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िव दे ह िवदेह Videha িবেদহ िवदेह

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<strong>िव</strong> <strong>दे</strong> <strong>ह</strong> <strong>िव</strong><strong>दे</strong><strong>ह</strong> <strong>Videha</strong> <strong>িবেদহ</strong> <strong>िव</strong><strong>दे</strong><strong>ह</strong> थम मैिथली पािक्षक ई पिका <strong>Videha</strong> Ist Maithili Fortnightly e Magazine <strong>िव</strong><strong>दे</strong><strong>ह</strong> थम मैिथली पािक्षक '<strong>िव</strong><strong>दे</strong><strong>ह</strong>''<strong>िव</strong><strong>दे</strong><strong>ह</strong>' ५९ म अंक ०१ जून २०१० (वषर् ३ मास ३० अंक ५९)http://www.videha.co.in/ मानुषीिम<strong>ह</strong> संस्कृ ताम्पािन पीबी- .....अखन द ुइये गोटे छी, तेँ क<strong>ह</strong>ै छी। पुजबैत-पुजबैत <strong>ह</strong>मरा सब<strong>ह</strong>क पिरवार िना ँ मुँ<strong>ह</strong>ेँ ससिरगेल। अप बात क<strong>ह</strong>ै छी। राज<strong>िव</strong>राजसँ तीिन कोस आग ू तक बाव ूकेँ जजमिनका र<strong>ह</strong>िन। जखन ओि<strong>ह</strong> इलाकाजाइ तँ मास-मास िदन पर<strong>दे</strong>शे जेका ँ रि<strong>ह</strong> जाइ। सेवा ख ूव <strong>ह</strong>ुअए। खेनाइ-पीनाइक कमी नि<strong>ह</strong>। <strong>ह</strong>मरा तँएतऽ सँ पाल धिर धा ंगल अिछ। अपना सभ तँ कनी <strong>ह</strong>टल छी तेँ , तँ जना-जना उर मुँ<strong>ह</strong>ेँ जेवइतेना-तना बाजव-भुकब, खेती-बाडी, माल-जाल िमलल-ज ुलल <strong>दे</strong>खवै। कथा-कुटुमैती, भोज-काज अइपारओइपार <strong>ह</strong>ोइते अिछ। सीमाकातमे अइ भागक लोक ओइ भाग जा <strong>ह</strong>ाट-बजार करैत अिछ आ ओइ भागकअइपार। जना-जना आग ू मुँ<strong>ह</strong>ेँ बढबै तेना-तेना पािनयो आ बोिलयोमे अर व ुझाएत। तेकर कारण छैकउरविरया प<strong>ह</strong>ाड। बाव ूकेँ ख ूब आमदनी <strong>ह</strong>ोिन । भिर-भिर िदन भा ँग-खाय दरवापर बैिस तास खेलल करी।“लघ ु-िसा” पढैमे एगार<strong>ह</strong> वख र् लागल र<strong>ह</strong>ए। मुदा बाव ूक संग प ूरैत-प ूरैत अपन जी<strong>िव</strong>काक सभ लिर ू भऽगेल। पढैमे मिझला भाए चगर। ख ूब पिढ कऽ नीक करी करै छिथ। कि<strong>ह</strong> <strong>दे</strong>लिन जजमिनकासँ <strong>ह</strong>मराको मतलब नि<strong>ह</strong> <strong>ह</strong>म मे<strong>ह</strong>नत करब। मे<strong>ह</strong>नतक अ खाएब। तखन िधया-प ूताक संार तेज <strong>ह</strong>ेतइ। सभसँछोटका बकनाएल अिछ। िदीमे भाए करीयो धड़◌ा <strong>दे</strong>लकिन तँ तते कमािथ जे पेटो भरिन। मुदासमाजमे िता ब र<strong>ह</strong>िथ”िताक नाओ सुिन दयानक मनमे भेल जे एक िदिश क<strong>ह</strong>ै छिथ जे बकना गेला<strong>ह</strong> आ ितितो क<strong>ह</strong>ै छिथन।मनमे अचडज भेलैक आिखमे ँ आिख ँ गरा पुछलकिन- “की िता?”दयानक केँ <strong>ह</strong>ुक बिझ ु बजला<strong>ह</strong>- “बौआ, अख अिधक खेिन<strong>ह</strong>ार लोककेँ ितित मानल जाइत अिछ।एे िदन ई िता भोज-काजमे भेटैत छलैक आब घरे-घर भऽ गेलइ। <strong>ह</strong>म कतेक पैआ खेनाइपर खच र्करै छी एि<strong>ह</strong>क भीतर िता आ<strong>िव</strong> गेल अिछ। भले<strong>ह</strong>ी ं <strong>ह</strong>जार पैया ितिदन पिरवारक भोजनमे खच र् िकअए करिथ मुदा समाजक लोक जँ डेरापर आिब जेता<strong>ह</strong> तखन या तऽ गेट खोिल भेंटे नि<strong>ह</strong> <strong>दे</strong>विन या तँ भेंटो<strong>दे</strong>विन तँ गामक- <strong>ह</strong>ािल-चािल पुिछ क<strong>ह</strong>विन जे पी करीक ूटीमे छिथ तेँ डेरामे चा<strong>ह</strong>ो पीयाएव मोसिकलअिछ। वेचारा <strong>ह</strong>ाले-चाल की क<strong>ह</strong>तिन जे बेसी समयो लागत। िजनगीक भेंिट आ एकठाम र<strong>ह</strong>ैबला। <strong>ह</strong>ँ, तँक<strong>ह</strong>ै छल<strong>ह</strong>ु ँ अपन भाइयक <strong>िव</strong>षएमे। साल भिरसँ म<strong>ह</strong>ंथ भऽ गेल अिछ। <strong>दे</strong>खिलऐक तँ नि<strong>ह</strong> मुदा, सु छी अपिचीमे कताक बेिर िलिखलक<strong>ह</strong>ेँ। ओना भाए छी आिग नि<strong>ह</strong> उठेबै, नअ-दस माससँ लो-कपड़◌ा आ <strong>ह</strong>जार पैयामि<strong>ह</strong> पठबैए। मुदा आफद की एकटा अिछ? साल करीब भऽ गेलिन। किनया ँ एतै छिथन। एकटा बोछि। फोन केिलये जे दसो िदनक लेल गाम आिब वालो-बाकेँ अिसरवाद दऽ द<strong>ह</strong>क। आब तँ तोँ म<strong>ह</strong>ंथ भऽगेल<strong>ह</strong>....।<strong>दे</strong>वनन िदस मुँ<strong>ह</strong> घ ुमा कऽ मुी दैत- ....भाय, की जबाव <strong>दे</strong>लक से बिझिलऐ, ु क<strong>ह</strong>लक जे ानक की <strong>ह</strong>मराखाितआन बनल अिछ। भिर िदन भिर राित कतौ र<strong>ह</strong>ू मुदा, सा ँझ-िभनसरकेँ घडी-घ ंट बजा आरती गवए पडत।मुदा आब चढ़◌ौआ सभ से<strong>ह</strong>ो <strong>ह</strong>ुअए लगल<strong>ह</strong>ेँ। भिर गाम-घरक स्ीगणसँ लऽ कऽ बजार धिरक जिनजाित सिदकालअिबते र<strong>ह</strong>ैत अिछ।”<strong>दे</strong>वनन- “भावोओकेँ ओतै पठा िदअ?”िश व श ंकर- “से तँ अप िलखैए जे <strong>िव</strong>दागरी कऽ कए अिबअ। मदा ु एकटा आफत र<strong>ह</strong>ै तब आफतपर आफत अिछ। एक तँ किनया ँ जाइले नि<strong>ह</strong> गछैत छिथ। कोना उपकैर कऽ घरसँ <strong>िव</strong>दा कऽ िदअिन।मुदा बात से<strong>ह</strong>ो नि<strong>ह</strong> अिछ दोसरो बात अिछ। एक बेिर <strong>िव</strong>वा<strong>ह</strong>-पंचमीमे जनकपुर <strong>ह</strong>रक संगी संगे गेली<strong>ह</strong>।लोकक ठठ्ठ, िदन-राित याी इरसँ उम ्<strong>ह</strong>र निचते। एक ठाम एकटा नंगा ान लग िबजली किट गेलइ। ज<strong>ह</strong>ा ँ-त<strong>ह</strong>ा ँ अपन-जोरी -संगी- छोिड याी सभमे <strong>ह</strong>रा गेल। <strong>ह</strong>मरो भावो <strong>ह</strong>रा गेली<strong>ह</strong>। ले वङौड रौतुका <strong>ह</strong>राएलिदमे गौ ँवा भेटलिन ि<strong>ह</strong>नका आ ई भेटलिखन गौ ँवाकेँ । मुदा <strong>ह</strong>रेलिखन नि<strong>ह</strong>। वौएलिखन सभ याी तँअप इलाकाक र<strong>ह</strong>ै की । नानी गामक संगी भेिटलिन। जि<strong>ह</strong>ना धारमे बा ँस वा री पकिड-पकिड लोक धारटपैत ति<strong>ह</strong>ना बेचारी नानी गामसँ मेजमानी करैत सात िदनक पछाित गाम ऐली<strong>ह</strong>। से मन उडल छिन।”<strong>दे</strong>वनन- “सभ स्ीगण श<strong>ह</strong>र जाए जा<strong>ह</strong>ैत अिछ अ<strong>ह</strong>ा ँ उनटे क<strong>ह</strong>ै छी?”45

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