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िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह

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<strong>िव</strong> <strong>दे</strong> <strong>ह</strong> <strong>िव</strong><strong>दे</strong><strong>ह</strong> <strong>Videha</strong> <strong>িবেদহ</strong> <strong>िव</strong><strong>दे</strong><strong>ह</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका <strong>Videha</strong> Ist Maithili Fortnightly e Magazine <strong>िव</strong><strong>दे</strong><strong>ह</strong> थम मैिथली पािक्षक '<strong>िव</strong><strong>दे</strong><strong>ह</strong>''<strong>िव</strong><strong>दे</strong><strong>ह</strong>' ५९ म अंक ०१ जून २०१० (वषर् ३ मास ३० अंक ५९)http://www.videha.co.in/ मानुषीिम<strong>ह</strong> संस्कृ ताम्लगलिन। गामक एकटा टोल ग<strong>ह</strong>ीरगरमे बसल। चा िदिशसँ पािन चढै़त-चढैत आ ंगना घर ढूिक गेल। एक तँओि<strong>ह</strong>ना, बरखामे टटघरो आ भीतघरो ढि<strong>ह</strong>-ढनमना गेल। तइपरसँ बािढक वेग अिबते भीत घर खसए लगलटटघर सभ मचकी जेका ँ झ ुलए लगल। घर खसैत <strong>दे</strong>िख टोलक सभ मालो-जाल आ चीजो-बौस आ िध यो-प ूतोकेँलऽ पोखिरक म<strong>ह</strong>ार िदिश <strong>िव</strong>दा भेल। पीस पिरवारक टोल। बेदरा-ब ुदरी लगा एक सए तीस आदमी। चािल स-पे ंइतालीसटा गाए-म<strong>ह</strong>ीिस, पीस-तीसटा बकिरयो। मालो-जाल बािढक पािन आ आवाज सुिन डरे थरथर कपैत।को-कोकेँ ऑिखसँ रो खसैत। मुदा एोटा खाइले िडिरआइत आ पािन पीबैले। सभ अपन-अपनमाल जालक डोरी खोिल <strong>दे</strong>लक। डोरी खिजते ु आग ू-पाछू जोिरया सभ पािनक बेगसँ उपर भेल। मुदा एोटाजान-माल कसान नि<strong>ह</strong> भेल। एकाएक पािन नि<strong>ह</strong> चढल। टोलक समाचार सुिनते रघ ुनन किरयाकाकाकेँ द ुलासँबटुआ क<strong>ह</strong>ैत र<strong>ह</strong>िथन सोर पािड क<strong>ह</strong>लिखन- “ऐर आव<strong>ह</strong> <strong>ह</strong>ौ बटू।”किरया काकाकेँ अिबते क<strong>ह</strong>लिखन- “सु छी जे प ूबिर टोलमे बािढक पािन चिढ गेलैक अिछ। चल<strong>ह</strong> तँ<strong>दे</strong>िखयै?”िबना िकछु बजनि<strong>ह</strong> किरयाकाका संग भऽ गेलिन। थोड़◌े आग ू बढला<strong>ह</strong> तँ <strong>दे</strong>खलिन जे चेतनसँ लऽ कऽ िधया-प ूता धिर िकछु नि<strong>ह</strong> िकछु माथपर उठौ भीजैत-तीतैत गामक ऊँ चका जग<strong>ह</strong> िदिश जाए र<strong>ह</strong>ल अिछ। मनमेउठलिन जतऽ जा र<strong>ह</strong>ल अिछ ओतऽ र<strong>ह</strong>त कोना? मुदा, आिख ँ उठा कऽ तकैयौमे लाज <strong>ह</strong>ोिन । जे जिनजाितकि<strong>ह</strong>यो सोझामे बजैत नि<strong>ह</strong> ओ सभ साडीक फा ँड ब माथपर, िकयो अ, तँ िकयो ओछाइन, तँ िकयोबरतन-वासन बा सभक पाछु-पाछु जाए र<strong>ह</strong>ल छिथ। लोकक दशा <strong>दे</strong>िख किरयाकाकाकेँ क<strong>ह</strong>लिखन- “बटू,सभकेँ अपना ऐठाम लऽ चल<strong>ह</strong> ज<strong>ह</strong>ा ँ धिर सकडता धरत त<strong>ह</strong>ा ँ धिर पार लगेवैक।”द ुन ू गोटे सभकेँ सेग के अपना घर चललिथ। समा तँ <strong>दे</strong>शक नि<strong>ह</strong> िसफ र् एक टोलक अिछ मुदा,प<strong>ह</strong>ाड़◌ोसँ नम<strong>ह</strong>र। समाजक मो तँ सभ र ंग अिछ केयो अनका द ुखकेँ अपन द ुख बिझ ु कत तँ केयो<strong>ह</strong>ँसैत। जे <strong>िव</strong>पि छैक ओ एक गोटे ब ुते कोना मेटौल जाएत। जँ नि<strong>ह</strong> मेटौल जाएत तँ लोक मरैतके<strong>ह</strong>ेन पिरिितमे अिछ। मनमे ब ुकौर लिग गेलिन को बाटे नि<strong>ह</strong> सुझित र<strong>ह</strong>िन । सभसँ पि<strong>ह</strong>ल समा अिछलोको आ मालो-जालकेँ पािनसँ ब ँचैक लेल जग<strong>ह</strong>। अपना घरे कैकटा अिछ। त<strong>ह</strong>ूमे सभ ोतले। अंगनाक घरअ-पािनसँ आ जरना-काठीसँ भरल अिछ। लऽ दऽ कऽ एकटा दरवाजा। जे पिरवारक िता छी। दोसराकआम-ल। मनमे नव आशा जगलिन जे जे <strong>िव</strong>पिमे पडल अिछ ओ तँ अपन <strong>िव</strong>पिक मुकाबला करैक लेलसे<strong>ह</strong>ो अिछ। मुँ<strong>ह</strong>सँ <strong>ह</strong>ँसी िनकललिन। अंगनासँ दरवा धिर सभकेँ ठौर धड़◌ौलिन। माल-जालकेँ तनात् तँ बाेमा रेपर खँटा ु गािर-गािर बैले क<strong>ह</strong>लिखन। खाइक ओते जरी नि<strong>ह</strong> ब ुझलिन जते माल-जालक ठौर।किरयाकाकाकेँ क<strong>ह</strong>लिखन- “बटू, तनात तँ सभ असिथर भेल। पि<strong>ह</strong> सभकेँ -मो आ मालो-जाल- खाएकओिरयान कर<strong>ह</strong>। तेकर वाद अिगला काज <strong>दे</strong>िखबै।”खेनाइ बनबैक लेल आिग आ चुिक जरत पडत। चूड़◌ा तँ घरमे ओते अिछ नि<strong>ह</strong>। त<strong>ह</strong>ूँ मेफा-फुी भेिल। ओि<strong>ह</strong>सँ काज नि<strong>ह</strong> चलत। जँ चाउर-दािल, तरकारी सभकेँ फुटा-फुटा <strong>दे</strong>बै तँ ओते चुिकवेवा कतए <strong>ह</strong>एत? से नि<strong>ह</strong> तँ पि<strong>ह</strong> नारक टालसँ नार खींच सभ माल-जालकेँ दऽ <strong>दे</strong>ल जाए। लोकक लेलचािर गोटे एेठाम भानस करए। सए<strong>ह</strong> केलिन। भानस <strong>ह</strong>ुअए लगल। द ुन ू गोटे -रघ ुन आ किरयोकाका-गाममे घिम-घ ू िम ू सभकेँ गर लगौलिन। बीस िदन बाद सभ अपना-अपना ऐठाम गेल।किरयाकाकाक कानमे पिडते, दौिड कऽ गाडी लग आिब <strong>दे</strong>वननकेँ क<strong>ह</strong>लिखन- “डार स<strong>ह</strong>ाएब, भैयाकेँपि<strong>ह</strong> घरपर लऽ चिलअ। घरपर म ृु नि<strong>ह</strong> भेिल छि। अप पिरवारक आ समाजोक लोक अंितम दश र्न कएलेतिन। तेकर बाद बिरयाती सािज गाछी अनबिन।”किरयाकाकाक <strong>िव</strong>चार सुिन सब<strong>ह</strong>क मनमे समाजक ित ा जगलिन। <strong>दे</strong>वननक मनमे एलिन समाजमे िपताककएल काज। जे समाजक िताक कारण र<strong>ह</strong>िन।किरयाकाकाक बात <strong>दे</strong>वनन मािन, चा गोटे-<strong>दे</strong>वनन, सुभा, शीला आ आशा- गाडीसँ उतिड गेलिथ। ति<strong>ह</strong>बीच गाममे समाचार पसिर गेल। समाचार पसिरते जे जेै सुनलिन ओ ओेसँ <strong>दे</strong>खैले दौडलिथ। िधया-प ूता,ब ूढ-ब ुढ़◌ाससँ राा अरा गेल। गाडी कोना आग ू बढत से रे नि<strong>ह</strong>। जे प<strong>ह</strong>ु ँचैत, म ू िडआरी दऽ दऽ मुँ<strong>ह</strong>15

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