02.07.2013 Views

vHkh >jr fcxlr daoy - books

vHkh >jr fcxlr daoy - books

vHkh >jr fcxlr daoy - books

SHOW MORE
SHOW LESS

You also want an ePaper? Increase the reach of your titles

YUMPU automatically turns print PDFs into web optimized ePapers that Google loves.

अपण करते ह मेरा सब<br />

चमक उठा अब उजला काला;<br />

अब सच या और सपना या है!<br />

सख! मुझम अब अपना या ह!<br />

अपनी पीड़ाएं सख! तेरे<br />

वणम अंचल पर सब लखकर,<br />

मेर वाणी मौन हो गई<br />

एक बार अवराम मचलकर;<br />

अब य से कु छ कहना या है!<br />

सख! मुझम अब अपना या है!<br />

इछाओं के अगम िसंधु म<br />

जीवन कारज लहर बन गए;<br />

सुिध का यान चला जाता है;<br />

भय ितर-ितर कर यार हो गए;<br />

पास दर ू अब रहना या है?<br />

सख! मुझम अब अपना या है!<br />

ओ, पीड़ा क दय पुजारन!<br />

तूने जो वरदान दया है,<br />

तेरा ह तो मधुमय बोझा<br />

बस ण भर को टेक िलया है,<br />

मुझको इसम सहन या है!<br />

सख! मुझम अब अपना या है!<br />

<strong>vHkh</strong> ><strong>jr</strong> <strong>fcxlr</strong> <strong>daoy</strong><br />

एक बार राम के साथ मन का मेल हो जाए, फर अपना या है? फर छोड़ना भी नहं,<br />

फर पकड़ना भी नहं। फर न कु छ याग है, न कु छ भोग है।<br />

फर दहाई सहर म<br />

ु , चोर गए अब भाज।<br />

और जैसे ह यह पता चल जाता है क मन राम म रम गया, क सारे चोर भाग जाते ह।<br />

भीतर के नगर म डुंड िमट जाती है, क अब भाग जाओ; अब यहां रहने म सार नहं,<br />

मािलक आ गया! रोशनी आ गई। अंधेरा भाग जाता है।<br />

फर दहाई ु सहर म,<br />

चोर गए सब भाज।<br />

स फर िम जु भया, हआ राम का राज।।<br />

ु<br />

फर ोध कणा हो जाती है; वासना ाथना हो जाती है; काम राम हो जाता है; जो शु<br />

थे वे िम हो जाते ह। खूब यार परभाषा क है राम राय क! इससे बाहर का कोई संबंध<br />

नहं है।<br />

स फर िम जु भया, हआ ु राम का राज!<br />

Page 24 of 359 http://www.oshoworld.com

Hooray! Your file is uploaded and ready to be published.

Saved successfully!

Ooh no, something went wrong!