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िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह

१. संपादकीय संदेश २. ग

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<strong>िव</strong> <strong>दे</strong> <strong>ह</strong> <strong>िव</strong><strong>दे</strong><strong>ह</strong> <strong>Videha</strong> <strong>িবেদহ</strong> <strong>िव</strong><strong>दे</strong><strong>ह</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका <strong>Videha</strong> Ist Maithili Fortnightly e Magazine <strong>िव</strong><strong>दे</strong><strong>ह</strong> थम मैिथली पािक्षक '<strong>िव</strong><strong>दे</strong><strong>ह</strong>'४६ म अंक १५ नवम्बर २००९ (वषर् २ मास २३ अंक ४६)http://www.videha.co.in/ मानुषीिम<strong>ह</strong> संस्कृ ताम्केला सँ िमिथलाक मािणक इित<strong>ह</strong>ासक िनमा र्ण भ सकइयै। सब साधनक समीचीन ााकेला उरे <strong>ह</strong>मरा लोकिन िमिथलाक समीक्षाक सवे र्क्षण क सकैत छी। ओना आना ंतक तुलना अि<strong>ह</strong>ठाम साधनक सव र्था अभावे क<strong>ह</strong>ल जाएत तथािप जतवा जे उपलअिछ ताि<strong>ह</strong> पर वैज्ञािनक पे ं अयन करब आवक िमिथलाक <strong>ह</strong>ेतु मैिथली साधन पर<strong>िव</strong>शेष िनभर्र करए पडत। अि<strong>ह</strong> संग मे एकटा उदा<strong>ह</strong>रण <strong>दे</strong>व अ ा ँसिगक नि<strong>ह</strong>ं<strong>ह</strong>ोइत। <strong>िव</strong>ापित क<strong>िव</strong> <strong>ह</strong>ोइत<strong>ह</strong>ु ँ इित<strong>ह</strong>ासक नीक ज्ञाता छला<strong>ह</strong> जकरा माण <strong>ह</strong>मरा<strong>ह</strong>ुनक ंथ सब सँ भेटैत अिछ। पुष परीक्षा जाि<strong>ह</strong> िसल – िसलेवार ढंग सँ वोएित<strong>ह</strong>ािसक िक <strong>िव</strong>वेचन कए छिथ ताि<strong>ह</strong> सँ <strong>ह</strong>ुनक एित<strong>ह</strong>ािसक वोध एव ं वुिनताकपता लगइयै। (अि<strong>ह</strong> सब ंध मे – <strong>ह</strong>मर लेख – <strong>िव</strong>ापितज पुष परीक्षा –जे <strong>ह</strong>मर ‘ि<strong>ह</strong>स्ी आफ मुिम ल इन ितर<strong>ह</strong>ुत’ क पिरिश मे छपल अिछ।) ज्ञातजे पुष परीक्षाक अयन केला उपरा ंत गीर्य चा झा िमिथलाक इित<strong>ह</strong>ासक अयनिदिस आकृ भेल छला<strong>ह</strong> आर ओि<strong>ह</strong> सब ंध मे ब<strong>ह</strong>ुत रास सामी से <strong>ह</strong>ो जमा केछला<strong>ह</strong>। कीितर्लता, कीितर् पतारा, िलखनावली आिद ंथ से <strong>ह</strong>ो ओतवे म<strong>ह</strong>प ूण र् अिछ।िमिथलाक इित<strong>ह</strong>ासक लेल मैिथली साधनक <strong>ह</strong>ेतु खोज करए पडत कारण एकर एकटाअ<strong>िव</strong>ि वा<strong>ह</strong> वैिदक काल सँ अाविध बनल अिछ। यशिचू मे ितर<strong>ह</strong>ुतरेिजमेटक <strong>िव</strong>वरण िमिथलाक तं ि केँ करइत अिछ। जकर ोि<strong>िव</strong>ापित मे भेल अिछ। िमिथलाक इित<strong>ह</strong>ासक िनमा र्णक <strong>ह</strong>ेतु उपरो सब साधनकवैज्ञािनक अयन ओकर समीक्षाक <strong>िव</strong>ेषण उपेिक्षत अिछ।अाषय – ३जनकव ंशक इित<strong>ह</strong>ासकु – पा ँचाल मे कुव ंशक अंत भेला उर भारत’क जे सव र् िस राव ंश छलतकरे <strong>ह</strong>मरा लोकिन जनक व ंशक नाम सँ जत छे। अि<strong>ह</strong> व ंशक सव र् एव ं सव र्िस राजा छला<strong>ह</strong> जनक जिनक दरबार दश र्नक िस के छल आर ओि<strong>ह</strong> <strong>ह</strong>ेतुिमिथला मे जनकव ंशक एतेक िसियो अिछ। कु लोकिनक अवसानक काल मे प ूवीर्भारत मे जनकव ंश उानक पथ पर छल। एकर सब सँ पैघ माण ई अिछ जेाण साि<strong>ह</strong> मे ताि<strong>ह</strong> िदन मे कु राजकुमार लोकिन केँ ‘राजन’ क संज्ञा सँसोिधत कैल जाइत छ्लि आर जनक राजव ंशक लोक केँ ‘साट’ क संज्ञा सँ।शतपथ ाण मे साट केँ राजन ् सँ पैघ मानल गेल अिछ। पौरािणक चाकरायनआर िनचलक समय मे कु लोकिनक पतन भेल छलै। राजा पिरिक्षतक अवसानभचुकल छल पर <strong>ह</strong>ुनक ृित अख लोकक म <strong>िव</strong>राजमान छल आर िमिथलाकराजदरबार मे वो अ<strong>ह</strong>ुखन ाक संग चिच र्त छला<strong>ह</strong>। जनकक सभा मे जे दाशिनकर्<strong>िव</strong>चार – <strong>िव</strong>मश र् एव ं एव ं िचंतन’क म चलैत छल ता<strong>ह</strong>ुठाम राजा पिरिक्षत एकटा<strong>िव</strong>चारणीय <strong>िव</strong>षय बनल छला<strong>ह</strong> जेना िक भुु लाायिन एव ं याज्ञवल्क <strong>िव</strong>वाद सँ <strong>ह</strong>ोइछ। सम्ित <strong>ह</strong>मरा लोकिनक समक्ष जे साधन िमलल अिछ ताि<strong>ह</strong> आधार ई क<strong>ह</strong>बकिठन अिछ जे जनमेजेय आर जनक व ंशक म को कारक सकर् छल अथवा16

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