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और या मांगूं<br />

तुमसे!<br />

<strong>vHkh</strong> ><strong>jr</strong> <strong>fcxlr</strong> <strong>daoy</strong><br />

अपने सारे जहर को भी परमामा के चरण म चढ़ा दो और तुम चकत हो जाओगे क वे<br />

जहर अमृत हो जाते ह। सब चढ़ा दो बेशत, सब समपत कर दो। तुम शूय हो जाओ। सब<br />

समपण करके शूय हो ह जाओगे। उसी शूय म उतरता है परमामा। उसी म बजती है<br />

उसक बनी। उसी म मृदंग पर थाप पड़ती है। तुम पहली दफा अलौकक का अनुभव करते<br />

हो, उस अलौकक का अनुभव सय है। जीवन एक अवसर है; चाहो तो यथ सपने देखते<br />

रहो और चाहो तो सय को जगा लो और सय को जी लो। यथ क सूली पर चाहो तो टंग<br />

जाओ और चाहो तो सय का िसंहासन तुहारा है।<br />

आखर : भगवान!<br />

बिलहार भु आपक<br />

अंतर-यान दलाय।<br />

मंजु! आ जाए अंतर-यान तो सब आ गया, तो सब पा िलया। और लगता है तेर आंख म<br />

देखकर क सुबह यादा दर नहं है<br />

ू , क सुबह करब है, क ाची लाली होने लगी, क<br />

आकाश सूरज के िनकलने क तैयार करने लगा है, क पी अपने घसल म पर फड़फड़ाने<br />

लगे ह, क वृ तीा कर रहे ह, क किलयां खुलने को आतुर ह, क बस सुबह अब<br />

हई ु , अब हई ु !<br />

आ रह है तुझे अंतर यान क मृित, शुभ है, सौभाय है! इस जगत म वे ह धयभागी<br />

ह जह अंतर-यान क याद आने लगे। जह एक बात बार-बार याद आने लगे, दन के<br />

चौबीस घंट म बार-बार याद आने लगे, भीतर जाना है, और जो जब मौका िमल जाए तब<br />

भीतर सरक जाएं।<br />

एक झेन फकर को िनमंत कया था कु छ िम ने भोजन के िलए। सात मंजल मकान।<br />

जापान क कहानी है। अचानक भूकं प आ गया। जापान म भूकं प बहत आते भी ह। भागे<br />

ु<br />

लोग, गृहपित भी भागा। सातवीं मंजल पर कौन के गा, जब भूकं प आया हो। सीढ़य पर<br />

भीड़ हो गई। बहत ु मेहमान इकठे थे,<br />

कोई पचीस मेहमान थे। गृहपित ार पर ह अटका<br />

है। तभी उसे खयाल आया क मुख मेहमान का या हआ ु , उस झेन फकर का या हआ। ु<br />

लौटकर देखा, वह फकर तो अपनी कु स पर पालथी मारकर बैठ गया है। आंख बंद। जैसे<br />

बु क ितभा हो, संगमरमर क ितमा हो--ऐसा शांत, ऐसा िनत! उसका प, उसक<br />

शांित, उसका आनंद--समोहत कर िलया गृहपित को! खंचा चला आया जैसे कोई चुंबक<br />

से<br />

खंचा चला जाता है। बैठे गया फकर के पास।<br />

भूकं प आया और गया। फकर ने आंख खोली। जहां से बात टट ू गई थी भूकं प के कारण,<br />

वह से उसने बात शु कर द। गृहपित ने कहा: मुझे अब कु छ भी याद नहं क हम या<br />

बात कर रहे थे। यह बीच म इतना बड़ा भूकं प हो गया है। सारे नगर म हाहाकार है। इतना<br />

शोरगुल मचा है। इतना बड़ा धका लगा है। मुझे कु छ भी याद नहं--हम कहां, या बात<br />

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