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Videha १ १३) http://www.videha.co.in/

Videha_01_07_2008_Tirhuta

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<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका <strong>१</strong> जुलाई २००८ (वषर् <strong>१</strong> मास ७ अंक <strong>१</strong>३)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्६.ी ड◌ॉ. िशवसाद यादव- ई जािन अपार हष र् भए रहल अिछ, जे नव स ूचना-ािक मे मैिथली पकािरताकेँ वेश िदअएबाक साहिसक कदम उठाओल अिछ।पकािरतामे एिह कारक नव योगक हम ागत करैत छी, संगिह "िवदेह"क सफलताक शुभकामना।७.ी आाचरण झा- को प-पिकाक काशन- ताहूमे मैिथली पिकाक काशनमे के कतेक सहयोग करताह- ई तऽ भिव कहत। ई हमर ८८ वष र्मे ७५ वष र्कअभव रहल। एतेक पैघ महान यज्ञमे हमर ाप ूण र् आहुित ा होयत- यावत ठीक-ठाक छी/ रहब।८.ी िवजय ठाकुर, िमिशगन िविवालय- "िवदेह" पिकाक अंक देखलहु ँ, सूण र् टीम बधाईक पा अिछ। पिकाक म ंगल भिव हेतु हमर शुभकामना ीकार कएल जाओ।(c)२००८. सवािधकार र् लेखकाधीन आ’ जतय लेखकक नाम निह अिछ ततय संपादकाधीन।िवदेह (पािक्षक) संपादक- गजे ठाकुर। एतय कािशत रचना सभक क◌ॉपीराइट लेखक लोकिनक लगमे रहति, मा एकर थम काशनक/आका र्इवक/अंजी-संृतअवादक अिधकार एिह ई पिकाकेँ छैक। रचनाकार अपन मौिलक आ’ अकािशत रचना (जकर मौिलकताक संप ूण र् उरदािय लेखक गणक म छि)ggaj endr a@ yahoo. <strong>co</strong>. i n आिक ggaj endr a@ vi deha. <strong>co</strong>. i n केँ मेल अटैचमेक पमेँ . doc, . docx आ’ . txt फ◌ॉमे र्टमे पठा सकैत छिथ। रचनाक संगरचनाकार अपन संिक्ष पिरचय आ’ अपन ैन कएल गेल फोटो पठेताह, से आशा करैत छी। रचनाक अंतमे टाइप रहय, जे ई रचना मौिलक अिछ, आ’ पिहलकाशनक हेतु िवदेह (पािक्षक) ई पिकाकेँ देल जा रहल अिछ। मेल ा होयबाक बाद यथासंभव शी ( सात िदनक भीतर) एकर काशनक अंकक स ूचना देलजायत। एिह ई पिकाकेँ ीमित ली ठाकुर ारा मासक 1 आ’ 15 ितिथकेँ ई कािशत कएल जाइत अिछ।<strong>१</strong>. नाटकी उदय नारायण िसंह ‘निचकेता’ ज-<strong>१</strong>९५<strong>१</strong> ई. कलकामे। <strong>१</strong>९६६ मे <strong>१</strong>५ वष र्क उमे पिहल का संह ‘कवयो वदि’। <strong>१</strong>९७<strong>१</strong> ‘अम ृत पुाः’ (किवता संकलन) आऽ‘नायकक नाम जीवन’ (नाटक)| <strong>१</strong>९७४ मे ‘एक छल राजा’/ ’नाटकक लेल’ (नाटक)। <strong>१</strong>९७६-७७ ‘ावर्न’/ ’रामलीला’(नाटक)। <strong>१</strong>९७८मे जनक आऽ अ एका ंकी। <strong>१</strong>९८<strong>१</strong>‘अरण’(किवता-संकलन)। <strong>१</strong>९८८ ‘िय ंवदा’ (नािटका)। <strong>१</strong>९९७-‘रवीनाथक बाल-सािह’(अवाद)। <strong>१</strong>९९८ ‘अकृित’- आधिनक ु मैिथली किवताक ब ंगलामे अवाद, संगिहब ंगलामे द ूटा किवता संकलन। <strong>१</strong>९९९ ‘अु ओ पिरहास’। २००२ ‘खाम खेयाली’। २००६मे ‘ममपुष एकवचन’(किवता संह। भाषा-िवज्ञानक मे दसटा पोथी आऽ द ूसयसँ बेशी शोध-प कािशत। <strong>१</strong>४ टा पी.एच.डी. आऽ २९ टा एम.िफल. शोध-कम र्क िदशा िनदेर्श। बड़◌ौदा, स ूरत, िदी आऽ हैदराबाद िव.िव.मे अापन। संितिनदेशक, केीय भारतीय भाषा संान, मैस ूर। एंी : मा िवश(चािर-अंकीय मैिथली नाटक)नाटककार उदय नारायण िसंह ‘निचकेता’ िनदेशक, कें ीय भारतीय भाषा संान, मैस ूर(मैिथली सािहक सुिस योगधमीर् नाटककार ी निचकेताजीक टटका नाटक, जे िवगत २५ वष र्क मौन भंगक पात् पाठकक सुख ुत भ’ रहल अिछ।)तेसर कोलक दोसर खेप जारी....िवदेहक एिह तेरहम अंक 01 ज ुलाई २००८ सँ। एंी : मा िवशतेसर कोल दोसर खेप6

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