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Videha ‘िवदेह’

Videha_01_01_2009

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<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्५. ग-प भारती (तेलुगु कथा, गुजराती प)६. बालानां कृ ते-१.उमेश कु मार-२.योित झा चौधरी७. भाषापाक रचना लेखन- १.कृ िष-मय शदावली २.बसैटी (अररया) िबहार, िशव मिदरक िमिथलारिशलालेखक देवनागरी पातरण।मानक-मैिथली8. VIDEHA FOR NON RESIDENT MAITHILS (Festivals of Mithila date-list)-The Comet-English translation of Gajendra Thakur's Maithili Novel Sahasrabadhani byjyoti१.संपादकयिच: ीित ठाकु रिय पाठकगण,िवदेहक नव अंक ई पिलश भऽ गेल अिछ। एिह हेतु लॉग ऑन क http://www.videha.co.in |4


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्एिह अ ◌ंकसँ डॉ शभु कु मार सहक आलेख ितयोगी परेाथक लेल शु कएल गेल अिछ।रंगकम मीला झा नावृि एिह महवपूण नावृिक संचालनक भार मैलोरंग के ँ देल गेल । मीला झामेमोरयल ट,घघौर आ ओकर बंध यासी ी ीनारायण झा ारा ।रंगकम मीला झा नावृिक थापना थम मिहला बाल ना िनदशक मीला झाक मृितमे भेल अिछ ।मीला जी जीवन पयत भंिगमा, पटना संग जूिड़ बाल रंगकम के बढ़ावा दैत रहलीह । मीलाजीक मृित मेथािपत मीला झा मेमोरयल ट, घघौर नकर बाल रंगमंच मे अिवमरणीय योगदानक लेल एिहनावृिक थापना के लक अिछ । एकर मूल मे मैिथली रंगमंच पर मिहला रंगकमक ोसाहन संग नकरसामािजक समान अिछ । एिह नावृिक संचालनक भार ट ारा लोक कलाक लेल समपत संथामैलोरंग के दान कयल गेल अिछ । वष 2006 सँ िनयिमत प सँ ई नावृि योित वस (दली), रंजू झा(जनकपुर), वाित सह (पटना), ियंका झा (पटना), वंदना डे (सहरसा) के दान कयल गेल छिन ।वष 2008क लेल समूचा िमिथला (भारत+नेपाल) मे चालीस गणमाय रंगकम/संकृ ितकम केँ नामकअनुशंसाक लेल प पठाओल गेल छलिन । ओही अनुशंसाक आधार पर थम : मधुिमता ीवातव (मधुबनी),ितीय : वंदना ठाकु र (कोलकाता), तृतीय : नेहा वमा (दली), आ चतूथ : िवजया लमी िशवानी (पटना)अयलीह । कछु पारवारक कारण सँ वंदना जी एिह बेर िवतरण समारोह मे अयबा सँ असमथ भ’ गेलीह ते ँई म बदिल गेल आ वंदना जीक थान अिगला बेरक लेल सुरित राखल गेल अिछ ।रंगकम मीला झा नावृि-2008तृतीय :िवजया लमी िशवानी : पटनािशवानीक जम दरभंगाक रिसयड़ी गाम मे भेलिन । ई िपछला तीन साल सँ लगातार मैिथली रंगमंच सँ जुड़लछिथ । िशवानी अरपन, भंिगमा सन िचर-परिचत रंग संथा सँ जुड़ल छिथ । एिह बीच अहाँ नदी गिगयायलजाय, िमनाी, घुघू, आिग धधक रहल अिछ, से कोना हेतै ?, अलख िनरंजन आद महवपूण नाटक मेअिभनय करैत अपन नीक छिव बनेल अिछ । मनोज मनुज, कौशल कशोर दास आ अरिवद अकू जीकिनदशन मे काज करैत िशवानीक इछा छिन जे वर रंग िनदशक कु णाल जीक िनदशन मे सेहो नाटक करी ।वर रंगकम ेमलता िम जी सन रंगकम बनबाक िहनक मोन छिन । िवजया लमी िशवानीजीक कहबछिन जे - समकालीन समया मैिथली नाटक मे एयबाक चाही जकर अखन तक कमी अिछ । पारजात हरण5


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्िहनकर िय नाटक छिन आ िशवानी नबका तुरया के कह’ चाहैत छिथ जे इमानदारी सँ रंगकम करबाक चाही।ितीय :नेहा वमा : नई दलीनेहाक जम बेगूसरायक यू चाणय नगर मे भेलैन । ई बे सँ रंगमंच सँ जूड़ल रहलीह अिछ । नवतरंग, इटा,याीक संग काय करैत एखन मैलोरंग दली सँ रंगकम क’ रहल छिथ । नेहा अिनल पतंग, परवेज़ यूशुफ,संतोष राणा, िवजय सह पाल, अिभषेक, मनोज मधुकर आ काश झाक िनदशन मे नाटक के लीह अिछ ।िहनका ारा कयल गेल मुख नाटक अिछ सामा-चके वा, जट-जटन, डोम कछ, गोरखधंधा, काठक लोक, कमलमुखी किनया, एक छल राजा आद । आगू लगातार मैिथली रंगमंच सँ जुड़ल रहबाक िहनकर इछा छिन ।िहनकर िय नाटककार आ िनदशक महे मलंिगया छिथन आ रंजू झा (जनकपुर) क अिभनय िहनका भािवतकरैत छिन । काठक लोक िय नाटक आ गितशील सोचक संग बेसी युवा के होबाक कारण मैलोरंग नेहाकमनपसंद रंग संथा छिन । अपन आमसमपण आ संकारक संग रंगकम सँ जुड़बाक िहनकर आह छिन नबकाकलाकारक लेल । नेहा सी. सी. आर. टी. ारा जूिनयर कॉलशप ा कयने छिथ । अखन राीय कथक के सँ कथक मे पोट िडलोमाक संग खैरागढ़ िविवालय सँ एम. ए. क’ रहल छिथ ।थम : मधुिमता ीवातव : मधुबनीमधुिमताक जम मधुबनीक सूरत गंज मुहलामे भेलिन । बचपने सँ िहनका नृय आकषत करैत छलिन । िवगतदस साल सँ ई मैिथली रंगमंच पर सय छिथ । मधुबनीक इटा संग रंगकम करैत अहाँ इटाक राय आराीय तरक महोसव मे सेहो िशरकत के ने छी संगिह अहाँ सग आ ामा िडभीजन संग सेहो संब छी ।मुकािभनयक लेल अहाँ इंटर कॉलेज यूथ फे टीवल-03 मे तेसर आ वष 06 मे लोक नृयक लेल पहील थाना के ने छी । अहाँ ओकरा आङनक बारहमासा, ओरजनल काम, टूटल तागक एकटा ओर, छुतहा घैल, गोनूकगबाह, दुलहा पागल भ’ गेलै, िबजिलया भौजी, िबरजू-िबलटू संग कतेको िहदीक नाटक के ने छी । मंचीय नाटकसंग नुड़ नाटक मे सेहो मधुिमता बढ़ चढ़ क’ भाग लैत रहलीह अिछ । िझिझया, झड़नी, जट जटन डोम कछएहन कतेको लोक नृय, एकल अिभनय, फम िसरयल आद मे अिभनय क’चुकल मधुिमता नेह युवा के ,एस.एस.बी संग कतेको संथा सँ समािनत कयल गेल छिथ ।6


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्संगिह "िवदेह" के ँ एखन धर (१ जनवरी २००८ सँ ३० दसबर २००८) ७० देशक ६७३ ठामसँ १,३६,८७४बेर देखल गेल अिछ (गूगल एनेलेटस डाटा)- धयवाद पाठकगण।अपनेक रचना आऽ ितयाक तीामे।गजे ठाकु र, नई दली। फोन-09911382078ggajendra@videha.co.in ggajendra@yahoo.co.in२.संदेश१.ी ो. उदय नारायण सह "निचके ता"- जे काज अहाँ कए रहल छी तकर चरचा एक दन मैिथली भाषाकइितहासमे होएत। आनद भए रहल अिछ, ई जािन कए जे एतेक गोट मैिथल "िवदेह" ई जनलके ँ पढ़ रहलछिथ।२.ी डॉ. गंगेश गुंजन- एिह िवदेह-कममे लािग रहल अहाँक सवेदनशील मन, मैिथलीक ित समपतमेहनितक अमृत रंग, इितहास मे एक टा िविश फराक अयाय आरंभ करत, हमरा िवास अिछ। अशेषशुभकामना आ बधाइक सग, सेह|३.ी रामाय झा "रामरंगरामरंग"- "अपना" िमिथलासँ संबंिधत...िवषय वतुसँ अवगत भेलँ।...शेष सभ कु शलअिछ।४.ी जे िपाठी, सािहय अकादमी- इंटरनेट पर थम मैिथली पािक पिका "िवदेह" के र लेल बाधाईआऽ शुभकामना वीकार क।५.ी फु लकु मार सह "मौनमौन"- थम मैिथली पािक पिका "िवदेह" क काशनक समाचार जािन कनेकचकत मुदा बेसी आलादत भेलँ। कालचके ँ पकिड़ जािह दूरदृिक परचय देलँ, ओिह लेल हमरमंगलकामना।7


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्६.ी डॉ. िशवसाद यादव- ई जािन अपार हष भए रहल अिछ, जे नव सूचना-ाितक ेमे मैिथलीपकारताकेँ वेश दअएबाक साहिसक कदम उठाओल अिछ। पकारतामे एिह कारक नव योगक हमवागत करैत छी, संगिह "िवदेह"क सफलताक शुभकामना।७.ी आाचरण झा- कोनो प-पिकाक काशन- तामे मैिथली पिकाक काशनमे के कतेक सहयोगकरताह- ई तऽ भिवय कहत। ई हमर ८८ वषमे ७५ वषक अनुभव रहल। एतेक पैघ महान यमे हमर ापूणआित ा होयत- यावत ठीक-ठाक छी/ रहब।८.ी िवजय ठाकु र, रिमिशगन िविवालय- "िवदेह" पिकाक अंक देखलँ, सपूण टीम बधाईक पा अिछ।पिकाक मंगल भिवय हेतु हमर शुभकामना वीकार कएल जाओ।९. ी सुभाषच यादव- ई-पिका ’िवदेह’ क बारेमे जािन सता भेल। ’िवदेह’ िनरतर पलिवत-पुिपत होआऽ चतुदक अपन सुगंध पसारय से कामना अिछ।१०.ीमैिथलीपु दीप- ई-पिका ’िवदेह’ के र सफलताक भगवतीसँ कामना। हमर पूण सहयोग रहत।११.डॉडॉ. ी भीमनाथ झा- ’िवदेह’ इटरनेट पर अिछ तेँ ’िवदेह’ नाम उिचत आर कतेक पे ँ एकर िववरण भएसकै त अिछ। आइ-कािह मोनमे उेग रहैत अिछ, मुदा शी पूण सहयोग देब।१२.ी रामभरोस कापिड़ मर, जनकपुरधाम- "िवदेह" ऑनलाइन देिख रहल छी। मैिथलीके ँ अतराीयजगतमे पँचेलँ तकरा लेल हादक बधाई। िमिथला र सभक संकलन अपूव। नेपालोक सहयोग भेटत सेिवास करी।१३. ी राजनदन लालदास- ’िवदेह’ ई-पिकाक मायमसँ बड़ नीक काज कए रहल छी, नाितक एिहठामदेखलँ। एकर वाषक अ ◌ंक जखन ि ट िनकालब तँ हमरा पठायब। कलकामे बत गोटेके ँ हम साइटक पतािलखाए देने िछयिह। मोन तँ होइत अिछ जे दली आिब कए आशीवाद दैतँ, मुदा उमर आब बेशी भए गेल।शुभकामना देश-िवदेशक मैिथलके ँ जोड़बाक लेल।१४. डॉ. ी ेमशंकर सह- अहाँ मैिथलीमे इंटरनेटपर पिहल पिका "िवदेह" कािशत कए अपन अभुतमातृभाषानुरागक परचय देल अिछ, अहाँक िनःवाथ मातृभाषानुरागसँ ेरत छी, एकर िनिम जे हमरसेवाक योजन हो, तँ सूिचत करी। इंटरनेटपर आोपांत पिका देखल, मन फु िलत भ' गेल।8


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्२.ग२.१.१. सुभाषच यादव २. तृणा- राजे िवमल,३.अिमत कु मार झा, बुढ़ी माता (कथाकथा)२.२.उपयास- के दारनाथ चौधरी२.३.१. यामसुदर शिश-िवचार २.अंकु र काशीनाथ झा, नेताजी पर तामश कयैक उठैत अिछ२.४.१. अयोयानाथ चौधरी-दू प २.एकद त हाथी आ नौलखा हार-बृषेश च लाल ३.कु मार मनोजकयप- नव वष ४.एतएत’ आ ओत’- अनलकात ५.ेमच िम- अनाम कथा (कथाकथा)२.६. आलेख-रपोताजरपोताज- १.डॉ.बलभ िम, २.नरेश मोहन झा ३.नागे झा,४.डॉ. रेर िम ५.योित६.िजते झा-जनकपुर ७.उमेश कु मार ८.नवेदु कु मार झा ९.मुखीलाल चौधरी२.७. डॉ.शंभु कु मार सह-ितयोगी ितयोगी परीा२.८. िमिथला मंथन- सुशात झा२.९. भानस भात-नीिलमाकथा१. एकटा ेम कथा-सुभाषच यादव २. तृणा- राजे िवमल,३.अिमत कु मार झा, बुढ़ी मातािच ी सुभाषच यादव छायाकार: ी साके तानदसुभाष च यादव, कथाकार, समीक एवं अनुवादक, जम ०५ माच १९४८, मातृक दीवानगंज, सुपौलमे।9


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्पैतृक थान: बलबा-मेनाही, सुपौल- मधुबनी। आरिभक िशा दीवानगंज एवं सुपौलमे। पटना कॉलेज, पटनासँबी.ए.। जवाहरलाल नेह िविवालय, नई दलीसँ िहदीमे एम.ए. तथा पी.एह.डी.। १९८२ सँ अयापन।सित: अय, ातकोर िहदी िवभाग, भूपे नारायण मंडल िविवालय, पिमी परसर, सहरसा,िबहार। मैिथली, िहदी, बंगला, संकृ त, उदू , अंेजी, पेिनश एवं च भाषाक ान।काशन: घरदेिखया (मैिथली कथा-संह), मैिथली अकादमी, पटना, १९८३, हाली (अंेजीसँ मैिथलीअनुवाद), सािहय अकादमी, नई दली, १९८८, बीछल कथा (हरमोहन झाक कथाक चयन एवं भूिमका),सािहय अकादमी, नई दली, १९९९, िबहािड़ आउ (बंगला सँ मैिथली अनुवाद), कसुन संकप लोक, सुपौल,१९९५, भारत-िवभाजन और िहदी उपयास (िहदी आलोचना), िबहार राभाषा परषद्, पटना, २००१,राजकमल चौधरी का सफर (िहदी जीवनी) सारांश काशन, नई दली, २००१, मैिथलीमे करीब सर टाकथा, तीस टा समीा आ िहदी, बंगला तथा अंेजी मे अनेक अनुवाद कािशत।भूतपूव सदय: सािहय अकादमी परामश मंडल, मैिथली अकादमी काय-सिमित, िबहार सरकारक सांकृ ितकनीित-िनधारण सिमित।एकटा ेम कथाकिहयो-किहयो ओिह लड़कक फोन अबै । रसीभर उठा कऽ 'हलो’ किहते ओहरसँ आवाज अबै- 'कने, ेमी के ँबजा देबै ?’ई सुिनते खझ आ तामस सँ जी जर जाय ।खझ आ तामस खाली ओही लड़कक फोनसँ होइत हो, से बातनिह। तामस सब पर होइ जे ककरो बजा देबा लेल फोन करै । ओ तऽ कना लड़कए रहय । फोन जँ लड़क आजनीजाितक हो तऽ मरद-पुखक रवैया ओना कने लरम आ मोलायम होइत छै ।जिहया पिहल बेर ओकर फोन आयल रहै तऽ हम पुछने रिहअइ- 'अहाँ के छी ?’ हमर मतलब ओकर नामसँ रहय। लेकन ओ अपन नाम निह बतेलक । बाजल- 'हम नया बजारसँ बािज रहल छी । खाली एतबे कहला सँ ओबूिझ जेतै ।’'फोने पर रहब आक फे र करब ?'-हम अनमनायल जकाँ पुछिलऐ ।'पाँच िमनटमे फे र करै छी ।' –किह कऽ ओ फोन रािख देलक ।हम मन मार कऽ ओिह कोठली गेलँ, जकर िखड़क सँ ेमीक कोठली देखाइत रहै । ओकर मकान हमर10


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्मकानक पंजरामे रहै । 'ेमी ! रे, ेमी !' हम दू-तीन बेर जोर सँ हाक देिलऐ । ओ कोठलीसँ बाहर िनकलल तऽकहिलऐ- 'नया बजारसँ फोन छौ ।’ ओ हमर घर दस आबय लागल । आब या तऽ ओ छहरदेवाली फािन कऽचोे चल आयत या कने आगाँ बढ़ कऽ िबना फानने भीतर चल आयत कऐ तऽ ओिहठाम छहरदेवालीक ऊँ चाइभरए ठगन छै ।ओ घर ढुकते रहय क फोनक घंटी बजऽ लगलै । फोन सुनऽ लेल बाहर सँ यो अबै तऽ हम ओिह कोठलीसँिनकिल जाइ । आन लोकक फोन सूनब या ओकरा पर पहरेदारी करब हमरा िश आचरण निह बुझाइत रहय ।कोठलीसँ बाहर िनकलैत आ घरक भीतर एहर सँ ओहर जाइत-अबैत जे सुनबा मे आयल तािह सँ ई बुझायलजे ेमी साँझ खन ओिह लड़कसँ भट करतै । ओ लड़क के छलै आ ेमी सँ ओकरा कोन काज छलै, से जनबाकइछा तऽ ब रहय, मगर ेमी सँ ई सब पूछब मोसकल छलै । ओ अठारह-बीस सालक जवान रहय आ हमओकर बापक उमेर के । ओना ओ घुा वभावक लड़का रहै । ओ इंटरक िवाथ छलै, लेकन पढ़ाइमे ओकरमन निह लगै । ओ टी.भी. देखय, गाना सुनय, के ट खेलय आ दोस-मिहम सँ गप लड़ाबय ।निह जािन ओिह दन साँझकेँ ेमी ओिह लड़क सँ भट के लकै क निह; लेकन दुइए-चार दनक बाद लड़कफे र फोन के लकै । वएह पुरान आह । बाजक ओहने ढंग । कने संकोच, कने घबराहट आ कने डर । बेर-बेरपुछलो पर ने तऽ ओ अपन नाम बतेलकै आ ने काम । तखन एतबा जर कहलकै जे ओ ेमीक मामा कत’ सँबािज रहल अिछ । तऽ क ओ ेमीक मिमऔत बहीन िछऐ ? जँ मिमऔत बहीन िछऐ तऽ बेर-बेर वएह टा कऐफोन करै छै ? यो दोसर कऐ निह करै छै ? मामा, मामी, मिमऔत भाइ -एिह मे सँ यो तऽ किहयो करतइ ।हमर मन मे कतेको सवाल आबय, मगर जवाब कोनो निह । संदेह आ असमंजस उपलाइत रहय ।आइ-कािह लड़कक घरक लोक दलफे क किसमक लड़का सभक फोनसँ चितत आ फरीशान रहैत अिछ ।मगर एतय मामला उटे छलै।किहयो काल हमरा बुझाय जेना ेमीक िच लड़कमे निह छै। फे र सोची जे से रिहतइ तऽ ेमीक उदासीनतालड़कसँ बत दन धर िछपल निह रिहतइ । जँ ेमी ओकरा निह चािहितऐ तऽ लड़क बेर-बेर फोन कऐकरतइ ?तकर बाद फोन आयब ब भऽ गेलै । कछु दनक बाद पता लागल जे ेमी मोबाइल कन लेलक अिछ । आबओ लड़क सीधे ेमीसँ सब तरहक गप करैत हैत । भरसक इएह सोिच कऽ ेमी मोबाइल कनने हो। हमरालागल जेना हमर कछु िछना गेल हो । हमरा लेल आब ई मामला सभ दनक लेल अात आ रहयमय भऽ गेलरहय ।लेकन निह, जीवनमे कोनो चीज अंितम निह होइत छै। भरसक एक साल बीतल हेतै । एक दन सांझुकपाँच बजे फोनक घंटी बजऽ लगलै । हेतै ककरो । हम अयमनक भाव सँ सोचलँ । कै कटा भटकल फोन अबैत11


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्रहैत छै । मगर निह, ओहरसँ कोनो लड़कक आवाज एलइ, पातर-मधुर आवाज आ फोन कट गेलै। हम सोचमेपड़ल रही क फोनक घंटी फे र बज्ऽ लगलइ ।हलो !'-हम रसीभर उठा कऽ कहिलऐ । 'कने, ेमीकेँ बजा देबै ?'अरे ! ई तऽ वएह लड़क िछऐ । अपन नाम आ काम बतेने िबना ेमीकेँ बजा देबाक अनुरोध करयवाली । ओबत दनक बाद फोन के नेछल, त खझ तऽ निह भेल, लेकन मनमे थोड़े उदासीनता पसर गेल ।'देखइ िछअइ।'-हम कहिलऐ ।'पाँच िमनट मे हम फे र करै छी ।''ठीक छै ।'—हम िवर सन कहिलऐ।देिखऐ या नइँ देिखऐ, एिह दुिवधामे पड़ल-पड़ल हम ओिह कोठलीमे पँच गेल रही, जािह कोटलीक िखड़कसँेमीक कोठली देखाइत रहै । लेकन पिहने जकाँ हम ेमीके ँ हाक निह देिलऐ । आइ-कािह ेमीक माय-बापएतिह छै । िखड़क सँ ओिह पार तकते ओ दुनू अभरल । मकानक मरमत होइत रहै । ेमीक कत अता-पतानिह छलै । भरसक कोठलीक भीतर हो । हम ठाढ़ भेल देखैत रहिलऐ । भऽ सकै त अिछ ेमी कोठलीसँ बाहरिनकिल आबय । आयल तऽ फोन दआ कहबै ।एक बेर भेल जन सँ पुिछऐ ेमी छै क निह, फे र छोिड़ देिलऐ ।सोचलँ फोन उठेबे ने करबै । लेकन एहन भऽ निह सकल । ओ पांच िमनटक अंदरे फोन के लकै आ हम उठाइयोलेिलऐ ।'ेमी निह छै । कत िनकलल छै । ओकर माय-बाप आयल छै । घरक काज चिल रहल छै ।’—अपन िनामेखोटक अनुभव करैत हम एक साँसमे ई सब किह गेिलऐ । ओ िनराशा आ सोचमे डूबल बाजल—'अछाऽ !’ हमपुछिलऐ-'अहाँ के बािज रहल छी ?’एकर ओ सोझ जवाब निह देलक । बातकेँ ओ जिहना घुमेनाइ-फरेनाइ शुके लकै , हमरा बुझा गेल ओ पिहनिह जकाँ सवालके ँ टार देत । लेकन आब ओ बेसी अनुभवी, पटु आ िसयान भऽगेल छल । ओकरामे साहस आ िनभकता आिब गेल छलै ।'अकल, हम नया बजारसँ बािज रहल छी ।'-ओ आवाज सँ हमर उमेर ठेकना लेलक, त अंकल किह रहलअिछ;हम सोचलँ । ओकर अंकल कहनाइ कने खटकल, फे र लगले सामाय भऽ गेलँ ।'ठीक छै, नया बजारसँ बािज रहल छी, मगर छी के , से न बताउ ?’-अपन वरमे बत नरमी अनैत हम धीरे-12


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्धीरे कहिलऐ ।'हम ेमीक मिमऔत बहीनक सखी भेिलऐ ।’-आब ओ सहज भेल जाइत रहय । तइयो अपन नाम तऽ ओ निहएँबतेने रहय । हमरा लागल ओ जर नाज-नखरावाली, शोख आ चंचल होयत। ओकर गप करबाक ढंग मोहकरहै।'अहाँ अपन नाम निह कहब ?’-हम जेना गोहार के िलऐ ।'रतु ।हमर नाम रतु अिछ ।’-हमर अयथना सँ जेना ओ पिघल गेल रहय । आब ओकरा कोनो हड़बड़ी निहछलै आ ओ िनचेन सँ गप कऽ रहल छल ।'कछु कहबाक हो तऽ क, हम ओकरा किह देबै ।’-हम ेरत के िलऐ । ओ सोचमे पिड़ गेल फे र पुछलक- 'अहाँकेँओकर नवका मोबाइल नबर बूझल अिछ ?’हम कहिलऐ- ', मगर हम पूिछ कऽ राखब ।' 'ओकरा किह देबै कािह एगारह बजे फोन करबै ।’मन पड़ल कािह तऽ हमरा दस बजे कत िनकलबाक अिछ, त कहिलऐ-'एगारह बजे निह, दस बजे करब।’'ठीक छै ।’-ओ किह तऽ देलकै , लेकन हमरा लागल जेना ओकरा अपन बात पर संदेह होइ । ओ फोन रािख देलक। फोन पर रहल ओकर संग आब छूट गेल छल ।आइ ओ बड़ी काल धर आमीय जकाँ गप के ने रहय । फोनरािख देलाक बादो हम ओिह ठाढ़ रिह गेल रही, जेना कछु और कहबाक हो, कछु और सुनबाक हो । हमराछगुता भेल, ओिह लड़क लेल हम कऐ उदास भऽ रहल छी ?दस बजे । कािह दस बजे। कोनो मं जक इ हमर भीतर बजैत रहल आब ेमी के ँ ताकय पड़त । कािह दसबजे सँ पिहने बतबय पड़त जे ओकर फोन आबऽ वला छै । साँझे मे किह देनाइ ठीक हेतै । भोरमे छुी निह रहत।जँ ओ िखड़कसँ देखा गेल, तखन तऽ कोनो बाते निह, निह तऽ ओकर खोजमे चर काटय पड़त । साँझ केँ बेसीकाल ओ करानाक एकटा दोकानमे बैसल रहैत अिछ । पिहने ओिह देखबै ।निह भेटल तऽ ओकर घर जायपड़त । लेकन घर पर तऽ ओकर माय-बाप छै ! माय-बापके ँ लड़कक फोन दआ कहब ठीक निह हेतै । खैर,देखल जेतै । अखन तऽ बत समय छै । भऽ सकै त छै ओ िखड़कसँ देखाइए जाय । हम बेर-बेर िखड़क लग जायलगलँ । ओतय जाइ, कनी काल ठाढ़ रही आ थाक कऽ घूर जाइ । अपन छाहे जकाँ ओ लड़क हमर संग-संगचिल रहल छल, ेमी नामक रौदमे कखनो पैघ आ कखनो छोट होइत । रतु आ ेमीक चुबकव हमरा आिवकऽ लेने छल । ओिह दन ेमी निह भेटल । राित मे हम सपना देखैत छी जे ओ दुनू आयल अिछ । घरमे हमअसकर छी । दुनू के ँ कोठलीमे बैसा कऽ हम बाहरमे टहिल रहल छी । कोनो चीजक खसला सँ िन टूट जाइत13


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्रजदेबा। रजदेबाक मुँहपर चौबीस घंटा जेना िवपिके झपसी लधने रहै। घोघनमुँहा एक री ने सोहाइिसकिलयाकेँ । मगर करओ तऽ क करओ? िसङार-पटार कए एकातमे एसगर िबछाओनपर पिड़ रहय आकपना करए-साँय जे बदलतै! देबलरैना फु लपेट पेिह कऽ, चसमा पेिह कऽ बाबू-भैया नािहत जे रशापरबैठकऽ रसा चलबइ हइ तऽ िसनेमाके गोिबना माउत कऽर हइ। .. मानली जे ताड़ी-दा पीबै हइ, त कभेलइ। सुनइ िछऐ जे कहाँदुन ताड़ी-दा पीलै हइ मनसासुन तऽ ओकरा देहपर राछछी सबार भऽ जाइ छै,मौगीके छोड़ने ने छोड़ै छै।..धौर, के नाकऽ सकै त होतै देबलरैना ब।..रजदेबा ला ध-सन! िबछाओनोपर जाएतत खाली घरेके समेसा। ..रङ आ लस!! .. देहो हाथ छूबैतऽ खझा कऽ छूटत!..देबलरैनाके बँसुरीके आवाज सुनएलै। ..दा पीकऽ अबै छै तऽ आङनमे बैिसकऽ बँसुरी टेरऽ लगैछै।..अहाहाहा..क राग, क तान।..सोनाबतीके तऽ लीरीबीरी कऽ दै छै। फे र दुनू परानीमे मुँहाठुी होइत-होइतिपटािपटौअल शु भऽ जाइत छै।..सोनाबतीके कहब छै जे मरदाबा जे कमाइ हए से तऽ दा पानीमे उड़ा दैहए, िसनेमामे गमा दै हए आ सूतऽ लागी हरान रहै हए।..पेटमे अ नैआ..“मनसा तऽ रजदेबो हइ”- सोचैए िसकिलया- “ओकरा सूतऽ के मन नै होइ हइ?..के रबा आमसन मुँह लटकओनेरहैए!” िसकिलयाके अपने हँसी लािग जाइ छै।“दोसजी कहाँ गेलिखन”?- अरे, ई बारह बजे राितमे सोनाबती!!..“क हइ, हे”?- बाँसक फक खोिलकऽ िसकिलया बाहर अबैत अिछ।..छड़ाक बाप तऽ नै एलैगऽ अपतालसऽ।..लैटिडपटी (नाइट ूटी) हइ।..”“बहीन क किहयो दुखके बात। आइ फे नू मनसा मारलकगऽ।““कइला?”“धुर। क जान गेिलऐ कोन बढ़मकटास हइ देहपर।..हमर तऽ जान लऽ लेलक।..अ-पानी जर गेलै, जी-जाँघमेखत फु कने रहै छै चौबीस घंटा।– बलू, चल नऽ सूतऽ।..सुतना बेमारी धऽ लेलकै गऽ।“..सोनाबती घौलेघौले बजैतरहल। जोर-जोरसँ घोल-चाउर भेलै तँ बुढ़या रजदेबामाइ टुघर कऽ अङनामे आएल- गे, क भेलउ गऽ? चुप,लबरी। साँइयो बके बातके कँ एते घोलफचा भेलै गऽ?”सोनाबती घेओना पसारलक। री री कऽ फाटल, सतरह ठामसँ िगरह बाहल अपन नूआ आ अिङयादेखओलक। घरबाली अ बेेक मरै छै आ ओ दा-ताड़ी पीिबकए बेम भेल रहै छै। घरमे लाल बुी नं दै छै।दा पी कऽ सेजपर ओकर गगमे दाँत गड़ा दै छै!“इस!” रजदेबाबके मुँहसँ अनायासे बहार भऽ गेलै। भीतर चीनीक गरम पाक जेना टघर रहल छलै। ओ15


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्गग देबलरैनाक हबकबाक कपनामे हेरा गेिल।“हे बहीन!..मनसा नै भोगतओ तँ ई देह लऽ कऽ क करबा।..एक दन अँिचयापर तऽ सबहक देह जरै छै!”-रजदेबा-ब समझओलकै । रजदेबामाइ दुरदुरओलकै । ताबत िडटीसऽ रजदेबो घूर अएलै। आङनमे ठहाठिहइजोरयामे चमकै त सोनाबतीक मुँह चमकै त देखलक। नयन िमललै, सोनावती िवँिस देलक, जेना रजनीगंधाफू ल झरझरा गेलै। मोनाण गमैक उठलै। रजदेबा बाजल कछु न। बस पुछलकै - “क भेलौ गऽ भौजी?”सोनावती फे र सउँसे खेरहा दोहरओलक।...िसकिलया चौल कएलकै - “साँय बदलबे?”“सहे तऽ ने उपाइ हइ।..तोहर डागदरसनके साँय हउ गजै छे।..अपतालमे काम करै हउ। ने दा, ने पानी।घरिगरहथी डेबने हउ। भरमुँह कोनो छड़ी मौगी जरे बोलबो ने करइ हउ। अपन काम से काम। एहनमहाभारथ पुख हमर भागमे कहाँ?..”िसकिलयाक देह जर गेलै- हइ गोबरके चोत महाभारत कहाँदुन! मनसरभसी। अपना साँय महकै छिन आछड़ाक बाप जरे के ना रिसया-रिसया, िसिलया बितआइ हए।“बहीन, तौँ घर जा।..तोहर साँयके दोसरकेँ सहार देत ओ? जे अपन साइँयो के कसमे ने रखलक, से मौगीकिथके ?” आ िसकिलया रजदेबाक बाँिह पकिड़ घरदिश घीचय लागिल। रजदेबामाइके िप लहर गेलै।सोनाबी किनकाल थरभसाएिल, फे र बाजिल-“दोस जी!..हम आइ घरे न जबे..फे न “िनमन सऽ कू टत।..”ओकर आकृ ित कातर छलै।“अहाँ जाउ। लोक फरेब जोड़त”।रजदेबा समझओलकै । ओ घूर गेिल। सभ अपन-अपन फक लगा लेलक। मुदा, भोरे उठल रजदेबा जँगलझारलेऽ तँ देखलक जे देबलरैनाके ब दरबापर एकटा फे कल तरकु ीपर घराएिल छै, घर न गेलउ।..किनकालओ टुकु र-टुकु र ओकर मुँह तकै त रहल। के ना िनभेर भऽकऽ सूतिल छै, दुधपीबा िपआजेकाँ। नूआँ-बतर अत-त। िबन तेलकूँ ड़क जा पड़ल, भुल भऽ गेल पैघ पैघ के श, भुँइयापर एमहर-ओमहर जड़ जेकाँ लेटाएल।ओकरा देवलरैनापर ब तामस भेलै। सोन-सनक सोनावती अ-व बेेक झाम भऽ गेलै- बीझ लागल ताम-सन। एखनो जँ नहा धो देल जाइक आ िसङार कऽ दै तऽ झकाझक भऽ जएतै। मुदा दोस तऽ दा पीकऽ मत रहैछै। सलहेसक नाचमे ओकर ढोलकक गुमकपर खतबैया टोलक कतेको छड़ी-मौगी ओकरापर जान दओ छै।दोसजी, खा-पैन, चर-चाँचर, राहर-कु िसयारक खेत, भुसुला घर, पोखरक भीर जिह पओलक, तिहछड़ी-मौगी लऽकऽ...। राम-राम।..एहन गुनमतीके एना कािह कटबै हइ, दोसजी िनमन निह करै हइ!16


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्बड़ समझओलकै रजबा सोनाबतीके । सोनाबती न गेलै। देबलरैनाके ध-सन। खोजैत-खोजैत एे बेर सुजजखन नीचाँ अएलै तऽ बँसुरी टेरैत आएल। सोनाबतीके भरपाँज पकिड़ कए चुमाचाटी लेबए लागल।– सबहकसामने! दिपबाके कोन लाज आ बीज। रजबामाइके हँसी लािग गेलै। सोनाबी मनसाकेँ धके िल देलकै , मनसाधाँय दऽ चानाल िच खसल। िबे आङनमे।..चटाक!...मनसा उठकए एक चाट देलकै । मौगी घेओनापसारलक। मनसाकेँ ध-सन।..दोसजी अपतालमे रहै।िसकिलयाक बेटाके “मगोू टी”क खाली िडबा कत सड़कपर फे कल भेट गेल रहै। ओ ओिहमे पािन धऽधऽ पीबैछल। िसकिलयाक नजर पड़लै-“के हन लगइ हउ?” छड़ा हँिस देलकै - आमके रस नहता!..पीबे?”िसकिलयाक मोन भेलै- एक बेर ओहो पीिब कए देखैत। ओ बड़का-बड़का बाबू-भैया सबके पीबैत देखनेरहै।..मुदा, ओइमे तऽ पतरसुी फफ लागल रहै, एइमे कहाँ हइ?.. ओ बड़ा ललचाएल दृिसँ ू टीक िडबाके ँदेिख रहिल छिल।“दोितनी, पीयब?”-देवलरैना टुभ दऽ पूिछ बैसल। दोितनीक आँिखमे ू टीक लालच, पितसँ उलहन,अभावजय वेदना लाबाज देवलरैनाके ँ झक् दऽ लौक गेलै।“चलू दोितनी, ू टयो पीयब, िसनेमो देखब आ होडरोमे खाएब। घूमैत-घूमैत राित तओले हिल आएब”।–देवलरैना बजलै आ फे र कोन जादूके बान लगलै किहने, िसकिलया चट दऽ ओकर रसापर बैिस गेिल। सभ मुँहेतकै त रिह गेलै। ओ जे गेलै िसकिलया से फे र ६ महीना न घुरलै। सोनाबती रजबाके घरसऽ टकसऽ के नाम न लै।पऽर भेल, पंचैती भेल। दुनू मौगीमे सँ कोनो अपन-अपन साँय लग घुरबाक लेल तैयार निह भेिल।छओ मासक बाद दुनू अपन-अपन मनसा लग कनैत-कनैत घूरिल-ढाकक ढाक िसकाइत नेने। िसकिलया आसोनाबती एक दोसरक गरदिन पकिड़ झहरा देमए लागिल। िसकिलयाक घेओनाक आशय छल- देबलरैनाके मुँहमहकै छै, ओ बदमास अिछ, गुडा अिछ, िनसेबाज अिछ, लापरवाह अिछ; वाथ अिछ आद-आद। सोनावतीछाती पीटपीट बेयान करै छिल- रजबा गुमा अिछ, बसँ बेसी मायक मानै अिछ, दनराित पाइ लेऽ खटैअिछ आ सभ पाइसँ घरे चलबै अिछ, ब ले किहयो कचरी- मुरही नै अनने अिछ। किहयो िसनेमा न जाइ अिछ,बक चुमा न लैत अिछ..आद...आद...दुनू अपन-अपन ओरिजनल साँय लग घूर गेिल।मनोिवानक ोफे सर सयनारायण यादव कहलैिह- यार, जे भेटैत छै, तकर मोल नै बुझाइ छै। जकर पितगंभीर छै ओकरा चंचल पितक लेल मोन पिनआइ छै, जकर चंचल छै से गंभीर पितक लेल िसहाइए..इएह मछै...नो वन इज परफे ट..एक दन िसकिलया आ सोनावती सुनू एक-एकटा कोनो मनसा संगे उरहर गेलै- ओहो एे दन। रजदेबामाइभोरेसँ आसमान माथपर उठा लेलक- “जुआनी कर ने उमताइ हइ..फे नू बाह हइक नै।..समाज आ पिलवारके17


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्रेलवे लाइन लग पँचलँ, अचानक एक टा घोघ तनने, करया कबल ओढ़ने बुढ़ी माता सामना आिब गेिल,हम तँ डरसँ साइकलसँ खिस पड़लँ, देखलँ तँ ओ बत बुढ़ आरो कमर लगसँ झुकल लागल। हम उठ कऽ ठाढ़भेलँ, गरदा सभ झािड़ कऽ जिहना चलय लऽ चाहलँ तँ ओऽ आवाज देलक,..सुन..अ..बौवा...डरसँ हालत खराब भऽ गेल..चा दससँ सनसन जेकाँ अवाज महसूस अ लागल। डरल-डरल ओकरा लगगेलँ..।पुछलक...कतए जाऽ रहल छी!!! ताऽ तक ओऽ अपन घोघ निह हटेने रहए।डरसँ अबाज तँ जदी निह िनकलल...;लेकन िहमत कऽ कए जवाब देलँ, कोचग जाइ छी।फे र पुछलक..कथी के पढ़ाइ करैत छी..!! बातसँ अपनापन लागल।हम कहलँ-डॉटरीक तैयारी करैत छी..अछा बैस..दोसर पढ़ाइमे मोन निह लागए छौ- िनदश दैत-..कनी देर क जो तखन जिहये।ताऽ तक समय लगभग ४.४५ भऽ गेल रहए..एक दू टा आदमी सभ सड़कपर सेहो नजर आबए लागल। लेटहोइत रहए एिह कारण िहमत कए कऽ कहलँ...हमरा लेट भऽ रहल यऽ..हमर आइ परीा अिछ।कोनो बात निह..जवाब भेटलबड़ असमंजसमे पिड़ गेलँ..क करी..निञ .करी..एक मोन होय रहए, चलैत लोकके ँ अवाज दी, मुदा सड़क फे रसुनसान भऽ गेल।तखने ओऽ अपन घोघ हटेलक..नकर...चेहराकेँ देिखते लगभग बेहोश भऽ गेलँ..बुढ़—झुरदारचेहरा...ओिहपर मद जेकाँ...दाढ़ी...मोँछ...हे भगवान आइ-धर एहन निञ देखने रही...हमर हाव-भावकेँ देिखओऽ बजली...हमरा देिख कए डर लागए छौ..निञ डर। हम दोसर कओ निञ िछयौ...पता निञ कए ओऽ कछुअपन जेकाँ लागए लागल...ताऽ तक लगभग ५ से ऊपर टाइम भऽ गेल...रोडपर दूध/ यूजपेपर बला हॉकर सभनजर आबए लागल...कछु कालक बाद अवाज भेटल- आब तू जो..घुरैत काल अिबहे ँ...हम हवाक भाँित/ तीर सँ बेशी तेजीसँिनकललँ...बत लेट भऽ गेल रही...साइकलके ँ अपन मतासँ बेशी तेजीसँ चलबए शु कए देलँ, जिहनागाँधी मैदान/ सजी बागक मुँहपर पँचलँ...देखलँ जे जबरदत एसीडेट भेल रहए, पूरा रता पुिलसलॉक कऽ देने रहए- एसीडट लगभग २० िमनट पिहने भेल रहए, जािहमे चार टा लोक आऽ एकटा चाहकदोकानदार मारल गेल...ओऽ चा टा हमरे इंटीूटक छा रहए जे नीक चाह पीबए खाितर कल रहए19


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्लेकन...!!हमँ ओिह चाहबलाक दोकानपर रोज कै त रही- अगर बुढ़ीमाता निञ भेटतए तँ हमँ ओिह समयमे चाहकदोकानेपर रिहतँ ...फे र पता निञ...)- चाह िपबैक तँ आदित निह रहए मुदा ठंढ़ाक चलते पीिब लैत रही।कना इंटीूट पँचलँ..ओिहठाम घटनाक सूचना पँिच गेल रहए...इंटीूट दू दनुका लेल बद कऽ देलगेल। छाक घरबलाके ँ सेहो सूिचत कए देल गेल, हमँ बुझल मोनसँ घर घुरए लगलँ, घर घुरैत काल वैहबुढ़या ओहीठाम भेटल...ओिहना घोघ तनने...लग जाऽ कए सभ घटना सुनेलाक बादो ओऽ कोनो जवाब निहदेलक...कछु कालक बाद कहलक...बौआ हमरा भूख लागल यऽ!!क खेबए!!! हम पुछिलयए।चूड़ा आऽ शर..जवाब भेटल।संयोग एहन रहए जे ताऽ तक हम सभ तरहक समान कनबाक वाते कोनो दोकानपर निह गेल रही, कारणघरमे काज करए लेल बत आदमी रहए दोसर घरक सभसँ छोट रही। तैयो दोकानपर गेलँ आरो बुढ़ी-मातालऽ चूड़ा-शर किन कए अनलँ।कछु देरक बाद हम पुछलँ..कतए जेबही, हम पँचा देबौ।“कत निञ”, जवाब भेटल।“रहबीह कतए”, हम पुछलँ।“यैह जगह” सीधा जवाब भेटल।“खाना कतए खेबह”...पुछलापर जवाब भेटल- “ तूँ खुआ, बेशी बक-बक निञ कर, खाइ लेल दे फे र तू पुिछहेँ जेपूछए के छौ”- िबकु ल खल जवाब सेहो भेटल। संगिह ेहसँ कहलक- “तूँहो खो”।हम तँ अजीब मुिकलमे पिड़ गेलँ..ओकरा अके ले छोिड़ कए जाइ के मोन सेहो निञ करैत रहए...आिखर ककरी...बत सोचलाक बाद िनणय लेलँ..जे अए एकरा अपना संग लऽ जाइ...रशापर बुढ़या आरोसाइकलपर हम, घर पँिच ओकरा गेटपर ठाढ़ कऽ बाहर ठाढ़ कऽ हम घर गेलँ, सभ कहानी अपन माताजीकेँबतेलँ, बुढ़या बाहरमे ठाढ़ छै, सेहो किह देलँ। सभसँ पैघ समया जे बुढ़याके ँ आिखर कतए राखी...माताजीकहलिखन- नीचाँमे एकटा म खाली छै- ओिहमे जगह देल जाए, सभ बेबथा-िबछोना, कबल, साफ साड़ी-20


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्कऽ कए ओकरा घरमे बैसेलँ। साँझमे बाबूजी ऑफससँ अएलाह तँ नका सभ कहानी बतेलँ।बाबूजी कहलिह-“बुढ़या किहया तक रहत”।“निञ पता”- हम कहलँ।फे र माताजी सभ सहार लेलिह ..आरो बाबूजीकेँ समझा देलिखन। बुढ़ी-माताक सेवा करब हमर रोजक ूटीभऽ गेल। कोचग जाइसँ पिहने आधा घटा, आबए के बाद १ सँ डेढ़ घटा हमर समय बुढ़ी माता लग बीतएलागल। खानाक अलग-अलग फरमाइश होइत, सभ कछु पूरा करैत एक साह बीतल, एक दन अपना लगबैसा हमर बारेमे पूछए लागल- जेना अपन दादी-दादा-अज- बुढ़ी माता दससँ कहल गेल- तूँ दोसर पढ़ाइ-मेिडकल छोिड़ कऽ– कर। बत नाम हेतौ, खूब पैसा कमेबे, माँ-बाप तोरापर नाज करतौ, १० वा दन राितमेिबना कछु बतेने पता निञ कतए चिल गेलय- आइ तक निह भेटलीह...एखन तक हम इतजार करए छी जेबुढ़ी माता एकदन जर भेटतीह।बुढ़ी माताक बात िबकु ल सही भेल जखन १४-१५ घटा पढ़ाइ करबाक बावजूद सी.बी.एस.ई. मेिडकलमेवेटग आिब गेल। बी.सी.ई.ई.मे डेयरी ाच भेटल, एम.डी.ए.टी.मे १००% चास रहए- ९०% एयूरेट सही कएने रही- मुदा परीा-के िमलत कॉलेज, दरभंगा के िसल भऽ गेल..एिह कारणसँ हम ेशनमे रहएलगलँ। पढाइ-िलखाइ बद कए देलँ...जे एतेक पढ़ाइ करए के बाद जखन सफलता निह भेटल तँ आब किहयोनिह हएत।फे र हमरा बुढ़ी-माताक बात याद भेल, संगिह बाबूजी सेहो कहलिह- अपन ैक चेज क, लगभग ओही समययू.जी.सी.सँ ३ टा नया कोस पटना आऽ मगध िविवालयकेँ भेटल- बायो-टेोलोजी, जल आऽ पयावरणबंधन आऽ बी.सी.ए.। एेस परीापर नामांकन या शु भऽ गेल। बी.सी.ए. हमरा कछ ढंगक कोसबुझाएल, एेस देलँ आऽ पास कऽ गेलँ। यू.जी.सी. बी.सी.ए.क थम बैचक पिहल छा हम रही जे अितमपरीा ८९% सँ पास के लँ। बाबूजी कहलिह- आब यू.पी.एस.सी.क तैयारी क, ढंगक सरकारी नोकरी िलअ,लेकन हमर सोच कछु आरे रहए। “अगर अपन ितभा/ मताक उपयोग करबाक यऽ तऽ सरकारी नोकरी निञक”। फे र एम.सी.ए. के लँ, मोन भेल जे एम.बी.ए. कएल जाय- बत कठन रहए आइ.टी.सँ एम.बी.ए. करब।मुदा बुढ़ी माताक कृ पासँ एम.बी.ए. सेहो कऽ लेलँ। कै स सेलेशनमे रलायसक ऑफर भेटल। जोइन के लँ,फे र एच.डी.एफ.सी. बकसँ ऑफर भेटल तँ बक जोइन कऽ लेलँ। दयमे इछा रहए जे टाटा-िबड़लामे नोकरीकरबाक चाही। बुढ़ी माताक कृ पासँ इछा पूरा भऽ गेल आऽ िबड़ला ुपसँ नीक थानक ऑफर आिब गेल। जोइनसेहो कऽ लेलँ आऽ एखन तक एतिह छी..आब इछा यऽ दली/ मुबइक बत सेवा के लँ...आब अपन िबहार/िमिथलाक सेवा कएल जाय..बुढ़ी माताक कृ पासँ ओहो भऽ जेतए...लेकन सभसँ पैघ इछा अिछ बुढ़ी-माताकदशनक..पता निञ होएत क निञ...21


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्जम 3 जनवरी 1936 ई नेहरा, िजला दरभंगामे। 1958 ई.मे अथशामे ातकोर,1959 ई.मे लॉ। 1969 ई.मे कै िलफोनया िव.िव.सँ अथथा मे ातकोर, 1971 ई.मे सानांिसकोिव.िव.सँ एम.बी.ए., 1978मे भारत आगमन। 1981-86क बीच तेहरान आ कफु तमे। फे र बबई पुने होइत2000सँ लहेरयासरायमे िनवास। मैिथली फम ममता गाबय गीतक मदनमोहन दास आ उदयभानु सहकसंग सह िनमाता।तीन टा उपयास 2004मे चमेली रानी, 2006मे करार, 2008 मे मार।मार..1..दृ”आह! भैया आिब गेला। हाथ मे पोटरी छिन। अबसे ओिह मे ‘मीट’, अरे! निह माता दुगाक परसाद हेतिन!“रंजना बाजिल छलीह। ओ दौड़ैत आंगन सँ बाहर एलीह। नका भाइजीक हाथ मे ठीके पोटरी छलिन जािह मे‘मीट’ रहैक। भाइजी अपन हाथक पोटरी रंजनाक हाथ मे देब’ चाहलिन। फे र, ने जािन नका क मोन पड़लिनजे अपन पोटरी बला हाथ क¢◌ँ पाछाँ घीिच लेलिन। ओ बूत बिन ठार भ’ गेला। भाइजीक ठोर मे कं पन होब’लगलिन, आँिख सँ ढबढब नोर बह’ लगलिन आ नक सम शरीर थर-थर काँपए लगलिन।भाइजी अथात आकाश सँ नक एकमाा छोट बिहन रंजना नका सँ बारह बखक छोट छलिथन जे आबपहम मे पयर रखने छलीह। ओ सलवार-कु त पिहरने छलीह। हाथ मे चूड़ीक थान पर घड़ी बाहल छलिन।पुछू कएक? रंजना िवधवा छलीह।22


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्पिछला आषाढ़ मे रंजनाक िववाह कमीशन ा सेके ड लेिटनेट भाकर चैधरी सँ भेल रहिन। एक मिहनाकअवकाश समा भेला पर भाकर चैधरी अपन ूटी पर कमीर पँचल छला। ओतिह आतंकवादीक संगमुठभेर मे शहीद भ’ गेलाह। रंजना िवधवा भ’ गेलीह।आकाश लगक शहर दरभंगाक एक बक मे कायरत रहिथ। ओ गामिह सँ कू टर पर बक जािथ आ आबिथ।अमी रहैक आ बक दशहराक छुी मे बद छलै। गामेक दुगा थान मे बिलदान कएल छागरक भड़ाक माँउसपुजेगरीक आदेश सँ िबकाइत छलै। ओही ठाम सँ आकाश एक कलो ‘मीट’ आ क परसाद जे किहयौ किन क’अनने रहिथ।सित जे दृय उपिथत भेल छलै ओिह मे आकाश हाथ मे मीटक पोटरी टंगने थरथराइत ठार रहिथ। नकाआँिख सँ दहो-बहो नोर बिह रहल छलिन। नक पी, पांच बखक बेटी सुजाता, माता-िपता सभ कयो ढलानकएक कातठार डबडबाएल आँिखए देखैत चुपचाप आकाश दस ताक रहल छलिथन। रंजना ठीक आकाशक सामने छलीह।नक बाल सुलभ सदृश मुख-मंडल पर बड़ी टा िचह बिन गेल छल। काजर पोतल आँिख मे रंजनाक समभिवय धह-धह धधक रहल छल। त¢◌ँ नोरक एकोटा बू देखाइ निह पिड़ रहल छल। परवारक ं दन बीचरंजना एक अजीबे दृि सँ अपन ाता, आकाश क¢◌ँ िनहार रहल छलीह।बड़ी काल सँ अंटकल आकाशक कं ठ सँ कु हरैत शद बाहर भेलदृ”हे भगवान! हम ई क कएल? कयक हम ‘मीट’कनल?“ एतबा बािज आकाश मीट’क पोटरी क¢◌ँ नाला मे फे क, दुनू हाथे माथ पकिड़, नीचा जमीन पर बैिसहबोढेकार कान’ लगलाह।आब रंजना क¢◌ँ छोिड़ परवारक सामूिहक ं दन सँ थान पीड़ादायक बिन गेल। माा रंजना अिवचल ठाररहलीह आ शूय नजर सँ सभ कछु देखैत रहलीह।हम कोन तरहक िखसा सुनाब लगलँ। इहो कोनो िखसा भेलै? रंजनाक िववाह लड़ाइक िसपाही संग भेलछलिन। ता मे एहन िसपाही सँ जिनक िनयुि कमीर मे आतंकवादी सँ िभड़त मे भेल होअय। तखन त’ ाणजायब करीब-करीब िनिते छलै। त¢◌ँ रंजना िवधवा बनलीह। अिह मे अजगुत बला कोनो बात निह भेलै।दुखक बात जँ रहै त’ एतबेटा जे जािह जाित मे रंजनाक जम भेल रहिन ओिह जाित मे पुनववाहक िनयम निहरहैक। ओिह जाितमे आ सनातन सँ आयल परपरा मे िवधवाक िनदान हेतु कोनो टा वथा निह रहैक। रंजनािवधवा भेलीह त’ भेलीह। पूवजमक पाप ओ निह भोगती त’ के भोगत? त¢◌ँ ई माा ओहने आ ओतबेटा बात23


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्भेल जेना मनता मानल कोनो पाठीक बिल पड़ल होअय। आब अहाँ कहबै जे ई कोन तरहक िमलान भैलै? निहअरघै अिछ, त’ सुनू।मनता मानल पाठी-छागरक बिल पड़ै काल बिल देिनहार, कबुला के िनहार एवं बाँक सभटा तमाशा देखिनहारएतबे ने सोचैत छिथ यौ जे हरद, िमरचाइ आ मसला मे भूजल एकर माँउस मे कतेक सुआद हेतै? तिहनािवधवा भेिल रंजना द’ सभ सोच’ लागल छिथ जे ई आब सासुर त’ जेतीह निह, गामिह मे रहतीह। गाम मेसभहक टहल-टकोरा करतीह, अदौरी-कु हरौरी खटतीह, अँगने मे भानस-भात करतीह, एकरा-ओकरा संगतीथाटन जेबा काल भनिसया बिन क’ जेतीह आ छड़ा सँ लगाित बूढ़बा तकक करेजक तपन मेटौती। त¢◌ँबरसामबाली काक कहने रहिथन यौ, भगवान सभहक सभटा इतजाम बैसले-बैसल ‘क’ दैत छिथन। दूर जो,मनसा सभहक लप-लप करैत िजवा आ आँिखक खोराकक पूत सदकाल सँ बाल-िवधवे सँ पूत होइत रहलैअिछ। ई कोनो नुकायल गप छैक?आब अह क जे मनता मानल पाठी आ िवधवा भेिल रंजना मे क फक ? कोनो तरहक िशकायत करब सेहोयुि संगत निह होयत। त¢◌ँ आब नीक होयत जे अिह िखसा क¢◌ँ अही ठाम िवराम द’ क’ ओही गाम मेओही दन घटल दोसर घटनाक जानकारी ा करी।गामक नाम भेल पानापुर। पानापुर मे सभ जाित, समुदाय एवं सदायक लोकक िनवास। गाम आथक पेसप। ओिह गाम मे छल एकटा दुगा मंदर, जे दस-बीस कोस दूर तक िस छल। पैघ पोखरक पूबरयाभीड़ पर तीन-चार बीघा मे पसरल मंदर आ मंदरक परसर। मंदर मे दुगाक भ ितमा। तकरबाद मंडप,पुजारीजीक आवास आ सदकाल खल-खल हँसैत, वछ, िवशाल समतल भूिम। दशहराक समय मे अही थानपर मेला, नौटंक, नाच-गान आद आयोिजत होइत छल।दुगा मंदरक पुजारी छलाह काली कात ओझा। दुबर-पातर, साँची धोती, खसल ढेका, छाती पर उगलपंिब हीक उपर दू भा फहराइत जनउ, गौ-खूँर बरोबर टीक, पयर मे खराम आ ललाट पर सेनुरक ठोप।पुजारीजी सन आ मृदुभाषी छलाह। वैणव त’ओ छलाहे आ साह मे अिधक दन उपासे मे रहैत छलाह। मुदानक पी अढ़ाइ मोनक पा छलिथन। थुलथुल देह, खुजल कारी के श, नाक सँ मांग तक पितताक िनशानीवप सेनुरक डरीर, पान-जदा दुआरे कारी भेल दाँत आ बीड़ी त’ ओ नैहरे सँ िपबैत आयल रहिथ। जँ जुमिन त’24


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्िनय माँउस-माँछ चाहबे करी। दू अगहनी जोड़ दू रबी गुण दू बरोबर मंदरक बख भरक अ-टाकाकआमदनी पर नक पूण एकािधकार छलिन।पुजारीजी पीक सोझा मे आब’ मे कँ पैत छलाह। शारीरक दुबलता अथवा धामक अजीणता, कारण जे हौउ,पुजारी जी सदकाल पी सँ डेरायल रहैत छलाह। तखन पुजारीजी के संतान वप पुाक ाि भेलिनकोना? ई रहयक िवषय अवसे छल। मुदा अिह रहयक छेदन नीित शाा ाता कइएक बेर क’ चुकल छिथ।नका लोकिनक अनुसारे पित-पीक ह-ना कतबो उटा-पुटा कएक ने हौउक, चुरता एवं परपताबेला मे कखनँ काल अ-िवराम पूण िवराम भैए जाइत छैक। पुजारीजीक पुाक नाम रहिन यदुनाथ ओझा।पैघ भेला पर यदुनाथक उपनयन भेलिन आ बख भरक भीतरे िववाह सेहो भ’गेलिन।यदुनाथक पी अथात पुजारीजीक पुत जखन दुरागमन भेला पर सासुर अयलीह त’ नक अनुपम सौदयकदुआरे सपूण पानापुर गाम महमही सँ गमक उठल। यदुनाथ त’ अपन बापक काबन का◌ॅपी छलाह। मुदा नकपी जिनक नाम छल कािमनी, तिनका जे देखलक सैह िवभोर होइत बाजल छलदृ”माइ गे माइ! एतेक पपुजारी जीक सदुक-पेटार मे झाँपल कोना रहतैक? कोनो अनहोनी ने भ’ जाइक?“अमीक िनतध राित। पानापुर गामक सभटा मनुख भर दन नाच तमासा देखलक, इछा भर नशा के लकआ भर पेट माँउस-भात खाए थाक क’ झुरझमान भ’ सुित रहल। मुदा चोर-उचा, अयाचारी एवं िभचारीकमक लोक क¢◌ँ राित मे िन होइते ने छैक। ओहन लोक राितए मे अपन इछा-पूतक जोगार करैत अिछ।ओहने रास वृितक ेणी मे छल िबदेसरा कु एक। गाम मे एकटा अपताल अवसे छलै। मुदा डाटर मिहना,दू मिहना मे किहओ काल अबैत छलाह। गामक वाय िवभाग कु एकक िजमा छल। ओना सड़क-छाप बतोकु एक छल। मुदा िबदेसरा कु एक सभ सँ तेज-तरार मानल जाइत छल। वर-धाह राित-िवराित कखनो-ककरोभ’ सकै त छलै। तािह कालक भगवान छल िबदेसरा कु एक। ककरा मे एतेक साहस रहै जे िबदेसरा कु एक सँतकरार करतय। नाड़ी देखै लेल अथवा सूइया भकै लेल िबदेसरा कु एक ककर आंगन मे कखनँ वेश क’जाइत छल। ओकरा कोनो रोक-टोक निह रहैक।जिहया सँ यदुनाथ दुरागमन करा क’ अयलाह आ सुदर किनआँक कारण गाम भरक छड़ा सभहक बीच इखाकमूत बनलाह तिहया सँ िबदेसरा कु एक नका मे अिधक काल सटले रहैत छल। चाह-नाताक संग चोटगर-िमठगर गप-सप किह िबदेसरा कु एक यदुनाथक मोन क¢◌ँ मोहैत रहल आ अततः नकर अिभ िमा बिनगेल। एहना मे िजगरी यार िबदेसरा कु एकक फमाइस यदुनाथ पूत कोना निह करतिथ? ओही अमीक राित25


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्बुझू िनशा पूजा िनिमे, दुनू यार बैसल रहिथ। थान छल यदुनाथक शयन-क। पुजारीजीक आवास मे पिहनेछल कनेटा खुजल दरबा। तकरबादक कोठली मे पुजारीजी पीक संग राि िवाम करैत छलाह। तकर सटलेभंडार आ भनसाघर। सभ सँ अत मे जे कोठली छल सैह भेल यदुनाथक शयन-क। दुरगमिनआँ पलंगक एककात टेबुल आ कु स। देवाल पर िसनेमाक अिभनेा◌ीक नयनािभराम फोटोक बीच भगवतीक फोटो। िखड़क-के बाड़ पदा सँ झाँपल।दू गोट कु स पर यदुनाथ आ िबदेसरा कु एक आमने-सामने बैसल छल। बीचक टेबुल पर एकटा फू लदार िवदेशीशराबक खुजल बोतल, पािन सँ भरल जग आ दू गोट शीशाक िगलास राखल रहैक। ताही काल यदुनाथककिनआँ कािमनी िछपली मे भुजल माँउस टेबुल पर रखलिन आ पितक अिगला आदेशक तीा मे एक कात ठारभ’ गेलीह। नक गोरक बाँिह मे सटल करका ला◌ॅउज ककरो एक बेर आरो देखीक’ लोभ मे पटक सकै तछल। िबदेसरा कु एक अपन नजरक नोक क¢◌ँ कािमनीक उठल ला◌ॅउज मे भकै त बाजलदृ”यार, एतय सभठरा िपबैत अिछ। मुदा अहाँ लेल हम दरभंगा सँ सय टाका मे असली असी ितशत ूफ अकोहलबला ‘जीन’मंगौलँ अिछ। आब िबलब निह क’ एकरा टेट करयौ।“दू टा िगलास मे शराब ढारल गेल, पािन िमलाओल गेल, िगलास टकराओल गेल आ तखन दुनू यार िपअब शुके लिन। माँउस िनघंट गेल। कोनो बात ने, कािमनी िछपली भरी भूजल माँउस फे र सँ अनलिन।यदुनाथ पिहले पैग मे डोिल गेल छलाह। शराब पचेबाक ने नका काया रहिन आ ने ाइटस। दोसर पैग समाकरैत-करैत यदुनाथक आँिखक िडहा सँ टचक फोसग बाहर होब’ लगलिन। तेसर पेगक आरभे मे कािमनीफे र सँ भूजल माँउस आन’ चिल गेल रहिथ। जाबे ओ घूिम क’ एलीह ताबे नक नाथ पलंग पर िचत बेहोशपड़ल रहिथन आ नकर थुथून सँ सा¢◌ँ-सक अबाज सारत भ’ रहल छल।कािमनीक हाथ मे तेसर खेपबला भूजल माँउसक िछपली छलिन। ओ थकमकाइत ठार भ’ गेलीह आ पलंग परपड़ल अपन वामी क¢◌ँ टकटक देख’ लगलीह। कछु समय लेल कािमनीक मितकक सोचक यंा मे ेक लािगगेलिन।बेगूसराय सँ खगिड़या जेबाक ‘हाइ वे’क दिण गंगाक तटपर बसल छल िपआ नामक गाँव। ओही गामकमंदरक पुजारीक कया छलीह कािमनी। गंगाजल सँ घोअल मंदरक पिवा परसर मे कािमनीक जम आपालन-पोषण भेल रहिन। सासु-ससुरक सेवा एवं पितक आदेशक पालन करबाक बीज मंा ल’क’ कािमनीसासुर आयल रहिथ। मुदा सासुरक वातावरण कछु अलगे तरहक रहैक। सासुक बीड़ी िपअल मुँहक गंध सँ26


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्कािमनी क¢◌ँ िमतली होब’ लागिन, असरधा होिन। मुदा ओ अपना क¢◌ँ रोकिथ आ बुझबिथदृकोनो बात निह।नव थान मे एना ायः होइते छै। सभटा अपने आप ठीक भ’ जेतै! के वल धैयक िनवाह चाही। यिप ई बातनका कयो िसखौने निह छलिन। मुदा आन-आन नव िवआहिल कया जकाँ एकर िवास नकर संकार मेपिहने सँ छलिन जे पित नकर रक छिथ, परमेर छिथ। तखन चता किथक? मुदा एखन त’ नकर रक,परमेर बेसुध भेल पड़ल छिथ। एखुनका बयस तक कािमनी क¢◌ँ नीक-बेजायक कोनो टा ान निह भेलछलिन। त¢◌ँ कािमनीक लेल एखुनका परिथित अयािशत आ ओझरायल सन छल। ओ काठ बनिल ठार रिहगेलीह।१. यामसुदर शिश-िवचार २.अंकु र काशीनाथ झा, नेताजी पर तामश कयैक उठैत अिछ यामसुदर शिशिवचारिमिथलाक तवाही,सरकारी षडय त ने अिछ ??संिवधानसभाक िनवाचन प यात् मधेस चैनक ◌ा◌ा◌ंस लेत ,िमिथला आरामसँ अपन िवकास आ कला—सं कृ ितक संरण स बनमे जूट जाएत,तेहन िव वास राजिनितक वृमे या त छल । राजिनितकिव लेषकसभके कहब छलिन जे अिधकार वा ते मधेसभर उठल पसाही िनवाचन प यात् संसदमे धुधुआएतआ सडक शा त भ जाएत । सश समूहक ब दुक सेहो सहज िनकास पाओत । मुदा से धर भेल निह । मधेसकअ या य भाग थोर बत शा तो भेल मुदा िमिथलाक अव था बसँ बर होईत गेल । खासकऽ िमिथलाकसीमामे पडएवला धनुषा,महोरी,सलाही,िसरहा आ स तरीक अव था त बेहाल भ गेल । त यांक दस दृि टगतकरी त िवगत तीन मिहनामे एिह ेमे लगभग एक सय सवसाधारणकेँ ह या भेल अिछ ।अपहरण,लूट,चोरी,डकै ती आ मार िपटक त लेखा जोखा करब मु कल । सडकसँ संसदधर पिचिनहार मधेसीजनअिधकार फोरमकेँ नेतालोकिन उपरा पित, उपधानम ी,म ी आ क—कहाँदनके पाछाँ पिड, सडककेँभावना िबसर गेलाह अिछ । कछुकेँ पाछाँ निह पडवाक नाटक कएिनहार तराई मधेस लोकताि क पाट,काँेसकेँ नव सं करण जकाँ तीत भ रहल अिछ । जेकरा अशा त होएवाक चाहैत छल से अथात संसद, शा तअिछ । सडककेँ शाि तपूण आ दोलनकारीसभ एखनो संसददिस आशाक नजरसँ तािह रहलाह अिछ जे कखन27


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्हमरालोकिनकेँ अिधकार भटत ? अपन सहनशीलताके उ कषधर आम मधेसी आ मैिथल अपन नेता आसंिवधान सभासदसभक शुभसंके तक िता करबाक ण जकाँ कएने अिछ । स भवत ◌ः त सडक शा त अिछ ।मुदा ई खामोसी िवहायिडक संके त सेहो भ सकै त अिछ । तेँ मधेसी दल,सश समूह आ सरकार िवहािडक संके तसमयमे अकानिथ त वेस । अ यथा आब उठएवला पसािह जूटक निह फू टक हएत ।साढे तीन करोड जनताक ६सय सभासद्, साढे छ मिहनाधर राजकोषक दानापानी चैनसँ हजम करैतरहलाह,म ी—ज ी आ क—कहाँदन बनवाक जोगाडमे लागल रहलाह । आब नकासभकेँ आँिख खुजलिनअिछ जे—बापऱ़◌़◌ेसंिवधान किहया िलखब ? हमरालोकिन त संिवधान िलखवा वा ते पठाओल गेल छलँ ।आ आब बनल अिछ िविभ न सिमतीसभ । जे से, पुजारीके जेना देरीसँ मोन पडलिन जे हम पुष छी तिहनाहमरासभक सभासलोकिनकेँ देरएसँ सिह मोन त पडलिन जे हमरालोकिन संिवधान सभासद् छी,सांसद निह।हमरालोकिन बात कऽ रहल छल ,िमिथलामे या त अशाि तक िवषयमे । जेनाक पूवमे अनुमान लगाओल जारहल छल जे संिवधानसभाक िनवाचन प यात् मधेस शा त भऽजाएत आ संसद अशा त होएत । से भेल निह ।राजिनितक शा क िसा तकेँ औठा देखबैत मधेसक सश समूहसभक सकृ यता आओर बढ गेल । िमिथलाभर ह या,हसा,लूट,अपहरण,च दा असुलीलगायतके घटनामे अपेाकृ त बृिए भेल । सरकारारा वाताकआवानक बाबजुदो ह या हसाक घटनामे किम निह आिव रहल अिछ । आम नागरक मा निह राजिनतीकिव लेशक लोकिन सेहो खोजी क रहलाह अिछ जे आिखर एकर पाछाँ क कारण भ सकै छ ? राजिनितलोकिनसेहो छगु ता मे छिथ । दोसर दस आम नागरककेँ मोनमे एक गोट न उठ रहल छैक जे िनवाचनके ँ ममेचुपचाप बैसल मधेसक सश समूहसभ,फे रसँ कया आ कोना सकृ य भ उठल ? संगिह कछु शंका उपशंकाकज म सेहो भेल अिछ ।एक गोट सहज सवाल जे सभके ँ झकझोिड रहल अिछ ओ ई जे—क माओवादी नेतृ वक वतमान सरकारिनितगत पसँ मधेसकेँ अशा त राखए चाहैत अिछ, मधेसक अशाि तक फायदा उठा पुनः औपिनवेिसक शासनत ने करए चाहैत अिछ ??यद से निह त मधेसमे या त हसाके कए निह रोकल जा रहल अिछ । मधेसआ दोलनके ँ ममे कएल गेल समझौताक काया वयन कए निह कएल गेल ? फे रसँ मधेसी जनताकेँ ठकबालेल? एक दस सश समूहसंग वाताक नाटक करब आ दोसर दस कायकताकेँ ह या करब ,कराएव । एहनाि थतीमे वाताक वातावरण के ाना बनत ?दोसर दस मधेसक सश समूहक ताजा गितिवधी सेहो नक घेरामे अिछ । क मधेसमे उ पात मचा रहल दूदजनसँ अिधक समूह मधेसेक वा ते काज क रहल अिछ ? यद ई समूहसभ मधेसक वा ते काज क रहल अिछ तँसंिवधानसभाक िनवाचनकेँ बेरमे क छल ?ओ समूहसभक मांग क अिछ ?सै य संरचना के हन छैक ?आ ओसमूहसभ कोन ठाम सरकारसंग लडाई कएलक अिछ ? आ सभसँ मह वपूण जे मधेसक वा ते संघषर ओ28


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्समूहसभ मधेसमे चोरी,डकै ती,ह या,हसा,अपहरण क रहल आपरािधक समूहसंग के हन यावहार क रहलअिछ । मधेसक मिसहा कहएवला एिह समूहसभक काज मधेसके सुरा देब सेहो होएवाक चाही ने ?एिह तरहे देखल जाय तँ मधेसित वतमान सरकार आ मधेसक नामपर सश संघष करएवला समूह, दुनूकदृि टकोण नकारा मक छैक । दुनू िमलीक मधेस आ मधेसीकेँ शोषण,दोहन आ तवाह करवाक काज क रहलअिछ । मधेसक नामपर सश संघष करएवला कछु समूह सवसाधारण यि तकेँ अपहरण करैत अिछ,फरौतीलैत अिछ आ पुिलससंगे आधा आधा भाग ब डा लगवैत अिछ । सश समूहसभ पिहने हिथयार खरीद करबाकनामपर च दा असुली अिभयान चलबैत छल । आब त ईहो कहल जाईत छैक जे —हमरा कायकताके पुिलसपकडने अिछ ,ओकरा छोडएवाक वा ते च दा चाही ।धनुषाक महे नगरमे एक गोट घटना हालिह घटल अिछ—अपहरणकारीके पकडल जएवाक मांग सिहतउमाेमपुर आ कसाननगरके ामीणसभ महे नगर ईलाका हरी कायालय घेराउ कएने छल । ि थतीबेस हार भेलाक बाद पुिलसके गोली चलावए पडलैक आ एिह ममे संजय कु मार साहनामक एक युवक घायलसेहो भेल ।एिह तरहे यद पुिलस अपहरणकारीके संरण दैत छैक त अपराध कोना िनय ण हेाएत ? जनकपुरमे एकसरकारी कमचारीके ह याक बाद सरकार िमिथलाक एिह पाच िज लामे िवशेष सुरा रणिनती बनौलक अिछ। एिह सरकारी रणिनितससँ अपराध घटओ वा निह मुदा िमिथलाक जनता आओर तवाह हएत से धर प काअिछ ।स दभ ◌ःराम—जानक िववाह महो सवदुलहा बनल ीराम हे ऽऽऽ◌़◌़◌़◌़अगहन शु ल प चमी । दुिनया भरक िह दुसभक वा ते िताक दन । कारण एिह शुभ ितथीमेमायादापुषेाम ीराम आ आदश नारी सीताक िववाह भेल रहिन । जािह ितथीक एतेक िबकलतासू िताकएल जाईत हो,ओ थान कतेक पिव होएत ?क पना कएल जा सकै त अिछ । वाभावत ◌ः राम—जानककिववाह भेल धरतीकेू पश कऽ लोक ध य ध य होवए चाहैत छिथ । सोिचय जे जनकपुरवासी कतेकभा यमानी छिथ,जिनकर ज म एिह पावन धरतीपर भेल छिन ।ओ पावन धरती आ एिह धरतीक ितपालकसभ एिह स ताह अपन िय सीता आ पू य ीरामक िववाहधूमधामसू कएलिन अिछ । एक स ताह धर चलल एिह िववाह महो सवमे ने मा जनकपुर आ िमिथलावासीअिपतु भूगोलक कोना कोनाक िह दुसभ अपन अरा य देवक िववाहमे सहभागी भेलाह । िमिथलामे सीताके बेटीआ बिहनक पमे मान—स मान कएल जाईत छिन । वाभावत ◌ःदुलहा रामके जयाय आ बिहनोक पमे ।29


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्ईतर िमिथलावासीके आ चय लािग सकै त छिन जे जहन ीरामके डोला(ितमा) िववाह वा ते जानक मि दरवेश करैत अिछ त मैिथलानी िगितगाईनसभ नका गाडी पढैत छिन आ पुछैत छिन—रामजीसू पुछय िमिथलाक नारीबतावऽ बबुवा एक गोर ,एक कारीबतावऽ बबुवाऽऽऽ◌़◌़◌़◌़◌़अथात हे राम । जवाफ दय,एक भाय गोर(ल मण)आ एक भाय कारी(राम) कोना भेल । यद एके गोट िपताकदुनू पु छी त एके रंगक होएवाक चाही ने ??? मैिथलानीसभक पुछवाक ता पय छिन जे अहा◌ूक दूगोट िपतात ने छिथ ?राम सीताक िववाह एहन िवलण आ मनोरम वातावरणमे होईत अिछ ।राम जानक िववाह महो सवके शंगमे जानक मि दरके मह थ रामतपे वर दास वै णव सीताक िपता अथातजनकके पमे तूत भेल करैत छिथ आ राम मि दरके मह थ राम िगरी रामक िपता अथात दशरथके पमे ।सात दवसीय एिह िववाह महो सवमे धनुष य,ितलक,मटकोर,सेनुरदान आ मयादी भोज(राम कलेवा)सेहोहोईत अिछ । दुलहा पीय ीराम युवा किमटीक युवा—युवती एवं सरकारी कायालयके मुखलोकिनबरयातीक पमे सहभागी भऽ ढोल िपपही एवं अंेजी वाजाक धूनपर िड को सेहो कएलिन । जनकपुर नगरपािलकाक पदािधकारी आ नागरक समाजक अगुवालोकिन सरयाितक पमे बरयाितसभके वागत कएलिन ।सी मजाक आ रंग अिवरक मदन त िमिथलाक वैवािहक िविधक अिभ न अंगे अिछ । सेहो भेल । माने सीतादाईके िववाहमे ओ सभ कछु भेल जे हम अहा◌ू अपन बेटी,बिहन वा भितजीक िववाहमे करैत छी ।िमिथलाक वैवािहक रितरवाजके सभसू आलादक प अिछ, एिहमे गाओल जाएवला गीत । सा◌ूच कही तमैिथलके िववाहमे पोती पतरा लऽ उपि थत पुरोिहतोसू बेसी मह वपूण होईत छिथ,िगतगाईन दाई—माईलोकिन । आ जहन राम सीताक िववाह भऽ रहल होईत अिछ त मैिथलानीलोकिन बड आवेशसू गाओलकरैत छिथ—िमिथलाक िधया िसयाजगत जनिन भेिलदुलहा बनल ीराम हेऽऽऽ30


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्अंकु र काशीनाथ झा, गाम -- कोइलख, िमिथलांचलनेताजी पर तामश कयैक उठैत अिछ॥िवगत कछु दन सऽ नेता के ित लोकक सोच बदैल गेल अिछ। नेता सबहक जे छिव सामने ऐल अिछ ओ लोकके भािवत कम के लक। एिह मे नकारामक संदेश बेसी अिछ। िजनका लोक सब एक दन समाज के मागदशतकरबाक लेल आगू आनई छैथ। एकटा पहचानक संग ठाढ़ करई छैथ। आई नका वैह लोकसब गरया रहलछिथन।आब उठैत अिछ जे एकटा िजमेवार आ पथ दशक ि के ित लोकक मोन म नकारामक सोच कयैकघूिस गेलैन अिछ ? दरअसल एकाएक ऐना निह भेल अिछ। बिक पिछला कछु साल म नेता सबहक हावभाव,िवचार, वभाव आ काज करबाक नीित म ऐल परवतनक ई दुपरणाम अिछ। एकरा लेल नेता वयं हद तकिजमेवार छिथ। ओ सब नेता शदक परभाषा के बदैल कऽ रािख देलैन अिछ। ओ सब राजनीित के मा एटावसाय बुझऽ लगला अिछ। ओ सब चुनाव के एकटा वसाियक परीा जंका योग करैत छैथ। समय के संगपरीा म भीड़ बढ़ गेल अिछ। तांिह भीड़ सऽ आगू िनकलबाक लेल आ खबर मे रहबाक लेल मजबूर भऽ कऽनेता जी सब िवकासक काज छोिड़ फालतू आ तक िवहीन बयान दैत रहैत छैथ। नका सब के एिह गप सऽ कोनोमतलब निह छैन जे नकर वक असर कते दूरगामी आ घातक भऽ सकै त अिछ। ई घटना ककरो सऽ नुकै लनिह अिछ, जे राज ठाकरे एकटा चुनावी परीा म फे ल भेला के बाद अपन मुखारिबदू सऽ एहेन िशगुफाछोड़लैन जे महार के हालात बदैल गेल। गैर िजमवारपूण बयानवाजी के ला पर कोनो तरहक सत सजै निहभेटबाक कारण नेताजी सबहक हौसला आरो बढ़ जैत छैन। यैह कारण अिछ जे देशक के ीय मंीजी सबआतंक घटना म िल संगठन िसमी पर सअ ितबंध हटेबाक वकालत करैत छैथ। नकर सबहक िनलता तऽतखन आर हद फािन जैत अिछ जखन अमर सह आ अंतुले साहब एक टा शहीदक शहादत पर िचन लगादैत छैथ। एिहना एक बेर तऽ एहेन लागल जे के रल के मुयमंी जी सठया गेला अिछ। मुयमंी जी एकटाशहीदक परवार के गार दई सऽ परहेज निह के लिन। एकर सबहक ऐके टा कारण छै। वोट इका कऽ चुनावी31


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्परीा म पास भेनाई। ई सब कऽ कऽ जखन नेताजी सब चुनावी परीा पास करैत छैथ तऽ ओकर बाद नकरसबहक एक टा मा लय रहैत छैन। कोनो तरहे बेसी सअ बेसी पया कमेनाई। जखन गप पैसा के आगू पाछूघूमअ लागैत अिछ तखने एिह तरहक खेला होयत अिछ।ऐना म सावजिनक तौर पर एकटा सवाल उठैत अिछ जे एिह िथित म आम लोक क करैथ। जे सब कछु देखईआ सहै लेल मजबूर छैथ। मुंबई म भेल आतंक हमला के बाद अचानक नकर सबह ओ तामस जे सालो सअमोन म दबल छलैन, बारह िनकै ल गेलैन। कछु गोटे मीिडया के सामने आिब कऽ अपन तामस िनकालला तऽकछु गोटे एकब भऽ कछु कालक लेल सड़क पर उतरला। एिह सअ बेसी कओ क सकै त छलाह। लोक लाचारछैथ। िववस छैथ। कयैक िवकपहीन छिथ। नका ककरो नै ककरो तऽ नेता बनेबाक छैहे। लोकतांिक ढ़ांचाएहेन छैक, जई म नेता जरी छई। आ ओ नेता आम जनता ारा चुनेवाक छई। बेसी सऽ बेसी आम जनता एकके बदैल कऽ दोसर के चुिन सकै त छिथ। मुदा रहता ओहो नेता। मा शरीर बदलैत छैक। शरीर बदलला सऽ कृ यमे कोनो बेसी बदलाव निह होयत छैक। कछु बदलाव के जॉ उमीद कै ल जैत अिछ तऽ जरी निह अिछ जे ओबदलाव सकारामके वै। नेता के नो िवशेष ि निह होयत छैक। बिक ई नाम अिछ ओ िवशेष वग के , जकरअलग धम होयत छैक। अलग इमान होयत छैक। आ अलग पहचान होयत छैक।एकरा लेल एकटा गप अकाटय अिछ, आ ओ अिछ जे एिह िवशेष वग के ता आ िववेकिहनता के हद तकपंचाबई म हमर, अहां के आ हमरा सब के कनी कनी योदान अिछ। कयैक जान अनजान मे जॉ कयौ एिहसऽ कनी अलग हट कऽ काज करैयो चाहैत छैथ तऽ नका सहजतापूवक वीकार निह कै ल जैत छैन। ओिहसमय लोकक मोन म परवारवाद, जाितवाद, ेवाद आ पाटवाद एहेन कटाणु घोसया जैत छैन जे तकालनका पथ िवचिलत कऽ दैत छैन। आ एकरे परणाम दूरगामी आ घातक होएत अिछ। फलवप बाद मे हमसब पछतैत रहैत छी। जे आई सबहक समने अिछ।१. अयोयानाथ चौधरी-दू प २.एकद त हाथी आ नौलखा हार-बृषेश च लाल३.कु मार मनोज कयप- नव वष ४.एत' आ ओत’- अनलकात ५.ेमच िम- अनाम कथादू प_________अयोयानाथ चौधरीअतत; आइ हम दनेशके ँ प िलखवाक लेल उत भेलँ अिछ । कागत-कलम सब दुत १९६९, मानेठीक ३६ वषक बाद । एतेक नहर अतराल ! क बूझत ओ ? खीझ होइत अिछ हमरा जे जीवनमे एंकटाउसाही प लेखक कएक निह विन सकलँ हम ? एकटा सफल दाियव कएक निह िनभा सकलँ हम ?जकरा हम प िलखाक हेतु उत भेलँ ओ हो त किहयो िलखवाक वात सेिच सकै त छल । खैर शआत हमरेसँरहओ । ओकरा हेतु हमर प एकटा अयािशत घटना सािवत हेतैक – ’अ सराइज’ आ, ज ओ जीिवत निह32


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्हो ............ ? बत नहर अराल भेलैक ने ! प फता आिब सकै त अिछ .............ओिह पर “डेड’ जा मृतकानो संके त रिह सकै त छैक । एतेक िनराशाजनक वात निह सोचवाक चाही । ओहना िथितमे पोटमैन पफार-फे ककऽ अपन मथ-दुखी सँ मृ भऽगेल रहत ।ई समय प िलखवाक अनुकू ल +{बत अनुकू ल वुझा रहल अिछ । दशमीमे सब गाम अबैए- ओकरो जरगाम आवक चाही । तावत ओकर पी, बेटा वा वेटी के ओ ने के ओ प सहेिजकऽरािख देने रहतैक । जाइजमानामे हम सव – ’ैजुएशन’ के ने रही, ओइ िहसाव सँ ओ जर कोनो नोकरी मे हैत कएक त’ नीक िवाथरहय । पता निह – पटना वोकारो, टाटा, दली कतऽ अइ..... आक सुदुर दिण के रला, मास-निह जािनकतऽ ?/चार वष संगे अिभ रहवाक कारणे ओकरा प िलखवामे एकटा ’पेन े ड’ क मजा आओत । सबसँ पिहनेतँ’ ओकरा परवाक िलया लेवऽ पडत । ओकरा परवारमे के सब छैक ? के कतऽ क करैत छैक ? पकिसलिसला जौ चालु भऽ जायत त कालातरमे इ हो बूझऽ मे आिव जायत जे ओकरा एकटा मनोनुकू ल पीभेटलैक क निह..... आक कोनो ना शेष जीवन िवतावऽक ममे अइ ।याददात वा फे हरत रहत । तिहया सी. एम. कलेजक आलीशान आस लक नव हेवाक कारणे िवकु लकोनो सुदर कागज पर पारल रंगीन नशा वुझाइक – पाक जकाँ । जतऽ जाउ जेना पीक झुड आ कलरवपसरल । िवशाल पुतकालय । वागमतीक मनोरम आ खतरनाक कछेर । रहयमयं गस-कामन-म । िविभिवषयक अलग ’िडपाटमेट’ आ ओ रहयमय कोठली, उपर हेवाक कारणे, छासब कौखन कायवश, कौखनअनेरो, कोनो ’सरसँ भेटवाक वहानामे उपर भीड कऽदैक । परतु’ जखन ’सैन’ साहव माने वाइस िसपलअपन ’चैबर सँ ’ बहार भऽ के वल तजनी उठवैत छलाह तखन सब िसड़हीसँ नीचा भगैत छल – कान – कपारफु टवाक – टांग टुटवाक कोनोटा डर निह । हमरा सभक ूपमे एकटा रीिनता नामक लड़क छिल ’जकरा माे’कार ितदन कालेज पँचा जाइक । लमी आ सरवतीक अपूव संयोग ! मांजल अंेजी वजैत आ िलयैत छिल। फट इयरमे ’िवदेह’मे जे ओकर लेख छपैलक से लाजबाव रहैक – शीषक छल “Exclusively ours “| लेखमाफ त ओ ओकरा सभक कोठलीक पदा हटा भीतरक बत रास रहयोदघाटन कएने छिल । मुदा ओ एक बषकबाद निह जािन कतऽ चल गेिल ? धनीक बापक वेटी रहए । ाय: ओ कलेज झुझाअन लागल हेतैक ।“Exclusively ours” एखनो किहयो काल पढ लैतछी मुदा शीषकक तापय वुझवामे एखनो माथमे बल देवऽपडैत अिछ ।एकटा और घटना जकर हम सब किहयो निह िवसर सकब । हम सव िवत छी जे जौ प लेखनक शुआतिम दनेश राय दससँ होइत त ओहो ओइ घटनाक चच जर करैत । हम सव भायवान रही जे ओहो कोनो’नदी’ टाइटलवाली हमरे सभक ुपक छिल आ वंगािलने छिल । ओकरा आँिखमे वातवमे एहन एकटा चमकछलैक जे आई ३६ वषसँ कतौ अतऽ नह अभरल, पता निह ओ आँिख कतऽ अइ ? ओइ बड़का – बड़का33


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्आँिखमे ओ चमक िवमाने छैक वा मलीन भेलैक अिछ ? जे कछु । मुदा सारा काजेज ओ जादुई आँिख देखनेछल – देखैत छल । अनहोनी भाऽ गेलै । एकटा हमरे सवहक सहपाठी लड़का ओकरा नाम पर – ओकर नाम लैतजहर खा लेलक मुदा समये पर अपताल पचाओल गेल आ जान विच गेलैक । जंगली आिग जकाँ वात सौसेपसर गेल । मुदा ओकरा लेल धन-सन । कोनो ितया ने कोनो हलचल ने – सव कछु िवकु ल सामाय ।असलमे एक तरफा ेम छलैक । वात ओकरो तक जर गेल हेतै –लेकन ओ वेहद गभीर जे छिल । Eng.Hons. Group मे टॉप कै लक । मुदा ओ जमाना वड़ वेजाए छलैक । लड़का – लड़कमे बाताक संचार निहहोइत छलैक । लाख कोिशशक वाद हमरा आ दनेशक मुँहसँ कं ायुलेसन शद निह फु टल – निहए फु टल ।कालेज आ संवेदनशील घटना – संवेदनशील घटना आ कालेज – जेना एक दोसरक पयाय रहैक । कतेक वातभेल । कतेक घटना घटल । मुदा पिहने पाचारक म त शु होवऽ । दनेश वत वातक जानकारी करा सकै ए– ओिह पािन क’ जे अइ । जमभूिम आ कमभूिम नेपाल भेलाक कारने बत रास अपन लोक छुट गेल । ओनासीमा निह बुझाइत छैक मुदा सपक जे टुटगेल अिछ । मुदा एकटा वात । एिह सिध-थल पर जीवाक अपनमजा छैक । कौखन उरािभमुख, कौखन दिणािभमुख । दूटा संकृ ित िमित जीवनक उफु लता – जुिन पुछू। पहाड़क गीत खोलामे झहरकऽ समुक लहरमे िवलन भऽ जाइत अिछ । भास दू-मुदा भाव एके –ऐन-मेन ।“जहाँ जहाँ वाछौ ितमी, म पाइला विन पछयाई रहछु “ तु जहाँ-जहाँ चलेगा, मेरा साया साथ होगा” ।पहाड़क गीतक सदभमे १९७१ ई. क एकटा सांझ मोन पडैत अिछ । काठमाडौ सँ दूर उरवालाजुउानसँ उपर पहाडीपर English Language Trainning Institute ारा आयोिजत वनभोजसमारोह । नाच करैए ओ सव । कोन लड़का-कोन लड़क-नाचमे फक निह वुझायत । िनवकार । िनवकार भऽनाचत आ गाओत । मुदा एहर, अपना समाजमे ल कलाके फु टता निह होवऽ दैत छैक । गीत गओलकराममिण । सपूण मडली अिभभूत आ मंमुध भऽ गेल । पहाडमे के वल िनजव पाथरे निह होइत छैक ।एकटा िशाथ – एकटा िशिकाक आँिखसँ नोर झहडऽ लागल आ समत वातावरण जेना जड़ भऽ गेल ।, ओगीत एखनो किहयो काल हंमरा मन-ाणके जेना आदोिलत कऽ जाइत अिछ – “कोई जव तुहारा दय तोड़ दे.......... “ दुगम पहाडी गाममे एहनो गीत गाओल जाइत अिछ- आ ओतुो लोक ओकर तापय बूिझ िवभोर भऽजाइत अिछ – हमरा आय लािग गेल ।ओइ दन हम पहाडक आँिख नोरायल देखने रही । पट । िनसदेह । हमरा जनैत सैकड़ौ-हजारो वषपिहने, कोनो युगमे ओइ गीत सँ बत बेसी, कै एक गुना वेसी दद-भरल गीत सुिन पहाड जे कण दन के ने हैततकरे फलवप एतेकं नदी नालाक जम भेल हैत । बत सभव गायक वंय Adam छल हैत आ सुनिनहारओकर ेयसी Eve ।34


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्राममिण शमा ओिह दन सँ हमर अिभ भऽ गेल । ओकर आ और कतेक साथी सभक पता हमरा डायरीमेओिहना पड़ल अिछ । आव त डायरीक प जीण-शीण भऽ पीयर भऽगेल अिछ । आइए ३४ वषक वाद एकटाप हम और िलखव, एखने िलखव .........।१ जनवरी ,’०५जनकपुरधामदनेश भाइ,नव वषक हादक मंगलमय शुभकामना । आशा अिछ िलफाफ पर हमरनाम पढलाक बाद हमरा िचहऽ मे एकोण देरी निह लागल हैत । ओना कछु चौकल जर हैव । से त वभािवके ..........। कोनो अपराध वोध निहभऽ रहल अिछ । एकटा पुछै िछयऽ । जीवन एना जटल कएक भेल जा रहल छैक ? कतेक वेर िवचार करैतछलँ ............ आई िलखैछी, कािह पे िलखव .......... मुदा आई ....... जावत दुनूप हम िलिख निहलेव,तावत हमराअ चैन निह ........... चैन निह .............।शाित सदन, ढुहवी-१(धनुषा)बृषेश च लाल-एकद त हाथी आ नौलखा हारकछमछी छुटते निह छैक । जखनसँ मकवानपुरक सेनगढ़ी दरबार देिखकए फरिल अिछ ओकर मि त कपर35


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्इ कु मारी छाएिल छैक । १४ बषक इ कु मारी बाल राजकु मारी । लगैत छैक जेना ओ सभकछु य देिखरहिल अय । सोन।चानीक महीन कढ़ाईसँ यु चमकै त नी चातक सोहराइत घघरा, िनत बतक लटकल कारीके शमे कला मकगुहल चोटीसँ सि जत माथपर हीरा जिड़त मुकु ट, डरकशसँ नापल गोल िगरहसनक डाँड़, बाँिहपर चमकै तबाजुब द, हीरा।मोती आ रंगिबरंगी र न जिड़त हारसँ सुशोिभत कने के उठल व, कानमे झुमैत झुमका आ कणफू ल आद।आद।राजकु मारीक जा व य सौ दयक का पिनक ितमू ओकर मानसपटलपर िनर तर िबि बत भ। रहल छैक ।ओिह राजकु मारीक दैवी सौ दयक चच कोना गोरखा पँचल हएतैक ? सभकछुमे राजकय सा तथाश ।शिक बढ़ोरीक योग।ास देिख िनणय लेबएबला धू गोरखा युवराज पृ वीनारायण शाह आ ओकरसश म डली एिह मादे ँ कोना अपन ितया देखओने हो◌ेएतैक ? कोना पिहने राजाक खोपीसभाआ फे रतकरबाद भारदारीसभामे◌े मकवानपुरक राजा हेमकण सेनक सुता राजकु मारी इ कु मारीसँ पृ वीनारायणकिववाहक तावक योजना बनल हएतैक ? । आद।इ याद करणसभक दृ यसभ ओकरा आगाँ जेना सजीवभए एक।एक कए आबए लागल छैक ओ फे र करोट बदलैित अिछ । ओही कोठरीमे लगले मायसंगह दोसरचौकपर सुतिल आ कने के काल पिहनेतक फु सुर।फु सुर बितआइत बड़क भौजी ओकर कछमछी पकिड़ लैितछिथ ह, । “मिणदाइ, िन न निह होइअ ? कछु होइअ क ?”“निह, कछु निह उ” । भाउजक नसँ ओ अकचका जाइित अिछ ।“ तँ ओना कआ अरया कटैित छी ?”। बड़क भौजी जेना कछमछी ठेकािन नेने रहिथ ह ।“निह, कछु निह होइअ । खाली वहए मकवानपुरगढ़ीक दृ य आगाँ चिल अबैत अिछ । ◌़◌़◌़ हेमकण,इ कु मारी आ दगब धन सेनक िख सा मोन पिड़ जाइत अिछ उ” । ओ अपनाित भाउजक िच ताकेँ हटाबककोिशश करैित अिछ । मुदा बड़क भौजी अपन वाभािवक यु प नता छोड़यबाली निह छिथ ह । चट् दािगदैित छिथ ह, ।“ आ क के ओ ओतय मोनमे उतर गेल अिछ ? माय, देखथु ह , मिणदाइक मोनमे के ओ चढ़ गेलछि ह बेटासभकेँ िश वर खोजय कहथु ह । देखै छिथ ह, कोना करोट पर करोट फे रै छिथ ह उ” माय बुझाइअघा गेिल छिथ ह । ननद।भाउजक ग पमे ओ कोनो उर निह देलिख ह ।मिणकेँ भौजीक एखुनका परहास नीक निह लगलैक । चु पे आंिख मुिन लेलक । सोचय लागिल, ।“खाली36


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्िबआहेटा कोनो जीवन छैक ? िबआह तँ मुदा ार भ अिछ । िबआहक बादक सहयाा ने िथक जीवन उ कनारी सभदन अनिच हारे सहयाीक तीा करैित रहित ? आ कतेको इ कु मारी अिहना जीवनक यााकपिहलुके पड़ाओपर अपन सहयाीक िता करैित ासदीक खाढ़मे ढ़के िल देिल जाएित ।आ ओकरसहयाीसभ ओकरा अनभुआर जंगलमे एसगर ठाढ़कए भगैत रहत । संग निह देबकलेल अनगल आ अनसोहाँतअस भव शतसभ आगाँ बढबैत रहत ? बेटीसभ अिहना चीज।व तु जकाँ िनजव नारी बिन तील।तील क। जड़ैितरहित ?” आोश जेना मिणकेँ भीतरसँ आओर छटपटा दैछ । ओ एकबेर फे रो करोट फे रैित अिछ । बड़क भौजीायः सुित रहिल छिथ ह । राित बेशी चढ़ गेल छैक । ओहो अपनाकेँ शू य करक य न करैित अिछ । िन नहेतुमनसँ बल करैित आँिख मुिन लैित अिछ ।राजकु मारी इ कु मारीक क । पलंगपर बैसिल राजकु मारी । उदास मुदा आंिख आोिशत लालतेस उ मुहँलड़कओने ४/५ सखीसभ चाकात घेरने । ककरो पदचापक विन अबैछ । सभ साकां भ। जाइछ । राजकु मारदगब धन सेन वेश करैत अिछ । फकरसँ गलल मोनपर उदासी प ट छैक । सखीसभ् ि थरसँ बहरा जाइछ ।दगब धन । बिहन उदास निह होअअ उ िनणय भ। गेलैक । हमरासभ अपन बिहनकहेतु सभ कछु योछावर क।देब । बिहनक भिव य आ एिह ेक मयादाक आगाँ एकद त हाथी आ नौलखा हार मू यहीन आ तु छ अिछ ।इ कु मारी । ( दौिड़कए अपन भायक छातीमे माथ सटाए कनैित ) निह, भाई निह । आब सेन रा य आओरमानमदत निह हएत ।बत भ। गेलैक । एकद त हाथी आ नौलखा हार हमरा।आहाँक निह एिह रा यक स पिछैक । जनताक स पि एकगोट राजाक बेटीकेँ दहेजमे निह दआ सकै त अिछ । ओ सभक धरोहर छैक । एकद तहाथी के ओ कमाएल निह अिछ , एिह े िवशेषक हेतु कृ ितक िवशेष आ अनुपम उपहार िथकै क । एहन ग तीजुिन करब ।दगब धन । अपन जमायके ँ संतु ट निह करय सकब एिह महाभारतक आगोसक स पूण म येक मयादाकिवपरत हएत । इितहासमे हमरासभकेँ कोसल जाएत बिहन जे सेन राजा अपन बेटीक िबरागमन दहेजकआभावमे ८ राजा, रानी, युवराजक यिगत कोठरीके पिहने नेपाली दरबारी भाषामे खोपी कहल जाइक । दरबारक स लाहकारसभके भारदार कहल जाइक ।निह क। सकल । जीवनधर बेटी िववाहोपरा त नैहरेमे रिह गेल । निह बिहन निह आब समय निहछैक तैयारी मे लागलजाय ।इ कु मारी । आ ई निह जे सेन राजा अपन अबुझ जमायक अनगल माँगक आगाँ झुक गेल जे स पूण रा यकस पि सेनवंश एकगोट बुनल षड़य क कारणेँ गोरखाक राजाकेँ िववश भ। चढ़ा। देलकै क ।हम निहजाएब । हमँ अपन स पूण जीवन योछावर क। देब दुिनयाँके ँ देखा देबैक जे एिह ेक नारी चीजनिह सृि टक बीज अिछ । मानक माथ आ यागक िशष अिछ ।37


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्दगब धन । आह, बिहन उ एहन जी जुिन क । भ। सकै छ , एिहसँ एिह रा यक सुरापर सेहो असर पड़य ।इ कु मारी । तँ क यु राज्यक अि मताक लेल यु करब, आव यक पड़लापर शहीद हएब आहाँक धम िथक।रा यक सुरापर कोनो असर पड़ैत अिछ तँ उठाउ तवार हम नारी छी । नारीक अि मताहेतु , अपनपिवताहेतु अपनाकेँ योछावर करब हमर धम िथक ।नारी सभ कछुसँ दिब जाएत मुदा ओकर पिवताओकर वािभमान आ नारी व ओकर ाणेासँ बढ़कए िथकै क । हमरा उपहारक व तु निह बनाउ, भाई उदगब धन कक चाकात आहत बाघ जकाँ धुमय लगैत अिछ ।ध म द। बिहनक पलंगपर बैस जाइत अिछ आओकर माथ झुक जाइत छैक ।इ कु मारी । आहाँ तँ अँड़ल रिहऐक भाई कोना झुक गेिलऐक ? क यपर बिहनक ममताक छार पिड़ गेलअिछ ।सेन रा यक राजकु मारकेँ रा यक गौरव रा करब पिहल काज छैक । बिहनक ममता निह ।हम तिहयेकहने रही । गोरखाक रितरवाज, रा य ाि तकहेतु कछु करक चलन, ठगी सं कारक बारेमे सोिच िलअ ।िलगिलगक चौरीमे चोरी क। बनल राजाक तावमे जर कछु षड़य हएत । मुदा हम तँ १४हे बषमेआहाँसभक बोझ बिन गेल रही । शायद कोनो ुट भेल रहय तैँ एहन खानदानमे हमरा फे कक िनणय कएलगेल ।दगब धन । निह , बिहन उ अनजानमे भेल ग तीक कारणेँ दयमे आओरो हार निह क । अपन ग तीकआिगसँ ई अपने द ध आ त त अिछ । आहाँ हमरासभक गौरव छी । हमसभ तँ उरक सभसँ शिशाली रा यकरानीक पमे आहाँकेँ देखय चाहलँ ।इ कु मारी । शिये ा त कएलाक कारणे ँ के ओ नीक निह भ। जाइछ, भाई । गु बजपर बैसल कौआ सभसँन हर निह भ। जाइत अिछ ।दगब धन । इ कु मारी , हमर सोनसन बिहन उ ( वरमे कक य िवमूढ़ता प ट अिछ ।)38


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्इ कु मारी । एकद त हाथी आ नौलखा हार दैये देलापर आहाँक बिहन खुश रहत ? िनबाध सासुर भोगत तकरकोनो िनि चत ठेकान छैक ? काि ह कतँ आओर कछु निह माँिग लेअय ? सबसँ पिहने ओसभ िववाह होइतेचतुथयोसँ पिहने बरआतीये संग िबदागरीक माँग कएने रहए । हमरासभक रितरवाजपर अपन चलनलादक कोिशश कएने रहए । एकरा सं कृ ित आ पर परापरक आमण बुझू । आब दहेज मँगैत अिछ ।अड़ाकए । काि ह फे रो कोनो नया बह ना खोिज लेत । भाई, हमरा तँ बुझाइत अिछ ओ एिह औपचारकवैवािहक स ब धक लाभ उठाए रा यपर चढ़ाई क। देत ।एखन झुकक निह तनक समय िथकै क, भावनामेनिह क यमे बहक बेर छैक ई । बिहनसँ पिहने मातृभूिमक राक िच ता क दगब धन उठ जाइत अिछ ।ओकर गाल लाल भ। गेल छैक । बा हल मुठ उपर उठ जाइत छैक ।दगब धन । एकदम ठीक कहलँ बिहन उ आहाँक साहससँ हम गौरवाि वत आ ेरत छी । बाबूसँ एखनेिनवेदन करैत िछअि ह । ( ित डेगेँ बहरा जाइत अिछ । )इ कु मारीक आँिख ोध आ आोशसँ लाल भ। गेल छैक । बुझाइत छैक जेना बाहर िनकलयलेल आरत होइक ।ओ अपन कसल मुठसँ घघरा उठाकए दाँत कटकटअबैित झार दैित अिछ ।ग ग ग गमिण धड़फड़ाकए उठिल । मुठ ओकरो कसल रहैक । बड़क भौजी तखने वेश करैित रहिथ ह । अपनािहसाबेँ अथ लगाइये लेलिख ह, । “मिणदाई, सपनाइत छलँ ? सुतलमे कसैत देह देिखते हमरा बुझा गेल छल।देह दुःखाइत हएत ” । फे र हँसैत कहलिख ह, । “बादक इ तजाम तँ भायसभ करताह । छोटक चाय बना नेनेअिछ । नेने अबैत छी ।” मिण कछु निह बाजिल । बड़क भौजी बाहर िनकिल गेिल रहिथ ह । ओ पलंगसँचुपचाप उतर समे पे ट लगाबए लागिल ।कु मार मनोज कयप।जम-१९६९ मे मधुबनी िजलांतगत सलेमपुर गाम मे। कू ली िशागाम मे आ उ िशा मधुबनी मे। बाय काले सँ लेखन मे अिभिच। कै क गोट रचना आकाशवाणी सँ सारतआ िविभ प-पिका मे कािशत। सित क ीय सिचवालय मे अनुभाग आधकारी पद पर पदथािपत।नव-वष39


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्शहरी संकृ ित मे नव-वषक बड़ महव भऽ गेलैक आछ। चा कात उलास, आनंद कोनो पाबिन-योहार सँ बेिसये। लोक पुरनका िबतल साल सँ िपड छोड़ा नवका साल क वागत करय मे बेहा़एिह मे के यो ककरो सँ पाछाँ नह रहऽ चाहैछ। धूम-धड़् ा, नाच-गाऩ़ आई जकरा जे मोन मे आबयकऽ रहल आ़ नया सालक वागत मोन सँ कऽ रहल आछ। मुदा सब के यो थोड़बे?शहरक एिह उलास के निह बुिझ पािब; सुकना के सात सालक बेटा पुिछये देलकै ओकरा सँ -''बाबू, आई क िछयै जे लोक एना कऽ रहल आछ?''''बाऊ, पैघ लोक सभक नया साल आई सँ शु भऽ रहल छै; त सभ पाबिन मना रहल आछ।''-बाल-मन क बुझेबाक प्◌्रायास के लक सुकना।चोिह नक झड़ी लािग गेलै- ''हम सभ नया साल कयैक नह मनबैत िछ? हमरा सभक नयासाल किहया एतैक??''सुकना एिह अबोध क कोना समझबौक जे गरीबक कोनो साल नया नह होईत छैक। बोिनहारकसभ सांझ नया साल आ सभ िभनसर पुरान साल जँका होईत छैक।बाप-बेटा दुनू चुप एक दोसराक मुँह देिख रहल छ़ साईत आँिख आँिखक भाषा बूिझ गेल छलैक।एत’ आ ओत’- अनलकातआइ-कािह कनाट लेस मे चलैत-चलैत हमरा लगैत अिछ, अपना गामक दशहरा·मेला मे घूिम रहल छी। नइँ,ओत’ मेला मे रंग-िबरही चीज किन पबैत रही, नइँ एत’ शो-म मे ढुक पयबक साहस क’ पबै छी। कलोककलो रसगुला-िजलेबी तौलबैत आक मारते रास िखलौना ल’क’ जाइत लोकके ँ डराइत-ललचाइत देखैत रहीओत’ आ एत’ िवशाल-भ मॉल आ नेलाज-मैकडोनाड सँ चहकै त फु दकै त बहराइत अन असरा के ँ इ-बेर संग रभसैत, डेटग फस करैत ईया आ ोध सँ देखै छी।रापित भवनक िपछुआडक जंगल मे एक दन एक टा बेल गाछ लगकनेकाल ठमकल रही। ओकरा जि़ड मे कछु माटक महादेव फे कल छल, कछुिनमाय आ कातक झिझ मे कोनो साँपक छोड़ल क चुआ पुरबाक िसहकमे डोिल रहल छल। हमर आँिखणभरक लेल मुना गेल। ओत’ एहने सन एकटा बेल गाछ तर हमर बालपनक ियाक गदिन भूत मचोडऩे छलै।40


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्ओकरा मौनी मे कामधक चूड़ा ओिहना नजर पड़ै अिछ!... मुदा हम कतँ हेरायल-भोितआयल नइँ रही।हमरापित भवनक िपछुआि़डक जंगल मे ओही बेल गाछ लग ठाढ़ रही। हमराओही आसपास मे एक टा अतबलकरपोटग करबाक छल जत’ सँ करया घोड़ाक नालक मगलग होइत छलै। से ओिह बेरहट-बेरा मे भुखायलसन हम अपन रपोट पूरा करबाक ओरआओन क’ रहल छलँ क अचानक एक टा गमक हमरा िवचिलत क’देलक। गाम मे नवका धान-चूड़ा कु टैकाल जे गमक बहराइत छल, एकदम वैह गमक छल! आिसनक बसातअगहनी भ' गेल छलै।... मुदा हमर मन बताह हेबाक सीमा धर अवसादत भ' गेल।ओिहना एक साँझ कु तुब मीनार लग सँ गुजर रहल छलँ। एक टा छड़ी अपन संगी छड़ा केँ जोर-जोर सँ बतारहल छलै जे ओकर सपना मीनारक एकदम ऊपर सँ दली देखैत रहबाक छै। हम सदआयल भुइँ पर लगाओलपुआरक सेजौट परक सपना मन पाडय़ लगलँ क तखने हमरा मोबाइल पर बीड़ी साँग बाजल। छोटक मामकफोन छल। ओ कनैत-कनैत बाजिल, ''देिखयौ यौ भािगन बाबू, आब हम क करबै!... बैमनमा सब नकासी.बी.आई. सँ पकड़ा देलकिन। फु िसयेपाइ लेबाक नाटक मे ओझराक'...।" हमर मामा इनकम टैकस कमीशनर।हम एक-दू बेर गेल छी नका 'रेजीडस' पर, मुदा हमरा डेरा मोबाइल पर नका लोकिनक सदआयल वर आकछु एसएमएस टा आयल अिछ। तखन अपनाभीतरक भाव नुकबैत हम क आ कोना बाजल, से मन नइँ अिछ। हमर अदना-सन पकार काज नइँ अयलिन,अपने पाइ वा जे कथुक एकबाल!... से बात जे-से। मोबाइल वीच-ऑफ क' हम जेब मे रखनिह रही क हमरमन-ाण एक टा टटका गमक सँ सराबोर भ' गेल। धिनया, सरसो सभ देलाक बाद झोर मे टभकै त माछकतीमन सँ घर-आँगन मे जे गमक पसर जाइत छै, सैह गमक हमरा मतौने जा रहल छल। हम अगल-बगलिहयासल जे कत ककरो घर वा झुगी मे रहा रहल होयतै, मुदा ओिह झोलअहारी मे हमरा चाभर जंगल-झाड़ आ करकटक अबार छाि़ड, कछु तेहन नइँ देखा पड़ल जत' ओिह गमकक ोत ठेकािन सकतँ। अंतत:हम अपन जेब मे हथोिडय़ा देब' लगलँ जे माछक इंतजाम भ' सकै छै वा निह!...हाले मे हम अपन सेठक कृ पा सँ महीनबारी गुलामी सँ मु कयल गेल छलँ। आब हम तथाकिथत 'वतं'दहाड़ी मजदूर छी। आ दहाड़ी पर खट'वलक कपार मे जे बौअयनी िलखल रहै छै, से हमरो संग छल। आ ते ँओत' सँ एत' आयल मैिथल लोकिन सँ भटघाट सेहो कछु बेसी भ' रहल छल। से एक टा एहने भट मे हमर एकामीण कहलिन, ''बाउ, ई नगर तेजाबक नदी िथक जािह मे अपन मैिथले टा निह, कोनो मनुख बाि़ढ मेभिसआइत माल-जाल, घर-ार आ लोकवेद जकाँ िनपाय अिछ।"क मधेपुरा-सहेर दस सँ आयल एक टा युवक बाजल, ''हौ भैया!,बाजार, मशीन आ सीमट तर दबैत-मरैतलोकक नगर िछयह ई।"41


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्''हँ, भाइ, ठीक कहलह! मुदा ओत' दलदलो मे जकरा जगह नइँ भेटलै, ओ एत', बादक ढेरी पर सही, एक टानव िमिथला तँ बसबै छै!..." बजैत-बजैत हम हकम' लागल रही आ भीतर पसेना-पसेना भ' गेल रहय।से लगातार एहने सन मन:िथित सँ गुजर रहल छलँ हम। आ, यैह पिछला पखक गप िथक। एक साँझिवापित बाबाक बरखीक हकार पूर' हम नोएडा गेलँ। ओत' बत दन पर भेटलाह, बतौर कलाकार दरभंगासँ आयल िमिथला नरेशक अंितम पुरोिहतक परपौ महानंद झा। आयोजक सँ पूरापूरी िवदाइअसूिल अटैची डोलबैत फराक भेले छलाह क हम नमका कयिलयिन। बत बरखक भटक बादो िचहलिन आएक कात ल' जाक' हाल-चाल पूछ' लगलाह।गपक म मे ओ बेर-बेर एहर-ओहर ताकिथ। क हम पुछिलयिन, ''कनको तकै छी क?"''हँ यौ! दरभंगक कमीशनर साहेबक बेटा एत' ोफे सर छिथ। ओ हमरा अपना ओत' ल' जाइवला छलाह।देिखयौ ने, नकर आह देिख हम अपन सभ शंसककेँ िनराश क' देिलयिन। सांसद जी धर सँ लाथ क' लेलँ।असल मे होटल मे हमरा जिहना जेल बुझाइ अिछ, तिहना नेता सभक ठाम मेला बुझाइछ। ते ँ हम कत जाइ छीतँ अपने कोनो समाँगक घर रहै छी।" चेहराक बेचैनीक बाद महानंद जीक वर समधानल छलिन।''से तँ नीके करै छी!" नक बेचैनी कम करबाक लेल हम आत कयिलयिन, ''कहने छिथ, तँ अिबते हेताह!"''से आब नइँ लगै अिछ। चारए बजेक टाइम देने रहिथ। कोनो मीटग मे फँ िस गेल हेताह। ...देिखयौ ने, हम नेपते लेने छी, ने फोन नंबर। आब तँ अवहमे पि़ड गेलँ।" नक परेशानी आब सभ तरहेँ कट भ' रहल छल।"हमरा साफ लािग रहल छल जे ओ होटलक खच बचब' लेल ठहार ताक रहल छिथ। एहर हमरा ई डर कछुबजबा सँ रोकै छल जे नइँ जािन कते दन धर मेहमानी डटाओताह। अंतत: पुछिलयिन, ''किहयाक वापसीअिछ?"''परसू साँझ वतंता सेनानी एसेस पकड़बाक अिछ। टकटो आर.ए.सी.27 सँ कफम भेल वा नइँ, मालूम करबाक अिछ।" आ हमरा हाथ मे मोबाइल देिख झट जेब सँ टकट बहारकयलिन, ''देिखयौ तँ मोबाइल सँ, टकटक टेटसकछै?दुइए दनक बात िनित जािन हम िहमत कयलँ, ''ई कोना देखै छै, से हमरा नइँ पता! हमर किनयाँ देिख42


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्सकै छिथ। आ से तखने हैत जँ अहाँ हमरो अपने समाँग बुझी आ हमरे घर दू दन लेल चली।"''आ से क कहै िछये! अहाँ तँ अपनो सँ अपन समाँग छी। हम तँ घरेक लोक बुझै छी अहाँ के ँ । ठीक छै, अहक घरजायब। ओ ोफे सर आब आिबयो जयताह तँ हम नइँ जायब नका ओतय। ओ तँ कमीशनर साहेब अपनिह फोनक' कहलिन चलै काल ते ँ सोचल!!... धौर, छोड़ू आब ओिह गप के ँ । आ ओ हमरा संग चलबा लेल अगुआयले सनछलाह।हम नइँ चाहैतो अपना परतार रहल छलँ जे एतक पैघ कलाकार दू दन हमरा घर रहताह। से बसक भीड़ो मेठाढ़ हम नके वागत-सकार मादे सोिचरहलरही।कछु काल बाद हम सब यमुना िवहारक टैड पर बस सँ उतरलँ। मेन रोड छोि़ड अपना गली मे ढुकले रहीक गलक ओिह छोर परक चाह दोकानवला छड़ा गणेश पाछाँ सँ िचकरक' सोर पाड़लक। ओकरा दोकान मेहमर अबरजात कछु बेसी छल। अपन भाषा भाषीवला लगाव सेहो रहय। आ ओ छड़ा एक तरहे ँ हमरमुँहलगुआ जकाँ भ' गेल रहय। हम ओकरा गाम-घर सँ भले परिचत रही, मुदा हमरा मादे ओ नइँ जािन सकलरहय। मुदा तखन हमरा पाछाँ घुरते ओ पुछलक, ''अहाँक घर सहरसा लग, िबहरा छी ने!"''से के कहलकौ?" हम अकचकाइत पुछिलऐ।''अह गामक भोला कामित। ओ हमर मामा िछये।" गणेश िबँिस रहल छल, जेना ओ कोनो बडका जानकारीहािसल क' लेने छल।''कत' छौ भोला?"''भोर मे आयल रहै। दुपहरया मे चिल गेलै। भोरे अहाँ के ँ बस पकड़ैत अचानके देखलकै ने तँ बाजल, ''ई तँ धीभैया लागै छौ रे गणेसबा!" हम कहिलऐ, ''हँ, धीरजी...बड़का पकार िछये! त कोना िचहै छक?... " आतखन ओ मारते सब टा कहलक।... आगाँक बात ओ छड़ा हमरा संग मे अपरिचत देिख नइँ बाजल।''गेलौ कत' भोला?" हम बात के ँ भोला दस मोड़लँ।''ओ बदरपुर मे रहै छै। कािह-परसू धर फे र अयतै। एै दोकान शु करैवला छै! "43


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्एते काल मे हम ओकरा दोकानक भीतर राखल बच पर बैिस चुकल रही।महानंद जी सेहो। गणेस चाह बनब'लागलछल।सहसा महानंद जी बजलाह, ''एत' तँ डेग-डेग पर अपन मैिथल भेट रहलाह अिछ आ से मैिथली मे बजैतो छिथ।अपना दरभंगा-मधुबनी मे चाह-पानवलाक कोन कथा, रसावला धर के ओ मैिथली मे जवाब नइँ देत।हमरा कछु बाजब जरी नइँ बुझायल। चाहक पािन एखन खदकए रहल छलै क गणेश पुछलक, ''कछु खयबोकरबै, सर? "''हँ! किह हम महानंद जी दस तकलँ, ''अंडा लैत छी क?... लैत होइ तँ आमलेट-टोट बनबा ली!"''हँ, िलय!" णभर िबलमक' ओ बजलाह, ''यौ धीरजी, आब दूध-दही लोक के ँ भेटै नइँ छै। सागो-पातक दामनइँ पुछू, आिग लािग गेल छै।ितलकोड़क तआ कते साल भ' गेल, जीह पर नइँ गेल। तखन ईहो सब नइँ खाइतँ जीबी कोना? फे र िवानो कहै छै जे ई पोिक चीज िछये।"हमरा हँसी जकाँ लािग गेल। तकाल कछु बाजल नइँ। चलै काल गणेश के ँ लग बजा कछु ितलकोड़क पातपाक कक कात सँ आिन देब' कहलँ। महानंद जी उछिल गेलाह, ''अयँ! एत ितलकोड़क पात! आब तँ दरभंगो मेनइँ देखाइ छै!"आ तिहना हमरा किनयाँ हाथक दजन सँ बेसी तआ चट क' बजलाह,''असली िमिथला तँ आब दली आिब गेल। दरभंगा मे आब कहाँ छै ओ बात,कहाँ छै ओत' ई मैिथलानीवला हाथ!..."हम सभ दू दन नक खूब वागत-सकार कयल। ओ ओिह अंतराल मेअनेक बेर, अनेक तरहे ँ, एहन-एहन अनेक बात बजलाह। हमसभ कृ त-कृ त!जयबा काल हमर किनया नक आर.ए.सी. वला आधा बथक नंबर सेहो पता क'देलकिन आ बाट मे खयबा लेल पराठा-भुिजयक एक टा पैके ट पकड़ौलकिन। ओखूब-खूब आशीष दैत बहार भेलाह।नका अरयातैत हम गली सँ गुजर रहल छलँ। गणेशक दोकान लगएखन पँचले रही क भोला पर हमर नजर गेल। तखने ओहो हमरा देखलक आ बाि़ढक सोझाँ आयल। हम दुनू44


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्गोटे एक-दोसरा सँ िलपट गेलँ।क तखने ओकरा पाछाँ लागिल एक ी सेहो मुिकआइत लग आयिल।अिबते ओ हमर पयर छूिब लेलक। हमतुरत िचिह नइँ सकलँ। हमरा अकचकायल देिख वैह बाजिल, ''हमरा नइँ िचहलहक कका!... हम मीरा!"''ओ!... सैह तँ हम अँिखयासै रही।.. " हमरा सोझाँ ओकर अठारहक बयस वला िवधवा-जीवन नािच गेल छल।आगाँ भोला बाजल, ''हमरा दुनू आब संगे िछयह। कयाह तँ सहेसरे मेके िलऐ, लेकन गाम जाइ के िहमत नइँ भेलह।"हमरा अितशय सता भेल। मुदा तकरा करबा लेल शद नइँ भेट रहल छल, ''बड़ बढय़ाँ! चलह दुनूगोटे पिहने डेरा। बगले मे छै।... हम झट िहनका बस मे बैसा केँ अबै िछयह।"क भोला पनबी खोिल अपना हाथक लगाओल पान देलक। महानंद जीसेहो खयलिन। फे र महानंद जीक संग मेन रोड दस बढ़लँ।बस· तीा मे ठाढ़ महानंद जी सँ हम कहलँ, ''ई मीरा हमर िपितऔतक बेटी छी। बचपने मे िवधवा भ' गेलछिल।... आइ तकरा सोहािगिन देिख मन पुलकत भ' गेल।"सहसा महानंद झा पुछलिन, ''ई भोला कोन जातक िथक?"हमरा कनपी पर जेना चटाक द' बजरल! ''कयट"...''अयँ यौ, ओत'क सब टा गौरव-गाथा िबसरा गेल? बाप-दादक नाँ-गाँ...पाग-पाँिज-जनेउ सब? ...ाणकिवधवा बेटी कयट संग! ...दुर छी!" आ महानंद झा भोलक देल पान बगलक नाली मे थुकि़ड देलिन।हमर मन िघना गेल। हम नँए, मुदा कठोर वर मे बजलँ, ''अहाँ केँ पता अिछ हमर किनयाँ कोन जातकिथक? ...जकरा अहाँ सभ मलेछ कहै िछऐ!..."महानंद झाक मुँह लाल भ' गेलिन, मुदा बकार नइँ फु टलिन। तखने बगल मे आिबक' कल एक टा ऑटो मे झटद' बैसैत 'टेशन' शदक उारण करैक संग मुँह घुमा लेलिन। ऑटो आगाँ बि़ढ गेल।45


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्हमर मन कहलक, ''ओ तकाल एत' सँ भागबकक· लेल हवाइ जहाज पकि़ड लेिथ, मुदा हमर किनयाँ देलहापराठा-भुिजया नइँ फे क सकताह।सहसा दुगधक तेज भभा लागल। जेना ओत'क कोनो सड़ल पािनवलापोखर गहा रहल हो!...ेमच िम-(१९८२- ) अनाम कथाभरत झा बजलाह जे चलु कु ल िमलाकय बात बरयातीक ६५ टा आ आब दनक िनणय कएल जाएत। तखनिहेमच बजलाह जे ई िनणय गामपर बाबूजी करताह कारण जे हमरा बर सर-कु टुम छिथ आ सभके ँ सूचना(नोत-हकार) सेहो देनाय छैक। भरत झा बजलाह- ई सय अिछ, कोनो बात निह, हम दन ताकै त छी आ फोनकय देबिन वा भेट कऽ लेल जाएत। बस कछु समय पात् पतराक अनुसार दन भेल- २०, २१ अील आ २,३मई। ई सूचना देल गेल, फे र बड़हरा (गाम)सँ कछु दन बाद सूिचत भेल जे २१ अील क ठीक रहत, तदुपरातेमचदके ँ िपताजी गामसँ कहलिथन जे कपड़ाक खरीदारी दलीमे कऽ िलअ आ जेवर सभ एिहठाम (गाममे)खरीदब। कपड़ा खरीदल गेल, िववाहक, किनयाक लेल, किनया बहीन लेल, भौजीक लेल, मायक लेल आिवधकरीक लेल आ घरक येक सदयक लेल।२१ अील कय दनक िववाह छल। कया प आ वर पक बीच सहमित छलिन जे दनक िववाह छैक तािहहेतु हाथ धरएके लेल समयसँ पँचब आ बात भेल जे दू आदमी हाथ धरैक लेल अएताह। एहर वर पकओिहठाम सबेरेसँ चहल-पहल छल। गाम-गामक बा वा ीगण दू दन पिहनेसँ आयल छल। पुष लोकिन सेहोसबेरे पँचलाह कारण जे दनक िववाह छै तािह हेतु बरयाती सेहो जदी जयबाक िवचार छल आ दूरी वासड़कसँ सभ अवगत छलाह। गामक धाय-माय सेहो एक अँगनासँ दोसर अँगना कय रहल छली। ताबत धरलगभग २ बािज गेल घड़ीक अनुसार लेकन कया पक कोनो पता निह देिख बा सबक भीतरक उसाह कमभऽ रहल छल! करीब चार बजेक लगभग एकटा आदमी राजू, दलीप झाक जेठ सार, संवाद लऽ कय अयलाहजे कछु िवलब भय गेल तािह लेल मा करब। लगभग ५ बजेक करीब एकटा माशल (गाड़ी) दरबाजापरलागल। ओिह गाड़ीसँ चार टा सन उतरलाह आ एकटा चार सालक बा सेहो, कु ल िमला कय पाँच! ईदेिखतिह दाइ-माइ कनफु सक करए लगलीह जे कहने छलिथन दू आदमी आ पँचलाह पाँच! पुष वगआगतुकक सेवामे जुटलाह। िवनथवा सभकेँ पािनसँ पएर धोिब कय अपन काज सप कयलक। तावत कयोठंढ़ा पािन अनलक आ ई काज सभ पूरा भेलाक बाद पुष वग बजलाह जे अँगनामे दाय-माय सब कने अहाँ सभअपन काज जदी क, कारण जे पिहलेसँ िवलब भऽ गेल अिछ। अँगनामे गोसाउिनक आ ाणक गीत शुभेल। सभ दाय-माय अँगनाक माँझमे मरबापर गीत गावैत छलीह तावत एकटा बा एकटा लोकल िफके श लऽ46


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्कय पँचल। ेमचद पिम दशाक घरमे पलंगपर बैसल भौजी आ बिहनसँ वाच कय रहल छलाह। िफके शके ँदेिख िवभा (बहीन) भौजीसँ कहलिथन अहाँ सभ बात क, हम कनी िफके शक समान देखैत छी आ ओऽ मरबादश िनकिल पड़लीह! तावत धर एकटा बुजुग मिहला िफके श खोललिह। ेमचक नजर पिड़ गेलतौिलयापर जे पीयर रंगक दु-सूतीक छल। ई देखते दाय-माय एक दोसरकेँ मुँह दश देखऽ लगलीह जे ई के हेनआदमी अिछ, आयल अिछ माशलसँ आ कपड़ा देिखयौ। तौिलयाकेँ देिखते ेमचदक ोध आसमानकेँ छूिबलेलक। ओऽ दू डेगमे बरडा फािन कय मरबापर पँचलाह आ कपड़ा साड़ी आ िफके श देखैत बजलाह जे दाय-माय ई बद क आ गीत-नाद सेहो। हम िववाह निह करब। ई सुिनते िबभा नका सहारैत बजलीह, बौआ कभेल अहाँके ँ ? अपन ोधकेँ शात क, दलानपर लोक सभ क कहताह। दू िमनटमे अँगनामे गीतक बदलामेसाटा भय गेल। आब दाय-माय गीत क कहती, सभ कहलिथन जे अहाँ चुप र, क हेतै। अहाँ एतेक खचकएलँ, ितलक निह लेलँ आ कपड़ा वा समानक लेल क हला करैत छी। ेमचदक जवाब छलिन, जे हमिववाह निह करब। ई बात भय रहल छल क गीतक अवाज बद सूिन ४-५ टा बुजुग पुष वग दरवाजासँअँगना पँचलाह आ ई दृय देिख सभ नका बुझाबय लगलाह आ कहलिथन दाय-माय अहाँ सभ आगू काजक! आ ओ लोकिन ेमचदके ँ पुनः पछबरया घरमे लय गेलाह। कछु पुष वग आगतुक देख-भाल कय रहलछलाह। पुष-वग मे सँ एकटा काका पुछलिथन जे बौआ क भेल, शाितसँ बाजू। िबभा एकटा िगलासमे पािनदैत कहलिह जे कपड़ा सभ नीक निह छैक काका। काका बजलाह जे ई तँ छोट बात अिछ। ई तुताक तीकछी! अहाँ शात र, अहाँके ँ के हेन चाही हम मँगवा दैत छी। एक घंटामे बजारसँ उपलध भय जायत! ेमचदजवाब देलिखन जे काका, बात कपड़ाक निह अिछ, कारण जे हम प कहने छिलयिन जे हमरा कछु निहचाही। लेकन जँ अपने कछु अनबए तँ समान नीक कपनीक चाही। ई तँ हमरा बेवकू फ बनओलिथ! हमराबातक दुःख अिछ! जँ अपनेके ँ हमरा बातपर िवास निह अिछ तँ भौजी (महारानी) केँ पुछल जाय! आ अबाजदेलिखन यै भौजी, अहाँ एहर आऊ! भौजी शद सुिनते महारानी उपिथत भेलीह आ बजलीह जे बौआक बात१००% सही छिन। कयागत गलत काज कयने छिथ, एिहमे कोनो सदेह निह! ई बात पूरा होमयसँ पिहनेिबेमे ेमचद बजलाह जे हम िववाह निह करब कारण जे क पता ? ओ हमरा लड़कमे सेहो ठकताह। लेकनबात आब इत आ मान-मयादाक अिछ, जँ िववाह निह होएत तँ दुनू पक इत बबाद भय जायत! एक-दशइत, मान-मयादा आ दोसर दशसँ दू-टा िजनगीक । समया जटल अिछ, कोनो सदेह निह! लेकन छी तँमैिथल आऽ मान-मयादासँ पैघ िजनगी निह अिछ। जे मान-मयादा ककरो लेल अिभशाप बिन जाइत अिछ! हमसभ मैिथल जे कछु छी, बाप-दादाक पाग छी, िजनगीक कोनो मोल निह! मोनमे एक हजार अबैत अिछ जेहम मैिथलगण िवमे सभसँ बेशी चतुर छी आ तखनो सभसँ पाछू छी, तेकर क कारण अिछ? हमरा नजरमेजे हम सभ भूतके ँ बेशी महव दैत छी आ भिवयके ँ गला दबा दैत छी, सेहो बत आसानीसँ हमरा लोकिनकेँकिनयो िहचकचाहट निह होइत अिछ! ेमचदक एके टा उर छलिन जे कछु बीित जाएत, हम िववाह निहकरब। कारण जे हमरा आब नका सभ (कयाप) पर िवास निह अिछ। दाय-माय गीत तँ गबैत छलीहलेकन रमे उदासी गीत छल। गोसाउिनक (हे जगदबा जगत माँ काली थम णाम करै छी हे), लेकन रसुनयमे लागैत छल जेना उदासी गाबैत छिथ। अँगनाक माहौल खराब भय गेल छल। लगभग एक घंटा बीित47


ँ<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्गेलाक उपरात जखन कोनो तरहसँ मानैत निह देिख भीम िम (ेमचदक िपताजी) बजलाह- आब हमरोसँबदात निह भय रहल अिछ आ हमरो िनणय अिछ से अहाँ सुनू- जँ अहाँ िववाह निह करब तँ हम आम हयाकय लेब। आब अहाँक हाथमे गद अिछ! िनणय अहाँके ँ लेबाक अिछ जे क करब। पिहल िनणय िववाह ओिहलड़कसँ करब आक दोसर िनणय हमर दाह-संकार करब? कारण हम अपन िजबैत अपन पुखाक इत निहगवाँ सकै त छी। ई किह ओ ओिहठामसँ उठ चिल पड़लाह। नका उठते सभ पुषवग ठाढ़ भय गेलाह आ एककबाद एक दरबा दस िबदा भेलाह। नका (भीम िम) के ँ बुझबैत जे अँ एना निह क, ओ बात मानताहअहाँक आ अहाँसँ पैघ नकर अपन भिवय निह छिन। सभ मड़वापर ठाढ़ गप करैत छलाह। एतबेमे ेमचदघरसँ िनकललाह आ आँिखमे दहो-बहो नोरक मुामे िपताक पएर पर खसैत बजलाह जे हमरा माफ क आकण वरमे बजलाह, जखन वण कु मार मातृ-िपतृक लेल अपन ाण योछावर कय देलिह तँ हम अपनिपताक लेल अपन भिवयक बिलदान दैत छी। लेकन कछु शत अिछ, भीम िम बजलाह- मंजूर अिछ। पिहलशत हम कयागतक समान निह लेब दोसर नकर गाड़ीपर निह जाएब तेसर देल गोरलगाइक पैया निह लेब।ई शद सुनैत सभ दाय-माय समेत उपिथत पुषवग आ नेना-भुटकाक दय सेहो कण भय गेल! ेमचदकेउठबैत भीम िम कण वरमे बजलाह- हे दाय-माय। जदी-जदी अपन काज क। हजामके ँ अबाज दैतकहलिथन- अहाँ जदीसँ ानी चौक धो कऽ आनू। फे र अबाज देलिखन- भोगी पानकेँ जदीसँ खानाकवथा क! ई शद सुिनतिह सभ िबहार जेना काज करए लगलाह आ लगभग २०-२५ िमनटमे सभटा काजभऽ गेल। एतबामे जयदेव िम बसके ँ दरबापर लगबैत सभ बरयातीके ँ बसमे बैसबैत बजलाह- भीम भैया हमबसमे सभकेँ बैसा लेलँ। अहाँ- माशल दश इशारा करैत- बैसू। ेमचदक आँिखसँ गंगा-जमुनाक धार जकाँ नोरबद होइके नाम निह लैत छलिन। बड़क भौजी एक आँिखमे काजर कऽ आबिथ जा दोसर आँिखमे करतीहताधर ओ काजर नोरक पमे परवतत भय नीचाँ चिल आबिन। नकर बुझु अधा आँचर नोरमे भीिज कयगुलाबी साउथ िशकक साड़ी काजरमय भय गेलिन आ नका कछु खबर तक निह! एिह तरहेँ ओिहठामहाथधरीक िवध पूरा भेल आ बर आ बरयाती थान कयलक!ाइवर गाड़ीके ँ तेज चलाबयके यास करैत लेकन गामसँ तीन क.मी. क बाद रता सेहो नीक निह। गाड़ी आगूजायके नाम निह लैत छल जेना सभटा केँ मुही मार देने हो। कोनो तरहेँ वर आ बरयाती गत तकपँचल। ओिहठामक दृय तँ बत रमणीय छल। नीक पंडाल जे बत नीक सुसित नीक-नीक मधुर वरमेमैिथली कै सेट सँ टीरयोक अवाज मोन मोिहत कय रहल छल। ई दृय देिख बरयाती लोकिनकेँ िवास निहभेलिन जे एिहठाम हमर बैसबाक वथा अिछ! ओ सभ तुलना करए लगलाह िफके श आ कपड़ाक जे वरकलेल गेल छल आ ओिह सजावटक। नका लोकिनके ँ िवास निह होइत छलिन जे समान एिहठामसँ गेल अिछ।तावत अवाज आबए लागल जे अपने सभ बैसल जाऊ, सरकार ठाढ़ कयैक छी? ओहर सँ दलीप झाके ँ कयोअवाज देलिखन जे हजमा कतऽ गेलाह। बरयातीके ँ पएर धो कय शुिकरणक िवध पूरा करबाऊ! पंडालमेसभटा आधुिनक सुिवधा उपलध छल! कछु नवतुरआ लोकिन पेपसी आ पेयजल तँ कयो िबगजीक समानबद िडबामे ल कय उपिथत भेलाह! बरयाती लोकिन शहरी मजा लऽ रहल छलाह। लेकन ेमचदकआँिखसँ नोर बद हो से नामे निह लऽ रहल छल। ओ मोने-मोन अतेक दु:खी छलाह जेना शमसान घाटमे कोनोमुदाक अितम संकार हो। करीब बीस िमनटक बाद गामक नवतुरआ लड़क आ नेना भुटका पंडालक पाछूसँअबाज देलिथन जे वरके ँ किहय किन पागक लटकै त भागकेँ आगूसँ उठा देिथन ताक ओ लोकिन वरकेँ देिखसकिथ। कछु नवतुरआ लड़का सभ मजाक करैत छल वरक ित- एतवामे आा-डाला आयल आ ई िवध सेहोपूरा भेल। ओहर परछनक लेल आय-माय अयलीह आ परछनक लेल ेमचद िबदा भेलाह मुदा नकर डेग48


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्आगू निह होइन। चलिथ जेना मअकक चािल हो, कछु जवान लड़क मजाकमे बाजिथ जे बड़ शात आ सुशीलछिथ वर, तँ कयो कछु जे खाना खाऽ कय निह आयल छिथ। ेमचद कोनो जवाब निह देिथ जेना गामपरसभटा ोध छोिड़ आयल होिथ। कारण छल िपताक देल वचन जे जाधर अपने लोकिन रहबए हम कछु निहबाजब आ तकर बाद जँ आगू ओ गलती करताह तँ हम निह छोड़बिन नका सभकेँ । परछन भेल आ िववाहकशुआत भेल। ओहर बरयाती लोकिनक वागतमे कोनो कमी निह। सभ समान पया माामे उपलध छल।िववाहक अितम िवध छल सोहाग देब। सभ बरयातीगण थान करत। एिह बीचमे दुनू प वाता कयलिन जेिरागमन संगे होय कारण भीम िमकेँ कनी डर भऽ रहल छलिन, लोकके ँ िचहबामे देरी निह लगलिन, जेएकरा सभकेँ लड़काके ँ एकटा नीक कु रता देबाक उपाय निह छैक आ पंडाल लगैत अिछ जेना पैघ घरक काज हो।िववाह तँ भेल मुदा दू सालक बाद अगर िरागमन हो तँ ई कछु देत तँ अपमान वा कलहक कारण। िरागमनकदन पा भऽ गेल एगारहम दन। सोहागक उपरात ी भीम िम ेमचदके ँ बजाकय एकातमे ५-७ टागणमायक संग बुझेलिखन जे संगे िरागमनक हम बात कय लेलँ आ अहाँकेँ इछा अिछ जे कछु निह लेबाकअिछ तँ आब ओ लड़क हमर आदमी भेलीह, पुतो भेलीह। हम अपन आदमीकेँ एहनठाम निह छोड़ब कारण जेओ िहनके पमे रंिग जेतीह। ई सभ बुझबैत ी भीम िम ेमचदकेँ भरोसा दैत कहलिथन जे हम अपनपुतोकेँ अपना रंगमे रंिग लेब। अहाँ िचता निह करब आ चतुथ दन गाम जर आयब तखन बात करब। ईशद कहैत ओ िवदा भय गेलाह।ेमचद आब कोबरघरमे छिथ। िवधकरी आ कछु घरक सदयगण सेहो छिथ। ओ उदासीक कारण पुछलिथन।ओ कछु निह बजलाह। करीब ५-७ बेर अलग-अलग दाय-मायक शद सुिनकय उर देलिखन जे एखन नीदआिब रहल अिछ, भोर भेलापर बात करब। ई बात सुनैत सभ एका-एक घरसँ बाहर भेलीह। कोबरमे नीचाँमेिबतर लगाओल गेल। ेमचद सुतबाक यास जर के लिह, मुदा आँिखसँ नोर पुनः आबय लगलिन। करीब२०-२५ िमनटक बाद एकटा जनानी कोबरमे वेश कएलक लेकन नका ऊपर कोनो भाव निह पड़लिन,आँिखसँ अु पूववत िनकलैत रहलिन। ओ जनानी कछु काल धर ठाढ़ रहल आ तावत पाछूसँ अवाज भेल जेणाम क, ठाढ़ भय क कय रहल छी। मुदा ेमचदक ऊपर कोनो असर निह कारण ओ पिहने कहने छलाह जेहम भोर भेलापर कनकोसँ बात करब। तखने नका बुझना गेलिन जे हमर पएरके ँ कयो पश कय रहल अिछआ लहठीक खन-खनाहट सेहो आयल। ई अवाज सुनैत आ पएरक पश अनुभव करैत ओ पिहनेसँ बेशीअनिभताक परचय देलिखन आ जिहना छलाह ओिहना रिह गेलाह जेना नका कोनो खबर निह। बस पएरपशक दू-िमनट बाद ओ जनानी वापस भेल। ओ मोनमे सोचैत छल जे ई जर नव िववािहता छलीह। लेकन ईबात गु राखएमे नीक जे हम सुतल छलँ, हमरा कोनो बातक खबर निह। कछु समय पात् भोर भेल।भोरमे िन आबए लगलिन। ओ घर ब कए सूतय लेल चिल गेलाह। कोबरमे दू पहर िबतलाक बाद गामकदाय-मायक झुड तँ कखनो दू-चार गोटेक आवाजाही छल। आब सभके ँ पएर छूिब णामक सेहो ावधान अिछकारण जे हम मैिथल छी। साँझमे मौहकक िवध पूण भेल। पुनः रािमे िबतरपर िवामक लेल गेलाह। लगभगदस-पह िमनट बाद अनुभव भेलिन जे पुनः कोनो जनानी वेश कए रहल अिछ। ओ पुनः पएरक पश कयरहल अिछ आ ओ अिहठाम बैसल अिछ। ेमचदके ँ िन तँ निह लागल छलिह मुदा िनक बहा जरभेटलिह कारण िववाहक रािमे ओ निह सूतल छलाह। ओ दनमे दुपहरया बादसँ जागल छलाह। करीब दूघटा बैिस ओ जनानी पुनः वापस भेलीह। पुनः तेसर राित ओ जनानी पुनः अएलीह आ पूववत अपन कममेिल भय गेलीह, यानी चरण-पश कए बैिस रहलीह। लगभग चार-पाँच घंटा धर ओ बैसिल रहलीह आ पएर49


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्धय िनकलबाक कोनो चेा निह कय रहिल छलीह, जेना नकर िता हो जे आशीवाद कानमे जर सुनी।एतबेमे ेमचदके ँ एकटा शरारत सुझलिन आ ओ बहा के लिह जेना पूरा िनमे होिथ। ओ करोट बदिल कयपएरके ँ थानातर कय देलिथन। एकरा बाद ओ जनानी पुनः ओिहठामसँ िहलय के कोिशश निह के लक। ेमचदतँ करोट लेलिह मुदा ओ जनानी पूववत छिल जेना माटक मूत हो जेकरा कयो ओिहठाम बैसल अवथामेरािख िबसर गेल हो। चारम राित पुनः ओिह जनानीक वेश भेल आ ओ अपन कतमे पूववत छल। ेमचदबजलाह- हमरा कोन कारणसँ परेशान कय रहल छी? अहाँ के छी? हम क कपट देने छी जे अहाँ ित रािमेआिब हमर पएरके ँ पश करैत छी? हमर िनके ँ कोन कारणसँ खराब कय रहल छी? ई बात सुिनते ओ जनानीलाजसँ शरीरके ँ सकु चा लेलक। जेना लजिबीक पातमे कछु पश भेलापर ओ िसकु र जाइत अिछ ठीक ओिहकारसँ ओ बाला िसकु र गेलीह। कोनो उर निह भेटलापर ेमचद पुनः िनक बहा बना कए फफ काटएलगलाह। कछु समय उपरात ओ बाला कोबरसँ िनकिल गेलीह। करीब दू-तीन घंटा पात् िवधकरी कोबरमेवेश कय अवाज देलिह जे िमसरजी उठथु, नहा लथु। िनययासँ िनवृ भऽ ान भेल। हरक पालोपरबैसाकए नविववािहता संग पुनः िववाह शु भेल- चतुथक िवध सभ। आजुक दन नुनगर-चहटगर भोजनभेटलिह आ ेमचद घरक लेल थान करबाक तैयारीमे छलाह तँ रतामे ये साढ़ू कहलिह जे साढ़ू भाइ,हमरो जेबाक अिछ। संगे चलब। हम नके दू-पिहयापर बैिस गाम अयलँ। कछु काल पात् पुनः गाममेभोजन कय ेमचद एहर-ओहर िनकलय के यास जर के लिह, लेकन ओ ओिहठाम सँ िनकिल निहसकलाह। पुनः साँझमे िपताजी आ ये ातृगणक दवाबमे सासुर घुर कए अएलाह। राि-भोजनक पात्िवामक लेल कोबर गेलाह। करीब मयरािमे पुनः ओिह बालाक वेश भेल। ओ अपन काजमे त छलीह।ेमचद पुनः िनक बहा कयलिन। फे र मोन पड़लिन जे गामसँ जखन आबय लगलाह तँ बड़क भौजी कछुवेलरी देने छलिथन जे ई किनयाँके ँ मुँहबजना छी, दऽ देबय, तखन सुतब। जेबीसँ िनकािल कय ओ बालाकेँकहलथन, ई अहाँक समान अिछ, लऽ लेब। हमरा िन आिब रहल अिछ, सूित रहल छी।िन क होयतिन, शरीर तँ लगभग चार-पाँच दनमे आधा भय गेल रहिन। दमागमे सोच जे पैिस गेलिन! नेखेनाइ-िपनाइ नीक जेकाँ ने िन। एकदम िचरिचरा वाभावक भय गेल छलाह। मयरािमे यास लगलिह तँपािनक लोटा ताक रहल छलाह। ओ बाला नका एकटा िगलासमे लगभग ठंढा भऽ गेल दूध बढ़ेलिखन।ेमचद कहलिथन जे ई दूध छी, हमरा यास लागल अिछ, ई रािख देल जाओ। मुदा ओ निह रखलिह। नकासंग समया छल जे ओ घोघमे छलीह, भर राितक जागिल छलीह आ किहयो बाजल निह छलीह। ई सभकारणेँ ओ हाथमे दूधक लास लऽ तपयाक मुामे ठाढ़ रहलीह। ेमचदके ँ लगेमे लोटामे राखल पािन भेटलिहआ ओ पािन पीिब कए पुनः सुतबाक यासमे छलाह। नका क िजासा भेलिन जे देिखयै ई बाला कतेक कालधर ठाढ़ भय िगलाससँ भरल दूध रखैत अिछ। लगभग एक घटा बीित गेल मुदा ओ तपयामे लीन छिथ ईदेिख ेमचदके ँ दया आिब गेलिन आ दूधक िगलास हाथसँ लय दू-चार घट पीिब िगलास रािख देलिह। पुनःपरचय भेल। ेमचदक क उरक समय ओ बाला थर-थर काँिप रहल छलीह, जेना कसाइके ँ देिख छागरकआँिखमे डर।ेमचद- नाम?50


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्-सोनी।-कतेक पढ़ल छी?-दसम बोड फे ल छी।-सय या झूठ?-ई ुव सय अिछ।ई बात सुिनते ेमचदक आँिखमे पुनः गंगा-यमुनाक धारा वािहत भय गेलिह तँ सोनी दन अवथामेबजलीह- हम अपनेसँ झूठ निह बािज सकै त छी। हमरा मा क। हमरा जे सजा देब से कम अिछ। आ नकोआँिखसँ दहो-बहो नोर खसए लगलिह।-अपने शरीरसँ िवकलांग तँ निह छी?-निह।-अपने कोनो बीमारीसँ िसत तँ निह छी?-निह।-अपने िजबैत कनका लेल छी?-अहाँ हमर गरदिन दबा दअ तँ हमरासँ बेशी भायशाली कयो दोसर निह होएत।-अपनेक सभसँ पैघ लय?-अहाँक खुशी।-अपने कािन रहल छी, कारण?-अहाँक क देिख बदात निह भऽ रहल अिछ।-अहाँ जुिन कानू सोनी। एिहमे अहाँक कोनो दोष निह अिछ।-आइ हम मर गेल रिहतँ तँ अहाँके ँ क निह भेल रहैत।ई तँ ईरक बनायल िविधक िवधान छी! एकरा कोनोशि निह काट सकै त छैक।51


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्-देखू, एिह दुिनयाँमे दू तरहक लोक होइत अिछ- आशावादी आ पुषाथवादी। हम आशावादी पुष निह छी,पुषाथवादी छी आ आशावादीसँ घृणा करैत छी। कारण आशावादी पुष या औरत मेहनती निह होइत अिछ।अपने कोन तरहक छी?-हम धामक वृिक छी आर धममे बत िवास अिछ, तािह हेतु आशावादी छी!ई सुिन ेमचदक मोनमे आर बेशी तकलीफ बढ़ गेलिह। एिह तरहे ँ चतुथक राित दुनू नव-िववािहत जोड़ीकटलिह। ेमचद फे र अपन गाम घुर गेलाह।साँझ भेल, भौजीसभकेँ भेलिह जे ेमचद पुनः गाम जएताह। मुदा कोनो ितया निह देिख पुछल गेलिह तँउर आएल जे आब िरागमनक लेल हम उपिथत होएब सासुरमे, निह तँ आब दली घुर जाएब। अयथाहमर पीड़ाके ँ बढ़ाओल निह गेल जाऊ। हमरा आब जीिवत रहय के कोनो इछा निह अिछ। कोनो मनोरथ निहअिछ। हमर कोनो भिवय निह अिछ!िरागमन भेल, किनयाँ सासुर अयलीह। भड़फोरीक पात् ेमचद दली उपिथत भेलाह। अपन कपनीककाम-काज सहारलिथ। काजपर तँ जािथ मुदा अतरामामे कतेक अबिह। कारण जे जीबाक आशाककरण लगभग अितम चरणमे पँिच गेल छलिह। आब कोनो मनोरथ निह, निहए िजनगीक कोनो लय बाँिचगेल छलिह। आ एकर कारण मैिथल समाजक कछु महानुभावक िवचार आ कृ य अिछ, संगिह मैिथल समाजककछु ावधान सेहो िजमेदार अिछ। एिह कारेँ निह जािन कतेक मैिथल नव-युवक-युवतीकेँ अपन कणिजनगी जीबाक लेल मजबूर होमए पड़ैत अिछ।आलेख- रपोताज- १.डॉ.बलभ िम, २.नरेश मोहन झा ३.नागे झा,४.डॉ. रेर िम ५.योित६.िजते झा, जनकपुर ७.उमेश कु मार ८.नवेदु कु मार झा ९.मुखीलाल चौधरीडॉ.बलभ िम, सेवा िनवृ आयुवदक िचकसा पदािधकारी, पूणयाँलध धौत ित पंजीकार- व. पं मोदानद झाजी- एक संमरणव. पंजीकार जी िवलण ितभा संप ि छलाह। िहनक संपक भेलासँ पूविह सुनैत आएल छलँ किशवनगर (पूणयाँ, संित अररया िजला) िनवासी पं. मोदानद झा जी पुबारपारक एकमा सवे पंजीकारतऽ छिथए, संगिह संपूण िमिथलाक मूधय पंजीकारक ेणीमे िहनक नाम लेल जाइत छलिह।52


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्पंजीकारजी ितवष सौराठ सभा गाछी जाइत पुबार-पछबार पारक भेल िववाहक िसातक िलिपबआदान-दान करैत छलाह, जािहसँ िहनक पंजी-पुितका वृहदाकार होइत वंश परचयक िवशाल भंडारसँसुशोिभत अिछ।पंजीकारजी महाराज दरभंगाक अयतामे आयोिजत “पंजीकार धौत परीा” मे सवथम थान ा कऽ“लध धौत ित” भेल छलाह, जकर िनणायक मडलमे महामहोपायाय सर गंगानाथ झाजी सम भृितिवान लोकिन छलाह।पंजीकारजी कतेको ठाम समािनत भेलाह, जािहमे “अिखल भारतीय मैिथल महासभा”क िवत् मंडलीसँ आदृतहोइत िविश थान पौने छलाह। िहनक कृ ित एवं िवलण ितभाक आलोकमे िहनक जीवनिह कालमे “चेतनासिमित” वयम् आमंित कऽ पंजीकारजीकेँ सादर समािनत करैत भेल।जखन हमर िववाह १९५५ ई.मे पोणयाँ भेल तिहयासँ पंजीकारजीक मृयुसँ तीनमास पूव तक संपक बनलरहल। एिह तरहे ँ पंजीकारजीक ित जे सुनैत आयल छलँ तकर यथाथ अनुभूित हमरा पंजीकारजीक संगितमेभेटल।कतेको िववाह िसात िलखबाक अवसर हमरा बुझना गेल क- भलमानुष (जाित-पाँिज) िक वंश परचयपंजीकारजी के ँ िजवा छिह।यिप वर कयाक अिधकार देखबाक ममे पंजीकारजी के ँ “पंजी पोथा” उलटबाक आवयकता निह छलिह,तथािप कत गलती निह भऽ जाय ई बुिझ पोथा उलटबाक उपराते अपन िलिखत िनणय दैत छलाह।पंजीकारजी सदाचार सप होइत सभ दन अहं भावसँ िनमु रहलाह। िहनक रहन-सहन वेश-भूषा एवंटपकै त ओजिवताकेँ देिख के ओ अपरिचत ि िहनक गुणसँ परिचत भऽ जाइत छल।हम वयं पंजीकार जीक सिचार, सवहार, सदाशियतासँ िवशेष भािवत भेलँ। पंजीशाक गहन अययनरहले सताँ पूबार-पछबारक समवय करबाक तुय यास जीवन भर करैत रहलाह।खुशीक गप जे पंजीकारजीक बालक ी िवानद झा (मोहनजी) पंजीकारताकेमे िनापूवक अपनमनोयोग रखने छिथ, जािहसँ व. पं.मोदानद झा जीक आमामे अवये शाित भेटैत होयतिह।अततः हम यैह कहब जे व. पंजीकारजीक युप मितवक आगाँ हम जे कछु किह गेलँ से सूयके ँ दीपदेखेबाक समान बुझल जाय।एहन वनामधय पंजीकार व. पं. मोदानद झा जीके ँ मरणोपरात एक संमरणक पमे अपन ा-सुमनअपत करैत हमर शतशः णाम।53


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्नरेश मोहन झा, तुलिसया, कशनगंजिवरेय पीकार मोदानद झावष १९५४-५५क वाता थीक। गृमावकाश छल। गामह छलँ। एक दन वे हर मे दरविहपर छलँ। एकि, अयत गौरवण, मयम ऊँ चाई, देदीयमान ललाट, शत काया, धूपमे चलबाक कारणे ँ ललछमुखमडल, पैघ-पैघ आँिख, उपिथत भेलाह। देिखतह बुझबामे आएल जे कोनो महापुष अएलाह अिछ। हमरिपता पं. लीलमोहन झा सेहो दलानेपर छलाह। ओऽ परम आलादत भए उठ कऽ ठाढ़ भेलाह। झटक कऽअरयाित अनलिखह। हमरा सभ जतेक नवयुवक रही- सभकेँ कहलिह- णाम करह। हमरो लोकिनउलिसत एवं अनुशािसत भए णाम कएिलयिह। बाटीमे जल, जलचौक ओऽ अढ़या आनल गेल। नकासँपए धोएबाक आह कएल गेलिह। हमर िपता जे परोपाक े समादृत ि छलाह- वयं लोटामे जल लएनकर पएर धोअय लगलिखह। पुनः अंगपोछासँ पएर पोिछ पलंगपर िबछाओल साफ सुदर िवछाओनपरबैसेलिखह। आऽ नक पएर धोयल जलसँ समत घर-आङनमे िछड़काव भेल। एिह बीच सरवत आएल- पानआएल। घरक सभ सदयमे एक अभुत उलास-जेना कोनो इदेव आिब गेल होिथ। ओिह बैसारमे तँ बतकाल धर कु शलादक वाता होइत रहल। संयाकाल धर तँ हमर दरवापर गाम भरक ाणक समूहकसमूह उपिथत होमऽ लागल। ओिह मय हमर िपता परचय करौलिह। कहलिह- ई िथकाह पंजीकार वर ीमोदानद झा जी लध धौत, िशवनगर, पूणयाँ िनवासी। हमरा लोकिनक वंश रक। िहनकह तापे हमरालोकिन अपन कु ल ओऽ जाितक रा कऽ पबैत छी। िहनक िपता पीशा मूधय पीकार िभिखया झा बड़पैघ िवान् ओऽ सदाचार पालक। ओिह योय िपताक यशवी पु छिथ पीकार वर मोदानद बाबू। नामसुिनतह अकचकयलँ। हम पूणयाँ कॉलेजक जखन छा रही तँ समत कु टुब वग िबणुपुर गामक िमवग जेनवरतन पूणयाँमे रहैत छलाह तिनकासँ िहनक नाम बड़ ापूवक उरत होएत सुनने छलँ। अिहसााकार भेल सता बुिझ पड़ल जे जे कछु िहनकर मादे सुनने छलँ से बड़ कम छल। िनय ई ि परमआदरणीय छिथ। सांयकालीन बैसारमे गामक सभ े ि अपन-अपन वंशक नवजमोपिक िववरणिलखबैत गेलिखह। पीकारजी तपरतापूवक सभक परचय बड़ मनोयोगसँ िलखैत रहलाह। तखन हमराबुझाएल जे कोना कऽ हमरा लोकिनक वंश परचय पिछला हजार वषसँ सागो-पाग उपलध रहल अिछ।हमर गाम पीकार गामसँ १०० क.मी.सँ अिधके पूवमे अविथत अिछ। यातायातक कोनो सयक वथापूवमे निह रहल होएतैक। नाना कारक असुिवधाक सामना करैत एतैक भू-भागमे पसरल मैिथल ाणकयावतो परचय संिहत करब, सुरित राखब आ बेर पड़लापर उपिथत करब अयत दुःसाय काय। याा ओ54


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्परिथित जय कक थोड़ेको अनुभव नह कऽ केँ अपन कतेक धानता दैत िनःवाथ भावसँ धमशाकरामे तपर एिह इितहासक संरण सन पुनीत काय करैत रहब िहनकिह सन िसँ संभव। ातः काल पूयिपतासँ एकातमे पुछिलयिह जे एतेक क उठा कऽ परचय संह करबाक योजन क? बुझौलिह जे अपनालोकिन जे सनातन धमावलबी से सभटा काय मनु, यावय, शतपथ, शंख इयाद महान् ऋिष लोकिनकदेल वथापर चलैत छी। मनु िववाहक सदभमे कहने छिथ जे कोनो कया ओ वरक िववाह वजन, सगो,सिपड ओ समान वरमे निह हो। एिह हेतु आवयक अिछ जे सिप िनवृिक ान हो। तािह हेतु पुषाकिववाहादक िववरण सपूणतः उपलध हो। एिह धमक रा तँ िवन पीकारह सभव निह। अयथावणशंकरक धानता होएत ओ जाितय रा नह होएत। पीकारक नह रहने वंशक इितहासक ान न भएजाएत।िवास जिम गेल। नका ित मनमे जे आथा छल से चतुगुण भऽ गेल। तकर बाद जखन कखनो ओऽ अएलाहहम ओिह देवव भावे ँ नक समान कएल। ओहो िपतृवत ेह देलिह। ओऽ अपन िवक धनी छलाह।सदाचार पालनमे तपर। जखन कखनो नकर गामपर जएबाक अवसर भेटल- गमौलँ निह। कतेको बेर नकरगाम िशवनगर गेल छी। नक ओऽ साफ परिछ दलान। रमनगर फु लवाड़ी। पीकारजीक दैिनक चया कलमओऽ खुरपीक संग सप होइत छलिह। कम पुषः।नागे झा, नवर हाता, पूणयाँव. पीकार मोदानद झासँ सुनल पए महेो मूलक पूणयाँ िजलाक िशवनगर ामवासी छलाह। ई पीबधक नीक ाता छलाह। महाराज दरभगाक चलाओल धौत परीोीण छलाह।ई लेख पीकारक िवषयक िथक। अतः पी शदक अथ क से बूझब आवयक। प शद आएल अिछ संकृ तमेतथा भाषोमे प शदक योग ५ संयाक अथमे भेटैछ। त प शद ५ संयासँ सब अिछ। भाषामे हाथकपाँचो आगुर तथा ताशक ५ क पा कहल जाइछ।पीमे ५ संयाक क योजन? उर- हमरा लोकिन अथात् मैिथल ाण “पदेवोपासक” छी। कोनो तरहकशुभ कायमे पूजा पदेवतैक पूजासँ आरभ होइछ। तिहना धमशाक अनुसारे कहल गेल अिछ जे “मातृतःपम यवा िपतृतः सम भजेत्”। अथात् कृ ित (माय)सँ पाँचम थान िथित कयाक सग िववाह निहकरी। ई िनषेध कयल गेल।िववाह सृि योजनाथ होइछ आ सृिमे कृ ितक योजन त मायसँ पाँचम थान िथत कयासँ िववाह िनिषभेल तथा एिह िनषेधक कारणसँ सभव िथक जे एकर नाम “पी” राखल गेल हो अथवा कयादानमे वरक दू55


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्प, कयाक दू पक अथात् दुनू िमलाके ँ चार पक िनःशेष ाया जािह पुतकमे िलखल जाय आओरपीकार ओकरा वीकार करिथ अथात् हतार करिथ ओऽ भेल पी।संकृ तमे पी (पिका) शदक अथ िथक जे पूणतः पदक ाया जािहमे िलखल गेल हो। अथात् ओऽ रिजटरोभऽ सकै छ, पुतकोक पमे भऽ सकै छ, हैडनोटोक पमे भऽ सकै छ। सरकारी रिजी ऑफसमे रिजटर रहैछ।हाटपर मवेशीक िब भेलापर िवनामा िलखल जाइछ। एकर िनदान “यावय” साय करणमे पकयने छिथ जे बेचिनहार, खरीददार आऽ साी सभक पूण पता रहै जैसँ भिवयमे कोनो तरहक िववाद निहउठै।ई अिभलेख (रेकड) वतु िवयोमे तथा दानमे सेहो राखल जाय। ई तँ कयादान करणमे वर-कया दुनूकवंशक पूण सिपडक अिभलेख जािहमे िलखल जाय से भेल पी आऽ ओिह पीमे जे वर-कया सिपडकअयनाट निह छिथ से िलखिनहार पीकार कहवैत छिथ।एिह िथितमे ईहो ात होबक चाही जे पी था किहयासँ चलल, कयैक चलल?ई था हरसह देवक समयसँ चिलत भेल अिछ। कयैक आरभ भेल से कथा व. पीकारे मुहसँ सुनल अिछ,जे िन िथक।पी बधक आरभक बीज- एक ाणी रहिथ। ओऽ जािह गाममे रहिथ ओऽ ाण बल गाम छल। लोकक पुष वा क ी िबनु पूजा-पाठ के ने भोजन निह करिथ। ओिह गामक एक पोखरपर एक िशवमिदर छल।उ ाणीक िनयम छल जे जाऽ धर उ िशव-मिदरक महादेवक पूजा निह करी ताऽ धर जलहण निहकरी। ई िशव पूजाथ मिदर गेली ओिह समय एक चाडाल सेहो पूजाथ गेल रहए। िहनका देिख िहनकासँदुराचरणक आह कएलक। ई परम पितता छलीह। ओकरा दुकारैत कहलिन जे ई मिदर िथकै क तू के हेनपापी छ, जो भाग निह तँ तोहर भला निह हेतौ। ई किहते छलीह क िशविलगसँ एक सप फु फकार करैत अवैतई चाडाल भागल।संयोगवश बाहरसँ एक ाणी, ओिह दुनूक वातालाप सुिनते छलीह। गामपर आिव िमया चार ओिहचाडालक संग कऽ देलिन। गामक लोक िहनका बजाय कहलिन जे अहाँकेँ ायित करए पड़त। एिह लेल कअहाँ चडालक सगम कएल। ई किह उठलीह जे के ई कहलक, हमरा तँ ओकरासँ पश निह भेल अिछ। मुदालोककेँ िवास निह भेल। ायित िलखल गेल (यदीयं चाडालगािमनी तदा अितापं करोतु) ई िलिख नकदिहन हाथपर एक िपपरक पात रािख आऽ तैपर लह-लहािन आिग राखल गेल। ई पाक गेलीह। तखन िहनकााम िनकासनक दड देल गेल। कनैत-िखजैत लिखमा ठकु राइन नामक पिडताकेँ सब बात कहलिन। ीमतीठकु राइन ायि िलखिनहार पिडतकेँ बजाय कहल जे ायि गलत िलखल गेल। हम ायि िलखब।तखन ठकु राइन िलखल जे “यदीयं पितिभ चाडाल गािमनी तदा अितापं करोतु”। ई वाय पूववत् दिहनहाथक िपपरक पातपर राखल गेल तँ ई निह पकलीह। तखन ई वाता महाराज हरसहदेवक ओतय गेल।56


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्तखन उ महाराज पिडत मडलीकेँ आमित कऽ पुछलिन जे उ ीक पित चडाल कोना? तखनिवतमडली उ ीक पितक िववाहक शाानुकू ल िवचार देखलिन तँ नक िववाह अनिधकृ त कयासँ भेलतैँ िहनकर पित चडाल भेलाह। एकर बाद महाराजक आदेशसँ मैिथल ाण लोकिनक िववाह पी बनल।मैिथल ाणमे १६ गोक ाण छिथ। एकर बाद गाँव-गाँवमे उ गोातगत जे जे लोक छलाह तिनका-तिनका गामक नाम देल गेल एवं मूल कहौलक। पी मूलक अनुसार बनल, गोक अनुसार निह। एक गोमेअनेक मूल अिछ। गोक नामपर पी बनैत तँ गामक पता निह लगैत।हमर मतसँ पी-बंध धमशाक अंग िथक। त एकर िलखिनहार, अिभलेख (रेकड) रखिनहार एवं एकपढ़िनहार ि पीकार (रिजार वा धमशाी) िथकाह। किलयुगानुकू ल पूव समय जेकाँ पीकारकपरामश िबनु लेनँ िववाहक िनणय कऽ कयादान कऽ लैत छिथ जे परम अनुिचत िथक।जे पीकार हमरा लोकिनक लोकातर ा पूव पुषक अिभलेख (रेकड) रािख आ वैह िवा पढ़ अपनजीवनयापन करैत छिथ नक आथक ोत एक मा ईएह जे हमरा लोकिनक सतान (वर वा कयाक) जखनसमय आओत तखन नक परामश शुक दऽ हण करी। से वषमे कतेक होइछ। यद ईएह राता रहत तँ ईिवा लु भऽ जायत।एिह पीक मूय सरकारोक यायालयमे कम निह छैक जेकर िनांकत एक उदाहरण देखू-उदाहरण- एक राजपरवार वंशिवहीन भऽ लु भऽ गेल। नक सब सपिमे सँ कछु सपि महाराजदरभंगाके ँ भेल आऽ कछु सपि बनैलीक राजामृत राजपरवारक उरािधकारीसँ किन लेल।एकर बाद महाराज दरभंगा यायालय जाय बनैली रायपर ई किह जे ओऽ (वनैली राय) अनिधकृ त कननेछिथ। मोकदमा बतो दन चलल। दुनू पसँ दगज वकल लोकिन छलाह। उरािधकारक हेतु दुनू पकेँ ईपी-बध माय भेल। जािहमे बनैली रायक पीकारक पमे उ पीकार जिनक िवषयमे ई लेख िलखलजाऽ रहल अिछ, िहनक पूय व.िपता तथा ई, दुनू गोट मोकदमाक बहसक लेल िनयु भऽ पी-बधपुतकक अिभलेख यायालयक जजके ँ देखओलिन। एकर बाद बनैली राय “िडी” पओलक था ई दुनू िपता-पुक माय समान कयलक।एिहसँ िस भेल जे उ पीकारक पी सुरित रिह पीकारक योयतोकेँ िस कएलक।िहनक िनलभताक वणन सेहो देखू:-एक राजदरबारमे कयादान उपिथत छल। तािहमे परामश (िसात)क हेतु अनेको पीकार बजाओल गेलरहिथ तािहमे ईहो रहिथ। राजदरबारक बात रहैक। राजाके ँ अपन कयाक हेतु ई वर पिसद रहिथन। ईपीकार अय पीकारसँ वातालापमे कहलिथन जे औ पीकारजी! ऐ वरक अिधकार तँ निह होइत छैक। ओऽउर देलिथन जे अहाँ बताह भेलँ हे ँ। राजाक बात िथकै क। राजाके ँ काज पिसद छिन। एिहमे अरगा निह57


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्लगिबयौक। नीक पारिमक भेटत। ई मोने-मोन िवचारलिह जे ऐ पापक भागी (पैयाक लोभमे पिड़) हमकयैक होउ। कछु कालक बाद बाभूिम (पैखाना) जेबाक बहाना बनाय ओतयसँ भािग अयलाह।िहनक नैिकता सेहो तेहने छल। सब दन ानोर सया, तपण, गायी जप, शािलामक पूजा िबनु कएनेिवणु भगवानक चरणोदक तथा तुलसीपात िबनु खएने! अ-जल निह करैत छलाह।एकर अितर कातक मास जखन अबैक तखन भर मास धाीयैक गाछतर हिवया भोजन करिथ। ऐ सँनक पूण नैिकताक पता चलैत अिछ।डॉ. रेर िम- िमिथला िवभूित पं मोदानद झादस वषक अपायुमे नका वतमान मधुबनी िजलातगत सौराठ गाम िवाययन लेल पठाओल गेलिन। ओतयनक गु आ आयदाता रहिथन यातनाम पंजीकार पं.िवनाथ िस िनरसू झा, जिनकर िपता लूटन झामोदानद झाक मौसा रहिथन। पंजीशाक अययन लेल सामायतः पह वषक कालाविध समुिचत मानलगेल छैक मुदा मोदानद झा दसे-एगारह वषमे गु-कृ पासँ िनणात भेलाह। ओना ओऽ पह-बीस वष धरलगातार गु साियमे सौराठ रहलाह आऽ बादोमे आजीवन, िवशेष पसँ वाषक वैवािहक सभाक अवसरपरसौराठ अबैत-जाइत रहलाह आऽ तािह ममे बाटमे दरभंगा िथत हमर नरगौना िनवासपर ओऽ किनयो देरलेल अवय आबिथ। हमर िपता डॉ. मदनेर िम लेल नका िवशेष ेह आऽ समान रहिन आऽ हमर एकिपतृ पं. नागेर िमक ओऽ सबधमे साढ़ू रहिथन। हमर एकटा पीसा व. दगबर झा नकर िपितयौतरहिथन। जे हो, िवयाधयन समा समा भेलापर राज-दरभंगा ारा आयोिजत धौत परीामे १९४० मे ओऽसव थान ा कयलिन। नका संग उीणता ा के िनहार अय दू महवपूण पंजीकार छलाह ककरौरकहरनदन झा आऽ सौराठक िशवद िम। एिह सफलता लेल महाराज सर कामेर सहक हाथे तीनू गोटाकेँधोती देल गेलिन, मुदा सव घोिषत भेलाक कारणेँ मोदानद झाकेँ दोशाला सेहो देल गेलिन। पारपरकिमिथलामे धौत परीामे उीण भेनाय बड़का समान होइत छल मुदा तामे सवता पायब तँ अनुपमे छल।तिहयासँ अनवरत ओऽ अपन जीवन-पयत िमिथलाक ायः सवािधक समादृत पंजीकार रहलाह।मोदानद झाकेँ पािब पंजीकारक वसाय धय भेल। १९६२ मे िनरसू झाक दवंगत भेलापर ओऽ सौराठितवष िनयमपूवक वैवािहक सभामे मा अपन नाम बढ़यबा लेल निह बिक अपन गुक ऋण अदाय करबाकिवचारसँ सेहो जािथ। ताधर िनरसू बाबूक दुनू बालक छोट रहिथन आऽ पंजीकारी निह करिथ। नकर जेठबालक ोफे सर (डॉ.) कािलकाद झा, जे सित लिलत नारायण िमिथला िविवालयक संकृ त िवभागकअय रहिथ आऽ िवगत लगभग दस-पह वषसँ दरभंगामे रिह रहल छिथ (पिहने मगध िविवालय,गयामे रहिथ) आब सय पे ँ अिधकार जँचबा आ िसात िलखबाक काज करय लागल छिथ। तािहसँ पिहनेमोदानदे बाबू अपन गुक ओिहठाम अयिनहार लोकिन लेल िसाताद िलखिथन। ततबे निह ओऽ िनरसू58


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्बाबूक पु लोकिनकेँ पंजी-ान से देलिथन आ आइयो कािलकाद बाबू गु पिह नका ित ा रखैतछिथ।मोदानद बाबू पंजीकारीक वसायसँ जे धनाजन करिथ तािहसँ सतु छलाह। िसात िलखबासँ तथािवदाइसँ नका पया कमाइ होइन आओर खेत-पथारसँ सेहो नीक आय होइत छलिन।कमाइसँ बेसी नकर अिभिच ानक िवतारमे आ पंजीसँ सबिधत िवषयपर शोध करबामे छलिन।मैिथलीक महान् िवान, आलोचक आ समीक डॉ. रमानाथ झाक संग ओऽ पृथक-पृथक िविभ मूलकिवयात छिव, िवान् आ राजा-जमीदार सबहक वंश-परचय तैयार करबा दस वृ भेलाह आ तकरिहपरणाम छल पूणयाँक िस बनेली राजवंशक परचयामक पुतक अलयीकु ल काशक काशन। आन एहनकारक कृ य निह तैयार कयल जा सकल तकर नका ोभ छलिन। नकर शोधपरक सोचक अंग छल एकअय परयोजना जािहक अतगत िविश गाममे बसिनहार मैिथल ाण सभक बीजी पुष धरकपरचयामक िववरण तैयार करब अभी छल। ओऽ सवथम कोइलख गामक सबधमे एहन रचना िलखलिन।ओऽ हमरा तकर कितपय अंश सुनेबो कयलिन। नकर इछा रहिन जे उ रचनाक काशन हो मुदा से आइधर निह भऽ सकल अिछ। उपयु दुनू कारक शोध परयोजनाक पंजीकार समाजमे सामायतः आलोचनाभेलैक कयैक तँ ओऽ अपन रचनामे एहनो िववरणक सिवेश करय चाहैत रहिथ जे पंजीकारीक वसायमेकािशत करब वजत कहल जाइत छैक- वतुतः ओऽ िववरण सभ दूषण पीक अंग होइत छैक जािहमे िआऽ परवार िवशेषक सबधमे ात अशोभनीय आ अकाय बात उिलिखत रहैत छैक। एिह ममे एक तेसरपरयोजना, जािहपर ओऽ उैस सय पचासिहक दशकमे काय आरभ कयलिन छल, ओहन पीकार परवारलग उपलध पाडुिलिपक संह करब जािह परवारमे आब यो पंजीकारीक वसायमे निह रिह गेल रहिथआ नकर पंजी-पोथी सभ न भऽ रहल छलिन। िपताक मृयु भऽ गेलासँ नकर दरभंगा सपक घट गेलिन आपूणयाँमे पारवारक सपिक बधनमे अपेाकृ त बेसी समय लगबय पड़िन। तथािप नकर शोध-दृि बनलरहलिन आऽ ओऽ अपेा करिथ जे सामािजक िवानमे आधुिनक शोध तकनीकसँ परिचत यो ि नकासंग रिह उपयु परयोजना सभ तँ पूण करबे करिथ पंजीसँ सबिधत आनोआन िवषयपर काज करिथ। नकरई अिभलाषा निह पूण भेलिन मुदा नक पु मोहनजी, जे पीकारीक पैिक वसायमे लािग िमक पे ँकौिलक िताक िवतार कय रहल छिथ। आ अनुकरणीय पसँ िपतृभ सेहो छिथ, एिह दशामे भिवयमेयाशील भऽ सकै त छिथ।वयं शोधपरक दृि आ िच रखिनहार मोदानद बाबू िजासु लोकिनक मदित करबालेल सदित तपर रहैतरहिथ। हमरा कमसँ कम दू अवसरपर एकर लाभ भेटल। हम १९८७-८८मे िबहार िहदी थ अकादमी,पटनाक अनुरोधपर िबहारक एक पूव मुयमंी पं. िवनोदानद झाक जीवनी िलिख रहल छलँ मुदा नकरवंश-परचय कत ाय निह छल। आधा-िछधा भेटबो कयल तँ ामािणक निह। हम कै कटा पंजीकारसँ एिहसबधमे िजासा कयलँ मुदा थ। मा मोदानद बाबू सूचना देलिन जे नकर एक परजन व.िगरजानद झा गंगाक दिण बसल मैिथल ाण आ पंडा सभक वंशावली तैयार करबाक तुय यासकयलिन आ अपना संग िशवनगर िथत नकर घरमे जाऽ ओिह संहमे िवनोदानद झाक वंश परचय तकबाकचेो कयलिन, मुदा नकर पंजी-पोथी सभ विथत आ संगठत निह भेलाक कारणे ँ से संभव निह भेल। जे हो,हमरा ई अवय ात भऽ गेल जे यद व. िगरजानद झाक पोथी-पंजी विथत निह कयल गेलिन तऽ गंगाक59


ँ<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्दिण बसल मैिथल ाण लोकिनक पूवजसँ सबिधत महवपूण सूचना सभ लु भऽ जेतैक कयैक तँिगरजानद बाबूक परवारमे आन कनक पंजीकारीक वसायमे िच निह छिन। दोसर अवसर छल जखनभारतीय इितहास शोध परषदक अनुरोधपर हमरा पूणयाँ िजलाक धमदाहा ाममे उप सुिवातइितहासकार ोफे सर जगदीश च झाक अंेजीमे िलखल िवलण पोथी “माइेशन ऐड एचीवमेस ऑफमैिथल पंिडस: द माइैट कौलस ऑफ िमिथला (८००-१९४७)क १९९० मे समीा िलखबाक छल। ओिहपोथीक परिशमे कम-सँ-कम तीन पंिडत (१) महामहोपायाय नेनन िस दीनबधु झा, (२) म.म.भवनाथझा आ(३)म.म.गुणाकर झा के र वंश परचय देल छल कतु लेखकके ँ नका लोकिनक मूल ात निह भऽसकलिन। मोदनद बाबू ण भर यानथ भेलाह आ कहलिन जे ई लोकिन मशः खौवालय सुखेत, नरौने पूरेआ खौवालय नाहस मूलक छलाह। एतय ई कहब आवयक जे मूल आ एक-दू खाढ़क िक नाम देलरहलापर आन सबिधत सूचना देव संभव छैक मुदा उपयु उदाहरणमे तँ उनटा बात छैक आ तैयो मोदानदेबाबू सन पंजीकार छलाह जे वांिछत सूचना तकाल देबामे समथ भेलाह। ओ ओिह पुतकमे उिलिखत पहखनाम मूलक िस िवान् गोकु लनाथ, नक िपता पीताबर आ पु रघुनाथक िवषयमे बतौलिन जे ओ तीनूिमिथलाक बारह सडयी अथवा सवाता िवान् मे सँ छलाह। गोकु लनाथक िपतामहक नाम रामभ छलिन,रामच निह। एतबिह निह ओ इहो बतौलिन जे िमिथलाक एक घुमड़ िवान् ककरौर वासी पड़वे महेपुरमूलक गुणाकर झाक एक वंशज धीरे झा सेहो छलाह जे आइसँ लगभग चार सय वष पूव बंगाल जाय ओतुााण सभक पंजी-सूचनाक संशोधन-संवनक ममे अनेक ाणेतर ि सभकेँ ाणक पमे पंजीमेपरगिणत कय देलिथन। अपन पंजी-पोथीमे उ धीरे झा अपनाकेँ आ अपन िपताकेँ पंजी पंचानन किहसबोिधत कयलिन अिछ। एहन कतेको सूचना मोदानद बाबू िजासु ि सभकेँ दैत रहैत छलिथन।ओ अपन समाजमे अपन िवता, उदारता आ सहज सेषणीयताक कारणेँ सव समादृत रहिथ। हम जखन छटछलँ, आइसँ ायः पचास वष पूव, ओ हमर गाम िवणुपुर अथवा पूणयाँ शहर िथत हमर डेरा आबिथ तऽसपूण परवार नकर समानमे स रहैत छल। ओ सभक छुइल भोजन किहयो निह कयलिन। बेसी कालसभ सामी दऽ देल जाइन तऽ ओ अपन पाक अपनिह करिथ। हमरा बूझल अिछ जे कै क बेर हमर सभसँ जेठिपी, पूणयाँक अयत समादृत ओकल आ भर िबहारमे सभसँ बेसी अविध धर सरकारी ओकल रहिनहारव. किपलेर िम अपन हाथ नका लेल पाक करिथन। हमरा परवारमे तऽ नका सदैव समान भेटबे करैतरहिन मुदा अयो कम निह। एक बेरक घटना सुनबैत ओ कहने छलाह जे ओ वतमान बांला देशक एक मैिथलाण बल गाम बोधगाम गेल छलाह जतय नका चुर िवदाइ तऽ भेटबे कयलिन ओतुका लोक सभ नकरपएर पखार चरणोदक सेहो लेने रहिन।मोदानद बाबू अपन िचतनमे एक तरहेँ गितशील आ सुधारक सेहो रहिथ। नकर चेा रहिन जे पंजीकारलोकिन मा अिधक सँ अिधक धनाजन मे लािग अपन वृिक िताथ सेहो सोचिथ। नका ई नीक निह लगिनजे पंजीकार सभ एक दोसराक ित ेष भावसँ काय करिथ। नकर इछा रहिन जे सभ िमिल पंजी आओरपंजीकारक संथाकेँ जीवत बनाबिथ तथा समाजमे नका सभकेँ जे आदर ा रहिन तकर लाभ लए समाजकेदशा िनदश देिथन। ओ राजदरभंगाक िनदशमे चिल रहल पंजी वथाक जातंीकरणक पमे रहिथ जािहसँाण समाजक सभ वगक ितिनिध िमिल ओिहना परमानगी दय जातीय तरीकरणमे समय-समयपर वांिछतपरवतन करिथ जेना राज दरभंगाक तवावधानमे अतीतमे कै क बेर कयल गेल छलैक। जे कोनो ाण परवार60


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्पंजी-वथा िविहत रीितसँ नीक वैवािहक सबध करिथ तिनकर तरोयन करबाक ओ पमे रहिथ।१९६६ मे हमर िपी डॉ. रामेर िमक िववाह जखन सोनपुर (उजान) वासी िस ोिय ाण व.दुगर ठाकु रक कयासँ िथर भेलिन तँ मोदानद बाबू राजसँ परमानगी ा करबामे तऽ सहयोगी भेबेके लिथन, सौराठमे अिधकांश पंजीकारक बैसक बजाय सभक सहमितसँ हमर िपतामह लाल िमक सभसतित लेल कहौली पाँिजक थापना सेहो करबौलिन। ओ ायः खभगड़ा (अररया िजला) वासी व.बालकृ ण झाक परवार आ कितपय आनो परवार लेल एहने तरोयनक पमे रहिथ। नकर मत रहिनजे जमीदारी थाक उमूलनसँ आन अनेक संथाक संग पंजी वथाक सेहो बड़ ित भेलैक। जमीदारलोकिन परपरा आ संकृ ितक सपोषक रहिथ मुदा आब नकर थान लेिनहार सरकार अथवा कोनो आनसंथा से काज तािह पेँ निह कऽ पािब रहल अिछ। पंजीकार लोकिनक दुदशाक एक कारण जमीदारक समािसेहो भेल। नका सतोष रहिन जे पटनाक मैिथली अकादमी सन संथा नक जीवन पयतक सेवाक मायतादय नका समािनत कयने छलिन, मुदा से संभव भेल छल अकादमीक तकालीन अय डॉ. मदनेर िमकिगत याससँ, अयथा आन कछु ोिय, योय आ कु लीन परवारके ँ छोिड़ अनेकशः मैिथल ाणपरवारेकेँ जखन पंजीकार अथवा नका ारा कयल िसातक योजन निह रहलिन तऽ ाणेतर समाज आायशः तकरिह ितिनिध सरकार पंजीकारक िथितमे सुधारक कोनो य कयैक करत।िमिथला िवभूित व. मोदानद झाक मृितक संरणाथ ई सवतोभावेन वांछनीय अिछ जे पूणयाँमे नकाारा सुिवचारत शोध परयोजना सभपर काज करबाओल जाय, व. िगरजानद झा सन िमिथला भरमेपसरल पीकार लोकिनक ओतय उपलध ओ पंजी-पांडुिलिप सभक संह कयल जाय जे आब कितपय कारणसँउपयोगमे निह रिह गेल अिछ, मैिथल मूल ाम सभक अिभान ा कयल जाय तथा ात अथवा अातमैिथल ाण परवारक िविशताक चाराथ परचयामक िववरिणका तैयार करबाओल जाय। पंजी वथािनयतः पतनोमुख अिछ मुदा मोदानद बाबूक बताओल मागपर ज शोध काय कयल गेल तऽ िमिथलाकसामािजक-सांकृ ितक इितहासक अभूतपूव सेवा होयत।योितयोितके ँ www.poetry.comसँ संपादकक चॉयस अवाड (अंेजी पक हेतु) भेटल छिह।नकर अंेजी प कछु दन धर www.poetrysoup.com के र मुय पृ पर सेहो रहल अिछ। योितिमिथला िचकलामे सेहो पारंगत छिथ आऽ िहनकर िमिथला िचकलाक दशनी ईलग आट ुप के र अंतगतईलग ॊडवे, लंडनमे दशत कएल गेल अिछ। िमिथला पटगक िशा सुी ेता झासँ बसेरा इंटीूट,जमशेदपुर आऽ लिलतकला तूिलका, साकची, जमशेदपुरसँ।योित झा चौधरी, जम ितिथ -३० दसबर १९७८; जम थान -बेहवार, मधुबनी ; िशा- वामीिववेकानद िम िडल कू टको साकची गस हाई कू , िमसेज के एम पी एम इटर कालेज़, इिदरा गाधी61


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्ओपन यूिनवसटी, आइ सी डबयू ए आइ (कॉट एकाउटेसी); िनवास थान- लदन, यू.के .; िपता- ीशुभंकर झा, ज़मशेदपुर; माता- ीमती सुधा झा, िशवीपी। ''मैिथली िलखबाक अयास हम अपन दादी नानीभाई बिहन सभकेँ प िलखबामे कएने छी। बेसँ मैिथलीसँ लगाव रहल अिछ। -योितएम पी टूरपिहल दन23 दसबर 1991 सोम दन :हमसब अपन िशक ारा िनदिशत पूव सूिचत कायमानुसार 2◌ः30 बजे दोपहरमे टेशन पंचलह। ओतऽअपन सहयाी साथी सबसऽ भट करक उ सुकता तऽ वभािवक छल। संगिह अपन अिभभावक ारा िशकसबलग िचता त के नाइर् सेहा◌े आयजनक नह छल। अगर कछु नब छल तऽ िशकग कछु िवाथएवम् मण करैलेल चुनल गेल थान।हमर सबहक िजासा तहन किनक धैय पौलक जखन गाड़ी लेटफा◌ॅमपर आयल आ हम सब रजव बॉगीमे अपन सामान रखलं।गाड़ी ठीक साढ़े तीन बजे िवदा भेल। हम सबअपन अिभभावक सबके टाटा करैत अपन नब टोलीमे जुट गेलं।दू तीन घंटाक भीतर चधरपुर आबैत आबैतहमर सबहक बढ़या िचहा परचय भऽ गेल।एक स बढ़ कऽ एक नब ्राितभा उभरैत गेल।कया◌े नृ य सऽसबके मना◌ेरंजन के लक तऽ कया◌े माउथ आ◌ॅरगन सऽ सुदर धुन सुनेलक। चुटकु ला कसा आ गीतके तऽअते नह।बीच बीच मे बाहरक दृयक अवला◌ेकन सेहो करी लेकन ओ अतेक मनोरंजक नह छल जेहेनबॉगीक माहौल छल। तैयो जखन टेशन पर गाड़ी कै तऽ अपन हला ड़ हम सब कम कऽ दएत छलं। इिशक सबहक आदेश छल।अिह तरहे आिह के दन िचहा परचय आ याा मे बीतल।टेशन पर सऽ खरीदलनाता आ रेलवेक भोजन सऽ काज चलल। राइतमे सुतै काल हमरा सबके बत हंगामा होएत छल। सब एकदोसरक एअर िपलो के नाब िनकाइल दैत छल। ज नाब भीतर दस राखू त िपन भोइक कऽ हवा िनकाइल दैतछल। कोनो तरहे िबना तकये के सूतक छल तखन कयै िपन भा◌ेकवाकऽ तकयाके आगा◌े◌ंलेल खराबकरत त नाब िनकालक मौका देनाइ बेसी ठीक लागल।कािह जदी उतरक छल त कम सऽ कम समानिनकालने रही जे हरबरी मे कछु छुटै नह।िजते झा- जनकपुर62


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्अतरािय मैिथली परषद अपन िबिभ माग सिहत भारतक राजधानी नयांदलीिथत जतर मतरमे धना देलक अिछ । सोमदन देल गेल एिह धनामे भारतक िविभ थानसं आएलमैिथल आ संघ संथाक ितिनिध सहभागी रहिथ । जतर मतरमे भेल एिह धनामे िमिथला ेक िवकासकलेल अलग िमिथला राय बनाओल जाए से माग कएल गेल । अतरािय मैिथली परषद एिह अवसरपररापित ितभा पाटलके ापन प सेहो बुझौलक । ापन प बुझेिनहार ितिनिध मडलमे डा भुवने·◌ारसाद गुरमैता, डा रिब झा, डा धनाकर ठाकु र,डा कमलाकात झा, चुनचुन िम, भवेश नदनसिहतकेसहभािगता छल । परषदक धनामे दलीमे रहल िविभ राजनीितक दलसं सब नेतालोकिन सेहो सहभागीरहिथ। परषदक नेपालक पदािधकारी आ कायकता सेहो धनामे सामेल रहिथ । धनामे भीख़ नंिह अिधकारचाही हमरा िमिथला राय चाही से नारा लगाओल गेल रहए । परषद मैिथली भाषाक आधारपर रायबनएबाक माग करैत आएल अिछ ।कोना बचाएब संकृ ितक िवरासत ?िमिथलाक परपरा आ धरोहरके मौिलक िविशता गुिमरहल कहैत िवसभ िचता य कएलिन अिछ ।संकृ ितक अपन अलग थान बांचल रहए से डा गंगेश गुजक कहब छिह । मैिथली संकृ ितक िविभ पपरनयां दलीमे २५ दसबरक' सप गोीमे बजैत गुजन मैिथली संकृ ितक संरणपर जोड देने रहिथ ।नाटककार महे मलंिगया िमिथलाक लोकसंकृ ितमे रहल टाना टापर, घरेलु उपचार, शकु न सिहतके िवषयकेफ़रिछयाक' तुत कएने रहिथ । मैिथली संकृ ितक संरणलेल एिहमे समािहत गुणके उजागर करब आवयकरहल मलंिगया कहलिन । िमिथलामे सातो दन सात तरहक वतु खाक' याा गेलासं शुभ याा हएबाक चलनआ एहने चलनमे रहल वैािनकता दश यान जाएब आवयक रहल ओ कहलिन ।63


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्सािहयकार देव शंकर निवन मैिथली भाषा संकृ ितके मुल भावना िवपरत होबए बला काजके अपमािनतकएल जाए से कहलिन । मैिथलीक मौिलकताके लितयाक' कएल जाए बला कोनो काजके बिहकार कएल जाएनिवनक िवचार छिह । गायक, सािहयकार सिहत सभके मैिथली गीत संगीत, भाषा संकृ ितके ितकु ल असरहोब बला काज नई करबालेल ओ आह कएलिन । नल आ तरहीन तुितके अपमािनत करबालेल निवनआह कएलिन ।मैिथली भोजपुरी एके डमीक अय अिनल िम िमिथलाक सांकृ ितक िवरासतके िवकासक सभावनाबढाओल जाए से कहलिन । सािहय, लोक संकृ ितके समॄ कएल जाए से कहैत ओ मैिथली भोजपुरी एके डमीएिहदशसं एिहलेल काज हएबाक ितबता य कएलिन । िमिथला संकृ ित लेल कएल जाएबला काजआपसमे बांट लेल जाए से िमक सुझाव छिह । संकृ ितक िवरासतके रेखाङकत करैत रोड मैप बनएबापरओ जोड देलिन । संचारमायममे मैिथलीके थान भेटए तािहलेल यास कएल जएबाक ओ जनतब देलिन ।दली सारत सरकार दुरदशनम मैिथलीक थानलेल दलीक मुयमी शीला दीितके ापन पेश कएलजएबाक आवासन देलिन ।सुभाषच यादव एकमा वा रहिथ जे अपन िवचार पिहनिहये सँ िलिख क' देने रहिथ से एतए तुतअिछ।-मैिथली लोक-कथाकथासुभष चं यादवमैिथली मे लोक-कथा पर बड़ कम काज भेल अिछ। लोक-कथाक कए संकलन उपलध अिछ आ से मृितकआधार पर िलिपबध् कयल गेल अिछ, फड वक क आधार पर निह । लोक-सािहयक कोनो इकाइ हो, ओकरएक सँ अिधक प िवमान रहैत छैक , जे फड वक कयले सँ ा भऽ सकै त अिछ । मृित मे ओकर माएकटा प रहैत छैक, जकरा सवम प मािन लेब आनक भऽ सकै त अिछ । लोक-कथा क जतेक संकलनअखनधर भेल अिछ, से अपूण अिछ ।मैिथली मे लोक-गीत, लोक – गाथा आ लोक – देवता क लेल तऽ कछु फड वक कयलो गेल, लोक – कथाकलेल भरसे कोनो फड वक भेल अिछ । आब जखन एक युत सँ दोसर पुत मे लोक – सािहयक अंतरणदनोदन संकटत भेल जा रहल अिछ, त एकर संण जरी अिछ ।लोक – सािहयक संण मा एिह लेल जरी निह अिछ जे ओ अतीतक एकटा वतु िथक; ओ अपन समयकिवमश आ आमवाचन सेहो होइत अिछ आ एकटा ितमान उपिथत करैत अिछ । ओकर पक, तीक , भाव64


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्आ िशपक उपयोग िलिखत सािहय मे हम सभ अपन-अपन ढंग सँ करैत रहैत छी । तिहना िलिखत सािहयसेहो लोक-सािहय केँ भािवत करैत रहैत अिछ ।लोक-सािहय संबंधी अययन मुयत: थान आ कालक िनधारण पर के ित रहल अिछ । ओकर काय,अिभाय आ अथ सँ संबंिधत अखनो उपेित अिछ । मैिथली मे तऽ लोक-सािहय संबंधी अययन अखनठीक सँ शुओ निह भेल अिछ । जे पोथी अिछ, तािह मे लोक-सािहयक परभाषा आ सूची उअपिथत कयलगेल अिछ ।लोक-कथाक उपलध संकलन सभ मे ओहन कथाक संया बेसी अिछ जे देशांतरणक कारणेँ मैिथली मे आयलअिछ। मैिथलीक अपन लोक – कथा, जकरा खाँटी मैिथल किह सकै त िछऐक , से कम आयल अिछ ।रामलोचन ठाकु र ारा संकिलत मैिथली लोक-कथा, जकरा हम अपन एिह अयंत संि अययनक आधारबनौने छी, ता मे खाँटी मैिथली लोक-कथा कमे अिछ । लोक-कथाक अिभाय आ अथ संबंधी अपन बातकहबाक लेल जािह दूटा कथाक चयन हम कयने छी, से अिछ — ‘एकटा बुढ़या रहय ‘ आ ‘ एकटा िचनताखेिलऐ रओ भैया ‘।एिह दुनू कथाक वातावरण िवशु मैिथल अिछ । दुनू क िवमश , आमवाचन आ ितमान मैिथल-मानसकअनुप अिछ । दुनू कथाक िवमश याय पर क त अिछ ।पिहल कथाक बुढ़या दािलक एकटा फाँक लेल बरही, राजा , रानी , आिग, पािन आ हाथी के ँ याय पयबाकखाितर ललकारैत अिछ, कएक तऽ खुी ओकर दािल नुका लेने छैक आ दऽ निह रहल छैक ।कथाक िवमश पामक प मे एना भेल अिछ – हाथी – हाथी – हाथी ! समु सोखू समु । समु नेअिगन िमझाबय , अिगन । अिगन ने रानी डेराबय , रानी । रानी ने राजा बुझाबिथ , राजा । राजा ने बरहीडाँड़िथ , बरही । बरही ने खुी चीड़य , खुी। खुी ने दािल िडअय , दािल । क खाउ , क पीबू , क लऽ परदेसजाउ।जाइत अिछ । चुी तैयार भऽ जाइत छैक । फे र तऽ चुीक डरँ हाथी , हाथीक डरँ समु , समुक डरँ आिग ,आिगक डरँ रानी , रानीक डरँ राजा , राजाक डरँ बरही याय करक लेल तैयार भऽ जाइत छैक आ खुी बुढ़याके ँ दािल दऽ दैत छैक ।ई कथा रामलोचन अपन माय सँ सुनन छलाह । ओ कहलिन जे माय वला वृांत मे बुढ़या हािथए लग सँ घूरजाइत छैक । िलिपब करैत काल ओ एकर पुनसृजन कयलिन । नक िलिपब कयल वृांत मे बुढ़या हािथयोसँ आगू चुी धर जाइत अिछ । बुढ़या के ँ चुी धर लऽ गेनाइ कथाक ंजना मे िवतार अनैत छैक । लेकनलोक – कथाक एहन लेखन कतेक उिचत अिछ ?65


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्एिह कथाक आम वाचन बुढ़याक मायमे कट भेल अिछ । अपन िथितक ित बुढ़या जे ितया करैतअिछ , सएह एिह कथाक आम – वाचन िथक । एकटा दािलक बल पर बुढ़या परदेस जेबाक नेयार करैत अिछ। राजा- रानीक सेर भर दािल देबाक ताव केँ ितरकृ त करैत अिछ । समु सँ हीरा – मोतीक दान निह लैतअिछ । दािल पर अपन अिधकार लेल लड़ैत रहैत अिछ । तापय ई जे सपना देखबाक चाही । भीख आ दयाकपा निह हेबाक चाही । दान लेब नीक निह । वािभमानी हेबाक चाही आ अपन हक लेल लड़बाक चाही ।कथा ई ितमान उपिथत करैत अिछ जे याय संघष कयला सँ भेटैत छैक ।’एकटा िचनमा खेिलऐ रओ भइया ’ यायक िववेकशीलता पर िवमश करैत अिछ । मुिनया (िचड़ै) केँ एकटाचीन खेबाक अपराध मे ाणदंड भेटै वला छैक । ई िवमश पामक पमे चलैत छैक , जािह मे ओकर दाणअवथा सेहो िचित भेल छैक ।बरदवला भाइ !परबत पहाड़ पर खोता रे खताभुखै मरै छै बाएकटा िचनमा खेिलऐ रओ भइयातइलएपकड़ने जाइए ।फे र घोड़ावला अबै छै , हाथीवला अबै छै , खुी-वला अबै छै । मुिनया सभ सँ िमनती करैत अिछ ।ओहो सभखेतवला केँ पोहबैत छैक;=छोड़बाक बदला मे बरद , घोड़ा , हाथी देबऽ लेल तैयार छैक ,लेकन खेतवला टससँ मस निह होइत अिछ । जखन भूखे-यासे जान जाय लगै छैक , तखन खुीक बदला मे मुिनया केँ छोिड़ दैतअिछ ।मुिनया कणा आ मानवीयताक आवाहन करैत अिछ । मनुमृित मे कहल गेल छैक जे चुपचाप ककरो फू ल तोिड़लेब चोर निह होइत छैक ; तिहना ककरो एकटा चीन खा लेब कोनो अपराध निह भेल । इएह कथाकआमवाचन िथक ।कथा ई ितमान उिथत करैत अिछ जे सभक जीवक मोल बराबर होइत छैक । असहाय आ िनधनो केँ जीबाकअिधकार छैक । एिह संसार मे ओकरो लेल एकटा पेस (जगह) हेबाक चाही।66


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्याम भ मैिथली भाषाक अपन संचारमायम अए से माग कएलिन । एिहलेल संगठत यास करबालेल ओकायममे आह कएलिन । िबहारमे अितर भाषाके ेणीमे मैिथलीके राखल गेल कहैत भ रोष कटकएलिन । मातृभाषाक ेणीमे मैिथली नई भेलासं िवाथ मैिथली नई पढ रहल नक दाबी छिह ।रंगकम िमला झा मेमोरयल घघौरक ी ीनारायण झा मैिथलमे ितबताक कमी हएबाक िवचार कएलिन । िहदीमे िलखिनहार मैिथल ा अपन मैिथली भाषामे कया न िलखैया नारायणक ितरहिन । मैिथलीके समांग आ समान दुनु रहैत िथित सतोषजनक नइ रहल ओ कहलिन । अ् म अनुसूिचमेमैिथली आिब गेलाक बाद आब सहज पे भाषा संकृ ितक काज आगु बढए नारायण कहलिन ।गोीमे मैिथलीलेल काज कएिनहार संथाक वतमान भूत भिवयपर सेहो वासभ बाजल रहिथ । मैिथलीमेरंगकमक िवकासके बात होइतो एिहमे काज कएिनहारके ोसाहनलेल कोनो पसं यान नई देल गेल कहलगेल । िमला झा नाटयवृित शु भेलाक बादो एोटा नव पुरकार/वृिक शुवात नई भ' सकल मैलोरंगककाश झा कहलिन । तिहना झा एकगोट मैिथल दोसर मैिथल पर िववास करए त सभ तरहक समयासमाधान हएत कहलिन । मैिथलबीचके आपसी िववासके ओ िवकासक मूलमके संा देलिन ।अतरािय मैिथली परषदक कृ पानद झा सरकारी तरपर मैिथलीके संरण नई भेट रहल कहैत रोष कटकएलिन । मैिथलीक संरण लेल िमिथला राय थापना अए - झा कहलिन । मैिथली भाषा संकृ ितदशलागल संथा आथक संकटसं त रहल कहैत ओ गोीमे सहभागीके यानाकषण करौने रहिथ ।67


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्िवापित संगीत संरणलेल योजनाब काज हएब आवयक रहल गाियका अंशुमालाक िवचार छिह ।दली युिनवसटीमे संगीतसं एम फ़ल क' रहल अंशुमाला िवापित संगीतले थािपत करबालेल ाकरणकआवयकता पर जोड देलिन । मैिथलीमे लोकसंगीत आ युवाबीचके दुरी बढब िचताक िवषय रहल ओ कहलिन। 'लोकसंगीत नई बुझिनहार लडकसं िवयाह नई करब एहन चलन हएबाक चाही' मैिथली संकृ ित संरणलेलअंशुमाला सुझाव दैत बजिलह ।गोीमे सहभागी रंगकम अपन कथा यथा सेहो सुनौने रहिथ । दलीमे रिहक' रंगकम क' संघषरत कलाकारबायताबश गुणतरहीन काज क' रहल मैलोरंगक दीपक झा कहलिन । एिहारे कलाकारके अपमािनत करबाककाज कयो नई करए दपकके आह छिह ।संकृ ित बचएबाक अिभयानिमिथलाक सांकृ ितक िवरासतके संरण सबनक लेल योजनाब काज करबा पर जोड देल गेल अिछ ।िमिथलाक सांकृ ितक िवरासत : संरण आ िवकासक सभावना िवषयपर बजैत वासभ एहन िवचाररखलिन अिछ ।मैिथली लोक रंग दलीक आयोजनमे २५ दसबरक' सप मैिथलोसवमे बजैत वासभ मैिथली संकृ ितराक लेल ठोस काययोजना बनाओल जाए से कहलिन । मैिथलोवसमे भेल संगोीमे लोक नाटय, खानपान,हतिशप, लोक नॄय, लोक िववास, पुरातािवक संरण, िचकला, पाडूिलिप, पाविन ितहार, देवी देवता,रीित रवाज, मठ-मिदर, पिहरन-ओढन, लोकसािहय, लोकवा, िशाचार,मेला सिहतक िवषयपर वासभबाजल रहिथ ।गोीमे कथाकार अशोक, कमलमोहन चुु, नाटककार महे मलंिगया, मोहन भाराज, सीयाराम झा सरस,सुभाष च यादव, गंगेश गुजन, मैिथली भोजपुरी एके डमीक उपाय ो अिनल िम, डा अिनल चौधरी,देवशंकर निवन सिहत वासभ िमिथलाक सांकृ ितक िवरासतक िविभ िवषयपर बाजल रहिथ ।68


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्भारतीय भाषा संथान मैसुरक सहयोगमे मैलोरंग नयां दलीक रािय नाटय िवालयमे कायम आयोजनकएने छल।मैिथलोवसमे मैलोरंग रंगकम मीला झा नाटयवृि सेहो िवतरण कएलक । एिहबेरक नाटयवृिकपओिनहारमे पिहल मधुबनीक मधुिमता ीवातव, ितीय कोलकाताक वदना ठाकु र आ तृतीय दलीक नेहावमा छिथ।रंगकम मीला झा नाटयवृिक थापना थम मिहला बाल नाटय िनदशक मीला झाक मृितमे भेल अिछ ।मीलाक मृितमे थािपत मीला मेमोरयल ,घघौर एिह नाटयवृितक थापना कएने अिछ ।मैिथलोवसमे संगोी, वृित िवतरणक बाद सांगीितक कायम आयोजन कएल गेल छल । सांगीितककायममे सुदरम, घनयाम, दवाकर, भाकर, गुजन, अंशुमाला, कपना िमा, राखी दास,रीतेस सिहतककलाकार दशकके मनोरजन करौने रहिथ ।उमेश कु मार- पु ी के शव महतो, बहादुरगंजबहादुरगंज स’ रपोट- बाढक िथित बडे खतरनाक रहल, आब कोना के ओ बीत गेल। हमर सभक गाममे कोनोराहत कम नै अएला, नेता सभ चुनाव मे अबै छथ, मुदा रौदी दाही मे नै।गाममे सरकारी कू ल अिछ, साहमे दू दन खुजल रहै ये, कशीबारी मे। चार दन बदे रहै ये, अहा पकारछी िहते भैया ई मुा त भेजी रहल छी। गामक लोक खेती बारी करै ये , धान,गेँ परवल खीरा, करैला, कदू,तारबूज ,गोभी, बैगन आ मछली मारै ये।िवराटनगर नेपाल मे सेहो लोक सभ सबधी सभ छिथ, 20 कमी दूर बहादुरगंजमे हापीटल अिछ, गाममेझोलाछाप हापीटल अिछ जे झोलाछाप डाटरक झोरामे रहै ये। िपछला साल एक गोटे के बहादुर गँजहापीटल् ले गेलौ, डाटर सभ पानी चढा देलकै , तीन दन तक पानी चढैते रहलै, कयो खेनाइ नै देलकै , ओपेट फू िल क मर गेल।घर सभ फू सक आ घासक, धानक पुआरक बनल छै, अिगलगेमे से सभ जरैत रहैत छै।69


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्एक-एक् अ आदमी के 5-6 टा बा िजबैत रहैत छै, 9-10 बामे।िवराटनगर लग गाम मे मौसाक घर गेलौ, ओतए सरकार मैिथली या नेपाली बाजय लेल कहने अिछ, सभ गोटेओत मैिथली बाजै छिथ, भारतमे िथित खराप।नेपालमे मैिथली के नीक िथितक कारन अिछ ओतुा मैिथली मा मैिथल ान आ कन कायथ मे सीिमत नैअिछ, ओतय महतो यादव सभ मैिथली के अपन बुझैत छिथ. भारतमे कतेको ठाम मा दू जाितमे सीिमत अिछ,तेसर के अशु कहल जै छै से ओ अपनाके मैिथली से दूर के ने छिथ,जाित-पाित से अपन उित जे ए मुदासमाजक उित नै हैत,जाित-पाित से मैिथलीक उित नै हैत,जाित-पाित से िमिथला के उित नै हैतजाित-पाित से कुं ठात लोक नीक रचना नै िलिख सकताह आ घृनामे जरैत रह ताह।नेपालमे घर फू सोके छै मुदा बेसी लकडी आ टीना के छै। ओत खेती बारी भारते जेका छै। ओतओ हापीटल दूरेछै।ओते रशा टेपू नै चलै छै, खाली बस चलै छै। ओत गामे सेहो िबली छै, गाममे मुदा रोड नै छै, ऊबर खाबरछै, बरसातमे कच भे जाइ छै। शहरमे रोड ठीक छै। िवराटनगर से 20 कलोमीटर दूर नया बजार हटयामेआधा बजार मे बजार आ आधामे दा िबकाइत छै, जतए छोट से पैघ बा सभी दा पीबै छै।आर समाचार बाद मे।अितवक लेल संघष करैत पटनाक िवापित मृित पव-नवेदु कु मार झा70


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्िमिथलांचलक सांकृ ितक धरोहर महाकिव िवापितक जयतीक तीा िमिथलावासी वष भर करैत छिथ।कातक धवल योदशीकेँ ित वष मनाओल जाएवला एिह वाषक उसवमे पूरा मनोयोगक संग िमिथलावासीशािमल होइत छिथ। एिह ममे राजधानी पटनामे आयोिजत होमएवाला िवापित मृित पवक तीा सेहोराजधानीक िमिथलावासीकेँ रहैत अिछ। मुदा एिह वष एिह आयोजनपर जेना हण लािग गेल अिछ। बढ़ैतसंसाधनक बावजूद आयोजक एिह सांकृ ितक उसवक वप वष-दर-वष छोट कएने जा रहल छिथ। ईआयोजन आब इितहास बनबाक ारपर ठाढ़ अिछ। पिछला चौबन वषसँ ित वष आयोिजत होमएवालािदवसीय कायम एिह वष एक दवसीय होएबाक संवाद अिछ। पटनाक हाडग पाक सँ सिचवालय मैदान आिमलर हाई कू ल मैदान होइत ई आयोजन जखन भारत काउट मैदान धर आएल ता धर ई उमीद छल जे ईसमारोह अपन पुरान गौरवकेँ फे रसँ ा करत मुदा जखन एिह समारोहक थान परवतत कऽ कापरेटवफे डरेशन परसर आिब गेल तऽ प भऽ गेल जे आब आयोजक मा खानापूत करबाक लेल एकर आयोजनकरैत छिथ। आ एिह बेरक सूचनापर गौर करी तऽ प होइत अिछ जे आब एिह समारोहक आयोजन माऔपचारकता रिह गेल अिछ। कोसी ेमे आएल बाढ़ आयोजक सभके ँ एकटा बहाना बिन गेल अिछ आ एिहबहाने एिह समारोहक गौरवपूण इितहासकेँ समा करबापर लागल छिथ।बाढ़ िमिथलांचलक िनयित अिछ। शायदे कोनो वष होएत जखन क एिह ाकृ ितक आपदाक सामना निहहोइत अिछ मुदा एिह बेर कोसीमे आएल बाढ़सँ आयोजक संथा चेतना सिमितक कता धताकेँ अपन गाम-घरदहाएल तँ नक दद जािग उठल आ कायमक समय-सीमा घटा देलिन। दरभंगा, मधुबनी, मुजफरपुर,सीतामढ़ी आद िमिथलांचलक कतेको े सभ साल बाढ़क मार झेलैत अिछ मुदा िबना कावट सभ सालतीन दवसीय िवापित मृित पवक आयोजन होइत रहल अिछ। ओिह े सभक िचता सिमितकेँ शायद निहरहैत छल। यो बाढ़क समयाक ित एतेक गंभीर छलाह तँ पूवमे कतेको बेर आएल बाढ़क बाद एिहआयोजनकेँ छोट कएल जा सकै त छल से आइ धर निह भेल। यो अ बेर आयोजक एिह समयाक ित गंभीररिहतिथ तँ एिह समारोहक मायमसँ राजधानीक िमिथलावासीक सहयोग बाढ़ पीिड़तक मदित लेल लऽ सकै तछलाह। एहन रचनामक डेग संथा उठाएत से संथाक कता-धताक आदित निह रहलिन अिछ। एिहसँ सिमितकेँसामूिहक ेय भेटैत से तऽ संथाक महानुभाव लोकिनकेँ कत मंजूर निह छलिन। ओ तँ िगत ेय लेबापरिवास करैत छिथ।दरअसल चेतना सिमितक जुझा पदािधकारी सभमे आब काज करबाक चेतना निह बचल अिछ। निह तँ ओएिहपर जर िचतन करतिथ जे एिह समारोहमे ितवष दशकक संया कए कम भऽ रहल अिछ। जखनसंथाक तरसँ दशककेँ जोड़बाक कोनो यास निह भऽ रहल अिछ तँ एिहमे दशक दससँ यास होएबाक बातसोचब िनरथक अिछ। ओना आयोजक कतेको वषसँ एिह समारोहकेँ िवराम देबाक यासमे छिथ। कखनोचुनावक बहाना बना तँ कखनो कानून वथाक बहाने एिह कायमक वपके ँ छोट क देलिन। एिह वष तँकोसीक िवभीिषका तँ मानू नक सभक मनोनुकू ल वातावरण दऽ देलक। ारभमे िदवसीय आयोजनकतैयारीक बाद एकाएक एकरा एक दवसीय करब मा औपचारकता लािग रहल अिछ जािहसँ क जे कछुमैिथली ेमी छिथ अिगला वशसँ अपनिह एिह कायमसँ कट जािथ आ दशकक अनुपिथितक बहाना बनाकायमकेँ बंद कऽ देल जाए। ई िवडबना कहल जा सकै त अिछ जे पटनामे शु भेल िवापित मृित पवकदेखा-देखी देश आ देशक आन ेमे वष दर वष पूरा उसाहक संग आयोिजत भऽ रहल अिछ आ एिह ठामकआयोजनक अितवपर संकट आिब गेल अिछ। वातवमे चेतना सिमित आब कछु फोटोजेिनक चेहरा सभकअखाड़ा बिन गेल अिछ जे एकर कायालय िवापित भवनकेँ अपन दलान बुिझ अपनिहमे कु ती करैत रहैत71


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्छिथ। कोसीक िवभीिषकाक दद मठाधीश लोकिनक संग-संग सभ िमिथलावासीकेँ अिछ। कोसीक बाढ़ पीिड़तकदद एिह आयोजन मायमसँ सभ िमिथलावासीकेँ जोिड़ सामूिहक पे ँ बाटल जा सकै त छल। यो से निह तऽबाढ़ पीिड़तक मदित लेल देश आ देशक कतेको ेमे सामािजक-सांकृ ितक कायमक कएल गेल आयोजनथ छल।िमिथलाक कतेको महान िवभूित सभक यासँ शु भेल राजधानीक ई सांकृ ितक उसव पूरा देशमे एकटामहवपूण थान रखैत अिछ। एिह आयोजनकेँ इितहास बनेबाक यास करब िचताक िवषय अिछ। पिहनेकायमक थान छोट करब आ आब एकर समय सीमा घटएलासँ राजधानीक िमिथलावासी ममाहत छिथ।एकरे परणाम अिछ जे छोटे तरपर सही राजधानीसँ सटल दानापुर आ राजीवनगरमे कछु वषसँ आयोिजतभऽ रहल िवापित पव आब लोकिय भऽ रहल अिछ। आब राजधानीक िमिथलावासी चेतना सिमितक बदलाएिह दुनू थानपर होमएवाला आयोजनक तीा करैत छिथ। शायद असँ चेतना सिमित सचेत होएत आिवापित मृित पवक अपन पुरान गौरवकेँ पुनथािपत करबाक यास करत।मुखीलाल चौधरीसुखीपुर – १, िसरहाहाल ◌ः बुटवल बमुखी यापस बुटवलदना २०६५ जे ठ २९ गते बुधदन ।धीरे बाबु,नम कारबत दनक बाद अपनेक कायम “हेलौ िमिथलाम” िची पठारहल छी ।आशेटा निह वरण िव वास अिछ, कािशत होएत ।दना २०६५ जेठ १४ गते मंगलदन जनकपुरधामम लोकापण भेल “समझौता नेपाल”क दोसर तुित गीित ए वम “भोर” क गीतके संगही समझौता नेपालक िनदशक नरे कु मार िमजीक साा कारदना २०६५ जेठ १८ गते शिनदन काि तपुर एफ़एके सवािधक लोकिय कायम “हेलौ िमिथलाम”सुनबाक मौका भेटल । संघीय गणताि क नेपालक भोरमे समझौता नेपालारा तुत के ल गेल गीित ए बम72


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्भोरके लेल समझौता नेपालक िनदशन नरे कु मार िमजीके हादक बधाई एवं शुभकामना । आगामी दनमसमझौता नेपाल माफ त गीित यााके िनर तरततासँ गीत या संगीतके मा यमसँ िमिथलावासी आ मधेशीसंगही स पूण आदबासी था म जागणर लावय म सफल होवय आओर िमिथलावासी, मधेशी, आदवासी थासंगही स पूण देशवासीम सदाशयता, सदभावना, सिह णुता आ नेहम गाढता बढावम सफलता ा त होवय,एकर लेल साधुवाद ।गीतकार सभहक गीत उ कृ ट अिछ, कोनो गीत वीस निह सभटा एकाईस । एकसँ बढी कय एक ।गीतकार सभहक गीतके स व धम छोटम अलग अलग कछु कहय चाहैत अिछपा झाजीक गीत िशा ित जागकता आ चेतानक स देश दरहल अिछ । ान काश अिछआओर अान अ धकार । अ धकारसँ वचवाक लेल ान ा त के नाइ आव यक अिछ । “के हनो भारी आफतआवौ, ानेसँ खदेड” पाित कोनो सम या कएक निह िवकराल होय ान आ वुि सँ समाधान करल जा सकै तअिछ ।पुनम ठाकु रजीक गीत सब स तान समान होइछ, बेटा—बेटीमे भेदभाव निह होयबाक आ करबाहचािह स देश दरहल अिछ । “मुदा हो के हनो अब ड बेटा, कहता कु लक लाल छी ” िसफ एक पाितस आजुकसमाजम बेटा—बेटी ित के हन अवधारणा अिछ, बतारहल छिथ ।िमिथलाके माट बड पावन छै । सं कार आ अचार–िवचार महान छै । आओर वएह माटक सपुतसािहल अनवरजी छिथ । जई माटम सािहल अनवरजी जकाँ मनुक् ख छिथ ओही माटमे स दाियकताक काँटउिगए निह सकै छ । उगत त मा सदभावना, सदाशयता, माया—ममता, नेहक गाछ । जेकर गमकसँ सभके ओआनि दत रहत आ होएत ।“जतय िह नुओ रािख तािजया, मान दअए इसलामकेछठ परमेसरीक कवुलाकय मु लोजी मानिथ रामके ”सँ इ निह लािग रहल अिछ ? क िमिथलाके पावन माटम सिह णुताक सरता आ बस तक शीतल बसातबिहरहल अिछ । ध य छी हम जे हमर जनम िमिथलाक माटम भेल अिछ ।धीरे ेमषजीक गीत सकारा मकतासँ भरल अिछ । सम या कएक निह बडका होबय आ कोनोतरहके होय िनरास निह होयवाक चािह आओर सदखन धैय—धारणकय सकारा मक सोच रािखकय आगाँबढवाक चािह । संगिह जािह तरहसँ माँ–बाप अपन स तानक लेल सदखन सकारा मक दृि टकोण राखैत छिथ,73


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्वएह तरहसँ संतानक कत य होइछ जे ओ सभ अपन वुढ माँ–बाप ित विहनाइते दृि टकोण अपनावैत । गीतकेशुके जे चार पाित“संझुका सुरजक लाल करिनया, निह राितक इ िनशानी छैिछटने छल जे भोर िपरितया, तकरे मधुर कहानी छै” ।सकारा मकताक ोतक अिछ । एकर संगिह“सोना गढीके इएह फल पौलक, अपने बिन गेल तामसनवाह बुढवा तैओ वाजैए, हमर बेटा रामसन” इ पाितसँ मा–बापके अपन स तानक ित गाढ माया ममताकबोध करारहल अिछ ।नरे कु मार िमाजीक गीत इ बतारहल अिछ क संसारमे ेम, नेह, माया–ममता अिछ तएँ संसारएतेक सु दर अिछ । यद ेम, नेह, माया–ममता हटा देल जाय त संसार िनरस भजाएत आ िनरस लागलागत । तएँ हेतु एक दोसरक ित ेम, नेहक आदन–ादान होनाइ आव यक अिछ ।“आिख देखय त सदखन सु दर सृजनठोर अलगय त िनकलय मधुरगर बचन”पाती सँ ेम आ नेह वषा भरहल अिछ, लािग रहल अिछ ।वर ट सािह यकार, किव, गीतकार य डा़ राजे ◌ॅिवमल जी आ च शेखर ◌ॅशेखर जीके गीतअपने अपनमे उ कृ ट आ िविश ट अिछ । िहनका सभक गीत स ब धमे िवशेष कछु निह किहके िहनका सभकगीतक कछु पाित उधृत कयरहल छी, सबटा बखान कै य देत ।डा़ राजे ी िवमल जीक पाितक“जगमग ई सृि ट करए, तखने दवाली िछेम चेतना जािग पडए, तखने दवाली िछरामशि आगुमे, रावण ने टीक सकत74


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्रावण जखने डरए, तखने दवाली िछ”अपने अपनमे िविश टता समािहत के ने अिछ ।ओही तरहे च शेखर ◌ॅशेखर जीक गीतक िन न पाित अपने अपनमे िविश ट अिछ“साँस हरेक आश भर, फतहक िव वासकरिबँसाले रे अधर, मु हो नैरा य–डररोक सब िवनाशके , ठोक इितहासकेद धल िनशाँसके , लागल देसाँसके ”हमर यानी मुखीलाल चौधरीक गीतके स ब धमे चचा निह करब त कृ त नता होएत । हमरारा रिचतगीत भोरक संगीतकार धीरे ेमषारा परमाजत आ स पादत के ल गेल अिछ । तएँ एतेक िनक पमे अपनेसभहक आगाँ तुत भेल अिछ । हमर गीतके इएह पमे लाबएमे धीरे ेमषजीक उदार या गहन भुिमकाछै ह । एकर लेल ेमषजीके हम मुखीलाल चौधरी हादक ध यवाद ापन करए चाहैत छी ।सभटा गीतके संगीत कणिय लगैत अिछ । सुनैत छी त मोन होइत अिछ फे र–फे र सुनी । कतबोसुनलाक वादो मोन निह अगहाइत अिछ । एतेक िनक संगीतक लेल धीरे ेमषजीके हादक बधाई आओरअगामी दन सभमे एहोसँ िनक संगीत दय सकै त, एकर लेल शुभकामना आ साधुबाद ।सभ गीतकार, संगीतकार, गायक–गाियका इ यादक संयोजन कय बड सु दर आ दय पश गीितए बम “भोर ” जािह तरहसँ हमरा सभहक आगाँ परोसने छिथ, एकर लेल भोरक संयोजक पा झा जीके हादकबधाई । अ तमे सभ गीतकार, संगीतकार, गायक–गाियका, संयोजक आ समझौता नेपालक िनदशकके हादकवधाई ।75


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्डॉ.शंभु कु मार सहजम : 18 अील 1965 सहरसा िजलाक मिहषी खंडक लआर गाममे। आरंिभक िशा, गामिहसँ, आइ.ए.,बी.ए. (मैिथली समान) एम.ए. मैिथली (वणपदक ा) ितलका माँझी भागलपुर िविवालय, भागलपुर,िबहार सँ। BET [िबहार पाता परीा (NET क समतुय) ायाता हेतु उीण, 1995] “मैिथली नाटककसामािजक िववन” िवषय पर पी-एच.डी. वष 2008, ितलका माँ. भा.िविवालय, भागलपुर, िबहार सँ।मैिथलीक कतोक ितित प-पिका सभमे किवता, कथा, िनबंध आद समय-समय पर कािशत। वतमानमेशैिक सलाहकार (मैिथली) राीय अनुवाद िमशन, के ीय भारतीय भाषा संथान, मैसूर-6 मे कायरत।आलेख: मैिथली सामािजक नाटकक मूल के िबदु : नारी समयावातंयोर युगक अिधकांश नाटक सामािजक िववतन पर िलखल गेल अिछ। एिह नाटक सभक के िबदु नारी समया रहल अिछ। नारी वग मे अिशा, सामािजक िबडबनाक पमे ितलक-था, बाल िववाहएवं बेमेल िववाहक परणामवप उपिथत समयाक समाधानक लेल नाटककार लोकिन ेरत भेलाह तथाएिह िवषय बतुकेँ अपन नाटकक कय बना सुधारवादी भावनाक चार-सार कयलिन जािहसँ समाजसुधारक जागरण जोर पकिड़ सकय।वातंयोर मैिथली नाटकमे समाजक अित यथाथ ितिबब देखबाक हेतु भेटैछ। युग िवशेषताकअनुसारेँ एिह कालाविधक नाटकमे नारीक िविभ पक ितिबब हैब अयत वाभािवक अिछ। एिह काल76


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्ारंिभक नाटकमे नारी संबंधी सहानुभूित ओ कणाक प िच उपलध होइत अिछ। कछु नाटकमेतकालीन नारी जीवनक, परवारक मयादामे ओकर यथाथ िच अंकत कयल गेल अिछ। मैिथलीक कितपयनाटकमे नारीक वेदनामय प परवारक अतगत उभर कए सोझाँ आयल अिछ। एिह कालक नाटककारसुधारक आँिखये समाज ओ परवारक िविभ दोषकेँ देखलिन परवारमे नारीक दुखमय जीवन नकसहानुभूितक पा बनलीह। नारीक सभसँ पैघ मयादा ओकर पित तथा वैवािहक जीवन िथक। कयाक जीवनमयवगय परवारक हेतु िचताक कारण बिन जाइत अिछ। दहेजक समया नारीकेँ योय वर निह भेटबामेकठनता, कयाकेँ ऋतुमित होएबासँ पूविह िववाहक आवयकता जीवनक येक णमे मयादा राक िचता,पितक असामियक मृयुक कारणेँ िवधवा बिन जयबाक संभावना ओ पराित भ’ कए पितत होयबाक भय,असुरित अवथामे समाजक कु दृिक िशकार हैबाक आशंका , वेया जीवन तीत करबाक बायता तथाकानूनी दृिएँ पुषक एकािधकार इयाद अनेक कारण अिछ जे नारी जीवनक वेदनामय, यंणामय ओपीड़ामय कथा कहैत अिछ। अतः वातंयोर कालक अिधकांश नाटककार तकालीन सामािजक िथितमेनारीक यथाथ पक अंकन कयलिन जे उपयु समयादक संदभमे नारी-जीवनक िचण करैत अिछ।भारतीय समाजमे नारीक थानसमाजमे नारी आ पुष दुनूक समान महव अिछ। जािह कारे ँ एक पिहयासँ गाड़ी निह चिल सकै तअिछ ओकरा चल’ क लेल दुनू पिहयाक ठीक होयब आवयक अिछ, ओिहना समाज पी गाड़ी केँ चलयबाकलेल पुष आ नारीक िथित समान भेनाइ आवयक अिछ। दुनू मे सँ जँ एक िनबल अिछ तँ समाजक उितसुचा पसँ निह भ’ सकै त अिछ।एक समय छल, जखन भारतमे नारीक थान बड़ आदरणीय छल। समाजक येक काजमे ओकरा समानअिधकार छलैक। पुषक समानिह सभा, उसव आ अय सामािजक काजमे भाग लेबाक ओकरा पूण वतंताछलैक। धामक काज तँ नक सहयोगक िबना अपूण मानल जाइत छल। ओिह समय नारी वातिवक अथमेपुषक अािगनी छलीह। कोन काज नक समितक िबना निह होइत छल। पुष सेहो ओकरा िनरीह मािनअयाचार निह करैत छलाह। नारी सहो अपनाकेँ गौरवािवत महसूस करैत छलीह तथा अपन चर वा77


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्आदशके ँ उम रखबाक यास करैत छलीह। देशमे सीता, आ सािवी सन देवी घर-घरमे पाओल जाइतछलीह। समाजमे ी िशाक सेहो खूब चार छलैक। मैेयी, गाग, अपाला, िवावती, भारती सन िवदुषी सँगौरवािवत छल। ओिह युगमे नारी वातिवक अथमे देवी छलीह। समाजक लेल नारी गौरवक वतु छलीह।ओिह समयक सािहयमे नारीकेँ प पसँ पूजनीय मानल जाइत छल। एिह लेल मनीषी ारा कहल गेल छल“य नायतु पूयंते रमंतु तय देवताः” अथात जतय नारीक पूजा आ आदर होइत अिछ ओतय देवता िवचरणकरैत छिथ। एिह कारे ँ संकृ त सािहयमे नारीकेँ आदर आ समानक दृिसँ देखबाक वणन अिछ।समय परवतनशील अिछ। देशमे अनेक परवतन भेल, धामक, सामािजक, आ राजनितक ांित भेलएिह सभक भाव नारी समाज पर सेहो पड़ल। मययुगमे आिब कए नारीक पूववत समान निह रहल। पूजनीयआ आदरणीय हेबाक थान पर ओ के वल उपभोगक वतु बिन कए रिह गेलीह। एमहर देशक राजनीितकिथितमे सेहो महान परवतन भ’ रहल छल। िवदेशी आमण बल भेल जा रहल छल। देश पर िवदेशीसयता आ संकृ ितक भाव पड़ल जा रहल छल। परणामतः आब नारी पर अनेक कारक बधन पड़’ लागलजकर कोनो कपना धर निह छल। नका पर अनेक कारक सामािजक बधन लाग’ लागल। नक वतंताआब के वल घरक चौखट धर सीिमत रिह गेल। आब ओ समाज आ सािहयमे के वल मनोरंजनक वतु रिहगेलीह।जखन मुसलमानी शासन एिह देशमे दृढ़ भ’ गेल, तखन नारीक पतन सीमा आर बढ़ गेल। मुसलमानजखन िनत भ’ क’ शासन करय लगलाह, तखन दरबारमे जतय महफल जमय लागल, सुरा क दौर चल’लागल ततय पायलक झनकार सेहो होम’ लागल। नारी आब किवक लेल ृंगारक वतु बिन गेलीह। किव आबओकर जनिन प िबसर कय ओकर नख- िशखक वणनमे डूिब गेलाह। नक अील िचक अितर एिहकालक सािहयमे आर कोन थान निह रिह गेल।आधुिनक युग जागृितक युग िथक। देशमे जतय सामािजक आ राजनीितक ांित आयल ओतय नारीसमाजकेँ सेहो उितक अवसर भेटलैक। वातवमे ई युग समानताक युग िथक। सय त’ ई िथक जे जाधरनारीक उथान निह हैत ताधर देश आ समाजक उित असंभव िथक। एक नारीक महानता समत परवारकेँमहान बना दैत अिछ। हमरा देशक सभ महान िवभूितक चर िनमाण मे नारीक महवपूण थान रहल अिछ।आब ओ समय आिब गेल अिछ जे नारी समाजक संग लागल सभ कु थाक अंत कयल जाय। िवधवा-िववाह होवा िपताक संपिमे कयाक अिधकार हो, िशाक ेक बाधा हो वा पदा-थाक सभ ेमे जतेको बधन78


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्अवशेष अिछ आइ ओिह सभ कु थाके ँ समा कर’ पड़त। जँ समाज नारीक महाकेँ वीकार क’ ओकर सभअिधकार ओकरा पुनः घुरा देत तखनिह देश पुनः ओिह गौरवकेँ ा क’ सकत जकरा लेल ओकर जगयाितिस रहलैक अिछ। एिह दशामे जतय धर मैिथली नाकारक अिछ, बुझाइत अिछ ओ समाजक एकटासजग हरी जकाँ एिह भूिमकाक िनवाह क’ रहल छिथ।नारीक कािणक वपनारी, पी वा मायक पमे भारतीय परवारक मूल के िबदु होइत अिछ। एिह हेतु परवारक उथानओ पतनक इितहासमे नारीक िथितक समीा होएब अयंत योजनीय अिछ। वैदक युगसँ ल’ क’ आइ धरपरवार मे नारीक िथितमे परणामामक परवतन भेल अिछ। जतय धर वैदक युगक अिछ भारतमेअय सयताक अपेा नारीक िथित कतँ नीक छल। अय चीन समाजमे नारीक संग िनदयताक वहारकयल जाइत छल। एतय धर जे यूनान जे अपन संकृ ितकेँ अित ाचीन होयबक दावा करैत अिछ, ओतनारीक िथित नीक निह छल। इितहासकार डेिवस िलखैत छिथ “एथस आ पाटा मे नारीक सुखद िथितककोनँ े निह उठैत छल। पाटा मे नारी पशुसँ कछुए उत छल।” 1भारतीय मौिलक सामािजक वथा िवशेष कए िमिथलाक संदभमे नारीकेँ धन, ान, ओ शिक तीकमानल गेल अिछ, जकर अिभिक पमे लमी, सरवती ओ दुगाक पूजा एखनँ, घर-घर मे कयल जाइतअिछ। नारीकेँ पुषक अािगनीक पमे थान देल गेल अिछ, जकरा अभावमे पुष कोनँ कतक पूत निहक’ सकै त अिछ। मुदा आइ हमरा सभक दुभाय िथक जे वैदक आ उर वैदक कालक पात् हमरा समाजकमौिलक वथा ढ़क पमे परवतत होम’ लागल तपात् नारी मे लाज, ममता आ ेहक गुणके ँ ओकरकमजोरी मािन पुष वग ारा ओकर शोषण करब आरंभ क’ देलक।79


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्पुष धान सामािजक वथामे नारीकेँ पुषक वासना-पूतक एक साधन मा बुझल जाइत अिछ।ई बात ओिह सभ जाित आ वगक लेल सय िथक जकर णाली सामतवादी िवचारसँ भािवत अिछ। हमरसामािजक जीवन मुय पसँ चार यासँ सबिधत अिछ- जनन, परवारक बंध, आ नेनाक सामािजकरण।ावहारक पमे एिह सभटा या पर पुषक एकािधकार अिछ। अिधकांश लोक ारा नारीक नोकरी करब,िशा ा करब अथवा परवारक बध मे हतेप करब ने के वल संदेहक दृिसँ देखल जाइछ अिपतु अपनअहमक िव सेहो मानैत छिथ। एकै सम शतादीक तथाकिथत समतावादी समाजँमे नारी पर होम’ वलाअयाचारमे कोनो बेसी सुधार निह भेल अिछ, जखन क एिह अयाचारमे परवतन अवयंभावी भ’ गेल अिछ।नारी एवं पुष समाजक समिवभाग अिछ। येक ेमे दूनूक समान अिधकार अिछ। कतु समाजकसंरचना एहन अिछ जे पुष ारा नारीकेँ उपीिड़त करबाक वृि मैिथल समाजमे दृिगत भ’ रहल अिछ। जँहम आन-आन भारतीय समाजक तुलना मैिथल समाजसँ करी तँ बुझना जाइछ जे मैिथल समाजमे नारीकउपीड़न समया कने बेसी गंभीर अिछ। एिह कारण सँ पारवारक वप मे सेहो प परवतन दृिगोचर भ’रहल अिछ आ समाजमे नारीक थान नगय भेल जा रहल अिछ। यथासमय खास क’ मैिथल समाजमे नारीकिथितमे नारीक समताकारी मूयमे परिथित कोन तरहेँ भािवत कयलक आ क’ रहल अिछ एिह संबंधमेसामािजक नाटकक मायमे िविभ मैिथली नाकार नारीक दशाक वातिवक िचण अपन- अपननाकृ ितमे करबाक यास कयने छिथ जकर चचा िन पेँ कयल जा सकै त अिछ।शारीरक ताड़नाशारीरक ताड़नाक पमे हसाक बढ़ैत समया के वल भारते धर सीिमत निह अिछ अिपतु संसारकअिधकांश देशमे ई समया गंभीर भेल जा रहल अिछ। “कनाडा मे ित चार नारी पर एकक संग मार-पीटकघटना होइत अिछ। बकाकमे आधा नारी अपन पित ारा पीटल जाइत छिथ। अमेरका सन िवकिसत देश मेसेहो ई समया गंभीर अिछ।” 280


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्एकटा नविववािहता जािह संरण ेम आ सहयोगक भावना ल’ क’ नव घरमे अबैत अिछ ओतयपित, सास वा परवारक अय सदयक ारा पीटल गेला पर ओकरा कतके अस वेदना होइत हैतेक तकरअनुमान हम आसानीसँ निह लगा सकै त छी। नारीकेँ शारीरक पसँ तािड़त करबाक पाछू पारवारक कलह,पारवारक िवघटन, पारपरक अिवास आ गरीबी अिछ।•• मैिथली नाटकमे कितपय नारीक वेदनाक प पारवारक अतगत उभर कय आयल अिछ।मैिथली नाटककार सुधारक आँिखये समाज ओ परवारक िविभ दोषकेँ देखलिन अिछ। परवारमे नारीकदुःखमय जीवन नक सहानुभूितक पा बनलीह। गोिवद झाक ‘बसात’ नाटक मे सुिगया अपन पितकेँ परमेरमािन सेवा करैछ। ओ सामािजक जीवनकेँ विथत रखबाक हेतु अपन सपूण परवारक भार उठौने छिथतथािप ओ अपन पित ारा तािड़त होइत छिथ---•• सुिगयाः “मड़आ उलबैय छिलयै। एलैय हला करैत जलखै ला,जलखै ला, हमकहिलयै, कोनदन कमाइ क’ के एलाह जे जलखैदेलक।” 3दऔन। क बस, ठामिह चेरा उठा के ँ िपटिपटािवडबना ई िथक जे इ समया के वल ामीण , गरीब आ अिशित नारये धर सीिमत निह अिछ अिपतुिशित मयवगय ओ नगरीय परवारँ मे नारीक कमोबेश यैह िथित अिछ।यौन उपीड़नमैिथली नाटकक अययन ओ अनुशीलनक उपरांत जे एक समया प दृिगोचर होइत अिछ ओ िथकनारी पर होम’ वाला अयाचार ओ शोषण। मयादा, चर कपरायण, याग, सहनशीलता, शील ओ अय81


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्गुण सँ मिहमामंिडत क’ जािह सुदर ढंगसँ पुष समाज ओकरा संग छल कयने अिछ ओिहमे ीके ँ सेहो पतानिह चिल सकल जे ओ शोिषत भ’ रहल अिछ। उसगक नाम पर पुष ओकरासँ सभ कछु माँगैत रहल आओकरा लूटैत रहल। नारी कतँ महानतासँ िवभूिषत होयबाक गवक मोहसँ ओकरा पर अपनाकेँ िनछावर करैतरहल त’ कत परिथितवश। मुदा ई ीयजिनत गुण जतय ओकरा लेल एक दस हिथयार िस भेल ओतिहदोसर दस ओकर यैह गुण , ओकर कमजोरी, िववशता, लाचारी ओ पतनक कारण सेहो बनल।नारी शोषणक सभसँ घृिणत प िथक ओकर यौन शोषण। ई एक कारक गहन मानिसक शोषण िथकजे शारीरक यातनाँ सँ बेसी पीड़ादायक अिछ। डॉ. बोध नारायण सह ारा िलिखत एकांक नाटक ‘हाथीकदाँत’ क नेता मिहला आमक संरिका िबजली देवीक सहयोगसँ खूब टकाक संह करैत छिथ आ जखन ओिहटकामेसँ िबजली अपन कमीशन माँगैत छिथ तँ नेताजी बनावटी ेमीक प धारण कय िबजलीक संगआलगनब भ’ जाइत छिथ आ कहैत छिथ कतेक टका लेब, ई कपटी नेता चर अिछ। ई टकाक लोभदेखा िबजलीक संग अनैितक संबंध त’ रखनिह छिथ, िबजलीयेक सहयोगसँ अपन वासनाक भूखकेँ रोिहणीनामक एक युवतीसँ शात करैत छिथ। परणाम वप ओ असहाय लाचार युवती गभवती भ’ जाइत अिछ।आब ओ िबजलीके ँ परामश दैत छिथ जे----“धुर औषध किह के कछु पुिड़या खोआ दयौक ने ? 4वतमान समाजमे उवगक लोक ारा नीच वगक ीक संग कोना यौन अयाचार करल जाइत अिछतकर प िच हमरा भेटैछ कांचीनाथ झा ‘करण’ ारा िलिखत ‘कण’ नामक एकांकमे यिप एकांकककथानक आ पा पौरािणक अिछ मुदा एकांककार लािणक पमे सूयकेँ उ वग आ कु तीके ँ अछोप वग मािनसमाजमे घट रहल यौन उपीड़न दस समाजक यान आकृ कयने छिथ। एिह एकांकक मायमे समाजमे पैघलोक कहओिनहारक गु ताक भडाफोड़ कयल गेल अिछ। देव अथात् उ वगक लोक जे नीच वगक संगिववाह तँ निह क’ सकै त अिछ मुदा गु पसँ सभोग आ सपक क’ सकै छ जकर कु िसत परणाम भोग पड़ैतछैक नीच वगक लोकके ँ ।सूयः हम देवता छी। देवता मनुखक बेटीकेँ .......कु तीः (उेिजत वरम) मनुखक संगे भोग-िवलास कयने देह निह छूतई छिन आ देस छुित जयतिन ?82


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्सूयः(िवर वरमे) मनुख एखन तन-मन-धन लगा क’ देवताक पूजा करैत अिछ-- मरलाक बाद वगजयबाक लेल। जीबैत वग जयबाक कपनो निह करैत अिछ। मनुखक बेटीकेँ ी बना क’वग ल’ जाय लगबैक तँ ओ भाव रहतैक ?कु तीः (अितभ वरमे) तखन मनुखक कयाक संग सपक कएक करैत छी ?सूयः(हँिस) आनदक लेल ? मनुखके ँ मनुख बना क’ राखैकलेल।कु तीः(गवरत वरे ँ) आ जँ संतान भ’ जाइत होइत त’ ओ मनुखे भ’ क’ रहैत होयत।सूयः हँ, मनुखक पेटक देवता कोना होयत ? 5अरिवद कु मार ‘अकू ’ क नाटक ‘र’ (1992) मे अवैध सतानोपितक भयावह परणाम सँ समाजकेँ एकटाचेतावनी देल गेल अिछ। एिह घृिणत सामािजक िवभीिषका पर नाटककार कहेन काश देने छिथ से िथक-----कसुनः “तोहर तँ गपे अनटटेल होइछ। हौ सड़कक कातमे गरीबक नै तँ धिनकक नेना फके ल रहतैक?” 6तृि नारायण लालक नाटक ‘सपत’ मे समाजक एक दुःचर ि ीकात, हरजन युवती नीलमकेँअपन ेमजालमे फँ सा ओकर सतीव भंग करैछ जािह करणे ँ ओ समाजमे मुँह देखयबाक योय निह रिह जाइतअिछ। अततः कोठा परक नारकय जीवन जीबाक लेल बाय होम’ पड़ैत छैक।महे मंगिगयाक ‘लमण रेखा खिडत’ मे सेहो एिह िवषय पर दृिपात कयल गेल अिछ----83


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्मनोजः“हँ, एना सकपके लेँ कएक ? दरोगा सािहब इएह ओ शैतान छी जे कतेको बेटी-पुतोक इीके ँ लोभआ बलाकारसँ करैत आयल अिछ। गाममे हरदम एकटा ने एकटा उधवा मचबैते रहैतअिछ जािहसँ लोक अशांत अिछ।” 7एिह तरहे ँ कहल जा सकै छ जे आधुिनक समाजमे नारीके ँ कहक लेल भनिह देवी आ दुगाक दजा देल गेलअिछ, मुदा पुषक वासना िशकार ओ कोना भ’ रहल छिथ एिह िवषय वतुकेँ मैिथली नाटककार बड़ सजीविचण कयने छिथ।बाल िववाहबाल-िववाहक तापय िववाहक ओिह थासँ अिछ जािहमे रजोदशन सँ पूविह कयाक िववाह कइल जाइत अिछ।अनेक धमशाक नामपर मयकालिहसँ जािह िवासकेँ बढ़ावा देल गेल जे कयाके ँ रजवला होम’ सँ पूव जँिववाह निह कयल गेल तँ एिह सँ माता-िपताकेँ महापाप होइत छैक। एहन िववाह कतके हायापद अिछ सेएिह बातसँ प भ’ जाइत अिछ जे हमरा कोनँ मूल धम ंथमे बाल-िववाहक कोनँ िनदश निह देल गेलअिछ । तथािप ई वथा आइयँ िमिथलामे ा अिछ। बाल-िववाहक चलन मैिथल समाजमे चाहे जािहपरिथितसँ भेल हो मुदा एिह कु थाक कारणे ँ आइ समाजमे कतोक कारक गंभीर दोष उप भ’ गेल अिछ।एक दस जँ कयाक अपरप आयुमे नेनाक पालन-पोषणक भार आिब जाइत अिछ तँ दोसर दस दुबलवाय हेबाक कारणे ँ लाखक लाख मायक मृयु सवक समय भ’ जाइत छैक। एिह समयाक कारणे ँ मैिथलसमाजक कयामे िशाक दर बत िन भ’ गेल छैक कएक तँ बाल- िववाहक कारणे ँ ने त’ ओ िशा ा क’सकै त अिछ आ ने एकरा जरी बूझल जाइत अिछ। एिह थाक कारणे ँ िववाह एकटा संयोग मा बिन कए रिह84


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्गेल अिछ। एिहमे उिमरक असमानता हेबाक कारणेँ एक दस जँ यौन-िलसा अतृ रिह जाइत अिछ तँ दोसरदस बाल-वैध आ तकर परणामवप वेयावृित आद सन समयासँ समाज िसत भ’ जाइत अिछ। एहनािथित मे नारीक जीवन नारकय भ’ जाइत अिछ। मैिथली नाटकमे बाल-िववाहक समया ल’ क’ कतोकनाटककार अपन ना रचना कयने छिथ, एिहमे एकटा बानगी तुत अिछ ‘िवेणी’ क नाियका दुगाक जिनकिववाह छओ वषक उिमरमे पतालीस वषक बूढ़सँ क’ देल जाइत छैक । कयाक िपता मधुकात पह हजारटकाक लोभमे अपन फू ल सन कयाक िववाह एहन वरक संगे क’ दैत छिथ जे िववाहक चारये मासक पात् ओिवधवा भ’ जाइत अिछ। नाियका दुगा जखनिह बायावथाकेँ पार कए युवावथामे वेश करैत छिथ नकदेओर नरेश नका अपन वासनाक िशकार बनाब’ चाहैत छिथ जे दुगाकेँ माय निह छिन। अततः ओकरा शरीरपर पेोल ढ़ार कए आिगमे वाहा क’ देल जाइत छैक। कयाक भावी दुदय िथितक िचण नक मायमधुकलाक शदमे एना देखल जा सकै छ--मधुकला—“(उ भावे ँ) बाप रे बाप ! एहन अहेर गप कतँ सुनल अिछ। एक दस छओ वषक पी आदोसर दस पतालीस वषक पित। बड़ अहेर होइत अिछ। हमर बेटीके ँ ओ बाप सदृश बुिझपड़तैक, निह क पित सदृश। हम अपन बेटीक िववाह ओकरासँ निह करब।’’ 8मुदा आयक िवषय िथक एखन समाजमे बाल िववाह भ’ रहल अिछ जकर दुपरणाम समाज भोिगरहल अिछ मुदा ओकर आँिख निह फु जैत छैक।दहेजमैिथल समाजमे घरेलू हसाक सबसँ ापक प दहेजक कारणे ँ नारीकेँ देल गेल यातना आ ओकरहयाक पमे आयल अिछ। आयक गप िथक जे दहेज िनरोधक अिधिनयम बिन गेलाक पातो िविभसमुदायमे कया पसँ बेसीसँ बेसी दहेज ा करबाक चलन समाजमे बढ़ये रहल अिछ। अिधकांश माय-बापवर-पक इछानुकू ल दहेज देब’ मे असमथ रहैत छिथ। िववाहक पातो िविभ अवसर पर कयाक माता-85


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्िपतासँ ओकर सासु-ससुर ारा िविभ वतुक माँग करब एक वाभािवक या बिन गेल अिछ। जँनविववािहता अपन माय-बापसँ ओ वतु निह आिन सकै त छिथ तँ ओकरा सासुर प ारा कतोक कारकममपश ताना सुन’ पड़ैत छैक। बात-बात मे ओकरा अपमािनत कयल जाइत अिछ। ओ भाँित-भाँितक लाँछनसेहो लगाओल जाइत छैक। एतबे निह ई या ता धर चलैत रहैत छैक जाधर ओ सासुर वलाक इछाकपूत निह क’ दैछ।दहेजक कारणे ँ भारतीय नारीक के हन दुदशा होइत छैक तकर िचण हमरा सुधांशु ‘शेखर’ चौधरी क‘लेटाइत आँचर’ क नाियका ममताक कण चीकार मे भेटैत अिछ---ममता : “अहाँ हमरा खामे फे क देल। ओकरा रेिडयो, साइकल नै देिलयै, ओ दोसर मौगी बेसािहआनलक। बाबू अहाँ देखिलए ऐ ओकरा ? हम एतिहसँ सभ दन देखै िछयै। ओ सब दन हमरालग अबैए, सब दन हमरा छाती पर आिब कए बैिस जाइए, हमरा छाती पर बैिस कए जाँतिपसैत रहैये । अहाँ ओिह मौगीकेँ किहयो देखने िछयै ?” 9पया दहेज निह देबाक कारणे ँ ममता सन नारीक के हन िवि अवथा भ’ जाइत छैक से वतःअनुमान कयल जा सकै छ। एतबे निह एिह पैशािचक वथाक ित मोनमे ततेक ने डर समा जाइत छैक जे ओदोसरकेँ एिह परणामक भिवय भोा पमे देिख िसहर जाइत छैक—ममता : “भैया, बाउक ससुर जँ बाउकेँ मेटरसाइकल नै देतै तँ बाउअपन किनयाकेँ छोिड़ देतै ? एत’किहयो नै आब’ देतै ?......अहाँ नै बाजै छी बाउ, तोह कह’ छोिड़ देबहक ?” 10जािह परवारमे ममता सदृश दहेजक मारिल कया छैक ओहो अपन पुक िववाहमे टकाक लेन- देनउिचक बुझैत छिथ। ितलक दहेजक कारणे ँ मैिथल ललनाके ँ एहन दुपरणाम भोग’ पड़ैत छैक जे “किनयाँ –पुतराक” नाियका सयानाशी दहेज थाक मारसँ बतािह भ’ जाइत अिछ, जािहसँ सवगुण संप भेलो उर86


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्ओकरा पित ारा दापय सुख निह भेटैत छैक। फलवप यौवनावथामे ओ बतािह भ’ किनयाँ- पुतराखेलाइत रहैत छैक। िथक ओकर इ वेदना आ अतृ लालसा---िनमला--- “ठगै छी। (मायसँ) सुनही माँ ! िपपही बाजै छै क निह.....? माँ किनयाँ पुतराक िववाह हेतैक क वरकयाक ? निह, निह किनयाँ-पुतराक...किनयाँ-पुतराक ह- ह- ह- ह-” 11पया दहेज निह लयबाक कारणे ँ कयाकेँ एतेक तािड़त कयल जाइत अिछ जे ओ ायः आमहयाधर क’ लैत अिछ। एतबे निह कखन-कखन तँ दहेजक लोभमे लोक अपन पी के ँ घरक आन सदयक संगिमिल कए हया सेहो क’ दैत छैक। एहन भावनाक परचय हमरा मिणप िलिखत एकांक नाटक ‘तेसरकिनयाँ’ मे भेटैत अिछ जािहमे दहेज ा करबाक लेल तण पीढ़ी एवं ओकर माय-बाप नरभी बिन दू-टाकयाकेँ सुाह क’ देलक। एतय दहेज पीिड़ताक कण चीकार सुनल जा सकै त अिछ----षोडसीः “हम जीबय चाहै छी राजा, जीबय चाहैत छी, हमरा खोलबादअ। राितए एिह रोगी वृसँ हमरिववाह एिह कारणे ँ भेल जे हमरा सुलणा हेबाक कारणे ँ ई निह मरताह। हाय रे सुलणा !राितमे िववाह भेल आ आइ हम जरय जा रहल छी।वृाःचुप पिपिनयाँ।षोडसीः हमरा बचा िलय राजा, हम जीबय चाहै छी।” 12एिह कु था आ अनैितक ापारसँ ुध भ’ नाटककार वयं कहैत छिथ—“आरे ितलक आ दहेजक िपशाच, एिह देशक नारीवकेँ आ िसनेहसँ पोसल बेटी सभकेँ सुआद-सुआद खो।” 1387


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्भारतक संदभमे दहेजक कारणे ँ घरेलु हसाक समयाकेँ एिह चकाब’ वला तयसँ बुझल जा सकै तअिछ। मानव संसाधन िवकास मंालयक एकटा आँकड़ासँ प होइछ जे एतय ितदन सोलह नारीक दहेजककारणेँ हया होइत छैक, लगभग सर ितशत ामीण आ नगरीय परवार एहन अिछ जािहमे कोनो ने कोनोपमे नारीक िव हसा भ’ रहल छैक।वेयावृिवेयावृि भारतीय समाजक क सर िथक। एिह वलंत समयासँ हमर समाज तेनाने िसत अिछ। जे नेओकरा आमसात करबाक शि छैक आ ने ओकरा अत करबाक सामय छैक। एतबा तँ िनववाद पेँ वीकारकयल जा सकै छ जे यो नारी जमजात वेया निह बनैत अिछ, युत परिथितक मारक कारणेँ ओ एिहधधाकेँ वीकार करैत अिछ जकर कितपय सामािजक पृभूिम िथक जे एकर िनमाणमे समान पेँ सहयोगदान करैत आयल अिछ। वेयाक ने सामािजक मयादा छैक आ ने सामािजक ाणी ओकरा इितक दृिसँदेखैत अिछ। तथािप ओकर समािजक प एहन अिछ जे यो वेछया तँ यो परिथितसँ लाचार भ’ समाजमेजीिवत रहबाक हेतु एिह धधाकेँ वीकार क’ लैत अिछ। उकष युगक मैिथली नाटककार नारीकेँ उछृंखल ओवछद पमे देखबाक आकांी निह छिथ, कएक तँ जीवनक गहन अययनक पात् ओ अनुभव कएलिन जेसमाजक आधार नारी िथक। कतु ीक ित पुषक कु िसत मनोवृिमे अािप कोनो परवतन निहदेखबामे अबैत अिछ। पारवारक जीवनमे अपन अितवसँ सता आ संतोष उप कएिनहार नारीकेँ डेग-डेग पर पितसँ समझौता करय पड़ैत छैक।आधुिनक समाजमे कितपय एहन पित छिथ जे पीके ँ पी निह बुिझ के वल हार-माँस वाली नारीक पमेदेखैत छिथ। ओ अपन वाथ िस करय लेल पीके ँ अनुिचत यौन ापार कर’ लेल ोसािहत करैत अिछजकरा वेयावृिक नाम देब सवथा उिचत बुझना जाइत अिछ। नोकरीमे पदोित ा करबाक लेल नारीकसदुपयोग करबाक वृिक ददशन हमरा निचके ताक ‘नाटकक लेल’ मे भेटैत अिछ। एकर पा शंकर सतीकेँवेयावृिक दस धके िल रहल छिथ। सतीक संकार इछा एवं मानिसकता सवथा एकर िवरोध करैत अिछ,88


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्कतु पुष धान समाजमे ओकर महव निह रिह जाइत अिछ। ओ अपन इछाक ितकू ल पर-पुषक अंक-शाियनी बनैत अिछ जे ओकर िनरीहताक परचायक कहल जा सकै छः-सतीः “(ोधसँ असंवृत भए चीकार करैत)अहाँ हमरा वेया बना रहल छी,अहाँ अपन ेमके ँ बेिच रहल छी,अहाँ हमरा समत ेम-ीितक गला घट देने छी, अहाँकहाथमे तकर चेह अिछ। मताक लालसामे अहाँक सभबातसँ दुगध बहरा रहल अिछ।” 14नारी शोषणक िव अपन नाटक ‘नायकक नाम जीवनमे’ निचके ता समाजपर ंय कयने छिथ।नवलः “हम निह जनैत रही, हमर मुहलाक मानल लोक सब राितक पहरमे जािह कोठा सबसँ घुरिथछलिथ ओिह महक वेया सब कालू सरदारक अधीन छैक।’’ 15चौधरी यदुनाथ ठाकु र ‘यादव’ क नाटक ‘दहेज’ मे सेहो वेयावृिक िच उपिथत कएल गेल अिछ।नाटकक नायक रघुनदन अपन िववािहता पी दुलरीकेँ छोिड़ मोती (वेया) क संग वेयागामी भ’ जाइतअिछ--रघुनदनः “तुहारी और तुहारी खुबसुरती के अलावा मेरे िलए सोचने का मसाला ही कौन सा है ?मोतीः(सलाम करैत) म िनहाल ई मेरे राजा।89


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्रघुनदनः िनहाल य आ जाता है ? मेरे पहलू मे बैठो, मेरे जलते ए िजगर पर मरहम डालो। तर होने दोमेरे यासे लब को, अपने लव और शरबते अनार से।” 16एिह तरहँ हम देखैत छी आजुक समाजमे कोना नारीके ँ िववश कयल जाइत छैक वेयावृिक लेल। उमेषयुगक नाटककार एिह रोगक पदाफाश कयलिन ओ संगिह चेतावनी द’ रहल छिथ एिह कु थाके ँ सुधारबाक हेतु।ी - पुष संबंधक नव आयामवतमान समयमे हमरा समाजमे येक तर पर भ’ रहल परवन के ँ लित कयल जा सकै त अिछ। ईपरवतन नवीन िवचारधाराकेँ जम देलक जािहसँ ी-पुषक संबंधके ँ बेसी भािवत कयलक । हमरा समाजकधूर परवार िथक आ परवारक धूरी पित-पी। एिह तरहे ँ ओकरा आपसी संबंधमे आयल परवतनक भावपरवार ओ समाज पर पड़ब वाभािवके अिछ। ारंभमे पित ओ पीक परपर रतामे पितकेँ ऊँ च थान ाछलैक आ ओकर तुलना परमेर सँ कयल जाइत छलैक। िशाक अभावमे पीक जीवन पूणपे ँ पित परआित छलैक एिह कारणे ँ ओ पितक संग अपन संबंधमे कोनो तरहक परवतन लाब’ मे असमथ छलीह। जँ पितअपन अिधकारक दुपयोग क’ ओकर उपेा ओ ितरकार करैत छल तैय ओकरामे ओतेक साहस निह छलैकजो अपन संग भ’ रहल अयायक ितकार क’ सकय।90


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्जेना-जेना िशाक ित नारीक जागकता बढ़ल गेलैक आ नारी िशित होमय लगलीह तिहना-तिहनापित-पीक परपर रता सोहो भािवत होमय लागल। कएक तँ िशा नारीकेँ अपन अितव आ अिधकारकित जागक बनैलक। जखन ओकरामे अिधकारक ित जागकता बढ़लैक तखन ओकरा लेल आवयक भ’गेलैक जो ओ अिधकारक रा करय आ अयाय भेला पर ओकर िव अपन आवाज उठा सकय। आ ई तखनेसंभव अिछ जखन ओ आमिनभर हो, परणामवप नारी िशित होमक संगिह-संग आमिनभर सेहो होमलागल। गोिवद झाक नाटक ‘बसात’ मे हमरा एिह दृिकोणक आभास भेटैत अिछ। एिह नाटकक नायककृ णकात एक आदशवादी युवक छिथ। नक िपता फलहारीक पुी फु लेरी सँ नक िववाह कर’ चाहैत छिथ,मुदा कृ णकात अिशिता फु लेरी पर अिशत होयबाक कटा करैत छिथ आ घरसँ पड़ा जाइत छिथ।फु लेरी एिह अपमानकेँ एकटा चुनौतीक पमे वीकार करैत छिथ तथा ओ घर सँ बाहर भ’ िशा ा करैतअिछ आ समाज सेवा करैत अिछ। जोतखीजी ारा पुपा (फु लेरी) क चरके ँ उाटत करैत छिथ-----बमबाबा--- “वाह वाह ! बेटी, तोहर सफलता पर आइ हमरा अपार हष भ’ रहल अिछ, आ कतेक अबलाके ँसबला बना रहल अिछ। आब हमरा िवास भ’ गेल। आइ निह कािह तोहर िता अवयपूरा हेतौक—एक दन फे र िमिथलाक मिहला भारतक आदश मिहला कहाओत।” 17एिह तरहे ँ हम किह सकै त छी जे िशा ,पााय संकृ ित ओ सयताक भाव, ी-पुषकसमानता आ वतंताक भावना नारीमे वातंय भावक जम देलक। िव िवकासक संगिह संग ओकरबाहरी दुिनयाँ मे हतेप बढ़’ लागल एिह तरहे ँ नारीक बदलैत परिथित, समाजक बदलैत मूय दृि, नवनैितकता बोध, ी-पुषक परपर रताक आयामिह केँ बदिल देलक।91


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्पुषक ित िवोहक भावनाआधुिनक सामािजक मैिथली नाटक मय नाियकाक चरिवकासमे पुष-समाजक ित िवोहक वरअनुगुंिजत भ’ रहल अिछ। ओ परवारर ओ समाजक बधनके ँ ठोकर मारबाक हेतु एकर िवूप ओ परहासके ँयान निह द’ अपन िवक िवकासक हेतु िशा हण करबाक मता दस आकषत भेलीह अिछ। एहननारी अपन िवचार ओ अपन िवकेँ महव देलिन तथा वैवािहक बधनके ँ तोड़बाक हेतु तपर भ’ गेलीहजकर परणाम एतबा अवय भेल सामािजक परेयमे एहन परवारक जीवन अयिधक नारकय बिन गेलअिछ। एहन नारीक वंसामक ओ िवोहमक प अयंत सश अिछ। एिह हेतु मा पुषकेँ दोष निह देल जासकै छ युत ओिह समाज वथाक अिछ जािहमे हमर परंपरा बनल अिछ जकर फलवप नारी-पुषकवथ सामंजय अधुनातम संदभमे अयंत दुकर भ’ गेल अिछ। पुष िवरोधसँ सामािजक वथा पर आघातकरैत अिछ तँ संभवतः एकांगीकता ओ िविताक आरोप सँ नारी बाँिच सकै त अिछ। वतंयोर नाटककारकछु एहन नारी चरक अंकन कयलिन जे अपवाद भूत पमे चतुर कतृववान, मेधावी आ तेजवी छिथ।पुष नका सम दुबल ओ आमके ित देखाओल गेल छिथ। पी, पित पर हावी रहब ेयकर बुझैत छिथ---रजनीः--- “ँह....मान मयादा। अहाँके ँ जतेक िचता माय-बापक मान- मयादाक तकर दशांशो यद नकालोकिनकेँ अहाँक िचता रिहितयिह दँ बुिझतँ आइ धर ओ क कएलिन अिछ अहाँक लेल ?” 18ावहारक पसँ पुषक िवरोधक परणामके ँ अत धर ल’ जा कए िवचारब आवयक अिछ कएक तँवथ ओ मानवाली नारीक यौन- वासनाक पूतक समया एिहसँ सब अिछ। नारी वातंयक आकांासंभवतः पुषसँ पृथक रिहक पूण भ’ सकै छ , कतु नारीक नैसगक भावना कोना चरताथ हैत। एहन नारीवहार शूय भ’ जाइत अिछ तथा परिथितक अंतरंगताक अनुभव मताक अभाव रहैछ जािहसँ नकिवता िनरथक मािणत भ’ जाइत अिछ। एहन वपक वातिवक िच उपलध होइत अिछ परयकताममताक चरमे। िपताक हेतु सब सतान एक समान होइत अिछ मुदा ‘लेटाइत आँचर’ मे दीनानाथ अपन तीनूसंतानक ित तीन दृि रखने छिथ जकर वातिवकताक उाटन ममताक कथनसँ प भ’ जाइत अिछ---92


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्ममताः— “अहाँ बा भैयाके ँ दुरदुरौने रहैत िछयिन.... लाल भैयाक ललो-चपो मे लागल रहै छी....जे कािहडॉटर बनताह तिनका छनन-मनन खोअबैत िछयिन।” 19समाजक नव परवार छैक आ परवारक आधारिशला पित-पी। पित-पीक परपर िवास, समझदारीओ सहयोगिहसँ परवार सुखी भ’ सकै छ। जँ दुनूमे सँ एकँ पंगु भ’ जायत तँ परवारपी गाड़ीक दुघटना हेबाकसंभावना बढ़ जाइत अिछ। तािह हेतु आब पुषँ केँ सोच’ पड़तैिह जे नारीक संग मानिसक समायोजन आबअयंत आवयक भ’ गेल अिछ।िशाक ित नारीक बदलैत दृिकोणकोनो देश समाज अथवा जाित तावत धर सय निह बुझल जायत जाधर ओिह देश, समाज, अथवाजाितमे नारीक आदर निह हेतैक। जँ पुष देशक भुजा िथक तँ नारी दय, जँ पुष देशक हेतु दीप िथकाह तँनारी दीपकक तेल जँ पुष ारक सुदरता छिथ नारी घरक काश, जँ एकक िबनु ार सु लागैत अिछ तँएकक िबन घर अहार।वैदक युगमे पुीक िशाक ओतबे महव छल जतबा क पुक। ऋवेदमे िशित ी-पुषक िववाहिह केँउपयु मानल गेल अिछ। िपता ारा कयाकेँ अपन पुािहक भाँित िशित कयल जाइत छल आ कयाकेँ सेहोचय कालसँ गुजर’ पड़ैत छलैक। अथव वेदमे िलखल छैक जे “कया सुयोय पित ा कर’ मे तखने सफलभ’ सकै त अिछ जखन क चय कालमे ओ वयं सुिशित भ’ चुकल हो। कतोक नारी िशाक ेमेमहवपूण उपलिध ा कयने छलीह। एतय धर ओ लोकिन वैदक ऋचा धरक रचना कयने छलीह।93


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्लोपामुा, धोषा, िसकता, िनवावरी, िववारी आद एिह कारक िवदुषी नारी छलीह जिनक उलेखऋवेदमे भेटैत अिछ।वैदक यवादक ितयाक फलवप उपिनषकालमे एक नव दाशिनक आदोलनक ारभ भेल।ओिहमे नारीक सहयोग कोनो कम निह छल। ऋिष यावयक पी मैेयी परम िवदुषी छलीह। ओ धनकअपेा ान ािक कामना बेसी करैत छलीह। बृहदारयक उपिनषदमे उलेख अिछ जे यावयक दोसरपी कायायनीक पमे अपन सपितक अिधकार छोिड़ अपन पितसँ मा ानदानक ाथना कएलिन। एिहतरहेँ बृहदारयक उपिनषद् मे सेहो िवदेहक राजा जनकक सभामे गाग आ यावयक मय उ तरीयदाशिनक वाद-िववादक उलेख अिछ।उर वैदक कालमे समयक गितक संगिह-संग नारी िशाक ेमे शनैः शनैः ास होम’ लागल। कयाकेँसुिवयात आचाय ओ िस िशा के धर भेज’ मे समाजक उसाह कछु कम पिड़ गेलैक, ई िवचार बलभ’ गेल जे घरिह पर कयाक िपता, भाय अथवा आन कोनो िनकट संबंधी नका िशित करताह। परणामवप वाभािवक पसँ ओकर धामक अिधकार िशाक अिधकारमे ास होम लागल।कालमानुसारे शनैः शनैः नारीक ित पुषक बदलैत धारणाक कारणे ँ नारी वगमे अिशा ा भ’ गेल।मैिथल समाजमे एखनँ नारी िशाकेँ अधलाह मानल जाइत अिछ। नारी जगतमे िशाक अभावक कारणे ँओकर मूय एको कौड़ीक निह रिह जाइत अिछ। एिह संदभमे ‘बसात’ के ँ देखल जा सकै छ-“जे मिहला आजुक युगमे देहरसँ आगाँ पयर निह बढ़ा सकय एको कौड़ी अरिज निह सकय, एतेक तक जेककरँसँ भर मुँह बािज निह सकय तकरा जँ नाँगिड़ कही बलेल कही, बौक कही, गोबरक चोत कही त’ कोनोअनुिचत निह।” 2094


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्वातंयोर युगमे नारी मे आमिनभरताक वृित िवशेष पमे देखल जाइत अिछ, आब ओ गोबरक चोतबिन निह रह’ चाहैत छिथ कालीनाथ झा ‘सुधीर’ क नाटक ‘कु सुम’ क नाियका िपताक आासँ िशा ा करैतछिथ मुदा नक माय नका एिह लेल ितरकृ त करैत छिथ—कमला- “इ गप क िछयैक ? हमरा वंशमे आइ धर कोनो ी निह पढ़लक त हमर वंशमे दाग लगौले ँ।मौगीक काज िथक भानस, गीतनाद, कसीदा आ ओइसँ बेसी भेल तँ िची - पी िलखब । तोँ कबाप जकाँ अँगरेिजया बनब ?” 21‘बसात’ नाटकमे कृ णकात ारा िमिथलाक अिशित नारी पर ती हार कयल जाइत अिछ। ओअिशिता फु लेरी िववाह निह क’ पड़ा जाइत छिथ। फु लेरी कृ णकात ारा अपमािनत भेला पर अपनाकेँसुधारैत छिथ। िशा ा कय समाज सेिवकाक काज करैत छिथ। िशा ा क’ फु लेरी मैिथल नारीकमतक गवसँ ऊँ च करैत छिथ। िहनक चर ारा नाटककार मैिथल ललनाक िशाक ित जागकताक दसयान आकृ कयने छिथ। िशिता फु लेरीकेँ देिख जोतखी ारा नक शंसा कयल जाइत अिछ- बमबाबा—“वाह-वाह! --- बेटी तोहर सफलता पर आइ हमरा अपार हष भ’ रहल अिछ, आ कतेक अबलाके ँ सबलाबना रहल अिछ। आब हमरा िवास भ’ गेल। आइ ने कािह तोहर िता अवय पूरा हेतौ- एक दन फे रिमिथलाक मिहला भारतक आदश मिहला कहओतीह।” 22एिह तरहे ँ हम देखैत छी जे उनैसम आ बीसम शतादीक आरंभमे राजा राममोहन राय तथा आयसमाजक यसँ जािह नारी िशाकेँ आरंभ कयल गेल ओिहमे आइ ापक गित भेल अिछ, आ एिह िवषय केितपा बना कतोक मैिथली नाटककार िमिथलाक नारीमे िशाक ित दृिकोणमे परवतन आनबाक यासकयने छिथ। एिह यासक सकारामक भाव आजुक समाज पर य देखबामे आिब रहल अिछ। नारीकिशाक संदभमे ‘पिणर’ िलखैत छिथ। नारी िशा िवोहक ओिह कु ड़हिड़क धारकेँ तेज क’ देने अिछ जािहसँिहदु सामाजक जीवनक झाड़ी केँ साफ के नाय संभव भ’ गेल अिछ। 2395


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्िनकषमैिथली सामािजक नाटकक अययन आ अनुशीलनोपरात हम एिह िनकष पर पँचैत छी जे िवशेषक’ वातंयोर युगक मैिथली नाटककार सामािजक िववतनकेँ यानमे रािख िलखलिन जािहमे मुख वररहल अिछ नारी समया। यिप एखनँ िमिथलामे दुगा, काली, लमी, सरवती, जानक आदक पूजा कयलजाइत अिछ, तथािप आजुक नारी िविभ सामािजक कु थाक कारणेँ मजबूर छिथ, लाचार छिथ। एिहउपीड़नक जिड़ जँ खोजल जाय तँ हमरा जिनतेँ सभसँ भयावह िथित उप होइत अिछ दहेज आ िवधवा-िववाहक समयाकेँ ल’ क’ । यिप बाल-िववाह, वृ – िववाह, िबकौआ था एखनँ समाजसँ उठ निह गेलअिछ तथािप एिह दशामे जागकता अवये देखबामे आिब रहल अिछ। मैिथली नाटककार लोकिन नारीककािणक दशासँ िवत भ’ कए कतोक नाटक मय एिह समया सभकेँ लय बना नाटकक रचना कयने छिथजािहसँ समाज-सुधारक जागरण जोर पकिड़ सकय।मुदा एतय एकटा उपिथत होइत अिछ जे वातंयोर मैिथली नाटकमे सामाय नारीक ितिबबकतेक दूर धर प अिछ ? एिह कालाविधक नाटककार नारी-िचण आमीयता एवं सहानुभूितसँ निहकयलिन, युत पुषक दृिएँ कएलिन। वातंयोर नाटकमे नारीक िनेम जीवनक कथा िथक जे सामािजकितबधक अतवालामे झुलिस कए न भ’ रहल अिछ। पुषक आकांा, आदश ओ िनदयताकेँ टारब नकाहेतु असंभव भ’ जाइत अिछ। नारी जीवनक था, कठनता एवं कु ठाक िचण करबामे नाटककार तपरतादेखौलिन, कतु ओ समाजक हेतु िनयोजनीय तीत भ’ रहल अिछ। एिह कालाविधमे मैिथली नाटकमेनारीकेँ जतेक आदशवादी ढ़ंगसँ िचण कयल गेल अिछ, ततेक यथाथवादी दृिएँ निह।संदभ96


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्1. डेिवस, ए शॉट िही ऑफ वोमेन, पृ—1722. वण सकू जाक लेख, ‘मिहला सशकरण युग म िनरंतर अस होती नारी’, राधाकमल मुखजिचतन परंपरा, जुलाई—दसबर 2001, अंक—13. बसात, गोिवद झा, पृ—434. एकांक संह, सं. सुरे झा ‘सुमन’, जकशोर वमा मिणप, सुधांशु ‘शेखर’ चौधरी, मैिथलीअकादमी, पटना, 1977,पृ—1335. वएह, पृ—266. र, अरिवद कु मार ‘अकू ’, शेखर काशन, टेसटबुक कॉलोनी, इपुरी, पटना, 1992,पृ—207. लमण रेखा खिडत, महे झा, उपे झा, ाम- मलंिगया, दरभंगा, पृ—688. िवेणी, परमेर िम, िमिथला ेस, 1950,पृ—419. लेटाइत आँचर, सुधांशु ‘शेखर’ चौधरी, पृ—2510. वएह, पृ—6311. किनयाँ-पुतरा, गुणनाथ झा, पृ—2112. सपणा, सं. डॉ. देवे झा, पृ--2113. तेसर किनयाँ, मिणप, पृ---1614. नाटकक लेल, निचके ता, पृ—20-2115. नायकक नाम जीवन, निचके ता, अिखल भारतीय िमिथला संघ, 9/1 खेलात घोष लेन, कलका,1971,पृ—997


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्16. दहेज, चौधरी यदुनाथ ठाकु र ‘यादव’ पृ—4617. बसात, गोिवद झा, पृ—4718. एना कते दन, अरिवद कु मार ‘अकू ’, चेतना सिमित पटना,1985, पृ—1619. लेटाइत आँचर, सुधांशु ‘शेखर’ चौधरी, पृ—6320. बसात, गोिवद झा, पृ—1821. कु सुम, कालीनाथ झा ‘सुधीर’, पृ—322. बसात, गोिवद झा, पृ—4723. के . एम. पिकर,िमिथला मंथन- सुशात झा१.िमिथलांचल े िबहार मे सबस िपछड़ल मानल जाइत अिछ, अगर िति आय , सारता और सवकालमे जा-बा के मृयु के मापदंड बनायल जाय तो िमिथलांचल देश के सबस गरीब आ िपछड़ल इलाका अिछ।एकर कछु कारण त अिह इलाका के भौगोिलक बनावट अिछ लेकन ओिहयो स पैघ कारण एिह इलाका के मेकोनो नीक नेतृव के आगू नै एनाई अिछ। आजादी के लगभग 60 वष बीत गेलाक के बाद देश म जिह िहसाब सआथक असमानता बढ़ गेलैक अिछ ओिह म िबहार आ खासक िमिथला के सामने एकटा ब पैघ संकट छैक जेई और पाछू नै फे का जाय। उदाहरण के लेल ई आंकड़ा आंिख खोिल दै बला अिछ जे एकटा गोआ मे रहय बलाऔसत आदमी के िति आमदमी एकटा औसत िबहारी सं सात गुना बेसी छैक आ एकटा पंजबी के आमदनीपांच गुना बेसी छैक। िबहारो मे अगर ेबार आंकड़ा िनकालल जाय त िबहार के दिणी( एखुनका गंगा पारमगध आ अंग) एवम पिमी ईलाका बेसी सुखी अिछ, आ ओकर जीवनशैली सेहो दू पाई नीक छैक। त एहन मसवाल ई जे फे र रता क छैक। क िमिथलांचल के लोक एिहना दर-दर के ठोकर खाईके लेल दुिनयां म बौआईतरहता अथवा नको एक दिन िवकास के दशन हेतिह।िमिथलांचलक ई दुभाय छैक जे एकर एकट पैघ हमरा िहसाब सं आधा से बेसी इलाका बाढ़ म डूबल रहैतछैक। बाढ़ के समया के िनदान िसफ राय सरकार के मज सं निह भ सकै त बिक अिह म क सरकारके सहयोग चाही। िपछला साठ साल मे िबहार के नेतागण अिहपर कोनो गंभीर यान निह देलिह जकरनतीजा अिछ जे बाढ़ एखन तक काबू मे निह आिब रहल अिछ। िपछला कोसी के आपदा एकर पैघ उदाहरण98


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्अिछ, आब नेतासब के आंिख कनी खुललिह अिछ, लेकन एखन सं मेहनत के ल जायत त अिह मे कमस कम 20साल लागत।बाढ़ िसफ संपि के नाश निह करैत छैक, बिक आधारभूत ढ़ांचा जेना सड़क, रलेवे आ पुल के खम क दैतछैक। एहन हालत मे कोनो उोग के लगनाई िसफ दन मे सपना देखैक बराबर अिछ।कछु गोटाके कहब छहे जे िबहार मे उोग धंधा के जाल िबछाक एकर िवकास के ल जा सकै छ। लेकन जखनसड़क आ िवजिलये निह अिछ त के ना उोग आओत। दोसर बात ई जे िपछला अिवकासके चक फलवपआबादीके बोझ एतेक बढ़गेल अिछ जे पूरा इलाका मे कोनो खाली जमीन निह अिछ जतय पैघ उोग लगायलजा सकय। सगूर के उदाहरण सामने अिछ। महाशिशाली वाममोचा के सरकार के जखन बंगाल मे 1000एकड़ जमीन नै खोजल भेलैक त एकर कपना थ जे दरभंगा आ मधुबनी मे सरकार कोनो पैघ उोग केजमीन दै। दोसर बात इहो जे पूरा िमिथला के पी मे, मुजफरपुर सं ल क कटहार तक कोनो पैघ संथा-चाहेओ शैिणक होई या औोिगक- नै छै जे एकमुत 3-4 हजार लोग के रोजगार द सकै । हमरा इलाका मेशहरीकरण के घनघोर अभाव अिछ। जतेक शहर अिछ ओ एकटा पैघ चौक या एकटा िवकिसत गांव स बेसीनिह।एकटा ढंग के इंिजिनयरग या मेिडकल कालेज निह, एकटा यूिनवसटी निह। कालेज सब के हन जे 4 सालम िडी द रहल अिछ। एक जमाना मे िस दरभंगा मेिडकल कालेज मे टीचर के अभाव छैक आ कालेज जंगखा रहल अिछ। हम सब एहन अकमय समाज छी जे कोसी पर एकटा पुल बनबैक मांग तक नै के लं,हमर नेताहमरा ठगा देखबैत रहला। आब जा क रेलवे आ रोड पुल के बात भ रहल अिछ।कु ल िमलाकर इलाका मे िसफ8-10 ितशत लोक शहर म रहैत छिथ, ई ओ लोक छिथ िजनका सरकारी नौकरी छिह। ई शहर कोनो उोगके बल पर निह िवकिसत भेल। बाक आबादी-लगभग 40 ितशत दली आ पंजाब मे अपन कमती मऔने-पौने दाम मे बेच रहल अिछ। िमिथला के म पंजाब मे लाईओवर आ शापग माल बनाब मे खच भरहल अिछ, कारण क हमसब एहेन माहौल निह बनौिलएक जे ओ म अपन घर मे नहर या सड़क बनब मेखच ए।तखन सवाल ई जे फे र उपाय क अिछ। हमरा ओतय पैघ उोग निह लािग सकै छ, रोड निह अिछ बाढ़ केसमया िवकराल अिछ, त हमसब क करी। लेकन निह, िमिथला के िवकास एतेक पाछू भ गेलाक बाद एखनकयल जा सकै छ। आ अिह िवषय मे कय टा िवचार छैक।कछु गोटा के कहब छिह जे एखुनका िबहारक सरकार मगध आ भोजपुर के िवकास पर बेसी यान द रहलछैक। एकर वजह जे सा मे पैघ नेता ओही इलाका के छिथ, लेकन दोसर कारण इहो जे ओ इलाका बाढ़त99


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्निह छैक। पैघ ोजेट के लेल ओ इलाका उपयु छैक। उदाहरणवप-एनटीपीसी, नालंदा यूिनवसटी आआयुध फै ी-ई तमाम चीज मगध मे अिछ। दोसर बात ई जे नीक कनेिटिवटी भेला के कारणे भिवय मे जेकोनो िनवेश िबहार मे हेतैक ओ सीधे एही इलाका मे जेतैक। कु लिमलाक आबै बला समय मे िबहार मे ेीयअसमानता बढ़य बला अिछ। एिह हालत मे कछु गोटा अलग िमिथला रायक मांग क रहल छिथ, आ हमराजनैत संकृ ित स बेसी -अपन आथक िवकास के लेल ई मांग उिचत अिछ।िमिथला के िवकास के माडेल क अके चाही।िमिथला के जमीन दुिनया के सबस बेसी उपजाऊ जमीन अिछ।हमसब पूरा भारत के सागसजी आ अनाज सलाई क सकै त छी। लेकन ओ सजी दरभंगा सं दली कोनाजायत। एिहलेल फोरलेन हाईवे आ रेलवे के रेजेरेटर िडबा चाही। दोसर गप हमर इलाका के एकटा पैघरकम दोसर राय मे इंिजिनयरग आ मेिडकल कालेज चल जाईत अिछ। हमरा इलाका मे 50 टा इंिजनीयरगकालेज आ 10 टा मेिडकल कालेज चाही। ई कालेज भिवय म िवकास के रीढ़ सािबत होयत। हमरा इलाका मेछोट-छोट उोग जेना ाटवेयर डेवलपमट या पाटपुजा बनबै बला फै ी चाही जिह मे 100-200 आदमी केरोजगार भेट जाय। लेकन एिहलेल 24 घंटा िवजली चाही। ई कतेक दुभाय के बात जे बगल के झारखंडककोयला के उपयोग त पंजाब म िबजली बनबैक लेल भ जाय छैक लेकन हमसब एकर कोनो उपयोग निह करहल छी। आई अगर हमरा अपन इलाका मे 24 घंटा िबजली भेट जाय़ त पंजाब जाय बला मजदूर के संया मकम सं कम आधा कमी त पिहले साल भ जायत। भारत के दोसर राय िसफ आ िसफ अही इलाका के सता मके बले तर क रहल अिछ। हमसब ई जनतौ कछु निह क रहल छी, ई दुभाय के गप।िमिथला मे पढ़ाई िलखाई के ाचीन परंपरा रहलैक अिछ लेकन सुिवधा के अभाव मे ई धारा हाल मे कमजोरभेल अिछ। खासकर मिहला िशा के दशा-दशा त आर खराब अिछ। एकटा लड़क कतेको तेज कयेक ने रहेओ 10 सं बेसी निह पढ़ सकै त अिछ कारण घर के पास कालेज निह छैक। हमरा अगर तर करय के अिछ तइलाका मे एकटा मिहला यूिनवसटी त अवये अके चाही, संगिह सरकार के ईहो दाियव छैक जे हरेक लाकम कमस कम एकटा िडी कालेज के थापना ए। देश के िवकास मे अिह इलाका के संग कतेक भेदभाव के लगेलैक आ हमर नेतागण कतेक िनकमा छिथ-एकर पैघ उदाहरण त ई जे इलाका मे एकटा क ीय संथान निहछैक। एकटा यूिनवसटी निह, एकटा कारखाना निह। आब जा क कटहार मे अलीगढ यूिनवसटी, दरभंगा मआईआईआईटी आ बरौनी मे फे र सं खाद कारखाना के पुनजिवत करैक बात कयल जा रहल अिछ। हमरा यादअिछ जे साल 1996 तक दरभंगा तक मे बड़ी लाईन निह छलैक। हमसब कु लिमलाकर कोनो तरहक संपि केिनमाण निह करैत छी। हमसब अपन आमदनी दोसर राय भेज दै िछयैक-बेटा के बंगलोर मे इंिजनीयरग करबैसं ल क दयासलाई तक खरीदै मे। हमर पूंजी अपन राय, अपन इलाका के िवकास म निह लािग रहल अिछ।एिह िथित के जाबत काल तक निह बदलल जायत हम कछु निह क सकै त छी।100


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्२.वीण आई अमेरका चिल गेल। ओकरा एल एंड टी के ोजेट पर िशकागो पठा देल गेलै। लेकन ओकरा संगपढ़ैवाली पूनम के भाय ओहन निह छलैक। ओ दू बा के मां बिन अपन वामी के सेवा म अपन जदगी िबतारहल अिछ। िबतला समय याद करैत छी त लगैत अिछ जे पूनम के संग बड अयाय भेलैक। बात सन् 95के हतैक, हमर बोड के रजट आिब गेल छल। ओिह समय पूनम आ वीण छा म पढैत छल। जािह कू ल मपढ़ैत छल ओिह म चार टा माटर छलैक जे बेसीकाल खेितए बारी म लागल रहैत छलैक।पूनम लास म फट अबैत छल आ वीण सेक ड...लेकन छा के बाद वीण के बाबू जी ओकरा ल क कटकचिल गेलिखह जतय ओ एकटा दुकान म काज करैत छलिखह। पूनम के घरक हालत अपेाकृ त ठीक छलैक,ओकर बाबूजी सरकारी सेवा म छलिखह, लेकन पूनम दसव से आगू निह पढ सकल। ओकरा इंटर म मधुबनीके झुमकलाल मिहला कालेज म नामो िलखा देल गेलैक लेकन बाद म ओ आगू नै पढ़ सकल। लेकनवीण राउरके ला सं इंजीनरग के लाक बाद एल एंड टी म लेड भ गेल आ कं पनी ओकरा िशकागो पठा देलकै ।एक दन हमर दीदी पूनम के पूछवो के लकै क जे ओ कयेक ने बीए म नाम िलखेलक, त पूनम के जवाब छलैकजे ओकर मां-पपा के बीच ओकर पढ़ाई के ल क िनत दन घघाउज होइक। ओकर बेसी पढ़नाई पूनम के िववाहम बाधा बिन रहल छलैक। तीन बिहन म सबस पैघ पूनम के दहेज एकटा ब पैघ समया छलैक। दू साल केबाद पूनम के िववाह भ गैलैक आ जे पूनम लास म फट अबैत छल ओ जीवन के दौड़ म सदा के लेल सेक ड भगेल। पूनम के तमाम टैलट आब िसलाई-कढ़ाई आ वेटर के नब िडजाइन सीख म खप लगलैक।आई हमरा गाम म वीण के टैलट के धूम मचल छैक। िमिथला के तमाम दहेजदाता ओकर दरवाजा पर आिबचुकल छिथ, लेकन सवाल ई जे क पूनम के आगू नै पढ़ पबै म क िसफ दहेज टा एकटा कारण छलैक या कछूआउर...? मािन िलय जे दहेज निहय रिहतैक त क पूनम के अपन घर लग नीक कालेज भट जयतैक ? हमसोचैत छी जे यद पूनम के जम कनाटक या के रल म भेल रिहतैक त भ सकै छ ओ इंिजनीयर बिन जाईत आ101


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्एल एंड टी ओकरो िशकागो भेिज दैतैक। लेकन ई सवाल एखनो नीतीश कु मार अतबा अजुन सह के एजडा मनिह छिह। नै जािन कतेको लाख पूनम आई िचिचया-िचिचया क ई सवाल अिह वथा सं पूिछ रहल अिछ।हमर ई पोट हदी के हमर लाग आपाली(amrapaali.blogspot.com)...ओिह पर एकटा टपणी अिछ जेसब साधन सबके निह देल जा सकै त छैक, आगू बढ़य बला के खुदे के िजजीिवषा अके चाही। लेकन हमरकथन ई अिछ जे वीण के संग कोनो जीिजिवषा निह छलैक-ई पुष धान समाज के एकटा दुखद अयाय छैकजे हजारो वीण के त कोटा स ल क बंगलोर तक डोनेशन पर भेज देल जाइत छैक लेकन लाख पूनम एखनआशाके बाट जोिह रहल अिछ। क ई सरकार के कत निह छैक जे ओ पूनम सब के उिचत पढ़ाई के वथाकरैक..?.ई कतेक दुभाय के र बात अिछ जे िबहार म एखन हाईकू ल खोलै पर ितबंध लागल छैक। एखन 5 कलोमीटरके दायरा म िबहार म एकटा हाईकू ल छैक। कोनो लड़क के लेल ई कोना संभव छैक जे ओ पांच कलोमीटरपढ़य लेल हाईकू ल जाय। आब िबहार सरकार हाईकू ल म लड़क सबके साइकल द रहल छैक लेकन क िसफहाईकू ल तक के पढ़ाई उपयु छैक..? दोसर बात ई जे िबहार सनहक राय म जतेक सामाय ेजुएशन केसीट नै छैक, कनाटक आ महारा म ओिह स बेसी इंिजनीयरग के सीट छैक।एखन तक राय म एकोटा मिहला िविवालय आ तकनीक िविवालय नै छैक। अके ती ई चाही छल जेिबहारल म 20-25 साल पिहनिह हर िजला- आ लाक म एकटा कालेज खोिल देबाक चाही छलैक। आब केजमाना त इंिजनीयरग आ एमबीए कालेज खोलक छैक। एहन हालत म ओिह खाई के के भरत जे िबहार आदोसर राय के बीच म बिन गेलैक अिछ। फे र वेह सवाल सामने अिछ- क अबैयो बला समय म पूनमइंिजनीयरग कालेज म जेती....?भानस भात102


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्- नीिलमामखानक खीरसामी- दूध-१ १/२ कलो, िची-१०० ाम, मखान कु टल- १०० ाम, इलाइची पाउडर- वाद अनुसार,काजू- १० टा, कशिमश-२०टाबनेबाक िविध- मखानक पाउडर (कनी दरदरा)क पिहने १/२ कलो ठंढ़ा दूधमे घोर िलअ, शेष दूध के ँ खौलािलअ। आब गम दूधमे ई घोड़ल मखानक िमण िमला दयौक आर करौछसँ लगातार चलबैत रिहयौक जािहसँिमण पेनीमे बैसय निह। जखन खौलय लागय तँ ओिहमे िची, काजू, कशिमश सभ दऽ कय अितममेइलाइची पाउडर खसाऽ कऽ िमलाऽ कऽ उतािड़ िलअ। मखानक खीर तैयार अिछ।नोट:- मखानकेँ सुखलो भुिज कऽ कु ट सकै त छी वा घीमे सेहो भूिज कए कू ट कऽ पाउडर बना सकै त छी।मेथीक परोठासामी:-आटा-२५० ाम, बेसन-१०० ाम, रफाइन-२५० ाम, मथी साग-५०० ाम, हरअर मेरचाइ-४टा, आदी- १ इचक टुकड़ा, धनी-पात आऽ नोन-अंदाजसँ।िविध- मथीकेँ साफ कऽ कए धोऽ िलअ। महीसँ काट कए लोिहयामे कनी तेल दऽ कय मथी पात खसा दयौक।कनी भाप लािग जाय तँ ओिहमे काटल हरयर मेरचाइ, आदी घसल, धनी-पात काट कय आऽ नून िमला कयएिह िमणके ँ बेसन फेँ टल आँटामे िमला दयौक। आँटाकेँ कनेक कड़ा कऽ सािन िलअ। पराठा बेल कए तवापरकम आँचपर रफाइन लगा कए सेक िलअ। खाता मेथीक पराठा तैयार भऽ गेल।नोट:- अहाँ काँच मथी पात कऽ मही काट कऽ, िपयाजु सभ िमला कऽ सेहो आँटा सािन सकै त छी।मुगलई कोबी103


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्सामी:-कोबीक टुकड़ा-१/२ कलो, िपयाजु महीन काटल-१कप टमाटर, कदूकस कएल-१ कप, हरयरमेरचाइ-आदीक पेट-१ चमच, नून वादानुसार, लाल िमरचाइक पाउडर-१/२ चमच, धिनयाँ पाउडर-१चमच, हरद- १ चमच, गम मसला-१/२ चमच, अमचूर-१/२ चमच, जीर-१/२ चमच, मलाई-१/२चमच, टोमेटो सॉस- १ चमच, रफाइन तेल-२ चमच।िविध:- कोबीक टुकड़ा धोऽ कऽ चालिनमे आधा घंटाक लेल रािख दयौक, जािहसँ एकर पािन िनकिल जाय। फे रलोिहयामे तेल गम कऽ कोबीकेँ हका गुलाबी ाइ कऽ िलअ आर एकटा पेपरपर िनकािल िलअ, जािहसँ तेलिनकिल जाय। एक पैनमे तेल ढा। ओिहमे जीर दऽ कए िपयाज आऽ आदीक पेट दऽ कय भुिज दयौक। आबसभ टा मसला दऽ कय कनी देरमे आर भुिजयौक। मलाएके ँ मैश कऽ दऽ दयौक, सॉसकेँ सेहो दऽ दयौक आरनीकसँ िमला दयौक। आब एिहमे कोबीक टुकड़ा दऽ कय चमचसँ िमला दयौक। फे र एक बाउलमे ओकरािनकािल कऽ ऊपरसँ गरम मसला आर धिनयाँ (धनी) पात सजा दयौक आर पड़िस िलअ।के सर पुलावसामी:- २ कप बासमती चावल, १ कप मटरक दाना, १ टुकड़ा दालचीनी, १ बड़ी इलायची, ४ टा लग, ४कप पािन, २ टेबुल पून घी, १/२ के सर, २ टीपून गरम पािन, एकटा िपयाजु लबा-लबा काटल, १ टी पूनजीर, २ टी पून नून।िविध:-के सरक गरम पािनमे फु लइ लेल दऽ दयौक। चाउरके ँ नीकसँ धोऽ कए फु लइ लेल दऽ दयौक। चाउरके ँनीकसँ धोऽ कऽ फु लय लेल दऽ दयौक। कु करमे घी गरम कऽ कए ओिहमे याज दऽ कए ाउन होय धर ाइ कऽकए लेटमे िनकािल िलअ। आब एिह गरम घीमे दालचीनी, जीर, इलाइची, लग आर नून दऽ दयौक। मटरके ँदऽ कए कनी चलाऊ आर चाउरके ँ पािनसँ िनकािल अहीमे दऽ दयौक। ऊपरसँ िपयाजु आ के सर सेहो दऽदयौक। ४ कप पािन दऽ कय एक सीटी आबए तक पकाऊ। गरम-गरम के सर पुलाव, रायता वा कोनो रसगरतरकारी संग खाऊ।मूरक परोठासामी:- आँटा-२५० ाम, बेसन-१०० ाम, मूर-२५० ाम, रफाइन तेल-१०० ाम, जमाइन-मंगरैल-अंदाजसँ। आदी-१ इच टुकड़ा, धनी-पात-दू डाँट, हरयर मेरचाइ ४ टा, नून- अंदाजसँ।104


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्िविध:- मूरके ँ धोऽ कऽ कदूकस कऽ िलअ। लोिहयामे कनी तेल दऽ दयौक। गम भेलापर ओिहमे मूर आ सभमसला खसा दयौक आ ढ़नसँ झाँिप दयौक। कनी भाप आिब जाएत, ओकरा िनकािल कऽ ठंढ़ा हेबय दयौक।आब एिह िमणमे नून िमला कय बेसन िमलल आँटामे िमला कऽ सािन िलअ। गोल-गोल पातर-पातर बेल कऽताबापर दुनू दस रफाइन लगा कए सेक िलअ। मूली पराठा तैयार भऽ गेल।मूरक परोठा बनेबाक एकटा आर िविध अिछ, अहाँ मूलीक कदूकस कऽ कए ओिहमे सभ मसला िमला िलअ।आब ओकड़ा गािड़ कए एक दस रािख िलअ। आब आँटाक गोलीमे थोड़े मूलीक िमण लऽ कऽ नून िमला कऽभर िलअ आ बेल कऽ ताबापर रफाइन दऽ कऽ सेक िलअ।नोट:-एिह तरहेँ काँच अनरनेबा आ बधा कोबीक परोठा सेहो बना सकै त छी।३.प३.१. १.आशीष अनिचहार २.मधुप३.२. १.महेश िम "िवभूित"३.३.-१.योित-२.सतोषिम३.नवीननाथ झा३.४. िवनीत उपल३.५. पंकज पराशर३.६. १.िबनीत ठाकु र २.िनिमष झा ३.अमरे यादव१.आशीष अनिचहार२.मधुप105


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्आशीष अनिचहार-१. मनुखमनुख काज करैत जान अरोिप कएआफसमे, रोडपरवा कतौभर लैए टका जेबीमेिनकिल जाइए माक टग करबाक लेलकिन लबैएरेडीमेड खुशी वतु-जातक पमेक मनुखरेडीमेड भेल जा रहल अिछ?२.गजलजीवनमे ददक सनेश शेष कु शल अिछनिह कहब िवशेष शेष कु शल अिछअहरा सरकार चला रहल राजकाजछैक बौकक ई देश शेष कु शल अिछ106


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्देह बदलैए आमा निह सूिन िलअएहने छैक सरकारक भेष शेष कु शल अिछमुा आ थापड़क उपयोग के करतखाली आँिखए लाल टरेस शेष कु शल अिछगजल कहब असान निह एतेक आशीषआब चलैत छी बेश शेष कु शल अिछमधुप जीक किवतामय िची (अकािशत प-डॉ.पालन झाक सौजयसँ)िच. ी चकात िम शुभाशीवाद पािबअहाँकेँ कु शल िथकँ सलादगाममे परवार अपन आनदअहक हेतु छल िचितत िच अनत।घट-पेट ओ तैठ पेटसँ हीनउदय रहए अिछ मनिह मन कछु िख।मंगलमय ी मंगल झा सूरधामकाशीवासी ’तिज वनता’ आराम।107


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्अँ नक सेवामे मेवा छी चखैतछी तिहठाम जतए के ओ निह अिछ झखैत।(चकात िम-मधुप जीक छोट भाइउदय- चकात िमक बालकचकात िमक िववाह मंगलद झा, गाम हरौलीक कयासँ।मंगल झाक काशी वासमे िलखल प, सूयक उरायणमे गेलापर मृयुक वरण, संगमे उदय आऽ मंगल झाकपौ ी ु कु मार झा सेहो संगमे रहिथ।)१.महेश िम "िवभूित"महेश िम "िवभूित"सतोष (०६.०२.६५)सतोष सरतमे िनत नहाय,बकल पिहरी तँ लाज न हो।बेदाग होय कत करी,हाथी नवीश सँ काज न हो॥क! थ झगिड़के धन अरजी,सत् कम िबना सब काज हो।एक दन िबन क चाके जगसँ,108


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्थान क, तँ लाज न हो॥भऽ जाय फकरी वोिह सँक?मतक ऊँ चा सदकाल रहे।क? भला वो अमीरी क,लानत जेिह पर कगाल कहे॥भऽ जाय अमीरी वोिहसँ क?सत् कत समुवल कम क,िनिश दन साव िनबा जँ।भगवान् भला करता िनय,किहयौन नकिह, नह कासँ॥नकर लीला अनदेखल अिछ,फल ा करै छिथ िवासी।सुिनतँ छिथ सबहक परमभु,कारण; वो छिथ घट-घट वासी॥उद् बोधन : ढाढ़स (३१.०७.६३)109


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्मत होउ िनराश एक झटका पर,िनत कमक यान ध मनमे।दुिनयाँमे एिहना होइत छै,ई सोिच पुनः उत रनमे॥बतके एिहना मेल एतऽ,कतु; क साहस छोिड़ देलक।?।साहस थीक सबल आशाके ,जगमे हारल पुिन ला लेलक॥नभमे देखू वो चदाके ,जे पूण िवकासक मपर अिछ।एक दन पूनम परपूरत भऽ,पुिन ास ास भऽ जाइत अिछ॥नयन िनहार िनरखू जगके ,के रहल समान िनिश दन जगमे।?।उथान-पतन म कमक अिछ,िनभक बनूँ, िबच महमे॥110


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्जी तोिड़ परम करिथ कोय,फल नीक नाह, तँ दोष कोन।िवधना के एिहना लीला छिह,तँ, एकरामे कनको दोष कोन॥?॥बड़ आश के लँ शुभ आशाके ,सभव के लँ नह काज कोन।फलदाता दरजल नाह यद,तँ, एकरामे कनको लाज कोन॥?॥भेटत वोतबिह, जे िलखल अिछ,पाथर परके रेखा बुिझयौ।कत क िनत िनकक िहत,भेटत िनय, भागक लेखा बुिझयौ॥म-साय मजूरी भेटत छै,ई शा-पुराण, सुिध जन किह गेल।औकतेलासँ भा पाकयऽ?111


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्ई कय युगादक रिह गेल॥वोपदेव इितहास-पुष,अमर लेय पािणनी ितनकर।धीर धैय धारण करयौ,यथा भाग भावी िजनकर॥पाडव के राज भेटल छीनल,नल दमयतीके याद क।सहासनाढ़ िसयावर भेला,वसुदेव कोना आजाद क॥मधुर व (०७.११.६२, रिव ी िवजयादशमी)मधुर व क देख रहल छी,दयतासँ सँदूर भऽ के ।िचरिनशा के गभमे,तलीनतासँ िनकट भऽ के ॥112


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्दुखसँ जँ दूर छी तँ,क कोन उपचार हो।मूक मुा एना कऽ के ,अित दुःखक नेँ िवतार हो॥या क अतनिहत,दुःखसँ दुःखी छी मनिह-मन,से क सकोच तिज के ,क व देखब छनिह-छन॥मौन रहला पर कोना के ,बुिझ सकत पर वेदना।वेदना के कऽ के ,छािड़ दी िनज कपना॥मधुर वक क महा,किह दयऽ दू शदमे।हम िमत छी दशा लिखके ,कछु क, कछु शदमे॥?॥113


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्या क कछु िवसर गेने छी,अहाँ िनज यालसँ।मधुर वक विलत वाला,यािग दी अतरालसँ॥सजिन! पता दी अपन लेशक,िवषम वेदना मानस के ।वा ब भाँित िथत छी अपने,दयातगत तामस से॥कोना वेदना उमड़ल अिछ जे,अगम-अथाह, पता नह आय।अितशय लेशक दुःसह भारसँ,दबियत छी दयनीय भऽ हाय॥क-क! मानस के ओझरी,मधुर व के यागू आय।मधुर यद दुःखदाई हो,114


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्तुरत यागी, कथमिप नह खाय॥अहाँ बेसुिध, हम ससुिध भऽकोना जीवन-रथ चलत।सामंजयानदक योजन,जीवनक रथ अथ चलत॥िसदूर-दानक गीत: “अनुरोध” (१४.०५.६३, सोम)“िय पान िसदूर-दान क”सुदर सरस समय शुभ सरसल, िसदूर हाथ ध।उषा िनहारिथ कमल हतके , अिवलम कम क॥...॥नव िनमत नगरीमे िसित कित याल क।िवलम छािड़, िसदुर लऽ करमे, िहय भुनाम ध॥...॥दशक सब ाकु ल होय िनरखय, वातीक जल बरसू।नवजीवनके सृजन करिथ भु कमक यान ध॥...॥कबल भु अनुरोध करायब शुभ-शुभ कम क।मनःपूत मनसाके कऽ के , भवनदमे िवह॥...॥115


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्शुभ शकर-गौरी मैयाके शुभाशीष िहय मय ध।िवनय “िवभूित”क एतविह भुसँ, युगल जगत् िवच॥...॥बादरीक आगमन (२६.०५.६३)“नभमडलमे पवनक रथपर, कारी-कारी बादर आयल”।िबजुर छटकै , ठनका ठनकै , देिख-सुिन जनमन खूब डेरायल॥च दिश उमड़ल कारी बादरी, बादर आिबके जल बरसायल।लयनाद मेघक सुिन-सुिन, वृ जनी सब नेनह नुकायल॥हकरै बालक वृ जनी सब, लोक कहै सब माल हेरायल।बाँस-आम गीरल अनिगनती, यो कहै हमरो महस हेरायल॥लोक कहै ब भाँित मनोदुःख, िया कहै मोर िय नह आयल।कािमनी कलपिथ, िय नह गृह छिथ, िवजुरक धुिन-सुिन िजयरा डेरायल॥रोर मचल अिछ च दिश जन-जन, एतबिहमे अित जल झहरायल।ििषत भूिम “िवभूित”मय भेली, त-तृण वो जन-मन हरसायल॥जगक मान (०९.०६.६३)डोली उठल िबन खोलीके दुवारसँ,116


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्घुर नह आओत, मान हे।काँच कचबा काट कु ढ़ावोल,उघल सबटा सामान हे॥ेत वसँ मृतक सजाओल,िनत ित होत जहान हे।अचरज के ने ँ बात बुिझ ई,ई िथक ुवक समान हे॥चार जने िमिल काह लगाओलगमन करत शमशान हे।पु-णय के परचय देता,करता अिक दान हे॥सच् होय अिछ “पुाथ भाया”होय छिथ पु महान् हे।117


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्कहिथ “िवभूित” बनब िवभूित,एिह िथक जगक मान हे॥“अपटुडेट बिल युवकसँ” (१५.१२.१९६२)क कछु काज बाबू औ,रतन धन आय पौने छी।धरा पर अवतरत भऽ के ,एना क मन गमौने छी॥?॥क उसाह कछु मनमे,चलू समागपर िनिश-दन।चुकाऊ कज माताके -जे भेटल अिछ अहाँके रन॥बढ़ाऊ डेगके आगू,समय तँ कट रहल अिछ औ।पुनः ऋण बढ़ रहल अिछ जे,118


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्सधाउ आय, नेँ राखू शेष तिनको औ॥पड़ल माता कराहित छिथ,दया के बेच देने छी।तिनक तँ लाज राखू जे,एना क मन गमौने छी॥?॥सुयश पायब समाजीसँ,धवल यश देश ापी औ।िपता-माता सुकरित लिह,अभय वरदान देता औ॥“अनुरोध” (२८.०९.१९६२)क क? कहलो नेँ जाय अिछ,िहय िथत, वाणी सबल नह,बुि ाकु ल, ाल च दशवाल ऊरमे बढ़ रहल अिछ।119


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्क क? कहलो नेँ जाय अिछ॥दशा पातर, हाल दयनीय,आननक सुकु मारताके ।मौन शदातीत मुा;-से दयमे चुिभ रहल अिछ।क क? कहलो नेँ जाय अिछ॥ाण आकु ल, िवकल क छी,था-वालमे जर रहल छी,शूल बक पितत नगसँबमर-झहरके खिस रहल अिछ!क क कहलो नेँ जाय अिछ॥दय दाण दुःख सिहके ,मा ाणे शेष बाँचल।एना िववल हाल कऽ के ,था िगुिणत दऽ रहल छी॥क क? कहलो नेँ जाय अिछ॥120


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्चमुख-मडल सुलोचन,कच-िवकच बेहाल क अिछ।वेदनासँ िथत भऽ के ,िथत अनका कऽ रहल छी।।क क? कहलो नेँ जाय अिछ॥बस आश एक, अनुरोध के वल,मधु-मधुर मुकान के ।हेर चानक वछ आभा,क मुकु ल, िवकिसत ाण के ॥पुनः मजुल मृदुलाअ के ,हेतु अनुरोधी बनल छी।मािननी भऽ मान राखू,दशा लिख के अित िवकल छी॥१.योितयोित२.सतोषिम३.नवीननाथझायोित121


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्बाबा अमरनाथठोप ठोप पािन जमा भऽधीरे धीरे परतमे जिमकऽपहाड़क उपर गुफाक अहारमेअमरनाथ बाबा भौितक प मेहोइत छिथ ितवष उिवतभ तक आ वान सऽ उेरतजेना एक शीतल अलौकक काशसमेटने सपूण सागर आ आकाशजटामे लागैत िनिहत आकाशगंगािहमानी िशवलग दूिधया ेतरंगादेवी पावतके जीवन रहयक ानअिह पावन ठाममे िशव के लिखन दानिहमक आरो ितमा होएत अिछ उपिथतवयम् गणपित देव िशव पावती सिहतनुकायल छल िहदुक ई महातीथथानताकै वला चरवाहा छल एक मुसलमान१. एना कए ?- सतोष िमएकटा ी ,122


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्हमर घरक सबहे काज कऽ दैअसमय–समय पर आिबकऽहमर जरत पुरा क दैअएिहके बाध ओपरतर दैअमुदा एना कए ?जिहया हम असगरे रहैछीतिहया ओ हमरा संग राित िबतऽबैयकखनो ितर त कखनो तारकिहयो राईके बनादै पहाड़कखनो हमरा लेल आािखमे नोरआ कखनो हमरासँ दूरमुदा एना कए ?क ईहे त ेम निह ?क ईहो ेम छै ?हमरा कोनो बेगरता होएओ सेहो पुरा कऽ दैअ123


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्गलती जौ भऽगेल हमरासँत डटबो करैएमुदा एना कए ?ओकर आँिखमे,एकटा भावना रहैछैकओकरा िव वास रहैछैक हमरे परतैयो ओ हमरा डटैत रहैएमुदा एना कए ?कछु ज किह दऐ तभऽजाइए टोका–चाली ब दओकर मूँह ब द भइयोकओकर आँिख,अपन ेमक गीत कहैएमुदा एना कए ?कछु समय बाद124


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्जेना कछु भेले निह एजेना ओ हमरासँ िच तीते निह एतिहना यवहार करैएमुदा एना कए ?नवीननाथ झा२नारीये सतयुग आनत यौअपन पीयुष अनुदानसँ, जन-जनकेँ पान करायत औ,आिब रहल अिछ वो पिव मुत, जखनिह नारीये सतयुग आनत औ।उषाकालक उव भऽ रहल अिछ, अणोदयक पावन मुत अिछ,कयाणक वेदी सजल कतो, नर समूहक मेला अिछ कतो,एहेन सुदर उपवनमे, युग-परवतनक िबगुल बजाओत औ।आएल वो पिव मुत, जखन निह नारीये सतयुग आनत औ॥१॥125


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्करलक जीव सृिक संरचना, चेतनाक संचार लाएत औ,सव-वेदनाकेँ सहलक, माँ बिनकेँ यार देलक औ,ा, ा, िना बिन, ई अनुकपाक परपरा िनभौलक औ,आिब रहल अिछ वो पिव मुत, जखनिह नारीये सतयुग आनत औ॥२॥देव युमोमे थम नारी, तपात् नरक नाम आएल औयथा-उमा-महेश, शची-पुरदर, राधा-कृ ण, कया नै एवो सीता-राममानुषी पमे देवी थीक, ई तयके ँ ात कराएत औ।आिब रहल अिछ वो पिव मुत, जखनिह नारीये सतयुग आनत औ॥३॥नारी-दय अिछ िनमल-कोमल, ेमक भंडार छुपल अिछ सभटा,मानवताक सचन करवा लेल, िनकलल अिहसँ अमृत-धारा,मुछत बसुधरा पर पुनः जागृित अवमेष आएत औ,आिब रहल अिछ वो पिव मुत, जखनिह नारीये सतयुग आनत औ॥४॥३युगिनमाणी संकपआइ कमर किसके ँ आएल अिछ, दुिनयाक युगिनमाणी,बत भऽ चुकल, आब निञ अए देबए मनमानी।126


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्धनक लेल वासना भड़काबैवला, सुनू औ!दुराचार-अपराधके ँ , उकसावैवाला सुनू औ,के िवल, टी.वी. आओर िसनेमामे सुधार आब होएत,ई िवनाशकारी शैली आब हमरा सभकेँ अपनावैक निह अिछ,बत भऽ चुकल आओर निञ होमे देबए हम मनमानी॥१॥जे कशोरक मनके ँ भड़कावै,ई कोन मनोरंजन भेल?जे अपराधके ँ उकसावै, ई कोन मनोरंजन थीक?लूट-पाट, हसा, हया, अिहलेल होएत अिछ,दुराचारक घृिणत या, अिह लेल होइत अिछ,ईएह महामारी समाजक लेल, जिड़सँ िमटेबाक दृढ़ित छी,बत भऽ चुकल, आब निञ अए देबए हम मनमानी॥२॥घर-घर जे अील िच अिछ, तकरा जरा कए हम दम लेब,बा सभके ँ भड़कदार व निञ पिहराएब हम,बुक टॉलपर जहरीला सािहय निञ िबकाय लए देबए,मानवीय मूयक आगू निञ गलत भावकेँ टकए लेल देबए,कतो निञ रहए लेल देबए कोनो कु िसत कथा-कहानी।बत भऽ चुकल आओर निञ होमए देबए हम मनमानी॥३॥आतरक किवक भावप-पिकामे पुनः होएत ेरक गाथाएँ127


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्अपराधक लेल मुखताक निञ होएत थाएँसहज िवधेयामक होएत पुनः दृि कलाकारकनका निञ होएत िचता, मा धन वा बजारक।माँक िबसरल िता पुनः बढ़त ई अवय जानू।बत भऽ चुकल आओर निञ होमए देबए हम मनमानी॥४॥फम नैितक मूयकेँ उकसाबएवाली होएत,किवता नारीक मान-िता बढ़ावैवाली होएत।कत निह होएत मादक-धुनपर नृय िसहराबएवाली,मानव-िचतनक िवष भरए लेल निञ होएत संचार कनेको,पुनः ितािपत करबाक अिछ, पुरान गरमामयी कहानी,बत भऽ चुकल आओर निञ होमए देबए हम मनमानी॥५॥िवपाठक आओर दशकक सिचतनके ँ उभारए लेल पड़त आवयक छी,शुभ समाजक लेल समपत जँ िव निञ होएत,ओऽ किव कलाकारक नवयुगमे अितव निञ होएत,आए ईएह संकप लऽ के ँ बढ़ चलू सृजन-सेनानी।बत भऽ चुकल आओर निञ होमए देबए हम मनमानी॥६॥128


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्४जीव क छी? अहम् उरजीवन एक जोिखम छी, जीवन एक समर छी।जीवनकेँ एिह पमे वीकार करब, तकर अलावे कोनो चारो ते ँ निह अिछ।सये कहैत छी, जीवन एक तयपूण रहयमयी भाव छी।जीवन एक ितलमी छी, जीवन एक भूल-भुलैया छी।एक तरहे ँ ई एक गोरख धंधा सेहो छी।िजनकर िजमा गंभीर पयवेण करबाक दृि छैक (अिछ)ओ जन जोिह भावनाक तहतक पँच सकै त अिछ,जीवनसँ जुड़ल ाित, कु हासा सेहो,िमटाएल जाऽ सकै त अिछ, अनेकानेक खतरासँ सेहो बाँचल जाऽ सकै त अिछजेना ९यथा)- हँसैत, हँसाबैत, हलका, फु लका रंगमंच,मािनकेँ , िवनोदपूवक मंचन करैत,आनदपूवक समय तीत करबाक दृढ़ िनयी-भाव,लऽ के ँ चली तँ-जे क पूणानदक सव इछा छी॥ जीवन एक जोिखम छी॥जीवन एक गीत छी,जे गीतके ँ हम पंचम वरमे गािब सकै त छी,129


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्कप िवशेष बनल जाऽ सकै त अिछ॥ जीवन एक जोिखम छी॥जीवन एक अवसर छी!एिह अवसरके ँ हाथसँ गँवा निह देबाक अिछ,कारण ई शुभ अवसर जीवनमे ईरक अनुकपासँ,कमसँ कम एक बेर अवयमेव भेटबेटा करतई िनःसंदेह अिछ॥ जीवन एक शुभावसर सेहो छी॥५गायी महामंाथना करैत छी नकासँ (परमामासँ)ओऽ ाणवप, दुखनाशक, सुखवप, े, तेजवी, पापनाशक,देववप परमामाके ँ हम अपन अतरामामे धारण करी।ओऽ परमामा हमर बुिके ँ समागमे ेरत करताह,जे अवयंभावी अिछ।ओऽ परमामा हमर बुिके ँ समाग, समागपर चलबालेल सुबुि देिथ॥गायीकेँ भारतीय संकृ ितक जननी कहाएल अिछ॥१॥गायी भारतीय धमशाक ओऽ समत दानक काश अिछ,गायीकेँ बीजारक िवतार मानल गेल अिछ।गायी माँकेँ आँचर पकड़एबला साधक,कखनो िनराश भऽ निह सकै त अिछ।130


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्ई मंक चौबीस अर , चौबीस शिक एवं िसिक माग अिछ,गायी मंक उपासना करएबला साधकक-मनोकामना,अवयमेव सफलीभूत होइत अिछ।।गायीकेँ भारतीय संकृ ितक जननी कहल गेल अिछ॥२।।गायी वेदमाता कहल जाइत अिछ,गायी मानव-माक पाप-नाशनी िथक,अर चौबीस परम पुनीत अिछ,एिहमे बसल शा, ुित, गीता-महामंक जतेक जगमािह, एकोटा गायी सम निञ अिछ।गायी भारतीय संकृ ितक जननी कहल गेल अिछ॥३॥ॐ अयवाचक शद छी। अतः ई शद परमामाक अितर कोनो,ाणीकेँ योिजत निह होइत अिछ,ॐ शदकेँ सेहो कहल जाइत अिछ।भू: भुवः वः- ा, िवणु एवं महेशक ोतक अिछ॥४।।तत्- परमामाकेँ भाव यानक दस आकषत करैत अिछ॥सिवतुः – सिवता वै सवनामीशे िनयेव समत सृिकईररे सिवता अिछ थीक।६131


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्ेम आनदक अिभि छीेम जगतमे सार वतु होइत अिछ।ेम सये अथमे जीवन छी।ेम जीवनक सयपमे िनयामक छी।जीवन आओर जगक िवकासक सोपान छी।हर ेमे ेमक िविशताके ँ नकारल निह जाऽ सकै त अिछेम, धम, िवान, मनोिवान, समाजशा तकमे-समाओल गेल अिछ, िपराओल गेल अिछ।ेम मानव जीवनक अिनवाय एवं अपरहायअंग मानल गेल अिछ, से सये जानू॥ेम सये अथमे जीवन छी॥ेम एक सार तव अिछ,जे अणुसँ अणुमे, परमाणुके ँ परमाणु िमलाबैत अिछ।पैघ-पैघ हके ँ एक दोसरसँ आकृ कराबैत अिछ,पुषकेँ ीक ओर, ीके ँ पुषक ओर,मनुयकेँ मनुयक ओर, पशुके ँ पशुक ओर,मानू तँ समत संसारकेँ एक के क ओर िखचैत अिछ132


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्ेम सवपर सुख आओर आनद छी।ेम जीवनक सार वतु छी॥ेम यथाथमे िनःवाथक भावनाक तीक छी,ेमके ँ दैवी भावनाक संा सेहो दऽ सकै त छी,ेममे सदैव आदशक चरमोकष अिछ॥ेम जीवनक महानतम धरोहर छी॥ेम पुरकार निञ चाहैत अिछ,ेम सदैव ेमक वाते होइत अिछ,ेम कता निञ अिछ,ेम िभखमंग निञ,ेमक थम िसात जे याचना निञ करैत अिछेम सये अथमे आमाक पुकार छी,ेम जगतमे सार वतु होइत अिछेम सये अथमे जीवनक सार छी॥िवनीत उपल133


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्३.िवनीत उपल (१९७८- )। आनंदपुरा, मधेपुरा। ारंिभक िशासँ इंटरधर मुंगेर िजला अंतगत रणगांव आs तारापुरमे। ितलकामांझी भागलपुर, िविवालयसँ गिणतमे बीएससी(आनस)। गु जभेर िविवालयसँ जनसंचारमे माटर िडी। भारतीय िवा भवन, नई दलीसँ अंगरेजीपकारतामे ातकोर िडलोमा। जािमया िमिलया इलािमया, नई दलीसँ जनसंचार आऽ रचनामकलेखनमे ातकोर िडलोमा। नेसन मंडेला सटर फॉर पीस एंड कनिलट रजोयूशन, जािमया िमिलयाइलािमयाक पिहल बैचक छा भs सटफके ट ा। भारतीय िवा भवनक च कोसक छा।आकाशवाणी भागलपुरसँ किवता पाठ, परचचा आद सारत। देशक ितित प-पिका सभमे िविभिवषयपर वतं लेखन। पकारता कै रयर- दैिनक भाकर, इंदौर, रायपुर, दली ेस, दैिनक हदुतान, नईदली, फरीदाबाद, अकचन भारत, आगरा, देशबंधु, दलीमे। एखन राीय सहारा, नोएडामे वरउपसंपादक।बा नीक छैई बा नीक छैकतेक नीक एकर पैमाना निह छैसुसंकृ त-संकारवान छै कतेकएकरो पैमाना निह छैबेसी बजै निह छैदुिनयादारीक नव वतुक134


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्बूझाबक इछा निह छैतािह लेल ई बा नीक छैमाय कए दूध िपबाक लेलतंग निह करैत छैनिह भेटैत छैक तखनो चुप छैतािह लेल ई बा नेक छैदुिनयाक गम देखकअपन दुखक सोिचकऐई बा कानब िबसर गेलतािह लेल ई बा नीक छैमाय-बापक झगड़ा देिख कएघर म अशांित सं घबराइल ई बाके करो कछु निह कहैत छैतािह लेल ई बा नीक छैजे राटायल से रटत135


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्अपन दमाग सं कछु निह पूछतकताबी कडा छै ई बातािह लेल ई बा नीक छैसोचैक मता निह छैमाय-बाप सपूइछ कए करैत अिछ सब काजतािह लेल ई बा नीक छैदुधमुंहा बाक जनानिह कछु बाजैत छैनिह कछु काज करैत छैतािह लेल ई बा नीक छै।िजनगी एकटा तमाशािजनगी एकटा तमाशा छैकखनो उतार कखनो चढ़ावकिहयो खुशी किहयो गमएकरे नाम िजनगी छै136


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्िजनगी एकता तमाशा छैके करो जीत पर के करो दुःखके करो हार पर ककरो सुखसुख-दुखक सार िजनगी छैिजनगी एकता तमाशा छैएक ठाम फे ल तएदोसर ठाम पासपास-फे लक झमेला िजनगी छैिजनगी एक तमाशा छैके करो कानला से हँसबके करो हंसबा स कानबहंसबाक-कनबाक खेल िजनगी छै।ीगणीगण कए दोयम दजा मानले स137


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्पुष समाज कए क िमलैत छैककछु संतुि कछु घमंडसोचैत िछ हमही सवेमुदा, ई फु इिसयोका गैप सनिह कछु भेटतके करो दुःख दैकेअहां कए सुख भेटैत छैकत सुन िलयअ एकटा गपअहां किहयो सुखी निह रहबैिगन स सीखूसामंजय बनाबैक लेल बंधनक गपआउर धैयक मताकहबाक म ई सभछोट गप लागैत छैमुदा अहांक मता निह छैक जेनौ महीना एक जीवनक भार सािध138


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्भोरिह स साँझ धरभनसाघर म रंग-िबरंगातीमनबनबै सकबकतबैयो दयो तककलेजा पर हाथ धर कएएक बेरसोचब अहांआउरएक िगनक मता म अतरदल ओ दमाग खुइल जाइतअहांक घमंड चुइर-चुइर भ जाइतअहां कए मानिह परततुछ छी अहांदोयम दजा त अहां छीअपन खामी िछपा बैक लेल धस जबैत छी .139


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्सय समाजतथाकिथत सयसमाज मेम करैक अिधकारनिह छैक लोक कएअहां ेम करबै तेघर सं बारल भए जाइबसमाज म िता खम भए जाइतअहां होयब घृणाक पाअहां माय सं ेम कए सकै त छीअहां िपता सं ेम कए सकै त छीअहां बिहन सं ेम कए सकै त छीअहां भाई सं ेम कए सकै त छीअहां घर सं ेम कए सकै त छीअहां पढाई सं ेम कए सकै त छीअहां करयर सं ेम कए सकै त छी140


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्अहां कु ा सं ेम कए सकै त छीमुदा, निह कए सकै त छीेमवणम भिवयक लेलआन जाितक युवक आ युवती संई 'सय' समाजक परभाषा छैकमाय-बापक पिसन सं याह कमाय-बापक पिसन से ेम कमाय-बापक पिसन से बा जनमाऊ.पंकज पराशर,डॉ पंकज पराशरी डॉ. पंकज पराशर (१९७६- )। मोहनपुर, बलवाहाट चपराँव कोठी,सहरसा। ारिभक िशासँ ातक धर गाम आऽ सहरसामे। फे र पटना िविवालयसँ एम.ए. िहदीमे थमेणीमे थम थान। जे.एन.यू.,दलीसँ एम.फल.। जािमया िमिलया इलािमयासँ टी.वी.पकारतामेातकोर िडलोमा। मैिथली आऽ िहदीक ितित पिका सभमे किवता, समीा आऽ आलोचनामक िनबंधकािशत। अंेजीसँ िहदीमे लॉद लेवी ॉस, एबहाड फशर, हकु शाह आ ूस चैटिवन आदक शोध141


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्िनबधक अनुवाद। ’गोवध और अंेज’ नामसँ एकटा वतं पोथीक अंेजीसँ अनुवाद। जनसामे ’दुिनया मेरेआगे’ तंभमे लेखन। रघुवीर सहायक सािहयपर जे.एन.यू.सँ पी.एच.डी.।पुरइिनजम कालेसँ छुटैत रहल अिछहमर जीवन के र एक-एकटा खइचाअपने देहक एक-एक अंगछोड़ैत रहल अिछ हमर संग साँपक के चुआ जकाँहमर जीवनदाता नािभसँ नालब पुरइिन समा गेलमायक कोइिखसँ धरतीक कोइखमेकारी-कारी हमर जमौटी के शलाल मोलायम हाथक नह छुट गेलहमरा देहसँ रोज-रोज छुटैत जा रहल दुिनया जकाँउर दुधहा दाँत हमर पृवीक कोन काज आयल हेतिन?मासे-मास कटैत के श आ अठवारे कटैत नहभरसक काज अओतिन कोनो इितहासवेा के र142


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्हमर के श, हमर नह आ दुधहा दाँतदुिनयामे अिबते देरी अलग भ गेल हमरासँसंग-संग संसारमे आयल पुरइिन जखनसंग निह देलक तँ ककरोसँ कोन याचनाकोन अपेा!लाहौर(सुदर दास रोड, लमी चौक आ लाला छतरमल रोडपर टहलैत)कोनो विन तरंगकेँ अनुमित निह छैक एिहठाम भारतसँ अयबाकपासपोटपर लागल वीजाक मोहर चुपचाप अभयदानक मुामे हाथ पकड़ैत कहैत अिछ-किहयो साठ-पसठ बरख पूवक रहल वतमान आब इितहास बनल अिछजतयसँ बाहर भेल बत रास विन तरंग आइयो इितहासपर आंगुर उठबैत अिछिजस लाहौर निह वेया ओ जया ही नइ- के कहैत छल?के लाहौरसँ जम लेबाक साथकताकेँ जोड़ैत छल?मोनमे तरंिगत असंय िहदुतानीक जनम अकारथ के र कथामे ओझराइतअनारकलीसँ िनकसैत वाल मंडीमे भुितया जाइत छलजखन-जखन इलामाबादसँ उठल िबहािड़िबड़रो बिन पसरैत अिछ तरेगन भरल आकाशमे143


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्लहोर-लहोर किह आतनाद क उठैत अिछ िबलटल दयक हाहाकारदरबार-दरबार सबमे िगरतार इितहासक वर-पहाड़-पंजाबीमे, पतोमे, उदू मे अिभिक अवलंबअनुगूंिजत होइत अिछ बुलेशाहक वर...लहोर-लहोरक उ वरमेकतेक नपना सबसँ नापल गेल पािनपािन-पािन भेल धरतीक सीनापर फांक-फांकक बखरामेबटखरा सबसँ जोखल जाइत रहल पूवज सिचत नोरखूनम-खून भेल आमाक कछेरपर देखैत िगक झुंडलोल भर-भर कए भरैत रहल घोघ नरमुंडसँमितभा लकर रेड िलफक गवाहीमे लाहौरक बताह सबकेँ“टोबा टेक सह” मे पांतरत करैत वधथलपर चीकारोलिसतटक के र मुंहपर अमृतसरक अमृतिवहीन हेबाक गवाही दैतआइ धर हमरा जेबीमे कोनो रेिडयोधम तव जकां पासपोट-वीजा बनल छलबसरान कऽ देल गेल ओिह नगर सबटा खेसराकत निह बाँचल आब ओ बसरा144


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्िव चौधरीक जुामे लागल धूरामेवचािलत हिथयारक मोनबर नलीमेतकै त अिछ अपनाकेँ बसराकं धारी काहपर थायी कठहारी बनौिनहारजुा सबहक नकसँ उड़ल धूरान कऽ दैत अिछ नोरो के र वछतानोरक िवशाल नदी बिह रहल अिछबसरामे बगदादमे काबुलमे कं धारमेईरानमे सीरयामे यूबामे लीिबया आ फिलतीनमेजािहमे हेलडूब करैत कोन भिवयक आसमे जीिब रहल छी?पुछैत अिछ बसरा के र कोइख-माथ सु ीगणक समूहकतेको नेना मानव-कं कालसँ भयभीत हेबाक वयसमेबेिच रहल अिछ ापारीके ँ बीछ-बीछ कए मानव अिथई कोन यु छल जािहमे बेर-बेर अथामा हाथीक मृयुके ँोणपुक मृयु किह कए चारत कयल गेल145


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्ई कोन यु छल जािहमे कत अितवे निह छलोणपु अथामा कत?एक दन जखन साँझमे घर घुरैत छलफौिजया अल सईदतँ देखलिन कइक हजार सालककइक लाख नक पुरखाक आँिखसँ खसैतअिवरल नोर-पातआ कखन िबला गेल ओिहमे ओसे निह देिख सकल दजला-फु रात!१.िबनीत ठाकु र २.िनिमष झा ३.अमरे यादव१. िबनीत ठाकु रबाँिहके गोदना किवतारैहगेल िनशानी आब बाँहीके गोदनाअनाहकमे मारल गेलै बुधनीके बुधनाउमेरोनै बेसी भेलरहै मा िबसमरैतकाल ए १ राम बजलैनै ईशफटलैजे बम त शरीर भेलै िचथरा146


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्दैवोनै गवाही त कहबै क ककरालागल छै गाराभुकु र बुधिनके िच ताके करतै आब पुरा ओकर ब चाके िसह ताऐ देशेके लागलछै शितके ातएत िसधा सोझा जनताके के उ नै माई बापभरल नोर मेके हन सपना हम मीता देखलौँ भोर मेमाय िमिथला जगाबिथ भरल नोर मेकहिथ रने वने घुमी अपन अिधकार लेलछ तूँ सुतल छुध छी तोहर िबचार लेलकिनको बातपर हमरा तूं करै िवचारक सुतलासँ ककरो भेटलै अिछ अिधकारजोर एक एक हाथ बनवै जो लाख हाथकर िहमत तूं पु िछयौ हम तोहर साथअिछ तोरापर बाँक हमर दूधक कज147


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्करै एिहबेर तूं पुरा सबटा अपन फजलौटादे हमर आब अपन वािभमानपु तूं छै महान तोहर कम छौ महान२. िनिमष झािचरिचर भेल मोनअहाँके सफलताक िशखर पर देखऽ चाहैत छलभीडसँ पृथक अहाँक परचय खोजैत छलई हमर सपना निहेमक भावना निहजीवनक आदश छलएिह बाट पर संगे चलबाक िनयार छलमुदा आब तऽ ठके ओ िनयार सपने भग गेलखुलल आँिखसँ देखल सबटा मसन लागलणभंगुरम िवलीन भेल एकटा अतीतसन लागल ।जोरसँ कािन निह सकै त छीमोन िनचोरी कऽ िनकलल नोर क148


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्रोक निह सकै त छीतिवत छातीक ई यथाककरो किह निह सकै त छी यथासँ भरल मन, जीवन लऽबनाबटी हँसी हँसैत छीवेदना नुकाऽ खुशीक ममिजबाक असफल यास करैत छी ।चु हा आ चौका आब अहाँक संसार बनलिस दूर आ चुरी अहाँक परचयई नेल आ हतकडीसँ दूरहम अहाँके स पूणता दैत छलहमुदा अहाँ तऽ सीतक िस दूरसँ दबल छीनुपूरक जि जरम ब हयाल छीकया चार कलाक ब दी बिन गेलह अहाँ ?हमर सपनासँ आब अहाँ िवभोर निह हैबचािहयो कऽ हमर आकाँां अहाँक त ा भघ निह करतहम वीकार कऽ चुकल छीई सब हमर असफलता अिछ149


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्हमर सपनाक िचता अिछअहीँक लेल देखल सपना सबअहाँक जीवन ल यमस पूण सपनाके पा तरण निह कऽ सकबाक माण अिछ ई ।जीवनक ल य आ उे यअहाँक तरबासँ िपचाइत गेलअहाँ उ वल ाि तक लेल दूर भऽ गेलहमुदा हम आ हमर मोनइजोरयोम अ धकारमय अिछसदाक लेल ई मोन फाट गेल अिछिचरिचर भऽ गेल अिछ ।३. अमरे यादव-टमटिमयाँ घोडाअमेरका जे इराक परअपन खैम ती झाडलक अिछतािहसँ हमरा कोन काज । ◌ा◌ाओवादी जे ब दुक उठौने अिछआ गणत क लेल150


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्लिड रहल अिछतकर हमरा कोन मतलब ।ससे मुसहरी जेभुखक सुली चढ रहल अिछआ घर—घरक बेटी पुतौह जेचु हाक आँच बिन रहल अिछतकर हमरा कोन िचन् ता ।हम तऽ अहाँक टमटिमयाँ घोडा छी बाबुजी ।अहाँक वीयसँ लऽ कऽ खुन पिसना धरकलगानी अिछ हमरा पर ।हम कोना िबसर सकै त छीअहाँक ओ आदेशअहाँक ओ मह वाकाँ◌ंाहँ बाबुजीहमरा चढबाक अिछअहाँक सपनाक पहाड पर ।कला आ संगीत िशाछिव झा/ कु मुद सहलेिखका छिव झा िपछला तीस वष स िमिथला िचकला कए अथ पर काज कए रहल छिथ। संित ओ 'ेहछिव िमिथला कू ल ऑफ आटÓ, दरभंगा क िनदेशक छिथ आ एकरा परभािषत करबा मे लागल छिथ।लेिखका कु मुद सह मैिथलीक पिहल इ-पेपर समादक संपादक छिथ।151


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्िमिथला िचकला : अथक अिधकता आ साथकता1960 क दशक मे िमिथला िचकला कए दीवार स कागज पर उतारबाक यास शु भेल छल आ तिहए सशु भ गेल एिह िच मे नव-नव योग। तिहये स शु भेल एकर अथक नव संसार जे िमिथलाक सोच आसंकृ ित स पूरा िभ अिछ। नव योग आ पुरान अथक एहन िमण भेल जे कलाक पूरा वप आ अथ कऔिचय पर सवाल उठा देलक।सब कलाकृ ितक एकटा अथ होइत छैक। जेकर कलाकृ ित स घिनï संबंध होइत अिछ। कलाकृ ित आ ओकर अथओ कृ ितक साथकता कए िस करैत अिछ। िमिथला िचकलाक संबंध मे जखन िवचार करैत छी त कठटा गपसामने अबैत अिछ, मुदा एकटा गप पट होइत अिछ जे िमिथला आ भारतक िवान एिह कलाक ित आइधर अपन नजरया निह बना सकलिथ अिछ। िपछला पांच दशक मे िवदेशी िवान जे एिह कलाक ितनजरया थािपत के लिथ अिछ, देशक िवान ओकरे आधार मािन कए आगू बढैत रहलिथ अिछ। च पूछु त देशीिवान किहयो अपन नजरया तुत करबाक यास तक निह के लिथ। िमिथला िचकलाक एिह गु आ जटलवातिवकता कए धुंध स िनकालबाक पिहल यास सेहो अमरीका मे कै ल गेल। 1984 मे अमरीका स कािशतमानव शा पर आधारत पिका मे पिहल बेर एिह गप कए रोचक आ गंभीरतापूवक उठाउल गेल जे अथकअिधकता स के ना एिह कलाक साथकता खम भ रहल अिछ।उर िबहार आ नेपालक तराई मे पसरल िमिथला क मिहला ारा अपन घरक दीवार आ आंगना मे बनाउलजाइवाला एिह िचक संबंध मे एखन धर कई बेर िलखन जा चुकल अिछ आ कई ठाम कहल जा चुकल अिछ।एतबे निह कई टा अंतरराï◌्रय मंच पर एकर तुित सेहो भ चुकल अिछ। मुदा एकर संबंध मे िलखल सायबेसी पुरान निह अिछ। 1949 मे पिहल बेर एिह पुरातन कलाक संबंध मे कागज पर कछु िलखल गेल। डयूजी आरचर अपन कताब मे एिह िचकला कए अभुत आ आचयजनक कहने छिथ। मुदा 1962 मे कािशतलमीना◌ाि◌ झाक पुतक िमिथला क सांकृ ितक लोकिचकला सही मायने मे एिह िचकला पर पिहलआिधकारक दतावेज अिछ। देसी नजरयाक संग-संग एकर भाषा मे सेहो हदी आ मैिथलीक िमण अिछ,जािह स अथक भाव अंगरेजी स बेसी साफ बुझबा मे अबैत अिछ। देशी नजरयावाला एहन पुतक कए पाठकतक निह पंचब एिह कलाक अथक अिधकताक मूल कारण कहल जा सकै त अिछ।िमिथला िचकलाक अथक संबंध मे समय-समय पुतक क काशन होइत रहल अिछ। 1952 मे ाउन आलेयूइस, 1966 मे माथुर, 1977 मे इस िवको (वैयूवाद) आ 1990 मे जयकर एिह कलाक अथक संबंध मेबत कछु िलखलिथ। अिवसनीय मुदा सय अिछ जे एिह कताब सब मे जे कछु िलखल गेल अिछ ओिमिथला मे चिलत अथक स सवथा िभ अिछ। एिह संबंध मे अमरीकाक चीको िविवालयक कै रोिलनाउन िलखैत छिथ जे िमिथला िचकलाक अथ कए हरदम गलत आ मक तरीका स िवक सम राखल गेलअिछ। एकर मुय कारण इ रहल जे एिह पर देशी खास कए िमिथलाक िवान गंभीर काज निह के लिथ, जेकाज भेल ओ िवदेशी िवानक शोध स भेल। िमिथलाक अंगना मे बनाउल गेल एिह िचक संबंध मे पुता152


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्जानकारी लेब कोनो िवदेशी लेल हरदम एकटा चुनौती रहल अिछ। लोककला कए बुझलाक बाद ओकर सहीअथ बुझब आ फे र ओकरा सही प मे परभािषत कर अिभ करब कोनो िवदेशी शोधकता लेल राई कपहाड़ सन काज अिछ। 1986 मे एसैड, वैल, मारकस आ फसर, 1988 मे िलवाड आ 1992 मे वूफ कआलेख स बुझबा मे अबैत अिछ जे ओ कछु एहने साई स सामना के ने हेताह। कै रोिलन ाउन एिह संबंध मेसाफ तौर पर िलखैत छिथ- हम पिम कए लोक एिह िचकला कए परभािषत निह कर सकै त छी, तािहकारण हम सब एिह अभुत िवषय कए तोि़ड-मरोड़ी कए पेश करैत रहलं अिछ। हालांक एिह मे कोनो संदेहनिह अिछ जे एकटा समाज मे िभ-िभ लोकक अगल-अलग नजरया भ सकै त अिछ, ओ एकटा िचक िभ-िभ अथ किह सकै त छिथ, मुदा िविभ अथक बीच मे एकटा समानता होइत अिछ, जे अथ कए कत ने कतजोड़ैत अिछ। उदहारण लेल िमिथला मे पुख कमकांड, यायशा सन शाीय िवधा मे नीक पकड़ रहैत छिथआ ओिह स जुड़ल पावैन-ितहार क ाया नीक जेका कर लैत छिथ, ओतिह मौगी घरेलू पावैन-ितहार परनीक पकड़ी रखैत छिथ आ ओकर अपन अनुसारे ाया सेहो करैत छिथ। एिह लेल कु लदेवीक पूजा या गौरीपूजा मे पुखक योगदान कम देखबा मे अबैत अिछ।एकर पाछु कारण इ अिछ जे अयंत गूढ़ संसार आ अयिधक िवकिसत समाजक सबटा गपक ान राखबअसंभव अिछ। ओना िमिथला समाज कए अयंत िवकिसत समाज बत कम िवान मानने छिथ। जेना क1991 मे दरदा आ 1994 मे वाल साफ तौर पर िलखने छिथ जे एिह िचकलाक सही अथ िमिथला मे आबिगनल-चुनल लोक बता सकै त अिछ। वेल क कहब अिछ जे िमिथला मे जे िचक अथ किह सकै त छिथ ओ चुपरहय चाहैत छिथ, जखन क अथ निह जनिनहार लोक कए चुप राखब एकटा कठन काज अिछ। ओना एिहसंबंध मे ाउनक मत कछु अलग अिछ। ाउन कहैत छिथ, 'इ सच अिछ जे आम मैिथल एिह कलाक संबंध मकम जानकारी रखैत छिथ, मुदा बत िवान लेल इ कोनो महव निह रखैत अिछ जे मैिथल एिह संबंध मकतेक बुझैत अिछ आ क कहैत अिछ। अिधकतर िवान मैिथलक भावना कए अपन शोध मे तोि़ड-मरोि़ड कएतुत करबा स पाछु निह हटला अिछ। दुभाय अिछ जे एखन तक कोनो देशी िवान एिह तय कए रेखांकतनिह के लाह अिछ, मुदा ाउन अपन िमिथला वासक दौरान कछु एहने महसूस के लीह।असल मे सबस पैघ गप इ अिछ जे पााय संकृ ित, वहार आ िशा हमरा लोकिन क सोच कए दबा देलकअिछ या इ क जे सीिमत कर देलक अिछ। एकर अलावा हमरा लोकिन मे अनुवाद करबाक मता सेहो कमभ चुकल अिछ। आब सवाल उठैत अिछ जे एतेक जटल आ गु तयक कोनो एक ि ारा कै ल अनुवाद कएसव मानल जा सकै त अिछ? एिह ठाम इ कहब जरी अिछ जे एकटा िचक कई टा अथ भ सकै त अिछ, मुदाओकर सू दूटा निह भ सकै त अिछ। वैह एकटा सू ओकरा आन स िभ करैत अिछ। एिह सूक चाआतओकर अथ घुमैत रहैत छैक। एहन सू िमिथला मे एखनो कछु मिहला कए बुझल छैन, मुदा ओ िनित प सावसाियक निह छिथ। तािह लेल नका स ओ सू बुझब कोनो देशी िवान लेल कठन काज अिछ, एहन मेिवदेशी िवानक गप करब बेकार अिछ। दरअसल िमिथलाक मौगी एिह सू कए अपन शरीरआ आमा मे बसारखने छिथ आ नव पीड़ी कए थोड़े-थोड़े कर कए बुझाउल जाइत रहल अिछ। एहन मे अप ानी स जानकारीलेलाक बाद िवदेशी िवान िमिथलाक सू जिनिनहार मिहला कए नजरअंदाज कर दैत छिथ।िमिथला िचकला क सबस चिलत िच कोहबरक पुरैन कए ल कए सबस बेसी मक िथित अिछ। अिधकतरिवान एकरा कोहबर नाम स परभािषत के लिह अिछ, जखन क पुरैन कोहबरक अनेक िचगुछक एकटा153


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्सदय मा अिछ। आइ जे पुरैनक वप देखबा मे आिब रहल अिछ, ओ जानकार मिहला मे म पैदा कररहल अिछ। हालांक एतबा अवय अिछ जे एकटा गोलाकार आकृ ितक चाआत छह टा मौिगक मुंह बनाउलगेल अिछ, जेकर बीच मे सातम मुंह सेहो अिछ जे छह टा मुंह स किन पैघ आकारक अिछ। एिह िच कएरेखािचक प मे बनाउल गेल अिछ। पुरैनक सू पर बनाउल गेल एिह रेखािच स ण हेबाक कईटा कारणअिछ। िमिथला मे पुरैन रेखािच निह, बिक िभििच अिछ आ पांचटा रंग स बनाउल जाइत अिछ। हालांकआइ अिधकतर कागज पर एहन िच बनाउल जा रहल अिछ, लेकन एिह िचक िवशेष मे साफ तौर पर कहलगेल अिछ जे एकरा दीवार पर बनाउल जाइत अिछ। िमिथला मे रेखािच कए अरपन कहल जाइत छैक आ ओजमीन पर बनाउल जाइत अिछ। ओनाओ िमिथला मे पुरैनक दू टा सू अिछ। एकटा ाïण आ दोसरकणकायत लोकिनक पुरैन। दूनू मे सूक अंतर अिछ। मुदा एिह िच मे एकर ापक कोनो चच निह अिछ।सातटा मौिगक मुंहक संग सांप, कछुआ, माछ आदक िचक औिचय जखन िमिथलाक लोक लेल बुझब कठनअिछ तखन िवदेशी क बुझत? िवदेशी िवान लेल इ मा एकटा भीड़वाला िच अिछ, जािह मे संदेशक कोनोथान निह अिछ। बत रास िवदेशी िवान त एकरा जादू-टोना आ भूत-ेत लेल बनाउल गेल िच कहलिथअिछ। मुदा ाउनक कहब अिछ जे इ पुरैनक नव प अिछ आ कायत ाप स िमलैत-जुलैत अिछ।िमिथला मे पुरैन कमलक ली कए कहल जाइत अिछ। ाïण ाप मे नौ आ कायथ ाप मे सातटाकमलक पात दशाउल जाइत अिछ। चूंक कमलक ली पाइन मे होइत अिछ, तािह लेल एकर संग-संग पाइन मेरहैवाला वतु आ जीवक िच बनाउल जाइत अिछ। लमीनाथ झा एिह संबंध मे िलखैत छिथ जे पुरैन मुयप स वंश वृिक लेल नव दंपित स सांके ितक अनुरोध अिछ। जेना कमलक एकटा ली पोखर कए किहयोकमल िवहीन निह ए दैत अिछ, तिहना नव दंपित कए घर कए किहयो वंश िवहीन निह ए देबाक कतिनभेबाक चाही। एतबा त जर अिछ जे 20व शतादी मे पिम मे पलल-बढ़ल कोनो ि एिह ीवकए(ी कए दय मे वास करैयवाला भावना) घेरा निह बुिझ पाउत। आइ जखन िबयाह एकटा अलग अथ लचुकल अिछ, एहन मे पुरैनक औिचय जर ासंिगक भ गेल अिछ।1960 क दशक मे एिह िच कए कागज पर उतारबाक यास शु भेल छल आ तिहए स शु भेल एिह िच मेनव-नव योग। तिहये स शु भेल एकर अथक नव संसार जे िमिथलाक सोच आ संकृ ित स पूरा िभ अिछ।नव योग आ पुरान अथक एहन िमण भेल जे कलाक पूरा वप आ अथ क औिचय पर सवाल उठा देलक।सच कहल जाए त िमिथलाक मिहलाक एिह िवलण ितभा कए परभािषत करबा मे एखन धर कोनोिवान सफलता निह पािब सकलिथ अिछ। समत िमिथला मे बनाउल जाइवाला एिह िच कए कछु चार-पांच टा गाम मे समेट देबाक अलावा इ िवान लोकिन एिह िच कए कएटा अनपढ़-गवांर मौक ारा बनाउलगेल िच स बेसी कछु निह सािबत कए सकलिथ अिछ। िमिथला मे एखनो कई टा मिहला अपन फाटल पुरानकॉपी िनकािल देखबैत छिथ, जािह मे कईटा िवदेशी िवानक िलखल वाय अिछ। दुख आ तामस तखन होइतअिछ जखन कॉपी पर िलखल वाय पढ़ैत छी, जािह मे िलखल रहैत छैक जे इ िच एकटा िपछड़ल समाजकगवांर, अनपढ़ आ मूख मिहला ारा बनाउल गेल अिछ। िवदेशी िवान मे इ सोच अचानक निह आिब गेलअिछ। नका कई कार स इ बतेबाक बेर-बेर यास भेल अिछ। दुिनया मे इ धारण कए थािपत करबाक ेयइस िवको कए अिछ। िवको स बेसी शायद कोनो िवान एिह िचकला पर काज निह के लिथ अिछ, मुदा ओ154


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्जतेक एिह िचक करीब अबैक कोिशश के लाह, एकर अथ स ओ ओतेक दूर होइत गेलाह। िवको राय औवेस कसंग एकटा फम सेहो बनौलिथ, जेकर नाम 'मुीÓ अिछ। ओ एकटा ं च फम सेहो बनउलिथ, मुदा िचकअथ बुझबा आ बुझेबा मे सब बेर असफल भेलिथ। िवको तखनो हार निह मानलिथ, ओ 1994 मे एकटा िविडयोफम 'िमिथला पटरस...Ó बनौलिथ, मुदा नव कछु निह किह पैउलिथ। आइ िथित एहन भ चुकल अिछ जेसमाजक सब लोक इ बुझबा मे लागल अिछ जे आिखर इ परंपराक कौन वतु बारे मे िथक।एिह िचकलाक संबंध मे सबसे लोकिय ोत िवकोक 1977 मे छपल कताब' द वीमस पटर ऑफिमिथला...Ó अिछ। जखन कयो एिह पुतकक एक-एक टा िच कए गौर स देखैत अिछ आ ओकर परेखा कएपढ़ैत अिछ त ओकर सामना एकटा आचजनक, अभुत आओर लगभग असंभव सन तीत होइवाला संसार सहोइतअिछ।िवको िलखैत छिथ जे िमिथला समाज मे मुयपा मिहला छिथ आ एिह ठाम पुषक भरमार अिछ। एिह ठामयुवती हमउ युवक स िववाह करबा लेल तरह-तरह स यास करैत छिथ।(1977, पृ- 17)।िवको एिह गप कए बाजा आओर रोचक बनबैत आगू िलखने अिछ जे िमिथला मे एकटा युवती अपना लेलसुयोय युवक कए चुनैत अिछ आ िववाहक ताव वप ओकर सामने कोहबर रखैत अिछ ।(1977, पृ-17)। ओ लोक जे िमिथला कए नीक जेका निह िचहाल अिछ, नको इ वाय पढ़लाक बाद आचय हेतेन जेिवको के ना िमिथला समाज कए अतेक चरहीन बना देलिथ। इ अभुत मुदा सय सन आलेख कए पढ़लाकबाद एहन तीत होइत अिछ जे िवको कए एहन अनुवादक भेटलिह जेकरा िमिथला समाज, संकृ ित आसयता स कोनो वाता निह रहैन, संगिह नका िमिथलाक रित-रवाज आ लोकाचार तक कए ान निहरहैन। सच पूछु त अनुवादकलेल िवको मा टका देिनहार िवदेशी छलाह। ओना देखल जाए त िवको क इकताब एिह िवषय पर िलखल गेल पिहल अथवा आिखरी कताब निह िथक। इ पुतक एिह लेल महवपूण भगेल अिछ, कया क िमिथला िचकला पर शोध के िनहार अिधकतर िवान एिह पुतक स भािवत छिथ।एतबा धर क भारतीय िवान उप ठाकु र तक अपन कताब मे िवको क नजरया कए नजरअंदाज निहके लिथ अिछ। िवको क एिह कताब क महव पर ाउनक कहब अिछ जे पिमक िवान जखन कोनो िवषयपर काज शु करैत छिथ तखन ओिह िवषय पर िलखल गेल पूवक कताब स काफ भािवत होइत छिथ।िमिथला िचकलाक संग सेहो कछु एहने भेल। अिधकतर िवान िवकोक प-रेखा स ेरणा लेलिथ, कछु तनकर नकल तक कै लिथ। तािह लेल इ अय पुतक बेसी महवपूण भ जाइत अिछ। दोसर इ जे िवको बत दनधर एिह िवषय पर काज के लिथ अिछ आ कई कार स एकरा दुिनयाक सम अनलिथ अिछ, एहन मे िवदेशीिवान लेल नका नजरअंदाज करब कठन रहल अिछ। एिह कारे िवको मक आओर सवथा गलत तरीका सअनुवाद कर झूठ कए एकटा सय स बेसी सय प मे थािपत के लिथ अिछ।ओना अिधकतर िवदेशी िवानक कहब अिछ जे िमिथला समाज िवक सबस चरवान समाज मे स एकअिछ। एकर संकृ ितक संबंध मे ायात िचकसक डॉ कै मेल क कहब अिछ जे आइ 'जीनÓ(अणु)क संबंध मेदुिनया भर मे शोध भ रहल अिछ, जखनक िमिथला मे पंजी वथा ओकरे एकटा प अिछ। िमिथलाकाïण आ कणकायथ लग एखनो बीस-बीस पीढक़ जानकारी उपलध अिछ।िवको कए शायद इ निह बताउल गेल क िमिथला मे युवितक िववाह पंजीकारक राय स तय कै ल जाइत अिछ।155


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्युवितक इछा एिह ठाम कोनो मायने निह रखैत अिछ। एिह तय कए ाउन बत साफ तौर पर रखने छिथ।ाउन कहैत छिथ जे ओ िमिथला वासक दौरान पंजीक िविधवत िशा ल चुकल छिथ। ओ एिह गप कए सेहोसाफ करबाक यास के लिथ अिछ जे िमिथला मे किहयो युवित कए पित चुनबाक अिधकार निह रहल अिछ।सीताक संबंध मे सेहो ाउनक मत पï अिछ। ओ कहैत छिथ जे सीताक वयंवर निह छल ओ एकटा सशतिववाह छल। इ सच अिछ जे ओिह िववाह मे पंजीक कोनो वथा निह छल, मुदा धणुष रामक बदला मे रावणउठा लैत त क सीताक इछा रिहतो राम स िववाह संभव छल? सीताक इछा नक िववाह मे कोनो मायनेनिह रखैत छल। ाउल इ तक देलाक बाद आिखरी फै सला िमिथलाक लोक पर छोड़ैत कहैत छिथ जे मेरे एिहमत स शायद िमिथलाक लोक सहमत निह हेताह।वैकसेनेलक शद मे कहल जा सकै त अिछ जे िमिथला िचकला एकटा आंिखक भांित अिछ जे समयक संग-संगअपना कए बदलैत रहल अिछ, मुदा अपन मूल िसांत स कखनो समझौता निह के लक अिछ। इ कला जगतकएकटा अभुत औजार अिछ जेकरा स कलाकार अपन समाजक संग-संग पूरा िवक गुढ़ गप आ रित-रवाजकए िचक मायम स तुत करैत आइल अिछ। (1972,पृ-38) जे कछु ए एतबा त अवय भेल अिछ जेिमिथलाक संकृ ित कए दुिनयाक सामने सवथा गलत तरीका स परभािषत के ल गेल अिछ। आइ िमिथलािचकला अिधकतर एहन िच बनाउल जा रहल अिछ, जेकर एतुका संकृ ित स कोनो लेनादेना निह अिछ।आवयकता अिछ एिह िच क गंभीरता स शोध करबाक आ एकर अथक अिधकता कए समा करबाक, निह तइ िच हरदम लेल हमरा लोकिनक अानताक ोतक बनल रहत।शेख मोहमद शरीफ िस वेमपली शरीफक जम आ देशक कडापा िजलामे भेल छल।जयलमी पोपुरी, िनजाम कॉलेज, ओमािनया िविवालयमे अयापन।तेलुगुसँ अंेजी अनुवादगजे ठाकु र (अंेजीसँ मैिथली अनुवाद)।जुमाहमर अमीक िनदष मुखमंदल अबैत अिछ हमर आँिखक सोझाँ, चाहे आँिख बद रहए वा खुजल रहए। ओिहमुखक डर हमर िवचिलत करैत अिछ। एखनो नकर डराएल कहल बोल हमर कानमे बजैत रहए-ए। ई दनरहए जुमाक जािह दन मा मिजदक बीचमे बम िवफोट भेल रहए। सभ दस कोलाहल, टी.वी. चैनलसभपर घबराहटक संग हला, पाथरक बरखा, आदंक आऽ खुनाहिन।156


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्हम काजमे त छलँ जखन फोन बाजल। फोन उठेलँ तँ दोसर दस अमी छलीह..नकर फोन ओिह समयनीक आ सहज लागल।एिहसँ पिहने क हम “अमी..” किहतँ ओ िचितत वरेँ “हमर बाउ...!” कहलिह।“क अहाँकेँ ई बुझल छल...?” हम पुछिलयिह।“हँ एखन तुरे हमरा ई पता चलल..अहाँ सतक रहब! ...लागै-ए अहाँ आइ मिजद निह गेल रही हमर बाउ।”हम नका डरसँ सद अवाजमे बजैत सुनलँ।िजनगीमे पिहल बेर हमर मिजद निह जएबासँ ओ स भेल छलीह। ई िवचार हमरा दुख पँचेलक। क हमरअमी ई गप बािज रहल छलीह? ई ओ छिथ जे हमरासँ ई पूिछ रहल छिथ? ई हमर अमी छिथ जे एिह तरहे ँडरिल छिथ? हमर मितक िवचरक िवफोटसँ भर गेल आ मृितक बाढ़मे बहए लागल।१हमर अमीके ँ जुमाक नवाज आथाक दृिसँ नीक लगैत छलिह। ओ कोनो चीजक अवहेलना कऽ सकै त रहिथमुदा जुमाक दन नमाजक निह, से ओ हमरा सभके ँ ओिह दन घरमे निह रहए दैत रहिथ। अबा सेहो नकरदामससँ निह बिच पाबिथ जे ओ घरपर रहबाक यास करिथ। नकर सन डीलडौल बलाकेँ सेहो हाथमे टोपीलए मिजद चुपचाप जाए पड़िह।हमरा सभक घरमे काजसँ दूर भागए बला, आलसी बा, िशकारी हम आ हमर अबा हरदम मिजद निहजएबा लेल बहाक ताकमे रहैत छलँ। हमर अबा भोरेसँ छाती तनैत कहैत रहैत छलाह जे आइ जुमा अिछसे कोनो हालितमे मिजद जएबाके अिछ। मुदा जखने समय लग अबैत रहए नकर बहा शु- “अरे! अखनेकादोमे हम खिस पड़लँ...” हमर अमी लग कोनो रता निह बचिह। जे से, तखन ओ हमरा सेहो मिजद निहपठा सकै त छलीह...हमरा नहबैत, हमर कपड़ा धोबैत, ओ कोना कऽ सकतिथ? तैयो ओ हाथमे छड़ी लेने आँगनआबिथ, हमरापर गुहरैत, हमर पु िपटान करैत आ हमरा अँगनामे कपड़ा जकाँ टँगैत। से हम ई चोट खएबासँनीक बुझैत रही नमाजे पढ़ब। हमर आलसपना मिजद पँिचते अकाशमे उिड़ जाइत रहए।एक बेर ओतए पँिचते हम दोसर बा सभ संग िमझरा जाइत रही आ सभटा नीक वरदानक लेल ाथना करैतरही- जेना हमर अबा लग खूब पाइ होिह, हमर अमीक वाय नीक भऽ जािह, हमर पढ़ाईमे मोन लागएआ क क।हमर अमा बुझाबिथ- “हमरा सभके ँ मिजद मा वरदान ा करबाक लेल निह जएबाक चाही, हमरबाउ..हमरा सभकेँ नमाज पढ़बाक चाही...अलामे आथा हेबाक चाही। वैह छिथ जे हमर सभ कयाण देखैतछिथ”।157


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्जखन दोसर नका हमर उपराग देिह जे हम नमाज काल आते-आते गप करैत रहै छी तँ ओ हमरा आतेसँदबािड़ बाजिथ- “हमर बाउ, ाथनाक काल बजबासँ अपनाके ँ रोकू ...कमसँ कम मितकमे दोसर तरहकिवचारके ँ अएबासँ रोकू । बगलमे बम कएक ने फाटय तैयो सवदा अपन मितकके ँ अलापर के ित राखू...”।नका ओिह दन एिह गपक अदेशा निह रहिह जे एक दन ठीके मे मिजदमे बम फाटत। से आय निह जे ओएतेक आमिवाससँ बािज रहल छलीह। आब जखन ठीके मे बम िवफोट भेल अिछ, नका ई अनुभव भऽ रहलछिह जे कतेक भावह ई भऽ सकै त अिछ।हम नकर वेदनाके ँ निह देिख पािब रहल छी। ओ डरायिल छलीह। ओ नमाजसँ डरायल छलीह। ओ अलासँसेहो डरायल छलीह।“अमी...”। हम उत भऽ कहलँ।“हमर बेटा...”। ओ दोसर कातसँ बजलीह। “अहाँ आइ मिजद निह गेलँ, निह ने, हमर बाउ”? ओ फे रसँकहलीह।हमर दय डूिम रहल रहए। शद हमर संग छोिड़ रहल रहए। हमर कं ठ सूिख रहल रहए। हम घुटनक अनुभवकएलँ। िवचार वार जकाँ हमरा भीतर उठ रहल छल। हमरा लागल जे यो हमरा ठेिल कए सोख कएभूतमे लऽ जाऽ रहल अिछ।२जुमाक दन मिजदसँ घुरलाक बाद हम सभटा घटनाक आवृि अमी लग करैत छलँ। हम नमाजक एकटाछोट संकरण नका लगमे करैत छलँ। हमरा ाथना पढ़ैत देिख ओ हमरा आलगन मे लऽ चुमा लैत छलीह,“अला हरदम अहाँक रा करताह, हमर बाउ...”। ओ हमरा आशीवाद दैत रहिथ। तखन हम िनणय कएलँ जेजँ हमरा कोनो ानाण अिछ तँ हमरा कोनो नमाज निह छोड़बाक चाही। सभ जुमाके ँ ओ नमाजक महवपरबाजिथ आ मिजद जएबापर जोड़ देिथ। आन चीजक अितर ओ एिह गपक िवषयमे बाजिथ जे कु रान अहीदन बनाओल गेल रहए, क मनुख अपन कमक लेल अही दन उर दैत अिछ आ जे िव जीवन रिहत जेकिहयो होएत तँ सेहो अही दन होएत।हमर माथ, छोट रिहतो, ई गप बुिझ गेल जे जुमा कएक मुसलमान लेल पिव अिछ।सभ बा जुमा दन साँझ धर कू लमे रहैत छलाह, मा हम दुपहरयाक बादे कू ल छोिड़ दैत छलँ, मिजदजएबाक बहे झोरा झुलबैत घर घुरैत छलँ। हमर अमी िशकसँ परामश कए के ने छलीह।दोसर छा सभ हमरा एतेक शी घर जाइत देिख ईया करैत छलाह। ओ हमरा भायशाली बुझैत छलाह आअपनो मुिलम होएबाक मनोरथ करैत छलाह।158


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्नकर ईयालु मुख देिख हम भीतरे-भीतर हँसैत रही। हम खुशी-खुशी घर घुरैत रही जेना हाथीक सवारी कएनेहोइ।हमर अमी ओिह महवपूण उपिथितक लेल हमरा तैयार करैत रहिथ- गरम पािनसँ नहबैत रहिथ, हमरआँिखमे काजर लगबैत रहिथ, हमर के शक लटके ँ टोपीक नीचाँ समेट कए राखिथ। हम सभ दन तँ हाफ पटमेरहैत छलँ मुदा ओिह दन उजरा कु रता पैजामामे चमकै त छलँ।दोसर ीगण हमरा देिख अपन हाथ हमर मुखक चा दस जोरसँ घुमाबिथ आ कोनो दुामाकेँ भगाबिथ आकहिथ, “जखन जुमा अबैत अिछ अहाँ जुमाक सभटा चक लए अिबते ने छी”!!अहाँ जुमाक साँझमे ई खुशी सभ घरमे देिख सकै त छी, दरगा के र े म कएल िचक सोझाँमे जड़ैत लैप,अगरबतीक सुगधी वायुमे हेलैत; अपन माथ झँपने ीगण घरक भीतर-बाहर होइत; आ नारके लक दामदोकानक िखड़कपर बढ़ैत। दरगा के र े म कएल िच पर नारके ल चढ़ेबाक िवधक वणन एतए अहाँ निह छोिड़सकै त िछयैक।कएक तँ हमर अबाकेँ अपण िवधक ान निह छलिह से ओ हजरतके ँ छओटका रतासँ घर अनैत रहिथ। हमरअमी ई िसखबाक लेल नकर पछोर धेने अबैत रहिथ।“अहाँकेँ ई अतरो निह बुझल अिछ कलमा..आक गुसुल...हमरा अहाँसँ िनकाह करेबाक लेल अपन अमी-अबाकेँ दोषी बनाबए पड़त...कयो अहाँसँ नीक नका सभकेँ निह भेटलिह, अहाँसँ हमर िबयाह करेलिथ।आब बो सभ अहक रता पकड़लिथ हँ...” ओ नकासँ एिह तरहे ँ िववादपर उतर जािथ।“अहाँ ..घरक...ई उपीड़न हमरा लेल अस भऽ गेल अिछ..”। पजरैत, ओ मिजद जाइत रहिथ लाल-पीयरहोइत हजरतके ँ घर अनबा लए।हजरत नारके लक अपण िवध पूरा करबाक बाद अपन मुँह आ पएर धोिब आ अपन दाढ़ीमे ककबा फे र बाहरमेखाटपर बैसैत रहिथ। एिह बीच हमर अमी फोड़ल नारके लक गुा िनकािल ओकर कै क भाग कए ओिहमेिची िमलाबिथ। ओ तखन एिह िमणके ँ बाहर हातामे जमा भेल सभ गोटेमे बाँटिथ। ओ अतमे हमरा लेलराखल दू-तीन टा टुकड़ी लेने हमरा लग आबिथ।हम िशकाइत करयिह, “यैह हमरा लेल बचल अिछ”? “हमरा सभके ँ अलाकेँ अपत कएल वतु निह खएबाकचाही, हमर बेटा..हम दोसरामे एकरा बाँटी तैयो जँ हमरा सभ लेल कछु निह बचए”। ओ हमरा शात करिथ।नकर मीठ बोल हमरा मोनसँ नारके लक पया िहसा निह भेटबाक िनराशाकेँ खतम कए दैत छल। बादमेहमर िपता आ हजरत साँझमे अबेर धर बैिस गप करैत रहिथ। अपन व बदिल सामाय वमे हम, अपनासंगी सभक संग पड़ोसक एकटा िनमाण थलपर बालूक ढेरपर खेलाय लेल चिल जाइत रही।159


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्ई सभ सोिच हमर आँिखमे नोरक इनार बिन गेल...“हमर पु, अहाँ कएक निह बािज रहल छी? क भेल? हम डरक अनुभव कऽ रहल छी...बाजू...” हमर अमीपुछैत रहलीह। ओना तँ हैदराबाद एनाइ तीन बरख भऽ गेल मुदा एको दन हम नमाज निह पढ़लँ। असमयकपारीमे काज करबा अनतर हम ईहो िबसर गेलँ जे नमाज पढ़नाइ क िछयैक। “अमी..” हम उर लेल शदतकै त बजलँ। “अमी, हम किहया हैदराबादमे नमाज पढ़बाक लेल मिजद जाइत छी जे अहाँ एतेक िचिततभऽ रहल छी”? हम पुछलँ।हम मोन पाड़लँ ओिह दनके ँ जखन ओ हैदराबाद आएल रहिथ कारण हम कह् रिहयिह जे हम नकाहैदराबाद नगर देखेबिह। मुदा हैदराबाद आिब अपन िवरोध देखबैत ओ बजलिथ, “हम कत जाए निह चाहैतछी...हमरापर कएक पाइ खच कऽ रहल छी”? हम नकर मोनक गप बुझैत रही। ओ हमरापर बोझ निह बनएचाहिथ, मुदा हम नकर िवरोधपर यान निह देलँ। हमर जोर देलापर ओ एक बेर अएलीह। हम नकर हाथपकिड़ रता पार करबामे मदित करयिह। एक बेर खैरताबादक लग सड़क पार करबा काल नकर आँिखनोरसँ आ भऽ गेलिह।“अहाँ कतए जम लेलँ...कतए अहाँ बढ़लँ...अहाँ कतेक टा भऽ गेलँ? अहाँ एिह पैघ नगरमे कोना रहए छी?अहाँ बत पैघ भऽ गेलँ...” ओ बड़ाई करैत कानए लगलीह।“अहाँ जखन बा रही तखन हम अहाँकेँ नानीगाम बससँ लऽ गेल रही। हम अहाँक हाथ किस कऽ पकड़ने रही कअहाँ कत हेराऽ ने जाइ। आब अहाँ एतेक पैघ भऽ गेलँ जे हमर हाथ पकिड़ बसपर चढ़बामे मदित करी”। ईकहैत ओ नोरक ारे ठहर गेलीह। ओ खखसलीह, “खुस...खुस...” परमसँ अपन ास वापस अनलिह।ओ जखन भूतकेँ मोन पािड़ रहल छलीह हम नका सावना देिलयिह आ नकर नोर पोछिलयिह।“अमी...हम एतए जीबाक इछासँ अएलँ। हम साहस के लँ आ कतेक रास कठन णकेँ सहन कएलँ। जखनदुिखत रही, हम अपनेसँ दबाइ लए ले जाइ आ संगमे तखनो यन करी।, ई सभ अमी...ई सभ अहाँकआशीवादसँ भेल, आक निह? एिह नगरमे अपना किह कऽ संबोिधत करए बला हमर यो निह अिछ, तखनोहम एतए िबना असगर रहबाक अनुभूितक रहैत छी”। अपन आँिखक नोर पोिछ कऽ ओ हमरा आशीवाद दैतकहलिह, “दीघायु र हमर पु”।समयाक आरभ तकर बाद भेल।“सभ जुमा..जुमा...अहाँ नमाज पड़ए छी हमर बाउ”? ओ पुछलिह।“निह माँ। क ने, कखन हमरा पलखित भेटैत अिछ”?160


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्“अहाँकेँ किहयो समय निह भेटत, मुदा अहाँकेँ करए पड़त, एकरा छोड़बाक कोनो गुजाइश निह अिछ।मुिलमक पमे जम लेबाक कारण अहाँके ँ , कमसँ कम साहमे एक दन समय िनकालए पड़त”, ओ कहलिह।आगाँ कहलिह, “धिनक आ गरीब नमाजक काल संग अबैत अिछ। ओ सभ काहमे काह िमलाए नमाज पढ़ैतछिथ। ओिह दन ई बेशी गुणक संग अबैत अिछ। एक बेर हरेलापर अहाँ ओ आशीष किहिय घुरा निह सकै त छी।तािह ारे धिनक आ एहनो जो लाखमे पैयाक लेनदेन करैत छिथ, अपन वसायकेँ एक कात रािख नमाजपढ़ैत छिथ। दोकानदार सभ सेहो अपन वसाय ब कऽ दैत छिथ िबना ई सोचने जे कतेक घाटा नका एिहसँहेतिह। संगिह ओ गरीब सभ जे ितदनक खेनाइक जोगार निह कऽ पबैत छिथ, सेहो नमाज पढ़ैत छिथ”।हमरा डर छल जे हमर माँ वैह पुरान िखसा फे रसँ तँ निह शु कऽ देतीह। िवषय बदिल कऽ हम कहिलयिह,“क अहाँकेँ बुझल अिछ जे एतए िनजाम नवाब ारा िनमत एकटा पैघ मा मिजद अिछ...”?“एहन अिछ क? हमरा अहाँ ओतए निह लऽ चलब”? ओ उसाहसँ बजलीह।“जखन अहाँ ओतए पँचब तँ हमरा नमाज पढ़बा ले अहाँ निह ने कहब”। हम िवनयपूवक ाथना कएिलयिह।“हमर बाउ...अहाँ ई क कहैत छी...हम अहाँके ँ ई सुझाव अहाँक अपन भलाइ लेल दैत छी”।“ठीक छैक..चलू चली”! हम सभ ओतएसँ बस ारा सोझे मिजद गेलँ। ओ चारमीनार दस देखलिह जेमिजदकक मीनारसँ बेशी पैघ रहए।“अमी ओ छी चारमीनार। हम पिहने ओतए चली..आक मिजद”? हम पुछिलयिह।“ओतए चारमीनारमे क अिछ हमर बाउ”?“ओतए कछु निह अिछ...कोनो दशामे देखू एके रंग लागत। मुदा अहाँ ऊपर चढ़ सकै त छी। ओतएसँ अहाँ मामिजद प पमे देिख सकै त छी...आब देरी भऽ गेल अिछ। हम चारमीनार बादमे देिख सकै त छी...अखन तँहमरा सभ मिजद देखी”। ओ वीकृ ित देलिह।मिजदक भीतरमे शाित रहए। शाितक सााय छल। ई शीतल, सुखकारी आ िवतृत रहए। आगतुककआबाजाही बेशी रहए। अमी भीतर जएबामे संकोच कऽ रहल छलीह कारण ीगण सामायतः मिजदमे निहवेश करैत छिथ। मुदा ओ कछु बुरकाधारी ीगणके ँ ओतए देिख ओहर बढ़ गेलीह।अपन सारीक ओरकेँ माथपर लैत ओ बजलीह, “हमँ अपन बुरका आिन लैतँ ने”? घरसँ चलैत काल ओ एिहलेल कहने रहिथ मुद ई हम रही जे नका एकरा पिहरएसँ रोकने रही। अपन ठामपर नका लेल एकराछोड़नाइ सभव निह छलिह मुदा हम एिह नव थानपर नका एिह झंझटसँ मुि देमए चाहैत रही। मुदा161


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्अपन सदयक ीगण बीचमे िबना बुरका पिहरने ओ अपनाकेँ िबना चामक अनुभव कऽ रहल छलीह। जखनहम नका तंिभत आ थरथराइत चलैत देखिलयिह तखन हम नका बुरका निह पिहरए देबाक लेल लितअनुभव कएलँ। तैयो अपन रा करैत हम कहिलयिह, “हम कोना ई बुिझतँ अमी जे हमर सभके ँ मिजदघुमबाक योँत लागत”।ओ कछु निह बजलीह।“एिहसँ कोनो अतर निह पड़ैत अिछ...आऊ”। हम बादमे ई किह नका भीतर लऽ गेलँ। ओ हमर संग अएलीह।हम सभ अपन चपल कातमे रखलँ जािहसँ बादमे ओकरा लेबामे आसानी होए। कतेक गोटे मिजदकसीढ़ीयेपर आलती-पालथी मार कए बैसल रहिथ। परबाक संग खेलाइत कछु गोटे ओकरा दाना खुआ रहलरहिथ। कछु परबा उिड़ गेल आ कछु आन घुर कए उतरल। कचु परबा पािनक चभाक कातमे बैिस कऽएहर-ओहर ताक रहल रहए, एकटा आलादकारी दृय। अमी नकाँ आयत भऽ देखलिह। बादमे ओहमर पाछाँ अएलीह जखन हम सीढ़ीक ऊपर लेटफॉमपर पँचलँ।लेटफॉमकेँ चा दस देखैत ओ िचकर कए बजलीह, “हमर बाउ, एक बेरमे कतेक गोटे एतए बैिस कऽ नमाजपढ़ सकै त छिथ”?“हमरा निह बुझल अिछ अमी...कै क हजार हमरा लागए-ए। रमजानक दनमे लोक चारमीनार धर बैिस कऽनमाज पढ़ैत छिथ”। हम उर देिलयिह। “हँ, ई टी.वी. मे देखबैत अिछ” अमी युर देलिह। ओ एकरानीकसँ चीिह गेल रहिथ, हम अपनामे सोचलँ। चा कात देखाऽ कऽ अितममे हम नका मिजदक पाछाँ लऽगेलँ। पाथारक फलक िचड़ैक मलसँ मैल भेल रहए। परबा सभ देबालक िछमे खोप बनेने रहए।ओ मीनारक देबालके ँ छूिब आ आँिखसँ ापूवक सटा कऽ अित स भऽ गेलीह।“एतए नमाज पढ़ब पिव गप अिछ, हमर बाउ”, ओ कहलिह। हम एिह बेर कोनो अित सवेदना निह भेल।“हँ। ठीके , हम एतए कमसँ कम एक बेर नमाज अवय पढ़ब”। हम अपनाकेँ कहलँ।हम जतए रहैत छी मा मिजद ओतएसँ ब दूर अिछ। जुमा आ छुीक दन बससँ एतए अएनाइ ब दुगमअिछ। तैयो, अिगला बेर हम एतिह नमाज पढ़बाक ण कएलँ।“हम अिगला सा एतए आिब नमाज पढ़ब अमी”, हम कहिलयिह। ओ फु िलत अनुभव कएलिह आहमरा दस आवेशसँ देखलिह।“एिह सभ ठाम नमाज पढ़बामे अपनाकेँ धय बुझबाक चाही”, ओ कहलिह।162


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्“अहाँक अबा ओतेक दूर रहैत छिथ, ओ क नमाज पढ़बाक लेल एतए आिब सकै त छिथ? अहाँ अही नगरमेछी..एतए नमाज पढ़ू”, ओ कहलिह। “निह मा एतए, जतए कत पुरान मिजद होए ततए नमाज पढ़ू। कतेकिस लोक एतए नमाज पढ़ने होएताह। एिह सभ ठाम नमाज पढ़लाक बाद कोनो घुरए के र गप निह अबैछ।अला अहाँकेँ िनके ना रखताह”।हम मिजदमे एना ठाढ़ रही जेना जादूक असर होए। हम नकर गप सुनलँ, कान पािथ कऽ। बदमे, बाहरिनकललाक बाद हम सभ कछु िबसर गेलँ। अपन मिजद जएबाक िताकेँ सेहो हम कात रािख देलँ। ओहीसंयामे हम अमीकेँ बस-टैडपर छोड़लँ। तकर बादा दू टा जुमा बीतल, मुदा से एना बीतल जेना ओ कोनोजुमा निह छल। आब बम िवफोटक एिह समाचारक बाद हम जुमासँ भयभीत छी।“अमी...अहाँके ँ ईहो बुझल अिछ जे कोन मिजदमे बम फू टल छल”? हम फोनपर पुछिलयिह।“कोनमे हमर बाउ”? ओ उसुक भऽ पुछलिह।“अहाँ एक बेर हैदराबाद आएल रही, मोन पाड़ू? हम निञ अहाँके ँ एकटा मिजदमे लऽ गेल रही...मामिजद...पैघ सन? ओतिह, ओही मिजदमे...खुनाहिन ओही मिजदमे अमी...खसैत लहाश.. अहाँ कहने रहीजे कयो जे ओतए नमाज पढ़त, धय होएत...ओही मिजदमे अमी”। हम कहिलयिह। “छोट बासभ...ओकर सभक देह खोनमे लेपटाएल...परबा सभ सेहो मरल...”।नोर अिनयित दुखमे बहए लागल। हम बाथम लग नोर पोछबाक लेल गेलँ। नक दय हमर कानिन देखफाटए लगलिह। ओ सेहो कानए लगलीह। हम आगाँ कहलँ, “अमी, निह कानू...अबाकेँ होएतिह जे हमराकछु भऽ गेल अिछ...नका किहयिह जे हम नीके ना छी”।कनैत ओ हमरा पुछलिह, “फोन निह राखब हमर बाउ”।“जदी अमी, क”।“अहाँ चिल आउ...गाम चिल आउ...हमर गप सुनू”।“हमरा कछु निह भेल अिछ अमी”।“बाहर निह जाएब..हमर बाउ”।“ठीक छैक अमी”।“ओिह मिजदमे निह जाएब, हमर बाउ”।163


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्हमर दय फटबा लेल फे र तैयार अिछ। हम नका ई आासन दैत जे ओिह मिजदक लगो कोनोठाम हम निहजाएब, फोन रखलँ।मुदा िवचारक आगम बढ़ैत रहल। कतेक िविभता! कतेक परवतन कािहसँ! ई हमर अमी छिथ जे एना बािजरहल छिथ? ई ओ छिथ जे हमरा ई बािज रहल छिथ जे मिजदक लगो कोनोठाम निह जाऊ? अला कोनो आनभऽ गेल छिथ अपन बाक ेमक आगाँ? अपन खूनक आगाँ अला अवादु भऽ गेलिथ? नमाज िवरोधक योयभऽ गेल? अला माफ दअ! मा क! आन जुमाके ँ कोनो खुनाहिन निह हो..औजिबलाही..िमनाशैतान...िनराजीम..िबिमलाह इरहमा िनरहीम...!(ओिह सभ अमीजानकेँ समपत िजनका मा मिजदक बाद अपनाकेँ हमर अमी जकाँ परवतत होमएपड़लिह...लेखक)अजय सरवैया, गुजराती किवगुजरातीसँ अंेजी अनुवाद हेमांग देसाई ारा। अंेजीसँ मैिथली अनुवाद गजे ठाकु र ारा।अहाँक तामस हमर वागतपथ“अहाँ आवेित छी ितविन आ मोहक वरसँ”. पालो नेदाचधर आ पीयुषक लेल१.“किह धर हम िखचैत रहब एना”? ओ पूछतआ मुखसँ164


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्हेराएल आँिखसँहम राखब सोझाँ शदकेँ , ओ रखतीह िनयमावलीहम करब सोझाँ अपन इछा, ओ मके ँहम देबिह मेघ, ओ चहम आनब , ओ पलायनहम ितभाक ेमी, ओ बधनकहम वक आकांी, ओ िनजनताककिहया धर? हम बुझलँ नीक जकाँहमर भाय रहए फराकहमरा सभक दन राित सेहोऋतु आ पाबिन ितहार जकाँसमय काल हमरा सभक अतरहमरा सभक िविभता रहए िविभहमरा सभ ेम करैत रहीकतेक दन धर?165


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्राजे पटेल, गुजराती किवगुजरातीसँ अंेजी अनुवाद हेमांग देसाई ारा। अंेजीसँ मैिथली अनुवाद गजे ठाकु र ारा।१हम कएक कऽ रहल छी अनुभवधरा िबन शाखकिबना एिह हाथक?पसारैत दूर आ िवतृतजीिवत साँपक ताकमेई सभ हाथ एक दोसरमे ओझराएलआ समा होइत मा नहक वृिमे।बाबाक छड़ीक पकिड़सँबसक ठाढ़ होएबला लटकल चमुी अनैत अिछ वैह अिवचल शूयाकाश।ओकर कए अनुभूितई सभ खचल कार कौआक हाथघुिम जाएत आकाश दससभटा खेत अंकु रत फु िलत166


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्पृवीक ग-गकपाँजर खेतमे गठलबाँिह जकाँ।सभटा हरक फारक चेहभाय रेखा हाथक।पंि जोिख सकै एमा हाथक लबाईनिह एकर जिड़पिहने हम कए सक एकर िनदानहाथक आमण जिड़परेत धरापररोशनाईसँ पसरलअपन नव अंकु रत आँिखएउिड़ गेल नव-जनमल पाँिखएओिह धूसरत गगनक पारआबसभटा मितक कोिशकामेहाथ रहैछ अहनश167


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्वेश कए रहल गँहीर आर गँहीर जिड़मेपीयूष ठर, गुजराती किवगुजरातीसँ अंेजी अनुवाद हेमांग देसाई ारा। अंेजीसँ मैिथली अनुवाद गजे ठाकु र ारा।सांय बेलासाँझ होइतेिशिशर आह पवतकआछादत कएल अकाशअिवलब पड़त सपूण आकाश फाँसमेएिह पवतक छाहकपवतकेँ भेटत अकाशकाशकेँ छाहशरीर सुततदय दुिखतओिहना जेनाईरके ँ भेटल मनुखपा िवेदी, गुजराती किवगुजरातीसँ अंेजी अनुवाद हेमांग देसाई ारा। अंेजीसँ मैिथली अनुवाद गजे ठाकु र ारा।आमदहे िवदेशी!168


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्देखाऊ हमरा एहन दृययद अिछ कोनो एहनिबनु काशिबनु गक ओछाओनिबनु छाहजतएनिहए अिछचुपीक अंशिथत दयक विननिहए विनक आँगुरक नोकक पशदेखाऊ हमरा ओ दृययद अिछ कोनो एहनहौ िवदेशी!जतएयो निह करैछ एकितवासक मालगुजार।बाबू सुथार, गुजराती किवगुजरातीसँ अंेजी अनुवाद हेमांग देसाई ारा। अंेजीसँ मैिथली अनुवाद गजे ठाकु र ारा।गृहमोह169


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्१.गंध पिहल बुीकआ हमबैिस आपसारी एक-दोसराक दसभेदत पड़पड़ाइत बुीक बुदबलुआही माट भेलयथाथ छननीअएल खर रौदक फोकापाथरक चामपरअिवलबझझायतछातक खपराक भूरधारक संग उगडुम करतनवतुरआ बरद कछेरपर नाचत।सभटा गलीमेबरद सभ आनत पािन170


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्सोलह टा पालो बािह गरदिनमेसभ घरमेधरिन सभ नहाएत जी भरदेबालपरगाछक छातीपरमृितक िशलालेखपरहदसैत पािनखोलतहतार भगवानक पूवजक।बराखक संगेचमकै त आकाशमाएक कोमल तरहथी।सूय करत आछादतवृकशाखकपातकपँखुिडक।टाँगल पिक आवाससभ गृहक बाहरमयूर सभ करत नृय।171


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्जेना िय नव वधुमयूरीक माथपरक जलक घटगामक दोगहीसँ िनकलतअनबा लए पािनिछटैत नहक आकारक झीलवैतरणी डुमाएतरीढ़यु नागफनीक पात।संगजीव आ िशवकरत अमी आ एकादशीचमा उगतचुीक कटगर पीठपरआचाली सभ बहराएतआडबरसँ राजसी मुकु ट धेनेसयेकछु अकठ अिछ हमरा सभक भायमेआइ172


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्आइगंध पिहल अछारकआ हमबैिस आपसरैत एक दोसरामे।वासुदेव सुनानी, ओिड़या किवओिड़यासँ अंेजी अनुवाद शैलेन राउॉय आ अंेजीसँ मैिथली गजे ठाकु र ाराअनुमितहमरा अनुमित अिछ ीमान!हम कए ली िवाम कनेक काल?अहाँक आदेशानुसारछाह के ँ देने अिछ बहार,173


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्बू के ँ देने छी खोआए,अहाँक नालाकेँ कए देने छी साफ,निह रहत कोनो दुगध आब।हमर अिछ ढोल बजबए बला मधुमाछीयुगसँ अहाँक मनोरंजनाथआ हमर आँगुर िथरताक राखए आशहम करी िवाम थोड़बे काल?हम करैत छी अनुभव पुरखाक वेदहमर देव, हमर मृतामा।तािह लेल िय ीमान्घंटा भरक िवाम मा अिभवादन जकाँकएक तँ हमर दुगध, वेदक आ कछु आन वतुक।हम करए छी तीा अहाँक नीक समय तृिकसंगिह अपन कट-संिमत िजनगीक समािक संके तक।174


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्तीा सेिह भर दैत अिछ थकान, ीमान् ियवरिवशेषकए लाख बरखक जँ ई होए।से हम करए छी िवाम थोड़ेक काल, ीमान्?कारण हमरो सन् तुछकेँ बुझल छैक छोट-मोट िवोहक कला।भरत माँझी, ओिड़या किवओिड़यासँ अंेजी अनुवाद शैलेन राउॉय आ अंेजीसँ मैिथली गजे ठाकु र ाराहमर घुरलाक बादहमर घुरलाक बादो ओिह थानके निह छोडू रपकड़ने र ओकरा।फू ल सभकेँ निह फे कूक कोनो महव अिछ एकर जे ओ टटका फु लाएल अिछ आक अिछ मौलाएल?खोलू हमर सभटा नुकाएल भोिथयाएल व,ओकरा अलंकृ त कए।175


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्उनट दअ सभ ठामक लैपकेँ ,आ रोक दअ अहारक ित घृणािबना घबरेने देखू समुआ तखनो निह क घृणा अकाससँ।नेहोरा अिछ!!!पृवीके ँ बुझू एकटा समिमित थानयास क आ ठाढ़ र ओतए।कृ पया बाट ताकू अपनआ से करए काल, र जागल!मोन राखू, हम घुरब एिह पृवीपर जे एहन एके टा अिछराखू मोन क हम घुरबहम बाउग के ने छी पथके ँ सरसवक बीआसँ,मोन राखू ओ पथ176


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> बालानां कृ ते१.उमेश कु मार-२.योित झा चौधरीhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्उमेश कु मार- पु ी के शव महतो, बहादुरगंजएकटा राजा रहए। ओकरा एकटा बेटा रहए। ओकर राजपाट खूब शांित सँ चलैत रहए। राजा जखन बीमारभेलए तँ बेटाकेँ कहलकए।१.फ कोरमे सीरा खाइले।२.ारपर हाथी बहबा कऽ राखय ले।३.वैर भाव नह राखए ले।४.बाहर िनकलैपर छाँवमे रहबा ले।राजकु मार एकर अथ निह बुिझ पेलक। राजा मर गेलैक।राजकु मार राजा बिन गेल।िपताजीक गपपर ओ अमल करए लागल।१.फ कोरमे सीरा खेबाक मतलब ओ बुझलकै जे सभ दन खसी कटबा कए सीरा खेनाइ आ बचल मासु नोकरसभ के देनाइ आ ओ सैह करए लागल।२.ारपर ओ एकटा हाथी कन कऽ रखबा देलक आ चार टा नोकर ओकर देखभाल लेल रािख देलक।३.ओ सभटा बैरक गाछ काट कऽ हटा देलक।४.ओ दू टा नोकर राखलक जे गाछ काट कऽ जतऽ जतऽ राजा जाइत रहए ओतए-ओतए लऽ जाइत रहए।एना कछु दन ओ राजपाट चलेलक। एना करते-करते राजपाट खतम भऽ रहल छलैक , कारण खचा बेसी भऽगेलै आ आमदनी कम, सभ गाछ कट गेलैक।गामक एक बुजुग सँ ओ पुछलक जे हमर राजपाट कएक खतम भऽ रहल अिछ। तँ ओ बुजुग ओकरा बुझेलक जेजाऊ आ तीन मूरी बला आदमी सँ पुछू।चा तरफ राजा खोजलक मुदा तीन मूरी बला आदमी ओकरा निह भेटलैक। फे र ओही बुजुग आदमी सँ पुछलकजे हमरा तँ तीन मूरी बला आदमी निह भेटल।177


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्बुजुग कहलकै जे ७० बरख सँ ८० बरखक आदमी के ँ तीन मूरी बला कहल जाइत छैक कारण जे जखन ओ बैसैतअिछ तँ ओकर मूरी झुक जाइ छैक आ ठेन ऊपर उठ जाइत छैक आ से ओ तीन मूरी जकाँ भऽ जाइत छैक।राजा एहेने एकटा मनुखकेँ ताक क' पुछलक।“िपताजी मरए से पिहने क क बतेने रहिथ”। ओ तीन मूरी बला मनुख पुछलक।राजा कहलक।“ओ बतेलिथ-१.फ कोरमे सीरा खाइले।२.ारपर हाथी बहबा कऽ राखय ले।३.वैर भाव नह राखए ले।४.बाहर िनकलैपर छाँवमे रहबा ले”।“पिहलाक मतलब छी- एक पाव डेढ़का मांछ लऽ कऽ बनबा क' खाउ ओकर सभ कौरमे सीरा भेटत।दोसराक मतलब घरक आगाँ घूर लगा देबा लऽ जािहसँ ारपर हरदम १० गोटे बैसल रहत।तेसरक मतलब झगड़ा-झाँट सँ दूर रिह दोती िमलान सँ र।चारमक मतलब दू पैयाक छाता लऽ छाहमे चलू”। तीन मूरी बला मनुख बतेलक।एकरापर अमल के लापर राजाक राजपाट वापस आबए लगलैक।देवीजी: योित झा चौधरीदेवीजी :देवीजी कं यूटर िशा178


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्िवालयमे नव वषक पिहल दन छल। एना लागैत छल जे िवालयके इमारतमे कछु नवीनीकरण कै ल गेलछल।सब ाथना लेल एकित भेल। नववषक संग नया कामे जायके शुभकामना देलाक बाद िशकगणरहयमय मुकान देबऽ लगला। िवाथ सबहक उ सुकता चरम पर छल।तखन देवीजी समय थ िबता◌ैनाइछा◌ेिड़ सबके सूिचत के लिखन जे पाठशालामे कं यूटर िशाक वथा कै ल गेल अिछ।वमान वैािनक िवकासक परपेयमे कं यूटर के ान अ यंत आवयक छल।आिहकािह सब जगह कं यूटरकउपया◌ेग भऽ रहल छै। सब िवषयमे कं यूटरक समावेश छै।चाहे आ◌े िवान हा◌ेए वा कला। िचकला तकमेक यूटरक उपया◌ेिगता छै। िडिगटल आ ला◌ेगा◌े िडज़ाइऩ फै शन िडज़ाएऩ एिनमेशऩ अतऽ तक जे फमिनमाता सब ए शन सीन के कं यूटर पर एनीमेशन कऽ टट माटर के देखाबैत छिथ जािह सऽ बात बुझमेसहायता हा◌ेएत छै।तािह ारे ्राधानायापक अिहलेल िवशेष ्रायास के ने छलैथ।बड पिहने सऽ लागल छलैथ तखन अिह वषइछा पूण भेलैन। िवाथ सब सेहा◌े अिह समाचार सऽ बत आ लादत भेलैथ।नका सबलेल तऽ मानू व नसाकार भऽ गेलैन।तकर बाद ्राधानायापक इहा◌े कहलिखन जे अिगला साल तक इंटरनेट के इंतज़ाम सेहा◌ेहा◌ेयत।सबके बेराबेरी क यूटर मक दशन कराआ◌ेल गेलैन। कं यूटर के बा य बनावट मा◌ॅनीटऱ सेल ्रा◌ा◌ेसेसग यूिनट सी पी यू़़ तथा क बा◌ेड के संि त िववरण देल गेल। इंटरनेट के ्राया◌ेग सऽसपक थापना कतेक सरल आ सता भऽ गेल अिछ तकर जानकारी सेहा◌े देल गेल। तकर बाद िवाथ सबअपन का दस नव उ साह संग िवदा भेल।सबहक उ साह देख ्राधानायापक के अपन ्रायास सफलबुझेलैन।179


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्बा लोकिन ारा मरणीय ोक१.ातः काल मु (सूयदयक एक घंटा पिहने) सवथम अपन दुनू हाथ देखबाक चाही, आ’ ई ोकबजबाक चाही।कराे वसते लमीः करमये सरवती।करमूले िथतो ा भाते करदशनम्॥करक आगाँ लमी बसैत छिथ, करक मयमे सरवती, करक मूलमे ा िथत छिथ। भोरमे तािह ारे करकदशन करबाक थीक।२.संया काल दीप लेसबाक काल-दीपमूले िथतो ा दीपमये जनादनः।दीपाे शकरः ोः सयायोितनमोऽतुते॥दीपक मूल भागमे ा, दीपक मयभागमे जनादन (िवणु) आऽ दीपक अ भागमे शकर िथत छिथ। हेसंयायोित! अहाँकेँ नमकार।३.सुतबाक काल-रामं कदं हनूमतं वैनतेयं वृकोदरम्।शयने यः मरेियं दुःवतय नयित॥जे सभ दन सुतबासँ पिहने राम, कु मारवामी, हनूमान्, गड़ आऽ भीमक मरण करैत छिथ, नकर दुःवन भऽ जाइत छिह।४. नहेबाक समय-गगे च यमुने चैव गोदावर सरवित।नमदे िसधु कावेर जलेऽिमन् सिध कु ॥हे गंगा, यमुना, गोदावरी, सरवती, नमदा, िसधु आऽ कावेरी धार। एिह जलमे अपन सािय दअ।५.उरं यसमुय िहमाेैव दिणम्।180


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्वष तत् भारतं नाम भारती य सतितः॥समुक उरमे आऽ िहमालयक दिणमे भारत अिछ आऽ ओतुका सतित भारती कहबैत छिथ।६.अहया ौपदी सीता तारा मडोदरी तथा।पकं ना मरेियं महापातकनाशकम्॥जे सभ दन अहया, ौपदी, सीता, तारा आऽ मदोदरी, एिह पाँच सावी-ीक मरण करैत छिथ, नकरसभ पाप न भऽ जाइत छिह।७.अथामा बिलासो हनूमां िवभीषणः।कृ पः परशुराम सैते िचरीिवनः॥अथामा, बिल, ास, हनूमान्, िवभीषण, कृ पाचाय आऽ परशुराम- ई सात टा िचरीवी कहबैत छिथ।८.साते भवतु सुीता देवी िशखर वािसनीउेन तपसा लधो यया पशुपितः पितः।िसिः साये सतामतु सादातय धूजटेःजानवीफे नलेखेव ययूिध शिशनः कला॥९. बालोऽहं जगदानद न मे बाला सरवती।अपूण पंचमे वष वणयािम जगयम् ॥१०.िवक थम देशभि गीत(शुल यजुवद अयाय २२, मं २२)आ ियय जापितॠ िषः। लभोा देवताः। वराडुकृ ितछदः। षजः वरः॥181


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्आ ॑न् ा॒णो ॑वच॒सी जा॑यता॒मा रा॒े रा॑ज॒यः शुरे॑ऽइषो॒ऽिता॒धी म॑हार॒थो जा॑यतां॒ दोधे॒नुवढा॑न॒वाना॒शुः सिः॒ पुर॑िध॒यवा॑ िज॒णू र॑थे॒ाः स॒भेयो॒ युवाय यज॑मानय वी॒रो जा॒यतां िनका॒मे-िन॑कामेनः प॒जय वषतु॒ फल॑वयो न॒ऽओष॑धयः पयतां योगे॒मो नः॑ कपताम्॥२२॥माथाः िसयः सतु पूणाः सतु मनोरथाः। शूणां बुिनाशोऽतु िमाणामुदयतव।ॐ दीघायुभव। ॐ सौभायवती भव।हे भगवान्। अपन देशमे सुयोय आ’ सव िवाथ उप होिथ, आ’ शुुकेँ नाश कएिनहार सैिनक उपहोिथ। अपन देशक गाय खूब दूध दय बाली, बरद भार वहन करएमे सम होिथ आ’ घोड़ा वरत पे ँ दौगयबला होए। ीगण नगरक नेतृव करबामे सम होिथ आ’ युवक सभामे ओजपूण भाषण देबयबला आ’ नेतृवदेबामे सम होिथ। अपन देशमे जखन आवयक होय वषा होए आ’ औषिधक-बूटी सवदा परप होइत रहए।एवं मे सभ तरहे ँ हमरा सभक कयाण होए। शुक बुिक नाश होए आ’ िमक उदय होए॥मनुयक कोन वतुक इछा करबाक चाही तकर वणन एिह मंमे कएल गेल अिछ।एिहमे वाचकलुोपमालकार अिछ।अवय-॑न् - िवा आद गुणसँ परपूण रा॒े - देशमे॑वच॒सी- िवाक तेजसँ युआ जा॑यतां॒- उप होएरा॑ज॒यः-राजाशुरे॑ऽ–िबना डर बलाइषो॒- बाण चलेबामे िनपुणऽिता॒धी-शुकेँ तारण दय बला182


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्म॑हार॒थो-पैघ रथ बला वीरदो-कामना(दूध पूण करए बाली)धे॒नुवढा॑न॒वाना॒शुः धे॒नु-गौ वा वाणी वढा॑न॒वा- पैघ बरद ना॒शुः-आशुः-वरतसिः॒-घोड़ापुर॑िध॒यवा॑- पुर॑िध॒- वहारकेँ धारण करए बाली यवा॑-ीिज॒णू-शुकेँ जीतए बलार॑थे॒ाः-रथ पर िथरस॒भेयो॒-उम सभामेयुवाय-युवा जेहनयज॑मानय-राजाक रायमेवी॒रो-शुकेँ परािजत करएबलािनका॒मे-िन॑कामे-िनययु कायमेनः-हमर सभकप॒जय-मेघवषतु॒-वषा होएफल॑वयो-उम फल बलाओष॑धयः-औषिधःपयतां- पाकएयोगे॒मो-अलय लय करेबाक हेतु कएल गेल योगक रा183


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्नः॑-हमरा सभक हेतुकपताम्-समथ होएिफथक अनुवाद- हे ण, हमर रायमे ाण नीक धामक िवा बला, राजय-वीर,तीरंदाज, दूध दएबाली गाय, दौगय बला जतु, उमी नारी होिथ। पाजय आवयकता पड़ला पर वषा देिथ, फल देय बला गाछपाकए, हम सभ संपि अजत/संरित करी।७. मानक मैिथलीइंिलश-मैिथली कोष मैिथली-इंिलश कोषइंिलश-मैिथली कोष ोजेटकेँ आगू बढ़ाऊ, अपन सुझाव आऽ योगदान ई-मेल ाराggajendra@yahoo.co.in वा ggajendra@videha.co.in पर पठाऊ।मैिथली-इंिलश कोष ोजेटकेँ आगू बढ़ाऊ, अपन सुझाव आऽ योगदान ई-मेल ाराggajendra@yahoo.co.in वा ggajendra@videha.co.in पर पठाऊ।१.कृ िष-मय शदावली २.बसैटी (अररया) िबहार, िशव मिदरक िमिथलार िशलालेखक देवनागरीपातरण।कृ िष-मय शदावली- गजे ठाकु रमाँछ वंशीसँ सेहो मारल जाइत अिछ।छोट माँछक लेल जाल- भौरी जालक योग होइत अिछ।184


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्िभरखा- हाथसँ उठा कए फ कल जाइत अिछ। एिहमे सूत आ लोहाक गोली योग होइत अिछ, २५-२५ ामकलोहाक गोली लगभग २-१/२ सँ ५ कलो धर योगमे आनल जाइत अिछ। अता जाल छोट होइत अिछ आकछारमे राितमे लगाओल जाइत अिछ।कोठी जाल पैघ होइत अिछ आ एिहमे बाँसक योग होइत अिछ।िबसारी जाल- दनमे माँछ हरक जएतैक से राितमे खुी लगा कऽ राितमे माँछ मारल जाइत छैक।ची जाल- लािटकक, पैघ-छोट दुनू, दनमे आषाढ़-साओन दुनू मे। ५-१० िमनटमे उठाओल जाइत छैक।सूतक मोट पैराशूट जाल, सूत आ नाइलनक िमणक करेट जाल, सूतक बड़का हाटा जाल होइत छैक।पैराशूटसँ छोटक माँछ उिड़ जएतैक।पैघ मछली बड़का वंशीसँ, बड़का ची जालसँ, सूताक महाजालसँ मारल जाइत अिछ।पैघ छोट दुनू माँछ बाँसक जंघासँ मारल जाइत छैक। एकरा ४ हाथ खड़ा नारयल आ नाइलोनक डोरीसँ बाहलजाइत छैक।बाँसक करचीक छीपसँ सेहो माँछ मारल जाइत छैक।पटुआक सठीक १००-२०० पुली एकसाथ लगा कए सेहो माँछ मारल जाइत छैक।हाटा जाल कमी धर पैघ होइत अिछ आ सूताक बनैत अिछ।चाँच कहड़ा बाँसक होइत अिछ।धार/बदहाल घेरके ँ मारल जाइत अिछ। पािनकेँ फु लाऽ कए डगरी लगाओलजाइत छैक, चाँच फहड़ामे चाँच फहड़ासँ घेरल जाइत अिछ।माँछक कारडाँरा मछली (डेरका मछली), मूँहा मछली, पोठी, ला (िपआ माँछ), गड़इ, पलवा, टगड़ा, सघी, माँगुड़,चपड़ा, पैना, रेवा, गड़ही, उड़था, मोल, बुआरी, बामी, बगहार, चेलवा, कौअल, गोरा, सौल,भौरा, कजाल,कलबौस, िचल, भोइ, की, भौकु ड़ी, िसलोन, रे, िमरका, िबलासकप, िसवरकप, चाइना माँगुर, कबइ,चाइना कबइ।दरबा- छोट, पातर- २-३ इचक, पीठपर कारी, बगल सफे द185


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्गड़ई- कारीचोपड़ा- चाकर, कारी, मिलनपलबा- दुनू दस काँट, पीठपर सेहो काँट, रंग- पीयर-उर, मछ सेहो होइत छैक।टगड़ा- पैघ माँछ, एकरो तीन टा काँट, मुँहपर मोँछ।सघी- पातर, दू टा काँट दुनू दस, लाल रंगक आ लाल आ हका कारीमँगुरी- मोट आ महग सेहो।एकरो दू टा काँट, लाल आ हका कारीपैना- सफे द रंगक, पीठपर काँटारेवा- सफे द, पौआ-आधा कलोकडढ़ी- पीठपर काँटा, सफे दउरथा- पीठपर काँट, नीचाँ गामे झुकल, सफे दभालु- लबाइ मुँह, सफे द- खड़ा(पीयर), ऊपरमे काँटा, नािभक लग काँट(सभ माँछमे)बोआली- पैघ मुँह- २० कलो तक, सफे द, पीठपर काँट, पखना दुनू दस (सभ माँछमे)बामी- लबा, िबलमे रहैत अिछ, मुँह आगू, गोल मुँह, सूआ जकाँ लबा, पीठपर काँट, नािभपर दू टा काँटसस- माँछकेँ खाइत अिछ।बघार- छोट, १ पौआसँ टल भरक, कारी-खैरा (पीयर), काँट- पीठपर एकटा, बगलमे दू टा, पुछी-चाकर,मुँह चापट, चकड़ाई- बेसी।चेलबा- उर, काँट निह होइत छैक। चलैक लेल दुनू दस पखना, माँछमे तेजगर।कौअल- सफे द, मुँह नमगर।गोरा- मोँछ, दाढ़ी, काँटा, आगाँमे टेढ़186


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्साउल- लाल आ पीयर, नमगर, २-३-५ कलोकभौरा-(गजाल), साउल, िचतफु टरा, पैघ २०-२५०४० कलो तक, गोल-गोल उर, हरयर आ कारीकलबौस- रंग हका कारीअंदाजी माँछिचल- चकरगर बेसी, २०-२५ कलोक, २-३ फट चकरगरिसलोन- पालतू,३-४ कलोक,पोखरमे पोसल जाइत अिछ।रो-पीयर, हका उर, पीठपर काँटिमरका- हका लाल सफे दिसवरकप- पालतूचैना माँगुर- चलानी (पालतू), दुनू दस काँटचैना कबइ- पालतू (चलानी), पीठपर जहाँ-तहाँ काँटकबई- कनफर आ पीठ दुनू ठाम काँटचगा माँछ- सुखायलोमे दूर धर चिल जाइत अिछ, कबई जकाँसस- पािनमे माँछ खाइत अिछ, आदमीकेँ नोकसान निह, आदमी संगे खेलाइत अिछ, सीटीक अवाज(डोलफन)घिड़याल- कु सला लग गंगामे, मुँह लबा, एक-डेढ़ हाथ,दाँत- आँगुरक जेकाँ, रंग लाल, पुछरी नमगर, ३ हाथबोँछ- आदमीक रंग प, कारी, माथपर चूल- के श पकिड़के ँ डुमा दैत छैककृ िष-187


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्जोड़ा बैल/ हरईश- हरमे जोिड़ कऽ पालोमे बाहल जाइत छैक।लगनापालो- कहापरपालोमे दू टा कनैल दुनू बगल बरदके ँ एने- उने (एहर-ओहर) निञ होमए दैत छैक।कनैलसँ हट कऽ एक सवा फटक डोरी बाहल जाइत छैक। समैल (पौन फटक लकड़ीक/ बाँसक) मे डोरीबाहल जाइत छैक।ईशक नीचाँमे पेटार ईशकेँ खुजए निह दैत छैक, ऊँ च-नीच करए दैत छैक।हलमे पुी, नीचाँमे दू-फटक अगल फली पुीमे सेट कएल जाइत छैक, माट उखाड़ैत छैक।परहत (लगना)- हरवाह एिहपर हाथ धरैत अिछ। तीन फटक/ ६ इचक मुी पकड़ैबला लगनामे ठोकल जाइतछैक (मुठया)।नाधा- पालो-ईशमे बािहकेँ जोड़ल जाइत छैक, डोरी होइत छैक ४-५ फटक।दू टा मैडोर (डोरी)- १०-११ फटक दू टा- एकरा चौकमे बािह कऽ बरदमे बािह कऽ हरवाहा चौक दैतअिछ।चौक- (बाँस/ लकड़ीक) ६-७ फटक एिहपर हरवाह छढ़ कऽ चौक दैत अिछ। हरवाहाक हाथमे एक टा झूर/वोली/ लाठी बरद हाँकए लेल रहैत अिछ।गेँक जोताई ३ इच गहरा कऽ ४-५ टा चास दऽ होइत अिछ।मइ लेल ४-५ इच गहराइ करए पड़ैत अिछ।बीया- एक एकड़ (१०० िडिमल) मे २ मन गमक बीया, १० कलो मइक बीया।खाद- एकड़मे २० क. डी.ए.पी., ५ कलो पोटाश, ५ कलो यूरया, ५ कलो जक गम बाउग करबा कालदेल जाइत अिछ।मकइमे डेढ़ सँ दू फटक भेलाक बाद माट चढ़ाओल जाइत अिछ। २ कतार २ फट चौड़ाइसँ। एकड़मे २ टलखाद देल जाइत अिछ। १०० कलो डी.ए.पी., ५० कलो यूरया, २० कलो सािफक, १२० कलो पोटाश,188


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्१० कलो जक। पािन पटवन समयमे खाद दऽ कऽ माट चढ़बैत िछयैक, फे र पािन पटबैत िछयैक। पािनपटेलाक बाद यूरया एक एकड़मे एक टल देल जाइत अिछ।तर-तरकारीक कारसिघया करैला- बड़ा- हाइ ेक/ लेनछोटक करैला- हजरया/ जुमीसफे द करैला- पटिनआ (नजली- मयम खुटक)तारबूज-नामधारी-वाद- भीतरमे लाल, ऊपरमे सफे दी/ िचतफु टरा (हरयर-उर)माइको- हका कारीपजा- माइकोसँ बेशी कारीराजधानी- कारी रंगमेमहाराजा- पैघ छोट कारी रंगमेसैनी आ सुगरदीबी- कारी रंगकनाथ- हका िचतफु टरा (उर/ हरयर)गंगासागर- कु हर जेकाँ उर साफसोरैया- िचतफु टराखीराजुमी- छोटहाइीडमाइको- नमगर/ हरयर/ पीअर189


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्महाराजा- खीराखेतीबारी- हरयर रंगक , नमगर कम, पाछाँमे मोट बेशी आगाँ कम।बसैटी (अररया) िबहार, िशव मिदरक िमिथलार िशलालेखक देवनागरी पातरण।वंशे सभा समाने सुरगन िबदते भू सूरयावितना।राजाभूतकृ णदेवोनृपित समरसहा िमधयामजातः॥यिमन् रायािभषेकं फलियतु िमवतितुोमहेशः।कै लाशाद् भूगतेोयिधन सिततरा वैनाथेन नााः॥तय तनुजः सुकृ ितनृपवरौ िवनाथ राजा भूत।िवरनारायण राजतयायासीद् सुतय॥नरनारायण राजो नरपित कु ल मौिल भूषणम् पुनः।अथनकपूमदूव सुरगन वंसावतंसोभूत॥२॥तमाद वैरकु ल सूदन रामच नारायणो नरपिततनयो वभूक।संमोदता दश दशो िनज कत च योितेहािभराथ िनवहः सुरवतयेण॥३।।यानवार परवत वार रािश सात कत िवमलेदु मरिचकािभः।ोोितता दशदशः सतनुज इनारायणोय कु लभूषण राजराजः॥४॥तेनच सकु ल जाता तनया मनबोध शझिणः कृ ितनः।परणीता बधु यैिलोचनना पुीव॥५॥यया तापतरणावुदतेऽिपिचते190


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्िचतारजिवद वनमालभते िवकासमसौदय दय मकरद च उेनतैव यद् गुणगणा मधुपित योगात्॥६॥येवदव गणो िजाित िनवहः सतायनयादरैः।ददानैपूणः मनोरथोऽथपरन सितितिनः सना॥७॥गद वैर मदाधवारण चपःपेतापांकु रौ।वयाः सवदृशेकृ तागुण चमेमया भूमीतने॥८॥ी ी इदुमित सतीमितमती देवी महारािकाजाता मैिथल माडराऽिमछकु लात् मोधोसरी जानयाः।दानै कपलता मधः कृ तवती ी िवणु सेवा परापाितय परायणाच सततं गंगेर सपारणी॥९॥शाके दु नवच शैलधरणी संलित फागुनेमािस ेतरे िसताहिन िशतेपे ितीयायां ितथौ।भूदेवैवर वैदके मठमयं िनभारय सििनिमःते सेदुमित सुरय िविध ाण िताधात्॥१०॥सोदरपुर सभव राजानुकपापिजविनकृ ितनः।ी शुभनायय कृ ितमदं िवें सतताम्॥११॥मैिथलीक मानक लेखन-शैली191


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्1. नेपालक मैिथली भाषा वैािनक लोकिन ारा बनाओल मानक शैली आऽ 2.मैिथली अकादमी, पटना1.नेपालक मैिथली भाषा वैािनक लोकिन ारा बनाओल मानक शैलीमैिथलीमे उारण तथा लेखन१.पमार आ अनुवार: पमारातगत ङ, ञ, ण, न एवं म अबैत अिछ। संकृ त भाषाक अनुसार शदकअतमे जािह वगक अर रहैत अिछ ओही वगक पमार अबैत अिछ। जेना-अक (क वगक रहबाक कारणे अतमे ङ् आएल अिछ।)प (च वगक रहबाक कारणे अतमे ञ् आएल अिछ।)खड (ट वगक रहबाक कारणे अतमे ण् आएल अिछ।)सिध (त वगक रहबाक कारणे अतमे न् आएल अिछ।)खभ (प वगक रहबाक कारणे अतमे म् आएल अिछ।)उपयु बात मैिथलीमे कम देखल जाइत अिछ। पमारक बदलामे अिधकांश जगहपर अनुवारक योगदेखल जाइछ। जेना- अंक, पंच, खंड, संिध, खंभ आद। ाकरणिवद पिडत गोिवद झाक कहब छिन जे कवग,चवग आ टवगसँ पूव अनुवार िलखल जाए तथा तवग आ पवगसँ पूव पमारे िलखल जाए। जेना- अंक,चंचल, अंडा, अत तथा कपन। मुदा िहदीक िनकट रहल आधुिनक लेखक एिह बातकेँ निह मानैत छिथ।ओलोकिन अत आ कपनक जगहपर सेहो अंत आ कं पन िलखैत देखल जाइत छिथ।नवीन पित कछु सुिवधाजनक अवय छैक। कएक तँ एिहमे समय आ थानक बचत होइत छैक। मुदाकतोकबेर हतलेखन वा मुणमे अनुवारक छोटसन िबदु प निह भेलासँ अथक अनथ होइत सेहो देखलजाइत अिछ। अनुवारक योगमे उारण-दोषक सभावना सेहो ततबए देखल जाइत अिछ। एतदथ कसँ लऽकऽपवगधर पमारेक योग करब उिचत अिछ। यसँ लऽकऽ धरक अरक सग अनुवारक योग करबामेकत कोनो िववाद निह देखल जाइछ।२.ढ आ ढ़ : ढ़क उारण “र् ह”जकाँ होइत अिछ। अतः जतऽ “र् ह”क उारण हो ओतऽ मा ढ़ िलखल जाए।आनठाम खािल ढ िलखल जएबाक चाही। जेना-ढ = ढाक, ढेक, ढीठ, ढेउआ, ढग, ढेरी, ढाकिन, ढाठ आद।ढ़ = पढ़ाइ, बढ़ब, गढ़ब, मढ़ब, बुढ़बा, साँढ़, गाढ़, रीढ़, चाँढ़, सीढ़ी, पीढ़ी आद।उपयु शदसभकेँ देखलासँ ई प होइत अिछ जे साधारणतया शदक शुमे ढ आ मय तथा अतमे ढ़ अबैत192


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्अिछ। इएह िनयम ड आ ड़क सदभ सेहो लागू होइत अिछ।३.व आ ब : मैिथलीमे “व”क उारण ब कएल जाइत अिछ, मुदा ओकरा ब पमे निह िलखल जएबाक चाही।जेना- उारण : बैनाथ, िबा, नब, देबता, िबणु, बंश, बदना आद। एिहसभक थानपर मशः वैनाथ,िवा, नव, देवता, िवणु, वंश, वदना िलखबाक चाही। सामायतया व उारणक लेल ओ योग कएल जाइतअिछ। जेना- ओकल, ओजह आद।४.य आ ज : कत-कत “य”क उारण “ज”जकाँ करैत देखल जाइत अिछ, मुदा ओकरा ज निह िलखबाकचाही। उारणमे य, जद, जमुना, जुग, जाबत, जोगी, जदु, जम आद कहल जाएवला शदसभके ँ मशः य,यद, यमुना, युग, याबत, योगी, यदु, यम िलखबाक चाही।५.ए आ य : मैिथलीक वतनीमे ए आ य दुनू िलखल जाइत अिछ।ाचीन वतनी- कएल, जाए, होएत, माए, भाए, गाए आद।नवीन वतनी- कयल, जाय, होयत, माय, भाय, गाय आद।सामायतया शदक शुमे ए मा अबैत अिछ। जेना एिह, एना, एकर, एहन आद। एिह शदसभक थानपरयिह, यना, यकर, यहन आदक योग निह करबाक चाही। यिप मैिथलीभाषी थासिहत कछु जाितमेशदक आरभोमे “ए”के ँ य किह उारण कएल जाइत अिछ।ए आ “य”क योगक योगक सदभमे ाचीने पितक अनुसरण करब उपयु मािन एिह पुतकमे ओकरेयोग कएल गेल अिछ। कएक तँ दुनूक लेखनमे कोनो सहजता आ दुहताक बात निह अिछ। आ मैिथलीकसवसाधारणक उारण-शैली यक अपेा एसँ बेसी िनकट छैक। खास कऽ कएल, हएब आद कितपय शदके ँकै ल, हैब आद पमे कत-कत िलखल जाएब सेहो “ए”क योगके ँ बेसी समीचीन मािणत करैत अिछ।६.िह, तथा एकार, ओकार : मैिथलीक ाचीन लेखन-परपरामे कोनो बातपर बल दैत काल शदक पाछाँ िह, लगाओल जाइत छैक। जेना- नकिह, अपन, ओकर, तकालिह, चोिह, आन आद। मुदा आधुिनकलेखनमे िहक थानपर एकार एवं क थानपर ओकारक योग करैत देखल जाइत अिछ। जेना- नके , अपनो,तकाले, चोे, आनो आद।193


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्७.ष तथा ख : मैिथली भाषामे अिधकांशतः षक उारण ख होइत अिछ। जेना- ष (खड़य), षोडशी(खोड़शी), षकोण (खटकोण), वृषेश (वृखेश), सतोष (सतोख) आद।८.विन-लोप : िनिलिखत अवथामे शदसँ विन-लोप भऽ जाइत अिछ:(क)यावयी यय अयमे य वा ए लु भऽ जाइत अिछ। ओिहमेसँ पिहने अक उारण दीघ भऽ जाइत अिछ।ओकर आगाँ लोप-सूचक िचन वा िवकारी (’ / ऽ) लगाओल जाइछ। जेना-पूण प : पढ़ए (पढ़य) गेलाह, कए (कय) लेल, उठए (उठय) पड़तौक।अपूण प : पढ़’ गेलाह, क’ लेल, उठ’ पड़तौक।पढ़ऽ गेलाह, कऽ लेल, उठऽ पड़तौक।(ख)पूवकािलक कृ त आय (आए) ययमे य (ए) लु भऽ जाइछ, मुदा लोप-सूचक िवकारी निह लगाओलजाइछ। जेना-पूण प : खाए (य) गेल, पठाय (ए) देब, नहाए (य) अएलाह।अपूण प : खा गेल, पठा देब, नहा अएलाह।(ग)ी यय इक उारण यापद, संा, ओ िवशेषण तीनूमे लु भऽ जाइत अिछ। जेना-पूण प : दोसर मािलिन चिल गेिल।अपूण प : दोसर मािलन चिल गेल।(घ)वतमान कृ दतक अितम त लु भऽ जाइत अिछ। जेना-पूण प : पढ़ैत अिछ, बजैत अिछ, गबैत अिछ।अपूण प : पढ़ै अिछ, बजै अिछ, गबै अिछ।(ङ)यापदक अवसान इक, उक, ऐक तथा हीकमे लु भऽ जाइत अिछ। जेना-पूण प: िछयौक, िछयैक, छहीक, छौक, छैक, अिबतैक, होइक।अपूण प : िछयौ, िछयै, छही, छौ, छै, अिबतै, होइ।(च)यापदीय यय ह, तथा हकारक लोप भऽ जाइछ। जेना-पूण प : छिह, कहलिह, कहलँ, गेलह, निह।अपूण प : छिन, कहलिन, कहलौँ, गेलऽ, नइ, निञ, नै।194


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्९.विन थानातरण : कोनो-कोनो वर-विन अपना जगहसँ हटकऽ दोसरठाम चिल जाइत अिछ। खास कऽव इ आ उक सबधमे ई बात लागू होइत अिछ। मैिथलीकरण भऽ गेल शदक मय वा अतमे जँ व इ वाउ आबए तँ ओकर विन थानातरत भऽ एक अर आगाँ आिब जाइत अिछ। जेना- शिन (शइन), पािन(पाइन), दािल ( दाइल), माट (माइट), काछु (काउछ), मासु(माउस) आद। मुदा तसम शदसभमे ई िनयमलागू निह होइत अिछ। जेना- रिमकेँ रइम आ सुधांशुके ँ सुधाउंस निह कहल जा सकै त अिछ।१०.हलत(◌्)क योग : मैिथली भाषामे सामायतया हलत (◌्)क आवयकता निह होइत अिछ। कारण जेशदक अतमे अ उारण निह होइत अिछ। मुदा संकृ त भाषासँ जिहनाक तिहना मैिथलीमे आएल (तसम)शदसभमे हलत योग कएल जाइत अिछ। एिह पोथीमे सामायतया सपूण शदकेँ मैिथली भाषासबधीिनयमअनुसार हलतिवहीन राखल गेल अिछ। मुदा ाकरणसबधी योजनक लेल अयावयक थानपरकत-कत हलत देल गेल अिछ। तुत पोथीमे मिथली लेखनक ाचीन आ नवीन दुनू शैलीक सरल आसमीचीन पसभकेँ समेटकऽ वण-िवयास कएल गेल अिछ। थान आ समयमे बचतक सगिह हत-लेखनतथा तकिनक दृिसँ सेहो सरल होबऽवला िहसाबसँ वण-िवयास िमलाओल गेल अिछ। वतमान समयमेमैिथली मातृभाषीपयतकेँ आन भाषाक मायमसँ मैिथलीक ान लेबऽ पिड़रहल परेयमे लेखनमे सहजतातथा एकपतापर यान देल गेल अिछ। तखन मैिथली भाषाक मूल िवशेषतासभ कु िठत निह होइक, तादसलेखक-मडल सचेत अिछ। िस भाषाशाी डा. रामावतार यादवक कहब छिन जे सरलताक अनुसधानमेएहन अवथा क ने आबऽ देबाक चाही जे भाषाक िवशेषता छाँहमे पिड जाए। हमसभ नक धारणाकेँ पूणपसँ सग लऽ चलबाक यास कएलँ अिछ।पोथीक वणिवयास का ९ क पोथीसँ कछु माामे िभ अिछ। िनरतर अययन, अनुसधान आ िवेषणककारणे ई सुधारामक िभता आएल अिछ। भिवयमे आन पोथीकेँ परमाजत करैत मैिथली पापुतककवणिवयासमे पूणपेण एकपता अनबाक हमरासभक य रहत।का १० मैिथली लेखन तथा परमाजन महे मलंिगया/ धीरे ेमष संयोजन- गणेशसाद भराईकाशक िशा तथा खेलकू द मालय, पाम िवकास के ,सानोठमीसानोठमी, भपुरसवािधकार पाम िवकास के एवं जनक िशा सामी के , सानोठमी, भपुर।पिहल संकरण २०५८ बैशाख (२००२ई.)योगदान: िशवसाद सयाल, जगाथ अवा, गोरखबहादुर सह, गणेशसाद भराई, डा. रामावतार यादव,डा. राजे िवमल, डा. रामदयाल राके श, धम िववल, पा धी, नीरज कण, रमेश रनभाषा सपादन- नीरज कण, पा झा195


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्2. मैिथली अकादमी, पटना ारा िनधारत मैिथली लेखनखन-शैली1. जे शद मैिथली-सािहयक ाचीन कालसँ आइ धर जािह वनीमे चिलत अिछ, से सामायतः तािहवनीमे िलखल जाय- उदाहरणाथ-ाएखनठामजकर,तकरतिनकरअिछअाअखन,अखिन,एखेन,अखनीठमा,ठना,ठमाजेकर, तेकरितनकर।(वैकिपक पेँ ा)ऐछ, अिह, ए।2. िनिलिखत तीन कारक प वैलिपकतया अपनाओल जाय:भ गेल, भय गेल वा भए गेल। जा रहल अिछ,जाय रहल अिछ, जाए रहल अिछ। कर’ गेलाह, वा करय गेलाह वा करए गेलाह।3. ाचीन मैिथलीक ‘ह’ विनक थानमे ‘न’ िलखल जाय सकै त अिछ यथा कहलिन वा कहलिह।4. ‘ऐ’ तथा ‘औ’ ततय िलखल जाय जत’ पतः ‘अइ’ तथा ‘अउ’ सदृश उारण इ हो। यथा- देखैत, छलैक,बौआ, छौक इयाद।196


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्5. मैिथलीक िनिलिखत शद एिह पे यु होयत:जैह,सैह,इएह,ओऐह,लैह तथा दैह।6. व इकारांत शदमे ‘इ’ के लु करब सामायतः अा िथक। यथा- ा देिख आबह, मािलिन गेिल(मनुय मामे)।7. वतं व ‘ए’ वा ‘य’ ाचीन मैिथलीक उरण आदमे तँ यथावत राखल जाय, कतु आधुिनक योगमेवैकिपक पे ँ ‘ए’ वा ‘य’ िलखल जाय। यथा:- कयल वा कएल, अयलाह वा अएलाह, जाय वा जाए इयाद।8. उारणमे दू वरक बीच जे ‘य’ विन वतः आिब जाइत अिछ तकरा लेखमे थान वैकिपक पेँ देल जाय।यथा- धीआ, अढ़ैआ, िवआह, वा धीया, अढ़ैया, िबयाह।9. सानुनािसक वतं वरक थान यथासंभव ‘ञ’ िलखल जाय वा सानुनािसक वर। यथा:- मैञा, किनञा,करतिनञा वा मैआँ, किनआँ, करतिनआँ।10. कारकक िवभिक िनिलिखत प ा:-हाथकेँ , हाथसँ, हाथे ँ, हाथक, हाथमे। ’मे’ मे अनुवार सवथायाय िथक। ‘क’ क वैकिपक प ‘के र’ राखल जा सकै त अिछ।11. पूवकािलक यापदक बाद ‘कय’ वा ‘कए’ अय वैकिपक पे ँ लगाओल जा सकै त अिछ। यथा:- देिखकय वा देिख कए।12. माँग, भाँग आदक थानमे माङ, भाङ इयाद िलखल जाय।13. अ ‘न’ ओ अ ‘म’ क बदला अनुसार निह िलखल जाय, कतु छापाक सुिवधाथ अ ‘ङ’ , ‘ञ’, तथा ‘ण’क बदला अनुवारो िलखल जा सकै त अिछ। यथा:- अक, वा अंक, अल वा अंचल, कठ वा कं ठ।14. हलंत िचन िनयमतः लगाओल जाय, कतु िवभिक संग अकारांत योग कएल जाय। यथा:- ीमान्,197


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्कतु ीमानक।15. सभ एकल कारक िचन शदमे सटा क’ िलखल जाय, हटा क’ निह, संयु िवभिक हेतु फराक िलखलजाय, यथा घर परक।16. अनुनािसककेँ चिबदु ारा कयल जाय। परंतु मुणक सुिवधाथ िह समान जटल माा परअनुवारक योग चिबदुक बदला कयल जा सकै त अिछ। यथा- ह के र बदला ह।17. पूण िवराम पासीसँ ( । ) सूिचत कयल जाय।18. समत पद सटा क’ िलखल जाय, वा हाइफे नसँ जोिड़ क’ , हटा क’ निह।19. िलअ तथा दअ शदमे िबकारी (ऽ) निह लगाओल जाय।20. अंक देवनागरी पमे राखल जाय।21.कछु विनक लेल नवीन िचह बनबाओल जाय। जा' ई निह बनल अिछ ताबत एिह दुनू विनक बदलापूववत् अय/ आय/ अए/ आए/ आओ/ अओ िलखल जाय। आक ऎ वा ऒ सँ कएल जाय।ह././- गोिवद झा ११/८/७६ीकात ठाकु र ११/८/७६सुरे झा "सुमनसुमन" ११/०८०८/७६आब 1.नेपालक मैिथली भाषा वैािनक लोकिन ारा बनाओल मानक शैली आऽ 2. मैिथली अकादमी,पटनाक मानक शैलीक अययनक उपरात िन िबदु सभपर मनन कए िनणय क।198


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्ा / अा1.181. पँिच पँचहोयबला/होबयबला/होमयबला/हेब’बला,हेम’बलाहोयबाक/होएबाक2. आ’/आऽ आ3. क’ लेने/कऽ लेने/कए लेने/कयलेने/ल’/लऽ/लय/लए4. भ’ गेल/भऽ गेल/भय गेल/भएगेल5. कर’ गेलाह/करऽ गेलह/करएगेलाह/करय गेलाह6. िलअ/दअिलय’,दय’,िलअ’,दय’7. कर’ बला/करऽ बला/ करयबला करै बला/क’र’ बला8. बला वला9. आल आंल10. ायः ायह11. दुःख दुख12. चिल गेल चल गेल/चैलगेल13. देलिखह देलकह,देलिखन14. देखलिह देखलिन/देखलैह15. छिथह/ छलिह छिथन/छलैन/ छलिन61. भाय भै62. भाँय63. यावत जावत64. माय मै65.देिह/दएिह/दयिहदिह/दैिह66. द’/द ऽ/दए67. ओ (संयोजक) ओऽ(सवनाम)68. तका’ कए तकायतकाए69. पैरे (on foot)पएरे70. तामे तामे71. पुीक72. बजा कय/ कए73. बननाय74. कोला75. दनुका दनका76. ततिहसँ77. गरबओलिहगरबेलिह78. बालु बालू79. चेह िचह(अशु)121. जरेनाइ122. जरओनाइ-जरएनाइ/जरयनाइ123. होइत124. गड़बेलिह/गड़बओलिह125. िचखैत- (totest)िचखइत126. करइयो(willingto do) करैयो127. जेकरा- जकरा128. तकरा- तेकरा129. िबदेसर थानेमे/िबदेसरे थानमे130. करबयलँ/करबएलँ/करबेलँ131. हारक (उारणहाइरक)132. ओजन वजन133. आधे भाग/ आध-भागे134. िपचा’/िपचाय/िपचाए135. नञ/ ने136. बा नञ (ने)िपचा जाय182. राखलिहरखलिह183. लगलिहलागलिह184. सुिन (उारणसुइन)185. अिछ (उारणअइछ)186. एलिथ गेलिथ187. िबतओने िबतेने188. करबओलिह/करेलिखह189. करएलिह190. आक क191. पँिच पँच192. जराय/ जराएजरा’ (आिग लगा)193. से से’194. हाँ मे हाँ (हाँमेहाँ िवभिमे हटाकए)195. फे ल फै ल196.फइल(spacious) फै ल197. होयतिह/होएतिह हेतिह199


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्16. चलैत/दैत चलित/दैित80. जे जे’137. तखन ने (नञ)198. हाथ मटआयब/17. एखनो अखनो18. बढ़िह बढिह19. ओ’/ओऽ(सवनाम) ओ20. ओ (संयोजक) ओ’/ओऽ21. फाँिग/फािगफाइंग/फाइङ22. जे जे’/जेऽ23. ना-नुकु र ना-नुकर24. के लिह/कएलिह/कयलिह25. तखन तँ तखनतँ26. जा’ रहल/जाय रहल/जाएरहल27. िनकलय/िनकलए लागलबहराय/बहराए लागलिनकल’/बहरै लागल28. ओतय/जतयजत’/ओत’/जतए/ओतए29. क फू ड़ल जे क फू ड़ल जे30. जे जे’/जेऽ31. कू द/याद(मोन पारब)कू इद/याइद/कू द/याद32. इहो/ओहो33. हँसए/हँसय हँस’34. नौ आक दस/नौ कवादस/नौ वा दस35. सासु-ससुर सास-ससुर36. छह/सात छ/छः/सात37. कक’/कऽ(दीघकारातमे वजत)38. जबाब जवाब81. से/ के से’/के ’82. एखुनका अखनुका83. भुिमहार भूिमहार84. सुगर सूगर85. झठहाक झटहाक86. छूिब87. करइयो/ओ करैयो88. पुबार पुबाइ89. झगड़ा-झाँटीझगड़ा-झाँट90. पएरे-पएरे पैरे-पैरे91. खेलएबाकखेलेबाक92. खेलाएबाक93. लगा’94. होए- हो95. बुझल बूझल96. बूझल (संबोधनअथमे)97. यैह यएह98. ताितल99. अयनाय- अयनाइ100. िन- िनद101. िबनु िबन102. जाए जाइ103. जाइ(indifferent sense)-last word ofsentenceकहैत अिछ।138. कतेक गोटे/कताक गोटे139. कमाइ- धमाइकमाई- धमाई140. लग ल’ग141. खेलाइ (forplaying)142. छिथह छिथन143. होइत होइ144. यो कयो145. के श (hair)146. के स (courtcase)147. बननाइ/बननाय/ बननाए148. जरेनाइ149. कु रसी कु स150. चरचा चचा151. कम करम152. डुबाबय/ डुमाबय153. एखुनका/अखुनका154. लय (वायकअितम शद)- ल’155. कएलक के लक156. गरमी गम157. बरदी वद158. सुना गेलाहसुना’/सुनाऽहाथ मटयाबय199. फे का फ का200. देखाए देखा’201. देखाय देखा’202. सर सर203. साहेब साहब204.गेलैह/ गेलिह205.हेबाक/ होएबाक206.के लो/ कएलो207. कछु न कछु/कछु ने कछु208.घुमेलँ/घुमओलँ209. एलाक/ अएलाक210. अः/ अह211.लय/ लए (अथ-परवन)212.कनीक/ कनेक213.सबहक/ सभक214.िमलाऽ/ िमला215.कऽ/ क216.जाऽ/जा217.आऽ/ आ218.भऽ/भ’ (’ फॉटक200


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्39. करएताह/करयताह104. छत पर आिब159. एनाइ-गेनाइकमीक ोतक)करेताहजाइ160. तेनाने घेरलिह219.िनअम/ िनयम40. दलान दिश दलान दश105. ने161. नञ220.हेटेअर/ हेटेयर41. गेलाह गएलाह/गयलाह42. कछु आर कछु और43. जाइत छल जाित छल/जैतछल44. पँिच/भेट जाइत छलपँच/भेट जाइत छल45. जबान(युवा)/जवान(फौजी)46. लय/लए क’/कऽ47. ल’/लऽ कय/कए48. एखन/अखने अखन/एखने49. अहकेँ अहीँके ँ50. गहर गहीँर51. धार पार के नाइ धार पारके नाय/के नाए52. जेकाँ जे ँकाँ/जकाँ53. तिहना तेिहना54. एकर अकर55. बिहनउ बहनोइ56. बिहन बिहिन57. बिहिन-बिहनोइ बिहन-बहनउ58. निह/नै59. करबा’/करबाय/करबाए60. त’/त ऽ तय/तए106. खेलाए (play) –खेलाइ107. िशकाइत-िशकायत108. ढप- ढ़प109. पढ़- पढ110. किनए/ किनयेकिनञे111. राकस- राकश112. होए/ होय होइ113. अउरदा- औरदा114. बुझेलिह(differentmeaning- gotunderstand)115. बुझएलिह/बुझयलिह(understoodhimself)116. चिल- चल117. खधाइ- खधाय118. मोन पाड़लिखहमोन पारलिखह119. कै क- कएक-कइएक162. डरो ड’रो163. कत- कह164. उमरगर-उमरगर165. भरगर166. धोल/धोअलधोएल167. गप/गप168. के के ’169. दरबा/ दरबजा170. ठाम171. धर तक172. घूर लौट173. थोरबेक174. ब175. तोँ/ तूँ176. तोँिह( पमेा)177. तोँही/तोँिह178. करबाइएकरबाइये179. एके टा180. करतिथ करतिथ221.पिहल अर ढ/बादक/बीचक ढ़222.तह/तह/ तिञ/त223.कह/कह224.तँइ/ तइँ225.नँइ/नइँ/ निञ226.है/ हइ227.छिञ/ छै/छैक/छइ228.दृिएँ/ दृिये ँ229.आ (come)/आऽ(conjunction)230. आ(conjunction)/आऽ(come)231.कु नो/ कोनो120. लग ल’ग201


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्8. English Translation of Gajendra Thakur's (Gajendra(Thakur (b. 1971) is theeditor of Maithili ejournal “<strong>Videha</strong>” that can be viewed at http://www.videha.co.in/ . Hispoem, story, novel, research articles, epic – all in Maithili language are lying scatteredand is in print in single volume by the title “KurukShetram.” He can be reached at hisemail: ggajendra@airtelmail.in )Maithili Novel Sahasrabadhani by Smt. Jyoti JhaChaudharyJyoti Jha Chaudhary, Date of Birth: December 30 1978,Place of Birth-Belhvar (Madhubani District), Education: Swami Vivekananda Middle School, TiscoSakchi Girls High School, Mrs KMPM Inter College, IGNOU, ICWAI (COSTACCOUNTANCY); Residence- LONDON, UK; Father- Sh. Shubhankar Jha,Jamshedpur; Mother- Smt. Sudha Jha- Shivipatti. Jyoti received editor's choice awardfrom www.poetry.com and her poems were featured in front page ofwww.poetrysoup.com for some period.She learnt Mithila Painting under Ms. Shveta Jha,Basera Institute, Jamshedpur and Fine Arts from Toolika, Sakchi, Jamshedpur (India).Her Mithila Paintings have been displayed by Ealing Art Group at Ealing Broadway,London.SahasraBarhani:The Comet202


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्translated by JyotiWe stayed in the village for 18 months and when my father got transferred toPatna then I came to Patna via Pahlejaghat and Mahendrughat. There was a rule ofentrance test for admission in the school. Dad made my brother to give test foradmission in class seven and he made me to give test for admission in class six andseven. Now I came to know why my father had inspired me to learn maths of class sixwhen I was in class five.Well, my brother passed the test for class seven and I passed the test for bothclass six and class seven in District school. There was rule of wearing uniform forstudents even in the Government school in urban area. We, both brothers went to shopwith my father and our school uniforms were prepared –one shirt and one pair of halfpants for each of us. On the very first day of school a fight was just to happen as oneboy tried to tease us. First he called us ‘dehati’ (people from rural area, not stylist) butthat didn’t made us angry because at that age we were considering that word good butnow I realise that he had said that with wrong sense. Anyway when he found usunaffected then he started calling us ‘Bengali guys’. That was intolerable. We both werelooking like very gentle and quiet so he dared to call us so. I couldn’t bare this insult andran to fight with him but my brother stopped the fight.Now that boy started crying and ran to call some senior student. When he cameback he was not crying and he told me that I was lucky as the boy he went to call hadnot come to school that day.I remained scared for two three days thinking about what would happen if thatboy would come with his hero senior. After a few days the boy quarrelled with someoneelse and his hero friend was present that day. He came to our class and hit my203


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्classmate on his stomach. Nobody saved that boy at that time but after those boys leftwe had decided that nobody will talk to that querulous boy and we would make acomplaint against that boy to our class teacher so that he could forward that complaintto the class teacher of that boy. That quarrelsome boy became worried and againshowed his crooked attitude. He went to his senior friend and said that everyone wasconspiring against him. Then the senior boy came and told every one to stand up butnobody stood up. Then he told me to stand up. I followed his instruction and stood up.He repeated that with three or four more boys and all of them stood up one by one.Then he instructed the entire class to stand up. All followed him. Then that senior boystarted threatening us. But our class monitor acted courageously that time. He told himabout the naughty behaviour of his friend. He gave my reference and asked himwhether I looked like a quarrelsome boy but his friend had teased me too. Then thatsenior boy was convinced and he warned his little friend not to repeat such mischievousacts.The school days were passing by so on. Once, a boy whistled to tease theteacher. That boy had escaped to Bombay to be a child actor but returned from there.Some one once asked him why did he returned from Bombay then he replied thatpeople working there were B.A., M.A. so he decided to complete at least matriculation.Now the teacher had left teaching and started investigating about who the culprit was.According to the majority of opinions one side was separated then one bench waspointed now it was to be found out that who was that boy among those six boys sittingon that bench. Then a question was raised that where the sound was came from- rightside or left side. At last the teacher’s investigation ended on two boys. Out of those twoboys one was that Bombay returned hero whose story of trial to be an artist was204


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्favourite time pass in our leisure classes. It couldn’t be confirmed who that culprit wasamong those two.The diary was blank after that. Nand had returned that diary to his son and therewas nothing to be ashamed of in that diary but Aaruni’s siblings used to tease him forthat incident. Therefore Aaruni torn his diary one day out of anger and thisautobiography couldn’t be turned as a novel.The mission of Nand to fix disorganisation was at its leisure. Kids had stayed inthe village for 18 months. His salary was stopped for that period. His elder brotherhelped him to quit the job of field work and find the job of drawing project in an office byinfluence of a politician. He also instructed Nand to visit office, take care of his childrenand establish harmony with people around him.Nand was very obedient to his brother when he came to Patna. He sought onehouse nearby the Women’s college in which his daughter got admission. For admissionof two sons he submitted the required forms for entrance examination with correctinformation. He invited everyone to Patna. He instructed his nephew to come with all.He also told him to catch the steamer of the Bihar Government at Pahlejaghat. He didn’tlike the private steamer of Bachcha Babu because it used to be over crowded and notvery scheduled. On the other hand the Government’s steamers were very punctual andthey were not accepting excess passengers. That was the reason why there was acrisis of tickets. One more advantage in Government’s steamers over private steamerwas that in the Government’s stearmers life of each passenger was to be insured by aBima company.205


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्His wife and children reached with his nephew. Nand was living isolated life inthe Ganga Bridge Colony. He had also prevented his family to associate withneighbours. But every thing was reversed in Patna. There were three neighbours - oneretired soldier, one policeman of Bihar Government and one worker of Bihar LegislativeCouncil. Nand had visited three of them with his both sons and introduced himself andhis sons. Nand’s children had started going to school. Nand was travelling 5 kilometreson his feet to go to the office and while returning to home he used to do domestic workstoo like buying green vegetables and other groceries items from the weekly fair on eachThursdays. The fair was held on Sundays too and he used to buy all household thingsby himself. The only job children had to do was to study. Milkman used to drop packedmilk at door. Getting fresh milk was disturbing children’s study as they were supposedto bring it from the house of the milkman. His elder son, who used to destroyneighbours’ garden by snipping flowers or throwing grabbles to other’s windows in theGanga Bridge colony, was turned much disciplined after staying in the village for 18months. Nand remembered that he had to go to a neighbour’s house with his elder sonand his elder son asked for his apologise to the lady at whom he had thrown grabbleswhen she was looking out through her window. When Nand returned from office thenhe came to know about that incident and he immediately made his elder son to saysorry. The younger son had hit a stone to an elder boy while he was riding the bike.Actually that boy had promised to stop after completing one circle but he didn’t stop andcontinued by saying that he was stopping after completing. He couldn’t convince theyounger one to say sorry as in his opinion he had not done anything wrong. Well thoseincidents happened in the Ganga Bridge Colony. When Nand visited to his neighboursthis time his elder son was totally changed but his younger son was like stubborn.206


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्Both sons of Nand were securing first positions in their classes. Life was goingquite smoothly at that time. All worries of past days were seemed to be gone. A coupleof people from the village were also living in Patna. They used to go for outing on oneSunday each month - either to their villagers or to a zoo. Once they were visiting zoothen Aaruni asked Nand “We have come to the zoo, it is written ‘Botanical Garden’ onthe board outside and at the gate it is printed as ‘Biological Garden’.“In early days, immigrated birds were exhibited in the Sonepur Mela so peoplestarting calling it as a Zoo. The acres of this land have treasured many trees and eachtree has its name and botanical description written on it so this garden is also abotanical garden. Later on, it was realised that there are mainly two parts of biology –one is botany and other is zoology. And in this garden apart from trees, birds andanimals like lions, tigers etc. are also kept. So people found ‘Biological Garden’ as themost suited name for this place. Old name boards were not removed”, Nand replied.Once they were in villagers’ house then the topic of discussion was inaugurationof the new Bridge on the Ganges. The inauguration had been postponed for last twothree years. They asked Nand, “In your opinion when will this be inaugurated? TheChief Minister had said that the bridge would be inaugurated this year only”.“It will never be inaugurated. I have been hearing this for two three years. Whenone pillar is completed, because of excess of sand, it stars cracking after some period.Again the pillar is broken and new construction begins”When that discussion started Nand started thinking of those labourers who felldown from the breaking pillar. Nand was crossed with his colleagues and the contractorof the project. Nand had expressed his disagreement during constructing one pillar andafter some time that pillar was cracked. The pillar was tried to be broken during night207


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्time and when it was not done then a big tent was hung to cover the crack mark so thatno one could see that. That incident was remained as a big issue for a long time. Theworkers working in that project started respecting Nand a lot after that incident but at thesame time Nand had become a villain for contractors and his colleague engineers.Everything was good in those days. Nand’s sons used to finish learning all mathsand science of the new class from January to March. But since Nand was doing allworks by himself his children were totally unaware of the world outside. They only knewthe path between home and the school. Where ever they were going out they weregoing with their father so their personalities were developed in different way. Nand wasleading a normal life but any discussion about the Ganges Bridge project was enoughreason to disturb him. Therefore he started avoiding his friends by and by and at last heneither was visiting any one’s house nor does he has any friend. There was a Japanmade transistor of medium wave available in the market in those days. That was theonly source of entertainment in Nand’s house. His children used to call it radio thenNand used to clarify that radio was very bigger machine in respect of transistor. Whennand had started earning he bought a transistor of the Bush company and took that tothe village.The villagers had crowded to hear that. That Japanese radio wasconsuming battery too fast. The batteries used to be finished till 10 th day of a month andthose were bought once in a month with the grocery. So that source of entertainmentwas not working for rest of twenty days of a month. During those days Nand’s sonsused to play vivid games. Both boys used to make two goal posts at two ends of thebed. The goal posts were made by joining two plastic toys. Those toys were gifted tothem by someone in the Ganga Bridge Colony. They were using combs to kick the ballsand the plastic made letters used to be balls. The challenge was to make goal by hitting208


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्the ball from opposite goal post in one stroke. The rules of the game were also different.In that way Nand’s sons were creating many new games.The days were passing by in that way. The outing was minimal. Two incidentshappened after that. The first was inauguration of the Ganges Bridge and the other wasthat Nand’s both sons couldn’t secure first positions in their classes for the first time.After that Nand was somehow upset. However, those two incidents were not interrelated.Since Nand was not justified by the system of the Government and his sonswere not got the first positions, Nand was disappointed. Nand’s blind faith in thealmighty and omnipresent God was again strengthened. Every incident has its reasonand when the reason is not visible then people’s attraction for the invisible Godbecomes stronger. And Nand used to be very theist from his childhood.“Is Nand at home?” an elderly man having black teeth because of chewing paantoo much, dark complexion and thin body asked after knocking the grill of Nand’s house.“No, he has not yet returned from the office. He must be coming very soon.Come in please”, Nand’s son told.“I am coming after some time”, that man replied.After some time Nand returned in his usual manner of without noticing hissurrounding just hopping towards the home. That man came following him. As soon asNand saw him he greeted- “Oh! Shobha Babu! You’re seen after a long time.”“You recognised me”, said that man.In return Nand sat down and started crying, “You crazy man, you are still a mad.”Shobha Babu was pleased at heart to get such respect.209


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्Shobha Babu was from the Kachabi village. He was younger brother of husbandof Nand’s eldest sister. Nand’s sister was dead. Daugher of his sister was living withthem but she also died after suffering from the deadly pain in stomach. His brother-inlawwas used to ride horse to collect taxes. But after death of the daughter of Nand’ssister his relation with his brother-in-law was also weakened without any intention. Andsuddenly Shobha Babu met him in Patna after 25 years.convinced.”“How is my brother-in-law? We told him a lot for re-marriage but he was not“Those old royal days are gone now. With the end of jamindari the status of thefamily had also diminished. But the habit of leading luxurious life was still existed. Howlong can one survive by selling lands and properties? People started moving towardstowns to earn. We told him that you are the eldest one. You are habituated to live inluxury so you cannot labour. We won’t feet it dignified.”Shobha Babu stopped speaking by making an excuse of chewing paan. But thefact was that his eyes and throat were unable to hide his grief. After taking a break herestarted,“After telling this to my brother I left home with some chura and jiggery withoutasking for his permission. I went to Simariya Ghat and had a bath in the holy riverGanges then crossed the river by a boat and finally reached Patna. I worked in a teastall for some days. People from our region were not in such a large number in thosedays and I was also young. I continued my work there for many years. Meanwhile manyrumours about me were spread in my village like I was dead or I became a priest etc.Then I started my own tea stall after what I sent a postcard to my family. I have been210


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्running my own tea stall near B.N. Collegiate School for last five years. I have alsostarted a paan stall near that”, narrated Shobha Babu.“Shobha babu! All your teeth are broken.”“I got addiction of tea while working in tea stall. But that was not a problem.When I started a paan shop then I started chewing cold paan after having a cup of hottea. This sequence of hot and cold damaged my teeth.”Both of them started laughing at that.Again they started chatting. Sister-in-law of Shobha babu died otherwise therelationship between Mehath and Kachabi villages would be warm now. All misfortunescame together. Nand recalled that his niece (daughter of his sister) was playing sonicely. Suddenly his mother told that someone of some family had touched his niece’sstomach and she started feeling strange pain in her stomach just after that. Even ifmany remedies were tried but that strange pain lead to her mysterious death.“If your niece was live then relation would be alive too”, said Shobha Babu.But Nand was lost in some other world. He was thinking about the life of hischoice. That family life he was leading at that time, buying groceries, worrying aboutchildren’s results, all those things were just a way to obey his elder brother.The new bridge on the Ganges was inaugurated and his sons had not got firstranks in their classes. His daughter had opted for Science i.e. Biology in Graduation.There was no connection between the inauguration of bridge and degradation of hissons in study but in Nand’s opinion children’s progress or retardation is reflection oftheir parents’ good or bad deeds respectively. He considered his failure in stopping thecorruption in the construction of the bridge and earning to take care of his family to211


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्follow his elder brother’s instruction in stead of fighting against the corruption asreasons behind his sons’ degradation.Meanwhile, children’s uncle and Nand’s elder brother arrived Patna. Nand askedhim whether he came through the new bridge or crossed the river by a steamer.“I came by streamer because I was unaware of the fact that the bridge wasopened for public use. I will go through that while returning home as I came to know thatmany deluxe coaches are available to cross the bridge”, replied Nand’s brother.“No, don’t go through that bridge. There are many corruptions done to make thatbridge. Any time it may collapse.”The elder brother couldn’t understand what happened to Nand.“Are you ok? How is your health? Is your problem of asthma in control?” askedthe elder brother as both brothers were suffering from asthma.“No, that is fine. I tried my level best to forget the past, whatever happenedduring construction of that bridge, according to your order. I have seen many workersfalling from the collapsing pillars. Hundreds of workers died. The engineers earned a lotby corruption. Now when the bridge was inaugurated then list of only 17 workers’ namesare sculptured on the stone and kept near bridge and the engineers were rewarded.This bridge can fall down anytime. When I tried struggling against the corruption thenthey retained my salary. Every time I got transferred my salary is retained and I have toleave my family. Following your instruction I accepted this transfer. I tried to forgeteverything, the falling bodies of workers into water, crying families of those workers. Iwas having nightmares of such incidents. And now degradation in the results of my212


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्three children; they used to get the first positions but now condition is changed. This isresult of my own deed. I shouldn’t have left my struggle without completion”, said Nand.“Are you mad? People who had done corruption they will have to pay one day.You did your duty at your utmost. Who doesn’t take care of his family? Neglecting ownchildren because of other’s fault is not wise. What is fault of your children?” said Nand’sbrother.Again both started talking about the village. Nand used to be lost in some otherthoughts while conversation. The elder brother understood that the storm in Nand’sbrain was not going to stop. He kept on consoling Nand. But he had known Nand fromhis childhood. He knew that Nand is very stubborn. So he was scared. He was nottalking to Nand’s wife directly but he told her that everything was dependent on her.Nand went to drop his elder brother to the steamer at Mahendrughat because hecouldn’t trust his brother. He suspected that his brother could go through the bridgewithout telling him and the bridge might collapse anytime.After that Nand started learing astrology. He and his children started wearingvariety of stones in rings. One day, he bouth Hanumaan chalisa for every one at home.He kept five to ten books extra in stock and started giving to visitors. During that timeNand met a fake tantrik. He caught Nand’s psychology so nicely that Nand acceptedhim as a prophet. That priest had all solutions to Nand’s problems- like how to punishthe corrupted people, how to improve children’s result and many more. The basis ofsolution was mantra and tantra on which Nand never had disbelief.That priest started asking for money for doing all needful rituals. That priest toldNand that the goddess told him in his dreams that everything would be fine in nextmonth. He taught him some yoga postures and Nand started following his instructions213


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्like a student followed his teacher’s instructions. Nand tried that for the entire month butnothing happened. In that way a year passed. Meanwhile that priest had some financialproblem and Nand had to bear his personal expenses too. That priest’s children alsostarted tantra. Once a child said, ‘the Goddess is under the bed’ and Nand startedlooking underneath the bed to find the Goddess. Again the priest gave proposal ofmarriages of his son and his daughter with Nand’s nephew and Nand’s son. Nand wasfed up of his diverted behaviour till then. Nand was happy to be associated with him buthe never liked his children to be associated in that circumstances. At the same timewhen Nand’s villagers came to know about that then Nand’s nephew and Nand’s elderbrother quarrelled with the priest and the priest had accepted the fact that he was not areal tantric. He promised to return the money he took from Nand but he never returnedthat.That incident was a bid shock for Nand. He was passing by the priest’s house buthe was not talking to him and the priest was also not taking any initiative. Nand’sdaughter got married and again Nand started leading a lonely aimless life.(continued)महवपूण सूचना (१):महवपूण सूचना: ीमान् निचके ताजीक नाटक "नो एंी: मा िवश" के र 'िवदेह' मे ई-कािशत प देिख कए एकर ट पमे काशनक लेल 'िवदेह' के र सम "ुित काशन" के र ताव आयलछल। ी निचके ता जी एकर ट प करबाक वीकृ ित दए देलिह। ट प हाडबाउड (ISBN NO.978-214


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्81-907729-0-7 मूय .१२५/- यू.एस. डॉलर ४०) आऽ पेपरबैक (ISBN No.978-81-907729-1-4मूय . ७५/- यूएस.डॉलर २५/-) मे ुित काशन, १/७, ितीय तल, पटेल नगर (प.) नई दली-११०००८ारा छापल गेल अिछ। e-mail: shruti.publication@shruti-publication.com website:http://www.shruti-publication.comमहवपूण सूचना:(२) 'िवदेह' ारा कएल गेल शोधक आधार पर १.मैिथली-अंेजी शद कोश २.अंेजी-मैिथली शद कोश आऽ ३.िमिथलारसँ देवनागरी पाडुिलिप िलयातरण-पी-बध डाटाबेश ुितपिलके शन ारा िट फॉममे कािशत करबाक आह वीकार कए लेल गेल अिछ। पुतक-ािक िविधकआऽ पोथीक मूयक सूचना एिह पृ पर शी देल जायत।१.मैिथली-अंेजी शदकोश, २.अंेजी-मैिथलीशदकोश आऽ ३.पी-बध (िडिजटल इमेजग आऽ िमिथलारसँ देवनागरी िलयांतरण) (तीनू पोथीकसंकलन-सपादन-िलयांतरण गजे ठाकु र, नागे कु मार झा एवं पीकार िवानद झा ारा)महवपूण सूचना:(३) 'िवदेह' ारा धारावािहक पे ई-कािशत कएल जा' रहल गजे ठाकु रक'सहबाढ़िन'(उपयास), 'गप-गुछ'(कथा संह) , 'भालसर' (प संह), 'बालानां कृ ते', 'एकाक संह','महाभारत' 'बु चरत' (महाका)आऽ 'याा वृांत' िवदेहमे संपूण ई-काशनक बाद ट फॉममे -कु ेम्–अतमनक, खड-१ आऽ २ (लेखकक िछिड़आयल प, उपयास, गप-कथा, नाटक-एकाक,बालानां कृ ते, महाका, शोध-िनबध आदक सम संकलन)- गजे ठाकु रमहवपूण सूचना (४): "िवदेह" के र २५म अंक १ जनवरी २००९, ई-कािशत तँ होएबे करत, संगमे एकर टसंकरण सेहो िनकलत जािहमे पुरान २४ अंकक चुनल रचना सिमिलत कएल जाएत।अंितका काशन क नवीनतम पुतकसिजदपेपरबैक संकरणउपयासमीिडया, समाज, राजनीित और इितहासिडज़ाटर : मीिडया एड पॉिलटस: पुयमोनालीसा हँस रही थी : अशोकभौिमक काशन वष 2008 मूय.100.00215


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्सून वाजपेयी 2008 मूय . 200.00राजनीित मेरी जान : पुय सून वाजपेयीकाशन वष 2008 मूय .300.00पालकालीन संकृ ित : मंजु कु मारी काशन वष2008 मूय . 225.00ी : संघष और सृजन : ीधरम काशन वष2008 मूय .200.00अथ िनषाद कथा : भवदेव पाडेय काशन वष2007 मूय .180.00उपयासमोनालीसा हँस रही थी : अशोक भौिमककाशन वष 2008 मूय . 200.00कहानी-संहरेल क बात : हरमोहन झा काशन वष 2008मूय .125.00छिछया भर छाछ : महेश कटारे काशन वष2008 मूय . 200.00कोहरे म कं दील : अवधेश ीत काशन वष2008 मूय . 200.00शहर क आिखरी िचिडय़ा : काश कातकाशन वष 2008 मूय . 200.00पीले कागज़ क उजली इबारत : कै लाशबनवासी काशन वष 2008 मूय . 200.00कहानी-संहरेल क बात : हरमोहन झा काशनवष 2007 मूय . 70.00छिछया भर छाछ : महेश कटारेकाशन वष 2008 मूय .100.00कोहरे म कं दील : अवधेश ीतकाशन वष 2008 मूय .100.00शहर क आिखरी िचिडय़ा : काशकात काशन वष 2008 मूय .100.00पीले कागज़ क उजली इबारत :कै लाश बनवासी काशन वष 2008मूय . 100.00नाच के बाहर : गौरीनाथ काशनवष 2007 मूय . 100.00आइस-पाइस : अशोक भौिमककाशन वष 2008 मूय . 90.00कु छ भी तो मानी नह : मनीषाकु ले काशन वष 2008 मूय .100.00भेम का भे माँगता कु हाड़ी ईमान :सयनारायण पटेल काशन वष2007 मूय . 90.00216


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्नाच के बाहर : गौरीनाथ काशन वष 2008मूय . 200.00आइस-पाइस : अशोक भौिमक काशन वष2008 मूय . 180.00कु छ भी तो मानी नह : मनीषा कु लेकाशन वष 2008 मूय . 200.00बडक़ू चाचा : सुनीता जैन काशन वष 2008मूय . 195.00भेम का भे माँगता कु हाड़ी ईमान :सयनारायण पटेल काशन वष 2008 मूय .200.00किवता-संहशी कायआलोचनाइितहास : संयोग और साथकता :सुरे चौधरीसंपादक : उदयशंकरहदी कहानी : रचना और परिथित: सुरे चौधरीसंपादक : उदयशंकरसाधारण क िता : अंधेरे सेसााकार : सुरे चौधरीसंपादक : उदयशंकरबादल सरकार : जीवन और रंगमंच :अशोक भौिमकया : शैलेय काशन वष 2008 मूय .160.00जीना चाहता ँ : भोलानाथ कु शवाहा काशनवष 2008 मूय . 300.00कब लौटेगा नदी के उस पार गया आदमी :भोलानाथ कु शवाहा काशन वष 2007 मूय. 225.00लाल रबन का फु लबा : सुनीता जैन काशनवष 2007 मूय .190.00लू के बेहाल दन म : सुनीता जैन काशनबालकृ ण भट्ïट और आधुिनक हदीआलोचना का आरंभ : अिभषेकरौशनसामािजक चतनकसान और कसानी : अिनलचमिडय़ािशक क डायरी : योगे217


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्वष 2008 मूय . 195.00फ टेसी : सुनीता जैन काशन वष 2008 मूय. 190.00दु:खमय अराकच : याम चैतय काशन वष2008 मूय . 190.00कु आन किवताएँ : मनोज कु मार ीवातवकाशन वष 2008 मूय . 150.00मैिथली पोथीिवकास ओ अथतं (िवचार) : नरे झाकाशन वष 2008 मूय . 250.00संग समय के (किवता-संह) : महाकाशकाशन वष 2007 मूय . 100.00एक टा हेरायल दुिनया (किवता-संह) :कृ णमोहन झा काशन वष 2008 मूय .60.00दकचल देबाल (कथा-संह) : बलराम काशनवष 2000 मूय . 40.00सबध (कथा-संह) : मानेर मनुज काशनवष 2007 मूय . 165.00पुतक मंगवाने के िलए मनीआडर/ चेक/ ाटअंितका काशन के नाम से भेज। दली सेबाहर के एट पार बकग (at par banking)चेक के अलावा अय चेक एक हजार से कम कान भेज। .200/- से यादा क पुतक पर डाकखच हमारा वहन करगे। .300/- से .500/-तक क पुतक पर 10% क छूट, .500/- सेऊपर .1000/- तक 15% और उससे यादाक कताब पर 20% क छूट िगत खरीदउपयासमाइोकोप : राजे कु मारकनौिजयापृवीपु : लिलत अनुवाद :महाकाशमोड़ पर : धूमके तु अनुवाद : वणामोलाज़ : िपयैर ला मूर अनुवाद :सुनीता जैनकहानी-संहधूँधली याद और िससकते ज़म :िनसार अहमदजगधर क ेम कथा : हरओमएक साथ िहदी, मैिथली म सयआपका काशनअंितका काशनसी-56/यूजीएफ-4, शालीमार गाडन,एकसटशन-IIगािजयाबाद-201005 (उ..)फोन : 0120-6475212मोबाइल नं.9868380797,9891245023ई-मेल:antika1999@yahoo.co.in,218


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्पर दी जाएगी ।अंित का, मैिथ ली ैमा िस क , स पा द क -अ न ल कांतअंितका काशन,सी-56/यूजीएफ-4,शालीमारगाडन, एकसटशन-II,गािजयाबाद-antika.prakashan@antikaprakashan.comhttp://www.antikaprakashan.com(िवापन)201005 (उ..),फोन : 0120-6475212,मोबाइलनं.9868380797,9891245023,आजीवन सदयता शुक भा..2100/- चेक/ाट ारा “अंितका काशन” क नाम सँपठाऊ। दलीक बाहरक चेक मे भा.. 30/-अितर जोड़ू।ब या , िह दी छ मा ही प ि का , स पा द क -गौ री ना थसंपक - अंितका काशन,सी-56/यूजीएफ-4,शालीमारगाडन, एकसटशन-II,गािजयाबाद-201005 (उ..),फोन : 0120-6475212,मोबाइलनं.9868380797,9891245023,आजीवन सदयता शुक .5000/- चेक/ाट/ मनीआडर ारा “ अंितका काशन ” केनाम भेज। दली से बाहर के चेक म 30 पयाअितर जोड़।219


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्ुित काशनसँ१.पंचदेवोपासना-भूिम िमिथला- मौन२.मैिथली भाषा-सािहय (२०म शतादी)-ेमशंकर सह३.गुंजन जीक राधा (ग-प-जबुली िमित)-गंगेश गुंजन४.बनैत-िबगड़ैत (कथा-गप संह)-सुभाषचसुभाषचयादव५.कु ेम्–अतमनक, खड-१ आऽ २ (लेखककिछिड़आयल प, उपयास, गप-कथा, नाटक-एकाक, बालानां कृ ते, महाका, शोध-िनबधआदक सम संकलन)- गजे ठाकु र६.िवलिबत कइक युगमे िनब (प-संह)-पंकज पराशर७.हम पुछैत छी (प-संह)- िवनीत उपल८. नो एी: मा िवश- डॉ. उदय नारायण सह“निचके ता”९/१०/११ १.मैिथली-अंेजी शदकोश, २.अंेजी-मैिथली शदकोश आऽ ३.पी-बध (िडिजटलइमेजग आऽ िमिथलारसँ देवनागरी िलयांतरण)(तीनू पोथीक संकलन-सपादन-िलयांतरण गजेठाकु र , नागे कु मार झा एवं पीकारिवानद झा ारा)e-mail:ुित काशन, रिजटड ऑफस: एच.१/३१,ितीय तल, सेटर-६३, नोएडा (यू.पी.),कॉरपोरेट सह संपक कायालय- १/७, ितीय तल,पूव पटेल नगर, दली-११०००८. दूरभाष-(०११) २५८८९६५६-५७ फै स-(०११)२५८८९६५८Website:http://www.shrutipublication.comshruti.publication@shrutipublication.com220


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्(िवापन(c)२००८. सवािधकार लेखकाधीन आ’ जतय लेखकक नाम निह अिछ ततय संपादकाधीन। िवदेह (पािक)संपादक- गजे ठाकु र। एतय कािशत रचना सभक कॉपीराइट लेखक लोकिनक लगमे रहतिह, मा एकरथम काशनक/ आकाइवक/ अंेजी-संकृ त अनुवादक ई-काशन/ आकाइवक अिधकार एिह ई पिकाके ँ छैक।रचनाकार अपन मौिलक आऽ अकािशत रचना (जकर मौिलकताक संपूण उरदाियव लेखक गणक मयछिह) ggajendra@yahoo.co.in आक ggajendra@videha.com के ँ मेल अटैचमेटक पमे ँ .doc,.docx, .rtf वा .txt फॉमटमे पठा सकै त छिथ। रचनाक संग रचनाकार अपन संि परचय आ’ अपन कै नकएल गेल फोटो पठेताह, से आशा करैत छी। रचनाक अंतमे टाइप रहय, जे ई रचना मौिलक अिछ, आऽ पिहलकाशनक हेतु िवदेह (पािक) ई पिकाकेँ देल जा रहल अिछ। मेल ा होयबाक बाद यथासंभव शी ( सातदनक भीतर) एकर काशनक अंकक सूचना देल जायत। एिह ई पिकाकेँ ीमित लमी ठाकु र ारा मासक 1आ’ 15 ितिथकेँ ई कािशत कएल जाइत अिछ।(c) 2008 सवािधकार सुरित। िवदेहमे कािशत सभटा रचनाआ' आकाइवक सवािधकार रचनाकार आ' संहकाक लगमे छिह। रचनाक अनुवाद आ' पुनः काशन कवा221


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक ई पिका ०१ जनवरी २००९ (वष २ मास १३ अंक २५)' kк tк <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine वदेह <strong>Videha</strong> http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संकृ ताम्आकाइवक उपयोगक अिधकार कनबाक हेतु ggajendra@videha.co.inपर संपक क। एिह साइटकेँ ीितझा ठाकु र, मधूिलका चौधरी आ' रिम िया ारा िडजाइन कएल गेल।िसिरतु222

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