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1 ISSN 2229-547X VIDEHA 'िवदेह' ८५ म अंक ०१ ... - WordPress.com

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िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong><strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>'िवदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ २०११ (वष ४ मास ४३ अंक८५)िव दे ह िवदेह Videha http://www.videha.co.in िवदेह थममैिथली पािक ई पिका Videha Ist Maithili Fortnightly eMagazine नव अंक देखबाक लेल पृ सभक िरेश कए देखू। Alwaysrefresh the pages for viewing new issue of <strong>VIDEHA</strong>. Readin your own scriptRoman(Eng)Gujarati Bangla Oriya Gurmukhi Telugu Tamil Kannada Malayalam Hindiऐ अंकमे अिछ:-१. संपादकीय संदेश२. ग1


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>२.१. मानेर मनुज- मैिथल दृिक संग मुबइसँ एक िची/बुची दाइक िनलामी कोना से देखू२.२. जगदीश साद म डल- कथा- िब हरन२.३. िकशन कारीगर- मैिथली सीखू- (एकटा हाय कथा)२.४. जगदीश साद म डल- नाटक2


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>२.५. िबिपन झा- कलौ चडी महेरौ२.६. राजदेव म डल- उप यास- हमर टोल -आग२.७. सुिमत आनद- िरपोट (कायशालाक आयोजन)३. प3


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>३.१. उमेश म डल- किव ता- शुभार भ३.२. िजतमोहन झा (िजतू)- गीत३.३. जगदीश साद म डल- किव ता- माइट क फूल३.४. रामिवलास साहु4


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>३.५. रिव भूषण पाठक- मरणोपरत ४३.६.. -िबनोद िम३.७. िवनीत उपल -हम नै सुधरब5


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>४. िमिथला कला-संगीत- १. योित सुनीत चौधरी२. ेता झा (िसंगापुर) ३.गुंजन कण५. ग-प भारती: मूल भोजपुरी- िभखारी ठाकुर (१८८७-१९७१), मैिथली अनुवाद- गजे ठाकुर (१९७१- )- वृामकपमे६. बालान कृते -ेमच िम- अपन बेटा अिभनव िमक बल दै लेल किवता6


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>७. भाषापाक रचना-लेखन -[मानक मैिथली], [िवदेहक मैिथली-अंेजी आ अंेजीमैिथली कोष (इंटरनेटपर पिहल बेर सच-िडशनरी) एम.एस. एस.यू.एल. सवरआधािरत -Based on ms-sql server Maithili-English andEnglish-Maithili Dictionary.]8.<strong>VIDEHA</strong> FOR NON RESIDENTS8.2.1.Episodes Of The Life - ("Kist-Kist Jeevan" bySmt. shefalika Varma translated into English bySmt. Jyoti Jha Chaudhary ) 2.Original Poem inMaithili byKalikant Jha "Buch" Translated intoEnglish byJyoti Jha Chaudhary7


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>िवदेह ई-पिकाक सभटा पुरान अंक ( ेल, ितरहुता आ देवनागरी मे )पी.डी.एफ. डाउनलोडक लेल नीचक िलंकपर उपलध अिछ। All the oldissues of Videha e journal ( in Braille, Tirhuta andDevanagari versions ) are available for pdf download at thefollowing link.िवदेह ई-पिकाक सभटा पुरान अंक ेल, ितरहुता आ देवनागरी पमे Videhae journal's all old issues in Braille Tirhuta and Devanagariversionsिवदेह ई-पिकाक पिहल ५० अंकिवदेह ई-पिकाक ५०म सँ आगक अंकिवदेह आर.एस.एस.फीड।"िवदेह" ई-पिका ई-पसँ ात क।8अपन िमक िवदेहक िवषयमे सूिचत क।


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>↑ िवदेह आर.एस.एस.फीड एनीमेटरक अपन साइट/ लॉगपर लगाऊ।लॉग "लेआउट" पर "एड गाडजेट" मे "फीड" सेलेट कए "फीडयू.आर.एल." मे http://www.videha.co.in/index.xml टाइप केलासँ सेहोिवदेह फीड ात कए सकैत छी। गूगल रीडरमे पढ़बा लेलhttp://reader.google.<strong>com</strong>/ पर जा कऽ Add a Subscription बटनिलक क आ खाली थानमे http://www.videha.co.in/index.xml पेटक आ Add बटन दबाउ।Join official Videha facebook group.Join Videha googlegroupsिवदेह रेिडयो:मैिथली कथा-किवता आिदक पिहल पोडकाट साइटhttp://videha123radio.wordpress.<strong>com</strong>/Videha Radio9


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>Total Votes: 500Comments (0)Return To PollShare ThisCreate Your OwnPollThank you, we have already counted your vote.आनंद कुमार झा- हठात् पिर वन ( नाटक) 50.27% (460 votes)िवनीत उपल - हम पुछैत छी (किवता संह ) 16.39% (150 votes)उमेश मंडल- िनतुकी ( किवता संह) 16.72% (153 votes)योित सुनीत चौधरी- अिचस (किवता संह ) 15.63% (143 votes)Other: 0.98% (9 votes)Total Votes: 915१. संपादकीय१मैिथली लेल एकटा अनुवाद िसात: अनुवादक इितहास बड पुरान छै। कोनोाचीन भाषा जेना संकृत, अवेता, ीक आ लैिटनक कोनो कालजयी कृितजखन दुह हेबऽ लागल तँ ओइपर चाहे तँ भाय िलखबाक खगताक अनुभवभेल आ कनेक आर आग ओकरा दोसर भाषामे अनुवाद कऽ बुझबाक खगताक14


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>अनुभव भेल। ाचीन मौय साायक साट अशोकक पाथरपर कीिलतिशलालेख सभ, कएकटा िलिप आ भाषामे, रायक आदेशक िविभ ातमेसािरत केलक। भाय पिहने मूल भाषामे िलखल जाइत छल आ बादमे दोसरभाषामे िलखल जाए लागल।मैिथलीसँ दोसर भाषा आ दोसर भाषासँ मैिथलीमे अनुवाद लेल िसात: मैिथलीसँसोझे दोसर भाषामे अनुवाद अखन धिर संकृत, बला, नेपाली, िहदी आअंेजी धिर सीिमत अिछ। तिहना ऐ पचू भाषाक सोझ अनुवाद मैिथलीमे होइतअिछ। ऐ पच भाषाक अितिरत मराठी, मलयालम आिद भाषासँ सेहो सोझमैिथली अनुवाद भेल अिछ मुदा से नगय अिछ। मैिथलीमे अनुवाद आ मैिथलीसँअय भाषामे अनुवाद ऐ पचू भाषाक मयथ भाषाक पमे लऽ कऽ होइतअिछ। अहू पच भाषामे िहदी, नेपाली आ अंेजीक अितिरत आन दू भाषाकमयथ भाषाक पमे योग सीिमत अिछ। अनुवादसँ कने िभ अिछपातरण, जेना कथाक नाय पातरण वा गक पमे पक गमेपातरण। ऐ मे मैिथलीसँ मैिथलीमे िवधाक पातरण होइत अिछ आ अनुवादिसातक ान नै रहने पातरकार अथ आ भावक अनथ कऽ दैत अिछ।मैिथलीमे आ मैिथलीसँ अनुवादमे तँ ई समया आर िवकट अिछ।उम अनुवाद लेल िकछु आवयक तव: शदशः अनुवाद करबा काल यानराखू जे कहबी आ सदभक मूल भाव आिब रहल अिछ आिक नै। द, वायआ भाषाक गढ़िन अुण रहए से यानमे राखू। मूल भाषाक शद सभ जँाचीन अिछ तँ अनूिदत भाषाक शद सभक सेहो पुरान आ खटी राखू। मूलआ अनूिदत भाषाक याकरण आ शद भडारक वृहत् ान एतए आवयक भऽजाइत अिछ। मूल भाषामे मुँह कोिचया कऽ बाजल रामनाथ, उमेशक ितसबोधनक रामनाथो, उमेशोक बदलामे रामनाथहुँ, उमेशहुँ कऽ अनुवाद कएल15


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>“बेसी युत शदावली” आ २६०० शदक “शदावली”क अनुवाद केलासँ,गूगलक ासलेशन अओजार आिदमे आधारभूत शदक अनुवाद केलासँ आ आनगवेषक जेना मोिजला फायरफॉस आिदमे अंेजीक सभ पािरभािषक संगणकीयशदक अनुवाद केलासँ ुिटिवहीन वतः मैिथली अनुवाद भऽ जाइत अिछ।२रामलोचन शरणक मैिथली राम चिरत मानसमहाकाय वा गीत बध: महाकायक वणन जे ई कतेक सगमे हुअए, एकरनायक केहन कृितक हुअए आ ओ उच कुल उप हुअए आिद आबबुििवलास मा कहल जाएत। जेना गमे कथा होइत अिछ आ िवतारकअनुसार लघुकथा, कथा आ उपयासमे िवभत कएल जाइत अिछ तइ सदभमेउपयास (वा बीच-बीचमे नाटककक) प पातरण महाकाय कहल जाएत। जँऋगवैिदक परपरामे जाइ तँ महाकायक गीत-बध कहल जएबाक चाही।आचाय रामलोचन शरणक गीत-बध मैिथली रामचिरत मानस: मैिथली सािहयकपढ़िनहारक सम मैिथलीमे रामचिरत िकंवा रामायण ी चंदा झा कृत िमिथलाभाषा रामायण आ ी लालदासक रमेर चिरत िमिथला रामायण - ऐ दू गोटंथक पमे ात होइत अिछ। पायमक अंतगत कूल, कॉलेज-िविवालयक मैिथली िवषयक पाठ हो िकंवा सामाय आलोचना ंथ आिक प-पिकामे िछिड़आयल लेख सभ, ऐ तेसर रामायणक अितवो धिर नै वीकारकएल गेल अिछ। एकर संग ईहो बुिझ िलअ जे जनमानस समालोचनाशाकआधारपर राखल िवचारक तखने वीकार करैत अिछ जखन ओ सयताक तीक18


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>िलखैत छिथ- िमिथलाभाषायाः मूया लेखकाः ीहिरमोहनझामहोदया िनशयैतद्वृं परमाादं गता भूयो भूय मामुसािहतवतः। आँग ओ िलखैत छिथ-ायापकय ी सुरेझा ‘सुमन’ तथा सपादनिवभागथ पिडत ीिशवशंकरझा-महोदयय हृदयेनाहं कृतज़्ोऽिम। से सभक ई देखल गुनल सेहोछलिह।आचाय रामलोचन शरणक गीत-बध मैिथली रामचिरत मानसक गेयता:आचायजीक सुदरकाडक ारंभ देखू आ एकर गेयताक तुलना चदा झाकरामायण आ लालदासक रामयणसँ क:-जामवंत केर वचन सोहाओल। सुिन हनुमंत हृदय अित भाओल॥1॥ता धािर बाट देखब सिह सूले। खा कय बंधु कंद फल मूले॥2॥जाधिर आबी सीतिहँ देखी। होयत काज मन हरख िवसेखी॥3॥ई किह सबिहँ झुकाकय माथे। चलल हरिष िहय धय रघुनाथे॥4॥िसंधु तीर एक सुंदर भूधर। कौतुक कूिद चढ़ल तेिह ऊपर॥5॥पुनु पुिन रघुवीरिहँ उर धारी। फनला पवनतनय बल भारी॥6॥जिह िगिर चरन देिथ हनुमंते। से चल जाय पताल तुरंते॥7॥20


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>सर अमोघ रघुपित केर जिहना। चलला हनूमान झट तिहना॥8॥जलिनिध रघुपित दूत िबचारी। कह मैनाक हौ म भारी॥9॥तुलसी अकबरक समकालीन छलाह आ हुनकर भाषा आ अखुनका भाषामे िकछुअंतर आिब गेल अिछ, मुदा तुलसीक गेयता ओिहनाक ओिहना अिछ। आचायजीतुलसीक गेयता उठओलिह अिछ, आ दुहता खतम कऽ देने छिथ। सभकाडक शुमे देल संकृत प ओ तुलसीक मानससँ लेलिह अिछ।आचायजीक ई मैिथली रामचिरतमानस तुलसीक मानसक पतर तँ अिछ मुदा ईमैिथलीक मूल महाकायक पमे पिरगिणत होयबाक अिधकारी अिछ जेनाकंबनक तिमल रामायण आ तुलसीक मानस अपन-अपन भाषामे पिरगिणत कएलजा रहल अिछ। कंबन बामीिक रामायणक पतर तिमलमे कऽ रहल छलाहतखन ओ बामीिक रामायणक िवषयमे कहलिह जे- ई रामायण एकटा दूधकसमु अिछ आ हम छी एकटा िबलािड़ जे मनसूबा बना रहल अिछ जे ऐ सभटादूधक एे बेरमे पीिब जाइ। ओना ईहो सय जे कंबन किहयो (आचायजी सेहोएिहना कएलिह) रामायण क अपन मौिलक कृित नै कहलिह वरन बामीिकककृितक पतरे कहलिह, जखन िक ओ अपन कृितमे रामक भगवान बनादेलिह। बामीिक रामक मयदा पुष मानैत छलाह। बामीिक सुीवक िववाहबालीक पीसँ बालीक मरबाक पात होयबाक वणन करैत छिथ मुदा कंबनबालीक पीक आजीवन वैधयक वणन करैत छिथ। आचायजीक ई करबाकआवयकता नै पड़लिह िकएक तँ लोकक कंठमे तुलसीक मानस बिस गेल छल,आ हुनका एकर गेयताक िनवह मा करबाक छलिह।21


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>आचाय रामलोचन शरणक गीत-बध मैिथली रामचिरत मानस आ एकर नारी आशू-वयजाित िवरोध दशन: आब मानसक एकटा िववादापद पक चच करी।अथक अनथ कोना होइत अिछ से देखू। आचायजी सुदरकाडक अंतमे िलखैतछिथ जखन िसंधु (समु)रामक लंका जयबाक रता निह दैत छिथ तखन रामकहैत छिथ,लछुमन बान सरासन आनू।सोखब बािरिध िबिसख कृसानू॥1॥तखन िसंधु कर जोिर बजैत छिथ-ढोल गमार सु पसु नारी।सब िथक ताड़न केर अिधकारी॥एकर अथ ई जे सभ -ढोल गमार सु पसु नारी- ई सभ िशा िकंवा सबकदेबा योय अिछ, गमार सु आ नारीमे िशाक अभाव अिछ त आ पसुमे मनुयकअपेा बुि नै छैक त, ढोलक योग िबना िशाक करब तँ संगीत नै विन भऽजाएत। फेर समु ओइ िथितमे खलनायक बिन रहल छल आ ओकर वयकिवक आिक रचनाकारक वय नै भऽ सकैत अिछ। रचनाकारक रचनामेनीक अधलाह सभ पा रहैत छिथ, आ ओइ पाक मुँहसँ नीक आ अधलाह दुनूगप िनकलत। रचनाकारक सफलता ऐपर िनभर करैत अिछ, जे ओ अपनाकअपन पासँ फराक कऽ पबैत अिछ आिक नै। मुदा तुलसी आ त आचाय22


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>रामलोचन शरण सेहो अपनाक पासँ बहुत ठाम फराक नै कऽ पबै छिथ।जखन भारतमे सामतवादी सरकार छल तखन हुनकर शू आ गएर िजजाितपर कएल िटपणी अनावयक बुिझ पड़ैए। िमिथलाक मृितकार लोकिनयएह परपरा बादोमे रखलिह आ आय तँ तखन होइए जखन ऐ तरहक गएरजरी िटपणी अंेजी शासनकालमे णीत संकृत थ सभमे मैिथल लोकिनारा कएल देखै छी, ओइ अंेजी शासनमे मे ाण आ गएर ाण सभकलैक इिडयन कहै छलाह।तुलसीक ासंिगकता वा करता नै वरण मा ओकर दुहताक आचाय खतमकएने छिथ। उपरोत िववादापद पदक अितिरत आनोठाम ई जाितवािदतादेखबामे अबैत अिछ।मैिथली रामचिरत मानस अयोयाकाडक दोहा १२ क बादक तेसर पद देखू:-करय िबचार कुबुि कुजाती।हैत अकाज कोन िबिध राती॥३॥मैिथली रामचिरत मानस अयोयाकाडक दोहा ५९ क बादक पिहल पद देखू:-23


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>कोल िकरात सुता बन जोगे।िविध रचलिन बंिचत सुख भोगे॥१॥मैिथली रामचिरत मानस अयोयाकाडक दोहा १६१ क बादक चािरम पद देखू:-िविधयो सकिथ न ितय िहय जानी।सकल कपट अघ अबगुन खानी॥४॥ (ीक हृदैक गित िवधातो नै बुिझ सकैछिथ, ई कपट, पाप आ अवगुणसँ उगडुम अिछ!!)मैिथली रामचिरत मानस अयोयाकाडक दोहा १९३ क बादक तेसर पद देखू:-लोकवेद सबतिर जे नीचे।छुिब जसु छाह लैछ जल सीच॥३॥24


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>तुलसी आ त आचाय रामलोचन शरण सेहो अपनाक पासँ बहुत ठाम फराक नैकऽ पबै छिथ (कबन वामीिकक अनुवाद करैत काल बहुत ठाम नव युगकअनुक अपनाक फराक करैत छिथ) आ त मैिथली रामचिरत मानसअयोयाकाडक दोहा २५० क बादक तेसर पदमे वयजाितक मुँहसँ कहबैछिथ:-यैह हमर अिछ बुझु बड़ सेबे।बासन बसन चोराय न लेबे॥३॥मैिथली रामचिरत मानस बालकाडक दोहा ६२ क बादक सातम पद देखू:-जिप जग दाण दुख नाना।सब सौँ किठन जाित अपमाना॥७॥25


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>मुदा जखन बीसम शतादीमे सािहय अकादेमीक पोथीमे लोिरकपर मैिथलीआलेखमे एकटा सजन िलखै छिथ जे ाणपर कएल शूक अयाचारक िवलोिरक ठाढ़ भेलाह तँ अकबरकालीन तुलसी आ ओकर छदोब अनुवादकआचाय रामलोचन शरणक की दोष देल जाए! जेना िवणु शम पंचतंक कथाकहैत-कहैत ी आ शूक पाछ अकारण ूर भऽ जाइ छिथ सएह हाल रामचिरत मानसक अिछ।आचाय रामलोचन शरणक गीत-बध मैिथली रामचिरत मानसक िवशेषता: मैिथलीरामचिरत मानस बालकाड, अयोयाकाड, अरय़काड, िकिकधाकाड,सुदरकाड, लंकाकाड आ उरकाडमे िवभत अिछ। वामीिक रामायणकसुिनयोिजत कयमे िकछु हेरफेर कएल गेल अिछ। एकर शैली आ चिरकअंकन उदा अिछ। ृंगार रसक ाधाय नै अिछ मुदा राम सीताक सदभमेिवयोग आ संयोग दुनू कालमे एकर योग भेल अिछ। मुय अंगी रस अिछशाित, ओना ई सभटा रामभितमे समािहत अिछ। भितक धानता अिछ मुदाान आ कमक महव कम नै कएल गेल अिछ, सगुणक ाधाय रिहतहुँ िनगुणभितक महव कम नै भेल अिछ, राम छिथ आ हुनकर िनगुण आ सगुण दूप छिह। जीव आ एकिह अिछ। वचनक पालन हुअए वा िपतृभित,ातृभित वा नारीक ेम वा पितवतक मैिथली रामचिरत मानस ऐ सभ आदशसँओतोत अिछ। मैिथली रामचिरत मानसमे सभ अलंकार योगमे अिछ मुदा मुयप पक आ उपमा योगमे अिछ। ेमायानमे युत दोहा आ चौपाइआधािरत बध पितक कड़वक िविधक योगक बादो संकृत छद सभ युतभेल अिछ। मैिथली रामचिरत मानसमे िवापितक गीत-िविध, वीरगाथा सभकछपय िविध, दोहा, सोरठा, भाट सभक किव-सवैया, नीितवायक सूित,घनारी, तोमर, िभंगी छदक योग भेल अिछ। मनुखक बहुत रास टोटमाकसेहो वणन य-त भेल अिछ। एकर उेय अिछ मो, लोककयाण आ26


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>रामरायक थापना। मुदा ऐमे रामक अितिरत कृण, िशव (सेतुबध कालमे रामारा िशवक पूजा) आ गणेशक तुित अिछ। कृित आ चिर दुनूक िचणमेमैिथली रामचिरतमानस अितीय अिछ। किव िखसा किह रहल छिथ मुदा बीच-बीचमे ई भाराज-यावय आ गड़ काकभशुडीक सवादक मायमसँ सेहोकहल गेल अिछ। सवाद शैलीक योग मैिथली रामचिरतमानसमे खूब भेलअिछ। लमण-परशुराम सवाद हुअए वा मंथरा आ कैकेयीक सवाद आिक रावणआ अंगदक सवाद, सभ ठाम नाटकक सवाद शैली सन रोचक प अहकभेटत। ारभक बालकाड आ अतक उरकाडमे ऐ गीत-बधक दूटा ुवदृिमे आएत। उरकाडमे गु-िशयक खराप होइत सबध आ ाणक वेदबेचबाक आ पितत हेबाक चच भेटैत अिछ मुदा उरकाडमे रामरायकपरेसेहो सेहो भेटैत अिछ।मैिथली सािहयक गीत-बध मय मैिथली रामचिरतमानसक थान: मैिथली वाकोनो भाषामे रामक चिरत वामीिक रामायणसँ भािवत भेने िबना नै रिह सकैए।आचाय रामलोचन शरणक तुलसीक मानसक समलोकी मैिथली अनुवाद ओइअथँ आर िविश भऽ जाइत अिछ जे आचाय रामलोचनशरण खटी मैिथलीतवक कतौ अवहेलना नै केने छिथ आ ई गीत-बध मैिथलीक अखन धिरकआकारमे (आ गुणामक प सेहो) मैिथलीक सभसँ पैघ गीत-बध (महाकाय)अिछ।अंशुमालाक सहायता क: १.अंशुमालाक लड ुप छिह AB+, ओना जँअहक लड ुप दोसरो अिछ तँ अह हुनका लेल रतदान कऽ सकै छी,27


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>अहक रतक बदलामे हुनका हॉपीटल AB+ रत दऽ देतिह। संयोगसँ हमरोरत AB+ छल आ जखन हम लड डोनेट कऽ आइ.जी.आइ.एम.एस.सँ घुिररहल छलॱ तँ अंशुमालाक िपतासँ ई सुिन आय भेल जे मैिथलीसँ जुड़ल योगोटे (अिजत आजाद आ कमल मोहन चुक छोिड़ू) नै तँ हुनका सभक कोनोखोज खबिर लेने छलिखह आ जे संथा सभ मंगनीमे मैिथलीक नामपर हुनकाबचीसँ बचेसँ मंचपर गीत गबबै छल ओ सभ एकटा ापन वा बयान तकजारी नै केलह अिछ। रतदान लेल सपक क हुनकर िपतासँ -ISHWRANAND JHA (मो. 09835492214, 09905326400)२.अंशुमालाक एकाउटमे सेहो अपन आथा अनुसार अह पाइ जमा कऽ सकैिछयिह, बचाक मैगी आ िचस आ अहक ितिदनक पॉकेट खचसँ ई पाइबहार भऽ सकैत अिछ। हुनकर एकाउटक िववरण अिछ:Name– ANSHU MALA, Bank – State Bank of India, SBIAccount Number - 30356321958 Branch – D.U, New DelhiIFSC code - SBIN0010433फेसबुकपर िवनीत उपल सेहो अंशुमालाक सहायता लेल ुप बनेने छिथ, ओतएअंशुक िथितक िवषयमे जानकारी अपडेट कएल जा रहल अिछ: ुप वाइनकhttp://www.facebook.<strong>com</strong>/home.php?sk=group_208980722479513३.िबहार सरकार अंशुमालाक सहायता करबाक घोषणा केने अिछ, मुदा सरकारीियामे कतेक झमेला होइ छै से सभक बुझले हएत। िबहार सरकारकवाय िवभागमे जे िकयो छिथ से ियाक अतगत काजमे तीवता अनबामे28


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>कयूटर साइंसक ेमे रिह काज कऽ रहल छिथ, ई िवरोध वा करेशनहुनका लोकिन ारा नै वरन िमिथलाक सुदूर ेमे रहिनहार ऐ मैिथली ेमी युवाारा भेल से की देखबैत अिछ?उमेश मंडल िमिथलाक सभ जाित आ धमक लोकक कठक गीतक फीडवकारा ऑिडयो आ वीिडयोमे िडिजटलाइज सेहो कएने छिथ जे िवदेह आकइवमेउपलध अिछ।नीचक पचू साइट िवकी मैिथली ोजेटक अिछ, ोजेटक आग बढ़ाऊ।http://translatewiki.net/wiki/Project:Translatorhttp://meta.wikimedia.org/wiki/Requests_for_new_languages/Wikipedia_Maithilihttp://translatewiki.net/wiki/Special:Translate?task=untranslated&group=core-mostused&limit=2000&language=maihttp://incubator.wikimedia.org/wiki/Wp/maihttp://translatewiki.net/wiki/MediaWiki:Mainpage/maiसूचना:४ :: िवदेह ारा आयोिजत पिहल "समानतर सािहय अकादेमी" मैिथलीकिव समेलन २०११- िनमली (िजला सुपौल):- सािहय अकादेमी ारा आयोिजतकोलकाता मैिथली किव समेलन मे २१म शातादीक पिहल दशकक सवेमैिथली किवता संह "अबरा"क लेखक राजदेव मंडल आन किवक नै32


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>२.२. जगदीश साद म डल- कथा- िब हरन२.३. िकशन कारीगर- मैिथली सीखू- (एकटा हाय कथा)२.४. जगदीश साद म डल- नाटक२.५. िबिपन झा- कलौ चडी महेरौ35


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>२.६. राजदेव म डल- उप यास- हमर टोल -आग२.७. सुिमत आनद- िरपोट (कायशालाक आयोजन)दाइक िनलामी कोना से देखूमानेर मनुज- मैिथल दृिक संग मुबइसँ एक िची/ बुची१मुबइ ०६ जून २०११-०६-३०आदरणीय भाइ,हमरा पक सपादक लोकिन िमिथले-िमिहर टाइमसँ चचक िवशय बनबैतरहलिह अिछ। सोमदेव कहैत छलिथ जे प-लेखकक पमे िमितला-िमिहरमे36


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>अह चिचत छलहुँ। कतेको सपादक हमरा आलेखक पक पमे छािप देनेछिथ आ कतेको एकरा सपादकीय बना देने छिथ।मुितबोध किवता छोिड़ की डायरी िलखऽ लागल छलिथ। हम अपन दू-टूकबात बहुतो िवान् आ लेखकक पसँ आिक फोनपर किह चुकल िछयिन।वाथवश ओ लोकिन ओइपर यान नै दैत छिथन।समीक ओ आलोचकक लेखक आ किवक पहचान नै छिन, इितहासकार लोकिनआलोचक आ समीकक िवषय िकछु नै जनैत छिथ। सभतिर मैिथलीक नामपरिनजी वाथ-साधना भऽ रहल अिछ। दोसर िदस भाषा-वैािनक लोकिन डंकाकचोटपर किह रहल छिथ जे िकछुये भाषा छोिड़ सभ भाषा मिर जाएत।भाषा मिर जाएत तँ के रोकतैक मुदा सािहय तँ आनो भाषामे पातिरत भऽजीिब सकैत अिछ। मुदा सभ िवधाक िवकासक िदशामे कह कतौ िनःवाथयास भऽ रहल अिछ। प सेहो सािहयक एक िवधा अिछ जे मरल जा रहलअिछ।अहॴकमानेर मनुज२मैिथल दृिक संग मुबइसँ एक िची37


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>थान बना लेलिह अिछ एकर कारण की अिछ? ओ मैिथलीक अलावे िहदीकअयिधक रचनाकारसँ सपक बना लेलिह अिछ।बेनीपीमे किहयो पच सौ आदमी एक दरखातपर दतखत कऽ कलटरकजनता दरबारमे नै देने हेतैक मुदा पच सौ डीलर अपन प लऽ जनता िवरोधीपेटीशन दऽ दैत छैक। िदलीमे जे नै रहैत छिथ आिक िव पुतक मेलामे नैजाइत छिथ ओ की जािन सकैत छिथ जे कतेक काशक एक ठाम जुिट सकैतअिछ।एहन यवथा छैक जे सभ ेक कायकत आिक नेता आिक सािहयकारदेशक आ िवदेशक मण करिथ। एक दोसरासँ िहलिथ-िमलिथ, िमता थािपतकरिथ आ बात ओ िवचारक आदान-दान करिथ। की किहयो मैिथलीक कोनोपकारक आिक लेखकक एहन अवसर भेटलिह अिछ फेर दृिमे िवकास कोनाहेतिह।जीवकातजी कहैत छिथ जे हमर संकृित बाहर नै जाइत अिछ। हमर पुतकबाहर नै पढ़ल जा रहल अिछ। अंेजीक प जे एक िदनक लेल छपैत छैकएक-एक शदपर िवचार कएल जाइत छैक, दस-दस बेर ुफ देखल जाइत छैकमुदा मैिथलीक प-पिका की पुतको िबना ुफ देखने िनकिल जाइत अिछ। तँकी चाहैत छी जे ई अय पढ़ल जाएत?सरकारक अंग िवधाियका, कायपािलका, यायपािलका आ रापित अिछ। सभकऊपर रापित अिछ जे मा एक यित अिछ। एक-एक यित एक राअिछ। ऐ आशयसँ सािहयसँ समाज किहया ने हिट गेल अिछ। मुदा हमरालोकिन कुिलये िवाथ जक तोता-रटत कऽ रहल छी- सािहय समाजकदपण होइत अिछ। एक याीजी भेट गेला िक सभ हुनके नाङिर पकिड़ पार40


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>उतरऽ लागब। वयं अपना आपक एक यितक पमे थािपत करक कोिशसनै करब।एक अ बनैत अिछ दोसर अक िनरत कऽ देबक हेतु। एक किवतािलखाइत अिछ ओइसँ पूवक किवताक खािरज कऽ देबक हेतु। एक लेखकजम लैत छिथ पूवक लेखकक खािरज कऽ देबक हेतु। एक संह छपैत अिछपूवक संहक कािट देबक हेतु। ई पध एक-दोसराक धारक देखबाक हेतुयाकुल करैत छैक। कतौ भोथ हसू पड़ल छैक लोक िकएक देखत।रवीनाथक िचता छलिन जे आइसँ सौ साले बाद कोन किव जनताक मनोरंजनकराओत। मुदा गितवादी लेखक मनोरंजनसँ अपन आयक फराक रखैत छिथ।कतौ एतेक कपना भऽ जाइत अिछ जे सयक कतौ कोनो थाने नै रिह जाइतअिछ। कतौ एतेक सय/ यथाथ आिब जाइत अिछ िक ओ कथा सय-कथायानी अपराध कथा बिन जाइत अिछ। आ पिरणाम एहन िबदुपर नै चिल जाइकजे उेजनाक संचार होइक। किठनतम िवषयक कलाक मायमसँ कहल जाइतछैक। राजमोहन झाक “यावतन” कथामे पित-पी होटलमे जा एक राित ेमी-ेिमकाक सुख भोगैत छिथ आ जखन घर अबैत छिथ तँ पीसँ कहैत छिथ जे– आ होटलक म लेल जे बीस पैया खच भऽ गेल ओकर मेक-अप कोनाकरब? वतता किथक लेल होइत छैक- यितक सुखक लेल। अपनाओतेक कहब छैक- सुखमे सघौर, अह तँ हमर सुख आ सौख दुनू मािर देलॱ,िदयरक कहैत छैक िछनरा आ जाउतक खेलड़ा!कलकामे दुगपूजाक समय युवक आ युवती वत भऽ जाइत अिछ। जतऽघुमी जतऽ िफरी। तिहना मुबइमे गणेश पूजामे दीआबातीमे पिम भारतमे आपिम उर भारतमे चान पृवीपर आिब जाइत अिछ। गुजराती समाज एक अितसमृ समाज अिछ। नवराामे डिडया मुबइ, बड़ोदा, सूरत, अहमदाबाद आआन सभ छोट आ पैघ जगहपर खेलल जाइत अिछ। तकर बाद लाइन लािग41


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>सर िबनु सरिसज सरिसज िबनु सरकी सरिसज..............िबनु सूरेयौवन िबनु तन तन िबनु यौवनकी यौवन.......िपये दूरे“एिहना एकटा बुची दाइ” कथाक अितम तीन पित“दुःखिह जनम लेल, दुखिह गमाओलनयन न ितरिपत भेलहे भोलानाथ कखन हरब दुःख मोर!” क कतेक गलत योग भेल अिछ, जेदेखल जा सकैत अिछ। यानाकषणाथ:-दुःखिह जनम भेल, दुःखिह गमाओल सुख सपनहुँ निह भेल, हे भोला दानीकखन हरब दुःख मोर!“नयन न ितरिपत भेल” अनावयक िशव तुितमे िमला देल गेल अिछ। शुप एना अिछ:-“कत मधुआिमनी रभिस गमाओलनिह बुिझ कैसन केिल46


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>सैहो मधुबोल वणिह सूनलुितपथ निह भेलजनम अविध हम प िनहारलनयन न ितरिपत भेल।”िवभा रानी शुहेसँ शदक ित अड़पन देखबैत अएलिथ अिछ मुदा तैयोहुनकर कथा सभ ऐ नोटक संग आन सभ लेिखकाक अपमािनत करैत छपलअिछ:- आन लेिखका जक िवभा रानीक कथा मिहला कोटाक अतगत नै छापलजा रहल अिछ।”“यूँ ही बुचीदाइ”क िकछु शद देखू- म-बाउजी, कहाना-वहानी, लोग-वाग, पतानहॴ, पारा-पारी, घास-पुआल, जैसी बढ़ती हो चली जाती, अगर ाण की बहुरहतीन आपकी म तो वे भी एक के बाद एक के बाद एक लेद-गेद जनमातीरहती, पुषॲ का होता है हमारे म, लड़िकयॲ का नहॴ। िमिथला की बेिटय,ितलकोर के बेल की तरह चतर गयी, अलछा, रंडापा, िसा, आज मगरकानून बन जाने के बाद भी कह कोई जयदाद देता है।”ई सभ शद िवभारानी ककरा लेल रचने छिथ। िहनका मंडन िमक पिनभरनीयाद नै अबैत छिह जे शंकराचायसँ संकृतमे बात कएने छलिथ। कथाकबहे, लोक कथाक बहे वा संकार ओ उसवक बहे कतेको ठाम िवभा रानीिबहार िक िमिथला िक मधुबनीक योग गलत अथमे कएने छिथ। कोनो कथाथूक फेकक लेल वा गूँ-मूतक बात करक लेल नै िलखल जाइत छैक। कथासयताक पिहल डेग अिछ। कथाकार रामधारी िसंह “िदवाकर” जीवन भिर47


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>दरभंगामे रिह कहानी िलखैत रहलिथ मुदा ओ कतौ दरभंगा वा िमिथलाक नाम नैलेलिह।“जखन तखन” जनवरी-माच ०७ अंकमे पुनः िवापितक पित गलत पमेदोहराएल गेल अिछ। “बड़ रे जतन सँ िसया दाइक पोसलहुँ सेहो रघुवंशी नेनेजाय।” हेबाक चाही।पंिडत लोकिन बड़ यसँ मैिथलीक बचौने छिथ। मैिथलीक बड़पन अमअनुसूचीमे अएलासँ नै भेल अिछ। मैिथली जिहया ानक भाषा बनत तिहयामैिथलीक बड़पन हएत। मैिथली अनपढ़क भाषा बनल रहत तँ िक ानक कोनोिवषय मैिथलीक भरोसे बैसल रहत। जीवकात जी कहैत छलिथ जे मैिथलीकलेखक कुंिठत लोकक बीच रहैत छिथ तँ कुंठा नै तँ की िलखताह। िजनकाकोनो िवषयक ान नै ओ िशक बनैत छिथ, िजनका कोनो अययन नै ओलेखक बनैत छिथ, कारण ओ सुिवधा जीवी छिथ।जँ केओ अयोय यित सपादक बनैत छिथ िक पुरकारक हेतु जूरी बनैतछिथ तँ ओ मैिथलीक टग घीिच रहल छिथ।िकछु आलोचक लोकिन आब कथा आ किवता िलखऽ लगलिथ अिछ आ िकछुकथाकार लोकिन आलोचना। हम जखन ककरो लाठी भँजैत देखैत िछऐक िकनचैत देखैत िछऐक िक गबैत देखैत िछऐक वा सकस-िसनेमामे अपन “करतब”करैत देखैत िछऐक तँ सोचैत छी जे ओ गुण मैिथलीक लेखक लोकिनमे िकएकनै छैक। फुटबल, िकेट िक सकसमे िकछुओ गलती भऽ जाइत छैक तँसभक देखाइ दैत छैक मुदा सािहयपर गवार राय कऽ रहल छैक से िकएक नेकेओ देख रहल छैक। एक गोटे कहैत छिथ जे: देखैत तँ सभ छैक मुदाककरो कोन मतलब। जेना राजमोहन झा कहलिन- लोकक सपकमे नै अएबैकतँ लोकक कोन मतलब जे अह नीक िलखैत छी िक बेजाए। एति।48


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>भंगठा दइ िछ ऐ जे बेटासँ धन अबै छै आ बेटीसँ जाइ छै । जइसँ नीको घरमेचॲगराक जरत पिड़ जाइ छै।उ च अफसरक पिर वार तँए पिर वािर क तर सेहो उ च। भलिह◌ ं िक अए ने माए-बाप छिट पिर वार होि ह। खगल पिर वार जक सदित गरजू नै। पिर वारक खचसमटल तइसँ खुलल बजारक कोनो असिर नै। सरकारी दरपर सभ सुिव धाउपल ध, जइसँ खाइ-पीबैसँ लऽ कऽ मनोरंजनक ओसार चकमकाइत। भलिह◌ ंजेकर अफसर तेकर बात बुझैमे फेर होि ह। जइसँ महगी-स ती बुझैमे सेहो फेरभऽ जाइत होि ह । मुदा परोछक बात छी चा ब चाक ित समान िस नेहरहलिन । पिर वारमे सभसँ छोट ब चा रहने योित सबहक मनोरंजनक व तु।मुदा गुआइ तँ ओिह ना नै होइ छै, तँए सभ अपन-अपन मिह ा मनक टेमीसँसदित देखिथ , जप करिथ । आिख र के एहन छिथ जे ऐ धरतीपर ान दानी नैछिथ । भलिह◌ ं ओ अधिख जुए वा अधपकुए िक अए ने होिथ । जिह ना कोनो मालीकेर ब चा िप ताक संग जामंतो रंगक फूलक फुलवारीमे िज नगीक अनेको अव थादेख चमकैत तिह ना भरल-पूरल पिर वारमे योित योक भेिल । देखलिन कलीमेजिह ना अबैत-अबैत रंगो, सौ दय आ महको अबैत अिछ, तिह ना ने िज नगी छी।जँ मनु यक डोरीसँ बा हल जाय तँ डोरी तोड़ैक उपायो तँ हुनके करए पड़तिन ।समुिच त वातावरण रहने योित संगी-साथीक बीच नीकक ेणीमे आिब गेिल ।जिह ना संगीक िस नेह तिह ना िश कोक िस नेह भेटए लगलिन । िट कट कटाओलयाी जिह ना िन ि तसँ गाड़ीमे सफर करैत तिह ना समतल िज नगी पािब योितआगू बढ़ए लागिल । िज नगीमे बधो अबै छै तइसँ पूण अनिभ योित । जनाकमक धम बना िज नगीक बाट बनौने हुअए।51


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>दुिन य सेहो समतल। जइसँ कोनो तरहक असोकज घरसँ बाहर धिर निह ये।असोकज तँ ओइठाम होइत जतए एकपेिर या चिर पेिर याक-चौवी-िम लैक भौकहोउ। भौक तँ ओतए ने बेसी बुिझ पड़ैत जतए जेहन चलिन हार होइत। जइठामबेसी चलिन हार रहैत ओतए कि च यो सड़क पि ये जक सत आ पि योकि च ये जक बिन जाइत।साइंस कओलेजसँ योित िफ िज ससँ नीक न वर पािब एम.एस.सी. केलक ।जिह ना अखराहापर लपटैत-लपटैत पहलवानक कश बिन जाइत तिह ना योित योकभेिल ।‘नारी मुि त संघ’क थािप त अ य होइक नाते िप ता रघुन दनक िस नेह आरोबेसी योित पर। योित क कओलेज पहुँचैत-पहुँचैत तेसरो भाय नोकरी पकिड़लेलिन जइसँ आरो बेसी सुिव धा भेटलिन । ओना काजक कम बना करैकअ यास सुलणी ब चेसँ लगबैत आएल रहिन । जइसँ घरक काजक जहिन योित क जेहन तक पकिड़ लेने तँए जिह नगर। सदित कमक सहयोगी ेमीजक दुलरबैत, ेम करैत। तँए िक योित सुलणीक बेटी नै?, पिर वारकसभसँ बेसी िस नेही बेटी िछ यिन । मुदा सुलनीक मनमे सदित एक कचोटकचोिट ते रहिन जे कुल क या की? कुल तँ अनेको अिछ - गुकुल, िप तृकुल,मातृकुल इ यािद । जे प अखनो धिर नै सोझरेलिन ।एम.एस.सी. किर ते दुनू बेकती रघुन दनक जिह ना िब नु हवोक पीपरक पात डोलएलगैत, तिह ना योित क ित िस नेह डोलए लगलिन । अनायास दुनूक मनमे पर उठए लगलिन । बीस बखक बेटी भऽ गेिल , िव याह करब माए-बापक कत यकम छी। कओलेजक अंित म सीढ़ीक आगू टिप चुकिल , संग इहो जे पारदशसीसा जक योित क शरीर देखिथ जे जुआनीक रंग सगतिर चमिक रहल छै।53


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>ओना कओलेजक आन छाा जक नै, िम िथ लाक धरोहर कुल-क या। जेगुकुलमे िव ा ययन करैत। दुनू ाणीक दािय व बुिझ रघुन दन पीक पुछलिन -“ योित िव याहै जोकर भेल जाइए से िक िव चार?”संयािस नी जक सुलणी उर देलिख न- “अपन कोनो काज पछुआ कऽ नैरखने छी, जे बाकी अिछ अहक छी। तइ बीच िक िव चार देब।”पीक उर सुिन रघुन दन ित लिम लाइत िव चार करए लगलाह। एहेन उटपटगउर िक अए देलिन ? मुदा सोलहो आना तँ अनुमानोसँ कोनो बात नै बुझल जासकैत अिछ । नीक हएत जे पुन: उठा आगू बजबाबी। ई तँ िन ि त जेएको पिर वारमे काजक िह साबे सबहक सोचै-िव चारै आ बुझैक ढंग फुट-फुट भऽजाइ छै। भलिह◌ ं सासुसँ ऊपर िक अए ने जेठ सासु मानल जाए, मुदा सासु तँसासु होइत। जिह ना देवालयक कपाट लग ठाढ़ भ त हाथ जोिड़ अपन दुखड़ाभगवानसँ सुनबैत तिह ना तड़पैत रघुन दन पीक पुछलिख न- “संयािस नी जकिक अए घरसँ पड़ाए चाहै छी। िक िब सिर रहल छी जे घरनी सेहो छी?”पित क गंभीर िव चारक अँिक ते सुलणीक करेज कलिप गेलिन मुदा पािन क बहैतबेगमे जिह ना गोरसँ गोिर या-गोिर या गोर उठाओल जाइत तिह ना सुलणी योित किज नगीक धारामे ठाढ़ भऽ बजली- “अहूँ कोनो हूसल नै छी, सभ माए-बाप बेटा-बेटीक ब चे बुझैए। मुदा एतऽ से बात नै छै। अह िल ये भलिह◌ ं योित ब चाहुअए मुदा ओ आ◌ेइ सीढ़ीपर पहुँच गेिल अिछ जतऽ मनु य अपन िज नगीक बाटचुनैक गुण ा त कऽ लैत अिछ । तँए दुइये ाणी नै, बेटा◌े-पुतोहूसँ िव चािरिल अ।”54


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>तन, ऊफनैत मनक स हािर धारमे कुदए चाहली। मुदा मनमे नचलिन माए-बाप!धरतीक थम गु! जिह ना िश क िस लेटपर खत िल ख िश यक िस खबैत तिह नािश यो ने िल ख िश कसँ शु करबैत। शु होइते ओहो खत ने खत बिनजाइत। रील जक माता-िप ताक सटले पित देखलिन । मुदा िक छुए ण धिरमनमे अंटकलिन । िव याहक िव धो तँ पछुआएले अिछ ! लगले फेर माता-िप ता आिबआगूमे ठाढ़ भऽ गेलिन !राित -िद न योित क मन साओनक मेघ जक उमड़ए-घुमड़ए लगलिन । धारमेचलैत नाह जक डोिल -पा हुअए लगलिन । आँिख उठा तकलिन तँ देखलिन जेमाता-िप ता छोिड़ कह िक यो छिथ । फेर लगले मन घुरलिन तँ सभ िक छुदेखलिन । िक नै अिछ ? मातृभूिम क संग िप तृभूिम सेहो अिछ । मनमे खुशीएलिन । होइत भोर कागज-कलम िन कािल िप ताक प िल खए लगलीह-“माता-िप ता, सह कोिट णाम।एक िज नगीक आखरी आ दोसरक पिह ल प िल खैत मनउमिक रहल अिछ । तँए कतौ शु-अशु िल खा जाए, सेमाफ करब। सुधािर कऽ पिढ़ लेब। अपने लोकिन क सेवा,िश खर सदृ य िश य जक िश रोधाय केने रहब। जिह नाबादलक बु धरतीपर अिब ते धिर या धार होइत समु िद सबढ़ैत तिह ना अपने दुनू धिर या देलॱ। कुल-क या वा कुल-कलंकनी बनब हमर कम छी। मुदा बेटी तँ अहॴक छी।हमहूँ तँ एतै बसब। तँए ताधिर क छुी असीरवादक संगिद अ जे वास बना बसए लगी।62


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>काकी बजलीह यौ बाबू सोझहे िडी टा लेला स की होइतकी ओकर िकछू साथक काज सेहो हेबाक चािह। देखैत िछयैक आब लोगमैिथिलयो पिढ़ ककटर लेखक भाषािवद् बिन रहल अिछ मुदा अहॉ के मैिथलीपढ़ाएब मे कोन मासचरज लगैए से निह जािन। गजानन बाबू गमछा स देहकुिरयबैत बजलाह यै कोइलख वाली ज अहा कहैत छी त हम कनेक रमाननबाबू स िवचार पूछने अबैत छी ओ एतेक िदन स टीशन पढ़ा रहल छिथ हुनकास परमाश लेनै नीक रहत। काकी बजलीह जाउ अहॉ यै जदी जेबो टा कअहॉ बड ठेलीयाह आ कॲरिहयाठ भ गेलहू। गजानन हॅफैत हा हा हा कबजलाह हइए हम एखने जा रहल छी कहू त नीक काज मे एतेक देरी िकएक।रमानन बाबू िवाथ सभ के पढ़बैत रहैथ की तखने गजानन धरफराएलओतए पहुचलाह आ बजलाह िक औ सर िकछू हमरो जोगार धरा िदयअ। हुनकादेखैत मातर रमानन बाबू बजलाह ओ हो िमटर गजानन कम कम मोटवेलकम। गजानन पानक पीक फेिक बजलाह अपन लंगोिटया यार भ मैिथली मेबजबह त अंेजी झारै मे लागल छह। इ सुिन रमानन बाबू बजलाह ओ िमटरगजानन लीज लोली टूडट इज िहयअर सो लीज वेट। गजानन बजलाह रौदोस इ वेट फेट छोड़ आ हमरो गप पर िघयान दिह। इ गप सुिन रमानन बाबूिवाथ सभ के ज्ि◌दए छुी दए देलिखिहन ओ सभ चल गेल। तकरा बादरमानन बाबू रमानन बाबू बजलाह अई रौ गजानन तहू हरदम धरफराएल अबैतछ कह की गप िकएक एतेक अपिसंयात छ। गजानन बजलाह रौ भाइ कीकिहयौह तोहर भाउज किहया स हुरपेट रहल अिछ जे टीशन िकएक निहपढ़बैत छी मुदा हमरा त िकछू ने फुरा रहल अिछ की क। ओ बजलाहभाउज ठीके त किह रहल छौ रौ दोस।गजानन बजलाह तोिह कह ने भाइ एखुनका एडभस युग मेअगबे मैिथली के पढ़त एखन त जतए देखिह अंेजी सीखू के बोड लागल रहैत65


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>छैक तहू मे पिहने सीख िलयअ िफस 15 िदन बाद िदयौअ सेहो कीम रहैत छै। एना मे छौड़ा मारेर सेहो खाली अंेजी पोकन मे ना◌ाम िलखा रहल अिछअपना भाषा स कोन काज छैक ओकरा। रमानन बाबू बजलाह से त ठीके मुदाभाइ तू िचता जूिन कर मैिथली संगे अंेजी ी क िदहैक त तोरो िबी बा भजेतौह। गजानन हफैत बजलाह भाइ फिरछा के कह हम अपिसयात भेल छी आतू गप मािर रहल छ। तखन रमानन बजलाह निह रौ भाइ ठीके किह रहलिछयौ देखिह आइ काि त देखते िछिह एकटा समान संगे एकटा ी देबही तबेिकछु िबी हेतौह। तू मैिथली पढ़बिहए आ हम तोरे कोिचग मे आिब के ी मेअंेजी पढ़ा देबै त तोरो काज हलूक भए जेतौ। ई सुिन गजानन खुिश स मोनेमोन नाचए लगलाह आ हॅफैत हा हा के हसैत बजलाह हइए हम एखने चलिलयौरौ भाइ जाइत िछयैक हम आइए अपना घर के आगू मे मैिथली पोक मे बरकाटा बोड टिग देबै आ ओिह बोड मे िलख देबै मैिथली संगे अंेजी ी मेसीखू। गजानन ओतए स आपीस आिब घरक आगू मे बिरका टा बोड लगौलैन।सलीम आ डैनी दुनू गोटे कपरा िकनबाक लेल फटफिटया पर बैसी बजारजाइत रहै की सलीम बाजल भाइ हमरा त मैिथली सीखने का मन करैत अिछ।एतबाक सुिन डैनी खूम जोर स हसैत बाजल ए भाइ अहा के िदमाग सिठयागया है की भगैठ गया है। कहू त सभ अंेजी सीखता है आ बबई जैसनशहर मे अहा मैिथली सीखेगा। सलीम बाजल भाई अहा एतेक देरी स कोनो गपिकएक बुझता है। हम सभ परदेश मे रहकर कमाइत छी लेिकन अपन भाषाठीक से निह बोलता है। कहू हम अहा यिद निह बजेगा त आन लोक सभकेना बुझहेगा। फेर अपन भाषा संकृित के िबकास केना होगा। देिखए तमराठी सभ ओ अपना भाषा पिहने बजता है तब दोसर ठाम के भाषा। ई सुिनडैनी बाजल भाई अहा ठीके कहता है आब त हमरो मन होता ह ◌ैजे मैिथलीसीखेगा आ अपना िधया पूता के सेहो कहेगा जे मैिथली सीखू। फेर ओ सीिवलसेवा के तैयारी सेहो कर सकता है। सलीम बाजल त देरी िकएक करता है66


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>बालगोिव द-(राधे यामसँ।) बौआ, बेटी हमर छी, वहीन तँ तोरे िछ अ।अखन समए अिछ तँए......?भागेसर-अपने दुनू बापूत गप-स प क।(उिठ कऽ भीतर जाइत।)राधे याम-अहक परोछ भेने ने......। जाबे अह िछ ऐ, ताबे हम.....।भागेसर-नै, नै। पिर वारमे सभक अपन-अपन मनोरथ होइ छै। चाहे छोटभाए वा बेटाक िव याह होउ आिक बेटी-बहीनक होउ।राधे याम-हँ, से तँ होइते अिछ । मुदा अह अछैत जते भार अहपर अिछओते थोड़े अिछ । तखन तँ बहीन छी, पिर वारक काजछी, कोनो तरहक गड़बड़ भेने बदनामी तँ पिर वारेकहएत।70


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>बालगोिव द- कहिल ऐ तँ बड़बिढ़ या। मुदा समाजक जे कुकुड़चािल छै सेमानता दुनू पिर वार िम ल-जुिल काज ससािर लेब। मुदानिढ़ या जक जे भूकत तेकर िक करबै?भागेसर-हँ से तँ ठीके, पैछलो नीक चलिन आ अखुनको नीक चलिनअपना कऽ अधला चलिन छोड़ देब। िक अए िक योभूकत। जँ भूकबो करत तँ अपन मुँह दुखाओत।(बरक पमे झमेिल या)बालगोिव द-बेटा-बेटीक िव याहमे समाजक पचो गोटे तँ रहैक चािह ऐ ने?भागेसर-भने मन पािड़ देलॱ। घरे-अंगना आ दुआरे-दरब जापर तते काजबिढ़ गेल जे समाज िद स नजिर ये ने गेल।बालगोिव द- आबे िक भेल, बजा िल औन। समाजक तँ लड़का देखले छि ह ,हमहूँ दुनू बापूत देिख ये लेलॱ।भागेसर- केहन लड़का अिछ ?76


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>बालगोिव द-तखन?दायरानी-जतेटा आ जेहन काज रहए ओइ िह साबसँ काज स हािर ली।अखन िव याहक काज अिछ तँए घटक भायक बजा सभ गपकिह िद यनु।बालगोिव द- अपनो िव चार छल भने अहूँ कहलॱ।दायरानी-युग-जमाना अकािन कऽ चलैक चाही। जँ से नै करब तँ पाओलजाएब।बालगोिव द-कहलॱ तँ बेस बात मुदा एहनो तँ होइ छै जे गाममे जखन चोरचोरी करए अबैए तखन ठेकयौने रहैए कता◌ै आ अपनेसँह ला दोसर िद स करैए। लोक ओमहर गेल आ खाली पािबचोर ठेिक येलहा घरमे चोरी कऽ लइए।84


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>दायरानी- हँ, से तँ होइए। मुदा बेसी िप◌ ंिग ल पदने तँ काजो पछुआइयेजाइए। तँए ओते अगर-मगर नै क। एतबो नै आँिख अिछजे देखबै।बालगोिव द-िक देखबै?दायरानी-िब ना घटे केकर िव याह होइ छै। समाजमे जखन सभ करैएतखन अपनो नै करब तँ ओहो एकटा खोिट करमे हएतिक ने।बालगोिव द-िक खोिट करमा?दायरानी-अनेरे लोक की-कह बाजत। तहूमे जेकर जीिव का ि◌छऐ ओ अपनमुँह िक अए चुप राखत। छोड़ू ऐ-सभ गपक। जाउ अखनेघटक भायक हाथ जोिड़ कहबिन जे बेटी तँ समाजक होइछै, कोनो तरह समाजक काज पार लगाउ।85


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>(बालगोिव दक देख घटक भाय दमिस कऽ खखास करैत। घटक भाइकखखास सुिन पी बुिझ गेलिख न। अपन बातक ओतै रोिकदेलिन ।)बालगोिव द-गोड़ लगै छी भाय।घटक भाय-जीबू-जीबू। भगवान खेत-खिर हान, घर-दुआर भरने रहिथ ।एहनो समैक अह निह ये गुदानिल यिन । अह सन-सन लोकजे समाजमे भऽ जािथ तँ कतऽ-सँ-कतऽ समाज पहुँचजाएत।बालगोिव द-भाय, िस रपर काज आिब गेल। तँए बेसी नै अटकब।घटक भाय-केहन काज?बालगोिव द-बेटीक िव याह करब। वए लड़की देखए वरप आिब रहलछिथ । तहीले....!87


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>बालगोिव द- अहक िक अइले उपराग देब। बहुत काज अिछ । तँए माफीमंगै छी अखन छुि ये िद अ।(बालगोिव द िव दा भऽ जाइत..)घटक भाय-( वयं) भगवान बड़ीटा छिथ न। जँ से नै रिह तिथ तँ पहाड़कखोहमे रहैबला कोनो जीवैए। अजगरक अहा◌ार कतऽ सँ अबैछै। घास-पातमे फूल-फड़ केना लगै छै....।(बालगोिव दक दर जा। चौकीपर ओछाइन िब छाएल।बालगोिव द-सभ िक छु तँ सुिढ़ या गेल। कने नजिर उठा कऽ देखहक जेिक छु छुटल ने तँ...।राधे याम-(चा कात नजिर िख ड़बैत..) नजिर पर तँ िक छु ने अबैए।(कने िब लिम ) हँ, हँ, एकटा छुटल अिछ । पएर धोइकबेब था नै भेल।89


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>घटक भाय- हँ, हँ, सएह करै छी। बेबहार तँ उिठ गेल मुदा ओइ पाछु जेिव चार छल से नै ने मिर गेल। िव चारवानक बराबरीक अतँ वएह ने िछ यिन ।राधे याम-काका, कने फिर छा िद यौ। एक तँ नव कविर या छी तहूमेपरदेशी भेलॱ।घटक भाय- बौआ, तोहूँ बेटे-भतीजे भेलह। बहुत पढ़ल-िल खल निह ये छी।लगमे बैसा-बैसा जे बाबा िस खौलिन से कहै िछ अ। तहूँमेबहुत िव सिर ये गेलॱ।राधे याम-जे बुझल अिछ सएह किह यौ।घटक भाय-समाजमे दुइओ आना एहन पिर वार नै अिछ िज नका पिर वारमेब चाक िट पिण बनै छि ह । बाकी तँ बािक ये छिथ । अदौसँलड़का अपेा लड़की उ कम मानल गेल। जकरा तारीख-मड़कूमामे नै नापमे मानल गेल।92


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>राधे याम- जँ दुनूमे सँ कोनो बढ़नगर आ कोनो भुटािर हुअए, तखन?घटक भाय-बेस कहलह। तँए ने अ यवहािर क भऽ गेल। सिद खन समाजकआँिख उठा अिह तपर नजिर राखक चािह ये।भागेसर-हँ, से तँ चाहबे करी। मुदा िव चारलो बात तँ निह ये होइ छै।घटक भाय-बेस बजलॱ। ऐमे दुनू दोख अिछ । िव चारिन हारोक िव चारैमेगड़बड़ होइ छि ह आ राजादैवक (कृित िन यम) दोख सेहोहोइत अिछ । अखने िद िख यौ गोर-कारी रंगक दुआरे कतेसंबंध नै बिन पबैत अिछ । एतबो बुझैले लोक तैयार नै जेमनु य रंगसँ नै गुणसँ बनैत अिछ ।यशोधर-हँ, से तँ होइते अिछ । हमरो गाममे हाथमे िस नुर लेल बरकबरक बाप गा पकिड़ िघ चने-िघ चने गामे चिल गेल।93


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>ढोढ़ाय गुजीपर जखैन ओकर लिल आएल नजिर पड़ैत छै तँ तकाल गुजीचु पी सािध लैत अिछ । पच बोरी भु सा हवामे उिड़ जाइत छै। आ पेटमेबसात औनाए लगैत छै।उिच तव तासँ नै रहल गेलै तँ टोन किस देलकै। “धुर ई ढोढ़बा की बजत।एकरा बहूक तँ दोसर जाित क धरमीलाल पंजाब लऽ कऽ भािग गेल आ अइठामलबर-लबर करै छै।”“ई उिच तव ता फेर ट-ट करए लगल चुप रहब की नै।”“हे, आइ जे पंचैतीमे खचरपी करब तँ मुँह थकचुा कऽ देबो।”“रौ तोरी कऽ। हमर बाप कहने रहै जे पंचैतीमे उिच त बात ढेकैर कऽ बिज ह।आ तू मुँह थकुच देबही तँ बजबै केना। ऐ सँ नी। हम अइठामसँ चिलजाए।”बगाय बाबा आइ गजा नै पीने छै। नै तँ लौिड सपीकर जक बिज तै। ऊ तँधरमडीहीवालीक तरफसँ छै। जागेसर िद ससँ ढेकैरतै तब ने ीमे गजा भेटतै।धुर नै बुझबहक। ओकर नजिर गड़ल छै। जगेसराक डीहबला जमीनपर। सा◌ेचैछै कहुना झगड़ा बढ़तै तँ कम दरपर ई ढाव सुतिर जाएत।हँ आिब गेलॱ िख सा कहैबला िख सकर। ई तँ िख सेपर पंचैती कऽ देतौ।ऊ जमाना गेलै। आब तँ जेकरा पासमे साम-दम भय-भेद छै आकरे बुे पंचैतीहेतै। पंचैती कारणे कते पंच िब लिट जाइत छै।102


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>जे दसगोटेमे नै बजल अिछ । ठाढ़ भऽ कऽ बजैत काल ओकरा थरथरी छुिबदैत छै।“हँ तँ, आब घॲकले ग पक कतेक घॲकैत रही। सभ बात जानले अिछ । कतसिफ या।”सुिन यौ झटकलाल मड़रक ग प। अपन बेटी ककरा संगे भािग गेलै। तकर पोनै लगलै। अ छा छोड़ू ग प सुन।“यािद अिछ ने मड़र। पुबिर या टोलपर चुनचुन पिह लुका ी पहुँच गेलै- थाना।तुरतेमे पुिल स पहुँच गेलै- दरब जापर। वर आ वरक बापक ततेक पीठपर ड टाबरसौलकै जे छर-छर नुआ-ब े... की कहब आब तँ वैह पिह लुकी ी महरानीबिन कऽ घरमे बैसल छै।”आब तँ औरतक जमाना आिब गेलै। तैयो आकरो िक छु दािब -चािप कऽ तँ राखिहपड़तै। नै तँ ऊ सनिक कऽ िक छा◌े बिन सकै छै।एकर मतलब गाए-भस जक आ◌ेकरा डगा देबै।नै िह साब-िक ताबसँ। सपो मिर जाए आ लािठ यो नै टूटै।अइठाम तँ मारैत-मारैत लाठी टूिट गेलै। अपना घरवालीक नै राखै चाहै छै।जागेसरसँ पूछल जाए। िक छु िव शेष ग प छै। आिख र, िक एक नै राखए चाहै छै,अपना ीक। कारण तँ दरपन जक साफे छै। चािर सालसँ बेसी भऽ गेलै आएकोटा ब चा नै जनमा सकलै। यएह ग प छै ने हौ जागेसर?103


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>हँ-हँ बात तँ यएह छै, असलमे। दोसर िव याह करबाक लेल पंचायतसँ औडरभेट जाए। दोसर अपाए तँ छै नै। आिख र खनदान आ स पित क रखबार तँचाही।गुँर कतौ आ भूर कतौ। ऐ बातक कारणे झगड़ा होइत छलै। आब बुझलॱतरका ग प। ऐमे धमडीहीवालीक कोन कसूर?सभ कसूर ओकरे। जखन खेत खराब छै तँ.....।फेर चुप। एक आदमी तँ दस-दसटा िव याह करै छै। यएह, डरमे ने डोरा बहूकरत जोड़ा।सार सभक खाइले तँ जुमै नै छै। आ राजा जक हजार गो रानी रखत।तू गािर देबही। मार सारक।हँ बािज नै सकै छ। आन गामसँ आिब कऽ रँगदारी। पंच छी की डकैत।हड़कंप मिच गेलै। सभ गोटे उिठ कऽ ठाढ़ भऽ गेलै। िक छु लोग सभक शा तकऽ रहल अिछ ।भाय एनामे काज नै चलतौ। पचटा पंच एका तमे िव चार कर। ने तँ महाभारतभऽ जेतौ।देिख यौ पंच भगवान, ऐ छौड़ाक िक रदानी। सभटा हमर लताम तोिड़ लेलक।िल अ पंचक बेटा चोर। आब क फैसला।104


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>अ छा चुप रहू। एकर िन रलय दोसर िद न हएत।यएह करै छै केना। जेना छोटका जाित क पंचैती भऽ रहल हुअए।अइसँ नीक तँ ओकरे सभ।इह, हमरा सभसँ बहुत नीचो जाित तँ अिछ !तइसँ की। आिख र छी तँ शूे।चुपू हमर छूबल सभ खाइत अिछ ।हँ हँ छूछे ढेसी।एका तमे िव चािर कऽ पंच सभ आिब गेल। सुनल जाए। की कहै छै।“सुनू, जागेसरसँ गलती भेलै। ओकरा औरित याक एतेक नै िप टबाक चाही।बाल-ब चा नै होइ छै तँ ओझा-गुणीसँ देखाबौ। डागदर वैदसँ इलाज कराबौ।तैयो नै हेतैक तँ दोसर िव याह कऽ सकैत अिछ । िक◌ ंतु धरमडीहीवालीक राखिहपड़तै। िन रणय सभक मंजूर अिछ ?”हँ-हँ, दसक िन रणय, भगवानक िन रणय। मंजूर अिछ । सभ मािन िल औ।ढोढ़ाय गुजी सोचै छै भु सा िम लत की नै।खेलावन भगत मॲछ िप जा रहल अिछ । गाममे भगत तँ हमहॴटा छी।105


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>धमडीहीवालीक बाप कनहा मैनजनक कहने छै। “जँ अह ऐ स ब धक नै टूटएदेबै तँ जोड़ा भिर धोती देब।”ओकर बामा आँिख फड़िक रहल छै।उिच तव ता दौड़ल आएल आ बजल- “हे यौ धमडीहक क हैया मैनजन! अहकचौबिट यापर पुिल स खोिज रहल अिछ । कोनो मोकदमामे नाम अिछ की?”“आऍं।”मैनजन धोती स हारैत पड़ेलाह। एकाएकी सभ उठऽ लगल। डरक पंजा जेनाबढ़ऽ लगल। सबहक अ तरक दोख जेना ठाढ़ भऽ गेल हुअए। वर जेना हवामेअलोिप त भऽ गेल हो िक◌ ंतु पएरक गित मे तीवता आिब गेल छलै। धोनाह भऽगेल असमान िद स तकबाक ककरा फुरसित छै।मश:................ऐ रचनापर अपन मंतय ggajendra@videha.<strong>com</strong> पर पठाउ।106


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>सुिमत आनदकायशालाक आयोजनभारतीय भाषा संथान मैसूर तथा िविवालय मैिथली िवभाग, ल॰ ना॰ िमिथलािविवालय, दरभंगाक संयुत तवावधानमे िविवालय मैिथली िवभागमे नेशनलसलेशन िमशनक अतगत ि- िदवसीय सलेशन ओिरयटेशन ोामककायशालाक आयोजन 28-06-2011 तथा 29-06-2011 क भेल। कायमकशुभारभ ितभागीमेसँ ी सुिमत आनद एवं डॉ. लालित कुमारी ारा तुत‘जय जय भैरिवसँ’ कयल गेल। एिह अवसरपर ो. वीणा ठाकुरक समीामकंथ ‘वािणनी’क लोकापण करैत डॉ. सुरेर झा िहनका उकृ समालोचककपमे िचित कयलिन।कयमक परेखा तुत करैत मैसूरसँ आयल नेशनल सलेशन िमशनकमैिथली भाषाक मुय शैिक सलाहकार डॉ. अजीत िम कहलिन जे राीय107


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>ऐ रचनापर अपन मंतय ggajendra@videha.<strong>com</strong> पर पठाउ।109


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>३.४. रामिवलास साहु३.५. रिव भूषण पाठक- मरणोपरत ४३.६. -िबनोद िम111


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>३.७. िवनीत उपल -हम नै सुधरबउमेश म डलकिव ता-शुभार भसझक समए छलफुही सेहो पड़ै छलहालिह मे िस नेमाक हलजे थ प भेल छलअबैत रहिथ ओ हरसँ ओ112


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>लखन पान दोकानदारक देिख तेपुिछ देलिख न हाल-चाल किर ते“की यौ लखन, दोकान तँ आबचलैत हएत खन-खन?”लखन करए लागल भन-भन“आबे गड़बड़ अिछपिह निह ठीक छल।”ओ वेचारे सोचए लगलाह-जिह येसँ हल चालू भेल हएतदोकानदार सबहक िव ी चौगुना भेल हएततखन ई िक अए बजैएपिह नुके िव ीक नीक कहैएओ, सोचए लगलाह हठातभीतरमे आिखर अिछ िक छु बात113


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>लखनसँ पुिछ बैसलाह तड़ाक“केना पिह निह ठीक छलअहक समाचार नीक छल?”“यौ भाय हम अपन िव ीसँ जतै नै खुशी छीिव मक िव ी बिढ़ गेने दुखी छी।”लखन िक छु एिह ना सोचलकिक◌ ंतु मोनक बात नै उगललक।ऐ रचनापर अपन मंतय ggajendra@videha.<strong>com</strong> पर पठाउ।114िजतमोहन झा (िजतू)


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>गीतहेयो भैया, हे गइ बिहना, हेयो भैया,हम सभ िमिथलाक संतान,क अह अपन मातृभूिमपर गुमान,हेयो भैया...............सगर दुिनयमे नै हमरा सभ एहेन संकार,अिछ कृपा भवानीक हमरा सभपर अपार,क नै अपन मातृभूिमक आब अपमान,हेयो भैया, हे गइ बिहना, हेयो भैया,हम सभ िमिथलाक संतान,क अह अपन मातृभूिमपर गुमान,115


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>जते जम लेलिन गोसइ लमीनाथ महान,किव िवापितक सगर सुनु बखान,ऐ पावन भूिमक मंडन िम संतान,हेयो भैया...............कहैत अिछ "िजतू" खोलू अह अपन कान,आबू सभ िमल कऽ छेरी एक नव अिभयान,अिछ वादा...... अिछ वादा.....अिछ वादा, म िमिथलाक देब समान,हेयो भैया, हे गइ बिहना, हेयो भैया,हम सभ िमिथलाक संतान,क अह अपन मातृभूिमपर गुमान,116


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>हेयो भैया...............ऐ रचनापर अपन मंतय ggajendra@videha.<strong>com</strong> पर पठाउ।जगदीश साद म डलकिव ता-माइट क फूल117


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>हँिस-फूिल चढ़ए देव ऊपरकली फलिक व ऊपरभूख-िप यास िम ल आफन तोड़एजिड़ जनमए धरतीपरिल ला अजीव अिछ दुिन य केधरती-अकास िछ ड़याबए ी रभीर-कुभीर देख-देखससरए सदित संग समीरएक फूल शोभा सुख पाबएदोसर बाल-बोध िस र ढाबएसृि ट सृरिज तेसर हँिस गाबएराग-ि◌ वरागक ताल िम लाबए118


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>उड़ए सुगंध समा धरतीसँचािल चलाबए चाक कु हारमृत कुआँ तर-ऊपर वसुधासािन -बािट लगबए अ बारपिड़ ते-फुहार चिढ़ ते अखाढ़महमहबए िद न-राित सुगंधकोन-कोन चा कोन पसरएिन स नचित बिन मदाधजे किह यो रोिद याह रौदमेठॲठ सुखाबए भूखै-िप यासधिर -धरती धी र हृदए119


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>1)नीमक गाछकरैत हवा साफदवा कऽ साथ।2)गंगा िक नारतीथक जेना धामपिव नान।ऐ रचनापर अपन मंतय ggajendra@videha.<strong>com</strong> पर पठाउ।128


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>रिव भूषण पाठकमरणोपरत 4किवता कऽ माने की ?ओइ सझ मे छोटका बाबूअचानक किवता पर बाज‘ लागलिखह“हओ वौआकिवता कोनो सुपसुिनधिरत मकान क नाम नइजेकरा मे दस बाइ बारह क कतेको घर होइत होएआ ने किवता कोनो एहन घरजेकरा बनएबा क लेल टा क लंबाई,चौड़ाई,रंग आ ड िनित होएबात आराम आ आनद क छैकत जहने टातेहने फूिस आ मािट पाथरबात खुलल टटका हवा के छैकत घर केहनो होएहोए खुललआ हवादारजेहन िक किवता होइत छैक ।129


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>ओकरा रस कही वा विनबात त एहने होए िकअंदर तक झनझना जाए ।हं हमहूं मानैत छीरंग आ पचाकारी केहमरो खीचैत अिछचुमक जँका अलंकारहमहूँ भिसया जाइत छीकखनो शदक जाल मेमुदा वौआएहन घर कोन काज केजे बाहर खूब झालदारआ अंदर झोलझालगेहायलगरमी मे गरमआ ठंडी मे बसात बहयएहन घर ल‘ के की करब ”ई किह छोटका बाबू शत भऽ गेलिखह ।पिहल छाया क िदनआगंतुक पंिडतगण बैिस गेलासामने बेलवूनबका हिरयर िखजाबेलपात सब ओहने छलओकरा केओ नइ तोड़ैत छलतिहना मंिदर परक दूिब सबिबना खॲटल130


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>बरहल अपन ओकािद भरअरहुल सब फुला फुलािगिर गेल छलनीचा सूखल फूलक ढ़ेरी छलएमंिदर सेहो उदास छलएआ देवी सेहो लोराएलमुदा भैया सब कहऽ लागलिखहदेवी क ई नोर बड ाचीनई मूितकार क अंितम कृित छलआ बनािबते बनािबते िगिर गेल छलएआ अंितम मिरयादेवी क आँिखक कोर पर लागलइई नोर तिहए सँ अिछ ।ई किहते किहते एक भाएझा लऽ के बहार‘ लागलिखहदोसर भाए पािन लऽ के धोब‘ लागलिखहतेसर फूल तोड़बा क लेल िवदा भेलाचािरम कोनाक झोल झार‘ लागलापचम भैया भगवती क सम नतमतक भेला ।मंिदर पिहले जँका चकाचक भऽ गेलइआइ अयागत आबइ वला छिथकाि सेहो केओ आरकोना रोकल जाइ िववाहओना त एक साल तक शोक समारोह चलैत छैकमुदा वौआ क चेई मे खेबा पीबाक बड िदकदारी ।बाबूजी खूब स छिथ131


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>“लोक सब कहैत छलजे अह क बेटा सब बड़ दूरअह क की हाल हेतइआ हमरा मून मे आबऽ लागललहास के गेनहाइ क गंधनाक दबैत लोकआ परेशान पिरजनमुदा हमर दूनू बेटा हीरा अिछपिहले बड़की काकीफेर बड़का बाबूमिझला काकाकी आ छोटका बाबूसबक अंितम संकार मे दूनू पहुँचलहम िनराश नइ छीहमरो लहास क नीके गित होयत”भाई जी क यवथा टंच छिनभाइ जी काकी आछोटका बाबू क ाक यवथा के आदश मानैत छिथहछगिमया भोजदसिदिनया गड पुरानआ गाम परोपा क बरबरना भोजएक िदन नइ तीन िदनआ अंितम संकारे सँ वैिदक रीित सँदान दानतािह दुआरे बाबूजी क सब पैसाजे िरटायर भेला पर िमललेह132


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>जमा छैक नीक रेट परतािक बाबूजी क मरला पर पैसाकौड़ी ताकऽ नइ पड़एसब िकछु पिहले सँ यविथत रहएओना बाबूजी वथ छिथहआ ऐ बेर एक बीघा खेत मेहाइिड बासमती क खेती केने छिथहआ बरसा खूब भेला सँ स छिथओमहर भाइजी खूब स छिथहकाल के बाहल नइ जा सकैत छैककाल के पूजबा क अलावाकोनो रता नइकोनेा मंतरकोनो जादू टोना नइबाबूजी क पैसा डेली बिढ़ रहल अिछ ।ऐ रचनापर अपन मंतय ggajendra@videha.<strong>com</strong> पर पठाउ।133


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>िबनोद िम , डॉ. िबनोद िम सित आइ. आइ. टी. ड़की,उराखंडमे अंेजी पढ़बैत छिथ आ िहनक रचना सभ अंेजी आ िहंदीमेकािशत भेल छिह। ऐ वष िहनक किवता संह Silent Steps andOther Poems कािशत भेल छिह। एकर अितिरत ई अंेजीमे आलोचनाकेमे आठ टा पोथी संपािदत केने छिथ। िहनक पोथी CommunicationSkills for Engineers and Scientists बहुतो इंजीिनयिरंग संथानमेपाय पुतक केर पमे पढ़ाओल जाइत अिछ।गामक सनेसऐ बेर गाम सँ एलॱ तँ बचा सभ नै पुछलकपापा , की अनलॱ अिछ सनेस ?बुझल छिह आब सभ भऽ गेल छिथ िभचूा भऽ गेल छल तीन फाककहिलयैनखेत सब खासले छल134


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>नै भेलिह मंगनू क फेर होसकोिसक कहर सँ उबड़बाक िहमतआब कह पुछैत छिह भौजीकोनो िदत तँ नै अिछ बाऊ ?किनया ठीके देिथह सुिओहो पच सेर कथी लेल करब नाशरहत तँ िधया पुता क होयत दू सझाक आशआब कोनो आओत मासे मासे ाटनै जािन ककर लािग गेल नजिरहमर िधयो पुताक कपार अिछ फुटलेकतेक धुनब हम सभकहने रही राखी िलअ हमर अशफ बहकआ फोली िलअ एक टा िकराना135


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>हमहूँ कहुखन - कहुखन कऽ देब संगआब कतेक िदन हम रहब घोघक तर मे नुकायल ?बचा मा पुछलक की मुू भेला पासहम कहिलयिह आब छिह कोन आसहम रही उदासमॲनं परल छल; मुूक लटकल मुँहआ मैलीक घोघ तरक िसकबजिहना छल बेग िसरागू लगतिहना उठा लेने रहीफेर कहैिलयिह बौआ नै अनलॱ िकछु सनेशककरो नै भेलिह िवासहम तँ छोिड़ये देने रही आस136


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>भऽ गेल शु हमर बेग उकटबाक यासकिनया कहलैह ई किथक छी पोटरी ?आ भरभरा गेल अदौरी, ितलौरी, मुरौरी,खुिक, मआक िचस आ अनतक डोरझरझरा लागल सहारल सनेसकखनहुँ माय केर मौलाल मुँहकखनहुँ मंगनूक उतरल देहमैलीक चुपीआ मुु -चुुक धधकैत भिवयऐ रचनापर अपन मंतय ggajendra@videha.<strong>com</strong> पर पठाउ।137


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>िवनीत उपलहम नै सुधरबनै हम सुधरबनै हमरा सुधाहम छी िबगड़लअपन मन पानेता अिछ अफसर सँ छी तचोर-िछनारक राजहम िकए करब काजनै हम सुधरब138


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>नै हमरा सुधाहम छी िबगड़लअपन मन पाफुइस बजैत छी,धूत बनल छीनै आबैत अिछ शमकामचोर छी, मौिगयाहा छीयएह छी हमर धमनै हम सुधरबनै हमरा सुधाहम छी िबगड़लअपन मन पाहमहू छी बड़ नीकबजैत छी बड़ तीतखाइ जइमे छीहाथ ओहीमे धोइत छीनै हम सुधरबनै हमरा सुधाहम छी िबगड़लअपन मन पाघर सँ लऽ कऽ आिफस धिरफूइसक ठेका लेने छी139


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>जतए जे भेटायल आइ धिरधुरमुस जर देने छीनै हम सुधरबनै हमरा सुधाहम छी िबगड़लअपन मन पारामराजक पिरभाषाभऽ रहल छै साकारकेस हुअए वा भाजपा छै सभ सरकारनै हम सुधरबनै हमरा सुधाहम छी िबगड़लअपन मन पा.ऐ रचनापर अपन मंतय ggajendra@videha.<strong>com</strong> पर पठाउ।140


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>िवदेह नूतन अंक िमिथला कला संगीत१. योित सुनीत चौधरी २. ेता झा (िसंगापुर)३.गुंजन कण१योित सुनीत चौधरीजम ितिथ -३० िदसबर १९७८; जम थान -बेवार, मधुबनी ; िशा- वामीिववेकानद िम िडल कूल़ िटको साकची गस हाई कूल़, िमसेज के एम पीएम इटर कालेज़, इिदरा गाधी ओपन यूिनविसटी, आइ सी डबयू ए आइ(कॉट एकाउटेसी); िनवास थान- लदन, यू.के.; िपता- ी शुभंकर झा,ज़मशेदपुर; माता- ीमती सुधा झा, िशवीपी। योितकwww.poetry.<strong>com</strong>सँसंपादकक चॉयस अवाड (अंेजी पक हेतु) भेटल छिह। हुनकर अंेजी पिकछु िदन धिर www.poetrysoup.<strong>com</strong> केर मुय पृ पर सेहो रहल141


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>अिछ। योित िमिथला िचकलामे सेहो पारंगत छिथ आ िहनकर िमिथलािचकलाक दशनी ईिलंग आट ुप केर अंतगत ईिलंग ॊडवे, लंडनमे दिशतकएल गेल अिछ। किवता संह ’अिचस्’ कािशत।142


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>143


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>३. ेता झा (िसंगापुर)144


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>४.गुंजन कण रटी मधुबनी, सित यू.के.मे रहै छिथ।www.madhubaniarts.co.uk पर हुनकर कलाकृित देिख सकै छी।ऐ रचनापर अपन मंतय ggajendra@videha.<strong>com</strong> पर पठाउ।145


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>िवदेह नूतन अंक ग-प भारती१. मोहनदास (दीघकथा):लेखक: उदय काश (मूल िहदीसँ मैिथलीमे अनुवादिवनीत उपल)मोहनदास (मैिथली-देवनागरी)मोहनदास (मैिथली-िमिथलार)मोहनदास (मैिथली-ेल)२.िछमता- भा खेतानक िहदी उपयासक सुशीला झा ारा मैिथली अनुवादिछमता३146


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>िभखारी ठाकुर(१८८७-१९७१)- लोकलाकार, छपरा िजला (िबहार)मे जम। ारभक रचनासभ मौिखक मुदा बादमे कैथी िलिपमे सेहो िहनकर हतिलिखत भोजपुरी रचनाात भेल।भोजपुरीसँ मैिथली अनुवाद147


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>मूल भोजपुरी- िभखारी ठाकुर (१८८७-१९७१), मैिथली अनुवाद-गजे ठाकुर (१९७१- )वृामक पमेिबरहा १कुतुबपुर अिछ गाम, िभखारी ठाकुर अिछ नाम।बाबू सभ गोटेक करै छी णाम॥सभ गोटेक करै छी णाम हे राजा।उपरेसँ िचन अिछ चामक ओहरन॥तीन िदनक सेखीमे, उड़बै छी मजा।बूढ़ा-बूढ़ीक दुख भेल छिन, लगैए नै लाज॥बाबू-भइया एकमत भऽ कऽ सभ िमिलये कऽ समाज।एक अरजीपर मोन आनू, मोनक क ताजा॥148


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>महाबीरक नाम सुमिर िलअ, जइसँ बाजत बाजा।वृाम बनबाउ नै तँ हएत अकाज॥सभ बाबूक पएर पड़ै छी, िभखारी ठाकुर नाम छी॥वृामक पमेिबरहा २िहदू-मुसलमान, सभ हमर कहलपर िदयौ कान।नै तँ होइए बूढ़क अपमान॥होइए बूढ़क अपमान हमर भाइ।नेनपनेसँ जकरा तूँ कहैत एलह माय॥तकराले िकए भऽ गेल छ तूँ कसाइ।बड़का हािकम लग जखन जेम तँ पुछल जेतौ िहसाब-िकताब॥जदीसँ बता हमरा की केल तूँ कमाइ।149


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>नह जखन झारतौ तखन ओइ काल की करमे उपाय।आँिखसँ नोर खसतौ िकछु ने हेतौ बाजल।कहैए िभखारी अखने दे तूँ वृाम बनबाय।।नै तँ होइए बूढ़क अपमान॥ऐ रचनापर अपन मंतय ggajendra@videha.<strong>com</strong> पर पठाउ।बालान कृतेेमच िम150


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>अपन बेटा अिभनव िमक बल दै लेल किवता२डरा गेलासँ नािवक किहयो समु पार नै होइ छैकोिशश करैबलाक किहयो हािर नै होइ छैछोटकी चुी जखन मुँहमे रोटी लऽ कऽ चलैत छैनै जािन असंखो बेर नीच खसैत छैमोनक िबसबास जेहनमे रंग भरैत छैखिस कऽ ऊपर गेनाइ ओकरा कखनो नै अखड़ैत छैअतमे ओकर मेहनित बेकार नै होइत छैकोिशश करैबलाक किहयो हािर नै होइत छै151


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>जंगलपी संसारमे पहाड़ बनूमाए-बापक लेल हुनक माथक सरताज बनूिकछु केने िबना झुो जय-जयकार नै होइ छैकोिशश करैबलाक किहयो हािर नै होइ छैिवफलता एकटा चुनौती छै तकरा वीकार ककी कमी अिछ तकरा देखू, िचहू, सोचू आ ओकर सुधार कजाधिर जीत नै होइ ताधिर चैनक िनक ितयागू अहसंघषक रणभूिमसँ नै भागू अहपैघ भलाइमे छोट नोकसान कखनो अपराध नै होइ छै152


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>कोिशश करैबलाक किहयो हािर नै होइ छैबचा लोकिन ारा मरणीय लोक१.ातः काल मुहू (सूयदयक एक घंटा पिहने) सवथम अपन दुनू हाथदेखबाक चाही, आ’ ई लोक बजबाक चाही।कराे वसते लमीः करमये सरवती।करमूले िथतो ा भाते करदशनम्॥करक आग लमी बसैत छिथ, करक मयमे सरवती, करक मूलमे ा िथतछिथ। भोरमे तािह ारे करक दशन करबाक थीक।२.संया काल दीप लेसबाक काल-दीपमूले िथतो ा दीपमये जनादनः।दीपाे शरः ोः सयायोितनमोऽतुते॥दीपक मूल भागमे ा, दीपक मयभागमे जनादन (िवणु) आऽ दीपक अ भागमेशर िथत छिथ। हे संयायोित! अहक नमकार।३.सुतबाक काल-रामं कदं हनूमतं वैनतेयं वृकोदरम्।153


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>शयने यः मरेियं दुःवतय नयित॥जे सभ िदन सुतबासँ पिहने राम, कुमारवामी, हनूमान्, गड़ आऽ भीमक मरणकरैत छिथ, हुनकर दुःव न भऽ जाइत छिह।४. नहेबाक समय-गे च यमुने चैव गोदाविर सरवित।नमदे िसधु कावेिर जलेऽिमन् सििधं कु॥हे गंगा, यमुना, गोदावरी, सरवती, नमदा, िसधु आऽ कावेरी धार। एिह जलमेअपन सािय िदअ।५.उरं यसमुय िहमाेैव दिणम्।वषं तत् भारतं नाम भारती य सतितः॥समुक उरमे आऽ िहमालयक दिणमे भारत अिछ आऽ ओतुका सतित भारतीकहबैत छिथ।६.अहया ौपदी सीता तारा मडोदरी तथा।पचकं ना मरेियं महापातकनाशकम्॥जे सभ िदन अहया, ौपदी, सीता, तारा आऽ मदोदरी, एिह पच सावी-ीकमरण करैत छिथ, हुनकर सभ पाप न भऽ जाइत छिह।७.अथामा बिलयसो हनूम िवभीषणः।154


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>कृपः परशुराम सतैते िचरीिवनः॥अथामा, बिल, यास, हनूमान्, िवभीषण, कृपाचाय आऽ परशुराम- ई सात टािचरीवी कहबैत छिथ।८.साते भवतु सुीता देवी िशखर वािसनीउेन तपसा लधो यया पशुपितः पितः।िसिः साये सतामतु सादातय धूजटेःजावीफेनलेखेव ययूिध शिशनः कला॥९. बालोऽहं जगदानद न मे बाला सरवती।अपूण पंचमे वष वणयािम जगयम् ॥१०. दूवत मं(शुल यजुवद अयाय २२, मं २२)आ ियय जापितॠिषः। िलंभोा देवताः। वराडुकृितछदः। षजःवरः॥आ ॑न् ा॒णो ॑वच॒सी जा॑यता॒मा रा॒े रा॑ज॒यः शुरे॑ऽइषयो॒ऽितया॒धी म॑हार॒थोजा॑यत॒ दोॴ धे॒नुवढा॑न॒वाना॒शुः सितः॒ पुर॑िध॒यवा॑ िज॒णू र॑थे॒ाः स॒भेयो॒ युवाययज॑मानय वी॒रो जा॒यत िनका॒मे-िन॑कामे नः प॒जयॲ वषतु॒ फल॑वयो न॒ऽओष॑धयःपयत योगे॒मो नः॑ कपताम्॥२२॥माथः िसयः सतु पूणः सतु मनोरथाः। शूण बुिनाशोऽतुिमाणामुदयतव।155


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>ॐ दीघयुभव। ॐ सौभायवती भव।हे भगवान्। अपन देशमे सुयोय आ’ सव िवाथ उप होिथ, आ’ शुुकनाश कएिनहार सैिनक उप होिथ। अपन देशक गाय खूब दूध दय बाली, बरदभार वहन करएमे सम होिथ आ’ घोड़ा विरत प दौगय बला होए। ीगणनगरक नेतृव करबामे सम होिथ आ’ युवक सभामे ओजपूण भाषण देबयबलाआ’ नेतृव देबामे सम होिथ। अपन देशमे जखन आवयक होय वष होए आ’औषिधक-बूटी सवदा पिरपव होइत रहए। एवं मे सभ तरह हमरा सभककयाण होए। शुक बुिक नाश होए आ’ िमक उदय होए॥मनुयक कोन वतुक इछा करबाक चाही तकर वणन एिह मंमे कएल गेलअिछ।एिहमे वाचकलुतोपमालकार अिछ।अवय-॑न् - िवा आिद गुणसँ पिरपूण रा॒े - देशमे॑वच॒सी- िवाक तेजसँ युआ जा॑यत॒- उप होएरा॑ज॒यः-राजाशुरे॑ऽ–िबना डर बला156


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>इषयो॒- बाण चलेबामे िनपुणऽितया॒धी-शुक तारण दय बलाम॑हार॒थो-पैघ रथ बला वीरदोॴ-कामना(दूध पूण करए बाली)धे॒नुवढा॑न॒वाना॒शुः धे॒नु-गौ वा वाणी वढा॑न॒वा- पैघ बरद ना॒शुः-आशुः-विरतसितः॒-घोड़ापुर॑िध॒यवा॑- पुर॑िध॒- यवहारक धारण करए बाली यवा॑-ीिज॒णू-शुक जीतए बलार॑थे॒ाः-रथ पर िथरस॒भेयो॒-उम सभामेयुवाय-युवा जेहनयज॑मानय-राजाक रायमेवी॒रो-शुक परािजत करएबलािनका॒मे-िन॑कामे-िनययु कायमेनः-हमर सभक157


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>प॒जयॲ-मेघवषतु॒-वष होएफल॑वयो-उम फल बलाओष॑धयः-औषिधःपयत- पाकएयोगे॒मो-अलय लय करेबाक हेतु कएल गेल योगक रानः॑-हमरा सभक हेतुकपताम्-समथ होएििफथक अनुवाद- हे ण, हमर रायमे ाण नीक धािमक िवा बला,राजय-वीर,तीरंदाज, दूध दए बाली गाय, दौगय बला जतु, उमी नारी होिथ।पाजय आवयकता पड़ला पर वष देिथ, फल देय बला गाछ पाकए, हम सभसंपि अिजत/संरित करी।8.<strong>VIDEHA</strong> FOR NON RESIDENTS8.1 to 8.3 MAITHILI LITERATURE IN ENGLISH8.1.1.The Comet -GAJENDRA THAKUR translated byJyoti Jha chaudhary158


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>8.1.2.The_Science_of_Words- GAJENDRA THAKURtranslated by the author himself8.1.3.On_the_dice-board_of_the_millennium- GAJENDRATHAKUR translated by Jyoti Jha chaudhary8.1.4.NAAGPHANS (IN ENGLISH)- SHEFALIKA VERMAtranslated by Dr. Rajiv Kumar Verma and Dr. Jaya Verma1.Episodes Of The Life - ("Kist-Kist Jeevan" bySmt. shefalika Varma translated into English bySmt. Jyoti Jha Chaudhary ) 2.Original Poem in Maithili byKalikant Jha "Buch" Translated into English byJyoti Jha Chaudhary159


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>१Episodes Of The Life - ("Kist-Kist Jeevan" bySmt. shefalika Varma translated into English bySmt. Jyoti Jha Chaudhary )Shefalika Verma has written two outstanding books inMaithili; one a book of poems titled “BHAVANJALI”, andthe other, a book of short stories titled “YAYAVARI”. HerMaithili Books have been translated into many languagesincluding Hindi, English, Oriya, Gujarati, Dogri and others.She is frequently invited to the India Poetry RecitalFestivals as her fans and friends are important people.Translator:Jyoti Jha Chaudhary, Date of Birth: December 301978,Place of Birth- Belhvar (Madhubani District),Education: Swami Vivekananda Middle School, Tisco SakchiGirls High School, Mrs KMPM Inter College, IGNOU,160


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>ICWAI (COST ACCOUNTANCY); Residence- LONDON, UK;Father- Sh. Shubhankar Jha, Jamshedpur; Mother- Smt.Sudha Jha- Shivipatti. Jyoti received editor's choice awardfrom www.poetry.<strong>com</strong>and her poems were featured in frontpage of www.poetrysoup.<strong>com</strong> for some period.She learntMithila Painting under Ms. Shveta Jha, Basera Institute,Jamshedpur and Fine Arts from Toolika, Sakchi,Jamshedpur (India). Her Mithila Paintings have beendisplayed by Ealing Art Group at Ealing Broadway,London."ARCHIS"- COLLECTION OF MAITHILI HAIKUSAND POEMS.Episodes Of The Life :Preface:An autobiography is not merely a story of a life butthis rotates around the chronology of philosophicalthoughts, ideological revolutions and the ups and downs ofthe emotions. This is also an analysis of a situation. Forwriting a full autobiography, even if the entire land on theEarth be<strong>com</strong>es the paper and the oceans be<strong>com</strong>e the ink,the story would remain in<strong>com</strong>plete. In this way the‘Episodes of the Life’ was written in six to seven hundredsof pages. I had never thought about its publishing.Suddenly, the five headed moon emerged in the treasureof the nature. Pressure for the publishing arose. I was161


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>requested to summarise the story. In this process, wheresomeone left, where I missed some event, I left all theseto be judged by the readers.I am not a role model whose autobiography wouldbe desired by the readers, neither am I a litterateur toknow whom, people would be enthusiastic. This is a storyof a very emotional ordinary girl who, although, born andbrought up in the facility and luxury of a city life, renderedher duty regarding family, social and traditional front in theorthodoxy of village-life with her utmost patience. How shecould at least reach the doorway of the Maithili literature.How the earth is filled three fourth with water and onefourth with land, likewise, my life is also filled three fourthwith emotions and imaginations and one fourth with thereality - but apart from all these, my whole life is madeup of <strong>com</strong>promises and adjustments with situation, familyand society.‘Episodes of life’ is because everything in this bookhas <strong>com</strong>e from the pages of my diary. I don’t rememberwhen I got habit of writing diary – perhaps from mychildhood, because I achieved my youth with Sarat,Bankim, Ageya etc. and coloured my heart with Amrita,Agyeya, Jainendra, Mahadevi thereafter. There was a pileof diaries from 1958 to 2001 in my almirah. Varma ji hadbeen saying “I am publishing your diaries in a book. I also162


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>became excited as the diary doesn’t merely bear a list ofgood and bad incidents; rather the emotions associated arealso reflected through it. Collecting the past, a diary servesas a stone of foundation of the strong building of thefuture. Writing diary is capturing a period of time. This is acreation of a new direction, a new morrow of future in thelight of past, an attempt to progress the society.Vermaji passed away. The pages of the diary werekept serially. First I made my mind to hand over thistreasure to my children but when I had to live withoutVermaji then I started trying to recollect all scattered pagesof my past.Specially, the dialogues of Vermaji came out time totime. In the race of life whenever he was telling somethingI was writing that down. He used to say, note it downRanno, write it down, don’t consider what I say a dialogue.If those will be noted and you will be revising then youwill find them useful in life. I was always looking for paperand pen or newspaper so that I can write down hisstatements. Now, in the loneliness of life, I am looking forthose pieces of notes insanely. If I get somethingsomewhere it seems I found the most precious treasure ofthe world.163


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>The courage is awakened in me. This autobiographyis an effort to join the various part of the past life. Vermajiis not alive anymore but I couldn’t dare to publish thepages of diaries in original form because ‘Man ko kintusamjhane wala phir aisa man na milega’ (That heart whocan console the heart will not be found anymore)We were more like lovers than spouses. My lifebegan with his songs and platonic love and ended up athis songs. Whatever happened that was felt in the cornerof my heart- hence sometimes pain, sometimescontemplations and sometimes preaching is exposed inexcess in these episodes being the clippings of my diary.Barnardsh said that if everyone started writingautobiography then there would not be any lack of goodnovels. Memories are <strong>com</strong>ing into mind one upon other.Which one happened earlier and which one later that washard to determine. Everything is messed up inremembrance and memories. All incidents are <strong>com</strong>ing byovertaking each other. This book is to organise them inthe sequence as they came into my mind. The efficientreader and critics will solve them by themselves and won’twait even for me.The statue of bodhgaya is copied in Chinese andThiland version by the people having different visions,likewise, all see the reflection of their mind in a biography.164


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>Otherwise what is the interest of people in other’s life.Every reader of a biography possess different mentality andgets the theme in their frame of understanding.I would like to say sorry to my readers and critiquesbecause I have opted the scripture just in the way I livedforexample, I used to call my dad as ‘papa’ and myuncle as ‘babuji’. Had I changed the titles, entire meaningcould be falsified. This emotional biography should beunderstood in terms of emotions only considering that thereis someone in this world who lives in the world of hermind. To understand an emotional lady any logical orsceptical mind is not needed, a sentimental analytical mindis rather desired. Yes I have strong faith for the professionof advocacy. That is why I had explained the story ofobstacles, difficulties and struggles of an advocate whowas a person of principles. I will consider my writingsuccessful if anyone living in the same lifestyle gets helpfrom this.I do acknowledge my gratitude to my family, myreaders, my all literal inspirers, and also to my friendJeevkantji who had encouraged me for this twenty yearsago. I do appreciate Shekar Prakashan family withMadhukant, Shankardev, Chandresh, Azad, especiallyPanchanan-shanradindu very heart fully whose affectionhelped this book to exist.165


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>(to be continued..................)२Kalikant Jha "Buch" 1934-2009, Birth placevillageKarian, District- Samastipur (Karian is birth place offamous Indian Nyaiyyayik philosopher Udayanacharya),Father Late Pt. Rajkishor Jha was first headmaster ofvillage middle school. Mother Late Kala Devi washousewife. After <strong>com</strong>pleting Intermediate education startedjob block office of Govt. of Bihar.published in Mithila Mihir,Mati-pani, Bhakha, and Maithili Akademi magazine.Jyoti Jha Chaudhary, Date of Birth: December 301978,Place of Birth- Belhvar (Madhubani District),Education: Swami Vivekananda Middle School, Tisco SakchiGirls High School, Mrs KMPM Inter College, IGNOU,ICWAI (COST ACCOUNTANCY); Residence- LONDON, UK;Father- Sh. Shubhankar Jha, Jamshedpur; Mother- Smt.166


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>Sudha Jha- Shivipatti. Jyoti received editor's choice awardfrom www.poetry.<strong>com</strong>and her poems were featured in frontpage of www.poetrysoup.<strong>com</strong> for some period.She learntMithila Painting under Ms. Shveta Jha, Basera Institute,Jamshedpur and Fine Arts from Toolika, Sakchi,Jamshedpur (India). Her Mithila Paintings have beendisplayed by Ealing Art Group at Ealing Broadway, London.Today’s GirlI am a girl of todayMore curious in all waysYou look for the opportunities I am going abroadYou keep stove, pots and this houseDo evening prayer by yourself and enlighten the diyaRoof of your barn is dry and I am ignited match stick167


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>The sindoordan became worthless, the kohbar is bareThe door of cage is broken, birds flied awayI am eating the earning of my wings on the treeYou will be called dear or dearer, the dearest is themoneyI got the divine knowledge now that money is theparamountThat is why I am alone fulfilled in myselfSend your <strong>com</strong>ments to ggajendra@videha.<strong>com</strong>Input: (कोकमे देवनागरी, िमिथलार िकंवा फोनेिटक-रोमनमे टाइप क।Input in Devanagari, Mithilakshara or Phonetic-Roman.)168


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>Output: (पिरणाम देवनागरी, िमिथलार आ फोनेिटक-रोमन/ रोमनमे। Result in Devanagari, Mithilakshara andPhonetic-Roman/ Roman.)English to MaithiliMaithili to Englishइंिलश-मैिथली-कोष / मैिथली-इंिलश-कोष ोजेटक आगू बढ़ाऊ, अपन सुझावआ योगदान ई-मेल ारा ggajendra@videha.<strong>com</strong> पर पठाऊ।िवदेहक मैिथली-अंेजी आ अंेजी मैिथली कोष (इंटरनेटपर पिहल बेर सच-िडशनरी) एम.एस. एस.यू.एल. सवर आधािरत -Based on ms-sqlserver Maithili-English and English-Maithili Dictionary.१.भारत आ नेपालक मैिथली भाषा-वैािनक लोकिन ारा बनाओल मानक शैलीआ २.मैिथलीमे भाषा सपादन पायम१.नेपाल आ भारतक मैिथली भाषा-वैािनक लोकिन ारा बनाओल मानक शैली१.१. नेपालक मैिथली भाषा वैािनक लोकिन ारा बनाओल मानक उचारण आलेखन शैली(भाषाशाी डा. रामावतार यादवक धारणाक पूण पसँ स लऽ िनधिरत)मैिथलीमे उचारण तथा लेखन169


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>१.पचमार आ अनुवार: पचमारातगत ङ, ञ, ण, न एवं म अबैत अिछ।संकृत भाषाक अनुसार शदक अतमे जािह वगक अर रहैत अिछ ओहीवगक पचमार अबैत अिछ। जेना-अ (क वगक रहबाक कारणे अतमे ङ् आएल अिछ।)पच (च वगक रहबाक कारणे अतमे ञ् आएल अिछ।)खड (ट वगक रहबाक कारणे अतमे ण् आएल अिछ।)सिध (त वगक रहबाक कारणे अतमे न् आएल अिछ।)खभ (प वगक रहबाक कारणे अतमे म् आएल अिछ।)उपयुत बात मैिथलीमे कम देखल जाइत अिछ। पचमारक बदलामे अिधकशजगहपर अनुवारक योग देखल जाइछ। जेना- अंक, पंच, खंड, संिध, खंभआिद। याकरणिवद पिडत गोिवद झाक कहब छिन जे कवग, चवग आ टवगसँपूव अनुवार िलखल जाए तथा तवग आ पवगसँ पूव पचमारे िलखल जाए।जेना- अंक, चंचल, अंडा, अत तथा कपन। मुदा िहदीक िनकट रहलआधुिनक लेखक एिह बातक निह मानैत छिथ। ओ लोकिन अत आ कपनकजगहपर सेहो अंत आ कंपन िलखैत देखल जाइत छिथ।नवीन पित िकछु सुिवधाजनक अवय छैक। िकएक तँ एिहमे समय आथानक बचत होइत छैक। मुदा कतोक बेर हतलेखन वा मुणमे अनुवारकछोट सन िबदु प निह भेलासँ अथक अनथ होइत सेहो देखल जाइतअिछ। अनुवारक योगमे उचारण-दोषक सभावना सेहो ततबए देखल जाइतअिछ। एतदथ कसँ लऽ कऽ पवग धिर पचमारेक योग करब उिचत अिछ।यसँ लऽ कऽ धिरक अरक स अनुवारक योग करबामे कतहु कोनोिववाद निह देखल जाइछ।२.ढ आ ढ़ : ढ़क उचारण “र् ह”जक होइत अिछ। अतः जतऽ “र् ह”कउचारण हो ओतऽ मा ढ़ िलखल जाए। आन ठाम खाली ढ िलखल जएबाकचाही। जेना-ढ = ढाकी, ढेकी, ढीठ, ढेउआ, ढ, ढेरी, ढाकिन, ढाठ आिद।170


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>ढ़ = पढ़ाइ, बढ़ब, गढ़ब, मढ़ब, बुढ़बा, सढ़, गाढ़, रीढ़, चढ़, सीढ़ी, पीढ़ीआिद।उपयुत शद सभक देखलासँ ई प होइत अिछ जे साधारणतया शदकशुमे ढ आ मय तथा अतमे ढ़ अबैत अिछ। इएह िनयम ड आ ड़क सदभसेहो लागू होइत अिछ।३.व आ ब : मैिथलीमे “व”क उचारण ब कएल जाइत अिछ, मुदा ओकरा बपमे निह िलखल जएबाक चाही। जेना- उचारण : बैनाथ, िबा, नब, देबता,िबणु, बंश, बदना आिद। एिह सभक थानपर मशः वैनाथ, िवा, नव,देवता, िवणु, वंश, वदना िलखबाक चाही। सामायतया व उचारणक लेल ओयोग कएल जाइत अिछ। जेना- ओकील, ओजह आिद।४.य आ ज : कतहु-कतहु “य”क उचारण “ज”जक करैत देखल जाइतअिछ, मुदा ओकरा ज निह िलखबाक चाही। उचारणमे य, जिद, जमुना, जुग,जाबत, जोगी, जदु, जम आिद कहल जाएबला शद सभक मशः य, यिद,यमुना, युग, यावत, योगी, यदु, यम िलखबाक चाही।५.ए आ य : मैिथलीक वतनीमे ए आ य दुनू िलखल जाइत अिछ।ाचीन वतनी- कएल, जाए, होएत, माए, भाए, गाए आिद।नवीन वतनी- कयल, जाय, होयत, माय, भाय, गाय आिद।सामायतया शदक शुमे ए मा अबैत अिछ। जेना एिह, एना, एकर, एहनआिद। एिह शद सभक थानपर यिह, यना, यकर, यहन आिदक योग निहकरबाक चाही। यिप मैिथलीभाषी था सिहत िकछु जाितमे शदक आरभोमे“ए”क य किह उचारण कएल जाइत अिछ।ए आ “य”क योगक सदभमे ाचीने पितक अनुसरण करब उपयुत मािनएिह पुतकमे ओकरे योग कएल गेल अिछ। िकएक तँ दुनूक लेखनमे कोनोसहजता आ दुहताक बात निह अिछ। आ मैिथलीक सवसाधारणक उचारण-171


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>शैली यक अपेा एसँ बेसी िनकट छैक। खास कऽ कएल, हएब आिद कितपयशदक कैल, हैब आिद पमे कतहु-कतहु िलखल जाएब सेहो “ए”क योगकबेसी समीचीन मािणत करैत अिछ।६.िह, हु तथा एकार, ओकार : मैिथलीक ाचीन लेखन-परपरामे कोनो बातपरबल दैत काल शदक पाछ िह, हु लगाओल जाइत छैक। जेना- हुनकिह,अपनहु, ओकरहु, तकालिह, चोिह, आनहु आिद। मुदा आधुिनक लेखनमे िहकथानपर एकार एवं हुक थानपर ओकारक योग करैत देखल जाइत अिछ।जेना- हुनके, अपनो, तकाले, चोे, आनो आिद।७.ष तथा ख : मैिथली भाषामे अिधकशतः षक उचारण ख होइत अिछ।जेना- षय (खड़य), षोडशी (खोड़शी), षकोण (खटकोण), वृषेश(वृखेश), सतोष (सतोख) आिद।८.विन-लोप : िनिलिखत अवथामे शदसँ विन-लोप भऽ जाइत अिछ:(क) ियावयी यय अयमे य वा ए लुत भऽ जाइत अिछ। ओिहमे सँ पिहनेअक उचारण दीघ भऽ जाइत अिछ। ओकर आग लोप-सूचक िच वा िवकारी(’ / ऽ) लगाओल जाइछ। जेना-पूण प : पढ़ए (पढ़य) गेलाह, कए (कय) लेल, उठए (उठय) पड़तौक।अपूण प : पढ़’ गेलाह, क’ लेल, उठ’ पड़तौक।पढ़ऽ गेलाह, कऽ लेल, उठऽ पड़तौक।(ख) पूवकािलक कृत आय (आए) ययमे य (ए) लुत भऽ जाइछ, मुदा लोप-सूचक िवकारी निह लगाओल जाइछ। जेना-पूण प : खाए (य) गेल, पठाय (ए) देब, नहाए (य) अएलाह।अपूण प : खा गेल, पठा देब, नहा अएलाह।(ग) ी यय इक उचारण ियापद, संा, ओ िवशेषण तीनूमे लुत भऽजाइत अिछ। जेना-172


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>पूण प : दोसिर मािलिन चिल गेिल।अपूण प : दोसर मािलन चिल गेल।(घ) वतमान कृदतक अितम त लुत भऽ जाइत अिछ। जेना-पूण प : पढ़ैत अिछ, बजैत अिछ, गबैत अिछ।अपूण प : पढ़ै अिछ, बजै अिछ, गबै अिछ।(ङ) ियापदक अवसान इक, उक, ऐक तथा हीकमे लुत भऽ जाइत अिछ।जेना-पूण प: िछयौक, िछयैक, छहीक, छौक, छैक, अिबतैक, होइक।अपूण प : िछयौ, िछयै, छही, छौ, छै, अिबतै, होइ।(च) ियापदीय यय ह, हु तथा हकारक लोप भऽ जाइछ। जेना-पूण प : छिह, कहलिह, कहलहुँ, गेलह, निह।अपूण प : छिन, कहलिन, कहलौँ, गेलऽ, नइ, निञ, नै।९.विन थानातरण : कोनो-कोनो वर-विन अपना जगहसँ हिट कऽ दोसरठाम चिल जाइत अिछ। खास कऽ व इ आ उक सबधमे ई बात लागूहोइत अिछ। मैिथलीकरण भऽ गेल शदक मय वा अतमे जँ व इ वा उआबए तँ ओकर विन थानातिरत भऽ एक अर आग आिब जाइत अिछ।जेना- शिन (शइन), पािन (पाइन), दािल ( दाइल), मािट (माइट), काछु(काउछ), मासु (माउस) आिद। मुदा तसम शद सभमे ई िनअम लागू निहहोइत अिछ। जेना- रिमक रइम आ सुधशुक सुधाउंस निह कहल जा सकैतअिछ।१०.हलत(◌्)क योग : मैिथली भाषामे सामायतया हलत (◌्)क आवयकता निहहोइत अिछ। कारण जे शदक अतमे अ उचारण निह होइत अिछ। मुदासंकृत भाषासँ जिहनाक तिहना मैिथलीमे आएल (तसम) शद सभमे हलतयोग कएल जाइत अिछ। एिह पोथीमे सामायतया सपूण शदक मैिथली भाषासबधी िनअम अनुसार हलतिवहीन राखल गेल अिछ। मुदा याकरण सबधी173


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>योजनक लेल अयावयक थानपर कतहु-कतहु हलत देल गेल अिछ। तुतपोथीमे मिथली लेखनक ाचीन आ नवीन दुनू शैलीक सरल आ समीचीन पसभक समेिट कऽ वण-िवयास कएल गेल अिछ। थान आ समयमे बचतकसिह हत-लेखन तथा तकनीकी दृिसँ सेहो सरल होबऽबला िहसाबसँ वण-िवयास िमलाओल गेल अिछ। वतमान समयमे मैिथली मातृभाषी पयतक आनभाषाक मायमसँ मैिथलीक ान लेबऽ पिड़ रहल पिरेयमे लेखनमे सहजतातथा एकपतापर यान देल गेल अिछ। तखन मैिथली भाषाक मूल िवशेषतासभ कुिठत निह होइक, ताहू िदस लेखक-मडल सचेत अिछ। िसभाषाशाी डा. रामावतार यादवक कहब छिन जे सरलताक अनुसधानमे एहनअवथा िकहु ने आबऽ देबाक चाही जे भाषाक िवशेषता छहमे पिड जाए।-(भाषाशाी डा. रामावतार यादवक धारणाक पूण पसँ स लऽ िनधिरत)१.२. मैिथली अकादमी, पटना ारा िनधिरत मैिथली लेखन-शैली१. जे शद मैिथली-सािहयक ाचीन कालसँ आइ धिर जािह वनीमे चिलतअिछ, से सामायतः तािह वनीमे िलखल जाय- उदाहरणाथ-ाएखनठामजकर, तकरतिनकरअिछअा174


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>अखन, अखिन, एखेन, अखनीिठमा, िठना, ठमाजेकर, तेकरितनकर। (वैकिपक प ा)ऐछ, अिह, ए।२. िनिलिखत तीन कारक प वैकिपकतया अपनाओल जाय: भऽ गेल, भयगेल वा भए गेल। जा रहल अिछ, जाय रहल अिछ, जाए रहल अिछ। कर’गेलाह, वा करय गेलाह वा करए गेलाह।३. ाचीन मैिथलीक ‘ह’ विनक थानमे ‘न’ िलखल जाय सकैत अिछ यथाकहलिन वा कहलिह।४. ‘ऐ’ तथा ‘औ’ ततय िलखल जाय जत’ पतः ‘अइ’ तथा ‘अउ’ सदृशउचारण इ हो। यथा- देखैत, छलैक, बौआ, छौक इयािद।५. मैिथलीक िनिलिखत शद एिह पे युत होयत: जैह, सैह, इएह, ओऐह,लैह तथा दैह।६. व इकारत शदमे ‘इ’ के लुत करब सामायतः अा िथक। यथा-ा देिख आबह, मािलिन गेिल (मनुय मामे)।७. वतं व ‘ए’ वा ‘य’ ाचीन मैिथलीक उरण आिदमे तँ यथावत राखलजाय, िकंतु आधुिनक योगमे वैकिपक प ‘ए’ वा ‘य’ िलखल जाय। यथा:-कयल वा कएल, अयलाह वा अएलाह, जाय वा जाए इयािद।175


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>८. उचारणमे दू वरक बीच जे ‘य’ विन वतः आिब जाइत अिछ तकरालेखमे थान वैकिपक प देल जाय। यथा- धीआ, अढ़ैआ, िवआह, वा धीया,अढ़ैया, िबयाह।९. सानुनािसक वतं वरक थान यथासंभव ‘ञ’ िलखल जाय वा सानुनािसकवर। यथा:- मैञा, किनञा, िकरतिनञा वा मैआँ, किनआँ, िकरतिनआँ।१०. कारकक िवभिक िनिलिखत प ा:- हाथक, हाथसँ, हाथ, हाथक,हाथमे। ’मे’ मे अनुवार सवथा याय िथक। ‘क’ क वैकिपक प ‘केर’राखल जा सकैत अिछ।११. पूवकािलक ियापदक बाद ‘कय’ वा ‘कए’ अयय वैकिपक प लगाओलजा सकैत अिछ। यथा:- देिख कय वा देिख कए।१२. मग, भग आिदक थानमे माङ, भाङ इयािद िलखल जाय।१३. अ ‘न’ ओ अ ‘म’ क बदला अनुसार निह िलखल जाय, िकंतु छापाकसुिवधाथ अ ‘ङ’ , ‘ञ’, तथा ‘ण’ क बदला अनुवारो िलखल जा सकैतअिछ। यथा:- अ, वा अंक, अचल वा अंचल, कठ वा कंठ।१४. हलंत िच िनअमतः लगाओल जाय, िकंतु िवभितक संग अकारत योगकएल जाय। यथा:- ीमान्, िकंतु ीमानक।१५. सभ एकल कारक िच शदमे सटा क’ िलखल जाय, हटा क’ निह,संयुत िवभितक हेतु फराक िलखल जाय, यथा घर परक।176


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>१६. अनुनािसकक चिबदु ारा यत कयल जाय। परंतु मुणक सुिवधाथ िहसमान जिटल माापर अनुवारक योग चिबदुक बदला कयल जा सकैतअिछ। यथा- िहँ केर बदला िहं।१७. पूण िवराम पासीसँ ( । ) सूिचत कयल जाय।१८. समत पद सटा क’ िलखल जाय, वा हाइफेनसँ जोिड़ क’ , हटा क’निह।१९. िलअ तथा िदअ शदमे िबकारी (ऽ) निह लगाओल जाय।२०. अंक देवनागरी पमे राखल जाय।२१.िकछु विनक लेल नवीन िचह बनबाओल जाय। जा' ई निह बनल अिछताबत एिह दुनू विनक बदला पूववत् अय/ आय/ अए/ आए/ आओ/ अओ िलखलजाय। आिक ऎ वा ऒ सँ यत कएल जाय।ह./- गोिवद झा ११/८/७६ ीकात ठाकुर ११/८/७६ सुरे झा "सुमन"११/०८/७६२. मैिथलीमे भाषा सपादन पायम२.१. उचारण िनदश: (बोड कएल प ा):-दत न क उचारणमे दतमे जीह सटत- जेना बाजू नाम , मुदा ण कउचारणमे जीह मूधमे सटत (नै सटैए तँ उचारण दोष अिछ)- जेना बाजूगणेश। तालय शमे जीह तालुसँ , षमे मूधसँ आ दत समे दतसँ सटत।िनश, सभ आ शोषण बािज कऽ देखू। मैिथलीमे ष क वैिदक संकृत जक ख177


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>सेहो उचिरत कएल जाइत अिछ, जेना वष, दोष। य अनेको थानपर जजक उचिरत होइत अिछ आ ण ड़ जक (यथा संयोग आ गणेश संजोग आगड़ेस उचिरत होइत अिछ)। मैिथलीमे व क उचारण ब, श क उचारण सआ य क उचारण ज सेहो होइत अिछ।ओिहना व इ बेशीकाल मैिथलीमे पिहने बाजल जाइत अिछ कारण देवनागरीमेआ िमिथलारमे व इ अरक पिहने िलखलो जाइत आ बाजलो जएबाकचाही। कारण जे िहदीमे एकर दोषपूण उचारण होइत अिछ (िलखल तँ पिहनेजाइत अिछ मुदा बाजल बादमे जाइत अिछ), से िशा पितक दोषक कारणहम सभ ओकर उचारण दोषपूण ढंगसँ कऽ रहल छी।अिछ- अ इ छ ऐछ (उचारण)छिथ- छ इ थ – छैथ (उचारण)पहुँिच- प हुँ इ च (उचारण)आब अ आ इ ई ए ऐ ओ औ अं अः ऋ ऐ सभ लेल माा सेहो अिछ, मुदाऐमे ई ऐ ओ औ अं अः ऋ क संयुतार पमे गलत पमे युत आउचिरत कएल जाइत अिछ। जेना ऋ क री पमे उचिरत करब। आदेिखयौ- ऐ लेल देिखऔ क योग अनुिचत। मुदा देिखऐ लेल देिखयै अनुिचत।क् सँ धिर अ सिमिलत भेलासँ क सँ ह बनैत अिछ, मुदा उचारण कालहलत युत शदक अतक उचारणक वृि बढ़ल अिछ, मुदा हम जखनमनोजमे ज् अतमे बजैत छी, तखनो पुरनका लोकक बजैत सुनबिह- मनोजऽ,वातवमे ओ अ युत ज् = ज बजै छिथ।फेर अिछ ज् आ ञ क संयुत मुदा गलत उचारण होइत अिछ- य।ओिहना अिछ क् आ ष क संयुत मुदा उचारण होइत अिछ छ। फेर श्आ र क संयुत अिछ ( जेना िमक) आ स् आ र क संयुत अिछ (जेना िम)। भेल त+र ।उचारणक ऑिडयो फाइल िवदेह आकइव http://www.videha.co.in/ परउपलध अिछ। फेर क / सँ / पर पूव अरसँ सटा कऽ िलखू मुदा तँ / कऽ178


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>हटा कऽ। ऐमे सँ मे पिहल सटा कऽ िलखू आ बादबला हटा कऽ। अंकक बादटा िलखू सटा कऽ मुदा अय ठाम टा िलखू हटा कऽ– जेनाछहटा मुदा सभ टा। फेर ६अ म सातम िलखू- छठम सातम नै। घरबलामे बलामुदा घरवालीमे वाली युत क।रहए-रहै मुदा सकैए (उचारण सकै-ए)।मुदा कखनो काल रहए आ रहै मे अथ िभता सेहो, जेना से कमो जगहमेपािकंग करबाक अयास रहै ओकरा। पुछलापर पता लागल जे ढुनढुन नाा ईाइवर कनाट लेसक पािकंगमे काज करैत रहए।छलै, छलए मे सेहो ऐ तरहक भेल। छलए क उचारण छल-ए सेहो।संयोगने- (उचारण संजोगने)क/ कऽकेर- क (केर क योग गमे नै क , पमे कऽ सकै छी। )क (जेना रामक)–रामक आ संगे (उचारण राम के / राम कऽ सेहो)सँ- सऽ (उचारण)चिबदु आ अनुवार- अनुवारमे कंठ धिरक योग होइत अिछ मुदा चिबदुमेनै। चिबदुमे कनेक एकारक सेहो उचारण होइत अिछ- जेना रामसँ-(उचारण राम सऽ) रामक- (उचारण राम कऽ/ राम के सेहो)।क जेना रामक भेल िहदीक को (राम को)- राम को= रामकक जेना रामक भेल िहदीक का ( राम का) राम का= रामककऽ जेना जा कऽ भेल िहदीक कर ( जा कर) जा कर= जा कऽसँ भेल िहदीक से (राम से) राम से= रामसँसऽ , तऽ , त , केर (गमे) ए◌े चा शद सबहक योग अविछत।179


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>के दोसर अथँ युत भऽ सकैए- जेना, के कहलक? िवभित “क”क बदलाएकर योग अविछत।निञ, निह, नै, नइ, नँइ, नइँ, नइं ऐ सभक उचारण आ लेखन - नैव क बदलामे व जेना महवपूण (महवपूण नै) जतए अथ बदिल जाए ओतिहमा तीन अरक संयुतारक योग उिचत। सपित- उचारण स प इ त(सपि नै- कारण सही उचारण आसानीसँ सभव नै)। मुदा सवम (सवतमनै)।रािय (राीय नै)सकैए/ सकै (अथ पिरवतन)पोछैले/ पोछै लेल/ पोछए लेलपोछैए/ पोछए/ (अथ पिरवतन) पोछए/ पोछैओ लोकिन ( हटा कऽ, ओ मे िबकारी नै)ओइ/ ओिहओिहले/ओिह लेल/ ओही लऽजएब/ बैसबपँचभइयदेिखयौक/ (देिखऔक नै- तिहना अ मे व आ दीघक मााक योग अनुिचत)जक / जेकतँइ/ तैँ/होएत / हएतनिञ/ निह/ नँइ/ नइँ/ नैसौँसे/ सॱसेबड़ /बड़ी (झोराओल)गाए (गाइ निह), मुदा गाइक दूध (गाएक दूध नै।)180


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>रहल/ पिहरतैँहमहॴ/ अहॴसब - सभसबहक - सभहकधिर - तकगप- बातबूझब - समझबबुझलॱ/ समझलॱ/ बुझलहुँ - समझलहुँहमरा आर - हम सभआिक- आ िकसकैछ/ करैछ (गमे योगक आवयकता नै)होइन/ होिनजाइन (जािन नै, जेना देल जाइन) मुदा जािन-बूिझ (अथ पिरतन)पइठ/ जाइठआउ/ जाउ/ आऊ/ जाऊमे, क, सँ, पर (शदसँ सटा कऽ) तँ कऽ धऽ दऽ (शदसँ हटा कऽ) मुदा दूटावा बेसी िवभित संग रहलापर पिहल िवभित टाक सटाऊ। जेना ऐमे सँ ।एकटा , दूटा (मुदा कए टा)िबकारीक योग शदक अतमे, बीचमे अनावयक प नै। आकारात आअतमे अ क बाद िबकारीक योग नै (जेना िदअ, आ/ िदय’ , आ’, आ नै )अपोोफीक योग िबकारीक बदलामे करब अनुिचत आ मा फॉटक तकनीकीयूनताक पिरचायक)- ओना िबकारीक संकृत प ऽ अवह कहल जाइत अिछआ वतनी आ उचारण दुनू ठाम एकर लोप रहैत अिछ/ रिह सकैत अिछ(उचारणमे लोप रिहते अिछ)। मुदा अपोोफी सेहो अंेजीमे पसेिसव केसमेहोइत अिछ आ चमे शदमे जतए एकर योग होइत अिछ जेना raison181


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>d’etre एतए सेहो एकर उचारण रैजौन डेटर होइत अिछ, माने अपोॉफीअवकाश नै दैत अिछ वरन जोड़ैत अिछ, से एकर योग िबकारीक बदला देनाइतकनीकी प सेहो अनुिचत)।अइमे, एिहमे/ ऐमेजइमे, जािहमेएखन/ अखन/ अइखनक (के निह) मे (अनुवार रिहत)भऽमेदऽतँ (तऽ, त नै)सँ ( सऽ स नै)गाछ तरगाछ लगसझ खनजो (जो go, करै जो do)तै/तइ जेना- तै दुआरे/ तइमे/ तइलेजै/जइ जेना- जै कारण/ जइसँ/ जइलेऐ/अइ जेना- ऐ कारण/ ऐसँ/ अइले/ मुदा एकर एकटा खास योग- लालितकतेक िद नसँ कहैत रहैत अइलै/लइ जेना लैसँ/ लइले/ लै दुआरेलहँ/ लॱगेलॱ/ लेलॱ/ लेलँह/ गेलहुँ/ लेलहुँ/ लेलँजइ/ जािह / जैजिह ठाम/ जािह ठाम/ जइठाम/ जैठाम182


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>एिह / अिह /अइ (वायक अंतमे ा) / ऐअइछ/ अिछ / ऐछतइ/ तिह / तै/ तािहओिह / ओइसीिख / सीखजीिव / जीवी/ जीबभलेहॴ/ भलिह◌ ंत/ तँइ/ तँएजाएब/ जएबलइ/ लैछइ/ छैनिह / नै/ नइगइ/ गैछिन/ छि ह ...समए श दक संग जखन कोनो िव भि त जुटै छै तखन समै जना समैपरइ यािद । असगरमे हृदए आ िव भि त जुटने हृदे जना हृदेसँ, हृदेमे इ यािद ।जइ/ जािह /जैजिह ठाम/ जािह ठाम/ जइठाम/ जैठामएिह / अिह / अइ/ ऐअइछ/ अिछ / ऐछतइ/ तिह / तै/ तािहओिह / ओइसीिख / सीखजीिव / जीवी/183


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>जीबभले/ भलेहॴ/भलिह◌ ंत/ तँइ/ तँएजाएब/ जएबलइ/ लैछइ/ छैनिह / नै/ नइगइ/गैछिन / छि हचुकल अिछ/ गेल गिछ२.२. मैिथलीमे भाषा सपादन पायमनीचक सूचीमे देल िवकपमेसँ लगुएज एडीटर ारा कोन प चुनल जेबाकचाही:बोड कएल प ा:१.होयबला/ होबयबला/ होमयबला/ हेब’बला, हेम’बला/ होयबाक/होबएबला /होएबाक२. आ’/आऽआ३. क’ लेने/कऽ लेने/कए लेने/कय लेने/ल’/लऽ/लय/लए४. भ’ गेल/भऽ गेल/भय गेल/भएगेल५. कर’ गेलाह/करऽगेलह/करए गेलाह/करय गेलाह६.िलअ/िदअ िलय’,िदय’,िलअ’,िदय’/184


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>७. कर’ बला/करऽ बला/ करय बला करैबला/क’र’ बला /करैवाली८. बला वला (पुष), वाली ( ी) ९.आल आंल१०. ायः ायह११. दुःख दुख १२. चिल गेल चल गेल/चैल गेल१३. देलिखह देलिकह, देलिखन१४.देखलिह देखलिन/ देखलैह१५. छिथह/ छलिह छिथन/ छलैन/ छलिन१६. चलैत/दैत चलित/दैित१७. एखनोअखनो१८.बढ़िन बढ़इन बढ़िह१९. ओ’/ओऽ(सवनाम) ओ२०. ओ (संयोजक) ओ’/ओऽ२१. फिग/फाि फाइंग/फाइङ२२.जे जे ’/जेऽ २३. ना-नुकुर ना-नुकर२४. केलिह/केलिन /कयलिह२५. तखनतँ/ तखन तँ२६. जा185


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>रहल/जाय रहल/जाए रहल२७. िनकलय/िनकलएलागल/ लगल बहराय/ बहराए लागल/ लगल िनकल’/बहरै लागल२८. ओतय/ जतय जत’/ ओत’/ जतए/ ओतए२९.की फूरल जे िक फूरल जे३०. जे जे ’/जेऽ३१. कूिद / यािद(मोन पारब) कूइद/याइद/कूद/याद/यािद (मोन)३२. इहो/ ओहो३३.हँसए/ हँसय हँसऽ३४. नौ आिक दस/नौ िकंवा दस/ नौ वा दस३५. सासु-ससुर सास-ससुर३६. छह/ सात छ/छः/सात३७.की की’/ कीऽ (दीघकारातमे ऽ विजत)३८. जबाब जवाब३९. करएताह/ करेताह करयताह४०. दलान िदिश दलान िदश/दलान िदस४१. गेलाह गएलाह/गयलाह४२. िकछु आर/ िकछु और/ िकछ आर४३. जाइ छल/ जाइत छल जाित छल/जैत छल४४. पहुँिच/ भेट जाइत छल/ भेट जाइ छलए पहुँच/ भेिट जाइत छल४५.186


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>जबान (युवा)/ जवान(फौजी)४६. लय/ लए क’/ कऽ/ लए कए / लऽ कऽ/ लऽ कए४७. ल’/लऽ कय/कए४८. एखन / एखने / अखन / अखने४९.अहॴक अहीँक५०. गहॴर गहीँर५१.धार पार केनाइ धार पार केनाय/केनाए५२. जेक जक/जक५३. तिहना तेिहना५४. एकर अकर५५. बिहनउ बहनोइ५६. बिहन बिहिन५७. बिहन-बिहनोइबिहन-बहनउ५८. निह/ नै५९. करबा / करबाय/ करबाए६०. तँ/ त ऽ तय/तए६१. भैयारी मे छोट-भाए/भै/, जेठ-भाय/भाइ,६२. िग नतीमे दू भाइ/भाए/भइ६३. ई पोथी दू भाइक/ भइ/ भाए/ लेल। यावत जावत६४. माय मै / माए मुदा माइक ममता६५. देिह/ दइन दिन / दएिह/ दयिह दिह/ दैिह187


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>६६. द’/ दऽ/ दए६७. ओ (संयोजक) ओऽ (सवनाम)६८. तका कए तकाय तकाए६९. पैरे (on foot) पएरे कएक/ कैक७०.ताहुमे/ ताहूमे७१.पुीक७२.बजा कय/ कए / कऽ७३. बननाय/बननाइ७४. कोला७५.िदनुका िदनका७६.ततिहसँ७७. गरबओलिह/ गरबौलिन /गरबेलिह/ गरबेलिन७८. बालु बालू७९.चेह िचह(अशु)८०. जे जे’८१. से/ के से ’/के’८२. एखुनका अखनुका८३. भुिमहार भूिमहार188


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>८४. सुगर/ सुगरक/ सूगर८५. झठहाक झटहाक ८६.छूिब८७. करइयो/ओ करैयो ने देलक /किरयौ-करइयौ८८. पुबािरपुबाइ८९. झगड़ा-झटीझगड़ा-झिट९०. पएरे-पएरे पैरे-पैरे९१. खेलएबाक९२. खेलेबाक९३. लगा९४. होए- हो – होअए९५. बुझल बूझल९६.बूझल (संबोधन अथमे)९७. यैह यएह / इएह/ सैह/ सएह९८. ताितल९९. अयनाय- अयनाइ/ अएनाइ/ एनाइ१००. िन- िनद१०१.िबनु िबन१०२. जाए जाइ१०३.जाइ (in different sense)-last word of sentence189


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>१०४. छत पर आिब जाइ१०५.ने१०६. खेलाए (play) –खेलाइ१०७. िशकाइत- िशकायत१०८.ढप- ढ़प१०९. पढ़- पढ११०. किनए/ किनये किनञे१११. राकस- राकश११२. होए/ होय होइ११३. अउरदा-औरदा११४. बुझेलिह (different meaning- got understand)११५. बुझएलिह/बुझेलिन / बुझयलिह (understood himself)११६. चिल- चल/ चिल गेल११७. खधाइ- खधाय११८.मोन पाड़लिखह/ मोन पाड़लिख न/ मोन पारलिखह११९. कैक- कएक- कइएक१२०.लग ल’ग१२१. जरेनाइ१२२. जरौनाइ जरओनाइ- जरएनाइ/जरेनाइ190


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>१२३. होइत१२४.गरबेलिह/ गरबेलिन गरबौलिह/ गरबौलिन१२५.िचखैत- (to test)िचखइत१२६. करइयो (willing to do) करैयो१२७. जेकरा- जकरा१२८. तकरा- तेकरा१२९.िबदेसर थानेमे/ िबदेसरे थानमे१३०. करबयलहुँ/ करबएलहुँ/ करबेलहुँ करबेलॱ१३१.हािरक (उचारण हाइरक)१३२. ओजन वजन आफसोच/ अफसोस कागत/ कागच/ कागज१३३. आधे भाग/ आध-भागे१३४. िपचा / िपचाय/िपचाए१३५. नञ/ ने१३६. बचा नञ(ने) िपचा जाय१३७. तखन ने (नञ) कहैत अिछ। कहै/ सुनै/ देखै छल मुदा कहैत-कहैत/सुनैत-सुनैत/ देखैत-देखैत१३८.कतेक गोटे/ कताक गोटे१३९. कमाइ-धमाइ/ कमाई- धमाई१४०. लग ल’ग191


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>१४१. खेलाइ (for playing)१४२.छिथह/ छिथन१४३.होइत होइ१४४. यो िकयो / केओ१४५.केश (hair)१४६.केस (court-case)१४७. बननाइ/ बननाय/ बननाए१४८. जरेनाइ१४९. कुरसी कुस१५०. चरचा चच१५१. कम करम१५२. डुबाबए/ डुबाबै/ डुमाबै डुमाबय/ डुमाबए१५३. एखुनका/अखुनका१५४. लए/ िलअए (वायक अंितम शद)- लऽ१५५. कएलक/केलक१५६. गरमी गम१५७. वरदी वद१५८. सुना गेलाह सुना’/सुनाऽ192


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>१५९. एनाइ-गेनाइ१६०.तेना ने घेरलिह/ तेना ने घेरलिन१६१. निञ / नै१६२.डरो ड’रो१६३. कतहु/ कतौ कहॴ१६४. उमिरगर-उमेरगर उमरगर१६५. भिरगर१६६. धोल/धोअल धोएल१६७. गप/गप१६८.के के’१६९. दरबजा/ दरबजा१७०. ठाम१७१.धिर तक१७२.घूिर लौिट१७३. थोरबेक१७४. बड१७५. त/ तू ◌ँ१७६. तिह( पमे ा)१७७. तही / तिह१७८.करबाइए करबाइये193


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>१७९. एकेटा१८०. किरतिथ /करतिथ१८१.पहुँिच/ पहुँच१८२. राखलिह रखलिह/ रखलिन१८३.लगलिह/ लगलिन लागलिह१८४.सुिन (उचारण सुइन)१८५. अिछ (उचारण अइछ)१८६. एलिथ गेलिथ१८७. िबतओने/ िब तौने/िबतेने१८८. करबओलिह/ करबौलिन /करेलिखह/ करेलिख न१८९. करएलिह/ करेलिन१९०.आिक/ िक१९१. पहुँिच/पहुँच१९२. बी जराय/ जराए जरा (आिग लगा)१९३.से से’१९४.ह मे ह (हमे ह िवभिमे हटा कए)१९५. फेल फैल194


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>१९६. फइल(spacious) फैल१९७. होयतिह/ होएतिह/ होएतिन /हेतिन / हेतिह१९८. हाथ मिटआएब/ हाथ मिटयाबय/हाथ मिटयाएब१९९. फेका फका२००. देखाए देखा२०१. देखाबए२०२. सिर सर२०३.साहेब साहब२०४.गेलैह/ गेलिह/ गेलिन२०५. हेबाक/ होएबाक२०६.केलो/ कएलहुँ/केलॱ/ केलुँ२०७. िकछु न िकछु/िकछु ने िकछु२०८.घुमेलहुँ/ घुमओलहुँ/ घुमेलॱ२०९. एलाक/ अएलाक२१०. अः/ अह२११.लय/लए (अथ-पिरवन) २१२.कनीक/ कनेक२१३.सबहक/ सभक२१४.िमलाऽ/ िमला२१५.कऽ/ क२१६.जाऽ/जा२१७.आऽ/ आ२१८.भऽ /भ’ (’ फॉटक कमीक ोतक)195


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>२१९.िनअम/ िनयम२२०.हेटेअर/ हेटेयर२२१.पिहल अर ढ/ बादक/ बीचक ढ़२२२.तिहं/तिहँ/ तिञ/ त२२३.किहं/ कहॴ२२४.तँइ/त / तइँ२२५.नँइ/ नइँ/ निञ/ निह/नै२२६.है/ हए / एलीह/२२७.छिञ/ छै/ छैक /छइ२२८.दृिएँ/ दृिय२२९.आ (<strong>com</strong>e)/ आऽ(conjunction)२३०.आ (conjunction)/ आऽ(<strong>com</strong>e)२३१.कुनो/ कोनो, कोना/केना२३२.गेलैह-गेलिह-गेलिन२३३.हेबाक- होएबाक२३४.केलौँ- कएलौँ-कएलहुँ/केलॱ२३५.िकछु न िकछ- िकछु ने िकछु२३६.केहेन- केहन२३७.आऽ (<strong>com</strong>e)-आ (conjunction-and)/आ। आब'-आब' /आबह-आबह२३८. हएत-हैत२३९.घुमेलहुँ-घुमएलहुँ- घुमेला◌े◌ं२४०.एलाक- अएलाक२४१.होिन- होइन/ होिह/196


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>२४२.ओ-राम ओ यामक बीच(conjunction), ओऽ कहलक (he said)/ओ२४३.की हए/ कोसी अएली हए/ की है। की हइ२४४.दृिएँ/ दृिय२४५.शािमल/ सामेल२४६.तैँ / तँए/ तिञ/ तिहं२४७.जॱ/ य/ जँ/२४८.सभ/ सब२४९.सभक/ सबहक२५०.किहं/ कहॴ२५१.कुनो/ कोनो/ कोनहुँ/२५२.फारकती भऽ गेल/ भए गेल/ भय गेल२५३.कोना/ केना/ क ना/कना२५४.अः/ अह२५५.जनै/ जनञ२५६.गेलिन /गेलाह (अथ पिरवतन)२५७.केलिह/ कएलिह/ केलिन /२५८.लय/ लए/ लएह (अथ पिरवतन)२५९.कनीक/ कनेक/कनी-मनी२६०.पठेलिह पठेलिन / पठेलइन/ पपठओलिह/ पठबौलिन /२६१.िनअम/ िनयम२६२.हेटेअर/ हेटेयर२६३.पिहल अर रहने ढ/ बीचमे रहने ढ़197


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>२६४.आकारातमे िबकारीक योग उिचत नै/ अपोोफीक योग फाटकतकनीकी यूनताक पिरचायक ओकर बदला अवह (िबकारी) क योग उिचत२६५.केर (पमे ा) / -क/ कऽ/ के२६६.छैिह- छिह२६७.लगैए/ लगैये२६८.होएत/ हएत२६९.जाएत/ जएत/२७०.आएत/ अएत/ आओत२७१.खाएत/ खएत/ खैत२७२.िपअएबाक/ िपएबाक/िप येबाक२७३.शु/ शुह२७४.शुहे/ शुए२७५.अएताह/अओताह/ एताह/ औताह२७६.जािह/ जाइ/ जइ/ जै/२७७.जाइत/ जैतए/ जइतए२७८.आएल/ अएल२७९.कैक/ कएक२८०.आयल/ अएल/ आएल२८१. जाए/ जअए/ जए (लालित जाए लगलीह।)२८२. नुकएल/ नुकाएल२८३. कठुआएल/ कठुअएल२८४. तािह/ तै/ तइ२८५. गायब/ गाएब/ गएब२८६. सकै/ सकए/ सकय२८७.सेरा/सरा/ सराए (भात सरा गेल)198


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>२८८.कहैत रही/देखैत रही/ कहैत छलॱ/ कहै छलॱ- अिहना चलैत/ पढ़ैत(पढ़ै-पढ़ैत अथ कखनो काल पिरवितत) - आर बुझै/ बुझैत (बुझै/ बुझै छी, मुदाबुझैत-बुझैत)/ सकैत/ सकै। करैत/ करै। दै/ दैत। छैक/ छै। बचलै/बचलैक। रखबा/ रखबाक । िबनु/ िबन। राितक/ रातुक बुझै आ बुझैत केरअपन-अपन जगहपर योग समीचीन अिछ । बुझैत-बुझैत आब बुझिल ऐ। हमहूँबुझै छी।२८९. दुआरे/ ारे२९०.भेिट/ भेट/ भट२९१.खन/ खीन/ खुना (भोर खन/ भोर खीन)२९२.तक/ धिर२९३.गऽ/ गै (meaning different-जनबै गऽ)२९४.सऽ/ सँ (मुदा दऽ, लऽ)२९५.व,(तीन अरक मेल बदला पुनितक एक आ एकटा दोसरक उपयोग)आिदक बदला व आिद। महव/ महव/ कत/ क आिदमे संयुतक कोनोआवयकता मैिथलीमे नै अिछ। वतय२९६.बेसी/ बेशी२९७.बाला/वाला बला/ वला (रहैबला)२९८.वाली/ (बदलैवाली)२९९.वा/ वात३००. अतरिय/ अतरीय३०१. लेमए/ लेबए३०२.लमछुरका, नमछुरका३०२.लागै/ लगै (भेटैत/ भेटै)199


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>३०३.लागल/ लगल३०४.हबा/ हवा३०५.राखलक/ रखलक३०६.आ (<strong>com</strong>e)/ आ (and)३०७. पाताप/ पााप३०८. ऽ केर यवहार शदक अतमे मा, यथासंभव बीचमे नै।३०९.कहैत/ कहै३१०.रहए (छल)/ रहै (छलै) (meaning different)३११.तागित/ ताकित३१२.खराप/ खराब३१३.बोइन/ बोिन/ बोइिन३१४.जािठ/ जाइठ३१५.कागज/ कागच/ कागत३१६.िगरै (meaning different- swallow)/ िगरए (खसए)३१७.रािय/ राीयFestivals of MithilaDATE-LIST (year- 2010-11)(१४१८ साल)Marriage Days:200


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>Nov.2010- 19Dec.2010- 3,8January 2011- 17, 21, 23, 24, 26, 27, 28 31Feb.2011- 3, 4, 7, 9, 18, 20, 24, 25, 27, 28March 2011- 2, 7May 2011- 11, 12, 13, 18, 19, 20, 22, 23, 29, 30June 2011- 1, 2, 3, 8, 9, 10, 12, 13, 19, 20, 26, 29Upanayana Days:February 2011- 8March 2011- 7May 2011- 12, 13June 2011- 6, 12Dviragaman Din:November 2010- 19, 22, 25, 26201


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>December 2010- 6, 8, 9, 10, 12February 2011- 20, 21March 2011- 6, 7, 9, 13April 2011- 17, 18, 22May 2011- 5, 6, 8, 13Mundan Din:November 2010- 24, 26December 2010- 10, 17February 2011- 4, 16, 21March 2011- 7, 9April 2011- 22May 2011- 6, 9, 19June 2011- 3, 6, 10, 20202


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>FESTIVALS OF MITHILAMauna Panchami-31 JulySomavati Amavasya Vrat- 1 AugustMadhushravani-12 AugustNag Panchami- 14 AugustRaksha Bandhan- 24 AugKrishnastami- 01 SeptemberKushi Amavasya- 08 SeptemberHartalika Teej- 11 SeptemberChauthChandra-11 SeptemberVishwakarma Pooja- 17 SeptemberKarma Dharma Ekadashi-19 SeptemberIndra Pooja Aarambh- 20 SeptemberAnant Caturdashi- 22 Sep203


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>Agastyarghadaan- 23 SepPitri Paksha begins- 24 SepJimootavahan Vrata/ Jitia-30 SepMatri Navami- 02 OctoberKalashsthapan- 08 OctoberBelnauti- 13 OctoberPatrika Pravesh- 14 OctoberMahastami- 15 OctoberMaha Navami - 16-17 OctoberVijaya Dashami- 18 OctoberKojagara- 22 OctDhanteras- 3 NovemberDiyabati, shyama pooja- 5 NovemberAnnakoota/ Govardhana Pooja-07 November204


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>Bhratridwitiya/ Chitragupta Pooja-08 NovemberChhathi- -12 NovemberAkshyay Navami- 15 NovemberDevotthan Ekadashi- 17 NovemberKartik Poornima/ Sama Bisarjan- 21 NovShaa. ravivratarambh- 21 NovemberNavanna parvan- 24 -26 NovemberVivaha Panchmi- 10 DecemberNaraknivaran chaturdashi- 01 FebruaryMakara/ Teela Sankranti-15 JanBasant Panchami/ Saraswati Pooja- 08 FebruaqryAchla Saptmi- 10 FebruaryMahashivaratri-03 MarchHolikadahan-Fagua-19 March205


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>Holi-20 MarVaruni Yoga- 31 Marchva.navaratrarambh- 4 Aprilvaa. Chhathi vrata- 9 AprilRam Navami- 12 AprilMesha Sankranti-Satuani-14 AprilJurishital-15 AprilSomavati Amavasya Vrata- 02 MayRavi Brat Ant- 08 MayAkshaya Tritiya-06 MayJanaki Navami- 12 MayVat Savitri-barasait- 01 JuneGanga Dashhara-11 JuneJagannath Rath Yatra- 3 July206


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>Hari Sayan Ekadashi- 11 JulAashadhi Guru Poornima-15 Jul<strong>VIDEHA</strong> ARCHIVE१.िवदेह ई-पिकाक सभटा पुरान अंक ेल, ितरहुता आ देवनागरी पमेVideha e journal's all old issues in Braille Tirhuta andDevanagari versionsिवदेह ई-पिकाक पिहल ५० अंकिवदेह ई-पिकाक ५०म सँ आगक अंक२.मैिथली पोथी डाउनलोड Maithili Books Download३.मैिथली ऑिडयो संकलन Maithili Audio Downloads४.मैिथली वीिडयोक संकलन Maithili Videos५.िमिथला िचकला/ आधुिनक िचकला आ िच Mithila Painting/Modern Art and Photos"िवदेह"क एिह सभ सहयोगी िलंकपर सेहो एक बेर जाऊ।207


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>६.िवदेह मैिथली िवज :http://videhaquiz.blogspot.<strong>com</strong>/७.िवदेह मैिथली जालवृ एीगेटर :http://videha-aggregator.blogspot.<strong>com</strong>/८.िवदेह मैिथली सािहय अंेजीमे अनूिदतhttp://madhubani-art.blogspot.<strong>com</strong>/९.िवदेहक पूव-प "भालसिरक गाछ" :http://gajendrathakur.blogspot.<strong>com</strong>/१०.िवदेह इंडेस :http://videha123.blogspot.<strong>com</strong>/११.िवदेह फाइल :http://videha123.wordpress.<strong>com</strong>/१२. िवदेह: सदेह : पिहल ितरहुता (िमिथला़र) जालवृ (लॉग)http://videha-sadeha.blogspot.<strong>com</strong>/१३. िवदेह:ेल: मैिथली ेलमे: पिहल बेर िवदेह ारा208


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>http://videha-braille.blogspot.<strong>com</strong>/१४.<strong>VIDEHA</strong> IST MAITHILI FORTNIGHTLY EJOURNALARCHIVEhttp://videha-archive.blogspot.<strong>com</strong>/१५. िवदेह थम मैिथली पािक ई पिका मैिथली पोथीक आकइवhttp://videha-pothi.blogspot.<strong>com</strong>/१६. िवदेह थम मैिथली पािक ई पिका ऑिडयो आकइवhttp://videha-audio.blogspot.<strong>com</strong>/१७. िवदेह थम मैिथली पािक ई पिका वीिडयो आकइवhttp://videha-video.blogspot.<strong>com</strong>/१८. िवदेह थम मैिथली पािक ई पिका िमिथला िचकला, आधुिनक कलाआ िचकलाhttp://videha-paintings-photos.blogspot.<strong>com</strong>/१९. मैिथल आर िमिथला (मैिथलीक सभसँ लोकिय जालवृ)http://maithilaurmithila.blogspot.<strong>com</strong>/209


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>२०.ुित काशनhttp://www.shruti-publication.<strong>com</strong>/२१.http://groups.google.<strong>com</strong>/group/videha<strong>VIDEHA</strong> केर सदयता िलअईमेल :???? ???एिह समूहपर जाऊ२२.http://groups.yahoo.<strong>com</strong>/group/<strong>VIDEHA</strong>/Subscribe to <strong>VIDEHA</strong>enter email addressPowered by us.groups.yahoo.<strong>com</strong>210


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>२३.गजे ठाकुर इ डेसhttp://gajendrathakur123.blogspot.<strong>com</strong>२४.िवदेह रेिडयो:मैिथली कथा-किवता आिदक पिहल पोडकाट साइटhttp://videha123radio.wordpress.<strong>com</strong>/२५. नेना भुटकाhttp://mangan-khabas.blogspot.<strong>com</strong>/महवपूण सूचना:(१) 'िवदेह' ारा धारावािहक पे ई-कािशत कएल गेलगजे ठाकुरक िनबध-बध-समीा, उपयास (सहबाढ़िन) , प-संह(सहादीक चौपड़पर), कथा-गप (गप-गुछ), नाटक(संकषण), महाकाय(वचाहच आ असाित मन) आ बाल-िकशोर सािहय िवदेहमे संपूण ई-काशनक बाद िंट फॉममे। कुेम्–अतमनक खड-१ सँ ७ CombinedISBN No.978-81-907729-7-6 िववरण एिह पृपर नीचमे आ काशककसाइट http://www.shruti-publication.<strong>com</strong>/ पर ।महवपूण सूचना (२):सूचना: िवदेहक मैिथली-अंेजी आ अंेजी मैिथली कोष(इंटरनेटपर पिहल बेर सच-िडशनरी) एम.एस. एस.यू .एल. सवर आधािरत -Based on ms-sql server Maithili-English and English-MaithiliDictionary. िवदेहक भाषापाक- रचनालेखन तंभमे।211


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>कुेम् अतमनक- गजे ठाकुरगजे ठाकुरक िनबध-बध-समीा, उपयास (सहबाढ़िन) , प-संह(सहादीक चौपड़पर), कथा-गप (गप गुछ), नाटक(संकषण), महाकाय(वचाहच आ असाित मन) आ बालमंडली-िकशोरजगत िवदेहमे संपूण ई-काशनक बाद िंट फॉममे। कुेम्–अतमनक, खड-१ सँ ७Ist edition 2009 of Gajendra Thakur’s KuruKshetram-Antarmanak (Vol. I to VII)- essay-paper-criticism, novel,poems, story, play, epics and Children-grown-ups literaturein single binding:Language:Maithili६९२ पृ : मूय भा. . 100/-(for individual buyers inside india)(add courier charges Rs.50/-per copy for Delhi/NCR andRs.100/- per copy for outside Delhi)For Libraries and overseas buyers $40 US (includingpostage)The book is AVAILABLE FOR PDF DOWNLOAD AThttps://sites.google.<strong>com</strong>/a/videha.<strong>com</strong>/videha/212


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>http://videha123.wordpress.<strong>com</strong>/Details for purchase available at print-version publishers'ssitewebsite: http://www.shruti-publication.<strong>com</strong>/or you may write toe-mail:shruti.publication@shruti-publication.<strong>com</strong>िवदेह: सदेह : १: २: ३: ४ ितरहुता : देवनागरी "िवदेह" क, िंट संकरण:िवदेह-ई-पिका (http://www.videha.co.in/) क चुनल रचना सिमिलत।िवदेह:सदेह:१: २: ३: ४सपादक: गजे ठाकुर।213


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>Details for purchase available at print-version publishers'ssite http://www.shruti-publication.<strong>com</strong> or you may write toshruti.publication@shruti-publication.<strong>com</strong>२. संदेश-[ िवदेह ई-पिका, िवदेह:सदेह िमिथलार आ देवनागरी आ गजे ठाकुरक सात खडक-िनबध-बध-समीा,उपयास (सहबाढ़िन) , प-संह (सहादीक चौपड़पर), कथा-गप(गप गुछ), नाटक (संकषण), महाकाय (वचाहच आ असाित मन) आ बाल-मंडली-िकशोर जगत- संह कुेम् अंतमनक माद। ]१.ी गोिवद झा- िवदेहक तरंगजालपर उतािर िवभिरमे मातृभाषा मैिथलीकलहिर जगाओल, खेद जे अपनेक एिह महािभयानमे हम एखन धिर संग निह दएसकलहुँ। सुनैत छी अपनेक सुझाओ आ रचनामक आलोचना िय लगैत अिछत िकछु िलखक मोन भेल। हमर सहायता आ सहयोग अपनेक सदा उपलधरहत।२.ी रमानद रेणु- मैिथलीमे ई-पिका पािक प चला कऽ जे अपनमातृभाषाक चार कऽ रहल छी, से धयवाद । आग अपनेक समत मैिथलीककायक हेतु हम हृदयसँ शुभकामना दऽ रहल छी।३.ी िवानाथ झा "िविदत"- संचार आ ौोिगकीक एिह ितपध लोबल युगमेअपन मिहमामय "िवदेह"क अपना देहमे कट देिख जतबा सता आ संतोषभेल, तकरा कोनो उपलध "मीटर"सँ निह नापल जा सकैछ? ..एकर ऐितहािसक214


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>मूयकन आ सकृितक ितफलन एिह शतादीक अंत धिर लोकक नजिरमेआयजनक पसँ कट हैत।४. ो. उदय नारायण िसंह "निचकेता"- जे काज अह कए रहल छी तकरचरचा एक िदन मैिथली भाषाक इितहासमे होएत। आनद भए रहल अिछ, ईजािन कए जे एतेक गोट मैिथल "िवदेह" ई जनलक पिढ़ रहल छिथ।...िवदेहकचालीसम अंक पुरबाक लेल अिभनदन।५. डॉ. गंगेश गुंजन- एिह िवदेह-कममे लािग रहल अहक सवेदनशील मन,मैिथलीक ित समिपत मेहनितक अमृत रंग, इितहास मे एक टा िविश फराकअयाय आरंभ करत, हमरा िवास अिछ। अशेष शुभकामना आ बधाइक स,सनेह...अहक पोथी कुेम् अंतमनक थम दृया बहुत भय तथा उपयोगीबुझाइछ। मैिथलीमे तँ अपना वपक ायः ई पिहले एहन भय अवतारकपोथी िथक। हषपूण हमर हािदक बधाई वीकार करी।६. ी रामाय झा "रामरंग"(आब वगय)- "अपना" िमिथलासँ संबंिधत...िवषयवतुसँ अवगत भेलहुँ।...शेष सभ कुशल अिछ।७. ी जे िपाठी- सािहय अकादमी- इंटरनेट पर थम मैिथली पािकपिका "िवदेह" केर लेल बधाई आ शुभकामना वीकार क।८. ी फुलकुमार िसंह "मौन"- थम मैिथली पािक पिका "िवदेह" ककाशनक समाचार जािन कनेक चिकत मुदा बेसी आािदत भेलहुँ। कालचकपकिड़ जािह दूरदृिक पिरचय देलहुँ, ओिह लेल हमर मंगलकामना।९.डॉ. िशवसाद यादव- ई जािन अपार हष भए रहल अिछ, जे नव सूचना-ाितक ेमे मैिथली पकािरताक वेश िदअएबाक साहिसक कदम उठाओल215


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>अिछ। पकािरतामे एिह कारक नव योगक हम वागत करैत छी, संगिह"िवदेह"क सफलताक शुभकामना।१०. ी आाचरण झा- कोनो प-पिकाक काशन- ताहूमे मैिथली पिकाककाशनमे के कतेक सहयोग करताह- ई तऽ भिवय कहत। ई हमर ८८ वषमे७५ वषक अनुभव रहल। एतेक पैघ महान यमे हमर ापूण आहुित ातहोयत- यावत ठीक-ठाक छी/ रहब।११. ी िवजय ठाकुर- िमिशगन िविवालय- "िवदेह" पिकाक अंक देखलहुँ,सपूण टीम बधाईक पा अिछ। पिकाक मंगल भिवय हेतु हमर शुभकामनावीकार कएल जाओ।१२. ी सुभाषच यादव- ई-पिका "िवदेह" क बारेमे जािन सता भेल।’िवदेह’ िनरतर पलिवत-पुिपत हो आ चतुिदक अपन सुगंध पसारय से कामनाअिछ।१३. ी मैिथलीपु दीप- ई-पिका "िवदेह" केर सफलताक भगवतीसँ कामना।हमर पूण सहयोग रहत।१४. डॉ. ी भीमनाथ झा- "िवदेह" इटरनेट पर अिछ त "िवदेह" नाम उिचतआर कतेक प एकर िववरण भए सकैत अिछ। आइ-काि मोनमे उेग रहैतअिछ, मुदा शी पूण सहयोग देब।कुेम् अतमनक देिख अित सताभेल। मैिथलीक लेल ई घटना छी।१५. ी रामभरोस कापिड़ "मर"- जनकपुरधाम- "िवदेह" ऑनलाइन देिख रहलछी। मैिथलीक अतरीय जगतमे पहुँचेलहुँ तकरा लेल हािदक बधाई। िमिथलार सभक संकलन अपूव। नेपालोक सहयोग भेटत, से िवास करी।216


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>१६. ी राजनदन लालदास- "िवदेह" ई-पिकाक मायमसँ बड़ नीक काज कएरहल छी, नाितक अिहठाम देखलहुँ। एकर वािषक अ ◌ंक जखन िं ट िनकालब तँहमरा पठायब। कलकामे बहुत गोटेक हम साइटक पता िलखाए देने िछयिह।मोन तँ होइत अिछ जे िदली आिब कए आशीवद दैतहुँ, मुदा उमर आब बेशीभए गेल। शुभकामना देश-िवदेशक मैिथलक जोड़बाक लेल।.. उकृ काशनकुेम् अंतमनक लेल बधाइ। अुत काज कएल अिछ, नीक तुित अिछसात खडमे। मुदा अहक सेवा आ से िनःवाथ तखन बूझल जाइत जँ अहारा कािशत पोथी सभपर दाम िलखल निह रिहतैक। ओिहना सभक िवलिहदेल जइतैक। (पीकरण- ीमान्, अहक सूचनाथ िवदेह ारा ई-कािशतकएल सभटा सामी आकइवमेhttps://sites.google.<strong>com</strong>/a/videha.<strong>com</strong>/videha-pothi/ पर िबनामूयक डाउनलोड लेल उपलध छै आ भिवयमे सेहो रहतैक। एिह आकइवकजे िकयो काशक अनुमित लऽ कऽ िंट पमे कािशत कएने छिथ आ तकरओ दाम रखने छिथ तािहपर हमर कोनो िनयंण निह अिछ।- गजे ठाकुर)...अहक ित अशेष शुभकामनाक संग।१७. डॉ. ेमशंकर िसंह- अह मैिथलीमे इंटरनेटपर पिहल पिका "िवदेह"कािशत कए अपन अुत मातृभाषानुरागक पिरचय देल अिछ, अहक िनःवाथमातृभाषानुरागसँ ेिरत छी, एकर िनिम जे हमर सेवाक योजन हो, तँ सूिचतकरी। इंटरनेटपर आोपत पिका देखल, मन फुिलत भऽ गेल।१८.ीमती शेफािलका वम- िवदेह ई-पिका देिख मोन उलाससँ भिर गेल।िवान कतेक गित कऽ रहल अिछ...अह सभ अनत आकाशक भेिद िदयौ,समत िवतारक रहयक तार-तार कऽ िदयौक...। अपनेक अुत पुतककुेम् अंतमनक िवषयवतुक दृिसँ गागरमे सागर अिछ। बधाई।217


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>१९.ी हेतुकर झा, पटना-जािह समपण भावसँ अपने िमिथला-मैिथलीक सेवामेतपर छी से तुय अिछ। देशक राजधानीसँ भय रहल मैिथलीक शंखनादिमिथलाक गाम-गाममे मैिथली चेतनाक िवकास अवय करत।२०. ी योगानद झा, किबलपुर, लहेिरयासराय- कुेम् अंतमनक पोथीकिनकटसँ देखबाक अवसर भेटल अिछ आ मैिथली जगतक एकटा उट ओसमसामियक दृिसप हतारक कलमबद पिरचयसँ आािदत छी। "िवदेह"कदेवनागरी सँकरण पटनामे . 80/- मे उपलध भऽ सकल जे िविभ लेखकलोकिनक छायािच, पिरचय पक ओ रचनावलीक सयक काशनसँ ऐितहािसककहल जा सकैछ।२१. ी िकशोरीकात िम- कोलकाता- जय मैिथली, िवदेहमे बहुत रास किवता,कथा, िरपोट आिदक सिच संह देिख आ आर अिधक सता िमिथलारदेिख- बधाई वीकार कएल जाओ।२२.ी जीवकात- िवदेहक मुित अंक पढ़ल- अुत मेहनित। चाबस-चाबस।िकछु समालोचना मरखाह..मुदा सय।२३. ी भालच झा- अपनेक कुेम् अंतमनक देिख बुझाएल जेना हमअपने छपलहुँ अिछ। एकर िवशालकाय आकृित अपनेक सवसमावेशताकपिरचायक अिछ। अपनेक रचना सामयमे उरोर वृि हो, एिह शुभकामनाकसंग हािदक बधाई।२४.ीमती डॉ नीता झा- अहक कुेम् अंतमनक पढ़लहुँ। योितरीरशदावली, कृिष मय शदावली आ सीत बसत आ सभ कथा, किवता,उपयास, बाल-िकशोर सािहय सभ उम छल। मैिथलीक उरोर िवकासकलय दृिगोचर होइत अिछ।218


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>२५.ी मायानद िम- कुेम् अंतमनक मे हमर उपयास ीधनक जेिवरोध कएल गेल अिछ तकर हम िवरोध करैत छी।... कुेम् अंतमनकपोथीक लेल शुभकामना।(ीमान् समालोचनाक िवरोधक पमे निह लेल जाए।-गजे ठाकुर)२६.ी महे हजारी- सपादक ीिमिथला- कुेम् अंतमनक पिढ़ मोन हिषतभऽ गेल..एखन पूरा पढ़यमे बहुत समय लागत, मुदा जतेक पढ़लहुँ से आािदतकएलक।२७.ी केदारनाथ चौधरी- कुेम् अंतमनक अुत लागल, मैिथली सािहयलेल ई पोथी एकटा ितमान बनत।२८.ी सयानद पाठक- िवदेहक हम िनयिमत पाठक छी। ओकर वपकशंसक छलहुँ। एहर अहक िलखल - कुेम् अंतमनक देखलहुँ। मोनआािदत भऽ उठल। कोनो रचना तरा-उपरी।२९.ीमती रमा झा-सपादक िमिथला दपण। कुेम् अंतमनक िंट फॉम पिढ़आ एकर गुणवा देिख मोन स भऽ गेल, अुत शद एकरा लेल युत कऽरहल छी। िवदेहक उरोर गितक शुभकामना।३०.ी नरे झा, पटना- िवदेह िनयिमत देखैत रहैत छी। मैिथली लेल अुतकाज कऽ रहल छी।३१.ी रामलोचन ठाकुर- कोलकाता- िमिथलार िवदेह देिख मोन सतासँ भिरउठल, अंकक िवशाल पिरदृय आवतकारी अिछ।219


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>३२.ी तारानद िवयोगी- िवदेह आ कुेम् अंतमनक देिख चकिबदोर लािगगेल। आय। शुभकामना आ बधाई।३३.ीमती ेमलता िम “ेम”- कुेम् अंतमनक पढ़लहुँ। सभ रचनाउचकोिटक लागल। बधाई।३४.ी कीितनारायण िम- बेगूसराय- कुेम् अंतमनक बड नीक लागल,आगक सभ काज लेल बधाई।३५.ी महाकाश-सहरसा- कुेम् अंतमनक नीक लागल, िवशालकाय संगिहउमकोिटक।३६.ी अिनपुप- िमिथलार आ देवार िवदेह पढ़ल..ई थम तँ अिछ एकराशंसामे मुदा हम एकरा दुसाहिसक कहब। िमिथला िचकलाक तभक मुदाअिगला अंकमे आर िवतृत बनाऊ।३७.ी मंजर सुलेमान-दरभंगा- िवदेहक जतेक शंसा कएल जाए कम होएत।सभ चीज उम।३८.ीमती ोफेसर वीणा ठाकुर- कुेम् अंतमनक उम, पठनीय,िवचारनीय। जे यो देखैत छिथ पोथी ात करबाक उपाय पुछैत छिथ।शुभकामना।३९.ी छानद िसंह झा- कुेम् अंतमनक पढ़लहुँ, बड नीक सभ तरह।४०.ी ताराकात झा- सपादक मैिथली दैिनक िमिथला समाद- िवदेह तँ कटेटोवाइडरक काज कऽ रहल अिछ। कुेम् अंतमनक अुत लागल।220


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>४१.डॉ रवी कुमार चौधरी- कुेम् अंतमनक बहुत नीक, बहुत मेहनितकपिरणाम। बधाई।४२.ी अमरनाथ- कुेम् अंतमनक आ िवदेह दुनू मरणीय घटना अिछ,मैिथली सािहय मय।४३.ी पंचानन िम- िवदेहक वैिवय आ िनरतरता भािवत करैत अिछ,शुभकामना।४४.ी केदार कानन- कुेम् अतमनक लेल अनेक धयवाद, शुभकामना आबधाइ वीकार करी। आ निचकेताक भूिमका पढ़लहुँ। शुमे तँ लागल जेनाकोनो उपयास अह ारा सृिजत भेल अिछ मुदा पोथी उनटौला पर ात भेलजे एिहमे तँ सभ िवधा समािहत अिछ।४५.ी धनाकर ठाकुर- अह नीक काज कऽ रहल छी। फोटो गैलरीमे िचएिह शतादीक जमितिथक अनुसार रहैत तऽ नीक।४६.ी आशीष झा- अहक पुतकक संबंधमे एतबा िलखबा सँ अपना कए निहरोिक सकलहुँ जे ई िकताब मा िकताब निह थीक, ई एकटा उमीद छी जेमैिथली अह सन पुक सेवा सँ िनरंतर समृ होइत िचरजीवन कए ातकरत।४७.ी शभु कुमार िसंह- िवदेहक तपरता आ ियाशीलता देिख आािदत भऽरहल छी। िनितपेण कहल जा सकैछ जे समकालीन मैिथली पिकाकइितहासमे िवदेहक नाम वणरमे िलखल जाएत। ओिह कुेक घटना सभतँ अठारहे िदनमे खतम भऽ गेल रहए मुदा अहक कुेम् तँ अशेष अिछ।221


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>४८.डॉ. अजीत िम- अपनेक यासक कतबो श ंसा कएल जाए कमे होएतैक।मैिथली सािहयमे अह ारा कएल गेल काज युग-युगातर धिर पूजनीय रहत।४९.ी बीरे मिलक- अहक कुेम् अतमनक आ िवदेह:सदेह पिढ़ अितसता भेल। अहक वाय ठीक रहए आ उसाह बनल रहए से कामना।५०.ी कुमार राधारमण- अहक िदशा-िनदशमे िवदेह पिहल मैिथली ई-जनल देिखअित सता भेल। हमर शुभकामना।५१.ी फूलच झा वीण-िवदेह:सदेह पढ़ने रही मुदा कुेम् अतमनक देिखबढ़ाई देबा लेल बाय भऽ गेलहुँ। आब िवास भऽ गेल जे मैिथली निह मरत।अशेष शुभकामना।५२.ी िवभूित आनद- िवदेह:सदेह देिख, ओकर िवतार देिख अित सताभेल।५३.ी मानेर मनुज-कुेम् अतमनक एकर भयता देिख अित सता भेल,एतेक िवशाल थ मैिथलीमे आइ धिर निह देखने रही। एिहना भिवयमे काजकरैत रही, शुभकामना।५४.ी िवानद झा- आइ.आइ.एम.कोलकाता- कुेम् अतमनक िवतार,छपाईक संग गुणवा देिख अित सता भेल। अहक अनेक धयवाद; कतेकबरखसँ हम नेयारैत छलहुँ जे सभ पैघ शहरमे मैिथली लाइेरीक थापना होअए,अह ओकरा वेबपर कऽ रहल छी, अनेक धयवाद।५५.ी अरिवद ठाकुर-कुेम् अतमनक मैिथली सािहयमे कएल गेल एिहतरहक पिहल योग अिछ, शुभकामना।222


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>५६.ी कुमार पवन-कुेम् अतमनक पिढ़ रहल छी। िकछु लघुकथा पढ़लअिछ, बहुत मािमक छल।५७. ी दीप िबहारी-कुेम् अतमनक देखल, बधाई।५८.डॉ मिणकात ठाकुर-कैिलफोिनया- अपन िवलण िनयिमत सेवासँ हमरालोकिनक हृदयमे िवदेह सदेह भऽ गेल अिछ।५९.ी धीरे ेमिष- अहक समत यास सराहनीय। दुख होइत अिछ जखनअहक यासमे अपेित सहयोग निह कऽ पबैत छी।६०.ी देवशंकर नवीन- िवदेहक िनरतरता आ िवशाल वप- िवशाल पाठकवग, एकरा ऐितहािसक बनबैत अिछ।६१.ी मोहन भाराज- अहक समत काय देखल, बहुत नीक। एखन िकछुपरेशानीमे छी, मुदा शी सहयोग देब।६२.ी फजलुर रहमान हाशमी-कुेम् अतमनक मे एतेक मेहनतक लेल अहसाधुवादक अिधकारी छी।६३.ी लमण झा "सागर"- मैिथलीमे चमकािरक प अहक वेश आादकारीअिछ।..अहक एखन आर..दूर..बहुत दूरधिर जेबाक अिछ। वथ आ सरही।६४.ी जगदीश साद मंडल-कुेम् अतमनक पढ़लहुँ । कथा सभ आउपयास सहबाढ़िन पूणप पिढ़ गेल छी। गाम-घरक भौगोिलक िववरणक जेसूम वणन सहबाढ़िनमे अिछ, से चिकत कएलक, एिह संहक कथा-उपयास223


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>मैिथली लेखनमे िविवधता अनलक अिछ। समालोचना शामे अहक दृिवैयितक निह वरन् सामािजक आ कयाणकारी अिछ, से शंसनीय।६५.ी अशोक झा-अय िमिथला िवकास पिरषद- कुेम् अतमनक लेलबधाई आ आग लेल शुभकामना।६६.ी ठाकुर साद मुमु- अुत यास। धयवादक संग ाथना जे अपन मािट-पािनक यानमे रािख अंकक समायोजन कएल जाए। नव अंक धिर याससराहनीय। िवदेहक बहुत-बहुत धयवाद जे एहेन सुदर-सुदर सचार (आलेख)लगा रहल छिथ। सभटा हणीय- पठनीय।६७.बुिनाथ िम- िय गजे जी,अहक सपादन मे कािशत ‘िवदेह’आ‘कुेम् अंतमनक’ िवलण पिका आ िवलण पोथी! की निह अिछ अहकसपादनमे? एिह य सँ मैिथली क िवकास होयत,िनसंदेह।६८.ी बृखेश च लाल- गजेजी, अपनेक पुतक कुेम् अंतमनक पिढ़मोन गदगद भय गेल , हृदयसँ अनुगृिहत छी । हािदक शुभकामना ।६९.ी परमेर कापिड़ - ी गजे जी । कुेम् अंतमनक पिढ़ गदगद आनेहाल भेलहुँ।७०.ी रवीनाथ ठाकुर- िवदेह पढ़ैत रहैत छी। धीरे ेमिषक मैिथलीगजलपर आलेख पढ़लहुँ। मैिथली गजल कऽ सँ कऽ चिल गेलैक आ ओअपन आलेखमे मा अपन जानल-पिहचानल लोकक चच कएने छिथ। जेनामैिथलीमे मठक परपरा रहल अिछ। (पीकरण- ीमान्, ेमिष जी ओिहआलेखमे ई प िलखने छिथ जे िकनको नाम जे छुिट गेल छिह तँ से माआलेखक लेखकक जानकारी निह रहबाक ारे, एिहमे आन कोनो कारण निह224


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>देखल जाय। अहसँ एिह िवषयपर िवतृत आलेख सादर आमंित अिछ।-सपादक)७१.ी मंेर झा- िवदेह पढ़ल आ संगिह अहक मैगनम ओपस कुेम्अंतमनक सेहो, अित उम। मैिथलीक लेल कएल जा रहल अहक समतकाय अतुलनीय अिछ।७२. ी हरेकृण झा- कुेम् अंतमनक मैिथलीमे अपन तरहक एकमा थअिछ, एिहमे लेखकक सम दृि आ रचना कौशल देखबामे आएल जे लेखककफीडवकसँ जुड़ल रहबाक कारणसँ अिछ।७३.ी सुकात सोम- कुेम् अंतमनक मे समाजक इितहास आ वतमानसँअहक जुड़ाव बड नीक लागल, अह एिह ेमे आर आग काज करब सेआशा अिछ।७४.ोफेसर मदन िम- कुेम् अंतमनक सन िकताब मैिथलीमे पिहले अिछआ एतेक िवशाल संहपर शोध कएल जा सकैत अिछ। भिवयक लेलशुभकामना।७५.ोफेसर कमला चौधरी- मैिथलीमे कुेम् अंतमनक सन पोथी आबए जेगुण आ प दुनूमे िनसन होअए, से बहुत िदनसँ आका छल, ओ आब जाकऽ पूण भेल। पोथी एक हाथसँ दोसर हाथ घुिम रहल अिछ, एिहना आग सेहोअहसँ आशा अिछ।७६.ी उदय च झा "िवनोद": गजेजी, अह जतेक काज कएलहुँ अिछ सेमैिथलीमे आइ धिर िकयो निह कएने छल। शुभकामना। अहक एखन बहुतकाज आर करबाक अिछ।225


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>७७.ी कृण कुमार कयप: गजे ठाकुरजी, अहसँ भट एकटा मरणीय णबिन गेल। अह जतेक काज एिह बएसमे कऽ गेल छी तािहसँ हजार गुणा आरबेशीक आशा अिछ।७८.ी मिणकात दास: अहक मैिथलीक कायक शंसा लेल शद निह भेटैतअिछ। अहक कुेम् अतमनक सपूण प पिढ़ गेलहुँ। वचाहच बडनीक लागल।७९. ी हीरे कुमार झा- िवदेह ई-पिकाक सभ अंक ई-पसँ भेटैत रहैतअिछ। मैिथलीक ई-पिका छैक एिह बातक गव होइत अिछ। अह आ अहकसभ सहयोगीक हािदक शुभकामना।िवदेहमैिथली सािहय आदोलन(c)२००४-११. सविधकार लेखकाधीन आ जतय लेखकक नाम निह अिछ ततयसंपादकाधीन। िवदेह- थम मैिथली पािक ई-पिका <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong><strong>VIDEHA</strong> सपादक: गजे ठाकुर। सह-सपादक: उमेश मंडल। सहायकसपादक: िशव कुमार झा आ मुाजी (मनोज कुमार कण)। भाषा-सपादन:नागे कुमार झा आ पीकार िवानद झा। कला-सपादन: योित सुनीत226


िवद ेह Videha िवद ेह थम मैिथली पा िक ई पिक ा Videha Ist MaithiliFortnightly e Magazine 'वदेह' ८५ म अंक ०१ जुलाइ२०११ (वष ४ मास ४३ अंक ८५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिमहसंकृताम् <strong>ISSN</strong> <strong>2229</strong>-<strong>547X</strong> <strong>VIDEHA</strong>चौधरी आ रिम रेखा िसहा। सपादक-शोध-अवेषण: डॉ. जया वम आ डॉ.राजीव कुमार वम।रचनाकार अपन मौिलक आ अकािशत रचना (जकर मौिलकताक संपूणउरदाियव लेखक गणक मय छिह) ggajendra@videha.<strong>com</strong> क मेलअटैचमेटक पम .doc, .docx, .rtf वा .txt फॉमटमे पठा सकैत छिथ।रचनाक संग रचनाकार अपन संित पिरचय आ अपन कैन कएल गेल फोटोपठेताह, से आशा करैत छी। रचनाक अंतमे टाइप रहय, जे ई रचना मौिलकअिछ, आ पिहल काशनक हेतु िवदेह (पािक) ई पिकाक देल जा रहलअिछ। मेल ात होयबाक बाद यथासंभव शी ( सात िदनक भीतर) एकरकाशनक अंकक सूचना देल जायत। ’िवदेह' थम मैिथली पािक ई पिकाअिछ आ एिहमे मैिथली, संकृत आ अंेजीमे िमिथला आ मैिथलीसँ संबंिधतरचना कािशत कएल जाइत अिछ। एिह ई पिकाक ीमित लमी ठाकुर ारामासक ०१ आ १५ ितिथक ई कािशत कएल जाइत अिछ।(c) 2004-11 सविधकार सुरित। िवदेहमे कािशत सभटा रचना आआकइवक सविधकार रचनाकार आ संहकक लगमे छिह। रचनाक अनुवादआ पुनः काशन िकंवा आकइवक उपयोगक अिधकार िकनबाक हेतुggajendra@videha.co.in पर संपक क। एिह साइटक ीित झा ठाकुर,मधूिलका चौधरी आ रिम िया ारा िडजाइन कएल गेल।िसिरतु227

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