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<strong>vHkh</strong> ><strong>jr</strong> <strong>fcxlr</strong> <strong>daoy</strong><br />

लाख फू ल खलगे। एक एक य के भीतर इतनी मता है क सारे वेद, सारे कु रान सार<br />

गीताएं, सारे धमपद एक एक य के भीतर खल सकते ह।<br />

दसरा <br />

ू : मानव-जीवन क संत ने इतनी महमा य गाई है?<br />

चैतय ेम! पहली बात, जीवन ह महमावान है। जीवन परमामा क अपूव भट है। जीवन<br />

साद है। तुमने कमाया नहं। तुम गंवा भले रहे होओ, मगर कमाया तुमने नहं। उतरा है,<br />

तुम पर कसी अात लोक से बरसा है। तुमसे कसी ने पूछा तो न था क होना होते हो या<br />

नहं? पूछता भी कै से? जब तुम थे ह नहं तो तुम से पूछता कोई कै से?<br />

जीवन आपने-आप म महमावान है। जीवन से फर सारे ार खुलते ह--फर यान के और<br />

ेम के और मो के और िनवाण के सारे ार जीवन से खुलते ह।<br />

जीवन अवसर है, महत अवसर है! चाहो बना लो, चाहे तो िमटा दो। चाहे गा लो गीत चाहे<br />

तोड़ दो बांसुर। जीवन महान अवसर है।<br />

तो पहली तो बात, जीवन ह अपने-आप म अपूव है। फर मनुय जीवन तो और भी अपूव<br />

है। यक वृ यप जीवत ह, पर बड़े संकण अथ म। और पी भी जीवत ह, थोड़ा<br />

वृ से यादा; लेकन फर भी बड़ सीमा है। पशु भी जीवत ह, पय से शायद थोड़े<br />

यादा; लेकन फर भी बड़ सीमा है। मनुय इस पृवी पर सबसे यादा संभावनाओं को<br />

लेकर पैदा होता है। मनुय इस जगत से सबसे बड़े फू ल के बीज लेकर पैदा होता है।<br />

इसिलए मनुय जीवन क महमा गाई है।<br />

चौराहा है मनुय का जीवन। वहां से राते चुने जा सकते ह। वहां से नक का राता भी चुना<br />

जा सकता है और वग का भी। और राते पास पास ह।<br />

एक झेन फकर के पास पागल का साट िमलने गया था। साट, साट क अकड़! झुका<br />

भी तो झुका नहं। औपचारक था झुकना। फकर से कह: िमलने आया हं<br />

ू, िसफ एक ह <br />

पूछना चाहता हं। ू वह मुझे मथे डालता है। बहत ु से पूछा है;<br />

उर संतु करे कोई,<br />

ऐसा िमला नहं। आप क बड़ खबर सुनी है क आपके भीतर का दया जल गया है। आप,<br />

िनत ह आशा लेकर आया हं क मुझे तृ कर दगे।<br />

ू<br />

फकर ने कहा: यथ क बात छोड़ो, को सीधा रखो। दरबार औपचारकता छोड़ो,<br />

सीधी-सीधी बात करो, नगद!<br />

साट थोड़ा चका: ऐसा तो कोई उस से कभी बोला नहं था! थोड़ा अपमािनत भी हआ ु ,<br />

लेकन बात तो सच थी। फकर ठक ह कह रहा था क यथ लंबाई म य जाते हो? कान<br />

को इतना उटा य पकड़ना? बात करो सीधी, या है तुहारा?<br />

साट ने कहा: मेरा यह है क वग या है और नक या है? म बूढ़ा हो रहा हं और<br />

ू<br />

यह मेरे ऊपर छाया रहता है क मृयु के बाद या होगा--वग या नक?<br />

फकर के पास उसके िशय बैठे थे, उस ने कहा: सुनो, इस बु ू क बात सुनो!<br />

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