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Videha ‘िवदेह’

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<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्िवदेह १ नवर २००८ वष र् १ मास ११ अंक २१'िवदेह' १ नवर २००८ ( वष र् १ मास ११ अंक २१ ) एिह अंकमे अिछ:-१.संपादकीय संदेश२.ग२.१.कथा 1.सुभाषच यादव(असुरिक्षत) 2.रामभरोस कापड़ि◌ "मर"(हुगलीपर बहैत गंगा)२.२.मैिथलीमे गजल आ एकर संरचना-धीरे मिष र्२.३.काश च झा : मैिथली र ंगकम र्मे ी-इन-वन- महे मलंिगया२.४. १.जीवन झाक नाटकक सामािजक िववतर्न- मश ंकर िसंह (आगा ँ)२..राजकमल चौधरी पर - ड◌ॉ. देवश ंकर नवीन (आगा ँ)२.५.यायावरी- कैलाश कुमार िम (लोअर िदवा ंग घाटी: इद ु-िमसमी जनजाितक अपमसंसार)२.६. १.लघ ुकथा- कुमार मज कप २. दैिनकी- ोित ३. उपास1


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्२.७. चौकपर आणिवक समझौता:- कृपान झा२.८. १.नवेु कुमार झा छिठपर २.न ूतन झा ािितयापर३.प३.१.१.रामलोचन ठाकुर २.िनिमष झा ३. िजतमोहन झा३.२. १.ी गंगेश गुंजनक- राधा (छठम खेप)२. ामल सुमन३.३. १.राजे िवमल २.रेवतीरमण लाल ३.िदगर झा "िदनमिण"४.ब ु-चिरत३.४. १.पा धी २.ोित३.५. १.िवान झा २.नवीननाथ झा ३.िवनीत उल३.६. १.व ृषेश च लाल २. धीरे मिष र् ३. िवभूित३.७. १. रामभरोस कापड़ि◌ २. रोशन जनकपुरी ३.पंकज पराशर३.८. १.वैकु झा २. िहमा ंशु चौधरी४. िमिथला कला-संगीत(आगा ँ)५. मिहला-ंभ६. बालाना ं कृते- १.काश झा- बाल किवता २. बालकथा- गजे ठाकुर ३. देवीजी: ोितझा चौधरी७. भाषापाक रचना लेखन (आगा ँ)2


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्8. VI DEHA FOR NON RESI DENT MAI THI LS ( Fest i val s of Mi thiladat e-l ist)-81 . . Or i gi nal Mai t hi l i st or y " Si nur har " by Shr i Shi vshankarSr i ni v as t r ans l at ed i nt o Engl i s h by GAJ ENDRA THAKUR82 . .The Comet -Engl i sh t r ansl at i on of Gaj endr a Thakur ' s Mai t hi l iNovel Sahasr abadhani by j yot i9. VI DEHA MAI THI LI SAMSKRI T EDUCATI ON ( cont d.)िवदेह (िदना ंक १ नवर २००८)१.संपादकीय (वष: र् १ मास:११ अंक:२१)मावर,िवदेहक नव अंक (अंक २१, िदना ंक १ नवर २००८) ई पिब्लश भऽ गेलअिछ। एिह हेतु ल◌ॉग ऑन क ht t p:// wwwvi . deha. co. i n |पिहल कीितर्नारायण िम सान किव हरेकृ झाकेँ किवता संह "एनाकतेक िदन" पर ११.११.२००८ केँ िवापित पव र्क अवसरपर देलजएति। एिह बेरक याी चेतना पुरार ी मर झाकेँभेटलि।कीितर्नारायण िमक ज १७ ज ुलाई १९३७ ई. केँ ाम शोकहारा (बरौनी),िजला बेगूसरायमे भेलि। हुनकर कािशत कृित अिछ सीमा, हम वननिह िलखब (किवता संह)। आखर पिकाक लित सादक।म ंर झा-ज ६ जनवरी १९४४ ई.ाम-लालगंज, िजला-मध ुबनीमे।कािशत कृित: खािध, अिचनहार गाम, बहसल राितक इजोत (किवतासंह); एक बटे द ू (कथा संह), ओझा लेखे गाम बताह (लिलत िनब)।3


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्मैिथली कथा संहक िही अवाद “कुंडली” नामसँ कािशत। िद फूपैराडाइज (अंजीमे लिलत िनब), कतेक डािर पर।हरेकृ झा, ज १० ज ुलाई १९५० ई. गाम- कोइलखमे। अिभय ंणकअयण छोड़ि◌ मार्वादी राजनीितमे सिय। अक किवता आआलोचनाक िनब कािशत। अवाद एव ं िवकास िवषयक शोध काय र्मेिच। तं लेखन। कृित एव ं जीवनक तादा बोधक अणी किव।एना कतेक िदन (किवता संह)।ब ुकर पुरार: आस्िलयन िपता आऽ भारतीय माताक सान ३३ वषीर्यबैचेलर ी अरिव अिडग ऑफोडर्सँ िशक्षा ा कए छिथ आऽसम्ित मुईमे रहैत छिथ। िहनकर पिहल अंजी उपास छि दाइट टाइगर जािह पर िबटेन, आयरलै आऽ क◌ॉमनवेल्थ देशक वासीकेँ देल जा रहल अंजी भाषाक उपासक ५०,००० पौडक “मैन ब ुकर”पुरार भेटलि अिछ आऽ बेन ओकेरीक बाद ई पुरार ा केिनहारई सभसँ कम उ केर लेखक छिथ।द ाइट टाइगर- ई उपास हाप र्र क◌ॉिल-रैडम हाउस ारा कािशतभेल आऽ काश आऽ अारक द ू तरहक भारतक ई वण र्न करैतअिछ। एकटा फम र्क मािलक बलराम जे शुमे गयासँ आयल बलरामहलवाई छलाह चीनी धानम ंी वेन िजआबाओक भारत आगमनपर अपनअिरत सात प (हिरमोहन झाक पा ँच प आ ासजीक द ू प जका ँ)केर मामसँ अपन िखा कहैत छिथ। ओऽ एकटा िरा चालकक बेटाछिथ जे चाहक दोकानपर िकछु िदन काज केलाक बाद िदीमे एकटाधिनकक ाइवर बत छिथ। फेर ओकरा मािर कय उोगपित बिनजाइत छिथ।ाइवर सभ गप मािलकक सुत रहैत अिछ, कलकाक िराबला सभकिखा सेहो अिडग सुनलि आऽ िदीक ाइवर लोकिनक सेहो आऽ4


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्िखाक ◌ॊट बना लेलि।समालोचनाक िित: िहीक अखबार सभ ई पुरार ा भेलाक बादोएिह पुकक समीक्षा एकटा चीप टी.वी. सीिरयलक पटकथाक पमेकएलि। मैिथलीक समालोचनाक तँ गपे छोड़◌ू, अंजीक अखबार सभमुदा नीक समीक्षा कएलक।िदीक िचड़ि◌याघरमे एकटा ाइट टाइगर छैक गेिटक ुटेशनकपिरणाम जे एक पीढ़◌ीमे एक बेर अबैत छैक निहयो अबैत छैक।बलराम हलवाईक िखा सेहो ाइट टाइगर जका ँ िवरल भेटत बेशी तँकमाइ-खाइमे िजनगी िबता दैत छिथ। एकर हाडर्बाउड िकताब २०,०००क◌ॉपी िबका चुकल अिछ। पेुइन इिया जे ई िकताब छपबासँ इारकए छल कहलक जे ◌ॉसवडर् पुरारसँ िकताबक िबीमे १००० क◌ॉपीकवि ृ होइत छैक, ब ुकर भेटलापर १०,००० क◌ॉपी बेशी िबकाइत छैक आऽसािह अकादमी भेटलापर अंजी िकताब १० क◌ॉपी बेशी िबकाइत अिछ!एिह अंकमे:ी ग गेश गुंजन जीक ग-प िमित "राधा" जे िक मैिथली सािहकएकटा नव कीितर्मान िस होएत, केर छठम खेप पढ़◌ू। सुभाष चयादव आऽ मर जीक कथा, महेश िम "िवभूित"-ी पंकज पराशर-िवनीत उल- ामल जीक प आऽ मश ंकर िसंह जीक शोध लेखअिछ।, िजतमोहन, रामलोचन ठाकुर,िनिमष झा,राजे िवमल, रेवतीरमणलाल, िदगर झा "िदनमिण", पा धी, ोित,िवान झा, नवीननाथ झा,िवनीत उल,व ृषेश च लाल, धीरे मिष र् ,िवभूित,महे मलंिगया, कुमारमज कप, कृपान झा. रामभरोस कापड़ि◌ रोशन जनकपुरी, पंकजपराशर,वैकु झा, काश झा आ िहमा ंशु चौधरी जीक रचनासँ सुशोिभत ईअंक अिछ।5


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्ी राजकमल चौधरीक रचनाक िववेचन कए रहल छिथ ी देवश ंकर नवीनजी।ोितजी प, बालाना ंकृते केर देवीजी श ंखला, ृ बालाना ंकृते लेल िचकलाआऽ सहबाढ़िनक अंजी अवाद ुत कए छिथ।िशवश ंकर ीिनवास केर मैिथली कथाक अ जी अवाद सेहो ुत कएलगेल अिछ।भारतक िवनाथन आन वल्डर् चेस ितयोिगता िजतलि तँ भारतअपन चयान-१ याा सेहो शु कएलक। मुदा संगमे असमक बमिवोट, उड़◌ीसाक नन बलाार आ मालेगा ँव िवोट मोरक पएर िसभेल।शेष ायी ंभ यथावत अिछ।संगिह "िवदेह" केँ एखन धिर (१ जनवरी २००८ सँ ३० अूबर २००८) ६२देशसँ १,०८,३१२ बेर देखल गेल अिछ (ग ूगल एलेिट डाटा)- धवादपाठकगण।अपक रचना आऽ ितियाक तीक्षामे।गजे ठाकुरggaj endr a@ vi deha. co. i n ggaj endr a@ yahoo. co.i nअंितका काशन की नवीनतम पुकें उपास6


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्कहानी-संहरेल की बात : हिरमोहन झा म. ू सिज १२५.००पे.बै. ७०.००मोनालीसा हँस रही थी : अशोक भौिमक म.ूसिज २००.०० पे.बै. ८०.००इितहास, स्ी-िवमश र् और िचंतनछिछया भर छाछ : महेश ·टारे म. ू सिज २००.००पे.बै. १००.००िडजार : मीिडया ए पािलिटकस : पु स ूनवाजपेयी म. ू सिज ३००.०० पे.बै. १६०.००कोहरे में कं दील : अवधेश ीत म. ू सिज२००.०० पे.बै. १००.००एंकर की नज◌ऱ से : पु स ून वाजपेयी म.ूसिज ३५०.०० पे.बै. १७५.००शहर की आिखरी िचिडय़◌ा : काश का म.ूसिज २००.०० पे.बै. १००.००पीले कागज◌़ की उजली इबारत : कैलाश बनवासीम. ू सिज २००.०० पे.बै. १००.००नाच के बाहर : गौरीनाथ म. ू सिज २००.००पे.बै. १००.००आइस-पाइस : अशोक भौिमक म. ू सिज१८०.०० पे.बै. ९०.००भेम का भे मा ँगता कुाड◌़◌ी ईमान :सनारायण पटेल म. ू सिज २००.०० पे.बै. ९०.००कुछ भी तो मानी नही ं : मनीषा कुल म.ूसिज २००.०० पे.बै. १००.००बड◌़कू चाचा : सुनीता जैन म ू . सिज १९५.००किवता-संहया : श ैलेय म ू . १६०.००कुआर्न किवताएँ : मज कुमार ीवाव म.ू१५०.००कब लौटेगा नदी के उस पार गया आदमी :पालकालीन संृित : म ंज ु कुमारी म ू . २२५.००स्ी : संघष र् और स ृजन : ीधरम म ू . २००.००अथ िनषाद कथा : भवदेव पाेय म ू . १८०.००शी काबादल सरकार : जीवन और र ंगम ंच : अशोकभौिमकिकसान और िकसानी : अिनल चमिडय़◌ामाइोोप (उपास) : राजे कुमार किजयाप ृीपु (उपास) : लिलत अवाद : महाकाशमोड◌़ पर (उपास) : ध ूमकेतु अवाद : णा र्मोलाज◌़ (उपास) : िपयैर ला म ूर अवाद :सुनीता जैना कोई है (कहानी-संह) : श ैलेयएक साथ िही, मैिथली में सिय आपकाकाशनअंितका काशन7


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्भोलानाथ कुशवाहा म ू . २२५.००जीना चाहता हूँ : भोलानाथ कुशवाहा म ू . ३००.००लाल िरज्बबन का फुलबा : सुनीता जैन म ू . १९०.००ल ूओं के बेहाल िद ं में : सुनीता जैन म.ू१९५.००सी-56/य ूजीएफ-4, शालीमार गाडर्न, एकसटे ंशन-IIगािजयाबाद-201005 (उ..)फोन : 0120-6475212(िवज्ञापन)फैंटेसी : सुनीता जैन म ू . १९०.००द:खमय ु अराकचक : ाम चैत म. ू १९०.००२.संदेश१.ी ो. उदय नारायण िसंह "निचकेता"- जे काज अहा ँ कए रहल छीतकर चरचा एक िदन मैिथली भाषाक इितहासमे होएत। आन भएरहल अिछ, ई जािन कए जे एतेक गोट मैिथल "िवदेह" ई जन र्लकेँपढ़ि◌ रहल छिथ।२.ी ड◌ॉ. गंगेश गुंजन- एिह िवदेह-कम र्मे लािग रहल अहा ँक सेदनशीलमन, मैिथलीक ित समिप र्त मेहनितक अम ृत र ंग, इितहास मे एक टािविश फराक अाय आर ंभ करत, हमरा िवास अिछ। अशेष शुभकामनाआ बधाइक स, सेह|३.ी रामाय झा "रामर ंग"- "अपना" िमिथलासँ संबिधत...िवषय ंवुसँअवगत भेलहु ँ।...शेष सभ कुशल अिछ।४.ी जे िपाठी, सािह अकादमी- इ ंटरट पर थम मैिथली पािक्षकपिका "िवदेह" केर लेल बाधाई आऽ शुभकामना ीकार क।8


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्५.ी फुकुमार िसंह "मौन"- थम मैिथली पािक्षक पिका "िवदेह" ककाशनक समाचार जािन कक चिकत मुदा बेसी आािदत भेलहु ँ।कालचकेँ पकड़ि◌ जािह द ूरदृ िक पिरचय देलहु ँ , ओिह लेल हमरम ंगलकामना।६.ी ड◌ॉ. िशवसाद यादव- ई जािन अपार हष र् भए रहल अिछ, जे नवस ूचना-ािक मे मैिथली पकािरताकेँ वेश िदअएबाक साहिसककदम उठाओल अिछ। पकािरतामे एिह कारक नव योगक हम ागतकरैत छी, संगिह "िवदेह"क सफलताक शुभकामना।७.ी आाचरण झा- को प-पिकाक काशन- ताहूमे मैिथलीपिकाक काशनमे के कतेक सहयोग करताह- ई तऽ भिव कहत।ई हमर ८८ वष र्मे ७५ वष र्क अभव रहल। एतेक पैघ महान यज्ञमेहमर ाप ूण र् आहुित ा होयत- यावत ठीक-ठाक छी/ रहब।८.ी िवजय ठाकुर, िमिशगन िविवालय- "िवदेह" पिकाक अंक देखलहु ँ ,सूण र् टीम बधाईक पा अिछ। पिकाक म ंगल भिव हेतु हमरशुभकामना ीकार कएल जाओ।९. ी सुभाषच यादव- ई-पिका ’िवदेह’ क बारेमे जािन सताभेल। ’िवदेह’ िनरर पिवत-पुित हो आऽ चतुिद र्क अपन सुगंधपसारय से कामना अिछ।१०.ी मैिथलीपु दीप- ई-पिका ’िवदेह’ केर सफलताक भगवतीसँकामना। हमर प ूण र् सहयोग रहत।११.ड◌ॉ. ी भीमनाथ झा- ’िवदेह’ इटरट पर अिछ तेँ ’िवदेह’ नामउिचत आर कतेक पेँ एकर िववरण भए सकैत अिछ। आइ-कािमोनमे उेग रहैत अिछ, मुदा शी प ूण र् सहयोग देब।9


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्१२.ी रामभरोस कापड़ि◌ मर, जनकपुरधाम- "िवदेह" ऑनलाइन देिखरहल छी। मैिथलीकेँ अराष्ीय र् जगतमे पहु ँचेलहु ँ तकरा लेल हािद र्कबधाई। िमिथला र सभक संकलन अप ूव र्। पालोक सहयोग भेटत सेिवास करी।१३. ी राजनन लालदास- ’िवदेह’ ई-पिकाक मामसँ बड़ नीक काजकए रहल छी, नाितक एिहठाम देखलहु ँ। एकर वािष र्क अ ंक जखन ि टिनकालब तँ हमरा पठायब। कलकामे बहुत गोटेकेँ हम साइटक पतािलखाए दे िछयि। मोन तँ होइत अिछ जे िदी आिब कए आशीवा र्ददैतहु ँ , मुदा उमर आब बेशी भए गेल। शुभकामना देश-िवदेशकमैिथलकेँ जोड़बाक लेल।१४. ड◌ॉ. ी मश ंकर िसंह- अहा ँ मैिथलीमे इ ंटरटपर पिहल पिका"िवदेह" कािशत कए अपन अुत माभाषारागक पिरचय देल अिछ,अहा ँक िनःाथ र् माभाषारागसँ िरत छी, एकर िनिम जे हमर सेवाकयोजन हो, तँ सिचत ू करी। इ ंटरटपर आोपा ंत पिका देखल, मनफुित भ' गेल।(c)२००८. सवािधकार र् लेखकाधीन आऽ जतय लेखकक नाम निह अिछ ततय संपादकाधीन।िवदेह (पािक्षक) संपादक- गजे ठाकुर। एतय कािशत रचना सभक क◌ॉपीराइट लेखक लोकिनकलगमे रहति, मा एकर थम काशनक/ आका र्इवक/ अंजी-संृत अवादक ई-काशन/आका र्इवक अिधकार एिह ई पिकाकेँ छैक। रचनाकार अपन मौिलक आऽ अकािशत रचना (जकरमौिलकताक संप ूण र् उरदािय लेखक गणक म छि) ggaj endr a@ yahoo. co. i n आिकggaj endr a@ vi deha. com केँ मेल अटैचमेक पमेँ . doc, . docx, . r t f वा . txtफ◌ॉमे र्टमे पठा सकैत छिथ। रचनाक संग रचनाकार अपन संिक्ष पिरचय आ’ अपन ैन कएल गेलफोटो पठेताह, से आशा करैत छी। रचनाक अंतमे टाइप रहय, जे ई रचना मौिलक अिछ, आऽपिहल काशनक हेतु िवदेह (पािक्षक) ई पिकाकेँ देल जा रहल अिछ। मेल ा होयबाक बादयथासंभव शी ( सात िदनक भीतर) एकर काशनक अंकक स ूचना देल जायत। एिह ई पिकाकेँीमित ली ठाकुर ारा मासक 1 आ’ 15 ितिथकेँ ई कािशत कएल जाइत अिछ।10


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्महत्प ूण र् स ूचना (१):महत्प ूण र् स ूचना: ीमान ् निचकेताजीक नाटक " एंी: मा िवश" केर 'िवदेह'मे ई-कािशत प देिख कए एकर िंट पमे काशनक लेल 'िवदेह' केर समक्ष "ुित काशन"केर ाव आयल छल। ी निचकेता जी एकर िंट प करबाक ीकृित दए देलि। िंट पहाडर्बाउड (I SBN NO978 . -81-907729-0-7 म ू .१२५/- य.एस. ू ड◌ॉलर ४०) आऽ पेपरबैक( I SBN No . 978-81-907729-1-4 म ू . ७५/- य ूएस.ड◌ॉलर २५/-) मे ुित काशन, १/७,ितीय तल, पटेल नगर (प.) नई िदी-११०००८ ारा छापल गेल अिछ। e-mai l :shr ut i . publ i cat i on@shr ut i -publ i cat i on. com websi t e: http:// wwwshruti . -publ i cat i on.comमहत्प ूण र् स ूचना:(२) 'िवदेह' ारा कएल गेल शोधक आधार पर १.मैिथली-अंजी श कोश२.अंजी-मैिथली श कोश आऽ ३.िमिथलाक्षरसँ देवनागरी पाुिलिप िलारण-पी-ब डाटाबेशुित पिब्लकेशन ारा िट फ◌ॉम र्मे कािशत करबाक आह ीकार कए लेल गेल अिछ। पुक-ािक िविधक आऽ पोथीक म ूक स ूचना एिह प ृ पर शी देल जायत।महत्प ूण र् स ूचना:(३) 'िवदेह' ारा धारावािहक पे ई-कािशत कएल जा' रहल गजे ठाकुरक'सहबाढ़िन'(उपास), 'ग-गु'(कथा संह) , 'भालसिर' (प संह), 'बालाना ं कृते', 'एकाी संह','महाभारत' 'ब ु चिरत' (महाका)आऽ 'याा व ृा ंत' िवदेहमे संप ूण र् ई-काशनक बाद िंट फ◌ॉम र्मेकािशत होएत। काशकक, काशन ितिथक, पुक-ािक िविधक आऽ पोथीक म ूक स ूचना एिह प ृपर शी देल जायत।महत्प ूण र् स ूचना (४): "िवदेह" केर २५म अंक १ जनवरी २००९, ई-कािशत तँ होएबे करत, संगमेएकर िंट संरण सेहो िनकलत जािहमे पुरान २४ अंकक चुनल रचना सििलत कएल जाएत।महप ूण र् स ूचना (५): १५-१६ िसतर २००८ केँ इिरा गा ँधी राष्ीय कला के, मान िसंह रोड नईिदीमे होअयबला िबहार महोवक आयोजन बाढ़ि◌क कारण अिनितकाल लेल िगत कए देल गेलअिछ।मैलोर ंग अपन सा ंृितक काय र्मकेँ बाढ़ि◌केँ देखैत अिगला स ूचना धिर िगत कए देलक अिछ।२.ग२.१.कथा 1.सुभाषच यादव(असुरिक्षत) 2.रामभरोस कापड़ि◌ "मर"(हुगलीपर बहैत गंगा)२.२.मैिथलीमे गजल आ एकर संरचना-धीरे मिष र्२.३.काश च झा : मैिथली र ंगकम र्मे ी-इन-वन- महे मलंिगया11


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्२.४. १.जीवन झाक नाटकक सामािजक िववतर्न- मश ंकर िसंह (आगा ँ)२..राजकमल चौधरी पर - ड◌ॉ. देवश ंकर नवीन (आगा ँ)२.५.यायावरी- कैलाश कुमार िम (लोअर िदवा ंग घाटी: इद ु-िमसमी जनजाितक अपमसंसार)२.६. १.लघ ुकथा- कुमार मज कप २. दैिनकी- ोित ३. उपास२.७. चौकपर आणिवक समझौता:- कृपान झा२.८. १.नवेु कुमार झा छिठपर २.न ूतन झा ािितयापरकथा१. सुभाषच यादव २. ी रामभरोस कापड़ि◌ “मर”िच ी सुभाषच यादव छायाकार: ी साकेतानसुभाष च यादव, कथाकार, समीक्षक एव ं अवादक, ज ०५ माच र् १९४८, माक दीवानगंज,सुपौलमे। पैक ान: बलबा-मेनाही, सुपौल- मध ुबनी। आरिक िशक्षा दीवानगंज एव ं सुपौलमे।पटना क◌ॉलेज, पटनासँ बी.ए.। जवाहरलाल ह िविवालय, नई िदीसँ िहीमे एम.ए. तथापी.एह.डी.। १९८२ सँ अापन। सम्ित: अक्ष, ातकोर िही िवभाग, भूपे नारायण म ंडलिविवालय, पिमी पिरसर, सहरसा, िबहार। मैिथली, िही, ब ंगला, संृत, उद, ूर् अंजी, ेिनश एव ंंच भाषाक ज्ञान।ंकाशन: घरदेिखया (मैिथली कथा-संह), मैिथली अकादमी, पटना, १९८३, हाली (अंजीसँ मैिथलीअवाद), सािह अकादमी, नई िदी, १९८८, बीछल कथा (हिरमोहन झाक कथाक चयन एव भूिमका),सािह अकादमी, नई िदी, १९९९, िबहाड़ि◌ आउ (ब ंगला सँ मैिथली अवाद), िकसुन संक लोक, सुपौल,१९९५, भारत-िवभाजन और िही उपास (िही आलोचना), िबहार राष्भाषा पिरषद, ् पटना, २००१,राजकमल चौधरी का सफर (िही जीवनी) सारा ंश काशन, नई िदी, २००१, मैिथलीमे करीब सिर टा12


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्कथा, तीस टा समीक्षा आ िही, ब ंगला तथा अंजी मे अक अवाद कािशत।भूतप ूव र् सद: सािह अकादमी परामश र् म ंडल, मैिथली अकादमी काय र्-सिमित, िबहार सरकारक सा ंृितकनीित-िनधारण र् सिमित।असुरिक्षतनसँसोचय लागल । की करय ? चिल जाय ? या राित एिह िबता िलअय? भिरउतिर कs ओ ेशनमे टा ंगल घड़◌ी देखलक। पौ द ू। ओ ठमिक कsरा ओ अही गुनध ुन मे पड़ल रहल आ अख छ पा ँच कS रहल अिछ। ेशन सँघरक बीस-पीस िमनटक रा ओकरा ब भारी लािग रहल छलै। जाड़क एिह िनसबदराित मे सड़क़ एकदम सुनसान हेतै। समय साल ब खराब छै। कखन की भSजेतै तकर को ठेकान निह।ओना ओकरा लग तेहन िकछु निह रहै। पचास-सािठ टा टाका, एगो दामी चिर आिपनावला कपड़◌ा। लेिकन जँ ईहो सब िछना गेलै तऽ फेर ओ जी कीिन निहसकत। ओ ेशनक िसमटीवला ठरल बे ंच पर बैिस गेल आ सोचय लागल।परस ू खन जाइतो काल ओ राितए मे गेल रहय। जतय गेल रहय,ओतुासीधा गाड़◌ी राितए मे भेटै छै आ ओतय सँ सा ँझमे चिल कS एतय अखन द ू बजेराितमे पहु ँचल अिछ। जिहया जाइत रहय, तिहया सा ँझे सँ ओकर मन भारी रहै।मनमे अक तरहक आश ंका आ भय समा गेल रहै। न एक बजे राितमे रहै।एिह जड़कालामे एतेक राितकेँ ेशन गेनाइ ओकरा पहाड़ ब ुझाइत रहै। ओना ओजतेक बेर िनकलैत अिछ, ओकरा लगैत रहैत छैक भS सकैत छै ई ओकर अंितमयाा होइ।जाइत काल ओ बह ुत िचित आ उि रहय । घरक लोक ओकरा खा-पी कSथोड़◌े काल स ू ित रहS कहलकै। फेर बारह बजे उठत आ चल जायत। लेिकन ओब ुझैत रहय ओकरा िन निह हेतै। जँ कदािचतिन पड़ि◌यो गेल तS बारहबजे उिठ जायत तकर कोन गार ंटी! आ जँ उिठयो गेल तS सीड़क तर गरमागेला पर िबछौन छोड़ S मे कतेक आलस आ क हेतै ! मुदा ई सब बातको तेहन बात निह रहै। ओकरा सबसँ बेसी िचा एिह बातक रहै जे एतेक राितकS ओ जायत कोना? जाड़क एिह सुनसान राितमे असकरे ेशन जायब ओकराभयावह ब ुझाइत रहै। एतेक राित कS िरा भेटै छै, सड़क पर एो टाआदमी।13


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्ओ तय केलक जे आठ बजे िनकिल जायत। ेशनक बगल वला ह◌ॉलमे आिखरीशो िसमा देखत आ न पकड़ि◌ लेत। ह◌ॉलमे जाड़◌ो सँ बचल रहत। घरकलोक ओकर एिह िनण र्य सँ अचंिभत भेल। पिह किहयो ओ एना निह कय रहय।ओकर िचंता आ डर देिख कS घरक लोक िवरोध निह केलकै। ओ अपन िनितकयल काय र्मक असार घरसँ आठ बजे िनकिल गेल। िसतलहरी तेहन रहै जेएतेक सबेरे सबटा दोकान ब भऽ गेल छलै। सड़क पर ओकरा द ुइए टा आदमीभेटलै। एकटा के भेदी दृ ि सँ तऽ ओ डेराइयो गेल रहय। ह◌ॉल पर ओ सवाआठ बजे पहु ँिच गेल आ बजे धािर टौआइत रहल। घर पर रिहतय तऽआराम करैत रिहतय। ह◌ॉल पर बइसइयोक ठहार निह रहै। ओ देबालक टेकले ठाढ◌़ रहल। आब ओकरा न छुटबाक िचंता हुअय लगलैक। खोंचावला,पानवला आ गेटकी सँ पता लगेलक िसमा कखन खतम हेतै; फ़ि◌िलम लंबा तऽ छै?शो टुिटते एक गोटय सँ टाइम पुछलक। सवा बारह। गाड़◌ी निह छुटतै ।तइयो ओ अपन चािल तेज केलक आ ेशन िदस जाइ वला रेलामे सिया गेल।ेशन पहु ँिच कऽ ओकरा पता चललै गाड़ ी बहुत लेट छै। द ू सँ पिह निहख ुलतै। ओ िटकट कटेलक आ िसमटी वला बे ंच पर बइस कऽ तीक्षा करय लागल।भिरसक इएह बे ंच रहै, जइ पर अखन बइसल सोिच रहल अिछ। आ सोिच कीरहल अिछ, परसुा बात मोन पाड़ि◌ रहल अिछ।सोचबाक लेल छइहो की? गुंडा-बदमाशक डर। पिह को डर निह रहै। ओबहुत-बहुत राित कऽ कतयसँ कतय गेल अिछ। िन:श ंक। बेधड◌़क। लेिकन आबराित कऽ िनकलबाक साहस निह होइत छै। अखबारमे रोज ल ूटपाट आ हाकसमाचार पढ़ि◌-पढ़ि◌ कऽ आ लोकक अभव सुिन-सुिन कऽ जी मे डर समा गेलछै।ओ उधेड़ब ुन मे पड़ल िकछु तय निह कऽ पािब रहल अिछ जे की करय। घर चिलजाय िक ेश पर भोर कऽ िलअय। िरा भिरसे भेटतै। भेिटयो जेतैतऽ िरावलाकेँ गुंडा कीगुदानतै ! जँ िरेवला गुंडा िनकिल गेल, तखन ओ की करत ? आब ककरो परभरोस निह रहलै।ढील पड़ि◌ गेल मफलरकेँ ओ किस कऽ लपेटलक आ चिरसँ म ूड़◌ी आ टा ंगकेँ नीकजका ँ झा ँपलक । मुदा एिह झा ँप-तोपसँजाड़ निह भागलै। िनफाह ेटफाम र् पर14


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्पिछया सट-सट लगै आ सौ ंसे शरीर केँ छेद चल जाइत रहै । पोन ठिर कऽपािन भऽ गेल छलै । ओ छ-छन अपन आसन बदिल रहल छल। पिछला द ू राितसँ ओ स ू ित निह सकल आ नमे झमारल गेल। थकनी आ जगरनामे और बेसी जाड़होइ छै। घर चल जइतय तऽ सीड़कमे गरमा कऽ स ू ित रिहयत।ओ िवचारलक जे टहिल कऽ िरा देख आबय । भेटलै तऽ चल जायत ।लेिकन िरा पड़◌ाव पर ो कहु निह रहै । अारमे एकटा िरा लागल छलै। देखलक सीट पर एक गोटय घोकड़◌ी लगा कऽ पड़ल अिछ । ओ एक-द ू बेरहाक देलकै । मुदा ओ आदमी निह उठलै । ओ फेर पेशोपेश मे पड़ि◌ गेल ।कक द ूर पर एक आदमी असकरे चलल जाइत रहै । ओकरा पर नजिर पड़ि◌तेओ झटिक कऽ िवदा भेल जेना ओकरा पकड़ि◌ लेत आ संग-संग घर धिर पहु ँिचजायत । ओ थोड़बे द ूर झटकल गेल होयत िक ओकर चािल म ंद पड़ि◌ गेलै ।को जरी निह जे ओ आदमी ओरे जेतै, जेर ओकरा गेनाइ छै । लेिकनको अज्ञात रणावश ओ धीरे-धीरे बढ़◌ैत गेल । आगा ँ जा कऽ एकटा मोड़ रहै। जखन ओ मोड़ पर घ ूमल आ िहयासलक तऽ ओिह आदमी के द ूर-द ूर धिर कोपता निह रहै । निह जािन ओ आदमी कतय अलोिपत भऽ गेलै । कतहु कायलओकर तीक्षा तऽ कऽ रहल छै ! अचानक ओकर देह डरसँ िसहिर उठलै । ईडर बेसी काल िटकलै निह । ओ कक और आगा ँ बढ़ल तऽ ओकर कलेजा िथर हुअयलगलै ।जाड़क पीयर मिलन इजोिरया पसरल छलै । भिरसक पिछयाक कार कुहेस निहरहै । ै मे लागल भोरका बस द ूरे सँ देखा रहल छलै । अपराधक एकटाअा ईहो रहै । एिहठाम कैक बेर कैक आदमी के सामान िधनायल रहै । ैकघेरा लग पहु ँिचते ओकर आश ंका बढ़ि◌ गेलै । ै िनजर्न आ सुनसान पड़ल छलै। राित कऽ ई जगह बड़ भयाओन लगैत रहै ।ै सँ िनकिल गेला पर ओकर डर किम गेलै ।लेिकन अखन ओ अदहे द ूरआयल छल । बचलहा रा बहुत द ूर ब ुभाइत रहै । पुिलसो कतहु निह छलै ।सड◌़क कातक दोकान दौड़◌ी, घर-द ुआर सब ब ंद रहै । एो टा कुकूरो निहदेखाइत रहै । जाड◌़मे ओहो सब द ुबकल होयत । नमडोिरया सड़क पर ओअसकरे चल जा रहल छल । कैक बेर अप ज ुाक आवाज सुिन कऽ लगै ोपछुअय आिब रहल अिछ आ जी स िसन रिह जाइ । खट-खट सुिन कऽ छातीधड़िक उठै ।15


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्ओकर घर अदहोक अदहा रिह गेल छलै । ओकरा भरोस भेल चल जाइत रहैजे आब ओ बिच गेल । आब िकछु निह हेतै । ओ सकुशल घर पहु ँिच जायत ।ठीक तख ओ आवाज सुनलक । आवाज पाछा ँ सँ आयल छलै । ो िकछु बाजलरहै । ओकर जी सनाक िसन उठलै । ओ पलिट कऽ ताकलक। मुदा ो देखेलैनिह । ओकरा भेलै ो अपन घरमे िकछु बाजल होयत। ओ बढ़◌ैत गेल। ’“के छी ?” - पाछा ँ सँ ो पुछलकै ।ओ ध ु िम कऽ देखलक । एक आदमी ठाढ़ छलै । ओ को जवाब निह देलक आबढ़◌ैत रहल।’अय के िछअय ? ठाढ़ रहऽ।’ - ओकर एिह आदेशसँ ओ भयभीत भऽ गेलआ अपन चािल तेज कऽ देलक । ओ आदमी अपराधी ब ुझा रहल छ्लै । अखनजँ ओ आदमी आिबकऽ ओकरा घेिर लै तऽ ओ कतबो िचिचआयत ो निह एतै। आबराित-िबराित मुसीबत मे पड़ल लोकक लेल ो निह िनकलै छै । ओ दसे डेगआग ू बढ़ल होयत िक पलिट कऽ ताकलक। तािकते ओ आतंिकत भऽ उठल। ओआदमी दौड़ल आिब रहल छलै ।ओ भागल । ओ भागल जा रहल अिछ ।ी रामभरोस कापड़ि◌ “मर” (१९५१- ) ज-बघचौरा, िजला धषा(पाल)। सम्ित-जनकपुरधाम, पाल। िभुवन िविवालयसँ एम.ए.,पी.एच.डी.(मानद)।हाल: धान सादक: गामघर साािहक, जनकपुर एस दैिनक, आ ंज ुरमािसक, आ ंगन अर्वािष र्क (काशक पाल ज्ञा ितान, कमलादी)।16


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्मौिलक कृित: बकोठरी: औनाइत ध ु ँआ (किवता संह), निह, आब निह (दीघ र्किवता), तोरा संगे जएबौ रे कुजबा (कथा संह, मैिथली अकादमी पटना,१९८४), मोमक पघलैत अधर (गीत, गजल संह, १९८३), अन अनिचार(किवता संह, १९९० ई.), रानी चावती (नाटक), एकटा आओर बस(नाटक), मिहषासुर मुदाबाद र् एव ं अ नाटक (नाटक संह), अतः (कथा-संह), मैिथली संृित बीच रमाउं दा (सा ंृितक िनब सभक संह),िबसरल-िबसरल सन (किवता-संह), जनकपुर लोक िच (िमिथला पेिटस),ंलोक ना: जट-जिटन (असान)।पाली कृित: आजको धषा, जनकपुरधाम र यस का सा ंृितकसदाह (आलेख-संह), मरका उृ नाटकह (अवाद)।सादन: मैिथली प संह (पाल राजकीय ज्ञा ितान), लाबाक धान(किवता संह), माथ ुरजीक “िशुली” खका (किव . मथ ुरान चौधरी“माथ ुर”), पालमे मैिथली पकािरता, मैिथली लोक न ृ: भाव, भंिगमा एव ंप (आलेख संह)। गामघर साािहकक २६ वष र्सँ सादन-काशन,“अच र्ना” सािहिक संहक १५ वष र् धिर सादन-काशन। “आ ँज ुर” मैिथलीमािसकक सादन काशन, “अंज ुली” पाली मािसक/ पािक्षकक सादनकाशन।अवाद: भयो, अब भयो (“निह आब निह”क म ाजाकीारा कयलपालीअवाद)सान: पाल ज्ञा ितान ारा पिहल बेर १९९५ ई.मे घोिषत ५०हजार टाकाक मायादेवी ज्ञा पुरारक पिहल ाकता र्। धानम ंीाराशिप एव ं पुरार दान। िवापित सेवा संान दिरभाारासािनत, मैिथली सािह पिरषद, वीरगंजारा सािनत, “आकृित” जनकपुरारा सािनत, दीघ र् पकािरता सेवाक लेल पाल पकार महासंघधषाारा सािनत, िजा िवकास सिमित धषा ारा दीघ र् पकािरता सेवाकलेल पुरृत एव ं सािनत, पाली मैिथली सािह पिरषद ारा २०५९सालक अरािष्य र् मैिथली सेलन मुई ारा “िमिथला र” ारा सािनत,शेखर काशन “पटना” ारा “शेखर सान”, मधिरमा ु पाल (काठमाौ) ारा२०६३ सालक मधिरमा ु सान ा। काठमाूमे आयोिजत साकर्रीय किव17


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्फंसल रहैक। सोना वा ंचल छलीह एहु द ुआरे जे ओकर र ंग ओतेक साफ निह रहैक,आ आन छौड़◌ी जका ं लब-लब ओ करैत छल। ाहककें ब ुझाइक एिह मुआएलछौड़◌ीमे को जान निह हयतैक सवतः, तएं ओ चुपचाप ाहकक तीक्षामे सभसँअ धिर बैसल करए। बादमे ओकरा सोना सँ पता चललै, सभ के ाहक भेिटगेलाक वादे हारल-फुरल लोक ओकरा लग अबैक। एिहसं एक बात त जर रहैक-सोना आन बाई जका ं तोड़ल-मचोड़ल निह गेिल रहय, वा ंचल छलीह। ओकर अहारकतेज एख दपदप करैक आ सएह तेज हीराके ओकरा िदश आकिष र्त कए रहैक।पिहल सा ंझ सोनाक संग महज ाहक भऽ वीतबऽ चाहैत रहय हीरा। थािकहािर गेल छल एिह महानगरमे। बाप मायके कमाएक नाम पर द ू हजार टका लऽकलका आिब गेल रहय। ओकर गौ ंआ सभ ए कमाइ छै, कह रहैक कोसेठक ब ंगलापर िलखापढ़◌ी के काम छै िदआ देबौ।मन त रहै जे िवदेशे उड़ि◌ जाइ, बड़ लोक ओकरो गामके अरबगेलैए। िवदेशमे पाइ त होइ छै, मुदा को कम निह छैक। घर-पिरवार सँद ूर। ओ सोच रहय- उड़◌ानक बात बादमे देखल जएतै। एक बेर गौ ंएँ सभकबातके भजा ली आ कलका चिल आएल, से आइ पह िदन भऽ गेल छै, मुदाओइ सेठक ओइ ठाम काम निह भऽ सकल। ओ आबे-आबे ताबे दोसरके रिख लेरहय। ओ बौआ गेल रहय आ फेरसं सिरआ कऽ काम खोजऽ पड़ि◌ रहल छलैक।रहबालेऽ गौआक खोली रहैक आ खएबा ले सेहो किहयो काल ओकरे सभके ओिहठाम खा लैक। मुदा कलकामे खच र् त होइते छैक। काम निह भेटौक त कतेकिदन िटकत ओ...।सोना बाई टोकैत छै त ओकर तंा भंग भऽ जाइत छै- की सोचऽलगलहु। आउ, आ ाहक खोज पड़तै ।हीरा बेसं भाव ुक भावक रहल अिछ। चौबीस-पीस वष र्क उमेर भऽगेलै, बाप-माय कतबो वीआहक लेल कहैत छैक ओकरा अपन मनमे की फुरै छै कीनिह, वरोबिर मना करैत आएल अिछ। नारीक ित अ सान रखैत अिछहीरा...। आइ उएह नारीक संग...।“की भेल बाब ू साहेब, आउ सेज पर”- कहैत सोना अपन साड़◌ी खोलऽलागल। साड़◌ी खोललाक बाद ब्लाउज खोललक आ िनचा ंक साया सेहो। हीरा एखचुपचाप ठाढ़ सोनाक देहयि िनहािर रहल छलै। ओ भरल। बजैत अिछ- ओहहवसी सभ अबैत अिछ। दा पीबैत अिछ, िसकरेट जड़बैत अिछ आ ठ ुठ्ठा कख19


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्कऽ सेदनशील अंग पर रगड़ि◌ िछलिमला दैत अिछ। चैत अिछ, िनछोड़◌ैत अिछआ घंटो तबाह कए रहैछ। ओकरा हम िकछु किह सकैत िछऐक हमर बाई।मोट पाइ दे रहैछ ओ। इएह छै एिह गीक जीवन आ स...।’ कक कालचु भऽ सोना हीरा िदश तकैत बजैत अिछ- अहा ँ एिह थालो कादोसँ भरल िवशालदलदली मैदानमे अपना वैसबाले एक हाथ सुल ठाम खोजऽ आएल छी- ई अहा ंकभोलापन अिछ आ अहा ंक इएह भोलापन हमरा िभतर धिर िहला देलक अिछ। हमएखन धिर िसहरन महश ूस कऽ रहल छी। ई सुखाभूितक िसहरन िथक जे आइ धिरहमरा निह भेटल छल, पता निह अहा ँमे की अिछ, आइसँ अहा ँ हमर गिहंकी छी, हमचाहब अहा ँ िन आबी, कमसँ कम एक बेर।हीरा त आर सद र् भऽ जाइत अिछ। ई की भऽ रहल छैक। उनटाहुगली बहऽ लगलै ए। हम कोना ए आिब सकै छी। आइ एक िदन अएबालेकतेक िहत ज ुटौ छी, ई त सभ िदन कहैत अिछ। निह, कतहु फेर सँ ियाचिरत देखाओत त ई...।ँंँसोना हीराके गुनध ुन करैत देिख फेर टोकैत छैक- अहा सोचैत हयब,हमर फीश िदनहु कोना दऽ सकब। बाब ूजी, हमरा लेल आ ाहक सभ छैक ।हम तािह महक अपन िहासँ बाइके अहा ँक िहाक पाइ दऽ देबै, अहा ओिहनाअिबयौ, हमरा नीक लागत।आब हीराके मोन मािन जाइत छैक जे को लाइ-लपेट सोनाक मनमेनिह छै। सा ंचे ओ बाघ, िसंहक हेंजक िवच को अप सन हिरन खोजऽ चाहैतअिछ, जकरा संग सुख द ुखक गप कऽ सकए, मोनक पीड़◌ाकेँ बािट ँ सकए।ओ आि दऽ दैत छैक। ओकर करी, संगमे घटल जाइत पाइ, िकछुसुिध निह रहैछ ओकरा। ओ सोनाकें छातीसँ सटा लैत अिछ। पिहल बेर सोनाकेंछातीसँ लगा ओकरा अपनक बोध होइत छैक, राहत भेटैत छैक।मैिथलीमे गजल आ एकर संरचनाधीरे मिष र् (१९६७- )मैिथली भाषा, सािह, कला, संृित आिद िविभ ककाजमे समान पेँ िनरर सिय िक पमे िचल जाइत छिथ धीरे मिष र्। िव.सं.२०२४ सालभादब १८ गते िसरहा िजलाक गोिवपुर-१, बीपुर गाममे ज लेिनहार मिष र्क प ूण र् नाम धीरे20


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्झा िछयिन। सरल आ सु भाषा-श ैलीमे िलखिनहार मिष र् कथा, किवताक अितिर लेख, िनब,अवाद आ पकािरताक मामसँ मैिथली आ पाली द ुन ू भाषाक मे सुपिरिचत छिथ। पालकूली कक्षा १,२,३,४,९ आ १०क ऐिक मैिथली तथा १० कक्षाक ऐिक िही िवषयक पापुकक लेखनसेहो कए छिथ। सािहिक मे िहनक एक सािदत आ एक अनिदत ू कृित कािशत छिन। मिष र्लेखनक अितिर सीत, अिभनय आ समाचार-वाचन सँ सेहो स छिथ। पालक पिहल मैिथलीटेिलिफ िमिथलाक था आ ऐितहािसक मैिथली टेिलृला महाकिव िवापित सिहत अको नाटकमेअिभनय आ िनदेर्शन कऽ चुकल मिष र्केँ पालसँ पिहलबेर मैिथली गीतक कैसेट किलयुगी दिनयाुिनकालबाक य सेहो जाइत छिन। िहनक र सीतमे आधा दजर्नसँ अिधक कैसेट एलबम बाहर भऽचुकल अिछ। कािपुरसँ हेो िमिथला काय र्म ुत कता र् जोड़◌ी पा-धीरेक धीरेक अबाजगामक बा-बा िचैत अिछ। “पव” मैिथली सािहिक पिका आ “समाज” मैिथली सामािजक पिकाकसादन।मैिथलीमे गजल आ एकर संरचना-धीरे मिष र्प-र एव ं चािल-कृित देखलापर गीत आ गजल द ुन ू सहोदरे ब ुझाइत छैक।मुदा मैिथलीमे गीत अित ाचीन काश ैलीक पमे चलैत आएल अिछ, जखन िकगजल अपेक्षाकृत अ नवीन पमे। एखन द ुन ूकेँ एकठाम देखलापर एना लगैतछैक जेना गीत-गजल को कुक मेलामे एक-दोसरासँ िबछुड़ि◌ गेल छल।मेलामे भोितआइत-भासैत गजल अरबिदस पहु ँिच गेल। गजल ओरे पलल-बढ़लआ जखन बेस ज ुआन भऽ गेल तँ अपन िबछुड़ल सहोदरकेँ तकैत गीतक गामिमिथलाधिर सेहो पहु ँिच गेल। जखन द ुन ूक भेट भेलैक तँ िकछु समय द ुन ूमेअपिरचयक अवा बनल रहलैक। िमिथलाक मािटमे पोसाएल गीत एकरा अपन जगहका करऽ आएल ितीक पमे सेहो देखलक। मुदा जखन द ुन ू एक-दोसराकेँलगसँ िहयाकऽ देखलक तखन ब ुझबामे अएलैक-आिह रे बा, हमरासभमे एना बैरिकएक, हम द ुन ू तँ सहोदरे छी! तकरा बाद िमिथलाक धरतीपर डेगसँ डेग िमला द ुन ूप ूण र् ा भावेँ िनरर आगा ँ बढ़◌ैत रहल अिछ।गीत आ गजलक प देखलापर द ुन ूक भावमे अपन पोसुआ जगहक ानीयताकअसिर प ूराप ूर देखबामे अबैत अिछ। गीत एना लगैत छैक जेना रिबरी फूलकेँसैँितकऽ सजाओल सेजौट हो। िमिथलाक गीतमे का ँटोसन बात जँ कहल जाइछ तँफूलेसन मोलायम भावमे। एकरा हम एहू तरहेँ किह सकैत छी जे गीत फूलकलतमारापर चलबैत लोककेँ भावक ऊँ चाइधिर पहु ँचबैत अिछ। एिहमे िमिथलाकलोकवहार एव ं मानवीय भाव मुख भूिमका िनवाह र् करैत आएल अिछ। जािह भाषाकगािरयोमे िरदम आ मध ुरता होइत छैक, ओिह भूिमपर पोसाएल गीतक प कटाह-धराह भइए निह सकैत अिछ। कही जे गीतमे तँ लालीगुरा ँसक फूलजका ँ ओ ताकत21


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्िवमान छैक जे माछ खाइत काल जँ गऽरमे का ँट अटिक गेल तँ तकरो गलाकऽसमा कऽ दैत छैक।गजलक बगय-बािन देखबामे भलिह गीतेजका ँ सुरेबगर लगैक, एिहमे गीतसननरमाहिट निह होइत छैक। उसराह मभूिममे पोसाएल भेलाक कार गजलकभाव िकछु उठ होइत छैक। ई कर इामीसभक सितमे बेसी रहल अिछ, तेँएकर भावमे “जब कुछ न चलेगी तो ये तलवार चलेगा” सन तेज तेवरबेसीदेखबामे अबैत छैक। यिप गजलकेँ मक अिभिक सश माम मानल जाइतछैक। गजल किहतिहँदेरी लोकक मन-मिमे ममय माहौल नािच उठैत छैक,एिह बातसँ हम कतहु असहमत निह छी। मुदा गजलमे मक बात सेहो बेसधरगर अाजमे कहल जाइत छैक। कहबाक ताय र् जे गजल तआिरजका ँ सीधेबेध दैत छैक लकेँ । लाइलपटमे बेसी निह रहैत छैक गजल। िमिथलाकसभर्मे गीत आ गजलक एिह तरहेँ जँ अर देखबऽ चाही तँ ई कहल जासकैत अिछ जे गजल फूलक पणपय र् तआिरजका ँ करैत अिछ, जखन िक गीततआिर सेहो फूलजका ँ भँजैत अिछ।मैिथलीमे संाक पेँ गजल आनिह िवधाजका ँ भलिह कम िलखल जाइत रहल हो,मुदा गुणवाक दृ िएँ ई िही वा पाली गजलसँ कतहु कको झ ूस निह देखबामेअबैत अिछ। एकर कारण इहो भऽ सकैत छैक जे िही, पाली आ मैिथली तीन ूभाषामे गजलक वेश एिह मुहूर्मे भेल छैक। गजलक ीगश करौिनहारिहीक भारतेु, पालीक मोतीराम भ आ मैिथलीक पं. जीवन झा एिहकालखक ासभ छिथ।मैिथलीयोमे गजल आब एतबा िलखल जा चुकल अिछ जे एकर संरचनाक मादे िकछुकहनाइ िदनिहमे िडिबया बारबजका ँ लगैत अिछ। एहमे यदाकदा गजलक नामपरिकछु एह पाितसभ ँ पपिकामे अभिर जाइत अिछ, जकरा देखलापर मोन िकछुझ ुझ ुआन भइए जाइत छैक। कतेकोगोटेक रचना देखलापर एह ब ुझाइत अिछ,जेना ओलोकिन द ू-द ू पाितवला ँ तुकबीक एकटा सम ूहकेँ गजल ब ूझैत छिथ। हमराजत ओलोकिन गजलकेँ द ूरेसँ देिखकऽ ओिहमे अपन पाि छा ँटब शु कऽ दैतछिथ। जँ मैिथली सािहक गुणधम र्केँ आसात कऽ चलैत को ि एकबेर द ू-चािरटा गजल ढसँ देिख िलअए, तँ हमरा जत ओकरामे गजलक संरचनाित कोतरहक ििवधा निह रिह जएतैक।तेँ सामातः गजलक समे नव िजज्ञासुक लेल जँ िकछु कहल जाए तँ िवना कोपािरभािषक शक योग कए हम एिह तरहेँ अपन िवचार राखऽ चाहैत छी-गजलक पिहल द ू पाितक ँ अाास िमलल रहैत छैक। अिम एक, द ू वा अिधकश सभ पाितमे ँ सिझया रहलहुपर साझी शसँ पिहक शमेअास वा कही तुकबी22


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्िमलल रहबाक चाही। अ द ू-द ू पाितमे ँ पिहल पाित ँ अासक दृ िएँ रहैतअिछ। मुदा दोसर पाित ँ वा कही जे पिछला पाित ँ ायीवला अासकेँ पछुअबैतचलैत छैक।ई तँ भेल गजलक मुह-कानक संरचनासी बात। मुदा खािल मुहे-कानपर ानदेल जाए आ ओकर क जँ गोिङआइत वा बौआइत रिह जाए तँ देखबामे गजललिगतो यथाथ र्मे ओ गीजल भऽ जाइत अिछ। तेँ ुितकरणमे िकछु रह, िकछुरोमाक स समधानल चोटजका ँ गजलक शसभ ताल-मााक वाहमय सा ँचमेखचाखच बैसैत चिल जएबाक चाही। गजलक पाितकेँ ँ अथ र्वाक िहसाबे ँ जँ देखल जाएतँ किह सकैत छी जे हऽरक िसराउरजका ँ ई चलैत चिल जाइत छैक। हऽरकपिहल िसराउर जािह तरहेँ धरतीक छाती चीिरकऽ ओिहमे को चीज जनमाओल जासकबाक आधार दान करैत छैक, तिहना गजलक पिहल पाित ँ कना वा िवषयवुकउठान करैत अिछ, दोसर पाित ँ हऽरक दोसर िसराउरक काय र्श ैलीक अकरण करैतपिहलमे खसाओल बीजकेँ आवक मामे तोपन दऽकऽ पुनः आग ू बढ़बाक मा शस्करैत अिछ। गजलक ेक द ू-पाित ँ अपनहुमे त रहैत अिछ आ एक-दोसराकस तादा ािपत करैत सममे सेहो एकटा िविश अथ र् दैत अिछ। एकरादोसर तरहेँ एहुना कहल जा सकैत अिछ जे गजलक पिहल पाित ँ कनसारसँ िनकालललालोलाल लोह रहैत अिछ, दोसर पाित ँ ओकरा िनिद र् आकारिदस बढ़एबाक लेल पड़ऽवला घनक समधानल चोट भेल करैत अिछ।गीतक स ृजनमे िसह मैिथलसभ थोड़◌े बगय-बािन बिझतिहँ ु आसानीसँ गजलक स ृजनकरऽ लगैत छिथ। सवतः तेँ आरसीसाद िसंह, रवीनाथ ठाकुर, ड◌ॉ महे,माकर्ेय वासी, ड◌ॉ. गेश गुन, ड◌ॉ. बिनाथ ु िम आिद म ूलतः गीत कि रिहतहु गजलमे सेहो कलम चलौलिन। ओहन िसह िसभक लेल हमरई गजल िलखबाक तौर-तिरकाक मादे िकछु कहब हााद भऽ सकैत अिछ, मुदानविसख ुआसभकेँ भिरसक ई िकछु सहज ब ुझाइक।मैिथलीमेकलम चलौिनहारसभम ायः सभ एक-आध हाथ गजलोमे अजमबैत पाओलगेलाह अिछ। जनकिव वैनाथ िम “याी” सेहो “भगवान हमर ई िमिथला” शीष र्ककिवता प ूण र्तः गजलक संरचनामे िलख छिथ। मुदा िसयाराम झा “सरस”, .कलान भ, ड◌ॉ.राजे िवमल सन िकछु सािहकार खा ँटी गजलकारक पमे िचलजाइत छिथ। ओना सोमदेव, ड◌ॉ.केदारनाथ लाभ, ड◌ॉ.तारान िवयोगी,ड◌ॉ.रामचैत धीरज, बाबा वैनाथ, ड◌ॉ. िवभूित आन, डा.धीरे धीर, फजलुर र्हमानहाशमी, रमेश, बैकु िवदेह, डा.रामदेव झा, रोशन जनकपुरी, पं. िनान िम,देवशर नवीन, ामसुर शिश, जनाद र्न ललन, िजयाउर र्रहमान जाफरी, अिजतकुमार23


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्आजाद, अशोक द आिदसमेत कतेको ाक गजल मैिथली गजल-संसारकेँ िवृितदैत आएल अिछ।गजलमे मिहला हाक्षर बहुत कम देखल जाइत अिछ। मैिथली िवकास माराबहराइत पवक प ूणा र् १५, २०५१ चैतक अ गजल अक पमे बहराएल अिछ।सवतः ३४ गोट अलग-अलग गजलकारक एकठाम भेल समायोजनक ई पिहल वानगीहएत। एिह अमे डा. शेफािलका वमा र् एक मा मिहला हाक्षरक पमे गजलकस ुत भेलीह अिछ। एही अक आधारपर पालीमे मैिथली गजल सी द ूगोटसमालोचनाक आलेख सेहो िलखाएल अिछ। पिहल म ाजाकीारा कािपुर २०५२जेठ २७ गतेक अमे आ दोसर डा. रामदयाल राकेशारा गोरखाप २०५२ फागुन२६ गतेक अमे। िछटफुट आनहु गजल सलन बहराएल होएत, मुदा तकरजानकारी एिह लेखककेँ निह छैक। हँ, िसयाराम झा “सरस”क सादनमे बहराएल“लोकवेद आ लालिकला” मैिथली गजलक ग आ प दऽ बहुत िकछु फिरछाकऽकहैत पाओल गेल अिछ। एिहमे सरससिहत तारान िवयोगी आ देवशर नवीनाराुत गजलसी आलेख सेहो मैिथली गजलक तालीन अवाधिरक साोपा िचुत करबामे सफल भेल अिछ।सममे मैिथली गजलक िवषयमे ई किह सकैत छी जे मैिथली गीतक खेतसँ ाहलगर मािटमे गुणवाक दृ िएँअिछ।मैिथली गजल िनरर बढ़ि◌रहल अिछ, बढ़ि◌एरहलगजल १झो ु जे निह डाइन नचौलक ओ भगता ओ धामी कीएको गाम जँ डािह सकलहु ँ तँ ओढ़ रमनामी कीअक्षत-चानन ध ूप-दीपसँ जतऽ यज्ञ सूण र् हुअए-ततऽ जँ ो ही रगड़◌ैए, ओ कामी ओ कलामी कीबाप-माएपय र् परोसै ेह जखन बटखारासँ-नकली सभक द ुलार लगैए, से काकी, से मामी की24


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्सोिनत सेहो शराब ब छै शासनकेर सनकी भीिदयौ घटाघिट जे भेटए से, फुिसयाही की दामी कीपोखिरक रखबारी पएबालए की खािल बाि िलअफेर गटागिट घोँट चिलयौ, से पोिठया से बामी कीपाग उतािरकऽ कूिद गेल “मिष” र् सेहो अखाड़◌ामेढािह सकल ज ु-इमारत करतै ओहन सुनामी की(िव.२०६२/०५/३०)गजल २मोन जँ कारी अिछ तँ चमड़◌ी गोरे की करतै?ममते जँ अआएल तँ माएक कोरे की करतै?गगनसँ उतरै मेघ नयनमे जखन सािचकऽ ँ शाकेह अार चीिरकऽ जनमल भोरे की करतै?नीम पीिबकऽ माहुर सेहो पचाबैत आएल छी तँका ँटकेँ धाङैत डेगकेँ थोड़◌े अङोरे की करतै?25


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्घामक िसँचल धरती छोड़ि◌ जकरा कतौ भरोसातकरा लेल बनसीक सुअदगर बोरे की करतै?आिग पीिबकऽ ब ब छै जे अन छातीतकरा आगा ँ गोिहया आ ँ िखक रे की करतै?तैयो लागल “मिष” र् अिछ बस मक खेतीमेमक धन भेल घरमे जािबड़ चोरे की करतै?(िव.२०६२/०५/२०)शुभकामना िदआबातीक- धीरे मिष र्चमकैत दीपकेँ देिखकऽजेना झ ु कीड़◌ा-मकोड़◌ाकऽ दैछ ौछावर अपन अिद ुगु र्ण वा खलतत्पी कीड़◌ा-मकोड़◌ाकेँन करबाक लेल चाही आओर िकछुअपना भीतरक मानवीय इजोतक टेमीक आओर उसका लीअपनाकेँ सभक मन-मनमे मुसका ली26


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्इएह अिछ शुभकामना िदआबातीक-देहिर दीप जरए जरएमनधिर सदित रहए िझलिमलिकएक तँ अपना मा इजोतमे रहमेटा निह सकैछ संसारसँ अार (अिगला अँकमे धीरे जीक गजल प ंभमे)महे मलंिगया काश झापरमहे मलंिगया :मैिथलीक सुपिरिचत नाटककार, र ंग िनदेर्शक एव ं मैलोर ंगक संापक अक्ष । लोक सािह परगंभीर शोध आलेख । मैिथलीमे 13टा नाटक, 19टा एका ंकी, 14टा ड़ आ 10टा रेिडयो नाटककािशत आ आकाशवाणी सँ सािरत । सीिनयर फेलोिशप (भारत सरकार), इ ंटरशनल िथएटरइिूट ं (पाल), बोध सािह सान आिद सँ सािनत । संित ोितरीर िलिखत मैिथलीकथम पुक वण र्राकर पर शोध काय र् । ी महे मलिगयाक ज २० जनबरी १९४६ मे मध ुबनीिजलाक मलंिगया गाममे भेलि। मलंिगयाजी मैिथली िही, अंजी आ पाली भाषाक जानकार आिथयेटर िशक्षण, पटकथा लेखन आ ती शोधक ीला िशक्षक छिथ। सान, उपािध आ पुरार:२००६(सीिनयर फ़◌ेलो, मानव ससाधन िवकास िवभाग, भारत सरकार), २००५ ई. मे मैिथली भाषाकसवािधक र् ितित बोध सान, उनाप सान, परवाहा (उवा ना पिरषद, परवाहा), भा कला पुरार(कला जानकी संान, जनकपुर), २००४- पाटिलपु पुरार ( ा ंगन िथएटर, पटना), इप्टा पुरार(किटहार इप्टा, किटहार), २००३- गोपीनाथ आय र्ल पुरार (इटरशनल िथएटर इीूट, पाल),याी चेतना पुरार (चेतना सिमित, पटना), बैनाथ िसयादेवी पुरार (बी.एस.डी.पी. काठमाू),२०००- चेतना सिमित सान (चेतना सिमित, पटना), िजला िवकास धषा सािह पुरार (िजला िवकाससिमित, जनकपुर), १९९९- िवापित सेवा संान सान (िवापित सेवा संान सान, दरभंगा), १९९८-र ंग र उपािध (अराष्ीय र् मैिथली सािह पिरषद, रा ँची), १९९७- सवो र्म िनदेर्शक पुरार (सा ंृितकसंान, काठमाू), १९९१- भा कला पुरार, िवराटनगर (भा कला पिरषद, िबराटनगर),१९९०- सव र्नामपुरार (सव र्नाम सिमित, काठमाू), १९८५- आरोहण सान, काठमाू, १९८३- वैदेही पुरार(िवापित ारक सिमित, रा ँची),शोध काय: र् सलहेस: एकटा ऐितहािसक अयन, िवरहा: िमिथलाक एकटा लोकप, सामा चकेबा: लोकनाकएक अवलोकन, सलहेसक काल िनधारण, र् व ्इापितक उगना, िशवक गण, मध ुबनी एकटा नगर अिछ, हमजनकपुर छी, ई जनकपुर अिछ।27


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्िहनकर द ू टा पोथी “ओकरा आ ँगनक बारहमासा” आ “काठक लोक” लिलत नारायण िमिथला िविवालय,दरभंगाक मैिथली पाममे अिछ। िहनकर द ू टा पोथी िभुवन िविवालय, काठमाू केर एम.ए.पाममे अिछ। िहनकर कैकटा आलेख आ िकताब सेकेरी आ हायर सेकेरी पाममे अिछ।कािशत पोथी: नाटक: ओकरा आ ँगनक बारहमासा, ज ुआयल कं कनी, गाम निञ सुतय, काठक लोक,ओिरजनल काम, राजा सलहेस, कमला कातक राम, लण आ सीता, लण रेखा खित, एक कमलरमे, प ूष जाड़ िक माघ जाड़, िखड़ि◌, छुतहा घैल, ओ खाली मुँह देखै छै। ई सभटा कैक बेरआ कैक ठाम खेलाएल गेल अिछ। एकाी: टूटल तागक एकटा ओर, लेवराह आरमे एकटा इजोत,गोन ूक गबाह, हमरो जे सा भैया, “िबरजू, िबलटू आओर बाब ू”, मामा सावधान, देहपर कोठी खसा िदअ,नसबी, आल ूक बोरी, भूतहा घर, त चाहे असौच, फोनक करामात, एकटा बतािह आयल छलय,मािलक सभ चल गेलाह, भाषणक दोकान, फगुआ आयोजन आ भाषण, भूत, एक टुकड़◌ा पाप, मुहककात, ाण बचाबह सीता राम, ओ खाली घैल फोड़य छै। ई सभटा मिचत ं भऽ चुकल अिछ। २५ टाचौबिटया नाटक: चुह, लटर पटर अहा ँ ब क, बाढ़ि◌ फेर औतय, एक घर कानन एक घर गीत,सेर पर सवा सेर, ई गुर खे कान छेदे, आब कहू मन केहेन लगैए, नव घर, हमर बौआ ूलजेतए, बेचना गेलए बीतमोहना गबए गीत, मोड़ पर, ककर लाल आिद। ई सभटा चौबिटया वीथीपरखेलायल गेल अिछ। ११ टा रेिडयो नाटक: आल ूक बोरी, ई जनम हम थ र् गमाओल, नाकक प ूरा,फटफिटया काका आिद। ई सभटा टा पटना, दरभंगा आ पालक रेिडयो ेशनसँ सािरत भेलअिछ। सादन: मैिथली एकाी (सािह अकादमी, नई िदी), िवदेहक नगरीसँ (किवता संह), मैिथलीभाषा पुक (सेकेरी ूल पोथी), लोकवेद (मैिथली पिका)। कथा: ाद जड़ि◌ गेल, धार, एकिदनक िजनगी, बया सुगा, बाल ूक भीत, ब ुलब ुा आिद। लघ ुकथा: डपोरश ंख, मुहिचड़◌ा आिद।सदता: अक्ष, मैिथली लोक र ंग, सद काय र्कारी बोडर्, िमनाप, जनकपुर, याी मध ुबनी, िमिथलासा ंृितक म ंच, मध ुबनी। राष्ीय आ अराष्ीय र् सेिमनार सभमे सहभािगता।काश च झा : मैिथली र ंगकम र्मे ी-इन-वन- महेमलंिगयाकाश झा१९७५ ई. मे हम ज ुआयल कनकनी नामक एकटा नाटक िलख रही, जे ओही सालकािशत भेल रहय । एिह नाटकक संगमे मैिथलीक सुिस सािहकार जीवका ंतजीअपन ितिया करैत िलख रहिथ – मलंिगयाजी, िमिथला ंचलमे एखन ओहन28


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्अिभता निह ज लेलक अिछ, जे एकर तेजकेँ सािर सकत । ई बात हमअपनहु ँ महस ूस कए रही आ तिहए सँ हमर आिख ँ एिह बातक खोज करैत रहल, जेओिह नाटकक अप को अिभता भेिटतए ।ओना िमिथला ंचलमे अिभताक कमी निह रहलैक अिछ, मुदा सभक िजनगी अकालीन। िकएक तँ एिहठाम एकरा टाइमपासक पमे देखैत अिछ । तेँ जहा ँ कतह ुकरी भेिट गेलैक िक ओ र ंगकम र् केँ ितला ंजली द’ दैत अिछ । दोसर कोगािजर्यन ई निह चाहैत छैक, जे हमर बेटा र ंगम ंचसँ ज ुड़ल रहय । िकएक तँमैिथली र ंगम ंच केँ ओ सामर् निह छैक जे ओकरा रोजी – रोटी द’ सकतै । तेँर ंगम ंच के छोड़’ बाला नाम अनिगनत अिछ आ ज ुटल रह’ बाला नाम आ ँगुरे पर गनल। एहन आ ँगुरेपर गन’ बाला नाम अिछ – अिभषेक, चशेखर, मुकुल, संतोष (मध ुबनीसँ ), रवी, ओमकाश, र ंजू, िय ंका ( जनकपुरसँ ), संजीव, िकशोर केशव,गुड़ि◌या, ाित, िजतेनाथ, िय ंका ( पटनासँ ), मुकेश, उल, काश, ोित, जीतू,कमल, द ुगे र्श, भारानंद ( िदीसँ ) आिद ।एिह सभमे काश किहया हमरा भेटल - रण निह अिछ, मुदा एतेक धिर अवरण अिछ, जे ओ कह रहय-“सर, हमर घर घोंघौर अिछ आ हम आर. के. क◌ॉलेज मध ुबनी में पढैत छी” ।“ कोन कक्षामे ?”“ बी.एस सी.क फर् पाट र्मे ” । हमरा िदससँ को ितिया निह अएबाक कार ंिकछु कालक बाद पुन: बाजल –“ हम नाटकसँ सेहो ज ुड़ल छी ” ।“ कोन संासँ ?”“ मध ुबनी इप्टासँ ”“ बहुत ख ुशीक बात ”काश कोन अपेक्षा ल’ क’ हमरा लग आएल रहय से ओ किह पओलक आ हम बिझ ू सकिलऎ । मुदा, एतेक अव जानकारी भेटैत रहल जे ड़ नाटककेँमध ुबनी िजलामे बहुत लोकिय बना देलक अिछ । एेटा िबजिलया ु भौजीक पचासटाशो कएलक अिछ आ सभमे एकर अिनवाय र् सहभािगता छैक । मुदा, ई हमर द ुभा र्29


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्रहल जे एकर एकोटा शो हम नइ देख सकिलऎ । तथािप एतेक िवास भैए गेलजे नाटकक ित एकर लगन बेजोड़ छैक ।हमहूँ रहबे कएलहु ँ आ इहो नाटक किरते रहल आ तखन जँ म ंच पर भेट नइहोइतए तँ इहो असंभवे बाला बात भ’ जइतै । से भेलैक निह, एकरासँ म ंचपरभेट भैए गेल, मुदा किहया से रण निह अिछ । हँ, एतेक अव रण अिछजे ाय: 1995 ई. मे िमिथला सा ंृितक पव र् समारोहक अवसर पर हमरे नाटकओिरजनल कामक म ंचन नगर भवन, मध ुबनीमे होइत रहय । हमहूँ आमित ं रही ।जािह मे दरोगाक भूिमका काशे के छल । ओिह नाटकमे ई श ंसाक पा बनलरहय जकर उेख दैिनक जागरण आ दैिनक िहुान सेहो कए रहैक । िकछुिदनक बाद गाम नइ सुतैए’क म ंचन देखिलयैक ओहो मे गामक तीनटा िबगड़ल युवकमेसँ एकटा िबगड़ल युवकक भूिमका यैह कए छल । ओही द ुन ू मे कयलगेल अिभनयकबदैलत ई हमरो मोन मे बैिस गेल । बादमे िबहार सरकार युवा म ंालय, पटनािदस सँ आयोिजत काय र्म मे एक बेर फेर हमरे िलखल नाटक हमरो जे सामभैयाक म ंचन नगर भवन, मध ुबनीमे होइत रहय । हमहूँ आमित ं रही । जािहमे चाव के भूिमका मे काश रहै । म ंचपर एकरा देखलाक बाद हमरा बड़अपसोच भेल रहय जे जीवका ंतजी एिहठाम नइ छिथ । ओ जँ आइ एिहठामरिहतिथ तँ एकर अिभनय देिखक’ िनित अपन बात घ ुरा िलतिथ जे ‘िमिथला ंचलमेएखन ओहन अिभता निह ज लेलक अिछ’ । बहुत िवलक्षण आ मु कर’ बालाअिभनय कए रहएअ । तेँ हमरा कह’ पड़ल जे चाव के भूिमका एहन दोसरनइ क’ सकैए ।एकर बाद करिगल समापर आधािरत नाटक द ुलहा पागल भ’ गैलै मे सेहो अिभनयकएलक जे हम नइ देख सकिलऎक । हँ, मध ुबनीक िडप्टी कलर ी दीपनारायणिसंह जी सँ जखन बात भेल तँ कहलिन जे खासक’ काशच ब नीक अिभनयकए छल ।ओना एिह बातक घमथ र्न कख-कख उिठए जाइत अिछ जे अिभता तँ िनदेर्शककहाथक कठपुतली होइत अिछ । ओकरा जेना-जेना िनदेर्शक कहैत छैक तेना-तेनाओ म ंचपर करैत अिछ । जँ इएह बात स छैक तँ एेटा भूिमका जखन द ू आदमीकरैत अिछ तखन िकएक ककरो नीक आ ककरो बेजाए भ’ जाइत छैक ? एिहआधार पर तँ स ृजनाक ितभा अपन होइत छैक से मानिहटा पड़त । आओ ओहन चाव क स ृजन कए रहय ।तेँफेर 2005 ई. मे रामाननद युवा ब, जनकपुर धाम ( पाल ) ारा आयोिजतना समारोह मे पालक अितिर कोलकाता , िदी, दरभंगा आ मध ुबनीक टीमसभ30


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्भाग ले छल । मध ुबनीक याी संा , िदीक याी संाक प मे वेश पओछल । कारण , ओिह समयमे अिधका ंश याीक अिभतासभ िदीए मे रहैत छल तेँिकछुए नवकेँ समावेश कर’ पड़लै आ काप कमलक नाटक गोरखधंधा तैयार भ’ गेलै। एिह नाटक मे ओ स ूधारक भूिमका कए रहय जे काफी चिच र्त रहलै ।मैिथली र ंग जगतमे नव पीढीक कतेको लोक छिथ, जे लगातार काज क’ रहल छिथमुदा, ओिह जमातमे काश कतेको कार सभहक ान अपना िदस खींचैत अिछ ।एक त’ अपन र ंग कालमे , काशक र ंग वाह ब महप ूण र् छैक । दोसर ई जे– काशक ारा जराओल गेल सव र्र ंग अिभयानक दीपक जे भाव मैिथली र ंग जगतपर पड़ल अिछ ओ आरो बेसी श ंसाक पा छैक । काशक र ंग वाहक शुआतिमिथलाक एकटा छोट छीन गाम घोंघौर स’ शु होइत छैक । अपन नप सँगामक र ंगम ंच सँ ज ुड़◌ैत, अपन िजला मध ुबनीक नगर इप्टाक काया र्लय सिचव बनल आइप्टा मे एकर पा ँच सालक काय र्काल अखन तक के ओकर ण र्काल कहल जा सकैतछैक । ओत’ सँ िनकिलक’ िविवालय र पर अिभनय मे थम सान सँ सािनतहोइत राष्ीय ना िवालय, िदी मे वेशक चयन ियाक अंितम िया तकशािमल भेल । ओहो को नामी-िगरामी िनदेर्शकक संग काय र् करबाक अभवक िबना। फेर संगीत नाटक अकादेमी, नई िदी ारा िशक्षण ल’क’ ओकरे बाकी काय र्शालामे काय र्शाला सहायकक प मे कतेको रा मे अपन ज़ि◌ेदारी केँ सफलताप ूव र्किनभाबैत, सािह कला पिरषद, िदीक र ंगमल सँ गुजरैत, स◌ॉग ए ामा िडिवजन,नई िदी मे कैज ुअल आिट र्क प मे चुनबैत आई राष्ीय ना िवालय, नाईिदी ारा अिखल भारतीय रक तम र ंगशोध पिका र ंग संगक संपादनसहयोगीक पमे अपन महप ूण र् ज़ि◌ेदारी िनभा रहल अिछ । ई त’ छल काशकअपन र ंगपक्ष , जे िक हमरा सभ केँ सीधे-सीधे देखाइत अिछ । जे दोसर पछै ओ ई जे मध ुबनी सन छोट जगह मे काश जे र ंगदीप जरौलक अिछओकरपिरणाम ई छैक जे आई एिह छोट शहर मे सात-सात टा र ंगकमीर् र ंगकम र् मेिशक्षणक लेल राष्ीय ितभा छावि ृ ल’ चुकल अिछ । कतेको र ंगकमीर् राष्ीयरक र ंगिशक्षण संान सँ िशक्षण ा केलि अिछ ।2006 ई. मे मैिथली लोक र ंग, िदी ( मैलोर ंग ) ििदवसीय ना सहोवकआयोजन कए रहय जािहमे सहरसा, पटना आ िदीक टीम ( मैिथली लोक रंग )भाग ले रहैक । ई तीन ू टीम मश: किनया ँ-पुतरा, पािरजात हरण आ काठकलोक मश: उल झा, कुणाल तथा काश झा क िनदेर्शनमे ुत कए रहय ।उल झा राष्ीय ना िवालय, नई िदी सँ उीण र् छा, कुणाल केँ दस-पहनाटकक िनदेर्शनक अभव आ काश झा केँ अिभनय छोड़ि◌ िनदेर्शनक को अभवनिह । तेँ लागल जे एिह द ुन ू िनदेर्शकक बीचमे काश ओिहना दरड़◌ा जाएत जिहना31


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्जा ँतक द ुन ू पाक बीचमे दािल । मुदा से भेलैक निह, काश झा आ ँकड़ जका ँअड़ले रिह गेल । क्षक गुी लािधक’ नाटक देखैत रहलाह । मुदा, जत’हँस’क अवसर छलैक ओत’ हँसबो कएलाह ।नाटक समा भेलाक बाद काश द ू श कहबाक हेतु हमरा म ंच पर बजा लेलक ।ओ िकएक हमरा बजौलक तकर अमान एिह पमे लगौिलऎक – ाय: नाटक मे कएलगेल िकछु फेर-बदलक मादे िकछु कहताह । मुदा तािह संगमे हम िकछु किह नइसकिलऎक । कारण, क्षक हमर मुँह ब क’ दे छल । तेँ हम ई बातकहबाक लेल बा भ’ गेल छलहु ँ जे द ुलहन वही जो िपया मन भाए अथा र्त नाटकवएह नीक वा िनदेर्शक वएह नीक जकरा क्षक गीरता सँ देखलक आ ब ुझलक ।एतेक कहलाक बाद ओ राम गोपाल बजाज जी केँ बजा लेलकिन । हुनका म ंचपरबजएबाक द ूटा कारण भ’ सकैत अिछ – पिहल, ओ भारतीय र ंगम ंचक एकटा िदजर ंगकमीर् छिथ जे िमिथला ंचलक सप ूत छिथ आ दोसर, पिहल बेर िनदेर्शनक मेआयल छल तेँ हुनक आशीवा र्द काशक लेल आवक छलैक । तेँ बजाजजी म ंचपरअएलाह आ हमर बातक समथ र्न करैत कहलिथन – मलंिगयाजी जे बात कहलिन अिछतािहसँ हम सहमत छी । काश केँ जखन दश र्के सिटिफकेट र् दान क’ देलकै तखनहम ओिहपर हाक्षर नइ किरऎ से उिचत नइ होएत ।एिह ुित के देखलाक बाद िहीक युवा आ संवेदनशील र ंगदृ ि रखिनहार र ंगसमीक्षक संगम पाे जनसा में िलख रहिथ -... म ंच पर ये सभी पा चिर के कई बारीक िवासों के साथ िदखाई देते हैं। उनके भदेस में कही ं भी कुछ बनाबटी नही ं लगता । और यही वजह है िककथावु में िितया ँ कई बार दोहराई जाकर भी अपनी रोचकता नही ं खोती ं ।म ंच पर पीछे की ओर दाएँ मिदर ं का चब ूतरा है । बाई ं ओर एक प ूरा का प ूरा व ृक्ष,और चब ूतरा एक प ूरा पिरवेश बनाते हैं । इस पिरवेश में साध ु की पीता ंबरीवेशभूषा एक िदलच कं ा बनाती है” ।संगम पाेक उपयु र् कथन िनित पे काशक ना िनदेर्शक संग ओकर म ंचपिरकना आ वस् िवासक दृ िक सेहो मजब ूती दान करैत छैक ।2005 ई. मे ाि फाउेशन, िदी हमरा बोध सािह सान दे छल, जेकलकामे दान कएल गेल । उ सानक अवसर पर ड◌ॉ. उदय नारायण िसंह‘निचकेता’ ारा रिचत एक छ्ल राजा नामक नाटकक म ंचन कोिकल म ंच, कोलकाता ाराकएल गेल छल । हमरा बगलमे बैसिल हमर पी िजनका साक्षर मा कहल जासकैए पिछ ू बैसलीह32


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्“कखन नाटक समा होएतैक” ?एिहपर हम कहिलएिन जे एक चौथाई बा ँकी अिछ । अवलोकनज थकान सँअप-अप बािज उठलीहओ“एह, तखन तँ आधा घंटा सँ बेिसए बैस’ पड़त” ।आब को क्षकक मुँहसँिच लगबैत अिछ ।िनकलल “बैस’ पड़त” श नाटक दश र्नपर एकटा पैघइएह सान 2007 मे मयान िम केँ भेटलिन । ओिह सानक अवसरपर ड◌ॉ.निचकेता ारा रिचत नायकक नाम जीवन, एक छल राजा , रामलीला, ावतर्न आिदमेसँ को एकटा नाटकक म ंचन होएबाक चाही से िवचार कएल गेल छल । संगिह ानबदिलक’ िदी पर मोहर लािग गेल छल । उ आयोजनक सूण र् अिभभारा काशच झा केँ भेटल छलैक । तेँ ओ निचकेताक सभ नाटक म ंगौलक । गीरता सँपढलक आ अंतमे एक छल राजापर आिबक’ केित भ’ गेल ।निचकेताक जतेक नाटक छैक ओिहमे सँ सभसँ नीक नाटक एक छल राजा अिछ जेाय: 1970 क दसकमे कािशत भेल रहैक । एकरा जँ एना ब ूझी तँ किह सकैतछी जे जिहया काश जों निह ले होयत तिहए ई नाटक कािशत भेल रहैक। तेँ जतेक जे एिह नाटकक मादे कािशत भेल छल होएतैक तािहसँ ओ पिरिचतनिह छल । तथािप ओिहमे सँ एक छल राजा केँ चूिन लेलक से ओकर िनदेर्शकीयदृ िक माण दैत छैक । कारण, िनदेर्शक वाे नाटक चयन एकटा अहम मुारखैत छैक ।जँ स पुछल जाए तँ ओ नाटक काश च झाक हेतु एकटा चुती भरल काजछलैक । एखन धिर जतेक िनदेर्शक ओकरा ुत कए छल ओकरा कओमा आप ूण िवराम र् सिहत म ंचपर उतािर दैत छल तेँ क्षककेँ पुछ’ पड़◌ैत छलैक जे आबकतेक नाटक बा ँकी अिछ । एहन िित उ होएबाक कारणपर िवचार करबासँपिह हमरा नाटक कथानकपर िवचार सेहो कर’ पड़त ।एिह नाटकमे राजा साहेब नामक एकटा जमीार अिछ जकर जमीारी पुखे र्क समयसँधीरे-धीरे कमल जाइत छै । राजा साहेब लग आिबक’ िवपता पराकाापर पहु ँचजाइत छै । कजर्क बोझ ततेक बिढ जाइत छै जकरा सधाएब मिश्कल भ’जाइत छैक । फजूल खचीर् आ िवलािसताक कारँ एिह िितमे पहु ँचब एकटा िनयितछैक । फेर ओही जमीारीमे पलल राजा साहेबक िपताक अवैध संतान धिनकलालशहर जाइत अिछ । ओिहठाम अपन लगन आ पिरमसँ काफी धपाजर्न करैत अिछ33


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्आ राजा साहेबक हवेली कीत अिछ । फेर ओहो वएह काजसभ कर’ लगैत अिछजे राजा साहेब करैत छलाह ।आब ई उठैत अिछ जे एकटा जमीारकेँ तोड़ि◌क’ दोसर जमीारकेँ ठाढकरबाक की औिच छैक ? जँ ठाढ भइए जाइत छैक तँ दरबारमे राजा साहेबजका ँ हवेलीमे मोजराक आयोजन करबाक की योजन छैक ? जखन ई बात भ’ जाइत छैक जे राजा साहेब अपन बेटी मोिहनीक िववाह आिथ र्क तंगीककारँ नइ करा रहल छिथ तखन ओकर म संगक एतेक दृसभ रखबाक कोनयोजन छैक आ अंतमे ओकरा मीकेँ खलपा बनएबाक कोन औिच छैक ?को िनयितक िव बेर-बेर धिनक लालक मुँह सँ ितशोध लेब कहयबाक कोनजरी छैक ? राजा साहेब तँ अपन करनीक फल पािबए गेल छलाह जे हवेलीबेिचक’ सड़कपर आिब गेल छलाह ।उपयु र् सभ पर काश नीक जका ँ िवचार कए छल । ओकर दश र्न िस्प्टदेिखक’ हमरा लागल जे ओकरामे नाटक दश र्नक समझदारी छैक ।नाटकसँ एक िदन पिह हमरा डेरापर एकटा काडर् आएल रहय । ओिहपर सपिरवारिलखल रहैक । तेँ हम पीसँ पुछिलयिन -“नाटक देख’ जएबैक” ?“कोन नाटक छै” ? पर ओ रखलिन ।“एक छल राजा”“नइ जाएब”।“िकएक”?“कलका मे देख छी । हमरा नइ नीक लागल रहय” ।“चल ू , िनदेर्शक बदलल छै, अिभता बदलल छै” ।“मुदा नाटक तँ वएह रहतै ” ।“तैयो देिख िलयौ ” ।नाटक भेलैक । नाटक समा भेलाक बाद निचकेताजी केँ काफी ख ुश देखिलयिन ।एकर मतलब छलैक जे नाटक अपन ऊँ चाई पािब गेल छल । वुत: हमरो ब नीक34


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्लागल रहय ई ुित । हमर मोन मािन गेल छल जे एकरा नीक िनदेर्शककपा ँतीमे राखल जा सकैए । जँसे बात नइ रिहतै तँ नाटक एिह पमे नइचमिकतै । राामे हम पीसँ पुिछ्लयिन -“केहन लागल नाटक” ?“बहुत बिढया ँ”“तखन कहै छिलऎ जे नइ जाएब” ।“हमरा थोड़बे ब ुझल छल जे एहन नाटक हेतै” ।ई छलैक एकटा साक्षर मा लोकक म ूा ंकन । ी मायानंद िम, ड◌ॉ. गंगेश गुंजन,ड◌ॉ. देवश ंकर नवीन, ड◌ॉ. ओमकाश भारती आिद िदज िवान लोकिन एिहुितक श ंसा कएलिथन । ओना दशरथ जखन भार जनकपुर पठौलिथन तँजनकपुरबासी मेसँ ो बािज ऊठल— भार तँ बहुत बिढया ँ छिन, मुदा अंकुरीक अख ुआटेढ छिन । एहन अख ुआ टेढबाला लोक क्षकक ितिया देिखक’ अपनाकेँ चुेराखब उिचत ब ुझलक ।एिह ठाम एकटा बात कह’ चाहब—आदमीक क्षमताक ाना ंतरण दोसर मे सेहोहोइत छैक । यिद हम दिहना हाथसँ ‘अ’ िलखैत छी तँ बामा हाथसँ ‘अ’ सेहोिलिख सकैत छी । कारण, दिहना हाथक क्षमता बामा हाथमे ाना ंतिरत भ’ जाइतछैक । एही अवधारणापर लोक कहैत छैक जे बी.ए. भ’ क’ घास िछलतै तँ म ूख र्सँबिढए जका ँ िछलतै िकएक तँ ओ अपन पढ’–िलख’ बाला क्षमता घास छील’ मे लगादेतैक । एिह मवैज्ञािनक तक सापन काश च झाक अिभनयाक एव ंिनदेर्शकीय क्षमतासँ जोड़ि◌क’ संगठनाक क्षमताकेँ सेहो देखल जा सकैए । ओजतबए नीक अिभता तथा िनदेर्शक अिछ ओतबए एकटा सफल संगठनकता र् सेहो ।आ हम सभ िकयो जत छी जे र ंगकम र् मे संगठनाक क्षमताक िवशेष मह छैक।एिहठाम संगठनाक क्षमताकेँ र ंगकम र्सँ जोड़ि◌एक’ देखल जा सकैत अिछ कारण,भरतक नाशास्क पैितसम ं अायमे नादलक चचा र् आएल अिछ जािहमे स ूधार,अिभता, काकार, माली(माकार), ण र्कार(मुकुट एव ं गहना बनब’बाला),सिचकार(दजीर् ू ), िचकार आिदक चचा र् अिछ । हमरा जत एिह सभ केँ िमलाक’राख’बाला स ूधार छल होएतैक । ईसभ अपन-अपन योगदान ना दश र्नमे दैतछलैक । जँ एकरा सभकेँ िमलाक’ निह राखल जैतैक तँ नादश र्न असंभव भ’35


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्जइतैक । अत: एकटा सूण र् र ंगकमीर्क हेतु संगठनाक क्षमता आवक भ’जाइछ ।2005 ई. मे जनकपुर ना महोवक आयोजन कएल गेल रहैक । एिह आयोजनमे याी टीम भाग िलअय से हमर हािद र्क इा रहय । मुदा कलाकारसभ िबखरलरहैक । सभ एकठाम जमा होएत आ नाटक करत से संभव निह ब ुझाय । तथािपएकबेर जानकारी देब आवक छल । एतदथ र् बीस-बाइसटा मेरमे सँ काश केँटेलीफोन कएिलऎक । कारण, ओकर संगठनाक क्षमतासँ हम पिरिचत छलहु ँ । दोसरजँ गिछयो िलतएअ तँ संगठनाक क्षमताक अभावमे जएबो किरतएअ िक निहतािहपर हमर िवास निह छल । खैर, ओ हमर इाकेँ सहष र् ीकार क’ लेलक आपह-सह आदमीक टीम ल’ क’( िदी सँ ) जनकपुरधाम (पाल) पहु ँच गेल ।सम्ित काश िदीमे मैिथली लोक र ंग (मैलोर ंग) नामक संा चला रहल अिछ ।एिह संाक एकटा सद िदी रहैत अिछ तँ दोसर देविगरी मे, मा एकटा उरीिदी तँ दोसर दिक्षणी िदी । एहना िित मे मैिथली र ंगकम र् केँ िजयाक’ राखबएकटा किठन काज भ’ जाइत छैक । तथािप ओ एकरा िजआए क’ निह, बिजगिजयार क’ क’ रख अिछ ।इर, जिहया सँ काश र ंग संग सँ ज ुड़ल अिछ आ ड◌ॉ. ओमकाश भारती, .जे.एन. कौशल, महेश आनंद, देवे राज अंकुर, ितभा अवाल आिद सनशोधकता र्क सािन पौलक अिछ ओकर र ंग-दृ ि आरो ख ुजलैक अिछ । मैिथलीलोकना आ र ंगम ंच पर ओकर शोध आलेख उेखनीय होइत छैक । बाल र ंगम ंचपर भारत सरकार ारा राष्ीय फैलोिशप ा करिनहार काश किहयो किहयो कथासेहो िलखैत अिछ । एकरा ारा िलखल कथा पाथर बेस चचा र् मे छल । ई कथाब ुीक मरथ नाम सँ अंितका मे आ पाथर नाम सँ िही मे समकालीन भारतीयसािह मे कािशत भेल रहै ।हमरा जत कम र्ठ आ सफल ि ओ निह होइत अिछ जे समयक पाछा ँ-पाछा ँ चलैतअिछ, सफल ि तँ ओ होइत अिछ जे अपन कम र्ठतासँ समय केँ अपना लग खींचलैत अिछ । इएह गुण हम म ृद ुभाषी आ िमलनसार काश मे पबैत छी । िकएकतँ एकरासँ पिह िमिथला ंचल सँ कतेको मैिथलीक िवानलोकिन िदी अएलाह, मुदामैिथली र ंगकम र्क जड़ि◌ एना भ’ क’ रोपल निह भेलिन । काशक लेल िदी मेिही र ंगम ंच मे काज करनाइ बहुत आसान छल मुदा ओ मैिथली र ंगकम र् के अपलकई बेसी महप ूण र् अिछ । हमरा तँ ओहो िदन देखल अिछ जिहया मैिथली र ंगकम र्कलकामे बहुत जगिजयार छलैक, एकरा बाद ई जगिजयारी ऊिठक’ पटना आजनकपुर अएलैक सेहो देखलहु ँ आ आइ लगैत अिछ जे एिह जगिजयारीक एकटा36


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्बल दावेदारक पमे िदी सेहो ठाढ़ भ’ गेल अिछ जकर य िनित पेकाश च झा केँ जाइत छैक । आइ पटना हो, चाहे जनकपुर, चाहे सहरसा,सभकेँ अपन-अपन क्षमता देखएबाक हेतु िदीमे ेटफाम र् मैिथली लोक र ंग(मैलोर ंग) दान कएअलक अिछ जकर संचालन काश च झा क’ रहल अिछ । हममैिथली र ंगकम र्क हेतु ओकर दीघा र्यु आ सफलताक कामना करैत छी ।१.जीवन झाक नाटकक सामािजक िववतर्न- मश ंकर िसंह (आगा ँ) २.. राजकमल चौधरी पर-ड◌ॉ. देवश ंकर नवीन (आगा ँ)१.ोफेसर म श ंकर िसंहड◌ॉ. मश ंकर िसंह (१९४२- ) ाम+पो- जोिगयारा, थाना- जाले, िजला- दरभंगा। 24 ऋचायन,राधारानी िसा रोड, भागलपुर-812001(िबहार)। मैिथलीक विर स ृजनशील, मननशील आऽ अयनशीलितभाक धनी सािह-िचक, िदशा-बोधक, समालोचक, नाटक ओ र ंगम ंचक िनात गवेषक, मैिथली गकेँनव-प देिनहार, कुशल अवादक, वीण सादक, मैिथली, िही, संृत सािहक खर िवान ् तथाबाङला एव ं अंजी सािहक अयन-अेषणमे िनरत ोफेसर ड◌ॉ. मश ंकर िसंह ( २० जनवरी १९४२)क िवलक्षण लेखनीसँ एकपर एक अक्षय कृित भेल अिछ िनःस ृत। िहनक बहुम ू गवेषणाक, मौिलक,अनिदत ू आऽ सािदत कृित रहल अिछ अिवरल चिच र्त-अिच र्त। ओऽ अद उाह, धैय, र् लगन आऽसंघष र् कऽ तयताक संग मैिथलीक बहुम ू धरोरािदक अेषण कऽ देलिन पुकाकार प। िहनकअेषण प ूण र् आऽ बकार आलेखािद ापक, िचन, मनन, मैिथल संृितक आऽ परराक िथकधरोहर। िहनक स ृजनशीलतासँ अािणत भऽ चेतना सिमित, पटना िमिथला िवभूित सान (ता-प)एव ं िमिथला-दप र्ण, मुई विर लेखक सानसँ कयलक अिछ अलंकृत। सम्ित चािर दशक धिरभागलपुर िविवालयक ोफेसर एव ं मैिथली िवभागाक्षक गिरमाप ूण र् पदसँ अवकाशोपरा अनवरतमैिथली िवभागाक्षक गिरमाप ूण र् पदसँ अवकाशोपरा अनवरत मैिथली सािहक भारकेँ अिभविर्तकरबाक िदशामे संल छिथ, त सारत-साधनामे।कृित-मौिलक मैिथली: १.मैिथली नाटक ओ र ंगम ंच,मैिथली अकादमी, पटना, १९७८ २.मैिथली नाटक पिरचय, मैिथलीअकादमी, पटना, १९८१ ३.पुषाथ र् ओ िवापित, ऋचा काशन, भागलपुर, १९८६ ४.िमिथलाक िवभूित जीवनझा, मैिथली अकादमी, पटना, १९८७५.नाााचय, शेखर काशन, पटना २००२ ६.आधिनक ु मैिथली सािहमेहा-ं, मैिथली अकादमी, पटना, २००४ ७.पािणका, कण र्गोी, कोलकाता २००५, ८.ईक्षण, ऋचा काशनभागलपुर २००८ ९.युगसंिधक ितमान, ऋचा काशन, भागलपुर २००८ १०.चेतना सिमित ओ नाम ंच, चेतनासिमित, पटना २००८37


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्मौिलक िही: १.िवापित अशीलन और म ूा ंकन, थमख, िबहार िही अकादमी, पटना १९७१२.िवापित अशीलन और म ूा ंकन, ितीय ख, िबहार िही अकादमी, पटना १९७२, ३.िही नाटककोश, शनल पिब्लकेशन हाउस, िदी १९७६.अवाद: िही एव ं मैिथली- १.ीपादकृ कोटकर, सािह अकादमी, नई िदी १९८८, २.अर फिसल,सािह अकादेमी, नई िदी २००१ ३.पागल दिनया, ु सािह अकादेमी, नई िदी २००१, ४.गोिवदास, सािहअकादेमी, नई िदी २००७ ५.रानल, ऋचा काशन, भागलपुर २००८.िलारण-१. अीयानाट, मज काशन, भागलपुर, १९६७।सादन- १. गवरी, महेश काशन, भागलपुर, १९६६, २. नव एका ंकी, महेश काशन, भागलपुर,१९६७, ३.प-पु, महेश काशन, भागलपुर, १९७०, ४.पदलितका, महेश काशन, भागलपुर, १९८७, ५.अनिमल आखर, कण र्गोी, कोलकाता, २००० ६.मिणकण, कण र्गोी, कोलकाता २००३, ७.हुनकासँ भेट भेलछल, कण र्गोी, कोलकाता २००४, ८. मैिथली लोकगाथाक इितहास, कण र्गोी, कोलकाता २००३, ९.भारतीक िबलाड़ि◌, कण र्गोी, कोलकाता २००३, १०.िचा-िविचा, कण र्गोी, कोलकाता २००३, ११.सािहकारक िदन, िमिथला सा ंृितक पिरषद, कोलकाता, २००७. १२. व ुआड़ि◌भितरिणी, ऋचा काशन,भागलपुर २००८, १३.मैिथली लोकोि कोश, भारतीय भाषा संान, मैस ूर, २००८, १४.पा सोना हीरा,कण र्गोी, कोलकाता, २००८।पिका सादन- भूिमजा २००२जीवन झाक नाटकक सामािजक िववतर्न (आगा ँ)सामवती पुनजर्मे नाटककार समाजमे चिलत नवलोकक बीच मिदरापानक पररासँक्षु भऽ एकर बिहार करबाक उोषणा कयलिन। एिह संगमे सुमेधाक कथन छिन,“एिह सभ कारणसँ रा िनिष िथक। देखू तँ मिदरापान कयँ केहन लाल लालआिख ँ छलैकय। दीदी आब मन स भेल अिछ मह अवहमे पड़ल छलहु ँ”।(सामवती पुनजर्, प ृ-१९)।िमिथला ंचल िनवासीक मुख भो वुमे रहल अिछ रेडीमेड चूड़◌ा आ दही जकर चचा र्पौरािणक सािहमे सेहो य-त उपल होइछ। नम र्दा सागर सकमे एिहभो-सामीक िवेषण नाटककारक मुख ितपा अिछ जखन घटकराज भोजनकरैत छिथ:केव नथबै र् अिछ नाकक प ूड़◌ा।ककरहु केव आगा ँ बैसौलेँ थकड़ि◌ बै अिछ जूड़◌ा॥झट झट गट गट घटक िगड़◌ै छिथ सब दही संग चूड़◌ा।38


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्द ुइ एक बेर पािन दै मिल मिल कात पसौलि ग ूड़◌ा।धड़ि◌ एक िवछलि पुिन अगुतैला सह-सह कर इछ स ूड़◌ा॥(किववर जीवन झा रचनावली, प ृ-९९)कीितर्पुष जीवन झाक नाटकािदक वैिशष् एिह िवषयकेँ लऽ कए अिछ जे िमिथला ंचलकसामािजक एव ं सा ंृितक जीवनक िचणक ममे वैवािहक अवसरपर होम आिदकवाक िनिम लावा, जारिन, धान, घी, जल, कुश, आिग आिदक िचण सामवतीपुनजर्मे कयलिन अिछ। जिटलकेँ सारत आज्ञा दैत छिथन:लावा जारिन धान िधउ जल कुश िवर आिग।माङव पर सित करह सब पुरिहत स लािग॥(सामवती पुनजर्, प ृ-४७)वैवािहक िविधमे लौिकक एव ं वैिदक द ुन ू रीितक पिरपालन कयल गेल अिछ एिहनाटकात। चतुथीर्क िविध स होइछ संगिह संग भार-दोरक चचा र् सेहोनाटककार कयलिन अिछ।अक्षर पुष जीवन झा िमिथला ंचलक सामािजक जीवनक िचण अ कुशलताक संगकयलिन अिछ। सामवती पुनजर् एव ं नम र्दा सागर सकमे सामािजक रीित नीितक चचा र्करैत नाकार जािह वैवािहक थाक उेख कयलिन अिछ से अ ाचीन परराअिछ। िमिथला ंचलमे एिह कारक था एव ं पररा चिलत अिछ जे वैवािहकअवसरपर वर एव ं का पक्षक घटक पिजआड़क िमलान होइछ, जािहमे पया र् टाकाकयोजन पड़◌ैछ जािहसँ िववाहक उिचत ब कयल जाऽ सकय। सामवती पुनजर्एिह संगक िवेषण प ूव र्मे कयल गेल अिछ। नम र्दा सागर सकमे सेहो एिह िितकिचण भेल अिछ। घटकराज नम र्दाक िववाहाथ र् ओ सागरक ओतय ुत होइत छिथतँ सामािजक एव ं सा ंृितक प ृभूिममे एिह परराक िनवाह र् कोना करैत छिथ तकरअवलोकन तँ क, “भौजी! एहना ठाम घटक जे हयत से लगले कोना िवचारदेत? पिजआड़केँ जे इा होइ से बिझ ू लै जाउ”। (किववर जीवन झारचनावली, प ृ-९७)।सामािजक वाकेँ सुदृढ़ बनयबामे आिथ र्क िित दृढ़ता अ योजनीय ब ुझनाजाइछ। िव िवहीन िक सामािजक जीवनमे को म ू निह रिह जाइछ।अतएव जािह समाजक आिथ र्क जीवन जतेक सबल रहत ओ उितक पथपर असर39


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्भऽ समाजकेँ िदशा-िनदेर्श करबामे सक्षम भऽ सकैछ। जतेक द ूर धिर िमिथला ंचलकसामािजक जीवनक आिथ र्क िितक अिछ ओ सदा सव र्दा आिथ र्क िवपतासँ संरहल जकर फलप का-िवय सदृश कुथाक ज भेलैक। जीवन झा अपननाटकािदमे आिथ र्क िवपताक िदश र्न अक लपर करौलिन अिछ। सामवतीपुनजर्मे सामवान एव ं सुमेधाक वैवािहक संगमे सामािजक आिथ र्क िवपताक िदश र्नहोइत अिछ जे िववाहक िनयोजनाथ र् चुर टाकाक योजनाथ र् समाजक िवपताकिदश र्न करौलिन अिछ। एिह संगमे बुजीवक कथन समसामियक समाजक िवपताकिच दश र्बैत अिछ जखन ओ कहैछ, “घरमे तैखन सुख जौ ं पया र् धन हो। हमरा तँसतत सभ वुक यता लगले रहैए”। (सामवती पुनजर्, प ृ-२०)।आिथ र्क िवपताक कारँ समसामियक समाजात भीख मङनी थाक ज भेल।नाटककार सामवती पुनजर्मे एिह थाक यथाथ र्ताक संग िचण कयलिन अिछ। िभक्षुकाणक ओतय भीखक हेतु ािथ र्त होइत छिथ िकु पिरिित वसात हुनका भीखनिह भेटैत छिन।शलाका पुष जीवन झाकेँ सामािजक जीवनक गीर अभव छलिन तेँ ओ ल-लपरनारी दोस िदस समाजकेँ साका ंक्ष करैत देखल जाइत छिथ। सामािजक, सा ंृितकतथा आिथ र्क प ृभूिममे नारीकेँ सामािजक मया र्दाक पालनाथ र् मपान, िनरथ र्क मणशीलबनब, ताक आान, पितपर िनष्योजन रोष, द ुजर्न िक संग वास गमनआिदकेँ ओ कुलललनाक िनिम विजर्त कयलिन। एिह संगमे ओ नम र्दा सागर सकमेअपन अिभमत गट कयलिन:मपान पर्टन पुिन ता पितपर रोष।द ुजर्न स वास यैह छवटा नािरक दोष॥(किववर जीवन झा रचनावली, प ृ-११२)बीसम शताीक थम दशकक मैिथली ना सिहक जनक अक्षर पुष जीवन झा अपनसमयक काश रहिथ जिनक नाटकािदमे िमिथलाक सामािजक, सा ंृितक एव ं आिथ र्कजीवनक जािह पक दश र्न करैछ तकर साथ र्कता एिहमे अिछ जे नाटककार ओकरसमुिचत समाधान ओही समात कयलिन। युग िवधायक जीवन झा एिह िवचारधाराकअ ापक भाव हुनक समसामियक सािहकार लोकिनपर पड़लिन जे परवतीर् युगकनाटककार लोकिनक हेतु एक काश-पु मािणत भेल। एकर य आ य किववरजीवन झाकेँ छिन जे िमिथला ंचलक तालीन सामािजक सा ंृितक एव ं आिथ र्क पिरिितकेँनीक जका ँ जािन बिझकऽ ू युगक आवकताकेँ ानमे रािखकऽ अपना सुखजनसाधारणक दृ िकोणकेँ समित कऽ कए मौिलक ना-रच्नाक स ूपात कयलिन तथा40


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्ना-णालीक सभर्मे नवीन दृ िकोण अपलिन। हुनका ना-रचनाक ज्ञान िनयेिवृत छलिन। ओ समसामियक समाजमे घिटत होइत घटनाकेँ अपन अभवकआधारपर िवेषण कयलिन। आधिनक ु मैिथली ना सािहात अक्षर पुषजीवन झानाटकक मे सामािजक, सा ंृितक एव ं आिथ र्क िितक संगमे एक कीितर्मान ािपतकयलिन जे एिह सािहक िनिम एक अिवरणीय ऐितहािसक घटना िथक जे अध ुनातनसभर्मे मैिथल समाजक हेतु िदशा-बोधक मािणत भेल।२. ड◌ॉ. देवश ंकर नवीनड◌ॉ. देवश ंकर नवीन (१९६२- ), ओ ना मा सी (ग-प िमित िही-मैिथलीकारिक सजर्ना), चानन-काजर (मैिथली किवता संह), आधिनक ु (मैिथली) सािहक पिरद ृ, गीितकाके प में िवापित पदावली, राजकमल चौधरी का रचनाकम र् (आलोचना), जमाना बदल गया, सोना बाब ूका यार, पहचान (िही कहानी), अिभधा (िही किवता-संह), हाथी चलए बजार (कथा-संह)।सादन: ितिनिध कहािनया: ँ राजकमल चौधरी, अिान एव ं अ उपास (राजकमल चौधरी), पर केनीचे दबे हुए हाथ (राजकमल की कहािनया ँ), िविचा (राजकमल चौधरी की अकािशत किवताएँ), सा ँझकगाछ (राजकमल चौधरी की मैिथली कहािनया ँ), राजकमल चौधरी की चुनी हुई कहािनया, ँ ब कमरे मेंकगाह (राजकमल की कहािनया ँ), शवयाा के बाद देहशुि, ऑिडट िरपोट र् (राजकमल चौधरी कीकिवताएँ), बफ र् और सफेद क पर एक फूल, उर आधिनकता ु कुछ िवचार, साव िमशन (पिका)किकिछ अंकक सादन, उदाहरण (मैिथली कथा संह संपादन)।सम्ित शनल ब ुक मे सादक।बटुआमे िबहाड़ि◌ आ िबर ्ड़◌ो(राजकमल चौधरीक उपास) (आगा ँ)भय होइ छिन। मया र्दा आ सामािजक आदश र्क। आदश र् आ मया र्दा रक्षाक चपेटमेजरैत रहबाक ई उट िववरण वुतः पाठकक मोनमे अइ अयथाथ र् आ फोंकपरराक ित घ ृणा उ करैत अिछ।...तुलना करैत देखी तँ अइ मािमलामेसुशीला मुखर छिथ, देवका परम लजकोटर, संकोची आ डरपोक छिथ, सुलतानगंजमे41


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्अजगैबीनाथ मिरक सीढ़◌ी चढ़◌ैत एकिह संग सुशीला सोचै छिथ कहुना पाक म ँ◌ुहसँबहराए जे ÷पित-पीक ई ज ुगल जोड़◌ी अमर हो', मुदा देवका भयभीत छिथजे जँ पा एहेन बात किह देलक तँ लाजें मािर जाएब।... सूण र् उपासमे एहेनसंग कतोक बेर आएल अिछ, जतए देवका संकोची आ सुशीला मुखर ब ुझाइ छिथ।उपासकारेक पंिमे कही तँ वुतः --सुशीलाक जीवन भेलइन, समुकिमलनाका ंक्षामे म तीगािमनी गंगाक जीवन। देवकाक जीवन भेल, अशािचरतीक्षा िवम, तर ंगाियत िकु बाह्यपे ं परम अचंचल समुक जीवन। द ुूजीवन एक अबहू आशाक पातर तागसँ बाल...उपमा देबाक ई कौशल परम ाेयआ परम श ंसनीय अिछ।दरअसल अइ कथामे पाो टा निह, म शास्ाक स ूतम मिवज्ञानक िचाणसेहो अ ापक, चमृत आ भावकारी पे ं भेल अिछ। देवका सोना मामीसँतते बेसी म करए लागल छिथ, जे आओर ठाम ओ जते बेसी ावहािरक आबिमान ु होथ, ु अइ म-कथामे अ डरपोक, तकर्वादी आ संशयवादी भ' गेलछिथ। सौ ंसे कथामे सुशीलाक समप र्ण, सुशीला पर अपन अिधकार, समप र्णक संकेत आआदश र्-मया र्दाक गुणा-भाग करैत रिह जाइ छिथ। खन सोचै छिथ जे सुशीला परहुनकर की अिधकार छिन? फेर सोचै छिथ, अिधकार निह छिन तँ अपन बीमारपितकें छोड़ि◌, हुनकर सेवा-सुूषा लेल ओ िकऐ पहु ँिच गेलीह? खन सोचै छिथ--नारी को पुखसँ म नइ ं क' सकइए? एक पुख पर िवास नइ ं क' सकइए?की नारी माा छलना थीक?--ओना िवरह आ थाक उेकमे एिह तरहक बात कोि जँ सोिच िलअए तँ तकरा स्ा◌ीक ित अमयािदत र् धारणा निह ब ुझबाक िथक।ओ यं एकर उर दै छिथ जे सोना मामीक आचरण िमिथलाक ÷सता, संृित,पररा आ धम र्क एकटा परम उदाहरणक अिभि' िथक। ÷सोना मामी प ूण र्तःभारतीय सूण र्तः मैिथल नारी छलीह... जे अप टूिट जाएत, मुदा, परराक पातरसँ पातर तागकें नइ ं तोड़त...।'अलगसँ कहबाक योजन निह जे को वि, ृ आचरण आिदकें राजकमलचौधरी जाितवादी, सम्दायवादी अथवा िलंगवादी निह मा छिथ। एक िदश सोनामामीक ित एतेक उ धारणा रखै छिथ दोसर िदश अपन मामक दोसर स्ा◌ीहिरनगरवालीक कनबाक कला देिख सोचै छिथ--कहब असव अिछ जे हिरनगरवालीकािन रहल छलीह, अथवा अिभनय कए रहल छलीह, नाटक पसािर रहल छलीह। ेकमैिथल-स्ा◌ी जका ँ इहो कानब-शास्ामे प ूण र् सुरक्षा, पार ंगता छिथ। ओहुना ँ कानब-खीजब, घाना पसारब, नाटक करबाक अास सभ स्ा◌ीकें रहइ छइ। स्ा◌ी चाहेइजीत मेघनादक, शव लग िवलाप करइत दानव का सुलोचना सुरी हो, अथवाअजर्न ु पुा अिभमुक शव लग िवलाप करइत पाव कुलवध ू उरा-सुरी, सभस्ा◌ीकें कानब अबइ छइ, कलाक ढंगसँ दन करए अबइ छइ।42


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्अइ उपासमे जतबे िविवधता पुष पाामे अिछ, तािहसँ कको कमस्ा◌ी-पाामे निह अिछ। मु स्ा◌ी पाा सब छिथ -- सुशीला, हिरनगरबाली(अिन बाब ूक तीया आ ितीया), ौपदी (कुलानक पी)। हिरनगर वालीकउपिित सौ ंसे उपासमे ओह कुिटल आ नाटकीय अिछ, जकर चचा र् उ उरणमेअिछ। मैिथल स्ा◌ीक सम द ुगु र्ण िहनकर आचरणमे भरल छिन। फूटल ढोल, िबनपेनीक लोटा, चुगलखोरनी, भाभट पसारैमे दक्ष, सौितनकें दष्चिरा◌ा ु सािबतकरबामे तीन स्ा◌ी छिथ, हिरनगरवाली।सौितया डाह, द ु स्ा◌ीक आचरण, दोसरकें बदनाम करबाक तसँ एकसँ एकद ुव िक ृर् कना आ आरोपन िमिथलाक कतोक स्ा◌ीमे पाओल जाइत अिछ, सौितयाडाहमे तँ ई कला आओर िनखिर उठैत अिछ। हिरनगरवाली सुशीला पर कलंक मढ़◌ैछिथ--धरमपुरवाली त डाइन अिछ, डाइन! गाछ हँकइए!...द ुइयो िदन िभ भेना ँनइ ं भेल छलइ आ ामीकें खा गेल...आब सुता भए गेल अिछ...ख ूब िछड़हड़◌ाखेलाएत... भािगनक संगे पटना-िदी करत...के रोकइबला छइ...कुलानो त' तेहछिथ। अपन स्ा◌ीकें हर पठा देलइन...आब सतमाइक सेवामे रहइ छिथ।--एहेन अ आ अवािछत ं गािर बदा र्श्त कइयो क' सुशीला को तरहें िवचिलत निहहोइ छिथ। िवपरीत पिरिित अएला पर िमिथलाक ब ुझक स्ा◌ी सागर सन गही ं रआ गीर भ' जाइ छिथ। सुशीला ब गही ं र आ ब गीर स्ा◌ी छिथ। समयकउतार-चढ़◌ाव आ हवा-पािनक िख िनके ना ब ुझै छिथ। उपासकार अइ उपासमेहुनकर इएह छिव ुत कए छिथ। सामािजक बन आ वैयिक ूरता वुतःएते कठोर होइत अिछ, जे िबना को दया-धम र्क ओ फूल सन कोमल इाकेंमोचािर क' रािख दैत अिछ। कुिटल आदश र्सँ भरल सामािजकता इएह िथक, जािहमेमानवीय सेदनाकें अक्षु रखबाक तकर् ताकबथ र् िथक। आिद कथाक इितवि ृ एकर उदाहरण िथक।सुशीला अइ कथाक आधार चिरा िथकीह। कथाक आरमे जखन देवकाआदश, र् मया र्दा, िता, पाप-पु, त-िनयम सभसँ डेराएल मािम संगें मिनवेदनमे संकोच करै छलाह; सम उट आका ंक्षाक अछैत इत-उतमे फँसल छलाह;सुशीला चािर डेग आग ू बढ़ि◌ कए मुखर भेलीह; आ अपन कतोक आचरणसँ प ूण र्समप र्णक कतोक संकेत पे ं देलिन। मुदा िवधवा भेलाक बाद कौिलकपरराक अकूल हुनकर सतौत बेटा कुलान हुनक रक्षक, ितपालक भेलिखन; आसुशीलाक भावना, मवेग, आिरक इा, साहस सब पर सामािजक अयथाथ र् आदश र्कबन िवजय ा क' लेलक; ओ कुलान संग रिह कए अप टुटैत रहलीह, जजर्रमया र्दाक पातर स ूतकें निह तोड़ि◌ सकलीह।43


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्व ृ, अश जमीार अिन बाब ूक तेसर पी सुशीला अिन सुरी छिथ;आ दावानलक ाला सन, अथवा समुी तूफान सन, अथवा भदबिरया कोसीक वाह सनवेगमय यौवनक ािमनी छिथ; अइ वेगकें सािर सकबाक सामर् हुनका पितमे निहछिन। देवकाक यौवन, िशता, सौय र् आिद देिख ओ हुनका िदश अरभेलीह। एिह अरिमे अिभलाषा दैिहके टा निह, मक आदश र् प सेहो अथ र्वछलिन। इमानदारीसँ देखी तँ एिह उपासमे राजकमल चौधरी ारा सिजत ृ कथाकनाियका सोना मामी, अथा र्त् सुशीला सन स्ा◌ी; को कना-लोकक स्ा◌ी निह छिथ,समाजमे एहेन कैकटा सोना मामी ओिह समयमे अही िववरणक संग भेिट सकै छलीह;एहेन स्ा◌ीक मिवेषण कोन मवैज्ञािनक करत? सुशीलाक जीवन की छल?सुिर, , जवान, साहसी, ब ुझक, सिरत ... की छिथ सुशीला? एक िदश देवकासन समुमे िमलनक आका ंक्षामे म तीगािमनी गंगा छिथ; देवकाकें पैघ-पैघमािभिस पा िलखै छिथ; अपन अक आरचरणमे अरिक संकेतो दै छिथ;ग्ण पितकें अतालमे छोड़ि◌ देवकाक पिरचया र्मे पहु ँिच जाइ छिथ; हफीम खएलासँअथवा कामोादसँ बेहोश हएबाक कथा अपन मी देवकासँ कएबाक यास करैछिथ। व ृ पित अिन बाब ूक ित प ूण र् समप र्णक भाव करै छिथ। हुनकाग्णावामे देिख गाड़◌ी-बरद पर लािद अताल ल' जाइ छिथ; पित जखन अपनालेल व ृ वयसक चचा र् करै छिथन तँ िवरोध करै छिथ-- ÷सै बेर अहा ँकें किहदेलऊँ ए, हमरा सोझा ँमे अपनाकें व ृ नइ ं कहल क...।' अथा र्त अपन जवानी परएतेक आगिव र्ता जे व ृ पितक पी निह कहाबए चाहै छिथ। वैध ािकपात जखन सतबेटा कुलान संग तीथ र्वासमे जाइ छिथ, तँ धम र्शालाक मैजरकमुँहें अपन उृंखल सतबेटाक अनाचारक कथा सुिन कुिपत होइ छिथ आ मैजरकेंधोिप कए िवदा करै छिथ। देवका जखन बलजोरी अपन बासा पर आिन लै छिथन,तँ एकिह संग ितवाद आ िवलाप करै छिथ।... एकटा सिरा स्ा◌ीकें मया र्दा आमवेगमे; जीवनक साथ र्कता आ सामािजक आदश र्मे तालमेल बैसब'मे कोन-कोनयातना भोगए पड़◌ै छिन -- एकट अमान कते किठन अिछ!सुशीलाक जीवनक पय र्विित पर उपासकार नशेरी, िवलासी, कुलानक िवचारवा अ सटीक आ ँक छिथ। सुशीला जखन बेहोश भेलीह, आ लोक हा केलकजे ओ आहाक िनिम माहुर खा छिथ, तखन सद्पााक कोिटमे निह रहलाकअछैतो भा ँगक िनशा ँमे भिसआएल सुशीलाक सतौत बेटा कुलान, जे हुनकर समवयसीछिथन, सोचै छिथ--िकअए नइ ं सुशीलाकें मिर जाए िदअिन? जीिबए कए ओ कोनसुख कािट रहल छिथ? जीवनक कोन आशा, कोन इा कोन आवकता आइ धिरहुनका प ूर भेल छिन? आबे कोन प ूर हेतइन? एहेन अप ूव र् सुरी छिथ, जेनासाक्षाते सरती अथवा ली रहिथ। मुदा, भा केहेन दैबक मारल। एकटा बेटा-बेटी नइ ं छिन, जे तकरे म ँह ू देख कए जीिब िलतिथ।... सतमाय बािच ँ कए कीकरती...?44


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्कुलान सन कुपााक मोनमे जािह स्ा◌ीक ित एते था छिन, ितनकामादे ओिह कालक समाजकें आ सामािजक मया र्दाकें को दरेग निह भेलिन। जेनािक पिहनहु ँ कहल गेल, एिह पाछू िमिथलाक सामािजक पय र्विितक पैघ योगदान छल।राजकमल चौधरी सेहो कथाक प ृभूिमक संकेत दैत स ूचना दे छिथ जे िमिथलाकलोककें कथा एखनहँ ु मोन छै जे एक िदश ब ंगालक तुकर् नवाब आ दोसर िदश िदीकिफरोजशाह तुगलकक सेना िमिथलाकें घेिर कए सब वु अपत, बलृत करै छल।िदीक सेनाक, ब ंगाल-आसाम-जएबाक बाट आज ुक सहरसा-पिण ू र्या ँ छलै। ब ंगालक नवाबीपलटन िबहार, अवध आ िदी िदश धावा देबा लेल अही बाटे ं जाए। अइ इलाकामेको पैघ यु किहयो निह भेल मुदा ब ंगालक नवाबी सल्तनत आ िदी शासनकसंघष र्सँ सवािधक र् हािन अही ाकें भेलै। जीतल िसपाही सताक आवेगमे इनारपर पािन भरैत ामवध ूकें उठाकए घोड़◌ा पर चढ़◌ा िलअए; हारल िसपाही द ुखकउेगमे खिरहानमे काज करैत िकसानकें तआिरसँ छपािठ िदअए। पराजयक पीड़◌ाआ िवजयक उास अइ ाक जनताकें िबना को युमे गेनिह भेटल छै। अइामे यायावरी संृित, बताह िनिता,ाम देवी पर अथाह भरोस, जीवनक ित उु आल भाव अही कार ं िवकिसतभेल; आ से उरोर एक पीढ़◌ीसँ दोसर पीढ़◌ीमे अबैत गेल।घनघोर आपद िितयह ुमे अथाह िनिता, धािम र्क आ ईरीय शि परिने मुदा िदढ़ आा, उट आल, भोजन-मैथ ुन-दरबारी वि ृ िदश आसि,चुगलखोरी, चाटुकािरता, दिमत वासनाक िवकृित, द ुाचारसँ भरल मवि, ृ स्ा◌ी-जाितकें भोगक या ब ुझबाक वि, ृ िशिथल चिरा...सबो टा आचार मैिथल लोकिनकेंअपन अही इितहाससँ भेटल हो--से बहुत सव अिछ।सुशीला सन स्ा◌ीक कमी ओिह समय धिर निह छल िमिथलामे। मुदापय र्विितक की कएल जाए! मातुर सुशीला, देवकाक ित म िनवेदनक कतोकसंकेत भिर उपासमे दैत रहलीह अिछ। देवका जखन माक अबै छिथ, तँघर-आ ँगनमे सभक सम द ुन ूक साषण आ कथोपकथनमे ई होइत अिछ।देवका बड़◌े चतुराइसँ ठोिक बजा क' अपन व दै छिथ, मुदा सुशीलाक वाातुय र्देवकाकें अिरत क' दै छिन। जखन देवका कहै छिथ -- ÷आब मामी जतबािदन कहतीह, रामपुर रिह जाएब।' तँ सुशीला ताल देवकाक आिखमे ँ अपन द ूूआिख ँ रखैत जवाब दै छिन--÷हम कहब जे भिर ज अही ठाम रिह जाउ त रिहहएत?' देवका िनर भ' जाइ छिथ। एक उखराहा िबतलाक बाद हुनका जवाबस ूझै छिन, आ तखन सा ँझमे आिब क' कहै छिथन -- ÷स मोनसँ िकओ ककरो राखएचाहत त' ओ किहओ भािग नइ ं सकइ छइ।' अइ साषण पर सोना मामी लजाइछिथ; अपन सम जमा-पँ◌ूजी भािगनकें अिप र्त करैत रहै छिथ। ई समप र्ण वुतः45


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्महादेवक ित पाव र्तीक सव र्ाप र्णसँ कम श, कम पिवा, कम म ूवान निह अिछ।मुदा समाजक नजिरमे ई परकीया समप र्ण िथक, अनाचार आ िभचारक समप र्ण िथक।समाजक नजिरमे सुशीला आ अिन बाब ूक िववाह बब र्रता, अनाचार आ िभचार निहिथक। हाय रे िमिथला, हाइ रे मैिथल!मुदा सम चातुय, र् सम धैय, र् सम शीलक अछैत सोना मामी अपन मान-सानक ित सावधान आ कतोक बेर उ सेहो देखाइ छिथ। हफीम खएबाकिहनकर कथा जखन हिरनगरवाली देवकाकें सुनबए लगै छिथन, तँ सुशीला तामसेंतरिग ं उठै छिथ, ालामुखी जका ँ आिग-अंगोरा मुँहसँ िनकल' लगै छिन; मुदा ोधमेमाधारकें को तरहें आहत निह करै छिथ। शरबत पीबाक िहनकर आह जखनदेवका निह मा छिथन, तँ ई अपमािनत होइ छिथ। चोटाएल नािगन सन उिधआइछिथ, मुदा देवकाकें आहत नइ ं करै छिथ, लोटा िगलास फेिक कए ोध शा क'लै छिथ।िमिथलाक स्ा◌ी जीवनक जतेक स ू अयन राजकमल चौधरीकें छलिन, आिहनकर रचना संसारमे जतेक स ू िववरण उपिित अिछ, हमरा जत कोिस्ायो एते स ूतासँ ओिह मिवज्ञानकें निह पकड़ि◌ सकल हेतीह। सुशीलाकिववरणमे तँ लगैत अिछ लेखक अपन सूण र् कला लगा दे छिथ। सूण र् कथामेसुशीलाक चिराक बहुमुख अंिकत करैत कतहु एकटा खोंच-छाड़ निह लागए देछिथ। जे सुशीला भािगनक ित एिह तरहें समिप र्त छलीह जे पित-पीक पमेअमर हएबाक आशीवा र्द चाहै छलीह, से पितक देहावसानक पात, कुलानक आितभ' गेलीह। कुलानक को बात पर ÷नइ' ं कहब िबसिर गेलीह। ामीक मुँहेंकिहयो वजर्ना नइ ं सुनिनहािर सुशीला, कुलानक सम वजर्नाक पालन करएलगलीह।...(अिगला अंकमे)१.लघ ुकथा- कुमार मज कप २. दैिनकी- ोितकुमार मज कप।ज-१९६९ ई◌़ मे मध ुबनी िजला ंततसलेमपुर गाम मे। ूली िशक्षा गाम मे आ उ िशक्षा मध ुबनी मे। बा काले सँलेखन मे अिभिच। कैक गोट रचना आकाशवाणी सँ सािरत आ िविभ प-पिकामे कािशत। सम्ित कें ीय सिचवालय मे अभाग आधकारी पद पर पदािपत।46


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्बी०डी०ओ०ओकर असली नाम की छलैक से तऽ निहं किह; मुदा हम सभ ओकरा'मा' किह कऽ बजबैतछिलयैक। कारण, ओ बात-बात पर'मा' शक योग करैत छलीह। से 'मा' ओकर नामे पड़ि◌गेलई भिर गामक लोक लै। बाल-िवधवा, संतानहीन 'मा' हमरघरक सदा जका ँ छलीह। हमरा बाद मे ब ुझवा मे आयल जे'मा' हमरा ओिहठाम काज करैत छलीह। ब ृावा के कार आबकाज तऽ निहंये कऽ सकैत छलीह; हँ दोसर कर-चाकर परमुैद भऽ काज धिर अव करबैत छलीह।धान म ंीक मध ुबनी आगमन के लऽ कऽ लोक मे बेसी उास आउाह छलैक, सभ सक्षात दश र्नक पु उठाबऽ चािह रहल छल।लोकक एिह ईा के पुरा करबा मे सहयोग दऽ रहल छलाह पाटीर्काय र्कता र् लोकिन जे बेसी-सँ-बेसी लोक के ज ुटा अपन शि दश र्नकरबा लेल मुप सवारी के वा के छलाह। हम मजाक मे'मा' सँ पुछिलयै- '' धान म ंी मध ुबनी मे आिब रहल छिथन।अपन गामक सभ केयो जा रहल अिछ देखऽ। अहा ँजायब?''निह''के अबैत छिथन?''- मा पुछलिन।''धान म ंी।'' - हम उर देिलयै।''ध ुर! ओ को बी०डी०ओ० छिथन जे 'िबरधा-पेलसुम'(व ृावा पे ंसन)देताह। हम अरे की देखऽ जाऊ हुनका ?''हम अवाक रिह गेलंहुमा के उर सँ।47


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्२. ोितकेँ wwwpoet . r y. comसँ संपादकक च◌ॉयस अवाडर् (अंजी पक हेतु) भेटलछि। हुनकर अंजी प िकछु िदन धिर wwwpoet . r ysoup. com केर मु प ृ पर सेहो रहलअिछ। ोित िमिथला िचकलामे सेहो पार ंगत छिथ आऽ िहनकर िचकलाक दश र्नी ईिलंग आट र् ुपकेर अंतत ईिलंग ◌ॊडवे, लंडनमे दिश र्त कएल गेल अिछ।िमिथला पेंिट ंगक िशक्षा सुी ेता झासँ बसेरा इ ंीूट, जमशेदपुर आऽ लिलतकला तूिलका, साकची,जमशेदपुरसँ। शनल एशोिसएशन फ◌ॉर ब्लाइड, जमशेदपुरमे अवैतिनक पेँ प ूव र्मे अापन।ोित झा चौधरी, ज ितिथ -३० िदसर १९७८; ज ान -बेवार, मध ुबनी ; िशक्षा- ामीिववेकान िम िडल ूल◌़ िटो साकची गर् हाई ूल◌़, िमसेज के एम पी एम इटर कालेज़, इिरागाी ओपन यिनविस ू र्टी, आइ सी डबू ए आइ (क◌ॉ एकाउेी); िनवास ान- लन, य.के.; ू िपता-ी शुभंकर झा, ज़मशेदपुर; माता- ीमती सुधा झा, िशवीपी। ''मैिथली िलखबाक अास हम अपनदादी नानी भाई बिहन सभकेँ प िलखबामे कए छी। बेसँ मैिथलीसँ लगाव रहल अिछ। -ोितआठम िदन :1 जनवरी १९९१, म ंगलवार :वष र्क पिहल िदन हम ७ बजे उठलहु ं। सब छासब मजाकमे कहलक जे हमसाल भिर सुतैत रहब। पर उठैत देरी हम अतेक जी तैयार भऽ गेलहु ं जेसब हमरा ऑ◌ंधी तूफान के उपािध देलक। पिह हमसब बकरेर के मिदरंगेलहु ं। मिदरके ं बाहरी दृ देखकर हमसब मु भऽ छलहु ं। अरमे पंिडत सबअपना िदस आमित ं करैत छल लेिकन हमसब अप सऽ घ ुमनाइ पस केलहु ं।आगा ं जाकऽ देखलहु ं जे एकटा गम र् कु अिछ। हमसब पिह तऽ नहा ले रहु ंतैयो निहं रहल गेल आ िकछु सहेलीके अपन कपड़◌ा आलेल पठाकऽ ओतऽ फेरसऽ ान केलहु ं।अकर बाद नाा कऽ दीा िदस िवदा भेलहु ं। हमर िकछु संगीसब ओतऽपहु ंचैलेल ततेक उािहत छलैथ जे ओ सब बीचमे िककऽ भोजन करैके काय र्मछोड़ि◌ देबाक बात करै छलैथ। परु ई निहं भऽ सकल।भोजपरा हमसबफेर िवदा भेलहु ं। राइतके साढ़◌े एगारह बजे दीाके एक ल◌ॉजमे कलहं। ु ईल◌ॉज समु तट सऽ नजदीक रहै आ बहुत सुिवधा सऽ यु रहै। प◌ॉ◌ंच-प◌ॉ◌ंचटा िवाथीर्के एक टा डबलबेडम अटैच्ड बाथम आ बालकोनी भेटल रहै। हमसबिनय केलहु ं जे आई राित भिर जागल रहब जािहसऽ सुयो र्दय देिख सकी लेिकन48


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्पता चलल जे आकासमे बादल हुअके कारण सुयो र्दय निहं देख सकब। तखन हमसबसुतैके तैयारीमे लािग गेलहु ं।िरपोता र्ज-कृपान झा (1970- ), ज- समौल, मध ुबनी, िमिथला। गिणतमे ातकोर(एल.एन.एम.य, ू दरभंगा), बी.िलब. (जािमया िमिलया इािमया) आऽ सोचाना िवज्ञानमे एसोिसएटिशप,आइ.एन.एस.डी.ओ.सी., नई िदी। कृपान जी मीरा बाइ पोलीटेकिनक, महारानी बाग, नई िदीमेाखाता छिथ। कृपानजी य ूथ ऑफ िमिथलाक अक्ष छलाह आऽ एखन अराष्ीय र् मैिथली पिरषदकजेनरल सेटरी छिथ। िहनकर ६ टा शोध पेपर स ूचना बनक मे कािशत छि, संगिहिही आऽ अजीमे एक-एकटा किवता सेहो कािशत छि।चौकपर आणिवक समझौता:- कृपान झासा ँझ काल गामक चौकपर गहमा-गहमी छलैक। टोआ ँक दोकानपर चाहक िगलासखनखना रहल छलैक म ंडलजी पान लगेवमे छलाह। कनीक द ूरपर द ुगा र् मिरकपुविरया कात बनल चब ुतरापर दस-बारह युवा आ व ृ सम सामियक चचा र्मे मछलाह। बीचमे मू भाइक आवाज जोड़सँ आयल। “हौ! एहन कोन आफद आिबगेलैक अपन देशपर जे धानम ंी डा. मनमोहन िसंहजी अपन देशक वैज्ञािनककलगभग पिछला पचास वष र्क तपा आ असंधान तथा भिवक आणिवक सामिरकअसंधानकेँ अमेिरकाक हाथ ब ंधकी रखबापर उता भय गेल छिथ।गगनजी चब ुतरापर सँ उचिक पानक पीक कातमे फेकैत किह उठलाह, “का! एहनबात निह छैक। ई समझौता मा अपन देशक महज ऊजा र् आवकताकेँ ानमेरािख कएल गेल-हँ!..मू भाई ताकू ठोढ़मे दैत कहलिखन, “है। ई ऊजा र् आवकता महज बहानाछैक। अमेिरका एिह बहा अपन देशक त आणिवक काय र्ममे टा ँग अड़◌ेबाकिफराकमे बहुत िदनसँ छल। आब ओ अपन मनशामे १२३ समझौता आ ओिहमे हाइडएक ावधान सौ ँ सफल भय रहल अिछ”।49


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्गगन जी थोड़◌ेक िचित मुामे कहलिखन- “देिखयौ का, जहा ँ तक १२३ समझौताआ भारतक आणिवक सामिरक काय र्मक छैक तँ मा ओ सब िरयेरअंतराष्ीय र् एजेीक देखरेखमे आनल जेतैक, जे सब िरयैर, भारत सरकारचाहतैक। तेँ बाकी काय र्मपर एकर असर निह परतैक”।“हा ँ हौ! लेिकन ई अनबाक कोन जरी छैक?” मू भाई आवेशमे बजलाह।ताधिर बै ंकर सैहैब सेहो सहिट कय चब ुतरा िदश आिब गेल छलाह। गीर आवाजमेमू भाईकेँ सोिधत कय कहलिथन- “भाई, िकछु एहन ावधान सभ जरी छैक एिहसमझौतामे, परु ई सभ िनभर्र करैत छैक जे भिवमे भारतक िितअंतराष्ीय र् रपर कतेक मजब ूत रहैत छैक आ हमर राजनीितज्ञ सब पिरिितसँकतेक फायदा उठबैत छिथ। कारण जे ाफ्ट एखन ुत कएल गेल छैक तािहमेको किक िितमे की कदम उठायल जायत आ ओ भारतक फायदामे होयतवा कसानमे से ओिह समयक देशक कूटनीितज्ञ एव ं अंतराष्ीय र् पिरिितपर िनभर्रकरत। पर ंच, वतर्मान पिरिितकेँ अगर देखल जाय तँ हमर देशक आणिवक िवुतउादनक वतर्मान क्षमता मा ४०-५०% उादन भय रहल अिछ बा ँकी आग ू जेयोजना छैक ओकरो अगर ानमे राखल जाय तँ कहल जा सकैत अिछ जे आणिवकइन एव ं शािप ूव र् आणिवकौपयोगसँ ज ुड़ल िकछु तकनीककेँ यथाशी आवकताछैक।“हौ बै ंकर! ई पक्ष तँ छैक पर ंच एखनहु अगर सरकार आ ंतिरक संसाधनकेँ सहीढंगसँ दोहन करय तँ ई आणिवक इ ंधनक समा अकािलक सािबत होयत”। मूभाई िकछु शा मुामे बजलाह। अपन बातकेँ आग ू बढ़बैत कहलिखन जे – “हौ,एखनह ु जे योजना सब झाड़खक (जाद ूगुड़◌ा, बूहुर ंग, तुरमडीह) आ देशक(तुालापी) कणाटक, र् मेघालय आ राजान आिद रामे चिल रहल छैक ओ अगरसही ढंगसँ कायाित र् कयल जाय तँ आणिवक इनक ई वतर्मान समाक समाधानआसानीसँ कयल जा सकैछ”।चब ुतराक उतरविरया-पछविरया कोनापर बैसल टुा बािज उठल, “यौ का, म ंडलजीपानक दोकान आब ब करताह! ८ बािज रहल छैक”।बै ंकर सैहैब जोड़सँ कहलिखन- “यौ म ंडलजी! आठटा पान लगाकऽ एमहर पठाऊ”।50


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्चब ुतराक पछविरया कातमे मजहर सोचप ूण र् मुामे सा ँझेसँ बैसल सबहक गप सुिनरहल छलाह। बै ंकर सैहैब मजहरकेँ कहलिखन- “हौ मजहर! तू ँ तँ एखन कीिटशनसबहक तैयारी कए रहल छह। तू ँ एिह सूण र् करण पर बहुत म ंथन कय हेब।आिखर तोहर सोच की छह”?खखिस गरदिन साफ कय खखाड़ कातमे फेकैत बजलाह- “भाईजी! अंतराष्ीय र् आआिथ र्क नीित काफी संकीण र् िवषय छैक। पिहल बात अिछ जे हमरा लोकिनएन.पी.टी.पर हाक्षर के िबना अंतराष्ीय र् आणिवक बाजारमे सेंह मारवाक कोिशशकय रहल छी। एिह हालतमे िकछु िकछु अंतराष्ीय र् ब ंधन तँ ीकार करिहयेपरत। परु हम एकरा एकटा अवसरक पमे देख रहल िछयैक। आणिवक किकछु एहन पक्ष छैक जािहमे हमर देशक असंधान शायद अमेिरकोसँ ऊपर अिछ।हालमे एकटा िरपोट र् पढ़ रही, जािहमे कहल गेल छैक जे भारतक वैज्ञािनक२००५ आ २००६ मे कािशत असंधान िरपोट र्क आधारपर तकनीकी पसँ सम ृ देशसबकेँ सेहो पाछू छोड़ि◌ आग ू बढ़ि◌ गेल अिछ। एिह िितमे आणिवक इन आिकछु तकनीकक आयात तँ महज अकािलक छैक। दीघ र्कािलक असर हमरा जत ईहेतैक जे भारत िकछु िदनका बाद आणिवक मे एकटा पैघ िनया र्तक भऽ कऽउभरत। एकरामे तकनीकी क्षमता छैक आ अिर आणिवक साधन, जे िकछु कालपिह चचा र् भेल जेना, झारख, आदेश, मेघालय आिदमे उपल छैक तथाअंतराष्ीय र् आणिवक सहयोगक मामसँ एकटा पैघ िनया र्तक भेनाइ सव छैक।तेँ हेतु हमर तँ एतबय कहब अिछ जे जौ ँ एिह समझौताकेँ सही ढंगसँ उपयोगकयल जाय तँ ई अपन देशक लेल वरदान सािबत होयत”।१.नवेु कुमार झा छिठपर २.न ूतन झा ािितयापरनवेु कुमार झा,समाचार वाचक सह अवादक (मैिथली), ादेिशक समाचार एका ंश, आकाशवाणी, पटना१.िबहारक लोक पव र् – छिठ51


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्पाविन-ितहार हमर सभक सता-संृितक पिरचायक अिछ। िहू धम र्मे पाबिनकिवशेष मह अिछ। िहू धमावली र् सभक कतेको पाबिनमे छिठक िवशेष महअिछ। ई पाबिन िबहारक लोक पाबिनक संग महापाबिन सेहो अिछ। ई सूण र्िबहारक संग प ूवीर् उर देश आ महाराष्, गुजरात, राजान आ िदीक िबहारी बहुल सभमे ाक संग मनाओल जाइत अिछ। पड़◌ोसी देश पालक मैिथली बह ुलमे सेहो एिह पाबिनक आयोजन कएल जाइत अिछ। अगाध ा, कड़गर तसाधना, एका िना आ आ संयम बाला एिह पाबिनक िबहारमे ओतबे मह अिछजतेक महाराष्मे गणपित महोव, पिम ब ंगालमे द ुगा र्प ूजा तथा पंजाबमे वैशाखीकअिछ। िबहारक िकछु मे एिह पाबिनकेँ “डाला छिठ” सेहो कहल जाइत अिछ।ई पाबिन स ूयो र्पासना आ साधनाक महापाबिन अिछ। शिक देवी द ुगा र्क आराधनाकसमािक बाद देशमे छिठ पाबिनक आगमनक अभास होमए लगैत अिछ आ काशकपाबिन दीया बातीक समािक बाद लोक एकर तैयारीमे लािग जाइत छिथ। एिहपाबिनमे भगवान स ूय र् देव आऽ षी माय (छिठ माता)क आराधना एक संग कएलजाइत अिछ। ओना तँ स ूय र् देवक प ूजाक पररा अित ाचीन अिछ आऽ कतेकोहजार वष र्सँ हमर सभक सा ंृितक िवरासत अिछ मुदा स ूय र् देवक संगिह षी मायकप ूजा एक संग किहयासँ शु भेल से एख रह बनल अिछ।छिठ पाबिनक आयोजन वष र्मे द ू बेर होइत अिछ। पिहल बेर चैत मासमे आदोसर बेर काितर्क मासमे छिठक पाबिन होइत अिछ। काितर्क मासमे एिह पाबिनकआयोजन िवृत पमे होइत अिछ। एिह अवसरपर वासी िबहारी आवक पसँअपन देश आऽ गाम अबैत छिथ आऽ अपन घरपर रिह सूण र् पिरवारक संग एिहपाबिनकेँ मनबैत छिथ। ा आऽ आाक संग एिह पाबिनकेँ कएलासँ मबािक्षतंफलक ाि होइत अिछ। धािम र्क सभमे ई जनतब देल गेल अिछ जे स ूय र्देवक प ूजा ाचीन कालसँ िस अिछ आऽ िबहारमे एकर िसि सहज पमे देखलजाऽ सकैत अिछ।चािर िदन धिर चलै बाला ई धािम र्क अान काितर्क शु चतुथीर्सँ शु होइत अिछआऽ समीकेँ समा होइत अिछ। पिहल िदन “नहाय-खाय” होइत अिछ। एिह िदनपबितन सुिवधासार नदी, पोखिर आऽ इनार आिदमे ान कऽ अरबा चाउरक भात,ब ुटक दािल आऽ सिजमिनक तरकारी भोजन करैत छिथ। पबितनक भोजन कएलाकबाद घरक आन सद भोजन हण करैत छिथ। एिह िदन छिठ पाबिन करबाकसंक लेल जाइत अिछ। दोसर िदन पंचमीकेँ खरना होइत अिछ जािहमे पबितनभिर िदन उपास रिह नदी, पोखिर आ इनारसँ पािन आिन पीतल, ताा अथवा मािटकबतर्नमे खीर, चाउरक आटाक गुलगुला बनबैत छिथ आऽ सा ंसमे नव वस् पिहर चा ँददेिख बनल सामी, केरा आऽ द ूध स ूय र् भगवानकेँ समिप र्त कऽ शा-िच भऽ सादहण करैत छिथ। खरनाक समय को आबाज निह होमए क चाही। खरनाक िविध52


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्िविभ ानपर बदलैत अिछ मुदा म ूल पमे को पिरवतर्न निह होइत अिछ।एकरा बादसँ पबितन उपासमे रहैत छिथ आऽ चािरम िदन उगैत स ूय र्केँ अर् दऽसाद हण कऽ उपास तोड़◌ैत छिथ। खरनाकेँ िकछु मे “लोहंडा” सेहो कहलजाइत अिछ।तेसर िदन षीकेँ पबितन नदी, पोखिर आ इनारमे पािनमे ठाढ़ भऽ कतेकोतरहक पकबान, फल-फूल, सुपारी, पान आिदकेँ का ंच बासक बनल स ूपमे सजा ओिहमेदीप जड़◌ा डुबैत स ूय र् िदस म ँह ू कऽ भगवान स ूय र्केँ अर् चढ़बैत छिथ। पिरवारकआन सद सेहो स ूपक आगा ँ पािन अथवा द ूध ढ़◌ािर अर् दैत छिथ। षी िदनभगवान स ूय र्केँ अर् देलाक बाद देशक िकछु मे “कोसी भरबाक” पररा सेहोअिछ। एिह िदन अर् देलाक बाद स्ीगण अपन अंगनाकेँ गोबरसँ िनपैत छिथ आओिहपर अिरपन दैत छिथ। एकर बाद चािर टा पैघ कुिसयारसँ म ंडप बना एकरबीचमे मािटक बनल हाथी रखैत छिथ जकर चा कात दीप बनल रहैत अिछ। सभदीपकेँ मालासँ सजा ओिहमे घी ढ़◌ािर जड़◌ाओल जाइत अिछ। हाथीक ऊपरमे भगवानभारकेँ अिप र्त कएल जाए बाला साद, ठकुआ, केरा आऽ आन फलकेँ मािटकबतर्नमे राखल जाइत अिछ। दीप राित भिर जड़◌ैत रहैत अिछ आ स्ीगण म ंडपकचाकात बैिस भिर राित जागल रिह छिठ माइक गीत गबैत छिथ। भिर राित दीपजड़बऽ आऽ गीत गाबएमे िबतैत अिछ। षी जका ँ चािरम िदन समीकेँ उगैत स ूय र्किभनसरमे समिप र्त कएल जाइत अिछ। एकर बाद कोसी उठा लेल जाइत अिछ।अर् देलाक बाद सभ लोक पबितनकेँ णाम कऽ आशीवा र्द लैत छिथ। लोकपबितनक आशीवा र्दकेँ स ूय र्देवक आशीवा र्द मात छिथ। अमीर-गरीब, ब ूढ़-जवान,मािलक-कर, स्ी-पुष सभ भेदभाव िबसिर पबितनसँ आशीवा र्द लैत छिथ।तेजीसँ बदलैत पिरवेशक बावजूद ई पररा िनरर चिल रहल अिछ। समी अर्कबाद छिठ मायक साद हण कऽ पबितन अपन उपास समा करैत छिथ आ भोजनहण करैत छिथ। एिहक संग चािर िदनक ई धािम र्क अान समा होइत अिछ।अिम िदनकेँ पारन सेहो कहल जाइत अिछ।िबहारमे ई पाबिन िहूक संगिह मुसलमान आ िसख सेहो मनबैत अिछ। किटहारिजलाक लीपुर आऽ भोजपुर िजलाक कोइलवर गाममे तीन ू धम र्क लोक एिहपाबिनकें मनबैत छिथ। लीपुर गामक पिम ित नदीक िकनारमे तीन ू समुदायकालु एका होइत छिथ आऽ एक संग स ूय र्देवकेँ अर् दैत छिथ, ओतिह, कोइलवरगाममे िहू रोजा रखैत छिथ तऽ मुसलमान छिठक पाबिनमे िहू सभक घरमे स ूपपठा कऽ एिह पाबिनकेँ मनबैत छिथ।देशक सा ंृितक सताक उदाहरण ुत करैत एिह पाबिनमे उपयोगमे आबएबाला वु सभ खेतीक वाक अथ र्शास्ीय प ुत करैत अिछ। ई एकमा53


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्एहन धािम र्क अान अिछ जािहमे पंिडतक को हप निह होइत अिछ। िबनापंिडतक स होमएबाला एिह पाबिनमे भगवान आऽ भक संग सीधा सकर् होइतअिछ। एिह पाबिनमे स्ीगणक महप ूण र् भूिमका होइत अिछ जे अपन शरीरकेँ तपाकऽ प ूरा भिक संग िनयम-िना आऽ पिवताकेँ बनाएल रखबाक ित िवशेष पसँसतकर् रखैत छिथ। एहन धारणा अिछ जे एिह पाबिनकेँ िनयम िना आऽ पिवताकसंग निह कएलासँ एकर िवपरीत असिर पबितन आऽ ओकर िनकट सी आऽपिरवारपर तुरत पड़◌ैत अिछ। ई माता अिछ जेऽ पिवताक संग ई पाबिन निहकएलासँ असा रोग उ होएबाक संभावना रहैत अिछ। दोसर िदस ईहोमानब अिछजे एिह पाबिनकेँ िनयिमत पेँ कएलासँ सफेद दाग जेहन रोगसँ मुि सेहो भेटैतअिछ। एिह पाबिनक बढ़◌ैत लोकियताकेँ देिख आब पुष सेहो ई पाबिन करएलगलाह अिछ।भगवान स ूय र्क प ूजा भारतक संगिह इडोिशया, जावा, सुमाा आिद कतेको देशमेकएल जाइत अिछ, मुदा अर अतबा अिछ जे ानक पिरवतर्नक संग एकर पबदिल जाइत अिछ। स ूयो र्पासनाक चरचा िवक ायः सभ ाचीन सािहमे अलग-अलग पमे कएल गेल अिछ। एकर चचा र् वेदमे तँ अिछए संगिह स ूयो र्पिनषद,चाक्षुपोपिनषद, अुपिनषद आिदमे सेहो अिछ मुदा स ूय र् देवक संग स ूय र् देवक संगषी देवी प ूजा एक संग किहयासँ कएल जाऽ रहल अिछ एकर मान एखन धिरअपल अिछ।काितर्क मासक षी ितिथ षी देवी कऽ अिछ जे भगवान काितर्केयक पी छिथ। ईपाबिन स ूय र् देव आ षी देवी एक संग करबाक पाबिन अिछ जे प ूरा भिक भावकसंग मनाओल जाइत अिछ। छिठक गीतमे सेहो स ूय र् देव आऽ षी मायक ुित एकसंग कएल गेल अिछ।स ूयो र्पासनाक संग एिह धािम र्क अानक संब ंधमे कतेको कथा चिलत अिछ। एकटामाता ई अिछ जे मध ुवामे वन ऋिषक आम छल। ऋिषक पी सुकाक िपताजंगलमे िशकार खेलऽ गेलाह तँ हुनका ारा छोड़ल गेल तीर वन ऋिषक एकटाआिखमे ँ लािग गेल जािहसँ हुनक एकटा आिख ँ चिल गेल। एिह घटनासँ सुका ाकुलभऽ गेलीह आऽ जंगलक मण करए लगलीह। जंगलमे एक िदन एकाएक स ूय र् देवकप ूजामे लागल एकटा नाग कासँ हुनक भेँट भेल। ओ एिह समे नागकासँजनतब लेलिन तँ नागका जलक जे षी आऽ समीकेँ स ूय र् देवक प ूजा कएलासँभक सभ मकामना प ूरा होइत अिछ। एहन चरचा होइत अिछ जे वन ऋिषआऽ सुका स ूय र् देवक प ूजा कएलिन आऽ हुनक आिख ँ ठीक भऽ गेल। ाचीन सािहसँईहो जनतब होइत अिछ जे और ंगजेब सेहो और ंगाबाद िित देवक िस स ूय र्मिरमे १६७७ सँ १७०७ ई. धिर िनयिमत पसँ छिठक अवसरपर स ूय र् देवक आराधनामेलािग जाइत छल। एह चरचा भेटैत अिछ जे महाभारतक समय पा ंडव जखन54


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्सभ िकछु हािर गेलाह आऽ जंगलमे घ ुमैत छलाह जखन िवपि एिह समयमे ौपदीस ूय र्देवक १०८ नामसँ स ूय र्क प ूजा कएलिन आऽ छिठक त कएलाक बाद पा ंडवकेँ अपनराज-पाट वापस भेिट गेल। एिह घटनाक बाद लोक सभ एकटा “महाभारत पव”र्सेहो कहए लगलाह। आम जन सम ूहक म ई धारणा अिछ जे एिह धािम र्क अानकेँिनाक संग कएलासँ मवािक्षत ं फलक ाि तँ होइते अिछ संगिह संताि आऽपािरवािरक शाि आऽ चैनक संग असा रोगक िनवारण सेहो होइत अिछ।सूण र् िबहारमे प ूरा उाह आऽ भिभावक संग मनाओल जाएबाला एिह पाबिनक अतेकमह अिछ जे गरीब सेहो भीख मािग ँ कऽ ई पाबिन करैत अिछ। कतेको लोकआऽ संगठन एिह अवसरपर फल-फूल आऽ प ूजाक सामान बािट ँ पुक भागी बतछिथ। खरना आऽ समीक िदन लोकसभ मािगयो ँ कऽ साद जर हण करैतछिथ। पबितन सेहो िबना को भेदभावक साद ब ँटैत छिथ। एिह अवसरपरप ूरा देशमे नदी, पोखिर, कुआ आिदक सफाई कएल जाइत अिछ। सूण र् देशकशहर गामक सड़क, गली, मोहामे अुत सफाई आऽ काशक वा कएल जाइतअिछ। शहर सभमे नदी-पोखिरपर बढ़◌ैत भीड़ देिख आब लोक सभ अपन मोहाआऽ घरक छत अथवा लग पासमे खाली ानपर पोखिर जका ँ संरचना बना ओिहमेपािन जमा दैत छिथ आऽ पबितन ओिहमे ठाढ़ भऽ स ूय र्देवकेँ अर् समिप र्त करैतछिथ। ई एकमा अवसर अिछ जखन लोक सभ साक्षात अरा देवक प ूजा करैतछिथ। एिह अवसरपर सूण र् िबहारमे अमीर-गरीब, ऊँ च-नीच आऽ मािलक-मजूरक बीचद ूरी समा भऽ जाइत अिछ। सभ केओ तन, मन, धनसँ एिह पाबिनमे लािग जाइतअिछ आऽ सूण र् वातावरण छिठमय भऽ जाइत अिछ।२. िबहारमे स ूयो र्पासनाक मुख के-नवेु कुमार झा,समाचार वाचक सह अवादक (मैिथली), ादेिशक समाचार एका ंश, आकाशवाणी, पटनाछिठ पाबिन िबहारक एकटा लोक पव र् अिछ जे ायः सभ घरमे मनाओल जाइतअिछ। प ूरा देशमे आा आऽ ाक संग ई चािर िदवसीय अान स होइतअिछ। िबहारमे स ूयो र्पासनाक कतेको के अिछ। िबहारमे ित कतेको स ूय र्मिर ालु सभकेँ भगवान स ूय र्क अर् देबाक लेल आकिष र्त करैत अिछ। देशकसंगिह देशक कतेको आन सँ ालु एिह मिर सभमे आिब स ूय र् देवक आराधनाकरैत छिथ:-55


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्देवक स ूय र् मिर:- और ंगाबाद िजला मुालयसँ बीस िकलोमीटरपर देवमे ित स ूय र्मिर मगध िविश संृित, आा आऽ िवासक सवािधक र् सश आऽ िवराट तीकअिछ। ई ाचीन स ूय र् मिर अपन िश आऽ ापक भावशाली सौक अिभकरैत अिछ। स ूय र् देवक ई िवशाल मिर प ूवािभ,उख र् निह भऽ पिमािभमुख अिछ।िबना िसमेट या गार चूनाक आयताकार, वगा र्कार, अर्व ृाकार, गोलाकार आऽिभुजाकार आिद कतेको प आऽ आकारमे काटल परकेँ जोड़ि◌कऽ बनाओल गेलअिछ। गोटेक सौ फीट ऊँ च एिह स ूय र् मिरमे स ूय र् देवक तीन पक उदयाचल,मा ंचल तथा अाचलमे िवमान छिथ। एिह मिरक कारी पाथिरक नासी, अिभषेककरैत अाचलगामी स ूय र्क िकरण आऽ एिह मिरक मिहमाक कारण लोक सभमे अटूटा अिछ। एिह कारण ित वष र् चैत आऽ काितक मासमे देशक कतेको सँपबितन एिह ठाम आिब स ूय र्देवकेँ अर् दैत छिथ।र्र् र्र्र्पोखरामाक स ूय मिर- लखीसराय िजला स ूय र्गढ़◌ा खक पोखरामा गाममे ािपतस ूय मिर स ूय पंचायतन मिर अिछ जतए पा ँचो देवता िशव, गश, िवु आऽ देवीद ुगा र्क संग स ूय र्देव िवराजमान छिथ। एिह तरहक देशक ई पिहल मिर अिछ।एकर िनमा र्ण स ूय देवक रणासँ भेल अिछ। १२०० फीटमे बनल एिह मिरक बगलमेएकटा पोखिर सेहो अिछ जतए भगवान स ूय र्केँ अर् देल जाइत अिछ। लोक सभकमाता अिछ जे सच दय, भाव आऽ पिव मनसँ एिह मिरमे छिठक प ूजाकएलासँ दैिहक, दैिवक आऽ भौितक पापसँ मुि तँ भेटैते अिछ, स ूय नारायणमकूल फल सेहो दैत छिथ। पोखरामा गाम िकउल-भागलपुर रेल खपर कजराेशनसँ पा ँच िकलोमीटर उर पिममे तथा सड़क मासँ ई गाम लखीसराय –मुँगेरपथपर लखीसरायसँ पह िकलोमीटर आऽ अलीनगरसँ चािर िकलोमीटरपर अवितअिछ।उलारक स ूय र् मिर- राजधानी पटनासँ पचास िकलोमीटर द ूर दिन ु बाजार आऽपालीगंजक म उलार मोड़सँ एक िकलोमीटर द ूर अवित उलारक स ूय र् मिर अपनिविश पहचानक कारण िस अिछ। ापर कालमे भगवान ीकृक व ंशक राजा एिहमिरक िनमा र्ण करौ छलाह। गोटेक तीस फीट ऊँ च एिह मिरक इितहास आऽमहक कारण आइयो सभ रिव िदन कतेको हजार ालु पैदल चिल कऽ एिह ठामप ूजा-अच र्ना करैत छिथ। छिठक अवसरपर एिह ठाम पैघ संामे लोक छिठ करऽअबैत छिथ।मध ुवाक स ूय र् मिर- राजधानी पटनासँ सटल अरवल िजलाक मध ुवामे सेहो एकटााचीन स ूय र् मिर अिछ। कहल जाइत अिछ जे मध ुवामे वन ऋिषक आम छल।पौरािणक कथाक असार सुका आऽ वन ऋिषक देवार लागल शरीर एिह ठाम ठीकभऽ गेल छल आऽ हुनक फूटल आिख ँ प ूव र्वत भऽ गेल।56


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्सुवासक स ूय र् मितर्- ू मुजफ्फरपुर िजलाक गायघाट ख अत दरभंगा-मुजफ्फरपुर राष्ीय उ पथपर लढ़◌ौर पंचायतक सुवास गाममे सेहो भगवान स ूय र्कएकटा ाचीन मितर्ू अिछ। एिह गामक लोक एकर प ूजा अपन ाम देवताक पमेकरैत छिथ। जानकारीक अभावमे ई मितर्ू एकटा छोट मिरमे एख ािपतअिछ। हालािक ँ एखन धिर देशक स ूयो र्पासनाक केमे एकर पहचान निह बिन सकलअिछ।उमगाक स ूय र् मिर- और ंगाबाद िजलाक मदनपुर उमगा पव र्त ृ ंखलापर चौदह सौ वष र्प ूव र् एकटा स ूय र् मिरक िनमा र्ण कराओल गेल छल जकर िश देवक स ूय र् मिरसँिमलैत अिछ। गोटेक सािठ फीट ऊँ च ई मिर िबना िसमेटक ाचीन पाथरसँ बनलअिछ। एिह ठाम सात टा घोड़◌ापर सवार भगवान स ूय र्क ितमा ािपत अिछ। देवसँगोटेक बारह िकलोमीटरपर ई मिर अवित अिछ।बेलाउरक स ूय र् मिर- भोजपुर िजलाक उदवनगर खक दिक्षण-प ूव र् कोनपरआरा-सहार सड़कपर ित बेलाउर स ूय र् मिरक लेल िस अिछ। बेलाउरकनयनािभराम एिह मिरमे स ूय र् देवक भ ितमा ितित कएल गेल अिछ। एिहठाम देशक कोन-कोनसँ लोक सभ मनता मानए अबैत छिथ।औंगारीक स ूय र् मिर- नाला िजलाक एकं गरसराय खक एकं गरडीह बजारसँ गोटेकपा ँच िकलोमीटर दिक्षण ऐितहािसक औगारी गाममे बनल स ूय र् मिरमे स ूय र् देव आऽभगवान िवुक उनीस टा ाचीन ितमा अिछ। भगवान स ूय र्क बारह टा रािश अिछ।एिह सभ रािशक तीक देश भिरक बारह टा स ूय र् मिरमे सँ एकटा औंगारीक स ूय र्मिर अिछ। मिरक लग एकटा िवशाल पोखिर सेहो अिछ। एिह पोखिरमे ानकऽ स ूय र् देवकेँ एिह ठाम अर् देबाक िवशेष मह अिछ। छिठक अवसरपर औंगारीमेपैघ मेला सेहो लगैत अिछ।हवेली खड़गपुरक स ूय र् मिर- मुंगेर िजलाक हवेली खड़गपुर मुालयसँ गोटेक तीनिकलोमीटर उर पिम जमुई-मुंगेर रोडपर अवित स ूय र् मिरक िनमा र्ण पा ँचदशक प ूव र् छा सभक प ूजा-अच र्नाक लेल बनाओल गेल छल। एकर िनमा र्ण पंिडतदेवद शमा र् छा-छाा सभक लेल कए छलाह जािहसँ छा सभ भगवानक सजीवपकेँ महस ूस करिथ। हालािक ँ आब ई मिर भ सभक लेल आराधनाक मुखके बिन गेल अिछ। ई मिरक बाहरी भाग एख अर्िनिम र्त अिछ आऽ ानीयजनताक अपेक्षाक िशकार अिछ तथािप छिठक अवसरपर पैघ भीड़ एिह ठाम लगैतअिछ आऽ चािर िदवसीय एिह अानक अिम िदन “पारण” केँ भगवान स ूय र्कितमापर अर् चढ़◌ैबाक लेल होड़ लागल रहैत अिछ।57


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्बड़◌ीजानक स ूय र् मिर- िकशनगंज िजलाक अरिरया-बहाद ुरगंज रोडसँ दिक्षणबड़◌ीजानमे भगवान स ूय र्क भ पुरान मिर अिछ। एिह मिरक गभर् गृहमे उरपालकालीन छओ फीटक स ूय र्देवक ितमा ािपत अिछ।बड़गावक स ूय र् मिर- नाला िजलाक ाचीन नाला िविवालयक खंडहरसँ गोटेक द ूिकलोमीटर उर-पिममे ित बड़गाव नामक ानपर भगवान स ूय र्क ाचीन आऽ भमिर अिछ। मिरसँ सटल स ूय र् तालाब सेहो अिछ। माता अिछ जे एिह तालाबमेान कएलासँ कु रोगक िनवारण होइत अिछ। बेशी संामे लोक एिह ठाम छिठकरैत छिथ।देव कुक स ूय र् मिर- और ंगाबाद िजलाक पंचिखया मोड़सँ पा ँच िकलोमीटर उरहंसपुरा नामक गामसँ तीन िकलोमीटर प ूरबमे ित अिछ देवकुक स ूय र् मिर। एिहमिरक दरबाजा प ूव र् िदस अिछ। चैत आऽ काितक द ुन ू मासक छिठमे एिह ठाम भमेला लगैत अिछ।पंडारक स ूय र् मिर- पटना िजलाक बाढ़ अम ंडलसँ गोटेक दस िकलोमीटर द ूर पंडारकगामक पिम भागमे गंगा नदीक कातमे स ूय र् देवक मिर ित अिछ। एिह मिरकिनमा र्ण ापर युगमे ी कृक अ मिहिषमे सँ एक सभसँ सुरी जावीक पु सााकरौ छलाह। मिरक गभर्गृहमे कारी पाथरपर पुरान श ैलीमे स ूय र् देवक सोहकआऽ द ुल र्भ ितमा अिछ। देशक बारह टा मुख स ूय र् मिरमे सँ ईहो एकटा स ूय र्मिर अिछ।न ूतन झा; गाम : बेवार, मध ुबनी, िबहार; ज ितिथ : ५ िदसर १९७६; िशक्षा - बीएस सी, काण क◌ॉलेज, िभलाई; एम एस सी, क◌ॉपो र्रेिटव क◌ॉलेज, जमशेदपुर; फैशन िडजाइिनंग,एन.आइ.एफ.डी., जमशेदपुर।“मैिथली भाषा आ' मैिथल संृितक ित आा आ' आदर हर मोनमेबेस◌ॅ◌ं बसल अिछ। इ ंटरट पर ितरहुताक्षर िलिपक उपयोग देिख हम मैिथल संृितक उज्लभिवक हेतु अित आशाित छी।”िमिथला ंचलक ाितीया58


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्ाितीया िहु समाज मे चिलत पाबिन अिछ । िमिथला ंचल मे सेहो अकरिविश मह अिछ । काितर्क मास मे शु पक्ष के ितीया ितिथ क ई पाबिनमनाओल जाइत अिछ । ई िदन भाय - बिहनक अटूट म के समिप र्त होइत अिछ। अिह पाबिन सऽ ज ुड़ल एक पौरािणक कथा अिछ जािह असारे जमुना अन भाययम के अिह िदन त रहैथ । बिहन सब अन भाय के प ूजा करैत छिथ ।बिहन अपन घरक ऑ◌ंगन नीप कऽपीठार सऽ षदलक अड़ि◌पन बनाबैत छैथ । भायके आसन अथवा पीढ़◌ी पर बैसाबैत छैथ । अड़ि◌पन पर एक गोट बाटी राखैछैथ ।लोटा मे अिछ ंजल लैत छैथ । प ूजा के लेल छह गोट कुरक फूल,िपठार, िसूर, छह गोट ड◌ॉ◌ंट सिहत पानक पात, छह गोट सुपाड़◌ी, द ु कारकइलायची आर हरीर आवक होइत अिछ । कुरक फूल निहं भेटला पर गेंदाकफूल सऽ काज लेल जाईत अिछ ।बिहन अपन भाय के आसन पर बैसाकऽ िपठार आ िसूर सऽ ितलक करैत छैथ। तकर बाद भाय द ु कर पसािरकऽ बािटक ऊपिर राखैत छैथ आ' बिहन भाय केहाथ मे िपठार िसूर सिहत प ूजाक सब सामी राखैत छिथ । पुन जलस◌ॅ◌ं भायकेहाथ धो दैत छैथ । जलसऽ हाथधोईत काल बिहन िनिलिखत फकरा गाबैतछिथ''यमुना तली यम के◌़ हम तै छी भाय के,जते िदन यमुनाक धार रहै तते िदन भाय के अदा रहै"तकर बाद बिहन अपन भाय के वैभवासार उपहार दैत छिथ । माता अिछजे ई प ूजा करै वाली स्ी वैध एवम ् अ ेश सऽ द ूर रहैत छिथ ।बचपन मेजतऽ ई पाबिन बिहन सभ लेल उपहारक लालसा आ' भाई सभ लेल प ूजा कराबऽ के59


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्ख ुशी दैत अिछ ओतई पैघ भेलापर ई पाबिन भाय बिहन के भेंट करबाक अवसरबिन जाईत अिछ ।३.प३.१.१.रामलोचन ठाकुर २.िनिमष झा ३. िजतमोहन झा३.२. १.ी गंगेश गुंजनक- राधा (छठम खेप)२. ामल सुमन३.३. १.राजे िवमल २.रेवतीरमण लाल ३.िदगर झा "िदनमिण"४.ब ु-चिरत३.४. १.पा धी २.ोित३.५. १.िवान झा २.नवीननाथ झा ३.िवनीत उल३.६. १.व ृषेश च लाल २. धीरे मिष र् ३. िवभूित३.७. १. रामभरोस कापड़ि◌ २. रोशन जनकपुरी ३.पंकज पराशर३.८. १.वैकु झा २. िहमा ंशु चौधरी१.रामलोचन ठाकुर २.िनिमष झा ३. िजतमोहन झाी रामलचन ठाकुर, ज १८ माच र् १९४९ ई.पिलमोहन, मध ुबनीमे। विर किव,र ंगकमीर्, सादक, समीक्षक। भाषाई आोलनमे सिय भागीदारी। कािशत कृित- इितहासहा,मािटपािनक गीत, देशक नाम छल सोन िचड़◌ैया, अप ूवा र् (किवता संह), बेताल कथा (ं), मैिथलीलोक कथा (लोककथा), ितिन (अिदत किवता), जा सकै छी, िकु िकए जाउ(अिदत किवता), लाख60


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम् अिरत (किवता), जाद ूगर (अवाद), ृितक धोखरल र ंग (संरणाक िनब), आिख ं मुन:आिख ं खोल (िनब)।पास करबाक लेलउर पुिका आपस रिखतेपुिछ बैसैत छिथ मैमअध र्वसना बाब ्ऽकेशीवय िवलित नवल वेशीसोनाक व िशिक्षका-देखलहु ँ, बड़ कमजोर अिछ ना अहा ँकक नीक जका ँ किरऔक गाइड...- कमजोर त ई निह अिछ मैमआ जहा ँधिर छैक बात करबाक गाइडसे ूल त ताही लेल पठाओल जाइत अिछअंजीक एक प मे पचासीआ दोसर मे िकएक अबैत छैक पचीससोचबाक बात इहो की निह िथक?िवहु ँसैत बजैत छिथ मैमपाा िशक्षा-संृितक सेिवका61


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्वैीकरण मेनका-खाता त देखबे कएलिलख अिछ मा द ूटा पेज-तें कहल हमकमजोर ओ निह अिछपढ़बैत िछऐक यं हमिलखबे निह कएलकसे बात भेल अपर ंच एिहठाम नर निह देल गेलैकसे भेल निह बोधग...ओिहना िबहु ँसैत पुछैत िछयिन हमदेखबैत पुिकाक पंि िवशेषआय र् चिकत सन भेल कहै छिथ मैम-गलती िलख अिछसंयु पिरवार सुखी पिरवार!- त एिह मे गलती की छैक?िरान मे ओ िलिख देलक संयुमैम, संयु पिरवार आ62


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्बसुधैव कुटुकम ् केर संारमे पािलतहमर पौ केना िलिख पाओतछोट पिरवार नीक...- मुदा- पोथी मे सएह छैकइएह कहब अहा ँआ पास करबाक लेलउएह िसखए पड़तैकआर की-की िसखए पड़तैक एकरािजनगी मे करबाक लेल पास?मैम चुपचाप िनहारैत रिह जाइत छिथहमर मुह िनिन र्मेषिवदा लैत छी हमकहैत- वेश!!(२६.१०.२००८)हजेर् कीचल ू ितर ंगा क उड़◌ा ली हजेर् की।63


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्आजादी के र पुरा ली हजेर् की॥आजादी के अथ र् कोश मे ज ु िन ताकी।आजादी के ज मना ली हजेर् की॥शु-मु आयात ◌ॉच-सैेन होइछ।िशक्षा ाक शु वि ृ मे हजेर् की॥देशक गित िवकास िवदेशी प ू ँजी स।संसद हैत िनलाम होउक हजेर् की॥सौ-हजार भिस गेल बाढ़ि◌ मे भसए िदऔ।राता-राती शेठ बनत िकछु हजेर् की॥रौदी-दाही सबिदना छै रहए िदऔ।जनता बाढ़ि◌ अकाल मरत िकछु हजेर् की॥गाम-देहातक बात बैकवाडर्क लक्षण।मेो गित िनशान देश के हजेर् की॥ता िजावाद रहओ आवाद सदा।देश चलै छै एिहना चलतै हजेर् की॥(२६.१०.२००८)िकछु क्षिणका (हाइकू)१.भोजक पानसासुरक सानपुिनमाक चान64


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्२.हाथीक काननटुआक बतानएक समान३.द ूरक चासगामक कात बासकोन िवास४.बा ँझीक फूलमहकारीक फलके कहै भल५.दाद ुर-गानडोकाक अिभयानवेथे गुमान६.िहजरा-नाचओिकल केर सा ँचकी ६ की पा ँच(२६.१०.२००८)२. िनिमष झा65


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<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्उी मोनम ठाढ़ छैिमक पड़ल छैमिसिन युग।म ृुक तजीबाक लेल िसख ुदेब बधाइ।३.िजतमोहन झा घरक नाम "िजतू" जितिथ ०२/०३/१९८५ भेल, ी बैनाथ झा आीमित शाित ं देवी केँ सभ स छोट (ितीय) सुप ू। .रामेर झा िपतामह आ .शोभाका ंत झामामह। गाम-बनगा ँव, सहरसा िजला। एखन मुईमे एक िलिमटेड कं पनी में पद्ािपत।िच :अयन आ लेखन खास कs मैिथली ।पसंद : हर िमिथलावासी के पसंद पान, माखन, और माछ हमरोपसंद अिछ।िदलक कलमसँ प◌ॉ◌ँच गोट शेरो शायरी (भाग-१)चा ँदक लेल िसतारा हजार छैन !मुदा िसतारा के लेल चा ँद एक !!ओिहना अपक लेल हेता हजारो !मुदा हमरा लेल अिह िसफ र् एक !!हाथक लकीर पर एतवार क लेब !भरोसा हुवेंतँ हर हदकेँ पार क लेब !!67


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्हरेब आर पेब सभ नशीवक खेल अिछ !िदल िजनका अपनाबे हुनकेसँ ार क लेब !!िदलजे डूबलतs आशाके गाम आ ँखमs मचैल गेल !एक िचराग की ब ुझल सौ िचराग जैल गेल !!हमर आर हुनकर राह बस एतबे देर एक छल !द ुई कदम चललों की राहे बदैल गेल !!रसँ पलक भी ं गे लैत छलो !याद हुनकर आबैत अिछतँ कैन लैत छलो !!सोों की िबसैर जै हुनका !मुदा हर बेर ई फैसला बदैल लैत छलो !!अपन आगाजसँ आजू तलक िजंदगी, अिहकें याद मs गुम छल !तयों पता िकये ई एहसास अिछ, जेना की चाहत हमर कम छल !!१. ग गेश गुंजन २. ामल सुमन. ी ड◌ॉ. गंगेश गुंजन(१९४२- )। ज ान- िपलखबाड़, मध ुबनी। एम.ए. (िही),रेिडयो नाटक पर पी.एच.डी.। किव, कथाकार, नाटककार आ' उपासकार।१९६४-६५ मे पा ँच गोटेकिव-लेखक “काल पुष”(कालपुष अथा र्त् आब गीर्य भास कुमार चौधरी, ी गंगेश गुजन, ीसाकेतान, आब गीर्य ी बालेर तथा गौरीका चौधरीका, आब गीर्य) नामसँ सािदत करैतमैिथलीक थम नवलेखनक अिनयिमतकालीन पिका “अनामा”-जकर ई नाम साकेतानजी ारा देलगेल छल आऽ बाकी चा गोटे ारा अिभिहत भेल छल- छपल छल। ओिह समयमे ई यास तािहसमयक यथािितवादी मैिथलीमे पैघ द ुाहस मानल गेलैक। फणीरनाथ “रे” जी अनामाक लोकाप र्णकरैत काल कहलि, “ िकछु िछनार छौरा सभक ई सािहिक यास अनामा भावी मैिथली लेखनमेयुगचेतनाक जरी अभवक बाट खोलत आऽ आधिनक ु बनाओत”। “िकछु िछनार छौरा सभक” रेजीकअपन अाज छलि बजबाक, जे हुनकर समे रहल आऽ सुन अिछ, तकरा एकर ना आऽ रसब ूझल हेतैक। ओना “अनामा”क कालपुष लोकिन को पमे सािहिक मा मया र्दाक ित अवहेलनावा ितरार निह कए रहिथ। एकाध िटणीमे मैिथलीक पुरानपंथी कािचक ित कितपय मुखर68


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्आिवारक र अव रहैक, जे सभ युगमे नव-पीढ़◌ीक ाभािवक वहार होइछ। आओर जे पुरानपीढ़◌ीक लेखककेँ िय निह लगैत छिन आऽ सेहो भािवके। मुदा अनामा केर तीन अंक मा िनकिलसकलैक। सैह अनाा बादमे “कथािदशा”क नामसँ .ी भास कुमार चौधरी आऽ ी गंगेश गुंजन द ूगोटेक सादनमे -तकनीकी-वहािरक कारणसँ-छपैत रहल। कथा-िदशाक ऐितहािसक कथा िवशेषा ंकलोकक मानसमे एख ओिहना छि। ी गंगेश गुंजन मैिथलीक थम चौबिटया नाटक बिधबिधयाकुलेखक छिथ आऽ िहनका उिचतवा (कथा संह) क लेल सािह अकादमी पुरार भेटल छि। एकरअितिरक् मैिथलीमे हम एकटा िमा पिरचय, लोक सुन ू (किवता संह), अार- इजोत (कथा संह),पिहल लोक (उपास), आइ भोर (नाटक)कािशत। िहीमे िमिथला ंचल की लोक कथाएँ, मिणपकका- बिनजाराक मैिथलीसँ िही अवाद आऽ श तैयार है (किवता संह)। ुत अिछ गुनजीकमैगनम ओपस "राधा" जे मैिथली सािहकेँ आबए बला िदनमे रणा तँ देबे करत सँगिह ई ग-प-जब ुली िमित सभ द ुःख सहए बाली- राधा श ंकरदेवक पररामे एकटा नव-परराक ारकरत, से आशा अिछ। पढ़◌ू पिहल बेर "िवदेह"मे गुनजीक "राधा"क पिहल खेप।-सादक।मैिथलीक थम चौबिटया नाटक पढबाक लेल बिधबिधया, ु गुंजनजीक नाटक आइ भोर पढ़बाक लेल आइभोर आऽ गुंजनजीक दोसर उपास पढ़बाक लेल पिहल लोक िक क। ( हुनकर पिहल उपास"माहुर बोन"क म ूल पाुिलिप िमिथला िमिहर काया र्लयसँ लु भए गेल, से अकािशत अिछ। गुंजनजी सँअरोध के िछयि जे जतबे मोन छि, ततबे पाठकक लेल पठाबिथ, देख ू किहया धिर ई संभवहोइत अिछ।)गुंजनजीक राधािवचार आ संवेदनाक एिह िवदाइ युग भू- म ंडलीकरणक िबहाड़ि◌मे राधा-भावपर िकछु-िकछु मेग, बड़बेचैन कए रहल।अनवरत िकछु कहबा लेल बा करैत रहल। करिह पड़ल। आब तँ तकरो कतेक िदन भऽगेलैक। ब ंद अिछ। मा से मन एखन छोड़ि◌ दे अिछ। जे ओकर मजीर् । मुदा तं निह कएदे अिछ। मखदेवा सवारे अिछ। करीब सए-सवा सए पात किह चुकल िछयैक। मा िलखाएलछैक ।आइ-काि मैिथलीक महा ंगन (महा+आ ंगन) घटना-द ुघ र्टना सभसँ डगमगाएल-जगमगाएल अिछ। सुागतम!लोक मानसकें अिभजन-बि ु फेर बेदखल कऽ रहल अिछ। मजा केर बात ई जे से सब भऽ रहलअिछ- मैिथलीयेक नाम पर शहीद बनवाक उपम दश र्न-िवाससँ। िमिथला राक माताक आ ंदोलनसँलऽ कतोक अा लाभासक एन.जी.ओ.यी उोग मागे र् सेहो। एखन हमरा एतवे कहवाक छल ।से एहन कालमे हम ई िवहास िलखवा लेल िववश छी आऽ अहा ँकेँ लोक धिर पठयवा लेल राधा किहरहल छी। िवचारी।69


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्राधा (छठम खेप)ाणाधार,से ई सात इनार गही ं र सं सबोिध रहलौ ंहें,बचाब' लोक ला !केहन ई मनक पराभवल' सकी नाम अहा ंक पुकािर,भ' लोकक सोझा ं मे िनधो र्ख आ सािधकार,िसहोक ध केहन जरल कपारकेहन भेल हमरो अदृ अपरार ।मन कोना बौआइत रहैत अिछख ुजल बाछी जका ं एकसर ब-वन,तकैत माय, यमुनाक काते कात,हुकड़◌ैत ाकुल भेल, वन-झा ंख ुर सं चंछबैत देहतकैत मायक ह ,द ुखबैत का ंच-कोमल सीप सन-सन ख ूर अपन,आ मक क ठोढ़ सन सुर-सरसचुन ल' लै यो कं पैत अपन िशशु-थ ुथ ूनई सोिच मन लाजो करैये जेकेहन सन ई कामना हमरो बतािह,70


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्अहा ं तं अहा ं भेलौ, ं हमर को की माय अहा?आ िक संतान हम आहा ंक, हम बाछी अहा ं गाय, कोना आयल-ए,भाव एहन दय मे, कत' सं जािन निह,िकछु ज्ञात, मुदा ई बात केहन िद-िविच,एखनिह भ' रहल अभूितक आन जेहम य ं छी गौ अहा ं हमरा पर ओंगठल ठाढ़ भ'अपन पिरिचत िवशेष भंिगमा मेएक िदिस के गदिन र् टेढ़दोसर िदिस द ुन ू हाथें ध' क' मुन आिख,ंलागल ठोर सं तय भं ब ंसुली रहल टेिर,हमर से देह गायकेर आ अहा ंक आीय पीठक,इहो की संयोग केहन िवचार,ईह मुदा हमहूं छी कतेक बकलेल केहन बतािहकी सब भाव आबय आिब क' अर उठाबय,हमर एिह असकर मनक पसरलजक भिर आ ंगनपड़ल सभ िकछु जेना हो द ु िखतहो उदासजेना सुखा रहल हो कं ठ कएक कए युग संतीक्षा मे तीक्षा मे अशाबाटी मे,ट ंगल हो ताही पर गिन गिन क' देह-ाणकएक-एक ध ुकध ुकीआयुक सभटा उंठ सीिदत क्षण!सौ ंसे कृित मे मा एक ई मनइयेह टा गु गीत गबैत िमलनकभिर उमेरक िवयोगी अंगना मे बैसिल,कुसमय कान मे घोरैत कौआ कुचरबाक मध ु बोल!आशाक केहन तुुक डोिर71


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्तिह पर ट ंगल हमर शरीर भारी, तथािपनिह टुटैये निह टुटैये, ध आसक डोिर,एिह िचक तीक्षा आशाबाटीक ईिवलक्षण खेल देल िसखाय,केहन कारी दय भेल, कृ ?िकछु पड़◌ैये मन अहूं के एको िमिसयाएको िमिसया ेह ,सोधन ?अही ं कें टुटैत रहैत छल मुंह-अनो नाम ल क' फुसफुसा क' कहब ,गे जवािसन छौड़◌ी ं !आिदवािसन कत' छलें कायिल?कोन जंगल-पहाड़ मे भ'गेल रहें अलोपभिर िदन, भ' गेलौ ंहें अक तोरा तािक-तािक...बा अचानक आिब पाछा ं कान मे कू-उ-उ क' देबठोढ़ सटाय हमर जीवन कें देहक बाटे , भिर देबतेहन द ुल र्भ अलौिकक झ ुरझ ुरी सवांग, र् जेबिन महातीथ र्क भोरहिरयाक िद मिदरंगनगनाय लागय भ सबहक अनवरतबजाओल जाइत मिदरक ं घ ंटी सं टनाटनहमर सूण र् अिे िननािदत क', पल खिसते जािन से कत' भ' जाइत रही अलोप...हमरा ाण कें िवकलताक एकपिहया टुटलबएलगाड़◌ी पर बैसा क' जेना कही-ताकू आब हमरा,तािक िलय', हम छी कोन ठाम, क ?केहेन बैसिल शािच हमरा, अरेई उपव क' कोना क' दी अशाअिछ िकछु एको िमिसया यािद, एकहु री मन ?से िकयेक हएत, आब तािह सं अहा ंक कोन संब ंधतकरा सं कोन अहा ं कें काज,िवकल जे भेल, होइत रहओ।छटपटाइत रहओ,72


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्अहा ंक नाटक अपन अिगला-अिगला दृ सबहककरैत रहओ ओिरयाओन, िनरर।नव-नव िनम र्म रसक असंधान मेलागल रही, बड़ िदव ।कहा ं िकछु लोक लेल िचाको मुंहछुआओ एक बेर "िकयेक छौ मन हूस छौड़◌ी" ं ?''छौड़◌ी ं !'' नाम तं अिछये को हमर राधा,केहन मायावी केहन अिभनय असंभव लोक अहा ं यौ,मोिह बैसब बेबस भेल अपनिह ेही, आकअनवरत करब हरानिहनकर भ' गेलय िहक,बड़◌े आबय मजा लोक के क' िवकल अिरकोनहु ं कारें क' दी िकछु बेचैन आअप पार ।नाटक अहु ंक धिर अिछ कृ अपरार,हे सरकार !कख उिठतो अिछ मनक महासागरमे अपक,हमर नामक को टा पोठीयोक तर ंग ?कत' सं िकछु छूिट जाइत छैक जीवनकोन क्षण मनक महल ढनमना ढिह जाइछआ सब िकछु ब ुझाय लागत-थ,र्होयवाक अपन िकछु मतलब सौ ंसे प ृी परभेटत तक , इे रहत बा ंचल शेष जेताकी अपन से संसार ,पिछलो पहर धिर छल अप संगमनक सजल सपना सब कें अन मखमले सनआस-िवासें भरल आ ंचर सं झारैतओकरा पर पड़ल अवहेला उपेक्षाक गदा र्सेह बड़ म बहुत भावें भरल संप ूण र्73


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्सभकें ल' चल जाए उिधया जेना अनचोखे को िबहाड़ि◌,आ ंगन मे सुखाइत डोर पर को आ ंगी जेका ंनिह जािन कोन िदशा आ कोन ठाम, ब ूझल हो मुदािबसरबो हो संभव ओिह आ ंगीक अथ र् जेनिह छल मा एकटा वस् कुंडाबोर लालेह िसंिचत को छुे देहक झंपनाओकर तानी भरनीक एक-एक ताग, तागक तंतु,लालीक संग आयुक छन अनभिर भुवनक अनो र ंग-रस-भीजलआ आ ंगी अंिगये निह, ल कृक श र्हुनके िद आ ंगुर हाथ आ ठोढ़क कहैत िकछु श,बजैत ब ंसुरीक िन-ितिन,चेतनामे सतत लगबैत गुदगुीओ छल िक क्षणक संगक श र्हुनकिह अमृतओएह छिथ हमर पिहरन ,कृें पिहर रही हम, उड़◌ा देलक जे िबहाड़ि◌आ ंगनक डोिर सं निह, जेना देहे सं,भेल छी उघार ,लाजें छी कायल, भेिल दोबिरएिह टटघर म ंडैया मे,जे अिछ य ं दस ठाम सं भूरे भूर अप उघारहमर की देह झा ंपत, की करत लाक रक्षा ?कहै लेल तं अप मड़◌ैया ई खासमुदा सेहो भेल कोन काय र्क ,माम ूली िवरड़◌ो-वसात सं पय र् बचा सकल,केहन अजगुत !तं िक कृे छिथ से हमर आ ंगी हरण कता र् िबहाड़ि◌ ?74


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्िकयेक क' गेला एना उघार ।भ धेलिनहें ई ढब नव,ककरो सतयवाक उपव-उपाय...मुदा की भ' जाइछ एिह मन कें अरे ?के अपन, ककरा लेल एतेक उदास,ीकृ ?१७/४/०५.न.िद.२.ामल िकशोर झा, लेखकीय नाम ामल सुमन, ज १०।०१।१९६० चैनपुर िजलासहरसा िबहार। ातक िशक्षा:अथ र्शास् राजनीित शास् एव ं अंजी, िवुत अिभय ंणमे िडपलोमा।शासिनक पदािधकारी,टाटा ील, जमशेदपुर। ानीय समाचार प सिहत देशक अक पिकामेसमसामियक आलेख, किवता, गीत, गजल, हा-ं आिद कािशत, ानीय टी वी चैनल एव ं रेिडयोेशनमे गीत गजल सारण, कैकटा किव सेलनमे सहभािगता ओ म ंच संचालन।ासहमर गाम छूिट गेल, पेट भरवाक लेल!भूख लागल अिछ एखनहु ँ , उमिर बीत गेल!!हमर गाम छूिट गेल, पेट भरवाक लेल!करी की भेटल, अपनापन छूटल!ह डूबल वचन केर आश टूटल!!दो यार कतऽ गेल, नव-लोक अपन भेल!75


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्गाम केर हम ब ु िधयार, एतऽ बलेल!!हमर गाम छूिट गेल, पेट भरवाक लेल!आयल पाविन-ोहार, गाम जाय केर िवचार!घर मे चचा र् केलहु ँ तऽ, भेटल फटकार!!निह नीक कु रेल, रहय लोक ठेलम ठेल!किनया ँ कहली जाऊ असगर, आ ब क खेल!!हमर गाम छूिट गेल, पेट भरवाक लेल!की कहू मन के बात, छी पड़ल काते कात!लागय छाती पर आिब िकयो रािख देलक लात!!घर लागय अिछ जेल, मुदा करब निह फेल!नवका रा िनकालत, सुमन ढ़हलेल!!हमर गाम छूिट गेल, पेट भरवाक लेल!१.राजे िवमल २.रेवतीरमण लाल ३.िदगर झािदनमिण76


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्राजे िवमल (1949- )।चामािरक लेखन-ितभाक ामी राजे िवमलपालक मैिथली सािहक एक छिथ। मैिथली, पाली आ िही भाषाक ाज्ञ िवमल िशक्षाक हकमेिवावािरिध (पी.एच.डी.)क उपािध ा कए छिथ। सुलिलत श चयन एव ं भाषामे ालता डा.िवमलक लेखनक िवशेषता रहलिन अिछ। अपन िसह लेखनसँ ई कोनहु पाठकक दयमे ान बनालैत छिथ। कथा आ समालोचनाक सिह मम र्भेदी गीत गजल िलखबामे वीण डा. िवमलक िनब,अवाद आिद सेहो िवलक्षण होइत छिन। को िलिखकऽ यथे यश अरजिनहार डा. िवमलक लेखनीकश ंसा मैिथलीक सस पाली आ िही सािहमे सेहो होइत रहलिन अिछ। खास कऽ मानवीयसंवेदनाक अिभिमे िहनक कलम बेजोड़ देखल जाइत अिछ। िभुवन िविवालयअत रा.रा.ब.कैस, जनकपुरधाममे ाापन कएिनहार डा. िवमलक प ूण र् नाम राजे लाभ िछयिन। िहनक ज २६ज ुलाई १९४९ ई. कऽ भेल अिछ। सािहकारक नव पीढ़◌ीकेँ िनरर उत्िरत करबाक कार ईडा.धीरेक बाद जनकपुर-पिरसरक सािहिक गुक पमे ािपत भऽ गेल छिथ। जनकपुरधामकदेवी चौक ित िहनक घर सदित सािहक िजज्ञासुसभक अखाड़◌ाजका ँ बनल रहैत अिछ।डा. राजे िवमलक गजल१.नयनमे उगै छै जे सपनाकेर कोँढ़◌ीफुलएबासँ पिह सभ झिर जाइ छैकलमक िसन ूरदान पएबासँ पिहगीत का ँचे कुमारेमे मिर जाइ छैचान भादवक अिरयेकटैत अहुिरयाका मेघक तुराइमे िहंचुकै छल जेिबछा चानीक इजोिरया77


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्कोजगरामे आइखेलए िझलहिर लहिरपरओलिर जाइ छैहम िकछेरेपर िवमल ई ब ू िझ गेिलयैनदी उफनाएल उफनाएलकतबो रहौएक िदन बिन बाल ू पाथरक िबछानपािन बाढ़ि◌क हहाकऽ हहिर जाइ छैके जानए कखन ई बदलतै हवािसकही पुिरवाकेर या डूबा जाइ छैजे धधरा छल धधकैत धोंवा जाइ छैसद र् छाउरकेर लुी लहिर जाइ छैरिच-रिचकऽ पक करै छी िसंगारसेज चा आऽ बेलीसँ सजबैत रहूमुदा सोचू क होइ छै एिहना ियसींथ र ंगवासँ पिह धोखिर जाइ छै२..जगमग ई सि ृ करए तख िदवाली छीम चेतना जािग पड़ए तख िदवाली छीजीण र् आ पुरातनकेँ हुा-लोली बनाउ78


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्पलपल नव दीप जरए तख िदवाली छीेहकेर धार बहत बनत जग ोितम र्यहष र्क फुलझड़◌ी झरए तख िदवाली छीअनधन लछमी आबए दिरदरा बहार होरोली र भरए तख िदवाली छीरामशि आग ूमे रावण टीिक सकतरावण जख डरए तख िदवाली छीमध ुावनीमध ुावनी आएलमन-मन हष र्एचहु ँिदस साओनसुर घन वष र्एका ँख फुलडािलमुिथ कािमनीमलय पवनसुगित शीतलदमकए दािमनीडा. रेवतीरमण लाल79


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्हम सुना रहल छी तीन धारभारी सहैत अिछ भार कहिथ सभ खेती सिहते अिछ उजाड़।िगड़ सन सुटकओ नाङिर आग ू पाछ जे छल करैत।जे भोर सा ँझ, दश लोक माझ, हमरे िदश छल रिह-रिह बढ़◌ैत।हम आङुर पकड़ि◌ जकरा पथपर अित िश चलाऽ देलौ ंहमरे गितक पथकेँ आगा, ँ से ठाढ़ भेल बिनकऽ पहाड़॥हम सुनाककरा कहबै के सुनत आब, पओ कतौ छैक छै कतौ घाव,हम भेलौ ं आब ही समान, किहयो हमही ं िचगर कवाव।हम घास खाअकऽ पािल-पोिस, जकरा कएलौ ं द ुधगिर लगहिर,तकरा लगमे जँ जाइत िछयै, तऽ हमरे मारैए लथार॥ हम सुना,हम तोड़ि◌ देबै िझक-झोड़ि◌ देबै शाखा फल-फूल मचोड़ि◌ देबै,ाथ र्क छै जे जड़ि◌आएल ब ृक्ष तकरा जड़ि◌स हक कोड़ि◌ देबै।मनमे जे िचनगी सुनिग रहल, से किहयाधिर हम झािप ँ सकब,तें ई मन जिहया लहिर जेतै, तिहया खएतै धोिवया पछाड़॥ हम सुना३चलैमन जगदाक ािर चलैमन जगदाक ािर।सब द ुःख हरती झोड़◌ी भरती, िबगड़ल देती सािर॥81


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्चलै मन...मध ु कैटभक डरे पड़एला जिटया यं िवधाता।प ूजन ान बना कएलिन कह हे माता॥बोधल हिर मारल मध ु कैटभ िबिधकेँ कएल गोहािर।चलै मन..मिहषासुरक ाससँ धरती थर-थर का ँपए लागलछोड़ि◌ अपन घर ािर देवता ऋिष मुिन जंगल भागल।हुनका सबहक क हिर लेलिन मिहषासुरकेँ मािर। चलै मन..हु ँ कारक उिरत शसँ ध ु गेल सुरधाम।च-मु आ रवीजकेँ िमटा देलिन मा ँ नाम।शु-िनशु मािर धरतीसँ दै कएल िनकटािर॥ चलै मन...शिश कुज ब ुध गु शु शिनवर की िदनमिणक तारा।सर, नर मुिन, गव र् अरा सबहक अही ँ सहारा।हमरो या पार क मा, ँ भबसँ िदय उबािर। चलै मन...१.पा धी २.ोितपा धीकेँ मैिथली सािहमे को िलिख कऽ सुयश ा छि। गृहणीक भूिमका कुशलतासँ िनभाबयबालीपाक सािह साधारण मिहलाक सजीवतासँ िचण करैत अिछ। लेखनक अितिर पा संगीतसँ सेहोज ुड़ल छिथ। पालक राजधानी काठमाूमे रहैत ई मैिथली, पाली, भोजपुरी आऽ िही भाषाक सयसँबेशी गीतकेँ अपन रसँ सजओ छिथ। गायन मे िहनका िताक संग-संग साधारण लोककगीतकेँ गाबए वाली गाियकाक पमे िचल जाइत छि। रेिडयो काय र्म ुतकता र्क पमे िहनकर82


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्ाित सवािधक र् छि। “हैलो िमिथला” नामक रेिडयो काय र्मक मामसँ पा मैिथली उोषणाकेँ एकटानव पिरचय आऽ ऊँ चाई देलि अिछ।अेजल का ँट- पा धीनिह जािन बिहना िकएकआइ तोँ बड़ मोन पड़ि◌ रहल छहआ ताहूसँ बेसी तोहर ओछहोिछ कऽ देबवलामम र्भेदी वाण।बिहना तोँ कह रहऽ हमराऐँ हइ बिहना!एहन का ँट भरल गुलाबकेँअपन आ ँचरमे एना जे सहेज छहतोरा गड़◌ैत निह छह?तोँ उर पएबाक लेल उुक छलहमुदा हम मौन भऽ गेल रहीआ तोँ मोमोन गिजरहल छलह।हँ बिहना, ठीकेहमरो तोरेजका ँअपन िजनगीमे फूलेफूल सहेजबाक83


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्सपना रहएआ अगरएबाक लालसा रहए तोरेजका ँअपन िजनगीपरमुदा की करबहक...!मोन पाड़ह छोटमे जखन अपनासभती-ती आ पँचगोिटया खेलाइबेसी काल हमही ँ जीतैत रहीमुदा िजनगी जीबाक खेलमेहम हािर गेल छी बिहना।का ँट का ँटे होइ छै बिहनागड़◌ै कतह ु निहमुदा हम का ँटेकेँ अङेिज ले छीमािलन जँ का ँटकेँनइ अङेजतै बिहना तँ फेर गुलाब महमहएतै कोना?2. ोितकेँ wwwpoet . r y. comसँ संपादकक च◌ॉयस अवाडर् (अंजी पक हेतु) भेटलछि। हुनकर अंजी प िकछु िदन धिर wwwpoet . r ysoup. com केर मु प ृ पर सेहो रहलअिछ। ोित िमिथला िचकलामे सेहो पार ंगत छिथ आऽ िहनकर िमिथला िचकलाक दश र्नी ईिलंग आट र्ुप केर अंतत ईिलंग ◌ॊडवे, लंडनमे दिश र्त कएल गेल अिछ।84


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्िमिथला पेंिट ंगक िशक्षा सुी ेता झासँ बसेरा इ ंीूट, जमशेदपुर आऽ लिलतकला तूिलका, साकची,जमशेदपुरसँ। शनल एशोिसएशन फ◌ॉर ब्लाइड, जमशेदपुरमे अवैतिनक पेँ प ूव र्मे अापन।ोित झा चौधरी, ज ितिथ -३० िदसर १९७८; ज ान -बेवार, मध ुबनी ; िशक्षा- ामीिववेकान िम िडल ूल◌़ िटो साकची गर् हाई ूल◌़, िमसेज के एम पी एम इटर कालेज़, इिरागाी ओपन यिनविस ू र्टी, आइ सी डबू ए आइ (क◌ॉ एकाउेी); िनवास ान- लन, य.के.; ू िपता-ी शुभंकर झा, ज़मशेदपुर; माता- ीमती सुधा झा, िशवीपी। ''मैिथली िलखबाक अास हम अपनदादी नानी भाई बिहन सभकेँ प िलखबामे कए छी। बेसँ मैिथलीसँ लगाव रहल अिछ। -ोितव ृक अिभलाषाएक व ृ रोिप रहल छल गाछ आमकेिकयो पुछलकै जे की लाभ हैत अह◌ॉ◌ंकेअप छी जीवनक अंितम छोर परफरनाइ तऽ हैत अह◌ॉ◌ंक मरलापरओ व ृ जवाब देलैथ िवनता सऽअपन काज सऽ िबना अिडग भऽबाप दादाक रोपल कलम जे भोग केलहु ंबस सैह ऋणके लौटाबक यास केलहु ंआगामी पीढ़◌ीके अपन हाथे ख ुआयब की निहंकम सऽ कम ई गाछ फरैत रहत जा धिरअपन बाल बामे िमठास घोरैत रहबभ ताबे अप जीवैत रहब निहं रहब85


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्१.िवान झा २.नवीननाथ झा ३.िवनीत उल१.ी िवान झा पीकार (िस मोहनजी) ज-09.04.1957,पुआ, ततैल, ककरौड़(मध ुबनी), रशाढ़य(पिण ू र्या), िशवनगर (अरिरया) आ’ सम्ित पिण ू र्या।िपता ल धौत पीशास् मार् पीकार मोदान झा, िशवनगर, अरिरया, पिण ू र्या| िपतामह-.ी िभिखया झा। पीशास्क दस वष र् धिर 1970 ई.सँ 1979 ई. धिरअयन, 32 वष र्क वयससँ पी-ब ंधक संवर्न आऽ संरक्षणमे संल। कृित-पी शाखा पुकक िला ंतरण आऽ संवर्न- 800 प ृसँ अिधक अंकनसिहत। गु- पीकार मोदान झा। गुक गु- पीकार िभिखयाझा, पीकार िनरस ू झा िस िवनाथ झा- सौराठ, पीकार ल ूटन झा,सौराठ। गुक शास्ाथ र् परीक्षा- दरभंगा महाराज कुमार जीवेर िसंहकयज्ञोपवीत संारक अवसर पर महाराजािधराज(दरभंगा) कामेर िसंह ाराआयोिजत परीक्षा-1937 ई. जािहमे मौिखक परीक्षाक मु परीक्षक म.म.ड◌ॉ. सर गंगानाथ झा छलाह।ॐ॥ी गशाय नमः॥कोशीक तावप ूव र् िमिथला कोशी कातक चहु ँिदिश करै िकलोल।अ-वस्सँ विचत ं भए बसिथ के धनजोर॥ना-भूटका ओ समरथ ुआ ों निहं रहल सरपोक।पितएँ पी, पु पौसँ िछ-िभ चहु ँओर।।िवपदा मारल देह नचारी गेल अ-अ बेहाल।जल िविच बिसकऽ ास मरै अिछ ाण पािव द ुार॥86


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्नर ओ नर िरपु संग िनभै िकनको मुख निहं मपान।िविधना लैि अपर िवधान हुनकर निहं पिरमाण॥कक अ निहं कहुखन देखलह ु ँ किहं िवतय ाण।भूखक ाला द करै अिछ- ेह-म-सान॥िपता पुसँ झपिट खाए छिथ- रोटी-न महान।जठरानल धधकल अिछ सभतिर निहं ब ुझिथ संतान॥सव र् ा ंत कएलैि कोशी माता निहं िकछु बा ंचल जोर।प ूव र् िमिथला कोशी कातक चहु ँ िदिश करए िकलोल॥एिह िविच देखलह ु ँ अुत “ देखना” “मािरचक” भरमार।मौका पािव ल ू िट रहल अिछ सेवा भेल ापार॥दिनया ु ँ दौड़ल बािह ँ पसािरक, बैसोलक घड़जोड़ि◌,अ-वस् ओ आिलन दए, कएलक भाव-िवहोर॥सचमे! दिनया ु ँ एखनहु ँ बा ँचल- स भेल निहं थोड़।ृि िवधाता रक्षा करता, निहं होउ कमजोर- निहं होउ कमजोर।१.के- िशिवर२.धनजोर- स, धनी३.सरपोक- खतरा मु, िचामु४.नर-िरपु- सप र् इािद५.मािरच- मायावी राक्षस६.घड़जोड़ि◌- एक संग87


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्२.नवीन नाथ झा (नवनीत)- ज २०.०१.१९४०, बी.ए.ऑनस र् सहएल.एल.बी., िपता- ी बैनाथ झा, गाम- भटोर (चकला), िजला पिण ू र्या१.दया क मा ँअहा ँक शरणमे आएल छी मा, ँ दया कऽ केँ अपनाब ू मा ँ।अही ँ के चरण-कमलमे रमल छी मा,ँद ुःखी मन दोसर राह , सुझै अिछ मा ँचोट बहुत खायल छी मा, ँ दिनयासँ ु ठ ुकराईल मा ँदया क मा, ँ दया कऽ केँ अपनाव ू मा ँ॥१॥ अहा...ँमा ँ अपन आ ँचरक शीतल, सुरिभत,हवासँ ताप एवम ् क ह मा,ँपर, िमलल निह ितदान कको,हर पगपर ाथ र्क लीला,चलन जगतक िनराले मा ँअहा ँक शरणमे आएल छी मा, ँ दया कऽकेँ अपनाब ू मा ँ॥२॥(जगत) संसार माया जालमे फँसल अिछ मा,ँ88


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्दिनया ु ं आतंकसँ आा अिछ मा,ँअज्ञानताक-अंधकारसँ भरल अिछ मा ँअशासनक कमी खलै अिछ मा ँ॥अहा ँक शरणमे आएल छी मा, ँ दया कऽकेँ अपनाब ू मा...॥३॥ँअपन परायाक ज्ञान घटल अिछ,अधम र्क, अकम र्क बाजार गम र् अिछएिह जगसँ अज्ञानताक-अंधकार द ूर क मा ँ-अही ं क शरणमे आएल छी मा, ँ ताप रहहोँ...॥४॥द ुखी जनक द ुःख द ूर क मा ँसम र्क भाव जन-जनमेअिवल आिबकेँ अही ं भ मा ँ।अही ं क शरणमे आएल छी मा, ँ दया कऽकेँ अपनाव ू मा ँ॥५॥िव काणक भाव सभमे जगा िदयो मा,ँसम ् िशवम ् सुरम ् क ज्ञान सभमे भिर िदयो मा ँवसुधैव कुटुक िवचार सचािरत कऽ िदयो मा ँअही ं क शरणमे आएल छी मा, ँ दया कऽकेँ अपनाव ू मा ँ“अु”89


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्३.िवनीत उल (१९७८- )। आनंदपुरा, मधेपुरा। ारिभक ं िशक्षासँइ ंटर धिर मुंगेर िजला अंतत रणगा ंव आs तारापुरमे। ितलकामा ंझी भागलपुर, िविवालयसँगिणतमे बीएससी (आनस)। र् गु जेर िविवालयसँ जनसंचारमे मार िडी। भारतीय िवाभवन, नई िदीसँ अंगरेजी पकािरतामे ातकोर िडोमा। जािमया िमिया इािमया, नई िदीसँजनसंचार आऽ रचनाक लेखनमे ातकोर िडोमा। न म ंडेला सेंटर फ◌ॉर पीस एंड कनििरजोूशन, जािमया िमिलया इािमयाक पिहल बैचक छा भs सिटिफकेट र् ा। भारतीय िवा भवनकंच कोस र्क छा।आकाशवाणी भागलपुरसँ किवता पाठ, पिरचचा र् आिद सािरत। देशक ितित प-पिका सभमेिविभ िवषयपर तं लेखन। पकािरता कैिरयर- दैिनक भार, इ ंदौर, रायपुर, िदी स,दैिनक िहंद ुान, नई िदी, फरीदाबाद, अिकं चन भारत, आगरा, देशब ंध , ु िदीमे। एखन राष्ीय सहारा,एडामे विर उपसंपादक।१.िमिथला हमर देशिमिथला हमर देश अिछहमर रग-रग मेिमिथलाक पाइनवा हवा बसल अिछतिह सं जखन मोनपरैत अिछबड◌़◌ाई किर दैत छीिनंदा करिह सं पाछुओ निञ रहैत छी90


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्ई िमिथला हमर जान छीई िमिथला हमर प ूव र्जक पहचान छीनीक वा अदलाहई िमिथला हमरे सं नाम छीअहा ं जेहन काज करबअहा ं जेहन संार पायिबअहा ं जेहन संार देबओिह सं िमिथलाक जान छैकतािह सं निह ओहेन काज कतािह सं निह ओहेन आस कजकरा सं निह िसफ र् मैिथल आ िमिथलाकमुदा, िमिथलावासीक मन कs ठेस लागे।२.व ंशक िचरागगाम-घरक जखनहालचाल जत छीसुत छीफला ं माक मे छैकनाना-नानी कs संगको घर निहभेटता91


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्जे अपन पाइर परअपन बाकपालन-पोषण कs सकता'दैत छी गपिलय लपालप' फेकराओत-ोत सब घर भेटतादस िमनटक मजा कs सजामाई आ माक लोक भोगताजखन अहा ं जमाई बिन कsसासुर मे अिधकारजमबैत छीतखन अपन कतर् कsिकया िबसिर जाइत छीअहा ं देले छी बाक जअहा ंक व ंशक िचराग अिछ ओअपनिह सं पालन-पोषणकरिह मे संतुिक लेलकरिह परत मेहनत आ िदनराित एक।३.फूइस आ सतफूइस, फूइस आ फूइस92


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्एकटा कs काबै लेलहजार टाफूइस बाजय परतमुदा, सत गप मेअिह गपिकया निहहोइत अिछएहन होइत अिछएकटा सत बाजबाक संगहजार सतआग ू आबैत अिछएहन लोक मे द ूई टागप होइतअिछसत या फूइसअहा ं कोन िदसठाढ◌़ छी या होइबई अहा ंक िववेक, ब ु ि वा िनण र्यकक्षमता पर अिछई गप सत अिछ जे93


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्फूइसक महलभूरभूरा कs खिस जाइतसतक एकिह झोंक सं।४.िबकाइत छैककिहयो अिह देश मेकमला िबकाइत छिथखबर छपलाक बादबवाल मिच गेल छलराजानक कमलाएक महीस संकम दाम मेिबक गेल रहिथलोक वेद एकटा स्ीगणकिबकबा परहायतौबा मचौउलिथआइ सेहो रण मे अिछ ओ गपमुदा, एख िमिथलाकपुषक दशा देिखयऊलड◌़की सं ाह निह करैत छिथदहेजक नाम पर िबका जाइत छिथ94


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्लड◌़कीक बाप हाथे।५.महागरीबएक िदनक गप अिछछोटका न ू आ भौजी मेबताबती भs गेलभौजी कहलिखनई ध ुर, अहा ं सभगरीब छीनिह अिछ मकाननिह भेटैत अिछ भइर पैट भोजनहमर निहयर गपकछु आओर अिछछोटका न ू कs निह रहल गेलओहो िकया पाछु रिहतिथिमिथलाक बड◌़बोलापन मेडुबकी लगौ कहलिखनसुन ू भौजी, सब बापअपन बेटीक ाहअपन सं ऊं च मे करैत छैकयिद हम गरीब छी95


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्त अहा ंक निहयर अिछ महागरीब।१.व ृषेश च लाल २. धीरे मिष र् ३. िवभूित१.व ृषेश च लाल-ज 29 माच र् 1955 ई. केँ भेलि। िहनकरछिठहारक नाम िवेर छि। ओ िवेर साद कोइरालाक ितब राजनीित अयायी आ पालकजातािक ं आोलनक सिय योा छिथ। पाली राजनीितपर बरोबिर िलखैत रहैत छिथ।मैिथलीमे िहनक “आोलन” किवता संह कािशत छि।नजिर अहा ँक िचतकेर जूड़◌ा दैत अिछ।घ ुराकए एक क्षण िजनगी देखा दैत अिछ।धँसल डीहपर लोकाकए फेर महलपाङल ठाढ़ि◌मे कजिर छोड़◌ा दैत अिछ॥बजाकए बेर-बेर सोझे घ ुराओल छी हमहँसाकए सिदखन हँसीमे उड़◌ाओल छी हमबैसाकए पाितमे ँ पिजयाकए लगमे अपनलतािर ईखसँ उठाकए खेहारल छी हमसेत एख एक मक बजा लैत अिछजरए लेले राही जड़ि◌सँ खरा दैत अिछउठाकए उपर नीा खसाओल छी हम96


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्जड़◌ाकए ोित अरे िमझाओल छी हमलगाकए आिग िसहक हमर रग-रगमेिबना कस ूर िनसोहर बनाओल छी हमझोंक एक आशकेर फेरो नचा दैत अिछउम ंगक र ंगसँ पलकेँ सजा दैत अिछ२. धीरे मिष र्चहकऽ लागल िचड़ि◌या-चुनमुनपसर खोललकै चरबाहासुननव उाहक सस परसैतकरै कोइिलया सोरउठह जनकपुर भेलै भोरदादीक स ू िन परातीक तानतोड़ल िन सुज भगवानस ूतलसभकेँ जगबऽ लए पुिनग ू ँिज उठल महिजदमे अजानकहैए घी मिरकमनमे उठबैत िहलोरउठह जनकपुर भेलै भोर97


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्हर-तोहर इएह ध ुकध ुीफैक्ीक साइरन, नक पुीखािल कम र्क जतऽ भरोसाद ुख-सुख िजनगीक चोराीघरसँ बहरैहऽ पाछा ँ जाता मन करह इजोरउठह जनकपुर भेलै भोरअायक संग लड़बालए तोँगितक पथपर बढ़बालए तोँिमिथलाकेर अरपर िबहु ँसैतचानक मुरती गढ़बालए तोँगौरवगाथा सुिमरैत अनिहत करह सङोरउठह जनकपुर भेलै भोर३. महेश िम “िवभूित” (१९४३- ),पटेगना, अरिरया, िबहार।िपता . जलधर िम, िशक्षा-ातक, अवकाश ा िशक्षक।बाबा-ुित98


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्बाबा बटेश प ू िजत विश, अपक सिदखन दरकार औ।औढ़रदानी गाधर बाबा, जन-जनके सरकार औ॥...॥बाबा बटेश, गातटवासी, द ुःिखयाके सुन ू पुकार औ।जल-बाढ़ल, द ुःखदै भेटल, मनमे गाक दरकार औ॥औढ़रदानी दरजू झट दऽ, भक क उार औ।जाकड़-जमा कतिह कछु नािहं, चाहक अिछ भरमार औ॥...॥िवमल “िवभूित” दऽ के बाबा, क िवलटल उपकार औ।होयत हँसारित जगमे बाबा, िवर सरकार औ॥औढ़रदानी अथ र् घटे निहं, एतविह अिछ दरकार औ।आशुतोष-औढ़रदानी भऽ, भक क उार औ॥...॥१. रामभरोस कापड़ि◌ २. रोशन जनकपुरी ३.पंकजपराशर१.रामभरोस कापड़ि◌गजलकिरछौ ंह मेघके फाटब, एखन बा ँकी अिछचम्कैत िबजलै ँकाके सैंतब, एखन बा ँकी अिछउठैत अिछ ब ुलब ुा फूिट जाइछ था बिन99


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्पािनके अड़◌ाबे से सागर, एखन बा ँकी अिछबहैत पािनआओ िकनार कतौ खोजत अगम अथाह सान, एखन बा ँकी अिछफाटत जे छाती सराबोर हएत द ु िनया ँ “मर”ई िझसी आ बरखा लय, एखन बा ँकी अिछ।डर लगैए२.रोशन जनकपुरीनािच रहल िगरिगिटया कोना, डर लगैएसा ँच झ ूठमे िझिझरकोना, डर लगैएकफन पिहर लोक घ ुमए एर ओमहरशहर बनल मरघटके िबछौना, डर लगैएहमरे बलपर पहु ँचल अिछ जे संसदमेहमरे पढ़◌ाबे डोढ़◌ा-पौना, डर लगैएआङनमे अिछ गुिर रहल कागजके बाघघर घरमे अिछ रोहिट-का, डर लगैएआ ँ िख खोिल पढ़ि◌सकी तऽ पढ़ि◌यौ आज ुक पोथीघेँटकीसँ भरल अिछ पा, डर लगैए100


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्चल ू िमलाबी डेग बढ़◌ैत आग ूक डेगसँआब किरयौ एहन बहा, डर लगैए३.ड◌ॉ पंकज पराशरी ड◌ॉ. पंकज पराशर (१९७६- )। मोहनपुर, बलवाहाटचपरा ँव कोठी, सहरसा। ारिक िशक्षासँ ातक धिर गाम आऽ सहरसामे। फेर पटना िविवालयसँएम.ए. िहीमे थम णीमे थम ान। जे.एन.य.,िदीसँू एम.िफल.। जािमया िमिलया इािमयासँटी.वी.पकािरतामे ातकोर िडोमा। मैिथली आऽ िहीक ितित पिका सभमे किवता, समीक्षाआऽ आलोचनाक िनब ंध कािशत। अंजीसँ िहीमे ◌ॉद लेवी स्◌ॉस, एबहाडर् िफशर, हकु शाहआ ूस चैटिवन आिदक शोध िनबक अवाद। ’गोवध और अंज’ नामसँ एकटा तं पोथीकअंजीसँ अवाद। जनसामे ’दिनया ु मेरे आगे’ ंभमे लेखन। रघ ुवीर सहायक सािहपरजे.एन.य.सँ ू पी.एच.डी.।पएरबेमायसँ का ंट बनलजकरा लेल निह ज ुड़ल किहयोकेह सन पनहीनिह िकआ ंनिह दनही२.चाननक ठोप लगौ कहैत छिथन पंिडतजीमुँहसँ ाण आ पएरसँ श ूोिक कथाएकटा केर उगललआ दोसर केर मद र्नक कथा101


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्३.बाध-बोन, खा-ख ुीबाजार-हाटसँ गाम-गमाइतबौआइत कतय-कतय निह जाइत अिछ पएरमुदा पाहुन बनल भिर पोख -छओपबैत अिछ मुँहें टा४.पएर द ुीक कथा कहैतकतेक मध ुराह भऽ जाइत छिनआइ-माइक बोलआ अपन मथद ुीक थाकेँमोँमे कौ रिह जाइत छिथनसासुक पएर जँतैतसोहाग-सुिर बहुआिसनिहसाबिहसाब किहते देरी ठोरपरउताहुल भेल रहैत अिछिकताब102


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्जे भिर िजनगी लगबैत रहैत छिथराइ-राइ के िहसाब-दिनया-जहानसँ ुफराक बनलअंततः बिन जाइत छिथिहसाबक िकताबसरकारएक ता चाउर म ँगबा लेल अंग-अंग बौआइत बाबीलोकतंक महान (!) “मतदान पव” र् िदन सेहोउपासले जाइत छिथ वोट खसाबऽ लेल ब ु ढ़◌ािरयोमे मरौत काढ़ँकोन सरकार बत अिछ बड़का नगरमे?कतयसँ अबैत अिछ एतेक रास पुिलस-दारोगा?एतेक हरबा-हिथयार एतेक रास घरतोड़◌ा मशीन?एतेक रास चसकल राकस सबहक झ ु ंड?जे कोनटा-फरकामे हहारोह मचौिनधोख ौंत लगबैत अिछ घरढुीक िनिमबाबीक एकमा पु मुइलिन हैजा-फौतीमेजमीन गेलिन कोशी बामे- भेटलिन द ूध महक दाढ़◌ी103


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्आ बाबी रहलीह सब िदन छुक-छुेपिछला एक माससँ खक सरकार सबकेँव ृा पे ंशनक लेल िनहोरा करैत बाबीकाि मुिखये लग बकी लगाकेँ अपन हँसुलीकोनहुना कयलिन व ृा पे ंशनक जोगाड़आ उपासल पेटक ओिरयाओनमुिखया सरकार, सरपंच सरकार, गामक सबटा नमधोितया सरकारअओ सरकार! कथी लेल पुछैत छीकोन कलमसँ िलखैत छी आइयो ओिहनािनधोख हमरा सबहक कपार?१.वैकु झा २. िहमा ंशु चौधरीी बैकु झा,िपता-गीर्य रामच झा, ज-२४ - ०७ -१९५४ (ाम-भरवाड़◌ा, िजला-दरभंगा),िशक्षा-ाोर (अथ र्शास्),पेशा- िशक्षक।मैिथली, िही तथा अंजी भाषा मे लगभग २०० गीत कऽ रचना। गोन ू झा पर104


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्आधािरत नाटक ''हािशरोमिण गोन ू झा तथा अ कहानी कऽ लेखन। अिह केअलावा िही मे लगभग १५ उपास तथा कहानी के लेखन।धोखा (१७.०९.९१)दिनया ु ँ तँ ई धोखा अिछउर दिक्षण प ूरब पिमऊिग रहल पिनसोखा अिछ। दिनया ु ... ँकौआ कर र्-कर र् करकराय रहल,आ ँगनमे धान सुखाय रहल।पेपर रेिडयो टी.वी.परतहु ँ तँ शोर मचाय रहल।हो िजा मुदा र् गाय-महीशव ृा-पे ंशन हो या खरात-हर ठाम कमीशन खाय रहल,हँिस-हँिस कय गाल बजाय रहल।आज ुक युग के ई शोभा अिछ,ई मान बराईक भा अिछ। दिनया ु .. ँदिनया ु ँमे अिछ सब चोर-चोर,जकरा िहा नई ं भेंिट रहल-मचबै सगरो तऽ वैह शोर।काटय केउ से अिरयामे,ल ूटय तऽ केउ इजोिरयामे105


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्केउ ठूसय हीरा वोिरयामेबूक बत अिछ गोिहयामेअिछ सबहक सरदार िसपाहीऊठय िनि ओढ़ढ़ि◌यामेईमान जतय घर टाटक अिछई महल अटारी पापक अिछदिनया ु ँ तँ ई धोखा अिछप ूरब पिम उर दिक्षणऊिग रहल पिनसोखा।(१६.०९.९१)िलखलौ ं कतेक प कर जोिर जोिर कऽब ूझब ओ छल रक जगहकेँ छोड़ि◌-छोड़ि◌ कऽिलखलौ...ंझहरै तऽ ब ू ँद सावनमे, ख ुब झ ू िम-झ ू िम कऽबरसै तऽ र िनत, कपोल चूिम-चूिम कऽिलखलौ...ंमुरझाय बन तराग बाग तऽ ओ गृमे,पावस उम ंग घोिर रहल, आईपवनमे,िलखईत छी पाित ँ हम, ई कलम बोिर-बोिर कऽ।106


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्िलखलौ ं कतेक...भेटत नम ब ू ँद फेर, जखन िहम जे िपघिल जैत,आओत कोना ओ बाढ़ि◌ औ! सिरता सेहो सुखैतई िलिख रहल छी आई, आ ँ िख फोड़ि◌-फोड़ि◌ कऽ।िलखलौ ं कतेक...तोिर-गेिर-तोिर कऽमुहतमे तऽ तरपब भामे िलखला भुसबकेरही जौ ं द ूर ियतमसँ सजाये मौत त ओ िथक। रही...२यक्षक िवरह छल वष र्केँ जनलक जगत सगरो-जहा ँ वषो र् िवरह के बात छै-वनवास त ओ िथक। जहा...२ँई उपवन ओ िशखा पव र्त आ कल-कल बिह रहल सिरताअगर अली अिछ नज उपवनमे त सुरता कतय ओ िथक। मुहत...िचतवन हो यिद चंचल आ तनयौवनसँ हो भारीमगर पावसमे पहु परदेश होयौवन कहा ँ ओ िथक।मुहत...107


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्परदेशन-झ ुन बाजय पायल हमर फूजल बाल केशऔ मोर पाहुन धेलहु ँ योिगन वेश।डाढ़ि◌-डाढ़ि◌पर फुद-फुी सभ फुदिक रहल,खढ़-खढ़केँ समिट ब केहन महलकरै पिरम िमल कय द ुन ू नई ं छि को ेश।औ..िबज ुलीसँ चमकै घर, मुदा अिरया यौ।िटम-िटम दीप करै छै ओतय अिरया औिदन गत छी बीित रहल अिछ राित कहा ँ अिछ शेष औ...सीता शि राम सौ जग-ाण बनल।पौलिन जगमे नाम घ ू िम जंगल-जंगल॥महल ािग वनवाश गेलि बना तपिन वेश!औ मोर...जतबय द ुःख हम कहब अहा ँ ततबै ब ुझबैनिहं पहु ँचत जौ ं प अहा ँ निहंये जनबैजड़तै तेल कोना नई ं घरमे पहु जकर परदेश।औ मोर...(२०.१०.९१)108


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<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्हर जोतबाकसहास निह भऽ रहल अिछमानिचसँिहमालक छाह भागल जा रहल अिछपहाड़ आ मधेशमेअार बढ़ल जा रहल अिछपीयर गज ुरक नीचा ँहवाक वेगसँब ुजा र्क घीमेसेहो घ ृणा िचिचया रहल अिछउड़◌ैत परबाक पािखमेँसेहो बाद बाल अिछफिरेमेम ृुदक म बढ़◌ैत गेलासँम ृुक खातामेम ूवान छातीछाउर भेल जा रहल अिछभोर आ राितगभाधान र् कएनाइछोड़ जा रहल अिछ112


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्छीः छीःएहमे िवष व ृक्ष रोपनाइ निहब भऽ रहले अिछ।कला आ संगीत िशक्षािचकार : ोितकेँ wwwpoet . r y. comसँ संपादकक च◌ॉयस अवाडर् (अंजी पकहेतु) भेटल छि। हुनकर अंजी प िकछु िदन धिर wwwpoet . r ysoup. com केर मु प ृ परसेहो रहल अिछ। ोित िमिथला िचकलामे सेहो पार ंगत छिथ आऽ िहनकर िमिथला िचकलाक दश र्नीईिलंग आट र् ुप केर अंतत ईिलंग ◌ॊडवे, लंडनमे दिश र्त कएल गेल अिछ।िमिथला पेंिट ंगक िशक्षा सुी ेता झासँ बसेरा इ ंीूट, जमशेदपुर आऽ लिलतकला तूिलका, साकची,जमशेदपुरसँ। शनल एशोिसएशन फ◌ॉर ब्लाइड, जमशेदपुरमे अवैतिनक पेँ प ूव र्मे अापन।छिठ प ूजापर िवशेष113


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्बालाना ं कृते१.काश झा- बाल किवता २. बालकथा- गजे ठाकुर३. देवीजी: ोित झा चौधरी114


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्काश झा, सुपिरिचत र ंगकमीर्। राष्ीय रक सा ंृितक संा सभक संगकाय र्क अभव। शोध आलेख (लोकना एव ं र ंगम ंच) आऽ कथा लेखन। राष्ीय जूिनयर फेलोिशप,भारत सरकार ा। राजधानी िदीमे मैिथली लोक र ंग महोवक शुआत। मैिथली लोककला आऽसंृितक लेखन आऽ िव फलकपर िवारक लेल ितब। अपन कम र्ठ संगीक संग मैलोर ंगकसंापक, िनदेशक। मैलोर ंग पिकाक सादन। संित राष्ीय ना िवालय, नई िदीक र ंगम ंचीयशोध पिका र ंग-संगक सहयोगी संपादकक पमे काय र्रत।( िमिथलामे सभस’ उपेिक्षत अिछ िमिथलाक भिव ; यानी िमिथलाक बा । मैिथलीभाषामे बाल-ब ुदक लेल िकछु गीतमय रचना अखन तक निह भेल अिछ जकराबा रिटक’ हरदम गावे-गुनगुनावे जािहसँ बा मीमे रहै आ ओकर मानिसकिवकास दृढ़ हुऎ । एिह ठाम ुत अिछ बौआ-बाक लेल िकछु बाल किवता । )१. काश झाबाल-ब ुदकक लेल किवतािच: ीित ठाकुरिचड़◌ै/जानवर115


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्सुा, मेना, कौआ, बगरा,िचड़◌ै-चुनमुन के नाम छै ।गैया, बरद, िबलाड़ि◌, कुतबासभके दादी पोसै छैकौवाचार पर बैसलौ कार कौआ,कारी खटखट देह कौआ ।क◌ॉव-क◌ॉव कुचरौ कौआ ,रोटी ल’ क’ उड़तौ बौआ ॥116


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्सुाहिरयर सुा िपजड़◌ामेराम राम रटै छै ।कुतिर-कुतिर क’ ठोर स’िमरचाई लोंिगया खाई छै ॥मेघकारी-कारी मेघ लगै छै,झर-झर िझी झहरै छै ।लक-लक लौका लौकै छै,झमझम-झमझम बरसै छै ।फह-फह फूँही पड़◌ै छै,टपटप-टपटप टपकै छै ।117


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्दीयाबातीसुक-सुकराती दीयाबाती, दादी स ूप िपटतै ।छुड़छुड़◌ी, अनार, िमरचैया, खूब फटा फोड़बै ।जगमग जगमग दीप जराक’ हुा लोली भँजबै ।नानीमा ँ के मा ँ हमरे नानी,मामा के मा ँ हमरे नानी ।मौसी के मा ँ हमरे नानी,िखा सुनाबै हमरा नानी ।२. बालकथा- गजे ठाकुरबड़ सख सार पाओल तुअ तीरे118


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्िच ोित झा चौधरीिमिथलाक राजाक दरबारमे रहिथ बोिध काय। राजा दरमाहा देिथतािहसँ गुजर बसर होइत छलि बोिध कायक। दोसाराक ित िहंसा,दोसरक स्ी वा धनक लालसा एिह सभसँ भिर ज द ूर रहलाह बोिधकाय। आजीिवकासँ अितिर जे रािश भेटि से दान-पुमे खरचाभऽ जाइत छलि। भोलाबाबाक भ छलाह।जेना सभकेँ बढ़◌ापा ु अबैत छैक तिहना बोिध कायक म ृु सेहो हुनकरिनकट अएलि आऽ ओऽ घर-ार छोड़ि◌ गंगा-लाभ करबाक लेल घरसँिनकिल गेलाह। जखन गंगा धार अदहा कोसपर छलीह तखन परीक्षाकलेल बोिध काय गंगाकेँ सोिधत कए अपनाकेँ पिव करबाक अरोधकएलि। गंगा माय तट तोड़ि◌ आिब बोिध कायकेँ अपनामे समािहतकएलि। बोिध कायकेँ सोझे भेटलि।बोिध काय िवापितसँ प ूव र् भेल छलाह कारण ई घटना िवापित रिचतसंृत ंथ पुष-परीक्षामे विण र्त अिछ। फेर िवापित अपन मैिथली119


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्पद बड़ सुख सार पाओल तुअ तीरे िलखलि- आऽ बोिध-काय जेका ँगंगा लाभ कएलि।३. देवीजी: ोित झा चौधरीदेवीजी :िच ोित झा चौधरीदेवीजी : बाल-िदवस१४ नवर कऽ बाल िदवस समारोह छल। अिह िदन गामक िवालयमे िवशेषआयोजन कैल गेल छल।सब अापक अािपका सब िमिलकऽ बा सबलेल सा ंृितककाय र्म ुत कऽ रहल छलैथ। देवीजी बा सबके ईरक प मात बहुतसुर गीत सुली। ओ कहलिथ जे बा सब देशक भिव होइत छिथ । तै ंहुा सबके अपन िजेवारीक अभव रहैके चाही। बेकार मे समय न केनाईछोड़ि◌ ान सऽ पढ़◌ाई कऽ अपन िवालय व अपन अिभभावक के गिव र्त करैके120


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्चाही। जे िवाथीर् पढ़◌ाईके समयमे मज़◌ा करैमे रहैत छैथ ितनका भिवमेकानऽ पड़◌ैछैथ।छैन आऽ जे िवाथीर् जीवनमे िमहनत करै छैथ से भिवमे सुख करैतकर बाद धानाापक अिह बातक उेख केला जे ग◌ॉ◌ंधीवादी िवचार सऽउत्िरत महान तंता सेनानी एवम ् तं भारतके थम धानम ंी पंिडत जवाहरलाल ह जी के बा सबसऽ बहुत म छलैन। तै ं हुनक जिदवस के भारतमेितवष र् बाल िदवसके पमे मनाओल जाइत छै। हजी के ेहसऽ चाचा हकहल जाइत छलैन। हुनक ज १४ नवर १८८९ के िदन आ म ृु २७ मई १९६४ केिदन भेल रहैन । ओ सबसऽ ला अविध तक भारतक धानम ंीक पद पर रहलैथ।हलािक ं य ूनाइटेड श २० नवर के युिनवस र्ल िचल् डे के पमे घोिषतके अिछ लेिकन बहुत देश अलग ितिथ कऽ ई मनाबैत छैथ। जेनािक चीन आऽहा ंगका ंगमे ४ अिल कऽ मेिकोमे ३० अिल कऽ जापानमे ५ मई क तथामलेिशयामे 1 अूबर कऽ बाल िदवस मनायल जाएत अिछ।बा लोकिन ारा रणीय ोक१.ातः काल मुहूर् (स ूयो र्दयक एक घंटा पिह) सव र्थम अपन द ुन ू हाथ देखबाकचाही, आ’ ई ोक बजबाक चाही।करा वसते लीः करमे सरती।करम ूले ितो ा भाते करदश र्नम ्॥करक आगा ँ ली बसैत छिथ, करक ममे सरती, करक म ूलमे ा ित छिथ।भोरमे तािह ारे करक दश र्न करबाक थीक।२.संा काल दीप लेसबाक काल-दीपम ूले ितो ा दीपमे जनाद र्नः।दीपा शरः ोक्ः साोितन र्मोऽुते॥दीपक म ूल भागमे ा, दीपक मभागमे जनाद र्न (िवु) आऽ दीपक अ भागमेशर ित छिथ। हे संाोित! अहा ँकेँ नमार।121


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्३.सुतबाक काल-राम ं ं हन ूमं वैनतेय ं व ृकोदरम ्।शय यः रेिं द ुः नित॥जे सभ िदन सुतबासँ पिह राम, कुमारामी, हन ूमान, ् गड़ आऽ भीमक रण करैतछिथ, हुनकर द ुः न भऽ जाइत छि।४. नहेबाक समय-गे च यमु चैव गोदाविर सरित।नम र्दे िसु कावेिर जलेऽिन ् सििध ं कु॥हे गंगा, यमुना, गोदावरी, सरती, नम र्दा, िसु आऽ कावेरीअपन साि िदअ।धार। एिह जलमे५.उर ं यमु िहमाेैव दिक्षणम ्।वष ं र् तत् भारतं नाम भारती य सितः॥समुक उरमे आऽ िहमालयक दिक्षणमे भारत अिछ आऽ ओतुका सित भारतीकहबैत छिथ।६.अहा ौपदी सीता तारा मोदरी तथा।पकं ना रेिं महापातकनाशकम ्॥जे सभ िदन अहा, ौपदी, सीता, तारा आऽ मदोदरी, एिह पा ँच साी-स्ीक रणकरैत छिथ, हुनकर सभ पाप न भऽ जाइत छि।७.अामा बिला र्सो हन ूमा ं िवभीषणः।कृपः परशुराम सैते िचरीिवनः॥अामा, बिल, ास, हन ूमान ् , िवभीषण, कृपाचाय र् आऽ परशुराम- ई सात टा िचरीवीकहबैत छिथ।122


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्८.साते भवतु सुीता देवी िशखर वािसनीउन तपसा लो यया पशुपितः पितः।िसिः साे सतामु सादा ध ूजर्टेःजावीफेनलेखेव यूिध शिशनः कला॥९. बालोऽहं जगदान न मे बाला सरती।अप ू र् पंचमे वषे र् वण र्यािम जगत्यम ् ॥इ ं िश-मैिथली कोष मैिथली-इ ं िश कोषइिश-मैिथली ंकोष ोजेकेँ आग ू बढ़◌ाऊ, अपन सुझाव आऽ योगदान ई-मेलारा ggaj endr a@ yahoo. co. i n वा ggaj endr a@ vi deha. co. i n परपठाऊ।मैिथली-इिश ं कोष ोजेकेँ आग ू बढ़◌ाऊ, अपन सुझाव आऽ योगदान ई-मेलारा ggaj endr a@ yahoo. co. i n वा ggaj endr a@ vi deha. co. i n परपठाऊ।भारत आऽ पालक मैिथली भाषा-वैज्ञािनक लोकिन ारा बनाओल मानक श ैलीमैिथलीक मानक लेखन-श ैली१.मैिथली अकादमी, पटना आऽ २.पालक मैिथली भाषा वैज्ञािनक लोकिन ारा बनाओलमानकश ैली।१.मैिथली अकादमी, पटना ारा िनधािरत र् मैिथली लेखन-श ैली1. जे श मैिथली-सािहक ाचीन कालसँ आइ धिर जािह वर्नीमे चिलत अिछ, सेसामातः तािह वर्नीमे िलखल जाय- उदाहरणाथ र्-ाएखनठाम123


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्जकर,तकरतिनकरअिछअाअखन,अखिन,एखेन,अखनीिठमा,िठना,ठमाजेकर,तेकरितनकर।(वैकिक पेँ ा)ऐछ, अिह, ए।2. िनिलिखत तीन कारक प वैिपकतया अपनाओल जाय:भ गेल, भय गेल वाभए गेल। जा रहल अिछ, जाय रहल अिछ, जाए रहल अिछ। कर’ गेलाह, वाकरय गेलाह वा करए गेलाह।3. ाचीन मैिथलीक ‘’ िनक ानमे ‘न’ िलखल जाय सकैत अिछ यथा कहलिन वाकहलि।4. ‘ऐ’ तथा ‘औ’ ततय िलखल जाय जत’ तः ‘अइ’ तथा ‘अउ’ सदृश उारणइ हो। यथा- देखैत, छलैक, बौआ, छौक इािद।5. मैिथलीक िनिलिखत श एिह पे यु होयत:जैह,सैह,इएह,ओऐह,लैह तथादैह।6. ह्र् इकारा ंत शमे ‘इ’ के लु करब सामातः अा िथक। यथा- ादेिख आबह, मािलिन गेिल (म मामे)।7. तं ‘ए’ वा ‘य’ ाचीन मैिथलीक उरण आिदमे तँ यथावत राखल जाय,िकं तु आधिनक ु योगमे वैकिक पेँ ‘ए’ वा ‘य’ िलखल जाय। यथा:- कयल वाकएल, अयलाह वा अएलाह, जाय वा जाए इािद।8. उारणमे द ू रक बीच जे ‘य’ िन तः आिब जाइत अिछ तकरा लेखमे ानवैकिक पेँ देल जाय। यथा- धीआ, अढ़◌ैआ, िवआह, वा धीया, अढ़◌ैया, िबयाह।9. सानािसक तं रक ान यथासंभव ‘ञ’ िलखल जाय वा सानािसक र। यथा:-मैञा, किनञा, िकरतिनञा वा मैआ, ँ किनआ, ँ िकरतिनआ ँ।124


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्10. कारकक िवभिक्क िनिलिखत प ा:-हाथकेँ , हाथसँ, हाथेँ, हाथक, हाथमे।’मे’ मे अार सव र्था ा िथक। ‘क’ क वैकिक प ‘केर’ राखल जा सकैतअिछ।11. प ूव र्कािलक ियापदक बाद ‘कय’ वा ‘कए’ अय वैकिक पेँ लगाओल जासकैत अिछ। यथा:- देिख कय वा देिख कए।12. मा ँग, भा ँग आिदक ानमे माङ, भाङ इािद िलखल जाय।13. अर् ‘न’ ओ अर् ‘म’ क बदला असार निह िलखल जाय, िकं तु छापाक सुिवधाथ र्अर् ‘ङ’ , ‘ञ’, तथा ‘ण’ क बदला अारो िलखल जा सकैत अिछ। यथा:- अ,वा अंक, अल वा अंचल, क वा कं ठ।14. हलंत िच िनयमतः लगाओल जाय, िकं तु िवभिक संग अकारा ंत योग कएलजाय। यथा:- ीमान, ्िकं तु ीमानक।15. सभ एकल कारक िच शमे सटा क’ िलखल जाय, हटा क’ निह, संयु िवभिकहेतु फराक िलखल जाय, यथा घर परक।16. अनािसककेँ चिबु ारा कयल जाय। पर ंतु मुणक सुिवधाथ र् िह समानजिटल माा पर अारक योग चिबुक बदला कयल जा सकैत अिछ। यथा-िहँ केर बदला िहं।17. प ूण र् िवराम पासीसँ ( । ) स ू िचत कयल जाय।18. सम पद सटा क’ िलखल जाय, वा हाइफेनसँ जोड़ि◌ क’ , हटा क’ निह।19. िलअ तथा िदअ शमे िबकारी (ऽ) निह लगाओल जाय।20. अंक देवनागरी पमे राखल जाय।21.िकछु िनक लेल नवीन िच बनबाओल जाय। जा' ई निह बनल अिछ ताबत एिहद ुन ू िनक बदला प ूव र्वत् अय/ आय/ अए/ आए/ आओ/ अओ िलखल जाय। आिक ऎ वाऒ सँ कएल जाय।ह./- गोिव झा ११/८/७६ ीका ठाकुर ११/८/७६ सुरे झा "सुमन" ११/०८/७६125


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्२.पालक मैिथली भाषा वैज्ञािनक लोकिन ारा बनाओल मानक श ैलीमैिथलीमे उारण तथा लेखनं्््र्र्ुर्र्१.पमाक्षर आ अार: पमाक्षरात ङ, ञ, ण, न एव म अबैत अिछ। संृतभाषाक असार शक अमे जािह वक अक्षर रहैत अिछ ओही वक पमाक्षरअबैत अिछ। जेना-अ (क वक रहबाक कार अमे ङ् आएल अिछ।)प (च वक रहबाक कार अमे ञ् आएल अिछ।)ख (ट वक रहबाक कार अमे ण आएल अिछ।)सि (त वक रहबाक कार अमे न आएल अिछ।)ख (प वक रहबाक कार अमे म आएल अिछ।)उपयु र् बात मैिथलीमे कम देखल जाइत अिछ। पमाक्षरक बदलामे अिधका ंशजगहपर अारक योग देखल जाइछ। जेना- अंक, पंच, खंड, संिध, खंभआिद। ाकरणिवद पित गोिव झाक कहब छिन जे कव, चव आ टवसँ प ूवअार िलखल जाए तथा तव आ पवसँ प ूव पमाक्षरे िलखल जाए। जेना-अंक, चंचल, अंडा, अ तथा कन। मुदा िहीक िनकट रहल आधिनक लेखक एिहबातकेँ निह मात छिथ। ओलोकिन अ आ कनक जगहपर सेहो अंत आ कं पनिलखैत देखल जाइत छिथ।नवीन पित िकछु सुिवधाजनक अव छैक। िकएक तँ एिहमे समय आ ानक बचतहोइत छैक। मुदा कतोकबेर हलेखन वा मुणमे अारक छोटसन िबु निह भेलासँ अथ र्क अनथ होइत सेहो देखल जाइत अिछ। अारक योगमेउारण-दोषक सावना सेहो ततबए देखल जाइत अिछ। एतदथ कसँ लऽकऽपवधिर पमाक्षरेक योग करब उिचत अिछ। यसँ लऽकऽ ज्ञधिरक अक्षरक सअारक योग करबामे कतहु को िववाद निह देखल जाइछ।२.ढ आ ढ़ : ढ़क उारण “र ् ह”जका ँ होइत अिछ। अतः जतऽ “र ् ह”क उारणहो ओतऽ मा ढ़ िलखल जाए। आनठाम खािल ढ िलखल जएबाक चाही। जेना-ढ = ढाकी, ढेकी, ढीठ, ढेउआ, ढ, ढेरी, ढाकिन, ढाठ आिद।ढ़ = पढ़◌ाइ, बढ़ब, गढ़ब, मढ़ब, बढ़बा, ु सा ँढ़, गाढ़, रीढ़, चा ँढ़, सीढ़◌ी, पीढ़◌ी आिद।उपयु र् शसभकेँ देखलासँ ई होइत अिछ जे साधारणतया शक शुमे ढ आम तथा अमे ढ़ अबैत अिछ। इएह िनयम ड आ ड़क सभर् सेहो लाग ू होइतअिछ।३.व आ ब : मैिथलीमे “व”क उारण ब कएल जाइत अिछ, मुदा ओकरा ब पमे126


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्निह िलखल जएबाक चाही। जेना- उारण : बैनाथ, िबा, नब, देबता, िबु, ब ंश,बना आिद। एिहसभक ानपर मशः वैनाथ, िवा, नव, देवता, िवु, व ंश,वना िलखबाक चाही। सामातया व उारणक लेल ओ योग कएल जाइत अिछ।जेना- ओकील, ओजह आिद।४.य आ ज : कतहु-कतहु “य”क उारण “ज”जका ँ करैत देखल जाइत अिछ, मुदाओकरा ज निह िलखबाक चाही। उारणमे यज्ञ, जिद, जमुना, ज ुग, जाबत, जोगी,जद, ु जम आिद कहल जाएवला शसभकेँ मशः यज्ञ, यिद, यमुना, युग, याबत,योगी,यद, ुयम िलखबाक चाही।ू ५.ए आ य : मैिथलीक वतर्नीमे ए आ य द ुन िलखल जाइत अिछ।ाचीन वतर्नी- कएल, जाए, होएत, माए, भाए, गाए आिद।नवीन वतर्नी- कयल, जाय, होयत, माय, भाय, गाय आिद।सामातया शक शुमे ए मा अबैत अिछ। जेना एिह, एना, एकर, एहन आिद।एिह शसभक ानपर यिह, यना, यकर, यहन आिदक योग निह करबाक चाही।यिप मैिथलीभाषी थासिहत िकछु जाितमे शक आरोमे “ए”केँ य किह उारणकएल जाइत अिछ।ए आ “य”क योगक योगक सभर्मे ाची पितक असरण करब उपयु मािनएिह पुकमे ओकरे योग कएल गेल अिछ। िकएक तँ द ुन ूक लेखनमे कोसहजता आ द ुहताक बात निह अिछ। आ मैिथलीक सव र्साधारणक उारण-श ैली यकअपेक्षा एसँ बेसी िनकट छैक। खास कऽ कएल, हएब आिद कितपय शकेँ कैल, हैबआिद पमे कतहु-कतहु िलखल जाएब सेहो “ए”क योगकेँ बेसी समीचीन मािणतकरैतअिछ।६.िह, हु तथा एकार, ओकार : मैिथलीक ाचीन लेखन-पररामे को बातपर बलदैत काल शक पाछा ँ िह, हु लगाओल जाइत छैक। जेना- हुनकिह, अपनहु, ओकरहु,तालिह, चोिह, आनहु आिद। मुदा आधिनक ु लेखनमे िहक ानपर एकार एव ं हुकानपर ओकारक योग करैत देखल जाइत अिछ। जेना- हुनके, अप, ताले,चोे, आ आिद।७.ष तथा ख : मैिथली भाषामे अिधका ंशतः षक उारण ख होइत अिछ। जेना-ष (खड़य), षोडशी (खोड़शी), षट्कोण (खटकोण), व ृषेश (व ृखेश), सोष(सोख)आिद।८.िन-लोप : िनिलिखत अवामे शसँ िन-लोप भऽ जाइत अिछ:(क)ियायी य अयमे य वा ए लु भऽ जाइत अिछ। ओिहमेसँ पिह अकउारण दीघ र् भऽ जाइत अिछ। ओकर आगा ँ लोप-स ूचक िच वा िवकारी (’ / ऽ)127


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र् ँलगाओल जाइछ। जेना-प ूण प : पढ़ए (पढ़य) गेलाह, कए (कय) लेल, उठए (उठय) पड़तौक।अप ूण प : पढ़’ गेलाह, क’ लेल, उठ’ पड़तौक।पढ़ऽ गेलाह, कऽ लेल, उठऽ पड़तौक।(ख)प ूव र्कािलक कृत आय (आए) यमे य (ए) लु भऽ जाइछ, मुदा लोप-स ूचकिवकारी निह लगाओल जाइछ। जेना-प ूण प : खाए (य) गेल, पठाय (ए) देब, नहाए (य) अएलाह।अप ूण प : खा गेल, पठा देब, नहा अएलाह।(ग)स्ी य इक उारण ियापद, संज्ञा, ओ िवशेषण तीन ूमे लु भऽ जाइतअिछ।जेना-प ूण प : दोसिर मािलिन चिल गेिल।अप ूण प : दोसर मािलन चिल गेल।(घ)वतर्मान कृदक अिम त लु भऽ जाइत अिछ। जेना-प ूण प : पढ़◌ैत अिछ, बजैत अिछ, गबैत अिछ।अप ूण प : पढ़◌ै अिछ, बजै अिछ, गबै अिछ।(ङ)ियापदक अवसान इक, उक, ऐक तथा हीकमे लु भऽ जाइत अिछ। जेना-प ूण प: िछयौक, िछयैक, छहीक, छौक, छैक, अिबतैक, होइक।अप ूण प : िछयौ, िछयै, छही, छौ, छै, अिबतै, होइ।(च)ियापदीय य , हु तथा हकारक लोप भऽ जाइछ। जेना-प ूण प : छि, कहलि, कहलहु ँ, गेलह, निह।अप ूण प : छिन, कहलिन, कहलौ, गेलऽ, नइ, निञ, ।९.िन ानारण : को-को र-िन अपना जगहसँ हिटकऽ दोसरठाम चिलजाइत अिछ। खास कऽ इ आ उक समे ई बात लाग ू होइत अिछ।मैिथलीकरण भऽ गेल शक म वा अमे जँ इ वा उ आबए तँ ओकर िनानािरत भऽ एक अक्षर आगा ँ आिब जाइत अिछ। जेना- शिन (शइन), पािन(पाइन), दािल ( दाइल), मािट (माइट), काछु (काउछ), मासु(माउस) आिद। मुदातम शसभमे ई िनयम लाग ू निह होइत अिछ। जेना- रिकेँ रइ आ सुधा ंशुकेँसुधाउं स निह कहल जा सकैत अिछ।१०.हल(◌्)क योग : मैिथली भाषामे सामातया हल (◌्)क आवकता निहहोइत अिछ। कारण जे शक अमे अ उारण निह होइत अिछ। मुदा संृतभाषासँ जिहनाक तिहना मैिथलीमे आएल (तम) शसभमे हल योग कएल जाइतअिछ। एिह पोथीमे सामातया सूण र् शकेँ मैिथली भाषासी िनयमअसारहलिवहीन राखल गेल अिछ। मुदा ाकरणसी योजनक लेल अावक ानपरकतहु-कतहु हल देल गेल अिछ। ुत पोथीमे मिथली लेखनक ाचीन आ नवीन128


ँ<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्द ुन ू श ैलीक सरल आ समीचीन पक्षसभकेँ समेिटकऽ वण र्-िवास कएल गेल अिछ। ानआ समयमे बचतक सिह ह-लेखन तथा तकिनकी दृ िसँ सेहो सरल होबऽवलािहसाबसँ वण र्-िवास िमलाओल गेल अिछ। वतर्मान समयमे मैिथली माभाषीपय र्केँआन भाषाक मामसँ मैिथलीक ज्ञान लेबऽ पड़ि◌रहल पिरमे लेखनमे सहजतातथा एकपतापर ान देल गेल अिछ। तखन मैिथली भाषाक म ूल िवशेषतासभकुित निह होइक, ताहूिदस लेखक-मल सचेत अिछ। िस भाषाशास्ी डा.रामावतार यादवक कहब छिन जे सरलताक असानमे एहन अवा िकह ु आबऽदेबाक चाही जे भाषाक िवशेषता छा ँहमे पिड जाए। हमसभ हुनक धारणाकेँ प ूण र्पसँ स लऽ चलबाक यास कएलह ु अिछ।पोथीक वणिवास र् कक्षा ९ क पोथीसँ िकछु माामे िभ अिछ। िनरर अयन,असान आ िवेषणक कार ई सुधाराक िभता आएल अिछ। भिवमे आनहुपोथीकेँ पिरमािजर्त करैत मैिथली पापुकक वणिवासमे र् प ूण र्पेण एकपताअनबाक हमरासभक य रहत।कक्षा १० मैिथली लेखन तथा पिरमाजर्न महे मलंिगया/ धीरे मिष र् संयोजन-गशसादभराईकाशक िशक्षा तथा खेलकूद मालय, पाम िवकास के,सािठमी, भपुरसवािधकार र् पाम िवकास के एव ं जनक िशक्षा सामी के, सािठमी, भपुर।पिहल संरण २०५८ बैशाख (२००२ ई.)योगदान: िशवसाद साल, जगाथ अवा, गोरखबहाद ुर िसंह, गशसाद भराई, डा.रामावतार यादव, डा. राजे िवमल, डा. रामदयाल राकेश, धमे र् िवल, पा धी,नीरजकण, र्रमेश रनभाषा सादन- नीरज कण, र्पा झाआब १.मैिथली अकादमी, पटना आऽ २.पालक मैिथली भाषा वैज्ञािनक लोकिन ाराबनाओल मानक श ैलीक अयनक उपरा िन िबु सभपर मनन कए िनण र्य क।ा/अा1. होयबला/होबयबला/होमयबला/ हेब’बला, हेम’बलाहोयबाक/होएबाक2. आ’/आऽ आ3. क’ ले/कऽ ले/कए ले/कय ले/ल’/लऽ/लय/लए4. भ’ गेल/भऽ गेल/भय गेल/भए गेल5. कर’ गेलाह/करऽ गेलह/करए गेलाह/करय गेलाह6. िलअ/िदअ िलय’,िदय’,िलअ’,िदय’7. कर’ बला/करऽ बला/ करय बला करै बला/क’र’ बला8. बला वला9. आङ्ल आ ं129


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्10. ायः ायह11. द ुःख द ुख12. चिल गेल चल गेल/चैल गेल13. देलिख देलिक, देलिखन14. देखलि देखलिन/ देखलै15. छिथ/ छलि छिथन/ छलैन/ छलिन16. चलैत/दैत चलित/दैित17. एख अख18. बढ़ि बढि19. ओ’/ओऽ(सव र्नाम) ओ20. ओ (संयोजक) ओ’/ओऽ21. फािग/फािँफाइ ंग/फाइङ22. जे जे’/जेऽ23. ना-कुर ना-कर24. केलि/कएलि/कयलि25. तखन तँ तखनतँ26. जा’ रहल/जाय रहल/जाए रहल27. िनकलय/िनकलए लागल बहराय/बहराए लागल िनकल’/बहरै लागल28. ओतय/जतय जत’/ओत’/जतए/ओतए29. की फूड़ल जे िक फूड़ल जे30. जे जे’/जेऽ31. कूिद/यािद(मोन पारब) कूइद/याइद/कूद/याद32. इहो/ओहो33. हँसए/हँसय हँस’34. आिक दस/ िकं वा दस/ वा दस35. सासु-ससुर सास-ससुर36. छह/सात छ/छः/सात37. की की’/कीऽ(दीघीर्कारामे विजर्त)38. जबाब जवाब39. करएताह/करयताह करेताह40. दलान िदिश दलान िदश41. गेलाह गएलाह/गयलाह42. िकछु आर िकछु और43. जाइत छल जाित छल/जैत छल44. पहु ँिच/भेिट जाइत छल पहु ँच/भेट जाइत छल45. जबान(युवा)/जवान(फौजी)130


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्46. लय/लए क’/कऽ47. ल’/लऽ कय/कएं ँं ँ48. एखन/अख अखन/एख49. अहीकेँअहीकेँ50. गहीरगहीरँ ँू51. धार पार केनाइ धार पार केनाय/केनाए52. जेका जेँ का ँ/जका53. तिहना तेिहना54. एकर अकर55. बिहनउ बहइ56. बिहन बिहिन57. बिहिन-बिहइ बिहन-बहनउ58. निह/59. करबा’/करबाय/करबाए60. त’/त ऽ तय/तए61. भाय भै62. भा ँय63. यावत जावत64. माय मै65. देि/दएि/दयि दि/दैि66. द’/द ऽ/दए67. ओ (संयोजक) ओऽ (सव र्नाम)68. तका’ कए तकाय तकाए69. पैरे (on f oot ) पएरे70. ताहुमे ताहूमे71. पुीक72. बजा कय/ कए73. बननाय74. कोला75. िदका िदनका76. ततिहसँ77. गरबओलि गरबेलि78. बालु बाल79. चे िच(अशु)80. जे जे’81. से/ के से’/के’82. एख ुनका अखका131


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्83. भुिमहार भूिमहार84. सुगर स ूगर85. झठहाक झटहाक86. छूिब87. करइयो/ओ करैयो88. पुबािर पुबाइँ89. झगड़◌ा-झा ँटी झगड़◌ा-झािट90. पएरे-पएरे पैरे-पैरे91. खेलएबाक खेलेबाक92. खेलाएबाक93. लगा’94. होए- हो95. ब ुझल ब ूझल96. ब ूझल (संबोधन अथ र्मे)97. यैह यएह98. ताितल99. अयनाय- अयनाइ100. िन- िन101. िब िबन102. जाए जाइ103. जाइ(i n di f f er ent sense)-l ast wor d of sent ence104. छत पर आिब जाइ105. 106. खेलाए (pl ay) –खेलाइ107. िशकाइत- िशकायत108. ढप- ढ़प109. पढ़- पढ110. किनए/ किनये किन111. राकस- राकश112. होए/ होय होइ113. अउरदा- औरदा114. ब ुझेलि (di f f er ent meani ng- got under st and)115. ब ुझएलि/ ब ुझयलि (under st ood hi msel f )116. चिल- चल117. खधाइ- खधाय118. मोन पाड़लिख मोन पारलिख132


ँ<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्119. कैक- कएक- कइएक120. लग ल’ग121. जरेनाइ122. जरओनाइ- जरएनाइ/जरयनाइ123. होइत124. गड़बेलि/ गड़बओलि125. िचखैत- (t o test)िचखइत126. करइयो(willing to do) करैयो127. जेकरा- जकरा128. तकरा- तेकराु129. िबदेसर ामे/ िबदेसरे ानमे130. करबयलहु ँ/ करबएलहु ँ/करबेलहर्र्131. हािरक (उारण हाइरक)132. ओजन वजन133. आधे भाग/ आध-भागे134. िपचा’/ िपचाय/िपचाए135. नञ/ 136. बा नञ () िपचा जाय137. तखन (नञ) कहैत अिछ।138. कतेक गोटे/ कताक गोटे139. कमाइ- धमाइ कमाई- धमाई140. लग ल’ग141. खेलाइ (for playing)142. छिथ छिथन143. होइत होइ144. ो िकयो145. केश (hai r )146. केस ( cour t -case)147. बननाइ/ बननाय/ बननाए148. जरेनाइ149. कुरसी कुसीर्150. चरचा चचा151. कम करम152. डुबाबय/ डुमाबय153. एख ुनका/ अख ुनका154. लय (वाक अितम श)- ल’155. कएलक केलक133


ंँ<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्156. गरमी गमीर्157. बरदी वदीर्158. सुना गेलाह सुना’/सुनाऽ159. एनाइ-गेनाइ160. तेना घेरलि161. नञ162. डरो ड’रो163. कतहु- कही164. उमिरगर- उमरगर165. भिरगर166. धोल/धोअल धोएल167. गप/ग168. के के’169. दरबा/ दरबजा170. ठामू171. धिर तक172. घिरलौिट173. थोरबेक174. ब175. तोँ/ तू176. तोँिह( पमे ा)177. तोँही/तोँिह178. करबाइए करबाइये179. एकेटा180. किरतिथ करतिथँिचपहु ँच181. पहु182. राखलि रखलि183. लगलि लागलि184. सुिन (उारण सुइन)185. अिछ (उारण अइछ)186. एलिथ गेलिथ187. िबतओ िबते188. करबओलि/ करेलिख189. करएलि190. आिक िक191. पहु ँिचपहु ँच192. जराय/ जराए जरा’ (आिग लगा)134


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्ँ ँ ँ193. से से’194. हा मे हा (हा ँमे हा िवभिक्मे हटा कए)195. फेल फैल196. फइल(spaci ous) फैल197. होयति/ होएति हेति198. हाथ मिटआयब/ हाथ मिटयाबय199. फेका फें का200. देखाए देखा’201. देखाय देखा’202. सिर सर203. साहेब साहब8.VI DEHA FOR NON RESI DENTS81. .Original Mai t hi l i st or y " Si nur har " by Shr i Shi vshankarSrinivas translated into English by GAJ ENDRA THAKUR82. .THE COMET- Engl i sh t r ansl at i on of Gaj endr a Thakur ' sMai t hi l i Novel Sahasr abadhani t ranslated by Jyoti.Sr i Shi vshankar Sr i ni vas ( b. 02. 07. 1953), vi llage-Lohana,Madhubani | Famous st or y wr i t er | Publ i shed wor ks: Tr i kona, adahan,gaachh paat ha ( st or y-col l ect i ons).SI NURHAR( put t i ng v er millon on mar r i ed women by host )I t was occasi on of i nvest i t ur e cer emony of Rambhadr aJha’s son. The f ami ly came t o vi l l age f r om Hyder abad.135


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्Kal yani al so came wi t h t hem.Kal yani was onl y daught erof Rambhadr a j ha,t en year younger was t he son whosei nvest i t ur e cer emony was occasi oned.Kal yani had come , t he di scussi on was t her e al l over t heTol a of vi l l age. That had a r eason. Reason was t hat t heBr ahmi n-daught er r e-mar r i ed af t er bei ng wi dowed.She hascome t o vi l l age!And t hat f or par t i ci pat i ng i n t hei nvest i t ur e cer emony? That has r eason of amazement .Those member s of Tol a among whom wi dow-remar r i age wasper mi ssi bl e were al so amazed! Di f f er ent t ypes of gossi pwas i n vogue. Much gossi p was among t he women f ol k.Al ongwi t h di f f er ent ar gument s and l ogi cal deduct i ons t hemaj or poi nt of di scussi on t ur ned t owar ds her gr oom.Someone was t al ki ng-“Gr oom i s excel l ent . Smi ling face.”Second one aski ng-“To whi ch cast e you bel ong.”On t hat t hi r d one t el l i ng-“what ever be,when mar r i ed wi t ha wi dow i t sel f , t hen what ever he be.”“what t ype of j ob you do?”“He i s i n Bank .”“Then i ti s good.”“What ever be, Kal yani woul d r emai n happy.”I n t hat way di f f er ent t ypes of t al k and gossi p waspr evai l i ng i n soci et y.Kal yani ’s t hi s t ype of mar r i age was not somet hi ng t hatwas never -happened i nci dent but f or t hi s l i neage i t wascer t ai nl y a new t ype event .That marriage was solemnized not in village but inHyder abad. Rambhadr a i s working there,lives their withfamily.136


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्Kal yani ’s f i rst mar r i age was sol emni zed f i ve year ’s ago,weddi ng t ook pl ace i n vi l l age onl y.Wi th much pomp andgai t y.Good gr oom of a r espect abl e f ami l y but t he l uckwas not i n f avour . Onl y af t er f our mont hs t he gr oom di edi n a r ai l acci dent . Di ed on spot . Rambhadr a al ongwi t h hi sfami l y was at vi l l age i t sel f . Upheaval l i ke si t uat i onar ose as soon as t he news came . The whol e f ami ly dippedinto mour ni ng.Under st and t hat t he whol e vi l l age wasweepi ng. Var i egat ed si t uat i on was t hat !Rambhadra Jha did not think to leave Kalyani at villagef or any r eason.Onl y t hr ee day af t er t he i nci dent al ll ef t f or Hyder abad, wer e much cr i t i si sed by soci et y.After some t i me mot her of Kal yani st ar t ed cr eat i ng anenvi r onment i n whi ch Kal yani shoul d under st and t hat hermar r i age i t sel f had never t ook pl ace. What happened,happened. That was l i ke a dr eam. But Kal yani was f i ndi ngi t uneasy t o r emai n st r ai ght . She r emai ned t r embl i ng f orqui t e some t i me . As she was l i vi ng i n Hyder abad t own , t hepl ace has i t s own act i vi t y.A separ at e envi r onment wast hei r t hat st ar t ed const ant l y gi vi ng f r eshness t oKalyani . Slowly-slowly she started getting life.Those days she was st udyi ng i n B. A. , was at t endi ngcollege. One day her classmat e Pr eet a i nt r oduced her toher ( Pr eet a’s) el der br ot her . Fi r st Kal yani wi nced,butPr eet a i mpr essed her sof t l y and sl owl y,gave her ener gyto come out , br eaki ng t he shackl es of nur t ur e. Pr eet a’sfami l y was f r om Ut t ar Pr adesh.Ear l i er t hey wer e al lBr ahmi ns but now f or t hem t her e was no cast e bondage.Forthis mar r i age of choi ce t he whol e f ami l y consent ed.Themat t er got f or war d. Kal yani ’s mot her t ook t he pr oposal i nan ecst at i c way . She al ways want ed t o r e-mar r y Kal yani .She came f orward. The envi ronment of ent husi asm becamear omat i c. Kal yani got married.137


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्The news travelled to Village without delay.Many peopl eof t hi s vi l l age r esi de t her e.Some of t he peopl e came t ovillage during those days. They all told this.In a flashthe news spread over the village. For some t i me gr eatdiscussion ensued and that not only in the village but int he whol e ar ea,but af t er some t i me everything started tobe cal med. Some peopl e spoke t hi s t hi ng-t hat t hi ng butmost t ook i t i n r i ght spi r i t . The same di scussi on has r e-sur f aced when Rambhadr a Jha’s f amily had came her e f orcer emony of investiture with sacred thread.I n Hyder abad, when t he dat e for investiture ceremony wasf i xed t hen i t sel f t he mat t er of i nvi t i ng or not Kal yanicame i n f r ont . I t was amazi ng t hat t he mot her her sel f di dnot want t hat Kal yani shoul d go t o vi l l age.I nt er nal l yshe f ear ed vi l l age peopl e.I n t he mi nd was t he f ear t hatt he peopl e may out cast t hem at t he t i me of investiturecer emony.I n t he cer emoni al r i t ual s t he par t i ci pat i on ofpeopl e i s necessar y and t hen f or ei ght -bhr ahmi n f eastal so peopl e ar e r equi r ed.She put her f ear bef or eKal yani ’s f at her , husband.Rambhadr a was not i n agr eementwi t h wi f e’s vi ewpoi nt . He gave l ogi c- “Even when Kal yaniwoul d not accompany us even t hen peopl e woul d out cast e usi f t hey had deci ded.The mor e we woul d f ear t he mor e t heywoul d t hr eat en.” But t he hear t of wi f e was not sol aced.Rambhadr a Jha kept si l ence t hen.Ti me came near by. One day, i n t he mor ni ng,Rambhadr a wasr eadi ng newspaper . I nqui si t i ve wi f e came and sat near hi m.Rambhadr a knew what she woul d t el l and she t ol d samething- “When you go to office today then return byKal yani ’s house.Tel l her about t he i nvest i t ur e cer emonyof Bauwa and t el l al so t o come wi t h us.How coul d wel eave her ? She i s our chi l d. Bauwa i s si bl i ng of her ’sand t hat al so t he onl y one. She woul d accompany,what everbe…”. Whi l e speaki ng t ear came t o her eyes,coul d notspeak any f ur t her . When i n t he eveni ng he r et ur ned wi f e138


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्asked- “what she answer ed? You went t her e or not ?”Rambhadr a Jha spoke i n pl easant mood- “You know af t erhear i ng t he news she st ar t ed danci ng wi t h exci t ement ,st ar t ed maki ng pr ogr ammes of di f f er ent t ypes.”“And he!” wi f e asked wi t h cert ai n f ear .“who?” Rambhadr a Jha quest i oned.“Son-i n-Law!”“Not ask t hat , on hi s f ace I f el t a di st i nct t ype ofcont ent ment . he i s gem, r eal l y.” Rambhadr a Jha whi l er epl yi ng l ooked at hi s wi f e.He saw t hat expr essi on ofher f ace has changed suddenl y.He f el t t hat wi f e had notbecome happy on t he news of son-in-l aw al so goi ng.Shewant s t o t ake al ong onl y her daught er , but he di d not sayanyt hi ng.That onl y when Rambhadr a Jha and al l came to village,peopl e saw t hat Kal yani and her husband bot h had come.They saw i t , t hen why t hey woul d r emain silent?Gossi pi ng st ar t ed. Di f f er ent t ypes of t al ki ng was i n ai rbut al l was wi t hi n. Rambhadr a di d not get any non-cooper at i on f r om anybody.Not say about t he f east andf east ser ver s.Al l wor k st ar t ed wi t h t he hel p of t hepeopl e. Despi t e get t i ng soci al har mony Kal yani ’s mot herf el t t hat whenever a man or women comes hi s or her eyesl ook f or Kal yani . Look t owar ds Kal yani ’s husband.Feel i ngt hi s she f ear ed peopl e f r om her i nner , f el t edr est l essness. Had i t been i n her capaci t y,had she knownsome magi c-spel l she woul d have t ur ned bot h of t hemi nvi si bl e so t hat t hey woul d see al l wi t hout bei ng seenby anybody. But t hat was not possi bl e f or her . Power l ess ,she woul d st ar t i mbal anci ng.She woul d st ar t t hi nki ngmany t ype of t hi ngs and woul d f ear .139


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्For Kal yani al l t hi s was not hi ng.She was compl et el ynor mal . Her husband was enj oyi ng by bei ng car e-free.Peopl e wer e comi ng,most l y t he daught er s and l adi es andjoke and comic t opi cs t ook r ounds.Kal yani woul d becomehi l ar i ous. The hi ght -pi t ch l aughi ng woul d make mot herst ar t l ed. Li ke hunt er bei ng hi t at her head. Thi nked i nmi nd- “Somebody woul d f eel uneasy at her l augh and woul dst ar t put t i ng hur dl es.She shoul d r emai n cal m anddi sci pl i ned but i t woul d not be.When she woul d go t oHyder abad shoul d l i ve i n what ever way she l i kes.” Aftersomet i me her mi nd started becoming abashed.And one daycoul d not cont r ol and t ol d, “ You woul d not r emai ndi sci pl i ned. You ar e swal l owi ng poi son and sl eepi ng i neast -wind. This is village, that you understand.Peoplemay obj ect t o al l t hi s any t i me , t hi nk of t hat .” Hear i ngmot her ’s t al k Kal yani became sur pr i sed.Seei ng andt hi nki ng of her new f ace she became exhaust ed.Theent husi asm l i ke r i ce-soup st ar t ed cool i ng down . Suddenl yshe became lazy, and likewise time st ar t ed bei ng passed.The wor k r el at i ng t o i nvest i t ur e cer emony of sacr edt hr ead began.The pr epar at i on ensued. The sacr ed Mar ba ( r ost r um)waser ect ed.The cer emony of br i ngi ng cl ay f or auspi ci ousrite was performed. The r ost r um was r epai r ed,smear ed andpol i shed wi t h dung. Then r ost r um was wr i t t en and pai nt ed.The day was t he day bef or e t he sacr ed i nvest i t ur ecer emony.On t hat day was t o be hel d t he sacr ed bat hi ngcer emony.The dr um was bei ng dr ummed and pi pe was bei ngbl own . The pr epar at i on f or wor shi p and i nvocat i on offami l y dei t y was under way.The l adi es ol d and young wer esi ngi ng good-omen songs.The f r agr ance of f est i vi t y hadspr ead al l over . The whol e envi r onment became musi cal .Her e now t he r i t e of Si nur har ( put t i ng ver mi llon onmarried women by host ) was t o be per f or med.The140


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्pr epar at i on was under way f or put t i ng oi l and ver millon byhost t o t he women who t ook par t i n t he cer emony.Thel adi es woul d be gi ven gi f t i n t hei r sar ee and r i ce cookedin mi l k al ongwi t h f r i ed chapat i woul d be gi ven i n t hei rhands.The mar r i ed par t i ci pat es i n t hi s and f eel t hehappi ness about t he wel l -bei ng of t hei r husband,t her ef or e t he near est and dear est r el at i ves ar e cal l edf or t hi s cer emony. So t he boy’s mot her i nvi t ed t he near estcl ans-women. Any newl y-mar r i ed, daught er -br i de woul d notgener al l y come . But why anyone shoul d f eel negl ect ed?Mi nimum f i ve mar r i ed ar e essent i al , i f al l ar e cal l edt hen al so i t woul d be sevent een. She i nvi t ed one and al l .She i nvi t ed al l but among t hem Kal yani ’s name di d notf i gur e. She was not i nvi t ed.The f unct i on of Si nur har was t o be hel d bef or e t he r oomof home-goddess., t he boy’s mot her was busy i nar r angement s. Kal yani was i n east er n house’s sout her npar t i t i on. Kal yani was si t t i ng i n f r ont of wi ndow.Fr omt her e she was hear i ng and l ooki ng ever yt hi ng. The newl y-weds, daught er s, women wer e making line for Sinurhar . Thejoyous mood was al l -over and was resulting in springsof l aught er now and t hen,was enough f or changi ng moodof anyone t o a pl easant one.Onl ooki ng and over hear i ng Kal yani now and t hen wastrembl i ng. She coul d not i magi ne t hat i n Si nur harf unct i on of hi s own br ot her ’s investiture ceremony shewoul d not be pr esent . She st oods and st ands up i n f r ontof mi r r or . Ot her day she woul d f eel shy by l ooki ng at herown i mage. That l ook t oday seemed unr ecogni zabl e.Shet hought - “Why came her e? For what enj oyment ?”Her concent r at i on moved t owar ds her mot her . At once sheremember ed her gr and mot her . By her name she remember smore of silly rituals then of her affection. Everybody,her mot her and aunt i ncl udi ng,wer e i n domi nance of her141


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्di sci pl i nar y r i t ual s! Wh at woul d got t ouched?On whatmat t er she woul d get angr y!Her gr and mot her t houghtt hat t he unmar r i ed and mar r i ed havi ng husband bot h wer econt ami nat ed. She at e f ood cooked by men or wi dow onl y.Among men t he wi dowed wer e al so not debar r ed.She r emember s t hat when she was chi l d, dur i ng herar r i val and depar t ur e t o vi l l age f r om Hyder abad,when shewoul d vi si t ot her ’s home on i nvi t at i on,peopl e woul di ndul ge af t er i ndi cat i ng t owar ds her i n sl ow-voi cetalking. Al t hough she was a l i t t l e chi l d even t hen sheunder st ood t hat t hey had been t al ki ng about her al so.Lat er on she knew t hat t hey wer e t al ki ng about her gr andmot her . Among t he whi sper maker wer e al l t he mar r i edwomen whose husband wer e al i ve.Those days she was nott hat much mat ur e but l at er on she knew t hat i n hersoci et y peopl e r egar d wi dow as bad-omen.So most of t hetime, among t hemsel ves,t hose married women whose husbandwer e al i ve cr i t i ci zed wi dows . They r egar ded t he l ook ofwi dows as bad-omen.No men l ook t owar ds ot her man i n t hi sway nor do t he women l ook t owar ds wi dower i n t hi s manner .Today Kal yani r emember s t he hawk of a st or y of a f owl erwhi ch hunt ed and br ought f owl s f or t he f owl er . Evenl at er on when t he f owl er r emai ned asl eep t hen al so woul dhunt even wi t hout get t i ng any pr ovocat i onThe hawk hunt ed f awl s. She t hought t hat men wer e f owl er sand t he l adi es wer e hawks . The women hunt i ng t he women.She f el t uneasi ness.She f el t t hat somebody has enf l amedher body.See, mot her di d not i nvi t e her ? Who car es.Fr om t hi swhat i s goi ng t o happen? But i n t he i nvest i t ur ecer emony of her br ot her i t sel f she was not i nvi t ed?Notf or any ot her r eason,but si mpl y f or t he sake ofenj oyment , f or f eel i ng t he sat i sf act i on t o havepar t i ci pat ed i n t he f unct i on al ongwi t h t he br i des and142


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्daught er s, t hi s cont i nued haunt i ng her . Not onl y haunt edbut now she f el t awkwar d.Then her eyes moved t owar ds herhusband. He t oo was seei ng t he Si nur har epi sode.She f el twhat her husband had been f eel i ng!At t hen she saw hermot her was comi ng t owar ds her . Her hear t st ar t ed beat ingf ast . The whol e body became l i ght er . She f el t suddenl yt hat she had t r ansf or med i nt o a chi l d.But mot her di dnot come t o her . She st opped at aeves, Kal yani st ood andcame near door , saw t hat her f at her was st andi ng t her e.Kal yani st ood behi nd an obst ruction.“What ar e you aski ng” ? She hear d her mot her aski ng.Hi s f at her sai d- “I am not seei ng Kal yani i n t he Si nur harf unct i on.”“Oh God , You wi l l not get i nt el l i gence ever .” The wi f etold in high-pi t ch and angr i l y.“That ’s how?” The husband al so asked i n hi gh-pi t chedvoi ce.“She i s my daught er . Her f at e was bad t hat we r epai r ed.Wedi d not t hi nk over t he Dhar ma and Adhar ma.” She t ol dangr i l y t o her husband- “Thi s i s a pooj a of home-Goddessfor those mar r i ed whose husband has not di ed.”“But Kal yani is not i n t hat cat egor y.”The Wi fe’s voi ce became harsh- “Not ask any f al se quer i es.Because of her I wi l l not al l ow any wr ong t o happen t omy son.” The wi f e l ef t whi l e r epl yi ng. Rambhadr a Jha’ssenses came t o a hal t .The whol e cour t yar d came t o st andst i l l . Many did not likeKal yani ’s mot her ’s attitude but mer e whi sper i ng and nopr ot est came f or war d. But Kal yani became r est l ess.Hermot her t hi nks of her as bad-omen. Her head f el t l i ke143


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्cr acki ng. What shoul d she do? She shoul d not st ay her eany mor e. She r esol ved i nt er nal l y.But that resolve did not remai n as such f or l ong.Bef or eshe woul d t ake any deci si on,her eye l ooked t o herbr ot her who was si t t i ng on ver andah.She onl ooked hi mfrom there itself.She remember ed t he event s r i ght f r omhi s chi l dhood t o t i l l dat e.The si bl i ng bondage t r embl edher hear t . She t hought l i ke weepi ng i n t he l aps of herfather. The tears came out of her eyes.But how shoul d sheweep?How shoul d she weep on t he auspi ci ous day of hi sbr ot her ? She wi ped her eyes wi t h sar ee.She l ooked t owar ds her mot her . Mot her was per f or mi ng ther i t es of Si nur har . Mot her once t ur ned t owar ds one si def or put t i ng somet hi ng and t hen Kal yani saw t hat Mot her ’sf ace al so t her e was no peace.Kal yani saw t hat she moveddownwar ds and t ook t he ver mi llon. After put t i ng oi l i nhead of t he mar r i ed she woul d now put ver mi llon.Kalyanit ur ned and came i n f ront of mi r r or , saw t he ver mi llonl i ne at her head and t hi s ent hused ener gy i nt o her .She t hought - “She won’t go. She won’t go l eavi ng t hef unct i on of her br ot her ?” Looki ng t owar ds t he i nnocentface of her brother her heart got filled with affection.She t hought - her mot her t hi nks t hat she i s bad-omen.Buther f at her does not t hi nks so. And br ot her ? What woul dhe t hi nk at t hi s t ender age? He i s a boy.He i s hersi bl i ng. She won ’t go. But how she woul d r emai n as such?Thi nki ng of t hi s she onl ooked t he Si nur har f unct i on f orsome t i me.Her mot her was put t i ng ver mi llon on the headsof t he l ucky mar r i ed ones.She t hought t hat t he f unct i onof Si nur har woul d be per f or med by some mar r i ed whosehusband i s al i ve! She got st r engt hened at t hi s t hought .Fr om r oom she came t o cour t yar d and moved t owar dsSi nur har . She t ook i n hand t he pl at e cont ai ni ng r i cecooked i n mi l k and f r i ed chapat i . She moved f or war d and144


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्gave ri ce cooked i n mi l k and f r i ed chapat i i n t he handsof her si st er -in-l aw who was l i ned up i n f r ont . Thesi st er -i n-l aw accepted it joyfully. Then Kalyani’s cousi nsi st er Lal i t a t ook hol d of her and put her i n l i ne.Shet ook t he ver mi llon plate from Kalyani’s mot her and putver millon on Kalyani’s head. The mot her f el t awkwar d.Thepeopl e al so. But t he gl ar i ng f ace of Kal yani st andi ng i nthe row filled her with emot i on. See ever ybody l i ked i t .Kal yani ’s mot her sur pr i si ngl y l ooked backwar ds and sawher husband smi ling with cl osed l i p l ooki ng at hi sdaught er . Kal yani onl ooked and saw t hat her husband ‘sf ace i s f ul l wi t h af f ect i on.He was seei ng at herjoyfully.Jyot i Jha Chaudhar y, Dat e of Bi r t h: December 30 1978,Pl aceof Bi r t h- Bel hvar ( Madhubani Di st r i ct ), Educat i on: Swa mi Vi vekanandaMi ddl e School , Ti sco Sakchi Gi r l s Hi gh School , Mrs KMPM I nt er Col l ege,I GNOU , I CWAI ( COST ACCOUNTANCY ); Resi dence- LONDON , UK ; Fat her - Sh.Shubhankar Jha, Jamshedpur ; Mot her - Smt . Sudha Jha- Shivipatti.Jyotir ecei ved edi t or ' s choi ce awar d fromwwwpoet . r y. com and her poems weref eat ur ed i n f r ont page of wwwpoet . r ysoup. com for some per i od.Shel ear nt Mi t hi l a Pai nt i ng under Ms . Shvet a Jha, Baser a I nst i t ut e,Jamshedpur and Fi ne Ar t s f r om Tool i ka, Sakchi , Jamshedpur ( I ndi a).Shehad been honor ar y t eacher at Nat i onal Associ at i on For Bl i nd,Jamshedpur ( I ndi a). Her Mi t hi l a Pai nt i ngs have been di spl ayed byEal i ng Ar t Gr oup at Eal i ng Br oadway , London.Sahasr aBar hani : The Comet145


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्translated by JyotiThey sai d t hat t he boy t hey quar r el l ed wi t h was appr oached f orthe mar r i age of Buchi a by an ol d man of our vi l l age and t heydeni ed t hat . That was t he r eason behi nd t he cr eat ed r eason ofquar r el f or t he quar r el . I sai d t hat i f t hat mar r i age wer esuccessf ul t hen he woul d be son-in-l aw of this village andwoul d be r espect ed by us but ever yone sai d t hat I am di ver t i ngthe fact.Agai n my f r i ends at t empt ed t o cr eat e quar r el wi t h peopl e ofother villages while watching the drama . He was t easi ng t hosepeopl e i n t hat f unct i on. He was speaki ng r ut hl essl y aboutt hem. And i f ot her si de was r espondi ng anyt hi ng t hen he usedto threaten them t hat he woul d cal l Nar en bhai ya.Then t heot her si de r epl i ed t hat t hey wer e not scar ed of Nar en bhai ya.That was not t he end of hi s naught i ness.He st ar t ed cr yi ngl oudl y unnecessar i l y. He c ompl ai ned t o Nar en bhai ya t hatot her peopl e had hi t hi m and sai d t hat t hey di dn’t bot herabout Nar en bhai ya.Nar en bhai ya came and asked hi m t o poi ntout who was t hat di scour t eous per son.As soon as my f ri endpoi nt ed t hat per son wi t h t or ch Nar en bhai ya t ol d “ Oh ! Bhayaryou! I cannot bel i eve t hi s. I f he had sai d t hi s about anyoneel se t hen I coul d have bel i eved but how can I t r ust t hi sr ubbi sh about you?” Then he asked me whet her t hat boy’scompl ai n was cor r ect or not . I deni ed.As soon as I conf i r medhi s f al sehood hi s al l t ear s vani shed al l of a sudden.Myfriend had t o l i st en t o Nar en bhai ya’s scol d ver y gener ousl yand at t he t i me of l eavi ng Nar en bhai ya announced t hat he washi s f r i end so no one shoul d t el l hi m anyt hi ng and whi sper edto me t hat he was saved t oday.् ँENGLI SH SAMSKRI T MAI THI LIIn which college do किन महािवालये कोन क◌ॉलेजमे अहा146


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्you st udy. पठित भवती? पढ़◌ैत छी?I st udy i n t heVi s hwes hwar ai y aEngi neer i ng Col l ege.Our physi cs t eacheris ver y good.अहं िवेरै-अिभयािक-महािवालये पठािम।अाकं भौितकशास्अापकः उमःअि।ं You di d not come थमकाला ंश नfor the firstआगतवान ्?per i od?I got up l at e t oday. अ उा िवलःअभवत्।I coul dn’t get t hebus.लोकयानं न ाम ्।Economi cs lecturerhas not come.Today t her e i s adebat e-compet i t i onin the college.Ar e youpar t i ci pat i ng?No,my f ri end i spar t i ci pat i ng.I shoul d r et ur nt hi s book t oday,ot her wi se I ’l l haveto pay fine.Shal l we go f or amovi e t oday?Tomorrow we haveBi ol ogy pr act i calअथ र्शास् ााता नआगतवान ्।अ महािवालयेपिरचचा र्-धा र् अि।भवती भागं गृाितिकम ्?न, मम सखी भागंगृाित।एतत् पुकम ् अप र्णीय ं भोः, चेत् दः दातःभवेत्।अ चलिं ुंगामः िकम ्?ः जीवशास्ािक्षक-परीक्षा अिहम िवेरैाअिभयािकमहािवालयमे पढ़◌ैतछी।हमरा सभक भौितकीकिशक्षक ब नीक छिथ।अहा ँ पिहल कक्षामे निहअएलहु ँ?हम आइ देरीसँउठलहु ँ।हम आइ बस निहपकड़ि◌ सकलहु ँ।अथ र्शास्क ाातानिह अएलाह।आइ महािवालयमेपिरचचा र्-धा र् अिछ।अहा ँ भाग लऽ रहल छीकी?निह, हमर संगी भागलऽ रहल छिथ।हमरा ई पोथी आइवापस करबाक अिछ निहतँ हमरा फाइन भरयपड़त।हमरा सभ आइ िसमादेखब चली की?काि हमर सभक जीविवज्ञानक ायोिगक147


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्exam, f r i end. सखे। परीक्षा अिछ।Wi llyouryou give menot es?But Gi r i sh t ookt hem away yest er day.Agai n I l ef t t hemat home t oday.I had not come t ocl ass on t hat day.Pl ease gi ve me yourpen f or a mi nut efriend.Don’t f or get t o gi veit back.भवाः िटणीं ददाितिकम ्?ः एव िगरीशःीकृतवान ्?अ गृहे एव ाआगतवती।ति अहं वं नआगतवान ् आसम ्।एक िनमेषाथं र् लेखनींददातु िम।Come on, l et ’s pl ay. आगतु भोःDo we have Mr . Joshi ’scl ass t oday?Di d y ou c ompl et egr aduat i on i n t heyear 1993?I don’t rememberwel l .Di d you r ead t hi snovel .अहा ँ अपन ट हमरादेबकी?मुदा िगरीश ईकाियर्े लऽ गेलाह।आइ सेहो हम हुनकासभकेँ घरपर छोड़ि◌अएलहु ँ।हम ओिह िदन व निहआएल छलहु ँ।िम अपन पेन एकिमनट लेल िदअ।ितदातुं मा िवरतु। वापस केनाइ निहिबस।आउ, हमरा सभीडतु।खेलाइ।जोशीमहोदय काअि िकम ् अ?पदवी िनविततमे वषे र्समािपता िकम ्?सक् न रािमभोः।एता ं दीघ र्कथा ं पिठतवान ्िकम ्?I read i t l ong back. बहु प ूव र्मेवपिठतवान ्।Today t her e won’tany cl asses.The Pr i nci palver y st r i ct .i sbeअ काः नभिवि।ाचाय र्ः बहु कठोरःअि भोः।जोशी महोदयक वआइ अिछ की?अहा ँ १९९३मे ातकभऽ गेल छलहु ँ?ठीकसँ मोन निहअिछ।ई उपास पढलहु ँकी?हम ई बहुत पिहनिहयेपढ़ छी।आइ आब आर कोकक्षा निह होयत।ििपल बड़ कठोरछिथ।148


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्70%at t endance i scompul sor y i f youwant t o appear f orthe exami nat i on.We ar e st agi ng aSamskr i t -dr ama i nt he annual f unct i on.Tomorrow there willbe el ect i ons f orthe st udent ’scounci l .Thi s year t hetuition-f ees havebeen i ncr eased.परीक्षा लेखनीया चेत्७०% उपिितःअिनवाया र् एव।वािष र्कोवे वयम ् एकंसंृतनाटकं कुम र्ः।ः ासंघ िनवा र्चनंभिवित।एतिन ् वषे र् पाठनशुंविध र्तम ् अि।परीक्षामे बैसबाक लेल७०% उपिित अिनवाय र्अिछ।हमरा सभवािष र्कोवमे एकटासंृत नाटक कऽ रहलछी।काि छासंघक चुनावहोएत।एिह साल पाठनशुमेवि ृ भेल अिछ।पुरातन काले एकः महाराजः आसीत्। सः िचकला ं बहु –िवशेषतःाकृितक िचतं त बिह इम ्। एकदा सह िचं लेिखतुम ् पव र्तआरोहणं करोित-पव र्त उपिर उपिवशित, पिरतः सुर ाकृितक दृंत संतोषः भवित- सः लेखन ्-सामीः ीकरोित-सव र्म ् सक्ापयित, िचलेखन आरं करोित- बहु सुरतया िचम ् भवित-इतोिप वण र्ः यत आवकः त सव र् वण र्म ् लेपयित- महाराजसंतोषः भवित, परु द ूरतः कथम ् दृते िचम ्- इित ुम ् प ृतःगित, महाराजः एकं पदं, पद य ं, ीिण पदािन इित प ृतः-प ृतःगित, महाराजः िचमेव पन ् अि, बहु सुर दृं, आनः भवित,इतोिप प ृतः गािम- इित िचयित, इतोिप पदय ं गित, पित,सुर ं दृते, इतोिप प ृतः गित, परु प ृतः िकं िचत् द ूरे एवएकः महान ् खातः अि, महान ् खातः, यिद महाराजः पदय ं ापयित,महाराजः पतित, परु त एकः मेषपालः आगित, सः पित, अरेमहाराजः प ृतः-प ृतः गित, त महान ् खातः अि, इतः परम ्महाराजः पितित- अहं िकमिप करोिम, इित मेषपालकः िचयित,149


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्िकम ् करोिम, तदा त ु मितम ् काय र्म ् करोित। त हे दःअि। सः मेषपालकः दम ् गृिहा सक् िक्षपित, िच उपिर एव ंिक्षपित, िचम ् भम ् भवित, महाराज कोपः आगित, मया बहुसुरिचम ् िलखित, बहु यम ् कृा िलिखतवान, परु येषः द ुः मेषपालःमम सुर िचम ् नािशतवान ्- तम मारयािम, इित कोपेन मेषपालम ्पित, मेषपालः भीत भीते समीपे आगित, त भय ं, महाराजकोपः, इदानीम ् मा मारयित, इित िचयित, परु त अंतर ंगे एकंधैय र्म ् अि, महाराजा भवान ् सुर िचं िलिखतवान, ् परु भवतःप ृतः एव महान खातः अि, परु भवान ् न दृवान ् , यिद एकम ्पदम ् प ृतः ापयित भवान ् महती खाते पतित, भवान ् म ृतः भिवित,ताद ृ संगे मया िकं करणीयम ् अहं िचितवान। दं ीकृ िचंतािडतवान ्- िचम ् नं भवतु , परु अाकं महाराजः जीवतु, यिदमहाराजः जीवित, सुर िचािण बहूिण लेिखतुम ् शोित, यिद महाराजःन भवित, अाकं सवे र्षाम ् महत् द ुःखम ् भवित। महाराज जीवरक्षणम ्अाकम ् महत् कतर्ं, तदथं र् अहं देन िचं तािडतवान, यिद दोषःअि, क्षामयतु भोः, मेषपाल वचनं ृा महाराज महान ् संतोषःभवित, सः िचयित, भगवान ् एव एतं मेषपालं िषतवान ्। ममजीवरक्षणाथं र् मेषपालं भगवान ् एव िषतवान ् इित। संतोषम ् अभवित,मेषपालं गृाित, मेषपाल, भवान ् सामाः न, अुत् काय र्म ् कृतवान, ् ममजीवरक्षणं कृतवान, ् मम महान आनः जातः, भवते अहं पुरार ं ददािम,इित त पुरार ं करोित, मेषपाल वचनं ृा महाराज महान ्आनः अभवत्, सः मेषपालम ् अिभनितवान, ् ानं नीतवान, ् बालकिपतरम ् अिप आहूतवान, ् बालकं िपतर सृतवान, ् तयोः ोाहनंदवान, ् बालकं िवाासाथं र् िरतवान, अ बालकः उम ् िवान भवित,स एव बालकः अ महाराज ा सिचवः अिप भिवित।भवता ं हादं र् ागतम ्।150


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्अहं वाय ं वदािम। भवः एकं वां कुव र्ु। उदाहरणाथ र्म ्-बालकः शाला ं गित (गा) पुकं पठित।सः भजनं करोित (कृा) भोजनं करोित।सनः ोकं पठित (पिठा) आहार ं ीकरोित।अहं फलं खािदतवान ् (खािदा) जलं पीतवान ्।सा पं िलिखतवती िषतवती।भवान ् धनं ददातु पुकं नयतु।वय ं पठामः िलखामः।सः ानं करोित भोजनं करोित।सः धनं ददाित पुकं ीकरोित।सः ीडित पठित।सः ोकं वदित (उवा) उपिवशित।सः िचम ् पित संतुः भवित।बालकः िवालय ं गा पुकं पिठा गृहं आगित।अहं ानं कृा प ूजा ं कृा िवालय ं गािम।इदानीं वय ं िमिला एकैकं वां दीघ ं र् वदामः।भवान ् आरं करोतु, राम िपता दशरथः राम माता कौशा।151


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्मम िपता कृपानः, भवतः िपता कः/ माता काभवाः िपता कः/ माता कामम माता लीःौपदी ुपदराज पुी, का क पुीलव िपता रामः, लव िपतामह दशरथः।लव िपतामही कौशा/ पाुरा पौ अिभमुः।रावण अजा श ूप र्नखा।अजः/ अजः।बिह- िकित्ः-दीघ र्ःूलः-कृशःपुरातन ् युतकम ्/ न ूतन पुकम ्न ूतन घटी/ पुरातन घटीमम गृहे न ूतनं कारयानं अि।मम कारयानं न ूतनं अि।एषा पुरातनं लेखनी।पुरातनम ्- न ूतनम ्चषके िकं िचत् जलम ् अि।152


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহकूाम ् बहु जलम ् अि।अहं िकं िचत् जलं िपबािम।जलम ् इित वा आम ् इित।http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्िकं िचत् भवती िकं िचत् जलं िपबित वा।बहु जलं िपबित वा एषा बहु ीडित।अ बहु गृहपाठः अि।अहं बहु खादािम, िकं िचत् काय ं र् करोिम।नगरे बहुजनाः सि।समुे/ ना ं बहु जलम ् अि।मम अज नाम ् गुसादः।एष दः ः/ दीघ र्ः अि।रुः ा/ दीघा र् अि।एताः वेणी ा/ दीघा र् अि।काः वेणी दीघा र् अि।िकम ् िकम ् दीघ र्म ् अि।रामायणकथा दीघा र् अि।गा नदी दीघा र् अि।सप र्ः दीघ र्ः अि।गज शुा दीघा र् अि।153


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्ददीपः दीघ र्ः अि।गजः/ भवान ् ूलः अि। शारदयाः शािटका दीघा र् अि।मम अजा कृशा अि।गश उदरम ् ूलम ् अि।भीमः कथम ् अि।भीमः ूलः अि।हम ् उपिर करोतु।अण हः कृशः अि।मम हः ूलः अि।सुभािषतम ्य कृं न जानि म ंं वा मितं ं परे।कृतमेवा जानि सवै र् पिते उते।सुभािषत अथ र्ः एवम ् अि। महापुषाः िकम ् कुवि र् इित न वदि।ते िकम ् काय ं र् कुवि र् इित न वदि। तेषाम ् िचनिदक् का इित नज्ञायते। तेषाम ् िचन ् मः इित न ज्ञायते। परु काय र् अनरम ्महत् फलं भवित। तृवा तेषा ं कृतं ज्ञायते। ते िकम ् कृतवःइित फल दश र्न अनर ं ज्ञायेत्।154


<strong>Videha</strong> <strong>‘िवदेह’</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १ नवम्बर अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास ११ अंक२१) িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्(c)२००८. सवािधकार र् लेखकाधीन आ’ जतय लेखकक नाम निह अिछ ततय संपादकाधीन।िवदेह (पािक्षक) संपादक- गजे ठाकुर। एतय कािशत रचना सभक क◌ॉपीराइटलेखक लोकिनक लगमे रहति, मा एकर थम काशनक/ आका र्इवक/ अंजी-संृत अवादक ई-काशन/ आका र्इवक अिधकार एिह ई पिकाकेँ छैक। रचनाकारअपन मौिलक आऽ अकािशत रचना (जकर मौिलकताक संप ूण र् उरदािय लेखक गणकम छि) ggaj endr a@ yahoo. co. i n आिक ggaj endr a@ vi deha. com केँमेल अटैचमेक पमेँ . doc, . docx, . r t f वा . txt फ◌ॉमे र्टमे पठा सकैतछिथ। रचनाक संग रचनाकार अपन संिक्ष पिरचय आ’ अपन ैन कएल गेल फोटोपठेताह, से आशा करैत छी। रचनाक अंतमे टाइप रहय, जे ई रचना मौिलकअिछ, आऽ पिहल काशनक हेतु िवदेह (पािक्षक) ई पिकाकेँ देल जा रहल अिछ।मेल ा होयबाक बाद यथासंभव शी ( सात िदनक भीतर) एकर काशनक अंककस ूचना देल जायत। एिह ई पिकाकेँ ीमित ली ठाकुर ारा मासक 1 आ’ 15ितिथकेँ ई कािशत कएल जाइत अिछ।(c) 2008 सवािधकार र् सुरिक्षत। िवदेहमेकािशत सभटा रचना आ' आका र्इवक सवािधकार र् रचनाकार आ' संहका र्क लगमेछि। रचनाक अवाद आ' पुनः काशन िकं वा आका र्इवक उपयोगक अिधकारिकनबाक हेतु ggaj endr a@ vi deha. co. i n पर संपकर् क। एिह साइटकेँ ीितझा ठाकुर, मध ू िलका चौधरी आ' रि िया ारा िडजाइन कएल गेल।िसिरु155

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