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<strong>vHkh</strong> ><strong>jr</strong> <strong>fcxlr</strong> <strong>daoy</strong><br />

विन को तो सुनते ह ह, शूय को भी सुन लेते ह। और मनुय के हाथ पािथव को तो<br />

पकड़ ह लेते ह, अपािथव को भी पकड़ लेते ह।<br />

मनुय अपूव है, अतीय है। इसे तुम अपने अहंकार क घोषणा मत बना लेना। यह तुहारे<br />

अहंकार क घोषणा नहं है। सच पूछो तो यह जो म मनुय क परभाषा कर रहा हं<br />

ू, यह<br />

परभाषा तभी तुहारे जीवन का अनुभव बनेगी जब अहंकार छू टेगा। ऐसा मत सोच लेना क<br />

अहा, म मनुय हं<br />

ू, तो मेर बड़ महमा है! यह तुहार महमा नहं कह रहा हं म<br />

ू --यह<br />

मनुयव क महमा कह रहा हं। यह तुहारे<br />

ू<br />

भीतर जो संभावना िछपी है उसक महमा का<br />

गीत गा रहा हं<br />

ू--तुम जो हो सकते हो; जो तुह होना ह चाहए; जो तुमम जरा बोध हो<br />

तो तुम जर हो ह जाओगे; जो अपरहाय है, अगर तुम म जरा सोच हो, जरा समझ हो।<br />

पूछते हो तुम क मानव जीवन क संत ने इतनी महमा य गाई है?<br />

एक तो जीवन महमावान, फर वह भी मानव का जीवन। और संत ह गा सकते ह<br />

महमा, यक उहने ह मनुय को उसक परपूणता म देखा है। वैािनक मनुय को<br />

उसक परपूणता म नहं देखता; उसके िलए देह से यादा नहं है। उसे काई आमा मनुय<br />

म नहं िमलती। मनुय एक बहत ु जटल यं है,<br />

बस इतना; इससे यादा नहं। यक<br />

चीर फाड़ करके वैािनक देखता है, कहं आमा पकड़ म आती नहं। और जो पकड़ म न<br />

आए, वान उसे इनकार कर देता है। इसिलए वान मनुय क बहत महमा नहं गा<br />

ु<br />

सकता। अगर वान का भाव बढ़ता चला गया तो मनुय क महमा कम होती चली<br />

जाएगी--कम होती गई।<br />

ाचीन समय म जानने वाले कहते थे: मनुय देवताओं से जरा नीचे है। और वैािनक से<br />

पूछो तो वह कहता है: मनुय बंदर से जरा ऊपर। बहत ु फक हो गया--देवताओं<br />

से जरा<br />

नीचे, और बंदर से जरा ऊपर! यह भी शायद वैािनक बना बंदर से पूछे कह रहा है; नहं<br />

तो बंदर कहगे क मनुय और हम से जरा ऊपर! कहां हम वृ पर और कहां तुम जमीन<br />

पर! हमसे भी नीचे।--<br />

यह तो डावन का मनुय है, जो कह रहा है क मनुय बंदर से वकिसत हआ है। बंदर<br />

ु<br />

कु छ और कहते ह। वे मानते ह: मनुय बंदर का पतन है। है भी पतन। जरा कसी बंदर से<br />

टकर लेकर देखो, तो पता चल जाएगा। न उतनी श है, न उस तरह क छलांग भर<br />

सकते हो, न एक वृ से दसरे ू वृ पर कू द सकते हो,<br />

न वृ पर रह सकते हो। या पा<br />

िलया है? बंदर से बहत कमजोर हो गए हो। बंदर<br />

ु से पूछा जाए तो वे कु छ और कहगे। वे<br />

हंसगे, खलखलाएंगे।<br />

मने एक कहानी सुनी है। एक टोपय को बेचने वाला सौदागर लौट रहा था मेले से टोपयां<br />

बेचकर। चुनाव करब आते थे और गांधी टोपयां खूब बक रह थीं। सौदागर खूब कमाई कर<br />

रहा था। दनभर गांधी टोपयां बक थीं। थका था,राह म एक वृ के नीचे बरगद के एक<br />

वृ के नीचे थोड़ देर वाम को का। थकान ऐसी थी, ठंड हवा, वृ क छाया, झपक<br />

लग गई। जब आंख खुली तो जस पटार म टोपयां कु छ और बच गई थीं, वह खुली पड़<br />

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