some quer r i es l i ke “ wher e i s j ewel l er y ?”,“ who wi l l pr esent gi f t t o br i de at t he t i me of ghoonghat ” , and “ wher e i s sar i f orghoonghat ?” ever y now and t hen. I n t hi s way,t he envi r onment of cour t yar d as wel l ast he envi r onment of out si de of t he house was f illed with joy till 5 o’clock of themor ni ng.The sacr ed t hr ead of mar r i age was t i ed on t he coupl e’ s ar ms t hat r emai ned f orf our days. Af t er t hat mar r i age was compl et ed. Af t er f ew days passed,Jhi ngur Babuinformed t he auspi ci ous day and Kal i t r et ur ned t o hi s par ent ’ s pl ace f r om i n-law’shouse. Now he had t o st ar t f or Kat i har . I t was an emot i onal moment f or Kal i t t o apar tf r om hi s mot her and ot her peopl e of t he vi l l age.He st ar t ed t o Kat i har af t er bi ddi ngt hem bye.Cr ossi ng t he ar ea dest r uct ed by t he r i ver of Koshi Kal i t r eached Kat i haar and becameexper t i n hi s wor k ver y soon. Due t o over bur den of wor k he cal l ed hi s cousi n andnephew t o shar e t he wor k. It didn’t take time t o gai n good f ame f or Kal i t . Peopl el i vi ng i n t hat ar ea had ver y bad exper i ence r egar di ng t he f i nal set t l ement ofJami ndar i . Kal i t had r emoved t he cor r upt i ons i n t he wor k.But t he dest i ny had deci dedsomet hi ng el se f or hi m.Kal i t ’ s mot her di ed bef or e t he second mar r i age t hat i s ar r i valof br i de i n her i n-l aws house. She had many dr eams about her daught er -i n-l aw.Somet i mes she used t o say t hat she woul d f i ght wi t h her daught er -in-l awto test Kalitt hat whom he woul d suppor t . Jhi ngur Babu st ar ed bei ng ver y mi serable.Kalit told himto come wi t h hi m.But i t was not easy f or hi m t o l eave t he pl ace wher e he had spentall his life yet.Kalit’s second marriage ceremony was set t l ed on t hi r d year of f i r st mar r i age.Jhi ngurBabu was l i t t l e bi t r el axed af t er t hat . He t ol d t o Kal i t t hat when Kal i t had beenl i vi ng out of house most of t he t i me f or hi s st udi es,Buchi a was t aki ng car e of t hepar ent s.He was t hi nki ng t hat he woul d f i nd a gr oom f or Buchi a hi msel f but deat h ofhi s wi f e had made hi m ver y weak. He added , “ As you ar e sel f -dependent now.I f someonehas a son as young as f i ve year s ol d peopl e use t o t el l hi m t hat he shoul dn’ t wor r yas he has a f i ve year ol d son. And you’ r e wel l educat ed and ear ni ng son .” Af t erhandi ng Buchi a’ s hand over t o hi s daught er -in-l aw Jhi ngur Babu di ed.Kal i t had neverseen hi m i n so hur r y. He used t o be cool and pat i ent . He used t o wor r y about t hef r ui t s of hi s har vest . But separ at i on f r om hi s l i f e par t ner made hi m so i mpat i ent t hathe di dn’ t wai t f or cr op har vest .Whi l e st ayi ng i n Kat i haar , Kal i t kept on wor r yi ng about mar r i age of Buchi a.He neverhad such wor r i es when hi s f at her was al i ve.But now he had t o pr ove t hat Buchi a wasnot an or phan i n absence of her par ent s. Mar r i age pr oposal coul dn’ t be r ai sed tillf i r st deat h anni ver sar y of Kal i t Babu.Af t er gi vi ng a gr and f east t o vi l l ager s on t hef i r st deat h anni ver sar y of hi s f at her Kal i t had st ar t ed t he sear chi ng t he gr oom f orBuchi a. He had vi si t ed t he Par at apur Sabhagachhi but he di dn’ t f i nd any gr oom sui t abl ef or Buchi a. The l eave of f i f t een days f r om wor k was wast ed.While working he came t oknow about some Maithil families fromGiddhhaur, Baarh etc.the villages si t uat ed ont he sout h of t he r i ver of Ganges. He l i ked a boy f r om Baar h who was wor ki ng in estate111


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ अगस्त २००८ (वषर् १ मास ८ अंक १५)http://www.videha.co.in/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्of Gi ddhaur .He vi si t ed Gi ddhaur t o meet t he boy wi t hout del ayi ng.The boy possessed i mpr essi veper sonal i t y. Seeki ng addr ess f r om t he boy he r eached Baar h and t al ked t o boys f at her .The mar r i age pr oposal f r om Panchkoshi had r eached t he vi llage af t er a l ong t i me sonone was i nt ended t o r ef uge i t . Af t er f i xi ng ever yt hi ng and compl et i ng t he f or malityof r egi st r at i on cal l ed Si ddhant i n Bhar am he r eached Mehat h.Ever yone was shocke t oknow t hi s. So was t he f at her , so i s t he son. Jhi ngur Babu had done the same t hi ng whenhe fixed Kalit’s mar r i age; af t er doi ng Si ddhant he i nf or med ever yone.Same t hi ng i sr epeat ed by Kal i t . However mar r i age was f i xed out si de t he f ami liar area but sinceKal i t had been l i vi ng i n t hat ar ea so havi ng f ai t h i n Kal i t ’ s exper i ence and deci si onever yone i n vi l l age accept ed t hi s mar r i age happi l y.The ent i r e Tol e st ar t edpr epar at i on of t hat mar r i age. Buchi a woul d not have any pr obl em.She was bl essed wi t hal l good qual i t i es. Ei t her i t i s quest i on of si ngi ng song or cl eani ng wor shi p pl aceshe was exper t . She coul d make t housands of Mahadev so ef f i ci ent l y i n a mi nute.Wher ever she woul d go she woul d enl i ght en t he pl ace.Marriage ceremony was f i ni shed i n t he best t r adi t i onal way.The gr oom si de haspr oposed t he second mar r i age t o be followed immedi at el y but Kal i t di dn’ t agr ee sot hey had t o r et ur n wi t h t he pr i nt of hand of t he br i de.Kal i t ’ s wi f e was ver y good andshe had est abl i shed si st er hood wi t h Buchi a. Buchi a was al so f ond of her si st er -i n-l aw.The second mar r i age was f i xed i n t he t hi r d year . The mai d who was sent wi t h Buchi a t oher i n-l aws pl ace st ar t ed expl ai ni ng about t hat pl ace. Kal i t ’ s wi f e became emot i onal .She used t o ask Kal i t about t he vi l l age of Bar h. Ever yt hi ng can be set t l ed by t i me .Buchi a had come t wi ce or t hr i ce f r om her i n-law’s place, her sister-i n-l awbecamer el axed. I n t hi s way Kal i t had become al one agai n.He had t o spent t he t hr eat eni ngni ght s wi t h hi s wi f e,t wo daught er s and a son on t he bank of t he Mahadev pond dur i ngt he ear t hquakes of 1934. Af t er t hat he we nt t o Kat i haar agai n.The r eason was t heconsequences of sever al ear t hquakes t hat had been occur r i ng f or a mont h.But wi f e hadst ar t ed wor r yi ng about t he house.Hi s ol d house was dest r oyed i n t he ear t hquake soKal i t had made a new house on t he si de of t he f ul wadi . He est abl i shed hi s new house i nt he new l and af t er gi vi ng t he ol d l and t o hi s r el at i ves.He got one mor e son and onemor e daught er af t er war ds. Fami l y l i f e of Kal i t had st ar t ed goi ng on as usual . Gooddays don’ t t ake t i me t o pass. Hi s daught er s gr ew as wel l . However own chi l d al waysseems to be a child but it was time t o arrange mar r i ages f or daught er s.Hi s f i r stdaught er got mar r i ed t o Kachhabi and t he second one t o Khar ak.Fami l y of Kachhabi wasal so empl oyed i n Raj a’ s pl ace. I t was a r oyal cer emo ny, hor se, mahf a et c. et c.But t hef i r st daught er di ed whi l e gi vi ng bi r t h t o her daught er who st ar t ed l i vi ng wi t hKal i t ’ s f ami l y. However , she was al so not bl essed wi t h l ong l i f e and di ed at t he ageof f i ve year s af t er bei ng suf f er ed by a st omach pai n. Kal i t Babu kept on wi t nessi ngal l t hi s f act s of l i f e and deat hs.Somet i mes t he vi l l ager s wer e suf f er i ng Chol er asomet i mes Pl ague and many mor e.As soon as one dead body was bur ned anot her deat h usedt o be not i ced. But Kal i t ’ s f ami l y was unt ouched.Kalit had been r ewar ded by pr omot i on and gr owi ng f ame ever y now and t hen.Hi s cousi nand nephew’ s f ami l y wer e l i vi ng wi t h hi m as usual . Hi s bot h sons wer e st udyi ng i nKej ar i war Hi gh School . Af t er f i ni shi ng mar r i age cer emony of hi s t hi r d daught er i nAamarupi , a village near Tamur i a, he became r el axed.Hi s el der son got mar r i ed and hehad f ul l conf i dence i n hi s younger son’ s academi c t al ent s.But he al so knew t hat hi syounger son was ver y super st i t i ous.Because once a r umour spr ead t hat i n dense f i el dsof gr am some mi ser abl e t hi ngs used t o happen t hen hi s younger son went t o see t hat .When it was time t o sel ect one subj ect f r om Sci ence and Ar t s Kal i t Babu agr eed wi t hhi s younger son t o opt Sci ence.Many peopl e t ol d hi m t hat Sat yanar ayan Babu and manyboys coul dn’ t pass i n sci ence so t hey had t o r est ar t by sel ect i ng Ar t s.But Nand112


<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ अगस्त २००८ (वषर् १ मास ८ अंक १५)http://www.videha.co.in/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्di dn’ t agr ee. Rat her , he had opt ed f or Mat hs amongst ot her Sci ence subj ect s.Kal i tt hought t hat by st udyi ng sci ence Nand woul d not bel i eve i n t he i nvi si bl e butomni pr esent God anymore. Kalit seemed t o be ver y car ef r ee af t er t hat . Once he r et ur nedf r om Kat i haar and was washi ng hi s hands af t er comi ng f r om t oi l et , suddenl y l ot a f el lout f r om hi s hand and he hi msel f f el l down on t he gr ound.Hi s wi f e r an t o hi m but i twas t oo l at e. Li f e comes once and goes once as wel l . Nand had wi t nessed hi s f at her ’ sdeat h. Thi s f or m of deat h had al ways r emai ned uni que and myst er i ous f or Nand.Theaut hent i ci t y of Sci ent i f i c pr i nci pl es wer e di mi ni shi ng i n f r ont of t he power ofal mi ght y God f or Nand.( c) २००८ सवािधकार र् सुरिक्षत। (c)२००८.सवािधकार र् लेखकाधीन आऽ जतय लेखकक नाम निह अिछ ततय संपादकाधीन।'िवदेह' (पािक्षक) संपादक- गजे ठाकुर। एतय कािशत रचना सभक क◌ॉपीराइट लेखक/संहका र् लोकिनक लगमे रहति,मा एकर थम काशनक/आका र्इवक/अंजी-संृत अवादक अिधकार एिह ई पिकाकेँ छैक। रचनाकार अपन मौिलक आऽअकािशत रचना (जकर मौिलकताक संप ूण र् उरदािय लेखक गणक म छि) ggaj endr a@ yahoo. co. i n आिकggaj endr a@vi deha. co. i n केँ मेल अटैचमेक पमेँ . doc, . docx आऽ . txt फ◌ॉमे र्टमे पठा सकैत छिथ। रचनाकसंग रचनाकार अपन संिक्ष पिरचय आऽ अपन ैन कएल गेल फोटो पठेताह, से आशा करैत छी। रचनाक अंतमे टाइपरहय, जे ई रचना मौिलक अिछ, आऽ पिहल काशनक हेतु िवदेह (पािक्षक) ई पिकाकेँ देल जा रहल अिछ। मेल ाहोयबाक बाद यथासंभव शी ( सात िदनक भीतर) एकर काशनक अंकक स ूचना देल जायत। एिह ई पिकाकेँ ीमित लीठाकुर ारा मासक 1 आऽ 15 ितिथकेँ ई कािशत कएल जाइत अिछ।रचनाक अवाद आ' पुनः काशन िकं वा आका र्इवक उपयोगक अिधकार िकनबाक हेतु ggaj endr a@ vi deha. co. i n पर संपकर्क। एिह साइटकेँ ीित झा ठाकुर, मधिलका ू चौधरी आ' रि िया ारा िडजाइन कएल गेल।िसिरु113

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