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<strong>Videha</strong> ÕिवदेहÕ थम मैिथली पािक्षक ई पिका <strong>१</strong> जुलाई २००८ (वषर् <strong>१</strong> मास ७ अंक <strong>१</strong>३)<strong>http</strong>://<strong>www</strong>.<strong>videha</strong>.<strong>co</strong>.<strong>in</strong>/मानुषीिमह संस्कृ ताम ्अवतर्ते)९. पाबिन संार तीथ र्ड◌ॉ फु कुमार िसंह ‘मौन’ (1938- )- ाम+पो- हसनपुर, िजला-समीपुर। पाल आऽ भारतमे ाापन। मैिथलीमे<strong>१</strong>.पालक मैिथली सािहक इितहास(िवराटनगर,<strong>१</strong>९७२ई.), २.ाम(िरपोता र्ज दरभंगा <strong>१</strong>९७२ ई.), ३.’मैिथली’ ैमािसकक सादन (िवराटनगर,पाल <strong>१</strong>९७०-७३ई.), ४.मैिथलीकनागीत (पटना, <strong>१</strong>९८८ ई.), ५.पालक आधिनक ु मैिथली सािह (पटना, <strong>१</strong>९९८ ई.), ६. मच चयिनत कथा, भाग- <strong>१</strong> आऽ २ (अवाद), ७. वाीिकक देशमे (महनार,२००५ ई.)। मौन जीकेँ सािह अकादमी अवाद पुरार, २००४ ई., िमिथला िवभूित सान, दरभंगा, रे सान, िवराटनगर, पाल, मैिथली इितहास सान, वीरगंज,पाल, लोक-संृित सान, जनकपुरधाम,पाल, सलहेस िशखर सान, िसरहा पाल, प ूवो र्र मैिथल सान, गौहाटी, सरहपाद िशखर सान, रानी, बेग ूसराय आऽ चेतनासिमित, पटनाक सान भेटल छि। वतर्मानमे मौनजी अपन गाममे सािह शोध आऽ रचनामे लीन छिथ।पंचदेवोपासक भूिम िमिथला-ड◌ॉ फु कुमार िसंह ’मौन’िहमालयक पाददेशमे गंगासँ उर, कोशीसँ पिम एव ं गकसँ प ूव र्क भूभाग सा ंृितक िमिथला ंचलक नामे ात अिछ। िमिथला ंचलक ई सीमा लोकमा, शास्सम्म्त ओऽपरिरत अिछ। सथाणक अंतःसाक असारे आय र्लोकिनक एक प ूवािभमुखी र् शाखा िवदेह माथवक मे सदानीरा (गक) पार कऽ एिह भूिमक अि संार कऽबिसवास कएलिन, जे िवदेहक नामे ितित भेल। कालारमे एकर िवार सुिवदेह, प ूव र् िवदेह, ओऽ अपर िवदेहक पेँ अिभज्ञात अिछ। िवदेहक ओऽ ाथिमक लकपमे पिम चारणक लौिरयाननगढ़क पिहचान सुिनित भेल अिछ। आज ुक लौिरयाननगढ़ ाचीन आय र् राजा लोकिन एव ं बौलोकिनक ूपाकार समािधल सभक संगमबनल अिछ। कालमे अिह इक्षवाकु आय र्व ंशक िनिम पु िमिथ िमिथलापुक ापना कयलिन। ाचीन बौसािहमे िवदेहकेँ राष् (देश) ओऽ िमिथलाकेँ राजधानीनगर कहलगेल अिछ। अथा र्त् िमिथला िवदेहक राजधानी छल। मुदा ओिह भ िमिथलापुरीक अिभज्ञान एखन धिर सुिनित निह भेल अिछ। तथािप ाचीन िवदेहक सूण र् जनपदकेँआइ िमिथला ंचल कहल जाइछ।ओऽ िमिथला ंचलक भूिम महान अिछ, जकर माथेपर तपी िहमालयक सतत वरदह हो, पाददेशमे पुतोया गंगा, पार्वािहनी अम ृत कलश धािरणी गंडक ओऽ कलकलिननािदनी कौिशकीक धारसँ क्षािलत हो। एिह नदी माक जनपदकेँ प ूव र् मकालीन ऐितहािसक पिरवेशमे तीरभुि अथा र्त् ितरहुत कहल गेल, जकर सािितक ं म ूलमे धम र्ओऽ दश र्नक गा ंभीय, र् कलासभक रागाक उष, र् ज्ञान-िवज्ञानक गिरमा ओऽ भाषा-सािहक सम ृ परराक अंतः सिलला अंत र्वािहत अिछ। एिह सभक साक्षात् िमिथलाकश ैव-शा, वैव, गाणप, सौर (स ूय ) र् ओऽ बौ-जैनक आा के एव ं ऋिष-मुिनक साधना पररामे उपल अिछ। कारारसँ ओिह ल सभकेँ सा ंृितक चेतनाकऐितहािसक लक संज्ञा देल जाऽ सकैछ, जकर आइ-काि पय र्टनक दिसँ ृ मह बढ़ि◌ गेल अिछ।िमिथलाक िसि ओकर पाि पररा, दाश र् िनक-याियक िचन, सािह-संगीतक रागाक पिरवेश, लोकिचक बहुआयामी िवार, धािम र्क आाक ल, ऐितहािसक धरोहरआिदक कार िवशेष अशीलनीय अिछ। जनक-याज्ञवल्, किपल, गौतम, कणाद, म ंडन, उदयन, वाचित, कुमािरल आिद सदृष िवभूित, गागीर्, मैयी, भारती, लिखमा आिदसन आदश र् नारी चिरत, ोितरीर, िवापित, िवनयी, चा झा, लाल दास आिद सन आलोकवाही साधक लोकिनक सादे एिह ठामक जीवन-जगतमे आािक सुखाभूितओऽ सारत चेतनािदक मिणका ंचन संयोग देखना जाइछ। िमिथला आा िवाक के मानल जाइछ।37