02.07.2013 Views

vHkh >jr fcxlr daoy - books

vHkh >jr fcxlr daoy - books

vHkh >jr fcxlr daoy - books

SHOW MORE
SHOW LESS

You also want an ePaper? Increase the reach of your titles

YUMPU automatically turns print PDFs into web optimized ePapers that Google loves.

<strong>vHkh</strong> ><strong>jr</strong> <strong>fcxlr</strong> <strong>daoy</strong><br />

बगीचे से गुजरोगे, फू ल न भी छु ए, तो भी व म फू ल क गंध आ जाएगी। महद<br />

पीसोगे, महद हाथ म लगानी भी न थी, तो भी हाथ रंग जाएंगे।<br />

ससंग म बैठना, जहां फू ल खले ह वहां बैठना है। थोड़ बहत गंध पकड़ ह जाएगी। तुहारे<br />

ु<br />

बावजूद पकड़ जाएगी। और वह गंध तुह अपनी भीतर क गंध के मूलोत क मृित<br />

दलाएगी।<br />

सतगुर-संग न संचरा, रामनाम उर नाहं।<br />

ते घट मरघट सारखा, भूत बसै ता माहं।<br />

दरया काया कारवी, मौसरा है दन चार।<br />

जबलग सांस सरर म, तबलग राम संभार।।<br />

कहते ह: सुनो, समझो। यह शरर तो िमया है, िमट का है। यह तो अब गया तब गया।<br />

यह तो जाने ह वाला है।<br />

दरया काया कारवी...यह तो बस माया का खेल है। यह तो जैसे कसी जादगर ने धोखा दे<br />

ू<br />

दया हो, ऐसा धोखा है।...मौसर है दन चार। और बहत ु ह छोटा अवसर है--दन<br />

चार का।<br />

बस चार दन का अवसर है।<br />

जबलग सांस सरर म, तबलग राम संभार।<br />

इन छोटे से दन म, इन थोड़े से समय म, इन चार दन म, राम को सहाल लो।<br />

जबलग सांस शरर म...और अंत ण तक मरण रखना जब तक ास रहे शरर म तब<br />

तक राम को भूलना मत। राम को याद करते-करते ह जो वदा होता है उसे फर दबारा<br />

ु<br />

वापस देह म नहं आना पड़ता। राम म डूबा-डू बा ह जो जाता है, वह राम म डू ब ह जाता<br />

है, फर उसे लौटना नहं पड़ता। फर उसे वापस संकण नहं होना पड़ता। इस छोट सी देह<br />

के भीतर आब नहं होना पड़ता।<br />

दरया आतम मल भरा, कै से िनमल होय।<br />

साबन लागै ेम का, रामनाम-जल धोय।।<br />

बहत ु गंदगी है,<br />

माना। िनमल करना है इसे, दरया कहते ह। तो दो काम करना: ेम का<br />

साबुन! जतना बन सके उतना ेम करो। जतना दे सको उतना ेम दो। ेम तुहार जीवन<br />

चया हो।<br />

साबन लागै ेम का, रामनाम जल धोय<br />

तो ेम से तो लगाओ साबुन और राम नाम के जल से धोते रहो। ेम और यान, बस दो<br />

बात ह। यान भीतर, ेम बाहर। ेम बांटो और यान सहालो। यान क योित जले और<br />

ेम का काश फै ले, बस पया है। इतना सध गया, सब सध गया। इतना न सधा, तो<br />

चूके अवसर।<br />

दरया सुिमरन राम का, देखत भूली खेल।<br />

धन धन ह वे साधवा, जन लीया मन मेल।।<br />

Page 20 of 359 http://www.oshoworld.com

Hooray! Your file is uploaded and ready to be published.

Saved successfully!

Ooh no, something went wrong!