िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह
'िवदà¥à¤¹' ५५ म ठà¤à¤ ०१ ठà¥à¤² २०१० (वष रॠ३ मास २८ ठà¤à¤ ५५)
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<strong>िव</strong> <strong>दे</strong> <strong>ह</strong> <strong>िव</strong><strong>दे</strong><strong>ह</strong> <strong>Videha</strong> <strong>িবেদহ</strong> <strong>िव</strong><strong>दे</strong><strong>ह</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका <strong>Videha</strong> Ist Maithili Fortnightly e Magazine <strong>िव</strong><strong>दे</strong><strong>ह</strong> थम मैिथली पािक्षक '<strong>िव</strong><strong>दे</strong><strong>ह</strong>''<strong>िव</strong><strong>दे</strong><strong>ह</strong>' ५५ म अंक ०१ अैल २०१० (वषर् ३ मास २८ अंक ५५)http://www.videha.co.in/ मानुषीिम<strong>ह</strong> संस्कृ ताम्गामक सभ टोलक लोक, गोिट -पंगरा छोड़ि◌ , बैसारमे आइल। ो. दयानन ्दउिठ कऽ ठाढ़ भऽ क<strong>ह</strong>ए लगलिख न- ‘‘अइ बेरक द ुगा र्-प ूजामे जे घटना गाममेघटल ओ समाजक लेल बड़का कलंक छी। एि<strong>ह</strong> घटनाकेँ जे ि◌ नन ्दा कएल जाए ओतेकम <strong>ह</strong>ोयत। कते गोटे ब ुझैत <strong>ह</strong>ेबइ जे अनगौ ँवा लड़की छल मुदा, ई ब ुझब<strong>ह</strong>मरा सब<strong>ह</strong>क पलायनवादी ि◌ वचार <strong>ह</strong>एत। जइसँ र ंग-<strong>िव</strong> र ंगक अधलासँ अधला घटनार<strong>ह</strong>त आ <strong>ह</strong>म सभ मुँ<strong>ह</strong> तकैत र<strong>ह</strong>ब। तेँ ऐ<strong>ह</strong>न-ऐ<strong>ह</strong>न घटनाकेँ रोकए पड़त।’ ’ि◌ वचि<strong>ह</strong> मे जे ुप <strong>ह</strong>ंगामा करए चा<strong>ह</strong>ैत छल उिठ -उिठ <strong>ह</strong>ल ्ला करए लगल। <strong>ह</strong>ल ्ला<strong>दे</strong>िख सभ उिठ कऽ ठाढ़ भऽ ि◌ वरोध करए लगल। ललबा ो. दयानन ्द िद िशतकलक। दयानन ्द मुँ<strong>ह</strong>क िख तँ नि<strong>ह</strong> बदलल मुदा, रसँ ऑ◌ंिख , किर या मेघजेकॉ◌ं, लटिक कऽ ि◌ नच् चॉ◌ं मुँ<strong>ह</strong>े जर भऽ गेल दलिन । ि◌ बजलोका जेकॉ◌ंललबा चमिक कऽ फॉ◌ंइट चलबए लगल। तीन ूकेँ असकरे ललबा मािर कऽ खसा<strong>दे</strong>लक। जाबे सभ शान ्त भेल ताबे तँ तीन ूक गाल-मुँ<strong>ह</strong> फुइल गेल मुदा, तइयोललबाक गरमी कमल नि<strong>ह</strong> । जि<strong>ह</strong> ना ख ून केिन <strong>ह</strong>ारकेँ आरो ख ून करैक गरमी ख ूनमे िआ बजाइत ति<strong>ह</strong> ना ललबोकेँ भेल। मुदा, चा िद ससँ सभ पकड़ि◌ िघ च-ि◌ घच कातलऽ गेल। द ुन ू <strong>ह</strong>ाथ पकड़ि◌ दयाबाब ू फुसफुसा कऽ क<strong>ह</strong>लिख न- ‘‘अगर समाजमेएक् कोटा बेटा अन ्यायक ि◌ खलाफ अपनाकेँ उत् स कऽ <strong>दे</strong>त तँ सैकड़◌ो बेटाधरतीमाता गोदमे पैदा भऽ जाएत। मन थीर कर<strong>ह</strong>। ओना समाजक सभ तर<strong>ह</strong>कसमस ्याक समाधान खाली मािर ये टा सँ नि<strong>ह</strong> <strong>ह</strong>ोएत आ केवल पनचैित येसँ <strong>ह</strong>एत।ि◌ कएक तँ समस ्या द ू तर<strong>ह</strong>क <strong>ह</strong>ोइत अिछ पि<strong>ह</strong> ल घटना <strong>िव</strong> शेषक पिर सिथ ् ित <strong>िव</strong> शेषक<strong>ह</strong>ोइत जबिक दोसर सा-<strong>िव</strong> शेष वा व ्यवस ्था ि◌ वशेषक <strong>ह</strong>ोइत अिछ । अख ुनका जेसमस ्या अिछ ओ व ्यवस ्था ि◌ वशेषक छी तेँ ऐ<strong>ह</strong>न समस ्याकेँ बलेसँ रोकल जा सकैतअिछ । नि<strong>ह</strong> तँ को नि<strong>ह</strong> को पमे चिल ते र<strong>ह</strong>त, मरत नि<strong>ह</strong> ।’ ’ोफेसर दयानन ्दक ि◌ वचार सुि◌ न ललबा बाजल- ‘‘कक् का, अ<strong>ह</strong>ॉ◌ं लग ि◌ कछुबजैत संकोच <strong>ह</strong>ोइए मुदा, आइ तीन ूक ख ून पी<strong>िव</strong> ि◌ लित ऐक। भले<strong>ह</strong>ी ं ि◌ जनगी भिरज<strong>ह</strong>ले िक अए किट तौ ं। फॉ◌ंिस येपर ि◌ कअए चढ़ि◌ तौ ं। की लऽ कऽ एलौ ं आि◌ क लऽ कऽ जाएब। जखन मरनाइ अछये तँ लड़ि◌ कऽ ि◌ कअए मरब जेसड़ि◌ कऽ मरब।’ ’ललबाक बात सुिन मुस ्कुराइत ो. दयानन ्द क<strong>ह</strong>लिख न- ‘‘अल ्<strong>ह</strong>ोमे लोक गवैतअिछ ‘ रनमे मरे दोख नि<strong>ह</strong> लागे।’ ति<strong>ह</strong> ना म<strong>ह</strong>ाभारतमे व ्यासोबाबा क<strong>ह</strong> छिथ नजे इन ्ासनक अिध कारी वए<strong>ह</strong> छी जे अन ्यायक ि◌ व रनमे ठाढ़ भऽ अपनबिल चढ़◌ौत। मुदा, जे भेल से उिच त भेल। एि<strong>ह</strong> सँ आग ू नि<strong>ह</strong> बढ़<strong>ह</strong>। अगर जँ49