<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका <strong>१</strong> जुलाई २००८ (वषर् <strong>१</strong> मास ७ अंक <strong>१</strong>३)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्रतीश आऽ फूलक बीचमे ई वाा र्लाप चिल रहल छल। बहुत िदनका बाद द ुन ू गोटेकेँ एक दोसरासँ भेँट भेल छलि। ूल आऽ क◌ॉलेजमे संगे-संग द ुन ू गोटे पढ़छलाह। मुदा तकरा बाद सालक साल बीित गेल छल, आऽ आइ चधारी िमिथला क◌ॉलेजमे अपन-अपन बेटाकेँ अिभयािकीक वेश परीक्षा िदअएबाक लेल द ुन ू गोटेआयल छलाह आिक अनायासिह एक-दोसरासँ भेँट भए गेलि। द ुन ू गोटेक बालक परीक्षा ह◌ॉलमे रहिथ से द ुन ू गोटेक लग गप करबाक लेल तीन घा समय छलि।करची कलमसँ िलखना िलखैत-िलखैत रतीश आऽ फूल द ुन ू गोटेक अक्षर सुर भए गेल छलि। रोशनाइक गोटीकेँ गरम पािनमे दए दवातमे दए ओिहमे करची कलमडुबा कए िलखना िलखैत छलाह द ुन ू गोटा। अपन-अपन गामसँ केजरीबाल हाइ ूल पहु ँचैत छ्लाह द ुन ू गोटे। िवज्ञानक ायोिगक कक्षाक क◌ॉपी रतीशक सेहो साफआऽ होइत छलि, मुदा फूलक अक्षर फूल सन सुर होइत छलि। मैिकमे रतीशकेँ थम णी आयल छलि मुदा प ूलकेँ ितीय णी अएलि। आ.एस.सी.केर बाद रतीशतँ इ ंजीिनयिरङमे नाम िलखा लेलि मुदा रतीश पोऑिफसमे िकरानीक करी पकड़ि◌ ले छलाह। आऽ तकर बाद <strong>१</strong>८ साल धिर द ुन ू गोटेकेँ एकदोसरासँ भेँट निह भेल छलि। करी लगलाक बाद फूलक िववाह भए गेलि।“िववाहक बाद की भेल। हम तँ िववाहोमे निह जाऽ सकल छलहु ँ। पिह ओतेक फोन-फानक सेहो चलन निह छल। तािह ारे सकर् सेहो निह रहल”।“करीक बाद छोट भाय आऽ किनया ँकेँ लए करी पर कोिहमा चल गेलहु ँ। छोट भाए एकटा हाथसँ लु रहिथ। दोसर हाथे याससँ िलखैत छलाह। िकछु िदका बादिवकला ंगक लेल आरक्षणक अंतत हुनका सेहो िकरानीमे के सरकारक अंतत करी लािग गेलि, आऽ ओऽ पटना चिल गेलाह। हमर माएकेँ हुनकर िववाहक बड़सौख छलि। मुदा घटको आबए तखन । से कतेक िदका बाद जखन माए हमरा ओिहठाम आएल छलीह, तँ एक गोट मैिथल पिरवार हमरा ओिहठाम घ ुमए लेल आयलरहिथ। हमर मायक वयसक एक गोट मिहला छलीह जे अपन पुतोहुक संग आयल छलीह। गपे-शपमे हुनका पता चिल गेलि, जे एिह घरमे एकटा िवकला ंग सरकारीकरी बला िववाहयो बालक छैक। से ओऽ हठात् अपन पुीक िववाहक ाव सोझा ँ आिन रखलि।हमर माय बजलीह, “बिहनदाइ। अिछ तँ हमर बेटा सरकारी करी करैत मुदा ई पिहनिहये किह देनाइ ठीक ब ुझैत छी जे बादमे अहा ँ निह कही। शील-भाव सभमेको कमी निह छैक, मुदा निह जािन िकएक भगवान एक हाथसँ लु कए देलिख। गाममे लोक सभ लुा-लुा किह कए सोर करैत छैक। शुमे तँ हमरा बरदानिह होइत छल, एिह गप पर झगड़◌ा भए जाइत छल। मुदा बादमे हमहू ई सोिच धैय र् धए लेलहु ँ जे जखन भगवा नजिर घ ुमा लेलि, तँ ककरा की कहबैक”।“से तँ हमरा गप-शपमे ब ुझबामे आिब गेल छल। आऽ तािह ारे ई कथा करबाक साहसो भेल। अहा ँ सँ की कहू। हमर बेटी पेदार अिछ। पैर छोट-पैघ छैक।से सौ ँसे तेहाकेँ ब ुझल छैक। इलाकामे ककरो लग कथाक लेल जायब सेहो िहत निह होइत अिछ। भगवान छिथ, निञ हरे आऽ निहये सासुरमे ो पेदारभेल छल। भगवान भल करिथ, देखबैक हमर बिचयाक ु बा सव र्गुण स होयत”।ई गप सुिनते हमर माय तँ स दए रिह गेलीह। कक काल धिर गुम-सुम रहलाक बाद कहलि जे सोिच कए खबिर पठाएब। घरमे िकछु िदन धिर एिह गप परचरचा भेल आऽ आगा ँ जाऽ कए मायक िवचार भेलि, जे िववाह भए जएबाक चाही। िववाहक उपरा कताक बेर बा खराप भए जाइत छल। तीन चािर बेर एिहनाभेल। हमर भाए तँ मोनकेँ ब ुझा लेलि मुदा, भाबहु िविक्ष जेका ँ भए गेलीह। राित-िदन घरमे उठा-पटकक अबाज पड़◌ोसी सभ सुत छल। मुदा आे-आेओहो मोनकेँ बहटािर लेलि। मुदा दस बरखक बाद भगवानक कृपा जे एकटा बा भेलि, सभ अंग द ु। मुदा एक िदन तेल-कू र लगा कए बाहर हबामे देलिखभाबहु। भाए हमर कहबो कएलि, जे बाकेँ भीतर कए िलअ, मुदा होनी जे कहैत छैक। सा ँझसँ बाकेँ हुकहुी लािग गेलैक। अिगला िदन भोर धिर ओऽ एिहजगकेँ छोड़ि◌ चिल गेल। हमरो पदापन ताधिर पट भए गेल छल, आऽ सभ गोटे संगे रहैत छलहु ँ। मुदा भगवाक लीला। जखन सभ आस छोड़ि◌ दे छल,तखन फेर एकटा बालक भेलि छोट भा ँयकेँ । एिह बेर हुनकर सासु सेहो बाक टहल-िटकोर करबाक लेल आिब गेलिख। आब तँ बेश टगर भए गेल अिछ, -पु को पैअ निह”। फूल बिजते रहलाह।रतीश कहलि-“अहा ँ परेशानीयेमे रहलहु ँ एतेक िदन धिर। मुदा अहा ँकेँ कैकटा बा अिछ, की करए जाइत छिथ से निह कहलहु ँ”।“एकेटा अिछ, से परीक्षा ह◌ॉलमे छिथ, कक कालमे देिखए लेबि। मुदा अहा ँ अपन बाकेँ परीक्षा िदआबए िकएक आयल छी। आइ.एस.सी. पास कए छिथ, बेशचेतनगर भए गेल होएताह”। फूल भाए कहलि।“मुदा अहूँ तँ आएल छी...”।रतीश बजैत चुप भए गेलाह। कारण एक गोट बालक वैशाखी पर चिल फूलक लग आिब ठाढ़ भए गेल छल। परीक्षा खतम भए गेल छल, आऽ रतीशकेँ ई ब ुझबामेबाङठ निह रहलि, जे ई बालक फूलक िछयि। कालक िविच गित, भाए-भाबहु िवकला ंग छि, मुदा ता-िसहर देखेलाक बादो भगवान -पु ना देलिख, आऽफूल सन िलखनहार फूल भाइक लेल िवधनाक कलम निह चललि। मुदा फूल भाए शा ंत-धैय र् धए बेटासँ परीक्षाक िवषयमे पिछ ू रहल छलाह।६. पअ.प िवृत किव . ी रामजी चौधरी (1878-1952)आ. ी गंगेश गुंजनआ.प ोित झा चौधरी16
<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका <strong>१</strong> जुलाई २००८ (वषर् <strong>१</strong> मास ७ अंक <strong>१</strong>३)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्इ.प गजे ठाकुर श ैले मोहन झािवृत किव . रामजी चौधरी (1878-1952)पर शोध-लेख िवदेहक पिहल अँकमे ई-कािशत भेल छल।तकर बाद हुनकर पु ी द ुगान र् चौधरी, ाम-पुर,थाना-अंधरा-ठाढ़◌ी, िजला-मध ुबनी किवजीक अकािशत पाुिलिप िवदेह काया र्लयकेँ डाकसँ िवदेहमे काशनाथ र् पठओलि अिछ। ई गोट-पचासेक प िवदेहमे एिह अंकसँधारावािहक पेँ ई-कािशत भ’ रहल अिछ।िवृत किव- पं. रामजी चौधरी(1878-1952) ज ान- ाम-पुर,थाना-अंधरा-ठाढ◌़◌ी,िजला-मध ुबनी. म ूल-पगुार राजे गो-शाि ।जेना श ंकरदेव असामीक बदला मैिथलीमे रचना रचलि, तिहना किव रामजी चौधरी मैिथलीक अितिरक् जब ुलीमे सेहो रचना रचलि।किव रामजीक सभ पमे रागकवण र् अिछ, ओिहना जेना िवापितक पालसँ ा पदावलीमे अिछ, ई भाव हु ंकर बाबा जे गबैा छलाहसँ िरत ब ुझना जाइत अिछ।िमिथलाक लोक पंच्देवोपासक छिथमुदा िशवालय सभ गाममे भेिट जायत, से रामजी चौधरी महेानी िलखलि आ’ चैत मासक हेतु ठ ुमरी आ’ भोरक भजन (पराती/ भाती) सेहो। जािह राग सभकवण र्न हुनकर कृितमे अबैत अिछ से अिछ:1. राग रेखता 2 लावणी 3. राग झपताला 4.राग ुपद 5. राग संगीत 6. राग देश 7. राग गौरी 8.ितरहुत 9. भजन िवनय 10. भजन भैरवी 11.भजन गजल 12. होली13.राग ाम काण 14.किवता 15. डक होली 16.राग काग ू काफी 17. राग िवहाग 18.गजलक ठ ुमरी 19. राग पावस चौमासा 20. भजन भाती 21.महेशवाणी आ’ 22.भजन कीर्न आिद।िमिथलाक लोचनक रागतरिगणीमे ं िकछु राग एहन छल जे िमिथले टामे छल, तकर योग सेहो किवजी कएलि।ुत अिछ हुनकर अकािशत रचनाक धारावािहक ुित:-18.भजन िवनयसुन ू-सुन ू औ भगवान,अहा ँक िबना जाइ अिछआब अधम मोरा ाण॥कतेक शुरके मनाबल िनिशिदनिकयो न सुनलिन कान,अित दयालु सिन ू अहा ँक शरण अयलहु ँ जािन॥बु व कुटु सभ छिथ बहुत धनवान,हमर द ुःख देिख-देिख हुनकौ होइ छिन हािन।।रामजी िनरास एक अहा ँक आशा जािन,कृपा करी हे नाथ,अशरण जन जािन॥19.17