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िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह

Videha_15_03_2009

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<strong>िव</strong> <strong>दे</strong> <strong>ह</strong> <strong>िव</strong><strong>दे</strong><strong>ह</strong> <strong>Videha</strong> <strong>িবেদহ</strong> <strong>िव</strong><strong>दे</strong><strong>ह</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका <strong>Videha</strong> Ist MaithiliFortnightly e Magazine <strong>िव</strong><strong>दे</strong><strong>ह</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका १५ माचर् २००९ (वषर् २मास १५ अंक ३०) http://www.videha.co.in/ मानुषीिम<strong>ह</strong> संस्कृ ताम्पुछैत छैक – ' लालटेम िकएक जरैत छैक रे-ए?’ भोरमे ओ अबेर कऽ उठैत अिछ । दीदी क<strong>ह</strong>ैत छैक – 'उगना चल गेलौ-ए इसकूल । क<strong>ह</strong>ने गेलौ-ए, कि<strong>ह</strong> िद<strong>ह</strong>ैक भइयाकेँ <strong>ह</strong>मरो आबऽ दै ले । बड़की पोखिरजयबैक । जँ बेसी अबेर भऽ जाइ तँ कि<strong>ह</strong> िद<strong>ह</strong>ैक भैयाकेँ न<strong>ह</strong>ा लै ले ।’ उगनासँ लगाव अनुभव करैतओकरा सता <strong>ह</strong>ोइत छैक । मुदा ओ ओकरा संगे नि<strong>ह</strong> न<strong>ह</strong>ा पबैत अिछ । पीसा चाँिर लगा कऽ पठा दैतछैक । खाइते काल टा ओकरा दीदी आ पीसासँ गप करबाक अवसर भेटैत छैक । आन समय ओ सभयत र<strong>ह</strong>ैत छैक । दीदी पिछला सालक अपन बेटीक िबया<strong>ह</strong>क चचर् <strong>िव</strong>तारसँ करैत छैक जे कोना कोटकखाितर दू िदन धिर िबया<strong>ह</strong> रूिक गेल छलैक । फेर संग बदलैत क<strong>ह</strong>ैत छैक ' आब नोकरी कऽले । बेसीपढ़ने आदमी बता<strong>ह</strong> भऽ जाइत छैक । <strong>दे</strong>खैत ने छी<strong>ह</strong>ी मा टरकेँ, बता<strong>ह</strong> जकाँ करैत छैक ।’ ओ चुपचापसुनैत र<strong>ह</strong>ैत अिछ । दुआिर पर ओकर पीसाक जेठका भाय बैसल छैक । 'ओ ओकरासँ िपितयौत <strong>दे</strong>या पुछैतछैक – ’अनूपा गाम गेलौ, भेंट भेल छलौ की-ई ?’ अनूपाकेँ ओकर िपी दीदीये लग पठा <strong>दे</strong>ने छलैक जेएतऽ पढ़तैक । गाममे खरच<strong>ह</strong>र <strong>ह</strong>ोइत छलैक । सात-आठ िदन पि<strong>ह</strong>ने ओ मायसँ भेंट करऽ चल गेलैक ।दीदी क<strong>ह</strong>ैत छलैक, अनूपा आ उगनामे कखनो ने पटैत छैक । पीसाक जेठका भाय फेर क<strong>ह</strong>नाइ शुरू करैतछैक — 'छॱड़ा छलै तेज । मुदा तो<strong>ह</strong>र दीदीये नि<strong>ह</strong> पढ़ऽ दैत छैक। भैंसमे पठा <strong>दे</strong>लक आ ता<strong>ह</strong>ूसँ नि<strong>ह</strong> भेलतँ दुआिर परक ई ट<strong>ह</strong>ल, ऊ ट<strong>ह</strong>ल। तो<strong>ह</strong>र पीसा क<strong>ह</strong>बो करैत छैक जे 'पढ़ऽ द<strong>ह</strong>ी, तँ ओ क<strong>ह</strong>ैत छैक, जेपढ़ऽ बेरमे पढ़तैक ।' ओ िकछु नि<strong>ह</strong> बजैत अिछ । ओकरा अनूपाक ित दुख <strong>ह</strong>ोइत छैक । ओ चौकी परपिड़ र<strong>ह</strong>ैत अिछ । ओकरा काकाक क्लात चे<strong>ह</strong>रा मोन पड़ैत छैक । काकीक कनैत – कनैत फूलल लालचे<strong>ह</strong>रा, िपितयौत बि<strong>ह</strong>न सभक आँिखक अस<strong>ह</strong>ाज दयनीयता । राितमे ओ दीदीसँ क<strong>ह</strong>ैत अिछ — '<strong>ह</strong>म भोरे चलजेबौ ।' दीदीकेँ भिरसक सता – असता िकछु नि<strong>ह</strong> <strong>ह</strong>ोइत छैक । टाका मँगबाक ओकर <strong>िव</strong>चार नि<strong>ह</strong>जािन कतऽ िनपा भऽ गेल छैक । दीदीक यव<strong>ह</strong>ार ओकरा धुंध जकाँ अप लगैत छैक । ओ चा<strong>ह</strong>ैतअिछ बेसी सँ बेसी तटथ भऽ जाय । टाकाकेँ बीचमे ठाढ़ कऽ सबधक बारेमे नि<strong>ह</strong> सोचय । भोरोमेदीदीक यव<strong>ह</strong>ार ओि<strong>ह</strong>ना र<strong>ह</strong>ैत छैक । जलखै खाइत काल दीदी गमछामे दू गो टाका ब<strong>ह</strong>ैत क<strong>ह</strong>ैत छैक—'आइकाि एो टा पैसा <strong>ह</strong>ाथपर नि<strong>ह</strong> र<strong>ह</strong>ैत छैक ।’ फेर जेना दुलार करैत जी<strong>िव</strong>त वरमे पूछैत छैक । -'बौआ, रता लेल कने चूड़ा बाि<strong>ह</strong> िदयौक ?’ ओ मना कऽ दैत छैक । 'उगना ,जो भैयाकेँ एकपेिरया <strong>दे</strong>नेसड़क पकड़ा िद<strong>ह</strong>ैक । सुभीता <strong>ह</strong>ेतैक । आ तोँ घूिर अिब<strong>ह</strong>ें ।'- दीदी क<strong>ह</strong>ैत छैक । उगना अवीकार कऽदैत छैक । ओ खाइ ले मँगैत क<strong>ह</strong>ैत छैक जे ओकरा कूल जेबाक छैक । उगनाक इच्छा छलैक जे ओआइ रि<strong>ह</strong> जाय । काि एकबेर आ<strong>ह</strong> कयने छलैक । ओ तुरत बात टािर <strong>दे</strong>ने छलैक । नि<strong>ह</strong> टािरतैक तँबादमे असु<strong>िव</strong>धा भऽ सकैत छलैक । ओ बड़ तीतासँ अपना पर उगनाक िथर दृिक अनुभव करैत अिछ। दीदी की कि<strong>ह</strong> र<strong>ह</strong>िल छैक, ओकरा नि<strong>ह</strong> बुझाइत छैक । ओकर सपूणर् चेतना पर उगना पसिर गेल छैक। ओ पिनमरू चािलमे <strong>िव</strong>दा भऽ जाइत अिछ । गो<strong>ह</strong>ाली लग ओकरा अपना पाछाँ ककरो उपिथितक अनुभव<strong>ह</strong>ोइत छैक । उगना िथकैक । 'जेब<strong>ह</strong>ी सड़क धिर ?' ओ पुछैत छैक । िकछु नि<strong>ह</strong> पुछनाइ उगनाकेँ अियलािग सकैत छलैक । ओ कोनो उर नि<strong>ह</strong> दैत छैक । दुनू संग-संग चलैत र<strong>ह</strong>ैत अिछ । दीदी नम<strong>ह</strong>रगरडेग दैत एकाएक आिब जाइत छैक । एकटा रुपैया दैत क<strong>ह</strong>ैत छैक — 'ई<strong>ह</strong>ो रािख ले । सकुती धेनेछलैक ।’ ओकरा सभ वतु कुरूप आ अधला<strong>ह</strong> बुझाय लगैत छैक । मा उगनाक एसकर <strong>ह</strong>ोयबाक कपना9

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