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Videha १ १३) http://www.videha.co.in/

Videha_01_07_2008_Tirhuta

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<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका <strong>१</strong> जुलाई २००८ (वषर् <strong>१</strong> मास ७ अंक <strong>१</strong>३)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्“हे लोहार भाञ,िदअ हा ँस , ू काटब घास, ख ुआयब गाय, पािब द ूध,िपआयब िसंहकेँ , ओऽ मारत हिरण,भेटत हिरणक िसंघ, तािहसँ कोरब मािट,मािटसँ कुार बनओताह चुा, भरब गाजल,धोब ठोर, आऽ खायब फुीक बा”।लोहार कहलि, “हमरा लग द ू टा हा ँस ू अिछ, एकटा कारी आऽ एकटा लाल। जे पिस परए लए िलअ”।कौआकेँ ललका हा ँस ू पिस पड़लैक। ओऽ हा ँस ू धीपल छल, जहा ँ कौआ ओकरा अपन लोलमे दबओलक, छरपटा कए मिर गेल।2.देवीजी िवाथीर् बनल मालीएकटा बा छलै जे छलै बड़◌ा ख ुरापाती।िवालय आबैत काल ओ राक सब फूल पात च आबै छलै।िवालयमे सेहो फूलक गाछ के इच कऽराइख दैत छल।अतब ्◌ै◌ा निह ओ आ बा सबके उकसाबै छल।ओकर संगी साथी सब सेहो संगतक प ्◌्राभावे बड उपवी भऽ गेल।तंग भऽ िवालय के मालीप ्◌्राधानापक लग अपन समा बाजल ''महोदय हम बा सबहक ख ुरापात सऽ बड तंग छी।हर िदन भिरक िमहनत ई सब क्षण भिर मे मिटयामेट कऽ दैत अिछ आहर बातक मोजर सेहो निह दैत अिछ।् ताही पर प ्◌्राधानाापक ओकरा आासन देलिखन ''हम एिह पर अव काय र्वाही करब।हम एहन बा सभके दंिडतकरब।्जखन देवीजी के अिह बातक खबिर लगलैन तऽ ओ यम ् माली स◌ॅ◌ं बात क बालक के पता केलीह फेर ओकरा सभके बजा कऽ पुछलिखन ''अह◌ॉ सभ एहेनकाज िकयैक करै छी। बेचारा माली रौद बसात मे काज करैत अिछ आ अह◌ॉ सभ उारे ओकर पिरणाम निह आबैत छै। अह◌ॉ◌ं सभके निह ईा होइत अिछिवालय के सुर बनाब के।् तािह पर िकयो बजलै ''हमरा सभके िततली पकड़नाई नीक लागैत अिछ आ िततली सभत फूले पर बैसैत छै।् आब देवीजीकेफसादक जड़ि◌ ज्ञात भेलैन।ओ प ्◌्राधानाचाय र् स◌ॅ◌ं आदेश पािब सभ बा सभके छुटी वला िदन िवालय बजेलिखन। माली सेहो आयल।देवीजी खेले खेलमे सभके बागवानी िसखेलिखन। सभके िमलकऽ काज केनाइ ततेक नीक लागल जे क्षण भिरमे सभ टूटल मरल गाछ सभ हटा नब फूलकगाछ लािग गेल। देवीजी सभके कहलिखन जे ज◌ॅ◌ं ई गाछ सबके िकयो तोड़त निह त किञये िदनमे अिह मे सुर सुर पु लागत जािह स◌ॅ◌ं आकिष र्त भऽिततली के जमौड़◌ा लागत।संगिह देवीजी िततली के पकड़ स◌ॅ मना केलिखन।ओकरा सुरता द ूर स देख के िशक्षा देलिखन।सभ बा आह्लािदत छल तै ं उात बकऽ देलक। प ्◌्राधानाचाय र् अिह पिरवतर्न स◌ॅ◌ं प ्◌्राभािवत भेला।40

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