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<strong>vHkh</strong> ><strong>jr</strong> <strong>fcxlr</strong> <strong>daoy</strong><br />

बहत गरब है। एक जून रोट भी जुड़ नहं पाती। उसको सामाियक उपलध हो गई है। वह<br />

ु<br />

अगर बेचे तो शायद बेच दे।<br />

यह मजाक ह थी। और जब महावीर जैसा य मजाक करता है तो उसके बड़े मूय होते<br />

ह। साट तण रथ मुंड़वा<br />

िलया। उस गरब आदमी के घर के झोपड़े के सामने जाकर रथ<br />

का। आंख पर भरोसा नहं आया उस मोहले के लोगो को। गरब का मोहला। झोपड़े थे<br />

टटे ू -फू टे। वह गरब आदमी तो एकदम आकर साट के चरण म िसर झुकाया और उसने<br />

कहा क आा हो महाराज, आपको यहां तक आने क या जरत थी? खबर भेज द<br />

होती, म महल हाजर हो जाता।<br />

साट ने कहा क म आया हं सामाियक खरदने। महावीर ने कहा है क तुझे सामाियक<br />

ू<br />

उपलध हो गई है। बेच दे और जो भी तू मूय मांगे, मुंह--मांगा<br />

मूय देने को राजी हं। ू<br />

जैसे महावीर हंसे थे, वैसे ह वह गरब आदमी भी हंसा। उसने कहा: महावीर ने आपसे खूब<br />

मजाक कया। कु छ चीज ह जो कमत से िमलती ह; कु छ चीज ह जनका कमत से कोई<br />

संबंध नहं। सामाियक कु छ वतु थोड़े ह है क म तुह दे दंू? अनुभव है। जैसे ेम अनुभव<br />

है, कै से दे सकते हो? यह तो आंतरकतम अनुभव है; इसे बाहर लाया ह नहं जा सकता।<br />

मेर गदन चाहए तो ले ल। मुझे खरदना हो तो खरद ल। म चल पड़ता हं<br />

ू, आपका<br />

सेवक, पैर दबाता रहंगा। लेकन यान नहं बेचा जा सकता। नहं क म बेचना नहं चाहता<br />

ू<br />

हं<br />

ू, बक वभावतः यान हतांतरत नहं हो सकता है।<br />

मूयवान वे चीज ह जो बेची नहं जा सकतीं। ेम, यान, ाथना, भ, ा--ये बेचने<br />

वाली, बकने वाली चीज नहं ह। ये चीज ह नहं ह। ये अनुभूितयां ह। और के वल मनुय<br />

ह इन अमोलक अनुभूितय को पाने म समथ है। संत ने मनुय क महमा गाई है ताक<br />

तुह याद दलाया जा सके क तुम कतनी बड़ संपदा के मािलक हो सकते हो और हए नहं<br />

ु<br />

अब तक। अब और कतनी देर करनी है?<br />

है कसका यह मौन िनमंण?<br />

दघ ास क पीड़ाओं का<br />

है सााय िछपा अंतर म,<br />

मूक िमलन क मूक पपासा<br />

का खग िनत उड़ता अंबर म,<br />

भरो यथा म आज लोभन,<br />

है कसका यह मौन िनमंण?<br />

उस अतीत क कथा कहानी<br />

ह सुिधय का नीड़ बन गई,<br />

अथहन शैशव क बात<br />

मेरे उर क पीर बन गई,<br />

सुिध-सपन पर करो िनयंण,<br />

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