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<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्िवदेह १५ अक्टूबर २००८ वषर् १ मास १० अंक २०'िवदेह' १५ अक्टूबर २००८ ( वषर् १ मास १० अंक २० ) एिह अंकमे अिछ:-१.संपादकीय २.संदेश३.मैिथली िरपोतार्ज- १. िजतेन् झा / २. ीित / ३. नवेन्दु कु मार झा४.ग४.१.कथा १.सुभाषचन् यादव(अपन-अपन दुख) २.िजनगीक)िवभारानी (आऊ कनेक ेम करी माने बुझौअल४.२.१. िरस्क आऽ मैिथल- ज कु . कणर् २. कोना बचत िमिथलाक िस्मता?-ओमकाश झा४.३.१. महाकाश ी सुभाषचन् यादव पर, २. िजतेन् झा सुी अंशुमालापर1


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्<strong>10</strong>. VIDEHA FOR NON RESIDENT MAITHILS (Festivals of Mithila date-list)-<strong>10</strong>.1. 1.Worn- out fifty paise coin- Maithili poem "Ghasal Athanni" by Late Sh. KashikantMishra Madhup 2. The Fundamentals-maithili short story “moolbhoot” by Sh. TaranandViyogi<strong>10</strong>.2.The Comet-English translation of Gajendra Thakur's Maithili NovelSahasrabadhani11. VIDEHA MAITHILI SAMSKRIT EDUCATION(contd.)िवदेह (िदनांक १५ अक्टूबर २००८)१.संपादकीय (वषर्: १ मास:१० अंक:२०)मान्यवर,िवदेहक नव अंक (अंक २०, िदनांक १५ अक्टूबर २००८) ई पिब्लश भऽ गेल अिछ। एिह हेतु लॉग ऑन करूhttp://www.videha.co.in |जीन मेरी गुस्ताव ली क्लािजयो (1940-)केँ एिह सालक सािहत्यक ८ लाख १५ हजार पडक सािहत्यक नोबलपुरस्कारसँ सम्मािनत कएल जएबाक घोषणा भेल अिछ। मानवतापर राज कए रहल सभ्यतासँ नीचाँ आऽ आगूजाऽ कए देखबाक वृि छिन्ह क्लािजयोक। न्यू-िडपाचर्सर्,पोएिटक एडवचर आ ससुअल एक्सटेसीक लेखकछिथक्लािजयो।ली क्लािजयो मूलतः ांसीसी भाषाक उपन्यासकार छिथ, ओना िहनकर िपता अंेज आऽ माता ांसीसीछिथन्ह, दुनू गोटे मारीशससँ सम्बिन्धत। आऽ क्लािजयो नाइजीिरयाक समुी याासँ नेनपनिहमे सािहित्यक3


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्जीवनक ारम्भ कएलिन्ह। १९६३ ई. मे िहनकर पिहल उपन्यास कािशत भेल जे आधुिनक समाजक ित एकतरहक िवोह छल। च लेखक सभमे क्लािजयो स्वीकृ त निह भऽ सकलाह आऽ एखन ओऽ न्यू मेिक्सकोमे रहैतछिथ।थडर् वल्डर्क नजिरसँ देखब िहनकर रचनाक एकटा िविशता छिन्ह। मारीशसक उपन्यासकार अिभमन्यु उनुथकआ तािह ममे रामायणक चरचा सेहो क्लािजयो करैत छिथ।िहनकर पिहल उपन्यास ले-ोसेस-वबर्ल- द इनटेरोगेशन (जांचक पूछताछ)१९६३ ई. मे आयल जेअिस्तत्ववादक बादक समयक उपन्यास छल। िदन-ितिदनक भाषणबाजीक बदला सत्याताकेँ देखबय बलाशि ओ शब्द सभकेँ देलिन्ह। फे र आयल हुनकर दू टा कथा संह ला-फीवर आ ला-देल्यूज, एिह दुनू संहमेपाात्य नगरक समस्या आ ओतुा डरक यथाथर् िचण भेल अिछ।टेरा-अमाटामे हुनकर पारिस्थितकी-तंसँ जुड़ाव स्प अिछ तँ डेजटर्सँ ओ उपन्यासकारक रूपमे स्थािपत होइतछिथ, एिहमे ओ उर अीकाक लु होइत संस्कृ ितक िचण करैत छिथ। क्लािजयो दाशर्िनक लेख सेहो िलखनेछिथ आऽ बा लोकिनक लेल लुलाबी सेहो। अमेिरकी सािहत्य जािह कारेँ अनुवादसँ दूर आऽ अपनामे म भऽगेल अिछ सैह कारण अिछ िफिलप रॉथक एिह रेसमे हाइपक रूपमे शािमल होएबाक बावजूद पाछू छू िटजएबाक। अथर्शामे अमेिरकाक मोनोपोलीक िवपरीतक ई सािहत्यक क्षेक घटनाम अिछ।एिह अंकमे:ी ग गेश गुंजन जीक ग-प िमित "राधा" जे िक मैिथली सािहत्यक एकटा नव कीितमान िस होएत, के रपाँचम खेप पढ़ू संगमे हुनकर िवचार-िटप्पणी सेहो। सुभाष चन् यादव आऽ िवभा रानी जीक कथा, महेश िम"िवभूित"-ी पंकज पराशर- िवनीत उत्पल- श्यामल जीक प आऽ ेमशंकर िसह, मौनजी, िजतमोहन, काशझा, ओमकाश जीक रचना सेहो ई-कािशत कएल गेल अिछ।ी राजकमल चौधरीक रचनाक िववेचन कए रहल छिथ ी देवशंकर नवीन जी। सुभाषचन् यादव जी पर ीमहाकाश िलिख रहल छिथ। िजतेन् झा, नवेन्दु आ ीितक िरपोतार्ज छिन्ह तँ युवा ितभा अंशुमालाकिवषयमे िलखने छिथ िजतेन्।ज्योितजी प, बालानांकृ ते के र देवीजी शृंखला, बालानांकृ ते लेल िचकला आऽ सहबाढ़िनक अंेजी अनुवादस्तुत कएने छिथ।4


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्मधुप जीक "घसल अठी" आऽ तारानन्द िवयोगी जीक "मूलभूत" के र अ ेजी अनुवाद सेहो स्तुत कएल गेलअिछ।"िवदेह" केँ एखन धिर (१ जनवरी २००८ सँ १२ अक्टूबर २००८) ५९ देशसँ ८५,२०१ बेर देखल गेल अिछ(गूगल एनेलेिटक्स डाटा)- धन्यवाद पाठकगण।शेष स्थायी स्तंभ यथावत अिछ।अपनेक रचना आऽ ितियाक तीक्षामे।गजेन् ठाकु रggajendra@videha.co.in ggajendra@yahoo.co.२.संदेश१.ी ो. उदय नारायण िसह "निचके ता"- जे काज अहाँ कए रहल छी तकर चरचा एक िदन मैिथली भाषाकइितहासमे होएत। आनन्द भए रहल अिछ, ई जािन कए जे एतेक गोट मैिथल "िवदेह" ई जनर्लकेँ पिढ़ रहलछिथ।२.ी डॉ. गंगेश गुंजन- "िवदेह" ई जनर्ल देखल। सूचना ौोिगकी के र उपयोग मैिथलीक हेतु कएल ई स्तुत्ययास अिछ। देवनागरीमे टाइप करबामे एिह ६५ वषर्क उमिरमे क होइत अिछ, देवनागरी टाइप करबामेमदित देनाइ सम्पादक, "िवदेह" के र सेहो दाियत्व।३.ी रामाय झा "रामरंग"- "अपना" िमिथलासँ संबंिधत...िवषय वस्तुसँ अवगत भेलहुँ।...शेष सभ कु शलअिछ।४.ी जेन् िपाठी, सािहत्य अकादमी- इंटरनेट पर थम मैिथली पािक्षक पिका "िवदेह" के र लेल बाधाईआऽ शुभकामना स्वीकार करू।5


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्५.ी फु ल्लकु मार िसह "मौन"- थम मैिथली पािक्षक पिका "िवदेह" क काशनक समाचार जािन कनेकचिकत मुदा बेसी आह्लािदत भेलहुँ। कालचकेँ पकिड़ जािह दूरदृिक पिरचय देलहुँ, ओिह लेल हमरमंगलकामना।६.ी डॉ. िशवसाद यादव- ई जािन अपार हषर् भए रहल अिछ, जे नव सूचना-ािन्तक क्षेमे मैिथलीपकािरताकेँ वेश िदअएबाक साहिसक कदम उठाओल अिछ। पकािरतामे एिह कारक नव योगक हमस्वागत करैत छी, संगिह "िवदेह"क सफलताक शुभकामना।७.ी आाचरण झा- कोनो प-पिकाक काशन- ताहूमे मैिथली पिकाक काशनमे के कतेक सहयोगकरताह- ई तऽ भिवष्य कहत। ई हमर ८८ वषर्मे ७५ वषर्क अनुभव रहल। एतेक पैघ महान यज्ञमे हमर ापूणर्आहुित ा होयत- यावत ठीक-ठाक छी/ रहब।८.ी िवजय ठाकु र, िमिशगन िविवालय- "िवदेह" पिकाक अंक देखलहुँ, सम्पूणर् टीम बधाईक पा अिछ।पिकाक मंगल भिवष्य हेतु हमर शुभकामना स्वीकार कएल जाओ।९. ी सुभाषचन् यादव- ई-पिका ’िवदेह’ क बारेमे जािन सता भेल। ’िवदेह’ िनरन्तर पल्लिवत-पुिष्पत होआऽ चतुदक अपन सुगंध पसारय से कामना अिछ।१०.ी मैिथलीपु दीप- ई-पिका ’िवदेह’ के र सफलताक भगवतीसँ कामना। हमर पूणर् सहयोग रहत।११.डॉ. ी भीमनाथ झा- ’िवदेह’ इन्टरनेट पर अिछ तेँ ’िवदेह’ नाम उिचत आर कतेक रूपेँ एकर िववरण भएसकै त अिछ। आइ-कािल्ह मोनमे उेग रहैत अिछ, मुदा शी पूणर् सहयोग देब।१२.ी रामभरोस कापिड़ मर, जनकपुरधाम- "िवदेह" ऑनलाइन देिख रहल छी। मैिथलीकेँ अन्तरार्ीयजगतमे पहुँचेलहुँ तकरा लेल हादक बधाई। िमिथला र सभक संकलन अपूवर्। नेपालोक सहयोग भेटत सेिवास करी।१३. ी राजनन्दन लालदास- ’िवदेह’ ई-पिकाक माध्यमसँ बड़ नीक काज कए रहल छी, नाितक एिहठामदेखलहुँ। एकर वािषक अ ◌ंक जखन ि ट िनकालब तँ हमरा पठायब। कलकामे बहुत गोटेकेँ हम साइटक पतािलखाए देने िछयिन्ह। मोन तँ होइत अिछ जे िदल्ली आिब कए आशीवार्द दैतहुँ, मुदा उमर आब बेशी भए गेल।शुभकामना देश-िवदेशक मैिथलकेँ जोड़बाक लेल।6


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्१४. डॉ. ी ेमशंकर िसह- "िवदेह"क िनःस्वाथर् मातृभाषानुरागसँ ेिरत छी, एकर िनिम जे हमर सेवाकयोजन हो, तँ सूिचत करी।(c)२००८. सवार्िधकार लेखकाधीन आऽ जतय लेखकक नाम निह अिछ ततय संपादकाधीन।िवदेह (पािक्षक) संपादक- गजेन् ठाकु र। एतय कािशत रचना सभक कॉपीराइट लेखक लोकिनक लगमेरहतिन्ह, मा एकर थम काशनक/ आकार्इवक/ अंेजी-संस्कृ त अनुवादक ई-काशन/ आकार्इवक अिधकारएिह ई पिकाकेँ छैक। रचनाकार अपन मौिलक आऽ अकािशत रचना (जकर मौिलकताक संपूणर् उरदाियत्वलेखक गणक मध्य छिन्ह) ggajendra@yahoo.co.in आिक ggajendra@videha.com केँ मेलअटैचमेण्टक रूपमेँ .doc, .docx, .rtf वा .txt फॉमटमे पठा सकै त छिथ। रचनाक संग रचनाकार अपन संिक्षपिरचय आ’ अपन स्कै न कएल गेल फोटो पठेताह, से आशा करैत छी। रचनाक अंतमे टाइप रहय, जे ई रचनामौिलक अिछ, आऽ पिहल काशनक हेतु िवदेह (पािक्षक) ई पिकाकेँ देल जा रहल अिछ। मेल ा होयबाकबाद यथासंभव शी ( सात िदनक भीतर) एकर काशनक अंकक सूचना देल जायत। एिह ई पिकाकेँ ीमितलमी ठाकु र ारा मासक 1 आ’ <strong>15</strong> ितिथकेँ ई कािशत कएल जाइत अिछ।महवपूणर् सूचना (१):महवपूणर् सूचना: ीमान् निचके ताजीक नाटक "नो एंी: मा िवश" के र 'िवदेह' मे ई-कािशत रूप देिख कए एकर िट रूपमे काशनक लेल 'िवदेह' के र समक्ष "ुित काशन" के र स्ताव आयलछल। ी निचके ता जी एकर िट रूप करबाक स्वीकृ ित दए देलिन्ह। िट रूप हाडर्बाउन्ड (ISBN NO.978-81-907729-0-7 मूल्य रु.१२५/- यू.एस. डॉलर ४०) आऽ पेपरबैक (ISBN No.978-81-907729-1-4मूल्य रु. ७५/- यूएस.डॉलर २५/-) मे ुित काशन, १/७, ितीय तल, पटेल नगर (प.) नई िदल्ली-११०००८ारा छापल गेल अिछ। e-mail: shruti.publication@shruti-publication.com website:http://www.shruti-publication.comमहवपूणर् सूचना:(२) 'िवदेह' ारा कएल गेल शोधक आधार पर १.मैिथली-अंेजी शब्द कोश २.अंेजी-मैिथली शब्द कोश आऽ ३.िमिथलाक्षरसँ देवनागरी पाण्डुिलिप िलप्यान्तरण-पी-बन्ध डाटाबेश ुितपिब्लके शन ारा िन्ट फॉमर्मे कािशत करबाक आह स्वीकार कए लेल गेल अिछ। पुस्तक-ािक िविधकआऽ पोथीक मूल्यक सूचना एिह पृ पर शी देल जायत।महवपूणर् सूचना:(३) 'िवदेह' ारा धारावािहक रूपे ई-कािशत कएल जा' रहल गजेन् ठाकु रक'सहबाढ़िन'(उपन्यास), 'गल्प-गुच्छ'(कथा संह) , 'भालसिर' (प संह), 'बालानां कृ ते', 'एकाङ्की संह','महाभारत' 'बु चिरत' (महाका)आऽ 'याा वृांत' िवदेहमे संपूणर् ई-काशनक बाद िट फॉमर्मे कािशत7


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्होएत। काशकक, काशन ितिथक, पुस्तक-ािक िविधक आऽ पोथीक मूल्यक सूचना एिह पृ पर शी देलजायत।महवपूणर् सूचना (४): "िवदेह" के र २५म अंक १ जनवरी २००९, ई-कािशत तँ होएबे करत, संगमे एकर िटसंस्करण सेहो िनकलत जािहमे पुरान २४ अंकक चुनल रचना सिम्मिलत कएल जाएत।महत्वपूणर् सूचना (५): १५-१६ िसतम्बर २००८ केँ इिन्दरा गाँधी राीय कला के न्, मान िसह रोड नईिदल्लीमे होअयबला िबहार महोत्सवक आयोजन बािढ़क कारण अिनितकाल लेल स्थिगत कए देल गेल अिछ।मैलोरंग अपन सांस्कृ ितक कायर्मकेँ बािढ़केँ देखैत अिगला सूचना धिर स्थिगत कए देलक अिछ।िरपोतार्ज- १. िजतेन् झा / २. ीित / ३. नवेन्दु कु मार झा१. िजतेन् झा (साल भिरक लेखा-जोखा)मधेशी िमक फ़ोरम शु िदनसं नेपालमे एकमा रेलवे सिवसकेँ बंद के लक अिछ। ई रेलवे सिवस नेपालमेजनकपुरसं भारतके जयनगर तक चलइत छई। मधेशी िमक फ़ोरम अपन सात सूी मांग पूरा करय के ल कएिह रेलवे सिवस के बंद करय के फै सला के लक अिछ। गौरतलब छई जे मधेशी िमक फ़ोरम रेलवे ईकाई ाराअपन सात सूी मांग के ल क पिछला 30 अक्टूबर क मुसािफ़रखाना मे सेहो धनार् पर बैसल छलाह संगिह महाबन्धक कायार्लय घेराव कयने छलाह।पूवाचल के उधोग वसायी सब वष स भारतक जोगवनी धिर रेलवे पिरचालनक आवश्यकता महसूस करैतछलाह। हुनकर सबहक ई इच्छा अिगला माचर् मिहनामे पूरा भऽ जायत जखन भारतक जोगवनी धिर ाडगेजरेल सेवा शुरु होयत। िवराटनगर सँ जोिड़ जोगबिन धिर ाडगेज रेलसेवा चालू भेला के बाद आयात-िनयार्तापार ढोनाई खचर् सस्ता भेला सँ पूवाचलक उधोग वसायी केँ बहुत फ़ायदा होयतिन्ह।बारा के पकार बीरेन् साहक अपहरण लेल गिठत संसदीय छानबीन सिमित अपन ितवेदन सभामुख सुभाषनेबांग के सिप देलक अिछ। ितवेदनमे पकारक अपहरणमे माओवादी के िजम्मेवार मानल गेल अिछ। सिमितअपन ितवेदनमे कानूनक अनुसार दोषी पर कारवाई कराबक िसफािरश कएलक अिछ। गौरतलब छई जेवृहस्पितक राीय मानवािधकार आयोग सेहो बतेने छल जे बाराक पकार िबरेन् साहक अपहरण नेकपामाओवादी ारा कै ल गेल अिछ।सरकार के कहब छैक जे माओवादी ारा अपहिरत पकार िबरेन् साहक अवस्थाक बारेमे िकछु महत्वपूणर्सूचना भेटल अिछ मगर ओकरा तत्काल सावर्जिनक निह कयल जायत। वस्थािपका संसदक मिहला समूहकबैठकमे गृह मंालयक सिचव उमेश साद मैनाली कहलिन जे पकार साह केँ ताकबा लेल सरकार हर संभवयास कऽ रहल अिछ आ अपहरणक आशंका मे चािर गोटा के पकड़ल गेल अिछ। संगिह बैठकमे पेोिलयम8


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्पदाथर्क मूल्यवृिक बारेमे उधोग वािणज्य आ आपुित मंालयक अिधकारी के कहब छलिन जे मूल्यवृिबाध्यात्मक अवस्थामे कयल गेल। गृह और उधोग दूनू मंालयक कायर्भार सम्भािरिनहार कृ ष्ण सादिसटौला~केँ सेहो बैठकमे बजाओल गेल छलिन्ह मुदा राजनीितक स्तताक चलते ओ निह आिब सकलाह।अंतिरम वस्थािपका संसदक िवशेष अिधवेशन~केँ सकारात्मक ढंगसं संप करबा लेल शीषर् नेताक बीचिवचार िवमशर् चिल रहल अिछ।अंतिरम वस्थािपका संसदक िवशेष अिधवेषनकेँ सकारात्मक ढंगसँ संप करबा लेल शीषर् नेताक बीच िवचारिवमशर् संपा भऽ गेल।मोटरसाइिकल दुघर्टनामे परल पकार रोशन कणर्क उपचारक म मे वृहस्पित िदन भोरे पटनामे िनधन भ गेलअिछ। 29 वषय कणर्क काितक 3 गते के राित िसिसया मे मोटरसाइिकल दुघर्टना भऽ गेल छलिन। उपचारकलेल भारतक िबहार राज्यक सीतामढीसं पटना गेल रहिथ। जनकपुरक स्थानीय एफ एम आ स्थानीय पिका मेओ काज करैत आएल रहिथ। पकािरता िवकास ितान एकटा ेस िवज्ञि कािशत कऽ कय पकार कणर्कअसामियक िनधन ित शोक कट कएलक अिछ।किपलवस्तु घटनाक पीिड़त सभ अपन मांग केँ पूरा करवाबए लेल सरकार ारा ध्यान निह देबाक कारणे कािल्हसँ महेन् राजमागर् बंद करबाक चेतावनी देने छिथ। ओ सभ अइ घटनाक मृतककेँ शहीद घोिषत करबाक.मृतकक पिरवार केँ उिचत क्षितपूित देबाक आ िवस्थािपत केँ पुनर्स्थापना आ दोषीक उपर कारवाई जेहन पाँचसूी माँग रखने छिथ। घटनाक पीिड़त सभ असोज बारह गते~केँ सरकारकेँ प िलिख अपन माँग रखने छलाह।गत भादव तीस गते~केँ अज्ञात समूह ारा किपलवस्तुक मोइद खाँक हत्या कयलाक बाद ओतय भेल िहसात्मकघटनामे दू दजर्न आदमीक जान गेल छल। घटनामे सौओ घरमे आगजनी लूटपाट आ तोड़फ़ोड़ सँ करोड़ोरुपयाक क्षित भेल छल। एखन तक हजारो लोक सभ िवस्थािपत भेल छिथ।बीरगंजमे वृहस्पितकेँ भेल बम िवस्फोटक िजम्मा दोो जनतांिक तराई मुि मोचार् लेलक अिछ। दोो मोचार्के कायर्कतार् सभ बीरगंज कु कर बम िवस्फोट के लक, ई जानकारी दोो मोचार्क मुख िवस्फोट िसह टेलीफोनसंजानकारी देलिथ।सलार्ही बरहथवा बजारमे सांझमे एक आदमीक गोली मािर कय घायल कऽ देल गेल। बरहथवा बजारमेिकरानाक समान बेचए आओल बरहथवा वाडर् नंबर 8 घर रहल 40 वषय वीरेन् साह केँ बजारे~मे सांझ साढे6 बजे गोली मारल गेल हरी जनौलक अिछ। घटनामे संल रहल आशंकामे हरी एक गोटे के पकडबाकसंगिह पेस्तोल सेहो बरामद कएलक अिछ। एिह तरहे बरहथवामे िबतल साह तीन िदनक अंतरमे दू गोटेकहत्या भऽ चुकल अिछ।9


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्भारतीय दूतावासक सहयोगसँ पाँच मिहना पिहने िनमार्ण भेल झापाक भपुर िस्थत सुिवधा समप सुित गृहअखन तक संचािलत निह भऽ सकल अिछ। करीब सर लाखक लागत सँ बनल ई हािस्पटल िचिकत्सक अभावमेनिह चिल रहल अिछ।पािकस्तानक सूबा सरहदक स्वात घाटीमे चरमपंथी आ सुरक्षाबलक बीच घमासान जारी अिछ। वृहस्पित केँसेना िदस सं 70 टा चरमपंथी केँ मारय के दावा करय के बाद चरमपंथीक िदस सं दावा कएल गेल छई जे ओ40 टा सैिनक केँ बंदी बना लेने छई। चरमपंथी िकछु सुरक्षाकम के मारय के बात सेहो कहलक अिछ।वृहस्पितक राित भिर स्वातक िविभ इलाकामे गोलीबारीक आवाज आबइत रहलई मुदा कोनो बडका कारवाईके खबिर निह अिछ। दूनू ओर सं ई कारवाई दू िदन पिहने भेल अनािधकािरक संघषर् िवराम के बाद भेलैया।पिमी तैवानमे एकटा गैरकानूनी तरीका सँ चिल रहल पटाखा फ़ै क्ीमे आिग लािग गेल जािह सँ चािर गोटेमारल गेल आर छह लोग घायल भऽ गेल। ई धमाका हाउलग शहरमे भेल अिछ। धमाकाक बाद छोट-छोट कैटा िवस्फ़ोट भेल। धमाका सँ आसपासक िबिल्डगक िशशा सभ सेहो टुिट गेल। ई पटाखा फ़ै क्ी जतय अविस्थतअिछ ओतय चारु तरफ़ धानक खेत होय के कारण बचाव काजमे काफ़ी िदत भऽ रहल छल। स्थानीय वािसन्दासभ के कहब अिछ जे िवस्फ़ोट सँ पिहले ई फ़ै क्ी मे िक बनैत अिछ एकर जानकारी हुनका सभ के निह छलिन।एखन तक अिह बातक जानकारी निह भेटल अिछ जे अिह िवस्फ़ोटक की कारण छल। एखन तक शासन आरजाँच आयोग सँ अिह बातक जानकारी निह भेटल अिछ जे ई िवस्फ़ोट स्विनयोिजत तँ निह ने छल।ओना तँ घरमे गाए या महीषक बा भेलासं ओकर पालनकतार् ि खुश होइत छिथ। एनािहते भैरहवामे सेहोएकटा कृ षकक घर मे महीष , एकटा निह बिल्क जुडवा बा देलक मुदा दूनू बा केँ पाडा रहबाक कारणेमहीषक मािलक वासुदेव यादव दुखी छिथ।भैरहवा मे '' नया बिजग नया ओल्मिपक'' नामक चीनक फ़ोटो दशर्नी शुरु भेल अिछ। चीनक राजदूत चंगिसयांगिलन एिह फ़ोटो दशर्नीक उाटन के लिन। एिह अवसर पर चीनक राजदुत कहलिन जे आिदए काल सँचीन नेपालक िहत गित आ उित देखय चाहैत अिछ। िसाथर्नगर नगरपािलकाक सभाकक्षमे आयोिजत एिहदशर्नीमे 79 टा फ़ोटो राखल गेल अिछ। दशर्नीमे <strong>2008</strong> मे चीनक बेिजगमे आयोिजत होयवाला ओलिम्पकखेलकू द लेल ओिह भऽ रहल िविभ गितिविधक जानकारी फ़ोटो ारा देबाक यास कयल गेल अिछ। ईनेपाल चीन मैी समाज लुिम्बनी ारा आयोिजत ई दशर्नी शिन िदन धिर चलत।धानमंी िगिरजा साद कोइराला गणतं आ समानुपाितक िनवार्चन णाली के बारे मे संसद सं होबय बलािनणर्य के जातांिक हेबाक बात कहलाह। काठमांडूमे मिहला पकार सभहक राीय सम्मेलन के संबोिधतकरैत धानमंी कोइराला संसद के िनणर्य के जातांिक िया ारा मजबूत बनेबाक िववास कयलाह। धानमंी कोइराला िविभ क्षे सं ेस के उपर होबय बला दमनक चचार् करैत सरकार के अईतरहक वृित निह सहबाक बात सेहो कहलाह। ओ कहलाह जे संसद ारा संिवधानक ितिथक घोषणा होयत।नेकपा माओवादी के कायर्कतार् सब नुवाकोट काँेसक कायर्कतार् के वृहस्पित िदन अपहरण के ला के बाद मािरपीट के छोिड़ देलक। नुवाकोट काँेसक कायर्कतार् रामकु मार िधिमरे के माओवादी कायर्कतार् स्थानीय िवकास<strong>10</strong>


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्मंालय सँ अपहरण कएने छल। रामकु मार िधिमरेक कहब छैक जे नुवाकोट ओखरपौवा चािर के सावर्जिनकजमीन कोनो खास िक्क नाम पर अिह करय देबाक दुश्मनी मे हुनका पर आमण कयल गेल छलिन्ह। ओिहसावर्जिनक जमीन के अपना नाम पर करय चािहिनहार राममिण िधिमरे आ माओवादी कायर्कतार् नवराजदु ंग़ाना आिद पर आरोप लगबैत ओ कहलिन जे YCL कायार्लय लऽ जा कऽ हमरा मारल -पीटल गेल। िधिमरेपर भेल माओवादीक ज्यादती के िवरोधमे आई बालाजुमे दशर्न कयल गेल।नेपाली मिहला उध्मी सभ ारा तैयार कयल गेल समान केँ बाजार भेटलाक बाद आब मिहला उधमी सभ अलगसँ औधोिगक क्षेमे उतरऽ के सोच बना रहल छिथ। नेपाल उध्मी महासंघक नविनवार्िचत अध्यक्ष िमलािरजाल महासंघ के पन्ह मिहना पिहले संचालन मे आिन, साकर् मिहला ाफ्ट िभजेल ारा मिहला उध्मी सभसेहो अंतरार्ीय बाजारमे जा सकै त छिथ एकरा मािणत के ली।पैसा के अभावमे उपचारक लेल शहर निह जा िबमारी दबेनाई अिधकांश ामीणक बाध्यता अिछ। मुदा आबघर आँगनमे डाक्टर के ऐला सँ ऐहन लोक सभ राहत महसूस कऽ रहल छिथ। पवर्त के दुगर्म फ़लेबास खानीगाँवमे आयोिजत िनशुल्क स्वास्थय िशिवरमे दू हजार सँ बेसी लोक उपचार करा चुकलाह।नेपाल िस्थत रासंघीय िमशन अनिमन मुख इयान माटन अनिमनक कायर् अविध बढेबाक लेल धानमंीसमेत सम्बिन्धत पक्ष संग िवचार िवमशर् करताह। रासंघीय सुरक्षा पिरषद के बैठक सँ वापस अएला के बादमाटन कहला जे पूस मिहना के मध्यमे अनिमन के कायर्काल खत्म भेला के बादो समया अविध बढेबाक लेलरासंघीय सुरक्षा पिरषद इच्छु क अिछ। ओ कहलिन जे नेपाल मे शािन्त िया के आंगा बढेबाक लेलरासंघीय महासिचव बन की मून, ितब छिथ।नेकपा माओवादी के भातृ संगठन YCL िवघिटत राजपिरषद के सदस्य ािरकामान िसह धान के मारी पीटकऽ अपहरण कऽ लेलक अिछ। पचास-सािठ के समूहमे आयल YCL कायर्कतार् जनिहत नागिरक समाजकश्यामकृ ष्ण मास्के के घर सँ हुनक अपहरण के लकिन्ह। चैत्य स्तूप के जीणार करबा लेल दोलखा के भेलमीटग के बाद ओ मास्के के घरमे रुिक गेल छलाह। इटािलयन चैत्य स्तूप नामक संस्था के सहयोग सँ दोलखा केपुरान चैत्य स्तूपक जीणार करबाक टोली संग दोलखा पहुँचल िसह पर दरबारक नाम पर सामािजक काजकरबा के आरोपमे YCL हुनकर अपहरण के ने अिछ। YCL कायर्कतार् ारा तैयार दरबािरया अपराधी के सूिचमेिसहक नाम सब सँ उपर होयबाक कारणे पूवर् योजना के तहत हुनक अपहरण कयल गेल।माओवादी ारा िसरहा मे आयोिजत अिनितकालीन बंद आई सं वापस ल लेल गेल अिछ। अपन दू िजलास्तरीय नेता के िगरफतार के लाक िवरोध मे मंिसर 4 गते सं माओवादी बंदक आहवाहन के ने छल। बंदक कारणेपूवर् पिम राजमागर् के लहान खंड मे सवारी साधन के अवरूध्द भेला सं ह.जारो याी के भारी असुिवधा भगेल रहिन।िसरहा मे माओवादी ारा अिपितकालीन बंद वापस किरते रौतहट के माओवादी सेहो बंद वापस करबाकघोषणा क देलिन। आई स्थानीय शासन आ माओवादी िजला किमिट के बीच भेल सहमित के बाद बंद वापसीके घोषणा कएल गेल।11


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्राजमागर् आ सहायक राजमागर् पर बंद हड़ताल निह करबाक कानूनक बादो एकर कायार्न्वयन निह भेला संयातायात मजदूर नाराज छिथ। हुनका सभहक ारा राजमागर् मे अवरोध आ यातायात साधन पर हमला आअिगलगी जारी रहला सं जानक खतरा पर ध्यान िदयाबैत सरकार सं हस्तक्षेप करबाक मांग कएल गेल अिछ।अपराधी आ भूिमगत समूह ारा फोनक माफर् त चंदा के नाम पर पैसा मांगबा आ निह देला पर जान संमारबाक धमकी भेटलाक बादो शासनक लापरवाही के िवरोध मे आंदोलन पर उतरल बीरगंजक सोना चानीवसायी आई टायरा जरा अपन िवरोध दिशत के लिन। वसायी के कहब छिन्ह जे शासन के बेर बेर आहकरेलाक बादो मामला के गंभीरता के ित शासन के िधयान निह देला सं हमरा सबके ई कदम उठाबई पड़लअिछ।भरदुितया के िदन सं शुरू भेल भए बिहन के ेह के पाबइन के रूप मे ख्यात पावइन सामा चके बा संप भेल।मधेशक बिहन बेटी सब ारा बड़ महत्वक संग माइटक मूित के आई धइर पूजा क क सामा के भंसाओल गेल।तराई के थारू समाजक मिहला सब सामा पावइन के बड़ धूमधाम के संग मनाओल करै छइथ। अपन अपन गामसं काठमांडू मे आइब क रिह रहल थारू मिहला समाज आ मैिथल मिहला समाज आई हटले कायर्म केआयोलना क क सामा पवर् काठमांडू मे मनौलक अिछ।काितक पूिणमा के िदन जनकपुर गंगासागर,अरगजा पोखिर दशरथ तलाउ लगायतक पोखिर सभ नेपाल आभारतक िविभ स्थान सं आयल ध्दालु भजन सभ ान क जानकी मंिदर, राम मंिदर, जनक मंिदर आदशर्न आ पूजापाठ कै लिथ। काितक ान कै ल सं भूतेत डायन जोगैिन सं होबई बला क सं मुि हेबाकिववास अिछ। तिहना त्येक साल जंका धनुषा आ िसरहा सीमा पर रहल कमला नदी तट पर हजारो डायनआ धामी मेला लागल छल। एिह मेला के भूत मेला के नाम सं सेहो जानल जाइत अिछ। एिह बेर <strong>10</strong> ह.जार संबेसी धामी सभहक सहभािगता रहल बात जनाओल गेल अिछ। मेला मे नेपाल के धनुषा, महोरी, िसरहा आसलार्ही लगायत के िविभ िजला एवं भारत के मधुबनी आ दरभंगा िजला के धामी, डायन, जोिगन आ ध्दालुभजन के सहभािगता रहल बात कमला मेला आयोजक सिमित जनौलक अिछ। आधुिनक युग मे जत कानूनीरूप मे डायन के आरोप लगौनाई अपराध मानल जाइत अिछ त त्येक साल लागैय बला ई मेला िवज्ञान आकानून दुनु के चुनौती बनल अिछ।काितक शुक्ल षी के िदन सं जनकपुरक जानकी मंिदर के ांगन मे ीलमी नारायण महायज्ञ पुणार्हुित केबाद संप भेल अिछ। समापन के अवसर मे जनकपुर मे शोभा याा मे नेपाल आ भारत के िविभ स्थान संआएल साधु संत, बुध्दीजीवी एवं समाजसेवी सभहक अपार सहभािगता छलै।झापा िजला के मिहला िजनका ईलाजक लेल भारत या धरान आ िवराटनगर जाए पड़ैत छलिन्ह हुनक समस्याके अस्थायी समाधान भेल अिछ। भपुरक मेची अंचल अस्पताल मे सूित डाक्टरक वस्था रहलाक बादोडाक्टर उपलब्ध निह छलिथ। मुदा आब स्वास्थ्य मंालय एक महीना लेल डाक्टर िमिथला शमार् के ओिहठामपठा क अस्थायी समाधान के लक अिछ। अस्पताल मे मिहला डाक्टर के एला सं सूित मरीज के अस्पताल मेभीड़ शुरू भेल अिछ। भारतीय दूतावास ारा 2 करोड़ 74 लाख रूपैया के लागत सं 25 सैया के सुिवधा संपभवनक िनमाणर्क बादो डाक्टरक अभाव मे ई अस्पताल बेहाल अिछ।12


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्चूल्हा पर भानस क अपना पिरवार के खुएनाइ, अपन बाल बा के पोसनाई एवं पालनाई आ अपन घरकदेखभाल करैत अपन जीवन िबतौिनहार अिधकांश मधेश मे रिह रहल मधेशी मिहला के िदनचयार् अइछ। मुदाआब िकछु िदन सं िविभ संघ संस्था के यासक बाद, मधेशक मिहला सब सेहो अपन आ अपना पिरवार केबारे मे सोचबाक लेल सजग भ रहल छइथ। गाम गाम मे चलाओल जा रहल बचत समूह मे िनयिमत रूप मेउपिस्थत हेबाक एकटा मुख काज भ गेल छइन्ह हुनका सबके ।पूवाचल के मुख ापािरक के न् झापा के िबतार्मोड़ शहर गंदगी साफ करबा लेल स्थानीय लोक जागरूक निहअिछ आ निहए स्थानीय िनकाय सेहो ियाशील अिछ। एहन िस्थित मे एक सामािजक संस्था ारा िबतार्मोड़कसाफ सफाई शुरू कएल गेल अिछ।बारा नीजगढ़ िस्थत पूवर् पिम राजमागर् पर क मे बस ठोकर मािर देलक। जािह मे बसक ाइवर समेत आठगोटे घायल भ गेलाह। घायल सब मे सं बस चालक िसधुली के तारा तामांग, हेल्पर िदपेश आचायर् आ एक टाअंजान याी के हालत गंभीर छिन्ह। हुनकर सबहक उपचार बीरगंज के नारायण क्षेीय अस्पताल मे भ रहलछिन्ह।पसार् के सेढ़वा सं तीन ह.जार िकलोाम गांजा सश हरी बल क्षे नबंर पांचक टोली बरामद के लक अिछ।चेकजांच के म मे शु के राित संढ़वा जाइत समय सश के टोली के देखला के बाद गांजा लोड क रहल लोकसब भिग गेल। हरी के शंका भेला पर जांचक पात भारी माा मे गांजा बरामद के लक। सीमा सुरक्षा बल केमुख सश हरी उपरीक्षक कमान िसह जानकारी देलिन जे घटनास्थल सं एक थान नलकटुवा बंदूक सेहोपड़ल छल।भारतीय राजदूत िशवशंकर मुखर्जी दावी के लिन अिछ जे तराई क्षे मे भ रहल आपरािधक गितिविध मेभारतीय समूहक कोनो संलता निह अिछ। धानमंी िगिरजा साद कोइराला ारा सीमा पार सं आबई बलाअपराधी सब नेपाली सश समूह संग िमल क तराई मे िहसा मचेबाक अिभि देलाक तुरंते बाद भारतीयराजदूत मुखज एिह तरहक व देलिन। दूतावास के सहयोग सं संचािलत योजना सब के िनरीक्षण के लेलभोजपुर पंहुचल भारतीय राजदूत तराई िहसा मे भारतीय तत्वक संलता निह रहबाक बात कहलिन। ओकहलिन जे नेपाल जे अखन आंतिरक समस्या के सामना क रहल अिछ, ओकर सामाधान मे सरकार के सहयोगकरबाक लेल भारत तत्पर अिछ।पािकस्तान के रावलिपडी शहर मे भेल दू टा िवस्फोट मे कम सं कम 35 लोक के मारई जाए के ख़बर छई। दूनूिवस्फोट सैन्य िठकाना के िनशाना बना क कएल गेलई। पिहल िवस्फोट सेना के छावनी के बाहर एकटा नाकापर आत्मघाती हमलवार के लकै । एिह मे सेना के एकटा जवान मारल गेलई। दोसर िवस्फोट सेना के मुख्यालयके बाहर तखन भेलई जखन सेना के कमर्चारी के ल जा रहल एकटा बस के पाछां कार ल जा क ओिह मे िवस्फोटक देल गेलई। तीन महीना मे ई तेसर बेर छई जखन सेना के मुख्यालय पर हमला कएल गेल छई। एिह हमला के.िजम्मेदारी िकयौ निह लेलक अिछ। अिधकारी शक .जािहर के लक अिछ जे इ हमला तालेबान समथर्कचरमपंथी के ने हेतई। हुनक मानब छई जे तालेबान समथर्क सेना के ओिह कारवाई के बदला लेबई के कोिशश क13


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्रहल छई जे ओ उर पिमी ांत मे क रहल छई। हालक महीना मे पािकस्तान मे कतेको बड़का आत्मघातीहमला भेलया। कराची मे एक टा बड़का िवस्फोट मे कम सं कम 135 लोक के जान गेल रहई।पूवर् धानमंी नवा.ज शरीफ घोषणा के लैथ जे ओ रिववार यानी 25 नबंबर क लाहौर वापस लौटताह। नवा.जशरीफ के राजनीितज्ञ भाए शाहबा.ज शरीफ लंदन सं एिह ख़बर के पुि के लैथ। दूनू भाए एकै संग पािकस्तानपंहुचई बला छइथ। ओना अखन ई तय नई छई जे पािकस्तान मुिस्लम लीग जनवरी मे होभई वला चुनाव मेिहस्सा लेताह िक निह। गौरतलब छई जे नवा.ज शरीफ पिछला <strong>10</strong> नबंबर क पािकस्तान लौटल छलाह मुदाहुनका सउदी अरब भेज देल गेल रहई। मु दा िकछु िदन पिहने पािकस्तान के सुीम कोटर् हुनका स्वदेश लौटई केअनुमित द देने रहई। 1999 मे नवा.ज शरीफ के तख्ता पलिट देल गेल रहई। आ अिगला साल हुनकापािकस्तान सं िनवार्िसत क देल गेल रहई।पूवर् धानमंी आ नेपाली कांेस के विर नेता शेर बहादुर देउबा गणतंक मुख्य बाधक हेबाक आरोप नेकपामाओवादी पर लगेलिन अिछ। ओ मंिसर छह गते क िनधार्िरत कएल गेल संिवधान सभा चुनाव निह हेबईदेबाक आ माओवादी ारा गणतं के आयु बढ़ेबाक आरोप लगेलिन।अमेिरका के पूवर् रापित िजम्मी काटर्र के कहब छिन्ह जे अिह ठामक अिधकांश राजनीितक दल आ समुदाय तगणतंक पक्ष मे अिछ मुदा अिह लेल वैधािनक तरीक़ा स्थािपत करई पडत। धानमंी िगिरजा सादकोइराला संग भट मे काटर्र हुनका जल्दी सं जल्दी संिवधान सभा के िनवार्चन करबाक सुझाव देलिखन।धानमंी के िवदेश मामला संबंधी सलाहकार आिदत्य बराल के अनुसार धानमंी काटर्र के स्वयंम संिवधानसभा के चुनाव लेल आतुर आ चुनाव के बाद गणतं संबंधी िनणर्य लेबाक बात कहलिखन।अमेिरकी पूवर् रापित िजम्मी काटर्र राजनीितक दल आ सरकार के सुझाव देलिखन अिछ जे राजनीितकगितरोध के समा क 2064 साल के भीतरे संिवधान सभा के चुनाव करा क नेपाल मे दीघर् शािन्त के स्थापनाकरिथ। काटर्र कहलिन जे नेपालक माओवादी सं संबंध सुधारबाक लेल ओ अमेिरकी सरकार सं बात करताह।चीन के थाई जाजर्स डैम सोडर् के नजदीक भेल भूस्खलन मे एकटा बस के चपेट मे एला सं ओिह मे सवार 31लोकक मौत भ गेलई। भूस्खलन के घटना मंगलवार क भेलई आ ओिह के तीन िदन बाद इ बस भेटलई।भूस्खलन के समय बस मे 31 लोक सवार रहइथ। अिधकारी के मुतािबक दुघटर्ना के तीन िदन बीत गेलाक बादककरो जीबई के संभावना निह छई आ बस पूरा तरहे क्षितस्त छई। संगिह बोडांग काउंटी के हुबई ांत मे भेलभूस्ख्लन मे रेल िनमाणर् स्थल के नजदीक के सड़क के सेहो एकर चपेट मे आबई के बात कहल गेल छई।धानमंी िगिरजा साद कोइराला 2064 साल के िभतरे संिवधान सभा चुनाव करेबाक बात कहलाह। नेपालेड यूिनयन कांेस के ितिनिध मंडल संग बात करैत धानमंी ई ितबध्दता के लिन। ेड यूिनयन केपदािधकारी सब धानमंी के ज्ञापन प द क आई बालुबाटार पंहुचल छलाह। एिह अवसर पर संिवधान सभािनवार्चन के बाद पिहल बैठक सं गणतं के घोषणा करबाक लेल आ एिह सं पिहलका सहमित के अनुसारिमित िनवार्चन णाली लागू करबाक लेल धानमंी के सुझाव देबाक बात ेड यूिनयन कांेस के अध्यक्ष14


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्लमण बेत कहलाह। ज्ञापन प मे संिवधान सभा चुनाव के िनित ितिथ तकबाक म आयोग गठन करबाकयुिनयन के एकीकरण करबाक लेल आ शांित बहाली करबाक लेल सरकार सं मांग कै ल गेल अिछ।ाजील मे एकटा <strong>15</strong> वषय िकशोरी के चोरी के आरोप मे एकटा अनोखा आ ददर्नाक स.जा देल गेलई। <strong>15</strong>वषय एिह लड़की के स.जा के तौर पर कतेको हफता तक 21 लोक के संग जेल मे राखल गेलई जे ओिह िकशोरीके खाए लेल तखने दई जखन िक बदला मे ओकरा संग संबंध स्थािपत कएल जाए छलई। एिह कम उक लड़कीके संग .जबरदस्ती बलात्कार कएल जाई छलई आ अिधकारी िकछो निह क पेलैथ जाधिर िक राीय िमिडया मेई ख़बिर निह एलई आ ाजीलवासी एिह लड़की के िरहाई के मांग निह के लकै । एिह लड़की के उंगली पर आतलवा पर जलइत िसगरेट लगा क िकशोरी के तािड़त कएल जाई छलई आ ओकरा संग राखल गेल 21 टाबलात्कारी लड़का जंका ओकर के स कािट देने रहई, तािक ओकर पहचान निह भ पाबई। लड़की आ ओकरपिरवारवाला के मुतािबक हुनका सबके लगातार जान सं मारई के धमकी भेटई छलई। शुवार क संघीयसरकार, मानवािधकार अिधकारी के एकटा ितिनिध मंडल के एिह मामला के जांच के लेल भेजलक अिछ।रूपन्देही के कृ षक सब के बीच एखन बेमौसमी प्याजक खेती ख़ास लोकिय बनल अिछ। कनीके ख़चर् सं मोनकअनुरूप आमदनी भेला सं कृ षक सब एिह िदस आकिषत भेल अिछ।२. ीित(ीित नेपाल १ टी.वी. मे दैिनक मैिथली कायर्मक होस्ट छिथ।)१.िवयाह एकटा िरश्ता के एहन अटूट बंधन अिछ जकरा सामािजक मान्यता ा छैक आ एक खास अवस्था मसब स्वेच्छा सअ अिह बंधन म बंधय चाहैत अिछ। ाचीनकाल म स्वयंबर के चलन छल। यािन मिहला केस्वयं वर चुनवाक सामािजक आजादी छलिन्ह। कालांतर म सामािजक िस्थित म बदलाव आयल। बहु िववाह यादोसर िवयाह पिहनुहुं ा छल मुदा मिहला के निह भेटल ई आजादी। आइयो कमोवेश दोसर िवयाह परसमाज मिहला के ित ओतेक उदार शायद निह अिछ जतेक उदार ओ पुरूषक दोसर िवयाह पर अिछ।दोसर िवयाह के बारे म ज सच पुछी त समाज पुरूख के संग दैत अिछ। पिहने त समाज म बहु िवयाहक थाछल मुदा आब यिप एकरा मानयता निह छैक तथािप समाज सअ ई था पूणर्त: खत्म निह भेल अिछ। दोसरिवयाह ज िवधुर ारा या कोनो खास िवशेष पिरिस्थित म कयल जाय त एकर कारण बुझवा म अबैत अिछ परयिद मा शौक, दहेजक लोभ या छ आधुिनकता के होड़ म कयल जाय त ई अक्षम्य अपराध अिछ। अिह मादेसमाज आ स्वयं पुरूष के अपन सोच बदलबाक आवश्यकता अिछ ।समय बदलल संगिह लोक के सोच सेहो बदलल अिछ। मुदा एखनो निह बदलल अिछ मिहला के मादे पुनिववाहया दोसर िवयाह पर समाजक नजिरया। ज पुरूष क सकै त छिथ दोसर िवयाह त िकएक निह पिरत्या,िवधवा मिहला के सेहो भेटबाक चाही ई अिधकार। कतेक नक मिहला होयत ज जवान के संतानहीन िवधवा<strong>15</strong>


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्के पुनिववाह के अिनवायर् बना देल जाय आ बािकयो के स्वेच्छा पर छोिड़ देल जाय। ज ई भ सकय संभव तनिह िसफर् समाज सअ मिहला आ पुरूषक भेदभाव िकछु कम होयत अिपतु बिल्क समाज ारा उपेिक्षत आ एकतरहे त्यागल मिहला पुन: समाज के मुख्यधारा म शािमल भय अपन जीवनक नैराश्य सअ मुि पािब सकलीह।२.कोजागरा पाविन आ्ि◌वन शुक्ल पूिणमा के मनाओल जाइत अिछ। नविववािहत लड़का लेल अिह पाविन केिवशेष महत्व अिछ या कहू त ई पाविन खासकय हुनके सभक लेल छिन्ह। नवका बरक लेल ई पाविन तिहनेमहत्वपूणर् अिछ जेहन नविववािहता लेल मधुावनी। फकर् यैह अिछ जे मधुावनी कतेको िदन लम्बा चलैयबला पाविन अिछ आ अिह म नव कन्या लेल बहुत रास िविध-िवधान अिछ जखनिक कोजागरा मुख्यतःमाएक िदन होइत अिछ।जिहना मधुावनी म किनया सासुरक अ-वक योग करैत छिथ तिहना कोजागरा म बर सासुर सं आयलनव व धारण करैत छिथ। कोजागरा के अवसर पर बर के सासुर सं कपड़ा-ला, भार-दोर अबैत छिन्ह। अिहभार म मखानक िवशेष महत्व रहैत अिछ। यैह मखान गाम-समाज म सेहो बरक सासुरक सनेस के रूप म देलजाइत अिछ। सासुर सं आयल कपड़ा पिहरा बरक चुमाओन कयल जाइत अिछ। बरक चुमाओन पर होइत अिछबहुत रास गीत-नाद।कोजागरा म नक जकां घर-आंगन नीपी-पोिछ दोआरी सं भगवतीक िचनवािर धिर अिरपन देल जाइत अिछ।भगवती के लोटाक जल सं घर कयल जाइत अिछ। िचनबार पर कमलक अिरपन दय एकटा लोआ म जल भिररािख ओिह पर आमक पल्लव रािख तामक सराई म एकटा चांदी के रूपैया रािख लमी के पूजा कयल जाइतअिछ। राित म अधपहरा दकिख बरक चुमाओन कयल जाइत अिछ। आंगन म अदल अिरपन द ओिह पर डालारािख कलशक अिरपन द तािह म धान द कलश म आमक पल्लव राखल जाइत अिछ। एकटा पीढ़ी पर अिरपनदेल जाइत अिछ जे अदलक पिम राखल जाइत अिछ। चुमाओनक डाला पर मखान, पांच टा नािरयल, पांचहत्था के रा, दही के छांछ, पानक ढोली, गोटा सुपारी, मखानक माला आिद रािख पान, धान आ दूिब सं वर केअंगोछल जाइत अिछ तहन दही सं चुमाओन कयल जाइत अिछ। चुमाओन काल म बर सासुर सं आयल कपड़ापिहिर पीढ़ी पर पूब मुंहे बैसैत छिथ।पुरहरक पाितल के दीप सं वर के चुमाओन सं पिहने सेकल जाइत छिथ। फे र कजरौटा के काजर सं आंिखकजराओल जाइत छिन्ह। तकर बाद पांच बेर अंगोछल जाइत छिन्ह। तखने होइत छिन्ह चुमाओन। चुमाओनकबाद वरक दुवार्क्षत मं पिढ़ कम सं कम पांच टा ाण दूवार्क्षत दैत छिन्ह। फे र पान आ मखान बांटल जाइतअिछ। आ अिगला िदन धिर मखान गाम घर म बांटल जाइत अिछ।३.नवेन्दु कु मार झाआब वासक आश-16


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्कोसी क्षेमे आएल भीषण बािढ़सँ ई क्षे तबाह भऽ गेल अिछ। वतर्मान पिरदृश्य महान कथाकार फणीरनाथ रेणुक “परती पिरकथा” िदस लोक ध्यान खिच रहल अिछ। कोसीक मािर सहैत कतेको लाखक आबादीकेँओिह िदन राहत भेटल छल जखन िक िबहारक शोक कहल जाएवाला नदी कोसीपर तटबंधक िनमार्ण भेल छल।आशा जागल जे ई क्षे आब सोना उगलत। ई भेबो कएल। मुदा १८ अगस्त २००८ केँ पूरा पिरदृश्य बदिल गेल।सरकारक लापरवाही चाहे ओ के न् सरकारक हो िक राज्य सरकारक ई क्षे एक बेर फे रसँ बालूक ढेर बिन गेल।जे नदी एिह क्षेकेँ बसौलक ओिह नदीक कारण एक बेर फे र क्षे िवरान भऽ गेल। िवकास दौरसँ ई क्षे चिलगेल पचास वषर् पाछाँ।एिशया क्षेमे सभसँ उपजाऊ मानल जाएबला एिह क्षेमे एखन बाँचल अिछ तँ ओऽ छिथ अपन घर-घरारीछोिड़ शरणाथ बनल बािढ़ पीिड़त आ पसिर रहल िबमारी आ बाँचल अिछ िजनगी कटबाक आशा। मलेिरयासन महामारीक लेल बदनाम एिह क्षेमे िकछु वषर्सँ जे हिरयरी देखाइत छल तािहपर पािन पसिर गेल। गहूम,मकई आ धानक लहराइत खेत देखबाक िचन्तामे लागल अिछ लोक। खेतीपर िनभर्र एिह क्षेक अथर्वस्थापरजे घाव भेल अिछ से कतेक िदनमे भरत से िनित निह बुिझ पड़ैत अिछ।ओना तँ एिह क्षेक एकटा पैघ आबादी एखनो वासी छल मुदा जे एखन छलाह ितनको ई बािढ़ वासीबनबापर िववश कएलक अिछ। खेतीक बाद जािहसँ एिह ठामक अथर्वस्था चलैत छल ओ अिछ मनीआडर्र।मनीआडर्रक भरोसे लोक कहुना िजनगी कटैत छल। आब ओकरो अपन िजनगी पहाड़ लािग रहल अिछ। राहतिशिवर आ सुरिक्षत स्थानपर शरण लेने एकटा पैघ आबादीकेँ अपन भिवष्य वसी बनबामे बुिझ पड़ैत अिछ।ओऽ आब िबचािर लेने अिछ जे घर गृहस्थीकेँ पटरीपर आनब िबनु वासी बनने संभव निह अिछ। कोसी क्षेककतेको रेलवे-स्टेशनपर लगातार बिढ़ रहल भीड़ एकर माण अिछ। कतेको माय-बाप-भाइ-बिहन अपन-अपनपिरजनकेँ घर-घरारीक िचन्ता निह करबाक आशा देआ देशक लेल िबदा कऽ रहल छिथ। िकएक तँ िजनगीकटबाक एकमा रास्ता ओकरा मनीआडर्र बुिझ पड़ैत अिछ। एिह ठाम तँ सभ िकछु उजिड़ गेल अिछ। आबएकमा आशा वासी बिन रहल पिरजनक मनीआडर्र मा अिछ जािहसँ फे रसँ घर गृहस्थीकेँ पटरीपर आनलजाऽ सकै त अिछ। ओकरा एिह बातक कोनो िचन्ता निह अिछ जे देशक कतेको भागमे िबहारी सभक िवरुगितिविध चलाओल जा रहल अिछ। ओऽ तँ आब ई मािन लेलक अिछ जे एिह ठाम एखन कोन िजन्दा छी जेदेशमे कोनो अनहोनी घटनाक िशकार भऽ जाएब। ई एिह बातक माण अिछ जे पेट आिगक सोझाँ देशमेहोमए वाला कोनो तरहक अनहोनीक कोनो मोल निह अिछ। अपन आँिखसँ कोसीक धारमे बहैत अपन लोक,आर-परोस आ पिरिचतक लहाससँ एिह क्षेक लोक हृदय पाथर भऽ गेल अिछ। बाँचल िजनगी कटबाक लेलमृत्युक सामना करएसँ आब कोनो घबराहिट ओकरा निह छै।कोसीक तटबन्ध टुटलाक बाद आब सरकारी स्तरपर जाँच, कावार्ई आ आयोगक गठन आिद खानापूित भऽ रहलअिछ आ होएत एिहसँ ओकरा कोनो माने मतलब निह रिह गेल छै। आब िचन्ता छै तँ बस अपन घर-घरारीबसेबाक आ अपन पिरवारक भिवष्य रक्षा करबाक। बािढ़ पीिड़तक लहासपर राजनीित, राहत आ बचावकाजक नामपर सरकारी खजाना लुटाएत, वोटक लेल गोलबन्दी होएत मुदा अिगला साल फे र कोसीक तांडवनिह होएत आ राजनेता, अिधकारी आ सरकार अपन िजम्मेदारी िनवार्ह करताह एकर कोनो गारंटी निह अिछ।17


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्अनबाक यास करबाक चाही। ज्योँ फे र िववाद उठल तँ एक बेर फे र िके टपर हण लािग जाएत। आबिके टक मठाधीश संघषर् छोिड़ भारतीय टीममे िबहारक ितिनिधत्व देयबाक संगिठत भऽ यास करिथ जािहसँिबहारमे िके टक भिवष्य बिन सकए।४.ग४.१.कथा १.सुभाषचन् यादव(अपन-अपन दुख) २.िजनगीक)िवभारानी (आऊ कनेक ेम करी माने बुझौअल४.२.१. िरस्क आऽ मैिथल- ज कु . कणर् २. कोना बचत िमिथलाक िस्मता?-ओमकाश झा४.३.१. महाकाश ी सुभाषचन् यादव पर, २. िजतेन् झा सुी अंशुमालापर४.४. १.जीवन झाक नाटकक सामािजक िववतर्न- ेमशंकर िसह (आगाँ) २.स्व. राजकमल चौधरी पर - डॉ.देवशंकर नवीन (आगाँ)४.५. दैिनकी-ज्योितकथा१. सुभाषचन् यादव २. िवभारानीिच ी सुभाषचन् यादव छायाकार: ी साके तानन्दसुभाष चन् यादव, कथाकार, समीक्षक एवं अनुवादक, जन्म ०५ माचर् १९४८, मातृक दीवानगंज, सुपौलमे।19


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्पैतृक स्थान: बलबा-मेनाही, सुपौल- मधुबनी। आरिम्भक िशक्षा दीवानगंज एवं सुपौलमे। पटना कॉलेज, पटनासँबी.ए.। जवाहरलाल नेहरू िविवालय, नई िदल्लीसँ िहन्दीमे एम.ए. तथा पी.एह.डी.। १९८२ सँ अध्यापन।सम्ित: अध्यक्ष, ातकोर िहन्दी िवभाग, भूपेन् नारायण मंडल िविवालय, पिमी पिरसर, सहरसा,िबहार। मैिथली, िहन्दी, बंगला, संस्कृ त, उदू र्, अंेजी, स्पेिनश एवं च भाषाक ज्ञान।काशन: घरदेिखया (मैिथली कथा-संह), मैिथली अकादमी, पटना, १९८३, हाली (अंेजीसँ मैिथलीअनुवाद), सािहत्य अकादमी, नई िदल्ली, १९८८, बीछल कथा (हिरमोहन झाक कथाक चयन एवं भूिमका),सािहत्य अकादमी, नई िदल्ली, १९९९, िबहािड़ आउ (बंगला सँ मैिथली अनुवाद), िकसुन संकल्प लोक, सुपौल,१९९५, भारत-िवभाजन और िहन्दी उपन्यास (िहन्दी आलोचना), िबहार राभाषा पिरषद्, पटना, २००१,राजकमल चौधरी का सफर (िहन्दी जीवनी) सारांश काशन, नई िदल्ली, २००१, मैिथलीमे करीब सिर टाकथा, तीस टा समीक्षा आ िहन्दी, बंगला तथा अंेजी मे अनेक अनुवाद कािशत।भूतपूवर् सदस्य: सािहत्य अकादमी परामशर् मंडल, मैिथली अकादमी कायर्-सिमित, िबहार सरकारक सांस्कृ ितकनीित-िनधार्रण सिमित।अपन-अपन दुखओिह राित पी दुिखत छ्लीह । पीठ मे ददर् होइत रहिन। घरक िभतिरया बरंडा पर खाट पर पड़ल छलीह।िन निह होइत छलिन। धीयापूता क आवाजाही, गपशप, खटखुट िन निह होअय दिन। ओ अित ध्विनाहीछिथ। सिसिटव माइोफोन जकाँ छोट-छोट ध्विन-तरंग सँ किम्पत भs जाइत छिथ। धीयापूता केँ बरजैतधिथन — अनेरो टहल-बूल निह, हल्ला-गुल्ला निह कर, रेिडयो निह बजा। कतेको बेर अड़ोस-पड़ोस सँ अबैतटी.वी. या रेिडयोक आवाज सुिन कs पुछैत छिथन—‘अपन रेिडयो बािज रहल अिछ ?’सभक अपन-अपन संसार होइत छैक। धीयोपूतोक अपन संसार छैक। ओ सभ कखनो मायक बात सुनैत अिछ,कखनो निह सुनैत अिछ आ संसारक अपन कल्पनाक रमणीयता मे डूबल रहैत अिछ। अवहेलना सँ पीक खझबढ़s लगैत छिन। तनाव चरम सीमा पर पहुँिच जाइत छिन तs िचकिर उठैत छिथ आ धीयापूता केँ सरापSलगैत छिथ। धीयापूताक कोमल भावुक संसार आइना जकाँ चूर भs जाइत अिछ। ओिह राित हम कनेक देरी सँघर घूरल रही। देर सँ घुरब पीकेँ पिस निह छिन। हमर ई िदनचयार् हुनका लेल घोर आपिजनक आिवपितजनक। देर सँ घुरबाक अथर् अिछ देर सँ सूतब आ देर सँ सुतबाक अथर् अिछ पीकेँ देर धिर किम्पत करैतरहब।तs ओिह राित घर पहुँचला पर पिरिस्थित बूझबा मे भांगठ निह रहल जे भानस –भात निह भेल अिछ, पीकोनो कारणे सूतिल छिथ। एना कतेको बेर भेल अिछ। सूतिल रहथु , िव निह होिन ई चेा करैत धीयापूताक20


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्सहयोग सँ हम भानसक उधोग मे लािग गेल रही । मुदा पी िनमे निह छलीह; कलमच पड़ल छलीह। एिहपिरिस्थितक लेल जेना सफाइ दैत आ अपन जागरण तथा क केँ जनबैत पी अचानक चनिक उठलीह — ‘आबअखन सँ शुरू भs गेलैक गाँिड़ घुमौनाइ। हौ बाप, ई सभ कखनो चैन निह दैत अिछ। भगवान, मौगित दैह !’एकटा सनसनाइत तीर सन शांित पसिर गेल । पी उिठ कs दोसर कोठली चल गेलीह।घंटा- दू घंटा बीतल। ओिह िदन बहुत थाकल रही। सोचलहुँ खा कs सूित रही। पी केँ जखन िन टुटतिन, खालेतीह। िन मे उठा देला पर हुनका फे र िन आयब किठन होइत छिन। तेँ हुनक िभड़काओल के बाड़ केँ आस्ते-आस्ते ठेिल चछिर लेबा लेल भीतर गेलहुँ। मुदा हमर पदचाप आ उपिस्थित सँ हुनक िन टूिट गेलिन। हुनकाजागल बूिझ हम कहिलयिन- ’खा िलयs।’ ओ करोट फे रलीह, बजलीह िकहु निह।हम दोसर कोठली मे जा कs सूित रहलहुँ। पता निह कतेक राित भेल हेतैक । हमरा क्यो जगा रहल छल । िनकेँ ठेलैत हम अख्यास करs लगलहुँ के अिछ, की किह रहल अिछ। ठीक-ठीक मोन निह पड़ैत अिछ, मुदा लगैतअिछ हमर आँिख निह खुजल रहय। कान मे पीक स्वर आयल, लेिकन बुझायल निह ओ की किह रहल छिथ ।पुछिलयिन – ‘की कहैत छी?’कहलिन— ‘की भेल अिछ? एना िकयैक करैत छी?’हम सोचय लगलहुँ , हमरा की भेल; हम कोना करैत रही। तखन ध्यान गेल, गला मे कफ फँ सल अिछ। खखािरकs ओकरा गीड़ैत अन्दाज कयलहुँ हम घरार्इत रहल होयब आ पी डिर गेल हेतीह।हम फे र लगले िन पिड़ गेलहुँ। पता निह कतेक समय बीतल हेतैक। घंटा िक आध घंटा । पीक आवाज कानमेआयल- ‘सुनै नइँ िछऐ ?’पुिछ्लयिन—‘की?’कहलिन—‘लोककेँ सूतs देबैक िक निह ?’ देखिलयिन चौकी सँ कने हिट कs ठािढ़ छलीह । हमरा भेल हम फे रघरार्य लागल होयब। गरामे अटकल कफ केँ घटैत ेह सँ पी केँ पुछिलयिन- ‘भोजन कयलहुँ?’पी कोनो जवाब निह देलिन आ चल गेलीह। भेल जे खा लेने हेतीह तेँ निह बजलीह। एिह बेर िन तुरन्ते निहआयल। िचन्ता भेल कफ िकएक बिढ़ गेल अिछ । मोन पड़ल पी कतेक डेरा गेल छलीह। फे र पता निह कखनिन पिड़ गेल ।भोरमे पी सँ पुछिलयिन— ‘राितमे दू-दू बेर िकएक जगौने छलहुँ’, तs कहलिन- ‘पारा जकाँ िडकरैत छलहुँ21


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्तेँ।’हमरा एिह जवाबक आशा निह रहय, तेँ एिह पर हठात िवास निह भेल । पिहने एना किहयो निह भेल रहय। हमर ठड़ड़ सँ अकच्छ भs कs ओ किहयो जगौने निह छलीह । तखन हमर ओ कफ आ घरघरी कोनो म रहय? हमरा भीतर जेना िकछु कचकल। कने चुप रिह पुछिलयिन— ‘खयने छलहुँ िक निह ?’ कहलिन— ‘हँ, लोकताला मारने रहैत छैक आ हम खा लैत िछऐक।’हमरा बुझा गेल राितमे धीयापूता खा-पी कs सूित गेल होयत आ भनसाघर मे ताला लगा देने हेतैक। पीअपन भूख आ हमर फफसँ कु िपत भs कs हमरा उठबैत छल हेतीह। हम उिठ गेल रिहतहुँ तs ओ खइतिथ आखइतिथ तs िन पिड़ जइतिथ । ओ तामसे भेर भेल भूखल रिह गेलीह। ठड़ड़ आघरघरीक दू टा संसार अिछ।सभक अपन-अपन संसार होइत छैक। संसारक अपन-अपन सुख होइत छैक, अपन-अपन दुख होइत छैक ।२.िवभा रानी (१९५९- )लेखक- एक्टर- सामािजक कायर्कतार्-बहुआयामी ितभाक धनीिवभा रानी राीय स्तरक िहन्दी व मैिथलीक लेिखका, अनुवादक, िथएटर एक्टर, पकार छिथ, िजनक दज़र्नभिर से बेसी िकताब कािशत छिन्ह आ कएकटा रचना िहन्दी आ मिथलीक कएकटा िकताबमे संकिलत छिन्ह।मैिथली के 3 सािहत्य अकादमी पुरस्कार िवजेता लेखकक 4 गोट िकताब "कन्यादान" (हिरमोहन झा), "राजापोखरे म िकतनी मछिलयां" (भास कु मार चाऊधरी), "िबल टेलर की डायरी" व "पटाक्षेप" (िलली रे) िहन्दीमेअनूिदत छिन्ह। समकालीन िवषय, िफ़ल्म, मिहला व बाल िवषय पर गंभीर लेखन िहनक कृ ित छिन्ह।रेिडयोक स्वीकृ त आवाज़क संग ई िफ़ल्म्स िडिवजन लेल डॉक्यूमटरी िफ़ल्म, टीवी चैनल्स लेल सीिरयल्सिलखल व वॉयस ओवरक काज के लिन्ह। िमिथलाक 'लोक' पर गहराई स काज करैत 2 गोट लोककथाक पुस्तक"िमिथला की लोक कथाएं" व "गोनू झा के िकस्से" के काशनक संगिह संग िमिथलाक रीित-िरवाज, लोक गीत,खान-पान आिदक वृहत खज़ाना िहनका लग अिछ। िहन्दीमे िहनक 2 गोट कथा संह "बन्द कमरे का कोरस" व"चल खुसरो घर आपने" तथा मैिथली म एक गोट कथा संह "खोह स' िनकसइत" छिन्ह। िहनक िलखल नाटक'दूसरा आदमी, दूसरी औरत' राीय ना िवालय, नई िदल्ली के अन्तरार्ीय ना समारोह भारंगममेस्तुत कएल जा चुकल अिछ। नाटक 'पीर पराई'क मंचन, 'िववेचना', जबलपुर ारा देश भरमे भ रहल अिछ।22


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्अन्य नाटक 'ऐ िये तेरे िलए' के मंचन मुंबई व 'लाइफ़ इज नॉट अ ीम' के मंचन िफ़नलडमे भेलाक बाद मुंबई,रायपुरमे कएल गेल अिछ। 'आओ तिनक ेम कर' के 'मोहन राके श सम्मान' से सम्मािनत तथा मंचन ीरामसटर, नई िदल्लीमे कएल गेल। "अगले जनम मोहे िबिटया ना कीजो" सेहो 'मोहन राके श सम्मान' से सम्मािनतअिछ। दुनु नाटक पुस्तक रूप म कािशत सेहो अिछ। मैिथलीमे िलखल नाटक "भाग रौ" आ "मदद करू संतोषीमाता" अिछ। िहनक नव मैिथली नाटक स्तुित छिन्ह- बलचन्दा।िवभा 'दुलारीबाई', 'सावधान पुरुरवा', 'पोस्टर', 'कसाईबाड़ा', सनक नाटक के संग-संग िफ़ल्म 'धधक' व टेली -िफ़ल्म 'िची'मे अिभनय के लिन्ह अिछ। नाटक 'िम. िजा' व 'लाइफ़ इज नॉट अ ीम' (एकपाीय नाटक)िहनक टटका स्तुित छिन्ह।'एक बेहतर िवव-- कल के िलए' के पिरकल्पनाक संगे िवभा 'अिवतोको' नामक बहुउेश्यीय संस्था संग जुड़लछिथ, िजनक अटूट िववास 'िथएटर व आटर्-- सभी के िलए' पर अिछ। 'रंग जीवन' के दशर्नक साथ कला,रंगमंच, सािहत्य व संस्कृ ित के माध्यम से समाज के 'िवशेष' वगर्, यथा, जेल- बन्दी, वृद्ाम, अनाथालय,'िवशेष' बा सभके बालगृहक संगिह संग समाजक मुख्य धाराल लोकक बीच साथर्क हस्तक्षेप करैत छिथ। एतयिहनकर िनयिमत रूप से िथएटर व आटर् वकर् शॉप चलित छिन्ह। अिह सभक अितिर कॉपरेट जगत सिहतआम जीवनक सभटा लोक आओर लेल कला व रंगमंचक माध्यम से िविवध िवकासात्मक िशक्षण कायर्म सेहोआयोिजत करैत छिथ।ीमित िवभारानी सम्ित मुम्बईमे रहैत छिथ।स्तुत अिछ िवभाजीक कथा आऊ कनेक ेम करी माने बुझौअल िजनगीक। एिह कथापर िहन्दीमे िवभाजीकनाटक िलखल गेल "आओ तिनक ेम कर" जकरा २००५ ई. मे मोहन राके श सम्मानसँ सम्मािनत कएल गेल।आऊ कनेक ेम करी माने बुझौअल िजनगीक'हे ये..., कत' गेलहुँ? आऊ ने एम्हर।''की कहै छी? एम्हरे त' छलहुँ तखनी स'। कहू, की बात?''िकछु निञ! मोन होइय' जे अहाँ अईठाँ बैसल रही।''धुर जाऊ! अहूँ के त' ... एह! एतेक काज सभ पसरल छै। बरखा-बुीक समय छै। िदन मे अन्हार भ' जाइ छै।तइयो अहाँ कहलहुँ त' बैिस गेलहुँ आ देिखयौ जे लग मे बैसल-बैसल अनेरे कएक पहर िनकिल गेलै। ताबितमे त'23


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्'से त' अहाँ कहबे कहब। बात लागल जे छनाक स'। अिहना त' अहाँ आओर हमरा आओरक अबाज के बंद करैतएलहुँए।''सपना, अहाँ एना जुिन सोचू। आई तीस बरख स' हम दुनू एक संगे छी। पूणर् भरोस स', संपूणर् आत्मसमपर्ण,िववास आ सहयोग स'। हमरा बुते जे भ' सकल, किहयो छोड़लहुँ निञ। ठीक छै जे हम किहयो एक कपचायोटा निञ बनेलहुँ, मुदा आदमी आओरक सहयोग देबाक माने की खाली भन्से मे घुसनाई होई छै? अहाँ मोनपाडू, हम किहयो कोनो बात पर टोकारा देलहुँ? अहाँ जे पकाबी, जे खुआबी, जे पिहराबी, जेना अहाँ राखी।किहयो कोनो आपि कएल की।''हमरा हँसी आिब रहलए अपन एहेन समिपत पित पर।''मुदा हमरा निञ आिब रहलए। हमरा गवर् अिछ अपन एहेन सहयोगी पी पर जे हमर कन्हा स' कान्हा िमलाक' हमरा संगे-संगे चललीह। मुदा, आई ई सभ उगटा-पुरान िकयैक?''टाइम पास कर' लेल आ अहाँ जे कहलहुँ, अई ठाँ बैस' लेल, त' बैिस के अहाँक मुंह त' निञ िनरखैत रिह सकै छीने।''िनरेखू ने, िकओ रोकलकए अहाँ के िक टोकलकए अहाँके ।''धुर जाऊ, अहूँ त...! आब ओ सभ संभव छै की? अरे, जिहया उिमर छल, जिहया समय छल, तिहया त' किहयोहमर मुंह िनरेखबे निञ कएलहँ◌ु आ निहए िनरखही देलहुं। चाहे हम िकछु ओ पिहिर-ओिढ़ ली, चाहे बाहर स'हमरा कतेको शंसा भेिट जाए, अहाँक मुंह स' तारीफक एकटा बोल सुन' लेल तरिस गेलहुँ। बोल त' बोल,एकटा शंसात्मक नजिरयो लेल िसहन्ता लागले रिह गेल। आ तिहना अहांक पिहरल ओढ.ल पर किहयोएपी्रिशएट कएलहुँ, तइयो मुंह एकदम एके रस - शून्य, भावहीन ...''एह! एना जुिन कहू। अहाँक सज-धज देिखक' हमरा जे सता होइत छल, से हम किहयो निञ शेयर कएलहुँअहाँ स', से कोना किह सकै छी। िदनभर अहाँक रूप आँिखक सोझा नचैत रहैत छल आ राित मे ओ सभटाशंसा रूपाकार लेइत छल। तिहना अहांक मुंह स' अपन, शंसाक बोल भिर िदन चानीक घंटी जकाँ मोन मेटुनटुन बाजत रहैत छल आ मोन के उत्फु ल्ल बनौले रहै छल। मुदा, अहाँ किहयो ओिह समय कोनो सहयोगे निञदेलहुँ या किहयो संग देबो के लहुँ त' ब बेमोन से'। हम किहयो पूछलहुँ जे अएं यै, एना िकयैक करै छी अहाँ?अहक मज मुतािबक हम ओहूठाँ चलैत रहलहुँ।'25


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्'हे! सरासर इल्जाम निञ लगाबी। देिखयौ, हमरा लेल जेना अहाँ महत्वपूणर् छी, तिहना अहाँक त्येक बातहमरा लेल महत्वपूणर् अिछ। हम अहाँक संग निञ देलहुँ अथवा बेमोन स' देलहुँ त' िकयैक ने अहाँ पूछलहुँकिहयो, अथवा हम झँपले-तोपले िकछु कहबो के लहुँ त' िकयैक ने तकरा पर िबचार के लहुँ, किहयो खुिलक' चचर्के लहुँ.। ... हे िलय'..., चाय िलय'... अपनो लेल बना लेलहुँ। भन्साघर स' िचकिर िचकिर क' बाज पड़ै छल।िकओ सुिनितयैक त' कहितयैक जे बतिहया जकाँ एकालाप क' रहल छै िक ककरो संगे झगिड़ रहल छै।''चाय त' ब दीब बनलए।''एह! यािह टा गप्प पिहनहुँ किहयो कहने रिहतहुँ। अई तीस बरख म आइए नीक चाय बनलैय' की?''छोड़ू ने पुरना गप्प सभ! आब धीया-पुताक घर म ई सभ कथा-पेहानी नीक लागितयैक की?''िकयैक ने नीक लागितयैक? ई सभ त' जीवनदायी धारा सभ छै जािह स' जीवनरूपी वृक्षक डाल-पात सभकेिभ िभ ोत स' जीवनशि भेटैत रहै छै। अरे, िधया-पुताक सोझा अहाँ किहये िदतहुँ त' अई मे कोनो ऐहनअधलाह कमर् त' निञ भ' जइितयैक जािह स' ओकरा आओरक आगाँ हमरा आओर के शमर् िक झप महसूसहोयितयैक!''अहाँ बात के तूल द' रहल छी।''नञ! िस्थितक मीमांसा क' रहल छी। चीज के रैशनलाइज क' रहल छी।''हमरो दुनूक िजनगी के हेन रहलए। नेना छलहुँ त' पढ़ाई, पढ़ाई, पढ़ाई! माय-बाउजी कहैत छलाह जे बाउ रौ,इएह त' समय छौक तपस्याक। एखिन तपस्या क' लेब त' आगाँ एकर मधुर फल भेटतौ। पढ़ बाउ, खूब मोनलगाक' पढ़ ! आ हम पढ़ैत गेलहुँ - फस्टर् अबैत गेलहुँ। नीक नोकरीयो लािग गेल। बाउजी सत्यनारायणभगवानक कथा आ अयाम सेहो करौलिन्ह। हुनका ब सौख छलै जे हुनकर पुतौहु पढ.ल-िलखल, समझदार आमैच्योडर् हुअए। तकदीरक बात किहयौ जे हुनकर ईहो सेहन्ता पूणर् भ' गेलै। हुनका अहॉँ सन पुतौहु भेटलै, रूप आवहारक गिरमा स' पिरपूणर्।'चाय त' सिठ गेल। आओरो ल' आबी की?''निञ! हमरो िजनगी सोगारथ भेल अहाँ के पािब क'। कतेको परेशानी भेल, अहाँ सभस' िनबटैत गेलहुँ, एकदमस' धीर िथर भ' क'।'26


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्'त' की किरतहुँ! जहन हम दुनू ाणी एकटा बंधन म बंधा गेलहुँ त' तकर मान मरजाद त' िनभाबही पड़ितयैकने! आ कथा खाली हमरे आ अहाँटाक संबंध धिर त' सीिमत निञ रहै छै। एकर िवस्तार अहाँक पिरवार, हमरपिरवार आ फे र अपन बाल-बा धिर होइत छै, आ हे, एहेन निञ छै जे हम सीता-सािवी जकाँ मुंह सीनेसबकु छ टॉलरेट करैत गेलहुँ। कएक बेर हम अपन टेम्पर लूज के लहुँ। मुदा अहाँक तारीफ, अहाँ अपन टेम्परकिहयो निञ लूज के लहुँ।''महाभारत स' बच' लेल। आह! पीक आघात स' कोन एहेन मनुष्य अिछ जे बाँिच सकलए।''मजाक जुिन करू! अहँ◌ू सीिरयस छी त' हमहूँ सीिरयस छी। हमर अपन इच्छा छल नािन्हटा स' जे पढ़ब-िलखब। पिढ़ िलिखक' अपना पएर पर ठाढ़ होएब। आिथक परतंता अस्वीकायर् छल। हमरा अई बात पर पूणर्संतोख अई जे हमर ई इच्छाक पूणर् आदर आ सम्मान भेटल अहां स'। हमर नौकरी पर हमरा स' बेसी सताअहाँक बाउजी के भेल छल। हमर एकगोट संगी हमरा चेतौने छल जे देखब, बुढ़बाक खुशी अहाँक पगारओसुलबा स' त' निञ अिछ। हमरो लागल छल। मुदा ध कही हुनका, निञ किहयो पुछलिन्ह जे हमरा की आकतेक दरमाहा भेटैय' आ निञ किहयो ओकरा मादे कोनो खोजे-पुछारी कएलिन्ह। सएह अहँ◌ू संगे भेल। अहँ◌ूकिहयो निञ पूछलहुँ जे हम की सभ करै छी। अपन पगार के कोना खच दी॥ हमरा त' कएक बेर इएह होइतरहल जे अहाँ पूछै छी िकयैक ने? तहन ने हम अपन आमदनी आ आमद स' बढ़ल खचार्क िहसाब अहाँ के िदतहुँ।नतीजा, आिथक स्वतंता हािसल कएलो सन्ता किहयो आिथक रूपे स्वतं निह भ' सकलहुँ। किहयो अपनामोने अपना ऊपर िकछु खचर् निञ क' सकलहुँ। अहाँ संगे ई निञ छल। अहाँ त' 'ईट, िक आ बी मेरी' मे यकीनकरैत एलहुँ आ एखनो करै छी।''अई मे अधलाहे की छै? मनुक्खक अई िजनगी मे अिछए की? खाई, पीिब, मस्त रही।''भने ओिह मे सभ िकओ सफर करी।''से कोना? किहयो अहाँके हम कोनो क देलहुँए?''िकऐक ने? कोनो समय एहेन निञ भेल जे कोनो खास खास बेर पर हमर नोर निञ खसल हुअए। किहयो कोनोकाज-परोजन भेल, िक तीज तेवहार िक ककरो बथर् डे िक वेिडग, सभठाँ त' पल्ला झािड़ लेइत अएलहुँ जे पाईनिञ अिछ।! तहन हम की लोकक ओिहठाँ खाली हाथे पहुँचतहुं आ किहतहुं जे हमर हस्बड कहै छिथ जे हुनकालग पाइ निञ छै त हम आओर हाथ झुलबैत चिल ऐलहुँए। िकओ पितयैितयैक।''अहाँ लग त' रहै छल ने।'27


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्'हँ, िकयैक ने कहब। ई बुझलहुँ जे ई 'छल' के मनटेन करबा लेल हम कतेक बेर अपन मोन के मािर-मािर केराखलहुँ।''एह छोड़ू ई सभ गप्प। खाएक लेल की बनाएब?''जे कही अहाँ? हमरा आओर के त' ईहो किहयो स्वतंता निञ रहल जे अपना मोने, अपन पसीनक खानाबनाबी।''फे र ब्लेम! आइ अहाँ के भ' की गेलए?''अहाँ संग लिड़याएबक खगता। िजनगी भर जकरा लेल अहां पलखितयो भिर समय निञ देल।''हम अहाँके संतु निञ क' सकलहुँ किहयो, अहाँ से कह' चाहै छी?''हँ, सएह कह' चाहै छी?''बाई एवरी पॉिसबल वे?''यस, बाइ एवरी पॉिसबल वे?''िफिजकली, मटली, मौनेटरली, सेक्सुअली।''हँ, सभतरह।''अहाँ हमरा कमजोर बना रहल छी।''अहसास करा रहल छी।''अपन पिरिस्थित पर गौर निञ क' रहल छी। हम िबजी, अहां िबजी। हमर अएबाक-जेबाक कोनो िनित समयनिञ। अहाँके ऑिफसक संगे-संगे घरक, िधया-पुताक िजम्मेवारी। बखत कत' छल जे ेम-मुहब्बतक मादेसोिचतहुँ।''त त' जीवन झरना सुखा गेल ने? स्तता त' िजनगीक अिभ अंग िछयै। त, अई स्तताक कारणे हम आओरकिहयो की नहाएब-धोएब आ िक कपड़ा पिहरब छोिड़ देिलयै, वा िबसार गेिलयै?'28


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्'िधया-पुताक घर मे, आई कुं ड बी सो क ...''थर् इल्जाम द' रहल छी। कनेसक माने ई निञ जे अहाँ हमरा कोरा मे बैसेने रहू सभ समय। कनेस माने छैफु ल वहारक, फु ल अोचक कनेस। अहाँ से क निञ भेलहुँ, नतीजा हम निञ भ' सकलहुँ, नतीजा िधया-पुता सभ निञ भ' सकल।''िधया-पुता के त' ब नीक जकाँ राखलहुँ। बेटीयो जीन्स आ िमनी पिहिर क' घूमल, ड्स सभक संगे िसनेमागेल, पाट कएल, किहयो टोकारा निञ के ल।''मुदा, किहयो क भ' क', खुिलक' गप्प-सप्प सेहो त' निञ कएल। एकदम फॉमर्ल फै िमली बिनक' रिह गेल अपनपिरवार। ई हमर कहबा निञ, अहाँक बेटीयेक कहब अिछ।''अही स' सभ िकओ सभ िकछु िकयैक कहैत अिछ। हमरा स' त' आइ धिर िकओ िकछु निञ कहलक?''अहाँ से मोके कोम्हर देिलयै? त त' कहलहुँ, बेहद फॉमर्ल फै िमली।''चलू छोड़ू, आब फे र स' शुरू करब िजनगी - सभटा शौख पूरा क' देब।''िजनगीक ओ बीित चुकल 30 साल आ तीस वषर्क पल-पल पिहने घुरा िदय'।''जे भ' सकै छै से कहू।''त' कहू जे भन्सा की बनाबी? छीमीक िखचड़ी िक छीमीक परोठा।''आब जे अहाँ खुआबी। बजला पर कहब जे हम अहाँ के मौके निञ देइ छी।''से त' कहबे करब। अपरोक्ष रूप स' अहाँक पसीन-नापसीन पूरा घर पर हावी रहलै।''से कोना?''चलू, भन्से से शुरू करी। अहाँ के सफ देल मलपुआ पसीन निञ, इलाइची देल खीर, सेवई पसीन निञ। आहमरा आओर के ओ सभ ब पसीन। हमरा िबन सफक पुआ आ िबनु इलाइचीक खीर सेवई बनेबाक आदत पार'पड़ल।'29


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्'त' ई त' निञ कहलहुँ जे अहाँ आओर निञ खाई।''ईहो त' निञ कहल जे ठीक छै, किहयो-किहयो हमहूं सफ-इलायचीबला पुआ, खीर, सेवई खा लेब, तहन नेबुिझतहुं? आ अपना स्वादक अनुसारे अलग स' चीज बनाबी, ई कोनो जनीजात स' पार लागलैये जे हमरा स'लािगितयैक।''अच्छा, आगां बढू।''बढ़ब, पिहने भन्सा चढ़ाइए आबी।''आइ उपासे पिड़ जाइ त' के हेन रहत। तखिन स' अहाँक मुंह स' भानस-भानस सुिन क' कान पथरा गेल आ पेटअफिर गेल।''उहूँ! एखिन त' िडनर गोल क' देब आ अधरितया के हाँक पाड़ब जे हमरा भूख लागलए। उठू, िकछु अिछ बनलत' िदय'। िकछु निञ अिछ त' ऑमलेटे ेड सही।''जाऊ तहन, जे मज हुअए, करू।''हे, हम एखने गेलहुँ आ एखने एलहुँ। ताबित अहाँ बउआक ई मेल पिढ़क' ओकरा जवाब पठा िदयऊ।''हँ, ओहो िलखलकए जे ब नीक लािग रहलए। अपन देश स' एकदम अलग, सभिकछु एकदम विस्थत।मयार्िदत, संतुिलत। आिखर अमेिरका िछयई ने। ध कही आईटी बूम के जे बा सभक रोजगारक नव अवसरभिट रहल छै। भारतीय कं प्यूटर इंजीिनयसर् के कतेक िडमांड छै फॉरेन कं ी मे। देखबै जे दस मे स' तीन टाइंजीिनयर अमेिरका त' आन आन देशक रूख क' रहल अिछ।''ितभाक पलायन िथकै ई। इंपटेस ऑफ टेॉलाजी संगे इंपोटसी ऑफ अवर टैलट छै। बाहरी टेॉलॉजी परिबढ़नी जकाँ लूझै छी। ओ सभ रोटी देखबैत अिछ, हम सभ कु कु र जकाँ बिढ़ जाइ छी।''अहाँक बेटो बढ़ल अिछ, से जुिन िबसरी।''हम इन जेनरल किह रहल छी। अपन देशक त' ई स्वभावे बिन गेल छै, घरक जोगी जोगड़ा, आन गामक िस।इंटनर्ल टैलट के पिहचान' लेल, िरकाइज कर' लेल पिहने कोनो बुकर ाइज, ऑस्कर अवॉडर्, नोबल ाइजचाही, निञ त' सभ िकओ ॉड, धोखेबाज ...' अपने ओिहठां त' लोक आओर एतेक तरहक एक्सपेिरमट करैत30


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्अिछ। लोक कतेक महत्व दइत छै।''से सभ त' छै। ई िनयित हमही आओर बनाक' राखल अिछ। त त' आइ अिनमेष हमरा आओर लग निञ अिछ।अमेिरका मे अिछ। पता निञ किहया घुरत?'आ ज निञ घुरलै आ ओम्हरेक मेम ल' आनलक तहन?''तहन की? अहाँ सासु पुतौहु रार मचाएब। हमर काज त' आशीवार्द देबाक धिर अिछ। से भूिमका हम िनबािहलेब।''त' सभटा सासु अपना पुतौहु स' रारे मचबै छै? हमही दुनू सासु-पुतौहु मे ई देखलहुँ किहयो? आब अिनमेषजकरा स' िववाह करौ, हमरा लेल धन सन! हमरा कोना आपि निञ!''भन्सा भ' गेल त' दइए िदय'। खाअक' सूतब।''एतेक जल्दी?'थकान लािग रहल अिछ।''पिहल बेर एतेक बितयौलहुँए ने? हरारित त' लागबे करत। घरवाली संग एतेक बेसी गिपयेनाइ कोनो मजाकबात छै!''हे, एके प्लेट मे िनकालू ने।''आई एतेक ेम कथी लेल ढरिक रहल अिछ?''सभटा िपछला िहसाब रफा-दफा कर' लेल।''त' पुरनका तीस बरख पिहने घुराऊ!''से त' निञ भ' सकै य', मुदा पुरना तीस बरख के अिगला तीस बरख मे िमलाक' िजनगीक ताग के आओर मजबूतकरबै। आऊ! बैसू एम्हर। हे, िलय। हमरा हाथे खाऊ!''हमरा डर होइयै जे हमर हाटर् फे ल निञ भ' जाए।'31


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्'निञ होएत। आ हेएबो करत त' हमहूँ संगे-संगे चिल जाएब। हे, िलय' ने। खाऊ ने। अहक हाथक बनाओल त'भोजन अिछ।''हम अपने हाथे खाएब। दोसराक हाथे खएला स' पेट निञ भरत।''मोन भरत। आई पेट भर' लेल निञ', मोन भर' लेल खाऊ।''तहन त' आओरो निञ खाएब। मोन जहन भिरए जाएत त' जीिब क' की करब? मोनक अतृि◌ त' िजनगीिजबाक बहाना होइ छै।''ई सभ िफलॉसफी छोडू आ खाना खाऊ। अरे, अरे, दाँित िकयैक काटलहुँ।''भोजन म चटनी निञ छल न, तै◌ै◌ं...' हे, भ' गेल। आब निञ खाएल जाइत हमरा स'।''ठीक छै। चलू तहन।''कत'।''चलू त' पिहने। आई चलू, हमर कन्हा थािम्ह क' चलू। अइ् दुनू बाँहक घेरा मे चलू।''व्हाई हैव यू बीकम सो रोमांिटक?''कहलहुँ ने जे पिछला तीस बरख के अिगला तीस बरख मे शािमल कर' जा रहल छी। हे, इमानदारी स' कहब',अहां के नीक लािग रहलए हमर ई स्पशर्!''कोनो भावना निञ उमिड़ रहलए। अहाँ ईमानदारीक उठाओल, त किह रहल छी।''आब?''ऊँ हूँ।''आब? मोनक दरवा बंद क' क' निञ राखू। कनेक फाँफिड़ छोिड़ िदयौक। भावनाक बयार के घुस' िदयौक।''हमरा रोआई आिब रहलए।'32


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्'त' कािन िलय' अई ठाँ, हमर छाती पर माथ रािखक'। मोन हल्लुक भ' जाएत।''बेर-बेर सोचना आिब रहल अिछ पुरना िदन। तखन िकयैक ने ... एतेक स्तताक की माने भेलै जहन हमहीदुनू अपना के अपना दुनू स' अलग ल' गेलहुँ।''माने छलै ने? अपन िजनगी बनेबाक। िधया-पुताक िजनगी बनेबाक। ई सभ लय छल आ अजुर्न जकाँ हम सभओिह लयक ाि लेल िचड़ैक आँिखक पुतली धिर तकै त रहलहुँ।''हमर पलक िमझा रहलए।''िमझाए िदयऊ। बन्द पलक, फु जल अलक। एखनो अहाँक के श ओतबे नरम, आ मोलायम अिछ।''आब त' सभ टा' झिड़ गेलै।''जे छै से बहुत सुंदर छै। आह! मोनक कोन्टा मे ठेिल-ठूिल क' राखल सुषु भावना सभ... जेना छोट-छोट फूँ हीबिनक' रोम-रोम के िभजा रहल अिछ। रोम-रोम भुलुिक रहल अिछ। ई की अिछ?''अहसास। हमहँ◌ू अई अहसासक फूं ही मे भीिज रहल छी। अहाँक तन स' मािटक सोन्हपिन आिब रहल अिछ।थाकल दकचाएल िजनगी मे एकगोट नव संचार आिब रहलए। नस-नस वीणाक तार जकाँ झंकृ त भ' रहलए।सृिक ई अमूतर् आनंदक क्षण अिछ, िद, भ, अलौिकक !''एक-एक साँस स' बजैत स्वगय संगीत। आइ धिर किहयो निञ अनुभव कएने छलहुँ। आई अनुभव क' रहल छी।''आऊ, अई अनुभव सागर मे डूिब जाइ- गहीर, आओर गहीर, कामनाक सीपी फोली! भावनाक मोती बटोरी।आसक ताग मे ओइ मोती के गँ◌ूिथ माला बनाबी आ दुनू एकरा पहीिर ली।''िजनगी एतेक सुंदर निञ लागल पिहने किहयो।''मौने मुखर रहल सिदखन। आई शब्द मौनक देबाल के ढािह रहल अिछ।''ढह' िदयऊ ! सभटा वजर्ना ढह' िदयऊ !''िजनगीक बदलइत रूप िकओ निञ बूिझ सकलए। अहाँक रोम-रोम स' झरैत ओस बु ! एक-एक वास स'अबैत जुही, गुलाब, मौलीक सुगंिध। आऊ, डूिब जाइ अइ मे!'33


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्'---------''---------''---------''---------''िजनगी पहेली अिछ, बुझौअल अिछ।''ऊँ हूँ! िजनगी िजनगी अिछ।''माने?''माने की? एखिन धिर मतलबे बूझ' मे लागल छी? धुर जाऊ! अहाँ ब ओ छी।''ओ छी, माने के हेन छी?''ओ माने ओ। आओर िकछु निञ!''अहूँ एकदम नेा जकाँ करै छी।''नेा त' बिनये गेलहुँ। अहाँ निञ बनलहुंए की?''बनलहुँए ने।''तहन?''तहन की?''तहन माने िजनगीक रूप देखी आ मस्त रही।'१. िरस्क आऽ मैिथल- ज कु . कणर् 2. कोना बचत िमिथलाक िस्मता ?- ओमकाश झा34


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्बी.के कणर्(1963-),िपता ी िनभर्य नारायण दास गाम- बलौर, भाया- मनीगाछी, िजला-दरभंगा। पैके िजगटेोलोजीमे ातकोर आऽ यू.एन.डी.पी. जमर्नी आऽ इग्लैण्डक कायर्मक फे लोिशप, २२ वषर्क पेशेवरअनुभव आऽ २७ टा प कािशत। डायगनोिस्टक िमिथला पटग आऽ िमिथलाक सामािजक-आिथक समस्यापरिचन्तन। सम्ित इिन्डयन इन्स्टीूट ऑफ पैके िजग, हैदराबादमे उपिनदेशक (क्षेीय मुख)।िरस्क आ मैिथलमुा वसायिवकिसत देश वा िवकिसत राज्यक पाछु यिद सुम रूपस देखु त भेटत जे ओिह क्षेक वसाय िवकासक मुलकारण अिछ। िमिथलामे िवान वा ज्ञानी मैिथलक कमी निह। ापारी वगर् नोइसो बराबिर निह।मैिथल ापारो करताह ?िसन्धी़ माड़वारी आ पंजाबी समाज िमिथलामे अपन वसायमे मैिथल जक संस्कार अपनोने के साथ के वल५० सालमे बिढ़या धाक जमा लेलाह, परन्तु हम मैिथल जे छी जे डग हकै स फु सर्तेऽ निह भेट रहल अिछ।मैिथल िमिथलामे की करताह ?िमिथलामे िकछु मैिथलके देखबाऽ मे आयत जे़ िमिथलाक िसन्धी़ माड़वारी आ पंजाबी के वसायमे नौकरीकरताह।िहन्दी अखबार मिग कए पढ़ता पर िमिथलाक िवान वा ज्ञानी अखबार िन्ट आ बाजार मे आनबाकजोिखम निह ऊठैऽताह।िमिथलामे चाहक दुकान पर ितिदनक िदनचयार्मे लालु के लालूवाणी पर अखण्ड बहस करताह।िमिथलामे सुइदस िकछु मैिथल सुइदखोर वसायमे वृि के लाह हऽ। कोनो िनयमके पालण नि़ह कए रहलछिथ। अपन िनयम बना कऽ अपराध मे रमल छिथ। िमिथला बकक शुरआत होए अपराधी सुइदखोर मैिथल के35


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्झेलनाइ एकटा बढ़ पैघ अपराध अिछ।!!!!Great Risk !!!!मुदा बहुतो अि़छ पर िरक्सो स ज्यादा भयावह।सन २००१क जनगणणा के अनुसाऱ िमिथलाक आबादी करीब ६ करोड़ छल। जािहमे़ वसाियक वगर् २ितशतो कम।बहुतोस पुछलहु़ जे एतबा ितशत िकयाक कम अि़छ पर एकर कारण की से निह जािन सकलहुं।िमिथलास आयात आ िनयार्तक बातेऽ छोड़ू, ापार त बद सँ बदतरिमिथलाक पाँच िजलाक के स स्टडी:Population of 5 Districts in Mithila(based on 2001 Census)DistrictsBegusaraiMadhepuraSamastipurMadhubani<strong>15</strong>.2523.4227.228.32Darbhanga32.960 <strong>10</strong> 20 30 40Population in lakhsपांचो िजलाक कु ल आबादी सन २००१ जनगणनामे करीब एक करोड़ अठाइस लाख छल। जनसंख्याअनुमािनत ५ वा ७ ितशतस ितसाले वृि भऽ रहल अिछ। एकटा बात महसूस भऽ रहल अिछ जे िमिथलामेगरीबी कम भेल अिछ। यि़द सन १९८० स पिहने हरेक गॉवमे हरेक िदन ४ या ५ घरमे उपवास रहैत छलैक़पर से उपवास आब गरीबीक उपवास पुजा पाठक उपवास होइत अिछ।36


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्मुदा भौितक सुिवधाक िपछड़ापन तॅ पारकाा पर अिछ। िजनगी भगवानक भरोसे।पांचो िजलाक मैिथल पर यिद ध्यान देल जाए त एकटाक सदस्य पिरवारमे नौकरी करयबाला बॉकी आितसदस्य िकछु निह करयबाला बिल्क गप छटय बाला आ शान बघारय वाला।पर आित भेनाए अपनेमे एकटा िरक्स एहन जे भावुक जरूरतस ज्यादा आ कमर्ठहीन ज्यादा बनाबैत अिछ।!!!!ेट िरस्क !!!!Dependent Class61%Profession of MaithilService Class27%Daily wagesClass<strong>10</strong>%Trader ClassEntrepreneurs Class 1.8%0.2%Service Class Daily wages Class Trader ClassEntrepreneurs Class Dependent Classजनसंख्याक वृि मानु जे कक पहाड़। हर क्षण हरेक िदस िस्थित दयनीय हेबे कड़त।िमिथलामे मैिथल िरक्स लेताह ?िमिथलामे मैिथल त अपन िजनगीक िरक्स लेबाऽमे सवपिर छिथ। जेना की़ सोचु ऩिद के ऊपर जड़ जड़ हालमेपुल ओिह पर खचाखच ब आ रेल गाड़ी जािहमे छत सेहो भड़ल। फोटो देखल जाए।37


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्सोचु किनऽ जे िजनगी आओर मौत के बीच के वल एकटा िरक्स फै क्टर अिछ।मैिथल िजनगीक िरक्स हर क्षण।िमिथलामे िजनगीक िरक्स बड़ आसान पऱ ापारक िरक्स बड़ किठन अिछ।शेष मंथन अगला अंकमे।2. कोना बचत िमिथलाक िस्मता ?- ओमकाश झाओमकाश झा, गाम, िवजइ, िजला-मधुबनी।38


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्कोना बचत िमिथलाक िस्मता ?आई जहन अपना सबहक चहुतरफ़ा िवकास भ रहल अिछ त हम सब अपन महत्वांक्षा के पािब के अत्यिधकस भ रहल छी,हेबाको चाही। मुदा िक महत्वाकांक्षा के रथ पर सवार भ कअ हम सब कतेक मगरुर निह भगेल छी जे अपन िस्मता अपना स कोसो दूर पाछु छु िट रहल अिछ। मुदा तकरा समेतिनहार िकयो निह अिछ।आय अपना अिहठामक युवा वगर् अत्यिधक िदग िमत भ रहल अिछ,ओकरा िकयो सिह मागर् दशर्क निह भेटपािब रहल अिछ। अखुनका समय कतेको पाबिन ितहार क मिहना आिब गेल अिछ आ कतेको गाम मे दुगार् पूजाके अवसर पर सास्कृ ितक कायर्म आयोिजत कै ल जायत अिछ मुदा िकछु वषर् पूवर् मे चलु-आइ सअ आलो पिहलेहर गाम मे युवक सब नाटक खेलाय छलाह,मिहनोतक रामिलला ले आयोहन होयत छल,ओ सब आय कतहचिल गेल छिथ। िक आक स्ा आ परोसी (तवायफ़) के नाच मे ओ सब हरा गेल छिथ। परोसजी के कायर्म इअसर पड़ैत अिछ जे मंिदरक कायर्कतार् सब सेहो एकर मजा उठाबअ लागैत अिछ। इमहर मौका पािबकु कु र,िबलािड़ मैया के ितमा के सेवा मे लािग जाइया। देखने हैब जे कु कु र मुत के चािट रहल अिछ। उमहरहम सब अपन तीन पुस्तक (पुरुखा) संग माने बाप- बेटा आ पोता समेत बाईजी पर पाई लुटाबय के अवसर केनिह गवांबैत छी। अिधकतर गोटे अिह स अवगत होयब।दोसर कतअ जा रहल अिछ अपन संस्कार? हयउ,आब शायद कतौ मिहनो तक चलैबला रामिललाकतम्बु गाम मे देखायत होयत? हम अपन छोट सनक अनुभव अपने संग बांटअ चाहब। पिहले रामलीला के टोलीके िकयो माला (मने एक िदनक भोजन) उठेिनहार निह होइ,माने इ जे मा पेटे पर जे टीम सबहक मनोरंजनकवास्ते तैयार रहैत छल,ओकरा अपन समाज नकािर देलक मुदा आखन ायःहर छोट पैघ शहर अतह तक िकदेशक राजधानी मे दुगार् पूजा के अवसर पर लाखो आदमी रामलीलाक खुब लुत उठबैत छैथ। कतो कतो तअरामलीला देखै के लेल िटकट सेहो लागैत अिछ,िक हम झूठ बािज रहल छी। एना मे दु टा गप्प जे हमरा स्पभेल-पिहल जे लोक के ओिह ित ओ रुझान निह रहलिन्ह जे िक बाईजी के नाच मे वा कौआल-कौआली मे जेिक राित भिर सबके गिरया क चिल जाइया आ हजारो आदमी मंिदरक आस पास ततबाक गोत गोबर कअ दैतछिथ जे अिगला िकछु मिहना तक उमहर निहये जाय मे कु शल बुझैत छी। अिह स गामक कलाक ास खूब पैघस्तर पर भेल अिछ,सब गोटे बुिझित अंजान छी।तेसर आ गंभीर गप्प इ जे समाज मे जे भाई चारा प्य्◌्रव मे छल िक ओ खत्म भ गेल अिछ। िकअपन समाज ततेक गरीब तअ निह भ गेल अिछ जे आिहठम दस गोटे के भोजन करेनाय आय किठन भ गेल39


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्अिछ। एकर एकटा छोट सनक उदाहरण हम देबअ चाहैत छी जे ज अंहा सब मे स िकछु आदमी िदल्ली-बंबई सकमा क मास िदनक लेल गाम जायत होय तअ अनुभव करैत होयब जे गाम मे बीतल समय के संगे संग अपनेकमिटनेन्स पर होय वला खचर् मे कटौित सेहो सबगोटे ीगत अनुभव के गहराई स देखु। अखन बस अतेबैक।इित"किवता संभवा"।महाकाश (१९४६- ), जन्म वनगाँव, सहरसा। १९७२ ई. मे पिहल किवता संकलनआधुिनक मैिथली कथा-सािहत्यमे एकटा नाम जे सवार्िधक स्वीकृ त आ िसि पौलक अिछ, ओ िथक- सुभाषचन् यादव। सुभाषक कथा-याा पर दृिपात करैत ई लगैत अिछ जे ओ कथाक अन्वेषण कयलिन अिछ। ायःलेखनक आरम्भ किरते ओ अनेक स्थान आ अनेक भाषाक याा शुरू कयलिन। ई याा वा भटकाव, जे हुनकिनयित सेहो रहल अिछ, हुनका अनुभव सँ लैस कयलक, तीण दृि देलक आ अपन समकालीन सँ अलगिविश सांचामे ढािल देलक।िच ी सुभाषचन् यादव छायाकार: ी साके तानन्दओ एकटा अलग भाषा-संस्कार, शब्द-संस्कार हण कयलिन जे अपन स्वरूप मे ासजन्य अिछ। लेिकन ईस्वरूप कतहु सँ ओझराबैत निह अिछ, अिपतु कलाक सहजता आ सहजताक कला केँ िवलक्षण ढंगेँ उािटतकरैत अिछ। ओ अपन कथा मे पिरवेशक कोनो पैघ आयोजन िक पसारमे निह फँ सैत छिथ; हुनक अनुभविसभाषा, अिवकल्प शब्द सहजिह अपेिक्षत पिरवेश आ यथाथर् केँ एकटा पैघ फलक दऽ दैत अिछ। सुभाष कोनोराग-िवरागक उेजनामे जतेक िल छिथ, ओतबे िनिलो। सुभाषक जीवन आ सािहत्य ऊपर सँ जतेक शांत आ40


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्िस्थर बुझाइत हो, भीतर सँ ओतबे अशांत आ अिस्थर अिछ। हुनक अन्तदृ र्ि स्याह आ सफे दकेँ िनमर्मता सँउािटत करैत अिछ। हुनक रचनाकार समयक समु मे डूिब-डूिब मोती-मािणक तािक अनैत अिछ। एिह तरहेँसुभाषक लेखन यथाथर्क अमूल्य दस्तावेज बिन जाइत अिछ।२.स्वरक माला गँथती अंशु- िजतेन् झाहम सभ अपने भाषाकेँ हेय दॄिसँ देखैत छी त हमर भाषासािहत्य, गीतसंगीत आ संस्कृ ित पछु आ रहल अिछ । ईकहब छिन्ह अंशुमालाक । अंशु िदल्ली िवविवालयमे संगीतमे एम िफ़ल कऽ रहल छिथ। मैिथली गीतसंगीतकेँ गुणस्तरीय बनएबाक लय रखिनहािर अंशु मैिथलकेँ अपन भाषा-संगीत ितक दृिकोण बदलबापरजोड दैत छिथ।अंशुमाला संगीतक िवाथ छिथ । िदल्ली िवविवालयमे एम. िफ़ल.मे अध्ययनरत अंशुक माय िहनकपिहल गुरु छिथन्ह। ई माय शिश िकरण झासँ मैिथली लोक संगीतक िशक्षा लेने छिथ । तिहना एखन िकछु बषर्संई रेिडयो कलाकार हॄदय नारायण झासँ संगीत िशक्षा ल' रहल छिथ । बाल कलाकारक रुपमे सीतायणएलबममे गािब चुकल अंशु िबिभ रेिडयो कायर्म आ स्टेज ोाममे सहभागी भ' क' मैिथली गीत गािब अपनस्वरसं शंसा बटोरने छिथ ।एखन िदल्लीमे रिहकऽ संगीत साधनामे जुटल अंशु िदल्लीमे आयोिजत िविभ कायर्ममे मैिथली गीत संगीतपरसल करैत छिथ ।मैिथली भाषीमे अन्य भाषाक गीत संगीतक ित बढैत रुिच मैिथली गीतसंगीत लेल िहतकर निञ रहल िहनककहब छिन्ह । िदल्लीमे आयोिजत एकटा कायर्मकेँ याद करैत ई कहैत छिथ जे जािह कायर्ममे लगभग ८हजार मैिथल रहिथ तािह कायर्ममे चािहयोकऽ मैिथली गीत निह गािब सकलहुं । ओिह कायर्ममे भोजपुरीकिडमाण्ड पुरा करैत अंशुके मैिथली डहकन गेबाक लेल मोन मसोिसक' रह' पडलिन । मुदा अंशु स्वीकारैत छिथजे गायक ोताक रुिचक आगु िववश होइत अिछ, 'जनता जे सुनऽ' चाहत हमरा सएह गाबऽ पडत अंशु कहलिन41


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्। पटनामे मैिथली गीत गािबक ोताक तािलक गडगडािटसं खुश हएबाक आदित पिड चुकल अंशुकेँ िदल्लीमेआिबकऽ मैिथल भाषीक बदलल सांगीितक स्वादसं अकच्छ लािग गेल रहिन ।मैिथलीमे लोकिय धुनक अभाव रहबाक बात अंशु िकहु मान' लेल तैयार निह छिथ । धुन वा लयक अभावनिह, ोता एिहसं अनिभज्ञ रहल िहनक दाबी छिन्ह। मैिथली संगीतकम एखनो आिथक समस्यासँ लिड रहलछिथ, अंशु कहैत छिथ । एिहक अभावक कारण प्यारोडी गीतक सहारा लेबालेल संगीतकम बाध्य बनल अिछ ।मौिलक गीत,संगीतमे लगानीकतार्क अभाव रहलासं सेहो प्यारोडी संगीत लोकिय भऽ रहल अिछ, िहनक कहबछिन । 'सभसँ पैघ कमजोरी ोतामे छै कलाकार तँ सभ ठाम हारल रहैया' प्यारोडी ेमीपर रोष कट करैतअंशु कहैत छिथ । मुदा मैिथलीमे स्तरीय गीत संगीत ोताकेँ भेटक चाही से अंशुक िवचार छिन्ह । मैिथलीलोकरंग मन्चारा िदल्लीमे आयोिजत कायर्ममे ोतासँ भेटल वाहवाहीक उदाहरण दैत अंशु कहैत छिथ जेोताक मनोरन्जनक लेल स्तरीय कायर्म सेहो हएबाक चाही ।मैिथली रंगकमर्मे लगिनहारकेँ उिचत सम्मान तक निञ भेिट सकल, अंशुमालाक अनुभव छिन्ह । मैिथलीकलाकारकेँ आब' बला िदनमे बहुत मान सम्मान भेटक चािह, हम इएह चाहैत छी अंशु कहैत छिथ । मैिथलीसंगीतकेँ एकटा ऊँ चाई पर पंहुचएबाक लय रखिनहािर अंशु मैिथली रंगकमर्मे एखनो लडकी लेल बहुतोकिठनाई रहल बतबैत छिथ ।अंशु आगु कहलिन-मैिथल समाजसँ जाधिर कलाकारकेँ सम्मान निञ भेटतै ताऽ धिर एिह क्षेमे लडकी अपनितभा देखाब' लेल आगु निञ आओत।१.जीवन झाक नाटकक सामािजक िववतर्न- ेमशंकर िसह (आगाँ) २.स्व. राजकमल चौधरी पर-डॉ. देवशंकर नवीन (आगाँ)१.ोफे सर ेम शंकर िसहडॉ. ेमशंकर िसह (१९४२- ) ाम+पोस्ट- जोिगयारा, थाना- जाले, िजला- दरभंगा। 24 ऋचायन, राधारानीिसन्हा रोड, भागलपुर-812001(िबहार)। मैिथलीक विर सृजनशील, मननशील आऽ अध्ययनशील ितभाक42


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्धनी सािहत्य-िचन्तक, िदशा-बोधक, समालोचक, नाटक ओ रंगमंचक िनष्णात गवेषक, मैिथली गकेँ नव-स्वरूप देिनहार, कु शल अनुवादक, वीण सम्पादक, मैिथली, िहन्दी, संस्कृ त सािहत्यक खर िवान् तथाबाङला एवं अंेजी सािहत्यक अध्ययन-अन्वेषणमे िनरत ोफे सर डॉ. ेमशंकर िसह ( २० जनवरी १९४२ )किवलक्षण लेखनीसँ एकपर एक अक्षय कृ ित भेल अिछ िनःसृत। िहनक बहुमूल्य गवेषणात्मक, मौिलक, अनूिदतआऽ सम्पािदत कृ ित रहल अिछ अिवरल चिचत-अिचत। ओऽ अदम्य उत्साह, धैयर्, लगन आऽ संघषर् कऽतन्मयताक संग मैिथलीक बहुमूल्य धरोरािदक अन्वेषण कऽ देलिन पुस्तकाकार रूप। िहनक अन्वेषण पूणर् न्थआऽ बन्धकार आलेखािद ापक, िचन्तन, मनन, मैिथल संस्कृ ितक आऽ परम्पराक िथक धरोहर। िहनकसृजनशीलतासँ अनुािणत भऽ चेतना सिमित, पटना िमिथला िवभूित सम्मान (ता-प) एवं िमिथला-दपर्ण,मुम्बई विर लेखक सम्मानसँ कयलक अिछ अलंकृ त। सम्ित चािर दशक धिर भागलपुर िविवालयकोफे सर एवं मैिथली िवभागाध्यक्षक गिरमापूणर् पदसँ अवकाशोपरान्त अनवरत मैिथली िवभागाध्यक्षकगिरमापूणर् पदसँ अवकाशोपरान्त अनवरत मैिथली सािहत्यक भण्डारकेँ अिभवित करबाक िदशामे संलछिथ, स्वतन् सारस्वत-साधनामे।कृ ित-मौिलक मैिथली: १.मैिथली नाटक ओ रंगमंच,मैिथली अकादमी, पटना, १९७८ २.मैिथली नाटक पिरचय,मैिथली अकादमी, पटना, १९८१ ३.पुरुषाथर् ओ िवापित, ऋचा काशन, भागलपुर, १९८६ ४.िमिथलाकिवभूित जीवन झा, मैिथली अकादमी, पटना, १९८७५.नाान्वाचय, शेखर काशन, पटना २००२६.आधुिनक मैिथली सािहत्यमे हास्य-ंग्य, मैिथली अकादमी, पटना, २००४ ७.पािणका, कणर्गोी,कोलकाता २००५, ८.ईक्षण, ऋचा काशन भागलपुर २००८ ९.युगसंिधक ितमान, ऋचा काशन,भागलपुर २००८ १०.चेतना सिमित ओ नामंच, चेतना सिमित, पटना २००८मौिलक िहन्दी: १.िवापित अनुशीलन और मूल्यांकन, थमखण्ड, िबहार िहन्दी न्थ अकादमी, पटना १९७१२.िवापित अनुशीलन और मूल्यांकन, ितीय खण्ड, िबहार िहन्दी न्थ अकादमी, पटना १९७२, ३.िहन्दीनाटक कोश, नेशनल पिब्लके शन हाउस, िदल्ली १९७६.अनुवाद: िहन्दी एवं मैिथली- १.ीपादकृ ष्ण कोल्हटकर, सािहत्य अकादमी, नई िदल्ली १९८८, २.अरण्यफिसल, सािहत्य अकादेमी, नई िदल्ली २००१ ३.पागल दुिनया, सािहत्य अकादेमी, नई िदल्ली २००१,४.गोिवन्ददास, सािहत्य अकादेमी, नई िदल्ली २००७ ५.रानल, ऋचा काशन, भागलपुर २००८.िलप्यान्तरण-१. अङ्कीयानाट, मनोज काशन, भागलपुर, १९६७।43


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्सम्पादन- १. गवल्लरी, महेश काशन, भागलपुर, १९६६, २. नव एकांकी, महेश काशन, भागलपुर,१९६७, ३.प-पुष्प, महेश काशन, भागलपुर, १९७०, ४.पदलितका, महेश काशन, भागलपुर, १९८७, ५.अनिमल आखर, कणर्गोी, कोलकाता, २००० ६.मिणकण, कणर्गोी, कोलकाता २००३, ७.हुनकासँ भेट भेलछल, कणर्गोी, कोलकाता २००४, ८. मैिथली लोकगाथाक इितहास, कणर्गोी, कोलकाता २००३, ९.भारतीक िबलािड़, कणर्गोी, कोलकाता २००३, १०.िचा-िविचा, कणर्गोी, कोलकाता २००३, ११.सािहत्यकारक िदन, िमिथला सांस्कृ ितक पिरषद, कोलकाता, २००७. १२. वुआिड़भितरिङ्गणी, ऋचाकाशन, भागलपुर २००८, १३.मैिथली लोकोि कोश, भारतीय भाषा संस्थान, मैसूर, २००८, १४.रूपासोना हीरा, कणर्गोी, कोलकाता, २००८।पिका सम्पादन- भूिमजा २००२जीवन झाक नाटकक सामािजक िववतर्न (आगाँ)रङ्ग रस होरी हो। गाबह सब िमिल रङ्ग॥रहिस-रहिस सब फागु सुहािगन गाबय मनक उमङ्ग।पहु परदेश िवताओल हमरा (सिरवहे) भेल मनोरथ भङ्ग॥(सामवती पुनजर्न्म, पृ-१४)एिह नाटकक होिलकोत्सवक दृश्य अत्यन्त मनोरम अिछ। रंग अबीरक योग होरीक हुड़दंग मचल अिछ। ओिहअवसरपर राजसभाक त्येक पा रंग अबीरसँ बोरल अिछ। लोक होरीक हुड़दंग मचयबा आ उधम मचयबामेअस्त-स्त अिछ। राज्यादेश अिछ जे एिह अवसरपर जे अनैच्छु क होिथ तिनका एिहसँ फराके राखल जायअन्यथा रंग-अबीरक सराबोर राज्यािधकारी लोकिन राजभवनमे उपिस्थत छिथ। राजभवन िदस जाइत नगरकशोभा ओ होिलकोत्सवक िवकृ त रूप दृिगत होइछ। सभ एक दोसराक संग हँसी-मजाकमे स्त देखल जाइछ।एिह अवसरपर बसन्तक राजाकेँ आशीवार्द दैछ:महाराजक मन हरलक नटी, कहो लोक अपवाद।सयवषर्सँ जिन जीवी हारी हम दैछी आिशवार्द।(सामवती पुनजर्न्म, पृ-१४)शलाका पुरुष जीवन झाकेँ िमिथलाक सांस्कृ ितक परम्पराक गम्भीर अनुभव छलिन तेँ ओ अपन नाटकमे एकरपालनाथर् उपयु अवसर बहार कऽ लेलिन।44


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्कीित पुरुष जीवन झा अपन नाटकािदमे धािमक भावनाक िचण सेहो अत्यन्त मािमकताक संग कयलिन जेहुनक सांस्कृ ितक पृभूिमक पृपोषक हैबाक माण दैछ। सामवती पुनजर्न्ममे अथपाजर्नाथर् सामवान आ सुमेधािवदभर्राजक ओतय दम्पि-रूपमे पूजनाथर् िनयु होइत छिथ। सांस्कृ ितक एवं धािमक पृभूिमक पिरेयमेसुन्दर-संयोगक कथानकक ीगणेश वैनाथधामक ांगणसँ आरम्भ होइछ तथा ओकर अन्त सेहो ओतिह भऽजाइछ। नमर्दासागर सकमे नाटककार किपलेरमे िशवाचर्नाक चचार् कयलिन अिछ। काितक पूिणमाकअवसरपर लोक ानाथर् गंगा-कमला जाइत अिछ जे हमर सांस्कृ ितक एवं धािमक जीवनक अिवभाज्य अंगकरूपमे िचित अिछ। सांस्कृ ितक एवं धािमक दृिएँ जखन िहनक नाटकािदक िवेषण करैत छी तँ स्प भऽजाइछ जे ई परम िशवभ परायण रहिथ जे िहनक नाटकािदमे यु नचारी आ महेशवाणीसँ भऽ जाइतअिछ।िमिथलांचलक सांस्कृ ितक पृभूिममे एिह ठामक िनवासीक वैिशष् रहल अिछ जे साित्वक भोजनक पक्षपातीरहलाह अिछ। एतय तामसी भोजन सवर्था विजत मानल जाइछ। एिह परम्पराक पालन नाटककार स्थल-स्थलपर अपन नाटक मे कयलिन।२. डॉ. देवशंकर नवीनडॉ. देवशंकर नवीन (१९६२- ), ओ ना मा सी (ग-प िमित िहन्दी-मैिथलीकारिम्भक सजर्ना), चानन-काजर (मैिथली किवता संह), आधुिनक (मैिथली) सािहत्यक पिरदृश्य, गीितकाके रूप म िवापित पदावली, राजकमल चौधरी का रचनाकमर् (आलोचना), जमाना बदल गया, सोना बाबू कायार, पहचान (िहन्दी कहानी), अिभधा (िहन्दी किवता-संह), हाथी चलए बजार (कथा-संह)।सम्पादन: ितिनिध कहािनयाँ: राजकमल चौधरी, अिान एवं अन्य उपन्यास (राजकमल चौधरी), पत्थर केनीचे दबे हुए हाथ (राजकमल की कहािनयाँ), िविचा (राजकमल चौधरी की अकािशत किवताएँ), साँझकगाछ (राजकमल चौधरी की मैिथली कहािनयाँ), राजकमल चौधरी की चुनी हुई कहािनयाँ, बन्द कमरे मकगाह (राजकमल की कहािनयाँ), शवयाा के बाद देहशुि, ऑिडट िरपोटर् (राजकमल चौधरी की किवताएँ),बफर् और सफे द क पर एक फू ल, उर आधुिनकता कु छ िवचार, साव िमशन (पिका)क िकिछ अंककसम्पादन, उदाहरण (मैिथली कथा संह संपादन)।45


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्सम्ित नेशनल बुक स्टमे सम्पादक।बटुआमे िबहािड़ आ िबड़(राजकमल चौधरीक उपन्यास) (आगाँ)नायक देवकान्त सुिशिक्षत, िनिव, कमर्िन आ ज्ञानी युवक छिथ। हाइकोटर्मे कायर्रत िविश िक पुा आ तापी रईसक पौा छिथ। कलाेमी, कलाकार, ितित, साहसी,उदार आ परोपकारी। सुशीलाक रु पित अिनरु बाबूक टूटल गाड़ी कमलदहमे फँ सल छलिन, ओ लोकिन केछिथ, तकर सूचना देवकान्तक निह छलिन, तथािप हुनका सहयोग देब; सुलतानगंजमे नाहसँ डूबैत दम्पितकबचाएब; कु लानन्दक संग सुशीलाक वासक जानकारी रिहतहु, हुनका आिथक सहयोग देब -- ई सब आचरणदेवकान्त उदारता आ मनुष्यताक पिरचायक िथक। एकर अलावा देवकान्तक गम्भीर आ िजी स्वभावकिचाण सेहो भेल अिछ। मुदा देवकान्तक िजदसँ हुनकर अपन जे िकछु िबगिड़ गेल हो, आनक िकछु निहिबगड़लिन।परंच मूल बात अिछ सुशीला आ देवकान्तक अनुरावस्थाक मनोिवेषण। अइ िवेषणमे उपन्यासकारसहजिह चमत्कृ त करै छिथ। अइ अनुरिक कथाक माँसल आ उन्मादक बना क' पाठकक कामेच्छा आ कु त्साबढ़बै लेल निह; समाज वस्थामे चलैत अयथाथर् आदशर् आ मयार्दाक ित पाठक/भावकक उेिलत करै लेल।एिह िचाणमे राजकमल चौधरीक मनोिवेषणात्मक िशल्प अत्यन्त भावकारी सािबत भेलिन अिछ।उपन्यासतँ मानव जीवनक यथाथर्क आख्यान होइत अिछ, जािहमे घटना च आ स्थान-काल-पााक आयलेल जाइत अिछ। मूल कथाक संग-संग कतोक आनुषंिगक कथा अबैत अिछ आ अइ सब ियामे चिरा-िचाणक अमूल्य योगदान होइत अिछ। चिरा-िचाणेक माध्यमे कथानकमे वाह अबैत अिछ आ लयािक बाट सोझराइत अिछ। उपन्यासक पााक चािरिाक फलक जतेक सोझराएल रहत, ओकर अिभियाआ आन पााक संग कथोपकथन स्प आ गत्यात्मक हैत। ज िक कोनो िक एक-एक आचरण ओकरमानिसक हैिसयतक पिरचायक होइत अिछ, चिरा िचाणमे मनोिवेषणक महत्व सवपिर होइत अिछ।स्वातन्योर कालक भारतीय सािहत्यमे एहेन देखल गेल अिछ जे रचनाकार लोकिन अपन हरेक पााकआचरण ओकर मनोिवेषण करैत अंिकत के लिन अिछ, राजकमल चौधरी अइ काजमे सवार्िधक अगामी,योगधम आ नवतामूलक सािबत भेलाह अिछ। चिरा िचाणक संग ेमचन्द सेहो एिह तथ्यक समथर्न दैछिथ जे चिरा िचाण जतेक स्प, गितशील आ िवकासमान रहत, उपन्यास ओतबे बेसी भावकारी हैत।ेमचन्द इहो स्वीकारलिन जे मनोवैज्ञािनक सत्यक आधार पर कथा उम कोिटक हैत। राजकमल चौधरीकसम्पूणर् कथा संसार तँ मनोिवेषणसँ भरल अिछ, आलोच्य उपन्यास ÷आिदकथा'क तँ मूल आधारे मनोिवेषणअिछ। कहै लेल ई कथा सुशीला आ देवकान्तक ेम कथा िथक, मुदा दू मेसँ एको कखनहुँ िकनकहु मुँह फोिड़ कए46


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्निह कहलिखन जे हम अहाँसँ ेम करै छी। ससे समाजमे के ओ ई नािह घोिषत के लिन जे दुनूमे ेम अिछ।समाज, आ िक कु लानन्द, आ िक हिरनगर वाली (अिनरु बाबूक दोसर पी, सुशीलाक माँिझल सौितन,महानन्दक माइ, कु लानन्दक सतमाइ) अइ अनुरिक मोने मोन िछनरपन मानलिन। मुदा, ई कथा एकटादुखान्त ेम-कथा िथक। सम्पूणर् कथा सबहक मोनेमे बनैत, बढ़ैत रहल। पााक ित्व, वृि, िया-कलाप,रागात्मक मनोवेग आिदक िचाणसँ घटना च, पिरिस्थित आ पिरवेश सुगिठत आ भावकारी भेल अिछ।पााक इच्छा-अिनच्छा, पिसन-नापिसन, ोध-घृणा-ेम, राग-अनुराग, भोगेच्छा आिदसँ कथानकमेस्वाभािवकता आ िवसनीयता आएल अिछ।कोनो मनुष्य ेम करए, घृणा करए, मािर करए, समथर्न आ िवरोध करए, पूजा करए, ािभचार करए--ईसबो टा आचरण ओकर जीवन दशर्नसँ िनधार्िरत होइत अिछ, जकर जानकारी ओकर मनोिवेषणसँ भेटैतअिछ। पिरवेश, िशक्षण, संस्कार, ितभा, अनुभव आिदक समिन्वत भावमे कोनो ित्व अपन जीवनदशर्न िदढ़ करैत अिछ; मुदा मनुष्य जाित ज िक सामािजक पशु िथक, कतोक पिरिस्थितमे ओकर समस्त जीवन-दशर्न िववश भ' जाइत अिछ।मनोिवज्ञान कहैत अिछ जे कोनहुँ ियाक िनष्पािदत करबामे कार्क धारणा महत्वपूणर् होइत अिछ।मनुष्यक आजन्मक संस्कार, अतीतक समस्त िबसरल घटना, जीवन भिरक अनुभूित ओकर अवचेतनमेिवराजमान रहैत अिछ, समय पािब कए ओएह सब बात ओकर वृि, आचरण आ धारणाक िनदिशत करएलगैत अिछ। आिदकथा उपन्यासक िविभ चिराक मनोिवेषणमे ई समस्त तत्व भावी अिछ। एिहउपन्यासक रचनाकाल धिर भारतीय स्वाधीनताक एक दशक बीत चुकल छल। मुदा िमिथलाक लोक--कीपिण्डत, की मूखर्; की सामन्त, की मजूर...आिदम सभ्यताक मानिसकतामे जी रहल छल। पुरुषवादी अहंकारकएहेन फक दशर्न तँ आिदमो युगमे निह छल, जतए ा◌ीक बाक जन्म देब' बला मशीन; पुरुषक कामेच्छाअथवा कु त्सा शान्त कर' बाला यन्ा; घर-अंगना सम्हार' वाली पिरचािरका; आ पुरुषक मुँह शंसा सूिनपुलिकत रह' वाली पोसुआ पशुक अलावा आओर िकछु निह बूझल जाइत हो। आसुरी भोग-िवलास आ ढग-पाखण्ड-अन्धिवास-धमर्भीरुताक वंचनामे ससे िमिथला डूबल छल। जखन िक ससे देशक गितशीलसमाजमे जीवनक जिटलता, िविचाता पर िचन्तन-मननफै लसँ भ' रहल छल। लोक आधुिनक भावबोधसँ जीवनक देखए लागल छल। मानव जीवनक उवल आ कलुषभाव पर तुलनात्मक िचन्तन होअए लागल छल। एहना समयमे मैिथलीमे भावकारी उपन्यास िलखबाक एकिहटा िशल्प भ' सकै छल--से छल मनोिवेषणात्मक चिरा◌ा◌ंकनसँ वस्तु िस्थितक नाँगट करबाक कौशल। हमरामनोिवेषण के ने हिरमोहन झा ÷कन्यादान'मे मैिथलक िवदूषकीय आचरणक धी उड़ा देलिन, मुदा मैिथललोकिनक ओहेन हारक ंग्य, हास्य बुझेलिन। आचायर् वर लोकिन उदारतापूवर्क हुनका हास्य साटकउपािध द' देलिखन।47


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्वस्तुतः ÷आिदकथा'क कथ्यो एहने अिछ जे मनोिवेषणक अलावा दोसर कोनो सिरआएल बाट ताकलो निहजा सकै छल। यौवनक अटट दुपहिरयामे कोनो ा◌ीक िनित रूप कोनो सम्पूणर् पुरुषक छाहिर चाही;पुष्पवती-फलवती हेबा लेल आतुर अथवा मुिदत-पुलिकत हेबा लेल उत्सुक-उत्फु ल्ल कोनो हिरयर लताक कोनोमजगूत डािरक आसरा चाही। सुशीला एहने उ ा◌ी आ एहने अलसाएल लता छिथ; हुनका देवकान्त चाहीछलिन मुदा अिनरु भेटलिखन; चाननक गाछ चाही छलिन, मुदा भाँिट-भँगरैया भेटलिखन। ा◌ीक जीवनमेअथर्सँ बेसी साथर्क बहुत िकछु होइत अिछ, से बात मैिथल ितिनिध अिनरु, हुनकर स'र-कु टुम, सम्बन्धी-सरोकारी निह बूिझ रहल छलिखन; एते धिर जे कु लानन्दोक तकर खािहस निह भेलिन।गम्भीरतापूवर्क देखल जाए तँ अइ उपन्यासक अिधकांश घटनाच चिराक मोनिहमे घिटत भेल अिछ। सभक्यो अपन मन्त संके तिहमे के लिन अिछ, िकनकहु धारणा स्प बोलीमे स्प निह भेल अिद।अिनरु बाबू सन अशक्य आ वृ जमीन्दारक भौितक सम्पदा, सांसािरक असार-पसार, सतौत सन्तानककारण बेटा, पुतोह, धी, जमाइ, नाित-पोतासँ भरल-पुरल घर पािबयो कए कामदग्धा सुशीला अतृ छिथ।अतृ कामेच्छाक दमन हेतु हफीमक सेवन करए लगै छिथ। उेजनामे कएल आचरणक सूचना पािब लजा जाइछिथ, कामातुरा वृिक होइतहु सामािजक आदशर् आ कौिलक मयार्दाक पालनमे अपनाक ध्वस्त करैत रहैछिथ, नहुँ-नहुँ जरबैत रहै छिथ। रुग्ण पित संग याा◌ा करैत अचानक देवकान्तसँ भट होइ छिन। देवकान्तकयौवन, स्वास्थ्य, पराम, कला ेम, उदारता आ सौहादर् देिख हुनकासँ मोने ेम करए लगै छिथ। परम िश,धीर, शान्त सुिशिक्षत, उदार आ दृढ़ ितज्ञ देवकान्त मोनमे सेहो ेमक तरंग अिहना उठैत अिछ। आ, दुनूकेमांकु र ती गितसँ पसर' लगैत अिछ। मुदा जिहना दुनूक मािम-भािगनक सम्बन्ध-कथा सुिनित होइत अिछ।ेमक उेग भीतरे-भीतर सुनग' लगैत अिछ। िकन्तु ेम होइत अिछ आिग, ओकरा पर काँच-कोिचल जते झाँपनदेल जाए ओ आओर तीतासँ, अिधकािधक उापसँ विलत होइत अिछ। पे्रमक ई ती उाप सामािजकमयार्दाक जजर्र सूाक कारण अतः सुखान्त पिरणित धिर निहएँ पहुँचैत अिछ। मुँह फोिर कए अइेमािभिक अवसर धिर दुनूक हाथ निह अबै छिन। दुनू भीतरे-भीतर सुनगैत रहै छिथ। मनोिवेषणकआधार पर दुनूक आचरणमे देखल जा सकै त अिछ जे दुनूक मोनमे आिग कोन गितसँ धधिक रहल अिछ।सौन्दयर्क ित आकषर्ण मनुष्यक स्वाभािवक आचरण होइत अिछ। चािहओ क' कोनो ि सौन्दयर्क उपेक्षानिह क' सकै त अिछ। सौन्दयर् बोध, आ अनुरि कमर्क अपन शाा आ िवधान होइत अिछ, जे अलग-अलगाणीक आन्तिरक-बाह् य पिरिस्थित आ मनोदशासँ िनदिशत होइत अिछ। भूखसँ ाकु ल कोनो बरदकलहलहाइत घास, आ िक सूखल नार-पुआरमे सौन्दयर् भेटतै, अनुरि हेतै। मुदा घास अथवा नार-पुआरक घेराव,आ िक बरदक गरदिनक पगहा, आ िक मुँहमे लागल जाबी...अइ भोगक बाधक बिन सकै त अिछ।...सुशीला परम48


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्सुन्दरी छिथ। वयस, तदनुकू ल सौन्दयर्, यौवन, आचरण, ओज, भाव आिद भादबक बािढ़ जकाँ, उमड़ैत मेघ जकाँउपरझ क' रहल छिन। ा मूहूर्मे िनिन्त िना आ अलस मुामे हुनका सूतल देिख देवकान्त िद-दशर्नकअनुभव के लिन। नारी-सौन्दयर्क एहन िद-दशर्न हुनका जीवनक पिहल अवसर छल, एकटा सुमधुर स्व छल।वस्तुतः --हृदय कोनो सीमा-बन्धन निह मानै'ए। किहयो निह मािन आएल अिछ।-- देवकान्तक मोनमे ेमकलहिर उमड़ैत रहै छिन। सुशीला मामीसँ भट करबाक इच्छा होइत रहै छिन, तै ले' मातृक (रामपुर) जाएपड़तिन। मुदा रामपुर निह जेताह। इच्छा होइ छिन, मुदा अपनिह इच्छासँ भय होइ छिन। मातृक-पैतृक मयार्दापर, अथवा सुशीला मामीक शील पर, अथवा अपन ित्व पर आँच लािग जेबाक भय होइ छिन। मोने-मोनसुनगैत रहै छिथ, मुदा मातृक जा क' सोझाँ-सोझी सुशीलाक किह निह अबै छिथ--मामी, सोना मामी, हमराअहाँसँ ेम भ' गेल अिछ। हम अहाँ िबना निह रिह सकब। अहाँ सन ऊवर्र ऊजर्िस्वत, उेजनामयी, कामातुरारूपवतीक वेगमय ज्वारक हमर वृ, अशक्य मामा निह थािम्ह सकताह, हम थािम्ह लेब। अहाँ हमरा संग चलू।संग-संग रहब। जीवनक जराएब निह, स्वाहा निह करब, जीब...।(अिगला अंकमे)२. ज्योितकेँ www.poetry.comसँ संपादकक चॉयस अवाडर् (अंेजी पक हेतु) भेटल छिन्ह।हुनकर अंेजी प िकछु िदन धिर www.poetrysoup.com के र मुख्य पृ पर सेहो रहल अिछ। ज्योितिमिथला िचकलामे सेहो पारंगत छिथ आऽ िहनकर िचकलाक दशर्नी ईिलग आटर् ुप के र अंतगर्त ईिलगॊडवे, लंडनमे दिशत कएल गेल अिछ।िमिथला पटगक िशक्षा सुी ेता झासँ बसेरा इंस्टीूट, जमशेदपुर आऽ लिलतकला तूिलका, साकची,जमशेदपुरसँ। नेशनल एशोिसएशन फॉर ब्लाइन्ड, जमशेदपुरमे अवैतिनक रूपेँ पूवर्मे अध्यापन।ज्योित झा चौधरी, जन्म ितिथ -३० िदसम्बर १९७८; जन्म स्थान -बेल्हवार, मधुबनी ; िशक्षा- स्वामीिववेकानन्द िम िडल स्कू िटस्को साकची गल्सर् हाई स्कू , िमसेज के एम पी एम इन्टर कालेज़, इिन्दरा गान्धीओपन यूिनविसटी, आइ सी डबल्यू ए आइ (कॉस्ट एकाउण्टेन्सी); िनवास स्थान- लन्दन, यू.के .; िपता- ीशुभंकर झा, ज़मशेदपुर; माता- ीमती सुधा झा, िशवीपी। ''मैिथली िलखबाक अभ्यास हम अपन दादी नानीभाई बिहन सभकेँ प िलखबामे कएने छी। बेसँ मैिथलीसँ लगाव रहल अिछ। -ज्योितसातम िदन :49


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्३१ िदसम्बर १९९०, सोमवार :आिह भोरे जहन हम उठलहुं तऽ सब पिहनेहे उिठ गेल छल।हम जल्दीसऽ तैयार भऽ गेलहुं। फे र सब संगे मंिदरपहुंचलहुं।िविभ देवी देवताक दशर्न भेल।तकर बाद हम इम्हर उम्हर घुमित रहुं।तकर बाद पुनःभोजन आऽफे र बकरेर िदस िवदा।रस्तामे िशक्षक सब बतेला जे िवालय के संचालनमे हुनकासबके की की िदत होएतछैन।अिह तरहे हमसब अपन अपन परेशानीक आदान दान करैत रहलहुं।हमरा सबके तहन अनुभव भेलजेकखनो काल सामनेक पिरिस्थित सऽ उेिजत भऽ हम छागण िशक्षक सबदऽ गलत धारणा बना लैत छी।जे कीबहुत गलत छै।ह तऽ हमसब बकरेर पहुंचलहुं।सझक ६ बाजल छल।आिह १९९० के आिखिर िदन छल तािहारे हम सब अपन अपन समान सतकऽ सांस्कृ ितक कायर्मक तैयारीमे लािग गेलहुं। तािह बीचमे हमरा सबकेहेडमास्टर के तरफ सऽ बुलावा आयल।हमसब डेरा गेलहुं जे हमर सबमे सऽ एकटा छौड़ी ककरो समान फे क देनेरहै त सबके डपटै लेल बजायल जा रहल अिछ।अिह तरहक आशंका सऽ डेरा हमसब जहन ओतऽ पहुंचलहुं तऽसब छौड़ा सब बहुत खुश छल तहान हमसब किनक खुश भेलहुं। लेिकन फे र मुड गड़बड़ा गेल ।िकयो बाजल जेछौड़े सब िशकायत के लक त ओ सब तऽ खुश हेबे करत।हमसब बैसकऽ िशक्षक के प्◌्रातीक्षा करऽ लगलहुं।मुदाजखन ओ एला तऽ हुन्कर हाथमे छड़ीके स्थान पर एक कॉपी छलैन आ ओ मुस्कु रा रहल छलैथ।आिबकऽ ओघोिषत के लैथ जे मृगांक नामक एक छाक आिह जन्मिदवस अिछ त हम एकटा स्वरिचत किवता सुनायब।ईसुनैत देरी हमसब खुशीसऽ उछिल पड़लहुं।आब की छल हमसब किवता सुनलहुं िमठाई खेलहुं आ भोजन कऽपुनथ नाटकके तैयारीमे लािग गेलहुं। ठीक एगारह बजे हमसब एक कोठलीमे जमा भऽ कायर्र्म ारंभके लहुं।हमहु एक नाटकमे भाग लेलहुं जािहके डाइरेक्टर आ राएटर सेहो हम रही।फे र बारह बजे राितकऽसमूहगान संगे नववषर्क स्वागत के लहुं।िशक्षक सब सेहो अपन कायर्म स्तुत के लैथ।अन्ततः हम सब सुतै लेलजाय लगलहुं। जाय सऽ पिहने हमसब गुडनाइट' वा शुभराि'के स्थानपर हैपी न्यू इयर' वा नववषर्कशुभकामना' बािज रहल छलहुं।५.प५.१.श्यामल सुमनक-अिभयान५.२.ी गंगेश गुंजनक- राधा (पाँचम खेप)५.३.महाका- बु चिरत५.४.डॉ पंकज पराशरक 4 टा किवता ज्योितक -पतझड़क आगमन५.५.िवनीत उत्पलक ५ गोट किवता५.६. महेश िम "िवभूितक" किवता गङ्गा-स्तुित50


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्श्यामल िकशोर झा, लेखकीय नाम श्यामल सुमन, जन्म १०।०१।१९६० चैनपुर िजला सहरसा िबहार।ातक िशक्षा:अथर्शा राजनीित शा एवं अंेजी, िवुत अिभयंणमे िडपलोमा। शासिनकपदािधकारी,टाटा स्टील, जमशेदपुर। स्थानीय समाचार प सिहत देशक अनेक पिकामे समसामियक आलेख,किवता, गीत, गजल, हास्य-ंग्य आिद कािशत, स्थानीय टी वी चैनल एवं रेिडयो स्टेशनमे गीत गजलसारण, कै कटा किव सम्मेलनमे सहभािगता ओ मंच संचालन।अिभयानदेश-ेम के भरल भाव सँ, िनत िनमार्ण करै छी!सहज-भाव सँ संिवधान के , हम सम्मान करै छी!तखनहुँ िपछड़ल िकयै हमर िमिथला, पूछै छी हम िदल्ली सँ!!सड़क, रेल, िबजली जुिन पूछू, बाढ़ भेल सौभाग्य हमर!िवालय िबनु पढ़य नै बा, छी बड़का दुभार्ग्य हमर!आजादी सँ भेटल की हमरा, सब िकछु ध्यान धरै छी!िबना िवकासक क मे रिहतहुँ, राक गान करै छी!51


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्तखनहुँ िपछड़ल िकयै हमर िमिथला, पूछै छी हम िदल्ली सँ!!सब चुनाव के बेर मे पूछिथ, बाकी सब िदन रहता कात!आिजज छी आब सुिन-सुिनकय, हमसब हुनकर मीठका बात!एक अंग िमिथला भारत के , ंग्यक बाण सहै छी!सहनशीलता हमर एहेन जे, एखनहुँ मान रखै छी!तखनहुँ िपछड़ल िकयै हमर िमिथला, पूछै छी हम िदल्ली सँ!!हरेक साल िमिथलावासी िमिल, जाइछी जेना बाबाधाम!तिहना चलू एक बेर संसद, िकछु नै िकछु भेटत पिरणाम!उत िमिथला के खाितर हम ई अिभयान करै छी!राश्-भि मे िमिलकय ा-सुमन दान करै छी!तखनहुँ िपछड़ल िकयै हमर िमिथला, पूछै छी हम िदल्ली सँ!!. ी डॉ. गंगेश गुंजन(१९४२- )। जन्म स्थान- िपलखबाड़, मधुबनी। एम.ए. (िहन्दी), रेिडयोनाटक पर पी.एच.डी.। किव, कथाकार, नाटककार आ' उपन्यासकार।१९६४-६५ मे पाँच गोटे किव-लेखक“काल पुरुष”(कालपुरुष अथार्त् आब स्वगय भास कु मार चौधरी, ी गंगेश गुन्जन, ी साके तानन्द, आबस्वगय ी बालेर तथा गौरीकान्त चौधरीकान्त, आब स्वगय) नामसँ सम्पािदत करैत मैिथलीक थमनवलेखनक अिनयिमतकालीन पिका “अनामा”-जकर ई नाम साके तानन्दजी ारा देल गेल छल आऽ बाकीचारू गोटे ारा अिभिहत भेल छल- छपल छल। ओिह समयमे ई यास तािह समयक यथािस्थितवादीमैिथलीमे पैघ दुस्साहस मानल गेलैक। फणीरनाथ “रेणु” जी अनामाक लोकापर्ण करैत काल कहलिन्ह, “ िकछुिछनार छौरा सभक ई सािहित्यक यास अनामा भावी मैिथली लेखनमे युगचेतनाक जरूरी अनुभवक बाट52


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्खोलत आऽ आधुिनक बनाओत”। “िकछु िछनार छौरा सभक” रेणुजीक अपन अन्दाज छलिन्ह बजबाक, जे हुनकरसन्सगर्मे रहल आऽ सुनने अिछ, तकरा एकर ना आऽ रस बूझल हेतैक। ओना “अनामा”क कालपुरुष लोकिनकोनो रूपमे सािहित्यक मान्य मयार्दाक ित अवहेलना वा ितरस्कार निह कएने रहिथ। एकाध िटप्पणीमेमैिथलीक पुरानपंथी कारुिचक ित कितपय मुखर आिवष्कारक स्वर अवश्य रहैक, जे सभ युगमे नव-पीढ़ीकस्वाभािवक वहार होइछ। आओर जे पुरान पीढ़ीक लेखककेँ िय निह लगैत छिन आऽ सेहो स्वभािवके । मुदाअनामा के र तीन अंक मा िनकिल सकलैक। सैह अनाम्मा बादमे “कथािदशा”क नामसँ स्व.ी भास कु मारचौधरी आऽ ी गंगेश गुंजन दू गोटेक सम्पादनमे -तकनीकी-वहािरक कारणसँ-छपैत रहल। कथा-िदशाकऐितहािसक कथा िवशेषांक लोकक मानसमे एखनो ओिहना छिन्ह। ी गंगेश गुंजन मैिथलीक थम चौबिटयानाटक बुिधबिधयाक लेखक छिथ आऽ िहनका उिचतवा (कथा संह) क लेल सािहत्य अकादमी पुरस्कार भेटलछिन्ह। एकर अितिरक् मैिथलीमे हम एकटा िमथ्या पिरचय, लोक सुनू (किवता संह), अन्हार- इजोत (कथासंह), पिहल लोक (उपन्यास), आइ भोर (नाटक)कािशत। िहन्दीमे िमिथलांचल की लोक कथाएँ, मिणपकनैका- बिनजाराक मैिथलीसँ िहन्दी अनुवाद आऽ शब्द तैयार है (किवता संह)। स्तुत अिछ गुनजीक मैगनमओपस "राधा" जे मैिथली सािहत्यकेँ आबए बला िदनमे ेरणा तँ देबे करत सँगिह ई ग-प-जबुली िमितसभ दुःख सहए बाली- राधा शंकरदेवक परम्परामे एकटा नव-परम्पराक ारम्भ करत, से आशा अिछ। पढ़ूपिहल बेर "िवदेह"मे गुनजीक "राधा"क पिहल खेप।-सम्पादक।गुंजनजीक राधािवचार आ संवेदनाक एिह िवदाइ युग भू- मंडलीकरणक िबहािड़मे राधा-भावपर िकछु -िकछु मनोेग, बड़ बेचैनकएने रहल।अनवरत िकछु कहबा लेल बाध्य करैत रहल। करिह पड़ल। आब तँ तकरो कतेक िदन भऽ गेलैक। बंद अिछ। मानेसे मन एखन छोिड़ देने अिछ। जे ओकर मज। मुदा स्वतं निह कए देने अिछ। मनुखदेवा सवारे अिछ। करीबसए-सवा सए पात किह चुकल िछयैक। माने िलखाएल छैक ।आइ-कािल्ह मैिथलीक महांगन (महा+आंगन) घटना-दुघर्टना सभसँ डगमगाएल-जगमगाएल अिछ। सुस्वागतम!लोक मानसक अिभजन-बुि फे र बेदखल कऽ रहल अिछ। मजा के र बात ई जे से सब भऽ रहल अिछ-मैिथलीयेक नाम पर शहीद बनवाक उपम दशर्न-िवन्याससँ। िमिथला राज्यक मान्यताक आंदोलनसँ लऽकतोक अन्यान्य लयाभासक एन.जी.ओ.यी उोग माग सेहो। एखन हमरा एतवे कहवाक छल । से एहनकालमे हम ई िवहास िलखवा लेल िववश छी आऽ अहाँकेँ लोक धिर पठयवा लेल राधा किह रहल छी।िवचारी।53


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्राधा (पाँचम खेप)अहां चुप छी चुप्प अिछ संसारअहां निह तं सब िकछु चुपचापओना तं चिलये रहल सब िनत्यमुदा निह बूझब इयेह अिछ सत्यमनिह मन लोकक िमझायल दीपराित तं राित, िदन सेहोभ' गेल छैक िनष्ाण नीरस आ54


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्उदास अन्हार !बजैये बड़िदव चलैये-िफरैये लोकिकन्तु निह िकछु लिस बोली मेने रस करबा मे कोनो काज,हम तं सहजिह पड़ल छी ओछाओनत एकर अलावे जे अहंकमानस-संग मा अवलंब ांसकओना सब टा बन्द, हमरा लेलआशा आ मनोरथ के र सब के बारओना तं चिलये रहले समयभोर दुपहिर सांझ, राितक चािलजगतक िनत्य के र सब कारबार !हमर सबिकछु बन्द अिछ,सप्पत अधमृत ई संसार,ाणाधार !१४/४/०५1.डॉ पंकज पराशर 2.ज्योित55


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्ी डॉ. पंकज पराशर (१९७६- )। मोहनपुर, बलवाहाट चपराँव कोठी, सहरसा। ारिम्भकिशक्षासँ ातक धिर गाम आऽ सहरसामे। फे र पटना िविवालयसँ एम.ए. िहन्दीमे थम ेणीमे थम स्थान।जे.एन.यू.,िदल्लीसँ एम.िफल.। जािमया िमिलया इस्लािमयासँ टी.वी.पकािरतामे ातकोर िडप्लोमा।मैिथली आऽ िहन्दीक ितित पिका सभमे किवता, समीक्षा आऽ आलोचनात्मक िनबंध कािशत। अंेजीसँिहन्दीमे क्लॉद लेवी स्ॉस, एबहाडर् िफशर, हकु शाह आ ूस चैटिवन आिदक शोध िनबन्धक अनुवाद। ’गोवधऔर अंेज’ नामसँ एकटा स्वतं पोथीक अंेजीसँ अनुवाद। जनसामे ’दुिनया मेरे आगे’ स्तंभमे लेखन। रघुवीरसहायक सािहत्यपर जे.एन.यू.सँ पी.एच.डी.।१. बखरीगै दाइ बखरी!बखरी के तँ बकिरयो होइत छैक हिल डाइनआ बूझल निह छौक जे िनःशब्दा राितमेकोना गाछ हँकै त छैक ओिहठामक मौगी!कानमे जड़ी दऽ कए बंगािलन सबरािख लैत छैक भड़ा बना कए पुरुख-पातकेँसे तँ बूझले हेतौ ने!एिह लोकाख्यानक बीच हम बौआइत हम सोचैत छीजँ बखरीक बकिरयो धिर होइत छैक डाइिन56


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহतँ बखरीक अिस्मतासँ जुड़ल सलोनाकोना एखन धिर बाँचल अिछ एतेक सलोना!http://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्जा हे बखरी-सलोना!अनंत कालसँ अिभशािपत बखरीक अतीत खाहे जे रहल होमुदा आजुक बखरी तँ भाइ! एकदम अिछ खखरी!खखरी-पटभड़ भेल बखरी आइ छुछु आइत अिछबकरी-छकरी जकाँ एिह बाधसँ ओिह बाधएिह खेतसँ ओिह खेत दू गाल अहरा लेल अपस्याँतबखरीक िचल्का सब देसक कोन-कोनमेभूगोलमे रिहतो िमिथलाक इितहाससँ अिभशािपतमैिथल-संस्कृ ितक अवैध संतान बखरीिकएक निह भऽ सकल किहयो तेहेन जेहेन अिछ सकरी?जेहेन कोइलख जेहेन राँटी जेहेन मँगरौनीसलोनाक अछैतो तेहेन िकएक निह बखरी?खखरी सन आइयो िकएक फटकल अिछ बखरी57


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्िमिथलाक इितहाससँ बाहर?२. धानक खेतगम्हरल धानक खेतमे जखन बहराइत अिछ पिहल शीशदुधमुँह नेना सन तुक-तुकआ बसातक पिहल झक जकाँ खसैत अिछ खेतमेलाखक-लाख भंखतँ दू टा पुकेँ जन्म दइयो कऽ िनःपु भेलमुिनया मायक मुँहपर िपरी िछटिक जाइत छिनएतय हम बेटीक कन्यादानक िचन्तामे डूबल छीमुदा मुिनया बापक करेज देिखयनु बाऊजे बैसल छिथन िनिन्त भऽ कएडेढ़ बरखसँ िडल्लीमेने कोनो िची-पतरी ने गाम अयबाक गपछु च्छे फोन टा करैत छिथपल्टी मायक ओिहठाम मासक कोनो रिवकेँ घायल जकाँगाम-घरक िचन्तासँ उदासीन58


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्बटेदारक कृ पासँ कोनहुना रोपायल एिह बेरदस का खेतजे जीबैत छी अगहनक आसमेनिह तँ िसदहा के िचन्तामे पड़ल रिहतहुँ बाले-बे उपास-एिह सबटा खेरहाक बीच उड़ैत रहलमुिनया मायक आँिखमे हजक-हज भंखशीशसँ आच्छािदत दूध भरल धानक खेतमे३. एमहर गामएमहर कइक बरखसँ निह सुनगल अिछसोनाय कमारक भािठ किचया-खुरपीमे बटआ हरक फाड़ िपटयबाक लेल धुिरयायले पएरे कोनो हरबाहनिह आयल अिछ एमहरकहलिन बीसो बाबू-के जोतत हर एिह ैक्टर युगमेअटंट दूपहरमे िपतायल बड़दक संग सुखायल देह लेनेके घुरत आब हराठसँकान्हपर कटही हरमे लाधल पालो के र59


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহबोझसँ स्वयं बड़द भेलhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्जखन हर निह तँ हरबाहक कोन बेगरताफाड़ िपटयबाक कोन िचन्ताएिह ैक्टर युगमे मनुक्खक कोन आवश्यकता?...से कहैत छी भाइजे एिह बेर निह मानलक ककरो बात आ चिल गेल पंजाबहमरा गामक एकघरा हाम कं तलाल ठाकु रमायपर तामसेँ बड़बड़ाइत-कमाय निह धमायअनेरो फाटय बेमायबड़की काकी के र ामे एिह बेरजखन निह आयल क्यो हामतँ आन गाम िवदा होइत झूर-झमान हमर िपीकालिब उदासीक खोहमेपानक सरंजाम मोटरी बन्हनेँ खेते-खेत बौआइतसुमिरत तमोली आब निह करैत अिछ ढोिन60


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्एमहर िवलु भेल अिछगामक भाषासँ सेहो जऽन आ बोिनथथमािरकेँ िकछु चीजकेँ जोगयबाक यासमेउपहासक पा बनल हमर बाबािलखलिन अिछ िची जे ओहो अओताह िदल्लीिकछु काज-उदेम करताह एहू उमेरमेिकछु निह तँ पािनये भरताहककरो िचल्के केँ डेबताहमुदा गाममे आब िकहु निह रहताहभकोभ देहिरपर जरैत मािटक दीप के र इजोतमेतकै त छी हम सु घरक नीरवतामेसुकरातीक ओिरयाओन ज्योितक्षीण आँिखक त्याशा के रखंड-खंड िचनगी अपन गाममेिसरपंचमीमे आब ठाढ़ निह होइत अिछ ककरो हरआ ने जाइत अिछ लऽ कए कमरसािर ककरो हरबाहएमहर कइक बरखसँ एिहना बीतल अिछ िसरपंचमीकहलिन बीसो बाबू-लोथ भेल61


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्भोथ भेल कोदािर-खुरपीआ हर-फाड़क मादेजूड़शीतलमे आब जुड़ाइत अिछ ैक्टरक पिहयाआ गाममे निह बाँचल अिछ एहेन कोनो घरजकर खेत निह लागल हो भरना आ निह बटैया४.भूतघैलक-घैलक पािन उिघ कएजे िकसुन महतो लगेलिनमालदह आमक गाछीआ एतेक टाक पिरवार-से हुनके लेलआब भऽ गेलिनिदनकेँ गाछी राितकेँ भूत।2. ज्योितकेँ www.poetry.comसँ संपादकक चॉयस अवाडर् (अंेजी पक हेतु) भेटल छिन्ह।नकर अंेजी प िकछु िदन धिर www.poetrysoup.com के र मुख्य पृ पर सेहो रहल अिछ। ज्योितिमिथला िचकलामे सेहो पारंगत छिथ आऽ िहनकर िमिथला िचकलाक दशर्नी ईिलग आटर् ुप के र अंतगर्तिलग ॊडवे, लंडनमे दिशत कएल गेल अिछ।िमिथला पटगक िशक्षा सुी ेता झासँ बसेरा इंस्टीूट, जमशेदपुर आऽ लिलतकला तूिलका, साकची,62


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्मशेदपुरसँ। नेशनल एशोिसएशन फॉर ब्लाइन्ड, जमशेदपुरमे अवैतिनक रूपेँ पूवर्मे अध्यापन।ज्योित झा चौधरी, जन्म ितिथ -३० िदसम्बर १९७८; जन्म स्थान -बेल्हवार, मधुबनी ; िशक्षा- स्वामीिववेकानन्द िम िडल स्कू िटस्को साकची गल्सर् हाई स्कू , िमसेज के एम पी एम इन्टर कालेज़, इिन्दरा गान्धीओपन यूिनविसटी, आइ सी डबल्यू ए आइ (कॉस्ट एकाउण्टेन्सी); िनवास स्थान- लन्दन, यू.के .; िपता- ीशुभंकर झा, ज़मशेदपुर; माता- ीमती सुधा झा, िशवीपी। ''मैिथली िलखबाक अभ्यास हम अपन दादी नानीभाई बिहन सभकेँ प िलखबामे कएने छी। बेसँ मैिथलीसँ लगाव रहल अिछ। -ज्योितपतझड़क आगमनपतझड़क आगमनदहैक रहल वातावरणसंतरा, पीयर, लाल, भूरारंग सऽ भरल पूराकृ ित जेना भेल जीणर्मौलाएत झड़ैत तृण-तृणिविवध रंगके त्यािगकऽगेरूवा व धािरकऽिवदा भेल लेबऽ सन्यासतािह पर सुयदयक आकाशधरतीपर जे आिग छलतािहमे ओहो िलपटलआिक अिछ दपर्ण जक63


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्पृथ्वीक रूप देखाबैत जेनाअकरा शीतल करैलेलसाधु तपस्यामे लीन भेलजिहया िहमक बरखा हैतअस्वच्छता जखन दूर हैततिहया सऽनवजीवनक प्यासलायत सुखद वसंतक अिभलाष।१.िवनीत उत्पल (१९७८- )। आनंदपुरा, मधेपुरा। ारंिभक िशक्षासँ इंटर धिर मुंगेर िजला अंतगर्त रणगांवआs तारापुरमे। ितलकामांझी भागलपुर, िविवालयसँ गिणतमे बीएससी (आनसर्)। गुरू जम्भेरिविवालयसँ जनसंचारमे मास्टर िडी। भारतीय िवा भवन, नई िदल्लीसँ अंगरेजी पकािरतामेातकोर िडप्लोमा। जािमया िमिल्लया इस्लािमया, नई िदल्लीसँ जनसंचार आऽ रचनात्मक लेखनमेातकोर िडप्लोमा। नेल्सन मंडेला सटर फॉर पीस एंड कनिफ्लक्ट िरजोल्यूशन, जािमया िमिलयाइस्लािमयाक पिहल बैचक छा भs सटिफके ट ा। भारतीय िवा भवनक च कोसर्क छा।64


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्आकाशवाणी भागलपुरसँ किवता पाठ, पिरचचार् आिद सािरत। देशक ितित प-पिका सभमे िविभिवषयपर स्वतं लेखन। पकािरता कै िरयर- दैिनक भास्कर, इंदौर, रायपुर, िदल्ली ेस, दैिनक िहदुस्तान, नईिदल्ली, फरीदाबाद, अकचन भारत, आगरा, देशबंधु, िदल्ली मे। एखन राीय सहारा, नोएडा मे विरउपसंपादक .।१. इन्स्थक कथायुग-युग संिलखल जारहल छैकइन्स्थक कथाापर मेअिह ठामछल पांडवकराजधानीजकरा पावैक लेलअठाराह िदन तकभएल महाभारतमारल गेल हजार लोक65


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्समय बदललआब निह छिथ ओ पांडवनिह ओ कौरवमुदा, आबो मारल जाइत अिछ लोकतिहया उजिड़ गेल छलगामक-गामआई कामनवेल्थक नाम परउजिड़ रहल छैक गरीबक झोपड़ीहम पूछैत छीिशखंडीक आगू कsरचल गेल छल षंसाक लेलभाई-भाई कsदुश्मन भेलमािर-कािट कsकरलक वंशक नाश66


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्आब अिह इन्स्थ मेवल्डर् क्लासक नाम पररचल जाइ अिछ षंगरीब कए भगाबैक लेल.२. नौकरी उफ़र् आजीवन कारावासनेना मे अहांघोइट-घोइट कsयाद करैत रिहयैिकताबक पासोचैत रिहयैखूब पिढ़-िलख कsनीक सननौकरी पाइबतिह लेलिदन-रातिघसैत रिह कलम67


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহक्लास मे आबैत रिह थमhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्मुदा,जखन निह भेटलसरकारी नौकरी तsाइवेट नौकरी करै परलएिह समय मेनिह अपन लेल समयनिह पिरवारकभरण-पोषणक लेल पाईएिह ठामिवकट पिरिस्थित मेमन परैत छैकबरटोल्ड ब्चेस्टहुनकर कहब छ्लएक गोटा कsकम तनख्वाह देब68


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহमाने छल आजीवन कारावासhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्हम पूछैत छीअहां कहू या बताऊ कोन नीककम तनख्वाहक नौकरीवा आजीवन कारावासएक ठाम, अहां कsदुिनया भिरक दाियत्वमुदा, निह रहैत शांितदोसर ठाम, अहां कदुिनया भिरक शांितमुदा,निह रहैत कोनो दाियत्व.३. जाइत-पाइतजाइत-पाइत धमर्-संदायक69


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्लकए जखन तािहएक-दोसर कs देखए निह चाह्बैतखन धिर आहंक कल्याण निह होइतजखन अहां जनइत अिछकमर्क आधार संबांटल गेल रहएजितक भेदतखन अहांक ई भड़ासआओर ई तामस वा िचिचयाइबदेिख कsहंसी आबैत छी हमराजिह जुग मेजेकरा जे नीक लागलअिहने धमर् वा संदायबनौउने छैकजकरा जािह सं िचत जुलाह70


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्तिह सं जुड़लजकरा जािह सं िचत निह जुड़लसे निह जुड़लओिहना मे अहां जेदोसरा कs गाइर-फ़जीहत करैत छीआिह सं के करो निहबस अप्पन पहचान बताबैत अिछ.४. एक धुर जमीनएक धुर जमीनक लेलजे अहां िचिचया रहल छीकी सोचैत छीअहां संगे लs जाइबएक धुर जमीन संिकछु निह होइतसाल िक हजार साल संजमीन ओिह ठाम छैक71


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्आई छी अहांकाइल निह रहबजे अहांक जमीन छेके न छिथओ सेहो निह रहताहमरलाहक बादचािर हाथ जमीन चािहअंितम संस्कार लेलतकरा बाद सब छी माइटतखन एक धुर माइट लेलकिथ ले मरैत छीकिथ ले िचिचयाइत छीकिथ लेल मन मिलन करैत छीतs सुनु, निह करूई माइट लेल हाय-हायकोनो एहन काज करूमाइट िक सभक िदल मे बैइस जाऊ.72


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्५. चंमुखीअंगदेशक लोक निहजनैत अिछ चंमुखी कsसुखी अिछ जे सभ िकयोओकरा निह जनैत अिछदुखी अिछ जे िकयोओकरा जनैत अिछजे जनैत अिछशरतचन्द चोपाध्याय कsदेवदास कs ओ जनैत अिछजनैत छैक सेहो अंगदेश कअंगदेशक िनवासी छलीह चंमुखीनगरवधू निह मुदाओकरो सं कम निह छलीहजोगसर मे हुनकर कोठा छलाह73


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्शरतचन्द गेलाहहुनकर संग चंमुखीक आत्माअंगदेश कs छोिड़ देलिखनआब निह ओ ठाम, निह ओ िठकानाजे पारो व देवदास कs जनैत अिछचंमुखीक तकलीफ़ जनैत अिछजे निह जनैत अिछअनजान बनल अपने मे रमल अिछ.महेश िम “िवभूित”ातक, अवकाश ा िशक्षक।गङ्गा-स्तुितमहेश िम “िवभूित” (१९४३- ),पटेगना, अरिरया, िबहार। िपता स्व. जलधर िम, िशक्षा-जय माँ गङ्गे, जय माँ गङ्गे, जय माँ गङ्गे।74


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्बड़ भागी नर, कल्पवास कर, िनत िदन सुलभ िवमल तरङ्गे।। जय माँ गङ्गे..सिदखन दशर्न, िनत िदन मन, िनत िदन िनमर्ल काया अङ्गे।मानस िवमल वो िनमर्ल काया, िचन्तन, मनन, भजन िनत सङ्गे॥ जय माँ गङ्गे...कथा-वण , कीतर्न मनमोहक, पल-पल कटते अनुपम ढङ्गे।िचन्तन, मनन, भजन सुखदायक, िनिशवासर लभते बहुरङ्गे॥ जय माँ गङ्गे...मन-मल-रेचन, भव-भय-मोचन, ििवधताप भवसागर भङ्गे।िवमल “िवभूित” मोक्षदाियनी, सादर सुलभ; होहु निह तङ्गे॥ जय माँ गङ्गे...िचकार: ज्योित झा चौधरीज्योितकेँ www.poetry.comसँ संपादकक चॉयस अवाडर् (अंेजी पक हेतु) भेटल छिन्ह। हुनकर अंेजी पिकछु िदन धिर www.poetrysoup.com के र मुख्य पृ पर सेहो रहल अिछ। ज्योित िमिथला िचकलामे सेहोपारंगत छिथ आऽ िहनकर िमिथला िचकलाक दशर्नी ईिलग आटर् ुप के र अंतगर्त ईिलग ॊडवे, लंडनमेदिशत कएल गेल अिछ।िमिथला पटगक िशक्षा सुी ेता झासँ बसेरा इंस्टीूट, जमशेदपुर आऽ लिलतकला तूिलका, साकची,जमशेदपुरसँ। नेशनल एशोिसएशन फॉर ब्लाइन्ड, जमशेदपुरमे अवैतिनक रूपेँ पूवर्मे अध्यापन।ज्योित झा चौधरी, जन्म ितिथ -३० िदसम्बर १९७८; जन्म स्थान -बेल्हवार, मधुबनी ; िशक्षा- स्वामीिववेकानन्द िम िडल स्कू िटस्को साकची गल्सर् हाई स्कू , िमसेज के एम पी एम इन्टर कालेज़, इिन्दरा गान्धीओपन यूिनविसटी, आइ सी डबल्यू ए आइ (कॉस्ट एकाउण्टेन्सी); िनवास स्थान- लन्दन, यू.के .; िपता- ीशुभंकर झा, ज़मशेदपुर; माता- ीमती सुधा झा, िशवीपी। ''मैिथली िलखबाक अभ्यास हम अपन दादी नानीभाई बिहन सभकेँ प िलखबामे कएने छी। बेसँ मैिथलीसँ लगाव रहल अिछ। -ज्योित75


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्76


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्77


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्डॉ फु ल्ल कु मार िसह ‘मौन’ (१९३८- )- ाम+पोस्ट- हसनपुर, िजला-समस्तीपुर।िपता स्व. वीरेन् नारायण िसह, माता स्व. रामकली देवी। जन्मितिथ- २० जनवरी १९३८. एम.ए., िडप.एड.,िवा-वािरिध(िड.िलट)। सेवाम: नेपाल आऽ भारतमे ाध्यापन। १.म.मो.कॉलेज, िवराटनगर, नेपाल,१९६३-७३ ई.। २. धानाचायर्, रा.. िसह कॉलेज, महनार (वैशाली), १९७३-९१ ई.। ३. महािवालयिनरीक्षक, बी.आर. अम्बेडकर िबहार िविवालय, मुजफ्फरपुर, १९९१-९८.मैिथलीक अितिर नेपाली अंेजी आऽ िहन्दीक ज्ञाता।मैिथलीमे १.नेपालक मैिथली सािहत्यक इितहास(िवराटनगर,१९७२ई.), २.ाम(िरपोतार्ज दरभंगा१९७२ ई.), ३.’मैिथली’ ैमािसकक सम्पादन (िवराटनगर,नेपाल १९७०-७३ई.), ४.मैिथलीक नेनागीत(पटना, १९८८ ई.), ५.नेपालक आधुिनक मैिथली सािहत्य (पटना, १९९८ ई.), ६. ेमचन्द चयिनत कथा,भाग- १ आऽ २ (अनुवाद), ७. वाल्मीिकक देशमे (महनार, २००५ ई.)।काशनाधीन: “िवदापत” (लोकधम ना) एवं “िमिथलाक लोकसंस्कृ ित”।भूिमका लेखन: १. नेपालक िशलोत्कीणर् मैिथली गीत (डॉ रामदेव झा), २.धमर्राज युिधिर (महाका ो.लमण शाी), ३.अनंग कु सुमा (महाका डॉ मिणप), ४.जट-जिटन/ सामा-चके बा/ अिनल पतंग), ५.जट-जिटन (रामभरोस कापिड़ मर)।अकादिमक अवदान: परामश, सािहत्य अकादमी, िदल्ली। कायर्कािरणी सदस्य, भारतीय नृत्य कला मिन्दर,पटना। सदस्य, भारतीय भाषा संस्थान, मैसूर। भारतीय ज्ञानपीठ, िदल्ली। कायर्कािरणी सदस्य, जनकपुरलिलत कला ितान, जनकपुरधाम, नेपाल।सम्मान: मौन जीकेँ सािहत्य अकादमी अनुवाद पुरस्कार, २००४ ई., िमिथला िवभूित सम्मान, दरभंगा, रेणुसम्मान, िवराटनगर, नेपाल, मैिथली इितहास सम्मान, वीरगंज, नेपाल, लोक-संस्कृ ित सम्मान,जनकपुरधाम,नेपाल, सलहेस िशखर सम्मान, िसरहा नेपाल, पूवर मैिथल सम्मान, गौहाटी, सरहपाद िशखरसम्मान, रानी, बेगूसराय आऽ चेतना सिमित, पटनाक सम्मान भेटल छिन्ह।राीय-अंतरार्ीय संगोीमे सहभािगता- इम्फाल (मिणपुर), गोहाटी (असम), कोलकाता (प. बंगाल), भोपाल(मध्यदेश), आगरा (उ..), भागलपुर, हजारीबाग, (झारखण्ड), सहरसा, मधुबनी, दरभंगा, मुजफ्फरपुर,वैशाली, पटना, काठमाण्डू (नेपाल), जनकपुर (नेपाल)।मीिडया: भारत एवं नेपालक ितित प-पिका सभमे सहािधक रचना कािशत। आकाशवाणी एवंदूरदशर्नसँ ायः साठ-सर वातार्िद सािरत।78


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्अकािशत कृ ित सभ: १. िमिथलाक लोकसंस्कृ ित, २. िबहरैत बनजारा मन (िरपोतार्ज), ३.मैिथलीक गाथा-नायक, ४.कथा-लघु-कथा, ५.शोध-बोध (अनुसन्धान परक आलेख)।ित्व-कृ ितत्व मूल्यांकन: ो. फु ल्ल कु मार िसह मौन: साधना और सािहत्य, सम्पादक डॉ.रामवेश िसह,डॉ. शेखर शंकर (मुजफ्फरपुर, १९९८ई.)।चिचत िहन्दी पुस्तक सभ: थारू लोकगीत (१९६८ ई.), सुनसरी (िरपोतार्ज, १९७७), िबहार के बौ संदभर्(१९९२), हमारे लोक देवी-देवता (१९९९ ई.), िबहार की जैन संस्कृ ित (२००४ ई.), मेरे रेिडयो नाटक(१९९१ ई.), सम्पािदत- बु, िवदेह और िमिथला (१९८५), बु और िवहार (१९८४ ई.), बु औरअम्बपाली (१९८७ ई.), राजा सलहेस: सािहत्य और संस्कृ ित (२००२ ई.), िमिथला की लोक संस्कृ ित (२००६ई.)।वतर्मानमे मौनजी अपन गाममे सािहत्य शोध आऽ रचनामे लीन छिथ।िमिथलांचलक शैव क्षेदेवािधदेव िशव सवर्ापी पूणर् छिथ। आिददेव महादेव छिथ। ाचीनतम देवता पशुपित छिथ। वैिदकसािहत्य (यजुवद, अध्याय-१६)क शतरुिय सू तथा पौरािणक सािहत्य (वायुपुराण)मे िहनक पूजोपासनाकिवस्तृत िसांत िववेिचत अिछ। सूयर्, चन् आओर अिक िनेधारी िशवकेँ णाम- चन्ाकर् - “वैानरलोचनाय नमः िशवाय”।िशवक हाथ सभमे िशूल, डमरू, मृग ओ परशु शोिभत छिन। ज्ञान, इच्छा ओ िया शिक ियाशील रूपिशूल िथक। डमरु शब्द क तीक अिछ। िशवकेँ मृगधर कहल गेल अिछ। मृग वस्तुतः वेद अिछ- “अ वेदोमृगः”। परशु संहार सूचक अिछ। पशुपित िशवक त्यक्ष रूप िथक। वेद, उपिनषद एवं पुराण सािहत्यमेािणमाकेँ पशु कहल गेल अिछ। अतः िशवक पशुपित नाम साथर्क अिछ। पशुपित िशवक ाचीनतम मूित(मृ.मोहर) मोहनजोदड़ो-हड़प्पा संस्कृ ितमे ा भेल अिछ। िभुजी पशुपित योगासीन छिथ। हुनक मूितक चारूिदस अनेक पशु िचित अिछ। हुनक माथपर दू टा िसगवला िसराभूषण शोिभत छिन। आलोच्य पशुपितकरूपांकन एखन धिर अितीय अिछ। शैव क्षेमे नेपाल उपत्यका (काठमाण्डू) क िवख्यत पशुपित चतुमुर्खीिशविलगक रूपमे िवख्यात अिछ। एिह पशुपित िशविलगक एकटा मध्यकालीन ितमूित अरेराज(प.चम्पारण)क सोमेरनाथ महादेवक मिन्दर पिरसरमे दशर्नीय अिछ। नटराज सहनाम भाष्य (मास१९५१ ई.) क अनुसार िपद एवं चतुष्पद ािणमाक देवता पशुपित छिथ।वराहपुराण एवं िवष्णुपुराणक अंतः सायक अनुसार िशव िहरण्याक्षपु अन्धकासुरक बध काशीमे कयनेछलाह। ओ िपुरासुर ओ गजासुरक बध सेहो कयने छलाह। ओ सभ महामोह (अिवा)क ितरूप छल।भारतीय मूितकलामे गजासुर बधक स्तर मूित िमिथलांचलमे ाप्य अिछ। िशव संहारक देवता छिथ। ओअिवनाशी सवार्त्मा छिथ। िशव लीलाधर छिथ।79


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्ओिह लीलाधर िशवक एकटा स्वरूप नटराजक िथक।िशवक नृत्य सृि िवधान िथक एवं िनवृिकेँ लय मानलजाइछ। जगतक रक्षा हेतु ओ िनत्य सायंकाल नृत्य करैत छिथ। ओिह समय देवािद उपिस्थत रहैत छिथ। जगतकसृि वतर्नक लेल िशव लास्य ओ संहारक लेल िशव ताण्डव करैत छिथ। “ताल”क शािब्दक रचना “ता” ओ “ल”सँ भेल अिछ। अतः िशव ओ िशवा नृत्यमय छिथ, संगीत-नाािदक आिद वतर्क छिथ, डमरू ध्विनसँिननािदत माहेर सू अथार्त् शब्दशाक िनमार्ता छिथ। िशवकेँ नटराज, नटेश नृत्यनाथ अथवा नटेर सेहोकहल जाइछ। िचदम्बरमक नटराज मूित सवर्िस अिछ। िमिथलांचलसँ नटराज िशवक मध्यकालीनस्तरमूित ा अिछ जािहमे ओ अपस्मारक कान्हपर आरुढ़ भऽ नचैत छिथ।नटराजक जटामे अमृतक तीक चन्मा अिछ। भावली सिहत अथवा भावली रिहत नटराजक मूितक िवधानअिछ मुदा ओ स्फु िलगमयी ज्वालसँ घेरायल रहैत छिथ। िमिथलांचलक िस िशवमिन्दर सभमे लोक रुाक्षओ िशूल धारण कऽ डमरुक संग नचैत छिथ। मैिथलीक ाचीन नाटक सभ एिह नृत्यनाथक नामे समिपतअिछ। िमिथलांचलमे िशवभिक लेल नचारी, महेशवाणी, हरगौरी सम्मिर, हरगौरी िववाह आिद संगीत-नाािद बेस लोकिय एवं परम्पिरत अिछ। तारालाही (दरभंगा) एवं मखनाहा (तराई)क अभुजी नटेशकमूित कणार्टयुगीन अिछ।िशवक तीनटा रूप िविश अिछ- अधर्नारीर, हिरहर ओ िमूित। िमूित िशव वस्तुतः ा, िवष्णु, महेशकशिक समाहार अिछ- िवष्णुिशवा न् धाना शयः।– िवष्णुपुराण। एिहमे सृि (ा), िस्थित(िवष्णु) ओ िवनाश (िशव)क तत्व सभ िनिहत अिछ। सृि, िस्थित ओ लयक कारक िशवे छिथ। िमूितकिवशाल गुकालीन ितमाक साक्षात एलफे ण्टामे कयने छलहुँ। िमिथलांचलक भच्छी (दरभंगा)मे िमूितकअिभलेखांिकत मध्यकालीन स्तरमूित भेर महादेव मिन्दर (बहेड़ी खण्ड)मे पूिजत अिछ। िमूित सत्, रजओ तमोगुणक ितिनिधत्व करैत अिछ।िसांततः हिर (िवष्णु) ओ हर (िशव) अभेद छिथ अथार्त् संयु रूपेँ हिरहर छिथ। िवापितक िनिलिखतपदसँ िस्थित आर स्प भऽ जाइछ-खन हिर खन हर भल तुअ कला।खन िपत वसन खनिह बघछला॥...एक शरीरे लेल दुइ बास।खन बैकु ण्ठ खनिह कै लास॥हिरहरक मूितक अागमे ाचमर्, िशूल, जटामुकु टािद एवं अागमे पीताम्बर, शंख-च, िकरीट मुकु टािदशोिभत छिन। हिरहरक िवशाल स्तर ितमा गंगा-गंडक-संगमपर अविस्थत हिरहरनाथ मंिदरमे स्थािपत80


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्अिछ। हिरहरक एकटा पालकालीन भ स्तर (कसौटी पाथर) मूित हम वाल्मीिकनगर (भसालोटन) मे देखनेछलहुँ। ओ ओिहठाम अन्यान्य मूित सभक संगे संरिक्षत अिछ। हिरहरक दिहन भागमे िशव ओ वाम भागमे िवष्णुउत्कीणर् छिथ।िशवक तेसर स्वरूप अिछ अधर्नारीर अथार्त् आधा देह िशवक ओ आधा पावर्तीक। िशवक जटापर चन्मा ओहाथमे िशूल शोिभत अिछ एवं आधािगनी पावर्तीक हाथयमे दपर्ण ओ कमल पुष्प। अधर्नारीरकपिरकल्पना सृि बोधक अिछ। िलग ओ वेदीक एकस्थ भेने अधर्नारीरक रूप त्यक्ष होइछ। “िलगवेदीसमायोगादधर्नारीरो भवेत”।–िलगपुराण.९९.८.१. िमिथलांचलक कु स निदयामी (दरभंगा)सँ अधर्नारीरकमध्यकालीन स्तरमूित पाओल गेल अिछ। मूित षटभुजी अिछ।िशव गृहस्थ देव छिथ। हुनक अािगनी ओ शि िशवा एवं गणेश ओ काितके य पु छिन। वृषभ िशवक एवंिसह पावर्तीक वाहन छिन। हुनक पिरणयक पिरकल्पना “कल्याण सुन्दर” मे कयल गेल अिछ। पौरोिहत्यक काजा करैत छिथ एवं साक्षीत्व अिक छिन। ा यज्ञ ओ वेदक देवता सेहो छिथ। कल्याणसुन्दरक मूितकपिरकल्पना स्थानुक रूपमे कयल गेल अिछ। वाभूषणसँ अलंकृ त िशव-पावर्ती पािणहण कयने िभंगी मुामेठाढ़ छिथ। िशव-पावर्तीक बीचमे चतुभुर्ज ा पुरोिहत रूपेँ बैसल छिथ। पूरा भावात्मक पिरवेश गितमय ओमंगलमय अिछ। कल्याणसुन्दरक मूित िमिथलांचलसँ अाप्य अिछ मुदा िमिथलांचलक कोहबर िचमे आदशर्वर-वधूक रूपमे ओ परम्परासँ िचित छिथ।िशव-पावर्तीक दाम्पत्य जीवनक सुखद, रसमय एवं कलात्मक पिरकल्पना। उमा-माहेरक अिभिशल्पनमे भेलअिछ- िशव ओ पावर्ती लिलतासनमे आसीन छिथ। पादपीठमे िशवक वाहन वृषभ ओ पावर्तीक वाहन िसहउत्कीणर् अिछ। िशव चतुभुर्जी छिथ। तन्वंगी पावर्ती िशवक वाम जंघापर बैसल छिथ। िशवक दिहन हाथमेिशूल ओ वाम हाथ पावर्तीक वक्षस्थलपर िस्थत अिछ। िशव वाम हाथे एवं पावर्ती दिहन हाथे एक दोसराकेँआिलगब कयने छिथ। पावर्तीक दिहन हाथमे दपर्ण छिन। िशव दिहन हाथसँ पावर्तीक लावनत मुखकेँ उठारहल छिथ। िमिथलांचलमे उमामाहेरक पाथरक मूितसभ भीठभगवानपुर, डोकहर (मधुबनी), िसमिरयािभण्डी, किरयन (समस्तीपुर), नावकोठी (बेगूसराय), बाथे, राजेरस्थान (मधुबनी) ितरहुता, बेलामोड़,वनवारी, कोथर्, भोजपरौल, सौराठ, मंगरौनी, महादेवमठ, बसुदेवा, गाण्डवीके र, परानपुर (किटहार)िसमरौनागढ़ (वारा, नेपाल) आिद ऐितहािसक स्थलसभसँ ा अिछ एवं ओिहठामक मंिदरसभमे संरिक्षत ओपूिजत अिछ। एिहसँ स्प अिछ जे िमिथलांचलक मध्यकालीन पिरवेशमे उमा-माहेरक लिलत मूितकपिरकल्पना सुखद दाम्पत्य िदस उत्ेिरत करवामे सक्षम अिछ।दाम्पत्यक सुखद पिरणित संतितक रूपेँ फिलत होइछ। िशवक पु गणेश काितके यक अपेक्षा अिधक लोकियएवं पंचदेवोपासकमे पिरगिणत छिथ। पाली (दरभंगा)क एकटा मंिदरमे पावर्तीक गोदमे िशशु गणेश (बालगणेश) वात्सल्य पूिरत छिथ। मुदा हाजीपुर (वैशाली)क एकटा मठसँ जब्त िशव-पावर्तीक कांस्य मूितमेबालगणेश पावर्तीक गोदमे छिथ। कांस्य ितमा स्थानुक मुामे बनल अिछ। पावर्तीपु काितके यक एकटास्वतं पालकालीन पाथरक ितमा वैशालीगढ़ एवं दोसर बसुआरा (मधुबनी) सँ ा अिछ। पालीक पावर्ती-गणेश गुकालीन िथक मुदा अन्यान्य सभ पाल-पालोरकालीन िथक। पुण्वधर्न (पूिणयाँ) मे काितके यकएकटा मिन्दर छल (राजतरंिगणी)।81


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्िलग कार क स्थूल रूप िथक। िशविलग बोधक िथक। ओ पपीठ (वेदी) पर स्थािपत रहैत अिछ।िशविलगक िन भाग भूिमस्थ, मध्य भाग वेदीमे एवं तृतीय भाग पूज्य मानल जाइछ। शाानुसार िलगकअनेक कार अिछ जािहमे िशव िलगक पूजोपासना सवार्िधक लोकिय धािमक कृ त्य मानल जाइछ। ज्योितमर्यिशविलगक महा िविश अिछ जे भौगोिलक दृिसँ रािय एकताकेँ सूब करैत अिछ। तिहना िमिथलाकसांस्कृ ितक िदग्सूचक िशव (मंिदर) छिथ। िमिथला पिरमामे एिह िशवमंिदर सभक धािमक महत्व बिढ़ जाइछ।कल्याणेर, जलेर, क्षीरेर एवं सरेर। जनकपुरक उरमे अविस्थत क्षीरेर िशवक वृहदिवष्णु पुराण(िमिथला माहात्म्य)मे एवं दिक्षणमे िस्थत जलेर िशवक स्कन्दपुराणमे (नेपाल माहात्म्य) िवस्तृत वणर्नउपलभ्य अिछ (जनकपुरधाम, मर, जनकपुरधाम, नेपाल, १९९९ ई.)।िशविलगोक अनेक कार अिछ- एकमुखी, चतुमुर्खी, पंचमुखी एवं सहमुखी। एकमुखी िशविलगक पिरकल्पनासवर्ाचीन अिछ। चण्डीस्थान (अरेराज, प.चम्पारण)सँ ा कु षाणकालीन एकमुखी िशविलगमे िशवकमुखाकृ ित उत्कीणर् अिछ। हुनक जटाजूटसँ गंगा वािहत अिछ। िशविलग अद्भुत ओ अितीय अिछ। सवक्षणममे देखने छलहुँ। छायािच उपलब्ध अिछ। मुदा सामान्यतः एकमुखी िशविलगमे पावर्तीक मुखाकृ ित उत्कीणर्होइछ, जकरा गौरीशंकर सेहो कहल जाइछ। िलग भावनाक आधार शैव ओ शा दशर्न अिछ।एलफ टाक िमूितक मध्यमुख िशव, वाममुख पावर्ती एवं दिहन मुख रौ रूप िशव अथार्त् भैरवक िथक। अथार्त्िमुखी िशव (गुकालीन) िशवत्वक िवस्तार अिछ। मुदा चतुमुर्खी िशव िशवशिक िदग् िदगन्त ापकताकसूचक िथक। पशुपितनाथ (नेपाल) ओ अरेराजक (चम्पारण) चतुमुर्खी िशविलगमे कतहु ीराम, बु, शि(पावर्ती), सूयर् आिदक मुखाकृ ित जनपदीय मान्यतानुसार उत्कीणर् अिछ। बसाढ़ (वैशाली)क गुकालीन चतुमुर्खीिशविलग अिभलेखांिकत अिछ। वैशालीमे कै कटा पालकालीन चतुमुर्खी िशविलग सेहो मंिदरसभमे स्थािपतअिछ, चौगामा (दरभंगा), शाहपुर (सहरसा) एवं गढ़पुरा (बेगुसराय)क िशवमिन्दरमे सेहो चतुमुर्खी िशविलगस्थािपत अिछ। पंचमुखी िशविलगमे एकटा आकाशतत्व बिढ़ जाइछ। िमिथलांचलमे एकादश रुक पूजनपरम्परा मंगरौनी (मधुबनी) ओ बगहा (प.चम्पारण) मे अविश अिछ। मुदा सहमुखी िशव िलगक पूजनकाचीन उदाहरण वारी (समस्तीपुर), कटहिरया (िवदुपुर, वैशाली), हजारीनाथ (वागमती तटीय दरभंगा)आिदमे त्यक्ष अिछ। वरुआरी (सहरसा), हाजीपुर (वैशाली), जमथिर (मधुबनी) आिदक ऐितहािसक िशविलगअिभलेखांिकत अिछ।िहमालयसँ गंगाधिर पसरल िमिथलांचल कारान्तरसँ िशवलोक बनल अिछ। भागलपुर ताप (सेलेक्टेडइंिस्पशंस आफ िबहार, ो. आर.के .चौधरी)क अनुसार ओिह समय (पाल युग) ितरहुतमे हजारटा िशव मिन्दरछल। अिधकांशिशव मिन्दर आइ भाविश अिछ। पुराताित्वक उत्खननसँ ाचीन िशवमंिदर सभक भावशेषभगीरथपुर, चौगामा, किरयन आिद ऐितहािसक स्थल सभसँ ा भेल अिछ। ितलके र िशवमंिदरकऐितहािसकता कमार्िदत्य स्तर अिभलेखसँ भऽ जाइछ। एकर अलावा ऋिष-मुिन ारा स्थािपत िशविलगलोकख्यात अिछ- ृंग ऋिष ारा स्थािपत िसघेर िशव (सहरसा), किपल मुिन ारा स्थािपत किपलेर82


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्(मधुबनी), शुकदेव मुिन ारा स्थािपत शुके रनाथ (सीतामढ़ी), कु श ऋिष ारा स्थािपत कु शेर (दरभंगा)आिद। आब उठैत अिछ जे िक ओ ऋिष-मुिन लोकिन िशवभ छलाह? अथवा िशव हुनक आराध्य छलिन?िमिथलांचलमे एक िविश कारक घुिणत (घुमैत) िशविलगक ाि अद्भुत ओ अितीय अिछ। जमथिर(मधुबनी)क िशवमंिदरमे एकटा अिभलेखांिकत िकन्तु घुमइवला िशविलग स्थािपत अिछ। बाइस ईंच नमगरिशविलगक वामपार्मे िशवगायी ओ दिहन पार्मे रामगायी उत्कीणर् अिछ। एिह तरहक एकटा आर घूिणतिशविलग हैठीवालीक िशवमंिदर (मधुबनी) मे सेहो स्थािपत अिछ। तांिक उपासनाक दृिएँ ई िशविलगस्थािपत अिछ। किथत अिछ जे तांिक िविधसँ िसि ाि होइछ किलयुगमे। िशवपावर्तीक एकटा आर तांिकमूित (कणार्टकालीन) शैवजगतमे िविश अिछ- सोजात। एिहमे पावर्ती माताक रूपमे एवं िशव िशशुक रूपमेबनल अिछ। पावर्ती वाम करोटे लेटल छिथ। एिह तरहक मध्यकालीन मूित सभ अलौली (खगिड़या), जनकपुरकराममंिदर (नेपाल) आिदमे त्यक्ष उदाहृत अिछ।िमिथलांचलमे ऐितहािसक, पुराताित्वक एवं सांस्कृ ितक महत्वक अनेक िशवालय ाचीन सािहत्य, अिभलेख ओलोक आस्थामे युग-युगसँ ितस्थािपत अिछ। िशवालय िनमार्ण एवं ओिहमे िशवक स्थापना थमतः िपरकउेश्यसँ कयल गेल, मुदा कालांतरमे ओ लोक कल्याण मूलक मािणत भेल। आइ ओ िशवालय लोक आस्थाकआध्याित्मक ऊजार्क के न् बिन गेल अिछ। िशवरािक अवसर हो अथवा ावण मास ायः त्येक महत्वपूणर्िशवालय धािमक लोकोत्सवसँ स्फु िरत भऽ जाइछ। िशवरािक पिरकल्पनाक कलात्मक अिभि“कल्याणसुन्दर” (िशव-पावर्ती पिरणय) मे उत्कीणर् भेल अिछ। मुदा मास भिर िशवक जलािभषेक एकटा धािमककृ त्य रूपेँ मान्य अिछ। एकर मूलमे यिप देवघरक वैनाथ (ज्योितिलग) छिथ, मुदा िमिथलांचलोक अपनसोमेरनाथ (अरेराज), गरीबनाथ (मुजफ्फरपुर), िसहेर (सहषार्), किपलेर (मधुबनी), कु शेर (दरभंगा),हलेर, शुके र (सीतामढ़ी), भुवनेर (िशवहर), माधवेर, वधर्मानेर (दरभंगा) आिद शैव तीथर् त्यक्ष रूपेँसुलभ अिछ।िजतमोहन झा घरक नाम "िजतू" जन्मितिथ ०२/०३/१९८५ भेल, ी बैनाथ झा आीमित शांित देवी केँ सभ स छोट (ितीय) सुपू। स्व.रामेर झा िपतामह आ स्व.शोभाकांत झा मातृमह।गाम-बनगाँव, सहरसा िजला। एखन मुम्बईमे एक िलिमटेड कं पनी म पद्स्थािपत।रुिच : अध्ययन आ लेखनखास कs मैिथली ।पसंद : हर िमिथलावासी के पसंद पान, माखन, और माछ हमरो पसंद अिछ।िदवालीक साथर्कता (ज्योितपवर् पर िवशेष)83


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्हमरा नीक जेकाँ याद अिछ की िदवालीसँ दुई - चािर साह पिहने पिरवारक गामसँ बाहर रहए वला सभपिरजन अपन - अपन िरजवशन करबा लैत छलाह ! घरक सभ सदस्य हर साल िदवाली गामेमे मनबैत छलाह !ओइ समय दादाजी आर दादीजीक ख़ुशीसँ उभािसत चेहराक वणर्न निञ करल जाऽ सकै त अिछ ! घर चहल -पहलसँ भिर जाइत छल ! दादाजी आर दादीजीकेँ पूरा साल खाली िदवालीमे सबहक लम्बा छु िक इंतजार रहैतछलिन ! िदवालीक शु - अवसर पर समस्त पिरवार एकित होइत छलए ! मुदा पता निञ एकाएक समयबदिल गेल ! िदवालीक म छु टल तँ दुबारा शुरु निञ भs सकल आगाँ जा कए गामसँ बाहर रहै वला पिरजनदादाजी - दादीजीकेँ अंितम िवदाइ दै लs एकित भेलाह ! हम आइयो ओय िदन कs बहुत याद करैत छलहुँजखन लमीपूजनक समय दादाजी - दादीजी आर बाबूजी - चाचाजी सभ एके संग पूजा अचर्ना करैत छलाह !आइ हर पिरवारमे ई परंपरा पूणर् रूपसँ िवखिण्डत भs गेल अिछ ! त्यौहार,ाहेतँ अिछ जे िरश्ताकेँ रेशमकधागासँ पास िखचैत अिछ ! िकयो माता - िपता निञ चाहैत छिथ की हुनकर लाल (िधया - पुता) हुनकासँ दूररहिथ ! वसाय आर िवकासकेँ ारे आइ - कािल्ह माता - िपताकेँ अपन िधया - पुतासँ दूर रहय कऽ आदितडालय परैत छिन ! मुदा त्यौहार पर ओ सभक आबय के र ितक्षा करैत छिथ ! कारण एक साहक लेल िधया- पुतासँ भरल पूरा घर हुनका साल भिर एकाकी जीवनक लेल यादक गुच्छा हुनका हाथमे थमाऽ जाइत छिन !मुदा दुःखक बात ई जे एकांकी पिरवार वला मानिसकता अपन िमिथला समाजकेँ स्वाथर् कs हद तक खोखलाकए देने अिछ ! हमर सभक िरश्ताक बंधन तँ कमजोर भइये रहल अिछ संगे सामािजक जरुरतक कारण पिरवारअलग - अलग भागमे बँिट रहल अिछ, तकर बावजूदो िकछु - िकछु पिरवारमे भावनात्मक जुराव देखल गेलअिछ ! हम सभ िमल कs अपन िमिथलाक संस्कृ ितकेँ अंितम कड़ीकेँ िबखरय सँ बचा सकय छी, यिद हम सभपिरजन पवर् त्यौहार एक संग गाममे मनाबय के िनयम बनाऽ ली, अही कहू ने नौकरी, वसायक कारणसँ सात- समंदर पार रहै वला पिरजनकेँ पावैन ितहार खासकऽ केँ िदवाली पर बनै वला पकवान, तोरीक तेलसँज्विलत दीपक महक हुनका िवकिलत निञ करैत हेतैन ? ! सच तँ ई अिछ की गामसँ दूर रहए वला पिरजन केँहर पावैन ितहार पर अपन के बहुत याद आबै छिन ! ऐनामे सभ पाबिन ितहार तँ निञ कम सँ कम िदवाली एकएहन त्यौहार अिछ जकरा हमरा सभ केँ अपन माता - िपता, भाई - बिहन, सभ पिरजनक संग मनेबाक चाही !कारण िदवाली साल भिर ितक्षा करै वला वृ दादाजी - दादीजी, माँ - बाबूिजक ख़ुशीक पवर् अिछ ! अलग -अलग रहए वला पिरजन सभ सँ साल भिरक बाद िमलै के पवर् अिछ ! तािह हेतु अपन तमाम स्तताक वावजूदिकछु समय िनकािलकेँ अइ पवर् कs सभ केँ संग मना कए साथर्क करवाक चाही ! किन सोचु वृ दादाजी -दादीजी, माँ - बाबूिजक जीवन बचबे कतेक करल छैन ?! हुनकर बाँकी दीन सता सँ िबतैन अयसँ बेसीहुनकर ममताक ऋणक बदला हम सब की दऽ सकै त छलहुँ ! तँ आबू एिह बेर ण करी की जा तक कु नू खासिववशता निञ हुअए हम सभ हर िदवाली हुनका अपना पास बजा कए या खुद हुनका पास जाऽ कए मनायब,आत्मासँ आत्मामे सताक दीप जरायब, आबू सभ िमलकेँ ख़ुशीक ई अनूठा पवर् केँ साथर्क करी .....समस्त िवदेह पिरवार काँ ज्योितक पवर् िदवाली के हादक शुभकामना .....84


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्नूतन झा; गाम : बेल्हवार, मधुबनी, िबहार; जन्म ितिथ : ५ िदसम्बर १९७६; िशक्षा - बीएस सी, कल्याण कॉलेज, िभलाई; एम एस सी, कॉपरेिटव कॉलेज, जमशेदपुर; फै शन िडजाइिनग,एन.आइ.एफ.डी., जमशेदपुर।“मैिथली भाषा आ' मैिथल संस्कृ ितक ित आस्था आ' आदर हम्मर मोनमे बेसबसल अिछ। इंटरनेट पर ितरहुताक्षर िलिपक उपयोग देिख हम मैिथल संस्कृ ितक उवल भिवष्यक हेतु अितआशािन्वत छी।”दीपावली:२८अक्टूबर२००८मंगलिदनिदवाली िहन्दू िसक्ख एवम् जैन सबहक बड़ महत्वपूणर् पाबिन अिछ।िमिथलांचलमे सेहो जगमगाएत दीप सऽअिह पाबिन के मनाओल जाएत अिछ।अिह पाबिनक पाछा अनेक कथा अिछ।मानल गेल अिछजे िवजयादशमीिदन रावणक अन्तक बाद आिहये िदन भगवान राम देवी सीता, भाय लमण, हनुमान, सुीव, अंगद आिद संगेअयोध्या लौटल रहिथ।हुनक स्वागतमे अयोध्यावासी िदया बातीसऽ पूरा अयोध्या जगमगेने रहैथ।दोसर िकस्साअिछ जे भगवान ीकृ ष्ण अिहये िदन नरकासुरके नरक धाम पहुंचेने रहैथ।अकर अितिर इहो कथा चिलतअिछ जे राजा बिल अिह िदन भगवान िवष्णुक आज्ञा पािब अपन राज्य िदस िवदा भेल रहिथ।अिह तरहे अिहिदनके दुःख आऽ अज्ञानता अन्हार सऽ मुि भेटक एवम समृिक ािक अिभलाषासऽ मनाओल जाएतअिछ।कतौ-कतौ िकछु िवशेष पशुके भोजन कराबक िनयम सेहो छै जेनािक कौआ, कु क्कु र, गै आऽ बड़द।घरमे गोसाउिनक पूजा संगे लमीजी एवम गणेशजीक पूजा होएत अिछ। तकर बाद घरक सबसऽ बुजुगर् दीप लऽकऽ बाहर िनकलैत छैथ। फे र सबतिर दीप लेशल जाएत अिछ।अिहवषर् िदवाली २८ अक्टूबर, २००८, मंगलिदनकऽ अिछ।85


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्बालानां कृ ते१.काश झा- बाल किवता २. गांगोदेवीक भगता- गजेन् ठाकु र३. देवीजी: ज्योित झा चौधरीकाश झा, सुपिरिचत रंगकम। राीय स्तरक सांस्कृ ितक संस्था सभक संग कायर्कअनुभव। शोध आलेख (लोकना एवं रंगमंच) आऽ कथा लेखन। राीय जूिनयर फे लोिशप, भारत सरकार ा।राजधानी िदल्लीमे मैिथली लोक रंग महोत्सवक शुरुआत। मैिथली लोककला आऽ संस्कृ ितक लेखन आऽ िवफलकपर िवस्तारक लेल ितब। अपन कमर्ठ संगीक संग मैलोरंगक संस्थापक, िनदेशक। मैलोरंग पिकाकसम्पादन। संित राीय ना िवालय, नई िदल्लीक रंगमंचीय शोध पिका रंग-संगक सहयोगी संपादककरूपमे कायर्रत।86


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्( िमिथलामे सभस’ उपेिक्षत अिछ िमिथलाक भिवष्य ; यानी िमिथलाक बा । मैिथली भाषामे बाल-बुदरुकलेल िकछु गीतमय रचना अखन तक निह भेल अिछ जकरा बा रिटक’ हरदम गावे-गुनगुनावे जािहसँ बामस्तीमे रहै आ ओकर मानिसक िवकास दृढ़ हुऎ । एिह ठाम स्तुत अिछ बौआ-बाक लेल िकछु बाल किवता ।)१. काश झा1. िबलािड़बाघक मौसी तूँ िबलािड़म्याऊँ म्याऊँ बजै िबचािर,मुसबा के हपिस क’ खाईकु तबा देख भािग जाई ।2. बाघमौसी तूँ िबलािड़ केबाघ छौ तोहर नाम ,जंगल के तूँ राजा छेँबा’’’ बा’’’ के नाइ तोहर काम ।3. गैयाबाबा यौ! अबै यै गैया87


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्हिरयर घास चड़ै यै गैया ,िमठगर दूध दै यै गैयाहमर सभहक मैया गैया ।4. कु तबािदन मे सुतै, राित मे जगै,चोर भगाबै कु तबा ।रोटी देिखक’ दौड़ल अबै,नागैड़ डोलाबै कु तबा ।अनिठया के देिखते देरी,भ’’’ भ’’’ भुकै कु तबा ।5. हाथीझूमै-झामैत अबै हाथी,लम्बा सूढ़ िहलाबै हाथी,88


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्सूप सनक कान, हाथी,कारी खटखट पैघ हाथी ।२. गांगोदेवीक भगता- गजेन् ठाकु रगांगोदेवी मलािहन छलीह। एक िदन हुनकर साँय, अपन भाय आऽ िपताक संग माछ मारए लेल गेलाह।साओनक मेला चिल रहल छलैक आऽ िमिथलामे साओनमे माँ खाइ आिक बेचएपर तँ कोनो मनाही छैक निह।गांगोदेवीक वर सोचलिन्ह जे आइ माछ मािर हाटमे बेचब आऽ साओनक मेलासँ गांगो लेल चूड़ी-लहठी आनब।धारमे तीनू गोटे जाल फे कलिन्ह सरैया पाथलिन्ह मुदा बेरू पहर धिर डोका, हराशंख आऽ सतुआ मा हाथअएलिन्ह। आब गांगोक वर किनयाँक नाम लए जाल फे िक कहलिन्ह जे ई अिन्तम बेर छी गांगो। एिह बेर जेमाँछ निह आएल तँ हमरा क्षमा करब। आब भेल ई जे एिह बेर जाल माँछसँ भिर गेल। जाल िघचने निहिघचाए। सभटा माँछ बेिच कए गांगो लेल लहठी-चूड़ीक संग नूआ सेहो कीनल गेल।अिगला िदन गांगोक वर गांगोक नाम लए जाल फ कलिन्ह तँ फे र हुनकर जाल माँछसँ भिर गेलिन्ह मुदा हुनकरभाइ आऽ बाबूक िहस्सा वैह डोका-काँकड़ु अएलिन्ह। ओऽ लोकिन खोिधया कए एकर रहस्य बूिझ गेलाह फे र ई89


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्रहस्य सौँसे िमिथलाक मलाह लोकिनक बीच पसिर गेल। गांगोदेवीक भगता एखनो िमिथलाक मलाह भैयालोकिनमे चिलत अिछ। सभ जाल फ कबासँ पिहने गांगोक स्मरण करैत छिथ।३. देवीजी: ज्योित झा चौधरीदेवीजी :देवीजी यूनाइटेड नेशन्स डे ( २४ अक्टूबर)देवीजी इितहासमे ितीय िवयु के िवषय मे पढ़ा रहल छली।तािह स आग बिढ़ ओ युनाइटेडनेशन्स के स्थापनाक िवषय मे बताबऽ लगली।ओ कहलिखन जे भारत सिहत पचास टा देश २४ अक्टूबर १९४५मे न्याय आ कानून के ित अपन आस्था एवम् आदर के िसान्तक संग अिह संस्थाक िनमार्ण के लक जािहकेमुख्य उेश्य छल जे कोनो रामे ओकर सामिरक क्षमता, आिथक कमजोरी वा क्षेफल अन्तर के आधार परिबना भेद-भाव के ने मनुषके मौिलक अिधकारके ी वा पुरुषके समान रूपसऽ उपलब्ध कराबऽ मे सहायताकरत।तािह लेल बहुत तरहक िनयम-कानून बनल जािह के मानैके सब सदस्य रा ितज्ञा लेलक आ सब सालसेन े निससको, अमेिरका मे एकित भऽ दुहराबैत अिछ।90


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्अिह सबहक लय छल सम्पूणर् िवमे शािन्त, िशक्षा आ आरोग्यक सार।अकर झण्डामे िवकमानिचके ऑिलव नामक गाछक पात स घेरल देखल गेल छै।ऑिलव के शािन्तक तीक मानल गेल छै।वल्डर्हेल्थ ऑगर्नाइजेशन सेहो अकरे शाखा अिछ जे अिह वषर् अथार्त् ७ अैल, २००८ कऽ अपन साठम वषर् पूराके लक। अिह वषर् ओकर लय अिछ िवके ग्लोबल वािमग' वा पयार्वरणके बढ़ैत तापमान' के दुष्भावसऽपिरिचत करेनाई।युिनसेफ सेहो अकरे शाखा अिछ जे मूलतः बा सबके स्वस्थ व िशिक्षत एवम् सुरिक्षत समाज दानकरलेल ितब अिछ।यूिनसेफ के स्थापना ११ िदसम्बर क कै ल गेल अिछ।भारतमे सेहो ओकर ऑिफस अिछ।जेीटग काडर् युिनसेफ ारा कािशत होएत अिछ तकर पाई ओ संस्थाके जाइत अिछ त ओ सबसऽ आहके लिखन जे ईद, िदवाली, थक्स गीिवग डे, हैलोवीन, िसमस, नववषर्, मकरसंाती आिद के लेल ीटगकाडर् युिनसेफ िट वला खरीदू।देवीजी इहो ज्ञात करेलिखन जे अिह संस्थाके अन्तगर्त कतेको कल्याणकारी अिभयान सफल भेलअिछ।जेनािक, स्मॉल पॉक्स तथा पोिलयो के ायः सब देशसऽ हटाबक कायर्, कतेको बाके ाथिमक िशक्षाउपलब्ध करेनाई, सुनामी जक आयल ाकृ ितक कोपमे सहायता आिद के ने अिछ। हलांिक कतौ-कतौ ओकराअसफलता सेहो भेटल छै लेिकन ओ िनरन्तर नवाद, रंगभेद, आतंकवाद आिद के हटाबऽमे यरत अिछ।देवीजी िवालयमे २४ अक्टूबर कऽ युनाइटेड नेशन्स डे मनाबक िवचार बनेली।ओिह िदन ओना तऽछु ी रहैत छल लेिकन बा सबहक आह तथा ाधानाध्यापक के सहमित सऽ देवीजी िवालयमे ओिह िदनोर(ीज़ ), भाषण, वाद- िववाद, िनबन्ध लेखन आिद ितयोिगताक आयोजन कएली।अिह सबहक मुख्यिवषय यू एन संस्थाक इितहास एवम् कायर्णाली छल जािह सऽ सबके बहुत जानकारी बढ़ल।बा लोकिन ारा स्मरणीय ोक१.ातः काल मुहूर् (सूयदयक एक घंटा पिहने) सवर्थम अपन दुनू हाथ देखबाक चाही, आ’ ई ोकबजबाक चाही।कराे वसते लमीः करमध्ये सरस्वती।करमूले िस्थतो ा भाते करदशर्नम्॥करक आगाँ लमी बसैत छिथ, करक मध्यमे सरस्वती, करक मूलमे ा िस्थत छिथ। भोरमे तािह ारे करकदशर्न करबाक थीक।91


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्२.संध्या काल दीप लेसबाक काल-दीपमूले िस्थतो ा दीपमध्ये जनादर्नः।दीपाे शङ्करः ोक्ः सन्ध्याज्योितनर्मोऽस्तुते॥दीपक मूल भागमे ा, दीपक मध्यभागमे जनादर्न (िवष्णु) आऽ दीपक अ भागमे शङ्कर िस्थत छिथ। हेसंध्याज्योित! अहाँकेँ नमस्कार।३.सुतबाक काल-रामं स्कन्दं हनूमन्तं वैनतेयं वृकोदरम्।शयने यः स्मरेित्यं दुःस्वस्तस्य नश्यित॥जे सभ िदन सुतबासँ पिहने राम, कु मारस्वामी, हनूमान्, गरुड़ आऽ भीमक स्मरण करैत छिथ, हुनकर दुःस्वन भऽ जाइत छिन्ह।४. नहेबाक समय-गङ्गे च यमुने चैव गोदाविर सरस्वित।नमर्दे िसन्धु कावेिर जलेऽिस्मन् सििध कु रू॥हे गंगा, यमुना, गोदावरी, सरस्वती, नमर्दा, िसन्धु आऽ कावेरी धार। एिह जलमे अपन सािध्य िदअ।५.उरं यत्समुस्य िहमाेैव दिक्षणम्।वष तत् भारतं नाम भारती य सन्तितः॥समुक उरमे आऽ िहमालयक दिक्षणमे भारत अिछ आऽ ओतुका सन्तित भारती कहबैत छिथ।६.अहल्या ौपदी सीता तारा मण्डोदरी तथा।पकं ना स्मरेित्यं महापातकनाशकम्॥जे सभ िदन अहल्या, ौपदी, सीता, तारा आऽ मण्दोदरी, एिह पाँच साध्वी-ीक स्मरण करैत छिथ, हुनकरसभ पाप न भऽ जाइत छिन्ह।७.अत्थामा बिलार्सो हनूमां िवभीषणः।92


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्कृ पः परशुराम सैते िचरीिवनः॥अत्थामा, बिल, ास, हनूमान्, िवभीषण, कृ पाचायर् आऽ परशुराम- ई सात टा िचरीवी कहबैत छिथ।८.साते भवतु सुीता देवी िशखर वािसनीउेन तपसा लब्धो यया पशुपितः पितः।िसिः साध्ये सतामस्तु सादान्तस्य धूजर्टेःजाह्नवीफे नलेखेव यन्यूिध शिशनः कला॥९. बालोऽहं जगदानन्द न मे बाला सरस्वती।अपूण पंचमे वष वणर्यािम जगत्यम् ॥इंिग्लश-मैिथली कोष मैिथली-इंिग्लश कोषइंिग्लश-मैिथली कोष ोजेक्टकेँ आगू बढ़ाऊ, अपन सुझाव आऽ योगदान ई-मेल ाराggajendra@yahoo.co.in वा ggajendra@videha.co.in पर पठाऊ।मैिथली-इंिग्लश कोष ोजेक्टकेँ आगू बढ़ाऊ, अपन सुझाव आऽ योगदान ई-मेल ाराggajendra@yahoo.co.in वा ggajendra@videha.co.in पर पठाऊ।भारत आऽ नेपालक मैिथली भाषा-वैज्ञािनक लोकिन ारा बनाओल मानक शैलीमैिथलीक मानक लेखन-शैली१.मैिथली अकादमी, पटना आऽ २.नेपालक मैिथली भाषा वैज्ञािनक लोकिन ारा बनाओल मानक शैली।१.मैिथली अकादमी, पटना ारा िनधार्िरत मैिथली लेखन-शैली1. जे शब्द मैिथली-सािहत्यक ाचीन कालसँ आइ धिर जािह वर्नीमे चिलत अिछ, से सामान्यतः तािहवर्नीमे िलखल जाय- उदाहरणाथर्-ा93


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्एखनठामजकर,तकरतिनकरअिछअाअखन,अखिन,एखेन,अखनीिठमा,िठना,ठमाजेकर,तेकरितनकर।(वैकिल्पक रूपेँ ा)ऐछ, अिह, ए।2. िनिलिखत तीन कारक रूप वैक्लिपकतया अपनाओल जाय:भ गेल, भय गेल वा भए गेल। जा रहल अिछ,जाय रहल अिछ, जाए रहल अिछ। कर’ गेलाह, वा करय गेलाह वा करए गेलाह।3. ाचीन मैिथलीक ‘न्ह’ ध्विनक स्थानमे ‘न’ िलखल जाय सकै त अिछ यथा कहलिन वा कहलिन्ह।4. ‘ऐ’ तथा ‘औ’ ततय िलखल जाय जत’ स्पतः ‘अइ’ तथा ‘अउ’ सदृश उारण इ हो। यथा- देखैत, छलैक,बौआ, छौक इत्यािद।5. मैिथलीक िनिलिखत शब्द एिह रूपे यु होयत:जैह,सैह,इएह,ओऐह,लैह तथा दैह।6. स्व इकारांत शब्दमे ‘इ’ के लु करब सामान्यतः अा िथक। यथा- ा देिख आबह, मािलिन गेिल(मनुष्यमामे)।7. स्वतं स्व ‘ए’ वा ‘य’ ाचीन मैिथलीक उरण आिदमे तँ यथावत राखल जाय, कतु आधुिनक योगमेवैकिल्पक रूपेँ ‘ए’ वा ‘य’ िलखल जाय। यथा:- कयल वा कएल, अयलाह वा अएलाह, जाय वा जाए इत्यािद।8. उारणमे दू स्वरक बीच जे ‘य’ ध्विन स्वतः आिब जाइत अिछ तकरा लेखमे स्थान वैकिल्पक रूपेँ देल जाय।94


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्यथा- धीआ, अढ़ैआ, िवआह, वा धीया, अढ़ैया, िबयाह।9. सानुनािसक स्वतं स्वरक स्थान यथासंभव ‘ञ’ िलखल जाय वा सानुनािसक स्वर। यथा:- मैञा, किनञा,िकरतिनञा वा मैआँ, किनआँ, िकरतिनआँ।<strong>10</strong>. कारकक िवभिक्क िनिलिखत रूप ा:-हाथकेँ , हाथसँ, हाथेँ, हाथक, हाथमे। ’मे’ मे अनुस्वार सवर्थात्याज्य िथक। ‘क’ क वैकिल्पक रूप ‘के र’ राखल जा सकै त अिछ।11. पूवर्कािलक ियापदक बाद ‘कय’ वा ‘कए’ अय वैकिल्पक रूपेँ लगाओल जा सकै त अिछ। यथा:- देिखकय वा देिख कए।12. माँग, भाँग आिदक स्थानमे माङ, भाङ इत्यािद िलखल जाय।13. अर् ‘न’ ओ अर् ‘म’ क बदला अनुसार निह िलखल जाय, कतु छापाक सुिवधाथर् अर् ‘ङ’ , ‘ञ’, तथा ‘ण’क बदला अनुस्वारो िलखल जा सकै त अिछ। यथा:- अङ्क, वा अंक, अल वा अंचल, कण्ठ वा कं ठ।14. हलंत िचह्न िनयमतः लगाओल जाय, कतु िवभिक संग अकारांत योग कएल जाय। यथा:- ीमान्,कतुीमानक।<strong>15</strong>. सभ एकल कारक िचह्न शब्दमे सटा क’ िलखल जाय, हटा क’ निह, संयु िवभिक हेतु फराक िलखलजाय, यथा घर परक।16. अनुनािसककेँ चन्िबन्दु ारा कयल जाय। परंतु मुणक सुिवधाथर् िह समान जिटल माा परअनुस्वारक योग चन्िबन्दुक बदला कयल जा सकै त अिछ। यथा- िह के र बदला िह।17. पूणर् िवराम पासीसँ ( । ) सूिचत कयल जाय।18. समस्त पद सटा क’ िलखल जाय, वा हाइफे नसँ जोिड़ क’ , हटा क’ निह।19. िलअ तथा िदअ शब्दमे िबकारी (ऽ) निह लगाओल जाय।95


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्20. अंक देवनागरी रूपमे राखल जाय।21.िकछु ध्विनक लेल नवीन िचन्ह बनबाओल जाय। जा' ई निह बनल अिछ ताबत एिह दुनू ध्विनक बदलापूवर्वत् अय/ आय/ अए/ आए/ आओ/ अओ िलखल जाय। आिक ऎ वा ऒ सँ कएल जाय।ह./- गोिवन्द झा ११/८/७६ ीकान्त ठाकु र ११/८/७६ सुरेन् झा "सुमन" ११/०८/७६२.नेपालक मैिथली भाषा वैज्ञािनक लोकिन ारा बनाओल मानक शैलीमैिथलीमे उारण तथा लेखन१.पमाक्षर आ अनुस्वार: पमाक्षरान्तगर्त ङ, ञ, ण, न एवं म अबैत अिछ। संस्कृ त भाषाक अनुसार शब्दकअन्तमे जािह वगर्क अक्षर रहैत अिछ ओही वगर्क पमाक्षर अबैत अिछ। जेना-अङ्क (क वगर्क रहबाक कारणे अन्तमे ङ् आएल अिछ।)प (च वगर्क रहबाक कारणे अन्तमे ञ् आएल अिछ।)खण्ड (ट वगर्क रहबाक कारणे अन्तमे ण् आएल अिछ।)सिन्ध (त वगर्क रहबाक कारणे अन्तमे न् आएल अिछ।)खम्भ (प वगर्क रहबाक कारणे अन्तमे म् आएल अिछ।)उपयुर् बात मैिथलीमे कम देखल जाइत अिछ। पमाक्षरक बदलामे अिधकांश जगहपर अनुस्वारक योगदेखल जाइछ। जेना- अंक, पंच, खंड, संिध, खंभ आिद। ाकरणिवद पिण्डत गोिवन्द झाक कहब छिन जे कवगर्,चवगर् आ टवगर्सँ पूवर् अनुस्वार िलखल जाए तथा तवगर् आ पवगर्सँ पूवर् पमाक्षरे िलखल जाए। जेना- अंक,चंचल, अंडा, अन्त तथा कम्पन। मुदा िहन्दीक िनकट रहल आधुिनक लेखक एिह बातकेँ निह मानैत छिथ।ओलोकिन अन्त आ कम्पनक जगहपर सेहो अंत आ कं पन िलखैत देखल जाइत छिथ।नवीन पित िकछु सुिवधाजनक अवश्य छैक। िकएक तँ एिहमे समय आ स्थानक बचत होइत छैक। मुदाकतोकबेर हस्तलेखन वा मुणमे अनुस्वारक छोटसन िबन्दु स्प निह भेलासँ अथर्क अनथर् होइत सेहो देखलजाइत अिछ। अनुस्वारक योगमे उारण-दोषक सम्भावना सेहो ततबए देखल जाइत अिछ। एतदथर् कसँ लऽकऽपवगर्धिर पमाक्षरेक योग करब उिचत अिछ। यसँ लऽकऽ ज्ञधिरक अक्षरक सङ्ग अनुस्वारक योग करबामेकतहु कोनो िववाद निह देखल जाइछ।२.ढ आ ढ़ : ढ़क उारण “र् ह”जकाँ होइत अिछ। अतः जतऽ “र् ह”क उारण हो ओतऽ मा ढ़ िलखल जाए।आनठाम खािल ढ िलखल जएबाक चाही। जेना-ढ = ढाकी, ढेकी, ढीठ, ढेउआ, ढङ्ग, ढेरी, ढाकिन, ढाठ आिद।96


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्ढ़ = पढ़ाइ, बढ़ब, गढ़ब, मढ़ब, बुढ़बा, साँढ़, गाढ़, रीढ़, चाँढ़, सीढ़ी, पीढ़ी आिद।उपयुर् शब्दसभकेँ देखलासँ ई स्प होइत अिछ जे साधारणतया शब्दक शुरूमे ढ आ मध्य तथा अन्तमे ढ़ अबैतअिछ। इएह िनयम ड आ ड़क सन्दभर् सेहो लागू होइत अिछ।३.व आ ब : मैिथलीमे “व”क उारण ब कएल जाइत अिछ, मुदा ओकरा ब रूपमे निह िलखल जएबाक चाही।जेना- उारण : बैनाथ, िबा, नब, देबता, िबष्णु, बंश, बन्दना आिद। एिहसभक स्थानपर मशः वैनाथ,िवा, नव, देवता, िवष्णु, वंश, वन्दना िलखबाक चाही। सामान्यतया व उारणक लेल ओ योग कएल जाइतअिछ। जेना- ओकील, ओजह आिद।४.य आ ज : कतहु-कतहु “य”क उारण “ज”जकाँ करैत देखल जाइत अिछ, मुदा ओकरा ज निह िलखबाकचाही। उारणमे यज्ञ, जिद, जमुना, जुग, जाबत, जोगी, जदु, जम आिद कहल जाएवला शब्दसभकेँ मशः यज्ञ,यिद, यमुना, युग, याबत, योगी, यदु, यम िलखबाक चाही।५.ए आ य : मैिथलीक वतर्नीमे ए आ य दुनू िलखल जाइत अिछ।ाचीन वतर्नी- कएल, जाए, होएत, माए, भाए, गाए आिद।नवीन वतर्नी- कयल, जाय, होयत, माय, भाय, गाय आिद।सामान्यतया शब्दक शुरूमे ए मा अबैत अिछ। जेना एिह, एना, एकर, एहन आिद। एिह शब्दसभक स्थानपरयिह, यना, यकर, यहन आिदक योग निह करबाक चाही। यिप मैिथलीभाषी थारूसिहत िकछु जाितमेशब्दक आरम्भोमे “ए”केँ य किह उारण कएल जाइत अिछ।ए आ “य”क योगक योगक सन्दभर्मे ाचीने पितक अनुसरण करब उपयु मािन एिह पुस्तकमे ओकरेयोग कएल गेल अिछ। िकएक तँ दुनूक लेखनमे कोनो सहजता आ दुरूहताक बात निह अिछ। आ मैिथलीकसवर्साधारणक उारण-शैली यक अपेक्षा एसँ बेसी िनकट छैक। खास कऽ कएल, हएब आिद कितपय शब्दकेँकै ल, हैब आिद रूपमे कतहु-कतहु िलखल जाएब सेहो “ए”क योगकेँ बेसी समीचीन मािणत करैत अिछ।६.िह, हु तथा एकार, ओकार : मैिथलीक ाचीन लेखन-परम्परामे कोनो बातपर बल दैत काल शब्दक पाछाँ िह,हु लगाओल जाइत छैक। जेना- हुनकिह, अपनहु, ओकरहु, तत्कालिह, चोिह, आनहु आिद। मुदा आधुिनकलेखनमे िहक स्थानपर एकार एवं हुक स्थानपर ओकारक योग करैत देखल जाइत अिछ। जेना- हुनके , अपनो,तत्काले, चोे, आनो आिद।७.ष तथा ख : मैिथली भाषामे अिधकांशतः षक उारण ख होइत अिछ। जेना- षन् (खड़यन्), षोडशी97


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्(खोड़शी), षट्कोण (खटकोण), वृषेश (वृखेश), सन्तोष (सन्तोख) आिद।८.ध्विन-लोप : िनिलिखत अवस्थामे शब्दसँ ध्विन-लोप भऽ जाइत अिछ:(क)ियान्वयी त्यय अयमे य वा ए लु भऽ जाइत अिछ। ओिहमेसँ पिहने अक उारण दीघर् भऽ जाइत अिछ।ओकर आगाँ लोप-सूचक िचह्न वा िवकारी (’ / ऽ) लगाओल जाइछ। जेना-पूणर् रूप : पढ़ए (पढ़य) गेलाह, कए (कय) लेल, उठए (उठय) पड़तौक।अपूणर् रूप : पढ़’ गेलाह, क’ लेल, उठ’ पड़तौक।पढ़ऽ गेलाह, कऽ लेल, उठऽ पड़तौक।(ख)पूवर्कािलक कृ त आय (आए) त्ययमे य (ए) लु भऽ जाइछ, मुदा लोप-सूचक िवकारी निह लगाओलजाइछ।जेना-पूणर् रूप : खाए (य) गेल, पठाय (ए) देब, नहाए (य) अएलाह।अपूणर् रूप : खा गेल, पठा देब, नहा अएलाह।(ग)ी त्यय इक उारण ियापद, संज्ञा, ओ िवशेषण तीनूमे लु भऽ जाइत अिछ। जेना-पूणर् रूप : दोसिर मािलिन चिल गेिल।अपूणर् रूप : दोसर मािलन चिल गेल।(घ)वतर्मान कृ दन्तक अिन्तम त लु भऽ जाइत अिछ। जेना-पूणर् रूप : पढ़ैत अिछ, बजैत अिछ, गबैत अिछ।अपूणर् रूप : पढ़ै अिछ, बजै अिछ, गबै अिछ।(ङ)ियापदक अवसान इक, उक, ऐक तथा हीकमे लु भऽ जाइत अिछ। जेना-पूणर् रूप: िछयौक, िछयैक, छहीक, छौक, छैक, अिबतैक, होइक।अपूणर् रूप : िछयौ, िछयै, छही, छौ, छै, अिबतै, होइ।(च)ियापदीय त्यय न्ह, हु तथा हकारक लोप भऽ जाइछ। जेना-पूणर् रूप : छिन्ह, कहलिन्ह, कहलहुँ, गेलह, निह।अपूणर् रूप : छिन, कहलिन, कहलौँ, गेलऽ, नइ, निञ, नै।९.ध्विन स्थानान्तरण : कोनो-कोनो स्वर-ध्विन अपना जगहसँ हिटकऽ दोसरठाम चिल जाइत अिछ। खास कऽस्व इ आ उक सम्बन्धमे ई बात लागू होइत अिछ। मैिथलीकरण भऽ गेल शब्दक मध्य वा अन्तमे जँ स्व इ वाउ आबए तँ ओकर ध्विन स्थानान्तिरत भऽ एक अक्षर आगाँ आिब जाइत अिछ। जेना- शिन (शइन), पािन(पाइन), दािल ( दाइल), मािट (माइट), काछु (काउछ), मासु(माउस) आिद। मुदा तत्सम शब्दसभमे ई िनयमलागू निह होइत अिछ। जेना- रिश्मकेँ रइश्म आ सुधांशुकेँ सुधाउंस निह कहल जा सकै त अिछ।98


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्१०.हलन्त(◌्)क योग : मैिथली भाषामे सामान्यतया हलन्त (◌्)क आवश्यकता निह होइत अिछ। कारण जेशब्दक अन्तमे अ उारण निह होइत अिछ। मुदा संस्कृ त भाषासँ जिहनाक तिहना मैिथलीमे आएल (तत्सम)शब्दसभमे हलन्त योग कएल जाइत अिछ। एिह पोथीमे सामान्यतया सम्पूणर् शब्दकेँ मैिथली भाषासम्बन्धीिनयमअनुसार हलन्तिवहीन राखल गेल अिछ। मुदा ाकरणसम्बन्धी योजनक लेल अत्यावश्यक स्थानपरकतहु-कतहु हलन्त देल गेल अिछ। स्तुत पोथीमे मिथली लेखनक ाचीन आ नवीन दुनू शैलीक सरल आसमीचीन पक्षसभकेँ समेिटकऽ वणर्-िवन्यास कएल गेल अिछ। स्थान आ समयमे बचतक सङ्गिह हस्त-लेखनतथा तकिनकी दृिसँ सेहो सरल होबऽवला िहसाबसँ वणर्-िवन्यास िमलाओल गेल अिछ। वतर्मान समयमेमैिथली मातृभाषीपयर्न्तकेँ आन भाषाक माध्यमसँ मैिथलीक ज्ञान लेबऽ पिड़रहल पिरेयमे लेखनमे सहजतातथा एकरूपतापर ध्यान देल गेल अिछ। तखन मैिथली भाषाक मूल िवशेषतासभ कु िण्ठत निह होइक, ताहूिदसलेखक-मण्डल सचेत अिछ। िस भाषाशाी डा. रामावतार यादवक कहब छिन जे सरलताक अनुसन्धानमेएहन अवस्था िकहु ने आबऽ देबाक चाही जे भाषाक िवशेषता छाँहमे पिड जाए। हमसभ हुनक धारणाकेँ पूणर्रूपसँ सङ्ग लऽ चलबाक यास कएलहुँ अिछ।पोथीक वणर्िवन्यास कक्षा ९ क पोथीसँ िकछु माामे िभ अिछ। िनरन्तर अध्ययन, अनुसन्धान आ िवेषणककारणे ई सुधारात्मक िभता आएल अिछ। भिवष्यमे आनहु पोथीकेँ पिरमािजत करैत मैिथली पापुस्तककवणर्िवन्यासमे पूणर्रूपेण एकरूपता अनबाक हमरासभक य रहत।कक्षा १० मैिथली लेखन तथा पिरमाजर्न महेन् मलंिगया/ धीरेन् ेमिष संयोजन- गणेशसाद भराईकाशक िशक्षा तथा खेलकू द मन्ालय, पाम िवकास के न्,सानोिठमी, भपुरसवार्िधकार पाम िवकास के न् एवं जनक िशक्षा सामी के न्, सानोिठमी, भपुर।पिहल संस्करण २०५८ बैशाख (२००२ ई.)योगदान: िशवसाद सत्याल, जगाथ अवा, गोरखबहादुर िसह, गणेशसाद भराई, डा. रामावतार यादव,डा. राजेन् िवमल, डा. रामदयाल राके श, धमन् िवह्वल, रूपा धीरू, नीरज कणर्, रमेश रनभाषा सम्पादन- नीरज कणर्, रूपा झाआब १.मैिथली अकादमी, पटना आऽ २.नेपालक मैिथली भाषा वैज्ञािनक लोकिन ारा बनाओल मानक शैलीकअध्ययनक उपरान्त िन िबन्दु सभपर मनन कए िनणर्य करू।ा/अा1. होयबला/होबयबला/होमयबला/ हेब’बला, हेम’बलाहोयबाक/होएबाक2. आ’/आऽ आ3. क’ लेने/कऽ लेने/कए लेने/कय लेने/ल’/लऽ/लय/लए4. भ’ गेल/भऽ गेल/भय गेल/भए गेल5. कर’ गेलाह/करऽ गेलह/करए गेलाह/करय गेलाह99


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्6. िलअ/िदअ िलय’,िदय’,िलअ’,िदय’7. कर’ बला/करऽ बला/ करय बला करै बला/क’र’ बला8. बला वला9. आङ्ल आंग्ल<strong>10</strong>. ायः ायह11. दुःख दुख12. चिल गेल चल गेल/चैल गेल13. देलिखन्ह देलिकन्ह, देलिखन14. देखलिन्ह देखलिन/ देखलैन्ह<strong>15</strong>. छिथन्ह/ छलिन्ह छिथन/ छलैन/ छलिन16. चलैत/दैत चलित/दैित17. एखनो अखनो18. बढ़िन्ह बढिन्ह19. ओ’/ओऽ(सवर्नाम) ओ20. ओ (संयोजक) ओ’/ओऽ21. फाँिग/फािङ्ग फाइंग/फाइङ22. जे जे’/जेऽ23. ना-नुकु र ना-नुकर24. के लिन्ह/कएलिन्ह/कयलिन्ह25. तखन तँ तखनतँ26. जा’ रहल/जाय रहल/जाए रहल27. िनकलय/िनकलए लागल बहराय/बहराए लागल िनकल’/बहरै लागल28. ओतय/जतय जत’/ओत’/जतए/ओतए29. की फू ड़ल जे िक फू ड़ल जे30. जे जे’/जेऽ31. कू िद/यािद(मोन पारब) कू इद/याइद/कू द/याद32. इहो/ओहो33. हँसए/हँसय हँस’34. नौ आिक दस/नौ कवा दस/नौ वा दस<strong>10</strong>0


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्35. सासु-ससुर सास-ससुर36. छह/सात छ/छः/सात37. की की’/कीऽ(दीघकारान्तमे विजत)38. जबाब जवाब39. करएताह/करयताह करेताह40. दलान िदिश दलान िदश41. गेलाह गएलाह/गयलाह42. िकछु आर िकछु और43. जाइत छल जाित छल/जैत छल44. पहुँिच/भेिट जाइत छल पहुँच/भेट जाइत छल45. जबान(युवा)/जवान(फौजी)46. लय/लए क’/कऽ47. ल’/लऽ कय/कए48. एखन/अखने अखन/एखने49. अहकेँ अहीँकेँ50. गहर गहीँर51. धार पार के नाइ धार पार के नाय/के नाए52. जेकाँ जेँकाँ/जकाँ53. तिहना तेिहना54. एकर अकर55. बिहनउ बहनोइ56. बिहन बिहिन57. बिहिन-बिहनोइ बिहन-बहनउ58. निह/नै59. करबा’/करबाय/करबाए60. त’/त ऽ तय/तए61. भाय भै62. भाँय63. यावत जावत<strong>10</strong>1


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्64. माय मै65. देिन्ह/दएिन्ह/दयिन्ह दिन्ह/दैिन्ह66. द’/द ऽ/दए67. ओ (संयोजक) ओऽ (सवर्नाम)68. तका’ कए तकाय तकाए69. पैरे (on foot) पएरे70. ताहुमे ताहूमे71. पुीक72. बजा कय/ कए73. बननाय74. कोला75. िदनुका िदनका76. ततिहसँ77. गरबओलिन्ह गरबेलिन्ह78. बालु बालू79. चेन्ह िचन्ह(अशु)80. जे जे’81. से/ के से’/के ’82. एखुनका अखनुका83. भुिमहार भूिमहार84. सुगर सूगर85. झठहाक झटहाक86. छू िब87. करइयो/ओ करैयो88. पुबािर पुबाइ89. झगड़ा-झाँटी झगड़ा-झाँिट90. पएरे-पएरे पैरे-पैरे91. खेलएबाक खेलेबाक92. खेलाएबाक<strong>10</strong>2


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्93. लगा’94. होए- हो95. बुझल बूझल96. बूझल (संबोधन अथर्मे)97. यैह यएह98. ताितल99. अयनाय- अयनाइ<strong>10</strong>0. िन- िनन्द<strong>10</strong>1. िबनु िबन<strong>10</strong>2. जाए जाइ<strong>10</strong>3. जाइ(in different sense)-last word of sentence<strong>10</strong>4. छत पर आिब जाइ<strong>10</strong>5. ने<strong>10</strong>6. खेलाए (play) –खेलाइ<strong>10</strong>7. िशकाइत- िशकायत<strong>10</strong>8. ढप- ढ़प<strong>10</strong>9. पढ़- पढ1<strong>10</strong>. किनए/ किनये किनञे111. राकस- राकश112. होए/ होय होइ113. अउरदा- औरदा114. बुझेलिन्ह (different meaning- got understand)1<strong>15</strong>. बुझएलिन्ह/ बुझयलिन्ह (understood himself)116. चिल- चल117. खधाइ- खधाय118. मोन पाड़लिखन्ह मोन पारलिखन्ह119. कै क- कएक- कइएक120. लग ल’ग121. जरेनाइ<strong>10</strong>3


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्122. जरओनाइ- जरएनाइ/जरयनाइ123. होइत124. गड़बेलिन्ह/ गड़बओलिन्ह125. िचखैत- (to test)िचखइत126. करइयो(willing to do) करैयो127. जेकरा- जकरा128. तकरा- तेकरा129. िबदेसर स्थानेमे/ िबदेसरे स्थानमे130. करबयलहुँ/ करबएलहुँ/करबेलहुँ131. हािरक (उारण हाइरक)132. ओजन वजन133. आधे भाग/ आध-भागे134. िपचा’/ िपचाय/िपचाए135. नञ/ ने136. बा नञ (ने) िपचा जाय137. तखन ने (नञ) कहैत अिछ।138. कतेक गोटे/ कताक गोटे139. कमाइ- धमाइ कमाई- धमाई140. लग ल’ग141. खेलाइ (for playing)142. छिथन्ह छिथन143. होइत होइ144. क्यो िकयो145. के श (hair)146. के स (court-case)147. बननाइ/ बननाय/ बननाए148. जरेनाइ149. कु रसी कु स<strong>15</strong>0. चरचा चचार्<strong>10</strong>4


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्<strong>15</strong>1. कमर् करम<strong>15</strong>2. डुबाबय/ डुमाबय<strong>15</strong>3. एखुनका/ अखुनका<strong>15</strong>4. लय (वाक्यक अितम शब्द)- ल’<strong>15</strong>5. कएलक के लक<strong>15</strong>6. गरमी गम<strong>15</strong>7. बरदी वद<strong>15</strong>8. सुना गेलाह सुना’/सुनाऽ<strong>15</strong>9. एनाइ-गेनाइ160. तेनाने घेरलिन्ह161. नञ162. डरो ड’रो163. कतहु- कह164. उमिरगर- उमरगर165. भिरगर166. धोल/धोअल धोएल167. गप/गप्प168. के के ’169. दरबा/ दरबजा170. ठाम171. धिर तक172. घूिर लौिट173. थोरबेक174. ब175. तोँ/ तूँ176. तोँिह( पमे ा)177. तोँही/तोँिह178. करबाइए करबाइये179. एके टा<strong>10</strong>5


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्180. किरतिथ करतिथ181. पहुँिच पहुँच182. राखलिन्ह रखलिन्ह183. लगलिन्ह लागलिन्ह184. सुिन (उारण सुइन)185. अिछ (उारण अइछ)186. एलिथ गेलिथ187. िबतओने िबतेने188. करबओलिन्ह/ करेलिखन्ह189. करएलिन्ह190. आिक िक191. पहुँिच पहुँच192. जराय/ जराए जरा’ (आिग लगा)193. से से’194. हाँ मे हाँ (हाँमे हाँ िवभिक्मे हटा कए)195. फे ल फै ल196. फइल(spacious) फै ल197. होयतिन्ह/ होएतिन्ह हेतिन्ह198. हाथ मिटआयब/ हाथ मिटयाबय199. फे का फ का200. देखाए देखा’201. देखाय देखा’202. सिर सर203. साहेब साहब<strong>10</strong>6


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्<strong>10</strong>. VIDEHA FOR NON RESIDENT MAITHILS (Festivals of Mithila date-list)-<strong>10</strong>.1. 1.Worn- out fifty paise coin- Maithili poem "Ghasal Athanni" by Late Sh. KashikantMishra Madhup 2. The Fundamentals-maithili short story “moolbhoot” by Sh. TaranandViyogi<strong>10</strong>.2.The Comet-English translation of Gajendra Thakur's Maithili NovelSahasrabadhani1. Original Maithili song "Ghasal Athanni"Kashikant Mishra MadhupWorn- out fifty paisecoin 2. The Fundamentals-by Taranand Viyogi (1966- ) The maithili short story“moolbhoot” by Sh. Taranand ViyogiKashikant Mishra Madhup (1906-87)Original Maithili song "Ghasal Athanni" translated into English by GAJENDRA THAKURWorn- out fifty paise coin<strong>10</strong>7


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्Noon of Jyeshtha month,With all his twelve mouths vomiting fire-ballUp-stooping The SunBurning the three worlds aflamingViolent western windThe tempestThe san-san-san sound of itLike fire particleAnguished blowing the dust.The birds in nest, composedNot shaking the wingsNot opening the eyesUnder the tree Animals puffing with tearful eyesThe herdsman went home unwillinglyPond water turns hotThe water and land habitants trembleThe surrounded husk-bamboo enclosures, doors, windows of houses shut<strong>10</strong>8


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्This fire-rain!No wayfarer to be seen on roadWill the world create the natureThis fire-rain!The hi-fisHaving Big belliesRelaxing supported on big cushions,Making and filtering SherbetSugar-candy, nut and ice mixedBeneath the dancing electric-fanThey too peace starved asking –Hari! Hari!What to tell about the LivingThe shadow also asking for shadowThe noon of Jyeshtha-month!Though at this timeEven then Buchni Left the courtyard of house<strong>10</strong>9


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्Is digging the field of LandownerWhat can do the poor-women!Having been beaten by the lord-of-bad-fate, through all the eight portions of day-nightThe widow without family without any standingOnly child of six monthsThe hope for futureWho is weeping beside the road adjacent to the fieldHow can she console him?Even the blood within her is in scarcityThen how the milk will come out?After fasting three times in a row (of morning-evening)Became labourer @ fifty paiseFrom sunrise to sunsetWill do workWill not get even the labourer’s breakfast!Evening timeWorld now fearless1<strong>10</strong>


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्The moon rose with compassionBy cold light did the universe ecstaticThe cow caring for her child raced by echoing hukara-soundTun-tun-tun-tun soundTan-tan-tan-tan soundThe sound of bellThe smoke coming out of housesEven that time starved-thirsty BuchniBosom drawn covering his son with sareeTorn faded clothesThe bones coming outThe beauty burnt, marked by povertyFearing for being burnt by the fire of hungerThe youth of her fled as soon as it cameEven more than that of riped betel-leafYellowish and thin bodyCracked and split lips111


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्Eyes like mango cut to sizeIn the ditch is whose ill-fate-thiefBitch-anxiety stepping to the tip of sareeBurning her bodyEvery moment oh! Hope becoming fireball“give some grain-water” whose lifeSpeaking through treachery of tearThat becoming helplessTelling with fear somehowWith folded hands:That rubbed fifty-paise coin was not accepted (in market)I went to all the shopsComingPlease give another fifty-paise coinI came am only for thisHas become nightLandowner, do not take timeWith hunger and thirst I am dying112


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्Buy with thatWill thresh and crush grainThe child is weeping since morningRestless and taking out my life.She again came disturbing my foreheadChanging the real fifty-paise coin somehowClearly doing mischiefHey! Hold her neck and push besideShe is witchSee the eyesHow onlookingSwallowed such person as her master (husband) Budhna when she cameChewed suddenlyAt the time of Goddess LakShmidoing lending businessNobody here?Took beside this ill-fated women?113


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्Master!I am not asking debtOr came for beggingThe cultivated labour-charge be givenI am your subject-sonMany times came hereLegs crumblingFor grain my body starvingThe third-class-god not assigns even death to meWhat time has comeHa! Did work with all body-strengthThat good-line even then the labour-charge not comingThat’s why this famine in world has appearedI will not be able to goWhen I step up the legs it seems dark in-frontWill die here onlyTo whom I will tell?114


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्Nobody is my ownThe wrong-doing is also the splendor of the powerfulGod! Oh!Hey you have no fear?Many murder I have done and livedNot even my body-hair got damagedLong live the Daroga (police-incharge)Will murder youFlee women fleeBy giving enough wage to labourerI will put a blemish to my ancestry?This false-acting do beforesomeone elseI am black-cobrawill she go simply?The lord of death is dancing over her headO, what you are looking at my face1<strong>15</strong>


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्That much courage the third-class people will show?Cath-cath-cath-cathEven more heavy than the heaviestWith slap of Makhna she became helplessBoth mother-son fell on earthBecame senseless sheEven then with angerBy doing heavy-echoBhutkanbabu stood roaring:Makhna! Makhna!She is doing false-actingBring my stickWhat will you know about women’s character?My whole life dealt with all these.Dan-dan-dan-danStick thrashing on the senseless body116


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्Only once unrecognizable weepingWith child left Buchni this Creation!With sorrow amidst laughter of MoonThat rubbed-worn-out fifty-paise-coin spoke:“where should I” goTo get shelterWho will give?Worn-out is whose fate!2. The Fundamentals-byTaranand Viyogi (1966- ) The maithili short story “moolbhoot” by Sh.Taranand Viyogi translated into English by Gajendra Thakur.Once upon a time it happened.The almighty could not tolerate the mismanagement in the country.He posed like a Tantric and came before the Leader of the Nation. He could havecome in his real form but as this Leader of the Nation believed more in the Tantrics sohe thought it more appropriate to pose like a Tantric and came to the Leader of theNation.117


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्After worship and sacred-reading (by the Leader of the Nation) he (Tantric) asked forcorruption in donation from the Leader of the Nation.A unique light of corruption came out of the body of the Leader of the Nation and wentaway.After the departure of Corruption the chastity and character of the Leader of the Nationalso departed. Then Dharma went away. After that good-habits also came out and wenton its way.The efficiency of the clerk vanished. The healing-touch of the Doctors fell flat. TheEngineers became perplexed. The political leaders and ministers started dying.The religious places became empty. There was none who will pour water on to theGods.The prospective and the brilliant left study and started street-rowdism and startedinhaling cannabis.The whole country became lonely crematorium.Then again the Almighty could not see the misfortune of the nation.Again a Tantric came to the Leader of the Nation.And again asked for coruuption for the welfare of all from the Leader of the Nation.118


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्Jyoti Jha Chaudhary, Date of Birth: December 30 1978,Place of Birth-Belhvar (Madhubani District), Education: Swami Vivekananda Middle School, TiscoSakchi Girls High School, Mrs KMPM Inter College, IGNOU, ICWAI (COSTACCOUNTANCY); Residence- LONDON, UK; Father- Sh. Shubhankar Jha,Jamshedpur; Mother- Smt. Sudha Jha- Shivipatti. Jyoti received editor's choice awardfrom www.poetry.com and her poems were featured in front page ofwww.poetrysoup.com for some period.She learnt Mithila Painting under Ms. ShvetaJha, Basera Institute, Jamshedpur and Fine Arts from Toolika, Sakchi, Jamshedpur(India). She had been honorary teacher at National Association For Blind, Jamshedpur(India). Her Mithila Paintings have been displayed by Ealing Art Group at EalingBroadway, London.119


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्SahasraBarhani:The CometTranslated by Jyoti Jha ChaudharyI used to write same sequence of daily routine like I got up, after being freshtook bath then had breakfast, then sat for studies, had lunch, went to school, returnedfrom school, had supper, played with friends, returned home, cleaned glass of lamp,read, had dinner, went to bed etc. We had to submit two days diary on Monday as therewas holiday on Sundays.The eagerness to celebrate <strong>15</strong> th August, the independence day used to bedifferent in those days. We used to cheer for independence and the great freedomfighters. I couldn’t understand why he told us not to fight at that time however I got it inthe next morning when I heard the crowd cheering while crossing the border of thevillage. There was a big fight took place when children of Mahinathpur were crossingthe village. After a great effort it was stopped. When I came to village then seniorstudents started telling their story about the quarrel how they beated the children ofother village by pushing them into the pond. They were looking to take revenge nexttime again but this time too................Next year, same meeting to establish peace and all but that time the neighbourvillager had changed their way.Fighting was a kind of festival. The fight could begin on very little things likebreaking of bottle of chocolate in the shop in Durga Puja fair. Once an old man had120


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्slapped a youngster but after that no one continued the story. Every one startedconfirming that it was that story. No one was telling that story. I couldn’t hide myeagerness and asked them what was that story that was known to everyone exceptme.VIDEHA MAITHILI SANSKRIT TUTORअहं माग गच्छािम स्म एकः सपर्ः आगतः। हम रस्तासँ जा रहल छलहुँ आिक एकटा साँप आयल।बालकः गच्छित स्म। बालकाः पठन्त स्म।बालक जाइत रहय। बालक सभ पढ़ैत रहय।गायकाः गायिन्त स्म। सेवका काय कु वर्िन्त स्म।गायक गबैत रहिथ। सेवक सभ कायर् करैत रहिथ।िशक्षकाः पाठयिन्त स्म। वयं िलखामः स्म।िशक्षक लोकिन पढ़ाबैत रहिथ। हम सभ िलखैत रही।वयं ोकः वदामः स्म। वयं हसामः स्म।हम सभ एकटा ोक पढ़ैत छलहुँ। हम सभ हसैत छलहुँ।वयं उपिवशामः स्म। वयं खादामः स्म।हम सभ बैसल छलहुँ। हम सभ खाइत छलहुँ।वयं खादामः स्म। वयं पश्यामः स्म।हम सभ खाइत छलहुँ। हम सभ देखैत छलहुँ।सुधाखण्डः अिस्त। सुधाखण्डः भं अभवत्।चॉक अिछ। चॉक टूिट गेल।ी िवयाः हस्ते क्षतः अभवत्। मम ानम्/ भोजनम्/ पूजा/ जन्मिदनम् अभवत्।121


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्ी िवाक हाथसँ क्षित भऽ गेल। हमर ान/ भोजन/ पूजा/ जन्मिदन भेल।मम परीक्षा न अभवत्। भारतदेशः स्वतंः अभवत्।हमर परीक्षा निह भेल। भारत देश स्वतं भेल।मम िवालये वािषकोत्सव अभवत्।हमर िवालयमे वािषकोत्सव भेल।मम आनन्दः भवित। मम आनन्दः अभवत्।हमरा आनन्द होइत अिछ। हमरा आनन्द भेल।तस्याः दुःखं भवित। तस्याः दुःखम् अभवत्।हुनका(ी.) दुख होइत छिन्ह। हुनका दुख भेलिन्ह।सः मम पुस्तकं पिठतवान्। एतत् स्थाने अन्य शब्दस्य योगः करणीयः।गणेशः/ नरेशः मम पुस्तकं पिठतवान्। गणेश/ नरेश हमर पुस्तक पढ़लिन्ह।सः िगरीशस्य पुस्तकं पिठतवान्। सः कस्य पुस्तकं पिठतवान्।ओ िगरीशक पुस्तक पढ़लिन्ह। ओ ककर पुस्तक पढ़लिन्ह।सः तव पुस्तकं पिठतवान्। सः तस्य पुस्तकं पिठतवान्।ओ अहाँक पुस्तक पढ़लिन्ह। ओ ककर पुस्तक पढ़लिन्ह।सः मम कथां पिठतवान। सः मम न्थं पिठतवान्।ओ हमर कथा पढ़लिन्ह। ओ हमर न्थ पढलिन्ह।सः मम कादम्बरी/ उपन्यासं/ िटप्पण/ ं पिठतवान्।ओ हमर कादम्बरी/ उपन्यास/ िटप्पणी/ पढ़लिन्ह।सः मम पुस्तकं िलिखतवान/ दवान/ चोिरतवान/ नीतवान/ दृवान/ / स्थािपतवान/ पािठतवान/ ेिषतवान/नािशतवान/ खािदतवान।122


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्ओ हमर पुस्तक िलखलिन्ह/ देलिन्ह/ चोरेलिन्ह/ लऽ गेलाह/ देखलिन्ह/ राखलिन्ह/ पढ़ेलिन्ह/ पठेलिन्ह/ नाशके लिन्ह/ खेलिन्ह।छाः ंथालयं गच्छित, पुस्तकं पठित। छाः ंथालयं गत्वा पुस्तकं पठित।छा न्थालय जाइत छिथ, पुस्तक पढ़ैत छिथ। छा न्थालय जा कय पुस्तक पढ़ैत छिथ।पुस्तकं पिठत्वा िनां करोित।पुस्तक पिढ़ कऽ सुतैत छिथ।ानं कृ त्वा पूजां करोित। ान कऽ कय पूजा करैत छिथ।ोकम् उक्त्वा क्षीरं िपबित।ोक बािज कऽ दूध िपबैत छिथ।छाः िवालयं गच्छित। पाठं पठित।छा िवालय जाइत छिथ। पाठ पढ़ैत छिथ।छाः िवालयं गत्वा पाठं पठित।छा िवालय जाऽ कय पाठ पढ़ैत छिथ।पुस्तकं पिठत्वा गृहपाठं िलखित।पुस्तक पिढ़ कऽ गृहपाठ िलखैत छिथ।ीिडत्वा- पिठत्वावदित- उक्त्वाखादित- खािदत्वाकरोित- कृ त्वाुणोित- ृत्वाबालकः गृहपाठं िलिखत्वा िनां करोित। बालक गृहपाठ िलिख कऽ सुतैत छिथ।123


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्सत्यं कृ त्वा महापुरुषः भवित। सत्य बािज कए महापुरुष होइत छिथ।मिन्दरं गत्वा देवं नमित। ानं कृ त्वा पूजां करोित।मिन्दर जाऽ कय देवक ाथर्ना करैत छिथ। ान कऽ कय पूजा करैत छिथ।दुगुर्णं त्यक्त्वा सनः भवित। दुगुर्ण त्यािग सन बनैत छिथ।चन्भूषणः कायार्लयं गत्वा काय करोित। चन्भूषण कायार्लय जा कऽ काज करैत छिथ।वयं इदानीम् एकं सुभािषतं ृण्वः-सदयं हृदयं यस्य भािषतं सत्यभूिषतम्।कायः परिहते यस्य किलस्तस्य करोित िकम्॥यस्य हृदयं सदयम् (दयापूणर्म्) अिस्त यस्य भािषतं (वचनं) सत्यभूिषतम् (पूणर्म्) अिस्त। यस्य शरीरं परिहतेिनरतं कायः (शरीरम्) अिस्त- यस्य शरीरं सवर्दा पर (अन्यस्य) िहते िनरतम् अिस्त- तादृश्य पुरुषस्य किलः ककरोित- िकमिप कतु न शोित, तादृशस्य पुरुषस्य उपिर कलेः भावः न भवित।कथाापूवर्क् ृणवन्तु।एकः िभक्षुकः अिस्त। िभक्षुकः ितिदनं िभक्षाटनं करोित। ितगृहं गच्छित- िभक्षां देिह भवती- इित वदित-गृिहणी िभक्षां ददाित। िभक्षा रूपे िकम् िकम् ददाित, अं ददाित, धनं/ पुरातन् वं ददाित- िभक्षुकः िभक्षांस्वीकरोित- आहारः अिस्त अम् अिप िभक्षुकः खादित, वम् अिस्त- धरित- िभक्षुकस्य गृहं नािस्त। िभक्षुकःधमर्शालायां वासं करोित। िभक्षाटन अनन्तरं िभक्षुकः धमर्शालां गच्छित। िभक्षुकस्य समीपे एकं तापाम्अिस्त। िभक्षाटन अनन्तरं िभक्षुकः धमर्शालां गच्छित। धनम् अिस्त, िभक्षु क करोित- धनं तापाे स्थापयित।किचत् कालानन्तरं तापां पूण भवित। तदा िभक्षुकः िवचारं करोित- बहुधनम् अिस्त- िकम् करोिम। सःिचन्तयित- अहं काशीनगरं गच्छािम- िवनाथस्य दशर्नं करोिम। पुण्यं सम्पादयािम। इित िभक्षुकः िचन्तयित।124


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्िभक्षुकः तापां स्वीकृ त्य काशीनगरं गच्छित। तापां स्यूते अिस्त। काशी नगरे एका नदी (गङ्गा) नदीअिस्त। वास कारणतः िभक्षुकः शरीरं मिलनम् अिस्त। अहं थमं ानं करोिम अनन्तरं देवदशर्नं करोिम। इितिभक्षुकः िचन्तयित। िकन्तु स्यूते तापाम् अिस्त। ानसमये िभक्षुकः तापा कु स्थापयित। यिद नदी तीरेस्थापयित- अन्यस्य हस्ते ददाित- पिरचयः/ िवासः नािस्त। िभक्षुकः बहुिवचारं करोित। नदी तीरे सवर्िसाः सिन्त- िभक्षुकः िसाषु एकं गत करोित- त तापां स्थापयित- उपिर िसाम सारयित- पुनःिचन्तयित- ानानन्तरम् अहं कथं जानािम- तापं कु अिस्त- इित। िसानां वणर्ः सवर् समान वणर्ः पुनःिचन्तयित- एकम् उपायम् करोित- िसािभः एकं िशविलगम् करोित। िनििन्ततया ानाथ गच्छित। नमस्कारंकरोित। किचत् कालानन्तरं त अन्य एक याीकः आगच्छित। सः पश्यित। नदी तीरे एकः िशविलगः अिस्त।काशी नगरे एका पित अिस्त। थमं िशविलग िनमार्णम् अनन्तरं गंगा ानम्। सः अिप एकं िशविलगं करोितानाथ गच्छित। बहु जनाः आगच्छिन्त- सव अिप एक-एकं िशविलगं कु वर्िन्त ानाथ गच्छिन्त।किचत्कालानन्तरं िभक्षुकस्य ानं समां भवित। िभक्षुकः नदीतीरम् आगच्छिन्त। अ त सवर् िशविलङ्गािन ेनकृ तं िशविलङ्गं ज्ञातुम् न शोित। तस्य तापां नं भवित। सः कारणं िचन्तयित। “लोकः गतानुगितकःअिस्त”।गतानुगितकोलोकः न लोकः पारमािथकःगङ्गासै िलङ्गेन नं मे ताभाजनम्।SAMSKRIT संस्कृ तम् मैिथलीWhen did you come? कदा आगतवती (ी.)। कखन अएलहुँ।I came this morning. अ ातः आगतवती। आइ भोरे अएलहुँ।By which train did youcome?के न यानेन आगतवती।कोन गाड़ीसँ अएलहुँ।I came by the Himachalexpress.अहं िहमाचल-एक्सेस यानेनआगतवती।हम िहमाचल एक्सेस गाड़ीसँअएलहुँ।How was the journey? कथम् आसीत् वासः। वास के हेन रहल।It was fine. उमम् आसीत्। नीक रहल।125


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्How many days did it take? कित िदनानां वासः आसीत्। कतेक िदनुका वास रहय।Ten days. दशिदनानाम्। दस िदनुका।I stayed there for threedays.त अहं िदनयं िस्थतवती।हम ओऽ तीन िदन रहलहुँ।Did you go alone? एकािकनी गतवती िकम्? असगरे गेल रही की?No, I went with my family. न, अहं मम पिरवारेण सहगतवती।निह, हम अपन पिरवारक संग गेलरही।I am very tired. बहु ान्तः अिस्म भोः। हम ब थाकल छी।There was an accident onthe way.माग दुघर्टना अभवत्।मागर्मे दुघर्टना भऽ गेल।No one was seriouslyinjured.िवशेषतया कोऽिप न िणतः।तेना भऽ कय ककरो चोट निहलगलैक।Let us go by bus. लोकयानेन गच्छामः। बससँ हमरासभ चली।Who waits for that? कः तदथ तीक्षते भोः? के तािह लेल तीक्षा करत?Let us take a three wheeler. िचिकया एव गच्छामः।हमरा सभ ितनपिहया पर चली।When did you start? कदा िस्थतवान्? कखन चलल छलहुँ?I started day beforeyesterday at night.परः राौ िस्थतवान्?परसुका राितमे िबदा भेल छलहुँ।What places did you see? क सव दृवान्? की सभटा देखलहुँ?126


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्Gangotri is very beautiful. गाङ्गोी बहु सुन्दरी अिस्त भोः। गंगोी तँ ब सुन्दर अिछ।That waterfall is just fanatic. सः जलपातः नाम महत्अद्भुतम्।ओ जलपात तँ अद्भुत अिछ।I couldn’t see that. तत् अहं ुं न शवती। हम ओनिह देिख सकलहुँ।Due to Deepavali the trainwas very much crowded.दीपावलीकारणतः याने महान्सम्मदर्ः आसीत्।दीपावलीक कारण गाड़ीमे बभीड़ छल।It was a memorablejourney.अिवस्मरणीयः वासः आसीत्।अिवस्मरणीय वास छल।(c)२००८. सवार्िधकार लेखकाधीन आ’ जतय लेखकक नाम निह अिछ ततय संपादकाधीन। िवदेह (पािक्षक)संपादक- गजेन् ठाकु र। एतय कािशत रचना सभक कॉपीराइट लेखक लोकिनक लगमे रहतिन्ह, मा एकरथम काशनक/ आकार्इवक/ अंेजी-संस्कृ त अनुवादक ई-काशन/ आकार्इवक अिधकार एिह ई पिकाकेँ छैक।रचनाकार अपन मौिलक आऽ अकािशत रचना (जकर मौिलकताक संपूणर् उरदाियत्व लेखक गणक मध्यछिन्ह) ggajendra@yahoo.co.in आिक ggajendra@videha.com केँ मेल अटैचमेण्टक रूपमेँ .doc,.docx, .rtf वा .txt फॉमटमे पठा सकै त छिथ। रचनाक संग रचनाकार अपन संिक्ष पिरचय आ’ अपन स्कै नकएल गेल फोटो पठेताह, से आशा करैत छी। रचनाक अंतमे टाइप रहय, जे ई रचना मौिलक अिछ, आऽ पिहलकाशनक हेतु िवदेह (पािक्षक) ई पिकाकेँ देल जा रहल अिछ। मेल ा होयबाक बाद यथासंभव शी ( सातिदनक भीतर) एकर काशनक अंकक सूचना देल जायत। एिह ई पिकाकेँ ीमित लमी ठाकु र ारा मासक 1127


<strong>Videha</strong> ‘िवदेह’ थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ अक्टूबर २००८ (वषर् १ मास १० अंक २०)িরেদহ' পািkক পিtকা <strong>Videha</strong> Maithili Fortnightly e Magazine িরেদহ िवदेह <strong>Videha</strong> িবেদহhttp://www.videha.co.in/ मानुषीिमह संस्कृ ताम्आ’ <strong>15</strong> ितिथकेँ ई कािशत कएल जाइत अिछ।(c) <strong>2008</strong> सवार्िधकार सुरिक्षत। िवदेहमे कािशत सभटा रचनाआ' आकार्इवक सवार्िधकार रचनाकार आ' संहकार्क लगमे छिन्ह। रचनाक अनुवाद आ' पुनः काशन कवाआकार्इवक उपयोगक अिधकार िकनबाक हेतु ggajendra@videha.co.in पर संपकर् करू। एिह साइटकेँ ीितझा ठाकु र, मधूिलका चौधरी आ' रिश्म िया ारा िडजाइन कएल गेल।िसिरस्तु128

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