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िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह

'िवदेह' ५५ म अंक ०१ अ ैल २०१० (वष र् ३ मास २८ अंक ५५)

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<strong>िव</strong> <strong>दे</strong> <strong>ह</strong> <strong>िव</strong><strong>दे</strong><strong>ह</strong> <strong>Videha</strong> <strong>িবেদহ</strong> <strong>िव</strong><strong>दे</strong><strong>ह</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका <strong>Videha</strong> Ist Maithili Fortnightly e Magazine <strong>िव</strong><strong>दे</strong><strong>ह</strong> थम मैिथली पािक्षक '<strong>िव</strong><strong>दे</strong><strong>ह</strong>''<strong>िव</strong><strong>दे</strong><strong>ह</strong>' ५५ म अंक ०१ अैल २०१० (वषर् ३ मास २८ अंक ५५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिम<strong>ह</strong> संस्कृ ताम्तक दृ िसँ <strong>दे</strong>खल जाए तँ सव र्थम कथावु ानकेँ आकृ करैत अिछ। कथावुतँ सश आधार अिछ जाि<strong>ह</strong>पर उपासक कतेक र ंगक साद ठाढ <strong>ह</strong>ोइत अिछ।जाि<strong>ह</strong>मे िजनगीक ास र<strong>ह</strong>ब आवक।उान-पतनमे गंगानंद, यमुनानंद, पंिडत श ंकर, सुिधया, ज्ञानचंद, भोिलया, <strong>िव</strong>सेसर,भोलानाथ, सुकल, िनलमिण, मोि<strong>ह</strong>नी, रीता, म<strong>ह</strong>ंथ रघ ुनाथ दास, लीला, दीनानाथ, गुलाबआिद अक पासँ सित भऽ अंचलक मािम र्क िच उपित भेल अिछ।कथावुमे िबि <strong>ह</strong>ोइत गाम-घर आ टूटैत बेकती सब<strong>ह</strong>क समाकेँ मािम र्क ढंगसँअिभि कएल गेल अिछ। उपासक ार <strong>ह</strong>ोइत अिछ- ‘‘गामे-गाम, कतौअयाम-कीतर्न तँ कतौ नवा<strong>ह</strong>, कतौ ची यज्ञ तँ कतौ स<strong>ह</strong>स् ची यज्ञ <strong>ह</strong>ोइत।िकएक तँ एगार<strong>ह</strong>टा <strong>ह</strong> एकित भऽ गेल अिछ। की <strong>ह</strong>एत की <strong>ह</strong>एत क<strong>ह</strong>बकिठन। एकटा बाल<strong>ह</strong> बाकेँ भे तँ सुखौनी लिग जाइत आ जि<strong>ह</strong>ठाम एगार<strong>ह</strong> <strong>ह</strong>एकित अिछ तइठाम तँ अमा के <strong>ह</strong>एत। परोपा भगवानक नामसँ गदिमसान<strong>ह</strong>ोइत।........ जाधिर लोक कीतर्न म ंडलीक संग म ंडपमे कीतर्न करैत ताधिर घरकसभ सुिध-बिध ु िबसिर म भऽ र<strong>ह</strong>ैत। मुदा घरपर अिबति<strong>ह</strong>.......... बाकेँ बाइस-बेर<strong>ह</strong>ट लेल ठ ुनकब सुिन। थाककेँ दबैत सभ आिखक ँ र <strong>ह</strong>ोइत ब<strong>ह</strong>बैत।’’सामािजक उान करऽ बला बेकतीकेँ गामक एि<strong>ह</strong> पररा आ धािम र्क आडरसँ संधष र्करऽ पडैत अिछ। लेखक अपना पाक ारा अंध<strong>िव</strong>ासकेँ तोिड पिरवतर्न अनबाकयास कए छिथ।साि<strong>ह</strong>क भाषा <strong>ह</strong>ोएबाक चा<strong>ह</strong>ी जन-भाषा। जेकरा साधारण जन स<strong>ह</strong>ज पसँ पचासकए। एि<strong>ह</strong> उपासक भाषा गाम-घरक बोलचालक भाषा अिछ। जेकरा योगकरैत काल स<strong>ह</strong>जि<strong>ह</strong> नव-नव शक िनमा र्ण भऽ गेल अिछ। साधारण जनक बोली आन ूतन शक योग एि<strong>ह</strong> उपासमे चुरताक संग <strong>दे</strong>खल जा सकैत अिछ।कथोपकथनमे स<strong>ह</strong>जता संिक्षता आओर भा<strong>िव</strong>कता अिछ। जेना एि<strong>ह</strong> कथोपकथनपरदृ िपात कएल जा सकैत अिछ-‘‘अगर दसखत कएल नइ <strong>ह</strong>ोइत <strong>ह</strong>ोअए तब?’’37

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