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<strong>vHkh</strong> ><strong>jr</strong> <strong>fcxlr</strong> <strong>daoy</strong><br />

के माग से जाना है--उनके माग पर अनुभूित तो वह है िनर-अहंकारता क, लेकन<br />

अनुभूित को अिभय देने का शद अलग है। वे परमामा क बात करगे।<br />

इन शद से बड़ा ववाद पैदा हआ है। म अपने संयािसय को चाहता हं इस ववाद म मत<br />

ु ू<br />

पड़ना। सब ववाद अधािमक ह। ववाद म श मत गंवाना। तुह जो िचकर लगे--अगर<br />

यान िचकर लगे यान, अगर भ िचकर लगे भ। मुझे दोन अंगीकार ह। और कु छ<br />

लोग ऐसे भी हगे जह दोन एक साथ िचकर लगगे; वे भी घबड़ाएं न।<br />

बहत ु से मेरे पास आते ह क हम ाथना भी अछ लगती है,<br />

यान भी अछा लगता<br />

है! य चुने? दोन अछे लगते ह तो फर तो कहना ह या! सोने म सुगंध। फर तो<br />

तुहारे ऊपर ऐसा रस बरसेगा जैसा अके ले यानी पर भी नहं बरसता और अके ले भ पर<br />

भी नहं बरसता। तुहारे भीतर तो दोन फू ल एक साथ खलगे। तुहारे भीतर तो दोन दए<br />

एक साथ जलगे। तुहार अनुभूित तो परम अनुभूित होगी।<br />

मेर चेा यह है क ेम और यान संयु हो जाएं और धीरे-धीरे अिधकतम लोग दोन<br />

पंख को फै लाएं और आकाश म उड़। जब पंख को फै लाकर लोग पहंच ु गए सूरज तक,<br />

तो<br />

जसके पास दोन पंख हगे उसका तो कहना ह या!<br />

मगर बात नहं, मोहन भारती! अपनी पीठ थपथपा कर सन मत हो लेना क मेर बात<br />

से चोट पड़। चोट खो न जाए, चोट पड़ती ह रहे, और गहन होती जाए। चोट को झेलते<br />

ह जाना। लगते-लगते ह तीर लग पाएगा। होते-होते ह बात हो पाएगी। बहत ु बार चूकोगे ,<br />

वाभावक है; उससे पााप भी मत करना जम-जम से चूके हो, चूकना तुहार<br />

आदत का हसा हो गया है।<br />

घबड़ाना भी मत, यक जो पहंचे ु ह वे भी बहत ु चूक-चूक<br />

कर पहंचे ु ह। कोई महावीर<br />

तुमसे कम नहं चूके थे। कोई दरया तुमसे कम नहं चूके थे। अनंत-अनंत काल तक चूकते<br />

रहे। आर फर एक दन पहंचना ु हआ। ु तुम भी अनंत काल से चूकते रहे हो,<br />

एक दन<br />

पहंचना ु हो सकता है। और चूकने वाले पहंच ु गए,<br />

तुम भी पहंच ु सकते हो। मगर जीवन<br />

बदलता है अनुभव से, अनुभूित से।<br />

एक िम ने पूछा है क आपने कहा क जड़वत गायी का पाठ करते रहने से कु छ सार<br />

नहं। तो उहने कहा है क म तो यहां आपके आम म भी लोग को जड़वत यान करते<br />

देख रहा हं<br />

ू, इससे या सार है?<br />

भाई मेरे, तुमने यान कया? तुम कै से देखोगे दसर को क वे जड़वत यान कर रहे है या<br />

ू<br />

आमवत? न तो तुमने गायी पढ़ है और पढ़ होगी तो जड़वत ह पढ़ होगी, अयथा<br />

यहां य आते? अगर गायी का फू ल तुहारे भीतर खल गया होता तो यहां य आते,<br />

बात खम हो गई! इलाज हो गया, फर िचकसक क तलाश नहं होती। यहां आए हो तो<br />

गायी अगर पढ़ होगी तो जड़वत पढ़ होगी।<br />

और यहां तुम दसर ू को देखते हो यान करते!<br />

दसर ू को देखने से कु छ भी न होगा। कै से<br />

जानोगे? अगर दो ेमी एक-दसरे को गले लगा रहे ह तो कै से तुम जानोगे क वतुतः गले<br />

ू<br />

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